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याराना
जर, जोरू और जमीन- कहा जाता है कि झगड़े की यही सबसे बड़ी वजहें होते हैं और इनके कारण भाई-भाई भी दुश्मन हो जाते हैं। खास कर जोरू तो भाइयों तो क्या गहरे से गहरे दोस्तों में भी अलगाव करा देती है। लेकिन हमारे मामले में कुछ उल्टा ही हुआ था। 'जोरुओं' की वजह से हम दो दोस्तों की टूट चुकी दोस्ती फिर से जुड़ गई।
मैं राजवीर (26) और मेरे बचपन का दोस्त रणविजय। हमारा जन्म दो दिन के अंतर पर हुआ था, सो हमारे घर वालों ने हमारा नाम भी एक सा रखा था। गाँव में हमारे घर आमने-सामने हैं। हमारे परिवारों का बहुत बड़ा फॅमिली बिजनेस था और हम गाँव के अमीरों में से थे। दोनों परिवारों में पहले बहुत दोस्ती थी लेकिन बिजनेस की वजह से मनमुटाव हो गया था। अब हाल यह था कि उन्हें अपने बिजनेस के लिए पार्ट्स खरीदने पड़ते थे जो हम बनाते थे लेकिन वे दुश्मनी की वजह से हमसे पार्ट्स ना खरीदकर बाहर से इम्पोर्ट करते थे। इधर हमारे प्रॉडक्ट का नाम विश्वसनीय था। नुकसान दोनों पक्षों को था। बचपन से रणविजय और मैं अच्छे दोस्त थे। दोनों गाँव की क्रिकेट टीम में साथ खेलते बड़े हुए थे। अच्छे खिलाड़ियों के रूप में हमारी धाक थी। लेकिन जब हम बड़े हुए और अपना अपना बिजनेस सम्हाला तो आपस में बोलना बंद कर दिया।
रणविजय की शादी प्रिया से हुई और उसी साल मेरी भी शादी तृप्ति से हुई। दोनों ही सुंदरियाँ। प्रिया देखने में फिल्मी हीरोइन प्रेरणा जैसी थी और मेरी पत्नी तृप्ति टीवी सीरियल की हीरोइन संजना जैसी। इधर रणविजय और मैं भी देखने में स्मार्ट और हैंडसम। हमारी सेक्स लाइफ बहुत अच्छी थी। घर आमने-सामने होने के कारण रणविजय और मेरी रोज नजरें मिलती लेकिन हम बात नहीं करते थे। दोनों ही एक-दूसरे के ग्राहकों को भड़काते। इससे हमारे बिजनेस पर काफ़ी असर पड़ रहा था।
कहानी में मोड़ तब आया जब हमारे गाँव का एक मैच था और जीतने के लिए गाँव के लड़कों ने हमें खेलने को कहा। हमारी जोड़ी ने बल्ले और गेंद से टीम को जीत दिलाई। गाँव के लोग बहुत खुश हुए, बोले, तुम लोग हमेशा साथ ही खेलो। पुरानी दोस्ती थी और मैच में हमने साथ खेला था सो मैच के बाद एक दूसरे के खेल की टांग खींचने लगे। तुझसे अच्छा मैंने खेला, तू तो स्ट्रेट में गेंद डाल रहा था, वगैरह वगैरह! दोनों को बचपन का याराना याद आने लगा। थोड़ी देर में खेल के और साथी चले गये और मैदान में हम दोनों ही रह गए तो थोड़ी बिजनेस की भी बात होने लगीं। दोनों ने एक दूसरे के बहुत से ग्राहकों को भड़काया था और एक दूसरे का बहुत नुकसान किया था।
मैंने कहा- यार, बहुत नुकसान हो रहा है। चल एक-दूसरे से लड़ाई खत्म कर बिजनेस बढ़ाते हैं।
उसने कहा- ठीक है, लेकिन तुझसे पार्ट्स खरीदने के लिए मुझे अपने मौजूदा सप्लायर से करार तोड़ना पड़ेगा। उसके बाद अगर तूने मुझे पार्ट्स नहीं दिए तो मेरा लाखों का नुकसान हो जाएगा। और हम दोनों कमीने हैं सो मुझे इस बात का यकीन नहीं है कि तू बाद में मुकर नहीं जाएगा।
मैंने कहा- अपन स्टांप पर या खाली चेक लेकर ये डील कर लेते हैं।
तो उसने कहा- कुछ पैसों के चेक से न तुझे फर्क पड़ेगा न मुझे, लेकिन पुराना करार टूटा तो पूरे बिजनेस फ्यूचर की वॉट लग जाएगी। तो जैसा चल रहा है वैसा ही चलने देते हैं।
बात खत्म।
फिर हमने बात का विषय बदला, मैंने पूछा- तेरी मैरिड लाइफ कैसी चल रही है?
उसने कहा- मस्त है।
आगे उसने कहा- लाइफ तो तेरी भी मस्त होगी। चूमने के लिए इतने प्यारे चेहरे वाली वाइफ जो घर में है।
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मैंने भी कहा- तेरी वाइफ जैसा शेप कहाँ है आगे पीछे का! (हम एक दूसरे की टांग खींचते हुए अश्लील होते जा रहे थे।)
मैंने कहा- प्रिया के बटक्स प्रेरणा जैसे हैं।
वो गुस्से में बोला- और तेरी तृप्ति के बूब्स तो किसी इंग्लिश लेडी के जैसे व्हाइट होंगे।
(बात बढ़ने लगी।)
उसने कहा- कमीने, मुझे पता था तू प्रिया को जरूर घूरता होगा!
मैंने भी कहा- मैं भी तुझे अच्छी तरह जानता हूँ।
घर जाते जाते रणविजय ने कहा- भाई एक आइडिया हैं बिजनेस डील करने का, अगर तू बुरा ना माने?
मैंने कहा- बता?
उसने कहा- देख, दोनों परिवारों की इज्जत सबसे बड़ी चीज़ है और दोनों इसके लिए कुछ भी कर सकते हैं। और हमारी पत्नियाँ भी अपने अपने परिवारों की इज्जत हैं।
मैंने कहा- तो?
उसने कहा- एक बार तृप्ति का मेरे साथ एम एम एस बनवा दे, फिर मैं पुराना करार तोड़ दूँगा। तुझसे करार करके एड्वान्स दे दूँगा। इससे यह टेंशन खत्म हो जाएगी कि तू मेरे को सप्लाई देगा या नहीं, क्योंकि तेरी इज्जत मेरे मोबाइल में होगी।
मुझे गुस्सा आ गया, मैंने कहा- कमीने, तू ही इस तरह की गंदी बात कर सकता है। तू बचपन का दोस्त हैं तो यह पहली और आखिरी बार बर्दाश्त किया है, ऐसा सोचना भी नहीं! आई लव तृप्ति।
-
हम अपने अपने रास्ते चल दिए, हमने एक-दूसरे से फिर बोलना बंद कर दिया। लेकिन दिमाग़ में दिन-रात उसकी बात घूमने लगी। मैं कल्पना करता कि वो तृप्ति के साथ संभोग कर रहा है और मैं उत्तेजित हो जाता। ऊपर से बात करोड़ों के भविष्य के बिजनेस की भी थी। अगर मेल हो जाता तो मेरा हर माह लाखों का प्रॉडक्ट बिकने का भविष्य था। मैं भी उसकी पत्नी प्रिया के बारे में सोचने लगा। उसका बेहतरीन आकार वाला पिछवाड़ा गजब का सेक्सी था। उसमें लिंग डालकर... सोच कर मेरा बुरा हाल हो जाता। आखिरकार मैंने रणविजय को एक शाम उसी खेल के मैदान में बात करने के लिए बुलाया। आते ही उसने पिछली बात के लिए सॉरी कहा।
मैंने कहा- इट्स ओके! बात तेरी सही थी। तुम्हें भी तो कोई बड़ी गारंटी चाहिए। लेकिन वह मेरी पत्नी है और उसकी कीमत करोड़ों से भी ज्यादा है मेरे लिए! (वह उत्सुकता से मेरे चेहरे को देखने लगा।)
मैंने कहा- लेकिन बिजनेस के फ्यूचर का सवाल है तो एक आइडिया मेरे पास भी है... तू तृप्ति के साथ सो सकता है लेकिन मैं भी प्रिया के साथ सेक्स करूंगा। (मैं डर रहा था कहीं फिर झगड़ा न हो जाए।)
उसने कहा- 'तो बात फिर वहीं आ गई। अगर तेरे गड़बड़ करने पर मैंने तेरी बीवी का एमएमएमस रिलीज किया तो तू भी ऐसा करेगा। तो बात तो बिगड़ जाएगी।'
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मैंने कहा- मैं एमएमएस नहीं बनाऊंगा। तू अपनी सिक्योरिटी रखना एमएमएस बनाकर!
वह सोचने लगा, बोला- देख हम अपनी बीवियों को बहुत प्यार करते हैं लेकिन बिजनेस के अच्छे फ्यूचर के लिए हमें कुछ तो करना ही होगा। और वैसे भी तू प्रेरणा के साथ और मैं संजना के साथ सेक्स करना ही चाहते हैं। तो क्यों ना असली में...
'ठीक है, तो पक्का रहा?'
अब मन में सवाल था कि हमारी बीवियाँ इसके लिए मानेंगी कैसे? यह बहुत बड़ी चुनौती थी। मेरी जिंदगी में जैसे कोई नया उद्देश्य मिल गया था। दिन का समय तो व्यवसाय में व्यस्त गुजर जाता मगर रातें बेचैन करने लगीं। मैं तृप्ति को रणवीर के बाँहों में होने की कल्पना करता और खुद को उसकी सुंदर सेक्सी इल्याना डिक्रूज के साथ।
तृप्ति सेक्स के दौरान पूछती- क्या बात है, इधर कुछ दिन से ज्यादा जोश में नजर आ रहे हो?
उधर रणवीर का भी यही हाल था।
हमें अपनी बीवियों को लेकर कहीं बाहर निकलना था क्योंकि यह काम घर में नहीं हो सकता था, हम दोनों के ही संयुक्त परिवार थे। रणविजय और मैं रोज बात कर रहे थे, शाम को अपने वर्कशॉप बंद करने के बाद कहीं दूर बैठ जाते और योजना बनाते। मुश्किल यह थी हमारे कारोबार एक ही क्षेत्र से संबंधित थे इसलिए दोनों को एक साथ निकलना कठिन था। लेकिन एक बहुत बड़ी चीज के लिए कुछ तो कुर्बानी देनी ही पड़ती है। हमने कुछ दिन वर्कशॉप बंद करके शिमला घूमने का प्लान बनाया, लंबा पाँच दिन का। अपने घर वालों को नहीं बताया कि सामने वाला कपल भी उसी जगह घूमने जा रहा है।
बिजनेस वालों की बीवियों से पूछो वे बाहर जाने को कितना तरसती हैं। उनके पति हर समय बिजनेस में बंधे होते हैं। सो हमारी बीवियों की खुशी का ठिकाना नहीं था, वे उत्साह से तैयारी करने लगीं। लेकिन असली तैयारी तो हमको करनी थी (अपनी पत्नियों को बिगाड़ कर) बिगड़ने से ही वे बिगड़े हुए काम यानि स्वैपिंग के लिए राज़ी होतीं। दोनों पैसे वाले परिवारों से थीं मगर ससुराल में अच्छी बहुओं जैसी ही रहती थीं। रणविजय और मैं एक दूसरे को अपने बेडरूम में होने वाली घटनाएँ बताते थे। कैसे रात में वो सेक्सी ड्रेस पहनकर हमें उत्तेजित करती, कैसे हमने सेक्स किया, कैसे हमने अपनी पत्नी के साथ ब्लू फिल्म देखी, वगैरह, वगैरह।
तृप्ति ने एक दिन कहा- तुमने सपने तो दिखा दिए घूमने जाने के लेकिन तुम्हारा प्लान नहीं सेट हो पा रहा, या तो बताते ही नहीं?
मैं- कोई बात नहीं यार, जब भी चलेंगे इतना कुछ करेंगे कि सारे इंतज़ार को भूल जाओगी।
तृप्ति- अच्छा! ऐसा क्या करने वाले हो? नया तो रोज कर ही रहे हो। ब्लू फिल्म देख-देख के सारे प्रैक्टिकल कर लिए। अब क्या नया करोगे?
मैं- यार, मैंने कोई प्लान थोड़ी बनाया हुआ है। बस ख्वाहिश है कि इसे यादगार बनाऊँ क्योंकि समय तो मिलता नहीं खुद की लाइफ जीने का। बिजनेस ही ऐसा है।
तृप्ति- मुझको तो समझ नहीं आता कि इतना पैसा क्यों इकट्ठा कर रहे हो कि खत्म करने के लिए जिंदगी कम पड़ जाए?
मैं- हम्म्म्म लेकिन अपनी आउटिंग को यादगार बनाने के लिए तुमको भी साथ देना होगा।
तृप्ति- हाँ जी, आपको आपकी जरूरत से ज्यादा ही दूँगी, देख लेना।
तृप्ति अच्छे से नहाकर छोटी सी पारदर्शी नाईटी पहनकर आई थी, उसने मुझे बिस्तर पर ठेलकर गिरा दिया, बोली- कल तुमने थोड़ा सा मेरी चूत और उसके नीचे की छेद को जीभ से गुदगुदाया था तो बड़ा अच्छा लगा था। तो कल के ट्रेलर की आज पूरी फिल्म दिखाओ। वह उल्टी तरफ मुँह करके मेरे ऊपर चढ़ गई, पीछे खिसक कर उसने अपने गोरे नितम्बों के बीच की गहरी जगह को मेरे मुँह पर टिकाई और मेरे ऊपर लेट गई, अपना सारा बोझ स्तनों के सहारे मेरे पेट पर डालते हुए उसने अपने प्यारे प्यारे कोमल मुँह में मेरे खड़े लिंग को ले लिया।(मेरी पत्नी सेक्स में प्रयोग पसंद करती थी।)
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रणवीर की बातों से लगता था कि उधर भी कुछ ऐसा ही था। हम दोनों ने अपनी पत्नियों को बता दिया था कि दोनों दोस्त अब बात करने लगे हैं लेकिन घर वालों को जाहिर नहीं होने देते। हमने बता दिया कि घूमने का प्लान भी चारों का है ताकि दोनों दोस्त खुलकर रह सकें और बातें कर सकें और तुम भी नई सहेली बना लो। पत्नियों को इन बातों से कोई दिक्कत नहीं हुई, वे भी मिलजुल कर रहना पसंद करती थीं, दोनों ने कहा- अच्छा है, कम्पनी मिल जाएगी घूमने को! आख़िर तीन महीने बाद वह दिन आ गया जिसका हमें इंतज़ार था। हम स्टेशन पर अपनी अपनी गाड़ियों से पहुँचे ड्राइवर के साथ! वहाँ स्टेशन के अंदर रणविजय और प्रिया हमारा इंतजार कर रहे थे, हमारे टिकट फर्स्ट एसी में बुक थे।
हम दोनों पास से एक दूसरे की बीवियों को देख रहे थे। प्रिया बिल्कुल प्रेरणा जैसी, उसका शरीर साँचे में ढला हुआ, पतली सी कमर, उसके नीचे साड़ी में छिपी (मेरी कल्पना में) मोटी जाँघें। क्या शेप था? कई हीरोइनें भी उसके सामने फीकी थीं। गोल नाभि के नीचे बँधी हुई साड़ी में वह बड़ी सेक्सी लग रही थी। और इधर गोरे रंग की तृप्ति को देखकर रणविजय का बुरा हाल था, मौका मिलते ही बोला- यार, क्या चीज़ अपने साथ लेकर घूम रहा है तू, इसको तो थोड़ा हाथ लगाओ तो लाल हो जाए।
हम अपने ट्रेन के केबिन में बैठ गए। एसी फर्स्ट के उस केबिन में केवल चार हमारी सीटें ही थीं। दोनों औरतें एक-दूसरे से बात करने लगीं। वे बेचारी हमारे शैतान दिमाग और आगे की योजनाओं से अनजान थीं, हम भी कोई जल्दी नहीं करना चाहते थे। आधे दिन और एक रात के सफर में हल्के-फुल्के हँसी-मजाक करते हुए हम अच्छे दोस्त बन गए। रास्ते में कालका स्टेशन से ट्रेन बदल कर हम सुबह मुँह अंधेरे शिमला पहुँच गए। वहाँ थ्री-स्टार होटल में हमारे अगल-बगल के कमरे बुक थे, पहुँच कर पहले नहाए, थोड़ा आराम किया और नीचे रेस्तराँ में नाश्ते की टेबल पर मिले। सफर के दौरान हमने एक-दूसरे की पत्नियों को भाभी नहीं कहकर उनके नाम से ही बुलाया था।
रणविजय- हाँ तो तृप्ति, कैसा रहा रात का सफर? ज्यादा थकान तो नहीं हुई?
तृप्ति- नहीं विजय, ऐसा कुछ नहीं हुआ l
मैं- तुम दोनों को रास्ते में ही थकान न हो जाए इसीलिए तो टिकट 1-एसी में कराया था क्योंकि थकान अच्छे कामों से होनी चाहिए।
प्रिया- हां जी, आपके अच्छे काम हमें खूब पता हैं। थोड़ा आराम देकर हमारी जान निकालने की साजिश करके लाए हैं आप हमें l
तृप्ति- हाँ वो तो है, रणवीर तो तीन महीने से बोल रहे हैं कि याद रखोगी यह टूर! देखते हैं कितना यादगार बनाते हैं ये टूर को?
दिन भर हम साथ में शिमला घूमे और शाम को होटल में आ गये। हमारी उत्सुकता घूमने से ज्यादा कुछ और में थी। घूमने के दौरान दोनों की पत्नियों के उत्तेजक कपड़ों ने हमारा ध्यान भटकाए रखा। हमारी नजर उनकी छातियों और कूल्हों पर ही रहती, लेकिन उनसे छिपा कर l शाम को हमने डिनर किया, चारों की आँखों और व्यवहार से लग रहा था कि अब सबको सेक्स की भूख है तो हम अपने अपने कमरों में चले गए। हमने हनीमून सुइट बुक कराया थाम उनमें कई साधन थे जिन पर शानदार तरीके से सेक्स किया जा सकता था। अलग अलग किस्म के सोफे और कुर्सियाँ, बड़ा सा सुंदर बाथटब जिसमें दो आदमी आराम से बैठ सकें। हमने बाथटब में नहाते हुए सेक्स किया, धो पौंछ कर बिस्तर पर लौटे तो फिर ब्लू फिल्म देख कर माहौल बनाया और जमकर सेक्स किया, चार बजे तक बिस्तर के कब्जे ढीले करते रहे।
तृप्ति- रियली यार, बहुत मजा आया, तुमने मेरी चीखें निकलवा दीं।
मैं- हाँ, बहुत मजा आया। और बताओ तुम्हारी नयी दोस्त प्रिया कैसी है। और विजय कैसा लगा तुम्हें?
तृप्ति- यार ये लोग तो बहुत अच्छे हैं। दोनों का व्यवहार बहुत अच्छा हैं न? कितने स्मार्ट भी हैं ये।
मैं- लेकिन अपन से अच्छा थोड़े ही हैं।
तृप्ति- हाँ ये बात तो है। पता है, प्रिया बता रही थी कि विजय की सिक्स पैक है। वह सुबह-सुबह दो घंटे जिम करता है।
मैं- हाँ, वो बचपन से करता है। लेकिन क्या बात है, तुम दोनों ने एक दूसरे की पतियों की बॉडी को भी डिस्कस कर लिया? क्या चल रहा है भाई? और कुछ तो डिस्कस नहीं किया ना?
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तृप्ति- यू डर्टी माइंड! ऐसा नहीं है। वो प्रिया उसके जिम की आदत से परेशान है। कह रही थी सुबह रोज इतना समय बर्बाद करते हैं। बिना जिम के भी तो लोग फिट रह सकते हैं। जैसे कि राजवीर l
मैं- ओह सचमुच प्रिया ने मेरे बारे मे ऐसा कहा?
तृप्ति- हाँ, लेकिन ज्यादा खुश न हो, क्योंकि मुझे अब तुम्हारे सिक्स पैक चाहिए, घर जाते ही फटाफट तैयारी शुरू कर देना।
मैं- अच्छा! मुझसे न होगी इतनी मेहनत। कोई सिक्स पैक वाला ढूंढ कर कर लो अपने मन की
तृप्ति- मर जाओगे इस गम से कि मैंने किसी और से अपने मन की कर ली। तो जाओ माफ किया।
ऐसे बातें करते हुए हमको नींद आ गई।
अगली सुबह नाश्ते की टेबल पर चारों बैठे थे, हमारा प्लान शुरू करने का समय आ गया था।
मैंने पूछा- कैसी रही रात... होटल का रूम तो ठीक था ना?
विजय- हा यार, रियली, हमने तो रखे हुए सारे फर्नीचर का खूब उपयोग किया।
प्रिया शरमा गई, उसने विजय को धीरे से मारा- चुप रहो l
मैं- अरे यार प्रिया, क्यों मार रही हो उसे? इसी के लिए तो हम यहाँ आए हैं। सबको पता है। देखो, तृप्ति ने तो बाथटब से रात का पैसा वसूल करवा दिया मेरा।
चारों हँसने लगे।
रणविजय- भाई यहाँ का पॉर्न मूवी कलेक्शन भी जोरदार था। एक थ्रीसम वाली मूवी थी। मजा आ गया। उसमें यार बताऊँ क्या होता है?
प्रिया ने विजय को फिर मारा- यार हद कर रहे हो। उनके रूम में भी डीवीडी है, उनको तुम्हारी देखी सुनाना जरूरी है क्या?
रणविजय- चलो यार, आज साथ में कुछ मस्ती करते हैं।
मैं- कैसी मस्ती? मस्ती तो यार अपनी बीवियों के साथ ही अच्छी लगती है।
रणविजय- हाँ तो सब होंगे ना साथ में।
तृप्ति कभी मुझे कभी रणविजयको देख रही थी, कैसी मस्ती?
(हम रणविजय के कमरे में इकट्ठा हुए रात के 9 बजे थे l)
विजय- ताश खेलते हैं, चलो बताओ ताश खेलना किस किस को नहीं आता।
(हमें पता था कि ताश खेलना चारों को आता है।)
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मैं- अरे विजय, तू कहीं पोकर खेलने के बारे में तो नहीं सोच रहा? जिसमें (मैं रुक गया।)
प्रिया- जिसमें क्या...??
रणविजय- जिसमें हारने वाला अपना एक कपड़ा उतारता है।
तृप्ति- सो फनी! हमें ऐसा कोई खेल नहीं खेलना! कोई सिंपल सा गेम खेलो।
रणविजय- यार कोई बच्चे थोड़े ही हैं जो नॉर्मल गेम खेलें। इट्स एक्साइटिंग एंड न्यू... तभी तो अपना टूर नया और यादगार बनेगा। वरना जो कल रात किया था वही रोज करने मे क्या मजा है।
मैं- हाँ यार, मैं भी तृप्ति से यही बोल रहा था कि कुछ यादगार करेंगे।
प्रिया- नहीं, मुझे ऐसा यादगार नहीं चाहिए।
तृप्ति- चलो स्ट्रेट का ट्राई करते हैं।
प्रिया- क्या तृप्ति, तुम भी इनके साथ?
तृप्ति- मैं समझती हूँ इनका तरीका... ये हमें नंगी करके मजे लेना चाहते हैं। लेकिन मेरा चैलेंज है कि इनकी बिल्ली इनको ही म्याऊँ बुलवा दूँगी।
प्रिया-लेकिन हार गये तो?
तृप्ति- तो अपने हज़्बेंड ही हैं यार, इनको मना लेंगे अपने तरीके से, कि हमें कपड़े न खोलने पड़ें।
रणविजय- अच्छा! ये कोई बात नहीं होती। रूल इज रूल।
मैं- अरे ठीक है। एक बार शुरू तो करते हैं।
(प्रिया कुनमुनाती रह गई।)
पत्ते बँट गए, रणविजय हार गया, उसने अपनी टीशर्ट उतारी, अंदर बनियान नहीं थी तो ऊपर से नंगा हो गया। सचमुच उसकी बॉडी सिक्स पैक वाली थी। मैंने तारीफ की, तृप्ति आँखें फाड़े उसके पैक देख रही थी।
दूसरी बार प्रिया हारी, उसने टॉप खोलने से मना कर दिया। काफ़ी समझाने के बाद बहुत शर्माते हुए उसने अपना टॉप खोला।
ओ माय गॉड!!!! उसको काली ब्रा में देखकर मेरे दिमाग़ ठिकाने नहीं रहा, क्या शेप था... शानदार उभार... बड़े बड़े तीखे समोसों के साइज के... नजरें नहीं हटा पा रहा था। (लेकिन दूसरों का ख्याल करके लगातार देखने से बच रहा था।)
उसके इस रूप से कमरे का माहौल बदलने लगा था।
इस बार तृप्ति हारी, पहले से प्रिया के ब्रा में होने से वह ज्यादा देर तक नखरे नहीं कर पाई। उसके कसे हुए गोल स्तन अपने भार से बस जरा से ही लटके पूरे घमंड से सीने पर विराजमान थे, देख कर विजय की आँखें नशीली हो गईं। (अब सबका ध्यान खेल पर कम, एक दूसरे के शरीर पर अधिक था।)
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मैं लगातार दो बार हारा और मुझे अंडरवियर में आना पड़ा, दोनों स्त्रियाँ मेरे अंडरवियर में से तने हुए लिंग को देखकर हँसने लगीं। और फिर विजय हार गया, अब हम दोनों अंडरवियर में थे, दोनों बीवियाँ भी ब्रा पेंटी में आ चुकी थीं।
माहौल बदल चुका था, चारों अंदर ही अंदर उत्तेजित थे लेकिन एक-दूसरे की शर्म की वजह से भावनाएँ बाहर नहीं आ रही थीं। रणविजय और मैंने हँसी-मज़ाक करते हुए माहौल ऐसा बनाए रखा कि बीवियाँ खेलती रहें।
अगली बार प्रिया हारी!
इस अवसर का इंतजार मैं कब से कर रहा था।
उसे अपनी ब्रा उतारनी थी लेकिन उसने मना कर दिया, काफी मिन्नत के बावजूद नहीं मानी। फिर भी, मुझे इस बात की तसल्ली थी कि तृप्ति ने हमारी प्रिया की ब्रा उतरवाने की कोशिश का विरोध नहीं किया था, मैं डर रहा था इस मुद्दे पर दोनों औरतें एक न हो जाएँ। हमने खुशी खुशी खेल बंद कर दिया और अपने कमरे में आ गये।
बीवियाँ हालाँकि अपने रिश्तों के प्रति ईमानदार थीं लेकिन खेल के माहौल में दूसरे मर्द के गुप्तांग का नजारा उनकी आँखों और दिमाग़ में चढ़ गया। यही हालत हमारी भी थी, उनकी ब्रा में ढकी छातियों और अंडरवियर पहनी चिकनी गोरी टाँगों का दृश्य दिमाग़ से हट नहीं पा रहा था। दोनों स्त्रियों की आज जोरदार कुटाई होने वाली थी। शायद उनके मन में भी ऐसा ही था। आज का सेक्स का माहौल अलग था। तृप्ति इतनी जल्दी जल्दी कभी स्खलित नहीं हुई थी, वह काफ़ी गर्म थी, हमने हर तरह से सेक्स किया। हमारी बेस्ट पोज़िशन 69 में उसने कभी मेरा वीर्य पिया नहीं था मगर आज उसने मुझे अपने मुँह में ही झड़ने दिया था और फिर वीर्य को गटक लिया था। आज मुझे पता चला था कि ओरल सेक्स का क्या मजा है, अभी तक यह मजा केवल तृप्ति मुझसे लेती रही थी।
##
इस आनंदमयी रात के बाद सुबह रणविजय कह रहा था- भाई, एक-दूसरे के पार्टनर को सिर्फ़ आधा नंगा देखा, उसी में ये हाल है कि मुझे कल सुहागरात से ज्यादा मजा आया। जब पूरा देखेंगे तो क्या होगा। प्रिया ने भी ऐसा ही कहा।
मैं- सच यार, कल की रात गजब थी। ये रूप की देवियाँ हमारे नसीबों में कहाँ से आ गईं। और अब हम इन दोनों का फायदा नहीं उठा पाए तो सबसे बड़े गधे हैं। जब इतना हो गया है तो आगे भी हो जाएगा। माना कि बहुत मुश्किल होगा दोनों को मनाना, पर होके रहेगा भाई, चाहे जबरदस्ती ही क्यों न करना पड़े।
रणविजय- मेरे तो कल तृप्ति के बूब्स के शेप और गोरी चमड़ी को देखकर हाल ही बिगड़ गए थे। मैंने तो ख्यालों में तृप्ति का ही चोदन किया। पूरी रात प्रिया बोलती रही कि इतने जंगली क्यों हो रहे हो?
ब्रेकफास्ट टेबल पर दोनों बीवियाँ आईं शर्माती हुईं... उनकी शर्मीली संजना देखकर दिल रीझ गया। मैंने और विजय ने इधर-उधर की बातें करके माहौल को नॉर्मल बनाए रखा कि कहाँ घूमेंगे, क्या करेंगे वगैरह। दिनभर साथ घूमने के दौरान भी हमने मजाक में कोई ऐसी बात नहीं कही कि वे संकुचित हो जाएँ। औरतें नाजुक जीव होती हैं ना! कल रात आधी नंगी देखने के बाद आज वे कपड़ों में कुछ और ही लग रही थीं, बहुत ही खूबसूरत और नई नई। हमें ऐसा महसूस हो रहा था कि आज की रात ही वह रात होगी जिसके लिए हम इतने दिनों से लगे हुए हैं। हम भगवान से प्रार्थना कर रहे थे और ठाने भी हुए थे कि आज हमें जैसे भी हो, बीवियाँ बदलकर भोग ही लेना है।
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रात को डिनर के बाद दोनों कपल अपने-अपने कमरे में आ गये। योजना के मुताबिक अपनी बीवियों से कहा- यार, कल कितना मजा आ रहा था, आज बोर हो रहे हैं। कल सेक्स में भी कितना मजा आया गेम खेलने के बाद... है ना?
तृप्ति- सीधे बोलो ना आज भी गेम खेलने हैं। खूब समझती हूँ मैं तुम्हारे शैतान दिमाग को। तुम्हें प्रिया को फिर से वैसे ही देखना है।
मैंने प्यार से तृप्ति को समझाया- डार्लिंग, तो क्या हो गया। अब टीवी चलाकर टीवी में बिकनी में गर्ल्स देखूँ, ब्लू फिल्म देखूँ तो कोई बात नहीं, लाइव देखा तो क्या हो गया?
तृप्ति- यार ये ग़लत है, मुझे विजय ऐसे देख रहा है और तुम प्रिया को और प्रिया तुम्हें... एकदम गलत बात!
मैं- हाँ, वो बात ठीक है लेकिन जरा इसको साइड में रखकर सोचो। मजा आया था या नहीं? सच बताओ। और यहाँ हम मजे करने ही तो आए हैं यार!
तृप्ति- आए हैं लेकिन ऐसे नहीं यार!
मैं- ओह यार, शादी से पहले तुम्हारा अफेयर किसी से था जैसा कि तुमने बताया था। तुमने उससे ओरल सेक्स भी किया था, पूरा फक नहीं। मैंने भी कई लड़कियाँ तुमसे शादी के पहले चोदीं। तो क्या हो गया अब किसी के साथ थोड़ी सी मस्ती कर ली। केवल मस्ती ही तो कर रहे हैं। वो भी सबकी रजामंदी से... कोई चुदाई तो नहीं हो रही है यार... अब बताओ कल मजा आया कि नहीं?
तृप्ति- सीरियसली... आया तो था!
मैं- कल के सेक्स में इतना मजा भी रणविजय के ख्याल से आया था, है या नहीं? ईमानदारी से बताओ?
तृप्ति- हाँ यार... और प्रिया ने भी अकेले में मेरे से ये बात एक्सेप्ट की थी।
मैं- तो क्लियर है यार, जिससे मन खुश हो, वो करते हैं। वैसे भी किसको पता चलेगा। रणविजय और हम दोस्त हैं, एकदम पक्के विश्वास वाले। और ये तो बस गेम है, गेम खेलेंगे और भूल जाएँगे।
तृप्ति- ओके, लेकिन हम उनके रूम में नहीं जाएँगे, वो आते हैं तो ठीक है...
तृप्ति मान गई थी लेकिन विजय की तरफ से भी हरी झंडी आनी बाकी थी। मन में टेंशन थी कि प्रिया मानेगी या नहीं।
मैं समय निकालने के लिए उस वक्त तृप्ति को चूमने लगा, मैंने उससे सामान्य फोरप्ले ही किया। लेकिन ध्यान तो वही था कि अगर विजय और प्रिया भी हमारा इंतजार कर रहे होंगे तो आज की रात व्यर्थ चली जाएगी। कुछ देर बाद मेरे मन में एक आईडिया आया, मैंने प्रिया को नाइटी पहनने के लिए कहा। उसने आनाकानी की कि अब तो वैसे भी खोलने का ही टाइम है।
मैंने कहा- प्लीज बेबी, माहौल बनाओ। मेरी प्यारी पत्नी ने बात मानी और नाइटी पहनने के लिए बाथरूम चली गई।
मैंने जल्दी से सारा माजरा रणविजय को मेसेज कर दिया और उसको प्रिया को साथ लेकर मेरे कमरे में आने को कहा। तब तक मेरी सेक्सी रानी नाइटी पहन कर बिस्तर पर आ गई।
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कुछ देर तक भी विजय और प्रिया नहीं आए तो मेरा दिल टूटने लगा। मैं तृप्ति के साथ सेक्स की तैयारी करने लगा। सोचा कि मन में ही प्रिया को रखकर तृप्ति से सेक्स कर लूंगा। मैं तृप्ति को देर तक जोरसे चूमते हुए उसे गर्म करने लगा। इतने में घंटी बजी, तृप्ति को यह घंटी अच्छी नहीं लगी मगर मेरे फड़फड़ाते लिंग की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। किसी तरह अपने खड़े लिंग को सम्हालते हुए दरवाजा खोला। तृप्ति ने भी खुद को इतना सामान्य कर लिया जैसे हम कुछ कर ही नहीं रहे थे। पता नहीं, विजय ने कैसे प्रिया को रात में हमारे कमरे में आने के लिए मनाया लेकिन वे दोनों हमारे कमरे में थे। अब तो रात जोरदार होनी ही थी।
आते ही प्रिया बोली- सॉरी यार, हमने डिस्टर्ब तो नहीं किया?
तृप्ति- नहीं यार, हम लोग थोड़ी देर पहले तुम लोगों के बारे में ही बात कर रहे थे।
प्रिया- देखो ना यार, विजय ने कल के गेम के मजे को याद दिला दिलाकर मुझे यहाँ आने को मजबूर कर दिया। वह मान ही नहीं रहा था।
विजय- तो क्या हुआ यार प्रिया? देखो ना तृप्ति ने भी तो कहा कि वह लोग हमारे बारे में बातें कर रहे थे। इतना पास हैं तो दूर दूर रहकर याद क्या करना। इसलिए साथ में याद करना और यादों में जो बातें हो रही थीं वो शेयर करना बेहतर है।
मैंने सही मौका देखकर दाँव चल दिया- हम तो कुछ नहीं यार, क्या डिस्कस कर रहे थे कि प्रिया का कितना सेक्सी फिगर है, विजय को कितना मजा आता होगा। और तृप्ति कह रही थी कि कितना मजा होता होगा जब सिक्स पैक वाला विजय प्रिया की बाहों में होता होगा और प्रिया के साथ...
तृप्ति मेरी बात काट कर चिल्लाई- शटअप यार, मैंने ऐसा कब कहा? (सुनकर हम तीनों जोर जोर हँसने लगे, तृप्ति गुस्सा हो गई।)
प्रिया- ओके यार तृप्ति, मुँह मत फुलाओ, हम दोस्त हैं और कल की बदमाशी के बाद माइंड में ऐसी स्टुपिड बातें आना नॉर्मल है।
तृप्ति- जी नहीं प्रिया, मेरे माइंड में ऐसा कुछ नहीं आया, इन राजवीर जी के बच्चे को मैं देख लूंगी।
विजय- बच्चा करने की प्लानिंग हनीमून पर।
(सब जोर से हँसने लगे।)
तृप्ति भी मजाक को समझते हुए मुस्कुराने लगी, बोली- ये कभी नहीं सुधर सकते।
(चलो, दोस्ती का माहौल बन चुका था।)
तृप्ति- आज क्या करना है? आज भी वही खेल?
प्रिया- नहीं यार, हम दोनों ने नाइटी पहनी हुई है इसलिए हम हार गए तो लेने के देने पड़ जाएंगे। इसलिए आज वह खेल नहीं। आज नॉर्मल बातें ही करने आए थे। जरा सा मस्ती और मजाक करने... अब चलते हैं।
मैं- नॉर्मल बातें तो कभी भी होती रहेंगी। हमें इस हनीमून को तो नॉर्मल नहीं बनाना था ना?
विजय- हाँ यार, ठीक है जैसी आप दोनों की इच्छा। आज कल वाला गेम नहीं खेलेंगे, आज कुछ और करते हैं।
तृप्ति- जो भी करना है करो। बस हम कपड़े नहीं उतारेंगी।
विजय- ठीक है, कल वाले गेम को ही आगे बढ़ाते हैं। लेकिन यार कुछ तो डर्टी बनना पड़ेगा। हम सब एडल्ट हैं, वरना क्या मजा आएगा?
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मैं- हाँ सही है यार। बताओ प्रिया और तृप्ति, फिर यह मौका कब मिलेगा? कितनी मुश्किल से तो हमारा बाहर आना संभव हुआ है। अगली बार फिर से आना शायद अगले जन्म में ही संभव हो। हमारा काम ही ऐसा है बिजनेस का।
तृप्ति- हाँ यार, यह बात तो है।
विजय- और यार अपनी वाइफ के साथ तो हम अपने घर भी सोएंगे। यहाँ तो कुछ यादगार पल होने चाहिए।
प्रिया- आप सही कह रहे हैं। कल तृप्ति को और हमें भी काफी एक्साइटमेंट हुई थी, यह बात झूठ नहीं है। अपने पतियों को प्यार करने का कल का मजा ही कुछ अलग था। ओके, चलो आज फिर कल जैसा कोई जादू कर दो... कि मुझे आपको और तृप्ति को राजवीर से प्यार करने का मजा आ जाए। (तृप्ति ने आखिरकार हामी भर दी।) हम खुश थे कि दोनों इस गंदे खेल में शामिल तो हो रहीं हैं, भले ही अभी उनके मन में पराए पार्टनर के लिए कुछ गलत नहीं हो।
मैं- आज का गेम है- सच का सामना!
प्रिया- हा हा हा, यह क्या गेम है?
मैं- कोई कार्ड्स नहीं, कोई खेल का जरिया नहीं, बस सवालों के सच सच जवाब देने होंगे।
तृप्ति- कैसे सवाल? और सवालों में कैसा एक्साइटमेंट?
विजय- सवाल ऐसे कि जिनके जवाब अगर ईमानदारी से दो तो एक्साइटमेंट हो जाए।
प्रिया- कैसे?
मैं- वह तो खेल शुरू करेंगे तो पता चल जाएगा, एक एक बार सब का नंबर आएगा, और सब को बस सच बोलना है।
फिर हम चारों हमारे डबल बेड पर बैठ गए। सबको पता था कि कुछ बहुत रोमांचक होने वाला है। हमारी बीवियों ने मॉडर्न होने के बावजूद खानदानी बहू का जिम्मा अच्छे से निभाया था लेकिन कल के खेल ने उनके जज्बातों को जगा दिया था। आधी उत्तेजित तो वे पहले से थीं, आज हमें बस उन्हें सेक्स के लिए जरा और उत्तेजित करना था।
सबसे पहले मैंने अपना सवाल किया तृप्ति से- तृप्ति, कल के गेम में तुम्हें विजय की कौन सी चीज सबसे अच्छी लगी। प्लीज, शर्म को साइड में रख कर खुलकर बताओ ताकि हम खेल का मजा ले सकें। यही खेल का नियम है।
तृप्ति- सच कहूँ तो मैं उसके सिक्स पैक की फैन हूँ। तुम बताओ प्रिया की खास बात?
मैं- प्रिया का शेप... काश प्रिया कल ब्रा-पैंटी में एक बार खड़े होकर मॉडल की तरह वाक करके दिखाती तो लाइफ बन जाती। (सुनकर प्रिया शर्म से मुस्कुराने लगी, उसका चेहरा लाल हो गया।) विजय ने जोर से ठहाका मारा, तृप्ति ने मुझे धीरे से मारा।
मैंने कहा- अब विजय बताएगा तृप्ति के बारे में!
विजय- तृप्ति को देख कर मुझे नागिन की हीरोइन (colors सीरियल वाली, संजना खान) याद आती है। तृप्ति उससे भी ज्यादा अट्रैक्टिव लगती है। लेकिन कल जब मैंने तृप्ति को ब्रा-पैंटी में देखा तो मुझे लगा इस से बेहतर नजारा कोई और हो ही नहीं सकता। इतना गोरा रंग, भरा हुआ शरीर, जिसे मोटापा नहीं कह सकते। जैसे बिल्कुल साँचे में ढला हो। पूरी रात वह नजारा मेरी आंखों में घूमता रहा।
प्रिया ने मेरे बारे में कहा- मुझे फिट लड़के बहुत पसंद हैं, जैसे कि आप, लेकिन पैक वाले बंदों से मुझे फीलिंग नहीं आती। आपकी बॉडी और V शेप की कमर और चेस्ट काफी अट्रैक्टिव है। शरीर पर ऊपर से बाल नहीं हैं, यह मुझे और एक्साइटिंग लगा। गोरे तो आप भी अपनी वाइफ से कम नहीं हैं, आप दोनों भी हमारी तरह परफेक्ट कपल हैं।
(अपनी तारीफ किसे नहीं अच्छी लगती, सबको बातचीत पसंद आई थी, अब थोड़ा मसाला डालने की जरूरत थी।)
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मैंने कहा- अब राउंड-2
विजय- अब आपको ऐसी ही ईमानदारी से बताना है कि आपको अगर पाँच मिनट दूसरे कपल के पार्टनर के साथ फोरप्ले करने का मौका मिले तो आप क्या क्या करना पसंद करेंगे।
तृप्ति- जी नहीं, यह सवाल आप ले लीजिए, हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे।
मैं- अरे करना थोड़े ही है, केवल इच्छा बतानी है। जैसे अभी जो बताया था वैसे। यह तो है नहीं कि आइसक्रीम अच्छी लगे, बस, उसको खाने का मन न हो।
प्रिया- यार, आप लोगों के पास हर बात का जवाब है। पर चलो, बात तो ठीक है। क्या कहती हो तृप्ति, चलो खेलते हैं तृप्ति। बातें ही तो हैं। तुम्हें मजा नहीं आ रहा क्या?
तृप्ति- मजा तो आ रहा है यार, लेकिन... ओके चलो, it will create good excitement रात के लिए अच्छी रहेगी। (कहते हुए तृप्ति ने प्रिया को आँख मारी।)
विजय- तो शर्म को साइड में रखो और गेम चालू करो।
सबसे पहले मेरा नंबर आया, मैंने बताना शुरू किया, बोलने में ज्यादा गंदा न लगे इसलिए अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल किया।
मैं- वेल, मुझे माफ करना विजय और तृप्ति जो भी मैं बोलने जा रहा हूं। लेकिन प्रिया है ही ऐसी चीज़... ऊपर से नीचे की कमर बिल्कुल पतली और पीछे ऐस्स फैले हुए। क्या शेप है! ऊपर से, सीने पर ब्रा ऐसी दिखती है जैसे किसी ने संतरों के ऊपर छिलका दबा रखे हो। अलग ही नजारा है। बिल्कुल भी लूज़ नहीं लगते हैं, जैसे कभी विजय ने यूज ही ना किए हों। इतने शॉर्ट टाइम में मैं प्रिया के बूब्स चूसना चाहूंगा। और बाकी तीन मिनट में मेरे पसंद का वह काम करना चाहूंगा जो कल से मेरे जेहन में है। इसकी शानदार ऐसहोल को चूमना-चूसना चाहूंगा। मेरी यह बात बाकी तीनों पर बिजली जैसी गिरी पर माहौल बहुत उत्तेजक हो गया। हमने पहली बार एक दूसरे की वाइफ के सामने ऐसे खुल कर बात की थी। (तृप्ति कुछ प्रतिक्रिया करती उससे पहले ही विजय ने प्रिया से यह सवाल कर दिया।)
प्रिया सकपकाई हुई शर्म से लाल थी, बोली- यार मुझे पहले नॉर्मल होने दो। राज की बात सुनकर मेरे होश ठिकाने पर नहीं हैं।
तृप्ति- हा हा हा, मेरे भी। लेकिन जल्दी से नॉर्मल हो जाओ क्योंकि यह उनकी ख्वाहिश है, ना कि असल में वह आपके ऐसहोल को लिक कर रहे हैं।
प्रिया- ओके, जब टाइम लिमिट ही है तो मैं सबसे पहले राज के होठों से किस करते हुए उसकी शानदार बॉडी पर आऊंगी। फिर उसकी चेस्ट और फ्लैट टमी को किस करते हुए उसकी कमर को किस करते हुए... उनकी अंडर वियर को खोलकर उनके उस ऑर्गन को चूसूंगी जो कल बाहर से बहुत बड़ी नजर आ रही थी।
(जंग जारी हो चुकी थी। अब ऐसे वार कर रहे थे जिसकी सामने वाले ने कल्पना भी नहीं की हो।)
तृप्ति का नंबर था- 5 मिनट के अंदर सबसे बड़ा फोरप्ले तो यही होगा जो प्रिया ने कहा। सो मैं भी विजय का ऑर्गन ही सक करना पसंद करूंगी लेकिन 69 की पोज में ताकि सेम ok टाइम में किसी सिक्स पैकवाले मॉडल से अपनी वैजाइना सक करवा सकूं!
मैं- चलो, आज का यह खेल खत्म करते हैं। आज अपने मन की सारी इच्छाएँ पूरी करो अपने पार्टनर के साथ और फील करो कि कर रहे हैं दूसरे पार्टनर के साथ!
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प्रिया- जी विजय, अब चलो। रहा नहीं जा रहा।
विजय- देखो प्रियाको कितनी जल्दी है सिक्सटी नाइन पोज में आने की। (और वह हँसने लगा।)
प्रिया- शटअप यार! तुम भी सबके सामने कुछ भी...
मैं- अच्छा जी। जब असल में जाकर करना ही है तो सबके सामने बताने में क्या हर्ज है। वैसे भी वी आर फ्रेंड्स।
प्रिया- फ्रेंडशिप भाई लिमिट की होती है। ऐसा नहीं कि कुछ भी बोल दो।
मैं- लेकिन कल मैं विजय से जरूर पूछूंगा कि सिस्टी नाइन में तुमने राजवीर बनकर कितना मजा लिया।
विजय- तुम भी लेकर देखो।
मैं- ऐसा कहाँ मेरे नसीब में!
विजय- यार प्रिया रुको, जाने से पहले एक आइडिया है दिमाग में गेम को आगे बढ़ाने का। आई प्रॉमिस कि यह लास्ट गेम होगा। आज की रात फुल ऑफ एक्साइटमेंट।
तृप्ति- एक्सक्यूज़ मी, अगर आप स्वैपिंग के बारे में कहना चाहते हैं तो अपनी जुबान को वहीं लगाम दीजिए विजय जी। (तृप्ति की बात ने हमारे उत्साह ठंडे कर दिए लेकिन हम आसानी से हार मानने वाले नहीं थे।)
विजय- जी स्वैपिंग नहीं, हाफ स्वैपिंग... प्लीज ट्राय टू अंडरस्टैंड एंड लिसन मी फर्स्ट देन डिसाइड, लिसन एंड जस्ट फील।
मैं- हाफ स्वैपिंग मींन्स?
प्रिया- यस, व्हाट डू यू मीन?
विजय- पहले प्रॉमिस करो कि कोई नाराज नहीं होगा... और मन में सोचकर देखना, इसमें अगर थोड़ी भी उत्तेजना है यह हम जरूर करेंगे।
मैं- ओके बताओ भी यार, सब रेडी हैं।
विजय- जैसे आजकल मूवीज में सेक्स सीन देने के लिए किसिंग और बेड सीन की ऐक्टिंग किसी के भी साथ कर लेते हैं, उसी तरह से नार्मल रहकर करो। (सब ध्यान से सुन रहे थे, अंदाजा लगा रहे थे कि क्या आने वाला है।)
मैंने कहा- हम पार्टनर बदलकर फोरप्ले करेंगे। ऐसे सबके मन की ख्वाहिश भी पूरी हो जाएगी। और जब एक्साइटमेंट अपने चरम पर होगी तब हम अपने साथी के साथ आगे की सेक्स क्रिया करेंगे।
तृप्ति- नहीं, ऐसा कुछ नहीं करेंगे।
मैं- अरे यार यह मौका है। हम आए हैं कुछ स्पेशल मजा लेने। अब उसी को ठुकरा रही हो? और वैसे भी तुम्हें दूसरे मर्द के साथ संभोग नहीं करना है। यह तो केवल हम उत्तेजना के लिए कर रहे हैं।
प्रिया- लेकिन बात गलत है।
विजय- इसीलिए मैंने तुम्हें फिल्मों के कलाकारों का उदाहरण दिया। वे एक-दूसरे के पति-पत्नी ना होकर भी जब ऐसे सेक्स सीन दे सकते हैं तो हम क्यों अपने मजे के लिए ऐसा नहीं कर सकते?
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मै- और वैसे भी यह पहली बार और आखिरी बार होगा। यहाँ हम चारो दोस्त हैं और चारों की इज्जत इसमें इन्वॉल्व है तो बात बाहर जाने का सवाल ही नहीं उठता।
विजय- हे पुराने बॉयफ्रेंड वाली लेकिन अब पतिव्रता नारियो, अब बताओ कि तुम्हें क्या परेशानी है? क्या इससे उत्तेजित करने वाला कोई और आइडिया है आपके दिमाग में?
मैं- और वैसे भी सोचने की बात है कि यह जो उत्तेजना हम पैदा करेंगे वह काम तो अपने पतियों और अपनी बीवियों को ही करनी है।
मैंने उन्हें सोचने का मौका न देते हुए पूछ लिया- तो क्या ये रूप की रानियाँ तैयार हैं?
पहाड़ जैसे दो सेकंड गुजरे, दोनों सोच में डूबी औरतों को हम बेपनाह लालच से देख रहे थे।
तृप्ति- मैं तैयार हूँ, लेकिन वायदा कीजिए कि उत्तेजना पैदा करने के बाद आप दोनों किसी प्रकार की ओर कोई कोशिश नहीं करेंगे।
विजय और मैं फौरन बोले कि हम तैयार हैं।
प्रिया- और फोरप्ले का कार्य हम एक-दूसरे के सामने नहीं कर सकते। अलग-अलग कमरों में जाएंगे। उत्तेजना होने पर सब अपने अपने साथी के पास आ जाएंगे।
विजय और मैं तुरंत मान गए।
तृप्ति और प्रिया- लेकिन हम अपने ब्रा और पैंटी नहीं उतारेंगे केवल kisses होगा।
विजय और हम फिर बोले कि हम तैयार हैं।
सबकी रजामंदी हो गई, थोड़ी औपचारिकता के बाद विजय तृप्ति को लेकर चला गया और मैं और प्रिया हमारे कमरे में ही रह गए। जाने से पहले हमने आधे घंटे का समय वापस लौटने के लिए निश्चित किया अपनी बीवियों के सामने। लेकिन विजय और मेरा पहले ही इशारा हो गया था कि अब वापस अपने कमरे में लौट कर नहीं आना है और आगे की बात को अलग-अलग अपने ही तरीके से सुलझाना है। विजय और तृप्ति के जाते ही मैंने अपने कमरे को अंदर से लॉक कर लिया।
प्रिया मुझे हल्की मुस्कान के साथ देख रही थी। वह शरारती अंदाज में बोली- इस आधे घंटे को यादगार बना दो, खुद जियो और मुझे जी भर के जीने दो।
आधा घंटा फोरप्ले का नाटक करना था।
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मैं 'समय कम है' कहते हुए प्रिया पर लपका। कल से ही मैं उसके काली ब्रा-पैंटी में कसे शानदार उभारों को देखकर नशे में था। मैंने लगभग हड़बड़ाते हुए ही उसकी नाइटी उतार दी। जैसे कोई परी अपने पंख उतारकर मेरे बिस्तर पर केवल ब्रा और पेंटी में उतर आई। मैंने उसके उभारों को दबाते हुए उसे धकेलकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके चेहरे पर चुंबनों की बरसात कर दी। वह भी फोरप्ले का फायदा उठाना चाहती थी इसलिए बिना शर्माए मेरे होठों को जोरदार तरीके से चूसने लगी। मैंने अपना एक हाथ उसकी पीठ पर ब्रा के फीते पर बढ़ा दिया तो प्रिया ने मेरी हुक खोलने की कोशिश का विरोध किया। मैंने प्रिया को बाँहों में बंद करते हुए कहा- प्लीज, इस इस कीमती मौके को मेरे हाथ से बिल्कुल मत जाने दो। मैं अपनी मर्यादा में रहूंगा। फोरप्ले का मतलब तो फोरप्ले ही होता है। कृपया मुझे अपना फोरप्ले पूरा करने दो। प्रिया ने मेरे हाथ छोड़ दिए और मैंने अभ्यस्त हाथों से हुक खोल दिया। जी करता था इस अनमोल क्षण का रुक रुककर मजा लूँ, धीरे-धीरे हुक खोलूँ, कंधों से फीता सरकाऊँ, धीरे-धीरे कपों को खींचते हुए स्तनों को नंगा करूँ लेकिन मन बहुत ही अधीर था। मैंने जल्दी से ब्रा खींचकर प्रिया के स्तनों को आजाद कर दिया। देखकर मेरे शरीर के अंदर एक सिहरन दौड़ने लगी, मैंने उन्हें हाथों में भर लिया और सहलाने लगा, भरे भरे और मुलायम स्तन... दिल कर रहा था उन्हें खूब जोर जोर से दबाकर रस निकाल दूँ लेकिन प्रिया का ख्याल करके नियंत्रण में रहा। प्रिया की सिसकारियाँ निकल रही थीं, 'उम्म्ह... अहह... हय... याह...' मैं उसे चूम रहा था, उसके स्तनों की मालिश कर रहा था और इस दौरान अपने कपड़े भी उतार रहा था। वह मस्ती में खोई थी। मैं स्तनों को कभी दबाता था कभी चूचुकों को चुटकी में लेकर निचोड़ता था, कभी नीचे झुककर उन्हें चूसने लगता था। सुख में डूबी प्रिया को इस बात का एहसास नहीं हुआ कि कब मैं अपने वस्त्र उतारकर केवल चड्डी में आ गया हूँ। मैं धीरे-धीरे प्रिया को पलटाता हुआ उसके ऊपर आया। उसके स्तनों और होठों को छेड़ना जारी रखते हुए मैंने अपने चड्ढी ढके लिंग को उसकी पेड़ू पर दबा दिया और हल्के-हल्के घर्षण करने लगा। यह अत्यधिक उत्तेजना वाली स्थिति थी, इसका लाभ उठाते हुए मैंने प्रिया को बिना कुछ कहे उसके कूल्हों से चड्डी खींचनी शुरू कर दी। वह मदहोशी में समझ नहीं पाई। चड्डी जब घुटनों पर जाकर अटकी और नीचे खिसकने में बाधा उत्पन्न करने लगी तब प्रिया को पता चला कि वह नीचे से नंगी हो गई है। मैं कुछ देख पाता उससे पहले प्रिया ने बेड के पास वाले बटन से लाइट बंद कर दी।
उसने मुझे डाँटते हुए कहा कि ऊपर के कपड़े खोलने तक सही था लेकिन नीचे तक के कपड़ों को खोलने की बात नहीं हुई थी। तुम मेरी उत्तेजना का फायदा मत उठाओ।
मैंने कहा- तुमने तो कहा था हम अपनी ब्रा पैंटी नहीं उतारेंगी, लेकिन हम तो तुम्हारी ब्रा-पैंटी उतार चुके हैं, चिंता मत करो। मैं संभोग नहीं करुंगा इसकी बात हुई थी। प्लीज मुझ पर विश्वास रखो और फोरप्ले का पूरा आनंद लो, विजय को कुछ भी मत बताना। ऐसा जाहिर करना कि हमने अपना फोरप्ले पूरी ईमानदारी के साथ किया है। प्रिया ने विरोध करना छोड़ दिया, मैंने उसकी एड़ियों से चड्डी बाहर निकाल दी। उसके होठों को चूमा और कान के पास जाकर बहुत धीरे से बोला- थैंक्यू।
जवाब में मेरी पीठ पर उसकी एक चपत ने मुझमें जोश भर दिया। मैं उसे चूमते हुए नीचे उतरने लगा, ठुड्डी, कंठ, गला, स्तनों का उभार, नशीले चूचुक, चिकनी कोमल पेट, पेड़ू का उभार जहाँ कोई बाल नहीं थे। नीचे भग-होठों की शुरुआत, जिन्हें अंधेरे में मैंने पहले अपने होठों से टटोला और फिर उन पर मुँह दबाकर चुम्बन लिए। पहले बाईं पर, फिर दाईं पर, फिर उनके बीच की खाली जगह में। हालाँकि ऐसा मैं उसको पूरी तरह से उत्तेजित करने के लिए कर रहा था लेकिन प्रिया की चूत का स्वाद भी अच्छा था, उससे चिकनाई रिस रही थी, मैं संकोच छोड़कर उसे पूरे दिल से चाटने लगा।
प्रिया आह आह ओह ओह करती सिसकारियाँ भर रही थी। मैंने उसकी क्लिटोरिस को चूसते हुए उसकी योनि में उंगली घुसा दी। अंदर इतनी गीली थी कि मैंने आसानी से दूसरी उंगली भी उसमें डाल दी। दोनों उंगलियों से योनि की दीवारों को सहलाते हुए मैं उंगलियाँ अंदर बाहर करने लगा। वह बहुत ही उत्तेजित हो गई, कमर उचकाने लगी और आह-आह करने लगी। अब वह समय आ गया था कि मैं अपना अगला निशाना लगाऊं। मैं वापस से प्रिया के ऊपर आ गया।
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प्रिया ने कहा कि मुझे भी तो अपना फोरप्ले पूरा करने दो? (शायद वह मेरे लिंग को चूसना चाहती थी),
पर मैंने कहा एक बार और मुझे तुम्हें किस करने दो, मेरा मन नहीं भर रहा है, उसके बाद जो चाहे करना। अभी हमारे पास 15 मिनट और हैं। मेरा लिंग पूरी तरह से तन चुका था, हम दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे पड़े हुए थे। एक-दूसरे का स्पर्श हमें बेहद उत्तेजित कर रहा था। मैंने अपने लिंग को प्रिया की योनि की लम्बाई पर लगाया। जैसे ही योनि पर लिंग का स्पर्श हुआ प्रिया की हल्की सी सिसकारी निकल गई। मैं बाहर बाहर ही लिंग को प्रिया की योनि पर घिसने लगा। साथ ही मैं उसके स्तनों को भी चूस रहा था। उसकी योनि बड़ी तेजी से पानी छोड़ रही थी, उस पानी की चिकनाहट मुझे अपने लिंगमुंड पर महसूस हो रही थी। lस्तनों को चुसवाते-चुसवाते और लिंग को अपनी चूत पर रगड़वाते रगड़वाते प्रिया की उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि वह अनायास ही अपनी चूत को मेरे लिंग की तरफ धकेलने लगी।
उसकी इस हरकत से मैं जीत की खुशी से भर उठा, अभी कुछ देर पहले ना-ना कर रही इस परी को आखिरकार मैं उसे इस स्थिति में ले ही आया था कि वह खुद ही चुदने के लिए जोर लगा रही थी। लेकिन मैं उसे इतनी जल्दी संतुष्टि नहीं देना चाहता था, अभी उसे और उत्तेजित करना था। जैसे ही वह योनि को ऊपर ठेलती, मैं अपने लिंग को पीछे कर लेता। मुझे हँसी भी आ रही थी। औरत की शर्म उसे कुछ बोलने नहीं दे रही थी जबकि औरत की बेसम्हाल उत्तेजना उसे लिंग-प्राप्ति हेतु जोर-जोर कमर हिलवा रही थी।
मैंने पूछा- तुम्हारा आधा घंटा खत्म होने वाला है, शायद तुम मेरे लिंग को चूसना चाहोगी?
वह कुछ नहीं बोली। उसकी जैसी दशा थी, बोल भी क्या पाती! बस अपनी चूत को मेरे लिंग पर धकेलती हुई अपनी इच्छा का इज़हार करती रही। वह ठीक घड़ी आ गई थी। अपने को उसके स्त्री शरीर में समा देने का, जिसके सपने मैं कब से देख रहा था। मैंने मौके की नजाकत को समझा। इससे पहले कि इसका ज़मीर जागे, मुझे अपने लिंग को अंदर डाल देना होगा।
अबकी बार उसकी चूत का धक्का आया तो मैं पीछे नहीं हुआ, अपने को स्थिर रहने दिया।
उसकी अति चिकनी चूत-गली में मेरा लिंगमुंड अपने-आप जरा सा दाखिल हो गया। किंतु उस अति उत्तेजना की अवस्था में भी प्रिया को बाहर की चिंता थी, बोली- विजय और तृप्ति आते ही होंगे।
मैंने कहा- चिंता मत करो शायद वे भी हमारी तरह उत्तेजना में बह गए होंगे। और अगर आएंगे भी, तो लॉक लगा हुआ है हम अपने कपड़े पहन लेंगे।
प्रिया ने कहा- यह गलत है।
किंतु मैंने धक्के देना शुरू कर दिया, मैंने कहा- मुझे नहीं लगता कि अब विजय और तृप्ति भी आएंगे। तुमने हमें इतना उत्तेजित कर दिया है कि अब यह उत्तेजना उसी पर खत्म होगी जिसके लिए शुरू हुई है। अब इस मजे को खराब न करो। मैं उसको आलिंगन में पकड़े रहा और नीचे कमर जोर-जोर चलाकर लिंग को उसकी योनि में कूटना शुरु कर दिया। दोनों बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गए थे इसलिए थोड़ी देर में दोनों स्खलित हो गए। साँसों पर नियंत्रण पाकर मैंने घड़ी देखी। आधे से ज्यादा घंटा बीत गया था। दोनों के मन में यह संतुष्टि हो गई थी कि अब हमारे पार्टनर इस कमरे में नहीं आएंगे, अब हम यहीं पर रहकर पूरी रात मजा ले सकते हैं।
थोड़ी देर बाद मैंने प्रिया की कामना पूरी की, वह मेरे लिंग को चूसना चाहती थी, मैं पीठ के बल लेट गया, वह मेरे ऊपर अपने रेशमी बदन को सरकाती हुई आई और तब मुझे पता चला कि योनि के होठों में ही नहीं उसके मुँह के होंठों में भी कितना मजा है। मैंने खुशी से आँखें मूंद लीं, वो ऐसे लिंग चूस रही थी जैसे कोई अंग्रेजी ब्लू फिल्म की हीरोइन हो। न अभी की चुदाई से लगे वीर्य की परवाह न अंदर मुँह में स्खलित हो जाने का डर। मैं बेहद निश्चिंतता से चरम सुख आने पर उसके मुँह में स्खलित हो गया, निकलते वीर्य को वह सुड़कती चली गई।
यह बेहद मजेदार था। शायद जिंदगी में पहला ऐसा आनंददायी ब्लो-जॉब।
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मैंने भी अपना शौक पूरा किया। उसकी बेहद शानदार शेप वाली चूतड़ों के बीच छिपी छेद को चूमकर। वहा वहाँ पर भी बड़ी सेंसिटिव थी। एकदम मस्त हो गई। (मैंने उसमें भी आजमाया।) तृप्ति ने कभी मुझे अपनी गुदा में प्रवेश नहीं दिया था, प्रिया उसके उलट थी, मैंने दूसरी बार उसकी चूत में अपना लिंग घुसा कर गीला किया और फिर उसकी गुदा में डाल दिया, आराम से चला गया। विजय ने उसे इसकी आदत डलवा दी थी इसलिए प्रिया को ज्यादा तकलीफ नहीं हुई। मैं कह सकता हूँ प्रिया ने मुझे अपनी चूत, मुँह और गुदा के तीनों छेदों का पूरा मजा दिया। इतने शानदार फिगर वाली लड़की को चोद कर मैं बहुत खुश था।
प्रिया भी काफी खुश लग रही थी। हम दोनों ने चार और बार चुदाई की और मैं खुद पर हैरान होता हुआ चारों बार स्खलित हुआ। हम बेहद थक गए थे। मेरी आँखें बन्द रही थीं, प्रिया की भी ज्यादा थकान से आंख लग गई थी
लेकिन ख्याल आ रहा था विजय और तृप्ति का... क्या कर रहे होंगे वे दोनों? विजय उसके साथ अपनी चुदाई का एम एम एस बनाना चाहता था। लेकिन विजय ने बाद में मना कर दिया था। अजब विश्वास वाली दोस्ती थी। अब दोनों जोड़ों का उद्देश्य केवल मजे लेना था। अतः उन्हें अपने हाल पर छोड़ते हुए मैं भी सो गया।
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नागिन की हीरोइन संजना खान जैसी दिखने वाली मेरी बीवी तृप्ति और सिक्स पैक वाले आकर्षक शरीर वाले रणविजय की चुदाई की जो कि एक सौदे के लिए की जा रही थी l जैसा कि रणविजय ने बाद में बताया:
तृप्ति और रणविजय ने दूसरे कमरे में जाते ही एक दूसरे को गले लगाया जैसे कि बिछड़े प्रेमी हों l विजय ने तृप्ति को जोर से कस के पकड़ लिया और उसके उरोजों के उभार को स्पर्श किया कि अब मैं इनका मजा लेने वाला हूं, ऐसा वह मन में सोचने लगा l विजय और तृप्ति एक दूसरे को किस करते हुए एक दूसरे के गुप्तांगों को छूने लगे l तृप्ति पहले तो ऐसा करने में हिचकिचाई लेकिन शायद विजय की सेक्स में लगन ने उसके दिमाग को समझा दिया कि बेहतर तरीके से साथ देना ही अच्छा होगा, हम दोनों युगलों के बीच हुए समझौते के तहत चुदाई तो होनी ही नहीं है फिर यह फालतू का नखरा क्यों। विजय अपने दोस्त की बीवी तृप्ति के कपड़े उतार के उसे नंगी करने लगा लेकिन तृप्ति ने शर्म की वजह से मुंह फेर लिया और कहा- पहले लाइट तो बंद कर लो! रोशनी में मुझे काफी शर्म आएगी, मैं तुमसे इस प्रकार से नजर नहीं मिला पाऊंगी l
विजय- यार तृप्ति, शर्म कैसी? तुम इतने सुंदर और उत्तेजित करने वाली शरीर की मालकिन हो! नागिन की संजना खान को देखते ही मुझे तुम्हारी याद आ जाती है, वैसा ही शरीर, वैसा ही चेहरा... तुम एक मॉडल हो! मेरे लिए इससे बड़ी बात क्या होगी कि मैं एक ऐसी लड़की को चोदने वाला हूं जो पूरी सेलिब्रिटी लगती है!
रणविजय से अपनी तारीफ और चोदन जैसे शब्द सुनकर तृप्ति के कामुक बदना में सिरहन होने लगी, विजय ने तृप्ति को फिर पकड़ लिया और रोशनी में ही किस करते हुए तृप्ति को ऊपर से पूरा नंगी कर लिया l
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कहानी अब रणविजय के शब्दों में:
वाह क्या नजारा था... दूध जैसी गोरी, लंबाई में थोड़ी सी छोटी लेकिन भरे हुए शरीर की मालकिन तृप्ति, मेरे दोस्त की बीवी, मेरे सामने खड़ी थी l उसके बड़े-बड़े बूबे जो कि बिल्कुल तने हुए थे आगे की तरफ लाल रंग के चूचुक... मैं समझ नहीं पा रहा था कि इतने बड़े होते हुए भी ये स्तन बिल्कुल भी लटके हुए नहीं हैं l उसके बाद पेट... क्या पेट था उसका... गोरा और सपाट जिसे देखकर बाहुबली की तमन्ना भाटिया की याद आ गई, वह भी इसके आगे कुछ नहीं थी, साड़ी में से किसी को तृप्ति का पेट भी नजर आ जाए तो उसका लिंग सलामी देने लगे। तृप्ति की गोरी मोटी जांघें कतृप्ति कपूर की याद दिलाने लगी थी, क्या सेक्सी टांगें थी उसकी बाल रहित... गोरी चूत जिसके दर्शन अच्छे से नहीं हो रहे थे क्योंकि वह अपनी टांगों को पीछे हुए खड़ी थी। सामने से मैं तृप्ति की गांड नहीं देख पा रहा था लेकिन उसके शरीर का आकार महसूस कर सकता था कि जितनी सेक्सी आगे से है पीछे से उतने ही लंड फाड़ सेक्सी होगी। मेरे लंगोटिया यार की पत्नी तृप्ति की नजरें शर्म से झुकी हुई थी। मैंने अपनी टी-शर्ट उतार कर तृप्ति के गले लगाया और
कहा- तृप्ति... आई लव यू!
तृप्ति का हाथ मेरे पेट पर चला गया, उसने मेरे सिक्स पैक पर हाथ फिराया, उसकी आंखों में अचानक से चमक आ गई, उसने मेरी नजरों में देखा और
कहा- आई लव दिस बॉडी... आई लव यू रणविजय।
मैंने तृप्ति को अपनी गोद में उठाया और बेड पर गिरा दिया। हम उत्तेजना से पागल हो गए थे क्योंकि दोनों के शरीर ही इतने आकर्षक थे। निर्णय मात्र आधे घंटे तक फॉर प्ले करने का हुआ था और अपने अंदर के वस्त्र ना उतारने की बात हुई थी लेकिन समझदार तृप्ति ने फालतू के नखरों में समय बर्बाद नहीं किया इससे मेरा काम बहुत आसान हो गया था।
मैं सोच रहा था कि अब सब कुछ बहुत आसानी से हो जाएगा लेकिन यह सोचना मेरी गलती थी तृप्ति पूरी नंगी बेड पर लेटी हुई थी। मैंने भी अपने आप को पूरा नंगा कर दिया था, मैं ऊपर लेटने लगा और उसके होठों के ऊपर अपने होंठ लगाने लगा। तभी तृप्ति ने मेरा लिंग पकड़ लिया और जोर से दबाया और
कहने लगी- रणविजय, मेरे कपड़े उतारते वक्त जो तुमने मुझसे कहा कि चुदाई होनी ही है। यह तुम्हारी गलतफहमी है, तुम्हें ऐसा नहीं सोचना चाहिए और मैं भी ऐसा नहीं सोच सकती हूं और हम दोनों को यह सब करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे पति और तुम्हारी पत्नी का विश्वास न टूटे।
यह सुनकर मुझे आगे के क्रिया-कलापों पर अनिश्चितता हुई कि मैं पूरी चुदाई कर पाऊंगा भी या नहीं। तृप्ति को लेकर जो मेरा सपना था... मैं अर्श से फर्श पर गिर गया था,
मैंने बात को संभालते हुए कहा- मैं तुम्हें केवल उत्तेजित करना चाहता था इसलिए मैंने ऐसा कह दिया, तुम चिंता ना करो, हम अपनी सीमा में ही रहेंगे।
मैंने घड़ी की तरफ इशारा करते हुए कहा- यार 10 मिनट समाप्त हो गए हैं और अभी तक मैं इस हुस्न की परी का चुम्बन भी नहीं ले पाया हूं। क्या इस आधे घंटे में मैं अपनी मनोकामनाएं पूरी करुंगा जिसके सपने में देखे थे। तृप्ति, मैं इस सपने को जीना चाहता हूं और अपने मन की वे सारी इच्छाएं पूरी करना चाहता हूं जो मैंने कमरे में अंदर आते हुए सोची थी। मैं तुम्हारे साथ फोर प्ले कर वे सारे क्रिया-कलाप करना चाहता हूं जिसे मैं जीवन भर याद रख सकूं और इस फोरप्ले के क्रिया-कलाप को याद करके मैं प्रिया को यह समझ कर चोद सकूं कि मैं तुम्हें ही चोद रहा हूं।
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तृप्ति ने कहा- हां रणविजय, मैं भी तुम्हारे साथ इस समय को जीना चाहती हूं, और वो भी अच्छे तरीके से, इसलिए मैंने बिना किसी विरोध के उनके खिलाफ जाकर अपनी ब्रा पेंटी भी उतार दी हैं क्योंकि मुझे पूरा विश्वास है राजवीर और प्रिया ने भी इतना तो किया ही होगा। आधे घंटे तक कोई केवल चुम्बन के साथ नहीं रह सकता इसलिए उन्होंने भी अपने कपड़े उतारे ही होंगे लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि वे दोनों फोरप्ले ही करेंगे। हमें भी फोरप्ले करना चाहिए और इसे ज्यादासे ज्यादा सुखद बनाना चाहिए।
इतना कहते हुए तृप्ति ने मुझे कस के अपनी बांहों में भींच लिया और अपने होठों को मेरे होठों से लगाकर जोरदार चुम्बन देने लगी।
जब उसने मुझे अपनी ओर खींचा तो उसका नंगा जिस्म और उसके बड़े गद्दीदार तने हुए स्तन मेरे सीने पर दब गए, मैं एक अजीब सी सिरहन से पागल हो गया, इससे बड़ा सुख मैंने अपने जीवन में कभी नहीं पाया था। 2 से 3 मिनट के लंबे चुम्बन के बाद मैंने अपने हाथ तृप्ति के वक्ष पर रख दिए और दोनों स्तनों को जोर जोर से दबाने लगा। इससे उसका गोरा शरीर पूरा लाल हो गया उसके स्तनों को दबाकर जो आनन्द मुझे महसूस हो रहा था वह शब्दों में ब्यान नहीं हो सकता। मैंने उसके स्तनों को जोर जोर से चूसना चालू किया, वह भी जितना कर सकती थी, मुझे चूमने लगी। उसके स्तनों, चूचुकों के बाद मैंने उसके पेट पर अपनी जीभ फिरानी शुरू की लेकिन मेरा मन कर रहा था कि मैं उसकी गोरी चमड़ी को अपने मुंह में लेकर खा जाऊं... जहां-जहां मेरा मुंह और दांत उसकी गोरी चमड़ी को स्पर्श कर रहे थे, वहां वहां वह पूरी लाल होती जा रही थी। मैं मन ही मन रोमांचित हो रहा था कि जब मैं इसकी गांड मारूंगा गांड पर जोर जोर से थप्पड़ दूंगा तब इसकी गांड का जो हाल और वह जो दृश्य होगा मैं कितना रोमांचित करने वाला होगा।
ऐसा सोचते करते हुए मैं उसकी योनि तक पहुंच गया, उसकी गोरी टांगों को चाटते हुए मैंने उसकी योनि में अपनी जीभ डाल दी और उसे जीभ से चोदने लगा। ऐसा करते हुए मैंने तृप्ति को धन्यवाद कहा और
कहा- अच्छा हुआ तुम पहले से नंगी हो गई... वरना यह सब करने के लिए मुझे कितना तड़पना पड़ता।
इस पर तृप्ति ने मुझसे कहा- मुझे पता है कि तुम मेरे शरीर को देखना चाहते थे... अगर हम केवल किस करते और फोरप्ले कर लेते तो तुम्हारी मन की इच्छा पूरी नहीं होती और ना ही मेरी, इसलिए मैंने कोई विरोध नहीं किया। मैं अपने परम मित्र की धर्मपत्नी की चूत फिर चाटने लगा, वो सिसकारियां भरती हुई पागल हुए जा रही थी. करीब 20 मिनट हमें इस क्रियाकलाप में गुजर गए थे। तृप्ति को जैसे एकदम से होश आया और
वह बोली- रणविजय, केवल अपनी इच्छा पूरी करोगे या मेरी भी इच्छा भी पूरी करोगे?
इस पर मैं उठ कर सीधा उसके पास जाकर लेट गया, तृप्ति मेरे ऊपर आई, अपने होठों को मेरे होठों पर दबा कर मेरे लिंग को अपने हाथ में रखकर धीरे-धीरे मेरे होठों से लेकर गले सीने पर अपनी जुबान फिर आती हुई किस करने लगी। उसने हाथों ने मेरे सिक्स पैक को महसूस किया और वहां पर चुम्बनों की बारिश कर दी। वह इस सिक्स पैक्स बॉडी वाली की दीवानी थी, उसने चुम्बनों की ऐसे बारिश की थी जो कि मुझे कभी प्रिया से नहीं मिली थी, इतनी मेहनत से बनाए हुए सिक्स पैक का प्रिया को कोई शौक नहीं था। लेकिन आज मुझे महसूस हुआ कि इस मेहनत का नतीजा मुझे तृप्ति के चुम्बनों के इनाम में मिल गया।
तृप्ति ने कहा- अरे यार, हमारे पास समय की बहुत कमी है, तुमने जो तुम्हारी इच्छा का जिक्र किया था, पूरा करना नहीं चाहोगे? तुम्हारे इस शरीर के साथ तो मेरी भी इच्छा हो रही है कि मैं भी वह करूं। मैं 69 की बात कर रही हूं।
तृप्ति ने मेरे मन की बात छीन ली थी लेकिन मैं डर रहा था कि शायद वह लिंग को मुंह में लेकर चूसना पसंद नहीं करे। पर लग रहा था कि आज मेरे सारे अरमान पूरे होने जा रहे हैं।
हम 69 की पोजीशन में आ गए। क्या खुशबू थी उसकी जांघों के बीच बसी ज़न्नत की।
क्या गोरी जांघें थी... जिनके बीच में मैंने अपने मुंह को दबाया उसके इस गहरे भाग को देखकर मेरा लिंग करंट मारने लगा था। कोई भी ऐसे गोरे शरीर को जो एकदम स्वच्छ निर्मल और बालों से रहित हो, बिना किसी झिझक के चूमना चाटना और खाना भी पसंद करेगा। इतने में मुझे अपने लिंग पर तृप्ति के लब महसूस हुए, उसके मुंह की लार ने मेरे लिंग को गीला कर दिया और वह मुझे उत्तेजना में पागल करने के लिए जोर जोर से अपने होठों को मेरे लिंग पर रगड़ने लगी और गंदे तरीके से उसे चूसने चाटने लगी। ऐसा लग रहा था कि किसी ब्लू फिल्म की हीरोइन आज मेरे लिंग पर सवार है। मैंने उत्तेजित होते हुए उसकी चूत को चूसना चाटना शुरू कर दिया और जीभ से उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया। उसके गदराये हुए शरीर को देखकर मैं पागल हुए जा रहा था। उसकी गोरी गांड मेरी आंखों के सामने थी जो कि इतनी आकर्षक थी कि कब मेरा मुंह उसके गांड के छेद पर चला गया मुझे पता ही नहीं चला।
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अपनी जीभ को मैंने उसकी गांड के छेद पर पूरी तरह से फिराया। कभी-कभी मैं उसकी गांड के छेद को और कभी उसकी फांक को जो भी मुंह में आ रही थी, पागलों की तरह चूसने चाटने लगा और उसका पूरा निचला भाग आगे पीछे से मैंने चाट चाट कर गीला कर दिया अपनी लार से। इस प्रकार तृप्ति इतनी उत्तेजित हो गई कि वह अपनी गांड को मेरे मुंह पर जोर जोर से गिराने लगी इससे मेरी नाक पर चोट तो लगी लेकिन मैंने उस मीठे दर्द को बर्दाश्त किया और उसकी चूत को जोर-जोर से जीभसे चोदना शुरू किया। इसी प्रकार उत्तेजना में वह मेरे लिंग को जोर जोर से चूस रही थी और उसकी चूत ने एकदम से पानी छोड़ दिया... मगर वह रुक नहीं रही थी और मेरे लिंग को लगातार चूस रही थी। अतः मेरे लिंग ने भी पानी छोड़ दिया हम एक दूसरे के ऊपर ही 69 की अवस्था में निढाल होकर गिर गए। मुझे अपने जीवन में अब से पहले कभी ऐसी उत्तेजना और ऐसा चरमोत्कर्ष कभी प्राप्त नहीं हुआ था।
थोड़ी देर बाद मैं सीधा हो गया और तृप्ति को अपने ऊपर लेटा लिया उसके गद्दीदार स्तनों को मैं अभी भी अपने सीने पर महसूस कर रहा था और उसके चूचुकों से खेल रहा था।
तृप्ति ने कहा कि आज उसने जो सुख अनुभव किया है वह कभी नहीं किया है। उसने मुझे धन्यवाद कहा और कहने लगी कि मुझे अब दूसरे कमरे में जाने की तैयारी करनी चाहिए।
मेरे दिल पर यह उसकी है बात बिजली सी गिरी, मैंने कहा- शायद अभी राजवीर और प्रिया का फोरप्ले पूरा नहीं हुआ है, उन्हें डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए। शायद वे दोनों अपने चरम पर पहुंचने वाले हैं और हम उनका मजा खराब कर दें, यह ठीक नहीं होगा।
तृप्ति ने इस बात पर सहमति जताई और इंतजार करने को कहा। 15 से 20 मिनट तक उनके आने का कोई संकेत नहीं मिला तो मैंने बात को संभालते हुए कहा कि शायद वह भावनाओं में बह गया है और सोचने के बाद सेक्स करने लगे हैं। मेरी पत्नी है ही इतनी खूबसूरत और उत्तेजना पैदा करने वाली।
इस पर तृप्ति ने कहा- नहीं... राजवीर ऐसा नहीं कर सकता।
तो मैंने उसे कहा- यार ये तो अच्छा हुआ हम 69 की पोजिशन की वजह से स्खलित हो गए। स्खलित नहीं होते तो क्या अपने आप को रोक पाते? शायद नहीं... इसमें उनकी गलती नहीं है। न ही हमारी गलती है। शायद वे दोनों फोरप्ले करके स्खलित ना हो पाए हों, और उन्होंने अपने क्रियाकलापों को लगातार जारी रखा हुआ हो। देखो तृप्ति वह दोनों दोबारा लौटकर नहीं आए इसका मतलब यह है कि वह सो तो नहीं रहे होंगे, सेक्स ही कर रहे होंगे। अतः हमें भी यह सब करना चाहिए। यह केवल मजे के लिए है और एक रात के लिए मुझे तो तुम सेक्स के लिए एक पूर्ण रूप नारी लगती हो। क्या मैं तुम्हें पसंद नहीं आया?
इस पर तृप्ति ने मुझसे कहा- नहीं रणविजय, तुम बहुत सेक्सी हो। मेरा भी तुमसे सेक्स करने को मन है पर मेरा जमीर मुझे रोकता है। अगर राजवीर ने प्रिया के साथ सेक्स नहीं किया होगा तो मैं अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाऊंगी।
इस पर मैंने कहा- मेरी प्रिया इतनी सेक्सी है कि उसके साथ कोई फोरप्ले कर ले और सेक्स ना करे, ऐसा हो ही नहीं सकता। (यह बात कहकर में तृप्ति को चिढ़ाना चाहता था।) और मेरा तीर सही निशाने पर पहुंचा
जब तृप्ति ने कहा- तो क्या मैं इतनी सेक्सी नहीं हूँ कि कोई मेरे साथ फोरप्ले करके सेक्स किए बिना रह जाए? क्या मुझ में वह बात नहीं है?
बस फिर क्या था, मैंने तृप्ति के ऊपर आते हुए कहा- तृप्ति तुम मेरी प्रिया से कहीं से भी उन्नीस नहीं लगती हो, तुम भी उतनी ही सेक्सी हो कि कोई मर्द इतना सब करके रुक ना पाए... अब तुम ही सोचो कि मैं कैसे रुका हुआ हूं।
इस पर हम दोनों ने एक बार फिर एक-दूसरे को चूमना शुरू किया और हमारा सेक्स क्रिया-कलाप फिर से शुरू हो गया।
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