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Adultery याराना...
#41
मैं- लेकिन बाबाने कहा था कि हम परिस्थितियां बदल सकते हैं और वो कैसे करेंगे यह आपके ऊपर निर्भर करता है। मैं 2 दिन से ऐसी परिस्थितियों को बदलने के बारे में सोच रहा था और मेरे मन में एक विचार आया है। यह बड़ा अजीब है। शायद आप तीनों को मुझ पर गुस्सा आए किंतु हमारे बिजनेस पारिवारिक मेलजोल के लिए यह फैसला तो लेना ही होगा। करना ना करना अपने ऊपर निर्भर है। पर कृपया दोनों मुझे गलत ना समझना!


सीमा- आपने अगर कोई उपाय ही सोचा है तो हम आपको गलत क्यों समझेंगे आखिर कर तो आप हम सब के लिए ही रहे हैं!

मैं- तो सुनो, बाबा के अनुसार घर में कलेश सीमा और श्लोक के बच्चे और मेरे और तृप्ति के बच्चे की वजह से होगा। क्योंकि बाबा ने कहा था की परिस्थितियां बदल कर हम इस संकट को टाल सकते हैं तो अगर हम ऐसा करें कि सीमा को मुझसे बच्चा हो और तृप्ति को श्लोक से तो परिस्थितियां अपने आप ही बदल जायेंगी 

तृप्ति- यह क्या बकवास कर रहे हैं आप? श्लोक मेरा भाई है।

सीमा- आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं जीजा जी? यह गलत है।

श्लोक- गलत है लेकिन एक बार जीजाजी की बात तो सुन लीजिए। वे हमें करने को नहीं कह रहे हैं, वे एक समाधान बता रहे हैं।

सीमा- आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं? तृप्ति दीदी आपकी बहन है।

तृप्ति- यह कभी नहीं हो सकता, आप अपनी बात भी पूरी मत कीजिए। जो होगा देखा जाएगा लेकिन ऐसा गलत काम में आप हमें सम्मिलित नहीं कर सकती।

मैं- देखो सीमा, अपनी पत्नी को उसके भाई के साथ सुलाने का दुख मुझे भी है और शायद श्लोक को भी दुख होगा। लेकिन यह हमारे भविष्य की बात है। अगर सीमा मेरे साथ बच्चा पैदा करती है तो उस बच्चे से मुझे भी अपनापन होगा, मैं कभी उसका अहित नहीं चाहूंगा। इसी प्रकार श्लोक को भी उसके बच्चे से अपनापन होगा, हम चारों के बच्चे हमारे बच्चे होंगे और कोई भेद नहीं होगा। अगर ऐसा होता है तो तेरा बच्चा मेरा बच्चा की भावना भविष्य में हमारे सामने नहीं आएगी। यह केवल शुरुआती एक बच्चे की बात है, उसके बाद संकट टल जाएगा। फिर हम अपने अपने पतियों से अपनी अपनी पत्नियों से बच्चे पैदा कर लेंगे। श्लोक तुम कुछ कहते क्यों नहीं? तुम्हें क्या लगता है कि मैं गलत हूं?

श्लोक- समाधान तो आपने सही बताया है किंतु तृप्ति दीदी मेरी बहन है, आपका और सीमा का तो फिर भी हो जाएगा क्योंकि साली आधी घरवाली होती है। तो है तो यह आपके साले की ही बीवी, लेकिन मैं तृप्ति दीदी के साथ...

मैं- देखो श्लोक, मैं मानता हूं कि हमारी सभ्यता और संस्कृति इसके विपरीत है किंतु तुम विदेश में जाकर पढ़ाई करके आए हो। भारत में भी अब ऐसा कल्चर है जहां पर लोग अपने मनोरंजन के लिए अपनी बीवियां बदल कर चुदाई करते हैं। हम ऐसा मजबूरी में कर रहे हैं। अदला बदली का खेल कौन सा सही है लेकिन लोग यह कर रहे हैं। तो तुम लोग भूल क्यों नहीं जाते कि तुम लोग भाई बहन हो। अगर आने वाले भविष्य में अपने सेक्स लाइफ को अच्छा बनाने के लिए हम दोनों कपल किसी और के साथ बदला बदली कर लेते हैं तो हम चारों के स्वैपिंग करने में क्या समस्या है? हम साथ रहते हैं एक ही फ्लैट में, यहां कोई डर नहीं है, कोई देखने वाला नहीं है, इज्जत बिगड़ने किसी को पता चलने का कोई डर नहीं है। क्या समस्या है? यह बात हम चारों तक है यह हम चारों तक ही रहेगी। बच्चों के पेट में पड़ने के साथ हम अपनी अपनी बीवी अपने अपने पतियों के साथ रह सकते हैं। बच्चों को भी है सच पता नहीं होगा कि वह सीमा और श्लोक का बच्चा नहीं सीमा और मेरा तथा तृप्ति और श्लोक का बच्चा है।

तृप्ति और सीमा ने कहा- हमें सोचने के लिए कुछ वक्त चाहिए। 

हम दोनों छत से नीचे चले आए, दोनों को सोचने के लिए समय दे दिया।

श्लोक- यार जीजू, कहां से लाते हो इतना दिमाग? कहां से बना लेते हो ऐसी बातें? मैं तो आश्चर्यचकित हूं।
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#42
मैं- देखते जाओ श्लोक, अभी तो हमें बहुत सारे याराना बनाने हैं, देखना तो यह है कि दोनों ननद-भाभी इसमें ही मान जाती हैं या फिर उन्हें और बातों का डोज देना होगा!

थोड़ी देर बाद तृप्ति और सीमा नीचे आई और बोली- हमारे भविष्य के लिए हम तैयार हैं, आप सच कह रहे हैं। अपने सुखद भविष्य के लिए हमें यह कार्य करना ही पडेगा।


बस फिर क्या था, सारे प्लान सही काम कर रहे थे।

मैं- तो प्रिय सीमा, तृप्ति और श्लोक, हम सब रजामंदी से यह स्वैपिंग कर रहे हैं। किसी तरह की मजबूरी से नहीं और जब अदला-बदली में चुदाई होनी ही है तो क्यों ना मजे के साथ की जाए, किसी तरह का भार मन पर रखा जाए! सीमा और मुझे तो किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होगी लेकिन तृप्ति और श्लोक को अपना भाई बहन का रिश्ता इग्नोर करना होगा और वैसे भी ऊपर वाले ने हमें इतना आकर्षक शरीर तो दिया ही है। उस शरीर के आनन्द को पाने के लिए हम सब कुछ बातें भूल सकते हैं।
तीनों ने गर्दन हिला कर हामी भरी तो मैं बोला- क्यों अब हम चारों खुले में जायें! मेरे पास एक खेल है 'सच का सामना' जिसमें मैं केवल एक प्रश्न पूछूंगा और उसका सही जवाब सामने वाले को देना है।

तृप्ति मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी क्योंकि हम यह खेल पहले भी खेल चुके थे। शायद तृप्ति को आभास हो गया कि ये बाबा की कही बातें ना हों, मेरी ही मेरा ही किया धरा हो। लेकिन उसकी तरफ से अभी तक ऐसी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी।

"
हां तो पहला सवाल सीमा के लिए... सीमा, क्या तुमने कभी मेरे प्रति किसी भी प्रकार की सेक्स भावना के बारे में सोचा है?"

क्योंकि सीमा खुले दिमाग वाली लड़की थी और उसे यह पता था कि यह खेल एक दूसरे को खोलने के लिए ही खेला जा रहा है इसलिए इतने नखरे ना करते हुए जवाब दिया- जीजू, मैंने तृप्ति दीदी को एक बार बिना कपड़ों के नहाते हुए देखा था, उनके स्तनों पर आपके नाखूनों के निशान थे उनका गदराया हुआ शरीर देखकर मेरे मन में ऐसे ही विचार गया कि इस शरीर के साथ आप कैसे खेलते होंगे। उसके बाद आपकी और तृप्ति दीदी के सेक्स के बारे में मन में मैंने कल्पना करके मैंने अपने दिमाग में कई तरह के चित्र बनाये। आपका शरीर आपके चेहरे की तरह आकर्षक है और एक नॉर्मल लड़की को आप जैसे स्मार्ट मर्द से कभी भी इस तरह का अट्रैक्शन हो ही जाता है। अतः मैंने एक या दो बार आपके बारे में इस तरह से सोचा है!

मैं- तृप्ति जी, श्लोक के बारे में आपके कोई सेक्सी विचार?

तृप्ति- मैंने कभी श्लोक के साथ ऐसी कल्पना नहीं की। हां, सीमा के जीरो फिगर को देखकर मैंने उसके लिए चिंता की थी कि क्या पता सीमा के साथ वह अपने शौक पूरे कर पाता होगा या नहीं। सीमा सेक्स में उसके शौक पूरे कर पाती होगी या नहीं... लेकिन रात को सीमा की जोरदार आवाज ने मेरे मन के इन विचारों को बंद कर दिया था। सीमा की जोरदार सिस्कारियों से तो मैं डर ही गई थी कि इस प्रकार का सेक्स भी कोई करता है। अगर मेरा पति ऐसा होता तो मैं कैसे उसे झेलती। फिर कभी कभी हवस मुझ पर हावी हुई और मन में विचार आया कि अगर इतनी देर तक कोई सेक्स करने में सक्षम है तो वह कितना आनंददायक होता होगा जो कि शरीर की नस नस को खोल दे एक एक जोड़ तोड़ दे। इस तरह का विचार मेरे मन में आया था।


यानि सब एक दूसरे के शरीर को पसंद करने वाले थे।
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#43
श्लोक के तृप्ति के लिए विचार तो मैं जानता ही था फिर भी तृप्ति और श्लोक कंफर्ट फील करें इसलिए मैंने श्लोक से यह सवाल पूछ ही लिया।


श्लोक- मैं जीजाजी को बहुत ही खुशनसीब इंसान समझता था, दीदी का शरीर बहुत आकर्षक है जो जीजा जी को मिला। माना कि आप मेरी बहन हैं इसलिए मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए लेकिन कभी कभी मुझे जीजू से जलन हुई। पता नहीं क्यों गलत विचार आया कि आप मेरे इतने करीब होते हुए भी किसी और के साथ। यह विचार गलत था लेकिन आपके जैसा शरीर ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया।

मैं- होता है। चलो कोई बात नहीं, हम चारों जवान हैं तो इस प्रकार के विचार आना लाजमी है क्योंकि हमारे शरीर हैं इस प्रकार के कि कोई भी अपनी वासना की सोच में डूब जाए।

मैंने अब सीमा और तृप्ति से उनके मासिक धर्म की तारीखें पूछी। संयोग से दोनों की तारीखें एक जैसी थी और अभी चार पांच दिन पूर्व ही उनके पीरियड खत्म हुए थे। मैंने सबको बताया कि पीरियड्स खत्म होने के बारह दिन बाद से गर्भधारण की संभावना सबसे ज्यादा रहती है। तो एक सप्ताह बाद का समय संतान उत्पत्ति के लिए उपयुक्त समय रहेगा तो हम यह अदला-बदली का खेल के लिए अगले सप्ताह तक छोड़ते हैं।

हमने आठ दिन बाद 31 मार्च की रात तय की। अतः इस दिन के लिए हमें पूरे 8 दिन का इंतजार करना था, इन 8 दिनों में हमने एक दूसरे से बेहद करीबी वाली दोस्ती कर ली। रिश्तेदार से हम यार बन गए यार से हमें याराना बनाना था। एक दूसरे से अश्लील मज़ाक एक दूसरे को छेड़ना अंगों को छू लेना, किस कर लेना यानी कोई बाहर का आदमी देखे तो समझ ना पाए कि कौन पति पत्नी है। हम एक दूसरे से इतना खुल गए थे कि अगर एक एक बात बताने बैठूं तो कहानी की लंबाई और ज्यादा बढ़ जाएगी।



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आखिर 31 तारीख की ही गई थी जिस दिन हमें अदला बदली कर चुदाई करनी थी। क्योंकि यह अदला-बदली में हमारा पहला सेक्स था इसलिए हमने एक दूसरे को कंफर्ट फील कराने के लिए और किसी प्रकार की लाज शर्म के लिए और इस सेक्स को मजेदार बनाने के लिए अलग-अलग कमरों में चुदाई करना उपयुक्त समझा।

रात के 10:00 बज रहे थे, खाना-वाना खाकर हम नहा धोकर फ्रेश होकर एक दूसरे के कमरे में प्रविष्ट हुए जहां हमारी बीवियां आकर्षक खुशबू उत्तेजक कपड़े पहन कर हमारा इंतजार कर रही थी।

मैं सीमा के कमरे में गया और अंदर से दरवाजे को लॉक किया। सीमा ने नाइटी पहनी हुई थी। हमारी दोस्ती हो चुकी थी इसलिए सीमा ने मुझे पीछे से ही कसकर पकड़ लिया और उसके स्तनों को मेरी पीठ पर दबाने लगी जिससे मुझे अहसास हुआ कि इसके अंदर उसने कुछ नहीं पहना हुआ है। (मेरे मन में एक शंका थी कि सीमा को तो श्लोक के साथ लंबे समय तक सेक्स करने की आदत हो चुकी है, क्या उसको मैं संतुष्ट कर पाऊंगा, खुश कर पाऊँगा।)

सीमा बोली- आइए जीजू... मुझे केवल आनंद और पूर्ण आनंद देने वाला सेक्स प्रदान कीजिए!

मैं बोला- मैं कुछ समझा नहीं सीमा?

सीमा- जीजू, श्लोक सेक्स तो बहुत अच्छा करता है लेकिन मेरी संतुष्टि के बाद भी वह काफी समय तक मेरे साथ सेक्स करता रहता है जिससे कि मेरी चूत में जलन होने लग जाती है अतः मेरे लिए सेक्स मजे के साथ दर्द का भी समावेश है। मैं अपने पति के साथ साथ में स्खलित होना चाहती थी। स्खलन के समय पर हम एक दूसरे को कसकर पकड़ना चाहते थे। लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है, मेरे स्खलित होने के बावजूद भी श्लोक मेरी चूत में जोरदार धक्के देता है। आज हम दोनों साथ स्खलित होंगे और मेरी मनोकामना पूर्ण होगी। दर्द का नामोनिशान नहीं होगा और सेक्स में केवल मजा होगा। आपके बारे में बहुत ख्याली पुलाव पकाया है मैंने। आपके सच का सामना गेम में शर्म के मारे बता नहीं पाई लेकिन आपके बारे में मेरी वासना हमेशा मुझ पर हावी रही। जितना प्यारा आपका व्यवहार है उतना ही पाया प्यारा आपका सेक्स होता होगा यह सोच-सोचकर मैंने आपके बारे में कहीं कल्पना कि और तृप्ति दीदी से मुझे जलन थी।
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#44
इतना कहकर सीमा ने मेरी तरफ पीठ कर दी और अपनी नाइटी उतार दी। मैं उसके पीछे खड़ा हुआ था, उसके गोरे लंबे शरीर को पूर्ण रूप से पीछे से देख सकता था, उसके पीछे से सेक्सी कंधे, पीठ और कूल्हों के उभार देखकर मैं हिल गया। 26″ की कमर के नीचे 34 के कूल्हे... कितना मनमोहक दृश्य बना रहे थे! मेरा लिंग पजामा फाड़ कर बाहर आने को बेचैन होने लगा। मेरे साले की बीवी सीमा कपड़े खोलने की पहल कर चुकी थी इसलिए मैंने भी अपनी टीशर्ट और लोअर उतारकर पूर्ण रूप से नग्न होकर अपने पूर्ण नग्न शरीर को सीमा के पीछे टिका दिया। सीमा की लंबाई ज्यादा होने की वजह से मेरा लिंग उसकी गांड के छेद पर टिक गया।


सीमा ने पीछे हाथ करके मेरा लिंग हाथ में लिया और आश्चर्यचकित होकर एकदम से पीछे मुड़ गई है और बोली- वाह यार जीजू, आज तो मुझे सिर्फ आनंद वाला सेक्स नहीं बल्कि श्लोक से थोड़े लंबे और मोटे लंड का स्वाद भी चखने को मिलेगा!

मैंने कहा- कैसे?

सीमा- आपका लिंग श्लोक से करीब आधा इंच लंबा और मोटा है यानि आज तो पूर्ण रूप से नया एहसास होगा। मुझसे इस का रोमांच नहीं सहा जा रहा है, इन 8 दिनों में बहुत बेचैनी से इस दिन का इंतजार किया है जीजू!

जब मेरा सीमा की बात से ध्यान हटा, तब मैंने उसके कचोरी जैसे गोल स्तनों को देखा, यह नजारा मैं पहले भी देख चुका था लेकिन यह मुझे सीमा से छुपाना था, आज तो मैं सीमा के होशोहवास में था, मुझसे रहा नहीं गया, मैंने सीमा को कसकर पकड़ लिया और उसे ज़ोर से गले लगा लिया उसके गोल स्तनों को अपने सीने पर दबाए कारण मैंने उसके शरीर को महसूस किया। मैंने उसे बेड पर धक्का दे दिया और उसके बाद स्तनों को चूसने लगा। पिछले वाली स्वैपिंग में प्रिया के साथ वाइल्ड सेक्स ना करने का गम जो था उसे आज मैं खत्म करने वाला था हालांकि किसी दूसरी पार्टनर के साथ ही। और हम एक दूसरे को चूसते चाटते रहे। मैंने उसकी पीठ पेट कमर उसका चेहरा, होंठ, टांगें कुछ नहीं छोड़ा। उसकी लंबी टांगें एक अलग ही दृश्य बनाती थी, एक अलग ही प्रकार की उत्तेजना पैदा करती थी। तृप्ति की टांग इतनी लंबी नहीं थी लेकिन भरी-पूरी थी, उनका मजा अलग था लेकिन इन गोरी टांगों का मजा अलग मैंने उसकी टांगों का एक भी हिस्सा नहीं छोड़ा और पूरी टांगों को चाट चाट कर उसकी वासना को चरम पर पहुंचाने की पूरी कोशिश की।


सीमा की गुलाबी चूत चिपचिपा पानी छोड़ने लगी थी। वाह क्या खुशबू थी उसकी चूत की और उसकी चूत में से निकलने वाले पानी की। मैंने उसकी चूत वाले हिस्से पर अपनी जीभ फिराकर उसके उस बाहर आई चिकनाई को साफ किया और और उसकी चूत को चाटने लगा। सीमा ने अपनी टांगें चौड़ी करके तथा मेरे सिर को उसकी चूत के अंदर दबाकर मेरे इस क्रियाकलाप को बढ़ावा दिया। उसने मेरा सिर उसकी चूत में इस तरह से दबा रखा था कि मुझे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी लेकिन यह तकलीफ आनंद के पीछे कुछ नहीं थी।

सीमा ने मुझे 69 का प्रस्ताव रखा और हम सहर्ष 69 की पोजीशन में गए। मैं सीधा पीठ के बल नीचे लेट गया, सीमा ने अपनी चूत को मेरे मुंह पर रख दिया तथा मेरा लिंग मुंह में लेकर चूसने चाटने लगी, मेरे मोटे लिंग को अपने मुंह में आइसक्रीम की तरह चाट रही थी। हालांकि तृप्ति भी मेरा लिंग इसी तरह चाटती थी लेकिन सीमा का मुंह आज मेरे लिंग में अलग ही प्रकार का आवेश उत्पन्न कर रहा था। करीब आधे घंटे के फोरप्ले के बाद मैंने सीमा को घोड़ी बनाया और उसकी मोटी गांड को पकड़कर उसकी चूत में अपना खड़ा लंड पेल दिया जोरदार झटकों से साले की बीवी की चूत चुदाई शुरू कर दी। इस प्रक्रिया के दौरान उसकी मोटी गांड पर मेरे हाथ चलते रहे, उन्हें मसलते रहे और मैंने उसकी मोटी गांड को मसलते मसलते लाल कर दिया।

मेरे धक्के इतने तेज थे कि सीमा के मुंह से आह की आवाज आने लगी थी। बेड के सामने रखी हुई ड्रेसिंग के दर्पण में मैं पोर्न नायिका को चोदने वाला पोर्न फिल्म का नायक लग रहा था। दर्पण में वह सीधी घोड़ी बनी हुई थी जिसके कारण उसके लटके हुए स्तन मुझे आगे से भी दिखाई दे रहे थे। उत्तेजना इतनी हो गई थी कि लग रहा था कि मैं अभी छूट जाऊंगा। मैंने सेक्स की पोजीशन बदल ली। मैंने सीमा को बेड के एक किनारे पर सीधा लिटा कर उसकी लंबी टांगों को अपने कंधे पर रखा और खड़े-खड़े उसकी चूत में अपना लंड फिर ठेल दिया। अब मेरे झटकों के साथ सीमा के हिलते हुए गोल स्तन मुझे नजर रहे थे, उन पर केवल मेरा एक ही हाथ पहुंच पा रहा था। मैंने दरिंदों की तरह उसका एक एक स्तन नोच-नोच कर लाल कर दिया।
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#45
सीमा ने इशारा किया और कहा कि वह मुझे आगोश में लेना चाहती है अतः मैं उसके ऊपर लेट गया और हम दोनों सीधे लेट कर एक दूसरे के साथ चोदन क्रिया पूरे करने लगे। मेरी चुदाई इतनी जंगली थी कि सीमा की चूत से जोरदार फच फच की आवाज आने लगी थी। सीमा ने एकदम से बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया और वह अपनी गांड उठा-उठा कर मेरे लंड के ऊपर धक्के मारने लगी और खुद ही अपनी चूत से मेरे लंड को उसकी चूत की जड़ तक पहुंचाने की कोशिश करने लगी। उसकी भावनाओं को समझ कर मैंने भी ने धक्के जोरदार कर दिए और 2 मिनट के इस द्वंद्व के बाद हम दोनों सलहज ननदोई एक साथ झड़ गए।


सीमा की अपने पार्टनर के साथ झड़ने के मनोकामना पूर्ण हुई। लंबे और आकर्षक शरीर वाली सीमा ने मुझे अपने आलिंगन में बांध लिया और हम एक दूसरे से चिपक कर थोड़ी देर आराम करने लगे।

सीमा- मेरे प्यारे जीजू, आप कितन प्यारे हो लेकिन आज आपने प्यार से तो प्यार किया ही नहीं, इतना ज्यादा वाइल्ड सेक्स क्यों कर रहे थे, मैं कहीं भागे थोड़ी ना जा रही हूं!

मैं- मैं क्या करूं प्यारी सीमा, तुम हो ही इतनी आकर्षक कि मेरा खुद पर काबू नहीं रहा!

अब मैं सीमा को क्या बताता कि यह तो वह कसर थी जो मैं प्रिया के साथ नहीं निकाल पाया था और रणविजय ने तृप्ति को ठोक ठोक कर बुरा हाल किया था। शायद यह उसी की उत्तेजना और गुस्सा था जो सीमा पर निकला और सीमा भी उत्तेजना पैदा करने वाली थी। सलहज की पहली घमासान चुदाई के बाद मेरा लिंग आराम कर रहा था तो ध्यान तृप्ति और श्लोक के कमरे की तरफ चला गया, मैं सोचने लगा कि दोनों भी बहन तृप्ति और श्लोक किस तरह की चुदाई कर रहे होंगे? आज श्लोक तृप्ति की चूत का चित्तौड़गढ़ बना ही देगा। आज वह असली बहनचोद बन ही जाएगा। उनकी किसी सेक्स पोजीशन को कल्पना कर कर मेरा लंड फिर से तनतनाने लगा। सीमा का हाथ मेरे लिंग पर ही था, वह आश्चर्यचकित हुई और बोली- वाह जीजू, इतनी जल्दी? आज क्या मेरी चूत अपने मोटे लिंग से फाड़ ही डालोगे?

इस पर मैंने उससे कहा- मुझे तुम्हारी गांड का छेद और चौड़ा करना है. अब आओ और अपनी लंबी टांगों का कमाल दिखाओ मेरी जानेमन।


मैं लेटने वाले सोफे पर लेट गया, सीमा भी बेड से उठ कर आई और अपनी चौड़ी सेक्सी गांड मेरे लंड की तरफ करके आगे की तरफ मुंह करके मेरी गोद में बैठ गई और उसकी चूत में मेरा लिंग अपने आप प्रविष्ट हो गया. अब वो अपने पांव जमीन पर रखकर खुद ही उन पांव के बल पर ऊपर नीचे होने लगी। थोड़ी देर में उसकी चूत फिर से गीली हो गई और मेरे लिंग पर चिकनाई गई। सीमा ने खुद मेरा लिंग अपनी चूत से निकालकर मेरे लिंग को उसकी गांड के छेद पर टिका दिया। मैं इतना बेसब्र हो गया था कि मैंने अपने हाथ में थोड़ा सा थूक लेकर ही सीमा की गांड के छेद के ऊपर लगा लिया और सीमा की चूत की चिकनाई से अपनी दो उंगलियां भरकर उसकी गांड के अंदर डाल दी। जब पर्याप्त मात्रा में उसकी गांड चिकनी हो गई, तब मैंने फिर उसकी गांड को उसी पोजीशन पर ला दिया, अर्थात उसकी गांड के छेद पर मेरा लिंग टिका हुआ था। मैंने सीमा के कंधों को ऊपर से पकड़ कर उन्हें नीचे दबाया जिससे कि मेरा चिकना लिंग मुंड सीमा के गांड में जा धंसा, सीमा के मुंह से जोरदार सिसकारी निकल पड़ी किंतु आने वाले क्षण के मजे की उम्मीद में वह अपने पैरों पर जोर लगा कर मेरे लिंग पर बैठ गई जिससे कि मेरा लिंग उसकी गांड के छेद के अंदर तक बैठ गया।

सीमा का चेहरा पूरा लाल हो गया। कुछ क्षण रुक कर सीमा अपने पांव के बल पर ऊपर नीचे होने लगी तथा उसकी गांड में मेरे लिंग को अंदर बाहर करने लगी। थोड़ी देर बाद वह मेरा लंड अपनी गांड में ले ले कर इतना मजा लेने लगी कि उसके धक्के बढ़ गए। मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने उसे बैड पर फिर से घोड़ी बनाया और उसकी गांड में अपना लंड पेल दिया, उसकी गांड और मेरी कमर की टकराहट से जोरदार आवाजें आने लगी। थोड़ी देर बाद मैं बेसब्र हो गया और अपना लिंग निकाल कर उसकी चूत में पेल कर जोरदार चुदाई करने लगा। जब सीमा की सांस फूली और वह स्खलित होने की तरफ बढ़ी, तब मैं भी एक बार फिर उसकी चूत में ही स्खलित हो गया।

सीमा ने बेहद प्यार से मुझे गले लगाया और अपने ऊपर लेटा लिया दो बार की घमासान चुदाई के बाद हम बेहद थक चुके थे।
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#46
यह दृश्य थोड़ी देर बाद यहीं से शुरू होगा किंतु बीच में मैं आपको तृप्ति और श्लोक के बहनचोद बनने का किस्सा सुनाता हूं जैसा कि मुझे श्लोक ने कुछ दिनों बाद में बताया था।

आगे की कहानी श्लोक के शब्दों में:

जब मैं दीदी और जीजू के कमरे में प्रविष्ट हुआ तो मैंने देखा कि तृप्ति दीदी अपने गोरी चिकनी जांघों पर अपनी नाइटी को ऊंची करते हुए गुलाब जल का पानी लगा रही थी। शायद यह दृश्य मेरे लिए ही उत्पन्न किया गया था।


मैं दीदी की तरफ मुस्कुराया, वह भी मेरी तरफ मुस्कुराई और हंसती हुई बोली- सच का सामना में जो तुमने कहा था क्या वह सही था? तुम कब से बहनचोद बनने के सपने देख रहे हो मेरे प्यारे भाई?

श्लोक- माफ करना दीदी, मुझे आपको यह बताना नहीं चाहिए किंतु जीजाजी ने मुझे जब आपके और किसी अन्य कपल के स्वैपिंग के बारे में बताया तबसे मेरा आपके ऊपर नजरिया बदल गया था, मैं सोचता था कि आप सीधी सादी केवल जीजाजी के लंड पर ही नाचती होंगी लेकिन आपने तो जिंदगी के मजे लेने के लिए किसी और का लंड भी ले लिया। जीजाजी ने मुझे यह तो नहीं बताया कि वह स्वैपिंग किसके साथ हुई थी किंतु मैं उस व्यक्ति को खुशनसीब मानने लगा जो आपके ऊपर चढ़ा था। बस तब से मैं उस व्यक्ति की जगह खुद को रख कर अपनी दीदी को चोदने के बारे में सोचने लगा। छोटे कपड़ों में आपके अंग प्रदर्शन में मेरा हाल बेहाल कर दिया। सीमा की जीरो फिगर वाली गांड और स्तनों से मैं बोरियत महसूस करने लगा था और आपकी मोटी गांड और बड़े स्तनों के लिए मैं आकर्षित होने लगा था। मुझे आपके ही शरीर जैसी औरत से अपनी प्यास बुझानी थी। कभी-कभी तो मुझे जीजा जी से बहुत जलन होने लगती कि आपके इतने करीब होने के बावजूद भी मैं आपको उस तरह से छू भी नहीं सकता किंतु जीजाजी आपकी रोज चुदाई करते हैं। जीजाजी कितने खुशनसीब हैं। किंतु आज तो मैं अपने अरमान पूरे कर ही लूंगा। आप बताइए आप कब से मेरे बारे में इस प्रकार का सोचने लगी?

तृप्ति- तो राजवीर ने तुम्हें हमारे स्वैपिंग के बारे में बता दिया! मैं उन्हें देख लूंगी। अच्छा चलो ठीक है, तुम्हारी बात का जवाब देती हूं।


प्रिय भाई, मैंने तुम्हारे लिए कभी ऐसा नहीं सोचा था लेकिन जब हम इस फ्लैट में शिफ्ट हुए और रात में सीमा और तुम्हारी चुदाई की इतनी भयंकर आवाज मैंने सुनी तब मेरे गले से पानी तक नहीं उतरता था, सीमा की इतनी भयंकर आवाजों के कारण मेरे रोंगटे खड़े हो जाते थे, मैं सोचती थी कि मेरा भाई श्लोक मेरी भाभी की यह किस प्रकार की चुदाई करता है। जब लगातार इस प्रकार की आवाजें आती रही तो तुम्हारे ऑफिस में जाने के बाद एक बार मैंने सीमा से इसके बारे में पूछ ही लिया। सीमा ने मुझे तुम्हारी इस समस्या के बारे में बताया लेकिन सच बताऊं तो मुझे यह समस्या नहीं लगी, मैं तो इस समस्या से रोमांचित हो उठी। अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को 45 मिनट तक बिना रुके चुदाई करे तो वह चुदाई कितनी घमासान होती होगी। सीमा कितनी खुशनसीब थी कि उसे इस प्रकार की चुदाई मिल रही थी जैसा कि हम अंग्रेजी ब्लू फिल्मों में देखा करते हैं।

ऐसा नहीं कि राजवीर मुझे खुश नहीं कर पाते हैं, किंतु इस लंबी चुदाई के अनुभव को पाने की लालसा से मेरा मन इस अन्तर्वासना में ही डूबा रहने लगा। तभी एक दिन मेरे मन में ख्याल आया कि काश मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेकर करीब आधे घंटे से ज्यादा उस पर कूद सकूं। अनंत बाबा ने और राजवीर ने तो मेरी मनोकामनाएं पूर्ण कर दी। आओ श्लोक भाई, मुझे उसी तरह चोदो जिस तरह तुम मेरी भाभी सीमा को चोदते हो। हमारी चुदाई इतनी जबरदस्त होनी चाहिए कि मेरी आवाज राजवीर और सीमा के कानों में पड़े। मैं आज तुम्हारे लिंग पर बैठकर नाचना चाहती हूं। उचकना चाहती हूं, कूदना चाहती हूं। आओ मेरी चूत का भोसड़ा बना दो और मेरी गांड को गोदाम।

हम दोनों भाई बहन की इतनी उत्तेजना भरी बातों से हमें किसी फोरप्ले की आवश्यकता नहीं थी। हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और फिर धीरे-धीरे एक दूसरे के वस्त्रों को हरण कर एक दूसरे को नंगा किया। मैं तृप्ति दीदी के सीने को देख पाता, उससे पहले ही उन्होंने झुक कर मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लिया और पागलों की तरह उसे जड़ तक चूसने लगी। मैं सीधा बैठे केवल उनकी गोरी पीठ को देख सकता था तथा उनकी गांड के बीच की वह लाइन जो मुझे शुरुआती की ही दिख रही थी।
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#47
थोड़ी देर बाद मैंने दीदी को डॉगी पोजीशन में खड़ा कर उनकी मोटी गोरी गांड को अपने हाथों से चौड़ा कर अपने मुंह को उनके गांड के छेद में घुसा दिया और जीभ से उनके गांड का चोदन करने लगा। दीदी के इतने आकर्षक भरे हुए शरीर को देखकर समझ नहीं रहा था कि मैं उनके स्तनों का मजा लूं या उनकी मोटी गांड का। उनकी गोरी जांघ पर अपनी जीभ फिर आऊं उनके प्यारे चेहरे पर चुंबनों की बरसात कर दूं।

तृप्ति दीदी एक बार सीधी हुई तथा फिर से मेरे लिंग को चूसने लगी और मुझे आश्चर्यचकित करते हुए उन्होंने अपने दोनों स्तनों को साइड में से दबाकर बीच में एक जगह बना कर मेरे लिंग को उनके दोनों स्तनों के बीच में प्रविष्ट करा दिया। वाह क्या एहसास था... दीदी के गोरे भरे पूरे गद्देदार स्तनों के बीच मेरा लिंग गति कर रहा था, मैं उत्तेजना के चरम पर था, तृप्ति दीदी के पास करने के लिए इतना था कि वह मुझे उनके स्तनों को चूसने का समय भी नहीं दे रही थी जो कि मैं कब से चाह रहा था।

अतः मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उन्हें बेड पर जोरदार धक्का दिया तथा उनके ऊपर जानवरों की तरह टूट गया, उनके स्तनों को अपने दोनों हाथों के बीच में दबाकर जानवरों की तरह मसलने लगा और एक-एक करके मुंह से चूसने लगा। मैंने महसूस किया कि दीदी का हाथ उनकी चूत पर था और उनकी चूत के दाने को स्वयं अपने हाथों से रगड़ने लगी थी। मैंने उनकी उत्तेजना को समझते हुए अपना लिंग उनकी चूत पर टिकाया और सीधा उनकी चूत में प्रविष्ट कर दिया। हमारे गुप्तांग इतने चिकने थे कि अंदर जाने दे उसे थोड़ी भी औपचारिकता नहीं निभानी पड़ी।

तृप्ति दीदी ने मेरे कमर को पकड़ कर उस पर अपने जोरदार नाखून गाड़ दिए और मेरी कमर को अंदर की तरफ इस तरह खींचने लगी जैसे कि वह चाहती हो कि मैं अपने लिंग के साथ पूरा उनके अंदर प्रविष्ट कर जाऊं और खुद ही मेरी कमर को पकड़ पकड़ कर जोरदार तरीके से अंदर और बाहर झटके देने लगी कितनी वासना भरी हुई थी उनके अंदर। सीमा ने सेक्स में कभी भी इस प्रकार का वहशीपन धारण नहीं किया था असल मायने में अगर यह मेरी जीवनसंगिनी होती तो कितना मज़ा आता! दीदी की चुदासी भावनाओं को समझते हुए मैंने उनकी चूत में जोरदार धक्के देना शुरु कर दिया, उनकी चूत से इतना पानी बह रहा था कि फच फच की आवाज सारे कमरे में गूंजने लगी और एक धार लगातार उनके चूत से बाहर गई और उनकी गांड पर बहने लगी। चूत से बहता हुआ पानी इतनी मात्रा में मैंने कभी नहीं देखा था। तृप्ति दीदी जोर-जोर से चिल्लाने लगी- फक मी फक मी हार्ड... उम्म्ह... अहह... हय... याह... बहनचोद सिस्टर फकर!

मैंने कभी नहीं सोचा था कि तृप्ति दीदी का एक ऐसा भी रूप होगा, इतने जोरदार धक्कों के बावजूद भी वे इतनी बेचैनी से चिल्ला रही थी, उन्हें पूर्णतया वाइल्ड सेक्स चाहिए था और मैंने उनके मंसूबों को पूरा किया। मैं चरम तक आधा भी नहीं पहुंचा था कि उनकी चूत ने अपना रस एक जोरदार सिसकारी के साथ छोड़ दिया और कांपने लगी। दीदी ने कसकर मुझे पकड़ लिया, उन्होंने मुझे अपने तीखे नाखूनों से इस प्रकार पकड़ा कि नाखून के निशान वे आज भी मेरी कमर से नहीं हटे हैं। तृप्ति दीदी तो एक बार चरम पर पहुंच गई थी लेकिन मुझे अभी चरम पर पहुंचना बाकी था और वैसे भी मुझे उससे क्या मतलब था कि दीदी चरम पर पहुंच गई हैं, वे तो चाहती ही थी कि मैं जंगली बन जाऊं और उनके साथ जंगली सेक्स करूं।
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#48
मैंने दीदी को उठाया और स्टडी टेबल पर लिटा दिया, फिर उनकी टांगों को खींचकर मैंने नीचे की तरफ लटका दिया। दीदी अपने स्तनों को टेबल पर रखकर लेटी हुई थी और उनकी टांगें टेबल पर नीचे आई हुई थी। मैंने अपने लिंग और उनकी गांड के छेद पर उनकी सौंदर्य चिकनी क्रीम लगाई और उनकी गांड में अपना लिंग घुसा दिया। दीदी शायद उनके स्खलन के बाद थोड़े समय का अंतराल चाहती थी लेकिन मैं पागलों की तरह उनके शरीर पर टूटना चाहता था। जैसे ही मैंने अपनी सगी दीदी की गांड में अपना लिंग प्रवेश किया, उनकी जोरदार आवाज आह निकल गई। मैंने उनके लंबे बालों को अपने हाथ में समेट कर उनकी गर्दन को खींचा और उनके बाल पीछे की तरफ खींचते हुए उनकी गांड की कुटाई शुरू कर दी।
उनके गोरे चूतड़ों को लाल करते हुए अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया- ले बहन की लोड़ी... बना अपने गांड को गोदाम। लगातार 50 झटके मैंने अपनी बहन की गांड में दिए, उनकी गर्दन को बालों से ऊपर की तरफ खींचने के कारण उनके तीखे तीखे स्तन टेबल और हवा के बीच में झूल रहे थे। यह दृश्य मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था तथा आज मुझे लंबी देर तक स्खलित ना होने वाली वह चरम सुख पर ना पहुंचने वाली बीमारी ऊपर वाले का आशीर्वाद लगने लगी। तृप्ति दीदी के हाथों ने मेरी कमर पर लाकर मुझे रोकने की कोशिश की। इतने में मुझे उन पर दया गई, मैंने उन्हें बेड पर लेटाया किंतु मेरी हवस मुझ पर इतनी हावी थी कि मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लिंग उनके मुंह में डाल दिया लेकिन तृप्ति दीदी ने इसका विरोध नहीं करते हुए उसे चूसना शुरू कर दिया।

मैं समझ गया था कि गांड चुदाई के बाद तृप्ति दीदी की चूत शायद फिर से तैयार हो गई है, अतः मैंने उन्हें सीधा लेटा कर उनकी टांगों को उठाकर उनके कंधों पर ही लगाया और उनकी एक पोटली बनाकर उनके कूल्हे और चूत को एक शानदार पोजीशन में सेट करके उनके कंधों से सटी हुई टांगों पर अपने हाथ दबाकर उनके ऊंचे हुए कूल्हों पर अपनी कमर रखकर अपना लिंग उनकी चूत में ठेल दिया। और जोरदार धक्कों वाला घमासान फिर से शुरू हो गया। तृप्ति दीदी जोर-जोर से यस यस की आवाज निकालने लगी। एक बार फिर 10 मिनट के बाद तृप्ति दीदी ने मुझे कस के पकड़ लिया लेकिन इस प्रकार के पोजीशन में उनकी चूत ने मेरे लिंग को इस प्रकार जकड़े हुआ था कि मैं भी उनकी चूत में स्खलित हो गया। हम दोनों भाई बहन वातानुकूलित कमरे में पसीने से लथपथ एक दूसरे की बाहों में समा गए।

मैं एक ही बार में इतना सेक्स कर लेता था। चाहते हुए भी दूसरी बार किसी औरत को चोदकर उसका बुरा हाल नहीं कर सकता था। तृप्ति दीदी चीज ही ऐसी थी कि उन्हें रात भर चोदो तो भी कम पड़े किंतु एक बार में ही उनका बुरा हाल नहीं कर सकता था। और मुझे आज बहुत संतुष्टि का एहसास हुआ था इसलिए दूसरी बार सेक्स का ध्यान मैंने छोड़ दिया। रात के करीब 3:00 बजे थे और हम दोनों एक दूसरे की बांहों में टूट कर बिखर गए।

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#49
आगे की कहानी मेरे अर्थात राजवीर के शब्दों में:

लगभग इतना ही समय था जब मैं यानि राजवीर अपने साली की पत्नी सीमा की नंगी बांहों में लिपटा हुआ था, आज मुझे अपने करामाती दिमाग पर नाज हो रहा था। सीमा की आंख लग गई थी शायद दो बार स्खलित होने के बाद वह चरम सुख पाकर सुख में नींद लेना चाहती थी।


लेकिन तृप्ति और श्लोक की चुदाई की कल्पना ने मुझे जगाया रखा और जब उनके बारे में सोचने से मेरा ध्यान हटा तो मेरे मन में इस याराना को आगे बढ़ाने के बारे में विचार आया कि आने वाले समय में कैसे इस अलग-अलग कमरे वाली चुदाई को सामूहिक चुदाई बनाया जाए। उसके लिए मुझे क्या करना होगा याराना को कितना मजबूत बनाना होगा। कितना अच्छा होगा जब हम चारों एक ही बेड पर यह यारी निभाएंगे। तृप्ति या सीमा के दोनों छेदों में श्लोक और मेरा लिंग एक ही समय पर होगा। कितना अच्छा होगा जब हम चारों कभी भी किसी की भी चुदाई कर पाएंगे। श्लोक अपनी मनोकामना कभी भी पूर्ण कर पाएगा। तृप्ति अपनी तेज खुजली को कभी भी मिटा पाएगी। तब सीमा को संतुष्टि वाला और साथ स्खलित होने वाला वाला प्यार मिल पाएगा।

जब ऐसा होगा तो कभी रणविजय और प्रिया को भी घूमने के लिए जयपुर बुला लेंगे, उस समय का दृश्य कितना सुखद होगा जब 6 लोग आपस में ग्रुप सेक्स करेंगे। इन सभी सुंदर भविष्य की तस्वीरों के बारे में सोचता हुआ मेरी आंख लग गई।

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#50
सुबह 9 बजे जब मेरी नींद खुली तो देखा कि सीमा पास में नहीं थी। मैंने अपने कपड़ों को सम्भाला और कमरे से बाहर आया। हाल में भी सीमा नजर नहीं आई तो सोचा कि ऊपर छत का बाथरूम इस्तेमाल करने ऊपर गयी होगी। अतः मेरे कदम तृप्ति और श्लोक के कमरे की तरफ बढ़ने लगे। दिल जोर जोर से धड़क रहा था कि शायद दोनों नंगे बेड पर सो रहे होंगे। मैंने दरवाजे पर हाथ दिया तो दरवाजा खुला हुआ था। तेज धड़कन के साथ मैंने पलंग पर नजर दौड़ाई तो देखा कि श्लोक अकेला बिस्तर पर नग्न चादर में लिपटे हुए गहरी नींद में सोया हुआ था.

मैं श्लोक के पास गया और उसे जगाया। होश आते ही उसने एक मुस्कान के साथ मुझे देखा और कहा- अरे जीजू, आप यहाँ? दीदी कहाँ है?

मैं- कैसी रही रात?

श्लोक- जीजू, जीवन का सुख पा लिया बस शब्दों में बयान नहीं हो पाएगा। आप बताओ?

मै- अभी शब्दों में बयान नहीं कर पाऊंगा। किंतु जब मैं उठा तो सीमा मेरे साथ बिस्तर पर नहीं थी। उसे ढूंढते हुए मैं यहां आया तो देखा कि तृप्ति भी तुम्हारे साथ बिस्तर पर नहीं है। दोनों कहां जा सकती हैं?

श्लोक- क्या सीमा भी बिस्तर पर नहीं है?

श्लोक ने अपने कपड़े संभाले और दोनों को ढूंढते हुए हम हॉल में गए। दोनों वहां भी नहीं थी। फ्लैट के ऊपरी हिस्से में एक शानदार शो पीस रूम बना हुआ था। नीचे उन्हें ना पाकर हम दोनों ऊपर की तरफ बढ़े। मन में एक अजीब सा डर बैठ गया था कि दोनों एक साथ कहां जा सकती हैं? वह भी एक असाधारण रात बीतने के बाद कहीं उन्हें अब अपने किए पर पछतावा तो नहीं हो रहा है जिसका शोक मनाने साथ में कहीं चली गई हैं। ऊपरी कमरे का दरवाजा मैंने खोला, श्लोक भी मेरे साथ था। तो जो देखा उसे देख कर मैं हैरान रह गया और शायद श्लोक भी।


कमरे के बीचोंबीच टेबल पर एक बड़ा केक रखा हुआ था। कमरे को कुछ मोमबत्तियों से सजाया हुआ था और दोनों अप्सराएं नहा धोकर सज संवर कर हमारा इंतजार कर रही थी। जैसे ही हम जीजू साले कमरे में प्रविष्ट हुए, तृप्ति और सीमा दोनों ने एक साथ गाना शुरू कर दिया- अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया ... अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया। और दोनों जोर-जोर से हंसने लगी। उनकी इस हंसी ठिठोली का कारण हम समझ नहीं पा रहे थे क्योंकि जहां तक हमें पता था फूल तो हमने उन्हें बनाया था। इस तरह हैरान हुए श्लोक और मैं एक दूसरे को देखते रह गए और एक दूसरे से समझने की कोशिश कर रहे थे कि आखिर हो क्या रहा है?

सीमा- क्या हुआ श्लोक बाबू? कुछ समझ में नहीं रहा है? समझने की कोशिश भी मत कीजिए। यह आपके बस का नहीं है।


और हंसने लगी।

मैं- यह सब क्या है तृप्ति?

तृप्ति- मेरे प्यारे राजवीर! बड़ी मेहनत से केक बनाया है पहले केक खा लीजिए अपने मूर्ख बनने की खुशी में।


मैं- मूर्ख बनने की खुशी? मैं कुछ समझा नहीं?

सीमा- अरे प्यारे जीजू, कहा ना ... आपको कुछ समझ नहीं आएगा। पहले केक तो खाइए।


दोनों ने केक काटा, एक एक टुकड़ा लेकर हमारी तरफ बढ़ी। तृप्ति ने मुझे तथा सीमा ने श्लोक को खिलाया तथा थोड़ा थोड़ा खुद खाया और दोनों सामने वाले सोफे पर बैठ गई।

हम दोनों हैरान चकित होकर अब भी उनकी तरफ देख रहे थे। मैं सोच रहा था शायद तृप्ति और सीमा ने कुछ गलत समझ लिया है।

तब तृप्ति बोली- मेरे प्यारे भाई श्लोक तथा मेरे प्यारे पति राजवीर ... अब यह बताइए कि हमें गर्भनिरोधक गोली कौन लाकर देगा? आप हमें खिलाएंगे या हमें खुद ही खरीदनी पड़ेगी? और दोनों हंसने लगी।
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#51
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।


इस पर श्लोक ने पूछा- क्यों? आप ऐसा क्यों कह रही हो दीदी?

तृप्ति- अरे मेरे प्यारे भाई श्लोक, तुम तुम्हारे जीजा जी के साथ अभी रहने लगे हो। उनके साथ कुछ ही समय बिताया है। लेकिन मैं उनकी पत्नी हूं, उनके साथ मैंने बहुत समय बिताया है। मुझे लगता है मैं उनकी रग रग से वाकिफ हूं।


इस बात पर मैं समझ गया था कि तृप्ति को शायद मेरे किए हुए का अंदाजा हो गया था।

तृप्ति- डियर राजवीर! एक बार अदला बदली क्या कर ली, आपको तो इसका चस्का ही लग गया। इस चक्कर में आपने एक भाई और बहन की चुदाई करवा दी। वाह राजवीर वाह!

इतना सुनते ही श्लोक के चेहरे का रंग उड़ गया, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया शायद वह डर गया था।


मैं- इसका मतलब तुम्हें पता है। लेकिन अगर तुम्हें पता है तो तुम इस अदलाबदली में शामिल क्यों हुई?

तृप्ति- क्यों? यह चस्का क्या तुम्हें ही लग सकता है? पतियों की अदला बदली का चस्का हमें नहीं लग सकता?

(
इस बार फिर सीमा और तृप्ति दोनों हंसने लगी।)

सीमा- हां, लेकिन इस अदला-बदली में एक बुराई थी। भाई और बहन का साथ में सोना। लेकिन भाई अगर अपनी बहन को नंगी देख कर अपने हाथ से अपने आप को संतुष्ट कर सकता है तो उस लिंग को अपनी बहन की चूत में डाल कर संतुष्ट करने में क्या बुराई है।


सीमा की इस बात पर मैं हैरान हो गया कि सीमा और तृप्ति को इस बारे में भी पता है कि हमने उन्हें नशीली दवा देकर उनके नग्न शरीर के दीदार किए थे। अब मैं समझ गया था बाजी मेरे हाथ में बिल्कुल नहीं है। अपना एटीट्यूड मुझे साइड में रखकर उन्हीं से पूछना होगा।

तब मैं बोला- ! तो तुम लोगों को सब पता है। मतलब खेल में रहा था लेकिन खिला तुम दोनों रही थी? लेकिन यह सब तुम्हें कैसे पता चला और कब पता चला और मालूम होते हुए भी इस खेल में तुम दोनों शामिल हुई तो कैसे हुई? कृपया मुझे शुरु से समझाइए।

सीमा- जीजू! आपने क्या वह कहावत सुनी है शेर को कभी ना कभी सवा शेर मिल ही जाता है। आपको सवा शेरनियां मिल गई हैं। आपको क्या लगता है याराना आप दोनों का ही हो सकता है? क्या ननद और भाभियां कभी यार नहीं बन सकती? यहां आने के बाद जैसे आपकी दोस्ती रंग ला रही थी वैसे हमारी दोस्ती भी मजबूत होती जा रही थी। जब आप दोनों ऑफिस में चले जाएंगे तो हम दोनों क्या करेंगी? केवल बातें ही तो करेंगी!

तृप्ति- यहां शिफ्ट होने के बाद मैंने जब सीमा और श्लोक के सेक्स में तेज चिल्लाने की आवाज सुनी तो उसके अगले दिन आपके ऑफिस जाने के बाद मैंने सीमा से इसके बारे में बात की। यह बोलकर कि मैं तुम्हारी ननद हूं। अगर कोई समस्या हो तो मुझे इसके बारे में बताओ। सीमा ने मुझे श्लोक के सेक्स के बारे में बताया। अतः इस बात से हम एक दूसरे से इस प्रकार की बातें करने लगे थे। राजवीर, जब तुमने मुझे श्लोक और सीमा के सेक्स के बारे में पहली बार पूछा था तब मुझे श्लोक के बारे में पता था। लेकिन मैं तुम्हें बता नहीं पाई क्योंकि तुम्हें नहीं बताना चाहती थी कि हम ननद-भाभी इस तरह के बातें भी करती हैं।


फिर धीरे धीरे हम अपने बेडरूम की बातें एक दूसरे से शेयर करने लगी। राजवीर के बारे में ... श्लोक के बारे में ... और अपने बारे में ... हमने एक दूसरी से सब बांटा। हां श्लोक का इस तरह से स्खलित होना मेरे लिए एक पहेली था। लेकिन मैंने उसके बारे में कभी गलत विचार अपने मन में नहीं आने दिया। हालांकि सीमा ने मुझसे कह दिया था कि काश मेरे साथ भी जीजू जैसा प्यार से प्यार करने वाला हमसफर होता। लेकिन हमने इस बात को हमेशा मजाक में ही लिया। हम दोनों ननद भाभी अब यार थी।
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#52
सीमा- फिर एक दिन में ऐसा हुआ जिसकी हमें आशा नहीं थी। मैंने अपने कमरे में एक बॉक्स देखा छुपा हुआ। जब उसे खोला तो पाया कि उसमें एक तरह की ड्रग्स है जिस पर लिखा हुआ था कि वह विदेश से आयात की गई है। मैं तो चिंतित हो गई ये क्या है। क्या जरूरत है कि श्लोक को ऐसी दवा जो कि विदेश से मंगाई जा रही है। कहीं उसकी तबीयत तो खराब नहीं। जिसके बारे में उसने मुझे नहीं बताया। तब मैंने तृप्ति दीदी से उसकी किसी बिमारी के बारे में पूछा। लेकिन तृप्ति दीदी ने मुझसे कहा श्लोक बचपन से एकदम स्वस्थ है। ऐसा कुछ नहीं है. फिर हमने नेट पर उस दवा के बारे में सर्च किया कि वह दवा किस किस चीज की है तब हमें पता चला कि यह दवा नींद में उत्तेजना का समावेश है। लोग इसे खिलाकर धोखे से किसी के साथ सेक्स करते हैं। हम दोनों इस बात पर हक्के-बक्के रह गई क्योंकि हम तो अपनी मर्जी से उनके साथ प्यार कर रही थी। फिर उन्हें इस दवा की क्या जरूरत है।


तृप्ति- तब मुझे शक हुआ आपके करामाती दिमाग पर राजवीर ... माना कि दवा श्लोक के कमरे में मिली थी किंतु कुछ समय से मैंने नोटिस किया था कि आप दोनों पहले से कुछ ज्यादा ही घुलमिल रहे थे। हमें आप दोनों पर शक हुआ। तब मैंने सीमा को बताया कि हो सकता है यह दवा हम दोनों को खिलाकर अदला बदली करके सेक्स करने के लिए मंगाई गई हो।

सीमा- तृप्ति दीदी की इस बात पर मैं आश्चर्यचकित हो गई क्योंकि तृप्ति और श्लोक तो भाई बहन है। श्लोक ऐसा अपनी बहन के लिए कैसे सोच सकता है। तब तृप्ति दीदी ने मुझे समझाया श्लोक ने अपनी पढ़ाई शुरुआत से बाहर विदेश में ही की है। मुझे लगता है उसका मन ऐसा कर सकता है और तुम्हें पता नहीं उसके साथ उसके जीजू है उनका दिमाग भी ऐसी बातों में बहुत चलता है। तब सीमा को विश्वास नहीं हुआ कि राजवीर अपनी बीवी को उसी के भाई से चुदवा देंगे क्योंकि राजवीर जीजू तो उसके लिए आदर्श थे। इस पर मैंने सीमा को हमारी रणविजय प्रिया के साथ अदला बदली वाली बात बताई।

सीमा- और प्यारे जीजू आपका वह याराना तो था ही इतना उत्तेजना पैदा करने वाला किस्सा कि मुझे समझ में नहीं आया कि मैं आश्चर्य-चकित हो जाऊं या उत्तेजित हो जाऊं। आपसे मैं इतना आकर्षित थी कि तृप्ति दीदी और श्लोक के बारे में सोचकर मैंने प्रिया को अपने स्थान पर रखा और आपके साथ चुदाई के मीठे सपने देखने लग गई। रिश्ते नाते सब भूल गई थी क्योंकि यहां तो सभी बिगड़े हुए हैं तो क्यों मैं सुधर कर अपने मन को मारूं। वैसे भी मैं कर तो कुछ गलत थी ही नहीं, केवल सोच ही तो रही थी। अतः मेरा आपको देखने का नजरिया बदल गया। दिल में अब हवस ने जगह ले ली। हां, तृप्ति दीदी का श्लोक के बारे में सोचना गलत हो सकता था क्योंकि ये दोनों भाई बहन थे। मैं इतनी उत्तेजित थी कि आपके पहले वाले याराना का किस्सा मैंने तृप्ति दीदी से बार बार सुना। इस पर तृप्ति दीदी समझ गई थी कि मेरा लगाव शायद राजवीर से हो गया है अतः एक बार उन्होंने मजाक में कही दिया कि एक बार राजवीर के साथ प्रिया बनकर देख लो पता चल जाएगा। लेकिन इसमें एक समस्या थी श्लोक और तृप्ति दीदी तो भाई बहन है तो हम नहीं कर सकते थे। लेकिन श्लोक और राजवीर ऐसा सोच रहे हो वह हमें पता नहीं था। घर में इस ड्रग्स का होना हमारे मन में संदेह पैदा कर रहा था।

तृप्ति-अतः हमने जानबूझ कर भी अनजान बनने का फैसला लिया। ड्रग्स को हमने देख कर अनदेखा कर दिया। सीमा ने ड्रग्स पर नजर रखना शुरू किया और एक दिन वह दिन आया जब दवा अपनी जगह पर नहीं थी। खाना बनाते वक्त सीमा ने मुझे इस बारे में बताया तब हमें लगा कि आज आप लोग हमें वह दवा खिलाएंगे। अतः हमने चुपचाप उस दवा को खाने का फैसला किया। हमारे दिमाग ने संकेत दे दिए थे कि शायद इस आइसक्रीम में ही वह दवा है। दवा खाते ही जैसे हम अपने अपने कमरे में गई, हमने अपने मोबाइल को फ्लाइट मोड पर डाला और कैमरा चालू करके कमरे के एक कोने में इस तरह छुपा दिया कि उससे कमरे का पलंग साफ नजर आए।

तृप्ति- मैंने तो अपना फोन कोने में रख दिया किंतु सीमा का फोन उस वक्त डिस्चार्ज था। अतः वह अपना फोन रख नहीं पाई। बाकी के काम करते वक्त हमारा यह निष्कर्ष निकला कि कोई बात नहीं एक कमरे के मोबाइल से ही पता चल जाएगा यह सब माजरा क्या है। बाकी उस रात क्या हुआ ये तो आपको पता ही है। सुबह में एकदम से नींद आने का आभास था। 

आप लोगों के ऑफिस जाने के बाद मैंने अपना मोबाइल निकाला और रात में आप का किया धरा देखा। किस तरह राजवीर ने मेरे कपड़े उतारे और थोड़ी देर बाद श्लोक मेरे कमरे में था। श्लोक ने मुझे देख देख कर अपने आप को अपने हाथ से संतुष्ट किया। उस वक्त मुझ पर हवस हावी नहीं हुई। ना सीमा को देखकर यह सब अच्छा लगा। हमारे पति हमारे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं। सीमा और मैं काफी रोई भी। लेकिन जैसे समय निकला। एक बात पर हमें बाद में गर्व महसूस हुआ उन्होंने हमारे शरीर को देखा तो सही पर धोखे से हमारे साथ चुदाई नहीं की। यह काम तो वे लोग हमें चोरी छिपे भी देख सकते थे अतः हमें यह अच्छा लगा।


हम दोनों समझ चुकी थी कि चाहे हम भाई-बहन ही सही लेकिन अदला-बदली की योजना कहीं ना कहीं आपके दिमाग में चल रही है। और श्लोक भी इसमें शामिल हो चुका है।
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#53
शुरुआत में सीमा और मुझ में इसके लिए थोड़ा गुस्सा था लेकिन गुस्से की जगह धीरे-धीरे हवस ने ले ली कि किस तरह श्लोक ने मुझे देखकर कमरे में मुठ मारी। यह देख कर कभी-कभी मुझे उत्तेजना होने लगती। उस वीडियो को मैंने कई बार देखा और उसके बहुत देर तक स्खलित होने वाले लिंग को देख देखकर अपने मन में गुदगुदी पैदा की। किस तरह एक भाई अपनी बहन को नग्न देखकर मुट्ठ मार रहा है।


अब हम दोनों सहेलियां बन गई थी, एक दूसरी से गंदी गंदी बातें करने लगी थी। एक दूसरे के पति से चोदम चोद की बातें करने लगी थी। जब सीमा को मेरी किसी बात पर गुस्सा आता तो वह कहती आपको तो देखना एक दिन अपने पति से इतना बुरा चुदवाऊंगी कि आपकी हड्डियां टूट जाएगी। उसकी इस धमकी से में उत्तेजना में पागल हो जाती थी। फिर एक दिन सीमा ने मुझसे कहा कि हमें क्या करना चाहिए कि हमारे पतियों का काम आसान हो जाए और अदला बदली करके वह हमें और हम भी उन्हें भोग लें। इस पर मैंने सीमा से कहा- मेरी प्यारी भाभी सीमा, हमें कुछ करने की जरूरत नहीं है। हमारी तरफ से करने वाला, सबकी तरफ से करने वाला, हमारा प्यारा राजवीर यह सब करने के बारे में सोच ही रहा होगा।

उसके कुछ दिनों बाद राजवीर ने हमें अनंत बाबा की कही हुई समस्या बताई। जब हमने सोचने का वक्त मांगा और आप दोनों छत से नीचे चले गए तब हम राजवीर की बातों पर बहुत हंसी। राजवीर ने आनंद बाबा का सहारा लेकर क्या बहाना बनाया है। हम दोनों खुशी से झूम उठी और एक दूसरी के गले लगी। आखिर लिंग बदलकर स्वाद चखने का समय गया था। अब जब भाई ही बुरा है तो बहन सुधर कर क्या करेगी. शायद मैं श्लोक को करने भी ना दूं लेकिन श्लोक तो मुझे देख कर मुठ मारता ही रहेगा। इतना कहकर तृप्ति हंसने लगी।

सीमा ने आगे बताया- नीचे आकर हमने असहाय औरतों के तरह नाटक किया कि हां हमें आपका किया हुआ फैसला मंजूर है हम बदलकर बच्चे पैदा करेंगी। उसके बाद हमने सच का सामना तो किया लेकिन हमारा पूरा सच आप को नहीं बताया। हमने इसके लिए आज का दिन चुना था क्योंकि आज 1 अप्रैल है ... मूर्ख दिवस! मूर्खों का दिवस! ताकि मूर्ख बनने पर आपको बुरा भी ना लगे और जब भी अप्रैल फूल आए तो हम सबके चेहरे पर एक मुस्कान हो और इस दिन की याद हो!

श्लोक को तो कुछ समझ नहीं रहा था वह तो हक्का-बक्का होकर अपनी बहन और बीवी दोनों की तरफ देखे जा रहा था। सच बताऊं तो मेरे पास भी उस वक्त शब्द नहीं थे कि मैं क्या बोलूं! शेर को वास्तव में सवा शेरनियां मिल गई थी। तब मैं केक के पास गया और उसमें से एक टुकड़ा काटकर खुद खाया और बोला- अगर तुम दोनों को सब पता था इसका मतलब तो ये हुआ कि तुम दोनों इस स्वैपिंग में खुद की खुशी से शामिल थी।


सीमा- हम कब तक आपकी वासना भरी नजरों से बच पाती, वैसे भी हमारे पतियों को खुश रखना हमारी जिम्मेदारी है तो हम आपको निराश कैसे कर सकती हैं। और वैसे भी इस जिम्मेदारी को निभाने में तो हमारी वासना का भी समाधान है।

मैं- तो अब क्या?

सीमा- अब जब हमने एक दूसरे को भोग ही लिया है और हम अब सब भ्रष्ट हो ही चुके हैं तो क्यों ना इस भ्रष्टाचार को भ्रष्ट होने की हद तक निभाया जाए।


तृप्ति- प्यारे राज! बिगाड़ा तो आपने ही है हमें। तो फिर बिगड़ेपन का एक बार खुलकर फायदा उठाना है।

सीमा- ऐसा फायदा उठाने की आप भी सोच रहे होंगे प्यारे जीजू और श्लोक।

श्लोक- कैसा फायदा?

तृप्ति- भाई अदला-बदली तो कर ली। लिंग बदलकर स्वाद भी चख लिया अब तो मन में एक ही इच्छा है सामूहिक सेक्स की इच्छा। बड़ी फिल्में देखी है ग्रुप सेक्स की। जब चार लोगों को साथ में सेक्स करते हुए देखती हूं तो मन में अजीब सी गुदगुदी होने लगती है। दो मखमली लिंग जब एक शरीर पर रेंगते होंगे तो कितना रोमांच आता होगा।


मैं- समझ नहीं रहा है कि कल जो बीता वो सपना था या अभी जो मैं देख और सुन रहा हूँ वो सपना है।

श्लोक- जिस चीज़ के लिए हम कबसे पापड़ बेल रहे हैं आज वो हमें सामने से परोसी जा रही है। यह अविश्वसनीय है।

मैं- तो कब रखा जाए सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम?

सीमा- सेक्स कार्य में देरी कैसी? अगर तृप्ति दीदी की चूत कल की चढ़ाई से सूजी नहीं है तो मैं तो आज ही तैयार हूँ।


तृप्ति- अरे आने दो, दो दो लन्ड का वार ... एक है भाई और एक है यार!

तृप्ति और सीमा बेशर्मों की तरह हंसने लगी। आज उनकी बातें कुछ ज्यादा ही वासना भरी हुई थी और कल की चुदाई से वो दोनों कुछ ज्यादा ही खुल गयी थीं। यह खुलापन, ये बिगड़ी बातें ... यही तो याराना था और यही तो हमें चाहिए
था।
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#54
सायंकाल को सामूहिक चुदाई का आयोजन होना था।


तो दिन भर की छोटी मोटी घटनाओं का बखान करने से बेहतर में आपको उसी समय ले चलता हूं जहाँ सामूहिक घमासान शुरू होने वाला था।


#

रात के खाने के बाद करीब 10 बजे:

हमें कमरे से बाहर रखा गया था क्योंकि हमें हमारी बीवियाँ सरप्राइज देना चाहती थी। शायद वे सामूहिक चुदाई के मंच को सजाना संवारना चाहती थी। वे दोनों मेरे कमरे में थी।


करीब 10:30 बजे दोनों की बीवियों ने हमें अंदर कमरे से आवाज दी और आने की अनुमति दी। जब हम कमरे में प्रविष्ट हुए तो देखा

मेरे कमरे को दोनों बीवियों ने गुलाबों और मोमबत्तियों से सजा दिया था। पूरा कमरा मन्द मन्द सुगंध से महक रहा था। होम थिएटर के स्पीकरों में बहुत ही मधुर आवाज में रोमांटिक संगीत चल रहा था। फ्लैट की छत की लाइटिंग के रंग बिरंगे प्रकाश में बिछा हुआ पलंग ऐसा लग रहा था कि मानो किसी भव्य प्रोग्राम के लिए सजाया गया मंच। ये महिलाएं ही हैं जो किसी भी कार्य को अच्छी तरह पूर्ण करने की व्यवस्था में इस प्रकार के कार्य कर लेती है। जहां तक हम मर्दों की बात है, हमें तो ऐसे कार्यक्रम आयोजन से पहले केवल चूत ही चूत दिखाई देती है। हमारा मन बस यह सोचता रहता है कि आज किसकी चुदाई कैसे करनी है। अर्थात् जहाँ दिखा चीरा, वहीं डाल देंगे खीरा।

दिन भर में की गई बातों से सब एक दूसरे से बेहद खुल चुके थे। अतः शर्माने मनाने की औपचारिकता में कोई भी अपना मजा खराब नहीं करना चाहता था

यह एक भव्य रात थी जो दोबारा आयोजित करने पर भी ऐसा मजा नहीं देने वाली थी क्योंकि यह पहली बार था। दोनों बीवियों ने इसकी तैयारी इतनी ही भव्यता के साथ की थी। कमरे के माहौल से जब नजर हटी और दीवार के पास सटे हुए सोफे पर पड़ी तो देखा कि तृप्ति और सीमा केवल अंतर्वस्त्रों ब्रा और पैंटी में अपनी एक एक टांग सोफे पर तथा एक टांग नीचे रखकर अपने स्तनों को आगे कर कर बहुत ही कामुक तरीके से खड़े होकर हमें रोमांचित करने के लिए खड़ी हुई हैं। यहां कोई स्विमिंग पूल नहीं था किंतु दोनों ने अपनी महंगी महंगी बिकिनियाँ पहनी हुई थी।

बीती रात में श्लोक और मैंने सीमा और तृप्ति की चुदाई की थी, उन्हें नग्न भी देखा था किंतु आज जिस प्रकार अपने रूप से यह काम की देवियां कयामत ढा रही थी, ऐसा लग रहा था कि हम दोनों को पहली बार ही देख रहे हैं।

काले रंग के अंतवस्त्र पहने हुए तृप्ति के स्तन और कूल्हे इतने उत्तेजित कर रहे थे जैसे मानो साक्षात् संजना खान अपना अंग प्रदर्शन कर रही हो। उसकी सफेद रंग की गोरी टांगें कमरे के छत की गुलाबी लाइट की रोशनी में गुलाबी नजर रही थी। यह नजारा देखकर श्लोक का हाथ अकस्मात उसके लिंग पर चला गया और वह पजामे के ऊपर से ही अपना लिंग सहलाने लगा।

सोफे के दूसरी बगल में सीमा अपने उत्तेजित करने वाले स्तनों तथा पिछवाड़े को बाहर निकाले हुए खड़ी थी। सीमा भी बालों से लेकर टांगों तक गुलाबी प्रकाश में पूरे गुलाबी नजर रही थी।

सीमा- कैसा लगा कमरे का नजारा?

श्लोक- बेहद शानदार ... कोई जवाब नहीं ... ना तो सजाए हुए कमरे के रोमांटिक माहौल का ... और ना ही दोनों रूप की परियों का!

मैं- समझ नहीं रहा कि यह सुगंधित अविस्मरणीय मंच आज हमारी युद्धभूमि बनने वाला है। जहाँ दो चूत और दो लंड एक दूसरे की प्यास बुझाने के लिए मिलकर प्रतिस्पर्धा करेंगे।


श्लोक- मुझसे अब बातें नहीं हो रही है जीजा जी। समय गया है कि मैं अब बाहुबली बन जाऊं।

इतना कहकर श्लोक तृप्ति के पास गया और उसकी गोरी कमर को पकड़ कर उसको अपनी बांहों में भींच लिया और दोनों एक दूसरे को चूसने लगे चाटने लगे और एक दूसरे में मग्न होकर एक दूसरे के लबों को आंखें बंद करके चूसने लगे।

यह देखकर सीमा अपनी गोरी जांघ सोफे से हटाकर मेरे पास आई और उसके लबों को मेरे लबों से लगा दिया। सीमा के होठों के नशे में हम दोनों की आंखें कब बंद हो गई और एक दूसरे में हम कब खो गए, पता ही नहीं चला।
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#55
जब सीमा ने अपने लबों को अलग किया तो दिखा कि श्लोक ने अपनी सगी बहन तृप्ति को सोफे पर गिरा दिया है और खुद पूर्ण रूप से नग्न होकर तृप्ति की पीठ पर हाथ फिरा रहा है और उसके काले रंग की ब्रा को खोलने की कोशिश कर रहा है। लेकिन इसी समय तृप्ति ने उसके होंठों को अपने होठों के अंदर दबा रखा है जिसके कारण वह तृप्ति की ब्रा खोलने में कामयाब नहीं हो पाया। तब तृप्ति ने श्लोक के मनोभाव को समझकर अपने दोनों हाथ पीछे करके अपनी ब्रा का हुक खोला। दोनों हाथ पीछे करने के कारण तृप्ति के स्तनों का आकार आगे की तरफ हुआ और बड़ा बड़ा नजर आया जिसे देखकर श्लोक अपने आप को रोक नहीं पाया और तृप्ति की ब्रा का हुक खोलने से पहले ही उसने ब्रा को ऊपर किया और उसके बड़े-बड़े गोरे स्तनों में अपने मुंह को दबा दिया और उनके बीच में अपनी जीभ फिर आने लगा।


इधर मैंने भी सीमा को बेड पर धक्का दिया और उसे पेट के बल उल्टा लेटा कर उसकी ब्रा का हुक खोला तथा उसकी गोरी सेक्सी पीठ पर अपनी जीभ घुमाने लगा। सीमा की पूरी पीठ चाट कर जब मैंने उसकी वासना भड़का दी. उसके बाद मैं उसकी कमर के नीचे के उभारों पर अपनी जीभ फिर आने लगा। सीमा अपने कूल्हों को उठाकर उन्हें मेरे मुंह के तरफ दबाने लगी। मैंने उसकी भावनाओं को समझते हुए उसकी पैंटी उतार कर फेंक दी। इस तरह सीमा पूर्ण रूप से नंगी अपने पेट के बल अपनी गोरी सेक्सी पीठ तथा कूल्हों का प्रदर्शन करते हुए लेटी हुई थी। मैंने सीमा के कूल्हों पर पर अपनी जीभ फिराई। सीमा के शरीर के गुदगुदी जब चरम पर पहुंच गई तब उसने अपने आप को सीधा किया और मेरे मुंह को पकड़ कर अपने स्तनों पर लगा दिया। मैंने सीमा के स्तनों को चूसना चाटना शुरू किया, जीरो फिगर वाले सांचे में ढले हुए छोटे आकार के स्तन एक अलग ही उत्तेजना का भाव पैदा कर रहे थे।

जब मेरी नजर तृप्ति और श्लोक पर पड़ी तो देखा कि मेरी बीवी तृप्ति सोफे पर उल्टी लेटी हुई है और मेरे साले श्लोक ने अपना मुंह अपनी बहन के कूल्हों के बीच में डाल रखा है, उसके दोनों हाथ तृप्ति के गोरे कूल्हों को लाल करते हुए उसके कूल्हों को चौड़ा कर रहे थे जिससे कि श्लोक तृप्ति के कूल्हे के बीच में छेद पर अपनी जीभ से मुखचोदन आराम से कर सके। तृप्ति भी अपने कूल्हों को श्लोक के मुंह के ऊपर दबा रही थी और सिसकारियां भर रही थी। वास्तव में बड़ा उत्तेजक दृश्य था! इससे ज्यादा उत्तेजक दृश्य मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था। किसी पोर्न फिल्म को देखकर मुझे इतनी उत्तेजना नहीं हुई थी जितना इन बहन भाई को इस अवस्था में देख कर आई।

इधर मैंने सीमा की टांगों को चौड़ा करके उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी और उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से गुदगुदाने लगा।

शायद श्लोक और तृप्ति सोफे पर सहज महसूस नहीं कर रहे थे इसलिए श्लोक ने तृप्ति को सोफे से उठाकर हमारे बेड पर ही पटक दिया, उसने तृप्ति को सीधी लेटा कर उसकी टांगें चौड़ी करके उसकी चूत में अपना मुंह डाल दिया। अब एक ही बिस्तर पर हम चारों बदले हुए साथियों के साथ मुख चोदन कर और करवा रहे थे। कमरे में ननद तृप्ति और भाभी सीमा की सिसकारियां धीमी गति के संगीत को दबाने लगी थी जो कि होम थिएटर में बज रहा था।

फिर हम चारों 69 की पोजीशन में गए। अब एक ही समय पर हम एक दूसरे की चूत और लिंग को चाट कर एक दूसरे को आनंद प्रदान कर रहे थे। मैं सीमा की तथा सीमा मेरा गुप्तांग जीभ से गुदगुदा रही थी ऐसा ही तृप्ति और श्लोक दोनों बहन भाई कर रहे थे। जब पर्याप्त मात्रा में मुख चोदन और फोर प्ले हो गया तब हम चारों एक साथ एक दूसरे के लिपट गये।

तब मैंने कहा- चलो बताओ पहले एक एक साथी से चुदाई पसंद करोगी या एक ही साथ दोनों के साथ?

इस पर सीमा ने कहा- आज तो सामूहिक चुदाई का दिन है, अकेले चुदाई करके ही अगर थक गए तो सामूहिक चुदाई का मजा नहीं ले पाएंगे. मेरे तो मन की कामना यही है कि जितना जल्दी हो सके एक साथ दो दो लिंग मुझे चोदें।

तृप्ति ने कहा- जी, सीमा सही कह रही है!

श्लोक- जीजाजी, आज का दिन तो सामूहिक चुदाई का दिन ही रखा जाएगा। सब इसी के लिए लालायित हैं।

तब मैंने कहा- तुम में से एक औरत को थोड़ी देर के लिए हमारे लिंग से वंचित रहना पड़ेगा। अब बताओ श्लोक और हम दोनों पहले किस की पटरी पर पर अपनी रेल दौड़ायें?

इस पर सीमा ने कहा- आप अपना खेल उसी पिच पर खेलो जो पिच मजबूत है। मेरा मतलब है कि तृप्ति दीदी! क्योंकि आप दोनों की हवस भरे हाथों को संतुष्ट करने के लिए उनके बड़े स्तन, लिंग को संतुष्ट करने के लिए उनकी सुंदर और आकर्षक गुलाबी चूत, तथा अपने लिंगों को निचोड़ने के लिए उनके गोरे कूल्हे हैं।
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#56
तब श्लोक ने कहा- तुम भी कम हसीन नहीं प्रिय सीमा!


इस पर सीमा ने कहा- हां, माना मैं हसीन हूं ... लेकिन तृप्ति दीदी जितने सेक्सी नहीं! मैं आप लोगों को नहीं झेल पाऊंगी।

तृप्ति- यह तो गलत बात है सीमा ... कि मेरी ही रेल बनाई जाए। यह सही नहीं है! मजा तो हम चारों को लेना है, मैं तुम्हें बिना चुदवाये नहीं मानूंगी।

इस पर सीमा ने कहा- दीदी, आप सही बोल रही हो लेकिन आपकी घनघोर चुदाई के बाद शायद इन दोनों की उत्तेजना कम हो और मैं थोड़ा सहन करने योग्य सेक्स कर पाऊं और फिर मज़ा उठाएं।

श्लोक और मैंने सीमा की इस बात पर सहमति दी और तृप्ति को बेड के बीचोंबीच खींच लिया।

उत्तेजना और रोमांच से तृप्ति के रोंगटे खड़े हो रहे थे, उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी यह देखने की कि एक साथ दो लिंग से चोदने पर कैसा महसूस होता है। सीमा पलंग के एक किनारे पर गई। इस पर मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या वह दर्शक बनने वाली है या फिर पोर्न फिल्मों की दूसरी नायिका की तरह पोर्न नायकों के गुप्तांगों को हाथ से उत्तेजित करके अपनी सहभागिता देना चाहती है।

किंतु अब मेरा और श्लोक का पूरा ध्यान तृप्ति पर गया था।

श्लोक ने कहा- मेरे जीवन की सबसे सेक्सी महिला, अपने जीवन का सबसे धमाकेदार सेक्स करने के लिए तैयार हो जाओ!

मैं- आज बहन चोद भाई तथा पति से साथ में चोदने के लिए तैयार हो जाओ।

तृप्ति ने अपनी मादक मुस्कुराहट के साथ दोनों को अनुमति दी। मैं अपनी पीठ के बल अपने खड़े लिंग को ऊपर करके बेड पर लेट गया। मेरे मुंह की तरफ तृप्ति ने अपनी गांड की तथा अपने गोरे कूल्हों को मेरी कमर पर टिकाए तथा अपने गीली चूत में मेरा लिंग डाल लिया।

श्लोक मेरी टांगों की तरफ तृप्ति की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था तथा अपने लिंग को हाथ से सहला रहा था।

मैंने श्लोक को रुकने के लिए कहा क्योंकि तृप्ति के हल्के झटकों से मैं अपने लिंग को उसकी चूत के पानी में भिगोना चाहता था ताकि पर्याप्त चिकनाई के बाद मेरा लिंग उसके गांड के छेद में प्रवेश कर सके। तृप्ति ने अपनी गांड उठाकर मेरे लंड पर झटके देना शुरू किया उसके ग्रुप सेक्स की उत्तेजना में निकले हुए चूत के पानी से मेरा लिंग पर्याप्त मात्रा में चिकना हो चुका था। तृप्ति ने अपने चूतड़ उठाकर मेरा लिंग उसकी चूत में से निकाला और मेरे लिंग को उसने अपनी गांड के छेद पर समायोजित कर लिया। थोड़े उसके तथा मेरे प्रयास से मेरा लिंग मुंड धीरे धीरे उसकी गांड में प्रवेश कर गया तथा मैंने उसकी गांड में धीरे-धीरे धक्का देना शुरू कर दिया। अब श्लोक के आने का समय हो गया था। श्लोक ने तृप्ति के सामने आकर तृप्ति की टांगें थोड़ी सी और चौड़ी करके उसकी गुलाबी चिकनी चूत में अपना लिंग ठेल दिया।

शुरुआत में हम तीनों को सहज महसूस नहीं हुआ तथा दोनों को झटके मारने में परेशानी हुई। किंतु धीरे धीरे हाथ और पांव लिंग और चूत और गांड का छेद इस प्रकार व्यवस्थित हुए कि धीरे धीरे धक्के लगाने में हमें सहजता महसूस होने लग गई और अब एक ही समय पर श्लोक और मैं तृप्ति की गांड और चूत में धक्के मारने लगे। तृप्ति की सिसकारियां जोरदार तेज आवाज आह उम्म्ह... अहह... हय... याह... आह यस यस यस में बदल गई। उसने अपने होठों को उत्तेजना में अपने दांतों के नीचे दबा दिया और जोरदार सिसकारियों की आवाज से पूरा कमरा गुंजा दिया।

धीरे-धीरे श्लोक के धक्कों की गति इतनी बढ़ गई कि तृप्ति का पूरा शरीर जोर जोर से ऊपर नीचे हिलने लगा जिसके कारण मुझे अब धक्के लगाने की जरूरत नहीं थी, मेरा लिंग अपने आप ही तृप्ति की गांड से अंदर बाहर होने लगा था। हमारे द्वारा दिए गए झटकों से उसके स्तन ऊपर नीचे हिल हिल कर किसी पोर्न फिल्म से नजारा बना रहे थे।
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#57
श्लोक ने कहा- मेरे जीवन की सबसे सेक्सी महिला, अपने जीवन का सबसे धमाकेदार सेक्स करने के लिए तैयार हो जाओ!


मैं- आज बहन चोद भाई तथा पति से साथ में चोदने के लिए तैयार हो जाओ।

तृप्ति ने अपनी मादक मुस्कुराहट के साथ दोनों को अनुमति दी।

मैं अपनी पीठ के बल अपने खड़े लिंग को ऊपर करके बेड पर लेट गया. मेरे मुंह की तरफ तृप्ति ने अपनी गांड की तथा अपने गोरे कूल्हों को मेरी कमर पर टिकाए तथा अपने गीली चूत में मेरा लिंग डाल लिया।

श्लोक मेरी टांगों की तरफ तृप्ति की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था तथा अपने लिंग को हाथ से सहला रहा था।

मैंने श्लोक को रुकने के लिए कहा क्योंकि तृप्ति के हल्के झटकों से मैं अपने लिंग को उसकी चूत के पानी में भिगोना चाहता था ताकि पर्याप्त चिकनाई के बाद मेरा लिंग उसके गांड के छेद में प्रवेश कर सके।

तृप्ति ने अपनी गांड उठाकर मेरे लंड पर झटके देना शुरू किया उसके ग्रुप सेक्स की उत्तेजना में निकले हुए चूत के पानी से मेरा लिंग पर्याप्त मात्रा में चिकना हो चुका था। तृप्ति ने अपने चूतड़ उठाकर मेरा लिंग उसकी चूत में से निकाला और मेरे लिंग को उसने अपनी गांड के छेद पर समायोजित कर लिया. थोड़े उसके तथा मेरे प्रयास से मेरा लिंग मुंड धीरे धीरे उसके गांड में प्रवेश कर गया तथा मैंने उसकी गांड में धीरे-धीरे धक्का देना शुरू कर दिया।

अब श्लोक के आने का समय हो गया था। श्लोक ने तृप्ति के सामने आकर तृप्ति की टांगें थोड़ी सी और चौड़ी करके उसकी गुलाबी चिकनी चूत में अपना लिंग ठेल दिया।

शुरुआत में हम तीनों को सहज महसूस नहीं हुआ तथा दोनों को झटके मारने में परेशानी हुई. किंतु धीरे धीरे हाथ और पांव लिंग और चूत और गांड का छेद इस प्रकार व्यवस्थित हुए कि धीरे धीरे धक्के लगाने में हमें सहजता महसूस होने लग गई और अब एक ही समय पर श्लोक और मैं तृप्ति की गांड और चूत में धक्के मारने लगे।

तृप्ति की सिसकारियां जोरदार तेज आवाज आह उम्म्ह... अहह... हय... याह... आह यस यस यस में बदल गई। उसने अपने होठों को उत्तेजना में अपने दांतों के नीचे दबा दिया और जोरदार सिसकारियों की आवाज से पूरा कमरा गुंजा दिया। धीरे-धीरे श्लोक के धक्कों की गति इतनी बढ़ गई कि तृप्ति का पूरा शरीर जोर जोर से ऊपर नीचे हिलने लगा जिसके कारण मुझे अब धक्के लगाने की जरूरत नहीं थी, मेरा लिंग अपने आप ही तृप्ति की गांड से अंदर बाहर होने लगा था। हमारे द्वारा दिए गए झटकों से उसके स्तन ऊपर नीचे हिल हिल कर किसी पोर्न फिल्म से नजारा बना रहे थे।

सच बताऊं तो दोस्तो, समझ नहीं रहा है कि जो मजा में उस वक्त महसूस कर रहा था, उसे कैसे बयान करूँ! चूत और गांड के छेद के बीच की एक पतली सी झिल्ली के दोनों तरफ जब दो लिंग अंदर बाहर घुस कर उन दो छिद्रों के अंदर एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे तो कैसा अनुभव हो रहा था यह तो जब आप अपनी किसी महिला साथी के साथ करेंगे तभी पता चलेगा।

करीब 10 मिनट के जोरदार लगातार धक्कों के साथ तृप्ति की चूत के पानी में हमारे लिंग कमर सब भीग गए। चूत से इतना पानी शायद ही तृप्ति ने अब तक की किसी चुदाई में छोड़ा होगा। हमारे गुप्तांगों पर इतनी चिकनाई हो गई थी कि लिंग अगर गलती से झटकों में बाहर भी निकल जाए तो अपने आप अपने अपने क्षेत्र में प्रविष्ट कर रहा था। तृप्ति अपना होश खो बैठी थी और उत्तेजना में दहाड़ रही थी। श्लोक अति उत्तेजित हो चुका था, उसने कहा- जीजू मुझे स्खलित होना है, अतः मुझे छोटा छेद चाहिए।

हमने तृप्ति को उठाकर अपनी जगह बदली ली. अब श्लोक नीचे लेट गया और अपनी बहन तृप्ति की गांड में अपना लिंग घुसा दिया तथा मैंने तृप्ति की चूत में अपना लिंग।

तृप्ति ने अपने हाथ बेड पर टिका दिए तथा दोनों छिद्रों में लिंग का स्वागत करने के लिए छिद्रों के द्वार खोल कर बैठ गई अब हम दोनों ने बेतहाशा झटके दिए जिससे कि तृप्ति के मुंह से पोर्न फिल्मों के नायिका की तरह उम्फ़ ... उन्हफ़ ... की आवाज़ें निकलने लगी। तृप्ति की चूत से अब जोरदार फच फच की आवाज आने लगी, उसने अपना सारा पानी छोड़ दिया तथा जोरदार झटकों के साथ में तथा श्लोक भी तृप्ति की चूत और गांड में एक साथ स्खलित हो गए।
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#58
हम तीनों के गुप्तांग और कमर एक दूसरे के पानी से बेहद गीले हो गए थे। मेरी साले की बीवी सीमा ने हम तीनों को नैपकिन उपलब्ध करवाए तो मेरा ध्यान सीमा पर गया जो कि इस ग्रुप थ्रीसम पॉर्न फिल्म का सीधा प्रसारण का लुत्फ उठा चुकी थी। हम तीनों अपने आप में बिजी थे कि हमें नहीं पता कि इस दौरान सीमा कितनी उत्तेजित हुई या उसने इस उत्तेजना में अपनी चूत में उंगली की या नहीं।


तृप्ति साइड में पलंग पर पड़ी हुई थी और ' माय गॉड ... माय गॉड ...' कर रही थी। उसकी चुदाई की हुई चूत और गांड चौड़ी हो चुकी थी। श्लोक और मेरी भी सांसें तेज थी।

हम भी बेड पर थोड़ी देर के लिए चित होकर लेट गए। वास्तव में तृप्ति वासना की मूर्ति थी। उसकी इतनी घनघोर चुदाई करने के बाद भी श्लोक और मेरा मन था कि उसे और उधेड़ा जाए। लेकिन यह तो वाइल्ड फकिंग हो जाती और वैसे भी हमें अभी अपनी कृति सेन यानि सीमा को ठंडा करना था जो सीधा प्रसारण वाली थ्रीसम चुदाई देखकर बहुत गर्म हो गई थी।

15-20
मिनट आराम करके श्लोक और हम दोनों बाथरूम गए और स्वयं को साफ किया।


सीमा और तृप्ति कमरे में ही थी। श्लोक मुझसे बाथरूम में बोला- जीजू, मेरी सीमा को थोड़ा प्यार से चोदना।

इस पर मैंने श्लोक से कहा- बेटा, पूरा बदला लूंगा, जितने तेज धक्के मेरी तृप्ति को दिए है, उतने ही तेज धक्के तेरी सीमा को खाने पड़ेंगे।

इस पर हम दोनों हंसने लगे।

श्लोक- यार जीजू, सीमा पर थ्रीसम चुदाई का कोई दूसरा पोजिशन ट्राई करते हैं।

मैं- हाँ यार, मन तो मेरा भी यही है लेकिन तीन लोगों की चुदाई को देख कर सहज होने में वही पोजीशन बेस्ट था। फिर भी चलो कुछ मजेदार ट्रॉय करते हैं। जाओ और सीमा को पकड़ के यहीं बाथरूम में ले आओ। इस पर श्लोक ने मजे से ओके कहा और लंबी सेक्सी सीमा को पूर्ण रूप से नग्न अपनी गोद में उठाए हुए बाथरूम में ले आया।

जैसा कि मैंने आपको कहानी के शुरू में बताया था। फ्लैट के बाथरूम काफी अत्याधुनिक थे इसमें कहीं प्रकार के शावर तथा एक बड़ा बाथटब भी था। सीमा थ्रीसम चुदाई में तृप्ति का हाल देख चुकी थी, उसकी उत्तेजना तथा थोड़ा डर वाला मनोभाव प्रकट करने वाला चेहरा शर्म से लाल था तथा उसके शरीर के रोंगटे खड़े थे।

लंबी टांगों, चौड़ी गांड, जीरो फिगर वाली पतली कमर तथा स्तन वाली सीमा बाथटब के किनारे पर बैठी थी।

श्लोक बाथटब के अंदर चला गया तथा पीछे से उसकी पीठ पर अपनी जीभ चलाने लगा। मैंने नीचे बैठकर सीमा के टांगें चौड़ी करके उसकी चूत पर अपना मुंह रख दिया तथा जीभ से उसकी चूत का चोदन करने लगा। उत्तेजित सीमा ने अपने दोनों हाथों से बाथटब के किनारों को पकड़ लिया और अपने हाथों की पकड़ को बेहद मजबूत कर लिया। श्लोक ने सीमा के साइड में आकर उसके स्तनों पर अपना मुंह चलाना शुरू कर दिया और उन्हें चूसने लगा। मैंने सीमा की जांघें और पांव को जीभ से गुदगुदा कर उसे उत्तेजित किया।

अब चूंकि सीमा की चूत बेहद गीली हो चुकी थी, मैं खड़ा हो गया, सीमा को खड़ा किया तथा उसके कूल्हों के नीचे हाथ रख कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया। सीमा ने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर की ओर घुमा कर अपने आपको मेरे ऊपर लाद दिया। अब मेरे ऊपर चिपकी हुई सीमा की गीली चूत में मैंने अपना खड़ा लिंग डाल दिया और गोद में ही ऊपर नीचे करके सीमा को धीरे धीरे चोदने लगा।

जब मेरा लिंग सीमा की चूत के पानी से पूरा गीला हो गया तब मैंने श्लोक की तरफ इशारा किया। सीमा को मैंने नीचे उतारा, तब श्लोक ने इसी अवस्था में सीमा को उठाया और उसे गोदी में लेकर उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा। सीमा श्लोक का लंड खाते हुए उसे चिपकी हुई थी। तब मैंने पीछे से आकर खड़े खड़े सीमा के गांड में अपना लिंग टिका दिया किंतु लंड सीमा के गांड में घुस नहीं पाया। तो मैंने बाथरूम में रखी हुई क्रीम अपने लिंग और उसकी गांड के छेद पर मल कर एक बार फिर प्रयास किया। तब मेरा लिंग मुंड उसके उसकी गांड में प्रवेश किया। श्लोक ने उसकी चूत चोदते चोदते सीमा की गांड को मेरे लिंग पर दबाया जिसके कारण मेरा लिंग पूर्ण रूप से सीमा के गांड में प्रवेश कर गया।
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#59
अब हम तीनों की खड़े-खड़े थ्रीसम चुदाई शुरू हो चुकी थी, कभी श्लोक के हाथ दुखते तो मैं तृप्ति की गांड के नीचे हाथ लगा कर उसे ऊपर नीचे करता। कभी मेरे हाथ दर्द करने लगते तो श्लोक सीमा को उठा उठा कर हमारे लिंग पर दबाता। सीमा ने उत्तेजना में श्लोक के कंधे पर जोरदार काट लिया उसका मुंह उसके कंधे को काटे हुए ही था।


तृप्ति इस चुदाई से अनजान अपने बेड पर पड़ी हुई थी।

श्लोक और मैं एक बार फिर एक ही औरत के दोनों छिद्रों में अपना लिंग घुसा कर एक दूसरे के लिंग पर अपने अपने लिंग की रगड़ महसूस कर रहे थे। अब सीमा भी जोरदार सिसकारियां भरने लगी। सीमा की चूत की चिकनाई हमारे लिंग पर रेंगने लगी थी। तीनों ने इस अवस्था में जोरदार मजा लिया किंतु सहज महसूस नहीं होने के कारण हमने सीमा को अपनी गोद में से थोड़ी देर बाद उतार दिया।

अब मैं बाथटब के किनारे पर बैठ गया, सीमा घोड़ी बनकर मेरे लिंग को मुंह में लेने लगी। पीछे से श्लोक ने आकर उसकी चूत में उसका लिंग डाल दिया और जोरदार झटके देने लगा। अब सीमा अपनी चूत में लिंग खाते हुए मेरे लिंग को चूस रही थी, श्लोक के जोरदार झटके मुझे सीमा के मुंह के जरिए अपने लिंग पर महसूस हो रहे थे। थोड़ी देर बाद श्लोक बाथटब पर बैठ गया, सीमा ने उसका लिंग अपने मुंह में ले लिया तथा घोड़ी बनी हुई सीमा की गांड में मैंने अपना लंड पेल कर उसकी गांड की चुदाई की। इस तरह बारी-बारी से हमने सीमा को चोदा और उससे अपना लिंग चुसवाया। सीमा भी मस्त होकर हमारा लिंग चूस रही थी तथा अपने पिछवाड़े से जोरदार झटके हमारे लिंग पर देकर हमारे लिंग का स्वागत कर रही थी।

फिर हम बाथरुम से बेड पर चले गए जहां तृप्ति अपने आप को साफ कर रही थी। हमें बाहर आता देख तृप्ति बाथरूम में घुस गई। शायद उसे मूत्र त्याग करना था। बेड पर सीमा श्लोक और मेरा द्वंद्व शुरू हुआ, हमने उसी अवस्था में सीमा को चोदा जिस अवस्था में तृप्ति को चोदा था। श्लोक ने नीचे लेट कर सीमा की गांड में अपना लिंग डाला तथा मैंने सामने से कर सीमा की चूत में अपना लंड डाला तथा जोरदार चुदाई शुरू की। सीमा ने अति उत्तेजना के साथ उचक उचक कर हमारे लिंगों का स्वागत किया तथा अपनी चूत से नदिया बहा कर यह प्रदर्शित किया कि वह भी उत्तेजना और मजे लेने में तृप्ति से बिल्कुल कम नहीं है। जहां तृप्ति इस तरह की चुदाई में उम्फ़ ... उन्फ़ ... की आवाज निकाल रही थी, वहीं सीमा फक मी हार्ड ... फक मी हार्ड ... की आवाज निकाल रही थी। उसकी इस उत्तेजना भरी बातों से मैंने उत्तेजित होकर उसी की चूत के पानी में सना हुआ मेरा लिंग बीच बीच में उसके मुंह में भी डाल दिया लेकिन उसने बिना किसी ना नुकुर के साथ मजे से चूसा।

श्लोक और मेरे जोरदार झटकों से जब सीमा स्खलित होकर निढाल गिरने लगी। तब पहले मैं स्खलित हुआ था और बाद में श्लोक ने अपने आप को स्खलित करके ठंडा किया। हम तीनों बेड पर बेहद थके हुए निढाल होकर गिर गए।

इतने में तृप्ति बाथरूम से निकल कर आई और बोली- जल्दी तैयार हो जाओ बहनचोदो ... आई एम फीलिंग हॉर्नी। 

लेकिन हम तृप्ति के इस निमंत्रण के लिए तैयार नहीं थे, उसे तो काफी समय मिला था आराम करने का लेकिन हमने तो लगातार मेहनत की थी।

इस पर श्लोक ने तृप्ति से कहा- जाओ दीदी, हमारे साथ बेड पर लेट जाओ, अगर मेरे लिंग ने साथ दिया तो आपकी मनोकामना पूरा कर देंगे। 

सीमा ने अपना हाथ लंबा करके कमरे की लाइट को बिल्कुल धीमा कर दिया। हम चारों बेड पर पूर्ण रूप से नग्न एक दूसरे पर अपने हाथ पांव रखकर चिपके हुए लेटे थे। इस खतरनाक चुदाई ने मेरी नींद को तो बहुत गहरा कर दिया था कि अब तो आंखें खोलने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी अतः मैं तो सो गया। जहां तक मुझे पता था बाकी तीनों भी सो गए थे।

बेहद गहरी नींद आने के बाद बेड के हिलने से मेरी नींद हल्की सी टूटी तो देखा कि हमें सोये हुए करीब 2 घंटे हो गए थे। करवट बदल कर देखा कि बेड क्यों हिल रहा है तो पाया कि श्लोक तृप्ति की चुदाई कर रहा है और तृप्ति अपनी टांगें उठा कर श्लोक के धक्के खा रही है। गजब की वासना भरी थी तृप्ति में ... जिसे उसका सगा भाई श्लोक जोरदार तेज झटकों वाली चुदाई से शांत कर रहा था। 

मेरी सलहज सीमा गहरी नींद में सोई हुई थी, मैंने उसे उठाना उचित नहीं समझा। क्योंकि हमारे सोते वक्त तृप्ति की सेक्स करने की इच्छा हो गई थी इसलिए श्लोक ने भी अपनी नींद टूटने पर तृप्ति की मनोकामना पूर्ण की। 

इस तरह सबकी मनोकामनाएं पूर्ण हो गई थी।
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#60
अलग-अलग अदला-बदली करने के बाद आज यह हमारी पहली सामूहिक चुदाई थी जिसका हमने भरपूर मजा लिया और अब तो यह करते रहना था सब कुछ कितना आसानी से हो गया था। आने वाले कल समय में हम इसी तरह के बेहद आनंद प्रदान करने वाले समय को जीने वाले थे यह सोचते सोचते मेरी आंख लग गई।



##

तो यह थी हमारे सामूहिक याराना की पहली रात। इस रात के करीब 8 महीने तक हमने कई बार एक दूसरे की बीवियों को बदलकर भोग किया तथा सप्ताहांत पर सामूहिक चुदाई कार्यक्रम आयोजित किया।
 
आठ महीने के इस जीवन काल में ऐसा लगा कि हमारे सेक्स जीवन को एक नई दिशा तथा मजदार से किनारा मिल गया है।

तब श्लोक ने हमारे बिजनेस को गुजरात में शुरू करने की इच्छा प्रकट की। मेरा राजस्थान के साथ गुजरात में होना थोड़ा मुश्किल था। अतः हमारे बिजनेस के गुजरात में स्थापित होने के मालिकाना हक मैंने श्लोक को प्रदान किए।
 
इसके करीब 2 महीने बाद सीमा और श्लोक गुजरात शिफ्ट हो गए। हम चारों को बिछड़ने का बेहद दुख था और क्यों ना हो हमारा संबंध इस प्रकार का जो बना हुआ था। यह तो पक्का था कि जब भी मिलेंगे अदला बदली करके चुदाई होनी ही थी और हम चारों को इसका हमेशा से इंतजार रहा।

तो यंहा याराना दुबारा समाप्त होता है।



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