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बस फिर क्या था अबकी बार जो हम चुम्बन कर रहे थे और एक दूसरे को सब को एक दूसरे के शरीर को चूस रहे चाट रहे थे हमें यह पता था कि इसका अंत संभोग से ही होना तय है। इस बार तृप्ति को चूसते हुए मैं अपने लिंग का स्पर्श उसकी चुत पर रगड़ करा रहा था, इसका कोई विरोध नहीं कर रही थी। हम उत्तेजना में इतने बह गए थे कि आगे बिना किसी बात करते हुए हमने सिर हिला कर एक दूसरे को सहमति दी और अपना कड़क लिंग मैंने मेरे सपनों की पोर्न नायिका की गीली फांकों में दे दिया, अत्यधिक उत्तेजना के कारण उसकी चूत मेरे लिंग को झट से खा गई और धक्का-मुक्की का खेल शुरू हो गया। अपने दोस्त की बीवी को चोदकर मैंने उसकी चूत को लाल कर दिया था, उसके गाल और स्तन लाल हो चुके थे। उसका उत्तेजना पैदा करने वाला पेट मेरे नाखूनों से कब लाल हो गया था, मुझे पता ही नहीं चला। शीशे में देखने पर यह दृश्य वैसा ही था जैसा कि कोई पोर्न मूवी की नायिका वाइल्ड सेक्स के दौरान बुरी तरह से ठुकी है। मैं और तृप्ति कुछ मिनट के उठापटक वाले सेक्स के बाद झड़ गए और हम एक दूसरे की बांहों में लिपट कर लेट गये। तीसरी बार मेरे लिंग ने तृप्ति के शरीर को देखते हुए सलामी देना शुरु कर दिया था, मैं हैरान था कि ऐसी ठुकाई के बाद भी मेरा लिंग तीसरी बार खड़ा हो गया है। यह सब केवल तृप्ति के आकर्षक संजना खान वाले मॉडल जैसे जिस्म का ही नतीजा था... इस रात को मैं कभी नहीं खोना चाहता था। लेकिन तृप्ति चूत का भोसड़ा बन चुका था इसलिए
तृप्ति ने कहा- मैं बहुत थक गई हूं। मन तो है कि आज सोयें नहीं... पर अब मेरी चूत अब ठुकाई के लिए राजी नहीं होगी। तुमने उसकी हालत बहुत खराब कर दी है शायद मुझे चला भी नहीं जाएगा सुबह। तुम तो पूरे जंगली हो। (और मुस्कुराने लगी।)
मेरा लक्ष्य दोस्त की बीवी तृप्ति की गांड मारना था क्योंकि मुझे पता था कि मेरे दोस्त राजवीर ने उसकी गांड का उद्घाटन नहीं किया है क्योंकि तृप्ति ने उसे कभी ऐसा नहीं करने दिया। मुझे यह भी पता था कि तृप्ति ने जब अपने पति को ही अपनी गांड नहीं दी तो वह मुझे भी इतनी आसानी से अपनी गांड नहीं देगी।
मैंने तृप्ति से कहा- क्या तुम आज की रात को यादगार रखना चाहोगी? आज की रात तुम्हारे लिए हमेशा यादगार रहेगी?
तृप्ति ने कहा- हां, इस रात को मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी और यह ना भूलने वाला अनुभव है।
इस पर मैंने तृप्ति को कहा- वक्त के साथ शायद तुम भूल जाओ लेकिन जो मैं करना चाहता हूं वह ऐसा है कि तुम इस रात को चाह कर भी कभी नहीं भूल पाओगी और मेरे लिए यह सबसे बड़ी खुशी की बात होगी।
मेरी बात सुन कर तृप्ति चौंक गई और उसने कहा- अब ऐसा क्या करने वाले हो?
मैंने अपनी एक उंगली को अपने थूक में भरा और उस उंगली को सीधा तृप्ति की गांड पर लगाकर उसकी गांड के छेद पर फिराने लगा। इस पर, तृप्ति जो लेटी हुई थी, फट से बैठ गई, उसने कहा- ऐसा सोचना भी मत। (और हंसने लगी)
उसने कहा- नहीं, तुम नहीं कर सकते! और मैं यह करवाऊंगी भी नहीं।
मैंने उसकी काफी मिन्नतें की, कहा- इसमें तुमको बहुत मजा आएगा, तुम्हारी मोटी गांड बनी ही इसलिए है कि वह इसमें बहुत सारे लिंग के धक्के खाए।
मैंने कहा- इस रात को यादगार बनाने के लिए हमें इस काम को करना ही चाहिए।
उसने कहा- यह पहली बार होगा इसलिए मैं नहीं करवाऊंगी।
मैंने कहा- पहली बार होगा इसलिए तो यह रात यादगार होगी, यह बात जिंदगी भर याद रखोगी। जो अभी तक हमने किया है यह एक साधारण चुदाई ही है लेकिन तुम्हारी गांड का उद्घाटन तुम्हें हमेशा याद रहेगा।
तृप्ति अंततः राजी हो गई, उसने कहा- अगर मुझे दर्द होगा तो तुम तुरंत रुक जाओगे?
लेकिन मुझे प्रिया की गांड मारने का इतना अनुभव था कि मुझे पूर्ण विश्वास था कि आज तृप्ति की गांड का उद्घाटन मैं करके ही रहूंगा।
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मैंने तृप्ति को किस करना शुरू किया, उसके पूरे शरीर पर, गोरे मांसल स्तनों से लेकर उसकी चूत तक मैंने चाट चाट कर उसको गर्म कर दिया। इतनी आकर्षक शरीर वाली औरत को चूसना ही एक प्रकार की सेक्स क्रिया थी, ऐसा करने से तृप्ति फिर उत्तेजना में बह गई।
अब वो उचक उचक कर मेरा साथ देने लगी थी, मैंने उसको उल्टी लेटाते हुए उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया और उसके गांड के दोनों तरबूजों को अलग करते हुए उसकी गांड के छेद के चारों ओर अपनी जीभ फिरानी शुरू की। मैंने अपने दोस्त की बीवी की गांड को अपनी जीभ से पूरा गीला कर दिया। तृप्ति उत्तेजना में मेरा साथ देने लगी थी और अपनी गांड के छेद को मेरे मुंह की तरफ धकेलने लगी। अब मुझे लगा कि तृप्ति गांड चुदाई के लिए पूर्ण रूप से तैयार है तो मैंने उठ कर अपना लिंग उसके मुंह में दे दिया। तृप्ति के मुंह के थूक से मेरा लिंग चिकना हो गया था। वह तृप्ति की गांड में जाने के लिए बेताब था किंतु मैं जानता था कि तृप्ति की छोटे से गांड के छेद के लिए यह चिकनाई पर्याप्त नहीं है, मैंने फटाफट से प्रिया के मेकअप बॉक्स में से क्रीम निकाल ली और अपने लिंग पर उसे चारों तरफ लगा कर उसे भर दिया। तृप्ति उत्तेजना में पागल हो गई थी अब लग रहा था कि वह मजबूर नहीं है और यह देखना चाहती है कि गांड मराने में कितना मजा आता है।
मैंने अपने लिंग मुंड को बहुत अधिक क्रीम से भर रखा था। मैंने तृप्ति के गांड को चौड़ा करते हुए अपने लिंगको उसकी गांड के छेद पर टिका दिया, तृप्ति के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली। मैंने अपने लिंग को तृप्ति की गांड के छेद में दबाया।
उसने कहा- यार, बहुत दर्द हुआ। (उसकी आंखों से आंसू आने लगे)
मैंने प्यार से कहा- हम एक बार और कोशिश करेंगे नहीं हुआ तो रहने देंगे। लेकिन तुम यह समझ लो कि जैसे तुम्हें पहली बार चूत चुदवाने में दर्द हुआ होगा, उतना दर्द तो तुम्हें पहली बार गांड मरवाने में भी सहना ही होगा।
अपनी उंगलियों को क्रीम में भरकर मैंने उसकी गांड में एक-एक करके डालना शुरू किया। दर्द के साथ थोड़ी देर में मैंने तृप्ति की गांड में तीन उंगलियां डाल दी थी जो मेरे लिंग के लिए पर्याप्त जगह बना चुकी थी। मैंने फिर से तृप्ति को घोड़ी बनाया और अपना लिंग फिर से उसकी गांड के छेद पर दबाया। मेरे लिंग मुंड तृप्ति की गांड में चला गया उसने दर्द से तकिए को पकड़ लिया और छटपटाकर मेरे लिंग को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने आगे से उसकी कमर पकड़ कर एक हाथ से उसकी गर्दन को अपनी ओर खींचा जिससे वह आगे की तरफ नहीं जा पाई। इससे वह छटपटाई लेकिन इतने में मैंने जोर लगा कर अपना लिंग उसकी गांड में पेल दिया। तभी मेरी मनोकामना तृप्ति को पूरा लाल करते हुए पूरी हुई। तृप्ति का गोरा चिट्टा बदन पूरी तरह से लाल हो चुका था जैसे कि किसी इंग्लिश ब्लू xxx फिल्म की हीरोइन वाइल्ड सेक्स करवाते हुए लाल हो जाती है।
जब मेरे दोस्त की बीवी, मेरी जानम का दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने पहले हल्के झटके देने शुरू किए। तृप्ति जो शुरू में असहज महसूस कर रही थी, दर्द की जगह अब मजे ने ले ली थी तो मेरी प्यारी तृप्ति अपनी गांड आगे पीछे करके गांड मरवाने का मजा लेने लगी थी। फिर मैंने अंत में धक्कों की गति बढ़ा कर उसको बेहाल कर दिया और मैं उसकी संकरी सी गांड में स्खलित हो गया। तृप्ति उल्टी ही लेट गयी और मैं भी उसकी गांड में अपना लिंग रख कर उसके नंगे चिकने जिस्म पर लेट गया। आज मेरी सब इच्छाएं पूरी हो गई थी। ऐसी मनो-कामना पूर्ण करने वाली रात जीवन में कभी कभार ही मिल पाती है। जितना मजा तृप्ति को चोदकर मिला इतना मजा अभी तक तो नहीं मिला था। अब भविष्य में मैं तृप्ति को दोबारा चोद पाऊंगा या नहीं... मुझे पता नहीं था. लेकिन मुझे अपने दोस्त के भागे पर रश्क होने लगा था, राजवीर बड़े नसीब वाला था जो उसके पास तृप्ति थी।
और राजवीर भी शायद मेरे लिए ऐसा ही सोचता होगा क्योंकि प्रिया जैसी वाइफ मुझे मिली। क्योंकि प्रिया की बॉडी बहुत प्यार आकर्षक शरीर वाली थी जैसे किसी सांचे में डाली हुई हो।
तृप्ति थक कर गहरी नींद में सो चुकी थी और यह सब सोचते हुए मुझे भी नींद आ गई, जब मैंने आखिरी बार टाइम देखा तो सुबह के 5:00 बज चुके थे।
एक सवाल मेरे मन में तब भी था कि क्या राजवीर और प्रिया सो गए होंगे? या मेरा दोस्त राज अभी भी मेरी पत्नी प्रिया की चूत या गांड को ठोक रहा होगा?
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आगे की कहानी कहानी अब मेरे मतलब राजवीर के शब्दों में"
जब रणविजय ने मुझे अपनी और तृप्ति की ठुकाई का किस्सा सुनाया तो मेरे मन में जलन की भावना आ गई, मैंने उसकी पत्नी प्रिया को प्यार से ठोका था लेकिन विजय ने मेरी पत्नी तृप्ति के साथ वाइल्ड सेक्स किया था। यह खुद में एक बड़ी उत्तेजना का भाव है।
इसकी अगली वाली सुबह जब हम 10:00 बजे ब्रेकफास्ट के लिए फोन करके रेस्तरां में इकट्ठे हुए तब हम दोनों एक दूसरे की बीवियों के साथ रेस्तराँ में आए थे, मैंने दूर से अपनी बीवी तृप्ति को आते हुए देखा तो तृप्ति की चाल बदली बदली हुई लग रही थी, उसने चूत का भोसड़ा बनने और गांड के उद्घाटन का मीठा दर्द जो सहा था। जब हम मिले तो हम चारों के चेहरे पर मुस्कान थी और रणविजय और मेरे चेहरे पर जीत की चमक। हमने आंखों ही आंखों में एक दूसरे को सफलतापूर्वक एक दूसरे की बीवी की ठुकाई करने पर बधाई दी। मुझे तृप्ति से और प्रिया को विजय से बात करने का मौका नहीं मिला था। विजय ने मुझे इशारे में बताया कि उसने कोई पिक या किसी भी प्रकार का xxx वीडियो नहीं बनाया।
जब हम चारों टेबल पर बैठ गए तो हम दोनों की बीवियों के चहेरे नीचेको झुके हुए थे, शायद नारी सुलभा लज्जा के कारण। हमने आपस में बातें करते हुए माहौल को सही किया, अब हमारी बीवियों की शर्म उड़ चुकी थी और हम चारों एक दूसरे से हंसी मजाक करने लगे थे। चारों ने कहा कि पिछली रात का अनुभव वास्तव में यादगार था, अतुलनीय था। और हम चारों आगे भी यह बीवियों की अदला बदली यानि वाइफ स्वप्पिंग करने के लिए राजी थे। लेकिन पारिवारिक लड़ाई की वजह से शायद घर जाकर ऐसा करना दोबारा संभव ना हो इसलिए हमने फैसला किया कि इस टूर को इसी प्रकार यादगार बनाए रखने के लिए बाकी की बची हुई रातें और दिन हम बीवियां बदल कर ही रहेंगे अर्थात मैं और प्रिया, तृप्ति और रणविजय। प्रिया और तृप्ति भी इस बात से लिए पूर्ण रूप से सहमत थी।
हमने होटल बदल लिया, दूसरे होटल में दोस्त की बीवी अपनी बीवी बता रूम लिया और पूरा टूर इंजॉय किया। हमने चारों ने मिलकर ग्रुप सेक्स नहीं किया क्योंकि हमारी बीवियों की शर्म इतनी भी नहीं खुल पाई थी, वे अपने पतियों के सामने दूसरे मर्द का लंड लेने से हिचक रही थी। फिर हम 1 दिन के अंतराल से अपनी अपनी पत्नी के साथ घर लौट गए ताकि हमारे घर वालों को शक ना हो कि हम एक ही जगह से एक साथ लौटे हैं।
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विदा लेते हुए हमारा यह फैसला हुआ कि कोई पत्नी और पति अपने पार्टनर से यह न पूछे कि उन रातों को उनके साथ कैसे क्या हुआ और जो हुआ उसे सब भूल जाए क्योंकि यही हमारी शादीशुदा जिंदगी के लिए सही था।
हम अब खुशी से अपनी लाइफ में मस्त हैं, घर वालों के लिए हम एक दूसरे के दुश्मन थे। कभी प्रिया दिखती तो मैं बस मुस्कुरा जाता वह भी जब कोई देखे ना और शायद विजय और तृप्ति का भी ऐसा ही था।
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बिजनेस संभालने के कुछ दिन बाद विजय और मैं क्रिकेट के ग्राउंड में मिले। और तभी मैंने तृप्ति और रणविजय की ठुकाई की कहानी सुनी जो कि अभी आप को बताई है। मैंने भी रणविजय को प्रिया की चुदाई की कहानी बताई।
हम अभी दोस्त हैं और कभी-कभी ऐसे ही गांव से दूर बैठकर बातें कर लिया करते हैं। एक दूसरे की बीवी को चोदने को लेकर मजाक कर लेते थे। मुझे दुख था कि मैंने प्रिया की चूत को चूत ही रहने दिया, उसका भोसड़ा नहीं बनाया। मुझे और विजय को ऐसा फिर कर पाने की चाहत है लेकिन इतने बड़े बिजनेस में दूर जाकर इतने दिन निकालना बड़ा मुश्किल था।
कुछ दिन बाद हमने बिजनेस में एक दूसरे का साथ देने की डील पक्की की, घरवालों की लड़ाई के बावजूद हम गुपचुप एक दूसरे के साथ बिजनेस करते और सब कुछ सही चलने लगा था, हमारे बिजनेस ने काफी तरक्की की, हम दोनों ने इससे लाखों का फायदा कमाया।
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रही स्वैपिंग की बात... तो मैंने सोच लिया था कि अब यह खत्म हो चुका है और ऐसा फिर नहीं होगा। लेकिन यह सोचना मेरी गलतफहमी थी। वाइफ स्वैपिंग एक ऐसा चस्का है जो अगर लग जाए तो दिन-रात दिमाग पर छा जाता है। मुझे नहीं पता था कि एक और शानदार याराना मेरा और तृप्ति का इंतजार कर रहा है।
एक ऐसा किस्सा बनने वाला था जोकि विश्वास से परे था, उत्तेजना से भरपूर था, रोमांच को चरम पर पहुंचाने वाला था। इस स्वैपिंग में तृप्ति का सेक्स पार्टनर वह था जिसके साथ यह सब करना तृप्ति कभी सोच भी नहीं सकती थी और मेरी पार्टनर भी ऐसी ही महिला थी।
स्वैपिंग की शुरुआत होने का रोमांच अभी बाकी है। कितनी मुश्किल और असलियत से भरपूर एक और आपबीती शुरू होने वाली है। असली याराना तो अब शुरू होगा।
कहानी जारी रहेगी...
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As i always say all credit's go's to original writer... as i am just sharing the story for enjoyment of erotica readers...
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याराना (दुबारा)
दोस्तो, मेरी पिछली वाइफ स्वैपिंग कहानी "याराना" से तो आप सब परिचित ही होंगे। अगर नहीं तो पहले याराना पढ़ें, तभी यह कहानी आपको संपूर्ण मजा देगी।
यह आगे की कहानी है:
रणविजय और मेरे यानि राजवीरकी बीवियों की अदला बदली की घटना घटित होने से पहले के समय की बात है।
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याराना (दुबारा)
मेरा साला यानि मेरी बीवी तृप्ति का भाई श्लोक की शादी के समय की बात है। श्लोक ने विदेश में जाकर बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की थी और वह एक बड़ी कंपनी का कर्मचारी था। शादी के लिए काफी लड़कियां देखने के बाद उसे एक लड़की पसंद आईथी जिसका नाम था सीमा। सीमा वास्तव में एक रूप की परी थी। यह श्लोक की पढ़ाई में मेहनत और अच्छी कंपनी में होने का ही नतीजा था कि उसे सीमा जैसी बीवी मिली। सीमा आजकल के चलन जीरो फिगर के अनुसार ही परफेक्ट शरीर वाली थी उसके शरीर की एक खास बात यह थी कि वह काफी लंबी थी। उत्तेजना पैदा करने वाले चेहरे वाली सीमा लंबाई और शरीर में फिल्मों की हीरोइन कृति सेनन जैसी थी।
मैं और तृप्ति शादी में 4 दिन के लिए सम्मिलित हुए थे। सब कह रहे थे 'वाह, यह तो फिल्म हीरोपंती की नई हीरोइन जैसी लग रही है।' हालांकि तब तक मैंने ना हीरोपंती देखी थी ना उसकी हीरोइन। यह बात तो उसकी शादी के काफी समय बाद मैंने महसूस की जब मैंने फिल्म देखी। तब अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया- वाह! यह तो सीमा जैसी लगती है। सीमा ने भी बिजनेस मैनेजमेंट का कोई कोर्स किया हुआ था लेकिन श्लोक की बड़ी जॉब की वजह से उसने नौकरी ज्वाइन नहीं की। शादी के वक्त श्लोक ने मेरे साथ बहुत वक्त गुजारा क्योंकि मैं उसका सगा जीजा था। हमने उसकी शादी में बहुत मजे किए। तृप्ति भी अपने भाई की शादी में कयामत ढा रही थी। जी हां, वही तृप्ति तमन्ना भाटिया और संजना खान के मिक्स चेहरे और शरीर के मालकिन। वधू पक्ष के काफी लड़के तृप्ति को घूर रहे थे और बहाने बहाने से उसके पास भटक रहे थे और किसी ना किसी बहाने से उससे बात करने की कोशिश कर रहे थे और करे भी क्यों ना तृप्ति चीज ही ऐसी थी।
श्लोक की शादी में बड़े जाने माने लोग आए थे क्योंकि वह एक बड़े परिवार का पुत्र था। सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित करने वाली हस्ती हिमाचल के पहाड़ों से प्रसिद्ध कुख्यात अनंत बाबा (बदला हुआ नाम) शादी में आए थे l उनके बारे में कहा जाता था कि वह जो भी बोलते थे वह सत्य हो जाता था, अतः बाबा व्यर्थ कुछ भी नहीं बोलते थे, केवल आशीर्वाद के लिए अपना हाथ उठाते थे। मेरे ससुराल पक्ष वाले परिवार पर उनकी बड़ी कृपा थी जिसके कारण मेरा ससुराल पक्ष प्रतिष्ठित परिवार बना था।
श्लोक ने शादी के वक्त मेरे मेरे सामने एक प्रस्ताव रखा, उसने कहा- जीजा जी, आप जो प्रोडक्ट बनाते हैं, उसका काफी नाम है। मैं चाहता हूं कि यह प्रोडक्ट एक शहर का जाना माना नाम ही ना बनकर भारत में पहचान बनाए! और इसका पहला कदम होगा जब हम अपने पास के बड़े शहर जयपुर में इसकी शुरुआत करें क्योंकि मेरी जॉब जयपुरमें ही है तो मैं वहां एक ऑफिस खोलकर, वहां कुछ कर्मचारी रख कर यह मैनेज कर सकता हूं। मुझे उसका विचार अच्छा लगा, मैंने उसे सहमति दी।
श्लोक की शादी के कुछ समय बाद उसने मुझे एक दिन जयपुर बुलाया और हमारे नए प्रोडक्ट का नया ऑफिस बताया। मैं तो आश्चर्यचकित हो गया था उसने बिना बताए लाखों की लागत से ऑफिस खरीद लिया था और उसे चलाने की तैयारी भी शुरू कर दी थी। कुछ ही महीने के अंदर-अंदर उसके जयपुर के ऑफिस से मेरे प्रोडक्ट को 15 लाख का कारोबार मिला और अब वही हुआ, इसकी पहचान बन गई थी। इस बीच मेरे, रणविजय तृप्ति और प्रिया का याराना वाला वह के अदला बदली का किस्सा घटित हुआ।
एक दिन मेरे प्रोडक्ट के लिए श्लोक के जयपुर के ऑफिस में 90 लाख का ऑर्डर आया। बिजनेस फैल चुका था, श्लोक ने इसके लिए अपनी बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़ दी और वह यहां अपने ऑफिस में हेड मैनेजर बन गया था। अब क्योंकि प्रजंटेशन और बाकी के सारे जरूरी कामों के लिए प्रोडक्ट के मालिक की बहुत जरूरत होने लगी तो अब मुझे जयपुर ही शिफ्ट होना पड़ा। घर वालों ने तृप्ति को साथ रखने के लिए जयपुर जाने की अनुमति दे दी थी। वहां का प्रोडक्शन बिज़नेस पिताजी और छोटा भाई चला रहे थे, मैं अब अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए जयपुर आ गया था। रहने की व्यवस्था श्लोक ने कर ली थी, उसने एक बड़ा दो बेडरूम वाला फ्लैट किराए से लिया जो कि शानदार लोकेशन पर था वास्तव में बहुत शानदार फ्लैट था। बड़ा किचन और बड़े-बड़े बाथरूम जोकि कई तरह के शावर से सिरमोर थे, जैसे कि कोई पांच सितारा होटल! विदेश में पढ़ाई करने और बड़ी कंपनी में जॉब करने से उसका लिविंग सेंस शानदार था। यह उस की ही देन थी। सीमा के हाई क्लास लिविंग सेंस की वजह से भी ऐसा था।
श्लोक और मेरा परिवार साथ ही रहने वाले थे। यानि कि हम चारों तृप्ति और मैं तथा श्लोक और सीमा।
तृप्ति और सीमा दोनों ननद भाभी की अच्छी मेल खाती थी, दोनों एक तरह से सहेलियां थी। तृप्ति हालांकि एक अच्छी बहू थी लेकिन पति के साथ अलग रहना हर लड़की का ख्वाब होता है। शादी से पहले तृप्ति काफी खुले विचारों की थी, जींस और छोटे कपड़े पहनना उसके शौक में शुमार था लेकिन उसने अपनी बहू की जिम्मेदारी को समझते हुए सबसे मोह छुड़ा लिया था। एक महीने बाद वह दिन आ गया जब हम चारों फ्लैट में शिफ्ट हुए। तृप्ति और सीमा फ्लैट देखकर बहुत खुश हुई, केवल 4 ही लोगों का काम होने से उन्होंने केवल सुबह फ्लैट की सफाई के लिए बाई लगाने की सहमति दी। खाना दोनों खुद बनाना चाहती थी। शिफ्ट होने के 15 दिन तक तो ऑफिस सेट अप करने और ऑफिस के एंप्लाइज की जॉइनिंग के साक्षात्कारमें ही लग गए। सुबह 9:00 बजे जाते तो आने में रात को 10:00 बज जाते। इस बीच मेरी सीमा से केवल ना के बराबर बात हुई। क्योंकि श्लोक और तृप्ति तो भाई बहन थे तो उनकी बातें ज्यादा हो जाती थी पर अभी चारों के बीच "याराना नहीं था।
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यह तो याराना कहानी की पूरी पृष्ठभूमि बदलने की बातें थी। कहानी की वासना वाली बातें तो अब शुरू करते हैं।
जब ऑफिस और घर दोनों जम गए तब श्लोक और हमने 2 दिन की सप्ताहांत पर छुट्टी करने की सोची, अतः दोनों घर पर ही रहे। जब सुबह हम उठे तो दोनों की बीवियां नाश्ते पर हमारा इंतजार कर रही थी। हम थोड़ा समय लेकर डाइनिंग टेबल पर पहुंचे। तृप्ति और सीमा ने इन दिनों काफी सारी शॉपिंग की थी। ससुराल में साड़ी पहनने वाली तृप्ति की जगह अब छोटी पैंटी समान जींस के निकर ने ले ली थी जिससे तृप्ति की गोरी और भरी हुई बालों रहित जांघों के दर्शन हो रहे थे जो उत्तेजना का भाव पैदा करने वाले थे। सीमा ने भी इसी तरह का छोटा निकर पहना हुआ था। आज फ्री होने के कारण मेरा ध्यान अनायास ही उसके तृप्ति से पतली गोरी गोरी जांघ पर गया लेकिन बाकी तीनों के वहां होने से मैं उसकी गोरी टांगों को घूर के मन भर के नहीं देख पाया। अभी तक सीमा के लिए मन में कोई बुरे विचार नहीं थे लेकिन आज सफेद चमड़ी से सटे निक्कर में सीमा को देख कर मन में अचानक से एक हिलोरा आया। श्लोक सीमा की शादी के 2 साल बाद मैंने सीमा को यहीं फ्लैट में ही अच्छे से देखा था, काफी मॉडर्न थी। लेकिन हमारी बातचीत कम ही हुई थी जितनी जरूरत हो। यह समय की कमी की वजह से था लेकिन अब हमारे पास वक्त था। टेबल पर थोड़ी अनौपचारिक बातचीत और नाश्ते के बाद महिलाएं अपने काम में लग गई और श्लोक और हम टाइम पास करने लगे। बिजनेस के इधर उधर की बातों के बाद हम अपने अपने कमरे में तैयार हुए और दिन में आराम करने लगे। तृप्ति मेरे पास थी लेकिन मेरे दिमाग में सीमा छाई हुई थी। मैं खुश था कि तृप्ति सीमा इसी तरह के कपड़े घर में पहनने के लिए लाई थी जो कि उसने मुझे बताए थे कि चलो घर में मेरी वासना का समाधान तृप्ति के साथ सीमा का अंग प्रदर्शन भी रहेगा। मैं चाहता था हम चारों रिश्तेदार ना रह कर यार बन जायें। इसलिए हम चारों एक को एक दूसरे के साथ घुलना जरूरी था। क्योंकि तृप्ति सीमा ननद भाभी और श्लोक तृप्ति भाई बहन होने से उनकी तो फिर भी बातचीत जान पहचान थी लेकिन श्लोक मेरे बीच गंदी बातें ना करने की मर्यादा थी। हम अभी तक दोस्त नहीं थे।
मैंने चारोंको घुलने मिलनेके लिए ऑनलाइन फिल्म की टिकट करवा दी। फिल्म कैमरॉन डाइज की सेक्सटेप सेक्स कॉमेडी थी, चारों इसे देखकर खूब हंसे। घर आते वक्त कार में फिल्म के अश्लील जोक पर हम खूब हंसे। इस तरह हमारे काफी घुले-मिले रिश्तेदार से यार होने की शुरुआत होने लगी। घर पहुंचने के बाद मैंने अपनी पत्नी की जोरदार ठुकाई की और लगभग 2:00 बजे थे, आंखों में नींद समाने ही वाली थी कि पास के कमरे से सीमा के दर्द और मजे से मिश्रित जैसी सेक्स करते हुए आह आह की आवाज आने लगी l मैं चकित था क्योंकि हमारे सेक्स करने में कभी इस तरह की तेज आवाजें नहीं निकलती थी। ऐसा सिर्फ मैंने फिल्मों में देखा था कि पोर्न फिल्मों की नायिका जोर से आह आह कर रही है। तृप्ति को भी नींद नहीं आई थी वह मेरी तरफ देख कर हंसने लगी l
मैंने तृप्ति से कहा- यह सब क्या है?
तो तृप्ति ने मुस्कुराते हुए कहा- आप तो ऑफिस के काम की वजह से जल्दी से थक कर सो जाते थे लेकिन पिछले 15 20 दिनों में मैंने यह आवाज तीन चार बार पहले भी सुनी है।
मैंने तृप्ति से कहा- तो इसका मतलब क्या है? श्लोक वाइल्ड सेक्स करता है या फिर सीमा को शादी के इतने समय बाद भी श्लोक का लिंग लेने की आदत नहीं हुई है। अपने भाई के बारे में ऐसी बात सुनकर तृप्ति ने मुझे टोका और कहा- आप उनके बेडरूम में इतना ज्यादा इंटरेस्ट क्यों ले रहे हो?
मैंने बात को वापस वहीं पर रख कर कहा- छोड़ो ना फालतू बातें, यह बताओ यह सब है क्या?
तो तृप्ति ने कहा- देखो यह केवल दर्द से चीखने की आवाज नहीं है इसमें मजे की ध्वनि भी सम्मिलित है, इसका मतलब सीमा को आनन्द तो आ ही रहा है, थोड़ा दर्द भी हो रहा है।
मैंने तृप्ति से कहा- इसका मतलब तुम्हारे भाई का लिंग या तो काफी बड़ा है या काफी दम रखता है।
इस पर तृप्ति ने मुझे डांट कर चुप करा दिया और कहा- एक बहन के सामने उसके भाई की ऐसी बातें करते हुए आपको शर्म आनी चाहिए।
मैं- यह देखो अपने पति के मित्र के साथ सोने वाली पतिव्रता नारी! आज कितनी सज्जनता वाली बात कर रही है.
तृप्ति- यार, रणविजय की बात अलग थी। यह सब हमने सम्मिलित रूप से किया था और इसमें हम सब भागीदार थे लेकिन श्लोक मेरा भाई है मुझे ऐसी बातें करना अच्छा नहीं लगता।
मुझसे नाराज होकर तथा डांट कर तृप्ति सो गई.
उसके करीब आधे घंटे बाद तक सीमा की सेक्स में मजे लेने वाली आवाज आती रही जैसे कि कोई पोर्न फिल्म की आवाज आ रही हो। जब उनकी आवाज बंद हुई, उसके आधे घंटे बाद मुझे नींद आ गई। इस आधे घंटे में मेरे मन में सीमा को लेकर काफी सारा मंथन हुआ, सीमा की अहा अहा की आवाज में उसके प्रति मेरे विचार बदल लिए थे। ऐसा लग रहा था जैसे कोई पोर्न फिल्मकी नायिका बेहद आनन्दपूर्वक सब कुछ भूलकर चुदाई में खोई हुई है और उसकी ऐसी तस्वीर की कल्पना करते हुए मुझे नींद आ गई।
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अगले दिन चाय नाश्ता कर श्लोक और मैं किसी मॉल में शॉपिंग और जरूरी सामानों की खरीदारी करने के लिए गए। वहां मैंने श्लोक से ऐसी बातें शुरू की जिससे कि वह मुझे दोस्त मानने लगे।
मैं- यार श्लोक, सेक्स टेप पिक्चर बड़ी प्यारी थी। सेक्स प्ले, सेक्स को लेकर एक्सपेरिमेंट और कॉमेडी जोरदार थी। मुझे तो उस फिल्म की हीरोइन कैमरोन डियाज काफी अच्छी लगी। एकदम गोरी प्यारी सी!
श्लोक- हां जीजू, मुझे वह पसंद है, मैंने उसके काफी फिल्में देखी हैं!
मैं- मुझे लगता है कि हमें भी ऐसे सेक्स एक्सपेरिमेंट करना चाहिए!
श्लोक- क्यों जीजू, आपको ऐसा करने की क्या जरूरत पड़ने लग गई? दीदी आपका ख्याल नहीं रखती क्या?
मैं- तुम्हारी दीदी तो बड़ा ख्याल रखती है लेकिन साला आदमी का मन ही इतना चंचल होता है कि उसे एक ही लड़की का ख्याल काफी नहीं होता!
श्लोक- हां जी, बात तो आपकी सही है!
मैं- यार श्लोक, तुमने तो विदेश में रहकर पढ़ाई की है वहांतो तुमने कैमरोन जैसे गोरी महिलाओं के साथ काफी मजा किया होगा?
श्लोक- क्या जीजू, आप भी सारे राज जान कर रहेंगे?
मैं- अरे यार श्लोक, क्या बताऊं, तुम तो बाहर जाकर पढ़े हुए हो, तुम्हारी दोस्ती तो तुम्हारी पढ़ाई ही रही होगी लेकिन मुझे तो दोस्तों की आदत है। गांव में भी मेरे काफी दोस्त हैं और रोजाना उनके साथ उठना बैठना बातें करना सब बड़ा याद आता है. अभी यहां तो दोस्त भी तुम हो, सालेभी तुम, रिश्तेदार भी तुम! इसलिए दोस्ती वाली बातें कर रहा हूं l चिंता मत करो, तुम्हारी दीदी से तुम्हारी तारीफ नहीं करूंगा l
श्लोक- चलो ठीक है जीजू, वहां सारे दोस्त वीकेंड पर कॉल गर्ल के पास जाते थे वहां पर मैंने काफी सारी अंग्रेजी महिलाओं की चुदाई की है। उसके बाद पढ़ाई के अंतिम साल में मेरे एक अंग्रेज महिला सेट हो गई थी। हमने जमकर सेक्स किया। खूब मजे लिए। और आप अपने बारे में बताइए?
मैं- यार, शादी से पहले तो मैंने भी बहुत मजे लिए। लेकिन किसी अंग्रेज महिला के साथ संबंध नहीं बना पाया, इस बात का मलाल है, इतने गोरे रंग की महिला के साथ सेक्स करना काफी मज़ेदार होता होगा।
श्लोक- गोरी महिला से आपका क्या तात्पर्य है हमारे परिवार में तो किसी का भी रंग सांवला नहीं। दीदी उतनी ही गोरी है जितने कि कोई अंग्रेज महिला, मुझे तो उनके रंग और किसी अंग्रेज महिला के रंग में कोई खास फर्क नजर नहीं आता और रही अंग्रेज महिला के साथ सेक्स संबंध बनाने की बात तो इसका इंतजाम मैं अपने जीजाजी के लिए कर दूंगा। हां, बस दीदी को इसका पता ना चले वरना मैं अपनी बहन का घर बिगाड़ने वाला भाई बन जाऊंगा।
हम दोनों इस बात पर हंसने लगे। चलो अच्छा हुआ, आज मेरा साला मेरा दोस्त बनने लगा था। मुझे विश्वास था कि समय के साथ हमारी दोस्ती बढ़ती जाएगी। लेकिन इससे होने वाला था क्या?
आपको पता है मेरे दिमाग में क्या चल रहा था? चलिए बताता हूं:-
श्लोक और सीमा एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। तृप्ति भी मुझे प्यार करती थी। सीमा की सेक्सी लंबी टांगों ने मेरे दिमाग में सेक्स का कीड़ा कर दिया था लेकिन मैं उसके साथ धोखे से जबरदस्ती या उसे पटा कर सेक्स नहीं कर सकता था और इसमें तो मजा भी नहीं आता। मैं श्लोक के साथ या तृप्ति के साथ धोखा नहीं करना चाहता था। मैं तो बराबर का सौदा करना चाहता था और इस प्रकार का सौदा तो मैं कर चुका था। जी हां मैं वाइफ स्वैपिंग की बात कर रहा था। लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह थी कि सीमा का पति और मेरी बीवी आपस में भाई बहन हैं। यह अदला-बदली का खेल शुरू करना इतना आसान नहीं था इसमें काफी रिस्क था। श्लोक से सीमा से बदनामी का तथा तृप्ति से उसकी नजरों में गिर जाने का रिस्क था। लेकिन अगर रिस्क ना होती तो याराना रोमांचक कैसे बनता।
समय बीतता गया सीमा से मेरी भी हंसी मजाक होने लगी थी हम एक दूसरे को दोस्त की तरह ट्रीट करने लगे थे कभी-कभी अश्लील मजाक भी कर लिया करते थे जब चारों एक साथ बैठे रहते थे। लेकिन क्योंकि हम सारे व्यस्क थे इसलिए कोई इतना बड़ा इशू नहीं था। खुलने में बीवियों की भी तारीफ करनी होगी क्योंकि नाश्ता करते हुए और ऑफिस जाते हुए गले लगना किस कर लेना आम बात हो गई थी। लड़कियों का छोटे कपड़े पहनना मुद्दा नहीं था। सीमा और तृप्ति के कपड़े शरीर को छुपाते कम दिखाते ज्यादा थे, उनकी टाइट वाइट शर्ट उनके शरीर के अंगों का अंग प्रदर्शन खुलेआम करते थे। और दोनों देवियों ने अपनी गोरी सेक्सी टांगों को ढकना तो छोड़ ही दिया था। केवल उनके जांघों के ऊपर का हिस्सा ढका हुआ होता था।
रातों में सीमा के श्लोक के साथ मजे के साथ सेक्स में कराहने की आवाज आती रहती थी। कभी-कभी श्लोक की भी जोरदार आवाज आती। उनका इस तरह से सेक्स करना हमारे लिए पहेली था जिसे शायद तृप्ति ने समझना उचित नहीं समझा। लेकिन सीमा की आवाज मुझे बेचैन कर जाती थी।
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एक दिन ऑफिसके काम के बाद मैं और श्लोक दोनों खाली बैठे हुए थे तो मैंने मजाक में कह दिया- श्लोक, मेरे लिए अंग्रेज महिला के इंतजाम का क्या हुआ?
तभी श्लोक बोला- कभी किसी बहाने से दोनों की बीवियों को यहां छोड़ कर एक विदेश का दौरा कर ही लेते हैं, वहां जाकर आप का शौक तो पूरा हो जाएगा। लेकिन मेरा शौक नहीं पूरा होगा।
मैं- क्यों ऐसा क्या शौक है मेरे साले साहब को?
श्लोक- जीरो फिगर वाली जैसे शरीर रखने वाली खूब लड़कियों के साथ सेक्स कर लिया है लेकिन आजकल देसी पोर्न साइट पर भाभियों को देख देखकर मेरे मन किसी भाभी को ठोकने की लिए तड़पता है। भरे हुए शरीर की लेकिन मोटी नहीं, ऐसी महिला के साथ सेक्स करने को मिल जाए तो मनोकामना पूर्ण हो जाए। जैसे कि बाहुबली फिल्म की अनुष्का शेट्टी!
इतने में मैं उसकी बात काट कर बोला- या फिर बाहुबली की तमन्ना भाटिया? है ना?
श्लोक हंसने लगा और कहने लगा- हां, वह भी मुझे काफी पसंद है!
श्लोक से बात सुनकर मेरा मन काफी खुश हुआ उसकी यह मनोकामना तो तृप्ति का शरीर पूरा कर सकता था। तमन्ना भाटिया के सेक्सी शरीर को लिए हुए गोरे रंग की अप्सरा थी तृप्ति।
साड़ी पहनने के कारण एक सेक्सी भाभी का रोल प्ले भी कर सकती थी।
मैंने अपना पासा फेंका और श्लोक का ध्यान तृप्ति पर लाने के लिए कहा- यार सेक्सी भाभी तो मेरे पास है लेकिन मुझे तो पतली कमर और जीरो फिगर वाली महिलाएं ज्यादा आकर्षित करती है जैसे कि लियाना डिक्रूज, कृति सेनन!
श्लोक- कृति सेनन तो मेरे पास है!
और हम दोनों इस बात पर हंसने लगे। मैं खुश था क्योंकि श्लोक को मैंने यह एहसास करा दिया था कि हम दोनों की पसंद एक दूसरे के पास है। आग तो श्लोक के अंदर भी लगी थी, मुझे बस उसमें घी डालना था और उस आग की लपट को तृप्तिकी तरफ मोड़ना था। दोनों जीजा साले अश्लील बातों में इतना डूब गए थे कि दिनभर ऑफिस में भी अश्लील बातें ही करते रहते थे सेक्स के अलावा हमारे पास और कोई टॉपिक नहीं था। घर आकर हम अपनी अपनी बीवियों की जोरदार ठुकाई करते।
इस बीच श्लोक और मैंने अपने पसंद के सेक्स आसन भी शेयर कर लिए थे। मुझे पता था कि जब मैं उसे अपना पसंद का सेक्स आसन बता रहा हूं तो कहीं ना कहीं मन मैं वह अपनी बहन को उसके सामने रखकर देख रहा होगा। एक दिन ऑफिस में हम दोनों बैठकर पोर्न फिल्म देख रहे थे, पोर्न फिल्म सामूहिक चुदाई की थी।
इस पर श्लोक बोला- यार जीजू, आजकल यह चलन बहुत चल रहा है ग्रुप सेक्स का।
इस पर मैंने अगला पासा फेंक ही डाला और कहा- हां यार, ज्यादातर फिल्मों में दो जोड़े आपस में अपनी प्रेमिका बीवियां या अपनी बहनों को बदलकर सेक्स करते हैं और फिर आपस में चारों सेक्स करने लग जाते हैं इस तरह एक ग्रुप बन जाता है और फिर चारों ग्रुप सेक्स करके मजा लेते हैं। वास्तव में यह बहुत उत्तेजना पैदा करने वाला विषय है।
श्लोक- हां मैंने सुना है स्वैपिंग के बारे में विदेश में, जहां मैंने पढ़ाई की थी, वहां मेरे सहपाठी अपने प्रेमिकाओं को बदलकर विकेंड मनाते थे। अब मैं वो काम करने जा रहा था जिसे करने के लिए मुझे काफी हिम्मत चाहिए थी, मैं श्लोक को बताने जा रहा था कि हमने एक बार स्वैपिंग की है। यह मैं उसे इसलिए बताना चाहता था ताकि तृप्ति को उसको देखने का नजरिया बदल जाए। तृप्ति के प्रति उसके मन में वासना जागने लगे वह तृप्ति को किसी और से चुदाई करते हुए कल्पना करने लगे और ऐसा होगा तभी तो मैं अपने लक्ष्य में कामयाब हो सकूंगा क्योंकि तृप्ति जैसे शरीर को तो वह चोदना ही चाहता था।
मैं- हां यार श्लोक, वाइफ स्वैपिंग में मजा तो आता है। मजा मजा मजा मजा।
श्लोक- आप क्यों अपने मन में लड्डू फोड़ रहे हैं?
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तब मैं बोला- मन का लड्डू? अरे नहीं यार, मैं लड्डू खा चुका हूं।
श्लोक- क्या क्या क्या? क्या कहा आपने? आप स्वैपिंग का लड्डू खा चुके हो?
मैं- हां जी श्लोक जी, सही सुन रहे हैं आप!
श्लोक- तो कौन सी गर्लफ्रेंड की अदला-बदली की थी आपने और हमें नहीं बताई यह रोमांचक कहानी?
मैं- गर्लफ्रेंड? मैंने कब कहा गर्लफ्रेंड, अरे मैं तो बीवियों की अदला बदली कर बात कर रहा हूं।
श्लोक- नहीं यार जीजू, आप झूठ बोल रहे हो। मैं नहीं मानता कि तृप्ति दीदी!
मैं- अरे भाई श्लोक, तुम्हारी कसम, तुम्हारी तृप्ति दीदी की कसम, हमने यह लड्डू बड़े मजे के साथ खाया है।
श्लोक- कैसे? कहां? अभी बताइए।
मैं- बस इसके आगे नहीं बताऊंगा, पर जो अभी बताया वह सच बताया है। मैं तो कहता हूं श्लोक कि तुम भी वाइफ स्वैपिंग का मजा ले कर देखो। दुनिया के जितने भी सेक्स है उनमें वाइफ स्वैपिंग जैसा मजा कोई सा भी सेक्स नहीं दे सकता। तीन साल होने को आए तुम्हारी शादी को, कभी चूत बदलने का मन नहीं किया?
श्लोक- मन तो किया लेकिन जितनी लड़कियां मुझ पर मरती है जब जीरो फिगर या फिर सीमा से शरीर की। लेकिन आपको तो मेरी चाहत पता ही है कोई भाभी सेट करवा लो या फिर वही करवा दो जिसके साथ आपने सेक्स किया था।
मैं- बेटा स्वैपिंग करने के लिए अपनी बीवी को भी किसी और को देना पड़ता है। क्या यह कर पाओगे?
श्लोक- अरे जीजू, सीमा और मैं एक दूसरे से बेहद प्यार करते हैं लेकिन सीमा बहुत खुले विचारों वाली है आप नहीं जानते किस किस तरह की उसकी सेक्स इच्छाओं को मैंने पूरा किया है। उसे तो मैं एक दिन में समझा सकता हूं। उसके शादी से पहले दो बॉयफ्रेंड थे और मेरी भी गर्लफ्रेंड और कॉल गर्ल की चुदाई के बारे में मैं उसे बता चुका हूं हम दोनों पति पत्नी होकर भी बेहद अच्छे दोस्त है। वह सब में कर लूंगा आप तो बस दूसरे कपल का इंतजाम करवाइए। यह बात बोलते हुए मुझे बहुत डर लग रहा था कि दूसरा कपल हम हैं ना! इसलिए मैंने बात को यहीं विराम दिया और श्लोक को जल्द ही इसके बारे में बताने का वादा किया।
आज शाम को जब हम घर पहुंचे तो श्लोक गुमसुम गुमसुम था उसका व्यवहार अलग ही नजर आ रहा था। वह अपनी बहन को ऐसे देख रहा था जैसे नजर नजर में ही समझ लेना चाहता हो कि तृप्ति ऐसा भी कर सकती है।
##
मैंने उसके 2 दिन बाद तक श्लोक की नजरों को पकड़ा कि किस तरह वह तृप्ति के पैरों पेट व शरीर को देखता है। मेरे ख्याल से श्लोक के मन में तृप्ति के प्रति कामवासना जागृत होने लगी थी। लेकिन एक भाई का अपनी बहन के लिए यह उजागर करना आसान नहीं था। एक कदम तो मैं सफलतापूर्वक आगे चल गया था। मुझे अगला कदम रखना था, श्लोक को तृप्ति के साथ स्वैपिंग के लिए मनाना।
दो दिन बाद ऑफिस में:-
मैं- यार श्लोक, काफी दिनों से मन में एक सवाल है, तुम बुरा ना मानकर उस बात का सही जवाब देना अगर मुझे दोस्त मानते हो। सेक्स तो सभी करते हैं लेकिन तुम्हारे कमरे से इतनी जोरदार चीखने चिल्लाने की आवाज में कैसे आती हैं जिस तरह मानो किसी पोर्न फिल्म की शूटिंग अंदर चल रही हो और पोर्न फिल्म की नायिका बड़े मजे से सेक्स का आनन्द ले रही हो लेकिन उस मजे में दर्द का समावेश भी होता है। तो क्या अभी तक सीमा को तुम्हारा लिंग लेने की आदत नहीं हुई है?
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श्लोक- अगर आप पूछ रहे हैं जीजू, तो मैं आज आपको सब कुछ सच बताता हूं। एक मर्द का लंबे समय तक सेक्स करना उसका सपना होता है लेकिन मैं मेरे अंदर यह गुण भगवान ने काफी दिया है लेकिन बुरी बात तो यह है के यह गुण भगवान ने मुझे ज्यादा ही दे दिया है। मतलब यह है कि जब मैं सेक्स करने लगता हूं तो कितना भी चाहूं स्खलन होता ही नहीं है वीर्य गिरता ही नहीं है। यह कोई ताकत नहीं, एक अजीब सी बीमारी है। सीमा को चोद चोद कर मेरा पूरा शरीर टूट जाता है लेकिन मैं संतुष्टि पर नहीं पहुंच पाता, करीब 45 या 50 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद में मुझे कहीं संतुष्टि मिलती है। इसके लिए मैंने क्या कुछ नहीं कर के देखा। सीमा काफी अच्छा मुखमैथुन करती हैं उसकी चूत को मैंने चोद चोद कर चित्तौड़गढ़ बना दिया है। मेरे लिंग पर एक छोटा सा छेद रगड़ खाएं इसके लिए मैंने सीमा की गांड को गोदाम बना दिया है। तो भी संतुष्टि बड़ी मुश्किल से मिलती है। यह वरदान नहीं अभिशाप है। सीमा मेरे द्वारा किए हुए सेक्स से काफी परेशान भी हो जाती है कभी-कभी का ठीक है लेकिन रोज इतना गहरा सेक्स नहीं ले सकती। मैंने तो विदेश में बड़ी-बड़ी कॉल गर्ल को भी पटकनी दे दी है। यह तो बेचारी एक देसी लड़की है। पर क्या करूं रोज सेक्स किए बिना भी रहा नहीं जाता।
मैं- समझ नहीं आ रहा है यह समस्या है या खुशी की बात! किंतु यह इतना भी बुरा नहीं है क्योंकि सेक्स में तुम मजे तो ले रहे हो। अच्छा यह बताओ सीमा इस पर क्या कहती है?
श्लोक- सीमा अभी तक समझ नहीं पाई है कि वह खुश हो या दुखी। शुरुआत के आधे घंटे तक वह जमकर मजा लेती है और जमकर मजा देती है। मैं उसे पाकर बहुत खुश हूं किंतु उसके स्खलन के बाद मेरे स्खलन तक का समय उस पर बहुत भारी पड़ता है। फिर श्लोक बोला- यार जीजू, यह सब छोड़ो जब से आपने मुझे आपके स्वैपिंग के बारे में बताया है तब से मेरे दिलो दिमाग से यह बात निकल नहीं पाई है। तृप्ति दीदी को देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि वे. . इतना कहकर श्लोक रुक गया।
मैंने उससे उसकी बात पूरी करने का आग्रह किया.
इस पर श्लोक ने कहा- तृप्ति दीदी को देखकर बिल्कुल नहीं लगता कि वे सेक्स के लिए अपने पति की अदला बदली कर सकती हैं।
मैं- अच्छा तभी तृप्ति दीदी को आजकल घूर घूर कर देख कर तुम उनके इस क्रियाओं के बारे अंदाजा लगाते होn?
श्लोक- नहीं, मैंने कहां देखा घूर कर? (श्लोक की जुबान लड़खड़ाने लगी)
मैं- प्रिय श्लोक, मैंने तुम्हें देखा है तृप्ति को घूरते हुए, उसकी गोरी टांगों और उसके पिछवाड़े को आते जाते निहारते हुए। माना कि स्वैपिंग की बात बताने से पहले तुम्हारी ऐसी कोई बुरी नजर तृप्ति पर नहीं थी लेकिन उस दिन के बाद से मैंने तुम्हारी नजर का फेर महसूस किया है।
श्लोक- जीजू, मुझे माफ कर दो, आगे से ऐसी गलती नहीं होगी। मैं क्या करूं, यह बात मेरे दिलो-दिमाग से गुजर नहीं पाई है जब भी तृप्ति दीदी को देखता हूं उनके स्वैपिंग करके दूसरे मर्द से चोदने की कल्पना पर मन अजीब सा हो जाता है और पता नहीं किस प्रकार की जलन मुझे होने लग जाती है।
मैं- यार श्लोक, जलन तो अपनी प्रेमिका या पत्नी को किसी और के साथ कल्पना करके होनी चाहिए। वह तो तुम्हारी बहन है, पता नहीं तुम्हें उससे क्या फर्क पड़ता है कि वह किसी के भी साथ सेक्स करें क्योंकि तृप्ति तो मेरी संपत्ति है। कहीं तुम्हारा मन यह तो नहीं सोच रहा था कि मेरे इतने करीब होते हुए भी तृप्ति अपने जीजू के अलावा किसी और से कैसे चुदाई कर सकती है?
श्लोक गुस्सा हो गया और बोला- जीजू, आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं कि मैं अपनी बहन के बारे में ऐसा सोच लूंगा। आपकी इस गंदी बात की वजह से मैं आप को कभी माफ नहीं करूंगा! अगर आप मेरे जीजाजी नहीं होते तो शायद मैं कुछ ऐसा कर बैठता जिससे कि आप किसी के साथ सेक्स करने लायक नहीं रहते।
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मैं- माफ करना श्लोक, यह बात तो मैंने तुम्हारी नजर देखने के बाद कहीं है। तुम तो मेरे दोस्त हो। अगर तृप्ति और मैं किसी और के साथ अदला बदली करके एक दूसरे से चुदाई कर सकते हैं तो क्या बुरा है कि वह दूसरा जोड़ा तुम ही बन जाओ। वैसे भी अदला बदली का खेल कोई सही बात तो नहीं है। तो इस गलत बात को गलत कहने तथा करने में सही गलत सोचने का क्या काम। वैसे भी तुम्हारी मन की इच्छा है क्या तुम किसी ऐसी भारतीय देसी महिला के साथ सेक्स करना चाहते हो जो नई नवेली भाभी हो, जिसका जीरो फिगर ना हो, भरा पूरा शरीर हो अनुष्का शेट्टी, तमन्ना भाटिया और तृप्ति, क्या इन तीनों से बेहतर तुम्हें कोई अपनी मनोकामना पूर्ण करवाने वाली लगती है? अनुष्का और तमन्ना तो तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करने नहीं आएगी तो क्या तृप्ति के अलावा तुम्हें कोई और उससे बेहतर उससे सुंदर उससे अधिक सेक्सी शरीर वाली महिला तुम्हारे ध्यान में आती है? नहीं ना? तो अदला-बदली का यह खेल अगर हम दोनों किसी और के साथ खेलें और आने वाले समय में तुम्हारी मॉडर्न पत्नी सीमा और तुम किसी और के साथ खेलो, उससे बेहतर है कि हम आज ही यह खेल खेल कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर लें।
श्लोक- जीजाजी, आप क्या बोल रहे हैं, मेरी समझ से बाहर है, मैं ऐसा सोचभी नहीं सकता। मुझे माफ कर दीजिए और अब इस विषय में या किसी भी विषय में मुझसे ऐसी बात मत कीजिएगा। (श्लोक फनफनाते हुए केबिन छोड़कर चला गया)
सच बताऊं तो एक पल के लिए मैं काफी डर गया था कि वह तृप्ति को यह बातें बता ना दे क्योंकि मैंने तृप्ति को इन बातों के लिए तैयार नहीं किया था इसलिए भाई बहन वाली बात पर पूरी बात बिगड़ सकती थी। जब मैं घर गया तब पता चला श्लोक ने मुझसे बात करना छोड़ दिया था, दो दिन तक हमारी बिल्कुल बातचीत नहीं हुई।
##
तीसरे दिन रविवार था यानी छुट्टी का दिन सीमा और तृप्ति ने हम लोगों को बिना बताए वाटर पार्क जाने, मस्ती करने का फैसला हमें सुनाया। बीवियों की खुशी के लिए हम वाटर पार्क चले गए। वहां पर हम चारों ने बहुत मस्ती की लेकिन श्लोक और मेरी बातचीत बंद थी। इस बात का पता अभी हमारी दोनों बीवियों को नहीं पता चला था।
वाटर पार्क के पानी में भीग कर तृप्ति, सीमा के कपड़े उनके शरीरों से चिपक गए थे। तृप्ति और सीमा दोनों के स्तनों तथा कूल्हों के उभारों को साफ तौर पर महसूस किया जा सकता था। सीमा को देख कर मेरा लिंग तन तन आए हुए था और बैठने का नाम तक नहीं ले रहा था। लेकिन सीमा से ज्यादा तृप्ति का शरीर उन भीगे हुए कपड़ों में प्रदर्शित हो रहा था। क्योंकि सीमा तो जीरो फिगर पतली कमर वाली महिला थी लेकिन तृप्ति बड़े स्तनों के उभार उत्तेजना पैदा करने वाले चौड़े पेट और आकर्षक शरीर चौड़े कूल्हे वाली महिला थी। तृप्ति बेशक मेरे पास रोज सोती थी तब भी उसका शरीर मुझे इतना आकर्षित कर रहा था। तो मुझे पूरा विश्वास था कि तृप्ति के शरीर ने श्लोक के लिंग में भी खलबली मचा दी होगी।
थोड़ी देर बाद मैं पूल के बाहर जाकर बैठ गया और उन तीनों को मस्ती करते हुए देख रहा था। कुछ देर बाद श्लोक मेरे पास आकर बैठ गया और बोला- जीजू, उस दिन के गुस्से के लिए सॉरी। मैंने कभी पहले दीदी को इस नजर से नहीं देखा था इसलिए मुझे उस दिन गुस्सा आ गया था। लेकिन आपकी बातों ने मेरा नजरिया बदल दिया। जब दीदी खुद अपने मजे के लिए अपने पति के अलावा किसी और के साथ सो सकती है, जब वह गलत काम खुद कर सकती है तो मैं क्यों नहीं कर सकता। (श्लोक की यह बात सुनकर मुझे अपने प्लान पर घमंड हुआ आखिर मैंने यह कर ही दिखाया।)
मैं- प्रिय श्लोक, हम चारों नई उम्र के वैवाहिक जोड़े घर में अकेले रहते हैं, चारों को एक दूसरे से प्रेम है, एक दूसरे से दोस्ती है और एक दूसरे को पसंद करते हैं। तो क्यों ना इस संबंध का पूरा फायदा उठाया जाए। संबंधों को सेक्स संबंध तथा यारी को याराना बनाया जाए। ऐसा मौका सबको नहीं मिलता। वैसे तुम्हारा मन एकदम से बदल कैसे गया?
श्लोक- क्या बताऊं जीजू, मैं अपने मन को दीदी से हटा नहीं पाया। अदला बदली की बात पता चलने के बाद मैंने दीदी को आपके साथ किसी और के साथ और अपने साथ सेक्स करते हुए कल्पना की। इन 3 दिनों में हालांकि हमने बात नहीं की लेकिन मेरा लिंग एक मिनट भी बैठा नहीं। वाटर पार्क में दीदी के शरीर पर चिपके हुए कपड़ों मैं उनके इस शानदार शरीर को देखा तो ऐसा लगा कि आज अति उत्तेजना की वजह से मेरा लिंग दर्द से मेरा शरीर छोड़ देगा। आज से पहले मैंने इतनी उत्तेजना कभी किसी के लिए महसूस नहीं की। अच्छा एक बात बताइए जीजू यह सब आप केवल मेरे लिए ही तो नहीं कर सकते, सीमा पर आपकी नजर कब से है?
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Awesome updates. Will start reading. Keep posting
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मैं- जब तुम्हारी शादी हुई थी, तब मेरा मन इतना गंदा नहीं था। फिर जब हम इस घर में इकट्ठा हुए उससे पहले मैं और तृप्ति किसी के साथ अदला बदली कर चुके थे। चार एक ही उम्र के लोगों को देखकर मुझे पहला वाला याराना याद आ गया, मैं तुम तीनों से किसी प्रकार का धोखा नहीं करना चाहता था इसलिए बीवी की अदला बदली ही मैंने इसका समाधान सोचा और बीवी की अदला बदली में जो मजा है वह किसी प्रकार के सेक्स में नहीं है श्लोक। उसके बाद घर में सीमा के लंबी सेक्सी टांगों पतली कमर सेक्सी चेहरा लंबे सुनहरे बाल देखकर मेरा लिंग हमेशा फड़फड़ाए रहता जो सीमा के शरीर में नहीं देख पाया वह कृति सेनन के वीडियो डाउनलोड करके देखने की कोशिश करता हूँ, उस वक्त उत्तेजना में मैं अपना आपा खो बैठता हूँ और मन ही मन बोलता हूँ कि कब सीमा कहेगी 'आओ कभी हवेली पर!' इस तरह मैं और श्लोक दोनों हंसने लगे।
जब तृप्ति और सीमा पूल से बाहर आकर हमारे शरीर पर लिपट गई तब हमारी इस बातचीत का अंत हुआ रात में मैंने तृप्ति की गहरी चुदाई की अपने प्लान के सफल हो जाने तथा आने वाली शानदार चुदाई के याद के साथ मैंने तृप्ति को जमकर ठोका। उधर श्लोक के कमरे से भी वैसी ही आवाजें आती रही जिसका जिक्र मैं इस कहानी में पहले ही कर चुका हूं। हालांकि आज की आवाज में काफी ज्यादा मज़ा और दर्द था और श्लोक की भी आवाज मजे के साथ आ रही थी।
अगले दिन हमारे ऑफिस में:
मैं- श्लोक, केवल ख्याली पुलाव पकाओगे और अपनी बहन को सपने में ही चोदोगे या फिर हमें तृप्ति और सीमा से इस बारे में बात करनी चाहिए?
श्लोक- यार जीजू, मुझे तो दीदी से डर लगता है और सीमा का भी डर है कि मैं उसकी नजरों में गिर ना जाऊं... क्योंकि स्वैपिंग के लिए तो वह मान सकती है लेकिन मेरे और तृप्ति दीदी के बारे में उसका क्या विचार होगा मुझे पता नहीं है।
मैं- कुछ तो करना पड़ेगा, वरना हम अपने बीवियों को बदल-बदल कर लिंग का स्वाद कैसे चखाएंगे?
श्लोक- मेरे पास एक आईडिया है जीजू, जिससे कि हमें हमारी बीवियों को यह भी बताना नहीं पड़ेगा और उन्हें पता भी नहीं चलेगा कि हमने उनके साथ चुदाई कर ली है और हमारा भी शौक पूरा हो जाएगा।
मैं- वह कैसे?
श्लोक- मेरा एक दोस्त बैंकॉक में बैंकर है। और बैंकॉक में एक ऐसी दवा मिलती है जोकि बेहोशी तथा उत्तेजना का मिश्रण है वह एक ऐसी नशीली है दवा है जिससे कि व्यक्ति को नींद आ जाती है किंतु वहां नींद में उस व्यक्ति के साथ सेक्स करता है जिसके साथ में सेक्स करना पसंद करता है लेकिन यह तभी होता है जब उस व्यक्ति के साथ सच में सेक्स किया जा रहा हो इस तरह हम अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर लेंगे और हमारे बीवियों को लगेगा कि उन्होंने अपने पतियों के साथ ही सेक्स किया है
मैं- ऐसी भी कोई ड्रग होती है?
श्लोक- हां जीजू होती है, और मैंने इसका इस्तेमाल भी किया है विदेश में अपने मकान मालकिन के साथ। लेकिन यह कहानी मैं आपको बाद में बताऊंगा आप कहे तो मैं दवा अपने दोस्त से मंगाऊँ क्योंकि भारत में यह दवा नहीं मिलती!
मैं- अरे वाह मेरे होशियार साले साहब, तुमने तो मुझे भी पीछा छोड़ दिया। शुभ काम में देरी कैसी जल्दी मंगवाओ और कर दो शुभारंभ! लेकिन सुनो श्लोक... जो मजा रजामंदी के साथ सेक्स करने में है वह किसी को बेहोश करके करने में नहीं। बीवी की अदला बदली अगर अपनी चारों की मर्जी से हो तो उस का आनंद ही कुछ और है अतः हम दवा मंगा कर उससे दोनों को बेहोश करके उनके नंगे जिस्म का दीदार कर लेंगे और उन्हें मन भर कर देख लेंगे किंतु चुदाई उनकी रजामंदी से ही करेंगे।
श्लोक- ठीक है जीजू आप जो कहते हैं सही। इस बहाने एक मनोकामना तो पूरी होगी तृप्ति दीदी को नंगी देखने की!
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15 दिन लगे दवा हमारे घर पर आने में!
ये दिन कैसे निकले थे, केवल श्लोक और में ही जानते थे। चुदाई तो हम अपनी बीवियों के करते हैं लेकिन मन में हम एक दूसरे की बीवी को ठोकते रहते थे। इन 15 दिनों में श्लोक और हमने अपनी बीवियों के सारी गंदी बातें सारे पसंदीदा सेक्स पोज स्तनों का आकार गांड का आकार चूत का आकार जैसी बातें करके एक दूसरे की आग को बढ़ाए रखा। बीवी को दवा खिलाने के लिए शनिवार की रात को चुना।
शनिवार से 3 दिन पहले आई हुई दवा को छुपाने के लिए श्लोक में अपना ही कमरा चुना था।
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शनिवार आ ही गया। खाने के बाद की आइसक्रीम में हमने दवा दोनों को खिला दी। एक घंटे तक वे दोनों नॉर्मल रही और घर के बाकी काम निबटाकर बेड रूम पर पहुंच गई हम अभी अपने अपने कमरे में ही अपनी बीवियों के साथ सोए। 5 से 10 मिनट के बाद ही दवाई असर करना शुरू कर दिया और तृप्ति और सीमा को गहरी नींद आ गई। योजना के मुताबिक मैंने और श्लोक ने अपनी अपनी बीवियों को बेहोशी की हालत में नंगी कर दिया, उनके जिस्म पर हमने एक भी कपड़ा नहीं छोड़ा ताकि अगर उन पर दवा का असर नहीं हुआ हो तो वे जाग जायें और हमें पता चल जाए कि उन पर अभी दवा का पूरा असर नहीं हुआ। लेकिन दवा बेहद कारगर थी, उन पर उनके कपड़े उतारने का कोई भी असर नहीं हुआ।
आज हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होने वाली थी, सीमा को नग्न देख पाने की लालसा में लंड खड़ा होकर सलामी दे रहा था। तृप्ति को जब मैंने नंगी किया तब मेरे मन से निकला 'डार्लिंग, आज अपने भाई को अपना नग्न जिस्म दिखने के लिए तैयार हो जाओ।' तृप्ति के सेक्सी शरीर को देखकर मेरा मन बिगड़ने लगा था और मन किया कि अपने जिस्म को इसके ऊपर एक बार रगड़ ही लूं लेकिन आज मुझे इसे श्लोक के हवाले करना था। बाल खुले हुए, पूर्ण रूप से नंगी तृप्ति के 34″ के गोरे बड़े स्तन और उन पर गुलाबी रंग के निप्पल गजब का नजारा बना रहे थे। नीचे तमन्ना भाटिया जैसा गोरा और शानदार पेट तथा 27 की कमर चूसने चाटने लायक था। शीघ्रपतन वाले आदमी का तो तृप्ति को ऐसे लेटे हुए देख कर ही अपना स्खलन हो जाए। उसके गोरे गोरे 36″ के कूल्हे गोरी गोरी जांघें और गुलाबी रंग की चूत कयामत ढा रही थी। मेरे और रणविजय के बाद इस शरीर को देख पाने वाला श्लोक तीसरा खुशनसीब व्यक्ति था जो कि तृप्ति को ऐसे देख पायेगा। मैं यह सोच ही रहा था कि गेट पर खट खट खट की आवाज आई, दरवाजे पर श्लोक था, उसने कहा- जीजू, आपकी सलहज सीमा गहरी नींद में सो चुकी है और उसे मैंने पूरी नंगी कर दिया है।
तब मैंने कहा- तुम्हारी बहन तृप्ति भी गहरी नींद में सो चुकी है, तुम्हारे दीदार के लिए मैंने भी उसे जन्मजात नंगी कर दिया है।
श्लोक - "तो क्या हम अपने सपना पूरा करने वाले हैं जीजू? रहा ही नहीं जा रहा है। अब तो मेरा लंड जोर से दर्द करने लगा है इतना कड़क हो गया है।"
मैं- श्लोक, वह सब तो ठीक है लेकिन मेरे मन में एक समस्या है, उत्तेजना में आकर ऐसा कोई भी कार्य मत कर देना कि तृप्ति की नींद खुल जाए और लेने के देने पड़ जायें।
इस पर श्लोक विचार करने लगा, उसने कहा- हां यार जीजू, गहरी नींद में मैं तृप्ति दीदी से चुदाई नहीं करूँगा। लेकिन कोई बात नहीं, कम से कम मैं उनके सेक्सी शरीर पर अपनी नजरें डालकर अपनी थोड़ी बहुत मनोकामना तो पूरी कर सकता हूं। यह मेरे लिए बहुत है। चलिए समय निकलता जा रहा है आप भी ज्यादा उत्तेजना में ध्यान रखिएगा कहीं छूने से सीमा की नींद खुल गई तो भी लेने के देने पड़ जाएंगे। हमें अपने पर काबू रखना है और अपने आप को उनका नंगा बदन देख कर ही संतुष्ट करना है.
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अतः हमने खुशी वाला एक दूसरे से हाथ मिलाया और दोनों एक दूसरे के कमरे में चले गए। मैंने कमरे में घुस कर गेट को अंदर से लॉक किया और बेड पर नजर डाली। श्लोक ने सीमा को पूर्ण रूप से नंगी तो किया हुआ था लेकिन उसे चादर से ढका हुआ था। मुझे सीमा का केवल चेहरा ही नजर आ रहा था। मेरी धड़कनें बढ़ने लगी थी, जैसे-जैसे मैं सीमा की तरफ बढ़ रहा था ऐसा लग रहा था मेरी धड़कन आज बाहर निकल जाएगी। इतनी तेज धड़कनें तो मेरी प्रिया की चुदाई के वक्त भी नहीं हुई थी। मैं बेड के निचले हिस्से पर सीमा के पांव की तरफ खड़ा हो गया और पांव की तरफ से ही धीरे-धीरे मैंने सीमा की नंगी काया पर पड़ी हुई चादर नीचे की तरफ खिसकाई। मैंने चादर को सीमा की गर्दन से नीचे होते हुए उसके गोरे कंधों और स्तनों के ऊपर करके रोक दिया।
क्या दृश्य था। मुझे अभी उसके स्तन नजर नहीं आए थे लेकिन उसके स्तनों का उभार शुरू हो चुका था। कृति सेनन की हमरूप वह हम शरीर वाली एक अप्सरा मेरे सामने बेड पर नंगी लेटी हुई थी। मुझसे इंतजार नहीं हुआ और मैंने उस चादर को उसके स्तनों से नीचे उसके पेट तक खींच लिया। ओह माय गॉड! क्या दृश्य था! सीमा के गोरे स्तन मुझे साफ साफ नजर आने लगे थे सीमा के स्तनों का आकार बिल्कुल गोल था जैसे कि दो बड़ी बड़ी कचौरियां उसके शरीर पर सीने पर रखी हुई हो। हालांकि उसके स्तनों का आकार तृप्ति से छोटा था लगभग 33″ लेकिन उसकी पतली कमर पर यह गोल स्तन कयामत ढा रहे थे। क्या कमर थी दोस्तो, अगर आप यह कमर देखना चाहते हैं तो आप बेशक कृति सेनन की कमर देख सकते हैं। बस वही आकार था। आज ऐसा लग रहा था कि मैंने अपनी मनो-कामना पूर्ण कर ली है। अतः चादर को पूरा उसके नंगे शरीर से हटा दिया। फलस्वरूप उसकी नंगी लंबी गोरी टांगें मेरे सामने नग्न हो गई। सीमा की गांड की चौड़ाई उसके शरीर पर कमर के हिसाब से कुछ ज्यादा ही चौड़ी थी। उसके ऊपर का शरीर पतला तथा गांड की चौड़ाई काफी ज्यादा थी और उसके नीचे वह अपनी लम्बी पतली गोरी टांगों से एक अलग ही आकर्षण पैदा कर रही थी। उसकी टांगें काफी लंबी थी जैसे कि कोई कार्टून कैरेक्टर हीरोइन की होती हैं। मैंने उसके पेट को चूमते हुए नीचे जाकर अपने साले की बीवी की दोनों टांगों को चौड़ा किया और उसकी चूत के दर्शन किए। चूत की जगह के बाल साफ थे किंतु चूत के ऊपर थोड़ा सा बालों की एक आकृति बनी हुई थी। शायद यह एक स्टाइल था जो कि श्लोक को खुश करने के लिए बनाया हुआ था। मैं मंत्रमुग्ध सा अपनी नंगी पड़ी सलहज को देखता रहा। दस मिनट बाद मेरी तंद्रा टूटी और मैं अपने आपको संभाल कर बाहर आ गया क्योंकि करीब 2 से ढाई घंटे बाद दवा का असर कम होने वाला था। ऐसा मुझे श्लोक ने कह दिया था अतः मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था।
मेरे आने के 15 मिनट बाद श्लोक बाहर आया, श्लोक बहुत खुश था, आते ही वह मेरे गले लग गया और बोला- जीजाजी, मजा आ गया! क्या शरीर पाया है मेरी बहन ने, आपकी पत्नी का इतना गदराया हुआ शरीर। मैं तो उनके स्तनों को देखकर ही अपना मन नहीं भर पाया शरीर की कोमलता का एहसास अभी मुझे हो रहा है। संगमरमर जैसे सफेद शरीर वाली गुलाबी गुलाब के पंख जैसे स्तन व चूत वाली शरीर की मालकिन है तृप्ति दीदी! मैंने अपने लिंग को अपने हाथ से संतुष्ट किया, दीदी की चूत चोदने में एक अलग ही मजा आयेगा। तत्पश्चात हम दोनों अपने अपने कमरे में चले गए। जिस शरीर कि मैं कल्पना कर रहा था वह मुझे इतना आसानी से देखने को मिल गया था वह भी बिना किसी सिरदर्द बिना किसी को बहकाने तथा बिना किसी बातें बनाने से। इस पर मुझे खुशी थी। श्लोक ने तो मेरा काम बहुत ही आसान कर दिया था। तृप्ति मेरे बगल में सोई हुई थी नग्न अवस्था में। श्लोक अपनी बहन की टांगें चौड़ी करके छोड़ गया था. मेरी बीवी की चूत नींद में भी इतनी गीली थी, मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी चूत को झट से मुंह में ले लिया और पागलों की तरह मैं उसे चूसने लगा।
लेकिन गहरी नींद में बीवी को चोदने में मेरी कोई रुची नहीं थी तो मैं अपनी नंगी बीवी के जिस्म से लिपट कर सो गया।
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अगले दिन तृप्ति और सीमा जाग उठी तो उनका व्यवहार सामान्य था। सीमा का तो पता नहीं लेकिन तृप्ति एकदम से नींद आने पर आश्चर्य-चकित थी और बोल रही थी कि मुझे कल तो कुछ पता ही नहीं चला कब नींद आ गई। लेकिन श्लोक और मैं दोनों बेहद खुश थे। लेकिन यह महंगी ड्रग श्लोक एक बार की ही मंगा पाया था।
श्लोक ने मुझे शाम को कहा- यार जीजू, मजा आ गया, मैं दोबारा अपने दोस्त को यह ड्रग भेजने की बोल रहा हूं। अगले से अगले वीकेंड पर हम दोबारा यही करने का रखते हैं। तृप्ति दीदी को देख देखकर अब रहा नहीं जा रहा। जी तो करता है कि मैं उन्हें कहीं भी पकड़ कर चोद दिया करूं और अपनी संतुष्टि कर लूँ जो मैं उस दिन मन भर कर नहीं कर पाया था।
मैं- हाँ श्लोक, मजा तो आया लेकिन पूरा मजा नहीं आया असली मजा तो तब होता है जब अपना पार्टनर भी अपने साथ सेक्स करने के लिए उत्सुक हो। तुम अपने दोस्त से वह दवाई मत मत मंगाओ, हम एक दूसरे की बीवियों को कोई ना कोई तरकीब लड़ाकर चोदेंगे।
श्लोक- ऐसा नहीं हो सकता, मुझे यह संभव नहीं लगता।
मैं- तुम चिंता मत करो श्लोक, मैं यह सब व्यवस्थित कर लूंगा क्योंकि इस तरह के याराना का मैं सबसे पहला यार हूं।
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अगले दिन श्लोक के माता-पिता का फोन पर आदेश आया कि श्लोक का बिजनेस सफल हो जाने पर श्लोक हिमाचल जाकर अनंत बाबा से आशीर्वाद ले ले जिसके कहने पर श्लोक ने अपना बिजनेस शुरू किया था। (अनंत बाबा का श्लोक और तृप्ति के परिवार पर बड़ा आशीर्वाद था। अनंत बाबा ने मेरे ससुराल अर्थात श्लोक के परिवार को लेकर जो भी भविष्यवाणी की थी वह हमेशा से ही सच साबित हुई थी। जैसे तृप्ति की शादी एक समृद्ध परिवार में होना उसका हमेशा से खुश रहना। श्लोक किसी की नौकरी ना कर कर खुद एक बड़ी कंपनी का मालिक बन जाने की भविष्यवाणी अनंत बाबा ने पहले ही कर दी थी।) श्लोक ने उसी विश्वास से अपनी इतनी बड़ी नौकरी छोड़कर मेरे बिजनेस में हाथ डाला था और इसी विश्वास के कारण हमारा बिज़नेस इतना ऊपर पहुंचा। श्लोक अपने बिजनेस के सफल हो जाने पर अनंत बाबा के आश्रम को कुछ धन गुप्तदान करना चाहता था, यह बात केवल उसने मुझे ही बताई थी, अतः घरवालों की आज्ञा के कारण हम चारों ने हिमाचल जाने की योजना बनाई और हम चारों 15 दिन बाद अनंत बाबा से मिलने हिमाचल प्रदेश चले गए।
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हम बाबा के आश्रम पहुंचे, जहां लंबे इंतजार के बाद बाबा हम से मिलने के लिए अपने मठ से बाहर आए। वास्तव में आनंद बाबा एक अलग ही हस्ती थी, वह आजकल के बाबाओं की तरह ढोंगी, पाखंडी नहीं थे, जितना बोलते थे वह सच बन जाता था, अन्यथा वे कुछ बोलते ही नहीं थे, अगर कोई आशीर्वाद मांगता था तो केवल अपना हाथ उठा देते थे। इस समृद्ध परिवार का पहले भी गुप्त दान देने की वजह से श्लोक को वे जानते थे अतः उन्होंने अपनी मुस्कान के साथ हम चारों का स्वागत किया।
हाथ उठाने के बाद सीमा ने आखिर बाबा से पूछ लिया- बाबा, अब तो हमारे जीवन में सब कुछ सही चलेगा ना?
इस पर बाबा थोड़ी देर चुप रह कर बोले- बेटी, आगे का जीवन बेहद सुखद मय है तुम सबका, किंतु एक संकट तो आना है, आप दोनों चली जाओ, हम श्लोक को यह बात बताएंगे। तृप्ति और सीमा दोनों को बाबा ने जाने को कहा।
श्लोक- बाबा, कैसे संकट के बात कर रहे हो आप?
बाबा- बेटा, मैंने सीमा के मस्तक की रेखाओं को पढ़ा है और मुझे ज्ञात हुआ है कि 2 साल बाद उसके पिता पर बहुत बड़ा आर्थिक संकट आने वाला है। किंतु यह बात तुम उसे मत बताना, वरना वह परेशान हो जाएगी। हां, जितना हो सकता है उसे अपने पिता के साथ समय बिताने का समय दे देना। मैं ऐसी बातें कभी किसी को नहीं बोलता, केवल सुखद बातें बोलता हूं लेकिन तुम्हारा परिवार मेरे लिए बहुत खास है इसलिए मैंने तुम्हें इसके लिए सचेत किया है। और आगे कोई संकट नहीं। बाबा यह बात बोल कर उठ कर चले गए।
मैंने और श्लोक ने आश्रम से गुप्त दान की औपचारिकताओं को पूर्ण किया और दोनों अपने अपने होटल में लौट आए। सीमा और तृप्ति ने बहुत पूछने की कोशिश की कि बाबा किस संकट के बारे में बात कर रहे थे किंतु हमने उनको कुछ नहीं बताया। यहां सब हमने अपनी अपनी बीवियों के साथ हनीमून की तरह समय बिताया किंतु एक दूसरे की बीवी पर कोई बुरी नजर नहीं डाली अर्थात यह एक साधारण टूर था। अपनी अपनी बीवियों के साथ जिसमें चुदाई और उत्तेजना का समावेश था। हां श्लोक और मैं, हम दोनों एक दूसरे की बीवियों को देख कर आंखें तो सेक ही लेते थे।
हम अगले दिन वापस जयपुर के लिए रवाना हो गए और जयपुर पहुंच गए।
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अगले दिन ऑफिस में
श्लोक- यार पापा पर कैसा संकट आने वाला है?
मैं- अरे साले साहब, अगर पापा पर संकट आने वाला है तो उनका दामाद किस काम आएगा, है तो आपके ससुर ही, आप उनकी मदद कर देना और उन्हें इसके बारे में थोड़ा सचेत कर देना ताकि वे अपने कदम फूंक-फूंक कर रखें। उनकी बातें करने के बाद हम थोड़ी देर बाद नार्मल बातों पर आने लगे।
श्लोक- लेकिन सीमा मुझसे बार-बार पूछती रहती है कि बाबा ने कौन से संकट के बारे में कहा, मैं उसे क्या जवाब दूं समझ नहीं आता। तब मेरे दिमाग में एक विचार आया,
मैंने कहा- उन्हें क्या जवाब देना है, मैं समझ गया हूं, आज रात को इकट्ठे होकर बात करेंगे और बाबा की कही हुई बातें उन्हें बताएंगे। बस तुम हां में हां मिलाते रहना, बाकी सब मुझ पर छोड़ दो।
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शाम को खाने के बाद हम चारों बात करने के लिए छत पर इकट्ठे हुए। खुशगवार मौसम था, ठंडी हवा चल रही थी।
सीमा -अब बता भी दीजिए कि बाबा ने क्या कहा था हम दोनों सोच सोच कर बहुत परेशान हो रही हैं।
श्लोक- यह बात आपको जीजा जी बताएंगे, बताइए जीजाजी।
मैं- देखो यार, मैं इन बाबाओं को नहीं मानता था लेकिन उनकी सारी भविष्यवाणी आज तक तो सही साबित हुई है। यह अपने परिवार को लेकर ही नहीं, और भी कई लोगों के लिए बाबा ने सच्ची बातें बताई हैं। सोचने समझने की बात तो है अगर उन्होंने कोई संकट बताया है तो हम उसका इलाज करें क्योंकि उन्होंने कहा था कि अगर तुम सूझबूझ से काम लोगे तो उस संकट से बचा जा सकता है।
तृप्ति- लेकिन संकट क्या है?
मैं बताने लगा: सुनिए, बाबा ने कहा कि श्लोक और राजवीर जिस बिजनेस को कर रहे हैं वह आगे जाकर बहुत ही बड़ा रूप लेने वाला है। आने वाले समय पर सीमा, श्लोक और तृप्ति, राजवीर को पुत्र धन प्राप्त होगा। यहां तक सब खुशी से चलेगा किंतु उसके बाद पुत्रों की वजह से पारिवारिक कलह का जन्म होगा। पहले बच्चों की वजह से लड़ाइयां होगी और उसके बाद बिजनेस में उनके अधिकार के लिए। और यह लड़ाई इतना बड़ा रूप लेगी के कारोबार पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा।
तब श्लोक ने पूछा- तो बाबा इसका क्या उपाय है?
मैं- बाबा बोले, किसी पूजा-पाठ से यह समस्या समाप्त नहीं होने वाली है, इसका उपाय तो तुम चारों को खुद ही करना पड़ेगा। परिस्थितियों या अपने परिवार को ऐसा बनाना होगा कि कोई पराया ना लगे! इतना कहकर बाबा ने हाथ उठाया और चले गए।
तृप्ति- नहीं नहीं, ऐसा नहीं हो सकता। मैं और सीमा तो कभी पैसों के लिए लड़ नहीं सकते। हमारे बीच में ऐसी कोई लड़ाई नहीं होगी। सीमा का बेटा मेरा बेटा, मेरा बेटा सीमा का बेटा, दोनों को अगर किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी अपने बिजनेस में मिले तो हमें इसका कोई दुख नहीं होगा। आप लोग भी समझदार हैं मुझे नहीं लगता साले और जीजा में इस प्रकार की लड़ाई होगी?
मैं- जी हां, हम बहुत ही समझदार हैं किंतु बाबा की भविष्यवाणियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। आज की दुनिया में तो भाई भाई का सगा नहीं होता हम तो फिर भी जीजा साले हैं। और ननद भाभियों की तो कहां पटती है। यह तो बहुत कम देखने को मिलता है। क्या पता भविष्य में अभी के जैसा व्यवहार आप दोनों का हमेशा हमेशा रहे। क्योंकि किसी मां के लिए अपने बच्चे से बड़ा नहीं होता!
सीमा- जी हां जीजू, आनंद बाबा का कहा अभी तक तो झूठ नहीं निकला है।
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