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Adultery रीमा की दबी वासना
Update dear
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Month end is here brother.... waiting
read the story वक़्त का तमाशा
BICHADKAR FIR MILENGE KITNA YAKIN THA,
MANAYE YE KHWAB THA PAR KITNA HASIN THA
https://xossipy.com/showthread.php?tid=13041
[Image: GBWA-20190214201125.jpg]
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(21-07-2019, 11:39 AM)vijayveg Wrote: Update will come on month end.

You always stick to the promise. Looking forward to the next great update.
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update?
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When you update
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update will come on Sunday
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Yo bro.. Waiting for SUNDAY
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OK bhai
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रोहिणी उसको गुदगुदी करने लगती है, रीमा खिलखिलाने लगती है और रोहिणी भी | दोनों एक दुसरे में गुताम्गुथा हो बिस्तर पर पसर जाती है | कुछ देर तक रोहिणी रीमा के निश्छल निष्कपट सौन्दर्य को निहारती रहती है | रीमा के गुलाबी प्यास अधर न चाहते हुए भी रोहिणी के ओंठो से चिपक गए | 



[Image: 16496580.gif]
रीमा और रोहिणी एक-दूसरे को बाहों में भरे हुए थी रीमा का हाथ कहा धीरे-धीरे रोहिणी के शरीर के ऊपर से फिसलता  हुआ उसकी कमर के नीचे कमर पहुंच गया, रोहिणी के शरीर में एक अनचाही ही मधुर तरंग दौड़ गयी | उसकी बाहों में थो खूबसूरत रीमा, और दोनो में हंसी मजाक तो होता था लेकिन इतना करीब दोनों कभी नहीं आयी थी की एक दुसरे की सांसे महसूस कर सके | रीमा का हाथ सीधे रोहिणी के नाड़े पर जकल अटक गया | उसने एक उँगली रोहिणी नाड़े में फंसाई और रोहिणी की कमर में बंधा  पजामे का नाडा खीचने लगी |  दोनों के होंठ एक दूसरे से सटे हुए थे दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रही थी दोनों के हाथ एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे | रोहिणी ने भी अपने हाथ रीमा की लेगिंग्स में घुसेड़ दिए और उसके नाजुक स्थूल बड़े बड़े चुताड़ो को सहलाने लगी | दोनों एक दुसरे से कसकर चिपकी हुई थी | दोनों ही एक दूरे के ओंठो का रस पी जाने को बेताब थी दोनों बारी बारी से एक दुसरे के गुलाबी ओंठो को निचोड़ने लगाती |  जैसे जैसे रीमा रोहिणी का नाडा खीच रही थी ऐसा लग रहा था जैसे दोनों के बीच के रिश्ते की मर्यादा का पर्दा भी साथ में खिचता चला जा रहा है | दोनों के बीच की रिश्तो की दीवार ढहने लगी थी और अब दोनों बस दो जवान तड़पते जिस्म भर थे | रीमा ने पजामा खोलते ही अपने हाथ रोहिणी के पजामे में घुसा दिए और अपनी कोमल उंगलियों से रोहिणी की उस वर्जित इलाके की बनावट कसावट और गर्माहट का अनुभव करने लगी | उसकी उंगलियों की संवेदनाये ही उसे बिना आँखों से देखे रोहिणी के स्त्रीत्व की बनावट के दर्शन कराने में सफल हो रही थी | रीमा के हाथ चूत त्रिकोण से फिसलते हुए उसके निचले हिस्से में चले गए जहाँ रोहिणी की कमसिन चूत अपनी मांसल जांघो के बीच में छिपी हुई थी | रीमा ने उसके खूबसूरत ओंठो की गुलाबी बनावट पर अपनी उंगलियाँ फिराई और फिर उसकी जांघो की सहलाते हुए उसके चुताड़ो की तरफ सगली गयी | रोहिणी मदहोश होने लगी थी, वो दोनों हाथो में रीमा के मांसल चूतड़ भरकर उनकी कसकर मालिश कर रही थी | 

[Image: 20821356.gif]


रीमा ने रोहिणी की पजामे को नीचे खिसकाना शुरू कर दिया | दोनों के गुलाबी ओंठ आज एक दुसरे को निचोड़ देने को बेताब थे | नीचे दोनों के हाथ और उंगलिया क्या कर रहे है इसकी खबर से पूरी तरह से बेपरवाह उनके गुलाबो ओंठ एक दुसरे में गुथम गुथा थे और बेतहाशा एक दुसरे का रसपान कर रहे थे | रीमा रोहिणी के पजामे को उसके घुटनों तक ले गयी इसके बाद रोहिणी ने अपने पैरो से ही पजामे को नीचे खिसकाकर अपने पैरो से अलग कर दिया | उसकी कसी पैंटी में लिपटे उसके अर्द्ध नंग्न मांसल भरी भरकम चूतड़ बेपर्दा हो गए | रीमा का बदन अभी कपड़ो से ढका हुआ था , उम्र में बड़ी होने और सेक्स का ज्यादा अनुभव भी होने के कारन रोहिणी के अन्दर एक पल को लगा की रीमा तो उससे आगे निकलती जा रही है | उन्होंने अपने अहम् को संतुष्ट करने को रीमा की लेगिंग्स को जबदस्ती नीचे खिसकाना शुरू कर दिया | रीमा ने कोई प्रतिरोध नहीं किया | रीमा बस रोहिणी को चूमने में लगी रही और उसके नाजुक हाथ रोहिणी के कोमल बदन पर फिसलते रहे | रोहिणी ने रीमा की लेगिंग्स खिसकाकर उसके घुटनों तक कर दी और उसके गुलाबी मांसल चुताड़ो एक चपत लगा दी | 
रीमा के मुहँ से एक हल्की मीठी सीत्कार भरी चीख निकल गयी - आआऔऊऊऊच  | 
रीमा ने भी रोहिणी के ओंठो को अपने दांत के नीचे  भींच लिया  | अब बारी चीखने की रोहिणी की थी - आआआऊऊऊउ | 
रीमा द्वारा इतनी तेजी से दी गयी प्रतिक्रिया से रोहिणी हैरान रह गयी | 
उसने भी रीमा के चुताड़ो को पूरी ताकत से भींच लिया और कहने लगी - मेरी कट्टो रानी तो बिजली से भी तेज है, मुझे पता था बहुत आग भरी है तेरे इस खूबसूरत बदन में  | रोहिणी ने एक हाथ पीछे से निकाल कर उसके स्तन की एक चूंची कसकर मसल दी | 
रीमा के मुहँ से फिर से हल्की चीख निकल गयी - आआऔऊऊऊच  दिदिदिद प्लीज ................|  
रोहिणी - प्लीज क्या........तू न मिर्च से भी तीखी है ये तो मुझे पता चल गया, तुझे तो बस चीखना पड़ेगा, अगर किसी ने खाने की सोची तो अपना मुहँ ही जला लेगा, इतना पक्का है | रीमा ने अपनी तनी हुए उन्नत पहाड़ियों की नुकीली चोटी को मसल रहे रोहिणी की हाथ को वहां से हटा कर फिर से चूतड़ की तरफ बढ़ा दिया | रोहिणी समझ गयी अभी रीमा बस अपने चुताड़ो को मालिश करवाना चाहती है | रोहिणी ने फिर से रीमा की चूतड़ अपनी हथलियो में भींच लिए और उन्हें मसलने लगी | रीमा  भी अपने हाथ कसकर रोहिणी की गर्दन के पीछे जमा दिए और उसके चेहरे को अपने चेहरे की तरफ ठेल दिया  | नतीजा दोनों के ओंठ एक दुसरे में कसकर चिपक गए | रीमा ने अपनी लम्बी गीली जीभ रोहिणी के मुहँ में ठेल दी | रोहिणी के लिए ये नया नहीं था लेकिन चौकाने वाला जरुर था | कम से कम उसे रीमा से ये उम्मीद नहीं थी | उसे एक पल लगा रीमा की इस हरकत को आत्मसात करने में फिर उसने अपने ओंठो की गुलाबी सुरंग में रीमा की जीभ को जकड लिया और उसके कसकर चूसने लगी और उसके ओंठ रीमा की गीली गुलाबी जीभ पर फिसलने लगे | 

[Image: 18309351.gif]

रोहिणी के हाथ रीमाँ के मांसल चुताड़ो पर फिसल रहे थे और रीमा ने रोहिणी के चेहरे को थाम रखा था | और दोनों के गीली गुलाबी जीभे एक दुसरे के मुहँ में सरपट फिसल रही थी | रोहिणी के जीभ अपनी गुलाबी गुफा से निकल कर रीमा के ओंठो को चीरते हुए उसकी गुलाबी गुफा में जा रही थी और रीमा की गुलाबी जीभ रोहिणी की गुफा में | रोहिणी को अब तक समझ आ गया था, रीमा क्यों बाकि दुनिया से अलग है | जीभ और ओंठ के ऐसे खेल उसने भी खेले है लेकिन ये बस चंद पल के होते है | आज तो उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई किसी गहरी झील की गुफा की लहरों में उसकी नाव नुमा जीभ हिलकोरे लेते हुए आगे तक फिसलती जा रही है | उसके ऊपर सुहागा ये की दोनों इतनी करीब थी की एक दूसरे की सांसे को न केवल महसूस कर सकती थी बल्कि उन्हें पीकर अपने अन्दर समाहित कर सकती थी | दोनों की भाप बनकर निकलने वाली सांसे उनके चेहरे और ओंठो की तपिश और बढ़ा रही थी | हर पल हर स्पर्श हर  साँस का अहसास उसे आज बस रीमा के साथ हुआ | कमरे और मन में इतनी शांति थी की आज न केवल वो अपनी धड़कने सुन पा रही थी बल्कि अपनी गरम सांसे भी गिन पा रही थी | वो इन खेलो में बहुत एक्सपर्ट थी लेकिन ये स्पर्श ये अहसास उसे सायद आजतक नहीं महसूस हुआ था | रीमा की गीली जीभ अपनी गीली जीभ को नुरा कुश्ती करने का गीला रोमांचकारी अहसास | वासना की कितने रूप है और किन किन रूपों में इसे वो भोग सकती है शायद उसे भी नहीं पता था | दोनों एक दुसरे से चिपके हुए एक दुसरे के मुहँ में अपनी अपनी गरम भाप भरी सांसे समाते हुए काफी देर तक ऐसे ही अपनी अपनी जीभो से एक दुसरे के मुहँ में खेलती रही | 

रोहिणी रीमा से अलग हुई | रीमा अलग नहीं होना चाहती थी लेकिन कुछ कर न सकी | रोहिणी ने रीमा की आँखों में झाँका | दोनों की आँखों में वासना के सुर्ख डोरे तैर रहे थे | रोहिणी के अलग होने से रीमा को अपने होने का अहसास हुआ | जब उसे अहसास हुआ वो रोहिणी जीजी के साथ तो शर्म से झेंप गयी लेकिन इससे पहले उसके अन्दर की ग्लानी और शर्म उसे आकर घेर ले रोहिणी उसके ऊपर छा गयी | रोहिणी नहीं चाहती थी जो माहौल बना है वो यू की दकियानुकुसी में खराब हो जाये | वो नहीं चाहती थी की रीमा शर्म हया और ग्लानी के जाल में फंसकर फिर से अपनी एकाकी दुनिया में चली जाये | रीमा रोहिणी के साथ सहज रहती थी बोलती थी बाते करती थी लेकिन उसका ये पहलू उसने कभी जाहिर नहीं होने दिया | रोहिणी इस रीमा को नहीं खोना चाहती थी | ये उसके लिए थोड़ा आश्चर्य चकित करने वाला था लेकिन रीमा का ये रूप उसे पसंद था, बिंदास उन्मुक्त रीमा | उसके जिस्म में एक जादू था और इसका अहसास बस उसी को हो सकता था जो उसके करीब हो, न केवल शरीर से बल्कि मन से भी | अगर वो इन्सान मन से करीब नहीं तो रीमा के भेद खोल पाना मुश्किल है, रीमा को बस उसका विश्वास चाहिए था, जैसे ही उसने वो महसूस कर लिया फिर वो जादू की परी बन जाती थी ऐसी परी जो सिर्फ स्वर्ग की सैर कराती है |  वो थोड़ा बहुत तो रीमा का मन पढ़ ही पा रही थी | रीमा के ऊपर जाते ही उसके अपने पैरो से रीमा की जांघे फैला दी और अपनी जांघो को उसकी जांघो के बीच में भर दिया | उसके चेहरे को कसकर अपने हाथो में थाम लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगी | वो किसी भी हाल रीमा के दिल के कोने तक जाना चाहती थी, उसकी सारी बाते जानना चाहती थी जो आज तक उसने नहीं बताई, उसके मन में क्या है उसे जानना था भले ही ओंठो से न सही लेकिन रीमा बोलती तो है, वो भले ही अपने ओंठ सिल ले लेकिन वो अपने जिस्म को नहीं रोक पाती, वो बोलने लगता है बस उसको समझने वाला चाहिए | रीमा भी खुद को रोक नहीं पाई और रोहिणी के साथ बहती चली गयी | उसके ओंठ भी रोहिणी के ओंठो के साथ चिपकते चले गए | दोनों के गुलाबी ओंठो में नुरा कुस्ती फिर से शुरू हो गयी | दोनों कमर के नीचे बस पैंटी में अपने गोर बदन को ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी | दोनों के भारी भरकम मांसल बड़े बड़े चूतड़ कमरे की रोशनी में अलग ही दमक रहे थे | दोनों एक दुसरे से चिपकी एक दूसरे में गुथमगुथा एक दुसरे को बेहताशा चूम रही थी | 

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धीरे धीरे  दोनों का एक एक हाथ एक दूसरे के चूतड़ पर फिसलने लगा दोनों एक-दूसरे के बड़े मांसल चूतड़ों को अपनी हथेली में भरकर के मालिश कर रही थी उसे रगड़ रही थी उसे सहला रही थी और एक दूसरे के होठों को चिपकाए हुए एक दूसरे के होठों का रस पी रही थी  दोनों की आंखों में इस समय हवस का नशा पूरी तरह नजर आ रहा था  और दोनों अपने रिश्ते की मर्यादा को टाक पर रखकर  एक दूसरे की बाहों में समाकर एक दूसरे के बदन को आपस में रगड़ रही थी और अपनी जवानी को और ज्यादा भड़का रही थी दोनों के अन्दर की दबी हुई वासना अब उफान मारने लगी थी | रोहिणी की जांघे रीमा की जांघो के बीच धंसी उसकी जांघो से रगड़ खा रही थी | एक दुसरे से रगड़ते बदन से दोनो के बदनो में गर्मी बढ़ने लगी थी | छाती से छाती रगड़ रही थी पेट से और पैंटी से पैंटी रगड़ खा रही थी | दोनों की पैंटी में कैद उनके स्त्रीत्व का अभिमान उनकी गुलाबी कसी हुई चूत में हलचल होने लगी थी | उसकी चूत की सुरंग में होने वाली हलचल की तरंगे अब दोनों के दिलो दिमाग तक पंहुचने लगी थी | दोनों आपस में इस कदर वासना में डूब चुकी थी की उन्हें अहसास ही नहीं था की उन्ही से चंद कदम दूर कोई और इन्सान भी है जो उनकी इस नुरा कुश्ती की सिसकारियां सुनकर जाग सकता है | रोहिणी ने रीमा की स्तनों पर अपने हाथ जमा दिया | 
मेरिउसकी आँखों में एकटक देखते हुए रोहिणी - बता मेरी कट्टो रानी, कैसा लग रहा है | रीमा ने आत्मीयता से आंखे से इशारा किया |
रोहिणी ने उसकी चुन्ची को जोर से मसलते हुए - बोल न मेरी कट्टो रानी, मजा आ रहा है और जोर से रगडू |
रीमा इस मीठे दर्द से हलके से चीख उठी - आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह |
रोहिणी - मजा आ रहा है मेरी परी को और जोर से मसलू | इतना कहकर उन्होंने और जोर से निप्पल मसल दिया |
रीमा की इस बार चीख निकल गयी - आआआआऐईईईई दीदी दिद्द्दद्द्द |
रीमा ने भी अपने हाथो में रोहिणी के स्तनों को भर लिया और मसलने लगी | रीमा और रोहिणी के गरम बदन में अब हलचल बढ़ने लगी थी | लगातार एक दुसरे का मर्दन करने से उसकी चूत में गीलापन आना शुरू हो गया था | रीमा ने रोहिणी के बड़े बड़े सुडौल स्तनों पर से हाथ हटाया और उसके टॉप में उंगली फंसाकर उसे ऊपर को खीचने लगी |  कमरे के बाहर अंधेरा था और कमरे के अंदर रोशनी भरपूर थी इसलिए कमरे के बाहर से अगर कोई देखता तो कमरे के अंदर का वह वासना का नंगा नाच का नजारा साफ-साफ देख सकता था रीमा और रोहिणी एक दूसरे की बाहों में समाए हुए थी | दोनों की जुल्फे बिखरी हुई थी, दोनों एक दुसरे से चिपकी हुई थी, दोनों एक दुसरे को चूम रही थी |
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 दोनों के भारी भारी गोरे गोरे गुलाबी मांसल  चूतड़ बस एक पतली सी पैंटी से ढके हुए थे बाकी सब कुछ उसका साफ साफ दिख रहा था ऊपर उसने टॉप पहनी हुई थी | दोनों अब मदहोश होने लगी थी रीमा को तो पहले से होशो हवास  नहीं था वह अपनी वासना में इस कदर खो गई थी कि आसपास का उसे होश ही नहीं रहा था वह बेतहाशा रोहिणी को चूम रही थी उसका यह किसी औरत के साथ पहला अनुभव था और इसीलिए उसके अंदर की उत्तेजना अब लगातार उफान मार रही थी वह बेतहाशा उन्हीं को चूमे जा रही थी और उसके उसके चूतड़ों को सहला रही थी उसके बाद रोहिणी ने अपने हाथो को उठाते हुए रीमा के चूतड़ों पर जमा दिया और उसको  अपनी जांघों की गिरफ्त में ले लिया | रीमा भी रोहिणी की गिरफ्त में समाती चली गई |  धीरे-धीरे रोहिणी बिस्तर पर लेट गई और रीमा उसके ऊपर आ गई थी रोहिणी ने अपनी दोनों जांघों को कसकर रीमा की कमर के ऊपर सटा दिया था जिससे कि रीमा रोहिणी की जांघों की सख्त  गिरफ्त में पूरी तरह से बंध गयी  हालांकि दोनों के होंठ एक दूसरे से अभी भी चिपके हुए थे और लगातार दोनों एक दूसरे को चूम रही थी 


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अब रीमा धीरे-धीरे अपने शरीर को झटके देकर रोहिणी को चूम रही थी रोहिणी भी रीमा की गर्दन पर हाथ रख कर के उसको तेजी से अपनी ठेल रही थी और रीमा के लगने वाले झटकों से दोनों एक दूसरे से कस के रगड़ खा रहे थे और दोनों के बदन की गर्मी अब पसीने में बदलने लगी थी |  दोनों की सांसो में तेजी थी, धड़कने धक धक कर रही थी और नाक से निकलने वाली गरम भाप एक दुसरे के चेहरे को तपा रही थी | दोनों की उत्तेजना अपने अपने उफान पर की तरफ बढ़ने लगी थी दोनों गर्म गर्म सांसे एक दूसरे में घुलने लगी थी उनके बदन की गर्मी से निकलने वाला पसीना उसके जिस्उमो को गीला करने लगा | रीमा की जुल्चाफे चारों तरफ बिखरी हुई थी और रोहिणी बार-बार उन्हें संभालती लेकिन रीमा की उत्तेजना कुछ ज्यादा ही थी और वह रोहिणी पर ऐसे टूटे पड़ रही थी जैसे कई दिन की भूखी शेरनी खाने पर टूट पड़ती है | रीमा लगातार अपनी कर हिलाकर अपने चूत वर्जित चूत त्रिकोण को रोहिनई के चूत त्रिकोण पर रगड़ रही थी | पैंटी के ऊपर सी ही दोनों की खूबसूरत चूत की घाटी आपस में रगड़ खा रही थी |  रोहिणी भी  लगातार रीमा के होठों से को चूम रही थी उसके चेहरे को चाट रही थी और उसके बदन को सहला रही थी | उसके बाद रोहिणी रीमा को बांहों में भरे भरे उलटा हो गयी | अब रीमा नीचे थी और रोहिणी ऊपर |  उसने रीमा को चूमना शुरू किया था रोहिणी का हाथ  रीमा की कमर पर उसको पकड़ के अच्छे से उसे अपने जिस्म की तरफ ठेल रहा था  | इसी बीच रोहिणी ने रीमा को बिस्तर पर उलटा लिटा दिया | उसकी छातियाँ बिस्तर में धंस गयी और उसके मांसल भारी भरकम चूतड़ ऊपर को हवा में उठ गए | रोहिणी अब तक रीमा के हाथो में खेल रही थी उसे लगा अब उसे भी तेजी दिखानी चाहिए और रीमा के जिस्म में उफान मरती उसकी वासना की आग को ठंडा करने का कुछ इंतजाम करना चाहिए | उसने रीमा के चुताड़ो को मसलते हुए उसकी पैंटी को नीचे खिसका दिया | रीमा की वर्जित गुलाबी चूत घाटी बेपर्दा हो गयी | हमेशा की तरह खूबसूरत दमकती चमकती उसकी गुलाबी चूत अपनी ओंठो की सख्त जकड़न से पूरी तरह बंद थी | उसकी चूत पर नजर डालते ही रोहिणी के अन्दर इर्ष्या और खुसी दोनों एक साथ दौड़ गयी | वो रीमा की चूत की खूबसूरत बनावट से जलन खा रही थी लेकिन उसकी अपनी सगी भौजाई इतनी खूबसूरत है ये सोचकर ख़ुशी के मारे फूले नहीं समां रही थी और उसे उसकी खूबसूरती न केवल देखने को मिल रही है बल्कि भोगने को भी मिल रही है | उसके हाथ की उंगलिया रीमा की उस वर्जित घाटी में उतर चुकी थी | रीमा की अन्दर उमड़ रहे वासना के तूफ़ान को अब चूर चूर करने का टाइम आ गया था और रोहिणी जानती थी अब रीमा को क्या चाहिए | अब उसे न कोमल स्पर्श की जरुरत है न जादुई चुम्बन की | रीमा वो दौर लांघकर आगे आ चुकी थी | उसके तपते बदन की गर्मी ये बताने की लिए काफी थी की रीमा अब उत्तेजना से पूरी तरह से नहा चुकी है | उसकी चूत से निकलने वाले चूत रस ने उसके ओंठो को भिगो दिया था | रोहिणी ने अपनी सारी उंगलियों को उससे गीला किया | रोहिणी ने अपनी कोमल उंगलियों का स्पर्श एक दो बार रीमा के चूत के ओंठो पर किया और फिर उसकी चूत की दरार पर एक गीली उंगली फिराई | रीमा वासना में  सिसक उठी | रोहिणी समझ गयी रीमा को क्या चाहिए |  रोहिणी से कसकर रीमाकी  चूत को मसलना चालू कर दिया, जीतनी तेज जीतनी ताकत से मसल सकती थी वो अपना हाथ रीमा की चूत घाटी में हिलाने लगी | रीमा के मुहँ से सिसकारियो की बौछार फुट पड़ी | रीमा ने मुठ्उठिया भींच ली और कसकर बेड की चादर को जकड लिया | रीमा के  मुहँ से निकलने वाली तेज सिसकारियो से कमरा गुजने लगा | रोहिणी सतर्क हो गयी उसे लगा ऐसे तो रीमा पुरे घर को जगा कर रख देगी | उसने झट से अपना एक हाथ से रीमा के मुहँ को दबा लिया | अब उसकी चूत के ओंठो और दाने के तेज रगड़न से उसकी चूत में उठने वाली वासना की तरंगो के दिलो दिमाग तक तक पंहुचने से निकलाने वाली सिसकारियां मुहँ में ही घुटकर रह जा रही थी | रीमा कराह रही थी तड़प रही और अपने अन्दर ही उस तड़प को घोटे ले रही थी | रोहिणी ने अपने हाथ की तेजी बरक़रार रखी, उसके दूसरे हाथ ने सख्ती से रीमा का मुहँ बंद कर रखा था | रोहिणी रीमा के कान में कुछ बडबडा रही थी जो  रीमा के बिलकुल भी समझ नहीं आ रहा था | बेताह्सा गुलाबी चूत रगड़े  जाने से उसके अन्दर उठने वाली तरंगो ने उसके तन बदन में आग लगा दी और वो उसे मुहँ की सिकरियो के जरिये बाहर भी नहीं निकाल पा रही थी जब उससे रहा नहीं गया तो उसने रोहिणी का हाथ खीच लिया | रोहिणी ने उसके मुहँ पर से पकड़ ढीली कर दी, रीमा तेजी से हांफते हुए लम्बी साँस लेने लगी और खुद को नियंत्रित करने लगी | 
[Image: 20746222.gif]


 अपने चूत दाने और चूत के ओंठो होठों पर खेलती फिसलती हुई तेज उंगलियों के कारण रीमा से जैसे पागल सी हो गई थी लेकिन रोहिणी को पता था कि क्या करना है उसने लगातार रीमां की चूत के चूत दाने को कसकर मसलना जारी रखा रीमा के अंदर से उठाने वाली कामुक तरंगो की मादक सिसकारियां उसके मुहँ में आकर घुट जा रही थी रीमा ने कसकर अपने ओंठ भींच रहे थे ताकि उसकी दबी वासना की कामुक आवाज कमरे के बाहर के बाहर न जा पाए | 


रीमा तो अपनी चूत के इस तरह से रगड़े जाने के कारण जैसे पागल सी हो गई थी उसे लगा कि अब उससे रहा नहीं जाएगा इसलिए उसने झट से अपने आप को पलट लिया और रोहिणी के गुलाबी ओंठो से अपने गुलाबी ओंठ सटा दिए | 
[Image: 7723694.gif]
उसने अपनी लंबी  जुबान निकाली और रोहिणी के मुहँ में ठेल दी | रोहिणी अपने मुहँ में उसकी गीली जीभ लेकर उसके चूसने लगी | दोनों ने एक दुसरे के गले में बाँहे डाल दी और एक दुसरे के ओंठो से फिर से अपने ओंठ सटा दिए | अब दोनों एक दुसरे के आगोश में थी | दोनों की बिखरी हुई जुल्फे उन्ही के पसीने से नहाये बदन पर चारो तरफ बिखरी हुई थी | दोनों की  गुलाबी जवानी एक दूसरे से टकरा रही थी दोनों की गरम पसीने से नहाये बदन  एक दूसरे से चिपके हुए थे | दोनों की गर्म सांसे एक दूसरे में घुल रही थी दोनों के गुलाबी जीभे एक दूसरे के गुलाबी ओंठो को चीर कर एक दुसरे के मुहँ में समां जाने को आतुर थी | दोनों के नरम बदन एक दूसरे का जादुई स्पर्श पाकर के आनंद में डूबे जा रहे थे | दोनों के अंदर की अनछुई वासना, एक औरत का दूसरी को स्पर्श,  एक दूसरे की गहराई में इस तरह जाना | दोनों के  आनंद की कोई सीमा नहीं थी | 

इसी बीच धीरे से रीमा ने  रोशनी को पीछे से अपनी बाहों में भर लिया और उसकी पैंटी में हाथ घुसेड़कर उसके चूत को रगड़ने लगी | रोहिणी की सिसकारियां छुटने लगी क्योंकि रीमा का हाथ बहुत तेजी से उसके चूत के ओंठो और उसके चूत दाने पर फिसल रहा था |  रोहिणी को लगा रीमा तो बहुत ही अनुभवी खिलाडी की तरह उसके साथ खेल रही है, कहाँ वो खुद रीमा को एन्जॉय करना सिखाने आई थी लेकिन यहाँ तो रीमा ने ही समा बांध दिया | रीमा की उंगलियों का जादू वासना की तरंग बनकर रोहिणी के बदन में उतारने लगा | उसका जादुई स्पर्श, रोहिणी को पागल बनाने लगा | रीमा की उंगलियों का जड़ी न केवल रोहिणी के जवान जिस्म में वासना की आग भड़का रहा था बल्कि उसके स्पर्श के आनंद का जादू सीधे रोहिणी के दिलो दिमाग में उतरता चला जा रहा था | रीमा की नाजुक नरम उंगलियाँ उसके पैंटी के अंदर घुसकर उसकी वासना के सेण्चुटर पॉइंट चूत दाने पर फिसल रही थी और रीमा के जादुई स्पर्श के साथ में रोहिणी के शरीर में एक तरंग दौड़ जाती, वो रीमा के साथ आनंद में झूम जाती  और अपने चूतड़ उससे सटा करके अपनी कमर हिलाने लगती दोनों एक दूसरे के जिस्म से काफी देर से खेल रही थी और अब वक्त था अपने उस खेल को आगे बढ़ाने का | 
रोहिणी ने झटके से रीमा को नीचे खिसका दिया और उसकी टॉप खिसकाकर उसकी तनी हुई गोरी नरम सुडौल उन्नत पहाड़ियों की चोटियों पर अपने गुलाबी रस से भरे कांपते होठों को सटा दिया |  रीमा तो जैसे आनंद से सराबोर हो गई वह बस एकटक रोहिणी हुए आंखों की तरफ देखती रही लेकिन रोहिणी बस उसके तने हुए नरम नरम गोरे गोरे  सुडोल स्तनों की चोटियों का रसपान करने में इस तरह से खो गई है कि उसने रीमाकी तरफ देखा तक नहीं | रीमा भी इस आनंद के एहसास से मदहोशी होती चली गयी 
[Image: 14693683.gif]
  रीमा का किसी औरत के साथ ये पहला एक्सपीरियंस था   एक पुरुष के स्पर्श और स्त्री के स्पर्श का अंतर उसे साफ साफ नजर आ रहा था स्त्री के स्पर्श में नजाकत होती है नफासत होती है और वह संवेदना होती है जिसकी चाहत थी हर औरत रखती है यहाँ पुरुष वाली कठोरता नहीं थी लेकिन इस स्पर्श में एक मखमली एहसास था जो एक औरत ही औरत को दे सकती है और इसी मखमली अहसास में दो जवान जिस्म अपने आप को डुबोये हुए वासना के सागर में तैर रहे थे |  उधर रोहिणी आंख बंद करके रीमा के दोनों स्तनों को बारी-बारी से जी भर के पी रही थी उसके अंदर का सारा रस निचोड़ ले रही थी दोनों ही वासना की वासना के भंवर में डूबे हुए थे दोनों की मासूम आंखों में वासना का सुर्ख काजल भरपूर लगा हुआ था | वासना और हवस के सुर्ख डोरे दोनों की आँखों में तैर रहे थे  | उनकी गरम सांसे उनके तपते जिस्म में  उमड़ रहे जवानी के तूफान की गवाही दे रही थी | उनकी तेज धड़कने उनके जिस्म में लगी हवस की आग के उबाल की गवाही दे रही थी | दोनों जवान जिस्म  बस एक दुसरे से चिपककर एक दुसरे में समां जाने को आतुर थे |  
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दोनों काफी देर से एक दुसरे के जिस्म से खेल रही थी | रीमा को बाथरूम जाना था  | रीमा और रोहिणी के सब्र का बांध अब टूटने लगा था दोनों ने केले की तरह तेजी से बचे हुए कपड़े अपने जिस्म से निकाल फेंके | अब दोनों पूरी तरह से नंगी हो गयी थी | पूरी तरह से मतलब पूरी तरह से | दोनों के गोरे दमकते बदनों पर कपड़े के रेशे का एक भी टुकड़ा नहीं था | अभी न कोई लाज थी न कोई शर्म थी न कोई हया थी न कोई चिंता थी न किसी का डर था | दोनों कौन है दोनों का रिश्ता क्या है सब बेईमानी था | अब बस वासना की आग थी उसमे जलते दो बदन थे जो अपने अपने तरीके से पुरजोर कोशिश में लगे थे अपने जिस्मो की आग बुझाने में | इससे पहले रीमा को रोहिणी अपने बांहों में समां लेती रीमा ने उंगली से बाथरूम जाने का इशारा किया | उसने तेजी से अपना गाउन पहना और कमरे से निकल गयी | उसकी अलमारी खुली हुई थी और जाने से पहले वो एक गाउन निकाल कर रोहिणी को दे गयी | रोहिणी भी पूरी तरह से नंगी थी रीमा के जाने के बाद उसने भी गाउन पहन लिया | गाउन के नीचे दोनों बिलकुल प्राकृतिक अवस्था में थी | बाथरूम से जल्दी ही रीमा बाहर आ गयी | वो फ्रिज से पानी पीकर बस वापस जाने को मुड़ी ही थी की रोहिणी के आकर उसे पकड़ लिया | 

रोहिणी - मै भी प्यासी हूँ मेरी कट्टो रानी, इन सूखे ओंठो की भी प्यास नहीं बुझाओगी | 
रोहिणी के अचानक से किचन में आने से रीमा एक दम चौक गयी थी - आपने तो मुझे डरा ही दिया था  दीदी |
रोहिणी फिर कामुक आवाज में - बहुत प्यासी हूँ मेरी रानी |
रीमा भी उसी कामुकता भरी आवाज में - तो बुझा लो न प्यास |
रोहिणी - कैसे बुझाऊ, झरना तो तुमने छिपा रखा है |
रीमा रोहिणी की तरफ पानी की बोतल बढ़ाती हुई - तो बोतल से पीकर बुझा लो, हमेशा झरने से प्यास नहीं बुझाई जाती |
रोहिणी - जब प्यास झरने की हो तो बोतल से कैसे बुझेगी |
रीमा पसोपेश - अब झरना कहाँ से लाऊ |
रोहिणी - जरना तो तेरे अन्दर ही है बस टी उसे छिपाकर रखी | रीमा ने रोहिणी के पानी पीने के बाद बोतल फ्रिज में रखी और कमरे की तरफ चलने को हुई | तभी रोहिणी के रीमा को पीछे थाम लिया और उसकी पतली गोरी गर्दन पर अपने गरम ओंठो को चिपका दिया | उसके कान के नीचे चूमने लगी | रीमा का वो सेक्स पॉइंट था, रीमा मदहोश होने लगी | रोहिणी की गरम गरम सांसे रीमा के कानो में घुसने लगी | रीमा ने अपने हाथ पीछे करके रोहिणी के चूतड़ों को थाम लिया और मसलने लगी | रोहिणी ने एक हाथ रीमा की गर्दन पर रखकर उसके गर्दन को चूमने लगी | उसने हलके से रीमा के गाउन को ढीला करके कंधे से खिसका दिया | उसके बगाउन वैसे भी बस अटका ही रखा था | रोहिणी के हाथ लगाते ही आधा गाउन खुल गया | रीमा की छाती की उठी हुई उन्नत पहाड़ी साफ़ साफ़ बाहर झाँकने लगी | रोहिणी ने उसे हाथो में भर लिया और उसके स्तन को मसलने लगी थी


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   रीमा रोहिणी के चूतड़ों को मसल रही थी और रोहिणी रीमा के स्तन को मसल रही थी उसकी गर्दन और कान के बीच में रोहिणी के जादुई गुलाबी ओंठो का गीला गीला गुलाबी स्पर्श  रीमा को पागल बनाये दे रहा था | वह वासना में पूरी तरह से नहाई डूबी हुई जा रही थी उसके मुंह से निकलने वाली मादक कराहे बता रही थी कि अब वह वासना में पूरी तरह से डूब चुकी है इसी बीच में रोहिणी ने रीमा को दीवार से सटा दिया और उसके आगे आकर उसको बाहों में भर लिया और उसको चूमने लगी रीमा ने भी रोहिणी के बालों को पकड़ कर उसको अपने मुंह से सटा लिया रोहिणी के हाथ  हाथ रीमा के कमर पर थे और रीमा के साथ रोहिणी की कमर पर पर से फिसलते हुए  उसके चुताड़ो की मालिश करने जा रहे थे  | धीरे से रीमा ने रोहिणी का नाइट गाउन नीचे गिरा दिया उसके बड़े बड़े स्तन नुमाया हो गए उसका गाउन उसके हाथों में फंस करके उसकी कमर पर लटकने लगा था रोहिणी अपनी कमर के ऊपर पूरी तरह से नंगी हो गई थी उसकी गोरी चिकनी पीठ उसके बड़ी बड़ी छातियों सब कुछ साफ-साफ नुमाया हो रहा था रीमा का हाथ रोहिणी  के बड़े-बड़े चूतड़ों पर फिसल रहा था और रोहिणी के गुलाबी मदमस्अत अधर  रीमा के गुलाबी होठों का रसपान कर रहे थे दोनों के अंदर वासना की जबरदस्त गर्मी छाई हुई थी इसी बीच में दोनों ने कुछ खेल में मस्ती करने की सूझी और रोहिणी ने रीमा की जीभ से जीभ टकरानी शुरू कर दी रीमा जल्दी ही समझ गई कि रोहिणी क्या करना चाह रही है उसने भी रोहिणी की जीभ से जीभ लड़ानी शुरू कर दी |  दोनों मुंह खोल कर एक दूसरे से जीभ लड़ा रही थी इधर ही रीमा के हाथ रोहिणी के बड़े-बड़े भारी भरकम मांसल चुताड़ो की मालिश कर रहे थे | उधर रोहिणी रीमा की पीठ पर अपने हाथ जमाये हुए थी | और उसकी नाजुक नरम गोरी पीठ को सहला रही थी |  उनकी जवानी आपस में कबड्डी खेल रही थी और दोनों एक दूसरे की हरकतें देखकर अंदर ही अंदर गदगद हो रही थी, खिलखिला रही थी | दोनों एक  दूसरे से जीभ  लड़ाते लड़ाते एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ घुसेड़ने लगी |  

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जब रीमा अपनी जीभ रोहिणी के मुहँ में घुसेद्ती तो रोहिणी उसका रस पान करती और जब रोहिणी अपनी जीभ रीमा के मुहँ में घुसेद्ती तो रीमा उसका रस पान करती |   रीमा ने अपनी पूरी जीभ बाहर निकाल कर रोहिणी के मुंह में घुसा दी उधर रोहिणी ने रीमा की पूरी जीभ को अपने मुंह में भर लिया और चूसती चली गई | कुछ देर बाद रोहिणी ने भी ऐसा किया उसने भी अपनी पूरी जीभ को रीमा के मुंह में घुसा दी और रीमा उसकी जीभ को अपने होंठों के सख्त गिरफ्त में लेकर चूसती चली गयी | दोनों के दुसरे में गुथाम्गुत्था होकर अपने बेडरूम की तरफ बढ़ चली | दोनों ने न एक दुसरे को चूमना बंद किया न सहलाना बंद किया | ग़जब की वासना थी गजब का जिस्मानी खेल था | ऐसा लग रहा था जैसे दोनों वर्षो से एक दुसरे के प्यार में हो और आज मिलन हुआ हो | दोनों एक पल को भी एक दुसरे से अलग होने को तैयार नहीं थी | रोहिणी भी मर्दों से बहुत बार चुदी थी इसलिए उसे अब उस चुदाई में बोरियत महसूस होती थी | 

 रोहिणी का औरतो के साथ भी अनुभव था लेकिन ये कुछ लगा ही हटकर था | ये जादुई था उर इसके सम्मोहन में रोहिणी पूरी तरह से बांध चुकी थी | दोनों एक दुसरे को छेड़ते, चिकोटी काटते बेडरूम पहुंचे | रोहिणी ने दरवाजा लॉक किया और खिड़की भी बंद कर दी | तेजी से आकर फिर से रीमा से लिपट गयी | दोनों के गाउन छिलके की तरह से बदन से उतर गए | अब बस दो वासना की गर्मी में झुलसते दो नंगे बदन थे, उनके बीच कुछ नहीं था कपडे का एक रेशा तक नहीं था | दोनों के नंगे पसीने के गीलेपन की चमक बिखेरते बदन फिर से एक दुसरे से चिपक गए | दोनों गुथाम्गुत्था हो गयी, एक दुसरे को चूमने लगी | 
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 कुछ देर तक चूमा चाटी होती रही फिर रीमा का रोहिणी की पीठ पर फिसलता हाथ रोहिणी के चूतड़ पर फिसलने लगा | चूतड़ पर फिसलते फिसलते उसकी उंगलिया रोहिणी के गांड के छेद पर तैरने लगी | रोहिणी के मुहँ से आह निकल गयी | रीमा चौक गयी | उसे नहीं समझ आया ये क्या था | उसने कुछ अप्ररत्याशित ना हो इस डर से जल्दी से अपने हाथ को नीचे की ओर बढ़ा दिया |  रीमा की उंगलिया अब रोहिणी की चूत घाटी में थी | बिलकुल अनावृत चूत घाटी | उसके मोटे मोटे गुलाबी कसे हुए ओंठ और उसकी पतली सी चूत दरार , उसका मोटा सा चूत दाना | सब कुछ अलग था रोहिणी का | रीमा उसकी चूत के ओंठो पर अपनी उंगलिया फिराने लगी | उसके स्तन को मुहँ में भरकर उसका रस पान करने लगी | रोहिणी तो रीमा के उन्नत छातियों का रस पी चुकी थी लेकिन रोहिणी का स्वाद अभी तक रीमा ने नहीं चखा था | रीमा ने रोहिणी के ओंठो का रसपान बंदकर उसकी गर्दन को चूमती हुई नीचे खिसक गयी और रोहिणी की सुडौल बड़ी बड़ी छातियों से खेलने लगी | उसने एक हाथ से रोहिणी के स्तन को थम और उसकी चूची पर अपनी गीली जीभ फिराने लगी | आह क्या स्पर्श था | तपता बदन, उन्नत तनी हुई चोटियाँ उस पर किसी का खुरदुरा गीला रसीला स्पर्श | रोहिणी आनंद से सरोबर हो गयी | रीमा उसके निप्पल को मुहँ में लेकर चूसती, उसे अपनी जीभ से सहलाती उसकी मालिश करती और फिर मुहँ में लेकर छोटे बच्चे की तरह चूसने लगती | रोहिणी के स्तन बड़े थे और उनमें उम्र के हिसाब से लटकन भी थी | लेकिन रीमा की गुलाबी गीली जीभ और उसके गुलाबी तो जादू ही किये हुई थी | वो रोहिणी के अन्दर का सारा रस जैसे आज ही निचोड़ लेना चाहते हो | 
रोहिणी के बस में सिसकारियां निकालने के अलवा कुछ और नहीं था |  वो सिसकारियां निकल रही थी | रीमा अपनी पूरी सआत्मा तन मन से लगी हुई थी रोहिणी के स्तनों का मर्दन चूषण करने में |  वो बार रोहिणी  के स्तन को अपने मुंह में भर चुस्ती, उन्हें सहलाती, उनकी घुंडियो को मसलती और रोहिणी की मदहोश आँखों में झांककर देखती की उसे मजा आ रहा है या नहीं | 
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उसके सतनो को अपने ओंठो और जीभ के स्पर्श से आनंद्तिरेक करने के बाद रीमा रोहिणी के पेट और नाभि पर अपना जादू बिखरती हुई उसकी चूत घाटी में उतार गयी | रीमा ने रोहिणी का चूत दाना आपनी उंगलियों के कब्जे में ले लिया और उसे मसलने गयी | चूत दाने पर रीमा की उंगलियों का नरम स्पर्श पड़ते ही रोहिणी शरीर में उठने वाली वासना  की कामुक तरंगो से कसमसाने लगी | रीमा ने रोहिणी के चूत दाने को कसकर 8 - १० बार रगडा और फिर अपने गुलाबी ओंठ उसके जिस्म में वासना की आग दावानल बनाने वाले हिस्से पर रख दिए | रोहिणी को तो जैसे ४४० वोल्ट का तेज झटका लगा हो, वो वासना की तरंग से नाह गयी  - आआआआआअह्हह्हह्हह्ह्हह | 

उसके चूत की दीवारों में तेजी से तरंगे दौड़ने लगी और वहां से निकलकर ऊपर की तरफ उसकी नाभि से होते हुए उसके दिलो दिमाग सबको को कम्पित करने लगी | रीमा ने रोहिणी के चूत दाने को अपने गुलाबी ओंठो को सख्त जकड़न में ले लिया था | उसके पता था एक औरत को अगर एक औरत सुख दे सकती है तो उसका सबसे महत्वपूर्ण केंद्र ये चूत दाना है | अपनी खुदुरी जीभ और सख्त ओंठो से रीमा बेतहाशा रोहिणी का चूत दाना चूमे जा रही थी | रोहिणी के मुहँ से बस कराहे ही निकल रही थी जीतनी बुरी तरह रीमा उसके चूत दाने को चूस रही थी उतनी तेज ही उसके मुहँ से कामुक सिसकारियां फुट रही थी | 
रोहिणी के मुहँ से बस - आआअह्ह्ह्ह ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आआआआह्ह्ह ऊऊह्ह्ह्ह | की आवाजे ही निकल रही थी |


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रीमा किसी भूखी शेरनी की तरह रोहिणी के चूत दाने पर टूट पड़ी थी, वो बेतहाशा उसे चुसे जा रही थी और रोहिणी के मुंह से भी उसी तरह से सिसकारियां की बौछारे लगातार फुट रही थी 

 इस तरह से कसकर चूत दाने को चूसने से रोहिणी की उत्तेजना  बहुत बढ़ गई थी और वह तेजी से कराहने लगी थी | उसकी चूत पानी का झरना बन गयी थी | चूत की दीवारे लगातार पानी छोड़ रही थी और उसकी चूत की बारिश की हल्की फुहारों के बीच रीमा अपने तपते बदन की गरमी दूर कर रही थी | रोहिणी की चूत से बहते पानी को देख रीमा और जोश में आ गयी | उसने चूत दाने को छोड़ रोहिणी चूत पर अपनी गीली जुबान फिरनी शुरू कर दी | रीमा ने रोहिणी की जांघे थोडा और फैलाई| उसकी चूत के ओंठो को उंगलियों से खोला और उसकी गुलाबी सुरग के कपाट खुलते ही उसकी गुलाबी मखमली सुंग का रास्ता साफ़ दिखने लगा | रीमा ने रोहिणी की गुलाबी चूत के बहारो ओंठो को खीचकर फैलाया और उसकी मखमली सुरंग में अपनी नुकीली खुरदुरी गुलाबी जीभ घुसेड़ दी |  रोहिणी की मक्खन की तरफ नरम गीली चूत पर गीली जीभ का स्पर्श होते ही रोहिणी आनंद के सागर में गोते लगाने लगी |  
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 रीमा अपनी जुबान से रोहिणी की गुलाबी चूत की मालिश करने लगी | रोहिणी की चूत का छेद  खुलने लगा और रीमा की जुबान भी उसके चूत के गुलाबी घोसले में घुसने लगी |  रीमा ने अपनी जुबान बाहर निकाली और अपनी जुबान से रोहिणी की चूत को जैसे कि लंड से चूत को चोदने के लिए अंदर बाहर होता है उसी तरह से उसकी चूत में अपनी जुबान को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था  रीमा अपनी जीभ से रोहणी की चूत को चोद रही थी और रोहिणी रीमा  की गुलाबी जीभ से चुदने के कारण स्वर्ग के सुख का आनंद ले रही थी औरतों औरतों के बीच का सेक्स कुछ अलग ही होता है  यहां पर लंड रीमा भी वही कर रही थी इससे पहले ये सब रीमा ने कभी नहीं किया था | न ही कभी किसी चूत के साथ इस तरह से खेलने का कोई अनुभव था  लेकिन जैसे ही उसकी नजर रोहिणी की गुलाबी  चूत पर पड़ी रीमा से रहा ना गया और आकर रोहिणी की चूत चूसने लगी | न केवल चूसने लगी  बल्कि अपनी खरखरी जीभ से  रोहिणी की चूत को चोदने भी लगी थी | ये न तो कभी किसी को बताया था ना ही यह कभी किसी  ने सिखाया था ना हीरीमा ने ये सब  पहले किया था उसने कुछ वीडियो में पहले देखा था ........रीमा ने जो वीडियो में देखा था वही कर रही थी रोहिणी को भी अंदाजा नहीं था कि रीमा  इस तरह से किसी औरत के साथ में एक्सपर्ट की तरह पेश आएगी | रोहिणी को लग रहा था कि उसे रीमा को बताना पड़ेगा लेकिन यहां तो रीमा रोहिणी को हैरान किये हुए थी  अब तो रोहिणी को लग रहा था कि उसे तो रीमा से सीखना चाहिए था | कहां वो रीमा को सिखाने चली थी यहां तो अब खुद रीमाँ से सीखने की नौबत आ गई थी हालांकि जिस तेजी और बेतहाशा अंदाज में रीमा रोहिणी की गीली चूत को चूस रही थी चोद रही थी उससे रोहिणी की हालत खराब होने लगी थी वह नहीं चाहती थी कि इतनी जल्दी वो निपट जाये, उसका चरम आ जाये  वो पनी चूत से अभी बहुत पानी बहाना चाहती थी उसके बाद कही जाकर अपने चरम को हाशिल करना चाहती थी | 

ये अहसास होते ही उसने झट से अपने आप अपनी रीमा से अलग किया और खुद नीचे रहते हुए भी खुद ही बिस्तर पर उसने रीमा को १८० डिग्री पर घुमा दिया |  रीमा रोहिणी के ऊपर तो थी लेकिन बिलकुल उल्टा  | रीमा के मुहँ के सामने रोहिणी की चूत थी और रोहिणी के सामने रीमा की चूत थी | रीमा की गुलाबी चूत देखते ही रोहिणी तो जैसे सम्मोहित हो गयी | चिकना साफ़ सुथरा चूत घाटी का इलाका , दोनों गुलाबी ओंठ एक दुसरे से सटे हुए, उसके शुरूआती हिस्से में किसी मणि की तरह लगा उसका चूत दाना  | पीछे मांसल चुताड़ो की की ऊँची उठान के बीच बनी तीखी गहरी घाटी में हलका गुलाबी रंगत वाला अपनी मजबूत फौलादी जकड़न लिए उसकी गाड़ का खूबसूरत छेद | रोहिणी ने रीमा की गुलाबी घाटी में अपनी उंगलियों का जादू बिखेरना शुरू कर दिया था | उसने रीमा की जांघे अपने दोनों कंधो की तरफ फैला दी | उसकी गुलाबी चूत के बाहरी ओंठ उसकी जांघो के फैलाते ही खुल  गए | उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी और उसके चूत के ओंठ चूत रस से पूरी तरह से भीगे हुए थे | उसकी चूत के अंदरूनी ओंठ जो एक दुसरे से चिपके हुए थे रोहिणी के उंगली लगाते ही खुल गए | दोनों ओंठ पूरी तरह से चूत रस से सने हुए थे और रीमा के जिस्म की भीनी भीनी खुसबू से सरोबार थे | रोहिणी ने अपनी दो उंगलियों को रीमा की चूत पर लगाया और उसकी चूत की गुलाबी मखमली सुरंग का दरवाजा खुल गया | 

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रीमा की गुलाबी चूत की सुरंग का दरवाजा रोहिणी की आंखों के सामने नुमाया हो गया क्या चूत  थी | रोहिणी तो एक बरगी को  एक बार तो हैरान रह गई थी, उसने इतने करीब में रीमा की चूत कभी नहीं देखि थी | ऊपर से रीमा की चूत से निकलने वाले रस की गंध ने रोहिणी को पहले ही मदहोश कर रखा था | रीमा के खूबसूरत बदन की तरह रीमा की  चूत भी बहुत खूबसूरत थी और रोहिणी जानती थी कि इतनी खूबसूरत चूत बहुत ही कम औरतों की होती है | जैसे रीमा के बदन के घुमाव, कटाव, उभार और जादुई बनावट थी वैसे ही उसकी चूत की बनावट थी | रोहिणी  भी बिना तारीफ के रह नहीं पाई | 
 उसने भी रीमा से बोला - रीमा तू तो सच में बहुत ही खूबसूरत है भगवान ने तुझे फुर्सत में बनाया है और तेरे बदन से ज्यादा  खूबसूरत तेरी चूत है | इतनी खूबसूरत है की मर्दों की तो छोड़ ही दो जो औरत देख ले वो औरत  इसकी दीवानी हो जाए तेरी चूत बहुत ही प्यारी है और बहुत ही खूबसूरत है मन करता है इसे मुहँ से लेकर गप्प गप्प  कर खा जाऊ | हाय क्या बला की खूबसूरत बनावट है | 
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इतना कह कर के रोहिणी ने  जीभ रीमा की चिकनी दरार पर फिसला दी | 
रीमा - ऊऊऊफ़्नेफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् |
रीमा के मुहँ की सीकरी सुनकर रोहिणी का उत्साह बढ़ गया | रोहिणी - मै जानती थी तेरे अन्दर बहुत आग भरी है | देख कैसे धधकने लगी | अबी तो बस अपनी जुबान touch करायी है और इसके मुहँ भाप छोड़ने लगा है | आज मेरी रानी आज मै रात भर तेरी प्यास बुझौंगी | तेरी बरसो की प्यास, बरसो से तेरे बदन में बर्फ बन चुकी हवस की आग आज बुझा कर ही दम लूंगी |
रीमा सिसकारी भरते हुए - दीदी आप बहुत अच्छी हो, सोने नहीं डॉगी क्या रात भर |
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रोहिणी ने फिर से उसकी चूत को चाटा |
रोहिणी- जब जिस्म आग की भट्ठी बना हुआ हो तो भला किसी को नीद कैसे आ सकती है | अभी तो आधी रात भी नहीं हुई |
रीमा - फिर भी रात भर तो नहीं जग सकते |
 रीमा के चूत दाने की अपने ओंठो की गिरफ्त में लेटे हुए रोहिणी - आज सोने का तू भूल जा, तू आज रात भर जागेगी क्योंकि तू खुद अपनी प्यास बुझाना चाहती है | 
रीमा - नहीं दीदी मुझे तो नीद लगने ही लगी थी, आप नहीं होती तो कब का सो गयी होती |
रोहिणी - मुझे बुद्धू मत बना, मै उस रोहित की दीदी हूँ, जिसने तेरे जिस्म की आग बुझाई है | और तेरे अन्दर बने कोपभवन से तुझे बाहर निकाला है मुझसे चालाकी नहीं |
रीमा शिकायत करती हुई - दीदी मैंने कहाँ कुछ बोला है |
रोहिणी के ओंठ रीमा की गुलाबी चूत पर जमे थे - यही तो तेरा ऐब है तू बोलती नहीं लेकिन तेरे मन में बहुत कुछ चल रहा होता है | तू नहीं बोलती तेरा जिस्म बोलता है तेरे हाथ पाँव गर्दन ओंठ  चूतड़ चूत जांघे पिंडलिया सब बोलती है, बस तू नहीं बोलती |
रीमा चुप हो गयी | रोहिणी को लगा कही ये फिर से अपने कोपभवन में न घुस जाये |
रोहिणी - ज्यादा सोच मत, मै तुझसे तेरे बारे में ज्यादा जानती हूँ |
रीमा - जी दीदी |
रोहिणी - जी की बच्ची, मै तेरी नौकरानी हूँ क्या, उल्टा लिटाया क्यों है तुझे | चल चाट मेरी चूत | 
रीमा तो अपनी सिसकारियो में भूल ही गयी थी, उसने झट से अपना सर रोहिणी की जांघो के बीच की चूत घाटी में घुसेड दिया | रीमा रोहिणी की गीली चूत चाटने लगी और रोहिणी उत्तेजना की तरंगो में अपने कमरी हिलाने लगी | रोहिणी ने अपने ओंठो को 
 रीमा की चूत से सटा दिया उसकी चूत चूमने लगी चाटने लगी चूसने लगी,  रीमा की सिसकारियां भरने लगी | रोहिणी का अंदाज ही कुछ अलग था और ऐसा अंदाज रीमा ने इससे पहले कभी महसूस नहीं किया था हालांकि ऐसा नहीं था कि उसकी चूत पहली बार कोई चाट रहा था चूम रहा था लेकिन कोई औरत पहली बार उसकी उसकी चूत पर अपनी गीली जीभ फिर रही थी | औरत की बात अलग होती है जिस नजाकत से रोहिणी ने रीमा के स्तनों को चूसा चुम्मा था उसी नजाकत से रोहिणी रीमा  की चूत और चाट रही थी | रीमा की जीभ भी रोहिणी की चूत पर तेजी से फिसल रही थी | दोनों एक दुसरे की बांहों में जकड़े अपने अपने जिस्एमो की आग बुझाने में लगी थी | दोनों के पसीने से नहाये बदन एक दुसरे में गुथमगुथा थे और दोनों ही एक दुसरे के वर्जित सवेदनशील कामुक अंगो से खेल रही थी  |  दो औरते, दो के पूरी तरह से नंगे  गोरे गुलाबी   पसीने से नहाये, एक दुसरे से चिपके बदन और वासना का नंगा नाच | बस एक ही अरमान था अपने जिस्मो में धधकते हवस के जुवालामुखी को शांत करना | 



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रोहिणी  रीमा की गुलाबी चिकनी चिकनी गीली चूत से खेल रही थी वह अपनी उंगलियों को रीमा के पतले गुलाबी होठों पर सहला रही थी और उसके चूत दाने को भी बार-बार रगड़ रही थी रीमा बस रोहिणी के चूत दाने पर अपनी जीभ सरपट दौडाए जा रही थी | रीमा के मुहँ से कामुक कराहे और मादकता की सिसकारियां लगातार फुट रही थी और यही हाल रोहिणी का भी था | रोहिणी ने भी अपनी उंगलियों को रीमा की चूत से निकले रस में भिगोना शुर कर दिया  |  उसने हल्के से जोर डालकर अपनी उंगली को आइस्ते से रीमा की  गुलाबी चूत की मखमली सुरंग में घुसआनी शुरू कर दी थी रीमा तो जैसे उत्तेजना से मदहोश होने लगी थी रीमा को मदहोश होते देख उसने तेजी से अपनी बीच वाली उंगली  पूरी की पूरी रीमा की चूत में घुसा दी और अपनी जीभ उसके गुलाबी चूत दाने पर रख कर के उसको चाटने लगी रीमा के मुंह से सिसकारियां फूटने लगी और रोहिणी रीमा की गुलाबी चूत के दाने को अपनी जीभ से चूस कर गर्म करने लगी थी उसकी एक उंगली रीमा की चूत में  धसी हुई थी औररोहिणी  बहुत हल्के हल्के हाथों से अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रही थी रीमा की सांसे तेज हो गई थी और उसके बदन में गर्मी बढ़ गई थी | रोहिणी रीमा की चूत को अपनी उंगली से चोदने लगी थी | अपनी चूत में अन्दर बाहर होती चूत रस से सनी उंगली से भी रीमा के शरीर में काम वासना की आग और भड़क गई थी और रीमा तेजी से हांफने लगी थी और इधर रोहिणी की जीभ उसके चूत के दाने पर लगातार फिसल रही थी |  उसकी चूत का पूरा इलाका ही रोहिणी की गीली जीभ के लार से गीला हो गया था उसकी उंगली रीमा की चूत में अन्दर बाहर हो रही थी |  फिर धीरे से रोहिणी ने दूसरी उंगली भी उसकी चूत में घुसा दी | 
रीमा के मुहँ से सिसकारी फुट गयी - ओओओओओओओओओओओओओओह्ह्ह्हह्हह्ह्ह | 
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रोहिणी तेजी से दोनी उंगलियों से रीमा की चूत चोदने लगी |  रीमा भी इस चुदाई और चुसाई से मदहोश होने लगी | रोहिणी ने खुद को रीमा के नीचे से हटाया  | रीमा पीठ के बल लेट गयी और उसके दाहिने हाथ पर रोहिणी उसके ऊपर से आकर उसे चूमने लगी और बिना किसी देरी के उसकी चूत में दो उंगलिया घुसा दी | चूत गीली थी और उंगलियाँ भी इसलिए बिना किसी परेशानई के आराम से रीमा की मखमली गीली चूत में समाती चली गयी | रीमा ने अपने ओठो को रोहिणी के ओंठो से सटा दिया और आंखे बंद कर ली | रोहिणी ने अपने अंगूठे को रीमा के चूत दाने पर सताया और फिर उसकी चूत में उंगलिया अंदर बाहर करने लगी | दो उंगलियों और अंगूठे की लय इतनी जबदस्अत थी की जब उंगलिया चूत में घुसती तभी अंगूठे का जोर चूत दाने पर पड़ता और रीमा के जिस्म में वासना की एक और तरंग दौड़ जाती | दो औरते, जवान कमसिन गोरे गुलाबी नंगे बदन और जवानी की भूख | हवस का खुला खेल बंद कमरे में चल रहा था | उधर अनिल गहरी नीद में थे इसलिए किसी तरह की कोई उम्मीद नहीं थी कमरे के बाहर से कोई ताका झांकी करे | ऊपर से रोहिणी ने कमरे की सारी खिड़कियाँ बंद कर रखी थी | बस रीमा थी रोहिणी थी दोनों नंगे थे एक दुसरे से चिपके हुए थे और रोहिणी रीमा की न केवल चूत को अउंगलियो से चोद रही थी बल्कि अंगूठे से उसके चूत दाने को भी मसल रही थी | 




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दोनों की गरम गरम सांसें एक दूसरे से टकरा रही थी रोहिणी तेजी से रीमा के चूत में अपनी दोनों उंगलियाँ अंदर बाहर कर रही थी कि रीमा अपनी वासना के चरम की तरफ बढ़ रही थी और मुंह से उसके तेजी से कामुक कराहे निकल रही थी लेकिन रोहिणी ने उसके होठों पर अपने होठ कस के जमा रखे थे और उसके होंठों का रसपान कर रही थी | रीमा की मादक कराहे उसके मुंह में ही घुट के रह जा रही थी रीमा तेजी से अपने हाथ को रोहिणी की पीठ पर फिसलाते हुए उसके चूतड़ों पर ले गई और उसके चूतड़ों को कसकर के मसलने लगी थी | उसके चूतड़ों को मसलने के बाद रीमा का हाथ रोहिणी के चुताड़ो की दरार में घुसता हुआ नीचे सरकने लगा | उसकी उंगलिया जैसे ही रोहिणी के गाड़ के कसे छेद पर से गुजरी, रोहिणी के मुहँ से एक आह निकल गयी | रीमा समझ गयी दीदी का इससे कुछ न कुछ तो नाता है | वो पूरी तरह से वासना के नशे में डूबी हुई थी इसलिए उसे कुछ होश नहीं था की वो क्या कर रही है, उसने अपनी बीच वाली उंगली रोहिणी के गांड के छेद पर घुमानी शुरू कर दी | रोहिणी भी मदहोश होने लगी | उसने कुछ देर तक उंगली गांड के छेद पर घुमाने के बाद उसे अन्दर घुसेड दिया | जब रोहिणी को रीमा की इस हरकत का अहसास हुआ तो रोहिणी चिहुंक उठी | रीमा की शैतानी पर रोहिणी के कान खड़े हो गयी | 
उसने रीमा के ओंठो पर अपने दांत गडा दिए | रीमा समझ गयी ये रोहिणी का उसको उसकी शैतानी का जवाब है | उसने झट से रोहिणी की गांड की कसे छल्ले में अटकी अपनी उंगली निकाली और नीचे बढ़ गयी और सीधे अपनी उंगली उसकी चूत पर फिराने लगी |   रीमा कुछ देर तक उसकी चूत को ऐसे ही सहलाती रही उसकी चूत  पर अपनी उंगलियां फिराती रही फिर उसने एक उंगली रोहिणी की चूत में घुसा दी और अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगी थी | अब दोनों ही एक दूसरे की चूत को अपनी उंगलियों से चोद रही थी दोनों की ही हालत बुरी हो रही थी दोनों ही तेजी से हांफ रही थी और दोनों ही एक दूसरे से लिपटी हुई थी अब दोनों की उत्तेजना उनके बस में नहीं थी और दोनों के बदन बेकाबू हो रहे थे दोनों तेजी से बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई और अपनी जांघे  हवा में फैला दी |  दोनों के हाथ बिना किसी देरी के एक दूसरे की चूत पर पहुंच गए और एक दूसरे की चूत को ऊपर से ही मसलने लगे थे | 
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दोनों एक दुसरे का चूत और चूत दाना तेजी से मसल रही थी | एक दुसरे की जांघो के बीच चूत घाटी में वह तेजी से चारों तरफ अपने हाथ को दौड़ा रही थी दोनों के मुंह से तेज तेज कराहे निकल रही थी और उतनी ही तेजी से  दोनों एक दूसरे के चूत दाने को रगड़ रही थी रीमा की हालत को ज्यादा ही खराब थी उसकी उत्तेजन उसके  बस में नहीं थी | रोहिणी भी बस पाने चरम को पंहुचने वाली थी लेकिन वो अपने आप को काबू में किए हुए थी  | और अपने अपने ही हाथों से अपनी एक स्तन को मसलने लगी और रीमा की तरफ देखने लगी जो की उत्तेजना में पूरी तरह से सारोबार थी और दोनों के हाथ उनकी जांघों के बीच में तेजी से फिसल रहे थे कुछ देर तक दोनों एक दूसरे की चूत को रगड़ की रहे उसके बाद रोहिणी तेजी से रीमा के ऊपर आ गई और अपनी चूत को उसके मुंह की तरफ कर दिया और खुद उसकी जांघों के बीच में अपने मुंह को रख दिया तेजी से उसने अपनी जीभ को रीमा के चूत रख कर उसको कस के चूसने लगी थी उसको चाटने लगी थी  रीमा की गुलाबी चूत पर उसकी गीली जीभ का स्पर्श पढ़ते ही रीमा की वासना और बढ़ गयी |  रीमा की चूत चोदे जाने के कारन वो पहले से ही उत्तेजना से भरी हुई थी |  अपने तपते बदन पर रोहिणी की जीभ का गीला स्पर्श पाते ही रीमा आनंद के सागर में डूब गयी | रोहिणी ने उसकी चूत में फिर से अपनी उंगली घुसेड दी | इधर रिमा भी अपनी जीभ को रोहिणी के चूत दाने पर  चिपकाए हुए थी और उसने रोहिणी के चूत साने को चूसने चाटने और रगड़ने में कोई कोर कसर  बाकी  नहीं रख  थी | वो भी तेजी से रोहिणी के चूत में उंगली घुसा उसे चोदने लगी |

दोनों के जिस्म की उत्तेजना अब उनके काबू से बाहर हो रही थी | दोनों के जिस्म अब अपनी वासना के उफान पर थे और उनकी सांसे बहुत तेज चल रही थी | धड़कने बेकाबी थी और  दोनों 69 के पोजीशन में एक दुसरे को कसकर जकड़े उंगलियों से चोद रही थी |  तेजी से अपने बदन को एक दूसरे पर हिला हिला के रगड़ रही थी दोनों की जीभ एक दूसरे के चूत जाने पर तेजी से फिसल रही थी | उनकी उंगलियाँ तेजी से एक दुसरे की चूत में अन्दर बाहर हो रही थी |



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जैसे-जैसे वो उत्तेजना के चरम की ओर बढ़ रही थी वैसे वैसे उनकी उंगलियाँ  और उनकी जीभ की हरकते बढ़ रही थी उनका जिस्म तेजी से हिल रहा था वह तो उन्हें बुरी तरह हांफ रही थी | उनके शरीर में दौड़ रही तरंगे अब अपने पुरे उफान पर थी  आखिरकार उन दोनों की उत्तेजना का बांध टूट ही गया | दोनों की चूतों से जैसे  पानी का झरना सा फूट पड़ा, जो उनके जिस्मो की आग बुझा रहा हो | उस वासना के चरम पर टूटे इस सैलाब के तूफ़ान में वो दोनों खुद को उड़ते मामूली तिनके की तरह महसूस कर रही थी | जो उन दोनों को अपने साथ बहा ले जाने को आतुर था | दोनों कसकर एक दुसरे को थामे हुए थी, ताकि वासना के निकलते इस सैलाब के साथ कही वो भी न बह जाये | वासना के बांध के टूटते ही बदन की गरमी फुर्र हो गयी |  दोनों जमकर के झड़ने लगी थी  उनका शरीर कांपने लगा, उनके शरीर अपने आप उठने गिरने लगे | और कुछ देर तक दोनों के सरीर अपने आप ही कम्पन करते रहे |  फिर दोनों शांत हो गयी | उत्तेजना के चरम पर टूटे इस वासना के सैलाब में 
 दोनों खुद को बहा देना चाहती थी खुद  के अस्तित्व को बहा देना चाहती थी उन्हें नहीं पता कि इस वक्त कहां है क्या कर रही हैं उनके आसपास कौन है वह दोनों एक दूसरे से चिपकी हुई एक दूसरे की  काम आनंद में सवार हो कर के खुद को एक दूसरे में ही समेट लेना चाहती थी कुछ देर तक दोनों के बदन हिलते रहे और दोनों की चूत  झरने की तरह बहती रही उसके बाद में शांत हो गई | सब शांत हो गया | रोहिणी सीधी होकर रीमा की बांहों में आ गयी | 
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La jabab mast likha hai next more dear
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निशब्द।।।।।। 

आपकी कहानी पर प्रतिक्रिया देने के लिये अब मेरे पास शब्द नही बचे।

बार बार ' मस्त, जबरदस्त" नहीं लिख सकता मेरे भाई... आप जीस तराह किरदारो के मन की भावना बताते हो, वो सचमे लाजवाब हैैं।
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Lajawab.....mza aa gya bhai....
Der aaye durust aaye....❣️
read the story वक़्त का तमाशा
BICHADKAR FIR MILENGE KITNA YAKIN THA,
MANAYE YE KHWAB THA PAR KITNA HASIN THA
https://xossipy.com/showthread.php?tid=13041
[Image: GBWA-20190214201125.jpg]
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awesum. zabardast
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(04-08-2019, 08:25 AM)Pk8566 Wrote: La jabab mast likha hai next more dear
welcome welcome welcome
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(04-08-2019, 12:57 PM)Silverstone93 Wrote: निशब्द।।।।।। 

आपकी कहानी पर प्रतिक्रिया देने के लिये अब मेरे पास शब्द नही बचे।

बार बार ' मस्त, जबरदस्त" नहीं लिख सकता मेरे भाई... आप जीस तराह किरदारो के मन की भावना बताते हो, वो सचमे लाजवाब हैैं।

welcome welcome welcome welcome welcome
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(04-08-2019, 01:21 PM)Badstar Wrote: Lajawab.....mza aa gya bhai....
Der aaye durust aaye....❣️

welcome welcome welcome welcome welcome banana
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Bhai, agla update kab tak as Sakta hai??
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(10-08-2019, 09:10 PM)Silverstone93 Wrote: Bhai, agla update kab tak as Sakta hai??

एक बार ड्राफ्ट रेडी हो जाये फिर डेट बताता हूँ
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