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Adultery धन्नो द हाट गर्ल
#41
आकाश मेरे ऊपर आया और मेरे होंठों को चूसते हुए अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरे कंधे को चूमने लगा। आकाश ने अपनी जीभ निकाली और मेरे कान को चूसते हुए अंदर घुमाने लगा, मैं मजे से हवा में उड़ रही थी। मैंने अपना हाथ नीचे लेजाकर उसके लण्ड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
आकाश ने अब और नीचे होते हुए मेरी ब्रा को उठाकर बेड पर रख दिया और मेरी चूचियों को गौर से देखने लगा। आकाश ने अपनी जीभ निकाली और मेरी एक चूची के गुलाबी दाने पे फिराने लगा। मेरे मुँह से अब सिसकियां निकलने लगी। आकाश ने अपना मुँह खोला और मेरी पूरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसे चाटने लगा। मैंने आकाश के सिर को पकड़ लिया और 'अहह' करते हुए अपनी चूची चुसवाने लगी।
आकाश ने मेरी एक चूची को चूस लेने के बाद दूसरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और पहले वाली को हाथों से मसलने लगा। आकाश अब अपना मुँह नीचे ले जाते हुए मेरी नाभि पे आकर रुक गया और अपनी जीभ से उसे चाटने लगा।
मेरा तो मजे के मारे बुरा हाल था। मेरी साँसें फूल रही थी। आकाश और नीचे होता हुआ अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया मेरे मुँह से 'आह' निकल गई और मैंने अपनी टाँगें फैला दी। आकाश ने मेरी गुलाबी चूत के दाने को अपने मुँह में भरकर थोड़ा काट दिया।
मैं उछल पड़ी- “ओईईई.. आह्ह... दर्द हो रहा है...”
आकाश ने मेरे दाने को छोड़कर अपनी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिराने लगा। मैं अपने चूतड़ उछालकर उसकी जीभ को अपनी चूत पर महसूस करने लगी।
आकाश ने अपने हाथ से मेरी चूत के होंठों को अलग किया और अपनी जीभ मेरी चूत के लाल छेद में डाल दी। मजे से मेरे मुँह से आह्ह... ओह्ह...' की आवाजें निकलने लगी। आकाश अपनी जीभ को घुसा करके पूरा अंदरबाहर कर रहा था। मैं भी अपने चूतड़ उछाल-उछालकर उसकी जीभ अंदर ले रही थी। मेरे सारे बदन में चींटियां रेंगती महसूस हो रही थी।
आकाश अपनी जीभ अंदर-बाहर करते हुए अपने हाथ से मेरी चूत के दाने को सहलाने लगा। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और ‘अह' करते हुए मैं दूसरी बार झड़ गई। आकाश ने मेरा सारा पानी चाटकर साफ कर दिया। जब मैंने आँखें खोली तो आकाश बेड पर लेटा हुआ अपना लण्ड सहला रहा था।
आँटी ने मुझसे कहा- “अगर मजा लेना चाहती है तो उठ और इसके लण्ड की सेवा कर...”
मैं उठकर उसके लण्ड के पास बैठ गई और उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। मेरा हाथ उसके लण्ड पर पड़ते ही मेरी साँसें फिर से तेज होने लगी। अचानक मुझे ना जाने क्या सूझा की मैं अपनी जीभ निकालकर आकाश के लण्ड के सुपाड़े पर फेरने लगी। आकाश के मुँह से 'आह' निकल गई। आकाश का लण्ड बहुत गर्म था मुझे उसके लण्ड से अजीब गंध महसूस हो रही थी जो मुझे और मदहोश कर रही थी। मैं अब अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी।
 horseride  Cheeta    
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#42
आकाश ने मजे से आँटी को पकड़कर उसकी चूचियों को काटने लगा। आँटी के मुँह से चीखें निकलने लगी ‘ओहह... ओईई...'
मैं जोश में आकर अपने मुँह को खोलकर आकाश का लण्ड अपने मुँह में लेने लगी, मगर उसका लण्ड इतना मोटा था की मेरे पूरा मुँह खोलने पर भी उसका सुपाड़ा ही मुँह में ले सकी। मैं अपने हाथ बढ़ाकर उसके लण्ड को आगे-पीछे करते हुए सहलाने लगी और सुपाड़ा चूसने लगी। मेरा मुँह उसका लण्ड चूसते हुए दुखने लगा। मैं । उसका लण्ड अपने मुँह से निकालकर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी।
सोनाली आँटी ने आकाश से कहा- “तुम्हारा लण्ड इतना मोटा है की इसके मुँह में नहीं आ रहा तो यह इसके चूत की क्या हालत करेगा?”
आकाश ने मेरे बाल पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया और मेरी चूचियों को अपने हाथों से मसलता हुआ मेरे होंठों को चूमने लगा। उसका मोटा लण्ड मुझे अपनी चूत के ऊपर महसूस हो रहा था। कुछ देर तक वो मेरे होंठों को चूसने के बाद मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया और बेड से उतरकर ड्रेसिंग टेबल से एक वैसेलीन उठा लाया। उसने वैसेलीन को अपनी उंगली पे लगाकर उसे मेरी चूत में डाल दिया और उसे दाएं बाएं घुमाते हुए मेरी चूत को चिकना करने लगा। मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकल रही थी। उसने अपने लण्ड को भी वैसेलीन से चिकना किया और मेरी टाँगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया और एक तकिया मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिया। मेरी चूत अब बिल्कुल ऊपर उठी हुई थी।
आकाश अपने लण्ड को पकड़कर मेरी चूत पे रगड़ने लगा और उसे मेरी चूत पर किसी इंडे की तरह मारने लगा। मजे और डर की लहर मेरे सारे शरीर में दौड़ रही थी। मेरी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और उसमें से पानी। की कुछ बूंदे निकल रही थीं। आकाश ने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर रखते हुए अपने पूरे वजन और ताकत के साथ मुझपर दबाव दिया। उसके लण्ड का टोपा मेरी चूत की दोनों दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया।
मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकल गई- “ओईईई.. ओहह... तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है मेरी चूत फट जाएगी... मैं इसे पूरा नहीं झेल पाऊँगी प्लीज... इसे निकालो...” कहकर मैं झटपटाने लगी। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत की दोनों दीवारों को किसी ने पकड़कर आपस में से अलग कर दिया हो।
आकाश वैसे ही अपना वजन मुझपर रखे पड़ा रहा। सोनाली आँटी मेरे पास आई और मुझे किस करने लगी। मैं अपना दर्द भुलाकर फिर से गरम होने लगी। आकाश मुझे रिलैक्स होते हुए देखकर अपना दबाव बढ़ाते हुए अपना लण्ड अंदर करने की कोशिश करने लगा। मेरी चूत सिर्फ एक बार चुदी थी वो भी कृष्णा के छोटे लण्ड से, इसीलिए वो अभी तक कसी हुई थी। आकाश ने अपने लण्ड के टोपे को थोड़ा बाहर करते हुए एक जोर का धक्का लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ आधा अंदर घुस गया।
मेरी तो सारी जान ही निकल गई। मेरे मुँह से जोर की चीखें निकलने लगी- “ओईई माँ... ओहह. मर गई.. बचाओ...” मैं ऐसे तड़पने लगी जैसे मछली पानी के बाहर तड़पती है।
 horseride  Cheeta    
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#43
मैं आकाश को अपने ऊपर से उठाने की कोशिश करने लगी, मगर वो हट्टा-कट्टा मर्द था। मेरी ताकत उसके सामने पानी भरने लगी। आकाश अपना आधा लण्ड अंदर किए ही मेरे ऊपर आ गया। मेरी चूचियों को अपने मुँह में ले लिया और उन्हें चूसने लगा।
कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हो गया, और मैंने छटपटाना बंद कर दिया। मुझे अपनी चूत में दर्द की जगह मीठे मजे का अहसास होने लगा और मैं अपने चूतड़ उछाल-उछालकर आकाश के लण्ड पर दबाने लगी। आकाश समझ गया की मेरा दर्द खतम हो गया है। वो उठकर अपने आधे लण्ड से ही हल्के धक्के लगाने लगा।
मैंने मजे से अब सिसकना शुरू कर दिया- “आहह... इस्स्स्स
..."
आकाश अपने लण्ड को पूरा टोपे तक बाहर खींचकर धक्के लगाने लगा। मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरे सारे बदन की ताकत मेरी चूत के पास जमा हो गई। आकाश ने अपना लण्ड जैसे ही अंदर करके बाहर खींचा उसके लण्ड के साथ मेरी चूत का पानी भी बाहर आ गया और मैं मजे से ‘ओफफ्फ़... आह्ह्ह...' करते हुए झड़ने लगी। मेरी आँखें बंद हो गई और मैं अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा मजा महसूस करने लगी। आकाश ने मुझे झड़ता हुआ देखकर अपने धक्के तेज कर दिये।
जब मुझे होश आया तो आकाश वैसे ही धक्के लगा रहा था मेरी चूत गीली होने के कारण अब उसका लण्ड आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। आकाश ने मौका देखकर अपना पूरा लण्ड खींचकर जोर के धक्के लगाने लगा और हर धक्के के साथ उसका लण्ड मेरी चूत को फैलाता हुआ और अंदर होने लगा। मेरे मुँह से उसके हर धक्के के साथ ‘ओईए... ओहह..' की हल्की चीखें निकलने लगती। अचानक आकाश ने अपना लण्ड बाहर खींचकर एक बहुत जोर का धक्का मारा।
उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया और उसकी गोटियां मेरी गाण्ड पर महसूस होने लगी। मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकल गई ओईई। मेरी चूत में फिर दर्द होने लगा और मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था की जैसे किसी ने मेरी चूत में बहुत बड़ा चाकू घुसा दिया हो और वो मेरी चूत से होता हुआ मेरे पेट में घुस गया हो।
सोनाली आँटी अपना हाथ बढ़ाकर मेरी चूचियों को सहलाने लगी।
 horseride  Cheeta    
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#44
कुछ देर बाद मुझे कुछ सुकून मिला और मेरा दर्द कम हो गया। मुझे आकाश का लण्ड मेरी चूत की गहराइयों तक महसूस हो रहा था। मुझे अपनी चूत गहराइयों तक फैली हुई महसूस हो रही ही। अब मेरा दर्द बिल्कुल गायब हो गया और मैंने अपने चूतड़ उछालने शुरू कर दिये।
आकाश ने अब धक्के लगाने शुरू कर दिये। मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकलने लगी और मेरी साँसे फूलने लगी। आकाश अपना पूरा लण्ड बाहर खींचकर अंदर कर रहा था। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। मुझे उसका लण्ड अपने पेट तक महसूस हो रहा था।
मैं मजे से अपने चूतड़ उछालते हुए बड़बड़ाने लगी- “अहह... हाँ ऐसे ही मुझे चोदते रहो... मुझे बहुत मजा आ रहा है, तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा और मोटा है मेरी चूत को फाड़ दो...”

आकाश मेरी बातें सुनकर दंग रह गया और अपना पूरा लण्ड बाहर खींचकर अंदर तक घुसाने लगा और कहने लगा- “धन्नो सच में तुम बहुत गर्म हो। तुम सोनाली से भी बड़ी छिनाल बनेगी...”
आकाश इतनी जोर से धक्के लगा रहा था की उसके हर धक्के के साथ मैं पूरी कॉप जाती। मेरे मुँह से अब भी अनाप-शनाप निकल रहा था- “आकाश मैं तुम्हारे लण्ड की गुलाम हो गई। मैं सारी उमर तुम्हारी रंडी बनकर रहूँगी और मैं अह... इस्स्स्स ..” के साथ दूसरी बार झड़ने लगी।
मैंने आगे से फिर से अपनी आँखें बंद कर ली। आकाश कुछ देर तक मुझे धक्के लगाता रहा। जब मैंने अपनी आँखें खोली तो आकाश मेरे ऊपर आते हुए मेरे होंठों को चूमने लगा। मैंने शरारत से उसका एक होंठ काट दिया। आकाश ने अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरी एक चूची को मुँह में भरकर उसके गुलाबी निपल को जोर से काट
दिया।
मैं सिसकी- “अहह... बदमाश क्या कर रहो हो?”
आकाश मेरी निपलों को छोड़कर मेरी चूचियों को ऊपर से काटने लगा। मेरी गोरी-गोरी चूचियां उसके दाँतों के निशान से लाल हो गई। आकाश मेरे ऊपर से उठा और मुझे उल्टा लेटा दिया।
आँटी इतनी देर से हमारी चुदाई देखकर बहुत गरम हो गई थी। उसने अपनी चूत मेरे मुँह के पास कर दी और मेरे बालों को पकड़कर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया। मुझे आँटी की चूत में से अजीब गंध आ रही थी। मैं अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत को चाटने लगी।
आकाश ने पीछे से अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ा और उसे चूत पर रखकर एक धक्का मार दिया।
मेरी चूत मेरे पानी से चिकनी थी, उसका लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुस गया। मेरे मुँह से- “ओह्ह... अहह...” निकल गई और मैंने मजे से अपनी जीभ आँटी की चूत में डाल दी।
आकाश अब मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़कर पूरे जोर से धक्के लगाने लगा। मैं स्वर्ग की सैर करने लगी और अपने चूतड़ पीछे धकेलते हुए अपनी जीभ से सोनाली आँटी की चूत को चोदने लगी। आकाश ने मेरे चूतड़ों को छोड़कर हर धक्के के साथ हिलती हुई मेरी चूचियों को पकड़ लिया और अपने हाथों से मसलते हुए धक्के लगाने लगा।
 horseride  Cheeta    
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#45
अचानक आकाश ने धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज कर दी और बड़बड़ाते हुए कहा- “मेरी छिनाल धन्नो... मैं झड़ने वाला हूँ..." और वो अपना लण्ड को तेजी के साथ अंदर-बाहर करते हुए ‘अहह' के साथ झड़ने लगा।
... करते हुए झड़ने
मुझे अपनी चूत में पानी की पिचकारियां गिरती महसूस हुई और मैं भी आह्ह्ह... इस्स्स्स लगी।

आँटी भी ‘ओहह' करते हुए मेरे मुँह में झड़ने लगी, उसकी चूत का पानी नमकीन था, मैं उसे गटक गई। आकाश के लण्ड से बहुत सारा पानी निकलकर मेरी चूत को भर रहा था। कुछ देर बाद आकाश ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और बेड पर ढेर हो गया। मैं भी सीधी होकर लेट गई। मेरी चूत से आकाश का पानी निकलकर बेडशीट पर गिरने लगा।
मैंने देखा की बेडशीट पर उसके वीर्य के साथ थोड़ा खून भी लगा हुआ था। आकाश का लण्ड अब भी पूरी तरह ढीला नहीं हुआ था। उसके लण्ड पर वीर्य लगा हुआ था और उसका सुपाड़ा लाल टमाटर की तरह चमक रहा था। मैं अपने आपको रोक नहीं पाई और उसके लण्ड पे लगा हुआ वीर्य अपनी जीभ निकालकर चाटने लगी। उसके वीर्य का स्वाद अजीब था, मगर उसकी गंध मुझे फिर से मदहोश करने लगी। मैंने उसके पूरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटकर साफ कर दिया।
सोनाली आँटी हमारा खेल देखकर बहुत गरम हो चुकी थी, उसने मुझे आकाश से परे धकेलते हुए उसे बेड पर लेटा दिया और खुद उसके लण्ड को अपने मुँह में लेकर चाटने लगी। कुछ देर में ही आकाश का लण्ड फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया। आँटी अपनी दोनों टाँगें फैलाकर उसके लण्ड पर बैठ गई। आकाश का पूरा लण्ड आँटी की चूत में घुस गया, आँटी की चूत में लण्ड घुसते ही उसके मुँह से ‘अहह' मजे की एक सिसकी निकल गई। अब आँटी खुद अपने चूतड़ उठा-उठाकर आकाश के लण्ड से चुदने लगी। आँटी के लण्ड पर ऊपर-नीचे होने से उसकी दोनों बड़ी-बड़ी चूचियां ऊपर-नीचे होने लगी।
आकाश आँटी की दोनों चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगा।
आँटी अब बहुत जोर से धक्के लगाते हुए बड़बड़ा रही थी- “आकाश तुम्हारा लण्ड सच में मुझे जन्नत की सैर कराता है। ओहह... अहह... मैं झड़ने वाली हूँ..." और उसकी साँसें फूलने लगी और वो हाँफते हुए झड़ने लगी। आकाश उसे झड़ता हुआ देखकर नीचे से धक्के लगाने लगा। आँटी कुछ देर तक झड़ती रही और फिर आकाश के ऊपर ढेर हो गई।
आकाश ने उसे अपने ऊपर से उठाकर साइड में लेटा दिया और मुझे अपने ऊपर खींचकर चूमने लगा। मैं पहले ही बहुत गर्म हो चुकी थी। मैंने आकाश के होंठों को काटते हुए अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर अपने चूतड़ उसके लण्ड पर रख दिए। आकाश ने अपने हाथ से लण्ड को मेरी चूत पर सेट किया, मैंने अपना पूरा वजन उसके लण्ड पर रख दिया। उसका आधा लण्ड मेरी गीली चूत में घुस गया। मेरे मुँह से मजे की एक इस्स्स्स निकली और मैंने अपने चूतड़ थोड़ा उठाकर धप्प के साथ उसके लण्ड पर बैठ गई।
 horseride  Cheeta    
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#46
आकाश का पूरा लण्ड मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया। मेरे मुँह से मजे और दर्द की वजह से हल्की चीख निकल गई ‘ओह्ह... और मैं अपने चूतड़ उठा-उठाकर आकाश के लण्ड पे ऊपर-नीचे होने लगी। आकाश भी नीचे से धक्के लगाने लगा। मेरी साँसें फूलने लगी, मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी। मैं अब अपने चूतड़ बहुत ऊपर लण्ड के टोपे तक उठाकर फिर से नीचे कर रही थी।
मेरे सारे बदन से पशीना बह रहा था और मेरी आँखें मजे से बंद हो गई थी। मैंने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था की चुदाई में इतना मजा भी आता है। मैं अपनी चुदाई की चरम सीमा पर पहुँच गई और काँपते हुए ‘अह्ह... ओहह..' करते हुए झड़ने लगी। कुछ देर तक झड़ने के बाद मैं आकाश के ऊपर ढेर हो गई।

आकाश ने मुझे चूमते हुए अपने साइड में सुला दिया और सोनाली को पकड़कर उल्टा कर दिया और उसकी चूत में लण्ड घुसा दिया। आकाश कुछ देर तक सोनाली आँटी की चूत मारने के बाद अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक । लगाकर आँटी की गाण्ड पर रख दिया और इससे पहले की आँटी कुछ समझ पाती आकाश का आधा लण्ड उसकी गाण्ड को चीरता हुआ अंदर घुस गया।
आँटी के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... मर गई अचानक ही घुसा दिया..”
मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मैं सोच रही थी आकाश का इतना मोटा और बड़ा लण्ड इसकी गाण्ड में कैसे घुस गया। आकाश कुछ देर तक आधे लण्ड से धक्के लगता रहा और अचानक उसने अपना लण्ड पीछे खींचकर पूरा अंदर कर दिया।
आँटी के मुँह से चीख निकल गई- “ओहह... फट गई...”
मगर आकाश झड़ने के बिल्कुल करीब था, वो आँटी की चीखों की परवाह ना करते हुए जोर से उसकी गाण्ड मारने लगा और हाँफता हुआ उसकी गाण्ड में झड़ गया, और झड़ने के बाद बेड पर ढेर हो गया। कुछ देर बाद आकाश वहाँ से चला गया।
आँटी दरवाजा बंद करने के बाद मेरे पास आई और मुझे चूमते हुए कहा- “धन्नो तुम तो बिल्कुल छुपी रुस्तम निकली, अपनी आँटी को छुपकर चुदते हुए देखती रही। मैंने तुम्हें उसी दिन खिड़की के पास देख लिया था मगर तुम्हें कह नहीं पाई और तुम सबके खाने में नीद की दवा मिलाने लगी। मगर कल मैं तुम्हें चलते हुआ देखकर समझ गई की तुमने अपना कुँवारापन गॅवा दिया है। इसीलिए आज मैंने खाने में दवा नहीं मिलाई और बिंदिया और करुणा के दूध में दवा मिला दी, और तुम्हें मैंने जानबूझ कर हमारा खेल देखने का मौका दिया। मैं चाहती थी की तुम भी मेरी तरह अपनी जवानी का पूरा मजा लो। वैसे तुमने किसके साथ अपनी पहली चुदाई की?”
मैं बुत बनकर अब तक उसकी बातें सुन रही थी।
मैंने अपना मुँह खोलते हुए बताया- “वो मेरे कालेज में पढ़ता है, उसका नाम कृष्णा है मगर उसका लण्ड आकाश जितना बड़ा नहीं है, मुझे खास मजा नहीं आया था...”
आँटी ने हँसते हुए कहा- “ऐसे लण्ड सभी के नहीं होते, जैसा आकाश का है। खुशनशीब औरतों को ही ऐसा लण्ड मिलता है। तुम दोनों उस दिन जिस लड़के के साथ आई थी जिसका नाम रोहन है उसका क्या चक्कर है?”
मैंने आँटी को बता दिया- “रोहन बिंदिया से प्यार करता है और वो बहुत ही शरीफ और सुलझा हुआ लड़का है। बिंदिया भी उसे पसंद करती है...”
आँटी ने मेरी बात सुनने के बाद कहा- “दिखने में भी वो स्मार्ट है चलो दोनों की शादी करवा देंगे...”
मैंने आँटी से कहा- “मुझे नींद आ रही है मैं अपने कमरे में जाऊँ?”


आँटी ने मुश्कुराते हुए मेरे होंठों पे एक किस कर दी और मुझे गुडनाइट कहा। मैं अपने कमरे में आकर सो गई। दूसरे दिन सनडे था मैं बहुत देर तक सोती रही। जब मैं उठी और फ्रेश होकर अपने कमरे से निकली तो मैं हैरान रह गई। रोहन वहाँ बैठा हुआ चाय पी रहा था।
 horseride  Cheeta    
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#47
दोस्तो १० - १५ लोगों से ज़्यादा कोई कमेंट नहीं देता इसका मतलब तीन चार लोगो को छोड़कर जो दोस्त ये कहानियाँ पोस्ट करते हैं वही एक दूसरे की पीठ थपथपा लेते हैं

मैने पहले भी कई बार रिक्वेस्ट की है और कल एक बार फिर से आप सभी पढ़ने वाले और इस साइट के चाहने वालों से प्रार्थना की थी कि आप सब कहानी पोस्ट करने वालों की सराहना करें ताकि वो आपके लिए और भी अच्छी अच्छी कहानियाँ लाए जिससे आपका और ज़्यादा मनोरंजन हो .


दोस्तो कल से मैं किसी भी कहानी में पोस्ट नही करूँगा सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लेखक बंधुओं की हॉंसलाहफजाई करूँगा ताकि उनके काम की सराहना करने वालों मे एक श्रोता की बढ़ोत्तरी हो . और जब तक कुछ और लोग कमेंट करने के लिए आगे नही आते तब तक मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ कहानियों पर कमेंट करूँगा
 horseride  Cheeta    
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#48
मैंने जाकर उसे हाय कहा और उनके साथ बैठ गई। बिंदिया आज बहुत बन-ठन के बैठी थी। मैं समझ गई की रोहन ने पहले ही बिंदिया को कह दिया होगा की कल मैं आऊँगा।
सोनाली आँटी रोहन से पूछने लगी- “तुम्हारे परिवार में और कौन-कौन है?”
रोहन ने कहा- “आँटी मैं अपने माँ बाप की एकलौती औलाद हूँ और मेरे पिताजी यहां के मशहूर बिसनेसमैन रवी मल्होत्रा हैं...” फिर रोहन ने बातें करते हुए आँटी से कह दिया- “आँटी मैं बिंदिया से प्यार करता हूँ, बहुत जल्द मैं अपने मम्मी पापा के साथ इसका रिश्ता लेने आऊँगा...”
बिंदिया ने शर्माकर अपना मुँह नीचे कर दिया। मैं रोहन की दिलेरी को देखकर हैरान रह गई।
आँटी ने कहा- “बेटा मुझे कोई एतराज नहीं है। भला एक माँ को अपनी बेटी के लिए और क्या चाहिये? एक अच्छा लड़का और वो सारी खूबियां तुममें है...”
रोहन ने आँटी की बात सुनकर खुश होते हुए कहा- “आँटी आपने मेरी सारी टेंशन दूर कर दी। मैं जल्द से जल्द मम्मी-पापा से बात करके उन्हें बिंदिया के बारे में बता दूंगा...”
आँटी ने कहा- ठीक है। मगर तुम दोनों की शादी तुम्हारे एग्जाम्स के बाद होगी।
रोहन ने कहा- “कोई बात नहीं, वैसे भी एग्जाम नजदीक हैं..” और रोहन ने पूछा- “आँटी, मैं शाम को बिंदिया को घुमाने ले जा सकता हूँ?”
आँटी ने मुश्कुराते हुए कहा- “बिंदिया अब तुम्हारी ही अमानत है, तुम उसे ले जा सकते हो...”
रोहन बोला- “आँटी, मैं अभी चलता हूँ मुझे बहुत सारा काम है, शाम को मैं आऊँगा। बिंदिया तुम तैयार रहना..."
रोहन के जाने के बाद बिंदिया अपने कमरे में चली गई। मैं भी उसके पीछे-पीछे उसके कमरे में आ गई। मैं कमरे में आते ही उसे छेड़ने लगी- “आज रोहन के साथ कहाँ जाने वाली हो... घूमने का प्रोग्राम है या कोई दूसरा प्रोग्राम है?”
बिंदिया ने मुश्कुराते हुए कहा- “बदमाश... वो तो रोहन को पता होगा की मुझे कहाँ घुमाने ले जाता है?”
अचानक आँटी कमरे में दाखिल हुई। सोनाली आँटी ने बिंदिया को देखते हुए कहा- “तुम्हारी पसंद बहुत अच्छी है। रोहन स्मार्ट है और शरीफ घराने का लगता है, मगर फिर भी तुम अपनी शादी पक्की होने तक अपने आपको उसके ज्यादा नजदीक मत लाना...” और आँटी यह कहते हुए कमरे से चली गई।
हम आपस में बातें करने लगे। ऐसे ही वक़्त गुजर गया और शाम हो गई। रोहन अपने बाइक पे बिंदिया को लेने आ चुका था। बिंदिया भी सज संवार के तैयार हो चुकी थी। रोहन आँटी से इजाजत लेते हुए बिंदिया को अपने साथ बाइक पर बिठाकर घुमाने ले गया। बाइक पर बिंदिया रोहन से कुछ दूर बैठी थी। कुछ आगे जाने के बाद रोहन एक बड़े खड्ढे से गाड़ी ले जाने लगा। बिंदिया अचानक अनबलेन्स होने लगी और रोहन की कमर में हाथ डालकर उससे चिपक गई।
बिंदिया के बड़ी-बड़ी चूचियां अपनी पीठ पर महसूस करते ही रोहन के मुँह से 'आह' निकल गई।
बिंदिया ने रोहन की सिसकी सुन ली और उसे डाँटते हुए कहा- “तुम्हें शर्म नहीं आती, अपनी गाड़ी जानबूझ कर खड्ढे से गुजारते हुये, मैं अगर गिर जाती तो?”
रोहन ने कहा- मेरे होते हुए तुम कैसे गिर सकती हो?
 horseride  Cheeta    
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#49
बिंदिया ने आगे सरकते हुए अपनी चूचियां रोहन की पीठ पे गड़ा दी और उसे कसकर पकड़ लिया। बिंदिया ने रोहन से कहा- “अब तुमको अपनी गाड़ी किसी खड्ढे में से गुजारने के कोई जरूरत नहीं है...”
रोहन मुश्कुराते हुए गाड़ी चलाने लगा।
बिंदिया ने रोहन से पूछा- “हम कहाँ जा रहे हैं?”
रोहन ने कहा- “पहले हम घूमने किसी अच्छी जगह चलेंगे, उसके बाद मैं तुम्हें शापिंग कराऊँगा...”
उधर बिंदिया के जाते ही मैं करुणा के कमरे में चली गई और उससे बातें करने लगी। आपको मैंने करुणा का सही परिचय तो कराया ही नहीं है। करुणा बिंदिया के छोटी बहन का नाम है वो अभी 18 साल की है। दिखने में बहुत खूबसूरत और गोरी है। उसकी चूचियां अपनी माँ की तरह बड़ी-बड़ी हैं मगर इतनी भी नहीं जितनी सोनाली आँटी की हैं। उसकी चूचियां और चूतड़ उसकी उमर के हिसाब से बड़ी दिखती हैं।
बातें करते हुए मैंने उससे पूछा- “करुणा पढ़ाई कैसी चल रही है?”
करुणा ने कहा- “धन्नो दीदी पढ़ाई तो बिल्कुल सही चल रही है मगर?”
मैंने जल्दी से करुणा से पूछा- “मगर क्या?”
करुणा- “वो दीदी एक लड़का है वो मेरे साथ पढ़ता है वो मुझे बहुत तंग करता है...”

मैंने पूछा- क्या करता है? करुणा मुझे बताओ डरने की कोई जरूरत नहीं है।
करुणा ने कहा- “वो बहुत गंदी-गंदी बातें करता है। वो पूछता है की तुम्हारी छातियों का साइज क्या है और तुम्हारे नितंबों का क्या साइज है?”
मैं हैरान होते हुए उसकी बातें सुनती रही। मैंने करुणा से पूछा- “उस लड़के का नाम क्या है?”
करुणा ने कहा- “उसका नाम सुरेश है...”
मैंने कहा- “तुम डरो मत... मैं कुछ करती हूँ, तुम्हारा कॉलेज यहाँ से कितना दूर है और तुम किसके साथ कॉलेज तक जाती हो और किसके साथ वापस आती हो?"
करुणा ने कहा- “कॉलेज यहाँ से बिल्कुल करीब है और मेरे साथ दूसरी लड़कियां भी आती जाती हैं। मगर वो मुझे कॉलेज में इंटर्वल में तंग करता है...”
मैंने करुणा से कहा- “तुम हो भी इतनी सुंदर... तुम्हें चलता हुआ देखकर तो सारे लड़के आहें भरते होंगे। बेचारे उस लड़के का क्या कसूर है?”
करुणा अपनी तारीफ सुनकर शर्म के मारे लाल हो गई। कुछ देर तक उससे बातें करने के बाद मैं उठकर आँटी के कमरे में आ गई।
आँटी ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो अच्छा हुआ तुम आ गई, मुझे तुमसे बात करनी है...” और आँटी ने जाकर दरवाजा बंद कर दिया और मेरे पास बैठकर कहने लगी- “आकाश का फोन आया था रात को, उसके आफिस की एक पार्टी है वो तुम्हें उस पार्टी में देखना चाहता है...”
मैंने हैरान होते हुए पूछा- “मगर रात को हम बाहर कैसे जा सकते हैं?”
आँटी ने कहा- “उसकी तुम फिकर मत करो। अगर तुम जाना चाहो तो मैं इंतजाम कर देंगी...”
मैंने कहा- आप कहती हैं तो मैं तैयार हूँ।
आँटी ने मुझे प्यार से अपनी बाहों में भर लिया और कहा- “मुझे पता था की तुम मना नहीं करोगी..."
आँटी की बड़ी चूचियां मेरी चूचियों से टकरा रही थी। मैं अभी से रात के बारे में सोचकर उत्तेजना से गर्म हो रही
थी।
आँटी ने मेरी उत्तेजना देखकर कहा- “धन्नो रात को खाना खाने के बाद बिंदिया और करुणा सो जाएंगी, तुम उनके सोने के बाद तैयार हो जाना। आकाश अपनी गाड़ी भेज देगा जो हमें वहाँ ले जाएगी और पार्टी खतम होने के बाद हमें वापस यहाँ छोड़ देगी...”
मैंने आँटी से कहा- “मैं अपने कमरे में जा रही हूँ..."
आँटी ने मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे बेड पर गिरा दिया। आँटी ने अपनी कमीज और ब्रा निकालकर सोफे पर फेंक दी और मेरे ऊपर चढ़कर वो अपनी चूचियां मेरे मुँह पर रगड़ने लगी। मैं पहले से ही बहुत गर्म थी, मैं । अपना मुँह खोलकर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने मुँह में लेने की कोशिश करने लगी। आँटी मुझे तड़पाने के मूड में थी। वो अपनी चूचियों को मेरे मुँह पर रगड़कर फिर ऊपर उठा लेती थि और मैं उसकी चूचियों को मुँह में नहीं ले पाती थी।
मैंने आँटी की चूचियों को अपने हाथों से पकड़कर एक चूची अपने मुँह में ले ली। मैं उसकी चूची को बहुत जोर से चूसते हुए उसे अपने ऊपर से गिराकर उसके ऊपर चढ़ गई। मैंने अपनी कमीज और ब्रा निकाली और अपनी चूचियों को आँटी की नंगी चूचियों से रगड़ने लगी। मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकल रही थी। मैंने नीचे होते हुये उसकी सलवार को खींचकर उतार दिया और उसकी कच्छी को भी नीचे सरका दिया। मैं उसकी चूत पे अपना मुँह ले जाने लगी।
उसकी चूत से बहुत अजीब गंध आ रही थी, जो मुझे ज्यादा मदहोश कर रही थी। मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा और उसकी चूत के दाने को चूसने लगी। आँटी के मुँह से मजे से सिसकियां निकल रही थी। मैंने अपनी सलवार भी उतार दी और कच्छी को नीचे करते हुए उल्टा होकर आँटी के मुँह पर अपनी चूत रख दी और उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया। हम 69 पोजीशन में थे।
 horseride  Cheeta    
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#50
आँटी अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत पर फेरने लगी। मैं मजे से काँपते हुए आँटी की चूत में अपनी उंगली को डालने लगी। आँटी भी मजा लेते हुए अपनी जीभ को मेरी चूत की पतली दीवारों पे फिराते हुए अंदर डालने लगी। आँटी की जीभ अंदर होते ही मजे और उत्तेजना से मेरी साँसें फूलने लगी। मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी। मैंने अपनी उंगली को बहुत जोर से आँटी की चूत में अंदर-बाहर करते हुए अपनी जीभ उसके दाने पे फिराने लगी। आँटी भी अपने चूतड़ उछलने लगी। मेरी चूत में आँटी की जीभ ने तूफान मचा दिया। मैं उसकी जीभ की गर्माहट को ना सहते हुए झड़ने लगी।
मैंने झड़ते हुए अपने चूतड़ आँटी के मुँह पर जोर से दबा दिए। आँटी की जीभ मेरे और अंदर तक महसूस होने लगी। मैं अपनी दूसरी उंगली भी आँटी की चूत में डालकर जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगी। आँटी भी मेरी उंगलियां गीली करते हुए झड़ने लगी। झड़ने के बाद हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही निढाल होकर एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे। कुछ देर बाद मैं उठकर अपने कपड़े पहनने लगी।
आँटी ने मुझसे कहा- “धन्नो तुम सच में मुझसे भी ज्यादा गरम हो। मैं शादी से पहले इतनी गर्म नहीं थी, मगर तुम तो मुझसे भी दो कदम आगे हो...” ।
मैं कपड़े पहनकर अपने कमरे में चली गई और रात के बारे में सोचने लगी।
रोहन बिंदिया को एक बड़े तफरीह गाह में ले गया। वहाँ पर बहुत सारे झूले और घूमने के लिए एक बहुत बड़ा पार्क था। रोहन ने अपनी बाइक को बाहर लाक किया और बिंदिया को लेकर अंदर दाखिल हो गया। बिंदिया ने अंदर आते ही रोहन से कहा- “मुझे उस बड़े वाले झूले पे चढ़ना है...”
रोहन ने उस झूले की दो टिकटें ली और बिंदिया के साथ बैठ गया। थोड़ी देर में झूला लोगों से भर गया और चलने लगा। झूला बहुत बड़ा था उसके चलते ही बिंदिया को डर लगने लगा और वो अपना बाजू रोहन के कंधे पर रखते हुए उससे चिपक कर बैठ गई। रोहन की तो जैसे लाटरी निकल आई। उसने बिंदिया को कसकर पकड़ लिया और अपना हाथ उसकी कमर में डाल दिया। बिंदिया की नरम चूचियां रोहन के जिश्म से चिपकी हुई थी। रोहन बड़े मजे से उसकी चूचियों का मजा लेते हुए अपना हाथ उसकी कमर पर फिराने लगा। बिंदिया ने डर के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थी।
रोहन ने बिंदिया को कहा- “अगर तुम्हें इतना डर लगता है तो तुम झूले पर क्यों चढ़ी?”
बिंदिया ने अपनी आँखें बंद किए ही कहा- “मुझे क्या पता था यह इतना तेजी के साथ चलता है?”
रोहन ने उसके डर का भरपूर फायदा उठाते हुए उससे कहा- “अगर तुम्हें इतना डर लग रहा है तो मेरी गोद पे आकर बैठो, मैं तुम्हें कसकर पकड़ लेता हूँ...”
बिंदिया डर के मारे जल्दी से आकर रोहन की गोद में बैठ गई। रोहन ने अपने हाथ आगे बढ़ाकर बिंदिया को कसकर पकड़ लिया। बिंदिया के भारी चूतड़ों की गर्मी ने रोहन के लण्ड को जगा दिया और वो उसकी पैंट में ही उछल-कूद मचाने लगा। रोहन ने अपने हाथ ऊपर करते हुए बिंदिया की दोनों बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथों में ले लिया। बिंदिया के मुँह से 'आह' निकल गई। रोहन अब उसकी चूचियों को बड़े जोर से सहला रहा था।
बिंदिया को भी मजा आ रहा था इसीलिए वो आँखें बंद किए ही अपनी चूचियां मसलवाती रही और रोहन को रोका नहीं। अचानक झूले की रफ़्तार कम होने लगी। बिंदिया ने जल्दी से अपने आपको संभालते हुए रोहन की गोद से उठकर सीट पर बैठ गई। झूला अब रुक चुका था। दोनों झूले से नीचे उतर गए।
बिंदिया ने सामने आइसक्रीम वाले को देखा और रोहन से कहा- “चलो आइसक्रीम खाते हैं...”
रोहन ने एक आइसक्रीम खरीदी। बिंदिया ने रोहन से कहा- “तुम नहीं खाओगे?”
रोहन ने शरारत से बिंदिया की चूचियों को देखते हुए कहा- “मेरा दिल कुछ और खाने का कर रहा है...”
बिंदिया ने शर्माकर अपना मुँह नीचे कर लिया। रोहन ने आइसक्रीम खरीद कर बिंदिया को दी और बिंदिया को कहा- “चलो सामने पार्क में चलकर बैठते हैं."
पार्क में आकर बैठते हुए बिंदिया आइसक्रीम खाने लगी। वो अपनी जीभ निकालकर आइसक्रीम को चाट रही थी। रोहन ने फिर से बिंदिया को चिढ़ाते हुए कहा- “काश हम आइसक्रीम होते तो आपकी नाजुक जीभ को महसूस करते...”
बिंदिया रोहन की बातें सुनकर गर्म हो रही थी। अचानक बिंदिया ने आइसक्रीम को अपनी जीभ से चाटकर रोहन की तरफ बढ़ा दी। रोहन उससे आइसक्रीम लेकर अपनी जीभ से चाटने लगा और फिर बची हुई को बिंदिया के मुँह के पास ले गया।
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#51
रोहन ने बिंदिया से कहा- “आइसक्रीम को एक तरफ से तुम खाओ दूसरी तरफ से मैं खाता हूँ..”
बिंदिया एक तरफ से आइसक्रीम को अपनी जीभ से चाटने लगी, रोहन दूसरी तरफ से उसे चाटने लगा। ऐसे चाटते हुए दोनों की जीभे कभी-कभी एक दूसरे से टकरा रही थी। अचानक रोहन ने बची हुई आइसक्रीम से अपना हाथ हटा दिया और वो नीचे गिर गई। बिंदिया की जीभ सीधे आकर रोहन के मुँह में घुस गई। रोहन उसकी नाजुक जीभ को अपने होंठों से चूसने लगा। बिंदिया ने अपने हाथ रोहन के बालों में डाल दिए और दोनों न जाने कितनी देर तक एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे। वो एक दूसरे में खो चुके थे।
कुछ देर बाद बिंदिया की साँस अटकने लगी और उसने अपना मुँह रोहन से जुदा किया। वो बुरी तरह हाँफ रही थी और उसकी चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थीं। रोहन शरारत से अपनी जीभ निकालकर अपने होंठों पर फेरने लगा। बिंदिया का चेहरा उत्तेजना के मारे लाल हो चुका था।
बिंदिया ने अपनी साँसें ठीक करते हुए रोहन से कहा- “अब चलो बहुत देर हो गई है...”
रोहन ने बिंदिया को बाइक पर लेजाकर उसे शापिंग कराई और घर पर छोड़ दिया।
बिंदिया के आते ही मैं उसके कमरे में चली गई और उसे छेड़ने लगी- “वाह... बिंदिया आज तो आपने बड़ी शापिंग की है, सिर्फ शापिंग ही की या कुछ और भी किया है?”
बिंदिया ने गुस्से से मुझे मुक्का मारते हुए कहा- “तुम सुधरोगी नहीं, हमने सिर्फ शापिंग की है.”
हम कुछ देर बातें करते रहे और ऐसे ही टाइम गुजरता गया और रात हो गई। खाना खाकर सब अपने कमरे में सोने चले गये। मैं बाथरूम में जाकर नहाने लगी। मैं सोच रही थी की पार्टी में न जाने क्या होगा? मैं आज तक किसी पार्टी में नहीं गई थी। मेरा सारा जिश्म तपकर आग बन चुका था। शावर ओन करते ही ठंडा पानी मेरे बालों पर गिरकर चूचियों से होता हुआ मेरे सारे जिश्म को भिगोने लगा। मेरा गर्म जिश्म ठंडा पानी पड़ने से उत्तेजना के मारे और गर्म होने लगा। मैं अपना हाथ नीचे लेजाकर अपनी चूत को सहलाने लगी और दूसरे हाथ से अपनी चूचियों को दबाने लगी।
मेरी चूचियों के दाने तनकर पत्थर की तरह सख़्त हो गये थे। मैंने अपनी एक उंगली चूत में डाल दी और आगेपीछे करने लगी। मैं बहुत ज्यादा गरम हो चुकी थी। मेरे सारे जिम में आग लगी हुई थी। अब मैं अपनी दो उंगलियां चूत में डालकर आगे-पीछे करने लगी।
 horseride  Cheeta    
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#52
कुछ देर बाद मेरा जिश्म अकड़ने लगा और मैं हाँफते हुए झड़ने लगी। मुझे कुछ सुकून महसूस हुआ, मगर मुझे लण्ड का चस्का लग चुका था इसीलिए मुझे उंगली से कोई खास मजा नहीं आया था। मैं नहाकर बाहर निकली और एक नया ड्रेस पहनकर अपने आपको तैयार करने लगी।
कुछ देर बाद आँटी कमरे में दाखिल हुई और मुझे देखकर मुश्कुराते हुए कहने लगी- “धन्नो आज तो तू सच में हुश्न की देवी लग रही हो...”
मैंने आँटी से बैंक्स कहते हुए कहा- “आप भी तो आज बहुत सज-संवरकर हुश्न की देवी लग रही हो...”
सोनाली आँटी ने कहा- “चलो आकाश ने गाड़ी भेज दी है ड्राइवर हमारा इंतजार कर रहा है...”
मैं आँटी के साथ बाहर तक आ गई, आँटी ने बाहर से दरवाजे को लाक किया। बाहर एक बहुत बड़ी मर्सडीज गाड़ी खड़ी थी। हम जैसे ही गाड़ी के पास पहुँचे ड्राइवर ने गाड़ी का दरवाजा खोला और हम दोनों अंदर बैठ गये। ड्राइवर ने दरवाजा बंद किया और गाड़ी चलाना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद गाड़ी एक आलीशान बंगले के सामने जाकर रुक गई। इाइवर ने गाड़ी से उतरकर दरवाजा खोला और हम दोनों को अंदर ले गया।
आकाश हमें देखते ही वेलकम कहते हुए हमसे मिला। अंदर पार्टी का बहुत ही शानदार इंतजाम था। वो एक बहुत ही बड़ा हाल था, जिसमें चारों तरफ टेबल लगी हुई थी और वहाँ पर खाने और पीने की सभी चीजें मौजूद थी। हमारे अंदर जाते ही सारे लोग हमें गौर से देखने लगे।
आकाश ने हमारा उन सबसे परिचय कराया और उनको कहा- “यह हमारे बैंक के एक्स मैनेजर की वाइफ और भांजी है जो इस वक़्त हमारे साथ मौजूद नहीं हैं...”
कुछ देर बाद खाने का दौर चला, हम भी खाना खाने लगे। खाना खतम होते ही सारे लोग एक-एक करके जाने लगे। थोड़ी देर बाद सब जा चुके थे। आकाश हमको साथ में लेकर टेबल तक आ गया और तीन ग्लसों में बियर भरते हुए हमारी तरफ बढ़ा दी।
आँटी ने आकाश से कहा- “हमने कभी शराब नहीं पी है, हम नहीं पिएंगे...”
आकाश ने सोनाली आँटी की कमर में हाथ डालते हुए कहा- “डार्लिंग यह शराब नहीं है, बियर है। इसमें नशा नहीं होता...”
आँटी ने अपना हाथ बढ़ाकर ग्लास थाम लिया। मैंने भी आकाश से ग्लास ले लिया। जैसे ही मैं ग्लास को अपने मुँह में डाला मुझे उसका स्वाद कड़वी दवा जैसा लगा। मैं खांसने लगी और ग्लास को टेबल पर रखने लगी।
आकाश ने मेरे हाथ में अपना हाथ डालते हुए कहा- “पहले थोड़ा अजीब लगता है। तुम इसे एक ही पैंट में पी जाओ...”
मैं आँटी की तरफ देखने लगी, आँटी ने ग्लास को अपने मुँह पर रखकर सारा ग्लास खाली कर दिया।

मैं हैरानी से आँटी को देखते हुए अपना ग्लास मुँह पर रखकर एक ही घूट में पी गई।
आकाश ने मुश्कुराते हुए कहा- “यह हुई ना बात..." और अपना ग्लास खाली करते हुए फिर से तीनों ग्लास भर दिए। आकाश ने तीन चिकेन टिक्के उठाकर प्लेट में रख दिए और हमें खाने को कहा।
उसने खुद एक टिक्का उठा लिया और उसे खाने लगा। मैंने भी एक टिक्का उठाया और खाने लगी। उसके खाने के बाद आकाश ने दो ग्लास हमें थमाए और एक खुद लेकर हमसे चीयर्स कहा और उसने ग्लास खाली कर दिया। मुझे थोड़ा-थोड़ा नशा चढ़ने लगा था। मैंने भी दूसरा ग्लास मुँह पे रखा और खाली कर दिया। आँटी ने ग्लास खाली कर दिया। आकाश दोनों हाथ बढ़ाकर एक हाथ मेरी कमर में डाल दिया और दूसरा आँटी की कमर में डालकर हमें एक कमरे में ले गया। वहाँ पर एक दूसरा आदमी भी मौजूद था।
उसने हमें देखा और अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा- “आकाश यह तो सच में किसी परीलोक की परियां हैं...”
आँटी ने नशे में लड़खड़ाते हुए आकाश से कहा- “यह कौन है?”
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#53
आकाश ने आँटी की गाण्ड पे हाथ फेरते हुए कहा- “यह मेरा बहुत अच्छा दोस्त और यहाँ का मशहूर बिसनेसमैन शाहिद खान है...” और आकाश अपने कपड़े उतारकर नंगा हो गया।
उसके लण्ड को देखते ही मेरी साँसें ऊपर-नीचे होने लगी। मैं बहुत गर्म हो चुकी थी और नशे के कारण में अपने आपको रोक नहीं पाई और आकाश के लण्ड को अपने हाथों से पकड़कर सहलाने लगी।
आकाश ने सोनाली आँटी को पकड़कर उस आदमी की तरफ बढ़ा दिया और कहा- “खान साहब मजे लो देख क्या रहे हो?”
खान ने आँटी को बेड पर पटक दिया और उसके होंठों को चूसने लगा। आँटी भी गरम होने लगी और उसका साथ देते हुए उसे चूमने लगी। कुछ देर बाद खान ने आँटी की कमीज उतार दी। खान ब्रा में कैद आँटी की बड़ीबड़ी चूचियां देखकर पागल हो गया और आँटी की ब्रा को खींचकर फाड़ दिया। आँटी की नंगी चूचियों को उसने अपने हाथों से मसलते हुए अपने मुँह में ले लिया और जोर से चूसते हुए काटने लगा।
आँटी के मुँह से- “अह्ह... ओह्ह... इस्स्स्स...” की सिसकियां निकलने लगी।
मैं भी बहुत गर्म हो रही थी। मैं अपनी जीभ निकालकर आकाश के लण्ड को चाटने लगी और अपने हाथ से उसकी गोटियों से खेलने लगी। उधर आँटी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। उसने खान को नीचे गिराते हुए उसकी शर्ट और पैंट उतार दी। आँटी अपनी दोनों टाँगें फैलाकर खान के पेट पर बैठ गई और अपनी बड़ी-बड़ी चूचियां उसके सीने पर रगड़ने लगी। खान के मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकलने लगी।

आँटी ने नीचे होते हुए खान का अंडरवेर उतार दिया। अंडरवेर उतरते ही उसका गोरा, लंबा और बहुत मोटा लण्ड बाहर उछलने लगा। मैं खान का लण्ड देखकर बहुत उत्तेजित हो गई और आकाश की गोटी को अपने हाथों से मसलते हुए उसके लण्ड का टोपा अपने मुँह में ले लिया।
आकाश के मुँह से ‘अहह' निकल गई। वो मुझे बालों से पकड़कर अपने लण्ड पर दबाने लगा।
आँटी खान का लण्ड देखकर पागल हो चुकी थी। खान का लण्ड आकाश के लण्ड से थोड़ा लंबा और उससे भी ज्यादा मोटा था। आँटी ने खान के लण्ड को अपने दोनों हाथों में पकड़ा और हिलाने लगी। उत्तेजना के मारे । उसकी साँसें लण्ड हिलाते हुए बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। अचानक चाची अपना मुँह खोलकर लण्ड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी, मगर खान का लण्ड बहुत मोटा था वो उसके मुँह नहीं आ रहा था। सोनाली आँटी ने अपनी जीभ निकालकर खान के लण्ड को बाहर से चाटते हुए हल्का सा काट दिया।
खान उछल पड़ा- “अह्ह... यह क्या कर रही हो मारने का इरादे है क्या?”
साली- “क्या करूं मेरे मुँह में तो नहीं आ रहा है, बाहर से ही खा लें थोड़ा सा...” और हँसने लगी। आँटी ने अपनी जीभ निकाली और खान के लण्ड के खुले हुए गुलाबी टोपे को चाटने लगी।
खान के मुँह से मजे से ‘अहह' निकल गई।
आकाश यह सब देखकर बहुत उत्तेजित हो गया था। वो मेरे सिर को पकड़कर अपना लण्ड बहुत जोर से मेरे मुँह में अंदर-बाहर कर रहा था। मेरा ध्यान भी आँटी की तरफ था और मैं बहुत गर्म हो चुकी थी। मुझे पता ही नहीं चला था की आकाश का आधा लण्ड मेरे मुँह में घुस चुका था, और वो हर धक्के के साथ मेरे गले को छू रहा था।
आँटी खान के लण्ड को टोपे से लेकर आखिरी हिस्से तक जीभ से चाट रही थी। खान आँटी की जीभ की गर्मी से मजे में पागल हो रहा था। अचानक उसने उठते हुए चाची को नीचे बेड पर पटकते हुए उसके ऊपर चढ़ गया और अपना भयानक लण्ड आँटी के होंठों पर रख दिया। खान आँटी की चूचियों के नीचे बैठा था और उसकी गोटियां आँटी की बड़ी-बड़ी छातियों को छू रही थी। आँटी ने अपने मुँह को खोला, खान अपने लण्ड को आँटी के मुँह में दबाव देते हुए डालने लगा।
आँटी ने अपना मुँह बहुत जोर से खोल रख था। खान के लण्ड का टमाटर जैसा लाल सुपाड़ा आँटी के मुँह में घुस गया। खान के मुँह से ‘ओह' निकल गई। खान अपने सुपाड़े को आँटी के मुँह में थोड़ा-थोड़ा हिलाते हुए अंदर-बाहर करने लगा।
मैं यह सब देखकर इतनी गर्म हो गई की मैंने आकाश के लण्ड के अपने मुँह से निकालकर उसे नीचे गिरा दिया। मैं अपनी चूत को उसके लण्ड पर सेट करते हुए एकदम उसपर बैठ गई। आकाश का लण्ड मेरी गीली चूत में अपनी जगह बनाता हुआ मेरी चूत की जड़ तक घुस गया। मेरे मुँह से मजे और उत्तेजना के मारे- “आहहह... इस्स्स्स ...” निकल गई। मैं अपने चूतड़ों को उठा-उठाकर आकाश के लण्ड पर उछलने लगी।
आकाश ने मेरी हिलती हुई चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा। मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी और झड़ने के बिल्कुल करीब थी। मैं अपने चूतड़ों को आकाश के टोपे तक ऊपर उठाकर फिर से नीचे बैठ जाती। कुछ ही देर बाद मैं अपने चूतड़ उछालते हुए ‘आहहह' करते हुए झड़ने लगी। मैं आकाश के लण्ड पर बैठे-बैठे ही आकाश की छाती पर अपना सिर रखकर ढेर हो गई।
उधर खान अब अपने लण्ड का चौथाई हिस्सा आँटी के मुँह में घुसा चुका था और वो उसे आगे-पीछे कर रहा था।
आँटी के मुँह से पूँ-हूँ की आवाजें निकल रही थी। अचानक खान ने अपना लण्ड आँटी के मुँह से निकाल लिया। मुँह से लण्ड निकलते ही आँटी खांसने लगी।
खान आँटी की दोनों भारी छातियों को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपना लण्ड उनके बीच में डालकर आगेपीछे करने लगा। आँटी के मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकल रही थी। खान का लण्ड आँटी की चूचियों के बीच होता हुआ उसके मुँह तक आ रहा था, जिसे आँटी अपनी जीभ निकालकर चाट लेती।
मैं फिर से गरम हो रही थी और अपने चूतड़ उछाल रही थी। आकाश मेरी कमर में हाथ डालकर मेरी चूचियों को चूसते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा। मैं मजे में फिर से हवा में उड़ने लगी।
खान आँटी की छातियों को छोड़कर नीचे जाने लगा और आँटी की सलवार उतारकर उसकी गीली पैंटी को अपनी जीभ से चाटने लगा। आँटी की आँखें मजे से बंद हो गई, उसे खान की जीभ गीली पैंटी के होते हुए भी अपनी चूत पर महसूस हो रही थी। खान ने आँटी की पैंटी भी निकल दी और उसकी गोरी चूत को देखते हुए जीभ अपने होंठों पर घूमने लगा। खान ने आँटी की दोनों टाँगों को खोला और अपनी नाक उसकी चूत तक लाकर सँघने लगा।
आँटी की चूत की अजीब महक खान को पागल बना रही थी। खान ने अपनी जीभ निकाली और आँटी की चूत के दाने को छेड़ने लगा। आँटी मजे से छटपटाने लगी और अपनी टाँगें जितना हो सकती थी खोलकर खान के बालों को सहलाने लगी। खान ने अपनी जीभ नीचे लेजाकर आँटी की चूत के मोटे होंठों को चाटते हुए अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी।
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#54
आँटी के मुँह “ओह्ह' एक हल्की सिसकी निकल गई। खान अपनी उंगली अंदर-बाहर करते हुए अपनी जीभ से आँटी की गाण्ड चाटने लगा। आँटी मजे के मारे अपना सिर इधर-उधर पटकने लगी। खान ने दूसरी उंगली भी आँटी की चूत में डाल दी और बहुत जोर से अंदर-बाहर करने लगा। आँटी की चूत से ढेर सारा पानी निकल रहा था और वो मजे से ‘आह्ह्ह.. ओहह..' कर रही थी। अचानक खान ने आँटी के चूत से अपनी उंगलियां निकालते हुए आँटी के मुँह में डाल दी।
आँटी अपनी चूत का रस चाटने लगी।
खान ने आँटी से कहा- “तुम मेरे लण्ड को अपनी जीभ से चिकना करो...”

आँटी ने अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड को ऊपर से नीचे तक चिकना कर दिया। खान ने आँटी को सीधा लेटाते हुए उसकी टाँगों को घुटनों तक मोड़ दिया। आँटी की चूत खान के बिल्कुल सामने थी। खान अपना लण्ड आँटी की चिकनी चूत पर रगड़ने लगा। आँटी का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था।
इधर मैं भी बहुत गरम हो चुकी थी और बहुत जोर से आकाश के लण्ड पर उछलने लगी। खान ने अपना लण्ड आँटी के चूत पे निशाने पर रखा और एक बहुत जोर का धक्का मारा, खान का लण्ड आँटी की चिकनी चूत को फाड़ता हुआ आधा अंदर घुस गया।
आँटी के मुँह से एक भयानक चीख निकली- “ओईई... मर गई, फट गई, निकालो, तुम्हारा बहुत मोटा है...”
मैं यह सब देखकर बहुत उत्तेजित हो गई और हाँफते हुए दूसरी बार झड़ने लगी।
उधर खान आँटी की टाँगों को जोर से पकड़कर अपने आधे लण्ड को जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा। आँटी के मुँह से चीखें अब कम होते हुए सिसकियों में बदलने लगी। आँटी अब- “अह्ह... ओह... हाँ ऐसे ही मुझे बहुत मजा आ रहा है, मैं झड़ने वाली हूँ..” कहते हुए अपने चूतड़ उछालने लगी।
खान उसे ऐसे ही चोदता रहा। कुछ देर बाद आँटी ‘अहह' करते हुए झड़ने लगी। खान ने आँटी को झड़ते हुए देखकर अपने लण्ड को पूरा बाहर निकालकर एक जोर का धक्का मारा। उसका लण्ड आँटी की चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया।
आँटी के मुँह से फिर से चीख निकल गई- “ओह्ह... मर गई... तुम तो सच में मेरी चूत को फाड़ दोगे...” आँटी के झड़ने की वजह से उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी, इसलिए खान का लण्ड आसानी से अंदर तक घुस गया था।
आकाश यह सब देखकर बहुत गर्म हो गया और उसका लण्ड मेरी चूत में ठुमके मारने लगा। मैंने भी अपनी चूत को सिकोड़कर उसका जवाब दिया। आकाश ने मुझे उल्टा करते हुए पीछे से अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया और दनादन धक्के लगाते हुए मेरी चूत को अपने वीर्य से भरने लगा। आकाश का गर्म वीर्य अपनी चूत में महसूस करते ही मैं भी झड़ने लगी। कुछ देर तक हम दोनों झड़ने के बाद निढाल होकर बेड पर लेट गये और खान और ऑटी का खेल देखने लगे।
खान अब अपने पूरे लण्ड से आँटी की चूत में धक्के लगा रहा था और उसके हर धक्के के साथ आँटी के मुँह से ‘अह्ह... ओहह... ओईईई...” निकल रही थी। खान इतने जोर से धक्के लगा रहा था की उसके हर धक्के के साथ गप-गप की आवाजें आ रही थी। अचानक खान ने अपनी रफ़्तार बहुत तेज कर दी और हाँफते हुए अपने वीर्य से
आँटी की चूत को भरने लगा। आँटी भी ‘आहह' करते हुए झड़ने लगी। कुछ देर तक दोनों झड़ते रहे और फिर निढाल होकर बेड पर गिर पड़े।
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#55
मैं खान के लण्ड की चुदाई देखकर बहुत उत्तेजित हो गई थी। मैं बेड के पास गई और उसके ढीले लण्ड को गौर से देखने लगी। उसका लण्ड नजदीक से देखकर मेरी साँसें अटकाने लगी और मुझे नशा चढ़ने लगा। मैंने अपना हाथ बढ़ाकर खान के लण्ड को पकड़ लिया। मेरी साँसें बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। मेरा हाथ खान के लण्ड पर पड़ते ही उसका लण्ड फिर खड़ा होने लगा। उसका लण्ड वीर्य से गीला था। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके लण्ड पे पड़े वीर्य को चाटने लगी। उसके लण्ड से अजीब गंध आ रही थी। खान के वीर्य का स्वाद भी अजीब था। मगर मुझपर ऐसा नशा छा रहा था की मैंने उसके लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाटकर साफ कर दिया। मैं अपने हाथ से उसके लण्ड को सहलाने लगी। ।
खान का लण्ड अब पूरा तनकर खड़ा हो चुका था। खान ने उठकर मेरी चूचियों को अपने हाथों में पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा। खान के हाथ मेरी चूचियों पर पड़ते ही मैं सिहर उठी। खान ने अपनी जीभ निकालकर मेरी चूचियों के गुलाबी निपलों को चाटने लगा।
मेरे मुँह से मजे के मारे सिसकियां निकलने लगी। खान मुझ बेड पर लेटाते हुए मेरे ऊपर आ गया। मेरी छातियां उसके मजबूत सीने में दब गई और उसका लण्ड मेरे पेट पर ठुमके मारने लगा। मेरा उत्तेजना के मारे बुरा हाल था। मैं बुरी तरह काँप रही थी।
खान ने अपने होंठ मेरे काँपते हुए गुलाबी होंठों पर रख दिए। खान मेरे नीचे वाले होंठ को बहुत जोर से चूस रहा था। मैं उसका साथ देते हुए अपने हाथ से उसके पीठ को सहला रही थी। खान कुछ देर तक मेरे होंठों का रस चूसता रहा और फिर अपनी जीभ निकालकर मेरे मुँह में डाल दी। मैं बहुत ज्यादा गरम हो चुकी थी। मैं उसकी जीभ को पकड़कर चाटने लगी। कुछ देर खान की जीभ को चाटने के बाद मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जो खान बड़े प्यार से चूसने लगा।
कुछ देर बाद खान मेरे होंठों को छोड़कर मेरे कंधे को चूमते हुए अपनी जीभ निकालकर मेरे कान के नीचे वाले हिस्से पे फिराने लगा। मुझे अजीब सी गुदगुदी और मजे का अहसास हो रहा था। खान ने मेरे कान के लौ को अपने मुँह में लेकर हल्का काट दिया। मेरा सारा जिम मजे से सिहर उठा।
खान अब मेरे कान को छोड़कर नीचे होते हुए मेरी चूचियों को चूमता और चाटता हुआ और नीचे होने लगा। खान अब मेरे पेट तक आ चुका था। वो अपनी जीभ निकालकर मेरे पेट पे फिराने लगा। मैं अब उत्तेजेना के मारे अपने सिर को इधर-उधर कर रही थी। मेरी चूत में आग लगी हुई थी और उसमें से पानी की बूंदें निकल रही थी। खान अब और नीचे होते हुये मेरी चूत तक आ गया। वो अपना मुँह मेरी चूत तक ले आया, मैंने अपनी टाँगों को फैला दिया।
खान ने अपनी नाक को मेरी चूत पर रखते हुए उसे पूँघने लगा। खान को मेरी चूत की गंध मदहोश कर रही। थी। उसे उसकी गंध बहुत अच्छी लग रही थी। खान अपनी नाक मेरी चूत के बिल्कुल करीब लाकर अपनी सांस पीछे खींच रहा था। खान कुछ देर तक मेरी चूत को सँघता रहा और फिर अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत से निकलते हुए रस को चाटने लगा। खान की जीभ मेरी चूत पर पड़ते ही मजे से मेरे मुँह से 'आह' निकल गई। खान ने मेरी चूत को ऊपर से थोड़ा चाटने के बाद अपनी उंगलियों से उसकी पतली दीवार को चौड़ा करके अपनी जीभ उसमें घुसा दी।
मेरे मुँह में मजे के मारे- “आह्ह्ह... मैं मरी..” निकल गया।
मैं उत्तेजना के मारे लाल हो चुकी थी। खान अपनी जीभ मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। मैं अपने चूतड़ उठाउठाकर उसकी जीभ को अपनी चूत में महसूस करने लगी। अचानक खान ने अपनी जीभ मेरी चूत से निकालकर मेरी टाँगों को और चौड़ा करते हुए एक तकिया मेरी कमर के नीचे रख दिया। मेरी चूत और गाण्ड दोनों ऊपर उठ गई। खान ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डालकर उसे अंदर-बाहर करने लगा। खान उंगली को तेजी के साथ अंदर-बाहर करते हुए अपनी जीभ निकालकर मेरी गाण्ड के छेद पे फिराने लगा।
मेरा सारा जिश्म मजे से काँपने लगा। मेरी साँसें फूलने लगी। मुझे आज तक ऐसा मजा कभी नहीं आया था। मैं ‘आअह्ह्ह... इस्स्स्स ... करते हुए झड़ने लगी और अपनी आँखें बंद कर ली। मुझे झड़ता हुआ देखकर खान मेरी चूत में दो उंगलियां घुसकर आगे-पीछे करने लगा और अपनी जीभ से मेरे गाण्ड के छेद को चाटने लगा।
कुछ देर झड़ने के बाद मैंने अपनी आँखें खोली, खान अभी तक मेरी गाण्ड को चाट रहा था। उसके गाण्ड चाटने से मेरी गाण्ड का छेद अपने आप थोड़ा खुलकर फिर से बंद होने लगा। खान ने अब मेरी गाण्ड को छोड़कर मेरी टाँगों को ऊपर उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया और अपना लण्ड मेरी चिकनी चूत पर ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा। उसका लण्ड पूरा तना हुआ था और उसका टोपा किसी टमाटर की तरह लाल और बहुत मोटा दिख रहा था।
मैं उत्तेजना के मारे फिर से गरम हो गई और मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी। मेरा सारा जिश्म उत्तेजना के मारे काँप रहा था, मेरे सारे जिम में खौफ और रोमांच की लहर दौड़ रही थी।
 horseride  Cheeta    
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#56
आँटी और आकाश इतनी देर से हमारा खेल देखकर बहुत उत्तेजित हो चुके थे, इसीलिए आकाश ने अपना खड़ा लण्ड आँटी के मुँह में डाल दिया था, जो आँटी बड़े प्यार से चूस रही थी।
खान ने अपनी उंगलियों से मेरी चूत के होंठों को खोलकर अपने लण्ड का सुपाड़ा मेरी चूत के सुराख में रखा और मेरी तरफ देखने लगा। खान ने कहा- “थोड़ा दर्द होगा बर्दाश्त कर लेना...”
मैंने उसकी आँखों में देखते हुए वासना में डूबे हुए उससे कहा- “जो करना है जल्दी से करो... मैं अब बर्दाश्त नहीं कर सकती...”
खान ने मेरी जांघों को कसकर पकड़ते हुए अपने लण्ड पर जोर का दबाव डाला। खान के लण्ड का टोपा मेरी चूत में घुस गया। मेरे मुँह से एक चीख निकल गई ‘ओईईई’ उसके लण्ड का सुपाड़ा बहुत मोटा था। उसने मेरी चूत को इतना फैला दिया की मुझे महसूस हो रहा था किसी ने मेरी चूत को अपने दोनों हाथों से पकड़कर फाड़ दिया हो। मैंने अपने हाथों से अपना मुँह बंद कर दिया और अगले लम्हे का इंतजार करने लगी।
खान ने एक जोर का धक्का मारा और उसका लण्ड मेरी चूत को फैलाता और अपनी जगह बनाता हुआ जड़ तक घुस गया। मेरे मुँह से एक बहुत बड़ी चीख निकली जो मेरे हाथों में दब गई। मेरी आँखों से आँसू निकल आए। खान ने अपना लण्ड मेरी चूत की जड़ तक डाले हुये ही मेरे ऊपर आ गया और अपने हाथों से मेरी चूचियां मसलता हुआ अपने होंठ मेरे होंठों पर रखकर चूसने लगा।

मुझे अब चूत में कुछ सुकून महसूस हुआ और मेरा सारा जिश्म फिर से गरम होने लगा। मैंने अपने चूतड़ उछालकर खान को सिगनल दिया। खान मेरे ऊपर से उठते हुए अपने लण्ड को बाहर खींचा और फिर से जड़ तक घुसा दिया। उसका लण्ड मेरी चूत की गहराइयों में महसूस हो रहा था। उसके लण्ड की रगड़ मेरे सारे जिश्म में उत्तेजना पैदा कर रही थी और मेरे मुँह से अजीब तरह की आवाजें निकलने लगी। उसका लण्ड इतना मोटा था की उसके लण्ड बाहर खींचने से उसके लण्ड के साथ मेरा पानी भी बाहर निकलने लगा।
मेरे मुँह से 'आअह्ह्ह' निकली और मैंने अपनी आँखें बंद कर ली।
खान मुझे झड़ता हुआ देखकर अपने लण्ड को जोर से अंदर-बाहर करने लगा। मैंने कुछ देर बाद अपनी आँखें खोली, तो खान का लण्ड मेरी चूत के आखिरी हिस्से तक रगड़ रहा था। मैं फिर से गर्म होने लगी और चूतड़ उछाल-उछालकर खान से ताल पे ताल मिलाने लगी। खान अपना लण्ड जब बाहर खींचकर अंदर डालता तो मैं अपने चूतड़ उछालती और दोनों की जड़ें मिल जाती।
कुछ देर बाद खान मुझको तूफान की रफ्तार के साथ चोदने लगा। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। खान इतने जोर के धक्के लगा रहा था की मेरा सारा जिम खान के हर धक्के के साथ पूरा कांप रहा था। खान ऐसे ही धक्के लगाते हुए मेरी चूत में अपना वीर्य गिराने लगा।
उसके गर्म वीर्य के अहसास से मेरी चूत ने भी अपना मुँह खोल दिया और मैं “आहहह.. ओहह...' करते हुए झड़ने लगी। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली। खान न जाने कितनी देर तक मेरी चूत को अपने वीर्य से भरता रहा और फिर निढाल होकर मेरे ऊपर गिर पड़ा।
आकाश और सोनाली आँटी इतनी देर से हमारी चुदाई देखकर बहुत गर्म हो चुके थे। आकाश ने सोनाली के मुँह से अपना लण्ड निकाला और उसे उल्टा लेटाकर अपना लण्ड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया। लण्ड घुसते ही। आँटी ने मुँह 'अहह' निकल गई। आकाश अपने लण्ड से बहुत जोर के धक्के लगाने लगा, वो अपना पूरा लण्ड सुपाड़े तक निकालकर अंदर पेल रहा था।
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#57
सोनाली आँटी के मुँह से अब मजे से गालियां निकलने लगी- “ओह्ह... अहह... हाँ ऐसे ही मुझे चोदते रहो, आकाश तुमने मुझे रंडी बना दिया। मेरे साथ मेरी भांजी भी रंडी बन गई, मगर धन्नो की चूत में मुझसे ज्यादा आग है। मैंने शादी से पहले किसी से नहीं चुदवाया था, मगर यह तो मुझसे बड़ी छिनाल निकली, शादी से पहले ही हर लण्ड का मजा ले लिया...”
आँटी के मुँह से ये सब सुनकर मैं हैरत में पड़ गई, मैं सोच रही थी आँटी को क्या हो गया है जो ऐसी गालियां निकाल रही हैं? आकाश ने भी आँटी की चूत को जोर से चोदते हुए उसके चूतड़ पर थप्पड़ मार रहा था। आँटी की गाण्ड आकाश के थप्पड़ों से बिल्कुल लाल हो गई थी।
आकाश ने आँटी को थप्पड़ मारते हुए कहा- “साली छिनाल, तुम धन्नो को छिनाल कह रही हो, तुम खुद कितनी बड़ी रंडी हो तुम्हें पता है? जय के कहने पर मुझसे चुदवाया और मेरे लण्ड की दीवानी हो गई और तुमने धन्नो को मुझसे चुदवाया और मेरे कहने पर यहाँ दो लण्डों का मजा ले रही है। तुम अपने घर में अगर दूसरे मर्दो को बुलाकर चुदवायेगी तो उसे देखकर तुम्हारी भांजी तो जरूर गर्म होगी.”

आँटी झड़ने के बिल्कुल करीब थी, वो अपनी साँसों को संभालते हुए आकाश के लण्ड पर अपने चूतड़ों से धक्के लगाने लगी और कहने लगी- “आकाश तुम्हारे लण्ड को चखकर मुझ पता चला की बड़े और मोटे लण्ड से चुदवाने में कितना मजा आता है...”
खान इतनी देर से यह सब देखकर फिर से गरम होने लगा और वो उठकर आँटी के मुँह के करीब आ गया। आँटी खान के लटकते हुए लण्ड को अपनी जीभ निकालकर चाटने लगी। खान ने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली। आँटी पूरे जोश के साथ खान का लण्ड चाट रही थी। अचानक आँटी का बदन अकड़ने लगा और वो हाँफते हुए ओहह... करते हुए झड़ने लगी। खान ने आँटी का सिर पकड़कर अपना लण्ड उसके मुँह में ढूंस दिया और उसे आगे-पीछे करने लगा। आँटी के मुँह से गैंगू की आवाजें निकालने लगी, उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। कुछ देर लण्ड आगे-पीछे करने के बाद खान ने अपना लण्ड आँटी के मुँह से निकाला। खान का लण्ड अब बिल्कुल तन चुका और आँटी की थूक से चमक रहा था।
खान ने आकाश को कहा- “तुम लेट जाओ और इस अपने ऊपर ले लो..”
आकाश नीचे लेट गया और आँटी अपनी दोनों टाँगें फैलाकर आकाश के लण्ड पे बैठ गई। आकाश नीचे से धक्के लगाने लगा और आँटी भी अपने चूतड़ उछालने लगी।
खान कुछ देर ऐसे ही दोनों को देखता रहा और फिर आँटी के पीछे जाकर बैठ गया और उसकी गाण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगा।
मैं समझ गई की खान आँटी की गाण्ड मारना चाहता है। मेरे पूरे शरीर में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी। मैं सोच रही थी की इतना मोटा लण्ड आँटी की गाण्ड की क्या हालत करेगा? अब खान अपनी जीभ निकालकर आँटी की गाण्ड पर फिराने लगा। खान ने मुझे अपने पास बुलाया और अपने लण्ड को चाटने को कहा। मैं अपनी जीभ निकालकर खान के लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी।
आकाश ने धक्के लगाने बंद कर दिये थे। आँटी भी खान की जीभ अपनी गाण्ड पर महसूस करके बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी। और उसके मुँह से अह्ह... की आवाजें निकल रही थी। आकाश ने आँटी की कमर को पकड़कर उसे नीचे झुका लिया था। इस पोजीशन में आँटी की गाण्ड खुलकर खान के सामने आ गई थी। आकाश सोनाली की चूचियों को अपने मुँह में लेकर चाट रहा था।
खान अपनी जीभ को आँटी की पूरी गाण्ड पर फिराते हुए उसकी गाण्ड के छेद पर आकर रुक गया। आँटी अपनी गाण्ड के छेद पर खान का लण्ड महसूस करते ही अपनी गाण्ड को सिकोड़कर फिर खोलने लगी। आकाश ने अपनी जीभ को कड़ा किया और जैसे ही आँटी ने अपनी गाण्ड को खोला खान ने उसे अंदर तक डाल दिया। आँटी के मुँह से मजे से एक चीख निकल गई- “ओईई.. अहह..”
खान ने थोड़ी देर तक उसकी गाण्ड को अपनी जीभ से चाटने के बाद अपनी दो उंगलियां उसकी गाण्ड में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। कुछ देर बाद उसने अपनी तीसरी उंगली भी उसकी गाण्ड में डाल दी, ऑटी के मुँह से ओह्ह... की हल्की चीख निकल गई। खान जोर से अपनी तीनों उंगलियां आँटी की गाण्ड में अंदर-बाहर करने लगा।
 horseride  Cheeta    
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#58
अब मैं भी बहुत गर्म हो चुकी थी और खान के लण्ड का टोपा मैंने अपने मुँह में ले लिया था जिसे मैं चूस रही थी। अचानक खान ने आँटी की गाण्ड में से अपनी उंगलियां निकाली और अपना लण्ड मेरे मुँह से निकालकर तीनों उंगलियां मेरे मुँह में डाल दी। मुझे पहले कुछ अजीब सा लगा मगर फिर मुझे उंगलियों में से आँटी के गाण्ड की महक अच्छी लगने लगी, और मैं खान की तीनों उंगलियों को चाटने लगी। खान ने अपनी तीनों उंगलियों को गीला करके फिर से आँटी की गाण्ड में डालकर उसे चिकना करने लगा।
खान ने मुझसे कहा- “अपनी जीभ से मेरे लण्ड को पूरा गीला करो..”

मैंने अपनी जीभ निकालकर खान के लण्ड को टोपे से लेकर जड़ तक गीला कर दिया। खान अपना लण्ड मुझसे दूर करते हुए आँटी की गाण्ड पर रगड़ने लगा। आँटी के मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकल रही थी। खान ने अपने मुँह से थूक निकालकर आँटी की गाण्ड और अपने सुपाड़े को गीला किया। खान ने अपना लण्ड आँटी की गाण्ड के छेद पर रख दिया और एक जोर का धक्का मार दिया।

खान के लण्ड का टोपा बहुत मोटा था वो फिसलकर गाण्ड की जगह ऊपर चला गया। खान ने आँटी से कहाअपनी गाण्ड को थोड़ा सा खोलो, उसे सिकोड़कर मत रखो...”

खान ने फिर से आँटी के दोनों चूतड़ों को पकड़कर एक धक्का लगाया और खान के लण्ड का टोपा आँटी की गाण्ड में फंस गया।

आँटी के मुँह से चीख निकल गई- “ओह्ह... खान तुम्हारा बहुत मोटा है, प्लीज... निकालो मुझे दर्द हो रहा है...”

मैं यह सब देखकर उत्तेजना के मारे बहुत गर्म हो रही थी और अपनी उंगली से अपनी चूत को सहला रही थी।

खान ने आँटी की ना सुनते हुए एक और जोर का धक्का लगाया। खान का लण्ड आँटी की गाण्ड को फाड़ता हुआ आधा अंदर घुस गया। आँटी के मुँह से एक भयानक चीख निकली- “ओईईई माँ... मर गई, मेरी गाण्ड फट गई..." और वो झटपटाने लगी।

खान ने उसे बहुत जोर से पकड़ रखा था, इसीलिए वो ज्यादा हिल नहीं पा रही थी। आँटी की गाण्ड से थोड़ा सा खून भी निकल रहा था, उसके लण्ड ने आँटी की गाण्ड को सच में फाड़ दिया था। कुछ देर बाद खान ने धक्के लगाने शुरू कर दिये। आँटी के मुँह से अब चीखों और सिसकियों की मिली-जुली आवाजें निकल रही थी।

आकाश भी नीचे से धक्के लगाने लगा, कुछ ही देर में आँटी फिर से गर्म हो गई और वो अपने चूतड़ उछालने लगी। आँटी को अपने दोनों छेदों में दोनों लण्डों की रगड़ पागल बना रही थी। वो हाँफते हुए आह्ह.. करते हुए झड़ने लगी। खान ने आँटी को झड़ते हुए देखकर अपने धक्कों की रफ़्तार तेज कर दी और एक जोर का धक्का मारकर पूरा लण्ड आँटी की गाण्ड की जड़ तक घुसा दिया।

आँटी के मुँह से फिर से एक बड़ी चीख निकल गई और वो झटपटाने लगी। खान अब झड़ने के बिल्कुल करीब था, वो आँटी की परवाह ना करते हुए बहुत जोर से अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही धक्कों के बाद वो हाँफता हुआ आँटी की गाण्ड में पिचकारियां छोड़ने लगा।

आकाश भी बहुत देर से अपने आपको रोककर रखा हुआ था, वो भी आह्ह्ह... के साथ आँटी की चूत में झड़ने लगा। आँटी अपने दोनों छेदों में वीर्य का अहसास होते ही अपना दर्द भूलकर झड़ने लगी। मैं भी अपनी उंगली की रफ़्तार तेज करते हुए झड़ने लगी। कुछ देर तक हम ऐसे ही निढाल पड़े रहे। कुछ देर बाद हम उठे और अपने कपड़े पहन लिए।

मैंने आँटी से कहा- “बहुत देर हो गई है अब चलना चाहिये...”

आँटी भी बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आ गई। वो थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी। मैं भी फ्रेश होने बाथरूम में चली गई। मेरी चूत में भी बहुत जलन हो रही थी। मैंने अपनी चूत को अच्छे तरीके से साफ किया और बाहरआ गई। आकाश ने हमें कार तक छोड़ दिया और हम कार में घर आ गये। घर आकर हम अपने-अपने कमरे में चले गये। मैं बहुत थकी हुई थी कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई।

सुबह मुझे आँटी ने आकर जगाया। आँटी बोली- “बेटा कालेज नहीं जाना है क्या? जल्दी से उठकर फ्रेश हो जाओ...”

मैं उठकर बाथरूम में चली गई। मुझे पूरे शरीर में सुस्ती महसूस हो रही थी। मुझे चूत में अब भी थोड़ा जलन और दर्द महसूस हो रहा था। मैंने अपने कपड़े उतारे और अपनी चूत को देखने लगी। मेरी चूत फूलकर डबल रोटी की तरह दिख रही थी। मेरी चूत पर हल्के-हल्के बाल थे। मैंने अपने हाथ से उन्हें सहलाया और कमोड पर जाकर बैठ गई। मुझे बहुत जोर की पेशाब लगी थी। मेरी चूत से सीटी की आवाज के साथ पेशाब की धार निकलने लगी।

पेशाब करने के बाद मुझे कुछ अच्छा महसूस हो रहा था। मैंने कमोड से उठकर शावर ओन किया और ठंडे पानी से अपने जिश्म को धोने लगी। मैं साबुन उठाकर सारे जिश्म पर मलने लगी। मैंने अपनी चूत पर भी साबुन लगाया और उसे रगड़-रगड़कर साफ करने लगी। मैंने अपनी चूत में उंगली डालकर उसे अंदर से साफ किया। मेरी चूचियों पे लाल निशान पड़ चुके थे, क्योंकी रात को आकाश और खान ने मेरी चूचियों को बहुत जोर से चूसा और मसला था।

मैं फ्रेश होकर बाहर निकल आई, बिंदिया और करुणा पहले से तैयार होकर नाश्ते की टेबल पर बैठी थी। हम सभी ने मिलकर नाश्ता किया। नाश्ता करने के बाद बिंदिया और मैं कालेज के लिए निकल गये।

कालेज में पहुँचकर मैं अपने क्लास में चली गई। क्लास में दाखिल होते ही कृष्णा ने मुझे देखा और इशारे से मुझे अपने पास बैठने को कहा। मैं कृष्णा के साथ जाकर बैठ गई। मेरे बैठते ही कृष्णा ने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और मुझसे हेलो कहा। मैंने मुश्कुराकर कर उसके हेलो का जवाब दिया।

कृष्णा ने अपना हाथ मेरी कमर से सरकाते हुए मेरी गाण्ड तक ले गया और उसे सहलाने लगा। उसके हाथ कि हरकत से मेरी आँखें बंद होने लगी और मुझे अजीब सा नशा चढ़ने लगा। मैं उसकी हरकत से सिहर उठी। मैंने अपने आपको संभाला, मैं जानती थी की क्लास में हमें कोई भी देख सकता है। मैंने अपना हाथ बढ़ाकर कृष्णा के हाथ को पकड़कर दूर झटक दिया।
क्लास खतम होने के बाद हमारा फ्री पीरियड था। मैंने सोचा की अभी फ्री पीरियड है, तो मुझे करुणा के कॉलेज जाकर उस लड़के को देखना चाहिए जो डेली करुणा को तंग करता है।
कृष्णा ने फ्री पीरियड देखकर कहा- “चलो बाहर घूमकर आते हैं...”

मैं समझ गई की कृष्णा मुझे फिर से वहीं लेजाकर चोदना चाहता है। मैं आकाश और खान के बड़े लण्डों से चुदवाकर बहुत खुश थी। इसीलिए मैंने कृष्णा को टालते हुए कहा- “आज नहीं, मेरी तबीयत खराब है...”

कृष्णा ने मुझे गौर से देखते हुए कहा- “चलो ठीक है। अगर तुम्हारा मूड नहीं है तो मैं करिश्मा के साथ घूमने चला जाता हूँ..”
कृष्णा के जाते ही मैंने सुख का साँस लिया। मैं क्लास से बाहर निकली ही थी के मेरी नजर रोहन पर पड़ी। रोहन अपनी बाइक निकाल रहा था।
 horseride  Cheeta    
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#59
मैं जल्दी से भागते हुए रोहन के पास पहुँची। रोहन ने अचानक अपने सामने मुझे देखते हुए हैरानी से कहाधन्नो क्या बात है, तुम इतना हाँफ क्यों रही हो?”

मैंने अपनी साँसों को ठीक करते हुए कहा- “रोहन तुम कहाँ जा रहे हो?”

रोहन ने कहा- “मुझे थोड़ा काम है, मगर तुम क्यों पूछ रही हो?”

मैंने रोहन को करुणा वाली सारी बात बता दी।

रोहन ने मेरी पूरी बात सुनने के बाद मुझे से कहा- “चलो बाइक पर बैठो मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ...”

मैं रोहन के साथ उसकी बाइक पर अपनी दोनों टाँगें फैलाकर बैठ गई। रोहन ने बाइक स्टार्ट की, बाइक एक झटके के साथ आगे बढ़ने लगी। मैंने अपने हाथ बढ़कर रोहन की कमर को पकड़ लिया। मेरे नरम हाथ का स्पर्श पाते ही रोहन सिहर उठा। मुझे उसका मजबूत जिश्म पागल बना रहा था। मैं थोड़ा सा आगे सरक कर उसके साथ चिपक कर बैठ गई। मुझे अपनी नरम चूचियों पर उसका मजबूत जिम महसूस हो रहा था। मेरे सारे जिम में सिहरन दौड़ने लगी। मैं रोहन को जोर से पकड़ते हुए उसकी पीठ पर अपनी नरम चूचियां दबाने लगी।

और अपने सिर को उसकी पीठ पर रख दिया। रोहन मेरी नरम चूचियों का स्पर्श पाते ही बोखला गया और गाड़ी अनबैलेंस होने लगी।

मैंने रोहन से अंजान बनते हुए पूछा- “क्या हुआ..”


रोहन ने अपने आपको संभालते हुए शरारत से अपनी पीठ मेरी चूचियों पर दबाते हुए कहा- “नहीं.. कुछ नहीं...”

मैं समझ गई रोहन की मेरी चूचियों का भरपूर मजा ले रहा है। मैंने आगे बढ़ते हुए अपनी चूचियां उसकी ठोस पीठ से रगड़ते हुए अपने हाथ से उसकी कमर को सहलाने लगी। मुझे उसके मर्दाना जिम की गंध पागल बना रही थी। मैंने अपने हाथ से उसकी कमर को सहलाते हुए आगे लेजाकर उसकी शर्ट के ऊपर से उसके पेट को सहलाने लगी। रोहन का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था। अचानक बाइक एक खड्ढे से गुजरी और मेरा हाथ अनबैलेंस होकर रोहन के पेट से नीचे होता हुआ उसके पैंट के ऊपर आकर रुक गया।

मुझे उसके पैंट के ऊपर से ही उसके लण्ड का अहसाह होने लगा। क्योंकी रोहन की पैंट में उसका लण्ड खड़ा होकर तंबू बना हुआ था। मैंने जानबूझ कर अपना हाथ थोड़ी देर वहाँ से नहीं हटाया और अपने हाथ को दबाव देकर उसके लण्ड को टटोलने लगी। मुझे पैंट के ऊपर से ही उसका लण्ड पागल बना रहा था। मेरी साँसें फूल रही थी। मैंने कुछ देर बाद अपना हाथ रोहन की पैंट के ऊपर से हटाया। करुणा के कॉलेज के नजदीक पहुँचकर मैं रोहन से कुछ दूर होकर बैठ गई।

हम करुणा के कॉलेज में दाखिल हो गये और बाइक को सड़क से उतारकर उसे साइड लगाया। हम बिल्कुल सही वक़्त पर पहुँचे थे, करुणा के कॉलेज का इंटरवल चल रहा था। हम दोनों करुणा को ढूँढ़ने लगे। थोड़ी ही देर में हमें करुणा मिल गई। वो पार्क में अपनी सहेलियों के साथ बैठकर बातें कर रही थी। हमें देखकर वो हैरान होते हुए बोली- “दीदी तुम और रोहन यहाँ कैसे?”

मैंने करुणा से कहा- “हम तुम्हारी मुशीबत दूर करने आए हैं, बताओ वो कौन सा लड़का है जो तुम्हें तंग करता है?”

करुणा हमें अपने साथ दूसरे पार्क में ले गई। वहाँ पर दो लड़के बैठे थे। करुणा ने एक पतले जिश्म वाले लड़के की तरफ इशारा किया। मैं उस लड़के की बाडी देखकर अचरज में आ गई, वो पतला सा लड़का और काम देखो।

रोहन ने उस लड़के को अपने पास बुलाया और कहा- “तुम इसे तंग क्यों करते हो?”

वो लड़का अकड़कर बोला- “तुम कौन होते हो मुझसे पूछने वाले?”

रोहन ने उसे लड़के को गरेबान से पकड़ते हुए खींचकर एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर मारा, तो उस लड़के के मुँह पर रोहन की पाँचों उंगलियों के निशान छप गये। उस लड़के के साथ जो दूसरा लड़का बैठा था वो वहाँ से भाग गया।

थप्पड़ खाते ही उस लड़के की होश ठिकाने आ गई और वो गिड़गिड़ा कर माफी माँगने लगा।

रोहन ने उसे वार्निग देते हुए कहा- “आगे से अगर कोई शिकायत मिली तो मैं तुम्हें छठी का दूध याद दिला दूंगा..." रोहन ने जैसे ही उसका गरेबान छोड़ा, वो वहाँ से भाग गया।
करुणा ने रोहन और मुझको शुक्रिया कहा।
 horseride  Cheeta    
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#60
हमने उससे बाई कहा और वहाँ से अपनी बाइक पर बैठकर निकल गये। कॉलेज से दूर जाते ही रोहन ने बाइक को कालेज की बजाए दूसरी तरफ मोड़ दिया। हम अब एक सुनसान रास्ते से जा रहे थे। मैं समझ गई की रोहन गरम हो चुका है और पूरा मजा लेना चाहता है। मैं पहल करते हुए उसके साथ चिपक कर बैठ गई और अपना हाथ उसके पेट पर फिराने लगी। रोहन ने बाइक को एक सुनसान जगह पर रोक दिया। वहाँ पर सिर्फ घने पेड़ थे और दूर-दूर तक किसी आदमी का नाम-ओ-निशान नहीं था। रोहन गाड़ी रोक कर नीचे उतरा और मेरे नीचे उतरने से पहले ही मुझे अपनी गोद में उठाकर एक पैर के नीचे तक ले गया। मुझे उसकी मजबूत बाहों में बहुत मजा आ रहा था।
रोहन ने मुझे पेड़ के नीचे पत्तों पर सुलाया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरे तपते होंठों पर अपने होंठ रख लिए। मेरे सारे जिम में सिहरन दौड़ने लगी। मैं भी उसके होंठों को चूसने लगी। रोहन कुछ देर तक मेरे होंठों का रस पीता रहा और फिर उसने अपनी पैंट की बेल्ट खोलकर अपनी पैंट नीचे सरका दी। रोहन के अंडरवेर में खड़ा लण्ड देखकर मेरी आँखें हवस से चमक उठी। अंडरवेर में कैद रोहन का लण्ड बहुत तगड़ा दिख रहा था। रोहन ने मेरी कमीज को उतारा और ब्रा में कैद मेरी चूचियों को गौर से देखने लगा।
मेरी साँसें बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। रोहन ने ब्रा के ऊपर से ही मेरी साँसों के साथ हिलती हुई चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा। मुझे अपने चूचियों पर सख़्त मर्दाना हाथ पाते ही मजे से मेरे मुँह से आअह्ह्ह.. निकल गई और मेरी आँखें बंद होने लगी।
रोहन ने मेरी चूचियों को सहलाते हुए अपने होंठ फिर से मेरे होंठों पर रख दिए। मैं रोहन के सिर में हाथ डालकर उसके होंठों को बेतहाशा चाटने लगी और अपनी जीभ रोहन के मुँह में डाल दी, जिसे रोहन बड़े मजे से चाटने लगा। कुछ देर बाद रोहन ने मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए और मुझे सीध लेटाकर मेरी गोरी चूचियों को गौर से देखने लगा। रोहन ने नीचे झुककर अपने हाथों से मेरी चूचियों को सहलाते हुए एक चूची का गुलाबी निपल अपने मुँह में ले लिया।

मैं उत्तेजना के मारे काँपने लगी। रोहन का लण्ड मेरी चूत के पास ठुमके मार रहा था। मैं अपना हाथ बढ़ाकर रोहन की शर्ट को उतारने लगी, रोहन ने मेरी चूची को अपने मुँह से निकालकर शर्ट को निकल दिया। मैं रोहन का गोरा बदन देखकर हैरान रह गई। उसके पूरे बदन पर घने बाल थे। मैंने अपनी बाहें रोहन के गले में डालकर अपने ऊपर गिरा लिया और उसके होंठों को चूसते हुए उसके घने बालों वाले सीने को अपनी छातियों पर महसूस करना लगी।

मेरा पूरा बदन टूट रहा था, मैं रोहन को बहुत जोर से अपनी चूचियों पर दबाए हुए थी। रोहन ने अपने हाथों से मेरी बाहों को पकड़कर जमीन पर रख दिया और नीचे होते हुए मेरी चूचियों को चूसने लगा। रोहन इतनी जोर से मेरी चूचियों को चूस रहा था की जैसे उनमें से कुछ निकलकर उसके मुँह में जा रहा हो। उसके इस तरह चूचियां चूसने से मेरे सारे शरीर में गुदगुदी हो रही थी और मेरी चूत ना जाने कितना पानी बहा चुकी थी। रोहन अब मेरी चूचियों को चाटने के साथ उसके दाने को हल्का-हल्का काटने लगा।
उसके काटने से मैं पूरा उछल जाती और मेरे मुँह से “आहह्ह.. ओहह... निकलने लगी।


रोहन अब नीचे होता हुआ मेरे पेट को चूसता हुआ मेरी सलवार का नाड़ा खोलने लगा। नाड़ा खोलते वक़्त उसका हाथ मेरी चूत पर पड़ते ही मैं सिहर उठी। नाड़ा खोलकर रोहन ने मेरी सलवार उतार दी, मैंने चूतड़ उठाकर अपनी सलवार उतारने में रोहन की मदद की। रोहन मेरी सलवार उतरते ही छोटी से चड्ढी में कैद मेरी चूत को देखने लगा और नीचे झुककर अपना मुँह कच्छी के ऊपर से ही चूत पर रख दिया। मेरी कच्छी मेरे पानी से भीगी हुई थी, रोहन उसे अपनी नाक से हूँघने लगा और जीभ निकालकर कच्छी पर फिराने लगा।

कच्छी गीली होने के कारण रोहन की जीभ मुझे अपनी चूत पर महसूस होने लगी। मैं मजे से छटपटाने लगी। रोहन मेरी कच्छी के दोनों तरफ अपनी उंगलियां फँसाकर नीचे उतारने लगा। मैंने फिर से अपने चूतड़ उठा लिए। कच्छी उतारने के बाद रोहन मेरी गोरी हल्के बालों वाली चूत पर टूट पड़ा। रोहन मेरी चूत को बेतहाशा चूमते हुए अपनी जीभ से उसके दाने को चाटने लगा।

मैं मजे से अपना चूतड़ उछाल-उछालकर- “अह्ह... ओहह...” करने लगी।

रोहन ने मेरी टाँगों को थोड़ा चौड़ा किया और अपनी जीभ नीचे लेजाकर मेरी चूत के पतले होंठों के बीच फिराने लगा। मैं यह बर्दाश्त नहीं कर सकी और इसके साथ ही मेरी चूत से पानी की नदियां बहने लगी। रोहन कुछ देर तक मेरी चूत के पानी को चूसता रहा और फिर उठकर मेरे होंठों को चूसने लगा। रोहन के मुँह में अब भी मेरी चूत का नमकीन पानी बाकी था, जिसे हम दोनों मिलकर चाटने लगे। मैं अपना हाथ नीचे लेजाकर उसके लण्ड को अंडरवेर के ऊपर से ही पकड़कर सहलाने लगी। उसका लण्ड बहुत बड़ा और मोटा था, मेरे छूते ही वो और सख्त होने लगा। मेरी साँसें तेज होने लगी और मैं फिर से गरम हो गई।
 horseride  Cheeta    
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