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इस कालेज का पार्क बहुत बड़ा था उसमें कई भाग थे और उनके बीच बड़े-बड़े पौधे लगे हुए थे। मैं एक पौधे के पीछे खड़ी होकर उस तरफ देखने लगी। एक लड़का उस लड़की को अपनी बाहों में भरे हुए उसके होंठ चूम रहा था। मेरे रोंगटे खड़े हो गये।
वो लड़की उसको परे धकेलते हुए कह रही थी- “मुझे छोड़ दो कोई आ जाएगा...”
मैं उस लड़के को जानती थी, वो हमारे क्लास में ही पढ़ता था और उसका नाम कृष्णा था। सभी उससे डरते थे क्योंकी वो थोड़ा गुंडा टाइप का लगता था और उसका गला हमेशा खुला रहता था। शकल से वो इतना बुरा नहीं था। उसका कद बड़ा था और उसकी बाडी बहुत गठीली थी। वो किसी बाडी बिल्डर की तरह दिखता था।
कृष्णा ने अपना हाथ उस लड़की की कमीज के अंदर डालते हुए कहा- “यहाँ कोई नहीं आता, तुम इतना क्यों डर रही हो? क्या तुम्हारा मन प्यार करने को नहीं करता?”
लड़की ने अपने आपको ढीला छोड़ दिया। कृष्णा ने अपने दूसरे हाथ से पैंट की जिप खोली और उस लड़की का हाथ पकड़कर अपने अंडरवेर के ऊपर रख दिया। अंडरवेर का उभार बता रहा था की कृष्णा का लण्ड बहुत बड़ा है। कृष्णा का हाथ कमीज के अंदर उस लड़की की छातियों पर आकर रुक गया और वो उन्हें मसलने लगा।
लड़की के मुँह से अब मजे से सिसकियां निकल रही थी। कृष्णा ने अपनी जीभ उस लड़की के मुँह में डाल दी और उसे चूमने लगा। अचानक उसने नीचे झुकते हुए उस लड़की की सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पे अपना मुँह रख दिया। कृष्णा ने उस लड़की की सलवार का नाड़ा खोला और उसकी सफेद चड्ढी नीचे सरका दी। उस लड़की की चूत पूरी बालों से ढकी थी।
कृष्णा ने उस लड़की से पूछा- “तुम अपने बाल साफ नहीं करती क्या?” और अपना मुँह उसकी बालों से भरी चूत पर रख दिया और अपनी जीभ निकालकर अपने होंठों से उसकी चूत की पतली दरार से बाल हटाए और दोनों होंठ खोलते हुए उसमें घुसा दी।
लड़की मजे से- “ओहह... क्या कर हो कृष्णा?” और अपने हाथ कृष्णा के बालों में डाल दिए।
मैं भी बहुत गर्म हो चुकी थी और अपनी सलवार के ऊपर से ही अपनी चूत सहलाने लगी।
दो मिनट बाद लड़की काँपने लगी और कृष्णा के सिर को जोर से अपनी चूत पर दबाते हुए अपनी आँखें बंद करके झड़ने का मजा लेने लगी। कृष्णा ने उस लड़की को घुटनों के बल बिठाया और अपना अंडरवेर नीचे सरका
दिया।
उसका लण्ड देखकर मेरी साँसें अटकने लगी और मैं झड़ गई। कृष्णा का लण्ड जय से भी बड़ा और मोटा था और उसका टोपा बहुत मोटा और गुलाबी था।
उस लड़की ने अपना पूरा मुँह खोला और कृष्णा का लण्ड अपने मुँह में लेने लगी। कृष्णा के लण्ड का टोपा ही वो अपने मुँह में ले पाई और अपने हाथों से उसे आगे-पीछे करने लगी। कृष्णा ने मजे के मारे अपनी आँखें बंद कर ली और उस लड़की के बालों में हाथ डालकर एक जोर का धक्का मारा, तो कृष्णा का आधा लण्ड उस लड़की के मुँह में था। उस लड़की की आँखें फटी कि फटी रह गई और उसके आँसू निकलने लगे। कृष्णा उसके मुँह में अपना आधा लण्ड डाले ही उसे आगे-पीछे करने लगा। अचानक कृष्णा काँपते हुए झड़ने लगा।
उसके लण्ड से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था। उस लड़की का सारा मुँह वीर्य से भर गया और कुछ नीचे गिरने लगा। कृष्णा ने उस लड़की को सारा वीर्य पीने को कहा जो वो गटक गई। कृष्णा ने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला और अपने अंडरवेर में डालकर पैंट ऊपर करने लगा।
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उसके लण्ड से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था। उस लड़की का सारा मुँह वीर्य से भर गया और कुछ नीचे गिरने लगा। कृष्णा ने उस लड़की को सारा वीर्य पीने को कहा जो वो गटक गई। कृष्णा ने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला और अपने अंडरवेर में डालकर पैंट ऊपर करने लगा।
मैं ना जाने कितनी देर से उस पौधे की पीछे खड़ी थी की अचानक मेरा बैलेन्स बिगड़ गया और मैं गिरने लगी। मैंने उस पेड़ को पकड़ लिया। मैं नीचे तो नहीं गिरी मगर पौधा हट जाने की वजह से कृष्णा ने मुझे देख लिया।
कृष्णा ने कहा- “ए लड़की इधर आ...”
मैं डर गई और वहाँ से भागकर अपने क्लास में आ गई। कृष्णा मेरे पीछे क्लास में आ गया। क्लास शुरू चुकी थी। वो मेरी सीट के पीछे जाकर बैठ गया। उसे देखकर मेरे दिल की धड़कनें तेज होनी लगी। क्लास खतम होते ही हमारी छुट्टी हो गई।
मैं उठकर जाने लगी तो कृष्णा भी मेरे पीछे चलते हुए मुझसे पूछा- “आए लड़की तुम्हारा नाम क्या है?”
मैंने डरते हुए कहा- “धन्नो...”
कृष्णा ने पूछा- “तुम वहाँ क्या कर रही थी और तुमने क्या देखा?”
तभी सामने से बिंदिया और रोहन आ गये। मैंने कृष्णा का जवाब दिए बगैर रोहन को हाय कहा और उसके साथ खड़ी हो गई।
रोहन ने कृष्णा को देखकर कहा- “अरे यार क्या हाल है? आजकल लिफ्ट ही नहीं दे रहे हो..” और दोनों गले मिल गये।
कृष्णा ने रोहन से कहा- “यार तुम तो सारा दिन किताबों से चिपके हुए रहते हो। हम दोस्तों के लिए तो तुम्हारे पास टाइम ही नहीं...”
रोहन ने कहा- “ऐसी कोई बात नहीं, और तुमने खूब बाडी बना रखी है। अच्छा इनसे मिलो यह है बिंदिया तुम्हारी होने वाली भाभी..."
बिंदिया ने शर्माकर कृष्णा को हाय कहा।
रोहन- “और यह हैं धन्नो, हमारी साली साहिबा...”
मैंने डरते हुए हाय कहा।
कृष्णा ने कहा- “आप सबसे मिलकर बेहद खुशी हुई। अब मैं चलता हूँ मुझे कुछ काम है..." और अपने रास्ते चला गया, तो मेरी जान में जान आई।
रोहन ने कृष्णा के जाते ही हमसे कहा- “साला बहुत बदमाश है। सारा दिन लड़कियों के पीछे रहता है, अमीर माँ बाप की औलाद है इसीलिए इसे पढ़ाई की कोई परवाह नहीं...” और कहा- “आज तुम दोनों को मैं अपने बाइक पर घर छोड़ देता हूँ...”
बिंदिया ने जल्दी से कहा- “ठीक है तुम अपनी बाइक निकालो..”
मेरा हैरत से मुँह खुला रह गया क्योंकी इससे पहले कई दफा रोहन हमें आफर कर चुका था, मगर बिंदिया मना कर देती थी। रोहन बाइक लेकर आ गया। बिंदिया पहले बाइक पर बैठी, वो अपनी दोनों टाँगें फैलाकर बाइक पर बैठी थी। मैं भी उसके पीछे बैठ गई। रोहन ने बाइक स्टार्ट की। मैंने अपना हाथ बाइक के बैक की स्टैंड में डाल दिया। बिंदिया ने अपने दोनों हाथों से रोहन को पकड़ लिया, वो उससे बिल्कुल चिपक कर बैठी थी। अचानक बाइक एक खड्ढे से गुजरी और बिंदिया की चूचियां रोहन के बैक में दब गई।
बिंदिया के मुँह से- “आहहह.” निकल गई।
रोहन ने बिंदिया से कहा- “क्या हुआ, कोई प्राब्लम है?”
बिंदिया ने मुश्कुराते हुये कहा- “आई.."
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रोहन को जैसे मोका मिल गया। वो अब जानबूझ कर अपनी बाइक खड्ढों में से ले जाने लगा और बिंदिया की नरम और बड़ी चूचियों का मजा लेने लगा। घर के पास पहुँचकर उसने हमको बाइ कहा और चला गया।
अंदर जाते ही हम फ्रेश होकर खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद मैं बिंदिया के कमरे में चली गई और हम बातें करने लगे। मैंने बिंदिया को कृष्णा के बारे में बता दिया।
बिंदिया ने मुझसे कहा- “धन्नो तुम अपना खयाल रखना.. शाम को बाजार चलना है...”
मैंने कहा- कौन सा काम है?
बिंदिया ने शर्माते हुए कहा- “रोहन ने बुलाया है...”
मैं- “अच्छा बात यहाँ तक पहुँच गई। इसीलिए तो तुम बाइक पर उससे चिपक कर बैठी थी। क्या इरादा है कहीं तुम आगे बढ़ने का तो नहीं सोच रही हो?”
बिंदिया का चेहरा लाल हो गया। उसने अपना चेहरा नीचे झुकाए कहा- “अगर रोहन आगे बढ़ा तो मैं उसे नहीं रोकेंगी। अब मैं इस जवानी की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकती...”
मैं हैरत से उसकी सारी बातें सुन रही थी। मैंने बिंदिया से कहा- “मैं अपने कमरे में जा रही हूँ। शाम 5:00 बजे तक मैं तैयार हो जाऊँगी..." ।
शाम को 5:00 बजे मैं तैयार हो चुकी थी की तभी बिंदिया अंदर दाखिल हुई। मैं बिंदिया को देखकर हैरान रह गई। वो नये कपड़ों और बहुत अच्छे मेकअप के साथ हुश्न की देवी लग रही थी। मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहाआज किस पर बिजली गिराने का इरादा है..."
बिंदिया मुश्कुराकर कहने लगी- “तुम बहुत शैतान हो गई हो। वैसे तुम भी किसी परी से कम नहीं लग रही हो...”
हम दोनों साथ में रोहन के बताए होटेल में पहुँच गये। अंदर जाते ही रोहन ने हमें देख लिया और हमें वेलकम करते हुए अपनी टेबल तक ले गया। होटेल बहुत शानदार था वो पूरा एसी हाल था।
हमारे बैठते ही उसने पूछा- “तुम दोनों क्या लोगी?”
बिंदिया ने कहा- “चाय कह दो...”
रोहन ने वेटर को चाय का आर्डर दिया और हमलोग आपस में बातें करने लगे। तभी वेटर चाय लेकर आ गया। हम चाय पीने लगे। अचानक रोहन के हाथ से चाय का कप गिर गया और रोहन और बिंदिया दोनों के कपड़े । खराब हो गये। रोहन बिंदिया को लेडीज बाथरूम तक ले गया और इधर-उधर देखते हुए खुद भी उसमें घुस गया और अंदर से दरवाजा बंद कर दिया।
मैं अकेली बैठकर उन दोनों का इंतजार कर रही थी की अचानक कृष्णा होटेल में दाखिल हुआ। मेरा दिल जोर से धड़कने लगा, और उसने मुझे देख लिया और सीधा मेरी तरफ बढ़ने लगा।
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कृष्णा मेरे करीब आया और मुझे ही कहते हुए पूछा- “धन्नो तुम यहाँ कैसे?”
मैंने डरते हुए कहा- “मैं रोहन और बिंदिया के साथ आई हूँ...”
कृष्णा ने कहा- “अच्छा तो फिर वो दोनों कहाँ हैं?”
मैंने कहा- “वो कपड़े धोने गये हैं उनके ऊपर चाय गिर गई थी...” मैं अब भी उससे डरकर बात कर रही थी।
कृष्णा ने कहा- “तुम इतना डर क्यों रही हो? तुमने उस दिन जो देखा था वो फिर से देखना चाहती हो?”
मैंने अपना सिर ना में हिला दिया।
कृष्णा ने कहा- “क्यों उस दिन मजा नहीं आया था?
मैंने कहा- मुझे डर लगता है।
कृष्णा- “इसमें डरने की क्या बात है? तुम जवान और खूबसूरत हो, अपनी जवानी को ऐसे ही जाया कर दोगी क्या? बिंदिया को देखो... वो भी तो रोहन के साथ मजे कर रही है...”
तभी मुझे खयाल आया की बिंदिया और रोहन को गये हुए काफी टाइम हो गया था। अचानक कृष्णा ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और सहलाने लगा। मेरे सारे बदन में झुरझुरी होने लगी। उसका मर्दाना स्पर्श मुझे पागल बना रहा था। अब उसने अपना हाथ मेरे कंधे से नीचे ले जाते हुए मेरी बैक से होते हुआ मेरी कमर में डाल दिया। मेरी तो जान ही निकल गई। मेरी आँखें मदहोशी में बंद होने लगी।
तभी मुझे होश आया। मैंने कृष्णा के हाथ को पकड़कर दूर झटक दिया।
कृष्णा ने मुश्कुराते हुए कहा- “देखो धन्नो, कल मैं उसी लड़की को लेकर आऊँगा। तुम हमें देखकर मजे करना और हाँ मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारी मर्जी के बगैर तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा...”
उधर रोहन ने दरवाजा बंद करते ही बिंदिया को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके नरम होंठों को चूसते हुए अपने हाथों से बिंदिया का सारा जिश्म सहलाने लगा। बिंदिया पहले से ही बहुत गरम थी। वो रोहन के होंठों को चूमने लगी। रोहन की मजबूत बाँहों में आते ही उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां रोहन के सीने में दब गईं। बिंदिया के । मुँह से आअह्ह्ह... निकल गई। रोहन ने बिंदिया के जिश्म को सहलाते हुए अपने हाथ उसके मोटेऽमोटे चूतड़ों में डालकर उसे दबाने लगा। अब रोहन बिंदिया के होंठों को छोड़कर नीचे जाने लगा और अपना मुँह उसकी कमीज के ऊपर से ही बिंदिया की चूचियों पर रख दिया।
बिंदिया के मुँह से एक बड़ी सिसकी निकल गई। रोहन को अपने मुँह पर एक नरम अहसास होने लगा। उसने अपने हाथ को बिंदिया की कमीज में डालकर उसकी एक चूची को अपने हाथ से सहलाने लगा। बिंदिया ने अपना हाथ नीचे लेजाकर रोहन की पैंट की जिप नीचे कर दी और अपना हाथ अंडरवेर के ऊपर से ही रोहन के लण्ड पर रख दिया। रोहन के मुँह से एक सिसकी निकली और उसने अपने हाथ से बिंदिया की ब्रा के ऊपर से एक खड़ी निपल को उंगलियों से मसलने लगा। रोहन के हाथ रखते ही उसके सारे जिम में झुरझुरी होने लगी और उसकी साँसें उखड़ने लगी। बिंदिया उखड़ती साँसों के साथ अपने हाथ से रोहन के पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगी।
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रोहन अब मजे से हवा में उड़ने लगा। उसे बिंदिया का नरम हाथ बहुत सुकून पहुँचा रहा था। अचानक रोहन ने बिंदिया का हाथ अपने लण्ड से हटाया और अपना मुँह उसके कपड़ों के ऊपर से ही नीचे ले जाते हुए उसकी चूत पर रख दिया। बिंदिया की मजे से आँखें बंद हो गई। रोहन ने अपने हाथ से बिंदिया की सलवार खोलकर नीचे कर दी। सलवार नीचे होते ही रोहन के होश उड़ गए। एक छोटी सी चड्ढी बिंदिया के भारी मोटे चूतड़ ढकने की नाकाम कोशिश कर रही थी। चड्ढी बिंदिया के चूतड़ की लकीर में फंसी थी और उसके मोटे गोरे चूतड़ बिल्कुल नंगे रोहन के सामने थे और आगे से उसकी फूली हुई चूत आधी चड्ढी के बाहर थी।
रोहन को बिंदिया के चूतड़ बहुत अच्छे लग रहे थे, उसके मुँह में पानी आ गया। रोहन ने बिंदिया की कमर में हाथ डालकर उसे अपने सामने उल्टा खड़ा किया और उसे सामने दीवार के सहारे खड़े रहने को कहा। बिंदिया के ऐसा खड़े होने से उसके मोटे-मोटे चूतड़ रोहन के मुँह के सामने आ गये। वो अपने हाथों से बिंदिया के चूतड़ों को मसलने लगा। रोहन ने बिंदिया से उसकी टाँगों को थोड़ा चौड़ा करने को कहा। रोहन ने अपना हाथ नीचे लेजाकर बिंदिया की कच्छी के ऊपर से उसकी चूत को मसलते हुए अपने मुँह से उसके चूतड़ों को चाटते हुए अपने दाँतों से काटने लगा।
बिंदिया के मुँह से हल्की सिसकी निकल गई- “ओईई... क्या कर रहे हो?”
रोहन ने बिंदिया को थोड़ा और पीछे किया और बिंदिया ने अपने चूतड़ जितना हो सकते थे पीछे कर लिया और अपना सारा वजन दीवार पे डा दिया। रोहन बिंदिया की कच्छी में हाथ डालकर बिंदिया की चूत के दाने को मसलने लगा। अचानक रोहन अपना हाथ नीचे करते हुए बिंदिया की चूत के होंठों को अपनी उंगलियों से हटाते हुए अपनी उंगली अंदर घुसाने लगा।
बिंदिया की चूत पहले से बहुत गीली थी। रोहन की उंगली जड़ तक बिंदिया की चूत में उतर गई। बिंदिया के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... क्या कर रहे हो रोहन?”
रोहन ने अपनी उंगली बाहर निकाली और फिर अंदर कर दी और अंदर-बाहर करने लगा। बिंदिया की मजे से आँखें बंद हो गई और वो अपने चूतड़ रोहन की उंगली पर धकेलने लगी। रोहन समझ गया की बिंदिया झड़ने वाली है, और उसने अपनी उंगली की रफ़्तार तेज कर दी।
अचानक बिंदिया के मुँह से जोर की सिसकियां निकलने लगी- “ऊऊह्ह... आह्ह्ह..." और झड़ने लगी।
रोहन का हाथ बिंदिया के रस से गीला हो गया। बिंदिया को कुछ देर बाद होश आया और वो फौरन सीधी होकर अपनी सलवार पहनी और अपने आपको ठीक करते हुए जाने लगी।
रोहन ने बिंदिया का हाथ पकड़ लिया और कहा- “जान कहां जा रही हो, मुझे भी तो ठंडा कर दो?”
बिंदिया ने कहा- “धन्नो बहुत देर से बाहर अकेली बैठी है, तुम किसी और टाइम अपनी हसरत पूरी कर लेना...” और अपने कपड़े धोकर बाहर जाने लगी।
अचानक रोहन को याद आया की वो लेडीस बाथरूम है। वो जल्दी से इधर-उधर देखकर बाहर निकल गया। बिंदिया भी जल्दी से बाहर आई।
रोहन भी उसके पीछे आने लगा, और सामने कृष्णा को देखकर कहा- “तुम यहाँ कैसे?”
कृष्णा ने मुश्कुराते हुए कहा- “यहाँ की चाय की बहुत तारीफ सुनी है वो पीने आ गये.."
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करिश्मा, कृष्णा, और रोहन होटेल के कमरे में रोहन और बिंदिया बैठे ही थे की सामने से मैंने कल वाली लड़की को आते हुए देखा। वो लड़की सीधा कृष्णा के पास आ गई। कृष्णा ने उस लड़की का हमसे परीचय कराया ओर कहा- “यह है मेरी गर्लफ्रेंड करिश्मा...” और फिर हम सभी के बारे में करिश्मा को बताया।
थोड़ी देर बातें करने के मैंने बिंदिया से कहा- “बहुत देर हो गई है हमें चलना चाहिये.."
रोहन ने कृष्णा को कहा- “तुम बैठो मैं इन्हें रिक्शा में बिठाकर आता हूँ...”
हम दोनों उठकर रोहन के साथ जाने लगे। रोहन ने हमें रिक्शा में बिठाकर बाइ किया। रोहन वापस कृष्णा के पास आया और उससे कहा- “साले तुम्हारी चाय तो आ गई मगर मेरा भी कुछ बंदोबस्त करो...”
कृष्णा रोहन की डबल मीनिंग समझ गया और हँसते हुए कहा- “कोई बात नहीं। हम यारों के यार हैं आधी-आधी पी लेंगे...”
करिश्मा हमारी बातें गौर से सुन रही थी, उसने कहा- “चाय कहां है?”
कृष्णा और रोहन उसकी बात सुनकर जोर से हँसने लगे।
कृष्णा ने कहा- “मेरा कमरा इस होटेल में है चलो वहाँ बैठकर बातें करते हैं..." फिर कृष्णा काउंटर के पास गया और अपने कमरे की चाबी लेकर रोहन और करिश्मा के साथ अपने कमरे में पहुँच गया।
कमरा बहुत ही शानदार था, उसमें एक डबल बेड रखा हुआ था। वो पूरा एसी रूम था। कृष्णा ने दरवाजा अंदर से लाक किया और करिश्मा को कहा- “यह मेरा सबसे बढ़िया दोस्त है, तुमको इससे शर्म करने की कोई जरूरत नहीं। यह हमारी बातें किसी को नहीं बताएगा...” और कृष्णा ने उस लड़की को बेड पर बैठते हुए अपनी गोद में बिठा लिया।
रोहन सामने पड़े सोफे पर बैठ गया और उन दोनों को देखकर मजा लेने लगा। वो लड़की बिल्कुल गोरी थी ओर उसकी चूचियां बहुत बड़ी तो नहीं थी, मगर बहुत छोटी भी नहीं थी। कृष्णा अपने हाथ से उसकी कमीज उतारने लगा। कमीज उतरते ही उसकी गोरी-गोरी चूचियां ब्रा में ही आधी नजर आने लगी। कृष्णा ने उसकी ब्रा के हुक खोल दिये और किसी कुत्ते की तरह उसपर झपट पड़ा और उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने और काटने लगा, करिश्मा के मुँह से हल्की चीखें निकल रही थी।
वो सब देखकर रोहन का बुरा हाल होने लगा और वो अपनी पैंट उतारकर अंडरवेर के ऊपर से अपने लण्ड को सहलाने लगा। कृष्णा ने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी अब वो सिर्फ अंडरवेर में था। उसने करिश्मा की सलवार उतारकर उसकी कच्छी को भी नीचे सरकाकर उतार दिया और अपने हाथों से उसकी टाँगों को पकड़कर फैला दिया। उस लड़की की चूत पर ढेर सारे बाल थे। कृष्णा ने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा और अपना हाथ नीचे लेजाकर अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी, और आगे-पीछे करने लगा।
करिश्मा बहुत गर्म हो गई थी। वो अपने चूतड़ उठा-उठाकर कृष्णा की उंगली अंदर ले रही थी। अचानक कृष्णा ने अपनी जीभ निकालकर उस लड़की की चूत में डाल दी। वो लड़की मजे से सिसक उठी आअह्ह्ह... और कृष्णा ने अपनी जीभ अंदर-बाहर करते हुए अपनी उंगली से उसकी गाण्ड को कुरेदने लगा। उस लड़की ने कृष्णा के सिर को अपने हाथों से पकड़ लिया और अपनी चूत पर दबाने लगी।
रोहन का हाल बहुत बुरा था। करिश्मा को देखकर हैरान था की वो किसी अंजान आदमी के सामने ऐसा कर रही है। अचानक कृष्णा ने उस लड़की की चूत से जीभ निकाली और सीधा बेड पर लेट गया।
करिश्मा उठकर कृष्णा के ऊपर चढ़ गई और उसे किस करने लगी और कहने लगी- “आगे बढ़ो ना प्लीज ऐसे क्यों बीच में छोड़ दिया?”
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कृष्णा ने कहा- “जाओ पहले मेरे दोस्त को खुश करो...”
करिश्मा बहुत गरम हो चुकी थी उसने रोहन को अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। रोहन पहले से ही बहुत गर्म था। उसने उस लड़की को अपनी गोद में उठाकर बेड पर लेटा दिया और अपने मुँह से उसकी चूचियों को चूसने लगा। उस लड़की ने रोहन की शर्ट उतार दी और रोहन को नीचे लेटाते हुए उसके ऊपर आ गई और उसका अंडरवेर हटा दिया।
रोहन का मोटा और बड़ा लण्ड स्प्रिंग की तरह लहराता हुआ करिश्मा के सामने था। वो लड़की रोहन का लण्ड देखकर ज्यादा गरम हो गई, और अपनी जीभ निकालकर ऊपर से नीचे तक उसे चाटने लगी। रोहन की आँखें मजे से बंद होने लगी। करिश्मा रोहन के लण्ड पर जीभ फिराते हुए अपने हाथों से उसकी गोटियों से खेलने । लगी। अचानक करिश्मा रोहन को बेड पर गिराते हुए उसके ऊपर चढ़ गई। करिश्मा ने उल्टा होकर अपनी चूत रोहन के मुँह पर रख ली और अपनी जीभ से रोहन के लण्ड का सुपाड़ा चाटने लगी।
रोहन का मजे के मारे बुरा हाल था। उसे करिश्मा की चूत में से अजीब खुश्बू आ रही थी। अचानक करिश्मा अपनी जीभ रोहन के सुपाड़े के बीच वाले छेद में फिराने लगी। रोहन अपनी जीभ निकालकर करिश्मा की चूत पे फिराने लगा। पहले उसे कुछ अजीब लगा मगर फिर उसने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा।
करिश्मा यही तो चाहती थी। उसने अपना मुँह खोलकर उसका लण्ड जितना हो सकता था अपने मुँह में ले लिया। करिश्मा अपने मुँह में रोहन के लण्ड का चौथा हिस्सा ही ले पा रही थी और अपने होंठों से उसे आगे-पीछे कर रही थी। रोहन से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने करिश्मा को बेड पर सुलाया और उसकी टांगों को घुटनों तक मोड़कर अपना फनफनाता लण्ड उसकी गीली चूत पर रगड़ने लगा। करिश्मा के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
उधर कृष्णा भी यह सब देखकर बहुत गर्म हो चुका था और वो अपना अंडरवेर उतारकर अपने लण्ड को सहला रहा था।
रोहन ने अपना लण्ड सही निशाने पर रखा और एक जोर का धक्का मारा, तो रोहन का आधा लण्ड करिश्मा की चूत में था। करिश्मा के मुँह से एक बड़ी सिसकी निकल गई ओह्ह्ह... करिश्मा पहले भी कई लण्ड खा चुकी थी मगर रोहन का लण्ड बहुत मोटा था और उसकी चूत भी अभी तक कसी हुई थी। रोहन ने अपना लण्ड थोड़ा । बाहर निकाला और फिर एक जोर का धक्का लगाया। इस बार रोहन का लण्ड करिश्मा की चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया।
करिश्मा के मुँह से एक जोर की चीख निकल गई- “ओईई... निकालो तुम्हारा बहुत मोटा है, मेरी चूत फट गई...”
रोहन ने नीचे होते हुए उसकी चूची अपने मुँह में ले ली और चाटने लगा। करिश्मा को रोहन का लण्ड अपनी बच्चेदानी तक महसूस हो रहा था और उसे अपनी गाण्ड पर रोहन की गोटियां महसूस हो रही थी। कुछ देर बाद करिश्मा अपने चूतड़ उछालने लगी। रोहन समझ गया की उसका दर्द गायब हो गया है, और वो अपने लण्ड से हल्के धक्के लगाने लगा। रोहन अपने मुँह से अब उसकी चूचियों को काटते हुए नीचे से जोर के धक्के लगाने
लगा।
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करिश्मा झड़ने के बिल्कुल करीब थी उसके मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी- “आअह्ह्ह... जोर से करो मैं झड़ने वाली हूँ...”
रोहन अब अपना लण्ड सुपाड़े तक निकालकर जोर से धक्का देकर जड़ तक घुसा देता। करिश्मा जोर से आह्ह्ह करते हुए झड़ गई। लेकिन रोहन अभी तक नहीं झड़ा था। वो ऐसे ही धक्के लगता हुआ करिश्मा को चोद रहा था और अपने होंठ करिश्मा के होंठों पर रखकर उसे चाट रहा था। कुछ देर में करिश्मा फिर से गरम हो गई और रोहन के होंठों को काटने लगी। रोहन ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज धक्के लगाने लगा।
कृष्णा से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, उसने बेड पर चढ़कर अपना लण्ड करिश्मा के मुँह में डाल दिया।
रोहन के हर धक्के के साथ करिश्मा हिल जाती और उसके मुँह में लण्ड और अंदर चला जाता। करिश्मा ने अचानक रोहन को सीधा लेटने को कहा। रोहन के लेटते ही करिश्मा उसके ऊपर आ गई और उसके लण्ड को अपनी चूत पर सेट किया और उसपर बैठकर धक्के लगाने लगी। रोहन के सामने करिश्मा की चूचियां उछल रही थी। उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी चूचियां थाम ली और उन्हें मसलने लगा। करिश्मा थोड़ा झुककर अपनी चूचियां रोहन के मुँह के पास लाकर फिर से उठ जाती। रोहन ने उसकी कमर में हाथ डालकर नीचे झुकाया और उसकी चूची के निपल को अपने मुँह में लेकर दांतों से काटने लगा।
करिश्मा के मुँह से हल्की चीखें निकलने लगी।
कृष्णा का हाल बहुत बुरा हो चुका था वो ड्रेसिंग टेबल से एक वैसेलीन ले आया और करिश्मा के पीछे बैठकर उसकी गाण्ड में एक उंगली को वैसेलीन लगाकर अंदर कर दिया।
करिश्मा चौंक कर उछली- “कृष्णा क्या कर रहे हो?”
मगर कृष्णा ने उसकी ना सुनते हुए अपनी दो उंगलियां अंदर डाल दी।
करिश्मा के मुँह से चीख निकल गई- “ओईई... आह्ह्ह..”
रोहन को भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
अचानक कृष्णा ने अपना लण्ड करिश्मा की गाण्ड पर रखा और जोर का धक्का लगाकर अपना आधा लण्ड उसकी गाण्ड में घुसा दिया। करिश्मा दर्द के मारे झटपटाने लगी और बहुत जोर से चीखने की कोशिश की। मगर रोहन ने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और उसके सिर को पकड़ लिया। वो जानता था की चीखें सुनकर कोई भी आ सकता है।
रोहन को बहुत मजा आ रहा था। उसका लण्ड जैसे किसी तंग छेद में फंस गया हो। करिश्मा की आँखों से आँसू बह रहे थे। कृष्णा अपने आधे लण्ड से ही उसकी गाण्ड मारने लगा। कृष्णा अपना बाहर करता तो रोहन को उसका लण्ड अपने लण्ड से रगड़ खाता महसूस होता। अचानक रोहन का बाँध टूट गया और वो हाँफते हुए झड़ने लगा। उसका लण्ड सिकुड़ कर बाहर निकल गया वो नीचे से उठा और बाथरूम में घुस गया।
कृष्णा ने करिश्मा की गाण्ड मारते हुए अपने लण्ड का एक जोर का धक्का मारा और उसका पूरा लण्ड उसके अंदर था। करिश्मा के मुँह से एक जोर की चीख निकल गई। कृष्णा बिना रुके उसकी गाण्ड मारता रहा और उसकी गाण्ड में ही झड़ गया।
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रोहन जैसे ही बाथरूम से निकला उसने देखा की करिश्मा अभी तक रो रही थी। कृष्णा उससे कह रहा था“जाओ बाथरूम में जाकर अपनी गाण्ड ठंडे पानी से धो लो, पहली बार दर्द होता ही है...”
करिश्मा की गाण्ड से खून निकलकर बेडशीट पर धब्बा बना चुका था। वो सुबकते हुए बाथरूम में चली गई। वो थोड़ा लंगड़ाकर चल रही थी।
रोहन ने कृष्णा से कहा यार मैं अब चलता हूँ बहुत देर हो गई है।
मैंने बिंदिया से बातें करते हुए पूछा की तुम बाथरूम में इतनी देर क्या कर रही थी? उसने मुझे सारी बात बता दी। मैं वो सब सुनकर बहुत गरम हो गई। घर पहुँचकर हमने पढ़ाई की और खाना खाने के बाद सो गये।
* * * * * * * * * *
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सोनाली, आकाश और जय का थ्री-सम
सोनाली ने आकाश को फोन किया- “हेलो मैं सोनाली बात कर रही हूँ...”
आकाश- हाँ डार्लिंग क्या हाल है, मैं भी तुम्हें ही याद कर रहा था।
सोनाली- आपकी बहुत याद आ रही है आप जय से कहकर आज भी आ जाओ।
आकाश खुश होते हुए- “डार्लिंग, मैं अभी जय से बात करता हूँ, तुम सच में बहुत गरम माल हो...”
थोड़ी देर बाद सोनाली के मोबाइल पर जय का फोन आया। जय ने कहा- “सोनाली आकाश सर, आज फिर से आने को कह रहे हैं। उसे तुम बहुत पसंद आ गई हो...”
सोनाली ने नाटक करते हुए कहा- “जय मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ जैसा तुम्हें अच्छा लगे...”
जय- “आज मेरा भी बहुत मूड है। आकाश सर के साथ मैं भी आ जाता हूँ..."
सोनाली यह बात सुनकर बहुत गर्म हो गई। आज उसे दो लण्ड मिलने वाले थे। सोनाली नहाने चली गई और फ्रेश होकर अपने जिश्म पर बाडी स्प्रे किया और कपड़े पहनकर उन दोनों का इंतेजार करने लगी। कुछ देर बाद दरवाजे की आवाज सुनकर सोनाली ने जाकर दरवाजा खोला और उन दोनों को अपने कमरे में ले आई।।
आकाश ने सोफे पर बैठते हुए कहा- “आज मैं तुम दोनों की चुदाई देखना चाहता हूँ..”
जय ने आगे बढ़कर सोनाली की कमीज उतार दी। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लैक ब्रा में चमक रही थी। सोनाली पहले से ही बहुत गरम थी। उसने जय की शर्ट उतार दी और पैंट का बेल्ट खोलकर उसे भी नीचे गिरा दिया। जय ने अपने होंठ सोनाली के होंठों पर रखे और उसका नीचे वाला होंठ चूसने लगा। आकाश बेड पर बैठा उन दोनों का खेल देख रहा। जय ने सोनाली के होंठ चूसते हुए अपने हाथों से उसकी ब्रा उतार दी। जय सोनाली की बड़ी-बड़ी चूचियां देखकर पगला गया और उसकी चूचियों को बड़े जोर से चूसते हुए अपने दाँतों से उसे काटने लगा। सोनाली के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
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जय नीचे होता हुआ सोनाली की सलवार नीचे करते हुए उसकी पैंटी भी उतार दी, और अपने मुँह से अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत चाटने लगा।
सोनाली मजे से ‘आह्ह्ह' करने लगी। वो बहुत गर्म हो गई थी। सोनाली से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने जय को नीचे गिराया और खुद उसके ऊपर अपनी दोनों टाँगें फैलाकर बैठ गई और अपने चूतड़ जय के अंडरवेर के ऊपर से ही लण्ड पर रगड़ने लगी। जय मजे से पागल हो रहा था। उसने सोनाली की एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और जोर से काटने लगा।
सोनाली के मुँह से एक चीख निकल गई- “ओईई... आह्ह्ह...” और उसने नीचे होते हुए जय का अंडरवेर उतार दिया और अपनी जीभ निकालकर उसका लण्ड गीला किया और अपनी चूत उसपर रखकर नीचे बैठ गई। जय का पूरा लण्ड सोनाली की चूत में घुस गया और उसके मुँह से मजे से सिसकी निकल गई। सोनाली ने जय का पूरा लण्ड अपनी चूत में लिए हुए उसे अपनी गहराइयों तक महसूस करने लगी। वो अपने चूतड़ हिलाकर जय के लण्ड को अपनी चूत के अंदर दाएं और बाएं फिराने लगी।
जय मजे के मारे सोनाली की चूचियों को मसलने लगा। सोनाली अब अपने चूतड़ उठाकर धक्के लगाने लगी और उसने अपनी जीभ निकालकर जय के मुँह में डाल दी। जय उसकी जीभ चाटता हुआ नीचे से धक्के लगाने लगा। सोनाली अब झड़ने वाली थी। वो अपने चूतड़ बहुत तेजी से ऊपर-नीचे करते हुए ‘आअह्हह' के साथ झड़ने लगी और शांत होकर जय के सीने पर लेट गई।
आकाश भी यह सब देखकर गरम हो गया था और अपनी पैंट और अंडरवेर उतारकर अपने हाथों से लण्ड सहला रहा था।
जय ने सोनाली को उल्टा किया और अपना लण्ड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया। जय सोनाली को पीछे से बहुत जोर से चोद रहा था। हर धक्के के साथ जय के आंडे सोनाली की गाण्ड से टकरा रहे थे। अब सोनाली भी गर्म होने लगी और अपने चूतड़ों को आगे-पीछे करने लगी।
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आकाश सोनाली की लटकती बड़ी-बड़ी चूचियों को देख रहा था जो हर धक्के के साथ आगे-पीछे हिल रही थी। आकाश आगे बढ़ा और बेड पर लेटकर सोनाली की चूचियों को अपने हाथों से मसलने लगा।
अचानक जय ने अपना लण्ड सोनाली की चूत से निकालकर गाण्ड में डाल दिया।
सोनाली ने तड़पते हुए कहा- “ओहह... जय तुम सुधरोगे नहीं..."
जय का आधा लण्ड उसकी गाण्ड में था। वो आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। थोड़ी देर बाद सोनाली को भी मजा आने लगा और वो अपनी गाण्ड को पीछे धकेलते हुए लण्ड पर दबाने लगी। जय धक्के लगाते हुए एक । धक्का तेज लगा देता और लण्ड थोड़ा और अंदर हो जाता। ऐसा करते हुए उसने अपना पूरा लण्ड सोनाली की गाण्ड में डाल दिया और बहुत जोर के धक्के मारता हुआ उसकी गाण्ड में पिचकारी छोड़ दी। सोनाली की गाण्ड वीर्य से भर गई। जय का लण्ड सिकुड़कर बाहर आ गया और वीर्य की बूंदें सोनाली की गाण्ड से निकलकर बेड पर गिरने लगी।
जय उठकर बाथरूम चला गया और सोनाली ने अपनी गाण्ड को तौलिये से साफ किया। मगर उसकी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी। वो बेड पर लेट गई और आकाश के लण्ड को देखकर फिर से गर्म हो गई। आकाश भी इतनी देर से यह सब देखकर बहुत गर्म हो गया था। वो सोनाली के होंठों को चूसने लगा और अपने हाथों से उसकी छातियों को जोर से मीसने लगा।
सोनाली दर्द से चिल्ला उठी- “ओईई... धीरे दबाओ...” और अपने हाथ से आकाश के लण्ड को मुठ्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी।
आकाश नीचे होता हुआ सोनाली की टाँगों को उठा लिया और उनको घुटनों तक मोड़कर अपना पूरा लण्ड एक ही। झटके में उसकी चूत में पेल दिया।
सोनाली- “ओह... आकाश तुम्हारा लण्ड कितना बड़ा और मोटा है, मेरी चूत को बहुत अच्छा लग रहा है। डार्लिंग अब जोर से इसे चोदो और फाड़ दो इसे...” सोनाली मजे लेते हुए बोली।
आकाश ने अपना लण्ड पीछे खींचा और एक जोर का धक्का मारकर पूरा अंदर डाल दिया।
सोनाली- “हाँ हाँ ऐसे ही चोदो जोर से..” सोनाली के मुँह से सिसकारी भरी आवाजें निकल रही थी।
आकाश ने पूरे जोर से उसकी चुदाई शुरू कर दी।
सोनाली भी अपने चूतड़ उछालकर ताल से ताल मिला रही थी। उसकी साँसे मजे के मारे उखड़ रही थी- “ओहह... आकाश जोर से जल्दी-जल्दी डालो। मैं अब झड़ने वाली हूँ...” इतना कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
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आकाश तब तक तेज धक्के लगाता रहा जब तक सोनाली पूरी झड़कर शांत नहीं हो गई। आकाश अपना लण्ड उसकी चूत में डाले उसके ऊपर लेट गया और अपनी जीभ निकलकर उसके मुँह में डाल दी, जो सोनाली बड़े मजे से चूसने लगी।
कुछ देर बाद आकाश ने सोनाली से कहा- “मुझे वैसेलीन लाकर दो...”
सोनाली ने चौंकते हुए कहा- “क्यों क्या हुआ?”
आकाश ने कहा- “मुझे तुम्हारी गाण्ड मारनी है...”
सोनाली का मुँह फटा रह गया, और कहा- “आकाश तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है, मेरी गाण्ड फट जाएगी...”
आकाश- “कुछ नहीं होगा तुम्हें मुझपर भरोसा है ना? मैं आराम से डालूंगा...”
सोनाली उठकर वैसेलीन ले आई। आकाश ने सोनाली को उल्टा लेटाया और और वैसेलीन से एक उंगली चिकनी करके उसकी गाण्ड में अंदर तक फिराने लगा। ऐसा दो तीन बार करने के बाद जब उसे तसल्ली हो गई की। गाण्ड चिकनी हो गई है तो उसने वैसेलीन से अपना लण्ड चिकना किया और उसकी गाण्ड पर रखकर जोर लगाया, तो उसके लण्ड का टोपा अंदर चला गया। सोनाली के मुँह से 'आह' निकल गई। आकाश ने एक और धक्का मारा, तो उसका आधा लण्ड उसकी गाण्ड में घुस गया।
सोनाली दर्द के मारे चिल्ला उठी- “ओईई... ओह... आकाश दर्द हो रहा है, बाहर निकालो...”
आकाश ने उसकी ना सुनते हुये अपने आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। थोड़ी देर बाद सोनाली का भी दर्द खत्म हो गया और वो मजे से अपनी गाण्ड मरवाने लगी। आकाश ने जब देखा सोनाली का दर्द खत्म हो गया है। तो उसने अपना लण्ड बाहर निकालकर एक जोर का धक्का मार दिया और अपना पूरा लण्ड उसकी जड़ तक घुसा दिया।
सोनाली- “ओईई... मर गई... मेरी गाण्ड फट गई...” और छटपटाने लगी।
आकाश ने उसे जोर से पकड़ रखा था। कुछ देर बाद सोनाली कुछ शांत हुई तो आकाश उसे हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा। सोनाली के मुँह से अब हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी। आकाश ने धक्के लगाते हुए सोनाली के चूतड़ों पे थप्पड़ मारने लगा। अब सोनाली को भी मजा आने लगा और वो अपने चूतड़ हिलाकर अपनी गाण्ड मरवाने लगी। आकाश सोनाली की गाण्ड मारते हुए अपनी उंगलियों से उसकी चूत मसलने लगा। सोनाली का दर्द बिल्कुल गायब हो चुका था, उसे अपनी गाण्ड में आकाश का लण्ड बहुत मजा दे रहा था।
सोनाली अब जोर से चिल्लाते हुए कहने लगी- “आकाश तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है। मुझे बहुत मजा आ रहा है। ऐसे ही मेरी गाण्ड मारते रहो...”
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जय कब से यह सब देखकर फिर से गरम हो गया था। उसने आकाश को कहा- “आज आपको जिंदगी का सबसे अनोखा मजा देता हूँ...” कहकर जय बेड पर आकर लेट गया और आकाश को सोनाली की गाण्ड से लण्ड निकालने को कहा और सोनाली को अपने खड़े लण्ड पर चूत रखकर बिठा दिया। उसका लण्ड सोनाली की चूत में घुस गया।
जय ने सोनाली को नीचे झुका दिया और उसकी चूचियां चाटते हुए आकाश को कहा- “सर, अब आप इसकी गाण्ड मारो..."
सोनाली यह सब सुनकर बहुत उत्तेजित हो गई। वो आज जिंदगी का सबसे अनोखा और भयानक मजा लेने वाली थी। आकाश ने सोनाली के पीछे से अपना लण्ड अपनी थूक से गीला किया और उसकी गाण्ड पर रखकर धक्का लगाया। उसका आधा लण्ड गाण्ड में घुस गया।
सोनाली के मुँह से चीख निकल गई- “ओईई... मार डाला...”
आकाश आधे लण्ड से ही उसे चोदने लगा। उसका लण्ड बहुत तकलीफ के साथ अंदर-बाहर हो रहा था, आकाश ने एक जोर का धक्का मारा और उसका लण्ड सोनाली की गाण्ड में जड़ तक घुस गया और वो फिर से चिल्ला उठी- “आहह..."
आकाश को जय का लण्ड अपने लण्ड पर महसूस हो रहा था। अब जय और आकाश दोनों धक्के लगाने लगे। आकाश अपना लण्ड बाहर करता तो जय अंदर कर देता और सोनाली को अपने दोनों छेदों में लण्ड अंदर-बाहर होते हुए बहुत अच्छा लग रहा था।
सोनाली अब सिसकते हुए- “आकाश, हाँ ऐसे ही मुझे चोदते रहो, मैं झड़ने वाली हूँ..”
आकाश और जय अब पूरी ताकत से उसे चोदने लगे। सोनाली आअह्ह्ह के साथ झड़ने लगी और उसके साथ आकाश और जय भी हाँफते हुए झड़ने लगे। सोनाली को अपने दोनों छेदों में पानी गिरता महसूस हुआ और तीनों निढाल होकर बेड पर लेट गये। कुछ देर बाद जय और आकाश चले गये। सोनाली दरवाजा बंद करके सो गई।
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धन्नो, करिश्मा, और कृष्णा होटेल में
सुबह मैं और बिंदिया तैयार होकर कालेज के लिए निकल गये। मैं जैसे ही क्लास में जाकर बैठी कृष्णा मेरे पीछे आकर बैठ गया- “हेलो धन्नो, क्या हाल है?”
मैंने मुश्कुराकर कहा- ठीक हूँ।
कृष्णा को जैसे ग्रीन सिग्नल मिल गया हो, उसने अपना हाथ मेरे पीछे से चूतों पर रख दिया। मैं चौंक गई। उसने फिर भी हाथ नहीं हटाया और मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए पूछा- “आज मजा देखोगी?”
मैं कल से बहुत गर्म हो रही थी और कृष्णा का हाथ भी मुझे बहुत मजा दे रहा था। मैंने सोचा देखने में क्या हर्ज है? और अपना सिर हाँ में हिला दिया।
कृष्णा ने अपना हाथ मेरे चूतड़ों के बीच गाण्ड में डालते हुए कहा- “यह हुई ना बात... क्लास खतम होते ही पार्क में आ जाना..."
मैं उसका हाथ अपनी गाण्ड पर महसूस करके मजे से झटपटा उठी। क्लास खतम होते ही मेरे पैर खुद-ब-खुद पार्क की तरफ चलने लगे। मेरी चूत कृष्णा और उस लड़की की चुदाई देखने की याद करते ही गीली होने लगी। पार्क में कृष्णा और वो लड़की पहले से मौजूद थे।
कृष्णा ने मुझे देखकर कहा- “यहाँ किसी भी वक़्त, कोई भी आ सकता है। तुम हमारे साथ चलो मेरा यहाँ पास में ही एक होटेल में कमरा बुक है."
मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था क्योंकी मुझपर सेक्स चढ़ा हुआ था। मैं उनके साथ होटेल के कमरे में आ गई। अंदर आते ही कृष्णा ने दरवाजा अंदर से लाक किया और मुझे बाहों में भरते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और उन्हें चाटने लगा। मेरे सारे जिम में चींटियां रेंगने लगी। मैं बिल्कुल समझ नहीं पाई की यह क्या हो रहा है और यह किसी मर्द के साथ मेरा पहला किस था। मेरी चूत में सुरसुरी होने लगी और मैंने अपने हाथों से उसके सिर को पकड़ लिया और उसके होंठ चूसने लगी। मेरी चूचियां कृष्णा की मजबूत छाती से टकरा रही थीं। उसने अपना हाथ नीचे लेजाकर मेरी चूचियों को पकड़ लिया। मेरा सारा जिश्म काँपने लगा और मैं झड़ने लगी। थोड़ी देर बाद मुझे होश आया, तो मैंने कृष्णा को अपने आपसे दूर धकेला।
कृष्णा बोला- “क्या हुआ?”
धन्नो- “तुम बहुत गंदे हो। तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो?"
कृष्णा- “मैंने सोचा तुम्हें मजा आ रहा है इसीलिए कर रहा था। अगर तुम्हें ऐतराज है तो मैं कुछ नहीं करूंगा...” और उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और खुद करिश्मा के पास गया और उसकी कमीज उतार दी।
उसने आज एक सफेद ब्रा पहन रखी थी। कृष्णा ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चाटने लगा। करिश्मा ने भी उसका साथ देते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। कृष्णा उसे बड़े मजे से चाटते हुए अपने हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे गिरा दिया।
करिश्मा अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। कृष्णा ने अपने होंठों से उस लड़की का कंधा चूमते हुए उसकी ब्रा भी निकाल दी और उसकी नंगी चूचियों पर टूट पड़ा। वो उसकी एक चूची को अपने मुँह में लेता और उसके निपल को चूसते हुए काट देता। करिश्मा के मुँह से मजे की सिसकी निकल जाती। उस लड़की ने कृष्णा की शर्ट और पैंट उतार दी और उसे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया। वो लड़की कृष्णा के ऊपर चढ़ गई और कृष्णा के जिश्म को चाटते हुए नीचे होते हुए अंडरवेर के ऊपर से ही अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड पर फिराने लगी। कृष्णा मजे से छटपटाने लगा।
मेरी हालत भी खराब होने लगी और मैं अपने हाथ से चूत को सहलाने लगी।
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करिश्मा ने कृष्णा का अंडरवेर उतारा और उसका लण्ड अपनी मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी। इतना करीब से लण्ड देखकर मेरी साँसें भी ऊपर-नीचे होने लगी। वो लड़की कृष्णा के लण्ड का सुपाड़ा खोलकर अपनी जीभ से किसी लालीपाप की तरह चाट रही थी। अचानक वो लड़की उठी और मुझसे कहा- “इतनी दूर क्यों बैठी हो... चलो नजदीक से देखो..” और मुझे खींचते हुए बेड पर बिठा दिया।
अब करिश्मा ने अपना मुँह खोला और कृष्णा का लण्ड अपने मुँह में भरकर चाटने लगी, और उसके अंडों से खेलने लगी। वो लड़की लण्ड चूसने में माहिर थी क्योंकी वो कृष्णा का पूरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। कुछ देर चूसने के बाद उसने कृष्णा का लण्ड अपने मुँह से निकाला, तो उसका लण्ड चमक रहा था।
मेरे मुँह में पानी आने लगा, मेरा दिल कर रहा था की उस लड़की को दूर करके खुद कृष्णा के लण्ड का स्वाद चखें, मगर डर भी लग रहा था इसीलिए कुछ नहीं कर पा रही थी।
अचानक करिश्मा ने मेरा हाथ पकड़कर कृष्णा के लण्ड पर रख दिया। मेरा सारा शरीर काँपने लगा। मैंने अपना हाथ उसके लण्ड पर से उठा लिया।
करिश्मा ने कहा- “की तुम डरती बहुत हो? हाथ लगाने से और चाटने से कुछ नहीं होता। तुम यहाँ मजे लेने आई हो तो डरती क्यों हो? इसे अपने हाथ में लेकर देखो बहुत मजा आएगा..” कहकर करिश्मा ने फिर से मेरा हाथ कृष्णा के लण्ड पर रख दिया।
इस बार मैंने हाथ नहीं हटाया। कृष्णा का लण्ड बहुत गर्म और सख्त था।
करिश्मा ने कहा- “इसे आगे-पीछे करो, मजा आएगा..."
मैं अपना हाथ उसके लण्ड पर आगे-पीछे करने लगी, मेरा सारा शरीर उत्तेजना के मारे काँप रहा था और मेरी साँसें बहुत तेज चल रही थी। कृष्णा के लण्ड से एक बूंद वीर्य की निकल रही थी। मुझे जाने क्या हो गया, मैंने अपनी जीभ निकालकर उसे चाट लिया। कृष्णा के मुँह से सिसकी निकल गई। उसके लण्ड से अजीब खुश्बू आ रही थी, मुझे कुछ अजीब स्वाद लगा मगर मैं अपने काबू में नहीं थी। मैं अपनी जीभ से उसके लण्ड को ऊपर से नीचे चाटने लगी। मेरी चूत उत्तेजना के मारे पानी की नदियां बहा रही थी। मैंने अपना मुँह खोला और कृष्णा के लण्ड को मुँह में भर लिया और चाटने लगी।
कृष्णा के मुँह से ‘ओह' निकल गई। उसने कहा- “अपने मुँह को पूरा खोलो, तुम्हारे दाँत लग रहे हैं। अपने होंठों और जीभ से चाटो...”
मैंने अपना पूरा मुँह खोला, कुछ देर चाटने के बाद मेरा मुँह दुखने लगा। मैंने उसका लण्ड बाहर निकाल लिया। कृष्णा ने उठकर मुझे सीधा लेटा दिया और मेरी कमीज के ऊपर से चूचियों को अपने हाथों से सहलाने लगा। उसके सख़्त हाथ पाते ही मेरे मुँह से एक सिसकी निकल गई। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। उसने मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं बहुत गर्म थी। मैं उसकी जीभ को पकड़कर चाटने लगी। वो अब मेरे नीचे वाले होंठ को चूसने लगा और हल्का काट भी रहा था।
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मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे ‘अह्ह.. ओहह... निकल रही थी। वो अब मेरी कमीज उतारने लगा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरा सारा जिम सेक्स की आग में जल रहा था। मैंने उसका साथ देते हुए अपनी कमीज उतारने में उसकी मदद की। कमीज उतरते ही ब्रा में कैद मेरी गोरी गोल और सख़्त चूचियों को देखकर कृष्णा की आँखों में चमक आ गई। वो अपना हाथ बढ़ाकर मेरी ब्रा उतारने लगा। ब्रा उतरते ही मेरी नंगी चूचियां कृष्णा के सामने थी।
मैंने आज तक किसी मर्द को अपना बदन नहीं दिखाया था। कृष्णा को मुझे ऐसा घूरते हुए देखकर मैं शर्मा गई
और अपने हाथों से अपनी चूचियां ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी। कृष्णा ने आगे बढ़कर मेरे हाथों को। पकड़कर मेरी चूचियों से दूर किया और अपने होंठ मेरी चूचियों के ऊपर रख दिए। मेरे सारे जिश्म में सनसनाहट होने लगी।
कृष्णा ने अपने मुँह से मेरी चूचियों को ऊपर से चाटते हुए मेरी एक चूची के गुलाबी निपल को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। मेरा मजे के मारे बुरा हाल था। मैंने कृष्णा के सिर को पकड़ लिया, कृष्णा मेरी चूची को बहुत जोर से चूस रहा था। मुझे उसके चूसने से बहुत मजा आ रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूची के अंदर से कोई कुछ खिंच रहा हो। वो चूची को चूसते हुए मेरी सलवार का नाड़ा खोला और अपने हाथ से पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लगा।
कृष्णा ने मेरी चूची को अपने मुँह से निकालते हुए कहा- “वाह... मजा आ गया। तुम्हारी चूचियां तो बहुत मीठी हैं..." और वो फिर से मेरी चूचियों को एक-एक करके चाटने लगा और अचानक उसने मेरी दूसरी चूची को मुँह में लेकर उसे काट दिया।
मेरे मुँह से हल्की चीख निकल गई- “ओह... दर्द होता है..” और वो अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरे पेट पर आ । गया, और अपनी जीभ निकालकर मेरी नाभि को चाटने लगा। मुझे गुदगुदी और मजे का मिला-जुला अहसास हो। रहा था।
कृष्णा और नीचे जाने लगा और मेरी सलवार को उतारकर मेरी पैंटी के ऊपर मुँह रखकर सूंघा और कहा- “वाह धन्नो.. तुम्हारी चूत की खुश्बू तो बहुत बढ़िया है...”
कृष्णा पैंटी के ऊपर से ही अपने मुँह से मेरी चूत को चाट रहा था। मैं मजे से सिसक रही थी, कृष्णा ने मेरी पैंटी में हाथ डाला और उसे उतारने लगा। मेरी साँसें तेज होने लगी, मैंने अपने चूतड़ उठा दिए और उसे पैंटी उतारने में मदद की। पैंटी उतरते ही वो मेरी गुलाबी चूत को देखकर अपने होंठों पर जीभ फेरने लगा। उसने मेरी हल्के बलों वाली चूत पे अपना हाथ रखा और उसे ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा।
मेरे मुँह से ‘आअहहह' निकल गई।
कृष्णा अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरी चूत को सँघने लगा और अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत के दाने पर फेरने लगा। मैं उत्तेजना के मारे अपने चूतड़ उछालने लगी। कृष्णा दाने को चूसते हुए नीचे जाने लगा और मेरी चूत के होंठों पे किस करते हुए उसे अपने मुँह में भर लिया।
मेरी साँसें रुक गई और मेरे मुँह से चीख निकल गई- “अह्ह... ओहह...” और उसके सिर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया और अपने चूतड़ उठा दिए।
मेरी पूरी चूत कृष्णा के मुँह में थी। उसने अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत में डाल दी। मैं उसकी जीभ को बर्दाश्त नहीं कर सकी और “आहहह' करते हुए झड़ने लगी। कृष्णा ने मेरा सारा रस चाट लिया। मैं कुछ देर तक शांत पड़ी रही। कृष्णा ऊपर उठते हुए मेरी चूचियों को फिर से चाटने लगा और अपने हाथ नीचे लेजाकर अपनी उंगली मेरी चूत पे रगड़ने लगा। मैं फिर से गर्म होने लगी और मेरी चूत में बहुत सुरसुरी हो रही थी। कृष्णा ने चूत को सहलाते हुए उंगली मेरी चूत में घुसा दी।
मेरे मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... ओहह..”
कृष्णा अपनी उंगली को अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में मुझे इतना मजा आने लगा की मैं बता नहीं सकती। मैं अपने चूतड़ उछालकर उसकी उंगली अंदर ले रही थी। कृष्णा ने अपनी उंगली निकाली और फिर दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दी।
मैं उछल पड़ी, मेरे मुँह से एक बड़ी चीख निकल गई- “कृष्णा बहुत दर्द हो रहा है, निकालो...”
मगर कृष्णा मेरी बात सुने बगैर अपनी उंगलियां अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में मुझे मजा आना शुरू हो गया और मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकलने लगी। कृष्णा अपने होंठों से मुझे चूमने लगा। मैं भी अब गर्म हो चुकी थी, मैं भी उसका भरपूर साथ देने लगी और उसके होंठों को काटने लगी।
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कृष्णा समझ गया की अब मैं उसे मना नहीं करूंगी। वो अपनी उंगलियां मेरी चूत से निकालकर मुझे सीध लेटाया और मेरी टाँगों को उठाकर मेरी कमर तक मोड़ दिया और मेरे चूतड़ के नीचे एक तकिया रख दिया। मेरी चूत अब बिल्कुल कृष्णा के सामने थी। कृष्णा अपना लण्ड मेरी चूत पे रगड़ने लगा।
मेरे मुँह से- “आहहह... ओहह...” की सिसकियां निकलने लगी।
कृष्णा ने अपना लण्ड निशाने पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। उसका लण्ड आधा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया।
मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरी चूत में किसी ने चाकू घुसा दिया हो। मेरे मुँह से एक जोरदार चीख निकल गईऊईईई माँ.. मेरी चूत फट गई प्लीज... कृष्णा मुझे छोड़ दो बहुत दर्द हो रहा है."
करिश्मा यह सब कितनी देर से देख रही थी। वो मेरे करीब आई और मेरी चूचियों को सहलाने लगी और कहा“दीदी जो दर्द होना था हो गया। अब मजे का टाइम है, तुम हौसला रखो...”
कृष्णा अपने आधे लण्ड को थोड़ा बाहर निकालकर फिर से अंदर करने लगा। मेरा दर्द भी कम होने लगा था और मीठे मजे का अहसास होने लगा। मैं अपने चूतड़ उछालने लगी। कृष्णा समझ गया की मुझे मजा आने लगा है। वो अब जोर से अपना आधा लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था। अचानक उसने धक्के लगाते हुए एक जोर का धक्का मार दिया और अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुसा दिया।
मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकली- “ओईई माँss... मर गई बचाओ..." और मेरी आँखों के सामने अंधेरा हो गया। मुझे चूत में बहुत दर्द हो रहा था। मैं अपने आपको उससे छुड़ाने की कोशिश करने लगी मगर कृष्णा ने मुझे जोर से पकड़ रखा था।
करिश्मा ने मेरी चूची को अपने मुँह में ले लिया और उसे चाटने लगी।
“आहहह... शिट... आहहह... शिट...” मेरा दर्द कम होने लगा और मैंने अपने चूतड़ हिलाने शुरू कर दिये।
कृष्णा अब हल्के धक्के लगाने लगा। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी और अपनी टाँगें उसकी कमर में डाल दी। मुझे उसका लण्ड अपनी चूत की दीवारों में रगड़ता महसूस हो रहा था। कृष्णा अब अपना लण्ड पूरा बाहर निकालकर जड़ तक अंदर कर रहा था। उसकी गोटियां मेरी गाण्ड पर महसूस हो रही थी। मैं अब मजे से अह करते हुए सिसकने लगी। कृष्णा ने अब अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी थी। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी।
मुझे इतना मजा आ रहा था की बयान नहीं कर सकती। अचानक मेरी साँसे उखड़ने लगी और मैं- “आअह्ह्ह... ओह्ह..” करते हुए झड़ने लगी। मेरे अंदर से पानी के फवारे निकलने लगे। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली। कुछ देर बाद मैंने अपनी आँखें खोली।
कृष्णा अब भी मुझे धक्के लगा रहा था। अचानक उसने अपने धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज कर दी और बड़बड़ाते हुए कहा- “ओहह.. धन्नो तुम्हारी चूत बहुत टाइट है, मैं झड़ने वाला हूँ..”
मैं डर गई और मैंने कहा- “प्लीज.. अंदर मत झड़ना, बच्चा हो जायेगा...”
कृष्णा ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और करिश्मा के मुँह में डालकर उसका मुँह चोदने लगा और कुछ देर में ही वो उसके मुँह में झड़ने लगा। करिश्मा उसका सारा वीर्य गटकने लगी, उसके वीर्य की कुछ बूंदें करिश्मा के मुँह से निकलकर बेड पर गिरने लगी। कृष्णा ने कुछ देर बाद अपना लण्ड उस लड़की के मुँह से निकाला। उस लड़की ने कृष्णा के लण्ड को अपनी जीभ निकालकर साफ कर दिया।
मैं उठकर बाथरूम जाने लगी। मैंने देखा की बेड पर कुछ खून के धब्बे थे, मैं घबरा गई।
करिश्मा ने मुझसे कहा- “ऐसे क्या देख रही है? हर लड़की को पहली चुदाई से थोड़ा खून निकलता है अब तुम कुँवारी नहीं रही..”
मुझे चलने में परेशानी हो रही थी। मेरी चूत में बहुत जलन और दर्द हो रहा था। मैंने बाथरूम में जाकर पहले पेशाब किया फिर अपनी चूत को पानी से साफ किया, मुझे कुछ सुकून मिला। मैं बाहर निकली और कहा- “चलो कालेज चलते हैं बहुत देर हो गई है...”
कृष्णा ने कहा- “मैं तुम्हें एक गोली लाकर देता हूँ तुम्हारा दर्द खतम हो जायगा। फिर मैं तुमको कालेज छोड़ देता हूँ...” थोड़ी देर बाद वो एक पेन किल्लर और जूस लेकर आया।
मैंने वो गोली खा ली और जूस पीने लगी। मेरी चूत से दर्द अब गायब हो गया था। हम कालेज पहुँच गये और क्लास में जाकर बैठ गए। क्लास खतम होते ही हमारी छुट्टी हो गई।
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सोनाली और धन्नो आकाश के साथ
सोनाली के कमरे में रोहन ने आज फिर हम दोनों को घर तक छोड़ दिया। मगर आज सोनाली आँटी ने रोहन को देख लिया और पूछा- “यह कौन है?”
बिंदिया ने कहा- “यह मेरा दोस्त है मेरे साथ कालेज में पढ़ता है और बहुत इंटेलीजेंट है पढ़ाई में मेरी बहुत मदद करता है...”
सोनाली आँटी ने रोहन को कहा- “अंदर आ जाओ, तुम चाय पीकर जाना...”
रोहन ने कहा- “नहीं आँटी मुझे देर हो रही है फिर कभी आऊँगा...”
हम सबने लंच किया और फिर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मुझे बदन में बहुत थकावट महसूस हो रही थी। शाम को मैं उठकर फ्रेश होने बाथरूम में चली गई। रात को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं कृष्णा को याद करके अपनी चूत सहला रही थी। मेरी चूत में खुजली हो रही थी। कुछ देर बाद दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैं जल्दी से उठकर छेद से बाहर देखने लगी।
आज आँटी के साथ आज जय नहीं था, कोई दूसरा आदमी था जिसे मैं नहीं पहचानती थी। आँटी ने उसे अंदर आते ही अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगी।
सोनाली- “आकाश आज तुमने मेरी बड़ी ख्वाहिश पूरी कर दी। तुमने जय को इंगलैंड टूर पे भेजकर हमारा रास्ता साफ कर दिया..."
आकाश ने कहा- “मगर तुमने तो कहा था की आज मेरे लिए सरप्राइज है.”
सोनाली- “हाँ सरप्राइज तो है। मगर इतनी जल्दी क्या है?” और वो दोनों कमरे में चले गये।
काश का लण्ड
मैं भी बाहर आकर खिड़की के साइड में खड़ी हो गई, आज खिड़की कुछ ज्यादा ही खुली हुई थी। अंदर जाते ही सोनाली आँटी ने पहले आकाश के पूरे कपड़े निकाल दिए और फिर खुद भी नंगी हो गई। आकाश का लण्ड । देखकर मेरी साँसें रुक गई। उसका लण्ड बहुत मोटा और बड़ा था, कृष्णा के लण्ड से दोगुना। मेरे हाथ अपने आप मेरी सलवार के ऊपर चूत पर चले गये।
आँटी उसके लण्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। उसका लण्ड आँटी के दोनों हाथों में मुश्किल से समा रहा था। आँटी ने उसको बेड पर लेटा दिया, उसका लण्ड खंभे की तरह खड़ा था। आँटी उसके लण्ड के मोटे सुपाड़े पे अपनी जीभ निकालकर फिराने लगी। आकाश के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे उतार दिया और अपनी पैंटी को नीचे करके अपनी चूत में उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगी।
आँटी ने आकाश का लण्ड चूसते हुए खिड़की की तरफ देखते हुए मुझे आँख मार दी। मेरे हौसले खता हो गये। आँटी मुझे देख रही थी। आँटी ने अपना मुँह खोलकर आकाश के लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और मुझे देखते हुए उसे लालीपाप की तरह चाटने लगी।
मेरी साँसे ऊपर-नीचे हो रही थी। मैं सोच रही थी की अब क्या होगा?
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अचानक आँटी ने उसका लण्ड मुँह से निकाला और अपने दुपट्टे से उसकी आँखें बाँधने लगी।
आकाश चौंकते हुए. “क्या कर रही हो सोनाली डार्लिंग?”
आँटी ने उससे कहा- “तुम चुपचाप सोए रहो और अपनी पट्टी मत खोलना...” और सोनाली आँटी उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी।
मेरी साँसें ऊपर-नीचे होने लगी। आँटी दरवाजा खोलकर मुझे आधा नंगा देखकर मुश्कुराते हुए कहने लगी- “मेरी धन्नो, तुम तो मुझसे भी ज्यादा गर्म हो। आओ मेरे साथ मैं तुम्हें जिंदगी का सबसे ज्यादा मजा दिलाती हूँ...” और मेरी चूत पर एक चुटकी काट दी।
मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है? आँटी ने मुझे बेड पर आकाश के साइड में बिठाया और मेरा हाथ पकड़कर उसके लण्ड पर रख दिया। मेरे सारे जिम में सुरसुरी होने लगी। आँटी ने मेरी टाँगों को चौड़ा किया और अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगी।
मैं इसके लिए तैयार नहीं थी। मैं ‘आअह्ह्ह' करते हुए झड़ने लगी और मेरे हाथ की पकड़ आकाश के लण्ड पर मजबूत हो गई। सोनाली आँटी मेरी झड़ती हुए चूत का पानी चूसने लगी और अपनी जीभ निकालकर चूत में पेल दी। मेरा झड़ना जब बंद हुआ तो मैंने अपनी आँखें खोली। मेरा हाथ अब भी आकाश के लण्ड पर था। आँटी ने मुझपर नजर डाली और अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी।
मैं फिर से गर्म होने लगी और अपना हाथ आकाश के लण्ड पर ऊपर-नीचे फेरने लगी। आकाश का लण्ड इतना नजदीक से देखकर मेरी साँसें बहुत तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी। आँटी ने उठकर आकाश की आँखों पे बँधे हुए कपड़े को निकाल दिया।
आकाश की आँखें खुलते ही फटी की फटी रह गई। वोह मेरी तरफ गौर से देखने लगा और आँटी से कहा- “यह खूबसूरत परी कौन है?”
आँटी ने कहा- “यह मेरी भांजी धन्नो है और यह मुझे जय के साथ देख चुकी है, और आज हमें भी देख रही थी, यह बहुत ही गरम चीज है। मैंने सोचा इसको भी अपने खेल में शामिल कर लेते हैं...”
आकाश ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगा। मेरी चूचियां उसके मजबूत सीने में दबी हुई थी और उसका लण्ड मुझे अपने पेट पर महसूस हो रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं बहुत गर्म हो चुकी थी। मैंने अपनी जीभ निकालकर आकाश के मुँह में डाल दी। आकाश मेरी जीभ चूसते हुए अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा। अचानक आकाश ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और मेरी कमीज निकालकर मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए और मुझे बेड पर लिटा दिया। मेरी ब्रा अब भी चूचियों के ऊपर पड़ी थी।
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