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14-07-2019, 04:01 PM
(This post was last modified: 24-05-2021, 01:17 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
बंधे हाथ और मजा गन्ना चूसने का
![[Image: BJ-tumblr_no3gp2Aew41u53kyqo1_500.jpg]](https://picsbees.com/images/2019/01/19/BJ-tumblr_no3gp2Aew41u53kyqo1_500.jpg)
अब तक
सिर्फ सर के धक्के से हल्के-हल्के पुश करके,
और भैय्या ने भी हाथ हटा लिया। उन्होंने थोड़ा सा अपने को शिफ्ट किया और बस अब जैसे वो मेरा मुँह चोद रहे हों, उस हालत में, ऐसे में उनके पुश का जोर भी ज्यादा लग रहा था।
मेरे जबड़े दुःख रहे थे, करीब तीन-चार इंच से ज्यादा घोट लिया था मैंने, लेकिन मोटा कितना था, मुँह फटा जा रहा था। मैं प्यार से चूस रही थी और उनके चेहरे को उनकी चमकती आँखों को देख रही थी। उनकी आँखों में छलकती खुशी मेरा दर्द आधा कर दे रही थी।
हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और कामिनी भाभी मुझे, तारीफ भरी निगाहों से। उनकी छुटकी ननदिया इतना मस्त चूस रही थी।
![[Image: BJ-deep-tumblr_p12xbk23Ab1vn2m4ho1_400.gif]](https://picsbees.com/images/2019/01/19/BJ-deep-tumblr_p12xbk23Ab1vn2m4ho1_400.gif)
“तनी जोर का धक्का मारो न, पूरा गन्ना चुसाओ, हमरी छिनार ननदिया को आधे तीहे में मजा नहीं आता…”
भैय्या ने अब पहली बार अपने चूतड़ के पूरे जोर से ठेला और मेरे तलुवे को छीलता, आलमोस्ट गले तक… मैं गों गों करती रही लेकिन मेरा मुँह भर गया था।
आगे
मेरे दोनों हाथ फ्री थे, लेकिन भौजी और भैय्या के भी दोनों हाथ फ्री थे, दो के मुकाबले चार।
जबतक मैं गों गों कर रह थी, भौजी ने मेरी दोनों नरम कलाइयां पकड़ के एक दूसरे पर क्रास करा के बाँध दी। एक पल के लिए भैया ने मेरे बंधे हाथों को पकड़ा और भाभी ने फिर आराम से पलंग के सिरहाने से कस-कस के मेरे हाथों को बांध दिया। हिला डुला के उन्होंने चेक भी कर लिया की मैं इंच बराबर भी हाथ नहीं हिला सकती।
![[Image: BJ-deep-tumblr_osy7tiZ5nt1u3rus6o2_500.jpg]](https://picsbees.com/images/2019/01/19/BJ-deep-tumblr_osy7tiZ5nt1u3rus6o2_500.jpg)
लेकिन मुझे इस की कोई फिक्र नहीं थीं, मैं तो मजे से भैय्या का गन्ना चूसने का मजा ले रही थी।
“अरे तोहरी बहिनिया ने बुर चोदने को मना किया था, बुर में उंगली करने को मना किया था, और कुछ चोदने को थोड़े ही मना किया था, तोहार चुदवासी, भाईचोद छिनार बहिनिया ने। तो मजा ले ले के मुँह चोदो उसका। बिचारी की शहर में कहाँ ऐसा मोटा गन्ना मिलेगा…”
भौजी की बात भैय्या न माने? उन्होंने मेरे मुँह में धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी। उनकी देह अब इस तरह से मुझ पे छा गई थी की मुझे कुछ नहीं दिख रहा था, और वैसे भी मस्ती में मेरी आँखें बंद थीं। बात भौजी की एकदम सही थी, शहर में मुझे ये मौका नहीं मिलने वाला था। वहां तो मैं पढ़ाकू, सीधी सादी, छुई मुई लजीली…
और मैंने चूसने की रफ़्तार और तेज कर दी।
![[Image: BJ-ruff-deep-tumblr_obzhhrTEbR1txwtk5o1_500.gif]](https://picsbees.com/images/2019/01/19/BJ-ruff-deep-tumblr_obzhhrTEbR1txwtk5o1_500.gif)
मेरे चूतड़ जोर से उचके, जैसे करेंट मार गया हो। भौजी की जीभ मेरी चूत पे, वो हल्के-हल्के चाट रही थी। बात मेरी मानी थी उन्होंने, चूत में उंगली क्या जीभ भी अंदर घुसाने की कोशिश नहीं की उन्होंने, लेकिन उनका चाटना ही… मैं जल्द झड़ने के कगार पे पहुँच गई।
लेकिन अगर एक बार में वो झाड़ दें तो कामिनी भाभी क्या?
![[Image: Manju-bai-aaaa.jpg]](https://picsbees.com/images/2019/01/19/Manju-bai-aaaa.jpg)
कामिनी भाभी को जितना मजा ननदों को मजा देने में, उनसे मजा लेने में आता था, उससे ज्यादा मजा उन्हें अपनी ननदों को तड़पाने में आता था।
मुझे बीच मझधार में छोड़ के वो उठ गईं और जब लौटीं तो जैसे घर भर के तकिये, कुशन उनके हाथ में।
सब उन्होंने ठूंस ठूंस करके मेरे नितम्बों के नीचे, आलमोस्ट पीठ तक, और मेरे भारी-भारी, गोल-गोल चूतड़, अब हवा में एक बित्ते से भी ज्यादा उठे थे।
भौजी फिर चालू हो गईं।
जीभ की नोक से उन्होंने कुछ देर तक क्लिट फ्लिक की और जब मैं एक बार फिर पनिया गई, उनकी जीभ ने जैसे कोई, आम की फांक दोनों हाथों से फैला के सपड़-सपड़ चाटे, बस उसी तरह। मुश्किल से दो इंच जीभ उनकी अंदर थी।
![[Image: Pussy-licking-G-tumblr_m7ue2c6nDa1ry1xx5o1_500.gif]](https://picsbees.com/images/2019/01/19/Pussy-licking-G-tumblr_m7ue2c6nDa1ry1xx5o1_500.gif)
लेकिन कभी गोल-गोल घुमाकर चाटते, चूसते, तो कभी अंदर-बाहर… कुँवारी कमसिन ननदों की चूत का मंतर भौजी को अच्छी तरह मालूम था। कुछ ही देर में मैं फिर किनारे पर थी।
और भाभी ने अपना अंगूठा भी, सीधे क्लिट पे… मैं झड़ती रही कांपती रही, चूतड़ पटकती रही।
जब सुधि आई तो…
भौजी ने अपने दोनों अंगूठों से मेरे पिछवाड़े का छेद चियार रखा था पूरी ताकत से।
![[Image: ass-hole-tumblr_p7pi8chnaO1wrqbnro1_1280.jpg]](https://picsbees.com/images/2019/01/19/ass-hole-tumblr_p7pi8chnaO1wrqbnro1_1280.jpg)
किसी कुप्पी ऐसी चीज से या सीधे बोतल को ही मेरे पिछवाड़े के खुले छेद से सटा के, टप-टप, टप-टप, कड़ुवा तेल।
लेकिन ध्यान मेरा कहीं और था, मेरे मुँह में, पूरा बाहर निकालकर एक झटके में… जैसे कोई चूत चोद रहा हो, एकदम वैसे… और मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी।
मेरे रसीले गुलाबी होंठ उस मोटे कड़े लण्ड पे रगड़ते घिसते किस कर रहे थे। नीचे से मेरी मखमली जीभ चाट रही थी।
और मैं जोर-जोर से पूरी ताकत से चूस रही थी। सुपाड़ा आलमोस्ट मेरे गले में ठोकर मार रहा था। गाल मेरे एकदम फूले-फूले, बड़ी-बड़ी आँखें मेरी उबली पड़ रही थीं।
![[Image: BJ-deep-tumblr_oun1nvjQ051rflx78o1_400.gif]](https://picsbees.com/images/2019/01/19/BJ-deep-tumblr_oun1nvjQ051rflx78o1_400.gif)
सांसें भी बहुत मुश्किल से धीरे-धीरे… और उसी बीच कभी ये ध्यान जा पाता था की…
भौजी पूरी ताकत से मेरी कसी गाण्ड जबरदस्ती फैला के, उसमें आधी से ज्यादा बोतल खाली कर दी होगी उन्होंने, कम से कम पांच दस मिनट, और फिर थोड़ा सा बाहर भी छेद के मुहाने पे, पूरी गाण्ड चपचप हो रही थी।
दोनों नितम्बों को अपने हाथ से दबोच कर उन्होंने अब आपस में इस तरह मसला की तेल अंदर अच्छी तरह लिथड़ गया, कुछ देर टांग भी वो उठाये रहीं, जिससे तेल की एक बूँद भी अंदर से बाहर न आ पाये। और फिर आके एक बार मेरे सिरहाने वो बैठ गईं।
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14-07-2019, 04:04 PM
(This post was last modified: 27-05-2021, 01:11 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अंड़स गया
अब मुझे मेरी गाण्ड में घुसा हुआ उनका वो मोटा खूंटा साफ-साफ दिख रहा था।
भौजी, मेरी कमर के पास बैठ गईं और एक बार फिर प्यार से मेरी चुन्मुनिया सहलाते आँख मार के मुझसे बोलीं-
“मेरी छिनार बिन्नो, असली दर्द तो अब होगा। अभी तक तो कुछ नहीं था। जब ये मोटा खूंटा तेरी गाण्ड के खूब कसे छल्ले को रगड़ते, दरेरते, घिसटते पार करेगा न, बस जान निकल जायेगी तेरी। लेकिन रास्ता ही क्या है, गुड्डी रानी तोहरे पास?
दोनों हाथ तो कस के बंधे हुए हैं, हिला भी नहीं सकती। सुपाड़ा गाण्ड में धंस गया है, लाख चूतड़ पटको सूत भर भी नहीं हिलेगा। हाँ चीखने चिल्लाने पर कोई रोक नहीं है। फिर कुँवारी ननद की उसके भैय्या गाण्ड मारें और चीख चिल्लाहट न हो, ये तो सख्त नाइंसाफी है। जब तक आधे गाँव को तुम्हारी चीख न सुनाई पड़े तो न गाण्ड मारने का मजा न मरवाने का…”
और फिर उन्होंने भैया को भी ललकारा-
“देख क्या रहे हो तेरी ही तो बहन है? तेरी मायके वाली तो सब पैदायशी छिनार होती हैं, तो इहो है। पेलो हचक के। खाली सुपाड़ा घुसाय के काहें छोड़ दिए हो। ठेल दो जड़ तक मूसल। बहुत दर्द होगा बुरचोदी को लेकिन गाण्ड मारने, मराने का यही तो मजा है। जब तक दर्द न हो तब तक न मारने वाले को मजा आता है न मरवाने वाली को…”
और भैया ने, एक बार फिर जोर से मेरी टाँगें कंधे पे सेट की, चूतड़ जोर से पकड़ा सुपाड़ा थोड़ा सा बाहर निकाला, और वो अपनी पूरी ताकत से ठेला की…
मेरी फट गई। बस मैं बेहोश नहीं हुई। मेरी जान नहीं गई।
जैसे किसी ने मुट्ठी भर लाल मिर्च मेरी गाण्ड में ठूंस दी हो और कूट रहा हो-
“उईईई… ओह्ह्ह… नहींईईई…”
चीख रुकती नहीं दुबारा चालू हो जाती।
मैं चूतड़ पटक रही थी, पलंग से रगड़ रही थी, दर्द से बिलबिला रही थी। लेकिन न मेरी चीख रोकने की कोशिश भैया ने की न भाभी ने।
भैया ठेलते रहे, धकेलते रहे।
भला हो बंसती का, जब मैं सुनील से गाण्ड मरवा के लौटी थी, और वो मेरी दुखती गाण्ड में क्रीम लगा रही थी, पूरे अंदर तक। उसने समझाया था की गाण्ड मरवाते समय लड़की के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है, गाण्ड को और खास तौर से गाण्ड के छल्ले को ढीला छोड़ना। अपना ध्यान वहां से हटा लेना।
बसंती की बात एकदम सही थी।
लेकिन वो भी, जब एक बार सुपाड़ा गाण्ड के छल्ले को पार कर जाता तो फिर से एक बार वो उसे खींचकर बाहर निकालते, और दरेरते, रगड़ते, घिसटते जब वो बाहर निकलता तो बस मेरी जान नहीं निकलती थी बस बाकी सब कुछ हो जाता।
और बड़ी बेरहमी से दूनी ताकत से वो अपना मोटा सुपाड़ा, गाण्ड के छल्ले के पार ढकेल देते।
बिना बेरहमी के गाण्ड मारी भी नहीं जा सकती, ये बात भी बसंती ने ही मुझे समझायी थी। छ-सात बार इसी तरह उन्होंने गाण्ड के छल्ले के आर पार धकेला, ठेला। और धीरे-धीरे दर्द के साथ एक हल्की सी टीस, मजे की टीस भी शुरू हो गई। और अब जो उन्होंने मेरे चूतड़ों को दबोच के जो करारा धक्का मारा, अबकी आधे से ज्यादा खूंटा अंदर था, फाड़ता चीरता।
दर्द के मारे मेरी जबरदस्त चीख निकल गई, लेकिन साथ में मजे की एक लहर भी, एकदम नए तरह का मजा।
“दो तीन बार जब कामिनी भाभी के मर्द से गाण्ड मरवा लोगी न तब आएगा असली गाण्ड मरवाने का मजा, समझलू…”
बसंती ने छेड़ते हुए कहा था।
जैसे अर्ध विराम हो गया हो। भैय्या ने ठेलना बंद कर दिया था। आधे से थोड़ा ज्यादा लण्ड अंदर घुस गया था। गाण्ड बुरी तरह चरपरा रही थी। चेहरा मेरा दर्द से डूबा हुआ था।
लेकिन भैय्या ने अब अपनी गदोरी से मेरी चुनमुनिया को हल्के-हल्के, बहुत धीरे-धीरे सहलाना मसलना शुरू किया। चूत में अगन जगाने के लिए वो बहुत था, और कुछ देर में उनका अंगूठा भी उसी सुर ताल में, मेरी क्लिट को भी रगड़ने लगा। भैय्या के दूसरे हाथ ने चूची को हल्के से पकड़ के दबाना शुरू किया लेकिन कामिनी भौजी उतनी सीधी नहीं थी। दूसरा उभार भौजी के हाथ में था, खूब कस-कस के उन्होंने मीजना मसलना शुरू कर दिया।
बस मैं पनियाने लगी, हल्के-हल्के चूतड़ उछालने लगी। पिछवाड़े का दर्द कम नहीं हुआ था, लेकिन इस दुहरे हमले से ऐसी मस्ती देह में छायी की…
“हे हमार ननदो छिनार, बुरियो क मजा लेत हाउ और गंड़ियो क, और भौजी तोहार सूखी-सूखी। चल चाट हमार बुर…”
वैसे भी कामिनी भाभी अगर किसी ननद को बुर चटवाना चाहें तो वो बच नहीं सकती और अभी तो मेरी दोनों कलाइयां कस के बंधी हुई थीं, गाण्ड में मोटा खूंटा धंसा हुआ था, न मैं हिल डुल सकती थी, न कुछ कर सकती थी।
कुछ ही देर में भाभी की दोनों तगड़ी जाँघों के बीच मेरा सर दबा हुआ था और जोर से अपनी बुर वो मेरे होंठों पे मसल रगड़ रही थीं, साथ में गालियां भी
“अरे छिनरो, गदहा चोदी, कुत्ताचोदी, तेरे सारे मायकेवालियों क गाण्ड मारूं, चाट, जोर-जोर से चाट, रंडी क जनी, हरामिन, अबहीं तो गाण्ड मारे क शुरुआत है, अभी देखो कैसे-कैसे, किससे-किससे तोहार गाण्ड कुटवाती हूँ…”
गाली की इस फुहार का मतलब था की भौजी खूब गरमा रही हैं और उन्हें बुर चूसवाने में बहुत मजा आ रहा है। मजा मुझे भी आ रहा था, गाली सुनने में भी और भौजी की रसीली बुरिया चूसने चाटने में भी।
मैंने अपने दोनों होंठों के बीच भौजी की रसभरी दोनों फांकें दबाई और लगी पूरे मजे ले ले के चूसने।
उधर भैया ने भी अपनी दो उंगलियों के बीच मेरी गुलाबी पुत्तियों को दबा के इतने जोर से मसलना शुरू कर दिया की मैं झड़ने के कगार पे आ गई। और मेरे भैय्या कोई कामिनी भाभी की तरह थोड़ी थे की मुझे झड़ने के किनारे पे ले आ के छोड़ देते।
उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और मैं, बस… जोर-जोर से काँप रही थी, चूतड़ पटक रही थी, मचल रही थी, सिसक रही थी।
भैया और भाभी ने बिना इस बात की परवाह किये अपनी रफ़्तार बढ़ा दी। भैया ने अपना मूसल एक बार फिर मेरी गाण्ड में ठेलना शुरू कर दिया।
भाभी ने अब पूरी ताकत से अपनी बुर मेरी होंठों पे रगड़ना शुरू कर दिया, और मैं झड़ने से उबरी भी नहीं थी की उन्होंने अपना चूतड़ उचकाया, अपने दोनों हाथों से अपनी गाण्ड के छेद खूब जोर से फैलाया और सीधे मेरे मुँह के ऊपर-
“चाट, गाण्डचट्टो, चाट जोर-जोर से। तोहार गाण्ड हमार सैयां क लण्ड का मजा ले रही है त तनी हमरे गाण्ड के चाट चूट के हमहुँ क, हाँ हाँ ऐसे ही चाट, अरे जीभ गाण्ड के अंदर डाल के चाट। मस्त चाट रही हो छिनार और जोर से, हाँ घुसेड़ दो जीभ, अरे तोहें खूब मक्खन खिलाऊँगी, हाँ अरे गाँव क कुल भौजाइयन क मक्खन चटवाऊँगी, हमार ननदो…”
मैं कुछ भी नहीं सुन रही थी बस जोर-जोर से चाट रही थी, गाण्ड वैसे ही चूस रही थी जैसे थोड़ी देर पहले कामिनी भाभी की बुर चूस रही थी।
खुश होके भौजी ने मेरे दोनों हाथ खोल दिए और मेरी मेरे खुले हाथों ने सीधे भौजी की बुर दबोचा, दो उंगली अंदर, अंगूठा क्लिट पे। थोड़ी देर में भौजी भी झड़ने लगीं, जैसे तूफान में बँसवाड़ी के बांस एक दूसरे से रगड़ रहे हों बस उसी तरह, हम दोनों की देह गुत्थमगुत्था, लिपटी। जब भौजी का झड़ना रुका, भैय्या ने लण्ड अंदर पूरी जड़ तक मेरी गाण्ड में ठोंक दिया था। थोड़ी देर तक उन्होंने सांस ली फिर मेरे ऊपर से उतरकर भैया के पास चली गई।
पूरा लण्ड ठेलने के बाद भैय्या भी जैसे सुस्ता रहे थे। मेरी टाँगें जो अब तक उनके कंधे पे जमीं थीं, सीधे बिस्तर पे आ गई थीं। हाँ अभी भी मुड़ीं, दुहरी। हम दोनों की देह एक दूसरे से चिपकी हुई थी। भौजी ऐसे देख रही थीं की जैसे उन्हें बिस्वास नहीं हो रहा की मेरी गाण्ड ने इतना मोटा लंबा मूसल घोंट लिया।
बाहर मौसम भी बदल रहा था। हवा रुकी थी, बादल पूरे आसमान पे छाए थे और हल्की-हल्की एक दो बूंदें फिर शुरू हो गई थीं। लग रहा था की जोर की बारिश बस शुरू होने वाली है।
मेरे हाथ अब खुल गए थे तो मैंने भी भैय्या को प्यार से अपनी बाहों में भर लिया था।
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14-07-2019, 04:06 PM
(This post was last modified: 28-05-2021, 05:01 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
कुतिया बना के,....
मेरे हाथ अब खुल गए थे तो मैंने भी भैय्या को प्यार से अपनी बाहों में भर लिया था।
“अरे एह छिनार, भैयाचोदी को कुतिया बना के चोदो। बिना कुतिया बनाये न गाण्ड मारने का मजा, न गाण्ड मरवाने का। बनाओ कुतिया…”
भैय्या को मैं मान गई।
बिना एक इंच भी लण्ड बाहर निकाले उन्होंने पोज बदला, हाँ कामिनी भाभी ने मेरे घुटनों और पेट के नीचे वो सारे तकिये और कुशन लगा दिए जो कुछ देर पहले चूतड़ के नीचे थे। इसके बाद तो फिर तूफान आ गया, बाहर भी अंदर भी।
खूब तेज बारिश अचानक फिर शुरू हो गई, आसमान बिजली की चमक, बादलों की गड़गड़गाहट से भर गया।
भैय्या ने अब शुरूआत ही फुल स्पीड से की, हर धक्के में लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकालते और फिर पूरी ताकत से लण्ड जड़ तक, गाण्ड के अंदर।
साथ में मेरी दोनों चूचियां उनके मजबूत हाथों में, बस लग रहा था की निचोड़ के दम लेंगे।
एक बार फिर मेरी चीख पुकार से कमरा गूँज उठा।
बसंती भौजी ने बताया था की मर्द अगर एक बार झड़ने के बाद दुबारा चोदता है तो दोगुना टाइम लेता है और अगर वो कामिनी भाभी के मर्द जैसा है तो फिर तो… चिथड़े चिथड़े करके ही छोड़ेगा।
जैसे कोई धुनिया रुई धुने उस तरह, लेकिन कुछ ही देर में दर्द मजे में बदल गया, बल्की यूँ कहूँ की दर्द मजे में बदल गया। चीखों की जगह सिसिकियां…
लेकिन इसमें भौजी का भी हाथ था। उन्होंने मेरी जाँघों के बीच हाथ डालकर पहले तो मेरी चुनमुनिया को थोड़ा सहलाया मसला, फिर पूरी ताकत से अपनी एक उंगली, ज्यादा नहीं बस दो पोर, लेकिन फिर जिस तरह से भैय्या का लण्ड मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर, अंदर-बाहर होता उसी तरह कामिनी भाभी की उंगली मेरी चूत में, और जब भौजी ने मेरी बुर से उंगली निकाली तो भैय्या ने ठेल दी।
भौजी ने एक बार फिर से मेरा मुँह अपनी बुर में…
वो मेरे सामने बैठी थी अपनी दोनों जांघें खोल के, और मेरा सर पकड़ के सीधे उन्होंने वहीं… बिना कहे मैंने जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया।
भैय्या हचक-हचक के मेरी गाण्ड मार रहे थे, साथ में उनकी एक उंगली मेरी चूत में कभी गोल-गोल तो कभी अंदर-बाहर।
उनके हर धक्के के साथ मेरी भौजी की बुर चूसने की रफ़्तार भी बढ़ जाती। भौजी के मुँह से गालियां बरस रही थीं और उनका एक हाथ मेरी चूची की रगड़ाई मसलाई में जुटा था।
बारिश की तीखी बौछार मेरी पीठ पे पड़ रही थी, लेकिन इससे न भैय्या की गाण्ड मारने की रफ़्तार कम हो रही थी, न मरवाने की मेरी। भैया के हर धक्के का जवाब मैं भी धक्के से अब दे रही थी।
मेरी गाण्ड भी भैया के लण्ड को दबोच रही थी, निचोड़ रही थी जोर-जोर से।
आधे घंटे से ऊपर ही हो गया, धक्के पे धक्का।
भौजी और मैं साथ-साथ झड़े, और फिर मेरी गाण्ड ने इतने जोर से निचोड़ना शुरू किया की… की साथ-साथ भैया भी, उनका लण्ड मेरी गाण्ड में जड़ तक घुसा हुआ था।
और उसके बाद सारा दर्द सारी थकान एक साथ… मैं कब सो गई मुझे पता नहीं चला, बस यही की मैं भौजी और भैय्या के बीच में लेटी थी।
शायद सोते समय भी भैया ने बाहर नहीं निकाला था।
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(14-07-2019, 04:07 PM)Badstar Wrote: Superb update loving it
thanks so much
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कोमल जी प्रणाम,,ये सोलहवाँ सावन नए कलेवर में स्टार्ट किया है या,,पिछली बार वाली है,,अभी आया हूँ इस थ्रेड पे,वैसे इस पर रेगुलर अपडेट नहीं दे रही है आप ?
@Keep it Komal ????
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 Update please komal rani ji
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(28-03-2019, 07:58 PM)komaalrani Wrote: सुनील -अजय
![[Image: sixteen-male3-1.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/02/sixteen-male3-1.jpg)
अजय ने सीधे, मेरी सलवार का नाड़ा खोलते हुये कहा-
“ऐसा कुछ नहीं है, बिचारी चूत को चुदना ही है, आखिर लण्ड को इतना तड़पाती है…” और उसने मेरी सलवार घुटने तक सरका दी और मेरी चूत को कस के दबोच लिया।
मैंने चन्दा की ओर निगाह डाला तो वह कस-कस के सुनील का लण्ड चूस रही थी। उसकी साड़ी भी जांघों के ऊपर उठ चुकी थी और सुनील अपनी दो उंगलियों से उसको चोद रहा था।
अजय ने तब तक मुझे घुटने और कोहनियों के बल कर दिया और कहने लगा-
“चलो, तुम्हें सिखाता हूँ कि सलवार सूट पहने-पहने कैसे चुदवाते हैं…”
मेरे पीछे आकर उसने मेरी टांगें फैलायीं पर सलवार पैरों में फंसी होने के कारण वह ज्यादा नहीं फैला पाया और मेरी जांघें कसी-कसी थीं। उसने एक उंगली मेरी चूत में कस-कस के अंदर-बाहर करनी शुरू कर दी और मैं जल्द ही गीली हो गयी।
मेरी कमर पकड़कर अब उसने चूत फैलाकर अपना लण्ड एक करारे धक्के में अंदर धकेल दिया।
![[Image: sixteen-doggy4.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/02/sixteen-doggy4.jpg)
मेरी जांघें सटी होने के कारण मेरी चूत भी खूब कसी थी और लण्ड चूत की दीवारें को कस-कस के रगड़ता घिसता जा रहा था।
मुझे एक नये किस्म का मजा मिल रहा था।
थोड़ी देर इसी तरह चोद के अब अजय ने मेरे रसभरे झुके हुए मम्मों को कुर्ते के ऊपर से ही पकड़ लिया था
और उन्हें दबा-दबा के कस के चोदने लगा।
![[Image: sixteen-doggy8.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/02/sixteen-doggy8.jpg)
हमारी देखा देखी, सुनील ने भी अब अपना लण्ड चन्दा के मुँह से निकाल लिया था और उसकी जांघों के बीच आकर चुदाई करने लगा।
अजय ने मेरा कुरता ऊपर सरका दिया था और अब मेरी खुली लटकी चूचियां कस-कस के निचोड़ रहा था। पर थोड़ी ही देर में अजय ने मेरे सारे कपड़े उतार दिये और मुझे लिटाकर, मेरी टांगें अपने कंधे को रखकै कस-कस के चोद रहा था।
यही हाल बगल के पलंग पे चन्दा की भी थी जिसको सुनील ने पूरी तरह निर्वस्त्र कर दिया था और उसके मोटे-मोटे चूतड़ पकड़ के कस-कस के चोद रहा था।
![[Image: sixteen-doggy9.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/02/sixteen-doggy9.jpg)
पहली बार था कि हम और चन्दा अगल बगल इस तरह दिन में, पलंग पर अगल बगल लेटकर,
अजय और सुनील से खुल्लमखुल्ला चुदा रहे थे। सुनील की निगाह अभी भी मेरे चूतड़ों पर थी।
चन्दा ने उसकी चोरी पकड़ ली, वह बोली-
“क्यों आज उसकी बहुत गाण्ड मारने का मन कर रहा है क्या, जो चोद मुझे रहा है पर चूतड़ उसके घूर रहा है…”
और मुझसे कहा-
“हे गुड्डी, मरवा ले ना गाण्ड आज, रख दे मन मेरे यार का…”
![[Image: ass-17.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/02/ass-17.jpg)
“ना बाबा ना, मुझे नहीं मरवानी गाण्ड, इतना बोल रही है तो तू ही मरवा ले ना…”
अजय और सुनील दोनों मुश्कुरा रहे थे-
“यार आज साथ-साथ चुदाई कर रहे हैं। तो कुछ बद कर करें ना…”
कुछ देर बाद सुनील बोला-
“मुझे मंजूर है…”
मेरी चूची पकड़कर कसके चोदते हुये, अजय ने कहा-
“तो ठीक है, जिसका यार पहले झड़ेगा, उसके माल की गाण्ड मारी जायेगी…”
सुनील ने शर्त रखी।
अजय और चन्दा दोनों एक साथ बोले-
“हमें मंजूर है…”
पर मैं बोली-
![[Image: Barely-Naked-Hot-And-Spicy-Girls-Picture...-179-5.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/02/Barely-Naked-Hot-And-Spicy-Girls-Pictures---Nudity-Included---Set--179-5.jpg)
“हे गड़बड़ तुम लोग करो पर, गाण्ड हमारी मारी जाय…”
पर हमारी सुनने वाला कौन था।
अजय मेरी चूची रगड़ते, गाल काटते, कसकर चोद रहा था और सुनील भी चन्दा की बुर में सटासट अपना लण्ड पेल रहा था।
![[Image: Fucking-teen-G-15314680.gif]](https://picsbees.com/images/2018/11/02/Fucking-teen-G-15314680.gif)
पर तभी मैंने ध्यान दिया कि चन्दा ने कुछ इशारा किया और सुनील ने अपना टेमपो धीमे कर दिया
बल्की कुछ देर रुक गया।
मैं कुछ बोलने ही वाली थी की अजय ने मेरी क्लिट पिंच कर ली और मैं झड़ने लगी।
मैं अपनी चूत में कस के अजय का लण्ड भींच रही थी, अपने चूतड़ कस-कस के ऊपर उठा रही थी, और अपने हाथों से कस के उसकी पीठ जकड़ ली।
और जल्द ही अजय भी मेरे साथ झड़ रहा था।
जब हम दोनों झड़ चुके तो मुझे अहसास हुआ कि… पर साथ-साथ झड़ने का जो मजा था…
![[Image: sixteen-cum.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/02/sixteen-cum.jpg)
मैंने जब बगल में देखा तो अब चन्दा भी खूब कस-कस के चूतड़ उछाल रही थी और वह और सुनील साथ-साथ झड़ रहे थे।
मैं शांत बैठी थी तो अजय और सुनील एक साथ दोनों मेरे बगल में आ गये और गुदगुदी करने लगे।
अजय बोला- “हे… यार… चलता है…” और उसने मेरे गाल को चूम लिया।
मेरे दूसरे गाल को सुनील ने और कस के चूम लिया। अजय ने मेरी एक चूची पकड़ के दबा दिया। सुनील ने मेरी दूसरी चूची पकड़ के मसल दिया।
“हे… एक साथ… ध-दो…” चन्दा बोली।
“अरे जलती है क्या… अपनी-अपनी किश्मत है…” अब मैं भी हँसकर बोली और
मैंने अपने मेंहदी लगे हाथों में दोनों के आधे-खड़े लण्ड पकड़ लिये, और आगे पीछे करने लगी।
![[Image: MMF-G-tumblr_ozbne3WvhC1u5mu3ko1_1280.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/02/MMF-G-tumblr_ozbne3WvhC1u5mu3ko1_1280.jpg)
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(24-01-2019, 10:06 PM)komaalrani Wrote: मजा झूले पे ,
Bahut mast.
![[Image: village-Ff-Ibe.jpg]](https://i.ibb.co/p19swb8/village-Ff-Ibe.jpg)
" अरे हम सब लोग तुमको ढूंढ रहे हैं , चलो न "
मैंने अपना सर उसके सीने पे रख दिया।
थोड़ी देर में हम लोग फिर मेले की गहमागहमी के बीच , वहीं मस्ती ,छेड़छाड़। और पूरा गुट ।
गीता ,पूरबी ,कजरी , चंदा , रवि ,दिनेश और सुनील।
एक बड़ी सी स्काई व्हील के पास।
" झूले पे चढ़ने के डर से भाग गयी थी क्या " पूरबी ने चिढ़ाया।
![[Image: Geeta-Kajal-Raghwani-hot-picture.jpg]](https://i.ibb.co/YfWxfxX/Geeta-Kajal-Raghwani-hot-picture.jpg)
" अरे मेरी सहेली इत्ती डरने वाली नहीं है , झूला क्या हर चीज पे चढ़ेगी देखना ,क्यों हैं न "
चंदा क्यों पीछे रहती द्विअर्थी डायलॉग बोलने में।
और अब झूले वाले ने बैठाना शुरू किया ,मुझे लगा मैं और चंपा एक साथ बैठ जायंगे , लेकिन जैसे ही चंदा बैठी , धप्प से उसके बगल में सुनील बैठ गया।
और अब मेरा नंबर था लेकिन जब मैं बैठी तो देखा , की सब लड़कियां किसी न किसी लड़के के साथ ,और कोई नहीं बची थी मेरे साथ बैठने के लिए।
बस अजय , और वो झिझक रहा था।
झूलेवाले ने झुंझला के उससे पूछा , तुम्हे चढ़ना है या किसी और को चढाउँ ,बहुत लोग खड़े हैं पीछे।
मैंने खुद हाथ बढ़ा के अजय को खीँच लिया पास में।
चंदा और सुनील अगली सीट पे साफ दिख रहे थे। चंदा एकदम उससे सटी चिपकी बैठीं थी और सुनील ने भी हाथ उसके उभारों पर , और सीधे चोली के अंदर
और झूला चलने के पहले ही दोनों चालू हो गए।
![[Image: Jhula-download.jpg]](https://i.ibb.co/b6zB49P/Jhula-download.jpg)
सुनील का एक हाथ सीधे चंदा की चोली अंदर , जोबन की रगड़ाई ,मसलाई चालू हो गयी और चंदा कौन कम थी , वो भी लिफाफे पे टिकट की तरह सुनील से चिपक गयी।
और झूला चलते हुए इधर उधर जो मैंने देखा तो सारी लड़कियों की यही हालत थी।
मैं पहली बार जायंट व्हील पे बैठी थी और जैसे ही वो नीचे आया, जोर की आवाज उठी , होओओओओओओओओओओ हूऊऊओ
और इन आवाजों में डर से ज्यादा मस्ती और सेक्सी सिसकियाँ थीं।
डर तो मैं भी रही थी ,पहली बार जायंट व्हील पे बैठी थी और जैसे ही झूला नीचे आया मेरी फट के , … मैं एकदम अजय से चिपक गयी।
लेकिन एक तो मैं कुछ शर्मा रही और अजय भी थोड़ा ज्यादा ही सीधा , झिझक रहा था की कहीं मैं बुरा न ,
लेकिन फिर भी जब अगली बार झूला नीचे आया , डर के मारे मैंने आँखें मिची , अजय ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया।
अब मैं और उहापोह में उसके हाथ को हटाऊँ या नही। अगर न हटाऊं तो कहीं वो मुझे ,…
![[Image: desi-5.jpg]](https://i.ibb.co/GnvLWJJ/desi-5.jpg)
हाथ तो मैंने नहीं हटाया ,हाँ थोड़ा दूर जरूर खिसक गयी , बस अजय ने हाथ हटा लिया।
अब मुझे अहसास हुआ , कितनी बड़ी गलती कर दी मैंने। एक तो वो वैसे ही थोड़ा ,बुद्ध और सीधा ऊपर से मैं भी न ,
फिर बाकी लड़कियां कित्ता खुल के मजे ले रही थीं , चंदा के तो चोली के आधे बटन भी खुल गए थे और सुनील का हाथ सीधा अंदर , खुल के चूंची मिजवा रही थी। और मैं इतने नखड़े दिखा रही थी। क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहां था ,खुद तो उससे खुल के बोल नहीं सकती थी।
लेकिन सब कुछ अपने आप हो गया ,एकदम नेचुरल।
झूले की रफ्तार एकदम से तेज होगयी और मैं डर के अजय के पास दुबक गयी ,मैंने अपना सर उसके सीने में छुपा लिया , और अब जब उसने अपना हाथ सपोर्ट देने के लिए जैसे , मेरे कंधे पे रखा।
ख़ुशी से मैंने उसे मुस्करा के देखा और अपनी उंगलिया उसके हाथ पे रख के दबा दी।
और जब झूला नीचे आया तो अबकी सबकी सिसकियों में मेरी भी शामिल थी।
मैं समझ गयी थी ,हर बार लड़का ही पहल नहीं करता ,लड़की को भी उसका जवाब देना पड़ता है।
और अगर अजय ऐसा लड़का हो तो फिर और ज्यादा , आखिर मजा तो दोनों को आता है। फिर कुछ दिन में मैं शहर वापस चली जाउंगी , फिर कहाँ , और आज यहाँ अभी जो मौक़ा मिला है वैसा कहाँ ,… फिर
उसका हाथ पकड़ के मैंने नीचे खींच लिया सीधे अपने उभार पे , और हलके से दबा भी दिया।
और जैसे अपनी गलती की भरपाई कर दी हो , अजय की ओर मुस्करा के देखा भी।
फिर तो बस , उसकी शैतान उंगलियां ,मेरे कड़े कड़े किशोर उभारों के बेस पे , थोड़ी देर तो उसने बस जैसे थामे रखा ,फिर अपनी हथेली से हलके दबाना शुरू किया। हाथ का बेस मेरे निपल से थोड़े ऊपर , मैं साँस रोक के इन्तजार कर रही थी अब क्या करेगा वो ,
कुछ देर उसने कुछ नहीं किया , बस अपनी हथेली से हलके हलके दबाता , मेरी गोलाइयों का रस लेता , वो अभी खिली कलियाँ जिसके कितने ही भौंरे दीवाने यहाँ इस मेले में टहल रहे थे। पतली सी टाइट चोली से उसके हाथ का स्पर्श अंदर तक मुझे गीला कर रहा था।
मन तो मेरा कर रहा था बोल दूँ उससे जोर से बोल दूँ ,यार रगड़ दो मसल मेरे जोबन ,जैसे खुल के बाकी लड़कियां मजे ले रही हैं ,
पर ये साल्ली शरम भी न ,
लेकिन अबकी जब झूला नीचे आया तो बस मैंने अपनी हथेली उसकी हथेली के ऊपर रख के खूब जोर से दबा दिया , और उस प्यासी निगाह से देखा , जैसे सावन में प्यासी धरती काले बादलों की ओर देखती है।
और धरती की तरह मेरी भी मुराद पूरी हुयी।
अजय ने खूब जोर से मेरे जोबन दबा दिए।
इत्ता भी सीधा नहीं था वो , अब हलके हलके रगड़ मसल रहा था , और थोड़ी ही देर में दूसरा उभार भी उसके हथेली की पकड़ में ,
मेरी सिसकियाँ और चीखें और लड़कियों से भी अब तेज निकल रही थीं।
पहली बार मुझे ये मजा जो मिल रहा था , प्यार से कोई मेरे उभारों को सहला दबा रहा था , मसल रहा था ,रगड़ रहां था ,मीज रहा था।
और मैं भी उतने ही प्यार से , दबवा रही थी , मसलवा रही थी , रगड़वा रही थी ,मिजवा रही थी।
मैं आलमोस्ट उसके गोद में बैठी हुयी थीं ,मेरा एक हाथ जोर से उसके कमर को पकडे हुआ था , जैसे अब वही मेरा सहारा हो , आलमोस्ट कम्प्लीट सरेंडर।
अब मेरी सारी सहेलियां जिस तरह से खुल के अपने यारों के साथ मजा ले रही थीं ,उसी तरह
लेकिन अजय तो अजय ,उसकी उँगलियाँ हथेलियाँ अभी भी चोली के ऊपर से ही चूंची का रस ले रही थीं।
दो बटन तो मेरे पहले ही खुले थे , मेरी गोलाइयाँ , गहराइयाँ सब कुछ उसे दावत दे रही थीं लेकिन ,....
पर मेरे लिए चोली के ऊपर से भी जिस तरह से वो जोर जोर से दबा रहा था वही पागल करने के लिए बहुत था। अब मुझे अंदाज हो रहा था जवानी के उस लज्जत का जिसे लूटने के लिए सब लड़कियां कुछ भी , कभी गन्ने के खेत में तो कभी अपने घर में ही ,
उसकी डाकू उँगलियों ने हिम्मत की अंदर घुसने की , मैंने बहुत जोर से सिसकी भरी , जब उसके ऊँगली के पोर मेरे निपल से छू गए।
जैसे खूब गरम तवे पे किसी ने पानी के छींटे दे दिए हों
अंगूठा और तर्जनी के बीच वो मटर के दाने ,
लेकिन तबतक झूला धीमा होना शुरू हो गया था और उसने हाथ हटा लिया।
झूले के रूकने पे अजय ने मेरा हाथ पकड़ के उतारा और एक बार फिर उसकी हथेली मेरे उभारों पे रगड़ गयी।
वो बेशर्मों की तरह मुझे देख के मुस्करा रहा था , लेकिन मैं ऐसी शरमाई की , हिरनी की तरह अपने सहेलियों के झुण्ड से दूर।
![[Image: Teej-c3042fbf347016e5777e6139d4bd1353.jpg]](https://i.ibb.co/BTBcC0p/Teej-c3042fbf347016e5777e6139d4bd1353.jpg)
Behanchod means sister-fucker.
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(14-07-2019, 03:58 PM)komaalrani Wrote: next post now
Isko pad kar kaun muth nahi marega?
Behanchod means sister-fucker.
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Hi Dear komaalrani ji,
Can i ask for a permission to post two of your oldest stories (you posted them on yahoo group in 2004)
I found them in some old site & preserve (also edit some small corrections & style so others can read it).
Please permit me to post them here in English story thread so new readers can also enjoy the old but real diamond of your collection.
Also want to mention here that this story is not posted on this site...
surly all credits goes to write such a beautiful story.
Hope you grant permission
Thanks...
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