17-11-2025, 04:36 PM
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Adultery बदलाव, मजबूरी, सेक्स या जिंदगी.....
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17-11-2025, 04:36 PM
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19-11-2025, 12:18 PM
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20-11-2025, 01:10 PM
(This post was last modified: 20-11-2025, 02:59 PM by ramlal_chalu. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
राहुल के दरवाजा खोलते ही वह अंदर चली गई, और कहा ठंडी आवाज में कहा, “राहुल अपनी शर्तें और अपना तरीका बता दो। फिर देखते हैं।”
राहुल ने आरोही को अंदर बैठाया, और बोला, “यह अच्छी बात है, तुमने बात को सुनना चाहा। तो सुनिए पाँच लाख पुराना और इस समय का चार लाख कुल मिलाकर होगा नौ लाख रूपया। और इसमें बैंक वाला चालीस लाख शामिल नहीं है। उसके बार में आगे देखा जाएगा।” अब मेरी यह व्यवस्था है। 1. तुम दोनों में हर एक बारह घंटों के लिए मेरी सेवा में होगी। इसमें तुम्हें झाड़ू, पोंछा और किचन से लेकर जो मैं कहूँ वह सब काम करने होंगे। और इतने समय में मैं, दोनों में से जो भी मेरे साथ हो, उसे कैसे भी और किसी तरह से भोग सकता हूँ। चाहूँ तो बारह घंटे पूरे। हाँ हर हफ्ते शिफ्ट बदलेगी। जो रात में आई थी वह सुबह वाले में और सुबह वाली रात में। वैसे यह भी मेरे ऊपर है कि कौन किस शिफ्ट में आए। 2. तुम्हारे शरार के हर छेद मुँह, गुदा और योनी में से जो चाहूँ जैसे चाहूँ उसे भोग सकता हूँ। और वीर्य को जहाँ मर्जी को छोड़ सकता हूँ। और जो बोलूँगा वह तुम्हें करना होगा। 3. तुम दोनों किसी भी तरह के सेक्स को करने से मना नहीं कर सकती हो। चाहें रफ करूँ या स्लो मेरी मर्जी। और मैं कभी कांडोम नहीं लगाऊँगा। और तुम्हें बर्थ कंट्रोल पिल्स, या जो भी उपाय करने हों, अपने पैसों से लेना होगा। और कांडोम मेरा मन करेगा तो मैं लगा सकता हूँ। 4. तुम लोगों को बारह घंटे की शिफ्ट के लिए महीने के पचास हजार दूँगा। यानी दोनों अगर काम करेंगी तो तुम्हारे एक लाख हुए। और चालीस हजार किराए के, मिला लें तो हुए एक लाख चालीस हजार। मैं अस्सी हजार अपने कर्ज के तौर पर रखूँगा और साठ हजार आपको दूँगा। 5. अगर दोनों में से एक ही तैयार होता है। तो आपको मिलेंगे पच्चीस हजार महीने के। लेकिन तुम चाहो तो एक्स्ट्रा घंटे साथ में रह कर पैसे कमा सकती हो। तुम्हें तीन सौ रूपए प्रति घंटा ओवरटाइम मिलेगा। 6. इस दौरान अगर कोई गर्भ हो जाती हैं। तो तुम लिखकर दोगी की कोई कोई दावा नहीं कर सकती हो। हाँ गर्भकाल का एक लाख का वन टाइम पेमेंट कर दूँगा। उसके बाद तुम चाहें जो करो। लेकिन अगर गर्भ रखा तो फिर यह काम यहीं रूक जाएगा। तुम सेवा से अलग। लेकिन सब कुछ मेरी मर्जी पर होगा। 7. हाँ तुम दोनों बाहर इस बात को किसी से नहीं कहेंगी सबके सामने तुम दोनों मेरी असिस्टेंट बनकर रहोगी। अगर तुमने किसी से कहा तो तुम्हें यह स्वीकार है कि तुम दस लाख का जुर्माना मुझे तत्काल दोगी। नहीं देने पर हर दिन 10 प्रतिशत का ब्याज लगेगा। 8. तुम लोगों को इस बाहर घंटों में हर काम यानी यहाँ तक कि बाथरूम जाने या किसी भी काम के लिए मेरी इजाजत चाहिए। अगर तुमने बिना मेरी इजाजत के कोई काम किया तो उसकी सजा मैं चाहें पैसे से या अपनी शारीरिक रूप से दे सकता हूँ। 9. तुम्हारे लिए कपड़े की व्यवस्था होगी। इस फ्लैट में आने के बाद अपने कपड़े उतारकर मेरी इच्छा से कपड़े पहनेंगी या जैसा व्यवस्था की गई होगी वैसे कपड़े पहनने होंगे। बारह घंटे पूरे होने के बाद ही तुम अपने घर से आए कपड़े पहनकर जाओगी। यहाँ आने और जाने के समय के रेकॉर्ड के लिए एक लॉग बुक बनेंगी जिसमें आपके और मेरे हस्ताक्षर हर दिन होंगे। 10. यह सभी बातें तुम दोनों अलग-अलग वीडियो पर रेकॉर्ड करोगी और इस शर्तों की मंजूरी का एक शपथ पत्र दोगी कि इन सभी शर्तों को आप अपनी इच्छा से मान रही हैं। आप कानूनी तौर पर स्वीकार करती हैं। और इसका कोई दावा नहीं करेंगी। तो आरोही यह रही शर्तें और कांट्रैक्ट अगर आप मान रही हो। तो फिर इसे कोर्ट डाक्यूमेंट की तरह से बनवाने तक और आपका वीडियो रेकॉर्ड करके आप काम शुरू कर सकती हैं। “ठीक है राहुल मैं सोचकर बताती हूँ।” बुझे से स्वर में आरोही ने कहा। और उठकर जाने लगी। तभी राहुल बोला, “सुनो आरोही, यह शर्तें आप मानिए या ना मानिए। यह अलग बात हो गई। लेकिन चाची के झापड़ की भरपाई कैसे होगी?” “राहुल मैंने उनसे नहीं कहा था..........” आरोही की बात काटकर राहुल बोला, “देखिए, चाची ने मुझे तुरंत निकल जाने को कहा है। लेकिन मैंने शर्तें मानने के लिए आपको समय दिया है। तो भरपाई मुझे चाहिए। नहीं तो मैं जा रहा हूँ और शर्तों की भी कोई जरूरत नहीं है।” “ठीक है यह भी बताओ क्या करना है।” थकती सी आरोही बोली। “अरे, कुछ खास नहीं है, आओ मेरी गोद में बैठकर मुझे किस करो और मैं तुम्हारे बदन को महसूस करना चाहता हूँ। सेक्स नहीं करूँगा पक्का। थोड़ा तुम्हारे इस मस्त बदन को मसलना है। गोद में बैठने से लेकर बीस मिनट तक खेलूँगा। चाहो तो टाइमर लगाकर।” राहुल ने किसी शिकारी की तरह से आंखों से मुस्कुराते हुए साफ कह दिया। राहुल के मुंह से इन बातों को सुनकर आरोही को जैसे शॉक लग गया। वह जड़ खड़ी रह गई। सोच ही नहीं पा रही थी कि क्या करे। जैसे-तैसे हिम्मत करके बोल पड़ी, “मुझसे नहीं हो पाएगा। प्लीज, अभी ऐसा मत करो।” “कोई बात नहीं, मैं आज ही यहाँ से जा रहा हूँ। इन सब बातों को भूल जाना, ठीक है?” कहकर राहुल उठने लगा। “नहीं जाओ नहीं......” आरोही मानो कुछ कहना चाहती थी। लेकिन कह नहीं पा रही थी। “मैं नहीं कर...... सुनो, प्लीज और मत सताओ। पाप लगेगा। सोचने दो तब सब कर लेना.....” आरोही विवशता भरे स्वर में बड़बड़ाई। “अरे तब तो करेंगे ही। लेकिन अभी झापड़ की पेनॉल्टी तो चाहिए ना? अच्छा, शर्म लग रही है, क्या? कोई बात नहीं एक तरीका बताता हूँ। दरवाजा खुला है। दरवाजे तक जाओ और सोच लो अगर बिल्कुल नहीं करना है। तो बाहर निकल जाना। और अगर केवल शर्म की बात है तो चिटकनी लगा देना मैं समझ जाऊँगा। फिर तुम्हें कुछ नहीं करना होगा, मैं खुद कर लूँगा। ठीक ना? आज इतनी छूट तो देनी ही होगी। अभी मेरी गुलाम नहीं ना बनी हो।” राहुल ने मुस्कुराते हुए बोला। आरोही कुछ सोचती हुई धीरे-धीरे दरवाजे की ओर बढ़ रही थी। साफ था कि उसके मन में बहुत कुछ चल रहा है। राहुल किसी घात लगाए बाघ की तरह उसे ही, यानी अपने शिकार को देख रहा था। वैसे उसे देख रहा था या उसके बदन और उसकी कसी गांड को, यह बता पाना मुश्किल था। लेकिन अब आरोही क्या करती है। यह अधिक रोमांचक पल होने वाला था। _________________________________________________________________________________________ आगे आरोही क्या निर्णय लेती है। और आगे क्या होगा यह इस कहानी का एक अहम मोड़ होगा।
20-11-2025, 05:08 PM
Zabardast
20-11-2025, 07:13 PM
Awesome update
21-11-2025, 08:20 PM
अब आरोही धीरे-धीरे बहुत कुछ सोचते हुए दरवाजे के पास पहुँचती जा रही है। ठिठक कर सोचती है, “क्या इसकी बात मान लूँ? नहीं मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ? लेकिन अगर नहीं माना तो आगे का रास्ता बंद हो जाएगा। आगे भी इससे नुचवाने के अलावा और तो रास्ता है नहीं। क्या करूँ?”
इसी उधेड़-बुन में जाने की आवेग में दरवाजे के पास पहुँच चुकी आरोही ने अचानक से चिटकनी लगा दी। बस मानों इसी की देर थी। और उसी को देख रहा राहुल बिना किसी देरी के सधे कदमों से उसके पास पहुँचा। और अपना बायाँ हाथ आरोही के नितंब पर कस दिया। और उसके बालों को सूंघता हुआ बोला, “बड़ी मस्त गांड़ है। इसे दबाए का मजा अलग ही है। और फिर बिना और कुछ बोले उसे बाहों में उठा लिया। आरोही ने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया था। लेकिन इससे क्या होता है राहुल और आरोही दोनों ही को पता था कि अब बात मानने, ना मानने से आगे निकल चुकी है। सोफे के पास पहुँच राहुल ने आरोही को उतारा और खुद सोफे पर बैठते हुए उसे अपनी गोद में खींचकर बिठा लिया लिया। जीवन में पहली बार किसी दूसरे मर्द की गोद में बैठते हुए आरोही को अजीब लग रहा था। वैसे आरोही पांडे पान वाले की घटना के बाद से मन के किसी कोने में राहुल की मर्दानगी और ताकत के प्रति झुकाव रखती थी। लेकिन फिर भी वह अवैध संबंध बनाने की हद पर जाने लायक कभी नहीं बना क्योंकि ना राहुल ने कुछ पहल की और ना ही आरोही ने। अब राहुल की गोद में बैठी आरोही को राहुल की आवाज सुनकर मानो होश आया हो। राहुल ने कहा, “देखो बीस मिनट का टाइमर लगा दिया है। मैं अपने वादे का पक्का हूँ। यह जानती ही हो।” आरोही ने सिर उठाकर देखा और हूँ में सिर हिलाया। इसके बाद राहुल ने आरोही के चेहरे को बहुत ही हल्के हाथों से पकड़ा और उसके ओठों पर अपने ओंठ रख दिए। आरोही के पूरे शरीर में मानों बिजली सी कड़क गई। पहली बार किसी गैर मर्द ने उसके ओंठों को चूमा था। लेकिन गजब तो तब हुआ जब राहुल ने धीरे से उसके निचले ओंठ अपने ओंठों में दबाकर पीना शुरू कर दिया। और अपने एक हाथ को बढ़ाकर उसके नितंब की एक गोलाई को धीरे-धीरे लेकिन पूरी पकड़ा के साथ मसलना शुरू कर दिया। आरोही हल्का सा कसममाई लेकिन राहुल ने और कसकर उसे दाब लिया और बिना किसी जल्दबाजी के अपना काम करने लगा। राहुल ने आरोही के ओंठों को चूसते हुए हल्का-हल्का काटना शुरू कर दिया। आरोही के शरीर ने कभी इतने संवेदनशील स्पर्श का स्वाद नहीं चखा था। जैसा पहले ही पता है कि आरोही और परिधि की सेक्स लाइफ केवल टांग उठाकर धक्के खाने तक की ही थी। तो इस मजबूरी में ही सही लेकिन यौन प्रहार से धीरे-धीरे आरोही का शरीर ढीला पड़ने लगा। आरोही भी समझ नहीं पा रही थी कि उसके साथ क्या हो रहा है। लेकिन समझती भी कैसे दिमाग कहाँ काम कर रहा था। अब राहुल ने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और उसकी जीभ से लड़ाने लगा। और उसकी जीभ चूसने और उसके मुँह के अंदर अपनी जीभ से चाटने लगा। इसी बीच उसने आरोही को हल्का सा हवा में उठाकर एक हाथ से उसके सिर को पकड़ा और बालों सहलाने लगा और दूसरे हाथ के उसके नितंब को जोर से मसलने लगा। आरोही मन ही मन कमजोर पड़ती जा रही थी। लेकिन दिमाग में लड़ाई जारी थी। वह सोच रही थी, “अरे यह मुझे क्या हो रहा है, इस कमीने के ऐसा करने से मैं कमजोर क्यों पड़ती जा रही हूँ।” करीब पांच मिनट तक चूसने और चूमने के बाद राहुल ने उसके ओंठों को छोड़ा, क्योंकि उसे लग गया था कि आरोही की सांस फूल रही है। और छोड़ते ही आरोही हाँफने लगी। क्योंकि उसे भी इतने लंबे किस का अनुभव नहीं था। लेकिन उसकी आँखों में ऐसे देख रही थी मानों पूछ रही हो क्यों छोड़ा। और यह अहसास महसूस करते ही आरोही ने अपनी आँखें झुका लीं। राहुल ने उसकी आंखों में देखते हुए उसके माथे को चूमा और दुलारते हुए उसके एक गाल को चूमने लगा। और गालों के बाद वह कान की लौ को चूमते हुए चूसने लगा। और उसके ऐसा करते हुए मानों गजब हो गया। क्योंकि अभी तक अपने को संभाले हुए मजबूरी में फसी आरोही के मुँह से अचानक से धीरे से मादक नशीली कराह निकला, “आहहहह....... उम्मममममम..नहीं।” और उसके हाथ राहुल के हाथों पर कस गए, राहुल हल्का सा रूका और मुस्कुराया। क्योंकि अनुभवी राहुल को समझ आ गया कि यह आरोही का कमजोर पॉइंट है। फिर क्या था राहुल ने उसके कान लौ और कान के भीतर बाहर ऐसी जीभ चलाई की आरोही सबकुछ भूलकर मादक स्वर में किसी कोयल के जैसे कूंकने लग पड़ी। और राहुल बीच-बीचे में लौ को काट भी रहा था। और नितंब तो मसल ही रहा था। “ईहहहह.......... ओहहहहहह.......आहहहहहहहहहहह......नहींहींहींहीं.....बस....करो..” आरोही की हर सिसकी मानों राहुल की जीत की घोषणा कर रही थी। तभी एकदम से राहुल ने आरोही को गोद में लेटी हुई स्थिति से उठाया। और बिना किसी देरी के उसे पलटकर बैठा लिया। मतलब आरोही की पीठ और सिर राहुल की छाती और सिर से लगे थे और सीना आगे की ओर था। आरोही की दोनों टांगें राहुल की टांगों पर थी। आरोही सोच ही रही थी कि इसने ऐसा क्यों किया। तभी राहुल ने उसकी दोनों स्तनों की गोलाइयों पर अपने मजबूत हाथ कस दिए और उसे पीछे खींचकर अपनी छाती से लगाते हुए फिर से कान को चूमने लगा। आरोही इस हमले से बिल्कुल ही मदहोश को उठी। कान की लौ चूसे जाने से पहले ही गर्म हो चुकी आरोही अपने स्तनों के मसले जाने और साथ ही साथ कानों की लौ और गर्दन पर लगातार चुंबनों और चूसे जाने पर सबकुछ भूलकर मसकने लगी। “आहहहहहहहहहहहहहहह..........” “राहुलललललललललललललल.......” “ऐसे ना करो आहहहहहहहहहहहहह........... ओहहहहहहहहह.............” “बड़ी मस्त चूचियाँ हैं तुम्हारी। इन्हें दबाने में इतना मजा आ रहा है। चूसने और काटने में कितना मजा आएगा। वाकई मक्खन हो डियर” राहुल के यह शब्द, आरोही को और अहसास में दबाते जा रहे थे। कहाँ यही आरोही कुछ देर पहले राहुल से नफरत कर रही थी और गुस्सा थी और यही आरोही सब सुध-बुध खोकर अपनी मादक आहों से माहौल में गर्मी पैदा कर रही है। एकदम पूरा गर्म महौल था। कमरे में एकदम कामुक सीन चल रहा था। बला की खूबसूरत जवान आरोही, कल तक केवल दूसरे से परिचित बाहरी आदमी की गोद में मचल रही थी कि तभी राहुल ने अगला हमला कर दिया। और आरोही के मुँह से निकला, “नहींहींहीं।................. आहहहहहहहहहहह.............. ओहहहह............. वहाँ नहीं............ प्लीजजजजजजजजजजजजजजजजज.............. रूक जाओओओओओओओओ.............मम्मीमीमीमीमी........” हुआ यह कि राहुल ने अपनी टांगों पर बैठी आरोही के पैरों को फैलाया और एक हाथ सलवार के ऊपर से उसकी योनि पर रख दिया। इस तिहरे हमले को झेलना आरोही के लिए नामुमकिन हो गया था। उसकी टांगें अपने-आप और खुलने लगीं जैसे संभोग के समय एकदम चरम पर गर्म और कामतुर हो चुकी लड़की करती है। और उसके मुँह की सिसकारियाँ लगातार बढ़ने लगी। “आहहहहहहहहहहहह........................... उँहहहहहहहहहहहहहहहह.................... राहुलललललल.........प्लीजजजजजजजजजजजजजज............ ऐसे नाऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ…। करो।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। आहहहहहहहहहह।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।” आरोही मन ही मन खुद को धिक्कार रही थी, “यह क्या हो रहा है मुझे मैं एक भले घर की बहू हूँ। और मैं इस कमीने की गोद में बैठकर क्या कर रही हूँ। छी, मेरा शरीर मेरी बात क्यों नहीं सुन रहा है। कांपती आवाज में आरोही ने एक बार साहस बटोरकर कहा, “रूक जाओ राहुल..................” लेकिन तभी राहुल ने उसके चेहरे को घुमाकर अपने ओंठों से उसके ओठों को दोबारा कसकर बंद कर लिया, और आरोही बेचारी के शब्द मुँह के अंदर ही रह गए। और वह, “गूंगूं गूंगूं गूंगूं गूंगूं गूंगूं गूंगूं गूंगूं..........” करते रह गई। अब इस समय राहुल के एक हाथ की हथेली सलवार के ऊपर से ही उसकी योनि पर रखकर सहला रहा था। और दूसरे हाथ से वह जांघों को थोड़ा कड़क हाथ से मसल रहा था। राहुल के नियंत्रण को मानना पड़ेगा कि वह सब कुछ करते हुए भी आरोही के सलवार में हाथ नहीं डाल रहा था, ना ही कोई कोशिश कर रहा था। तभी एक और घटना हुई, जिसमें सलवार के ऊपर से योनि को सहला रहे और हल्के से अंदर उंगली कर रहे राहुल के हाथ में हल्का सा गीलापन लगा। इससे राहुल मन ही मन मुस्कुराने लगा, “ओह हो, यह गीली होने लगी। यानी यह भी मस्ती में आ रही है।” वह सोचने लगा, “माल बहुत प्यारा है, इसे आराम से मजे लेकर जैसा चाहेंगे वैसा खाएँगे। वैसे भी लगता है सेक्स के मामले में बहुत कच्ची है। अच्छा है, इसे भोगने में मजा आएगा। और इसकी गांड तो बहुत ही परफेक्ट शेप में है। साली की गांड़ पर मारकर लाल कर दूँगा।” यह सोचकर उसने आरोही की जांघ से एक हाथ हटाया ही था की ...............ट्रंगट्रंग.............. करके टाइमर ने आवाज दी। एक बार फिर राहुल के धीरज कमाल दिखाई दिया, क्योंकि आरोही जैसी प्यारी लड़की उसके वश में थी और वह इतनी गर्म हो चुकी थी कि वह चाहता तो आज ही आरोही के साथ संभोग कर सकता था। लेकिन टाइमर की आवाज सुनते ही राहुल रूक गया। राहुल ने आरोही को ओंठों को छोड़ दिया। लेकिन सेक्स और यौन उत्तेजना के नशे में मस्त आरोही को कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ। आरोही को लगा जैसे उससे कुछ प्यारा सा छूट गया हो। हो भी क्यों ना उसे यौन क्रिया यानी फोरप्ले का इतना आनंद जीवन में पहली बार जो मिला था। उसने आंखें खोलकर देखा और वहीं राहुल की गोद में ही रूकी रही मानो कह रही हो रूक क्यों गए। तभी राहुल बोला, “टाइमर हो गया है। तुम्हारे बीस मिनट पूरे हुए।” राहुल की आवाज और टाइमर सुनते ही आरोही जैसे जमीन पर आई। ______________________________________________________________________________________ आगे सेक्स का नशा उतरने पर आरोही क्या करेगी? और क्या होगा इन शर्तों का? आगे देखते हैं।
21-11-2025, 10:38 PM
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23-11-2025, 05:01 PM
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24-11-2025, 11:14 AM
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25-11-2025, 05:06 PM
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26-11-2025, 08:21 PM
टाइमर के बंद होते ही, जैसे ही आरोही को अपनी हालत का अंदाजा हुआ, वह बहुत तेजी से राहुल की गोद से बदहवासी में उठी कि इतने में उसके पैर मेज से टकराया और वह गिर पड़ी।
“अरे यार, ऐसे क्या हड़बड़ी में उठना है। थोड़ा आराम से उठो, यहाँ कोई तुम्हें देख नहीं रहा है। चोट तो नहीं लगी?” राहुल ने उसे उठाकर सोफे पर बैठाते हुए पूछा। आंसू भरी आंखों से आरोही ने ना में सिर हिलाया। “अरे तो रो क्यों रही हो, रूको मैं देखता हूँ।” राहुल नीचे बैठकर आरोही के पैरों की मसाज करने लगा। और इतने में आरोही और जोर से रोने लगी। राहुल ने मुस्कुराते हुए पूछा, “तुम्हें इस बात का दुख है ना कि तुम मेरी गोद में अपने होश कैसे खोने लगी थी? तो जा लो यह सामान्य बात है। यौन उत्तजेना के समय दिमाग काम नहीं करता है। बड़े-बड़े ऋषि मुनि काम के वेग को नहीं संभाल पाए हैं। इसमें पछतावा करने की जरूरत नहीं है। चलो अब चलकर दिखाओ।” राहुल की बातों में जाने कौन सी गहराई थी कि आरोही चुपचाप किसी रिमोट वाली गुड़िया के जैसे उठकर खड़ी हो गई और चली। उसके आंसू भी बंद हो गए। उसने चलकर दिखाया। “शाबास, अब जाकर चेहरा, कपड़े ठीक कर लो, और चाची या परिधि को बताना है या नहीं वह तुम्हारी मर्जी, नहीं तो मेरी ओर से यह बात कोई नहीं जान पाएगा।” राहुल के कहने पर हाँ में सिर झुकाकर आरोही बाथरूम की ओर जाने लगी, तब राहुल ने कहा, “अरे सुनो, तुम्हारे नीचे, योनि काफी गीली हो गई थी। देख लेना दाग ना लग जाए। टिश्यू से साफ कर लेना। और...........” राहुल की यह बात सुनते ही आरोही शर्माकर सीधे बाथरूमें घुसकर दरवाजा बंद कर लेती है, और राहुल के बाकी शब्द अनसुने रह जाते हैं। आरोही बाथरूम बंद करके दरवाजे से पीठ टिकाए हुए सोचती है, “यह कितना सीधा बोलता है। इसको जरा सी शर्म नहीं है। जाने बाद में क्या-क्या कैसे-कैसे करेगा........” सोचते ही आरोही चिढ़ जाती है, “अरे, मैं यह क्यों मान रही हूं कि कोई उपाय नहीं निकलेगा और इसकी गुलामी करनी पड़ेगी। गहने बेच दूँगी और फिर कोई रास्ता निकलेगा लेकिन इसके पास नहीं आऊँगी...........” सोचते हुए आरोही अपनी सलवार उतारती है तो देखती है वाकई उसकी पूरी पैंटी गीली हो चुकी है। उसे तो पता ही था लेकिन उसे पैंटी के गीले होने का अनुमान नहीं था। वह सोच रही थी, “उफ राहुल सही कह रहा था। मगर, मैं इतनी बेशर्म कैसे हो गई।” सोचते-सोचते आरोही ने पहले पानी धोया और फिर टिश्यू पेपर से अपनी योनि की अच्छे से सफाई करके वापस पैंटी और सलवार पहनकर मुँह धोकर कपड़े और बाल ठीक किए। और बाहर निकलने की सोचने लगी, “उसका सामना कैसे करूँगी। लेकिन बाहर तो जाना ही पड़ेगा। घर पर क्या कहूँगी एक घंटा हो गया है। क्या करूँ इस बात को बताऊँ या नहीं?” इसी उधेड़-बुन में आरोही धीरे से बाहर आती है। और सधे कदमों से दरवाजे की ओर जाने लगती है कि राहुल की आवाज आती है, “सुनो।” और आरोही ठिठक कर दम साधकर रूक जाती है। राहुल कहता है, “देखो, अगर कल से तुम मेरी शर्तों को मान लेती हो। तो एक बदलाव और रहेगा। मैं तुम लोगों को अपने बीच में नाम से ही और तुम कहकर ही बुलाऊँगा। जैसा मैं अभी कह रहा था। लेकिन तुम मेरा नाम वैसे नहीं ले सकती हो, और बोलना आप करके तमीज से ही। नहीं तो सजा मिलेगी। समझी?” आरोही ने हाँ में सिर हिला दिया। और चलकर दरवाजे पर पहुँची ही थी कि राहुल ने पीछे से आवाज दी, “अरे सुनो, अगर ड्यूटी पर आना तो अपने नीचे वाले और पीछे वाले खजाने के बालों को याद करके काटकर चिकना करते रहना। गंदगी अच्छी बात नहीं होती है। नहीं तो पहले दिन हजामत ही होगी।” आरोही इसे सुनने के बाद तुरंत ही धड़कते दिल से दरवाजा खोलकर बाहर निकल गई। उसके मन में चल रहा था, “इस कमीने को पूरा कांफिडेंस है कि हम लोग इसके जाल में फंसेंगे ही। लेकिन देखते हैं कोई रास्ता निकलेगा ही। मैं आज की बात को माँ जी और दीदी को नहीं बताऊँगी नहीं तो उन्हें और गुस्सा आएगी तो बात और बिगड़ सकती है।” आरोही अपने घर की घंटी बजाती है, परिधि ने दरवाजा खोला और देखते ही पूछा, “कहाँ गई थी तू, हम कितना डर गए थे। फोन भी साथ लेकर नहीं गई थी। कहीं उस कमीने ने तो नहीं पकड़ लिया था।” आरोही ने कहा, “नहीं दीदी, वह इतना बेसब्रा और बदतमीज नहीं है। लेकिन हाँ मैं गई थी उसी के पास। आपसे कुछ बात करनी है।” आरोही की बातों की गंभीरता को देखकर परिधि उसे कुछ और ना पूछते हुए अंदर आने देती है और दरवाजा बंद कर देती है। अंदर इंद्रावती भी थी, आरोही उन दोनों को बैठने को कहती है। और सारी बातें और शर्तें उन लोगों को बता देती है। केवल अपने साथ जो सेक्सुअल अनुभव हुआ उसे छिपा लेती है। “तो अब क्या करें?” इंद्रावती पूछती है। “ऐसा करते हैं अपने गहने बेचने चलते हैं। चार लाख के गहने थे तो तीन लाख तो मिलेंगे ही कुछ दिन चलेंगे। तब तक फ्लैट बेचने का कोई तरीका मिल ही जाएगा।” परिधि ने कहा। “ठीक है दीदी मैं भी अपने गहने लाती हूँ। और अभी चलते हैं क्योंकि कल तक उसने सोचने को कहा है।” आरोही उठते हुए बोली। तीनों जल्दी से बाजार पहुँचते हैं। “अम्मा इसके डेढ़ मिलेंगे।” दुकानदार से गहनों को देखते हुए कहा। “दो लाख कैसे लाला जी, दो ही साल पहले तो चार लाख के खरीदे थे और अब तो सोने के भाव भी बढ़ गए हैं।” इंद्रावती से परेशान होकर कहा। “अरे, माता जी आप तो जानती ही हैं। सोने में कट और टांका कटता है। और फिर हमें भी तो कमाना होता है।” दांत दिखाते हुए लाला ने कहा। इंद्रावती और परिधि एक दूसरे की ओर देखकर हामी भरने ही वाली होती हैं कि आरोही बोल पड़ती है, “नहीं अंकल जी इतने में नहीं बेच पाएंगे। रहने दीजिए। चलिए मम्मी चलते हैं।” आरोही के मस्त फिगर को आंखों से भोगता हुआ लाला आखिरी दांव फेंकता है, “अरे बेबी आप तो नाराज हो गई। बैठो ना। देखो धंधा समझो। ऐसा करते हैं इसे दो लाख में गिरवी रख लेते हैं। ब्याज में मैं भी कमा लूँगा और आपको अभी का पैसा मिल जाएगा।” “नहीं अंकल जी, अगर ब्याज देना होता तो बेचते क्यों। हम इस जाल में नहीं फंसेंगे। चलते हैं। नमस्ते।” इतना कहकर आरोही अपना सास और परिधि के साथ चल देती है। ________________________________________________________________________________________ क्या परिधि ने कोई फैसला कर लिया है? आगे क्या घटना बदलेगी। और अगर वह शर्त मानती है तो क्या होगा?
27-11-2025, 08:23 PM
आगे के अपडेट आने में थोड़ा समय लग सकता है। जल्दी की कोशिश रहेगी लेकिन हो सकता है 5-6 दिन लग जायें।
28-11-2025, 06:13 PM
Shandaar update and nice story
30-11-2025, 09:25 PM
सुनार के यहाँ निकलकर तीनों चुपचाप आटो में बैठती हैं और घर की ओर चल देती हैं। कंपाउंड में उतरने के बाद पहले परिधि बोलती है, “तूने वहां से चलने को कह दिया..................” परिधि की बात पूरी होती की उसका फोन बज उठा।
“जी, मैं बैंक से बोल रहा हूँ, आपके बिजनेस लोन की दो इंस्टालमेंट डिफॉल्ट हो गई हैं। क्या आप बताएंगी कि आप ईएमआई क्यों नहीं भर रही हैं?” उधर से आवाज आती है। “जी बहुत बड़ी ट्रैजडी हो गई थी हम लोगों के साथ इसीलिए हम लोग नहीं भर पाए, कोशिश कर रहे हैं इसे जल्दी से भरने की।” परिधि घबराहट भरी आवाज में बोलती है। “देखिए मैम ट्रैजडी तो सबके साथ होती है। लेकिन काम नहीं ना रूकते हैं। अगर आप इस महीने की ईएमआई नहीं भरेंगी तो आगे कार्यवाही हो सकती है। और आपके फ्लैट पर ताले लगाए जा सकते हैं। पहले की भी ईएमआई बकाया है। नई ईएमआई भी दे दीजिएगा। नहीं तो कार्यवाही हो जाएगी।” बैंक वाले ने सधे शब्दों में धमकाया। “जी ठीक है,” कहकर परिधि ने फोन कट कर दिया। “कौन था?” इंद्रावती ने पूछा। “बैंक वाले थे कह रहे थे ईएमआई ना भरने पर फ्लैटों पर कार्यवाही होगी।” परिधि ने बोला। फिर उनमें से कोई नहीं बोला और सब अपने घर में चले गए। लेकिन आरोही के मन में कुछ तो चल रहा था। क्योंकि वह कुछ खोई हुई सी थी। उनके घर पहुँचने के थोड़ी देर बाद सईदा जी उनके घर आती हैं। सईदा उनसे दुख सुख की बातें करती हैं। सईदा कहती हैं, “बहन जी, कुछ आगे के लिए सोचा है। नौकरी या घर चलाने के बारे में। या राहुल का किराया काफी होगा?” कॉलोनी के परिवारों की स्थिति किसी से छिपी नहीं थी। सईदा की भी स्थिति सामान्य थी उनके पास पति की पेंशन थी और इस परिवार के पास किराया। इंद्रावती कुछ बोले उससे पहले अचानक से आरोही बोल पड़ती है, “आंटी, बाहर नौकरी करने में कुछ खास मिलने वाला नहीं है। लेकिन कुछ तो सोचना पड़ेगा।” “हाँ, बेटा महंगाई और बेरोजगारी तो बढ़ती जा रही है। वैसे भी अकेली लड़की जात, समाज के भूखे भेंड़ियों के लिए शिकार ही होती है। ऊपर वाले ने दुख दिए हैं तो राह भी दिखाएगा......” सईदा की बात पूरी होने से पहले ही आरोही बोल पड़ी, “आंटी, वैसे राहुल ने अपने यहाँ असिस्टेंट का काम करने के लिए ऑफर दिया है। सैलरी भी ठीक देने को कहा है। लेकिन वह जिस तरह का सबसे अलग और प्राइवेसी पसंद वाला है। ऐसे में उसके साथ बारह घंटा बंद फ्लैट में काम करने में बिल्डिंग के लोग बातें बनाएंगे।” बोलते समय आरोही चेहरा एकदम सपाट था, मानों वाकई वह राहुल के यहाँ कोई अच्छी नौकरी करने जाने वाली है। जबकि वह वहाँ सेक्स स्लेव ही बनने जाएगी, अगर गई तो। लेकिन आरोही सईदा से यह कह दी, मानों दुविधा जानना चाहती हो। आरोही के मुँह से यह सुनते ही इंद्रावती और परिधि को जैसे झटका लग गया। वे आरोही का मुँह ताकने लगीं और उनके मुँह पर मानों ताला पड़ गया हो। चूँकि सईदा को बीते चौबीस घंटों की परिस्थिति के बारे में कोई आइडिया नहीं था, और वह वैसे भी राहुल को फरिश्ते से कम नहीं मानती थी। तो उसने तुरंत ही कहा, “अरे बेटा तब तो फौरन कर लो, क्योंकि राहुल से सेफ तो कहीं नहीं रहोगी। और इस कॉलोनी में कौन है जो तुम्हें राहुल के साथ देखकर कुछ कह सकता है। सबको पता है अगर राहुल को कुछ भी उल्टा सीधा करना होता, तो कई बार मौके थे और कॉलोनी में किसी की हिम्मत नहीं हो पाती। बाकी उसका स्वभाव सबको पसंद है। मेरी बेटी तो खुद उसके बंद फ्लैट में दिन के 6-6 घंटा रही है। हमें तो रत्ती भर भी चिंता नहीं थी। अपना पूरा परीक्षा उसके ही पास रहकर दी है। जब उसके अब्बू बीमार थे। तो इस कॉलोनी में और राहुल के किसी भी जानने वाले को उस पर कोई शक नहीं होगा।” यह सुनकर आरोही मन में सोचती है, “राहुल कितना कमीना है, यह आप क्या जानें आंटी। कल ही उसने जो मेरे साथ किया है वही बता दूँ तो आप उसे गालियाँ देंगी।” लेकिन कल की घटनाओं और राहुल के उसे चूमने, कान की लौ चूसने और योनि पर हाथ लगाने की घटनाएँ याद करते ही आरोही गनगना गई। और आरोही के बदन में सनसनी सी आ गई। और उसे अपनी टांगों के बीच कुछ गीलापन ना सा लगने लगा। “उफ यह क्या हो रहा है, उस कमीने को याद करके मुझे अजीब सा क्यों हो रहा है,” आरोही मन में सोचती है। “तुम दोनों को नौकरी दे रहा है या एक को?” सईदा ने पूछा। “दे तो दोनों को रहा है। लेकिन अभी मैं ही जाऊँगी। दीदी अभी कुछ समय सोचेंगी। क्योंकि मुन्ना छोटा है। साथ ही हमें और भी जिम्मेदारी निभानी है। देखते हैं, कैसे क्या होगा। राहुल की ओर से कोई दबाव नहीं है। काम छोड़ने, पकड़ने की सहूलियत दे रहा है।” आरोही इस बार भी बिना अपनी सास और दीदी की ओर देखे, सीधे सईदा को देखते हुए बोल गई। “अच्छा है, सोच समझकर ही अब काम करना नाजुक समय है।” इसके बाद सईदा आधा घंटा रही। लेकिन परिधि और इंद्रावती का ध्यान केवल आरोही के ही ऊपर रहा कि वह ऐसा कैसे बोल गई। सईदा के जाते ही परिधि मानो फट पड़ी, “तेरा दिमाग खराब हो गया। यह नौकरी की बात सईदा चाची को कहने की क्या जरूरत थी। कैसे तू काम करने जा सकती है.......” “अरे, अब सईदा सबको बता देगी। ऐसे में कल कोई बात हो गई तो सब तो यही कहेंगे कि राहुल भला था। यही इन्हीं औरतों ने उसे फंसाया। हम बदनाम होंगी.......” इंद्रावती भी गुस्से में बोलने लगी। “आप दोनों सोचकर देखिए कोई और रास्ता है हमारे पास? राहुल की बात मानने के अलावा कोई रास्ता है? और कौन हमें नहीं नोचना चाहेगा? जब सब ठीक था तब भी ना उस लफंगे ने मेरे पीछे हाथ डाला था ना, दीदी? और राहुल के बारे में इसलिए कहा कि सईदा चाची कह सकें कि राहुल ने नौकरी दी है। क्योंकि उनके परिवार को उस पर पूरा विश्वास है। और मुझे अमित का इलाज भी करवाना है और घर भी बचाना है। फिलहाल मेरे पास यही रास्ता है। आप मत मानिए। जब कोई दूसरा रास्ता मिल जाएगा मैं इस काम को छोड़ दूँगी।” आरोही ने पक्के स्वर में यह बात कह दी और खाना बनाने के लिए चल दी। इंद्रावती और परिधि उसे देखती रह गईं। उसकी गंभीरता को समझकर वे जान गईं की उनके पास कोई और रास्ता नहीं है। इंद्रावती लगातार रो रही थी। लेकिन परिधि चुप थी। उसके मन में अंतर्द्वंद था। लेकिन कहीं ना कहीं आरोही की बातें उसे चोट दे रही थीं, उसके मन में गूंज रहा था, “और क्या रास्ता है।” आरोही पूरे समय सामान्य रही लेकिन उसके मन के एक कोने में राहुल के साथ बिताए पल की यादें थीं। और वह उनसे जंग करती हुई अपना काम करती रही और अगली सुबह तैयार होकर उसके दरवाजे पर पहुँचती है, और घंटी बजा देती है। लेकिन अपने फ्लैट से यहाँ तक आना उसके लिए नया जन्म लेने जैसा था। वैसे जाने क्यों उनका शरीर गनगना भी रहा था। “आइए आरोही भाभी, कैसे आना हुआ?” दरवाजा खोलते ही राहुल ने पूछा। राहुल इतना सामान्य व्यवहार कर रहा था। मानो कल कुछ हुआ ही नहीं। राहुल इस सामान्य व्यवहार को देखकर आरोही कुछ सकुचा सी गई। लेकिन अंदर आते हुए हकलाते हुए बोलने लगी, “राहुल वो मैं......... मैं वो कल की तुम्हें........ नहीं...... नहीं, आपके काम.......” “अच्छा उस काम के लिए। तो आपने क्या तय किया शर्तें मंजूर हैं। या कोई और बात करनी है?” राहुल ने सीधा पूछ लिया। “देखो, राहुल.......... नहीं, राहुल सर। शर्तें मंजूर...... लेकिन कहीं बात फैल गई तो हम किसी लायक नहीं रहेंगे......... बाकी मंजूर हैं........” आरोही ने हड़बड़ाते हुए अपनी अंतिम शंका के साथ, अपनी रजामंदी बता दी। “अरे भाभी, कोई नहीं जान पाएगा। इस बिल्डिंग में मैं किसी भी औरत या महिला को अपने घर बुला लूँ तो उसके पति को भी शक नहीं होगा। और दूसरी बात आप सेफ रहेंगी इसकी गारंटी मेरी है। और आपको पता ही है कि मैं अपनी बात से नहीं फिरता।” “परिधि नहीं आएगी क्या?” राहुल ने पूछा। आरोही के ना में सिर हिलाने के बाद उसने कहा, “अच्छा चलो ठीक है। लेकिन मूल शर्त में तो पैसे उतने ही दूंगा यानी अस्सी हजार रखूँगा तो तुम्हें मिलेंगे तीस हजार। लेकिन तुम्हारी बहादुरी के लिए पाँच हजार हर महीने एक्स्ट्रा दूँगा। ठीक है।” आरोही की आँखों में झांकते हुए राहुल ने कहा। आरोही, राहुल से आंखें नहीं मिला पा रही थी। और राहुल को अपनी ओर देखते हुए उसने झट से अपना सिर नीचे कर लिया। और भारी शर्मिंदगी के साथ हाँ मे सिर हिलाया। “चलो कानूनी कार्यवाही करते हैं। ठीक है ना?” फिर से राहुल ने आरोही की ओर देखकर कहा। आरोही के नीचे सिर करके, हाँ में सिर हिलाने पर राहुल बोला, “ऐसे नहीं सिर उठाओ और हाँ बोलो।” आरोही विवशता में सिर उठाया और कैसे भारी स्वर में हाँ बोल पड़ी। “चलो आरोही पहले वीडियो बनाते हैं। इस सभी शर्तों को वीडियो पर पढ़कर रेकॉर्ड करो, फिर साइन करना। फिर दूसरा वीडियो होगा जिसमें तुम अपनी ओर से जो कहना चाहोगी कह देना। ठीक है?” राहुल ने सब समझा दिया। सहमति में सिर हिलाने के बाद आरोही, वैसा-वैसा कर दिया जैसा राहुल ने कहा था। स्टैंप पेपर पर साइन और सब कुछ होने के बाद राहुल ने आरोही को मांगे गए चार लाख रूपए उसके अकाउंट में डाल दिए। “ठीक है कल सुबह से अपना दिन स्टार्ट होगा। सुबह छह से शाम छह बजे तक की शिफ्ट कैसी रहेगी? शाम को तुम्हें हॉस्पिटल भी जाना होगा?” राहुल ने पूछा। आरोही ने हाँ में सिर हिलाया तो राहुल बोला, “मुँह से कुछ बोलो यार, नहीं तो कितना भी मुँह दाबे रहो उह आह करके मस्ती लेती ही हो।” राहुल के ऐसा कहते ही आरोही डर के मारे हड़बड़ा जाती है, और कहती है, “नहीं.... आपकी बात ठीक है। सुबह ही सही रहेगा। लेकिन कभी-कभी दिन में भी जाना पड़ता है।” “कोई नहीं चली जाया करना। गोद में बैठाकर छोड़ आउँगा। बाकी, ऐसे ही बोला करो। और सुनों यह तीस हजार रूपए लेती जाओ। अपने लिए छह-सात अलग-अलग तरह के कपड़े और ब्रा-पैंटी के पांच-छह सेट लेती आना। और हाँ मॉर्डन ट्रेडिशनल हर तरह के ले आना। और शॉर्ट्स पैंट, जींस टीशर्ट, साड़ी सब ले आना। समझी?” राहुल ने अपनी जेब से पैसे निकालकर दिए। आरोही मुँह ताकने लगती है। तो राहुल कहता है, “अरे, मैंने कहा था ना कि घर के कपड़े यहाँ आ के बदलने होंगे। तो बिना कपड़ों के क्या बदलोगी? या नंगी घूमोगी? और तुम्हारे साइज बाद में तो मैं नाप लूँगा अभी तो तुम्हें ही लाना पड़ेगा। अपने नाप की ब्रा-पैंटी और एमसी के लिए पैड, और हाँ बालों का जंगल साफ करने के लिए रिमूवर और रेजर सब लाना पड़ेगा ना। वैसे वैक्सिंग कराके आना। नहीं करोगी तो मैं कर दूँगा।” आरोही धीरे से पैसे उठा लेती है। और खड़ी रहती है, उसे समझ नहीं आता है कि क्या करना है। तब राहुल बोलता है, “जाओ, कपड़े खरीद लो और जो पैसे बचेंगे उन्हें भी अपने ऊपर खर्च कर लेना या चाची या परिधि के लिए कपड़े ले लेना।” “यह परिधि में अकड़ कुछ ज्यादा है क्या? अगर बाद में आई तो इसे अच्छे से सजा मिलेगी। तुम भी साथ देना ठीक है ना?” राहुल ने आरोही से हंसते हुए कहा। और बोला, “अब जाओ। यह एक चाबी लेती जाओ। कल सुबह फ्लैट खोलने में आसानी रहेगी।” _________________________________________________________________________________________ आरोही का जीवन अब इसके बाद कल से बदल जाने वाला है, आगे देखते हैं।
01-12-2025, 08:15 AM
Nice update waiting for next one
01-12-2025, 06:31 PM
Lovely update and wonderful story
02-12-2025, 07:06 PM
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03-12-2025, 01:13 PM
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06-12-2025, 10:17 AM
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