11-10-2025, 07:37 AM
(This post was last modified: 19-10-2025, 02:29 PM by Dhamakaindia108. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
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सप्ताह का पहला सोमवार का दिन था मम्मी बहुत खूबसूरत लग रही थी। मम्मी ने हरे रंग की एक दम टाइट साड़ी और काले रंग की स्लीवलेस ब्लाउस पहन रखी थी, हाथों में चूड़ियां, गले में मंगलसूत्र, कानों में बालियां। देखने में एक दम हेरोइन की जैसी लग रही थी। उसके बीच में उसकी गहरी गोल नाभि जिसे वो हमेशा खुली रखती है। जिसका ब्लाउज इतना डीप नेक था कि उनके चूची की गहरी दरार साफ दिख रही थी। दोनों चूचियों के उपर वाला हिस्सा और ऊपर वाल हिस्सा बाहर झलक रहा था, मानों कोई दूध का समंदर उफान मार रहा हो। मम्मी की चूंचिया जो की अब बहुत टाइट थी हर सांस के साथ उपर नीचे हो रही थी उनकी ब्रा का स्ट्रैप बार-बार ब्लाउज से खिसकाकर कंधे पर आ जाता था, और मम्मी उसे बार-बार अंदर ठूंस रही थीं। मम्मी ने ऊँची हील वाली सैंडल पहनी थी, जिससे उनकी गोल गांड चलते वक्त इस कदर हिल रही थी । मम्मी हमेशा कमरबंध (कमर में चैन) पहनी थी । मम्मी एक परफेक्ट हाउसवाइफ और मम्मी लग रही थी ।
उन्हें देखकर किसी के भी मन में चुदाई का ख्याल आ सकता था। पापा 9 बजे ओफिस के लिए चले गए। गर्मियों की छुट्टियां थी इसिलए मैं घर पर ही था।
सुबह 9 बजे डोर बेल बजा । तो मैंने दरवाजा खोला। सामने कसाब खड़ा था। मुंह में पान चबा रहा था।
क्या काम है मैंने थोड़ा चिढ़ते हुए पूछा।
वह घर का झाड़ू - पोछा करने के लिए भेजा है मालिक ( पापा ) ने।
ठीक है आओ अंदर। वो अंदर आया और पूरे घर को चारों ओर देखने लगा ।
कसाब : घर क्या मस्त है रे तेरा। उसने डायरेक्ट तेरा कहके मुझे बुलाया।
मैं उसे डांटने वाला था लेकिन मैं रुक गया। तभी मम्मी आ गई।
उन्होंने हरी पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी। उसपर स्लीवलेस काला ब्लाउज। जिससे उनकी गोरी बाहें चमक रही थी। उनके चूची की लंबी सी क्लीवेज जो पारदर्शी साड़ी के पल्लू की वजह से पूरी दिख रही थी। ब्लाउज में
कसे हुए बड़े चुचियों । चूची के ऊपर लटकता हुआ मंगलसूत्र जो चूची की शोभा बढ़ा रहा था। पूरा खुला हुआ चिकना
सपाट पेट और गोरी कमर, बड़ी ऊपर उठी हुई गांड़।
और पूरी नंगी चिकनी पीठ। पीठ पर सिफर् एक ब्लाउज की पट्टी थी। उसे छोड़ दे तो पूरी मांसल गोरी पीठ नंगी थी पीठ पर एक भी दाग नहीं था।
मैने देखा कसाब मम्मी को एकटक घूरे जा रहा था। उसका मुंह खुला हुआ था। वो मम्मी को ऊपर से नीचे तक घूर रहा
था।
मम्मी - तुम यहां कैसे । मम्मी की आवाज से वो होश में आया।
कसाब : जी मालिकन । मालिक ने भेजा है
( मम्मी अपने मुबाईल से पापा से बात करने लगी थोड़ी देर बाद कुछ बोली )
( मुझे लगता शाय़द मम्मी कसाब को लेकर पापा बातों कर रही थी। )
मम्मी - ये क्या इतने गंदे कपड़े पहने हुए है यह तक बदबू आ रही है। और ये क्या पान चबा रहे हों। मम्मी उससे बात कर रही थी
मगर उसका ध्यान मम्मी के चूची को ताड़े जा रहा था। लेकिन मम्मी का इस बात पर ध्यान नहीं था।
कसाब : वह मालिकन आदत हो गई है पान खाने की जल्दी छूटेगी नही लेकिन मैं धीरे धीरे छोड़ दूंगा। और कपड़े तो ऐसे ही है मेरे पास मालिकन।
मम्मी : ठीक है ठीक चलो मेरे पीछे - पीछे आओ मैं तुम्हे सब काम बताती हूं । मम्मी आगे चलने लगी और हम दोनो मम्मी के पीछे चलने लगे।
मम्मी के पीछे मुड़ने के बाद उनकी पूरी नंगी गोरी पीठ हमारी तरफ हो गई। जिस पर सिर्फ एक ब्लाउज की पट्टी थी।
मम्मी की पीठ पर एक भी दाग नही था।
मम्मी के चलने की वजह से उनके भारी चूतड़ ऊपर नीचे उछल रहे थे। जिसको कसाब खा जाने वाली नज़रों से देख
रहा था।
एक वक्त पर उसकी और मेरी नजर एक हुई। वो मेरी तरफ देखकर हंसा और अपने पैंट के ऊपर से मम्मी की गांड़ को देखके लंड को मसलने लगा।मुझे इस बात पर बहुत गुस्सा आया। कितना जाहिल है ये। मैं मन में उसको गालियां देने लगा। उसने मुझे उसको गुस्से से देखते हुए देख लिया ।
मम्मी रुकी और उसको सारा काम समझा दिया। मगर वह मम्मी को चोर निगाहों से उनके बदन के हर अंग को निहार रहा था। मम्मी उसे सारा काम समझा कर अपने कमरे में चली गई। मैं वहीं खड़ा होकर उस पर नजर रख रहा था।
फिर वो झाड़ू मारने लगा। झाड़ू मरते हुए वो हॉल में आया। मुझे उस पर काफी गुस्सा आ रहा था। उसने मेरे पास
झाड़ू मारा । फिर मैंने वही पर कागज के टुकड़ों फाड़कर जमीन पर फेंक दिया । उसने मेरी तरफ देखा और वहां पर फिर से झाड़ू मारा। मैने फिर से वहां पर कागज के टुकड़ों को फेंका मैं उसकी तरफ तीखी नजर से देखा। उसे समझ आ गया की मैं जानबूझकर ऐसा कर रहा हूं।
उसने फिर झाड़ू मार के सब साफ किया। फिर उसने पोछा मरना शुरू किया कया तो मैंने फिर अपने खराब पैरों के दाग वहां पर लगा दिऐ। मैने ऐसा बार बार किया उसने बिना कुछ कहे सारा काम कर लिया और नीचे चला गया।
फिर मम्मी ने मुझे दुकान से कुछ समान लाने को कहा मैं दुकान की तरफ गया वहां कसाब बैठे हुए थे। और किसी से बात कर रहा था । मैं छुपा कर एक जगह खड़े होकर उसकी बाते सुनने लगा।
कसाब : शाहरूख ( दुसरा व्यक्ति ) मुझे आजू बाजू के दुकान ( पापा के ओफिस के आसपास ) वालों से पता चला कि हमारा मालिक बहुत नीच है इसकी वजह से यह कोई आदमी नही टिकता। इसका मतलब जितनी जरूरत हमे काम की है उतनी ही जरूरत उस मालिक को हमारी है। मुझे कुछ और भी बताना है शाहरूख तुम्हें। क्या बताऊ मैं तुम्हें की मैंने आज क्या देखा है।
शाहरूख - ऐसा क्या देख लिया से , कसाब ज़रा मुझे भी तो बता।
कसाब - शाहरूख हमारी मालिकन क्या एटोम बम है। मैंने आज तक ऐसी औरत नहीं देखी। क्या माल औरत हैं
अह्ह्ह क्या चिकना बदन है साली का एकदम मक्खन की तरह। एकदम भरी हुई जिस्म की मालिकन है। क्या
बलखाती मुलायम कमर है, सपाट पेट और बीच में गोल गहरी नाभी। क्या चूची है बड़े बड़े ब्लाउज से बाहर आने को
हो रहे थे। उफ़ किया बड़ी गद्देदार गांड़ है। एकदम मसलने लायक औरत है। साली इतनी गोरी है की एक भी दाग
नहीं है उसके बदन पर।
मेरा तो गुस्से से चेहरा लाल हो गया ये सुनकर। ये नौकर मेरी मम्मी के बारे में किस तरह बात कर रहा है।
शाहरूख : क्या बात करता है कसाब सही मैं।
कसाब : तुम अगर देख लोगे तो पानी निकाल जायेगा तुम्हारा। जब वो चलती है तो क्या गांड़ थिरकती है उसकी
ऊपर नीचे कसम से मेरा लंड खड़ा हो गया था। मैंने आज तक ऐसी औरत नहीं देखी। बहुत मस्त है पंखुरी भाभी।
शाहरूख : सही मैं ऐसी पटका औरत है तो मुझे भी देखना है उसे।
कसाब : लेकिन शाहरूख वो बाहर कब निकलती है पता नहीं।
मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था लेकिन ना जाने क्यों मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी उनको कुछ बोलने की।
शाहरूख : कसाब कभी न कभी तो देखने को मिलेगी तब देख लूंगा माल को।
कसाब : लेकिन शाहरूख उस मालिक की तरह उसका बेटा भी बहुत हरामी है साला। इतना परेशान किया माधर्चोद ने मुझे की पूछो मत। साले के सामने उसकी मम्मी की गांड़ को ताड़ रहा था इसिलए बहुत शान पट्ठी कर रहा था। फिर मैने जो उसके साथ किया वह सब मैंने शाहरूख बताया।
शाहरूख - मतलब तूने जब उसकी मम्मी की गांड़ को ताड़ ते हुए लंड को मसला तो वो कुछ नहीं बोला ऐसा कहकर वह हंसने लगा।
कसाब : नही , शाहरूख कुछ नही बोला लेकिन बहुत धौंसपट्टी जमा रहा था। लेकिन तुम हंस क्यू रहे हो। ?
शाहरूख : तू छोड़ जाने दे। अब रोज आंखे सेंकना उसकी मम्मी को देखकर। चल अब नहीं तो वह हरामी मालिक चिल्लाएगा ।
मैं सब बातें पापा को बताने की सोच रहा था मगर पापा ने इनको निकाल दिया तो और परेशानी होगी सिर्फ इसलिए मैं चुप रहा। फिर मैं दुकान से सामान लेकर घर चला आया। पर उनकी बाते मेरे दिमाग में घूम रहा था । कैसे वह मम्मी के जिस्म के बारे मैं बातें कर रहा था । फिर दोपहर का खाना खाने बाद में सो गया। पूरा दिन ऐसे ही निकल गया। शाम को उठने के बाद मैं फ्रेश होकर सोफे पर बैठ गया।
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फिर अगले दिन सुबह घर की बेल बजीं . मैंने दरवाजा खोला सामने कसाब खड़ा था। हमेशा की तरह पान चबाते हुए। वो घर में आया।
कसाब : मालिकीन कहां है उसने घिनौनी हंसी हंसते हुए मुझसे पूछा ।
नयन : क्यू क्या काम है में माथे पर शिकन लातें हुए पूछा ?
कसाब : वो क्या काम करना है ये पूछना था ?
नयन : दिमाग से मूर्ख हो क्या जो बार बार बताना पड़ेगा। झाड़ू पोछा करो और निकलों यह से। मम्मी नहा रही है ।
कसाब - मूर्ख नही हुं , समझे ।
नयन : ज्यादा जुबान मत चलाओ जल्दी काम करो काम चोर।फिर वह झाड़ू लगाने लगा । मम्मी बाथरूम में थी।
वह झाड़ू लगाते हुए हॉल में आया। मैंने कल की तरह साफ जगह पर फिर से कागज फेकना शुरू कर दिया । वह बार
बार झाड़ू लगाता और मैं बार बार कचरा फैला रहा था।
मुझे कल की उसकी बाते सुन के गुस्सा आ रहा था। जो मैं उसपर निकल रहा था। फिर वो गुस्से मेरी तरफ देखकर रुक गया।
कसाब - ये क्या लगा रखा है तुमने परेशान क्यों कर रहे हों। कोई काम नहीं है क्या तुम्हें।
नयन : तुम झाड़ू लगाने का काम करो कामचोर कही के । तुम नौकर हो मेरे। पापा सही कहते है तुम सब निकम्मे होते हो मजदूर कहीं के ।
कसाब - क्यू बे ज्यादा बकवास कर रहा बेवजह। इतना अकड़ क्यू दिखा रहा है फालतू के ।
वह भी अब गुस्से से बात करने लगा। इतना सुनते ही मैंने उसे जोर थप्पड़ उसके गाल पर रसीद दिया।
नयन : अपनी औकात मैं रहो जाहिल गवार कही के । हमारे पैसे पर जीते हो और मुझसे ऊंची आवाज में बात करते हो।
उसकी आंखों में पानी आ गया। लेकिन वो आगे कुछ नहीं बोला। और अपने आंसू पोछ के फिर से झाड़ू लगाने लगा।
मुझे खुद पर बहुत गर्व हो रहा था की मैने उसको थप्पड़ मार के उसकी औकात दिखा दी।
वो झाड़ू मारने के बाद पोंछा मारने लगा। तभी मम्मी नहाकर बाहर आई। तब तक माहौल शांत हो चुका था।
अरे तुम कब कसाब आए मम्मी अपने बाल संवारते हुए उसकी तरफ बिना देखे मम्मी ने पूछा - थोड़ी देर पहले आया मालिकन उसने हंसकर मम्मी की क्लीवेज को घूरते हुए कहां। बोलते वक्त उसके मुंह से पान का थूक निकल रहा था
मम्मी को कुछ पता नही चला की यहां क्या हुआ । घर इतना बड़ा होने के वजह से उसे आवाज नहीं आ रही थी। उसने भी मम्मी को कुछ नहीं बताया।
मम्मी : कसाब तुम पोंछा मार के चले जाना।
उसने बड़ी मासूिमयत से मम्मी को कहा : जी मालकिन
मम्मी ऐसा बोलकर जाने लगी तभी मम्मी की थिरकती गांड़ को वह हवसी निगाहों से देखते हुए लंड मसलने लगा। और
मेरी तरफ देखके हंसने लगा। मेरा मन हुआ की उसे और एक थप्पड़ जड़ दु । लेकिन मम्मी के होने की वजह से मैं चुप रहा। लेकिन जिस नजर से वह मुझे देख रहा था उसकी नजर मैं मुझे एक बदले की भावना नजर आ रही थी।
फिर वो सब काम निपटकर चला गया।
मैं भी उसके पीछे पीछे छुपकर चला गया जहां वह दुकान में बैठते हैं। शाहरुख पहले से ही वहां पर बैठा हुआ था।
मैं उनकी बाते सुनने लगा।
शाहरुख : आ गया मेरे शेर। हो गया काम
कसाब : हो गया।
कसाब सहमी हुई आवाज में बोला।
शाहरुख : क्या हुआ कसाब इतना उदास क्यों है।
कसाब : उस साले मालिक के पिल्ले ने मुझपर हाथ उठाया।
शाहरुख : क्यू तूने कुछ ऐसा वैसा कुछ किया ।
कसाब : कुछ नही बस कल की तरह वह परेशान कर रहा था तो मैंने उसको ऐसा करने से मना किया तो थोड़ी बहस हुई और उसने मुझे थप्पड़ मार दिया । और तो और कामचोर निकम्मा , मेरी औकात निकल रहा था। मुझे अपना नोकर बुला रहा था।
शाहरुख : साले उसकी इतनी हिम्मत की उसने ऐसा किया कया। उसकी मम्मी की चूत। तुम उसकी मम्मी को चोदे गे ।उसकी तो ऐसी की तैसी।
मेरी तो एकदम फट गई यह सुनकर। कसाब काफी गुस्से में था।
कसाब : में इस थप्पड़ का बदला उसकी मम्मी की चूत पर अपने लंड से थप्पड़ मार के लूंगा। बहुत गदराई जिस्म की है उसके बदन को मसलकर में बदला लूंगा । उसकी बड़ी गांड़ को फैलाकर अपने लंड का निशाना लगाएं गे उसकी गांड़ में। साला उसका बाप भी बहुत परेशान करता है ना। उसका भी बदला लेंगे। खूब चोदेंगे उस बड़ी चूतड वाली पत्नी को उछाल उछाल कर।
शाहरुख : ये तू क्या कह रहा है कसाब ये सब बाते कहने में लिए आसान होती है। मैंने तो ऐसे ही गाली दे दी। देख
कसाब तू ज्यादा सोच मत। अगर कुछ गडबड हुई तो काम चला जायेगा और खाने के लाले हो जायेंगे हमारे।
कसाब : शाहरुख कोशिश तो करनी पड़ेगी।
शाहरुख : क्या सच में इतनी खूबसूरत है वो।
कसाब : एकदम माल है पंखुरी भाभी। साड़ी पहनकर इतनी मादक लगती है तो सोचो नंगी कितनी खतरनाक दिखेंगी।
शाहरुख : कसाब मेरा तो लंड खड़ा हो गया उसे बिना देखे।
कसाब : मेरा तो हमेशा खड़ा रहता है घर में उसे देखकर। ये देखो कितना टाइट हो गया है उसकी याद से।
कसाब : उसकी पिल्ले की मम्मी की गांड़ पर अब मेरा लंड की छाप पड़ेगी शाहरूख ।
ये सुनकर मेरी सिट्टी पिट्टी गूगल हो गई। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। कसाब मेरी मम्मी के बारे में इतनी गन्दी बाते कर रहे हैं ।
शाहरुख : देख कसाब ज्यादा जल्दबाजी मत कर। थोड़ी शांति रख और कुछ ऐसा वैसा मतकर जिससे हमें दोनों को परेशानी हो समझे।
कसाब : नहीं शाहरूख उसकी मम्मी को तो मैं मेरे नीचे लाकर ही रहूंगा और जम के चुदाई करूंगा।
शाहरुख थोड़ा गुस्से में - तुझे एकबार कहा वो समझ नहीं आया क्या। मुझे कोई झंझट नहीं चाहिए और तू कुछ भी ऐसी वैसी हरकत नहीं करेगा ।
कसाब : ठीक है शाहरुख मैं कुछ नहीं करूंगा। अरे तुम जानते होना ना इस दुनिया में तुम्हारे सिवा कौन है। रास्ते पर से तुमने मुझ जैसे लावारिस को उठाया था तुमने ही मुझे खिलाया पिलाया बड़ा किया है। नही तो अनाथों की तरह मैं जिंदगी गुजारता। तुम्हारी बात कैसे टाल सकता हुं मैं। में कुछ गलत चीज नही करूंगा। ऐसा कहकर वह उठ जाता है।
तभी उसके जाने से पहले मैं घर में चला आया। मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूं । बार बार मुझे उनकी
सारी अश्लील बाते याद आ रही थी उनके द्वारा बोले गए मम्मी की गांड़ चूत के बारे शब्द मुझे विचिलत कर रहे थे। ना जाने क्यों मन में अजीब ख्याल आ रहे थे ।
शाम को पापा ने मुझे ओफिस में बुलाया में नीचे उतरकर ओफिस चला गया । मुझे देखते ही कसाब अजीब सी हंसी के साथ हंसने लगा। पापा अपने काम में व्यस्त थे। थोड़ी देर बाद में ओफिस से घर आया।
रात को खाना खाकर में अपने रूम के बिस्तर पर लेट गया। पर नींद मुझसे कोसो दूर थी। बार बार मेरे मन में मम्मी को लेकर बुरे खयाल आ रहे थे। मैं अब मम्मी को कसाब के साथ सेक्स करते हुए सोचने लगा मुझे पता नहीं चला और कब नींद आई ।
सप्ताह का पहला सोमवार का दिन था मम्मी बहुत खूबसूरत लग रही थी। मम्मी ने हरे रंग की एक दम टाइट साड़ी और काले रंग की स्लीवलेस ब्लाउस पहन रखी थी, हाथों में चूड़ियां, गले में मंगलसूत्र, कानों में बालियां। देखने में एक दम हेरोइन की जैसी लग रही थी। उसके बीच में उसकी गहरी गोल नाभि जिसे वो हमेशा खुली रखती है। जिसका ब्लाउज इतना डीप नेक था कि उनके चूची की गहरी दरार साफ दिख रही थी। दोनों चूचियों के उपर वाला हिस्सा और ऊपर वाल हिस्सा बाहर झलक रहा था, मानों कोई दूध का समंदर उफान मार रहा हो। मम्मी की चूंचिया जो की अब बहुत टाइट थी हर सांस के साथ उपर नीचे हो रही थी उनकी ब्रा का स्ट्रैप बार-बार ब्लाउज से खिसकाकर कंधे पर आ जाता था, और मम्मी उसे बार-बार अंदर ठूंस रही थीं। मम्मी ने ऊँची हील वाली सैंडल पहनी थी, जिससे उनकी गोल गांड चलते वक्त इस कदर हिल रही थी । मम्मी हमेशा कमरबंध (कमर में चैन) पहनी थी । मम्मी एक परफेक्ट हाउसवाइफ और मम्मी लग रही थी ।
उन्हें देखकर किसी के भी मन में चुदाई का ख्याल आ सकता था। पापा 9 बजे ओफिस के लिए चले गए। गर्मियों की छुट्टियां थी इसिलए मैं घर पर ही था।
सुबह 9 बजे डोर बेल बजा । तो मैंने दरवाजा खोला। सामने कसाब खड़ा था। मुंह में पान चबा रहा था।
क्या काम है मैंने थोड़ा चिढ़ते हुए पूछा।
वह घर का झाड़ू - पोछा करने के लिए भेजा है मालिक ( पापा ) ने।
ठीक है आओ अंदर। वो अंदर आया और पूरे घर को चारों ओर देखने लगा ।
कसाब : घर क्या मस्त है रे तेरा। उसने डायरेक्ट तेरा कहके मुझे बुलाया।
मैं उसे डांटने वाला था लेकिन मैं रुक गया। तभी मम्मी आ गई।
उन्होंने हरी पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी। उसपर स्लीवलेस काला ब्लाउज। जिससे उनकी गोरी बाहें चमक रही थी। उनके चूची की लंबी सी क्लीवेज जो पारदर्शी साड़ी के पल्लू की वजह से पूरी दिख रही थी। ब्लाउज में
कसे हुए बड़े चुचियों । चूची के ऊपर लटकता हुआ मंगलसूत्र जो चूची की शोभा बढ़ा रहा था। पूरा खुला हुआ चिकना
सपाट पेट और गोरी कमर, बड़ी ऊपर उठी हुई गांड़।
और पूरी नंगी चिकनी पीठ। पीठ पर सिफर् एक ब्लाउज की पट्टी थी। उसे छोड़ दे तो पूरी मांसल गोरी पीठ नंगी थी पीठ पर एक भी दाग नहीं था।
मैने देखा कसाब मम्मी को एकटक घूरे जा रहा था। उसका मुंह खुला हुआ था। वो मम्मी को ऊपर से नीचे तक घूर रहा
था।
मम्मी - तुम यहां कैसे । मम्मी की आवाज से वो होश में आया।
कसाब : जी मालिकन । मालिक ने भेजा है
( मम्मी अपने मुबाईल से पापा से बात करने लगी थोड़ी देर बाद कुछ बोली )
( मुझे लगता शाय़द मम्मी कसाब को लेकर पापा बातों कर रही थी। )
मम्मी - ये क्या इतने गंदे कपड़े पहने हुए है यह तक बदबू आ रही है। और ये क्या पान चबा रहे हों। मम्मी उससे बात कर रही थी
मगर उसका ध्यान मम्मी के चूची को ताड़े जा रहा था। लेकिन मम्मी का इस बात पर ध्यान नहीं था।
कसाब : वह मालिकन आदत हो गई है पान खाने की जल्दी छूटेगी नही लेकिन मैं धीरे धीरे छोड़ दूंगा। और कपड़े तो ऐसे ही है मेरे पास मालिकन।
मम्मी : ठीक है ठीक चलो मेरे पीछे - पीछे आओ मैं तुम्हे सब काम बताती हूं । मम्मी आगे चलने लगी और हम दोनो मम्मी के पीछे चलने लगे।
मम्मी के पीछे मुड़ने के बाद उनकी पूरी नंगी गोरी पीठ हमारी तरफ हो गई। जिस पर सिर्फ एक ब्लाउज की पट्टी थी।
मम्मी की पीठ पर एक भी दाग नही था।
मम्मी के चलने की वजह से उनके भारी चूतड़ ऊपर नीचे उछल रहे थे। जिसको कसाब खा जाने वाली नज़रों से देख
रहा था।
एक वक्त पर उसकी और मेरी नजर एक हुई। वो मेरी तरफ देखकर हंसा और अपने पैंट के ऊपर से मम्मी की गांड़ को देखके लंड को मसलने लगा।मुझे इस बात पर बहुत गुस्सा आया। कितना जाहिल है ये। मैं मन में उसको गालियां देने लगा। उसने मुझे उसको गुस्से से देखते हुए देख लिया ।
मम्मी रुकी और उसको सारा काम समझा दिया। मगर वह मम्मी को चोर निगाहों से उनके बदन के हर अंग को निहार रहा था। मम्मी उसे सारा काम समझा कर अपने कमरे में चली गई। मैं वहीं खड़ा होकर उस पर नजर रख रहा था।
फिर वो झाड़ू मारने लगा। झाड़ू मरते हुए वो हॉल में आया। मुझे उस पर काफी गुस्सा आ रहा था। उसने मेरे पास
झाड़ू मारा । फिर मैंने वही पर कागज के टुकड़ों फाड़कर जमीन पर फेंक दिया । उसने मेरी तरफ देखा और वहां पर फिर से झाड़ू मारा। मैने फिर से वहां पर कागज के टुकड़ों को फेंका मैं उसकी तरफ तीखी नजर से देखा। उसे समझ आ गया की मैं जानबूझकर ऐसा कर रहा हूं।
उसने फिर झाड़ू मार के सब साफ किया। फिर उसने पोछा मरना शुरू किया कया तो मैंने फिर अपने खराब पैरों के दाग वहां पर लगा दिऐ। मैने ऐसा बार बार किया उसने बिना कुछ कहे सारा काम कर लिया और नीचे चला गया।
फिर मम्मी ने मुझे दुकान से कुछ समान लाने को कहा मैं दुकान की तरफ गया वहां कसाब बैठे हुए थे। और किसी से बात कर रहा था । मैं छुपा कर एक जगह खड़े होकर उसकी बाते सुनने लगा।
कसाब : शाहरूख ( दुसरा व्यक्ति ) मुझे आजू बाजू के दुकान ( पापा के ओफिस के आसपास ) वालों से पता चला कि हमारा मालिक बहुत नीच है इसकी वजह से यह कोई आदमी नही टिकता। इसका मतलब जितनी जरूरत हमे काम की है उतनी ही जरूरत उस मालिक को हमारी है। मुझे कुछ और भी बताना है शाहरूख तुम्हें। क्या बताऊ मैं तुम्हें की मैंने आज क्या देखा है।
शाहरूख - ऐसा क्या देख लिया से , कसाब ज़रा मुझे भी तो बता।
कसाब - शाहरूख हमारी मालिकन क्या एटोम बम है। मैंने आज तक ऐसी औरत नहीं देखी। क्या माल औरत हैं
अह्ह्ह क्या चिकना बदन है साली का एकदम मक्खन की तरह। एकदम भरी हुई जिस्म की मालिकन है। क्या
बलखाती मुलायम कमर है, सपाट पेट और बीच में गोल गहरी नाभी। क्या चूची है बड़े बड़े ब्लाउज से बाहर आने को
हो रहे थे। उफ़ किया बड़ी गद्देदार गांड़ है। एकदम मसलने लायक औरत है। साली इतनी गोरी है की एक भी दाग
नहीं है उसके बदन पर।
मेरा तो गुस्से से चेहरा लाल हो गया ये सुनकर। ये नौकर मेरी मम्मी के बारे में किस तरह बात कर रहा है।
शाहरूख : क्या बात करता है कसाब सही मैं।
कसाब : तुम अगर देख लोगे तो पानी निकाल जायेगा तुम्हारा। जब वो चलती है तो क्या गांड़ थिरकती है उसकी
ऊपर नीचे कसम से मेरा लंड खड़ा हो गया था। मैंने आज तक ऐसी औरत नहीं देखी। बहुत मस्त है पंखुरी भाभी।
शाहरूख : सही मैं ऐसी पटका औरत है तो मुझे भी देखना है उसे।
कसाब : लेकिन शाहरूख वो बाहर कब निकलती है पता नहीं।
मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था लेकिन ना जाने क्यों मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी उनको कुछ बोलने की।
शाहरूख : कसाब कभी न कभी तो देखने को मिलेगी तब देख लूंगा माल को।
कसाब : लेकिन शाहरूख उस मालिक की तरह उसका बेटा भी बहुत हरामी है साला। इतना परेशान किया माधर्चोद ने मुझे की पूछो मत। साले के सामने उसकी मम्मी की गांड़ को ताड़ रहा था इसिलए बहुत शान पट्ठी कर रहा था। फिर मैने जो उसके साथ किया वह सब मैंने शाहरूख बताया।
शाहरूख - मतलब तूने जब उसकी मम्मी की गांड़ को ताड़ ते हुए लंड को मसला तो वो कुछ नहीं बोला ऐसा कहकर वह हंसने लगा।
कसाब : नही , शाहरूख कुछ नही बोला लेकिन बहुत धौंसपट्टी जमा रहा था। लेकिन तुम हंस क्यू रहे हो। ?
शाहरूख : तू छोड़ जाने दे। अब रोज आंखे सेंकना उसकी मम्मी को देखकर। चल अब नहीं तो वह हरामी मालिक चिल्लाएगा ।
मैं सब बातें पापा को बताने की सोच रहा था मगर पापा ने इनको निकाल दिया तो और परेशानी होगी सिर्फ इसलिए मैं चुप रहा। फिर मैं दुकान से सामान लेकर घर चला आया। पर उनकी बाते मेरे दिमाग में घूम रहा था । कैसे वह मम्मी के जिस्म के बारे मैं बातें कर रहा था । फिर दोपहर का खाना खाने बाद में सो गया। पूरा दिन ऐसे ही निकल गया। शाम को उठने के बाद मैं फ्रेश होकर सोफे पर बैठ गया।
![[Image: X2-Twitter-com-G21-GVOaag-AAOn-Ht-041759.jpg]](https://i.ibb.co/5Xv1gmxs/X2-Twitter-com-G21-GVOaag-AAOn-Ht-041759.jpg)
![[Image: X2-Twitter-com-G21n-OFy-XEAE1w2-L-1-1-041802.jpg]](https://i.ibb.co/tT2x6cDW/X2-Twitter-com-G21n-OFy-XEAE1w2-L-1-1-041802.jpg)
![[Image: Gnh-Xus-VWs-AA-z63.jpg]](https://i.ibb.co/C30B9mGY/Gnh-Xus-VWs-AA-z63.jpg)
फिर अगले दिन सुबह घर की बेल बजीं . मैंने दरवाजा खोला सामने कसाब खड़ा था। हमेशा की तरह पान चबाते हुए। वो घर में आया।
कसाब : मालिकीन कहां है उसने घिनौनी हंसी हंसते हुए मुझसे पूछा ।
नयन : क्यू क्या काम है में माथे पर शिकन लातें हुए पूछा ?
कसाब : वो क्या काम करना है ये पूछना था ?
नयन : दिमाग से मूर्ख हो क्या जो बार बार बताना पड़ेगा। झाड़ू पोछा करो और निकलों यह से। मम्मी नहा रही है ।
कसाब - मूर्ख नही हुं , समझे ।
नयन : ज्यादा जुबान मत चलाओ जल्दी काम करो काम चोर।फिर वह झाड़ू लगाने लगा । मम्मी बाथरूम में थी।
वह झाड़ू लगाते हुए हॉल में आया। मैंने कल की तरह साफ जगह पर फिर से कागज फेकना शुरू कर दिया । वह बार
बार झाड़ू लगाता और मैं बार बार कचरा फैला रहा था।
मुझे कल की उसकी बाते सुन के गुस्सा आ रहा था। जो मैं उसपर निकल रहा था। फिर वो गुस्से मेरी तरफ देखकर रुक गया।
कसाब - ये क्या लगा रखा है तुमने परेशान क्यों कर रहे हों। कोई काम नहीं है क्या तुम्हें।
नयन : तुम झाड़ू लगाने का काम करो कामचोर कही के । तुम नौकर हो मेरे। पापा सही कहते है तुम सब निकम्मे होते हो मजदूर कहीं के ।
कसाब - क्यू बे ज्यादा बकवास कर रहा बेवजह। इतना अकड़ क्यू दिखा रहा है फालतू के ।
वह भी अब गुस्से से बात करने लगा। इतना सुनते ही मैंने उसे जोर थप्पड़ उसके गाल पर रसीद दिया।
नयन : अपनी औकात मैं रहो जाहिल गवार कही के । हमारे पैसे पर जीते हो और मुझसे ऊंची आवाज में बात करते हो।
उसकी आंखों में पानी आ गया। लेकिन वो आगे कुछ नहीं बोला। और अपने आंसू पोछ के फिर से झाड़ू लगाने लगा।
मुझे खुद पर बहुत गर्व हो रहा था की मैने उसको थप्पड़ मार के उसकी औकात दिखा दी।
वो झाड़ू मारने के बाद पोंछा मारने लगा। तभी मम्मी नहाकर बाहर आई। तब तक माहौल शांत हो चुका था।
अरे तुम कब कसाब आए मम्मी अपने बाल संवारते हुए उसकी तरफ बिना देखे मम्मी ने पूछा - थोड़ी देर पहले आया मालिकन उसने हंसकर मम्मी की क्लीवेज को घूरते हुए कहां। बोलते वक्त उसके मुंह से पान का थूक निकल रहा था
मम्मी को कुछ पता नही चला की यहां क्या हुआ । घर इतना बड़ा होने के वजह से उसे आवाज नहीं आ रही थी। उसने भी मम्मी को कुछ नहीं बताया।
मम्मी : कसाब तुम पोंछा मार के चले जाना।
उसने बड़ी मासूिमयत से मम्मी को कहा : जी मालकिन
मम्मी ऐसा बोलकर जाने लगी तभी मम्मी की थिरकती गांड़ को वह हवसी निगाहों से देखते हुए लंड मसलने लगा। और
मेरी तरफ देखके हंसने लगा। मेरा मन हुआ की उसे और एक थप्पड़ जड़ दु । लेकिन मम्मी के होने की वजह से मैं चुप रहा। लेकिन जिस नजर से वह मुझे देख रहा था उसकी नजर मैं मुझे एक बदले की भावना नजर आ रही थी।
फिर वो सब काम निपटकर चला गया।
मैं भी उसके पीछे पीछे छुपकर चला गया जहां वह दुकान में बैठते हैं। शाहरुख पहले से ही वहां पर बैठा हुआ था।
मैं उनकी बाते सुनने लगा।
शाहरुख : आ गया मेरे शेर। हो गया काम
कसाब : हो गया।
कसाब सहमी हुई आवाज में बोला।
शाहरुख : क्या हुआ कसाब इतना उदास क्यों है।
कसाब : उस साले मालिक के पिल्ले ने मुझपर हाथ उठाया।
शाहरुख : क्यू तूने कुछ ऐसा वैसा कुछ किया ।
कसाब : कुछ नही बस कल की तरह वह परेशान कर रहा था तो मैंने उसको ऐसा करने से मना किया तो थोड़ी बहस हुई और उसने मुझे थप्पड़ मार दिया । और तो और कामचोर निकम्मा , मेरी औकात निकल रहा था। मुझे अपना नोकर बुला रहा था।
शाहरुख : साले उसकी इतनी हिम्मत की उसने ऐसा किया कया। उसकी मम्मी की चूत। तुम उसकी मम्मी को चोदे गे ।उसकी तो ऐसी की तैसी।
मेरी तो एकदम फट गई यह सुनकर। कसाब काफी गुस्से में था।
कसाब : में इस थप्पड़ का बदला उसकी मम्मी की चूत पर अपने लंड से थप्पड़ मार के लूंगा। बहुत गदराई जिस्म की है उसके बदन को मसलकर में बदला लूंगा । उसकी बड़ी गांड़ को फैलाकर अपने लंड का निशाना लगाएं गे उसकी गांड़ में। साला उसका बाप भी बहुत परेशान करता है ना। उसका भी बदला लेंगे। खूब चोदेंगे उस बड़ी चूतड वाली पत्नी को उछाल उछाल कर।
शाहरुख : ये तू क्या कह रहा है कसाब ये सब बाते कहने में लिए आसान होती है। मैंने तो ऐसे ही गाली दे दी। देख
कसाब तू ज्यादा सोच मत। अगर कुछ गडबड हुई तो काम चला जायेगा और खाने के लाले हो जायेंगे हमारे।
कसाब : शाहरुख कोशिश तो करनी पड़ेगी।
शाहरुख : क्या सच में इतनी खूबसूरत है वो।
कसाब : एकदम माल है पंखुरी भाभी। साड़ी पहनकर इतनी मादक लगती है तो सोचो नंगी कितनी खतरनाक दिखेंगी।
शाहरुख : कसाब मेरा तो लंड खड़ा हो गया उसे बिना देखे।
कसाब : मेरा तो हमेशा खड़ा रहता है घर में उसे देखकर। ये देखो कितना टाइट हो गया है उसकी याद से।
कसाब : उसकी पिल्ले की मम्मी की गांड़ पर अब मेरा लंड की छाप पड़ेगी शाहरूख ।
ये सुनकर मेरी सिट्टी पिट्टी गूगल हो गई। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। कसाब मेरी मम्मी के बारे में इतनी गन्दी बाते कर रहे हैं ।
शाहरुख : देख कसाब ज्यादा जल्दबाजी मत कर। थोड़ी शांति रख और कुछ ऐसा वैसा मतकर जिससे हमें दोनों को परेशानी हो समझे।
कसाब : नहीं शाहरूख उसकी मम्मी को तो मैं मेरे नीचे लाकर ही रहूंगा और जम के चुदाई करूंगा।
शाहरुख थोड़ा गुस्से में - तुझे एकबार कहा वो समझ नहीं आया क्या। मुझे कोई झंझट नहीं चाहिए और तू कुछ भी ऐसी वैसी हरकत नहीं करेगा ।
कसाब : ठीक है शाहरुख मैं कुछ नहीं करूंगा। अरे तुम जानते होना ना इस दुनिया में तुम्हारे सिवा कौन है। रास्ते पर से तुमने मुझ जैसे लावारिस को उठाया था तुमने ही मुझे खिलाया पिलाया बड़ा किया है। नही तो अनाथों की तरह मैं जिंदगी गुजारता। तुम्हारी बात कैसे टाल सकता हुं मैं। में कुछ गलत चीज नही करूंगा। ऐसा कहकर वह उठ जाता है।
तभी उसके जाने से पहले मैं घर में चला आया। मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूं । बार बार मुझे उनकी
सारी अश्लील बाते याद आ रही थी उनके द्वारा बोले गए मम्मी की गांड़ चूत के बारे शब्द मुझे विचिलत कर रहे थे। ना जाने क्यों मन में अजीब ख्याल आ रहे थे ।
शाम को पापा ने मुझे ओफिस में बुलाया में नीचे उतरकर ओफिस चला गया । मुझे देखते ही कसाब अजीब सी हंसी के साथ हंसने लगा। पापा अपने काम में व्यस्त थे। थोड़ी देर बाद में ओफिस से घर आया।
रात को खाना खाकर में अपने रूम के बिस्तर पर लेट गया। पर नींद मुझसे कोसो दूर थी। बार बार मेरे मन में मम्मी को लेकर बुरे खयाल आ रहे थे। मैं अब मम्मी को कसाब के साथ सेक्स करते हुए सोचने लगा मुझे पता नहीं चला और कब नींद आई ।


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