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Adultery ......काला जामुन..... A mommy's boy
#41
Next part ज़िद update.....

सप्ताह का पहला सोमवार का दिन था मम्मी बहुत खूबसूरत लग रही थी। मम्मी ने हरे रंग की एक दम टाइट साड़ी और काले रंग की स्लीवलेस ब्लाउस पहन रखी थी, हाथों में चूड़ियां, गले में मंगलसूत्र, कानों में बालियां। देखने में एक दम हेरोइन की जैसी लग रही थी। उसके बीच में उसकी गहरी गोल नाभि जिसे वो हमेशा खुली रखती है। जिसका ब्लाउज इतना डीप नेक था कि उनके चूची की गहरी दरार साफ दिख रही थी। दोनों चूचियों के उपर वाला हिस्सा और ऊपर वाल हिस्सा बाहर झलक रहा था, मानों कोई दूध का समंदर उफान मार रहा हो। मम्मी की चूंचिया जो की अब बहुत टाइट थी हर सांस के साथ उपर नीचे हो रही थी उनकी ब्रा का स्ट्रैप बार-बार ब्लाउज से खिसकाकर कंधे पर आ जाता था, और मम्मी उसे बार-बार अंदर ठूंस रही थीं। मम्मी ने ऊँची हील वाली सैंडल पहनी थी, जिससे उनकी गोल गांड चलते वक्त इस कदर हिल रही थी । मम्मी हमेशा कमरबंध (कमर में चैन) पहनी थी । मम्मी एक परफेक्ट हाउसवाइफ और मम्मी लग रही थी ।

उन्हें देखकर किसी के भी मन में चुदाई का ख्याल आ सकता था। पापा 9 बजे ओफिस के लिए चले गए।  गर्मियों  की छुट्टियां थी इसिलए मैं घर पर ही था।
सुबह 9 बजे डोर बेल बजा । तो मैंने दरवाजा खोला। सामने कसाब खड़ा था। मुंह में पान चबा रहा था।

क्या काम है मैंने थोड़ा चिढ़ते हुए पूछा।

वह घर का झाड़ू - पोछा करने के लिए भेजा है मालिक ( पापा ) ने।

ठीक है आओ अंदर। वो अंदर आया और पूरे घर को चारों ओर देखने लगा ।
कसाब : घर क्या मस्त है रे तेरा। उसने डायरेक्ट तेरा कहके मुझे बुलाया।
मैं उसे डांटने वाला था लेकिन मैं रुक गया। तभी मम्मी आ गई।
उन्होंने हरी पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी। उसपर स्लीवलेस काला ब्लाउज। जिससे उनकी गोरी बाहें चमक रही थी। उनके चूची की लंबी सी क्लीवेज जो पारदर्शी साड़ी के पल्लू की वजह से पूरी दिख रही थी। ब्लाउज में
कसे हुए बड़े चुचियों । चूची के ऊपर लटकता हुआ मंगलसूत्र जो चूची की शोभा बढ़ा रहा था। पूरा खुला हुआ चिकना
सपाट पेट और गोरी कमर, बड़ी ऊपर उठी हुई गांड़।
और पूरी नंगी चिकनी पीठ। पीठ पर सिफर् एक ब्लाउज की पट्टी थी। उसे छोड़ दे तो पूरी मांसल गोरी पीठ नंगी थी पीठ पर एक भी दाग नहीं था।
मैने देखा कसाब मम्मी को एकटक घूरे जा रहा था। उसका मुंह खुला हुआ था। वो मम्मी को ऊपर से नीचे तक घूर रहा
था।
मम्मी - तुम यहां कैसे । मम्मी की आवाज से वो होश में आया।
कसाब : जी मालिकन । मालिक ने भेजा है  

( मम्मी अपने मुबाईल से पापा से बात करने लगी थोड़ी देर बाद कुछ बोली )

( मुझे लगता शाय़द मम्मी कसाब को लेकर पापा बातों कर रही थी। )

मम्मी -  ये क्या इतने गंदे कपड़े पहने हुए है यह तक बदबू आ रही है। और ये क्या पान चबा रहे हों। मम्मी उससे बात कर रही थी  

मगर उसका ध्यान मम्मी के चूची को ताड़े जा रहा था। लेकिन मम्मी का इस बात पर ध्यान नहीं था।

कसाब : वह मालिकन आदत हो गई है पान खाने की जल्दी छूटेगी नही लेकिन मैं धीरे धीरे छोड़ दूंगा। और कपड़े तो ऐसे ही है मेरे पास मालिकन।

मम्मी : ठीक है ठीक चलो मेरे पीछे - पीछे आओ मैं तुम्हे सब काम बताती हूं । मम्मी आगे चलने लगी और हम दोनो मम्मी के पीछे चलने लगे।

मम्मी के पीछे मुड़ने के बाद उनकी पूरी नंगी गोरी पीठ हमारी तरफ हो गई। जिस पर सिर्फ एक ब्लाउज की पट्टी थी।
मम्मी की पीठ पर एक भी दाग नही था।
मम्मी के चलने की वजह से उनके भारी चूतड़ ऊपर नीचे उछल रहे थे। जिसको कसाब खा जाने वाली नज़रों से देख
रहा था।

एक वक्त पर उसकी और मेरी नजर एक हुई। वो मेरी तरफ देखकर हंसा और अपने पैंट के ऊपर से मम्मी की गांड़ को देखके लंड को मसलने लगा।‌मुझे इस बात पर बहुत गुस्सा आया। कितना जाहिल है ये। मैं मन में उसको गालियां देने लगा। उसने मुझे उसको गुस्से से देखते हुए देख लिया ।
मम्मी रुकी और उसको सारा काम समझा दिया। मगर वह मम्मी को चोर निगाहों से उनके बदन के हर अंग को निहार रहा था। मम्मी उसे सारा काम समझा कर अपने कमरे में चली गई। मैं वहीं खड़ा होकर उस पर नजर रख रहा था।

फिर वो झाड़ू मारने लगा। झाड़ू मरते हुए वो हॉल में आया। मुझे उस पर काफी गुस्सा आ रहा था। उसने मेरे पास
झाड़ू मारा । फिर मैंने वही पर कागज के टुकड़ों फाड़कर जमीन पर फेंक दिया  । उसने मेरी तरफ देखा और वहां पर फिर से झाड़ू मारा। मैने फिर से वहां पर कागज के टुकड़ों को फेंका मैं उसकी तरफ तीखी नजर से देखा। उसे समझ आ गया की मैं जानबूझकर ऐसा कर रहा हूं।

उसने फिर झाड़ू मार के सब साफ किया। फिर उसने पोछा मरना शुरू किया कया तो मैंने फिर अपने खराब पैरों के दाग वहां पर लगा दिऐ। मैने ऐसा बार बार किया उसने बिना कुछ कहे सारा काम कर लिया और नीचे चला गया।

फिर मम्मी ने मुझे दुकान से कुछ समान लाने को कहा मैं दुकान की तरफ गया वहां कसाब बैठे हुए थे। और किसी से बात कर रहा था । मैं छुपा कर एक जगह खड़े होकर उसकी बाते सुनने लगा।

कसाब : शाहरूख ( दुसरा व्यक्ति ) मुझे आजू बाजू के दुकान ( पापा के ओफिस के आसपास ) वालों से पता चला कि हमारा मालिक बहुत नीच है इसकी वजह से यह कोई आदमी नही टिकता। इसका मतलब जितनी जरूरत हमे काम की है उतनी ही जरूरत उस मालिक को हमारी है। मुझे कुछ और भी बताना है शाहरूख तुम्हें।  क्या बताऊ मैं तुम्हें की मैंने आज क्या देखा है।
शाहरूख  - ऐसा क्या देख लिया से , कसाब ज़रा मुझे भी तो बता।
कसाब - शाहरूख हमारी मालिकन क्या एटोम बम है। मैंने आज तक ऐसी औरत नहीं देखी। क्या माल औरत हैं
अह्ह्ह क्या चिकना बदन है साली का एकदम मक्खन की तरह। एकदम भरी हुई जिस्म की मालिकन है। क्या
बलखाती मुलायम कमर है, सपाट पेट और बीच में गोल गहरी नाभी। क्या चूची है बड़े बड़े ब्लाउज से बाहर आने को
हो रहे थे। उफ़ किया बड़ी गद्देदार गांड़ है। एकदम मसलने लायक औरत है। साली इतनी गोरी है की एक भी दाग
नहीं है उसके बदन पर।

मेरा तो गुस्से से चेहरा लाल हो गया ये सुनकर। ये नौकर मेरी मम्मी के बारे में किस तरह बात कर रहा है।

शाहरूख :  क्या बात करता है कसाब सही मैं।

कसाब : तुम अगर देख लोगे तो पानी निकाल जायेगा तुम्हारा। जब वो चलती है तो क्या गांड़ थिरकती है उसकी
ऊपर नीचे कसम से मेरा लंड खड़ा हो गया था। मैंने आज तक ऐसी औरत नहीं देखी। बहुत मस्त है पंखुरी भाभी।

शाहरूख :  सही मैं ऐसी पटका औरत है तो मुझे भी देखना है उसे।

कसाब : लेकिन शाहरूख वो बाहर कब निकलती है पता नहीं।

मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था लेकिन ना जाने क्यों मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी उनको कुछ बोलने की।

शाहरूख : कसाब कभी न कभी तो देखने को मिलेगी तब देख लूंगा माल को।

कसाब : लेकिन शाहरूख उस मालिक की तरह उसका बेटा भी बहुत हरामी है साला। इतना परेशान किया माधर्चोद ने मुझे की पूछो मत। साले के सामने उसकी मम्मी की गांड़ को ताड़ रहा था इसिलए बहुत शान पट्ठी कर रहा था। फिर मैने जो उसके साथ किया वह सब मैंने शाहरूख बताया।

शाहरूख - मतलब तूने जब उसकी मम्मी की गांड़ को ताड़ ते हुए लंड को मसला तो वो कुछ नहीं बोला ऐसा कहकर वह हंसने लगा।

कसाब : नही , शाहरूख कुछ नही बोला लेकिन बहुत धौंसपट्टी जमा रहा था। लेकिन तुम हंस क्यू रहे हो। ?

शाहरूख : तू छोड़ जाने दे। अब रोज आंखे सेंकना उसकी मम्मी को देखकर। चल अब नहीं तो वह हरामी मालिक चिल्लाएगा ।

मैं सब बातें पापा को बताने की सोच रहा था मगर पापा ने इनको निकाल दिया तो और परेशानी होगी सिर्फ इसलिए मैं चुप रहा। फिर मैं दुकान से सामान लेकर घर चला आया। पर उनकी बाते मेरे दिमाग में घूम रहा था । कैसे वह मम्मी के जिस्म के बारे मैं बातें कर रहा था । फिर दोपहर का खाना खाने बाद में सो गया। पूरा दिन ऐसे ही निकल गया। शाम को उठने के बाद मैं फ्रेश होकर सोफे पर बैठ गया।

[Image: X2-Twitter-com-G21-GVOaag-AAOn-Ht-041759.jpg]
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फिर अगले दिन सुबह घर की बेल बजीं . मैंने दरवाजा खोला सामने कसाब खड़ा था। हमेशा की तरह पान चबाते हुए। वो घर में आया।

कसाब : मालिकीन कहां है उसने घिनौनी हंसी हंसते हुए मुझसे पूछा ।

नयन : क्यू क्या काम है में माथे पर शिकन लातें हुए पूछा ?

कसाब : वो क्या काम करना है ये पूछना था ?

नयन : दिमाग से मूर्ख हो क्या जो बार बार बताना पड़ेगा। झाड़ू पोछा करो और निकलों यह से। मम्मी नहा रही है ।

कसाब - मूर्ख नही हुं , समझे ।

नयन : ज्यादा जुबान मत चलाओ जल्दी काम करो काम चोर।फिर वह झाड़ू लगाने लगा । मम्मी बाथरूम में थी।
वह झाड़ू लगाते हुए हॉल में आया। मैंने कल की तरह साफ जगह पर फिर से कागज फेकना शुरू कर दिया । वह बार
बार झाड़ू लगाता और मैं बार बार कचरा फैला रहा था।
मुझे कल की उसकी बाते सुन के गुस्सा आ रहा था। जो मैं उसपर निकल रहा था। फिर वो गुस्से मेरी तरफ देखकर रुक गया।

कसाब - ये क्या लगा रखा है तुमने परेशान क्यों कर रहे हों। कोई काम नहीं है क्या तुम्हें।

नयन : तुम झाड़ू लगाने का काम करो कामचोर कही के । तुम नौकर हो मेरे। पापा सही कहते है तुम सब निकम्मे होते हो मजदूर  कहीं के ।

कसाब - क्यू बे ज्यादा बकवास कर रहा बेवजह। इतना अकड़ क्यू दिखा रहा है फालतू के ।

वह भी अब गुस्से से बात करने लगा। इतना सुनते ही मैंने उसे जोर थप्पड़ उसके गाल पर रसीद दिया।

नयन : अपनी औकात मैं रहो जाहिल गवार कही के । हमारे पैसे पर जीते हो और मुझसे ऊंची आवाज में बात करते हो।

उसकी आंखों में पानी आ गया। लेकिन वो आगे कुछ नहीं बोला। और अपने आंसू पोछ के फिर से झाड़ू लगाने लगा।
मुझे खुद पर बहुत गर्व हो रहा था की मैने उसको थप्पड़ मार के उसकी औकात दिखा दी।

वो झाड़ू मारने के बाद पोंछा मारने लगा। तभी मम्मी नहाकर बाहर आई। तब तक माहौल शांत हो चुका था।
अरे तुम कब  कसाब आए मम्मी अपने बाल संवारते हुए उसकी तरफ बिना देखे मम्मी ने पूछा - थोड़ी देर पहले आया मालिकन उसने हंसकर मम्मी की क्लीवेज को घूरते हुए कहां। बोलते वक्त उसके मुंह से पान का थूक निकल रहा था

मम्मी को कुछ पता नही चला की यहां क्या हुआ । घर इतना बड़ा होने के वजह से उसे आवाज नहीं आ रही थी। उसने भी मम्मी को कुछ नहीं बताया।

मम्मी  : कसाब तुम पोंछा मार के चले जाना।

उसने बड़ी मासूिमयत से मम्मी को कहा : जी मालकिन

मम्मी ऐसा बोलकर जाने लगी तभी मम्मी की थिरकती गांड़ को वह हवसी निगाहों से देखते हुए लंड मसलने लगा। और
मेरी तरफ देखके हंसने लगा। मेरा मन हुआ की उसे और एक थप्पड़ जड़ दु । लेकिन मम्मी के होने की वजह से मैं चुप रहा। लेकिन जिस नजर से वह मुझे देख रहा था उसकी नजर मैं मुझे एक बदले की भावना नजर आ रही थी।

फिर वो सब काम निपटकर चला गया।

मैं भी उसके पीछे पीछे छुपकर चला गया जहां वह दुकान में बैठते हैं। शाहरुख पहले से ही वहां पर बैठा हुआ था।

मैं उनकी बाते सुनने लगा।

शाहरुख  : आ गया मेरे शेर। हो गया काम

कसाब  : हो गया।

कसाब सहमी हुई आवाज में बोला।

शाहरुख : क्या हुआ कसाब इतना उदास क्यों है।

कसाब : उस साले मालिक के पिल्ले ने मुझपर हाथ उठाया।

शाहरुख : क्यू तूने कुछ ऐसा वैसा कुछ किया‌ ।

कसाब : कुछ नही बस कल की तरह वह परेशान कर रहा था तो मैंने उसको ऐसा करने से मना किया  तो थोड़ी बहस हुई और उसने मुझे थप्पड़ मार दिया । और तो और कामचोर निकम्मा , मेरी औकात निकल रहा था। मुझे अपना नोकर बुला रहा था।

शाहरुख : साले उसकी इतनी हिम्मत  की उसने ऐसा किया कया। उसकी मम्मी की चूत। तुम उसकी मम्मी को चोदे गे ।उसकी तो ऐसी की तैसी।

मेरी तो एकदम फट गई यह सुनकर। कसाब काफी गुस्से में था।

कसाब :  में  इस थप्पड़ का बदला उसकी मम्मी की चूत पर अपने लंड से थप्पड़ मार के लूंगा। बहुत गदराई जिस्म की है उसके बदन को मसलकर में बदला लूंगा । उसकी बड़ी गांड़ को फैलाकर अपने लंड का निशाना लगाएं गे उसकी गांड़ में। साला उसका बाप भी बहुत परेशान करता है ना। उसका भी बदला लेंगे। खूब चोदेंगे उस बड़ी चूतड वाली पत्नी को उछाल उछाल कर।

शाहरुख  : ये तू क्या कह रहा है कसाब ये सब बाते कहने में लिए आसान होती है। मैंने तो ऐसे ही गाली दे दी। देख
कसाब तू ज्यादा सोच मत। अगर कुछ गडबड हुई तो काम चला जायेगा और खाने के लाले हो जायेंगे हमारे।

कसाब : शाहरुख कोशिश तो करनी पड़ेगी।

शाहरुख : क्या सच में इतनी खूबसूरत है वो।

कसाब : एकदम माल है पंखुरी भाभी। साड़ी पहनकर इतनी मादक लगती है तो सोचो नंगी कितनी खतरनाक दिखेंगी।

शाहरुख : कसाब मेरा तो लंड खड़ा हो गया उसे बिना देखे।

कसाब : मेरा तो हमेशा खड़ा रहता है घर में उसे देखकर। ये देखो कितना टाइट हो गया है उसकी याद से।

कसाब : उसकी पिल्ले की मम्मी की गांड़ पर अब मेरा लंड की छाप पड़ेगी शाहरूख ।

ये सुनकर मेरी सिट्टी पिट्टी गूगल हो गई। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। कसाब मेरी मम्मी के बारे में इतनी गन्दी बाते कर रहे हैं ।

शाहरुख : देख कसाब ज्यादा जल्दबाजी मत कर। थोड़ी शांति रख और कुछ ऐसा वैसा मतकर जिससे हमें दोनों को परेशानी हो समझे।

कसाब : नहीं शाहरूख उसकी मम्मी को तो मैं मेरे नीचे लाकर ही रहूंगा  और जम के चुदाई करूंगा।

शाहरुख थोड़ा गुस्से में - तुझे एकबार कहा वो समझ नहीं आया क्या। मुझे कोई झंझट नहीं चाहिए और तू कुछ भी ऐसी वैसी हरकत नहीं करेगा ।

कसाब  : ठीक है शाहरुख मैं कुछ नहीं करूंगा। अरे तुम जानते होना ना इस दुनिया में तुम्हारे सिवा कौन है। रास्ते पर से तुमने मुझ जैसे लावारिस को उठाया था तुमने ही मुझे खिलाया पिलाया बड़ा किया है। नही तो अनाथों की तरह मैं जिंदगी गुजारता। तुम्हारी बात कैसे टाल सकता हुं मैं। में कुछ गलत चीज नही करूंगा। ऐसा कहकर वह उठ जाता है।

तभी उसके जाने से पहले मैं घर में चला आया। मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूं । बार बार मुझे उनकी
सारी अश्लील बाते याद आ रही थी उनके द्वारा बोले गए मम्मी की गांड़ चूत के बारे शब्द मुझे विचिलत कर रहे थे। ना जाने क्यों मन में अजीब ख्याल आ रहे थे ।

शाम को पापा ने मुझे ओफिस में बुलाया में नीचे उतरकर ओफिस चला गया । मुझे देखते ही कसाब अजीब सी हंसी के साथ हंसने लगा। पापा अपने काम में व्यस्त थे। थोड़ी देर बाद में ओफिस से घर आया।
रात को खाना खाकर में अपने रूम के बिस्तर पर लेट गया। पर नींद मुझसे कोसो दूर  थी। बार बार मेरे मन में मम्मी को लेकर बुरे खयाल आ रहे थे। मैं अब मम्मी को कसाब के साथ सेक्स करते हुए सोचने लगा मुझे पता नहीं चला और कब नींद आई ।
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#42
(11-10-2025, 07:37 AM)Dhamakaindia108 Wrote: Next part बदला update.....

सप्ताह का पहला सोमवार का दिन था मम्मी बहुत खूबसूरत लग रही थी। मम्मी ने हरे रंग की एक दम टाइट साड़ी और काले रंग की स्लीवलेस ब्लाउस पहन रखी थी, हाथों में चूड़ियां, गले में मंगलसूत्र, कानों में बालियां। देखने में एक दम हेरोइन की जैसी लग रही थी। उसके बीच में उसकी गहरी गोल नाभि जिसे वो हमेशा खुली रखती है। जिसका ब्लाउज इतना डीप नेक था कि उनके चूची की गहरी दरार साफ दिख रही थी। दोनों चूचियों के उपर वाला हिस्सा और ऊपर वाल हिस्सा बाहर झलक रहा था, मानों कोई दूध का समंदर उफान मार रहा हो। मम्मी की चूंचिया जो की अब बहुत टाइट थी हर सांस के साथ उपर नीचे हो रही थी उनकी ब्रा का स्ट्रैप बार-बार ब्लाउज से खिसकाकर कंधे पर आ जाता था, और मम्मी उसे बार-बार अंदर ठूंस रही थीं। मम्मी ने ऊँची हील वाली सैंडल पहनी थी, जिससे उनकी गोल गांड चलते वक्त इस कदर हिल रही थी । मम्मी हमेशा कमरबंध (कमर में चैन) पहनी थी । मम्मी एक परफेक्ट हाउसवाइफ और मम्मी लग रही थी ।

उन्हें देखकर किसी के भी मन में चुदाई का ख्याल आ सकता था। पापा 9 बजे ओफिस के लिए चले गए।  गर्मियों  की छुट्टियां थी इसिलए मैं घर पर ही था।
सुबह 9 बजे डोर बेल बजा । तो मैंने दरवाजा खोला। सामने कसाब खड़ा था। मुंह में पान चबा रहा था।

क्या काम है मैंने थोड़ा चिढ़ते हुए पूछा।

वह घर का झाड़ू - पोछा करने के लिए भेजा है मालिक ( पापा ) ने।

ठीक है आओ अंदर। वो अंदर आया और पूरे घर को चारों ओर देखने लगा ।
कसाब : घर क्या मस्त है रे तेरा। उसने डायरेक्ट तेरा कहके मुझे बुलाया।
मैं उसे डांटने वाला था लेकिन मैं रुक गया। तभी मम्मी आ गई।
उन्होंने हरी पारदर्शी साड़ी पहन रखी थी। उसपर स्लीवलेस काला ब्लाउज। जिससे उनकी गोरी बाहें चमक रही थी। उनके चूची की लंबी सी क्लीवेज जो पारदर्शी साड़ी के पल्लू की वजह से पूरी दिख रही थी। ब्लाउज में
कसे हुए बड़े चुचियों । चूची के ऊपर लटकता हुआ मंगलसूत्र जो चूची की शोभा बढ़ा रहा था। पूरा खुला हुआ चिकना
सपाट पेट और गोरी कमर, बड़ी ऊपर उठी हुई गांड़।
और पूरी नंगी चिकनी पीठ। पीठ पर सिफर् एक ब्लाउज की पट्टी थी। उसे छोड़ दे तो पूरी मांसल गोरी पीठ नंगी थी पीठ पर एक भी दाग नहीं था।
मैने देखा कसाब मम्मी को एकटक घूरे जा रहा था। उसका मुंह खुला हुआ था। वो मम्मी को ऊपर से नीचे तक घूर रहा
था।
मम्मी - तुम यहां कैसे । मम्मी की आवाज से वो होश में आया।
कसाब : जी मालिकन । मालिक ने भेजा है  

( मम्मी अपने मुबाईल से पापा से बात करने लगी थोड़ी देर बाद कुछ बोली )

( मुझे लगता शाय़द मम्मी कसाब को लेकर पापा बातों कर रही थी। )

मम्मी -  ये क्या इतने गंदे कपड़े पहने हुए है यह तक बदबू आ रही है। और ये क्या पान चबा रहे हों। मम्मी उससे बात कर रही थी  

मगर उसका ध्यान मम्मी के चूची को ताड़े जा रहा था। लेकिन मम्मी का इस बात पर ध्यान नहीं था।

कसाब : वह मालिकन आदत हो गई है पान खाने की जल्दी छूटेगी नही लेकिन मैं धीरे धीरे छोड़ दूंगा। और कपड़े तो ऐसे ही है मेरे पास मालिकन।

मम्मी : ठीक है ठीक चलो मेरे पीछे - पीछे आओ मैं तुम्हे सब काम बताती हूं । मम्मी आगे चलने लगी और हम दोनो मम्मी के पीछे चलने लगे।

मम्मी के पीछे मुड़ने के बाद उनकी पूरी नंगी गोरी पीठ हमारी तरफ हो गई। जिस पर सिर्फ एक ब्लाउज की पट्टी थी।
मम्मी की पीठ पर एक भी दाग नही था।
मम्मी के चलने की वजह से उनके भारी चूतड़ ऊपर नीचे उछल रहे थे। जिसको कसाब खा जाने वाली नज़रों से देख
रहा था।

एक वक्त पर उसकी और मेरी नजर एक हुई। वो मेरी तरफ देखकर हंसा और अपने पैंट के ऊपर से मम्मी की गांड़ को देखके लंड को मसलने लगा।‌मुझे इस बात पर बहुत गुस्सा आया। कितना जाहिल है ये। मैं मन में उसको गालियां देने लगा। उसने मुझे उसको गुस्से से देखते हुए देख लिया ।
मम्मी रुकी और उसको सारा काम समझा दिया। मगर वह मम्मी को चोर निगाहों से उनके बदन के हर अंग को निहार रहा था। मम्मी उसे सारा काम समझा कर अपने कमरे में चली गई। मैं वहीं खड़ा होकर उस पर नजर रख रहा था।

फिर वो झाड़ू मारने लगा। झाड़ू मरते हुए वो हॉल में आया। मुझे उस पर काफी गुस्सा आ रहा था। उसने मेरे पास
झाड़ू मारा । फिर मैंने वही पर कागज के टुकड़ों फाड़कर जमीन पर फेंक दिया  । उसने मेरी तरफ देखा और वहां पर फिर से झाड़ू मारा। मैने फिर से वहां पर कागज के टुकड़ों को फेंका मैं उसकी तरफ तीखी नजर से देखा। उसे समझ आ गया की मैं जानबूझकर ऐसा कर रहा हूं।

उसने फिर झाड़ू मार के सब साफ किया। फिर उसने पोछा मरना शुरू किया कया तो मैंने फिर अपने खराब पैरों के दाग वहां पर लगा दिऐ। मैने ऐसा बार बार किया उसने बिना कुछ कहे सारा काम कर लिया और नीचे चला गया।

फिर मम्मी ने मुझे दुकान से कुछ समान लाने को कहा मैं दुकान की तरफ गया वहां कसाब बैठे हुए थे। और किसी से बात कर रहा था । मैं छुपा कर एक जगह खड़े होकर उसकी बाते सुनने लगा।

कसाब : शाहरूख ( दुसरा व्यक्ति ) मुझे आजू बाजू के दुकान ( पापा के ओफिस के आसपास ) वालों से पता चला कि हमारा मालिक बहुत नीच है इसकी वजह से यह कोई आदमी नही टिकता। इसका मतलब जितनी जरूरत हमे काम की है उतनी ही जरूरत उस मालिक को हमारी है। मुझे कुछ और भी बताना है शाहरूख तुम्हें।  क्या बताऊ मैं तुम्हें की मैंने आज क्या देखा है।
शाहरूख  - ऐसा क्या देख लिया से , कसाब ज़रा मुझे भी तो बता।
कसाब - शाहरूख हमारी मालिकन क्या एटोम बम है। मैंने आज तक ऐसी औरत नहीं देखी। क्या माल औरत हैं
अह्ह्ह क्या चिकना बदन है साली का एकदम मक्खन की तरह। एकदम भरी हुई जिस्म की मालिकन है। क्या
बलखाती मुलायम कमर है, सपाट पेट और बीच में गोल गहरी नाभी। क्या चूची है बड़े बड़े ब्लाउज से बाहर आने को
हो रहे थे। उफ़ किया बड़ी गद्देदार गांड़ है। एकदम मसलने लायक औरत है। साली इतनी गोरी है की एक भी दाग
नहीं है उसके बदन पर।

मेरा तो गुस्से से चेहरा लाल हो गया ये सुनकर। ये नौकर मेरी मम्मी के बारे में किस तरह बात कर रहा है।

शाहरूख :  क्या बात करता है कसाब सही मैं।

कसाब : तुम अगर देख लोगे तो पानी निकाल जायेगा तुम्हारा। जब वो चलती है तो क्या गांड़ थिरकती है उसकी
ऊपर नीचे कसम से मेरा लंड खड़ा हो गया था। मैंने आज तक ऐसी औरत नहीं देखी। बहुत मस्त है पंखुरी भाभी।

शाहरूख :  सही मैं ऐसी पटका औरत है तो मुझे भी देखना है उसे।

कसाब : लेकिन शाहरूख वो बाहर कब निकलती है पता नहीं।

मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर था लेकिन ना जाने क्यों मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी उनको कुछ बोलने की।

शाहरूख : कसाब कभी न कभी तो देखने को मिलेगी तब देख लूंगा माल को।

कसाब : लेकिन शाहरूख उस मालिक की तरह उसका बेटा भी बहुत हरामी है साला। इतना परेशान किया माधर्चोद ने मुझे की पूछो मत। साले के सामने उसकी मम्मी की गांड़ को ताड़ रहा था इसिलए बहुत शान पट्ठी कर रहा था। फिर मैने जो उसके साथ किया वह सब मैंने शाहरूख बताया।

शाहरूख - मतलब तूने जब उसकी मम्मी की गांड़ को ताड़ ते हुए लंड को मसला तो वो कुछ नहीं बोला ऐसा कहकर वह हंसने लगा।

कसाब : नही , शाहरूख कुछ नही बोला लेकिन बहुत धौंसपट्टी जमा रहा था। लेकिन तुम हंस क्यू रहे हो। ?

शाहरूख : तू छोड़ जाने दे। अब रोज आंखे सेंकना उसकी मम्मी को देखकर। चल अब नहीं तो वह हरामी मालिक चिल्लाएगा ।

मैं सब बातें पापा को बताने की सोच रहा था मगर पापा ने इनको निकाल दिया तो और परेशानी होगी सिर्फ इसलिए मैं चुप रहा। फिर मैं दुकान से सामान लेकर घर चला आया। पर उनकी बाते मेरे दिमाग में घूम रहा था । कैसे वह मम्मी के जिस्म के बारे मैं बातें कर रहा था । फिर दोपहर का खाना खाने बाद में सो गया। पूरा दिन ऐसे ही निकल गया। शाम को उठने के बाद मैं फ्रेश होकर सोफे पर बैठ गया।

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फिर अगले दिन सुबह घर की बेल बजीं . मैंने दरवाजा खोला सामने कसाब खड़ा था। हमेशा की तरह पान चबाते हुए। वो घर में आया।

कसाब : मालिकीन कहां है उसने घिनौनी हंसी हंसते हुए मुझसे पूछा ।

नयन : क्यू क्या काम है में माथे पर शिकन लातें हुए पूछा ?

कसाब : वो क्या काम करना है ये पूछना था ?

नयन : दिमाग से मूर्ख हो क्या जो बार बार बताना पड़ेगा। झाड़ू पोछा करो और निकलों यह से। मम्मी नहा रही है ।

कसाब - मूर्ख नही हुं , समझे ।

नयन : ज्यादा जुबान मत चलाओ जल्दी काम करो काम चोर।फिर वह झाड़ू लगाने लगा । मम्मी बाथरूम में थी।
वह झाड़ू लगाते हुए हॉल में आया। मैंने कल की तरह साफ जगह पर फिर से कागज फेकना शुरू कर दिया । वह बार
बार झाड़ू लगाता और मैं बार बार कचरा फैला रहा था।
मुझे कल की उसकी बाते सुन के गुस्सा आ रहा था। जो मैं उसपर निकल रहा था। फिर वो गुस्से मेरी तरफ देखकर रुक गया।

कसाब - ये क्या लगा रखा है तुमने परेशान क्यों कर रहे हों। कोई काम नहीं है क्या तुम्हें।

नयन : तुम झाड़ू लगाने का काम करो कामचोर कही के । तुम नौकर हो मेरे। पापा सही कहते है तुम सब निकम्मे होते हो मजदूर  कहीं के ।

कसाब - क्यू बे ज्यादा बकवास कर रहा बेवजह। इतना अकड़ क्यू दिखा रहा है फालतू के ।

वह भी अब गुस्से से बात करने लगा। इतना सुनते ही मैंने उसे जोर थप्पड़ उसके गाल पर रसीद दिया।

नयन : अपनी औकात मैं रहो जाहिल गवार कही के । हमारे पैसे पर जीते हो और मुझसे ऊंची आवाज में बात करते हो।

उसकी आंखों में पानी आ गया। लेकिन वो आगे कुछ नहीं बोला। और अपने आंसू पोछ के फिर से झाड़ू लगाने लगा।
मुझे खुद पर बहुत गर्व हो रहा था की मैने उसको थप्पड़ मार के उसकी औकात दिखा दी।

वो झाड़ू मारने के बाद पोंछा मारने लगा। तभी मम्मी नहाकर बाहर आई। तब तक माहौल शांत हो चुका था।
अरे तुम कब  कसाब आए मम्मी अपने बाल संवारते हुए उसकी तरफ बिना देखे मम्मी ने पूछा - थोड़ी देर पहले आया मालिकन उसने हंसकर मम्मी की क्लीवेज को घूरते हुए कहां। बोलते वक्त उसके मुंह से पान का थूक निकल रहा था

मम्मी को कुछ पता नही चला की यहां क्या हुआ । घर इतना बड़ा होने के वजह से उसे आवाज नहीं आ रही थी। उसने भी मम्मी को कुछ नहीं बताया।

मम्मी  : कसाब तुम पोंछा मार के चले जाना।

उसने बड़ी मासूिमयत से मम्मी को कहा : जी मालकिन

मम्मी ऐसा बोलकर जाने लगी तभी मम्मी की थिरकती गांड़ को वह हवसी निगाहों से देखते हुए लंड मसलने लगा। और
मेरी तरफ देखके हंसने लगा। मेरा मन हुआ की उसे और एक थप्पड़ जड़ दु । लेकिन मम्मी के होने की वजह से मैं चुप रहा। लेकिन जिस नजर से वह मुझे देख रहा था उसकी नजर मैं मुझे एक बदले की भावना नजर आ रही थी।

फिर वो सब काम निपटकर चला गया।

मैं भी उसके पीछे पीछे छुपकर चला गया जहां वह दुकान में बैठते हैं। शाहरुख पहले से ही वहां पर बैठा हुआ था।

मैं उनकी बाते सुनने लगा।

शाहरुख  : आ गया मेरे शेर। हो गया काम

कसाब  : हो गया।

कसाब सहमी हुई आवाज में बोला।

शाहरुख : क्या हुआ कसाब इतना उदास क्यों है।

कसाब : उस साले मालिक के पिल्ले ने मुझपर हाथ उठाया।

शाहरुख : क्यू तूने कुछ ऐसा वैसा कुछ किया‌ ।

कसाब : कुछ नही बस कल की तरह वह परेशान कर रहा था तो मैंने उसको ऐसा करने से मना किया  तो थोड़ी बहस हुई और उसने मुझे थप्पड़ मार दिया । और तो और कामचोर निकम्मा , मेरी औकात निकल रहा था। मुझे अपना नोकर बुला रहा था।

शाहरुख : साले उसकी इतनी हिम्मत  की उसने ऐसा किया कया। उसकी मम्मी की चूत। तुम उसकी मम्मी को चोदे गे ।उसकी तो ऐसी की तैसी।

मेरी तो एकदम फट गई यह सुनकर। कसाब काफी गुस्से में था।

कसाब :  में  इस थप्पड़ का बदला उसकी मम्मी की चूत पर अपने लंड से थप्पड़ मार के लूंगा। बहुत गदराई जिस्म की है उसके बदन को मसलकर में बदला लूंगा । उसकी बड़ी गांड़ को फैलाकर अपने लंड का निशाना लगाएं गे उसकी गांड़ में। साला उसका बाप भी बहुत परेशान करता है ना। उसका भी बदला लेंगे। खूब चोदेंगे उस बड़ी चूतड वाली पत्नी को उछाल उछाल कर।

शाहरुख  : ये तू क्या कह रहा है कसाब ये सब बाते कहने में लिए आसान होती है। मैंने तो ऐसे ही गाली दे दी। देख
कसाब तू ज्यादा सोच मत। अगर कुछ गडबड हुई तो काम चला जायेगा और खाने के लाले हो जायेंगे हमारे।

कसाब : शाहरुख कोशिश तो करनी पड़ेगी।

शाहरुख : क्या सच में इतनी खूबसूरत है वो।

कसाब : एकदम माल है पंखुरी भाभी। साड़ी पहनकर इतनी मादक लगती है तो सोचो नंगी कितनी खतरनाक दिखेंगी।

शाहरुख : कसाब मेरा तो लंड खड़ा हो गया उसे बिना देखे।

कसाब : मेरा तो हमेशा खड़ा रहता है घर में उसे देखकर। ये देखो कितना टाइट हो गया है उसकी याद से।

कसाब : उसकी पिल्ले की मम्मी की गांड़ पर अब मेरा लंड की छाप पड़ेगी शाहरूख ।

ये सुनकर मेरी सिट्टी पिट्टी गूगल हो गई। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। कसाब मेरी मम्मी के बारे में इतनी गन्दी बाते कर रहे हैं ।

शाहरुख : देख कसाब ज्यादा जल्दबाजी मत कर। थोड़ी शांति रख और कुछ ऐसा वैसा मतकर जिससे हमें दोनों को परेशानी हो समझे।

कसाब : नहीं शाहरूख उसकी मम्मी को तो मैं मेरे नीचे लाकर ही रहूंगा  और जम के चुदाई करूंगा।

शाहरुख थोड़ा गुस्से में - तुझे एकबार कहा वो समझ नहीं आया क्या। मुझे कोई झंझट नहीं चाहिए और तू कुछ भी ऐसी वैसी हरकत नहीं करेगा ।

कसाब  : ठीक है शाहरुख मैं कुछ नहीं करूंगा। अरे तुम जानते होना ना इस दुनिया में तुम्हारे सिवा कौन है। रास्ते पर से तुमने मुझ जैसे लावारिस को उठाया था तुमने ही मुझे खिलाया पिलाया बड़ा किया है। नही तो अनाथों की तरह मैं जिंदगी गुजारता। तुम्हारी बात कैसे टाल सकता हुं मैं। में कुछ गलत चीज नही करूंगा। ऐसा कहकर वह उठ जाता है।

तभी उसके जाने से पहले मैं घर में चला आया। मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूं । बार बार मुझे उनकी
सारी अश्लील बाते याद आ रही थी उनके द्वारा बोले गए मम्मी की गांड़ चूत के बारे शब्द मुझे विचिलत कर रहे थे। ना जाने क्यों मन में अजीब ख्याल आ रहे थे ।

शाम को पापा ने मुझे ओफिस में बुलाया में नीचे उतरकर ओफिस चला गया । मुझे देखते ही कसाब अजीब सी हंसी के साथ हंसने लगा। पापा अपने काम में व्यस्त थे। थोड़ी देर बाद में ओफिस से घर आया।
रात को खाना खाकर में अपने रूम के बिस्तर पर लेट गया। पर नींद मुझसे कोसो दूर  थी। बार बार मेरे मन में मम्मी को लेकर बुरे खयाल आ रहे थे। मैं अब मम्मी को कसाब के साथ सेक्स करते हुए सोचने लगा मुझे पता नहीं चला और कब नींद आई ।

Ek dam masaledar update
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#43
अगली सुबह मैं उठकर तैयार हुआ। में सोफे पर बैठकर सोचने लगा की इस कसाब के बच्चे को सबक सिखाना पड़ेगा। इसलिए मैंने कुछ तय किया।

सुबह का वक्त था थोड़ी देर में बेल बजी। मम्मी ने दरवाजा खोला और कसाब पान चबाते हुए अंदर आया। उसकी आंखों में अभी भी पानी था। दोनों एक दूसरे को देख रहे थे। मम्मी को देखते हुए उसके मुंह से पान का लाल थूक बाहर निकलने लगा जिसे उसने अपनी शर्ट की कॉलर से पोंछ लिया। आज भी उसने शर्ट , पैंट पहना हुआ था।

पंखुरी - तुम्हारी आंखों में पानी क्यों है।

कसाब - वो मालकिन मेरी आंखो में कुछ चला गया शायद

पंखुरी - अच्छा ठीक है चलो जल्दी जल्दी काम शुरू करो।

ऐसा कहकर मम्मी किचन में चली गई और किचन के पास खड़ी होकर कुछ सिबजीयां साफ कर रही थी। कसाब झाड़ू मारते हुए किचन घुस के झाड़ू मारने लगा। मम्मी किचन में थोड़ा झुक के खड़ी होने की वजह से साड़ी में उनकी गांड़ पूरे आकार में आ चुकी थी। तभी मैंने कुछ सोचते हुए मम्मी से कहा की मैं अपने बेडरूम जा रहा हूं ऐसा कहकर मैं उनके सामने बेडरूम जाने के लिए लए मुड़ा लेकिन बेडरूम में ना जाते हुए मैं किचन की खिड़की के पास चुपचाप खड़ा हो गया। उसको आते ही मम्मी ने उसकी तरफ देखा। दोनों की नजरे एक हुई लेकिन दोनों एक दूसरे को छुपकर तिरछी नजरों से देख रहे थे। जहां पर मम्मी खड़ी थी ठीक उसके पीछे कुछ दूरी पर फ्रीज रखा था। यानी किचन और फ्रीज के बीच के छोटी सी जगह थी। ऊपर से उस छोटी जगह के बीच मम्मी पहले से ही थोड़ी झुककर खड़ी थी । कसाब झाड़ू मारते हुए मम्मी के बाजू में आकर झुकते हुए रुक गया। मम्मी को पता था कि वो उसके पीछे खड़ा है।उसके मुंह के सामने कुछ ही दूरी पर मम्मी की उभरी हुई गांड़ पूरे आकार में थी। उसने मम्मी के चूतड़ की तरफ देखा। उसके चेहरे पर कामिनी मुस्कान आ गई। इस बीच मम्मी भी अपनी जगह पर वैसे ही खड़ी होकर कुछ सोच रही थी। तभी कसाब ने झाड़ू मारने का बहाना करते हुए अपने झाड़ू पकड़े हुए हाथ की कोहनी मम्मी के बड़े चूतड़ की दरार में धसा दी। उसने इतनी जोर से कोहनी मम्मी की गांड़ में घुसाई की मम्मी एकदम उछल पड़ी और उनकी साड़ी भी दरार में घुस गई। ये उसने बहुत तेजी से किया। मम्मी जल्दी से उसकी तरफ मुड़ी और गुस्से से उसके मुंह पर एक थप्पड़ जड़ दिया । थप्पड़ की आवाज से ही पता चल रहा था की थप्पड़ कितना जोर दार था।

पंखुरी गुस्से में - तुम्हें शर्म नहीं आती क्या यह सब करते हुए।

कसाब अपने गाल पर हाथ मसलते हुए- मैनें क्या किया मालकिन। इतना जोर से कोई मरता है क्या ?

पंखुरी - अच्छा तुम्हे नही पता की तुमने अभी मुझे कहा छुआ। तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ऐसा करने की।

कसाब सहमी हुईं आवाज में - लेकिन मालकिन मेरा तो ध्यान भी नही था की कब मेरा हाथ लगा। मेरा ध्यान तो झाड़ू मारने में था।

पंखुरी - अच्छा ज्यादा बनो मत।

कसाब - सही कह रहा हुं मालकिन मैनें ऐसा कुछ नहीं किया। आप ही देख लीजिए यह कितनी कम जगह है। एक तरफ ये किचन और दूसरी तरफ फ्रीज होने से बीच में कितनी कम जगह है। और ऊपर से इतनी कम जगह में एक साइड आप खड़ी है। और तो और आप झुककर खड़ी होने की वजह से आपके बड़े चूतड़ों और बाहर निकलकर आ गये है। इसलिए और जगह काम हो गई है। इस में मेरा किया कसूर।

उसने सीधे मम्मी के सामने उनके चूतड़ों जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया और तो और बड़े चूतड़ है ऐसा कहा । मुझे लगा अब उसकी खैर नहीं।

पंखुरी ( मम्मी ) गुस्से में - ये क्या वाहियात शब्दो का इस्तेमाल कर रहे हों मेरे सामने गवार कहीं के तुम्हें कुछ अकल है की नहीं । बिल्कुल जाहिल हो ।

कसाब अपनी नजरे नीचे करते हैं - मालकिन अब चूतड़ को चूतड़ नही कहेंगे तो और क्या कहेंगे। ज्यादा से ज्यादा गांड़ कहते हैं। और मैंने क्या गलत कहा मालकिन। आपकी गांड़ बड़ी है इसलिए यहां जगह नहीं बची थी। इसलिए मेरा हाथ लग गया होगा उसे में । मैंने जानबूझकर कुछ नही किया।

उसके द्वारा फिर से अपनी गांड़ के बारे सुनकर मम्मी एकदम स्तब्ध हो गई। मुझे लगा की मम्मी उसको अभी घर से बाहर निकाल फेकेगी लेकिन मेरा अंदाजा गलत हुआ।

पंखुरी धीरे से - ठीक है जाओ झाड़ू पोंछा करके निकलों।

कसाब - जैसा आप कहें मालकिन।

वह साला खुल्लम खुल्लम मम्मी के सामने चूतड़ गांड़ जैसे शब्द बोल रहा था और मम्मी ने उसे ऐसे ही छोड़ दिया। मुझे बहुत हैरानी हो रही थी। आखिर मम्मी ने ऐसा क्यों किया । क्या चल रहा है मम्मी के मन में। वह फिर से झाड़ू मारते हुए आगे निकला और मम्मी उसको पीछे से देख रही थी। तभी मम्मी फिर से मुड़कर किचन पर पड़ी सिब्जीयां साफ करने लगी। वह झाड़ू मारते हुए किचन से बाहर आ रहा था इसलिए मैं चुपके से अपने बेडरूम में उनको दिखे बगैर चला गया।

मैं दरवाजा थोड़ा खुला रखकर चुपके से उसपर नजर रखने लगा। उसने झाड़ू मारने के बाद पोंछा मारने लगा। उसने मेरे कमरे का दरवाजा खोला और मुझे देखकर कामिनी मुस्कान से हंसने लगा। जैसे कह रहा हो की आज तेरी मम्मी की गांड़ को छूकर आ रहा हु।

नयन - क्या है मैंने बेड पर बैठे हुए कहा ?

कसाब - पोंछा मारना है।

नयन - जल्दी से मारो और दरवाजा बंद करके निकलों ।

फिर उसने पोंछा मारा और दरवाजा बंद करके चला गया। वैसे ही मैं उठकर दरवाजे के पास गया और देखने लगा। लेकिन उसने जल्दी से किचन में भी पोंछा मारा और
अपना सारा काम खतम किया और जाने लगा।
कसाब मैन दरवाजे के पास पहुंचा और दरवाजा खोलने वाला था लेकिन वो रुक गया। और वो फिर से किचन में घुस गया। मैं भी जल्दी से किचन की खिड़की पास आ गया और अंदर झांकने लगा। मम्मी अपने ख्यालों मैं ही सब्जी साफ कर रही थी उनका ध्यान उसपर नही था वो मम्मी से थोड़ी
दूरी पर खड़ा था। उसने मम्मी को आवाज लगाई जिससे मम्मी का ध्यान उस पर गया।

कसाब - मालकिन प्यास लगी है पानी मिलेगा

पंखुरी - फ्रीज से बोतल निकलकर पिलो।

तभी कसाब फ्रीज के पास आया। जैसे ही कसाब फ्रीज का दरवाजा खोलनेवाला था वो रुक गया। हैंडल पकड़े हुए मुड़कर उसने मम्मी की तरफ देखा जो ठीक फ्रीज के सामने कुछ ही दूरी पर उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी। मम्मी और फ्रीज में बहुत कम जगह की अंतर थी ।‌ मम्मी ने अपनी गदर्न पीछे करके उसकी तरफ देखा जो मुड़े हुए उनको ही देख रहा था।

पंखुरी - रुक क्यों गए। फ्रीज खोलकर पानी ले लो।

कसाब - मालकिन क्या आप थोड़ा हट सकती है। क्योंकि जगह काम होने की वजह से फ्रीज का दरवाजा खोलते वक्त फिर से मेरा हाथ आपके बड़े चूतड़ को लग सकता है। और आप फिर से मुझे थप्पड़ मारोगी। उसने ' बड़े चूतड़ 'इस शब्द पर कुछ ज्यादा ही जोर दिया दया। मुझे लगा की अब मम्मी हट जाएगी लेकिन जो हुआ उसने मुझे सच में हिला दिया।

मम्मी वैसी ही खड़ी रही बोली - बार बार एक ही गंदे शब्द बोल रहे हों गवार कही के तमीज नहीं है क्या तुम्हें बोलने की

कसाब - बड़े चूतड़ को बड़े ही कहूंगा न मालकिन। हट जाइए

पंखुरी - चुप चाप पानी पियो और निकलों। फ्रीज बहुत दूर है मुझसे।

कसाब - ठीक है मालकिन। कसाब ने अपनी गर्दन फ्रीज की तरफ की। मम्मी अभी भी उसको पीछे गदर्न करके उसको ही देख रही थी।

कसाब ने तेजी से फ्रीज का दरवाजा खोला और वही हुआ जो होना था। उसकी कोहनी मम्मी की गांड़ मे अंदर तक धस गई। लेकिन वो तुरंत निकली नही वैसी ही मम्मी के चूतड़ की दरार में घुसी रही। मम्मी छोटी आंखे करके उसकी तरफ पीछे देखने लगी। और वह अपना चेहरा फ्रीज के अंदर डाले हुए बोतल निकलने लगा इसी बीच वह थोड़ा - थोड़ा दरवाजा आगे पीछे कर रहा था जिससे उसकी कोहनी मम्मी की दरार में घुसने लगी। मम्मी अधखुली आंखों से उसके तरफ देख रही थी। इसी बीच मम्मी ने अपने दोनों हाथ किचन के रैक रखा जिससे उनके चूतड़ और बाहर निकल गए। ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने चूतड़ को कोहनी की तरफ धकेल रही हो।

तभी कसाब ने एक बोतल निकली जो काफी कम भरी हुई थी। कसाब ने फ्रीज का दरवाजा बंद किया और खड़ा होकर बोतल खोलकर मम्मी को देखकर पानी पीने लगा। मम्मी वैसे ही खड़ी होकर उसको पानी पीता हुआ देख रही थी। उसने उस बोतल का सारा पानी पी लिया और उस बोतल को फ्रीज के ऊपर रख दिया।
उसने पानी पीकर बोतल रख दी और वही खड़ा रहा। मम्मी भी अब सीधी उसकी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।

कसाब - बोला था ना मालकिन हट जाइए नहीं तो मेरा हाथ आपके बड़े चूतड़ को लग जायेगा। देखिए घुस गई ना मेरी कोहनी आपकी गांड़ में।

उसके बोलते ही मम्मी ने एकबार फिर एक थपपड़ उसके गाल पर जड़ दिया। लेकिन ये थप्पड़ पिछलेवाले जितना जोर से नहीं था। ऐसा लगा जैसे मम्मी उसके गालों को थपथपा रही हो।

पंखुरी - जल्दी से दफा हो जाओ यहां से।

मम्मी के बोलने पर कसाब तुरंत नजरे नीचे करके घर से बाहर चला जाता है। उसके जाने से पहले ही मैं अपने रूम में घुस गया। उसके जाने के बाद मम्मी अपने बेडरूम चली जाती है। मैं जल्दी से घर के बाहर निकल कर नीचे जाता हूं।

मेरे आने से पहले ही कसाब ने उस शाहरूख को सब बताना शुरू कर दिया था। आज जो हुआ वो सब उसने शाहरूख को बता दिया।

कसाब- उसने मुझे दो बार थप्पड़ मारे।

शाहरुख - लगता है उस पिल्ले को सबक़ सिखाना ही पड़ेगा।
कसाब - उस पिल्ले ने थप्पड़ नहीं मारा , मालकिन ने मारा ।
शाहरुख - मालकिन ने क्यों मारा ?
कसाब - मैंने उसके गांड़ के दरार में अपनी हाथ की कोहनी घुसा दिया। और उसके सामने चूतड़ और गांड़ बोले इसलिए मारी ।
शाहरुख - तुझ में इतनी हिम्मत कहां से आ गई उसके सामने चूतड और गांड़ जैसे शब्द बोलने की । ऐसे भी संस्कारी औरतों की चूत में बहुत गर्मी होती है लेकिन दिखाती ऐसे है की कितनी सती सावित्री है। इसिलए दिखावे के लिए तुझे थप्पड़ मार दिया होगा।

कसाब - पता नही शाहरुख लेकिन जब जब मैं उसके सामने गांड़ और चूतड़ जैसे शब्द बोलता तो मुझे बहुत मजा आ रहा था। अल्लाह कसम शाहरुख उसकी लेने में बहुत मजा आयेगा। सर से पांव तक बहुत चिकनी है वो और सब थप्पड़ों का जवाब उसको चोदकर लूंगा मैं।

शाहरुख - अच्छा अब ज्यादा ख्याली पुलाव मत पका। चल अब बहुत काम है। फिर वह दोनो चले गये और मैं वापिस घर आ गया और अपने बेडरूम चला गया । ये दिन भी इन सब बातों में ही निकल गया।
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#44
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#45
अगली सुबह दस बज चुके थे लेकिन कसाब अभी तक नही आया। मैंने ग़ौर किया की मम्मी बार बार किचन से मुख्य दरवाजे की तरफ देख रही थी। तभी फोन की घंटी बजी और मैंने फोन उठाया। फोन पापा का था ओफिस से।

नयन : हां पापा बोलिए क्या बात है।

पापा : बेटा आज वो कसाब काम पर नहीं आयेगा। मम्मी को बोल दो

नयन : पर क्यू पापा।

पापा : मुझे भी पता नहीं बेटा वह हरामखोर बोल रहा था कि कोई काम हैं।

नयन : ठीक है पापा कहकर मैंने फोन रख दिया। फिर मैंने मम्मी को बोला । मम्मी आज वह कसाब काम पर नहीं आयेगा । उसे कुछ काम है इसलिए वह आज नहीं आएगा ।

पंखुरी : ठीक है बेटा। ऐसा कहकर मम्मी काम पर लग गई। उनके चेहरे के भाव मुझे बदले हुए लगे।

फिर दो दिन ऐसे ही निकल गया। दूसरे दिन 9 बजे मैं नहाकर हॉल में आया। मम्मी खुद पोंछा लगा रही थी।

नयन : मम्मी आप क्यों पोंछा लगा रही हो।

पंखुरी : पता नहीं बेटा वह आज आयेंगा की नहीं इसलिए लागा लेती हूं।

थोड़ी देर में बेल बजी। मम्मी ने दरवाजा खोला और कसाब पान चबाते हुए अंदर आया। दोनों एक दूसरे को देख रहे था। आज भी उसने शॉपर्स पैंट और टी-शर्ट पहना हुआ था।

पंखुरी- कल क्यू नहीं आए थे।

पंखुरी : वह मम्मी के चूची की तरफ देखते हुए कहा , कुछ काम था मालकिन इसिलए नहीं आ पाया। दोनों ऐसे बात कर रहे थे जैसे पिछले दिनों में कुछ हुआ ही नहीं हो उनके बीच। आज मैंने झाड़ू , पोछा मार लिया है। तुम एक काम करो हमारे स्टोर रूम की सफाई करो आज ।

कसाब : जैसे आप कहें मालकिन ?

पंखुरी : रुको मैं चाभी ले आती हुं।

ऐसा कह के मम्मी मुड़कर जाने लगी तब वो मम्मी की साड़ी में कसी हुई गांड़ को ताड़ने लगा मेरे सामने और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगा। मैं सोच में पड़ गया कि आखिर मम्मी ने स्टोर रूम क्यू साफ करने को कहा ?
घर की तीसरी मंजिल पर सबसे आखिरी मैं हमारा बड़ा सा स्टोर रूम है जो काफी सालों से बंद है। उसमें सारी पुरानी चीजे रखी है। ज़्यादा तीसरी मंजिल का इस्तेमाल नहीं होता है।
फिर मम्मी चाभी लेके आई। और सीढ़यों से आगे चलने लगी और वह मम्मी के पीछे और उनके हिलते चूतड़ को घूरते हुए चलने लगा। मैं भी उनके पीछे धीरे से ऊपर आ गया और एक जगह छुपकर खड़ा हो गया। मम्मी स्टोर के दरवाजे पास जाकर ताला खोलने के लिए झुकी और वह मम्मी के ठीक पीछे खड़ा हो गया। झुकने की वजह से मम्मी की गद्देदार गांड़ ऊपर उठ गया और अपने पूरे आकार में आ गया। मम्मी की पूरी चिकनी पीठ से मांसल गोरी कमर तक नंगी थी सिवाय एक ब्लाउज की पट्टी के ।

मम्मी के उठे हुए गांड़ के उभारों को देखकर कसाब का लंड खड़ा हो गया। वह मम्मी से सटकर खड़ा हो गया इस वजह से उसका लंड मम्मी की गांड़ की दरार में चुभने लगा।

मम्मी को पीछे चुभन महसूस हुई इसलिये उसने पीछे देखा तो कसाब उसके गांड़ से सटके खड़ा उनके चूतड़ को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था। मम्मी और उसकी
नजरे एक हुई लेकिन वो पीछे नहीं हटा। मम्मी ने जल्दी जल्दी में ताले को खोला और खड़ी हो गई। मम्मी ने दरवाजा खोला और दोनो अंदर चले गए।

ये लाइव सीन देखकर मेरा तो हालात खराब हो गया. उस गंदे आदमी ने आज सीधा मम्मी के चूतड़ों को अपना लंड सटा दिया । हे भगवान लेकिन मम्मी ने देखते हुए भी कुछ नहीं बोली। वह दोनों रूम में दाखिल हो चुके थे अब मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा था। मेरे मन में अजीब खयाल आ रहे थे। इसिलए मैने एक प्लान बनाया। मैंने अपने पैरों का आवाज निकाला जैसे उनको लगें की कोई ऊपर आ रहा है और मैंने स्टोर रूम से दूर खड़ा हो गया। किसी की आने की आहट सुनकर मम्मी बाहर आई।

पंखुरी - क्या हुआ नयन तुम ऊपर क्यू आए।

नयन - मम्मी मैं बाहर जा रहा हुं दोस्तो के पास ।

पंखुरी - ठीक है बेटा जाओ ।

मैंने जल्दी से में डोर जानबूझकर जोर से खोला ताकि स्टोर रूम तक उसकी आवाज जाए और दरवाजा वैसे ही खुला रख के अपने बेडरूम में छुप गया। मैंने बेडरूम के दरवाजे को थोड़ा खुला रख के बाहर झांकने लगा मुझे घर का दरवाजा दिख रहा था। मैं ये देखना चाहता था की अगर मम्मी के मन में कुछ बुरा है तो उनको अकेले छोड़ना पड़ेगा तब पता चलेगा कि बात क्या है। इसलिए वो घर में दोनों अकेले हैं ऐसा उन्हें लगना चािहए। अगर सच में दाल में कुछ काला है तो जरूर मम्मी मेन दरवाजा बंद हैं या नहीं ये देखने आएगी और अगर खुला हुआ तो जरूर दरवाजा बंद करेगी। अगर मम्मी के मन में कुछ भी गलत नहीं हुआ तो नहीं वह दरवाजे को देखने आएगी और नहीं खुले दरवाजे को बंद करेगी।

मैं चुपके से दरवाजे को देख रहा था। मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा। मुझे बहुत पसीना आ रहा था। ना जाने क्यों मैं ये चाह रहा था की मम्मी दरवाजा बंद करने आए। एक तरफ मुझे बुरा भी लग रहा था कि मैं मम्मी के बारे में इतना बुरा सोच रहा हूं।

ये सब बहुत जल्दी जल्दी हुआ। थोड़ी ही देर में मुझे छन छन की आवाज सुनाई दी। मैं समझ गया की ये मम्मी की पायल की घुंगरू की आवाज है। इसका मतलब मम्मी आ रही थी। मेरा दिल एकदम से धड़क उठा।

तभी मुझे मम्मी दिखी । उन्होंने दरवाजे को बंद किया और सारे लॉक लगाकर ऊपर चली गई। अब मेरे दिल में धड़कन बढ़ गई। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की मम्मी ऐसा कुछ करेगी। मैं अपने बेडरूम से बाहर आकर धीरे कदमों से ऊपर की मंजिल आया और स्टोर रूम की तरफ बढ़ने लगा। जैसे ही मैं स्टोर के पास आया उसका दरवाजा मुझे बंद दिखा। घर के सबसे लास्ट वाला कमरा वही था उसको लगकर हमारी बड़ी सी बालकनी थी।

मैं बालकनी में गया और बालकनी से स्टोर रूम की खिड़की से नीचे बैठकर अंदर झांकने लगा। ऐसी जगह से झांक रहा था जिससे उन्हें में दिख ना सकू ।

जैसे मैंने झांका मुझे पूरा रूम दिखने लगा। मम्मी और कसाब दरवाजे के पास आजूबाजू खड़े थे।

मम्मी ने आज झीनी पारदर्शी लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी। उसपर लाल रंग का छोटा सतीन का स्लीवलेस ब्लाउज। उसमे मम्मी के चुचियों समा नही रहे थे। पल्लू से सिर्फ बाईं चूची को ढका हुआ था। दाएं तरफ का चूची का कप बेपरदा था। चूची के बीच की लंबी सी क्लीवेज दिख रही थीं। छोटे से ब्लाउज में इतने बड़े चूची बेरहमी से दबे हुए थे। गोरी बाहें , पीछे पूरी गोरी पीठ नंगी थी। सिर्फ ब्लाउज की एक पट्टी थी। साड़ी काफी कसके नीचे कमर पर बांध रखी थी जिससे पूरा पेट नंगा था। साड़ी इतनी टाइट बंधी थी कि मम्मी के चूतड का बड़ा आकार बाहर दिख रहा था। खूबसूरत चेहरे पर हल्का सा मेकअप, होंठों पर हल्की लाल लिपिस्टिक। वाकई मम्मी एक सेक्स बॉम्ब जैसी दिख रही थी। रूम काफी दिनों से बंद होने की वजह से पूरा धूल से भरा हुआ था। अंदर उनको थोड़ी घुटन सी भी हो रही थी क्योंकि वो दोनो खास रहे थे। अंदर धूल होने से पंखा भी नहीं चला सकते थे। इसिलए उन दोनो को पसीना भी आने लगा। अंदर सारी चीजे बिखरी पड़ी थी। पुराना बेड, अलमारी , सोफा, कुछ पूराना फनीर्चर, रद्दी के कागज, गद्दे, सब तरफ मकड़ी के जाले बने हुए थे। घर का सब कबाड़ यही पड़ा हुआ था। मम्मी ऐसी जगह नही जाती थी इसिलए उनको घुटन सी लग रही थी। मम्मी बार बार मुंह पर हाथ ढक रही थी।

कसाब - मालिकन नयन बाहर गया क्या ?

मम्मी उसके पैंट के उभार को देख रही थी।

पंखुरी - हां वह चला गया ।

कसाब - ये स्टोर रूम का दरवाजा क्यू बंद कर दिया मालकिन ।

उसने मम्मी को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहा। उसका पान चबाना जारी था।

पंखुरी - वो कमरा साफ़ करते वक्त धूल बाहर नहीं जाना चाहिए इसीलिए दरवाज बंद किया ।

दोनो को हल्का हल्का पसीना आने लगा था।

पंखुरी - कसाब काम शुरू करो जल्दी ?

कसाब - मालकिन यहां बहुत धूल है आप बाहर चले जाइए।
पंखुरी - नहीं मैं यही रुककर तुमको कौन का करना है ये समझाती हूं।

उसने अपनी शर्ट निकलकर बाजू में रख दी। उसका शरीर पूरा काला था जो पसीने की वजह से चमकने लगा। दोनों अभी एक-दूसरे के बाजू में ही खड़े थे। उसने मम्मी की आंखों में देखते हुए गदर्न टेढ़ी करके उनकी गद्देदार गांड़ को देखा। मम्मी भी उसकी नजर भांप गई की वो क्या देख रहा है। फिर ‌उसने बाजू में पड़ा झाड़ू उठाया और एक कोने से सफाई करने लगा। मम्मी भी उसके आगे कोने मे पड़ी हुई कुछ चीजे उठाने लगी। जितनी बार मम्मी झुकती उतनी बार मम्मी की गांड़ ऊपर उठ के अपना गोल आकार बना लेती।
कसाब झाड़ू लगाते हुए मम्मी की गांड़ को भी ताड़ रहा था। मम्मी भी पीछे मुड़कर उसको अपने चूतड़ को घूरते हुए पकड़ रही थी। उनकी नजरे आपस मैं टकरा रही थी लेकिन मम्मी उसको कुछ नही बोल रही थी।
मम्मी के भड़काऊ कपड़े और उनसे दिखने वाली नंगी कमर , चिकना पेट उसको अट्रेक्शन कर रहा था।
उसकी आखों में वासना साफ झलक रही थी। दोनों अब पूरी तरह से पसीने से लथपथ हो गए। एक वक्त ऐसा आया जब मम्मी और वो आमने सामने आ गए। मम्मी झुकी हुई थी जिससे उनके चूची की गहरी खाई और भी गहरी दिखने लगी। मम्मी की गदर्न से पसीना बहकर सीधा उस चुची की खाई में समा रहा था।

कसाब के लंड ने अपना पूरा आकार धारण कर लिया जिससे उसके पैंट का उभार बहुत बड़ा लगने लगा। वह वैसे ही नीचे झुके हुए मम्मी की चुची और उसकी लंबी सी लाइन को घूरने लगा। मम्मी ने उसकी तरफ देखा और फिर अपने चुची की क्लीवेज की तरफ देखकर अपनी गदर्न नीचे कर ली। मैं तो बिल्कुल शोक में था की आखिर मम्मी अपनी चूची को ढक क्यूं नही रही है। वो साला गंदा आदमी मम्मी के चुची और क्लीवेज को देखकर मजे ले रहा था और मम्मी उसे मजे लेने दे रही थी। ये सब देखकर मेरा पूरा शरीर गरम हो गया। मम्मी वैसे ही उसके सामने झुकी हुई कुछ कागज देख रही थी। कसाब झाड़ू लगाते हुए मम्मी के बाजू से जाने लगा। उसका काला शरीर पूरा पसीने से चमकने लगा। जब वो बाजू से जाने लगा तो मम्मी उसके खड़े लंड के उभार को घूरने लगी। तब मम्मी ने ऐसा कुछ किया जिसकी मुझे उम्मीद नहीं थी। मम्मी ने अपनी गदर्न थोड़ी उसकी तरफ घुमाई और जोर से सांस को अंदर लिया। मम्मी उसके शरीर की बदबू को सूंघ रही थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मम्मी उस गंदे आदमी के शरीर की बदबू क्यू सूंघ रही हैं।
कसाब मम्मी के बाजू से निकलकर थोड़ा आगे जा के रुका और पीछे मुड़कर मम्मी के उभरे हुए नरम चूतड़ों को घूरने लगा । वही चूतड़ जिनको उसने थोड़ी देर पहले अपने पैंट के उभार से छुआ था।

झाड़ू लगाने की आवाज बंद होने की वजह से मम्मी ने झुके हुए मुड़कर पीछे देखा की कसाब बहुत पास से उनकी बड़ी गांड़ को घूर रहा है। उनकी नजरे एक हुई फिर उसने अपने माथे के पसीने को अपनी उंगली से पोंछा और मम्मी की तरफ देखते हुए पसीने की उंगली को मम्मी की गांड़ पर झटक दिया जिस वजह उसके मैले पसीने की बूंदे मम्मी की गांड़ पर और चिकनी कमर पर गिर गई। फिर वो अपना सिर नीचे करके आगे झाड़ू लगाते हुए चलने लगा। मम्मी अब खड़ी हो गई। और पीछे से उसको झाड़ू लगाते हुए उसके पसीने भरे गंदे काले शरीर को देखने लगी। मम्मी ने अपनी कमर पर गिरे उसकी पसीने की काली बूंदों को देखा। मम्मी
की गोरी चिकनी कमर पर उसके पसीने की बूंदे काले दाग की तरह लग दिख रहे थे। मम्मी ने उसके पसीने की गंदी बूंद को अपनी उंगली पर लिया और नाक के पास लाकर सूंघने लगी। इस वक्त मम्मी ने अपना मुंह थोड़ा खराब बनाया। जैसे बदबू आ रही हो मम्मी की सांसे तेज हो रही थी जिससे उनके चूची ऊपर नीचे करने लगे।

। मम्मी और कसाब पसीने से पूरे गीले हो चुके थे मम्मी का ब्लाउज भी हल्का सा गीला हो चुका था। मम्मी की चिकनी गोरी कमर पर पसीने की बूंदे किसी हीरे की तरह चमक रही थी। एक गन्दा नौकर आदमी मेरी मम्मी की गांड़ को ताड़ रहा था और मम्मी उसे अपनी गांड़ दिखा रही थी। और तो और उसके गंदे काले शरीर को निहार रही थी। उसके पसीने को सूंघ रही थी । मेरे लिए ये काफी नया था। फिर मम्मी की नजर दीवार पर लगी एक पुरानी तस्वीर पर गई। मम्मी दीवार के पास जाकर उस तस्वीर को निकालने लगी। मम्मी इस तरह तस्वीर निकल रही जिससे उनकी गांड़ कुछ ज्यादा ही उठ के बाहर निकल आई। पर मम्मी से तस्वीर निकल नहीं रही थी। मम्मी ने कसाब की तरफ मुड़के देखा वो झाड़ू मारने लगा हुआ था।

पंखुरी - कसाब जरा इधर आना ।

मम्मी अपने दोनों हाथ को ऊपर करके तस्वीर को पकड़े हुए थी। इसिलए उनकी चिकनी पीठ उसके सामने आई। मम्मी तस्वीर को साफ करने मैं लग गई। कसाब मम्मी की चिकनी पीठ से लेकर उनकी नंगी कमर और बाहर निकली हुई गांड़ को घूरते हुए मम्मी के पास आकर उनके बाजू मे खड़ा होने की बजाय मम्मी के पीछे उनकी ऊपर उठी हुई गांड़ से सटकर खड़ा हो गया। कसाब मम्मी की गांड को लंड चुभाते हुए उनकी नंगी गोरी पीठ से चिकनी कमर तक बहने वाले पसीने को एकटक घूरने लगा। कसाब किसी दिरंदे की तरह मम्मी की उभरी गांड को देख रहा था। उसकी हिम्मत अब और बढ़ गई थी। मेरा तो बुरा हाल हो चुका था सब देख के ।
मम्मी को अपनी चूतड़ पर चुभन महसूस हुई वैसी ही जैसे दरवाजा खोलते वक्त हुई थी। मम्मी को समझने मैं देर नही लगी की कसाब अपना लंड उनकी गांड में चुभा रहा है।
मम्मी ने पीछे मुड़कर कसाब को अपनी गांड से सटा हुआ उनकी पीठ से लेकर गांड तक घूरता पाया। अपने से कम उम्र के आदमी के लंड चुभवाने से मम्मी की सांसे भारी होने लगी।

कसाब ने मम्मी की गांड के पास वैसे ही खड़े रहकर उनकी तरफ देखते हुए कहा - क्या काम है मालकिन ऐसा पूछा। और पान चबाने लगा।

पंखुरी हकलाते हुए - वह इस तस्वीर को निकालने मैं मेरी मदद करो। मम्मी की सांसे भारी हो चली थी। वैसे ही कसाब ने एक नजर मम्मी की आंखों में देखा और फिर मम्मी की गांड से सटे हुए उसके उभार को देखकर पीछे हटा। मम्मी की आंखे वासना से भर चुकी थी। अपने नौकर से लंड चुभवाकर मम्मी गरम हो रही थी।
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#46
next update bro... come fast
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#47
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#48
Update....

कसाब वही पर पड़ा हुआ एक स्टूल लाया और दीवार के पास रख दिया जहां तस्वीर टंगी हुई थी। स्टूल का एक पैर नीचे थोड़ा टूट चुका था इसलिए स्टूल ठीक से बैलेंस नहीं हो रहा था
कसाब - इसको पकड़कर रखो मालकिन मैं निकलता हुं।
पंखुरी - ठीक है तुम चढ़ जाओ।

मम्मी ने स्टूल को पीछे से पकड़ने की बजाय स्टूल को साइड से झुककर पकड़ा। अब मम्मी की आंखों के एकदम करीब उसके पैंट का बड़ा सा उभार आ गया। मम्मी आंखे फाड़े उसके पैंट के खड़े लंड को देखने लगी। मम्मी ने अपना थूक को गले से निगला और एकटक उभार को घूरने लगी।

कसाब तस्वीर निकलने की कोशिश कर रहा था पर तस्वीर निकल नहीं रही थी। इस जद्दोजहत में स्टूल भी थोड़ा लड़खड़ा रहा था। जिस वजह से मम्मी भी हिलने लगी और उसके सामने फारूक के लंड का उभार भी इधर उधर हिल रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे उसने अंदर अंडरिवयर नहीं पहना था।
तभी कसाब की नजर नीचे मम्मी पर गई जो एकटक उभार को देख रही थी। उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। तभी कसाब ने एक तेज झटका मारा जिससे से मम्मी ने देख लिया। मम्मी ने झुके हुए ऊपर देखा उनकी नजरे एक हुई तो मम्मी ने कसाब को अपने चूची को देखता हुआ पाया।
मम्मी ने अपनी नजर नीचे करके अपने चूची को देखा तब उनको ध्यान आया की उनका पल्लू नीचे गिरा है और पूरे चूची बेपरदा हो रखे हैं। मम्मी ने फिर उसकी तरफ देखा अभी भी वो पान चबाते हुए चूची को मन में चूस रहा था।

कसाब - पान चबाते हुए मालकिन तस्वीर निकल ही नहीं रही है। ऐसा बोलते हुए उसके मुंह से थूक की लाल लार टपक कर नीचे मम्मी की क्लीवेज में गिरा और बहकर चूची के बीच में समा गई।

कसाब - माफ करना मालकिन गलती हुई।

पंखुरी - तुम्हे कितनी बार कहा है की पान मत खाओ।

कसाब - मालकिन अब कम कर रहा हु खाने का।

लेकिन मम्मी ने उसके थूक को नही पोंछा।


पंखुरी - कसाब तुम नीचे उतरो मैं ट्राय करती हुं तुम स्टूल पकड़ों ।
फिर कसाब नीचे आ गया और मम्मी हिलते हुए स्टूल पर चढ़ गई।
अब कसाब दीवार को पीठ लगाके स्टूल पकड़कर खड़ा हो गया। मतलब उसके सामने मम्मी का खुला पेट और गहरी नाभि आ गई। पर पल्लू होने की वजह से सब ढका हुआ था। उसके मुंह और मम्मी के चिकने सपाट पेट के बीच बहुत कम दूरी थी। मुझे यह उससे काफी जलन हो रही थी। एक शादीशुदा गरम बदन की औरत उसके पास खड़ी थी इसलिए उसे भी वासना सिर चढ़ चुकी थी। मम्मी तस्वीर को निकालने लगी। तभी मम्मी को अपने पेट पर गरम सांसे महसूस होती हैं । जब मम्मी सिर को नीचे करके देखती है। कसाब आंखे बंद किए हुए मम्मी के पेट से थोड़ी ही दूर
अपनी नाक से मम्मी के बदन की खुशबू सूंघ रहा था। वो लगातार आंख बंद किए हुए वैसा ही किए जा रहा था। उसकी गरम सांसों की वजह से मम्मी के रोंगटे खड़े हो गए। दोनो पसीने से तरबतर हो चुके थे। उसका मम्मी के बदन को आंखें बंद करके सूंघना जारी था मम्मी उसे ऐसा करते हुए देख भी रही थी मगर कुछ कह नहीं रही थी। तभी मम्मी के गाल से होते हुए पसीने की धार उसके मुंह पर गिरी। उसने अपनी आंखे खोली और मम्मी को उसकी तरफ देखता पाया। मम्मी उसकी ये हरकत देखकर एकदम दंग रह गई । मम्मी का पेट अभी भी पल्लू से ढका हुआ था। कसाब ने मम्मी के पल्लू की एक कोने को अपने दांतों में पकड़ लिया।
मम्मी को पता चले बिना फारूक धीरे धीरे उनके पल्लू को दांतो मे पकड़कर नीचे खिसकाने लगा। वो बहुत धीरे से मम्मी के पल्लू को नीचे खींच रहा था। उसने पल्लू को इतना नीचे कर दिया की बाकी का पल्लू अपने आप ही नीचे गिर गया। पल्लू गिरते ही मम्मी ने अचानक से नीचे देखा पर उसके पहले ही कसाब ने अपना सिर नीचे कर लिया और ऐसा नाटक करने लगा जैसे उसको कुछ पता ही नही। बहुत शाितर था वो कमीना।

अब मम्मी के बड़े चुचियों फिर से बेपदार् हो गये साथ मैं मम्मी का पूरा चिकना सपाट पेट , और मम्मी की गहरी गोल नाभि जिसको देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ सकता है उसके सामने थी।। मम्मी उसकी तरफ नीचे देख रही थी पर मम्मी ने पल्लू को नही उठाया। उसने अपना मुंह नीचे कर रखा था। उसने धीरे से अपने चेहरे को ऊपर उठाया।
उनकी नजरे एक हुई। मम्मी की डीप नाभि उसके ठीक मुंह के सामने थी और मम्मी के पहाड़ जैसे चूची ठीक उसके सिर के ऊपर थे। मम्मी ने बिना पल्लू उठाए अपने चेहरा ऊपर करके तस्वीर निकालने लगी।

कसाब के मुंह ने जैसे ही मम्मी की नाभि छुआ मम्मी की सिसकी निकल गई। मम्मी ने कसाब को अपनी नाभि मैं मुंह घुसाए देखा । उसने मम्मी की नाभि से अपना मुंह हटाया।

और मम्मी की तरफ देखा। मम्मी की सांसे बहुत तेज चल रही थी। उनके चूची जोर से ऊपर नीचे हो रहे थे। मम्मी काफी गरम हो गई थी।

कसाब - मालकिन आप चिंता मत कीजिए मैने पकड़ रखा आप तस्वीर निकालए ऐसा कहकर मम्मी को देखते हुए फिर से उनकी नाभि मैं अपना मुंह घुसा दिया। मम्मी की जोर से सिसकी निकल गई।
कसाब ने मम्मी की परवाह किए बिना उनकी नाभि पर चुम्मा जड़ दिया। आ..आ.. मम्मी की फिर से सिसकी निकली
मम्मी उसकी तरफ देखने लगी। उसने भी मम्मी की तरफ देखकर अपनी जुबान बाहर निकाल के पूरे पेट के पसीने को चाटने लगा l आह...आह...रूको कसाब ऊई....उफ... मम्मी धीरे धीरे सिसकी हुए बोलने लगी

जिस मुलायम बेदाग चिकने पेट और नाभि पर सिर्फ मेरे पापा का अधिकार था उसपर आज हमारे घर का नोकर चाट कर उसके मुंह का ठप्पा लगा रहा था।
उफ्फ आह...आह.....आई..... माई.... कसाब छोड़ प्लीज़ मम्मी ने उसके सिर पर हाथ रख दिया मम्मी की सिसकी बढ़ने लगी।
मम्मी उसको रुकने का बोल रही थी पर मम्मी खुद उसको दूर नहीं कर रही थी। मम्मी ने अपने दोनों हाथ उसके सिर पर रख दिए। दोनों पसीने से सन चुके थे।
कसाब जोर जोर से मम्मी की नाभि को चूस रहा था और मम्मी के चूची के बीच से आ रहे पसीने को चाट रहा था

आह..आह... आई..... हुं.. उफ़...... प्लीज़ उफ़ मम्मी कसाब छोड़ प्लीज़ मम्मी उसको बालों को सहलाते हुए सिसक रही थी ।

तभी कसाब ने अपना मुंह मम्मी की नाभि से हटाया और ऊपर मम्मी की तरफ देखा। मम्मी के दोनों हाथ उसके सिर पर थे। एकबार फिर मम्मी की नाभि चुसाई शुरू कर दी।

उफ...चप...लप.....लप.... चुसाई की आवाज आने लगी।और उसके साथ मम्मी के सिसकने की उई .. उफ़ ... प्लीज़ आई मम्मी....

वह मम्मी की आंखों में देखते हुए नेवल को चूसे रहा था। और मम्मी उसकी तरफ देखकर सिसक रही थी।
तब मम्मी की जोर से सिसकी निकली और मम्मी का पूरा बदन थरथराने लगा। मम्मी ने कसाब के मुंह को अपने पेट पर दबोच लिया। मैं समझ गया कि मम्मी झड़ चुकी है। उनके जांघो से पानी पैरो तक आ गया।

थोड़ी देर में मम्मी होश में आई तब मम्मी को क्या हुआ पता नही पर मम्मी बिजली की रफ्तार से नीचे उतरी और उसने जोर से कसाब के कान में एक थप्पड़ जड़ दिया। बेवकूफ ये तुमने क्या कर दिया मम्मी बोली तभी घर की दरवाजे की बेल बजी।
मम्मी ने सारे पेट को साड़ी से साफ करके जल्दी से अपने आप को ठीक किया। मैं जल्दी से उनके पहले नीचे जाकर अपने रूम में घुस गया और थोड़ा बाहर दरवाजे की तरफ झांकने लगा।
तभी मम्मी नीचे आई। मम्मी ने दरवाजा खोला सामने पापा जी खड़े थे। पापा जी मम्मी को ऊपर से नीचे तक घूर रहे थे और घूरे भी क्यों ना मम्मी पूरे पसीने से तरबतर हो गई थी।

क्या हुआ जी - मम्मी ने पूछा।
पापा जी - वो कसाब कहा है उसको काफी टाइम हो गया ना।
मम्मी - वो स्टोर रूम की सफाई करनी थी ना जी इसिलए देर हो गई ।


पापा जी - जरा भेज दो उसे ।

पापा जी ने कहा और चले गए। इधर कसाब नीचे आता है। वो अपने गाल को हाथ लगाए मम्मी के सामने खड़ा हो जाता है।
उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए- तुम जल्दी से नीचे चले जाओ। तुम्हारे साहब बुला रहे है।

उसने अपने शर्ट को पहना और चेहरा उतारे घर से निकल गया दरवाजा खुला छोड़कर। मम्मी अपने रूम मे गई तभी मैं चुपके से हॉल में आकर बैठ गया। मम्मी उसके बेडरूम से बाहर आई और मुझे देखकर चौंक गई।

मम्मी - नयन तुम कब आए।

नयन - बस मम्मी अभी अभी आया। मैंने बहाना बना दिया। फिर मम्मी अपने रूम में चली गई।

जो कुछ भी मैने देखा वो सब के बारे में सोचकर मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। आखिर मम्मी ऐसा कैसे कर सकती है वो भी अपने दुश्मन के साथ।
इतना बहक गई की अपना पानी निकाल दिया। ऐसा क्या जादू था उस गंदे कसाब मैं। बार बार मेरे सामने स्टोर रूम की तस्वीर आ रही थी। क्या पापा और मम्मी की सेक्स लाइफ ठीक नहीं है। किया पापा मम्मी को संतुष्ट नहीं करते होंगे । मेरा सिर दर्द करने लगा सब सोचकर।
वो दिन ऐसा ही निकल गया।

दूसरे दिन मैं सुबह उठ्ठकर तैयार होकर हॉल में बैठ गया लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था लेकिन मुझे अजीब सी बैचैनी महसूस हो रही थी। मैं खुद समझ नही पा रहा था
जिस को एक नौकर के छूने से वासना भड़क उठी थी। मुझे इस सब की वजह पापा ही लग रहे थे। जिन्होंने कभी मम्मी पर ध्यान नहीं दिया। अब देखना ये था की मम्मी कहा जाकर रुकती है। अब आगे.....

मम्मी मेरे सामने कई बार इधर से उधर घूम रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वो भी किसी सोच में डूबी हो। तभी दरवाजे की घंटी बजी। मेरा ध्यान मम्मी पर ही था। घंटी बजते ही मम्मी एकदम से एक जगह पर भूत बनकर खड़ी हो गई और एकटक दरवाजे की तरफ देखने लगी ऐसा लग रहा था जैसे उनकी सांसे फूल गई हो।
नयन - मम्मी क्या हुआ दरवाजा खोलिए।
पंखुरी - तुम जाकर खोल दो नयन ऐसा बोल के वो किचन में चली गई।
मैंने दरवाजा खोला और उम्मीद के मुतािबक कसाब ही था।
मुझे देखकर घिनौनी हसी हंसते हुए वो अंदर आया। मम्मी ने उसको किचन से देखा दोनों की नजरे एक हुई।

फिर उसने पूरे घर को झाड़ू मारा। किचन में भी मारा गया लेकिन दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई। फिर पोंछा मारते हुए वो किचन में गया तभी नजरे करके मैंने देखा
कि मम्मी ने धीरे उसे कुछ कहा जो मुझे सुनाई नही दिया। मुझे समझ नहीं आया कि मम्मी ने क्या कहा होगा उसे।

उसने फिर अपना काम खतम किया और हॉल से मम्मी को आवाज लगाई।

कखाब - मालकिन काम हो गया मैं जाता हूं।

तभी मम्मी किचन से हॉल में आती है। और से बोलती है

पंखुरी - रुको बेडरूम में मुझे ऊपर से कुछ चीजें निकालनी है चलो मेरे साथ। यह सुनकर उसके चेहरे पर चमक आ गई।

फिर मम्मी अपने बेडरूम में गई और वह उनके पीछे। मैं ऐसे बतार्व कर रहा था उनके सामने जैसे मैने कुछ सुना ही नहीं। पर जैसे ही वह दोनों बेडरूम में गए मैंने बिना सिर हिलाया नजरों की कोहनी से रूम की तरफ देखा तो मुझे धक्का लगा। क्योंकि मम्मी ने रूम का दरवाजा धीरे से बंद कर दिया । में उठकर मम्मी के रूम की खिड़की के पास आया और खिड़की की महीने सी दरार से अंदर झांककर देखने लगा। वों दोनो एक दूसरे के सामने खड़े थे।
मम्मी ने जोर से एक थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया।
मम्मी - कसाब जो कुछ कल तुमने किया वो गलत किया। वो नही होना चाहिए था। तुम्हे शर्म नहीं आती ऐसा करते हुए।

कसाब - मुझे माफ कर दीजिए मालकिन। आपका चिकना सपाट पेट और गहरी नाभी इतने पास देखकर मैं बहक गया था। उसने अपने गाल पर हाथ रखा।
मम्मी - यही तो तुम्हें तमीज नहीं है की कैसे बात करते है खुले आम मेरे सामने गंदे शब्द का इस्तेमाल करते हो।
कसाब - लेकिन इसमें मेरी गलती नहीं है मालकिन। जब मैं आपके पेट और नाभि को चाट रहा था तो आपको मुझे रोकना चाहिए था लेकिन आपने मुझे नहीं रोका। और तो
और अपने मेरे सिर को अपने पेट पर दबा लिया । उस दिन भी थप्पड़ मारा और आज भी।

मम्मी उसके जवाब से सकपका गई उन्हे कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या बोले।


मम्मी गुस्से मैं - देखो जो हुआ वो सब भूल जाओ। और आगे से ऐसी हरकत मत करना समझे। और किसी को इस बारे में मत बताना। अब जाओ

कसाब- एक बात कहूं मालकिन आप बुरा तो नहीं मानोगी।

मम्मी - हां बोलो

कसाब - आप बोहोत खूबसूरत है मैंने आपके जैसी औरत आज तक नही देखी सिर से लेकर पांव तक आप एकदम माल़ है।

मैंने देखा की उसकी बात सुनकर मम्मी के चेहरे पर मुस्कान तैर गई है। लेकिन उन्होंने हंसी को उसके सामने सीधे तौर पर बयान नहीं की।

मम्मी गुस्से में - हो गई तुम्हारी बत्तमीजी अब जाओ। नही तो और थप्पड़ पड़ेंगे।मैं जल्दी से हॉल में आकर सोफे पर बैठ गया। वो दोनो भी बाहर आ गए। फिर कसाब नीचे चला गया। मैंने मम्मी के चेहरे पर गौर किया कि उनका चेहरा काफी खिला हुआ लग रहा था। वो दिन दन ऐसे ही चला गया।
.......................................
अगले दिन मैं तैयार होकर हॉल में बैठ गया। मुझे बार बार वही याद आ रही थी। कैसे कसाब की हिम्मत बढ़ गई।
मम्मी ऊपर की मंजिल पर गई थी। तभी बेल बजी मैंने दरवाजा खोला। सामने वही कसाब खड़ा था।
मैने उसे गुस्से से देखा लेकिन वो मेरी तरफ देख मुस्कुरा रहा था। तभी मम्मी ऊपर से नीचे आई। उन्होंने पीले कलर की साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहन रखा था। जो सिर्फ़ एक पट्टी सहारे टिका हुआ था। पूरी चिकनी गोरी पीठ ऊपर से नीचे तक नंगी थी जो सिर्फ़ खुले बालों से ढकी थी। नॉर्मली थोड़ा बहुत जो पल्लू से पेट ढका हुआ रहता था वो आज कुछ ज्यादा ही खुला था। जिससे मम्मी की डीप नाभि बहुत खूबसूरत लग रही थी और साड़ी का तो पूछो ही मत हद से ज्यादा टाइट बांध रखी थी कमर पर।

झाडू लगाते हुए कसाब ने मम्मी की तरफ मुस्कुराते हुए देखा। मम्मी भी उसको देखते हुए उसके पास से गुजरने लगी। जैसे मम्मी ने उसको क्रॉस किया उनकी चलने की लचक कुछ ज्यादा ही बढ़ गई। पूरी नंगी पीठ पर खुले लहराते बाल, और नीचे पतली कमर पर टाइट बंधी हुई साड़ी। उसके नीचे दो गुब्बारे जैसे फू ले हुए चूतड जो ऊपर नीचे होकर आतंक मचा रहे थे।

जब मम्मी जा रही थी तब कसाब ने मेरी तरफ देखा और भद्दी तरीके से हंसा।

फिर उसने झाड़ू उठाकर सफाई करनी शुरू की। पीछे से झाड़ू मरते हुए वो किचन में घुस गया। उसके किचन में घुसते ही मम्मी तुरंत किचन से बाहर आ गई और वाशिंग मशीन की तरफ गई। थोड़ी देर में मुझे वाशिंग मशीन की आवाज सुनाई दी। इसका मतलब मम्मी कपड़े धो रही थी। कुछ देर बाद मम्मी बाल्टी में कपड़े लेकर हॉल में आई और सोफे पर बैठ गई। कसाब ने भी लगभग अपना सारा काम खतम कर लिया और वो मम्मी के पास आया।
कसाब - मालकिन सब काम हो गया है मैं जाऊं क्या।
मम्मी - क्यों इतनी क्या जल्दी है। काम करने का मन नहीं है क्या।
कसाब मम्मी की तरफ देखकर - नही मालकिन आप बोलिए तो सही आप का सब काम तमाम कर दूंगा। मुझे कोई जल्दी नहीं है।
वो मेरे सामने मम्मी से डबल मीनिंग बाते करने लगा।
मम्मी - अच्छा तो ये बाल्टी उठाओ और छत पर चलो मुझे कपड़े सुखाने है।

ये सुनते ही कसाब बाल्टी उठा के सीढ़यों की तरफ जाने लगता है और मम्मी उसके पीछे जाने के लिए उठती है। दोनो सीढ़यों के पास आते हैं।
कसाब - मालकिन आप आगे चिलऐ मैं पीछे से आता हूं।
मम्मी - क्यों
कसाब मम्मी की ओर देखकर धीरे से - वो मुझे आपकी उठक बैठक देखनी है पीछे से।
मम्मी - क्या कहां।
कसाब हकलाते हुए - वो मेरा मतलब बाल्टी वजनदार है ना,तो रुक रुक कर चढ़ूंगा ऊपर। आप आगे चिलये।

मम्मी उसकी बात सुनकर सीिढ़या चढ़ने लगती हैं और वो मम्मी के पीछे चढ़ने लगता हैं। कुछ सीिढ़या चढ़ने के बाद मम्मी पीछे मुड़कर देखती है। कसाब तो मम्मी के चूतड़ पर नजर गड़ाए हुए था। फिर मम्मी ऊपर चली जाती है। वो दोनों अब मेरी नज़रों से ओझल हो गए थे।


में थोड़ी देर में उठता हू ऊपर जाने के लिए । सीढिंया चढ़ते वक्त न जाने क्यों मेरा दिल धड़क रहा था। थोड़ी देर बाद में टेरेंस के दरवाजे पर आ गया। मैंने चुपके से थोड़ी अपनी गदर्न बाहर निकालकर टेरेस की और नजर घुमाई ।

मुझे वो दोनो दिखाई दिए। मम्मी कपड़े सुखाने के लिए डाल रही थी डोरी पे और वो मम्मी से कुछ ही दूरी पर खड़ा था।
टेरेस पर दोनों हिस्सों में रिस्सयों को बांध के रखा था एक दूसरे के विपिरत दिशा में । जिसपर मम्मी ने अभी अपनी साड़ी फैलाकर डाली थी। कसाब और मम्मी दोनो रिस्सयों के बीच में खड़े थे। दोनो तरफ साड़ी होने की वजह से कोई आजू बाजू से कोई उन्हें देख नहीं सकता था। मम्मी जैसे ही बाल्टी से कपड़े उठाने के लिए नीचे झुकती वैसे ही उनका पिछवाड़ा बाहर निकल जाता था और कसाब मम्मी के बदन के एक- एक हिस्से को ताड़ रहा था।

मम्मी तुरंत उसकी तरफ जाती है और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देती हैं। चटाक मम्मी उसको रूम में लेजाकर जोर से दरवाजा बंद कर देती हैं।

मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। मम्मी का गुस्सा देखकर लग रहा था की जरूर आज कुछ बवाल होने वाला है।

मैं सतर्क हो गया कि कोई मुझे देख ना ले. ये देखने के लिए मैं दरवाज़े की दरार से रूम में झाँकने लगा. जैसे ही मैंने अपनी आँख दरवाज़े की दरार से लगाई, रूम का नज़ारा देख कर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए. मुझे ऐसा लगा मेरे नीचे से किसी ने धरती छीन ली हो.. मेरा दिमाग एकदम सुन्न हो गया था. न मैं कुछ सोच पा रहा था, न समझ पा रहा था. मैं कुछ देर इसी अवस्था में खड़ा रहा.

मैंने जैसे तैसे अपने आप को संभाला और दोबारा अपनी आंख किवाड़ की दरार से लगा कर अन्दर का नज़ारा देखने लगा. लिविंग रूम के अन्दर वो घिनौना खेल चल रहा था, जिसकी कल्पना मैंने कभी सपने में भी नहीं की थी.

कसाब का एक हाथ से मम्मी का सर पकड़ कर मम्मी के होंठों को अपने मुँह में भर कर चूस रहा था.. और दूसरे हाथ से मम्मी के चूतड़ मसल रहा था. मम्मी भी पूरी तरह से उस कसाब का साथ दे रही थीं. वह कभी कसाब के बालों को कस के पकड़ लेतीं, तो कभी उसकी कमीज के अन्दर हाथ डाल कर उसकी पीठ को किसी बिल्ली की तरह नोंच रही थीं कसाब मम्मी को किस कर रहा था और मम्मी भी उसे किस कर रही थीं. पर अब उस कसाब का हाथ मम्मी की गांड पर नहीं था बल्कि उसने अपने हाथ से मम्मी के बड़े बड़े चुचों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबोच रखा था.

तभी मम्मी की चीख निकली- आआह.. धीरे.. दर्द होता है..!

तब उस कसाब ने अपनी पकड़ को थोड़ा ढीली कर दी और आराम आराम से मम्मी के चुचों को मसलने लगा. अपने चुचों के मसलने से मम्मी एकदम मस्ती से भर उठीं और ज़ोर ज़ोर से सीत्कारने लगीं- आाह.. आाह.. ओह.. हाँ ऐसे ही.. थोड़ा ओर ज़ोर से.. ओह.. निचोड़ डाल मेरे चुचों को कसाब .. ऊऊह..
मैं चुपचाप खड़ा ये सब देखता रहा. अब कसाब मम्मी के ब्लाउज़ का हुक खोलने की कोशिश कर रहा था. तभी मम्मी ने कसाब का हाथ पकड़ लिया.

मम्मी - नहीं कसाब ब्लाऊज़ मत निकाल..

मगर उसने मम्मी एक न सुनी और एक झटके में मम्मी की ब्लाउस का हुक खोल दिया ।
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#49
Awesome update and nice story
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#50
Jo maza mummy ki chudai story me vo kisi ayr ki chudai me nahi
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#51
next update bro... full hot with hot pics

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#52
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#53
और एक हाथ से कसाब का सर पकड़ कर अपना चूची उसके मुँह में ठूंस दिया और जैसे ही कसाब ने मम्मी के निप्पल चूसना शुरू किया, मम्मी “आह..” करके सीत्कार ने लगीं.

कसाब भी मम्मी के निप्पल को मुँह में भर के कस कस कर चूसने लगा. जहां तक मुझे मालूम है मम्मी के चुचियों में तो दूध बनता ही नहीं है । मम्मी मस्ती से एकदम सिहर उठीं. मम्मी का ये रूप मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. उनकी मदमस्त जवानी को देखकर एक पल के लिए तो मैं भी भूल गया था कि ये मेरी मम्मी हैं.. क्या चूचे थे यार..

मैंने मम्मी के चूचे पहली बार देखे थे. बड़े बड़े.. एकदम दूध से सफ़ेद सफ़ेद.. और उन सफ़ेद रंग के चुचों पर लाल रंग के कड़क निप्पल.. उफ्फफ्फ्फ़.. मेरा लंड मेरी पैंट में ही खड़ा हो गया था.

मैं वहीं खड़ा खड़ा अपने लंड को सहलाने लगा. मुझे कसाब की किस्मत से जलन होने लगी थी कि इतनी मस्त परी जैसी जवानी को एक नौकर चूस रहा है. यहाँ मैं खड़ा खड़ा अपने लंड को हिला रहा था, वहां कसाब मेरी मम्मी के चुचों को बकरी के बच्चे की तरह खींच खींच कर चूस रहा था.

मम्मी भी मदमस्त होकर कसाब का सर पकड़े हुए अपने चुचे कसाब के मुँह में ठूँसे जा रही थीं. कसाब मम्मी का कभी एक चूची मसलता तो भी दूसरा चूसता.. तो कभी दूसरा मसलता तो पहला चूसता और मम्मी आँखें मूंदें चूची चुसाई का मज़ा ले रही थीं.

तभी कसाब ने अपने एक हाथ से मम्मी की साड़ी आगे से पकड़ ली.. और आहिस्ता आहिस्ता मम्मी की साड़ी को ऊपर की ओर उठाने लगा.. उसने अपना हाथ साड़ी के अन्दर डाल कर मम्मी की चूत पे रख दिया. जैसे ही कसाब ने मम्मी की चूत को हाथ लगाया, मम्मी जैसे पागल सी हो गईं और उन्होंने कसाब के बालों को मुठ्ठी में कसकर पकड़ लिया.

“ओह.. कसाब… उफ़.. उफ़.. खा जा कसाब अपनी मालकिन के चुचों को काट के.. आह.. क्या मस्त मजा आ रहा है.”
ये कहकर मम्मी कसाब के होंठों को किस करने लगीं. बीच बीच मैं मम्मी कसाब के होंठों को दांत से पकड़कर खींच लेती थीं.

कसाब साड़ी के अन्दर हाथ डाले हुए मम्मी की चुत को मसल रहा था.
तभी अचानक मम्मी चिल्ला उठीं- आह.. आउच.. साले क्या कर रहा है?
मम्मी ने कसाब को मुस्कुरा के हल्का सा एक थप्पड़ मारा.

मैं कुछ समझ नहीं सका कि क्या हुआ.. पर मुझे लगा कि कसाब ने साड़ी के अन्दर ही कुछ किया है.

तभी कसाब बोला- माफ़ करना मालकिन आपकी चुत बहुत पानी छोड़ रही है, इसीलिए हल्का सा दबाने से दो उंगलियां अन्दर घुस गईं.
ये सुनकर मम्मी मुस्कुराने लगीं.
पंखुरी - कोई बात नहीं.. तू जितनी चाहे उतनी घुसा दे.. आह.. आह..

ये सुन कर कसाब अपनी उंगली से मम्मी की चुत चोदने लगा. वो अपनी उंगलियों को तेज़ तेज़ मम्मी की चुत में अन्दर बाहर कर रहा था… और मम्मी कसाब का सर पकड़े हुए “आह.. ऊह..” करके चिल्ला रही थीं. पूरे रूम में मम्मी के सीत्कारियों की आवाज़ गूंज रही थी.


ये सब कुछ देर इसी तरह चलता रहा. तभी पंखुरी बोलीं- चल कसाब फटाफट लग जा काम पर देर न कर.

कसाब ने मम्मी की चुत पे जीभ लगाई, मम्मी एकदम से सिहर उठीं. मम्मी के शरीर में बिजली दौड़ गई हो- आह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह. कसाब.. क्या अन्दर ही घुस जाएगा मेरी चुत में.. ओह.. हाँ ऐसे ही ओह.. चाट ले साले मेरी चुत का पूरा पानी कसाब.. आह आह..

अब मुझे कसाब नज़र नहीं आ रहा था क्योंकि वो मम्मी की साड़ी के अन्दर घुस गया था. वहीं अन्दर बैठ कर वो मम्मी की चुत चाट रहा था. मम्मी उसका सर साड़ी के ऊपर से ही पकड़े हुए सीत्कार रही थीं.

करीब दस मिनट चुत चटाई के बाद मम्मी ने कसाब का सर कस कर पकड़ लिया और “तेज़ तेज़.. चूस..” चिल्लाने लगीं

“ओह कसाब.. मैं गईइ इ..इइ.. मैं छूटने वाली हूँ.. कसाब.. आह.. आआआआह मैं गईईईईई..” चिल्लाते हुए मम्मी ने कुर्सी का बैक अपने हाथों से कस के पकड़ लिया और कांपने लगीं. थोड़ी देर में मम्मी ढीली पड़ गईं और दोनों हाथों से कुर्सी पकड़ कर खड़ी हो गईं. रूम का माहौल शांत हो गया था, पर कसाब अभी भी साड़ी के अन्दर बैठा मम्मी की चुत चाट रहा था. मम्मी अब “उउउह उउउह..” कर रही थीं.

इधर मैं सोच रहा था कि कसाब साला कितना बड़ा मादरचोद है.. उसकी बहन का लौड़ा अभी भी मम्मी की चुत चाट रहा है.

“मालकिन आपकी चुत है या हमारे गांव की नदी का बांध है.. जब इसका पानी छूटता है तो एकदम से बाढ़ सी आ जाती है.. सारा पानी हम गटक गए मालकिन.. आपकी चुत का पानी इतना स्वादिष्ट है.. तो आपका मूत भी उतना ही स्वादिष्ट होगा.. एकाध बार कभी वो भी चखा दीजिये.
पंखुरी ने शोखी दिखाते हुए कहा- चल पागल कहीं का..
“प्लीज़ मालकिन मुझे बड़ी इच्छा है.”
मम्मी अपनी चुत की तारीफ सुन कर इठलाते हुए बोलीं- चल आ जा.. इतना कह कर मम्मी पास में रखे पुराने टेबल पर हाथ रख कर झुक गईं. मम्मी के दोनों चुची टेबल पे पपीते की तरह लटकने लगे.

कसाब अपना पजामा उतारते हुए बोला- मालकिन आप लंड नहीं चूसेंगी?

पंखुरी - नहीं फिर कभी लंड चूस लूँगी.. चल अब आ जा जल्दी से पेल दे.. देर मत कर जल्दी से चोद मुझे.. वरना ही नयन छत पर ना आ जाऐ.

कसाब ने जैसे ही अपना पजामा उतारा, उसका सात इंच लम्बा बिल्कुल काला गंदा लंड नाग की तरह फनफना रहा था. कसाब आगे बढ़ा और मम्मी की साड़ी को पीछे से उठा कर उनकी कमर पे रख दिया, जिससे मम्मी की गांड बिल्कुल नंगी हो गई.

वाओ क्या गांड थी मम्मी की.. जितनी गोरी मम्मी की गांड उतना ही काला गंदा कसाब का लंड था. गांड बड़ी होने की वजह से चुत नज़र नहीं आ रही थी. कसाब मम्मी की गांड के बिल्कुल करीब पहुँचा और हाथ से मम्मी की चुत टटोलने लगा.

कसाब - मालकिन.. आपकी चुत दिख नहीं रही है.. थोड़ा सा चुत बाहर निकालिए न..
मम्मी ने अपनी कमर को थोड़ा नीचे झुका के अपनी गांड को थोड़ा पीछे की और धकेला, जिससे मम्मी की चुत की फांकें हल्की हल्की नज़र आने लगीं.

कसाब ने फ़ौरन अपने लंड पे थोड़ा सा थूक लगाया और अपने लंड का सुपारा मम्मी की चुत पे टिका कर मम्मी की गांड पकड़ कर हल्का सा दबाव डाला. उसका लंड फिसल कर नीचे चला गया.

मम्मी एकदम से तिलमिला उठीं- उफ्फ्फ क्या कर रहा है कसाब .. डाल ना जल्दी.. और मत तड़पा यार.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है.. डाल दे जल्दी से..
कसाब - क्या करें मालकिन, आपकी गांड इतनी बड़ी है कि चुत एकदम कसी रहती है.
पंखुरी ने कहा- रुक…
इतना कह कर मम्मी ने अपना एक पैर उठाकर टेबल के ऊपर रख दिया और खुद टेबल पर टेबल क्लॉथ की तरह बिछ गईं.. जिससे मम्मी की चुत एकदम से खुल गई.

अब मम्मी की चुत साफ साफ़ दिखाई दे रही थी. मम्मी की चुत पे एक भी बाल नहीं था. लग रहा था कि मम्मी ने आज ही झांटों को साफ किया था. मम्मी की चुत पावरोटी की तरह फूली हुई थी और चुत की अन्दर की दोनों पंखियां चुत से बाहर झांक रही थीं. मम्मी ने पैर टेबल पर रख कर अपने मुँह से थोड़ा सा थूक निकाल कर अपनी चुत पे लगाया.

अब मम्मी ने कसाब से कहा- ले कसाब अब डाल..

कसाब ने अपने लंड को मसलते हुए मम्मी की चुत पर रख दिया.. और मम्मी की कमर पकड़ कर थोड़ा सा दबाव दिया. इस बार लंड का सुपारा गप की आवाज़ के साथ सीधा अन्दर घुस गया. मम्मी की आँखें बड़ी हो गईं और आह की आवाज़ के साथ मम्मी का मुँह खुला का खुला रह गया- ओह.. उ उ उ उ.. कितना बड़ा है साला अन्दर जाते ही मजा आ जाता है.. आह..

कसाब ने बिना वक़्त गंवाए फ़ौरन थोड़ा सा सुपारा बाहर को निकाला. दोनों हाथों से मम्मी की गांड को कसके दबोचा और एक ज़ोरदार झटका मार दिया. इस बार कसाब का पूरा लंड मम्मी की चुत में सरसराता हुए घुस गया.

मम्मी दर्द के मारे चिल्ला उठीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई.. उउउउ उउह.. कमीने इतना कस के डालते हैं क्या

कसाब ने अपने लंड को मसलते हुए मम्मी की चुत पर रख दिया.. और मम्मी की कमर पकड़ कर थोड़ा सा दबाव दिया. इस बार लंड का सुपारा गप की आवाज़ के साथ सीधा अन्दर घुस गया. मम्मी की आँखें बड़ी हो गईं और आह की आवाज़ के साथ मम्मी का मुँह खुला का खुला रह गया- ओह.. उ उ उ उ.. कितना बड़ा है साला अन्दर जाते ही मजा आ जाता है.. आह..

कसाब ने बिना वक़्त गंवाए फ़ौरन थोड़ा सा सुपारा बाहर को निकाला. दोनों हाथों से मम्मी की गांड को कसके दबोचा और एक ज़ोरदार झटका मार दिया. इस बार कसाब का पूरा लंड मम्मी की चुत में सरसराता हुए घुस गया.

मम्मी दर्द के मारे चिल्ला उठीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मर गई.. उउउउ उउह.. कमीने इतना कस के डालते हैं क्या..

मम्मी कराहने लगीं. कसाब अब अपना लंड मम्मी की चुत में आहिस्ता आहिस्ता अन्दर बाहर कर रहा था. थोड़ी देर में मम्मी का कराहना कम हो गया. अब मम्मी को मज़ा आने लगा था. मम्मी की ‘आह उउउउह’ की आवाज़ धीमी हो गई थी. जैसे जैसे मम्मी की आवाज़ धीमी हो रही थी. कसाब अपने चोदने की स्पीड बढ़ा रहा था.

अब मम्मी मस्त होकर हल्के हल्के गांड हिला रही थीं- ओह नवीन चोद मुझे.. कस के चोद दे.. और तेज चोद.. और कसके चोद.. आह…

कसाब ने भी अपनी स्पीड बढ़ा ली थी और मम्मी की कमर पकड़ कर इतनी कस कस कर चोद रहा था कि मम्मी की गांड से लंड के टकराने की वजह से थप थप थप थप की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी.

जब कसाब धक्का लगाता तो धक्के के साथ मम्मी टेबल पे आगे सरक जातीं. मम्मी ने टेबल के किनारों को कस के पकड़ रखा था. करीब दस पन्द्रह ज़ोरदार धक्कों के बाद मम्मी का बदन एक बार फिर अकड़ने लगा था. ऐसा लग रहा था. मम्मी फिर से झड़ रही थीं.

वहां कसाब बिना मम्मी की परवाह किए मम्मी की कमर पकड़ कर मम्मी को कुतिया की तरह चोदे जा रहा था.

थप.. थप.. फच.. फच.. आह.. उह.. यस.. फ़क मी.. की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी.

मम्मी कराहते हुए अपने नौकर से अपनी चुत चुदवा रही थीं. तभी अचानक बाहर से गाड़ी के हॉर्न की आवाज़ ने पूरे माहौल में डिस्टर्बेंस डाल दिया. हॉर्न की आवाज़ सुनते ही मम्मी चौंक गईं.

मम्मी - ओ माय गॉड.. कसाब , नयन के मामा की गाड़ी आ गई… ओह फक.. कसाब जल्दी कर.. गाड़ी आ गई.
कसाब - जी मालकिन..

ये कहकर वो मम्मी के ऊपर झुक गया और मम्मी के चूची को अपने मुठ्ठी में पकड़ कर मम्मी को किसी कुतिया की तरह चोदने लगा. मम्मी ने भी कसाब की तरफ तरफ मुड़कर कसाब के गले में बंधा हुआ गमछा पकड़ लिया और कसाब की आँखों में ऑंखें डाल कर कहने लगीं- कसाब फ़क मी फ़ास्ट… फ़क मी..

मम्मी बड़बड़ाए जा रही थीं. अब कसाब की स्पीड और भी तेज़ हो गई थी.. मम्मी के चिल्लाने की आवाज़ भी बढ़ गई थी. मम्मी “आह.. आह..” करके कसाब की ओर देखकर चिल्ला रही थीं- जल्दी जल्दी चोद न कमीने… दम नहीं बची है क्या भोसड़ी के तेरे अन्दर हरामी मादरचोद.. चोद साले.

गालियां सुनकर कसाब पागलों की तरह मम्मी को चोदने लगा.

मम्मी - ये ले साली रांड ये ले लंड बहन की लौड़ी.. तुझे कितना बड़ा लंड चाहिए.. छिनाल कहीं की.. मादरचोद.. कितनी आग है तेरे भोसड़े में.. रंडी.. कितना चुदवाएगी कुतिया..

कसाब को गालियाँ बकता देख मम्मी ने कसाब को आँख दिखाई. कसाब को लगा मम्मी को गुस्सा आ गया और कसाब थोड़ा सहम सा गया.. लेकिन वो अभी भी मम्मी को चोदे जा रहा था.

करीब पांच मिनट की ज़ोरदार चुदाई के बाद मम्मी चिल्लाने लगीं- ओह माय गॉड.. ओह फक.. ओह.. ओह.. मैं गई.. उई.. आह..
कसाब - हम भी छूटने वाले हैं मालकिन.. ओहह्ह्ह..

ये कह कर कसाब का बदन कांपने लगा. कसाब फ़ौरन अपना लंड मम्मी की चुत से बाहर निकालने के लिए पीछे की ओर हटने लगा. तभी मम्मी ने झट से कसाब के चूतड़ पकड़कर उसको अपनी चुत की तरफ दबाया ओर बोलीं- बाहर नहीं कसाब , चुत में ही गिराओ..

तब कसाब ने अपना लंड कसके मम्मी की चुत में धकेला और मम्मी के चुचों के कसके दबोच कर मम्मी की चुत में ही अपने लंड का माल गिराने लगा.

कसाब - आह मालकिन कहीं बच्चा होइ गवा तो?
मम्मी मुस्कुराते हुए बोलीं- तू उसकी चिंता मत कर कसाब..

मम्मी लम्बी लम्बी आहें भरते हुए कसाब का पानी अपनी चुत में डलवा रही थीं मानो मम्मी को अनंत सुख मिल रहा हो. करीब दो मिनट तक कसाब कराह कराह कर अपना पानी मम्मी की चुत में गिराता रहा. अपने लंड के पानी से मम्मी की चुत को लबालब भर दिया. मम्मी भी कराहते हुए झड़ रही थीं. मम्मी के पैर भी कांपने लगे थे.

थोड़ी देर झड़ने के बाद मम्मी और कसाब दोनों सुस्त पड़ गए. मम्मी वहीं टेबल पे निढाल हो गई और कसाब उनके ऊपर ही पड़ा रहा. कसाब का लंड अभी भी मम्मी की चुत में ही पड़ा हुआ था.. तभी कार का फिर से हॉर्न बजी.. मम्मी ने इसी हालत में कमरे से मेन दरवाजे की ओर भाग उन्होंने ध्यान मुझे बिल्कुल नहीं गया । मैं भी भागते हैं आपने कमरे में पहुंच।
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#54
Next 7 part - सफर start -
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#55
Mind blowing update
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#56
hot to hot update bro... with hot pics
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#57
[Image: ACP-ho1.jpg]
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#58
Really nice story
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#59
[Image: X2-Twitter-com-G3-VDXp1-WAAAQA-O-090258.jpg]thanks
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#60
Waiting for update
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