Thread Rating:
  • 19 Vote(s) - 3.21 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
पूजा की जागृत वासना: एक पतिव्रता स्त्री का सफर
#61
kya hua kahan kho gaye bro...

next update come fast
[+] 1 user Likes exbiixossip2's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#62
Kahaa gayab bro ?
[+] 1 user Likes Ashish jain's post
Like Reply
#63
माहौल और पूजा शर्मा की शरारत
पूजा शर्मा ने कमरे में चारों ओर देखा। एकांत था, और बाहर से सिर्फ ढोलक की हल्की-सी आवाज आ रही थी। उसने अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा और ढीला किया, जिससे उसकी कमर और ब्लाउज की आउटलाइन और साफ दिखने लगी। रामू की आंखें फिर से चौड़ी हो गईं। "मैडम... आप..." उसने कांपती आवाज में कहा। पूजा शर्मा ने शरारत भरे लहजे में कहा, "क्या, रामू भाई? साहब ने कहा ना कि तुम... छू सकते हो? लेकिन पहले बता, तुम्हें सच में क्या चाहिए?" उसकी आवाज में मस्ती थी, लेकिन वह मर्यादा में थी। रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, बस... आपको देखना है। आप बहुत सुंदर हो।" उसका भोलापन पूजा शर्मा को और उत्तेजित कर रहा था।
पूजा शर्मा ने सोचा, "राहुल चाहते हैं कि मैं इस रोमांच को जिऊं। और रामू इतना भोला है... इसमें गलत क्या है?" उसने रामू की ओर एक कदम बढ़ाया और कहा, "रामू भाई, तुम्हारी प्रॉब्लम... मैं समझ रही हूं। लेकिन ये सब हमारे बीच ही रहना चाहिए।" उसकी आवाज में एक मिश्रित शरम और आत्मविश्वास था। रामू ने सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं कसम खाता हूं, किसी को नहीं बताऊंगा।" उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे और साड़ी की सिलवटों पर टिकी थीं।
विस्तृत सीन: पूजा शर्मा और रामू का कमरे में एकांत (मर्यादित रूप में):
शाम के 7:30 बज रहे थे, और ज्योति के घर की तीसरी मंजिल पर गहरा एकांत छाया हुआ था। कमरे में हल्की-सी बल्ब की रोशनी थी, जो दीवारों पर मद्धम छायाएं बना रही थी। बाहर से मेहंदी की रस्म की ढोलक और हंसी की आवाजें हल्के-हल्के सुनाई दे रही थीं, लेकिन तीसरी मंजिल का यह कमरा एक अलग ही दुनिया में था। पूजा शर्मा ने अपनी हरी साड़ी को ठीक किया, लेकिन उसका पल्लू हल्का-सा सरक गया था, जिससे उसकी कमर और ब्लाउज की आउटलाइन उभर रही थी। उसका गोरा चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल था, और उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। सामने खड़ा रामू, धोती-कुर्ता में, शरम से सिर झुकाए हुए था। उसका पजामा अभी भी हल्का-सा तना हुआ था, और उसकी आंखें बार-बार पूजा शर्मा की ओर उठ रही थीं। "राहुल नीचे हैं, और ये सब उनकी मर्जी से हो रहा है," पूजा शर्मा ने मन ही मन खुद को तसल्ली दी। लेकिन रामू का भोलापन और उसकी बेचैनी उसे एक नए रोमांच की ओर खींच रही थी।
पूजा शर्मा की शरारत और रामू की शरम
पूजा शर्मा ने रामू की ओर देखा और हल्की-सी मुस्कान के साथ कहा, "रामू भाई, साहब ने बताया कि तुम्हें कोई प्रॉब्लम है। चलो, मुझे दिखाओ। अपना पजामा खोलो, मैं तुम्हारा... लंड देखना चाहती हूं।" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन वह मर्यादित ढंग से बोल रही थी। रामू का चेहरा एकदम लाल हो गया। उसने अपने पजामे को दोनों हाथों से पकड़ा और कांपती आवाज में कहा, "मैडम, मुझे बहुत शरम आती है। मैंने कभी किसी को ऐसा... नहीं दिखाया।" उसकी आंखें नीचे थीं, लेकिन उसकी सांसें तेज थीं। पूजा शर्मा ने हल्के से हंसते हुए कहा, "अरे, रामू भाई, तुमने तो सुबह नाव पर मुझे देखा था। अब मेरी बारी है।" उसकी आवाज में एक चंचलता थी, जो रामू को और बेचैन कर रही थी।
रामू ने सिर झुकाकर कहा, "हां, मैडम। लेकिन मैंने आपको बिल्कुल नंगी तो नहीं देखा। आप तो ब्रा-पैंटी में थीं।" उसका भोलापन पूजा शर्मा को और उत्तेजित कर रहा था। उसने सोचा, "ये इतना सीधा है। इसे तो कुछ समझ ही नहीं।" उसने एक कदम आगे बढ़ाया और कहा, "रामू भाई, रुको। पहले मैं देख लूं कि बाहर कोई हमारी बातें तो नहीं सुन रहा।" उसने धीरे से दरवाजा खोला और बाहर गलियारे में झांका। सीढ़ियों पर कोई नहीं था, और मेहंदी की रस्म की आवाजें नीचे से आ रही थीं। "राहुल नीचे हैं, और कोई नहीं आएगा," उसने मन ही मन सोचा। इस बात से उसका मन हल्का हो गया, और उसे एक अजीब-सी खुशी महसूस हुई। "अब सिर्फ मैं और रामू... कोई बीच में नहीं," उसने सोचा।
कमरे का एकांत और पूजा शर्मा की सावधानी
पूजा शर्मा ने दरवाजा वापस बंद किया और अंदर से अच्छे से लॉक कर लिया। उसने खिड़कियों की ओर देखा, जहां से गंगा की हल्की-सी ठंडी हवा आ रही थी। उसने खिड़कियों के पर्दे भी खींच दिए, ताकि बाहर से कोई कुछ न देख सके। कमरे में अब सिर्फ बल्ब की मद्धम रोशनी थी, जो माहौल को और गहरा बना रही थी। पूजा शर्मा ने रामू की ओर मुड़कर कहा, "अब ठीक है, रामू भाई। कोई नहीं आएगा। अब अपना पजामा उतारो। मुझे तुम्हारी प्रॉब्लम देखनी है।" उसकी आवाज में आत्मविश्वास था, लेकिन उसका दिल अभी भी तेजी से धड़क रहा था।
रामू ने और शरमाते हुए कहा, "मैडम, मुझे बहुत शरम आ रही है। आप... आप भी तो अपने कपड़े उतारो।" उसकी आवाज में भोलापन था, लेकिन उसकी आंखों में एक हल्की-सी हिम्मत भी दिख रही थी। पूजा शर्मा ने हंसकर कहा, "रामू भाई, तुम तो बहुत हिम्मत वाले हो गए। ठीक है, लेकिन मेरी ब्रा और पैंटी नहीं उतरेगी। तुम खुद मेरे कपड़े उतारो।" उसने यह कहते हुए अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा और ढीला किया, और उसकी गोरी कमर साफ दिखने लगी। रामू की सांसें और तेज हो गईं। "मैडम... सच में?" उसने कांपती आवाज में पूछा। पूजा शर्मा ने सिर हिलाया और कहा, "हां, रामू भाई। लेकिन सावधानी से।"
रामू का भोलापन और पूजा शर्मा के कपड़े उतारना
रामू ने हिचकिचाते हुए एक कदम आगे बढ़ाया। उसकी उंगलियां कांप रही थीं, और उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे और साड़ी की सिलवटों पर टिकी थीं। उसने धीरे से पूजा शर्मा की साड़ी का पल्लू पकड़ा और उसे खींचना शुरू किया। साड़ी की सिलवटें एक-एक करके खुल रही थीं, और पूजा शर्मा का ब्लाउज और पेटीकोट अब साफ दिख रहा था। रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, आप... सच में हीरोइन जैसी हो। इतनी सुंदर... मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था।" उसकी आवाज में मासूमियत थी, और वह पूजा शर्मा की तारीफ करते हुए उसकी आंखों में देख रहा था। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "रामू भाई, तुम तो बहुत तारीफ करते हो। बस, धीरे-धीरे।"
रामू ने साड़ी को पूरी तरह उतार दिया, और अब पूजा शर्मा सिर्फ अपने हरे ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उसका गोरा बदन कमरे की मद्धम रोशनी में चमक रहा था। रामू की आंखें चौड़ी हो गईं, और उसने कहा, "मैडम, आप... बहुत सुंदर हो।" उसकी उंगलियां अब पूजा शर्मा के ब्लाउज के बटन की ओर बढ़ीं। उसने एक-एक बटन धीरे-धीरे खोला, और पूजा शर्मा की लाल लेस वाली ब्रा दिखने लगी। पूजा शर्मा ने हल्के से सिसकारी ली और कहा, "रामू भाई, बस इतना ही। ब्रा-पैंटी नहीं उतरेगी।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन वह इस रोमांच को जी रही थी। रामू ने सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं... बस देखना चाहता था। आप बहुत सुंदर हो।"
पूजा शर्मा का भावनात्मक द्वंद्व
पूजा शर्मा का मन उथल-पुथल में था। रामू का भोलापन और उसकी तारीफें उसे एक अजीब-सी शक्ति दे रही थीं। "पहली बार कोई मुझे इतने भोलेपन से देख रहा है," उसने सोचा। सुबह नाव पर हुए अनुभव और उस ट्रक ड्राइवर की फैंटसी ने उसके मन में एक आग लगा दी थी, और अब रामू की मासूमियत उस आग को और भड़का रही थी। "राहुल चाहते हैं कि मैं ये पल जिऊं। और ये सब उनकी मर्जी से हो रहा है," उसने खुद को तसल्ली दी। लेकिन मर्यादा का डर अभी भी उसके मन में था। "कोई नहीं आएगा। दरवाजा लॉक है, और राहुल नीचे सब संभाल रहे हैं," उसने सोचा। उसका मन शरम और उत्तेजना के बीच झूल रहा था, लेकिन रामू की भोली आंखें उसे और खींच रही थीं।
पूजा शर्मा ने रामू की ओर देखा और कहा, "रामू भाई, अब तुम्हारी बारी। अपना पजामा उतारो।" उसकी आवाज में एक हल्का-सा आदेश था, लेकिन वह मुस्कुरा रही थी। रामू ने शरमाते हुए अपने पजामे की ओर देखा और कहा, "मैडम, मुझे बहुत शरम आ रही है।" लेकिन पूजा शर्मा की शरारती मुस्कान ने उसे हिम्मत दी। उसने धीरे-धीरे अपने पजामे का नाड़ा खोला, और पूजा शर्मा की नजरें उसकी ओर टिक गईं।
कहानी जारी है...
रामू ने शरमाते हुए पूजा शर्मा की ओर देखा और कांपती आवाज में कहा, "मैडम, साहब ने कहा था कि मैं आपको... छू भी सकता हूं।" उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे और ब्रा से ढके उसके स्तनों पर टिकी थीं। पूजा शर्मा ने गहरी सांस ली, और उसका चेहरा शरम से लाल हो गया। उसने सोचा, "राहुल ने इसे इतना उकसाया है। लेकिन ये इतना भोला है... इसमें गलत क्या है?" उसने धीरे से कहा, "ठीक है, रामू भाई। लेकिन प्यार से छूना।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। रामू की सांसें और तेज हो गईं। उसने हल्के से सिर हिलाया और एक कदम आगे बढ़ाया।

रामू ने अपने पजामे का नाड़ा खींचा, और वह ढीला होकर नीचे गिर गया। अब वह सिर्फ अपने देहाती कच्छे में था, और उसका उभार साफ दिख रहा था। पूजा शर्मा की नजरें उसकी ओर टिकी थीं, और उसका मन एक अजीब-से रोमांच से भर गया। "ये इतना सीधा है, और फिर भी इतना... बेकाबू," उसने सोचा। रामू ने हल्के से पूजा शर्मा के कंधों को छुआ, और उसकी उंगलियां कांप रही थीं। उसने धीरे से पूजा शर्मा के स्तनों को ब्रा के ऊपर से सहलाया, और पूजा शर्मा की एक हल्की-सी सिसकारी निकली, "आह..." उसने अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसका शरीर इस स्पर्श से कांप उठा।

रामू की तारीफ और तीव्र स्पर्श
रामू ने पूजा शर्मा की नाभि की ओर झुका और धीरे से उसे चूमा। उसकी गर्म सांसें पूजा शर्मा की त्वचा पर महसूस हो रही थीं। "मैडम, आपकी त्वचा... इतनी गोरी, इतनी नरम," उसने भोलेपन से कहा। उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह अपने जीवन का पहला अनुभव जी रहा हो। उसने एक हाथ पूजा शर्मा की कमर से नीचे ले जाकर उसकी जांघों को सहलाया। पूजा शर्मा की सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... रामू..." कमरा अब उसकी सिसकारियों से गूंज रहा था। वह रामू को रोक नहीं रही थी; उसका मन इस रोमांच में पूरी तरह डूब चुका था। "राहुल चाहते हैं कि मैं ये पल जिऊं," उसने सोचा, और उसने खुद को इस अनुभव के हवाले कर दिया।

रामू ने पूजा शर्मा के हर अंग की तारीफ की। "मैडम, आपकी कमर... जैसे कोई मूर्ति हो। और ये... इतने सुंदर," उसने पूजा शर्मा के स्तनों को सहलाते हुए कहा। उसका भोलापन और उसकी उत्तेजना पूजा शर्मा को और बेकाबू कर रही थी। रामू ने, जैसे फिल्मों में देखा था, पूजा शर्मा की पीठ पर हाथ डाला और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। पूजा शर्मा के बड़े, तने हुए स्तन अब आजाद हो गए, और रामू की आंखें चौड़ी हो गईं। "मैडम... ये... मैंने तो कभी नहीं देखा," उसने कांपती आवाज में कहा। उसने बिना पूछे पूजा शर्मा के स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया, और पूजा शर्मा की सिसकारियां और तेज हो गईं, "आह... रामू, धीरे..."

पूजा शर्मा की मस्ती और रामू का भोलापन
रामू ने, अपने भोलेपन में खोया हुआ, पूजा शर्मा की पैंटी की ओर हाथ बढ़ाया और उसे धीरे से नीचे खींच दिया। पूजा शर्मा को इसका अहसास तब हुआ, जब रामू की उंगलियां उसकी योनि को हल्के से सहलाने लगीं। "आह... रामू, धीरे-धीरे," उसने सिसकारी लेते हुए कहा। उसका मन पूरी तरह मस्ती में डूबा था, और उसे पता ही नहीं चला कि कब रामू ने उसके सारे कपड़े उतार दिए। उसने शरमाते हुए कहा, "रामू भाई, तुमने तो मेरे सारे कपड़े उतार दिए। अब तुम भी... अपना लंड दिखाओ।" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन वह अभी भी मर्यादा में थी।

रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, मुझे पता ही नहीं चला कि कब मैंने आपके कपड़े उतार दिए। मैं तो बस... खो गया था।" उसकी आंखें पूजा शर्मा के नग्न शरीर पर टिकी थीं, और उसका भोलापन पूजा शर्मा को और उत्तेजित कर रहा था। उसने कहा, "मैडम, अब आप ही मेरा कच्छा उतार दो।" उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह अभी भी इस अनुभव को समझने की कोशिश कर रहा हो। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "रामू भाई, तुम तो बहुत हिम्मत वाले हो गए।" उसने धीरे से रामू की ओर कदम बढ़ाया, और उसका मन इस नए रोमांच में पूरी तरह खो चुका था।

रामू का कच्छा और पूजा शर्मा की हैरानी
पूजा शर्मा ने गहरी सांस ली और धीरे से रामू के कच्छे की ओर हाथ बढ़ाया। उसकी उंगलियां कांप रही थीं, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। उसने धीरे से कच्छे का नाड़ा खींचा, और वह नीचे सरक गया। रामू का तना हुआ लिंग अब पूरी तरह सामने था, और पूजा शर्मा के मुंह से हैरानी भरी सिसकारी निकली, "हाय... ये..." उसकी आंखें चौड़ी हो गईं, और उसने अनायास ही कहा, "इतना बड़ा..." रामू ने शरमाते हुए कहा, "मैडम, क्या हुआ? आप तो ऐसे कर रही हो, जैसे किसी का लंड पहली बार देख रही हो।" उसकी आवाज में भोलापन था, लेकिन उसकी आंखें पूजा शर्मा के चेहरे पर टिकी थीं।

पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "रामू भाई, इतना बड़ा तो मैंने पहली बार ही देखा है।" उसका चेहरा शरम से लाल था, लेकिन वह इस अनुभव में डूब चुकी थी। रामू ने भोलेपन से पूछा, "मैडम, साहब का भी तो ऐसा ही होगा, ना?" पूजा शर्मा ने हंसते हुए कहा, "नहीं, रामू भाई। साहब का तो तुम्हारे... लिंग के सामने बहुत छोटा है। उनका तो लंड है, लेकिन तुम्हारा... ये लंड नहीं, लोड़ा है।" उसकी आवाज में शरारत थी, और वह जानबूझकर रामू को और बेचैन कर रही थी। रामू की आंखें चमक उठीं। उसने ख़ुशी से कहा, "मैडम, आप इसे प्यार करो। सुबह से ये मुझे परेशान कर रहा है।"
[+] 2 users Like poojarahulhimachal's post
Like Reply
#64
पूजा शर्मा का स्पर्श और रामू की तारीफ
पूजा शर्मा ने धीरे से रामू के लिंग को अपने हाथों में लिया और उसे सहलाना शुरू किया। उसकी उंगलियां नरम थीं, और वह धीरे-धीरे उसकी मोटाई को महसूस कर रही थी। उसने अपनी बांह की कलाई के साथ उसकी मोटाई नापी और हैरानी से कहा, "हाय भगवान, ये तो मेरी कलाई से भी मोटा है।" उसने अपनी एक चूड़ी उतारी और हल्की शरारत के साथ रामू के लिंग पर पहनाने की कोशिश की। "देखो, रामू भाई, मेरी चूड़ी भी तुम्हारे लोड़े पर टाइट हो रही है," उसने हंसते हुए कहा। रामू की आंखें चौड़ी हो गईं, और वह शरमाते हुए बोला, "मैडम, आप तो... बहुत हिम्मत वाली हो।"

पूजा शर्मा ने हिम्मत जुटाई और धीरे से रामू के लिंग को चूमा। उसकी गर्म सांसें रामू की त्वचा पर महसूस हो रही थीं। फिर, उसने उसे अपने मुंह में लिया। रामू की सिसकारियां कमरे में गूंज उठीं, "आह... मैडम..." वह बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया, और उसका लिंग छत की ओर तना हुआ था। पूजा शर्मा का मुंह उसकी पूरी लंबाई को समा नहीं पा रहा था, लेकिन वह धीरे-धीरे उसे चूस रही थी। रामू का एक हाथ पूजा शर्मा के स्तनों पर था, और वह कभी उनके निप्पल को हल्के से दबा रहा था। जैसे ही उसने निप्पल को जोर से खींचा, पूजा शर्मा के मुंह से एक चीख निकली, "आह... रामू भाई, धीरे!" उसकी आवाज में मस्ती थी, लेकिन वह उसे मर्यादित ढंग से रोक रही थी।

रामू की उंगलियां और पूजा शर्मा की सिसकारियां
रामू का दूसरा हाथ पूजा शर्मा की योनि की ओर बढ़ा। उसने धीरे से अपनी उंगली अंदर डाली, और पूजा शर्मा की चिकनी, गीली योनि से चिपचिपा पानी निकल रहा था। रामू की उंगली पूरी तरह गीली हो गई थी। उसने अपनी उंगली को बाहर निकाला और भोलेपन से उसे चाट लिया। "मैडम, ये... कितना मीठा है," उसने कहा। पूजा शर्मा की सिसकारियां और तेज हो गईं, "आह... रामू..." उसने अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसका शरीर इस स्पर्श से कांप रहा था। रामू ने फिर से अपनी उंगली पूजा शर्मा की योनि में डाली, और धीरे-धीरे उसे अंदर-बाहर करने लगा। पूजा शर्मा की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं, और वह पूरी तरह इस रोमांच में डूब चुकी थी।

पूजा शर्मा की कोशिश और रामू की समस्या
पूजा शर्मा ने बिस्तर पर पीठ के बल लेटते हुए रामू को कहा, "रामू भाई, आओ। अब मैं तुम्हारी प्रॉब्लम दूर करती हूं।" उसने अपनी टांगें खोल दीं और कहा, "अपना लोड़ा मेरी चूत में डालो।" रामू ने भोलेपन से उसकी योनि की ओर देखा और हैरानी से कहा, "मैडम, आपकी चूत तो बहुत छोटी है। इसमें तो मेरी उंगली ही मुश्किल से फिट हो रही है। इतना बड़ा लोड़ा कैसे जाएगा?" पूजा शर्मा को उसकी मासूमियत पर हंसी आ गई। उसने कहा, "रामू भाई, तुम्हें अपने लंड को छोटा करना है ना? दर्द खत्म करना है? तो बस मेरे ऊपर आ जाओ।" रामू ने सिर हिलाया और धीरे से पूजा शर्मा के ऊपर लेट गया। पूजा शर्मा ने उसका विशाल लिंग अपने हाथ में लिया और धीरे से अपनी धड़कती योनि पर रखा। "धीरे-धीरे घुसाओ," उसने फुसफुसाते हुए कहा।

रामू ने जोर लगाया, लेकिन तभी पूजा शर्मा का फोन बज उठा। स्क्रीन पर राहुल का नाम चमक रहा था। पूजा शर्मा ने जल्दी से फोन उठाया, और उसकी सांसें अभी भी तेज थीं। राहुल ने कहा, "पूजा, 5 मिनट में नीचे आ जाओ। ज्योति की लड़की तुम्हारे साथ फोटो खिंचवाना चाहती है।" पूजा शर्मा ने अपनी सांसों को कंट्रोल करते हुए कहा, "जी, कोई ऊपर तो नहीं आ रहा?" राहुल ने हंसकर कहा, "टेंशन मत लो। कोई ऊपर नहीं आ रहा। बस 5 मिनट में नीचे आ जाओ।" तभी पूजा शर्मा के मुंह से एक हल्की-सी "आउच" की आवाज निकली। उधर, रामू धीरे-धीरे अपने लिंग को उसकी योनि में घुसाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन वह बार-बार फिसल रहा था। पूजा शर्मा ने जल्दी से कहा, "जी, ठीक है। मैं आती हूं।" और फोन काट दिया।

अंतिम पल और पूजा शर्मा की जल्दबाजी
पूजा शर्मा ने रामू को कहा, "रामू भाई, कपड़े पहन लो। मुझे नीचे बुला रहे हैं।" रामू ने निराश होकर कहा, "मैडम, लेकिन मेरा दर्द... इसे तो ठीक कर दो।" पूजा शर्मा को उस पर तरस आया। उसने कपड़े पहनना रोक दिया और कहा, "ठीक है, रामू भाई। मैं कोशिश करती हूं।" वह बिस्तर के पास नीचे बैठ गई और रामू का लिंग फिर से अपने हाथ में लिया। वह कभी उसे अपने स्तनों पर रगड़ रही थी, कभी अपने दोनों स्तनों के बीच रखकर आगे-पीछे कर रही थी, और कभी जोर-जोर से हिला रही थी। रामू की सांसें तेज हो गईं, और वह सिसकारियां लेने लगा, "आह... मैडम..."

पूजा शर्मा ने फिर से उसके लिंग को अपने मुंह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। रामू का शरीर कांप रहा था, और उसकी आंखें बंद थीं। अचानक, उसके चेहरे से एक जोरदार "आह..." की आवाज निकली, और पूजा शर्मा का मुंह उसके वीर्य से भर गया। पूजा शर्मा को इसका स्वाद अजीब लेकिन अनोखा लगा। उसने सारा वीर्य निगल लिया, और उसकी गंध उसे एक नई उत्तेजना दे रही थी। "पहली बार मैंने ऐसा किया," उसने सोचा। कुछ बूंदें उसके स्तनों पर भी गिरीं, जिन्हें उसने हल्के से अपनी त्वचा पर मल लिया। रामू का लिंग अब धीरे-धीरे छोटा हो रहा था, और उसे दर्द से राहत मिल गई थी। वह ख़ुशी से बोला, "मैडम, अब मुझे अच्छा लग रहा है। आपने मेरी प्रॉब्लम ठीक कर दी।"

पूजा शर्मा का अधूरापन और जल्दबाजी
पूजा शर्मा का मन अधूरा रह गया था। उसकी योनि अभी भी गीली थी, और उसका शरीर उत्तेजना से भरा था। लेकिन राहुल का फोन उसे नीचे बुला रहा था। उसने जल्दी से वॉशरूम में जाकर अपने आप को साफ किया। उसने अपनी हरी साड़ी, ब्लाउज, और पेटीकोट पहना, और अपने बालों को जूड़े में बांधा। उसने रामू की ओर देखा और कहा, "रामू भाई, अब तुम भी कपड़े पहन लो। और चुपके से नीचे चले जाना। किसी को कुछ मत बताना।" रामू ने सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा। आपने मेरी मदद की, मैं आपका एहसान कभी नहीं भूलूंगा।"

पूजा शर्मा ने जल्दी से अपनी साड़ी ठीक की और नीचे जाने के लिए तैयार हुई। उसका मन अभी भी उस तीव्र अनुभव में खोया था। "रामू का भोलापन... और उसका वो लोड़ा," उसने सोचा। लेकिन वह जानती थी कि अब उसे मेहंदी की रस्म में वापस जाना है। उसने रामू को एक आखिरी मुस्कान दी और कहा, "रामू भाई, अब मैं जाती हूं। तुम भी बाद में चुपके से निकल जाना।" रामू ने सिर हिलाया और अपने कपड़े पहनने लगा। पूजा शर्मा ने कमरे का दरवाजा खोला और सीढ़ियों की ओर बढ़ गई, उसका मन अभी भी उस अधूरे रोमांच में डूबा था।

कहानी जारी है...
पूजा शर्मा ने राहुल को बताया कि रामू के साथ क्या हुआ था, लेकिन उसने यह बात मर्यादित और संक्षिप्त तरीके से कही। जब राहुल ने एकांत में पूजा शर्मा को घर के पीछे वाले आंगन में खींचकर पूछा, "बता, मेरी हॉट वाइफ। रामू के साथ क्या-क्या हुआ?" तो पूजा शर्मा ने शरमाते हुए जवाब दिया, "जी, आपने ही तो मुझे भेजा था। वो... बहुत भोला है। मैंने बस उसकी प्रॉब्लम ठीक की।" उसने यह नहीं बताया कि उसने रामू के साथ कितना अंतरंग समय बिताया, लेकिन यह स्वीकार किया कि रामू का लिंग बहुत बड़ा था, जिसने उसे हैरान कर दिया। उसने कहा, "जी, हां। वो इतना बड़ा था कि... मैं तो हैरान रह गई। लेकिन मैंने मर्यादा रखी।"
पूजा शर्मा ने राहुल को यह भी बताया कि उसने रामू की मदद की, लेकिन वह स्वयं अधूरी रह गई, क्योंकि उसकी उत्तेजना पूरी नहीं हुई थी। उसने शरमाते हुए कहा, "जी, बहुत मजा आया। उसका भोलापन... और वो... इतना बड़ा। लेकिन मैंने आपके लिए ही ये सब किया।" उसने राहुल को आश्वस्त किया कि उसने मर्यादा बनाए रखी और किसी को कुछ नहीं पता चला। यह बातचीत उनकी आपसी समझ और विश्वास को दर्शाती थी, जिसमें पूजा शर्मा ने राहुल की मर्जी का सम्मान करते हुए अपने अनुभव को साझा किया, लेकिन विस्तृत विवरण देने से बचते हुए।
शाम के 8:30 बज रहे थे, और ज्योति के घर में शादी की तैयारियों का माहौल अभी भी गर्म था। मेहंदी की रस्म खत्म हो चुकी थी, और अब बारात के स्वागत की तैयारियां चल रही थीं। अगले दिन बारात आने वाली थी, और परसों पूजा शर्मा और राहुल को अपने घर, कांगड़ा, हिमाचल लौटना था। पूजा शर्मा का मन अभी भी तीसरी मंजिल पर रामू के साथ बिताए उन अंतरंग पलों में उलझा था। रामू का भोलापन, उसकी मासूम तारीफें, और उसका विशाल लिंग—ये सब उसके मन में एक तूफान की तरह घूम रहा था। उसकी योनि में अभी भी उस अधूरी उत्तेजना की गर्मी थी, और एक गुप्त इच्छा उसके मन में जाग रही थी—रामू के साथ एक बार फिर, इस बार पूरी तरह, उस अनुभव को जीने की। लेकिन वह यह सब राहुल को बताए बिना करना चाहती थी।
पूजा शर्मा जानती थी कि रामू का लोड़ा इतना बड़ा था कि उसे पूरी तरह अनुभव करने के लिए समय और एकांत चाहिए था। "उसकी मोटाई... मेरी कलाई से भी ज्यादा," उसने मन ही मन सोचा, और उसकी सांसें तेज हो गईं। सुबह गंगा के किनारे नाव पर और तीसरी मंजिल के कमरे में हुए अनुभव ने उसके मन में एक आग सी जला दी थी। "राहुल ने मुझे मस्ती करने की इजाजत दी थी, लेकिन अगर मैं उनसे बिना बताए ये कर लूं तो?" उसने सोचा। उसका मन मर्यादा और इस नई उत्तेजना के बीच झूल रहा था। "कल बारात आएगी, और परसों हमें वापस जाना है। मेरे पास सिर्फ आज की रात है," उसने मन ही मन हिसाब लगाया।
राहुल मेहमानों के साथ व्यस्त था, और पूजा शर्मा को मौका मिल गया। उसने ज्योति से कहा, "ज्योति, मैं थोड़ा ताजी हवा लेने बाहर जा रही हूं। थकान हो रही है।" ज्योति ने हंसकर कहा, "अरे, पूजा दीदी, जाओ। लेकिन जल्दी लौटना, रात का खाना तैयार है।" पूजा शर्मा ने अपनी हरी साड़ी ठीक की, जो उसकी गोरी त्वचा और फिगर को हल्का-सा उभार रही थी, और चुपके से घर के पीछे वाले रास्ते से निकल गई। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। "रामू घाट पर होगा," उसने सोचा। उसने अपने फोन को साइलेंट मोड पर डाल लिया, ताकि राहुल का कोई मैसेज उसे परेशान न करे।
[+] 2 users Like poojarahulhimachal's post
Like Reply
#65
घाट पर रामू के साथ मुलाकात

रात के 9:00 बज रहे थे, और गंगा का किनारा शांत था। चांद की रोशनी पानी पर चमक रही थी, और हल्की-सी ठंडी हवा पूजा शर्मा के चेहरे को छू रही थी। रामू अपनी नाव के पास खड़ा था, कुछ मछलियों के जाल ठीक कर रहा था। उसकी सादगी और भोलापन अभी भी वही था, जो पूजा शर्मा को इतना आकर्षित करता था। उसने धीरे से रामू को पुकारा, "रामू भाई..." रामू ने चौंककर पीछे मुड़कर देखा, और उसका चेहरा खुशी से चमक उठा। "मैडम! आप... इतनी रात को?" उसने भोलेपन से पूछा। पूजा शर्मा ने मुस्कुराते हुए कहा, "हां, रामू भाई। बस थोड़ा घूमने का मन था। तुम्हारी नाव में बैठकर गंगा की सैर करूं?" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन वह मर्यादित ढंग से बोल रही थी।
रामू ने हिचकिचाते हुए कहा, "मैडम, रात को नाव चलाना ठीक नहीं। लेकिन अगर आप कहें तो..." पूजा शर्मा ने उसकी बात काटते हुए कहा, "रामू भाई, बस थोड़ा सा चक्कर लगा दो। कोई नहीं देखेगा।" उसकी आंखों में एक चमक थी, जो रामू को बेचैन कर रही थी। रामू ने सिर हिलाया और नाव को गंगा की ओर ले गया। पूजा शर्मा नाव में बैठ गई, और उसकी साड़ी का पल्लू हल्का-सा सरक गया, जिससे उसकी गोरी कमर चांद की रोशनी में चमक रही थी। रामू की नजरें बार-बार उसकी ओर जा रही थीं, और उसका पजामा फिर से तनने लगा।
नाव में एकांत और पूजा शर्मा की शरारत
पूजा शर्मा ने रामू को चटाई पर लिटाया, और उसकी टांगों के बीच धीरे से बैठ गई। उसकी साड़ी और पेटीकोट पहले ही उतर चुके थे, और अब वह सिर्फ अपनी लाल लेस वाली पैंटी में थी। चांद की रोशनी में उसकी गोरी त्वचा चमक रही थी, और उसका ब्लाउज, जो अब खुल चुका था, उसकी ब्रा को पूरी तरह उजागर कर रहा था। रामू की आंखें पूजा शर्मा के शरीर पर टिकी थीं, और उसका चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल था। "मैडम... आप... इतनी सुंदर," उसने कांपती आवाज में कहा। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और धीरे से अपनी ब्रा उतार दी। उसके बड़े, तने हुए स्तन चांद की रोशनी में और भी आकर्षक लग रहे थे। रामू की सांसें तेज हो गईं, और उसने अनायास ही अपने हाथ उनकी ओर बढ़ाए।

**तीव्र स्पर्श और उत्तेजना का मेल**
पूजा शर्मा ने रामू के हाथों को अपने स्तनों पर रखा और फुसफुसाते हुए कहा, "रामू भाई, धीरे-धीरे... प्यार से छूना।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। रामू ने कांपती उंगलियों से उसके स्तनों को सहलाया, और उसकी गर्म सांसें पूजा शर्मा की त्वचा पर महसूस हो रही थीं। "मैडम, ये... इतने नरम... जैसे रुई," उसने भोलेपन से कहा। पूजा शर्मा की एक हल्की-सी सिसकारी निकली, "आह... रामू..." उसने अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसका शरीर इस स्पर्श से कांप उठा। रामू का भोलापन और उसकी मासूम तारीफें उसे और बेकाबू कर रही थीं।

उसने धीरे से अपने होंठों से रामू के लिंग को चूमा, जो अब पूरी तरह तन चुका था। उसकी मोटाई और लंबाई को देखकर पूजा शर्मा का मन फिर से हैरानी और उत्तेजना से भर गया। "हाय... ये तो मेरी कलाई से भी मोटा है," उसने मन ही मन सोचा। उसने धीरे से उसे अपने मुंह में लिया, और रामू का शरीर तुरंत कांप उठा। "आह... मैडम..." उसकी सिसकारियां नाव में गूंजने लगीं। पूजा शर्मा की जीभ उसके लिंग की पूरी लंबाई पर धीरे-धीरे घूम रही थी, और वह जानबूझकर उसे और उत्तेजित कर रही थी। रामू का एक हाथ उसके बालों में था, और वह बार-बार उसकी तारीफ कर रहा था, "मैडम, आप... इतनी सुंदर... इतनी अच्छी..." उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह अपने जीवन का पहला अनुभव जी रहा हो।

**मर्यादा और उत्तेजना का अनोखा संगम**
पूजा शर्मा ने धीरे से अपनी पैंटी उतार दी, और अब वह पूरी तरह नग्न थी। चांद की रोशनी में उसका गोरा शरीर और भी आकर्षक लग रहा था। उसने रामू की ओर देखा और फुसफुसाते हुए कहा, "रामू भाई, अब मैं तुम्हारी प्रॉब्लम पूरी तरह ठीक कर दूंगी। लेकिन ये हमारे बीच ही रहना चाहिए।" रामू ने शरमाते हुए सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं कसम खाता हूं। ये बात मेरे साथ ही चली जाएगी।" उसकी मासूमियत ने पूजा शर्मा को और आकर्षित किया। उसने धीरे से रामू के ऊपर बैठने की स्थिति बनाई और उसके विशाल लिंग को अपनी योनि पर रखा। उसकी सांसें तेज थीं, और उसका शरीर उत्तेजना से कांप रहा था। "रामू भाई, धीरे-धीरे... ये बहुत बड़ा है," उसने सिसकारी लेते हुए कहा।

रामू, अपने भोलेपन में, ठीक से समझ नहीं पा रहा था कि उसे क्या करना है। उसने कोशिश की, लेकिन उसका लिंग बार-बार पूजा शर्मा की योनि से फिसल रहा था। "मैडम, ये... ठीक से नहीं जा रहा," उसने शरमाते हुए कहा। पूजा शर्मा ने हल्की मुस्कान दी और उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर रखा। "रामू भाई, मैं तुम्हारी मदद करती हूं," उसने फुसफुसाते हुए कहा। उसने धीरे से अपने हाथ से रामू के लिंग को पकड़ा और उसे अपनी योनि के प्रवेश द्वार पर सही तरह से रखा। "बस, धीरे-धीरे धक्का मारो," उसने कहा, और उसकी आवाज में मर्यादा और उत्तेजना का मिश्रण था। रामू ने सिर हिलाया और धीरे से जोर लगाया। पूजा शर्मा की योनि में हल्का-सा दर्द हुआ, लेकिन उसकी उत्तेजना उस दर्द को पूरी तरह दबा रही थी।

**रोमांच का चरम और तीव्र अनुभव**
पूजा शर्मा ने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलाई, और रामू का लिंग धीरे-धीरे उसकी योनि में प्रवेश करने लगा। उसकी सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... रामू... धीरे..." उसका शरीर इस तीव्र अनुभव में पूरी तरह डूब गया। रामू का भोलापन और उसका विशाल लिंग उसे एक ऐसी दुनिया में ले जा रहा था, जहां मर्यादा और उत्तेजना का एक अनोखा मेल था। नाव का हल्का-सा हिलना और गंगा की छपछप इस पल को और भी रोमांचक बना रही थी। पूजा शर्मा ने अपनी आंखें बंद कर लीं, और उसकी कमर अब एक लय में हिल रही थी। रामू ने भी धीरे-धीरे अपनी गति पकड़ ली, और उसकी सांसें तेज हो गईं। "मैडम, आप... जैसे कोई अप्सरा," उसने भोलेपन से कहा।

पूजा शर्मा की योनि अब रामू के लिंग की मोटाई को पूरी तरह महसूस कर रही थी। उसने अपने हाथों से रामू की छाती को सहारा दिया और अपनी गति बढ़ा दी। उसकी सिसकारियां अब तेज और गहरी थीं, "आह... रामू... हाय..." उसकी योनि की गीली गर्मी और चिकनाहट ने रामू को और बेकाबू कर दिया। रामू ने अपने हाथ पूजा शर्मा की जांघों पर रखे और धीरे-धीरे उसे सहारा देने की कोशिश की। चांद की रोशनी उनके गुप्त मिलन को और रहस्यमय बना रही थी। पूजा शर्मा का मन मर्यादा और इस तीव्र उत्तेजना के बीच झूल रहा था। "राहुल को नहीं पता चलना चाहिए," उसने मन ही मन सोचा। लेकिन उसका शरीर अब रुकने को तैयार नहीं था।

कुछ ही मिनटों में, पूजा शर्मा की सिसकारियां एक चरम बिंदु पर पहुंच गईं। "आह... रामू..." उसने एक जोरदार सिसकारी के साथ अपनी चरम सीमा को छू लिया, और उसका शरीर सुकून से भर गया। उसकी योनि की गर्मी और संकुचन ने रामू को भी उसी राह पर ले जाया, और वह भी कुछ पलों बाद अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया। उसका वीर्य पूजा शर्मा की योनि में गहराई तक फैल गया, और उसकी गर्मी ने पूजा शर्मा को एक अनोखी अनुभूति दी। दोनों एक पल के लिए सांस लेते हुए चुप रहे, और नाव का हल्का-सा हिलना इस पल को और खास बना रहा था।

**वापसी और गुप्त रहस्य**
पूजा शर्मा ने एक गहरी सांस ली और गंगा के पानी से अपने आप को साफ करने की कोशिश की। उसने अपनी पैंटी, ब्रा, ब्लाउज, और साड़ी जल्दी से पहन ली, लेकिन उसकी योनि से रामू का वीर्य अभी भी हल्का-हल्का, बूंद-बूंद करके रिस रहा था। हर कदम के साथ उसे उस तीव्र अनुभव की गर्मी का अहसास हो रहा था, और यह उसे एक गुप्त रोमांच दे रहा था। उसने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया और रामू की ओर देखा। "रामू भाई, ये हमारे बीच ही रहना चाहिए। साहब को कुछ नहीं पता चलना चाहिए," उसने फुसफुसाते हुए कहा। रामू ने शरमाते हुए सिर हिलाया और कहा, "मैडम, मैं कसम खाता हूं। ये बात मेरे साथ ही चली जाएगी। आपने मुझे जो खुशी दी, मैं उसे कभी नहीं भूलूंगा।" उसकी मासूमियत ने पूजा शर्मा के मन को हल्का कर दिया।

पूजा शर्मा ने नाव को किनारे की ओर ले जाने के लिए कहा, और रामू ने चुपचाप पतवार पकड़ ली। नाव धीरे-धीरे घाट की ओर बढ़ी, और पूजा शर्मा ने अपनी सांसों को सामान्य करने की कोशिश की। उसका चेहरा अभी भी शरम और उत्तेजना से लाल था, लेकिन उसने अपनी मुस्कान बनाए रखी। "रामू भाई, अब मैं जाती हूं। तुम भी चुपके से रहना," उसने कहा। रामू ने सिर हिलाया और नाव को किनारे पर रोका। पूजा शर्मा चुपके से घाट से उतरी और ज्योति के घर की ओर बढ़ गई। हर कदम के साथ, उसकी योनि से रिसता हुआ रामू का वीर्य उसे उस गुप्त अनुभव की याद दिला रहा था, और उसका मन एक तीव्र रोमांच और मर्यादा के बीच झूल रहा था।
[+] 3 users Like poojarahulhimachal's post
Like Reply
#66
राहुल का इंतजार और बेचैनी
रात के 9:30 बज रहे थे, और ज्योति के घर में शादी की तैयारियों का माहौल अभी भी गर्म था। मेहंदी की रस्म खत्म हो चुकी थी, और मेहमान अब रात के खाने और हंसी-मजाक में व्यस्त थे। गंगा के किनारे बने इस घर में रंग-बिरंगे बल्बों की रोशनी और फूलों की मालाओं की खुशबू माहौल को उत्सवमय बना रही थी। राहुल मेहमानों के बीच खड़ा था, ज्योति के रिश्तेदारों के साथ हल्की-फुल्की बातें कर रहा था, लेकिन उसका मन कहीं और था। उसकी नजरें बार-बार घर के मुख्य दरवाजे की ओर जा रही थीं, जहां से पूजा शर्मा को लौटना था। "कहां चली गई ये?" उसने मन ही मन सोचा। पूजा शर्मा ने ज्योति से कहा था कि वह ताजी हवा लेने घाट की ओर जा रही है, लेकिन राहुल को उसकी अनुपस्थिति में एक अजीब-सी बेचैनी हो रही थी।
राहुल का चेहरा शांत था, लेकिन उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी। उसे पूजा शर्मा और रामू के बीच तीसरी मंजिल पर हुए उस अंतरंग पल का अंदाजा था, क्योंकि उसने ही पूजा को रामू की "प्रॉब्लम" ठीक करने के लिए प्रेरित किया था। "मेरी हॉट वाइफ ने जरूर कुछ मस्ती की होगी," उसने सोचा, और उसके होंठों पर एक हल्की मुस्कान आ गई। लेकिन पूजा का इतनी देर तक बाहर रहना उसे थोड़ा परेशान कर रहा था। उसने अपने फोन पर समय देखा—9:32। "अब तक तो लौट आना चाहिए था," उसने मन में बुदबुदाया। उसने एक मेहमान से हंसकर कुछ बात की, लेकिन उसका ध्यान बार-बार दरवाजे की ओर जा रहा था।
राहुल की बेचैनी और शक
राहुल ने ज्योति से पूछा, "ज्योति, पूजा कब गई थी बाहर?" ज्योति ने हंसते हुए कहा, "अरे, भैया, पूजा दीदी तो आधे घंटे पहले ताजी हवा लेने गई थीं। घाट पर होंगी, शायद। रात को गंगा का किनारा बहुत सुकून देता है।" राहुल ने सिर हिलाया, लेकिन उसके मन में एक हल्का-सा शक जागा। "घाट पर... रामू के साथ?" उसने सोचा। उसे रामू का भोलापन और उसकी मासूमियत याद थी, और उसे यह भी पता था कि पूजा को रामू का वो विशाल लिंग हैरान कर चुका था। "कहीं पूजा ने फिर से...?" उसने अपने विचार को झटक दिया और खुद को तसल्ली दी, "नहीं, पूजा मर्यादा में रहती है। लेकिन फिर भी..." उसकी बेचैनी बढ़ रही थी।
राहुल ने एक गहरी सांस ली और मेहमानों के बीच से हटकर घर के पीछे वाले आंगन की ओर चला गया। वहां गंगा की ठंडी हवा और चांद की रोशनी उसे थोड़ा सुकून दे रही थी। उसने अपनी जेब से फोन निकाला और पूजा को कॉल करने की सोची, लेकिन फिर रुक गया। "अगर वो सच में रामू के साथ है, तो मैं उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहता," उसने सोचा। राहुल और पूजा के बीच एक खुला रिश्ता था, जहां वे एक-दूसरे की इच्छाओं का सम्मान करते थे, लेकिन पूजा का बिना बताए इतनी देर तक गायब रहना उसे थोड़ा असहज कर रहा था। उसने मन ही मन ठान लिया कि जब पूजा लौटेगी, तो वह उससे जरूर पूछेगा कि वो कहां थी।
पूजा की वापसी और राहुल की नजरें
तभी राहुल ने देखा कि घर के मुख्य दरवाजे से पूजा शर्मा चुपके से अंदर आ रही थी। उसकी हरी साड़ी थोड़ी-सी सिकुड़ी हुई थी, और उसका चेहरा हल्का-सा लाल था, जैसे उसने कोई तीव्र अनुभव जिया हो। पूजा की नजरें राहुल से मिलीं, और उसने जल्दी से अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया। उसकी चाल में एक हल्की-सी बेचैनी थी, और राहुल ने गौर किया कि वह बार-बार अपने हाथों को साड़ी पर रगड़ रही थी, जैसे कुछ छिपाने की कोशिश कर रही हो। "कहीं रामू का वीर्य..." राहुल ने सोचा, लेकिन उसने अपने चेहरे पर मुस्कान बनाए रखी।
राहुल ने पूजा को पास बुलाया और फुसफुसाते हुए पूछा, "कहां थी, मेरी हॉट वाइफ? इतनी देर तक घाट पर क्या कर रही थी?" पूजा शर्मा का चेहरा शरम से और लाल हो गया। उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "जी, बस... गंगा के किनारे थोड़ा सुकून लेने गई थी। रात का माहौल बहुत अच्छा था।" उसकी आवाज में हल्की-सी कांप थी, और राहुल ने उसकी आंखों में एक शरारती चमक देखी। उसने पूजा का हाथ पकड़ा और धीरे से कहा, "सच-सच बता, पूजा। रामू के साथ फिर से कोई मस्ती की?" पूजा ने जल्दी से सिर हिलाया और कहा, "नहीं, जी। बस थोड़ा घूम आई।" लेकिन उसकी नजरें राहुल से मिलते ही नीचे झुक गईं।
राहुल का मन और पूजा का रहस्य
राहुल को पूजा की बातों पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन उसने ज्यादा दबाव नहीं डाला। वह जानता था कि पूजा ने कुछ छिपाया है, लेकिन उनके रिश्ते में विश्वास और आजादी सबसे ऊपर थी। "ठीक है, पूजा। लेकिन रात को मैं तेरा अधूरापन पूरा कर दूंगा," उसने शरारत भरे लहजे में कहा। पूजा ने शरमाते हुए सिर हिलाया, लेकिन उसका मन अभी भी गंगा के किनारे, नाव पर रामू के साथ बिताए उन तीव्र पलों में खोया था। उसकी योनि से रामू का वीर्य अभी भी बूंद-बूंद करके रिस रहा था, और हर कदम के साथ उसे उस गुप्त रोमांच की याद आ रही थी। "राहुल को नहीं पता चलना चाहिए," उसने मन ही मन सोचा।
राहुल ने पूजा का हाथ पकड़ा और उसे मेहमानों के बीच ले गया। वहां ज्योति ने पूजा को देखकर कहा, "अरे, पूजा दीदी, कहां थीं? खाना ठंडा हो रहा है!" पूजा ने हंसकर कहा, "बस, ज्योति, थोड़ा घाट पर चली गई थी। अब खाना खाते हैं।" राहुल ने पूजा की ओर देखा, और उसकी आंखों में एक शरारती सवाल था। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और पूजा के साथ खाने की मेज पर बैठ गया। पूजा का मन एक तूफान में था—रामू के साथ बिताए पल और राहुल के सामने मर्यादा बनाए रखने की जिम्मेदारी उसे अंदर ही अंदर कचोट रही थी।
रात का सन्नाटा और राहुल की बेचैनी
रात के 11:00 बज चुके थे, और ज्योति के घर में मेहंदी की रस्म और रात के खाने का उत्साह अब धीरे-धीरे थम चुका था। मेहमान अपने-अपने कमरों में सोने की तैयारी में थे, और घर की निचली मंजिल पर सन्नाटा पसर गया था। गंगा की ठंडी हवा खिड़कियों से कमरों में दाखिल हो रही थी, और चांद की मद्धम रोशनी आंगन को एक रहस्यमय चमक से भर रही थी। राहुल और पूजा शर्मा मेहमानों से विदा लेकर तीसरी मंजिल के अपने कमरे की ओर बढ़ रहे थे। राहुल का मन पूजा की घाट पर लंबी अनुपस्थिति को लेकर बेचैन था। उसकी आंखों में एक शरारती चमक थी, लेकिन वह अपने मन के शक को छिपा रहा था। पूजा शर्मा का चेहरा अभी भी उस गुप्त रोमांच से लाल था, जो उसने रामू के साथ नाव पर अनुभव किया था। उसकी योनि से रामू का वीर्य अभी भी हल्का-हल्का रिस रहा था, और हर कदम के साथ उसे उस तीव्र अनुभव की याद आ रही थी। उसका मन एक द्वंद्व में था—राहुल के प्रति वफादारी और उस गुप्त रोमांच के बीच।
राहुल ने सीढ़ियां चढ़ते हुए पूजा का हाथ पकड़ा और फुसफुसाया, "पूजा, आज रात तेरा अधूरापन पूरा करने का वादा है।" उसकी आवाज में शरारत और प्यार का मिश्रण था, लेकिन उसकी नजरें पूजा के चेहरे पर टिकी थीं, जैसे वह उसकी हर हरकत को पढ़ने की कोशिश कर रहा हो। पूजा ने शरमाते हुए हल्की मुस्कान दी और कहा, "जी, आप तो बस मजाक करते रहते हैं।" उसकी आवाज में हल्की-सी कांप थी, क्योंकि वह राहुल से अपनी नाव वाली मुलाकात को छिपा रही थी। उसने मन ही मन ठान लिया था कि वह रामू के साथ हुए उस अंतरंग पल को कभी नहीं बताएगी। यह उसका गुप्त खजाना था, जिसे वह अपने दिल में दफन करना चाहती थी। लेकिन राहुल की गहरी नजरें और शरारती मुस्कान उसे थोड़ा असहज कर रही थीं। "कहीं राहुल को कुछ शक तो नहीं?" उसने मन ही मन सोचा, लेकिन फिर खुद को तसल्ली दी कि राहुल को कुछ नहीं पता।
कमरे में एकांत और रोमांटिक माहौल
तीसरी मंजिल का कमरा पूरी तरह शांत था। एक छोटा-सा बल्ब कमरे को मद्धम रोशनी से भर रहा था, और खिड़की से आती गंगा की ठंडी हवा माहौल को और रोमांटिक बना रही थी। राहुल ने दरवाजा लॉक किया और पूजा की ओर मुड़ा। उसने पूजा की हरी साड़ी का पल्लू धीरे से खींचा और उसे अपनी बाहों में ले लिया। "पूजा, तू आज कुछ ज्यादा ही चमक रही है," उसने शरारत भरे लहजे में कहा, और उसकी उंगलियां पूजा की कमर पर हल्के से फिरने लगीं। पूजा का चेहरा शरम से लाल हो गया, और उसने अपनी नजरें नीचे कर लीं। "जी, बस... शादी का माहौल है ना," उसने हल्के से कहा, लेकिन उसका मन अभी भी नाव पर रामू के साथ बिताए उन तीव्र पलों में खोया था। उसकी योनि अभी भी उस अनुभव की गर्मी और रामू के वीर्य की चिपचिपाहट को महसूस कर रही थी, जो उसे बार-बार उस रोमांच की याद दिला रहा था।
राहुल ने पूजा की साड़ी को धीरे-धीरे उतारना शुरू किया। उसका ब्लाउज और पेटीकोट जल्द ही बिस्तर के किनारे पड़े थे। अब पूजा सिर्फ अपनी लाल लेस वाली ब्रा और पैंटी में थी। राहुल की नजरें उसके गोरे, सुडौल शरीर पर ठहर गईं। उसने पूजा की जांघों को हल्के से सहलाया, और उसकी उंगलियां जैसे ही पूजा की पैंटी के पास पहुंचीं, उसे एक गीली और चिपचिपी सनसनी महसूस हुई। राहुल की भौंहें हल्की-सी सिकुड़ीं, लेकिन उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया। "रामू का वीर्य..." उसने मन ही मन सोचा। उसे तुरंत समझ आ गया कि पूजा ने नाव पर रामू के साथ कुछ ज्यादा ही अंतरंग पल बिताए थे। लेकिन वह नहीं चाहता था कि पूजा को पता चले कि उसे कुछ पता है। उसने अपनी शरारती मुस्कान बनाए रखी और पूजा की आंखों में देखा। "पूजा, तू आज कुछ ज्यादा ही तैयार लग रही है," उसने हल्के से हंसते हुए कहा।
राहुल और पूजा का तीव्र मिलन
राहुल ने पूजा की ब्रा का हुक खोला, और उसके तने हुए, गोरे स्तन आजाद हो गए। उसने धीरे से उनके निप्पल को चूमा, और पूजा की एक हल्की-सी सिसकारी कमरे में गूंज उठी, "आह... जी..." राहुल ने पूजा की पैंटी भी उतार दी, और उसकी नजरें पूजा की योनि पर ठहर गईं। उसे रामू के वीर्य की हल्की-सी गंध और चिपचिपाहट साफ महसूस हुई। उसने अपनी उंगलियों से पूजा की योनि को हल्के से सहलाया, और उसे उस चिपचिपाहट का अहसास और गहरा हुआ। लेकिन वह चुप रहा। उसने पूजा की ओर देखा और कहा, "पूजा, तू आज कुछ ज्यादा ही गीली है।" उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन पूजा को लगा कि राहुल को कुछ नहीं पता। उसने राहत की सांस ली और कहा, "जी, ये सब... आपके लिए ही है।" उसने अपनी नाव वाली मुलाकात को पूरी तरह छिपाने की कोशिश की, लेकिन उसका मन रामू के विशाल लिंग की छवि में खोया था।
राहुल ने पूजा को बिस्तर पर लिटाया और उसकी टांगें धीरे से खोल दीं। वह पूजा की योनि के करीब गया और अपनी जीभ से उसे चूमने की कोशिश की। पूजा ने तुरंत हिचकिचाते हुए कहा, "जी, नहीं... प्लीज, वहां नहीं।" उसकी आवाज में हल्का-सा डर था, क्योंकि उसे डर था कि राहुल को रामू के वीर्य का अहसास हो जाएगा। "मैं अभी... साफ नहीं हूं," उसने शरमाते हुए कहा। लेकिन राहुल ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "पूजा, तू मेरी हॉट वाइफ है। मुझे सब पसंद है।" उसने पूजा की बात अनसुनी कर दी और अपनी जीभ से पूजा की योनि को चूमा। जैसे ही उसकी जीभ ने पूजा की योनि को छुआ, उसे रामू के वीर्य का एक अनोखा, तीखा स्वाद महसूस हुआ। यह पहली बार था जब राहुल ने किसी और पुरुष के वीर्य का स्वाद लिया, और उसे यह स्वाद आश्चर्यजनक रूप से तीव्र और उत्तेजक लगा। लेकिन उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया। उसने मन ही मन सोचा, "रामू ने इसे पूरी तरह भरा था।"
पूजा की सांसें तेज हो गईं, और वह राहुल को रोकने की कोशिश में थी। "जी, प्लीज... बस..." उसने फुसफुसाते हुए कहा, लेकिन राहुल ने उसकी बात को हल्के से हंसकर टाल दिया। "पूजा, तुझे शरमाने की जरूरत नहीं। तू मेरे लिए परफेक्ट है," उसने कहा, और अपनी जीभ से पूजा की योनि को और गहराई से चूमने लगा। पूजा की सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... जी..." उसका शरीर उत्तेजना से थरथरा रहा था, लेकिन उसका मन डर और राहत के बीच झूल रहा था। उसे लग रहा था कि राहुल को कुछ नहीं पता, और यह सोचकर वह थोड़ा रिलैक्स हो गई। लेकिन वह नहीं जानती थी कि राहुल को सब कुछ समझ आ चुका था। राहुल ने वीर्य के स्वाद को और गहराई से महसूस किया, और उसे यह अनुभव नया और उत्तेजक लगा। लेकिन वह नहीं चाहता था कि पूजा को यह पता चले कि उसे सब कुछ मालूम है।
तीव्र मस्ती और राहुल की चुप्पी
राहुल ने अपने कपड़े उतारे और अपना लिंग पूजा की योनि पर रखा। "पूजा, तू आज कुछ अलग ही मूड में है," उसने शरारत भरे लहजे में कहा। पूजा ने हल्की मुस्कान दी और कहा, "जी, आप ही तो मुझे ऐसा बनाते हैं।" उसकी आंखें बंद थीं, और वह रामू के विशाल लिंग को इमेजिन कर रही थी, लेकिन राहुल के स्पर्श में पूरी तरह डूब चुकी थी। राहुल ने धीरे से अपना लिंग पूजा की योनि में प्रवेश कराया, और कमरा उनकी सिसकारियों से भर गया। पूजा की योनि अभी भी रामू के वीर्य की चिपचिपाहट से गीली थी, और राहुल को हर धक्के के साथ उसका अहसास हो रहा था। लेकिन उसने अपनी शरारती मुस्कान बनाए रखी और पूजा को यह जरा भी नहीं जताया कि उसे सब पता है।
राहुल ने अपनी गति बढ़ा दी, और पूजा की सिसकारियां और तेज हो गईं, "आह... जी... और जोर से..." उसका शरीर पूरी तरह राहुल के कब्जे में था, लेकिन उसका मन रामू के भोलेपन और उसके विशाल लिंग की छवि में खोया था। राहुल ने पूजा की जांघों को सहलाया, और उसकी उंगलियों ने फिर से उस चिपचिपाहट को महसूस किया। "रामू ने इसे पूरी तरह भरा था," उसने मन ही मन सोचा। लेकिन उनके रिश्ते में आजादी और विश्वास सबसे ऊपर था। वह नहीं चाहता था कि पूजा को लगे कि उसने कुछ गलत किया है। उसने पूजा को अपनी बाहों में और कसकर पकड़ा और उसकी सिसकारियों के साथ अपनी गति को और तेज कर दिया।
कुछ ही मिनटों में, पूजा की सिसकारियां चरम पर पहुंच गईं। "आह... जी..." उसने एक जोरदार सिसकारी के साथ अपनी चरम सीमा को छू लिया, और उसका शरीर सुकून से भर गया। राहुल भी कुछ पलों बाद अपनी चरम सीमा पर पहुंचा, और उसने पूजा को अपनी बाहों में भर लिया। दोनों एक-दूसरे की बाहों में लेटे रहे, और कमरे में सिर्फ उनकी सांसों की आवाज गूंज रही थी। राहुल ने पूजा के माथे को चूमा और कहा, "पूजा, तू मेरी हॉट वाइफ है। तेरा ये जोश मुझे हमेशा दीवाना बनाता है।" पूजा ने शरमाते हुए कहा, "जी, आप ही मेरे लिए सब कुछ हैं।" लेकिन उसका मन अभी भी रामू के साथ नाव पर बिताए उन पलों में खोया था।
[+] 3 users Like poojarahulhimachal's post
Like Reply
#67
दोस्तो, स्टोरी में कुछ ख़ास कमेंट नहीं आये, इसलिये मैंने अपडेट नहीं दी, जबकि स्टोरी के मैं आगे के पार्ट्स लिख चुका था।
लेकिन आज जब मैंने इस साइट को खोला तो पाया कि बहुत से रीडर ऐसे हैं जो नेक्स्ट पार्ट का इंतज़ार कर रहे हैं।
इसलिए मैंने ख़ास उनके लिये सारे पार्ट्स एक साथ लोड कर दिये।

अब आगे स्टोरी में क्या होना चाहिए, ये आप बताइये।
जिसका आइडिया सबसे बेस्ट लगेगा, उसी तरफ़ स्टोरी को ले जा सकते हैं।
या फिर वापसी में रास्ते में कोई रोमांच ऐड करना है, वो भी कर सकते हैं।

एक यूज़र ने कहा था कि बार-बार पूजा शर्मा मत लिखो, सिर्फ़ पूजा लिखो।
तो जिन्होने स्टोरी शुरू से एंड तक पढ़ी, उनको पता है कि ऑनलाइन चैट में पूजा ने झूठ बोला था कि वो पूजा ठाकुर है, दिल्ली से।
इसलिए पूजा शर्मा पूरा लिखा, लेकिन अब आगे पूजा ही लिख दूँगा।
Like Reply
#68
Pooja ko wapas ghar jate time truck stop pe kisi driver se usske truck me masti karni chahiye
Like Reply
#69
Pooja ko ghar wapas jate time truck stop pe kisi driver se ussi ke truck me masti kare or uska husband car me wait kare.
Like Reply
#70
Truck driver or kuchh servent se wild sex
Like Reply
#71
हेलो राहुलपूजा कहानी बहुत मस्त चल रही है। मेरा सुझाव है कि वापसी के रास्ते में २ बूढ़े मगर ठरकी लोग लिफ्ट मांगते है और उनमें से एक बहाना बना कर आगे राहुल के साथ बैठ जाता है और दूसरा बैक सीट पर पूजा के साथ। बातचीत के दौरान पीछे बैठा पूजा से फ्लर्ट करना शुरू करता है और फिर राहुल या पूजा के ऐतराज न करने पर उत्साहित होके धीरे धीरे पूजा को छेड़ना और सिड्यूस करना शुरु कर देता है। बूढ़े की छेड़छाड़ का मजा राहुल और पूजा दोनों ले रहे होते हैं। फिर बूढ़ा धीरे धीरे पूजा के बदन पर हाथ फिराना शुरू का देता है और उसके मम्मे दबाते हुए उसका ब्लाउस भी खोल देता है और चूंकि यह सब गाड़ी के अंदर हो रहा होता है तो पूजा और राहुल को भी देखे जाने का डर नहीं होता है और वह भी मजे कर रहे होते हैं। थोड़ी देर बाद दूसरा बूढ़ा भी पीछे जाके पूजा के साथ बैठ जाता है और अब पूजा दो बूढों के बीच अपना ब्लाउस और ब्रा खोल कर बैठी हुई थी और वह दोनों उसके मम्मे सहला रहे थे।
इस स्लो सेडक्शन को किस लिमिट तक लेकर जाना यह डिसीजन आपका रहेगा।
होप आपको यह सजेशन पसंद आयेगा।
Bicks
[+] 1 user Likes bicks's post
Like Reply
#72
ट्रक कैब में पूजा और हरि का तीव्र रोमांच
दिल्ली से कांगड़ा, हिमाचल का रास्ता दोपहर की तपती धूप में धूल और उमस से भरा था। सड़क के किनारे उड़ती धूल और ट्रकों की गूंज हवा में तैर रही थी, जैसे कोई देहाती मेला सजा हो। राहुल ने कार को एक व्यस्त ट्रक स्टॉप पर रोका, जहां विशालकाय ट्रक अपनी छायाएं बिखेर रहे थे। चाय की दुकान से उठती भाप और ड्राइवर्स की ठहाकों भरी बातें माहौल को जीवंत बना रही थीं। पूजा नीली स्किन-टाइट जींस और हल्के क्रीम रंग की स्लीवलेस टी-शर्ट में राहुल के बगल में बैठी थी, उसका गोरा चेहरा अपनी सखी ज्योति की शादी की चमक से दमक रहा था। उसकी जींस उसकी कसी हुई कमर और गोल नितंबों को उभार रही थी, और टी-शर्ट इतनी टाइट थी कि उसकी लाल लेस वाली ब्रा की आकृति साफ दिख रही थी, जो उसके तने हुए स्तनों को और आकर्षक बना रही थी। लेकिन उसका मन उस गुप्त आग में जल रहा था—रामू के साथ नाव पर बिताए तीव्र पल, उसका विशाल, मोटा लिंग जो उसकी योनि को चीरता हुआ चरम सुख दे गया था, और वह गीली गर्माहट जो अभी भी उसके भीतर धड़क रही थी। राहुल की शरारती नजरें उसकी हर सांस को पढ़ रही थीं, जैसे वह उसके मन की हर लहर को महसूस कर रहा हो। लेकिन उसने चुप्पी साध रखी थी। "पूजा, मैं कार चेक करवाता हूं। तुम यहीं रुको, चाहो तो चाय पी लो," राहुल ने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा और मैकेनिक की ओर चला गया।
पूजा ने सिर हिलाया, लेकिन उसकी नजरें अनायास एक ट्रक ड्राइवर पर टिक गईं। वह लगभग 50 साल का था, सांवला, मूंछों वाला, और उसकी मजबूत कद-काठी में एक देहाती ताकत थी। उसकी आंखों में एक ठरकी चमक थी, जो पूजा को बेचैन कर रही थी। वह अपने ट्रक की कैब में बैठा सिगरेट फूंक रहा था, उसकी नजरें पूजा की जींस पर टिकी थीं, जो उसकी जांघों और नितंबों को कसकर जकड़े हुए थी। उसकी भूरी आंखें पूजा की टी-शर्ट पर रुकीं, जहां उसकी ब्रा की आकृति और तने हुए निप्पल्स साफ उभर रहे थे, जो धूप में चमक रही उसकी गोरी त्वचा को और उत्तेजक बना रहे थे। "क्या मैडम, सफर कैसा चल रहा है?" उसने देहाती लहजे में पूछा, उसकी आवाज में एक चुलबुली शरारत थी जो पूजा के दिल को धड़काने लगी। पूजा का चेहरा तुरंत लाल हो गया। उसने अपनी टी-शर्ट को हल्का-सा नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन उसकी टाइट जींस और टी-शर्ट ने उसके कर्व्स को और उभार दिया। "जी... ठीक है," उसने कांपती आवाज में कहा, उसकी मासूमियत ऐसी थी जैसे वह पहली बार किसी अजनबी की ऐसी नजरों का सामना कर रही हो। लेकिन उसकी जागृत वासना ने उसके मन में एक तूफान खड़ा कर दिया। "राहुल बाहर हैं... और ये आदमी... ये क्या हो रहा है? मेरे साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ," उसने मन ही मन सोचा, लेकिन उसका शरीर उस ठरकी नजर के सामने थरथरा रहा था, और उसकी योनि में एक गीली हलचल शुरू हो गई थी।
ट्रक ड्राइवर ने सिगरेट का आखिरी कश लिया और ट्रक से उतरकर पूजा के पास आया। उसका सांवला चेहरा पसीने से चमक रहा था, और उसकी मूंछों के नीचे एक शरारती मुस्कान थी। "मैं हरि, मैडम। गर्मी बहुत है। मेरे ट्रक में एसी है, आइए, थोड़ा आराम कर लीजिए। आपका पति कार चेक करवा रहा है, तब तक," उसने कहा, उसकी आवाज में एक देहाती मस्ती थी जो पूजा को और बेचैन कर रही थी। पूजा ने राहुल की ओर देखा, जो दूर मैकेनिक के साथ जोर-जोर से बहस में उलझा था। "राहुल इंतजार कर रहे हैं... लेकिन ये गर्मी... और ये रोमांच," उसने सोचा। रामू की यादों ने उसकी योनि को पहले ही गीला कर रखा था, और हरि की यह पेशकश उसे एक नई आग में धकेल रही थी। "जी... ठीक है, लेकिन ज्यादा देर नहीं," उसने हिचकिचाते हुए कहा, उसकी आवाज में एक मासूम डर था। वह ट्रक की कैब में चढ़ गई, और उसकी जींस उसकी जांघों को कसकर जकड़े हुए थी, जिससे उसकी गोल नितंबों की आकृति हरि की आंखों में चमक उठी। हरि ने उसकी कमर और जांघों को एक भूखी नजर से देखा, और पूजा की सांसें तेज हो गईं।
कैब छोटी थी, लेकिन एसी की ठंडी हवा पूजा के गर्म शरीर को राहत दे रही थी। पीछे एक छोटा-सा बिस्तर था, जिस पर एक पतली, मैली चादर बिछी थी, और उसकी गंध में तंबाकू और पुरुषत्व की मिली-जुली खुशबू थी। डैशबोर्ड पर पुरानी फिल्मों के पोस्टर्स चिपके थे, जिनमें आधे नंगी हीरोइनों की तस्वीरें थीं, जो इस देहाती माहौल को और उत्तेजक बना रही थीं। हरि ने पूजा को पानी का गिलास थमाया और दरवाजा बंद कर दिया, जिससे एक हल्की-सी खट की आवाज आई। "मैडम, गर्मी से बचाव। अब बताओ, क्या पीओगी?" उसने पूछा, उसकी नजरें पूजा की टी-शर्ट पर टिकी थीं, जहां उसकी ब्रा की आकृति और तने हुए स्तन साफ उभर रहे थे। पूजा ने गिलास पकड़ा और शरमाते हुए कहा, "जी, कुछ नहीं... बस ये ठंडा अच्छा लग रहा है।" उसकी आवाज में एक मासूम कांप थी, जैसे वह पहली बार किसी अजनबी के इतने करीब थी। लेकिन हरि की भूखी नजरें उसकी टी-शर्ट पर थीं, जहां उसकी गोरी त्वचा पसीने से हल्की-सी चमक रही थी। "मैडम, आप तो शहर की अप्सरा हो। इतनी गोरी, इतनी टाइट... कभी ट्रक में बैठी हो?" हरि ने हंसते हुए पूछा, उसका लहजा शरारत और ठरक से भरा था। पूजा का चेहरा और लाल हो गया। "जी, नहीं... पहली बार," उसने धीरे से कहा, उसकी आंखें नीचे झुकीं, लेकिन उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, और उसकी योनि में एक गर्म, गीली सनसनी फैल रही थी।
हरि ने हिम्मत जुटाई और पूजा की ओर और करीब झुका। उसकी खुरदरी उंगलियां पूजा के नरम हाथ को छूने लगीं, और उसने धीरे से सहलाते हुए कहा, "मैडम, आपकी त्वचा तो मखमल से भी नरम है... जैसे कोई रेशम की गुड़िया।" पूजा की सांसें तेज हो गईं, और उसने अनायास हाथ खींचने की कोशिश की। "जी, ये क्या कर रहे हो?" उसने चौंककर कहा, उसकी आवाज में शरम और एक अनजानी जिज्ञासा थी, जैसे वह पहली बार किसी पुरुष के इतने करीब थी। हरि ने अपनी मूंछों को ताव देते हुए फुसफुसाया, "मैडम, बस थोड़ा मजा। आपका पति बाहर है, कोई नहीं देखेगा।" उसकी आवाज में एक देहाती ठसक थी, जो पूजा को और उत्तेजित कर रही थी। पूजा ने राहुल की ओर देखा, जो अभी भी मैकेनिक के साथ बहस में उलझा था। उसका मन एक तूफान में था। "ये गलत है... लेकिन ये आग... रामू के बाद अब ये," उसने सोचा। उसकी योनि पहले से ही रामू की यादों से गीली थी, और हरि का खुरदरा स्पर्श उस आग को और भड़का रहा था।
हरि ने पूजा की टी-शर्ट को धीरे से ऊपर उठाया, और उसकी लाल लेस वाली ब्रा पूरी तरह नजर आने लगी। टी-शर्ट की टाइट फिटिंग ने उसके तने हुए स्तनों को और उभारा, और हरि की आंखें भूख से चमक उठीं। पूजा ने शरमाते हुए कहा, "हरि जी, ये ठीक नहीं... मेरे पति बाहर हैं।" लेकिन उसकी आवाज में कमजोरी थी, जैसे वह खुद को रोकना चाहती हो, पर उसका शरीर उसकी बात नहीं मान रहा था। हरि ने ठरकी हंसी के साथ कहा, "मैडम, आपके पति को कुछ नहीं पता चलेगा। बस थोड़ा सा आनंद... आपके लिए भी, मेरे लिए भी।" उसने पूजा की ब्रा को नीचे सरकाया, और उसके गोरे, रसीले स्तन पूरी तरह उजागर हो गए। पूजा की सिसकारी निकली, "आह... धीरे... ये क्या..." उसकी आंखें आधी बंद थीं, और वह इस अनुभव में डूब रही थी। हरि ने पूजा के निप्पल्स को अपनी खुरदरी उंगलियों से सहलाया, और फिर धीरे से उन्हें चूमा। "मैडम, आपके ये... जैसे रसीले आम, इतने तने हुए, जैसे मेरे लिए ही बने हों," उसने देहाती ठरक के साथ कहा। पूजा की सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... हरि जी... प्लीज, धीरे..." उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसका शरीर इस नए रोमांच में पूरी तरह डूब चुका था। "मैं ये क्या कर रही हूं? पहली बार... ऐसा कुछ," उसने सोचा, हालांकि रामू का विशाल लिंग और उसकी गर्माहट उसके मन में तैर रही थी।
हरि ने पूजा की जींस का बटन खोला और धीरे-धीरे उसे नीचे खींचा। उसकी लाल लेस वाली पैंटी पूरी तरह गीली थी, जो हरि की आंखों में एक विजयी चमक ला रही थी। उसकी गोरी, चिकनी जांघें सूरज की रोशनी में चमक रही थीं, और उसकी टाइट जींस ने उसके नितंबों की गोलाई को और उभारा। हरि ने अपनी खुरदरी उंगलियों से पैंटी के ऊपर से पूजा की योनि को सहलाया, और पूजा की एक जोरदार सिसकारी निकली, "आह... हरि जी... ये..." उसकी आवाज में शरम और उत्तेजना का मिश्रण था। हरि ने हंसकर कहा, "मैडम, आप तो पहले से ही आग हो... ये गीला क्या बता रहा है?" पूजा ने शरमाते हुए कहा, "नहीं... हरि जी, ये ज्यादा हो रहा है।" लेकिन उसकी सिसकारियां उसकी बातों को झुठला रही थीं। हरि ने पूजा की पैंटी को धीरे से नीचे खींचा, और उसकी गीली, धड़कती योनि सामने थी, जो रामू की यादों से पहले ही गर्म थी। पूजा की सांसें बेकाबू हो गईं, "आह... हरि जी... ये... मैंने कभी नहीं..." उसने सिसकारी लेते हुए कहा, उसकी आवाज में एक मासूम डर था, जैसे वह पहली बार ऐसा अनुभव कर रही हो।
हरि ने अपनी जीभ से पूजा की योनि को चूमा, और पूजा का शरीर बिजली के झटके की तरह कांप उठा। "आह... ओह... हरि जी..." उसकी सिसकारियां कैब में गूंज रही थीं, और उसकी आवाज में एक मासूम बेचैनी थी। हरि की जीभ उसकी योनि की गहराइयों में गई, और पूजा ने अनायास उसके सिर को पकड़ लिया, जैसे वह उसे और गहराई में खींचना चाहती हो। "राहुल बाहर हैं... लेकिन ये मजा... मैं रुक नहीं सकती," उसने सोचा। उसकी योनि से गीली गर्माहट रिस रही थी, और हरि की जीभ हर बूंद को चाट रही थी। पूजा की सिसकारियां अब बेकाबू हो गईं, "आह... हरि जी... और... प्लीज..." उसने अपने नाखून हरि के कंधों में गड़ा दिए, और उसका शरीर उत्तेजना की चरम सीमा पर था। हरि ने अपना पैंट खोला, और उसका तना हुआ लिंग सामने आया—मोटा, सांवला, और कम से कम 8 इंच लंबा, जिसकी नसें उभरी हुई थीं। पूजा की आंखें चौड़ी हो गईं। "हाय... ये तो... इतना बड़ा," उसने हैरानी से कहा, उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह पहली बार ऐसा कुछ देख रही हो। हरि ने ठरकी हंसी के साथ कहा, "मैडम, ये तो आपके लिए ही है। बस थोड़ा मजा और।"
हरि ने पूजा को कैब के छोटे बिस्तर पर लिटाया और उसकी टांगें धीरे से खोलीं। उसकी नजरें पूजा के नग्न शरीर पर टिकी थीं, और उसकी गोरी त्वचा पसीने से चमक रही थी। "मैडम, बस थोड़ा और आनंद," उसने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आवाज में एक भूखी तड़प थी। पूजा ने शरमाते हुए कहा, "हरि जी, जल्दी... मेरे पति आ जाएंगे।" उसकी आवाज में डर और उत्तेजना का मिश्रण था, जैसे वह पहली बार किसी गुप्त पाप में डूब रही हो। हरि ने अपने मोटे, सख्त लिंग को पूजा की गीली योनि पर रखा और धीरे से प्रवेश किया। पूजा की एक जोरदार सिसकारी निकली, "आह... धीरे... बहुत मोटा है..." उसका शरीर हर धक्के के साथ थरथरा रहा था, और वह इस तीव्र अनुभव में पूरी तरह डूब गई थी। "पहली बार... इतना बड़ा... इतना गहरा," उसने सोचा, हालांकि रामू का विशाल लिंग उसके मन में तैर रहा था।
हरि ने अपनी गति बढ़ाई, और उसका मोटा लिंग पूजा की योनि को पूरी तरह भर रहा था। पूजा की सिसकारियां अब बेकाबू हो गईं, "आह... हरि जी... और जोर से... प्लीज..." कैब उसकी सिसकारियों और हरि की भारी, देहाती सांसों से गूंज रहा था। पूजा ने अपने नाखून हरि की पीठ पर गड़ा दिए, और उसका शरीर उत्तेजना की चरम सीमा पर था। "राहुल को नहीं पता... लेकिन ये आग... ये सुख," उसने सोचा। हरि ने पूजा की कमर को कसकर पकड़ा और अपनी गति को और तेज कर दिया, उसका लिंग पूजा की योनि की गहराइयों को छू रहा था। पूजा की सिसकारियां अब चीखों में बदल रही थीं, "आह... हरि जी... बस... ओह..." उसका शरीर कांप रहा था, और उसकी योनि हरि के लिंग को कसकर जकड़ रही थी। कुछ ही मिनटों में, दोनों चरम पर पहुंच गए। हरि का गर्म, चिपचिपा वीर्य पूजा की योनि में भर गया, और पूजा का शरीर सुकून से थरथराने लगा। "आह... हरि जी..." उसने सिसकारी लेते हुए कहा, उसकी आंखें बंद थीं, और उसका चेहरा शरम और सुख से लाल था।
हरि ने भारी सांसें लेते हुए पूजा को देखा और एक ठरकी मुस्कान के साथ कहा, "मैडम, आप तो जन्नत हो। ऐसा मजा मुझे कभी नहीं मिला।" पूजा ने जल्दी से अपनी जींस और टी-शर्ट ठीक की। उसका चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल था, और उसकी योनि में हरि के वीर्य की गर्माहट और चिपचिपाहट उसे उस तीव्र रोमांच की याद दिला रही थी। "हाय... मैंने ये क्या कर लिया? पहली बार... ऐसा कुछ," उसने सोचा, लेकिन उसका शरीर उस सुख से अभी भी कांप रहा था। जैसे ही वह अपनी ब्रा को ठीक कर रही थी, हरि ने अपनी जेब से एक मुड़ा हुआ नोटों का बंडल निकाला और पूजा की ब्रा में ठूंस दिया। पूजा चौंक गई और हड़बड़ाते हुए बोली, "ये क्या, हरि जी? नहीं, प्लीज... मैं ये नहीं ले सकती!" उसकी आवाज में शरम और घबराहट थी, जैसे वह पहली बार ऐसी स्थिति में थी। हरि ने हंसकर कहा, "मैडम, ये मेरे दिल की खुशी है। तुमने मुझे जो सुख दिया, उसकी कीमत नहीं, बस एक छोटा-सा तोहफा।" पूजा ने फिर से मना करने की कोशिश की, "नहीं, हरि जी, ये गलत है... प्लीज, वापस ले लो!" लेकिन हरि ने उसकी बात अनसुनी कर दी और बोला, "मैडम, रख लो। ये हमारा राज रहेगा।" पूजा ने शरमाते हुए सिर झुका लिया, और उसकी ब्रा में नोटों की चुभन उसे उस गुप्त पल की याद दिला रही थी।
वह कैब से उतरी, उसकी चाल में हल्की-सी कांप थी, और उसकी जींस हल्की-सी सिकुड़ी हुई थी। हरि ने फुसफुसाया, "मैडम, फिर कभी मिलो। मेरा ट्रक हमेशा तैयार है।" पूजा ने शरमाते हुए सिर हिलाया और कहा, "जी... प्लीज, किसी को मत बताना।" उसकी आवाज में एक मासूम डर था, जैसे वह सचमुच पहली बार ऐसा कुछ कर रही हो।
राहुल कार के पास खड़ा था, और उसकी नजरें पूजा पर टिक गईं। उसने गौर किया कि पूजा की जींस सिकुड़ी हुई थी, उसकी टी-शर्ट हल्की-सी ऊपर खिसकी हुई थी, और उसका चेहरा लाल था, जैसे उसने कोई गुप्त पाप किया हो। "कहां थी?" उसने शांत लेकिन शरारती लहजे में पूछा, उसकी आंखों में एक रहस्यमयी चमक थी। पूजा ने जल्दी से अपनी टी-शर्ट ठीक की और कांपती आवाज में कहा, "जी, बस... चाय पी रही थी। गर्मी बहुत थी।" उसकी आवाज में एक मासूम डर था, जैसे वह पहली बार पकड़ी गई हो। राहुल ने उसकी आंखों में देखा और मुस्कुराकर कहा, "ठीक है, पूजा। चलें।" लेकिन उसकी शरारती चमक बता रही थी कि उसे कुछ शक है। पूजा ने राहत की सांस ली, लेकिन उसका मन डर और उत्तेजना के बीच झूल रहा था।
जब वह कार में बैठी, तो उसने राहुल की नजरों से बचकर अपनी ब्रा में हाथ डाला और नोटों को चुपके से देखा। पांच हजार रुपये के नोट थे, जो हरि ने उसकी ब्रा में ठूंसे थे। उसका चेहरा फिर से लाल हो गया। "हाय... ये क्या हो गया? मैंने ऐसा क्यों होने दिया?" उसने सोचा, लेकिन उन नोटों की चुभन और उसकी योनि में हरि के वीर्य की गर्माहट उसे उस गुप्त रोमांच की याद दिला रही थी। "राहुल को कुछ नहीं पता... लेकिन ये रोमांच... मैं फिर चाहूंगी," उसने मन ही मन सोचा।
राहुल ने कार स्टार्ट की, और दोनों कांगड़ा की ओर बढ़ चले। पूजा खिड़की से बाहर देख रही थी, लेकिन उसका मन हरि के साथ कैब में बिताए उन तीव्र पलों में खोया था। उसकी योनि से हरि का वीर्य हल्का-हल्का रिस रहा था, और उसकी ब्रा में ठूंसे हुए नोट उसे उस गुप्त खजाने की याद दिला रहे थे। राहुल ने चुपके से उसका हाथ पकड़ा और कहा, "पूजा, तू आज कुछ ज्यादा ही गर्म लग रही है।" पूजा ने शरमाते हुए मुस्कुराया और कहा, "जी, बस... आपकी वजह से।" लेकिन उसका मन उस आग में जल रहा था, जो ट्रक की कैब में भड़की थी।
[+] 1 user Likes poojarahulhimachal's post
Like Reply
#73
(19-09-2025, 08:23 PM)poojarahulhimachal Wrote: ट्रक कैब में पूजा और हरि का तीव्र रोमांच
दिल्ली से कांगड़ा, हिमाचल का रास्ता दोपहर की तपती धूप में धूल और उमस से भरा था। सड़क के किनारे उड़ती धूल और ट्रकों की गूंज हवा में तैर रही थी, जैसे कोई देहाती मेला सजा हो। राहुल ने कार को एक व्यस्त ट्रक स्टॉप पर रोका, जहां विशालकाय ट्रक अपनी छायाएं बिखेर रहे थे। चाय की दुकान से उठती भाप और ड्राइवर्स की ठहाकों भरी बातें माहौल को जीवंत बना रही थीं। पूजा नीली स्किन-टाइट जींस और हल्के क्रीम रंग की स्लीवलेस टी-शर्ट में राहुल के बगल में बैठी थी, उसका गोरा चेहरा अपनी सखी ज्योति की शादी की चमक से दमक रहा था। उसकी जींस उसकी कसी हुई कमर और गोल नितंबों को उभार रही थी, और टी-शर्ट इतनी टाइट थी कि उसकी लाल लेस वाली ब्रा की आकृति साफ दिख रही थी, जो उसके तने हुए स्तनों को और आकर्षक बना रही थी। लेकिन उसका मन उस गुप्त आग में जल रहा था—रामू के साथ नाव पर बिताए तीव्र पल, उसका विशाल, मोटा लिंग जो उसकी योनि को चीरता हुआ चरम सुख दे गया था, और वह गीली गर्माहट जो अभी भी उसके भीतर धड़क रही थी। राहुल की शरारती नजरें उसकी हर सांस को पढ़ रही थीं, जैसे वह उसके मन की हर लहर को महसूस कर रहा हो। लेकिन उसने चुप्पी साध रखी थी। "पूजा, मैं कार चेक करवाता हूं। तुम यहीं रुको, चाहो तो चाय पी लो," राहुल ने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा और मैकेनिक की ओर चला गया।
पूजा ने सिर हिलाया, लेकिन उसकी नजरें अनायास एक ट्रक ड्राइवर पर टिक गईं। वह लगभग 50 साल का था, सांवला, मूंछों वाला, और उसकी मजबूत कद-काठी में एक देहाती ताकत थी। उसकी आंखों में एक ठरकी चमक थी, जो पूजा को बेचैन कर रही थी। वह अपने ट्रक की कैब में बैठा सिगरेट फूंक रहा था, उसकी नजरें पूजा की जींस पर टिकी थीं, जो उसकी जांघों और नितंबों को कसकर जकड़े हुए थी। उसकी भूरी आंखें पूजा की टी-शर्ट पर रुकीं, जहां उसकी ब्रा की आकृति और तने हुए निप्पल्स साफ उभर रहे थे, जो धूप में चमक रही उसकी गोरी त्वचा को और उत्तेजक बना रहे थे। "क्या मैडम, सफर कैसा चल रहा है?" उसने देहाती लहजे में पूछा, उसकी आवाज में एक चुलबुली शरारत थी जो पूजा के दिल को धड़काने लगी। पूजा का चेहरा तुरंत लाल हो गया। उसने अपनी टी-शर्ट को हल्का-सा नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन उसकी टाइट जींस और टी-शर्ट ने उसके कर्व्स को और उभार दिया। "जी... ठीक है," उसने कांपती आवाज में कहा, उसकी मासूमियत ऐसी थी जैसे वह पहली बार किसी अजनबी की ऐसी नजरों का सामना कर रही हो। लेकिन उसकी जागृत वासना ने उसके मन में एक तूफान खड़ा कर दिया। "राहुल बाहर हैं... और ये आदमी... ये क्या हो रहा है? मेरे साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ," उसने मन ही मन सोचा, लेकिन उसका शरीर उस ठरकी नजर के सामने थरथरा रहा था, और उसकी योनि में एक गीली हलचल शुरू हो गई थी।
ट्रक ड्राइवर ने सिगरेट का आखिरी कश लिया और ट्रक से उतरकर पूजा के पास आया। उसका सांवला चेहरा पसीने से चमक रहा था, और उसकी मूंछों के नीचे एक शरारती मुस्कान थी। "मैं हरि, मैडम। गर्मी बहुत है। मेरे ट्रक में एसी है, आइए, थोड़ा आराम कर लीजिए। आपका पति कार चेक करवा रहा है, तब तक," उसने कहा, उसकी आवाज में एक देहाती मस्ती थी जो पूजा को और बेचैन कर रही थी। पूजा ने राहुल की ओर देखा, जो दूर मैकेनिक के साथ जोर-जोर से बहस में उलझा था। "राहुल इंतजार कर रहे हैं... लेकिन ये गर्मी... और ये रोमांच," उसने सोचा। रामू की यादों ने उसकी योनि को पहले ही गीला कर रखा था, और हरि की यह पेशकश उसे एक नई आग में धकेल रही थी। "जी... ठीक है, लेकिन ज्यादा देर नहीं," उसने हिचकिचाते हुए कहा, उसकी आवाज में एक मासूम डर था। वह ट्रक की कैब में चढ़ गई, और उसकी जींस उसकी जांघों को कसकर जकड़े हुए थी, जिससे उसकी गोल नितंबों की आकृति हरि की आंखों में चमक उठी। हरि ने उसकी कमर और जांघों को एक भूखी नजर से देखा, और पूजा की सांसें तेज हो गईं।
कैब छोटी थी, लेकिन एसी की ठंडी हवा पूजा के गर्म शरीर को राहत दे रही थी। पीछे एक छोटा-सा बिस्तर था, जिस पर एक पतली, मैली चादर बिछी थी, और उसकी गंध में तंबाकू और पुरुषत्व की मिली-जुली खुशबू थी। डैशबोर्ड पर पुरानी फिल्मों के पोस्टर्स चिपके थे, जिनमें आधे नंगी हीरोइनों की तस्वीरें थीं, जो इस देहाती माहौल को और उत्तेजक बना रही थीं। हरि ने पूजा को पानी का गिलास थमाया और दरवाजा बंद कर दिया, जिससे एक हल्की-सी खट की आवाज आई। "मैडम, गर्मी से बचाव। अब बताओ, क्या पीओगी?" उसने पूछा, उसकी नजरें पूजा की टी-शर्ट पर टिकी थीं, जहां उसकी ब्रा की आकृति और तने हुए स्तन साफ उभर रहे थे। पूजा ने गिलास पकड़ा और शरमाते हुए कहा, "जी, कुछ नहीं... बस ये ठंडा अच्छा लग रहा है।" उसकी आवाज में एक मासूम कांप थी, जैसे वह पहली बार किसी अजनबी के इतने करीब थी। लेकिन हरि की भूखी नजरें उसकी टी-शर्ट पर थीं, जहां उसकी गोरी त्वचा पसीने से हल्की-सी चमक रही थी। "मैडम, आप तो शहर की अप्सरा हो। इतनी गोरी, इतनी टाइट... कभी ट्रक में बैठी हो?" हरि ने हंसते हुए पूछा, उसका लहजा शरारत और ठरक से भरा था। पूजा का चेहरा और लाल हो गया। "जी, नहीं... पहली बार," उसने धीरे से कहा, उसकी आंखें नीचे झुकीं, लेकिन उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, और उसकी योनि में एक गर्म, गीली सनसनी फैल रही थी।
हरि ने हिम्मत जुटाई और पूजा की ओर और करीब झुका। उसकी खुरदरी उंगलियां पूजा के नरम हाथ को छूने लगीं, और उसने धीरे से सहलाते हुए कहा, "मैडम, आपकी त्वचा तो मखमल से भी नरम है... जैसे कोई रेशम की गुड़िया।" पूजा की सांसें तेज हो गईं, और उसने अनायास हाथ खींचने की कोशिश की। "जी, ये क्या कर रहे हो?" उसने चौंककर कहा, उसकी आवाज में शरम और एक अनजानी जिज्ञासा थी, जैसे वह पहली बार किसी पुरुष के इतने करीब थी। हरि ने अपनी मूंछों को ताव देते हुए फुसफुसाया, "मैडम, बस थोड़ा मजा। आपका पति बाहर है, कोई नहीं देखेगा।" उसकी आवाज में एक देहाती ठसक थी, जो पूजा को और उत्तेजित कर रही थी। पूजा ने राहुल की ओर देखा, जो अभी भी मैकेनिक के साथ बहस में उलझा था। उसका मन एक तूफान में था। "ये गलत है... लेकिन ये आग... रामू के बाद अब ये," उसने सोचा। उसकी योनि पहले से ही रामू की यादों से गीली थी, और हरि का खुरदरा स्पर्श उस आग को और भड़का रहा था।
हरि ने पूजा की टी-शर्ट को धीरे से ऊपर उठाया, और उसकी लाल लेस वाली ब्रा पूरी तरह नजर आने लगी। टी-शर्ट की टाइट फिटिंग ने उसके तने हुए स्तनों को और उभारा, और हरि की आंखें भूख से चमक उठीं। पूजा ने शरमाते हुए कहा, "हरि जी, ये ठीक नहीं... मेरे पति बाहर हैं।" लेकिन उसकी आवाज में कमजोरी थी, जैसे वह खुद को रोकना चाहती हो, पर उसका शरीर उसकी बात नहीं मान रहा था। हरि ने ठरकी हंसी के साथ कहा, "मैडम, आपके पति को कुछ नहीं पता चलेगा। बस थोड़ा सा आनंद... आपके लिए भी, मेरे लिए भी।" उसने पूजा की ब्रा को नीचे सरकाया, और उसके गोरे, रसीले स्तन पूरी तरह उजागर हो गए। पूजा की सिसकारी निकली, "आह... धीरे... ये क्या..." उसकी आंखें आधी बंद थीं, और वह इस अनुभव में डूब रही थी। हरि ने पूजा के निप्पल्स को अपनी खुरदरी उंगलियों से सहलाया, और फिर धीरे से उन्हें चूमा। "मैडम, आपके ये... जैसे रसीले आम, इतने तने हुए, जैसे मेरे लिए ही बने हों," उसने देहाती ठरक के साथ कहा। पूजा की सिसकारियां तेज हो गईं, "आह... हरि जी... प्लीज, धीरे..." उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसका शरीर इस नए रोमांच में पूरी तरह डूब चुका था। "मैं ये क्या कर रही हूं? पहली बार... ऐसा कुछ," उसने सोचा, हालांकि रामू का विशाल लिंग और उसकी गर्माहट उसके मन में तैर रही थी।
हरि ने पूजा की जींस का बटन खोला और धीरे-धीरे उसे नीचे खींचा। उसकी लाल लेस वाली पैंटी पूरी तरह गीली थी, जो हरि की आंखों में एक विजयी चमक ला रही थी। उसकी गोरी, चिकनी जांघें सूरज की रोशनी में चमक रही थीं, और उसकी टाइट जींस ने उसके नितंबों की गोलाई को और उभारा। हरि ने अपनी खुरदरी उंगलियों से पैंटी के ऊपर से पूजा की योनि को सहलाया, और पूजा की एक जोरदार सिसकारी निकली, "आह... हरि जी... ये..." उसकी आवाज में शरम और उत्तेजना का मिश्रण था। हरि ने हंसकर कहा, "मैडम, आप तो पहले से ही आग हो... ये गीला क्या बता रहा है?" पूजा ने शरमाते हुए कहा, "नहीं... हरि जी, ये ज्यादा हो रहा है।" लेकिन उसकी सिसकारियां उसकी बातों को झुठला रही थीं। हरि ने पूजा की पैंटी को धीरे से नीचे खींचा, और उसकी गीली, धड़कती योनि सामने थी, जो रामू की यादों से पहले ही गर्म थी। पूजा की सांसें बेकाबू हो गईं, "आह... हरि जी... ये... मैंने कभी नहीं..." उसने सिसकारी लेते हुए कहा, उसकी आवाज में एक मासूम डर था, जैसे वह पहली बार ऐसा अनुभव कर रही हो।
हरि ने अपनी जीभ से पूजा की योनि को चूमा, और पूजा का शरीर बिजली के झटके की तरह कांप उठा। "आह... ओह... हरि जी..." उसकी सिसकारियां कैब में गूंज रही थीं, और उसकी आवाज में एक मासूम बेचैनी थी। हरि की जीभ उसकी योनि की गहराइयों में गई, और पूजा ने अनायास उसके सिर को पकड़ लिया, जैसे वह उसे और गहराई में खींचना चाहती हो। "राहुल बाहर हैं... लेकिन ये मजा... मैं रुक नहीं सकती," उसने सोचा। उसकी योनि से गीली गर्माहट रिस रही थी, और हरि की जीभ हर बूंद को चाट रही थी। पूजा की सिसकारियां अब बेकाबू हो गईं, "आह... हरि जी... और... प्लीज..." उसने अपने नाखून हरि के कंधों में गड़ा दिए, और उसका शरीर उत्तेजना की चरम सीमा पर था। हरि ने अपना पैंट खोला, और उसका तना हुआ लिंग सामने आया—मोटा, सांवला, और कम से कम 8 इंच लंबा, जिसकी नसें उभरी हुई थीं। पूजा की आंखें चौड़ी हो गईं। "हाय... ये तो... इतना बड़ा," उसने हैरानी से कहा, उसकी आवाज में मासूमियत थी, जैसे वह पहली बार ऐसा कुछ देख रही हो। हरि ने ठरकी हंसी के साथ कहा, "मैडम, ये तो आपके लिए ही है। बस थोड़ा मजा और।"
हरि ने पूजा को कैब के छोटे बिस्तर पर लिटाया और उसकी टांगें धीरे से खोलीं। उसकी नजरें पूजा के नग्न शरीर पर टिकी थीं, और उसकी गोरी त्वचा पसीने से चमक रही थी। "मैडम, बस थोड़ा और आनंद," उसने फुसफुसाते हुए कहा, उसकी आवाज में एक भूखी तड़प थी। पूजा ने शरमाते हुए कहा, "हरि जी, जल्दी... मेरे पति आ जाएंगे।" उसकी आवाज में डर और उत्तेजना का मिश्रण था, जैसे वह पहली बार किसी गुप्त पाप में डूब रही हो। हरि ने अपने मोटे, सख्त लिंग को पूजा की गीली योनि पर रखा और धीरे से प्रवेश किया। पूजा की एक जोरदार सिसकारी निकली, "आह... धीरे... बहुत मोटा है..." उसका शरीर हर धक्के के साथ थरथरा रहा था, और वह इस तीव्र अनुभव में पूरी तरह डूब गई थी। "पहली बार... इतना बड़ा... इतना गहरा," उसने सोचा, हालांकि रामू का विशाल लिंग उसके मन में तैर रहा था।
हरि ने अपनी गति बढ़ाई, और उसका मोटा लिंग पूजा की योनि को पूरी तरह भर रहा था। पूजा की सिसकारियां अब बेकाबू हो गईं, "आह... हरि जी... और जोर से... प्लीज..." कैब उसकी सिसकारियों और हरि की भारी, देहाती सांसों से गूंज रहा था। पूजा ने अपने नाखून हरि की पीठ पर गड़ा दिए, और उसका शरीर उत्तेजना की चरम सीमा पर था। "राहुल को नहीं पता... लेकिन ये आग... ये सुख," उसने सोचा। हरि ने पूजा की कमर को कसकर पकड़ा और अपनी गति को और तेज कर दिया, उसका लिंग पूजा की योनि की गहराइयों को छू रहा था। पूजा की सिसकारियां अब चीखों में बदल रही थीं, "आह... हरि जी... बस... ओह..." उसका शरीर कांप रहा था, और उसकी योनि हरि के लिंग को कसकर जकड़ रही थी। कुछ ही मिनटों में, दोनों चरम पर पहुंच गए। हरि का गर्म, चिपचिपा वीर्य पूजा की योनि में भर गया, और पूजा का शरीर सुकून से थरथराने लगा। "आह... हरि जी..." उसने सिसकारी लेते हुए कहा, उसकी आंखें बंद थीं, और उसका चेहरा शरम और सुख से लाल था।
हरि ने भारी सांसें लेते हुए पूजा को देखा और एक ठरकी मुस्कान के साथ कहा, "मैडम, आप तो जन्नत हो। ऐसा मजा मुझे कभी नहीं मिला।" पूजा ने जल्दी से अपनी जींस और टी-शर्ट ठीक की। उसका चेहरा शरम और उत्तेजना से लाल था, और उसकी योनि में हरि के वीर्य की गर्माहट और चिपचिपाहट उसे उस तीव्र रोमांच की याद दिला रही थी। "हाय... मैंने ये क्या कर लिया? पहली बार... ऐसा कुछ," उसने सोचा, लेकिन उसका शरीर उस सुख से अभी भी कांप रहा था। जैसे ही वह अपनी ब्रा को ठीक कर रही थी, हरि ने अपनी जेब से एक मुड़ा हुआ नोटों का बंडल निकाला और पूजा की ब्रा में ठूंस दिया। पूजा चौंक गई और हड़बड़ाते हुए बोली, "ये क्या, हरि जी? नहीं, प्लीज... मैं ये नहीं ले सकती!" उसकी आवाज में शरम और घबराहट थी, जैसे वह पहली बार ऐसी स्थिति में थी। हरि ने हंसकर कहा, "मैडम, ये मेरे दिल की खुशी है। तुमने मुझे जो सुख दिया, उसकी कीमत नहीं, बस एक छोटा-सा तोहफा।" पूजा ने फिर से मना करने की कोशिश की, "नहीं, हरि जी, ये गलत है... प्लीज, वापस ले लो!" लेकिन हरि ने उसकी बात अनसुनी कर दी और बोला, "मैडम, रख लो। ये हमारा राज रहेगा।" पूजा ने शरमाते हुए सिर झुका लिया, और उसकी ब्रा में नोटों की चुभन उसे उस गुप्त पल की याद दिला रही थी।
वह कैब से उतरी, उसकी चाल में हल्की-सी कांप थी, और उसकी जींस हल्की-सी सिकुड़ी हुई थी। हरि ने फुसफुसाया, "मैडम, फिर कभी मिलो। मेरा ट्रक हमेशा तैयार है।" पूजा ने शरमाते हुए सिर हिलाया और कहा, "जी... प्लीज, किसी को मत बताना।" उसकी आवाज में एक मासूम डर था, जैसे वह सचमुच पहली बार ऐसा कुछ कर रही हो।
राहुल कार के पास खड़ा था, और उसकी नजरें पूजा पर टिक गईं। उसने गौर किया कि पूजा की जींस सिकुड़ी हुई थी, उसकी टी-शर्ट हल्की-सी ऊपर खिसकी हुई थी, और उसका चेहरा लाल था, जैसे उसने कोई गुप्त पाप किया हो। "कहां थी?" उसने शांत लेकिन शरारती लहजे में पूछा, उसकी आंखों में एक रहस्यमयी चमक थी। पूजा ने जल्दी से अपनी टी-शर्ट ठीक की और कांपती आवाज में कहा, "जी, बस... चाय पी रही थी। गर्मी बहुत थी।" उसकी आवाज में एक मासूम डर था, जैसे वह पहली बार पकड़ी गई हो। राहुल ने उसकी आंखों में देखा और मुस्कुराकर कहा, "ठीक है, पूजा। चलें।" लेकिन उसकी शरारती चमक बता रही थी कि उसे कुछ शक है। पूजा ने राहत की सांस ली, लेकिन उसका मन डर और उत्तेजना के बीच झूल रहा था।
जब वह कार में बैठी, तो उसने राहुल की नजरों से बचकर अपनी ब्रा में हाथ डाला और नोटों को चुपके से देखा। पांच हजार रुपये के नोट थे, जो हरि ने उसकी ब्रा में ठूंसे थे। उसका चेहरा फिर से लाल हो गया। "हाय... ये क्या हो गया? मैंने ऐसा क्यों होने दिया?" उसने सोचा, लेकिन उन नोटों की चुभन और उसकी योनि में हरि के वीर्य की गर्माहट उसे उस गुप्त रोमांच की याद दिला रही थी। "राहुल को कुछ नहीं पता... लेकिन ये रोमांच... मैं फिर चाहूंगी," उसने मन ही मन सोचा।
राहुल ने कार स्टार्ट की, और दोनों कांगड़ा की ओर बढ़ चले। पूजा खिड़की से बाहर देख रही थी, लेकिन उसका मन हरि के साथ कैब में बिताए उन तीव्र पलों में खोया था। उसकी योनि से हरि का वीर्य हल्का-हल्का रिस रहा था, और उसकी ब्रा में ठूंसे हुए नोट उसे उस गुप्त खजाने की याद दिला रहे थे। राहुल ने चुपके से उसका हाथ पकड़ा और कहा, "पूजा, तू आज कुछ ज्यादा ही गर्म लग रही है।" पूजा ने शरमाते हुए मुस्कुराया और कहा, "जी, बस... आपकी वजह से।" लेकिन उसका मन उस आग में जल रहा था, जो ट्रक की कैब में भड़की थी।

Superb... ab kuch buddo ko lift dila do baki ke raste Or fir car me hi ho jane do sab rahul ke samne
Like Reply
#74
bhai, bahut achha likh rahe ho..
bas thoda jaldbazi mat karo..
puja ko randi mat banao... Use dheere dheere sharm ke sath enjoy karne do..
thoda public exposure waale scene bhi likho please.
Jaha puja bahut logon ke samne nangi ho aur sharm aur romanch ka maza le sake..
For e.g. Kisi waterfall ya river/pond ke kinare nangi nahaye, aur waha achanak se log aa jaye.
[+] 1 user Likes longindian_axe's post
Like Reply
#75
Pooja ko ab kisiki rakhel bnaa do dhire dhire
Like Reply
#76
Ab Chat Walon Ke Sath Sath Masti Kara Do Ek Bar Pooja ki banana Ab Tak Chat Pe Usne Sirf Boobs Dikhaye Hai Ab Kahani Aage Bhi Badha Do Usme
Like Reply
#77
great writings...keep it slow seductive and kinkiness....great going
Like Reply
#78
next update bro... with hot pics
Like Reply
#79
दिल्ली से कांगड़ा: एक उत्तेजक सफर
दिल्ली से कांगड़ा, हिमाचल का रास्ता धूल और उमस से भरा था, और करनाल को अभी-अभी पीछे छोड़ते हुए राहुल ने कार की रफ्तार बढ़ाई। दोपहर की तपती धूप अब धीरे-धीरे ढल रही थी, और आसमान में हल्का सा अंधेरा छाने लगा था। सड़क के किनारे धूल उड़ रही थी, और ट्रकों की गूंज हवा में तैर रही थी। पूजा अपनी नीली स्किन-टाइट जींस और हल्के क्रीम रंग की स्लीवलेस टी-शर्ट में पिछली सीट पर बैठी थी। उसकी जींस उसकी कसी हुई कमर और गोल, मांसल नितंबों को इस तरह उभार रही थी कि हर कर्व सड़क की धूल में भी चमक रहा था। टी-शर्ट इतनी टाइट थी कि उसकी लाल लेस वाली ब्रा की आकृति साफ झलक रही थी, जो उसके तने हुए, रसीले स्तनों को और भी उत्तेजक बना रही थी। उसका मन अभी भी ट्रक की कैब में हरि के साथ बिताए उन तीव्र, निषिद्ध पलों में खोया था—उसके मोटे, सख्त लिंग की गर्माहट, उसका चिपचिपा वीर्य जो उसकी योनि में रिस रहा था। हरि ने उसकी ब्रा में ठूंसे गए पांच हजार रुपये के नोट को पूजा ने चुपके से निकालकर अपने पर्स में रख लिया था, लेकिन उस अनुभव की गर्माहट उसे बेचैन कर रही थी। राहुल ने उसकी ओर एक प्यार भरी नजर डाली और कहा, "पूजा, थक गई हो? अभी अम्बाला दूर है।" उसकी आवाज में कोई शक नहीं, बस एक पति की नरम चिंता थी। पूजा ने शरमाते हुए मुस्कुराया और कहा, "जी, नहीं... बस गर्मी है।" लेकिन उसकी योनि में हरि की गर्माहट और उस गलत रोमांच की स्मृति उसे बार-बार उकसा रही थी, और वह मन ही मन खुद को कोस रही थी।
करनाल को पार करते ही, सड़क के किनारे दो बूढ़े लोग दिखे, दोनों सफेद धोती और कुर्ता पहने हुए, जैसे हरियाणा के किसी गांव से आए हों। उनकी दाढ़ी और मूंछें सूरज की ढलती रोशनी में चमक रही थीं, और उनके चेहरों पर देहाती सादगी थी, लेकिन उनकी आंखों में एक ठरकी, भूखी चमक थी जो किसी नशीले जुनून की कहानी बयान कर रही थी। उनके शरीर मजबूत लेकिन झुर्रियों से भरे थे—श्याम लाल का कद थोड़ा लंबा था, उसकी छाती चौड़ी लेकिन उम्र की वजह से थोड़ी झुकी हुई, और उसकी बाहें खेतों में काम करने से सख्त और नसों से उभरी हुईं। देवी लाल थोड़ा छोटा था, लेकिन उसका पेट थोड़ा निकला हुआ, और उसकी टांगें मजबूत, जैसे सालों की मेहनत से बनी हों। राहुल ने कार धीमी की, और दोनों ने हाथ उठाकर लिफ्ट मांगी। "अम्बाला तक जाना है, बेटा। थोड़ा साथ ले चलो," एक बूढ़े ने देहाती लहजे में कहा। राहुल ने पूजा की ओर देखा, और पूजा ने हल्का सा सिर हिलाया। "ठीक है, बाबा। बैठ जाइए," राहुल ने कहा। एक बूढ़ा, जिसने अपना नाम श्याम लाल बताया, आगे की सीट पर बैठ गया, और दूसरा, जिसका नाम देवी लाल था, पूजा के बगल में पिछली सीट पर। कार फिर से रफ्तार पकड़ने लगी, और हवा में धूल और गर्मी का मिश्रण तैर रहा था।
देवी लाल की शुरुआती हिम्मत और पूजा का गुस्सा
पिछली सीट पर बैठे देवी लाल की नजरें तुरंत पूजा पर टिक गईं। उसकी उम्र 75 के आसपास थी, लेकिन उसकी आंखों में एक ऐसी ठरकी चमक थी, जो पूजा की टाइट जींस और टी-शर्ट को भेद रही थी। पूजा ने खिड़की की ओर देखने की कोशिश की, लेकिन हरि के साथ अनुभव ने उसकी योनि को पहले ही गीला और धड़कता छोड़ रखा था। उसका शरीर उस गुप्त आग में जल रहा था, और वह अपनी पतिव्रता नैतिकता से जूझ रही थी। देवी लाल ने धीरे से अपनी कोहनी को पूजा की ओर खिसकाया, और उसकी कोहनी ने पूजा के तने हुए स्तनों को हल्का-सा छुआ। पूजा का शरीर एकदम सिहर उठा, और उसने चौंककर देवी लाल की ओर देखा। उसकी आंखें शरम और हैरानी से भरी थीं। उसने कुछ नहीं कहा, लेकिन जब देवी लाल ने दोबारा अपनी कोहनी को उसके स्तनों पर रगड़ा, तो पूजा का गुस्सा फट पड़ा। "ये क्या बदतमीजी है, बाबा? नीचे उतर जाओ गाड़ी से, अभी!" उसकी आवाज में गुस्सा और शरम का मिश्रण था, और उसका गोरा चेहरा लाल हो गया।
राहुल ने रियरव्यू मिरर में पूजा का यह रौद्र रूप देखा और एक पल को डर गया। उसने कार की रफ्तार धीमी की और पूजा की ओर मुड़कर नरम स्वर में कहा, "पूजा, शांत हो जाओ। बाबा लोग हैं, इनकी उम्र देखो। इनको तुम जैसी सुंदर लड़की कहां मिलेगी? इनको थोड़ा खुश होने दे। थोड़ी सी छेड़छाड़ कर रहे हैं, करने दे। अम्बाला बस आने ही वाला है, फिर ये हमें कभी नहीं मिलेंगे।" उसकी आवाज में एक अजीब सी उत्तेजना थी, जैसे वह इस खेल का हिस्सा बनना चाहता हो। देवी लाल और श्याम लाल ने भी हाथ जोड़कर माफी मांगी। "मैडम, बस थोड़ा सा मजा लेना चाहा। हम बूढ़ों को ऐसी हसीना कहां मिलती है? प्लीज, हमें माफ कर दो," देवी लाल ने देहाती लहजे में कहा, उसकी आंखों में अब भी वही भूखी चमक थी।
पूजा ने एक गहरी सांस ली, उसका चेहरा अभी भी शरम से लाल था। वह हिचकिचाते हुए बोली, "ठीक है... लेकिन सुन लो, मैं एक पतिव्रता औरत हूं। मेरे साथ छेड़छाड़ कर सकते हो, मेरे स्तनों को छू सकते हो... लेकिन और कुछ नहीं।" पूजा ने दोनों की ओर देखा और मन ही मन सोचा, "मैं राहुल के सामने किसी से चुदवाना नहीं चाहती। मुझे लगता है उसे नहीं पता कि मैं रामू से नाव पर चुदवा चुकी हूं, और हरि के साथ ट्रक में जो हुआ, वो तो उसे बिल्कुल नहीं पता।" उसकी आँखों में शरम और दृढ़ता थी, लेकिन शरीर में एक हल्की सी उत्तेजना भी थी, जैसे वह इस रोमांच को चाहकर भी रोक नहीं पा रही थी। फिर वह राहुल की ओर मुड़ी और हॉट, छेड़ने वाले अंदाज में बोली, "राहुल, तुम्हें पता है ना, ये बाबा लोग कितने ठरकी हैं? लेकिन तुम्हें मजा आ रहा है ना, मुझे इनके साथ खेलते देखकर? " राहुल की आंखें चौड़ी हो गईं, लेकिन वह मुस्कुराया और बोला, "पूजा, तुम्हारी ये बातें सुनकर तो मेरा दिल धड़क रहा है। हां, थोड़ा उत्तेजित तो हूं, लेकिन ड्राइविंग पर ध्यान है।"
तीव्र छेड़छाड़ और बेकाबू उत्तेजना
पूजा की सहमति मिलते ही, देवी लाल और श्याम लाल की आंखें चमक उठीं। कार में एक उत्तेजक माहौल बन गया, और हवा में धूल के साथ अब कामुकता की गंध तैरने लगी। देवी लाल ने पूजा की टी-शर्ट को धीरे से ऊपर उठाया, और उसकी लाल लेस वाली ब्रा पूरी तरह उजागर हो गई। श्याम लाल ने आगे की सीट से मुड़कर दूसरी ओर से उसकी ब्रा को नीचे खींचा, और पूजा के गोरे, रसीले स्तन हल्के अंधेरे में चमक उठे। उनके गुलाबी निप्पल्स उत्तेजना से सख्त हो चुके थे, जैसे दो छोटे-छोटे मोती हवा में चमक रहे हों। "मैडम, तुम तो बिल्कुल दूध सी गोरी हो," श्याम लाल ने देहाती लहजे में फुसफुसाया, उसकी आंखें पूजा के नग्न स्तनों पर टिकी थीं। देवी लाल ने पूजा के एक निप्पल को अपनी खुरदरी उंगलियों से मसला, और श्याम लाल ने दूसरे निप्पल को अपने खुरदरे होंठों से चूसना शुरू किया। पूजा की सिसकारियां कार में गूंज उठीं, "आह... बाबा... धीरे... ओह... तुम्हारे ये खुरदरे हाथ मेरे निप्पल्स को कितना तड़पा रहे हैं!" उसका शरीर हर स्पर्श के साथ थरथरा रहा था, और वह इस दोहरे हमले में पूरी तरह डूब गई थी। वह शरम से लाल हो रही थी, लेकिन उसकी योनि में गीली गर्माहट उसे इस सुख में खींच रही थी।
देवी लाल ने पूजा की जींस का बटन खोला और अपनी खुरदरी उंगलियों को उसकी लाल पैंटी के ऊपर से उसकी योनि पर फिराया। पूजा की पैंटी पहले से ही हरि के साथ अनुभव से गीली थी, और अब इन बूढ़ों का स्पर्श उस आग को और भड़का रहा था। श्याम लाल ने पूजा की पैंटी को धीरे-धीरे नीचे खींचा, और उसकी बिना बालों वाली, गुलाबी योनि सामने थी, जो गीली और धड़क रही थी। उसकी चमक हल्के अंधेरे में इतनी कामुक थी कि दोनों बूढ़ों की सांसें थम गईं। "मैडम, तुम्हारी ये खुशबू तो जन्नत की है," देवी लाल ने पैंटी को अपनी नाक के पास लाकर गहरी सांस लेते हुए कहा। पूजा का चेहरा शरम से और लाल हो गया, लेकिन उसकी योनि में गीली गर्माहट अब बेकाबू थी। वह राहुल की ओर देखकर बोली, "राहुल, देखो ना ये बाबा लोग मेरी पैंटी सूंघ रहे हैं। तुम्हें जलन हो रही है? राहुल ने मिरर में देखा और हांफते हुए कहा, "पूजा, तुम्हारी ये बातें मुझे पागल बना रही हैं। हां, जारी रखो... मुझे मजा आ रहा है।"
देवी लाल ने अपनी धोती खोल दी, और उसका मोटा, नसों से भरा लिंग बाहर आया। पूजा ने उसे देखा, और उसकी आंखें हैरानी और उत्तेजना से चौड़ी हो गईं। 75 साल की उम्र में भी उसका लिंग लंबा, सख्त और जंगली था—उसकी शेप घुमावदार थी, जैसे कोई पुराना, मोटा सांप जो नसों से उभरा हुआ हो, और उसका सिरा मशरूम जैसा चौड़ा और लाल, जो पहले से ही प्री-कम से चिपचिपा था। श्याम लाल ने भी अपनी धोती खोल दी, और उसका लिंग भी उतना ही मोटा और सख्त था—उसकी शेप सीधी लेकिन मोटी थी, जैसे कोई मोटा लट्ठा, जिसकी नसें नीली-नीली उभरी हुईं थीं, और उसका सिरा थोड़ा पतला लेकिन फड़कता हुआ, जैसे सालों की भूख अब जाग उठी हो। पूजा ने दोनों की ओर देखा और फिर से फुसफुसाया, "बाबा... मेरी चूत में लंड नहीं डालना... बाकी सब कर लो।" उसकी आवाज में शरम थी, लेकिन उसका शरीर उस रोमांच के लिए तड़प रहा था।
श्याम लाल ने हंसते हुए राहुल की ओर देखा और बोला, "बेटा, मेरा लंड तो कई साल से खड़ा ही नहीं हुआ था, लेकिन देखो तुम्हारी वाइफ को देखकर इसमें भी जान आ गई। देखो कैसे फड़क रहा है, जैसे कोई जवान घोड़ा!" राहुल ने हंसकर कहा, "हां बाबा, पूजा का कमाल है। वो किसी को भी जगा सकती है।" पूजा ने शरमाते हुए लेकिन हॉट अंदाज में राहुल को छेड़ा, "राहुल, सुन रहे हो? इन बाबाओं का लंड मेरे लिए फड़क रहा है। तुम्हारा क्या हाल है? या इनसे सीख लो?" राहुल की सांस तेज हो गई, "पूजा, तुम्हारी ये बातें मुझे कंट्रोल से बाहर कर रही हैं। हां, मेरा भी खड़ा हो रहा है... लेकिन ड्राइविंग!"
पूजा ने धीरे से देवी लाल के लिंग को अपने नरम हाथों में लिया। उसकी गर्माहट ने पूजा के शरीर में बिजली दौड़ा दी। उसने अपने गुलाबी होंठों को लिंग के सिरे पर रखा और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। देवी लाल की एक गहरी सिसकारी निकली, "आह... मैडम... हाय... ये तो स्वर्ग है! तुम्हारे होंठ कितने नरम हैं, जैसे मखमल!" उसका लिंग पूजा के मुंह में और सख्त हो गया, और पूजा की जीभ उसके सिरे पर गोल-गोल घूम रही थी, कभी चाटती, कभी चूसती। उसने अपने दूसरे हाथ से श्याम लाल के लिंग को पकड़ा और उसे तेजी से हिलाने लगी, उसकी नसों को महसूस करते हुए। कभी वह देवी लाल के लिंग को चूसती, तो कभी श्याम लाल के लिंग को अपने मुंह में ले लेती, और दोनों के प्री-कम का स्वाद उसके मुंह में घुल रहा था। "मैडम, तुम तो जादूगरनी हो," श्याम लाल ने हांफते हुए कहा, "मेरा लंड तुम्हारे हाथों में थरथरा रहा है, जैसे कभी नहीं हुआ!" पूजा ने दोनों के लिंग को अपने तने हुए, रसीले स्तनों पर रगड़ा, और उसके गुलाबी निप्पल्स उनकी गर्माहट से और सख्त हो गए। वह अपने स्तनों के बीच देवी लाल के लिंग को दबाकर रगड़ती, और श्याम लाल के लिंग को अपनी जीभ से चाटती। दोनों बूढ़ों की सिसकारियां कार में गूंज रही थीं, "आह... मैडम... और तेज... ओह... तुम्हारी ये चूचियां कितनी रसीली हैं!"
इस बीच, देवी लाल ने अपनी उंगलियां पूजा की योनि में डालीं, लेकिन सिर्फ बाहर से रगड़ते हुए, और पूजा की सिसकारी निकली, "ओह बाबा... धीरे... मेरी चूत इतनी गीली हो गई है!" श्याम लाल ने पूजा के नितंबों को मसला, उनकी मांसलता को अपनी खुरदरी हथेलियों से दबाते हुए। पूजा ने राहुल को फिर छेड़ा, "राहुल, देखो ना ये बाबा लोग मुझे कितना तड़पा रहे हैं। क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हारा भी लंड मुझे चाहिए? लेकिन अभी तो इनका मजा लो..." राहुल ने कार साइड में लगाई और बोला, "पूजा, मैं अब रुक नहीं सकता। मुझे भी शामिल होने दे!" लेकिन पूजा ने हंसकर कहा, "नहीं राहुल, तुम ड्राइव करो... ये मेरा गिफ्ट है तुम्हें, मुझे इन ठरकी बाबाओं के साथ खेलते देखने का।" माहौल इतना उत्तेजक था कि हवा में कामुकता की बिजली चमक रही थी, और कार की स्पीड के साथ-साथ उनकी उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी। अंत में, दोनों बूढ़ों ने अपनी गर्म, चिपचिपी वीर्य की धारें पूजा के स्तनों और मुंह पर छोड़ दीं, और पूजा ने शरमाते हुए लेकिन संतुष्ट होकर उन्हें चाट लिया, जबकि राहुल की आंखें मिरर में सब देख रही थीं।
अम्बाला में विदाई
अम्बाला पहुंचते ही, राहुल ने कार को एक ढाबे के पास रोका। श्याम लाल और देवी लाल ने अपनी धोती ठीक की, और उनकी आंखों में अब भी वही ठरकी चमक थी, लेकिन अब उसमें एक संतुष्टि भी थी। श्याम लाल ने राहुल की ओर देखकर कहा, "बेटा, तुमने हमें जिंदगी का सबसे बड़ा सुख दे दिया। तुम्हारी वाइफ तो साक्षात अप्सरा है। बहुत-बहुत धन्यवाद।" देवी लाल ने पूजा की ओर देखकर हाथ जोड़े और बोला, "मैडम, तुमने हम बूढ़ों के दिल में फिर से जवानी जगा दी। तुम्हारा ये बदन और ये नजाकत, हम कभी नहीं भूलेंगे। धन्यवाद, बेटी।" पूजा ने शरमाते हुए मुस्कुराया और कहा, "बस बाबा, अब जाओ... और ये बात किसी को मत बताना।" राहुल ने हंसकर कहा, "हां बाबा, ये हमारा छोटा सा रहस्य है। सुरक्षित रहो।" दोनों बूढ़े कार से उतर गए, और उनकी चाल में अब एक नई स्फूर्ति थी, जैसे सालों बाद उनकी जवानी लौट आई हो। कार फिर से कांगड़ा की ओर बढ़ चली, और पूजा का अपराधबोध फिर जागा, लेकिन उस रोमांच की आग अभी बुझी नहीं थी।
[+] 1 user Likes poojarahulhimachal's post
Like Reply
#80
38000 views hain aur comment 78 vo bhi mere milake, isliye dosto ye story yahin khatam karte hai, kush raho enjoy karo
Like Reply




Users browsing this thread: 5 Guest(s)