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Adultery Lust story : Mother Secret Affair..2
(16-05-2025, 05:42 PM)Puja3567853 Wrote: यहीं हो देखना है आगे किया होता है किया शालिनी और शुभम का साथ किया होता है

Matlab bete ka humilation charam par hona hai uski masumiyat or atmsaman ka or atmvishwas ka ant nischit hai .
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उस घटना के बाद से शुभम मुझे से हर समय दुरी बनाए रखने लगा मैं उसके जीतने करीब जाती वह मुझे से उतनी ही दूर बना लेता मुझे उसके दुरी बनाने से कोई समस्या नहीं है मगर मुझे चिंता थी कहीं वह ग़लत रास्ते पर या अपने साथ कुछ ग़लत नहीं कर लें अगर उसे कुछ हो गया तो मैं जीते मर जाउंगी। मैं अपने पति से ज्यादा शुभम से प्यार करती हूं

बहुत दिनों से मोटे लंड नहीं मिला के कारण चुत में एक खुल्ली सी मची हुई थी मैंने अनमोल को फोन किया उसका फोन नेटवर्क कवरेज से बाहर बता रहा था और कुणाल से मैंने उस दिन के बाद संपर्क तोड़ दिया । मैं एक मोटा और लम्बा लंड कि तलाश में थी आखिर वह मुझे मिला।

....................................................…......................….

मेरी एक सहेली है जो मेरे अपार्टमेंट में रहती हैं में उसके साथ मार्केट गई थी मुझको आने में रात्रि 8 बजे गया जब मैं घर पर आई घर का मैन डोर पहले से ही हल्का खुला था . सीधे में अपने कमरे में जाकर मैंने साड़ी उतारी और नाइटी पहन ली. फिर मैं शुभम के कमरे की ओर बड़ी जब मैं उसके कमरे के पास पहुंची जो मैंने देखा वह देख कर दंग रह गई शुभम अपने बिस्तर पर बिल्कुल नंगा लेटा हुआ था और टीवी में गंदगी फिल्म देख रहा था और अपने लौड़े को सलाह रहा था उसका लौड़े 8 इंची के आसपास होगा।

.....….................….................….........................…......

एक दिन शाम को 8 बजे मेरा बड़े भाई का फोन आया और कहा शुभम को एक हफ्ता के लिए उसके नानी घर भेज दो । तो मैंने कहा उससे पुछ कर बताती हूं मैं उसके कमरे में जब गई मैंने फोन शुभम को दिया कहा मामा जी फोन है उसने बता किया।

एक हफ्ते का टूर था। मैंने उसे अगली सुबह ख़ुशी ख़ुशी विदा किया।

उसके जाने के बाद मैं लंड के जुगाड़ में लग गयी।

मैंने अपने एक यार अनमोल को फोन किया तो वह बोला- मैं दिल्ली में हूँ कहकर फोन काट दिया।

मैंने आस्था को फोन किया उसे कहा तुम अपने किसी यार को बुला ना रात भर मस्ती करेंगे तो वह बोला- मैं बिजी हूँ अपने गांव आयी हुं शादी में

यह सब सुनकर मेरी झांटें सुलग गयीं. मैं थोड़ा परेशान होने लगी.
उधर मेरी चूत साली गर्म होती जा रही थी।
चूत और गांड दोनों बुरचोदी आग उगलने लगी थीं।

मैंने फिर अपने सारे कपड़े उतार दिये और नंगी नंगी बैठ कर टी वी पर पोर्न देखने लगी.
खाना बनाने का मन नहीं हुआ तो खाने का आर्डर दे दिया।

मैं चूत में उंगली कर रही थी और पोर्न में ग्रुप सेक्स की मूवी देख रही थी।

करीब एक घंटे के बाद किसी ने दरवाजा खटखटाया।
मैं उठी और एक डीप नेक का ट्रांसपेरेंट मैक्सी पहन ली जिससे मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ और चूत की झांटें भी दिखाई पड़ रहीं थीं।

मैंने दरवाजा खोला तो सामने एक मस्त जवान हैंडसम लड़का खड़ा था।
उसे देखते ही मेरा दिल उस पर आ गया।
वह एकदम गोरा चिट्टा और स्मार्ट लग रहा था।
मुझे देख कर वह बोला- मैडम ये आपका खाना।
मैंने उसके हाथ से खाना ले लिया।

अचानक वह बोला- मैडम, एक गिलास पानी मिलेगा?
मैंने बड़े प्यार से कहा- हां हां बिल्कुल मिलेगा। आओ अंदर बैठो।

उसे मैंने अंदर बैठा लिया और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।

मैंने पानी का गिलास झुकते हुए टेबल पर रख दिया तो उसे मेरी चूचियाँ अंदर तक दिख गईं।

उसने पानी पिया और बोला- मैडम, आप बहुत खूबसूरत हैं.

यह सुनकर मेरी चूत गनगना उठी और मन प्रसन्न हो गया।
साथ ही साथ तन बदन में आग भी लग गई।

मैंने कहा- हैंडसम तो तुम भी हो यार! क्या नाम है तुम्हारा और क्या करते हो तुम?

वह बोला- मेरा नाम अनुज है और मैं रेस्टॉरेंट में सर्विस करता हूँ।

मैं फिर झुकी और उसे मम्मे दिखाते हुए बोली- तुम्हारी फैमिली कहाँ रहती है?
उसने कहा- अरे मैडम, मेरी तो अभी शादी ही नहीं हुई है। मैं तो अकेला ही रहता हूँ यहाँ से 5 किलोमीटर दूर!

मैंने कहा- इसका मतलब तेरा इंतज़ार करने वाला कोई नहीं है?

इससे पहले कि वह कोई जवाब देता … एकदम से बादलों की गड़गड़ाहट सुनाई पड़ी.
तो मैं डर के मारे उसके ऊपर गिर पड़ी.

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मेरे गिरने से मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ उसके बदन से टकरा गयीं.
तो उसने मुझे बड़ी प्यार भरी नज़रों से देखा फिर बोला- सॉरी मैडम!
मैंने कहा- नहीं, कोई बात नहीं। इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं! मैं ही डर के मारे तुम्हारे ऊपर गिर पड़ी।

जब तक मैं उठकर संभलती, तब तक बरसात होने लगी और मौसम बड़ा रोमांटिक हो गया।

मैंने कहा- अनुज , अब तुम घर तो जा नहीं पाओगे। तो जब तक बरसात हो रही है, तब तक यहीं रुके रहो।
उसने कहा- हां मैडम, अब तो सच में मुझे यहीं रुकना पड़ेगा।
मैंने कहा- तुम बैठो मैं अभी आती हूँ।

मैं थोड़ी देर में एक ड्रिंक्स का सेट लेकर आ गई और उसके सामने बैठ गई.
तब मैं बोली- देखो अनुज , मौसम के हिसाब से चाय नहीं, ड्रिंक्स का मज़ा लो।

मैंने उसे एक पैग व्हिस्की बनाकर पकड़ा दिया और खुद एक पैग हाथ में लेकर उसके सामने बैठ गयी।

हमने गिलास लड़ाया और चियर्स कह कर दारू पीना शुरू कर दिया।

दारू पीते पीते मैं गौर से देख रही थी, अनुमान लगा रही थी कि इसका लंड कैसा होगा, कितना बड़ा होगा. यह चोदने के लिए तैयार भी होगा या नहीं?
मेरे हिसाब से लौड़ा इसका जबरदस्त होगा।

वह भी मुझे घूर घूर कर देख रहा था।

मैंने बात आगे बढ़ाई और पूछा- अनुज , तुमने कभी किसी लड़की को करीब से देखा है? तो वह शर्म गया।
थोड़ी देर बाद वह बोला- हां देखा है. पर इतने करीब से नहीं देखा जितने करीब से आपको देख रहा हूँ।

मैंने कहा- अच्छा मेरे में कोई खास बात है क्या?
वह बोला- आप में सब खास बात ही है, आम बात कुछ भी नहीं।

मैंने कहा- बड़े रोमांटिक लगते हो?
वह बोला- आप जैसी औरत को देख कर कौन रोमांटिक नहीं हो जायेगा?

मैंने पूछा- अच्छा यह बताओ अनुज , तुमने कभी किसी लड़की के साथ सेक्स किया है? न किया हो तो मना कर देना पर सच बताना।
वह थोड़ी देर रुका फिर बोला- हां किया तो है मैडम!

मैं बड़ी सेक्सी अदा से आँख मटकाती हुई बोली- देखो अनुज, बार बार मुझे मैडम मत कहो। मैं मैडम नहीं हूँ. मैडम की माँ की चूत! मुझे शालिनी कहो।

मैंने उसके लंड में आग लगाने के लिए ऐसी बात कर रही थी और सच में आग लग भी गई क्योंकि उसकी पैंट के उभार से साफ़ साफ़ पता चल रहा था लंड पूरी तरह खड़ा हो गया है।

तब तक 2-2 पैग व्हिस्की ख़त्म हो गयी थी और नशा अपना काम करने लगा था।
मेरे कपड़े अस्त व्यस्त होने लगे और उसके भी!

कुछ देर में वह खड़ा हो गया बोला- बाथरूम जाऊंगा।
मैं उसे बाथरूम ले गयी।

वह अपनी पैंट खोलने लगा.
लेकिन किसी कारण उससे जिप खुल नहीं रही थी।
फिर मैं आगे बढ़ी और उसकी जिप खोल कर उसका लंड बाहर खींच कर बोली- लो अब तुम ठीक से मूत लो।

वह वाकयी मूतने लगा और मैं उसका लंड बड़े चाव से देखने लगी।

मूतने के बाद वह जिप बंद करने लगा तो मैं बोली- इसको यहीं उतार दो, यह गीली हो गयी है।

मैंने उसकी पैंट वहीँ खुलवा दी और कमीज भी उतरवा दी।

उसे मैं नंगा ही बेड पर ले गयी और उसे चित लिटा दिया।
मैं बहुत खुश थी।

मैंने भी अपने कपड़े उतारे और नंगी उसकी दोनों टांगों के बीच बैठ गयी।

मैं बड़े प्यार से उसका लंड पकड़ कर हिलाने लगी।

तब लंड साला एक मिनट में ही पूरा खड़ा हो गया।
इतना मोटा हो गया लंड कि मेरी एक मुठ्ठी में भी नहीं आ रहा था।

मैं उसे दोनों हाथों से पकड़ कर आगे पीछे और ऊपर नीचे करने लगी।
लंड की मोटाई ने मेरे बदन में जबरदस्त आग लगा दी।

मैं उसका टोपा मुंह में भरे हुए लंड मस्ती से चूसने लगी, पेल्हड़ सहलाने लगी और उसके नंगे बदन पर हाथ फेरने लगी।

वह पूरी तरह ताव में आ चुका था।

फिर वह एकदम से उठा और मुझे नीचे लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ बैठा बोला- बड़ी देर से मैं तुझे नंगी देखना चाहता था बुरचोदी शालिनी। तुझे नंगी देख कर मेरे होश उड़ गए। तू बहनचोद बड़ी खूबसूरत है। तेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ मुझे बड़ा मज़ा दे रही है।

वह दोनों हाथ से मेरे मम्मे मसलने लगा; मेरी चूत पर अपनी उँगलियाँ फिराने लगा।

मेरी छोटी छोटी झांटें उसे बड़ी पसंद आ रही थीं।

इतने में उसने लंड मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया।
मुझे भी अच्छा लगने लगा क्योंकि मैं यही तो चाहती थी।
मैं मन ही मन उसके लंड की दीवानी हो चुकी थी।

फिर उसने सेट किया एक ही बार में लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
मैं तो पहले से ही खूब चुदी हुई थी तो दर्द नहीं हुआ.
मगर मेरे मुंह से आवाज निकला जरू- भोसड़ी के … फाड़ डाली तूने मेरी चूत! इतना मोटा लंड एक ही बार में पेल दिया अंदर! बाप रे बाप … मेरी चूत का भोसड़ा बना दोगे क्या?

उसने जब घपाघप चोदना शुरू किया तो मुझे ज़न्नत का मज़ा आने लगा।
मैं आसमान में उड़ने लगी।

मुझे अपने आप पर गर्व होने लगा कि मैंने इसे रोक कर बहुत अच्छा किया।
नहीं रोका होता तो इतना बढ़िया लंड कहाँ मिलता मुझे मैं भी अपनी गांड हिला हिला कर मस्ती से चुदवाने लगी, इतनी मस्ती से तो कभी मेंनें अनमोल और कुणाल से भी नहीं चुदवाया।

वासना में मैं बुरी तरह डूब चुकी थी।
मुझे चुदाई के अलावा कुछ और नहीं दिखाई पड़ रहा था।

मेरे मुंह से निकला- अरे साले कुत्ते … भोसड़ी के खूब चोद मुझे … अपनी बीवी समझ कर चोद मुझे … फाड़ डाल मेरी चूत … हाय रे बड़ा मज़ा आ रहा है। तेरा ये मादरचोद लंड बड़ी दूत तक चोट कर रहा है। हहह ऊऊओ हीहीइ उफ्फ क्या मस्त लौड़ा है तेरा! बड़ा मज़ा आ रहा है। यार, तुम रोज़ आया करो मुझे चोदने! आआ हां हहू!

इतने में उसने मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से ठोक दिया लंड!
लंड पूरा अंदर गया तो मुझे ज़न्नत का मज़ा आने लगा।


मैं अपनी कमर आगे पीछे करती हुई एक मस्त हरामजादी रण्डी की तरह चुदवाने लगी।
मुझे यकीन हो गया कि अनुज पहली बार नहीं चोद रहा है। ये तो चुदाई का जबरदस्त खिलाड़ी लगता है।

मैंने पूछा.
तो बोला- मेरी शादी नहीं हुई पर मैं आजकल 4 औरत को चोद रहा हूँ। अभी कल ही अपने दोस्त की बीवी चोद कर आया हूँ।

उसकी बात ने मेरे बदन की आग को और भड़का दिया।
मैं और ज्यादा मस्ती से चुदवाने लगी।

कुछ देर के बाद वह नीचे चित लेट गया और मुझे झट्ट से अपने लंड पर बैठा लिया।
लंड पर बैठते ही लंड पूरा मेरी चूत में घुस गया।
मैं लंड पर उछल उछल कूदने लगी।

मुझे इस तरह की चुदाई एक अलग तरह का मज़ा देने लगी।
वैसे भी मुझे पराये मर्दों के लंड से प्यार होता है।

अनुज का लंड तो सबसे ज्यादा मोटा और लम्बा था तो मुझे चुदाई का मज़ा दूना / तिगुना आ रहा था।

मैं इतनी ज्यादा एक्ससिटेड हो गयी … मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं बुरी तरह खलास हो गयी।
मैं फ़ौरन लंड से उतरी और लंड मुठ्ठी में लेकर अपना मुंह खोले हुए आगे पीछे करने लगी।

बस पल भर में लंड ने सारा माल मेरे मुंह में उगल दिया जिसे मैं गटक गयी और लंड का टोपा चाट चाट कर लाल कर दिया।

फिर हम दोनों बाथरूम गए और वहां से नहा धोकर बाहर आये।
उसके बाद हमने नंगे नंगे ही खाना खाया।

खाना खाते समय खूब गन्दी गन्दी बातें कीं जिससे लंड फिर तन कर खड़ा हो गया।

उधर मेरी भी चूचियाँ तन गईं और चूत कुलबुलाने लगी।

इस बार जब वह चढ़ा मुझ पर तो बोला- बुर चोदी शालिनी, अब मैं तेरी गांड में ठोकूंगा अपना लंड!
ऐसा बोल कर उसने मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारा और गांड में उंगली घुसेड़ दी।

मैं भी गांड मरवाना चाहती थी तो मैं फिर घोड़ी बन गयी.
उसने लंड मेरी गांड पर फिट कर दिया और बोला- ले भोसड़ी वाली शालिनी … मेरा लंड अपनी गांड में!

लंड घुसा तो मुझे लगा कि मेरी गांड वाकई फट गयी।
मैं चिल्ला पड़ी- मादरचोद … तेरी माँ का भोसड़ा … साले कुत्ते एक ही बार में पूरा पेल दिया. तेरी बहन की बुर!

फिर उसने देर नहीं लगायी और तूफान मेल की तरह मेरी गांड मारता रहा।
मेरी अच्छी तरह गांड मारने के बाद ही उसने दम लिया।

पानी तब भी बड़ी तेजी से बरस रहा था और हम दोनों नंगे नंगे ही सो गए।

उसने सुबह उठने के पहले एक बार फिर पेल दिया लंड मेरी चूत में!

सबसे ज्यादा मज़ा तो सुबह चुदवाने में आता है और मैंने यह मज़ा खूब लिया।
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जाते समय मैंने उसकी चुम्मी ली और कहा- अब मैं हर रोज़ खाना मंगवाया करुँगी। खाना लेकर तुम ही आना और फिर मुझे चोद कर ही वापस जाना। मैं हर दिन तेरे लंड का इंतज़ार करुँगी। इस तरह एक सप्ताह तक उसके लौड़े की गर्मी से मेरे चुत को ठंडक मिलती रही फिर एक सप्ताह बाद शुभम भी वापस आ गया उसके एक सप्ताह की छुट्टी समाप्त हो चुकी थी जब वह घर आया वो अपने साथ काई बुराईयां साथ लेकर आया

….............................................................................

एक दिन मेरी इच्छा हुई शुभम के कमरे की सफाई करने कि जब मैं उसके कमरे की सफाई कर रही थी तो मुझे उसके बेड पर पड़े गद्दे के नीचे से कंडोम के कुछ नये और कुछ उपयोग किये गये पैकेट मिले उसके जीन्स के पैकेट से मुझे सिगरेट का एक पैकेट मिला यह सब तो कुछ भी नहीं था जब मैंने उसे मार्केट में एक लड़की के साथ घुमते देखा तो मैं हैरान रह गई उस लड़की ने अपने मुंह पर मास्क लगाया हुआ था इसलिए मैं उसे पहचान नहीं पाई ।

ऐसे ही एक दिन मेंने शुभम से कहा मैं अपनी सहेली आस्था के साथ किसी काम के सिलसिला से रांची से बाहर बोकारो जा रही हु आने में देर हो सकती है या तो मैं अगली सुबह आ जाऊंगी तो हमेंलोग दुसरे सुबह ही निकल गये जब हम लोगों ट्रेन से वहां पहुंचे तो दिनभर में हमारा काम पुरा हों गया तो हम लोगों शाम तक वापस रांची आ गये मैं इस दौरान शुभम को फोन करके बताना भुलगईं कि " हमारा काम दिनभर में पुरा हो गया है इस लिए वापस आ रहें हैं " जब मैं अपार्टमेंट पहुंची तो मेरे पास मेरे फ्लैट का दुसरा चाभी थी जब मैं दरवाजा खोला कर अंदर चली गई अंदर जाने पर मुझे शुभम के कमरे से किसी चीज कि थपथपाने की आवाज आ रही थी मैं धीरे-धीरे दबें पावं के साथ आगे बढ़ रही थी उसके कमरे के दरवाजे के पास पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद था जब मैंने कीहोल से देखा तो में देखकर दंग रहगई अंदर शुभम अकेले नहीं था उसके साथ कोई लड़की थी वो दोनों बिल्कुल नंगी थे वो लड़की शुभम के ऊपर थी शुभम लेट हुआ था वो लड़की ऊपर नीच हो रही थीं वो लड़की चुद रही थी शुभम के लौड़े से उस लड़की का पीठ कीहोल की तरफ था इस लिए मैं उसका चेहरा नहीं देख सकी ( मेरे ही घर में मेरे बेटा मेरी गैरहाजिर में किसी लड़की की चुदाई कर रहा था ) बीच-बीच उस दोनों की कहराने की आवाज सुनाई दे रही थी मुझे उसकी इस हरक़त से कोई समस्या नहीं थी मैं तो चाहती थी मेरा बेटा खुब सारी लड़कियां की चुदाई करें । उसके लौड़े की लम्बाई और मोटाई उसके बाप से बिल्कुल अलग था उसका लौड़े किसी को भी दीवाना बना देगी मुझे इस बात का अफसोस था कि मैं इधर उधर मुंहमरवा के काम चल रही थी जब की मैंने अपने बेटे पर कभी ध्यान नहीं दिया ( घर में छोर और शहर में ढींढोरा )

अब मेरा पूरा फोकस सिर्फ मेरे बेटा के उपर था धीरे-धीरे में उसे अपने बना लिया तन और मन दोनों से मैं उसे एक ऐसा चुदाई करने वाला शख्स मर्द बनना चाहती थी चाहे लड़की या औरत हो उसे एक बार चुदाने के बाद उसकी दीवानी हो जायें
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मेरे बेटे की एक गलती से मुझे मौका मिल गया[Image: mom-Pihu-Singh-122-020742.jpg]
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"क्या यह तुम्हारे घर आने का समय है? अपनी घड़ी देखो!! अभी तो रात के 2 बजे हैं!!" मेरी मम्मी ने जैसे ही मेरे लिए दरवाज़ा खोला, मुझ पर चिल्लाई।

"तुम नशे में हो... है न?! तुम फिर से बार में गए थे... है न?!" वह गुस्से में मुझसे सवाल करती रही और मुझे घर में घुसने नहीं दिया।

"मैंने तुमसे कहा था कि मुझे तुम्हारा खुद को बिगाड़ना पसंद नहीं है!! तुम्हें क्या हो गया है?!" मेरी मम्मी बस चिल्लाती रही, जबकि मैं किसी तरह से अंदर घुसने में कामयाब रहा, और सामने का दरवाज़ा बंद कर लिया, इस उम्मीद में कि किसी भी पड़ोसी ने इस घटना पर ध्यान नहीं दिया होगा।

"तुमने मुझसे वादा किया था कि तुम फिर कभी शराब नहीं पीओगे, और तुमने ऐसा करने की हिम्मत की!! तुम धोखेबाज हो!!" वह लगभग दहाड़ते हुए बोली, और फिर बहुत अप्रत्याशित रूप से मुझे थप्पड़ मारने लगी, पहली बार, जिसने मुझे चौंका दिया।

"तुम झूठ बोल रहे हो!!" मेरी रूढ़िवादी लेकिन क्रोधित मम्मी बार-बार मेरी आँखों में देखते हुए, मुझे और भी अधिक डराने की कोशिश कर रही थी, हालाँकि उसके चेहरे पर निराशा साफ दिखाई दे रही थी!!

मुझे पता था कि गलती मेरी थी, और मुझे पता था कि मुझे सजा मिलनी चाहिए, लेकिन मैं इस बात से भी परेशान था कि मुझ पर हावी हुआ जा रहा था और मेरे साथ एक बच्चे जैसा व्यवहार किया जा रहा था, और मैं इसके बारे में कुछ करना चाहता था - और अपनी अत्यधिक नशे की हालत में, मैं जल्दबाजी में आगे झुका और अपनी मम्मी के लाल गालों को प्यार से चूम लिया, अनजाने में मैंने उनकी डांट को रोकने की इच्छा के अलावा और भी बहुत कुछ दर्शा दिया।

"तुम कुत्ते के बच्चे हो!! मैं तुम्हें मार डालूंगी!!" वह बड़बड़ाते हुए बोली, लगातार मुझे पीट रही थी, ऊंची आवाज में चिल्ला रही थी।

मैं डरा हुआ था, और मुझे यकीन था कि मुझे अपने नशे में धुत्त शरीर को अपने कमरे में ले जाना था, इससे पहले कि मैं कुछ और गंभीर करूं, और बस शांत लेट जाऊं - फिर भी, अपने अनियंत्रित मूड में, मैंने अपनी मम्मी को उसके चिकने काले बालों से जोर से पकड़ लिया, उसे अपनी ओर खींचा, और बिना किसी दूसरे विचार के, सबसे अधिक पशुवत अंदाज में उसके मोटे गुलाबी होंठों को पापपूर्ण तरीके से चूमना शुरू कर दिया !!

ऐसा लग रहा था कि जैसे मुझे उसे जाने देने में हमेशा लग जाएगा, और मैं अपने कार्यों से उतना ही स्तब्ध था जितना कि वह अपने बेटे द्वारा अपनी ही माता-पिता के प्रति अक्षम्य उल्लंघन से थी।

हालांकि, जब उसने मुझे एक बार और जोरदार थप्पड़ मारा, पूरी तरह से उस घृणित दिल टूटने की पीड़ा के कारण जो मैंने उसे उपहार में दिया था, और मुझे जितना हो सके दूर धकेल दिया, और टीवी रिमोट से मुझे मारने की धमकी दी जिसे उसने अभी-अभी अपने हाथों में लिया था, तो मुझे उसे शारीरिक रूप से जीतने के लिए और अधिक कारण मिल गए, और मैंने बेशर्मी से उसे काफी ताकत के साथ दीवार के खिलाफ धकेल दिया, उसकी रसीली गर्दन को चाटना और उसके पसीने से तर कंधों को काटना, और साथ ही, बहुत ही बेझिझक, उसके ढके हुए स्तनों वाले मजबूत खरबूजों को छूना!!

[Image: LOVE-MOM-SO-HARD-081010.jpg]
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"छोड़ दो मुझे... शुभम!! छोड़ दो मुझे... मुझे अकेला छोड़ दो, कमीने!!" उसने विरोध किया, और अपने बचाव में मुझ पर अपने लंबे तीखे नाखूनों का इस्तेमाल करते हुए, उसने धीरे-धीरे मेरे आक्रामक आपराधिक कृत्य की गति को कम करना शुरू कर दिया।

कुछ सेकंड बाद मैंने वह काम करना बंद कर दिया जो मुझे कभी नहीं करना चाहिए था, और मैं धीरे-धीरे अपने होश में आ रहा था, मैंने जो दुष्टता प्रदर्शित की थी उसकी सीमा को समझ रहा था, और अपने आप को पश्चाताप से भरा हुआ पा रहा था, क्योंकि मुझे एहसास हुआ कि मैंने गंभीर पाप किया था - लेकिन वह सुबह, दुर्भाग्य से या सौभाग्य से, वह घड़ी बनने वाली थी जो हमेशा के लिए सब कुछ बदल देगी !!

जैसे ही मैंने अपनी मम्मी को मुक्त किया, उन्होंने मुझे फिर से मारा, और इस बार, उन्होंने मेरे जबड़े पर टीवी का रिमोट भी मारा, जिससे मुझे उससे कहीं अधिक चोट पहुंची जितना मैंने सोचा था, और मेरे अंदर उन्हें स्थायी रूप से अधीन करने की इच्छा पैदा हो गई।

मैं अभी भी कह सकता हूँ कि मेरा अगला कार्य केवल मेरी प्राकृतिक प्रतिक्रिया थी, लेकिन मैंने अपनी प्रतिक्रिया में अपने दोनों हाथों को अपनी मम्मी की लाल रंग की बिना आस्तीन की मखमली नाइटी की गर्दन के ठीक बीच में रखा, और अगले ही पल, मैंने उसे फाड़ दिया, जिससे उनकी ब्रा रहित नग्न छातियाँ अनायास ही उजागर हो गईं!!न

उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और वह दयनीय रूप से कमजोर दिख रही थी, अपने ही बेटे के सामने शर्मिंदा खड़ी थी, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उसका कोमल बेटा इतना घिनौना कृत्य कर सकता है।

वह अपनी किस्मत को कोसने लगी, जोर-जोर से रोने लगी, जिससे मुझे अपनी अव्यवस्थित मानसिक स्थिति के लिए खुद से और अधिक नफरत होने लगी - मैं दुखी था कि मैंने अपनी मम्मी को ऐसा दर्द दिया था जो किसी बेटे को अपनी मम्मी को नहीं देना चाहिए, लेकिन जब तक चिंतित भावनाएं मेरे विकृत मस्तिष्क तक पहुंचीं, तब तक मेरे मजबूत हाथों ने खुशी-खुशी उसकी लंबी नाइटवियर के बाकी बचे हिस्से को फाड़ना शुरू कर दिया था, सबसे पहले उसकी गहरी नाभि और मांसल पेट को प्रदर्शित किया, और एक पल में, उसकी असहाय रूप से असुरक्षित बालों वाली चूत को भी!!

वहाँ वह स्त्री खड़ी थी जिसने मुझे जन्म दिया था, पूरी तरह से नग्न, और उस राक्षसी संतान से केवल कुछ मिलीमीटर की दूरी पर जिसे उसने महीनों तक अपने गर्भ में रखा था, और तब वह केवल अपनी छोटी हथेलियों और पतली भुजाओं का उपयोग करके अपने शरीर के अधिक से अधिक हिस्से को छिपाने का असफल प्रयास कर सकती थी।

"कृपया रुकें... कृपया शुभम... कृपया मुझे चोट न पहुँचाएँ..." उसने विनती की।

"मैं तुम्हारी मम्मी हूँ... तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते... कृपया... मुझे खेद है कि मैंने तुम्हें मारा... कृपया इसे बंद करो!!" वह लगातार रोते हुए विनती कर रही थी।

"बस अब और कुछ मत करो... प्लीज!! बस मुझे जाने दो... मैं तुम्हारे पापा से इस बारे में कुछ नहीं कहूंगी... मैं तुमसे वादा करती हूं कि... प्लीज..." वह कांपती हुई सांसें लेते हुए दया की भीख मांगती रही!!

मुझे नहीं मालूम था कि क्या कहूं - मुझे नहीं मालूम था कि क्या करूं।

मुझे यकीन था कि मैं यह सब नहीं चाहता था - मैं नशे में था, और उसके मुझे मारने से मेरी हालत खराब हो गई।

मुझे उसके द्वारा मुझसे प्रश्न पूछने और सलाह देने से कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन उसका मुझ पर हाथ चलाना मुझे दुख पहुंचाता था।

मुझे उम्मीद नहीं थी कि मेरी मम्मी मुझे कभी पीटेगी - मैं स्पष्ट रूप से आहत नहीं थी, लेकिन मेरे मन की गहराई में, मैं टूटा हुआ महसूस कर रही थी, और मैंने सबसे घृणित तरीके से प्रतिक्रिया व्यक्त की, और मैं इसके बारे में सही रूप से बुरा महसूस कर रही थी !!
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[Image: kajal-mom-1-1-015814.jpg]

मुझे उस पर दया आ गई...

मुझे उस दुख के लिए बुरा लगा जो मैंने उसे दिया था...

मैं स्वयं से घृणा करने लगा था, और मैं तुरंत क्षमा मांगना चाहता था, और सब कुछ ठीक करना चाहता था - मैं चाहता था कि हमारा रिश्ता सामान्य हो जाए, चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न लगे!!

मैंने एक छोटा सा कदम आगे बढ़ाया, जिसका एकमात्र उद्देश्य उसके पैरों पर गिरकर क्षमा याचना करना था, लेकिन इससे पहले कि मैं उसे बता पाता कि मैंने जो बुरा काम किया है, उसके लिए मुझे कितना पछतावा है, उसने बहुत तनावपूर्ण तरीके से मुझसे वह कह दिया, जिसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं उसके मुंह से सुनूंगा।

( इस सबके बीच मैं आपको बताना बिल्कुल भुल गया था कि मेरे पिता जी एक सप्ताह की छुट्टी लेकर रांची आये हुऐं है हम सबके बीच )

"बस मुझे अकेला छोड़ दो... शुभम... अभी के लिए... प्लीज!! मुझे आज रात अपने पिता के पास वापस जाने दो... मेरा मतलब है... उन्हें इस बारे में कुछ भी पता न चलने दो... मैं तुमसे वादा करती हूं कि मैं तुम्हें मेरे साथ जो भी करना है करने दूंगी, जब भी तुम चाहो... लेकिन... अभी नहीं!! प्लीज... मैं कसम खाती हूं कि मैं तुम्हारे कमरे में आऊंगी, जैसे ही तुम्हारे पिता गहरी नींद में सो जाएगा!! तुम जो चाहो कर सकते हो... मैं तुम्हारी होऊंगी... मैं तुम्हारी... पत्नी होऊंगी!! मैं वही बनूंगी जो तुम मुझे बनाना चाहोगे!! तुम मुझे मेरे नाम से बुला सकते हो... तुम मुझे शालिनी कह सकते हो!! तुम मुझे जब चाहो पा सकते हो!! मैं तुम्हारी सभी मांगें मानूंगी!! अभी नहीं... तुम्हारे पिता को यह सब नहीं दिखना चाहिए... कृपया अपने पिता के सामने मेरा बलात्कार मत करना!! प्लीज... मैं तुमसे विनती कर रही हूं... प्लीज!!" उसने बेहद गंभीर स्वर में कहा, और मुझे पूरी तरह से अचंभित कर दिया!!


मैं इस पर यकीन ही नहीं कर पा रहा था - जो मैंने सुना था उस पर मैं भरोसा ही नहीं कर पा रहा था।

मैंने कभी भी यह अपेक्षा नहीं की थी कि वह मेरे सामने शारीरिक रूप से उपस्थित होगी, और यह वह नहीं था जिसकी मैं आशा कर रहा था, और जब यह घटना शुरू हुई थी तब भी मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था - मैं पहले केवल उसे शांत करने का प्रयास कर रहा था, और मैं केवल यह चाहता था कि वह मेरे साथ एक बच्चे की तरह व्यवहार करना बंद कर दे, और बाद में भी, मैं केवल चीजों को ठीक करना चाहता था।

जब उसने मेरे सामने सबसे शर्मनाक प्रस्ताव रखा, तब भी मैं उसे यह बताने की पूरी कोशिश कर रहा था कि मैं केवल इतना चाहता हूं कि हमारे बीच जो कुछ हुआ, उसे भुला दिया जाए!!

"माँ... सुनिए... मैं तो बस..." मुझे बात करने में संघर्ष करना पड़ा, माफ़ी मांगना तो दूर की बात थी, और उसे यह समझाने में भी कि मैं उसे कभी भी यौन इच्छा की वस्तु के रूप में नहीं देखूंगा, लेकिन इससे पहले कि मैं उसे अपना रुख स्पष्ट कर पाता, उसने बहुत धीरे से मेरी जांघों को छुआ, और अपनी उंगलियों से मेरे निचले हिस्से के बटन खोले, और जल्द ही मैंने जो नीली पैंट पहनी हुई थी, उसका ज़िप खोल दिया।

मैं स्तब्ध खड़ा रहा, जैसे कि मुझे बिजली का झटका लगा हो, और जिस क्षण मैंने उसकी हथेली की गर्माहट को अपने पुरुषत्व की कच्ची त्वचा पर महसूस किया, मुझे पता चल गया कि अब पीछे लौटने का कोई रास्ता नहीं है।

हमने नैतिक मर्यादा की सभी सीमाएं पार कर ली थीं, और इससे भी बुरी बात यह थी कि जिस एक महिला को मुझे वहां कभी नहीं छूना चाहिए था, वह आसानी से अकल्पनीय चीजों की आदी हो गई थी, और व्यावहारिक रूप से मेरे 'नॉट सो फ्लैक्सीड' उपकरण के साथ खेल रही थी।

एक क्षण के लिए तो यह सब इतना स्वाभाविक लग रहा था, कि मुझे यह भी आश्चर्य हुआ कि क्या वह हमेशा से यही चाहती थी, लेकिन फिर भी उसने जो निराशा प्रदर्शित की, वह यह दर्शाने के लिए पर्याप्त थी कि वह केवल भयभीत थी, और किसी तरह से बाहर निकलने की आशा कर रही थी!!

शुभम: मम्मी ... मैं...

शालिनी : प्लीज... मैं वो सब करूँगी जो तुम मुझसे करवाना चाहते हो... तुम मेरे साथ जो करना चाहते हो वो कर सकते हो... बस आज रात नहीं... बस अभी!! मैं तुमसे वादा करती हूँ... तुम मुझे वचन दोगे... मैं यहाँ तक करूँगी... मैं अभी तुम्हारा लंड सहलाने के लिए तैयार हूँ... मैं तुम्हें झड़ने पर मजबूर करूँगी... प्लीज तुम इतने में ही संतुष्ट हो जाओ... प्लीज मेरे साथ और कुछ मत करना... आज रात... प्लीज... जब तुम्हारे पापा आस-पास हों तब नहीं!!

शुभम : आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है, मम्मी ... यह वह नहीं है...

शालिनी : शश... प्लीज... वो आपकी बात सुन लेगा... मुझे खेद है कि मैं आपके साथ रूखा व्यवहार कर रही थी... प्लीज... मैं इसकी भरपाई करूंगी... मुझे एक मौका दो... मुझ पर भरोसा करो!! अभी नहीं...

शुभम : क्या बकवास है!! क्या तुम समझते नहीं...

शालिनी: अपनी आवाज़ कम करो...ओओओओ...

शुभम : अपना हाथ मेरी चड्डी से हटाओ... छी... मम्मी... तुम क्या करने की कोशिश कर रही हो!! तुम नहीं कर सकती...

शालिनी: म्म्म्म्म्म्म्म्म....

शुभम : क्या...

शालिनी : मुझे नहीं पता था... मुझे तो बस नहीं पता था...

शुभम: आप क्या कह रहे हैं??

शालिनी : अच्छा... यह अच्छा है...

शुभम : बस करो, मम्मी ...

शालिनी : मुझे सचमुच कुछ पता नहीं था...

शुभम : क्या है...

शालिनी : आप बड़े हैं!! आप बहुत विशाल हैं!!

"क्या बकवास है!!" मैंने तुरंत चिल्लाया, क्योंकि मेरी मम्मी ने तुरंत अपने दूसरे हाथ से मेरा मुंह बंद कर दिया, लेकिन साथ ही साथ अपने होंठ भी काट रही थी।

"अपने पिता को मत जगाओ!!" उसने लगभग आदेश देते हुए कहा, जो कि आने वाले सर्वनाश की ओर इशारा कर रहा था, लेकिन उसने मुझे जो नज़र दी, उससे केवल यह पता चला कि वह उत्सुकता से चाहती थी कि उसे अपने वर्तमान रोमांचक काम को समाप्त करने की आवश्यकता न पड़े।

"क्या तुम्हें यह पसंद आ रहा है?" बोलते समय वह स्पष्ट रूप से खिलखिलाकर हंस रही थी, उसकी कामुक ऊर्जा से यह स्पष्ट हो रहा था कि अनुचित गतिविधि बहुत तेजी से बढ़ रही है, तथा उसने मुझे त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता के बारे में सचेत किया।

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"माँ!!" मैंने जोर से कहा, उसे पीछे धकेलने की कोशिश करते हुए, आंशिक रूप से राहत महसूस करते हुए कि मैं कम से कम उसे मुझे छूने से रोक सकता हूं - लेकिन अगले ही पल, मैंने अपने आप को बेतहाशा कांपते हुए पाया, मेरे पिताजी को मेरी मम्मी का नाम पुकारते हुए सुनकर!!

"शालिनी?! वहाँ नीचे क्या हो रहा है?? शालिनी... डार्लिंग... सब कुछ ठीक है?!" ऊपर की मंजिल से एक कोमल किन्तु शक्तिशाली आवाज़ ने पूछा, जिससे हम दोनों सचमुच कांप उठे।

"शिट!!" मेरे पिताजी की लाडली शालिनी ने डर के मारे हांफना शुरू कर दिया, लेकिन केवल शुरुआत में, और जल्दी ही वह ज्यादातर शांत हो गई, और मुझे यह कहने में भी संकोच नहीं किया कि मुझे चुप रहना चाहिए था, यहां तक कि सभी तनाव के बीच भी, और मुझे और अधिक भ्रमित कर रहा था!!

सच कहा जाए तो, इस सत्य से इनकार नहीं किया जा सकता था कि मेरी मम्मी किसी अजीब कारण से अत्यधिक उत्तेजित हो गई थी, और एक दुखी पीड़ित होने के बजाय, वह निस्संदेह एक खतरनाक शिकारी की भूमिका को पूर्णता से निभाने का आनंद ले रही थी - यह इतना सरल था, और मैं आसानी से अनुमान लगा सकता था कि उसके दिमाग में क्या चल रहा होगा, भले ही यह परिदृश्य कुछ मिनट पहले तक कितना भी असंभव क्यों न रहा हो।

वह बस मुझे घूरती रही, बहुत इरादे से, और उसकी आँखों में वासना साफ दिखाई दे रही थी, जिससे मुझे यह स्पष्ट हो गया कि वह पहले से ही सोच रही थी कि वह मेरे साथ क्या करने जा रही थी, एक बार जब वह ऊपर से कष्टप्रद बाधा का ख्याल रखना समाप्त कर लेगी - वह जानती थी कि वह अपने आदमी को संभाल सकती है, और यह सिर्फ मुझे उसके साथ खेलने के बारे में था !!

जहां तक मेरा सवाल है, मुझे स्पष्ट रूप से अपनी मम्मी के साथ कामुक संबंध बनाने में असहजता महसूस हुई - हालांकि, मैं खुद को ही दोषी मान रहा था , मैंने कितनी भी कोशिश की कि मैं यह कहूं कि मुझे यह सब नहीं चाहिए, और स्थिति और भी खराब होती जा रही थी, एक तीसरे पक्ष की भागीदारी के कारण, मेरे पास एकमात्र विकल्प था कि मैं इस पागलपन के साथ सहयोग करूं।

अपने अप्रत्याशित बड़े साथी को योजना बनाते हुए अजीब तरह से देखते हुए, मैंने खुद को अजीब विचारों में खो जाने दिया, जबकि हम दोनों ही शांत और मौन बने रहे - जब तक कि मेरे पिता ने अपना प्रश्न दोहराया, इस बार बहुत जोर से!!

"यह... कुछ नहीं, पतिदेव ... शुभम... उसे... शुभम को बहुत बुरा माइग्रेन है... मैं बस उसे आराम पहुँचाने में मदद कर रही हूँ।" मेरी मम्मी ने शांत रहने और ठीक से बोलने की पूरी कोशिश की, आखिरकार उन्होंने जवाब दिया।

"ओह... यह अच्छा नहीं है... तुम चाहते हो कि मैं नीचे आकर देखूं?!" मेरे पिताजी ने बहुत चिंता के साथ पूछा, विडंबना यह है कि इससे हम और अधिक चिंतित हो गए - खैर, मेरी मम्मी पूरी तरह से नग्न थी, और मैं पूरी तरह से नशे में था, और लिविंग रूम में भी सेक्स की गंध आने लगी थी, और यहां तक कि एक लाश भी हमें अपराधी करार दे सकती थी।

"नहीं... नहीं... प्रिय पतिदेव... बिल्कुल नहीं!! मेरा मतलब है... यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आप देखना चाहेंगे... यहाँ ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे आप कभी देखना चाहेंगे!!" 45 वर्षीय गृहिणी ने अपने 62 वर्षीय पति को सहजता से उत्तर दिया, जिसमें तनाव का कोई लक्षण नहीं दिख रहा था, और उसके शब्दों के चयन में दुस्साहस ने मुझे अचंभित कर दिया।

"क्या यह इतना बुरा है, शालिनी?! क्या हमारा बेटा बहुत दर्द में है??" चिंतित पिता ने विनम्रता से पूछा, जिससे मुझे वास्तव में उनके प्रति उनके प्रेम का एहसास हुआ, लेकिन वास्तविक परिस्थितियों ने मुझे यह सोचने पर भी मजबूर कर दिया कि वह वास्तव में कितने बड़े मूर्ख थे - मुझे पता था कि मैं क्रूर हो रहा था, और मुझे पता था कि मैंने उनकी पत्नी को अपवित्र करके उनके साथ बहुत अन्याय किया था, और मुझे पता था कि मुझे अधिक दयालु होना चाहिए था, लेकिन मेरे शरीर में शराब की मात्रा, साथ ही मैं जिस अनाचारपूर्ण व्यभिचार का हिस्सा बन गया था, उसने सुनिश्चित किया कि मेरा दिमाग केवल उन तरीकों से काम करता था जैसा कि उसे कभी नहीं करना चाहिए।
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"अभी नहीं... मेरा मतलब है... अभी नहीं... लेकिन वह जल्द ही होगा..." चालाक मम्मी ने शरारती मुस्कान के साथ उत्तर दिया, वाक्य को रोकते हुए, उसने अपनी शेष बची हुई हिचक को दूर करने के लिए अतिरिक्त समय लिया, खुशी से मेरे ढके हुए अंडकोषों को टटोला, जिससे मैं सिहर उठा, और एक दर्द भरी कराह निकाली जो इतनी तेज थी कि उसके पतिदेव सुन सके, उसके बाद भारी अंडकोष को सावधानी से सहलाया, जिससे मैं भी उतनी ही मधुर कराहें निकालने को मजबूर हुआ , जो समान रूप से सुनाई दे रहा था।

"अर्थात्... यदि मैं उस पर ध्यान नहीं दूंगी... लगातार!!" उसने दृढ़तापूर्वक कहा, और उसी सहजता से बातचीत पुनः शुरू कर दी जैसे उसने मुझ पर निषिद्ध स्नेह बरसाना शुरू किया था।

"ओह नहीं!! मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता... मुझे नहीं लगता कि मैं कल्पना भी कर सकता हूँ कि वह किस स्थिति से गुज़र रहा होगा... मुझे पता है कि माइग्रेन होना कितना बुरा है... मैंने वर्षों तक इसे झेला है... देखो... सु... कृपया उसे बेहतर महसूस कराने के लिए जो कुछ भी कर सकते हो करो!! कृपया!! कृपया उसके साथ रहो!!" मेरे पिताजी ने बहुत ही विनम्रता से अनुरोध किया, बहुत ही भोले स्वर में, बहुत ही बेतुके ढंग से खुद को धोखे में आने दिया।

"क्या तुम्हें यकीन है?? मेरा मतलब है... तुम्हें मेरी याद नहीं आएगी??" मेरी मम्मी ने मजाकिया अंदाज में जवाब दिया, अपने ऊपरी होठों को चाटते हुए मुझे चिढ़ाना जारी रखा, और हास्यास्पद तरीके से मुझसे सवाल किया, खुद को मेरे करीब लाते हुए, ऐसा लग रहा था कि वह इस बात पर गर्व कर रही थी कि वह जीत के बहुत करीब थी।

"मैं करूँगा!! मुझे वास्तव में तुम्हारी याद आएगी!! तुम जानती हो... लेकिन... कोई बात नहीं... शुभम हमारा बेटा है... वह समान देखभाल का हकदार है... इसलिए... अभी के लिए... तुम उसके साथ रहो!!" मेरे पिताजी ने स्नेह से भरे शब्दों में उत्तर दिया, जाहिर तौर पर लेकिन मूर्खतापूर्ण ढंग से इस बात से अनजान कि वास्तव में क्या हो रहा था।

"क्या यह भी ठीक है अगर मैं आज रात उसके साथ सो जाऊं?! मुझे नहीं पता कि इसमें कितना समय लगेगा!!" मेरी मम्मी ने उत्तेजक तरीके से पूछा, सीधे, उसे शर्मिंदा करना जारी रखा, और मुझे बहुत चौंका दिया, क्योंकि मैं केवल उसे एक पूर्ण वेश्या के रूप में आंक सकता था, जो अपनी इच्छाओं को संतुष्ट करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।

"बिल्कुल हाँ!! शालिनी... तुम कर सकती हो!! तुम्हें मुझसे यह पूछने की ज़रूरत नहीं है... असल में, तुम जब चाहो उसके साथ सो सकती हो... ठीक है?! तुम्हें उसके साथ बंधन बनाने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए!! यह अच्छा है... तो... हाँ... मुझे लगता है कि मैं तुम्हें सुबह देखूँगा... बस यह सुनिश्चित करना कि वह बेहतर महसूस करे... और अपना भी अच्छे से ख्याल रखना... पूरी रात जागते मत रहना... जब तुम्हें यकीन हो जाए कि वह ठीक महसूस कर रहा है, तो थोड़ी देर सो जाना।" भोले सज्जन ने उत्साहपूर्वक घोषणा की, दुर्भाग्य से अनजाने में वह परिपक्व मम्मी को सुविधाजनक रूप से प्रोत्साहित करने में भी सफल हो गया, जो नीचे की ओर मुस्कुरा रही थी, ताकि उसके हाथ पूरी तरह से मेरे चड्डी के अंदर वापस आ सकें, और धीरे-धीरे इसे नीचे कर सकें।

"तुम बहुत समझदार हो, पतिदेव... मैं बहुत भाग्यशाली हूँ कि तुम मेरे पास हो... हम बहुत भाग्यशाली हैं कि तुम हमारे पास हो!! शुभम पहले से ही बेहतर महसूस कर रहा है... मैं यह देख सकता हूँ..." मेरी मम्मी ने अपने वाक्य की शुरुआत मेरे पिताजी को व्यंग्यात्मक ढंग से शर्मिंदा करते हुए की, और मेरे लौड़े की धड़कती हुई कठोर प्रकृति को देखने के बाद, मुझे कठोरता से ताना मारते हुए समाप्त किया, जो कि लगातार बढ़ता जा रहा था, खासकर तब जब उन्होंने मेरे पैरों को ढकने वाले कपड़े के आखिरी टुकड़े को पूरी तरह से नीचे खींच दिया।

"यम्मम्म... मेरा मतलब है... आप... आप चिंता न करें... ठीक है!! मैं इसे नियंत्रण में रखती हूँ... हाँ... और... मैं खुद के प्रति भी बहुत दयालु रहूँगी... मैं आपको यह आश्वासन देती हूँ, पतिदेव !! मैं बस अपने बेटे का साथ पाकर आनंद लेने जा रही हूँ, और मुझे पूरा यकीन है कि जब आप उसे कल पूरी तरह से ठीक पाएंगे तो आप मेरी सराहना करेंगे!! हो सकता है कि हम दोस्त भी बन जाएँ!! हेहेहे... हाँ... दरअसल... मुझे बस इस बात का दुख है कि मुझे शायद बिल्कुल भी नींद न आए... मेरा मतलब है... मैं कभी भी आपके बिना ठीक से सो नहीं पाई हूँ... आपके साथ बिताया हर पल खास है!! मुझे उम्मीद है कि आप यह जानते होंगे... और हर पल जब मैं आपसे दूर रहती हूँ, तो हमारे साथ बिताया गया समय और भी खास हो जाता है!! मुझे उम्मीद है कि आप यह भी जानते होंगे... पतिदेव... मैं तुमसे प्यार करती हूँ!!" उसने बड़े ही मनोरंजक ईमानदारी के साथ घोषणा की, जबकि वह मेरे नग्न लम्बे लौड़े के मोटे सिर को बहुत मुश्किल से दबा रही थी, और यह सुनकर मैं और अधिक चकित हो गया कि वह अपने पति के साथ असामान्य रूप से रोमांटिक हो रही थी, या यहां तक कि दिखावा भी कर रही थी, जबकि वह अपने पति को उनकी ही संतानों के साथ बेशर्मी से धोखा देने के लिए खुद को तैयार कर रही थी।
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"मैं उसे बहुत अच्छा महसूस करवाऊंगी, पतिदेव... बहुत बहुत अच्छा!! हेहेहे... मैं तुमसे वादा करती हूँ!!" उसने आगे कहा, लेकिन अपेक्षाकृत नरमी से, और वाक्य पूरा करते ही मेरी तरफ आँख मारते हुए, एक बार फिर मेरे सामने वास्तविकता को रेखांकित करते हुए कि वह उन महिलाओं में से एक थी, जिन्हें अपने साथी के हानिकारक अपमान में गंभीर खुशी मिलती है।

"मुझे तुम पर भरोसा है, शालिनी... उसे अपना सारा प्यार देना!! ठीक है... फिर शुभ रात्रि..." मेरे पिताजी ने मासूमियत से यह कहते हुए अपने फोन को रख दिया , लेकिन इससे पहले कि मैं खुद से पूछूं कि मेरी मम्मी ने उन्हें पहले कितने ऐसे व्यभिचारी उदाहरण उपहार में दिए होंगे!!

यद्यपि मैं बाल-बाल बच जाने के लिए आभारी महसूस कर रहा था, फिर भी मैं चौंका हुआ था, और मैं अभी इस बात को स्वीकार करने की कोशिश कर रहा था कि वास्तव में क्या हुआ था, और मैं वास्तव में किस स्थिति में फंस गया था - लेकिन, जिस क्षण मेरी महिला अभिभावक ने मेरे लौड़े पर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली, और खुशी-खुशी मेरे अपने शयन कक्ष का दरवाजा खोलते हुए, उन्होंने मुझे काफी बल के साथ अंदर खींच लिया, और अनैतिक संबंध को पूरी तरह से प्रमाणित करने के लिए मेरे होठों को जोर से चूमा।

मेरी मम्मी ने मुझे बेरहमी से बिस्तर पर धकेल दिया, और तेजी से अपने घुटनों पर बैठ गई, उसने बिना समय बर्बाद किए मेरे मांस को निगलने के लिए तत्काल कदम उठाए, जैसे कि वह हमेशा से इसके बारे में कल्पना कर रही थी, और रात भर अपने बेटे के साथ मस्ती करती रही, और जब तक उसे यकीन नहीं हो गया कि उसने उसके युवा लौड़े से वीर्य की आखिरी बूंद भी निचोड़ ली है - मुझे यहाँ स्वीकार करना चाहिए कि मुझे याद नहीं है कि मैंने उस घटनापूर्ण दिन पर कितना वास्तविक प्रतिरोध किया था, लेकिन मुझे इस बात का यकीन है कि यह निश्चित रूप से मैं ही थी जिसने उसके बाद के दिनों और रातों में पहला कदम उठाया था, और साथ ही, कुछ सप्ताह बाद, जब मैं जानबूझकर इस अभद्र व्यवस्था को एक कम निजी मामला बनाने के लिए सहमत हुआ तो यह सब देखकर मैं रो रहा था!!

इसलिए, मुझे लगता है कि यह कहकर निष्कर्ष निकालना सुरक्षित है कि मम्मी के साथ मेरी लड़ाई में, हम दोनों विजेता थे

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आप पढ़ा एक छोटी सी लड़ाई में कौन - कौन जीता
   ..............................  आगे आप पढ़ेंगे आखिर एक बेटा
"अपनी मम्मी को उसके जन्मदिन का सबसे अच्छा उपहार ,, देना चाहता है
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"क्या आप मुझे बता सकती हैं कि आप क्या चाहती हैं?" मैंने अपनी मम्मी से पांच मिनट से भी कम समय में तीसरी बार पूछा।

"कुछ नहीं शुभम। तुम मुझसे कितनी बार यही सवाल पूछोगे... मुझे वाकई कुछ नहीं चाहिए।" उसने जवाब दिया।

"मुझे पता है कि कुछ ऐसा है जो आप चाहती हो कि आपके पास होता। मैंने तुम्हें पापा से बात करते हुए सुना है।" मैंने जोर देकर कहा, और उससे यह बताने की कोशिश की कि उसने पापा से क्या माँगा था।

मेरी मम्मी शालिनी अभी-अभी 41 साल की हुई थीं और मुझे यकीन था कि वह अपने जन्मदिन पर कुछ बहुत खास चाहती होंगी। अन्यथा वह कभी भी मेरे पिता से इस बारे में नहीं पूछतीं।

"हाहा!! यह कुछ भी नहीं था, शुभम ... हम बस सामान्य जीवन के बारे में बात कर रहे थे।" मेरी मम्मी ने बातचीत रोकने की कोशिश की और वाक्य पूरा होते ही रसोई की ओर चली गईं।

मैं उसका पीछा करने लगा और वह जानती थी कि मैं तब तक नहीं रुकूंगा जब तक वह मुझे सच्चाई नहीं बता देती।

मेरे द्वारा प्रश्न दोहराने की प्रतीक्षा किए बिना, मेरी मम्मी ने सीधे मेरी आँखों में देखा, और एक शर्मीली मुस्कान के साथ, एक बम गिरा दिया !!

"मुझे एक बच्चा चाहिए!!" मेरी मम्मी ने कहा, जिससे मैं चौंक गया।

"क्या?!" मैं स्तब्ध रह गया, लेकिन मैं वास्तव में जितना भयभीत था, उससे कहीं अधिक भयभीत लग रहा था।

"सुनो शुभम... मैं जानती हूं कि तुम 22 साल के हो, मैं 41 की हूं और तुम्हारे पापा 62 के हैं। यह अजीब होगा... लेकिन, मैं वास्तव में एक बच्चा चाहती हूं," मेरी मम्मी ने मुझे शांत करने की कोशिश करते हुए समझाया।

मुझे खुशी थी कि उसने ऐसा करने की परवाह की, और मैं पहले ही शांत हो चुका था। लेकिन, वह इस बारे में बहुत गंभीर थी। वह वास्तव में दूसरा बच्चा चाहती थी।

"अरे... यह बहुत बढ़िया रहेगा, मम्मी ।" मैंने सामान्य व्यवहार करने की कोशिश करते हुए कहा। लेकिन, मेरे चेहरे के भावों से साफ पता चल रहा था कि मैं इस बारे में बहुत अनिश्चित हूँ।

शालिनी : हम्म्म...

शुभम : नहीं मम्मी ...मैं सच कह रहा हूँ...

शालिनी : हम्म...ठीक है...

शुभम : हाँ... तो पापा क्या कह रहे हैं??

शालिनी : तुम्हें पहले से ही पता है... तुम अनुमान लगा सकते हो... वह उत्सुक नहीं है। उसे बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है। लेकिन, मैं वास्तव में गर्भवती होना चाहती हूँ। मैं चीजों का फैसला करने के लिए पर्याप्त बड़ी हो गई हूँ!!

शुभम : मैं समझ गया, मम्मी ... आप क्या करने जा रही हैं??

शालिनी : मुझे नहीं मालूम... मैं कृत्रिम गर्भाधान या कुछ और करने के बारे में सोच रही थी।

शुभम : लेकिन, क्या यह जोखिम भरा नहीं है, मम्मी ?? मेरा मतलब है, इस उम्र में... और, तब भी जब आप सामान्य रूप से बच्चे को पाल सकती हैं।

शालिनी : मुझे पता है, शुभम ... लेकिन, मैं और क्या कर सकती हूँ?? तुम तो जानते हो कि मैंने कितने अजनबी को अपनी टाँगें फैला कर दिया और उससे मेरे अंदर वीर्यपात करने की भीख भी मांगी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ!!

मैं अपनी मम्मी की कही बात सुनकर चौंक गया। यह पहली बार था जब हम किसी ऐसी निजी और संवेदनशील बात पर बात कर रहे थे। और, यह भी पहली बार था कि मेरी मम्मी ने मेरे लिए कुछ ऐसा अनुचित कहा। मुझे यकीन नहीं हुआ कि उन्होंने ऐसे शब्द इस्तेमाल किए।

मेरी मम्मी को भी इसका एहसास हुआ और उन्होंने तुरंत माफ़ी मांगी। उन्हें पता था कि उन्होंने ज़्यादा प्रतिक्रिया दी थी।

"मुझे बहुत खेद है, शुभम । यह बात मेरे मुंह से निकल गई। आज मैं इतनी चिड़चिड़ी हो गई, इसके लिए कृपया मुझे माफ कर दीजिए।" मेरी मम्मी यह वाक्य पूरा करते हुए लगभग रोने लगी।

वह मेरे करीब आई और अपना दाहिना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया। उसे दर्द हो रहा था। यह स्पष्ट था।

"मुझे बहुत दुख हो रहा है, शुभम ... मैं सच में एक बच्चा चाहती हूँ... मैं तुम्हारे पापा पर बहुत गुस्सा हूँ। मैं उनसे इतने समय से कह रही हूँ, अब... मुझे लगता है कि मैं अपना संयम खो रही हूँ।" उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।
"मम्मी ... प्लीज!! कोई बात नहीं, मम्मी ... मैं समझ गया। मैं आपकी बात पूरी तरह से समझता हूँ।" मैंने उसे सांत्वना देने की कोशिश की, तभी उसका शरीर मेरे ऊपर गिर पड़ा, और उसने मुझे कसकर गले लगा लिया, और रोने लगी।

मेरी मम्मी को जागे हुए दो घंटे हो चुके थे, लेकिन वह अभी भी वही टी-शर्ट और पायजामा पहने हुए थी, जो उसने कल रात पहना था।

( मैंने आपको बताया था कि मेरे पिता जी कुछ दिनों कि छुट्टी लेकर घर आये हुऐं है )

वह अपने पति के लिए नाश्ता बनाते समय उनसे दूसरे बच्चे के लिए आग्रह और बहस कर रही थी।

और हालांकि पिताजी हमेशा की अपेक्षा कुछ समय पहले ही अपने कमरे में चले गए थे, लेकिन मेरी मम्मी ने अपनी नियमित सूती कुर्ती और पायजामा पहनने की जहमत नहीं उठाई थी।

उसने अपने कुर्ती के नीचे ब्रा नहीं पहनी हुई थी और जब उसने मुझे गले लगाया तो उसके मुलायम स्तन मेरी छाती से दब गए। यह एक ऐसा विवरण था जो किसी अन्य अवसर पर मुझे परेशान नहीं करता, लेकिन मुझे लगा कि स्थिति को देखते हुए इसे स्वीकार किया जाना चाहिए।

हालाँकि हम दोनों ने कपड़े पहने हुए थे, फिर भी मैं उसके सख्त निप्पलों को अपने शरीर पर महसूस कर सकता था।

मैंने कभी भी उसे ध्यान से नहीं देखा, लेकिन हमेशा महसूस किया कि मेरी मम्मी के स्तन बहुत ही सुंदर और बड़े थे। मुझे उसे दबाना बहुत अच्छा लगा, और मैंने पाया कि मैं अपने आप ही उसे गले लगा रहा था।

यह मुझे उत्तेजित कर रहा था, और मैं अपने लौड़े को कठोर होते हुए महसूस कर सकता था। मेरी मम्मी को भी निश्चित रूप से मेरा लौड़े अपने ऊपर धकेला हुआ महसूस होता। लेकिन, हम दोनों में से किसी ने भी एक शब्द नहीं कहा, और हम बस एक दूसरे को गले लगाते रहे।

"चलो मैं तुम्हें नाश्ता परोसती हूँ..." मेरी मम्मी ने अंततः गले मिलते हुए कहा।

वह मेरे बगल में बैठी, मुझे खाते हुए देख रही थी, लेकिन कुछ नहीं बोली। वह खुश नहीं थी, और यह दिख रहा था।

जैसे ही मैंने अपना खाना खत्म किया, मैंने उसे जन्मदिन की बहुत-बहुत शुभकामनाएं दीं और उसके गालों पर चूमा। उसने बहुत सहजता से मुझे धन्यवाद दिया, लेकिन फिर भी वह निश्चित रूप से निराश थी।

मैंने सोचा कि मैं उसके जन्मदिन का गीत गाकर उसे खुश कर दूँगी। हालाँकि, मुझे लगा कि अगर मैं उसके अनुसार काम करूँ तो बेहतर होगा। लेकिन, मैं उसे यूँ ही टूटा हुआ नहीं छोड़ सकती थी।

यह महत्वपूर्ण था कि मैं उससे बात करूँ, और सुनिश्चित करूँ कि वह ठीक है, लेकिन यथार्थवादी भी रहूँ। मैं उसे बहुत ज़्यादा उम्मीदें नहीं देना चाहता था, और उसे और ज़्यादा दुख नहीं पहुँचाना चाहता था।

शुभम : ठीक है, मम्मी ... हमने पहले कभी ऐसी बातचीत नहीं की है... और, हम पहले से ही जानते हैं कि यह आसान नहीं होगा... लेकिन... चलो प्रजनन के बारे में बात करते हैं। शायद हमें कोई रास्ता मिल जाए।

शालिनी : इसका क्या फायदा, शुभम ? तुम इस बारे में बात करके अपना समय क्यों बर्बाद करना चाहते हो?

शुभम : मम्मी , आप मुझसे और क्या करवाना चाहती हैं?

शालिनी : कुछ नहीं। मैं नहीं चाहती कि तुम कुछ करो। मैं ठीक हूँ...

शुभम : तुम ठीक नहीं हो!!

शालिनी : मैं... तुम्हें मेरी चिंता करने की ज़रूरत नहीं... लेकिन...

शुभम : लेकिन क्या??

शालिनी : अगर आपको लगता है कि इसका कोई व्यावहारिक समाधान है तो कृपया मुझे बताएं।

शुभम : मम्मी , व्यावहारिक से आपका क्या मतलब है?

शालिनी : क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जिस पर हम भरोसा कर सकें?

शुभम : क्या?! मम्मी !!

शालिनी : मेरा मतलब है... क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो मेरे साथ ऐसा करने में रुचि रखता हो??

शुभम : ओह माई... मम्मी ... आप ऐसा कैसे कर सकती हैं... मम्मी ?! यह क्या है??

शालिनी : शिट... मुझे बहुत खेद है, शुभम ... ओह... शिट... मुझे नहीं पता... मुझे नहीं पता कि क्या करना है। तुम्हें इतनी तकलीफ देने के लिए मुझे खेद है। मैं अपने विचारों को ठीक से समझ नहीं पा रही हूँ।

शुभम : मैं किसी को नहीं जानता, मम्मी ... और मैं किसी से पूछ भी नहीं सकता। यह गलत होगा। मेरा मतलब है... तुम जानती हो कि इसका अंत क्या होगा... हर कोई इसे बहुत बुरी तरह से लेगा।

शालिनी : मुझे पता है, शुभम ... कृपया मुझे माफ़ कर दें... मुझे खेद है कि मैंने यह सुझाव देने की कोशिश भी की... मुझे खेद है कि मैंने पूछा कि क्या आपके दोस्त या कोई ऐसा व्यक्ति जिसे आप जानते हैं, मेरे बारे में ऐसा सोचते हैं... मुझे खेद है... यह शर्मनाक होगा... बहुत शर्मनाक। वे केवल यही सोचेंगे कि आप अपनी मम्मी को धोखा दे रहे हैं, और वह एक नैतिकहीन महिला है।

शुभम : मुझे माफ़ करना मम्मी ... लेकिन, ऐसा ही होगा।

मेरी मम्मी परेशान थी, और मैं भी। यह कुछ मिनट बहुत परेशान करने वाले थे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम कभी इतने अफसोसजनक विचारों का आदान-प्रदान करेंगे।

हालाँकि, मुझे यह भी पता था कि मैंने अपनी मम्मी को इतना दुखी कभी नहीं देखा था। वह स्पष्ट रूप से निराश महसूस कर रही थी, और अपने बेटे से जो कुछ करने के लिए कह रही थी, उससे घृणा भी कर रही थी।

लेकिन, आश्चर्य की बात यह थी कि मैंने देखा कि उसका उदास चेहरा अचानक चमक उठा।

" रूद्र " के बारे में क्या? वह बहुत प्यारा लड़का है... जब हम उसे बताएंगे तो वह समझ जाएगा। और, हम इसे परिवार के भीतर भी रख सकते हैं," मेरी भ्रमित मम्मी ने खुशी के भाव के साथ कहा।

रूद्र अनमोल का चचेरा भाई था और मेरी मम्मी सुझाव दे रही थी कि हम इस 'काम' को पूरा करने के लिए उसका सहयोग लें।

"शुभम, तुम उससे बात करने की कोशिश क्यों नहीं करते? तुम उसके बहुत करीब हो।" उसने आगे कहा।

मेरी मम्मी अपनी इच्छा को आसानी से भूलने वाली नहीं थी। उसे इसकी इतनी सख्त ज़रूरत थी कि उसे इस बात की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी कि उसके इस काम के क्या परिणाम हो सकते हैं।

बिल्कुल वैसा ही जैसा मेरी मम्मी ने महसूस किया और कहा, मैं वाकई रूद्र के बहुत करीब था। और, यही वजह थी कि मैं उनसे कभी इस असामान्य मदद के लिए नहीं कहने वाला था।

क्योंकि, उसके लिए, यह एक अवसर होने जा रहा था... मेरी मम्मी के साथ बिस्तर पर सोने का मौका... एक मूल्यवान क्षण जिसके लिए वह हमेशा से तरस रहा था।

मुझे पता था कि वह मेरी मम्मी के लिए वासना रखता था। मैंने खुद उसे कई बार उसकी सजी-धजी छातियों को घूरते हुए देखा था। मुझे पता था कि वह अपने मन में मेरी प्यारी मम्मी को नीचा दिखा रहा था, लेकिन मैं इसके बारे में कुछ नहीं कर सकता था।

मुझे लगा कि मुझे उससे सवाल पूछना चाहिए और उसे रोकना चाहिए, लेकिन उसके आस-पास बहुत ही डराने वाला माहौल था। मुझे चिंता थी कि कहीं मेरा हस्तक्षेप उसे मेरी मम्मी को चोट पहुँचाने और इस तरह अपनी कामुक इच्छाओं को पूरा करने के लिए उकसाएगा या नहीं।

"नहीं मम्मी ... रूद्र नहीं।" मैंने तुरंत कहा।

"लेकिन, क्यों?! मुझे लगता है कि वह सुरक्षित है... और... अगर तुम उससे नहीं पूछोगे, तो मैं पूछूंगी," मेरी मम्मी ने कहा और मुझे एक मुश्किल स्थिति में छोड़ दिया।

उससे यह अनुग्रह मांगना, मेरी परिपक्व मम्मी के साथ यौन संबंध बनाने के उसके बड़े सपने को पूरा करने के लिए उससे अपील करने के समान था।

"मम्मी ... नहीं... मत करो... बात यह है कि... वह इसके लिए सही लड़का नहीं है। वह... रूद्र समलैंगिक है!!" मेरे पास कोई रास्ता नहीं था कि मैं उनका मिलन होने दूँ, और मुझे अपनी मम्मी से अपने दोस्त के भाई के यौन रुझान के बारे में झूठ बोलना पड़ा।

"ओह..." मेरी मम्मी ने बस अपना सिर हिला दिया। रूद्र की पसंद के बारे में सुनकर उनका चेहरा थोड़ा हैरान हो गया, लेकिन फिर उन्होंने तुरंत मेरी तरफ़ देखना शुरू कर दिया।

"तुम्हारा क्या हाल है, शुभम ?" मेरी मम्मी ने बहुत शांति से पूछा।

"चलो, मम्मी ... इससे क्या फर्क पड़ता है? और, वैसे भी इस पर चर्चा करने का यह कोई समय नहीं है... लेकिन, मैं निश्चित रूप से समलैंगिक नहीं हूँ!!" मैंने बिना प्रभावित हुए तुरंत उत्तर दिया।

"नहीं...नहीं...मेरा यह मतलब नहीं था..." मेरी मम्मी ने स्पष्ट करना शुरू किया।

"मैंने यह पूछने की कोशिश की कि क्या तुम यह कर सकते हो!! मुझे पता है कि यह तुम्हें बताने के लिए सबसे उचित बात नहीं है। लेकिन... मुझे लगता है कि तुम सही विकल्प हो। जब तुम यह करोगे, तो तुम अपनी आँखें बंद कर सकते हो, शुभम ... मैं पिछले साल पार्टी के लिए इस्तेमाल किया गया मुखौटा भी पहन सकती हूँ... या, शायद, अपने चेहरे को अपने शॉल में से एक से पूरी तरह से लपेट सकती हूँ... तुम बस कल्पना कर सकते हो कि तुम किसी और के साथ संभोग कर रहे हो।" मेरी मम्मी ने बहुत ही सहज स्वर में कहा, जिससे मैं अवाक रह गई।

वह पूरी तरह से पागल हो चुकी थी। कोई भी समझदार महिला इतनी अपमानजनक बात कहने की हिम्मत नहीं करेगी। और, अपने बेटे से तो बिल्कुल भी नहीं।

जब मेरी मम्मी ने मुझे अपना विचार बताना समाप्त किया, तब तक मैं पूरी तरह से हिल चुका था। वास्तव में, मैं अभी भी इस तथ्य को स्वीकार करने की कोशिश कर रहा था कि उसने 'कमबख्त' शब्द का इस्तेमाल किया था।

उन्होंने जो प्रस्ताव रखा वह मेरे लिए अस्वीकार्य था और मैंने उसे तुरंत अस्वीकार कर दिया।

"नहीं, मम्मी !! मुझे लगता है कि हमें पिताजी के साथ बैठकर इस बारे में बात करनी चाहिए। मैं उन्हें मना सकता हूँ... मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि... कृपया मुझसे इस तरह बात न करें, मेरी प्यारी मम्मी ... आप जानती हैं कि इस तरह की बात हमारे रिश्ते को कैसे प्रभावित करेगी... कुछ भी पहले जैसा नहीं रहेगा।" मैंने उन्हें यह एहसास दिलाने की कोशिश की कि उनकी योजना का हम सभी पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
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"मुझे कोई परवाह नहीं है, शुभम। मुझे कोई परवाह नहीं है। मुझे एक बच्चा चाहिए। मुझे बस यही पता है। मैं फिर से जन्म देना चाहती हूँ... यह एक महिला का अधिकार है!! मैं तुम्हारे पिता से बच्चे के लिए भीख नहीं माँगने वाली हूँ," मेरी मम्मी ने रूखे स्वर में कहा, और रो पड़ी।

"यह एकमात्र उपहार है जो मैं चाहती हूँ... और, तुम कभी नहीं समझ पाओगे... क्योंकि, तुम एक लड़के हो!! लेकिन, जरा इसके बारे में सोचो... क्या तुम्हें नहीं लगता कि मैं कम से कम इसकी हकदार हूँ?? तुम्हारे और तुम्हारे पिताजी के लिए, अपना पूरा जीवन सब कुछ करने के बाद!!" मेरी मम्मी जोर से रो रही थी।

"तुम सबको इसका पछतावा होगा... मेरे साथ इतना बुरा व्यवहार करने का तुम्हें पछतावा होगा..." मेरी मम्मी ने तीखी आवाज़ में कहा।

"ठीक है!! मैं यह करूँगा, मम्मी !! मैं तुम्हारे लिए यह करूँगा!! बस रोना बंद करो!!" मुझे नहीं पता कि मेरे अंदर क्या चल रहा था, लेकिन मुझे वाकई लगा कि मेरे पास ज़्यादा विकल्प नहीं थे। मैं मजबूर महसूस कर रहा था।

"लेकिन, किसी को कभी पता नहीं चलेगा!! यहाँ तक कि पिताजी को भी नहीं। तुम्हें उन्हें विश्वास दिलाना होगा कि यह उनका बच्चा है।" मैंने अपनी मम्मी की बहुत ही अभद्र, पापपूर्ण और निषिद्ध मांग पर सहमति जताते हुए कहा।

सच कहूँ तो, मेरी मम्मी ने मुझे यह एहसास दिलाया कि मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। और, वह बहुत आसानी से मुझे यह समझाने में कामयाब रही कि एक बेटे के तौर पर मैं उनके लिए कम से कम इतना तो कर ही सकता हूँ।

मुझे नहीं पता कि क्या यह एक जाल था, और क्या मेरी मम्मी को यकीन था कि वह मुझे अपने जाल में फंसा सकती है। लेकिन, मैं उसके झांसे में आ गया।

"हाँ?! तुम करोगे?? सच में?! ओह, शुभम... मेरे प्यारे बेटे... बहुत बहुत धन्यवाद... मैं तुमसे प्यार करती हूँ!!" वह खुशी से हँसी, अपने आँसू पोंछते हुए, इसके बाद के प्रभावों के बारे में कम चिंतित थी।

और, उसने मेरी जांघों की तरफ देखा, मुस्कुराई, जिससे मैं घबरा गया। यह पहली बार था जब मैंने अपनी मम्मी को मेरी मर्दानगी की जांच करते देखा।

मेरा लौड़े पूरी तरह से खड़ा नहीं था, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। क्योंकि, मेरी मम्मी के चेहरे पर बहुत प्रसन्नता का भाव था।
जहां तक उसका सवाल था, वह केवल एक अस्थायी उपकरण चाहती थी, जिससे उसका गर्भाशय वीर्य से भर सके और उसे वह मिल भी गया था।

"यह बहुत जल्द खत्म हो जाएगा, शुभम। बस कुछ सेकंड ही मैं मांग रही हूं।" मेरी मम्मी ने मेरे बालों को सहलाते हुए भावुकता से मुस्कुराते हुए कहा।

हालाँकि, मेरी मम्मी को यह नहीं पता था कि मैंने अपने पूरे जीवन में केवल दो बार ही हस्तमैथुन किया था और सफलतापूर्वक चरमसुख तक पहुँचा था।

मुझे ऑर्गेज्म तक पहुँचने में समस्याएँ आ रही थीं। पहली बार मैं 40 मिनट तक अपने लौड़े को सहलाने के बाद आया था, और दूसरी बार सिर्फ़ एक घंटे बाद।

मैंने एक बार सेक्स किया था, लेकिन मेरा वीर्य स्खलन नहीं हुआ।

मेरी मम्मी ने पूछा कि क्या मुझे सिर्फ़ खुद को छूना चाहिए, शिखर तक पहुँचना चाहिए और उसके बाद ही उसकी चूत में प्रवेश करना चाहिए। लेकिन, उसने तुरंत खुद को सुधारते हुए कहा कि इस प्रक्रिया में स्वस्थ शुक्राणुओं के नष्ट होने की संभावना है, और मुझे अपना लौड़े सामान्य रूप से उसके छेद में डालना चाहिए।

निर्णय ले लिया गया था और अब पीछे मुड़ने का कोई रास्ता नहीं था।

मेरी मम्मी किसी भी कीमत पर एक बच्चा चाहती थीं और मैंने उनसे वादा किया था कि मैं उन्हें एक बच्चा उपहार में दूंगा।

उनके 41वें जन्मदिन पर उनके अपने बेटे ने अपनी मम्मी को सबसे विशेष उपहार भेंट किया।

मैंने अपनी मम्मी की कसी हुई छोटी सी गांड को हिलते हुए देखा, जब वह मेरे सामने चल रही थी, मेरा हाथ पकड़ रही थी, और मुझे अपने बेडरूम के अंदर खींच रही थी।

मैं अपनी ही मम्मी को गर्भवती करने जा रहा था!!
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"क्या तुम कुंवारे हो?" मेरी मम्मी शालिनी ने मुझसे त्वरित और लगभग उदासीन स्वर में पूछा।

अभी सुबह का समय था और उसके शयनकक्ष के सभी पर्दे बंद थे।

लेकिन उसने दोबारा जांच की, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी दरारों से नहीं देख सके, और खिड़कियां भी खुली न हों, क्योंकि वह मुझसे बात करती रही।

"क्या तुम वर्जिन हो, शुभम ?" मुझसे कोई उत्तर न पाकर उसने अपना प्रश्न दोहराया।

मैं निश्चित रूप से इस घटनाक्रम से हैरान था , लेकिन मुझे इससे भी अधिक आश्चर्य इस बात पर हुआ कि मेरी मम्मी इस कृत्य के लिए तैयार होने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखा रही थीं।

"ओह... धिक्कार है!! इस अलमारी की चाबियाँ तुम्हारे पिताजी के पास हैं... कौशिक बहुत तकलीफदेह है," मेरी मम्मी ने सिर हिलाते हुए कहा, क्योंकि वह असफल रूप से अपने शॉल ढूंढ रही थी।

"मुझे पूरा यकीन है कि मास्क भी इसमें है... अब हमें कुछ और सोचना होगा... बस समय बर्बाद नहीं किया जा सकता..." मेरी मम्मी खुद से बात कर रही थी, और उसकी आवाज़ में स्पष्टता ने मुझे बहुत परेशान कर दिया।

मैं उसकी भावनाओं को समझने के लिए काफी मानवीय था। एक और बच्चा पैदा करने की उसकी इच्छा पूरी तरह से जायज़ थी।

लेकिन, वह इस कठोर सत्य के प्रति बहुत असंवेदनशील थी कि वह अपने विकृत मिशन को पूरा करने के लिए अपने ही बेटे का इस्तेमाल कर रही थी।

मुझे इस बात से बहुत दुख हुआ कि मेरी मम्मी उस मानसिक पीड़ा को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थीं जिससे मैं गुजर रहा था।

मुझे यकीन था कि मैं ऐसा नहीं करना चाहता था।

मुझे यकीन था कि मुझे इसके लिए मजबूर किया गया था।

हालांकि मुझे कोई धमकी या छल नहीं किया गया, लेकिन मुझे अपनी मम्मी को गर्भवती करने के लिए भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल किया गया!!

"जब हम ऐसा करेंगे तो मैं सचमुच आपकी ओर नहीं देख पाऊंगा, मम्मी !!" मैंने अंततः कहा, यह महसूस करते हुए कि चीजें बदतर होती जा रही थीं।

"अगर यह तुम्हारे लिए इतना मुश्किल है तो बस अपनी आँखें बंद रखो..." मेरी मम्मी ने सबसे बेपरवाह तरीके से जवाब दिया। जिस तरह से वह बोल रही थी उसमें एक निश्चित मात्रा में शत्रुता थी, और मुझे यह पसंद नहीं आ रहा था।
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मैं क्रोधित था, अपने ऊपर नियंत्रण खोता हुआ महसूस कर रहा था, और विचारों में खोया हुआ था, तभी मेरी मम्मी ने अपना अगला प्रश्न पूछकर मेरा ध्यान आकर्षित किया।

"तुम मुझे पीछे से चोदोगे, शुभम ?" उसने पूछा, बहुत खुश दिख रही थी, उसने अपने शब्दों के चयन से मुझे हिला दिया।

वह पूरी तरह से कपड़े पहने हुए थी। लेकिन, जब वह मुझसे बात कर रही थी, तो वह पहले से ही बिस्तर पर थी। और, वह चारों पैरों पर थी!!

उसने अपने नितम्बों को थोड़ा बाहर धकेला और वह तैयार हो गई!!

"फिर हमें एक-दूसरे से मिलने की ज़रूरत नहीं है!! क्या अब तुम खुश हो?!" उसने आगे कहा, और मुझे आश्वस्त भाव से देखा, उम्मीद करते हुए कि उसने मेरा विश्वास जीत लिया है।

मैं घटित हो रही घटनाओं में अज्ञानता की व्यापकता को स्वीकार नहीं कर सका।

ऐसा लग रहा था जैसे स्थिति का मिजाज पूरी तरह बदल गया हो।

ऐसा लग रहा था मानो यह किसी कामुक कहानी का कथानक हो, जिसे लेखक अपने अन्य लंबित कार्यों से मिले छोटे-छोटे ब्रेक के दौरान लिख रहा था, और उसने कार्यवाही पर अपनी पकड़ खो दी थी।

जिस प्रकार लेखक ने वर्तमान प्रकरण लिखना शुरू करने से पहले अपनी कहानी का प्रारंभिक भाग पढ़ने की जहमत नहीं उठाई, उसी प्रकार मेरी माँ भी हमारे जीवन के अब तक के सुन्दर क्षणों को याद करने में उदासीन लग रही थीं।

ऐसा लग रहा था जैसे हमारे बीच का रिश्ता अब उसके लिए कोई मायने नहीं रखता।

क्योंकि मेरी मम्मी का एक दब्बू टूटी हुई महिला से, अनुचित अनुग्रह के लिए विनती करने वाली, एक दबंग व्यक्ति में बदल जाना, जो सीधे आदेश देती थी, बहुत ही परेशान करने वाला था। इसने मुझे बहुत प्रभावित नहीं किया।

"तुम इतने हैरान क्यों दिख रहे हो? क्या तुमने पहले कभी कोई महिला नहीं देखी? इतना अजीब व्यवहार करना बंद करो, शुभम। यह कोई बड़ी बात नहीं है!!" मेरी मम्मी ने मुझे हैरान देखकर जोर दिया।

मैं बस उसके बिस्तर के पास खड़ा रहा , अवाक। मुझे लगा जैसे मैं हिल नहीं सकता।

शालिनी : तो... तुमने पहले कभी सेक्स नहीं किया?? कॉलेज में पूरा एक साल बिताने के बाद भी नहीं?? शुभम !! हैलो?! क्या तुम सुन रहे हो??

शुभम : उह... हाँ... मेरा मतलब है, नहीं... मम्मी ...

शालिनी : आप मुझे सच बता सकते हैं...

शुभम : मम्मी !!

शालिनी : सच बताओ शुभम !!

शुभम : मैंने सेक्स किया था, मम्मी ... सिर्फ एक बार...

शालिनी : ओह... बढ़िया। तब तो यह आसान हो जाएगा...

शुभम : मम्मी...

शालिनी : वह कौन था? तुम्हारा पहला अनुभव किसके साथ था?

शुभम : मम्मी ... प्लीज!! मुझसे यह मत पूछो।

शालिनी : ठीक है, पर ये तो बताओ... क्या कोई है जिसके साथ तुम सेक्स करना चाहते हो?

शुभम : क्या?!

शालिनी : कॉलेज से कोई?? या, रुको!! मैंने तुमसे यह कभी नहीं पूछा... क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?? तुम ज़रूर उसके साथ बिस्तर पर रहना चाहोगे।

शुभम : क्या हमें इस बारे में बात करने की ज़रूरत है, मम्मी ?? प्लीज़!!

शालिनी : ठीक है... फिर कोई बात नहीं। मैं सिर्फ़ यह कहना चाह रही थी कि तुम मुझे उसकी तरह कल्पना कर सकते हो... मेरा मतलब है कि तुम सोच सकते हो कि तुम किसी ऐसे व्यक्ति को भेद रहे हो जिसे तुम हमेशा से चाहते थे... मुझे लगा कि इससे तुम्हें मदद मिलेगी।

शुभम : मम्मी ?!

शालिनी : कोई बात नहीं... आप कल्पना कर सकते हैं कि आप उसी महिला के साथ सेक्स कर रहे हैं जिसके साथ आपने पहली बार सेक्स किया था।

शुभम : यह ठीक नहीं है... मेरा मतलब है... मुझे नहीं लगता कि यह जरूरी है, मम्मी ।

शालिनी : क्यों?! यह वास्तव में हमारी मदद कर सकता है, शुभम । तुम्हें एहसास है कि ऐसा करने के लिए तुम्हें यौन रूप से उत्तेजित होने की ज़रूरत है, है न?? मेरे अंदर प्रवेश करने से पहले तुम्हारा लंड पूरी तरह से उत्तेजित होना ज़रूरी है। तो, बस यह सोचो कि मैं वही लड़की हूँ जिसके साथ तुमने अपना कौमार्य खोया था, और अपने आप को सही मानसिक स्थिति में लाओ।

शुभम : मम्मी !! प्लीज... नहीं!! बस ऐसा कहना बंद करो।
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शालिनी : क्यों?! क्या हुआ?? तुम इतना ज़्यादा क्यों रिएक्ट कर रहे हो, शुभम ?!

शुभम : क्योंकि मेरा पहला अनुभव एक महिला मित्र के साथ था!! मैं आपको महिला मित्र के रूप में कल्पना भी नहीं कर सकता। मैं यह सोचकर ऐसा नहीं कर सकता कि आप उनमें से एक हैं, मम्मी!!

शालिनी : अरे वाह... रुको, समझाने की ज़रूरत नहीं है!!

शुभम : मुझे माफ़ कर दो, मम्मी । यह बस हो गया। मुझे अब इसका पछतावा है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मेरे सभी दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स कर रहे थे, और मैं भी सच में सेक्स करना चाहता था। मैं उस समय किसी के साथ डेटिंग नहीं कर रहा था, और मैं गिरोह में अकेला वर्जिन था।

शालिनी : आपको ऐसा करने की जरूरत नहीं है... आप रुक सकते हैं...

शुभम : नहीं, मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ... और, जब मुझे इस महिला मित्र के साथ मौक़ा मिला, तो मैं खुद को रोक नहीं पाया। इससे पहले कि मैं उसके साथ ऐसा करता। मैं इससे बच सकता था। लेकिन, मैंने ऐसा नहीं किया। मुझे सच में बहुत दुख है, मम्मी। कृपया मुझ पर नाराज़ मत होइए।

शालिनी : नहीं...नहीं शुभम...मैं नाराज़ नहीं हूँ।

शुभम : मुझे माफ़ कर दो!!

शालिनी : मैं नाराज़ नहीं हूँ, शुभम।

शुभम : हाँ??

शालिनी : हाँ, तुम 22 साल की हो। यह सामान्य बात है।

शुभम : तुम्हें यकीन है??

शालिनी : हाँ, शुभम।

शुभम : ओह... मुझे लगा कि तुम परेशान हो, और इसीलिए तुमने मुझे समझाने की जहमत न उठाने को कहा। तुम्हें सच में यह सुनकर घिन नहीं आई??

शालिनी : नहीं!! खैर... परेशान न होने से मेरा मतलब था कि उन चीजों के बारे में सोचना बंद करो जो तुम्हें परेशान करेंगी। मेरा मतलब है.. यह कुछ भी नहीं है। बस इसे छोड़ दो... तुम इसके बारे में चिंता मत करो। ठीक है, शुभम ?? बस वर्तमान में रहो। अपने आप पर अवांछित दबाव मत डालो। यह ठीक है। बस कल्पना करो कि तुम मुझे चोद रहे हो। बस कल्पना करो कि तुम अपनी मम्मी को चोद रहे हो!!

"क्या बकवास है?!" मुझे विश्वास नहीं हुआ कि उसने ऐसा कहने की हिम्मत की।

मैं उसे इस तरह से व्यवहार करते देख कर हैरान रह गया। यह वास्तव में मुझे डरा रहा था।

मेरी मम्मी ने जो कुछ कहा, वह बिल्कुल भी वैसा नहीं था जैसा मैं सुनना चाहता था। यह निश्चित रूप से वह प्रेरणा नहीं था जिसकी मुझे तलाश था। मैं इसके लिए तैयार नहीं था।

हालाँकि, अगर मैं यह कहूँ कि इनमें से किसी का भी मुझ पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, तो मैं झूठ बोलूँगा।

मैं इस समय तक तो अकड़ा हुआ था, लेकिन जब मैंने अपनी मम्मी की बात सुनी, तो मेरा लौड़े बहुत उत्तेजित हो गया।

मैंने नीचे अपने लौड़े की ओर देखा, और सूजन स्पष्ट थी, यहां तक कि मेरे आरामदायक वस्त्र के ऊपर भी।

मैं इस पर बहस कर सकता था, लेकिन उत्तेजित महसूस न करना असंभव था।

"करीब आएं..."

"शरमाओ मत, शुभम।"

"तुम अपनी मम्मी के साथ हो..."

"बस आराम करो, मेरे बेटे।"

"तुमने अपना सिर नीचे क्यों किया है?"

"मेरी तरफ देखो!!"

मैं अपनी मम्मी को बात करते हुए सुन सकता था, लेकिन मैं वहाँ नहीं था।

मैं अपनी ही दुनिया में था। मैं एक अंधेरी धुंधली कल्पना के अंदर था।

तब तक, उसके फोन की घंटी की आवाज से मुझे होश आ गया।

"सुनो शुभम... मुझे लगता है कि मैं बिस्तर पर खुद को इस तरह संभाल सकती हूँ..." मेरी मम्मी ने आत्मविश्वास से कहा।

इस पूरी बातचीत के दौरान वह चारों पैरों पर खड़ी रही और उसने केवल एक बार अपना स्थान बदला, वह था अपना फोन देखने के लिए, जो लगातार बजता रहा।

"जन्मदिन की शुभकामनाएं इंतजार कर सकती हैं!!" यही उन्होंने कहा था, जब उन्होंने फोन करने से मना कर दिया था।

"वैसे भी इसमें ज्यादा समय नहीं लगेगा। चलो हम इसे डॉगी स्टाइल में ही करते हैं!!" मेरी मम्मी ने आगे कहा, और बहुत स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि उन्होंने तय कर लिया है कि हम यह कैसे करेंगे।

"शुभम, बिस्तर पर आओ!! और, मेरी पीठ के पास आओ। अभी!!" वह शर्तें तय कर रही थी।

मेरी मम्मी ने तुरंत बताया कि वह अपनी गुलाबी रंग की टी-शर्ट पहने रहेंगी, और मुझसे उनकी नीली फूलों वाली पायजामा पैंट उतारने में मदद करने को कहा।

"तो आप समझ गए... मैंने डोरी ढीली कर दी है, और प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। मुझे नहीं लगता कि मैं इस स्थिति से और कुछ कर सकता हूँ। तो, आप क्यों नहीं..." उसने वाक्य अधूरा छोड़ दिया।

मेरी सजगता के कारण, मेरे हाथ पहले से ही उसके नितंबों पर थे, और मेरी मम्मी जानती थी कि मैं आवश्यक कार्य करूंगा।

"ओह... बकवास!!" मैंने उसकी अघोषित लेकिन पूरी तरह से सुडौल गांड और उसकी कामुक जांघों के पीछे के हिस्से का शानदार दृश्य देखकर हांफते हुए कहा, जब मैंने उसकी पैंट को और नीचे सरकाया।

मुझे हमेशा से पता था कि मेरी मम्मी बहुत गोरी नहीं थीं और उनकी त्वचा का रंग मध्यम था।

लेकिन, यह बहुत चिकनी और रेशमी लग रही थी, उसकी सुडौल टांगें चमक रही थीं, जो उसकी हॉटनेस को और बढ़ा रही थीं।

शायद, ऐसा इसलिए था क्योंकि मैंने कभी भी उनकी किसी भी अश्लील परिस्थिति में कल्पना नहीं की थी, इसलिए मुझे यह एहसास नहीं हुआ कि मेरी मम्मी वास्तव में कितनी आकर्षक थीं।

वास्तव में, मुझे लगा कि जब उसने मुझसे अपनी पैंट पूरी तरह से उतारने को कहा, तब तक मैं चरमसुख प्राप्त कर चुका था।

कपड़े का एकमात्र टुकड़ा जो अब मेरी मम्मी को अपने निजी अंगों को अपने बेटे के सामने उजागर करने से रोकता था, वह था उनकी लो राइज़ बिकिनी पैंटी।

पतली साटन की जोड़ी की गहरे गुलाबी रंग की चमकदार बनावट ने मेरी मम्मी के नितंबों को बहुत स्वादिष्ट बना दिया, लेकिन जिस चीज ने मुझे चौंका दिया, वह थे उस पर छपे शब्द।

"मेरे कपड़े फाड़ दो!! तुम्हें मेरे गंदे छेदों पर पछतावा नहीं होगा!!" यह काले रंग में लिखा था।

मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि मेरी मम्मी ऐसे उत्तेजक अंडरवियर के ऊपर अपने अर्ध-आधुनिक लेकिन सभ्य परिधान पहनकर घूमती थीं।

यदि मेरे सामने मेरी अपनी मम्मी न होती, तो मैं उसे सबसे अधिक पशुवत तरीके से छेद देता।

और फिर, उसे कपड़े पहनाओ, केवल उसके कपड़े फाड़ने के लिए, और उसके छेदों को भरने के लिए, फिर से, ठीक वैसे ही जैसे उसने भीख मांगी थी।

यदि यह ऐसी स्थिति होती जिसमें मेरा कोई अधिक उत्सुक, तथा कम परेशान संस्करण शामिल होता, तो मैं निश्चित रूप से उसकी ताना मारने वाली पैंटी को लाखों छोटे-छोटे टुकड़ों में फाड़ देती!!

मैं ख़ुशी-ख़ुशी भूल जाता कि वह मेरी मम्मी थी!! मैं इतना कामुक महसूस कर रहा था!!

मुझे पहले से ही पता था कि वह ब्रा नहीं पहनती है, और पैंटी के उसके चयन से मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या देर रात तक ब्रा न पहनने के पीछे उसकी कोई आदत नहीं थी।

मैं तो यह भी सोचता था कि क्या मेरी मम्मी का भी कोई छिपा हुआ पक्ष है जिसके बारे में मैं कुछ नहीं जानता... उनके व्यक्तित्व का कोई गुप्त हिस्सा जो उन्हें सेक्सी चिढ़ाने वाली बनने के लिए प्रोत्साहित करता था...

यह बहुत ही गंदा विचार था। लेकिन मेरे दिमाग में यह विचार आने का पूरा हक था, खासकर तब जब वह मेरे सामने खड़ी थी और उसका पिछला हिस्सा मुश्किल से ढका हुआ था।

"तुम किसका इंतज़ार कर रहे हो, शुभम ?? इसे उतारो!! मेरी पैंटी नीचे खींचो।" मेरी मम्मी ख़ुशी से चिल्लाई, और मुझे मेरे वर्तमान उद्देश्य की याद दिला दी।

"या... अगर आप इसे मेरे शरीर पर रखेंगी तो क्या यह आसान होगा?? अगर आपको इससे अच्छा महसूस हो तो आप इसे एक तरफ़ खिसका सकती हैं। फिर आपको अपनी मम्मी की शर्म के बारे में ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। हाहा!!" वह हँसी।

यह एक क्रूर, बेशर्मी भरा मज़ाक था। लेकिन, वह सही थी!!

मैं वास्तव में उसके सद्गुणों के बारे में चिंतित था। लेकिन, अब, यह इसलिए भी था क्योंकि मुझे डर था कि कहीं मैं उसके साथ इस निषिद्ध मुलाकात की चाहत न रखने लगा हूँ।

मैंने बहुत सावधानी से उस चमकदार कपड़े के किनारे को पकड़ लिया और उसे एक तरफ कर दिया, और तुरंत ही मेरी मम्मी की सुन्दर, साफ-सुथरी चुत के दर्शन हुए।

"लानत है!! बकवास!!" मैं इस तथ्य को स्वीकार करने से खुद को नहीं रोक सका कि मेरी मम्मी के कपड़ों के नीचे एक अनूठा खजाना छिपा हुआ था। उसकी चूत के होंठ पूरी तरह से आकर्षक थे।

बहुत जल्द ही मेरी मम्मी ने मुझे कपड़े उतारने को कहा।

मैंने सफेद रंग का टैंक टॉप और ग्रे रंग की स्वेट शॉर्ट्स पहन रखी थी और वह मुझ पर कुछ भी नहीं पहनना चाहती थी।

"अपना टॉप भी उतार दो!! यह बहुत लंबा है और निश्चित रूप से बीच में आएगा। हम वास्तव में ऐसा कुछ नहीं चाहते जो हमारा ध्यान भंग करे।" मेरी मम्मी ने कहा, जब उन्हें एहसास हुआ कि मैंने केवल अपने शॉर्ट्स फर्श पर फेंके हैं।

मैंने ठीक वैसा ही किया जैसा उसने मुझसे कहा था, मैंने खुद को पूरी तरह से नग्न कर लिया, उससे बस कुछ इंच की दूरी पर।

चाहे यह कितना भी अजीब था, और परस्पर विरोधी भावनाओं के बावजूद, मैं खुद को कमरे में उस दृश्य की कल्पना करने से नहीं रोक सका।

लेकिन, सौभाग्यवश, मैं अभी भी शारीरिक पहलुओं की अपेक्षा परिणामों पर ध्यान केंद्रित करने में उत्सुक था।

यदि कोई हमारे पास आता, तो उसी क्षण उसे पूर्णतः नग्न पुत्र और अर्धनग्न मम्मी का दृश्य दिखाई देता, जो संभवतः सबसे भयंकर पाप करने की फिराक में थे।

हालांकि मैं इस पूरे विचार के बारे में अनिश्चित थी, फिर भी मैंने पाया कि मैं अपने शरीर को उसके शरीर के पीछे सही स्थिति में रख रही हूं।

मेरी मम्मी की गांड का पिछला हिस्सा काफी बाहर की ओर निकला हुआ लग रहा था, और उनके नितंब अपने आप ही चौड़े हो गए थे।

वह निश्चित रूप से उससे अधिक मोटी थी जितना मैंने सोचा था!!

"ठीक है..." उसने गहरी साँस लेते हुए कहा।

"तैयार हो?" उसने मुझसे पूछा।

"अभी!!" उसने आदेश दिया, जैसे ही उसने मुझे हाँ कहते सुना।

मैं तेजी से आगे बढ़ा और अपने पुरुषत्व को अपनी मम्मी के अंदर जाने का रास्ता तलाशने लगा।

"ह्म्म्म..." मेरी मम्मी ने आह भरी, जैसे ही मेरे लौड़ा का शीर्ष उसकी चूत के होंठों को छू गया।

"आआह्ह..." मेरी मम्मी कराह उठी, जब मेरा लौड़ा धीरे-धीरे उसकी चूत के द्वार तक पहुँच गया।

"ओहहहहहह..." मेरी मम्मी कराह उठी, क्योंकि मेरे लौड़े की पूरी लंबाई आसानी से उसकी गीली चूत के अंदर चली गई।
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