Thread Rating:
  • 16 Vote(s) - 2.38 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery रीमा की दबी वासना
(26-06-2019, 12:03 PM)Silverstone93 Wrote: Bhai, Vijay bhai ne 21 June ko ek comment kiya tha jisme unhone kaha tha ki 2 weeks aur lagenge kahani ko... Wo apni private life me busy hai..  Is hisaab se hamko 5 july tal wait karna padega..
Aapko ye samjhana chahiye ki writer ek insan hai jiski khud ki jindagi hoti hai... Aapko writer ki ijjat karni chahiye jo apna time nikalkar itne achhe updates deta hai...
Aap jis tarah se abhi hole ho wo achha nahi lag raha hai. Respect writers.

Silver stone93 if you think I don't respect the writer then you are wrong brother just leave it from now on wards I will not comments in this post I also know that writers have private life and I respect it
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
(26-06-2019, 12:17 PM)Ppatel777 Wrote: Silver stone93 if you think I don't respect the writer then you are wrong brother just leave it from now on wards I will not comments in this post I also know that writers have private life and I respect it

I was expecting kind and polite response from your side. You are kind enough to reply in the same way. I am looking forward to your positive response on this and any other threads. No need to leave thread. Thanks and love Heart
Like Reply
(26-06-2019, 12:44 PM)Silverstone93 Wrote: I was expecting kind and polite response from your side. You are kind enough to reply in the same way. I am looking forward to your positive response on this and any other threads. No need to leave thread. Thanks and love Heart

Brother don't defend idiots.......... You have a class as a reader, I respect that a lot. Don't teach manners to fools, leav them happy in their fools Paradise.
Like Reply
To All dear readers,

Please don't make nuisance on my story time line, i will continue give you exciting updates as i promised and ignore idiots too.

Thanks & regards
Writer
Like Reply
we wil eagerly wait for two weeks, no presure
Like Reply
[Image: a11-104.jpg]
[+] 2 users Like nitya.bansal3's post
Like Reply
[Image: IMG-20160131-WA0004.jpg]
[+] 1 user Likes nitya.bansal3's post
Like Reply
Update
Like Reply
Hope we'll get update soon.. Eagerly waiting for your next update Vijay bhai..
Like Reply
update is on the way
Like Reply
रीमा के घर से निकलते ही तीनो चुपचाप अपने अपने घर की तरफ चल दिए | किसी ने किसी से कोई बात नहीं करी | तीनो अपनी ही नजरो में गिर गए थे | शर्म, ग्लानी और सदमे से भरे हुए | किसी के पास भी सोचने समझने की शक्ति नहीं बची थी | बस बदहवास से अपने घर की तरफ भागे चले जा रहे थे | ऐसा लग रहा था जैसे भरे बाजार के बीचो बीच किसी ने उनका बलात्कार कर दिया हो | तीनो ने एक दुसरे से अलग होने से पहले एक दुसरे का मुहँ देखना तक गंवारा नहीं समझा | किसी मुहँ से एक दुसरे से नज़ारे मिलाते |

रीमा ने उन तीनो को एक दुसरे की नजरो में ही इतना गिरा दिया था, की अब इसके बाद कोई इज्जत उतारने को बचती कहाँ है | 
प्रियम हमेशा की तरफ अपने घर में चोरो की तरह पीछे के दरवाजे से  घुसा  | जब भी प्रियम कुछ गलत करता था तो हमेशा सबकी नजरे बचाकर पीछे से घर में आता था | वो घर में घुस ही रहा था की उसका फ़ोन बजने लगा | 
इधर रीमा बिस्तर पर ढेर कुछ देर तक छत की दीवार देखती रही., लेकिन जैसे ही उसको होश आया,उसकी चेतना लेती अपनी विजय के अहंकार से निकल कर झट से कपड़े पहने, खुद को ठीक किया | हल्का सा मेकअप किया और मेकअप करते करते उसके दिमाग में प्रियम का ख्याल आया | ये मैंने क्या कर दिया, प्रियम कही सदमे में आकर कुछ उल्टा सीधा न आर बैठे | उसने झट से प्रियम को फ़ोन मिला दिया | पिछले गेट से चोरो की तरह घुसते प्रियम की चोरी पकड़ी गयी | उसके फ़ोन की रिंग टोन, सामने मैं गेट के पास बैठी उसकी बुआ को सुनाई दी | रोहित तो अपने ऑफिस के काम से बाहर था, इसलिए अभी तो प्रियम अपनी बुआ और फूफा की ही कस्टडी में था | वैसे अगर रोहित के जीजा अनिल और दीदी रोहिणी नहीं भी आते तो रोहित प्रियम के लिए एक केयरटेकर का इंतजाम कर गया था, जो की प्रियम के कॉलेज में पढ़ाती थी | इसके अलावा रीमा को भी उसने सख्त हिदायत दे रखी थी प्रियम की देखभाल करने की | वासना और बदले की आग उतरते ही रीमा को प्रियम का ख्याल आया | घंटी बजती रही लेकिन प्रियम ने फ़ोन नहीं उठाया | उसकी हालत नहीं इस समय की वो रीमा का सामना कर सके, भले ही वो फ़ोन क्यों न हो | रोहिणी ने वही से बैठे बैठे गर्दन घुमाई और देखा प्रियम पीछे से आ रहा है | उसे थोड़ा अजीब लगा लेकिन उनकी नजर में वो गुड boy था इसलिए ज्यादा कुछ सोचा नहीं |
रोहिणी - अरे प्रियम पीछे से कहाँ से आ रहे हो और तुमारा फ़ोन बज रहा है |
प्रियम ने अपनी सारी हिम्मत इकट्ठी करके, जरा सा रुका और बोला - रांग नंबर है बुआ |
यह बोलते उसकी आवाज कांपते हुए भर्रा गयी | वो तेजी से उपरी मंजिल पर स्थित अपने कमरे की तरफ भागा | 
रोहिणी कुछ और पूछना चाहती थी लेकिन इससे पहले ही प्रियम तेजी से सीढ़िया चढ़ गया | रोहिणी और अनिल के भी दो बच्चे थे, एक लड़का , एक लड़की और दोनों ही प्रियम से बड़े थे | इसलिए प्रियम उनसे मिलने जुलने में थोड़ा सकुचाता था, वो भी इसलिए ज्यादा कोशिश नहीं करते | हालाँकि रोहिणी और अनिल चाहते थे प्रियम उनके बच्चो से घुल मिलकर रहे | लेकिन उनसे रूखे स्वाभाव की कारन उन्होंने भी एक दो बार के बाद ज्यादा कोशिश नहीं की | फिलहाल अनिल आये तो दो हफ्ते के लिए ही थे लेकिन रोहित के कहने पर बच्चो के कॉलेज खुलने तक यही रुकने का प्लान बना लिया | रोहिणी ने एक पल प्रियम के बारे में सोचा और फिर अपने काम में लग गयी | प्रियम तेजी से सीढ़िया चढ़ता हुआ आया और जल्दी से अपने कमरे में घुसकर उसे अन्दर से बंद कर लिया | अपने कमरे में आते, बदहवास सा रोने लगा, उसके अन्दर का डर गुस्सा छोभ दहसत सब आंसुओं के डगर भहर निकलने लगा | अपने बिस्तर में उल्टा लेटकर तकिये में मुहँ घुसाकर बेतहाशा रोने लगा | 
रीमा ने एक दो बार और फ़ोन मिलाया, लेकिन उसने फ़ोन नहीं उठाया | रीमा के दिलो दिमाग में अब अजीब सी बेचनी भरने वाली उधेड़बुन शुरू हो गयी | रीमा को खुद पर ही बड़ा गुस्सा आ रहा था लेकिन वो करती भी क्या | उसने जो किया सही किया, उसने अपने किये गए फैसलों के लिए कोई ग्लानी भाव न आने देने की कसम खा ली | अगर प्रियम ने सबको सच बता भी दिया तो भी वो पीछे नहीं हटेगी | गलती लड़को की थी इसलिए उनके साथ जो हुआ वो उनके कर्मो की सजा है |
तो अब क्या करे रीमा, रोहित के न होते हुए वो उसकी ही तो जिम्मेदारी था | उसे कुछ हो गया या उसने कोई उल्टा सीधा कदम उठा लिया तो सारा दोष उसके मथ्थे मढ़ा जायेगा | तो मै क्या करती उसने भी तो सारी हदे पार कर दी, उसके दोस्तों के सामने अपनी छीछालेदर करवा लेती | मेरे सामने कैसे बेशर्मो जैसी बाते कर रहे थे, कल के लौड़े है और ख्वाब अपनी बाप की उम्र के | सबक न सिखाती तो, कल को सर पर चढ़ कर मूतते, सारे बाजार फब्तियां कसते, जलील करते और न जाने क्या क्या करते मेरे साथ | खासकरके वो जग्गू तो अपनी रंडी ही बना डालता मुझे | उपरवाले ने बचाया है मुझे, मुझे अपने किये का कोई अफ़सोस नहीं होना चाहिए | 
लेकिन क्या, लेकिन रोहित से किये वादे का क्या | मुझे कुछ करना होगा, किसी तरह से पता लगाना होगा, प्रियम के दिमाग में क्या चल रहा है | कही कुछ उल्टा सीधा करने की तो नहीं सोच रहा | यही सोचकर रीमा ने खुद को आईने में देखा, और प्रियम का पता लगाने निकल पड़ी | उसे नहीं पता था की प्रियम उसके घर से निकालकर कहाँ गया इसलिए उसने सबसे पहले उसके घर जाने की सोची | 

इधर जग्गू और राजू भिओ ख़ामोशी से कुछ देर साथ चले और फिर अपने अपने घर की तरफ मुड़ गए | दोनों मन ही मन एक दुसरे को गाली दे रहे थे | उन दोनों को लग रहा था उनके साथ जो हुआ है वो सामने वाली की गलती है | दोनों ही गुस्से और दहसत से भरे हुए थे | दोनों के पिछवाड़े के छेद में दर्द हो रहा था और उनके हर कदम के साथ वो दर्द उन्हें रीमा की याद दिला देता | राजू ने घर के गेट से पहले खुद को व्यवस्थित किया | लम्बी साँस भरी और चेहरे पर फर्जी आत्मविस्वास बनाता हुआ ऐसे घर में घुसा जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो | पिछले तीन घन्टे में उसने इतना कुछ देख लिया था भुगत लिया था की उसके सुकुमार मन के लिए वो किसी जैकपोट से कम नहीं था | इतनी बुरी तरह से जलील होने के बाद भी उसके अन्दर कोई मलाल नहीं था | उसके साथ जो कुछ हुआ उसको लेकर वो सदमे में था लेकिन उसको जितना सेक्स का एक्सपीरियंस आज कुछ घंटो में हासिल हुआ वो तो शायद उसे लाखो रुपये खर्च करके भी कंही नहीं मिलता | घर में घुसते ही बिना माँ बाप की आवाज सुने सीधे कमरे में घुस गया | कमरे को अन्दर से बंद कर लिया और फटाफट सारे कपड़े उतार डाले | अपने पीछे चुताड़ो पर हाथ लगाया और अपने गांड के दर्द को चेक किया और फिर बिस्तर पर लेट गया | एक एक करके उसके दिमाग में सब कुछ किसी फिल्म की तरह चलने लगा | उसे बहुत शर्म और झेंप महसूस हुई जब उसने महसूस किया की उसकी रीमा ने इज्जत उसी की नजरो में उतार दी लेकिन अगले पल ही उत्साह से भर उठा जब उसने याद किया , आज ही उसने  रीमा की गुलाबी चिकनी मख्खन मलाई जैसी चूत के भी दर्शन किये है, आज ही पहली बार रीमा के संगमरमरी गुलाबी बदन के प्राकृतिक अवस्था में दर्शन हुए है | वो तो बस इसी कल्पना में घुसकर अगले कुछ सालो तक मुठ मारता रहेगा | उसके लिए रीमा को नंगा देखना ही सिद्धि प्राप्त करने जैसा था | उसे तो बोनस में रीमा की गुलाबी चूत के दर्शन भी हो गए | उसके तने हुए उठे हुए स्तन, उसकी चिकनी पीठ और उसके कोमल रस भरे गुलाबी ओंठ ................आआआह्ह्ह्ह राजू के लिए तो जैसे जन्नत का ही नजारा हो | राजू तो अपने दुःख और अवसाद की बजाय बस रीमा के हुस्न के प्रथम दर्शन पाकर ही गदगद हो रहा था | राजू के दिलो दिमाग में रीमा बुरी तरह से घुस गयी थी | राजू के लंड को जिस अदा और नजाकत से चूस के निचोड़ा था रीमा ने वो तो जैसे राजू के जीवन का सबसे हसीन पल बन गया | उसके लिए ये मौका किसी जैकपोट से कम नहीं रहा | रीमा ने उन्हें अपमानित करने में कोई कसर नहीं चोदी थी लेकिन राजू अपने साथ किये गए बलात व्यवहार को भूलकर बस रीमा के नरम गुलाबी रस टपकाते होंठो की सख्त मखमली जकड़न को अपने लंड पर अभी भी महसूस कर रहा था | रीमा ने उसका लंड चूसा ये बात उसके लिए किसी लाइफटाइम याद की तरह हो गयी थी | वो बस आंख बंद किये बिस्तर अपनी गांड में हो रहे हलके दर्द के बीच रीमा के ऊपर नीचे जाते सर और अपने लंड पर उसके फिसल रहे उसके नरम होंठो की सख्त जकड़न को ही अभी तक महसूस कर रहा था |

[Image: 21273569.gif]

तभी उसके कानो में आवाज सुनाई पड़ी - राजू खाना खाने नीचे आएगा या मै ऊपर आऊ | ये कड़क आवाज उसके बाप की थी | राजू के सारे सपने फुर्र हो गए | उसे हकीकत में वापस लौटना ही पड़ा | न चाहते हुए भी बिना मर्जी के बेड से उठा, घर वाले कपड़े पहने और खाना खाने चल दिया |
जग्गू की हालत सबसे ज्यादा ख़राब थी | रीमा ने रबर के लंड जग्गू का न केवल अभिमान चकनाचूर कर दिया बल्कि जग्गू की गाड़ के छेद की हालत भी पतली कर दी थी | आज तक जग्गू को लगता था लंड सिर्फ पुरुष को मिला है इसलिए चोदने का काम सिर्फ मर्द का है, लेकिन आज के चूत ने उसकी गांड मार ली और जग्गू के लिए ये सूरज पश्चिम से निकलने जैसा था | अभी वो कुछ सोच पाने की हालत में नहीं था वो बहुत घहरे सदमे था | जब वो घर में घुसा तो सभी डाइनिंग हाल में खाना खा रहे थे, जग्गू को देख उसकी माँ ने उससे खाना खाने को बोला लेकिन वो बिना सुने अपनी धुन में निकल कर अपने कमरे में घुस गया | जिस तेजी से उसने कमरे का दरवाजा बंद किया पूरा माकन उसकी गूँज से भर गया | जग्गू के बाप का पारा चढ़ गया लेकिन इससे पहले वो कुछ करता, उसकी पत्नी ने उसे शांत रहने का इशारा किया | लड़कियां चुपचाप फिर से खाना खाने लगी | पत्नी की तरफ आंखे तरेरने के बाद जग्गू का बाप भी खाना खाने लगा | जग्गू का इस तरह से आना अप्रत्याशित नहीं था | अक्सर लडाई झगड़े के बाद वो बाप का लेक्चर सुनने से बचने के लिए कमरे घुस जाया करता था | सबको लगा आज भी कंही से लड़ झगड़ कर आया होगा | सबने अपना खाना खाया और कमरे में चले गए | कुछ देर बाद उसकी माँ वापस आई ये देखने की वो अपने कमरे से निकला या नहीं | उसके कमरे तक गयी, दो तीन बार आवाज लगायी लेकिन अन्दर से कोई जवाब नहीं आया | वो निराश कदमो से वापस चली गयी | अपने सोने के कमरे में जाकर उसने जग्गू के कान में कुछ कहा | सोने की तयारी कर रहे जग्गू के बाप के माथे पर बल पड़ गए | उसने अपनी पत्नी से चिंता न करने की बात करते हुए सोने को कहा | दोनों लाइट बुझाकर सो गए | कुछ ही देर में पत्नी के खराटे से उसके सोने का पता चल गया | जग्गू के बाप की आँखों में नीद नहीं थी | जग्गू बहुत ही ज्यादा उग्र था और तीन घंटे से ज्यादा हो गए वो अपने कमरे से नहीं निकला और न ही उसके कमरे से कुछ तोड़ने फोड़ने की आवजे आई | जग्गू अपने बाप का इकलौता लड़का था, कैसा भी था लेकिन था तो एकलौता ही | वो किसी को गोली मार के आता तो उसके बाप को उतनी चिंता नहीं थी जीतनी अभी हो रही थी | बिना आहट के बिस्तर से उठा और जग्गू के कमरे के बाहर जाकर आवाज लगायी | अन्दर से कोई आवाज नहीं आई | उसे लगा जग्गू सो गया होगा | फिर भी कुछ देर तक वो वही खड़ा रहा | वो बस चलने को हुआ और अन्दर से उसे हल्की सी सिसकने की आवाज सुनाई | उसका बेटा रो रहा है क्यों और वो भी इतना उग्र आक्रामक जग्गू कमरे में छुपकर रो रहा है सबसे अकेला क्यों? जग्गू के बाप के चिंता सच साबित हो गयी | वैसे भी बच्चो को छींक तक आये तो माँ बाप को पता चल जाता है | जग्गू का बाप किर्त्व्यविमूढ़ सा वही खड़ा रहा | कुछ देर तक वो फैसला नहीं ले पाया | उसके बाद उसे बेटे का ख्याल आया | उसने दरवाजे पर दस्तक दी | बिस्तर में घुसकर अपने अहंकार के अपने पिछवाड़े में घुसने की हार पर करूँ रुदन कर रहे जग्गू की साँस रुक गयी | इतनी रात को कौन आ गया, जग्गू की सिसकिया थम गयी, उसे समझ नहीं आया कौन है, उसे लगा माँ होगी, जैसा की अक्सर होता है | खाना खाने के लिए पूछने आई होगी | वो कुछ सोच पाता इससे पहले उसके बाप की आवाज उसके कानो में सुनाई पड़ी - जग्गू दरवाजा खोलो |
जग्गू को लगा जैसे रीमा ने उसकी इज्जत उसके बाप के सामने लूट ली हो | अब क्या करे, क्या न करे | उसने सोने का नाटक किया और कोई रिएक्शन नहीं दिया |
जग्गू का बाप - जग्गू मै तुमारा बाप हूँ, दरवाजा खोलो मुझे पता है तुम जग रहे हो और अभी मैंने तुमारे रोने की आवाज सुनी |
जग्गू का तो जैसे चीरहरण हो गया हो वो भी भरे बाजार में | वो क्या बोले, क्या न बोले, क्या करे, वैसे भी सदमे का मारा , रीमा से हारा पूरी तरह से पस्त था, ऊपर से बाप का झमेला |
जग्गू के बाप ने थोडा इन्तजार किया और फिर दबी आवाज में दहाड़ा - दरवाजा खोल हरामखोर, वरना मै सबको जगा दूंगा |
जग्गू को लगा अब कोई रास्ता नहीं है | उसने अपने आंसू पोछे, अपने कपड़े ठीक किये और दरवाजा खोल दिया | कमरे में अँधेरा था | जग्गू कमरे का दरवाजा खोलकर फिर बेड में घुस गया | 
उसके बाप ने कमरे कमरे की लाइट जलाई | कुछ देर तक जग्गू को घूरता रहा | जग्गू ने नजरे नीची कर ली |
जग्गू का बाप - क्यों रो रहा था |
जग्गू को कोई जवाब न सुझा , वो चुप रहा |
जग्गू का बाप - अभी बताएगा या सुबह | हालत तो ऐसी लग रही है जैसे ...............................|
बोल क्या हुआ, किसी लड़की के भाइयो ने ये दुर्गति करी है या झुग्गी में कोई पंगा हुआ ??
जग्गू छुप रहा ................ जग्गू का बाप आराम से पूछ रहा था, फिर भी जग्गू खामोश था |
जग्गू के बाप ने फिर से आराम से अपना सवाल दुहराया लेकिन जग्गू भी उसी का तो लड़का था | वो भी चुप रहा |
कुछ बोलेगा भी या चुप रहेगा | ऐसा क्या हुआ जो कल तक शेर की दहाड़ने वाला आज भीगी बिल्ली बनकर कमरे में छुपकर रो रहा है | जग्गू उदास सा चुप ही रहा | आज उसका आत्मविश्वास पातळ में था कैसे मुहँ खोले |
जग्गू का बाप गुस्साते हुए - कुछ बोलेगा या सचमुच आज किसी ने तेरी गांड मार ली | आधी रात को रंडापा करवा रहा है |
अनजाने में ही उसने जग्गू की सच्चाई उसके मुहँ से निकल गयी | जग्गू सकपका गया, उसने मुहँ फेर लिया | जग्गू का बाप अपने बेटे के चेहरे को पढने की कोशिश कर रहा था और अब तक उसे समझ आ गया था जग्गू के साथ सच में कुछ गड़बड़ हुई है |
जग्गू का बाप - कल बात करते है इस बारे में चुपचाप सो जा, तेरी आँखों में आंसू लाने वालो का कलेजा निकाल कर अपने कुत्तो को खिलाऊंगा | 
जग्गू का बाप चला गया उसके काहे  गए आखिरी शब्दों ने जैसे मारते जग्गू को संजीवनी दे दी हो | 
Like Reply
उधर रीमा प्रियम को ढूंढते ढूंढते रोहित के घर पहुंच गई क्योंकि सबसे ज्यादा प्रियम के अपने घर में होने के ही चांस थे रात हो चुकी थी इसलिए वह इधर उधर कहीं नहीं जा सकता था रात में इस वक्त रीमा को देखकर अनिल और रोहिणी दोनों ही चौक गए हालांकि रीमा ने जाते ही जाते बता दिया प्रियम उसका फ़ोन नहीं उठा रहा था इसलिए वो वह ये पता करने आई है की प्रियम घर पर ही है या नहीं और उसे एक जरुरी काम भी था प्रियम से  | हालांकि रोहिणी ने जानना चाहा इस समय इतनी रात को कौन सा जरूरी काम हो सकता है 
रीमा ने बहाना मार दिया - उसकी टीचर का फोन आया था और इसी सिलसिले में उससे बात करनी है यह उसकी पढ़ाई से रिलेटेड है |


अनिल अनुभवी इंसान से उन्हें पता था कि रीमा सरासर झूठ बोल रही है लेकिन उनको क्या लेना देना है इसलिए उन्होंने आगे कोई सवाल नहीं किए 
रीमा दरवाजे से घुसते हुई प्रियम के कमरे की तरफ चली गई | रोहिणी ने सवाल भरी नजरों से अनिल की तरफ देखा लेकिन अनिल ने उन्हें रिलैक्स रहने को कहा |
रीमा ने प्रियम के कमरे के सामने जाते ही कमरे को नाक किया - अंदर से आवाज आई कि मुझे भूख नहीं है| 

 इस रीमा बोली - भूख नहीं है तो क्या बात भी नहीं कर सकते फोन मिला रही थी फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे हो, बस एक ही झटके में मेरा फोन उठाने में शर्म आने लगी |  प्रियम दरवाजा खोलो | 

प्रियम हैरान था इस वक्त रीमा कहां से आ गई इस वक्त अब उसे क्या काम है  इतना सब करने के बाद भी उसकी चाची का पेट नहीं भरा जो यहां तक चली आई अब क्या चाहती है मेरी जान ही ले लेंगी क्या | प्रियम ने  मन मसोस कर के अपने बिस्तर से उठा उसने दरवाजा खोल दिया,  दरवाजा खुलते ही रीमा अन्दर घुस गयी और  दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया और सवाल भरी नजरों से प्रियम को घूरने लगी | प्रियम ने उसकी तरफ नजरें ही नहीं उठाई और वह सर झुका कर चुपचाप अपने बिस्तर पर जाकर बैठ गया |
रीमा - फोन क्यों नहीं उठा रहे थे |
 प्रियम चुप रहा | रीमा - मुझसे बात करो प्रियम जो हुआ वह तुम लोगों की गलती की वजह से ही हुआ है आज तक मैंने तुम्हें कभी नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं करी है लेकिन तुम हो कि अपनी हरकतों से बाज ही नहीं आते | रोहित तुम्हारी जिम्मेदारी मुझे देकर गया है तो कान खोल कर सुन लो  जो कुछ भी बातचीत होगी वह हमारे बीच रहेगी समझ गए | तुम उसकी अनुपस्थिति में मेरी जिम्मेदारी हो लेकिन तुम्हे तो पता नहीं मेरे शरीर की कौन सी सनक सवार है  हर बार कुछ ऐसा करते हो जिससे मुझे कुछ ऐसा करने पर मजबूर कर देते हो ....................................इसीलिए तुम्हारा यह हाल है |  मैंने जो किया है मुझे उसका कोई अफसोस नहीं है लेकिन एक बात कान खोलकर सुन ले कुछ भी उल्टा सीधा करने की मत सोचना समझ गए | तुम्हें कोई मदद चाहिए , मुझसे आकर बतावो ..... किसी तरह की कोई  समस्या है वह भी तुम मुझे बता सकते हो मैं तुम्हारे लिए हमेशा मौजूद रहूंगी | भूल जावो जो कुछ अभी कुछ देर पहले हुआ मै तुम्हारी वही रीमा चाची हूं  जो पहले थी और मैं तुम्हारा वैसे ही ख्याल रखूंगी जैसा पहले करती थी लेकिन एक चीज कान खोल कर सुन लो आज के बाद किसी तरह की कोई उल्टी-सीधी हरकत हुई तो इस बार सीधा सीधा सब कुछ में रोहित को बता  दूंगी | अब बहुत हो चुका है और तुमने अपनी सारी हदें पार कर दी है | तूम मेरे भतीजे हो और हमेशा रहोगे और मुझे तुमसे उतना ही प्यार है जितना कि कोई अपने बेटे से करता है लेकिन एक चीज याद रखना हर उस रिश्ते की एक मर्यादा होती है अब तुम उस मर्यादा के अंदर ही रहोगे तभी ठीक रहेगा |  ज्यादा रोने धोने की जरूरत नहीं है उसको एक नॉर्मल बात मान कर भूल जाओ, क्योंकि दुबारा ऐसा कुछ किया न तो तुम्हे अच्छे से पता है की मै क्या क्या कर सकती हूँ | 
प्रियम सिबुकने लगा | एक डरा सहमा हुआ कमजोर बालक देख  रीमा के अन्दर का सारा वात्सल्य उमड़ आया- उसके पास आई और उसे बांहों में भरकर सीने से चिपका लिया | कुछ देर तक उसके बाल सहलाती रही, प्रियम रीमा के आँचल में सिबुक सिबुक कर थम गया | रीमा - चलो तुम्हे भूख लगी होगी, आज पार्क स्ट्रीट के डोमिनोस का पिज़्ज़ा खाते है | 
प्रियम दुखी स्वर में बोला - मुझे भूख नहीं है मुझे कुछ नहीं खाना........ मुझे अकेला छोड़ दो | 
रीमा उसकी आँखों से लुढ़कते आंसू पोछकर - मै कैसे तुझे अकेला छोड़ दू, जब तक रोहित नहीं है यहाँ तुझे कैसा अकेला छोड़ दू | 
प्रियम - पता नहीं कौन तेरे दिमाग में वो सारे फितूर भारत है | एक बात दिल पर हाथ रख बता, क्या तुझे कभी मैंने चोट पंहुचाने की कोशिश की है | कभी भी अब्जाने में भी फिर भी तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आते तो मुझे भी गुस्सा आ जाता है | भूल गया वो पहली चुसाई | क्यों तू वो पहले जैसा प्रियम नहीं बन सकता | सब कुछ तो तेरा ही था, सिवाय मेरी एक लक्षमण रेखा के | कभी तुझे मना किया | मै तो तेरा भला ही चाहती हूँ | अपनी पढाई पर ध्यान दे, बस इतना ही तो चाहती थी लेकिन तुझे तो जिसे नशा चढ़ा हुआ था | इतना समझती हूँ फिर भी तू अपनी हरकतों से बाज नहीं आता | 
[Image: 8ad4e14d908198b09d2b07da539cdf5e--parent...ticles.jpg]

प्रियम चुपचाप सब सुनता रहा | रीमा को लगा उसे शब्द प्रियम को मरहम लगा रहे है | 
रीमा - हम पहले जैसे क्यों नहीं हो सकते मेरे बच्चे | मासूम से , निश्चल कपट से परे | प्रियम ने कोई रिएक्शन नहीं दिया |
रीमा ने प्रियम का मूड जानने के लिए उसको गुदगुदी करी | प्रियम एक मासूम बच्चे की तरह खनक उठा | 
रीमा वात्सल्य से खुश होकर बोली - ये हुई न बात मेरे लाल | 
रीमा ने अनायास ही  प्रियम के ओंठो पर अपने ओंठ जमा दिए | और एक लम्बा चुम्बन लेकर बोली - क्यों करता हाउ ये सब, तुझे जिंदगी का हर राज समझना है तो मै हूँ न लेकिन इन राक्षसों की सोच वालो के साथ उठाना बैठना बंद कर | अगर मुझसे दोस्ती करनी है तो अपने उन चुतिया दोस्तों से दूर हो जा | याद रखा अगर दुबारा ऐसा कुछ हुआ तो तेरे लिए जानलेवा होगा |
प्रियम को जैसे तपते रेगिस्तान में छाव मिल गयी हो | वो रीमा के आंचल में ही खुस को समेत देना चाहता था | रीमा ने भी उसे कसकर अपने सीने में छुपा लिया | 
प्रियम के दिमाग का सारा जहर, सारा दर्द , सारी हीनता एक पल में छूमंतर हो गयी - रीमा ने बस एक झप्पी से उसके अन्दर की सारी कर्कशता निकाल कर बाहर कर दी | अब वो वही निश्छल निष्कपट प्रियम था | प्रियम के दिमाग में बस यही एक विचार था - रीमा चाची इतनी अच्छी है, पता नहीं मेरी ही बुद्धि को डंक मार गया था | रमा के वात्सल्य के समुद्र में प्रीयम गहराई तक गोते लगाने लगा | 
कुछ देर बाद रीमा भावनाओं के ज्वार से बाहर निकली, जब नीचे से उसे रोहिणी की आवाज सुनाई पड़ी | उसका और प्रियम का  स्वप्न टुटा |
 रीमा ने खुस को संभाला और प्रियम से अलग किया और बिलकुल ही एक नयी टोन में - एक चीज का वादा करो तुम कुछ भी उल्टा-सीधा नहीं करोगे........... तुम्हें कुछ चाहिए तो तुम मेरे पास आते क्यों नहीं ................मैंने तुम्हें कभी मना किया है लेकिन एक चीज याद रखो तुम जरूरत से ज्यादा आगे मत बढ़ना  हर चीज की एक लिमिट होती है और उस लिमिट के अंदर रह करके ही हमारा रिश्ता आगे तक आगे जा पाएगा इसलिए याद रखो जो कुछ भी चाहते हैं वह सब नहीं हो सकता है लेकिन फिर भी मैं तुमसे प्यार करती हूं और हमेशा करती रहूंगी और तुम्हारा ख्याल भी रखूंगा कम से कम तब तक जब तक रोहित नहीं आ जाता |  बस मैं यही कहने आई थी फोन नहीं उठाना मत उठाओ लेकिन एक चीज याद रखना किसी तरह का कुछ उल्टा सीधा सोचने की जरूरत नहीं है नहीं किसी को कुछ बताने की जरूरत है | मै हमेशा तुमारे लिए मौजूद हूँ कभी भी कंही भी | 
इतना कहकर रीमा कमरे से बाहर निकल आई | अनिल और रोहिणी से जाने का शिष्टाचार निभाया...उसने अनिल और रोहिणी के साथ बैठकर कुछ देर बात करी और उसके बाद चली गई | प्रियम भी बिलकुल नार्मल तरीके से बाहर आया और सभी खाना खाने की तयारी करने लगे | रीमा के अन्दर का डर और आशंकाए ख़त्म हो चुकी थी | प्रियम को लेकर वो निश्चिन्त हो गयी थी | 
Like Reply
औरत और मर्द के रिश्ते के बारे में रोहित और अनिल आपस में कुछ भी नहीं छुपाते थे रोहित अनिल को अपने सारे अफेयर्स  के बारे में बताता था और यही हाल अनिल का था वो भी अपने सेक्स एडवेंचर रोहित के साथ शेयर करते थे | अनिल ने ही टूटे दिल के रोहित को love गुरु बनकर सारा ज्ञान दिया था | रोहित ने रीमा का अनुभव भी अनिल के साथ शेयर किया था | हर मर्द की तरह रीमा अनिल की नजरो में भी चढ़ी हुई थी | अनिल को रोहित और रीमा में रिश्ते में  कोई आपत्ति नहीं थी हालांकि वह खुद रीमा की खूबसूरती के दीवाने थे और अपने रिश्ते में बंधे हुए वह बहुत ज्यादा कुछ कर नहीं सकते थे | रीमा और प्रियम के बीच की कहानी किसी को नहीं पता थी और रोहित भी प्रियम को लेकर बहुत सेंसिटिव था | अनिल रीमा और प्रियम के बीच क्या है इसके बारे में लगभग न के बराबर जानते थे इसलिए आज अनिल को थोड़ा सा अचरज हुआ | जिस तरह से रीमा आई और फिर चली गई | अनिल को इससे कुछ ज्यादा लेना देना नहीं था वह तो बस महीने भर के मेहमान थे | रीमा और रोहित और प्रियम के बीच में क्या खिचड़ी पक रही है इससे मतलब भी नहीं था लेकिन फिर भी अनिल की अनुभवी आंखों और उनके ढेर सारे जीवन के एक्सपीरियंस ने कहा कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है |  इसलिए उनके दिमाग खुराफाती घोड़े दौड़ने लगे और उनके जासूसी दिमाग में एक कीड़ा कुलबुलाने लगा आखिर पता किया जाय की  माजरा क्या है | एक मन कहता कुछ गड़बड़ है दूसरा मन कहता की मिस्टर अनिल आप जरुरत से ज्यादा सोच रहे है | रोहिणी ने उन्हें कही खोया हुआ देख पुछा, कहाँ गुम हो गए | वो बस मुस्कुरा भर दिए | असल में उनके लिए न तो रोहित पहेली था न ही प्रियम और सच में गारा दिल पर हाथ रखकर खुद से पूछते तो वो खुद का ही चुतिया काट रहे थे | उनके दिलो दिम्माग में बस एक ही पहेली थी रीमा | वो उसे सुलझाना चाहते थे | बाकि सारे बहाने उनका मन उन्हें भटकाने बहलाने की लिएय कर रहा था | उनको सारी दिलचस्पी रीमा के बारे में जानने की थी जब से रोहित ने अपना रीमा की चुदाई का किस्सा उन्हें बताया था, उनके मन के किसी कोने  में लगातार रीमा को लेकर खलबली मची रहती | अब तक तो वो सब विचारो तक सिमित था लेकिन साक्षात्उ रीमा को देखने के बाद उनकी वो इक्षा अब बलवती हो उठी | खूबसूरत स्त्री का सानिध्य पाने के सहज मानुष की लालसा |  वह रीमा की खूबसूरती के दीवाने थे जाहिर सी बात है हर मर्द का सपना होता है कि वह हर एक खूबसूरत औरत के पास बैठे से बात करें और अगर हो सके तो बात को आगे बढ़ाएं रीमा भी एक इसी तरह की खूबसूरत औरत थी | रीमा अनिल की सबसे डार्क छुपी हुई एक फैंटसी में से एक थी इसलिए उन्होंने रीमा के बारे में ढेर से ढेर सारी जानकारी जानने के बारे में फैसला कर लिया था | उन्हें पता था रीमा का एटीट्यूड उसका बात करने का तरीका काफी कुछ पिछली बार से अलग अलग था |  उनकी रीमा की बेहत प्राइवेट जिंदगी के बारे ज्यादा से ज्यादा  जानने की उत्सुकता और बढ़  गयी | 

फिर भी सच तो यही था की किसी के चाहने से क्या होता है | अनिल रीमा से बात करना चाहते थे उसके साथ बैठना चाहते थे उसके साथ ड्रिंक शेयर करना चाहते थे, उसको छूना चाहते थे उससे चिपकना चाहते थे और असल में जो सच उनका मन स्वीकार नहीं कर पा रहा था वो ये था की वो रीमा को चोदना चाहते थे | उनके मन की असली कामना यही थी बाकि सब लफ्फाजी थी | जीजा जी को लेकर रीमा काफी मजाकिया थी लेकिन उनसे मजाक भी वह अपने दायरे में रहकर ही करती थी इसीलिए कभी अनिल को अपनी बात आगे बढ़ाने का मौका नहीं मिला और दूसरे अभी बीवी और बच्चे सब आए हुए थे तो अनिल के लिए रीमा के साथ अकेले बैठाना लगभग नामुनकिन था | 
एक हफ्ता ऐसे बीत गया जैसे कुछ हुआ ही न हो | रीमा रोहित को यहाँ के अपडेट देती रहती थी |  उधर राजू और जग्गू की जिंदगी में तूफान मचा हुआ था रह-रह कर उन्हें हर वह बात का कचोटती जो रीमा ने उनके साथ करी थी हालांकि इसके साथ ही यह भी सच था  की उनको जिंदगी भर के लिए एक सबक मिल गया था | लेकिन एक औरत द्वारा इस तरह से सबक सिखाया जाना उनके अपने मर्द होने के अहंकार को चुनौती दे रहा था |  कच्ची मुर का किशोर मन इन सब चीजों को हैंडल कर पाने में असमर्थ था अगले दिन सुबह जब जग्गू के बाप ने जग्गू से पूछताछ की तो जग्गू ने सब कुछ सच सच बोल दिया पहले तो जग्गू के बाप को उस पर बहुत गुस्सा आया लेकिन उसके बाद  रीमा को ले करके उसके अंदर बदले की भावना कर गई क्योंकि रीमा ने उसके बच्चे को तोड़ कर रख दिया था | जग्गू का बाप पहले भी रीमा को देखकर लार टपकाने लगता था ,रीमा उसकी ढेर सारी सेक्स फैंटसी में से एक थी | हालांकि वह अलग बात है रीमा ने  उसे कभी घास नहीं डाली | जग्गू के बाप के अंदर रीमा को पाने की एक लालसा तो थी ही दूसरे अब उसके पास एक मकसद भी था रीमा को सबक सिखाने का क्योंकि उसने उनके बेटे की जिंदगी को बर्बाद कर दिया था |अब जग्गू काफी डरा डरा सा रहने लगा था, सहमा सहमा सा रहने लगा | लडकियों के पास जाने से डरने लगा | वो बस गुमसुम सा अपने में ही खोया रहता | अपने बेटे के व्यवहार में आए इस परिवर्तन को लेकर के जग्गू का बाप काफी परेशान था उसने गुस्से में कोई उल्टा सीधा कदम उठने की बजाय शांत रहकर रीमा को सबक सिखाने का फैसला किया लेकिन उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था | वो सीधे सीधे रीमा पर हाथ नहीं डाल सकता था | रीमा अपनी जिंदगी में भले ही अकेली हो लेकिन उसके आसपास के लोग बहुत ताकतवर थे | उसके स्वर्गीय पति के दोस्त सिक्युरिटी में बहुत ही पावरफुल पोजीशन में थे | रीमा के एक फ़ोन काल पर वो शहर का कोना कोना खोद डालेगे | जग्गू के बाप को कुछ समझ नहीं आ रहा था ...... वह क्या करें कैसे रीमा को सबक सिखाएं वह अपने बेटे के साथ किए गए हरकतों का बदला लेना चाहता था यही सोचते-सोचते समय पंख लगाकर उड़ता हुआ निकलता जा रहा था | 
इधर अनिल रीमा को पाना भी चाहते थे लेकिन रिश्तो की नाजुक डोर पर कोई आंच न आये इसका भी पूरा ख्याल था | एक दिन पत्नी से बोले - रोहिणी इतने दिन हो गए है आजतक हमने रीमा का घर नहीं देखा | चले किसी दिन उसके यहाँ डिन्नर करने | बच्चो के अपने प्लान थे घूमने फिरने के इसलिए बस पति पत्नी दोनों ही सज धज के रीमा के मेहमान बनने चल दिए | 
रीमा ने उन दोनों को अपने घर आया देख थोड़ा सा हैरान हुई और खुस भी |
रोहिणी - सरप्राइज, हमने सोचा आज बिना बताये मेहमान बनते है |
रीमा खिलखिलाते हुए - आई लव सरप्राइज दीदी | प्लीज आइये न आपका ही तो घर है |

[Image: download%2B%25289%2529.jpg]


रीमा ने दोनों की खूब आव भगत की | चाय नाश्ते से लेकर शराब का एक लम्बा दौर चला | रोहिणी जानती थी रीमा कभीकभार ड्रिंक ले लेती है लेकिन अनिल के लिए ये सरप्राइज था | बीबी के सामने अनिल काफी संजीदा बनने की कोशिश कर रहे थे जबकि रीमा रोहिणी आपस में खुलकर हंसी मजाक कर रही थी | शराब का दौर चले और जिंदगी में प्राइवेट पलो की बाते न हो, ऐसा भला हो सकता था |
रीमा और रोहिणी शादी के पहले की हरकतों और शैतानियों को एक दुसरे को बता रहे थे | अभी तक रीमा के दिम्माग में अनिल को लेकर कुछ भी नहीं था | इसलिए वो स्वाभाविक सहज रूप से रोहिणी के साथ हंसी मजाक कर रही थी | 
रोहिणी अपने कॉलेज का किस्सा सुनाने लगी जब एक लड़के ने उसे प्रोपोज किया था और उसने मना कर दिया था | फिर वो लड़का उसके पीछे हाथ धोकर पड़ गया, आखिर एक दिन रोहिणी ने उसको हाँ बोल दी | लेकिन वो लड़का एक नंबर का चुतिया निकला, रोहिणी के हाँ बोलते ही उसने रोहिणी की चूत मारने के लिए मिन्नतें करने लगा | उसकी इन्ही हरकतों की वजह से रोहिणी ने अपनी सहेली के साथ  सबक सिखाने की सोची | उसे बहला फुसलाकर फीमेल टॉयलेट में ले गयी, उसके कपड़े उतारे और एक किनारे फेंक दिए | उसके लंड को सहलाने लगी, वो बस मस्ती में चूर हो कर झूमने लगा | उसकी सहेली ने मौका देखते ही उसके कपड़े समेटे और बाहर आ गयी | मौका देखकर पी करने के बहाने रोहिणी जल्दी से उठी और अपना बैग उठाकर बाथरूम से बाहर निकल आई और शोर मचा दिया | लेडिज बाथरूम में एक नंगा लड़का, पूरी तरह से तने हुए लंड के साथ, उसके बाद उसकी जो धुनाई हुई जो सुताई हुई | फिर कभी उसने मुड़कर भी रोहिणी की तरफ नहीं देखा | 
तीनो मतलब की शराब पी चुके थे | रोहिणी की जिंदगी में रीमा की दिलचस्पी बढ़ती जा रही थी | 
दीदी बताइए न अपने बारे में - मुझे बहुत मजा आ रहा है आपकी बाते सुनकर |
अनिल ने सोचा यही मौका है चौका मार दिया जाये - कुछ अपने बारे में बतावो न रीमा | तुमने भी तो कॉलेज में बहुत एडवेंचर किये होंगे | यू नो व्हाट इ मीन | 
रीमा अन्दर से सतर्क हो गयी कही रोहित के बारे में उसके मुहँ से कुछ न निकल जाये फिर अगले ही पल संभलकर उसी लापरवाह अंदाज में बोली - क्या बताऊ जीजा जी , करेले नीम जैसी जिंदगी है, कुछ बताने को है ही नहीं | पहले पढाई में उलझी रही फिर शादी और उसके बाद की ये लम्बी विधवा जिंदगी | इसमें कोई रंग नहीं है, बस जी रही हूँ | 
रीमा ने एक पल में अपने तरफ उछलने वाले हर सवाल को ख़त्म कर दिया | अनिल और रोहिणी दोनों ही उसके चेहरे पर छाई बर्फीली उदासी देखने लगे | उसको देखकर रीमा अगले ही पल ही अपनी उदासी छोड़ती हुई - दीदी आगे बतावो न, कहाँ इतने दिनों बाद मिले है | आज आप मेरे मेहमान है आज तो आपको मेरी बात माननी पड़ेगी | बतावो न दीदी | अच्छा जीजा जी से सबसे पहली बार कब मिली | 
रोहिणी - जीजा जी से पहले दो बॉयफ्रेंड रह चुके थे मेरे | 
रीमा की दिलचस्पी बढ़ गयी - फिर क्या हुआ, कैसे मिली आप जीजा जी से |
Like Reply
रोहिणी - थम जा बावली बता रही हूँ सब बता रही हूँ | मेरा एक लड़के से 6 महीने से चला रहा रिलेशनशिप टूट चूका था | दूसरा बॉयफ्रेंड खोने के कारन बहुत परेशान और दुखी थी | मेरे इम्पुल्सिव नेचर के कारन कोई भी लड़का मुझे बर्दाश्त करने में असमर्थ था | उस टाइम मै खुद को किसी तोप से कम समझती नहीं थी | ऐसे ही एक दिन मै कॉलेज से घर आ रही थी, गेट पर पंहुचने पर देखा, एक आदमी मेरे घर की चाहरदीवारी के ऊपर पेशाब कर रहा है | मेरे पारा जमीं से सीधा आसमान पंहुच गया | वो अलग बात थी की बाद में मुझे महसूस हुआ की वो इन्सान मेरे चाहरदीवारी की बजाय उससे सटकर बह रही नाली में मूत रहा है | उस समय तो मुझे कुछ सुझा नहीं, ब्रेकअप से सदमे में थी | उसके पास जाते ही फट पड़ी | जमकर माँ बहन करी, वो आदमी जो इत्मिनान से हलका हो रहा था, उसका मूतना रुक गया | उसका मूत लंड में और थूक गले में अटक गया, मैंने उसे ऐसी झाड़ लगायी  | वो इतना ज्यादा डर गया की अपना लम्बा काला लंड भी अपनी पतलून में घुसेड़ना भूल गया और माफ़ी मांगने लगा | मेरे तेज आवाज से लोग हमारी तरफ आना शुरू हो गए और वो आदमी सब कुछ भूलकर मुझसे माफ़ी मांगने में जुटा रहा | उसकी सिट्टी पिट्टी इस कदर गम थी की उसे याद ही नहीं उसका लम्बा काला मोटा सांप अपने बिल से बाहर झूल रहा है | आखिर हारकर मैंने ही बोला - इस काले नाग को दिखाकर किसको डराने की कोशिश कर रहा है | इससे तगड़े मोटे लम्बे  काले नाग मैंने बहुत देखे है | तब जाकर इनका ध्यान नीचे पेंट की तरफ गया और फटाफट इन्होने अपने काले भुजंग को अपनी पतलून में समेटा | मेरा गुस्सा चरम पर था, आस पास भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी | मै बस चिल्लाये जा रही थी | 

तब तक अन्दर से डैड बाहर आ चुके थे - क्या हो गया बेटा |
मै गरजती हुई - ये आदमी अपनी दीवाल पर मूत रहा था मैंने मना किया तो बेशर्मी से अपना काला नाग मुझे दिखाने लगा | 
इससे पहले कोई कुछ कहता ये बिलकुल समर्पण की मुद्रा में आ गए - बहन जी गलती हो गयी, मुझे बहुत तेज लगी थी और यहाँ कोई ओट नहीं थी इसलिए | इतना कहते ही बिना किसी के कुछ काहे उठक बैठक लगाने लगे | डैड अनुभवी आदमी थे, इनकी रोनी सूरत देख के ही समझ गए की लड़का गाय है बस गलती कर बैठा | वो भीड़ को समझाने बुझाने लगे ताकि कही कोई हाथ न उठा दे | धीरे धीरे करके मेरे डैड ने सबको वहां से भगाया और उस लड़के से जाने को भी बोलो दिया | मेरा गुस्सा अब काफी कम हो चूका था | 
ये मरी हुई आवाज में बोले - अंकल जी अगर नजर न हो तो एक गिलास पानी पिला दीजिये, यहाँ दूर दूर तक कोई नल नहीं दिखाई दे रहा है | प्यास लगी है |
मुझे हंसी आ गयी, इतनी जोर से प्यास लगी है  फिर भी अपनी टंकी खाली किये जा रहा है | ये सोचकर मुझसे रहा न गया, मेरे मुहँ से ठहाका छुट गया | मेरे डैड मुझे देखकर बोले - क्या हुआ तुझे, पागल है क्या लड़की, जाकर एक गिलास पानी ले आ |
मैंने साफ़ मना कर दिया | डैड उसे गेट पर खड़े रहने को बोलकर अन्दर चले गए और एक बोतल पानी लेकर बाहर आये | उसे पानी पिलाया और उसके बारे में पूछने लगे | मै अन्दर कमरे के दरवाजे ओंट में खादों सारी बाते सुनने लगी | रोहित बार बार मुझे परेशान करने आ जाता लेकिन मुझे उस मिमियाते काले भुजंग इंसान  में न जाने क्यों दिलचस्पी पैदा हो गयी | कुछ देर बाद पता चला वो यहाँ कॉलेज में PG में एडमिशन लेने आया है | किसी गाँव का रहने वाला है और ग्रेजुएशन के बाद वहां आगे पढने के लिए कोई कॉलेज नहीं है | रोहित मुझे बार बार परेशान कर रहा था इसलिए ज्यादा बाते तो मै सुन नहीं पाई और रोहित की कुटाई करने उसके पीछे भागने लगी | डैड उससे काफी देर बात करते रहे | शाम को पता चला वो अपने कॉलेज का टापर है और आफ्टर ग्रेजुएशन की पढाई के लिए एडमिशन लेने आया है | उसका बैकग्राउंड कुछ खास नहीं था पिताजी थे नहीं माताजी छोटी सी जमीन पर सब्जी भाजी पैदा करके घर का खर्च चलाती थी | 
एक महीने बाद मेरे उअप्र बम तब फटा जब डैड ने उसे ऊपर वाला कमरा रहने के लिए दे दिया और भी बिना एक पैसे लिए | उसके बाद एक लम्बे समय तक मै इनसे नफरत करती रही अपने अन्दर हिकारत भरती रही, इनके कपड़ो का मजाक, इनकी बोली का मजाक, इनके गरीब होने का मजाक उड़ाती रही और ये सब बर्दाश्त करते रहे | यही सब करते करते पता नहीं कब जाने इन्ही से प्यार हो गया | 
अनिल बस पैग पर ध्यान लगाये थे और रीमा के जिस्म के कटाव घुमाव को आँखों से पीने की कोशिश कर रहे थे, रोहिणी यादो के समुद्र में खोयी थी और रीमा बस रोहिणी की यादो में खुद को डुबोने की कोशिश कर रही थी | एक और पैग ख़त्म हो चूका था | रीमा नयी बोतल निकालने के लिए उठी तो रोहिणी ने उसे थाम लिया - तू बैठ, जाइये आप बोतल निकाल कर लाइए और पैग बनाइये |
रीमा ने अपनी नशीली आँखों से रोहिणी की तरफ देखा और रोहिणी ने अपनी नशीली आँखों से रीमा को देखा | फिर दोनों ने अनिल को एक साथ देखा और नशे में झूमती खिलखिला कर हंस पड़ी | अनिल औरतो के इस विनोद से अन्दर तक गदगद होते हुए नयी बोतल निकालने चल दिए |
रीमा और रोहिणी को भरपूर नशा हो चूका था | अनिल के जाने के बाद रीमा को मस्ती सूझी - दीदी एक बात पूछु बताओगी |
रोहिणी - पूछ न |
रीमा - सच्ची मेरी कसम खावो |
रोहिणी - अरी पूछ तो सही |
रीमा - जीजा जी का सच में काले नाग के इतना मोटा है क्या ?
रोहिणी शरारती आँखों से - क्यों री, तुझे भी लेना है क्या |
रीमा सकपका गयी, रोहिणी खिलखिलाकर हंस पड़ी - हाहाहाहाहाहाहाहाहा तू डरती बहुत है, पता है क्यों, क्योंकि तूने कुछ किया नहीं है | मै तो मजाक कर रही थी |
रीमा के साँस में साँस आई - तो बतावो न दीदी |
रोहिणी आंखे मटकाते हुए - तुझे मेरे पति के उसमे बड़ी दिलचस्पी है..............|
रीमा ने भी ताड़ लिया की रोहिणी उसके मजे ले रही है उसने भी बनावटी नाराजी जाहिर की - इसलिए मै नही पूछ रही थी दीदी मुझे पता था आप मेरी ही टांग खिचोगी | मै तो बस ऐसे ही पूछ रही थी आप पता नहीं उसे कहाँ से खीचकर के मेरे ऊपर चिपकाये दे रही हो | 
रोहिणी गंभीर होती हुई - अच्छा एक बात का जवाब दे, तुझे कैसा पसंद है, स्माल मीडियम या लाआआआआआआअरज |
जिस तरह से रोहिणी ने लार्ज को खीचा, रीमा भी रोहिणी के साथ खिलखिलाने लगी | 
रीमा को लगा को इतना भी पर्दा क्या ठीक, जब दीदी इतना खुल गयी है तो मै क्यों खुद को लिहाज के बोरे में बंद रखु |
रीमा - दीदी अब आपके इतना तो एक्सपीरियंस है नहीं, मैंने तो ये भी सुना है आपने ही सारा काम ज्ञान जीजा को दिया है |
रोहिणी - तू जीतनी सीधी' दिखाती है उतनी है नहीं, मै कुछ और पूछ रही हूँ और तू जलेबी बनाकर मुझे ही गुमाए दे रही रही है, शैतान कंही की | सच सच बचा किस किस साइज़ के खा चुकी है मुई |
रीमा थोड़ा सा शरमाते हुए झेपते हुए - सारे |
रोहिणी अपने गालो पर हाथ रख कर मुहँ फैलाते हुए - हाय हाय मेरी कट्टो तुम तो छुपी रुस्तम निकली | मुझे पता था इतनी हसीन औरत ज्यादा दिन तक चूत की खुजली बर्दाश्त ही नहीं कर सकती | 
रीमा मासूमियत से - क्या मै खूबसूरत हूँ दीदी |
रोहिणी - हाय मै मर जावा इस मासूमियत पे | अरे मेंरी कट्टो रानी तू बहुत खूबसूरत है, इतनी की मुझे डर है कही ये भी तेरे नाम की मुट्ठ न मारते हो | 
रीमा - दीदी छी छी छी छी छी छी  कैसी बाते करती है |
रोहिणी - मुझे तो ये भी लगता है ये हमरे खसम मौनी बाबा कही तुझे चोदने के सपने भी न देखते हो | 
रीमा मुहँ बनाते हुए  - दीदी छी छी छी छी छी छी  बस करो दीदी, वरना सारा सारा नशा यही काफूर हो जायेगा | हाय हाय हाय आप ये सब कैसे सोच लेती हो |
रोहिणी फुल नशे में थी - जब 11 इंच मोटा लम्बा तगड़ा लंड एक झटके में निगल सकती हूँ तो क्या नहीं कर सकती |
अब चौकने की बारी रीमा की थी - हाय दईय्यिया इतना बड़ा है |
रोहिणी - चौंक गयी, बोल तुझे चखना हो तो बताना, ये तो अपने पालतू है जहाँ कह दूँगी वहां चाटना शुरू कर देगें |
रीमा सवालिया लहजे - क्या ???
रोहिणी - मर्द को क्या चाहिए ...............(थोड़ा रूककर एक दुसरे की आँखों में आंखे डालकर) बोल क्या चाहिए | फिर दोनों एक साथ बोल पड़ी - चूत | इसके बाद फिर से खिलखिलाकर हँसने लगी | 
रोहिणी रीमा को छेड़ते हुए - बता करेगी ११ इंच के नागनाथ के दर्शन | सबके बस का नहीं होता ११ इंच का घोटना लेकिन मुझे पूरा यकीन है तू पूरा निगल जाएगी |
रीमा - ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़ दीदी अब छोड़ो भी न | आप तो बात को पकड़कर ही बैठ गयी |
रोहिणी - देख कट्टो तू है तो एक नंबर की हरामन, इत्ती देर में पहचान गयी हूँ, अब खुलकर बात कर न | दीदी बोलती है तो सच बता |
रीमा - क्या बताऊ |
रोहिणी - सबसे बड़ा अब तक कितना बड़ा घोंट चुकी है | शर्मा मत, ऐसे बता जैसे अपने बचपन की सहेली के साथ बैठी हो |
रीमा थोड़ी शर्माते हुए - अब क्या बताऊ दीदी, कोई इंची टेप लेकर तो नापता नहीं |
रोहिणी उत्साह से - कोई नहीं कोई नहीं, अंदाजा | 
रीमा - सात आठ इंच या ज्यादा से ज्यादा 9 होगा |
रोहिणी - हाय मै वारी जावा तेरी मासूमियत पर, हरामन 9 इंच मोटा लंड घोट चुकी है और ऐसे जता रही है जैसे अभी सील भी न टूटी हो | सोच जब 9 इंच का घोट चुकी तो २ इंच और सही |
रीमा झुंझलाकर  - दीदी  |
रोहिणी - अरे इसमें परेशान होने की बात क्या है, देख एक ही जिंदगी है, जी भर के जी ले | अगर मन है तो घोट ले अपने जीजा का ११ इंची नागनाथ, मुझे कोई ऐतराज नहीं है |
रीमा - क्या बात कर रही है दीदी...................भला ऐसे कही होता है |
रोहिणी - देख पगली, मुझसे छुपकर कही इधर उधर मुहँ मरेगा और दुनिया भर की बीमारी लाकर मेरी चूत में घुसेड दे इससे तो अच्छा है की मेरा पति जिसको चोद रहा हो उसके बार एमे मुझे पहले से पता हो | एक साथ रहते रहते नीम करेले जैसी जिंदगी हो जाती है | कभी कभी टेस्ट बदलने में कोई हर्ज नहीं है | और अगर घर की बात घर में ही रहे तो इससे अच्छा क्या |
रीमा - दीदी आपको चढ़ गयी है | 
रोहिणी - आदमी शराब पीने के बाद ही सच बोलता है | एक रात चोदने से कोई किसी से दूर नहीं जाता और न ही कोई और किसी के पास आ जाता है | हवस है भूख है , खावो पीवो और मिटावो, जहाँ बन पड़े जिससे बन पड़े | ये सब चीजे रिश्तो में नहीं घुसानी चाहिए थी | हवस का क्या है चाँद पलो की है और रिश्ते बरसो में बनते है | जिंदगी के बाद सबसे ज्यादा कदर रिश्तो की करनी चाहिए | बाकि ये लंड चूत का खेल तो चलता रहता है, इसके लिए ज्यादा दिल से नहीं सोचना चाहिए | अगर किसी को चोदने का मन हो या किसी से चुदने का मन हो तो बात वही निपटा देनी चाहिए | 
रीमा समझ गयी थी रोहिणी अब फुल नशे में जा चुकी है |
रोहिणी काफी शराब पी चुकी थी, अनिल को पता था अगर बोतल ले गयी तो जब तक बोतल ख़त्म नहीं होगी रोहिणी नहीं मानेगी | इसलिए वो बस तीन गिलास में एक एक बड़ा पैग बनाकर लाये | 
पैग आते ही रोहिणी और रीमा उस पर टूट पड़ी | और आधा गिलास एक साँस में ख़त्म कर दिया | रीमा के दिमाग में रोहिणी की बाते घूमने लगी | रीमा ने अनिल की तरफ देखा, उनको देखते ही वो ११ इंच लम्बा मोटा लंड इमेजिन करने लगी | रोहिणी ने तुरंत कोहनी रीमा को कोहनी मारी |  रीमा कुछ समझी नहीं | रोहिणी ने झूमते हुए उसे अपनी बांहों में भरा और उसके कान में कुछ फूसफुसाया - वरी रीमा देख तेरे जीजा को दारू चढ़ गयी है कैसे अकड़ गया है | 
[Image: download%2B%252810%2529.jpg]

रीमा ने अनिल की तरफ देखा और फिर रोहिणी की तरफ सवालिया नजरो से देखने लगी | रोहिणी ने आँखों से ही उसे नीचे की तरफ देखने का इशारा किया | रीमा ने जैसे ही गर्दन घुमाकर नीचे की तरफ अनिल को देखा, अनिल के लाख छुपाने के बावजूद उनके नागनाथ पूरी तरह से अकड़े हुए थे | अब ये शराब  का नशा था या रीमा का लेकिन उनके मोटे ग्यारह इंची लंड का उभर पेंट के ऊपर से साफ़ झलक रहा था | रीमा और रोहिणी को अपनी तरफ ऐसे देख अनिल थोडा सा झेंप गए | उस्न्हे पता था वो दोनों क्या देख रही है लेकिन उसे छुपाना भी तो मुश्किल हो गया था | उन्होंने झेंपते हुए एक जांघ के ऊपर दूसरी जांघ रख दी |

रोहिणी खिलखिलाने लगी - शर्माइये मत मेरे खसम जी | अब जो है सो है, मैंने तो इस कट्टो को भी आपके काले नाग का साइज़ बता दिया है | अनिल का चेहरा देखने लायक था | इतना ज्यादा असहज शायद ही उन्होंने कभी महसूस किया हो | रीमा का चांस मिलने से पहले ही उसकी मल्टी टैलेंटेड बीबी लग रहा है ख़त्म कर देगी |
अनिल - यार रोहिणी क्या गजब करती हो तुम भी, कही भी कुछ भी बोलने लगाती हो , तुम्हे चढ़ गयी है चलो घर चलते है | 
रोहिणी मुट्ठी को बांधकर कोहनी से हाथ मोड़कर ऊपर की तरफ सीधा करते हुए - हद करते हो आप भी अनिल, किसका चढ़ा है वो साफ़ दिख रहा है | 
इतना कहकर वो दोनों आपस में लोटपोट हो गयी और बहुर देर तक हंसती रही | अनिल बस खुद को संयत रखकर पैग सिप करते रहे | जब उन दोनों का अनिल को देखकर चिढाना बंद नहीं हुआ तो अनिल भी अपनी रौ में आ गए | आखिर वो भी तो नशे में डूब चुके थे | उन्हें पता था बीबी को छेड़ा तो यही धज्जियां उड़ा देगी इसलिए उन्होंने रीमा को कुरेदने की सोची | जो की उनका असली मकसद भी था | 
अनिल - अब जब हम सब इतना खुल ही गए है तो अपने  बारे में कुछ बतावो | अपना पहल प्यार, पहला क्रस, पहला सेक्स, या सेक्सुअल फैंटसी , कोई ऐसी डिजायर जो अधूरी हो .............कुछ भी ऐसा जो तुमने अभी तक किसी के साथ शेयर न किया हो | 
रीमा नशे में थी फिर भी उसकी चेतना नहीं खोयी थी  | सच बोल नहीं सकती थी नहीं तो पता नहीं बात कहाँ तक फ़ैल जाएगी | रीमा ने समझदारी से काम किया, बिना किसी हिचकिचाहट के आराम से बोली - जीजा जी जब इन्सान चला जाता है तो उम्मीदे भी मर जाती है जब उम्मीदें मर जाती है तो फिर क्या फैंटसी क्या डिजायर |  उसके बाद ये सब चीजे बेमानी हो जाती है | अपने पति के जाने के बाद मैंने खुद को समेटकर अपने अंदर ही खत्म कर दिया | 
अनिल को पता था रीमा झूट बोल रही है | सटी सावित्री थी तब थी अब तो नहीं है अब तो बस ढोंग कर रही है | इधर  रोहिणी फुल नशे में टूल्ल्ल थी | 
रोहिणी - माना तेरी बात इंसान के जाने के बाद बहुत कुछ ख़त्म हो जाता है मुई, लेकिन चूत तो रहती है और चूत है तो उसमे खुजली भी होगी | अब सच सच बता कितने लंड खा चुकी है अब तक मेरी कट्टो |  
रीमा फंस सी गयी | अनिल ने भी रोहिणी को सपोर्ट किया -  यह  बात तो सच है कि एक इंसान के जाने के बाद में आदमी अंदर से टूट जाता है उसकी  सारी इच्छाएं मर जाती हैं लेकिन फिर शरीर तो इच्छाओं से नहीं चलता शरीर की तो अपनी जरूरतें होती हैं | तुम अपना सुख दुःख, अपनी डीप डिजायर्स, फोर्बिडन डिजायर्स हमारे साथ शेयर कर सकती हो |
रीमा को रोहित के सिखाये लेसन याद आगये | भावनाओं के आगे दिमाग | रीमा बोली - मेरी जिंदगी तो रेगिस्तान के बगीचे की तरह है यहाँ ऐसा कुछ है ही नहीं जो बताने लायक हो |
रोहिणी रीमा को सांत्वना देती हुई - भरी जवानी में विधवा होने का दुःख और बोझ तुझसे ज्यादा कौन जान सकता है |
अनिल - कई बार हम जिंदगी भर अपनी दबी ख्वाइस का बोझ लिए मारे मारे फिरते रहते है, क्योंकि हमारे पास कोई नहीं होता जिसे हम बता सके | फिर सेक्स की फैंटसी तो ऐसी है की उन्हें तो हम खुद से भी छिपाते फिरते है | हमें तुम खुलकर बता सकती हो | 
रोहिणी को अनिल का दुबारा से जोर डालकर पूछना पसंद नहीं आया - क्यों कुरेद रहे हो उसके दबे जख्मो को, एक बार उसने बोल दिया समझ नहीं आया  |
रोहिणी की झिड़क से अनिल अन्दर ही अन्दर कुढ़ गए | पता नहीं क्या समझती है अपने आप को, कुत्ता बनाकर रखा हुआ है | किसी के सामने भी मेरी इज्जत का फालूदा कर देती है | अन्दर ही अन्दर कुढ़ कर रहे गए क्योंकि रोहिणी को चैलेंगे करने की हिम्मत नहीं थी | उनका स्वाभाव नहीं था औरतो पर जोर दिखाने का | उन्हें औरतो की दासता स्वीकार थी | उनका मानना था कि औरते पुरुष को न केवल नियंत्रित रखती है बल्कि उनके जीवन को भी संतुलित रखती है |
Like Reply
रात काफी हो गयी थी और पैग ख़त्म हो चुके थे | रोहिणी पूरी तरह से नशे में फुल हो चुकी थी | रीमा और अनिल भी कमोवेश उसी हालत में थे | अनिल को लगा अब यहाँ से चलना चाहिए नहीं तो पता नहीं नशे में फुल रोहिणी कही उनका फलूदा यही न बना डाले | 
रोहिणी ने रीमा से लिपटकर विदाई ले और जल्दी ही फिर से ऐसी ही पार्टी करने का फैसला किया | रीमा दोनों को पिछले गेट तक छोड़ने आई | रात को आगे की सड़क पर कई बार आवारा कुत्ते आ जाते है इसलिए रात में पिछले रास्ते से जाना सेफ है ये रास्ता इस कालोनी के सारे घरो को जोड़ता है और बाहर से बंद है | दोनों धीमे कदमों से टहलते हुए रोहित के घर की तरफ चल दिए | अनिल जानबूझकर अपना फ़ोन रीमा के यहाँ भूल आये थे | गेट पर पंहुचते ही रोहिणी से बोले- तुम मेरा फ़ोन लायी हो न |
रोहिणी - भला मै तुमारा फ़ोन क्यों लाऊंगी |
अनिल - अरे तो मेरा फ़ोन रीमा के यहाँ ही छोड़ दिया |
रोहिणी - तुमारा ये हमेशा का है लेकर आवो |
अनिल तेज कदमो से वापस भागे | पीछे का दरवाजा खुला हुआ था | तेजी से अन्दर घुसे और जैसे ही डाइनिंग हाल में पंहुचे | उनकी गर्दन अपने आप ही बायीं तरफ घूम गयी | रीमा ने अनिल के जाने के बाद अपने सारे कपड़े उतार फेंके थे | उसके दिमाग में बस रोहिणी की बात ही घूम रही थी | किस औरत को अपनी खूबसूरती की तारीफ अच्छी नहीं लगती| यहाँ तो औरत ने औरत की तारीफ करी थी | रीमा बस आईने के सामने खड़े होकर अपने हुस्न को निहार रही थी | रीमा हर तरह से मंत्र मुग्ध होकर बस अपने ही रूप में खोयी हुई थी | बाहर हाल में अँधेरा था और कमरे में भरपूर रोशनी | इसलिए रीमा के इस नंगे जिस्म के दर्शन अनिल को सर्वसुलभ थे लेकिन रीमा अनिल को देख पाए इसका कोई चांस नहीं था जब तक की वो बेडरूम वाले कमरे से बाहर न निकले | अनिल तो स्वर्ग जैसी अपसरा का हुस्न लिए रीमा की नंग्न देह दर्शन में दिल दिमाग और आत्मा से खो गए | क्या सौन्दर्य है, स्त्री की नंग्न देह का अद्वतीय अद्भुद, कल्पना से परे ये नग्न प्रदर्शन, वर्षो से तपस्या में लीं ऋषियों का ताप तोड़ दे, फिर अनिल तो बस एक अदना सा इंसान था | अनिल अपनी आँखों से ही अपलक रीमा के सौन्दर्य को घूट घूट अपने दिलो दिमाग में उतारने लगा | 
बिखरी बिखरी लट, चंचल हिरानी जैसे आंखे, रस टपकाते गुलाबी तीखे नुकीले ओंठ, सुराही के मुहँ जैसी पतली गोरी गर्दन, उसकी उठी हुई उभरी हुई उन्नत छातियाँ, और सीने के उभरे उन्नत उरोजो की छोटी छोटी पहाड़ियों पर स्थित हल्का भूरा गुलाबी रंग की चुचियाँ | आआहह्ह क्या बनावट थी, क्या उभार थे क्या रंग था..... सीधे स्वर्ग से उतारी नग्न अप्सरा जैसा, जितना सुना था उससे कही बढ़कर, कही उत्तम कही ज्यादा अद्भुद, सब्द नहीं थे ऐसे सौन्दर्य के लिए |   सीधा सपाट गोरा चिकना पेट, जैसे दो छोटी छोटी पहाड़ियों के बाद सपाट मैदान हो  और उस मैदान सुघढ़ गोल गहरी नाभि , नाभि के नीचे की तरफ चिकना ढलान लाइट इलाका जो जन्नत की सुरंग पर जाकर ख़तम होता है और उसकी सफाचट चिकनी चूत त्रिकोण घाटी की मखमली ढलान ...........................देखकर कोई भी मदहोश हो जाये | धवल स्वेत गुलाबी लालिमा लिए रीमा का दमकता मदहोश करता मदमस्त नंगा जिस्म | 

[Image: Dshphh6V4AAYLHY.jpg]

उसकी गोरी चिकनी नरम पीठ और नीचे की तरफ बल खाती कमर, उफ़ मुर्दे भी कब्र से निकल कर खड़े हो जाये | कमर में पड़े बल इस बात की निशानी थे की अब उसके कमर के निचले हिस्से की पहाड़ियों की चढ़ाई शुरू हो चुकी है |  उसके पिछवाड़े की ऊँची ऊँची मांसल ठोस उठी हुई पहाड़ियां, उन पहाड़ियों के  ही नरम मांस के बोझ से बल खाती उसकी जांघे, जो किसी केले के तने की तरह चिकनी और ठोस थी ................. किसी भी लंड की नसे फाड़ने का मादा रखती थी | अनिल के पेंट में अकडन जबदस्त बढ़ गयी |
ऊपर से नीचे तक बनावट में, उभारो में, कसाव में कटाव में रीमा के गुलाबी जिस्म की कोई सनी नहीं थी | रीमा के शरीर के सेंसर जबरदस्त थे | उसे अहसास हुआ बाहर कोई है लेकिन इस वक्त कौन हो सकता है | फिर कुछ सोचकर वो मुस्कुराई, असल में अनिल के जाने के बाद उसने उनका मोबाईल देख लिया था | लेकिन उसे ये नहीं पता था जीजा जी इतनी जल्दी लौट आयेगें | अपने होशो हवास में होती तो शायद कुछ और बात थी | उसने अनुमान लगाया की उसे छिपकर शायद वही देख रहे है | वो तेजी से गयी और पिछला दरवाजा बंद करके फिर से कमरे में आ गई | अनिल ने बमुश्किल खुद को एक परदे के पीछे छिपाया | फिर से आकर वैसे ही कड़ी हो गयी जैसे कुछ हुआ ही न हो | आगे पीछे ऊपर नीचे अपने जिस्म का कोना कोना खुद को नुमाइश करने लगी | बार बार खुद को शीशे में देखती मुस्कुराती, एक बार झाके से वो उस तरह को घूम गयी जहाँ से अनिल उसके अनिर्वचनीय सौन्दर्य का रसपान कर रहे थे | उसकी लहराती जुल्फे बार बार उसके चेहरे पर आ जाती | उसकी काली कजरारी आंखे और उसने कातिलाना अदा के साथ बाहर की तरफ देखना, जैसे कोई आमंत्रण हो | उसके उभरे हुए वक्षस्थल और उसकी चोटियाँ रीमा के सौंदर्य में चार चाँद लगा रहे थे | उसके उभरे हुए कुल्हे और पीछे को उठी हुए सख्त ठोस सख्त मांसल चूतड़ और उनके कटाव झुकाव बस देखते ही बनते थे | अनिल का मन तो कर रहा था जाकर उसके धवल गुलाबी उठे हुए मांसल चुताड़ो को अपने सख्त हाथ से मसल मसल कर बिलकुल टमाटर जैसा लाल कर दू | अनिल से अब बर्दाश्त से बाहर था | रीमा के नग्न साक्षात् अप्सरा स्वरुप से दर्शन के बाद उनके लंड में जो अकडन आई वो तो आई ही उनके दिलो दिमाग में रीमा के जिस्म का पोर पोर छप गया | रीमा कुछ देर तक बाहर के अँधेरे की तरफ घूरती रही, फिर समझ गयी अनिल अब आगे नहीं बढ़ेगे, इसलिए वो फिर से सीधे की तरफ सीधी होकर अपने ही सौंदर्य का अपनी ही कजरारी चंचल तीखे नैनो से रसपान करने लगी | 


[Image: Sabine-Jemeljanova-Nude-1.jpg]
 
जब रीमा को लगा अब अनिल इससे आगे नहीं बढ़ेगे और इसी तरह चोरी चोरी उसके दमकते जिस्म का अपनी आँखों से रसपान करेगें तो वो भी अपनी रेशमी जुल्फे लहराती हुई बिस्तर पर आकर लेट गयी | जब से रोहिणी ने अनिल के लंड के बारे में बताया, लालसा तो उसके मन में भी जाग उठी की एक बार जीजा जी के नाग नाथ के दर्शन तो किये ही जाये लेकिन कैसे ? वो अभी भी फुल नशे में थी इसलिए उसे अपनी कामनाओं को अपने ही मन में जाहिर करने में कोई शर्म नहीं महसूस हो रही थी, वरना और कोई वक्त होता तो शायद अब तक इस ख्याल के लिए खुद को ही 20 बार कोस चुकी होती | कैसा होगा ११ इच्नी नागनाथ | दीदी की तो चीखे उबल पड़ती होगी | अरे अब कहाँ, अब तो दीदी को इसकी आदत हो गयी होगी | कैसे एक बार में ले लेती होगी फुफकारते ललकारते भीमकाय काले नागनाथ को | मै तो मर ही जाउंगी | रीमा अपने ही ख्यालों में खोयी एक करवट हो गयी | उसके रेशमी बाल बिस्तर पर फैले हुए थे | उसकी गोरी पीठ अलग ही दमक रही थी और उसके भरी भरकम ऊँचे ऊँचे उठे हुए मांसल चुताड़ो की पहाड़ियों के उभार हाहाकारी लग रहे थे | उसके भारी भरकम चुताड़ो के पहाड़ियों की संकरी घाटी के बीच में से उसकी गुलाबी चूत के सटे हुए ओंठ नजर आ रहे थे | रीमा ने हलके से घुटने मोड़ लिए और हल्का सा गर्दन पीछे मोड़कर देखने लगी | शायद अनिल को संदेसा दें चाहती थी देख लो मेरा खूबसूरत जिस्म, देख लो मेरे चूतड़, मेरी जांघ, मेरी हाथ, मेरी पीठ और देख लो भारी भरकम चुताड़ो के बीच से झांकती मेरी चूत को | 
अनिल की हालत बहुत बुरी हो गयी | उनका शरीर पसीने पसीने हो चूका था | अपनी पेंट के अन्दर हाथ घुसेड़कर अपने नागनाथ को अब मसलने लगे थे | 

[Image: ftop.ru_109661.jpg]
 
 लगे थे रीमा ने अपने जिस्म को सहलाना शुरू कर दिया | शायद वो भी अनिल से खेलना चाहती थी, उसे नहीं परवाह थी की ये गेम कहाँ जाकर खतम होगा लेकिन फिलहाल वो अभी तो इन सब बातो के बारे में नहीं सोच रही थी | 
अनिल की हालत और बिगड़ रही थी | हालाँकि वो बंदा भी बहुत खेला खाया हुआ था इलसिए खुद को काबू करना आता था | उसे उसकी बीबी ने ही सिखाया है औरत को इतना मजबूर कर दो की खुद ही तुमारी बांहों में आकर बोले अब मुझे चोद दो |  अगर मर्द औरत के पास पहले गया तो औरत चुदने में इतने नखरे दिखाएगी की आदमी की गांड से पसीना निकाल देगी |
और आगे हमेशा के लिए इसे ही अपना ट्रेडमार्क बना लेगी | इसलिए अनिल का फंडा था अपने जिस्म में चूत की प्यास उतनी जगावो जीतनी आपके लंड में सामने वाली चूत में आग लगाने की कुव्वत हो | एक बार आपके लंड के नाम की आग किसी चूत में लग गई फिर तो आप ही का लंड असली फायर ब्रिगेड है | जब मर्जी हो जीतनी मर्जी हो उतनी आग बुझाओ, जब तक न बुझे , चूत को मसलते रहो, कुचलते रहो, हंसी ख़ुशी राजी होकर औरत चुदवाती रहेगी | लेकिन आज ऐसा लग रहा था रीमा को देखकर उनका सारा काम ज्ञान फ़ैल होने वाला है | उनसे अब काबू नहीं हो रहा था और मन कर रहा था बस जाकर रीमा की जांघे फैलाये और पेल से अपना फनफनाता नागनाथ रीमा की गुलाबी चूत की मखमली गहराइयों में | कसम से रीमा जैसी चूत से एक रात में तो मन नहीं भरेगा | इसे तो कम से कम महीने भर तक चोदना होगा | क्या करू क्या न करू उनकी कुछ समझ नहीं आ रहा था |

रीमा को पता था अब अनिल इससे आगे जाने वाले नहीं है और उसकी आँखों में भी शराब और नीद का नशा पूरी तरह से घर कर चूका था |  रीमा ने बेड पर लेटे लेटे ही हल्का सा स्लीपिंग म्यूजिक बजा दिया और सोने के लिए अपने ऊपर चादर डाल ली | इधर अनिल बहुत उधेड़बुन में थे | रीमा को चोदना उनका सपना था और रीमा बस कुछ फुट और एक दीवार की दूरी पर पूरी तरह से नंगी लेती है | उनका लंड भी बुरु तरह से अकड़ा हुआ है | अब इससे अच्छा मौका दुबारा कहाँ मिलेगा | अभी वो शराब के नशे में है इसलिए उसे भी कहाँ कुछ पता चलने वाला है | एक बार पुछुगा, हाँ बोलेगी तो ठीक नहीं बोलेगी तो ठीक | साली को अपनी जांघ के नीचे दबाकर उसकी गुलाबी चूत में लंड पेल दूगां | बाकि एक बार चूत में लंड गया तो गया फिर झड़ने से पहले तो निकलेगा  नहीं | सुबह जो भी रोना धोना होगा वो सुबह देखा जायेगा | रोहिणी के पैरो में गिर कर माफ़ी मांग लूगाँ | अपने अन्दर जमकर करके विस्वास इकठ्ठा करने के बाद अनिल ने रीमा के बेडरूम की तरफ कदम बढाया | इससे पहले वो दूसरा कदम बढ़ाते उनका फ़ोन घनघनाने लगा | गनीमत तो ये थी की वाइब्रेशन मोड में था वरना आज उनका पकड़ा जान निश्चित था | फिर के सामने ही उनकी चोरी पकड़ ली जाती | वाइब्रेशन की आवाज रीमा के कानो तक पहुँच गयी | जीजा को रंगे हाथो पकड़ने का इससे बेहतर कोई मौका नहीं था | यही सोच रीमा ने अपने जिस्म पर से हलकी चादर खिसकाई, चादर उसके कमर के नीच पहुँच गयी | उसकी चिकनी पीठ, भारी भरकम उठे हुए चूतड़ और उसका नंगा गोरा जिस्म कमरे की रौशनी में नुमाया हो गया | इससे पहले वो उठती  उसे वाइब्रेशन की आवाज दूर जाती सुनाई दी | रीमा पीठ के बल लेटे लेटे बाहर की तरह देखने लगी | जैसे अनिल को चुनती दे रही हो देख फट्टू एक नंगी चूत तेरे सामने लेती है और तू बस अपना लंड सहला रहा है | अनिल अब तक बाहर की तरफ जा चुके थे | अनिल ने आइस्ते से पिछला दरवाजा खोला और बाहर निकले और फिर कॉल रिसीव की | कॉल उनकी पत्नी की जो उनसे फ़ोन मिला या नहीं ये जानना चाह रही थी | रीमा हल्का सा मुस्कुराई, थोडा सा अपने जिस्म पर इतराई और फिर तकिये में मुहँ घुसाकर सोने की कोशिश करने लगी | 

[Image: nude-female-ass-photos-2.jpg]
Like Reply
Words are worthless to describe this update.....

रीमा की कोई सीमा नही है...

मैने आजतक पढी कहानिओ मे रीमा का किरदार सबसे अलग और strong दिखाई दिया हैं... आगे जाकर बहोत चुदाई होगी, बहोत मुश्कीलो का सामना करना होगा, लेकिन रीमा का ये behavior बरकरार रखना दोस्त...
REPS ADDED...
Like Reply
बहुत बहुत धन्यवाद, हमेशा की तरह आपकी तारीफ़ हमेशा मेरा उत्साहवर्धन करती है  welcome welcome
Like Reply
शानदार
Like Reply
Bhut hee shandar update
One of the best stories on this forum
Like Reply
(07-07-2019, 02:11 AM)Badstar Wrote: Bhut hee shandar update
One of the best stories on this forum

Thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 14 Guest(s)