Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Fantasy दीदी संग ओरल सेक्स का मजा
#1
दीदी संग ओरल सेक्स का मजा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
ये बात 2008 की है. उस वक्त मैं पढ़ा करता था पर मैं हस्तमैथुन और सेक्स करने की विधि जानता था.

मेरी कजिन का नाम कोमल था, वो मेरी बड़ी बुआ की बेटी थी, जिनका स्वर्गवास हो चुका था और उसके पिताजी कुछ ज्यादा कमाते भी नहीं थे. वो पास ही के गांव में रहते थे. उसकी उम्र उस समय 18 वर्ष थी.
मेरे पिताजी ने उसके अच्छे भविष्य का सोच और उसे आगे की पढ़ाई के लिए हमारे यहां ले आए.

एक दिन मैं कॉलेज से घर लौटा तो उसको मैंने घर में पाया. मैंने उसे एक लम्बे अरसे के बाद देखा था तो पहले तो मैं उसको पहचान ही नहीं पाया. वो अब काफी बदल चुकी थी. उसका सांवला रंग, अच्छी देह और सवा पांच फुट की हाइट, उस पर तने हुए मस्त बोबे, चौड़ी गांड … बड़ी मस्त माल में बदल चुकी थी वो. इस वक्त दीदी ने सलवार कुर्ता पहन रखा था, जो उसे एकदम फिट आ रहा था.
मैंने ध्यान से उसको निहारा तो उसकी सुन्दरता मुझे घायल करने लगी. उसने एक नथनी डाली हुई थी, जो कि मेरा ध्यान बार बार खींच रही थी. वो सच में खूबसूरत लग रही थी. मुझे तो मानो प्यार सा हो गया था.

हमने खूब बातें की. जैसे तैसे दिन खत्म हुआ, अब वक्त सोने का हो चला था. हमारे घर में दो कमरे थे. एक में मम्मी पापा सोते थे, एक में मैं और मेरी बहन सोती थी. पर अब दीदी आ गयी थी, उसे कहां एडजस्ट करें. तो ये डिसाइड किया कि उसे हमारे रूम में ही सोना पड़ेगा क्योंकि हॉल में तो रात में सर्दी लगेगी.

सब सोने लगे. मैं, दीदी और मेरी बहन भी बिस्तर पर लेट गए. दीदी हम दोनों के बीच में सोई, क्योंकि हम दोनों भाई बहन को उससे बातें जो करनी थीं. फिर कुछ देर बात करके हम सो गए.

दीदी ने अब पढ़ाई चालू कर दी. एक दो दिन में उसकी ट्यूशन भी चालू हो गई जो कि दोपहर में होती थी. दिन गुजरते गए.. मैं बस दीदी की खूबसूरती को निहारता रहता था, छुप छुप कर उसे बाथरूम में नहाते देखता. जब वो पेशाब करने या हगने जाती थी, तब किसी न किसी तरह उसको देखने का प्रयास करता रहता. उसकी काली चूत थी, जिस पर बालों का जंगल उगा था, जो कि पेशाब करते वक्त पूरा गीला हो जाता था. जिसे वो अच्छे से झटक कर साफ करती थी.

मेरी हवस दिनों दिन उसके लिए बढ़ रही थी. मैं हर कीमत पर उसे पाना चाहता था, चोदना चाहता था. मुझे सेक्स का पूरा पता था, बहुत से सेक्स वीडियो देखे थे, लंड भी हिलाना जानता था, मेरा लंड तब शायद 4-5 इंच का ही रहा होगा.

एक दिन दोपहर की बात है, दीदी ट्यूशन जाने के लिए रेडी हो रही थी. तभी मैंने हमारे दरवाजे के गैप से देखा, वो सफेद ब्रा पैंटी में थी. क्या मस्त बूब्स थे उसके.. और छोटी से टाईट पेंटी में उसकी गांड ऐसे उठी हुई थी.. मानो स्वर्ग का दरवाजा देख लिया हो. मैं उसे इस रूप में देख कर दंग रह गया. वो परी सी लग रही थी. इस तरह से उसे देख कर उसके लिए मेरी वासना और बढ़ गयी. मेरा लंड तो बस तरस रहा था. चार पांच मिनट तक मैंने उसे ऐसे देखा, फिर उसने कपड़े पहन लिए और मैं वहां से चला गया.

उस रात जब हम सोये, तो मैं अपनी नजरें दीदी के बोबों से हटा ही नहीं पा रहा था. खैर कुछ ही देर बाद सब सो गए. बस मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं तो दीदी का वही रूप सोच सोच कर बस पागल हुआ जा रहा था.

तभी दीदी ने करवट बदली और अब उसकी गांड मेरी तरफ हो गयी. वो दूसरी चादर में लेटी थी. मैंने अपनी चादर भी उसके ऊपर डाल दी और फिर धीरे से उसकी चादर में घुस गया. उसे अपने बगल में भर लिया. मैंने नोटिस किया कि उसका कुर्ता कुछ ऊपर की ओर उठा हुआ है. चूंकि मैं उसको बगल में भरे हुए था, तो मेरा हाथ सीधा उसके खुले पेट पर पड़ गया. मैंने धीरे से हाथ कुर्ते में डालना शुरू किया. उसने कोई हरकत नहीं दिखाई, तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी. मैंने हाथ और अन्दर डाला तो मेरा हाथ सीधा उसकी ब्रा की पट्टी पर लगा. मुझे उसके गोल बड़े बड़े बोबे महसूस होने लगे थे. मैंने हिम्मत करके हाथ ब्रा के अन्दर डाल दिया.

सच बोलूँ तो उस वक्त मैं बहुत डरा हुआ था. मुझे ये डर लग रहा था कि कहीं ये जाग गयी, तो क्या होगा.
मगर दूसरी तरफ मेरी हवस मुझे हिम्मत दे रही थी. मैंने कुछ देर तक धीरे धीरे उसके बूब्स दबाये. फिर ज्यादा रिस्क ना लेते हुए मैंने हाथ बाहर निकाल कर सो गया.

सुबह सब माहौल नार्मल था, शायद उसे इस बात का एहसास नहीं हुआ था.

फिर रात हुई, हम सब कल के जैसे सोए, पर मुझे नींद कहां थी. आज भी वही सब वापस हुआ. इस बार मैंने कुर्ता ऊपर किया और हाथ अन्दर डाल कर उसके बोबे दबाने लगा. उसने कोई हलचल नहीं दिखाई. शायद उसे पता नहीं था या वो बहुत गहरी नींद में थी.

मैंने एक बोबे को ब्रा ऊपर से ही बाहर निकाला और दबाने लगा. मेरी सगी बहन पास में ही सो रही थी. मुझे उसके जागने का भी डर था, मगर न जाने मैं ये सब कैसे कर पा रहा था.
दीदी की पीठ मेरी तरफ थी … मतलब कि मैंने अभी तक उसके बूब्स देखे नहीं थे, सिर्फ फील किये थे.

अब मैं क्या करता, उसको मेरी तरफ मोड़ना मुश्किल था.. ज्यादा जबर्दस्ती से वो उठ सकती थी. मेरी तो सांसें रुक रुक कर आ रही थीं. मैं उससे चिपक कर सोया था, मेरा ध्यान उसकी गांड पर गया, जो मेरी जांघ से सटी थी. मैंने दूसरे हाथ से उसकी गांड का स्पर्श किया, बहुत बड़ी पहाड़ी थी. मैं धीरे धीरे उसके चूतड़ों पर हाथ फेर रहा था. मुझे उसकी पैंटी का एहसास हुआ. मैंने सलवार के अन्दर से हाथ डाला तो उसकी पैंटी का रबर हाथ आया. मैं ज्यादा अन्दर हाथ नहीं डाल सकता था क्योंकि उसने नाड़ा बांधा हुआ था. मैं बस इतना ही कर पाया और उससे ऐसी ही अवस्था में रख कर सो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#3
सुबह रोज़ की तरह नार्मल पाया, सब सामान्य था.

आज शनिवार था मतलब कल कॉलेज की छुट्टी थी. मुझे संडे को जल्दी नहीं उठना होगा. मैं खुश था कि आज रात कुछ ज्यादा होगा. इसी खुशी के मारे दिन निकल ही नहीं रहा था.

रात आयी और हम सो गए. मैं जागता रहा. मैं रोज़ तकरीबन सबके सोने के एक घंटा तक वेट करता था. मैंने फिर से उसके बूब्स को फील करना चालू किया. ये तो जैसे रोज़ होने लगा था. मैं सीधा ही ब्रा के अन्दर घुस गया और दबाने लगा. फिर मैंने अपना हाथ उसकी सलवार में हाथ डाला और नाड़ा खोल दिया, जिससे उसकी सलवार ढीली पड़ गयी. अब मैंने अपना हाथ उनकी पैंटी में डाला और उसकी गांड को फील करने लगा.

ये सब बहुत हॉट था. मेरा लंड तो बस फट रहा था कि अचानक ही उसने करवट ली और मेरा हाथ उसकी गांड को पकड़े नीचे दब गया. शायद ये उसी भी एहसास हो गया, वो उठ गई.
मैंने जल्दी से हाथ हटाया, तो उसने बोला- क्या हुआ?
मैंने सोते हुए नाटक किया और नींद में बोला कि मेरा हाथ आपके नीचे हो गया था.
वो वापस सो गई.

कुछ देर बाद वो उठी और बाथरूम जा कर आयी. उसे ये तो पता चल ही गया था कि उसकी सलवार का नाड़ा ढीला है.. और उसके बूब्स ब्रा से बाहर हैं.

उसे शक तो पक्का हो ही गया था, मगर वो कुछ बोली नहीं. वो बाथरूम से वापस आयी, तब तक उसके कपड़े ठीक हो चुके थे.

मैं समझ गया कि इसे सब पता चल गया है. हम सब सोने लगे. थोड़ी देर हुई तो मुझे लगा कि ये सो गई. मैं ऐसे ही पड़ा रहा. अभी वो मेरी तरफ मुँह करके सोई थी. मैंने फिर हरकत की, उसे बगल भरी, पीछे से उसकी गांड का स्पर्श किया. वो ऐसे ही सोती रही, मुझे एहसास हो गया कि सो गई. मैंने गांड में हाथ डालना चाहा, मगर नाड़ा टाइट बंधा था, तो मैंने कुर्ता ऊपर किया और पीछे से उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा.

मेरा मुँह उसके बूब्स के बहुत करीब था मेरी सांसें उसके बूब्स पर टकरा रही थीं. मैंने जोर से गर्म गर्म सांसें उसके बूब्स पर मारीं, इससे हवस बढ़ती है और यही हुआ.

वो हिली तो मैंने हाथ फेरना भी जारी रखा. तभी उसने भी मुझे बगल भर ली और अपना एक पैर मेरे ऊपर डाल दिया. मैं समझ गया कि वो गर्म हो रही थी. मैंने उसकी गांड दबाना शुरू किया, तो उसके हाथ में भी हलचल हुई. वो अपने नाखून मेरी पीठ में चुभोने लगी. मैं समझ गया कि ये जग रही है, बस बयां नहीं करना चाहती.

उसके चेहरे से उसकी हवस साफ जाहिर हो रही थी. उसके होंठ खुले थे, जिनमें से अब हल्की कामुक सिसकारियों की आवाज सुनाई पड़ रही थी. अब मैं जब जब उसकी गांड दबाता, वो तब तब एक मीठी से सिसकारी भर लेती और मेरे पीठ पर नाखून गड़ा देती.

मैंने अपना चेहरा ऊपर उठाया. उसके होंठों के पास ले गया और बहुत ही धीरे से अपने होंठों को उसके होंठों से लगा दिया. उसकी मुँह से निकली गर्म हवा मेरे मुँह में मैं महसूस कर पा रहा था. मैंने धीरे से अपनी जुबान बाहर निकाली और उसके मुँह में डाल दी. मेरी जीभ उसकी मुँह में चली गयी. अन्दर उसकी जीभ से मेरी जीभ जा टकराई.

आह … ये बहुत ही अनोखा अहसास था. उसने भी रेसपोंड किया, वो भी अपनी जीभ को हलचल में लायी और कुछ ही पलों में हम दोनों की जीभ लड़ने लगी. वो मेरे जीभ चूसती, मैं उसकी.. और हम एक दूसरे को बांहों में लिए हुए एक दूसरे से चिपक रहे. किस लेते लेते ही मैंने अपना हाथ आगे किया और उसकी सलवार का नाड़ा दे खोला. फिर हाथ आगे करके उसकी पैंटी में डाल दिया.

चूत पर हाथ लगा तो मानो जैसे अन्दर तो बालों का जंगल उगा था. ढेर सारे घने बाल हाथ में आ गए. मैं समझ गया कि इसने आज तक कभी बाल बनाये ही नहीं हैं. पर ये और भी ज्यादा हॉर्नी था. मैं उसकी चूत पर हाथ फेरता गया और आखिर में मुझे चूत का एहसास हुआ. वो बहुत ही फूली हुई थी और बहुत नरम थी मानो जैसे स्पंज और भट्टी की तरह तप रही थी.

मैंने जैसे ही चूत को छुआ दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया. शायद वो आगे नहीं बढ़ना चाहती थी. मैंने फिर कोशिश की तो उसने हाथ बाहर निकाल दिया और गांड से लगा दिया. मैं समझ गया कि ये शायद कुछ और चाहती है इसीलिए मैंने जबरदस्ती नहीं जताई.

उसने अपनी आंखें अभी भी बंद ही रखी थीं. तभी उसने करवट बदली और मेरी तरफ पीठ कर ली. मैंने कुर्ते में हाथ डाल दिया और बोबे बाहर निकाल दिए. अब मैं उसके मम्मे दबाने लगा. मैं रोज़ दबा दबा कर बोर हो गया था. आज मैं उन्हें पीना चाहता था. मैंने दीदी को मेरी तरफ घुमाया, तो वो आसानी से घूम गयी. उसके बूब्स मेरे सामने आ गए थे. रूम की लाल लाइट में उसके वो मादक बोबे सच में क्या छटा बिखेर रहे थे, क्या बताऊं आपको … मैं वो फीलिंग बयान नहीं कर सकता. उसके निप्पल और भी काले और मादक थे. मैंने एक को मुँह में ले लिया.. और पीछे हाथ करके उसकी गांड में डाल कर दबाने लगा. वो भी सिसिया रही थी. उसका एक हाथ मेरी गांड दबा रहा था और नीचे वाले हाथ खाली पड़ा था.

मैंने उसे पकड़ ओर अपना लंड उसके हाथ में दे दिया, वो लंड दबाने लगी थी. उसने मेरा लंड दबा दबा कर दर्द कर पैदा कर दिया था. कभी मैं उसे चूम रहा था, तो कभी उसके बोबे को चूस रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
कमरे का माहौल बहुत गर्म हो गया था. वो अधनंगी थी और मेरे भी शॉर्ट्स नीचे हुए थे. ये सब आधा घंटा चला और मेरा पानी निकल गया. मेरा अंडरवियर गीला हो गया और उसका कुर्ता भी मेरे लंड के माल से गीला हो गया. मैंने अपना लंड भी उसके कुर्ते से ही साफ किया और हम सो गए.

सुबह रोज़ की तरह सब नार्मल था, ना उसने रात का कोई जिक्र किया. ना कोई दिन भर मेरी उससे कोई बात हुई.

दिन बीत गया, फिर से रात आयी और वही हुआ जो कल हुआ था. मगर इस बार मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी और मैं ज्याफ देर तक रुका भी नहीं. सोने के 15 मिनट बाद ही चालू हो गया था.
अब ये रोज़ होने लगा, वो रोज़ मेरा पानी निकाल कर सोती थी. ये रोज़ लगभग दो घंटे तक चलता था.

एक दिन दीदी बोली- अब से मैं रोज़ सुबह जल्दी उठ कर पढूंगी.
तो मैं भी इसमें शामिल हो गया. हम रात में एक दूसरे को आनन्द देते और सुबह जल्दी उठ कर पढ़ने बैठ जाते. सर्दी का मौसम चल रहा था. जाहिर सी बात है, बहुत सर्दी पड़ रही थी.

एक दिन दीदी ने सुबह बोला- रवि मुझे बहुत सर्दी लग रही है.
मैंने उसे चादर दे दी थी, मगर 5 मिनट बाद वो वापस बोली कि मुझे बहुत सर्दी लग रही है, प्लीज मुझे तेरी चादर में आने दे.

मैंने हां कहा और हम दोनों एक चादर में आ गए और ऊपर से एक और चादर डाल ली.

उसने कहा- आज मुझे वाकयी में बहुत सर्दी लग रही है, मैं सो जाती हूँ, तू कुछ देर बाद मुझे उठा देना.
मैंने कहा- ठीक है.

वो मुझे बगल में भर के सो गई. मेरी गोद में किताब रखी थी, जो अब किसी काम की नज़र नहीं आ रही थी. मैंने उसे साइड में रख दिया. रूम की लाइट्स अभी ऑन ही थीं. मैंने दीदी की पीठ को सहलाना चालू किया और उसके चेहरे की खूबसूरती को निहारा. सोती हुई वो बहुत ही मासूम और खूबसूरत लग रही थी. फिर मैंने अपना हाथ नीचे ले जाते हुए उसकी गांड को दबाया और हाथ अन्दर डाल दिया. मेरा हाथ आधा ही गया क्योंकि वो पूरी लेटी हुई नहीं थी. दूसरे हाथ से मैंने उसके कुर्ते के ऊपर से बोबे बाहर निकाल दिए और दबाने लगा.

दीदी का चेहरा मेरे सीने से सटा था और उसकी तेज़ सांसें में फील कर सकता था. एकाएक मेरे लंड पर उसका हाथ आ गया और वो लंड को दबाने लगी. उसने मेरा लंड बाहर निकाला और उसे ऊपर नीचे करने लगी. वो अभी भी अपना मुँह नीचे किये हुए थी.

मैंने उसे धीमी सी आवाज में कहा- इसे चूसो ना प्लीज.

उसने मेरी तरफ देखा और हमारी नजरें मिल गईं. जैसे वक्त रुक गया.. सब सुन्न हो गया. अचानक से वो मेरे चेहरे की ओर बढ़ी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी. हमारा चुम्बन काफी लंबा चला और फिर वही हुआ, जो होना था. वो नीचे झुकी और मेरा लंड चूसने लगी. वो चादर से ढकी हुई थी, जो कि और भी हॉट लग रहा था.

उसने लंड चूसा और मेरा पानी निकाल कर मेरे पास कान में आकर बोली- अब मेरा भी पानी निकाल.. मेरी उसे जुबान से चाट.
मैं कुछ कहता या करता तब तक उसने मेरे लंड को चाट कर साफ कर दिया.
फिर वो मेरे कान में आकर दुबारा बोली- अब तू मेरी चाट.

हम दोनों ने पोजीशन चेंज की. मैं चादर के अन्दर गया और वो टांगें खोल कर बैठी रही. मैंने उसकी सलवार निकाली और पैंटी भी हटा दी. मैंने पहली बार उसकी चूत देखी थी. मैं पागल हुए जा रहा था, बस उसे खाने का मन कर रहा था. उसकी बुर पर घने बाल थे. मैंने उन्हें साइड में किया और उसकी काली झिल्ली मेरे सामने आ गयी. साफ जाहिर था, वो वर्जिन थी.
फिर मैं चूत चाटने लगा. करीब 10 मिनट बाद वो झड़ गई. हमने किस किया और वापस सो गए.

अब तो ये रोज़ का काम हो गया था. बस अब उसे चोदना बाकी था. फिर एक दिन मैंने उससे बोला कि क्या हम आगे नहीं बढ़ सकते?
उसने कहा- उससे बच्चा होने का डर है और मेरी अभी सील भी नहीं टूटी है.. इसलिए मुझे अभी डर लगता है.
मैं उसका डर समझ गया मगर मैं उसे चोदना भी चाहता था. यूं ही दिन निकलने लगे, मगर मैं उसे चोद नहीं पाया.

अगले ही साल मेरा एडमिशन एक बोर्डिंग कॉलेज में कर दिया गया और तब तक के लिए हमारा प्यार यहीं तक सीमित रह गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#6
चचेरी बहन के साथ ओरल सेक्स का मजा

b

कॉलेज की छुट्टियों में अपनी मम्मी के साथ नाना के यहां गया हुआ था।

हम लोग दस दिन तक वहां पर रुके और फिर बोर होने लगे।
फिर हमने अपने एक दूर के रिश्तेदार के यहां जाने का प्लान किया। 


तो हम अगले दिन अपने रिश्तेदार के घर जाने के लिए निकल पड़े।
हमें वहां पहुंचने में 12 बज गए।


हम पहुंचे तो जाकर बेल बजाई और एक 19 साल की जवान लड़की ने दरवाजा खोला।
मैं उसको जानता था लेकिन कई साल पहले मैंने उसे देखा था। 


इस बार जब देखा तो देखता रह गया कि तीन सालों के अंदर ही उसके बदन में कितने बदलाव आ गए हैं।
रिश्ते में वो मेरी दूर की बहन लगती थी।


उसका रंग थोड़ा सांवला था लेकिन फिगर बहुत अच्छा था। उसे देखकर कोई भी उसको चोदने की चाहत करे।

उसने हमें अंदर बुलाया क्योंकि उन लोगों को पहले से ही पता था कि हम लोग आने वाले हैं।
हमने थोड़ा आराम किया और फिर खाना भी 1 बजे तक हो गया। 


सर्दियों के दिन थे तो बातों में ही शाम हो गई।
फिर मेरी मम्मी ने पास ही मेरी बुआ के घर जाने के लिए कहा।
इस बार मेरी बहन भी साथ गई। 


रास्ते में हम दोनों के बीच में काफी सारी बातें हुईं और कई बार चलते हुए वो मेरा हाथ भी पकड़ लेती थी।
मुझे भी मजा आ रहा था और बार बार मेरा लंड खड़ा हो जा रहा था।
शायद उसको भी मैं पसंद आ गया था। 


बुआ के घर बातें करते हुए हमें अंधेरा हो गया था।
हम लोग फिर छत पर चले गए और ऊपर जाकर वो मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर घूमने लगी।
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। 


मैंने पैंट पहनी हुई थी और तना हुआ लंड साफ पता चल रहा था।
मेरा मन कर रहा था कि किसी तरह मेरा लंड इसके हाथ में आ जाए।
लेकिन अभी मैं ऐसा कोई कदम उठाने से डर रहा था। 


तभी एकदम से मम्मी ने चलने के लिए आवाज लगा दी तो उसने हाथ छोड़ दिया और हम लोग नीचे आ गए।
हम लोग अब पैदल ही घर जाने लगे।


रास्ते में वो फिर से मेरा हाथ पकड़ रही थी और मेरा लंड उछलता रहा। 

उनके घर आने के बाद हमने रात का खाना खाया और फिर सोने की तैयारी होने लगी।

हमारे रूम में एक डबल बेड था। मेरी बहन मेरी मम्मी के पास सोने की जिद करने लगी क्योंकि वो मेरी मॉम को बहुत प्यार करती थी और मेरी मम्मी भी उसको बहुत प्यार करती थी। 

मैं भी सोचकर खुश था क्योंकि रात को सोते समय मुझे भी शायद उसके बदन को छूने और सहलाने का मौका मिलने वाला था।

हम लोग उसी बेड पर लेट गए और मैं एक कोने में लेटा था। मेरी मम्मी दूसरे कोने में लेटी थी जबकि मेरी बहन बीच में लेटी थी। 

थोड़ी देर के बाद जब मम्मी सो गई तो वो खर्राटें लेने लगी।
ये देख मेरी बहन ने मेरे हाथ पर हाथ रख दिया।


मैंने उसकी तरफ घूमकर देखा तो उसने चुपके से मेरे होंठों पर अपनी उंगली रख दी।
मैं उसका इशारा समझ गया और जब तक मैं कुछ करने की सोचता वो थोड़ी सी सरक कर मेरे कम्बल के अंदर आ गई।


मेरे लंड में एकदम से तनाव आने लगा और मैंने उसके हाथ को पकड़वाकर अपने लंड पर रखवा दिया।
उसने लंड को तो नहीं पकड़ा लेकिन हाथ रखे रही। 


उसके हाथ को मैंने अपने लंड पर दबाए रखा और जल्द ही मेरे लंड में वासना के झटके लगने लगे।
बार बार लंड उसके हाथ के नीचे उछलने लगा।


मैंने उसके होंठों पर उंगली फिरानी शुरू को तो उसने मुंह खोल दिया। मैंने उंगली उसके मुंह में दे दी और वो उसे चूसने लगी।
मुझे मजा आने लगा और लंड में और ज्यादा तनाव आने लगा।
अब मेरा लंड जैसे ऐंठने लगा था। 


मेरी मम्मी दूसरी तरफ करवट लेकर लेटी हुई खर्राटें ले रही थी और इधर मेरी बहन मेरी उंगली अपने मुंह में लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे लंड चूस रही हो।

उसका अंदाज देखकर मैं समझ गया कि यह पहले भी शायद किसी लड़के के साथ सेक्स कर चुकी है।
अब मेरा मन भी उसको चोदने के लिए कर रहा था। 


अब मैं आगे बढ़ना चाहता था और मैंने उसके मुंह से उंगली को बाहर निकाल लिया।
उंगली बाहर निकाली तो उसने मुंह को खुला ही रखा।


उसके होंठों पर लार लगी थी जिससे वो काफी रसीले लग रहे थे। 

उसको देखकर लग रहा था जैसे कि वो मेरा इंतजार कर रही हो कि मैं आगे बढ़कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दूं।
मैंने किया भी वैसे ही!


मैं थोड़ा आगे की ओर सरक लिया और उसके होंठों से होंठ मिला दिए। 

मैंने उसकी टांग को अपनी टांग पर चढ़वा लिया और अब मेरा लंड उसकी जांघों के बीच में उसकी चूत के पास सट गया था।
मैं बड़े ही मजे से उसके होंठों को चूस रहा था।
हम दोनों जरा सी भी आवाज नहीं कर रहे थे क्योंकि मम्मी के जागने का डर भी था।


मेरे हाथ अब उसकी चूचियों पर चले गए।
उसकी चूचियां बहुत ही कसी हुई थीं और हाथ में लेने पर ऐसे लग रहा था जैसे क्रिकेट बॉल से थोड़ी बड़ी किसी नर्म बॉल को दबा रहा हूं।
मैं जोर से उसकी चूचियों को दबाना चाहता था लेकिन उस डर से रुका रहा कि अगर बहन की आवाज निकल गई तो मम्मी जाग जाएगी और सारा खेल वहीं के वहीं बंद हो जाएगा। 


फिर मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल दिया।
नीचे उसने ब्रा पहनी हुई थी। जिसको मैंने उसे खोलने का इशारा किया।


उसने धीरे से उठकर अपने टॉप को ऊपर उठाया और ब्रा के हुक खोल दिए। 

ब्रा निकाल कर उसने तकिया के नीचे दबा ली और मुझे अपनी गोरी और कसी हुई चूचियों की एक झलक दिखाने के बाद फिर से टॉप को नीचे करके लेट गई।

अब उसके टॉप के ऊपर से मैंने चूचियों पर दबाया तो उसकी आजाद चूचियों को दबाने, भींचने और मसलने में ज्यादा मजा आने लगा।

धीरे से मैंने हाथ अंदर डाल दिए और नंगी चूचियों को छूते ही मेरे बदन का पारा एकदम से 100 डिग्री पर पहुंच गया।
मैं उनको पीने के लिए बेताब हो गया।




मैंने उसको अपने पास किया और टॉप उठाकर उसकी चूचियों को मुंह में ले लिया।
मैं बारी बारी से चूचियों को पीने लगा और अब वो मेरी लोअर के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने और दबाने लगी। 


उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपनी लोअर के अंदर अंडरवियर में डलवा दिया और उसका हाथ मेरे लंड पर आकर कस गया।
वो उसकी चमड़ी को ऊपर नीचे करते हुए लंड पर हाथ चलाने लगी और मैं जैसे उसके हाथ को चोदने लगा। 


मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराना शुरू किया और उसकी नाइटी की पजामी में हाथ देकर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को दबाने लगा।
गांड भिचवाने से वो और ज्यादा उत्तेजित होने लगी।


फिर मैं हाथ को आगे ले आया और उसकी नाइटी के अंदर डालकर उसकी चूत को पहली बार छुआ। 

हाथ रखने पर पता लगा उसकी चूत का पानी उसकी पैंटी को गीली कर चुका है।
हम दोनों एक ही कम्बल में थे तो मैंने सरक कर नीचे चला गया और उसकी पजामी को उतरवा दिया।


मैंने उसकी गीली पैंटी पर मुंह लगाकर सूंघा तो उसकी चूत की खुशबू में पागल हो गया। मैंने पैंटी नीचे खींचकर उसकी चूत को चूम लिया जिससे उसने मेरे सिर के बालों को खींच लिया।

मैं उसकी तड़प को समझ गया।
बहन की चूत अपने भाई के गर्म होंठों की छुअन से तड़प गई थी। 


उसकी चूत को पहले मैंने कई बार किस किया और फिर उसको चाटने लगा।

मैं पहली बार चूत चाट रहा था और मुझे सच में बहुत मजा आ रहा था।
मेरी बहन की चूत से लगातार नमकीन रस निकल रहा था। 


चूत का रस चाटते हुए ऐसा मन कर रहा था कि मैं इसको सारी रात ऐसे ही चाटता रहूं।

काफी देर मैंने उसकी चूत चाटी और वो इशारे से लंड डालने की बात कहती रही।
मैं तो चूसने चाटने का पूरा मजा लेना चाहता था। 


फिर मैंने उसको धीरे से दूसरी तरफ घूमने का इशारा किया।
वो घूम गई और उसकी गांड ऊपर आ गई।


अब मैंने उसकी गांड के छेद पर जीभ से चाटना शुरू कर दिया। 

वो बहुत मुश्किल से अपने आप को रोक पा रही थी।
मैंने उसको अब बिल्कुल पेट के बल लेटा लिया और बॉडी को बीच से उठाते हुए उसने गांड ऊपर उठा ली।


अब मेरी जीभ उसकी गांड के छेद से लेकर उसकी चूत तक चाटने लगी थी। 

मेरा बहुत मन कर रहा था कि बस अब इसकी चूत में लंड देकर इसे चोद दूं लेकिन मम्मी भी साथ में सो रही थी इसलिए जल्दबाजी में कुछ नहीं कर सकते थे।

फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी और धीरे धीरे उसकी चूत में उंगली को अंदर बाहर करने लगा।
अब हल्की हल्की सिसकारियों के साथ ऊंह … ऊंह करने लगी। 


मैं उसके ऊपर आया और उसके गाल काटते हुए धीरे से उसके कान में फुसफुसाया- चुप रहो … मम्मी उठ जाएगी।
वो धीरे से बोली- डाल दो ना अब!


मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और फिर से उसकी चूत में उंगली करने लगा।

दो-तीन मिनट के बाद उसके बदन में अकड़न सी हुई और उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकल गया।
वो झड़ गई थी। 


मैंने उसकी चूत से निकले सारे पानी को अपनी जीभ से चाटकर साफ कर दिया।
उसकी चूत को किस करके मैं कम्बल से बाहर आकर लेट गया।


मैं उसके होंठों को फिर से चूसने लगा और उसने मुझे आई लव यू बोल दिया।
फिर उसने मेरे कान में धीरे से कहा- भैया … अपनी बहन को भी तो अपने मन की इच्छा पूरी करने दो?
ये बोलकर वो मेरे कम्बल में नीचे की ओर चली गई और मेरी लोअर को नीचे खींच कर मेरी चड्डी को भी उतार दिया।


मेरा लंड अभी भी उफान पर था। उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया। उसकी एक दो बार मुठ मारकर मेरे तपते लंड को मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी।

वो मेरे लंड को बड़े चाव से चूस और चाट रही थी।
कभी वो उसके टोपे पर चाटती तो कभी मेरी गोलियों को मुंह में लेकर चूसने लगती।


पिछले पांच मिनट से मैं जैसे हवा में उड़ रहा था। कम्बल के अंदर मेरी जांघों के बीच में जैसे वासना का सैलाब होकर गुजर रहा था।
लग रहा था जैसे आज वीर्य की बाढ़ आ जाएगी और वो मेरी लंड की प्यासी बहन के पेट को गले तक भर देगा।


मैंने उसके सिर को पकड़ लिया और जोर से अपने लौड़े पर दबा दिया। लंड का टोपा मैंने उसके कंठ में लगता हुआ महसूस किया। 

मैं भूल गया कि बगल में मम्मी लेटी है और वो उठ भी सकती है।
गनीमत रही कि मेरी बहन ने मेरे हाथों के दबाव को झेलते हुए मेरे लंड को भी गले में जगह दे दी और उसने उल्टी वैगरह नहीं की। 


उसके होंठ मेरे झांटों पर आकर सट गए थे और उसके मुंह की गर्मी के आगे हार मानते हुए मेरे लौड़े ने मेरे टट्टों में वीर्य को उबाल दिया जिससे वो एकदम से मेरे लिंग मुंड से बाहर फूट पड़ा।
दे पिचकारी … दे पिचकारी … मेरे शरीर में लगते झटकों के साथ मैं अपनी लंड की प्यासी बहन के मुंह में खाली हो गया। 


सारा वीर्य उसके मुंह में झाड़ने के बाद मैं शिथिल पड़ गया और मेरी सांसें भारी से धीरे धीरे हल्की होने लगीं।
मैंने ध्यान नहीं दिया कि मेरी बहन ने मेरे वीर्य का क्या किया।
बस मैं स्खलन के आनंद में डूबा हुआ था। 


फिर वो उठी और हांफती हुई कंबल से बाहर गर्दन निकाली।
उसका मुंह लाल हो चुका था और वो बदहवास सी लग रही थी।
उसके होंठ खुले थे जिससे मुझे अंदाजा हो गया कि वो मेरे सांवले लंड के सफेद दूध को वो अपने भीतर में उतार चुकी है। 


उसने थोड़ी नाराजगी भरी नजरों से मुझे देखा और फिर मैंने उसके गाल पर चूम लिया।
फिर मैंने सुरक्षा की दृष्टि से उसको उसके कम्बल में जाने के लिए कह दिया।


मेरा वीर्य तो झड़ गया था और उसकी चूत का पानी भी निकल गया था लेकिन इस आनंद में फिर भी एक अधूरापन था। 
शायद उसकी चूत भी मेरे लंड का अहसास चखना चाहती थी और मेरा लंड भी उसकी चूत की गर्मी महसूस करने के लिए इंतजार करता रह गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
चचेरी बहन के साथ ओरल सेक्स का मजा

b

कॉलेज की छुट्टियों में अपनी मम्मी के साथ नाना के यहां गया हुआ था।

हम लोग दस दिन तक वहां पर रुके और फिर बोर होने लगे।
फिर हमने अपने एक दूर के रिश्तेदार के यहां जाने का प्लान किया। 


तो हम अगले दिन अपने रिश्तेदार के घर जाने के लिए निकल पड़े।
हमें वहां पहुंचने में 12 बज गए।


हम पहुंचे तो जाकर बेल बजाई और एक 19 साल की जवान लड़की ने दरवाजा खोला।
मैं उसको जानता था लेकिन कई साल पहले मैंने उसे देखा था। 


इस बार जब देखा तो देखता रह गया कि तीन सालों के अंदर ही उसके बदन में कितने बदलाव आ गए हैं।
रिश्ते में वो मेरी दूर की बहन लगती थी।


उसका रंग थोड़ा सांवला था लेकिन फिगर बहुत अच्छा था। उसे देखकर कोई भी उसको चोदने की चाहत करे।

उसने हमें अंदर बुलाया क्योंकि उन लोगों को पहले से ही पता था कि हम लोग आने वाले हैं।
हमने थोड़ा आराम किया और फिर खाना भी 1 बजे तक हो गया। 


सर्दियों के दिन थे तो बातों में ही शाम हो गई।
फिर मेरी मम्मी ने पास ही मेरी बुआ के घर जाने के लिए कहा।
इस बार मेरी बहन भी साथ गई। 


रास्ते में हम दोनों के बीच में काफी सारी बातें हुईं और कई बार चलते हुए वो मेरा हाथ भी पकड़ लेती थी।
मुझे भी मजा आ रहा था और बार बार मेरा लंड खड़ा हो जा रहा था।
शायद उसको भी मैं पसंद आ गया था। 


बुआ के घर बातें करते हुए हमें अंधेरा हो गया था।
हम लोग फिर छत पर चले गए और ऊपर जाकर वो मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर घूमने लगी।
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। 


मैंने पैंट पहनी हुई थी और तना हुआ लंड साफ पता चल रहा था।
मेरा मन कर रहा था कि किसी तरह मेरा लंड इसके हाथ में आ जाए।
लेकिन अभी मैं ऐसा कोई कदम उठाने से डर रहा था। 


तभी एकदम से मम्मी ने चलने के लिए आवाज लगा दी तो उसने हाथ छोड़ दिया और हम लोग नीचे आ गए।
हम लोग अब पैदल ही घर जाने लगे।


रास्ते में वो फिर से मेरा हाथ पकड़ रही थी और मेरा लंड उछलता रहा। 

उनके घर आने के बाद हमने रात का खाना खाया और फिर सोने की तैयारी होने लगी।

हमारे रूम में एक डबल बेड था। मेरी बहन मेरी मम्मी के पास सोने की जिद करने लगी क्योंकि वो मेरी मॉम को बहुत प्यार करती थी और मेरी मम्मी भी उसको बहुत प्यार करती थी। 

मैं भी सोचकर खुश था क्योंकि रात को सोते समय मुझे भी शायद उसके बदन को छूने और सहलाने का मौका मिलने वाला था।

हम लोग उसी बेड पर लेट गए और मैं एक कोने में लेटा था। मेरी मम्मी दूसरे कोने में लेटी थी जबकि मेरी बहन बीच में लेटी थी। 

थोड़ी देर के बाद जब मम्मी सो गई तो वो खर्राटें लेने लगी।
ये देख मेरी बहन ने मेरे हाथ पर हाथ रख दिया।


मैंने उसकी तरफ घूमकर देखा तो उसने चुपके से मेरे होंठों पर अपनी उंगली रख दी।
मैं उसका इशारा समझ गया और जब तक मैं कुछ करने की सोचता वो थोड़ी सी सरक कर मेरे कम्बल के अंदर आ गई।


मेरे लंड में एकदम से तनाव आने लगा और मैंने उसके हाथ को पकड़वाकर अपने लंड पर रखवा दिया।
उसने लंड को तो नहीं पकड़ा लेकिन हाथ रखे रही। 


उसके हाथ को मैंने अपने लंड पर दबाए रखा और जल्द ही मेरे लंड में वासना के झटके लगने लगे।
बार बार लंड उसके हाथ के नीचे उछलने लगा।


मैंने उसके होंठों पर उंगली फिरानी शुरू को तो उसने मुंह खोल दिया। मैंने उंगली उसके मुंह में दे दी और वो उसे चूसने लगी।
मुझे मजा आने लगा और लंड में और ज्यादा तनाव आने लगा।
अब मेरा लंड जैसे ऐंठने लगा था। 


मेरी मम्मी दूसरी तरफ करवट लेकर लेटी हुई खर्राटें ले रही थी और इधर मेरी बहन मेरी उंगली अपने मुंह में लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे लंड चूस रही हो।

उसका अंदाज देखकर मैं समझ गया कि यह पहले भी शायद किसी लड़के के साथ सेक्स कर चुकी है।
अब मेरा मन भी उसको चोदने के लिए कर रहा था। 


अब मैं आगे बढ़ना चाहता था और मैंने उसके मुंह से उंगली को बाहर निकाल लिया।
उंगली बाहर निकाली तो उसने मुंह को खुला ही रखा।


उसके होंठों पर लार लगी थी जिससे वो काफी रसीले लग रहे थे। 

उसको देखकर लग रहा था जैसे कि वो मेरा इंतजार कर रही हो कि मैं आगे बढ़कर उसके होंठों को चूसना शुरू कर दूं।
मैंने किया भी वैसे ही!


मैं थोड़ा आगे की ओर सरक लिया और उसके होंठों से होंठ मिला दिए। 

मैंने उसकी टांग को अपनी टांग पर चढ़वा लिया और अब मेरा लंड उसकी जांघों के बीच में उसकी चूत के पास सट गया था।
मैं बड़े ही मजे से उसके होंठों को चूस रहा था।
हम दोनों जरा सी भी आवाज नहीं कर रहे थे क्योंकि मम्मी के जागने का डर भी था।


मेरे हाथ अब उसकी चूचियों पर चले गए।
उसकी चूचियां बहुत ही कसी हुई थीं और हाथ में लेने पर ऐसे लग रहा था जैसे क्रिकेट बॉल से थोड़ी बड़ी किसी नर्म बॉल को दबा रहा हूं।
मैं जोर से उसकी चूचियों को दबाना चाहता था लेकिन उस डर से रुका रहा कि अगर बहन की आवाज निकल गई तो मम्मी जाग जाएगी और सारा खेल वहीं के वहीं बंद हो जाएगा। 


फिर मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाल दिया।
नीचे उसने ब्रा पहनी हुई थी। जिसको मैंने उसे खोलने का इशारा किया।


उसने धीरे से उठकर अपने टॉप को ऊपर उठाया और ब्रा के हुक खोल दिए। 

ब्रा निकाल कर उसने तकिया के नीचे दबा ली और मुझे अपनी गोरी और कसी हुई चूचियों की एक झलक दिखाने के बाद फिर से टॉप को नीचे करके लेट गई।

अब उसके टॉप के ऊपर से मैंने चूचियों पर दबाया तो उसकी आजाद चूचियों को दबाने, भींचने और मसलने में ज्यादा मजा आने लगा।

धीरे से मैंने हाथ अंदर डाल दिए और नंगी चूचियों को छूते ही मेरे बदन का पारा एकदम से 100 डिग्री पर पहुंच गया।
मैं उनको पीने के लिए बेताब हो गया।




मैंने उसको अपने पास किया और टॉप उठाकर उसकी चूचियों को मुंह में ले लिया।
मैं बारी बारी से चूचियों को पीने लगा और अब वो मेरी लोअर के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने और दबाने लगी। 


उसका हाथ पकड़ कर मैंने अपनी लोअर के अंदर अंडरवियर में डलवा दिया और उसका हाथ मेरे लंड पर आकर कस गया।
वो उसकी चमड़ी को ऊपर नीचे करते हुए लंड पर हाथ चलाने लगी और मैं जैसे उसके हाथ को चोदने लगा। 


मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराना शुरू किया और उसकी नाइटी की पजामी में हाथ देकर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को दबाने लगा।
गांड भिचवाने से वो और ज्यादा उत्तेजित होने लगी।


फिर मैं हाथ को आगे ले आया और उसकी नाइटी के अंदर डालकर उसकी चूत को पहली बार छुआ। 

हाथ रखने पर पता लगा उसकी चूत का पानी उसकी पैंटी को गीली कर चुका है।
हम दोनों एक ही कम्बल में थे तो मैंने सरक कर नीचे चला गया और उसकी पजामी को उतरवा दिया।


मैंने उसकी गीली पैंटी पर मुंह लगाकर सूंघा तो उसकी चूत की खुशबू में पागल हो गया। मैंने पैंटी नीचे खींचकर उसकी चूत को चूम लिया जिससे उसने मेरे सिर के बालों को खींच लिया।

मैं उसकी तड़प को समझ गया।
बहन की चूत अपने भाई के गर्म होंठों की छुअन से तड़प गई थी। 


उसकी चूत को पहले मैंने कई बार किस किया और फिर उसको चाटने लगा।

मैं पहली बार चूत चाट रहा था और मुझे सच में बहुत मजा आ रहा था।
मेरी बहन की चूत से लगातार नमकीन रस निकल रहा था। 


चूत का रस चाटते हुए ऐसा मन कर रहा था कि मैं इसको सारी रात ऐसे ही चाटता रहूं।

काफी देर मैंने उसकी चूत चाटी और वो इशारे से लंड डालने की बात कहती रही।
मैं तो चूसने चाटने का पूरा मजा लेना चाहता था। 


फिर मैंने उसको धीरे से दूसरी तरफ घूमने का इशारा किया।
वो घूम गई और उसकी गांड ऊपर आ गई।


अब मैंने उसकी गांड के छेद पर जीभ से चाटना शुरू कर दिया। 

वो बहुत मुश्किल से अपने आप को रोक पा रही थी।
मैंने उसको अब बिल्कुल पेट के बल लेटा लिया और बॉडी को बीच से उठाते हुए उसने गांड ऊपर उठा ली।


अब मेरी जीभ उसकी गांड के छेद से लेकर उसकी चूत तक चाटने लगी थी। 

मेरा बहुत मन कर रहा था कि बस अब इसकी चूत में लंड देकर इसे चोद दूं लेकिन मम्मी भी साथ में सो रही थी इसलिए जल्दबाजी में कुछ नहीं कर सकते थे।

फिर मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी और धीरे धीरे उसकी चूत में उंगली को अंदर बाहर करने लगा।
अब हल्की हल्की सिसकारियों के साथ ऊंह … ऊंह करने लगी। 


मैं उसके ऊपर आया और उसके गाल काटते हुए धीरे से उसके कान में फुसफुसाया- चुप रहो … मम्मी उठ जाएगी।
वो धीरे से बोली- डाल दो ना अब!


मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और फिर से उसकी चूत में उंगली करने लगा।

दो-तीन मिनट के बाद उसके बदन में अकड़न सी हुई और उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकल गया।
वो झड़ गई थी। 


मैंने उसकी चूत से निकले सारे पानी को अपनी जीभ से चाटकर साफ कर दिया।
उसकी चूत को किस करके मैं कम्बल से बाहर आकर लेट गया।


मैं उसके होंठों को फिर से चूसने लगा और उसने मुझे आई लव यू बोल दिया।
फिर उसने मेरे कान में धीरे से कहा- भैया … अपनी बहन को भी तो अपने मन की इच्छा पूरी करने दो?
ये बोलकर वो मेरे कम्बल में नीचे की ओर चली गई और मेरी लोअर को नीचे खींच कर मेरी चड्डी को भी उतार दिया।


मेरा लंड अभी भी उफान पर था। उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया। उसकी एक दो बार मुठ मारकर मेरे तपते लंड को मुंह में ले लिया और उसे चूसने लगी।

वो मेरे लंड को बड़े चाव से चूस और चाट रही थी।
कभी वो उसके टोपे पर चाटती तो कभी मेरी गोलियों को मुंह में लेकर चूसने लगती।


पिछले पांच मिनट से मैं जैसे हवा में उड़ रहा था। कम्बल के अंदर मेरी जांघों के बीच में जैसे वासना का सैलाब होकर गुजर रहा था।
लग रहा था जैसे आज वीर्य की बाढ़ आ जाएगी और वो मेरी लंड की प्यासी बहन के पेट को गले तक भर देगा।


मैंने उसके सिर को पकड़ लिया और जोर से अपने लौड़े पर दबा दिया। लंड का टोपा मैंने उसके कंठ में लगता हुआ महसूस किया। 

मैं भूल गया कि बगल में मम्मी लेटी है और वो उठ भी सकती है।
गनीमत रही कि मेरी बहन ने मेरे हाथों के दबाव को झेलते हुए मेरे लंड को भी गले में जगह दे दी और उसने उल्टी वैगरह नहीं की। 


उसके होंठ मेरे झांटों पर आकर सट गए थे और उसके मुंह की गर्मी के आगे हार मानते हुए मेरे लौड़े ने मेरे टट्टों में वीर्य को उबाल दिया जिससे वो एकदम से मेरे लिंग मुंड से बाहर फूट पड़ा।
दे पिचकारी … दे पिचकारी … मेरे शरीर में लगते झटकों के साथ मैं अपनी लंड की प्यासी बहन के मुंह में खाली हो गया। 


सारा वीर्य उसके मुंह में झाड़ने के बाद मैं शिथिल पड़ गया और मेरी सांसें भारी से धीरे धीरे हल्की होने लगीं।
मैंने ध्यान नहीं दिया कि मेरी बहन ने मेरे वीर्य का क्या किया।
बस मैं स्खलन के आनंद में डूबा हुआ था। 


फिर वो उठी और हांफती हुई कंबल से बाहर गर्दन निकाली।
उसका मुंह लाल हो चुका था और वो बदहवास सी लग रही थी।
उसके होंठ खुले थे जिससे मुझे अंदाजा हो गया कि वो मेरे सांवले लंड के सफेद दूध को वो अपने भीतर में उतार चुकी है। 


उसने थोड़ी नाराजगी भरी नजरों से मुझे देखा और फिर मैंने उसके गाल पर चूम लिया।
फिर मैंने सुरक्षा की दृष्टि से उसको उसके कम्बल में जाने के लिए कह दिया।


मेरा वीर्य तो झड़ गया था और उसकी चूत का पानी भी निकल गया था लेकिन इस आनंद में फिर भी एक अधूरापन था। 
शायद उसकी चूत भी मेरे लंड का अहसास चखना चाहती थी और मेरा लंड भी उसकी चूत की गर्मी महसूस करने के लिए इंतजार करता रह गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#8
Nai kahani
















टीचर संग ओरल सेक्स का मजा









वि





जी
Arrow
वंदना मैम की उम्र 24 साल थी. उनकी हाइट 5फुट 3 इंच और दूध सी सफेद मदमस्त काया थी. लम्बे घने बाल, आंखों पर सेक्सी चश्मा … चूचों का उभार बड़ा ही आकर्षक था. वंदना मैम की पतली कमर और चूतड़ों ऐसे कि क्या कहूं. कुल मिलाकर वंदना मैम एक मस्त माल लगती थीं. वो इंग्लिश की टीचर थीं.

मैं पढ़ने में अच्छा था … लेकिन मेरी इंग्लिश बहुत खराब थी. वो जब क्लास में पढ़ाती थीं, तो मैं बड़े ध्यान से पढ़ता था, लेकिन हिंदी माध्यम की वजह से मुझे कुछ ज्यादा समझ में नहीं आता था.

वो मुझे बहुत पसंद करती थीं, इसलिए वो मुझे समझाने की बहुत कोशिश करती थीं. 

मैं बहुत ही ज्यादा सीधा था, तो मैं हमेशा यही कोशिश करता कि कोई भी टीचर मुझसे नाराज़ न हो. 

एक दिन जब वंदना मैम ने मुझे उन्होंने लेसन याद करने को दिया. मुझे याद नहीं हुआ, तो उस दिन उन्होंने मुझे बहुत डांटा. उनकी डाँट से मैं रोने लगा. ये देखकर उस समय उन्होंने कुछ नहीं कहा, लेकिन छुट्टी के बाद उन्होंने मुझे स्टाफ रूम में बुलाया और समझाने और पूछने लगीं कि आखिर क्या बात है. 

मैंने उन्हें बता दिया कि मुझे बेसिक ही समझ में नहीं आता है.
उन्होंने कहा कि कल अपनी मम्मी को साथ लेकर आना.


मैं अगले दिन अपनी मम्मी के साथ विद्यालय गया. आप तो जानते ही हैं कि मेरी माँ खुद एक टीचर हैं और वो उस समय छुट्टी पर आई हुई थीं. 

वो मेरे साथ विद्यालय आ गईं. जब वो वंदना मैम से मिलीं, तो मैम ने सारी बात दी.
मेरी मम्मी ने कहा कि मैं खुद विद्यालय में रहती हूं … और मुझे इसे पढ़ाने का समय नहीं मिलता है. इसकी नानी भी पढ़ी लिखी नहीं हैं, आप ही बताइए मैं क्या करूं?
तब मैम ने कहा- अगर आप कहें, तो मैं इसे होम ट्यूशन दे सकती हूं.
मम्मी ने कहा- ये तो बहुत अच्छी बात है.


लेकिन मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है. 

खैर अब मैम घर आकर मुझे पढ़ाने लगी थीं. मेरा कमरा अलग था और नानी काफी बूढ़ी थीं. … वो सही से चल भी नहीं पाती थीं. उनका कमरा भी अलग था.

मैम शाम को 5 बजे मेरे घर आतीं और मुझे सवा घंटे पढ़ातीं. जब वंदना मैम मेरे घर आतीं … तो एक अलग सी खुशबू फ़ैल जाती थी, जो मुझे बड़ी पसंद आती थी. वंदना मैम हर दिन नए कपड़े पहन कर आती थीं. वो विद्यालय में तो साड़ी पहन कर आती थीं, लेकिन मेरे घर पर वो सलवार कुर्ती और दुपट्टा … कभी लेगी कुर्ती, तो कभी जींस टी-शर्ट पहन कर आती थीं. लेकिन उनकी हर ड्रेस में दुपट्टा ज़रूर होता था. पर एक बात और भी थी कि रूम में आते ही उनका दुपट्टा उनके जिस्म से अलग हो जाता था. मैंने गौर किया था कि वंदना मैम की हर ड्रेस से उनके मम्मों की नाली दिखती. 

वो अक्सर मेरे बगल में बैठ कर मुझे पढ़ाती थीं. मैं जब पढ़ता था, तो उनकी खुशबू मुझे एक अलग सा अहसास देती थी. मैं कभी कभी उस महक में खो सा जाता था, तो मैम मेरी जांघ पर हाथ रख कर मुझे जगा देतीं. 

जब वो मुझे छूतीं, तो मुझमें एक अजीब सी तरंग उठ जाती. मेरी समझ में नहीं आता था कि ये क्या हो रहा है. मैं सीधा तो था … लेकिन जब मैं पढ़ता था, तो मेरी नज़रें उनके मम्मों पर गड़ सी जातीं. उनके बड़े बड़े मम्मे देख कर मुझे थोड़ा अजीब सा लगने लगता. मेरी आंखें बंद होने लगतीं और मेरे लंड में एक तरंग सी दौड़ जाती. 

पहले मुझे ऐसा अहसास कभी नहीं हुआ था … शायद मुझे अब मैम के मम्मों को देखने में मजा आने लगा था, इसीलिए मैं उनके मम्मों को चोरी से देख लेता. मुझे बाद में पता चला कि यह तो मेरी अन्तर्वासना के कारण हो रहा था.

शायद वो भी ये बात समझ गई थीं कि मुझे उनके चूचों की नाली देख कर मजा आता है, इसीलिए वो मुझसे और भी चिपक कर बैठ जातीं और मुझे पढ़ाने लगतीं. मुझे उनकी बॉडी की गर्माहट महसूस होती, लेकिन कुछ समझ में नहीं आता कि मुझे क्या हो रहा है. शायद उस वक्त मैं कुछ ज्यादा ही बुद्धू था. हालांकि मैं उस वक्त 19 साल के करीब था.

एक दिन वो मुझे पढ़ा रही थीं. उसी बीच में उन्होंने मुझसे कहा- टॉयलेट किधर है?
मेरा टॉयलेट रूम में ही था, तो मैंने इशारा कर दिया.


वो जल्दी से उठीं और वाशरूम में चली गईं. वंदना मैम को जब काफी देर हो गई थी … मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैम को ऐसा क्या हो गया है. 

जब वो बाहर नहीं आईं, तो मैंने दरवाजे के पास जाकर आवाज देते हुए पूछा- मैम आप ठीक तो हैं ना!
तब उन्होंने कहा कि हां मैं ठीक हूँ … बस औरतों वाली दिक्कत है … और कुछ नहीं. 


अब ये औरतों वाली दिक्कत क्या होती है, मेरे भेजे में कुछ समझ में ही नहीं आया. मैं टेबल के पास खड़ा था.

जब वंदना मैम बाहर आईं, तो उनके कुर्ते से हर बार से ज्यादा उनके मम्मों की झलक दिख रही थी. मैम की कुर्ती थोड़ी छोटी थी, तो उनकी दोनों तरफ से हल्की सी कमर दिख रही थी.
वो मेरे सामने अपनी कुर्ती को सही करने लगीं. मैं उन्हें देखे जा रहा था.


उन्होंने कहा- क्या हुआ? 

मैं कुछ नहीं बोला … लेकिन मेरे लंड ने सब कुछ बोल दिया था. मेरा लंड अचानक से खड़ा हो गया था. ये पहली बार ऐसा कुछ देख रहा था.

उनकी निगाह मेरे फूलते लंड पर पड़ गई थी. उन्होंने खड़े होते लंड को देख लिया था. वो हल्के से मुस्कुराईं और बोलीं- आज मुझे कुछ काम है … इसीलिए मैं जल्दी जा रही हूँ. 

वो साल का आखिरी दिन था. परीक्षा शुरू हो चुकी थीं और इस बार भी मैं क्लास में अव्वल था. कमाल की बात ये थी कि इस बार मेरे इंग्लिश में और भी ज्यादा अच्छे नंबर आए थे. 

अब मैं अगली कक्षा में आ गया था. मैम ने मुझसे कहा- देखा तुमने कर दिखाया.
यह कह कर उन्होंने मेरे गाल सहला दिए. उनका यूं मेरे गालों को सहलाना मुझे बड़ा अच्छा लगा. 




फिर उन्होंने कहा- आज तुम्हारे लिए एक गिफ्ट है.
मैंने मैम से पूछा- क्या है?
उन्होंने कहा कि आज से मैं तुम्हें एक्स्ट्रा और कुछ नया पढ़ाऊंगी.
ये सुनकर मैं बहुत ज्यादा खुश था.
तभी उन्होंने कहा- पर मेरी एक शर्त है, आज से तुम मेरे घर आकर पढ़ोगे. 


मैं अपने घर गया.
उन दिनों मम्मी घर पर ही आई हुई थीं. उन्होंने मेरा रिजल्ट देखा और अंग्रेजी में अच्छे नम्बर देख कर मुझे शाबाशी दी.


फिर मैंने मम्मी से टीचर की उनके घर जाकर पढ़ने की बात बताई.
मम्मी ने मुझसे कहा- बेटा टीचर जैसा कहें, वैसे ही करना क्योंकि आज तुम्हारा रिजल्ट बता रहा है कि वंदना कितनी अच्छी टीचर हैं. जाओ आज से उनके घर जाकर पढ़ो. जो भी सिखाएं, ध्यान से सीखना. 


मुझे अब इंग्लिश समझ में आती और मेरा मन मैम के साथ पढ़ने में ज्यादा लगता. मैं रोज़ उनके घर पढ़ने के लिए जाने लगा था. 

मैम अपने घर में हमेशा किसी न किसी सेक्सी सी ड्रेस में होतीं. वो कभी गाउन पहने हुए होतीं, तो कभी शर्ट एंड शॉर्ट्स में होतीं, कभी लांग स्कर्ट और टॉप पहने हुए होतीं. 

लेकिन उनके हर कपड़े में उनकी बाजू खुली रहती. कुछ कपड़ों से तो साइड से उनके चूचे तक दिख जाते, पता नहीं क्यों … ये देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था.

वंदना मैम के घर में उनकी मम्मी और पापा थे. उनका एक भाई भी था, पर वो बाहर कहीं जॉब करता था. मेरे अच्छे व्यवहार से उनके घर में धीरे धीरे उनके मम्मी पापा को अच्छा लगने लगा. 

मुझे उनके घर पढ़ने जाते हुए करीब दो महीने हो चुके थे. अब तो वंदना मैम मुझे अपने रूम में ही पढ़ाने लगी थीं. शायद वो अपने रूम में किसी को आने नहीं देती थीं. उनके रूम में एक दीवार पर बहुत अच्छी कलाकृति बनी हुई थी. मुझे वो बड़ी अच्छी लगती थी. वो शायद खजुराहो की कोई सम्भोग वाली कलाकृति थी.

समय निकलता गया. अब मैं देखता कि टीचर जी अपने कपड़े ऐसे ही बेड पर रख देती थीं. कई बार उनकी पैंटी और ब्रा भी बेड पर ऐसे ही पड़ी रहतीं. 

ये सब मैंने इससे पहले कभी नहीं देखा था … मुझे तब भी अजीब नहीं लगा. पर शायद मैम जान बूझकर ऐसा करती थीं. मैडम मेरी अन्तर्वासना से खेल रही थी शायद.

खैर अब दो महीने हो चुके थे. उस दिन मेरा 19वां जन्मदिन था. मैं मैम के घर गया. 

मैंने पूछा- मैम आप मुझे कोई नया विषय भी पढ़ाने वाली थीं?
उन्होंने मुझे हैप्पी बर्थडे कहते हुए कहा- हां मुझे पता है कि आज तुम्हारा जन्मदिन है … और मैं आज ही से नया विषय पढ़ाऊंगी. लेकिन पहले मैं नहा लूं … फिर आती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है मैम.


उनका बाथरूम उन्हीं के कमरे में अटैच था. वो नहाने चली गईं. 

करीब 15 मिनट बाद उन्होंने मुझे आवाज़ दी और कहा- मैं अपनी तौलिया वहीं भूल गई हूँ … तुम मुझे दे दो.
मैंने कहा- ठीक है.


मैं बाथरूम के पास जैसे ही गया, मैंने देखा कि पूरा गेट खुला हुआ था और मैम पूरी नंगी खड़ी थीं. 

मैंने हाथ से अपनी आंखें बंद कर लीं. मैंने ऐसा जाहिर किया कि मैंने कुछ नहीं देखा, लेकिन मैम ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अन्दर करके दरवाज़ा बन्द कर लिया.
मैं काँप रहा था, क्योंकि इससे पहले मैंने न ही ऐसा कुछ देखा था और न ही किया था.


वो मेरे करीब आईं और मेरा हाथ मेरी आँखों से हटा कर बोलीं- सोनू एक बार देखो तो सही.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है. मैं कुछ बोल भी नहीं पा रहा था. 


उन्होंने कहा कि नया सब्जेक्ट पढ़ना है … तो मेरी बात ध्यान से सुनो … और जैसा मैं कह रही हूँ, वैसा करो.
मुझे अपनी मम्मी की बात याद आ गई कि मैम जो सिखाएं, ध्यान से सीखना. फिर क्या था … जैसा उन्होंने कहा, मैंने आंख खोलीं और उनकी तरफ देखा. मेरी सेक्सी वंदना मैम पूरी नंगी थीं. उनके चुचे इतने बड़े और रसीले थे, कमर सेक्सी और गांड तो महा सेक्सी थी. 


मेरी तो मानो सांसें ही रुक गई थीं क्योंकि इससे पहले मैंने ऐसा कुछ नहीं देखा था.
टीचर ने कहा- क्या मैं तुम्हें मस्त भरा हुआ माल लग रही हूं?
मेरी कुछ समझ में नहीं आया. मैंने सकुचाते हुए कहा- मैम, ये माल क्या होता है?
वो मुस्कुराईं और बोलीं- जरा रुको बताती हूँ.


वंदना मैम ने अपने चुचे दोनों हाथों से उठाए और दबा कर बोलीं- ये मौसंबियां हैं … इनको चूसने से माल निकलता है.

फिर एक हाथ अपने पेट को सहलाती हुई कमर पकड़ कर बोलीं- ये जवानी की निशानी है!
और फिर अपने दोनों हाथ से अपनी चूत को फैला कर बोलीं- ये जादुई गुफा है … इसमें माल भरा रहता है. 


फिर मैम ने पीछे मुड़ कर अपने चूतड़ों को हाथों से हिलाकर कर कहा कि ये सब मिला कर बनता है माल, जिस लड़की के चुचे, कमर और गांड को देख कर चोदने का मन करे … तो समझ जाओ कि वो लड़की माल है. तुम अभी छोटे हो … लेकिन तुम्हें देखती हूं … तो मेरा ब्वॉयफ्रेंड मुझे याद आ जाता है. 

मैं चुपचाप वंदना मैम की बातों को सुनता रहा. मेरी ट्यूशन का वक़्त भी खत्म हो चुका था. मैंने कहा- मैम अब मैं जा रहा हूँ. 

उन्होंने मुझे रोका नहीं … क्योंकि घर में सब लोग मौजूद थे. लेकिन पीछे से आवाज़ आई कि अब मैं तुम्हें ये सब्जेक्ट रोज एक्स्ट्रा एक घंटे पढ़ाऊंगी … अपने घर पर कह कर आना.

मैं अपने घर चला गया, लेकिन मैं घर जाने के बाद अपने रूम में यही सोचता रहा कि ये सब क्या था. मगर मुझे भी कहीं न कहीं बहुत मज़ा आया था. 
उस दिन मेरे दिमाग से टीचर का वो नंगा जिस्म नहीं भूल पा रहा था. मैं जैसे तैसे सो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#9
अगले दिन जब मैं विद्यालय गया. क्लास में वंदना मैम का पीरियड था. जब वो क्लास में आईं, तो मैं उनके जिस्म को देख रहा था. उनके बाल खुले हुए और जिस्म पर लाल रंग की साड़ी नाभि से नीचे बंधी हुई थी. उनकी खुली नाभि देख कर, पता नहीं मुझे क्या हो रहा था. मुझे वंदना मैम इस समय नंगी नज़र आ रही थीं. तभी अचानक मेरा लंड खड़ा हो गया और पैंट में सीधा खड़ा होने की कोशिश करने लगा.

मैंने लंड पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन मेरे उठते लंड को बगल में मेरी क्लासमेट ने देख लिया. उसका नाम प्रियंका था. वो भी वंदना मैम के द्वारा बताई गई परिभाषा के अनुसार मस्त माल थी. वो भी मेरी ही उम्र की मतलब करीब 19 साल की थी मगर मेरे मुकाबले वो बहुत चालू थी.

मैं अपनी सोच में गहरा डूब गया था. तभी मुझे कुछ अजीब से हिलता हुआ लगा. मैंने मैम से नज़र हटाई, तो देखा कि प्रियंका मेरे उभरे लंड को गौर से देख रही थी और उसका एक हाथ उसकी स्कर्ट में था. वो अपनी चूत में उंगली कर रही थी.
मैंने तुरंत नज़र हटा ली और मैम से परमिशन लेकर टॉयलेट में चला गया. मैम ने भी मेरी फूली हुई पैंट देख ली थी. उन्होंने मुस्कुरा कर मुझे जाने को कह दिया.

मैं टॉयलेट से तब तक नहीं आया, जब तक मेरा लंड सो नहीं गया
जब क्लास में आया, तो प्रियंका ने पूछा- क्या हुआ? कुछ देख लिया था क्या तुमने?
मैंने कहा- कुछ नहीं.
उसने कहा- मैं भी जल्दी ही वंदना मैम से पढ़ने आने वाली हूँ.
मैं चुपचाप सुनता रहा.

फिर छुट्टी हो गई, तो मैं घर आ गया.

मैं विद्यालय से आने के 4 घंटे बाद ट्यूशन जाता था. लेकिन मैं उस दिन आधा घंटा पहले चला गया.

मैंने मैम के घर की घंटी बजाई, लेकिन कोई नहीं आया. करीब 3 मिनट बाद गेट खुला, तो मैंने देखा कि वंदना मैम एक मैक्सी में थीं. मैं उनको देखता रह गया. वंदना मैम को देख कर ऐसा लग रहा था कि उन्होंने मैक्सी के नीचे कुछ नहीं पहना हो.

मैम ने कहा- अरे सोनू, तुम इतनी जल्दी कैसे?
मैंने कहा- मैम, मैं कल की क्लास नहीं भूल पाया.
वो मुस्कुरा दीं और उन्होंने मुझे अन्दर आने को कहा.

मैंने देखा कि घर में कोई नहीं है, मैम से पूछा तो उन्होंने बताया कि मम्मी पापा 20 दिन के लिए जम्मू गए हैं और एग्जाम की वजह से मैं नहीं जा पायी. उसके बाद वो लोग वैसे भी चार धाम जाने वाले हैं. खैर … तुम बैठो, किताब खोलो.

आधे घंटे तक मैम ने इंग्लिश पढ़ाई. वो मेरे बिल्कुल बगल में बैठी थीं. मुझे पता नहीं क्या हुआ कि मैं मैम से बिल्कुल सटकर बैठ गया. मुझे उनकी मैक्सी के ऊपर से पैर की गर्मी महसूस हो रही थी.

मैंने अचानक देखा कि मैम की टांगों के बीच में चूत के पास मैक्सी हल्की गीली सी थी.
उन्होंने मुझे उधर देखते हुए देख लिया और बोलीं- कल जो हुआ, वो अलग था … लेकिन मैं देख रही हूँ तुम चोरी से मेरे चुचों की नाली को देखते हो. आज मैंने ये भी देख लिया था कि तुम मुझे क्लास में कैसे घूर रहे थे … और अभी अभी क्या हुआ सोनू … मेरी मैक्सी की तरफ क्या देख रहे थे?

मैंने कहा- हां मैम मैं आपको देखता हूं … तो मुझे अजीब सा लगता है. अन्दर से गुदगुदी भी होती है.
तब मैम ने कहा- ये तुम्हारा पहला लेसन है … चुदाई की फीलिंग.
मैंने मैम से पूछा- चुदाई क्या होती है?
इस पर वो हंस पड़ीं और बोलीं- सोनू समय आने पर मैं सब बताऊँगी.

मैंने कुछ नहीं कहा, बस मैम के चूचे देखने लगा.

उन्होंने अपनी चूचियों को जरा जुम्बिश देते हुए हिलाया और कहा कि तुम्हें कल का माल वाला लेसन याद है ना कि जब किसी सेक्सी लड़की को देख कर एक लड़का क्या फील करता है. बस यही तुम्हारे साथ हो रहा है. तुम मुझे चोदना चाहते हो … मगर कह नहीं पा रहे हो.

मैंने कहा- मैम ये चोदना क्या होता है?
उन्होंने कहा- मैं तुम्हें सब पढ़ाऊंगी. आज हम कल के एक्स्ट्रा लेसन से आगे पढ़ेंगे कि माल को कैसे उकसाते हैं.

मैम ने कहा- खड़े हो जाओ.
मैं खड़ा हो गया.
वंदना मैम ने मेरी शर्ट उतारी और मेरे सीने पर हाथ रखकर कहा- मैं जैसा कहूं … और जो चाहूँ, तुम वही करना.
मैंने ‘यस मैम..’ कहा.

मैम ने मेरे हाथ लिए अपने मम्मों के ऊपर रखकर अपने हाथों से दबाती हुए बोलीं- ऐसा करते रहो.
इस समय हम दोनों खड़े थे. उनके हाथ मेरे बाजुओं पर थे, लेकिन मैं उनके चुचे दबाता … तो वो बैचैन हो रही थीं. अजीब आवाजें निकाल रही थीं. साथ ही मैम मेरे बाजुओं को भी दबाती जातीं. इस वक्त उनकी मुझे एक बात सुनाई दे रही थी कि आह … और तेज़ दबाओ.

कुछ ही पल बाद वो सोफे पर गिरते हुए बैठ गई. उन्होंने कहा- यहां बैठ कर दबाओ.

मैं फिर से मैम के मम्मे दबाने लगा. उन्होंने अचानक से मेरा मुँह अपनी मैक्सी के ऊपर से ही अपने चूचों में दबाना चालू कर दिया.

मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था, लेकिन गद्दे जैसी चुचियों की वजह से अन्दर गुदगुदी हो रही थी और मेरा लंड खड़ा हो चुका था.

फिर उन्होंने ऊपर से मैक्सी उतार दी और कहा- पहले चूचों को दबाओ … फिर चूसना.

मैंने जैसे वंदना मैम के नंगे मम्मों पर हाथ रखा, मेरे अन्दर एक अलग किस्म की लहर दौड़ गई. मुझे ऐसा लगा कि मेरी पैंट में कुछ गिर गया है. मुझे गीला गीला लगने लगा था, मैं शायद झड़ चुका था. लेकिन इतना ज्यादा वीर्य निकला था कि पैंट के पार भी गिरने लगा. मुझे मेरे लंड में हल्का दर्द भी हो रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#10
मैम ने ये देख लिया. उन्होंने तुरंत मेरे गिरते हुए वीर्य को चाट लिया. मुझे थोड़ा गंदा लगा, लेकिन जब मैम ने मेरी पैंट उतारी और मेरे बहते हुए लंड को मुँह से साफ करने लगीं, टीचर के इस ओरल सेक्स से तो मेरा भेजा सुन्न हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#11
जैसे ही वंदना मैम ने लंड मुँह में लिया, मैं सब कुछ भूल गया और मैं एक अलग दुनिया में विचरने लगा था.

मैम ने मेरे लंड को साफ करने के बाद कहा- ये तो मेरे ब्वॉयफ्रेंड से भी जरा ज्यादा बड़ा है.
मैंने पूछा- अभी वो कहां है?
मैम ने बताया- वो भी मेरे भाई के साथ बाहर जॉब करता है.
मैंने ओके कहा.

फिर मैम ने कहा- तुम मुझे अकेले में वंदना बुलाया करो.
मैंने कहा- मैम आपने मुझे ही क्यों चुना, जिसे आप ये सब पढ़ा रही हैं.
उन्होंने बताया- तुम एकदम मेरे ब्वॉयफ्रेंड की तरह दिखते हो, चेहरे से भी बॉडी से भी, तुम सीधे भी हो और आज तो तुमने अपने लंड के भी दर्शन दे दिए हालांकि ये मेरे ब्वॉयफ्रेंड से बड़ा और मोटा है. मैं तुम्हें कुछ ऐसे गोल्डन वर्ड बताउंगी, जो तुम्हें और जिसको तुम चोदोगे, दोनों को एनर्जी देंगे.

मैंने उनकी तरफ सवालिया नजरों से देखा.

उन्होंने कहा- तुम मेरे साथ दोहराना.
मैंने कहा- ठीक है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#12
वंदना ने कहा- कहो वंदना रंडी.
मैंने कहा.
फिर इसी तरह से वंदना रांड, कुतिया, चुदासी, लौड़ेबाज, बहन की लौड़ी, माँ की लौड़ी … और पता नहीं क्या क्या कहलवाया.
मैं वंदना मैम का ये रूप देख कर थोड़ा हैरान था.

उसके बाद वंदना मैम ने कहा- तुमने मेरे चुचे नहीं चूसे, चलो बचा हुआ लेसन पूरा करते हैं.
उन्होंने एक दूध अपने हाथ से पकड़ कर मेरे मुँह की तरफ बढ़ाया और कहा- लो चूसो.

मैंने मैम के एक चूचे को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा. उनकी चुचियों में अलग सी खुशबू थी.
उन्होंने कहा- अरे यार, ऐसे नहीं चूसते हैं.

मैम ने मुझे उठाया और लिपलॉक करके वो मेरे होंठों को चूसने लगीं. मुझे इतना अच्छा लग रहा था कि मैं क्या बताऊँ. उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और तेजी से होंठों चूसने लगीं. कुछ पल बाद मैम हट गईं.
अब उन्होंने कहा- तुम भी ऐसा ही करो.

मैं कोशिश करने लगा. पहले थोड़ा टाइम लगा, लेकिन बाद में मैं भी वंदना मैम के होंठों को मस्त तरीके से चूसने लगा. उनकी लिपस्टिक को भी मैं चूस गया. मैम के होंठ बहुत ज्यादा रसीले और मीठे थे.

मैंने अपनी जीभ जैसे ही उनके मुँह में डाली, वो उसे चूसने लगीं. उन्होंने एक दो बार मेरे होंठ भी काटे, मुझे दर्द भी हुआ, लेकिन मजा आ रहा था.

करीब 15 मिनट तक वंदना मैम ने मुझे ये लेसन सिखाया. उसके बाद कहा कि अब जंगलियों की तरह चूस डालो, खेलो मेरी चुचियों से … इनको को पी जाओ … मेरे दूध को माल समझ कर निचोड़ डालो.

मैंने उनकी आज्ञा का पालन करते हुए उनके चूचों को थाम लिया. मैं पीछे की तरफ हाथ से मैम को अपनी तरफ दबाता और आगे उनके दूध मेरे मुँह में आ जाए. मैं बहुत तेजी से एक चूचे चूसने की कोशिश कर रहा था और दूसरी चूची को हाथ मसल रहा था. वो बहुत उत्तेजना में थीं. उनकी लंबी लंबी सांसें मेरे लंड को दुबारा एनर्जी दे रहे थीं. वंदना मैम अपने चूचों पर मेरे मुँह को और दबा रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#13
मैं मैम की चुचियों को पीता रहा. वो बहुत गर्म थीं, मैंने दूसरे चुचे के साथ भी वैसा ही किया.

वो कह रही थीं- मुझे चोद दो … अपनी रांड बना डालो.
मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन चुचियों की मसाज से ही मैम शायद दो बार झड़ चुकी थीं.

मैंने घड़ी देखी और कहा- वंदना … अब मुझे दो घंटे से ज्यादा हो गए हैं, मेरी नानी इंतज़ार कर रही होंगी.
वंदना मैम को मेरा जाना अच्छा नहीं लग रहा था, तब भी मजबूरी थी.

इस तरह टीचर में मेरे साथ ओरल सेक्स किया. मुझे अजीब तो लगा लेकिन अच्छा भी लगा था.

अगले
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#14
तब वंदना ने कहा- तुम्हारा शेर कुछ मांग रहा है.
मैंने कहा- देर हो रही है.
उन्होंने कहा- ठीक है … लेकिन कल आगे के लेसन और समझ कर आना.
मैंने कहा- कैसे मैम?
उन्होंने कहा- अपना मोबाइल लाए हो?
मैंने कहा- जी मैम.
उन्होंने कहा- फिर मैम … मैंने कहा न मुझे मैम नहीं, अपनी वंदना रंडी कहो.

फिर मैम ने मुझे दो वीडियो दिए और कहा- अकेले में देख कर प्रैक्टिस करना.
मैं घर आ गया.

नानी के सोने के बाद मैं कमरे में हैडफ़ोन लगा कर वीडियो देखने लगा. उसमें आगे का लेसन ये था कि लड़की को सिड्यूस कैसे करते हैं और लड़की की चूत कैसे गर्म की जाती है. उसमें एक आदमी एक सेक्सी लड़की के कपड़े धीरे धीरे उतार कर उसे सिड्यूस कर रहा था. वो उसे पूरा नंगा करके गर्म कर रहा था. दूसरे पार्ट में वही आदमी उस लड़की को गोद में उठा कर टेबल पर उसके पैर फैला कर उसकी चूत में उंगली करने लगा. फिर उस आदमी ने उस लड़की की चूत को चूसना शुरू कर दिया.

मैं बड़े गौर से देख ही रहा था कि मेरा लंड पूरी वीडियो देख कर खड़ा होने लगा. फिर मैंने भी अपनी नाईट ड्रेस से अपने लंड को आज़ाद कर दिया. लंड जैसे ही बाहर आया, मैंने पहली बार ध्यान से देखा कि मेरी उम्र के हिसाब से मेरा लंड काफी बड़ा था. मेरा लंड खड़ा होकर फुंफकार मार कर कुछ कह रहा था. शायद वो किसी की जवानी को चखना चाहता था.

मैं हवा में वैसे ही मुँह चलाने की कोशिश कर रहा था, जैसा मैंने वीडियो में देखा था. मैंने उन दोनों के हर शब्द को गूगल पर सर्च मारा, तो मैं अर्थ देख कर हैरान था.
फिर मैं सो गया.

अगले दिन मैं रोज की तरह विद्यालय गया. मैं क्लास में बैठ कर उन वीडियो की धीरे धीरे प्रैक्टिस कर रहा था. मैं कभी जीभ हवा में निकाल कर हिलाता, कभी होंठों को मिला कर चूसता और ये सब मेरी क्लासमेट प्रियंका देख रही थी. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#15
तभी अचानक प्रियंका ने मेरी जांघ पर हाथ रख दिया. मैं चौंक गया … क्योंकि जहां उसने हाथ रखा था, वहां मेरा लंड था.

मैंने उसकी तरफ मुँह घुमाया और देखा कि उसने अपने मम्मों के पास का बटन खोला हुआ था. उसके मम्मों की नाली मुझे साफ दिख रही थी.

पहले उसके हाथ का स्पर्श और दूसरा उसके मम्मों को देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. जहां उसका हाथ था, वहीं लंड खड़ा हो रहा था.

तभी उसने मेरे लंड को पैंट के ऊपर पकड़ा और दबाने लगी. उसने कहा- कुछ हेल्प करूं तुम्हारी?

मुझे अजीब लग रहा था और दर्द भी हो रहा था. मैं डर के मारे वहां से उठा और टॉयलेट चला गया. जब मैं वापस आया तो देखा कि वंदना मैम क्लास में थीं.
मेरे मुँह से निकल गया- मे आई कमिंग वंदना![Image: IMG-2683.png]
[Image: IMG-2684.png]
[Image: IMG-2678.png]
[Image: IMG-2673.png]
[Image: IMG-2672.png]
[Image: IMG-2667.png]
[Image: IMG-2666.png]
[Image: IMG-2665.png]
सब देखने लगे, मैंने तुरंत ‘मैम …’ कहकर कवर किया. मैम मुस्कुराते हुए यस कह कर वापस पढ़ाने लगीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#16
Arrow मैं अपनी सीट पर बैठ चुका था. मैं मैम को गौर से देख रहा था, क्योंकि आज वंदना मैम ने बड़े टाइट कपड़े पहने थे. उन्होंने जीन्स और शर्ट पहने थे. ये देख कर मैं वंदना को देख कर चूत चूसने की प्रैक्टिस कर रहा था.

मैम ने मुझे ये सब करते देखा, तो मुस्कुरा दिया. उन्होंने मुझे देख कर अपने होंठों पर पेन रखा और चूसने लगीं.

इस बात को प्रियंका ने भी देखा. उसने पूछा- तुम्हारे और मिस के बीच क्या चल रहा है?
मैंने कहा- कुछ नहीं.
वो समझ चुकी थी कि इन बातों के पीछे मिस का हाथ हैं. वो चुप हो गई, लेकिन उसने सिर्फ इतना कहा- अगले हफ्ते से मैं भी ट्यूशन आ रही हूँ.
ये कह कर वो मुस्कुरा दी.
Arrow[Image: IMG-2663.png]
[Image: IMG-2660.png]
[Image: IMG-2658.png]
तब तक छुट्टी की बेल बज चुकी थी, सब घर जा रहे थे. मैं क्लास से बाहर जा ही रहा था कि मैम ने मुझे और प्रियंका को इशारे से रोका और पूछा- क्या चल रहा है … तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है?
मैंने कहा- कुछ नहीं वंदना.

प्रियंका ने मेरी तरफ देखा कि मैं टीचर को उसके नाम से बुला रहा था. मुझे लगा कि कहीं ये प्रियंका को सज़ा न देने लगे, इसीलिए मैंने ऐसा किया था.
वंदना ने तुरंत ‘ठीक है जाओ …’ कह कर हम दोनों को जाने दिया.

हम दोनों घर जा रहे थे. प्रियंका का घर मेरे घर के पास ही था, तो हम साथ चल रहे थे.
उसने कहा- सॉरी … आज जो क्लास में हुआ.
मैंने कहा- कोई नहीं … ये सब चलता रहता है.

वो हैरान थी कि मुझे क्या हो गया है. क्योंकि उसे मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी.

खैर उसका घर आ चुका था, वो चली गई. मैं भी घर पहुंच कर खाना खा कर होमवर्क कम्पलीट करने लगा. इसके बाद वंदना के दिए हुए लेसन की प्रैक्टिस करते हुए ट्यूशन जाने लगा.

मैं मैम के घर पहुंचा, उन्होंने गेट खोला और देखा कि वंदना मैम के बाल गुंथे हुए थे. उन्होंने नाइटी पहनी थी, जिसमें से उनका अंग नुमाया हो रहा था. जब वो अन्दर को चलने लगीं, तो उनकी नंगी टांगें दिख रही थीं.

मेरी जीभ बाहर ही रह गई और मुँह से लार गिर गई.[Image: IMG-2687.png]
[Image: IMG-2680.png]
[Image: IMG-2679.png]
वंदना मैम ने पूछा- होम वर्क किया?
मैंने कहा- हां वंदना.

हमने रोज की तरह पहले पढ़ाई की, फिर वंदना ने कहा- अब जो तुमने प्रैक्टिस की है, वो मुझ पर ट्राय करो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#17
मेरी जीभ बाहर ही रह गई और मुँह से लार गिर गई.
वंदना मैम ने पूछा- होम वर्क किया?
मैंने कहा- हां वंदना.

हमने रोज की तरह पहले पढ़ाई की, फिर वंदना ने कहा- अब जो तुमने प्रैक्टिस की है, वो मुझ पर ट्राय करो.

मैं भी यही चाह रहा था … क्योंकि कल रात वीडियो देखने के बाद मुझे बहुत कुछ समझ में आने लगा था. मैंने वंदना मैम को चेयर पर बैठाया और पीछे जाकर उनके बाल खोल दिए. फिर उनके कंधे सहलाने लगा. मैम ने अपनी आंखें बंद कर ली थीं. मैंने उनके कान के पीछे उंगली फिराई, फिर धीरे धीरे अपने हाथ नीचे की तरफ ले जाने लगा. मैंने उनके बूब्स दबाए, वो मदहोश होने लगी थीं.

मैंने मैम की नाइटी की गांठ खोल दी. जैसे ही गांठ खोली, मैंने देखा कि उन्होंने ब्लू कलर की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी. वो बहुत सेक्सी दिख रही थीं.
मैंने मैम की ब्रा और पैंटी भी उतार दी.

प्यासी टीचर ने कहा- अब मेरी चूत को गर्म करो.

मैंने मैम की चूत पर वैसे ही हाथ फिराया, जैसे मैंने वीडियो में देखा था. वंदना की चूत ऊपर से सफेद और अन्दर से पिंक थी. मैंने पहली बार किसी की चूत पर हाथ लगाया था, मुझे थोड़ा अजीब लगा.

वंदना ने कहा- अब इसे चाट डालो. यह तुम्हारा लेसन है.



मैंने दिन भर हवा में प्रैक्टिस के बाद जैसे ही मैम की चूत को चूसना शुरू किया, तो मुझे मजा आने लगा. मैम की चूत फ्रेश लग रही थी.

मैम अपनी चूत चुसाई से एकदम मदहोश होने लगी थीं. मैं धीरे धीरे चुत चूस रहा था. वंदना मैम के मुँह से अजीब सी आवाजें निकल रही थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…. इस्स … यीह … कम ऑन फ़ास्ट..’
मैम की ये आवाजें सुन कर मुझे अन्दर से गुदगुदी हो रही थी.

तभी वंदना मैम कहने लगीं- आह और जोर से चूसो.
मैं अपनी जीभ से उनकी चूत और जोर से चाटने लगा. मेरी जीभ उसकी चूत में थी. वंदना मैम के पूरे जिस्म से आज एक अलग ही खुशबू आ रही थी. उनकी चूत से भी एक अलग सुगंध आ रही थी, लेकिन जीभ पर एक अलग स्वाद था. मैं उनकी चूत चूसता रहा.

तभी प्यासी टीचर अचानक से मेरा सर अपनी चूत में दबाने लगीं, मुझे लगा कि कुछ पानी जैसा मेरे मुँह में आया. वंदना मैम आह आह की तेज सीत्कार करते हुए झड़ गईं. अब उनका हाथ मेरे सर से ढीला हो गया था. लेकिन मैं नहीं रुका, वो चीख़ रही थीं. मैं उनकी चूत को, ट्यूशन खत्म खत्म होने तक चूसता रहा.

वो आज चुत चुसाई से दो बार झड़ चुकी थीं. हर बार मैं उनका माल पी जाता रहा. अब वो बेदम लग रही थीं, लेकिन उन्होंने मुझसे रुकने को नहीं कहा. मेरा मुँह थक चुका था … लेकिन उनकी तड़प बढ़ती ही जा रही थी.

मैं मुँह हटाने लगा, तो उन्होंने मुझे गाली दी. मैम कहने लगीं- मैं तुझे झांटू मेंटल से काबिल मर्द बनाना चाहती हूँ … और तू भाग रहा है साले गांडू … चल चुपचाप मेरी चूत की तड़प मिटा भोसड़ी के.
मैंने सहमते हुए कहा- मैम, घर में नानी इंतज़ार कर रही होंगी.
तभी वंदना ने मुझसे कहा- आज तू यहीं रुकेगा. मैंने तेरे आने से पहले तेरे घर में बोल दिया कि आज मैं तुझे एग्जाम की वजह से नाईट क्लास दूंगी और तू खाना भी यहीं खाएगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#18
अब मैं बुरा फंस गया था.

मैम ने कहा- चल शुरू हो जा.
मैम ने मेरी शर्ट उतारी.
मैंने गुस्से में कहा- यार, ये कैसी पढ़ाई है?
वंदना ने हंस कर कहा- ये कामसूत्र है.
मैंने कहा- इसमें मुझे क्या फायदा?
मैम ने कहा- रुक बताती हूँ.

उन्होंने मुझे धक्का दे दिया. मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि क्या हो रहा है. मैं सोफे पर गिर गया था. मैम ने मेरी पैंट की बेल्ट खोली, पैंट उतार कर मुझे नंगा कर दिया. मैं कुछ बोलता, उससे पहले प्यासी टीचर ने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.

आह … लंड मैम के मुँह में जाते ही मैं अलग दुनिया में खो गया था. मुझे इतना आनन्द आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता.

वो अपने मुँह में लंड को ऊपर नीचे कर रही थीं. जब मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया, तब उनका मुँह भरा हुआ लग रहा था. पूरा खड़ा लंड लीलने के बाद वो मेरे लंड को अपने गले तक ले जा रही थीं. मैं मदहोश हुआ जा रहा था.

अब मेरा लंड टीचर की चुत चुदाई के लिए तैयार था. वंदना मैम खड़ी हुईं. फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गईं. उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत में डालने लगीं. उनकी भी चूत गीली थी और मेरा लंड भी गीला था.

टीचर ने अपनी चूत में पहले थोड़ा सा लंड लिया, तो मुझे ऐसा लगा कि किसी नरम सी चीज में लंड घुस गया है. जैसे ही मैम ने पूरा लंड चूत में लिया, मुझे हल्का दर्द सा हुआ. लेकिन मेरे लंड को मजेदार गर्म अहसास हो रहा था.

कुछ देर लंड अन्दर ही रहा, फिर उन्होंने ऊपर नीचे करना जैसे ही शुरू किया, मुझे लगा कि मैं झड़ रहा हूँ. मैं उनकी चुत के अन्दर ही झड़ गया और मुझे वैसे ही नींद आ गई.

वंदना मैम ने मुझे नहीं जगाया, लेकिन वो मेरे लंड के साथ खेल रही थीं, इसीलिए मेरी आंखें खुल गईं. क्योंकि मुझे दर्द भी हो रहा था … जिससे मेरी आह निकल गई.

वो मेरे लंड को चूस रही थीं, उन्होंने मेरे लंड को दुबारा खड़ा करके उसे अपनी चूत में डाल लिया. इस बार मैं नहीं झड़ रहा था, वो मेरे लंड से अपनी चूत की प्यास बुझाने की कोशिश कर रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#19
अब मेरा लंड टीचर की चुत चुदाई के लिए तैयार था. वंदना मैम खड़ी हुईं. फिर वो मेरे ऊपर चढ़ गईं. उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत में डालने लगीं. उनकी भी चूत गीली थी और मेरा लंड भी गीला था.

टीचर ने अपनी चूत में पहले थोड़ा सा लंड लिया, तो मुझे ऐसा लगा कि किसी नरम सी चीज में लंड घुस गया है. जैसे ही मैम ने पूरा लंड चूत में लिया, मुझे हल्का दर्द सा हुआ. लेकिन मेरे लंड को मजेदार गर्म अहसास हो रहा था.

कुछ देर लंड अन्दर ही रहा, फिर उन्होंने ऊपर नीचे करना जैसे ही शुरू किया, मुझे लगा कि मैं झड़ रहा हूँ. मैं उनकी चुत के अन्दर ही झड़ गया और मुझे वैसे ही नींद आ गई.

वंदना मैम ने मुझे नहीं जगाया, लेकिन वो मेरे लंड के साथ खेल रही थीं, इसीलिए मेरी आंखें खुल गईं. क्योंकि मुझे दर्द भी हो रहा था … जिससे मेरी आह निकल गई.

वो मेरे लंड को चूस रही थीं, उन्होंने मेरे लंड को दुबारा खड़ा करके उसे अपनी चूत में डाल लिया. इस बार मैं नहीं झड़ रहा था, वो मेरे लंड से अपनी चूत की प्यास बुझाने की कोशिश कर रही थीं.

उन्होंने कहा- अब तुम मेरी चूत को चोदो. अपनी प्यासी टीचर की चुत चुदाई करो.
मैंने पूछा तो उन्होंने समझाया- तुम मेरे ऊपर आकर लंड अन्दर बाहर करो.

वैसे ही मैंने करना शुरू किया.

पहले बहुत दर्द हुआ, लेकिन धीरे धीरे मैं अन्दर बाहर करते हुए मैम की चूत चोद रहा था. वो मुझे जकड़े हुए थीं.
उन्होंने कहा- आह तेजी से लंड अन्दर तक पेलो.

मैंने स्पीड तेज की, उनके मुँह से अजीब आवाजें निकल रही थीं. वो पूरी तरह से मस्ती से चुद रही थीं.
प्यासी टीचर ने कहा- आह … मुझे अपनी रांड बना कर रखना … आह … और तेज कर …

शायद वो झड़ रही थीं, मुझे गीला गीला लग रहा था और चिकना भी. मेरा लंड अब रुकना नहीं चाह रहा था. मैं फिर भी मैम को चोदता रहा.

उन्होंने भी मुझे नहीं रोका. मैं अब तक नहीं झड़ा था और उधर वंदना मैम काँप रही थीं.
मैं डर गया … लेकिन उन्होंने कहा- अभी रुक मत … और तेज कर..

मैं उनकी चूत में धक्के मारे जा रहा था. वो कांपने लगीं. तभी अचानक मैं भी झड़ने वाला हो गया था.

मैंने एक बार फिर से उनकी चूत अपने वीर्य से भर दी. हम दोनों झड़ चुके थे.

टीचर की चुत चुदाई का यह मेरा फर्स्ट टाइम सेक्स था. मैं कितना लकी था कि कल तक जिस मैम की चुचियों की नाली देखता था, आज उन्होंने मुझे चोदना सिखा दिया कि लड़की को चुदने के लिए कैसे उकसाया जाता है.

झड़ने के बाद वंदना मैम और मैं वैसे ही दोनों नंगे चिपक कर सो गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#20
Z






>मैम ने कहा- अब तुम मेरी चूत को चोदो.
मैंने पूछा तो उन्होंने समझाया- तुम मेरे ऊपर आकर लंड अन्दर बाहर करो. 

मैं उनकी चूत में धक्के मारे जा रहा था. तभी अचानक मैं भी झड़ने वाला हो गया था. 
मैंने एक बार उनकी चूत अपने वीर्य से भर दी. यह मेरा फर्स्ट टाइम सेक्स था. मैं कितना लकी था कि कल तक जिस मैम की चुचियों की नाली देखता था, आज उन्होंने मुझे चोदना सिखा दिया कि लड़की को चुदने के लिए कैसे उकसाया जाता है. 
झड़ने के बाद वंदना मैम और मैं वैसे ही दोनों नंगे चिपक कर सो गए.<






N
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 8 Guest(s)