Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
तो मोबाइल में उसके फोटो देखने में ही व्यस्त था. एक बार फिर उसने मोबाइल खींचने की कोशिश की, पर नाकामयाब रही.
मेरे मुँह में से निकल गया- वाह काजल, क्या मस्त फिगर है.
वो शर्मा कर भागने लगी, पर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और वो वापस मेरे ऊपर आ गई. हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था. बस एक दूसरे को देख रहे थे.
थोड़ी देर बाद मैंने अपने होंठ काजल के होंठ के ऊपर लगा दिए और उसके होंठों का रस पीने लगा.
काजल ने कोई ख़ास विरोध नहीं किया.
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने काजल को मेरी बांहों में भर लिया और उसके नर्म होंठों को चूसने लगा. हमें किस करते हुए दस मिनट से ज्यादा हो गया था, पर काजल अभी भी मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी.
धीरे धीरे काजल का विरोध भी काफी हद तक कम हो गया था पर अब भी वो खुद से कुछ नहीं कर रही थी. मैंने आगे बढ़ने की सोची और फिर एक हाथ उसकी एक चूची पर रख दिया. मैं धीरे धीरे उसकी चूची को उसके कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा.
मुझे काजल की गर्म सांसें महसूस हो रही थीं. वो अब मेरा विरोध भी नहीं कर रही थी. थोड़ी देर बाद मैंने काजल को साइड में लिटा दिया. मैंने उसकी कुर्ती के आगे के दो बटन खोल दिए और काजल के सीने पर मेरा हाथ फिराने लगा.
मैं काजल के गले को चूम रहा था, तो कभी उसके कान को चूम रहा था. वो बार बार मना कर रही थी, पर मैं कहां रुकने वाला था. मैंने धीरे धीरे करके कुर्ती के बाकी बचे बटन भी खोल दिए. मुझे काजल की ब्रा साफ़ दिख रही थी.
काजल ने अभी वही ब्रा और पैन्टी पहनी हुई थी, जो मैंने उसके लिए अपनी जानू से उसको भेजी थी.
यह देख कर मेरा लंड भी फड़फड़ाने लगा और मेरी पैन्ट फाड़कर बाहर आने के लिए मचलने लगा. काजल की दोनों चूचियां अभी भी ब्रा के अन्दर थीं. मैंने उसकी कुर्ती का कॉलर साइड में किया और दोनों चूची को ब्रा समेत बाहर निकाल दिया.
मैं उसकी मस्त चूचियों को देख कर इतना ही बोल पाया- वाओऊऊ क्या मस्त चूचियां हैं … लगता है ऊपर वाले ने बहुत प्यार से इनको बनाया है.
इतना सुनते ही काजल की आंख शर्म से बंद हो गईं और वो फिर से बोली- प्लीज ननदोई जी, छोड़ दो मुझे. कोई देख लेगा तो बहुत बदनामी होगी हमारी.
पर मैं तो बेशर्मों की तरह काजल को देखता ही रहा.
मैंने काजल से पूछा- कैसी लगी मेरी चॉइस?
वो शर्मा कर आंख बंद करके बोली- आप बड़े बेशर्म हो.
मेरे वापस पूछने पर उसने जवाब दिया- आप अपनी मैडम से ही पूछ लेना.
मैं बेशर्म बनते हुए बोला- मेरी लाई हुई ब्रा तेरी ननद ने थोड़ी ही पहनी है कि मैं उससे पूछूँ. जिसने पहनी है, मैं तो उसी से ही पूछूंगा ना!
इतना बोलकर मैं उसकी दोनों चूचियों के बीच की जगह पर चूमने लगा. वो कसमसाते हुए वापस मुझे मना करने लगी. पर इस बार मैं चूमते हुए एक हाथ से काजल की चूची को भी दबाने लगा. साथ ही मैं अपने दूसरे हाथ से उसकी कमर को भी सहलाए जा रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
काजल अभी भी मन से मेरा साथ नहीं दे रही थी.
मैंने उससे फिर से पूछा- मुझे जब तक जवाब नहीं मिलेगा, मैं ऐसे ही तुमको परेशान करता रहूँगा.
तो फाइनली उसने जवाब दिया- काश मेरा पति भी कभी मेरे लिए ऐसी ब्रा और पैन्टी लाता.
मैं बोला- ऐसे नहीं … तुमको खुलकर बताना पड़ेगा.
फिर उसने जवाब दिया- आपकी चॉइस एकदम परफेक्ट है, आपकी लाई हुई ब्रा पैन्टी, इनको पहनने के बाद मैं कल से न जाने कितनी बार आईने में खुद को देखकर अपने आपको एक मॉडल जैसा महसूस कर रही हूँ.
इतना बोल कर काजल ने अपनी आंखें बंद कर लीं. मेरे लिए उसके मुँह से यही सुनना काफी था. मैं वापस काजल के होंठ चूसने लगा.
इस बार वो मेरा साथ दे रही थी और वो भी मुझे लिप किस करने लगी थी. अब मैंने अपना एक हाथ ले जाकर उसकी एक चूची पर रख दिया और धीरे धीरे दबाने लगा. थोड़ी देर में मुझे काजल की गर्म सांसें महसूस हुईं. इससे मुझे उत्तेजना हुई और मैं नीचे की साइड में बढ़ने लगा.
मैं काजल की गर्दन पर लगातार किस कर रहा था, साथ में मेरा एक हाथ अब उसकी ब्रा के अन्दर घुस चुका था और उसकी चूची की कड़क घुंडी को हाथ में लेकर मसलने लगा था.
जैसे ही मैंने काजल की घुंडी को मसला, तो उसके मुँह से एक मादक सिसकारी निकल गई- अह्ह्ह … शी … अह्ह्ह …
अब मैंने देर न करते हुए उसकी एक चूची ब्रा में से बाहर निकाल ली. काजल की दोनों चूचियां एक छोटे सफ़ेद पर्वत की तरह लग रही थीं. एकदम सुन्दर और भरी हुई चूचियां देख कर मेरा लंड तन्नाने लगा था. मैं उसकी दोनों चूचियों के ऊपर काले रंग की घुंडी को प्यार से देखने लगा. उसकी जवानी से लबरेज चूचियां एकदम क़यामत लग रही थीं.
उधर काजल की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं, जिसकी वजह से उसकी दोनों चूचियां बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं.
कुछ ही पलों में मेरा मुँह उसकी एक चूची पर लग गया था और दूसरी चूची पर मेरा हाथ घुंडी मसलने में लगा था. इस तरह का दो तरफ़ा हमला वो सह नहीं पा रही थी. मैं अभी भी उसकी चूची पर सिर्फ किस कर रहा था. उसकी घुंडी को अभी तक मेरे होंठ से छुआ भी नहीं था.
मैं काजल को थोड़ा तड़पा कर और गर्म करके उसके मुँह से बुलवाना चाह रहा था कि मुझे चोद दो.
कुछ ही देर में काजल ने अपने पैर पटकना चालू कर दिए और वो कामुकता से भरी मादक सिसकारी भी निकाल रही थी. मैं अभी भी उसकी चूची को एक हाथ से दबा रहा था और मेरा हाथ उसकी दूसरी चूची की घुंडी के इर्द गिर्द चूम रहा था.
मुझे काजल को तड़पाने में मज़ा आ रहा था. मैंने अब आगे बढ़ते हुई काजल की कुर्ती निकाल दी. अब काजल ऊपर से सिर्फ ब्रा में रह गई थी.
धीरे धीरे मैंने उसकी दोनों चूचियों को छोड़कर उसके सपाट पेट पर चूमना चालू कर दिया. मैं उसके चिकने पेट को चूमते हुए आगे को बढ़ गया. फिर मैंने काजल की नाभि के अन्दर मेरी जीभ घुसा कर उसकी नाभि की चुसाई करना चालू कर दी.
वो सिर्फ इतना ही बोल पायी- ओह्ह ननदोई जी प्लीज …
उसके बाद तो उसके मुँह से एक और लम्बी कामुक सी सिसकी निकल गई- अह्ह्ह् शह्ह्ह्ह … ओह्ह … आप तो मुझे मार ही दोगे.
मैं उसकी नाभि के इर्द गिर्द मेरी जीभ घुमा रहा था और काजल अब आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो रही थी. पर मैं आगे को बढ़ा और नीचे जाने लगा.
फिर मैं काजल की लैगीज तक पहुंच गया. मैंने आगे बढ़ कर उसकी लैगीज की इलास्टिक में उंगली फंसाकर लैगीज को धीरे धीरे निकाल दी.
इसके बाद तो मानो काजल की उफनती जवानी का जलवा ही मेरे सामने बिखर रहा था. काजल मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी. उसकी दोनों आंखें अभी भी बंद थीं और वो हांफ रही थी.
मेरे लाए नई ब्रा और पैन्टी सैट पहनकर काजल आज एक अप्सरा से भी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी.
मैं फिर से काजल के ऊपर की तरफ आ कर वापस उसके होंठ चूसने लगा. एक हाथ से मैं काजल की चूची को मसलने लगा और दूसरे हाथ पैन्टी के ऊपर से काजल की चूत को सहलाने लगा.
मेरे तीन तरफ़ा हमले से काजल की हालत ख्रराब हो गई. काजल भी अब पूरे जोश में आ चुकी थी और इतनी तेज़ सीत्कार निकाल रही थी कि मेरी भी हालत ख़राब हो गई.
मैंने आखिरी हमला किया, काजल के होंठ को छोड़ कर मैंने उसकी ब्रा निकाल दी. आह … उसके मचलते कबूतर हवा में फुदकने लगे. काजल ऊपर से बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और उसकी तेज़ धड़कनों की वजह से उसकी दोनों चूचियां बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं.
आज मेरा ख्वाब पूरा होने जा रहा था, उसकी जिन चूचियों को मैं पिछले कई दिनों से सपनों में देख कर मुठ मारा करता था, आज वो साक्षात मेरे सामने उछल उछल कर अपनी रंगीनी बिखेर रही थीं. ऐसा नहीं है कि मैंने अपनी बीवी की चूचियों का मजा न लिया हो, पर जिसकी मुराद मन में हो उसकी चूचियों को देख कर कौन न पागल हो जाए.
मैंने काजल की एक चूची पर हाथ रखा और दूसरी चूची के निप्पल को मुँह में भर लिया. काजल की चूची इतनी बड़ी थी कि मेरा पूरा मुँह भर गया. जैसे ही मैंने घुंडी को चूसना शुरू किया, काजल के मुँह से एक तेज और मादक सिसकारी निकल पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उसकी ये सीत्कार इतनी तेज़ थी कि अगर कोई नीचे होता, तो पक्के में आवाज़ सुनकर ऊपर आ जाता.
मैं एक चूची को छोड़कर दूसरी चूची पर टूट पड़ा और दूसरे हाथ से काजल की पैन्टी को निकाल कर उसे बेड पर गिरा दिया दी. अब काजल मेरे सामने मादरजात नंगी बेड पर पड़ी थी. मेरा हाथ अब काजल की चूत पर घूम रहा था और वो अब आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो रही थी. मैं धीरे धीरे काजल की चूत की ओर बढ़ रहा था.
तभी मैंने हल्के से काजल की चूत का दाना मसल दिया, उसी के साथ उसके मुँह से और एक तेज़ सिसकारी निकल गई ‘ओह्ह्ह्ह माँआ … शह्ह्ह … अह्ह्ह्ह … ओह्ह्ह्ह … मत तड़फओ.
मेरा ये खेल चालू किए अभी आधे घंटे से ज्यादा हो गया था. मैं देर ना करते हुए काजल की चूत के ऊपर उंगली घुमाने लगा. काजल की चूत बहुत ही पानी छोड़ रही थी. काजल की चूत से पानी इतना ज्यादा निकल रहा था कि उस पानी ने उसकी जांघों से बह कर चादर को भी भिगो दिया था.
काजल से अब रहा नहीं जा रहा था. वो कभी अपने हाथ पैर पटक रही थी, तो कभी चादर को अपनी मुट्ठी में लेकर खींच रही थी. काजल की मादक सिसकारियां तो बढ़ती ही जा रही थीं.
थोड़ी देर बाद मैंने एक उंगली उसकी चूत की फांकों में डाल दी और धीरे धीरे उंगली को अन्दर बाहर करने लगा. काजल कुछ बोल नहीं रही थी, पर मुझे लग रहा था कि अब लंड पेलने का टाइम आ गया है. पर मैं अभी भी वेट कर रहा था और मुझे काजल के मुँह से सुनना था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
मैंने काजल के पैर फैलाए और उसकी टांगों के बीच में आ गया. मैंने उसकी चूत पर मेरी जीभ रख दी और काजल की चूत का अमृतरस पीने लगा. मेरी जीभ काजल के चूत के दाने को हल्की सी मसाज करने लगी. वो बुरी तरह से मचल रही थी. उसने अपनी टांगें खुद ब खुद पूरी तरह से फैला दी थीं.
थोड़ी देर बाद मैंने दाने को मेरे मुँह में लिया और खींचते हुए चूसने लगा. मेरी जीभ काजल की चूत की चुदाई करने में लग गई थी. जैसे ही मेरी जीभ चूत के अन्दर गई, उसकी सिस्कारियां तेज़ हो गईं और उसके मुँह से ‘अह्ह्ह्ह … मर गई … ओह्ह’ जैसी आवाजें निकल रही थीं.
कुछ ही पलों में वो एकदम मदहोश हो गई और उसके दोनों हाथ मेरे सर के ऊपर आ गए थे. वो अपने दोनों हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर दबाए जा रही थी.
मैं भी मेरी जीभ की नोक काजल की चूत में और गहराई तक डालने लगा और दोनों हाथों से काजल की चूचियों को बेदर्दी से दबाने लगा. मेरे ऐसा करने से काजल ने दोनों पैर मेरे सर पर दबा दिए और एक तेज़ सिसकारी निकाली ‘अह्ह्ह्ह … शह्ह्ह्ह … ओह्ह … हीईईई … मैं मर गई … ओह्ह्ह्ह.
वो अकड़कर सीत्कारते हुए झड़ गई. उसने मुझे तब तक नहीं छोड़ा, जब तक चूत का पूरा रस निकल ना गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(09-03-2022, 05:03 PM)neerathemall Wrote: ......
ग
मैं भी मेरी जीभ की नोक काजल की चूत में और गहराई तक डालने लगा और दोनों हाथों से काजल की चूचियों को बेदर्दी से दबाने लगा. मेरे ऐसा करने से काजल ने दोनों पैर मेरे सर पर दबा दिए और एक तेज़ सिसकारी निकाली ‘अह्ह्ह्ह … शह्ह्ह्ह … ओह्ह … हीईईई … मैं मर गई … ओह्ह्ह्ह.
वो अकड़कर सीत्कारते हुए झड़ गई. उसने मुझे तब तक नहीं छोड़ा, जब तक चूत का पूरा रस निकल ना गया.
उसकी चूत का रस निकल जाने के बाद भी मैं उसकी चूत को चाटता रहा, जिसका नतीजा ये निकला कि वो फिर से गर्म हो गई,
काजल आंखें बंद करके अभी भी हांफ रही थी. तभी मैंने अपने कपड़े निकाले और काजल के ऊपर छा गया. मेरा लंड काजल की चूत को छू रहा था. मैं तो चूत में लंड डालने के लिए मानो तड़प रहा था. पर अब भी मैं काजल के मुँह से सुनना चाहता था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
काजल की चूत में मैंने तेज़ तेज़ धक्के मारना चालू किए और उसी के साथ काजल की कामुक चुदास से भरी सिस्कारियां पूरे रूम में गूंजने लगीं. मैं काजल को बहुत बेदर्दी से चोद रहा था और उसकी दोनों चूचियों को अपनी मुट्ठियों में भर कर मसल रहा था.
काजल कुछ ही देर में पसीने से पूरी भीग चुकी थी. उसकी गर्म सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं.
उसकी चूत को चोदते हुए मेरे दिमाग में एक खुराफाती आईडिया आया. अचानक मैंने धक्के मारना बंद कर दिए. काजल की आंखें अभी भी बंद थीं और वो बोल रही थी- रुक क्यों गए … प्लीज चोदो ना मुझे!
मैं- तुम मेरी आंखों में आंखें डाल कर मेरा साथ दोगी, तो ही मैं चोदूँगा.
मेरी बात सुन कर काजल ने ना में सर हिला दिया.
मैं भी अपना मोटा लंड ऐसे ही उसकी चूत में डाल कर पड़ा था, मैं कुछ नहीं कर रहा था.
थोड़ी देर बाद काजल ने आंख खोल कर मुझे बोला- जानू प्लीज चोदो ना अब नहीं सहा जाता!
अब वो मेरी आंखों में देख रही थी. मैंने वापस तेज़ी से काजल की चूत में धक्के मारना चालू कर दिए.
काजल अपनी नशीली आंखों से खुद की चुदाई होते देख रही थी और वो अपने मुँह से तेज़ तेज़ सिसकारी निकाल रही थी- अह्ह्ह … ओह्ह्ह मेरे राजा … चोद दे अपनी रानी को … अह्ह्ह्ह ओह्ह शह्ह्ह … और तेज़ धक्के मारो न … तेरी रानी की चूत में बड़ी खुजली है … अह्ह्ह … निकाल दे अपनी रानी की चूत का पूरा पानी … आह मजा आ गया … आह.
काजल की चूत मारते हुए मुझे करीबन पन्द्रह मिनट से ज्यादा टाइम हो चुका था. काजल के चेहरे से अब फिर से पहले जैसे भाव बदल रहे थे. दस पन्द्र धक्कों के बाद काजल फिर से चिल्लाई और उसने अकड़कर मुझे कस कर अपनी बांहों में भर लिया- आह राजा … मैं गई!
उसकी आवाज सुनकर मैं भी तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा था और काजल भी मेरे साथ चीख रही थी. कुछ बीसेक तेज़ धक्कों से काजल की हालत पतली हो गई. मेरा भी रस निकलने वाला था.
मैंने काजल से पूछा- जल्दी बताओ … कहां निकालूँ?
वो मचलते और गांड उठाते हुए बोली- आह … मेरी चूत में ही निकाल दो … मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ.
काजल के इतना बोलते ही मैंने एक ज़ोरदार शॉट मारा और उसकी चूत में मेरा वीर्य निकलने लगा. काजल की चूत मेरे वीर्य से भर गई … और उसके साथ ही काजल भी और एक बार मेरे साथ ही झड़ गई.
चुदाई की मस्ती के हम दोनों एक दूसरे आंख नहीं मिला पा रहे थे. मैंने काजल की आंखों में देखा, तो वो रो रही थी.
मेरे पूछने पर बोली- कुछ नहीं आज पता चला मेरी ननद कितनी नसीब वाली है कि उसे आपके जैसा पति मिला है. आपके साथ बिताया ये एक एक पल में जिंदगी भर याद रखूँगी.
मैं काजल से चिपक गया और वापस उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा. काजल मुझे मना कर रही थी, पर मैं कहां मानने वाला था.
काजल बोली- अब छोड़ो मुझे … कोई आ जाएगा.
पर जैसे कि मुझे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था.
अचानक काजल ने मुझे धक्का मारा और मैं उसकी साइड में बेड पर गिर गया. अब वो मेरे ऊपर आ गयी और मेरे ऊपर चढ़ गई. मुझे कुछ समझ में ही नहीं आया कि अचानक काजल को क्या हो गया.
वो मुझे घूर रही थी. काजल मेरी छाती पर चूम रही थी और फिर अचानक एक भूखी शेरनी की तरह वो सीधे मेरे लंड पर टूट पड़ी. उसने मेरे लंड को हाथ में लेकर ज़ोर से दबा दिया और फिर लंड के ऊपर एक के बाद एक कई किस कर दिए. उसके उतना करते ही मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई.
तभी काजल ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.
मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी. मेरी तो मानो बोलती ही बंद हो गई थी. मैं न तो कुछ बोल पा रहा था और न ही कुछ कर पा रहा था. बस मैं काजल की लंड चुसाई का मज़ा ले रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
करीब पांच मिनट की चुसाई के बाद मैंने काजल का सर पकड़ा और मेरे लंड को उसके गले की गहराई तक पहुंचाने लगा. मैंने एक जोरदार सिसकारी लेकर एक बार काजल के मुँह में ही झड़ने लगा. जब तक मेरा पूरा वीर्य काजल के गले के नीचे नहीं उतर गया, तब तक मैंने अपना बेकाबू लंड काजल के मुँह से बाहर नहीं निकाला.
काजल मेरा पूरा वीर्य पी गई और गीली जीभ से लंड को चाट चाट के पूरा साफ़ कर दिया. फिर वो बिना कुछ बाथरूम में चली गई
और अपने कपड़े पहन कर नीचे चली गई.
करीब आधे घंटे बाद मेरी वाइफ और सासू जी भी मार्किट से वापस लौट आए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
.
…..
[img=500x231]blob:https://xossipy.com/9ae02a70-9603-42f9-9c68-d62e3afc158e[/img]
सलहज की बारिश में चुदाई
मेरा साला मुझसे 3 साल छोटा है. उसकी बीवी रेखा मुझे उसकी शादी के वक़्त से ही बहुत पसंद है.
मैं शुरू से रेखा की चूत मारने की तमन्ना रखता था।
लेकिन रिश्ते की वजह से डरता था कि कहीं कुछ उल्टा सीधा हो गया तो बहुत बड़ा बवाल हो जाएगा।
पर जब मैंने देखा कि रेखा भी बार बार मुझे लाइन देती है और अपने पल्लू को गिराकर बार बार अपने बोबों को दिखाते हुए बड़े लटके झटके से मुझे पटाने के प्रयास करती रहती है तो मैंने उससे अच्छे से बातचीत करना शुरू कर दी.
तभी पता लगा मेरा साला बस पैसे कमाने में लगा रहता है, सुबह 5 बजे से लेकर देर रात तक बस पैसा पैसा!.
जबकि घर में जवान बीवी को पैसे के साथ कड़क मोटा लन्ड भी चाहिए होता है.
अब वह नहीं देगा तो वो किसी और से तो लेगी ही!
बस ये सब बातें साफ होते ही मैं अपने लन्ड को यही कहता कि बस अब मंज़िल दूर नहीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
एक दिन मैं अपने ससुराल के शहर में किसी काम से गया तो ससुराल के घर भी चला गया कि इसी बहाने मेरी जान रेखा को देख आऊंगा तो रात को मुठ मारने का जुगाड़ हो जाएगा।
ससुराल जाने पर पता लगा कि मेरा साला दुकान के काम से बाहर गया है, 2 दिन बाद वापस आएगा.
और मेरे सास ससुर सासुजी के मायके में किसी की मौत हो जाने की वजह से गए हुए हैं.
वे देर रात को वापस आने वाले थे.
मतलब रेखा और मैं बस और कोई नहीं, चुदाई के लिए सब माहौल बना हुआ ही था।
रेखा मेरे लिए चाय लेकर आयी और मुझे चाय देकर वहीं खड़ी होकर बातें करने लग गयी.
मैंने उससे कहा- आप भी लो चाय!
तो वह आनाकानी करने लगी- मैंने अभी पी है, बस आपके लिए ही बनाई है।
मैंने ज़िद करते हए कहा- मैं कोई काम अकेले नहीं करता. आप नहीं पीओगी तो मैं भी नहीं पिऊँगा.
तो उसने कहा- ठीक है, आधा आधा पी लेते हैं।
मैंने उसको कहा- पहले आप पीयो. लेडिज़ फर्स्ट!
तो उसने बड़ी अदा से हंसते हुए एक सिप ली.
फिर मैंने भी उसी कप से एक सिप ली.
और इस तरह दोनों ने एक दूसरे की झूठी चाय पी।
मुझे लगा आज मौका अच्छा है, चौका मार ही देना चाहिए.
मैं एक झूठी प्रमोशन की कहानी सुनाकर उसका मुंह मीठा कराने की बात कह कर बाहर मिठाई लेने चला गया और मिठाई लेकर उसमें कामोत्तेजक दवाई मिला दी।
फिर ससुराल में आकर उसी कामोत्तेजक मिली हुई मिठाई को रेखा को खिलाया.
दवाई असर करने में थोड़ा देर लगाएगी, यह सोच कर मैं रेखा से बात करने लग गया.
रेखा भी मुझसे बात करते करते ऐसे देख रही थी जैसे बिल्ली दूध की भरी हुई हांडी को देखती है।
लेकिन उसने ऐसी कोई बात नहीं जिससे मुझे आगे बढ़ने का हौसला मिले.
अंत में थक हार कर मैंने कहा- ठीक है, अब मैं चलता हूँ.
तो वह कुछ कहते कहते रुक गई और मन मसोस कर बोली- ठीक है, अगली बार दीदी को भी लेकर आना।
मैंने कहा- ठीक है!
और वापस आने के लिए निकला ही था कि बारिश शुरू हो गई, मेरे कपड़े थोड़े से गीले हो गए.
मुझे उम्मीद की नई किरण दिखाई दी.
मैं वापस लौटा और मुझे देख कर रेखा के चेहरे की रौनक लौट आई।
उसने मुझे कहा- आप कपड़े बदल लो, नहीं तो तबियत खराब हो जाएगी.
मैं बाथरूम में गया और कपड़े खोल कर एक तौलिया लपेट कर बाहर आ गया.
रेखा मेरे चौड़े रोमदार सीने को देख कर होंठों पर जीभ फेरती हुई मदहोशी भरी नजरों से देखने लगी.
तभी मुझे छींक आ गई तो रेखा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बोली- चलो, मैं बाम लगा दूँ. नहीं तो बीमार हो जाओगे!
रेखा ने मुझे उसके बिस्तर पर लिटाया और बाम लेकर आई.
वह मेरा सिर अपनी गोद में रख कर बाम लगाने लगी.
उसकी गोद में सर होने से उसके बोबे मेरे सर को छू रहे थे.
साथ ही रेखा के बदन से आ रही मदहोश कर देने वाली खुशबू मेरे तन बदन में सनसनी पैदा कर रही थी.
धीरे धीरे तौलिया के अंदर मेरा लन्ड कड़क होने लग गया, तौलिया भी थोड़ा ऊंचा ऊंचा से दिखने लगे गया.
रेखा की नजर उस पर पड़ी तो वह शर्माती हुई मुस्कुराई, थोड़ा रुक कर बोली- अब कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- अब तो सनसनी उठ रही है दिलो दिमाग में!
रेखा ने पूछा- क्यों?
मैं बोला- बाहर बरसात हो रही है और अंदर मैं बिना कपड़ों के एक दहकते हुए हुस्न की मल्लिका की गोद में सर रख कर लेटा हूँ तो सनसनी तो उठनी ही है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
एक दिन मैं अपने ससुराल के शहर में किसी काम से गया तो ससुराल के घर भी चला गया कि इसी बहाने मेरी जान रेखा को देख आऊंगा तो रात को मुठ मारने का जुगाड़ हो जाएगा।
ससुराल जाने पर पता लगा कि मेरा साला दुकान के काम से बाहर गया है, 2 दिन बाद वापस आएगा.
और मेरे सास ससुर सासुजी के मायके में किसी की मौत हो जाने की वजह से गए हुए हैं.
वे देर रात को वापस आने वाले थे.
मतलब रेखा और मैं बस और कोई नहीं, चुदाई के लिए सब माहौल बना हुआ ही था।
रेखा मेरे लिए चाय लेकर आयी और मुझे चाय देकर वहीं खड़ी होकर बातें करने लग गयी.
मैंने उससे कहा- आप भी लो चाय!
तो वह आनाकानी करने लगी- मैंने अभी पी है, बस आपके लिए ही बनाई है।
मैंने ज़िद करते हए कहा- मैं कोई काम अकेले नहीं करता. आप नहीं पीओगी तो मैं भी नहीं पिऊँगा.
तो उसने कहा- ठीक है, आधा आधा पी लेते हैं।
मैंने उसको कहा- पहले आप पीयो. लेडिज़ फर्स्ट!
तो उसने बड़ी अदा से हंसते हुए एक सिप ली.
फिर मैंने भी उसी कप से एक सिप ली.
और इस तरह दोनों ने एक दूसरे की झूठी चाय पी।
मुझे लगा आज मौका अच्छा है, चौका मार ही देना चाहिए.
मैं एक झूठी प्रमोशन की कहानी सुनाकर उसका मुंह मीठा कराने की बात कह कर बाहर मिठाई लेने चला गया और मिठाई लेकर उसमें कामोत्तेजक दवाई मिला दी।
फिर ससुराल में आकर उसी कामोत्तेजक मिली हुई मिठाई को रेखा को खिलाया.
दवाई असर करने में थोड़ा देर लगाएगी, यह सोच कर मैं रेखा से बात करने लग गया.
रेखा भी मुझसे बात करते करते ऐसे देख रही थी जैसे बिल्ली दूध की भरी हुई हांडी को देखती है।
लेकिन उसने ऐसी कोई बात नहीं जिससे मुझे आगे बढ़ने का हौसला मिले.
अंत में थक हार कर मैंने कहा- ठीक है, अब मैं चलता हूँ.
तो वह कुछ कहते कहते रुक गई और मन मसोस कर बोली- ठीक है, अगली बार दीदी को भी लेकर आना।
मैंने कहा- ठीक है!
और वापस आने के लिए निकला ही था कि बारिश शुरू हो गई, मेरे कपड़े थोड़े से गीले हो गए.
मुझे उम्मीद की नई किरण दिखाई दी.
मैं वापस लौटा और मुझे देख कर रेखा के चेहरे की रौनक लौट आई।
उसने मुझे कहा- आप कपड़े बदल लो, नहीं तो तबियत खराब हो जाएगी.
मैं बाथरूम में गया और कपड़े खोल कर एक तौलिया लपेट कर बाहर आ गया.
रेखा मेरे चौड़े रोमदार सीने को देख कर होंठों पर जीभ फेरती हुई मदहोशी भरी नजरों से देखने लगी.
तभी मुझे छींक आ गई तो रेखा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बोली- चलो, मैं बाम लगा दूँ. नहीं तो बीमार हो जाओगे!
रेखा ने मुझे उसके बिस्तर पर लिटाया और बाम लेकर आई.
वह मेरा सिर अपनी गोद में रख कर बाम लगाने लगी.
उसकी गोद में सर होने से उसके बोबे मेरे सर को छू रहे थे.
साथ ही रेखा के बदन से आ रही मदहोश कर देने वाली खुशबू मेरे तन बदन में सनसनी पैदा कर रही थी.
धीरे धीरे तौलिया के अंदर मेरा लन्ड कड़क होने लग गया, तौलिया भी थोड़ा ऊंचा ऊंचा से दिखने लगे गया.
रेखा की नजर उस पर पड़ी तो वह शर्माती हुई मुस्कुराई, थोड़ा रुक कर बोली- अब कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- अब तो सनसनी उठ रही है दिलो दिमाग में!
रेखा ने पूछा- क्यों?
मैं बोला- बाहर बरसात हो रही है और अंदर मैं बिना कपड़ों के एक दहकते हुए हुस्न की मल्लिका की गोद में सर रख कर लेटा हूँ तो सनसनी तो उठनी ही है.
यह कहकर मैंने रेखा का हाथ पकड़ कर चूम लिया और सर को थोड़ा सा उठाते हुए रेखा के गालों पर किस कर दिया.
रेखा की गर्म गर्म सांसें निकलने लगी, उसकी आँखों में अलग ही खुमारी दिख रही थी।
अब मुझे लग रहा था कि रेखा भी कामोत्तेजना में डूब रही है, कामोत्तेजक दवाई उस पर सब असर दिखा रही है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
रेखा ने अपने सर को थोड़ा सा झुकाया और मेरे होठों को अपने होठों की कैद में ले लिया।
अब हम दोनों होंठों की घमासान लड़ाई में कूद पड़े थे, कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहा था.
रेखा अपनी जीभ मेरे होठों में डाल कर चुसवाने लगी और हाथों को मेरे सीने और नीचे तक फिराने लगी।
मेरा लन्ड पूरी तरह कड़क हो चुका था और लन्ड के ऊपरी हिस्से में हल्का गीलापन भी आ चुका था।
अचानक रेखा का हाथ थोड़ा ज्यादा नीचे तक पहुंच गया और मेरे बदन से तौलिया अलग हो गया.
तौलिया रूपी दीवार हटते ही मेरा लन्ड अपने पूरे विराट स्वरूप में बाहर उछल कूद मचाने लग गया।
मैंने हल्के से उठ कर रेखा को भी अपने साथ लिटा लिया और अपने होठों की कारीगरी दिखाते हुए रेखा के बोबों को सहलाने लगा।
हम दोनों की आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे.
तभी मेरे मन में ख्याल आया कि पहली बार को थोड़ा अलग बनाया जाए.
मैंने उठ कर तौलिया लपेटा और रेखा को अपनी गोद में उठाकर बरसती बारिश में छत पर ले गया.
छत पर लेजाकर रेखा को लिटा दिया और खुद उसको बाहों में भर कर उसके पास लेट गया।
ऊपर से घटाएं बरस रही थी और नीचे की घटाएं बरसने को तैयार हो रही थी।
रेखा से अब सहन करना मुश्किल हो रहा था, वह मुझे बार बार ‘जान आओ न … मेरी प्यास बुझा दो प्लीज! आज बादल बन कर छा जाओ और मेरी प्यासी धरती की प्यास बुझा दो प्लीज!’ ऐसे बोल रही थी.
देसी चूत हिंदी में चुदाई के लिए गिड़गिड़ा रही थी.
मैं भी बोल रहा था- हां जान, आज तुम्हारी और मेरी दोनों की प्यास पूरी बुझाऊँगा!
चुम्माचाटी करते करते मैंने एक हाथ से रेखा की साड़ी अलग कर दी और रेखा के पहाड़ की चोटियों जैसे तने हुए स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से ही चूमने लग गया.
एक हाथ से दूसरे स्तन को भींच रहा था तो दूसरे हाथ को रेखा के पेटीकोट के ऊपर से रेखा की चूत और जांघों पर फेर रहा था।
जैसे ही मेरा हाथ रेखा की चूत के ऊपर जाता, रेखा उत्तेजनावश अपनी टांगें रगड़ने लग जाती.
रेखा को सहलाते सहलाते मैंने रेखा का ब्लाउज उतार दिया और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.
बाकी काम रेखा ने आसान कर दिया और खुद ही पैर चलाकर पेटीकोट को नीचे खिसका कर अलग कर दिया.
अब मेरी जान रेखा सिर्फ पेंटी और ब्रा में थी और अजंता एलोरा की किसी जीवित मूर्ति के समान मेरे सामने बरसती बूंदों के बीच लेती थी।
मैंने उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही मुंह में भर लिया और अपने हाथों से रेखा के पूरे बदन को रगड़ने लग गया.
रेखा के होठों से गर्म गर्म सांसें निकल रही थी और कांपते हुए लहजे में कह
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
रेखा के होठों से गर्म गर्म सांसें निकल रही थी और कांपते हुए लहजे में कह रही थी- बस अब और मत तड़पाओ, मुझमें समा जाओ, अपना बना लो जान!
मैंने एक हाथ रेखा की कमर के पीछे डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.
रेखा के उन्नत बोबे आज़ाद हो गए और मैंने लपक कर उसके बोबे की निप्पल को अपने होठों की कैद में ले लिया.
रेखा के होठों से सिसकारी निकल गई.,
और मैं जैसे कोई दूध पीता हुआ बच्चा बन गया.
ऐसा बेसब्र बच्चा जो एक ही बार में सारा दूध पी लेना चाहता हो!
उसके निप्पल को कभी चूसता हुआ कभी हल्के से काटता हुआ, मैं अपना हाथ रेखा की पेंटी के अंदर डाल कर रेखा की चूत को रगड़ने लग गया.
रेखा तो जैसे पागल ही हो गई, उसकी आंखें ऐसी दिख रही थी जैसे कई पैग शराब पी रखी हो।
उसकी चूत की चिकनाई इस बात का सबूत थी कि रेखा पूरे जोश के साथ आनन्द ले रही है।
रेखा जोर जोर से मेरी पीठ को सहला रही थी और मुझे जगह जगह से काट काट कर लव बाईट के निशान छोड़ रही थी।
फिर अचानक मैंने रेखा की चूत में उंगली डाल दी.
रेखा भाभी तो जैसे मारे उत्तेजना के चीख ही पड़ी.
मैंने तुरन्त उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया।
5 मिनट तक अच्छे से चूसने के बाद मैं रेखा को चूमने लग गया, उसके स्तनों और नाभि को चूमते हुए जब मैं थोड़ा और नीचे खिसका और उसकी पेंटी के ऊपर से ही रेखा की चूत को चूमा तो रेखा पैर पटकने लग गई.
मैंने धीरे से 2 उंगलियां रेखा की पेंटी में डाली तो रेखा ने हल्की सी कमर ऊपर उठाई और पेंटी को निकल जाने दिया.
मेरी नजर रेखा की चूत पर पड़ी!
वाह … क्या शानदार चूत थी … छोटी सी चूत जिसके 2 छोटे छोटे से होंठ बने हुए थे.
एकदम रोम रहित और हल्का सा भूरापन लिए हुए एक शानदार चूत थी.
उसको देखते ही मेरा मन रेखा की देसी चूत को चाटने के लिए लालायित हो उठा और मैंने तुरन्त ही रेखा के पैर फैलाते हुए उसकी चूत पर अपने होंठ रख कर सबसे पहले रेखा की भगनासा को चूमा उसके बाद चूत के होठों को अपने होठों में भर के उनके साथ खेलने लग गया।
रेखा की चूत से गर्म गर्म पानी बह के निकल रहा था और मैं अपनी जीभ से चाट चाट कर उस सारे पानी को पीता जा रहा था।
अब रेखा की टाँगें और अधिक चौड़ी होती जा रही थी.
उसकी सिसकारियां बेतहाशा बढ़ती जा रही थी और वो अपने निचले होंठ को ऊपर वाले होंठ से काटती जा रही थी.
अचानक रेखा ने झटका दिया और पलट कर मुझे नीचे करके मेरे मुंह पर अपनी चूत को रख कर बैठ गयी.
मैं अपनी जीभ चलाता रहा.
रेखा ऊपर से ही मेरी जीभ को चोदने लग गई
वह बोलती जा रही थी- ओह जान … बड़ा मजा आ रहा है. तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले!
साथ ही सिसकारियां भरती हुई गर्म गर्म सांसें छोड़ती जा रही थी.
ऊपर से गिरती बारिश की बूंदें रेखा और मुझे शीतल करने की जगह और अधिक गर्म करते हुए हमारे तन बदन में आग सी लगा रही थी.
मैंने फिर से रेखा को नीचे किया और उसकी टांगों को फैला कर फिर से अपने होंठ उसकी सुलगती हुई चूत पर रख दिये और अपने हाथ की 2 उंगलियां उसकी चूत में डाल कर उंगलियों से चूत को चोदने लग गया.
रेखा बार बार अपनी कमर को उचका उचका कर नीचे करने लग गई.
अचानक रेखा ने मुझसे कहा- जान, मैं आ रही हूं, मेरा निकलने वाला है!
मैंने कहा- आ जाओ जान!
और इतना सुनते ही रेखा कमान की भांति तन गई और उसकी चूत से भल्ल भल्ल करके सफेद काम रस बहने लगा.
मैंने एक भी बूंद व्यर्थ नहीं जाने दी और रेखा की चूत से बहता हुआ सारा रज पी लिया और जीभ से चाट चाट कर रेखा की चूत को साफ भी कर दिया.
रेखा आंखें बंद किये लेटी हुई थी, उसकी सांसों की रफ्तार भी अब सामान्य हो चुकी थी.
उसने मेरी आँखों में देखा और प्यार और शर्म से देखने लगी.
मैंने उठकर रेखा के होठों पर किस किया और रेखा को गोद में उठाकर वापस नीचे उसके बेडरूम में ले आया।
रेखा बोली- मुझे पेशाब लगी है!
मैंने कहा- इसको बेकार मत करो, मुझे पीना है इसको!
यह कहकर मैं नीचे लेट गया, रेखा ऊपर आकर मेरे मुंह के पास अपनी चूत लगा कर बैठ गई.
मैंने उसकी चूत को अपने होंठों में भर लिया और रेखा ने मूतना शुरू कर दिया, मैंने उसकी चूत के मूत की एक एक बूंद पी ली.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(09-03-2022, 05:03 PM)neerathemall Wrote: ......
गोरा रंग, 34-30-36 का बदन, उसके बाल लम्बे हैं और कूल्हों तक आते हैं, खुले बाल लेकर जब वो चूतड़ मटकाती हुई चलती है तो आग सी लग जाती है।
मुझे उसकी नज़रों से लगता था कि मेरी तरफ़ उसका कुछ झुकाव है।
मेरे सामने उसकी हरकतें बड़ी मादक होती थी, छेड़छाड़ और मज़ाक वगैरह, कभी कभी व्यस्क चुटकले भी!
[img]Photo by Nayanthara on December 22, 2023. फ़ोटो के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है..[/img]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,383
Threads: 900
Likes Received: 11,320 in 9,384 posts
Likes Given: 20
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(09-03-2022, 05:02 PM)neerathemall Wrote: अमिता मेरे बड़े साले की बीवी यानि मेरी सलहज है, दो बच्चों की माँ है, मुझसे करीब आठ साल बड़ी यानि कि 38 साल की लेकिन उसे देखकर लगता है कि उसकी उम्र 30 की होगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
|