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Adultery सलहज
#61
(09-03-2022, 05:01 PM)neerathemall Wrote:
सलहज

अनचाहा संबंध


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जीवन में कभी-कभी ऐसे संबंध बनते है जिन में बंध कर आप संतुष्ट नहीं होते लेकिन उन से निकल भी नहीं पाते। मेरे जीवन में भी एक ऐसा संबंध बना जिस से मैं सारे जीवन निकल नहीं सकता या कह सकते है कि निकलना ही नहीं चाहता। इस संबंध को नैतिक अनैतिक की सीमा में बाँधा नहीं जा सकता है। मेरी शादी को दो वर्ष के आस-पास हुआ था। हम दोनों में अच्छी निभ रही थी। दोनों ने एक दूसरे को भरपूर जानने के लिये शादी के समय ही निर्णय किया था कि तीन वर्ष तक बच्चा पैदा नहीं करेगे। परिवार से दूर दोनों पति पत्नी अपनी निजता का रोज भरपूर फायदा उठाते थे। हमारी सेक्स लाइव बहुत जोरदार थी। दोनों के बीच कोई मन मुटाव भी नहीं होता था।


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एक दिन संभोग के बाद पत्नी जिस का नाम रमा है मुझ से बोली कि आप मुझे एक वचन दो, मैं आप से जो माँगुगी वह आप मुझे दोगे। मुझे लगा कि वह रोमान्टिक हो कर कुछ माँग रही है। मैंने गरदन हिला कर हाँ कर दी। वह बोली कि एक बार फिर सोच लो मना मत करना। मैंने कहा कि मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है तो मैं उसे तुम्हें देने से मना क्यों करुँगा। वह कुछ क्षण हिचकिचायी और बोली कि तुम से कुछ ऐसा माँग रही हूँ जो केवल तुम ही दे सकते हो और वह बहुत जरुरी है मैं उसकी बात सुन कर अचकचा सा गया कि ऐसा क्या है जो सिर्फ मेरे पास ही है। मुझे चुप देख कर वह बोली कि तुम्हें मेरी भाभी के साथ सोना पड़ेगा और उन्हें गर्भवती करना पड़ेगा। उसके यह शब्द सुन कर एक बार तो मैं हतप्रभ रह गया और अचकचा कर उसकी तरफ देखा कि वह अपने होश में है या नहीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#62
उसने बिना पलके झपकाये मेरे से कहा कि यह कार्य तुम ही कर सकते हो। मेरे परिवार की इज्जत का सवाल है। भाई की शादी को चार साल हो गये है और अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ है। भाभी की सारी जाँच सही है लेकिन भाई अपनी जाँच नहीं करवाना चाहता है। उसे सबने समझाया है लेकिन वह किसी की नहीं सुनता। लगता है कि उसे अपनी खराबी का पता है या कुछ और बात है। भाभी को ही सारी बातें सुननी पड़ती है। परिवार में माता-पिता दोनों परेशान है। तुम्हें तो पता है कि भाभी मेरी सहेली भी है उन की परेशानी से मैं बहुत परेशान हूँ, वह तो आत्महत्या करने की धमकी देती है। तुम बताओ क्या करुँ? हमने पहले सोचा कि IVF करवा लेते है लेकिन ना भाई और ना ही भाभी इस के लिये राजी है। समझ नहीं आ रहा कि क्या करे?

मुझे ध्यान आया कि महाभारत में भी ऐसा हुआ था कि नियोग द्वारा परिवार आगे बढ़ा था। मैं पत्नी की तरफ हैरत से देख रहा था। वह बोली कि ऐसे मुझे मत देखो, तुम से कुछ माँग रही हूँ। मैंने कहा कि सही कह रही हो कि हमारे यहाँ नियोग की प्रथा थी लेकिन यह तो पुरानी बात है। अब कहाँ ऐसा संभव है। वह बोली कि सब संभव है, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। तुम, मैं और भाभी के सिवा कोई कुछ नहीं जान पायेगा। परिवार की इज्जत भी बच जायेगी। भाभी आत्महत्या करने का विचार छो़ड़ देगी।

तुम्हें लगता है भाभी इस के लिये तैयार होगी।

मैंने उन से इस विषय पर बात की है, उन की कुछ शर्तें है

क्या शर्ते हैं

तुम उन से शारीरिक संबंध बनाओगे तभी वह इस बात के लिये राजी होगी।

तुम इस बात के लिये राजी कैसे हुई और यह कैसे सोचा कि मैं ऐसा करुँगा?

मैंने अपने मन पर भारी पत्थर रखा है और तुम मेरी कोई बात नहीं टालते हो ऐसा मैं जानती हूँ

लेकिन यह तो गलत है तुम्हारे मेरे संबंध बिगड़ सकते है। मैं भटक सकता हूँ

भटक कर दिखायो, मुझे पता है तुम कैसे हो, मुझे अपने पति पर अटल विश्वास है

अनैतिक नहीं है

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नैतिक अनैतिक का मुझे पता नहीं लेकिन अगर हम किसी का जीवन बचा पाये तो सब कुछ जायज है

मुझे नहीं पता था कि मेरी बीवी इतनी बड़ी दार्शनिक है

मजाक मत बनाओ

चलो मान लेता हूँ कि मैं राजी हूँ तुम मेरा वीर्य ले कर उन की योनि में डाल दो, काम हो जायेगा

तुम ने सुना नहीं वह इस के लिये राजी नहीं है उन का कहना है कि जो भी हो वह स्वाभाविक रुप से हो

मैं उन्हें भाभी मानता हूँ उन के साथ शारीरिक संबंध, मन नहीं मानता

सही हो लेकिन तुम समस्या को समझोगे तो समझ आयेगा कि यह सब तो मामुली चीज है

किसी के साथ सोना, मामुली तुम होश में तो हो तुम्हारे मेरे संबंध खराब हो गये तो, मैं उन से जुड़ गया तो

तुम ऐसा कुछ नही करोगे ना कर सकते हो ऐसा मेरा विश्वास है, पत्नी हूँ तुम्हारी तुम्हें जानती हूँ

बहुत भारी रिस्क ले रही हो

रिस्क तो है, लेकिन जिस परिवार की मैं सदस्य हूँ उस के प्रति मेरे कर्तव्य भी तो है।

हम अपना बच्चा उन को गोद दे सकते है

इस पर वह राजी नहीं है, बात भी सही है जिस बात को छुपाना चाहते है वही सामने आ जायेगी

हाँ यह तो तुम सही कह रही हो

मुझे सोचने दो

ज्यादा समय नहीं है, कल भाभी यहाँ आ रही है

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आने दो

सोच लो

यार कोई समान लेने जाने वाली बात तो नहीं है, तुम जो माँग रही हो उस के लिये मन को भी तो समझाना पड़ेगा।

मैं कहाँ मना कर रही हूँ, जो मुझ से चाहिये मुझे बता दो

मेरी तो उन से घनिष्टता भी नहीं है फिर यह सब करना, बड़ा कठिन है, कितने दिन के लिये आ रही है?

8 दिन के लिये

कोई और साथ है

हाँ, छोटी बहन

बात बहुत मुश्किल नहीं है, अकेले होती तो सही रहता

सही है लेकिन मेरे यहाँ वह अकेली नहीं आ सकती, किसी को साथ आना ही पड़ेगा। इसी लिये छोटी आ रही है, उसे मैं सभाल लुगी।

मुझे उन से बात करनी पड़ेगी अकेले में, एकान्त दोगी मुझे

बिल्कुल दूगी, लेकिन कोई ऐसी बात मत करना कि जिस से वह अपमानित महसुस करे

नहीं, मैं तो बस उन को समझना चाहता हूँ और कुछ नहीं, सेक्स संबंध मेरे लिये मशीनी नहीं मानसिक है।

मैं उन से बात करती हूँ

मेरी हाँ पर प्रसन्न हो कर पत्नी मुझ से लिपट गयी और बोली कि तुम हमेशा मेरे रहोगे।

दूसरे दिन शनिवार होने के कारण मेरी छुट्टी थी, सो मैं देर से सो कर उठा तो पत्नी बोली कि तैयार हो जाओ कुछ देर बाद भाभी आने वाली है। मैं उस की बात सुन कर चौका और नहाने चल दिया। नहा कर आया तो नाश्ता करने बैठ गया। अभी हम नाश्ता कर ही रहे थे कि तक दरवाजे की घन्टी बजी। पत्नी ने जब दरवाजा खोला तो उसकी भाभी यानि वाणी और मेरी छोटी साली खड़ी थी। पत्नी ने उन दोनों का स्वागत किया और उन्हें बिठा कर उनके लिये नाश्ता लाने चली गयी। मैंने दोनों से पुछा कि यात्रा में कोई परेशानी तो नहीं हुई तो वाणी बोली कि नहीं हमने तो खुब इंजाय किया।

नाश्ता करने के बाद दोनों कपड़ें बदलने चली गयी। मैं कमरे में बैठा आगे होने वाले घटना क्रम के बारे में सोचता रहा। मन मान नहीं रहा था लेकिन विषय की गम्भीरता का ध्यान रख कर मन में आ रहा था कि अगर एक अनैतिक संबंध से एक परिवार बचता है तो क्या बुरा है फिर अच्छा या बुरा का फैसला करने वाला मैं कौन होता हूँ। कोई हल नहीं मिल रहा था। अपनी सलहज को मैंने कभी घ्यान से भी नहीं देखा था उस से शारीरिक संबंध बनाना अजीब सा लग रहा था लेकिन कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा था।

दोपहर के खाने के बाद मैं सोने चला गया। मेरी नींद किसी के झकझौरने से खुली, देखा कि मेरी सलहज यानि वाणी बेड के किनारे पर खड़ी थी। मैं अचकचा कर उठ कर बैठ गया। मेरी हालत देख कर वह हंसी और बोली कि आप हड़वड़ा क्यों रहे है मैं कोई भुत नहीं हूँ। मैंने सरक कर उन्हें बैठने की जगह दी और कहा कि गहरी नींद में था इस लिये ऐसा लग रहा है। लगता है मुझ से डर लग रहा है।

ऐसा क्यों लगा, आप को

आप के व्यवहार से

किस व्यवहार से

आप ने मेरा स्वागत मन से नहीं किया

स्वागत तो किया था

हाँ सो तो है लेकिन उस में रोमांच नहीं था

मेरी जान पर बनी है और आप को रोमांच की पड़ी है

जान पर क्यों पड़ी है, इस लिये कि किसी और के साथ सोना है,

हाँ

इतने शरीफ तो नहीं लगते

शराफत का सार्टिफिकेट गले में लटका कर तो नहीं घुम सकता

नाराज है मुझ से

नहीं

फिर क्या बात है

कोई बात नहीं है, और सब कहाँ है

दीदी छोटी के साथ बाजार गयी है

आप से कुछ बात करनी थी इस लिये वह गयी है

मुझे पता है,क्या बात करनी है

जो होगा वह आप की मर्जी से हो रहा है या कोई जबरदस्ती

आप को ऐसा कैसे लगा?

नहीं मैंने यो ही पुछा क्यों कि किसी और से संबंध किसी के लिये भी आसान नहीं है

सही है लेकिन कोई और राह नहीं है, आप ही एक मात्र सहारा है

अगर मेरे में कोई खराबी हो तो, वैसे भी हम दोनों भी तो दो साल से बिना बच्चे के है

इस के बारे में मुझे पता है आप मुझे डराओ नहीं, रही खराबी की बात तो दीदी सब चैक करा चुकी है

जरुरी है कि एक बार में गर्भ ठहर ही जाये

मैं चैक करवा के आयी हूँ अंड़ें निकलने वाले है। अगर इस बार नहीं ठहरा तो दूबारा ट्राई करेगे, लेकिन बच्चा तो चाहिये

आप बड़ी बहादूर हो

मेरा नाम क्यों नहीं लेते

यहाँ ले लेता हूँ लेकिन ससुराल में नहीं ले सकता

वहाँ किस ने कहा है, जब तक मैं यहाँ हूँ वाणी ही बुलाये

छोटी शिकायत तो नहीं कर देगी

नहीं उसे कोई मतलब नहीं है

मेरे से कोई सवाल जबाव

नहीं बस मुझ से पुरा प्यार करें, अधुरापन या बनावट ना रखे

आप को पता है कि मैं आपकी ननद का पति हूँ फिर भी ऐसी बात करती है

तभी तो करती हूँ आप पर मेरा अधिकार है, मैं आप के घर की सदस्य हूँ मेरी खुशहाली की चिन्ता भी आपका कर्तव्य है।

यह तो है, मेरी ही हो, लेकिन मन को मनाना मुश्किल हो रहा है।

यह इस लिये है कि सब कुछ आप के सामने खुला हुआ है, अगर यह ही छुप कर होता तो आपका मन परेशान नहीं होता।

मुझे साफगोई पसन्द है, कहाँ से शुरुआत करें

जहाँ से आप चाहो।

वाणी तुम्हारा मेरा यह संबंध आगे के हमारे जीवन में कोई बाधा तो उत्पन्न नहीं करेगा?

नहीं करेगा क्योकि हम दोनों अपने जीवन को जीना सही तरीके से जानते है। आप जो है वही रहेगे, केवल मैं आप के जीवन का अटुट हिस्सा बन जाऊँगी

तुम्हारी यह बात अच्छी लगी। इस के बाद हमारे जीवन हमेशा के लिये बदल जायेगे लेकिन यह बदलाव अच्छे कि लिये होगा ऐसी मेरी कामना है, मैं अच्छा प्रेमी नहीं हूँ

मुझे मत समझाइये, आपकी पत्नी मेरी ननद ही नहीं दोस्त है। मुझे सब पता है। शरारतों से बाज आओ

मैंने वाणी का हाथ पकड़ कर उसे अपने से सटा लिया। उस के शरीर की सुगंध मेरे लिये नयी थी। मैं उस के कारण मदहोश होने वाला था। वह यह जानती थी। उस ने मेरा चेहरा अपने हाथों में ले कर मेरे होंठों पर अपने होंठों की छाप छोड़ दी। वाणी के अधरों की मधुरता मुझे भाने लगी। कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे के अधरों का रसपान करते रहे, इस का एक फायदा हुआ कि हमारी शर्म खत्म हो गयी और हम अगले दौर के लिये तैयार हो गये। वासना की आग हम दोनों के शरीर में भड़क गयी। मेरे होंठ वाणी की गरदन पर होते हुये छाती पर आ गये लेकिन ज्यादा नीचे नहीं जा सके क्यों कि वहाँ पर कपड़ों की बाधा थी।

उस ने सलवार कुरता पहना हुआ था मैंने उसे ऊपर कर के उतार दिया। ब्रा में उसके उरोज मुझे ललचा रहे थे। मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उस के उरोजों को अपने होंठों से चुमना शुरु कर दिया। मेरे से अब अपने आप को कन्ट्रोल करना संभव नहीं था। हाथों से उसकी पीठ को सहला कर मैंने उस की सलवार भी उतार दी अब वह पेंटी में थी। इस के बाद मैंने अपने कपड़ें उतार दिये और मैं भी ब्रीफ में था। हम दोनों एक दूसरें के शरीरों को सहला रहे थे। ऐसा करना जरुरी था। हम दोनों ऐसे रिश्ते में थे कि अगर हमें सेक्स का आनंद लेना था तो अपने दिमाग से रिश्तों को निकाल देना था। शरीर को सहला कर हम दोनों अपने शरीर में सेक्स की आग को भड़का रहे थे। उस के बाद उसे बुझाना भी था।

मैंने वाणी की पेंटी उतार दी और अपनी ब्रीफ भी उतार कर रख दी। इस के बाद मैंने हाथ से उस की योनि को सहलाया और अपनी ऊंगली उस की योनि में डाल दी। वहाँ पर नमी भरपुर थी। ऊंगली योनि में अंदर बाहर करके मैंने आग को और भड़काया और उस के बाद उसे भोगने के लिये उसकी भरी जाँघों के बीच बैठ गया। अपने लिंग को वाणी की योनि के मुँख पर एक दो बार सहलाया और लिंग को योनि में डालने की कोशिश की जो फेल हो गयी। तभी वाणी ने अपने हाथ से लिंग को पकड़ कर योनि के मुँख पर रखा और मुझे इशारा किया मैंने दबाव डाला और लिंग का सुपारा योनि में चला गया। दूसरे धक्के में लिंग पुरा योनि में समा गया। कुछ क्षण रुकने के बाद मैंने लिंग को अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। वाणी भी नीचे से मेरा साथ देने लगी। हमें यह संभोग जल्दी खत्म करना था। रमा किसी समय भी बाजार से वापस आ सकती थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#63
हम दोनों एक-दूसरें में समाने की भरपुर कोशिश कर रहे थे। वाणी शायद डिस्चार्ज हो गयी थी इस लिये फच-फच की आवाज आने लग गयी थी। उस की आँखें बंद थी वह किसी की कल्पना कर रही थी या और कुछ मुझे पता नहीं था। लेकिन मैं सिर्फ उसी को देख रहा था। उस के चहरे पर आनंद के क्षण दीख रहे थे। कुछ देर बाद मैं थक गया तो उस से उतर कर वाणी की बगल में लेट गया। वह मेरे ऊपर आ गयी और लिंग को योनि में डाल कर कुल्हें उपर नीचे करने लगी। उस की गति भी तेज होती गयी। शायद हम दोनों ही इस संभोग को जल्दी खत्म करना चाहते थे। इसी लिये उस ने करवट ली और मैं उस के ऊपर आ गया।
मैं जोर-जोर से धक्कें लगा रहा था। वह भी नीचे से अपने कुल्हें उछाल रही थी। फिर उस के पांव मेरी कमर पर कस गये, इस का मतलब था कि वह डिस्चार्ज हो गयी थी। मेरी गति तेज ही थी। मैंने अपने शरीर को एक लकीर में सीधा किया और जोर-जोर से प्रहार करने लगा। धक्कों के कारण वाणी आहहहहह उहहहहह कर रही थी। कुछ देर बाद मेरी आँखे मुंद सी गयी और मैं वाणी के ऊपर लेट गया। कुछ देर बाद होश सही होने पर उस की बगल में आ गया। वह भी गहरी सांसे ले रही थी। मैंने उस की योनि पर हाथ लगा कर देखा तो वह योनि द्रव्य से भरी थी। योनि द्रव्य बाहर निकल रहा था। मुझे चिन्ता था कि वह जिस कार्य के लिये आयी है वह पुरा होगा या नहीं।

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मैं बेड से उठ गया और अपने कपड़ें पहनने लगा और वह भी उठ कर बैठ गयी। मैंने उस के कपड़ें उसे दे दिये। वह भी उन्हें पहनने लगी। कपड़ें पहनने के बाद वह बोली कि अब आप क्या करेगें? मैंने कहा कि जा कर शरीर को साफ करता हूँ ताकि सुगंध चली जाये। तुम भी अपने आप को साफ कर लो। वह मेरी तरफ देख कर बोली कि आप इतनी दूर की सोचते है तो लगता है कि आप इतने शरीफ नहीं है जितना दिखते है। मैंने हँस कर कहा कि वाणी जी शरीफ होता तो आपके साथ नहीं होता इस लिये जैसा समझ आ रहा है वैसा कर रहा हूँ। रमा को बुरा ना लगे यह भी तो देखना है। वह मेरी बात समझ गयी और अपने आप को साफ करने चली गयी। मैं भी वाशरुम में घुस गया।
कुछ देर बाद हम दोनों अपने-आप को साफ करके आ गये। मैंने वाणी से पुछा कि मिलन कैसा रहा?
सही था मुझे इस का कुछ-कुछ पहले से अंदाजा था कि मेरे साथ आप क्या करेगें
कैसे पता था
मेरे सोर्स है
सोर्स को कसना पड़ेगा, वह हर बात किसी को बताता रहता है यह तो अच्छी बात नहीं है
आप हम औरतों को सीखा नहीं सकते
अच्छा जी
हाँ जी
सवाल का जबाव नहीं दिया
दम ही निकाल दिया था, सारा शरीर टुट सा गया है
अगर ज्यादा ताकत लगा दी तो क्षमा चाहता हूँ
क्षमा किस बात की, ऐसा ही होना चाहिये
कोई गलती हो तो बताना
इस में क्या गलती हो सकती है
एक तो तुम ने बता दी है
ऐसी गलती तो हर औरत चाहती है कि उसके साथ बार-बार हो
लेकिन रोती जरुर है
हमें समझना मुश्किल काम है
सो तो है
कितनी बार डिस्चार्ज हुई?
तुम्हें कैसे पता चला
चल जाता है
तुम्ही बताओ
मेरे ख्याल से दो बार तो डिस्चार्ज हुई थी, पहली बार जब फच की आवाज शुरु हुई, दूसरी बार जब तुम्हारी टाँगें मेरी कमर पर कस गयी थी
तुम प्यार कर रहे थे या यह सब नोट कर रहे थे
दोनों कर रहा था। पहली बार के कारण थोड़ा ज्यादा ध्यान दे रहा था
मुझे कुछ नहीं ध्यान मैं तो आँखें बंद करे पड़ी थी
शर्म के कारण
नहीं तो
किसी और का ध्यान कर रही थी
तुम ने डाक्टरी कर रखी है क्या
तुम्हारा ध्यान कही और था
हाँ था लेकिन मैं कुछ नहीं बताऊँगी
मैं कुछ पुछुगाँ भी नहीं
क्यों
तुम्हारी जिन्दगी है तुम्हारी कल्पना, मैं कौन होता हूँ कुछ पुछने वाला
सो तो है
अपना जो काम है वह कर रहे है
हाँ यह तो है
मैं आप का होता कौन हूँ जो आप से कुछ पुछु
आप मेरे सब कुछ होते है, अगर नहीं होते तो मैं आप को अपना सब कुछ नहीं सौपती
बुरा लगा तो माफ कर दो
हम तो लड़ रहे है
हाँ
क्यों
पता नहीं
लगता है यह लड़ाई प्यार होने की निशानी है
बड़ी खतरनाक बात कर रही हो पता भी है इसका क्या असर पड़ेगा
पता है लेकिन मैं जिस व्यक्ति को अपने बच्चों का पिता बना रही हूँ उस से प्यार तो कर सकती हूँ, एकतरफा ही सही
हम अपने संबंधों में बंधें हुये है, उस से बाहर निकलने की कोशिश करेगें तो विनाश ही करेगे
मुझे पता है, इस का कभी किसी को पता नहीं चलेगा, लेकिन आप मुझे ऐसा करने से रोक नहीं सकते।
रोक नहीं रहा हूँ लेकिन उस के असर को बता रहा हूँ, यह हमेशा हमारे दिमाग में रहना चाहिये
हमेशा रहेगा। मुझे एक बच्चा थोड़ी ना चाहिये, कम से कम दो या तीन तो चाहिये ही
बड़ी लम्बी लिस्ट है, हमारा नंबर कब आयेगा
मेरे बच्चों के बीच में जो समय होगा, वह आप के बच्चों का होगा
इतना सब सोच के रखा है
हाँ, सब सोच के रखा है
मैंने वाणी का सर प्यार से हिलाया और कमरे के बाहर निकल गया। पत्नी के आने से पहले हमें सामान्य हो जाना था।
कुछ देर बाद रमा अपनी बहन के साथ आ गयी। दरवाजा मैंने खोला और उस की आँखों के सवाल का आँखों से जवाब दे दिया। उस के चेहरे पर संतोष झलक गया। वह अंदर आ गयी। दोनों बहनें खरीदारी करके आयी थी और अपने लाई वस्तुयें वीणा को दिखाने लग गयी। मैं अकेला कमरे में बैठ कर सोचता रहा कि मेरी बीवी भी ना जाने कैसी है अपने पति के दूसरी स्त्री से बने संबंध को लेकर परेशान नहीं है। अपने पति पर इतना बड़ा विश्वास है। मेरी जिम्मेदारी है कि मैं कभी उस के विश्वास को ना तोडूं। बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी मेरे कंधों पर।
पहली रात
रात को मेरे साथ सोते में उस ने मुझ से लिपट कर कहा कि मुझ से नाराज तो नहीं हो? मैंने कहा कि पहले परेशान था लेकिन तुम से नाराज नहीं था। अब परेशान भी नहीं हूँ। जैसा तुम चाहती थी वैसा मैंने कर दिया। तुम बताओ खुश हो? वह मुझे चुम कर बोली कि तुम ने बहुत बड़ी समस्या दूर कर दी है। तुम्हें तो इनाम मिलना चाहिये। बोला क्या चाहते हो? मैंने कहा कि सोना चाहता हूँ तो वह बोली कि इनाम किसी और दिन देगे। आज तुम आराम करो।
मैं नींद में डुब गया। रात को मुझे लगा कि कोई नयी खुशबु मेरे नथुनों में आ रही है। फिर लगा कि पुरानी खुशबु भी है। दोनों खुशबुऐं मेरे दिमाग को चकरा रही थी। मैं उन में डुब सा गया था। किसी की टाँगें मेरी टाँगों से लिपटी हुई थी। किसी के हाथ मेरे बदन पर फिर रहे थे। मैं शायद नींद में कोई सपना देख रहा था। किसी की सुगंध ने मुझे नशा सा कर दिया था और मैं आकाश में तैर सा रहा था। फिर कुछ देर बाद में धरातल पर आ गया। पता नहीं क्या हो रहा था मेरे साथ मैं जाग्रत था या सो रहा था मुझे कुछ पता नहीं चल रहा था ना मैं पता करना चाहता था।
सुबह उठा तो पत्नी मेरे पर टाँग रख कर सो रही थी यह उस की मनपसन्द पोजिशन थी सोने की। सुबह के तनाव की वजह से लिंग तना हुआ था लगा कि उस का तनाव कम करने के लिये बाथरुम जाना पड़ेगा लेकिन उठने का मन नहीं था सो पत्नी को सीधा किया कि उसे भोगा जाये और कपड़ें हटायें तो देखा कि लिंग तो पहले से ही चिपचिपा हुआ पड़ा था। शायद नाइटफॉल हुआ था जो मुझे होता नहीं था। शरीर से अलग तरह की सुगंध आ रही थी। इस लिये फिर से सो गया। पत्नी के उठाने पर जागा तो देखा कि वह मेरे कपड़ें सही कर रही थी।
मुझे जगा देख कर बोली कि नींद में भी चैन नहीं है कपड़ें गंदे कर लिये है। मैंने कहा कि तुमने किये होगे तो वह बोली कि नहीं मैंने कुछ नहीं किया है। अगले कुछ दिनों तक तो मैं ऐसा कुछ सोच भी नहीं सकती हूँ। उस की बात सुन कर मैं वर्तमान में आ गया और सोचा कि हाँ अगले कुछ दिन तो हमने किसी और के नाम कर दिये है। मैं बिस्तर से उठ कर बाथरुम चला गया और वहाँ अपना प्रेशर रिलिज कर आया। वह बोली कि सभल जाओ, भाभी आने वाली होगी। उस की बात सही निकली, दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी और वाणी चाय ले कर कमरे में आ गयी। मैं उन्हें देख कर अचकचा गया और कमरे से बाहर निकल गया।
वाणी मेरे पीछे आयी और बोली कि जीजा जी आप की चाय अंदर रखी है पी लिजिये। मैं फिर से कमरे में लौट गया। रमा बोली कि बाहर क्यों चले गये थे? मुझे कोई जवाब नहीं सुझ रहा था इस लिये चुप रह कर चाय पीने लगा।
परेशान लग रहे हो
नहीं कोई खास बात नहीं है
पहले तो ऐसा नहीं करते थे
क्या
कोई आये तो कमरे के बाहर चले जाना
ऐसे ही चला गया था, किसी के कारण ऐसा नही किया था
किसी को ऐसा लग सकता है
अगर लगा है तो मैं क्षमा माँग लुगाँ
गुस्सा क्यों कर रहे हो
तुम बात का पतगड़ बना रही हो
वाणी को कमरे में आता देख हम दोनों चुप हो गये। वह बोली कि चाय सही बनी है, मैंने कहा कि हाँ चाय तो आप बढ़िया बनाती है
मुझे लगा कि शायद आप मेरे हाथ की चाय का स्वाद भुल गये है।
अच्छे स्वाद हमेशा याद रहते है।
मुझे लगता था कि हम बुरे स्वाद याद रखते है
मैं तो अच्छे स्वाद याद रखता हूँ
रमा बोली कि मैं छोटी को चाय दे कर आती हूँ। उस के जाने के बाद वाणी बोली कि मुझे देख कर बाहर जाने की क्या आवश्यकता थी। मैंने उसे बताया कि मैं उसे देख कर नहीं बल्कि ऐसे ही बाहर गया था। उस के पीछे कोई कारण नहीं था। मेरे उत्तर से वह संतुष्ट नजर आयी। तभी रमा वापस आ गयी और बोली कि छोटी तो अभी सो रही है। मैंने कहा कि उसे सोने दो। उस ने जाग कर क्या करना है। वाणी ने सर हिलाया। रमा बोली कि भाभी नाश्ते में क्या खाना चाहती है? वाणी बोली कि जो जीजा जी को पसन्द हो वही चलेगा। रमा बोली कि संड़े को तो हम आलु के पराठें खाते है। वह बोली कि हम भी वही खायेगें। रमा हँस कर बोली कि मैं सोच रही थी कि पुरी आलु बना लूँ। वाणी बोली कि अगर जीजा जी को पसन्द है तो मैं भी खा लुगी। मैंने बात खत्म करने को कहा कि पुरी आलु ही सही रहेगा तुम यही बना लो। रमा कमरे से चली गयी।
वाणी बोली कि लगता है मुझ से अब तक नाराज है?
मैं आप का लगता क्या हूँ जो नाराज होऊँगा
कल इस बात का जवाब दे दिया था।
तुम्हारें पहले सवाल का जवाब भी मैंने कल ही दे दिया था
लेकिन आप का व्यवहार तो कुछ और ही कह रहा है
क्या कह रहा है, मैं कुछ परेशान सा हूँ, बस यही बात है
आप की परेशानी जानने की कोशिश कर रही थी
पहले मुझे तो परेशानी पता चले तभी तो आप को बताऊँगा
अच्छा तो यह बात है, परेशान है लेकिन क्यों है यह पता नहीं
हाँ ऐसा ही कुछ है।
जब पता चले तो जरुर बताइयेगा
जरुर
रमा को आता देख हम दोनों चुप हो गये। नाश्ता करने तक दोनों ने आपस में कोई बात नहीं की।
दूसरी रात
दिन के खाने के बाद हम सब घुमने चले गये। शाम को आते में बाहर से खाना लाये और उसे खा कर सोने चल दिये। इस दिन भी मुझे पहले दिन जैसा ही लगा। वहीं मादक खुशबु और दो के बीच पीसने का अनुभव, लेकिन मैं अपने अनुभव को किसी को बता नहीं पाया अपनी पत्नी को भी नहीं। सुबह मेरे कपड़ें तो खराब ही निकले। यह रहस्य मेरी समझ से बाहर था। मेरे पास इस को सुलझाने का समय भी नहीं था। मैं उठा और अपने काम में लग गया। उसके बाद ऑफिस के लिये निकल गया। सारा दिन ऑफिस में व्यस्त रहने के कारण दिन में किसी से बात नहीं हुई।
तीसरी रात
शाम को जब घर आया तो पत्नी बोली कि आज का क्या करना है? तुम बताओ, मैं तो कही नहीं जा सकता, रात खराब नहीं कर सकता सुबह ऑफिस जाना है, सुबह जैसे हम करते है उस समय ही कर सकते है, तुम बताओ क्या कहती हो? रमा बोली कि हाँ यही सही रहेगा। मैं उन को सुबह जल्दी उठा दूँगी। वह चुपचाप आ जायेगी और मैं छोटी के पास लेट जाऊँगी। मैंने कहा कि तुम ऐसी गल्ती मत करना। इस से सब गड़बड़ हो जायेगी। भाभी के छोटी के पास ना होने से ज्यादा परेशानी नहीं होगी लेकिन अगर तुम उन की जगह सोती मिली तो बात गलत हो जायेगी। मेरी बात रमा की समझ में आ गयी। रात को अब दोनों ननद-भाभी के बीच बात हुई मुझे पता नहीं चला।….आगे…..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#64
सलहज की कसी चूत






मेरा नाम संजय मलिक (बदला हुआ) है. आज जो मैं कहानी आप लोगों को बताने जा रहा हूं वह मेरी पत्नी की भाभी यानि कि मेरी सलहज के बारे में है.

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thanks






































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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#65
(09-03-2022, 05:02 PM)neerathemall Wrote:
सलहज की कसी चूत



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यह बात उस समय की है जब मेरी बीवी ने कहा कि मेरी भाभी को शहर से बुला कर ले आओ। अभी उसके कॉलेज की छुट्टियां भी हैं चल रही हैं और वो इस बहाने हमारे यहां पर आकर कुछ दिन घूम जायेगी।
मेरी बीवी ने कहा कि उसने अपनी माँ से बात कर रखी है इस बारे में.

आगे की कहानी बताने से पहले मैं अपने पाठकों को अपने बारे में बता देना चाहता हूं. मेरी उम्र 28 साल है और मेरा शरीर भी काफी भरा हुआ है लेकिन शेप में है. मैं नियमित कसरत करता रहता हूं जिससे मेरे शरीर पर कहीं पर भी अतिरिक्त चर्बी जमा नहीं है. 
मेरी शादी को पांच साल हो चुके हैं इसलिए पत्नी की चुदाई करने में मुझे कुछ खास मजा नहीं आता है. लंड किसी परायी चूत के सपने देखने लग जाता है. मगर अभी तक कोई कसी हुई चूत हाथ नहीं लगी थी जो मेरे लंड की प्यास को बुझा सके. 
हां, कई बार काम पर आते-जाते लड़कियों की नजर मेरे शरीर को देख कर उन्हें मेरी तरफ आकर्षित कर देती थी लेकिन उनमें वो बात नहीं दिखाई पड़ती थी कि उनको चोदने के लिए लंड मचल उठे. मुझे एक सेक्सी सी शादीशुदा महिला की चूत की चुदाई करने का मन था. मेरी यह अभिलाषा काफी दिनों से मेरे मन में ही दबी हुई थी. 
तो दोस्तो, पत्नी के कहने पर मैं अपनी सलहज को लेने के लिए चला गया. अब यहां पर मैं अपनी सलहज का परिचय देना चाहूंगा. उसका नाम अनीता है और उसकी उम्र 24 साल है. शादी को 2 साल हो गये थे लेकिन अभी तक उसको बच्चा नहीं हुआ था. 
मैंने दुल्हन बनी अनीता को साले की शादी में भी देखा था लेकिन उस वक्त उसके शरीर के बारे में कुछ खास पता नहीं लग पाया था. शादी में बस उसका चेहरा देखा था. देखने में काफी सुंदर थी. 
उसकी तुलना में मेरा साला काफी कम था. साले का वजन ज्यादा था और पेट भी निकला हुआ था. देखने में भी अनीता के मुकाबले उन्नीस था. मगर मेरी सास ने ही अनीता को उसके लिए चुना था. मैं तो साले से जलता था कि कहां ये मोटा सांड और कहां ये कच्ची कली. 

पत्नी के मायके यानि अपनी ससुराल में पहुंच गया मैं. वहां जाने के बाद उन लोगों ने मेरी काफी खातिरदारी की. सास-ससुर और सब से बात हुई. मैंने पत्नी की मंशा अपनी सास को बताई तो वह भी अनीता को मेरे साथ भेजने के लिए राजी हो गई. मगर अभी साले साहब की परमिशन लेना भी बाकी था. 
पहले तो साले ने मना कर दिया. कहने लगा कि यहां पर मां की देखभाल करने वाला कोई नहीं है. लेकिन मैं उसके मन की बात जानता था क्योंकि उसकी मां यानि कि मेरी सास ने तो पहले ही मुझे इजाजत दे दी थी. मगर साले का मन मेरी सलहज की चूत में अटका हुआ था इसीलिये वो टाल-मटोल कर रहा था.
फिर मेरी पत्नी का फोन आ गया. जब उसने अपने भाई से सिफारिश लगाई तो वह मान गया. दो दिन तक सब लोगों के साथ खूब हंसी मजाक चला और फिर साले ने अपनी पत्नी अनीता (मेरी सलहज) को खुशी-खुशी मेरे साथ भेज दिया। 
शादी के समय वाली अनीता अब काफी बदल गई थी. लगभग बारह-पंद्रह महीनों के बाद मैं उसको देख रहा था. इतने कम समय में ही उसके शरीर में अलग ही निखार आ गया था. पहले काफी शर्मीली सी थी और नजर उठाकर देखती भी नहीं थी. 
अब तो वो खूब हंसी मजाक करने लगी थी. मगर मेरा इरादा तो उसके रसीले बदन को भोगने का था. उसके शरीर की बनावट देख कर मेरे मन में एक कसक सी उठ गई थी. उसके मोटे मोटे दूध उसके सूट में इस तरह से कसे हुए थे कि मन करने लगा था कि इनको बस दबाता ही रहूं दिन रात. 
उसकी गांड का उठाव देख कर लंड से पानी छूटना शुरू हो जाता था. कमर एकदम पतली सी थी. पता नहीं कैसे उसने अपने आपको इस तरह से मेंटेन किया हुआ था. मेरी पत्नी तो उसके सामने कुछ नहीं रह गई थी अब. अनीता के चूचे मल्लिका शेरावत के जितने बड़े थे और बिल्कुल वैसे ही उसके सूट से बाहर झांकते रहते थे. 
दो दिन मैं उनके घर पर रहा तो उसकी चुदाई के सुनहरे ख्वाब देखने लगा. सोच रहा था कि अगर इसे चोदने का मौका मिल जाये तो मैं दुनिया की सारी दौलत इस पर लुटा दूं. ऐसा फूल सा बदन बनाया था उसका कि देखते ही आंखों को सुकून के साथ साथ एक तड़प भी लगने लगती थी.
फिर उसको साथ लेकर मैं वहां से चल पड़ा. ट्रेन की रिजर्वेशन तत्काल करा ली इसलिए कोई दिक्कत नहीं हुई. स्टेशन पर पहुंच कर गाड़ी भी समय पर ही आ गई. हम दोनों ही सामान लेकर ट्रेन में चढ़ने लगे. चूंकि भीड़ काफी थी तो मैंने पहले अनीता को ऊपर कर दिया और पीछे से बैग उठाकर अपनी पीठ पर लाद कर मैं भी ट्रेन में घुसने लगा. 
ऐ.सी. कोच में बुकिंग थी इसलिए लोग धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे. अनीता के कोमल कसे हुए बदन से मेरा शरीर सटा तो लंड तुरंत तन गया. लंड एकदम से तन कर उसकी गांड की दरार पर जा सटा. बहुत कोशिश की पीछे हट कर खुद को रोकने की लेकिन उसके शरीर का वो पहला अहसास पाकर काबू रख पाना बहुत मुश्किल हो गया. 
उसे भी शायद अपने जीजा के खड़े लंड का अहसास अपनी गांड पर हो गया था. वो एक बार पीछे पलट कर देखने लगी लेकिन बिना कुछ बोले फिर से आगे की तरफ देखती हुई रास्ता बनाने लगी. उसकी गोल गांड में मेरे लंड के झटके लग कर मेरा हाल बेहाल हुआ जा रहा था. 
खैर, उसके बाद हम अपनी सीट पर पहुंच गये. सामान जमा दिया और ट्रेन चल पड़ी. पत्नी के मायके से मेरे घर पहुंचने में 18 घंटे का समय लगता था. इन 18 घंटों में मैं यही सोचता रहा कि अनीता की चुदाई का काम बने तो बने कैसे. 
बार-बार अपनी सलहज की कातिल जवानी को देख कर मेरे दिल पर जैसे कटार चल रही थी. कई बार मन किया कि ट्रेन में ही कुछ चक्कर चलाऊं लेकिन हिम्मत नहीं पड़ रही थी और न ही कोई ऐसा मौका आया कि मुझे कुछ करने का अवसर मिल सके. बस तने हुए लौड़े के साथ मैंने किसी तरह उस दिन सफर काट लिया. 
उसके बाद हम अपने घर आ गये. अपनी भाभी यानि मेरी पत्नी से मिल कर अनीता खुश हो गई. दोनों ही बातें करने लगीं. मैं अपने कमरे में चला गया. दो-तीन दिन ऐसे ही निकल गये. मगर चौथे दिन की बात है कि पड़ोस में ही एक भाभी को बच्चा होने वाला था. 
उनका हमारे घर में भी खूब आना जाना था इसलिए मेरी पत्नी उसके घर चली गई. फिर उसको अस्पताल ले जाया गया. रात भर मेरी पत्नी को वहीं पर रुकना था. उसने अस्पताल से ही फोन कर दिया कि अनीता खाना बना देगी और मैं सुबह ही घर आऊंगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#66
मुझे जब इस बात का अहसास हुआ कि अनीता मेरे साथ में अकेली रहने वाली है तो मेरे मन में हवस जाग उठी. बीवी की गैरमौजूदगी मुझे अपनी सलहज की चुदाई के लिए मजबूर करने लगी. सोचने लगा कि आज रात को किसी तरह इसकी चूत को चखने का मौका लग जाये तो बस मजा ही आ जाये.

किचन में जब वो खाना बना रही थी तो मैं पीछे से खड़ा होकर उसकी उठी हुई गांड को देख रहा था. उसको देख देख कर लंड बार-बार उछल रहा था. मैं वहीं पर खड़ा होकर लंड को मसल रहा था. एक बार तो मन किया कि जाकर अभी इसकी गांड पर लंड को लगा दूं.

मगर कुछ सोच कर वहीं खड़ा रहा. उसे पता नहीं कैसे आभास हो गया कि मैं उसके पीछे ही खड़ा हुआ हूं. उसने अचानक से पीछे मुड़ कर देख लिया. मेरा हाथ उस वक्त हौले हौले मेरे तने हुए लंड पर चल रहा था. अनीता के पलटते ही मैंने घबराहट में हाथ हटा लिया.

मैं ऐसे देखने लगा जैसे किसी चोर को चोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया गया हो.
वो बोली- क्या बात है जीजा जी, कुछ चाहिए क्या आपको?
मैंने मन ही मन कहा- तुम्हारी चूत!
फिर उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला- बस खाने का इंतजार कर रहा था. अभी कितनी देर और लगेगी खाना तैयार होने में? मुझे तो जोर से भूख लगी हुई है.

अनीता ने मेरी लोअर में तने हुए मेरे लौड़े की तरफ सरसरी निगाह से देखा और फिर मेरे चेहरे से टपक रही हवस को पढ़ने की कोशिश करते हुए कहने लगी- हां, बस खाना तैयार होने ही वाला है जीजा जी. आप बाहर जाकर बैठिये मैं अभी पांच मिनट में खाना लेकर आती हूं.

उसने मुंह फेर लिया और दोबारा से रोटी बेलने में लग गई. मैं जाकर बच्चों के साथ हॉल में टीवी देखने लगा. फिर अनीता खाना लेकर आ गई. टीवी देखते हुए ही सबने साथ में खाना खाया. मेरी नजर टीवी पर कम और अनीता के चूचों की क्लिवेज पर ज्यादा जा रही थी.

वो भी मेरे मन को पढ़ने की कोशिश कर रही थी शायद लेकिन दोनों में से ही कोई भी जाहिर नहीं होने देना चाह रहा था. खाने के बाद वो किचन में चली गई. बच्चे अभी टीवी देखने में मग्न थे. अनीता को किचन में गये हुए पांच मिनट हो गये थे.

मैं अपने जूठे बर्तन लेकर किचन की तरफ बढ़ने लगा तो मेरा लौड़ा बगैर मेरी इजाजत के ही तना जा रहा था. लोअर में तंबू बना दिया हरामी ने. मैंने किसी तरह शर्ट के नीचे उसको ढका और किचन में बर्तन रखने के लिए चला गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#67
अंदर जाकर देखा तो अनीता बर्तन साफ कर रही थी. मैंने बर्तन रखने के बहाने से उसकी गांड पर अपने लौड़े से सहला दिया. वो थोड़ी सी हिचक कर एक तरफ सरक गई तो मेरी भी हवा टाइट हो गई. मैं चुपचाप बाहर आ गया.

कुछ देर तक मैंने बच्चों के साथ टीवी देखा और फिर उनको अपने साथ ही अपने बेडरूम में सुलाने के लिए ले गया. हमारे बेडरूम में से ही अन्दर वाले कमरे का दरवाजा बना हुआ था जिसमें अनीता सोती थी. कुछ देर के बाद वो अपने हाथ पौंछती हुई कमरे में आई और सामने से गुजरी.

उसकी मटकती हुई गांड को देख कर मेरे मन में टीस सी उठने लगी. वो अन्दर चली गई और मैंने लाइट बन्द कर ली. कमरे में अन्धेरा हो गया लेकिन अनीता के कमरे की हल्की रोशनी अभी भी इधर आ रही थी.

मेरा हाथ मेरे तने हुए लंड पर चला गया. सोचने लगा कि चुदाई का मौका मिलना तो मुश्किल है लेकिन मुठ मारे बिना ये लौड़ा मुझे सोने नहीं देगा. मैं अपनी लोअर के अन्दर से ही अन्डवियर में हाथ डाल कर अपने लंड को सहलाने और मसलने लगा.

सलहज की चूत और गांड के बारे में सोच कर लंड काफी देर पहले से ही तना हुआ था इसलिए उसने अंडरवियर में ही टोपे को चिकना कर रखा था. जब मैंने लंड के टोपे को अपने हाथ से ऊपर नीचे करना शुरू किया तो मेरी आंखें स्वत: ही बंद होने लगीं.

उस समय हाथ मेरे लंड पर चल रहे थे लेकिन मन ख्यालों ही ख्यालों में अनीता की मैक्सी को उठाकर उसके बदन के दर्शन करने की कामुक कल्पनाओं में गोते लगाने लगा था. हाय … इसकी गांड … इसके स्तन … कितने रसीले होंगे अनीता के स्तन … चूस-चूस कर पी लूंगा उनको. कुछ ऐसी ही कल्पनाओं में डूबा हुआ मैं अपने लंड पर तेजी से हाथ को चला रहा था.

मेरी आंखें बंद थीं और बच्चे बगल में ही सो रहे थे. अंधरे में मुठ मारने के पूरे मजे ले रहा था. मन तो कर रहा था कि लोअर को निकाल दूं लेकिन सोचा कि कहीं अगर बच्चे जाग गये तो उन पर गलत असर जायेगा. इसलिए अंडरवियर के अंदर ही लंड को दबोचे रहा.

तेजी से हाथ लंड को रगड़ रहा था कि अचानक ही कमरे की लाइट जल गई. मैंने हड़बड़ाहट में एकदम से हाथ को लोअर के अंदर से बाहर खींच लिया. सामने दूसरे कमरे के दरवाजे पर अनीता खड़ी हुई थी. मैंने सोचा कि आज तो इसने मुझे शायद मुठ मारते हुए देख ही लिया होगा. मगर उसके चेहरे पर ऐसे कोई भाव नहीं थे.
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#68
मैंने अपने लंड की तरफ देखा तो वो एक तरफ तन कर डंडे जैसा दिख रहा था. मैंने बनियान से उसको ढकने की नाकाम सी कोशिश की क्योंकि बनियान ढकने के बाद भी लौड़े का उठाव साफ दिखाई दे रहा था.

अब मैंने अनीता का ध्यान दूसरी तरफ हटाने के लिए पूछा- क्या बात है? तुम सोई नहीं अभी तक?
वो बोली- मुझे नींद नहीं आ रही है जीजा जी क्योंकि मेरी कमर में बहुत तेज दर्द हो रहा है.
मैं बोला- कोई बात नहीं, मैं बाम दे देता हूं, उसकी मालिश कर लो. आराम हो जायेगा.

मैंने बेड की दराज से बाम निकाल कर अनीता को ले जाने के लिए कहा. वो मेरे करीब आई और मेरे हाथ से बाम की शीशी लेकर अपनी उठी हुई गांड को मटकाती हुई वापस जाने लगी तो मेरे मन में उसकी गोल-गोल गांड की ठुमकती शेप को देख कर एक हवस भरी टीस सी कचोट गई.

मन मार कर बोला- अनीता, लाइट बंद कर दो. नहीं तो बच्चे जाग जायेंगे. वो लाइट बंद करके अपने कमरे में चली गई और मैंने उसके जाते ही दोबारा से अपने कच्छे में हाथ डाल लिया. फिर से लंड को मसलने लगा.

लेकिन पांच मिनट के बाद ही दोबारा से कमरे की लाइट जल उठी. मेरा हाथ मेरी लोअर में ही था. देखा तो अनीता बाम की शीशी लेकर खड़ी हुई थी. उसे देखते ही मैंने हाथ को फिर से बाहर खींच लिया.
वो बोली- मैंने बाम लगा ली है. ये लीजिए.
वो वापस आकर मेरे हाथ में बाम की शीशी देकर चली गई.

अब तो मेरा मन करने लगा था कि उसको जाकर चोद ही दूं. मगर उसकी तरफ से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण मेरी भी हिम्मत नहीं पड़ रही थी. मैं चुपचाप लेटा रहा. बच्चे गहरी नींद में थे लेकिन मैं बेड पर पड़ा हुआ करवट बदल रहा था.
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#69
बाम की शीशी देकर वो वापस अपने कमरे में चली गई लेकिन मुझे अभी भी नींद नहीं आ रही थी. कुछ देर के बाद उसके कराहने की आवाज आने लगी तो मैं उठ कर उसके कमरे में गया.
मैंने कहा- क्या बात है? अभी भी दर्द है क्या?
वो बोली- हां जीजा जी.
मैंने कहा- रुको, मैं जरा बाम लेकर आता हूं. 

मैं वापस से अपने कमरे में गया और बाम लेकर आ गया. मैंने उससे कहा कि लाओ मैं तुम्हारी कमर की मालिश कर देता हूं. तुम अपने हाथ से ठीक तरह से मालिश नहीं कर पा रही होगी इसलिए दर्द नहीं जा रहा. 
पहले तो वो मना करने लगी. मेरे जोर देने पर उसने हां कर दी. मगर फिर उसने सोचा कि बाम लगाने के लिए मैक्सी को ऊपर उठाना पड़ेगा. यह सोच कर उसने अपने मन में कुछ शर्म के विचार से फिर मना कर दिया. 
मैंने उसको मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसने हां नहीं की. इसलिए मैं बाम की शीशी को उसके पास ही छोड़ कर अपने कमरे में वापस आ गया. मेरे आने के बाद उसने शायद दोबारा से बाम लगाने की कोशिश की होगी. 
उसके बाद भी जब उसका दर्द नहीं गया तो उसने मुझे दोबारा बुलाया.
मैंने कहा- अगर ज्यादा ही दर्द है तो एक दर्द निवारक गोली खा लो.
वो मेरी बात पर किसी सोच में पड़ गयी.
शायद वो यह सोच रही थी कि अगर उसको गर्भ ठहर गया होगा तो ऐसी दवा खाने से नुकसान हो सकता है. इसलिए उसने आखिरकार सोचने के बाद बाम लगवाने के लिए हां कर दी. 

वो बेड पर लेट गई. उसकी गांड ऊपर की तरफ थी जो उसकी मैक्सी में से उठी हुई दिख रही थी. मैं उसके पास ही बेड पर बैठ गया. मैंने धीरे से उसकी मैक्सी को उठा दिया. उसने नीचे से काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी. 
उसकी गोरी जांघों में उसकी पैंटी को देख कर मेरे मुंह में लार आने लगी और लंड तन कर बिल्कुल अकड़ गया. उसकी गांड में पैंटी पूरी तरह से फंसी हुई थी. मैंने उसकी मैक्सी थोड़ा और ऊपर उठा कर उसकी पीठ तक कर दिया.

फिर मैंने अपने हाथ में बाम ली और उसकी कमर पर मालिश करने लगा. उसकी कमर को मैं मालिश कम और सहला ज्यादा रहा था. उसके चिकने बदन पर मेरे हाथ रेंगते हुए मेरी उत्तेजना एकदम से तेज हो गई थी. 
मालिश करते हुए अब मेरे हाथ उसकी बगलों से होते हुए उसकी चूचियों तक छूने लगे. उसने शायद नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई थी क्योंकि अभी तक मुझे उसकी ब्रा की पट्टी नहीं दिखाई दी थी. मैं धीरे-धीरे मालिश करते हुए अपने हाथों को उसके चूचों तक लेकर जा रहा था. 
जैसे जैसे मेरे हाथ उसके बदन पर मालिश कर रहे थे वैसे वैसे ही उसके शरीर के रोंगटे अब खड़े होने लगे थे. दस मिनट तक मैंने बड़े ही प्यार से उसकी कमर की मालिश की और इस दौरान कई बार उसके चूचों को छू लिया.
फिर वो पलट गई. उसने मेरी तरफ ऐसी नजर से देखा कि जैसे धन्यवाद कह रही हो. फिर उसने एकदम से मेरे हाथ को अपने हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी. वो मेरे चेहरे की तरफ देख रही थी और मैं उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था.
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#70
बाम की शीशी देकर वो वापस अपने कमरे में चली गई लेकिन मुझे अभी भी नींद नहीं आ रही थी. कुछ देर के बाद उसके कराहने की आवाज आने लगी तो मैं उठ कर उसके कमरे में गया.
मैंने कहा- क्या बात है? अभी भी दर्द है क्या?
वो बोली- हां जीजा जी.
मैंने कहा- रुको, मैं जरा बाम लेकर आता हूं. 

मैं वापस से अपने कमरे में गया और बाम लेकर आ गया. मैंने उससे कहा कि लाओ मैं तुम्हारी कमर की मालिश कर देता हूं. तुम अपने हाथ से ठीक तरह से मालिश नहीं कर पा रही होगी इसलिए दर्द नहीं जा रहा. 
पहले तो वो मना करने लगी. मेरे जोर देने पर उसने हां कर दी. मगर फिर उसने सोचा कि बाम लगाने के लिए मैक्सी को ऊपर उठाना पड़ेगा. यह सोच कर उसने अपने मन में कुछ शर्म के विचार से फिर मना कर दिया. 
मैंने उसको मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसने हां नहीं की. इसलिए मैं बाम की शीशी को उसके पास ही छोड़ कर अपने कमरे में वापस आ गया. मेरे आने के बाद उसने शायद दोबारा से बाम लगाने की कोशिश की होगी. 
उसके बाद भी जब उसका दर्द नहीं गया तो उसने मुझे दोबारा बुलाया.
मैंने कहा- अगर ज्यादा ही दर्द है तो एक दर्द निवारक गोली खा लो.
वो मेरी बात पर किसी सोच में पड़ गयी.
शायद वो यह सोच रही थी कि अगर उसको गर्भ ठहर गया होगा तो ऐसी दवा खाने से नुकसान हो सकता है. इसलिए उसने आखिरकार सोचने के बाद बाम लगवाने के लिए हां कर दी. 

वो बेड पर लेट गई. उसकी गांड ऊपर की तरफ थी जो उसकी मैक्सी में से उठी हुई दिख रही थी. मैं उसके पास ही बेड पर बैठ गया. मैंने धीरे से उसकी मैक्सी को उठा दिया. उसने नीचे से काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी. 
उसकी गोरी जांघों में उसकी पैंटी को देख कर मेरे मुंह में लार आने लगी और लंड तन कर बिल्कुल अकड़ गया. उसकी गांड में पैंटी पूरी तरह से फंसी हुई थी. मैंने उसकी मैक्सी थोड़ा और ऊपर उठा कर उसकी पीठ तक कर दिया.

फिर मैंने अपने हाथ में बाम ली और उसकी कमर पर मालिश करने लगा. उसकी कमर को मैं मालिश कम और सहला ज्यादा रहा था. उसके चिकने बदन पर मेरे हाथ रेंगते हुए मेरी उत्तेजना एकदम से तेज हो गई थी. 
मालिश करते हुए अब मेरे हाथ उसकी बगलों से होते हुए उसकी चूचियों तक छूने लगे. उसने शायद नीचे से ब्रा नहीं पहनी हुई थी क्योंकि अभी तक मुझे उसकी ब्रा की पट्टी नहीं दिखाई दी थी. मैं धीरे-धीरे मालिश करते हुए अपने हाथों को उसके चूचों तक लेकर जा रहा था. 
जैसे जैसे मेरे हाथ उसके बदन पर मालिश कर रहे थे वैसे वैसे ही उसके शरीर के रोंगटे अब खड़े होने लगे थे. दस मिनट तक मैंने बड़े ही प्यार से उसकी कमर की मालिश की और इस दौरान कई बार उसके चूचों को छू लिया.
फिर वो पलट गई. उसने मेरी तरफ ऐसी नजर से देखा कि जैसे धन्यवाद कह रही हो. फिर उसने एकदम से मेरे हाथ को अपने हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी. वो मेरे चेहरे की तरफ देख रही थी और मैं उसके चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था.


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#71
[Image: 53531398_123_f931.jpg]वो मेरे हाथ को ऐसे सहला रही थी जैसे मुझे अपने ऊपर आने का निमंत्रण दे रही हो. यह मेरे लिये ग्रीन सिग्नल के जैसा था. मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रख दिये और उसकी चूचियों को दबा दिया.

उसने मेरी इस पहल पर मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझे अपनी तरफ खींच लिया. मैं उसकी छाती पर लेट गया और मेरी छाती उसके चूचों से जा सटी. उसने मेरी पीठ पर अपनी बांहों का घेरा बना कर मुझे अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया.

अब मैं भी उसके बदन की खुशबू में खो जाना चाहता था. मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया. उसके बाद मैंने उसके होंठों पर अपने प्यासे होंठ रख दिये और दोनों ही एक दूसरे के जिस्म से लिपटते हुए एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे.

मेरा लंड तन कर फटने को हो गया. मैंने उसकी पैंटी पर अपने लंड को घिसना शुरू कर दिया. वो भी नीचे से गांड उठा कर इस बात का संकेत दे रही थी अब उसकी चूत मेरा लंड लेने के लिए गर्म हो चुकी है.




[Image: 53531398_131_f4e8.jpg]




फिर मैंने अपने हाथ नीचे लाते हुए उसकी पैंटी को उसकी जांघों से खींच दिया. पैंटी उतरते ही उसकी चूत मेरे सामने नंगी हो गई. उसकी चूत पर हल्के बाल थे. शायद हमारे घर पर आने से पहले ही वो चूत के बालों की सफाई करके आई थी.

मैंने उसकी चूत में उंगली दे दी. वो कसमसा उठी. पहले मैंने एक उंगली से उसकी चूत को कुरेदना शुरू किया. अनीता की चूत सच में काफी कसी हुई महसूस हो रही थी. फिर दो उंगली डाली और फिर पूरी हथेली रख कर उसकी चूत को रगड़ने लगा.

वो अब कराहने लगी थी. उसके चूचे तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे. मैंने अब उसकी मैक्सी को निकाल दिया और उसे उसके जिस्म से बिल्कुल अलग कर दिया. अनीता मेरे सामने पूरी की पूरी नंगी हो गई थी. मैंने उसके चूचों में मुंह दे दिया और उसके चूचों को दबाते हुए उनको पीने लगा.

अनीता ने मुझे कस कर अपनी बांहों में भींचते हुए मेरा मुंह अपने चूचों में दबाना शुरू कर दिया. काफी देर तक उसके चूचों को चूसने और चाटने के बाद मैं नीचे की तरफ बढ़ा. उसकी नाभि को चूमा और फिर उसकी चूत पर एक चुम्बन दे दिया.

उसकी चूत में जीभ देकर तेजी के साथ अन्दर बाहर करने लगा तो वह एकदम से तड़प उठी. उसने मेरी बनियान को अपनी तरफ ऊपर खींच कर निकलवा दिया. मैं ऊपर से नंगा हो गया था. वह मेरी छाती पर अपने कोमल हाथों को चलाने लगी. मेरा लौड़ा मेरी लोअर में तना हुआ पागल हो चुका था.

[Image: 53531398_216_5454.jpg]

अनीता ने मुझे अपने ऊपर खींच कर मुझे फिर से चूमना शुरू कर दिया. अब उसका हाथ नीचे से होता हुआ मेरे लंड को टटोलता हुआ मेरे लंड पर जा पहुंचा. वो मेरे लंड को नीचे ही नीचे सहलाने लगी. मैं उसके होंठों को चूसने में लगा हुआ था और वो मेरी लार को पीने में लगी हुई थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#72
अब मुझसे कंट्रोल न हुआ तो मैंने उसकी चूत में पूरा हाथ दे दिया.
वो कराह उठी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और बोली- जीजा जी, अब इसको आपका औजार चाहिए. इन उंगलियों से इसकी प्यास नहीं बुझने वाली.
मैं उसका इशारा समझ गया. वो मेरे लंड से चुदने के लिए तड़प उठी थी.
[Image: 74223634_051_7fa6.jpg]


मैं उठ कर सावधानी सुनिश्चित करने के चलते अपने कमरे में गया. मैंने देखा कि बच्चे गहरी नींद में सो रहे थे. फिर मैं चुपके से वापस आ गया. आते ही मैंने अपनी लोअर को निकाल दिया. मेरा लंड मेरे अंडरवियर को अपने कामरस से गीला कर चुका था. 
जब मैंने अंडरवियर उतारने के लिए अपने हाथ लंड की तरफ बढ़ाये तो अनीता ने मुझे रोक दिया. उसकी यह मंशा मैं समझ नहीं पाया. फिर उसने मुझे बेड पर लिटा दिया. वो खुद मेरे ऊपर आ गई. उसकी गांड मेरे अंडरवियर में तने हुए लंड पर टिकी हुई थी. 
उसके बाद उसने मेरी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया. मेरी छाती को चूमा और पेट पर किस करते हुए मेरे झाटों तक आ पहुंची. उसके यह चुम्बन मुझे पागल किये जा रहे थे. फिर उसने धीरे से मेरे अंडरवियर की इलास्टिक को अपने हाथों से नीचे कर दिया और इलास्टिक के नीचे जाते ही मेरा फनफनाता हुआ लंड उसके होंठों से टकरा गया. 
मेरे लंड को देख कर उसकी चेहर पर एक मुस्कान और आंखों में चमक सी आ गई. उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और अपना मुंह खोल कर मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया. 
सलहज के द्वारा लंड चुसवाने में जो मजा मुझे आया वो मैं शब्दो में नहीं बता सकता. उसने एक मिनट के लिए लंड को चूसा और फिर दोबारा से मेरे बदन से लिपटने लगी. उसकी चूत मेरे लंड पर रगड़ने लगी. 
अब मैंने बेकाबू होकर उसको बेड पर नीचे गिराया और उसकी टांगों को उठा कर अपना लंड जो कि उसकी लार से बिल्कुल गीला हो चुका था उसकी चूत पर लगा दिया. 
नंगी सलहज की चूत पर गर्म लौड़ा रखकर मैंने एक धक्का मारा और अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया. लंड पूरा नहीं गया. कुछ सेंटीमीटर रह गया. मैंने दोबारा से धक्का मारा और फिर पूरा लंड जड़ तक उसकी चूत में घुसा दिया.
मेरे इस आखिरी धक्के से उसके होंठ खुलने के साथ ही उसके मुंह से एक कराहना फूट पड़ी. वो मेरे बदन से लिपट गई. मैंने उसको दोबारा से नीचे गिराया और उसके बदन पर लेट कर उसके होंठों को चूसते हुए उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. 
अनीता की गर्म चूत में लंड गचके लगाने लगा. उसकी चूत की चुदाई करते हुए ऐसा लग रहा था कि मैं किसी टाइट कुंवारी चूत की चुदाई कर रहा हूं. उसने अपनी चूत में मेरे लंड को जैसे कस कर भींच रखा था.
बीच-बीच में वो मेरे होंठों को भी चूस रही थी. काफी देर तक ऐसे ही मैं लेट कर उसकी चूत की चुदाई करता रहा. फिर उसने अपनी टांगों को मेरी गांड पर लपेट लिया जिससे मेरे लंड का जड़ तक का भाग उसकी चूत से जाकर सटने लगा. 
मैंने उसकी कमर को हल्का सा उठा दिया और उसकी गांड हल्की सी ऊपर आ गयी. अब मेरे लंड के धक्के उसकी चूत की गहराइयों को अंदर तक नापने लगे. अब उसको दर्द होने लगा था लेकिन मेरे लंड के आनंद में वो दर्द को अनदेखा कर रही थी. 
“आह्ह … चोदो जीजा जी … अम्म … जीजा जी तुम्हारा लंड …. आह्हह … मुझे चोदते रहो … आह्या … स्स्स … बहुत मजा आ रहा है.” वो मेरे कानों के पास अपने होंठों को लाकर ऐसे ही कामुक सिसकारियां लेते हुए बड़बड़ा रही थी.
दस मिनट तक उसकी चूत की चुदाई करते हुए हो गये तो वो एकदम से मेरी पीठ को खरोंचने लगी और मेरी गर्दन पर काटते हुए मुझसे ऐसे लिपटी कि जैसे चंदन के पेड़ पर नागिन लिपट रही हो. उसकी चूत से निकलते गर्म झरने को मैं अपने लंड पर महसूस कर सकता था. 
वो झड़ कर ढीली पड़ गई. उसके बाद दो-चार धक्कों के बाद मेरा माल भी उसकी चूत में निकल गया. मैं भी उसके ऊपर लेट कर हांफने लगा. वो मेरी पीठ को सहला रही थी. काफी देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे. 
अनीता की चूत में इतनी गर्मी होगी मैंने कभी नहीं सोचा था. मेरे पेटू साले के लंड से शायद उसको संतुष्टि नहीं मिल पा रही थी. इसलिए उसने अपनी प्यास को मेरे लंड से बुझा लिया आज. 
फिर हम अलग होकर एक दूसरे की बगल में लेट गये. वो कहने लगी- जीजाजी, आपका लंड मेरे पति से बहुत मोटा है. मुझे चुदाई में पहली बार इतना मजा आया है. 
मैंने भी कह दिया कि मैं भी तुम्हें कई दिनों से चोदने की फिराक में था.
वो बोली- मैं जानती हूं. आपका तना हुआ लंड देख कर मैं आपके मन की बात समझ गयी थी. लेकिन कभी जाहिर नहीं कर पाई.

उसके बाद हम दोनों ने फिर से एक दूसरे को चूमना शुरू कर दिया. उसके बाद चुदाई के कई राउंड हुए. मैंने अनीता की चूत को चोद-चोद कर लाल कर दिया. इस तरह सुबह के चार बजे तक चुदाई चली. फिर मैं बच्चों के पास आकर लेट गया. अनीता भी बुरी तरह थक कर चूर हो चुकी थी और मैं भी. 
सुबह मेरी पत्नी ने दरवाजे पर बेल बजाई तो मेरी आंख खुली. अनीता शायद तब तक उठ चुकी थी और किचन में नाश्ता बना रही थी. मेरी बीवी के आने के बाद अनीता की चूत की चुदाई का मौका नहीं लग सका. उसकी कॉलेज की छुट्टियां खत्म हो गईं और उसके विदा होने का दिन आ गया. 
मुझे ही उसको वापस मेरे ससुराल छोड़ने की जिम्मेदारी मिली. रास्ते में भी ट्रेन के सफर में हम दोनों बस चूमा-चाटी ही कर पाये. मेरे ससुराल जाकर मैं वापस आने लगा तो उसने अकेले में बुला कर मुझसे कहा कि आपके लंड की चुदाई के बाद मेरी चूत असली सुहागन महसूस कर रही है. मुझे पूरा यकीन है कि आपका बीज मेरी गोद हरी कर देगा. 
उसने मुझे गले से लगा लिया और फिर मैं सबसे विदा लेकर अपने घर आ गया. घर आने के बाद भी मुझे अपनी सलहज अनीता की चूत की याद सताती रही. मगर अब उसके पास जाने का मौका पता नहीं कब मिलना था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#73
मेरी सलहज अनीता की चूत चुदाई करने के बाद मुझे उसकी चूत की ललक लगी रहती थी. मैं अपनी बीवी को चोदते हुए भी अनीता के बारे में ही सोचने लगता था. बीवी भी मेरे इस बदले हुए व्यवहार से खुश हो गई थी क्योंकि हम पति-पत्नी की चुदाई में एक नयापन आ गया था. मगर इसकी वजह अनीता ही थी.

ठीक नौ महीने के बाद अनीता ने एक सुन्दर फूल से बेटे को जन्म दिया. मेरे ससुराल में खुशी का माहौल हो गया. बेटा होने की खुशी में हमें भी न्यौता आया. मैं अपनी बीवी को लेकर अपने ससुराल गया. वहां पर जाने के बाद अनीता के पास गया तो वो मुझे देख कर मुस्कराने लगी.

उसकी खुशी इतनी ज्यादा थी कि वह अपनी आंखों के आंसू छलकने से रोक न सकी. फिर दावत हुई और दो-तीन रुकने के बाद हम लोग वापस अपने घर आ गये. उसके एक साल तक मुझे अनीता से मिलने का मौका नहीं मिला. मगर मेरी बीवी बीच में एक दो बार जरूर गई थी लेकिन मुझे यह अवसर नहीं मिल सका था.

मैं अनीता से मिलने के लिए बेचैन रहने लगा. फिर उसके बेटे के जन्मदिन की दावत रखी गई. उसमें हमारी फैमिली को भी बुलाया गया. मैं पत्नी और बच्चों के साथ अपने ससुराल चला गया. वहां पर जाकर जन्मदिन की पार्टी में हम लोग शरीक हुए.

मौका पाकर अनीता मेरे पास आई और कहने लगी कि आपसे अकेले में मिलना चाहती हूं.
मैंने कहा कि अभी तो सविता (मेरी पत्नी) को शक हो जायेगा. अभी अकेले में मिलना सही नहीं रहेगा. वो बोली कि मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी है.

मैंने कहा- मैं भी तुमसे मिलने के लिए तड़प रहा हूं. मगर अभी नहीं मिल पायेंगे.
उसके बाद वो चली गई.

फिर मुझे ऑफिस के काम से निकलना था. काम वहीं पास के शहर में था. मैंने सविता को कहा कि वो बच्चों को लेकर घर चली जाये और मैं ऑफिस का काम खत्म करके वापस आ जाऊंगा.

दरअसल मैं अपनी बीवी को वहां से भेजना चाह रहा था क्योंकि उसके रहते अनीता से मेरा मिलन होना संभव नहीं था. मैंने सविता और बच्चों की ट्रेन टिकट रिजर्व करवा दी और उनको घर भेज दिया.

वापस आने के बाद अब मैं और अनीता दोनों ही मौके की तलाश में थे. अगले दिन तक सारे मेहमान वापस चले गये थे. घर में मेरे सास-ससुर और साला ही था. फिर अगले दिन दोपहर के वक्त अनीता मौका देख कर मुझसे मिलने आई.

उसने आते ही मुझे बांहों में भर लिया और मेरे लंड को हाथ से सहलाते हुए बोली- तुम्हारे इस औजार ने मुझे वो सुख दिया है जिसका अहसान मैं कभी नहीं चुका सकती जीजा जी. आपने मुझे औलाद का सुख दे दिया.

मैं उसकी बात सुनकर आश्चर्य में पड़ गया.
मैंने पूछा- तो क्या तुम्हारा बेटा मेरा ही अंश है?
वो बोली- हां. आपका ही है. आपके वहां से आने के बाद ही मुझे गर्भ ठहर गया था.
फिर वो मेरे होंठों को चूमकर बोली- इस खुशी के बदले क्या गिफ्ट दूं आपको?

अनीता की गांड को उसकी कमीज के ऊपर से दबाते हुए ही मैंने कहा- मैं तुम्हारे पिछवाड़े को चोदना चाहता हूं जानेमन.
वो बोली- जीजा जी, पिछवाड़ा क्या, मेरे शरीर में जितने छेद हैं वो सभी आपके ही हैं. जहां मन करे अपने लंड को डाल दीजिये.
हम दोनों में बातें हो ही रही थीं कि उसकी सास ने आवाज दी कि मुन्ना रो रहा है.

वो वापस भाग गई. मैं भी ऑफिस का काम निपटाने के लिए निकलने लगा. मगर अभी अनीता की गांड भी मारनी थी. इसलिए अपनी सास को बोल कर गया था कि काम खत्म करने के बाद आप लोगों को विदा कहने के लिए एक दिन के लिए आऊंगा.
मेरी सास बोली- अरे बेटा, अगर तुम चाहो तो दो दिन रुक ही जाना. इसमें भी क्या सोचना?

मैंने कहा- जी ठीक है. अब मैं चलता हूं.
मैं अपना ऑफिस का काम खत्म करके वापस आ गया. अब मुझे अनीता की गांड की चुदाई का मौका चाहिए था.
घर में कई लोग थे इसलिए हम दोनों बहुत सावधानी बरतने की आवश्यकता थी.

रात को ही सबसे उपयुक्त समय हो सकता था लेकिन रात में अनीता का यानि कि हमारा नन्हा मुन्ना उसको हिलने नहीं देता था. फिर अगले दिन दोपहर के वक्त साले को काम से जाना पड़ गया. वो रात को लौटने वाला था.

अनीता ने आकर मुझे यह बात बता दी थी. लेकिन अभी सास भी बीच में मुसीबत बनी हुई थी. अनीता ने अपना दिमाग लगाया और मुन्ने का बहाना करते हुए बोली- मां जी, लगता है कि मुन्ने को नजर लग गई है. सुबह से ही रोए जा रहा है. चुप ही नहीं हो रहा है.

मेरी सास बोली- कोई बात नहीं, तू चिंता न कर बहू. मैं इसकी नजर उतरवा कर ले आती हूं. लेकिन अभी मेरे घुटने में दर्द हो रहा है. जरा तेल की मालिश कर दे. ताकि मैं चलने लायक हो जाऊं.

अनीता मेरी सास की मालिश करने लगी. कुछ देर मालिश करवाने के बाद उसको आराम आ गया और वो मुन्ने को लेकर चली गई. अब घर में अनीता का ससुर रह गया था जो अपने कमरे में खर्रांटे ले रहा था.

तभी अनीता मेरे पास आई और बोली कि अब सही मौका है.
मैंने आते ही उसके चूचों को दबा दिया और उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया.
वो बोली- अरे .. अरे … दरवाजा तो बंद कर लो. कहीं ससुर जी आ गये तो सारा प्लान धरा रह जायेगा.

[Image: 74223634_067_dc4b.jpg]
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#74
हम दोनों ने मेरे वाले कमरे के दरवाजे को बंद कर दिया और एक दूसरे को बांहों में लेकर पागलों की तरह चूमने लगे. अनीता और मैं दोनों ही बहुत दिनों से एक दूसरे के लिए प्यासे थे. मैंने उसकी गांड को कपड़ों के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया और वो मेरे लंड को अपने हाथ से मेरी पैंट के ऊपर से दबाने सहलाने लगी. 
फिर मैंने उसको वहीं बेड पर पेट के बल लेटा दिया और उसकी पजामी को खोल कर नीचे कर दिया. उसकी गांड को देखा तो मेरी नजर आश्चर्य से फैल गई. उसकी गांड पहले कहीं ज्यादा गुदाज हो गई थी. शायद बच्चा होने के बाद उसकी गांड और मोटी हो गई थी. [Image: 9cghn3.gif]
मैंने उसकी गांड पर कई चुम्बन दिये और उसकी गांड को मसलने लगा. मेरे चुम्बनों के गांड पर लगने से वो नीचे पड़ी हुई सिसकारने लगी. फिर मैंने अपनी पैंट की चेन को खोल लिया और अपने लंड को अंडरवियर से बाहर निकालते हुए चेन से बाहर निकाल लिया. मेरा लंड तना हुआ उसकी  चूतमें जाने के लिए तैयार था. 
हमने पूरे कपड़े नहीं उतारने का फैसला किया था क्योंकि सासू मां किसी भी वक्त आ सकती थी. मैंने लंड को निकाल कर अनीता की चूतके छेद पर रगड़ा तो मेरी सिसकारी निकल गई. बहुत ही मस्त  चूतथी उसकी. 
उसके बाद मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और थोड़ा सा थूक अनीता की चूतपर भी मल दिया. उसकी  चूत पर थूक लगाने के बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर लगा दिया. थोड़ा सा धक्का दिया लेकिन लंड का टोपा रत्ती भर सरका. 
एक तो अनीता की छूट अब बहुत टाइट थी और दूसरा कारण ये था कि मेरे लंड का टोपा भी बहुत मोटा था इसलिए लंड जरा भी नहीं सरक पा रहा था. 
उसके बाद मैंने अनीता की चूत में लौड़े को टिका कर पूरा जोर लगाया लेकिन लंड बार-बार उसकी गांड के छेद पर से फिसल जा रहा था. मैंने कहा कि ऐसे तो लंड अंदर जा ही नहीं पायेगा.
वो बोली- रुको जीजा जी. मैं तेल लेकर आती हूं. उससे शायद काम बन जाये. 

अनीता अपनी पजामी को ऊपर करके कमरे से बाहर गई और अपनी सास के कमरे तेल की शीशी उठा लाई. शीशी से तेल निकाल कर उसने खुद ही अपनी चूत पर लगाया और मैंने भी अपने लंड के टोपे पर तेल से मला. 
जब लंड और चूत दोनों ही चिकने हो गये तो मैंने फिर से अनीता की  चूत पर लंड को सेट किया और धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद को खोलने की कोशिश करने लगा. मेरी सलहज की तरकीब काम आई और लंड अब गांड में रास्ता बनाने लगा था. 
मगर जैसे ही लंड हल्का सा आगे सरकता था अनीता जोर से कराह उठती थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
वो दर्द को बर्दाश्त करने की पूरी कोशिश कर रही थी. मगर लंड मोटा होने की वजह से उससे सहन नहीं हो पा रहा था. 

मेरे बदन में भी पसीना आना शुरू हो गया था. मैंने और जोर लगाया और इंच भर लंड अब उसकी चूत में घुस गया. अनीता ने अपना मुंह बेड के गद्दे में दबा लिया ताकि उसकी कराहना कमरे से बाहर न जा सके. 
मैं उसके दर्द को समझ सकता था क्योंकि जैसे ही लंड अंदर घुसा उसकी नंगी जांघें कांपने लगी थीं. मगर अब मेरे अंदर उसकी  चूत की चुदाई करने का जुनून सा सवार हो गया था. मैंने उसकी चुतड़ोको थाम लिया और फिर उसके चूतड़ों को अपनी तरफ खींचते हुए एक जोर वाला धक्का लगाया तो आधा लंड उसकी  चूत को फाड़ता हुआ घुस गया. 
वो दर्द के मारे छटपटाने लगी. लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. अपने हाथ से इशारा करने लगी कि आगे बढ़ो. मैंने एक बार और जोर लगाया और इस बार पूरा लंड उसकी चुत में घुसा दिया. अनीता अपने सिर को बेड में इधर उधर पटकते हुए दर्द को कम करने की कोशिश करने लगी. 
उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरे लंड की चमड़ी जैसे छिल ही जाने वाली थी. लंड में जलन सी होने लगी थी. उसके बाद मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके चूचों को दबाते हुए उसको सामान्य करने की कोशिश करने लगा. जब वो थोड़ी शांत हुई तो मैंने अपनी चूतदों को उसकी तरफ धकेलते हुए लंड को हरकत देनी शुरू की. 
अब मेरा लंड उसकी चूत में फंसा हुआ हल्का हल्का हिलने लगा. फिर दो मिनट के बाद उसकी चूत ने मेरे लंड को कुबूल कर लिया और खुद ही लंड को अपने अंदर आराम से समा लिया. अब मैंने धक्का लगाया तो लंड में गति आने लगी थी.
उसके बाद मैंने उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी. पांच मिनट के बाद चुदाई ने अच्छी तरह रफ्तार पकड़ ली. उसकी चूत में अब मेरा मूसल लंड आराम से अंदर बाहर होने लगा था. फिर मैंने एकदम से लंड को बाहर निकाल दिया और उसको पीठ के बल लेटा दिया. 
अपने लंड पर फिर से तेल लगाया और उसकी टांगों को अपने हाथों में पकड़ कर फिर से उसकी चूत में लंड को पेल दिया. वो भी अब मजे से अपनी चूत चुदाई का आनंद लेने लगी. दस मिनट की चुदाई के बाद अब मेरा वीर्य निकलने को हुआ तो मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी. 
एक मिनट के बाद मेरे लंड ने मेरी सलहज की चूत में वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया. मैं उसके ऊपर ही निढाल हो गया. फिर मैंने लंड को बाहर निकाल लिया और फिर अनीता को भी उठने के लिए कह दिया.
मगर तभी मेन गेट में किसी के आने की आहट हुई. 
अनीता जल्दी से उठ कर अपनी पजामी ऊपर करके कमरे से बाहर निकल गई. मैंने भी लंड को अंदर डाल लिया. तभी मेरी सास मुन्ने को लेकर कमरे में दाखिल हुई. 
सास को देख कर मेरे चेहरे पर पसीना आने लगा. वैसे भी अभी चुदाई खत्म हुई थी इसलिए मैं अभी तक सामान्य नहीं हो पाया था. उसकी सास ने मेरे चेहरे को देखा और बोली- दामाद जी, आपको बहुत पसीना आ रहा है.
मैंने कहा- हां मां जी, थोड़ी गर्मी लग रही थी. 

उसकी सास ने मेरी तरफ आश्चर्य से देखा क्योंकि मौसम में इतनी गर्मी नहीं थी और मेरे चेहरे का पसीना देख कर सास को अचंभा सा हुआ. उसने अनीता को आवाज दी और मेरे लिये पानी लाने के लिए कहा. 
अनीता जब पानी लेकर आई तो वह भी कुछ घबराई सी दिख रही थी. फिर वह पानी देकर चली गई. सास ने मुन्ने को अनीता की गोद में दे दिया और वहीं बैठ गई. हम दोनों में कुछ बातें हुईं और फिर वो उठ कर जाने लगी.
जाते हुए मेरी सास की नजर उस तेल की शीशी पर चली गई. अनीता ने तेल की शीशी हड़बड़ाहट में वहीं छोड़ दी थी. यह वही शीशी थी जो वह मेरी सास के कमरे से लेकर आई थी. 
मेरी सास ने शीशी को उठा कर देखा और फिर मेरी तरफ देखा. उनकी नजरों में शक साफ नजर आ रहा था मगर वह कुछ नहीं बोली और चुपचाप वहां से निकल गई. फिर मैंने भी वहां पर रुकना ठीक नहीं समझा और मैं सास को अलविदा कह कर वहां से निकल लिया. 
उसके बाद अनीता और मेरी मुलाकात नहीं हो पाई. उस घटना के बाद मैंने अपनी ससुराल में रुकना बंद कर दिया. मेरी सास भी कभी मुझे रुकने के लिए नहीं कहती थी क्योंकि उसको शक हो गया था. अब मैं इन्तजार करने लगा कि कभी अगर मेरी सलहज हमारे घर दोबारा आई तो हम कुछ इंजॉय कर पायेंगे.


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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#75
(09-03-2022, 05:01 PM)neerathemall Wrote:
सलहज

मेरी सलहज की मदभरी जवानी के



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जब मेरी शादी हुई थी. उस वक़्त तो सब नार्मल चल रहा था. हम दोनों पति-पत्नी बहुत खुश थे. मजे की बात तो ये थी कि शादी के सिर्फ एक महीने बाद ही मैं बड़ोदा शिफ्ट हो गया और वहां पर सिर्फ हम दोनों अकेले रहेते थे. उस वक्त हम दोनों एक बार भी चुदाई का मौका नहीं छोड़ते थे. हम दोनों ने घर का एक भी कोना ऐसा नहीं छोड़ा था, जहां पर हमने चुदाई न की हो. 

उस समय मेरी जानू हमेशा साड़ी पहनती थी. जब भी मौका मिलता था, मैं उसकी साड़ी उठा कर उसकी पैन्टी नीचे कर देता था और नीचे बैठ कर कभी चूत चूमता, तो कभी उंगली से चूत के दाने को मसल देता था, तो कभी मेरे लंड से चूत के ऊपर रगड़ता था या तो मेरी जानू की कोरी चूत के अन्दर लंड डाल देता था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#76
ऐसे ही समय गुजरने लगा. ये मस्ती पत्नी के साथ हो रही थी. उसके साथ के मजे तो मैं कभी भी लिख सकता हूँ, लेकिन आज मैं आपके सामने मेरी साले की पत्नी यानि की मेरी सहलज के साथ हुई रसीली घटना बताने जा रहा हूँ. 

यह बात उसी समय की ही है. हमारी शादी के सिर्फ चार महीने बाद ही मेरे साले की शादी हो गई. उसकी पत्नी का नाम काजल था. मेरी सहलज देखने में ठीक ठाक थी, पर उसका फिगर बहुत ही मस्त था. वो एक तराशे हुई बदन की मालकिन थी. काजल की फिगर में उसके 34डी के तने हुए चूचे, बलखाती 32 की कमर और थिरकती हुई 34 साइज़ की गांड. कोई भी काजल को एक बार देख लेता, तो उसे बिना छुए छोड़ने का मन नहीं होता. शायद उसकी कमनीय काया को लेकर आपके लंड ने भी समझ लिया होगा कि वो सांवली सुन्दरी कितनी गर्म माल होगी.
[Image: 89012837_002_8306.jpg]
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#77
मेरा ससुराल अहमदाबाद में था, तो महीने में एकाध बार तो आना जाना होता ही था. धीरे धीरे लाइफ मस्ती से कटने लगी. बीच बीच में मैं अहमदाबाद भी घूम कर आता था. मैं हमेशा मेरी वाइफ के लिए मेरी पसंद के सेक्सी ब्रा और पैन्टी लाकर देता था और वो भी ऑनलाइन मंगवाता था.
एक बार हुआ ऐसा कि मैंने जो साइज की ब्रा और पैंटी मंगाई थी, वो गलत साइज की वजह से मेरी वाइफ को फिट नहीं हुई. ये वापस की जा सकती थी, लेकिन न जाने क्यों, मैं नहीं चाहता था कि मैं इसे वापस दूँ.
मैंने मेरी वाइफ को आईडिया दिया कि एक काम करो, तुम ये सैट अपनी भाभी को दे दो, शायद इसकी फिटिंग तुम्हारी भाभी की साइज की हो.
पहले तो वो मुझे घूरने लगी, फिर थोड़ी देर बाद बोली- ठीक सोचा तुमने. मैं भी तो देखूँ, मेरे पति की चॉइस को कितने स्टार मिलते हैं. 


तब तक मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था, पर अब मुझे अपनी सलहज काजल का पूरा जिस्म मेरे आंखों के सामने आ गया, जिसमें मेरे लाए ब्रा और पैन्टी पहन कर वो मेरे सामने खड़ी थी. मैं बंद आंखों से उसे देख रहा था और वो शर्मा कर अपनी आंखें बंद करके मेरे सामने खड़ी थी.
मेरी ध्यान तब टूटा, जब मेरी वाइफ ने मेरे लंड को हाथ में लेकर जोर से दबाया और मेरे मुँह में से चीख निकल गई. उस रात को मैंने मेरी वाइफ की अच्छी ठुकाई की. वो भी चुदाई से बहुत खुश थी और गांड उठा कर मेरे झटकों का जवाब दे रही थी.
आज वो कुछ ज्यादा ही गर्म थी इसलिए करीब पांच मिनट में ही वो झड़ गई. पर मेरा अभी हुआ नहीं था.
वो बोली- जानू मेरे मुँह में डाल दो.
मैंने मना किया और उसको उल्टा लेटा कर उसकी गांड में मेरा लंड पेल दिया. उसके मुँह से हल्की चीख निकल गई. करीब दस मिनट गांड मारने के बाद मैं भी झड़ गया और गहरी नींद में सो गया.

सुबह उठा, तो देखा मैं नंगा ही सो रहा था और वाइफ किचन में कुछ काम कर रही थी.
मैं जब किचन में गया, तो उसने मुझसे पूछा- कल रात क्या हो गया था? कल तो आपने मेरी तो जान ही निकाल दी थी. आज तक आपने मेरी इतनी बुरी हालत नहीं की. कल रात की चुदाई की बाद मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही हूँ.
मैंने भी बोला- यार बहुत दिनों से तेरी गांड नहीं मारी थी, इसलिए ये हुआ.
बात खत्म करके मैं फ्रेश होने चला गया. 

इसके कुछ देर बाद मैं नाश्ता करके ऑफिस निकल गया और अपने काम में लग गया. ऐसे ही आधा दिन निकल गया, मैं चाय पीते काजल के बारे में ही सोच रहा था. उसका ख्याल आते ही मेरे पैन्ट में फिर से तम्बू बन गया.
काम के चक्कर में बहुत दिन हो गए थे, अहमदाबाद नहीं जा पाया था. अचानक मेरे दिमाग में आया कि क्यों न अहमदाबाद जाने का प्लान किया जाए. पर अगर मैं मेरी जानू को बोलूँगा, तो उसको शक हो जाएगा.
इतने में मुझे याद आया कि अगले हफ्ते रक्षाबंधन है और मैं यह बहाना बताऊंगा तो मेरी जानू मना नहीं करेगी. 

इतना सोच कर मैं वापस अपने काम पर लग गया. ऐसे ही दो दिन निकल गए, तीसरे दिन रात को ऑफिस से घर लौटा, तो देखा श्रीमती जी मुँह फुला कर बैठी हैं, वो कुछ बात भी नहीं कर रही थी. 
खाना खाने के बाद मैंने पूछा- क्या हुआ क्यों इतना मुँह फुला कर बैठी हो?
वो बोली- जैसे कि आपको कुछ पता ही नहीं है. अगले हफ्ते रक्षाबंधन है और मुझे अहमदाबाद जाना है, पर तुमको तो कुछ पता ही नहीं है.
मैंने बोला- वो तो हर साल आता है, उसमें नयी बात क्या है?
मेरा इतना बोलते ही वो मुझे घूरने लगी और बोली- वो मुझे नहीं पता, पर मुझे अहमदाबाद जाना है. आपको नहीं आना, तो कोई बात नहीं.
मैं बोला- ठीक है, रक्षाबंधन सोमवार को है. हम शुक्रवार को शाम यहाँ से निकलेंगे तो दो घंटे में पहुंच जाएंगे.
वो खुश हो गई.

प्लानिंग के हिसाब से हम शुक्रवार शाम को अहमदाबाद पहुंच गए. हमें देख कर सब लोग बहुत खुश हुए. 
मैंने एक प्लान बनाया, मेरी जानू के मोबाइल से मेरे मोबाइल पर नंबर डायल करके फोन चालू छोड़ कर उसका फ़ोन मैंने उसके पर्स में डाल कर उसकी भाभी के रूम में वापस रख दिया. 
रात के ग्यारह बज गए थे और सब सो गए थे. उधर फोन चालू था. थोड़ी देर बाद मैं कान में इयरफोन डाल कर फोन सुनने लगा. 
वो दोनों काफी दिनों बाद मिली थीं, तो उस रात को दोनों ननद-भाभी रूम में बैठ कर बात कर रही थीं और जोर से हंस रही थीं.
थोड़ी देर बाद मेरी वाइफ ने एक पैकेट उसकी भाभी को देते हुए बोला- भाभी, ये पैकेट तुम्हारे लिए है.
काजल बोली- क्या है पैकेट में?
तो मेरी वाइफ बोली- खुद ही खोल कर देख लो. 

इतना बोलने के बाद पैकेट खुलने की आवाज़ आई और थोड़ी देर कुछ सुनाई नहीं दिया. 
कुछ टाइम बाद काजल की आवाज़ सुनाई दी- अरे वाह ननद जी बहुत ही मस्त सैट लाई हो. ननद जी ये किस ख़ुशी में मुझे गिफ्ट दिया जा रहा है.
इस पर मेरी जानू ने जवाब दिया- इसमें ख़ुशी किस बात की, मुझे अच्छा लगा तो तुम्हारे लिए ले लिया.
थोड़ी देर बाद काजल बोली- एकदम सेक्सी हैं दोनों सैट.

एक सैट ब्लू कलर का था, साटिन की ब्रा और पैंटी और दूसरा रेड कलर का सैट नेट वाला था, जिसमें ब्रा के बीच में डायमंड का पेंडेंट लगा हुआ था और साथ में बिकनी पैंटी थी. 
काजल- ननद जी मैं आपको जानती हूँ, आप मेरे लिए बहुत कुछ लाती हो, पर ऐसा गिफ्ट आपने पहली बार दिया है. कुछ तो है बताओ क्या बात है.
मेरी जानू बोली- अरे हुआ यूं कि उन्होंने ऑनलाइन आर्डर किया था, पर मेरे साइज के हिसाब से टाइट हो रहा था, तो मैंने सोचा इतना सेक्सी सैट मैं वापस नहीं करूंगी और सोचा क्यों न मैं तुम्हारे लिए रख लूँ.
काजल बोली- वाह … मेरे ननदोई जी की चॉइस तो एकदम धांसू है. फोटो देख कर भी इतनी बढ़िया पसंद किया है.

फिर दोनों की जोर से खिलखिलाने आवाज़ सुनाई दी. थोड़ी देर बाद काजल बोलती है- चलो एक बार ट्राई करके देखती हूँ, मुझे फिट आता है कि नहीं.
उसके बाद से थोड़ी देर तक कुछ सुनाई नहीं दिया. 

फिर मेरी जानू की आवाज आई- भाभी, आपके पपीते तो बहुत बड़े हो गई हैं, लगता है मेरे भैया रोज़ इसकी खातिरदारी करते हैं.
काजल बोली- ननद जी वो तो है, पर आप भी मुझसे कम नहीं हो, अपनी साइज तो देखो.
ये बोल कर दोनों वापस हंसने लगीं.


[Image: 24234368_005_4695.jpg]













[Image: 24234368_006_dfa6.jpg]
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#78
काजल पूछने लगी- बताओ पहले कौन सी पहनूं.
तो मेरी जानू ने जवाब दिया- पहले ब्लू ट्राई करो.
थोड़ी देर बाद काजल आईने के सामने जा कर बोली- ओह … ये पहन कर अगर मैं आपके भाई के सामने गई, तो वो तो मुझ पर टूट पड़ेंगे और वहीं चोद डालेंगे. 

उसके बाद मेरी जानू की आवाज आई- रुको भाभी, आपके मोबाइल से फोटो लेती हूँ. उसने काजल का मोबाइल उठाया और मस्त पिक्चर लेने लगी.
मुझे भी उसकी क्लिक की आवाज़ सुनाई दे रही थी. करीब पन्द्रह फोटो लेने के बाद काजल की आवाज आई- अब मैं दूसरा सैट ट्राई करती हूँ. 

थोड़ी देर बाद वापस मेरी जानू बोली- भाभी.. इसमें तो आज आप क़यामत लग रही हो.
उसके बाद फिर से कुछ फोटो ली गईं.
उन दोनों की बातें सुन कर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, पर क्या करता. मेरे पास अपने हाथ के अलावा कोई और रास्ता नहीं था. 

थोड़ी देर दोनों इधर उधर की बातें करके सो गई होंगी. क्योंकि मुझे उनके कमरे से कोई आवाज नहीं आ रही थी. 
मैं भी फटाफट बाथरूम में गया और काजल की नाम की मुठ मारने लगा. पर अचानक वहां पर मुझे कपड़े का ढेर दिखा, उसमें मुझे काजल के भी कपड़े दिखे. 
मेरे ढूँढने पर मुझे उसमें काजल की आज पहनी हुई पीले रंग की नेटवाली ब्रा और पैन्टी दोनों मिल गए. मेरी तो मानो लाटरी लग गई. मैं काजल की ब्रा के ऊपर हाथ फिराने लगा और उसकी चूचियों को अपने ख्यालों में ही महसूस करने लगा.
थोड़ी देर बाद मैं काजल की पैन्टी को हाथ में लेकर अपनी नाक के पास ले गया. उसमें से काजल की चूत की बहुत ही प्यारी खुशबू आ रही थी, जो मुझे पागल कर रही थी. 

अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. 
काजल की पैन्टी मेरे लंड पर महसूस होते ही मेरा लंड भी झटके मारने लगा. मैंने काजल की पैन्टी को मेरे लंड पर लपेटा और ख्यालों में ही काजल की चूत को चोदने लगा. थोड़ी देर में मेरे लंड ने एक जोर से वीर्य की पिचकारी निकाली और सीधी बाथरूम की सामने की दीवार पर गई. मैंने थोड़ा वीर्य काजल की ब्रा और पैन्टी के ऊपर निकाला. फिर बाहर आकर सो गया. 
मैं सुबह उठा और मेरी जानू को आवाज़ लगाई. वो आई, तो मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और उसको मेरी बांहों में भर लिया. वो ना नुकुर करने लगी, पर मैंने नहीं छोड़ा. मैं उसके होंठ पर होंठ रख कर लिप किस करने लगा. वो धीरे धीरे गर्म हो रही थी. 
मेरा हाथ उसकी चूची पर चला गया और धीरे धीरे दबाने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने उसके कुर्ते में हाथ डाल दिया, उसकी ब्रा के ऊपर से चूची को दबाने लगा. अब मेरी भी ठरक थोड़ी और बढ़ गई थी. मैंने उसकी लैगीज को थोड़ा नीचे कर दिया. नीचे का नज़ारा देख कर मेरा लंड तन कर एकदम नब्बे डिग्री के एंगल पर झटके देने लगा.


[Image: 27866126_005_04d0.jpg]





मेरी जानू ने मेरी नई लायी हुई ब्रा और पैन्टी में से पिंक कलर का साटिन का सैट पहना था. 
मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत के ऊपर सहलाने लगा. मैं उसकी पैन्टी में हाथ डालने ही वाला था कि उसने मुझे धक्का दे दिया. अपनी लैगीज ऊपर की और फटाफट बाहर भाग गई.[Image: 27866126_009_911b.jpg]
वो मुझसे बोली- आपको जो भी चाहिये, वो आपके बैग में है, खुद ही निकाल लो.
मैं हाथ मलता रह गया और वो आंख मार कर बोली- थोड़ा सब्र करो यार.




मैं सोचता रहा कि ये क्या बोल रही है. मुझे कुछ समझ नहीं आया और नहा कर तैयार हो गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#79
मेरी जानू बाहर कपड़े धो रही थी और काजल किचन में मेरे लिए नाश्ता बना रही थी. आज मैंने देखा काजल कुछ अलग ही नज़रों से मुझे देख रही थी. वो थोड़ी थोड़ी देर में तिरछी नज़रों से मुझे ही घूरे जा रही थी. मुझे भी कुछ अजीब लगा.
मैंने नाश्ता खत्म किया और वो पानी का गिलास ले कर मुझे देने ही जा रही थी कि उसका हाथ मेरे हाथ से टकरा गया. पानी टेबल पर गिर गया और पानी ने सीधा मेरे पैन्ट के ऊपर से मेरे लंड को नहला दिया. 
वो तुरंत नैपकिन लेकर मेरे पैन्ट के ऊपर का पानी साफ़ करने लगी. काजल का हाथ पैन्ट पर महसूस होते ही मेरा लंड ताव में आ गया और विकराल रूप में आने लगा.
काजल ने मेरे लंड को महसूस होते ही उसने हाथ हटा दिया और शर्मा कर दूसरी तरफ भाग गई.
मैं बाहर आया, तो वो मेरी आंख से आंख नहीं मिला पा रही थी. 

मेरे साले और ससुर जी टिफिन लेकर फैक्ट्री के लिए निकल गए थे और दोनों माँ बेटी और काजल बैठ कर गप्पें मार रही थीं. मैं अकेला बैठा बैठा बोर हो कर टीवी देखने लगा. 
[Image: 71872017_038_5a0f.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#80
दोपहर का खाना खाकर काजल और दोनों माँ बेटी ने बाजार में जाकर शॉपिंग करने का प्लान बनाया. उन्होंने काजल को भी चलने के लिए कहा.
इस पर काजल बोली- मुझे तो कुछ लेना नहीं है, इसलिए आप दोनों ही चले जाओ. 

मेरी वाइफ और सासू जी बाजार निकल गईं. मैं और काजल टीवी देख रहे थे. थोड़ी देर बाद काजल उठी और बाहर से सूखे कपड़े लेकर आई और मेरी तरफ मुस्कुराकर देखते हुए ऊपर चली गई. 
मेरी आंख कब लग गई, पता भी नहीं चला. जब नींद खुली तो देखा कि आधे घंटे से ज्यादा हो गया, पर काजल अभी भी नीचे नहीं आई थी. 
मैंने ऊपर जाकर देखने का सोचा.
मैं चुपचाप सीढ़ियों से ऊपर जाने लगा. देखा तो रूम का दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था. मैंने सोचा काजल सो गई होगी, पर नजदीक जाकर देखा, तो वो मोबाइल में कुछ देख रही थी. दूसरा हाथ उसकी लैगीज के ऊपर था. 

मैंने थोड़ी देर रुक कर देखा, तो उसकी आंखें बंद हो रही थीं, पर अभी भी वो मोबाइल में कुछ देख रही थी. रूम का दरवाज़ा थोड़ा खोल कर मैं सीधा उसके सामने खड़ा हो गया. उसकी आंखें अभी भी बंद थीं. थोड़ी देर रुक कर मैं काजल के नजदीक गया और मोबाइल में देखने लगा, तो कल रात मेरी जानू ने जो फोटो खींची थीं, वो वही देख रही थी. 
मेरे मुँह से एक कातिल मुस्कान निकल गई और मैंने मोबाइल उसके हाथ से ले लिया. मोबाइल हाथ में से जाते ही उसका ध्यान भंग हुआ. 
काजल एकदम से सकपका गई और वो मोबाइल वापस देने के लिए मुझसे कहने लगी. पर मैं उसको मोबाइल वापस नहीं दे रहा था. वो मुझसे मोबाइल लेने के लिए मुझ पर झपटी, उसी खींचातानी में वो मेरे ऊपर गिर गई और मेरे सामने उसका चेहरा आ गया. 

मैं तो मोबाइल में उसके फोटो देखने में ही व्यस्त था. एक बार फिर उसने मोबाइल खींचने की कोशिश की, पर नाकामयाब रही.
मेरे मुँह में से निकल गया- वाह काजल, क्या मस्त फिगर है.


[Image: 71872017_015_f9c7.jpg]







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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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