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Xxx जीजा सेक्स कहानी में मैं एक बार अपनी छोटी बहन के पति से चुद कर मजा ले चुकी थी. उसकी बेरहम चुदाई से मुझे मजा भी बहुत आया तो …
यह कहानी सुनें.
नमस्कार दोस्तो, मैं सुधा फिर एक बार अपने एक हसीन इत्तफाक को बताने के लिए आप लोगों के सामने हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
छोटी बहन के पति के सामने नंगी हो गयी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी बहन के पति मनीष ने मुझे चोद दिया था और मैं झड़ गई थी मगर वो अभी बाकी था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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मनीष ने मुझे पेट के बल लिटा दिया और मेरे पीछे आ गया, उसने मुझसे चूतड़ों को ऊपर करने को कहा.
मैंने कर दिए.
उसने अपना लंड मेरी चूत में पीछे से घुसा कर धक्के देना शुरू कर दिया, साथ ही मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर मसलने लगा.
पीछे से उसका लंड मुझे और भी मोटा लग रहा था.
मेरी चूत फट जाएगी ऐसा मुझे लगने लगा. मैं फिर से कराहने लगी- आहह ओह्ह ओह्ह मां मर गईईई … आह … कोई तो बचाओ आहह … इस जालिम से.
मैं जितना भी कराहती, मनीष उतना ही जोर से धक्का मार देता.
कुछ देर बाद मुझे उसने फिर से सीधा लिटा दिया और कमर के नीचे तकिया रख कर मेरी टांगें फैला दीं और लंड अन्दर घुसा दिया.
वो मेरे ऊपर लेट गया और धक्के देने लगा.
हमें चुदाई करते हुए करीब आधा घंटा हो चुका था. मेरी चूत में अब जलन होने लगी थी. मुझे उसके धक्के असहय से लगने लगे और मैं सोचने लगी कि ये अब जल्दी से झड़ जाए.
उसके धक्के अब और तेज होते जा रहे थे, शायद वो अब झड़ने के करीब ही था.
मैं भी अब चाहती थी कि मैं भी दुबारा से मनीष के साथ ही झड़ जाऊं क्योंकि उस वक़्त साथ में झड़ने से जो मजा आता है, वो सबसे अलग और सबसे ज्यादा होता है.
मैंने मनीष के गले में हाथ डाल कर उसको पकड़ लिया और टांगों को ज्यादा से ज्यादा उठा कर उसके चूतड़ों पर चढ़ा दिया ताकि उसे अपना लंड मेरी चूत में घुसाने को ज्यादा से ज्यादा जगह मिल सके.
फिर मैंने उसके होंठों से अपने होंठ मिला दिए और चूसने लगी.
मनीष ने भी मेरे चूचुकों को पकड़कर मसलना शुरू कर दिया.
उसकी चुदाई बहुत बेरहम थी पर पता नहीं मुझे मजा भी बहुत आ रहा था.
ऐसा मजा मैंने अपने जीवन में कभी महसूस नहीं किया था.
तभी उसने मेरे मम्मों को कसके पकड़ा और एक जोर का धक्का देकर सुपारे को मेरी बच्चेदानी में घुसा दिया.
वो झड़ने लगा. उसका सुपारा फूल कर और भी मोटा हो गया था.
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरा पेट फाड़ कर बाहर आ जाएगा.
मैं मस्ती ओर दर्द से कराहने लगी और मैंने अपनी पकड़ और मजबूत कर दी.
उसके लंड से पहले एक पिचकारी और फिर अनगिनत पिचकारियां निकलने लगीं.
उसका सुपारा मेरी बच्चेदानी के मुँह पर फसा हुआ पिचकारी मार रहा था.
मैं बता नहीं सकती कि ये अहसास शब्दों में कैसे बयान करूं.
मैंने अपने जीवन में अपने पति के साथ इतना सेक्स किया लेकिन ऐसा अहसास कभी नहीं किया था.
इसने तो मुझे पागल कर दिया था.
हालांकि मुझे काफी दर्द भी हो रहा था पर उसके गर्म गर्म वीर्य की बौछार होते ही मैं भी झड़ने लगी, मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया.
मनीष मेरे ऊपर ऐसे ही काफी देर लेटा रहा. उसका सुपारा अभी भी मेरी चूत में फंसा पड़ा था.
ये अहसास मैंने पहली बार किया.
मैंने मनीष से पूछा तो उसने बताया- मेरे साथ यह हमेशा होता है इसलिए मेरी बीवी प्रिया उसके साथ खुश नहीं रहती. मेरे लंड का सुपारा कुत्तों के जैसे फूल जाता है और उसकी चूत में दर्द होने लगता है.
उस समय हम दोनों को ही होश नहीं था कि ये हमने क्या किया.
बाद में जब मुझे होश आया तो मैं उठकर रोने लगी कि ये क्या हुआ.
अगर मेरे गर्भ में बच्चा ठहर गया तो मैं क्या करूंगी.
हम दोनों का ही नशा उतर चुका था.
अब हमें अहसास हो रहा था कि हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी.
मनीष भी अब हाथ जोड़कर माफी मांगने लगा- जीजी माफ कर दो, पता नहीं मुझे क्या हो गया था.
मैं- मनीष हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी. ऊपर से तुमने अपना पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया. अब जल्दी से जाओ और एक आईपिल ले कर आओ तब तक मैं इधर सम्हालती हूँ.
मनीष नीचे गया तो मेरे ससुर उसे रोककर पूछने लगे- अरे बेटा कहां जा रहे हो. अभी तो खाने का टाइम हो रहा है. खाना खाकर जाना.
मैं मन में कहने लगी कि खाना खाकर … उसने आपकी बहू की इज्जत ही खा ली.
मनीष मेरे ससुर से बोला- हां बाबू जी, अभी इधर थोड़ा काम है, उसको निपटा कर आता हूं. फिर खाना खाकर ही जाऊंगा.
मैं भी जल्दी से बाथरूम गयी क्योंकि उसका वीर्य मेरी जांघों पर बह रहा था.
बाथरूम में जाकर मैंने अपनी चूत को देखा तो मैं सन्न रह गयी.
मेरी चूत एकदम लाल पड़ गयी थी.
उस कमीने ने बहुत ही बेदर्दी से पेला था.
अब मैंने जल्दी से अपनी चूत की सफाई की और किचन में आकर खाना बनाने लगी क्योंकि मेरे ससुर के खाने का समय हो गया था.
फिर अपने ससुर को खाना देकर मैं अपने और मनीष के लिए रोटियां सेंकने लगी.
मैं मन में सोचने लगी कि ये गलत हुआ या सही.
इतने में ही मनीष वापस आ गया.
वो सीधा किचन में ही आ गया और उसने मुझे वो टेबलेट दे दी.
वो वहीं खड़ा हो गया.
जब हम दोनों की नजर मिली तो मैं बहुत शर्मा गयी.
मनीष भी बहुत शर्मा रहा था.
फिर वो बोला- मैं जा रहा हूँ.
मैं- खाना खा कर जाना.
तो मनीष कहने लगा- जीजी, वो जो मैंने उस समय आपसे तू तड़ाक से बोला, उसके लिए मुझे माफ़ कर देना. वो क्या है कि ये मेरी आदत है. जिससे मैंने आपको भी ऐसे ही बोल दिया.
मैं आप लोगो को क्या बताऊं कि मैं उस समय शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी.
मेरे ही किचन में मेरी छोटी बहन का पति मुझसे ऐसी बातें कर रहा था.
इसको कहते हैं इत्तेफाक.
आज मैं इस इत्तेफाक की वजह से पराये मर्द से चुद चुकी थी और वो पराया मर्द अभी भी मेरी किचन में मौजूद था.
हम दोनों की इच्छा अब दुबारा से वो सब करने की हो रही थी जो कुछ देर पहले इत्तेफाक से हुई थी.
कुछ देर ऐसे ही मनीष मुझसे बात करता रहा.
फिर मेरे पास आकर बोला- जीजी, क्या हम लोग एक बार और वही गलती कर सकते हैं?
मैं कुछ बोल ही नहीं पा रही थी.
हालांकि मेरी भी इच्छा हो रही थी लेकिन मेरे मुँह से आवाज ही नहीं निकल रही थी.
मुझे चुपचाप देखकर मनीष मेरे पीछे आ गया और मुझे पीछे से पकड़कर मेरे दूध दबाने लगा.
उसने पीछे से ही मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए.
मुझे चुपचाप देखकर मनीष मेरे पीछे आ गया और मुझे पीछे से पकड़कर मेरे दूध दबाने लगा.
उसने पीछे से ही मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए.
इस अचानक हुए हमले से मैं हड़बड़ा गयी और मेरे मुँह से एकदम निकल गया कि पहले रोटी तो बना लूं.
मेरे मुँह से ऐसा सुनते ही वो तो किचन में ही शुरू हो गया.
उसने अपने हाथ मेरे गाउन में घुसा कर मेरे दूध पकड़ लिए और उन्हें बेदर्दी से मसलने लगा.
मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी- हहहह ओह्ह … आह … रुक जाओ ओह्ह!
पर वो अब कहां मानने वाला था … उसने वहीं अपने सारे कपड़े निकाल दिए और पीछे से मेरा गाउन उठाया और अपना लंड मेरी गांड पर घिसने लगा.
मैं एकदम डर गई कि अगर इसने गांड में लंड घुसा दिया तो मेरी तो जान ही निकल जाएगी.
हालांकि मैं अपने पति से काफी बार गांड मरवा चुकी थी. पर पता नहीं इससे क्या होगा. न बाबा न … इसका जंगलीपन में अभी थोड़ी देर पहले ही देख चुकी थी.
मैं गैस बंद करके पलट गई.
दूसरी तरफ मैं भी अब खुलकर मजा लेना चाहती थी क्योंकि जब बेवफाई ही करनी है तो खुलकर करो.
बात यह भी थी कि जब चूत को पराया लंड मिलता है तो वो भी अच्छे से टसुए बहाती है.
मैं पलटकर मनीष से बोली- क्यों प्रिया नहीं देती क्या … या वो भी कहीं दूसरी जगह तुम्हारी तरह मुँह मारती है?
मनीष- नहीं, वो बात नहीं है … दरअसल वो जल्दी झड़ जाती है, फिर वो आगे और करने नहीं देती. फिर वो आपकी तरह इतनी खुली भी नहीं है. जैसे आप चूत लंड बोल रही हो, वैसे वो नहीं बोलती. वो शर्माती बहुत है. ऊपर से उसका ऑपरेशन होने के बाद उसकी चूत बहुत खुली खुली सी हो गयी है.
मैं मनीष को छेड़ती हुई बोली- एक काम करो, अपनी बीवी को कुछ दिनों के लिए मेरे पति के पास छोड़ दो, वो पूरा खोल देंगे.
मनीष- फिलहाल तो मैं उनकी बीवी को अच्छी तरह से खोल देना चाहता हूँ.
उसने किचन में ही मेरा गाउन उतार कर फेंक दिया.
मैं ‘रुको रुको …’ ही करती रह गयी.
उसने मुझे स्लैब के सहारे झुका दिया और पीछे से मेरे दूध दबाते हुए मेरी पूरी पीठ पर चूमने लगा.
उसके हाथ मेरे पूरे शरीर पर घूम रहे थे और उसकी जीभ मेरी पीठ से होते हुए मेरे चूतड़ों पर घूम रही थी जिससे मेरी टांगें खुद ब खुद फैलती जा रही थीं.
अब उसने मुझे पलट दिया.
वो मेरी दोनों टांगों के बीच बैठा था और मेरी चूत में उंगली कर रहा था.
उसने पहले मेरी नाभि और पेट में ढेर सारा चुम्बन किए, फिर मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराने लगा.
थोड़ी देर बाद उसने अपने दोनों हाथों से मेरी चूत के दोनों होंठों को फैला दिया और अपनी जीभ और दांतों से मेरी चूत और भग्नासा को काटने चाटने लगा.
मैं इतनी गीली हो चुकी थी कि क्या कहूँ … ऐसा लगने लगा था, जैसे मेरी जान ही निकल जाएगी.
थोड़ी देर बाद उसने मेरी चूत को और फैला दिया, तो मैं कराह उठी.
फिर वो अपनी जीभ को मेरी चूत के छेद में धकेलने लगा.
उसके इस तरह करने से मैं और भी उत्तेजित हो रही थी और ऐसा लगने लगा था कि अब ये मुझे ऐसे ही झड़ जाने पर मजबूर कर देगा.
मैंने उसके सर को पकड़ा और बालों को खींचते हुए ऊपर उठाने का प्रयास करने लगी ताकि हम चुदाई शुरू करें!
पर वो मेरी चूत से हिलने को तैयार नहीं था.
तभी उसने मेरी दोनों टांगों को उठा कर अपने कंधों पर रख लिया और अपना मुँह मेरी चूत से चिपका कर चूसने लगा.
वो चूत ऐसे पी रहा था जैसे रस पीना चाहता हो.
मेरे लिए अब बर्दाश्त करना मुश्किल था, मैंने दोनों जांघों के बीच उसके सर को कस कर दबा लिया पर उस पर तो कोई असर ही नहीं था.
वो कभी अपनी जुबान को मेरी चूत के छेद में घुसाने का प्रयास करता तो कभी मेरी चूत के होंठों को दांतों से खींचता तो कभी मेरी दाने को काट लेता.
मैं कराहती हुई मजे लेती रही.
मैं अब उससे विनती करने लगी- आह्ह.. बस करो … और शुरू करो न!
पर वो शायद कुछ और ही सोचे बैठा था.
मैं भी अपने आपको रोक नहीं पाई और भलभलाकर झड़ने लगी.
मैंने उसके सर के बालों को इतनी बुरी तरह खींच लिया कि उसके कुछ बाल मेरे हाथों में आ गए.
मनीष ने मेरा पूरा रस पीकर ही मुझे छोड़ा.
मैं हांफ रही थी, मैं वहीं जमीन पर ही बैठ गयी.
मेरे बैठने से उसका लंड मेरे मुँह के सामने लटक रहा था.
पहली बार मैंने उसका लंड देखा, जिस लंड से में एक बार चुद भी चुकी थी.
मैंने उसका लंड हाथ में पकड़ लिया.
उसका लंड एकदम काले नाग की तरह फुंफकार रहा था जबकि मेरे पति का लंड गोरा है.
इसका लंड था तो मेरे पति की ही तरह, पर थोड़ा टेड़ा था, एकदम केले के तरह.
मनीष के लंड की थोड़ी मोटाई भी ज्यादा थी जिससे मेरी उस समय चीखें निकल रही थीं.
आखिर मेरा पतिव्रत धर्म भ्रष्ट करने वाले में कुछ स्पेशल होना ही चाहिए.
लंड की मोटाई ज्यादा होने से हर औरत को सुख ज्यादा ही मिलता है क्योंकि मोटा लंड जब चूत में घुसता है, तो वो चूत की दीवारों को फैलाता हुआ घुसता है. जिससे चूत को अच्छी रगड़ मिलती है.
एक बात और भी थी कि इसके लंड का सुपारा एकदम लाल टमाटर की तरह था.
काले लंड पर लाल सुपारा बहुत ही आकर्षक लग रहा था.
मैंने लंड को हाथ से पकड़ ऊपर-नीचे किया तो उसका सुपारा खुलने और बंद होने लगा.
फिर मैंने सुपारे को बाहर करके अपनी जुबान उसके नुकीले सुपारे के छोटे से छेद पर रख दी.
मेरे ऐसा करते ही मनीष के मुँह से सिसकारी निकल गयी.
उसने मेरा सिर पकड़ कर अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया.
मनीष बहुत ही उतावला लड़का था.
मैंने उसे हाथ के इशारे से मना किया और उसके सुपारे को अपने मुँह में लेकर ऐसे चूसा, जैसे लॉलीपॉप हो.
मनीष की तो जान ही हलक में फंस गयी.
मैं उसे और ज्यादा तड़पाना चाहती थी तो मैं सिर्फ सुपारे को मुँह में दबा कर चूस रही थी.
कभी उसे दांतों से दबा लेती तो कभी उसके छेद में जीभ को नुकीला करके मनीष को तड़पा रही थी.
मनीष ज्यादा देर तक मुझे झेल नहीं पाया और उसने जबरदस्ती मेरे मुँह से लंड निकाल कर मुझे किचन की स्लैब पर झुका दिया.
बिजली की फुर्ती से उसने अपना लंड मेरी गांड पर लगा कर मेरे दूध पकड़ लिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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कहानी मेरे और मेरी सलहज की है, मेरी सलहज का नाम इंदु है, उसकी उम्र 26 साल की है. इंदु गेहुएं रंग की है उसका कद 5 फिट 3 इंच है. शरीर एकदम भरा हुआ. उसके चूचे 38 D के, कमर 36 के, और कूल्हे 44 हैं. कयामत की माल है. मेरी सलहज की शादी को 6 साल हो गए हैं. उसके 2 बच्चे भी हैं मेरे साले को शराब पीने की बहुत ज्यादा आदत है, जिस कारण घर में क्लेश होता है. वो अपनी पत्नी को बहुत मारता पीटता है और उसे खर्चे के लिए पैसे भी नहीं देता. वो मजदूरी करता है, कभी काम मिला तो किया, नहीं तो इधर उधर गावों में घूमना, देर रात को घर आना औए पत्नी से मार पिटाई करनी.
बहुत सालों बाद मैं अकेले ससुराल गया हुआ था. मैं बता दूँ कि मेरी ससुराल पटना के नजदीक एक गाँव में है. ससुराल में मेरे चचेरे 2 साले हैं, उनकी माँ और पिता जी हैं. ये कहानी मेरे चचेरे साले की बीवी की है.
बड़ा भाई अपने परिवार समेत राजस्थान में रहता है. उसकी बीवी भी बहुत चुदक्कड़ किस्म की है, उसकी कहानी बाद में बताऊंगा.
बहुत दिनों बाद मैं अपने ससुराल गया था, फोन से मुझे पहले ही मालूम हो गया था कि सलहज इंदु और साले की बीच रोज़ मार पीट होती है.
ससुराल जाने पर मेरी बहुत आवभगत हुई. शाम को मैं अपने चचेरी सलहज इंदु के घर गया, उसने भी मेरी काफी आवभगत की. मैंने पूछा कि साले साहेब कहां हैं?
तो वो बस कहानी बताने में शुरू हो गयी, कहने लगी कि इन्हें आप अपने साथ ही ले जाओ कमाने के लिए.. या मैं भाग जाऊँगी यहां से.
वो बहुत दुखी थी.
इनके पूरे खानदान में मे ही एक मात्र जीजा हूँ, इसलिए सभी मेरी बहुत इज्जत करते हैं. मैंने इंदु को बोला- आप टेंशन मत लो, मैं ले जाऊंगा.
मैं किसी बहाने इंदु को पटा के चोदना चाहता था. साला मेरे इतनी सुन्दर माल को रोज़ मारता पीटता है.
अब रोज़ मैं उनके घर जाने लगा, साला तो घर में होता नहीं था. सास खेतों में गयी होती, बच्चे छोटे थे. हम दोनों खूब बातें करते. इससे वो मुझसे खुल गयी.
एक दिन बरसात हो रही थी, ठंड भी थी. मेरी सलहज इंदु बिना स्वेटर के एक साड़ी में घर का काम कर रही थी. घर पे कोई नहीं था.
मैं घर में जाते ही बोला- भाभी, आपको ठंड नहीं लग रही क्या? इतनी ठंड है.
इंदु ने कहा- क्या करूँ जीजा जी, एक ही स्वेटर है, वो मैंने धोने को डाला था अब ये बरसात ना जाने कब रुकेगी और स्वेटर सूखेगा.
मैंने कहा- इतनी ठंड में तो आप बीमार हो जाओगी.
सलहज ने कहा- जीजा जी घर में मेरी फिक्र भी किसे है, चाहे बीमार पडूँ या भाड़ में जाऊं.
उनकी बातों से मुझे फील हो रहा था कि ये आराम से फंस जाएगी, बस थोड़े खर्चे करने पड़ेंगे.
कुछ घंटे बाद बारिश बंद हुई, मैं बाज़ार गया और सलहज के लिए एक स्वेटर खरीद लाया और साथ में एक ब्रा भी ले आया.
आते ही मैंने सलहज को बोला- भाभी जी कहां हो?
वो घर में झाड़ू लगा रही थी. उसका आंचल गिरा हुआ था. क्या गोरे गोरे चूचे हिल रहे थे. मजेदार दर्शन हो गए.
इंदु ने मुझे देखते ही आंचल ऊपर कर लिया और मुस्कुराने लगी, बोली- आइये जीजाजी.
मैंने बोला- भाभी जी, ये लीजिये आपके लिए गिफ्ट.
उसने बोला- इसकी क्या जरूरत थी. जीजा जी, आपको मेरी कितनी फिक्र है और एक आपके साले हैं.
मैंने बोला- जाने दो, आप पहन कर देखो.
इंदु स्वेटर पहन कर मेरे पास आ गयी मैंने पूछा- कैसा है?
वो बोली- थोड़ा कस रहा है.
मैंने देखा और कहा- कहां कस रहा, ठीक तो है.
उसने इशारे से कहा कि ये इधर चुचों के पास कस सा रहा है.
मैं झट से वहां के बटन को पकड़ कर स्वेटर को लूज करने की कोशिश करने लगा. जिससे मेरे हाथ इंदु की चूचियों पर सटे हुए थे. बहुत आनन्द आ रहा था, एकदम कसे हुए चूचे थे. इस वक्त घर में भी कोई नहीं था, साला कहीं मजदूरी करने निकला था. सास खेतों में थी, बच्चे बाहर खेल रहे थे.
मैंने सोचा सलहज को चोदने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा. मैं इंदु के स्वेटर को फिर से मोमे वाली जगह पर पकड़ कर लूज करने की कोशिश के बहाने इंदु की चुची टच कर रहा था. भाभी सब समझ रही थी, पर कुछ बोल नहीं रही थी.
मैंने भी मौका देख के उसके चुचों पे चुटकी काट ली.
वो उह करते हुए मुस्कुरा कर बोली- बहुत बदमाश हो आप.
ये उसका ग्रीन सिग्नल था. मैंने इंदु को बांहों में भर लिया और किस करने लगा. इंदु तो जैसे तैयार ही बैठी थी, वो भी मुझे किस करने लगी. किस करते करते मैं उसके चुचों को दबा रहा था. मैंने उसके ब्लाउज में हाथ डाल दिया मस्त टाईट और मजेदार फूले हुए मम्मे थे.
अचानक उसको याद आया कि मेन गेट खुला है, कोई भी आ सकता है. वो दरवाजे को बिना कुंडी के बंद करके आ गयी ताकि कोई दरवाजा खोले, तो मालूम पड़ जाये
इंदु आते ही लेट गयी, मैं भी उसके साथ लेट कर उसके चूचे दबाने लग गया धीरे धीरे मैंने उसके स्वेटर और ब्लाउज के नीचे के 2-2 बटन खोले ताकि कोई आ भी जाए, तो जल्द बंद हो जाए.
इंदु के चूचे ब्लाउज के बाहर आ गए उसके मम्मे मुझे फूल गोभी के आकार के लग रहे थे. मैं उन्हें अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दबाने लगा. इंदु भी अब जोश में गयी. उसने मेरे सर को अपने चुचों पे दबा लिया. धीरे धीरे मैं इंदु के पेटीकोट का नाड़ा खोलने लगा, तो उसने मना कर दिया.
मैंने सवालिया निगाह से उसे देखा तो बोली- पेटीकोट उठा के कर लो.
मैंने जैसे ही पेटीकोट उठाया.. वाह क्या गजब की चुत थी इंदु की.. एकदम पॉव रोटी की तरह फूली हुए, जिस पर एक इंच के करीब बाल थे. मैंने उसकी जांघों में सर घुसा कर चाटने लगा और धीरे धीरे ऊपर उनकी चुत पे जीभ फिराने लगा. वो कसमसा रही थी और आह आह कर रही थी.
अब वो छटपटाने लगी, बोली- जीजा जी जल्दी डाल दो, अब नहीं रहा जाता, ऊपर से कोई आ गया, तो मजा बेकार हो जाएगा. बाद में फिर कभी अच्छे से कर लेना जब कोई नहीं होगा.
मैंने अपने लंड को इंदु के मुँह में डाला जो उसने थोड़ी देर तक चूसा. साली गजब का लंड चूसती थी. उसने मेरे लंड को पूरा गीला कर दिया. मैंने इंदु के पैरों को छत की तरफ उठा दिया और अपना लंड इंदु की चुत के मुहाने पे रख के जोर से धक्का दे मारा. मेरा मोटा लंड थोड़ी तकलीफ से पूरा अन्दर घुस गया. इंदु के मुँह से हल्की सी आहहह निकली.
मैं धीरे धीरे चुत के अन्दर बाहर लंड करते जा रहा था.
इंदु आह आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उहहह कर रही थी और नीचे से अपनी कमर उठा उठा कर मजे से चुद रही थी. साथ साथ में वो कभी कभी मेरे होंठों को भी चूस और काट लेती. बहुत हॉट तरीके से वो चूत चुदवा रही थी. सलहज चुद रही थी, बीच बीच में अपने पति को गालियां भी दे रही थी- आह मजा आ गया जीजा जी.. मेरा पति साला कुत्ता.. कभी भी एक मिनट से ज्यादा नहीं चोदता मुझे.. शराबी मादरचोद साला, आहहह आहहह.
मैं पूरी ताकत से लंड पेल रहा था.
वो लगातार बड़बड़ा रही थी- जीजा जी जोर से चोदो.. आहहह मजा आ रहा है और जोर से चोदो, फाड़ दो मेरी चूत को जीजा जी.. और जोर से आहह आहहह जोर चोदो, बहुत मजा आ रहा है आहाआह.
वो नीचे से अपनी कमर भी जोर जोर से हिला रही थी. फच फच की आवाज से कमरा गूंज रहा था. मादक सिसकारियां मन को मोहे जा रही थीं. लंड सलहज की बच्चेदानी पर बार बार टकराता और वो सिसकारी लेती, इससे मेरा जोश और बढ़ जाता.
इस दौरान सलहज जोर जोर से सांसें लेने लगी और बड़बड़ाने लगी- जीजा जी और जोर से.
बस उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मुझे अपनी बांहों में कस दबाने लगी. वो जोर जोर से गांड उठाते हुए झड़ गयी. मैं उसके ऊपर अभी भी लगा हुआ था.
इंदु बोलने लगी- जल्दी जल्दी कर लीजिये, अब कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी.
मैंने कहा- भाभी, आप घोड़ी बन जाओ ऐसे कोई आ भी गया, तो फटाफट रेडी हो जाएंगे.
उनका बेड दरवाजे से बिल्कुल सामने था कोई आता भी, तो भाभी उसे झुके झुके चुदते टाइम आसानी से देख सकती थी.
अब इंदु बेड के नीचे आ के बेड को पकड़ के झुक गयी और मैं उसकी चुत में फिर से लंड डाल कर अन्दर बाहर करने लगा और मजा लेने लगा. पर इंदु जल्दी जल्दी निपटने को बोल रही थी कि कोई आ ना जाये. मैं भी उसकी चुत में जोर जोर से कमर पकड़ कर चुदाई करने लगा.
इंदु को इस आसन में मजा आने लगा, वो बोली- मैंने ऐसे पहले कभी नहीं किया.
अब मेरी सलहज फिर से गर्म होने लगी और पीछे से गांड हिला हिला कर लंड लेने लगी.
इंदु बोली- जीजा जी आप बहुत हॉट हो.. आपने मुझे फिर से गर्म कर दिया.
फिर वो वहीं बेड पे टांगें ऊपर करके लेट गयी और लंड के मजे लेने लगी. वो फिर से आहहह आहह करने लगी.
मुझे शरारत सूझी, मैंने एक उंगली पे ढेर सारा थूक लगा कर उसकी गांड में डालने लगा. वो जोश में सिर्फ गर्दन हिला मना कर रही थी और जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी.
मैंने सलहज इंदु को बोला- भाभी, आपकी गांड बहुत मस्त है, एक बार इसे भी चोदने दो.
वो साफ मना करने लगी, बोली- नहीं ये सब नहीं.. बहुत दर्द होता है.
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उस दिन इंदु ने बोला कि वो 3 दिन बाद रात को फोन करेगी. तो बड़ी बेसब्री से इंतज़ार था उस दिन का … एक एक मिनट बहुत मुश्किल से कट रहा था।
इंतज़ार के बाद आखिर वो शुभ घड़ी भी आ गयी जिस का इंतज़ार था, उस दिन मैं उनके आंगन में था, इंदु बहुत ही हॉट दिख रही थी.
बात करते करते मैंने इंदु से कहा- आज का वादा तो याद है ना?
उसने कहा- जीजा जी, सब याद है, मैं रात को फोन करूँगी, जैसे ही आस पास सूना हो जायेगा, आप आ जाना. फोन करने के बाद मैं दरवाजा सटा के रखूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
इंदु अभी भी अकेली ही थी, दिल तो कर रहा था कि अभी ही चोद दूँ पर इंदु ने कहा- मेरी सास अभी इधर आसपास ही हैं, कुछ मत करो.
फिर भी मैं भाभी की दोनों चुचियों को मुट्ठी में भर में उन्हें किस करने लगा. वो मुझे जल्दी से हट जाने को बोली.
मैंने बस किस करके, बोबे दबा कर अपने दिल को तसल्ली दे ली उस टाइम और घर पर आकर आराम करने लगा.
शाम हुई और धीरे धीरे रात भी होने लगी. मैं भी जल्दी खाना पीना करके जल्दी से सोने चला गया. आज मैं दूसरे रूम में सोया था जिसका एक दरवाजा बाहर गली में खुलता था और एक अंदर ताकि रात को उठ के जाऊँ तो किसी को मालूम ना लगे।
रात हुई, करीब 11:30 बजे इंदु की कॉल आयी- आ जाओ, घर में कोई नहीं है,
मैंने बोला- ठीक है, आ रहा हूँ.
और मैं तुरंत बाहर वाला गेट खोल के इंदु के घर चला गया, जाते जाते मैं वो गिफ्ट ले गया जो इंदु रानी को देना था. दबे पाँव मैंने बाहर की कुंडी लगाई, और घर में जाते ही इंदु को जोर से अपने बांहों में भर लिया. इंदु भी मुझसे लिपट गयी जैसे किसी भूखे को रोटी मिल जाती हो।
मैंने अंदर के रूम की भी कुंडी बंद की और उनके बेड पर चला गया, बोला- इंदु जी, आपके लिए ये गिफ्ट!
उस गिफ्ट में एक बहुत सुन्दर साड़ी, एक पतली सी डोरी वाली सेक्सि पैंटी औए पार्दर्सि नाईटी थी. भाभी ने गिफ्ट देखा बहुत खुश हुई, बोली- मेरी तमन्ना थी ऐसी पैंटी पहनने की … आपने मेरी अंदर की बात जान ली.
मैं बोला- आप अब फटाफट नाईटी और पैंटी पहन के दिखाओ!
इंदु नाईटी और पैंटी पहन कर मेरे पास आयी.
उफ क्या कयामत लग रही थी, उसके मोटे मोटे उठे हुए चूचे, पैंटी से दिखते हुए उसके पाव रोटी की तरह प्यारी बालों वाली चुत … क्या नजारा था मैं बता नहीं सकता. ऐसा लग रहा था कि मैं कोई पोर्न हिरोइन को देख रहा हूँ.
इंदु मेरे पास आयी, मैं उसे लिप किस करने लगा और उसकी चुत में उंगली! चुत के आसपास ज्यादा बाल होने से बाल उंगली में फंस जाते जिससे इंदु को तकलीफ होती.
मैंने इंदु से बोला- भाभी जी, कहिये तो आपकी चुत के बाल बना दूँ?
इंदु ने कहा- मेरे पास अभी बाल साफ करने वाली क्रीम नहीं है.
मैंने पूछा- सेफ्टी रेजर तो होगा?
वो सेफ्टी रेजर ले आयी, मैं इंदु की पैंटी को उतार के बालों में क्रीम लगा कर झाग बनाने लगा. भाभी बिल्कुल नंगी मेरे सामने चुत किये लेटी हुई थी और मैं भाभी की झांटों में क्रीम लगा कर झाग बना रहा था. इंदु बीच बीच में मेरे लोड़े को पकड़ के दबा देती और मेरे आंड को भी दबा देती जिससे मुझे भी बहुत आनंद आ रहा था.
मैं भाभी की चुत पर सेफ्टी रेजर लेकर बालो को साफ करने लगा. बीच बीच में मैं भाभी के चुत में उंगली कर देता और चुत के दाने को मसल देता जिससे भाभी मचल जाती.
कुछ ही देर में भाभी की चुत के बाल बिल्कुल साफ हो गये, चुत एकदम गुलाबी चमक रही थी जिसमें से पानी रिस रहा था.
फिर मैंने इंदु को पीछे होने को कहा. भाभी की गांड के आसपास भी कुछ बाल थे, मैंने उसे भी साफ किया और उंगली गांड में देने लगा. अब भाभी की गांड और चुत दोनों एकदम चमक रही थी.
चुत के बालों को साफ करने के बाद मैंने इंदु की चुत को जीभ लगा कर चाटना शुरू किया, चूत का नमकीन पानी बहुत टेस्टी लग रहा था. मैं चुत को मुहह हहह मुआहह हहह कर के चाटता जा रहा था और भाभी मेरे मुख में चुत सटाती जा रही थी. वो बहुत होट हो गयी थी और मेरे बालों को कस के पकड़ कर सीइईई सीयइई ईईहह हहह कर रही थी . पांच मिनट में ही भाभी की चुत ने मेरे मुख पर ही ढेर सारा पानी छोड़ दिया और शांत लेट गयी.
पर मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था कब से तना तना झटके ले रहा था.
इंदु ने कहा- जीजाजी, मैं भी आप के लंड के बाल साफ कर दूँ? मजा आयेगा!
पर मेरा मूड नहीं था, मैंने मना किया तो वो बोली- करवा लीजिये, सारी रात मजे लेने को है.
इंदु ने मेरी झांटों में खूब झाग बनाया और रेजर से मेरी झांटों को साफ करने लगी. मेरा लंड अपने शवाब में झटके पे झटके मार रहा था. बीच बीच में भाभी मेरे लंड को अपने मुंह में भी लेकर चूसने लग जाती जिससे मुझे असीम आनंद की अनुभूति होती.
जब इंदु ने मेरे बालों को पूरा साफ कर दिया तो मुझे खड़ा करवा के खुद घुटनों में बल बैठ के मेरे मेरे लंड को लगी चूसने! अम्म्ह … महह … हहह चप चप … की आवाजों के साथ मुझे बहुत मजा आ रहा था. तब मैं बस सीइई … सीइईई … करते लंड चुसवाने का मजा ले रहा था.
काफी देर लंड तना होने के कारण वो भी भाभी की मस्त चुसाई के कारण आखिरी मोड़ पर आ गया. मैं भी जोर जोर से इंदु के मुँह में लंड पेलने लगा. मैं बोला- मेरे गिरने वाला है!
इंदु बोली- बाहर मत निकालना, मैंने पीना है.
तेज झटको के साथ मैंने इंदु भाभी में मुख में अपना गर्म गर्म वीर्य उम्म्ह… अहह… हय… याह… करते हुए छोड़ दिया. इंदु ने वीर्य के एक एक कतरे को पी लिया और मेरे लंड को बिल्कुल साफ कर दिया.
मैं और इंदु बेड पर आराम करने लगे। इंदु मेरे आंड को सहला रही थी और मैं भी इंदु के चूचों को हल्का हल्का सहला रहा था. इंदु मेरे लंड को भी खड़ा करने की कोशिश कर रही थी और मैं भी इंदु को फिर से गर्म करने में लगा था. इंदु धीरे धीरे गर्म होने लगी और मेरा लंड भी तन के खड़ा हो गया.
मैंने इंदु को बोला- भाभीजी आओ, मैं आपकी चुत चाटता हूँ, आप मेरा लंड चूसिये 69 की अवस्था में! बड़ा मजा आयेगा.
इंदु भाभी को मैंने अपने ऊपर कर लिया और खुद नीचे हो गया. इंदु मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी जैसे कोई छोटा बच्चा लोलिपोप चूसता है. वो मेरे लोड़े को पूरे लंड अपने मुंह में ले जाती और जोर जोर से चूसती और मेरे लंड पे दांत भी काट लेती. मेरे आंड को भी दबा देती जिससे मेरे मुंह से आह निकाल जाती.
इधर मैं भी इंदु की चुत को पूरे करीब से देख रहा था और चुत को जीभ से चाट रहा था. जब मैं उनके भगनासा को चाटता तो वो एकदम जोश से भर जाती और सीइईई आहह आहह हहह करने लगती.
इंदु की चुत एकदम चमक रही थी. मैं चुत में जीभ अंदर बाहर करता तो इंदु को बहुत मजा आता. वो अपनी चुत जोर से मेरे मुँह पे दबा देती और जोश में मेरे लंड को जोर से दांतों से काट लेती.
इंदु और मुझे दोनों को बहुत मजा आ रहा था।
अचानक इंदु ऊपर से उठ के मेरे मुँह पे आकर बैठ गयी और चुत को जोर जोर जोर से मुँह में रगड़ने लगी. मैं भी जोर जोर से इंदु की चुत को चूसता चाटता, उसमें उंगली डाल के अंदर बाहर करता.
इंदु पूरे जोश में भर गयी, आहहह हहह करने लगी, सिसकारियां लेने लगी- सीईईई आयी ईईइ जीजा जी, अब अंदर डाल दो अपना लंड आहहह … अब नहीं होता बर्दाश्त!
मैं बोला- मेरे लंड को और चूसो!
वो जल्दी से मेरे लंड को जोर जोर से चूसने लगी, कभी कभी आंड को भी चूस लेती.
वो कहने लगी- जीजू, अब तो करो!
और खुद ही मेरे ऊपर आकर लंड पे बैठ गयी और एक हल्की से आहहह उनके मुंह से निकली. और वो धीरे धीरे लंड के ऊपर नीचे होकर चुदने लगी और आह आहहह उहहह उहह उफ उफफ करने लगी.
इंदु जब लंड के ऊपर नीचे होती उसकी 36 इंच की चुचियाँ हवा में उछल कर ऊपर नीचे होती जो मेरे जोश को और बढ़ा देती. मैं चूची को दोनों हाथों से जोर जोर से दबा देता. इंदु जोर जोर से लंड की सवारी कर रही थी, मैं भी नीचे से उसे जोर जोर से धक्के मार रहा था. और उसे कभी कभी अपने बदन के ऊपर दबा लेता जिससे वो पूरे नंगी मेरे साथ चिपक जाती. उसके चूचे मेरे सीने पे होते ही गर्मी और बढ़ जाती. मैं बीच बीच में चुची को मुंह से चूस लेता.
पर इंदु तो पूरे जोश से लगी थी अपनी चुत की गर्मी मिटाने में … इंदु पूरी काम की देवी लग रही थी.
मैंने इंदु को नीचे आने को बोला तो वह झट से नीचे आ गई. मैंने उसकी टांगों को अपने कंधे पे रखा और एक ही झटके में उसकी चुत के अंदर लंड उतार दिया.
इंदु की चुत एकदम चमक रही थी चुत बिल्कुल गीली … मेरा लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था पर फिर भी चुत में कसावट थी जो मुझे चोदते समय महसूस होता था. इंदु भी नीचे से कमर हिला हिला कर लंड को अंदर लेती और उम्म्ह… अहह… हय… याह… सीइईई करती चुद रही थी.
भाभी जोर जोर से कमर हिलाने लगी और बोलने लगी- जोर से जीजा जी … जोर से आहहह … मेरा काम होने वाला है!
और इंदु ने अपने पैरों से मेरे कमर को जकड़ लिया. इंदु ‘आहहह आहह …’ करती हुए झर गयी और शिथिल पड़ गयी.
लेकिन मैं तो ऊपर से लगा हुआ हुआ था पूरी जोश से उसे पेलने में! मेरा लंड जब जोर जोर से भाभी की चुत के अंदर बाहर होता तो इंदु की चूचियाँ हिलती तो मुझे और अधिक आनंद आता. मैं उसे और जोर से चूस लेता, दबा देता. इंदु आहहह उह्म्म करती थी.
मैंने अब इंदु को डॉगी स्टायल में करने के लिए बोला. वो कुतिया बन गयी उसकी उभरी चुत और बाहर को आ गयी. मैंने उसकी कमर पकड़ के जोर से लंड अंदर पेल दिया और जोर जोर से चोदने लगा. बीच में कभी धीरे हो जाता तो कभी जोर से छोड़ने लगता.
मैंने इंदु को बोला- टेबल के पास चलो, वहाँ करता हूँ आपकी जोरदार चुदाई!
अब मैंने इंदु की एक टांग टेबल पर और एक नीचे करवा दी जिससे उसकी चुत खुल गयी और मैं अपना लंड भाभी की खुली चूत में डाल कर आगे पीछे करने लगा.
अब इंदु भाभी को भी पूरा मजा आ रहा था, वो भी फिर से गर्म हो गयी थी और मेरा साथ देने लगी. भाभी जोर जोर से सिसकारियाँ लेकर चुदवाने लगी आहहह हाहहह करती हुई!
भाभी बोलने लगी- अह जीजू … बहुत मजा आ रहा है … और चोदो … फाड़ दो इसे आज! आहह मजा बहुत आ रहा है!
जितना ज्यादा वो बोलती, उतना ही मेरे जोश बढ़ता जाता और मैं जोर जोर से, कस कर भाभी का चूत चोदन करने लग जाता.
कसम से बहुत होट थी इंदु भाभी … उसे मेरा साला कभी ऐसी चुदाई ही नहीं दे सका. उसने कभी भी इंदु की चुत नहीं चाटी. इंदु ने खुद मुझसे ऐसा बोला था.
मैं जब ज्यादा जोर से धक्का मारता तो इंदु टेबल पर गिर जाती.
मैंने इंदु को बोला- चलो अब बेड पर चलें, तुम्हें थकान हो गयी होगी.
इंदु और मैं बेड पर आ गये.
फिर बेड पर इंदु लेट गयी और उसने अपनी टांगों को ऊपर हवा में फैला दिया. मैं फिर से इंदु की चुत में लंड डाल कर उसकी चूचियों को पीते हुए उसे चोदने लगा. फच फच की आवाजों से कमरे का माहौल गर्म हो गया था. ऊपर से इंदु की सिसकारियां … बहुत मजा आ रहा था मुझे … मन ही नहीं कर रहा था कि इंदु की चुत से लंड निकालूं.
इंदु भी जोर जोर से कमर हिलाते हुए चुद रही रही थी.
अब मेरा भी लंड जवाब देने वाला था, मैंने भी जोर जोर से धक्के जारी रखे और आहह हहह उहहह हहह करते इंदु और मैं दोनों एक साथ ही झर गये. इंदु ने जोर से मुझे झप्पी डाल ली और हांफने लगी. मैं भी थक कर उसके ऊपर लेट गया.
थोड़ी देर बाद इंदु उठी, उसकी चुत से उसका और मेरा पानी नीचे उसकी जांघों पर नीचे बह रहा था. और अपने को और मुझे साफ किया.
फिर हम दोनों सो गये, रात को करीब 3 बजे जब मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि इंदु मेरे लंड से खेल रही है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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यह बात उन दिनों की है, जब मेरी शादी हुई थी. उस वक़्त तो सब नार्मल चल रहा था. हम दोनों पति-पत्नी बहुत खुश थे. मजे की बात तो ये थी कि शादी के सिर्फ एक महीने बाद ही मैं बड़ोदा शिफ्ट हो गया और वहां पर सिर्फ हम दोनों अकेले रहेते थे. उस वक्त हम दोनों एक बार भी चुदाई का मौका नहीं छोड़ते थे. हम दोनों ने घर का एक भी कोना ऐसा नहीं छोड़ा था, जहां पर हमने चुदाई न की हो.
उस समय मेरी जानू हमेशा साड़ी पहनती थी. जब भी मौका मिलता था, मैं उसकी साड़ी उठा कर उसकी पैन्टी नीचे कर देता था और नीचे बैठ कर कभी चूत चूमता, तो कभी उंगली से चूत के दाने को मसल देता था, तो कभी मेरे लंड से चूत के ऊपर रगड़ता था या तो मेरी जानू की कोरी चूत के अन्दर लंड डाल देता था.
ऐसे ही समय गुजरने लगा. ये मस्ती पत्नी के साथ हो रही थी. उसके साथ के मजे तो मैं कभी भी लिख सकता हूँ, लेकिन आज मैं आपके सामने मेरी साले की पत्नी यानि की मेरी सहलज के साथ हुई रसीली घटना बताने जा रहा हूँ.
यह बात उसी समय की ही है. हमारी शादी के सिर्फ चार महीने बाद ही मेरे साले की शादी हो गई. उसकी पत्नी का नाम काजल था. मेरी सहलज देखने में ठीक ठाक थी, पर उसका फिगर बहुत ही मस्त था. वो एक तराशे हुई बदन की मालकिन थी. काजल की फिगर में उसके 34डी के तने हुए चूचे, बलखाती 32 की कमर और थिरकती हुई 34 साइज़ की गांड. कोई भी काजल को एक बार देख लेता, तो उसे बिना छुए छोड़ने का मन नहीं होता. शायद उसकी कमनीय काया को लेकर आपके लंड ने भी समझ लिया होगा कि वो सांवली सुन्दरी कितनी गर्म माल होगी.
यह कहानी लिखते वक़्त मेरा भी लंड खड़ा हो गया. मेरा मन कर रहा था कि काश वो इस वक्त भी मेरे लंड पर कूद रही होती.
मेरा ससुराल अहमदाबाद में था, तो महीने में एकाध बार तो आना जाना होता ही था. धीरे धीरे लाइफ मस्ती से कटने लगी. बीच बीच में मैं अहमदाबाद भी घूम कर आता था. मैं हमेशा मेरी वाइफ के लिए मेरी पसंद के सेक्सी ब्रा और पैन्टी लाकर देता था और वो भी ऑनलाइन मंगवाता था.
एक बार हुआ ऐसा कि मैंने जो साइज की ब्रा और पैंटी मंगाई थी, वो गलत साइज की वजह से मेरी वाइफ को फिट नहीं हुई. ये वापस की जा सकती थी, लेकिन न जाने क्यों, मैं नहीं चाहता था कि मैं इसे वापस दूँ.
मैंने मेरी वाइफ को आईडिया दिया कि एक काम करो, तुम ये सैट अपनी भाभी को दे दो, शायद इसकी फिटिंग तुम्हारी भाभी की साइज की हो.
पहले तो वो मुझे घूरने लगी, फिर थोड़ी देर बाद बोली- ठीक सोचा तुमने. मैं भी तो देखूँ, मेरे पति की चॉइस को कितने स्टार मिलते हैं.
तब तक मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था, पर अब मुझे अपनी सलहज काजल का पूरा जिस्म मेरे आंखों के सामने आ गया, जिसमें मेरे लाए ब्रा और पैन्टी पहन कर वो मेरे सामने खड़ी थी. मैं बंद आंखों से उसे देख रहा था और वो शर्मा कर अपनी आंखें बंद करके मेरे सामने खड़ी थी.
मेरी ध्यान तब टूटा, जब मेरी वाइफ ने मेरे लंड को हाथ में लेकर जोर से दबाया और मेरे मुँह में से चीख निकल गई. उस रात को मैंने मेरी वाइफ की अच्छी ठुकाई की. वो भी चुदाई से बहुत खुश थी और गांड उठा कर मेरे झटकों का जवाब दे रही थी.
आज वो कुछ ज्यादा ही गर्म थी इसलिए करीब पांच मिनट में ही वो झड़ गई. पर मेरा अभी हुआ नहीं था.
वो बोली- जानू मेरे मुँह में डाल दो.
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बात खत्म करके मैं फ्रेश होने चला गया.
इसके कुछ देर बाद मैं नाश्ता करके ऑफिस निकल गया और अपने काम में लग गया. ऐसे ही आधा दिन निकल गया, मैं चाय पीते काजल के बारे में ही सोच रहा था. उसका ख्याल आते ही मेरे पैन्ट में फिर से तम्बू बन गया.
काम के चक्कर में बहुत दिन हो गए थे, अहमदाबाद नहीं जा पाया था. अचानक मेरे दिमाग में आया कि क्यों न अहमदाबाद जाने का प्लान किया जाए. पर अगर मैं मेरी जानू को बोलूँगा, तो उसको शक हो जाएगा.
इतने में मुझे याद आया कि अगले हफ्ते रक्षाबंधन है और मैं यह बहाना बताऊंगा तो मेरी जानू मना नहीं करेगी.
इतना सोच कर मैं वापस अपने काम पर लग गया. ऐसे ही दो दिन निकल गए, तीसरे दिन रात को ऑफिस से घर लौटा, तो देखा श्रीमती जी मुँह फुला कर बैठी हैं, वो कुछ बात भी नहीं कर रही थी.
खाना खाने के बाद मैंने पूछा- क्या हुआ क्यों इतना मुँह फुला कर बैठी हो?
वो बोली- जैसे कि आपको कुछ पता ही नहीं है. अगले हफ्ते रक्षाबंधन है और मुझे अहमदाबाद जाना है, पर तुमको तो कुछ पता ही नहीं है.
मैंने बोला- वो तो हर साल आता है, उसमें नयी बात क्या है?
मेरा इतना बोलते ही वो मुझे घूरने लगी और बोली- वो मुझे नहीं पता, पर मुझे अहमदाबाद जाना है. आपको नहीं आना, तो कोई बात नहीं.
मैं बोला- ठीक है, रक्षाबंधन सोमवार को है. हम शुक्रवार को शाम यहाँ से निकलेंगे तो दो घंटे में पहुंच जाएंगे.
वो खुश हो गई.
प्लानिंग के हिसाब से हम शुक्रवार शाम को अहमदाबाद पहुंच गए. हमें देख कर सब लोग बहुत खुश हुए.
मैंने एक प्लान बनाया, मेरी जानू के मोबाइल से मेरे मोबाइल पर नंबर डायल करके फोन चालू छोड़ कर उसका फ़ोन मैंने उसके पर्स में डाल कर उसकी भाभी के रूम में वापस रख दिया.
रात के ग्यारह बज गए थे और सब सो गए थे. उधर फोन चालू था. थोड़ी देर बाद मैं कान में इयरफोन डाल कर फोन सुनने लगा.
वो दोनों काफी दिनों बाद मिली थीं, तो उस रात को दोनों ननद-भाभी रूम में बैठ कर बात कर रही थीं और जोर से हंस रही थीं.
थोड़ी देर बाद मेरी वाइफ ने एक पैकेट उसकी भाभी को देते हुए बोला- भाभी, ये पैकेट तुम्हारे लिए है.
काजल बोली- क्या है पैकेट में?
तो मेरी वाइफ बोली- खुद ही खोल कर देख लो.
इतना बोलने के बाद पैकेट खुलने की आवाज़ आई और थोड़ी देर कुछ सुनाई नहीं दिया.
कुछ टाइम बाद काजल की आवाज़ सुनाई दी- अरे वाह ननद जी बहुत ही मस्त सैट लाई हो. ननद जी ये किस ख़ुशी में मुझे गिफ्ट दिया जा रहा है.
इस पर मेरी जानू ने जवाब दिया- इसमें ख़ुशी किस बात की, मुझे अच्छा लगा तो तुम्हारे लिए ले लिया.
थोड़ी देर बाद काजल बोली- एकदम सेक्सी हैं दोनों सैट.
एक सैट ब्लू कलर का था, साटिन की ब्रा और पैंटी और दूसरा रेड कलर का सैट नेट वाला था, जिसमें ब्रा के बीच में डायमंड का पेंडेंट लगा हुआ था और साथ में बिकनी पैंटी थी.
काजल- ननद जी मैं आपको जानती हूँ, आप मेरे लिए बहुत कुछ लाती हो, पर ऐसा गिफ्ट आपने पहली बार दिया है. कुछ तो है बताओ क्या बात है.
मेरी जानू बोली- अरे हुआ यूं कि उन्होंने ऑनलाइन आर्डर किया था, पर मेरे साइज के हिसाब से टाइट हो रहा था, तो मैंने सोचा इतना सेक्सी सैट मैं वापस नहीं करूंगी और सोचा क्यों न मैं तुम्हारे लिए रख लूँ.
काजल बोली- वाह … मेरे ननदोई जी की चॉइस तो एकदम धांसू है. फोटो देख कर भी इतनी बढ़िया पसंद किया है.
फिर दोनों की जोर से खिलखिलाने आवाज़ सुनाई दी. थोड़ी देर बाद काजल बोलती है- चलो एक बार ट्राई करके देखती हूँ, मुझे फिट आता है कि नहीं.
उसके बाद से थोड़ी देर तक कुछ सुनाई नहीं दिया.
फिर मेरी जानू की आवाज आई- भाभी, आपके पपीते तो बहुत बड़े हो गई हैं, लगता है मेरे भैया रोज़ इसकी खातिरदारी करते हैं.
काजल बोली- ननद जी वो तो है, पर आप भी मुझसे कम नहीं हो, अपनी साइज तो देखो.
ये बोल कर दोनों वापस हंसने लगीं.
काजल पूछने लगी- बताओ पहले कौन सी पहनूं.
तो मेरी जानू ने जवाब दिया- पहले ब्लू ट्राई करो.
थोड़ी देर बाद काजल आईने के सामने जा कर बोली- ओह … ये पहन कर अगर मैं आपके भाई के सामने गई, तो वो तो मुझ पर टूट पड़ेंगे और वहीं चोद डालेंगे.
उसके बाद मेरी जानू की आवाज आई- रुको भाभी, आपके मोबाइल से फोटो लेती हूँ. उसने काजल का मोबाइल उठाया और मस्त पिक्चर लेने लगी.
मुझे भी उसकी क्लिक की आवाज़ सुनाई दे रही थी. करीब पन्द्रह फोटो लेने के बाद काजल की आवाज आई- अब मैं दूसरा सैट ट्राई करती हूँ.
थोड़ी देर बाद वापस मेरी जानू बोली- भाभी.. इसमें तो आज आप क़यामत लग रही हो.
उसके बाद फिर से कुछ फोटो ली गईं.
उन दोनों की बातें सुन कर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, पर क्या करता. मेरे पास अपने हाथ के अलावा कोई और रास्ता नहीं था.
थोड़ी देर दोनों इधर उधर की बातें करके सो गई होंगी. क्योंकि मुझे उनके कमरे से कोई आवाज नहीं आ रही थी.
मैं भी फटाफट बाथरूम में गया और काजल की नाम की मुठ मारने लगा. पर अचानक वहां पर मुझे कपड़े का ढेर दिखा, उसमें मुझे काजल के भी कपड़े दिखे.
मेरे ढूँढने पर मुझे उसमें काजल की आज पहनी हुई पीले रंग की नेटवाली ब्रा और पैन्टी दोनों मिल गए. मेरी तो मानो लाटरी लग गई. मैं काजल की ब्रा के ऊपर हाथ फिराने लगा और उसकी चूचियों को अपने ख्यालों में ही महसूस करने लगा.
थोड़ी देर बाद मैं काजल की पैन्टी को हाथ में लेकर अपनी नाक के पास ले गया. उसमें से काजल की चूत की बहुत ही प्यारी खुशबू आ रही थी, जो मुझे पागल कर रही थी.
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
काजल की पैन्टी मेरे लंड पर महसूस होते ही मेरा लंड भी झटके मारने लगा. मैंने काजल की पैन्टी को मेरे लंड पर लपेटा और ख्यालों में ही काजल की चूत को चोदने लगा. थोड़ी देर में मेरे लंड ने एक जोर से वीर्य की पिचकारी निकाली और सीधी बाथरूम की सामने की दीवार पर गई. मैंने थोड़ा वीर्य काजल की ब्रा और पैन्टी के ऊपर निकाला. फिर बाहर आकर सो गया.
मैं सुबह उठा और मेरी जानू को आवाज़ लगाई. वो आई, तो मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और उसको मेरी बांहों में भर लिया. वो ना नुकुर करने लगी, पर मैंने नहीं छोड़ा. मैं उसके होंठ पर होंठ रख कर लिप किस करने लगा. वो धीरे धीरे गर्म हो रही थी.
मेरा हाथ उसकी चूची पर चला गया और धीरे धीरे दबाने लगा. थोड़ी देर बाद मैंने उसके कुर्ते में हाथ डाल दिया, उसकी ब्रा के ऊपर से चूची को दबाने लगा. अब मेरी भी ठरक थोड़ी और बढ़ गई थी. मैंने उसकी लैगीज को थोड़ा नीचे कर दिया. नीचे का नज़ारा देख कर मेरा लंड तन कर एकदम नब्बे डिग्री के एंगल पर झटके देने लगा.
मेरी जानू ने मेरी नई लायी हुई ब्रा और पैन्टी में से पिंक कलर का साटिन का सैट पहना था.
मैं उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत के ऊपर सहलाने लगा. मैं उसकी पैन्टी में हाथ डालने ही वाला था कि उसने मुझे धक्का दे दिया. अपनी लैगीज ऊपर की और फटाफट बाहर भाग गई.
वो मुझसे बोली- आपको जो भी चाहिये, वो आपके बैग में है, खुद ही निकाल लो.
मैं हाथ मलता रह गया और वो आंख मार कर बोली- थोड़ा सब्र करो यार.
मैं सोचता रहा कि ये क्या बोल रही है. मुझे कुछ समझ नहीं आया और नहा कर तैयार हो गया.
मेरी जानू बाहर कपड़े धो रही थी और काजल किचन में मेरे लिए नाश्ता बना रही थी. आज मैंने देखा काजल कुछ अलग ही नज़रों से मुझे देख रही थी. वो थोड़ी थोड़ी देर में तिरछी नज़रों से मुझे ही घूरे जा रही थी. मुझे भी कुछ अजीब लगा.
मैंने नाश्ता खत्म किया और वो पानी का गिलास ले कर मुझे देने ही जा रही थी कि उसका हाथ मेरे हाथ से टकरा गया. पानी टेबल पर गिर गया और पानी ने सीधा मेरे पैन्ट के ऊपर से मेरे लंड को नहला दिया.
वो तुरंत नैपकिन लेकर मेरे पैन्ट के ऊपर का पानी साफ़ करने लगी. काजल का हाथ पैन्ट पर महसूस होते ही मेरा लंड ताव में आ गया और विकराल रूप में आने लगा.
काजल ने मेरे लंड को महसूस होते ही उसने हाथ हटा दिया और शर्मा कर दूसरी तरफ भाग गई.
मैं बाहर आया, तो वो मेरी आंख से आंख नहीं मिला पा रही थी.
मेरे साले और ससुर जी टिफिन लेकर फैक्ट्री के लिए निकल गए थे और दोनों माँ बेटी और काजल बैठ कर गप्पें मार रही थीं. मैं अकेला बैठा बैठा बोर हो कर टीवी देखने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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दोपहर का खाना खाकर काजल और दोनों माँ बेटी ने बाजार में जाकर शॉपिंग करने का प्लान बनाया. उन्होंने काजल को भी चलने के लिए कहा.
इस पर काजल बोली- मुझे तो कुछ लेना नहीं है, इसलिए आप दोनों ही चले जाओ.
मेरी वाइफ और सासू जी बाजार निकल गईं. मैं और काजल टीवी देख रहे थे. थोड़ी देर बाद काजल उठी और बाहर से सूखे कपड़े लेकर आई और मेरी तरफ मुस्कुराकर देखते हुए ऊपर चली गई.
मेरी आंख कब लग गई, पता भी नहीं चला. जब नींद खुली तो देखा कि आधे घंटे से ज्यादा हो गया, पर काजल अभी भी नीचे नहीं आई थी.
मैंने ऊपर जाकर देखने का सोचा.
मैं चुपचाप सीढ़ियों से ऊपर जाने लगा. देखा तो रूम का दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था. मैंने सोचा काजल सो गई होगी, पर नजदीक जाकर देखा, तो वो मोबाइल में कुछ देख रही थी. दूसरा हाथ उसकी लैगीज के ऊपर था.
मैंने थोड़ी देर रुक कर देखा, तो उसकी आंखें बंद हो रही थीं, पर अभी भी वो मोबाइल में कुछ देख रही थी. रूम का दरवाज़ा थोड़ा खोल कर मैं सीधा उसके सामने खड़ा हो गया. उसकी आंखें अभी भी बंद थीं. थोड़ी देर रुक कर मैं काजल के नजदीक गया और मोबाइल में देखने लगा, तो कल रात मेरी जानू ने जो फोटो खींची थीं, वो वही देख रही थी.
मेरे मुँह से एक कातिल मुस्कान निकल गई और मैंने मोबाइल उसके हाथ से ले लिया. मोबाइल हाथ में से जाते ही उसका ध्यान भंग हुआ.
काजल एकदम से सकपका गई और वो मोबाइल वापस देने के लिए मुझसे कहने लगी. पर मैं उसको मोबाइल वापस नहीं दे रहा था. वो मुझसे मोबाइल लेने के लिए मुझ पर झपटी, उसी खींचातानी में वो मेरे ऊपर गिर गई और मेरे सामने उसका चेहरा आ गया.
मैं तो मोबाइल में उसके फोटो देखने में ही व्यस्त था. एक बार फिर उसने मोबाइल खींचने की कोशिश की, पर नाकामयाब रही.
मेरे मुँह में से निकल गया- वाह काजल, क्या मस्त फिगर है.
वो शर्मा कर भागने लगी, पर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और वो वापस मेरे ऊपर आ गई. हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था. बस एक दूसरे को देख रहे थे.
थोड़ी देर बाद मैंने अपने होंठ काजल के होंठ के ऊपर लगा दिए और उसके होंठों का रस पीने लगा.
काजल ने कोई ख़ास विरोध नहीं किया.
अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने काजल को मेरी बांहों में भर लिया और उसके नर्म होंठों को चूसने लगा. हमें किस करते हुए दस मिनट से ज्यादा हो गया था, पर काजल अभी भी मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी.
धीरे धीरे काजल का विरोध भी काफी हद तक कम हो गया था पर अब भी वो खुद से कुछ नहीं कर रही थी. मैंने आगे बढ़ने की सोची और फिर एक हाथ उसकी एक चूची पर रख दिया. मैं धीरे धीरे उसकी चूची को उसके कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा.
मुझे काजल की गर्म सांसें महसूस हो रही थीं. वो अब मेरा विरोध भी नहीं कर रही थी. थोड़ी देर बाद मैंने काजल को साइड में लिटा दिया. मैंने उसकी कुर्ती के आगे के दो बटन खोल दिए और काजल के सीने पर मेरा हाथ फिराने लगा.
मैं काजल के गले को चूम रहा था, तो कभी उसके कान को चूम रहा था. वो बार बार मना कर रही थी, पर मैं कहां रुकने वाला था. मैंने धीरे धीरे करके कुर्ती के बाकी बचे बटन भी खोल दिए. मुझे काजल की ब्रा साफ़ दिख रही थी.
काजल ने अभी वही ब्रा और पैन्टी पहनी हुई थी, जो मैंने उसके लिए अपनी जानू से उसको भेजी थी.
यह देख कर मेरा लंड भी फड़फड़ाने लगा और मेरी पैन्ट फाड़कर बाहर आने के लिए मचलने लगा. काजल की दोनों चूचियां अभी भी ब्रा के अन्दर थीं. मैंने उसकी कुर्ती का कॉलर साइड में किया और दोनों चूची को ब्रा समेत बाहर निकाल दिया.
मैं उसकी मस्त चूचियों को देख कर इतना ही बोल पाया- वाओऊऊ क्या मस्त चूचियां हैं … लगता है ऊपर वाले ने बहुत प्यार से इनको बनाया है.
इतना सुनते ही काजल की आंख शर्म से बंद हो गईं और वो फिर से बोली- प्लीज ननदोई जी, छोड़ दो मुझे. कोई देख लेगा तो बहुत बदनामी होगी हमारी.
पर मैं तो बेशर्मों की तरह काजल को देखता ही रहा.
मैंने काजल से पूछा- कैसी लगी मेरी चॉइस?
वो शर्मा कर आंख बंद करके बोली- आप बड़े बेशर्म हो.
मेरे वापस पूछने पर उसने जवाब दिया- आप अपनी मैडम से ही पूछ लेना.
मैं बेशर्म बनते हुए बोला- मेरी लाई हुई ब्रा तेरी ननद ने थोड़ी ही पहनी है कि मैं उससे पूछूँ. जिसने पहनी है, मैं तो उसी से ही पूछूंगा ना!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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इतना बोलकर मैं उसकी दोनों चूचियों के बीच की जगह पर चूमने लगा. वो कसमसाते हुए वापस मुझे मना करने लगी. पर इस बार मैं चूमते हुए एक हाथ से काजल की चूची को भी दबाने लगा. साथ ही मैं अपने दूसरे हाथ से उसकी कमर को भी सहलाए जा रहा था.
काजल अभी भी मन से मेरा साथ नहीं दे रही थी.
मैंने उससे फिर से पूछा- मुझे जब तक जवाब नहीं मिलेगा, मैं ऐसे ही तुमको परेशान करता रहूँगा.
तो फाइनली उसने जवाब दिया- काश मेरा पति भी कभी मेरे लिए ऐसी ब्रा और पैन्टी लाता.
मैं बोला- ऐसे नहीं … तुमको खुलकर बताना पड़ेगा.
फिर उसने जवाब दिया- आपकी चॉइस एकदम परफेक्ट है, आपकी लाई हुई ब्रा पैन्टी, इनको पहनने के बाद मैं कल से न जाने कितनी बार आईने में खुद को देखकर अपने आपको एक मॉडल जैसा महसूस कर रही हूँ.
इतना बोल कर काजल ने अपनी आंखें बंद कर लीं. मेरे लिए उसके मुँह से यही सुनना काफी था. मैं वापस काजल के होंठ चूसने लगा.
इस बार वो मेरा साथ दे रही थी और वो भी मुझे लिप किस करने लगी थी. अब मैंने अपना एक हाथ ले जाकर उसकी एक चूची पर रख दिया और धीरे धीरे दबाने लगा. थोड़ी देर में मुझे काजल की गर्म सांसें महसूस हुईं. इससे मुझे उत्तेजना हुई और मैं नीचे की साइड में बढ़ने लगा.
मैं काजल की गर्दन पर लगातार किस कर रहा था, साथ में मेरा एक हाथ अब उसकी ब्रा के अन्दर घुस चुका था और उसकी चूची की कड़क घुंडी को हाथ में लेकर मसलने लगा था.
जैसे ही मैंने काजल की घुंडी को मसला, तो उसके मुँह से एक मादक सिसकारी निकल गई- अह्ह्ह … शी … अह्ह्ह …
अब मैंने देर न करते हुए उसकी एक चूची ब्रा में से बाहर निकाल ली. काजल की दोनों चूचियां एक छोटे सफ़ेद पर्वत की तरह लग रही थीं. एकदम सुन्दर और भरी हुई चूचियां देख कर मेरा लंड तन्नाने लगा था. मैं उसकी दोनों चूचियों के ऊपर काले रंग की घुंडी को प्यार से देखने लगा. उसकी जवानी से लबरेज चूचियां एकदम क़यामत लग रही थीं.
उधर काजल की सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं, जिसकी वजह से उसकी दोनों चूचियां बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं.
कुछ ही पलों में मेरा मुँह उसकी एक चूची पर लग गया था और दूसरी चूची पर मेरा हाथ घुंडी मसलने में लगा था. इस तरह का दो तरफ़ा हमला वो सह नहीं पा रही थी. मैं अभी भी उसकी चूची पर सिर्फ किस कर रहा था. उसकी घुंडी को अभी तक मेरे होंठ से छुआ भी नहीं था.
मैं काजल को थोड़ा तड़पा कर और गर्म करके उसके मुँह से बुलवाना चाह रहा था कि मुझे चोद दो.
कुछ ही देर में काजल ने अपने पैर पटकना चालू कर दिए और वो कामुकता से भरी मादक सिसकारी भी निकाल रही थी. मैं अभी भी उसकी चूची को एक हाथ से दबा रहा था और मेरा हाथ उसकी दूसरी चूची की घुंडी के इर्द गिर्द चूम रहा था.
मुझे काजल को तड़पाने में मज़ा आ रहा था. मैंने अब आगे बढ़ते हुई काजल की कुर्ती निकाल दी. अब काजल ऊपर से सिर्फ ब्रा में रह गई थी.
धीरे धीरे मैंने उसकी दोनों चूचियों को छोड़कर उसके सपाट पेट पर चूमना चालू कर दिया. मैं उसके चिकने पेट को चूमते हुए आगे को बढ़ गया. फिर मैंने काजल की नाभि के अन्दर मेरी जीभ घुसा कर उसकी नाभि की चुसाई करना चालू कर दी.
वो सिर्फ इतना ही बोल पायी- ओह्ह ननदोई जी प्लीज …
उसके बाद तो उसके मुँह से एक और लम्बी कामुक सी सिसकी निकल गई- अह्ह्ह् शह्ह्ह्ह … ओह्ह … आप तो मुझे मार ही दोगे.
मैं उसकी नाभि के इर्द गिर्द मेरी जीभ घुमा रहा था और काजल अब आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो रही थी. पर मैं आगे को बढ़ा और नीचे जाने लगा.
फिर मैं काजल की लैगीज तक पहुंच गया. मैंने आगे बढ़ कर उसकी लैगीज की इलास्टिक में उंगली फंसाकर लैगीज को धीरे धीरे निकाल दी.
इसके बाद तो मानो काजल की उफनती जवानी का जलवा ही मेरे सामने बिखर रहा था. काजल मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी. उसकी दोनों आंखें अभी भी बंद थीं और वो हांफ रही थी.
मेरे लाए नई ब्रा और पैन्टी सैट पहनकर काजल आज एक अप्सरा से भी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी.
मैं फिर से काजल के ऊपर की तरफ आ कर वापस उसके होंठ चूसने लगा. एक हाथ से मैं काजल की चूची को मसलने लगा और दूसरे हाथ पैन्टी के ऊपर से काजल की चूत को सहलाने लगा.
मेरे तीन तरफ़ा हमले से काजल की हालत ख्रराब हो गई. काजल भी अब पूरे जोश में आ चुकी थी और इतनी तेज़ सीत्कार निकाल रही थी कि मेरी भी हालत ख़राब हो गई.
मैंने आखिरी हमला किया, काजल के होंठ को छोड़ कर मैंने उसकी ब्रा निकाल दी. आह … उसके मचलते कबूतर हवा में फुदकने लगे. काजल ऊपर से बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और उसकी तेज़ धड़कनों की वजह से उसकी दोनों चूचियां बहुत तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं.
आज मेरा ख्वाब पूरा होने जा रहा था, उसकी जिन चूचियों को मैं पिछले कई दिनों से सपनों में देख कर मुठ मारा करता था, आज वो साक्षात मेरे सामने उछल उछल कर अपनी रंगीनी बिखेर रही थीं. ऐसा नहीं है कि मैंने अपनी बीवी की चूचियों का मजा न लिया हो, पर जिसकी मुराद मन में हो उसकी चूचियों को देख कर कौन न पागल हो जाए.
मैंने काजल की एक चूची पर हाथ रखा और दूसरी चूची के निप्पल को मुँह में भर लिया. काजल की चूची इतनी बड़ी थी कि मेरा पूरा मुँह भर गया. जैसे ही मैंने घुंडी को चूसना शुरू किया, काजल के मुँह से एक तेज और मादक सिसकारी निकल पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उसकी ये सीत्कार इतनी तेज़ थी कि अगर कोई नीचे होता, तो पक्के में आवाज़ सुनकर ऊपर आ जाता.
मैं एक चूची को छोड़कर दूसरी चूची पर टूट पड़ा और दूसरे हाथ से काजल की पैन्टी को निकाल कर उसे बेड पर गिरा दिया दी. अब काजल मेरे सामने मादरजात नंगी बेड पर पड़ी थी. मेरा हाथ अब काजल की चूत पर घूम रहा था और वो अब आउट ऑफ़ कण्ट्रोल हो रही थी. मैं धीरे धीरे काजल की चूत की ओर बढ़ रहा था.
तभी मैंने हल्के से काजल की चूत का दाना मसल दिया, उसी के साथ उसके मुँह से और एक तेज़ सिसकारी निकल गई ‘ओह्ह्ह्ह माँआ … शह्ह्ह … अह्ह्ह्ह … ओह्ह्ह्ह … मत तड़फओ.
मेरा ये खेल चालू किए अभी आधे घंटे से ज्यादा हो गया था. मैं देर ना करते हुए काजल की चूत के ऊपर उंगली घुमाने लगा. काजल की चूत बहुत ही पानी छोड़ रही थी. काजल की चूत से पानी इतना ज्यादा निकल रहा था कि उस पानी ने उसकी जांघों से बह कर चादर को भी भिगो दिया था.
काजल से अब रहा नहीं जा रहा था. वो कभी अपने हाथ पैर पटक रही थी, तो कभी चादर को अपनी मुट्ठी में लेकर खींच रही थी. काजल की मादक सिसकारियां तो बढ़ती ही जा रही थीं.
थोड़ी देर बाद मैंने एक उंगली उसकी चूत की फांकों में डाल दी और धीरे धीरे उंगली को अन्दर बाहर करने लगा. काजल कुछ बोल नहीं रही थी, पर मुझे लग रहा था कि अब लंड पेलने का टाइम आ गया है. पर मैं अभी भी वेट कर रहा था और मुझे काजल के मुँह से सुनना था.
मैंने काजल के पैर फैलाए और उसकी टांगों के बीच में आ गया. मैंने उसकी चूत पर मेरी जीभ रख दी और काजल की चूत का अमृतरस पीने लगा. मेरी जीभ काजल के चूत के दाने को हल्की सी मसाज करने लगी. वो बुरी तरह से मचल रही थी. उसने अपनी टांगें खुद ब खुद पूरी तरह से फैला दी थीं.
थोड़ी देर बाद मैंने दाने को मेरे मुँह में लिया और खींचते हुए चूसने लगा. मेरी जीभ काजल की चूत की चुदाई करने में लग गई थी. जैसे ही मेरी जीभ चूत के अन्दर गई, उसकी सिस्कारियां तेज़ हो गईं और उसके मुँह से ‘अह्ह्ह्ह … मर गई … ओह्ह’ जैसी आवाजें निकल रही थीं.
कुछ ही पलों में वो एकदम मदहोश हो गई और उसके दोनों हाथ मेरे सर के ऊपर आ गए थे. वो अपने दोनों हाथों से मेरा सर अपनी चूत पर दबाए जा रही थी.
मैं भी मेरी जीभ की नोक काजल की चूत में और गहराई तक डालने लगा और दोनों हाथों से काजल की चूचियों को बेदर्दी से दबाने लगा. मेरे ऐसा करने से काजल ने दोनों पैर मेरे सर पर दबा दिए और एक तेज़ सिसकारी निकाली ‘अह्ह्ह्ह … शह्ह्ह्ह … ओह्ह … हीईईई … मैं मर गई … ओह्ह्ह्ह.
वो अकड़कर सीत्कारते हुए झड़ गई. उसने मुझे तब तक नहीं छोड़ा, जब तक चूत का पूरा रस निकल ना गया.
उसकी चूत का रस निकल जाने के बाद भी मैं उसकी चूत को चाटता रहा, जिसका नतीजा ये निकला कि वो फिर से गर्म हो गई,
काजल आंखें बंद करके अभी भी हांफ रही थी. तभी मैंने अपने कपड़े निकाले और काजल के ऊपर छा गया. मेरा लंड काजल की चूत को छू रहा था. मैं तो चूत में लंड डालने के लिए मानो तड़प रहा था. पर अब भी मैं काजल के मुँह से सुनना चाहता था.
थोड़ी देर मैंने लंड से चूत के ऊपर घिसाई की, पर लंड पर चूत में नहीं डाला. काजल से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, पर फिर भी वो अपने दोनों होंठ भींच कर अपने आपको कण्ट्रोल कर रही थी. इधर मैं सुकून से उसकी तड़फ का मज़ा ले रहा था.
मैंने लंड काजल की चूत पर से हटा दिया और जैसे कि किसी ने उसका प्यारा खिलौना ले लिया हो.
वो चीखते हुए बोली- हटा क्यों लिया … डाल भी दो ना अब!
मैं अब भी कुछ नहीं कर रहा था. मैंने काजल से पूछा- क्या डाल दूँ?
वो मुझसे कुछ गुस्से में और कुछ घिघियाते हुए सी बोली- जीजू प्लीज डाल दो ना … मज़ाक मत करो.
मैंने फिर से पूछा- क्या डाल दूँ.
उसने गुस्से में आकर कहा- क्या मतलब क्या डाल दूँ … तुम अपना लंड मेरी चूत में डाल दो न!
काजल इतना ही बोल पाई, तभी मैंने उसकी चूत की फांकों पर लंड सैट करके एक तेज़ शॉट दे मारा. मेरा छह इंच का लंड सीधा काजल की चूत में अन्दर तक सरक कर सीधा बच्चेदानी पर जाकर टकराया.
काजल के मुँह से और एक तेज़ आह निकली- अह्ह्ह् ओह्ह्ह शह्ह्ह्ह. …
अब काजल मुझे मेरे नाम से बुला रही थी और बोल रही- ओह्ह् जिग्गू … माँआअ … मार डाला … ओह्ह मेरे राजा अब चोद दो अपनी रानी को … आह और तेज़ पेलो … और तेज़ … अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह …
काजल की चूत में मैंने तेज़ तेज़ धक्के मारना चालू किए और उसी के साथ काजल की कामुक चुदास से भरी सिस्कारियां पूरे रूम में गूंजने लगीं. मैं काजल को बहुत बेदर्दी से चोद रहा था और उसकी दोनों चूचियों को अपनी मुट्ठियों में भर कर मसल रहा था.
काजल कुछ ही देर में पसीने से पूरी भीग चुकी थी. उसकी गर्म सांसें धौंकनी की तरह चल रही थीं.
उसकी चूत को चोदते हुए मेरे दिमाग में एक खुराफाती आईडिया आया. अचानक मैंने धक्के मारना बंद कर दिए. काजल की आंखें अभी भी बंद थीं और वो बोल रही थी- रुक क्यों गए … प्लीज चोदो ना मुझे!
मैं- तुम मेरी आंखों में आंखें डाल कर मेरा साथ दोगी, तो ही मैं चोदूँगा.
मेरी बात सुन कर काजल ने ना में सर हिला दिया.
मैं भी अपना मोटा लंड ऐसे ही उसकी चूत में डाल कर पड़ा था, मैं कुछ नहीं कर रहा था.
थोड़ी देर बाद काजल ने आंख खोल कर मुझे बोला- जानू प्लीज चोदो ना अब नहीं सहा जाता!
अब वो मेरी आंखों में देख रही थी. मैंने वापस तेज़ी से काजल की चूत में धक्के मारना चालू कर दिए.
काजल अपनी नशीली आंखों से खुद की चुदाई होते देख रही थी और वो अपने मुँह से तेज़ तेज़ सिसकारी निकाल रही थी- अह्ह्ह … ओह्ह्ह मेरे राजा … चोद दे अपनी रानी को … अह्ह्ह्ह ओह्ह शह्ह्ह … और तेज़ धक्के मारो न … तेरी रानी की चूत में बड़ी खुजली है … अह्ह्ह … निकाल दे अपनी रानी की चूत का पूरा पानी … आह मजा आ गया … आह.
काजल की चूत मारते हुए मुझे करीबन पन्द्रह मिनट से ज्यादा टाइम हो चुका था. काजल के चेहरे से अब फिर से पहले जैसे भाव बदल रहे थे. दस पन्द्र धक्कों के बाद काजल फिर से चिल्लाई और उसने अकड़कर मुझे कस कर अपनी बांहों में भर लिया- आह राजा … मैं गई!
उसकी आवाज सुनकर मैं भी तेज़ तेज़ धक्के मारने लगा था और काजल भी मेरे साथ चीख रही थी. कुछ बीसेक तेज़ धक्कों से काजल की हालत पतली हो गई. मेरा भी रस निकलने वाला था.
मैंने काजल से पूछा- जल्दी बताओ … कहां निकालूँ?
वो मचलते और गांड उठाते हुए बोली- आह … मेरी चूत में ही निकाल दो … मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ.
काजल के इतना बोलते ही मैंने एक ज़ोरदार शॉट मारा और उसकी चूत में मेरा वीर्य निकलने लगा. काजल की चूत मेरे वीर्य से भर गई … और उसके साथ ही काजल भी और एक बार मेरे साथ ही झड़ गई.
चुदाई की मस्ती के हम दोनों एक दूसरे आंख नहीं मिला पा रहे थे. मैंने काजल की आंखों में देखा, तो वो रो रही थी.
मेरे पूछने पर बोली- कुछ नहीं आज पता चला मेरी ननद कितनी नसीब वाली है कि उसे आपके जैसा पति मिला है. आपके साथ बिताया ये एक एक पल में जिंदगी भर याद रखूँगी.
मैं काजल से चिपक गया और वापस उसकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा. काजल मुझे मना कर रही थी, पर मैं कहां मानने वाला था.
काजल बोली- अब छोड़ो मुझे … कोई आ जाएगा.
पर जैसे कि मुझे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था.
अचानक काजल ने मुझे धक्का मारा और मैं उसकी साइड में बेड पर गिर गया. अब वो मेरे ऊपर आ गयी और मेरे ऊपर चढ़ गई. मुझे कुछ समझ में ही नहीं आया कि अचानक काजल को क्या हो गया.
वो मुझे घूर रही थी. काजल मेरी छाती पर चूम रही थी और फिर अचानक एक भूखी शेरनी की तरह वो सीधे मेरे लंड पर टूट पड़ी. उसने मेरे लंड को हाथ में लेकर ज़ोर से दबा दिया और फिर लंड के ऊपर एक के बाद एक कई किस कर दिए. उसके उतना करते ही मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई.
तभी काजल ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी. मेरी तो मानो बोलती ही बंद हो गई थी. मैं न तो कुछ बोल पा रहा था और न ही कुछ कर पा रहा था. बस मैं काजल की लंड चुसाई का मज़ा ले रहा था.
करीब पांच मिनट की चुसाई के बाद मैंने काजल का सर पकड़ा और मेरे लंड को उसके गले की गहराई तक पहुंचाने लगा. मैंने एक जोरदार सिसकारी लेकर एक बार काजल के मुँह में ही झड़ने लगा. जब तक मेरा पूरा वीर्य काजल के गले के नीचे नहीं उतर गया, तब तक मैंने अपना बेकाबू लंड काजल के मुँह से बाहर नहीं निकाला.
काजल मेरा पूरा वीर्य पी गई और गीली जीभ से लंड को चाट चाट के पूरा साफ़ कर दिया. फिर वो बिना कुछ बाथरूम में चली गई और अपने कपड़े पहन कर नीचे चली गई.
करीब आधे घंटे बाद मेरी वाइफ और सासू जी भी मार्किट से वापस लौट आए.
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(14-05-2024, 09:50 AM)sri7869 Wrote: Good story
THANKS
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(12-11-2024, 09:42 AM)neerathemall Wrote: गर्म सलहज
.
30 साल की एक शादीशुदा औरत हूँ। मेरी शादी को दस साल हो चुके हैं और मेरे पति की गाजियाबाद में किराने की दुकान है। घर में मैं, मेरे पति, मेरे दो बच्चे और मेरे सास ससुर रहते हैं। देखने में मैं शक्ल से और शरीर से ठीक ठाक हूँ जैसेके एक साधारण निम्न माध्यम वर्गीय घर की औरत होती है। मोटी नहीं हूँ, पर भरी भरी सी हूँ, रंग गंदमी है, पति का तो सांवला है। हमरे घर में 3 कमरे नीचे हैं और दो ऊपर हैं। सारा घर हमारे पास ही है।
अब ये सब तो थी रोज़मर्रा की बातें। मगर जो खास बात मैं आपको बताने जा रही हूँ, वो इस सब से अलग है।
बात दरअसल यह है कि मेरे ननदोई के साथ मेरे नाजायज ताल्लुकात हैं. और ये आज से नहीं हैं, तब से हैं जब से मैं शादी करके इस घर में आई थी। मेरी छोटी बेटी के असली पिता मेरे ननदोई जी हैं।
मेरी ननद मेरे पति से 6 साल बड़ी है और ननदोई मेरे पति से 10 बड़े हैं. मुझमें और ननदोई जी का 14 साल का उम्र का फर्क है, मगर मैं फिर भी अपने ननदोई जी से पट गई, और उनको अपना सब कुछ दे बैठी।
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पिछले दिनों मेरी ननद की अकाल मृत्यु हो गई। हमें शाम के 6 बजे ननदोई जी का फोन आया तो हम दोनों मियां बीवी अपने दोनों बच्चों को स्कूटर पे लादकर उनके गाँव के लिए चल दिये।
सर्दी का मौसम था तो मैंने साड़ी के ऊपर से स्वेटर और शाल ले रखी थी।
जीजी और ननदोई जी से हमारा बहुत प्यार था। हम दोनों तो घर से बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हुये गाँव पहुंचे। शाम के करीब साढ़े सात बज गए थे।
ननदोई जी के घर पहुंचे तो वहाँ अंदर कमरे में मेरी ननद की लाश पड़ी थी, पास ही नीचे फर्श पर दरी गद्दा बिछा था, जिस पर ननदोई जी बैठे थे. और भी एक दो लोग आस पास बैठे थे।
पहले तो मेरे पतिदेव ने जाकर मृत जीजी के पाँव छुए और फिर अपने जीजा से गले मिल कर रोये।
मैं भी रो रही थी.
जब पति देव ननदोई जी से अलग हुये तो मैं भी अपने ननदोई को ढांडस बंधाने के लिए और उनका दुख सांझा करने के लिए आगे हुयी। वो एक शाल से ओढ़े बैठे थे. जैसे ही मैं उनसे गले मिली, तो उन्होंने मुझे अपनी शाल में ढक लिया और एक हाथ मेरे कंधे पर रखा और दूसरे हाथ से सीधा मेरा मम्मा पकड़ लिया।
मैं तो एकदम से हैरान हो गई कि ये ननदोई जी क्या कर रहे हैं। सामने उनकी बीवी की लाश पड़ी है और यह आदमी मेरे मम्मे को दबा रहा है।
अब मेरे और मेरे ननदोई के बीच पिछले शुरू से ही सेटिंग थी, मैंने अपने पति से ज़्यादा अपने ननदोई से चुदवाया है मगर मैं समझती थी कि यह कोई मौका नहीं था.
मगर ननदोई जी ने शाल की आड़ में मेरे मम्मों को खूब मसला. मेरा तो जो रोना आ रहा था, वो भी गायब हो गया। मैं तो सिर्फ रोने का नाटक कर रही थी.
पर कम तो मैं भी नहीं थी, मैंने भी उसी शाल की आड़ में उनका लंड पकड़ कर दबा दिया। कहने को दोनों एक दूसरे को सांत्वना दे रहे थे, मगर असल दोनों एक दूसरे के साथ अपने नाजायज रिश्ते को पक्का कर रहे थे।
और ननदोई जी तो मेरे ब्लाउज़ को नीचे ऊपर उठाने की कोशिश करने लगे ताकि मेरा मम्मा बाहर निकल आए और वो मेरी घुंडियाँ मसल सकें।
खैर इतनी सफलता तो उन्हें नहीं मिली, मगर मेरे ब्लाउज़ ब्रा को उन्होंने अस्त व्यस्त कर दिया।
उनसे छूट कर मैं सीधा गुसलखाने गई, और अंदर जा कर मैंने दुबारा से अपने ब्रा और ब्लाउज़ को सेट किया। और फिर बाहर आकर घर की और औरतों के साथ बैठ गई।
अगले दिन संस्कार हुआ।
संस्कार के बाद बाकी सब तो चले गए मगर हम रुक गए.
अभी भी कोई न कोई आ रहा था तो सबके लिए चाय पानी खाने का इंतजाम मेरे और मेरे पति के सर पर ही था।
हम कुछ दिन वहाँ रहे। और इन दिनों में भी जब भी मौका मिला ननदोई जी ने मुझे बख्शा नहीं, हाँ चोद तो नहीं सके पर मेरे मम्मे और गांड को कई बार सहला दिया।
बल्कि एक बार जब अकेले में मैं उन्हें खाना देने गई और मैंने पूछा- और कुछ मेहमान जी?
तो वो बोले- चूत चाहिए तेरी, देगी क्या?
मैंने कहा- कितनी बार तो ले ली … अब और कितनी लोगे?
वो बोले- देख, अब मेरी बीवी तो रही नहीं, तो अब तो मुझे तेरा ही सहारा है, अब मना मत कर दियो ससुरी।
मैं हंस कर बाहर आ गयी।
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बचपन से सुरेखा मिश्रा यानि मैं बहुत ही तेज़ मिजाज की रही हूँ। खून में गर्मी कुछ ज़्यादा ही है. हालांकि घर से मैं ठीक ठाक सी ही हूँ, पिताजी की थोड़ी बहुत ज़मीन है गाँव में! वो खेती करके घर का गुजारा चलाते थे इसलिए हालत तो फटीचर थी.
मगर मैं बहुत ही बिंदास रही हूँ, जो चीज़ मुझे चाहिए, मैंने किसी भी कीमत पर वो हासिल की है। मगर जैसे जैसे मैं बड़ी होती गई, मुझे ये समझ आ गया कि गरीबों के सिर्फ अरमान होते हैं, उनके पूरे होने की कोई गारंटी नहीं होती।
बेशक 10 क्लास तक आते आते मेरे व्यवहार में बहुत फर्क आ गया था, मगर फिर मुझे ये था कि मुझे अपनी पसंद की हर चीज़ पाने की कामना ज़रूर होती थी और मैं कोशिश भी यही करती कि मुझे साम, दाम दंड, भेद किसी भी तरीके से वो चीज़ मिल जानी चाहिए।
इसका एक उदहारण मैं ऐसे दे सकती हूँ कि मेरी ही क्लास की एक लड़की की एक लड़के से सेटिंग हो गई, वो हमसे अच्छे घर की थी. और मैं भी उस लड़के को पसंद करती थी।
जब मुझे पता चला कि सरिता के साथ उसका चक्कर चल रहा है, तो मुझे ऐसे लगा कि अगर मेरे पास बॉय फ्रेंड नहीं है, तो मेरी ज़िंदगी का कोई फायदा नहीं.
और मुझे चाहिए भी वही लड़का।
तो मैंने जैसे तैसे करके उस लड़के से सेटिंग कर ली और सरिता से पहले मैंने उससे सेक्स करके सरिता को बता भी दिया कि तेरा यार मैंने छीन लिया है।
उसके बाद सरिता उस लड़के से कभी नहीं मिली.
और बाद में मुझे भी इस रिश्ते में कोई मज़ा नहीं आया और मैंने भी उसे छोड़ दिया।
मगर इस अल्हड़ उम्र में सेक्स करके मैंने अपने पैरों पर आप कुल्हाड़ी मार ली। दिक्कत ये हो गई कि मुझे अब अक्सर मर्द की कमी महसूस होती। मेरा बड़ा दिल करता के कोई मेरा बॉयफ्रेंड हो, और वो मुझे खूब पेले।
इसी चक्कर में मैंने अपने ही गाँव के एक दो लड़को से दोस्ती करी, और खेतों में जाकर उनसे खूब चूत मरवाई। अब हमारे गाँव में खड़ी भाषा बोली जाती है, और औरतें भी अक्सर गाली निकाल देती हैं। मुझे भी देख सुन कर आदत पड़ने लगी। मेरे तेज़ स्वभाव की वजह से मेरी भाषा काफी गंदी हो गई, थी, मगर माँ के बार बार टोकते रहने के कारण मैं काफी सोच कर बोलती और कोशिश करती के मेरे मुँह से कोई गाली या गंदा शब्द न निकले।
एक दिन मुझे अपने ही गाँव के एक लड़के से खेत में चुदवाते मेरे चाचा ने देख लिया और उसने घर में बता दिया।
घर में जब बात पता चली तो सबसे बढ़िया तारीका जो कोई भी माँ बाप सोच सकते हैं, वो है लड़की की शादी।
मैं सिर्फ 19 साल की ही थी, जब मेरी शादी हो गई। शादी के बाद सुहागरात को ही पतिदेव फेल हो गए। या यूं कहूँ कि उन्होंने तो पूरी कोशिश करी, मगर मुझे ही देर तक और बार चुदने की आदत थी, तो पतिदेव के सुहाग रात को मारे गए 5-7 मिनट के शॉट मुझे बिल्कुल फीके लगे।
मैं तो सोच रही थी कि सारी रात ठुकाई होगी, मगर ये तो दारू के नशे में धुत्त कि शॉट आते ही मारा और एक सुबह सुबह 4 बजे। दोनों बार मेरे अंदर ही पिचकारी मारी और सो गए।
मैं सोचूँ ये किस चूतिये से शादी हो गई, ये तो कुछ भी न है। अरे इत्ते से दाढ़ भी गीली न हो … और ये भोंसड़ी का इसे ही चुदाई समझ रहा है।
उसके बाद भी मुझे अपने पति से कभी कोई मज़ा नहीं आया।
सारा दिन वो अपनी किराने की दुकान पर बैठता, रात को घर आता, दो पेग लगाता, खाना खाता और 5 मिनट की मेरी चुदाई करता और सो जाता।
शादी के तीन दिन बाद हम लोग हनीमून के लिए शिमला गए। एक दिन जाने का, एक दिन रहने का और तीसरा दिन वापिस का।
ये भी साला कोई हनीमून होता है। मैं सोच रही थी कि हफ्ता दस दिन रह कर आएंगे, मगर इन्हें तो अपनी दुकान की चिंता थी और हर चीज़ को महंगा महंगा बोल के न कुछ देखा न कुछ खाया, बस दो रात और एक दिन वहाँ रह कर मेरी चार बार चूत मार कर ये चूतिया नन्दन अपना हनीमून मना आया।
जब हम घर वापिस आए तो देखा कि मेरी बड़ी ननद और ननदोई जी आए हुये हैं। मैंने दोनों के पाँव छूए, तो ननदोई ने जब मुझे आशीर्वाद दिया तो उन्होंने मेरी पीठ को ऊपर से नीचे तक सहलाया, लगा जैसे नई बहू के जिस्म को छू कर
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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शादी के बाद सुहागरात पर मेरे पति मेरी चूत का कुछ ना कर सके. मैं हनीमून से भी प्यासी चूत लिए आ गयी. घर पर मेरे ननद ननदोई आये हुए थे. तो क्या हुआ?
जब हम शिमला से हनीमून मना कर घर वापिस आए तो देखा कि मेरी बड़ी ननद और ननदोई जी आए हुये हैं। मैंने दोनों के पाँव छूए, तो ननदोई ने जब मुझे आशीर्वाद दिया तो उन्होंने मेरी पीठ को ऊपर से नीचे तक सहलाया, लगा जैसे नई बहू के जिस्म को छू कर ठर्की अपनी ठर्क मिटा रहा हो।
देखने में भी वो अच्छे खासे थे, लंबे तगड़े।
और इधर मुझे भी बचपन से बुरी आदतें!
मैं भी सोचने लगी, इस लंबे चौड़े लम्पट ननदोई का लंड भी तगड़ा होगा। अगर ये मुझे पेले तो हो सकता है कि मेरे पति से ज़्यादा मज़ा मुझे दे।
खैर यह तो मेरे दिल का विचार था. मगर मैंने फिर भी अपनी ननदोई जी से एक बार नज़रें मिलाई; लगा कि जैसे जो मेरे मन में सीन चल रहा है, वो ननदोई जी ने पढ़ लिया है।
शाम को दोनों जीजा साला ने पेग भी लगाए और खाना खाने के बाद जीजी और ननदोई जी का बिस्तर ऊपर छत पर लगा दिया गया, हमारा कमरा भी छत पर ही था।
साथ वाला कमरा भी खाली था, उसमें भी बिस्तर लगा दिया गया था ताकि अगर रात को कहीं जीजी और ननदोई जी को ठंड लगे तो वो अंदर कमरे में जाकर सो सकें।
रात को हम लोग देर से सोये। पतिदेव को काफी चढ़ी हुई थी, अंदर कमरे में आते ही वो मुझ पर टूट पड़े। साड़ी साया दोनों ऊपर उठाए और बस घच्च से अपना लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया।
मैंने कहा- अरे शर्म करो, बाहर जीजी और ननदोई जी सोये हैं।
मगर पतिदेव को आग लगी पड़ी थी। सिर्फ तीन मिनट की चुदाई और फिर मेरी साड़ी में ही पिचकारी मार दी। मेरी साड़ी से ही अपना लंड साफ किया और सो गए।
मैं सोचने लगी, यार कभी तो देर तक पेले मुझे! साले मेरे गाँव के लड़के कितने दमदार थे, क्या पेलते थे मुझे, साले माँ चोद कर रख देते थे मेरी। मगर ये तो जैसे हाथ लगाने ही आता है। मैं बिस्तर पर लेटी करवटें बदलती रही मगर नींद नहीं आई।
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काफी देर बाद मुझे पेशाब लगी, सोचा जाकर मूत आऊँ। मैं अपने कमरे से निकली, देखा बाहर छत पर बिछे बिस्तर पर ननदोई जी सो रहे हैं, पर साथ में जीजी नहीं हैं।
मैंने साथ वाले कमरे में झाँका, अंदर से जीजी के खर्राटों की आवाज़ आ रही थी, मतलब जीजी गहरी नींद में थी।
फिर मैं गुसलखाने की तरफ बढ़ी, मगर मैं खुद को बहुत संभाल कर धीरे धीरे चल रही थी, क्योंकि मेरे पहने हुये गहने काफी आवाज़ करते थे। जब मैं ननदोई जी के पास से गुज़री तो मैंने उनकी तरफ देखा।
वो सो रहे थे, और उनकी लुंगी पूरी ऊपर उठी थी और मोटा काला लंड पूरा तना हुआ था। चाँदनी की रोशनी में उनका चमकता हुआ टोपा मैंने साफ देखा।
बस देखते ही तबीयत मचल गई, अरे यार, इनका लौड़ा तो मेरे पति से हर हिसाब से बेहतर है। बस चुदाई में मास्टर हों तो क्या बात है।
चलते चलते मेरे पाँव रुक गए, मैंने बड़े ध्यान से उनके लंड को देखा। मुझे अपने गाँव वाले लड़कों की याद आई, ऐसे ही मस्त लंड थे, उनके। मेरा दिल किया कि मैं ननदोई जी के लंड को पकड़ कर देखूँ, चूस कर देखूँ।
और अगर ये ऐसी ही गहरी नींद में सोये रहें तो मैं तो इसके ऊपर बैठ कर इनका लंड अपनी चूत में ले लूँ।
मैं कुछ पल सोचती रही, क्या करूँ, क्या न करूँ!
एक तरफ चूत में लगी आग … और दूसरी तरफ जमाने भर का डर। अगर किसी को पता चल गया, तो बहुत फजीहत होगी। अभी एक हफ्ता ही तो हुआ है, शादी को!
फिर सोचा, क्या होगा, अगर कुछ हुआ तो कह दूँगी, मैं तो मूतने जा रही थी, ननदोई जी ने पकड़ लिया। भैंणचोद, सारा इल्ज़ाम इसके ही सर डाल दूँगी।
बस यही सोच कर मैं तो ननदोई जी के पास जाकर बैठ गई और फिर मैंने बिना किसी भी बात की परवाह किए उनका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया।
मोटा गर्म लंड … साला हाथ में पकड़ कर ही मज़ा आ गया।
पकड़ तो लिया … पर अब क्या करूँ, चूत में लूँ या नहीं। फिर बिना कुछ सोचे, मैंने तो ननदोई जी का लंड मुँह में ले लिया।
अरे यार … क्या मज़ा आया।
पतिदेव ने तो आज तक कभी चूसने को नहीं दिया.
हालांकि मुझे तो बचपन से ही लंड चूसना अच्छा लगता था। थोड़ा सा चूसा, मज़ा आया।
मगर मुझे पेशाब भी ज़ोर की लगी थी तो सोचा कि पहले मूत कर आती हूँ. अपनी चड्डी भी अंदर ही उतार आऊँगी और वापिस आ कर इस मस्त लौड़े के ऊपर बैठ जाना है, ननदोई जी जागें या सोये रहें … उन्हें अच्छा लगे ये बुरा … मुझे जो करना है, वो करना है।
मैं गुसलखाने में गई। गुसलखाने में कोई दरवाजा नहीं था, बस एक पर्दा लगा था, जो भी अंदर जाता, पर्दा हटा कर जाता। अगर पर्दा लगा है तो मतलब कोई अंदर है, पर्दा नहीं लगा तो मतलब गुसलखाना खाली है।
मगर मैंने परदा नहीं लगाया, खुल्लमखुल्ला गुसलखाने में जाकर अपनी साड़ी और साया, दोनों ऊपर उठाए और अपनी कच्छी उतार कर मूतने बैठ गई।
शर्र … की आवाज़ चूत में से मूत निकला।
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मूत कर उठी ही थी कि अचानक किसी ने पीछे से आकर पकड़ लिया और मेरा मुँह दबा दिया. एक मोटा गर्म लंड मेरी गांड से भिड़ गया। लंड के आकार से ही मैं समझ गई कि ये तो ननदोई जी हैं।
ननदोई जी ने मेरे कान के पास अपना मुँह किया और बोले- देखो दुल्हनिया … हम अभी नहीं सोये नहीं थे. और बाहर जो तुम करके आई हो न, हमें सब पता है। अब अगर तुम चाहती हो कि बाहर जो काम अधूरा रह गया है, उसे मैं पूरा कर दूँ तो कोई शोर मत मचाना। बस चुपचाप ऐसे ही खड़ी रहना! हम दोनों मिल कर अपनी अपनी मन की मुराद पूरी कर लेंगे, ठीक है। हटाऊँ हाथ अपना, शोर तो नहीं करोगी?
मैंने सर हिला कर उनकी बात मानने का इशारा किया तो उन्होंने मेरे मुँह से अपना हाथ हटा लिया।
ननदोई जी मेरी टांग उठा कर बगल में एक दीवार पर टिकाई और अपना लंड का टोपा मेरी चूत पर रखा और जैसे ही ज़ोर लगाया, उनका चिकना टोपा मेरी गीली चूत में घुसता ही चला गया और मेरी प्यासी चूत को अंदर तक भर दिया।
उसके बाद तो वो पीछे से दे धक्का … दे धक्का।
मैं अपनी साड़ी और साया पकड़े खड़ी रही और ननदोई जी पीछे से मुझे चोदते रहे। कितनी देर वो लगे रहे। मेरी चूत से बहने वाला पानी मेरी जांघों को भिगोकर मेरे घुटनों तक पहुँच गया था।
मैं तो धन्य हो रही थी कि कैसे आराम से ननदोई जी ने मेरी खूब तसल्ली करवाई।
मैंने अपने ब्लाउज़ और ब्रा दोनों खोल दिये, उनका एक हाथ पकड़ा और अपने मम्मों पर रखा। ननदोई ने खूब मसला मेरे मम्मों को नोचा, मेरे मम्मों की घुंडियों को मसला। मम्मों को मसला तो चूत ने और भी पानी छोड़ा।
मेरी चिकनी चूत को उन्होंने खूब रगड़ा।
फिर बोले- इधर मेरी तरफ मुँह घुमा … सामने से चोदूँगा।
मैं उनकी तरफ घूमी तो उन्होंने फिर से मेरी दूसरी टांग उठा कर वहीं दीवार पर रखी और बोले- चल रख।
मैंने उनका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर रखा और उन्होंने अंदर धकेला। और फिर से पच्च पिच्च की आवाज़ से गुसलखाना भर गया।
करीब 2-3 मिनट और चुदने के बाद मैं ननदोई जी से लिपट गई- ओह मेहमान जी, मैं तो गई।
हमारे में ननदोई को मेहमान जी भी कहते हैं।
तभी ननदोई जी ने मेरा मुँह अपने हाथ में पकड़ा और अपने मुँह से लगा लिया। दारू की गंदी बदबू से भरा, मगर फिर भी मैं अपने होंठ उनसे चुसवा रही थी, और वो अपनी जीभ मेरे मुँह के अंदर घुमा रहे थे, मेरे मम्मों को नोच रहे थे।
बड़ी मुश्किल से मैं खड़ी रह पाई. जबकि हालत तो मेरी ये थी कि पानी छूटने के साथ मैं भी नीचे फर्श पर ही गिर जाऊँ. मगर ननदोई जी ने मुझे पकड़ कर रखा और गिरने नहीं दिया।
जब मेरा पानी निकल गया तो ननदोई जी बोले- दुलहनिया, अब ऐसा कर तू मेरा भी पानी गिरवा दे, चूस इसे और खाली कर दे मुझे।
मैं नीचे फर्श पर बैठ गई और ननदोई जी का मस्त लंड चूसने लगी. थोड़ी ही देर में ननदोई जी ने मेरा सर कस के पकड़ लिया और मेरे मुँह को ही चोदने लगे।
मैं तो शादी से पहले भी ये सब करवा लेती थी।
बस फिर ननदोई जी ने अपने गाढ़े गर्म वीर्य से मेरा मुँह भर दिया। जब वो पूरी तरह झड़ चुके तो मैंने उनका लंड अपने मुँह से निकाला और उनका सारा वीर्य थूक दिया।
वो बोले- पी जाती मादरचोद, थूक क्यों दिया?
मैंने कहा- अगली बार पी जाऊँगी।
मैं उठ कर खड़ी हुई तो ननदोई जी, मुझसे लिपट गए और बोले- जल्दी मिलना मेरी जान, अब तुम बिन न रहा जाएगा।
मैंने कहा- बस आप आते जाते रहिएगा तो हम मिलते भी रहेंगे।
कह कर मैं गुसलखाने से बाहर निकल आई।
उसके बाद हर महीने बीस दिन में जीजी और ननदोई जी कभी हमारे तो कभी हम उनके घर आते जाते रहते और ऐसे ही हम मिलते भी रहते।
और आज तक मिल रहे हैं।
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