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Adultery रंगीली बीबी
Heart 
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चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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तभी वो लोग सलोनी पर भी शर्त लगाने लगे- “चल हो जाए 5000 की, इसने कितनी लम्बी निकर पहनी होगी?”

राम अंकल- “मेरे अनुसार तो एक छोटी पजामी होगी। जो एक-सवा फ़ीट की होती है”

जोजफ अंकल- “हम्म्म्म शायद निकर ही होगी। जो लड़कियों की छोटी-छोटी स्किन टाइट रंग बिरंगे जो आते हैं”

अनवर अंकल- “यार मुझे तो लगता है इसने एक छोटी सी कच्छी ही पहनी होगी। हा हा…”

मैंने तुरंत सोचा कि मैं भी इनसे फ़ायदा उठा ही लेता हूँ।

मैं- “क्यों अंकल? क्या मैं इस शर्त में भाग नहीं ले सकता?”

राम अंकल- “अरे क्यों नहीं बेटा, हम भी तो देखें तुम्हारा अनुमान, बताओ तुमने क्या सोचा?”

मैं- “हा हा… अब सब कुछ तो अपने बता ही दिया। चलिए अगर इसने कुछ नहीं पहना होगा तो मैं जीत गया”

सभी जोर से हंसने लगे।

अनवर अंकल- “अरे यार अगर कुछ नहीं पहना होगा तो वैसे ही पैसे वसूल हो जायेंगे। हा हा…”

वो सभी सलोनी के बारे में सोचकर पागलों की तरह ही हंस रहे थे, मैंने सोचा कि यार कुछ देर उठकर जाता हूँ।

तभी मेहता अंकल भी आएँगे और हो सकता है ये सलोनी से कुछ मजा करें तो मैं उनसे ‘एक्सक्यूज़ मी’ कहके बाहर आ गया। और मेरा सोचना बिल्कुल सही था, बाहर एक तरफ मेहता अंकल खड़े हुए सिगरेट पी रहे थे।

मुझे देखते ही वो कुछ सकपका से गए।

मैं- “अंकल आपके दोस्त, आपको याद कर रहे हैं, मैं जरा कुछ काम निबटाकर आता हूँ”

मेहता अंकल- “ओह अरे! बैठो ना बेटा, वो सॉरी, ये सारे मेरे दोस्त ऐसे ही हैं”

पता नहीं वो क्यों झेंप सा रहे थे, शायद अंदर हुई बात के कारण?

मैंने उनका डर दूर करने के लिए ही बोला- "अरे क्या अंकल आप भी, ये सब तो चलता ही है और मुझे बहुत मजा आया। यकीन मानिए, हम लोग तो इससे भी ज्यादा मजाक करते हैं। बस प्लीज अपने दोस्तों को यह मत बताना कि मैं सलोनी का हस्बैंड हूँ, बाकी सब मजाक तो चलता है। हा हा…”

मैंने माहौल को बहुत ही हल्का कर दिया। अंकल का चेहरा एकदम से चमक गया, वो बहुत ही खुश हो गए।

और मैं उनको दिखाने के लिए बाहर को चला गया, अंकल भी तुरंत सिगरेट फेंककर अंदर चले गए।

मैंने बस एक मिनट ही इंतजार किया और फिर से अंदर आ गया।

दरवाजे की तरफ़ उनकी पीठ थी तो उनको पता ही नहीं चला, मैं चुपचाप अंदर जाकर एक परदे के पीछे छिप गया, मैंने पहले ही यहाँ छुपने का सोच लिया था।
अब वो लोग आपस में बात कर रहे थे।

अनवर अंकल- "अरे यार कहाँ चला गया था तू? सबके सेक्सी डांस मिस कर दिए तूने…"

मेहता अंकल- "अरे तुम सब पागल हो क्या? अरे वो अंकुर बैठा था, उसके सामने ही शुरू हो गए, वो यहीं रहता है यार और क्या सोचेगा मेरे बारे में और यहाँ सभी को जानता है वो अगर उसको बुरा लग जाता तो?"

राम अंकल- "ओह! अरे सॉरी यार हमने तो सोचा वो भी तेरे साथ ही होगा, तभी तूने उसको यहाँ बैठाया है"

जोजफ अंकल- "पर यार वो तो खुद मजे ले रहा था, उसको खुद इस सबमें मजा आ रहा था। सच !"

अनवर अंकल- "और तो और वो तो शर्त तक लगाकर गया है"

मेहता अंकल- क्या शर्त? कैसी शर्त?

अनवर अंकल- अरे वो जो सामने बैठी है ना, उस पर। और अपनी वही पुरानी शर्त कि ‘इसने लहंगे के नीचे क्या पहना है?’

मेहता अंकल- ओह! क्या कह रहे हो तुम? क्या इसी पर? पक्का? अरे यह तो उसकी रिश्तेदार है।

थैंक्स गॉड कि अंकल ने सच नहीं बताया।

राम अंकल- अरे तू क्यों परेशान हो रहा है? हमको तो ऐसा कुछ नहीं लगा और वो खुद ही मजे ले रहा था। अच्छा अब तुम लोग छोड़ो इन बातों को, सुन यार मेहता, जरा इस पटाका से मिलवा तो दे यार !

मेहता अंकल- अरे, तो इसमें क्या है? अभी मिलवा देते हैं।

और उन्होंने एक वेटर को बुलाकर कुछ कहा, फिर वो चला गया।

मैं साँस रोके ये सब देख रहा था।

और कुछ देर बाद ही सलोनी वहाँ आ गई, वो सभी को हाथ मिलाकर हैल्लो बोल रही थी।

मेहता अंकल ने तीनों से ही उसको मिलवाया, सलोनी उनकी बगल में ही खड़ी थी, मैंने देखा कि मेहता अंकल ने अपना हाथ उसकी कमर पर रखा जो फिसल कर उसके चूतड़ों तक पहुँच गया।

मैं उनके ठीक पीछे परदे की ओट में खड़ा था, मुझे उन सभी की हर हरकत बहुत ही अच्छी तरह से दिखाई दे रही थी।

सलोनी को सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि मैं यहाँ भी हो सकता हूँ, वो बहुत ही खुलकर उनसे मिल रही थी।

मेहता अंकल- बेटा, ये सभी मेरे बहुत ही गहरे मित्र हैं। तुम्हारी बहुत ही तारीफ कर रहे थे और मिलना चाह रहे थे, तुम इनको बहुत ही अच्छी लगी।

मेहता अंकल उससे बात करने के साथ साथ अपना हाथ सलोनी के चूतड़ पर ही रखे हुए थे जो वहाँ गोल मटोल कूल्हों पर चारों ओर घूम रहा था।

मैंने देखा कि राम अंकल थोड़ा पीछे को बैठे हुए थे और उनकी नजर मेहता अंकल के हाथ पर ही थी जिसको देखकर वो मुस्कराते हुए मजा ले रहे थे।

सलोनी ने एक बार भी उनके हाथ का कोई विरोध नहीं किया।

अब मैंने देखा कि मेहता अंकल का हाथ कुछ ज्यादा ही गुस्ताखी करने लगा था, वो सहलाने के साथ साथ सलोनी के लहंगे को समेटते भी जा रहे थे जिससे सलोनी की चिकनी जांघें पीछे से नंगी होती जा रही थी।

राम अंकल की नजर बदस्तूर वहीं थी, और तभी वो सलोनी के सामने ही बोल पड़े- ओह यार, मैं तो शर्त हार गया।

मुझे याद आ गया कि उन्होंने कुछ पजामी टाइप पहने होने को कहा था जो उनको नहीं दिखाई दी, तभी शायद वो मायूस हो गए थे।

पर नंगी और चिकनी जांघें देख कर उनका चेहरा चमक रहा था।

तभी अनवर अंकल ने सलोनी को कुछ ऑफर किया, उन्होंने वहाँ रखी एक प्लेट उठाई- लो बेटा… ये लो… और कब है तुम्हारा डांस?

वो सबसे कोने में बैठे थे, सलोनी जैसे ही प्लेट में लेने के लिए झुकी तो कई बातें एक साथ हो गई, चोली में से सलोनी के मम्मे देखने के लिए उन्होंने प्लेट को एकदम से नीचे मेज पर रख दिया, सलोनी अपने ही गति में आगे को मेज पर गिर सी गई, मेहता अंकल का हाथ जो काफी ऊपर तक उसके लहंगे को उठा चुका था और उस समय भी उसके चूतड़ पर ही था, सीधे ही सलोनी के नंगे चूतड़ों पर पहुँच गया और मेज से भी उसका बैलेंस गड़बड़ा गया जिससे सलोनी उनके पैरों के पास गिर गई।

मुझे सलोनी का केवल कुछ ही भाग दिख रहा था, वो उनके आगे गिरी थी मगर चारों ने उसको अच्छी तरह देख लिया होगा।

पता नहीं उसका कौन-कौन सा अंग उधर गया होगा।

चारों ने जल्दी से उठकर उसको पकड़ कर उठाया, सलोनी अपने लहंगे को सही करने लगी।

चारों एक साथ- ओह बेटा, कहीं लगी तो नहीं?

सलोनी- नहीं अंकल.. ओह सॉरी… मेरा बैलेंस बिगड़ गया था… बस बस, मैं ठीक हूँ।

चारों ही उसको देखने के बहाने जगह जगह से छूने की कोशिश कर रहे थे, मैं सही से देख भी नहीं पा रहा था कि वो उसको कहाँ-कहाँ छू रहे हैं।

ओह, ये साले तो इतना गर्म हो रहे हैं कि अभी यहीं सलोनी का … ?

सलोनी जैसे ही प्लेट में लेने के लिए झुकी तो कई बातें एक साथ हो गई, चोली में से सलोनी के मम्मे देखने के लिए उन्होंने प्लेट को एकदम से नीचे मेज पर रख दिया, सलोनी अपने ही गति में आगे को मेज पर गिर सी गई, मेहता अंकल का हाथ जो काफी ऊपर तक उसके लहंगे को उठा चुका था और उस समय भी उसके चूतड़ पर ही था, सीधे ही सलोनी के नंगे चूतड़ों पर पहुँच गया और मेज से भी उसका बैलेंस गड़बड़ा गया जिससे सलोनी उनके पैरों के पास गिर गई।

मुझे सलोनी का केवल कुछ ही भाग दिख रहा था, वो उनके आगे गिरी थी मगर चारों ने उसको अच्छी तरह देख लिया होगा।

पता नहीं उसका कौन-कौन सा अंग उधर गया होगा।

CONTD....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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SALONI


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चारों ने जल्दी से उठकर उसको पकड़ कर उठाया, सलोनी अपने लहंगे को सही करने लगी।

चारों एक साथ- ओह बेटा, कहीं लगी तो नहीं?

सलोनी- नहीं अंकल.. ओह सॉरी… मेरा बैलेंस बिगड़ गया था… बस बस, मैं ठीक हूँ।

चारों ही उसको देखने के बहाने जगह जगह से छूने की कोशिश कर रहे थे, मैं सही से देख भी नहीं पा रहा था कि वो उसको कहाँ-कहाँ छू रहे हैं।

ओह, ये साले तो इतना गर्म हो रहे हैं कि अभी यहीं सलोनी का जबरन चोदन ही ना कर दें… पता नहीं कैसे बचेगी अब सलोनी।

फिर बड़ी मुश्किल से ही सलोनी उनसे पीछा छुड़ाकर अलग हटकर खड़ी हुई, वो अपने कपड़े सही कर रही थी।

सलोनी- ओह आप लोग भी ना… मैं बिल्कुल ठीक हूँ… आप लोग प्रोग्राम देखो।
ओ तेरी… सलोनी की चोली से उसकी एक चूची निप्पल तक बाहर आ गई थी जिसे उसने अपने हाथ से अंदर कर ठीक किया। अब यह पता नहीं कि गिरने से बाहर आई या फिर यह इनमें से किसी की कारस्तानी थी।

तभी नलिनी भाभी की आवाज आई, वो बाहर ही खड़ी थी- अरे सलोनी… कहाँ है तू? चल न, सभी हमारे स्वांग के लिए कह रहे हैं।

और वे दोनों वहाँ से चली गई, सभी जोर से हंसने लगे।

जोजफ अंकल- ओह यार, लगता है यह शर्त भी साला अनवर ही जीत गया..

अनवर अंकल- हा हा… देखा मैं ना कहता था… इतनी मॉडर्न लड़की है यह… कोई नेकर या पजामी पहनेगी क्या?

राम अंकल- पर दिख तो कोई कच्छी भी नहीं रही थी… क्या मस्त और मुलायम चूतड़ थे यार !

अनवर अंकल- अरे मैंने तो पहले ही कहा था, ये फैंसी कच्छी पहनने वाली छोरियां हैं, अब पतली सी डोरी… घुसी होगी चूतड़ों के बीच में, इतने मोटे तो चूतड़ थे, तुमको कहाँ से दिखती!

तभी मेहता अंकल ने एक और धमाका किया- तू भी हार गया अनवर… सच उसने कुछ नहीं पहना… नंगी है पूरी लहंगे के नीचे… ले सूंघ मेरी ऊँगली… उसकी चूत की खुशबू आ रही है.. ले देख…

अनवर अंकल और बाकी दोनों भी सूंघने लगे।

राम अंकल- अबे, यह तूने कब किया?

मेहता अंकल- अरे जब वो गिर रही थी, तभी मेरी दो उंगलियाँ उसकी चूत में चली गई थी… हा हा… चल छोड़ो ये सब.. देखो प्रोग्राम शुरू होने वाला है…

अरे यह तो मुझे भी देखना था, अतः मैंने तुरंत पीछे से हल्का सा ही बाहर को होकर अंदर आने का नाटक किया और अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ गया।

मेहता अंकल- आ गए बेटा… बिल्कुल सही समय पर आये… देखो अब सलोनी का प्रोग्राम ही होने वाला है।

मैंने सोचा ‘हाँ हाँ… मुझे पता है… क्यों कह रहे हो कि सही समय पर आये… पहले आ जाता तो वो सब जो देख लेता… जो अभी तुम सभी मिलकर कर रहे थे।’
फिलहाल मैं बाहर को देखने लगा, जहाँ सलोनी और नलिनी भाभी कुछ तैयारी सी करने में लगी थी।

अनवर अंकल- अरे मेहता… ये सब क्या कर रही है… क्या इनका डांस नहीं है?

मेहता अंकल मुस्कुरा रहे थे- अबे देखता रह… यह हम लोगों का बहुत खास प्रोग्राम होता है… यह एक स्वांग है… जिसकी थीम ‘बन्नो की शादी’ है… इसमें ये सभी ऋतु की शादी के बाद जो होता है ना उसको एक कॉमेडी की तरह मस्ती में दिखाएँगी, बहुत मजा आएगा…

मैंने देखा कि बाहर वो लोग काफी तैयारी में लगे थे, उन्होंने एक पलंग तक लगाया था जिसको सुहगरात जैसा ही सजाया गया था।

फिर उनका प्रोग्राम शुरू हो गया।

कुछ देर बाद समझ आया कि नलिनी भाभी सलोनी के पति का रोल कर रही थी, सलोनी दुल्हन बनी थी जो ऋतु का रोल था।

इसमें दो कोई और भी लेडी थी जो ससुर और जेठ का रोल का रही थी।

एक काफी सेक्सी गाने से पैरोडी शुरू होती है जिसमें चारों ही डांस के साथ शादी के दृश्य को दिखाते हैं।

नलिनी भाभी और बाकी दोनों के टाइट पैंट में कसे हुए चूतड़ देख सभी आहें भर रहे थे।

अनवर अंकल- आह्हा क्या मस्त चूतड़ हैं इनके यार…

जोजफ अंकल- हा हा… वो तो ठीक है यार… वैसे तो मर्द की एक्टिंग बढ़िया कर रही हैं… कपड़े पहनने के साथ इनको लण्ड की जगह कुछ लगाना भी था ना… वहाँ देखो यार… वहाँ पैंट भी इतनी टाइट है कि पूरी चूत की शेप बन रही है।

मेहता अंकल- अबे तुम चुपचाप नहीं देख सकते, जरा सी पीते ही आपे से बाहर हो जाते हो।

मैं- अरे कोई बात नहीं अंकल… कह तो आप सब सही ही रहे हैं… हा हा…

मैंने माहौल को बिल्कुल हल्का कर दिया।

अनवर अंकल- अरे हाँ बेटा… इसको भी आज जाने क्या हो गया है, हम लोगों के घर तो खूब मस्ती करता है, अब अपने घर भाव खा रहा है। अरे हाँ बेटा तुम अपनी शर्त जीत गए हो… ये लो अपने रूपये!

अनवर अंकल लगता है पूरे नशे में हो गए थे… मैंने देखा मेहता अंकल बहुत ही गुस्से से उनको देख रहे थे। पर मुझे इस बात को और आगे नहीं बढ़ाना था, मैंने चुपचाप पैसे उठाकर जेब में रख लिए और ऐसे जाहिर किया जैसे मैं भी कुछ नशा सा महसूस कर रहा हूँ जिससे मेहता अंकल को ज्यादा शक ना हो।

वहाँ उनका प्रोग्राम लगातार चल रहा था… गाने के बीच में वो लोग कुछ ना कुछ मजाक भी कर रहे थे… जो ज्यादा कुछ तो समझ नहीं आ रहा था मगर वहाँ सभी इसका बहुत मजा ले रहे थे।

डांस करते हुए ही सलोनी एक बार कुछ ज्यादा ही घूम गई तो वहाँ लेडीज में भी सीटियों की आवाज आई और कोई औरत चीखी भी…

अरे दूल्हे को तो मजे आ जायेंगे… बहुत चिकनी है इसकी… और सभी जोर से हंसने लगी।

मैंने देखा अब यहाँ ये सब सलोनी पर ज्यादा कमेंट नहीं कर रहे थे… शायद मेहता अंकल की चेतावनी के कारण ही।

और फिर वहाँ उनका सुहागरात का दृश्य भी शुरू हो गया… सलोनी को पलंग पर बैठा दिया गया और बहुत ही सेक्सी गाना भी चल रहा था।

फिर नलिनी भाभी पूरे मर्दानी स्टाइल में ही उससे सुहागरात की एक्टिंग करने लगती हैं, वो सलोनी को बिस्तर पर गिराकर उसको चुम्बन करने लगती हैं, हमको दूर से दिख तो नहीं रहा था पर पक्का था कि वो उसके लाल लाल होंठों को ही चूस रही थी क्योंकि सभी वहाँ बहुत शौर मचा रहे थे।

और वैसे भी यह काम तो नलिनी भाभी सलोनी के साथ रोज ही करती हैं।

फिर दोनों ने एक को कलाबाजी भी खाई… कभी सलोनी ऊपर तो कभी नलिनी भाभी… इससे सलोनी का लहंगा काफी ऊपर चढ़ गया…

दूर से भी उसकी टाँगे ऊपर तक नंगी नजर आने लगी, वहाँ बैठी एक औरत ने तो उठकर सलोनी के चूतड़ों पर एक चपत भी लगाई।

और सब तो सही ही था पर तभी मेरी नजर एक कोने में खड़े हुए वेटर पर पड़ी, वो साला इस दृश्य को देखकर अपने पजामे में लण्ड को मसल रहा था।

वो जिस जगह खड़ा था, उसको सब कुछ साफ-साफ़ ही दिख रहा होगा। हो सकता है उसने सलोनी की नंगी चूत भी देख ली हो, वो वैसे भी लहंगे नीचे नंगी ही थी।

एक दो बार तो नलिनी भाभी ने सलोनी के लहंगे तक को खोलने की कोशिश की, फिर उन्होंने दिखाया कि दूल्हे (नलिनी भाभी) को कहीं से फ़ोन आया और वो चली गई… सलोनी रोने की एक्टिंग कर रही थी… और तभी उनकी जगह रिया जो सलोनी के जेठ बनी थी.. वहाँ आकर सलोनी को चुप करने लगी।

और सलोनी की आँखों को चूमते हुए वो तो सीधे उसके होंठों को चूमने लगती है… यह दृश्य बहुत साफ़ था क्योंकि दोनों के चेहरे सामने थे।

सलोनी हल्का सा विरोध कर रही थी पर रिया विदेशी परिवेश से थी, वो उसको जकड़े हुए अंग्रेजी स्टाइल में ही चूम रही थी।

इस चुम्बन को देख कसम से वहाँ बैठी सभी औरतों और लड़कियों की चूत से पानी निकला होगा।

फिर रिया ने बड़े ही कामुक तरीके से सलोनी के मम्मे पकड़ लिए और वो उनको मसलने लगी।

उधर सलोनी की हालत ख़राब थी और इधर हम सब की…

अंकल तो बोल भी पड़े- यार मेहता, तेरी बेटी तो आदमी से भी ज्यादा अच्छा कर रही है यार… इसकी जगह तो मैं वहाँ होता…

और सभी हंसने लगे।

तभी रिया ने तो हद ही कर दी, उसने सलोनी को पीछे को गिराया, उसके लहंगे में झाँका और जोर से बोली- ओह मेरी दुल्हन.. देख तेरे से ज्यादा तो यह रो रही है… ला इसके भी आँसू पौंछ दूँ…

और उसने वैसे ही अपना मुँह सलोनी के लहंगे के अंदर घुसा दिया।

कुछ देर लगा कि शायद एक्टिंग ही कर रही है पर जब उसका सर लहंगे के ऊपर तक दिखा और सलोनी की बेताबी… वो बैचेनी के अपनी कमर हिला रही थी…

ओह इसका मतलब रिया तो सलोनी की चूत ही चाटने लगी थी… ब्रेवो यार… इतने लोगों के सामने ऐसा… यह तो रिया जैसे लड़की ही कर सकती थी।

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SALONI & RIYA

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तभी सलोनी को वहाँ का शोर सुनकर कुछ अहसास सा हुआ और उसने अपना एक पैर उठाकर रिया को पीछे को धकेला…

वो पीछे को गिर गई…

बेशरम अभी भी अपने होंठों पर बड़े ही सेक्सी ढंग से अपनी जीभ फिरा रही थी।
इस धक्के से सलोनी का लहंगा उसके कमर तक उठ गया… वैसे वो बहुत ही फुर्ती से उठकर खड़ी हुई मगर फिर भी कई लोगों ने उसकी नंगी चूत के दर्शन कर लिए।

फिर सलोनी वहाँ से अंदर की ओर भाग गई और सभी वहाँ शोर मचाते रह गए… रिया तो आखरी दृश्य के लिए भी बोलती रह गई।

पता नहीं अब क्या था वो आखरी दृश्य???

मगर सलोनी उस दृश्य को पूरा करने के लिए वहाँ नहीं रुकी और ना ही वहाँ दोबारा आई।

फिर मधु और कुछ लड़कियों के भी डांस हुए और वहाँ सभी का हाल वैसा ही था, बड़े ही सेक्सी कमेंट्स और आहें…

बहरहाल बहुत मजा आया मेहता अंकल के यहाँ, फिर खाना वगैरा खाकर हम सभी वापस आ गए।

मधु उस रात हमारे यहाँ ही सोई थी, रात को मैंने उसके साथ फिर काफी मस्ती की, सलोनी ऐसा व्यवहार कर रही थी कि जैसे उसको कुछ पता ही ना हो, उसने मुझे मधु के साथ मस्ती करने का पूरा मौका दिया।

सुबह दूध वाले की घण्टी की आवाज से ही मेरी आँख खुली, मधु अभी भी पूरी नंगी अपनी एक टांग मेरी कमर पर रखे सो रही थी, मैं भी पूरा नंगा ही था, वैसे भी रात को सोते समय मैं कुछ नहीं पहनता हूँ।

तभी सलोनी भी उठ गई, मैंने मधु को पीछे हटाने की कोई कोशिश नहीं की, मैं चाह रहा था कि सलोनी हमको इस तरह देख ले, फिर देखना था कि उसका क्या व्यव्हार होता, आखिर अब तो मैं उसको चुदवाते हुए भी देख चुका था।

सलोनी ने उठकर अपनी वही छोटी सी नाइटी अपने बदन पर डाली फिर मेरी ओर आकर मेरे होंठों को चूम लिया, बोली- ओह, यह लड़की भी ना… सही से सोने भी नहीं देती।

मैंने भी आँख खोलकर उसको मुस्कुराते हुए ही जवाब दिया- कोई बात नहीं, सोने दे।

मैंने सलोनी को चूम लिया।

सलोनी ने भी मधु को ना हटाकर दूध लेने चली गई।

मेरा एक बार दिल किया कि देखूँ कि दूधवाले के साथ वो क्या मस्ती करती है पर रात की थकान ने मुझे उठने नहीं दिया, मैं मधु से चिपका सोता रहा।

मैं काफी गहरी नींद में सो गया था, मुझे कुछ होश ही नहीं रहा, बस इतना सा ध्यान है कि सलोनी काफी देर बाद ही अंदर आई थी, फिर वो बाथरूम में चली गई।

पता नहीं कितनी और देर तक मैं सोता रहा, मेरी आँख तब खुली जब मुझे लगा कि कोई अपने मुलायम हाथों से मेरे लण्ड को सहला रहा है।

मैंने देखा वो मधु ही थी जो नींद में ही ऐसा कर रही थी।

मैंने उसको अपने से अलग कर पीछे को लिटा दिया, फिर उठकर उसके नंगे जिस्म पर एक चादर उड़ा दी, मुझे लगा बाहर कोई है, जिससे सलोनी बात कर रही है।

पर मैंने बैडरूम का दरवाजा खोलकर नहीं देखा, मैं बाथरूम में चला गया और वो बाहर देखने के लिए मेरी सबसे सेफ और टॉप जगह थी।

मैंने बाथरूम के रोशनदान से ही बाहर देखा… अरे यह तो मनोज है सलोनी के कॉलेज वाला दोस्त, जिसके कॉलेज में वो अब पढ़ाती है, वो अक्सर उसको लेने आ जाता है।

मैंने देखा कि सलोनी रसोई के पास वाली बेंच पर बैठी ड्रायर से अपने बाल सुखा रही है, उसके जिस्म पर केवल हल्के हरे रंग का पेटीकोट और हरे रंग का ब्लाउज है, ब्लाउज वैसे ही था जैसे छुपा कम रहा था और दिखा ज्यादा रहा था, बहुत ही छोटी आस्तीन जिससे उसकी बगलें पूरी नंगी दिख रही थी।

सलोनी जब हाथ ऊपर करके अपने बाल सुखा रही थी तो उसका वो हिस्सा बहुत ही सेक्सी लग रहा था, उसका ब्लाउज नीचे से भी उसके मम्मो को दिखा रहा था और ऊपर से तो उनकी गोलाई दिख ही रही थी।

सलोनी का नंगा पेट, जिस पर पेटीकोट तो उसकी नाभि के पास ही बंधा था पर गांठ का कट काफी गहरा था जिससे अंदर का हल्का हल्का एक बहुत ही सेक्सी दृश्य नुमाया हो रहा था।

मनोज उसके सामने ही बैठा था और सलोनी के हर अंग को बहुत ही ध्यान से देख रहा था।

फिलहाल इस समय सलोनी की दोनों गोल गोल चूचियाँ बहुत ही मस्त रोल प्ले कर रही थी, जो सलोनी के दोनों हाथ ऊपर नीचे और हिलने से अलग अलग आकार बना रही थी और काफी कुछ ब्लाउज के बंधनों से बाहर आने का प्रयास कर रही थी।

मैं मनोज के सयंम को देख रहा था, ऐसा तभी हो सकता था जब किसी ने इनका भरपूर रसपान कर लिया हो।

वो वहीं बैठा मुस्कुराता हुआ बस उनको निहारे जा रहा था।

अब मैं उन दोनों के बीच होने वाली बात पर भी ध्यान देने लगा।

सलोनी- वैसे आज अगर तुम नहीं आते तो मैं छुट्टी के मूड में ही थी, रात बहुत थकान हो गई थी।

मनोज- चलो फिर तो ठीक हो गया, वरना पूरे दिन आज बोर होना पड़ता। वैसे कल विनोद का फोन आया था, तुम्हारा हालचाल पूछ रहा था।

सलोनी ने उसको चुप रहने का इशारा किया।

मुझे याद है कि विनोद और मनोज दोनों शादी से पहले सलोनी के बहुत अच्छे दोस्त थे, इन्होंने एक साथ ही अपनी पढ़ाई पूरी की है।

सलोनी के इस तरह मनोज को चुप करने का कारण शायद वो घटना है, मुझे विनोद के बारे में पता चल गया था उसका एक लव लेटर मैंने सलोनी के डाक्यूमेंट्स के बीच देख लिया था और हमारी दो दिनों तक बोलचाल भी नहीं हुई थी।

पर वो तो पुरानी घटना थी… अब तो मैं कुछ और ही चाहने लगा था।

मनोज- ओह… अरे तो क्या हुआ? तुमने ही तो कहा था कि अंकुर तो गहरी नींद में है।

सलोनी- अरे वो जाग तो सकते हैं ना… फिर ये बातें बाद में भी तो हो सकती हैं।

मनोज- अरे, हम कौन सा गलत बात कर रहे हैं… मैंने तो विनोद को बोल दिया कि मैं उसकी अमानत का अच्छी तरह ध्यान रख रहा हूँ।

सलोनी- हा हा… उसको क्या पता कि तुम उसकी अमानत में कितनी खयानत कर रहे हो।

मनोज- हा हा… नहीं यार मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकता… हाँ, अंकुर के साथ कर सकता हूँ हा हा…

फिर सलोनी ने ड्रायर बंद कर रख दिया।

मनोज- अच्छा यार अब जल्दी से तैयार हो जाओ… तुम भी यार, बहुत देर लगाती हो।

सलोनी- बस हो तो रही हूँ… तुम भी तो कितनी जल्दी आ जाते हो।

मनोज- वो तो तुम्हारे इस रूप को देखने… तुमको नहीं पता कि जब तुम नहाकर ऐसे गीले बालों में बाहर आती हो तो कितनी सेक्सी लगती हो, मेरा तो हाल ही बुरा हो जाता है।

सलोनी- और फिर इसका खामियाजा मुझे कार में भुगतना पड़ता है… हा हा…
सलोनी का पेटीकोट उसके चूतड़ों को कुछ ज्यादा ही दिखा रहा था… जिससे वो बहुत सेक्सी लग रही थी।

फिर सलोनी ने मनोज के सामने ही अपने पेटीकोट का नाड़ा खोलकर पेटीकोट को नीचे करके बाँधा, इस दौरान उसने पेटीकोट को ऐसे घुमाकर ठीक किया कि उसके पेटीकोट का कट आगे से सलोनी की चूत के दर्शन तक करा गया।

सलोनी ने अंदर कुछ नहीं पहना था, वैसे भी उसको कच्छी पहनने की आदत तो थी ही नहीं।

फिर जब सलोनी ने साड़ी बांध ली त मैं भी तैयार होने लगा।

कुछ देर बाद सलोनी मधु को सब कुछ समझाकर मनोज के साथ चली गई।

अब मैं और मधु घर पर अकेले ही थे, हम दोनों एक साथ ही नहाये, एक दूसरे के अंगों को अच्छी तरह साफ़ किया, फिर मैं मधु को उसके घर की ओर छोड़कर अपने ऑफिस आ गया।

CONTD....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
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ऑफिस में बहुत ही काम था तो ज्यादा कुछ फुर्सत नहीं मिली और न ही सलोनी के बारे में ही कुछ सोच पाया।

हाँ थोड़ा बहुत हंसी मजाक और मस्ती जरूर हुई, जब नीलू और रोजी जैसी हसीनाएँ साथ हो तो कुछ न कुछ मस्ती तो होती ही है।

चुदाई नहीं तो छेड़छाड़ तो हमारे बीच चलती ही रहती है जिसमें पूरा दिन मजे से गुजर जाता है।

ऑफिस से मैं कोई रात आठ बजे तक घर पहुँचा इस सबमें घर के बारे में तो मैं सब कुछ भूल ही गया था।

घर पर पूरा जमघट लगा हुआ था… सलोनी, नलिनी भाभी, मधु के अलावा वहाँ ऋतु और रिया भी थी, वो कुछ शादी के चीजों की चर्चा कर रही थी। सभी ने ही सेक्सी और घरेलू वस्त्र ही पहन रखे थे, मैं सभी को देखकर बस यही सोच रहा था कि सलोनी, नलिनी भाभी, मधु और रिया की चूत तो मैं अच्छी तरह देख और चोद चुका हूँ, बस यह ऋतु ही बची है, अगर इसकी शादी नहीं होती तो इसकी चूत लेने का भी मौका मिल जाता।

शायद सच ही है… लड़की चाहे कितना भी चुदवाती हो पर अपनी शादी के समय वो बिल्कुल सीधी हो जाती है।

ऋतु भी इस समय ऐसा ही व्यव्हार कर रही थी और बहुत ही सीधी सादी सी लग रही थी जबकि वो क्या है, यह तो मैं अच्छी तरह से जानता हूँ।

तभी सलोनी मुझसे बोली- सुनो, क्या आप अपना काम 4 दिनों के लिए नहीं छोड़ सकते? देखो ये दोनों ही कल ही साथ चलने के लिए ज़िद कर रही हैं।

मुझे तो खुद शादी में जाने की जल्दी थी, सलोनी को क्या पता कि मैंने वहाँ मस्ती करने का कितना खाका तैयार कर रखा है- हाँ मेरी जान… सब कुछ तुम्हारे लिए ही तो कर रहा हूँ।

और मैंने सलोनी को अपनी बाँहों में जकड़ कर चूम लिया।

पहली बार ऋतु बोली- वाओ भैया… और हमारा किस?

उसने एक शार्ट मिडी पहन रखी थी, मैंने उसकी ओर देखा, उसकी मांसल और गदराई जांघें नंगी दिख रही थी, शैतान ने अपनी टांगों के बीच के गैप को और चौड़ा कर दिया। उसने अंदर सिल्की, चमकदार लाल कच्छी पहन रखी थी, उसकी गोरी-गोरी जांघों से चमकती लाल कच्छी उसको बहुत ही सेक्सी दिखा रही थी।

मैंने भी उसकी कच्छी से चमकती चूत के होंटों को देखकर कहा- चिंता न कर, तेरे भी इन लाल-लाल होंठों को भी चूम लेंगे।

सभी जोर से हंसने लगे।

अब शादी में तो इस फ़ुलझड़ियों के साथ बहुत ही मजा आने वाला था।

उस रात बहुत मजा आया, सलोनी बहुत ही खुश थी.. हमने खूब मस्ती की, सलोनी ने मेरे साथ एक मजेदार चुदाई का आनन्द लिया।

मैंने बहुत कोशिश की और कई बार उससे बात करनी चाही कि वो मेरे साथ सेक्स की बातें करे और मुझे अपने बारे में भी बताये, पर उसने इसमें कोई रूचि नहीं ली, यहाँ तक कि मैंने जब अनु की बात करनी शुरू की जिससे वो किसी दूसरे के साथ सेक्स को नार्मल मानकर खुल जाये, तो यहाँ भी उसने मेरी बात को खत्म कर दिया।

मुझे लगा कि सलोनी हमारे रिश्ते को एक साइलेंट प्यार की तरह चलाये रखना चाहती है, वो हर तरह से जायज-नाजायज सेक्स करना तो चाहती है पर आपस में उसका जिक्र करना नहीं चाहती।

शायद कुछ नारियाँ ऐसी होती हैं जो बहुत हॉट होती हैं, हर तरह से एक रंडी की तरह भी चुदाई करती हैं पर उनके अंदर एक शरीफ औरत हमेशा जिन्दा रहती है।

सलोनी उन्हीं में से एक थी जो बाहर हर तरह की चुदाई करने को तैयार रहती है, उसको पता था कि मैं भी हर किसी के साथ, जो मिल जाए, चुदाई करता था पर इस पर आपस में कोई बात नहीं करनी है, मतलब मुझे देखकर उसने आँख बंद कर लेनी है, और अब लग रहा था कि उसको देखकर भी मुझे भी ऐसा ही करना होगा, पति-पत्नी के सम्बन्धों के बाहर यौनसन्सर्ग को हम दोनों को मूक सहमति देनी है, हमारे आस पास सब कुछ होता भी रहेगा और एक दूसरे की सहायता भी करेंगे पर आपस में इस बारे में बात नहीं करेंगे।

इसके माने एक अलग ही तरह का ‘साइलेंट लव…’

मैंने भी अब सोच लिया था कि अब केवल छुप कर नहीं देखूँगा, सलोनी को भी अहसास होना चाहिए कि मैंने भी देखकर अपनी आँखें बंद कर ली हैं।

उस दिन सुबह भी कुछ ऐसा ही हुआ, सलोनी रोज की तरह ही दूधवाले के आने पर उठी। रात को जोरदार सेक्स के बाद वो बिल्कुल नंगी मेरे से चिपकी हुई सो रही थी, घण्टी बजने पर उसने मेरे माथे पर एक गर्म चुम्बन लिया और मेरे लण्ड को भी कसकर अपनी मुट्ठी में भींचा, वैसे भी उसकी आदत लण्ड पर हाथ रखकर सोने की है, मैंने भी उसके होंठों को चूमा।

फिर उसने उठकर एक जोर की अंगराई ली और वहीं रखे अपने शार्ट गाउन को उठाकर पहना।

मैंने देखा कि उसका गाउन पीछे से इतना सिकुड़ गया था कि बमुश्किल ही सलोनी के विशाल चूतड़ को ढक पा रहा था।

फिर भी उसने गाउन के ऊपर वाला भाग नहीं पहना और वो बाहर चली गई।

आज उसको अच्छी तरह पता था कि मैं जाग गया हूँ फिर भी उसने बदन ढकने का कोई प्रयास नहीं किया।

पर आज मैं उसको दूध वाले के साथ देखना चाहता था कि वो क्या करती है और उससे किस हद तक खुल चुकी है?

मैं रिलैक्स था, मैंने आराम से ही दरवाजा खोला और उन लोगों को देखने लगा।

सलोनी दरवाजा खोलने के बाद ही रसोई से बर्तन लेने गई, लगता है कि दूधवाले ने सलोनी के पिछले भाग के दर्शन अच्छी तरह से ही कर लिए थे, तभी साला अपनी धोती में हाथ डाल लण्ड वाले भाग को सहला रहा था।

मैंने आज पहले बार ही अपने दूधवाले को ध्यान से देखा, 45-48 साल का थोड़ा मोटा सा बंदा था… सर पर एक चोटी और रौबीली मूछें, शरीर से पहलवान टाइप ही लग रहा था, ऊपर एक बनियान और नीचे धोती पहने हुए था।

इस समय उसका हाथ अपनी धोती के अंदर था, सलोनी के आने पर भी उसने अपना हाथ नहीं निकाला बल्कि धोती को उसने और साइड में कर दिया…

अर…रे यह तो उसने अपना लण्ड नंगा करके धोती से बाहर निकाल लिया।

बैडरूम से तो वो साधारण सा ही नजर आ रहा था, हाँ था बिल्कुल गहरा काला, जिसे वो मुठ के अंदाज में ही अपने सीधे हाथ से आगे पीछे कर रहा था।

सलोनी- ओह, तुम फिर शुरू हो गए… ये सब तुम अपने घर पर ही करके आया करो… अब इन्ही गंदे हाथ से दूध दोगे।

दूधवाला- क्या मैडम जी ?? आप भी कैसे बाता करियो हो… दूध ही तो निकल रहा हूँ… और ये तो आप जैसी गोरी गाय को देखन ही दूध देवे है…

सलोनी- हा हा… मतलब मैं गाय… तो इस सांड ने क्या देख लिया इस गाय का? जो हिनहिनाने लगा?

दूधवाला- अह्ह्ह अह्हा… अरे वही मैडम जी जो बेचारा देख तो लेता है… पर छू नहीं पाता… अह्हा…

सलोनी- वो तो हाँ… इसको वो कुछ छूने की कोई इज़ाज़त नहीं है, देखने को मिल जाती है बस इतना ही बहुत है।

ऐसा लग रहा था कि सलोनी इस दूधवाले से काफी मस्ती करती थी।

दूधवाला- ठीक है मैडम जी जैसी आपकी मर्जी, वैसे एक बात बोलूँ… आपकी चुनमुनिया है गजब की, उस जैसी सुन्दर और मुलायम मैंने आज तक नहीं देखी, बस एक ही बार अपने छूने दिया था, कितनी गर्म और रुई जैसी थी।

सलोनी- हा हा… बस अब जल्दी करो… और हाँ आज एक किलो ही देना, फिर चार दिन मत आना, हम लोग बाहर जा रहे हैं।

दूधवाला- ओह.. ये का कह रही हो मैडम जी… आपके बिना अब हमार इसका दिल कहाँ लागेगा, और वो नीचे भी सभी जा रहे हैं।

सलोनी- हाँ, मुझे भी उन्हीं के साथ शादी में जाना है।

दूधवाला- ओह, ये तो बहुत ही बुरी खबर है हमार लिए..

वो अभी भी अपना लण्ड हिलाये जा रहा था।

सलोनी- ओह, आज तुम्हें क्या हुआ? जल्दी क्यों नहीं करते, मुझे अभी बहुत काम करने हैं।

दूधवाला- अब काय करे मैडम जी.. आज तो अपनी दिखा भी नहीं रही… और फिर… अह्ह्ह अह्हा

सलोनी- ओह तुम मानोगे थोड़ी ना… लाओ, मैं जल्दी से निकाल देती हूँ।

और मेरे देखते ही देखते सलोनी ने उसके लण्ड को अपने हाथ से पकड़ लिया।

दूधवाला- आह्हाआआ बस यही तो मैं कह रहा था… अह्ह्हाआआ अह्ह्हाआआ जब आप अपने हाथों से करे हैं तो मजा आ जात है… अह्हा ह्हह्हाआह्ह

सलोनी- और अब ये सब तू अपनी घरवाली के साथ करके आया कर… बेकार में दूसरी को देख लार टपकाता रहता है।

दूधवाला- अह्ह्ह्ह्हा अह्ह्ह्ह्हाआ कहाँ मैडम जी… आप आःह्हाआ अह्हा और कहाँ वो काली कलूटी… अह्हा अह्हा उसकी वो काली और चौड़ी सी… उसको देखकर तो मेरा लौड़ा खड़ा भी ना होबे अब… आह्हा अह्ह्हाआआआ।

सलोनी- तो वो भी किसी से भिड़ी है क्या??

दूधवाला- मोहे कआ पता नाही… भिड़ी तो होबे ही… वो साला दो लोंडे… मुस्टंडे जो रखे हैं… उहनी से भिड़बाटी होए ससुरी… जब देखो उन्ही के पास मिले है…

सलोनी उसके बिल्कुल पास खड़ी थी… और अपने एक हाथ में दूध का बर्तन लिए और दूसरे हाथ से उसके लण्ड को हिला रही थी।

CONTD.....
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तभी उस दूधवाले ने अपना हाथ सलोनी के पीछे उसके चूतड़ों पर रख दिया, मैंने साफ़ साफ़ देखा कि उसने सलोनी के सिमटे हुए गाउन को और ऊपर तक कर दिया और सलोनी के चिकने चिकने नंगे चूतड़ों पर अपनी मोटी सी भद्दी हथेली को चारों ओर घुमाया।

सलोनी ने एक हल्का सा झटका दिया- ऐऐऐ ऐआआआ ये क्या हो रहा है?? तुझे इधर उधर हाथ रखने को मना किया है ना…

दूधवाला- ओह मैडम जी जरा सा रखने दो ना.. जल्दी से हो जायेगा… आह्ह्हा अह्ह्ह्ह अह्हा वरना कहाँ मिलती है इतनी चिकनी… जिस दिन से आपकी चुनमुनिया को छुआ है… तबसे ससुरी रुई भी उसके आगे बेकार लागे है।

सलोनी- अच्छा उसको तू छोड़… उस दिन भी तूने धोखे से ही हाथ मार दिया था… यह बता तूने अपनी आँखों से देखा क्या अपनी लुगाई को उन छोरों के साथ?

दूधवाला- हाँ मैडम जी… रोज ही भरी दोपहर में जब हमारी भैसों को नहलाने जावत है… तो वो तो भैंसों को मलत है… और वो दोनों हरामजादे उसको मलत हैं…

सलोनी- क्यों… क्या वो कपड़े पहनकर नहीं जाती वहाँ?

दूधवाला- अरे कहाँ ससुरी… केवल एक छोटा का अंगोछा लपेट रहत… वो भी ससुरे निकल देवें और बाद में वहीँ भैसों से टिकाकर चोदव भी उसे… हरामजादे… मादरचोद साले…

सलोनी- देख तू यहाँ गाली तो बक मत… और क्या दोनों एक साथ करते हैं उसको?

दूधवाला- और नहीं तो क्या… कभी एक लगव तो कभी दूसरा… दोनों ही खूब चोदव उसको… अह्ह्हाआ अह्ह्हाआ अब मैडम जी उसकी उस काली भोंसड़ी की तो याद दिलाओ नाहि… उसकी तो याद करते ही बैठने लगाव है हमार… कहाँ आपकी ये रसभरी, मन करत है ..कि बस मुहं में ही भर लूँ..

और उसने अपना दूसरा हाथ आगे से सलोनी की दोनों जाँघों के बीच घुसा दिया।

सलोनी- ओह देखो अब तुम जरुरत से ज्यादा ही करने लगे… अह्हा निकालो अपना हाथ वहाँ से!

दूधवाला- अह्हा ह्हाआ अह्हाआ अह्हा ह ह्हाआ ह ह्ह्ह्ह्हाआ बस्स्स हो गया मैडम जी… बस्स जरा सा तेज आह्ह आआअ…

सलोनी भले ही मना कर रही थी, पर उसने अपना कोई हाथ नहीं हटाया था, वो आगे और पीछे दोनों तरफ से ही सलोनी को सहला रहा था।

और तभी उसके लण्ड से एक तेज पिचकारी निकली…

दूधवाला- अह्ह्ह्हाआआआ अह्हा कमल हो गया मैडम जी… अह्ह्हाआआ अह्हा अह्हा क्या मजा आया… अह्हाआआआ

सलोनी ने अपने हाथों से ही सहलाकर उसके लण्ड को साफ कर दिया- चल अब छोड़ सब कुछ जल्दी से दूध दे… और जा यहाँ से… अपनी जोरू की रासलीला देख वहाँ जाकर।

दूधवाला- अह्हा अह्ह्ह हाँ मैडम जी, सच आप बहुत अच्छी हो!

और फिर दूधवाला दूध देकर चला गया।

मैं भी सिगरेट जलाकर उसी समय बाहर निकला, फर्श काफी गन्दा था पर मेरे सामने ही सलोनी ने बिना कुछ कहे कपड़ा लाकर फर्श को साफ़ कर दिया और कहा- रोज ही दूध गिरा जाता है, पता नहीं कैसे काम करता है।

मैं भी उसकी बात को समझ गया पर क्या कहता?

मैं- हाँ मेरी जान, सही से दूध अपने बर्तन में लिया करो, ऐसे बेकार मत किया करो।

और मुस्कुरा दिया, वो भी मुस्कुरा रही थी।

मैं- अच्छा कितने बजे निकलना होगा?

सलोनी- शायद दोपहर के बाद ही… ऐसा करते हैं हम अपनी गाड़ी लेकर ही निकलते हैं।

मैं- ठीक है, देख लेना, और कोई आना चाहे तो ! मैं ऐसा करता हूँ ऑफिस जाकर सब काम सेट करके आ जाता हूँ।

सलोनी- ठीक है.. पर जल्दी आ जाना।

और मैं जल्दी से तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल गया यह सोचता हुआ कि बहुत मजा आने वाला था शादी में…!!!

ऑफिस में कुछ जरुरी काम निबटाकर और नीलू को सारे काम समझाकर मैं जल्दी ही वापस आ गया।

यहाँ भी सलोनी ने सभी तैयारी कर ली थी, हम लोग जल्दी ही जाने के लिए तैयार हो गए।

अरविन्द अंकल और नलिनी भाभी भी हमारे साथ ही जा रहे थे।

सलोनी ने लाइट ब्लू जीन के कपडे का फैंसी शॉर्ट और लाल सेंडो टॉप पहना था जबकि नलिनी भाभी ने एक टाइट केप्री और टी शर्ट डाला हुआ था।

दोनों ही बहुत सेक्सी दिख रही थी।

मैं और अंकल आगे बैठ गए जबकि वो दोनों पीछे बैठ गई।

तभी मेहता अंकल हमारे पास आये, उन्होंने सलोनी और नलिनी भाभी दोनों की तारीफ की- क्या बात है मेरे बच्चों !! दोनों बहुत सुन्दर लग रही हो… अरे अंकुर बेटा, तुम्हारी गाड़ी में तो एक और भी आ सकता है ना?

मैं सोच ही रहा था कि क्या ये खुद हमारे साथ आने वाले हैं या अपनी किसी बेटी को भेजेंगे।

मैं- हाँ अंकल कोई पतला दुबला सा हो तो भेज दो… हा हा…

मेहता अंकल- अरे बेटा, वो रिया के ससुराल से है, वो तुम लोगों के साथ एडजस्ट भी हो जायेगा।

मैंने बस हाँ कहा, पता नहीं कौन है यह।

तभी अंकल एक 40-42 साल के आदमी को लेकर आये, नेकर और टी शर्ट में वो कोई एन आर आई ही लग रहा था।

अंकल ने उसको सबसे मिलवाया- ये हैं मि जॉन…

वो लंदन से ही आया था।

अरे ये तो रिया के ससुर निकले, शायद रिया के हस्बैंड नहीं आ पाये थे… या फिर बाद में आएंगे।

रिया इन्हीं के साथ आई थी।

इसका मतलब इनकी उम्र तो ज्यादा होगी पर इन्होंने खुद को काफी मेन्टेन कर रखा है।

वो खुद ही सलोनी की ओर वाला दरवाजा खोल अंदर बैठ गए।

वो लम्बे चौड़े थे इसलिए सलोनी बीच में पिचक सी गई।

मैंने एक ही बार पीछे घूमकर देखा… सलोनी और उनकी नंगी जांघें आपस में टकरा रही थी।

पर मैंने एक बात नोटिस की, सलोनी अपने पैरों को सिकोड़ रही थी, जबकि वहीं वो उससे चिपकने की कोशिश कर रहे थे।

मगर वो अंकल काफी हंसमुख थे.. कुछ समय में ही वो हमसे घुलमिल गए।

अब सलोनी उनके साथ कम्फर्ट से बैठी थी, उसका संकोच काफी हद तक समाप्त हो गया था।

अब दोनों एक दूसरे से हाथ मारकर भी बात कर रहे थे।

बीच में एक जगह जॉन अंकल बहुत ही फॉरमल होकर बोले- अंकुर, इधर कहीं टॉयलेट नहीं है क्या?

हम सभी हंस पड़े…

मैं- अरे अंकल यह इंडिया है… यहाँ आप कहीं भी एक किनारे कर सकते हैं… वैसे भी दोनों ओर जंगल ही है।

जॉन अंकल- अरे हाँ… तो फिर कहीं रोको यार… यहाँ तो बहुत प्रेशर लगा है भाई।

मैंने एक जगह चौड़ी जगह देख साइड में गाड़ी लगा दी, जॉन अंकल उतरकर टॉयलेट करने की जगह देखने लगे।

मैंने ध्यान दिया कि उनका नेकर में लण्ड तना खड़ा है, उभार साफ़ महसूस हो रहा था।

मतलब सलोनी की रगड़ से उनका यह हाल हुआ है।

तभी नलिनी भाभी बोली- अंकुर किसी ऐसी जगह रोकते जहाँ हम भी फ्रेश हो लेते, हमको भी काफी देर हो गई है।

सलोनी- हाँ भाभी कह तो आप सही रही हो।

अरविन्द अंकल- अरे तो इसमें इतना सोचना क्या है? यहाँ भी कौन आ रहा है, जाओ और कर लो ना कहीं एक तरफ।

नलिनी भाभी- पर किसी ने देख लिया तो?

अरविन्द अंकल- पागल है तू तो, अरे कौन देखता है किसी को मूतते हुए… और देख भी लिया तो तेरा क्या चला जायेगा? उधर देख वो कितने मस्त होकर कर रहा है।

contd....
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सभी ने सामने देखा… गाड़ी से कुछ आगे सामने ही जॉन अंकल मूतने के बाद तेजी से अपने लण्ड को हिला रहे थे, लण्ड अभी भी खड़ा था… इसलिए वहाँ से भी दिख रहा था।

तभी बाइक से एक लड़का वहाँ से गुजरा, उसके पीछे एक लड़की बैठी थी, वो मुस्कुराते हुए जॉन अंकल को देख रही थी।

अरविन्द अंकल- लो देख लो… हम मर्दों का नाम वैसे ही ख़राब कर रखा है। अब ये कैसे मस्ती ले रही है… हा हा हा…

सभी हंस पड़े।

सलोनी- चलो भाभी उतरो नीचे… हम भी देखें कोई जगह…!

नलिनी भाभी- अरे पगला गई है क्या… यहाँ खुले में कैसे?

सलोनी- अरे आप उतरो तो… वो पीछे शायद जगह है… वहाँ झाड़ियों में देखते हैं। पहले आप कर लेना, मैं बाहर देखती रहूंगी, फिर मैं कर लूंगी… चलो तो!

और दोनों नीचे उतर कर गाड़ी के पीछे की ओर चले गए।

अरविन्द अंकल- चल अंकुर, हम भी कर लेते हैं।

फिर हम दोनों भी बाहर आ गए।

तब तक जॉन अंकल हमारी ओर ही आ रहे थे, बोले- अच्छा हुआ… तुम दोनों भी कर लो, जाओ।

हम दोनों भी एक ओर मूतने लगे…

मैंने देखा जॉन अंकल गाड़ी से पानी की बोतल निकाल, पानी पीते हुए उधर ही देख रहे हैं जिधर वो दोनों शू शू करने गई थी।

तभी मुझे उस ओर नलिनी भाभी दिखाई दी, वो पेशाब करने के बाद उठ रही थी, मुझे दूर से साफ़ साफ़ तो नहीं… पर इतना पक्का था कि जॉन अंकल ने उनके मस्त गदराये चूतड़ जरूर देख लिए होंगे।

नलिनी भाभी ने भी अपने चूतड़ों को कई बार इधर उधर मटकाकर ही अपनी कैप्री को ऊपर किया।

फिर मैंने देखा कि सलोनी भी उधर ही चली गई और अपने शॉर्ट्स को नीचे करते हुए बैठ गई।

तभी जॉन अंकल पानी की बोतल लिए उधर ही चले गए, नलिनी भाभी हाथ से उनको मना कर रही थी, मगर वो उनके पास ही चले गए, मेरा भी हो गया था तो मैं भी जल्दी से उनके पास पहुँच गया।

मुझे उनकी बात सुननी थी।

जॉन अंकल- अरे बेटा.. मैं ये पानी लाया हूँ… लो अपनी उस जगह को अच्छी तरह साफ़ कर लो।

जब भी ऐसे बाहर टॉयलेट करते हैं तो जर्म्स लग जाते हैं, उसको धोना बहुत जरूरी होता है।

और नलिनी भाभी ने बोतल ले ली- ठीक है, अब आप तो जाइये, हम कर लेंगे।

जॉन अंकल भी ढीठता से हँसते हुए वहीं खड़े रहे।

मैंने देखा तभी सलोनी भी उन झाड़ियों से उठ खड़ी हुई, उसके तो चूतड़ बिल्कुल ही साफ दिख रहे थे।

उसने अपने हाथ में किसी कपड़े से ही अपनी चूत को साफ किया और फिर झुककर अपने शॉर्ट्स को ऊपर किया।

मैंने देखा जॉन अंकल घूर कर वहीं देख रहे थे। हो सकता है कि उनको सलोनी की चूतड़ों से झांकती चूत भी दिख गई हो क्योंकि वापस आते हुए उनका नेकर उनके लण्ड के उभार को अच्छी तरह दिखा रहा था और उनका चेहरा भी पूरा लाल था।

फिर ऐसे ही मस्ती करते हुए हम शादी वाली जगह पहुँच गए।

यहाँ तो चारों ओर मस्ती ही मस्ती नजर आ रही थी, बहुत ही शानदार होटल था, सभी कमरे ए सी थे और 3-4 लोगों के लिये एक कमरा सेट था।

हम चारों ने अपना सामान एक कमरे में सेट कर लिया था, अरविन्द अंकल और हम..!!

वहाँ पहुँचते हुए रात तो हो ही गई थी और थकान भी हो रही थी, खाना हम सबने वहीं मंगवाया और जल्दी ही खा लिया। फ़िर सभी ने कपड़े बदले और सो गए।

एक बेड पर हम दोनों और दूसरे पर अरविन्द अंकल, भाभी जी सो गए।

सलोनी और भाभी दोनों ने ही सेक्सी नाइटी ही पहनी थी, मगर सही ही लग रही थी।

नलिनी भाभी के तो अंडरगार्मेंट्स दिख रहे थे पर सलोनी ने यकीनन अंदर कुछ नहीं पहना था पर गहरी रंग की नाइटी होने से कुछ ज्यादा पता नहीं चल रहा था।
हम शरीफ जोड़े की तरह दोनों सो गए, शायद सभी बहुत थक गए थे।

लम्बी ड्राइव ने मुझे कुछ ज्यादा ही थका दिया था इसलिए नींद भी सही से नहीं आ रही थी।

मैंने उठकर देखा, हल्की रोशनी में दिखा कि सभी सो रहे थे।

सलोनी के ऊपर तो चादर थी पर नलिनी भाभी की पैर नंगे दिख रहे थे, शायद उनकी नाइटी ऊपर तक चढ़ गई थी।

मुझे पेशाब की हाजत महसूस हुई इसलिए बाथरूम में आ गया, फ्रेश होने के बाद देखा कि बाथरूम में पीछे की ओर एक दरवाजा था, मैंने सोचा कि देखूँ क्या है इसके पीछे !

वो पीछे की एक पतली गैलरी थी, सारे पाइप और ए सी वहाँ ही लगे थे।

वापस आने की सोच ही रहा था कि आगे एक कमरे से रोशनी बाहर आती नजर आई।

बस मन में शैतानी आ गई कि देखूँ कौन है उसमें…

वैसे भी इस फ्लोर के तो सभी कमरे हमारे लिए ही बुक थे।

चुपके से वहाँ जाकर देखा तो एक खिड़की खुली हुई थी।

अरे यह तो मेहता अंकल का कमरा था। अंकल तो रिया के साथ थे, दोनों पूरे नंगे थे, शायद रिया की कमर पर कच्छी थी, वो घुटनों के बल झुकी हुई अंकल के लण्ड से खेल रही थी।

कभी हाथ से पकड़कर हिलाती तो कभी अपने होंठों से रगड़ती !

मैं कुछ और पास को आया जिससे उनकी आवाज सुन सकूँ…

तभी मुझे ऋतु भी दिख गई, वो दूसरे बिस्तर पर सो रही थी।

मैंने अपने दिल में सोचा काश इसको भी नंगी देख पाता।

उधर वो दोनों मस्ती में लीन थे!

रिया- ओह डैड… मान जाओ ना ..लाओ हाथ से ही कर देती हूँ। मुझे क्या पता था कि इतनी जल्दी हो जायेगा, मुझे तो आपसे भी ज्यादा बुरा लग रहा है।

अरे इसका क्या हो गया यार? क्यों मना कर रही है चुदवाने से?

मेहता अंकल- अरे तू भी ना… खुद तो डेट से हो गई और ऋतु को चोदने को मना कर रही है? करने दे ना, बहुत जल्दी हो जायेगा!

रिया- नहीं, बिलकुल नहीं… मुझे पता है कि कितनी देर लगती है आपको! वैसे भी बड़ी मुश्किल से उसकी फ़ुद्दी को कुछ टाइट किया है!

आपने तो उसके दोनों छेदों का कबाड़ा ही कर दिया था। कितनी फैल गई थी उसकी चूत… वो तो मैंने कैसे-कैसे करके उसको टाइट किया है। और चूतड़ का छेद तो अभी भी सही नहीं हुआ है।

मेहता अंकल- अरे यार कुछ नहीं होता, वो बहुत समझदार है, सब संभाल लेगी। चल गांड में ही हल्का सा डाल कर फ्री हो जाता हूँ वरना परेशान हो जाऊँगा।

रिया- ओह आप समझते क्यों नहीं? उसको तो अभी आप भूल ही जाओ। जब शादी के बाद वो पहली बार आये तभी उसको चोद पाओगे! अभी के लिए सलोनी भाभी को बुला लो।

मेहता अंकल- अरे यार अंकुर उसके साथ है… ऐसे में कैसे होगा? मुझे क्या पता था कि वो इतनी छुट्टी निकल लेगा? मैंने तो सोचा था कि सलोनी अकेली आएगी, खूब मस्ती करूँगा। अह्हाआ… आहआ अब तो सब गड़बड़ हो गई..

तभी रिया उठकर अपना गाउन पहनते हुए बोली- रुको मैं देखती हूँ, शायद कुछ हो जाये।

और वो कमरे से बाहर को चली गई, मैं भी जल्दी से बाथरूम में आ गया, हल्का सा दरवाजा खोलकर देखा, रिया हमारे कमरे में आ गई थी और वो सलोनी को उठा रही थी।

अरविन्द अंकल भी वहीं खड़े थे, शायद उन्होंने ही दरवाजा खोला होगा।

रिया- सलोनी भाभी, प्लीज बहुत जरूरी काम है… आप आओ ना!

सलोनी ने जैसे ही चादर हटाई तो उसका गाउन कमर से भी ऊपर था जो उसने बिस्तर से नीचे आकर ही सही किया।

contd....
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सलोनी- रुक तो, कुछ चेंज तो कर लूँ…

रिया- अरे नहीं भाभी, वहाँ हम दोनों ही हैं, ऐसे ही आ जाओ…

और वो सलोनी को वैसे ही गाउन में ही अपने साथ ले गई।

मैं फिर से पीछे से उसी कमरे में पहुँच गया। रिया तो सलोनी को कमरे में छोड़कर वापस चली गई।

बहुत समझदार थी वो, शायद सलोनी को खुलकर मजा लेने के लिए ही उसने ऐसा किया था।

सलोनी- क्या हुआ अंकल? कहाँ है ऋतु?

मेहता अंकल ने सलोनी को चुप रहने का इशारा किया और उसको सोती हुई ऋतु को दिखाया।

फिर उन्होंने कसकर सलोनी का हाथ पकड़ा और उसको अपने बिस्तर की ओर ले गए।

सलोनी बहुत डरी हुई सी बार बार ऋतु की ओर देख रही थी, वो केवल अपना सर हिलाकर मना कर रही थी।

मेहता अंकल- अरे यार, बहुत परेशान हूँ, बहुत मुश्किल से तुमको बहाने से बुलाया है, बस जरा देर की बात है, अंकुर तो अभी सो ही रहा होगा?

सलोनी- उफ़्फ़्फ़ क्या करते हो अंकल… वो उठ गए हैं, बाथरूम गए हैं।

मेहता अंकल ने सलोनी की हाफ नाइटी को नीचे से पकड़ का उसके सर से निकाल दिया, सलोनी के हाथ अपने आप ही ऊपर को हो गए थे।

अब केवल एक छोटी सी धानी रंग की ब्रा में वो वहाँ खड़ी थी। कच्छी तो वो वैसे भी नहीं पहनती थी।

सलोनी- ओह क्या कर रहे हो अंकल? ऋतु भी यही है और ये भी आ सकते हैं!

मेहता अंकल ने उसकी एक नहीं सुनी, उन्होंने अपनी हथेली से सलोनी की चूत को सहलाया और पीछे से ही अपना लण्ड वहाँ फिट कर दिया।

सलोनी ने अपना एक पैर बिस्तर के ऊपर रख दिया, शायद वो समझ गई थी कि अंकल मानेंगे तो है नहीं… तो जल्दी से ही उनको निबटा दिया जाये।

मेहता अंकल- अरे कोई नहीं आएगा, तू बस जरा देर रुक जा… बहुत देर से परेशान हूँ।

‘आअह्ह्हा…आआ…आआआ…’

और उन्होंने अपना लण्ड सलोनी की चूत में प्रवेश करा दिया।

‘अह्ह्ह अह्ह्हाआआ अह्ह्हाआआ आह्ह्हा…’

कमरे में दोनों की सिसकारियाँ गूंज रही थी।

अंकल ने अपना एक हाथ सलोनी की ब्रा में डाल उसकी चूची को भी बाहर निकाल लिया था।

मेरा यहाँ बुरा हाल था, अब मेरा लण्ड भी चूत चाहने लगा था।

सलोनी की यह जल्दी जल्दी की चुदाई देखने में ज्यादा मजा नहीं आ रहा था।

मैं यह सोचने लगा कि रिया कहाँ है, कहीं वो मुझे ही तो नहीं खोज रही? चलो उसी से कुछ मस्ती कर ली जाये।

मेहता अंकल भले ही उसको ना चोद पाये हों पर मैंने तो मेंसिस में भी गाण्ड मारी है।

सोचा, चलो आज रिया की गांड ही मारी जाये।

मैं जल्दी से अपने बाथरूम में आकर अपने कमरे में आया…

अरे रिया तो यहाँ भी नहीं थी!

अरविन्द अंकल- ओह ..बड़ी देर लगा दी बेटा… लगता है मेरी तरह तुमको भी देर लगती है?

मुझे पता था अरविन्द अंकल को टॉयलेट में बहुत देर लगती है।

मैं- हाँ कुछ कांस्टीपेशन हो गया है।

अरविन्द अंकल जल्दी से बाथरूम में घुस गए और बोले- सलोनी अभी आ रही है, वो रिया के साथ किसी काम से गई है।

मुझे हंसी आ गई, मुझे तो पता था कि वो किस काम से गई है।

मैंने दरवाजा खोलकर गैलरी में झाँका, रिया कहीं नजर नहीं आई।

अब अपने लण्ड का इलाज केवल नलिनी भाभी ही दिखी, अरविन्द अंकल को तो अंदर देर लगने वाली ही थी।

मैंने भाभी के ऊपर पड़ी चादर हटा दी…

वाह… क्या नजारा था!

भाभी अपनी बाईं करवट से लेटी थी, उनकी नाइटी पेट से भी ऊपर थी, एक पैर मुड़ा हुआ आगे की ओर रखा था, कमर में आसमानी रंग की कच्छी थी पर वो चूतड़ एक ओर को सरक गई थी।

उनके विशाल चूतड़ और बीच की गुलाबी लाइन… सुरमई द्वार.. सब कुछ साफ साफ़ दिख रहा था।

मेरे पास भी ज्यादा समय तो था नहीं, सलोनी या रिया और अरविन्द अंकल कोई भी आ सकता था।

मैंने जल्दी से ही जरा सा अपना ही थूक हाथ में लिया, उसको उँगलियों की सहायता से भाभी की बीच से झांकती चूत पर लगाया, फिर अपना शॉर्ट्स उतार कर अपने लण्ड के टॉप पर लगाया।

मुझे ऑफिस से ही ऐसे थूक लगाकर चोदने में बहुत मजा आता है।

फिर मैंने अपना खड़े खड़े ही अपना लण्ड भाभी की चूत में खिसका दिया।
‘अह्ह्हा…आआआ…’

इस पोजीशन में चूत काफी टाइट लग रही थी।

मैंने पहले हल्के हल्के धक्के लगाये और जैसे ही चूत ने पानी छोड़ना शुरू किया, मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ने लगी।

नलिनी भाभी वैसे ही लेटी थी, जरा भी नहीं हिल रही थी पर उनके मुख से निकलने वाली सिसकारियाँ बता रही थीं कि वो जाग चुकी हैं और पूरा मजा ले रही हैं।

क्या मजेदार चुदाई मैं आज कर रहा था, नलिनी भाभी का पति वहीं उसी कमरे के बाथरूम में था और यहाँ मैं उनकी सोती हुई बीवी को चोद रहा था।

यह सोचकर ही मेरा लण्ड और भी ज्यादा टाइट हो रहा था।

करीब 15 मिनट तक मैंने उनको जमकर चोदा.. फिर अपना गीला लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाल कर उनके चूतड़ को हाथ से फैलाकर उनकी गांड में डाल दिया।

और तभी मेरे लण्ड ने ढेर सारा पानी उनके गांड के छेद में भर दिया।

यही वो क्षण था जब कमरे का दरवाजा खुला…

और…??

मैंने तुरंत लण्ड भाभी की गांड से बाहर निकाल लिया और चादर को उनके नंगे चूतड़ों पर डाल दिया।

लेकिन अपना लण्ड को अंदर नहीं कर पाया… मेरे शॉर्ट्स नीचे पड़े थे।

ओह! यह तो सलोनी है!

अंदर आते ही उसने सीधे मुझे ही देखा, कोई भी देखकर एक नजर में समझ जाता कि मैं क्या कर रहा था मगर सलोनी के चेहरे पर एक सेक्सी सी मुस्कुराहट ही थी।

सलोनी- क्या हुआ जानू? मेरे बिना परेशान हो गए क्या?

मैं- हाँ जानेमन… मैं भी और मेरा लण्ड भी!

CONTD....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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सलोनी के मूड को देख मेरा मन भी हल्का हो गया, मैंने उस पर ध्यान दिया…
सिमटी हुई नाइटी और बगल में दबी हुई उसकी ब्रा… वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी।

मैं- अरे यह क्या हुआ?

मैंने उसकी ब्रा की ओर इशारा किया।

सलोनी के चहरे पर कोई शिकन नहीं थी- अरे पता नहीं कैसे एकमम ही टूट गई, शायद रात सोते हुए इसकी तनी टूट गई होगी।

मैं- इसमें इस बेचारी का क्या दोष है? तुम्हारे हो भी तो भारी रहे हैं। बेचारी इतनी छोटी… कैसे सहती इतना भार?

मैंने सलोनी की दोनों चूची को अच्छी तरह मसलते हुए कहा।

सलोनी ने भी मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भर लिया- अरे मेरे लाल… तुम तो पहले गीले ही हो गए हो।

उसने मेरे लण्ड को पुचकारते हुए कहा- चलो तुमको थोड़ा सा प्यार कर देते हैं।

उसने मुझे बिस्तर पर चलने को कहा। हम दोनों ही बिल्कुल भूल गए कि बराबर में नलिनी भाभी सोने की एक्टिंग करती हुई लेटी हैं और बाथरूम में अरविन्द अंकल भी हैं।

मैं बिस्तर पर पीछे को लेट गया, सलोनी ने अपनी नाइटी भी उतार कर एक ओर डाल दी, वो पूरी नंगी बिस्तर पर आई।

मैं- जानू लाइट बंद कर दो!

वो फिर से नीचे उतरी, पूरी नंगी ही स्विच ऑफ करने गई।

स्विच नलिनी भाभी के बेड के ऊपर थे।

वो स्विच ऑफ कर भी नहीं पाई थी कि तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और अरविन्द अंकल बाहर निकल आये।

सलोनी भी स्विच ऑफ करना भूल गई और पीछे को देखने लगी।

मैंने देखा कि अरविन्द अंकल आँखें फाड़े सलोनी को घूर रहे थे।

फिर जैसे ही उसको याद आया, उसने स्विच ऑफ किया और अपने बिस्तर पर आकर तुरंत मेरी चादर में आ गई।

मैंने भी चादर ओढ़ ली थी, पर इतनी देर में उन्होंने सलोनी के नंगे बदन के भरपूर दर्शन कर लिए थे।

हम दोनों ही शांत हो गए, कोई नहीं बोल रहा था, अंकल भी जाकर नलिनी भाभी की बगल में लेट गए।

तभी मुझे सलोनी का हाथ अपने लण्ड पर महसूस हुआ, उसको शायद ज्यादा फर्क नहीं पड़ा था।

मैंने भी मजा लेने की सोची और सलोनी की चूची को दबाने लगा।

मैंने आँख खोलकर देखा, अरविन्द अंकल हमारी ओर ही देख रहे थे।

उनसे बाथरूम का दरवाजा कुछ खुला रह गया था जिससे अंदर की लाइट से कुछ रोशनी हमारे कमरे में भी हो रही थी।

पता चल रहा था कि कौन कहाँ है.. और क्या कर रहा है।

मेरे दिमाग में भी एक रोमांच सा छा रहा था, मैंने भी सोचा जो हो रहा है, अच्छा ही हो रहा है, इसका भी मजा लिया जाये!

अभी कुछ देर पहले ही मेहता अंकल से चुदकर आई मेरी बीवी पूरे मूड में ही…अभी कुछ देर पहले ही नलिनी भाभी की चूत और गाण्ड से निकले मेरे लण्ड से खेल रही थी।

मेरे दिमाग में एक शैतानी सी आई… क्यों न आज इससे इसी लण्ड को चुसवाऊँ… देखूँ नलिनी भाभी की चूत की खुशबू यह पहचान पाती है या नहीं?

मैंने सलोनी को अपने लण्ड की ओर किया और वो तुरंत समझ गई…

सच इस मामले में सलोनी जैसा कोई नहीं हो सकता… ना तो वो किसी बात के लिए मना करती है और ना ही नखरे दिखाती है।

बल्कि मेरी हर बात बिना कहे समझ जाती है।

इसीलिए सलोनी मुझे बहुत पसंद है और मैं उसको बहुत प्यार करता हूँ।

सलोनी अपने ऊपर पड़ी चादर की परवाह ना करते हुए मेरे लण्ड की ओर चली गई और उसको अपने मुख में ले लिया।

मैंने अरविन्द अंकल की ओर देखा… वाह… उन्होंने नलिनी भाभी की चादर उनके ऊपर से हटा दी थी, उनके नंगे चूतड़ मुझे साफ़ दिख रहे थे, इसका मतलब सलोनी भी उनको साफ़ साफ़ दिख रही होगी।

तभी अरविन्द अंकल भी नलिनी भाभी के चूतड़ की ओर आये और वहाँ अपना मुँह लगा दिया।

पता नहीं वो केवल चूम ही रहे थे या फिर चाट भी रहे थे।

मेरे दिल में एक हल्का सा डर सा लगा कि कहीं उनको मेरे वीर्य की महक ना आ जाये।

मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ, जरा सी देर में ही मैंने देखा नलिनी भाभी सीधी हो अपनी दोनों टाँगें खोले अंकल को अपनी चूत चटवा रही थी और इधर सलोनी मेरे लण्ड को अपने गले तक अंदर ले रही थी, बहुत ही हॉट तरीके से चूस रही थी।

क्या मजेदार नज़ारा था।

नलिनी भाभी की चूत के पानी से सना लण्ड सलोनी के मुँह में था और मेरे वीर्य से भीगी चुदी हुई चूत को अंकल चाट रहे थे।

और फिर बिना एक दूसरे कि परवाह किये हुए ही मैंने सलोनी को वहीं घोड़ी बना कर पीछे से ही अपना लण्ड उसकी चुदी हुई चूत में घुसेड़ दिया, अभी कुछ देर पहले चुदी हुई चूत भी बहुत प्यारी दिख रही थी।

उधर अंकल भी नलिनी भाभी के ऊपर चिपके हुए थे, शायद उन्होंने भी अपना लण्ड उनकी चूत में प्रवेश करा दिया था।

बस अंतर केवल इतना था कि वो बहुत धीरे धीरे ही चोद रहे थे और हमारी चुदाई से बहुत तेज आवाजें आ रही थी।

मेरी जांघें तेजी से सलोनी के गद्देदार चूतड़ से टकरा रही थी जिनकी आवाज कमरे में गूंज रही थी।

सलोनी को देखकर मुझे लगा कि वो मेहता अंकल से चुदवा कर तो आई है मगर संतुष्ट नहीं हो पाई थी क्योंकि वो बहुत ही ज्यादा रोमांचित हो रही थी।

शायद मेहता अंकल जल्दी ही ढेर हो गए होंगे…

मैंने भी उसकी भावनाओं का पूरा सम्मान किया और उसको जमकर चोद रहा था।

करीब 15 मिनट तक मैंने उसको बहुत ही तेजी से तीन आसनों में चोदा।

हमको नहीं पता कि अरविन्द अंकल कब चोद कर सो भी गए थे, जब मैंने उधर देखा तो कोई हलचल नहीं थी।

हम दोनों को भी नींद आ रही थी, मैंने सलोनी को बाहों में लिया और दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपककर सो गए।

सुबह खटपट से पहले मेरी आँख खुली। सलोनी दूसरी ओर करवट लिए लेटी थी, हमारे ऊपर एक चादर थी, पता नहीं सलोनी ने ही ढकी थी या फिर अंकल ने?

मैं उठकर बैठ गया- गुड मॉर्निंग अंकल…

अरविन्द अंकल- गुड मॉर्निंग बेटा…मैंने चाय मंगवा ली है… अच्छा हुआ कि तुम जाग गए।

हम दोनों के बीच रात को लेकर कोई बात नहीं हुई… शायद वो रात का नशा था जो अब उतर चुका था।

नलिनी भाभी शायद बाथरूम में थी, अरविन्द अंकल भी अपनी लुंगी पहने हुए थे पर मेरे जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं था।

मैंने देखा पास ही मेरा शॉर्ट्स रखा था, मैंने संभलकर उसको पहन लिया।

बिस्तर के ऊपर ही सलोनी की नाइटी और ब्रा रखी थी, ये कपड़े शायद नलिनी भाभी ने ही रखे होंगे।

तभी एक वेटर कमरे में आ गया, वो वहाँ रखी मेज पर चाय बनाने लगा, मैं भी उठकर थोड़ा सा इधर उधर टहलने लगा।

वेटर का चेहरा हमारे बिस्तर की ओर ही था, वो चाय बनाते हुए ही सलोनी को तिरछी नजर से देख रहा था।

चादर में सिमटा सलोनी का चिकना जिस्म भी बहुत सेक्सी लग रहा था।

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मैं बस इतना सोच रहा था कि सलोनी एक जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं है और वो इसी कमरे में केवल एक चादर ओढ़े लेटी है जिसमें मेरे अलावा दो और आदमी भी हैं।

एक अरविन्द अंकल… चलो उनकी तो कोई बात नहीं… वो तो काफी कुछ देख और कर चुके हैं, मगर एक अनजान वेटर? यह पता नहीं क्या क्या सोच रहा होगा?

वेटर भी 25-28 साल का लम्बा और काला सा आदमी था पर बहुत ही साफ सुथरा और पढ़ा लिखा भी जान पड़ता था।

अरविन्द अंकल भी ना जाने क्या सोच रहे थे? उन्होंने भी वेटर को घूरते हुए देख लिया, उन्होंने सलोनी की भलाई करनी चाही, सोचा जगा दूंगा तो वेटर उसको नहीं घूर पायेगा, पर ऐसा हो जायेगा यह उन्होंने भी नहीं सोचा होगा।

उन्होंने सलोनी को आवाज लगा दी- अरे सलोनी बेटा… तुम भी चाय ले लो… ठंडी हो जाएगी।

और तभी सलोनी ने एक ओर करवट ले ली…

‘ओह माय गॉड… यह क्या हो गया…’

सलोनी का पूरा नंगा बदन जो अभी तक कम से कम अभी तक एक पतली चादर से ढका था, उसके चूतड़ों का आकार उस सिल्की चादर से पता तो चल रहा था मगर फिर भी उस पर एक परदा था।

सलोनी के करवट लेते ही चादर काफी हद तक उसके बदन से हट गई।

अरविन्द अंकल, मेरी और उस वेटर तीनों की नजर केवल सलोनी पर ही थी तो हम सबने ही भरपूर उस दृश्य को देखा।

अपनी बायीं करवट से सीधा होते हुए सबसे पहले चादर उसके कंधे से नीचे आई, फिर उसके दाईं ओर को सरक गई।

सलोनी का मस्त और रस से सराबोर जिस्म लगभग पूरा ही नंगा हो गया था।

चादर केवल उसकी दायीं चूची पर रुक गई थी जिसका ऊपरी भाग नंगा था, बायीं चूची पूरी बाहर आकर रात भर अपने मसले जाने की कहानी बयां कर रही थी।

उसकी गोरी गोलाई पर लाल लाल उँगलियों के निशान नजर आ रहे थे, गुलाबी निप्पल भी सिमटा सा एक ओर को ढलका हुआ था।

सलोनी की बायीं टांग भी चादर से पूरी तरह बाहर आ गई थी। शुक्र इतना था कि सलोनी की रात दो लण्ड से चुदी हुई चूत अभी चादर से ढकी हुई थी।

मगर साइड से साफ़ पता चल रहा था कि उसने कुछ भी नहीं पहना है, वो पूरी नंगी है।

हम तीनों इस मनुहारी दृश्य को देख ही रहे थे, मेरे दिमाग में बिल्कुल यह नहीं आया कि जाकर उसको आगाह कर दूँ या चादर सही कर दूँ।

तभी एक और धमाका हुआ…

सलोनी ने अभी तक अपनी आँखें नहीं खोली थी, वो शायद बहुत थकी थी और खुद को अपने ही बेडरूम में समझ रही थी।

उसने लेटे लेटे ही एक जोरदार अंगराई ली और जो ढका था वो भी नुमाया हो गया।

चादर दूसरी चूची को भी नंगी करते हुए पेट पर आ गई और चूत के ऊपर से भी सरक कर दूसरी टांग पर रह गई।

वो तो भला हो अरविन्द अंकल का जो तुरंत उठकर सलोनी के पास पहुँच गए और चादर को उसके ऊपर को करते हुए- अर्र रईईए क्या करती हो बेटा… कपड़े कहाँ है तेरे?

और जैसे सलोनी को होश आ गया हो!

उसने तुरंत उठकर खुद को ठीक किया है मगर वो पतली चादर उसके इस मस्ताने सुबह सुबह झलकते हुए जिस्म को कहाँ तक छुपाती।

उसका अंग अंग चादर से झांक रहा था, सलोनी बहुत ही मस्त दिख रही थी।

अरविन्द अंकल और मेरा तो फिर भी सही था मगर वेटर भी इस दृश्य का पूरा मजा ले रहा था, चाय बनाने के बाद भी वो कमरे से नहीं जा रहा था बल्कि कुछ न कुछ करने का बहाना किये वहीं खड़ा लगातार सलोनी के हुस्न को निहार रहा था।

कुछ ही देर में सलोनी की नींद पूरी तरह खुल गई और वो समझ गई कि वो कहाँ है और कमरे में सभी को उसने एक बार देखा, अंकल को गुड मॉर्निंग बोला, फिर अपनी नाइटी उठाकर वहीं सबके सामने पहनने लगी।

उसने नाइटी का निचला भाग गले में डाला और उसको नीचे करते हुए ही चादर को नीचे कर दिया हमेशा की तरह, सलोनी कपड़े पहनते हुए कभी सावधानी नहीं रखती।

इस समय भी चादर तो पहले नीचे हो गई और उसने नाइटी बाद में चूची के ऊपर की, एक बार फिर उसके ये यौवन कपोप सभी को नजर आ गए।

फिर खुद ही चादर को पूरी तरह हटा उसने बिस्तर से उतरने के लिए पैर नीचे लटका दिए।

अभी भी उसकी नाइटी कमर तक ही आई थी और वो नीचे अपनी चप्पल को देखती हुई खड़ी हो गई।

इस समय उसकी पीठ हमारी ओर थी, चप्पल को देखती हुए ही उसने अपनी नाइटी पीछे से अपने चूतड़ों से नीचे की।

इस दौरान जो अभी तक उस वेटर ने नहीं देखा था, वो भी उसने देख लिया।

सलोनी के चूतड़ों का हर कटाव जब मुझे दिख गया तो उसने तो आसानी से सब साफ-साफ़ देखा होगा क्योंकि वो तो मेरे आगे खड़ा था।

सलोनी की चप्पल कुछ बिस्तर के नीचे को हो गई थी और फिर सलोनी ने बिना किसी से कुछ कहे नीचे झुककर चप्पल निकाली तो एक बार फिर उसके चूतड़ का ओर भी खुला रूप सबके सामने था।

सुबह सुबह सलोनी ने सभी का दिन बहुत ही सुन्दर बना दिया था।

वेटर ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि आज के दिन की शुरुआत उसकी ऐसे मजेदार ढंग से होने वाली है।

फिर तो उस वेटर ने हमारी बहुत सेवा की।

बस ऐसे ही हम लोग वहाँ खूब मजा कर रहे थे।

उसी शादी में अगले दिन किसी और जगह कोई बड़ा कार्यक्रम था, मुझे बहुत थकान हो गई थी, वहीं दूल्हे के मामा से मेरी अच्छी दोस्ती सी हो गई, हम दोनों वहीं एक दूसरी जगह एक कमरे में बैठे बात कर रहे थे।

मामाजी कर्नल थे इसलिए अपनी बहादुरी के किस्से ही सुना रहे थे, मैंने उनको सलोनी से भी मिलवा दिया था।

सलोनी ने उस दिन सिल्वर कलर की साड़ी और फैंसी ब्लाउज़ पहना था।

साड़ी उसके चूतड़ों पर बहुत कसी हुई थी, सलोनी उसमें बहुत ही सेक्सी दिख रही थी।

मामाजी और मैं बात करते हुए ही वहीं सो गए, कमरे में जमीन पर ही गद्दे लगे थे, एक ओर दीवार की तरफ मैं था और दूसरी ओर वो लेटे थे।

कुछ देर बाद सलोनी भी वहीँ आ गई, वो भी शायद ज्यादा थक गई थी।

वो मेरे दायीं ओर ही लेट गई, मैं दीवार से चिपका था तो उधर जगह नहीं थी।

अब सलोनी के बायीं ओर मैं लेटा था और दायीं ओर मामा जी थे।

मुझे कोई दस मिनट ही तेज झपकी लगी थी पर सलोनी के कमरे में आने के बाद मेरा ध्यान सेक्स की ओर चला गया।

कुछ देर बाद सलोनी फिर से कुनमुनाती हुई उठी, फिर मेरे से चिपक गई।

CONTD....
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