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Adultery रंगीली बीबी
#1
Heart 
मेरी उम्र सत्ताईस साल है और मेरी बीवी सलोनी छब्बीस साल की है, हमारी शादी को लगभग ढाई साल हो गए हैं। अभी हमारा कोई बच्चा नहीं है। मैं औसत कदकाठी का साधारण काम करने वाला इंसान हूँ, समाज भीरू, अपनी कोई बात जगजाहिर करना नहीं चाहता और सेक्स के मामले में भी साधारण ही हूँ।
मगर इसे अपनी किस्मत कहूँ या बदकिस्मती कि मेरी शादी एक बहुत सुन्दर लड़की सलोनी से हो गई वो एक क़यामत ही है 5 फुट 4 इंच लम्बी, बिल्कुल दूध जैसा सफ़ेद रंग जिसमें सिंदूर मिला हो और गजब के उसके अंग, वक्ष 36″ पतली कमर शायद 26″ और खूब उभरे हुए उसके कूल्हे 38 ! उसके चूतड़ इतने गद्देदार हैं कि अच्छों-अच्छों का लण्ड पानी छोड़ देता है जिसे मैंने कई बार महसूस किया है, उसकी इसी गांड के कारण सुहागरात को मेरे लण्ड ने भी जवाब दे दिया था।
चलिए वो किस्सा भी आपको बता देता हूँ।
सुहागरात में उसके गोरे सुन्दर और गर्म बदन ने ही मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था और ऊपर से जब मैं उसको प्यार कर रहा था तब वो उल्टी पेट के बल बिस्तर पर लेट गई उसके सफ़ेद बदन पर केवल एक काली पैंटी थी जो उसके चूतड़ों को गजब का सेक्सी बना रही थी।
फिर जब उसकी पीठ को चूमते हुए जब मैं उसकी कच्छी उसके चूतड़ों से नीचे उतारने लगा तो उसके हिलते हुए चूतड़ों के बीच उसका सुरमई गुदा-द्वार देख मेरे छक्के छूट गए और जैसे ही मैंने उसकी झांकती गुलाबी, चिकनी चूत जिसके दोनों होंट आपस में चिपके थे, देखते ही मेरे पसीने छूट गए।
उसके इन अंगों ने मुझे उसके सामने शर्मिन्दा करवा दिया। मगर उसने बड़े प्यार से मुझसे कहा- "कोई बात नहीं, ऐसा हो जाता है"

उसका यह प्यार अभी भी जारी है, वो कभी कोई मांग नहीं रखती और कभी मुझसे लड़ाई करती है और मेरा बहुत ध्यान रखती है इसलिए मैं उससे कुछ नहीं कहता और ही उसकी हरकतों को रोक पा रहा हूँ। कपड़े उसके काफी मॉडर्न ही होते थे पर इसके लिए मैंने कभी उसको मना नहीं किया था। अब आपसे उसके इसी व्यव्हार के बारे मैं बताऊँगा।
सलोनी हमेशा बहुत हंसमुख सभी से खुलकर बातचीत करने वाली, सभी का ध्यान रखने वाली लड़की है। मेरे सभी दोस्त और रिश्तेदार उसको बहुत पसन्द करते हैं। हम एक अलग फ्लैट लेकर रहते हैं। पहले साल तक तो सब कुछ मुझे सामान्य ही लगा था और हमारा जीवन भी आम पति-पत्नी जैसा ही बीता था। हाँ, हमारे बीच चुदाई कम होती थी, हफ़्ते में एक-दो बार ही, मगर उसने कभी शिकायत नहीं की और ही कभी वो कहती, जब मेरा मन होता है, तो वो खुद ही तैयार हो जाती है।
मेरे दोस्तों के साथ उसका हंसी मजाक या मेरे भाइयों के साथ उसकी छेड़छाड़ सब कुछ सामान्य ही लगता था मगर पिछले एक साल से सब कुछ बदल गया है, सलोनी को मैं सीधी-सादी समझता था मगर वो तो सेक्स की मूर्ति निकली, अब तो बस मैं उसको छिपकर उसकी हरकतों को देखता रहता हूँ तो उससे कुछ कहता हूँ और ही उसकी किसी बात का विरोध करता हूँ। शायद यही सुन्दर पत्नी रखने की सजा है।
दोस्तों शादी के बाद का एक साल तो ऐसे ही गुजर गया, या तो मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया सलोनी की हरकतों पर या फिर वो भी सती-सावित्री ही बनी रही। असली कहानी कोई एक साल बाद शुरू हुई जब मैंने उसकी हरकत पर ध्यान दिया।
हुआ यों कि मेरा छोटा भाई दिल्ली से आया हुआ था, वो वहाँ इंजीनियरिंग कर रहा है, 22 साल का गठीला जवान है, दोनों देवर भाभी में हंसी मजाक होता रहता है। एक सुबह मैं उठकर अखबार पढ़ते हुए चाय पी रहा था, तभी सलोनी बोली- "सुनो, आप पौधों को पानी दो ना, मैं तब तक नाश्ता तैयार कर लेती हूँ"

सलोनी ने गुलाबी सिल्की हाफ पजामी पहनी थी जो उसके घुटनों तक ही थी, वो उसकी जांघों से पूरी तरह कसी हुई थी जिससे उसके चूतड़ बाहर निकले हुए साफ़ दिख रहे थे और इस पजामी में जब वह अंदर चड्डी नहीं पहनती थी तो उसकी चूत का आकार भी साफ़ दिखता था और पीछे से मुझे आज भी उसकी पजामी में कहीं कोई कच्छी का निशान नहीं दिख रहा था, मतलब सामने से उसकी चूत गजब ढहा रही होगी।
मैंने एक दो बार उसको कहा भी है- "जान इस पजामी के अंदर कच्छी जरुर पहन लिया करो जब कोई और घर में आया हो!"
मगर वो ऐसी बातों को नजरअंदाज़ कर देती थी, मैं भी ज्यादा नहीं टोकता था। ऊपर उसने एक सैंडो टॉप पहना था जो उसके विशाल उरोजों पर कसा था और उसके पेट पर नाभि तक ही रहा था उसकी पजामी और टॉप के बीच करीब पाँच इंच सफ़ेद कमर दिख रही थी जो उसको बहुत सेक्सी बना रही थी।
मैं पौधों में पानी डालने बाहर जाने वाला था कि तभी मेरा छोटा भाई भी रसोई में गया- "लाओ भाभी मैं आपकी मदद करता हूँ, और भैया कहाँ हैं"
पता नहीं क्यों मैं उन दोनों को देखने अंदर ही रुक जाता हूँ, ऐसा पहली बार हुआ था, शायद मैंने सोचा कि सलोनी का वो सेक्सी रूप देख कर पारस को कैसा लगा होगा? क्या वो सलोनी को कुछ कहेगा?
मगर तभी पारस की आवाज आई- "क्या भाभी, बाहर क्या कर रहे हैं भैया, क्या आज सुबह सुबह उनको बाहर निकाल दिया"
सलोनी- "चल पागल, वो पौधों में पानी देने गए हैं"
पारस- "वाह, मतलब आज सुबह ही मौका मिल गया? चलो तो इस पौधे में पानी हम डाल देते हैं"
उसकी यह बात सुनते ही मेरा माथा ठनक गया, यह क्या कह रहा है पारस?
मैंने दरवाजे की आड़ लेते हुए रसोई में झाँका और मेरे सारे सपने चकनाचूर हो गए, पारस अपनी भाभी से पीछे से चिपका था और उसके हाथ उसको आगे से बांधे हुए थे।
सलोनी- "हाथ हटा पगले, तेरे भैया अभी आते ही होंगे और यह पौधा तो घर में ही है, जब चाहे पानी डाल देना"
मैंने थोड़ा और आगे को होकर देखा तो पारस का सीधा हाथ सलोनी के पजामी के अंदर था। मतलब वो उसकी चूत सहला रहा था, जो बिना किसी अवरोध के उसकी हथेली के नीचे थी।
पारस- "भाभी, क्या गजब माल लग रही हो आज और आपकी चूत पर तो हाथ रखते ही मन करता है कि.."
सलोनी- "हाँहाँ, मुझे पता चल रहा है कि तुम्हारा क्या मन कर रहा है वो तो तुम्हारा यह मोटा मूसल लौड़ा ही बता रहा है जो पजामी के साथ ही मेरे चूतड़ों के बीच में मेरी गाण्ड घुसा जा रहा है"
मैं उनकी बातें सुन कर धक्क से रह गया था कि सलोनी कभी मेरे सामने इतना खुलकर ऐसे नहीं बोलती थी, कभी कभी मेरे बहुत ज़ोर देने पर बोल देती थी मगर आज तो पराये मर्द के सामने रंडी की तरह बोल रही थी।
तभी उसने पीछे हाथ कर पारस का लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया। पारस ने जाने कब उसे अपने पजामे से बाहर निकाल लिया था वो अब सलोनी के हाथ में था। तभी सलोनी घूमी तो मैंने देखा कि उसकी पजामी चूत से नीचे खिसकी हुई है अब उसकी नंगे सुतवाँ पेट के साथ उसकी छोटी सी चूत भी दिख रही है, पारस के लण्ड को सलोनी ने अपने हाथ से सहला कर उसके पजामे में कर दिया और बोली- "इसको अभी आराम करने दो, इस सबके लिए अभी बहुत समय मिलेगा।
मैं उनकी ये सब हरकतें देख चुपचाप बाहर गया और सोचने लगा कि क्या करूँ"
मैं कुछ देर के लिए बाहर आकर अपना सर पकड़कर बैठ गया। एक पल तो मुझे लगा कि मेरी दुनिया पूरी लुट गई है, मैं लगभग चेतनाहीन हो गया था पर जब अंदर से कुछ आवाजें आईं तब मैं उठा और पौधों को पानी देने लगा।

पानी देते हुए अचानक अपने भाई पारस की बात दिमाग में गूंजने लगी और जाने कैसे मैं सोचने लगा कि पौधे की जगह मेरी बीवी नंगी अपनी टाँगें फैलाये लेटी है और पारस अपने लण्ड को हिला हिला कर अपना पानी उसकी चूत में डाल रहा है और ये सब सोचते ही मेरा अपना लण्ड सर उठाने लगा जाने कैसी बात है यह कि अभी दिमाग काम नहीं कर रहा था और अब लण्ड भी पूरे जोश में था।
अब मेरे सामने दो ही रास्ते थे कि या तो लड़ झगड़ कर सब कुछ ख़त्म कर लिया जाये या फिर खुद भी मज़े करो और उसको भी करने दो। मैंने दूसरा रास्ता चुना क्योंकि मैं भी पाक साफ नहीं था और सेक्स को मजे की तरह ही देखता था। सबसे बड़ी बात तो यही थी कि सलोनी एक पत्नी के रूप में तो मेरा पूरा ख्याल रखती ही थी बाकी शायद उसकी अपनी इच्छाएँ थी। मेरे मन में बस यही ख्याल रहा था कि ज़िंदगी बहुत छोटी है, इसमें जो मिले उसे भोग लेना चाहिए। कम से कम सलोनी मेरा ख्याल तो रख ही रही थी, मेरी बेइज्जती तो नहीं कर रही थी। अब मेरे पीछे वो कुछ अपनी इच्छाओं को पूरा कर रही थी तो मुझे इसमें कुछ गलत नहीं लगा। ये सब सोच मेरा मन बहुत हल्का हो गया और अपना काम ख़त्म कर मैं अंदर गया। अंदर सब कुछ सामान्य था, सलोनी रसोई में वैसे ही काम कर रही थी और पारस बाथरूम में था।
करीब दस मिनट के बाद पारस नहाकर बाहर निकला, उसके कसरती बदन पर केवल कमर में एक पतला तौलिया बंधा था जिसमें उसके लण्ड के आकार का आभास हो रहा था। मैं अपने कपड़े ले बाथरूम में चला गया, सलोनी वैसे ही रसोई में काम करती रही।
पारस- "भैया, क्या हुआ? आज कुछ जल्दी है?"
मैं- "हाँ आज जरा जल्दी ऑफिस जाना है। सलोनी जल्दी नाश्ता तैयार कर दो, मैं बस फ़टाफ़ट नहाकर आता हूँ"
मैंने बाथरूम से सलोनी को बोल दिया।
सलोनी- "ठीक है, आप नहा कर आइये, नाश्ता तैयार ही है। पारस तुम भी जल्दी से जाओ सब साथ ही कर लेंगे"
पारस- "ठीक है, भाभी मैं तो तैयार ही हूँ, ऐसे ही कर लूँगा"
मैंने बाथरूम में शॉवर चलाया और उन दोनों को देखने का सोचा।
TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#2
Heart 
बाथरूम की एक तरफ़ की दीवार में ऊपर की ओर छोटा रोशनदान है जो हवा के लिए खुला रहता है, वहाँ से रसोई का कुछ भाग दिखता है और मैं उनकी बातें भी सुन सकता था। मैंने पानी का ड्रम खिसकाकर रोशनदान के नीचे किया और उस पर चढ़कर रसोई में देखने का प्रयास किया। वहाँ से कुछ भाग ही दिख रहा था, पर उनकी बातों की आवाज जरूर सुनाई दे रही थी।

पारस- "भाभी, क्या बनाया नाश्ते में आज?"

सलोनी- "सब कुछ तुम्हारी पसन्द का ही है, ब्रेड सैंडविच और चाय या कॉफी जो तुम कहो"

पारस- "आपको तो पता है, मैं ये सब नहीं पीता, मुझे तो दूध ही पसन्द है"

सलोनी- "हाँ हाँ… मुझे पता है और वो भी तुम सीधे ही पीते हो"
और दोनों के जोर से हंसने की आवाज आई।

सलोनी- "अरे क्या करते हो, अभी मैंने मना किया था न ! उफ़्फ़… क्या कर रहे हो !"

मैंने बहुत कोशिश की दोनों को देखने की मगर कभी कभी जरा सा भाग ही दिख रहा था। मगर यह निश्चित था कि पारस मेरी बीवी के दूध पी रहा था। अब वो टॉप के ऊपर से पी रहा था या टॉप उठाकर यह मेरे लिए भी सस्पेन्स था। मैं तो केवल उनकी आवाजें सुनकर ही उत्तेजित हो रहा था।

सलोनी- "ओह पारस, क्या कर रहे हो? प्लीज अभी मत करो ! देखो, वो आते होंगे… ओह… नहीं… आह… क्या करते हो। ओह पारस… तुमने अंडरवियर भी नहीं पहना"

पारस- "पुच… पुच… सुपरररर… सपरर… अहाआआ… भाभी, कितने मस्त हैं आपके मम्मे… ओह्ह्ह भाभी, ऐसे ही सहलाओ… आहा… कितना मस्त सहलाती हो आप लण्ड को… आहाअ… ओह्हओ… पुच… पुच…"

मैं रोशनदान से टंगा उनकी आवाजें सुन रहा था और सोच रहा था कि ये मेरे सामने ही कितना आगे बढ़ सकते हैं। क्या आज ही मुझे इनकी चुदाई देखने को मिल जायेगी। पता नहीं क्या होगा…
तभी मुझे पारस की छाया सी दिखी, वो कुछ पीछे को हुआ था।

“ओह माय गॉड…"- वो पूरा नंगा था, उसका तौलिया उसके पैरों में था जिसे उसने अपने पैरों से पीछे को धकेला। शायद उसी के लिए वो पीछे को हुआ होगा। मुझे उसका लण्ड तो नहीं दिखा मगर मैं इतना मूर्ख भी नहीं था कि यह न समझ सकूँ कि इस स्थिति में उसका लण्ड 90 डिग्री पर खड़ा ही होगा। अब सोचने वाली बात यह थी कि मेरे घर में रहते वो क्या करेगा। वो फिर आगे को हो गया और मेरी नजरों से ओझल हो गया।
तभी फिर से आवाजे आने लगीं…

सलोनी- "तुम बिल्कुल पागल हो पारस… क्या करते हो, तुम्हारा लण्ड कितना सख्त हो रहा है"

पारस- "हाँ भाभी, अहा… आज तो भैया के सामने ही यह तुम्हारी चूत में जाना चाहता है… ओहू…ओ… अहाह… ह…"

सलोनी- "नहीं… ईईईइ… पारस… प्लीज ऐसा मत करो, मैं उनके सामने ऐसा नहीं कर सकती। मैं उनसे बहुत प्यार करती हूँ। अहाआ… आ… पारस… हा… हा… ओह… मत करो न… तुम बहुत बदमाश हो गए हो, अहा… क्या करते हो… प्लीज तुम्हारा लण्ड तो आज मेरी पजामी ही फाड़ देगा… अहाआ… आआ… नहीं… ईईईई…"

पारस- "पुच… पुछ्ह्ह्ह्ह… अहह… हआआ… आज नहीं छोड़ूंगा… ओहू… ऊओ… लाओ इसको हटा दो"

सलोनी- "नहींईई पारस… क्या करते हो, पगला गए हो, देखो वो आते ही होंगे, मान जाओ ना प्लीज ह्ह्हाआ… ओह… ऊऊओह…"

पारस- "वह भाभी… क्या मस्त चूत है आपकी… बिल्कुल छोटी बच्ची की तरह… कितनी चिकनी और छोटी सी… दिल करता है खा जाऊँ… इसको…"

वाकयी सलोनी की चूत बहुत खूबसूरत है, उसके छोटे छोटे होंट ऐसे आपस में चिपके रहते हैं जैसे किसी किशोर लड़की के और चूत का रंग गुलाबी है जो उसकी गदराई सफ़ेद जांघों में जान डाल देता है। उसकी चूत बहुत गर्म है और उसके होंटों को खोल जब लाली दिखती है तो मुझे पक्का यकीन है कि बुड्ढों तक का लण्ड पानी छोड़ दे। मगर इस समय वो चूत मेरे छोटे भाई पारस के हाथ में थी। पता नहीं वो नालायक उसको कैसे छेड़ रहा होगा।
अब फिर से भयंकर मादक आवाजें आने लगीं।

सलोनी- "ह्हाआ… आअ… आआआअ… ओहू… ऊऊओ पारस… नहीईई… प्लीजज्ज… नहीं… ईईईई…"

पारस- "भाभी… इइइ… बस जरा सा झुक जाओ"

सलोनी- "वो आते होंगे ! तुम मानोगे नहीं"

पारस- "भाभी, भैया अभी नहा ही रहे हैं, शॉवर की आवाज आ रही है, उनके आने से पहले हो जायेगा। बस जरा सा आह… आआआ…"

सलोनी- "ओह… ऊऊओ… क्या करते हो ओह… ऊऊ… वहाँ नहीं पारस… आहआ… आआआआ… आआआआआ… सूखा ही आआआ… तुम तो मार ही दोगे"

"पागल, मैंने कितनी बार कहा है गांड में डालने से पहले कुछ चिकना लगा लो"

पारस- "मैंने थूक लगाया था ना और आपकी चूत का पानी भी लगाया था… अहा…आआआ… क्या छेद है भाभी… मजा आ गया"

सलोनी- "चल पहले मलाई लगा…"

"अरे क्या करता है सब दूध ख़राब कर दिया, हाथ से लेकर लगा न, लण्ड ही दूध में डाल दिया… तू तो वाकयी पगला गया है"

पारस- "जल्दी करो भाभी… जब लण्ड पी सकती हो तो क्या लण्ड से डूबा दूध नहीं… अहा… जल्दी करो…"

सलोनी- "अहा…आआ… धीरे… पागल…ह्हाआआअ ह्हाआअ...ओहूऊऊऊ…"

दस मिनट तक उनकी आवाजें आती रहीं। झूठ नहीं बोलूंगा, मैंने भी नहाने के लिए अपने कपड़े निकाल दिए थे और इस समय पूरा नंगा ही उन दोनों को सुन रहा था, मेरा लण्ड भी पूरा खड़ा था और मैं उसको मुठिया रहा था।

सलोनी- "अहा… हाआआआ… पारस बहुत जबर्दस्त है तुम्हारा लण्ड… अहा…आआ… क्या मस्त चोदते हो… अहा… बस करो न अब… ऐईईईइ…"

पारस- "आआ… आआआ… आआ… ह्हह्ह… बस हो गया भाभी आआआह ह्ह्ह्ह्हा…"

सलोनी- "ओह… ऊऊऊ… क्या कर रहे हो… सब गन्दा कर दिया… उफ्फ्फ… फ्फ्फ्फ्फ…"

तभी पारस पूरा नंगा अपना तौलिया उठा बाहर आ गया। उसका लण्ड अभी भी तना था और पूरा लाल दिख रहा था और फिर सलोनी भी बाहर आई, माय गॉड क्या लग रही थी। उसका टॉप बिल्कुल ऊपर था उसकी दोनों चूची बाहर निकली थी जिन पर लाल निशान दिख रहे थे। ऊपर तनी हुई सफ़ेद चूची पर गुलाबी निप्पल चूसे और मसले जाने की कहानी साफ़ कह रहे थे। उसकी ब्रा एक और को लटकी थी उसकी शायद तक एक फीता टूट गया था।
और नीचे तो पूरा धमाकेदार दृश्य था उसकी पजामी उसके पंजों में थी और वो पजामी के साथ ही पैरों को खोलकर चल रही थी। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा मन उसमें अपना लण्ड एक झटके में डालने को कर रहा था।
रसोई से बाहर आ उसने तौलिया लिया और मेरी ओर पीठ करके अपनी चूत साफ करने लगी। उसकी कमर से लेकर चूतड़ों तक पारस का वीर्य फैला था। वो जल्दी जल्दी साफ़ करते हुए पीछे मुड़ कर बाथरूम की ओर भी देख रही थी।
उसकी इस स्थिति को देखते हुए मेरे लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया।
अब मैं नीचे उतर बिना नहाये केवल हाथ मुंह धोकर ही बाहर आ गया। हाँ, थोड़े से बाल जरूर भिगो लिए जिससे नहाया हुआ लगूँ। बाहर एक बार फ़िर सब कुछ सामान्य था, सलोनी फिर से रसोई में थी और पारस शायद अपने कमरे में था।

TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#3
nice ......................
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#4
bhai poori story post karo na..
This story is awesome, but not new....
posted already on other forums many times.. but left incomplete..
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#5
(19-02-2024, 10:44 PM)longindian_axe Wrote: bhai poori story post karo na..
This story is awesome, but not new....
posted already on other forums many times.. but left incomplete..

Its my original story not copy paste, and its true that its a long story but I assure you will get in full here.
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#6
Heart 
हाँ बाहर एक कुर्सी पर सलोनी की ब्रा जरुर पड़ी थी जो उनकी कहानी वयां कर रही थी।वो कितना भी छुपाएँ पर सलोनी ब्रा को बाहर ही भूल गई थी।
मैंने उससे थोड़ी मस्ती करने की सोची और पूछा- “सलोनी, क्या हुआ? तुम्हारी ब्रा कहाँ गई”
मगर बहुत चालाक हो गई थी वो अब ! कहते हैं न कि जब ऐसा वैसा कोई काम किया जाता है तो चालाकी अपने आप आ जाती है। वो तुरन्र बोली- “अरे काम करते हुए तनी टूट गई तो निकाल दी”
मैंने फिर उसको सताया- “कौन सा काम बेबी?”
वो अब भी सामान्य थी- “अरे, ऊपर स्लैब से सामान उतारते हुए जान !”
मैं अब कुछ नहीं कह सकता था, हाँ, उसके चूसे हुए होंटों को एक बार चूमा और अपने कमरे में आ गया।
तो यह था मेरा पहला कड़वा या मीठा अनुभव, कि मेरी प्यारी जान मेरी सीधी सी लग वाली बीवी सलोनी ने कैसे मेरे भाई से अपनी नन्ही-मुन्नी चुदवाई।
हाँ, एक अफ़सोस जरूर था मुझे कि मैं उसको देख नहीं पाया ! मगर फिर भी सब कुछ लाइव ही तो था, देख नहीं पाया, सुना तो सब था मैंने, अपनी बीवी की सीत्कारें रसोई में मेरे भाई से चुदवाते हुए ! मैं तैयार होकर बाहर आया, नाश्ता लग चुका था। पारस भी तैयार हो गया था।
मैं- “पारस, आज कहाँ जाना है, मैं छोड़ दूँ”
पारस- “नहीं भैया, कहीं नहीं, आज आराम ही करूँगा, आज रात की गाड़ी से तो वापसी है मेरी”
मैं- “हाँ, आज तो तुझको जाना ही है, कुछ दिन और रुक जाता”
पारस- “आऊँगा ना भैया, अगली छुट्टी मिलते ही यहीं आऊँगा। अब तो आप लोगों के बिना मन ही नहीं लगेगा” कह मेरे से रहा था जबकि देख सलोनी को रहा था।
फिर सलोनी ने ही कहा- “सुनो, मुझे जरा बाज़ार जाना है, कुछ कपड़े लेने हैं”
मैं- “यार, मेरे पास तो टाइम ही नहीं है, तुम पारस के साथ चली जाना”
सलोनी- “ठीक है, थोड़े पैसे दे जाना”
मैं- “ठीक है, क्या लेना है, कितने दे दूँ”
सलोनी- “अब दो तीन जोड़ी तो अंडरगार्मेन्ट्स ही लाने हैं, एक तो अभी ही टूट गई, अब कोई बची ही नहीं, थोड़े ज्यादा ही दे देना”
वो मुस्कुराते हुए पारस को ही देख रही थी। पहले तो मैं कोई ध्यान नहीं देता था मगर अब उन दोनों की ये बातें सुन सब समझ रहा था।
सलोनी- “अच्छा 5000 दे देना, अबकी बार अच्छी और महंगे वाले चड्डी ब्रा लाऊँगी” वो बिना शरमाये अपने कपड़ो के नाम बोल रही थी।
मैं- “ठीक है जान, ज़रा अच्छी क्वालिटी की लाना और पहन भी लिया करना”
पारस- “हा… हा… हा… भैया, ठीक कहा आपने। हाँ भाभी… ऐसे लाना जिनको पहन भी लो… आपको तो पता नहीं, पर ऐसे कपड़ों में दूसरों को कितनी परेशानी होती होगी”
सलोनी उसके कान पकड़ते हुए- “अच्छा बच्चू ! बहुत बड़ा हो गया है तू अब। ऐसी नजर रखता है अपनी भाभी पर? बेटा सोच साफ़ होनी चाहिए, कपड़ों से कोई फर्क नहीं पड़ता”
पारस- “हाँ भाभी, आपने ठीक कहा, मैंने तो मजाक किया था”
मैं उन दोनों की नोकझोंक सुन कर मुस्कुरा रहा था, कुछ बोला नहीं, बस सोच रहा था कि कैसे इन दोनों की आज की हरकतें जानी जाएँ। अब घर पर मेरा टिकना तो सम्भव नहीं था। तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, मैंने सलोनी के पर्स में रु० रखते हुए सोचा, उसका यह पर्स मेरी समस्या कुछ हद तक दूर कर सकता है। मैंने कुछ समय पहले एक आवाज रिकॉर्ड करने वाला पेन voice recorder लिया था, मैंने उसको ऑन करके सलोनी के पर्स में नीचे की ओर डाल दिया। उसकी क्षमता लगभग 8 घंटे की थी, अब जो कुछ भी होगा, कम से कम उनकी आवाजें तो रिकॉर्ड हो ही जाएंगी। मैंने पहले भी यह चेक किया था, जबर्दस्त पॉवर वाला था और एक सौ मीटर की रेंज की आवाजें रिकॉर्ड कर लेता था।
अब मैं निश्चिंत हो सबको बाय कर ऑफिस के लिए निकल गया। सोचा कि अब शाम को आकर देखते हैं क्या होता है पूरे दिन…
मैं शाम 7 बजे वापस आया, घर का माहौल थोड़ा शांत था, सलोनी कुछ पैक कर रही थी, पारस अपने कमरे में था। मैं भी अपने कमरे में जाकर कपड़े बदलने लगा कि तभी मुझे सलोनी का पर्स दिख गया। मैंने तुरंत उसे खोलकर वो पेन निकाला, वो अपने आप ऑफ हो गया था। पर्स में मुझे 3-4 बिल दिखे हैं, मैंने उनको चेक किया, सलोनी ने काफी शॉपिंग की थी। उसकी 2 लायेन्ज़री Lingerie, कुछ कॉस्मेटिक और पारस की टी-शर्ट, नेकर और अंडरवियर भी थे। आमतौर पर मैं कभी ये सब नहीं देखता था पर जब सलोनी की सब हरकतें आसानी से दिख रही थी तो अब मेरा दिल उनकी सभी बातें जानने का था, आज तो उनके बीच बहुत कुछ हुआ होगा। मगर यह सब अभी सम्भव नहीं था, मैंने पेन से मेमरी चिप निकाल कर अपने पर्स में रख ली, सोचा कि बाद में सुनुँगा।
बाहर पारस सलोनी को मना रहा था- “मत उदास हो भाभी, फिर जल्दी ही आऊँगा”
ओह ! सलोनी इसलिए उदास थी ! मैंने भी उसको हंसाने की कोशिश की मगर वो वैसी ही बनी रही उदासमना।
मैं- “पारस, कितने बजे की ट्रेन है तेरी?”
पारस- “भैया, 8:50 की है, मैं 8 बजे ही निकल जाऊँगा”
मैं- “पागल है क्या? मैं छोड़ दूँगा तुझे स्टेशन पर, आराम से चलेंगे, चल खाना खा लेते हैं”
पारस- “आप क्यों परेशान होते हो भैया, मैं चला जाऊँगा”
मैं- “नहीं, तुझसे कहा ना ! सलोनी तुम भी चलोगी ना”
सलोनी- “नहीं, मुझे अभी बहुत काम हैं, और मैं इसको जाते नहीं देख पाऊँगी, इसलिए तुम ही जाओ”
मैं मन ही मन मुस्कुरा उठा- ओह… इतना प्यार…!! और तभी मन में एक कौतुहल भी जागा कि पारस को छोड़ने के बाद मेरे पास इन दोनों की बात सुनने का समय होगा और हम जल्दी जल्दी खाना खाने लगे। मैंने बाथरूम में जाकर चिप अपने फ़ोन में लगा ली और रिकॉर्डिंग चेक की। थैंक्स गॉड ! सब कुछ ठीक था और उसमें बहुत कुछ मसाला लग रहा था। फिर सब कुछ जल्दी ही हो गया और हम जाने के लिए तैयार हो हो गए।
मैं बाहर गाड़ी निकालने आ गया, पारस अपनी भाभी को अच्छी तरह मिलकर दस मिनट बाद बाहर आया।
मैं- “क्या हुआ? बड़ी देर लगा दी?”
पारस- “हाँ भैया, भाभी रोने लगी थीं”
मैं- “हाँ, वो तो पागल है, सभी को दिल से चाहती है”
पारस- “हाँ भैया, भाभी बहुत अच्छी हैं, उनका पूरा ख्याल रखना”
मैं- “अच्छा बच्चू, अभी तक कौन रख रहा था?”
पारस- “नहीं भैया, मेरा यह मतलब नहीं था। आप काम में बिजी रहते हो ना, इसलिए कह रहा था”
मैं- “हाँ वो तो है ! चल अच्छा, अपना ध्यान रखना और किसी चीज की जरूरत हो तो बता देना”
पारस- “हाँ भैया, आपसे नहीं तो किससे कहूँगा”
मुझे उसके जाने की बहुत जल्दी थी, मैं उस टेप को सुनना चाह रहा था।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#7
Heart 
कुछ ही देर में पारस की ट्रेन चली गई, मैं जल्दी से गाड़ी में आकर बैठ गया और फ़ोन निकाल कर रिकॉर्डिंग ऑन की…
इस टेप को सुनने में पूरे 3 घंटे लगे, टेप सुनने में ही मेरी हालत खराब हो गई और मैंने दो बार मुठ मारी।
मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था कि सलोनी इस कदर सेक्सी हो सकती है, उसने एक भारतीय नारी की सारी हदें पार कर दी थीं।
मुझे लगा कि शायद मैं अपने बिज़नेस में कुछ ज्यादा ही व्यस्त हो गया था जो उसकी इच्छाएँ नहीं समझ पाया।
तो आप भी सुन लीजिए मेरे सगे भाई पारस और मेरी ब्याहता बीवी सलोनी की बातचीत, एक एक शब्द आगे वर्णित है…

मैं- “अच्छा जान मैं चलता हूँ, पारस तैयार रहना शाम को मिलते हैं”
सलोनी- “बाय जान अपना ध्यान रखना”
सलोनी- “ओह पारस, क्या करते हो रुको तो… अरे, दरवाजा तो बंद करने दो… लगता है… आज तो पगला गए हो”
पारस- “हाँ भाभी, आज मेरा आखरी दिन है, तुमको तो पता है फिर 6 महीने के बाद आ पाऊँगा”
सलोनी- “ओह मुझे पता है बेबी, मैं खुद उदास हूँ पर ओह… रुको ना… उतार रही हूँ ना… क्या पजामी फ़ाड़ोगे? ये लो… आज तुम्हारा जो दिल चाहे कर लो… आज मेरी ओर से तुमको हर तरह की आजादी..”
पारस- “यू आर ग्रेट भाभी… आई लव यू… पुच… पुच…”
सलोनी- “अब तुमने मुझे पूरी नंगी तो कर दिया है… देखो सुबह तुमने कितना गन्दा कर दिया था… पहले मैं नहा लूँ… फिर जो तुम्हारी मर्जी कर लेना”
पारस- “आज तो मैं आपको एक पल भी नहीं छोड़ूँगा… चलो… मैं आपको नहलाता हूँ”
सलोनी- “क्या करते हो पारस… अभी तो नहाये हो तुम… फिर से गीले हो जाओगे… आआअ… ऊऊऊ…उईईईईई… क्या कर रहे हो…
ह्ह्ह्ह्हाआआआ… (खिलखिलाने की आवाजें) आओहूऊऊओ…”
पारस- “भाभी सच बताओ, तुम्हारी चूत इतनी प्यारी कैसे है… कितनी छोटी… वाउउउउ… कितनी चिकनी… ये तो बिल्कुल छोटी सी बच्ची जैसी है… पुच पुच… च… च… च… पुच च च…”
सलोनी- “अहाआआ… ह्हह्हाआ… अब नहाने भी दे… या चाटता ही रहेगा… ओहूऊऊ… ओह… हा… हा… हे… हेह… ही… ही…”
पारस- “पुच… चाप… चप… चपर… पुच…”
सलोनी- “अच्छा ये बता… तूने कितनी बच्ची की चूत देखी हैं जो तुझे पता है कि वो ऐसी होती है”
पारस- “क्या भाभी… ये तो पता ही है न… और मैंने तो कई की देखी है और…”
सलोनी- “अच्छा बच्चू… इसका भी दीवाना है लेकिन गलत बात अब ऐसा नहीं करना…”
पारस- “ओह भाभी… ठीक है… नहीं करूँगा मगर कान तो छोड़ो”
सलोनी- “नहीं छोड़ूंगी… तुम छोड़ते हो जब मेरे दूध पकड़ लेते हो… तो हा हा… अब मैं भी नहीं छोड़ती…”
पारस- “ठीक है… मत छोड़ो… लो मैं भी पकड़ लेता हूँ…”
सलोनी- “हीईई… हूऊऊऊऊ… अहाआआ… उईईईईइ…”
पारस- “अहाआ… आआअ…”
सलोनी- “ओहूऊऊ… यहाँ नहीं राजा… ओहू… हो… अहाआआ… निकाल न… अहाआआ… नहा तो लेने दे… नअहाआआ…”
पारस- “नहला ही तो रहा हूँ… यह तो आपकी चूत की अंदर की सफाई कर रहा है… आहा… आहा…”
सलोनी- “हाँ हाँ… मुझे सब पता है यह कौन सी सफाई कर रहा है… आहा… आअ… अआ… अआ… ओह… ओह… अहाआआ… आहा… आअ… आअ… आहाहा… हाआह…”
पारस- “ओह भाभी… कितनी गर्म है चूत आपकी… आहा हा… ओह आहा… हा ओह… अह्ह्हा… ओह… हह…”
सलोनी- “बस्स्स्स्स्स्स्स… राजाआआआ… ओहोहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…”
पारस- “आआआह्हह्हह्हह्ह… बस्स… भाभी हो गया… आआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… आआआआअह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह…”
पारस- “आहा भाभी… मजा आ गया, तुम बहुत हॉट हो जानम, तुम्हारी इस चूत को चोदकर मेरे लण्ड को पूरा करार मिल जाता है”
सलोनी- “हाँ लाला… तुमने भी मेरी जिंदगी में पूरे रंग भर दिए हैं। तुम्हारे भैया तो बेडरूम और बिस्तर के अलावा मुझे कहीं हाथ भी नहीं लगाते, अहा और तुमने इस घर में हर जगह मुझे चोदा है। मैं निहाल हो गई तुम्हारी चुदाई पर”
पारस- “हाँ भाभी… चुदाई का मजा तो जगह और तरीके बदल बदल कर करने में ही आता है”
सलोनी- “सही कहा तुमने… आज यहाँ बाथरूम में मजा आ गया”
पारस- “अच्छा और कल जब बालकोनी में किया था?”
सलोनी- “धत्त पागल… वो तो मैं बहुत डर गई थी। लेकिन सच बोलूँ तो बहुत मजा आया था। सूरज की रोशनी में खुले में, ना जाने किस किसने देखा होगा”
पारस- “अरे भाभी… वही तो मजा है… और आपने देखा नहीं कल आपकी चूत सबसे ज्यादा गरम थी और कितना पानी छोड़ रही थी”
सलोनी- “हाँ हाँ… चल अब तेरी सारी इच्छा पूरी हो गई ना, बेडरूम से लेकर बाथरूम, बालकोनी, रसोई सब जगह तूने अपने मन की कर ली ना, और मुझे यह गन्दी भाषा भी सिखा दी, अब तो तू खुश है ना?”
पारस- “अभी कहाँ मेरी जान… अभी तो दिल में सैकड़ों अरमान हैं… आप तो बस देखती जाओ… हा… हा… हा…”
सलोनी- “तू पूरा पागल है… चल अब हट…”
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
सलोनी- “अरे कौन आया इस वक्त…?”
पारस- “लगता है कूरियर वाला है”
सलोनी- “जा तू ले ले… तौलिया बांध लेना कमर में… या होने इसी पेन से साइन करेगा… हा… हा… हा… हाहा…”
पारस- “हे हे… हंसो मत भाभी… आज आपको एक और मजा कराता हूँ… जाओ कूरियर आप लो… बहुत मजा आएगा”
सलोनी- “पागल है क्या… मुझे कपड़े पहनने में आधा घंटा लग जायेगा, जल्दी जा ना… तू ले ले”
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
पारस- “नहीं भाभी… देखो न… बहुत मजा आएगा… तुमको कपड़े नहीं पहनने… ऐसे ही लेना है कूरियर”
सलोनी- “हट पागल… मारूंगी तुझे… नंगी जाऊँगी मैं उस आदमी के सामने? कभी नहीं करुँगी मैं ऐसा… तू तो पूरा पगला गया है। हाए राम क्या हो गया है तुझको, मुझे क्या समझा है तूने?”
पारस- “पुच पुच… तुम तो मेरी जान हो… अगर मुझ पर विश्वास है और मुझसे जरा भी प्यार है तो आज सारी बात आप मानोगी… चलो जल्दी करो”
सलोनी- “अरे बुद्धू… कैसे वो पागल हो जायेगा”
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
सलोनी- “कौन? कौन है भाई?”
“…कूरियर है…”
सलोनी- “रुको भैया, अभी आती हूँ, मैं नहा रहीं हूँ”
“हाँ… अब बोल कैसे जाऊं…?”
पारस- “लो यह तौलिया ऐसे बाँध लो जैसे बांधती हो अपनी चूची से और गीली तो हो ही, वो यही समझेगा कि नहाते हुए आई हो। और घबराती क्यों हो… वो कौन का किसी से कहेगा… उसकी तो आज किस्मत खुल जायेगी”
सलोनी- “तू वाकई पूरा पागल है… मरवाएगा तू आज, मैं पूरा दिन अकेली ही रहती हूँ अगर किसी दिन चढ़ आया न वो तो मैं क्या करुँगी”
पारस- “अरे कुछ नहीं होगा… तुम देखना कितना मजा आएगा… और आपको एक बार उसके सामने यह तौलिया सरका देना… फिर देखना मजा”
सलोनी- “पागल है… धत्त… मैं ऐसा कुछ नहीं करुँगी। चल हट अब तू”
ट्रनन्न्नन ट्रन्नन्नन्नन्नन्नन्न
सलोनी- “आई भैया…”
दरवाजा खुलने की आवाज…
पारस की मर्जी पूरी करने के लिए सलोनी आज वो करने वाली थी जो उसने कभी नहीं किया था।
वो नहाकर पूरी नंगी, उसके संगमरमरी जिस्म पर एक भी वस्त्र नहीं था, केवल एक तौलिया लपेट जो उसके बड़े और ऊपर को तने मम्मों पर बंधी थी और उसके मोटे गद्देदार चूतड़ों पर आकर ख़त्म हो गई थी, उसी को बाँध, एक अजनबी के सामने आने वाली थी। पता नहीं इस रोमांच के खेल में क्या होने वाला था…
अब आगे…
दरवाजा खुलने की आवाज…
सलोनी- “ओह आप… क्या था भैया? सॉरी देर हो गई वो क्या था कि मैं नहा रही थी न…”
अजनबी- “कोई बात नहीं मैडम जी, आपका कूरियर है। लीजिये यहाँ साइन कर दीजिये…”
सलोनी- “ओह.. कहाँ… अच्छा… क्या है इसमें..”
अजनबी- “पता नहीं मैडम… मुम्बई से आया है”
सलोनी- “ओह बहुत भारी है… आहआआआ… आईईईईईईई… उफ्फ्फ्फ्फ… पकड़िये प्ल्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श्श… प्लीज ये क्या हुआअ…”
अजनबी- “वाह… मेमश्ाााााबबब… हाँह्हह्ह्ह… लाईईईई… ये अहाआआआअ…”
सलोनी- “सॉरी भाईसाब… न जाने कैसे खुल गया। कृपया आप अंदर रख दीजिये…”
खट खट बस कुछ आवाजें…
अजनबी- “अच्छा मेमसाब, चलता हूँ। आपका शुक्रिया… एक बात कहूँ मेमसाब… आप बहुत सुन्दर हैं… अब किसी और के सामने ऐसे दरवाजा मत खोलना”
सलोनी- “सॉरी भैया, किसी और से मत कहना”
अजनबी- “ठीक है मेमसाब…”
दरवाजा बंद होने आवाज…
सलोनी- “हा हा हा हा माय गॉड, ये क्या हो गया…”
पारस- “हाहा…हाहाहाहा…हाहा होहोहोहो… मजा आ गया भाभी… क्या सीन था, गजब, आज तो उसका दिन सफल हो गया…”
सलोनी- “हो हो हो हो हे हे… रुक अभी… कितना मजा आयायया… वाह रुक… अभी हा हा हा हा… पेट दर्द करने लगा…”
पारस- “हाँ भाभी, देखा आपने उसकी पैंट कितनी फूल गई थी… बेचारा कुछ कर भी नहीं पाया.. कैसे भूखे की तरह घूर रहा था…वाह भाभी… आपने तो कमाल कर दिया, मैंने तो केवल ये चूची दिखाने को कहा था। और आपने तो उसको पूरा जलवा दिखा दिया? माय गॉड… देखो… यहाँ मेरे लण्ड का क्या हाल हो गया… उस बेचारे का तो क्या हुआ होगा”
सलोनी- “हहहहः”
पारस- “जैसे ही आपका तौलिया गिरा मैं तो चोंक ही गया था… मैं तो डर गया कि कहीं आप पैकेट ना गिरा दो। पर आपने किस अदा से उसको पैकेट पकड़ाया, वाह भाभी मान गया आपको…”
सलोनी- “हे… हे हे… हे… चल पागल… वो तो अपने आप हो गया। मैंने नहीं किया… तौलिया खुद खुल गया…”
पारस- “जो भी हुआ पर बहुत गरम हुआ, जो मैं सोचता था वैसे ही हुआ…कैसे फटी आँखों से वो आपकी चूत घूर रहा था.. और आपने भी उसको सब खुलकर दिखाई…”
सलोनी- “धत्त मैंने कुछ नहीं दिखाया… चल हट मुझे शर्म आ रही है…”
पारस- “हाए हाए… मेरी जान… अब शर्म आ रही है.. मुझे तो मजा आ गया”
सलोनी- “अच्छा बता न… वो क्या क्या देख रहा था?”
पारस- “हाँ भाभी, आपसे पैकेट लेते हुए उसकी नजर आपकी हिमालय की तरह उठी इन चूचियों पर थी। आप जब बैठकर तौलिया उठा रही थीं, तब वो बिना पलक झपकाए आपकी इस चिकनी मुनिया को घूर रहा था जो शायद अपने होंट खोले उसको चिढ़ा रही थी। और तो और फिर आप उसकी तरफ पीठ कर जब तौलिया बांधने लगीं तो जनाब ने आपके इन सेक्सी चूतड़ों को भी ताड़ लिया। मैं तो सोच सोच कर मरा जा रहा हूँ कि क्या हुआ होगा बेचारे का…”
सलोनी- “हा हा… एक बात बताऊँ, पैकेट लेते हुए उसके दोनों हाथों की रगड़ मेरे इन पर थी… मैं तो सही में घबरा गई थी”
पारस- “वाओ भाभी… चूचियों को भी रगड़वा लिया, फिर तो गया वो…”
सलोनी- “तुम सही कह रहे थे… वाकयी बहुत मजा आया”
पारस- “मैं तो आपसे कहता ही हूँ भाभी… जरा सा जीवन है खूब मजा किया करो”
सलोनी- “अच्छा चल अब तैयार हो जा, ओह… अब मत छेड़ न इसको। चल बाजार चलते हैं… बाहर ही कुछ खा लेंगे… मुझे शॉपिंग भी करनी है”
पारस- “ठीक है भाभी… पर एक शर्त है !”
सलोनी- “अब क्या है, बाजार भी नंगी चलूँ क्या…”
पारस- “नहीं भाभी, ये इंडिया है, काश ऐसा हो सकता… पर आप स्कर्ट पहन कर चलो”
सलोनी- “अरे वो तो मैंने वही निकाली है देख… ये स्कर्ट पहन कर ही चलूंगी”
पारस- “वाओ भाभी… बहुत सेक्सी लगोगी। पर प्लीज इसके नीचे कुछ मत पहनना, मतलब कच्छी ब्रा वगैरा कुछ नहीं !”
सलोनी- “अब फिर तू पगला गया है। ब्रा तो पहले भी कई बार नहीं पहनी है मगर कच्छी भी नहीं? बहुत अजीब लगेगा”
पारस- “प्लीज भाभी…”
सलोनी- “ओके बेबी… पर ये स्कर्ट कुछ छोटा है… ऐसा करती हूँ, लॉन्ग स्कर्ट पहन लेती हूँ”
पारस- “नहीं भाभी… यही… … प्लीज…”
सलोनी- “ओके बेबी… अब पीछे से तो हट… जब देखो… कहीं न कहीं घुसाता रहेगा… अब इसको बाज़ार में जरा संभाल कर रखना… ओके?”
पारस- “भाभी यही तो कंट्रोल में नहीं रहता, अब तो खुला रास्ता है… बस स्कर्ट उठाई और अंदर… हाहा…हाहा…”
सलोनी- “अच्छा जी… तो यह तेरा प्लान है… मारूंगी… हाँ… देख ऐसा कुछ बाज़ार में मत करना… कभी मुझे सबके सामने रुसवा कर दे?”
पारस- “अरे नहीं भाभी… आप तो मेरी सबसे प्यारी भाभी हो…”
सलोनी- “अच्छा चल अब जल्दी कर…”
“ओके…”
मेरे पाठक दोस्तो, मैं खुश था… रिकॉर्डर सलोनी के साथ था मगर अगले 3 घंटे सही रिकॉर्ड नहीं हुए। यहीं आकर यह आधुनिक मशीनें भी फ़ेल हो जाती हैं।

TO BE CONTINUED......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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#8
wah shandar ....................
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#9
Heart 
इतनी मिक्स आवाजें थी कि कुछ सही से समझ नहीं आ रहा था। मगर उसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि मुझे काफी कुछ पता चल गया। घर से निकलने के बाद पारस के बाइक स्टार्ट करने की आवाज। जब वो आता था तो मेरी बाइक वो ही यूज़ करता था…
पारस- “आओ बेठो मेरी जान मेरी प्रेमिका की तरह”
सलोनी- “अच्छा जी, अपने भैया के सामने बोलना.. हे हे”
पारस- “ओह क्या भाभी ओल्ड फैशन, दोनों और पैर करके चिपक कर बैठो ना”
सलोनी- “हाँ हाँ मुझे पता है पर पहले कालोनी से बाहर लेकर चल फिर वैसे भी बैठ जाऊँगी। और आज कैसे यार पैर खोलकर बैठूंगी तो स्कर्ट उड़ेगी, फिर तो सब क्या क्या देखेंगे”
पारस- “क्या देखेंगे हो हो…”
सलोनी- “मारूंगी कमीने, तेरे कहने से ही मैंने कच्छी नहीं पहनी, और अब सबको दिखाना भी चाहता है”
पारस- “वही तो मेरी जान देखना आज बाज़ार में आग लगने वाली है। और आप तो बस मजे लो”
सलोनी- “हाँ हाँ मुझे पता है मजे कौन ले रहा है, अच्छा अब रोक वैसे ही बैठती हूँ”
पारस- “बिल्कुल चिपक जाओ जान”
सलोनी- “और कितना चिपकू, चूत में तेरे जीन्स का कपड़ा तक चुभ रहा है”
पारस- “अह… हा हा… हाहाहाहा…उधर देखो भाभी, वो कैसे देख रहा है”
सलोनी- “हट मैं नहीं देखती… देखने दे उसको, जो देख रहा है”
पारस- “बहुत देर से पीछे चल रहा है”
सलोनी- “मुझे पता है मेरे चूतड़ देखकर पहले इशारा भी कर रहा था”
पारस- “अच्छा कौन सा?”
सलोनी- “फ़क यानि चुदाई का, और कौन सा, मैं कह ही रही थी तू मुझे रुसवा करवाएगा। इतनी तेज चला रहा है स्कर्ट पूरी ऊपर हो जा रही है… सोच, उसको कितने मजे आ रहे होंगे ! थोड़ी धीरे कर ना !”
पारस- “लो भाभी…”
चटअआआ ताआआ अक्क्क्क
सलोनी- “आआआ… आआअह्ह ह्हा… आआअ…”
पारस- “क्या हुआ भाभी…”
सलोनी- “हरामी, साला तू पकड़ न उसको, मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मार कर भाग गया। उनन्न पूरे लाल हो गए होंगे”
पारस- “हाहाहाहा… ह्हह्हाहह… देखा इसलिए मैं तेज चला रहा था… हा हाहाहा…”
सलोनी- “अब तू हंसा तो पिटेगा”
पारस- “लाओ दिखाओ… भाभी, मैं सहला देता हूँ”
सलोनी- “रहने दे, तू बस अब चला, चल अब यहीं रोक दे…”
पारस- “क्या हुआ…?”
सलोनी- “देख उसको कैसे घूर रहा है, इसने मुझे उतरते हुए देख लिया था। जब मेरा पैर ऊपर था तो कमीना चूत में ही घुसा था”
पारस- “हा हा… क्या बात है भाभी… तुम्हारे मुँह से ऐसी बातें सुन कर मजा आ गया”
सलोनी- “हाँ हाँ… बहुत सुन ली मैंने तेरी… अब सबसे पहले तो कच्छी खरीदकर वहीं पहनती हूँ। बहुत देख ली सबने अब बस”
पारस- “नो भाभी, यह चीटिंग है आज तो आप ऐसे ही रहोगी, और डरती क्यों हो मैं हूँ ना!”
सलोनी- “हाँ हाँ… मुझे पता है तू कितना है आज मेरा चोदन करा कर रहेगा। अगर इनके किसी दोस्त ने देख लिया न तो सब हो जाएगा”
पारस- “अरे, कुछ नहीं होगा भाभी… देखना… वो भी आपका दीवाना हो जायेगा…”
सलोनी- “हाँ हाँ… तू तो बहुत कुछ जानता है… चल अब…”
सलोनी- “पारस आ… उस दुकान में चल”
पारस- “नहीं भाभी… ये वाली ज्यादा सही है… मैंने जो आपको गिफ्ट दी थीं वो यहीं से ली थीं”
सलोनी- “अरे इसमें तो केवल लड़के ही लड़के हैं, क्या इन सबके सामने मैं ब्रा, चड्डी लूंगी”
पारस- “क्या भाभी, इतनी बोल्ड तो हो आप ! और अब ये दकियानूसी बातें? अरे खुद ही तो ज़िंदगी का मजा लेने की बात करती हो। अब देखो इनके पास से लेने में आपको बेस्ट चीज़ मिलेगी, और बहुत सही रेट में, आपको मजा अलग आएगा, आज देख लेना आप !”
सलोनी- “ओह, अच्छा मेरे राजा, ठीक है चल फिर मगर मेरी स्कर्ट के साथ कुछ शरारत मत करना”
पारस- “अरे स्कर्ट के साथ कौन कमबख्त कुछ करना चाहता है… वही सुसरी मेरे काम की चीज पर पर्दा डाले है… हा हा हा हा…”
सलोनी- “हे हे हे हे… ओह… यहाँ तो और भी लड़कियाँ हैं… मैं तो समझ रही थी कि यहाँ कौन आता होगा”
पारस- “और वो देखो भाभी… कैसे चेक भी कर रही है”
सलोनी- “हाँ हाँ… मगर जीन्स के ऊपर ना… मुझसे मत कहना चेक करने को हा हा…”
पारस- “वाओ भाभी… मजा आ जायेगा जब तुम चेक करोगी तो… तुम्हारी नंगी चूत और चूतड़ देख ये सब तो… हाय मैं मर गया…”
सलोनी- “छिः… चल अब…”
एक लड़का सेलमैन- “क्या दिखाऊँ मैडमजी?”
सलोनी- “कुछ मॉडर्न अंडरगार्मेन्ट्स… हाँ वो वाला…”
लड़का- “मैडमजी, साइज़ क्या है आपका?”
पारस- “कैसे सेलसमैन हो यार तुम, तुम लोगों को तो देखते ही पता चल जाना चाहिए”
लड़का- “वूऊऊ हाँ सहाब, ऊपर का तो देख दिया है ना 36c है, है ना मेमसाब? मगर चड्डी का तो स्कर्ट से पता नहीं चलता, हाँ मैडम स्लैक्स या जीन्स में होतीं तो मैं बता देता। वैसे भी आजकल चड्डी का तो कुछ पता ही नहीं, कई तरह की हैं, सब जगह का नाप पता हो तो बेस्ट मिल पाती है”
पारस- “सब जगह मतलब…”
लड़का- “मतलब साहब पहले केवल हिप और कमर के नाप से ही ली जाती थी। मगर अब तो जांघों की गोलाई, कमर से नीचे तक की लम्बाई और अगर आगे वाली की सही माप पता हो तो आप अपने लिए बेस्ट चड्डी ले सकते हैं”
पारस- “आगे वाली से क्या मतलब है तुम्हारा… क्या चूत का भी नाप होता है?”
लड़का- “क्या सहाब आप भी… दीदी के सामने कैसा नाम बोलते हो”
पारस- “अरे इसमें शरमा क्यों रहा है? तू कुछ और बोलता है क्या? अब चूत को चूत ही तो कहेंगे, उसका क्या नाप होता है…”
लड़का- “अरे सहाब, अब तो कई तरह को टोंग और स्टेप चड्डी आ गईं हैं ना… उसके लिए वोव… वोव्व्… व् वो चूत का सही नाप पता हो तो ही बस्ट मिलती है…”
पारस- “हा हा हा हा… कितना शरमा रहा है चूत कहने में, तेरा मतलब है उसकी भी लम्बाई, चौड़ाई। यार हमारी बीवी की तो बहुत छोटी सी है… हा हा हा हा…”
धप्पप…
पारस- “उफ्फ्फ्फ… क्या करती हो जान? सबके सामने मारती क्यों हो…?”
लड़का- “हा हा हा… ह… सहाब आप बहुत मजाकिया हो… मजा आ गया आपसे मिलकर…”
लड़का- “वैसे मेमसाब नाप सही हो तो ब्रा, चड्डी ऐसी मिलेंगी कि उनको पहनकर ऐसा लगेगा कि वो आपके शरीर का ही एक भाग हों”
सलोनी- “क्या बात है भैया, आपने तो बहुत अच्छी बातें बताईं। हम तो बिना कुछ सोचे जल्दी से ही ये कपड़े ले लेते थे”
लड़का- “यही तो मैडम जी, जो कपड़ा आपके अंगों से सबसे ज्यादा पास और सबसे ज्यादा समय के लिए रहता है। उसी को लेने में लापरवाही कभी नहीं करना चाहिए। वो तो बेस्ट होना चाहिए”
पारस- “तुम ठीक कहते हो भाई, अब तुम अच्छे से नाप लेकर, मेरी बीवी के लिए बेस्ट ही 8-10 सेट दो। मैं चाहता हूँ कि मेरी बीवी बेस्ट दिखे”
सलोनी- “भैया, अभी तो माप है नहीं, हम ऐसा करते हैं कल घर से…”
लड़का- “मेमसाब आइये, आप यहाँ नाप दे दीजिये”
सलोनी- “क्या कह रहा है? पारस तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे?”
पारस- “ठीक तो कह रहा है, दे दो पैन्टी का नाप…”
सलोनी- “तू क्या कर रहा है पगले…अब क्या इसके सामने मुझे नंगी दिखायेगा…”
पारस- “कुछ नहीं होगा भाभी, जरा सोचो, आपकी नंगी चूत देख उसका क्या हाल होगा… और जब उसकी उँगलियाँ आपकी चूत पर चलेंगी तो मजा आ जायगा…”
सलोनी- “तू तो पागल है… मैं नहीं कराऊँगी ये सब… मैं जा रही हूँ…”
पारस- “ओह रुको तो भाभी… अच्छा मैं ले लूंगा नाप अब तो सही है, लाओ बेटा मुझे फीता दे दो, हमारी जान कहती है कि आप लो, तुम मुझे बता देना मैं नापकर तुमको बता दूंगा”
लड़का- “जैसा आप कहें साहब”
पारस- “गुड यार, तुम्हारा फीता तो बहुत सॉफ्ट है”
लड़का- “हाँ साहब ये इतनी चिकनी बॉडी से लगता है ना, तो चुभना नहीं चाहिए। इसलिए रेशमी फीता ही रखते हैं, इसके अलावा प्लास्टिक वाला बॉडी पर खरोंच के निशान बना देता है, फिर आपको तो पता है साहब, लड़कियों के बदन में कितने छोटे-छोटे मोड़ होते हैं, वहाँ कोई और फीता तो सही से माप दे ही नहीं पाता। इसलिए ये वाला बिल्कुल सही नाप बताता है”
पारस- “वो तो सही है, पर इसको कैसे नापना है”
लड़का- “बताता हूँ साहब। इसको ऐसे पकड़कर यहाँ से नापना… और ये वाले नंबर मुझे बताना… यह सेन्टीमीटर में हैं”
पारस- “ओके… अब बताओ चड्डी का नाप कैसे लूँ”
सलोनी- “नईईईईई… मुझे मत छूऊऊऊ, तुम बस वहाँ से बताओ और उस तरफ मुँह करके खड़े रहो। मैं तुम्हारे सामने नाप नहीं दे सकती”
लड़का- “ओह्ह्ह… वूऊऊओ… ठीक है मेमसाब… पररर… मैं तो… सोर्रीइइ…”
पारस- “यार मेरी बीवी बहुत शर्मीली है… हा हा हाहा… चल तू मुझे बता मैं तुझे सही नाप बता देता हूँ…”
लड़का- “साहब पहले कमर का सही नाप बताओ, वहाँ से जहाँ चड्डी पहनते हैं”
पारस- “यार वो कहाँ से…”
लड़का- “साहब पहले आप मैडम की टुंडी से सुसु वाली जगह पर जो दाना होता है ना वहाँ तक का नाप बताओ”
पारस- “यार यह टुंडी क्या…”
लड़का- “वो पेट पर जो छेद होता है ना साहब…”
सलोनी- “नाभि कहते है उसको…”
लड़का- “मैडम जी, हम तो टुंडी ही कहते हैं”
पारस – “हा हा हाहा… मजा आ गया यार टुंडी… और ये क्या सुसु सुसु लगा रखी है। यहाँ कोई मूत कर रहा है क्या, दोस्त बिना शरमाये चूत बोलो, हमारी जान चूत ही समझती है…”
सलोनी- “पा…र…र…स्स्स… कम बोलो तुम…”
पारस- “ओके मेरी प्यारी जानेमन, अच्छा अब जरा स्कर्ट को उठाकर ठीक से पकड़ो, पेट से भी ऊपर तक, हाहा… तुम्हारी टुंडी दिखनी चाहिए।हाँ अब ठीक है…”
पारस- “मास्टरजी ये रही टुंडी, यहाँ से पकड़ा और ये रहा चूत का दाना, तुम्हारा मतलब भग्नासा से ही है न?”
लड़का- “हाँ साहब… आप जो कहते हों…वही जो मक्के की दाने की तरह ऊपर को उठा होता है…”
पारस- “यार यह तो नंबर 17 और 18 के बीच आ रहा है?”
लड़का- “ठीक है साहब साढ़े सतरह सेमी है, साहब अब आप टुंडी से 3 इंच, 4 इंच और 5 इंच नीचे पर कमर का नाप ले लीजिये…”
पारस- “क्या बकवास है यार इतने सारे क्यूँ…”
लड़का- “साहब अलग अलग हाइट की चड्डी आती हैं। मैडम जी टुंडी से जितना नीचे पहनना चाहेंगी, मैं वैसी ही सेट करा दूंगा…”
पारस- “ओह ये तो बहुत टफ है यार… ये टुंडी से 3 इंच, और अब इसके चारों और घूमकर कमर का नाप…”
लड़का- “साहब पीछे का ध्यान रखना, फीता चूतड़ों पर ऊपर नीचे न हो, फीता सीधा करके कसकर पकड़ना, कमर के चारों ओर कहीं से भी इधर उधर ना हो… वरना सही नाप नहीं आएगा…”
पारस- “ओह… ये तो बहुत मुश्किल है, मैं सब ओर कैसे देखूँ। यार तुम खुद ही देखकर बताओ…”
सलोनी- “नहीं यह नहीं होगा, मैं नहीं देती नाप… तुम पागल हो क्या… मैंने कुछ पहना भी नहीं है”
पारस- “अरे यार स्कर्ट तो पकड़ो… फीता हिल जायेगा… यार क्या फर्क पड़ता है… ये तो रोज सभी लड़कियों का ऐसे ही नाप लेते होंगे ना…”
लड़का- “हाँ साहब, पाता नहीं मैडम जी क्यूँ शरमा रहीं हैं”’
पारस- “जानू प्लीज स्कर्ट ऊपर उठाओ… नाप तो मैं ही लूंगा… पर यह सिर्फ बतायेगा… अच्छा ऐसा करो… तुम अपनी आँखे बंद कर लो ये सिर्फ बतायेगा”
सलोनी- “नहीईईईइ… बिल्कुल नहीं… मैं इसके सामने नंगी नहीं होऊँगी”
पारस- “अरे मेरी जान, नंगी कौन कर रहा है? ये सब तो तुम्हारे अच्छे फिटिंग वाले कपड़ो के लिए ही है, मेरी अच्छी जानेमन… बस दो मिनट की बात है और मैं खुद ले रहा हूँ ना…”
सलोनी- “नैइइइइइ इइइइइइ…”
पारस- “प्लीज जान बस ऐसे ही, मेरी प्यारी जानेमन… हाँ बस कुछ ही देर… हाँ ऐसे पकड़ो बस स्स्स्स… हाँ भैया… देखना नहीं इधर बस बताओ अब कैसे लेना है नाप… देखो और बाताओ ठीक है ना फीता…”
लड़का- “हाँ साहब बस… यहाँ से कसकर ये हो गया, अब देखिये कितना आया… ये इंच में देखना…”
पारस- “हाँ ये यहाँ तो पूरा 26 आ रहा है…”
लड़का- “हाँ साहब बहुत अच्छा नाप है मैडम जी का…”
पारस- “अब अगला 4 इंच पर ना…”
लड़का- “हाँ साहब…”
पारस- “देखो ठीक है…”
लड़का- “हाँ साहब, और कसकर…”
पारस- “कोई ज्यादा अंतर नहीं साढ़े छब्बीस होगा”
लड़का- “नहीं साहब ये 27 ही आएगा। फीता कुछ ज्यादा कस गया है…”
पारस- “ओके”
लड़का- “अब 5 इंच का और ले लीजिये साहब…”
पारस- “अरे हाँ ये साढ़े 30 या 31 आएगा, है ना। ये तो बहुत अंतर आ गया”
लड़का- “हाँ साहब आजकल लड़कियाँ कमर से नीचे वाली जीन्स पहनती हैं, तो उनको चड्डी भी इतनी नीचे वाली चाहिए होती है। इसमें चूतड़ों के उठान आ जाते हैं, जिससे नाप में अंतर आ जाता है”
पारस- “पर इसमें तो पीछे से चूतड़ों की दरार भी दिखती होगी यार…”
लड़का- “क्या साहब आप भी, यही तो फैशन है आजकल…”
पारस- “ओके…”
लड़का- “साहब मैडम जी को टोंग भी अच्छा लगेगा…”
सलोनी- “हाँ जानू, टोंग तो मुझे चाहिए…”
लड़का- “साहब, मैडमजी की चूत का नाप बता दीजिये… हम बिल्कुल उसी नाप के कपड़े का टोंग बनवा देंगे…”
सलोनी- “क्याआआआ??”
पारस- वो कैसे यार, यहाँ आ बता…
लड़का- “साहब… ये यहाँ से यहाँ तक…”
सलोनी- “स्स्श्ह्ह्ह्ह्ह”
लड़का- “सोरीईईईई मेमसाहब, हाँ बस यहीं…”
पारस- “वाह यार… तुम्हारा काम तो बहुत मजेदार है”
लड़का- “क्या साहब… बहुत मेहनत का काम है…”
पारस- “वो तो है यार देख मेरे कैसे पसीने छूट गए और तेरे भी जाने कहाँ कहाँ से, सब जगह से गीला हो गया तू तो…”
सलोनी- “बस अब तो हो गया ना”
पारस- “हाँ जानेमन हो गया… अब स्कर्ट तो नीचे कर लो, क्या ऐसे ही ऊपर पकड़े खड़े रहोगी… हा हा?”
लड़का- “हा हा… क्या साहब?”
सलोनी- “उउऊनन्न मारूंगी मैं अब तुमको.. चलें अब…?”
पारस- “अभी कहाँ जान, क्या ब्रा नहीं लेनी?”

TO BE CONTINUED ........
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#10
लड़का- “हाँ मैडमजी, मम्मो का तो सही नाप आपको बहुत सेक्सी दिखाता है”
सलोनी- “अब क्या यहाँ इसके सामने खुले में पूरी नंगी होऊँ मैं?”
पारस- “अरे क्या जान… बस ऊपर से टॉप कन्धों से नीचे कर लो, ऐसे… ठीक है मास्टरजी… इतने मम्मों से काम चल जायेगा ना?”
लड़का- “हाँ साहब, पहले मम्मों के ऊपर और नीचे वाले हिस्से से कमर का नाप लीजिये”
पारस- “ओह जान, कितना हिल रहे हैं तुम्हारे मम्मे…”
लड़का- “नहीं साहब… यह तो पूरा फीता हिल गया”
पारस- “यार तू ले ये नाप, मैं इन मम्मो को पकड़ कर रखता हूँ”
सलोनी- “ओह नहीं पारस, यह तुम क्या कह रहे हो?”
पारस- “कुछ नहीं जान… मैं हूँ न, मैं अपना हाथ रखे रहूँगा, वो केवल फीता पकड़ेगा”
लड़का- “हाँ साहब, बस ये ऐसे… इतना ही… ये यहाँ 32… और……यहाँ 30…वाह बहुत सेक्सी नाप है मैडमजी आपका…साहब जरा हाथ हटाइये… अब ये ऊपर से बस यहाँ से…”
पारस- “यहाँ से?”
सलोनी- “ऊऊऊऊउईईईईईईईई क्या करते हो…”
पारस- “ओह सॉरी डियर !”
लड़का- “वाओ साहब… ऊंचाई 37… बहुत मस्त है…मैडम जी… आप देखना अब… ये वाली ब्रा पहनकर आपकी सभी कपड़े कितने मस्त दिखेंगे…आप पूरी हिरोइन दिखोगी…”
पारस- “चल वे चल… मेरी जान तो हमेशा से ही हिरोइन को भी मात देती है…”
सलोनी- “अच्छा ठीक है… अब हो गया…”
लड़का- “बस मैडमजी… इन दोनों की गोलाई का नाप और ले लूँ”
सलोनी- “वो क्यों?”
लड़का- “अरे मैडम जी… दोनों का नाप अलग-अलग होता है… फिर देखना आपको कितना आराम मिलेगा”
पारस- “अरे यार… यह सही ही तो कह रहा होगा, कौन सा तुम्हारे मम्मों को खा जायेगा”
सलोनी- “धत्त… जल्दी करो अच्छा…”
लड़का- “साहब जरा यहाँ से पकड़ लीजिये… बस देखा आपने साहब पूरे एक इंच का फ़र्क है। किसी किसी का तो 3-4 इंच तक का होता है”
सलोनी- “अब तो ऊपर कर लूँ कपड़े… हो गया ना?”
पारस- “तुम्हारी मर्जी जान, वैसे ऐसे ही बहुत गजब ढा रही हो। चाहो तो ऐसे ही चलें घर…?”
सलोनी- “हो हो… बड़े आये… तुम तो घर चलो फिर बताती हूँ…”
लड़का- “हा…हा…हा… क्या साहब… आप भी बहुत मजाकिया हो…मेमसाब आपकी निप्पल बहुत सेक्सी हैं… मैं आपको नोक वाले ब्रा दिखाऊंगा …आप वही पहनना…देखा कितनी मस्त दिखोगी…”
सलोनी- “हाँ, मैंने देखी थीं वो एक अपनी सहेली के पास… मैं तो उस जैसी ही चाहती थी, अच्छा हुआ तुमने याद दिला दिया… चलो अब… जल्दी से दो…”
लड़का- “मैडम जी, ये वाली तो मैं तैयार करवा दूंगा… 2-3 दिन लगेंगे…”
सलोनी- “तो अभी मैं क्या लूँगी?”
पारस- “तब तक जान ऐसे ही घूमो, किसे पता चलता है कि तुमने पहनी या नहीं पहनी”
सलोनी- “मारूंगी अब मैं तुमको…”
लड़का- “हा…हा… साहब मुझे पता है…साहब एक बात बताऊँ…हमारे पहनने या न पहनने से किसी को फर्क नहीं पड़ता, पर लड़की का सबको पता चल जाता है, क्योंकि सब घूर घूर कर वहीं देखते हैं…”
सलोनी- “हाँ तो अब मैं क्या लूँ?”
लड़का- “मैडमजी जो, पहले आपने देखे थे उसी में से पसन्द कर लीजिये”
सलोनी- “ठीक है…”
पारस- “ये और ये ले लो…”
सलोनी- “ओके भैया… ये वाले दे दो…ओके… फिर चलते हैं.. मैं 3-4 दिन बाद आऊँगी.. आपके पास सही नाप लेकर आ जायेंगे”
पारस- “ओह भाभी… फिर भूल गई वैसे ही बैठो न…”
सलोनी- “हाँ हाँ, मगर सब इधर ही देख रहे हैं, कितनी भीड़ है यहाँ…”
पारस- “तो क्या हुआ?”
कोई दूर से आवाज आ रही थी… जैसे कोई पीछे से बोल रहा हो…
अन्जान आवाज- “…ओययय…ईईईए… बो देख उसने कच्छी नहीं पहनी…”
कोई दूसरा- “…क्याआआआ…?”
पहला- “…हाँ यार… मैंने उसकी फ़ुद्दी देखी… पूरी नंगी थी यार…चल पीछा करते हैं…”
सलोनी- “देखा मना कर रही थी ना… क्या कह रहा है वो…”
पारस- “हा… हा… हाहाहाहा… मजा आया या नहीं… आपने सुना नहीं… कह रहा था कि ‘मैंने उसकी फ़ुद्दी देखी’ हा… हा… हाहाहा…”
सलोनी- “तू आज सबको मेरी चूत दिखा दिखा कर ही खुश होते रहना… पागल… सरफिरा…”
पारस- “भाभी… वो पीछे आ रहे हैं… जरा कस कर पकड़ लो, मैं बाइक तेज भगाने वाला हूँ…”
सलोनी- “माए गॉड, तू मरवा देगा आज… जल्दी चला…”
पारस- “अरे कुछ नहीं होगा भाभी… बस कसकर चिपक जाओ…”
सलोनी- “देख कितना चिल्ला रहे हैं वो…”
पारस- “भाभी अपनी स्कर्ट पकड़ो… वो गांड…गांड..क्या मस्त गांड है करके चिल्ला रहे हैं…”
सलोनी- “अब तुझे पकड़ू या स्कर्ट, तू तो भगा जल्दी और इन सबसे पीछा छुड़वा…”
पारस- “ओके भाभी… ये लोऊऊऊ…ओ… आआआआआ…अब तो ठीक है ना भाभी, जरा देखो पीछे, अब तो नहीं आ रहे…”
सलोनी- “हाँ अब तो कोई नहीं दिख रहा… थैंक्स गॉड…आज तो बच गई…”
पारस- “हा… हा… क्या भाभी, आप या आपकी गांड…”
सलोनी- “हाँ हाँ तुझे तो बहुत मस्ती सूझ रही है ना… ही ही… वैसे दोनों ही बच गई… कितना चिल्ला रहे थे वो, ना जाने क्या हाल करते…”
पारस- “यहाँ पर आप गलत हो भाभी, आप तो बच गई परन्तु गांड नहीं बचेगी… देखो मेरे लण्ड का क्या हाल है…”
सलोनी- “माई गॉड, ये जनाब तो पूरे टनटना रहे हैं…”
पारस- “हाँ भाभी प्लीज, जरा चैन खोलकर सहला दो न… अंदर दम घुट रहा है बेचारे का…”
सलोनी- “इस चलती रोड पर…”
पारस- “तो क्या हुआ भाभी… टी-शर्ट तो है न ऊपर…”
सलोनी- “वाओ… ये साहब तो कुछ ज्यादा ही बड़े और गर्म हो गए हैं…”
पारस- “आःआआ… हा… ह्ह्ह्हह्ह… कितना नरम हाथ है आपका… मजा आ गया…भाभी इसे अपनी गांड में ले लो न…”
सलोनी- “तो घर तो चल पागल… क्या यहीं डालेगा…”
पारस- “काश भाभी… आप आगे आकर दोनों पैर इधर-उधर कर मेरी गोदी में बैठ जाओ और मैं तुमको चोदता हुआ बाइक चलाऊँ… …आःआआ ह्ह्हह्ह्ह्ह…”
सलोनी- “अच्छा अच्छा… अब न तो सपना देख और ना दिखा… जल्दी से घर चल मुझे बहुत तेज सू सू आ रही है…”
पारस- “वाओ भाभी… क्या कह रही ही… आज तो आपको खुले में मुत्ती करवाएँगे…”
सलोनी- “फिर सनक गया तू… मैं यहाँ कहीं नहीं करने वाली…”
पारस- “अरे रुको तो भाभी, मुझे एक जगह पता है… वहाँ कोई नहीं होता… आप चिंता मत करो…”
सलोनी- “तू तो मुझे आज मरवा कर रहेगा.. सुबह से न जाने कितनों के सामने मुझे नंगी दिखा दिया… और तीन अनजाने मर्दों ने मेरे अंगों को भी छू लिया…”
पारस- “क्या… किस किस ने क्या क्या छुआ…झूठ मत बोलो भाभी…”
सलोनी- “अच्छा बच्चू… मैं कभी झूठ नहीं बोलती…सुबह उस कूरियर वाले ने मेरी चूची को नहीं सहलाया..? और फिर रास्ते में उस कमीने ने कितनी कसकर मेरे चूतड़ों पर मारा.. अभी तक कूल्हा लाल है… फिर तूने उस दुकानदार लड़के से… शैतान कितनी देर तक मेरे सभी अंगों को छूता रहा… उसने तो मेरी चूत को सहलाया था…देख़ा था ना तूने…”
पारस- “हाँ भाभी… सच बताओ… मजा आया था ना…”
सलोनी- “अगर अच्छा नहीं लगता.. तो हाथ भी नहीं लगाने देती उसको… हा…हा… उस सबको सोचकर अभी भी रोमांच आ रहा है…”
पारस- “ओके भाभी… ठीक है… चलो उतरो.. वो जो पार्क है ना… वहाँ इस दोपहर में कोई नहीं होता, आओ वहीं झाड़ियों में मुत्ती करते हैं दोनों…”
सलोनी- “पागल है, अगर किसी ने देख लिया तो…”

TO BE CONTINUED .....
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#11
lajabav ..................
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#12
Heart 
पारस- तो क्या हुआ गिनती में एक और बढ़ा देना…हा… हा…
सलोनी- अरे तू अपना ये तो अंदर कर ले…
पारस- अरे चलो न भाभी… यहाँ कौन देख रहा है, फिर मूतने के लिए अभी बाहर निकालना ही है…
सलोनी- हे हे सही से चल न, इसको अंदर क्यों नहीं करता, कितना मस्ती में हिलाता हुआ चल रहा है…
पारस- किसको अंदर करूँ भाभी…
सलोनी- अरे अपने इस टनटनाते हुए पप्पू को जीन्स में कर न… कितना अजीब लग रहा है…
पारस- नहीं जानेमन, यह अब जीन्स में कहाँ जा पायेगा… ये अंदर ही जायेगा मगर अब तो आपकी इस गोलमटोल चिकनी गांड में… यहाँ…
सलोनी- ऊऊईईई… क्या करता है…
पारस- अरे उंगली ही तो की है जान… लण्ड तो अभी तक बाहर ही है… ये देखो…
सलोनी- तुझे हो क्या गया है आज…कितना बेशरम हो रहा है… एक ये छोटी सी स्कर्ट ही मेरी लाज बचाये है. और इसको भी बार बार हटा देता है…
पारस- रुको भाभी… यह जगह सही है… यहाँ आप आराम से मूत सकती हैं… वहाँ उस पेड़ के पीछे कर लो…
सलोनी- हम्म्म्म ठीक है… तू क्या करेगा…
पारस- हे… हे… मैं देखूंगा कि आपने कितनी की…
सलोनी- पागल है क्या… चल तू उधर देख… कि कोई आ न जाए…पहले मैं कर लेती हूँ फिर तू भी कर लेना..
पारस- वाओ भाभी… मूतते हुए पीछे से आपकी गांड कितनी प्यारी लग रही है…
सलोनी- तू अब इसे ही देखता रहेगा या इधर-उधर का भी ध्यान रखेगा…?
पारस- आप तो फालतू में नाराज हो रही हो… केवल अकेला मैं ही कौन सा देख रहा हूँ…
सलोनी- उउउफ्फ्फ्फ्फ़… तो और कौन देख रहा है…
पारस- हाहा वो देखो बेंच पर…वो जो अंकल बैठे हैं इधर ही देख रहे हैं…
सलोनी- देख कितना बेशरम है… लगातार घूर रहा है…
पारस- वाह भाभी… आपको करने में शर्म नहीं… मैं और वो देख रहे हैं तो बेशरम…
सलोनी- अब आज तो तू पक्का पिटने वाला है…अब जल्दी से चल यहाँ से…
पारस- एक मिनट न भाभी जी…जरा मुझे भी तो फ्रेश होने दो…
सलोनी- हाँ हाँ जल्दी कर…देख अब कैसे चला गया…जब मैंने उसको घूरा… शर्म नहीं आती इन बुड्ढों को… राख में भी चिंगारी ढूँढ़ते रहते हैं…
पारस- हा हा भाभी क्या बात की है… वैसे आज तो उसको मजा आ गया होगा..इतनी चिकनी गांड देखकर…पता नहीं घर जाकर दादी का क्या हाल करेंगे… हा हा…
सलोनी- हाहा… तू भी ना…
पारस- भाभी…प्लीज जरा इसको सही तो कर दो… देखो जीन्स में जा ही नहीं रहा…
सलोनी- यहाँ… हाए क्या कर रहा है… कितना गरम हो रहा है ये…
पारस- भाभी, खुले में चुदाई करने का मजा ही अलग है…
सलोनी- नहीं… यहाँ तो बिल्कुल नहीं… मैं ये रिस्क नहीं लेने वाली…तू इसको अंदर कर जल्दी…
पारस- अरे वही तो कर रहा हूँ भाभी… कोई नहीं है यहाँ बस इस पेड़ को पकड़ कर थोड़ा झुको… केवल 5 मिनट लगेंगे…
सलोनी- आआह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्हाआ… क्या करता है… मुझे दर्द हो रहा है… ओह मान जा ना प्लीज… नहीईईई… आआअह्ह्हह्ह… मान जा… नहीं…ना… यहाँ कोई भी आ सकता है…
पारस- श्ह्ह्ह्ह्ह्ह… कोई नहीं आएगा… बस्स्स्स जरा सा… आज तो नहीं मानूंगा…
सलोनी- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… नहीं ना… क्या करता है… हट ना… ओह…
सलोनी- ओहूऊऊऊऊऊ…
पारस- ज्यादा आवाज मत करो ना… वरना… सबको पता चल जायेगा…
सलोनी- आआअह्हह्ह… अह्ह्ह्हह्ह… उउउउउ… ओह्ह्ह्ह… आह्हआ… नहीईईईई… तू पागल है… आअह्ह्ह कितना… अंदर… तक्क… नहीईईईइ…आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हा… आआआ……कमीने दर्द हो रहा है……अह्ह्ह्ह्ह्हा…आआआआअ…
पारस- बास्स्स्स्स्स्स्स्स्स…
सलोनी- ऊऊ… औ ओ ओ ओ… तू तो बहुत कमीना है… आज के बाद मुझसे बात नहीं करना…
पारस- क्यों क्या हुआ भाभी… प्लीज ऐसा न बोलो… आई लव यू… सो मच…
सलोनी- लव होता तो इतना दुःख नहीं देता…न समय देखता है और न जगह…
पारस- क्या भाभी आप भी, अब आपकी यह मस्त गांड देख मेरा पप्पू नहीं माना तो इसमें मेरी क्या गलती…
सलोनी- उन उउउउम… जा भाग यहाँ से…
पारस- प्लीज मान जाओ न भाभी…
सलोनी- चल अब जल्दी से घर चल… देर हो रही है।
पारस- भाभी प्लीज माफ़ कर दो न… अच्छा अब कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा…प्रोमिस…
सलोनी- अच्छा ठीक है… पर कुछ समय दूर रह… मेरा मूड बहुत ख़राब है…
पारस- ओके मेरी प्यारी भाभी… पुचच च च च…
पारस- भाभी, मैं अभी आता हूँ… जरा कुछ सामान लेना है बाजार से… भूल गया था…
काफी देर बाद…
टेलीफोन की घण्टी की आवाज … ट्रिन ट्रिन… ट्रिन ट्रिन
सलोनी- “हेल्लो…”
मेरी किस्मत अच्छी थी कि सलोनी ने फ़ोन स्पीकर पर कर लिया था..
उसकी सहेली नज़ाकत- “हेलो मेरी जान, कहाँ हो आजकल?”
सलोनी- “यहीं हूँ यार ! तू सुना.. कहाँ मस्ती मार रही है…?”
नज़ाकत- “वाह, मस्ती खुद कर रही है और मेरे को बोल रही है…”
सलोनी- “ओह लगता है शकील भाई नहीं हैं आजकल जो मुझसे लड़ने लगी…?”
नज़ाकत- “उनको छोड़… तू ये बता… आज बाजार में किसके साथ मटक रही थी, बिल्कुल छम्मक छल्लो की तरह..?”
सलोनी- “अरे वो तो इनका छोटा भाई है.. मैं तेरी तरह नहीं हूँ जो किसी के भी साथ यूँ ही घूमने लगूँ…”
नज़ाकत- “हाँ हाँ… मैं तो ऐसी वैसी हूँ… और तू कैसे घूम रही थी वो सब देखा मैंने… मेरी आवाज भी नहीं सुनी.. और अपने चूतड़ मटकाती हुई निकल गई…”
सलोनी- “अरे यार… मैंने सही में नहीं देखा, कहाँ थी तू…?”
नज़ाकत- “उसी बाजार में जहाँ तू बिना कच्छी के अपने नंगे चूतड़ सबको दिखा रही थी…”
सलोनी- “अरे यार… वो जरा वैसे ही हे… हे… जरा मस्ती का मूड था तो… और तू क्या कर रही थी वहाँ…?”
नज़ाकत- “मैं तो शकील के साथ शॉपिंग करने गई थी…”
सलोनी- “हाय !! तो क्या शकील भाई ने भी कुछ देखा..”
नज़ाकत- “कुछ… अरे सब कुछ देखा… उन्होंने ही तो मुझे बताया… कि यह आज सलोनी को क्या हो गया है… उन्होंने तो तेरे उस भाई को तेरे नंगे चूतड़ों पर हाथ से सहलाते भी देखा… तभी तो मैं तुझसे कह रही हूँ…”

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#13
Heart 
सलोनी- “ओ माय गॉड, क्या कह रही है तू…?”
नज़ाकत- “बिल्कुल वही जो हुआ… अब सच सच बता… क्या बात है?”
सलोनी- “यार, शकील भाई कहीं इनसे तो कुछ नहीं कहेंगे?”
नज़ाकत- “अरे नहीं यार वो ऐसे नहीं हैं… लेकिन तू मुझे बता… ये सब क्या है… और क्या क्या हुआ…?”
सलोनी- “अरे कुछ नहीं यार, बस थोड़ी मस्ती का मन था.… इसलिए बस और कुछ नहीं यार…”
नज़ाकत- “हम्म्म… वो तो दिख ही रहा था.. तू बताती है या मैं कोई जासूस छोड़ूँ तेरे पीचे…?”
सलोनी- “जा कुतिया… कर ले जो तेरे से होता है… साली धमकी देती है? ब्लैकमेल करती है माँ की …?”
नज़ाकत- “प्लीज बता ना यार… क्या क्या हुआ… और वो हैंडसम कौन था…?”
सलोनी- “बताया तो यार… मेरा देवर है॥…और बस थोडा मस्ती का मूड था तो ऐसे ही बाहर निकल लिए बस और कुछ नहीं हुआ… और तुझे मस्ती लेनी है तो तू भी बिना चड्डी के जाना, देखना बहुत मजा आएगा..”
नज़ाकत- “अरे वो तो सही है.. तू बता न क्या हुआ मेरी जान.. कितनों ने उंगली की तेरी में… बता न यार..?”
सलोनी- “नहीं यार… ऐसा कुछ नहीं हुआ… बस जैसे तूने देखा… ऐसे ही किसी न किसी देखा होगा बस और तो कुछ नहीं हुआ…”
नज़ाकत- “अच्छा और तुम्हारे देवर, वो कहाँ तक पहुँचे..?”
सलोनी- “कहीं तक नहीं यार बस ऐसे ही थोड़ी बहुत मस्ती बस और क्या मैं…”
सॉरी दोस्तो, रिकॉर्डिंग ने धोखा दे दिया लगता है यहाँ तक बैटरी थी उसके बाद बैटरी खत्म ! मगर इतना कुछ सुनकर मुझे यह तो लग गया था कि सलोनी को अब रोकना मुश्किल है, मैं कुछ देर तक बस सोच ही रहा था कि अब आगे क्या और कैसे करना चाहिए बहुत समय तक अनाप-शनाप सोचने के बाद मैंने सब विचारों को बाहर निकाल फैंका फिर सोचा कि यार मैंने सलोनी को अब तक दिया ही क्या है, यह घर,  ऐश्वर्य या कुछ जरूरी सामान, क्या ये सब ही काफ़ी था…? आखिर उसकी भी अपनी ज़िंदगी है… और सेक्स तो शरीर की प्राथमिक जरूरत है… मगर मैंने इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया, पर अब मुझे इस और ध्यान देना होगा, मैंने एक ही पल में सब सोच लिया कि मैं अब सलोनी का पूरा ध्यान रखूँगा, वो जो भी चाहती है, जैसा भी चाहती है, मैं उसमें उसका साथ दूँगा, आखिर मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। अब अगर उसने ये सब किया तो मैं नहीं समझता कि इसमें उसकी कोई गलती है अगर उसको ये सब अच्छा लगता है तो उसको मिलना चाहिए और मैं भी कौन सा दूध का धुला हूँ? अपनी क्लासमेट से लेकर सेक्रेटरी से लेकर साली तक अनगिनत पड़ोसनों, कालगर्लों तक न जाने कितनी चूतों को मार चुका हूँ। फिर अगर सलोनी मजे ले रही है तो यह उसका जायज हक़ है। अब यह सोचना था कि कैसे मैं उसको अपने विश्वास में लूँ। यह सब सोचते हुए मैं घर पहुँच गया।
अब घर पहुँच कर मैंने घण्टी बजाई… घर्र्न्न… घर्र्न्न…
सलोनी- “कौन है…?”
मैं- “खोल ना… मैं हूँ”
दरवाजा खुलते ही…
सलोनी- “क्या हुआ? बड़ी देर लगा दी, कहाँ रुक गए थे, पारस का फोन आया कि वो तो 2 घंटे पहले ही निकल गया वो और मैं दोनों कॉल कर रहे थे पर आपका फोन ही नहीं लग रहा था, कहाँ थे..? कहीं कुछ हुआ तो नहीं, कितना घबरा रही थी मैं, कुछ हुआ तो नहीं, क्या तुम भी एक कॉल भी नहीं कर सकते थे”
ओह माय गॉड, मुझे याद आया, मैं अपना फोन कॉल ऑफ किया था, जब रिकॉर्डिंग सुन रहा था और यहाँ ये सब कितने परेशान हो गए बेचारे…
मैं- “ओह! जरा ठहर मेरी जान, ऐसा कुछ नहीं हुआ बस कोई मिल गया था और मेरा फोन गिरने से ऑफ हो गया था मुझे पता ही नहीं चला…”
सलोनी मेरे सीने से लग गई, मैंने कसकर उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया, मुझे उसके कमसिन शरीर का अहसास होने लगा जो पिछले 1-2 साल से मैंने खो दिया था। वाक़यी सलोनी एक बहुत खूबसूरत और काम-रति सम्पन्ना स्त्री है। उसका अंग अंग रस से भरा है, उसके उठे हुए नुकीले स्तन, चूची मेरे सीने में चुभ रहे थे, उनके निप्पल तक की चुभन का अहसास मुझे हो रहा था मुझे पता था कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि उसकी गहरी लाल रंग की ब्रा, कच्छी हमारे बेड के कोने में लैंप के पास रखीं थी। सलोनी अमूमन तो घर पर ब्रा कच्छी पहनती ही नहीं थी। और अगर पहनी हो तो रात को सोने से पहले वो उनको उतार वहीं रख देती थी। वो हमेशा मेरे सामने ही यह सब करती थी, मगर उसके प्रति मेरी रुचि बिल्कुल ख़त्म सी हो गई थी इसलिए मैं कोई ध्यान नहीं देता था। मगर आज की सारी घटनाओ ने मेरा नजरिया ही बदल दिया था। मुझे सलोनी संसार की सबसे प्यारी स्त्री लग रही थी। यकीन मानना,  मेरा लण्ड उस रिकॉर्डिंग को सुनने के बाद से खड़ा था और बहुत दिनों बाद आज सलोनी के शरीर की गर्मी महसूस कर उसको छू रहा था। इसका एहसास सलोनी को भी हो रहा होगा, मैं अपना हाथ उसकी पीठ से लहराते हुए उसके गदराये चूतड़ों तक ले गया। कसम से इतने सेक्सी चूतड़ किसी के नहीं हो सकते, ऐसा मखमली अहसास जैसे मक्खन एक पर्वत को चूतड़ का आकार दे दिया गया हो, सलोनी ने सफ़ेद मिडी जैसा गाउन पहना था, जो उसके चूतड़ों से थोड़ा ही नीचे होगा, मेरा हाथ सरलता से उसके गाउन के अंदर उसके नग्न नितम्बों (चूतड़ों) के ऊपर पहुँच गया था।
मैं उस मखमली एहसास से सराबोर हो गया था, सलोनी और कसकर मेरे से लिपट गई, उसकी इस अदा ने मेरे दिल में उसके प्रति और भी प्यार भर दिया, यह सच है कि वो कभी मुझे किसी बात के लिए मना नहीं करती थी। आज ना जाने उसने कितनी मस्ती की होगी, और कई बार सेक्स भी किया ही होगा, चाहती तो इस समय वो गहरी नींद सो रही होती, उसका शरीर इस समय तृप्त होना चाहिए, पर मेरे लिए वो फिर तैयार थी, वो कुछ मना नहीं कर रही थी बल्कि मेरे बाहों में सिमटी आहें भर रही थी, उसको मेरी जरूरत का हर पल ख्याल रहता था…
मैंने अपने हाथ को उसके चूतड़ों के चारों ओर सहलाकर, उसके दोनों उभारों को अपनी मुट्ठी में भरने के बाद अपनी दो उंगलियों से उसकी दरार को प्यार से सहलाया फिर अपनी उँगलियों को उसके गुदाद्वार यानि चूतड़ों के छेद पर ले गया जो एक गरम भाप छोड़ रहा था फिर वहाँ से मेरी उँगलियों ने उसकी मखमली चूत तक का सफ़र बड़ी रंगीनी के साथ तय किया…
सलोनी- “आअहाआ… ह्ह्ह्हह…”
बस उसके मुख से केवल आहें ही निकल रहीं थीं, क्या बताऊँ कितना नरम अहसास था मैं गांड और चूत के मुख को प्यार से ऐसे सहला रहा था कि इन दोनों बेचारो छेदों ने कितनी चोट सही हैं आज मगर गांड की गर्मी और चूत के गीलेपन ने मुझे यह बता दिया कि वो फिर चोट सहने के लिए तैयार हैं, मैंने अपने मुंह से ही सलोनी के कन्धों पर बंधे स्ट्रैप खोल दिए, उसका गाउन नीचे गिर गया, वो अब पूर्ण नग्न-अवस्था में मेरी बाहों में थी, मैंने उसको थोड़ा पीछे कर उसके गदराये मम्मों को देखा, उन पर काफी सारे लाल लाल निशान थे जो शायद आज हमारे पारस साब बनाकर गए होंगे मगर सलोनी कभी कुछ छिपाने की कोशिश नहीं करती थी इसीलिए मुझे उस पर कभी कोई शक़ नहीं होता था
तभी सलोनी बोली- “सुनो, आप कपड़े बदल लो, मैं दूध गर्म कर देती हूँ…”
मैं- “हाँ मेरी जान, कितने दिन पारस के कारण हम कुछ नहीं कर पाये, आज बहुत मन हो रहा है”
सलोनी के मुख पर एक सेक्सी मुस्कराहट थी, वो एक नई नवेली दुल्हन की तरह शरमा रही थी, उसने रसोई में जाते हुए अपनी आँखों को झुकाकर एक संस्कारी स्त्री की तरह स्वीकृति दी उसकी इस अदा को देखकर कोई सपने में भी विश्वास नहीं कर सकता था कि आज पूरे दिन उसने किस तरह अपना अंग प्रदर्शन किया और बुरी तरह से अपने पति के रहते किसी परपुरुष से चुदाई करवाई, यही होती हैं नारी की अदाएँ जिन्हें कोई नहीं समझ सकता। समझदार पुरुष को इन सबसे तालमेल बनाना ही होता है वरना होता तो वही है जो नारी चाहती है, अब या तो आपकी ख़ुशी के साथ या फिर आपका जीवन बर्बाद करने के बाद, फिलहाल मैं कपड़े उतार हल्का सा शावर ले, एक रेशमी लुंगी पहन, अपने शरीर को डियो से महकाकर बिस्तर पर आ बैठ गया। मुझे ध्यान आया कि जब मैंने सलोनी को छोड़ा था तब वो पूरी नंगी थी। उसकी नाइटी अभी भी वहीं पड़ी थी, इसका मतलब वो रसोई में नंगी ही होगी।
बस मैं उठकर रसोई की ओर जाने लगा।
ऐसा नहीं है कि ऐसा पहले नहीं होता था, मगर मैं कभी इस सब रोमांच के बारे में नहीं सोचता था। पहले भी ना जाने कितनी बात सलोनी घर में नंगी ही और काम करती रहती थी मगर मैं उससे कोई रोमांस नहीं करता था और ना मुझे कोई अजीब लगता था। क्योंकि हम दोनों यहाँ अकेले ही रहते थे तो उस आज़ादी का फ़ायदा उठाते थे। मैं भी ज्यादातर पूरा नंगा ही सोता हूँ और घर पर काफी कम कपड़े ही पहनता हूँ।
और मैं जब रसोई में गया तो…
TO BE CONTINUED …..
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#14
मैं जब रसोई में गया तो सलोनी नीचे झुकी हुई कोई सामान निकाल रही थी। आज वो ना जाने क्यों इस समय दुनिया की सबसे ज्यादा सेक्सी औरत लग रही थी। एक पूरी नंगी, मस्त मस्त अंगों वाली नारी जब झुकी हो तो पीछे से उसके नंगे चूतड़ और उसके दोनों भाग से झांकती उसकी सबसे सुन्दर चूत ! क्या बताऊँ दोस्तो, कितना जबर्दस्त दृश्य था। मैंने अपनी लुंगी वहीं खोली और पीछे से उसको जकड़ लिया। उसने बड़े आश्चर्य से पीछे घूमकर देखा, क्योंकि ऐसी अवस्था में शायद यह सब काफी समय बाद हुआ था। शादी के 6 महीने या एक साल तक तो मैं ऐसा सब रोमांस करता भी था मगर तब सलोनी घर पर इस तरह नंगी भी नहीं रहती थी। मगर जब वो इतना खुली रहने लगी तो मैं अपने बिज़नस में व्यस्त हो गया।
इसीलिए उसने मुझे इस तरह देखा मगर वो इतनी ज्यादा प्यारी है कि उसने कुछ नहीं कहा बल्कि मेरे लण्ड पर अपने सेक्सी चूतड़ को हिलाकर कहा- “क्या हुआ? आ तो रही हूँ…”
मैं- “क्या कर रही हो मेरी जान? बहुत देर लगा दी”
सलोनी- “बस आपके लिए केसर दूध और कुछ ड्राई फ्रूट तल रही थी”
मैं- “वाह जान… मजा आ जायगा, क्या कुछ मीठा भी है घर पर…” मैंने साइड खिड़की को खोलते हुए कहा…
हमारी रसोई की एक तरफ एक छोटी खिड़की है जो बाहर गैलरी में खुलती है। वहाँ कॉलोनी के पीछे वाले रास्ते की सीढ़ी हैं तो दिन में ही वहाँ आना जाना होता हैऔर वो भी बहुत कम ! गर्मी में वो खिड़की खुली ही रहती है, पहले मैं ही बंद कर देता था कि सलोनी रसोई में कुछ कम कपड़ों में काम करती थी तो कोई देखे ना… मगर आज ना जाने किस बात से प्रेरित हो मैंने ही वो खिड़की खोल दी थी। और वो भी तब जब मैं और सलोनी दोनों ही रसोई मैं पूरे नंगे थे… दोनों के शरीर पर एक कपड़ा नहीं था.. मैं सलोनी से रोमांस भी कर रहा था… ऐसे में कोई हमको देख लेता तो शायद उसका पजामा गीला हो जाता। मूत से नहीं बल्कि…हा हा हा… मेरे खिड़की खोलने पर भी सलोनी ने कुछ नहीं कहा, बल्कि हामी भरी…
सलोनी- “अहा… कितनी गर्मी हो गई है ना… अच्छा किया आपने… घुटन कुछ कम होगी…”
मैंने उसको अपनी ओर करके उसके लाल रसीले लबों को अपने होठों में दबा लिया… सलोनी ने भी अपने होंठों को खोलकर और उचककर मेरे चुम्बन का जबाब दिया… सलोनी की पीठ खिड़की की ओर थी और वो आँखें बंद कर मेरे चुम्बन में व्यस्त थी… मेरे हाथ उसकी नग्न चिकनी पीठ से फिसलते हुए उसके चूतड़ों तक पहुँच गए… तभी एक पल के लिए मेरी आँख खुली… वैसे तो बाहर पूरा अँधेरा था… मगर मुझे एक पल को लगा की जैसे कोई वहाँ खड़ा है ! क्योंकि मुझे सिगरेट की चिंगारी जलती नजर आई… कौन है वो..??.. सलोनी मेरी बाहों में एक बेल की तरह लिपटी थी बिल्कुल नंगी, उसका गोरा, संगमरमरी जिस्म रसोई की दूधिया रोशनी में चमक रहा था। और ये सब हमारी रसोई की खिड़की से कोई बावला देख रहा था। मुझे नहीं पता कि वो कौन है, हाँ यह निश्चित था कि कोई तो है… मैंने दो तीन बार सिगरेट जलती, बुझती देखी.. इस समय उसने सिगरेट अपने हाथों के पीछे की हुई थी… और वो साइड में होकर… झुककर देख रहा था। सलोनी ने होने होंठ अब मेरे गर्दन पर रगड़ते हुए मेरे कानों के निचले भाग पर पहुँचने की कोशिश की… वाकई सेक्स के मामले में वो जबरदस्त थी, उसकी इस कोशिश से मेरा लण्ड पूरा खड़ा होकर उसकी चूत पर टकराने लगा। बहुत गरम और मस्त अहसास था… मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा तो नहीं, परन्तु 5.5 से 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा होगा। खड़ा होने पर उसकी आगे की खाल खुद ऊपर हो जाती है और मोटा सुपारा बाहर आ जाता था, वो इस समय सलोनी की कसी हुई प्यारी चूत को छू रहा था।
तभी मेरे मन ने सोचा कि क्या सलोनी को इस आदमी के बारे में बताया जाये… मेरे दिल ने कहा- ‘अरे… यही तो मौका है उसके दिल में खुद को सेक्स के मामले में बड़ा दिखाने का और आगे खुलकर मस्ती करने का…’ बस मैंने सलोनी को और कसकर अपनी बाहों में जकड़ा और अपना सीधा हाथ से उसका सर और बाएं हाथ से चूतड़ सहलाते हुए मैं बहुत धीरे से उसके कान में फुसफुसाया- “जान… मुझे लग रहा है कि खिड़की से कोई हमको देख रहा है”
अचानक सलोनी ने कसमसाकर मेरी बाहों से निकलने की कोशिश करने लगी… उसकी हरकतों से साफ़ लगा कि वो अपने नग्न जिस्म को छुपाना चाह रही है.. मैं फिर फुसफुसाते हुए- “शांत रहो जान, मुझे देखने दो कि वो कौन है…”
सलोनी- “पर मैं नंगी हूँ…”  वो मुझसे भी धीमी आवाज में मेरे कान में बोली।
‘हाँ’ आश्चर्य रूप से उसका बदन शांत हो गया था अब उसमें खुद को छुपाने की जल्दबाजी नहीं थी।
मैंने वैसे ही उसको चिपकाये हुए उसको कहा- “तो क्या हुआ जान, उसने तो हमको देख ही लिया है… अब जरा मैं भी तो देखूँ कि यह साला है कौन… तुम ऐसा करो वैसे ही प्यार करते हुए थोड़ा खिड़की के पास को खिसको… वो शायद थोड़ा साइड में है… और ऐसे जाहिर करना कि हमको कुछ नहीं पता…”
मुझे कुछ अंदेशा सा था… मगर मेरी सारी आशाओं से विपरीत सलोनी पहले से भी ज्यादा कामुक तरीके से मेरे से लिपट गई… और उसने मेरी गर्दन में दांतों को गड़ाते हुए अपनी चूत को और भी तेजी से मेरे लण्ड पर लगड़ा और खिसकते हुए अपनी पतली सेक्सी कमर घुमाते हुए बहुत धीरे धीरे… खिड़की की ओर बढ़ने लगी… मैं भी उसके साथ लिपटा हुआ आगे हो रहा था… उसकी इस अदा मैं कुर्बान हो गया था…
ओह माय गॉड… यह क्या… मेरे लण्ड के टॉप ने सलोनी के चूत का गीलापन तो पहले ही पता चल रहा था मगर एक बार खिसकने में…मेरा लण्ड उसकी चूत के गर्म छेद से टिक गया… और तभी उसके सुपाड़े पर सलोनी की चूत का ढेर सारा पानी गिर गया…
यह क्या ! जो मेरी जान कई धक्कों के बाद और कभी कभी तो मेरे झड़ने के बाद भी अशांत रहती थी.. आज मेरे लण्ड को घुसाये बिना… केवल लण्ड के छुअन से ही धराशायी हो गई थी… यह उसका आज का पारस का प्यार… या मेरा ऐसा प्यार करने का तरीका तो नहीं हो सकता… यह जरूर एक ऐसा एहसास था कि कोई उसको नंगी अवस्था में ऐसे चुदाई करते देख रहा है…
वाह… दोस्तो… इस तरह के सेक्स ने यहाँ हमारे जीवन में अचानक ही एक नया मोड़ ला दिया था… सलोनी के चूत के पानी ने मेरे लण्ड को और भी जोश में ला दिया था… मगर आश्चय यह था कि झड़ने के बाद भी सलोनी के जोश में रत्ती भर भी कमी नहीं आई थी… अब हम खिड़की के काफी निकट थे…
अब हम कुछ नहीं बोल रहे थे क्योंकि हमारी आवाज वो सुन सकता था… सलोनी मेरी किसी हरकत का कोई विरोध नहीं कर रही थी… मैंने उसको खिड़की की पास वाली स्लैब को पर बैठा दिया… पर वो अचानक उतर गई…
सलोनी- “नीचे ठंडा लग रहा है जान…”
मैं- “तो क्या हुआ जान, आओ अभी खूब गर्म कर दूंगा…”
मैंने उसको खिड़की की ओर घुमाकर नीचे बैठ गया और उसके मखमली चूतड़ को अपनी लम्बी जीभ से चाटने लगा..
अब सलोनी पूरी नंगी खिड़की की ओर मुँह करके खड़ी थी… वो खिड़की के इतने निकट थी कि उसका एक एक अंग बाहर वाले आदमी को दिख रहा होगा… मगर सलोनी को इस सब के एहसास ने और भी कामुक बना दिया था… वो किसी बात को मना नहीं कर रही थी।
मेरी जीभ जैसे ही उसकी चूत वाले भाग पर पहुँची… वहाँ की चिकनाई और गर्माहट देख मैं समझ गया कि सलोनी बहुत रोमांचित है… मैंने पिछले 3 सालों में एक बार भी उसके इस भाग में इतना रस महसूस नहीं किया था… मैंने सोच लिया कि आज अपनी यह चुदाई मैं यहीं रसोई में ही पूरी करूँगा… और बाहर वाले अजनबी का कोई ख्याल नहीं करूँगा… चाहे वो पूरा देखे… या कुछ हो… मैं पीछे से सलोनी के चूतड़ों को चाटता हुआ उसके दोनों भागों को हाथ से खोल सलोनी की गुलाबी दरार पर अपनी जीभ फिराते हुए उसके सुरमई छेद को अपनी जीभ की नोक से कुरेदने लगा।

“आअह्ह्ह्हा… आआआआआ ह्ह्ह्ह्हा… आआआ…” - सलोनी ने जोर से सिसकारी ली… उसका मुँह पूरी तरह खिड़की की तरफ था।
हम खिड़की से मात्र कुछ इन्च की दूरी पर ही थे। सलोनी ने एक हाथ स्लैब पर रखा था और दूसरे हाथ से अपने मम्मों को मसल रही थी…
मैं अपनी जीभ को उसकी चूत की ओर ले जाते हुए केवल यह सोच रहा था कि उस बेचारे का क्या हाल हो रहा होगा… उसको सलोनी की चूची वो भी उसके द्वारा खुद मसलती हुई न जाने कैसी लग रही होंगी… और इस समय तो उसको सलोनी की चूत भी साफ़ दिखाई दे रही होगी… वो भी मचलती हुई… क्योंकि सलोनी लगातार अपनी कमर घुमा रही थी… तभी मैंने अपनी जीभ उसकी रस से भरी हुई चूत में घुसेड़ दी…
सलोनी- “आआआऔऊऊऊऊऊऊह… क्या करते हो डॉलिंग..”
मैंने एक और काम किया… पता नहीं आज इस साले दिमाग में आईडिया भी कहाँ से आ रहे थे… मैंने सलोनी के दाएं पैर को उठा अपनी गोद में रख लिया… जिससे उसके दोनों पैरों में अच्छा खासा गैप बन गया… उसकी चूत पीछे से तो खुल गई… जिससे मेरी जीभ आसानी से उसको छेड़ने लगी… मगर मैं सोच रहा था कि सामने से उसकी चूत कितनी खिली हुई दिख रही होगी… कमाल तो यह था कि सलोनी को पता था कि वो अजनबी आदमी ठीक उसके सामने खड़ा है… पर वो बिना किसी रूकावट के चूत चटवाते हुए सिसकारियाँ भर रही थी… करीब दस मिनट तक उसकी चूत का सारा रस चाटने के बाद मैंने फिर से उठकर उसको चूमा और उसका मुँह नीचे अपने लण्ड की ओर कर दिया… बस एक बार सलोनी ने अपनी आँखों के इशारे से मना सा करते हुए खिड़की ओर देखा… परन्तु जैसे ही मैंने उसको फिर से नीचे झुकाया, वो अपने घुटनों पर बैठ गई और मेरे लण्ड को अपने हाथों से पकड़ अपनी गीली जीभ बाहर निकाल चाटने लगी… और फ़िर कुछ ही देर में लण्ड को मुँह में पूरा लेकर चूसने लगी..
मैं- “अह्ह्ह्हा… आआआ… आआअ… ऊऊओ…”, मजा लेते हुए मैंने उसकी ओर देखा तो वो तिरछी नजरों से खिड़की की ओर देख रही थी…
एक तो बला की खूबसूरत, पूरा नंगा जिस्म वो भी सेक्सी तरीके से लण्ड चूसते हुए… तिरछी नजर से किसी अजनबी को ढूंढते हुए वो क्या मस्तानी दिख रही थी… मैंने भी उसका अनुसरण करते हुए उधर बिना किसी प्रतिक्रिया के खिड़की से बाहर को देखा… अर्रर… अई… ईईईए… यह क्या… वो महाशय तो बिल्कुल खिड़की से निकट खड़े थे… वो अब खिड़की से बाहर जाती रोशनी की जद में थे… तो आसानी से दिख गए… जरूर सलोनी को भी नजर आ गए होंगे… मगर उसने अपना कार्य लण्ड चुसाई में कोई रुकावट नहीं डाली… बल्कि मेरे लण्ड को अपने ही थूक से और भी गीला किया और भी मस्ती से चूसने लगी… सेक्स उसके सर चढ़कर बोल रहा था… मैं खड़ा था तो मुझे उस आदमी का निचला भाग ही दिख रहा था… उसने अपना पजामा नीचे खिसकाया हुआ था और हाथ से लण्ड को मसल रहा था या फिर मुठ मार रहा था।
माई गॉड… आज एक अजनबी आदमी मेरे सामने मेरी ही नंगी बीवी को देख मुठ मार रहा है… और उसको देख मेरे लण्ड भी लावा उगलने जैसा हो गया…
मैंने जल्दी से उसके मुँह से अपना लण्ड बाहर खींच लिया और अब चुदाई के बारे में सोचने लगा कि कैसे चोदूँ सलोनी को कि हम दोनों को भी मजा आये और उसको भी, जो बेचारा बाहर हाथ से लगा है… हमारी यह चुदाई शायद सबसे ज्यादा रोमांचित कर वाली और मेरी अब तक की सबसे बढ़िया चुदाई होने वाली थी। छुपकर और छुपाकर ना जाने कैसे-कैसे चुदाई की थी मगर इस तरह की अपने ही घर पर अपनी ही सेक्सी बीवी को रसोई में पूरी नंगी करके एक अजनबी मर्द के सामने लाइव शो करते हुए इस तरह चोदना मुझे बहुत ही उत्तेजित कर रहा था… मैंने जल्दी न झरने के कारण गप्प की आवाज के साथ अपना लण्ड उसके मुँह से निकाल लिया… सलोनी बड़े ही सेक्सी निगाहों से मुझे देखती हुई खड़ी हो गई..
उसके बाएं हाथ में मेरा लण्ड अभी भी खेल रहा था… उसने मेरे को ऐसे देखा कि अब क्या…?
मैंने बाएं हाथ से उसकी चूत को दो उंगलियों से बड़े प्यार से सहलाते हुए चोदने का इशारा दिया… उसने मेरे लण्ड को अपने मुलायम हाथ से आगे से पीछे तक पूरे लण्ड पर फिराते हुए, अपनी बड़ी-बड़ी झील जैसी आँखों को नचाया जैसे पूछ रही हो कि ‘कहाँ और कैसे…?’

मैंने उसके होंठो पर एक जोरदार चुम्मा लेते हुए उसे कहा- “जान आज एक नया रोमांच करते हैं क्यों ना यहीं किचन में ही चुदाई करें…?”
सलोनी- “नहीं जानू, चलो ना बेडरूम में चलते हैं, वहीं चोदना आप अपनी जानू को…”
मैंने फिर से उसके होंठों को अपने होंठों में दबा लिया… वो लगातार मेरे लण्ड को सहलाकर अपनी चुदाई का इन्तजार कर रही थी…
मैं- “अरे नहीं जान, यहीं चोदेंगे हम आज तो अपनी सलोनी की नन्ही सी बुर को…”
सलोनी- “अच्छा ठीक है, फिर खिड़की बंद कर दो… यहाँ रोशनी है तो कोई बाहर से देख सक्ता है ना…”
तभी हम दोनों को लगा जो खिड़की के बहुत पास खड़ा था… वो थोड़ा खिसक कर पीछे को हो गया.. मुझे सलोनी के चेहरे पर एक सेक्सी मुस्कराहट नजर आई… अब मैंने उसको स्लैब की ओर इशारा किया… वा… सलोनी ने खुद चुदाई का तरीका ढूंढ लिया था.. वैसे भी यह उसका पसन्दीदा तरीका था… वो बिल्कुल खिड़की के पास ही स्लैब पर दोनों हाथ टिकाकर अपने सेक्सी चूतड़ों को उठाकर झुककर खड़ी हो हो गई… उसका पिछला हिस्सा चीख-चीख कर कह रहा था कि आओ इनमें से किसी भी छेद में अपना लण्ड डाल दो… बस मैंने कुछ नहीं सोचा…और उसकी पतली कमर पर दोनों हाथ टिकाकर उसे दबाते हुए अपना तना हुआ लण्ड उसके पीछे से चिपका दिया… और मैं खिड़की के बाहर उस शख्स को ढूंढ़ने की कोशिश करने लगा जो शायद एक साइड में ही खड़ा था… तभी सलोनी खुद ही अपने सीधे हाथ को नीचे अपनी जांघो के बीच ले गई… और थोड़ा सा झुककर मेरे लण्ड को पकड़ अपने चूत के छेद के मुहाने पर रख अपनी उंगली के नाखून से लण्ड को दबाया… जो मेरे लिए धक्का लगाने का संकेत था… तभी मुझे वो जनाब भी दिख गए… वो बहुत मजे से बिल्कुल कोने में खड़े खिड़की की जाली से पूरा मजा ले रहे थे… उसकी नजर मेरी ओर नहीं थी, वो सीधे सलोनी की चूत को बदस्तूर घूर रहे थे… बस यही वो समय था जब मैंने अपनी कमर को एक झटका दिया…
‘हाआप्प्प्प्प…’ की आवाज के साथ मेरे लण्ड का सुपारा चूत में चला गया… सलोनी ने हल्की सी सिसकारी के साथ अपने चूतड़ और भी ज्यादा पीछे को उभार दिए… मैंने इस बार थोड़ा और तेज धक्का लगाया और पूरा लण्ड उसकी चूत में समां गया…
सलोनी- “अहा !”
अब मैंने सलोनी की ओर देखा, साधारणतया वो बहुत तेज सिसकारी लेती है… मगर आज केवल अहा..? ऐसा नहीं कि दर्द के कारण वो ऐसा करती हो… बल्कि उसको बेडरूम में चुदाई के समय सेक्सी आवाजें निकलने अच्छा लगता था… और वो यह भी अच्छी तरह जानती थी कि इस तरह की आवाजों से उसका साथी ज्यादा उत्तेजित हो और भी तेज धक्के लगाकर चुदाई करता है… मगर आज हल्की आवाज का कारण वो आदमी था.. मैंने देखा सलोनी बिना पलक झपकाए उसको देख रही है जो ऐसा लग रहा था कि बिल्कुल हमारे सामने बैठा हो… वो खिड़की के कोने में जाली से चिपका था… और कमबख्त की नजर पूरी तरह सलोनी की चूत पर ही थी… उसने उसकी चूत में मेरे लण्ड को घुसते हुए पूरा साफ़ देखा होगा…
पर मेरी नजर तो सलोनी पर थी.. न जाने वो क्या सोच रही थी… उसकी नजर उस शख्स पर ही थी…मगर वो अपना कोई अंग छुपाने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी… बल्कि और भी ज्यादा दिखा रही थी… ना जाने यह उसकी कैसी उत्तेजना थी…जो उसे ये सब करने को प्रेरित कर रही थी।
अब मैंने लयबद्ध तरीके से उसकी कमर को पकड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए… ‘अहह… हआआ… ओहूऊओ… ओह… अहा… ह्ह्ह्ह… ओह्ह… ह्ह्ह्ह…’
हम दोनों ही आवाज के साथ चुदाई कर रहे थे… और वो अजनबी हमारे हर धक्के का मजा ले रहा था, मुझे पूरा यकीन था कि वो जिस जगह था, उसको मेरा लण्ड चूत में अंदर बाहर जाता साफ़ दिख रहा होगा… यह सोचकर मेरे धक्कों में और भी ज्यादा गति आ गई और सलोनी की सिसकारियों में भी… अहहआ… आआह… ओह… हय… ह्हह्ह… आअह… ह्ह्ह… आआअ… ऊओ… ओह्ह… ह्ह्ह…
हम पर तो इन आवाजों का पूरा असर हो रहा था… पता नहीं उस पर हो रहा था या नहीं… 5 मिनट बाद सलोनी ने खुद आसन बदलने को कहा और घूम कर स्लैब पर बैठ गई… उसने बड़े स्टाइल से अपने दोनों पैर फ़ैला कर अपनी चूत का मुँह मेरे लण्ड के स्वागत के लिए खोल दिया… मैंने उसकी रस टपकाती चूत को हाथ से सहला एक बार जीभ से चाटा… और इस बार सामने से उसकी चूत में अपना लण्ड एक ही झटके में डाल दिया…
आआआअह… ह्ह्ह्हाआआ आआ… ओहो… हो… हो… ह्हह्ह… अह्हा… हां… मगर इस तरह मुझे लगा कि उस बेचारे को अब केवल एक साइड ही दिख रही थी… मैंने सलोनी की दोनों टांगों के नीचे हाथ डाल उसको अपनी गोद में ले लिया…
हाँ… इस सब में मैंने लण्ड एक इंच भी बाहर नहीं आने दिया… और अब सलोनी मेरी गोद में लण्ड पर बैठी थी.. मैं उसको ऐसे ही पकड़े हुए खिड़की की ओर घूम गया.. सलोनी मेरे से चिपकी थी और उसकी पीठ खिड़की की ओर थी… अब वो शख्स आसानी से चूत में लण्ड को आता जाता देख सकता था… और मैंने अपनी कमर हिलनी शुरू की.. इस बार सलोनी भी मेरा साथ दे रही थी वो भी मेरे लण्ड पर कूदने लगी…
अह्हा… ओह… ह्ह्ह्ह… आह… आए… ह्ह्ह… ओह… ओह… ह्ह्ह… दोनों तरफ से धक्के हम दोनों ही झेल नहीं पाये और सलोनी ने मुझे जकड़ लिया…
मैं समझ गया कि उसका खेल ख़त्म हो गया और मेरा भी निकलने ही वाला था…
TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#15
Mast land kadak ho gya



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#16
मैंने उसको फिर से स्लैब पर टिका दिया और अपना लण्ड बाहर निकाल कर सारा माल उसके पेट और चूची पर गिरा दिया… हमने अभी सांस भी नहीं ली थी कि तभी बाहर से किसी महिला की आवाज आई- “अजी सुनते हो कहाँ हो…??” आवाज का असर तुरंत हुआ… वो अजनबी जल्दी से सामने वाले फ्लैट की ओर लपका और साथ ही… ‘श्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह…’ कर रहा था जैसे उस महिला को चुप करा रहा हो…
और सलोनी पूरी तरह खिड़की से चिपकी थी। उसको उस आदमी के बारे में जानने की कुछ ज्यादा ही उत्सुकता थी। उसको इस बात का भी ख्याल नहीं था कि हम रोशनी में हैं और बाहर वाले को अंदर का सब दिख रहा होगा.. सलोनी किस अवस्था में थी यह तो आप सभी को पता ही है…
तभी सलोनी के मुख से आवाज निकली- “अरे ये तो अरविन्द आंटी थीं”
मैं- “क्याआ??”
सलोनी- “जरूर ये अरविन्द अंकल ही होंगे, मैंने पहले भी उनको कई बार इस जगह घूमते और स्मोक करते देखा है”
सलोनी को पूरी तरह यकीन था, अरविन्द अंकल एक रिटायर्ड अफसर थे, वो 3 साल पहले सेल्स इंस्पेक्टर से रिटायर हुए थे, अंकल और आंटी दोनों ही यहाँ रहते थे। अंकल तो 60 साल से ऊपर के थे पर आंटी जिनको मैं और सलोनी भाभी ही कहकर बुलाते थे शायद 40 की ही थीं,
अरविन्द अंकल की वो दूसरी बीवी थीं, पहली बीवी शायद बीमारी के कारण स्वर्ग सिधार गई थी, उनकी दूसरी बीवी जिनका नाम नलिनी है, बहुत खूबसूरत थी, उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा था, मैंने और सलोनी दोनों ही ने एक बार अचानक उनको बिना कपड़ों के भी देख लिया था लेकिन वो किस्सा बाद में ! अरविन्द अंकल की दो बेटियाँ हैं, एक की शादी तो उन्होंने कनाडा की है और दूसरी अभी MBA कर रही है, दोनों ही उनकी पहली पत्नी से हैं और बहुत ही मॉडर्न एवं खूबसूरत, यह उनका थोड़ा सा परिचय था, चलिए वर्तमान में लौटते हैं…
मैंने सलोनी को गोद में उठाकर नीचे उतारा, वो मेरे सीने से चिपकी हंस रही थी, मैं भी हँसते हुए- “चलो यार, आज तुम्हारी वजह से अरविन्द अंकल कुछ तो गर्म हुए होंगे और नलिनी भाभी की सुलगती जवानी पर कुछ तो आराम मिलेगा हाहाहा…”
सलोनी- “तुम भी ना, मैं तो यह सोच रही हूँ कि कल मैं उनका सामना कैसे करूँगी”
मैं- क्या जान तुम क्यों शरमा रही हो, तुम तो पहले की तरह ही बिंदास रहना, उनको पता ही नहीं लगने देना कि हमने उनको देखा लिया था”
सलोनी-  “हाँ हाँ आप तो रहने ही दीजिये, आपको क्या पता? पहले ही उनकी निगाहें मुझे चुभती रहती हैं, हमेशा मेरे कपड़ों के अन्दर तक देखते रहते हैं और आज तो उन्होंने सब कुछ देख लिया अब तो जब भी दिखेंगे ऐसा लगेगा जैसे कपड़ों के अंदर ही देख रहे हों”
मैं- “हम्म्म जान ! मुझे तो डर है कि कहीं इधर उधर कुछ गलत न कर दें, ऐसे आदमियों का क्या भरोसा, अब जरा ध्यान रखना”
सलोनी- “अरे नहीं, वो तो आप रहने दो, उतनी हिम्मत तो किसी की नहीं बस मुझे जरा सी शर्म ही आएगी जब भी उनके सामने जाऊँगी”
मैं- “छोड़ो भी यार, अब किस बात की शर्म? सब कुछ तो उन्होंने देख ही लिया ही, अब तो तुम उनको सताया करना यार”
सलोनी- हाँ ये भी ठीक है, मैं तो उनकी शर्मिंदी का ही मजा लूँगी” सलोनी ने कस कर मुझे चूम लिया, बोली- “अच्छा! आप फ्रेश हो लो,  मैं दूध और ड्राई फ्रूट्स लाती हूँ”
मैं उसकी चूची को मसलता हुआ- “ये तो पहले से गरम हैं जान, यही पिला दो”
सलोनी मेरे बालों को नोचते हुए- “ये सब तो आपका ही है जानू, जितना चाहे पी लेना पर अब आप फ्रेश तो हो लो”
मैं उसकी चूत में उंगली करते हुए- “क्यों तुमको नहीं फ्रेश होना?”
सलोनी- “हाँ हाँ बस आप चलो, मैं ये निपटाकर आती हूँ”
मैं- “जरा ध्यान से, कहीं अरविन्द अंकल न आ जाएँ, हा…हा…हा”
सलोनी- हाँ बहुत दम है ना उनमें,  उनको तो नलिनी भाभी ने ही निपटा दिया होगा और क्या पता वहाँ भी ढेर हो गए हों, मैं तो बेचारी उनके बारे में ही सोच रही हूँ, अच्छा अब आप जाओ न बहुत रात हो गई है”
और मैं अपनी नंगी बीवी को रसोई में छोड़ बैडरूम में आकार बाथरूम में घुस गया वाकयी बहुत मजेदार रात थी, मेरे दिमाग में अब आगे के विचार चल रहे थे, इस जबरदस्त चुदाई के बाद रात भर सलोनी मेरे से चिपकी रही और बिस्तर पर नंगे चिपककर सोने का मजा ही अलग है।
सुबह सलोनी जल्दी उठ जाती है, वो सभी घरेलू कार्य बहुत दिल से करती है, वो जब उठी तो आज पहली बार मेरी आँख भी जल्दी खुल गई या यूँ कहिये कि मैं बहुत सोच रहा था कि कैसे अब सब कुछ किया जाये, सलोनी ने धीरे से उठकर मेरे चेहरे की ओर देखा फिर मेरे होंठों को चूम लिया, उसने बहुत प्यार से मेरे लण्ड को सहलाया और झुककर उस पर भी एक गर्मागर्म चुम्बन दिया, उसके झुकने के कारण पीछे से उसके मस्त नंगे चूतड़ और चूतड़ के बीच झलक रही गुलाबी, चिकनी चूत देख मेरा दिल भी वहाँ चूमने का किया पर मैंने अपने आप पर काबू किया और सोने का बहाना किये लेटा रहा, मैं बंद अधखुली आँखों से सलोनी को देखते हुए अपनी रणनीति के बारे में सोच रहा था कि मस्ती भी रहे और इज्जत भी बनी रहे, सलोनी मेरे से खुल भी जाए वो मेरे सामने मस्ती भी करे परन्तु उसको ऐसा भी ना लगे कि मैं खुद चाहता हूँ कि वो गैर मर्दों से चुदवाये, पता नहीं मेरे ये कैसे विचार थे कि मेरा दिल मेरी प्यारी बीवी को दूसरे मर्दों की बाँहों में देखना भी चाहता था, उसको सब कुछ करते देखना चाहता था,पर ना जाने क्यों एक गहराई में एक जलन भी हो रही थी कि नहीं मेरी बीवी की नाजुक चूत और गांड पर सिर्फ मेरा हक़ है इस पर मैं कोई और लण्ड सहन नहीं कर सकता लेकिन इन्सान की इच्छा का कोई अंत नहीं होता और वो उसको पूरी करने के लिए हर हद से गुजर जाता है सलोनी को भी दूसरी डिशेस अच्छी लगने लगी थीं उसने भी दूसरे लण्डों का स्वाद ले लिया था, वो तो अब सुधर ही नहीं सकती थी,अब तो बस इस सबसे एक तालमेल बनाना था…
ट्रिनन्न… ट्रीन्न्न… तभी घण्टी बजने की आवाज आई…
सलोनी बाथरूम में थी वो फ्रेश होने गई थी, मैं उठने ही जा रहा था कि फ्लश की आवाज आई, मतलब सलोनी ने भी घण्टी की आवाज सुन ली थी, मैंने सोचा ना जाने कौन होगा? सलोनी वैसे ही नंगी बाथरूम से बाहर आई,  मैं फिर से सोने का बहाना कर लेट गया और सोचने लगा- ‘क्या सलोनी ऐसे ही या कैसे दरवाजा खोलेगी और इस समय कौन होगा? इतने समय में मैंने कभी घर के किसी कार्य से कोई मतलब नहीं रखा था सलोनी ने सबकुछ बहुत अच्छी तरह से व्यवस्थित किया हुआ था’ सलोनी नंगी ही बाहर की तरफ बढ़ी, मैं हैरान था कि क्या सलोनी नंगी जाकर ऐसे ही दरवाजा खोल देगी… और सुबह सुबह आने वाला है कौन? कोई पुरुष या महिला, मैं इन सब से अनजान था, मैं चुपके से उठकर बैडरूम से दरवाजे के पीछे से देखने लगा…
सलोनी अपना रात वाला गाउन उठा कर पहन रही थी, अरे भाई वो रात रसोई में ही रह गया था मगर गाउन तो उसका पूरा पारदर्शी ही था और उसने नीचे ब्रा या कच्छी नहीं पहनी थी, उसके सभी कोमल अंग बड़े सेक्सी अंदाज में अपनी उपस्थिति बता रहे थे, मैं उसकी हर अदा और हर हरकत पर नजर रखे था…
उसने दरवाजा खोला, सामने एक लड़का था, ओह… यह तो कॉलोनी की दूकान में ही काम करता है, अंडे और ब्रेड लेकर आया था,
अभी तो उसकी दाढ़ी-मूंछ भी नहीं थी, अठारह से 3-4 कम ही होगा मगर मैंने उस लड़के की आँखों में भी सलोनी को देखने की एक चमक देखी, कोई और समय होता तो शायद मैं सलोनी को ऐसे कपड़ों में दरवाजा खोलने पर डांटता पर अब स्थिति बदल गई थीं, मैंने देखा सलोनी ने बाहर किसी से ‘…मॉर्निंग…’ भी कहा… कौन था, नहीं पता फिर वो अंदर आकर रसोई में चली गई…
मेरे कुछ आवाज करने से उसको पता लग गया कि मैं जाग गया हूँ, मैंने देखा उसने सामान रसोई में रख कर मेरी लुंगी जो रसोई में ही थी, उठा अपने ऊपर कन्धों पर डाल ली, इसका मतलब वो अब भी मेरे से घबरा रही थी कि कहीं मैं उसको ऐसे कपड़ों के लिए डाँटूगा, अब उसको क्या पता था कि मैं बहुत बदल गया हूँ, मैंने सब विचारों का परित्याग कर केवल अब यह सोचा कि सलोनी को अपने लिए बहुत खोलूंगा, उसको इस सब में अगर मजा आता है तो मैं भी उसका साथ दूंगा पर शायद चुदाई जैसी बात तक नहीं बढ़ूँगा वरना बात बिगड़ भी सकती है क्योंकि मेरे अनुसार फिर शायद सलोनी बहुत खुलकर सब कुछ करने लगेगी और उसको मेरी बिल्कुल परवाह नहीं रहेगी और हो सकता है फिर वो मेरी इज्जत भी ना करे, तो यहाँ तक तो ठीक है मगर उसको इस सबके लिए खोलने में भी समय तो लगेगा ही और सब कुछ करने में सलोनी को तो बिल्कुल बुरा नहीं लगने वाला यह पक्का था, इसकी शुरुआत तो रात की चुदाई से हो ही गई थी पर अब इतना करना था कि सलोनी अपनी हर बात मुझसे करने लगे वो अपनी हर सेक्सी बात मुझे बताने लगे जिससे मेरे पीछे होने वाली घटनाएँ भी मैं जान सकूँ, अब मैं यही सब करना चाहता था,  मैं नंगा ही फ्रेश होकर रसोई में सलोनी की ओर बढ़ा, मैंने रसोई में जाते ही सलोनी को पीछे से बाँहों में जकड़ लिया। मैं सलोनी की गर्दन को चूमते हुए- “क्या कर रही हो जान…?” मेरा लण्ड फिर खड़ा हो उसकी गांड में दस्तक देने लगा…
सलोनी- “क्या बात है जानू, कल से कुछ ज्यादा ही रोमांटिक हो रहे हो, क्या आज तक तो कभी रसोई में भी नहीं आये और अब हर समय यहीं, जरूर कुछ तो बात है”
मैं- “हाँ जान! मैंने अब अपने काम को बहुत हल्का कर लिया है और अपनी जो सेक्ट्रेरी रखी थी ना नीलू, उसने बहुत काम संभाल लिया है”

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#17
सलोनी- “ओह! तो यह बात है, लगता है उसने मेरे बुद्धू राजा को रोमांटिक भी बना दिया है”, उसने आँखे घूमाते हुए बोला- “केवल ऑफिस का काम ही ना”, फिर लण्ड को पकड़ते हुए, “कुछ और तो नहीं ना??”
अचानक मेरे दिमाग में विचार आया और बोला- “क्या यार सलोनी, तुम भी ना, अब जब हर समय साथ है तो सभी काम ही करेगी ना और वो तो मेरी पर्सनल सेक्ट्रेरी है (उसकी चूत को मसलते हुए) तो पर्सनल काम भी हाहाहा”
सलोनी ने मुझे धक्का देते हुए- “अच्छा जी खबरदार,  जो मेरा हक़ किसी को दिया तो, वैसे भी वो छम्मक-छल्लो कितना चमक धमक कर आती है”
मैं- क्या यार तुम भी ना, कहाँ हक़-वक और पुरानी फैशन की बात करती हो, अरे जान जरा बहुत मजा लेने में क्या जाता है. कौन सा मेरा लण्ड घिस जायेगा या उसकी चूत ही पुरानी हो जाएगी”
सलोनी- “अब तो आप पागल हो गए हो, लगता है आप पर भी नजर रखनी होगी,  कहीं बाहर कुछ गड़बड़ तो नहीं कर रहे”
मैं उसके उखड़े मूड को देखते हुए, मामले को थोड़ा रोकते हुए- “अरे नहीं मेरी जान,  बस थोड़ा बहुत मजाक बाकी क्या तुमको लगता है कि मैं कुछ करूँगा.”
सलोनी मेरे होंठों पर जोरदार चुम्बन लेते हुए- “हाँ मेरे राजा! मुझे पता है, मेरा राजा और उसका यह पप्पू केवल मेरा है मगर उस कमीनी पर तो मुझे कोई भरोसा नहीं”
मैं- “अरे नहीं जानू! क्यों उस बेचारी को गली दे रही हो, कितना ख्याल रखती है वो मेरा”
सलोनी- “अरे, तो मैं ख्याल रखने को कब मना कर रही हूँ लेकिन मेरा हक़ नहीं”
मैंने सलोनी को कसकर अपनी बाँहों में ले लिया- “अरे मेरी जान मैं और मेरा लण्ड हमेशा तुम्हारे हैं, किसी चूत में वो दम नहीं कि इसे तुमसे छीन सके”
सलोनी भी मुझसे चिपक गई- “हाँ जानू! मुझे पता है, थोड़ा बहुत तो सही है मगर (मेरे लण्ड को मुट्ठी में पकड़) यह मैं किसी के साथ नहीं बाँट सकती”
सलोनी- अच्छा चलो, अब जल्दी से तैयार तो हो जाओ, यह क्या ऐसे नंगु पंगु यहाँ खड़े हो, अच्छा मैं यह खिड़की बंद कर देती हूँ वरना सब हमारी रासलीला देख देखकर मजा लेते रहेंगे”
मैंने उसके कन्धों से अपनी लुंगी उठा बांधते हुए- “क्या जान तुम भी फिर से, अरे कोई देखता है तो इसमें हमारा क्या नुक्सान है, देखने दो साले को”
सलोनी- “ओह क्या करते हो, मैंने अभी पूरे कपड़े नहीं पहने”
मैं- “अरे तो क्या हुआ जान, हम अपने घर पर ही तो हैं, कौन सा कोई बाजार में नंगे घूम रहे हैं, अब इन छोटी छोटी बातों को ना सोचकर केवल मजे लिया करो”
सलोनी- अच्छा तो क्या अब खिड़की खुला छोड़कर नंगी घूमूँ? एक तो पता नहीं कल अरविन्द अंकल ने ना जाने क्या क्या देखा होगा, मैं तो सोचकर ही शर्म से मरी जा रही हूँ”
मैं- “क्या अदा है मेरी जान की, अरे कुछ नहीं होता मेरी जान तुम तो सामान्य व्यव्हार करना, देखना वो ही झेंपेंगे हाहाहा और तुम इतनी खूबसूरत हो मेरी जान, तुमको पता है खूबसूरत चीजें दिखाई जाती हैं ना कि परदे में रखी जाती हैं”
सलोनी- “हाँ हाँ, मुझे पता है, ये सब नीलू को देखकर ही बोल रहे हो, कितने छोटे कपड़े पहनकर आती है वो”
मैं- “अरे यार, फिर उसके पीछे, कपड़े पहनने वाला नहीं बल्कि उसको गन्दी नजर से देखने वाला गन्दा होता है, यह तो तुम खुद कहती हो ना और मैंने कभी तुमको मना किया कुछ भी या किसी भी तरह पहनने को, यह हमारा जीवन है, चाहे जो खाएँ या पहनें हमको दूसरे से क्या मतलब तुमको जो अच्छा लगे करो ना”
सलोनी- “आप दुनिया के सबसे प्यारे हस्बैंड हो पुछ्ह्ह्ह्ह्ह्ह… मुँआँहुह… आआआआ” उसने एक लम्बा चुम्मा लिया
मैं- “वो तो मैं हूँ, मगर मेरी रानी भी कम नहीं है”, मैंने भी उसको अपने से चिपका लिया, “तो जान, अब इन खिड़की या दरवाजे से मत डरना, हमको किसी से मतलब नहीं, हम अपनी लाइफ मजे करेंगे और हाँ जो कुछ भी होगा वो एक दूसरे को भी बताएँगे चाहे जो हो”
सलोनी- “अरे, तो मैं कहाँ कुछ छुपाती हूँ, सब कुछ तो, फिर भी, हाँ ऐसा वैसा कुछ मत करना नहीं तो, तुमको पता ही है”
मैं- “अच्छा धमकी! अरे भाई मैं जब तुमको आजादी दे रहा हूँ तो मुझे भी तो कुछ आजादी मिलनी चाहिए न?”
सलोनी- “ह्म्म्म चलो थोड़ा बहुत करने की आजादी है मगर अपने पप्पू को संभाल कर रखना वरना इतने जोर से काटूंगी कि कभी मुँह नहीं उठाएगा.. हे हे हे”
मैं- “अच्छा जी, चलो काट लेना फिर मुँह में तो लेना ही होगा हाहाहा”
सलोनी- “मारूँगी अब हाँ, अच्छा चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ”
मैं- “ठीक है जान, अरे हाँ याद आया, कल शायद अमित आएगा डिनर पर, बता देना अगर कुछ मंगाना हो बाजार से, प्रणव मेरा पुराना दोस्त है वो डॉक्टर है, उसकी कुछ समय पहले ही शादी हुई है रुचिका से, वो ऑस्ट्रेलिया में ही ज्यादा रही है इसलिए बहुत मॉडर्न है”
सलोनी- “अच्छा, तो अब तो रुचिका के साथ ही आएंगे”
मैं- “हाँ यार बहुत दिन से उसको बुला रहा था तो कल ही उसका फ़ोन आया आने के लिए”
सलोनी- “ठीक है जानू, मैं सब तैयारी कर लूँगी”
मैं- “और हाँ जरा मॉडर्न कपड़े ही पहनना, मैं नहीं चाहता कि अमित के सामने मेरी बीवी जो रुचिका कई गुना खूबसूरत है जरा भी फीकी लगे”
सलोनी- “मगर वो तो कितने छोटे कपड़े पहनती है, याद है शादी के चार दिन बाद ही उसने अपनी उस पार्टी में कितनी छोटी मिडी पहनी थी और सबको अपनी वो चमकीली पैंटी दिखाती घूम रही थी”
मैं- “क्या यार, मगर मेरी जान उससे कहीं ज्यादा बोल्ड और खूबसूरत है दरअसल मैं उस साले को दिखाना चाहता हूँ कि हमारे भारत की लड़कियाँ उन जैसी गैर मुल्क में पली भरी से कहीं अधिक खूबसूरत होती हैं बस”
सलोनी- “ओह ठीक है, अब आप तैयार तो हो जाओ ना” उसने मुझे बाथरूम की ओर धकेल दिया…
मैं नहाकर बाहर आया सलोनी बेड पर झुकी हुई मेरे कपड़े सही कर रही थी, उसका गाउन चूतड़ से आधा खिसक गया था जो उसके गोल और मादक चूतड़ों की झलक दिखा रहा था…
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए ही कहा- “जान आज या कल जब भी अमित आये तो उसको अपने इन जालिम चूतड़ों के दर्शन करा देना, देखना पगला जायेगा साला”
सलोनी- मुझे तो लगता है कि अभी तो आप ही पगला गए हैं, कैसी बातें कर रहे हैं? क्या उन लोगों के सामने बिना कच्छी के जाऊँगी? वैसे आप चिंता न करें, मैंने कल कुछ अच्छे सेट का आर्डर दिया है, आज कोशिश करुँगी, शायद मिल जाएँ”
मैं- “अच्छा तो क्या ब्रा, चड्डी भी आर्डर पर तैयार होने लगे?”
सलोनी- “जी हाँ जानू, अब तो हर चीज फैशन पर आ गई है मगर कुछ रुपए दे जाना”
मैं- “ठीक है मेरी जान”
मैं तैयार होते हुए सोचने लगा कि आज शायद सलोनी फिर उसी दुकान पर जाएगी मैं क्या करूँ? कैसे करूँ?
सलोनी- “और हाँ, आप यह मत समझो कि आपके दोस्त सीधे हैं, वो तो आपके सामने सीधा होने का ढोंग करते हैं वरना हम लोगों को मर्दों की सब आदतों के बारे में पता होता है”
मैं- “अच्छा तो कौन साला तुमको छेड़ता है, अभी बताओ, कमीने को ठीक करता हूँ”
सलोनी- “बस तुम्हारी इसी आदत के कारण वो तुमसे डरते हैं वरना”
मैं- “अरे नहीं जान, क्या मैं तुमको ऐसा लगता हूँ?  वो तो थोड़ा काम में बिजी हो गया था बस”
सलोनी- “हाँ हाँ, मैं सब समझ सकती हूँ जब आप उनसे जरा प्यार से बोलेंगे तो आप उन सबकी नजर को खुद समझ जाएंगे”
मैं- “अच्छा अमित भी ऐसा ही है क्या? यार, वो तो बहुत सीधा लगता है”
सलोनी- “हाँ मुझे पता है वो कितना सीधा है… हे…हे”
मैं- “क्या यार पहेलियाँ क्यों बुझा रही हो, सच बताओ ना हमने कल निर्णय लिया था ना कि हम सब कुछ एक दूसरे को बताएँगे, इससे हमारे रिश्ता और भी मजबूत होगा और अब से हम खुद खुले विचारों के साथ जिएंगे, एक दूसरे को रोक टोक नहीं करेंगे”
सलोनी मुझे चूमते हुए- “अरे जानू, आपको क्या लगता है कि क्या मैं आपसे कुछ छुपाती हूँ”
मैं- “तो बताओ न अमित ने कुछ किया क्या”
सलोनी- “अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं मगर उसकी आदतें भी बाकी सभी मर्दों की तरह ही हैं,  वैसे भी मेरी मुलकात तो बस दो तीन बार ही तो हुई होगी, आपको याद है उसकी शादी के बाद पार्टी में, उसने कितनी पी ली थी बस जब वो मेरे साथ डांस कर रहा था, तब उसका व्यव्हार उतना सभ्य नहीं था”
मैं- “क्या यार, कितने भारी शब्दों का प्रयोग कर रही हो, खुली भाषा में बताओ न, उसने तुमको क्या किया?”
सलोनी- “ओह तुम भी न, अरे ऐसा भी क्या, बस जब वो मेरे साथ नाच रहा था तब ही उसने कुछ शरारत की थीं”
मैं- “अरे नहीं यार, वो उस बेचारे ने बहुत पी ली थी इसीलिए थोड़ा बहुत हाथ लग गया होगा”
सलोनी- “अच्छा आपको तो बहुत पता है ना, क्या आपको याद है उस दिन मैंने अपनी वो पतली वाली लाल जींस और सफ़ेद शार्ट टॉप पहना था जो कमर तक ही आता है”
मैं- “अरे हाँ जान, मैं कैसे भूल सकता हूँ”
सलोनी- “बस वो नाचते-नाचते बार-बार मेरे कमर पर हाथ रख रहा था मैं हटाती तो फिर से टॉप के अंदर कर मेरी नंगी कमर को सहला देता, कई बार उसने अपने गाल मेरे गालों से चिपकाये और नाचते हुए चूम भी लेता था”
मैं- “अरे यार, ये सब तो नार्मल है ना”
सलोनी- “अच्छा और उसके हाथों का कई बार सरककर मेरे चूतड़ों तक पहुँच जाना और ना केवल सहलाना बल्कि दबा भी देना”
मैं- “हम्म्म… तब तो हो सकता है मगर यह भी तो हो सकता है कि वाकयी गलती से ही हुआ हो”
सलोनी- “हाँ गलती से, अगर गलती से हुआ होता तो आदमी का यह खड़ा नहीं होता” उसने मेरे लण्ड को छूते हुए कहा।
मैं- “क्या कहती हो यार, क्या उसका लण्ड भी खड़ा हो गया था? क्या तुमने उसको छुआ भी था?” मैंने अब उसके सामने खुले शब्दों का प्रयोग करने लगा जिससे वो और भी खुल जाये, वैसे मैंने सुना तो था कि वो बहुत आसानी से सभी लण्ड, चूत जैसे शब्द बोलती है,
सलोनी- “हाँ जानू, जब वो मुझे खुद से चिपकाता तो अपनी कमर भी मेरे से चिपका देता था, तो मुझे उसका अहसास तो होगा ना”
मैं- “अच्छा ! कहाँ लगा उसका लण्ड तुम्हारे?”
सलोनी- “ओह… अब ज्यादा क्यों परेशान कर रहे हो, मेरी जांघ के ऊपर के भाग पर…… पर मैं एकदम दूर हो गई, बस अब आप जल्दी तैयार हो जाओ, मैं भी फटाफट तैयार हो आपका नाश्ता लगाती हूँ”
मैं- “अच्छा जानू”
उसके बाथरूम में जाते ही सबसे पहले मैंने अपना रिकॉर्डर पेन ओन कर उसके पर्स में डाला और यह भी सोचने लगा कि यार कैसे आज इनकी उस शॉपिंग को देखा जाए, मैंने एक बार फिर बिल पर से उस दुकान का पता नोट किया और सलोनी से उसका जाने के समय के बारे में जानने कि सोचने लगा तभी सलोनी भी बाथरूम से बिल्कुल नंगी नहाकर बाहर आ गई…
सलोनी में ये दो आदते हैं कि एक तो वो कपड़े हमेशा कमरे में आकर ही पहनती थी इसलिए बाथरूम से हमेशा नंगी या केवल तौलिया लपेट कर ही बाहर आती थी और रात को सोते हुए मेरे लण्ड पर अपना हाथ रखकर ही सोती थी और ये दोनों आदतें मुझे बहुत पसन्द थी, उसने हल्का सा गाउन ही डाला और हम दोनों ने नाश्ता किया फिर मैं उसको चूमकर अपने मन में अच्छी तरह सब कुछ सोच विचार कर मैं घर से ऑफिस के लिए निकल गया…
TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#18
shandar ....................
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#19
Nice update
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#20
ऑफिस में भी मन नहीं लग रहा था, दिल में कुछ अलग ही विचारों ने घर कर लिया था।
मैं किसी भी तरह आज सलोनी की उस दुकानदार के साथ मुलाकात को देखना चाहता था जिसने मेरी सुन्दरता की मूरत सलोनी को ना केवल नंगी ही नहीं देखा था बल्कि उसकी गद्देदार, गुलाबी और रसीली चूत एवं गांड को सहलाया था। उसकी चोटियों जैसी नुकीली चूचियों को दबाया और निप्पल तक को छुआ था। उस दिन तो वो पारस के साथ थी जो उस दुकानदार के लिए तो सलोनी का पति ही था शायद इसलिए वो ज्यादा हिम्मत नहीं कर पाया होगा पर आज जब सलोनी उससे अकेले मिलेगी तो पता नहीं क्या-क्या करेगा। इसीलिए आज मैंने सलोनी के पर्स में वॉउस रिकॉर्डर तो रखा परन्तु पैसे नहीं रखे जिससे उसकी दुकान पर जाने का कार्यक्रम पता लग सके। करीब बारह बजे मुझे सलोनी का फोन आया।
सलोनी- “अरे सॉरी, मैंने आपको परेशान किया, वो आज आप शायद पैसे देना भूल गए, वो क्या है कि मैं बाजार आई थी तो”
मैं- “ओह जान! यह आज कैसे हो गया, तुम चिंता ना करो, बताओ तुम कहाँ हो, मैं भिजवाता हूँ”
सलोनी- “मैं कश्मीरी मार्किट में हूँ”
मैं- “ठीक है, दस मिनट रुको”
मैं वहाँ पहुंचा और एक जानकार के हाथ उसको पैसे भिजवा दिए, वो उस अंडरगार्मेंट्स की दुकान के बहुत पास थी और आज मेरी जान क्या लग रही थी मैंने देखा हर कोई केवल उसे ही घूर रहा था। उसने एक स्किन टाइट सफ़ेद कैप्री पहनी थी, जो उसके घुटनों से करीब 6 इंच नीचे थी और गुलाबी कसी सिल्की शर्ट पहनी थी। उसने अपने रेशमी बाल खुले छोड़ रखे थे और गोरे मुखड़े पर, गुलाबी फ्रेम का फैशनेबल गोगल्ज़ थे जो उसके चेहरे को हीरोइन की तरह चमका रहे थे। उसने हाई हील की सफ़ेद कई तनी वाली सैंडल पहनी थी। कुल मिलाकर वो क़यामत लग रही थी। मैंने बहुत सावधानी से उसका पीछा किया, उसने कुछ दुकानों पर इधर उधर कुछ-कुछ वस्तुओं को देखा मगर कुछ लिया नहीं। हाँ इस दौरान कुछ मनचलों ने जरूर उसको छुआ, वो उसके पास से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए निकल गए।
दरअसल उसकी सफ़ेद कैप्री कुछ पतले कपड़े की थी जिससे कुछ पारदर्शी हो गई थी। उसकी कैप्री से सलोनी की गुलाबी त्वचा झांक रही थी जिससे उसका बदन गजब ढा रहा था। इसके ऊपर मेरी जान का क़यामत बदन जिसका एक-एक अंग सांचे में ढला था। मैं अब सलोनी के काफी निकट था।  मैंने ध्यान दिया कि उसकी कैप्री से उसकी पैंटी की किनारी का तो पता चल रहा था मगर रंग का नहीं, इसका मतलब आज उसने सफ़ेद ही कच्छी पहनी थी मगर उसकी शर्ट से कहीं भी ब्रा की किसी भी तनी का पता नहीं चल रहा था यानि वो बिना ब्रा के ही शर्ट पहने थी। तभी उसकी गोल मटोल चूची इतना हिल रही थी और जालिम ने अपना ऊपर का बटन भी खोल रखा था जिससे गोलाइयों का पूरा आकार पता चल रहा था। ज्यादातर लोग उससे टकराने का प्रयास कर रहे थे।
मैंने आज तक सलोनी की इस तरह से निगरानी नहीं की थी। यह एक अलग ही अनुभव था। उसके पीछे चलते हुए, सलोनी के एक रिदम में हिलते डुलते चूतड़ देख मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल आ रहा था कि इस दृश्य को देख जब मेरा यह हाल था तो दूसरों के दिल का क्या होता होगा। कुछ देर में ही सलोनी उसी दुकान में प्रवेश कर गई। दुकान काफी बड़ी थी। मैं भी अंदर जा एक ओर खुद को छुपाते हुए, सलोनी पर नजर रखे था। वो सीधे एक ओर जहाँ कोई मध्यम कद का एक लड़का खड़ा था उस ओर गई। मैं इधर उधर देखता हुआ, सलोनी से छिपता छिपाता, उस पर नजर रखे था।उन दोनों की कोई आवाज तो मुझे सुनाई नहीं दे रही थी मगर सलोनी उस लड़के से बहुत हंस हंस कर बात कर रही थी। लड़का भी बार बार सलोनी को छू रहा था और उसकी चूचियों की ओर ही देख रहा था। सलोनी बार बार अपनी शर्ट सही करने का बहाना कर उसका ध्यान और भी ज्यादा अपनी चूचियों पर आकर्षित कर रही थी।
इधर उधर नजर मारते हुए ही मैंने देखा कि एक लड़की बहुत कामुक ढंग से एक छोटी सी डोरी वाली कच्छी को अपनी जीन्स के ऊपर से ही बांधकर देख-परख रही थी और दूसरी तरफ एक मोटी सी लड़की एक उम्रदराज अंकल को अपनी मोटी-मोटी छातियाँ उभारकर न जाने क्या बता रही थी। कुल मिलाकर बहुत सेक्सी दृश्य थे। तभी सलोनी एक और बने पर्दों के पीछे जाने लगी। मेरे सामने ही उस लड़के ने सलोनी के चूतड़ों पर हाथ रख उसे आगे आने के लिए कहा।
मैं अभी उस ओर जाने का जुगाड़ कर ही रहा था कि एक बहुत सेक्सी लड़की मेरे सामने आ पूछने लगी- “क्या चाहिए सर?”
मैं- “व… वव… वो”
लड़की- “अरे शर्माइये नहीं सर, यहाँ हर तरह के अंडरगार्मेंट्स मिलते हैं। आपको अपनी बीवी के लिए चाहिए या गर्लफ्रेंड के लिए”
मैं- “अररर्र रे नहीं, व… वव वो क्या है कि….”
लड़की- “अरे सर, आप तो केवल साइज बताइये, मैं आपको ऐसे डिज़ाइन दिखाऊँगी कि आपकी गर्लफ्रेंड खुश हो जायगी और आपको भी… हे हे…”
मैं- “अरे वो क्या है कि मुझे बीवी के लिए ही चाहिए और वो अभी यहीं आने वाली है मैं उसी का इन्तजार कर रहा हूँ !”
लड़की- “ओह… ठीक है सर, मैं वहाँ हूँ आप कहें तो तब तक मैं आपको भी दिखा सकती हूँ”
उसके खुले गले के टॉप से उसकी गदराई चूची का काफी भाग दिख रहा था। मैं उसकी चूची को ही देखते हुए- “क्या?”
लड़की अपना टॉप सही करते हुए- “क्या सर आप भी, अंडरगारमेंट और क्या”
मैं- “ठीक है, अभी आता हूँ”
उस लड़की के जाने के बाद मैंने पर्दों की ओर रुख किया तभी वो लड़का बाहर को आ गया।
मैंने एक कोने के थोड़ा सा पर्दा हटा अपने लिए जगह बनाई, चारों ओर देखा किसी की नजर वहाँ नहीं थी। यह जगह एक कोने में बनी थी और चारों ओर काफी परदे लगे थे। मैं दो पर्दो के बीच खुद को छिपाकर नीचे को बैठ गया। अब कोई आसानी से मुझे नहीं देख सकता था।
मैंने अंदर की ओर देखा, अंदर दो तीन जमीन पर गद्दे बिछे थे, एक बड़ी सी मेज रखी थी। मेज पर कुछ ब्रा चड्डी से सेट रखे थे और दो कुर्सी भी थीं, बाकी चारों ओर सामान बिखरा था। सलोनी मेज के पास खड़ी थी, उसके हाथ में एक बहुत नए स्टाइल की ब्रा थी, जिसे वो चारों ओर से देख रही थी। फिर उसने ब्रा को मेज पर रखा ओर एक बार पर्दों को देखा फिर अचानक उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए।
माय गॉड ! उसको जरा भी नहीं लगा कि यह एक खुली दुकान है और चारों ओर केवल पर्दों का ही पार्टीशन है? सलोनी ने बिना किसी डर और शर्म के अपनी शर्ट पूरी निकाल कर वहीं मेज पर दी। उसका दमकता शरीर अब केवल एक सफ़ेद कैप्री में मेरे सामने था। उसके पूरी तरह गोलाई लिए हुए चूचियाँ और उन पर कामुकता के रस से भरे उसके गुलाबी निप्पल ऊपर उठे हुए जो किसी को भी पागल करने के लिए काफी थे, इस समय पूरी तरह नग्न मेरे सामने थे। उसने अपनी चूचियों को एक बार खुद अपने हाथों से मसलकर ठीक किया जैसे टाइट शर्ट में कसी होने से उनको कष्ट हुआ हो और सलोनी उन दोनों को सहलाकर उनको पुचकार के मना रही हो। कुल मिलाकर बहुत सेक्सी दृश्य था। फिर वो अपनी ब्रा को उठा उसे उलट पुलट कर पहनने के लिए देखने लगी, तभी वो लड़का बिना कोई आवाज लगाये अंदर आ गया।
सलोनी शरमाते हुए, अपनी ब्रा को चूची पर रख उनको छुपाने का नाकामयाब प्रयास करते हुए- “अररर… एक मिनट… ववव… वो मैं पहन ही रही थी”
लड़का- “क्या मैडम जी, आप भी अभी तक शरमा रही हो, लाइए मैं सही कर देता हूँ”
उसके हाथ में एक क्रीम का डब्बा था। वो उसको खोल उसमें से क्रीम निकाल सलोनी की ओर बढ़ा और बहुत अधिकार से उसके हाथ से ब्रा ले कर मेज पर रख दी। सलोनी बुरी तरह शरमा रही थी मगर उसकी आखों में चुदास साफ़ दिख रही थी। लड़के ने अपने एक हाथ से सलोनी के हाथों को उसकी चूची से हटाते हुए अपना सीधे हाथ में लगी क्रीम उसकी चूची के ऊपरी भाग पर मलनी शुरू कर दी। बहुत रोमांचित अनुभव था, एक सार्वजनिक स्थान में, मेरे सामने, मेरी सेक्सी बीवी अनावृत वक्ष यानि टॉपलेस खड़ी थी और एक अनजान लड़का उसकी नंगी चूचियों पर क्रीम लगा रहा था। मेरी बीवी क्रीम लगवा भी रही थी और शरमा भी रही थी।
सलोनी- “अह्हाआ… क्या कर रहे हो? क्यों यो ओ… ??”
लड़का- “अरे मैडम जी, नई ब्रा है और ये विदेशी कपड़े की है। आपकी इतनी मुलायम त्वचा को कोई नुकसान ना हो इसीलिए यह क्रीम लगा रहा हूँ”
सलोनी- “ओह ठीक है”
बस इतना सुनते ही उस लड़के हाथ अब पूरी चूची पर चलने लगे।
सलोनी- “अहा धीरे धीरे”
सलोनी ने अपने चूतड़ मेज पर टिकाकर अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया। इस अवस्था में सलोनी की दोनों चूची और भी ज्यादा ऊपर उठ गई। उस लड़के ने अब अपने दोनों हाथों में क्रीम ले ली और सलोनी के दोनों उरोज़ अपने हाथों में लेकर क्रीम मलने के बहाने से मसलने लगा। सलोनी ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और उसके मुख से आनन्द भरी हल्की सिसकारी भी निकल रही थी। साफ़ लग रहा था, सलोनी को बहुत मज़ा आ रहा है। मैं खुद को पूरी तरह से छुपाये हुए सलोनी की रासलीला देख रहा था। सलोनी को देखकर कतई ये नहीं लग रहा था कि वो परेशान हो रही हो या उसको किसी का डर हो। उसकी बंद आँखों और मुँह से निकलती हलकी सीत्कारों से यही प्रतीत हो रहा था कि उसको इस वक्ष मर्दन में मजा आ रहा है।
सलोनी- “अहाआआ… क्या कर रहे हो.. बस्स्स्स ना”
लड़का- “हाँ मैडम जी बस हो ही गया, आप यही वाली क्रीम लेना। इससे बॉडी चमाचम हो जाती है और नए कपड़े से कोई निशान भी नहीं पड़ता” वह सलोनी के चारों ओर ब्रा वाले भाग पर क्रीम मलते हुए ही बोला। अब लड़के का हाथ उसकी चूची से फिसलता हुआ नीचे उसके समतल पेट पर था। उसने पूरे पेट पर मालिश करने के बाद उसकी सबसे खूबसूरत और गहरी टुंडी में अपनी उंगली घुसा दी।
सलोनी- “अहाआआ… आआआ… इइइइइ”
सलोनी ने कसकर उसका हाथ पकड़ लिया।
लड़का- “अर्रर… मैडमजी, इसको चमका रहा हूँ”
सलोनी- “बस्स्स्स… अब रहने दो, मैं ब्रा पहन कर बताती हूँ कि सही है या नहीं”
लड़का ने जबरदस्ती अपना हाथ छुड़ाते हुए अपने बाएं हाथ से सलोनी का हाथ पकड़कर अपना सीधा हाथ आगे से उसकी कैप्री में डालने का प्रयास करने लगा।
सलोनी- “ओह… नहीईईईई, यह क्या कर रहे हो, वहाँ नहीं”
लड़का- “अरे क्या मैडम जी, आप ऐसा क्यों कर रही हो, यहाँ कोई नहीं आएगा”
उसने थोड़ा और जोर लगाकर अपना हाथ कुछ इंच और उसकी कैप्री में अंदर को सरका दिया। एक तो पहले से ही सलोनी ने अपनी कैप्री अपनी टुंडी से काफी नीचे पहनी थी और इस समय उस लड़के का हाथ करीब 5-6 इंच तो उसकी कैप्री में था। मेरे हिसाब से उसकी उँगलियों का अगला भाग सलोनी की चूत के ऊपरी हिस्से तक तो पहुँच ही गया था और यह भी पक्का था कि वो नंगी चूत को ही छू रहा होगा क्योंकि जब हम ऊपर से हाथ घुसाते हैं तो हाथ सीधा कच्छी के अंदर ही जाता है परन्तु आज शायद सलोनी पूरे मूड में नहीं थी। उसने अपना दूसरे हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया और जोर लगाकर अपनी कैप्री से बाहर खींच लिया।
सलोनी- “मैंने मना किया न, मैं केवल ब्रा चेक करुँगी बस पैंटी घर जाकर चेक करके बता दूंगी यहाँ नहीं”
लड़के का मुँह देख लग रहा था जैसे उसके हाथ से ना जाने कितनी कीमती चीज छीन ली गई हो…
TO BE CONTINUED.....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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