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Adultery मौके पर चौका
#21
Heart 
ख़वातीन और हज़रात! आप सभी से गुज़ारिश है कि कम से कम कहानी के बारे में अपने कमेंट में ज़रूर बताया करिये जिससे अगर कोई कमी रह गई को तो उसे आगे से दोबारा न होने दिया जाए।

Namaskar Namaskar
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#22
Heart 
-: भाग दो - हसीन धोखा :-
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#23
Heart 
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SMEENA AAPA
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#24
Heart 
हैल्लो! सभी दोस्तों को सग़ीर खान का आदाब....

दोस्तों, ये मेरी कहानी मेरी मामू की छोटी बेटी रज़िया से निकाह होने के  बाद की है। हमारी लव मैरिज हुई है। रज़िया अब मेरी बीवी है। उसकी उम्र अभी करीब 21 साल है।

मेरी कहानी "यादों के झरोखे से" में आप सभी ने पढ़ा होगा कि कैसे रज़िया को देख कर मेरी नियत ख़राब हो गई थी। मैंने दीदी के साथ ही रज़िया को भी चोद तो लिया था पर उसकी अदाओं ने मेरे दिल में घर कर लिया था। हालाँकि ऊपर वाले के करम से मेरे लिए चूतों  की कोई कमी नहीं थी परन्तु मैं चाहकर भी रज़िया को अपने दिलो दिमाग से निकाल नहीं पाता था।

शादी से पहले सबके सामने वो मुझे भाईजान कहती थी और रात में चैटिंग के दौरान वो मुझे जान बुलाती थी।

रज़िया की एक गलती की वजह से हम दोनों भाई बहन की मुहब्बत का राज हमारे बड़ों के सामने खुल गया।

एक रोज़ वो मोबाइल चला रही थी और मामू खाना खा रहे थे। मामू ने रज़िया से रोटी लाने को बोला। वो मोबाइल वही छोड़ कर मामू के लिए रोटी लेने चली गई। तभी मैंने मैसेज किया 'और जानेमन क्या कर रही हो? कल रात ऑनलाइन क्यों नहीं आई? पूरी रात मैं अपने लण्ड को मसलता रहा' और उसके बाद गुस्से वाली इमोजी बना दी।

मामू ने फोन उठा कर मैसेज पढ़ लिया और फिर वही नहीं पुरानी भी सारी चैट पढ़ डाली।

फिर तो उसके घर तूफान आ गया।

अम्मी के पास मामू ने तुरंत फोन लगा दिया। हम दोनों की अम्मियों को जब हम दोनों की मुहब्बत की जानकारी हुई तो वे दोनों गुस्सा होने के बदले बहुत खुश हुई और हम दोनों का निकाह करवा दिया।

जैसा कि आप लोगों को पता है कि मेरे मामू के तीन बेटियां हैं और मेरी अम्मी के तीन बेटियां व दो बेटे है।

मेरी अम्मी के सबसे बड़ी बेटी समीना आपा फिर रूही आपी उसके बाद मैं और फिर फरहान व हनी हैं। मामू की सबसे छोटी बेटी रज़िया और मेरा चक्कर जब खुला तो दोनों की अम्मियों ने हमारी शादी करवा दी थी।

मेरी बड़ी आपी जो रूही आपी से चार साल व मुझसे छह साल बड़ी है उनका निकाह आठ  साल पहले रफ़ीक़ से हुआ था।

समीना आपा के शौहर रफ़ीक़ अरब कंट्रीज में पहले प्रोफेसर थे फिर वही किसी यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर बन गए। रफ़ीक़ जीजू को साल में सिर्फ दो बार आठ आठ दिन की छुट्टी मिलती थी घर आने के लिए। वे ये छुट्टियां अपनी बीवी और मेरी बहन के साथ बिताने भारत आते थे।

रफ़ीक़ जीजू की अच्छी नौकरी की वज़ह से अब्बू ने उनके साथ समीना आपा का निकाह करवा दिया था। समीना से रफ़ीक़ जीजू उम्र में करीब बारह साल बड़े थे। इस वक़्त समीना तीस साल की है और जीजू लगभग बयालीस साल के।

समीना आपा के निकाह के 8 साल बाद भी अभी तक उनकी कोई औलाद नहीं हुई थी। आपा अपनी ससुराल में अपने सास ससुर के साथ ही रहती है।

नामालूम क्यों? लेकिन मुझे तो लगता है कि जीजू और आपा की उम्र में एक तो बारह साल का फर्क और दूसरे कि रफ़ीक़ जीजू सिर्फ एक हफ्ते की छुट्टी पर आते हैं तो इतने में दोनों में कितनी चुदाई हो पाती होगी कि मेरी आपा के पेट में जीजू का बच्चा आये।

यह मेरी निजी सोच थी, असलियत का मुझे कुछ नहीं पता।

ज़ोहरा आपा की इस हालत के लिए अम्मी अब्बू को ही जिम्मेदार मानती थी और अम्मी अब्बू के बीच अक्सर लड़ाई रहती थी।

लेकिन मेरे निकाह के बाद अब घर में फिर खुशियान बरसने लगी। अब  आपा को लेकर अम्मी और अब्बू के बीच घर में झगड़ा नहीं होता था पर तब भी जब कभी समीना आपा अपनी ससुराल से कभी हमारे घर आती तो वे अम्मी से अपने अकेलेपन और बेऔलाद होने का दुखड़ा रोतीं तो अब्बू और अम्मी के बीच फिर से कहासुनी शुरु हो जाती थी। 

अम्मी अक्सर अब्बू से कहतीं, "ज़िन्दगी में पैसा ही सब कुछ नहीं होता, और भी बहुत सी ज़रूरतें होतीं है। अरे पैसा देख कर मेरी फूल सी नाज़ुक बेटी आपने एक बुड्ढे से बाँध दी, जिससे कुछ होता हवाता तो है नहीं उल्टे उसकी माँ समीना पर बाँझ होने का आरोप लगाती है। कमीनी अपनी औलाद को नहीं देखती है"

इधर रज़िया और मेरी सेक्स लाइफ काफी मजेदार थी, हम दोनों भाई बहन जो अब शौहर और बीवी हो चुके थे, रोज़ ज़ोरदार चुदाई करते थे। मैं रोज रात को रज़िया को कम से कम दो बार तो चोदता ही था। 

उसे भी चुदाई का बहुत शौक था तो वो भी जब भी मौका मिले मेरा लंड पकड़ लेती थी और दिन में भी चुद लेती थी लेकिन इतनी चुदाई होने के बावजूद भी रज़िया गर्भवती नहीं हुई थी।

अब आहिस्ते आहिस्ते घर में सभी लोगों के मन में डर होने लगा कि कहीं हम दोनों भाई बहन के ऊपर कुछ ऐसा है कि हम बेऔलाद ही रहेंगे।

पर असलियत कुछ और ही थी वो ये कि फिलहाल रज़िया चुदाई के मज़े के चक्कर में गर्भवती होने नहीं चाह रही थी इसलिये अपनी सुरक्षा खुद कर रही थी। मतलब रज़िया हर महीने गर्भ से होती थी पर वो गर्भपात की गोली खाकर अपना पीरियड चालू कर रही थी।

एक दिन समीना आपा ने रज़िया को गर्भपात वाली गोली खाते हुए देख लिया।

लेकिन बड़ी आपा को रज़िया ने कहा- "आपा, असल सगीर भाईजान..."

तब समीना ने हंस कर रज़िया के गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारकर कहा- "बेशर्म लड़की, सगीर अब तेरा शौहर है"

रज़िया हंस कर बोली- "सॉरी आपा, बचपन से ही उन्हें भाईजान कहने की आदत है ना"

समीना हंस कर- "हाँ बोल, तू कुछ बोलने वाली थी?"

रज़िया ने बताया- "सगीर भाई जान… ओ सॉरी… सगीर रोज रात बिना किसी एहतियात के मेरे साथ हमबिस्तर होते हैं। पर मुझे अभी कोई बच्चा नहीं चाहिए इसलिये मैं किसी को बिना बताए ये गोली लेती हूँ"

फिर कुछ दिन बाद समीना अपने ससुराल चली गई।

एक हफ्ते बाद अचानक ही समीना आपा और उसकी सासअम्मी हमारे घर आई तब पता चला कि रफ़ीक़ जीजू एक माह बाद हिन्दुस्तान आने वाले हैं।

CONTD....
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#25
Heart 
किसी बूढ़ी औरत के कहने पर समीना आपा को उस की सास हमारे घर पर छोड़ गई थी। बूढ़ी औरत ने कोई तावीज आपा को बांधा था और एक मजार पर किसी पीर औलिया की सेवा करने को कहा था। ऐसा करने से समीना आपा का बांझपन खत्म हो जायेगा।

और संयोग से वह मजार हमारे ही घर से यही कोई चार पांच किलोमीटर की दूरी पर ही थी।

कुछ दिन हर रोज़ सुबह सवेरे मजार पर जाकर सेवा करने और दुआ करने से समीना आपा अम्मी बन जाएगी। यह उस बूढ़ी औरत का दावा था। समीना आपा की सास के आगे मेरी अम्मी भीगी बिल्ली बन जातीं थी आखिरकार जवांई की अम्मी थीं। 

साथ ही वो ये धमकी भी दे गईं कि अगर इस बार भी समीना को बच्चा नहीं हुआ तो वह अपने बेटे का दूसरा निकाह करवाएँगीं। इस बात से घर में बहुत ज्यादा टेंसन हो गयी थी। सब लोग दिन रात अल्लाह से आपा के लिए बच्चे की दुआ मांग रहे थे।

समीना आपा और रज़िया के बीच काफी अच्छी दोस्ती है, दोनों की शुरू से ही खूब जमती थी। और तो और ममेरी बहनें होने के कारण रज़िया और समीना आपा की शक्ल और कदकाठी काफी मिलती जुलती है।

अब जब से समीना आपा घर रहने आई तो तब से रज़िया मेरे हत्थे नहीं चढ़ती थी। रज़िया मेरे साथ चुदाई करने से दूर भाग रही थी क्योंकि समीना आपा ने आते ही रज़िया की गर्भपात वाली गोली को बंद करा दिया था। आपा ने सारी गोलियां रज़िया से लेकर फेंक दी और उसको डांटा कि वो गोली क्यों खा रही है, सब घर वाले तो उस के पैर भारी होने का इन्तजार कर रहे हैं।

अब रज़िया के पास गोली नहीं थी और वो अभी औलाद के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती थी तो इसलिये वो मुझसे चुदाई नहीं करवा रही थी। वह जान बूझकर सारा दिन अम्मी और आपा के साथ रहती थी और रात को आपा को बुला कर मेरे बेडरूम में सुला लेती थी। इससे मुझे मजबूरन हाल में सोना पड़ता था।

इस तरह कुछ दिन बीत गये। भला मैं कैसे मेरे लन्ड को शांत करूँ? और मैं मुट्ठ भी कब तक मारता?

अब मैं आप सभी पाठकों को अपने लण्ड के बारे में फिर से बता दूँ। मेरा लंड अब तो चूत का रस पी पी कर बहुत ही मज़बूत और मोटा हो गया था। ये लगभग साढ़े आठ इंच लम्बा है और मोटाई तो मेरी बीवी की कलाई से कुछ कम ही होगा। 

मेरे ताकतवर लण्ड की ताकत तो केवल उसी की चूत बता सकती है जिसकी सील इसने तोड़ी हो। आप लोगों को याद ही होगा कि रज़िया और दीदी दो दिन तक ठीक से चल भी नहीं पाई थीं। परन्तु निकाह के बाद रज़िया को दिन रात चोद चोद कर उसकी चूत भोसड़ा बना दी थी। अब तो वह बिना किसी तकलीफ के हर ठोकर पर चूतड़ उचका कर मेरे लण्ड को पूरा ले जाती थी।

पर अचानक से बीवी की चूत चुदाई ना मिल पाने से मैं उससे नाराज हो गया और रज़िया से बात करनी बंद कर दी। हालाँकि मेरे पास चूत कि कोई कमी नहीं थीं। बीच में मौका मिलने पर मैं हनी को भी चोद लिया करता था। परन्तु रज़िया के आने के बाद से मैंने घर में चुदाई बिलकुल बंद कर दी थी।

मेरे इस बर्ताव से रज़िया को महसूस हुआ कि वह गलत कर रही है। उसने अपनी गलती मान ली।

समीना आपा को लेकर हम सब मज़ार पर गए और वहां के सेवादार को अपनी तकलीफ के बारे में बताया। सेवादार ने हम सब को जोहरा आपा के लिए दुआ मांगने को कहा।

अम्मी और आपा दोनों ने अपनी झोली फैला कर मजार में औलाद के लिए दुआ मांगी। वे दोनों रो रही थी, गिड़गिड़ा रही थीं कि हे मौला एक औलाद दे दे।

अम्मी और आपा को इस तरह औलाद के लिए तड़पती देख मेरी बीवी रज़िया भी अंदर तक हिल गयी कि ये औलाद के लिए कितनी बेचैन हैं और मैं औलाद को रोक रही हूँ।

रज़िया मेरे पास ही खड़ी थी, उसमे मेरे सामने अपनी गलती कबूल की और मजार में माफी मांगी कि जवानी के मजे लूटने के लिए मैं गोली खा रही थी।

उसने आगे से गोली खाने से तौबा की और जल्दी से जल्दी औलाद का सुख पाने के लिए तैयार हो गयी।

मैंने उसे ताना मारा- "अपने शौहर से दूर रह कर कहाँ से औलाद लाएगी?"

तब रज़िया ने शर्मा कर मुझे कहा- "आज से आपको शिकायत का मौक़ा नहीं मिलेगा"

मज़ार के सेवादार ने समीना आपा को थोड़ी राख दी और बोला - "चिंता मत कर बेटी, इस जगह से कोई खाली हाथ नहीं लौटता। मुझे यकीन है कि बहुत जल्दी तेरी कोख भरेगी। अल्लाह बहुत मेहरबान है, वो किसी न किसी फ़रिश्ते को इस काम पर ज़रूर लगाएगा"

फिर हम सब लोग अपने घर लौट कर आ गए। हम सब थक गए थे पर मेरा बदमाश लण्ड मेरी बीवी की बात सुन कर तभी से ठुमक रहा था और उसकी चूत में घुसने के लिए मचल रहा था।

रज़िया की नजर जब मेरी पैन्ट में खड़े लण्ड पर पड़ी तो वो मेरे पास आई और फुसफुसा कर बोली- "आप रात होने का इन्तजार करो, सिर्फ आपका लण्ड ही नहीं मेरी चूत भी इतने दिन से प्यासी है। उससे भी अब सब्र नहीं हो रहा है। रात में ज़म चोदना मेरे सरताज पर तब तक के लिए तसल्ली तो करनी पड़ेगी"

जब रात को खाना खाने के बाद हम दोनों सोने के लिए हमारे कमरे में गए तब देखा कि समीना आपा हमारे बिस्तर पर पहले ही सो चुकी थी।

समीना आपा को देख मेरा दिमाग खराब होने लगा कि आज भी रज़िया की चूत चोदने को नहीं मिलेगी शायद।

मैं गुस्से में अपने कमरे से बाहर निकल गया। रज़िया मेरे पीछे पीछे भागती हुई आई।

मैं उससे गुस्से में बोला- "रज़िया, तू चली जा मेरे सामने से! तू मेरा ज़रा भी ख्याल नहीं रखती"

रज़िया मेरे चेहरे को चूमती हुई बोली- "नाराज़ हो मेरे सरताज?"

मैं दुखी होकर बोला- "बेगम साहिबा, पूरे एक हफ्ते से मेरा लण्ड फटने को हो रहा है"

रज़िया बोली- "मैं समझती हूँ सरकार, आप यही हाल में लेट जाएँ, मैं कुछ देर के बाद आपके पास आती हूँ। हम आज हाल में ही चुदाई करेंगे"

मैं- "यार रज़िया, तुम पागल हो क्या? इस खुले हाल में हम दोनों नंगे हो कर चुदाई करेंगे? कोई आ गया तो इज़्ज़त का कचरा हो जाएगा"

तो रज़िया बोली- "फिर आप हमारे कमरे में ही चलिए। आप सोफे पर मुझे चोद लीजियेगा"

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#26
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#27
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#28
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#29
Heart 
मैं तकलीफ भरी आवाज़ में बोला- "लेकिन अंदर तो आपा सोई हैं, अगर आपा जाग गयी गई तो? तू तो चुपचाप चुदवा लेती है पर मुझे मुंह बंद करके चोदने में मज़ा नहीं आता"

रज़िया बोली- "कमरे में बिल्कुल अंधेरा है। तो हम बिना शोर के अपना काम कर लेंगे, चोदते वक़्त आप मेरी चूची अपने मुंह में रख लेना तो आपकी आवाज़ भी बाहर नहीं आएगी । वैसे भी हम कुछ नाजायज तो कर नहीं रहे अगर आपा जाग भी गयी तो हमें चुदाई करते देख खुद शर्मा कर बाहर चली जायेंगी और इसका एक और फ़ायदा यह होगा कि वो कल से हमारे कमरे में नहीं सोयेंगी"

लेकिन मैं बोला- "मैं थोड़ी देर के बाद आऊंगा। फिर देखेंगे"

कुछ देर के बाद मैं अपने कमरे में गया यह सोच कर कि मेरी सेक्सी बीवी अंदर सोफे पर लेटी मेरा और मेरे बड़े मोटे लण्ड का इन्तजार कर रही होगी।

कमरे में एकदम अंधेरा था। मैं बिना सोचे समझे सीधा सोफे पर जाकर रज़िया की बगल में बैठ गया।

रज़िया रात को बिना चड्डी के सोती है। मैंने सीधे अपना हाथ उसकी चूत पर रखा तो मैं चौंक गया और थोड़ा गुस्सा भी आया कि जब इसे पता था कि ये आज रात चुदने वाली है फिर भी इसने अपनी झांटें नहीं साफ़ की। फिर मैंने दिमाग को झटका दिया और सोचा कि जैसी भी हो आज तो चोद कर ही रहूँगा, सुबह इसको बोलता हूँ झांटे साफ़ करने को।

वो गहरी नींद में सोई थी और मैं उसकी चूत को सहला रहा था। थोड़ी देर बाद मैं अपने चेहरे को उसकी चूत के पास ले गया।

रज़िया की चूत की खुशबू मुझे कुछ अलग सी लगी पर मैंने सोचा कि बिना चुदाई के इसकी चूत की खुशबू बदल गई है।

चूत की खुशबू से मेरा पहले से ही खड़ा लंड अब विकराल रूप धारण करने लगा। मैंने वासना के जोश में एक उंगली अपनी बीवी की चूत में घुसा दी।

जैसे ही उंगली चूत के अंदर गयी, वैसे ही रज़िया की नींद खुल गई।

अब सुनें कि असल में उस रात अब तक क्या हुआ था। ये सब बाद में मेरी रज़िया ने मुझे बताया था।

हॉल में मेरे से बात करके रज़िया थोड़ा दुखी सी होकर चली गई कि उसे मेरी इच्छा पूरी करने में दिक्कत हो रही है। वो सोफे पर ना लेट कर जाकर बिस्तर पर समीना आपा की बगल में लेट गई। वो सोच रही थी कि आपा के सो जाने के बाद वह सोफे पर आकर मेरे लिए लेट जाएगी पर पूरे दिन की भाग दौड़ से थकी हुई उसकी लेटते ही आँख लग गई।

उधर सोते सोते समीना आपा को पेशाब की हाजत हुई तो वो उठ कर टॉयलेट जाकर नींद में वहीं सोफे के ऊपर सो गई। पता नहीं वो सोफे पर क्यों सोयी? शायद आपा ने सोचा होगा कि बेड पर उनका भाई यानि मैं सो जाऊँगा।

तो अब आप लोग समझ गए होंगे कि जिस लड़की की चूत में मैंने उंगली घुसाई वो मेरी बीवी रज़िया नहीं बल्कि मेरी बड़ी बहन समीना थी लेकिन मैं इस बात से एकदम अनजान अपनी आपा की चूत में अपनी बीवी की चूत समझ कर उंगली कर रहा था।

पर उधर समीना आपा कुछ समझ नहीं पाई। शायद वह तब सुबह मजार वाली घटना को सपने में देख रही थी। मजार का वो सेवादार उनके लिए गर्भवती होने की दुआ कर रहा था।

तभी अचानक चूत में मेरी उंगली जाने से उनकी नींद खुल गई।

आपा ने कुछ नींद और कुछ होश में सोचा कि शायद यह मजार पर दुआ माँगने के कारण हो रहा है। शायद ऊपर वाले मुझे औलाद देने के लिए आधी रात में मेरे पास फ़रिश्ते भेजे हैं।

इधर मैं अपनी उंगली से ज़ोहरा आपा की कसी चूत महसूस करके अपने मन में सोचने लगा कि पांच सात दिन रज़िया की चुदाई नहीं हुई तो मेरी बीवी की चूत तो कुंवारी लड़की की चूत की तरह से टाइट हो गई।

'वाह रे खुदा, इतने दिन चूत से महरूम रखा और जब दी तो बिलकुल फिर से कुंवारी कच्ची कली बना कर, तेरी रहमत के सदके मेरे मौला'

इतना सोचकर मैं फटाक से समीना आपा की चूत को अपनी बीवी रज़िया की चूत समझ कर चूमने लगा। मैं अपनी आपा की चूत ऐसे चाटने लगा जैसे प्यासा कुत्ता अपनी जीभ से लपर लपर पानी पीता है।

उधर समीना आपा  ने कभी भी अपनी चूत अपने शौहर रफ़ीक़ से नहीं चुसवाई थी। लण्ड चूसना या चूत चाटना रफ़ीक़ को नापसंद था। समीना को भी ये सब ओरल सेक्स गन्दा ही लगता था क्योंकि उसने कभी इसका मजा लिया ही नहीं था।

पर अभी मैं रात में आपा की चूत की चुसाई कर रहा था तो इससे उन्हें इतना मजा मिल रहा था कि वो मजे से पागल हो रही थी। वो बार बार अपने चूतड़ ऊपर उठा कर मेरी मुंह पर अपनी चूत का दवाब बना रहीं थीं परन्तु वो सोच रही थी कि इंसान तो इस गन्दी जगह मुंह मारता नहीं है शायद ऊपर वाले के भेजे हुए फ़रिश्ते ही यह काम कर रहे हैं तभी उसे इतना मजा आ रहा है।

आपा तो जैसे ज़न्नत में थीं। समीना अपने मन में अपने सगे छोटे भाई सगीर को ही फ़रिश्ता समझ रही थी।

मेरी बड़ी बहन ने सेक्स के मजे में पागल होकर एकदम से टटोल कर मेरा मोटा और लम्बा लण्ड अपनी मुट्ठी में ले लिया।

अब समीना को और यकीन हो गया कि इतना बड़ा और मोटा लण्ड इस दुनिया में किसी इंसान का तो हो ही नहीं सकता। इस लंड के सामने मेरे शौहर रफ़ीक़ का लंड तो छोटा चूहा है। यह ज़रूर ऊपर वाले का भेजा फ़रिश्ता ही है जो मेरी चूत चोद कर मुझे औलाद देने आया है। इसका एक कारण यह भी था कि उस बेचारी ने अपने शौहर रफ़ीक के अलावा अपनी ज़िन्दगी में किसी और के लण्ड से चुदना तो दूर कभी देखा तक नहीं था। यह सोच कर मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।

इधर मैं सोच रहा था कि मेरी बीवी तो बहुत अच्छे से मेरा लंड चूसती है पर आज रज़िया ऐसे अनाड़ी जैसे लंड क्यों चूस रही है?

मुझे लण्ड चुसवाने में मजा नहीं आया तो मैंने अपनी आपा के मुँह से अपना लण्ड निकाला और लण्ड को सीधा समीना आपा की चूत की दरार के बीच में टिका दिया।

समीना जब तक कुछ समझ पाती, उससे पहले मेरा लण्ड समीना आपा की चूत को फाड़ता हुआ  3 इंच तक अंदर घुस चुका था। आपा को तेज दर्द हुआ। समीना की चूत ने कभी इतना मोटा लंड नहीं लिया था, उसे तो रफ़ीक मियां के मरे चूहे से चुदने की आदत थी जो हद से ज्यादा चूत में दो इंच अंदर तक जाकर चार छह धक्के मार कर पानी छोड़ देता था। उसे पक्का यकीन हो चुका था कि यह किसी फ़रिश्ते का लण्ड है। इसी सोच के साथ वह पूरी ताक़त लगा कर हर दर्द को पिए जा रही थी।

मैं तो यही समझ रहा था कि कुछ दिन चुदाई ना होने से मेरी बीवी की चूत कस गयी है, इसी ख़ुशी से मेरा लण्ड और फुंफकारने लगा था। कसम से रज़िया की पहली बार सील तोड़ने वाली फीलिंग मेरे लण्ड को आ रही थी।

उसी जोश में मैंने बिना वक्त खोये दूसरा धक्का आपा की चूत में लगा दिया। आपा की चीख निकलने को थी पर उन्होंने खुद को रोका कि चीखने से फ़रिश्ते के काम में खलल होगा।

इधर मैंने सोचा कि मेरी बीवी की चूत को तो मेरे लंड की आदत है, ये मेरा लंड आसानी से सह जाएगी।

फिर मैंने तीसरा धक्का आपा की चूत में मारा और इस करारे झटके से मेरा लंड पूरा जड़ तक आपा की न के बराबर चुदी चूत में घुस गया।

जैसे ही मेरे लंड का मोटा सुपारा आपा की बच्चेदानी में घुसा, वैसे ही मेरी बड़ी बहन की आंखें दर्द के मारे फटने का हो गयी। समीना आपा की सांसें जैसे कुछ देर के लिए थम सी गयी थी।

इधर आपा के बेइंतेहा दर्द से अनजान मैं रज़िया समझ कर आपा की चूची के निप्पल को अपने मुँह में लेकर उनकी जवान चिकनी नर्म चूची से रस निचोड़ने की कोशिश करने लगा।

contd....
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#33
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अब मैंने बिना रुके समीना आपा को अपनी बेगम रज़िया समझ कर पूरे जोर शोर से चोदना शुरू कर दिया।

मेरे खतरनाक लंड को आपा बड़ी मुश्किल से झेल रही थी पर कुछ ही वक्त बाद समीना को भी इस फ़रिश्ते की चुदाई में पूरा मज़ा आने लगा था, हालाँकि उनकी चूत की हर ठोकर पर धज्जियाँ उड़ रहीं थीं।

रात के अंधेरे में मैं अपनी आपा को अपनी बेगम समझ कर पूरे दम खम से चुदाई करते हुए उनकी चूत का भोसड़ा बनाने में लगा था। इसी बीच मेरी बड़ी बहन एक बार झड़ भी गयी थी।

फिर मैंने समीना के दोनों पैरों को अपने कंधों के ऊपर कर लिया और फिर से आपा की चूत में जोर जोर से झटके लगाने लगा। पिछले एक हफ्ते से मैंने चुदाई नहीं की थी तो मुझे पूरा जोश चढ़ा हुआ था। मेरा लण्ड अपने पूरे जलाल पर था, उसकी सारी नसों ने बुरी तरह से तन कर उसकी मोटाई को कही ज्यादा बढ़ा दिया था। समीना आपा की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया था।

थोड़ी देर बाद मैंने आपा को खींचकर अपनी छाती से लगाया और अपने मोटे लंड को अपनी बहन की बच्चेदानी में घुसाकर अपने माल की लगातार पिचकारियां छोड़ने लगा।

एक के बाद एक कई लंबी पिचकारियों से आपा की जवान बच्चेदानी का घड़ा उनके छोटे भाई की सफेद मलाई से भरने लगा।

जब मेरा पूरा रस आपा के गर्भ में समा गया तो मैंने आपा के गर्म जिस्म को अपनी गिरफ्त से आजाद किया। मैं खुद आपा के ऊपर लेट गया और अपनी सांसें संभालने लगा।

मेरा लम्बा और मोटा लंड जो कुछ देर पहले भयंकर खूंखार होकर आपा की चूत को भोसड़ा बना रहा था, अब मुर्दा सा होकर, सिकुड़ कर आपा की चूत से बाहर आ गया।

जैसे ही मैं उठ कर जाने को खड़ा हुआ, वैसे ही आपा ने मुझे फ़रिश्ता समझकर अपने दोनों हाथों से पकड़ कर रोक लिया।

मैंने समझा कि अभी मेरी बेगम का मन चुदाई से पूरा भरा नहीं है, मैं भी रुक गया।

फिर उस रात मैंने तीन बार आपा को अपनी बीवी समझ कर उनकी बच्चेदानी में अपना माल डाला फिर मैं उन्हें ऐसी ही छोड़कर हॉल में आकर सो गया।

सुबह मैं थोड़ा देरी से उठा, रज़िया घर के काम में लगी हुई थी। आपा बाहर बरामदे में आराम कुर्सी पर आँखें बंद करके अनजाने ख्वाबों में खोई थी।

शायद समीना सोफे पर पिछली रात की फ़रिश्ते के साथ हुई घमासान चुदाई के बारे में आंखें बंद करके सोच रही थी। मेरी बड़ी बहन समीना को पूरा यकीन था कि पिछली रात ऊपर वाले के कहने पर कोई फ़रिश्ता आकर उसे इतनी बेरहमी से चोदकर गया है। जिससे उनकी गोद जल्द ही भर जाये। आपा के दिमाग से वो लम्बा मोटा लंड चाह कर भी नहीं निकल पा रहा था।

उनके निकाह के बाद इतने सालों में वो बीसियों बार अपने शौहर रफ़ीक़ के लंड से चुदाई करवा चुकी थी, उसके शौहर का रस तो उसके चोद कर हटते ही उसकी चूत से बह कर बाहर निकल जाता था। पर बीती रात जो उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ाकर चुदाई करके जो गर्मागर्म मर्दाना मलाई उनकी बच्चेदानी के अंदर गई थी वो रस तो फ़रिश्ते के अलावा किसी का हो ही नहीं सकता था, वो सबसे अलग था।

कल रात से पहले उसे पता ही नहीं था कि चुदने में इतना मज़ा भी आता है। रफ़ीक जब उसे चोदता था तो उसे जब तक कुछ समझ आता तब तक वह पानी टपकाता बगल में गिर कर हांफने लगता था। उसके बाद वह ऐसे ही अपनी चूत को सहला कर बुर से जब कुछ चिपचिपा सा निकल जाता तो वह भी सो जाती थी। असल चुदाई का मज़ा तो कल रात उसे फ़रिश्ते ने दिया था वह भी एक बार नहीं तीन तीन बार। वह मन ही मन मन्नत मांग रही थी कि 'या खुदा, उस फ़रिश्ते को अब मेरी ज़िन्दगी से दूर मत करना, उसे रोज़ रात को मेरे पास भेजते रहना'
यही सब सोच सोच कर आपा खुशी से झूम रही थी कि उसकी जो औलाद होगी वो सबसे निराली होगी क्योंकि वो फ़रिश्ते की औलाद होगी।

लेकिन उसे क्या पता था कि उसके छोटे सगे भाई ने उसे अपनी बीवी रज़िया समझकर उसे चोद दिया था वो भी एक या दो बार नहीं पूरे तीन तीन बार हचक हचक के चोदा था। उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ा कर रख दीं थीं।

मैं उठ कर सीधा बाथरूम में घुस गया। रज़िया मेरी अम्मी के साथ किचन में थी। पिछली रात के लिए शुक्रिया कहने जब मैं रज़िया के पास गया तब अम्मी को पास में देख मैं फिर से हॉल में आ गया।

इधर आपा ने एक जोरदार अंगड़ाई ली और उठ कर थोड़ा लंगड़ाते हुए बाथरूम में घुस गई। मुझे उन्हें ऐसे चलते देख थोड़ा ताज़्ज़ुब हुआ पर मैं कुछ बोला नहीं।

उधर आपा ने बाथरूम में जैसे ही अपनी चिपचिपी चूत देखी तो वो खुशी से लहरा उठी। उसकी चूत की दरार अभी भी खुली पड़ी थी और उसकी चूत के अंदर की लाली दिखाई दे रही थी। उसकी फटी चूत रात की दास्ताँ बयां कर रही थी। उसने अपनी गोरी गोरी चूचियां देखी तो वे भी कश्मीरी सेब की तरह लाल हुई पड़ी थी। उनको भी तो बड़ी बेरहमी से मसला और चूसा गया था।

समीना खुशी खुशी अपनी उंगलियों पर कुछ गिनती करने लगी फिर अपने आप से बात करने लगी- 'रफ़ीक़ के आने में तीन हफ्ते रह गए हैं। वे 6-7 दिन रुककर चले जायेंगे। उनके जाने के बाद ही मेरे ऊपर हमल के इलामात जाहिर होंगे। सब कुछ ठीक रहेगा। सब यही समझेंगे कि रफ़ीक़ के आकर जाने से ही मुझे हमल हुआ है।'

इस तरह मेरी बड़ी बहन आने वाले वक्त के बारे में सोचकर बाथरूम से मुस्कराते हुए बाहर निकली मगर वह उसी तरह लंगड़ाते हुए चल रही थी।

मैंने पूछा, "क्या हुआ आपा? तुम्हे चोट लगी है क्या? तुम ऐसे लंगड़ा कर क्यों चल रही हो?"

"ये सब तेरे जानने की बात नहीं है पर तुझे भी जल्दी ही पता चल जायेगा" -आपा ने मुस्कराते हुए जवाब दिया।

फिर समीना आपा तैयार होकर ख़ुशी से बन संवर कर हॉल में मेरी बगल में ही बैठ गईं। आपा को सजीधजी देखकर मैं भी बहुत खुश हुआ और उनसे हंस हंस कर बात करने लगा फिर कुछ देर के बाद मैं अपनी अम्मी और आपा को लेकर मजार पर चला गया।

मैं अगरबत्ती वगैरा लेने रुक गया तो अम्मी और आपा आगे निकल गयी। ठीक उसी वक़्त समीना आपा ने पिछली रात की फ़रिश्ते के आने का वाकिया अम्मी को बताया।

अपनी बेटी के चेहरे की चमक देख अम्मी की आँखें खुशी से छलकने लगी। अम्मी बेटी दोनों शुरू से ही सहेलियों की तरह बात करती थी। वो एक दूसरे से अपनी हर बात बता कर राय लिया करतीं थीं।

फिर हम सब मज़ार में खुशी खुशी दुआ करके अपने घर आ गए। घर आते ही समीना खुशी से अपने शौहर रफ़ीक़ से बात करने मोबाइल लेकर छत पर चली गई। मेरी अम्मी मेरी बेगम के साथ रसोई में चली गई।

सच ही तो है चाहे चूत हो या लण्ड जब मज़े से दोनों का पानी निकलता है तो सुकून खुद ब खुद आ जाता है।

अभी तक मैंने अपनी बीवी रज़िया से बीती रात की घमासान चुदाई पर बात नहीं की थी। मैं रसोई के बाहर से रज़िया को आंख के इशारे से छत पर बुलाया।

रज़िया भी आँखों के इशारे से ‘थोड़ी देर बाद आती हूँ’ बताकर मुझे जाने को कहा।

मैं हॉफ पैंट और टीशर्ट पहन कर रज़िया के आने की इंतज़ार करने लगा।

CONTD......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#34
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#35
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#36
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#38
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थोड़ी देर बाद रज़िया बावर्चीखाने से बाहर आई और मुझे आंखों के इशारे से छत पर जाने को कहा।

इधर समीना अपने शौहर रफ़ीक़ से फोन पर बात करने के बाद छत पर पानी की टंकी के पीछे बैठी बीती रात की फ़रिश्ते चुदाई के बारे में सोच रही थी।

मैं अपनी बड़ी बहन की मौजूदगी से अनजान में उस पानी टंकी की दूसरी तरफ खड़ा होकर रज़िया के आने का इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही रज़िया छत पर आई, मैंने उसे एकदम से अपनी बांहों में भर लिया।

पर वो दुखी होकर बोली- "सॉरी मेरे सरताज, कल रात मैं थकान की वज़ह से बेड पर ही सो गई थी। मुझे माफ़ कर दो"

यह सुन कर मैं हंस कर बोला- "यार तुम भी अच्छा मज़ाक कर लेती हो। अगर कल रात तुम बेड पर सोई थी तो क्या सोफे पर मैंने तेरी बहन को तीन बार चोदा था?"

इतना बोलकर मैंने जब हंस कर रज़िया के चेहरे को ऊपर उठाया तो देखा कि मेरी बीवी की आंखों में आँसू थे।

मैंने उसके आँसू पौंछे- "अरे पगली, तुम रो क्यों रही हो?"

रज़िया - "मैं आपके काबिल नहीं हूँ। मैं हमल (गर्भ) के डर से आपको बीवी का सुख नहीं दे रही हूँ"

मैं हंस कर रज़िया को हंसाने के लिए बोला- "ये सगीर खान असली मर्द है। एक बार अपनी पिचकारी जिसकी चूत में छोड़ी तो उसकी कोख में 100% बच्चा आ जाएगा"

इतना सुनकर रज़िया भी हंस कर बोली- "जानती हूँ आपके खतरनाक लंड और आपके गर्म माल से मैं हर बार हमल से हो सकती हूँ। आज के बाद मैं कभी हमल रोकने की दवा नहीं खाऊँगी"

इतना बोलकर रज़िया ने सीढ़ियों वाला दरवाज़ा बन्द किया और मेरे पास आकर बोली- "पिछले पूरे हफ्ते मैंने अपने जिगर के टुकड़े को प्यार नहीं किया"

इतना बोलकर रज़िया ने एकदम मेरी हाफ पैंट को नीचे खींच दिया।

मेरा गोरा चिकना बड़ा लंड मेरी बीवी रज़िया के सामने नुमाया हो गया। दिन की रोशनी में मेरा लंड चमक रहा था।

मैं मज़ाक में बोला- "साली कुतिया, तू कितनी प्यासी है। कल रात तूने इसका सारा रस अपनी चूत में खींच लिया फिर भी तेरी आग ठण्डी नहीं हुई?"

रज़िया उदास चेहरे से- "माफ कर दो ना, कल मैं थकान की वज़ह से बेड पर समीना आपा की बगल में सो गई थी"

अपनी बीवी के मुंह से यह सुनकर मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा- "तो फिर मैंने …?"

रज़िया ने मेरे लण्ड के लाल सुपारे को चूम कर कहा- "आप चूत के नशे में सपने देख रहे होंगे"

रज़िया ने अब मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चुसाई शुरु कर दी।

मैं जानता था कि मेरी रज़िया मज़ाक कर रही है। मैं अपनी आंखें बंद करके अपना लण्ड उसके मुँह के हवाले करके मजा लेने लगा- "मेरी जान! कल रात की चुदाई मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा। क्या अलग सी खुशबू थी तेरी चूत की, आह… वल्लाह, क्या मज़ा मिला था। बिलकुल पहली बार की तरह कसी हुई चूत थी तेरी। पूरा फंस कर लण्ड अंदर जा रहा था। मेरे लण्ड का रस तेरी बच्चेदानी ने पूरे तीन बार पीया था। आज की रात भी उसी तरह से कई बार तेरी चूत को अपने लण्ड का रस पिलाऊँगा"

इतना सुनकर रज़िया ने मेरे लण्ड को मुँह से निकला और रोने लगी- "माफ कर दो मुझे, कल रात थकान की वजह से मैं आपको खुश नहीं कर पायी। अब ताने मार मार कर मुझे और तंग मत करो"

इतना बोलकर रज़िया फूट फूट कर रोती हुई दौड़कर नीचे चली गई।

रज़िया के इस बर्ताव से मैं हैराँ परेशां उसको पीछे से देखता रहा फिर मैं धीरे से खुद से बोला- "अगर कल रात मेरे लण्ड के नीचे रज़िया नहीं थी तो फिर किसको मैंने तीन बार चोदा था?"

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि रज़िया नहीं तो कौन? घर में रज़िया के अलावा समीना आपा, हनी या अम्मी ही जनानी में हैं। अम्मी अब्बू के कमरे में सोतीं है और हनी और फरहान ऊपर अलग कमरे में सोते हैं। या ख़ुदा तो क्या क्या मैंने गलती से समीना आपा को भी चोद दिया?

इतना सुनते ही टंकी के पीछे समीना आपा बुरी तरह डर गई। आपा ने जिसे फ़रिश्ता समझ कर पूरी रात अपनी कसी हुई मस्त चूत चुदवाई थी, वो उनका अपना सगा छोटा भाई था।

आपा ने मेरी तरफ झाँक कर देखा तो मेरा लण्ड समीना की आंखों के सामने था। पिछली रात अंधेरे में जो लम्बा और मोटा लंड आपा ने चूसा था और अपनी चूत में लिया था, वही लण्ड अब समीना की निगाहों के सामने था। ‘हाँ हाँ... इसी लण्ड से तो तीन तीन बार हचक के चुदी थी और इसी लण्ड ने अपनी सारी मलाई मेरी बच्चेदानी में डाली थी’

मैं अब अपने आप से बात कर रहा था- "कल रात मुझे रज़िया की चूत की खुशबू भी अलग सी लगी थी पर एक बार चुदाई करने के बाद जब मैं उठकर जाने लगा था तब मेरा हाथ पकड़ कर रोका था। अगर वो आपा थी तो उन्होंने एक बार गलती होने के बाद मुझे क्यों रोका था गलती दोहराने के लिए?"

इतना सुन समीना आपा बुरी तरह डर गयी।

मैं फिर से खुद से पूछने लगा- "सुबह जब मैंने समीना आपा को देखा तो वे बहुत खुश थी। अगर मैंने आपा की चुदाई कर दी होती तो वे दुखी होती। उनके चेहरे से मुझे लगता नहीं कि आपा परेशान हैं बल्कि वे तो मुझे रोज से ज्यादा खुश नजर आ रही हैं। तो क्या ज़ोहरा आपा ने जानबूझकर मेरा माल अपनी बच्चेदानी में लिया?"

तभी रज़िया दोबारा छत पर आई और मेरे पास आकर बोली- "आज मैं आपा को पहले ही दूसरे कमरे में सोने के लिये कह दूंगी ताकि फिर आपको ऐसे सपने ना आयें"

मैं अब यह पक्के तौर पर जान लेना चाहता था कि रात में मैंने रज़िया की चूत मारी थी या किसी और की। मैंने रज़िया का हाथ अपने सिर पर रखा और कहा- "तू मेरे सिर की कसम खाकर बता कि तू सच बोल रही है?"

रज़िया मेरे सिर पर हाथ रखे रखे बोली- "आपकी कसम मेरे सरताज, हम दोनों के बीच कल रात एक बार भी चुदाई नहीं हुई और आप को ख्वाब आ रहे हैं कि आपने मेरी तीन तीन बार चूत मारी है वो भी बिलकुल सील पैक जैसी टाइट, जबकि आप को पता है मेरी चूत अब पहले जैसी टाइट नहीं रही है। आपके इस हलब्बी लण्ड से चुद चुद कर वो वैसे ही ढीली पड़ गई है"

मैं समझ गया और एकदम से बात को घुमाकर बोला- "अरे पगली, मैं तो तुम्हारे साथ मज़ाक कर रहा था। वरना मुझे अपनी बेगम की चूत के बारे में पता नहीं होगा क्या? जिसकी सील ही मैंने तोड़ी थी और जिसको इतने महीने से रोज़ चोदता आ रहा हूँ"

इतना सुनकर रज़िया भी खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली- "मैं समझी कि आपने कहीं गलती से मुझे समझ कर समीना आपा को तो नहीं चोद दिया?"

मैं थोड़ा गुस्से और थोड़ी हंसी के साथ बोला- "रज़िया, समीना आपा को लेकर इतना गलत मज़ाक ना करो, समीना आपा मेरी बड़ी बहन हैं वो भी सगी बड़ी बहन"

रज़िया हंसती हुई शरारत से बोली- "मैं और मेरी दीदी भी तो आपकी बहन ही लगती थीं, याद करो दोनों की सील भी आप ही ने तो तोड़ी थी"

फिर वो बोली- "अच्छा वो सब छोड़ो, मुझे यह बताओ कि कल रात को आपके सपनों में आपको मेरी चूत कैसी लगी?"

मैं बोला- "एक अलग सी महक थी… अलग सा नशा था। ऐसा लगता थी जैसे कोई बिन चुदी चूत हो! बहुत मजा आया था। मैं जब एक बार चोद कर जाने लगा तो तुमने मेरा हाथ पकड़ लिया फिर मैंने दो बार और चोदा। कसम से क्या चूत थी तेरी, मेरा लण्ड बुरी तरह से फंस कर अंदर बाहर हो रहा था"

तभी अम्मी ने सीढ़ियों से ऊपर आकर वहीं दरवाजे में खडी होकर आवाज लगायी- "आ जाओ बच्चो, खाना खा लो"

contd....
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#39
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अम्मी छत के दरवाजे में खड़ी होकर मेरे और रज़िया के साथ समीना आपा को भी देख पा रही थी।

अम्मी की बात सुनकर रज़िया एकदम से नीचे चली गई।

और अम्मी मुझसे बोली- "सग़ीर! तू अपनी आपा को लेकर ज़ल्दी आ कर खाना खा ले"

आपा का नाम सुनकर मुझे फिर से बीती रात का वाकिया याद आ गया।

मैं बोला- "अम्मी, मैं बाद में खा लूंगा। तुम आपा और रज़िया को बुलाकर खा लो"

अम्मी गुस्से में- "जब तक तू नहीं खायेगा तब तक रज़िया भी तो नहीं खाएगी। चल मेरे साथ, समीना तू भी चल"

समीना का नाम सुनकर मैं एकदम चौंक गया। मैंने इधर उधर नजर घुमाई तो पानी की टंकी की बगल से समीना आपा मेरे सामने आईं, मैं एकदम डर गया।
फिर अम्मी के साथ मैं और आपा नीचे चले गए।

मैं आकर खाने की मेज पर बैठ गया। मेरे बगल में रज़िया और रज़िया की बगल में अम्मी ने आपा को बैठने को कहा तो उन्होंने कहा कि उन्हें भूख नहीं है।

आपा ने अम्मी को खाने के लिए बैठने को कहा और सब को खाना परोसने लगी।
अम्मी हंस कर बोली- "समीना, आज तुझे भूख क्यों नहीं है? चल उस तरफ सग़ीर के बाज़ू  में बैठ जा"

समीना आपा सिर झुकाकर मेरी दूसरी तरफ बैठ गई।

तब मेरी बीवी रज़िया समीना आपा से बोली- "आपा! अभी कुछ देर पहले तो आप बहुत खुश थी पर अचानक आपके चेहरे पर उदासी दिख रही है? फोन पर क्या जीजू से झगड़ा हो गया?"

इस पर समीना बनावटी हंसी से बोली- "रज़िया तू हमेशा मेरी मज़ाक उड़ाती है, एक दिन तुझे मुझसे बहुत मार पड़ेगी"

समीना नहीं चाहती थी कि कल रात के हादसे के बारे में रज़िया को कुछ पता चले।

रज़िया हंस कर बोली- "आपा, आप रात को ठीक से सो नहीं पाती होंगी, आज से आप ऊपर वाले कमरे में अकेली सो जाना और फिर फोन पर जीजू से बात करके मजा लेना"

ठीक उसी वक़्त रज़िया के फोन की घंटी बजी, वो हंस कर अपनी अम्मी से फ़ोन पर बात करती करती बाहर चली गई।

तब अम्मी ने आपा को कहा- "समीना, तू आज से अकेली और अलग कमरे में सोएगी"

इतना सुनकर समीना अचानक से मुझे देखने लगी।

मैं समझा कि शायद समीना आपा अपनी अम्मी और रज़िया के सुझाव से खुश नहीं है। मुझे लगा कि शायद आपा मेरे साथ चुदाई करवा कर खुश हैं।

लेकिन अम्मी मेरी मौजूदगी में ही समीना को घुमा फिरा कर सुझाव देने लगी- "तू चिंता मत कर समीना, मुझे पूरी उम्मीद है कि कल रात की तरह आज रात भी फ़रिश्ते तुझे सुकून और खुशी देने ज़रूर आएंगे। यह मेरी दुआ है तेरे लिए"

समीना आपा फिर से मेरी ओर देखने लगी। मैं समझ गया कि शायद आपा मुझसे जवाब मांग रही हैं।

अचानक मेरी ज़ुबान से निकला- "अम्मी सही बोल रही हैं आपा, आप देखना बहुत जल्दी ही आप की गोद ज़रूर भर जाएगी"

मेरी ज़ुबान से इतनी बात सुनते ही आपा की आँखे हैरानी से फ़ैल गई।

मैं खाना खाकर हाथ धोने ही वाला था कि अम्मी ने मुझे कहा- "सग़ीर! आज शाम को तू एक बार फिर समीना को मजार पर दुआ के लिए ले जाना, वहां से आज तक कोई खाली हाथ नहीं लौटा है"

आपा के कुछ बोलने से पहले ही अम्मी ने कहा- "तुम दोनों भाई बहन के बच्चे को देखने के लिए मेरी आँखें तरस रही हैं"

अम्मी की बात सीधी थी पर आपा और मैंने इस बात का उल्टा मतलब निकाला।
तो मैं हंस कर बात का रुख बदलते हुए बोला- "अम्मी, तुझे नानी और दादी बनने की बड़ी जल्दी है?"

अम्मी हंस कर बोली- "तुम दोनों तो मेरे दिल की धड़कन हो। मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों के बच्चे तुम्हारी ही शक्ल लेकर इस दुनिया में आयें"

मुझे तो पूरी पूरी गलतफहमी हो चुकी थी कि आपा अपने भाई से चुदवा कर गर्भवती होना चाहती हैं। नहीं तो कल रात को जब मैं एक बार आपा को चोदकर वापिस आ रहा था तो आपा ने मुझे रोक कर फिर से दो बार चुदाई और क्यों करवायी?

मैं हंस कर अपनी अम्मी को बोला- "अगर हम दोनों भाई बहन के बच्चे हमारी शक्ल लेकर पैदा होंगे तो रफ़ीक़ जीजू और रज़िया का मन छोटा हो जाएगा"

अम्मी हंस कर बोली- "रज़िया और समीना की शक्ल तो मिलती जुलती है पर जमाई बाबू की शक्ल मुझे पसंद नहीं है"

इतना सुनकर आपा शर्म से पानी पानी हो दूसरे कमरे में चली गई।

इधर समीना सोचने लगी कि उसके भाई को सब पता चल चुका है। जब अम्मी ने घुमा फिरा कर उनको पिछली रात जैसी चुदाई दुबारा से मिलने को बोली तो सग़ीर ने हाँ क्यों बोल दिया?

इसका मतलब मेरी दुबारा चुदाई करने में सग़ीर को कोई एतराज नहीं था और फिर उसका क्या मस्त लण्ड था, सारी नसें कल रात में ढीली कर दीं मेरे भाई ने। और वो रफीक, वो तो बस ज़रा सी चुहिया लेकर ऊपर ऊपर ही घुमा कर तुरंत पानी छोड़ देता है इधर मेरे भाई ने तो एक रात में ही मेरी चूत का भोसड़ा बनादिया और क्या लण्ड था माल सीधा बच्चेदानी में गिराया जाकर। आह या ख़ुदा! पहली बार तूने मुझे चुदाई का सुख दिया है अब इससे मरहूम मत करना।

फिर समीना सोचने लगी कि रज़िया की पीरियड हर महीने रुक जाती थी तब वह गर्भपात वाली गोलियां खा कर अपना पीरियड शुरु करती है। इसका मतलब मुझे भी वह माँ ज़रूर बना देगा। या मेरे मौला, तेरी रहमत का कोई ठिकाना नहीं, बस जब तुझे मेरी कोख से मेरे सगे भाई के बच्चे को ही पैदा करवाना था तो पहले ही करा देता। कम से कम इतनी ज़िल्लत तो न उठानी पड़ती।

इधर मैंने दिन में ही मौक़ा निकाल कर अपनी बीवी की घमासान चुदाई करके उसे पूरा मजा देकर चोद दिया और अपना सारा माल अपनी बीवी की बच्चेदानी में भर कर वहीँ अपनी रात की नींद को पूरा करने लगा क्योंकि रात में मुझे आपा की चुदाई भी तो करनी थी।

शाम को मैं आपा को लेकर मजार पर चला गया। उस वक्त वहां काफी भीड़ थी।फिर भी सेवादार ने हम दोनों को देख लिया था और हमें भीड़ से बाहर निकाल कर मजार के अंदर ले आया। आज सुबह समीना सेवादार को बता चुकी थी कि पिछली रात को ऊपर वाला उसके सपने में आया और समीना की गोद भरने की बात कही थी।

मजार पर दुआ करने के बाद सेवादार ने समीना को कहा- “बेटी, तेरी मुराद बहुत जल्द पूरी हो जाएगी। कल रात की तरह आज भी तुझे ऐसा ही बेहतरीन अहसास होगा"

यह सुनकर समीना शर्म से लाल हो गई। मैं भी समझ गया कि समीना आपा अम्मी बनने के लिए किसी भी हद तक गिर सकती हैं। अगर मैंने अपनी बहन को गर्भवती नहीं बनाया तो वो किसी बाहर के आदमी से चुदवा कर गर्भवती हो जाएगी। जिसमे बदनामी का भी पूरा डर था तो उससे अच्छा मैंने सोचा की ये नेक काम मेरे से हो रहा है इसमें भी शायद ऊपर वाले की ही रज़ा शामिल है।

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#40
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तब मैंने कुछ सोच कर सेवादार से कहा- "हाँ अगर ऊपर वाले की मेहरबानी हुई तो आज भी मेरी आपा को बरकत ज़रूर मिलेगी"

यह सब सुन समीना कुछ सोचने पर मजबूर हो गई। समीना बार बार अपने रिश्तों की नाप तोल करने लगी। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी। मैं भी काफी सोच समझकर ये बोला था फिर दोनों भाई बहन उस भीड़ में से रास्ता बनाते हुए संभल कर वापस लौटने लगे। समीना आगे आगे थी और मैं आपा के पीछे पीछे।

एक जगह पर ज्यादा भीड़ की वज़ह से हम दोनों बुरी तरह फंस गए। आपा को भीड़ से बचाने के चक्कर में मैं अनजाने में आपा के पिछवाड़े पर चिपक गया था। मैंने भीड़ में आपा को पीछे से अपनी बाहों के घेरे में ले रखा था इससे मेरे हाथ अनजाने में समीना की दोनों चूचियों के ऊपर आ गए थे। समीना एक हाथ में थैला लिए थी और दूसरे में अपना पर्स, इसलिए दोनों हाथ नीचे थे। जब आपा अपनी चूचियों पर मेरे हाथ महसूस हुए तो उनके जिस्म में जैसे हाई वोल्ट का करेंट दौड़ गया।

भीड़ कम नहीं हो रही थी। समीना की गांड के दवाब से मेरा लण्ड खड़ा होकर आपा की गांड की दरार में सेट हो गया। इतना सब होने के बावजूद भी आपा कुछ नहीं बोली तो मैं भी अब जानबूझकर अपने लंड को आपा की गांड में दबाने लगा। पैंटी न पहने होने से मेरे लण्ड को आपा की गांड की गर्मी सीधी महसूस हो रही थी।

जब आपा ने मेरी किसी हरकत का कोई विरोध नहीं किया तो मैं अपनी समीना आपा की चूचियों को हौले हौले मसलने लगा। उस भीड़ में काफी देर तक यही चलता रहा। अब मेरे साथ साथ समीना भी काफी गर्म हो गयी थी।

वासना के जोश में मैं अपने एक हाथ को आपा के सामने नीचे की तरफ ले गया और समीना की चूत तक पहुँच गया। मैं आपा की चूत को सहलाने लगा। तभी भीड़ कम होने लगी और मैंने अपना हाथ आपा की चूत से हटा लिया।

मैं सोच रहा था कि आपा मेरी इस हरकत से खुश तो ज़रूर हुई होंगी तो मैं आपा को दिखा कर अपनी उंगली को अपने नाक के पास लाकर सूंघने लगा। मुझे अपनी उंगली में से वही रात वाली खुशबू आ रही थी क्योंकि आपा की चूत गर्म होकर पानी छोड़ रही थी तो आपा की चूत का पानी मेरी उंगली तक पहुँच गया था।

अपने सगे भाई की ऐसी कामुक हरकत देख कर ज़ोहरा आपा की तीस साल की जवानी दहक उठी। आपा का चेहरा कामुकता से तमतमा गया था, उनकी आँखों में वासना साफ़ झलक रही थी। वे प्यासी निगाहों से मुझे देख कर मानों कह रहीं थीं 'सग़ीर! मेरे भाई, अब इस प्यास को तू ही बुझा कर मुझे माँ बना सकता है, मेरे भाई मेरी गोद तू ही अब भर सकता है'

फिर हम दोनों भाई बहन अपने जज्बातों पर काबू करके बाइक से घर आ गए।
जैसे ही मैंने बाइक घर के अंदर पार्क की, तभी अम्मी आकर बोली- "सग़ीर बेटा! मैं बहू को लेकर पास वाले पड़ोस के घर जा रही हूँ जब तक हम दोनों वापिस ना आयें, तब तक तू घर में रहना"

फिर अम्मी ने मेरी बीवी को आवाज दी- "रज़िया! बेटी ज़ल्दी आ"

तभी आपा की सासू का फ़ोन अम्मी के मोबाईल पर आया। अम्मी थोड़ा दूर खड़ी होकर समीना की सासू से बात करने लगी। कुछ देर बाद फ़ोन कट गया। अम्मी का चेहरा उतर गया था।

समीना- "क्या हुआ अम्मी?"

अम्मी गुस्से में अब्बू को कोसने लगी- "मैंने पहले ही कहा था कि वो रफ़ीक़ तेरे लिए ठीक नहीं है"

मैं- "अम्मी! आखिर बात क्या है?"

अम्मी गुस्से में- "समीना की सास कह रही है कि अगर इस बार इसके हमल ना रुका तो अगली बार रफ़ीक़ की दूसरी शादी करवा देगी"

मैं गुस्से में बोला- "अरे हमल कैसे नहीं रुकेगा?" फिर बात को सँभालते हुए बोला- "सेवादार आज कह रहे थे कि आपा को इस बार हमल ज़रूर रुकेगा"

तब तक रज़िया सजीधजी बाहर आई- "क्या हुआ अम्मी?"

अम्मी- "अभी तू चल, तुझे रास्ते में बता दूंगी"

इतना बोलकर अम्मी रज़िया को लेकर चली गई।

समीना आपा उदास होकर कमरे में चली गई। मैं अपने कपड़े बदलने के बाद सोचने लगा कि अब क्या करूं मैं? मैंने तय किया कि मैं आपा के पास जाता हूँ।

मैं जब आपा के कमरे में गया तो वो कमरे में नहीं थी। आपा को ढूंढते ढूंढते मैं छत पर चला गया।

मैंने देखा कि आपा अपने कपड़े बदल कर सिर्फ एक गाउन पहन कर गैलेरी पर खड़ी होकर नीचे देख रही थी। उनके झीने से गाउन में साफ़ पता चल रहा था कि उन्होंने ब्रा और पैंटी कुछ नहीं पहना है। इस उमर में भी उनकी चूचियां बिलकुल ठोस होकर तनी हुई थीं। उनके चेहरे से लग रहा था कि वे अंदर से टूट चुकी थी पर फिर भी आपा मुझे देख अपना दर्द छिपा कर मुस्कुरा दी।

मैं समझा कि शायद हमारे इस अकेलेपन का फायदा उठाने के लिए आपा गाउन पहन कर अंदर से बिलकुल नंगीं मेरा इंतज़ार कर रही हैं। मैं सीधा आपा के पास गया और उनकी बगल में खड़ा हो गया और गली का नज़ारा देखने लगा। पर समीना फिर से किसी सोच में डूब गई थी।

समीना अपने मन में सोच रही थी- "क्या करूँ मैं? कुछ भी समझ में नहीं आ रहा, मैं दो बार अपनी जांच करवा चुकी हूं। डॉक्टरनी के हिसाब से मैं औलाद पैदा कर सकती हूँ। ज़रूर रफ़ीक़ के अंदर कुछ कमी है ऊपर से वो अपनी जांच भी नहीं करवाता"

आपा अपनी सोच में खोई हुई थीं- "रज़िया बोल रही थी कि सग़ीर उसको हर महीने गर्भवती बना देता है। मतलब सग़ीर का बीज एकदम ठीक है। इधर सग़ीर को भी मुझे चोदने से परहेज़ नहीं है। कल रात जो हुआ, गलती से हुआ, लेकिन अब तो सग़ीर दोबारा से मुझे चोदना चाह रहा है"

समीना मन ही मन- "सग़ीर और मेरे बीच जो हुआ, वो नहीं होना चाहिए था और वो भी एक नहीं तीन तीन बार लेकिन अगर भाई को बुरा नहीं लग रहा तो मैं क्यों इतना सोच रही हूँ? रफ़ीक़ थोड़े दिन बाद हिन्दूस्तान आ रहे हैं। एक गलती तो मैं कर चुकी हूँ, अब अपने घर में अपने शौहर की दूसरी बीवी को आने से रोकने के लिए अगर उसी गलती को मैं जानबूझकर करूँ तो … तो मुझे यकीन है कि रफ़ीक़ के आने से पहले ही मैं भाई से चुदाई करवा कर हमल से हो जाऊँगी"

तभी मैं कुछ बात करने के लिहाज से बोला- "आपा! जीजू किस तारीख को हिन्दूस्तान पहुँच रहे हैं?"

वैसे मैं भी जानता था कि रफ़ीक़ कब आने वाले हैं लेकिन समीना से कुछ बात करके बात को आगे बढ़ना चाहता था।

contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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