थोड़ी देर बाद रज़िया बावर्चीखाने से बाहर आई और मुझे आंखों के इशारे से छत पर जाने को कहा।
इधर समीना अपने शौहर रफ़ीक़ से फोन पर बात करने के बाद छत पर पानी की टंकी के पीछे बैठी बीती रात की फ़रिश्ते चुदाई के बारे में सोच रही थी।
मैं अपनी बड़ी बहन की मौजूदगी से अनजान में उस पानी टंकी की दूसरी तरफ खड़ा होकर रज़िया के आने का इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही रज़िया छत पर आई, मैंने उसे एकदम से अपनी बांहों में भर लिया।
पर वो दुखी होकर बोली- "सॉरी मेरे सरताज, कल रात मैं थकान की वज़ह से बेड पर ही सो गई थी। मुझे माफ़ कर दो"
यह सुन कर मैं हंस कर बोला- "यार तुम भी अच्छा मज़ाक कर लेती हो। अगर कल रात तुम बेड पर सोई थी तो क्या सोफे पर मैंने तेरी बहन को तीन बार चोदा था?"
इतना बोलकर मैंने जब हंस कर रज़िया के चेहरे को ऊपर उठाया तो देखा कि मेरी बीवी की आंखों में आँसू थे।
मैंने उसके आँसू पौंछे- "अरे पगली, तुम रो क्यों रही हो?"
रज़िया - "मैं आपके काबिल नहीं हूँ। मैं हमल (गर्भ) के डर से आपको बीवी का सुख नहीं दे रही हूँ"
मैं हंस कर रज़िया को हंसाने के लिए बोला- "ये सगीर खान असली मर्द है। एक बार अपनी पिचकारी जिसकी चूत में छोड़ी तो उसकी कोख में 100% बच्चा आ जाएगा"
इतना सुनकर रज़िया भी हंस कर बोली- "जानती हूँ आपके खतरनाक लंड और आपके गर्म माल से मैं हर बार हमल से हो सकती हूँ। आज के बाद मैं कभी हमल रोकने की दवा नहीं खाऊँगी"
इतना बोलकर रज़िया ने सीढ़ियों वाला दरवाज़ा बन्द किया और मेरे पास आकर बोली- "पिछले पूरे हफ्ते मैंने अपने जिगर के टुकड़े को प्यार नहीं किया"
इतना बोलकर रज़िया ने एकदम मेरी हाफ पैंट को नीचे खींच दिया।
मेरा गोरा चिकना बड़ा लंड मेरी बीवी रज़िया के सामने नुमाया हो गया। दिन की रोशनी में मेरा लंड चमक रहा था।
मैं मज़ाक में बोला- "साली कुतिया, तू कितनी प्यासी है। कल रात तूने इसका सारा रस अपनी चूत में खींच लिया फिर भी तेरी आग ठण्डी नहीं हुई?"
रज़िया उदास चेहरे से- "माफ कर दो ना, कल मैं थकान की वज़ह से बेड पर समीना आपा की बगल में सो गई थी"
अपनी बीवी के मुंह से यह सुनकर मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा- "तो फिर मैंने …?"
रज़िया ने मेरे लण्ड के लाल सुपारे को चूम कर कहा- "आप चूत के नशे में सपने देख रहे होंगे"
रज़िया ने अब मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चुसाई शुरु कर दी।
मैं जानता था कि मेरी रज़िया मज़ाक कर रही है। मैं अपनी आंखें बंद करके अपना लण्ड उसके मुँह के हवाले करके मजा लेने लगा- "मेरी जान! कल रात की चुदाई मैं कभी भूल नहीं पाऊंगा। क्या अलग सी खुशबू थी तेरी चूत की, आह… वल्लाह, क्या मज़ा मिला था। बिलकुल पहली बार की तरह कसी हुई चूत थी तेरी। पूरा फंस कर लण्ड अंदर जा रहा था। मेरे लण्ड का रस तेरी बच्चेदानी ने पूरे तीन बार पीया था। आज की रात भी उसी तरह से कई बार तेरी चूत को अपने लण्ड का रस पिलाऊँगा"
इतना सुनकर रज़िया ने मेरे लण्ड को मुँह से निकला और रोने लगी- "माफ कर दो मुझे, कल रात थकान की वजह से मैं आपको खुश नहीं कर पायी। अब ताने मार मार कर मुझे और तंग मत करो"
इतना बोलकर रज़िया फूट फूट कर रोती हुई दौड़कर नीचे चली गई।
रज़िया के इस बर्ताव से मैं हैराँ परेशां उसको पीछे से देखता रहा फिर मैं धीरे से खुद से बोला- "अगर कल रात मेरे लण्ड के नीचे रज़िया नहीं थी तो फिर किसको मैंने तीन बार चोदा था?"
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि रज़िया नहीं तो कौन? घर में रज़िया के अलावा समीना आपा, हनी या अम्मी ही जनानी में हैं। अम्मी अब्बू के कमरे में सोतीं है और हनी और फरहान ऊपर अलग कमरे में सोते हैं। या ख़ुदा तो क्या क्या मैंने गलती से समीना आपा को भी चोद दिया?
इतना सुनते ही टंकी के पीछे समीना आपा बुरी तरह डर गई। आपा ने जिसे फ़रिश्ता समझ कर पूरी रात अपनी कसी हुई मस्त चूत चुदवाई थी, वो उनका अपना सगा छोटा भाई था।
आपा ने मेरी तरफ झाँक कर देखा तो मेरा लण्ड समीना की आंखों के सामने था। पिछली रात अंधेरे में जो लम्बा और मोटा लंड आपा ने चूसा था और अपनी चूत में लिया था, वही लण्ड अब समीना की निगाहों के सामने था। ‘हाँ हाँ... इसी लण्ड से तो तीन तीन बार हचक के चुदी थी और इसी लण्ड ने अपनी सारी मलाई मेरी बच्चेदानी में डाली थी’
मैं अब अपने आप से बात कर रहा था- "कल रात मुझे रज़िया की चूत की खुशबू भी अलग सी लगी थी पर एक बार चुदाई करने के बाद जब मैं उठकर जाने लगा था तब मेरा हाथ पकड़ कर रोका था। अगर वो आपा थी तो उन्होंने एक बार गलती होने के बाद मुझे क्यों रोका था गलती दोहराने के लिए?"
इतना सुन समीना आपा बुरी तरह डर गयी।
मैं फिर से खुद से पूछने लगा- "सुबह जब मैंने समीना आपा को देखा तो वे बहुत खुश थी। अगर मैंने आपा की चुदाई कर दी होती तो वे दुखी होती। उनके चेहरे से मुझे लगता नहीं कि आपा परेशान हैं बल्कि वे तो मुझे रोज से ज्यादा खुश नजर आ रही हैं। तो क्या ज़ोहरा आपा ने जानबूझकर मेरा माल अपनी बच्चेदानी में लिया?"
तभी रज़िया दोबारा छत पर आई और मेरे पास आकर बोली- "आज मैं आपा को पहले ही दूसरे कमरे में सोने के लिये कह दूंगी ताकि फिर आपको ऐसे सपने ना आयें"
मैं अब यह पक्के तौर पर जान लेना चाहता था कि रात में मैंने रज़िया की चूत मारी थी या किसी और की। मैंने रज़िया का हाथ अपने सिर पर रखा और कहा- "तू मेरे सिर की कसम खाकर बता कि तू सच बोल रही है?"
रज़िया मेरे सिर पर हाथ रखे रखे बोली- "आपकी कसम मेरे सरताज, हम दोनों के बीच कल रात एक बार भी चुदाई नहीं हुई और आप को ख्वाब आ रहे हैं कि आपने मेरी तीन तीन बार चूत मारी है वो भी बिलकुल सील पैक जैसी टाइट, जबकि आप को पता है मेरी चूत अब पहले जैसी टाइट नहीं रही है। आपके इस हलब्बी लण्ड से चुद चुद कर वो वैसे ही ढीली पड़ गई है"
मैं समझ गया और एकदम से बात को घुमाकर बोला- "अरे पगली, मैं तो तुम्हारे साथ मज़ाक कर रहा था। वरना मुझे अपनी बेगम की चूत के बारे में पता नहीं होगा क्या? जिसकी सील ही मैंने तोड़ी थी और जिसको इतने महीने से रोज़ चोदता आ रहा हूँ"
इतना सुनकर रज़िया भी खिलखिला कर हंस पड़ी और बोली- "मैं समझी कि आपने कहीं गलती से मुझे समझ कर समीना आपा को तो नहीं चोद दिया?"
मैं थोड़ा गुस्से और थोड़ी हंसी के साथ बोला- "रज़िया, समीना आपा को लेकर इतना गलत मज़ाक ना करो, समीना आपा मेरी बड़ी बहन हैं वो भी सगी बड़ी बहन"
रज़िया हंसती हुई शरारत से बोली- "मैं और मेरी दीदी भी तो आपकी बहन ही लगती थीं, याद करो दोनों की सील भी आप ही ने तो तोड़ी थी"
फिर वो बोली- "अच्छा वो सब छोड़ो, मुझे यह बताओ कि कल रात को आपके सपनों में आपको मेरी चूत कैसी लगी?"
मैं बोला- "एक अलग सी महक थी… अलग सा नशा था। ऐसा लगता थी जैसे कोई बिन चुदी चूत हो! बहुत मजा आया था। मैं जब एक बार चोद कर जाने लगा तो तुमने मेरा हाथ पकड़ लिया फिर मैंने दो बार और चोदा। कसम से क्या चूत थी तेरी, मेरा लण्ड बुरी तरह से फंस कर अंदर बाहर हो रहा था"
तभी अम्मी ने सीढ़ियों से ऊपर आकर वहीं दरवाजे में खडी होकर आवाज लगायी- "आ जाओ बच्चो, खाना खा लो"
contd....