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Adultery कैसे करें अपनी बीबी को तैयार. मैंमेरे मित्र अनिल ने मिल कर मेरी बीबी को उकसाया
#41
अब आगे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#42
(01-10-2023, 11:51 PM)sulos Wrote: Nice story

Namaskar Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#43
फिर एक कराह और एक आह्ह की सिसकारी छोड़ते हुए नीना एकदम शिथिल होकर बिस्तर पर ढेर हो गयी। अब उसकी साँसें भी धीमी हो गयी। करीब पांच मिनट तक अनिल की ऊँगली से चुदने पर कामान्धता की चरम पर पहुँच ने के बाद उन्माद भरे नशे का वह जैसे आस्वादन कर रही थी। कुछ क्षणों बाद उसने मेरे गले में अपनी बाहों के माला डाली और मरे होठों से होंठ मिलाकर बिना बोले उन्हें चूसने लगी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे इस नए अनुभव करवानेके लिए वह मेरे प्रति अपनी कृतज्ञता दर्शा रही थी।

थोड़ी देर बाद मेरी प्यारी पत्नी बैठी और मेरी और अनिल को और देख कर बोली, "राज और अनिल। अब तक तुम दोनों ने मुझे खुश किया, अब मेरी बारी है।"

नीना ने यह कह कर हम दोनों को फर्श पर खड़ा किया और खुद अपने घुटनों को मोड़ कर अपने कूल्हों पर बैठ गयी। इस पोज़ में वह एकदम सेक्स की देवी लग रही थी। उसके उन्मत्त उरोज उसकी छाती पर ऐसे फैले थे जैसे गुलाबी रंग के दो गुब्बारे उसकी छाती पर चिपका दिये हों। नीना के स्तन एकदम उन्मत्त और गुब्बारे की तरह फुले हुए थे। जाहिर है की मेरा और अनिल का लण्ड पुरे तनाव में था। नीना ने मेरी और देखा और हम दोनों का लण्ड अपने दोनों हाथों में लेकर धीरे धीरे सहलाने लगी। हालांकि हम दोनों का लण्ड उसके हाथोँ में था, मैं देख रहा था की उसका ध्यान अनिल के मोटे और लंबे लंड पर ज्यादा था। उसका इतना तना हुआ अकड़ा, मोटा और लंबा लंड को हाथ में पकड़ कर मुझसे नजरें बचा कर वह उसे घूर घूर कर देखती रहती थी।

थोड़ा सा सहलाने के बाद नीना ने मेरे लण्ड को अपने होठ से चूमा और अपनी जीभ से मेर लण्ड पर फैले हुए मेरे रास को चाटा और धीरे से उसके अग्र भाग को अपने होठों के बिच लिया। मेरे लण्ड के छोटे से हिस्से को मुंह में लेकर वह उसको ऊपर नीचे अपनी जीभ से रगड़ ने लगी। जब मेरी बीबी ज्यादा कामातुर हो जाती थी तो मुझे कभी कभी यह लाभ मिलता था। मेरी सात साल की शादी के जीवन में यह शायद तीसरा या चौथा मौका था जब मेरी बीबी ने मुझे यह सेवा दी। उधर वह दूसरे हाथ से अनिल के लण्ड को आराम से सहलाये जा रही थी।

थोड़ी देर मेरा लण्ड चूसने के बाद नीना ने अपना मुंह अनिल के लण्ड की और किया। धीरे से अनिल की और नजर उठाते हुए नीना ने अनिल के लण्ड को भी मेरी ही तरह चाटने लगी। अनिल स्तंभित होकर देखता ही रह गया। उसकी स्वप्न सुंदरी आज उसके लण्ड का चुम्बन कर रही थी और उसे चूस रही थी यह उसके लिए अकल्पनीय सा था। नीना ने धीरे धीरे अनिल को लण्ड को मुंह में डालने की कोशिश की। पर उसका मुंह इतना खुल नहीं पा रहा था। तब नीना ने अनिल के लण्ड के सिर्फ अग्र भाग को थोड़ा सा मुंह में डाला और उसे चूमने एवं चाटने लगी। धीरे धीरे वह उसमें इतनी मग्न हो गयी की अनिल के लण्ड को वह बार बार चूमने लगी और जैसे वह उसे छोड़ना ही नहीं चाह रही थी। अनिल के लिए यह बड़ी मुश्किल की घडी थी। वह उत्तेजना के शिखर और पहुँच रहा था। उसी उत्तेजना में उसने नीना का सर हाथ में लेकर अपना मोटा और लंबा लण्ड नीना के मुंह में घुसेड़ दिया।

नीना ने बरबस ही अपना मुंह और खोला और अनिल के लण्ड को अपने होठों से और अपनी जीभ से जैसे अपने मुंह में चुदवाने लगी। अनिल का बदन एकदम अकड़ गया था। इस हालत में वह अपने आप को रोक नहीं पाया और एक आह्हः... के साथ उसके लण्ड में से फव्वारा छूटा और उसका वीर्य निकल पड़ा और मेरी सुन्दर नग्न पत्नी के मुंह को पूरा भर कर उसके नंगे बदन पर गिरा और फ़ैल गया। तब मैं मेरी बीबी के स्तनों को मेरे दोनों हाथो से दबा रहा था। अनिल का गरमा गरम वीर्य मेरे हाथों को छुआ और मेरी बीबी के स्तनों पर जैसे कोई मलाई फैली हो ऐसे फ़ैल गया। वह मलाई धीरे धीरे और भी नीचे टपकने लगी। पता नहीं कितना माल अनिल ने मेरी बीबी के मुंह में भर डाला था।

अनिल के वीर्य स्खलन होने पर मैंने देखा तो नीना थोड़ी सी सकुचायी या निराश सी लग रही थी। उसने मेरी और देखा। मैं समझ गया की शायद उसे इसलिए निराशा हो रही होगी की अब अनिल तो झड़ गया। अब वह उसे चोद नहीं पायेगा। मैं धीरेसे नीना के कान के पास गया और उसके कान में बोला, "डार्लिंग, निराश न हो। वह थोड़े ही अपनी पत्नी को चोद रहा है, जो थक जाएगा या ऊब जाएगा? वह तो उसकी प्रेमिका को चोदने जा रहा है। यही तो अंतर है पत्नी और प्रेमिका में। प्रेमिका के लिए उसका लण्ड हमेशा खड़ा रहेगा। उलटा एक बार झड़ जानेसे उसका स्टैमिना अब बढ़ जायेगा। अनिल अब तुम्हें आसानी से नहीं छोड़ेगा। वह अब तुम्हे दोगुना जोर से चोदेगा।"

मेरी इतने खुले से ऐसा कहने पर मेरी शर्मीली बीबी शर्म से लाल हो गयी।

अनिल हमारी काना फूसि देखरहा था। वह धीरेसे बोला, "कहीं तुम मियां बीबी मुझे फंसाने को कोई प्रोग्राम तो नहीं बना रहे हो ना?"

तब नीना अनायास ही बोल पड़ी, "हम तुम्हे क्या फंसायेंगे? तुम दोनों ने मिलकर तो आज मुझे फंसा दिया। "
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#44
पर अब नीना को मेरी और से कोई संकोच नहीं रहा। नीना ने अनिल को अपनी बाँहों में लिया और उसके होठों पर चुबन की एक चुस्की लेकर अपने स्तनों को अनिल के मुंह में डाल दिया। वह उसे अपने मम्मो को चुसवाना चाहती थी। जैसे ही अनिल ने मेरी बीबी के मम्मो को चूसना शुरूकिया तो नीना के बदन में जोश भर गया और उसने अपने मुंह में मेरा लण्ड लिया। वह मुझे यह महसूस नहीं होने देना चाहता थी, की वह मुझे भूलकर अनिल के पीछे लग गयी है। मैं भी नीना का सर पकड़ कर उस के मुंह को चोदने लगा। मुझे आज उसके मुंह को चोदने में बहुत आनंद आ रहा था, क्योंकि आज मैं अपनी पत्नी की मुंह चुदाई मेरे मित्र के सामने कर रहा था।

थोड़ी ही देर मैं मैं भी अपने जोश पर नियंत्रण नहीं रख पाया। मेरे मुंह से एक आह सी निकल गयी और मैंने मेरी बीबी के मुंह में अपना सारा वीर्य छोड़ दिया। नीना अनिल के वीर्य का स्वाद तो जानती ही थी। मेरी पत्नी मेरा वीर्य भी पहले ही की तरह निगल गयी। मेरे इतने सालों के वैवाहिक जीवन में यह पहली बार हुआ की मेरी बीबी मेरे वीर्य को निगल गयी हो। तब तक जब भी कोई ऐसा बिरला मौका होता था जब नीना मेर लण्ड को अपने मुंह में डालती थी तो या तो मैं थोड़ी देर के बाद मेरा लण्ड निकाल लेता था, या फिर मेरी बीबी मुझे मुंह में मेरा वीर्य नहीं छोड़ने की हिदायत देती थी। वह दिन मेरे लिए ऐतिहासिक था।

अनिल और मैं हम दोनों ही नीना के इस भाव प्रदर्शन से अभिभूत हो गए थे। मैं मेरी पत्नी को सेक्स का ऐसे उन्मादअनुभव कराना चाहता था जो उसने शायद पहले कभी नहीं किया हो। मैंने अनिल के कानों में बोला, "क्यों न हम नीना को अब सेक्स का ऐसा अनुभव कराएं जो उसने पहले कभी किया ना हो?"

अनिल ने मेरी और देखा और मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर सख्ती से पकड़ा और बोला, "मैं तुमसे पूरी तरह सहमत हूँ। मेरा भी उसमें एक स्वार्थ है। तुम्हारी अनुमति के बगैर वह पूरा नहीं हो सकता। मैं भी नीना को सेक्स की पराकाष्ठा पर ले जाना चाहता हूँ, जिससे वह मुझसे दुबारा सेक्स करने को इच्छुक हो। पर उसके लिए तुम्हारी अनुमति भी आवश्यक है। "

तब मैंने उसे कहा, "मैं यह मानता हूँ की यदि हम सब साथ में एक दूसरे से कुछ भी न छुपाकर सेक्स करते हैं तो वह आनंद देता है। पर यदि चोरी से या छुपी कर सेक्स करते हैं तो परेशानी और ईर्ष्या का कारण बन जाता है। मैं चाहता हूँ की अनीता भी हमारे साथ शामिल हो। हम सब मिलकर एक दूसरे को एन्जॉय करें और करते रहें। "

नीना ने हमारी और देखा। वह समझ गयी के मैं और अनिल उससे सेक्स करनें के बारे में ही कुछ बात कर रहें होंगे। मैंने उसकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए कहा, "अनिल तुम से बार बार सेक्स करने के बारें में पूछ रहा था। मैंने उसे कहा की अगर हम सब राजी हैं तो कोई रुकावट नहीं है।" नीना ने इस पर कोई टिपण्णी नहीं की।

पर नीना अब काफी खुल गयी थी। वह उठ खड़ी हुयी और हम दोनों के साथ पलंग पर वापस आ गयी। फिर फुर्ती से वह मेरी गोद मैं बैठ गयी। उसने अपने दोनों पाँव मेरी कमर के दोनों और फैला कर मुझे अपने पाँव में जकड लिया। मेरे होठ से होठ मिलाकर बोली, "मेरे प्राणनाथ, डार्लिंग पूरी दुनिया में तुम शायद गिने चुने लोगों में से हो जो अपनी बीबी को दूसरे के साथ सेक्स करने लिए उकसाता है। पर अगर मुझे इसकी लत पड़ गयी तो तुम क्या करोगे? कहीं ऐसा न हो की मैं रोज किसी और के साथ सोना चाहूँ तो?" ऐसा बोल उसने मुझे पुरे जोश से चूमना शुरू किया। तब अनिल उसके पीछे सरक कर पहुँच गया और मेरे और नीना के बिच में हाथ डालकर नीना की चूँचियों को सहलाने और दबाने लगा।

नीना ने अनिल का हाथ पकड़ा और अनिल को अपनी और खिंचा। अनिल नीना के कूल्हों से अपना लण्ड सटाकर बैठ गया। नीना की गरम चूत का स्पर्श होते ही धीरे धीरे मेरा लण्ड कड़क होने लगा। उसके वीर्य का फौवारा निकलने पर भी अनिल का लण्ड तो ढीला पड़ा ही न था। मैं अनिल की क्षमता देख हैरान रह गया। खैर, उस दिन का माहौल ही कुछ ऐसा था। मेरा लण्ड भी तो एक बार झड़ने के बाद फिर से कड़क हो गया था।

थोड़ी देर तक मेरी नंगी बीबी को चूमने के बाद मैंने उसे पलंग के किनारे सुलाया और उसे अपनी टांगें नीचे लटकाने को कहा। अनिल तो जैसे नीना से चिपका हुआ ही था। जब नीना पलंग के किनारे अपनी टाँगे नीचे लटका के पलंग के ऊपर लेट गयी तो अनिल उसकी छाती पर अपना मुंह रख कर लेट गया। मैं झट से पलंग के नीचे उतरा और अपनी बीबी की टांगो को फैला कर उसकी चूत चाटने लगा। मेरी जीभ जैसे ही नीना की चूत में घुसी की नीना छटपटाने लगी। मुझे पता था की नीना की चूत चाटने से या फिर उसको उंगली से चोदने से वह इतनी कामान्ध हो जाती थी की तब वह बार बार मुझे चोदने के लिए गिड़गिड़ाती थी। आज मैं उसे हम दोनों से चुदवाना चाहता था। इसके लिए हमें उसे इतना उत्तेजित करना था की वह शर्म के सारे बंधन तोड़ कर हम दोनों से चुदवाने के लिए बाध्य हो जाए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#45
मेरी पत्नी की छटपटाहट पर ध्यान ना देते हुए मैंने उसकी चूत मैं एक उंगली डाल कर उसे उंगली से बड़ी फुर्ती और जोर से चोदना शुरू किया। नीना के छटपटाहट देखते ही बनती थी। वह अपना पूरा बदन हिलाकर अपने कूल्हों को बेड पर रगड़ रगड़ कर कामाग्नि से कराह रही थी। उसका उसके बदन पर तब कोई नियंत्रण न रहा था। वह मुझे कहने लगी, "राज डार्लिंग, ऐसा मत करो। मुझे चोदो। अरे भाई तुम मुझे अनिल से भी चुदवाना चाहते हो तो चुदवाओ पर यह मत करो। मैं पागल हो जा रही हूँ।" मैं नीना की बात पर ध्यान दिए बगैर, जोर शोर से उसको उंगली से चोद रहा था। तब नीना ने अनिल का मुंह अपने मुंह पर रखा और उसे जोश चूमने लगी। मैंने उसे अनिल को यह कहते हुए सुन लिया, "अनिल अपने दोस्त से कहा, मुझे चोदे। आओ तुम भी आ जाओ आज मैं तुम दोनों से चुदवाऊंगी। तुम मुझे चोदने के लिए बड़े व्याकुल थे न? आज मैं तुमसे चुदवाऊंगी। पर राज को वहां से हटाओ"

जब मैं फिर भी ना रुका तो एकदम नीना के मुंह से दबी हुयी चीख सी निकल पड़ी, "आह... ह... ह... राज.... अनिल..... " ऐसे बोलते ही नीना एकदम ढेर सी शिथिल हो कर झड़ गयी। मैंने आजतक नीना को इतना जबरदस्त ओर्गास्म करते हुए नहीं पाया था। उसकी चूत में से जैसी एक फव्वारा सा छूटा और मेर हाथ और मुंह को उसके रस से भर दिया। वह नीना का उस रात शायद चौथा ओर्गास्म था। मैं हैरान रह गया। मेरी बीबी आज तक के इतने सालों में ज्यादा से ज्यादा मुश्किल से दो बार झड़ी होगी।

मैं थम गया। मैंने देखा की नीना थोड़ी सी थकी हुई लग रही थी। मैं उसे ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था। मुझे तो उसको हम दोनों से चुदवाने के किये बाध्य करना था, सो काम तो हो गया। नीना ने थोड़ी देर बाद अपनी आँखे खोली और मुझे और अनिल को उसके बदन के पास ऊपर से उसको घूरते हुए देखा। वह मुस्कुरायी।

उसने हम दोनों के हाथ अपने हाथों में लिए और अपनी पोजीशन बदल कर बिस्तर पर खिसक कर सिरहाने पर सर रख कर लेट गयी। उसने मुझे अपनी टांगों की और धक्का दिया। मैं फिर उसकी चूत के पास पहुँच गया। तब नीना ने मुझे खिंच कर मेरा मुंह उसके मुंह से मिलाकर मेर लण्ड को अपने हाथ में लिया और अपनी टांगो को फिर ऊपर करके मेर लण्ड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी। वह मुझसे चुदवाना चाहती थी।

तब मैंने अनिल को अपनी और खींचा और मैं वहाँ से हट गया। अब अनिल नीना की टांगो के बिच था। मेरी बीबी समझ गयी की मैं उसे पहले अनिल से चुदवाना चाहता हूँ। अनिल का मुंह मेरी बीबी के मुंह के पास आ गया। दोनों एक दूसरे की आँखों में झांकने लगे। अनिल झुक कर मेरी बीबी को बड़े जोश से चुम्बन करने लगा। अनिल उस वक्त कामाग्नि से जल रहा था। इतने महीनों से जिसको चोदने के वह सपने देख रहा था और सपने में ही वह अपना वीर्य स्खलन कर जाता था वह नीना अब नंगी उसके नीचे लेटी हुयी थी और उससे चुदने वाली थी।

नीना समझ गयी की अब क़यामत की घडी आ गयी है। अनिल का लटकता लण्ड नीना की चूत पर टकरा रहा था। नीना ने धीरेसे अनिल का मोटा और लंबा लण्ड अपने हाथों में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। अचानक वह थोड़ी थम सी गयी और कुछ सोच में पड़ गयी। अनिल ने अपने होंठ नीना के होंठ से हटाये और पूछा, "क्या बात है? क्या सोच रही हो? क्या अब भी तुम शर्मा रही हो?"

तब नीना अनिल के कानों में फुसफुसाई, "अरे बाबा, तुम्हारा इतना मोटा और लंबा है। मेरा छेद तो छोटा सा है। उसमें कैसे डालोगे? अगर तुमने डाल भी दिया तो मैं तो मर ही जाऊंगी। ज़रा ध्यान रखना। मुझे मार मत डालना। और फिर नीना ने अनिल को अपनी बाहों में इतना सख्त जकड़ा और इतने जोश से उसे चुबन करने लगी और अनिल की जीभ को चूसने लगी की मैं तो देखता ही रह गया।

अनिल ने तब नीना को ढाढस देते हुए कहा, "तुम ज़रा भी चिंता मत करो। मैं ध्यान रखूँगा।“ उस बार मैंने अपनी पत्नी का पर पुरुष गामिनी वाला पहलु पहली बार देखा। तब तक मैं उसे निष्ठावान, पतिव्रता और रूढ़िवादी मानता रहा था। आज उसने मुझे अपने वह पहलु के दर्शन दिए जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। पर हाँ, उसे यहां तक लाने में मेरा पूरा योगदान था।
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#46
अनिल ने ध्यान से अपने मोटे और लम्बे लण्ड को नीना के प्रेम छिद्र के केंद्र में रखा। फिर उसे उसकी चूत के होठों पर प्यार से रगड़ने लगा। मेरी पत्नी की नाली में से तो जैसे रस की धार बह रही थी। अनिल का बड़ा घंटा भी तो रस बहा रहा था। अनिल का डंड़ा तब सारे रस से सराबोर लथपथ था। उसने धीरे से अपने लण्ड को नीना की चूत में थोड़ा घुसाया। नीना ने भी अनिल के लण्ड को थोड़ा अंदर घुसते हुए महसूस किया। उसे कोई भी दर्द महसूस नहीं हुआ। अनिल की आँखे हर वक्त नीना के चेहरे पर टिकी हुयी थीं। कहीं नीना के चहेरे पर थोड़ी सी भी दर्द की शिकन आए तो वह थम जाएगा, यही वह सोच रहा था।

अनिल ने अनिल ने थोड़ा और धक्का दे कर अपना लण्ड नीना की चूत में थोड़ा और घुसेड़ा। अब नीना को अनिल के लण्ड की मोटाई महसूस होने लगी। फिर भी उसको ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। अनिल ने जब अपना लण्ड थोड़ा और जोर से नीना की चूत में धकेला तो नीना के मुंह से आह निकल पड़ी।

नीना की आह सुनकर अनिल थोड़ी देर थाम गया। उसने धीरे से अपना लण्ड थोड़ा निकाला। नीना को थोड़ी सी राहत हुयी। तब उसकी बात सुन कर मैं तो भौचका ही रह गया। उसने अनिल से कहा, "डालो अंदर। दर्द तो हो रहा है पर यह दर्द भी मीठा है।" अनिल का मोटा लण्ड लगभग आधा अंदर जा चूका था। मेरी बीबी की चूत के दोनों होठ पुरे फुले हुए थे और अनिल के लौड़े को बड़ी सख्ती से अपने में जकड़ा हुआ था। अनिल के लण्ड और नीना की चूत के मिलन सतह पर चारों और उनके रस की मलाई फैली हुई थी / ऐसे लग रहा था जैसे एक पिस्टन सिलिंडर से अंदर बाहर होता है तब चारो और आयल फैला हुआ होता है।
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#47
मुझे अनिल के मोटे लौड़े को नीना की छोटी सी चूत में जकड़ा हुआ देख कर आश्चर्य और उत्तेजना दोनों हुए। जैसे एक गुब्बारेको उसकी क्षमता से ज्यादा खिंच कर उंगली पर लपेटने से उसकी चमड़ी कितनी पतली हो जाती है और अगर और ज्यादा खींचा जाए तो फट जाती है, ठीक वैसे ही, मेरी प्यारी बीवी की चूत की चमड़ी एकदम पतली हो गयी हो ऐसे दिखती थी और मुझे डर था की कहीं वह फट न जाय और खून न बहने लगे।

अनिल ने एक और धक्का दिया और मेरे देखते ही देखते उसका तीन चौथाई लण्ड अंदर चला गया। नीना के ललाट से पसीने की बूंदें टपकने लगीं। पर उस बार नीना ने एक भी आह न निकाली। उसे काफी दर्द हो रहा होगा यह मैं उसके चेहरे के भाव अभिव्यक्ति से अनुभव कर रहा था। वैसे भी, नीना जब मुझसे भी चुदाई करवाती थी तब भी हमेशा उसे थोड़ी सी परेशानी जरूर महसूस होती थी। खास कर तब जब वह मूड मैं नहीं होती थी, उसकी चूत सुखी होती थी और वह चुदाई करवाते परेशान हो जाती थी।

अनिल का लौड़ा तो मेरे से काफी मोटा था। परेशानी तो उसे जरूर हुयी होगी। पर उसकी चूत रस से सराबोर थी। उपरसे अनिल का लौड़ा भी तो चिकनाई से लथपथ था। उसे दर्द तो हुआ पर शायद उतना नहीं जितना हो सकता था। पर मैंने देखा की अनिल के मोटे और लंबे लण्ड के धीरे धीरे अंदर बहार होने से अब मेरी बीबी की कामुकता बढ़ रही थी और उसी अनुपात में उसका दर्द उसे मीठा लगने लगा था। धीरे धीरे अंदर बहार करते हुए अनिल ने जब देखा की अब नीना काम क्रीड़ा के मज़े लेने लगी है तो एक थोड़े जोर का धक्का दे कर उस ने अपना पूरा लण्ड नीना की संकड़ी चूत में पेल दिया।

मेरी प्यारी बीवी के मुंह से एक जोरों की चीख निकल गयी। अनिल एकदम रुक गया और जैसे ही अपना लौड़ा निकाल ने लगा था, की नीना बोल पड़ी, "अनिल मत रुको। मुझे यह दर्द बहुत अच्छा लग रहा है। अब तुम मुझे बगैर रुके चोदो। मेरे दर्द की परवाह मत करो। मैं जानती हूँ यह दर्द जल्दी ही गायब हो जायगा और अगर तुम थम गए तो मेरी कामाग्नि की भूख मैं सहन कर नहीं पाऊंगी। अब मैं बिना थमे चुदना चाहती हूँ। "

तब मेरी शर्मीली पत्नी का रम्भा रूप या अभद्र भाषा में कहें तो छिनाल रूप मैंने देखा। अब अनिल से मेरी बीबी बेझिझक चुदना चाहती थी। यह मेरी वही पत्नी थी जो अनिल के नजदीक आने से भी डरती थी।

जैसे जैसे अनिल ने अपनी चोदने की गति बढ़ायी वैसे ही नीना का दर्द उसकी कामाग्नि में जल कर राख होगया अब वह अग्नि नीना के बदन को वासना से जला रही थी। मेरी पत्नी की चुदाई की भूख बढ़ती ही जा रही थी। वह उँह.... उँह....की उंह्कार देती हुयी चुदवाने का मजा ले रही थी। जैसे ही अनिल नीना की चूत में जोर का धक्का देता था वैसे ही नीना के मुंह से अनायास ही उँह की आवाज निकल जाती थी। अचानक नीना ने अनिल को थमने का इशारा किया और मुझे एक तकिया अपने कूल्हे के नीचे रखने को कहा।

मैंने फ़टाफ़ट एक तकिया मेरी बीबी की गाँड़ के नीचे रखा। नीना ने अनिल का मुंह अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसका लण्ड अपनी चूत में रखे रहते हुए अनिल को पुरे जोश से अपनी बाँहों में लिया। उसने अनिल के होठों से अपने होंठ भिड़ा दिए और एक अगाढ़ चुम्बन मैं अनिल और नीना जकड गए। अनिल की जीभ को नीना ने अपने मुंह में लिया और उसे चूसने लगी। उसने फिर अनिल को उसकी की जीभ अपने मुंह में अंदर बाहर करने का इशारा किया। मुझे ऐसे लगा जैसे नीना अपना मुंह भी अनिल की जीभ से चुदवाना चाहती थी। अनिल को तो जैसे सातवाँ आसमान मिल गया। वह अपने लण्ड से नीना की चूत के साथ साथ नीना का मुंह अपनी जिह्वा से चोदने लगा।

नीना अपने कूल्हे को उठा उठा कर अनिल के लण्ड के एक एक धक्के को अपने अंदर पूरी तरह से घुसड़वा रही थी। उसदिन नीना अनिल के लण्ड को अपने बदन की वह गहराईयों तक ले जाना चाहती थी जहां उसका पति भी नहीं पहुँच पाया था। अपनी वासना की धधकती आग में जलते हुए मेरी बीबी ने तब अनिल को मेरे सुनते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा, "अनिल आज पूरी रात तुम मुझे एक रंडी की तरह चोदो। यह मत सोचो की मैं तुम्हारी भाभी हूँ. तुम यह सोचो की मैं तुम्हारी चोरी छुपी से मिलने वाली प्रियतमा हूँ, जिसे तुम सालों से चोदना चाहते थे। आज अचानक मैं तुम्हारे हाथ लग गयी हूँ और तुम मुझे ऐसा चोदो की जैसा तुमने अनीता को कभी नहीं चोदा।“

बस फिर क्या था। अनिल नीना को ऐसे जोर जोर से धक्के पेलने लगा की मुझे डर लग रहा था की कहीं वह मेरी पत्नी की चूत को फाड़ न दे। पर मेरी बीबी भी कोई कम थोड़ी ही थी। वह भी अनिल के नीचे अपने चूतड़ ऐसे उछाल रही थी जैसे उसपर कोई भूत सवार हो गया हो। अनिल का मोटा लण्ड तब उसे अद्भुत मीठा आनंद दे रहा था। जैसे अनिल नीना की चूत में एक जोर का धक्का देता, वैसे ही अनिल के अण्डकोश मेरी बीबी की गांड पर फटकार मार रहे थे। उन दोनों के चोदने से फच्च फच्च और फट्ट्ट फट्ट की आवाज उस बैडरूम में चारों और गूंज रही थी। साथ ही साथ मैं मेरी बीबी जोर जोर से हर एक गहरे धक्के के साथ ऊँह ऊँह कराहती हुयी मेरे दोस्त के धक्के के मुकाबले में बराबर खरी उतर रही थी। नीना अनिल को सामने से धक्का दे रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे दोनों के बिच चोदने की प्रतिस्पर्धा लगी थी। आज की मेरी बीबी की उत्तेजना वैसी थी जैसी हमारी शादी के बाद जब उसकी शुरुआत की शर्म मिट चुकी थी तब चुदवाने के समय होती थी।

मैं मेरी बीबी की मेरे प्यारे दोस्त से चुदाई देखने में इतना मशगूल हो गया था, की जब नीना ने मेरा हाथ पकड़ा और दबाया तब मैं अपनीं तरंगों की दुनिया से बाहर आया और मैंने नीना को अपनी चरम पर देखा। वह उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी और कामातुरता की उन्नततम अवस्था में अपने रस भण्डार के दरवाजे खोल ने वाली थी। अर्थात तब वह झड़ ने की स्थिति में पहुँच गयी थी। उसने एक लम्बी कामुक आवाज में आहह ह ह ह भरी और झड़ गयी। मैं उस की चूत में से निकलते रस को अनिल के लण्ड और मेरी पत्नी की चूत के बिच में से चूते हुए देख रहा था।

नीना को झड़ते देख अनिल कुछ देर तक रुक गया। उसका लण्ड तब भी पुरे तनाव में था। बल्कि नीना को झड़ते देख अनिल की उत्तेजना और बढ़गई होगी। पर फिर भी उसने धीरेसे अपना लण्ड मेरी बीबी की चूत से निकाला। मैं आश्चर्य से उसके पथ्थर जैसे कड़क लण्ड को ऊर्ध्वगामी (ऊपर की तरफ सर उठाते हुए) दिशा में खड़ा देखता ही रहा। नीना ने अनिल के नीचे से अनिल को पूछा "डार्लिंग, तुम रुक क्योँ गए? मैं अभी बिलकुल नहीं थकी हूँ। मेरे झड़ने से मेरी चुदवाने की तड़प कम नहीं हुयी, उलटी बढ़ गयी है। प्लीज अब रुको नहीं मुझे चोदते रहो जब तक तुम में दम है।"

अनिल ने मेरी और देखा और मुझे नीना पर चढ़ने के लिए आवाहन दिया। मेरा दोस्त मुझे मेरी पत्नी को चोदने का आमंत्रण दे रहा था। आप लोग सोचिये, ऐसे होते हुए देख कर कोई भी पति को कैसा लगता होगा। पर मुझे अच्च्छा लगा। इस हालात में शायद ही कोई चुदक्कड़ नीना के उपरसे नीचे उतरेगा। नीना मेरी और देखा। वह समझ गयी की अनिल तब खुद झड़ना नहीं चाहता था। नीना मेरी एयर मुड़ी और मुझे खिंच अपने उपर चढ़ने को इशारा करते हुए बोली, "तुम इतने महीनों से अनिल के साथ मिलकर मुझे चोदने का प्लान कर रहे थे। आज मैंने भी तय कर लिया था की मैं आज तुम्हारी वह इच्छा भी पूरी कर दूंगी। अनिल को मुझे चोदते हुए तो तुमने देख ही लिया है। अब अनिल के सामने तुम मुझे चोदो। अब अनिल को भी हमारी चुदाई देखने का मजा लेने दो।"

मैं तो इंतेजार ही कर रहा था की कब मेरा नंबर लगे। मैं अनिल को मेरी बीबी की चुदाई करते देख अपने लोहेकी छड़ के सरीखे तने हुए लण्ड को सहला कर अपनी कामुकता को शांत करने की कोशिश कर रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#48
जैसे ही अनिल नीना के ऊपर से हट कर नीना के बाजू में आया, मैंने मेरी बीबी की खूबसूरत टाँगों के बीचमें अपनी पोजीशन ले ली। नीना ने फिर अपनी दोनों टांगें घुटनों को टेढ़ा कर मेरे सर के दोनों और मेरे कन्धों पर रख दी। अपने लण्ड को अपने ही हाथ से सहलाते हुए मैंने प्यार से मेरी बीबी की चूत के छिद्र के साथ रगड़ा। नीना ने उसके कई सालों के चुदाई साथीदार को अपने हाथों में लिया और धीरेसे अपनी चूत के छिद्र पर केंन्द्रित करते हुए अपने हाथसे मेरे लण्ड को अपनी चूत में घुसेड़ा। मेरे एक धक्का देते ही मेरा लण्ड मेरी बीबी की चूत में घुस गया। अनिल के मोटे और लंबे लण्ड से इतनी देर चुदने के बाद मेरे लण्ड को अंदर घुसाने में नीना को कोई परेशानी नहीं हुई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#49
अनिल को मेरी बीबी को चोदते हुए देख मेरी महीनों की या यूँ कहें की सालों की छुपी इच्छा उसदिन फलीभूत हुयी थी। इस वजह से मैं कामुकता के वह स्टेज पर पहुँच गया था की अब मेरी बीबी को चोदने में अनोखा नशा मिल रहा था।

मेरी बीबी को अनिल से चुदवाने के बाद जब मैं मेरी बीबी पर चढ़ा तो वह तो मुझपर इतनी मेहरबान हो गयी की मैं हैरान रह गया। उसने मेरा सर अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसे अपने सर के साथ लगाया। मेरे होठ अपने होठ पर चिपका कर वह मुझे जोरों से चुम्बन करने लगी। जैसे उसने अनिल से अपना मुंह चुदवाया था, वैसे ही वह मुझसे भी अपना मुंह चुदवाना चाहती थी।

मैं मेरी बीबी का मुंह चोदने में जब मस्त था, तब उसने मुझे थोड़े से ऊँचे आवाज में कहा जिसे अनिल भी सुन सके। उसने कहा, "मैं वास्तव में दुनिया की सबसे भाग्यशाली बीबी हूँ के मुझे आप जैसे पति मिले। मैं जान गयी थी की आप मुझे अनिल के साथ मिलकर चोदना चाहते हो। खैर यह तो आपने ही मुझे बताया था। तब मैं आपका विरोध करती रही। एक कारण तो यह था की मुझे भरोसा न था, की आप वास्तव में अगर अनिल ने मुझे चोदा तो तउसको देख पाओगे और उसको सह पाओगे। पर अब मैं देख रही हूँ की आप भी मेरे साथ बहुत एंजॉय कर रहे हो। आप को अनिल से कोई ईर्ष्या नहीं है। और आप मुझसे अब भी उतना ही प्यार कर रहे हो। ऐसा पति कोई कोई पत्नी को भाग्य से ही मिलता है।“
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#50
8………..1/4
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#51
(21-03-2024, 04:12 PM)neerathemall Wrote: 8………..1/4

Acchi khasi story ki band Baja kar rakh di bhai apne . Itna late reply karke. 
New update kab tak ayega koi ummed hai ?
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#52
इन्तजार पे दुनिया कायम है ।तथापि इस तरह की आशंका है ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#53
(25-04-2024, 10:56 PM)neerathemall Wrote: इन्तजार  पे दुनिया कायम है ।तथापि इस तरह की आशंका है ।

Chaliye fir is tread ko unfollow kr dete hai
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#54
........5
hmmmm..Thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#55
Ab aage
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#56
जैसे की पहले आप ने मुझसे कहा था, चलो हम तीनों साथ मिल कर इस होली के त्यौहार का आनंद उठाएं। मैं आज आप दोनों से खूब चुदना चाहती हूँ। आज तुम दोनों मिलकर मुझे ऐसे चोदो की मैं ये कभी न भूल पाऊँ। मैं भी आप दोनों से इतना चुदवाऊँगी और इतना आनंद देना चाहती हूँ की आप उसे जिंदगी भर याद रखें और यह रात हमारी जिंदगी की सबसे यादगार रात बने।"

बस और क्या था। मैं उस वक्त यह भूल गया की मैं नीना का पति था और वह मेरी पत्नी थी। मेरे जहन में तो बस यही था की मैं अपनी प्रेमिका को, किसी और की पत्नी को चोरी छुपी से चोद रहा हूँ। मैं उस समय ऐसा उत्तेजित था, जैसे शादी तय होने के बाद शादी से सात दिन पहले मैंने नीना को बड़ी मुश्किल से पटा कर पहली बार चोदा था। मैं नर्वस था पर बहोत जोश में था। मैं जोश में चोदने लगा। नीना भी मुझे उछाल उछाल कर सामने से धक्के मार कर मेरा पूरा साथ दे रही थी।

अनिल का मुंह मेरी पत्नी की चूँचियों पर जैसे चिपका हुआ था। वह नीना के मम्मों को मुंहसे निकाल ही नहीं रहा था। उसकी जीभ नीना की निप्पलों को चूस रही थी। कभी कभी वह उन निप्पलों को अपने होठों के बिच जोरसे दबा कर चूसता हुआ खींचता था। नीना के हाथमें अनिल का तना हुआ लण्ड था, जिसे वह बड़े प्यार से सहला और हिला रही थी। कभी कभी वह अनिल के बड़े गोटों (अंडकोषों) को इतनी नजाकत और प्यार से सहला रही थी और दुलार कर रही थी तो कभी वह अनिल के लण्ड को थोड़ी सख्ती से दबा देती थी। अनिल की बंद आँखें भी अनिल के मन की उनमत्तता को प्रदर्शित कर रही थी। बिच बिच में वह अपनी आँखे खोल कर मुझे नीना को चोदते हुए देख लेता था और उसके मुंह पर मुस्कान छा जाती थी।

मैं उस रात दुबारा झड़ने की तैयारी में था। मैं अपनी उन्मत्तता के चरम शिखर पर पहुंचा हुआ था। अपनी उत्तेजना को नियंत्रण में न रख पाने के कारण मैंने हलके हलके गुर्राना शुरू किया। मेरी बीबी को यह इशारा थी की मैं तब मेरा फव्वारा छोड़ ने वाला था। पर नीना थी की धीरे पड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। तब ऐसे लग रहा था जैसे मैं उसे नहीं, वह मुझे चोद रही थी। उसकी गति तो पहले से और तेज हो गयी। उसने अपनी चूत के बिच मेरा लण्ड सख्ती से जकड़ा था और वह अपनी पीठ को उछाल उछाल कर निचे से ही मुझे चोद रही थी। मैंने बड़े जोर से हुंकार करते हुए एकदम अपना फव्वारा छोड़ा और मेरी बीवी की चूत को मेरे वीर्य से भर दिया।

तब मेरे लण्ड पर मेरी बीवी की चूत की पकड़ कुछ ढीली पड़ी। मेरा माल पूरा निकल जाने पर मेरा लण्ड भी ढीला पड़ गया, जिसे मैंने धीरे से चूत में से निकालना चाहा। तब मैंने देखा की मेरी बीबी पर तो जैसे भूत सवार था। वह मेरा लण्ड छोड़ने को तैयार ही नहीं थी। मैंने जैसे तैसे मेरा लण्ड निकाला, और मैं नीना पर पूरा लेट गया। मैंने अपने होंठ नीना के होंठ से मिलाये और मैं अपनी पत्नी के होठों को चूमने लगा। तब मेरी बीबी ने मुझे मेरे कान में धीरेसे कहा , "जानूँ, मैं अब भी बहुत चुदाई करवाना चाहती हूँ। मुझे चोदो।“

जब नीना ने देखा की मैं थोड़ा थका हुआ था और मेरे लण्ड को खड़ा होने में समय लगेगा, तब नीना ने अनिल को अपनी और खींचा। जब अनिल ने नीना के स्तनों से अपना मुंह हटाया तब मैंने देखा की मेरी बीबी के गोरे गोरे मम्मे लाल हो चुके थे। अनिल के दाँतों के निशान भी कहीं कहीं दिखते थे। नीना की निप्पालें कड़क तनी हुयी थी। जैसे ही मैंने नीना के इर्दगिर्द से मेरी टाँगें हटायीं और उसके दोनों पॉंव मेरे कंधे से उतारे, तो मेरी बीबी ने मेरे मित्र को अपने ऊपर चढ़ने का आह्वान दिया। अनिल का लण्ड तो जैसे इस का बेसब्री से इन्तेजार कर रहा था की कब मैं उतरूँ और कब वह अपनी पोजीशन दोबारा सम्हाले।

अनिल का घोडे के लण्ड के सामान लंबा और मोटा लण्ड तब मेरी बीबी की चूत पर रगड़ने लगा। तब भी वह अपने पूर्व रस झरने से गिला और स्निग्ध था। मेरी पत्नी की चूत भी मेरी मलाई से भरी हुई थी। शायद अनिल के मनमें यह बात आयी होगी की उसे अब वह आनंद नहीं मिलेगा जो पहली बार नीना को चोदने में मिला था, क्योंकि नीना की चूत मेरी मलाई से भरी हुयी थी। पर उसकी यह शंका उसके नीना की चूत में अपने लण्ड का एक धक्का देने से ही दूर हो गयी होगी, क्योंकि जैसे ही अनिल ने अपना लण्ड मेरी बीबी की चूत में धकेला की मेरा सारा वीर्य नीना की चूत से उफान मरता हुआ बाहर निकल पड़ा। नीना के मुंह से तब एक हलकी सी सिसकारी निकल पड़ी। वह आनंद की सिसकारी थी या दर्द की यह कहना मुश्किल था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#57
धीरे धीरे अनिल ने मेरी पत्नी को बड़े प्यार से दोबारा चोदना शुरू किया। नीना को तो जैसे कोई चैन ही नहीं था। अनिल के शुरू होते ही नीना ने अपने चूतड़ों को उछालना शुरू किया। वह अनिल की चुदाई का पूरा आनंद लेना चाहती थी। अनिल की चोदने रफ़्तार जैसे बढती गयी वैसे ही नीना की अपने कूल्हों को उछाल ने की रफ़्तार भी बढ़ गयी। अनिल के हाथ तब भी मेरी बीबी के मम्मों को छोड़ने का नाम नहीं ले रहे थे। नीना ने अनिल का सर अपने हाथों में लिया और चुदाई करवाते हुए नीना ने अनिल को अपने स्तनों को चूसने को इशारा किया। मुझे ऐसा लगा की अनिल के नीना के मम्मों को चूसना नीना को ज्यादा ही उत्तेजित कर रहा था।

उनकी चुदाई देख कर मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा था। मैं तब समझा की अनिल और नीना कई हफ़्तों या महीनों से एकदुसरेको चोदने और चुदवाने के सपने देख रहे होंगे। ऐसा लग रहा था की दोनों में से कोई भी दूसरे को छोड़ने को राजी नहीं था। मुझे इन दोनों की चुदाई से इतनी उत्तेजना हो रही थी की मुझसे रहा नहीं गया और मैंने नीना की चूत पर हाथ रखा और मेरे अंगूठे और तर्जनी (अंगूठे के पास वाली उंगली) से अनिल के पिस्टन जैसे लण्ड को दबाया। अनिल अपने लण्ड को नीना की चूत के अंदर घुसेड़ रहा था और निकाल रहा था। उसकी फुर्ती काफी तेज थी। जब मैंने अंगूठे और तर्जनी से उसके लण्ड को मुठ में दबाने की कोशिश की तो शायद अनिल को दो दो चूतो को चोदने जैसा अनुभव हुआ होगा। नीना ने भी मेरा हाथ पकड़ा और वह मेरी इस चेष्टा से वह बड़ी खुश नजर आ रही थी।

तब अचानक अनिल थम गया। नीना अनिल को देखने लगी की क्या बात है। अनिल ने नीना की चूत में से अपना लण्ड निकाल दिया और मेरी बीबी की कमर को पकड़ कर उसे पलंग से नीचे उतरने का इशारा किया। नीना पहले तो समझ न पायी की क्या बात है। पर जब अनिल ने उसे पलंग से सहारा लेकर झुक कर खड़ा होने को कहा वह समझ गयी की अनिल उसे डोगी स्टाइल में (जैसे कुत्ता कुतीया को चोदता है) उसे चोदना चाहता है। नीना उस ख़याल से थोड़ा डर गयी होगी की कहीं अनिल उसकी गांड में अपना लण्ड घुसेड़ न दे, क्योंकि उसने मेरी और भयभरी आँखों से देखा। उसके डर का कारण मैं समझ गया था। मैंने उसे शांत रहने को और धीरज रखने का इशारा किया।

शायद मेरा इशारा समझ कर वह चुपचाप पलंग पर अपने हाथ टीका कर आगे की और झुक कर फर्श पर खड़ी हो गयी। अनिल मेरी बीबी की खूबसूरत गांड को अपने हाथों में मसलने लगा। आगे की और झुकी हुई और अपनी गांड और चूत अनिल को समर्पण करती हुई मेरी पत्नी कमाल लग रही थी। ऐसे लग रहा था की कोई कुतिया अपने प्यारे कुत्तेसे चुदवाने के लिए उतावली हो रही थी। नीना पूरी गर्मी में थी। उस पर अनिल से चुदवाने का जनून सवार था। उस समय यदि अनिल मेरी बीबी की गांड में अपना लण्ड पेल भी देता तो वह दर्द से कराहती और शोर भी जरूर मचाती पर शायद अनिल को छोड़ती नहीं और उस से अपनी गांड भी मरवा लेती।

अनिल नीना के पीछे आ गया और उसने थोड़ा झूक कर अपना लण्ड नीना की गांड पर और फिर उसकी चूत पर रगड़ा। फिर अनिल ने और झूक कर नीना के मम्मों को दोनों हाथों में पकड़ा और उन्हें दबाने, मसलने और खींचने लगा। उसने अपने दोनों अंगूठे नीना के स्तनों पर दबा रखे थे। फिर उसने अपना लण्ड बड़े प्यार से मेरी बीबी की गरमा गरम चूत में धीरेसे डाला। अनिल का स्निग्ध चिकनाहट भरा लण्ड मेरी बीबी की चूत में घुस तो गया, पर जैसे ही अनिल ने एक धक्का देकर उसे थोड़ा और अंदर धकेला तो नीना दर्द से चीख उठी। उसने अनिल को पीछे हटाने की कोशिश की। अनिल ने अपना अंदर घुसा हुआ लण्ड थोडा सा वापस खिंच लिया। मेरी सुन्दर पत्नी ने एक चैन की साँस ली। पर अनिल ने फिर एक धक्का मारा और अपना लण्ड फिर अंदर घुसेड़ा। नीना के मुंह से फिर चीख निकल गयी। फिर अनिल ने थोड़ा वापस लिया और फिर एक धक्का मार कर और अंदर घुसेड़ा।

तब मैंने देखा की मेरी पत्नी अपनी आँखे जोर से बंद करके, अपने होठ भींच कर चुप रही। उसने कोई चीख नहीं निकाली, हालांकि उसे दर्द महसूस हो रहा होगा। नीना के कपोल पर पसीने की बूंदें झलक रही थी। आज तक मेरा लण्ड कभी भी मेरी पत्नी की चूत की उस गहरायी तक नहीं पहुँच पाया था, जहाँ तक अनिल का लण्ड उस रात पहुँच गया था।

अनिल और मेरी सुन्दर एक रात की छिनाल पत्नी अब एक दूसरे से आनंद पानेकी कोशिश कर रहे थे। धीरे धीरे नीना का दर्द कम होने लगा होगा। क्योंकि अब वह दर्द भरे भाव उसके चेहरे पर नजर नहीं आ रहे थे। उसकी जगह वह अब अनिल के धक्कों के मजे ले रही थी। अनिल ने धीरे से अपनी चोदने की रफ़्तार बढ़ाई। साथ ही साथ वह मेरी बीबी के मम्मों को भी अपनी हथेली और अंगूठों में भींच रहा था। नीना मेरे मित्र के इस दोहरे आक्रमण से पागल सी हो रही थी। तब मेरी बीबी को शायद थोड़ा दर्द, थोड़ा मजा महसूस हो रहा होगा। अनिल की बढ़ी हुयी रफ़्तार को मेरी बीबी एन्जॉय करने लगी थी।

अनिल के अंडकोष मेरी पत्नी की गांड पर फटकार मार रहे थे। उनके चोदने की फच्च फच्च आवाज कमरे में चारो और गूंज रही थी। नीना ने तब कामातुरता भरी धीमी कराहट मारना शुरू किया। वह अनिल के चोदने की प्रक्रिया का पूरा आनंद लेना चाहती थी। शायद कहीं न कहीं उसके मन में यह डर था की क्या पता, कहीं उसे अनिल से दुबारा चुदवा ने का मौका न मिले।

नीना ने उंह्कार मारना शुरू किया तो अनिल को और भी जोश चढ़ा। अब वह मेरी बीबी की चूत में इतनी फुर्ती से अपना मोटा और लंबा लण्ड पेल रहा था की नीना अपना आपा खो रही थी। उधर जैसे ही अपना लण्ड एक के बाद एक तगड़े धक्के देकर अनिल मेरी बीबी की चूत में पेलता था, तब अनायास ही के उसके मुंह से भी "ओह... हूँ.... " की आवाजें निकलती जा रही थी। मेरी पत्नी और मेरा मित्र दोनों वासना के पाशमें एक दूसरे के संग में सारी दुनिया को भूल कर काम आनन्दातिरेक का अनुभव कर रहे थे। पुरे कमरे में जैसे चोदने की आवाजें और हम तीनों के रस और वीर्य की कामुकता भरी खुशबु फैली हुई थी।

नीना की उंह्कार तेज होने लगी। अब वह दर्द के मारे नहीं पर उत्तेजना और कामाग्नि के मारे हर एक धक्के पर कराह रही थी। जैसे जैसे वह अपने चरम शिखर पर पहुँच रही थी वैसे वैसे नीना ने जोर से कराहना शुरू किया और फिर अनिल को और जोरसे चोदने के लिए कहने लगी। 'अनिल, मुझे और चोदो। और जोरसे। मेरी चूत का आज भोसड़ा बना डालो। रुकना मत। मैं अब झड़ने वाली हूँ। चोदो मुझे। हाय..... आह.... बापरे..... ऑफ़..... " ऐसे कराहते हुए मेरी बीबी उस रात पता नहीं शायद चौथी या पांचवी बार झड़ी।

नीना के झड़ने से अनिल जैसे ही थम रहा था वैसे ही मेरी बीबी ने उसे लताड़ दिया। "अरे तुम रुक क्यों गए? मैं झड़ी हूँ पर अभी भी खड़ी हूँ। खैर, पीछे हटो। चलो अब मैं तुम्हें चोद्ती हूँ।" ऐसा कह कर मेरी बीबी ने अनिल का हाथ पकड़ कर उसे पलंग पर लेटाया। खुद वह अनिल के ऊपर चढ़ गयी और उसकी दोनों टाँगों को फैला कर अपनी दोनों टांगों को अनिल की फैली हुयी टांगो के बिच रख कर अपनी टांगों को टेढा कर अपने घुटनों पर बैठ गयी। धीरे से नीना ने अनिल का तना और मोटा लण्ड अपनी चूत के अंदर डाला और उसे अपने शरीर को नीचे की और दबा कर अंदर घुसेड़ा।

धीरे धीरे जैसे नीना अपने चूतड़ों को ऊपर निचे उठाने लगी, वैसे ही अनिल भी निचे से अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर नीना की चूत में अपने लण्ड को घुसेड़ रहा था। पर नीना को कोई दर्द नहीं बल्कि उसके चेहरे पर एक अद्भुत आनंद की लहर दौड़ रही थी। वह उस रात हमारी सेक्स की स्वामिनी बनी हुई थी। अनिल और मैं हम दोनों जैसे नीना के सेक्स गुलाम थे, और वह हमारी मलिका।

मैं हैरान इस बात पर था की कोई भी आसन में या पोजीशन में अनिल नीना के मम्मों को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था। उसने मेरी बीबी के स्तनों पर जैसे अपना एक मात्र अधिकार जमा रखा था। मैं अनिल का नीना के मम्मों के प्रति पागलपन को समझ सकता था। जब एक इंसान इतने महीनों से जिस के सपने देखता हो। जो इतने महीनो से जिसको पाने के लिए जीता हो और वह उसे मिल जाए तो भला उसे आसानी से कैसे छोड़ेगा?

मेरी पत्नी पर तो जैसे चुदने का बुखार चढ़ा था। वह उछल उछल कर अनिल को चोद रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी रात अनिल को नहीं छोड़ेगी। उनकी रफ़्तार इतनी तेज हो गयी थी की मैं डर रहा था की कहीं उसके शरीर पर उसका विपरीत असर न हो जाय। जैसे नीना उछलती तो उसके मम्मे भी उछलते थे। और साथ में अनिल के हाथ जिसमें अनिल ने उन मम्मों को दबा के पकड़ रखा था। सारा दृश्य देखने लायक था। मैंने पहेली बार मेरी पत्नी को इतने जोश में चोदते देखा था।

जब नीना मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोद्ती थी, तब उसे भी और मुझे भी चुदाई में अनोखा आनंद मिलता था। नीना भी बहुत उत्तेजित हो जाती थी, और मैं भी। हम दोनों जल्दी ही झड़ जाते थे। नीना इन दिनों थक जाने का बहाना करके मेरे ऊपर चढ़ कर चोदने से बचना चाहती थी। पर उस रात की बात कुछ और ही थी। पता नहीं शराब का असर था या शबाब का। उस रात मेरी पत्नी के चेहरे पर थकान का नामो निशान नहीं था।

वह जैसे ही एक धक्का मार कर अनिल के लण्ड को अपनी चूत की गहराईयों में घुसेड़ ती तो उसके साथ एक कामुकता भरी आवाज में "ऊम्फ...." की आवाज निकालती। जैसे महिला खिलाडी टेनिस के मैच में जब गेंद को रैकेट से मारकर कराहते हैं, बिलकुल वैसे ही। मेरी प्यारी और सेक्सी बीबी नीना बहुत जल्द झड़ने वाली थी। उसके चेहरे का उन्माद बढ़ने लगा था। उसका पूरा ध्यान उसकी जननेन्द्रिय पर हो रहे सम्भोग के आनंदातिरेक पर था। वह अनिल को शारीरिक सम्भोग का पूरा आनंद देना चाहती थी और अनिल से पूरा शारीरिक सम्भोग का आनंद लेना चाहती थी।

हाँ मैं यह जानता था की अब वह तुरंत अपना फव्वारा खोलने वाली थी। उसके कपोल पर तनी लकीरों से और चेहरे के भाव से यह स्पष्ट था की वह अब अपनी सीमा पर पहुँच ने वाली है। नीना ने अनिल के निप्पलों को अपनी उँगलियों में जोर से भींचा और कामुकता भरी दबी आवाज में बोल पड़ी, "हाय...... अनिल.... राज.... ऑफ़..... ओह... मैं अब अपना रस छोड़ने वाली हूँ।" ऐसे कहते हुए नीना ने अपनी रफ़्तार बढ़ाई।

मैंने महसूस किया की अनिल भी तब अपनी कामुकता की चोटी पर पहुँच रहा था। वह मेरी बीबी के मम्मों को कस कर अपनी हथेलियों में भींचते हुए बोल पड़ा, "नीना, मैं भी छोड़ने वाला हूँ। क्या मैं इसे बाहर निकाल लूँ?"

नीना ने उसकी छाती पर एक सख्त चूँटी भरते हुए कहा, "नहीं अनिल, आज मैं सुरक्षित हूँ। तुम अपना सारा वीर्य मेरी चूत में भर दो। मैं आज तुम दोनों के वीर्य को अपनी चूत में सारी रात भर के रखना चाहती हूँ। तुम खुल कर मेरी चूत भर दो।"

अचानक मैंने देखा की अनिल और मेरी बीबी एक दूसरे से चिपक गए। दोनों ने एक दूसरे को अपनी आहोश में इतना कस कर भींच लिया जैसे वह एक ही हो जाना चाहते हों। उनके मुंह एक दूसरे ऐसे चिपके थे की उन दोनों के मुंह में क्या हो रहा था वह सोचा ही जा सकता था। अनिल शायद उस समय मेरी पत्नी को न मात्र अपने लण्ड से बल्कि वह नीना को अपनी जीभ से भी चोद रहा था। जैसे ही दोनों ने एक साथ अपना रस छोड़ा तो दोनों की कामुक कराहट से सारा कमरा गूंज उठा। मैंने इस से पहले ऐसा दृश्य ब्लू फिल्मों में भी नहीं देखा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#58
नीना ने उसकी छाती पर एक सख्त चूँटी भरते हुए कहा, "नहीं अनिल, आज मैं सुरक्षित हूँ। तुम अपना सारा वीर्य मेरी चूत में भर दो। मैं आज तुम दोनों के वीर्य को अपनी चूत में सारी रात भर के रखना चाहती हूँ। तुम खुल कर मेरी चूत भर दो।"

अचानक मैंने देखा की अनिल और मेरी बीबी एक दूसरे से चिपक गए। दोनों ने एक दूसरे को अपनी आहोश में इतना कस कर भींच लिया जैसे वह एक ही हो जाना चाहते हों। उनके मुंह एक दूसरे ऐसे चिपके थे की उन दोनों के मुंह में क्या हो रहा था वह सोचा ही जा सकता था। अनिल शायद उस समय मेरी पत्नी को न मात्र अपने लण्ड से बल्कि वह नीना को अपनी जीभ से भी चोद रहा था। जैसे ही दोनों ने एक साथ अपना रस छोड़ा तो दोनों की कामुक कराहट से सारा कमरा गूंज उठा। मैंने इस से पहले ऐसा दृश्य ब्लू फिल्मों में भी नहीं देखा था।

मैंने अनिल के स्निग्ध लण्ड, जो तब भी मेरी बीबी की चूत में था और अपना घना और घाड़ा वीर्य नीना की चूत में उँडेल रहा था; अपनी मुठी मैं लेकर दबाया और मेरी एक उंगली मेरी बीबी की चूत में डाली। मेरी उंगली अनिल के वीर्य से लथपथ थी। तब नीना ने मुझे भी अनिल के साथ साथ अपनी बाँहों में जकड लिया।

अब नीना शर्म का पर्दा पूरी तरह से फाड् चुकी थी। उसने अनिल का और मेरा हाथ अपने हाथों में लिया और बोली, "तुम दोनों बहुत चालु हो। तुम दोनों ने मिलकर यह मुझे चोदने का प्लान बनाया। हाय मां मैं भी कितनी गधी निकली की मुझे यह समझ में नहीं आया। डार्लिंग, आज मैं प्रेममय सेक्स (लोविंग सेक्स) का सच्चा मतलब समझ रही हूँ। तुम दोनों ने आज मुझे वह दिया जो शायद मैं कभी पा ने की उम्मीद भी कर नहीं सकती थी। राज आप न सिर्फ मेरे प्राणनाथ पति हो। आप एक सच्चे मित्र और जीवन साथी हो। मैं आज यह मानती हूँ की मेरे जहन में कहीं न कहींअनिल से चुदने की कामना थी। पर शर्म और मर्यादा के आगे मैंने अपनी यह कामना दबा रखी थी। शायद राज यह भांप गया था। अनिल तो मेरे पीछे पहले से ही पड़ा था। यह तो बिलकुल साफ़ था की वह मुझे चोदना चाहता था।

मैं मेरी बीबी की बात सुन कर हैरान था। मेरी शर्मीली बीबी आज खुल कर बोल रही थी। मैं नीना को बड़े ध्यान से सुन रहा था। वह बोली, “पर डार्लिंग, यह मत समझना की मैं आज आखरी बार अनिल से सेक्स कर रही हूँ। तुम्हारा दोस्त सेक्स करने में उस्ताद है। वह भली भाँती जानता है की अपनी प्रियतमा को कैसे वह उन ऊंचाइयों पर ले जाए जहां वह पहले कभी नहीं गयी। मैं उससे बार बार चुदना चाहती हूँ। इसके लिए मैं तुम्हारी सहमति चाहती हूँ। जब तुम मुझे अनिल से चुदवानेका प्लान बना रहे थे तब मैंने तुम्हें इसके बारे में आगाह किया था। और हाँ, मैं यह भी जानती हूँ की तुम अनीता को चोदना चाहते हो। शायद इसिलए तुम दोनों ने मिलकर यह धूर्त प्लान बनाया। तुम ने सोचा होगा की नीना को पहले फांसेंगे तो अनिता बेचारी को तो हम तीनों मिलकर फांस ही लेंगे। यदि तुमने यह सोचा था तो सही सोचा था। अब मैं तुम्हारे साथ हूँ। जब मैं तुम दोनों से चुद गयी तो अनीता कैसे बचेगी? आज मैं भी तुम्हारी धूर्त मंडली में शामिल हो गयी।"

नीना ने तब मुझे और अनिल को अपने बाहु पाश में ले लिया। उस रात और उस के बाद कई रातों में हम दोनों ने मिलकर एकदूसरे की बीबी को खूब चोदा और चोदते रहे। हमारी बीबियाँ भी हम से जोश से चुदवाती रहीं। उसके बाद हम चारों, चार बदन जरूर थे, पर हम सेक्स से एक ही बंधन में बंधे थे।

मैं मेरे इस अनुभव को छोटी सी सीमा में बाँधना नहीं चाहता। था पर शायद यह कहानी कुछ ज्यादा ही लंबी हो गयी है। मैं उम्मीद रखता हूँ की आप भी इसे पढ़कर उतना ही आनंद पाएंगे जितना मुझे लिखने में लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#59
The End
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#60
Thanks for your valuable time and reading
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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