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Adultery कैसे करें अपनी बीबी को तैयार. मैंमेरे मित्र अनिल ने मिल कर मेरी बीबी को उकसाया
#1
Smile 
मैंने ,और मेरे मित्र अनिल ने मिल कर मेरी बीबी को उकसाया.













मैं हूँ राज रत्न कॉल। एक बार मेरे ऑफिस में सारे स्टाफ का मिलन समारोह हुआ। वहां स्टाफ पति पत्नी के साथ में आमंत्रित थे। मेरी पत्नी नीना की जवानी और खिली हुयी लगती थी। वह उस समय कोई २८ साल की होगी। हमारी लव मैरिज हुई थी। नीना अत्यन्त सुन्दर थी। वह कमर से तो पतली थी पर उसके उरोज (मम्मे) पूरे भरे भरे और तने हुए थे। उसका बदन लचीला और उसकी कमर से उसके उरोज का घुमाव और उसके नितम्ब का घुमाव को देख कर पुरुषों के मुंह में बरबस पानी आ जाना स्वाभाविक था। उसे पुरुषों से बात करने में कोई झिझक नहीं होती थी।
नीना के कॉलेज में हजारों लड़को में कुछ ही लड़कियां थी। उनमे से एक नीना थी। परन्तु वह मन की इतनी मज़बूत थी की कोई लड़का उसे छेड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। कई बार शरारती लड़कों को चप्पल से पीटने के कारण वह कॉलेज में बड़ी प्रख्यात थी। कॉलेज के लड़कों के मन में नीना को पाने की ख्वाहिश तो थी। पर न पा सकने के कारण उसकी पीठ पीछे कई लड़के नीना के बारेमें ऐसी वैसी अफवाएं जरूर फैलाया करते थे। खास तौर से मैंने कॉलेज के कुछ लडकोंको यह कहते सुना था की नीना का उसके साथ या किसी और के साथ अफेयर था। वह कॉलेज में लडकोसे बिंदास मिलती थी पर किसकी क्या मजाल जो उससे भद्दा मजाक करने की हिम्मत करे।
मिलन समारोह में मैंने देखा की सारे पुरुष वर्ग मेरी पत्नी नीना को छिप छिप कर घूर रहे थे। उन बेचारों का क्या दोष? मेरी पत्नी नीना थी ही ऐसी। उसके स्तन एकदम भरे हुए पके बड़े आम की तरह अपने ब्लाउज में बड़ी मुश्किल से समा पाते थे। मेरी बीबी के स्तनों का नाप ३४ से कम नहीं था। मैं अपनी हथेली में एक स्तन को मुश्किल से ले पाता था। उसकी पतली कमर एवं नोकीले सुन्दर नितम्ब ऐसे थे के उसे देख कर ही अच्छे अच्छों का पानी निकल जाए। वह हमेशां पुरुषों की लालची और स्त्रियों की ईर्ष्या भरी नज़रों का शिकार रहती थी।
हमारी शादी को सात साल हो चुके थे और कहते है की सात साल के बाद एक तरह की खुजली होती है जिसे कहते है सातवें साल की खुजली (seven year itch)। तब अजीब ख्याल आते है और सेक्स में कुछ नयापन लाने की प्रबल इच्छा होती है।
शादी के कुछ सालों तक तो हमारी सेक्स लाइफ बड़ी गर्मजोश हुआ करतीथी। हम २४ घंटों में पहले तो तीन तीन बार, फिर दो बार, फिर एक बार ओर जिस समय की मैं बात कर रहा हूँ उनदिनों में तो बस कभी कभी सेक्स करते थे। शादी के सात सालों के बाद बहुत कुछ बदल जाता है। पति पत्नी के बिच कोई नवीनता नहीं रहती। एक दूसरे की कमियां और विपरीत विचारों के कारण वैमनस्य पारस्परिक मधुरता पर हावी होने लगता है। और वैसे ही पति पत्नी एक दूसरे को "घर की मुर्गी दाल बराबर" समझने लगते हैं। उपरसे बच्चों की, नौकरी की, घर की, समाज की, भाई बहनों की, माँ बाप की, बगैरह जिम्मेदारी इतनी बढ़ जाती है की सेक्स के बारे में सोचने का समय बहुत कम मिलता है।
सामान्यतः मध्यम वर्ग की पत्नियों पर बोझ ज्यादा रहता है। इस कारण वह शाम होते होते शारीरिक एवं मानसिक रूपसे थक जाती है। वह अपने पति के क्रीड़ा केलि आलाप की ठीकठाक प्रतिक्रया देने में अपने को असमर्थ पाती है। उस समय पारस्परिक आकर्षण कम हो जाता है। अक्सर नीना थक जाने की शिकायत करती और जल्दी सो जाती। गरम होने पर भी मुझे मन मसोस कर सो जाना पड़ता था। इस कारण धीरे धीरे मेरे मनमे एक शंका ने घर कर लिया की शायद वह मेरी सेक्स करने की क्षमता से संतुष्ट नहीं है। बात भी कुछ हद तक गलत नहीं थी। जब वह गरम हो जाती थी तब कई बार उस से पहले ही मैं मेरा वीर्य उसके अंदर छोड़ देता था। तब मेरी पत्नी शायद अपना मन मसोस कर रह जाती होगी। हालांकि नीना ने मुझे कभी भी इस बारें में अपनी कोई शिकायत नहीं की।
मेरी बीबी को सेक्स मैं ज्यादा रस नहीं रहा था। जब मैं सेक्स के लिए ज्यादा तड़पता था और उसे आग्रह करता था, तो वह अपनी पैंटी निकाल कर, अपना घाघरा ऊपर करके, अपनी टाँगे खोलकर निष्क्रिय पड़ी रहती थी जब मैं उसे चोदता था। मुझे उसके यह वर्ताव से दुःख होता था, पर क्या करता?
पर कभी कबार अगर जब कोई कारण वश नीना गरम हो जाती थी तो फिर खुब जोश से चुदाई करवाती थी। जब वह गरम होती थी तो उसे सेक्स करने का मज़ा ही कुछ और होता था। इसी लिए मैं ऐसे कारण ढूंढ़ता था जिससे वह गरम हो जाए।
मेरी पत्नी को घूमने फिरनेका और सांस्कृतिक अथवा मनोरंजन के कार्यक्रमों, जैसे संगीत, कवी सम्मलेन, नाटकों, फिल्मों, पार्टियों, पिकनिक इत्यादि में जानेका बड़ा शौक था। ऐसे मौके पर वह एकदम बनठन कर तैयार हो जाती थी। और अगर उसको वह प्रोग्राम में मझा आया तो वह बड़े चाव से उसके बारे में देर तक बात करने लगती और फिर मैं उसीकी ही बात को दुहराते हुए उसके कपडे धीरे धीरे निकालता, उसके मम्मों को सहलाता और उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे गरम करता। उस समय बाते करते हुए वह भी गरम हो जाती और बड़े आनंद से मेरा साथ देती और मुझसे अच्छी तरह चुदवाती। पर ऐसा मौक़ा ज्यादा नहीं मिलता था।
हालांकि मेरी पत्नी नीना बहुत शर्मीली, रूखी और रूढ़िवादी (मैं तो यही सोचता था) थी, पर जब उसे बाहर घूमने का मौका मिलता था तो वह अच्छे से अच्छे कपडे पहन कर तैयार होती थी। उसे कपडे पहननेका शौक था और उस समय वह शालीनता पूर्वक अपने मर्यादित अंग प्रदर्शन करने में झिझकती नहीं थी। उस मिलन समारोह में अपने घने लम्बे बाल नीना ने खुले छोड़ रखे थे। इससे तो वह और भी सेक्सी लग रही थी।
उसने साड़ी तो पहन रक्खीथी पर अंचल की परत और ब्लाउज की बॉर्डर स्तनों से सटकर रुक जाती थी। स्तनों के किनारे से लेकर अपनी नाभि से काफी नीचे तक (जहाँ से उसकी चूत का उभार शुरू होता था) उसकी उतनी लंबी और कामुक नंगी कमर देखने वालों की नजरें नीति भ्रष्ट कर रही थी। जिसमे उसकी नाभि और नितम्ब के अंग भंगिमा को सब ताक रहे थे। वहाँ ऐसा लग रहाथा जैसे सिर्फ मेरी पत्नी ही वहां थी और कोई औरत थी ही नहीं। हालाँकि वहां करीब दस औरतें थीं। मुझे पुरुषों के नीना को लालची निगाहों से देखना, पता नहीं क्यों, अच्छा लगता था। एक कारण तो यह था की मुझे बड़े गर्व का अनुभव होता था की मेरी पत्नी उन सब की पत्नियों से ज्यादा सुन्दर है।
तब घोषणा हुई की अब डांस होगा। सब को अपने साथीदार के साथ डांस फ्लोर पर आने के लिए कहा गया। उस पार्टी में मेरे बॉस ने नीना के साथ कुछ ज्यादा ही छूट लेने की कोशिश की। वह नीना के पास गया और उसने अपने साथ डांस करने के लिए नीना का हाथ पकड़ा और उसे खींचने लगा। नीना ने उसे जोरसे झटका दिया। मेरा बॉस लड़खड़ा गया। खिसियाता हुआ वह कहीं और चला गया। बॉस को नीना पर लाइन मारते देख मेरे अंदर एक अजीब तरह का रोमांच हो रहा था।
उस पार्टी में मेरा एक दोस्त अनिल था। हम साथ में ही काम करते थे। वह मेरी ही उम्र का था और अच्छा लंबा तंदुरस्त और सुगठित मांस पेशियोँ वाला था। उस समय उसकी कोई ३०-३२ साल की उम्र रही होगी। वह गोरा चिट्टा और गोल सा चेहरे वाला था। उसके बाल जैसे काले घने बादल समान थे। उसने मैरून रंग की शर्ट पहनी थी और गले में स्कार्फ़ सा बाँध रख था। उसकी धीमी और नरम आवाज और सबके साथ सहजसे घुलमिल जानेवाले स्वभाव के कारण सब उसे पसंद करते थे। यहां तक के सारी स्त्रियां भी उससे बात करने के लिए उतावली रहतीं थी। वह आसानी से महिलाओ से अच्छी खासी दोस्ती बना लेता था।
पहली बार जब मैंने उसे मेरी पत्नी नीना से मिलाया तो वह नीना को घूरता ही रह गया। जब उसे लगा की वह ज्यादा देर तक घूर रहा था तो उसने बड़ी विनम्रता और सहजता से माफ़ी मांगते हुए कहा, "भाभीजी, मुझे आपको घूर घूर कर देखने के लिए माफ़ कीजिये। मैंने इससे पहले आप सी सुन्दर लड़की नहीं देखी। मैं तो सोच भी नहीं सकता के आप शादी शुदा हैं। "
भला कोई अगर एक शादी शुदा एक बच्चे की मांको बताये की वह एक बहुत सुन्दर लड़की है, तो वह तो पिघल जायेगी ही। बस और क्या था? मेरी पत्नी नीना तो यह सुनते ही पानी पानी हो गयी और बाद में मुझसे बोली, "आपका मित्र वास्तव में बड़ा सभ्य और शालीन लगता है। क्या वह शादी शुदा है?"
तभी उसकी पत्नी अनीता जो कही बाहर गयी थी उसे मैंने देखा और मैं नीना से मिलवाने के लिए गया। अनीता थोड़ी लम्बी और तने हुए बदन की थी। उसकी मुस्कान मुझे बहुत आकर्षक लगती थी। दोनों पत्नियां मिली और थोड़ी देर बातचीत करने के बाद नीना और मैं एक और कपल से बातचीत करते हुए दूसरे कोने में जा के बैठ गए।
मैं देख रहा था की बार बार घूम फिर कर अनिल की आँखे मेरी बीबी को ताक रहीं थी। शायद नीना ने भी यह महसूस किया होगा, पर वह कुछ न बोली। मुझे ऐसे लग रहा था जैसे वह नीना पर फ़िदा ही हो गया था। अनिल की पत्नी अनीता किसी और महिला से बातचीत करनेमें व्यस्त थी। मैंने देखा की अनिल खड़ा हो कर हॉल में इधर उधर घूम रहा था। घूमते घूमते जैसे स्वाभाविक रूपसे वह हमारे सामने आ खड़ा हुआ।
बड़ी सरलता से उसने अपना हाथ लम्बाया और अपना सर थोड़ा झुका कर उसने नीना को डांस करने को आमंत्रित किया।
नीना ने भोलेपन से कहा, "पर मुझे तो डांस करना नहीं आता।"
अनिल ने कहा, "यहां डांस कर रहे लोगों में से कितनों को आता है? तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हे कुछ स्टेप्स सीखा दूंगा।“
नीना ने मेरी तरफ देखा। वह मेरी इजाजत चाह रही थी। मैंने अपना सर हिला कर उसे इजाजत दे दी। नीना तैयार हो गयी। मैंने देखा की अनिल मेरी पत्नी को अपनी बाँहों में लेकर एक हाथ उसकी कमर दूसरा उसके कंधे पर रखकर एकदम करीब से उसे स्टेप्स सीखा ने लगा। उनके डांस शुरू करने के दो तिन मिनट में ही संगीत की लय धीमी हो गयी जिससे डांस करने वाले एक दूसरे से लिपट कर डांस कर सके। मैं उसी समय वाशरूम में जानेका बहाना करके खिसक गया और ऐसी जगह छिप गया जहाँसे मैं तो उन्हें देख सकता था, पर वह मुझे नहीं देख सकते थे। मेरी पत्नी बिच बिच में मुझे ढूंढ ने का प्रयास कर रही थी। मैंने देखा की अनिल मेरी पत्नी के साथ कुछ ऐसे स्टेप्स लेता था जिससे उन दोनों की कमर और उससे निचला हिस्सा और जिस्म एकदूसरे के साथ रगड़े। इस तरह दोनों ने थोड़े समय डांस किया।
अनिल को मेरी पत्नी के साथ अपने शरीर को रगड़ते हुए डांस करते देख कर मैं एकदम उत्तेजित सा हो गया। मुझे इसकी ईर्ष्या आनी चाहिए थी। पर उल्टा मैं तो गरम हो गया। पतलून में मेरा लण्ड खड़ा हो गया; जैसे की मैं चाहता था की अनिल मेरी पत्नी के साथ और भी छूट ले। मुझे मेरी पत्नी का पर पुरुष के साथ शारीरिक सम्बन्ध का विचार उकसाने लगा।
जब मैं वापस आया तो अनिल की पत्नी उसके पति को मेरी सुन्दर पत्नी के साथ करीब से डांस करते देख रही थी। मुझे अनीता बहुत सुन्दर लग रही थी। मैं अनिल की पत्नी अनीता की और बहुत आकर्षित था, पर अपने विचारों को मन में ही दबा कर रखता था। अनीता का आकर्षण मुझे तीन कारणों से बहुत ज्यादा लगा। एक उसकी सेक्सी आँखें। मुझे हमेशा ऐसा लगता था जैसे वह मुझे अपने पास बुला रही है और चुनौती दे रही है की हिम्मत हो तो पास आओ। दूसरे उसके भरे और उफान मारते हुए स्तन (मम्मे ) जो उसके ब्लाउज और ब्रा का बंधन तोड़कर खुल जाने के लिए व्याकुल लग रहे थे। जैसे ही वह चलती थी तो उसकी छाती के दोनों परिपक्व फल ऐसे हिलते थे जैसे बारिश के मौसम में हवा के तेज झांको पर डालियाँ हिलती हैं। और तीसरे उसके कूल्हे। उसके बदन के परिमाण में वह थोड़े बड़े थे। पर थे बड़े सुडौल और सुगठित। अक्सर औरतो के बड़े कूल्हे भद्दे लगते हैं। पर अनीता के कूल्हों को नंगा करके सहलाने का मेरा मन करता था।
मैंने आगे बढ़ कर उसको डांस करने के लिए आमंत्रित किया। वह मना कैसे करती? जिसकी पत्नी उसके पति के साथ डांस कर रही हो तो उसी के पति के साथ डांस करने से हिसाब बराबर हो जाता है न? अनिल की पत्नी तैयार हो गयी। वह बहुत सुन्दर थी। शायद नीना और अनीता में सुंदरता का मुकाबला हो तो यह कहना बड़ा मुश्किल होगा की कौन ज्यादा सुन्दर है। फर्क सिर्फ इतना ही था की अनीता थोड़ी सी ज्यादा भरे बदन की थी, जब की नीना थोड़ी सी पतली थी। ज्यादा फर्क नहीं था। अब मेरी बीबी से छुपने की बारी मेरी थी। मैं अनीता को धीरे धीरे एक कोने में ले गया जहां अनिल और मेरी बीबी हमें देख न पाए। मैं अनीता के साथ अपनी कमर उसकी कमर से सटा कर नरमी से बदन से बदन को रगड़ कर डांस करने लगा तब मुझे लगा की अनीता को उसमें कोई आपत्ति नहीं थी। उसने मुझे कोई ज्यादा प्रोत्साहन तो नहीं दिया पर आपत्ति भी नहीं जताई। शायद उसने अपने पति को मेरी बीबी के साथ कमर रगड़ते डांस करते हुए देख लिया था।
मैं डांस ख़त्म होने के बाद जब अपनी पत्नी से मिला तो मैंने उसको ये जताया की उनके डांस शुरू होने के तुरंत बाद मैं वाशरूम गया था और वहां कोई मिल गया था उससे बात कर रहा था। ये जाहिर होने नहीं दिया की मैंने उसको और अनिल को बदन रगड़ते हुए डांस करते देखा था।
जब हम वापस जा रहे थे तो मैंने नीना से कहा, “कहीं ऐसा न हो के बॉस नाराज हो जाए। तुमने तो आज उसे बड़ा झटका दे दिया।“
तब नीना ने मुझसे माफ़ी मांगी और कहा "यदि तुम्हारा बॉस मुझसे प्यार से धीरे से कहता तो शायद मैं उसके साथ डांस करने के लिए मना नहीं करती। परन्तु उसने जबरदस्ती करने की कोशिश की। अगर मेरे पति को कोई आपत्ति न हो तो भला मुझे किसीके साथ भी डांस करने में क्या आपत्ति हो सकती है? आखिरकार मैंने तुम्हारे दोस्त अनिल के साथ भी तो डांस किया ही था न? तुम बॉस से मेरी तरफ से मांफी मांग लेना।"
मैंने नीना से पूछा, "क्या अनिल के साथ डांस करने में तुम्हे मझा आया?"
नीना ने कहा, "इसमें मझे की क्या बात है? एक रस्म है डांस करने की तो मैंने निभाई, वर्ना डांस में क्या रखा है?"
तब मैंने अपनी भोली सी पत्नीसे कहा, "सारी कहानी डांस से ही तो शुरू होती है। पहले डांस, फिर एक दूसरे के बदन पर हाथ फेरना फिर और करीब से छूना, छेड़ खानी करना, बार बार मिलते रहना, मीठी मीठी बातें करके पटाते रहना और आखिर में सेक्स।"
नीना मेरी तरफ थोडासा घबराते हुए देखने लगी और बोली, "राज, क्या डांस इसी लिए करते है? फिर तो गड़बड़ हो गयी। मुझे क्या पता? अब अनिल क्या सोचेगा? वह सोचेगा नीना भाभी तो फिसल गयी। शायद इसी लिए वह मुझे दुबारा कब मिलेंगे ऐसे पूछने लगा। यह तो गलत हुआ। अब में क्या करूँ?"
मैंने हँसते हुए मेरी प्यारी पत्नी से कहा, "तुम ज़रा भी चिंता मत करो। मैं तो ऐसे ही मजाक कर रहा था। ऐसे कोई नहीं समझता। डांस करना तो आम बात है। पर हाँ, मैंने देखा था की अनिल तुम्हारे साथ डांस करते करते काफी गरम हो गया था। उसकी पतलून में उसका लण्ड खड़ा हो गया था। क्या तुमने अनुभव नहीं किया?" अनिल और नीना ने चिपककर जो डांस किया था उसके बारेमें ना तो मैंने नीना से पूछा था ना नीना ने मुझे बताया था ।
नीना झेंप सी गयी। उसके गाल लाल से हो गए। तब मैं समझ गया की नीना ने भी अनिल के लण्ड को महसूस किया था। पर शायद इस बात पर मेरी पत्नी ने ध्यान नहीं दिया वह इसे नजर अंदाज़ कर गयी। मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा, "ऐसे तो होता ही है। अगर उसका लण्ड कड़क हो गया तो उसमे उसका क्या दोष? तुम चीज़ ही ऐसी हो। तुम इतनी सेक्सी हो की तुम्हे देखकर ही अच्छे अच्छों का पानी निकल जाये।"
नीना थोड़ी देर चुप रही फिर बोली, "तुम भी तो अनीता से बड़े चिपक चिपक कर डांस कर रहे थे। क्या तुम्हारा खड़ा नहीं हुआ था?" अब चुप रहने की बारी मेरी थी।
मैंने धीरे से कहा, "चलो हिसाब बराबर हो गया।"
यह उस समय की बात है जब मैं जयपुर में एक मल्टीनेशनल कंपनी में सीनियर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव था। उस समय जयपुर बड़ी ही शांत जगह हुआ करती थी। हम एक शांत अच्छी कॉलोनी में रहते थे। अनिल हमसे करीब ३ किलो मीटर दूर दूसरी कॉलोनी में रहता था। उस पार्टी के कुछ ही समय के बाद अनिल ने मेरी कंपनी छोड़ दूसरी कंपनी में ज्वाइन कर लिया। उसे करीब एक साल हो चला था। इस बिच हमारी घनिष्ठता बढ़ी और हम एक दूसरे के घर जाने लगे। अनिल की पत्नी अनीता और मेरी पत्नी नीना दोनों एक दूसरे की ख़ास सहेलियां बन गयीं।
हम एक दूसरे से चोरी छुपे एक दूसरे की पत्नियों को ललचा ने की कोशिश में लगे हुए थे। पर हमें बढ़िया मौका नहीं मिल रहा था। मैं अनीता करीब जाने के लिए लालायित था और अनिल नीना की और आकर्षित हुआ था। पर हमारी पत्नियां एक दूसरे के पति को कोई घास नहीं डाल रही थी। अनिल और मैं मिलते भी थे और सब जानते भी थे पर स्पष्ट बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।
अनिल मेरे घर कई बार आता था। कई बार मैं घर में नहीं भी होता था। मेरी पत्नी नीना उसे पानी चाय पिला देती थी, पर ज्यादा बात नहीं करती थी। अनिल जब भी मेरी अनुपस्थिति में घर आता था तो नीना मुझे अनिल के आने के बारे में बता देती थी। एक बार नीना ने मुझे कहा की अनिल की नियत कुछ ठीक नहीं लगती। नीना को लगा की वह उसपर शायद लाइन मार रहा है। सुनकर मैं मनमें ही बड़ा उत्तेजित हो गया। यदि अनिल मेरी पत्नी के पीछे पड़ा है तो इससे मैंने दो फायदे देखे। एक तो यह की अनिल का इतिहास और चरित्र देखते हुए तो यही लग रहा था नीना के साथ वह कुछ न कुछ तो करेगा ही। यह सोच कर मेरी धड़कन बढ़ गयी। मैं चाहता था की मेरी पत्नी और अनिल के बिच बात आगे बढे। तभी तो मैं भी उसकी बीबी के पास आसानी से जा सकता था। हालांकि मेरी पत्नी अनिल से प्रभावित तो थी परन्तु वह अनिल को जराभी आगे बढ़ने मौका नहीं दे रही थी, ।
एक दिन मेरी अनुपस्थिति में अनिल ने मेरी पत्नी नीना को एक उपहार देना चाहा। नीना ने उसे लेने से न सिर्फ सख्ती से इन्कार कर दिया परंतु उसे डाँट दिया और नसीहत भी दे डाली की आगेसे वह इस तरह की हरकत न करे। अनिल मायूस हो गया। जब हम अगली बार मिले तो मैंने उसे दुखी देख कर पूछा की आखिर बात क्या थी। अनिल ने बताया की वह जोधपुर गया था और वहां से एक अच्छे हेंडीक्राफ्ट के दो सैंपल लाया था जिसमे से एक वह हमें देना चाहता था, पर नीना ने उसे हड़का दिया। अनिलने बात बात में मुझसे कहा की उसका मेरे छोटे से बेटे से खेलने का बहुत मन करता है। मेरा बेटा अनिल से काफी घुलमिल गया था। अनिल चाहता था की वह उसके लिए कुछ खिलौना लाये, पर वह नीना से डरता था। तब मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा की उस रात को मैं नीना से बात करूँगा।
उस रात जब हम सोने के लिए तैयार हुए तब मैंने नीना से उस बात को छेड़ा। मैंने कहा, "नीना डार्लिंग, आपने अनिल का दिल क्यों दुखाया? वह बेचारा हमारे लिए कुछ छोटी मोटी गिफ्ट लाया तो आपने उसे बुरी तरह से डांट दिया।"
यह सुन नीना खिसिया गयी और बोली, "मुझे पता नहीं था की वह इस बारेमें आपसे बात करता है। मैंने सोचा शायद वह आपसे छुपकर मुझसे मिलने आता है और ऐसे उपहार देकर मुझे पटाने की कोशिश कर रहा है।"
मैंने कहा, "नहीं, ऐसा नहीं है। वह मुझे सब कुछ बताता है। मैंने ही उसे हमारे यहाँ आकर मुन्नुसे खेलने के लिए कहा है। उसकी गिफ्ट तुमने वापस की तो वह बड़ा दुखी है। तुम उसकी गिफ्ट का गलत मतलब मत निकालना। मैं मानता हूँ की वह तुम्हारी तरफ कुछ आकर्षित तो है, पर उसमे उसका कोई दोष नहीं। भला कौन मर्द ऐसा है जो तुमसे आकर्षित न होगा? तुम इतनी सेक्सी जो हो।" ऐसा कह कर मैंने बात बात में नीना को यह कह दिया की अनिल उसके प्रति आकर्षित है।
नीना ने थोड़ा शर्मा कर कहा, “ठीक है बाबा, गलती हो गयी। मेरी और से तुम अनिल से माफ़ी मांग लेना। तुम कह रहे हो तो अबसे मैं ध्यान रखूंगी तुम्हारे दोस्तका। उसे दुखी नहीं करुँगी, बस? अब तो खुश?" मैंने नीना के पास जाकर उसे बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया। मुझे ऐसे लगा जैसे मरी पत्नी ने मेरी यह बात सुन कर राहत की सांस ली। वह मेरी बात सुनकर खुश दिख रही थी। मुझे लगा जैसे मैंने उसके मन की बात ही कह डाली। शायद उसे खुद अफ़सोस हो रहा होगा की उसे अनिल को इतनी सख्ती से नहीं डांटना चाहिए था।
नीना ने भी मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, "तुम बहुत ही भले इंसान और एक संवेदनशील पति हो। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अपने दोस्त को इतना सपोर्ट न करता। मुझे अनिल का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा था और इसी वजह से मैं उसे दूर रखना चाहती थी। कई बार मुझे लगता है को वह एक अच्छा इंसान है। कभी कभी लगता है की वह मुझ पर डोरे डाल रहा है। अब तुम मुझे रोक रहे हो और उसे छूट दे रहे हो तो फिर मैं कया करूँ?“
एक पल के लिए मुझे लगा जैसे मेरी पत्नी ने अपनी नाराजगी और असहायता प्रगट की। फिर उस ने आँख नचाते हुए कहा, “मेरी राय में तो ऐसे दोस्त को प्रोत्साहन देना ठीक नहीं , कहीं ऐसा न हो की वह तुम्हारी बीबी को वशमें कर ले और तुम हाथ मलते रह जाओ।“
मैं कहाँ चुप रहने वाला था। मैंने भी नीना से उसी लहजे में कहा, "डार्लिंग तुम अपने आप को जानती हो उससे मैं तुम्हे ज्यादा अच्छा जानता हूँ। मैं जानता हूँ की तुम पर कोई कितने ही डोरे डाले या ऐसा हो जाए की आवेश में तुम किसी के साथ कुछ कर भी लो फिर भी तुम मेरी ही रहोगी। हमारे तन मात्र की ही शादी नहीं हुयी, शादी हमारे मन की और परिवार की भी तो हुयी है , सही है या गलत?"
मेरी सीधी सादी बीबी कुछ सोचमें पड़ गयी और फिर अपना सर हिलाते हुए कहा, "हाँ तुम सही कह रहे हो।" फिर वह मुझसे लिपट गयी और बोली, "डार्लिंग क्या सच में तुम्हें तुम्हारी पत्नी पर इतना विश्वास है?
उस वक्त ही मैं समझ गया की मेरी घरेलु वफादार पत्नी असमंजस में तो है परंतु थोड़ी सी पिघली भी है। मैंने कहा, "मुझे अपने आप से भी ज्यादा तुम पर विश्वास है।"
मैंने नीना को बाँहों में और करीब दबाते उसके ब्लाउज में हाथ डाला। उसके रसीले स्तन युगल को बारी बारी दबाते और उसकी निप्पल को सहलाते और दबाते हुए और भी छेड़ा। मैंने कहा, "एक बात तो तुमने ठीक कही। अनिल तुम पर फ़िदा तो है। तुम्हारे लताड़ने पर बेचारा बहुत दुखी था। वह जब तुम को देखता है तो उसकी आँखे बार बार तुम्हारे स्तन पर ही टिक जाती है।"
नीना एकदम सहम सी गयी। थोड़ी पीछे हट कर उस ने मेरी बात को खारिज करते हुए कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है। तुम मर्दों को तो सेक्स के अलावा और कुछ सूझता ही नहीं। परन्तु अनिल ऐसा नहीं लगता।"
मैंने उसे और उकसाते हुए कहा, "अच्छा? अनिल भी तो एक मर्द ही है। अगर फिर भी यदि तुम ऐसा समझती हो की अनिल ऐसा नहीं है तो चलो एक टेस्ट करते हैं। एक काम करो। तुम उसे थोड़ा उकसाओ। जब वह आये तो उसे अपने कुछ सेक्सी पोज़ दो, फिर देखो। अगर तुम्हे वह कसके बाँहों में जकड न ले तो कहना।" मेरी पत्नी यह सुनते ही एकदम गुस्सा कर बोली, "बस भी करो। शर्म नहीं आती अपनी बीबी से ऐसी बाते करते हुए?" नीना पलट कर सो गयी।
मैंने उसे बाँहों में जकड कर बोला, 'अरे भाई माफ़ भी करो। मैं तो मजाक कर रहा था।"
तब नीना ने करवट ली और थोड़ा मुस्का कर बोली, "कोई बात नहीं। मैं भी तो खाली गुस्से का दिखावा कर रही थी। "
मैंने उसे बाँहों में और कस कर दबाया और बोला, "पर नीना, एक बात बताऊँ? बेचारा अनिल, वास्तव में तुम्हारा आशिक हो गया है। वह कभी कबार गलती से या आवेश में तुम्हे थोड़ा छेड़ता या छू लेता है तो बेचारे पर गुस्सा कर उसका दिल मत तोडना।"
नीना तब एकदम उत्तेजित हो गयी। मेरी बात को टालते हुए मेरे कड़क लण्ड पर हाथ रख कर उस को सहलाते हुए बोली, "तुम भी कमाल के पति हो। अपने दोस्त पर इतने मेहरबान हो। चलो ठीक है, मैं ध्यान रखूंगी, पर देखो तो, तुम उस बेचारे का तो इतना ध्यान रखते हो पर यह बेचारा कितना उतावला हो रहा है अपनी सहेली से मिलने के लिए। उसका भी तो ध्यान रखो। अब अपना काम तो पूरा करो।"
मैं समझ गया की नीना गरम हो गयी थी । मैं तुरंत अपना पजामा उतार कर नंगा हो गया और फुर्ती से नीना के नाईट गाउन को भी उतार दिया। हमारे दो नंगे बदन एक दूसरे के साथ रगड़कर जैसे काम वासना की आग पैदा कर रहे थे। मेरा लंड एकदम फौलाद की तरह कड़क हो गया था। मैंने नीना की चूत पर हाथ रखा तो पाया की वह तो अपना रस ऐसे बहा रही थी जैसे झरना बह रहा हो।
मैंने अपनी पत्नी को कहा, "जानेमन तुम बड़ी गरम हो गयी हो। क्या बात है?"
नीना ने भी उसी लहजे में कहा, "तुम ऐसी बातें कर कर के मुझे गरम जो कर रहे हो।“




[Image: registered_user@3-0ab55beed2102da2ef6435c9705e50eb.png]
iloveall
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
समझदार घालमेल आज सुबह सुबह मोबाइल फोन के लिए कुछ सीक्रेट मिशन की शक्ति प्रदान करे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#3
Nice story
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#4
Thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#5
उसके बाद नीना ने बोलना बंद किया। बोल कैसे पाती? मेरा लण्ड बड़े प्यारसे उसने अपने मुंह में ले जो लिया था। वह उसे ऐसे चूसने लगी जैसे बच्चे बर्फ के गोले में से रस चूसते है। पहले उसे लण्ड चूसना अच्छा नहीं लगता था। परन्तु उस दिन वह मुझे बहुत खुश करना चाहती थी।

उस रात को मैं भूल नहीं पाउँगा। उस ने खूब चुदवाया। वह तिन बार झड़ गयी और मैं दो बार। मुझे लगा जैसे मेरे दोस्त अनिल का तीर निशाने पर लग रहा था।

मैं सुबह उठ कर तैयार होकर जब ऑफिस जा रहा था तब मैंने जाते जाते नीना को एक लम्बी सी किस होठों पर की। फिर बाई बाई करते हुए कहा, “तुम्हे याद तो है ना? एक बार अनिल को थोड़ा उकसा कर उसका टेस्ट करके तो देखो की तुम सच्ची हो या मैं। बोलो करोगी ना?”

मेरी पत्नी नीना ने मुझे धक्का देते हुए कहा, "ठीक है बाबा, याद है। मैं सोचूंगी। अब ऑफिस भी जाओगे या यही बातें करते रहोगे?

मैं नीना के साथ बात करते करते आँगन में आगया; फिर पलटा और उसको बाँहों में जकड कर बोला, "सोचना नहीं, करना है। बोलो करोगी ना? वादा करो।“

मुझे बाहर आँगन में मस्ती करते हुए देख कर नीना हड़बड़ा गयी और बोली, "कैसे पागल हो। क्याकर रहे हो? आसपास सब लोग खड़े देख रहे हैं। ठीक है बाबा मैं करुँगी। वादा करती हूँ। अब तुम जाओ भी।"

मैं हँसते हुए चल पड़ा।

उस दिन दोपहर को मैंने अनिल से फ़ोन पर पूछा, "नीना ने मुझे मैगी के दो पैकेट लाने के लिए कहा था, पर मुझे अभी काम है। मैं जा नहीं पाउँगा। क्या तुम मैगी के दो पैकेट नीना को घर दे आओगे? मैं तुम्हारा एहसानमंद रहूँगा।"

मैं जानता था की अनिल को तो मेरे घर जाने का बहाना चाहिए था। उसे इससे बढ़िया बहाना और क्या मिल सकता था? उसने तुरंत कहा की वह मेरे घर के पास ही कहीं जा रहा था। वह जरूर मैगी के पैकेट पहुंचा देगा। मैंने तुरंत नीना को फ़ोन किया और बोला, "नीना डार्लिंग, अनिल थोड़ी देर में हमारे घर आएगा। क्या उसका स्वागत करने के लिए तैयार रहोगी?"

नीना ने झुंझलाते हुए कहा, "तुम क्या अभी तक उस बात को भूले नहीं हो? तुम अनिल की परीक्षा कर रहे हो या मेरी? आखिर तुम चाहते क्या हो?”

मैंने कहा,"तुम मुझे यह बताओ, तुम करोगी या नहीं?"

तब नीना ने असहायता दिखाते हुए कहा, "मैं क्या करूँ? ठीक है बाबा, मैं चेंज करती हूँ। लगता है तुम मुझसे कुछ न कुछ उल्टापुल्टा करवाके ही रहोगे पर अगर कुछ गड़बड़ हो गई, तो मुझे दोष मत देना।"

मैंने कहा, "तुम मेरी डार्लिंग हो मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और करता रहूंगा। यह करने के लिए मैं तुम्हे जान बुझ कर कह रहा हूँ। कुछ होगा तो वह मेरी गलती है, ना की तुम्हारी। मैं तुम्हें कभी भी दोष नहीं दूंगा। "

हमारी बात चित के आधे घंटे में ही अनिल घर पहुंचा और उसने बेल बजाई पर किसीने दरवाजा नहीं खोला। तब अनिल ने दरवाजे को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया। जब वह अंदर आया तो घर में कोई नहीं था। उसने बाथरूम में नहाने की आवाज सुनी। अनिल समझ गया की नीना बाथरूम में नहा रही थी। अनिल ड्राइंग रूम में बैठ कर इंतेजार करने लगा। तभी बाथरूम के अंदर से आवाज आयी, "सुचित्रा, मैं आती हूँ। तू रसोई में जा कर बर्तन साफ़ कर।" सुचित्रा हमारे घर में सफाई, बर्तन, पोछा इत्यादि करती थी। अनिल समझ गया की नीना को लगा की सुचित्रा आयी थी।

थोड़ी ही देर में नीना बाथरूम से बाहर आयी। वह तौलिये में लिपटी हुई थी। जब उसने देखा की रसोई में कोई नहीं था तो वह ड्राइंग रूम में आयी। तब उसने अनिल को देखा। अनिल ने नीना को तौलिये में लिपटे हुए देखा तो उसकी तो सिटी पट्टी गुम हो गयी। नीना का आधे से ज्यादा बदन खुला हुआ था। उसके उन्नत स्तनोँ का मस्त उभार दिख रहा था। तौलिया नीना की जांघों तक ही था। नीना की सुडौल जांघे अनिल को पागल बना रही थी। नीना के भीगे हुए बाल उसके मुंह और पुरे बदन पर बिखरे हुए थे। भीगी हुयी नीना उसे सेक्स की मूर्ति लग रही थी।

जब नीना ने अनिल को देखा तो वह एकदम चिल्लाने लगी। फिर यह सोच कर एकदम चुप हो गयी की कहीं पड़ौसी उसकी चीख सुनकर भागते हुए आ न जाएँ। वह थोडी सहम कर बोली, "अरे अनिल, तुम? यहाँ, इस वक्त?"

अनिल की जबान पर तो जैसे ताला लग गया था। बड़ी मुश्किल से बोला, "नीना मुझे माफ़ कर दो। मुझे पता नहीं था की तुम नहा रही हो। मैंने घंटी तो बजायी पर दरवाजे पर कोई न आया। राज ने फ़ोन किया था की तुम्हे मैगी के दो पैकेट चाहिए। वह देर से आयेगा इस लिए उसने यह पैकेट मुझे लाकर तुम्हे देने के लिए बोला।"

ऐसा कहते हुए अनिल ने नीना को मैगी के दो पैकेट हाथ में थमाये। पर उसकी नजर तो नीना के मम्मो पर अटकी हुयी थी। जब नीना मैगी लेने करीब आयी तो अनिल से तौलिये में झांके बगैर रहा नहीं गया। हालाँकि नीना ने तौलिया एकदम ताकत से पकड़ रखा था, नीना के स्तन तौलिये में समा नहीं रहे थे और बाहर से ही दिखायी दे रहे थे। नीना की जांघे घुटने से ऊपर तक नंगी थीं। उस समय अनिल का मन किया की वह नीना को अपने आहोश में कर के वहीँ उस पर चढ़ जाय और चोद डाले।

अनिल नीना के अधनंगे बदन को देख कर अपना नियंत्रण रख नहीं पाया। उसने आगे बढ़ कर नीना को अपनी बाँहों में ले लिया। नीना ने शायद अनिल के मन के भाव भाँप लिए थे। उसने आपना तौलिया और ताकत से पकड़ा। नीना की अपनी समस्या थी। वह एक हाथ में तौलिया पकडे थी और दूसरे हाथ में मैगी। वह अनिल का विरोध करने में असमर्थ थी। उसने अपने बदन को हिला हिला कर अनिल के बाहुपाश से छूटने की बड़ी कोशिश की, पर अनिल की ताकत के सामने उसकी एक न चली।

अनिल ने उसे अपनी बाहोँ में लपेट कर अपने होठ नीना के होठ पर रखना चाहा। तब नीना ने एक हाथ में पकड़ा मैगी का पैकेट फेंक दिया और उस हाथ से अनिल को धक्का देकर दूर हटाया और भागती हुयी बैडरूम में चली गयी। अचानक उसे ध्यान आया की उसने अपने पीछे बैडरूम का दरवाजा तो बंद नहीं किया था। वह डर के मारे कांप रही थी की कहीं अनिल पीछे पीछे बैडरूम में न आ जाए। पर जब नीना ने पीछे मुड़कर देखा तो अनिल भौंचक्का सा ड्राइंग रूम में बुत की तरह खड़ा उसे देख रहा था।

थोड़ी देर मैं नीना कपडे चेंज कर नाईट गाउन पहन कर आयी। अनिल ड्राइंग रूम में ही था। नीना ने अपने केश बाँधे नहीं थे। खुले बालों में वो फिर भी उतनी ही सेक्सी लग रही थी। अनिल ने देखा की गाउन के नीचे शायद नीना ने कुछ और पहना नहीं था। क्योंकि उसके बदन के सारे उभार उसके गाउन में से साफ़ नजर आ रहे थे। उस वक्त अनिल की शक्ल रोनी सी हो गयी।

अनिल ने नीचे झुक कर नींना से कहा, “भाभी मुझे माफ़ कर दीजिये। आप को उस हालत में देख कर मैं अपने आप को कण्ट्रोल नहीं कर पाया। मैंने बड़ी भारी गलती कर दी। जब तक आप मुझे माफ़ नहीं करेंगे तब तक मैं यहां से नहीं जाऊँगा। और राज को इस बारेमें मत बताइयेगा। कहीं वह मुझसे बोलना बंद न कर दे।“

नींना तो जानती थी की उस ने ही अनिल को उकसाया था। उसे तो पता था की अगर अनिल ने उसे ऐसी हालत में देखा तो क्या होगा। वह शुक्र मना रही थी की अनिल उसके पीछे बैडरूम में नहीं आया। अगर वह आया होता तो नीना उसे रोक नहीं पाती।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#6
badiya  clps clps
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#7
update do bro....
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#8
नीना तब हंस पड़ी और बोली, "अनिल तुम कोई चिंता मत करो। जो हुआ इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। मुझे भी उस हालात में ड्राइंग रूम में नहीं आना चाहिए था। तुम्हारी जगह कोई और भी तो हो सकता था। तब तो और भी मुसीबत हो जाती। मैं राज को कुछ नहीं बताऊंगी। मैं चिल्लाने के लिए शर्मिंदा हूँ। तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय लेकर आती हूँ।“ यह कह कर नीना रसोई में से चाय बना कर ले आयी।
अनिल को चाय देते हुए नीना ने अनिल से कहा, “माफ़ी तो मुझे भी तुमसे मांगनी है। मैंने तुम्हारी गिफ्ट को नकार दिया था उसके लिए प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैं तुम्हें गलत समझ रही थी। राज ने मुझे बताया की तुम वह गिफ्ट उसे पूछ कर ही मुझे दे रहे थे।“
फिर नीना ने उसे शरारत भरे लहजे में कहा, "पर इससे तो तुम्हे बहुत नुक्सान होगा, क्योंकि अब मुझे न सिर्फ वह गिफ्ट चाहिए, मुझे और भी गिफ्ट चाहिए। अगर मेरी मांगे बढ़ती गयी तो मना मत करना।“
तब अनिल ने भी हंसकर कहा, "भाभीजी आपके लिए तो जान हाजिर है। "
नीना ने पलट कर जवाब दिया, "उसे तो अनीता को ही देना। मुझे तो सिर्फ गिफ्ट चाहिए "

उसके बाद तो जैसे अनिल की चांदी हो गयी। इसके बाद नीना अनिल से कोई औपचारिकता नहीं रखती थी। जब भी अनिल आता तो नीना ख़ास उसे बात करने ड्राइंग रूम में उसके पास आती और उसके साथ भी बैठ जाती थी। कई बार नीना अनिल को रसोई में भी बुला लेती और दोनों इधर उधर की बातें करते। मेरे सामने भी नीना अब अनिल से शर्माती नहीं थी। कई बार मैंने देखा तो वह अनिल के कोई जोक पर अनिल का हाथ पकड़ कर हंसती थी। परंतु उन के बिच कोई जातीयता वाली बात नहीं दिख रही थी। अब जब वह घर आता तो उसकी आव भगत होने लगी। वह मुन्नू के साथ खेलता और उसको कभी चॉकलेट तो कभी आइसक्रीम ला कर उसने मुन्नू का मन जीत लीया। नीना के साथ भी उसने काफी दोस्ती बनाली थी।

मैं जब नहीं रहता था तब भी अनिल आता जाता रहता था। जब भी अनिल मेरी अनुपस्थिति में आता तब मुझे अनिल और नीना दोनों बता देते थे। नीना अनिल को छोटे मोटे काम भी बताने लग गयी थी। अनिल कभी मेरी अनुपस्थिति में सब्जी लाता तो कभी ग्रोसरी। मैंने महसूस किया की धीरे धीरे अनिल और मेरी पत्नी नीना के बिच कुछ कुछ बात बन रही थी। अगर बात बन नहीं रही थी तो उनके बिच कोई बात में वैमनस्य भी नहीं रहां था। नीना के मनमें अनिल के प्रति अब पहले जितना शक और डर नहीं रहा था।

मैं जब नहीं रहता था तब भी अनिल आता जाता रहता था। जब भी अनिल मेरी अनुपस्थिति में आता तब मुझे अनिल और नीना दोनों बता देते थे। नीना अनिल को छोटे मोटे काम भी बताने लग गयी। अनिल कभी मेरी अनुपस्थिति में सब्जी लाता तो कभी ग्रोसरी। मैंने महसूस किया की धीरे धीरे अनिल और मेरी पत्नी नीना के बिच कुछ कुछ बात बन रही थी। नीना के मनमें अनिल के प्रति अब पहले जितना शक और डर नहीं रहा था।

इसका फायदा मुझे भी तो होना ही था। अब अनिल मुझ पर और भी मेहरबान होने लगा। एकदिन अचानक ही वह घर आया। नीना रसोई में व्यस्त थी। मैंने उसे हालचाल पूछा। हम दोनों खड़े थे की अचानक उसके हाथमे से एक लिफाफा निचे गिरकर मेरे पांव पर पड़ा। मुझे ऐसा लगा जैसे अनिलने लिफाफा जान बुझ कर गिराया था। मैंने झुक कर जैसे उसे उठाया तो उसमे से एक तस्वीर फिसल कर बहार निकल पड़ी। वह तस्वीर उसकी पत्नी अनीता की थी।

वह समंदर के किनारे बिकिनी पहने खड़ी थी। उसकी नशीली आँखें जैसे सामने से खुली चुनौती दे रही थी। उसके मद मस्त उरोज जैसे उस बिकिनी में समा नहीं रहे थे। छोटी सी लंगोटी की तरह की एक पट्टी उसकी भरी हुई चूत को मुश्किल से छुपा पा रही थी। उसके गठीले कूल्हे जैसे चुदवाने का आवाहन कर रहे थे। उसे देख कर मैं थोड़े समय तो बोल ही नहीं पाया। मैं एकदम हक्का बक्का सा रह गया।

अचानक मुझे ध्यान आया की अनिल मुझे घूर कर देख रहा है। मैं खिसिया गया और हड़बड़ा कर बोला, "यार, सॉरी। मुझे यह देखना नहीं चाइये था।"

अनिल एकदम हंस पड़ा और बोला, "तुम क्यों नहीं देख सकते? उस दिन उस बीच पर पता नहीं कितने लोगों ने अनीता को इस बिकिनी में आधा नंगा देखा था। तुम तो फिर भी अपने हो। क्या यदि तुम्हारे पास नीना की कोई ऐसी तस्वीर हो तो तुम मुझे नहीं दिखाओगे?"

उसके इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने अपनी मुंडी हिलाते हुए कहा, "बात तो ठीक है। मैं भी तो तुम्हे जरूर दिखाऊंगा ही।"

अनिल ने हँसते हुए पूरा लिफाफा मेरे हाथ में थमा दिया और बोला, "इस लिफाफे में हमारे हनीमून की सारी तस्वीरें हैं। इसमें अनीता के, मेरे और हमारे बड़े सेक्सी पोज़ हैं। तुम इन्हें जी भर के देख सकते हो। मैं तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहता। तुम चाहो तो इसे नीना के साथ भी शेयर कर सकते हो। आखिर में, मैं तुम दोनों में और हम दोनों में कोई फर्क नहीं समझता।"

अनिल ने जैसे बात बात में अपने मन की बात कह डाली। उसकी बात पहले तो मेरी समझ में नहीं आई, पर उसके चले जाने के बाद जब में उसकी बात पर विचार कर रहा था तब मैं धीरे धीरे उसका इशारा समझने लगा। उसकी बात के मायने बड़े गहरे थे। मुझे ऐसा लगा जैसे वह यह संकेत दे रहा था की उसकी बीबी और मेरी बीबी में कोई अंतर नहीं है। उसका मतलब यह था की मेरी बीबी उसकी बीबी और उसकी बीबी मेरी बीबी भी हो सकती है। साफ़ शब्दों में कहें तो वह बीबियों की अदलाबदली की तरफ इशारा कर रहा था।

जैसे जैसे मैं सोचता गया मुझे उसका सारा प्लान समझ में आने लगा। मैं भी तो वही चाहता था जो वह चाहता था। फिर ज्यादा सोचना कैसा। फिर मेरे मनमे एक कुशंका आई। कहीं मैं अपनी प्रिय पत्नी को खो तो नहीं दूंगा? कहीं वह अनिल की आशिक तो नहीं बन जायेगी? पर यह तो हो ही नहीं सकता था क्यूंकि अनिल भी तो उसकी बीबी को बहुत चाहता था। उसकी एक बच्ची भी तो थी। हमारा भी तो मुन्नू था। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया। हाँ एक बात जरूर थी। एक बार शर्म का पर्दा हट जानेसे, यह हो सकता है की अनिल नीना को बार बार चोदना चाहे, या नीना बार बार अनिल से चुदवाना चाहे। तब मैंने यह सोचकर मन को मनाया की आखिर अनिल और नीना समझदार हैं। वह अगर चोदना चाहे भी तो मुझसे बिना पूछे कुछ नहीं करेंगे। यदि मेरी मर्जी से ही यह होता है तो भला, मुझे अनिल और नीना की चुदाई में कोई आपत्ति नहीं लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#9
nice story
update please
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#10
Thanks for your valuable time and reading
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#11
दूसरे नीना समझदार थी। वह मुझे पूछे बिना कुछ भी ऐसा नहीं करेगी जिससे हमारा घर संसार आहत हो। यदि मान लिया जाये की अनिल बहक जाता है, तो नीना फिर अनिल को कंट्रोल कर सकती है। मैं जानता था की नीना एक शेरनी की तरह है। वह यदि चाहे तो अनिल को घरमें घुसने भी न दे। उसने पहले कई बार अनिल को हड़का दिया था। अनिल अपनी बीबी से भी तो डरता था। किसी एक को बहकने से रोकने के लिए तीन लोग खड़े थे, बच्चों को इस गिनती में शामिल न किया जाय तो। मेरी इस शंका का भी भलीभांति समाधान हो गया। सबसे बड़ी बात यह थी की नीना मुझे बहुत चाहती थी और मैं जानता था की सेक्स और प्रेम का अंतर वह जानती थी। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया।

मैंने सोचा की शंका कुशंका करते रहेंगे तो आगे बढ़ नहीं सकते। आखिर कुछ पाने के किये कुछ समझौता तो करना पड़ता ही है। और फिर हम सब कहाँ एकसाथ सारी ज़िन्दगी रहने वाले थे। अब बात थी पत्नियों को पटाने की। यह एक बड़ी चुनौती थी।

फिर मेरे मनमें एक बात आई। दो औरतों को एकसाथ चुदवाने के लिए राज़ी करना मुझे कठिन लगा। वैसे ही औरतें बड़ी ईर्षालु होती है। वह अपने पति को दुसरी औरत को चोदते हुए देख सके यह मुझे मुश्किल सा लग रहा था। ऐसा करने की बात करने से पहले मैंने सोचा क्यों न पहले हम दो मर्द एक बीबी को तैयार करते हैं। एक बीबी को अगर हमने फ़ांस लिया तो दूसरी आराम से फँस जायेगी। और अगर एक फँस गयी तो फिर वह दुसरी को जरूर चुदवाने के लिए तैयार करेगी। साथ साथ मैं पहले नीना को चुदवाने का मजा लेना चाहता था। मेरे मनमे एक तरह का पागलपन सवार हो गया था।

वैसे मेरे मन में भी तो यह इच्छा थी की मेरी बीबी भी एक बार गैर मर्द का टेस्ट करे। मैं देखना चाहता था की मेरे सामने दूसरा मर्द कैसे मेरी बीबी को चोदता है, मेरी बीबी कैसे उससे चुदवाती है और मैं भी दूसरे मर्द के साथ मिलकर कैसे मेरी बीबी को चोदता हूँ। कई बार मैंने देखा था की मैं तो झड़ गया था पर मेरी बीबी नहीं झड़ पाई और अपना मन मसोस कर रह गयी। अगर नीना को दो मर्द चोदते हैं तो साफ़ बात है की वह भी ओर्गाज़म का ज्यादा से ज्यादा मजा ले सकती है। उसको बार बार झड़ने से वह बहुत एन्जॉय करेगी। यही बात को सोच कर मैं जोश में आ गया। अनिल और नीना की केमिस्ट्री देख कर में पागल सा हो रहा था। मैं नीना को अनिल से चुदवाने के बारें में गम्भीरता से सोचने लगा।

अनिल का मेरी पत्नी की और आकर्षण (आकर्षण से ज्यादा उपयुक्त शब्द था पागलपन) को मैं भली भांति जानता था। अनिल को नीना की और से थोड़ा सा भी सकारात्मक रवैया दिखाई दिया तब तो अनिल नीना का पीछा नहीं छोड़ेगा। और यदि एकबार उस ने नीना का नंगा जिस्म देख लिया तो फिर तो मुझे पता था की वह उसे बार बार चोदना चाहेगा। तब वह आसानी से अनीता को मुझसे चुदवाने के लिए तैयार कर पाएगा इस बातका मुझे पूरा यकीन था। दूसरे, तब नीना भी अनीता को राजी कर लेगी। मैं जानता था की यदि नीना चाहेगी तो अनीता को जरूर तैयार कर सकती है। पर इसके लिए पहले नीना के अवरोध का बाँध तोड़ना जरुरी था।

नीना को गरम करने के लिए मैं अनायास ही अनिल की बात छेड़ देता था। बातों बातों में मैं कुछ न कुछ ऐसे विषय ला देता था की नीना गरम हो जाए। मैंने एक रात जब नीना थकी हुयी थी और सोने जा रही थी, तब उसको गर्म करने के इरादे से अनिल के बारेमें बात छेड़ी। मैंने वह लीफाफा निकाला जिसमें अनीता और अनिल के सेक्सी पोसेस वाली तस्वीरें थी। नीना एक के बाद एक तस्वीरें देखने लगी। मैंने टेढ़ी नजर से देखा की नीना अनीता में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रही थी, पर अनिल की छोटे से जांघिये में उस के उठे हुए लण्ड वाली और जांघिये को छोड़ कर बाकी पूरी नंगी तस्वीरों को वह थोड़े ज्यादा ही ध्यान से देख रही थी।

मैंने जैसे इसको देखा ही नहीं, ऐसे जताते हुए बोला, "जब अनिल ने मुझे अनीता की ऐसी आधी नंगी तस्वीरें देखते हुए पकड़ लिया तो मुझे बड़ी शर्मिंदगी हुयी। मैंने अनिल से माफ़ी मांगी। तब अनिल ने क्या कहा मालुम है?"

अनीता ने मेरी तरफ सवालिया नजर से देखते हुए अपनी उत्सुकता को दबाने का प्रयास करते हुए पूछा "क्या कहा अनिल ने?"

मैंने फ़ौरन कहा, "अनिल ने कहा, अनिता की ऐसी आधी नंगी तस्वीर यदि मैंने देख ली तो क्या हुआ? उसे तो उस समय बीच पर सैकड़ों लोगो ने आधी नंगी बिकिनी में देखा था। उसने कहा हम दोनों कपल में क्या अंतर है? अनीता और नीना या राज और अनिल सब एक ही तो हैं? हम को हमारे बिच ऐसा कोई अंतर नहीं रखना चाहिए। " मैंने फिर नीना से पूछा, "कुछ समझी?"

नीना बोली, "हाँ, सही तो है। हम दोनों कपल अब इतने करीब हैं की हम में एक तरहकी आत्मीयता है। उसने ठीक ही कहा। उसमें सोचने की क्या बात है?"

तब मैंने नीना के गाल पर चूंटी भरते हुए कहा, "हाय मेरी बुद्धू बीबी। तू इसका मतलब नहीं समझी। अनिल का कहने का मतलब शायद ये था की चाहे अनिल हो या मैं, तुम्हारे लिए दोनों बराबर होने चाहिए। और चाहे अनिल हो या मैं, अनीता के लिए भी दोनों बराबर होने चाहिए। इसका मतलब समझी?"

नीना फिर भी भोलेपन से मुझे ताकती रही तब मैंने कहा, "हे भगवान्, मेरी बीबी कितनी बुद्धू है। अरे अनिल यह इशारा कर रहा था की चाहे तुम हो चाहे अनीता हो अनिल के लिए दोनों पत्नीयां ही हैं। वैसे ही अनीता के लिए भी हम दोनों उसके पति ही हैं। इसका मतलब है हम एक दूसरे की पत्नियों की अदलाबदली कर सकते हैं। मतलब हम एक दूसरे की पत्नियों को चोद सकते हैं।"

यह सुनकर नीना एकदम अकड़ गयी और बोली, "यह क्या बात हुई। भाई एक दूसरे की बीबियों के साथ थोड़ा मिलना जुलना, थोड़ी शरारत अथवा थोड़ी सी छेड़ खानी ठीक है, पर अदलाबदली की बात कहाँ से आई? बड़ी गलत बात कही अनिल ने अगर उसका यह मतलब समझता है वह तो। पर मुझे लगता है शायद उसका कहनेका वह मतलब नहीं था। यह सब बातें तुमने ही बनायी लगाती है। वह तो शालीन और सीधासादा है।" मैं अपने ही मन में मेरी सरल पत्नी की यह बात सुन कर हंस रहा था। अनिल और सीधा सादा?"

मैंने तीर निशाने पर लगाने के लिए कहा, "अनिल ने और क्या कहा सुनोगी?" नीना ने अपनी मुंडी हिला कर हाँ कहा।

मैंने कहा, 'तब अनिल ने मुझसे पूछा, अगर तुम्हारी ऐसी आधी नंगी तस्वीरें हों तो मैं उनको अनिल के साथ शेयर नहीं करूँगा क्या? मैं क्या बोलता? मैंने कहा हाँ जरूर करूँगा।"

नीना यह सुनते ही एकदम सहम गई। वह मुझ से नजर भी मिला नहीं पा रही थी। शर्म से उसका मुंह लाल होगया था। नीना सोचमें पड़ गयी और बोली, "यदि मेरी ऐसी तस्वीर तुम्हारे पास होती तो क्या तुम अनिल को दिखाते? यह बात तो ठीक नहीं। पर खैर मेरी ऐसी तस्वीरें कहाँ है, जो तुम अनिल को दिखाओगे? हम तो हनीमून पर कहीं गए ही नहीं।" उसके चेहरे पर निराशा सी छा गयी।

मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा, " अब तो तुम्हें और मुझे ऐसे तस्वीरें खिंचवानी पड़ेंगी।"

नीना से पट से बोली, 'ताकि तुम उसे अनिल को दिखा सको?"

मैंने सीधे ही पूछा, "हाँ, वो तो मुझे दिखानी ही पड़ेंगी। मैंने वचन जो दे दिया है अनिल को। पर तब क्या तुमे ऐतराज़ होगा? अरे हाँ याद आया, अनिल ने तुमको आधा नंगा तो उस दिन देख ही लिया था न, जिस दिन तुम तौलिया लपेट कर उससे मिलने आयी थी?"

नीना ने कोई जवाब नहीं दिया। वह मेरेसे एकदम सट रही थी और गरम हो गई थी। उस रात भी हमने खूब जोर शोर से सेक्स किया। अब तो मुझे नीना को गरम करने की चाभी सी जैसे मिल गयी थी। जब भी नीना थकान का बहाना करके सोने के लिए जाती और अगर मेरा मूड उसे चोदने का होता तो मैं अनिल की कोई न कोई रसीली बात छेड़ देता। कई बार तो मुझे बाते बनानी पड़ती थी। परन्तु मेरी बुद्धू बीबी यह समझ नहीं पाती थी की मैं उसे चोदने के लिए तैयार करने के लिए यह सब सुना रहा था। अब मुझे इसी बात को आगे बढ़ाने के लिए अग्रसर होना था।

पर मुझे कुछ ज्यादा करने की जरुरत नहीं पड़ी। बात अपने आप ही बनने लग रही थी। एक दिन अनिल घूमते घूमते मुझे मिलने आया। मैं उस दिन टीवी पर मेरा मन पसंद एक खास मैच देख रहा था। तब नीना ने रसोई में से मुझे आवाज़ दी। वह मुझे एक डिब्बा उतारने के लिए कह रही थी। मैंने उसे कहा अनिल को कहो। वह उतार देगा। यह सुनकर अनिल एकदम रसोई में पहुंचा तो देखा की नीना को ऊपर के शेल्फ से एक डिब्बा उतारना था। अनिल ने नीना से कहा की वह प्लेटफार्म पर चढ़ कर डिब्बा उतार लेगा। पर नीना नहीं मानी।

उसके बुलाने पर भी मैं रसोई में नहीं गया उस बात से वह चिढ़ी हुयी थी। उसके सर पर एक तरह का जूनून सवार था की वह डिब्बा स्वयं ही उतारेगी। किसीकी मदद नहीं लेगी। वह खुद रसोई के प्लेटफार्म के ऊपर चढने की कोशिश कर रही थी। प्लेटफार्म की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण वह ऊपर चढ़ नहीं पा रही थी। उसने अपना एक पॉंव ऊपर उठाया और प्लेटफार्म पर रखा तो उसकी साड़ी सरक कर कमर पर आ गयी और उसकी जांघें अनिल के सामने ही नंगी हो गईं।

अनिल की शक्ल उस समय देखने वाली थी। वह नीना की खूबसूरत जाँघें देख भौंचक्का सा रह गया। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी। जब नीना ने अनिल के चेहरे के भाव देखे तो वह कुछ सकपका कर खड़ी हो गयी। उसने अपनी साडी ठीक की। अनिल ने अपने आप को सम्हाला और दुबारा कहा की वह लम्बा है और वह आसानी से डिब्बा उतार लेगा। पर नीना फिर भी न मानी।

नीना ने अनिल से कहा की वह खुद ही ऊपर चढ़ेगी। तब अनिल ने नीना को आगे बढ़ाया और खुद नीना के पीछे हो गया। नीना को सहारा देने के लिए अनिल ने थोड़ा झुक नीना की दोनों बगल में पीछे से अपने हाथ डाल दिए और बड़ी ताकत लगाकर उसे ऊपर उठाया। बाप रे, मुझे जब
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#12
बाप रे, मुझे जब बाद में पता लगा तो मेरे लण्ड से जैसे पानी झरने लगा। नीना के बगलों में हाथ डालके उसे ऊपर उठाने से अनिल का क्या हाल हुआ होगा यह समझना मुश्किल नहीं था। जरूर उसने कुछ तो शरारत की होगी।

मैं आज भी उस दृश्य की कल्पना करता हूँ। मेरी बीबी के पीछे उससे सटकर कैसे अनिल खड़ा होगा और उस समय उसका लण्ड कितना सख्त होगा और मेरी बीबी की खूबसूरत गाँड़ में पिछेसे कैसे धक्का दे रहा होगा यह तो मेरे लिए बड़ा उत्तेजना भरा सोचने का विषय था। वैसे भी इस बहाने उसने नीना के स्तनों को तो जरूर दबाया होगा। अनिल नीना के स्तनों पर फ़िदा था और जब भी उसे देखो तो उसकी नजर वहीं टिकी रहती थी।

नीना प्लेटफार्म पर तो चढ़ गयी पर लड़खड़ाने लगी। अनिल ने कस कर नीना के पाँव पकडे और कहा, “नीना भाभी संभल कर। गिरना मत।"

परन्तु नीना डिब्बा निचे उतारते लड़खड़ाई और सीधी अनिल पर जा गिरी। अनिल और नीना दोनों धड़ाम से निचे गिरे। निचे अनिल और उसके ऊपर नीना। जब मैंने धमाके की आवाज़ सुनी तो भागता हुआ रसोई में गया और देखा की बड़ा रोमांटिक सीन चल रहा था। नीना अनिल के उपर लेटी हुयी थी और अनिल नीना को अपनी बाहों में लिए हुए नीना के निचे दबा था। दोनों के होठ एक दूसरे को जैसे चुम्बन करने वाले थे। अनिल का एक हाथ नीना के एक स्तन पर था। मैं ठीकसे देख तो नहीं पाया पर अनिल और नीना के हावभाव से ऐसे लग रहा था जैसे शायद वह उस स्तन को जोर से दबा रहा था।



iloveall
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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thanks
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#13
next update
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#14
haa plz update
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#15
[quote='neerathemall' pid='5437171' dateline='1701926909']

न चाहते हुए भी मैं हंस पड़ा और ताली बजाते हुए बोला, "भाई वाह, क्या रोमांटिक सिन चल रहा है।"
अनिल और नीना एकदम हड़बड़ाते हुए उठ खड़े हुए। नीना ने अपनी साड़ी ठीक की और बोली, "मैंने तो तुम्हे बुलाया था। तुम्हे फुर्सत कहाँ? तुमने अपने इस मित्र को भेज दिया और देखो क्या हुआ। मैं क्या करती?" नीना के गाल शर्म के मारे लाल हो रहे थे। वह आगे कुछ बोल नहीं पायी।
जब मैं वापस ड्राइंग रूम में आया तो अनिल मेरे पीछे पीछे आया और बोला, "राज, मुझे माफ़ करदे यार। यह सब जान बुझ कर नहीं हुआ।"
मैं हंस पड़ा और बोला, "पागल मत बन। मैं जानता हूँ। यह सब अचानक ही हुआ था। और यह कौन सी बड़ी बात है? ठीक है यार, वैसे भी तो कई बार हम एक दूसरे की पत्नियोंसे गले मिलते ही हैं न? यह छोटी मोटी छेड़छाड़ तो चलती रहती है। चिंता मत कर।" यह कह कर जैसे मैंने उसको आगे बढ़नेकी हरी झंडी दे दी।
अब तो अनिल मेरा ऋणी हो गया। वह मुझको अपनी पत्नी से मिलवाने के लिए उतावला हो रहा था। एकदिन जब उसका फ़ोन आया उस समय मैं अपने घर में वाशिंग मशीन में कुछ छोटी मोटी खराबी थी उसे ठीक कर रहा था। मैंने अनिल को कहा , "मैं घर के सारे मशीनों, जैसे वाशिंग मशीन, टीवी, हीटर इत्यादि का छोटामोटा काम घर में ही कर लेता हूँ। सारा बिजली का काम भी मैं ही कर लेता हूँ। तुम्हें या अनीता को यदि कोई दिक्कत हो तो मुझे बेझिझक बुला लेना।"
यह सुन अनिल जैसे उछल पड़ा। वह कहने लगा की उसकी पत्नी अनीता घर में कोई भी उपकरण काम नहीं करते तो बड़ी गुस्सा हो जाती है और अनिल की जान को मुसीबत खड़ी कर देती है। मेरे प्रस्ताव से वह बहुत खुश हुआ और उसने कहा की वह जरूर मुझे बुलाएगा।
उसी दिन देर शाम को उसने मुझे फ़ोन किया और घर आने को कहा। उसने कहा की उसका टीवी नहीं चल रहा था। मैं अनिल के घर गया। मैंने तुरंत ही उसके टीवी को देखा तो बिजली के प्लग का तार निकला हुआ था। मैंने तार लगाया और टीवी चालू कर दिया। मुझे ऐसा लगा जैसे शायद अनिल ने ही वह तार जान बुझ कर निकाल दिया था ताकि वह उस बहाने मुझे बुला सके।
अनीता बहुत खुश थी। उसकी मन पसंद सीरियल तब आने वाली थी। अनीता इतनी खुश हो गयी की मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर मेरा धन्यवाद करने लगी। उसने कहा, "राज, अनिल इन मामलों में बिलकुल निकम्मा है। वह छोटा सा काम भी कर नहीं पाता।"
मैंने बड़ी नम्रता से कहा, "भाभी जी, आप निश्चिंत रहिये, यदि कोई भी ऐसी परेशानी हो तो कभीभी, ऑफिस समय छोड़ कर चाहे दिन हो या आधी रात हो, मुझे बुला लीजिए। ज़रा सा भी मत हिचकिचाइए। मैं हाजिर हो जाऊँगा।" यह सुन अनीता बहुत खुश हुई और चाय बनाने के लिए जाने लगी।
अनिल ने उसे रोककर कहा, "देखो अनीता, राज मेरा ख़ास दोस्त है। अगर मैं न भी होऊं और तुम्हें यदि कोई भी दिक्कत हो तो दिन हो या आधी रात, उसे बुलाने में कोईभी झिझक न करना।"
बस अब तो मेरा रास्ता भी खुलता दीख रहा था। अनीता ने अनिल के रहते हुए मुझे एक दो बार बुलाया। अनिल ने तब फिर अनीता को जोर देते हुए कहा की उस की गैर मौजूदगी में भी वह मुझे बुलाने में झिझके नहीं। अनिल काफी समय टूर पर जाता रहता था।
अनीता ने एकबार मुझे रात के दस बजे फ़ोन किया की उसके बाथरूम का नलका ज्यादा पानी लीक कर रहा था। यदि उसको तुरंत ठीक नहीं किया तो उसकी पानी की टंकी खाली हो सकती थी। अनिल उस समय टूर पर था।
जब अनीता का फ़ोन आया तब मैंने अपने पास पड़े हुए सामानमें से कुछ वॉशर, प्लास इत्यादि निकाला। जब नीना ने पूछा तो मैंने सारी बात बतायी। नीना मेरी और थोड़ी टेढ़ी नजर करके देखा, पर कुछ ना बोली। मैंने उससे पूछा, “तुम चलोगी क्या? तब वह बोली, "बुलाया तो तुमको है। मैं क्यूँ बनूँ कबाब मैं हड्डी?"
जब मैं खिसिया सा गया तो हंस कर बोली, "अरे मियां, तुम जाओ, मैं तो मजाक कर रही थी। मैं बहुत मजेदार सीरियल देख रही हूँ। जाओ अपना काम करके आ जाना।"
फिर थोड़े धीरे शरारत भरे ढंग से बोली, "अगर कुछ बताने लायक हो तो बताना। छुपाना मत। मैं बुरा नहीं मानूंगी।"
मैं भी उसे कहाँ छोड़ने वाला था? मैंने कहा, "हाँ, जरूर बताऊंगा। पर निश्चिंत रहना, मैं अनिता को रसोई के प्लेटफार्म पर चढ़ा कर निचे नहीं गिराऊंगा।"
मेरे मजाक से मेरी भोली बीबी झेंप सी गयी। तब मैंने उसके होंठ पर किस करते हुए हंस कर कहा, “जानेमन, मैं भी मजाक ही कर रहा था।“
मैं अनीता के घर गया उस समय वह नाईटी पहने हुए थी। उसने अंदर कुछ भी नहीं पहन रखा था। मुझे देखकर उसने अपने कंधे पर एक चुन्नी सी डाल दी और बोली, "देखो ना, मैं आपको इतनी देर रात को परेशान कर रही हूँ। पर क्या करूँ? अनिल नहीं है। खैर, वह होता तो भी क्या करता? वह तो दूसरे दिन प्लम्बर को बुलाऊंगा यह कह कर सो जाता। तुमने कहा था की मैं तुम्हे आधी रात को भी बुला सकती हूँ। तब फिर मैंने हिम्मत करके तुम्हे बुलाया। अगर यह अभी ठीक नहीं हुआ तो पूरी रात पानी जाता रहेगा और कल सुबह टंकी खाली हो जाएगी। फिर घर का सारा काम ठप्प हो जायगा।“ अनिता बेचारी बड़ी परेशान लग रही थी।
मैंने बाथरूम में जाकर देखा की नलके का वॉशर खराब था। मैं जब बाथरूम में घुसा तो अनीता भी मेरे साथ बाथरूम में घुसी। मैं एक स्टूल सा लेकर बैठ गया। अनीता आकर ठीक मेरे बगल में खड़ी हो गयी। मैं उसकी गरम साँसों को अपने गालों पर महसूस कर रहा था। एक दो बार मैंने अपनी कोहनी हटाई तो उसके बूब्स से टकराई। मेरे शरीर में जैसे एक झनझनाहट सी दौड़ गयी। मेरी धड़कनें तेज हो गयी। मेरा मेरा ध्यान काम पर कहाँ लगना था। वह इतनी करीब खड़ी थी की मेरी कोहनी उसके भरे हुए स्तन को जैसे छू रही थी। मेरी तो हालत ख़राब थी, पर अनीता को तो जैसे कोई फरक नहीं पड़ता था। मैंने अपने पास से एक वॉशर निकाला और झटसे बदल दिया।
बस नलका टपकना बंद हो गया। अनीता ऐसी खुश हुयी जैसे उसकी लाटरी लग गयी हो। जैसे ही मैं बाथरूम से बाहर निकला तो वह मुझसे लिपट सी गयी। मैं क्या बताऊँ मेरी हालत कैसी थी। मेरा लण्ड मेरी पतलून में ऐसे खड़ा हो गया था जैसे सैनिक परेड में खड़ा हो। अनीता जब मुझसे लिपट गयी तब शायद उसने भी मेरे कड़क लण्ड को महसूस किया होगा। वह थोड़ी झेंप कर अलग हो गयी और बोली, "राज, मैं आज तुम्हे बता नहीं सकती की मैं कितनी खुश हूँ। आज शाम से मैं परेशान थी की मैं क्या करूँ। तुम्हें डिस्टर्ब करने के लिए मुझे माफ़ तो करोगे न? पता नहीं मैं तुम्हारा यह अहसान कैसे चुकाऊंगी।" अनीता ने फिर मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और उसे सहलाते अपना आभार जताया।
मैंने यह बोलना चाहा की, "बस एकबार मुझसे चुदवालों, हिसाब बराबर हो जाएगा। " पर मैं कुछ बोल नहीं पाया।
मैंने अनीता के कन्धों पर अपना हाथ रखा और बोला, "अनीता, अनिल ने एक बार मुझसे कहा था की मैं नीना में और तुम में फर्क न समझूँ, और तुम और नीना, अनिल और मुझ में फर्क मत समझना। क्या तुम भी अनिल से सहमत हो?”
अनीता ने अपनी मुंडी हिलायी और बिना बोले अपनी सहमति जतायी।
मैंने कहा, "तो फिर एहसान कैसा? अगर यही समस्या नीना की होती तो क्या मैं उसके लिए इतना काम न करता?"[Image: nayan-tara-geniusin.gif] मेरी यह बात सुनकर अनीता थोड़ी सी इमोशनल हो गयी। वह मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर तक छोड़ने आयी। बाहर जाते जाते एकदो बार अनीता के भरे हुए बड़े बडे मम्मे मेरी बाँहों पर टकराये। मैं समझ नहीं पाया की क्या यह अनीता जान बुझ कर कर रही थी और मुझे कोई इशारा कर रही थी या चलते चलते चलते हिलते हुए वह अनायास ही मेरी बाहों से टकरा गए थे।
मैंने भी अनीता को यह सन्देश दे डाला की वह मुझमें और अनिल में फर्क ना समझे। मैं बाहर जाकर अपनी बाइक पर बैठ कर वापस चला आया।
उसदिन के बाद कुछ दिनों तक कई बार मुझे अफ़सोस होता रहा की यदि उसदिन मैं चाहता तो शायद अनीता को अपनी बाँहों में लेकर उसको किस करता उस के गोरे बदन को नंगा कर और शायद चोद भी पाता। परंतु मैं जल्द बाज़ी में हमारे संबंधों को बिगाड़ना नहीं चाहता था।
मैं जब वापस आया तब नीना बिस्तरमें मेरा इंतजार कर रही थी। मैं जानता था की वह मुझसे वहाँ क्या हुआ यह सुनने के लिए बेताब थी। मैंने भी हाथ मुंह धोया और बिस्तर में उसके पास जाके अपने कपडे निकाल के लेट गया। उसने जब महसूस किया की मैं तो बिल्कुल नंगा बिस्तर में घुसा हुआ हूँ तो बोली, "लगता है आज कुछ तीर मार के आये हो तुम। बोलो, चिड़िया जाल में फँसी या नहीं।"
मैने नीना को अपनी बाँहों में घेर लिया। मैं उसके नाइट गाउन को उतारने में लग गया। उसके नाइट गाउन को खोल कर उसे बाजू में रख कर फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके मुंह पर मुंह लगा कर उसके रसीले होंठ चूसने लगा। मेरा खड़ा लंड उसकी चूत को टक्कर मार रहा था। वह कुछ बोलना चाहती थी, पर चूँकि मैंने उसके होठ होंठ कास कर दबाये हुए थे इसलिए वह कुछ बोल नहीं पायी।
मैंने धीरे से अपने होंठ हटाये और बोला, "चिड़िया जाल में तो फंस सकती थी, पर मैंने उसे नहीं फंसाया। मैं उसे आसानी से फंसा लूंगा अगर तुम सपोर्ट करो तो।"
“तुम्हे मुझसे सपोर्ट चाहिए, एक दूसरी औरत को फ़साने के लिए?” बड़े आश्चर्य से उसने पूछा।
मैंने उसे सहलाते हुए कहा, "हाँ। मुझे तुम्हारा सपोर्ट ऐसे चाहिए की हम कुछ ऐसा करें की जिससे ऐसा ना लगे की अनिल पर या तुम पर पर कोई ज्यादती हो रही है।"
नीना बड़ी उत्सुकता से मेरी बात सुन रही थी। मैंने कहा, "अगर में आज अनीता के साथ कुछ करता और अगर तुम्हे या अनिल को वह मालूम पड़ता, तो क्या तुम्हें मनमें एक तरह की रंजिश न होती? क्या अनिल इससे आहत न होता?" नीना मेरी बात बड़े ध्यान से सुन रही थी। उसने अपना सर हिलाके हामी भरी।
मैंने फिर मेरी पत्नी को सारा किस्सा सुनाया। मैंने उससे कुछ भी नहीं छुपाया। मैंने कहा, "शायद यदि मैं चाहता तो अनीता को अपनी बाँहों में आज जक़ड सकता था, चुम भी सकता था, और शायद चोद भी सकता था। पर मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। मैं तुम्हे बताये बिना कोई ऐसा काम नहीं करूँगा जिससे तुम्हे चोट पहुंचे। "
मेरी बात सुनकर नीना भावुक हो गयी और बोली," यही बात तुम्हारे दोस्त पर भी लागू होती है। तुम उस दिन अनिल के बारे में मुझे खरी खोटी सूना रहे थे न? तुम्हारे कहने पर मैं जब अनिल के सामने तौलिया पहन के आयी तो उसने मुझे छुआ भी नहीं। वह चाहता तो सब कुछ कर सकता था। मैं भी उसे शायद रोक नहीं पाती। हम एकदूसरे के इतने करीब खड़े थे। तब भी उसने कुछ नहीं किया। हाँ वह बादमें थोड़ा भावुक हो गया और मुझे बाहों में ले लिया। पर तुरंत उसने मुझसे माफ़ी भी मांगी। हाँ, मैं ये मना नहीं करुँगी के अगर मैं उसे और ज्यादा लिफ्ट देती तो वह मुझे छोड़ता नहीं। शायद मुझे वहीँ चोद देता। पर वह तो हर मर्द करता।“
एक तरफ मेरी बीबी यह कह रही थी की अनिल ने उसे छुआ भी नहीं पर तुरंत वह कह रही थी की अनिल ने उसे अपनी बाहों में ले लिया था। मैं समझ गया की नीना अनिल का पक्ष ले रही थी।
नीना मेरे पास आयी और मुझे अपने हाथों से मेरी छाती पर पिटनेका नाटक करती हुई बोली, "यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है । न तुम मुझे अनिल को उकसाने के लिए कहते और न यह सब होता। मुझे आज इतनी शर्मिंदगी महसूस हो रही है।" यह बोलते हुए भी मेरी बीबी का मुंह शर्म से जैसे लाल हो गया।
तब मैंने अपनी बीबी के गाल चूमकर कहा, "जानू, देखो, तुम इतनी परेशान न हो। उसने भी तो उसकी बीबी की आधी नंगी तस्वीरें मुझे दिखाई थी न? सही मायने में तो मैंने अनिल का कर्ज उतार दिया। उसने मुझे अपनी बीबी की आधी नंगी तस्वीरें दिखायीं तो मैंने तो उसे मेरी बीबी ही आधी नंगी दिखा दी।“
मैंने महसूस किया की तब मेरी बीवी इतनी कामान्ध हो गयी की उसने अपनी पोजीशन बदली और मेरे पॉव के बिच पहुँच कर मेरा लण्ड अपने मुंह में डाल कर बड़े प्यार से चाटने लगी। फिर धीरे से वह मेरे लण्ड को मुंह के अंदर बाहर करने लगी जैसे वह मुंहसे अपनी चुदवाइ करवा रही हो। मैं बहुत उत्तेजित हो गया था। मेरे लण्ड में गरम खून दौड़ रहा था। उत्तेजना के मारे मैं अपने आप को सम्हाल नहीं पा रहा था।
जो मेरी प्यारी पत्नी ने हमारी शादी के इतने सालों से नहीं किया था, वह आज कल वह आसानी से मुझे खुश करने के लिए कर रही थी। आजतक उसने मेरे कई बार कहने पर भी मेरा लण्ड कभी भी अपने मुंह में नहीं डाला था। आजकल वह मेरे आग्रह किये बिना ही मुझे खुश करने के लिए वह मरे लण्ड को न सिर्फ मुंह में डालती थी पर उसे बड़े प्यार से चूसती भी थी। उसे पता था की ऐसे करने से मैं बहुत उत्तेजित हो जाता हूँ। मेरी प्यारी पत्नी के साथ मैं अब वैवाहिक जीवन का वह आनंद उठा रहा था जो मुझे शादी के सात सालों में भी नसीब नहीं हुआथा। कहीं ना कहीं इसमें अनिल का भी योगदान था इसमें कोई शक नहीं था।
मैंने उसे मेरी टांगो के बिच से उठाकर अपने सीने से लगाया और बोला, "डार्लिंग, मैं तुम्हे इतना चाहता हूँ की जिसकी कोई सीमा नहीं। मैं तुम्हें जीवन के सब सुख अनुभव करवाना चाहता हूँ। एक मर्द जीवन में कई औरतों से सेक्स का अनुभव करता है। मैंने भी तुम्हारे अलावा कुछ लड़कियों को और औरतों को शादी से पहले सेक्स का अनुभव कीया है। अगर तुम मुझसे इतना प्यार नहीं करती तो मैंने शादी के बाद भी किसी न किसी औरत से सेक्स कीया होता या करता होता। मैं तुम्हें भी ऐसे आनंद का अनुभव करवाना चाहता हूँ पर चोरी से या छुपके नहीं। अपने पति के सामने, उसके साथ, उसकी इच्छा अनुसार। अपनी पत्नी या अपने पति के अलावा और किसीको चोदने में या और किसीसे चुदवाने में कुछ अनोखी ही उत्तेजना होती है। यह मैं जानता हूँ। वही आनंद मैं चाहता हूँ की तुम अनुभव करो।“
मुझे तब ऐसा लगा जैसे मेरी बात सुनकर नीना कुछ रिसिया गयी। वह मेरा हाथ छुड़ा कर बोली, "जानू, मैं सच बोलती हूँ। मुझे मात्र तुमसे ही सेक्स का आनंद लेनाहै। मैं तुम से बहुत ही खुश हूँ। पर लगता है तुम मुझ से खुश नहीं हो इसीलिए ऐसा सोचते हो। मैंने तुम्हें पूरी छूट दे रखी है। जहां चाहे जाओ, जिस किसीको चोदना है चोदो। मैं तुम्हे नहीं रोकूंगी।"
फिर मैंने नीना की चिबुक पकड़ कर कहा, "मेरी प्यारी डार्लिंग मेरी कसम है यदि तू ज़रा सा भी झूठ बोली तो। सच सच बताना, अनिल ने जब तुझे बाँहों में लेकर डांस किया था और जब तुम अनिल के ऊपर धड़ाम से गिरी और उस समय जब अनिल ने तुम्हे बाहों में लिया और तुम्हारे बूब्स दबाये तो क्या तुम उत्तेजित नहीं हुयी थी? आज सिर्फ सच बोलना।"
नीना जैसे सहम गयी। उसने कभी सोचा भी नहीं था की इस तरह कभी उसे भी कटहरे में खड़ा होना पड़ेगा। उसके गाल शर्म के मारे लाल हो गये। थोड़ी देर सोच कर वह बोली, "हां यह सच है। मैं झूठ नहीं बोलूंगी। उसे छू कर मेरे जिस्म में रोमांच सा हो रहा था। पर मैंने कभी भी उसके या किसी और के बारे में ऐसा वैसा नहीं सोचा। एक बात और भी है। शादी का बंधन एक नाजुक धागे से बंधा हुआ है। कभी कभी उसे ज्यादा खींचने से वह धागा टूट सकता है। ऐसे पर पुरुष सम्बन्ध का मतलब उस धागे को ज्यादा खींचना। एक बात और। अपनी पत्नी को पर पुरुष से जातीय सम्बन्ध के लिए उकसाना खतरनाक भी हो सकता है। हो सकता है मुझे दुसरेसे चुदवाने में मझा आने लगे और मैं बार बार दूसरे मर्द से चुदवाना चाहुँ तो?"
बातों बातों में मेरी सीधी सादी पत्नी ने मुझे वैवाहिक सम्बन्ध की वह बात कह डाली जो एक सटीक खतरे की और इंगित करती थी। मेरी बीबी ने मुझसे अनिल का नाम लिए बगैर यह भी कह दिया की एक बार चुदने के बाद हो सकता है वह अनिल से बार बार चुदवाना चाहे। तब फिर मुझे इसकी इजाज़त देनी होगी। पर मैंने इस बारे में काफी सोच रखा था और मेरी पत्नी के लिए मेरे पास भी सटीक जवाब था। हालांकि मेरी पत्नी की बातों से मुझे एक बात साफ़ नजर आयी की पिछले कुछ दिनों में नीना और अनिल के थोड़े करीब आने से मेरी पत्नी का अनिल के प्रति जो भय अथवा वैमनस्य था, वह नहीं रहा था। मुझे अब हमारा रास्ता साफ़ नजर आ रहाथा।
तब मैंने कहा, " डार्लिंग, मुझे एक बात बताओ, मानलो जिस दिन तुम अनिल के सामने तौलिये में खड़ी थी अनिल ने तुम्हे यदि चोद दिया होता, तो क्या तुम मुझे छोड़ देती? या क्या मैं तुम्हें छोड़ देता? मैं तुम्हें यह कहना चाहता हूँ की सेक्स और प्रेम में बहुत अन्तर है। आज हम पति पत्नी मात्र इस लिए नहीं हैं क्योंकि हम एक दूसरे से सेक्स करते हैं। बल्कि हम पति पत्नी इस लिए भी हैं क्योंकि हम न सिर्फ एक दूसरे से प्यार एवं सेक्स करते हैं पर एक दूसरे की जिम्मेदारियां, खूबियाँ और कमियां हम मिलकर शेयर करते हैं और उसका फायदा या नुक्सान हम क़बूल करते हैं। यदि हम अपने इस बंधन से वाकिफ हैं तो ऐसी कोई बात नहीं जो हमें जुदा कर सके। मैं तो एक जातीय अनुभव करने मात्र के लिए ही कह रहा हूँ।" नीना कुछ न बोली और चुपचाप मुझे टेढ़ी नज़रों से देखने लगी।
उस रात को नीना बहुत खिली हुई लग रही थी। मैंने मेरी पत्नीको इतनी बार झड़ते हुए कभी नहीं देखा। शायद वह हमारी बातों को याद करके अपने ही तरंगों में खोयी हुई थी।
मेरी ज़िन्दगी में बहार सी आ गयीथी। अब मैं पहले से कई गुना खुश था। दूसरी और अनिल भी अपने सपनों में था। उस दिन जब रसोई में वह नीना के इतने करीब आ पाया था, यह सोचने से ही उत्तेजित हो रहा था। पहले उसने जब नीना को देखा था तो वह उसे एक मात्र सपनों में आनेवाली नायिका के सामान लग रही थी। वह नायिका जो मात्र सपनों में आती है और जिसके छूने कि कल्पना मात्र करने से पुरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ जाती है। वह वास्तव में भी कभी इतने करीब आएगी यह सोचने से ही उसके बदन में एक आग सी फ़ैली जा रही थी।
एकदिन शाम को हम दोनों दोस्त एक क्लब में जा बैठे। अनिल उसी दिन अपने टूर से वापस आया था। मैं वास्तव में बहुत खुश था। पिछली रात को नीना ने मुझे गले लगा कर इतना प्यार कियाथा की मैं उसके नशे में तब तक झूम रहा था। अनिल ने मुझे इतने खुश होने का कारण पूछा। मैंने उसे कहा की इसका कारण वह खुद ही था। अनिल एकदम अचम्भे में पड़ गया। उस से जो मैं कहना चाहता था कह नहीं पाया और चुप हो गया। अनिल ने तब कहा, "खैर, मुझे यह बताओ की मेरे घरमें तुम्हारी विजिट कैसी रही? अनीता ने मुझे कहा की उसने एक बार तुम्हे रात को घर बुलाया था।"
मैंने फिर वही सारी कहानी पूरी सच्ची अनिल को सुनाई। जब अनिल ने सुना की अनीता मुझसे लिपट गयी थी तो वह जोर से हंस पड़ा और बोला, "देखा, मेरी बीबी ने भी यह बात मुझसे छुपाई थी। पर तुमने मुझसे नहीं छुपाई। अरे यार, तुम तो बड़े सच्चे और कच्चे निकले। तुम्हारी जगह अगर मैं होता न तो मैं तो अनीता की बजा ही देता।"
मैंने उसके मुंह पर हाथ रखते हुए कहा, "यार, मैं कोई साधू नहीं। पर तू मेरा पक्का दोस्त है। देख मैंने भी बड़ी मुस्श्किल से संयम रखा था। मन तो मेरा भी उछल रहा था। पर मैं तुम्हें आहत करना नहीं चाहता था।"
अनिल ने तब मुझे एक बात कही। उसने कहा, "यार, तू क्या समझता है? मैं क्या अपनी बीबी को तेरे बारे में बताता नहीं हूँ? मैं अनीता को दिन रात तेरे बारे में बताता हूँ। मैंने तो मेरी बीबी से यहां तक कह दिया है, की यदि राज तुमसे थोड़ी बहुत छेड़खानी भी करे तो बुरा मत मानना। वैसे सच बताओ यार, तुम्हे मेरी बीबी कैसी लगी?"
मैं यह सुनकर हक्काबक्का सा रह गया। तब फिर मरी झिझक थोड़ी कम हुई। मैंने अनिल से पास जाते हुए कहां, "अनिल, सच कहूं। जब अनीता मेरे इतनी करीब बैठी ना तो मेरे तो छक्के छूट गए। मैं तो पसीना पसीना हो गया। बाई गॉड यार, भाभी तो कमाल है।"
अनिल ने तब मुझे एक बात कही। उसने कहा, "यार, तू क्या समझता है? मैं क्या अपनी बीबी को तेरे बारे में बताता नहीं हूँ? मैं अनीता को दिन रात तेरे बारे में बताता हूँ। मैंने तो मेरी बीबी से यहां तक कह दिया है, की यदि राज तुमसे थोड़ी बहुत छेड़खानी भी करे तो बुरा मत मानना। वैसे सच बताओ यार, तुम्हे मेरी बीबी कैसी लगी?"
मैं यह सुनकर हक्काबक्का सा रह गया। तब फिर मरी झिझक थोड़ी कम हुई। मैंने अनिल से पास खिसकते हुए कहां, "अनिल, सच कहूं। जब अनीता मेरे इतनी करीब बैठी ना, तो मेरे तो छक्के छूट गए। मैं तो पसीना पसीना हो गया। बाई गॉड यार, भाभी तो कमाल है।"
अनिल ने मुझे एक धक्का मारते हुए कहा, "यह क्यों नहीं कहते की वह माल है। यार वह है ही ऐसी। कॉलेज मैं हम सब उस पे मरते थे। सब लड़के उसे देख कर सिटी बजाते थे। बेटा तू आगे बढ़ मैं तेरे साथ हूँ।"
मैंने भी अपनी झिझक को बाहर निकाल फेंका और बोला, "एक बात कहूं? मैं और नीना भी तुम्हारे बारेमें बहुत बातें करते हैं। मैं उसे तेरे करीब लाने की कोशिश करता हूँ। वह भी तुझे अच्छा मानती तो है, पर उससे आगे कुछ भी बात नहीं करना चाहती।"
अनिल ने तब मेरा कन्धा थपथपाते हुए कहा, "दोस्त, अब हम एक दूसरे के सामने जूठा ढ़ोंग ना करें। सच बात तो यह है की हम दोनों एक दूसरे की बीवी से सेक्स करना चाहते हैं। शायद बीबियों को भी हम पसंद है। पर वह अपनी कामना जाहिर नहीं कर सकती और चुप रह जाती है। हमारी बीबियाँ एक असमंजस मैं है। तूने जो अब तक किया वही बहुत है। अब इसके आगे मुझे कुछ करने दे। बस मुझे तेरी इजाजत और सपोर्ट चाहिए।“
मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, "मैं तेरे साथ हूँ। अब तो आगे बढ़ना ही है। "
पर इस बातचित के बाद काफी समय तक हम एक दूसरे से मिल नहीं पाए, हालांकि हमारी फ़ोन पर बात होती रहती थी। अनिल और मैं अपने ऑफिस के काम में व्यस्त हो गए और एक दूसरे के घर आना जाना हुआ नहीं। कई बार नीना अनिल के बारेमें पूछ लेती थी, तब मैं मेरी अनिल से हुयी टेलीफोन पर बातचीत का ब्यौरा दे देता था। ऐसे ही कुछ हफ्ते बीत गए। समय को बितते देर नहीं लगती। सर्दियाँ जानेको थी। गर्मी दरवाजे पर दस्तक दे रही थी। शहर के लोग मस्ती में होली के त्यौहार की तैयारियां कर रहे थे। हर साल हम होली के दिन एक दोस्त के वहां मिलते थे। सारे दोस्त वहीं पहुँच कर एकदूसरे को और एक दूसरे की बीबियों को रंगते थे।
माहौल एकदम मस्ती का हुआ करता था। थोड़ी बहुत शराब भी चलती थी। नीना और मैं करीब सुबह ग्यारह बजे उस दोस्त के घर पहुंचे तो देखा की अनिल भी वहां था। हम सबने एक दूसरे को अच्छी तरह से रंगा और फिर अनिल और मैं लॉन में बैठ कर गाने बजाने के कार्यक्रम में जुड़ गए। नीना घर में दूसरी महिलाओं के साथ थी।
तब मैंने देखा की अनिल उठकर घर में चला गया। मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। ऐसे ही गाने बजाने में आधा घंटा बीत गया था। तब अनिल वापस आ गया। वह खुश नजर आरहा था। वह निकलने की जल्दी में था। उसने मुझे बाई बाई की और चल पड़ा। थोड़ी ही देर में नीना और दूसरी औरतें आ गयी और हम सब घर जाने के लिए तैयार हुए। पहले तो मैं नीना को पहचान ही नहीं सका। दूसरी औरतों के मुकाबले वह पूरी रंग से भरी हुई थी। खास तौर से छाती और मुंह पर इतना रंग मला हुआ था की वह एक भूतनी जैसी लग रही थी। उसके कपडे भी बेहाल थे।
मैं उसे देख कर हंस पड़ा। मैंने पूछा, "लगता है मेरी खूबसूरत बीबी को सब लोगों ने इकठ्ठा होकर खूब रंगा है।“
तब नीना ने झुंझलाहट भरी आवाज में पूछा, "अनीता को नहीं देखा मैने। वह आयी नहीं थी क्या?"
मैंने कहा, "मैंने भी आज उसे देखा नहीं। शायद आज वह यहां नहीं आयी।“
तब नीना एकदम धीरे से बड़बड़ाई, "तभी में सोचूं, की जनाब इतने फड़फड़ा क्यों रहे थे। "
मैंने पूछा, "किसके बारेमे कह रही हो?" मेरी पत्नी ने कोई उत्तर नहीं दिया। हम तुरंत ही मेरी बाइक पर सवार हो कर चल दिए।
घर पहुँच कर मैंने देखा तो नीना कुछ हड़बड़ाई सी लग रही थी। मैंने जब पूछा तो मुझे लगा की नीना अपने शब्दों को कुछ ज्यादा ही सावधानी से नापतोल कर बोली, "देखिये, ऐसी कोई ख़ास बात नहीं है। आप किसीको कुछ बताइएगा नहीं। पर आपके दोस्त अनिल ने मरे साथ क्या किया मालुम है? तुम्हारे दोस्त के घर में अनिल मुझे कुछ बहाना बना कर पीछे के कमरे में ले गया और उसने मुझ पर ऐसा रंग रगड़ा ऐसा रंग रगडा की मेरी साड़ी ब्लाउज यहां तक की ब्रा के अंदर भी रंग ही रंग कर दिया। होली के बहाने उसने मुझसे बड़ी बद तमीज़ी की। [Image: images?q=tbn:ANd9GcQ9tWkFJNe31QNfaIutmq3...Q&usqp=CAU]मैं आप को क्या बताऊँ उसने मेरे साथ क्या क्या किया। उसने मेरी ब्रैस्टस दबाई और उनमें रंग रगड़ता रहा। आप उसे बताइये की यह उसने अच्छा नहीं किया। राज, मैं चिल्लाती तो सब लोग इकठ्ठा हो जाते। मैंने उसे कहा अनिल ये क्या कर रहे हो। पर उसने मेरी एक न सुनी.








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[color=#000000][size=medium][font=ProximaNovaMedium, sans-seri.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#16
update please
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#17
nice story and base is also nice please continue.
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#18
Shandaar seducing kamuk kahani
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#19
(19-12-2023, 10:13 AM)neerathemall Wrote: [Image: images?q=tbn:ANd9GcTHT5rcp-5qN9yvg1tyLyS...w&usqp=CAU]
मैंने जैसे ही यह सूना तो मेरा तो लण्ड अपनी पतलून में फ़ुफ़कार ने लगा। मैंने मन ही मन में सोचा, “अरे वाह, मेरे शेर! तुम ने तो मैच शुरू होने से पहले ही गोल दागना शुरू कर दिया।“
नीना को ढाढस देते हुए मैंने कहा, "देखो डार्लिंग यह होली का त्योहार है। एक दूसरे की बीबियों को छेड़ना उनपर रंग डालना, उनसे खेल खेला करना, मजाक करना और कभी कभी सेक्सी बातें करना होता है। इस पर बुरा नहीं मानना चाहिए। पर तुम तो काफी नाराज लग रही हो। मुझे पक्का नहीं पता पर आज अनीता शायद अपने मायके गयी है। दो तीन दिन पहले मुझे अनिल ने बताया था की उसकी बीबी होली में शायद मायके जाएगी। उसके घर में अनिल अकेला है। मैं आज शाम को उसे महा मुर्ख सम्मलेन में हमारे साथ जाने के लिए आमंत्रित करने का सोच रहा था। अब तो मैं उसको थोड़ा डाँटूंगा तो वह वैसे भी नहीं आएगा। तुम कहो मैं क्या करूँ?" मैंने नीना से ही उसके मन की बात जाननी चाही। 
मेरी भोली भाली पत्नी एकदम सोच में पड़ गयी। वह थोड़ी घबरायी सी भी थी। थोड़ी देर बाद वह धीरे से बोली, "बाप रे, अनिल शाम को भी आएगा? वह भी अकेले? अम्मा, मेरी तो शामत ही आ जायेगी।"
फिर नीना एकदम चुप सी हो गयी। नीना की सूरत कुछ गुस्सेसे, कुछ शर्म से और बाकी रंग से एकदम लाल हो रही थी। वह रोनी सी सूरत बना कर फिर दोबारा बोली, "देखिये, मुझे आप को कहना था सो मैंने कह दिया। अब आगे आप जानो। पर हाँ, आप बात का बतंगड़ मत बनाना। आप अनिल को कुछ मत कहिये । डांटने का तो सोचना भी मत। मैं नहीं चाहती के इस बात पर आप दोनों घने दोस्तों में कुछ अनबन पैदा हो। अगर होली में आम तौर से ऐसा होता है तो फिर ठीक है। अब तो मैं सोच रही हूँ की अगर मैंने आप को यह सब नहीं बताया होता तो अच्छा होता। बल्कि आप यह समझो की मैंने आप को कुछ नहीं बताया। मैं अपनी शिकायत वापस लेती हूँ। आप उसे जरूर बुलाओ। जो मैंने कहा उसे भूल जाओ। आज शायद उसको शराब चढ़ गयी थी। इसी लिए उसने यह हंगामा किया। बात यहीं खत्म करो। जाने दो। उसको डांटना मत, प्लीज?"
मेरी सीधी सादी पत्नी की बात सुनकर मैं मन में हंसने लगा। मैंने मन ही मन हंसकर लेकिन बाहर से गम्भीरता दिखाते हुए बोला, "अगर तुम इतना कहती हो तो चलो मैं अनिल को नहीं डाँटूंगा और उसे बुला लूंगा। पर एक शर्त है। देखो तुम अनिल को तो जानती हो। वह रंगीली तबियत का है। उपरसे आज होली का त्यौहार है। आज तुम अकेली औरत हो। अनीता भी नहीं है। तो और किसको छेड़ेंगे हम? यदि वह तुम्हे और छेड़ता है तो चिल्लाना मत। हो सकता है मैं भी तुम्हारे साथ थोड़ी शरारत कर लूँ। हम थोड़ी शराब भी पी सकते हैं, तो प्लीज बुरा मत मानना और हंगामा मत करना। मैं चाहता हूँ की हम सब मिल कर खूब मौज करें और होली मनाएं। ठीक है ना? तुम गुस्सा तो नहीं करोगी ना?”
जब नीना ने भांप लिया की मैं सुबह वाली बात को लेकर अनिल से ऐसी कोई लड़ाई झगड़ा नहीं करूँगा तो उसकी जान में जान आयी। तब वह होली के मूड में आ गयी। नीना ने आँख नचाते हुए कहा, "मैंने गुस्सा किया भी तो तुम मेरी सुनोगे थोड़े ही? खैर मैं गुस्सा नहीं करुँगी बस?”
“और हर होली की तरह बादमें देर रात को फिर तुम मौज करवाओगी ना?" मैंने नीना को आँख मारते हुए पूछा। 
नीना ने हंसकर आँख मटक कर कहा, "जरूर करवाउंगी। निश्चिंत रहो। अगर नहीं करवाई तो तुम मुझे छोड़ोगे क्या?" मुझे ऐसा लगा की मेरी रूढ़िवादी पत्नी को भी तब होली का थोड़ा रंग चढ़ चूका था। 

जैसे की आप में से कई लोगों को पता होगा, जयपुर एक सांस्कृतिक शहर है और उसमे कई अच्छे सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं। होली के समय रामनिवास बाग़ में एक कार्यक्रम होता था जिसका नाम था "महां मुर्ख सम्मेलन" यह कार्यक्रम रात दस बजे शुरू होता था एवं पूरी रात चलता था और उसमे बड़े बड़े हास्य कवी पुरे हिंदुस्तान से आते थे। वह अपनी व्यंग भरी हास्य रस की कविताएं सुनाते थे और लोगों का खूब मनोरंजन करते थे। कार्यक्रम खुले मैदान में होता था और चारों तरफ बड़े बड़े लाउड स्पीकर होते थे। पूरा मैदान लोगों से भर जाता था।

मैं और मेरी पत्नी हर साल इस कार्यक्रम में जाते थे और करीब करीब पूरी रात हास्य कविताओं का आनंद उठाते थे। मेरी पत्नी नीना बड़े चाव से यह कार्यक्रम सुनती और बहुत खुश होती थी। इस कार्यक्रम सुनने के बाद मुझे खास वीआईपी ट्रीटमेंट मिलती और उस रात हम खूब चुदाई करते। 
नीना की अनुमति मिलने पर मैंने अनिल को फ़ोन करके पूछा, "क्या तुम और अनीता रात को दस बजे हमारे साथ महा मूर्ख सम्मलेन में चलोगे? पूरी रात का कार्यक्रम है।"
अनिल ने कहा, "मैंने तो तुम्हे बताया था न, की अनीता एक हफ्ते के लिए अपने मायके गयी है? मैं घर में अकेला हूँ। मैं अपनी एम्बेसडर कार लेकर जरूर आऊंगा। हम उसी मैं चलेंगे। पर क्या नीना भाभी को पता है की तुम मुझे बुलाने वाले हो? क्या उन्हें पता है की आज मैं अकेला हूँ?" मैं समझ गया की दुपहर की शरारत का नीना पर कैसा असर हुआ है वह जानने के लिए अनिल लालायित था। 
मैंने कहा, "हाँ भाई। मैंने नीना को बताया, और उसकी सम्मति से ही मैं तुमको आमंत्रित कर रहा हूँ।" मैं कल्पना कर रहा था की फ़ोन लाइन की दूसरे छौर पर यह सुनकर अनिल कितनी राहत का अनुभव कर रहा होगा। 
मैंने अनिल को एक गहरी साँस लेते हुए सुना। फिर अनिल ने धीमी आवाज में बोला, "यार एक बात बुरा न मानो तो कहूँ। क्या मैं नीना भाभी के साथ थोड़ी छेड़छाड़ कर सकता हूँ? और मुझे तुम दोनों से एक बहुत जरुरी बात भी करनी है, पर वह थोड़ी बोरिंग है।"
तब मैंने अनिल को कहा, "तुम कमाल हो यार। दुपहर को तुमने जब मेरी बीबी को इतना छेड़ा था तो क्या मुझसे पूछा था? आज होली है। आज तो तुम्हारे पास छेड़ने का पूरा लाइसेंस है। तुम नीना को छेड़ो उसमें मुझे कोई आपत्ति नहीं है। बल्कि मैं भी आज तुम्हारे साथ उसको जरूर छेडूंगा और जीतनी हो सके उतनी तुम्हारी सहायता भी करूँगा। पर तुम्हारी भाभी आज तुम्हारी दोपहर की हरकत से नाराज थी। खैर, मैंने उसे समझाया की होली में सब लोग एक दूसरे की बीबियोँ से थोड़ी सेक्सुअल छेड़छाड़ करते ही हैं। ऐसा करके वह अपने मन की छुपी हुई इच्छाओं का प्रदर्शन करके कुछ संतुष्टि लेते हैं।, ऐसा मौक़ा उन्हें कोई और दिन नहीं मिलता। पर अगर तुम्हारी छेड़छाड़ की वजह से उसका हैंडल छटक गया तो फिर उसको मैं कण्ट्रोल नहीं कर पाउँगा। वह फिर तुम सम्हालना। जहाँ तक तुम्हारी बोरिंग बात का सवाल है तो अगर बहुत जरुरी है तो वह तुम आखिर में सुनाना। आज होली है और मस्ती का माहौल है। माहौल बिगड़ना नहीं चाहिए। आगे तुम जानो। माहौल बनाने का काम तुम्हारा है।"
अनिल ने कहा, "वह तुम मेरे पर छोड़ दो। बस तुम मुझे सपोर्ट करते रहना बाकी मैं देख लूंगा।“
मैंने फ़ोन रखा और नीना से कहा, "अनीता अपने मायके गयी है। अनिल अकेला है। उसने चलने के लिए हाँ कही है। वह अपनी गाडी में रात दस बजे आएगा और हम उसकी गाडी में ही चलेंगे। हम फिर सुबह ही वापस आएंगे।"
नीना ने अपने कंधे हिला कर सहमति दे दी। तब मैंने नीना से कहा, "डार्लिंग आज आप मेरे लिए कुछ ऐसे भड़कीले सेक्सी कपडे पहनो की होली का मझा आ जाए। सारे लोग देखते रह जाए की मेरी बीबी लाखों में एक है।" 
तब मेरी बीबी ने पूछा, "क्यों, क्या बात है? सब लोगों में मेरी नुमाईश करवाना चाहते हो क्या? या फिर अनिल को मुझे और छेड़ने के लिए प्रोत्साहन देना चाहते हो?"
मैंने तपाक से जवाब देते हुए कहा, "तुम्हारी बात सच है। मैं सब लोगों के बिच में मेरी बीबी की नुमाइश करना चाहता हूँ। मैं सब को दिखाना चाहता हूँ की मेरी बीबी उन सब की बीबीयों से ज्यादा सुन्दर है। अब बात रही अनिल की, तो वह तुम्हारे मम्मों को पहले भी दो तीन बार तो सेहला ही चूका है। वह तुमको और क्या छेड़ेगा? उसने जो देखना था वह देख लिया, जो कुछ करना था वह तो कर लिया। उससे ज्यादा और वह क्या देख सकता है और क्या कर सकता है भला? अब उससे क्या छुपाना? पर मेरी आँखें तो तुम्हे देखते कभी नहीं थकती। मैं तो तुम्हें अपने लिए तैयार होने को कह रहा हूँ।"
इतना कहना ही मेरी पत्नी के लिए काफी था। थोड़ा सोच कर उसने मेरी बात मानी। शायद नीना अनिल को भीअपने सौंदर्य का दर्शन कराना चाहती थी। उस रात वह ऐसे सेक्स की रानी की तरह सज कर तैयार हुई जैसे मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा। कई सालों के बाद पहली बार मेरी बीबी को उस ब्लाउज में देखा जो वह शर्म के मारे कभी न पहनती थी। वह डीप कट ब्लाउज था जिसमें मेरी रूढ़िवादी पत्नी के भरे और तने हुए मम्मों (स्तनों) का उभार काफी ज्यादा नजर आता था। उसने स्लीवलेस ब्लाउज पहना था। उसका ब्लाउज चौड़ाई में छोटा था और जैसे वह उसके उरोज को बस ढके हुए था। नीना के स्तन ब्लाउज में बड़ी कठिनाई से समाये हुए थे।उसने आपनी साड़ी भी अपनी कमर से काफी निचे तक बाँधी थी। ऐसा लगता था की कहीं वह पूरी निचे उतर न जाय और उसे नंगी न करदे। 
नीना का ब्लाउज पीछे से एकदम खुला हुआ था। सिर्फ दो पतली डोर उसके ब्लाउज को पकड़ रखे हुए थे। नीना की पीठ एकदम खुली थी और ब्रा की पट्टी उसमें दिख रही थी। ब्रा भी तो उसने जाली वाली पहनी थी। ब्लाउज खुलने पर उसके स्तन आधे तो वैसे ही दिखने लगेंगे यह मैं जानता था। नीना की कमर में उसकी नाभि खूब सुन्दर लग रही थी। 
रात दस बजे अनिल अपनी पुरानी अम्बेसडर कार में हमें लेने पहुंचा। जैसे उसने हॉर्न बजाया, नीना सबसे पहले बाहर आयी। 
अनिल तो देखते ही रह गया। नीना की साडी का पल्लू उसके उरोजों को नहीं ढक पा रहा था । उसके रसीले होँठ लिपस्टिक से चमक रहे थे। उसके भरे भरे से गाल जैसे शाम के क्षितिज में चमकते गुलाबी रंग की तरह लालिमा बिखेर रहे थे। सबसे सुन्दर नीना की आँखे थीँ। आँखों में नीना ने काजल लगाया था वह एक कटार की तरह कोई भी मर्द के दिल को कई टुकड़ों में काट सकता था। आँखे ऐसी नशीली की देखने वाला लड़खड़ा जाए। उसके बाल उसके कन्धों से टकराकर आगे उन्नत स्तनों पर होकर पीछे की तरफ लहरा रहे थे। 
नीना ने जैसे ही अनिल को देखा तो थोड़ी सहमा सी गयी। उसे दोपहर की अनिल की शरारत याद आयी। आजतक किसीने भी ऐसी हिमत नहीं दिखाई थी की नीना की मर्जी के बगैर इसको छू भी सके। पर अनिल ने आज सहज में ही न सिर्फ कोने में दीवार से सटा कर उसे रंग लगाया, बल्कि उसने नीना के ब्लाउज के ऊपर से अंदर हाथ डाल कर उसकी ब्रा के हूको को अपनी ताकत से तोड दिए और स्तनों को रंगों से भर दिए।
नीना को देख कर अनिल तुरंत कार का दरवाजा खोल नीचे उतरा और फुर्ती से नीना के पास आया। उस समय आँगन में सिर्फ वही दोनों थे। अनिल नीना के सामने झुक और अपने गालों को आगे कर के बोला, "नीना भाभी, मैं बहुत शर्मिन्दा हूँ। आज मैंने बहुत घटिया हरकत की है। आप मुझे मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारिये। मैं उसीके लायक हूँ। नीना एकदम सहमा गयी और एक कदम पीछे हटी और बोली, "अनिल ये तुम क्या कर रहे हो?"
अनिल ने झुक कर अपने हाथ अपनी टांगों के अंदर से निकाल कर अपने कान पकडे और नीना से कहा, "नीना आप जबतक मुझे माफ़ नहीं करेंगे मैं यहां खुले आंगन में मुर्गा बना ही रहूँगा। मुझे प्लीज माफ़ कर दीजिये।"
नीना यह सुनकर खुलकर हंस पड़ी और बोली, "अरे भाई, माफ़ कर दिया, पर यह मुरगापन से बाहर निकलो और गाडी में बैठो और ड्राइवर की ड्यूटी निभाओ।“
अनिल ने तब सीधे खड़े होकर नीना को ऊपर से नीचे तक देखा और कहा, "नीना भाभी, आप तो आज कातिलाना लग रही हैं। पता नहीं किसके ऊपर यह बिजली गिरेगी।" 
नीना हंस पड़ी और बोली, "अनिल आज तुम ज्यादा ही रोमांटिक नहीं हो रहे हो क्या? और आज अनिता भी नहीं हैं।"
अनिल तुरंत लपक कर बोला, "तो क्या हुआ? आप तो है न?" यह सुन नीना थोड़ी सकपका गयी और कुछ भी बोले बिना अनिल की कार मैं जा बैठी। मैं मेरे पिता और माताजी को प्रणाम कर और मुन्ना को प्यार करके बाहर आया और आगे की सीट में नीना के पास बैठ गया। अनिल अपनी पुरानी एम्बेसडर में आया था। उस कार में आगे लम्बी सीट थी जिसमें तिन लोग बैठ सकते थे। अनिल कार के बाहर खड़ा मेरा इंतजार कर रहा था। जैसे ही मैं गाडी मैं बैठा, अनिल भी भागता हुआ आया और ड्राइवर सीट पर बैठ गया। नीना की एक तरफ मैं बैठा था और दूसरी तरफ अनिल ड्राइवर सीट में बैठा था और नीना बिच में। 
जैसे ही अनिल ने कार स्टार्ट की, उसके फ़ोन की घंटी बजी। अनिल ने गाडी रोड के साइड में रोकी और थोड़े समय बात करता रहा। जब बात ख़त्म हुई तो नीना ने पूछा, "किस से बात कर रहे थे अनिल?" 
अनिल ने नीना की तरफ देखा और थोड़ा सहम कर बोला, " यह महेश का फ़ोन था। बात थोड़ी ऐसी है की आपको शायद पसंद ना आये। थोड़ी सेक्सुअल सम्बन्ध वाली बात है।"
तब मैंने नीना के ऊपर से अनिल के कंधे पर हाथ रखा और बोला, "देखो अनिल, हम सब वयस्क हैं. नीना कोई छोटी बच्ची नहीं। वह एक बच्चे की माँ है। आज होली का दिन है, थोड़ी बहुत सेक्सुअल बातें तो वह भी सुन सकती है। जब नीना ने पूछ ही लिया है तो बता दो। ठीक है ना नीना?" मैंने नीना के सर पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा। 
नीना ने अनिल की तरफ देखा और सर हिलाते हुए हाँ का इशारा किया। 
अनिल ने कहा, "महेश मेरा पुराना दोस्त है। उसकी पोस्टिंग जब जोधपुर में हुई थी तब उसका एक पुराना कॉलेज समय का मित्र भी वहाँ ही रहता था। वह मित्रकी पत्नी भी कॉलेज के समय में महेश की दोस्त थी। उस समय महेश और उसकी होनी वाली पत्नी के बिच में प्रेम संदेशों का आदान प्रदान भी महेश करता था। यूँ कहिये की उनकी शादी ही महेश के कारण हो पायी थी। महेश के दोस्त की पत्नी को महेश के प्रति थोड़ा आकर्षण तो था पर आखिर में उसने महेश के मित्र के साथ ही शादी करनेका फैसला लिया।“
मैंने देखा की अनिल अपनी कार को मुख्य मार्ग से हटाकर शहर के बाहरी वाले रास्ते से ले जा रहा था। रास्ते में पूरा अँधेरा था। वह कार को एकदम धीरे धीरे और घुमा फिरा कर चला रह था। मैंने अनिल से पूछा क्या बात है। अनिल ने कहा उसने रात का खाना नहीं खाया था, और वह कहीं न कहीं खाने के लिए कोई ढ़ाबे पर रुकना चाहता था। 
यह तो मैं बता ही चूका हूँ की मेरी सुन्दर पत्नी नीना अनिल और मेरे बिच में सटके बैठी हुयी थी। अनिल की कहानी सुनने के लिए मैं काफी उत्सुक हो गया था। अनिल की धीमी और नरम आवाज को सुननेमें मुझे थोड़ी कठिनाई हो रही थी। मैंने इस कारण नीना को अनिल की तरफ थोड़ा धक्का दे कर खिसकाया। मेरी बीबी बेचारी मेरे और अनिल के बिच में पिचकी हुयी थी। अनिल ने अपना गला साफ़ किया और आगे कहने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#20
(19-12-2023, 10:31 AM)neerathemall Wrote:
[Image: images?q=tbn:ANd9GcQZ-2Dn4VrMVgHXvqzUaOa...Q&usqp=CAU]
“शादी के करीब पांच साल के बाद महेश का मित्र बिज़नस बगैरह के झंझट में व्यस्त था और पत्नी घरबार और बच्चों में। उनके दो बच्चे थे। महेश और उसकी पत्नी में कुछ मनमुटाव सा आ गया था। महेश अपनी पत्नी को समय नहीं दे पाता था। उसकी पत्नी सेक्स के लिए व्याकुल होती थी तो महेश थका हुआ लेट जाता था। जब महेश गरम होता था तब उसकी पत्नी थकी होने बहाना करके लेट जाती थी। सेक्स में अब उनको वह आनंद नहीं मिल रहा था जो शादी के पहले चार पांच सालों तक था।“
अब अनिल की कहानी सेक्स के गलियारों में प्रवेश कर चुकी थी। मैं थोड़ा उत्तेजित हो गया और नीना का एक हाथ मेरे हाथ में लेकर उसे दबाने लगा। तब मैंने थोड़ा सा ध्यान से देखा की अनिल भी गाडी चलाते चलाते और गियर बदलते अपनी कोहनी नीना के स्तनों पर टकरा रहा था। थोड़ी देर तक तो ऐसा चलता रहा और नीना ने भी शायद इस बात पर शायद ध्यान नहीं दिया, पर फिर उसने अपनी कोहनी को नीना के स्तन के उपर दबा ही दिया। अंदर काफी अँधेरा था और मुझे साफ़ दिखने में भी कठिनाई होती थी। मैंने नीना के मुंह से एक टीस सी सुनी। उसने अनिल की कोहनी को जरूर महसूस किया था। पर वह कुछ बोली नहीं।
अनिल ने अपनी कहानी को चालु रखते हुए कहा, “जब महेश उनसे मिला तो भांप गया की उन पति पत्नी के बिच में कुछ ठीक नहीं है। जब महेश ने ज्यादा पूछताछ की तो दोनों ही उससे शिकायत करने लगे। दोनों ने अपनी फीकी सी सेक्स लाइफ के लिए एक दूसरे पर दोष का टोकरा डालना चाहा। महेश ने तब दोनों को एकसाथ बिठाया और बताया की उनके वैवाहिक जीवन का वह दौर आया है जहां जातीय नवीनता ख़त्म हो गयी है और नीरसता आ गयी है। उसने उनको कहा की उनको चाहिए की सेक्सुअल लाइफ में कुछ नवीनीकरण लाये।“
अनिल ने तब कार को एक जगह रोका जहाँ थोडा सा प्रकाश था। उसने अपनी कहानी का क्या असर हो रहा है यह देखने के लिए हमारी और देखा। उसने देखा की मैंने नीना का हाथ अपनी गोद में ले रखा था। अनिल की कहानी मुझे गरम कर रही थी। नीना मेरे और अनिल के बीचमें दबी हुई बैठी थी। वह कुछ बोल नहीं रही थी। अनिल मुस्कराया और उसने कार को आगे बढ़ाते हुए कहानी चालु रखी। 
“जब उन पति पत्नी ने महेश से पूछा की वह सेक्सुअल लाइफ में नवीनीकरण कैसे लाएं, तब महेश ने कहा की कई पति पत्नी सामूहिक सेक्स, थ्रीसम अथवा पत्नियों की अदलाबदली द्वारा अपने वैवाहिक जीवन में नवीनता और उत्तेजना लाते हैं। जैसा समय अथवा संजोग वैसे ही इसको व्यावहारिक रूप में अपनाया जा सकता है। परंतु इसमें पति पत्नी की सहमति और एकदूसरे में पूरा विश्वास आवश्यक है।“
तब मुझे अहसास हुआ की नीना ने मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और उसे जोर से दबाने लगी थी। मैं असमंजस में था। नीना ऐसा क्यों कर रही थी? क्या अनिल साथ कोई और शरारत तो नहीं कर रहा था? या फिर नीना भी अनिल की बात सुनकर गरम हो ग उसके यी थी? मैंने अनायास ही मेरा हाथ थोड़ा ऊपर किया और मेरी पत्नी के कन्धों के उपरसे हो कर उस के स्तनों पर रखा और उसके स्तनों को मेरी हथेली में दबाने और सहलाने लगा। वास्तव में मैंने महसूस किया की नीना के दिल की धड़कन तेज हो रही थी। अचानक मेरा हाथ शायद अनिल के हाथसे टकराया। क्या वह भी नीना के स्तनों को छूने की कोशिश कर रहा था? मैं इस बात से पूरा आश्वस्त नहीं था। मैं चुप रहा और आगे क्या होता है उसका इंतजार करने लगा। 
अनिल बोल रहा था, “महेश उस समय उन्हीं के घर में रुका हुआ था। उस रात को महेश के दोस्त ने उसे अपने बैडरूम में बुलाया। जब महेश उनके बैडरूम में दाखिल हुआ तो उसने देखा की उसका दोस्त अपनी पत्नी को अपनी गोंद में बिठाकर उसके स्तनों से खेल रहा था। उसकी पत्नी के स्तन खुले थे और उसने अपनी ब्लाउज और ब्रा निकाल फेंकी थी। महेश स्तब्ध सा रह गया और क्षमा मांगते हुए वापस जाने लगा। तब महेश के दोस्तने उसे अपने पास बुलाया और अपनी पत्नीके स्तनों को दबाकर उन्हें चूसने को कहा। उसकी पत्नी भी महेश को उकसाने लगी और महेश को सेक्स के लिए आमंत्रित करने लगी। ऐसा लग रहा था की महेश की बात उन लोगों को जँच गयी थी और उन्होंने महेश को ही थ्रीसम के लिए चुना था। महेश को भी दोस्त की पत्नी के प्रति आकर्षण तो था ही। वह उससे सेक्स करनें तैयार हो गया। उस रात महेश और उसके दोस्त दोनों ने मिलकर दोस्त की पत्नी के साथ जमकर सेक्स किया।“ 
अनिल की कहानी उसकी पराकाष्ठा पर पहुँच रही थी। मैं तो काफी गरम हो ही रहा था, पर नीना भी काफी उत्तेजित लग रही थी। उस पर अनिल की कहानी का गहरा असर मैं अनुभव कर रहा था, क्यूंकि वह अपनी सिट पर अपने कूल्हों को इधर उधर सरका रही थी। अँधेरे में यह कहना मुश्किल था की क्या वही कारण था या फिर अनिल की कोई और शरारत? जरूर अनिल स्वयं भी काफी गरम लग रहा था। उसकी आवाज में मैं कम्पन सा महसूस कर रहा था।
तब हम शहर के प्रकाशित क्षेत्र में प्रवेश कर चुके थे। नीना का एक हाथ मेरे हाथ में था और तब अनिल ने भी नीना का एक हाथ पकड़ा और अपने हाथ के नीचे अपनी एक जांघ पर रखा। दूसरे हाथ से वह ड्राइविंग कर रहा था। नीना ने मेरी तरफ देखा, मैं मुस्काया और आँखे मटका कर उसे शांत रहने के लिए इशारा किया। वह बेचारी चुप होकर अनिल से आगेकी कहानी सुनने लगी।
अनिल ने कहानी को आगे बढ़ाते हुए कहा, “महेश की पत्नी अपने पति के प्रति बड़ी आभारी थी क्यूंकि उसने अपनी पत्नीको उसके मित्रके साथ सेक्स करनेको कहा। तब से उन पति पत्नी में खूब जमती है और वह कई बार महेश के साथ थ्रीसम का आनंद ले चुके हैं। वैसे भी अब उन पति पत्नी को एक दूसरे के साथ सेक्स करने में भी बड़ा आनंद मिलता है, क्यूंकि उस समय वह अपने थ्रीसम के आनंद के बारेमें खुल कर बात करते हैं।“ अनिल ने अपनी कहानी का समापन करते हुए एक जगह गाडी रोकी। 
अनिल की कहानी सुनते हुए मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैं खासा उत्तेजित हो रहा था। मैंने नीना के हाथ में हाथ डाला तो उसने भी मेरा हाथ जोरों से दबाया। मुझे लगा की वह भी काफी उत्तेजित होगयी है। कार में भी अँधेरा था। मैंने उसका हाथ मेरी टांगों के बिच रख दिया। नीना धीरे धीरे मेरे टांगों के बिच से मेरी पतलून की ज़िप पर हाथ फ़ैलाने लगी। मैंने भी नीना की टांगो के बिच अपना हाथ डाल दिया। नीना ने अपनी टाँगे कसके दबायी और मेरे हाथ को टांगो के बिच दबा दिया। 
मैंने देखा की मेरी रूढ़िवादी पत्नी भी अनिल की सेक्स से भरी कहानी सुनकर उत्तेजित हो गयी थी। तब अनिल ने पूछा, "राज, बताओ, क्या महेश और उसके मित्र पति पत्नी ने जो किया वह सही था?"
मैंने कहा, "मैं क्या बताऊँ? नीना से पूछो।"
तब नीना ने जो कहा वह तो मैंने सोचा भी नहीं था। नीना ने कहा, "उन्होंने सही किया या गलत, ये कहने वाले हम कौन होते हैं? अरे वह पति पत्नी ने अपने बारें में सब तरह सोच कर यदि ये फैसला लिया तो सही किया। और बात तो गलत नहीं है। शादी के कुछ सालों बाद हम सब पति पत्नी एक दूसरे से सेक्स करने से थोड़े से ऊब जाते हैं। इसका कारण यह है की सेक्स में जो नवीनता पहले थी वह नहीं रहती। उत्सुकता चली जाती है। शादी के पहले मन सोचता है सेक्स कैसा होगा? और शादी के बाद मन कहता है. सेक्स कैसा होगा मुझे पता है। इन हालात में उन्होंने जो किया वह सही किया। और फिर उसका फायदा भी तो मिला उनको। उनका विवाहक जीवन सुधर जो गया। क्यों राज, मैंने गलत तो नहीं कहा?" 
मैं क्या बोलता। मैंने अपनी मुंडी हिला कर नीना का समर्थन किया। मैं मेरी पत्नी का एक नया रूप देख रहा था। अबतक जो पत्नी मुझ से आगे सोचती नहीं थी वह आज थ्रीसम का समर्थन कर रही थी। तब मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी मंशा सफल हो सकती है।
अनिल ने दोनों हाथों से तालियां बजायी और बोला, "माय गॉड नीना, तुमने कितना सटीक और सही जवाब दिया। मैं तुम्हें इस जवाब के लिए सलूट मारता हूँ। "
तब हम कार्यक्रम वाले स्थान के करीब पहुँच चुके थे। अनिल ने एक ऐसी जगह कार रोकी जहां प्रकाश था। उसने पीछे मुड़कर कार की सीट पर चढ़कर पीछे की सीट पर रखा एक बक्शा खोला। मैंने देखा की उसमें उसने तीन बोतलें और कुछ गिलास रखे हुए थे। उसने तीन गिलास निकाले और उसमें एक बोतल में से व्हिस्की और सोडा डालना शुरू किया। नीना ने एकदम विरोध करते हुए कहा की वह नहीं पीयेगी। मैं भी जानता था की नीना शराब नहीं पीती थी। सबके साथ वह कभी कभी जीन का एकाध घूंट जरूर ले लेती थी। शायद अनिल को भी यह पता था। उसने नीना से कहा, "नीना भाभी, आप निश्चिन्त रहो। मैं आपको व्हिस्की नहीं दूंगा। प्लीज आज हमें साथ देने के लिए थोडीसी जीन तो जरूर पीजिए। मैं बहुत थोड़ी ही डालूंगा। देखिये होली है। नीना ने घबड़ाते हुए मेरी और देखा। 
मैंने उसे हिम्मत देते हुए कहा, "अरे इसमें इतना घबड़ाने की क्या बात है? भई जीन तो वैसे ही हल्की है और तुम जीन तो कभी कभी पी लेती हो। अब शर्म मत करो, थोड़ी सी पी लो यार। अनिल इतने प्यार से जो कह रहा है।" मैंने फिर अनिल कीऔर देखते हुए कहा, "देखो अनिल, बस एकदम थोड़ी ही डालना। "
अनिल ने मुस्काते हुए सीट पर पीछे मुड़कर सीट पर चढ़कर लंबा होकर नीना के लिए जीन से गिलास को खासा भरा और फिर दिखावे के लिए उसमें थोड़ा सोडा डाल कर नीना के हाथ में पकड़ा दिया। जीन वैसे ही पानी की तरह पारदर्शक होती है। देखने से यह पता नहीं लग पाता की गिलास में जीन ज्यादा है या पानी। मेरी भोली बीबी ने समझा की उसमें बस पानी ही है, जीन तो नाम मात्र ही है। नीना उसे पीने लग गयी। जीन का टेस्ट मीठा होता है। नीना को अच्छा लगा। वह उसे देखते ही देखते पी गयी। जब हम सबने अपने ड्रिंक्स ख़तम किये तब अनिल कार को कार्यक्रम के स्थान पर ले आया। मैं जानता था की जीन भी तगड़ी किक मारती है।


…..५
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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