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Adultery रंगीली बीबी
Heart 
सलोनी- उनको वहीं छोड़ मैं डरी हुई सी अमित भैया के साथ उनकी गाड़ी में आई, वो बहुत मजाक कर रहे थे जिससे मैं नार्मल हो जाऊँ… फिर मुझे पता चला कि वो तो मुझे पहले से ही बहुत पसंद करते हैं… उन्होंने बताया कि उनकी बहुत पुरानी इच्छा पूरी हो गई… मुझे नंगी देखने की… उनकी प्यारी और मजाकिया बातें सुन मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं जल्दी ही नार्मल हो गई…

फिर उन्होंने ही कहा कि भाभी आज मजा करते हैं… वो चाहता था कि मैं पार्किंग से यहाँ तक नंगी ही आऊँ…

मैंने बहुत मना किया… पर उसने ज़िद पकड़ ली और फिर अपना कोट भी वापस मांग लिया।

फिर मैंने भी सोचा कि रात को इस समय कौन सा कोई जगा होगा, सब तरफ अँधेरा ही था, अमित तो मुझे पहले ही नंगी देख चुका था… बस मैंने उसकी यह इच्छा भी पूरी कर दी… सच भाभी बहुत मजा आया… एक दिन आप भी यह ट्राई करना… वो तो हमारे पास चाबी नहीं थी, वरना आपको भी कुछ पता नहीं चलता।

नलिनी भाभी- रहने दे… तेरे अंकल तो कब से तेरी राह देख रहे थे… उन्होंने तेरे को पूरा कंपाउंड का चक्कर लगाकर… नंगी ऊपर आने तक सब देख लिया था।

सलोनी- हाँ वो तो उन्होंने मुझे बता दिया था… अब चलो उनकी तो कोई बात नहीं… वो तो अपने ही हैं ना.. हा हा…

नलिनी भाभी- और यह भी तो हो सकता है कि कुछ और लोगों ने भी देखा हो… हो सकता है कोई और भी अपनी बालकोनी से देख रहा हो?

सलोनी- हा हा सच भाभी.. तो चलो यह उसका इतनी रात तक जागने का इनाम हो गया होगा… हा हा..

नलिनी भाभी- फिर तुम दोनों ने अकेले फ्लैट में क्या किया, वो तो बता?

सलोनी- अरे बस अब रहने भी दो ना भाभी, वो सब बाद में बता दूंगी।

नलिनी भाभी- नहीं मुझे अभी सुनना है बता ना !

मैंने रोजी की ओर देखा, वो आँखे फाड़े, मुँह खोले सब सुन रही थी।

उसकी समझ में आ तो गया होगा कि मैं किसकी बात सुन रहा हूँ क्योंकि उन्होंने मेरा ज़िक्र भी छेड़ा ही था।

अब उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है, यही देखना था।

सलोनी- ओके बाबा, बताती हूँ… मुझे भी अमित भैया पहले से ही बहुत पसंद हैं ..इसीलिए मैंने भी सोच लिया था… कि उनकी सभी इच्छा पूरी करुँगी…

नलिनी भाभी- और तेरे अमित भैया की क्या इच्छा थी?

सलोनी- क्या भाभी आप भी… मुझ जैसे लड़की को नंगी देखकर एक लड़के की क्या इच्छा हो सकती है… हा हा…

नलिनी भाभी- तो तुम दोनों ने सब कुछ कर लिया?

सलोनी- ह्म्म्म बताती हूँ ना, रुको तो…

और कुछ देर के लिए वहाँ चुप्पी सी छा गई।

मैं रोज़ी के साथ बैठा नलिनी भाई और सलोनी की बातें सुन रहा था।

हम दोनों में एक फर्क था, मुझे तो उनकी बातें सुनकर मजा आ रहा था पर रोज़ी अभी हमारे बारे में ज्यादा नहीं जानती थी इसलिए उसको शायद बहुत अजीब लग रहा था।

वो तो एक पतिव्रता टाइप की लड़की थी, उसने कभी दूसरे मर्द के बारे में शायद ऐसा सोचा भी नहीं था पर अब वो कुछ कुछ खुद को बदल रही थी।

अभी तो उसके चेहरे के भाव और रंग हर पल बदल रहे थे, वो मुझे बड़े ही सहानुभूति के भाव से देख रही थी और उसकी आँखों में मेरे लिए बहुत ही याचना के भाव थे।

मैं बस यही सोच रहा था कि जब उसको पता चलेगा कि मुझे सलोनी के ऐसा कुछ करने से कोई ऐतराज नहीं है, तब उसको कैसा लगेगा।

फिलहाल तो वो मेरे साथ सलोनी की बातें सुनने में मस्त थी।

और उधर फिर से बातचीत शुरू हो गई… जैसे नलिनी भाभी सब कुछ उगलवाने का मूड में ही आई थी और सलोनी को भी उनको कुछ भी बताने से कोई ऐतराज नहीं था।

नलिनी भाभी- अच्छा अब कुछ तो पहन ले या ऐसे ही नंगी घूमती रहेगी?

सलोनी- हा हा… क्या भाभी आपमें और अंकल में कितना फर्क है… आप हमेशा कुछ पहनने को बोलती रहती हो और अंकल?

नलिनी भाभी- अंकल क्याआआ??

सलोनी- अरे छोड़ो न भाभी…बस लो पहन लिया…ना।

नलिनी भाभी- यह भी तेरा कोई कपड़ा है… लगता है जैसे कुछ पहना ही नहीं है।

सलोनी- अरे भाभी इसमें ही तो मजा है… खुद के लिए हमने पहना भी है और दूसरों के लिए नहीं भी… हा हा…

नलिनी भाभी- हाँ तो बता न फिर क्या हुआ?

सलोनी- अरे भाभी बताया ना… पहले तो हम दोनों ही थक गए थे तो मैंने गीजर ओन कर दिया।

तब अमित भैया बोले कि जब तक पानी गर्म हो वे मेरी मालिश कर देते हैं, सच उनको बहुत अच्छा मसाज करना आता है… भाभी आप भी करवा कर देखना… मैं तो पूरी नंगी थी ही, अमित भैया ने भी अपने सभी कपड़े निकाल दिए थे…

नलिनी भाभी- सब क्या? अंडरवियर भी?

सलोनी- उफ़्फ़्फ़्फ़ हाँ भाई वो भी… और उनका लण्ड काफी बड़ा था और पूरा खड़ा था… अब बस यही सुनना चाहती थी ना आप?

नलिनी भाभी- हाय राम… बड़ी बेशरम है तू तो… मैंने तो ऐसे ही पूछा था।

सलोनी- हाँ मुझे पता है सब कि कैसे और क्या जानना है आपको।

नलिनी भाभी- अच्छा ठीक है तू चाहे जैसे भी बता पर मुझे अच्छा लग रहा है… फिर क्या हुआ?

सलोनी- अरे फिर तो बहुत मजा आया… भैया अपनी सभी कलाएं मेरे बदन पर लगा दी, पहले उन्होंने खूब मालिश की, फिर मेरे चूतड़ों में दर्द तो हो ही रहा था उस इंस्पेक्टर के लण्ड की वजह से तो अमित भैया ने मुझे उल्टा करके मेरे चूतड़ों की खूब मालिश की, फिर मेरे छेद में भी खूब अच्छी तरह से मालिश की।

नलिनी भाभी- तूने उसे मना नहीं किया?

सलोनी- क्या भाभी? मुझे तो खूब अच्छा लग रहा था… मैं मना क्यों करती? जब वो पीछे से मेरे ऊपर चढ़कर मालिश कर रहे थे तब उनका लण्ड मुझे खूब मजा दे रहा था।

नलिनी भाभी- वो कैसे?

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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Heart 
सलोनी- उनका लण्ड मेरी जांघों और चूत को भी बार बार छू रहा था।

नलिनी भाभी- मतलब तू चाह रही थी कि वो उसको तेरी मुनिया में डाल दे?

सलोनी- सच भाभी… मैं तो पहले से ही इतनी गर्म हो गई थी पर वो भी पूरा घाघ थे, लगा रहे थे, घिस रहे थे मगर डाल नहीं रहे थे।

फिर जब मैंने उनको याद दिलाया कि जल्दी कर लो ना… अंकुर आने वाले होंगे।
नलिनी भाभी- तो तूने अपने मुँह से कह दिया… बड़ी कमीनी है तू तो?

सलोनी- अरे नहीं भाभी.. मेरा मतलब तो मालिश पूरी करने से था। मगर वो भी तो पूरा सताने पर लगे थे।

फिर उन्होंने मेरे सामने ही अंकुर को फोन किया कि पूछ लेते हैं कि जनाब है कहाँ।

नलिनी भाभी- ओह वो तो बड़ा बहादुर निकला… उसको तो नहीं और तेरे को भी डर नहीं लगा कि ऐसे नंगे दोनों फिर अंकुर को भी कॉल करने लगे?

सलोनी- अरे भाभी अब वो कहाँ डरते, जब अंकुर के सामने से मुझे… पूरी नंगी ही अपनी गाड़ी में बैठा कर ले आए और अंकुर ने भी कुछ नहीं कहा।

नलिनी भाभी- अरे अंकुर बेचारा क्या जाने? कितना सीधा है वो तो…

सलोनी- हाँ भाभी, यह तो आप बिल्कुल सही कह रही हैं, वाकयी वो हैं तो बहुत सीधे और अच्छे भी।

नलिनी भाभी- अच्छा फिर फोन पर किसने बात की?

सलोनी- अमित कह तो वो मुझी से रहे थे, पर मैंने मना कर दिया। फिर खुद ही बात करने लगे और बात करते करते ही उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया।

मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया, अब मैं कुछ बोल भी नहीं सकती थी और हिल भी नहीं सकती थी।

मुझे चोदते हुए ही वो बात करते रहे और मैं अपना मुहँ दबाये बिल्कुल चुप रही अगर हल्की सी भी सांस वो सुन लेते तो उनको कितना बुरा लगता। सच पूरे पागल ही हैं… उनको बोल रहे थे कि मैं अपने कमरे में आराम कर रही हूँ… जबकि मुझे बुरी तरह चोद रहे थे।

पूरे एक झटके में ही उन्होंने अपना पूरा लण्ड मेरी नाजुक चूत में घुसा दिया था, सच बहुत दर्द हुआ था… फिर तो उन्होंने मुझे बहुत मजा दिया, जब तक अंकुर घर नहीं आ गए, वो मुझे चोदते रहे।

नलिनी भाभी- क्यों फिर नहाये नहीं तुम दोनों?

सलोनी- नहाये तो थे… वो सुबह मेरे साथ ही नहाकर अपने घर गए।

नलिनी भाभी- क्या मतलब? अंकुर कहाँ था?

सलोनी- वो तो यहाँ सो रहे थे… बेचारे पूरी रात के थके थे।

नलिनी भाभी- अच्छा और तुझे थकान नहीं हुई?

सलोनी- अरे मेरी थकान तो अमित भैया ने अच्छी तरह निकाल दी थी… हा हा हा… सच बहुत मजा आया था… कल पहले तो अंकुर के साथ ही बहुत मजा आया था.. फिर अमित भैया ने दिल खुश कर दिया… तीन बार चोदा मुझे… अभी तक मीठी मीठी टीस उठ रही है।

नलिनी भाभी- टीस? वो कहाँ उठ रही है?

सलोनी- अरे चूत और गांड दोनों में ही…

नलिनी भाभी- तो क्या उसने गांड भी मारी तेरी? तुझे डर नहीं लगा कि अगर अंकुर जाग गया तो?

सलोनी- अरे डर की बात कर रही हो आप भाभी… वो तो इतने हिम्मती हैं कि रात को जब मैं अंकुर के साथ सो रही थी, तब भी यहाँ आकर मेरे पास लेट गए और मेरी चूत चाटी, मेरे से अपना लण्ड चुसवाया और लेटे-लेटे ही एक बार मेरे को चोदा भी।

नलिनी भाभी- क्या पागलों जैसी बात कर रही है? कहाँ चोदा? और अंकुर कहाँ था?

सलोनी- अरे यहीं.. मेरे पास लेटे मजे से सो रहे थे… उधर वो तो जोर जोर से खर्राटे ले रहे थे…और इधर अमित हर खर्राटे की आवाज पर धक्के मार रहे थे। सच भाभी बहुत ही मजे वाला अनुभव था… बहुत मजा आया…करीब आधे घंटे तक उन्होंने मुझे चोदा।

नलिनी भाभी- और तुझे बिल्कुल डर नहीं लगा कि अंकुर ने देख लिया तो क्या होगा? और कपड़े उतारे थे या ऐसे ही किया सब कुछ?

सलोनी- कौन से कपड़े भाभी, अमित भैया ने मुझे कपड़े पहनने ही कहाँ दिए… जब अंकुर यहाँ दरवाजे तक पहुँच गए तब तक तो लगातार चोदते रहे।

फिर जब उन्होंने घण्टी बजाई, तब मैं तो भागकर यहाँ आकर सोने का नाटक करने लगी और अमित भैया ने ही दरवाजा खोला, पता नहीं क्या कहा उनसे।

और मैं तो यहाँ सांस रोके चुपचाप ही रही, कपड़े पहनने का समय ही नहीं मिला।

नलिनी भाभी- और अंकुर ने भी एक बार भी तुझे नहीं देखा कि कपड़े पहने है या नहीं?

सलोनी- अरे नहीं… मैं तो डर रही थी पर उन्होंने नहीं देखा… फिर मैं यह भी सोच रही थी कि अगर देख भी लिया तो कुछ नहीं कहने वाले आखिर जब मैं उनके पास से आई थी, तब नंगी ही थी।

नलिनी भाभी- सच तू तो बहुत हिम्मती है… और तूने बहुत हिम्मत वाला काम किया है… मुझे तो सोचकर ही डर लग रहा है।

सलोनी- हा हा हा भाभी… सच, पर उस मजे के लिए इतना तो रिस्क लेना ही पड़ता… क्या मजा आया था !!

नलिनी भाभी- और फिर गांड कब मारी तेरी उसने?

सलोनी- सुबह नहाते हुए… उसमें भी बहुत मजा आया… अभी तक टीस उठ रही है.. अह्ह्हाआआ…

नलिनी भाभी- और अंकुर जाग जाता तो… तूने तो हद ही कर दी सलोनी…

सलोनी- अरे इसमें हद किस बात की, शुरू में तो मैं केवल उनकी हेल्प के लिए ही गई थी… पर जब उन्होंने मुझे भी साथ ले लिया तो फिर मैं सब कुछ भूल गई। और फिर जो अमित भैया ने मेरी जो गांड मारी है, सच आज तक इतना मजा नहीं आया। मैं तो उनकी चुदाई की कायल ही हो गई।

नलिनी भाभी- देखो तो कितनी बेशरम होकर सब बता रही है… तुझे तो अब किसी बात की शर्म ही नहीं रही।

ट्रीन्न न्न्न… ट्रिन्न न्न्न्न…

नलिनी भाभी- ओह कौन आ गया इस समय?

सलोनी- अंकल ही होंगे…

अंकल- अरे तू कब से यहाँ बैठी है…

और तभी कॉल कट हो गई।

अब मैं खुद को रोज़ी के प्रश्न के लिए तैयार कर रहा था कि अब उसको क्या और कैसे सब कुछ बताना है।

उसको बुरा भी ना लगे और वो सब कुछ अच्छी तरह स्वीकार भी कर ले।

सलोनी की इतनी सेक्सी बातें सुनकर मेरे पर तो ज्यादा असर नहीं हुआ पर शायद लगता है कि रोज़ी कुछ ज्यादा ही उत्सुक दिख रही थी। अब मुझे सब कुछ सम्भालना था, उसको बड़े आराम से ही सब कुछ बताना था।

TO BE CONTINUED.....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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Very hot and erotic story 
Keep it up
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shandar ......................
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Heart 
उसकी आँखों में मेरे लिए इस समय केवल सहानुभूति ही नजर आ रही थी, वो अभी केवल इतना ही समझ रही थी कि जिस पति को अपनी पत्नी की बेवफाई के बारे में पता चले तो उस पर क्या गुजरती है।

अब मुझे उसकी वो सारी ग़लतफहमी दूर करनी थी और उसका दृष्टिकोण बदलना था।

रोज़ी- ओह सर ये आपकी वाईफ थी न… मुझे नीलू ने बताया था… उनका नाम सलोनी ही है ना?

अब फिर से मेरा माथा ठनका, नीलू ने इसको क्या क्या बताया होगा?

मैं- हाँ यार मेरी प्यारी बीवी ही है… क्या बताया नीलू ने तुमको इसके बारे में?

रोज़ी- बस इतना ही कि उनका नाम सलोनी है और बहुत मॉर्डर्न हैं।

मैं- हाँ यार बहुत मॉडर्न है वो.. अब तो तुम समझ ही गई होगी।

रोज़ी- छिइइ…इइइइइ कितनी गन्दी हैं वो… ये सब भी कोई करता है क्या?

मैं- हा हा हा… वाह यार… तुम भी क्या बात करती हो? अरे इसमें क्या हुआ?

रोज़ी- क्यों आपको बुरा नहीं लगा वो… ये सब…?

मैं- कमाल करती हो… इसमें बुरा क्या लगेगा… अरे यार, उसका जीवन है… और जो उसको अच्छा लगता है.. उसको करने का पूरा हक़ है।

रोज़ी- मगर ऐसे.. ये तो गलत है न… उनको आप जैसा इतना अच्छा पति मिला है… फिर तो कुछ और नहीं !!!

मैं- अरे यार किस पिछड़ी दुनिया में जी रही हो? आजकल सब कुछ चलता है। अभी कुछ देर पहले हमने जो कुछ किया, क्या वो सही था? अरे हम दोनों को अच्छा लगा तो किया ना…!

रोज़ी- ह्म्म्म्म… पर मुझे अगर आप जैसा पति मिलता तो फिर तो कभी कुछ और नहीं सोचती।

मैं- क्यों अभी क्या खराब मिला है… अरे यार ये पति सिर्फ 1-2 साल तक ही अच्छे लगते हैं फिर सब कुछ पुराना जैसा हो जाता है…

रोज़ी- जी नहीं मेरे साथ ऐसा नहीं है… वो तो… मेरे लिए सेक्स ही सब कुछ नहीं है… मुझे तो बस दिल से प्यार करने वाला और मुझे समझने वाला ही अच्छा लगता है।

मैं- अरे तो क्या इसीलिए तुम मेरे साथ वो सब?

रोज़ी- जी हाँ मुझे आप बहुत अच्छे लगे… तभी तो मैंने सलोनी जी के बारे में वो सब कहा।

मैं- अरे मेरी जान ऐसा कुछ नहीं है, वो बहुत अच्छी है, मुझे बहुत प्यार करती है और मैं भी उसको बहुत प्यार करता हूँ।

रोज़ी- फिर ये सब.. क्या आपको बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा?

मैं- बिल्कुल नहीं… मैं ये सब केवल थोड़ा सा शारीरिक सुकून ही मानता हूँ। क्या किसी के साथ थोड़ा बहुत मस्ती करने से इंसान का कुछ घिस जाता है… नहीं ना? तो फिर काहे का हल्ला?

रोज़ी- हाँ मगर हमारा यह समाज… इसी को सब कुछ समझता है।

मैं- अरे छोड़ो यार ये सब फ़ालतू की बातें… कुछ नहीं रखा इनमें ! सच बताओ, हमने जो अभी किया… मुझे पता है वो तुम्हारी नजरों में गलत है… पर सच बताना तुमको अच्छा लगा या नहीं?

उसने बहुत ही शरमाते हुए हाँ में जवाब दिया।

मैं- फिर सब बात बेकार हैं… अगर किसी बात से हमको ख़ुशी मिलती है… और कुछ नुक्सान नहीं होता… तो वो बात गलत हो ही नहीं सकती। मुझे नहीं लगता कि किसी भी मर्द को अगर कोई लड़की सेक्स का ऑफर दे तो वो मना कर दे… वो एक बार भी तुम्हारी तरह नहीं सोचेगा… जब उसका कुछ नहीं घिसता तो फिर यार तुम लड़कियों को क्यों चिंता होती है?

इस बात पर हम दोनों बहुत जोर से हंसने लगे।

रोज़ी- आप सच बहुत मजेदार बात करते हो… आप बहुत अच्छे हैं।

मैं- अच्छा रोज़ी सच बताओ… क्या तुम्हारे पति तुमको परेशान करते हैं?

रोज़ी- ना ऐसी कोई बात नहीं… पर वो अच्छे इंसान नहीं हैं।

वो अभी ज्यादा कुछ नहीं बताना चाह रही थी इसलिए मैंने उसको ज्यादा परेशान करना सही नहीं समझा- ह्म्म्म्म ठीक है।

रोज़ी- अच्छा सर, आप दोनों फिर ऐसे ही किसी के भी साथ मजे करते हो… आप दोनों.. किसी को कोई ऐतराज नहीं होता?

मैं- हाँ यार… वैसे हम दोनों ही एक दूसरे के बारे में काफी कुछ जानते हैं परन्तु कोई कुछ नहीं कहता… ना ही हम एक दूसरे को डिस्टर्ब करते हैं।

रोज़ी- आप जब ये सब जानकर सलोनी जी के साथ कैसे वो सब कर पाते हैं?

मैं- हा हा हा… कितना शर्माती हो यार तुम… अभी जब मैं तुम्हारी बुर चाट रहा था… तब तो खुल गई थी… पर अब फिर ऐसे ही… सच बताओ अगर उस समय मैं तुम्हारी बुर में अपना लिंग डाल देता तो क्या तुम मना करती?

रोज़ी- हाय राम.. आप कैसी बात करते हो?

मैं- देखो, हम दोनों अब पक्के दोस्त हैं… मैं तुमको बहुत पसंद करता हूँ… और तुम मुझको… यह तुमने अभी अभी कहा भी है… फिर इतना सब शरमाना वरमाना छोड़ो… अब तो बस हम आपस में खुलकर बात करेंगे। और अब तो तुम मेरे बारे में सब कुछ जान गई हो… वो सब भी जो कोई नहीं जानता।

रोज़ी चुपचाप मेरी बात सुनती रही।

मैं- अगर अब हमारे बीच आंतरिक दोस्ती भी हो जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं होनी चाहिए। अगर हम दोनों को ही पसंद है… तो अपने दिल की ख़ुशी के लिए हम वो सब भी कर सकते हैं… जो इंसान की सबसे बड़ी जरूरत है। अच्छा सच बताओ रोज़ी तुमने अपने पति के साथ आखिरी बार कब सेक्स किया था… और तुम संतुष्ट हुई या नहीं?

रोज़ी ने केवल ना में सर हिलाया।

मेरे बहुत जोर देने पर उसने केवल इतना बताया- मुझे याद नहीं…

मतलब उनकी सेक्स लाइफ बहुत बोर चल रही थी, फिर भी मैंने उस दिन रोज़ी के साथ कुछ भी करना ठीक नहीं समझा।

उस दिन रोज़ी मेरे साथ ही ऑफिस से निकली, मैंने उसको उसके घर के पास वाले स्टॉप तक छोड़ा।

फिर मुझे गुड्डू की याद आ गई, मैंने उसको फोन मिलाया, कुछ देर में ही उसने कॉल रिसीव कर लिया।

मैं- हाँ जी गुड्डू जी… क्या हो रहा है… आपके ये कपड़े… इनका क्या करना है?
गुड्डू- ओहो जीजू… व्व्वो ववो… अह्हा…

वहाँ से बड़ी ही खतरनाक आवाजें आ रही थी।

मैं- अरे क्या हुआ… लगता है बहुत जरूरी काम चल रहा है… हा हा…

मैं जानबूझ कर हंसा।

गुड्डू- अह्हा हा हाँ जीजू… वो कुछ खुदाई का काम चल रहा है… ऐसा करो… अभी तो मैं कपड़े पहन ही नहीं सकती… आप उनको अपने पास ही रखो… फिर कभी ले लूँगी।

ओह यह गुड्डू तो शैतान की नानी निकली, उसको कोई शरम नहीं, वो बड़ी आसानी से सब बात बोल जाती है।

मैंने भी उससे ज्यादा कुछ नहीं कहा- ठीक है डियर, फिर तुम खुदाई करवाओ… मैं बाद में चैक कर लूँगा कि सही से हुई है या नहीं…

गुड्डू- और अगर नहीं हुई होगी तो क्या फिर आप भी सही से करोगे… हा हा… आःह्हाआआ…

मैं- वो तो देखने के बाद ही पता चलेगा… ओके बाय..

और उसने भी फोन रख दिया।

TO BE CONTINUED ....
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मैं काफी थक गया था इसलिए जल्दी से घर पहुँचा।

वहाँ सलोनी और मधु रसोई में काम करने में व्यस्त थे…

मधु को देखकर मैं बहुत खुश हुआ, वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसने सफ़ेद लांचा और कुर्ती पहनी थी… लांचे पर नीले रंग के चमकदार फूल थे…

मुझे देखकर दोनों ही बहुत खुश हुए।

सलोनी- अरे आ गए आप… चलो अच्छा हुआ।

सलोनी भी क़यामत लग रही थी, उसने नई प्रिंटेड साड़ी पहनी हुई थी।

मुझे नहीं पता कि उसने खुद पहनी या अंकल ने मदद की मगर साड़ी बहुत ही फैशनेबल स्टाइल में बंधी हुई थी, उसका ब्लाउज भी बहुत ही मॉडर्न था, कुल मिलाकर सलोनी क़यामत लग रही थी।

मैं- हाँ यार आज बहुत थक गया हूँ… क्या हुआ, कहीं जा रही हो क्या?

मैंने जानबूझकर थकान के लिए कहा कि वो कहीं जाने को ना कह दे।

सलोनी- अरे नहीं बस वो मेहता जी की बेटी कि शादी है ना, तो उन्हीं के यहाँ आज महिला संगीत है… मैंने सोचा मधु को भी ले जाती हूँ…

मैं- ठीक किया…

सलोनी- पर अब आपका चाय नाश्ता लगा दूँ क्या?

मैं- नहीं यार अभी तो नहीं… पहले तो मैं फ्रेश होऊँगा, कोई बात नहीं, तुम चली जाओ, मैं खुद कर लूँगा।

सलोनी- अरे नहीं… कोई बात नहीं, कुछ देर बाद चली जाऊँगी।

तभी नलिनी भाभी भी आवाज देने आ गई।

मैं- अरे तुम लोग चले जाओ ना !

मधु- दीदी आप चले जाओ… मैं काम निबटाकर आ जाऊँगी।

मेरी आँखों में चमक आ गई, फिर भी मैंने कहा- अरे नहीं मधु, तू भी चली जा, मैं मैनेज कर लूँगा।

सलोनी- अरे नहीं, ठीक ही तो कह रही है, आप खुद कैसे करोगे? कभी कुछ किया भी है? यह बाद में आ जाएगी। सुन मधु… सही से सब कुछ करके आ जाना।

मैं सोच रहा था कि क्या यार, कितने प्यार से सब समझाकर जा रही है…

और वो दोनों चली गई।

अब मैं और मधु दोनों ही घर पर अकेले थे… मैंने मुस्कुराकर मधु की ओर देखा, वो भी मुस्कुरा रही थी।

सलोनी जाते हुए मधु को बहुत प्यार से समझा रही थी, उसके चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कान भी थी।

मैंने मधु से दरवाजा सही से बंद करने को कहा और फ्रेश होने के लिए बेडरूम में आ गया।

अपनी आदत के अनुसार मैंने अपने सभी कपड़े उतार दिए… जूते ,कोट, पेंट, शर्ट, टाई आदि… मैं अपना अंडरवियर उतार रहा था, तभी मधु ने कमरे में प्रवेश किया।

मधु की छोटी सी बुर के बारे में सोचकर मेरा लण्ड पहले से ही जोश में आ गया था, वैसे भी आज पूरे दिन बेचारा खड़ा रहा था, उसको डिश तो बहुत मिली थीं पर खा नहीं पाया था।

मैंने सोच लिया था कि आज इस मधु को तसल्ली के साथ खूब चोदूँगा।

मुझे अब सलोनी की भी कोई परवाह नहीं थी… मुझे पता था कि उसको सब पता तो है ही और वो खुद उसको मस्ती के लिए ही छोड़ कर गई है।

मुझे नंगा देखकर मधु हंसने लगी- हा हा… यह क्या भैया… अंदर जाकर नहीं उतार सकते थे?

मैंने अंडरवियर उतारकर एक ओर फेंका और मधु को अपनी बाँहों में कसकर जकड़ लिया।

मैं- अच्छा इतना ज्यादा इतरा मत… तू आज इतनी सुन्दर लग रही है कि अब तो बस चोदने का ही मन कर रहा है।

मधु- हाय भैया… कितना गंदा बोल रहे हैं आप?

मैं- जब गन्दा कर सकते हैं तो बोल क्यों नहीं सकते।

मधु- आप और दीदी बिल्कुल एक सा ही बोलते हो, वो भी यही सब कहती हैं। आअह्ह्ह्हा आआआ धीरे से ना…

मैंने उसकी छोटे अमरुद जैसी चूची को कस कर उमेठ दिया था।

मैं- हाँ जब अंदर डालूँगा, तब बोलेगी तेज… और अभी धीरे बोल रही है… हा हा
मैंने उसकी दोनों चूची को एक साथ मसलते हुए ही कहा।

मधु- ओह दर्द हो रहा है ना भैया…

मैं- अरे चिंता मत कर मेरी जान… तेरा सारा दर्द पी जाऊँगा…

कुर्ती के ऊपर से साफ़ पता चल रहा थाकि उसने नीचे कुछ नहीं पहना।

लेकिन उसके चूची के निप्पल अभी इतने बड़े नहीं हुए थे कि कुर्ती के ऊपर से दिखते, थोड़े से उभार ही दिखाई देते थे।

उसकी चूचियों को सहलाते हुए ही मधु की कोमल सी गुलाबी बुर मेरे दिमाग में छा गई…

बहुत प्यारी थी उसकी छोटी सी बुर… जिसमें उसने अभी उंगली तक नहीं डाली थी।

उस दिन मैं कितना खेला था इस बुर के साथ पर चोद नहीं पाया था, खूब चाटा था और मेरा लण्ड तो उसके अंदर तक झांक आया था…

यह सोचकर ही लण्ड का बुरा हाल था और वो मस्ताने की तरह तनकर मधु के लांचे को खोदने में लगा था।

वो तो निशाना सही नहीं था वरना अब तक तो लांचे के साथ ही उसकी बुर में चला जाता।

मधु की बुर थी ही ऐसी, अभी तक तो सही से उस पर हल्का हल्का रोआँ भी आना शुरु नहीं हुआ था।

सलोनी के बाद मुझे अगर किसी की चूत पसंद आई थी तो वो मधु की ही थी, बिल्कुल मक्खन की टिक्की की तरह…

उसकी चूत की याद आते ही मैंने मधु को बिस्तर के किनारे पर ही पीछे को लिटा दिया।

मुझे यकीन था कि मधु ने लांचे के अंदर कच्छी भी नहीं पहनी होगी… आखिर वो सलोनी से ही सब सीख रही है… जब सलोनी नहीं पहनती तो इसने भी नहीं पहनी होगी।

मैंने मधु के लांचे को उठाते हुए उसके कोमल पैरों को सहलाया और चूमा।

मधु लरज रही थी… बल खा रही थी… कसमसा रही थी… उसको पूरा मजा आ रहा था…

लेकिन मधु बहुत बेसब्र थी… इस उम्र में ऐसा होता भी है… वो चाहती थी कि एकदम से ही उसकी चूत में लण्ड डाल दूँ, उसको धीरे धीरे वाला प्यार पसंद नहीं आ रहा था…

यह उसकी बेसब्री ही थी जो मेरे द्वारा धीरे धीरे लांचा उठाने से वो तुरंत बोली- ओह भैया… लांचा ख़राब हो जायेगा… इसको उतार देती हूँ…

मुझे हंसी आ गई…

मैं- अरे होने दे ख़राब… और आ जायेगा…

मधु- अह्ह्हाआआआ पर… दीदी… को पता चल जायेगा।

मैं- हा हा… क्या पता चल जायेगा?

मधु- अह्ह्ह हाह्ह्ह अह्ह्ह्ह्हा आआआ यही ना ओह भैया… आप भी नाआआआ… आह्ह्हा

और मैंने उसके लांचे को पूरा उठाकर उसके पेट पर रख दिया।

मधु की चिकनी जांघों के अंदर वाले हिस्से को चूमते हुए ही मेरे होंठ सीधे उसकी बुर के ऊपर थे…

अरर्र रे… यह क्या…???

मेरा अनुमान यहाँ बिल्कुल गलत निकला…

मधु ने को कच्छी पहनी थी हल्के आसमानी रंग की, जिस पर पीले इस्माइली बने थे… एक इस्माइली ठीक उसकी बुर के ऊपर था जो बहुत सुन्दर लग रहा था।

TO BE CONTINUED .....
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मैंने कच्छी के ऊपर से ही उसकी बुर को सहलाते हुए पूछा- अरे यह क्या, तूने आज कच्छी पहनी है… तेरी दीदी ने तो नहीं पहनाई होगी?

वो लाल आँखें लिए मुझे मुस्कुराकर देख रही थी- हाँ.. दीदी तो मना कर रही थी पर मुझे शर्म आ रही थी इसलिए पहन ली।

मैं- और तेरी दीदी ने पहनी या वो ऐसे ही गई है?

मधु- वो कहाँ पहनती हैं, वो तो ऐसे ही गई हैं, मैंने तो उन अंकल की वजह से पहन ली, मुझे उनसे शर्म आ रही थी।

मैं तुरंत समझ गया कि अरविन्द अंकल ही होंगे, इसका मतलब उन्होंने ही सलोनी को तैयार किया होगा।

मैं- इसका मतलब तुम दोनों अंकल के सामने ऐसे ही घूम रही थी?

मधु ने कोई जवाब नहीं दिया…

मैं- तो अंकल ने तुझे कच्छी में देख लिया?

मधु- अरे उन्होंने तो मुझे पूरा भी देख लिया… ये दीदी भी ना…

मैं उसकी बात सुन रहा था पर फिलहाल तो मुझे मधु का रस पीना था, मैंने उसकी कच्छी की इलास्टिक में उंगली फंसाई और उसको नीचे सरकाना शुरू कर दिया।

मधु ने भी अपने गोल मटोल चूतड़ों को उठाकर आराम से कच्छी को निकालने में पूरा सहयोग किया, मैंने उसकी कच्छी को उसके पैरों से निकालकर बेड के नीचे डाल दिया।

अब उसका बेशकीमती खजाना ठीक मेरे आँखों के सामने था… उसकी बुर मधु के रंग के मुकाबले काफी गोरी थी, इस समय बुर काफी लाल हो रही थी।

मैं- क्या तुम दोनों अंकल के सामने ही तैयार हुई… और तेरी यह बुर भी क्या अंकल ने लाल की?

मधु- अरे भैया… मैं तो नहा रही थी… दीदी ने ही अंकल को अंदर भेज दिया… फिर उन्होंने ही बहुत तेज रगड़ा था।

मैं- ओह.. तो यह बात है… फिर अंकल ने सलोनी के साथ क्या किया… और क्या तेरे साथ कुछ ऐसा वैसा भी?

मधु- नहीई…ईई न मेरे साथ नहीं… मुझे तो बस नहलाया ही था… पर दीदी को उन्होंने बहुत देर तक परेशान किया।

मैं- परेशान मतलब… क्या कुछ जबरदस्ती?

मधु- नहीं… वो सब कुछ ही ना…

मैं एकदम से उठकर बैठ गया…

मधु- क्या हुआ?

मैं- तू मुझसे इतना आधा आधा क्यों बोलती है… पहले सब बात खुलकर मुझे बता… नहीं तो मैं तेरे से बिल्कुल नहीं बोलूँगा।

मधु बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी, वो मेरी हर बात मानने को तैयार थी।

उसने कसकर मुझे अपने पर झुका लिया… मैं भी अब उसको छोड़ तो सकता ही नहीं था, मैंने उसकी नाजुक बुर को सहलाते हुए ही पूछा- देख मधु, मैं तेरे से बहुत प्यार करता हूँ… चल बता.. क्या-क्या किया उन्होंने तेरी सलोनी दीदी के साथ… सब कुछ अच्छी तरह से खुलकर बता?

मधु- अह्हा बाद में भैया… पहले तो… यहाँ बहुत खुजली हो रही है।

मधु बिल्कुल बच्चे जैसा ही व्यवहार कर रही थी, उसने बड़ी मासूमियत से अपनी बुर को खुजाया।

मैं उसकी मासूमियत देख उसका कायल हो गया और उसकी बुर को सहलाते हुए चूम लिया, फिर मैंने कुछ देर तक उसकी चूत को चाटा।

मैं अच्छी तरह जानता था कि कैसे उससे सब कुछ उगलवाना है।

मैंने उसके लांचे की कोई परवाह नहीं की, मैं मधु को लांचे से साथ ही चोदना चाहता था।

मैंने मधु को सही से बिस्तर के किनारे पर सेट किया और उसके दोनों पैर घुटने से मोड़कर उसके पेट से लगा दिए।

जैसे एक फूल की सारी कलियाँ बाहर को खिलती हैं.. ऐसे ही उसकी बुर की पुत्ती बाहर को हो गई।

मधु की चूत के अंदर का लाल हिस्सा भी चमकने लगा… मधु की चूत और गांड दोनों के सुरमई द्वार बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रहे थे।

पर मैं तो इस समय केवल चूत के छेद को ही देख रहा था… मेरा ध्यान बिल्कुल गांड की ओर नहीं था… अभी तो मधु की चूत भी गांड से भी ज्यादा टाइट थी… फिर गांड के बारे में कौन सोचता !

मैंने बेड के किनारे रखी क्रीम की ट्यूब उठाई और मधु के बुर पर रख कर दबा दी, ढेर सारी क्रीम वहाँ इकठ्ठी हो गई।

मैंने उंगली की सहायता से उसकी बुर के अंदर तक क्रीम भर दी तो उसकी बुर बहुत चिकनी हो गई थी।

मैं बहुत ही खुश था… मेरी अपनी ही बीवी की मदद से मुझे आज इस कुआँरी कली से खेलने का मौका मिल रहा था।

मधु जैसी छोटी और बंद चूतों का मैं दीवाना था जिनकी चूत पर अभी बाल भी निकलना शुरू नहीं हुआ हो।

ऐसी चूत के कच्चे रस का पानी मेरे लण्ड को और भी ज्यादा मोटा कर देता था।
यह शौक मुझे काफ़ी पहले से ही लग गया था जब कॉन्वेंट और कोएड में पढ़ने के कारण बहुत सारी लड़कियाँ मेरी दोस्त थी और वो सभी ही अच्छे घरों से थीं, खूब गोरी और चिकनी… वो सब भी इस सबका बहुत मजा लेती थी।

अपने इसी गंदे शौक के कारण मेरी अपने ही घर में काफी बेइज्जती भी हुई थी, मुझसे छोटी मेरी तीन बहनें हैं, मुझे उनकी फ़ुद्दी से भी खेलने का शौक हो गया और मैंने एक एक कर तीनों को ही पटा लिया था… फिर एक दिन डैडी ने हमको रंगे हाथों पकड़ लिया।

हम चारों ही नंगे होकर खेल रहे थे, पर मैं सबसे बड़ा था और मेरे खड़े लण्ड के कारण पूरी सजा मुझे ही मिली और बाकी की पढ़ाई मुझे बाहर हॉस्टल में रहकर ही करनी पड़ी थी।

फिलहाल मुझे मधु के साथ वही मजा आ रहा था, मधु की बुर उसकी टांगें उठने से पूरी खुलकर सामने आ गई थी, मुझे लग रहा था कि मुझे अपना लण्ड उसकी बुर में प्रवेश कराने के लिए बहुत ही मेहनत करनी होगी क्योंकि उसकी बुर की दोनों पुत्तियाँ आपस में बुरी तरह से चिपकी थी, उसकी बुर का छेद जिसमें लण्ड को प्रवेश होना था, लाल भभूका हो रहा था इसीलिए दिख भी रहा था, वरना उसका पता भी नहीं चलता…

मेरे से भी रुकना अब बहुत मुश्किल था… मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी बुर के छेद पर रखा और हल्का सा ही दबाव दिया।

मुझसे कहीं ज्यादा जल्दी मधु को थी, उसने अपने चूतड़ ऊपर को उचकाए… और मेरा मोटा सुपाड़ा उसकी मक्खन की टिकिया को चीरते हुए भक्क की आवाज के साथ अंदर घुस गया।

मधु- अहाआह्ह्ह ह्ह्हाआआआ नहीईइइइइ…

बस एक जोर से सिसकारी ही ली मधु ने, उसको शायद कोई ज्यादा दर्द नहीं हुआ था।

य्ह इसीलिए हुआ होगा कि या तो मधु बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई थी या फिर उसकी बुर में बहुत चिकनाई थी जो उसने इतना मोटा सुपाड़ा आसानी से ले लिया था।

पर हाँ… उसने अपने चूतड़ को पीछे करना चाहे पर मैं उसके छोटे मगर कोमल से दोनों चूतड़ों के गोले कसकर पकड़े रहा, मैंने उसको हिलने तक का भी मौका नहीं दिया।

मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी बुर में फंस गया था। उसको तकलीफ तो हो रही थी मगर ज्यादा नहीं, यह मुझे पता लग गया था।

इससे पहले भी मैंने कुआंरी बुर में लण्ड को डाला था इसलिए मुझे पूरा अनुभव है।

मैं कुछ देर तक ऐसे ही लण्ड को उसकी बुर में फंसाये रहा फ़िर मैंने देखा वो अब खुद ही अपने चूतड़ों को उठाकर लण्ड को अंदर करने की कोशिश कर रही है।

उसकी इस प्यारी सी हरकत पर मेरा दिल खुश हो गया, मैंने उसके चूतड़ों को कसकर पकड़ कर अपनी कमर को एक धक्का दिया।

मधु- आअह्ह ह्ह्हाआ आआ…

इस बार जरा जोर से सिसकारी क्योंकि धक्का थोड़ा जोर से लग गया था।

मेरा आधे से ज्यादा लण्ड उसकी कोमल सी बुर को चीरता हुआ अंदर चला गया था और कमाल तो तब हो गया जब मेरा पूरा लण्ड मधु की बुर में बिना किसी रुकावट के चला गया।

अगले दो ही प्रयासों में मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी बुर में डाल दिया, मधु ने कोई ज्यादा विरोध नहीं किया, उसने बहुत प्यार से मेरा पूरा लण्ड ग्रहण कर लिया।

CONTD....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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मैंने बहुत ध्यान से उसकी बुर में फंसे हुए अपने लण्ड को देखा, लण्ड बुरी तरह से जकड़ा हुआ था, उसकी बुर लाल सुर्ख हो रही थी मगर खून निकलने का कोई निशान नहीं था।

मतलब उसकी बुर की झिल्ली पहले से ही फटी हुई थी, अब यह पता नहीं कि खेलकूद में फटी थी या किसी दूसरे के लण्ड ने कमाल दिखाया था।

मुझे थोड़ा सा अफ़सोस तो हुआ मगर फिर भी बुर बहुत टाइट थी, मेरा लण्ड टस से मस नहीं हो रहा था, मैं उसी का मजा लेने लगा,

मैंने धीरे धीरे लण्ड को बाहर निकाला और फिर से अंदर कर दिया।

मैं बहुत जरा सा ही लण्ड बाहर निकाल रहा था… अधिक से अधिक दो इंच… बस इसी तरह उसको चोदने लगा, कुछ ही देर में लण्ड ने वहाँ जगह बना ली और मेरा लण्ड आराम से अंदर बाहर होने लगा।

अब कमरे में फच फच आवाज भी आ रही थी, मधु की बुर ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था, लण्ड इतना फंसा फंसा अंदर आ-जा रहा था कि मुझे जन्नत का मजा आ रहा था।

मैंने अपनी स्पीड बहुत धीमी कर दी, मैं उसको बहुत देर तक आराम से चोदना चाहता था।

मैंने उसके लांचे को ठीक से ऊपर को किया और आराम से लण्ड पेलने लगा।
मधु मजे से सिसकारी ले रही थी।

मैं- अह्हा… हाँ तो अब… मधु सच बता… क्या किया अरविन्द अंकल ने तेरी दीदी के साथ?

मधु ने मस्त आँखों से मेरी ओर देखा, अब वो भी इस चुदाई की अभ्यस्त हो गई थी, उसने सिसकारते हुए ही जवाब दिया- अह्हा अह्ह्ह हाँ… अंकल ने दीदी के साथ यही सब किया था… तभी से मेरा दिल भी कर रहा था.. अह्हा अह्ह्ह्ह्ह्हाआआ…

मैं- क्या उन्होंने तेरे सामने ही सलोनी को चोदा?

अब मैं उसको जल्द से जल्द पूरी तरह खोलना चाह रहा था इसीलिए अभी शब्द खुलकर बोलने लगा…

मधु ने मुस्कुराकर मुझे देखा- हाँ.. मैं उनके सामने तो नहीं पर यहीं रसोई में तो थी ही… अह्ह्ह अह्ह्ह्ह्हाआआ… उनको पता तो था ही… अह्हा अह्ह्ह अह्ह्ह्ह… और वो सब कुछ दरवाजा खोलकर ही कर रहे थे।

मैंने एक कसकर धक्का लगाया।

‘आह्ह्ह्हा आआआह आआआ…’ वो भी तेजी से सिसकारी।

मैं- अरे क्या कर रहे थे… देख अगर तुझे हमेशा मुझसे मजे लेने हैं और मेरा प्यार चाहिए तो तुझे सब कुछ खुलकर बताना होगा… देख मुझे सलोनी के कुछ भी करने पर कोई ऐतराज नहीं है… बस मैं जानना चाहता हूँ कि वो सब कुछ कैसे करती है… और तू इतनी छोटी भी नहीं है जो सब कुछ ना समझती हो… इसलिए सब कुछ खुलकर बता !

मैंने बदस्तूर अपने धक्के एक ही स्पीड में चालू रखे।

मधु भी अब मजे लेती हुई बहुत ही मजेदार तरीके से बताने लगी, उसके मुख से आहों के साथ सलोनी की चुदाई की कहानी सुनने में बहुत मजा आ रहा था- अह्हा वो क्या है भैया… अंकल ने दीदी को कपड़े पहनाने के लिए उनके सभी कपड़े उतार दिए… वैसे भी उन्होंने केवल एक नाईटी ही पहनी थी, वो अंकल के सामने ऐसे ही नंगी घूम रही थी, अंकल उनको बार बार छू रहे थे।

मैं- और अंकल क्या पहने थे? आह्ह्हा…

मधु- अह्हा अह्हा… उन्होंने सिर्फ़ तौलिया ही बाँधा हुआ था क्योंकि मुझे नहलाने के बाद उन्होंने कुछ नहीं पहना था।

मैं- मतलब तूने अंकल का लण्ड देख लिया था?

मधु- अह्हा अह्ह्ह्हाआ हाँ… वो तो बाथरूम में ही देख लिया था जब मुझे नहलाने के लिए उन्होंने अपना पायजामा खोल दिया था।

मैं- तो उन्होंने तेरे साथ भी कुछ किया था?

मधु- नहीं.. बस छुआ ही था…

मैं- क्या तूने भी उनका लण्ड छुआ था?

मधु- अह्ह्हाआआ वैसे नहीं… बस जब वो उसको मेरे से चिपकाते थे… तभी उसको अपने से दूर करती थी।

मैं- अच्छा छोड़ ये सब.. फिर बता क्या हुआ?

मधु- अंकल दीदी को पकड़ बार बार अपना बम्बू उनके चूतड़ों में घुसा रहे थे… दीदी उनको मना तो कर रही थी मगर वो मान ही नहीं रहे थे… फिर दीदी ने मुझे रसोई में काम करने भेज दिया… कुछ देर बाद जब मैं आई तो दीदी को यहाँ बेड के बराबर में खड़ा कर वो उनको चोद रहे थे…

मैं- ओह, तो तूने क्या देखा? क्या उनका लण्ड सलोनी की चूत में था या वो पीछे से चूतड़ों में घुसाये हुए थे?

मधु- अह्हा अह्ह्ह्हाआ मैंने पूरा देखा… उनका बम्बू दीदी के आगे ही घुसा हुआ था और दीदी पूरा मजा ले रही थी… अह्हा अह्ह्हाआ अहह अह्ह्हाआआ… वो ये भी कह रही थी कि जल्दी करो अंकल, ये आते होंगे… वो उनको बिल्कुल मना नहीं कर रही थी.. फिर उनका पानी भी निकला.. जैसे आपने उस रात मेरे ऊपर गिराया था… आह्ह अह्ह्हाआआ अह्हा अह्हा…

मैं- ओह्ह्ह तो तूने उनको डिस्चार्ज होते हुए भी देखा… अह्हा मतलब वो तेरे से डर रहे थे इसीलिए तुझे वहाँ से हटाकर उन्होंने चुदाई की… अह्हा…

मधु- अरे नहीं भैया… वो तो वैसे ही दीदी ने कहा होगा… फिर दोनों नंगे ही रसोई में पानी पीने आये… अंकल बार बार मेरे को भी छू रहे थे इसलिए मैंने कच्छी पहन ली… अह्हा अहहः अह्हा…

उसकी बातें सुनकर मुझे इतन मजा आया कि मैं तेजी से धक्के लगाने लगा और कुछ देर में ही मेरा निकलने वाला था।

मैंने तेजी से लण्ड उसकी बुर से बाहर निकाल लिया और उसके मुँह की ओर ले गया।

आश्चर्यजनक रूप से उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और मुठ मारने लगी.. जैसे ही उसमें से पानी निकला, उसने अपने होंठ वहाँ रख दिए…

उसने एक सेक्स की देवी की तरह ही मुझे मजा दिया, मेरे लण्ड को चाट चाट कर पूरा साफ कर दिया।

मैं- मधु तूने पहले भी सेक्स किया है न?

मधु- क्या भैया?

मैं- हा हा.. अरे अब भैया तो मत बोल ना… तूने मेरे साथ चुदाई कर ली.. फिर भी?

मधु- तो क्या हुआ… इससे क्या होता है…!!

मैं- अच्छा, यह बता पहले इसमें कोई ऐसे ही अपना लण्ड घुसाया है?

मैंने उसकी बुर को कुरेदते हुए पूछा।

मधु- हाँ मेरे पापा ही… रोज रात को… कुछ कुछ करते हैं।

मुझे पहले से ही पता था… साला बहुत ही हरामी था, शराब पीकर जरूर इसको पेलता होगा… मैं तो केवल छेड़खानी ही समझ रहा था मगर अब पता चला कि सुसरा सब कुछ ही करता है।

मैं अभी मधु से उसके बारे में और कुछ भी पूछना चाह रहा था कि तभी नलिनी भाभी का फ़ोन आ गया।

मैंने तुरंत रिसीव किया क्योंकि इस समय नलिनी भाभी की हर कॉल बहुत मजेदार हो रही थी, पता नहीं इस समय वो मुझे क्या बताने वाली थी।

मधु भी अपनी बुर को साफ़ कर मेरे पास ही आकर बैठ गई।

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ab aage kya hoga rangin rate
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Superb
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Update kb aa rha h?
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Heart 
(29-04-2024, 04:18 PM)Samar78 Wrote: Update kb aa rha h?

KYA BAT KAR DI SIR,
ABHI LIJIYE ... TURANT
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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मैं तो अभी नंगा ही बैठा था पर उसने अपनी बुर को लांचे से ढक लिया था और मेरे मुरझाते हुए लण्ड को देख हंस रही थी।

मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया क्योंकि मुझे लग गया कि नलिनी भाभी ने मुझसे बात करने को नहीं बल्कि वहाँ की मस्ती सुनाने को ही फ़ोन मिलाया था।

ओह! ये दोनों तो मेहता अंकल के साथ थी। दरअसल मेहता अंकल की बेटी की शादी थी, मेहता अंकल की बीवी का देहांत हुए बहुत साल हो गए हैं, उनकी दो बेटियाँ हैं। एक की शादी हो चुकी है, वो लंदन में रहती है, दूसरी की शादी हो रही थी। दोनों ही बहुत सेक्सी और खूबसूरत हैं। जिसकी शादी हो रही है, उसका नाम ऋतु है, बड़ी का नाम मुझे याद नहीं है क्योंकि उससे कभी मुलाकात नहीं हुई।

मेहता अंकल दिखने में बहुत बूढ़े लगते हैं, सर पर बहुत कम बाल जो पूरे पके हुए हैं, यहाँ तक कि उनकी ऑय ब्रो तक सफ़ेद हो चुकी हैं। मैंने हमेशा उनको पूजा पाठ में ही लगे हुए देखा है मगर इस समय उनका यह रूप देख मैं भौंचक्का रह गया, मुझे यह तो पता चल गया कि वो तीनों अपने ही घर के किसी अलग कमरे में अकेले हैं।

मैं और मधु ध्यान से वहाँ की बातें सुनने लगे।

मेहता अंकल- “अरे क्यों ज़िद कर रही है तू सलोनी? मान जा ना तुम दोनों मिलकर इस स्वांग को बहुत अच्छा करोगी”

सलोनी- “अरे नहीं ना, मैं तो बस डांस का ही सोच कर आई थी तो बस वही करुँगी, यह आप भाभी से करा लो”

नलिनी भाभी- “नहीं भई, मुझे तो इससे दूर ही रखो। जब तक तू नहीं करेगी मैं भी नहीं करुँगी”

सलोनी- “ओह… दूर हटो ना अंकल, क्यों इतना चिपके जा रहे हो। बस्स्स… नाआअ कितना चूमोगे, अब थोड़ा दूर हटकर बैठो”

ओह, इसका मतलब अंकल सलोनी को चूमने में लगे थे।

मेहता अंकल- देख बेटा मान जा, यह हमारा रिवाज़ है। इस कार्यक्रम में एक स्वांग जरूर होता है। अब ऋतु की माँ तो है नहीं वरना कोई ना कोई वो तैयार कर लेती। अब तो तुम ही मेरी सबसे ज्यादा अपनी हो। ऋतु भी तुमको कितना मानती है अगर तुम लोगों ने नहीं किया तो सब रिश्तेदार मुझे ही दोष देंगे। मेरी बहुत बदनामी होगी।

नलिनी भाभी- हाँ सलोनी, ये कह तो सही रहे हैं इस स्वांग के द्वारा ही लड़की को शादी का मतलब बताना होता है पुराना रिवाज़ है पर जरूरी होता है और बहुत मजा आता है।

सलोनी- ठीक है पर मैं लड़का बनूँगी और आप लड़की।

मेहता अंकल- अरे नहीं बेटी तू कहाँ इतनी दुबली पतली और यह कहाँ नलिनी क्यों स्वांग की ऐसी तैसी करने में लगी हो, मान जाओ ना तुम कितनी खूबसूरत लगोगी।

सलोनी- ओह पर अंकल मैंने कच्छी नहीं पहनी है और फिर आपका ये लहँगा, कितना झीना और छोटा है हल्का सा घूमने में ही ये तो पूरा उठ जाएगा। मैं नहीं पहन पाऊँगी इसे।

मेहता अंकल- हा हा… क्या यह सलोनी बोल रही है? जिसको कपड़ों की कभी परवाह ही नहीं रही। अरे भई सब लेडीज ही तो हैं यहाँ और देखना इसमें कितना मजा आएगा।

सलोनी- नहीं, पहले किसी कच्छी का इंतजाम करो, तभी पहनूंगी।

मेहता अंकल- अरे बेटा अब मैं कहाँ से लाऊँ कच्छी, ऋतु की तो सभी उसी के कमरे में होंगी और वो तेरे आएँगी भी नहीं। ऐसा कर इस नलिनी की पहन ले।

सलोनी- हाँ भाभी लाओ आप अपनी कच्छी दो मुझे उतारकर वही ट्राई करके देखती हूँ। वैसी भी आप तो पेंट शर्ट ही पहनोगी।

नलिनी भाभी- अरे अगर मैंने पहनी होती तो कब का दे देती, मैंने भी नहीं पहनी।

मेहता अंकल- अरे यार, अब ये सब छोड़ो, चलो जल्दी से तैयार हो जाओ।

सलोनी- ठीक है, पर आप तो जाओ यहाँ से।

मेहता अंकल- अब मेरे से ये सब क्या। ऐसा क्या है जो मैंने नहीं देखा। यही तो मौका है जब मैं तुम्हारी ख़ूबसूरती को अच्छी तरह से देख सकता हूँ और उसकी जी भरकर तारीफ कर सकता हूँ।

सलोनी- जी नहीं, मुझे नहीं करवानी आपसे अपनी तारीफ, मुझे अच्छी तरह पता है कि आप कैसे तारीफ करते हो। आप बाहर जाओ, हम दोनों तैयार होकर आती हैं।

नलिनी भाभी- वही मुझे तो आपके सामने तैयार होने में कोई ऐतराज नहीं है। हा हा हा…

मेहता अंकल- यह आज सलोनी को हो क्या गया है, जब पहले मैं मना करता था, तब तो सब कुछ दिखाती रहती थी और आज देखो तो कैसे नखरे कर रही है यह?

नलिनी भाभी- उसको तो यही लगता है ना कि आपको दिखाने से भी क्या फायदा। चुसे हुए गन्ने से भी कोई रस निकलता है क्या?

मेहता अंकल- ऐसा मत कह तू नलिनी, तुझे पता नहीं मेरी बेटी लन्दन से ऐसी गोलियाँ लाई है जो मुझे फिर से जवान कर रही हैं।

नलिनी भाभी- कैसा जवान अंकल, क्या आपके मरियल पप्पू में भी जान आ रही है या ऐसे ही?

मेहता अंकल- अरे नहीं कल पूरी रात पप्पू ने खूब कसरत की है तभी तो मैं तुम दोनों को इतना प्रेस कर रहा हूँ

नलिनी भाभी- हैईईईन्न्न्न्न्न क्या कह रहे हो आप अंकल कैसी मेहनत क्या ऋतु की सुहागरात से पहले ही आपने ही तो नहीं उसके साथ सुहागरात मना ली?

मेहता अंकल- अरे नहीं बेटा, उसके साथ तो नहीं पर रिया के साथ।

मुझे याद आ गया। रिया उनकी बड़ी बेटी का नाम है जो लन्दन में रहती है और बहुत ही ज्यादा बोल्ड है।

नलिनी भाभी- अच्छा तो अपनी पुरानी कहानी फिर शुरू कर दी आपने?

सलोनी- आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले अंकल, पहले मुझे आप ऋतु के बारे में बता रहे थे और अब मालूम पड़ रहा है कि रिया भी अपनी दोनों लड़कियों को ही आपने चखने के बाद ही विदा किया, अगर आपके दामाद को पता चल गया तो?

मेहता अंकल- तो क्या? साले इतना पैसा ले रहे हैं तो क्या माल भी चोखा मिलेगा और फिर मेरी बेटियां हैं मेरा ख्याल नहीं रखेंगी तो फिर किसका रखेंगी।

सलोनी- फिर अब आप क्या करोगे अब तो रिया और ऋतु दोनों ही चली जाएँगी।

मेहता अंकल- तो क्या हुआ? तुम दोनों मेरी बेटी नहीं हो क्या? कभी सलोनी तो कभी नलिनी और कभी तुम दोनों ही मेरे पास आते रहना।

सलोनी- अच्छा जी, हमको नहीं बनना ऐसी बेटी।

उनकी बातें सुनकर मुझे लगने लगा कि जरूर वहाँ कुछ रोमांच वाला होगा, मेरा दिल उनको देखने का करने लगा।

TO BE CONTINUED .....
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मधु मुझे बहुत गौर से देख रही थी- क्या हुआ भैया? क्या मैं दीदी को कच्छी देकर आ जाऊँ?

मैं- तू तो पागल है तू अगर कच्छी लेकर भी गई तो क्या सलोनी पहनेगी अरे उसको तो ऐसे ही मजा आता है चल हम लोग भी वहीं चलते हैं तू भी एन्जॉय कर लेना

मधु- तो क्या मैं भी नहीं पहनूँ

मैं- अरे तू क्या करेगी वहाँ तुझे कौन देख रहा है? और तेरा तो लांचा भी पूरा ही है चल ऐसे ही चल कहीं तेरी कच्छी देख सलोनी का मूड न बदल जाए!

मैंने जल्दी से पेंट शर्ट ही डाली और मधु के साथ निकल गया मैंने फोन ऑफ कर दिया।

मेहता अंकल के फ्लैट पर काफी चहल पहल थी।

जहाँ गाना बजाना चल रहा था, मैं मधु को वहीं छोड़ सलोनी की ड्रेस का बहाना कर अंदर चला गया।

मुझे उनके फ्लैट का अच्छा आईडिया है, मैं कई बार पहले भी आ चुका था। मुझे पूरा भरोसा था कि ये लोग मेहता अंकल के कमरे में ही होंगे।

मैं वहाँ पहुंचा मगर कमरा तो अंदर से बंद था।

मैंने तुरंत भाभी को कॉल की, कुछ देर बाद भाभी ने कॉल रिसीव की- क्या हुआ?

मैं- अरे दरवाजा तो खोलो, मैं भी देखना चाहता हूँ।

नलिनी भाभी- कहाँ हो तुम?

मैं- यहीं आपके कमरे बाहर।

नलिनी भाभी- ओह! ऐसा करो ऋतु के कमरे से यहाँ बाथरूम में आ जाओ।

मुझे याद आ गया कि वहाँ दोनों कमरे का कॉमन बाथरूम था और नलिनी भाभी भी शायद वहीं से बात कर रही थीं।

मैं जल्दी से ऋतु के कमरे में गया, वो पूरा खाली था, और हो भी क्यों ना, ऋतु भी तो बाहर कार्यक्रम में ही बैठी थी।

मैं जल्दी से बाथरूम में प्रवेश कर गया। नलिनी भाभी वहीं थी, उन्होंने मुझे चुप रहने का इशारा किया।

उनके बदन पर केवल ब्लाउज और पेटीकोट ही था, मैंने पेटीकोट के ऊपर से ही उनके मुलायम चूतड़ों को मसला और बहुत धीमे से पूछा- क्या हो रहा है यहाँ?

उन्होंने फुसफुसाते हुए ही जवाब दिया- चुप करके केवल अपनी जोरू की चुदाई देख!

और वो बाथरूम से बाहर फिर से मेहता अंकल के कमरे में चली गई।

मैंने बाथरूम के दरवाजे को भिड़ा दिया और इतना गैप कर लिया कि कमरे की हर वस्तु देख सकूँ।

सामने ही उनका किंग साइज़ बेड पड़ा था और वहाँ का दृश्य देखते ही मैं भौचक्का सा खड़ा रह गया।

यह तो वही सब हो रहा था जिसे मैं कबसे देखना चाह रहा था!

मेहता अंकल काफी अमीर व्यक्ति हैं, उनके घर सभी ऐशो आराम की वस्तुएँ हैं। जिस बाथरूम मैं था वो भी बहुत बड़ा है, बड़े बाथटब से लेकर चमकीली लाइट तक सभी कुछ है वहाँ पर मैंने इस समय बाथरूम की सभी लाइट बंद कर दी थीं।

उधर मेहता अंकल के कमरे की सभी लाइट ओन थीं, इस समय शादी का घर होने के कारण कमरा बहुत चमक रहा था। उनके कमरे में भी सभी आधुनिक वस्तुएँ थीं, एक नजर में ही कमरे को देखकर पता लग जाता था कि यह किसी रईस की ऐशगाह है।

दीवारों पर महंगी वाल पेंटिंग्स, किंग साइज़ राउंड मूविंग बेड, बड़े बड़े मिरर और फैंसी लाइट सभी उस माहौल को सेक्सी बना रहे थे।

फिलहाल मेरा सपना पूरा होने जा रहा था।

मैं सलोनी को एक दूसरे मर्द के साथ मस्ती करते हुए देख रहा था, भले ही वो एक बूढ़ा मर्द हो पर मैं सलोनी के सेक्स की पराकाष्ठा देखना चाह रहा था।

जो कुछ भी सामने हो रहा था, उससे तो यही लगता था कि आज मुझे एक बहुत ही गर्म चुदाई दिखने वाली थी।

और शायद नलिनी भाभी भी जानती थी, वो मेहता अंकल से चुदवा भी चुकी होंगी, तभी उन्होंने मुझसे ऐसा कहा भी है कि चुपचाप अपनी जोरू की चुदाई देख!

मैंने बाथरूम की लाइट बंद करके दरवाजा बिल्कुल ऐसे कर लिया था कि मैं तो सब कुछ देख सकता था पर कोई मुझे नहीं देख सकता था।

पहला दृश्य ही मुझे बहुत गर्म दिखा सलोनी बेड के किनारे पैर लटका कर बैठी थी, उसके बदन पर भी नलिनी भाभी जैसे ही केवल ब्लाउज और पेटीकोट ही था।

इस दोनों की साड़ी शायद मेरे यहाँ आने के दौरान ही उतरी थी। सलोनी के ठीक सामने मेहता अंकल खड़े थे, ख़ास यह था कि उनके बदन पर केवल एक आस्तीन वाला बनियान था, बाकी नीचे तो वो पूरे नंगे थे, मुझे साइड से वो दिख रहे थे, अपनी कमर पर दोनों हाथ रखे वो तनकर सलोनी के सामने खड़े थे और सलोनी अपने हाथों में उनके लण्ड को पकड़े थी, पता नहीं वो क्या उलट-पुलट कर देख रही थी।

मैंने जब ध्यान से देखा तो मेरी आँखें भी फटी की फटी रह गई।

यह क्या है भई…??

सांप जैसा उनका लण्ड देख मेरा भी बुरा हाल हो गया 11-12 इंच से कम नहीं होगा, बिल्कुल काला और बहुत ही मोटा…

सलोनी के दोनों हाथों में होने के बावजूद वो काफी बाहर को निकला हुआ नजर आ रहा था।

कमरा काफी बड़ा होने के बावजूद मुझे उनकी हर बात साफ़ साफ़ सुनाई दे रही थी, मैं ध्यान से उनकी मस्ती भरी बातें सुनने लगा।

सलोनी- वाओ अंकल आपका ये तो बहुत प्यारा है मैंने तो आज तक ऐसा हथियार नहीं देखा।

अंकल का सीना गर्व से तना हुआ था- तभी तो मैंने तुझसे कहा था मुझे अपने लण्ड पर बहुत गर्व है इसी की तो ऋतू और रिया भी दीवानी हैं।

सलोनी चमकती हुई आँखों से उनके लण्ड को घूर रही थी और उसके हाथ अंकल के लण्ड को ऊपर से नीचे तक सहला रहे थे।

मेहता अंकल- कब तक सहलाती रहेगी, अब जरा इसको अपने मुँह से पुचकार भी दे, फिर देखना यह तेरी चूत की कैसी सेवा करता है। हरी कर देगा तेरी तबियत। अंदर तक खुश कर देगा तुझको।

सलोनी- नहीं अंकल जी, बस थैंक्यू आपका, मेरी तबियत पहले से ही बहुत खुश है। बस इतना ही काफी है।

सलोनी अभी भी खुलकर हाँ नहीं कह रही थी परन्तु उसकी हरकतें और आँखें उसकी जुबान से बगावत कर रही थी, साफ़ पता चल रहा था कि वो सब कुछ चाहती है मगर कह नहीं पा रही थी।

मेहता अंकल भी पूरे घाघ ही थे, वो शायद सब कुछ समझ रहे थे।

मेहता अंकल- चल कोई बात नहीं!

और उन्होंने अपनी कमर को आगे करते हुए सलोनी के चेहरे के पास कर दिया, उनका लण्ड सलोनी के गालों से छूने लगा।

मैंने देखा नलिनी भाभी एक ओर कुर्सी पर बैठकर मुझे और सलोनी को देखकर मजा ले रही थी, उनका बैठने का स्टाइल भी बहुत सेक्सी था, उन्होंने एक पैर कुर्सी के नीचे रखा था और दूसरा घुटने से मोड़कर ऊपर, तो उनका पेटीकोट बहुत ऊपर हो गया था, उनकी खुली हुई चूत साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी जिसको वो अपने दायें हाथ की उँगलियों से सहला रही थी।

फिलहाल तो मेरा ध्यान केवल सलोनी की ओर ही था।

अंकल ने सलोनी को पकड़ते हुए कहा- चल तू इससे खेलती रह, मैं तुझको तैयार कर देता हूँ।

और उन्होंने सलोनी के ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए।

सलोनी थोड़ा ना नुकुर तो कर रही थी मगर कुछ ही देर में अंकल ने उसके ब्लाउज को उतार दिया।

सलोनी को उनका लण्ड इतना प्यारा लग रहा था कि वो उसको एक पल के लिए भी नहीं छोड़ रही थी।

अंकल ने सलोनी को आगे को झुकाया, मुझे ऐसा लगा जैसे सलोनी ने उनका लण्ड अपने मुख में ले लिया हो, पर अंकल ने उसकी पीठ पर लगा ब्रा का हुक निकाला था।

उन्होंने बहुत ही प्यार से सहलाते हुए उसकी ब्रा के कप को सलोनी के गोल और तने हुए उरोजों से हटाकर एक ओर डाल दिया तो अब सलोनी केवल एक पेटीकोट में ही वहाँ बैठी थी, उसकी नंगी चूची किसी सफेद गेंद जैसी ऊपर को उठी हुई बहुत ही मस्त दिख रही थी।

अंकल की नजर उनसे हट ही नहीं रही थी।

सलोनी के निप्पल अभी भी गुलाबी रंगत लिए थे। इस समय तने हुए निप्पल अपनी उत्तेजना के चरम की कहानी साफ़ साफ़ बयां कर रहे थे।

अंकल ने एक हल्का सा अपनी हथेली को उसके निप्पल से सहलाते हुए सलोनी को पेट से पकड़ नीचे खड़ा किया।

सलोनी- अह्ह्हाआआआ…

सलोनी हल्के से सिसकारी पर उसने कुछ नहीं कहा और वो अंकल के बराबर में बेड के नीचे खड़ी हो गई।

अंकल ने उसको बिस्तर के ऊपर चढ़ा दिया और सलोनी बेड पर अधनंगी खड़ी किसी खजुराहो की मूरत सी दिख रही थी।

अंकल ने सलोनी की कमर को सहलाते हुए बहुत ही सेक्सी तरीके से सलोनी के पेटीकोट के अंदर हाथ डाल उसके नाड़े को बाहर निकाला, फिर धीमे से उसको खींच कर खोल दिया। केवल एक पल लगा और सलोनी का पेटीकोट उसका साथ छोड़ गया, पेटीकोट सलोनी के चूतड़ों से सरकता हुआ उसके पैरों में सिमट गया।

एक सेक्सी मूरत सी सलोनी सम्पूर्ण नग्न बिस्तर पर खड़ी थी।

उसको इस तरह सिमटता हुआ देख किसी का भी लण्ड पानी छोड़ दे।

अंकल बिस्तर के नीचे खड़े हुए सलोनी की पतली कमर को थामे हुए थे, उनकी नजर ठीक सलोनी की सबसे सेक्सी और सुंदर भाग, उसकी बेशकीमती चूत पर थी।

अंकल अपने हाथो को सरकाते हुए सलोनी के साफ़ सफ्फाक उठे हुए मुलायम चूतड़ों तक ले गए और अब उनकी हथेली और उँगलियाँ सलोनी के चूतड़ों पर किसी पियानो प्लेयर की तरह ही नाच रही थी।

मेहता अंकल- अह्ह्ह सच सलोनी बेटा, तेरी चूत तो बहुत ही प्यारी है। ऐसी तो ऋतू और रिया की बचपन में भी नहीं थी। कितनी छोटी सी और कोमल लग रही है, लगता ही नहीं कि इस पर कभी बाल आएं हों। मुझे इतना अनुभव है, बिल्कुल सच बोल रहा हूँ, तेरी चूत को देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि तेरी शादी को इतना समय हो गया और तू इतने मजे ले चुकी है। सच यह तो गॉड गिफ्ट है जो तुझे इतनी प्यारी चूत मिली है।

सलोनी अपने दोनों हाथो से अपना चेहरा छुपाये बिस्तर पर खड़ी थी, उसको वैसे भी अपनी तारीफ सुनना बहुत ही पसंद है, अंकल की बातें सुनकर जरूर वो बहुत ही खुश हो रही होगी।

उसको अपनी चूत पर ही बहुत गर्व है, उसको खुद पता है कि यह उसका बेशकीमती खजाना है इसीलिए वो इसको दिखाने से जरा भी परहेज़ नहीं करती और कच्छी तक नहीं पहनती!

और अबकी बार तो उसने कमाल ही कर दिया, उसने अपनी हथेलियों के बीच से जरा सा अपना चेहरा निकालते हुए जवाब दिया- सच अंकल, वैसे आपका हथियार भी कोई कम नहीं है। सच मैंने आज तक ऐसा नहीं देखा।

बस उसकी यह बात सुनते ही अंकल खुश हो गए, उन्होंने सलोनी के चूतड़ों से अपने सीधे हाथ को हटाकर आगे लाये और अपनी उँगलियों से उसकी चूत को सहलाते हुए अपना चेहरा सलोनी की जांघों के बीच रखकर उसकी चूत का एक चुम्मा ले लिया।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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सलोनी- अह्ह्हाआ… आआआ प्लीज मत करो अंकल।

मेहता अंकल- अरे बेटा, जब तेरी चूत और मेरा लण्ड जब सबसे अच्छे हैं तो क्यों ना दोनों का मिलन करवा दो?

सलोनी- नहीईइइइ प्लीज।

मेहता अंकल- ओह चलो चुदाई ना सही कम से कम दोनों का एक चुम्बन तो करवा ही दो…

सलोनी- पर सब बाहर हमारा इन्तजार कर रहे होंगे, फिर कभी

मेहता अंकल- अरे सब नाच गाने में बिजी हैं दो मिनट ही तो लगेंगे।

और अंकल ने सलोनी को मना ही लिया सलोनी उनसे मना नहीं कर पा रही थी, उन्होंने सलोनी को बिस्तर पर लिटा दिया, पता नहीं वो क्या करने वाले थे !

मैं तो सांस रोके देख रहा था कि ना जाने कौन से पल!!!

मेरा ध्यान कमरे में अब कहीं नहीं था, मैं ना तो नलिनी भाभी को देख रहा था और ना अपने बारे में सोच रहा था कि कोई देख लेगा।

बस दम साधे मैं सलोनी को देख रहा था, वो पूरी नंगी थी, एक भी वस्त्र नहीं था उसके चमचमाते जिस्म पर, उस बड़े से बेड पर लेटी थी, उसके एक-एक अंग से मस्ताना सा रस टपक रहा था।

मेरी ही हालत उसको देखकर खराब हो रही थी, फिर मेहता अंकल का तो कहना भी क्या, वो बौराये से उसको देख रहे थे।

उन्होंने शायद वो सेक्सी गोली भी खा रखी थी जो उनके अनुसार उनकी अपनी ही बड़ी बेटी रिया लंदन से लाई थी।

मुझे यह अहसास उनके खड़े, टनटनाए मोटे लण्ड को देखकर हो रहा था।

सलोनी ने तो क्या मैंने भी आज तक इतना मूसल सा लण्ड नहीं देखा था।

बहुत ही जानदार हथियार था मेहता अंकल के पास जो उनकी जवानी में की हुई अय्याशी की पोल खोल रहा था।

जिन्होंने अपनी दोनों मासूम बेटियों तक को नहीं छोड़ा, वो अब ऐसी हालत में सलोनी को कहाँ छोड़ने वाले थे।

सलोनी भी मस्ती भरी आँखों से हिलते हुए उनके लण्ड को देखे जा रही थी।

अंकल ने भी बिस्तर पर ऊपर चढ़ने के बाद अपनी बनियान भी उतार फेंकी, बहुत घने बाल थे उनके शरीर पर और सभी सफ़ेद थे।

वो बहुत ही बूढ़े लग रहे थे मगर उनके लण्ड को देखते ही उनका शरीर झूठा सा प्रतीत होता था।

वो घुटने के बल सलोनी के दोनों पाँव के बीच बैठ गए और उसके दोनों पैरों को खोलकर ध्यान से चूत को देखने लगे, फिर अपनी एक हथेली से उसकी चूत को पौंछी, शायद उस पर सलोनी का कामरस लगा था।

फिर अंकल ने एकदम से नीचे झुककर अपने होंठ सलोनी की चूत पर रख दिए।
यही तो उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी अब सलोनी की हालत देखने लायक थी, वो बुरी तरह मचल रही थी, उसकी कमर चारों ओर घूम रही थी।

मुझे यह तो पता था कि चूत को चुसवाते समय सलोनी बिल्कुल पागल हो जाती है मगर आज पहले बार ही मैं उसको लाइव देख रहा था क्योंकि खुद चूसते समय तो मुझे उसको बैचेनी ज्यादा दिखाई नहीं देती थी क्योंकि उस समय तो मैं खुद भी पागल हो जाता था।

इस समय सलोनी का हर एक कोण और उसकी हर हरकत पर मेरी नजर थी, बहुत ज्यादा आनन्द आ रहा था उसको इस तरह देखने में

दस मिनट तक सलोनी की चूत और गांड को अच्छी तरह चाटने के बाद अंकल ने सलोनी के चूतड़ों के नीचे हाथ लगाकर उसको अच्छी तरह से एडजस्ट किया।
अब वो क्षण था जब मुझे कोई दूसरा लण्ड सलोनी की चूत में जाता हुआ दिखने वाला था, मैं बहुत गौर से केवल वहीं पर नजरे गड़ाये था।

मेहता अंकल ने बहुत ही अच्छे ढंग से सलोनी की चूत को सहलाया, फिर अपने लण्ड के टोपे को उसकी चूत के छेद पर सेट किया और अपनी कमर को धक्का दिया।

इस दौरान सलोनी ने एक बार भी उनका, किसी भी बात का विरोध नहीं किया।
मुझे ज्यादा ठीक से तो नहीं दिखा पर उन दोनों के चेहरे जो कहानी बता रहे थे, उससे साफ़ जाहिर था कि मेहता अंकल का लण्ड सलोनी की कोमल चूत को भेद चुका था।

अब कितना अंदर गया, यह तो वही जाने, मैं तो उनकी सिसकारियाँ सुन रहा था।

सलोनी- अह्ह्ह्हा… आआआआ… बहुत बड़ा है… धीरे से… आःह्हाआआआ…

मेहता अंकल- आअह्हाआआ… बहुत टाइट है तेरी फ़ुद्दी… अह्ह्ह बस हो गया… अह्हा अह्ह…

उनके धक्कों से या फिर हिलने से बेड धीरे धीरे घूम रहा था और अब वो ठीक मेरे सामने रुका, दोनों मुझे साइड से चुदाई करते हुए बहुत साफ़ साफ़ दिखाई दिए।

मेहता अंकल के चोदने का स्टाइल बहुत अलग था, उन्होंने सलोनी के निचले हिस्से को अपने दोनों हाथो में उठा रखा था, उनके दोनों हाथ सलोनी के चूतड़ों और कमर पर थे, वो खुद अपने घुटनों पर खड़े थे।

हाँ, वो बहुत ही धीमे धीमे चोद रहे थे।

अब मुझे उनका सांप जैसा लण्ड साफ़ साफ़ दिख रहा था।

इतनी दूर से भी दिखाई दे रहा था, जैसे कोई डण्डा सलोनी की चूत में जा रहा हो।

वो बहुत ही आराम से लगभग पूरा लण्ड ही बाहर निकाल लेते या फिर जरा सा ही अंदर रहने देते, फिर से पूरा अंदर सरका देते।

सलोनी की कमर को देख मुझे पता चल गया कि उसको बहुत मजा आ रहा है क्योंकि उसकी कमर भी अंकल के धक्कों के साथ ही हिल रही थी, वो इस चुदाई में पूरा साथ दे रही थी।

सलोनी के दोनों हाथ अपनी तनी हुई चूचियों पर थे जिनको वो खुद ही मसल रही थी।

सच कहूँ तो मैंने सेक्स तो बहुत किया है, पर उस सबमें मैं हमेशा खुद ही हीरो रहता था पर इस तरह लाइव ब्लूफिल्म वो भी अपनी बीवी की, मैं पहले बार देख रहा था।

सलोनी को पूरी नंगी होकर इस तरह मेहता अंकल के लण्ड से चुदवाते देख मेरी हालत ख़राब हो रही थी।

मैंने अपना लण्ड पैंट से बाहर निकाल लिया था और अपने ही हाथों से सहला रहा था।

अब मैंने नलिनी भाभी को देखा, लगता था वो भी पहली बार ही ऐसे लाइव शो देख रही थी, उनकी हालत भी पतली थी, अपनी शर्म के कारण वो बिस्तर पर तो नहीं जा रही थी लेकिन कुर्सी पर बैठे हुए ही, उनका हाथ अपने पेटीकोट के अंदर था, साफ़ पता चल रहा था कि वो अपनी चूत के साथ खेल रही हैं।

मैं अभी नलिनी भाभी को ही बुलाकर उन्हीं को चोदने का प्लान बना रहा था कि तभी मुझे अपनी ओर वाले कमरे में कुछ आहट सी हुई।

ओह इस समय कौन आ गया?

TO BE CONTINUED ......
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मैं अभी बाथरूम का दरवाजा बंद करने की सोच ही रहा था कि वो तो एकदम से दरवाजे पर ही आ गया। मुझे कुछ नहीं सूझा, बाथरूम बहुत बड़ा था और मोटे मोटे परदे भी थे, मैं वहीं पास के एक मोटे परदे की ओट में हो गया।

तभी बाथरूम की लाइट ओन हुई और एक बहुत ही सुन्दर लड़की मेरे सामने प्रकट हुई।

क्या खूबसूरती थी उसकी, बहुत लम्बी, 6 फुट से 2-3 इंच ही कम होगी, बहुत ही ज्यादा गोरी, दूध से भी ज्यादा साफ़ रंग था उसका, उस पर रंगत गुलाबी, आँखें तो ज्यादा खूबसूरत नहीं थी, उनको काजल से बड़ा बनाया हुआ था पर होंठ बहुत चौड़े, मोटे और लाल थे। कपड़े भी बहुत सेक्सी पहने थे, अमूमन महिला संगीत में लड़कियाँ लहंगा-चोली जैसे वस्त्र ही पहनती हैं, जो उसने भी पहना था परन्तु उसकी हाइट ज्यादा होने के कारण वो इन वस्त्रो में बहुत ही सेक्सी लग रही थी।

उसका लहंगा कमर से बहुत नीचे बंधा था जो उसकी पतली कमर की पूरी ख़ूबसूरती को दिखा रहा था और चोली इतनी छोटी थी कि ऊपर से उसके भरी मम्मों की पूरी गोलाई बाहर थी और चोली के निचले भाग से भी गोलाई का कुछ अंश बाहर था, चोली के कप उसकी चूची की पूरी गोलाई को दिखा रहे थे। फिर चोली के नीचे से लहंगे तक का भाग नंगा था जो सफेद लाइट में चमक रहा था।

एक तो गोरा रंग, ऊपर से बहुत पतली कमर, उस पर उसकी गहरी नाभि जिस पर उसने कोई चमकता हुआ नाग लगा रखा था और फिर नाभि के नीचे का भी काफी हिस्सा नंगा ही था, उसने अपना लहंगा शायद अपनी चूत से 2-3 इंच ही ऊपर बाँधा हुआ था।

कुल मिलाकर सेक्स के रस से सराबोर थी वो हसीना। मेरे देखते ही देखते वो ठीक मेरे ही सामने आई।

अरे वहाँ तो कमोड था, ओह यह तो मूतने के लिए आई है।

और बिना कुछ सोचे उसने अपने लहंगे को कमर तक उठा लिया, अब उसकी दोनों लम्बी नंगी टाँगें मेरे सामने थी, बिल्कुल चिकनी और केले के तने जैसी! वो अपने लहंगे को बहुत ही संभालकर अपनी कमर के ऊपर को समेट रही थी कि कहीं वो गन्दा ना हो जाए। पर उसकी इस हरकत से मुझे बहुत ही सेक्सी दृश्य के दर्शन हो गए थे।

उसने लहंगा कमर से भी ऊपर उठ जाने से उसकी कमर में फंसी छोटी सी कच्छी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।

उसने एक हाथ से लहंगे को पकड़, दूसरे से अपनी कच्छी नीचे सरका दी और जल्दी से कमोड पर बैठ गई।

मुझे उसकी चिकनी चूत साफ नजर आ रही थी बिल्कुल चिकनी, बाहर को निकले हुए होंठ!

मैंने देखा चूत का दाना और उसके होंठ हल्के से कांपे और उसमें से मूत निकलने लगा। एक हसीना मेरे सामने बैठी मूत रही थी और मैं उसको देख रहा था, बड़ा ही मनोहारी दृश्य था।

तभी वहाँ सलोनी की तेज आवाज आई- “अह्ह्ह्हाआआ… अह्ह्ह्ह आःह्हाआआआआ आह्ह्हा तेज अंकल और तेज अह्हा अह्हा…”

और ये आवाजें सुनकर वो हसीना चौंक गई, आश्चर्य के भाव लिए कमोड से उठी, बहुत ही सेक्सी अंदाज़ से अपनी फैंसी कच्छी जो उसके खड़े होने से पंजों तक पहुँच गई थी, उसको अपने पाँव से बाहर किया।

इस दौरान भी वो लहंगे को वैसे ही अपने दोनों हाथों से अपनी कमर तक ऊँचा किये पकड़े रही।

फिर वो उसी दरवाजे की ओर गई जहाँ से मैं अभी कुछ देर पहले सलोनी को चुदवाते हुए देख रहा था।

मैंने पहली बार उसकी आवाज सुनी- “ओह गॉड! यह क्या? डैड तो सलोनी भाभी को चोद रहे हैं। घर में इतने मेहमान हैं अगर किसी ने देख लिया तो?”

ओह! मेरी समझ में एकदम से आ गया। अरे यह तो रिया है। मेहता अंकल की बड़ी बेटी। उफ्फ! मुझे तो पहले ही समझ जाना चाहिए था इसको देखकर, आखिर लंदन से आई है, तभी ऐसी है।

उसने अपना लहंगा अभी तक नहीं छोड़ा था और उसके झुके खड़े होने से मुझे वो दिख गया जिसे देखकर मेरे लण्ड ने बगावत कर दी। अब मैं भी नहीं रुक सकता था।

रिया के झुकने से उसके मस्त नंगे चूतड़, कुछ ज्यादा ही उठे हुए थे रिया के चूतड़, क्या मस्त गद्देदार चूतड़ थे, पूरे गोल और आपस में सटे हुए, इतने खूबसूरत लग रहे थे कि मैं सब कुछ भूल गया। मैंने अपना लण्ड तो पहले ही बाहर निकाला हुआ था, लण्ड उस दृश्य को देख और भी ज्यादा तन चुका था, मैंने पैंट का बटन भी ढीला कर दिया और रिया के ठीक पीछे पहुँच गया।

मैंने चुपके से ही उसके चूतड़ों से अपना लण्ड चिपका दिया। रिया ने एक दम से पीछे मुड़कर देखा और मुझे देखते ही उसका चेहरा भक्क हो गया।

रिया- “अरे भैया आप?”

मैं भले ही उसको ना जानता हूँ पर वो मुझे अच्छी तरह से जानती है, तभी तो उसने सलोनी को भी पहचान लिया।

रिया ने तुरंत मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने कमरे में ले जाने लगी, वो नहीं चाहती थी कि मैं सलोनी को उस कमरे में मेहता अंकल से चुदते हुए देखूं। उसको शायद डर था कि वहाँ सलोनी को मेहता अंकल के साथ देख मैं हल्ला न कर दूँ।

इसलिए वो मुझे वहाँ से हटाना चाहती थी, मैंने भी इस स्थिति का फ़ायदा उठाने की सोची- “क्या हुआ? यहाँ क्या हो रहा है?”

मैंने उसके नंगे चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए पूछा।

उसने मेरा हाथ झटका- “उफ्फ यह क्या कर रहे हो भैया? मैं तो बस पेशाब करने आई थी, और आप यहाँ क्या कर रहे हो?”

मैं- “मैं भी तो बस सलोनी को ढूंढ रहा था, फिर मुझे भी प्रेशर लगा और यहाँ आ गया”

रिया- “वो तो ठीक है, फिर ये सब क्या कर रहे थे?” वो लगातार मेरे लण्ड को देख रही थी।

मैं- “अरे मेरी हसीना, जब सामने इतना सेक्सी चूतड़ दिखे तो मैंने तो खुद को संभाल लिया मगर यह नहीं माना हा हा हा…”

मैंने अपने लण्ड को हिलाते हुए कहा- “रुको मैं भी फ्रेश हो लेता हूँ”

अब वो डर गई… रिया नहीं चाहती थी कि मैं फिर से बाथरूम में जाऊँ, उसको डर था कि मैं सलोनी को देख लूंगा।

बस यही बात मेरे लिए फायदे का सौदा साबित हुई।

रिया- “ओह तो इसको क्या ऐसे ही लेकर जाओगे? ऐसे तो इसकी धार कमोड की बजाए छत पर जायेगी”

उसने मेरे छत की ओर तने हुए लण्ड को देखकर कहा।

मैं भी उसकी बात से मासूम बन गया- “हाँ यार रिया, बात तो तेरी सही है। वैसे इसे खड़ा भी तूने किया है तो इसको बैठा भी तू ही”

रिया- “हा ह अ हा… कैसे बैठते हैं आपके ये जनाब?”

मैं- “यार शादीशुदा हो, अब यह भी क्या मैं बताऊँगा? तुम्हारे पास तो कई जगह है जहाँ यह आराम से बैठ सकता है”

रिया- "जी नहीं, वो सभी जगह बुक हैं, वहाँ इसको कहीं जगह नहीं मिलेगी"

contd....
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मैं- ओह! क्या यार? चलो छोड़ो, कम से कम वो जगह दिखा तो सकती हो ये जनाब तो देखकर ही काम चला लेंगे।

रिया- अरे नहीं बाबा अभी आपने देखा तो था सीधे कब्ज़ा करने ही आ गया था मैं यह रिस्क नहीं ले सकती।

मैंने फिर से अपना वही हथियार अपनाया- ठीक है फिर हम छत पर ही मूत कर आ जाते हैं।

और मैं फिर से बाथरूम की ओर बढ़ा, मेरा आईडिया काम कर गया।

रिया- अरर्रऐ नहींईईईई वहाँ नहीं उफ़्फ़्फ़ आप भी नहीं मानोगे ना चलिए ठीक है पर सिर्फ देखना ओके और इसको दूर ही रखना…

मैंने एक ठंडी सांस ली- हाँ हाँ… अब जल्दी करो

वो लहंगा फिर से ऊपर करने लगी…

मैं- ओह ऐसे नहीं… इसको उतार कर सही से… हमारे साहबजादे को कोई रूकावट पसंद नहीं।

और मैंने खुद ही उसके लहंगे के हुक को निकाल दिया, रिया ने धीरे से अपना लहंगा नीचे को उतार दिया, उसने कोई विरोध नहीं किया, अब रिया केवल एक छोटी सी चोली पहने मेरे सामने खड़ी थी।

मैंने चोली के ऊपर से ही उसने मस्त मम्मो को दबाया, रिया ने तुरंत मेरे हाथ को झटक दिया, वो वहाँ रखी एक आराम कुर्सी पर बैठते हुए बोली- इस सबका समय नहीं है… जल्दी से देखो… मुझे और भी बहुत से काम हैं।

उसकी इस जल्दबाजी पर मुझे मजा आ गया…

रिया ने आराम कुर्सी पर पीछे को लेटते हुए अपने दोनों पैरों को फैलाकर दोनों हथ्थों पर रख लिया।

क्या पोज़ बनाया था उसने… लगता है ये कुर्सी चुदाई के लिए ही बनी है और दोनों बहनें यहीं अपने पिता से चुदवाती होंगी।

मैं रिया के पास गया और अपना मुँह ठीक उसकी चूत पर ले गया। मैं उसके इतना पास था कि मेरी साँसें रिया की चूत के ऊपर जा रही थी।

मैंने फिर से उसके चूत के बाहर निकले हुए होंठों को कांपते हुए महसूस किया।
रिया- बस देख ली ना? जल्दी करो, घर में बहुत मेहमान हैं, कोई भी इधर आ सकता है।

मुझे भी इसी बात का अंदेशा था पर मैं अब उसको छोड़ना नहीं चाहता था, मेरा लण्ड तो पहले से ही तैयार था, सलोनी की चुदाई देखने के बाद तो वो बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।

मैंने रिया के दोनों पैरों को वहीं हथ्थे पर ही अपने दोनों हाथों से जाम कर दिया, अपनी कमर को हल्का सा नीचे किया और मेरा लण्ड अपने निशाने पर पहुँच गया।

रिया की चूत अभी बिल्कुल सूखी थी, पर फिर भी मुझे पता था कि वो आसानी से मेरे लण्ड को ले लेगी, आखिर वो लंदन से आई थी और मेहता अंकल जैसे बड़े लण्ड लेने की आदी थी।

मैंने लण्ड को रिया की चूत के मुख पर रखा और मेरा सोचना सही साबित हुआ जब एक ही धक्के में मेरा लण्ड रिया की चूत में समा गया।

मेरा लण्ड पूरा का पूरा रिया की चूत के अंदर था, रिया का मुँह खुला का खुला रह गया- अह्ह्हाआआआ ये क्या कर रहे हो भैया?

वो जोर लगाकर निकलने ही वाली थी कि मैंने वहाँ एक और धमाका कर दिया- वही जो वहाँ तेरा बाप मेरी सलोनी के साथ कर रहा है… बदला… !!!

रिया- ओह अह्ह्हाआआ अह्हा इसका मतलब अपने देख लिया था… अह्हा अह्हा अह्हा अह्हा अर्रे रुको तो… आप कर लेना… पर पहले कंडोम तो लगा लो…

मेरी बात सुनते ही वो शांत हो गई।

मैं- अब इस समय कंडोम कहाँ से लाऊँ?

रिया- अरे यहीं रखा है… वो उस ड्राअर में…

मुझे उसकी बार पर विश्वास करना पड़ा और मेरे लिए भी सही था, आखिर वो विदेश में भी चुदवाती होगी।

मैंने वहाँ से कंडोम निकाला, रिया ने एक और अच्छा काम किया, उसने खुद मेरे हाथ से पैकेट लिया और खोलकर बड़े ही प्यार से मेरे लण्ड पर चढ़ा दिया।

मैंने इस बार और भी अच्छे ढंग से खड़े होकर लण्ड को फिर से उसकी चूत में सरका दिया और अपना काम शुरू कर दिया।

मैं लगातार धक्के पर धक्के लगा रहा था और अब वो आराम से चुदवाने लगी।

अह्ह्ह आह्ह… और मेरी मेहनत सफल हुई, अचानक धक्कों से फच फच की आवाजें आने लगी, रिया की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।

मुझे जोश आ गया और मैं अब और भी तेजी से धक्के लगाने लगा। पाँच मिनट तक वहाँ बहुत अच्छा समां बंध गया था, मुझे चोदने में बहुत मजा आ रहा था।

मैं लगातार धक्के पर धक्के लगा रहा था और अब वो आराम से चुदवाने लगी थी।
नई बात यह थी कि वो मेरे द्वारा ब्लू फिल्मों में देखी गई विदेशी लड़कियों की तरह ही मस्ता रही थी और बिल्कुल ऐसा व्यवहार कर रही थी जैसे पहली बार चुदवा रही हो जबकि उसकी चूत में मेरा लण्ड बहुत ही आराम से आ-जा रहा था।

उसकी सिसकारियों में दर्द के साथ साथ चुदवाने की तीव्र इच्छा भी थी।

रिया- आह्ह अह्हा अहा अह्ह्ह फ़क मी हार्ड… (तेजी से चोदो मुझे)… अह्ह्ह नहीईईईई ईई ओह अह्हा अह्हा फ़क मी हार्ड… ओह्ह अह्हा आह्ह और कस के… अह्हा अह्हा अह्हा अह्हाआआआ अह्हा अह्ह्ह… उफ्फ्फ आह्ह…
इस तरह उसको चोदने में बहुत ही मजा आ रहा था…

अह्ह्ह आह्ह और मेरी मेहनत सफल हुई, अचानक धक्कों से फच-फच की आवाजें आने लगी, रिया की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।

मुझे जोश आ गया और मैं अब और भी तेजी से धक्के लगाने लगा, 5 मिनट में वहाँ बहुत अच्छा समां बन्ध गया था, मुझे चोदने में बहुत मजा आ रहा था।

और फिर मेरे लण्ड ने पानी छोड़ दिया, आखिर बहुत समय से बेचारा रोके पड़ा था।

contd....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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उधर रिया ने भी अपनी कमर उचकाई और बहुत तेज सिसकारियाँ लेने लगी- अह्ह्हाआआ अह्ह्हाआआ अह्ह्ह ओह हो गया… बस्स्स स्स्सस…

थैंक्स गॉड वो भी झड़ गई थी, उसके झड़ने से मुझे बहुत सुकून मिला वरना मुझे बहुत ग्लानि होती।

मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया, फिर कंडोम निकालकर वहीं डाला और वहीं रखे एक तौलिये से लण्ड को पौंछ लिया।

रिया कुछ देर वैसे ही लेटी हुई मेरे लण्ड को देख रही थी- वैसे भैया, आप चोदते तो अच्छा हो… पर आपके हथियार को देखते हुए लगता है कि सलोनी भाभी को भी थोड़ा बहुत मजा तगड़े हथियार से लेने का पूरा हक़ है, आपका हथियार तो नार्मल ही है।

मैं- हाँ जानेमन, तेरी चूत देखकर तो मुझे भी ऐसा ही लगता है… लगता है तूने तो खूब तगड़े तगड़े डलवाये हैं इसमें?

रिया- इसकी छोड़ो.. इसने तो पूरी दुनिया देखी है…

मैं- तेरा पति कुछ नहीं कहता?

रिया- वो क्या कहेंगे?? उनको तो ग्रुप सेक्स का चस्का है… वो तो खुद अपने ही हाथों से अपने दोस्तों का लण्ड पकड़कर मेरी चूत में डालते हैं, वो तो बहुत एडवांस और मॉडर्न हैं।

मैं- अच्छा जी… फिर तो ठीक है… और अगर मुझे ऐतराज होता तो मैं तभी हल्ला कर देता जब सलोनी को तुम्हारे पापा से चुदवाते हुए देखा!

रिया अब उठकर बैठ गई थी, उसने भी उसी तौलिये से अपनी चूत और आस पास का हिस्सा साफ़ किया और लहंगा पहनने लगी।

रिया- ओह… अच्छा… तो वैसे ही डरा रहे थे… मतलब फ्री में मुझे चोद दिया… हा हा हा…

मैं- अरे अगर मुझे पता होता कि तू भी नाटक कर रही है… तो मैं ऐसा क्यों करता? आराम से वहीं चोद देता सलोनी को देखते हुए…हा हा हा…

रिया ने भी हंसी में मेरा साथ दिया उसने ड्रेसिंग टेबल के सामने खुद को व्यवस्थित किया और मुझसे बोली- चलो भैया… बाहर कार्यक्रम में… आपको मजेदार डांस दिखवाते हैं।

मुझे तो वैसे भी देखना था कि सलोनी और नलिनी भाभी कैसा प्रोग्राम करती हैं।

मैंने रिया को अपनी बाहिओं में भर कर उसके लबों को चूमा और फ़िर मैं तुरंत तैयार हो गया, मैंने ध्यान दिया कि रिया ने अपनी कच्छी नहीं पहनी- रिया, तुम्हारी कच्छी? पहनोगी नहीं?

रिया मुस्कुराते हुए- वाह जी.. बहुत ध्यान रखते हो.. छोड़ो उसको… आज ऐसे ही आपको अपना डांस दिखाते हैं।

और वो तेजी से घूमी, उसका लहंगा कमर तक उठ गया, ऐसा तो मैंने महंगे होटल में बार गर्ल को भी नहीं देखा था…

मजा आ गया… अब तो और भी मजा आने वाला था।

लहंगा बहुत ही महंगा और और घूम वाला था, जरा सा घूमने से ही पूरा उठ जा रहा था, मुझे उसकी गोल गाण्ड पूरी नजर आ गई थी।

अब यह देखना था कि केवल इन कुछ पर ही मस्ती चढ़ी थी या कुछ और भी कलियाँ थी वहाँ जो इसका मजा ले रही थी।

मैंने एक बार और रिया को अपने सीने से लगाया, उसके कसे हुए मम्मों का अहसास होते ही दिल में उनको देखने की इच्छा हुई।

मैंने रिया के सीधे मम्मे को अपनी हथेली में भर लिया- अरे जानेमन.. एक बार इनको तो दिखा दो वरना सपने में आते रहेंगे।

रिया- ओह… तभी क्यों नहीं कहा? अब देर हो जाएगी… फिर देख लेना…

मैं- फिर कब? पता नहीं मौका मिले या नहीं?

रिया- क्यों अब नहीं आओगे? अरे सात दिन बाद शादी है और कई फंक्शन यहाँ भी हैं, आपको सभी में आना है, ओके… और हाँ शादी में जरूर साथ चलना, वहाँ बहुत मजा आएगा।

मैं- क्यों? कहाँ जाना है? क्या बरात यहाँ नहीं आएगी?

रिया- नहीं.. हमको वहीं जाना है… होटल में सब अरेंजमेंट है… तो आपको तो आना ही होगा।

मैं अब इस मस्ती के बाद मना तो कर ही नहीं सकता था।

बात करते हुए ही हम दोनों हॉल में आ गए, बहुत भीड़ थी वहाँ, हर उम्र का माल था, एक से एक चमकीले कपड़ों में…

मैंने देखा, सभी लेडीज ही थी… मुझे कुछ अजीब सा लगा।

तभी रिया मुझे हाल के सामने एक कमरे में ले गई, वहाँ मेहता अंकल अपने चार दोस्तों के साथ बैठे थे, अरविन्द अंकल भी थे।

ओह इसका मतलब अरविन्द अंकल यहाँ थे और नलिनी भाभी अंदर चुदाई करवा रही थी।

मैं भी एक कुर्सी पर बैठ गया जहाँ से पूरा हाल नजर आ रहा था।

वो सब भी ऐसे ही बैठे थे, कुर्सी सभी ऐसे ही पड़ी थी कि सब सामने कार्यक्रम का मजा ले सकें। सामने एक मेज पर खाने पीने का सामान और कुछ ड्रिंक भी रखी थी।

खास बात यह थी कि केवल मैं ही युवा था, बाकी सभी बुड्ढे ही थे लगभग मेहता अंकल की उम्र के ही!

मेहता अंकल- और बेटा कैसा चल रहा है तुम्हारा काम?

मैं- बहुत अच्छा अंकल… बधाई हो आपको… अब आप भी अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गए।

बस ऐसे ही कुछ फॉर्मल बातें हो रही थी, तभी बाहर एक लड़की डांस के लिए खड़ी हुई।

18-19 साल की, गोरी थी पर थोड़ी पतली थी… उसने फ्रॉक जैसी कुछ फैंसी गुलाबी ड्रेस पहन रखी थी… फ्रॉक का घेरा… किसी गुड़िया की तरह कई फरों वाला था और उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर तक ही था जिसमें से उसको गोरी गोरी टाँगें जांघों तक ही नुमाया हो रही थी।

वो अपना गाना सेट करा रही थी, तभी मुझे पता चला कि… ओह ये तो साले सभी बुड्ढे बहत ही कमीने हैं।

उनमें से एक बोला- रुको यार देखो, अब ध्यान से देखना… उसने काली नेट वाली कच्छी पहनी है।

दूसरा- हाँ हाँ, हम भी यही देख रहे हैं, और ना हुई तो 5000 तैयार रख।

ओह साला… ये तो शर्त लगाकर मस्ती कर रहे हैं, उनको मेरे से भी कोई फर्क नहीं पड़ा, शायद मुझे ज्यादा नहीं जानते थे।

क्या हो गया है इन बुड्ढों को… कमीने अपनी पोती की उम्र की लड़की की कच्छी पर शर्त लगा रहे थे।

और तभी मैंने सोचा मैं भी क्या सोचने लगा, ये तो साले कमीने होंगे ही, आखिर अरविन्द और मेहता अंकल जैसों के दोस्त हैं जिन्होंने अपनी बेटी को भी नहीं छोड़ा।

तभी उस लड़की ने डांस शुरू कर दिया… रॉक इन रोल बेबी रॉक इन रोल…

गाना भी ऐसा था… और उस पर घूमती हुई वो बिल्कुल बेबी डॉल जैसी ही लग रही थी।

और यह क्या? वो सामने वाला बुड्ढा बिल्कुल सही था… लड़की ने काली नेट वाली कच्छी ही पहनी हुई थी… कच्छी भी इतनी उसके चूतड़ों से चिपकी हुई थी कि उसके चूतड़ और चूत के सभी उभार साफ़ पता चल रहे थे।

वैसे तो वहाँ कोई मर्द नहीं था और हम लोग उसको नहीं दिख रहे होंगे पर फिर भी कुछ वेटर तो थे ही, वो सब ड्रेस में सर्विस दे रहे थे।

मगर उनको किसी की चिंता नहीं थी, तभी दूसरे ने 5000 का चेक उसको तुरंत ही दे दिया- ले यार तू जीत गया.. पर यह बता कि तूने कब देख ली इसकी कच्छी? क्योंकि कलर तक तो सही था पर नेट भी पता होना संदेह में डालता है?

वो जोर से हंसा, बोला- हाँ, अभी जब आया था.. तभी देख लिया था, यह वहाँ कोने में उकड़ू बैठी कुछ कर रही थी, तभी साफ़ साफ़ दिख गई थी।

दूसरा- ओह तभी साले इतना उछल रहा था… चिड़िया के दर्शन पहले ही कर लिए… डबल फ़ायदा… फ़ुद्दी भी देख ली और पैसे भी… सही है.. कोई बात नहीं !!

मैं उनकी बातें सुनकर सोच रहा था कि यार यहाँ तो कमाई भी हो सकती है, बस अरविन्द और मेहता अंकल चुप रहें।

मैं यहाँ बहुत ही मस्ती और फिर कुछ शर्त लगाने की भी योजना बनाने पर विचार करने लगा था, देखता हूँ कितनी सफलता मिलती है।

फिलहाल बहुत ही मजा आने वाला था।

contd....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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Heart 
मैंने वहाँ चारों ओर देखा, बहुत ही हाई क्लास पार्टी थी क्योंकि मेहता अंकल भी शहर के जाने माने अमीर व्यक्तियों में आते थे्। वहाँ सभी अमीर घरों की तितलियाँ बहुत ही सेक्सी अंदाज में मंडरा रही थी।

तभी उन बुड्ढों में से एक बोला- “यार वो देखो उधर, वो गुलाबी घाघरे में, यह तो जान है यार मेहता। क्या मस्त चूतड़ हैं इसके यार… मेरा तो बिना गोली खाए ही तन गया”

मेहता अंकल- “रुक यार मैं अभी आया”

और वो उठकर चले गए, अरविन्द अंकल भी कुछ देर पहले चले गए थे।

अब वहाँ वो तीनो बूढ़े और मैं ही था और जैसे ही मैंने उनकी बताई हुई जगह देखा तो एकदम से समझ गया कि मेहता अंकल क्यों उठकर गए।

ये तो मेरी सलोनी को देख रहे थे। और हो भी क्यों नहीं, सलोनी इतनी सारी लेडीज़ में भी अलग ही नजर आ रही थी, उसने गुलाबी लहंगा और चोली पहनी थी, हालाँकि उसने चुनरी बाँध रखी थी पर उसकी एक चूची, नंगा पेट उसकी नाभि तक और एक कन्धा पूरा नंगा ही दिख रहा था, चोली भी काफी कसी हुई और छोटी थी जो केवल डोरी से ही उसके कंधों और शायद कमर से बंधी थी, उसके गोरे सुडौल कंधे और बाहें सब नंगे नजर आ रहे थे। उसका लहंगा भी नाभि से काफी नीचे बंधा था और उसके घुटनों से जरा सा ही नीचे होगा। कुल मिलाकर उसका सुन्दर बदन ढका बहुत ही कम था और दिख ज्यादा रहा था।

मुझे खुद पर गर्व महसूस हुआ कि मुझे इतनी सुन्दर बीवी मिली है जो यहाँ सबसे ज्यादा सेक्सी लग रही है।

वो एक कुर्सी पर बैठी थी, एक पैर दूसरे के ऊपर रखा था जिससे उसकी एक जांघ भी थोड़ी दिख रही थी।

तभी सलोनी ने अपने पैरों को बदला और अपना लहंगा दोनों हाथों से आगे से उठाकर ठीक किया जैसे साधारणतया लड़कियाँ करती हैं।

हम कुछ दूर थे तो साफ साफ़ तो कुछ नहीं दिखा, अगर पास होते तो दावे के साथ कह सकता हूँ कि उसकी चूत तक साफ़ साफ दिख जाती।

मगर सोच कर ही उन बुड्ढों को मजा आ गया था, वे बहुत ही गन्दी बातें करने लगे थे जो शायद वो हमेशा आपस में करते ही होंगे।

जो शर्त में हारा था, उसने तेज आह भरी- “आःह्हाआआ हाय यार, काश मैं वहाँ होता। क्या चिकनी जांघें हैं”

सलोनी बराबर में बैठी नलिनी भाभी से झुककर कुछ बात कर रही थी तो उनके चूतड़ एक ओर से बाहर को निकले हुए थे।

दूसरा बूढ़ा- “अरे यार, इस जैसी मलाई कोफ्ता को तो तीनो छेदों में एक साथ लण्ड डालकर चोदना चाहिए तभी इसको मजा आएगा”

तीसरा जीभ निकाले बस घूरे जा रहा था- “यार, यह कब नाचेगी?”

पहला बूढ़ा- “तू चाहे कहीं भी डालना पर मैं तो इसके मोटे मोटे चूतड़ों के बीच ही डालूँगा, जब से देखें हैं साले मस्त मस्त, तभी से सपने में आते हैं”

बाकी दोनों बुड्ढों ने एक साथ ही पूछा- “क्या कह रहा है बे, तूने कब देखे?”

पहला बूढ़ा- “अरे बताया नहीं था उस दिन, वो यही थी। यहीं पर ही तो देखे थे, यार क्या मस्त लग रही थी उस दिन। मैंने तो तभी सोच लिया था कि इसकी तो जरूर मारूँगा यार”

तीसरा बूढ़ा- “अरे मुझे नहीं पता यार, बता न, कैसे देखे थे?”

पहला बूढ़ा- “हाय.. क्या याद दिला रहा है तू यार… अरे ये सामने से कुछ उठा रही थी या पता नहीं क्या कर रही थी, मैं इसके पीछे ही था, इसने छोटी वाली मिनी स्कर्ट पहन रखी थी, तभी पूरे गोल गोल चूतड़ नजर आ गए थे”

तीसरा बूढ़ा- “अरे तो कच्छी में ही देखे होंगे ना? मैं समझा कि नंगे देख लिए”

पहला बूढ़ा- “अरे नहीं यार, मुझे तो पूरे नंगे से ही दिखे… अगर कच्छी होगी भी तो वो पतली वाली होगी जिसकी डोरी चूतड़ों की दरार में घुस जाती है… और इसके तो इतने गद्देदार हैं कि डोरी भी नहीं दिखी, सच बहुत मजा आया था उस दिन…”

उनकी बातें सुन कर मुझे ना जाने क्यों बहुत मजा आ रहा था। मेरे ही सामने वो सलोनी के बारे में, जो मेरी प्यारी सेक्सी बीवी है, ऐसी गन्दी गन्दी बातें कर रहे थे।

उसकी बातें सुनकर मुझे साफ़ लग गया कि इसने सलोनी ने नंगे चूतड़ ही देखे होंगे और सलोनी जानबूझकर ही इसके सामने झुकी होगी। ऐसा तो वो ना जाने कितनी बार कर चुकी होगी, उसको तो अपना जिस्म दिखाने में बहुत मजा आता है।

इस साले को पता चलेगा तो साला अपना सर पीट लेगा कि ‘अगर जरा सा झुककर देखता तो सलोनी की छोटी सी प्यारी सी चूत भी देख लेता’ जो मैंने कई बार ऐसे ही मौकों पर देखी है।

पीछे से दोनों चूतड़ों के गैप से उसकी गोरी चिकनी हल्की सी झांकती हुई चूत बहुत ही प्यारी लगती है।

दूसरा बूढ़ा- “अरे सालों, तुम तो ऐसे बात कर रहे हो जैसे इसकी मिल ही जाएगी?”

अब तीनों मेरे सामने इतना खुलकर बात कर रहे थे जैसे उनको कोई चिंता ही नहीं हो क्योंकि नशा उन पर पूरी तरह हावी हो चुका था।

पहला बूढ़ा- “अरे यार, मेहता ने कहा है ‘बहुत चालू है’ और शादी में साथ ही चलेगी, वहाँ तो बहुत समय होगा, वहीं पटाकर चोद देंगे यार”

मैंने सोचा कि इन सबका परिचय तो ले ही लिया जाए यार कि साले हैं कौन जो इतना खुलकर सलोनी के बारे में बात कर रहे हैं।

मैं- “वाह अंकल, आप सच कह रहे हो। वैसे मैं अंकुर और इस कंपनी में काम करता हूँ”

अब उन्होंने मेरी ओर कुछ ध्यान से देखा और सभी ने अपना परिचय दिया।

शर्त हारने वाला रिटायर्ड बैंक मैनेजर था नाम अनवर। ओह वो ,., था तभी सलोनी की गांड मारने की बात कर रहा था।

दूसरा वाला जोजफ वो ईसाई रिटायर्ड जज था।

और तीसरा वो कुछ ज्यादा ही बूढ़ा दिख रहा था, गोल मटोल सा, पेट बाहर निकला हुआ, उसका नाम राम कपूर था, वो कोई बड़ा बिज़नेसमैन था।

उन तीनों से जरा सी देर में ही मेरी दोस्ती हो गई।

मेहता अंकल और अरविन्द अंकल अभी तक नहीं आये थे, वो शायद डर गए थे या फिर हो सकता है कि साले किसी के साथ मस्ती कर रहे हों, पर मुझे चिंता नहीं थी।

सलोनी, नलिनी भाभी और अनु तीनों ही मेरे सामने हाल में ही थी।

अब अगर किसी और की बजा रहे हो तो मुझे उससे क्या।

राम अंकल काफी बूढ़े लग रहे थे, उन्होंने मुझसे कहा- “देख बेटा, बुरा मत मानना, बस ऐसे ही थोड़ी बहुत मस्ती कर लेते हैं और फिर थोड़ा नशा भी हो गया है”

मैं- “अरे क्या बात कर रहे हो आप अंकल, ये सब तो चलता है और जीवन में सेक्स ना हो तो जीने का फ़ायदा ही क्या?”

राम अंकल- “बिल्कुल ठीक कहा बेटा, ये सब हमारे लिए किसी दवाई से काम नहीं। देखो हम सब ही अभी तक फिट हैं अगर ये सब नहीं होता तो कहीं अस्पताल में या बिस्तर पर पड़े होते या मर खप गए होते”

जोजफ अंकल- “और नहीं तो क्या, इन हसीनाओं के मस्ताने अंग देख कर सेक्सी बात करने के लिए तो हम इतनी सुबह टहलने के लिए उठ भी जाते हैं और कितना चल भी लेते हैं, वरना कौन साला उठता हा हा हा…”

और तीनों जोर जोर से हंसने लगे।

अभी बाहर हॉल में कुछ साधारण महिलाएँ ही नृत्य कर रही थी पर वो उन पर भी सेक्सी कमेंट्स मार रहे थे।

‘देख यार, क्या मोटे चूतड़ हैं। कैसे हिला रही है’

और जब किसी का पल्लू नीचे गिर जाता तब तो उनके मजे आ जाते और उनकी गहरी चूचियों की घाटी देख आहें भरने लगते। और सलोनी को भी देखे जा रहे थे और कमेंट्स भी कर रहे थे।

जोजफ अंकल- “यार अनवर इस पीस से मिलवा तो दे यार, जरा पास से भी देख लेंगे, देख कितनी छोटी चोली पहन रखी है। वो भी बिना किसी बंधन के, छू नहीं सकते तो जरा इन कबूतरों को देख ही लें! नाच भी तो नहीं रही, वरना चुनरी हटाकर नाचती तो मजा आ जाता। इसका तो चोली का गला भी इतना बड़ा है कि जरा सा भी झुकेगी तो पूरे नंगे ही दिखेंगे”

राम अंकल- “अरे वो तू सही कह रहा है जोजफ, मैं तो इसकी टाँगें देख रहा हूँ और लहंगा भी ऐसा है कि जरा भी घूमेगी तो पूरा उठेगा। हाय पता नहीं अंदर कितनी लम्बी निकर या फिर पजामी होगी?”

अनवर अंकल- “हाय यार, क्या बात कही, यह भी तो हो सकता है कि केवल कच्छी ही पहनी हो और भी छोटी वाली उस दिन की तरह”

और मैं मन ही मन हंस रहा था कि अगर इनको पता चल गया कि सलोनी ने लहंगे के अंदर कुछ नहीं पहना तो इनकी क्या हालत होगी।

contd...
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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Heart 
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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