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Adultery रंगीली बीबी
mast update. keep writing bhai.
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मेरे सामने नलिनी भाभी मुस्कुराते हुए खड़ी थी, उनकी नजर मेरे खड़े लण्ड पर ही थी। एक पल के लिए मैं जरूर चौंका क्योंकि मैं उनकी बिल्कुल उम्मीद नहीं कर रहा था मगर फिर मेरे होंठों पर भी मुस्कराहट आ गई। अब समझ आया कि सलोनी नलिनी भाभी को बोल गई होगी।

मुझे कुछ अफ़सोस भी था, मैं विकास से मिलना चाहता था, मगर वो शायद अब चले गए थे।

मैं- “ओह भाभी जी, आप यहाँ? क्या बात? अंकल कहाँ चले गए?”

नलिनी भाभी मुँह दबाकर मुस्कुरा रही थी- “वो तो सलोनी को लेकर गए हैं। तुमसे कुछ कहकर नहीं गई?”

मैं- “अरे अंकल गए हैं? पर वो तो शायद किसी और के साथ जाने वाली थी”

नलिनी भाभी शायद कुछ शरमा सी रही थी, माना हम दोनों चुदाई कर चुके थे, मगर कवल एक बार ही की थी। वो भी उनके घर पर शायद इसीलिए वो शरमा रही थी। दूसरे नलिनी भाभी ने मेरे साथ चुदाई तो कर ली थी मगर वो पूरी घरेलू औरत हैं, हाँ अब उनमें कुछ खुलापन आ रह है, अंकल के खुले व्यवहार और सलोनी के कारण!

उन्होंने इस समय आसमानी रंग का गहरे गले का गाउन पहना था जो ज्यादा पारभासक तो नहीं था मगर फिर भी उनके अंगों का पता चल रहा था।

मैं- “तो भाभी जी किसलिए आई थी आप? सलोनी ने क्या कहा था?”

नलिनी भाभी- “बस तुम्हारा ध्यान रखने के लिए और नाश्ता देने के लिए”

मैं- “तो ध्यान क्यों नहीं रख रही? करो ना सेवा, हम तो नाश्ता बाद में करेंगे, पहले इस बेचारे पप्पू को नाश्ता करा दो। देखो कैसे अकड़ रहा है भूख के मारे”

मैंने अपने लण्ड को हाथ से पकड़ जोर से हिलाया तो अब नलिनी भाभी कुछ खुली, वो मेरे पास आई और मुस्कुराते हुए बोली- “जी नहीं, ऐसा तो कुछ नहीं है, सलोनी ने तो केवल तुमको ही नाश्ते के लिए कहा था और इसको तो लगता है वो खूब खिला पिला कर गई होगी"

मैंने भाभी को कसकर अपनी बाँहों में जकड़ लिया- “अरे मेरी प्यारी और भोली भाभी जी! अगर इसका पेट भरा होता तो ऐसे लालची होकर अपने खाने को नहीं देख रहा होता”

नलिनी भाभी- “यह तो हर समय भूखा ही रहता है”

मैंने नलिनी भाभी के मांसल चूतड़ों को मसलते हुए उनको अपने से चिपका लिया, मेरे से पहले मेरे लण्ड ने उनकी चूत को ढूंढ लिया और भाभी की गद्देदार चूत से जोंक की तरह चिपक गया। मेरे हाथों को तो लगा ही था कि उन्होंने कच्छी नहीं पहनी है जब मैंने उनके चूतड़ों को सहलाया मगर अब मेरे लण्ड ने पक्का कर दिया था कि वाकई उन्होंने कच्छी नहीं पहनी है, ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लण्ड ने नंगी चूत को ही छू लिया हो।

नलिनी भाभी बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रही थी, उनकी झिझक मेरे छूते ही ख़त्म हो गई थी।

नलिनी भाभी- “अहाहाहा… कितना प्यारा और सख्त है तुम्हारा…”

अब उन्होंने मेरे लण्ड को अपने हाथ से खुद व खुद ही पकड़ लिया। उनकी गरम हथेली में जाते ही लण्ड ने मेरे सोचने समझने की शक्ति को ख़त्म कर दिया। मैं भूल गया कि मुझे ऑफिस भी जाना है और सलोनी अकेली अंकल के साथ गई है, या वो कॉलेज में क्या क्या करेगी और मधु के बारे में भी। अभी तो बस नलिनी भाभी और उनकी चुदी हुई ही सही मगर गद्देदार चूत ही दिख रही थी।

मैंने एक बात नोटिस की कि पीछे दिनों में मैं जितनी चुदाई कर रहा था और जितनी ज्यादा चूतें देख रहा था, मेरे चोदने की शक्ति और भी ज्यादा बढ़ती जा रही थी, और लण्ड हर समय चोदने को तैयार रहने लगा था। नलिनी भाभी को देखते ही लण्ड फिर से चोदने को तैयार हो गया था और नलिनी भाभी शायद यही सोचकर आई थी। उन्होंने केवल एक बार ही मना किया था फिर वो नीचे बैठ मेरे लण्ड को चूसने लगी।

मेरे लण्ड भाभी के लाल होठों के बीच फंसा था। उनके चूसने का स्टाइल एक ही दिन में बहुत सेक्सी हो गया था। अपने ही बैडरूम में भाभी के साथ अपना लण्ड चुसवाना मुझे बहुत रोमांचित कर रहा था।

मैंने एक बार दरवाजे के बारे में सोचा कि कहीं खुला तो नहीं है, मैं बोला- “भाभी दरवाजा?”

मैंने बस इतना ही कहा था। भाभी ने लण्ड चूसते हुए ही आँखों से बंद होने का इशारा किया। मतलब वो पूरी योजना बनाकर आई थी। मुझे भी ऑफिस की कोई जल्दी नहीं थी, यास्मीन सब देख ही लेती है।

मैं तसल्ली से भाभी को चोदना चाहता था, अंकल भी कम से कम दो घंटे तो नहीं आने वाले थे क्योंकि अंकल की गाड़ी की स्पीड के अनुसार उनको 40-45 मिनट तो कॉलेज पहुँचने में ही लगेंगे। फिर अभी तो उनके साथ सलोनी भी है। पता नहीं कॉलेज लेकर भी जाएंगे या कहीं रास्ते में ही ‘चल छैंया चल छैंया’ करने लगें।

पर मुझे क्या उनकी बीवी इस समय मेरे बैडरूम में ही लण्ड को चूस रही है और अब उसकी जोरदार चुदाई होने वाली है, मैंने सब सोच लिया था कि आज तो मैं उनकी मसालेदार गांड भी जमकर चोदूंगा।

मैंने भाभी को उठकर खड़ा किया और उनका गाउन नीचे से पकड़ ऊपर किया, उन्होंने गाउन निकलवाने में पूरी मदद की, मैंने गाउन को ऊपर करते हुए उसको उनके गले से पूरा निकाल दिया।

वाह! क्या मस्त जवानी थी। नलिनी भाभी मेरे सामने एक माइक्रो ब्रा में खड़ी थी। यह ब्रा शायद वो कल ही खरीद कर आई थी जो केवल उनके चुचूकों को ही आवरण प्रदान कर रही थी शेष पूरी चूची नंगी दिख रही थी, ब्रा केवल दो बारीक डोरियों से उनके पीठ से बंधी थी।

मैंने अपने हाथों से उनके सम्पूर्ण चिकने बदन को सहलाया। मेरे बेडरूम में मेरे बिस्तर पर नलिनी भाभी की मस्त नंगी जवानी बल खा रही थी, नलिनी भाभी पूरी नंगी, उनके चिकने, गोरे बदन पर एक रेशा तक नहीं था।

वो लाल, वासना भरी आँखों से मुझे देखे जा रही थी। कभी अपने मम्मों को मसलती तो कभी अपने पैरों को खोलती अपनी चूत की कलियों को दिखा रही थी।

मैं कुछ देर तक उनके मस्ताने रूप को निहारता रहा। उनका एक एक अंग साँचे में ढला था। इस उम्र में भी उन्होंने खुद को इतना ज्यादा मेन्टेन किया था कि कुंवारी लड़कियों को भी मात दे रही थी। उनकी बल खाती कमर, उठी हुई चूचियाँ और चूत के ढलान को देख मुझे कही पुराना पढ़ा हुआ एक लेख याद आ गया:
‘नारी जब तक सेक्स के प्रति लालयित रहती है तभी तक अपने अंगों और खुद का ध्यान रखती है, जब उसकी इच्छा सेक्स से हट जाती है उसके अंग अपनी ख़ूबसूरती खो देते हैं और वो खुद भी मोटी, बेडौल हो जाती है।’

अगर ऐसा है तब तो नारी को सारी उम्र ही सेक्स करते रहना चाहिए, इससे वो आखिर तक खूबसूरत बनी रहनी चाहिए। नलिनी भाभी के अंदर भी सेक्स की लालसा चरम पर थी इसीलिए उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक दिख रही थी और उनका हर अंग अपनी चमक बिखेर रहा था।

नलिनी भाभी ने मदहोश आँखों से अपनी बाहें फैला दी, वो वासनामय आमंत्रण दे रही थी।

नलिनी भाभी- “अह्ह्हाआआ… आआह्ह”

मैं भी उनके नागिन जैसे बलखाते बदन से चिपक गया।

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ खुद अपनी टांगों के बीच रख ठीक चूत पर जकड़ लिया तो अपने एक हाथ को उनकी टांगों के बीच तिकोने पर ले गया, उनकी बेपर्दा चूत मेरी उँगलियों के नीचे थी, उनकी चूत रस से भरी पड़ी थी फ़िर वो बुरी तरह प्यास से तरस रही थी। मुझे ऐसा लगा जैसे किसी भट्टी पर हाथ रखा हो।

मैं बोला- “वाह भाभी कितनी आग निकल रही है तुम्हारी इस भट्टी से आज, क्या बात है भाभी? लग रहा है कल से प्यासी की प्यासी ही है यह?”

नलिनी भाभी- “और नहीं तो क्या… रात से इसमें आग लगी पड़ी है। तुम दोनों तो रात भर मस्ती से चुदाई कर रहे थे, और तुम्हारे अंकल केवल देखने के शौकीन। मैंने कितना कहा पर कहाँ किया कुछ, बस सलोनी को देखकर ही ढीले हो गए। अह्ह्हाआआ आआ हाँ रे… रात से ही यह परेशान है… कितनी देर तक तो तुम्हारा इन्तजार किया… पर तुम तो सलोनी को किसी और के पास छोड़कर कहाँ चले गए थे? अह्हाआआ इसको तो बस तुम्हारे डंडे का ही इन्तजार था। अब डाल दो ना…”

मैं नलिनी की बात से चौंका, मतलब रात उन्होंने हमको देख लिया था?

मैं- “क्या मतलब भाभी??? क्या रात अंकल ने कुछ देखा?”

नलिनी भाभी- “और नहीं तो क्या? वो सलोनी किसके साथ थी रात? अह्ह्हाआआआ…”

मैंने एक उंगली उनकी चूत में घुसेड़ दी।

नलिनी भाभी- “अह्ह्हाआआ…आआआ करो और करो… प्लीज बहुत अच्छा लग रहा है… हाँ… वो… कुछ तो मैंने देखा… फिर तेरे अंकल ने ही… अह्हाआआ…”

मैं- “क्याआआ देखा?”

नलिनी भाभी- “अह्ह्हाआआआ बताती हूँ… उन्होंने बताया था…”

भाभी जरुरत से ज्यादा ही गर्म दिख रही थी। वो खुद लण्ड को डालने के लिए रिरिया रही थी, इसका मतलब रात बहुत कुछ हुआ था जो नलिनी भाभी इस कदर गरम थी, भाभी की बातें सुन मैं और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया था।

“हाँ बताओ न भाभी…”

मैंने सोचा मेरा वॉइस रिकॉर्डर सब जगह तो काम नहीं करेगा। अगर सलोनी के दिल की सारी इच्छाएँ जाननी हैं तो नलिनी भाभी को सेट करना होगा। एक यही हैं जो सलोनी की हर बात अच्छी तरह से मुझे बता सकती हैं। इससे सलोनी के सेक्स के बारे में भी पता चल जायेगा और नलिनी भाभी के जिस्म का भी मजा मिल जायेगा

मैंने उनकी चूत में अपनी ऊँगली डालते हुए कहा- “भाभी, सच कितनी चिकनी हो रही है आपकी चूत, ऐसा लग रहा है जैसे मलाई की फैक्टरी हो”

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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मैं अपनी उंगली को चूत के हर कोने में घुमा रहा था, वो मदहोश हुई जा रही थी, बोली- “अह्ह्ह्हाआआ मेरे राजा… करो जल्दी… मैं मर जाऊँगी… जल्दी...करो ना… अह्हा अह्ह्हह्ह्ह उउउउउउ…”

मैं- “भाभी एक बात बोलूं?”

नलिनी भाभी- अब कुछ मत बोल… अह्ह्हाआआ केवल अपना अंदर डाल दे… अह्ह्हाआआआ बहुत मजा आ रहा है… अह्ह्हाआआ जल्दी कर ना…”

मैं- “नहीं भाभी, इसको जितना करेंगे उतना मजा आएगा। आप देखना आज मैं आपको कितना मजा देता हूँ। आज इस चूत की सारी हसरतें पूरी कर दूंगा मगर मेरे लण्ड को सलोनी के चुदाई की कहानी सुनने में बहुत मजा आता है”

नलिनी भाभी- “क्याआआआआ अह्हाआआ कर और कर अह्ह्हाआआआ… क्या कह रहा है… सलोनी की… पर वो तो तेरी बीवी ही है ना… अह्ह्हाआआआ… यह क्या हो जाता है तुम मर्दों को… तेरे अंकल भी आजकल सलोनी की ही बात करते हुए चोचचच… चोदते हैं अह्ह्ह्हाआआआ… जब देखो उसकी ही नंगपने की बात करते हैं… पर क्या तुझको अच्छा लगता है कि कोई दूसरा उसको चच…चोदे… अह्ह्हाआआआआ”

नलिनी भाभी रुक रुक कर ही सही पर मेरे रंग में रंगने को तैयार थी, उनके मुख से चोदने जैसा शब्द सुनना बहुत भा रहा था। उन्होंने मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में भींच लिया और मसले जा रही थी। मेरे लंड की सभी नसें बुरी तरह तन गई थी। मेरा लण्ड उनके नंगे जिस्म से ज्यादा हमारी बातों से तन खड़ा था।

पर मुझे चुदाई की कोई जल्दी नहीं थी, पूरे दो घंटे थे मेरे पास, आज मैं नलिनी भाभी को पूरा शीशे में उतारना चाह रहा था। यह मेरा वो मोहरा था जो मुझे हर पल की जानकारी दे सकता था क्योंकि सलोनी भी अपनी हर बात उनको बता देती थी और भाभी के अनुसार अंकल भी उनसे सभी बात कर लेते थे।

फिर तो उनको सलोनी की हर हरकत का पता होगा और आगे जो होगा वो भी मुझे पता चल जायगा। मैंने एक हाथ से भाभी के चूतड़ को मसलते हुए उनकी चूची के निप्पल को अपने होंठों से पकड़ लिया जबकि मेरा दूसरा हाथ तो उनकी चूत से खेल ही रहा था। नलिनी भाभी को मैं हर मजा दे रहा था, वो भी मदहोशी में मचले जा रही थीं।

नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्हाआआआ अह्ह्ह्ह ओह उफ़्फ़्फ़फ़्फ़ और ऊऊऊ ऊऊओओ ओ र आह्ह्ह्हा…”

उनके मुख से सिसकारी रुक ही नहीं रही थीं।

नलिनी भाभी- “ह्हाआआआआ अह्ह्ह्ह्ह तुझको सलोनी को किसी और के साथ देखना अच्छा लगता है… तुझे गुस्सा नहीं आता?”

मैं- “क्याआ भाभी… क्यों? अगर उसको इसमें मजा आता है तो क्या जाता है… मैं भी तो मजे करता हूँ ना पुच पचर पुप्प्च…”

निप्पल को चूसते हुए ही मैं जवाब दे रहा था।

नलिनी भाभी- “ह्हह्ह…अह्हह्ह आह्ह… तुम बहुत अच्छे हो… सलोनी बहुत लकी है… अब करो न… अह्हाआआ… प्लीज… अह्हा…”

मैं- “पहले बताओ ना रात क्या हुआ था? मैं तो कहीं काम में फंस गया था और अमित ने ही सलोनी को यहाँ छोड़ा था। भाभी बताओ ना, क्या दोनों ने आपस में चुदाई की थी? आपने देखा था क्या?”

नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्हाआआ, अरे जैसे वो आये थे… और आपस में कर रहे थे… उससे तो यही था कि दोनों ने रात भर यहाँ खूब धमाचौकड़ी की होगी… सलोनी तो उसको छोड़ ही नहीं रही थी… ऐसे चिपकी जा रही थी जैसे उसमें गोंद लगा हो… अह्ह्ह्ह हाह हा हा वैसे तो भैया भैया कह रही थी मगर… हा हा हा… अह्ह्हाआ करो न अह्हा…”

मैं- “हाँ भाभी, सब बताओ ना, ऐसे नहीं, मुझे सब कुछ डिटेल में सुनना अच्छा लगता है”

नलिनी भाभी- “हाँ हाँ… अह्हाआआआ… पहले तू अपना मेरी इसमें डाल… तभी मैं तुझे सब कुछ बताऊँगी… अह्हाआआआ देख बहुत मन कर रहा है! पहले डाल, फिर मैं तुझे उसकी सारी बातें बताऊँगी…”

मैंने भी अब सोचा कि हाँ, यही सही रहेगा। मेरा भी लण्ड अब डण्डा बन गया था, मुझसे भी बिल्कुल नहीं रुका जा रहा था। मैंने ऐसी पोजीशन में उनको चोदने की सोची कि लम्बे समय तक मैं उनको चोद सकूँ, दोनों को मजा आये और थकान भी ना हो।

मैं बायीं करवट के लेट गया और भाभी को अपनी ओर घुमा लिया। मैंने उनकी टांग उठा अपनी कमर के ऊपर तक ले गया, फिर भाभी को इतना अपने से चिपका लिया कि उनकी रसभरी चूत मेरे लण्ड तक चिपक गई। मैंने अपने हाथ से उनकी चूत के होंठों को खोलते हुए अपने लण्ड का सुपाड़ा चूत के अंदर सरका दिया।

नलिनी भाभी- “ह्हाआआअहआ गया… मजा आ गया!”

और कुछ ही देर में मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत के अंदर था। अब हम दोनों लेटे लेटे ही चुदाई कर रहे थे। भाभी प्यार भरी आँखों से मुझे देख रही थी। उनको भी विश्वास नहीं था कि इतने आराम से भी चुदाई हो सकती है।

मैं- “हाँ भाभी, आज हम सारे रिकॉर्ड तोड़ देंगे बस आप सलोनी की चुदाई बताती जाओ। मैं आपको इतने लयबद्ध तरीके से चोदूंगा कि कई MP3 की डीवीडी बन जाएँगी”

नलिनी भाभी- “हा हा हा हा अह्ह्ह अहा हाह…”

वो हंसते हुए सिसकारती जा रही थी।

मैं बहुत हलके हलके धक्के लगाते हुए उनको पुचकार रहा था- “बताओ ना भाभी?”

नलिनी भाभी कुछ ही देर में नार्मल हो गई। वो मेरे हर धक्के का पूरा लुत्फ़ उठा रही थीं।

नलिनी भाभी- “हाँ ऐसे ही, सच बहुत मजा आ रहा है। तुम तो जादूगर हो। हाँ तो मैं बता रही थी, तुम्हारे अंकल रात बहुत परेशान थे कि तुम दोनों कहाँ चले गए बस बाहर ही घूम रहे थे और सिगरेट पर सिगरेट…  उनको सलोनी की बहुत चिंता थी। मैंने कई बार उनको अंदर बुलाया पर वो आते, थोड़ी देर लेटते फिर उठकर बाहर आ जाते। मैंने उनको चुदाई के लिए भी मनाने की कोशिश की पर वो कहाँ माने वाले थे। सलोनी ने तो उन पर जादू कर दिया है। फिर मैं सो गई। करीब तीन बजे सुबह इन्होने मुझे उठाया। वो सलोनी आई है… तब मैंने देखा सलोनी एक कोट पहने खड़ी थी। पूरी नंगी… और उसके साथ एक लड़का वो क्या नाम बताया था तुमने अमित… हाँ वो भी था। उनको फ्लैट की चाबी चाहिए थी। पता नहीं अपनी कहाँ खोकर आ गई थी। मेरे पास एक मास्टर चाबी भी है ना। बस उसी से उन्होंने अपना फ्लैट खोला था। मैंने तो उससे कुछ नहीं पूछा कि तेरी ऐसी हालत कैसे हुई बस यही उसके साथ गए थे। जब ये आधे घंटे तक नहीं आये तब मैं बाहर गई। तब ये तुम्हारी रसोई से लगे खड़े थे, मैं चुपचाप इनके पीछे गई तब मैंने देखा सलोनी पूरी नंगी कुछ बना रही थी और वो लड़का अमित भी पूरा नंगा था उसके पीछे खड़ा सिगरेट पी रहा था। दोनों जरूर चुदाई करने के बाद अब कुछ खाने रसोई में आये थे”

मैं- “तुमको कैसे पता? हो सकता हो वैसे ही खड़े हों या केवल ऊपरी मजे किये हों। चुदाई ना की हो?”

नलिनी भाभी- “अह्हा अह्ह्ह… अरे पागल इतना तो मैं समझ ही सकती हूँ ना… अमित का थक कर सिगरेट पीना… और उसका मुरझाया हुआ लण्ड… उस पर कुछ लगा भी था। बिल्कुल चुदाई के बाद ही ऐसा होता है और फिर तेरे अंकल ने भी बताया के दोनों मजेदार चुदाई करके आये थे। उन्होंने तो पूरा ही देखा था…”

मैं अब भाभी को तेजी से चोदने लगा। यह सोचकर के कल रात सलोनी ने यही पर अमित से खूब चुदाई करवाई होगी। मैंने सोचा कि सुबह उनकी बातों से भी लग रहा था कि दोनों ने बहुत कुछ किया है।

मैं- “अच्छा भाभी फिर अंकल ने क्या बताया?”

और अपने चोदने की स्पीड तेज कर दी।

नलिनी भाभी- “अह्हा अह्हा हां… आःह्हाआ ह्हह्हाआ ह्हह्हाआआआह ओह हाः आअह्ह्हाआ आआआअह्ह अह्ह्ह करो बस्स्स करूओ अह्ह्हाआ अह्ह्हाआ ह ओह… वो कुछ नहीं कह रहे थे… उनसे आज सब डिटेल में पूछकर फिर तुमको बताऊँगी… अह्हा बस अब करो तुम… अह्ह्हाआ ओहअह्ह्हाआआआ…”

और फिर मैंने उनको घोड़ी बना कुछ और तेज धक्के लगा अपना सारा वीर्य उनकी चूत में ही छोड़ दिया। नलिनी भाभी के साथ यह भी बहुत मजा था। मेरे रस की एक एक बून्द भाभी की चूत में जा रही थी। बहुत ही गर्म गर्म लग रहा था। मेरे लण्ड और मेरे लिए यह स्वर्ग का सा अहसास था। सच बहुत ही दमदार चुदाई का मजा मैंने और भाभी ने लिया था।

अब मुझे भाभी से बहुत कुछ पता चलने वाला था। उन्होंने वादा किया था कि वो सलोनी से उसकी सारी बातें पूछेंगी और फिर मुझे भी बताएँगी। अब मुझे सलोनी से ज्यादा खुलने की जरूरत नहीं थी। छुपकर ही उसकी चुदाई का मजा लेना था मुझे।

प्यार… पिछले कुछ दिनों में ही प्यार की परिभाषा मेरे लिए बिल्कुल बदल सी गई थी। जिस प्यार को मैं पहले समर्पण और वफादारी और ना जाने कितने भारी भारी शब्द समझता था, वे सब अब मेरे से दूर हो गए थे। मैं सलोनी से हमेशा से ही बहुत प्यार करता था मगर अगर पहले के प्यार पर नजर डालूँ तो वो केवल स्वार्थ ही नजर आता है।

हम कितना एक दूसरे को समय दे पाते थे। सच कहूँ तो दोस्तों कभी कभी तो बिना चुदाई किये हुए भी 15 दिन गुजर जाते थे और हम जब बिस्तर पर चुदाई कर रहे होते थे तभी एक दूसरे को प्यार भरी बात कर पाते थे वरना बाकी समय केवल जरुरत की बात ही होती थी।

मुझे नहीं लगता कि कभी एक दूसरे से कुछ दिन भी अलग होने में हमको कोई कमी महसूस होती थी। हाँ बस इतना था कि हमको ये लगता था सलोनी का तो पता नहीं पर मुझे तो यही लगता था कि सलोनी बिल्कुल पाक साफ है वो केवल मुझी से चुदवाती है।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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Heart 
पता नहीं साला यह कैसा प्यार है जो केवल एक उस छोटे से छेद के लिए होता है जिसको आमतौर पर हम गन्दा, छी और ना जाने क्या क्या बोलते हैं। अरे नारी के शरीर में सबसे जरूरी अगर कुछ है तो वो उसका दिल है और अगर उसका दिल आपसे खुश है तभी वो आपसे सच्चा प्यार कर पाती है। बस इतनी सी बात मुझे समझ आ गई थी और मैंने महसूस किया था कि पिछले दिनों में हमारा प्यार बहुत बढ़ गया था।

मैं अब हर पल बस सलोनी के बारे में ही सोचता रहता था पहले भी मैं कई दूसरी लड़कियों और स्त्रियों से सम्बन्ध बना चुका था पर उस समय उनकी चुदाई करते हुए मैं कभी सलोनी के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचता था पर इस समय चुदाई के समय भी मुझे सलोनी ही दिखाई देती थी और मैं सलोनी की ही बात करता रहता था।

बिल्कुल सच कह रहा हूँ। इसका कारण सलोनी की मस्ती या चुदाई के बारे में जानना ही नहीं था बल्कि मैं उसके हर पल के बारे में जानकारी रखना चाहता था, उसके हर पल में बस उसके निकट रहना चाहता था कि उस पर कोई मुसीबत ना आये। वो जो चाहती है उसको वो सारी ख़ुशी मिले।

सच मेरा प्यार सलोनी के प्रति ओर भी ज्यादा हो गया था। सेक्स तो हमको कहीं से भी मिल जाता है पर वो ख़ुशी क्षणिक या कुछ पल की ही होती है मगर सच्चा प्यार केवल पत्नी से ही मिलता है जो तहेदिल से हमारा ख्याल रखती है बिना किसी स्वार्थ के। वो ख्याल ही मेरे लिए सच्चा प्यार है।

पहले मैं सोच रहा था कि सलोनी से खुलकर बात करता हूँ और दोनों मिलकर खूब मजे करेंगे, एक दूसरे के सामने खूब ऐश करेंगे, वो अपनी चुदाई के किस्से मुझे बताएगी और मैं अपनी चुदाई के किस्से उसको बताऊँगा। मगर भाभी से चुदाई करने के बाद मैंने यह विचार त्याग दिया। अगर हम एक दूसरे के सामने दूसरों की चुदाई के किस्से बताते हैं और एक दूसरे के सामने ही चुदाई भी करने लगे तो फिर हमारा प्यार खत्म ही हो जायेगा फिर दूसरे भी हमको गलत समझने लगेंगे। हो सकता है हम बदनाम हों जाएँ और सब कुछ ख़त्म हो जाये।

इसलिए मैंने सलोनी के बारे में जानने के लिए दूसरे जरिये निकाले। वॉइस रिकॉर्डर तो था ही फिर घर पर मधु थी और अब ये नलिनी भाभी भी बता सकती थी।

अभी वीडियो रिकॉर्डिंग या वीडियो कैमरे के बारे में मैंने कुछ नहीं सोचा था क्योंकि इसके लिए बहुत योजना से काम करना पड़ता।

हाँ, एक काम मैंने और सोच लिया था कि कभी सलोनी को बताये बिना अगर घर में रहना हो तो मेरे बेडरूम में ही एक स्टोर था जो बहुत छोटा था, उसमें लाइट भी नहीं थी उसमें केवल बेकार डिब्बे और फ़ालतू सामान पड़ा था, उसको मैंने थोड़ा सा साफ़ कर लिया था। इस स्टोर में सलोनी कभी नहीं आती थी। डर के कारण, उसको अँधेरे से बहुत डर लगता था।

इसी का फायदा मैंने उठाने की सोची। अगर मैं इस स्टोर में छुप जाता हूँ तो सलोनी को मेरे घर पर होने की जानकारी नहीं हो सकती थी और मैं आराम से उसको देख सकता था।

बस यही सब मैंने सोचकर रखा था कि अबकी बार जब पारस आएगा तो मैं यही करूँगा जिससे उनकी चुदाई पूरी तरह देख सकूँ। फिलहाल तो मैंने नलिनी भाभी को पूरी तरह खुश कर दिया था, उनकी चूत की खूब कुटाई करने के बाद हम दोनों नंगे ही बाथरूम में नहाये, फिर मैंने एक बार फिर उनकी गाण्ड को भी चोदा, साबुन के चिकने झाग लगाकर उनकी गांड मारने में खूब मजा आया।

फिर भाभी ने नंगे बदन ही रसोई में मेरे लिये नाश्ता गर्म किया, बल्कि मैंने ही उनको एक भी कपड़ा नहीं पहनने दिया था। उन्होंने जब गाउन पहनने के लिए सीधा किया, तभी मैंने खींचा और वो फट गया। वो नाराज भी हुई मगर मैंने उनको बोल दिया कि नाश्ता तभी करूँगा जब आप बिल्कुल नंगी रहोगी क्योंकि सलोनी मुझे ऐसे ही नाश्ता करवाती है।

नलिनी मेरी चुदाई से इतनी खुश थी कि मेरी हर बात मानने को तैयार थी, हम दोनों ने एक साथ एक दूसरे से छेड़खानी करते हुए ही नाश्ता किया। फिर मेरे दिमाग में एक शरारत आई, मैंने सोचा नलिनी भाभी भी अब सलोनी की तरह ही सेक्स को पसंद करने लगी हैं, अब उनको भी सलोनी की तरह ही खोलना चाहिए, तभी वो सलोनी से पूरी तरह ओपन हो पाएँगी और फिर सलोनी भी अपनी सभी बातें उनसे करने लगेगी तो भाभी से मेरे को पता लगती रहेंगी।

बस मैंने भाभी को खोलने का प्लान अभी से शुरू कर दिया, वैसे वो बिस्तर पर सलोनी से भी ज्यादा खुल चुकी थी, चुदाई के समय मैंने जो किया और कहा, उन्होंने उसमें पूरा साथ दिया मगर वो बेडरूम के अंदर की बात थी, अब मैं उनको बाहर भी खोलना चाहता था क्योंकि रसोई में नंगी रहकर नाश्ता गर्म करते हुए या साथ नाश्ता करते हुए वो उतना सुविधाजनक महसूस नहीं कर रही थी जितना कपड़े पहने हुए रहती हैं।

जबकि सलोनी नंगी भी काम करती थी तो ऐसा लगता था जैसे उसको कोई फर्क नहीं पड़ता, वो इस सबकी आदी हो चुकी थी। मैं ऐसा ही नलिनी भाभी को भी बनाना चाहता था, एक दो बार ऐसे ही नंगी रहने से वो भी इसे सामान्य रूप से लेने लगेंगी।

तैयार होने के बाद मैंने उनसे पूछा- “भाभी, यहीं रुकोगी या अपने फ्लैट पर जाओगी?”

नलिनी भाभी- “अरे जाना वहीं था पर तुमने छोड़ा कहाँ जाने लायक, अब क्या नंगी ही जाऊँगी? लाओ, मुझे कोई सलोनी का ही गाउन दो, कम से कम कुछ तो छुपेगा”

मैं- “क्या भाभी आप भी… इतनी खूबसूरत लग रही हो और इस खूबसूरती को छुपाने की बात कर रही हो। मेरी बात मानो, आप ऐसे ही रहा करो”

नलिनी भाभी ने मेरा कान पकड़ते हुए- “हाँ बदमाश, तू तो यही चाहेगा। जैसा सलोनी को बना दिया है तूने, कोई कपड़ा पहनना ही नहीं चाहती”

मैं- “अरे सच भाभी, आप उससे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हो”

नलिनी भाभी- “ना जी मुझे तो बक्श ही दो। मुझसे बिना कपड़े के नहीं रहा जायेगा। ऐसा लग रहा है जैसे सब मुझे ही देख रहे हों”

मैं- “अभी कहाँ भाभी, चलो ऐसे ही मुझे नीचे पार्किंग तक छोड़ने चलो। हा हा हा… फिर देखना कितना मजा आता है”

नलिनी भाभी- ये सब तो तेरी सलोनी को ही मुबारक, देखा मैंने कि कैसे नंगी आई थी। मैं ऐसा नहीं कर सकती, अब तुम जाओ, मैं कर लूंगी कुछ इन्तजाम”

मैं- “नहीं भाभी, आप को बाहर तक तो मुझे छोड़ने आना ही होगा”

नलिनी भाभी- “तुम पागल हो गए हो क्या? मैं ऐसा हरगिज नहीं कर सकती”

मैं- “देख लो भाभी, वरना मैं नहीं जाऊँगा और अभी अंकल आकर आपको ऐसे मेरे साथ देख लेंगे”

नलिनी भाभी- “ओह… तुम तो बहुत ज़िद करते हो। दोपहर के 12 बज रहे हैं, कोई भी बाहर हो सकता है और तुमको देर नहीं हो रही?”

मैं- “बिल्कुल नहीं, आपको ऐसे तो छोड़कर नहीं जा सकता”

नलिनी भाभी थोड़ी देर ना नुकुर करने के बाद मान गई बल्कि उन्होंने कहा कि तुम अब अपना फ्लैट बंद ही कर दो, मैं अपने फ्लैट में चली जाती हूँ।

वाह… नलिनी भाभी नंगी मेरे फ्लैट से अपने फ्लैट तक जाएँगी, मजा आ जायेगा। मैं सोचने लगा, काश कोई बाहर उनको नंगा देख भी ले फिर मैं उनके चेहरे के भावों का मजा लूंगा।

पर उन्होंने ज़िद की- “पहले तुम देखो, जब कोई नहीं होगा तभी मैं बाहर निकलूँगी”

मैंने बाहर आकर देखा, कोई नहीं था, मैंने उसको बताया कि बाहर कोई नहीं है। मेरे फ्लैट से उनका फ्लैट बायीं ओर कोई 20 कदम के फासले पर था, हमारी बिल्डिंग के हर फ्लोर पर केवल दो ही फ्लैट हैं तो ऐसे किसी के आने का ज्यादा डर नहीं रहता। हाँ अगर ऊपर से कोई नीचे आ रहा हो तो वो भी सीढ़ी से तभी किसी के देखने की संभावना थी।

इसीलिए भाभी बाहर नंगी आने को तैयार हो गई थीं वो तो रोज ही घर ही रहती थीं, उनको पूरा आईडिया होगा कि दोपहर को इस समय सुनसान ही होता है क्योंकि ज्यादा चहल पहल सुबह-शाम ही रहती है। मैंने कुछ देर इन्तजार भी किया मगर कोई नहीं आया। अब मुझे ऑफिस भी जाना था इसलिए मैंने भाभी को आने का इशारा कर दिया।

उन्होंने भी मेरे पीछे से बाहर झांक कर देखा, जब वो संतुष्ट हो गई तो तन कर बाहर निकली जैसे उन्होंने कोई किला जीत लिया हो।

नलिनी भाभी- “देखा… मैं कितनी बहादुर हूँ”

वो नंगी ऐसे चल रही थी कि अगर कोई देख ले तो बेहोश हो जाए।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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Superb, update soon
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मैं बहुत उम्मीद से किसी के आने और देख लेने का इन्तजार कर रहा था मगर नाउम्मीदी ही हाथ लगी। कोई नहीं आया…

एक अनोखे रोमांच से मैं गुजर रहा था और यह भी पक्का था कि नलिनी भाभी को भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा कि इस तरह बिना कपड़ों के बिल्कुल नंगी होकर वो फ्लैट के बाहर गैलरी में घूमेगी। जब नंगे बदन पर बाहर की हवा लगती है तो ऐसा महसूस होता है जैसे कोई अजनबी पुरुष नंगे बदन को सहला रहा हो। नलिनी भाभी उसी का आनन्द ले रही थी।

जब वो अपने फ्लैट तक अपने मस्ताने नंगे बदन को लहराती हुई लेकर पहुँचीं। तभी उनको याद आया कि अरे उनके फ्लैट की चाबी तो वहीं रह गई है।

मैं उनको एक प्लानिंग के तहत ही वहीं छोड़ चाबी खुद लेने अपने फ्लैट तक आया, चाबी तो मुझे तुरंत ही मिल गई मगर फिर भी मैं कुछ समय लगाया कि कोई न कोई भूला भटका ही सही, वहाँ आ जाये और नलिनी भाभी का मस्ताना बदन देख उसको मजा आ जाये।

पता नहीं मेरी यह इच्छा पूरी होती या नहीं पर आज किस्मत कुछ ज्यादा ही साथ थी, मुझे बाहर आहट सी हुई, मैंने चाबी लेकर बाहर को देखने का प्रयास किया तो मुझे सीढ़ी से किसी के उतरने का अहसास सा हुआ। मतलब कोई नीचे से तो नहीं पर हाँ ऊपर से जरूर कोई आ रहा था।

फ़िर मैंने सोचा कि वैसे भी नीचे से तो वही वहाँ आता जिसे हमारे फ्लोर पर ही रुकना होता क्योंकि 16 मंजिल पर कोई भी लिफ्ट से ही आता था अब इससे ऊपर भी कोई गया होगा तो लिफ्ट से ही गया होगा।

हाँ ऊपर से जरूर कोई सीढ़ी से आ सकता था जो उस समय आ रहा था। अब यह देखना था कि उसको देखकर नलिनी भाभी या उस पर क्या फर्क पड़ता है।
तभी मैंने देखा कि वो टॉप फ्लोर पर रहने वाले एक बुजुर्ग थे। वो 80 साल से भी ज्यादा उम्र के थे मगर बहुत ज्यादा हेल्थ कॉन्शियस थे, मैंने ज्यादातर उनको सीढ़ी से ही आते जाते देखा था। आज भी वो अपनी फोल्डिंग छड़ी लेकर बहुत ही धीमी गति से एक एक सीढ़ी उतर कर नीचे आ रहे थ।

उनके आँखों का ऑपरेशन भी हो चुका था, उनकी आँखों पर हमेशा एक मोटा काला चश्मा चढ़ा रहता था, जहाँ तक मुझे याद है उनको बहुत ही कम दिखाई देता था। मतलब यह अहसास तो रहेगा कि कोई दूसरा वहाँ खड़ा है मगर उसको कितना दिख रहा है इसका पता नहीं चलेगा।

मैंने अब थोड़ा आगे आकर नलिनी भाभी को देखा तो वो भी सांस रोके एक साइड को होकर खड़ी थी, उनको भी लग रहा था कि वो अंकल बिना कुछ देखे चुपचाप निकल जायेंगे और शायद होता भी ऐसा ही अगर कोई भी आवाज उनको नहीं आती तो वो कुछ भी देखने की कोशिश नहीं करते, उनको शायद किसी एक ही आँख से जरा सा ही दिखता होगा जिससे वो जांच परख कर एक एक कदम आगे बढ़ाते हैं।

मगर या तो उनको किसी का अहसास हुआ या फिर उन्होंने कोई आवाज सुनी कि आखिर की एक सीढ़ी पहले ही उन्होंने एक ओर को देखा फिर वो लड़खड़ाए और ‘आअह…’ की आवाज के साथ गिर पड़े।

आदत अनुसार मैं एकदम आगे को बड़ा पर तुरंत ही मैंने अपने कदम पीछे खींच लिए कारण नलिनी भाभी भी उनको पकड़ने आगे को बढ़ी। उनको आगे बढ़ते देख मैं पीछे को हो गया था। स्वाभिविक है कि वो यह भूल गई कि उन्होंने कुछ नहीं पहना है, वो पूरी नंगी ही उनके पास पहुँच गई और उन्होंने बिना कुछ सोचे अंकल को लपक कर उठा लिया।

मैं नलिनी भाभी की बाहों में अंकल को देख रोमांच से भर गया। पूरी नंगी भाभी ने झुककर अंकल को पकड़ लिया पर अंकल ने भी तुरंत उनको पकड़ा। मैं गौर से उनकी हर हरकत को देख रहा था। अंकल का हाथ भाभी की कमर पकड़ने के लिए आगे बढ़ा और काँपता हुआ हाथ उनके नंगे चूतड़ों पर चला गया।

भाभी ने उनको दोनों हाथों से संभाला हुआ था, वो कुछ कर भी नहीं सकती थी। अंकल ने दोनों हाथ से भाभी की टांग को जांघ के पास पकड़ लिया। भाभी भी काँप रही थी मगर उन्होंने अंकल को नहीं छोड़ा। अंकल तो कुछ थोड़ा बहुत बोल भी रहे थे, जो मुझे समझ नहीं आ रहा था, मगर भाभी कुछ नहीं बोल रही थी, शायद उनको अपनी आवाज पहचाने जाने का डर था।

मगर तभी अंकल ऊपर को उठते हुए ही उनकी जांघ से हाथ सरकाते हुए उनकी कमर तक ले गए और पूरी तरह ऊपर उठकर खड़े हो गए। अब उन्होंने भाभी के कंधे पकड़े हुए थे उनको कोहनी भाभी के नंगी चूची से छू रही थी।

तभी मैंने अंकल की आवाज सुनी- “अरे नलिनी, तू यहाँ नंगी क्या कर रही है? अरविन्द कहाँ है?”

मैं चौंक गया- ‘अरे इनको तो सब दिखता है और इन्होंने भाभी को पहचान भी लिया। अब क्या होगा?’

नलिनी भाभी- “कहाँ अंकल व्वव्वो…”

अंकल: “क्या वव्वो लगा रखी है, कुछ पहना क्यों नहीं तूने? नंगी क्यों है?”

और बोलते हुए बुड्ढे ने अपने एक हाथ से भाभी को कंधे से पकड़े हुए ही दूसरे हाथ से उनकी चूची को सहलाते हुए चिकने पेट तक लाये, फिर अपने हाथ को उनकी फूली हुई चूत के ऊपर रख दिया।

“बिना कच्छी या कुछ पहने क्या कर रही है तू यहाँ?”

नलिनी भाभी- “अरे दादा जी! वो आप, क्या आपको दिखने लगा?”

अंकल- “तो क्या तूने मुझे अँधा समझा था? सब कुछ दिखता है। वो तो शरीर थोड़ा सा साथ नहीं देता बस”

अंकल ने अपना हाथ अभी भी भाभी की चूत पर रखा हुआ था और भाभी भी कुछ नहीं कह रही थी।

तभी भाभी ने उनको सही करते हुए सीधा खड़ा किया और उनकी छड़ी पकड़ाते हुए बोली- “अरे अंकल वो मैं सलोनी के यहाँ थी। काम ख़त्म करके नहाने जा रही थी, तभी आपकी आवाज सुनी और बिना कुछ सोचे आपको उठाने आ गई, जल्दी में कुछ भी नहीं पहन पाई”

अंकल भाभी के कंधे और चूतड़ों पर हाथ रखे आगे बढ़ने लगे, बोले- “हा हा हा इसका मतलब आज पहले बार मेरा गिरने से फायदा हुआ”

नलिनी भाभी- “कैसा फ़ायदा अंकल?”

अंकल- “चल छोड़, मुझे अपने यहाँ ले चल, लगता है घुटने में चोट आई है”

अब भाभी के पास कोई चारा नहीं था, वो उनको पकड़े मेरे फ्लैट की ओर ही आने लगी क्योंकि उनका फ्लैट तो बंद था। अब मैं अगर खुद को उनकी नजर में आने देता तो मामला बिगड़ जाता, बुड्ढा एकदम समझ जाता कि मेरे और भाभी के बीच जरूर कोई चोदमचुदाई हुई है।

मैंने दोनों को आते देख तुरंत चाबी को वहीं रखा और अपने फ्लैट से बाहर आ रसोई वाली खिड़की की ओर चला गया। वहाँ से एकदम से किसी की नजर मुझ पर आसानी से नहीं पड़ सकती थी। जब दोनों मेरे फ्लैट के अंदर चले गए, मैंने देखा अंकल का हाथ पूरा फैला हुआ भाभी के चूतड़ों पर था। मतलब यह बुड्ढा भी साला पूरा चालू था।

तभी भाभी ने पीछे मुड़कर देखा, मैंने हंसते हुए खुद तो ऑफिस जाने का इशारा किया और अपने एक हाथ से गोल बनाकर दूसरी हाथ की उंगली उसमें डालते हुए चुदाई का इशारा किया ‘मजे करो…’

उन्होने मुझे गुस्से से देखा पर मैं दोनों को वहीं छोड़कर अपने ऑफिस के लिए निकल गया।

ऑफिस जाते हुए मैं ये भी सोच रहा था कि तीन घंटे हो गए ये अरविन्द अंकल सलोनी को छोड़कर अभी तक आये क्यों नहीं? क्या वो वहीं रुके होंगे? या उसको कहीं ओर ले गए होंगे?

घर से गाड़ी लेकर मैं जब ऑफिस के लिए निकला तो बहुत खुश था। नलिनी भाभी ने मुझे असीम सुख दिया था। उनके साथ नंगे होकर मैंने बहुत मजे किये थे। उनकी चूत को जमकर चोदा था साथ ही साथ उनकी गांड के भी मजे लिए थे। उन्होंने भी बहुत जमकर चुदाई करवाई थी। किसी भी बात के लिए मना नहीं किया था बल्कि खुद आगे बढ़ चढ़कर साथ दिया था, दोनों अच्छी तरह नंगे होकर बाथरूम में नहाये थे।

उससे भी ज्यादा उनके दादाजी के साथ मस्त व्यवहार ने मुझे मदमस्त कर दिया था। पर इतना कुछ होकर भी मेरा मन अशांत था। मैं कभी सलोनी के बारे में सोचने लगता कि वो क्या कर रही होगी। अभी कॉलेज में होगी या अरविन्द अंकल के साथ ही मस्ती कर रही होगी? या फिर कॉलेज में विकास के साथ? केवल मस्ती ही कर रही होगी या फिर चुदाई का भी आनन्द ले रही होगी?

फिर मेरा मन भटककर नलिनी भाभी की ओर चला जाता। भले ही मुझसे चुदवाकर वो पूरी तरह संतुष्ट हो गई थीं मगर यह साला सेक्स ऐसी चीज है जिससे मन कभी नहीं भरता और ऊपर से वो दादाजी, क्या नलिनी भाभी को पूरा नंगा ऐसे देखकर उनका लण्ड भी खड़ा हो गया होगा?

कितने मजे से वो नलिनी भाभी की नंगी गांड का मजा ले रहे थे, उनके हाथ लगातार ही भाभी के चूतड़ को सहला रहे थे और भाभी भी तो कोई विरोध नहीं कर रही थीं।

मैं अभी ये सब सोच ही रहा था कि मेरे सेल फ़ोन बजने लगा। अरे! यह तो नलिनी भाभी की कॉल है। इस समय वो मुझे क्यों फ़ोन कर रही हैं? मैं अभी उठाने वाला ही था कि भाभी की वीडियो काल आई।

अब यह क्या? वो क्या बताना चाह रही थी?

TO BE CONTINUED ......
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Superb,plz continue.....
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badhiya update, ab jaldi se saloni ki chudae kar do.
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मैंने फोन सही से एडजस्ट किया और वीडियो शुरू किया। वाह भाभी जी तुस्सी तो बहुत ही ग्रेट निकली, जो मैंने अभी तक नहीं सोचा था, वो उन्होंने करके दिखा दिया। अब तो इस ट्रिक से मैं बहुत ही मजा ले सकता था वो भी लाइव शो के। 

उन्होंने अपना फोन मेरे बेडरूम में ही बेड के कॉर्नर टेबल पर रखा था। अब कैसे, यह तो उनको ही पता होगा पर मुझे मेरा बेड और कमरे का काफी हिस्सा नजर आ रहा था। उस दृश्य को देखकर मुझे इतनी ख़ुशी नहीं हुई जितनी यह सोचकर हो रही थी कि इस तरह तो मैं आगे बहुत कुछ लाइव देख सकता था।

इस समय बेड पर दादाजी अपने पैर नीचे लटकाकर बैठे थे। ख़ास बात यह थी कि उन्होंने पैंट नहीं पहनी थी, उनकी पैंट उनके पास ही बिस्तर पर रखी थीन नलिनी भाभी उनके पैरों के पास नीचे बैठी थी। पहली नजर में तो मुझे लगा कि वो उनके लण्ड के साथ खेल रही हैं या उनके लण्ड को चूस रही हैं मगर ऐसा नहीं था।

वो नीचे बैठकर उनके घुटने पर कोई दवाई लगा रही थी या फिर किसी तेल से मालिश कर रही थी। ध्यान से देखने पर मैंने यह भी देख लिया कि दादाजी ने अंडरवियर भी पहना हुआ है। पर हाँ नलिनी भाभी अभी तक नंगी ही थी, उन्होंने अभी तक कुछ नहीं पहना था। अब यह वो ही जाने कि उन्होंने खुद नहीं पहना था या दादाजी ने उनको कुछ ना पहनने के लिए जोर दिया था।

मगर पूरी नंगी नलिनी भाभी जो इस समय दादाजी की सेवा में लगी थी, उनको इस तरह देखना मुझे किसी भी ब्लू फिल्म से कहीं ज्यादा सेक्सी लग रहा था। अब मैंने अपने फोन का वॉल्यूम भी ओन किया, मैं अब सुनना भी चाह रहा था कि वो आपस में क्या बात कर रहे हैं।

मैंने पूरा ध्यान उन्हीं पर लगाने के लिए एक सही सी जगह देख गाड़ी पार्क कर ली और उस वीडियो का मजा लेने लगा। मुझे उनकी आवाजें भी साफ़ साफ़ सुनाई देने लगी।

दादाजी- “अहा अहा अह्ह्ह्ह… बस बेटा, अब लगता है सही हो गया है… अब रहने दे…”

नलिनी भाभी- “दादाजी, आप भी ना इस उम्र में भी इधर उधर घूमते फिरते रहते हैं… घर बैठा करो ना… कहीं सड़क पर गिर जाते ना तो कोई न कोई गाड़ी काम कर जाती”

दादाजी- “हा हा… तू भी ना नलिनी… अगर घर बैठा रहा तब तो वैसे ही मर जाऊँगा, चलता फिरता रहता हूँ तभी इतने बसंत देख भी लिए…”

नलिनी भाभी- “अच्छा? अभी भी बसंत देखने की बात करते हो… जबकि पूरे पिलपिले हो गए हो!”

दादाजी- “बेटा जी आम जितना पिलपिला हो जाता है, उतना मजा देता है”

नलिनी भाभी- “हाँ हाँ, बस रहने दीजिये, अब नहीं खाना मुझे पिलपिला आम… बस एक से ही भरपाई मैं तो”

दादाजी- “तो क्या अरविन्द बेकार हो गया है… छोड़ तू उसको एक बार मेरे को चख ले, फिर कहना”

नलिनी भाभी हंसती हुए उठी। पता नहीं वो मान गईं थीं या सिर्फ दादाजी का मजाक उड़ा रही थीं मगर वो बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में नंगी ही बिस्तर पर चढ़कर खड़ी हुईं, फिर एक अंगड़ाई ली और फिर अपने हाथ सर के नीचे रख लेट गई, उनके पैर दादाजी की ओर ही थे। दादाजी ने भी उनकी ओर अपने को घुमा लिया और अपना एक हाथ भाभी की चिकनी जांघ पर रख दिया।

मेरा दिल धड़कने लगा क्या भाभी अब दादाजी से भी चुदवायेंगी? कैसा लगेगा जब 80 साल का एक बुड्ढा इतनी मस्त जवानी को पेलेगा…!!!???

फिर मैने सिर को झटका दिया और सोचा चलो ठीक है, नलिनी भाभी की अपनी चूत है वो जिससे चाहे चुदाई कराएँ मुझे क्या?

मैने गाड़ी आगे बढ़ा दी। अपने ख्यालों में खोया हुआ मैं ऑफिस जा रहा था। एक बहुत ही गर्म दिन की शुरुआत हुई थी और लण्ड इतनी चुदाई के बाद भी अकड़ा पड़ा था। इस साले को तो जितना माल मिल रहा था, उतना यह तंदरुस्त होता जा रहा था और जरा सी आहट मिलते ही खड़ा हुए जा रहा था।

मैं यही सोच रहा था कि ऑफिस जाते ही सबसे पहले तो नीलू को ही पेलूँगा, भी यह कुछ देर शांत रहेगा और फिर मुझे रोजी की मस्त चूत भी याद आ रही थी अगर वो मान गई तो उसकी भी बजा दूँगा। नीलू और रोजी की चूतों को याद करते हुए मैं मजे से गाड़ी चलाता हुआ जा रहा था कि… ‘जब किस्मत हो मेहरबान… तो बिना तजुर्बे के भी मिल जाते हैं कदरदान…’

यही मेरे साथ लगातार हो रहा था। मैंने देखा एक खूबसूरत ‘बला’ सामने खड़ी लिफ्ट मांग रही है। पहले तो सोचा कि क्यों समय बर्बाद करूँ निकल चलूँ और ऑफिस में जाकर मजे करूँ परन्तु उसकी खूबसूरती ने मुझे ब्रेक दबाने पर मजबूर कर दिया।

जैसे ही मैंने उसके निकट गाड़ी रोकी ‘अरे… यह तो सलोनी की सहेली है’ मैं 3-4 बार उससे मिल चुका था। क्या नाम था उसका? पता नहीं… पर हाँ सलोनी इसको गुड्डू कहकर ही बुलाती है। यह NRI है, ऑस्ट्रेलिया से आई है शायद इसकी शादी वहीं हुई है पर अब यहीं रह रही है। इसकी पति से नहीं बनती, वो अभी भी ऑस्ट्रेलिया में ही है, पर अभी तक कानूनी अलगाव नहीं हुआ है।

गुड्डू बहुत ही खूबसूरत है। 5’5″ लम्बी, उम्र कोई 30 साल पर लगती 25 की है। बिल्कुल गोरा रंग जैसे दूध में सिन्दूर मिला दिया गया हो, भूरे बाल जो उसने शार्ट स्टेप कटिंग कराये हुए हैं। गुलाबी लब जो बाहर को उभरे हुए हैं, ये दर्शाते हैं कि इसको चूसने का बहुत शौक होगा, और तीखे नयन नक्श सब उसको बहुत खूबसूरत दिखाते थे।

बाकी उसका मॉडर्न लिबास उसके सेक्सी बदन का हर उभार अच्छी तरह दिखा रहा था। मैं समझता हू कि उसका फिगर एक परफेक्ट फिगर था 36-26-36 का, थोड़ा बहुत ही ऊपर नीचे होगा बस।कुल मिलाकर पहली नजर में ही उसको देखकर कोई भी आहें भरने लगता होगा और उसको सुपर सेक्सी की संज्ञा दे देता होगा।

वही सुपर सेक्सी गुड्डू आज लिफ्ट मांगने मेरे सामने खड़ी थी। मैंने बिल्कुल उसके निकट जाकर गाड़ी रोक दी।

गुड्डू अंग्रेजी में- “क्या आप मुझे…. तक… अरे जीजू आप… वाओ…”

और बिना किसी औपचारिकता के दरवाज़ा खोल मेरे निकट बैठ गई, मैंने गेट लॉक पहले ही खोल दिया था।

गुड्डू ने नीली जीन्स और सफ़ेद टॉप पहना था। दोनों ही कपड़े बहुत कसे थे, उसके चिकने बदन से चिपके थे।

मैं- “हेलो गुड्डू! यहाँ कैसे? कहाँ जा रही हो? गाड़ी कहाँ है तुम्हारी?”

गुड्डू- “अरे जीजू, मैं तो बड़ी परेशान हो गई थी। थैंक्स गॉड जो आप मिल गए। मुझे एक पार्टी से मीटिंग करने जाना है। इट्स अर्जेंट और मेरी गाड़ी ख़राब हो गई”

मैं- “अरे तो कहाँ छोड़ दी?”

गुड्डू- अरे वो सब तो मैंने टैकल कर लिया। बस आप मुझे वहाँ तक 15 मिनट में छोड़ दें। अमेरिका की पार्टी है। वक्त के पाबंद हैं"

मैं- “डोन्ट वरी, अभी छोड़ देता हूँ”

वो पीछे को जाने लगी। उसके चूतड़ मेरी तरफ थे, मुझे अचानक ना जाने क्या हुआ मैंने एक चपत उसके कूल्हे पर लगा दी।

मैं- “क्या कर रही हो? बैठती क्यों नहीं?”

गुड्डू ने अपने चूतड़ को हिलाते हुए ही पैर पीछे को रख पीछे वाली सीट पर चली गई।

TO BE CONTINUED .....
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Heart 
गुड्डू- “अरे कुछ नहीं जीजू, वो मुझे चेंज भी करना था। मैं जल्दी में ऐसे ही आ गई थी। अब अगर इन कपड़ों में उस पार्टी से मिली तो मुझे मैनेजर नहीं चपरासी समझेंगे”

मैं- “हा हा हा... क्या यार?”

उसने मेरे द्वारा चूतड़ पर हाथ मारने को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जिससे मेरी हिम्मत बढ़ गई थी।

मैं- “इतनी सेक्सी तो लग रही हो, अब क्या करोगी?”

मुझे यह तो पता था कि गुड्डू बहुत बोल्ड है पर मेरे से ज्यादा खुलकर बात करने का मौका कभी नहीं मिला था।

पर आज उसने अपनी बोल्डनेस मुझे दिखा दी।

गुड्डू- “क्या जीजू! इन घर के कपड़ों में भी मैं आपको सेक्सी लग रही हूँ। हा हा हा… इनमें तो सब कवर है कुछ भी नहीं दिख रहा”

मैं- “वाओ मेरी साली साहिबा, तो क्या दिखाना चाह रही हो?”

गुड्डू- “अरे आप तो हमारे प्यारे जीजू हैं… जो देखना चाहो… बस इशारा कर देना”

मैं उससे बात कर ही रहा था कि जैसे ही बैक मिरर में देखा। ओह गॉड! उसने अपना टॉप निकल दिया था वो केवल एक माइक्रो ऑफ व्हाइट ब्रा में बैठी थी।

मैं- “अरर्र…रेए… यह क्या कर रही हो?”

गुड्डू- “हा हा हा हा… अरे अपने ही तो कहा था कि देखना है… हा हा”

मैं- “अरे ऐसे तो नहीं… चलती सड़क है… अओर…”

गुड्डू- “अरे जीजू घबराओ मत… बस कपडे चेंज कर रही हूँ… अब वहाँ जाकर तो कर नहीं पाऊँगी”

और वो बिना किसी डर के मेरी गाड़ी के पीछे बैठ आराम से अपने कपड़े बदल रही थी। उसने अपनी बेग से एक लाल सूर्ख सिल्की टॉप निकाला जो अजीब कटिंग से बना था।

मैंने सोचा कि वो इसे जल्दी से पहन ले पता नहीं फिर कहीं कोई सिक्युरिटी वाला न देख ले। अबकी बार तो जरूर बुरा फंस जाऊँगा। मगर वो तो पूरे मूड में थी, उसने अपनी ब्रा भी निकाल दी।

एक पल को तो मेरी धड़कन भी रुक गई, ना जाने वो क्या करने वाली थी?

क्या चूचियाँ थी उसकी, एकदम सुन्दर आकार में… गोल तनी हुई और गुलाबी निप्पल, दर्पण में देखकर ही दिल वावरा हो गया और मैं पीछे चेहरा घुमाकर देखने लगा।

गुड्डू- “अर रे जीजू… क्या करते हो? प्लीज आगे देखो ना…”

मैं- “क्यों अब शर्म आ रही है क्या?”

गुड्डू- “अरे नहीं… जीजू... कोई शर्म नहीं… आप गाड़ी चला रहे हो ना इसीलिए। अभी आप गाड़ी चलाइये इनको फिर कभी देख लेना, मैं कहीं भागी नहीं जा रही”

मैं मुँह बाये बस उसको देखे जा रहा था। गुड्डू ने अपनी दोनों चूची को सहलाकर ठीक किया और फिर अपना टॉप पहन लिया।

टॉप बहुत ही मॉडर्न स्टाइल का था। कई जगह से कट लिए हुए, यह समझो जैसे बहुत कम छिपा रहा था और काफी कुछ दिखा रहा था। मैं अब आगे देखकर गाड़ी चला रहा था परन्तु मेरी नजर बैक व्यू मिरर पर ही थी।

जैसे मैं कोई भी दृश्य चोदना नहीं चाह रहा था मैं गुड्डू के बदन के हर हिस्से को नंगा जी भरकर देखना चाहता था। गुड्डू के चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कुराहट थी, उसको मेरी सारी स्थिति का पता था और वो इसका पूरा मजा ले रही थी।

मेरे लिए इतना ही काफी था कि यह खूबसूरत मछली अब मेरे जाल में थी, इसकी छोटी मछली को मैं कभी भी मसल-कुचल सकता हूँ। पर आज मैं गुड्डू की मछली को देखने के लिए पागल था।

अब उसने अपनी मिनी स्कर्ट को ठीक किया और अपनी जींस की कमर में लगा बटन खोलने लगी। मैं सांस रोके उसको देख रहा था। मुझे एक और चूत के दर्शन होने वाले थे।

मैं पक्के तौर पर तो नहीं कह सकता पर पक्का ही था कि जब सलोनी कच्छी नहीं पहनती तो गुड्डू ने भी नहीं पहनी होगी आखिर यह तो सलोनी से भी ज्यादा मॉडर्न है। मैं जीन्स से एक खूबसूरत चूत के बाहर आने का इन्तजार कर ही रहा था।

गुड्डू ने बैठे बैठे ही अपने चूतड़ों को उठाकर अपनी जीन्स को नीचे किया। दर्पण से मुझे नीचे का हिस्सा कुछ साफ़ नहीं दिख रहा था, मैंने शीशे को थोड़ा सा और नीचे को किया।

अब गुड्डू ने अपने पैर को उठाकर अपनी जीन्स को दोनों पाँव से निकाला, उसकी जाँघों के जोड़ को देखने के लिए एक बार फिर मुझे पीछे को गर्दन घुमानी पड़ी पर इस बार मेरी उम्मीदों को झटका लगा, गुड्डू ने एक डोरी वाली गुलाबी पैंटी पहन रखी थी जो बहुत ही सुंदर लग रही थी पर गुड्डू के बेशकीमती खजाने को छुपाये हुए थी।

मैंने बड़ी नाउम्मीदी से अपनी गर्दन आगे कर ली।

मेरे बिगड़े हुए मुहं को देख गुड्डू जोर से हंस पड़ी पर उसने मुझ पर कोई रहम नहीं किया, उसने अपनी स्कर्ट की ज़िप खोल उसको कमर से बांध अपनी स्कर्ट को ठीक कर लिया।

गुड्डू- “क्या हुआ जीजू? बड़ा ख़राब मुँह बनाया। क्या मैं इतनी बुरी लगी... हा हा…”

मैं- “अरे यार जब इंसान को भूख लगी हो और कोई खाने पर कवर लगा हो तो ऐसा ही होता है”

गुड्डू- “हा हा हा जीजू… आप भी न बहुत मजाक करते हो। यह किसी और का खाना है, आप अपना खाना घर जाकर खा सकते हो ना”

मैं- “वो तो सही है यार, बाहर का खाना चखने को तो मिल ही जाता है पर यहाँ तो देखने को भी नहीं मिला”

गुड्डू- “हा हा हा… क्या बात करते हो जीजू… इतना तो देख लिया”

और गुड्डू अपने कपड़े वहीं पिछले सीट पर छोड़ जब फिर से आगे आने के लिए उसने पैर आगे रखा… तो… वाओ…

उसकी पीठ मेरी ओर थी। उसकी स्कर्ट ऊपर तक हो गई और उसके नंगे चूतड़, कयामत चूतड़… क्या मजेदार गोल गोल चूतड़ थे… पूरे नंगे ही दिख रहे थे क्योंकि उसकी पैंटी की डोरी बहुत पतली थी जो चूतड़ों की दरार से चिपकी थी।
मैंने उसके सीधे होने से पहले ही उसके चूतड़ों के एक गोले पर अपने बायां हाथ रख दिया।

गुड्डू- “क्या कर रहे हो जीजू?”

उसने सीधा होने की कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई।

मैं- “मेरी प्यारी साली साहिबा जी, देख रहा हूँ कि खाना गर्म है या ठण्डा। तुम बहुत खूबसूरत हो यार…”

और मैंने अपने अंगूठे से गुड्डू की चूत को भी हल्का सा कुरेद दिया तो अब बस वो जल्दी से सीधी हो बैठ गई, उसने अपनी स्कर्ट सही की और बोली- “जीजू, यह खाना हमेशा गर्म ही रहता है”

मैं- “अब मुझे क्या पता? तुम ना तो कभी खिलाती हो और ना ही कभी चखाती हो”

गुड्डू- “ठीक है कभी आपके साथ भी हम मीटिंग कर लेंगे फिलहाल तो अपना काम कर लें। बस यहीं रोक दीजिये। मुझे इसी कम्पनी में जाना है”

और वो वहीं उतर गई मगर एक उम्मीद फिर से दे गई।

गुड्डू- अपने कपड़े यहीं छोड़ कर जा रही हूँ अगर आप खाली होंगे तो लौटते समय मैं फोन कर लूँगी वरना फिर बाद में ले लूँगी।

मैं- “अरर्र नहीं… ये तो तुमको आज ही देने आ जाऊँगा अगर सलोनी ने देख लिए तो? हा हा हा…”

वो भी हंसी और हम दोनों अपनी मंजिल की ओर निकल गए।

सलोनी, नलिनी भाभी, नीलू, रोजी… अभी कुछ देर पहले मैं सभी को खूब याद कर रहा था।

नलिनी भाभी को जमकर चोदकर आया था और नीलू को ऑफिस जाकर चोदने की सोच रहा था, सलोनी कैसे अपने आशिकों के साथ मजे कर रही होगी वो सोच रहा था और रोजी की चूत के बारे में सोच सोच कर लार टपका रहा था।

इतना सब पास होने के बावजूद एक ही पल में इस गुड्डू की सेक्सी और मस्त जवानी ने सब कछ भुला दिया था। जब तक गुड्डू पास रही, कुछ याद ही नहीं रहा, केवल गुड्डू गुड्डू और गुड्डू पर अब उसके जाते ही मैं फिर से धरातल पर आ गया था। अब मुझे फिर से सब कुछ याद आ गया था।

मैं तेजी से गाड़ी चलाकर ऑफिस पहुँचा, वहाँ पहुँच कर एक झटका लगा।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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अरे आज नीलू आई ही नहीं थी। पर उसने मुझे बताया क्यों नहीं???

तभी रोजी केबिन में आई। हल्के हरे, प्रिंटेड शिफॉन की साड़ी में वो क़यामत लग रही थी। स्लीवलेस ब्लाउज और नाभि के नीचे बाँधी हुई साड़ी उसको और दिनों के मुकाबले बहुत ज्यादा सेक्सी दिखा रही थी। शायद पिछले दिन की घटना ने उसको काफी बोल्ड बना दिया था और वो मुझे रिझाना चाह रही थी।

यह नहीं भी हो सकता था, यह तो केवल मेरी सोच थी। हो सकता है वो सामान्य रूप से ऐसे ही कपड़े पहन कर आई हो पर मुझे पहले से ज्यादा सेक्सी लग रही थी।

मैं रोजी की ख़ूबसूरती को निहार ही रहा था कि वो मेरी नजरों को देखते हुए मुस्कुराते हुए बोली- “आज कहाँ रह गए थे सर? बड़ी देर कर दी?”

मैं उसकी बातों को सुनकर मुस्कुराया। वाकयी कल की घटना ने उसको बहुत ज्यादा खोल दिया था। पहले वो कभी मुझसे ऐसे नहीं बोली थी, बल्कि बहुत डर कर बोलती थी।

उसको ऑफिस में आये हुए समय ही कितना हुआ था केवल एक महीना। इस एक महीने में वो केवल ‘हाँ… जी…’ में ही जवाब देती थी पर कल हुई घटना ने उसको बिंदास बना दिया, अब उसको मुझसे डर नहीं लग रहा था बल्कि प्यार ही आ रहा था।

मैं उसकी चूची और चूतड़ों को सहला चुका था और उसकी नजर में मैं उसको पूरी नंगी देख चुका था, उसने भी मेरे लण्ड को पकड़ लिया था।

मेरे ख्याल में जब नारी को यह लगने लगता है कि इस आदमी ने तो मुझे पूरी नंगी देख ही लिया है और वो उसको पसंद भी करती हो तो शायद वो उससे पूरी खुल जाती है, फिर उसके सामने उसको नंगी होने में शर्म नहीं आती।

यही ख्याल मेरे दिल में आ रहे थे कि शायद रोजी अब दोबारा मेरे सामने नंगा होने में ज्यादा नखरे नहीं करेगी पर वो एक शादीशुदा नारी है और उसने अभी तक बाहर किसी से सम्बन्ध नहीं बनाये थे इसलिए मुझे बहुत ध्यान से उस पर कार्य करना था, मेरी एक गलती से वो बिदक भी सकती है।

मेरा लण्ड मुझे संयम नहीं करने दे रहा था वो पैन्ट से अंदर बहुत परेसान कर रहा था। मैंने सोचा था कि ऑफिस जाते ही नीलू को पेलूँगा .पर उसने तो मुझे धोखा दे दिया था, पता नहीं उसको क्या काम पड़ गया था।

मैंने रोजी को ही अपने शीशे में उतारने की सोची।

मैं- “अरे रोजी, नीलू कहाँ है आज?”

रोजी- “क्यों उसने बताया नहीं आपको? बोल तो रही थी कि वो फोन कर लेगी आपको”

मैं- “अरे तो क्या वो आई थी? फिर कहाँ चली गई, उसको तबियत तो सही है ना?”

रोजी- “अर्र हाँ सर… वो बिलकुल ठीक है। उसके किसी दोस्त का एक्सीडेंट हुआ है शायद, मुझे बताकर गई थी कोई 2 घंटे पहले”

मैं- “ओह…”

मैंने सोचा उसको फोन करके पूछ लूँ कि किसी चीज की जरूरत तो नहीं पर उसका फोन ही नहीं लगा।

“लगता है नीलू के फोन की बैटरी डाउन हो गई इसीलिए मुझे भी कॉल नहीं कर पाई”

रोजी- “हाँ सर, यही लगता है, मैं भी कोशिश कर रही थी पर नहीं लग रहा। कोई काम हो तो बता दीजिये सर, मैं कर देती हूँ”

मैं- “अरे नीलू वाला काम तुम नहीं कर पाओगी”

वो बिना सोचे समझे बोल गई- “क्यों नहीं कर पाऊँगी सर? आप बोल कर तो देखिये?”

मैं हंसने लगा- “हा हा हा…”

अब उसका चेहरा देखने लायक था, वो समझ गई कि मैं किस काम के लिए कह रहा था, मगर उसमें कुछ गुरुर के भाव भी थे जो उसको झुकने नहीं दे रहे थे इसलिए उसने अब भी हामी भरी- “अरे, आप हंस क्यों रहे हैं। मैं नीलू से कमजोर नहीं हूँ। ऑफिस का कोई भी काम कर सकती हूँ”

मैं उसकी बातों का मंतव्य समझते हुए ही उससे खेलने की सोचने लगा, रोजी के मासूम चेहरे को देखते हुए मैं सोच रहा था कि इसको बहुत प्यार से टैकल करूँगा।

इस समय वो बहुत मासूम लग रही थी, मैंने रोजी के साथ ऑफिस के काफ़ी कामों के बारे में चर्चा की, नीलू ने उसको सभी कार्य बहुत अच्छी तरह समझा दिए थे और सबसे बड़ी बात वो आसानी से सब समझ गई थी, उसने सभी काम अच्छी तरह किये थे।

मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि चलो मुझे एक और कर्मी अपने काम करने के लिए मिल गया था।

अब मेरी ऑफिस की चिंता कुछ और कम हो जाने वाली थी, नीलू और रोजी मिलकर मेरे सारे काम आसानी से कर सकती थीं। नीलू ने तो पूरी ज़िंदगी शादी ना करने की कसम खाई थी, उसने कई बार मुझसे कहा था कि वो ऐसे ही काम करती रहेगी, मेरी बीवी की तरह ही रहेगी और ऑफिस में काम करती रहेगी।

अब रोजी भी उसी तरह काम सँभालने को राजी थी, भले ही उसकी शादी हो गई थी पर वो लम्बे समय तक काम कर सकती थी, मैं उस पर भरोसा कर सकता था।

अब अगर वो नीलू की तरह ही मेरे मस्ती में भी साथ देने लगे तो मजा आ जाये, ऑफिस के काम करते हुए मैं रोजी से थोड़ी बहुत छेड़छाड़ भी करने लगा जिसका वो बुरा नहीं मान रही थी। एक बार मुझे कुछ बताने के लिए जब वो मेरे बराबर में खड़ी थी, मैंने नीलू की तरह ही उसके गोल मटोल चूतड़ों पर हाथ रख दिया।

उसने तिरछी नजरों से मुझे देखा और बोली- “सर आपके हाथ फिर से गलत प्रॉपर्टी पर जा रहे हैं”

मैंने मुस्कुराते हुए उसके चूतड़ों के चारों ओर अपनी हथेली को घुमाया और बोला- “दूसरे की प्रॉपर्टी कैसे? मेरे ऑफिस में जो भी है, वो तो मेरी प्रॉपर्टी हुई, नीलू ने तो कभी ऐसा नहीं कहा”

मेरी होंटों पर एक मुस्कान थी पर वो थोड़ा अलग हटकर खड़ी हो गई। मेरा हाथ उसके चूतड़ों से हट गया पर इस दौरान मैंने महसूस किया था कि उसने कच्छी नहीं पहनी है। पतली सी साड़ी और पेटीकोट जो उसने इतने कसकर बांधे थे कि चूतड़ों पर पूरी तरह कसी थी।

शायद चूतड़ों का उभार दिखने के लिए मुझे ऐसा ही लगा कि जैसे नंगे चूतड़ों पर हाथ फिराया हो मगर मेरे हाथ को कहीं कच्छी का अहसास नहीं हुआ। मतलब साड़ी के नीचे वो नंगी चूत लिए घूम रही है।

अगर पिछले दिन मैंने उसकी कच्छी नहीं देखी होती तो ज्यादा शक नहीं होता, सामान्य ही लगता क्योंकि सलोनी भी कच्छी कौन सा पहनती है और हो सकता है वो भी इस समय अपने कॉलेज में ऐसे ही विकास के ऑफिस में अपने चूतड़ उससे सहलवा रही हो।

सलोनी की याद आते ही मुझे रोजी से सेक्स की बातें करने का एक बहुत अच्छा आईडिया आ गया- “क्या हुआ? अरे यार, ऐसे कैसे काम कर पाओगी इतनी दूर से?”

रोजी- “सॉरी सर, ऐसी बात नहीं है पर आपके हाथ रखते ही पता नहीं क्यों सनसनी सी हो जाती है। वो क्या है कि मैं बहुत अलग रही हूँ और ऐसा मैंने कभी नहीं किया”

TO BE CONTINUED.....
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मैं- “अरे तो मैं ऐसा क्या कर रहा हूँ? मैं तो केवल काम ही देख रहा हूँ और यह तो मेरी आदत ही है। अच्छा एक बात बताओ, आज कच्छी नहीं पहनी ना तुमने?”

रोजी बुरी तरह शरमा गई और अपनी गर्दन नीचे झुकाये हुए ही बोली- “क्या सर? आप भी ना, बहुत गंदे हैं”

मैं- “अरे नहीं भई! यकीन मानो, मेरी कोई गन्दी मनसा नहीं है। मैं जो भी करता हूँ वो कभी तुमको कोई नुकसान नहीं पहुँचाएगा। और यकीन मानना मैं वही सब करूँगा जिसमें तुम्हारी मर्जी होगी और तुमको अच्छा लगेगा, इसके अलावा कुछ भी नहीं करूँगा”

मैंने कसम खाने वाले अंदाज़ में कहा।

रोजी मुझे देख जोर से हंसी और अचानक उसने मेरी माथे पर चूम लिया वो फिर से वहीं मेरे पास आकर खड़ी हो गई, बोली- “आप सच बहुत अच्छे हैं”

मैं- “एक बार सही से फ़ैसला कर लो कि अच्छा हूँ या गन्दा हूँ। हा हा…”

वो भी हंसने लगी।

मैंने हंसते हुए ही उसकी कमर में हाथ डाल कर उसको अपने पास किया और उसके चेहरे को झुका उसके माथे का एक चुम्बन ले लिया।

उसने कोई विरोध नहीं किया पर बोली- “अब यह क्या है?”

मैं- “जो तुमने किया, मैं कुछ अपने पास नहीं रखता बल्कि सूद समेत वापस कर देता हूँ। समझी? तुमने मुझे किस किया तो मैंने भी। जैसे कल कि बात याद है ना जब मैंने तुमको शूशू करते देखा था तो तुम्हारे सामने खुद भी दिखाया था ना?”

अब उसके चेहरे पर एक कातिल सी मुस्कान आ गई थी वो कल की तरह ही खुलने लगी थी। कभी लगता था कि उसको पटाने में समय लगेगा और कभी यह लगता था कि वो तैयार है बस साड़ी उठाओ और डाल दो लण्ड।

पर मैंने कोशिश जारी रखी उसकी एक झिझक मेरी बीवी सलोनी से भी हो सकती है। 

रोजी की मस्त भरी जवानी मेरे केबिन में लहरा रही थी, उसकी प्रिंटेड साड़ी इतनी झीनी थी कि अगर वो प्लेन होती तो मैं दावे से कह सकता हूँ कि उसके तराशे हुए बदन का हर कोण आसानी से नुमाया होता।

रोजी के अंदर ख्वाइशें तो बहुत थीं पर उन पर उसकी शर्म ने पर्दा डाला हुआ था इसीलिए वह खुलकर कुछ भी करने से बहुत ज्यादा ही डर रही थी। मैं उसके बारे में और सब स्थिति के बारे में सोच-सोच कर बहुत रोमांचित हो रहा था।

सलोनी अपने आप में बहुत ज्यादा मॉडर्न और खुले विचारों की लड़की थी, उसने बचपन से को-एड में पढ़ाई की थी और आधुनिक परिवेश में रही थी। वो जो कुछ भी कर रही थी केवल खुद की मस्ती और ख़ुशी के लिए, इसके अलावा उसके मन में कुछ नहीं था, वो मुझसे बहुत प्यार करती थी और मेरे लिए कुछ भी कर सकती थी।

अगर मैं उससे एक बार कह दूँ कि ये सब मुझे पसंद नहीं है तो वो यकीनन सब कुछ छोड़ देगी, उसको मेरी भी हर पसंद का बहुत ख्याल है और सेक्स को केवल कुछ समय का मजा समझती है न कि प्यार की गहराई।

प्यार दिल की गहराई से किया जाता है और सेक्स चूत की गहराई से। इसका अंतर उसको अच्छी तरह से पता है।

हाँ वो मेरे सामने चुदवाने से जरूर संकोच करती है पर मजे में उसको कोई आपत्ति नहीं है। पर शायद मैं उससे भी आगे हूँ या सलोनी को इसमें कोई आपत्ति नहीं कि मैं उसके सामने भी किसी को चोदूँ बल्कि चोद भी चुका हूँ। हाँ थोड़ी बहुत झिझक जरूर होती है। पर उस झिझक को नशा दूर कर देता है, यह मैंने अच्छी तरह जान लिया था।

रोजी हिंदुस्तानी संस्कृति से बंधी लड़की है, उसके लिए शादी मतलब एक आदमी के प्रति पूरा समर्पित रहना है, वो इस सोच से निकलना तो चाहती थी परन्तु उसके संस्कार गुलामी वाले थे कि पति चाहे जितना जुल्म करे, पर तुमको सहते रहना है।

मुझे नहीं पता कि उसका पति कैसा है पर इतना अहसास हो गया था कि रोजी उसको पसंद नहीं करती अब यह देखने वाली बात थी कि संस्कारो में बंधी लड़की अपनी नापसंद चीज को कितनी जल्दी और कितने हद तक दरकिनार करती है। रोजी अपनी जंजीरों से बाहर आना चाहती थी पर खुद उन जंजीरों को खोलने को राजी नहीं थी।

उसको अपने बदन पर परपुरुष का हाथ मजा तो देता था पर उसका दिल उसको गलत ही समझता था। मैं रोजी के साथ कोई जोर जबरदस्ती करना नहीं चाहता था पर उसको इस खूबसूरत जिंदगी का कुछ अहसास कराना जरूर चाहता था।

मेरे अंदर एक जिज्ञासा यह भी थी कि सलोनी को तो मैंने अच्छी तरह देख परख लिया था कि वो सेक्स को किस हद तक ले जा सकती है।

पर रोजी तो शायद शादी से पहले मर्द के स्पर्श को भी नहीं पहचानती थी।

मैं पूरे पक्के तौर पर कह सकता हूँ कि वो सुहागरात के समय कुआंरी होगी और अपने पति के अलावा उसने कभी किसी से कुछ करना तो छोड़ो, किसी और के बारे में कुछ अलग सोचा भी नहीं होगा।

अब यह देखना था कि अगर रोजी अपनी दबी हुई इच्छाओं को बाहर निकालने में कामयाब हो जाती है तब वो कैसा महसूस करती है और किस हद तक अपनी इच्छाओं को पूरा करती है।

सलोनी और रोजी दोनों ही शादीशुदा हैं पर दोनों में धरती आसमान का अंतर है। एक आज़ाद एवं खुले विचारों वाली और दूसरी संकीर्ण विचारों वाली!

रोजी के साथ सेक्स की बातें करने में और उसका शरमा-शरमा कर जवाब देने में बहुत मजा आ रहा था।

मैं समझ सकता था कि जीवन में पहले बार किसी परपुरुष का हाथ अपने नाजुक बदन पर महसूस करके उसको कितना आनन्द आ रहा होगा और उसने कैसा महसूस किया होगा कि एक गैर मर्द ने उसकी उस नाजुक चूत को देखा है जिसे आज तक उसने बाहर की हवा भी अकेले या फिर उसके अपने पति के सामने ही पड़ने दी थी।

केवल एक दिन की मस्ती ही ने उसको इतना खोल दिया था कि आज वो बिना कच्छी के आ गई थी। यह भी शायद पहली बार ही हुआ होगा जो उसने इतनी हिम्मत की।

हो सकता है शायद नीलू ने ही उसको इसके लिए बोला हो, पर उसका शरमाना और संकुचाना मुझे बहुत भा रहा था।

अपने चूतड़ों पर मेरा हाथ महसूस करके ही उसका चेहरा पूरा लाल हो गया था और जब मैंने कच्छी के बारे में बात की तब तो उसका चेहरे के साथ-साथ उसका पूरा बदन ही सिमट रहा था।

रोजी शर्म के मारे दोहरी हुई जा रही थी, लग ही नहीं रहा था कि उसने कभी लण्ड भी देखा हो या कभी चुदाई भी कराई हो।

बिल्कुल कुँवारी, नाजुक कली की भान्ति ही शरमा रही थी इस समय रोजी! कल जो वो ज्यादा खुल गई थी या कुछ ज्यादा बोल्ड व्यबहार कर रही थी, उसकी वजह शायद नीलू थी।

एक लड़की दूसरी लड़की के सामने खुद को थोड़ा ताकतवर महसूस करती है और अधिक बोल्ड हो जाती है।

मैंने सोचा शायद इसीलिए दो लड़के और एक लड़की या फिर दो लड़कियाँ और एक लड़का जैसे थ्री-सम में उन लोगों को ज्यादा मजा आता होगा। मन ही मन मुस्कुराते हुए मैं इस ट्रिक को भी आजमाने की सोचने लगा।

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रोजी के साथ ऑफिस का काम निबटाने में बहुत ही मजा आ रहा था। अब हम काफी हद तक खुल गए थे, मेरे मजाक करने और हमेशा खिलखिलाने से वो बहुत सहज हो गई थी।

फिर मैं उसके सामने ही टॉयलेट के लिए गया- “ऐ रोजी, सुनो… कल का बदला पूरा हो गया है, अब मैं शूशू करने जा रहा हूँ तो देखने की कोशिश नहीं करना ओके? हा हा हा हा…”

वो भी जोर से हंस पड़ी। मैं भी बेशर्मो की तरह दरवाजा बिना बंद किये मूतने लगा। मुझे लगा वो मुझे नहीं देखेगी पर मेरा दिल ख़ुशी के मारे उछलने लगा जब मैंने उसको तिरछी नजर से अपनी ओर देखते हुए पाया।

भले ही उसको मेरा लण्ड नहीं दिख रहा था पर खुले लण्ड का अहसास तो वो कर ही रही होगी।

इसका अहसास मुझे बाहर आते ही हो गया। रोजी बड़ी कातिल नजरों से मुझे देख रही थी और उसके लाल रक्तमय होंठों पर हल्की मुस्कान भी थी। मेरे बाहर आते ही वो भी बाथरूम की ओर बढ़ी।

मैं- “क्या हुआ? हा हा हा… मुझे देखकर लग गई या पहले से रोकी हुई थी? हा हा…”

पर रोजी ने कोई जवाब नहीं दिया, बस मुझे देखते हुए ही एक मुस्कुराहट दी, वो भी कुछ गुस्से में, प्यार वाला गुस्सा!

उसके टॉयलेट जाने के बाद मैं कुछ काम करने लगा पर जैसे ही मैंने दरवाजे की ओर देखा, मेरा माथा ठनका…

अरे यह क्या?? रोजी ने दरवाजा पूरा बन्द नहीं किया था, उसने दरवाजे पर थोड़ा सा हाथ मार कर बंद किया था, मुझे दरवाजा बंद होने वाली जगह से एक झिर्री नजर आई जहाँ से रोशनी बाहर आ रही थी। अब मेरा दिल फिर से बेकाबू होने लगा कि कुछ करूँ या नहीं!

पर ऐसे तो मैं बेवकूफ कहलाऊँगा अब उसने मेरे यहाँ रहते अगर दरवाजा खुला छोड़ दिया तो कुछ तो वो भी मस्ती के मूड में थी। अब चाहे जो हो, मैंने कुछ तो शरारत करने का फैसला कर ही लिया था।

मैं जल्दी से दरवाजे के पास पहुँचा और मैंने दरवाजे पर हाथ मारते हुए ऐसे ही कहा- “अरे रोजी, तुमने दरवाजा लॉक नहीं किया?”

हाथ लगते ही दरवाजा खुल गया, सामने रोजी कमोड पर बैठी थी।

मैंने बिल्कुल सही समय पर ही दरवाजा खोला था। वो शायद अभी अभी ही मूतने बैठी थी और उसने करना शुरू कर दिया था क्योंकि उसके मूतने की शर्रर…शर्रर… की आवाज और कमोड में पेशाब गिरने की भी आवाज आ रही थी।

अब ना तो वो उठ सकती थी और ना ही कुछ कर सकती थी।

उसकी साड़ी कमर तक सिमटी थी जो उसने अपने हाथों से पकड़ी हुई थी और उसकी गोरी गोरी सफ़ेद टांगें, जो पूरी चिकनी थीं, नंगी दिख रही थी।

दरवाजे से उसकी चूत या फिर उससे निकलता मूत तो नहीं दिख रहा था परन्तु उसके नंगेपन का पता चल रहा था।

वो भौंचक्की सी मुझे देख रही थी। मैं उसको मूतते हुए देख कर हंस रहा था। जब उसकी मूतन क्रिया पूरी हुई, तब उसको कुछ होश आया।

मेरे अपने ऑफिस का बाथरूम मेरे लिए वरदान साबित हो रहा था, मेरे स्टाफ की लड़कियाँ ज्यादातर इसी का प्रयोग करती थीं, बार-बार पेशाब करने जाना, खुद को व्यवस्थित करना और कभी सैनिटरी पैड बदलना। मैं सोच रहा था कि यार क्यों ना अपने बाथरूम में कैमरा लगवा लूँ और अपना पूरा स्टाफ बदलकर प्यारी प्यारी लड़कियों को ही रख लूँ।

खैर, यह सब संभव नहीं था पर सोचकर बहुत अच्छा लग रहा था। फिलहाल मेरा ध्यान इस देसी कुड़ी, रोज़ी की ओर ही था, बहुत ही मस्त है साली।

देखने को भी मना करती है और दरवाजा भी खुला छोड़ मेरे बाथरूम में नंगी होकर बैठ जाती है, इतने प्यारे पोज़ में उसको बैठे देख मैं यह सोच रहा था कि काश यह इंडियन सीट होती तो मजा आ जाता, इसकी मक्खन जैसी चूत के दोनों खुले होंट दिख जाते। मेरा लण्ड इतना बैचेन हो गया था कि उसमें दर्द होने लगा था।

मैं उसको अपनी साड़ी कमर तक उठाये, अपने दोनों हाथों से पकड़े, उसकी चिकनी सफ़ेद टांगों को घूरता हुआ खड़ा ही था कि उसने मुझे जाने का इशारा किया।

मैं भी शराफत से एक ओर को हो गया, मैंने दरवाजा बंद नहीं किया और उसकी नजर से तो कुछ बच गया पर अपनी नजर उसी पर रखी।

हाँ, पीछे जरूर हट गया, उसने भी मेरे से नजर हटाई और खड़ी होकर एकदम से अपनी साड़ी को हाथों से छोड़ दिया, बस एक पल के लिए ही मुझे उसकी चूत के दर्शन हुए। उसने बिना मेरी ओर देखे फ़्लश चलाया और हाथ धोकर बाहर आ गई।

वो बहुत हल्के से ही मुझ पर नाराज हुई- “यह क्या करते हो सर आप? मुझे बहुत शर्म आ रही थी”

मैं- “अरे यार तुम भी ना, मैं तो केवल दरवाजा बंद करने को ही कह रहा था। हा हा… और फिर क्या हो गया अब तो हम दोस्त हो गए ना!”

रोज़ी ने कुछ नहीं कहा, जैसे उसने ये सब स्वीकार कर लिया हो।

मैंने बहुत ही प्यार से रोज़ी का हाथ अपने हाथ में लेकर कहा- “तुम भी ना यार, इतना ज्यादा शरमाती हो। अरे यार ये सब तो नार्मल है, इसे एन्जॉय करना चाहिए”

उसने अपनी पलकें झुकाकर अपनी स्वीकृति दी।

तभी मैंने एकदम से चौंकते हुए ही कहा- “अरे रोज़ी यह क्या? तुमने मूतने के बाद अपनी योनि साफ़ नहीं की?”

मैंने जानबूझ कर ही चूत शब्द का प्रयोग नहीं किया क्योंकि मुझे पता था कि उसको अच्छा नहीं लगेगा।

उसने अपनी आँखों को हल्का सा सिकोड़ा और कुछ भौंचक्की आँखों से मुझे देखा पर मेरी बात का आशय समझते ही उसका चेहरा एक बार फिर पूरा लाल हो गया।

मैं- “अरे यार, अब इसमें क्या शरमाना… ये तो नार्मल बात ही है। क्या तुम अपनी बुर गन्दी ही रखती हो। मूतने के बाद तो साफ़ करना चाहिए ना”

रोज़ी- “जी नहीं, मैं हमेशा पानी से साफ़ करती हूँ”

मैं- “अच्छा तो आज क्यों नहीं की? एक तो कच्छी नहीं पहनी ऊपर से मूतने के बाद बुर साफ़ भी नहीं की?”

रोज़ी को अब मेरी बातों में रस आने लगा था, उसने ना तो अपना हाथ ही मेरे हाथों से छुड़ाया और ना ही कुछ विरोध कर रही थी।

रोज़ी- “जी केवल आपकी वजह से जल्दबाजी में नहीं की, आपने कैसे दरवाजा खोल दिया था हम्म्म्म??”

मैं अब जोर से हंसा- “हा हा हा… तो इसमें भी मेरे ऊपर ही इल्जाम! चलो कोई बात नहीं इसका हर्जाना भी भर देते हैं”

मैंने मेज पर सामने रखा नेपकिन पेपर उठाते हुए कहा- “लाओ जी, मैं अपने हाथ से साफ़ कर देता हूँ”

रोज़ी- “हाय राम! क्या कह रहे हैं आप सर, इस पेपर से… आप?”

मैंने उसकी बात पूरी नहीं होने दी- “अच्छा पेपर से नहीं तो फिर क्या जीभ से करूँ?”

और मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल कर जीभ की लम्बी नोक हिलाकर उसको दिखाया।

उसका हाथ जो मेरे हाथ में ही था, मैंने साफ़ महसूस किया उसमें जोर का कम्पन हुआ, उसने एक जोरदार झुरझुरी ली थी। इसका मतलब मेरी बातों का असर हो रहा था, रोज़ी की अन्तर्वासना की अग्नि महसूस कर रही थी और उसे बहुत मजा आ रहा था।

उसने अजीब सी आँखों से मुझे देखा, मैंने जीभ को लहराते हुए ही कहा- “अरे हाँ डियर, नीलू की भी मैं जीभ से ही साफ़ करता हूँ। उसको यह बहुत पसंद है और मुझे भी इसका स्वाद बहुत अच्छा लगता है। नीलू तो हमेशा मूतने के बाद अपनी बुर मुझसे ही साफ़ करवाती है”

रोज़ी अब कुछ नहीं कर रही थी, उसने अपना हाथ अभी तक मेरे हाथ में पकड़ा रखा था बल्कि अब तो मैं उसकी पकड़ अपने हाथ पर महसूस कर रहा था।

रोज़ी- “तो क्या नीलू आपके सामने नंगी लेट जाती है?”

मैं- “ओह, तो इसमें क्या हुआ? और क्या मैंने अभी तुमको नंगी नहीं देखा। अरे मेरी जान, इसमें क्या तुम्हारी बुर काली हो गई या मेरी आँखें ख़राब हो गई। जब दोनों को अच्छा लगा तो इसमें बुराई क्या है, बताओ?”

उसने कोई जवाब भी नहीं दिया पर कुछ कर भी नहीं रही थी, मैंने ही उसके हाथ को पकड़ अपनी मेज पर झुका दिया।

उसने कुछ नहीं कहा।

मैं- “बताओ ना जान, क्या तुम्हारी इजाजत है? क्या मैं तुम्हारी प्यारी, राजदुलारी बुर को प्यार से साफ़ कर सकता हूँ?”

रोज़ी बैचेनी भरी नजरों से मुझे देखे जा रही थी, मैंने भी उसकी साड़ी उठाने की कोई जल्दी नहीं की। रोज़ी की लाल आँखे बता रही थीं कि वो वासना की आग में जल रही है।
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उसका शरीर उसके मन के विचारों से बगावत कर रहा है, वो बुरी तरह काँप रही थी। मैं अगर इस समय उसको चोदना चाहता तो वो बिल्कुल भी मना नहीं करती।

पर बाद में उसको ग्लानि हो सकती थी इसलिए मैं उसके साथ सेक्स नहीं बल्कि उसके विचारों को बदलना चाहता था। रोज़ी मेरी ऑफिस की मेज पर अधलेटी मेरे बाहों में बंधी थी, मेरा एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे और दूसरा उसके पेट पर रखा था।

पेट वाले हाथ से मैं हल्के हल्के गुदगुदी कर रहा थाजिससे उसकी साड़ी सिमट गई थी, अब मेरा हाथ उसके नंगे पेट पर रखा था। मैं बहुत धीरे धीरे उस हाथ को उसके पेट पर फिसला रहा था, रोज़ी की साँसें बहुत तेज-तेज चल रही थी, उसके वक्ष के उभार तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे।

मैं अपना चेहरा उसके पास ले गया और उसके गालों से अपने होंठों को चिपका दिया।

अचानक उसने अपनी गर्दन को मेरी ओर घुमाया। यही वो क्षण थे जब उसके लाल, कांपते हुए लबों से मेरे होंठ जुड़ गए।

शायद उसके बदन की जरूरत ने उसके संकीर्ण विचारों पर पूर्ण विराम लगा दिया था और वो भी अब मस्ती में डूब जाना चाहती थी। अब वो हर पल का पूरा लुफ्त उठाना चाहती थी।

मैं दस मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा, इस बीच हम दोनों की जीभ ने भी पूरी कुश्ती लड़ी। मैं लगातार उसके पेट को सहलाते हुए अपना हाथ साड़ी के ऊपर से ही उसके बेशकीमती खजाने, रोज़ी की चूत के ऊपर ले गया और साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया।

बिल्कुल ऐसा लगा जैसे नंगी चूत ही हाथ में आ गई हो। रोज़ी की साड़ी और पेटीकोट इतने पतले थे कि नंगी चूत का अहसास हो रहा था, ऊपर से उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी।

मैं मस्ती के साथ उसकी चूत को मसलने लगा।

अब रोज़ी के मुख से मजेदार सिसकारियाँ निकलने लगी- “अह्ह्हाआआ पुच अह्हाआआ… अह्ह्हाआआ पुच अह्हाआआआ पुच… अहआ पुच अह्हाआआआ पुच …”

अब मुझे लगने लगा था कि रोज़ी अपनी चूत को दिखाने के लिए मना नहीं करेगी, अब वो अपनी चूत को नंगी करने को तैयार हो जाएगी, मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए ही कहा- “हाँ तो अब क्या सोचती हो जानेमन? अब तो अपनी बुर को साफ़ कराने को तैयार हो? अगर महारानी जी की इजाजत हो तो इस परदे को हटाऊँ?”

मैंने रोज़ी की साड़ी को पकड़ते हुए पूछा।

रोज़ी की जिस गुलाबी चूत को इतने नजदीक से देखने के लिए मैं मर रहा था, उस कोमल चूत को देखने और छूने का समय आ गया था।

रोज़ी अब मेरी किसी भी हरकत का खुलकर विरोध नहीं कर रही थी, जो भी थोड़ा बहुत ना-नुकुर या फिर इधर उधर वो कर रही थी, वो उसकी नारी सुलभ लज़्ज़ा थी या फिर पहली बार किसी बाहरी पुरुष के इतने नजदीक जाने का अहसास।

लेकिन यह निश्चित था कि यह सब छेड़खानी उसको बहुत ज्यादा भा रही थी। उसकी महकती हुई, मचलती हुई जवानी मेरी बाहों में थी और मुझे ज़माने भर का सुख दे रही थी।

उसकी पतली साड़ी के ऊपर से मैंने रोज़ी की चूची, चूत और चूतड़ों को खूब मसल लिया था, अब बारी इन सभी अंगों को नंगा करने की थी जिसकी शुरुआत मैंने कर दी थी।

मैंने साड़ी खोलने की बजाए पहले उसकी साड़ी को उठाकर उसके बेशकीमती खजाने, रोज़ी की कोमल सी बुर को नंगी करने की सोची। एक बार उसकी बुर अच्छी तरह गर्म हो जाए और कामरस से भर जाए, वो खुद साड़ी, पेटीकोट उतार फेंकेगी और मेरा लण्ड अपनी चूत में घुसा लेगी।

मैंने बहुत अरमानों के साथ ही उसकी साड़ी का निचला सिरा पकड़ लिया और बोला- “लाओ जानेमन! अब तो इज़ाज़त दे दो, तुम्हारी बुर को अच्छी तरह साफ़ करने की”

रोज़ी- “अरे तो अभी तक आप क्या कर रहे थे? मैं तो समझी आप मेरी साफ़ ही कर रहे हैं”

मैं- “अरे, यह भी कोई साफ करना होता है? एक बार वैसे साफ करवा कर देखो फिर तो हर बार मुझे ही याद करोगी”

मैंने फिर से अपनी जीभ की नोक को हिलाकर सेक्सी इशारा किया कि कैसे अपनी जीभ से तेरी चूत को कुरेद-कुरेद कर साफ़ करूँगा।

रोज़ी के चेहरे पर अब ना बुझने वाली मुस्कान सेक्सी मुस्कान लगातार झलक रही थी।

रोज़ी- “अच्छा तो चलिए उसे भी देख लेते हैं”

मैं रोज़ी की साड़ी को नीचे से पकड़ ऊपर उठाने लगा, मेरे दिल की धड़कने लगातार बढ़ रही थी, उसकी साड़ी अभी घुटने के ऊपर ही आई थी कि रोज़ी ने कहा- “ओह! सुनिए सर, सोफे पर चलें यहाँ यह चुभ रहा है”

मैंने तुरंत अपने लण्ड की ओर देखा जो उसकी जांघ से चिपका था। मगर वह मेज से नीचे उतर अपने चूतड़ों को सहला रही थी। ओह, मतलब मेज पर कुछ चुभ रहा था उसका आशय मेरे लण्ड से नहीं था।

मैंने भी हँसते हुए उसके चूतड़ों को सहलाया- “कहाँ जान? मैं तो कुछ ओर समझा?”

वो भी मेरे लण्ड की ओर देखते हुए मुस्कुराती हुई सोफे पर चली गई। सोफ़ा बहुत अच्छी जगह था, यह शीशे वाली दीवार से लगा था। सोफे के पीछे वाला परदा हटते ही शीशे से बाहर वाले कमरे में पूरा स्टाफ काम करते हुए नजर आने लगता था, जिसका मजा में हमेशा नीलू को चोदते हुए लेता था।

रोज़ी बड़े आराम से सोफे पर अधलेटी हो गई, मैं उसके पैरों के पास बैठ गया और धीरे से उसकी साड़ी ऊपर उठाने लगा। रोज़ी ने अपनी आँखे बंद कर ली थीं वो आने वाले सुख का पूरा मजा लेना चाहती थी। इसी का फ़ायदा उठाते हुए मैंने सीसे पर से परदा हटा दिया और सारा स्टाफ मुझे दिखने लगा।

अब ऐसा लग रहा था जैसे में कहीं भीड़भाड़ या पब्लिक प्लेस में हूँ और यह सब मस्ती कर रहा हूँ।

रोज़ी की शर्म अभी भी पूरी तरह नहीं मिटी थी। उसने अपनी टाँगें ढीली नहीं छोड़ी थीं बल्कि कसकर मुझे साड़ी नहीं उठाने दे रही थी।

रोज़ी- “प्लीज, ऐसे ही कर दीजिये न साफ़, मुझे बहुत शर्म आ रही है”

उसके नखरे देख मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैंने रोज़ी को चूमते हुए सोफे पर सही से लिटा दिया, उसकी साड़ी का पल्लू हटाकर उसके चेहरे पर डाल दिया।
रोज़ी- “देखिये सर, मुझे बहुत शर्म आ रही है। केवल एक बार ही, जल्दी से साफ़ कर देना फिर मैं उठ जाऊँगी। एक दो बार से ज्यादा मैं नहीं कराऊंगी, पक्का?”
मैं- “हा हा हा… अरे मैं कौन सा घंटे लगाऊँगा, बस गीलापन साफ़ करूँगा, कसम से हा हा…”

पहले उसकी शर्म को कुछ दूर करना जरूरी था। मैं सोफे के नीचे अपने घुटनों पर बैठ गया। मैंने अपने होंठ रोज़ी की नाभि के ऊपर रख दिए और जीभ से चाटने लगा। अब रोज़ी मचलने लगी।

मैंने एक हाथ उसके घुटनों पर रख उसकी साड़ी को पकड़ लिया, रोज़ी के मचलने से और मेरे प्रयास से उसकी साड़ी ऊपर होने लगी और कुछ ही क्षणों में साड़ी जाँघों तक आ गई।

मैं रोज़ी के पेट को चूमते हुए ही नीचे उसकी चूत की ओर बढ़ने लगा, साथ ही साथ साड़ी, पेटीकोट के साथ ऊपर उसकी कमर तक भी लाने का कार्य जारी था। और जल्दी ही साड़ी कमर तक पहुँच गई। मैं भी घूमकर अब उसकी टांगों के बीच आ गया।

वाह! कितनी चिकनी और सफ़ेद टांगें थी रोज़ी की। बिल्कुल केले के तने जैसी तराशी हुई टांगों को देखकर ही मेरा दिल बाग़-बाग़ हो गया। मैंने उसके पैरों को सहलाते हुए अपना पूरा चेहरा वहाँ रख दिया, उसके पैरों को सहलाते हुए मैं ऊपर को बढ़ने लगा।

रोज़ी बहुत कसमसा रही थी पर जैसे ही मैं उसकी जांघो तक पहुँचा, उसने खुद ही अपनी टांगों के बीच मुझे जगह दे दी।

अब मैंने उसकी दोनों टांगों को घुटने से हल्का सा मोड़ते हुए, उसकी जाँघों के अंदर वाले भाग को चूमते हुए दोनों को इतना फैला दिया कि मेरा सर सरलता से वहाँ घुस गया। अब मैं रोज़ी की चूत के बिल्कुल नजदीक पहुँच गया था। इतनी सब करने के बाद मैंने पहली बार रोज़ी की गुलाबी चूत को देखा।

कसम से मेरे लण्ड ने हल्का सा पानी छोड़ दिया। क्या चूत थी… गुलाबी तो थी ही और इस समय उसके सफ़ेद रस से भरी हुई। उसकी चूत का पानी उसके चूत के छेद और बाहर भी निकल कर चारों ओर फ़ैल गया था, वो चमक रहा था जिससे चूत की ख़ूबसूरती कई गुना बढ़ गई थी।

मैंने अपनी नाक ठीक उसके चूत के छेद पर रख उसकी मदमस्त खुशबू ली। मेरी सांस जैसे ही वहाँ पड़ी रोज़ी ने एक जोर की सिसकारी ली- “अह्ह्ह्हा आआआ आह्ह… आआअ ओह…”

उसकी साड़ी तो शायद पूरी खुल ही गई थी और पेटीकोट के साथ उसके कमर से भी ऊपर उसके पेट पर फैला था। पैरों के तलुए से लेकर पेट तक जहाँ रोज़ी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा बाँधा था, वहाँ तक पूरी नंगी वो मेरे सामने लेटी थी। उसके पैरों में घुँघरू वाली पायल लगातार बज रही थी जो बहुत खूबसूरत लग रही थी।

दोनों पैर थोड़े उठे घुटनों तक मोड़े हुए उसके चूतड़ों की गोलाई, चूतड़ों के बीच सुरमई छेद और गुलाबी दरार, उसके ऊपर गुलाबी गद्देदार, गुदगुदे, हल्के से उभरे हुए पर आपस में चिपके हुए उसकी चूत के होंठ, रोजी की कमर से नीचे के सौन्दर्य को अच्छी तरह दिखा रहे थे।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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Heart 
उसकी चूत को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि यह अभी तक चुदी भी है, उसको देखकर तो लग रहा था जैसे उसमे कभी उंगली तक नहीं गई। मैंने रोज़ी की ख़ूबसूरती अच्छी तरह निहारने के बाद उससे खेलना शुरू कर दिया। मेरी जीभ रोज़ी की चूत पर हर जगह घूमने लगी।

रोज़ी के मुख से अब लगातार सिसकारियाँ निकल रही थी- “आःह्हाआ आआ उफ़्फ़ ओह अह्ह्ह हाह्ह्ह आःह्हाआ नहीईइ इइ आह्हआअ…”

मेरे ऑफिस में एक अलग ही माहौल बन गया था। मैंने उसकी चूत को अब अपने हाथों से हल्का सा खोला, बहुत चिपचिपा हो रहा था, शायद बहुत समय के बाद उसकी चूत को ऐसा सुखद अहसास मिल रहा था या शायद पहली बार। उसकी चूत बहुत ज्यादा पानी छोड़ रही थी, इतना पानी तो मधु की चूत से भी नहीं निकला था।

मुझे उसकी खुशबू बहुत भा रही थी। मेरी जीभ लगातार उसकी चूत के चारों ओर अंदर तक अठखेलियाँ कर रही थी। अब रोज़ी ने अपने चूतड़ों को ऊपर की ओर उछालना भी शुरू कर दिया था, उसको वाकयी बहुत आनन्द आ रहा था, वो मजे के सागर में गोते लगा रही थी।

मैं चूत से लेकर गांड तक सब कुछ चाट रहा था, जो रोज़ी केवल 1-2 बार में साफ़ करने की बात कर रही थी, वो अब सिसकारियों के साथ-साथ चटवाने में सहयोग भी कर रही थी, वो खुद अपनी चूत मेरे मुँह से चिपकाये जा रही थी।

मुझे दस मिनट से भी ज्यादा हो गए थे, मेरे होंठ दर्द करने लगे थे मगर रोज़ी ने एक बार भी मना नहीं किया उसने शायद दो बार अपना पानी भी छोड़ दिया था क्योंकि उसकी चूत पानी से लबालब हो गई थी। मैं उसके सारे पानी को चाट चाट कर फिर से साफ़ कर देता था।

फिर मुझे ही उससे बोलना पड़ा- “क्या हुआ मेरी जान? अभी और साफ़ करूँ?”

इस समय मैं चाहता तो उसको आसानी से चोद सकता था, वो इस कदर गर्म हो गई थी कि बड़े से बड़े लण्ड को भी मना नहीं करती। पर मैं उसको ऐसे नहीं बल्कि उसकी दिली ख्वाहिश से उसे चोदना चाहता था। जब वो खुद पहले से चुदाई के लिए राजी हो तभी मैं चोदना चाहता था।

मैंने उसको वैसे ही छोड़ दिया। वो कुछ देर तक वैसे ही लेटी रही, नीचे से नंगी लेटी वो बहुत सेक्सी लग रही थी।

उसने अपनी साड़ी से चूत तक को नहीं ढका, मतलब वो बहुत कुछ चाहती थी पर खुद नहीं कह पा रही थी। भले ही वो इस समय मुझे गाली दे रही होगी परन्तु जब उसकी खुमारी उतरेगी तो वो मुझसे प्यार करने लगेगी।

मुझे इस बात की पूरी तसल्ली थी। अब मैं उसके उठने और कपड़े सही करने का इन्तजार कर रहा था, मैं देखना चाहता था कि वो ऑफिस के स्टाफ को देख कैसे प्रतिक्रिया करती है।

मैंने दराज से सिगरेट निकाली, जलाई और आराम से पीते हुए उसको देखने लगा।

अपने ऑफिस में मैं अपनी रिवॉल्विंग चेयर पर आराम-मुद्रा में बैठा सिगरेट के कश लगाता हुआ, मस्ती के पलों को जी रहा था।

सामने शीशे पर पड़ा हुआ परदा पूरा हटा हुआ था, सामने जहाँ मेरा स्टाफ पूरी लगन के साथ अपने-अपने काम में लीन था, वहाँ काफी चहल-पहल थी और शीशे के ठीक बराबर में जो सोफ़ा पड़ा था, वहाँ रोज़ी मस्ती में नहाई हुई अपने रस में डूबे अंगों को लिए लेटी हुई थी।

मैं उसके अंगों को बड़े आराम से देख रहा था, जब भी वो हिलती, अपने पैरों को ऊपर नीचे करती या फिर घूम जाती, उसकी जांघों का जोड़ और यौवन से लदे चूतड़ बार-बार मेरे लण्ड को आमंत्रण दे रहे थे।

वाह क्या दिलकश नजारा था…

सिगरेट से कहीं ज्यादा नशा उसके अंगों को देखकर चढ़ रहा था, यह मेरा दिल ही जानता है कि मैंने कैसे खुद को रोका हुआ था अगर कुछ देर और रोज़ी ऐसे ही रहती तो शायद मैं खुद को नहीं रोक पाता।

पर रोज़ी की शर्म फिर से वापस आ गई और वो सोफे से उठकर जल्दी से खुद को व्यवस्थित करने लगी।

उसकी साड़ी तो पहले से ही अस्त-व्यस्त थी तो उसने उठते हुए साड़ी को अपने बदन से हटा ही दिया। वो केवल पेटीकोट और ब्लाउज में बहुत सेक्सी लग रही थी। रोज़ी का पेटीकोट बहुत ही झीने कपड़े का था, कपड़े से उसकी टाँगें और सभी कुछ दिख रहा था। ये सब बहुत ही सेक्सी लग रहा था।

उसने मेरी ओर देखे बिना ही अपने पेटीकोट के नाड़े को सीधा करके बाहर निकाला, शायद उसको अपना पेटीकोट सही करना था।

मैं बिना पलक झपकाये उसको देख रहा था। उसने पेटीकोट के नाड़े को खींच कर खोला, पेटीकोट पहले ही नाभि से काफी नीचे बंधा था, नाड़ा खुलने से वो नाभि के पास से कुछ ओर नीचे खिसक गया।

मुझे उसकी चूत का ऊपरी हिस्सा तक दिख गया था तो मेरे मुख से अह्ह्हाआआ निकल गई। रोज़ी ने पेटीकोट पकड़े पकड़े ही नजर उठाकर मुझे देखा और वो शरमा गई। रोज़ी मुझे देखकर वैसे ही शरमाकर मेरी ओर पीठ कर लेती है, उसके घूमने से अब उसका चेहरा शीशे की ओर हो गया तो पहली बार उसने उस शीशे में से सबको देखा।

दो जने ठीक शीशे के सामने खड़े बात कर रहे थे।

बस यही वो क्षण था… उसने जैसे ही शीशे में से सबको देखा और स्वाभावि ही उसके मुख से एक जोरदार चीख निकली और उसके दोनों हाथ उसके चेहरे पर आँखों को ढकने के लिए उठ गए।

पेटीकोट उसके हाथ से छूट गया, जिसने नीचे जमीन चूमने में एक क्षण भी नहीं लगाया।

अब रोज़ी कमर के नीचे पूरी नंगी थी लेकिन फिर भी उसके नंगे चूतड़ों का दृश्य की मुझे बस जरा सी झलक ही मिली क्योंकि रोज़ी वहाँ से दौड़ कर तुरंत मेरे सीने से लग गई शायद अपनी शर्म को छिपाने का नारी को यही सबसे सुलभ उपाय लगता है।

मैंने हंसते हुए अपनी सिगरेट बुझाई, उसको डस्टबिन में डालने के बाद उसकी पीठ पर हाथ रख उसको खुद से चिपका लिया।

मैं- “क्या हुआ जानेमन?”

उसने कुछ नहीं कहा बस तेज तेज सांस लेते हुए उसने अपने एक हाथ से शीशे की ओर इशारा किया।

मैं खुद कुर्सी से खड़ा हुआ और उसको भी उठाकर खड़ा किया।

वो अभी भी मेरे सीने से चिपकी थी, उसकी पीठ पर रखे, अपने हाथ को सरकाकर मैं उसके चूतड़ों पर ले गया और नंगे चूतड़ों की एक गोलाई को मसलते हुए ही उससे कुछ मस्ती करने के लिए मैंने कहा- “हा हा हा तो क्या जानेमन, पेटीकोट भी निकालकर उनको ये सब क्यों दिखा रही हो?”

मैं उसकी चूतड़ों की दरार में उंगली फिराते हुए उंगली उसकी चूत तक ले गया।

उसने एक जोर की सिसकारी ली- “अह्ह्हाआआ क्या करते हो सर आप? प्लीज वो परदा बंद करो ना और यह आपने ही खोला होगा ना?”

मैं- “अरे घबराओ मत मेरी जान, यह तो बस मनोरंजन ही है। यह ‘वन साइड व्यू ग्लास; है। हम तो बाहर देख सकते हैं मगर उधर से कुछ नहीं दिखेगा”

अब शायद उसको समझ आ गया था क्योंकि उसने भी उधर खड़े होकर कई बार अपने बाल सही किये थे। उधर से किसी को भी खुद का अपना अक्स ही नजर आता है।

यह सब जानने के बाद भी वो मेरे सीने से लगी रही, मेरा हाथ कभी उसके नंगे चूतड़ों के सम्पूर्ण भाग को सहलाता, कभी उसके चूतड़ों की दरार तो कभी उसके गुदाद्वार को कुरेदता, तो कभी मैं चूतड़ों के नीचे उसकी चूत को भी सहला देता। उसने एक बार भी मेरे हाथ को ना तो हटाने की कोई कोशिश की और ना ही हल्का सा भी विरोध किया।

मेरा लण्ड आगे से उसकी नंगी चूत को छू रहा था पर वो अभी भी पैंट के अंदर ही था।

मेरा दिल कह रहा था कि यार! लौंडिया पूरी गर्म है। निकाल लण्ड और डाल दे चूत में।

मगर दिमाग अभी उसको बहुत आराम से चोदने के मूड में था वो कोई भी जल्दबाजी करने की इजाजत नहीं दे रहा था।

मैंने ही रोज़ी को थोड़ा सा अपने से अलग करते हुए कहा- “मेरी जान! उधर सबको देखते हुए आराम से कपड़े पहनो, फिर देखो कितना मजा आता है।हा हा हा ह…”

रोज़ी ने उउह्ह्ह्हूऊउ करते हुए अपने कपड़े उठाये और दूसरी तरफ जाकर अपना पेटीकोट और साड़ी पहनी।

फिर करीब एक घंटे तक तो वो बड़ी ही विचलित सी रही मगर बाद में उसकी समझ में आ गया और उसकी आँखों में एक अलग ही प्यार मुझे अपने लिए नजर आया।

कुछ देर तक तो मैं अपनी थकन उतारता रहा और कुछ ऑफिस का काम किया, 2-3 बार नीलू को भी कॉल किया मगर फिर फ़ोन नहीं लगा। लगता था उसको चार्ज करने का समय नहीं मिला था।

पर पहली बार ऐसा हुआ था कि उसने किसी और के फोन से भी मुझे कॉल करके नहीं बताया था शायद किसी जरुरी कार्य में ही फंस गई थी।

हे भगवान, उसके साथ सब कुछ सही हो…

TO BE CONTINUED .....
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yourock yourock yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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(02-03-2024, 08:08 PM)ghostprotical Wrote: Good one

(02-03-2024, 11:12 PM)saya Wrote: YAH STORY BHI APKI LAJABAB HAI .................

(05-03-2024, 02:06 PM)Jainsantosh Wrote: Superb story. Thanks for a hot story

(06-03-2024, 06:58 AM)saya Wrote: Shandar aur जानदार स्टोरी

(11-03-2024, 10:33 PM)saya Wrote: ek aur bulbul.................

(12-03-2024, 02:53 AM)Dgparmar Wrote: Awesome story 
Keep it up 
Waiting for update

(12-03-2024, 05:54 PM)Dgparmar Wrote: Mind Blowing update 
Keep it up 
Waiting for new updates

(18-03-2024, 09:29 PM)saya Wrote: RANGILI bIbi hi nhi pati bhi hai.............

(31-03-2024, 10:13 PM)saya Wrote: shandar ab aage kya..............

(10-04-2024, 07:41 PM)vishuhrny97 Wrote: mast update.[Image: 70743199_032_ce5a.jpg] keep writing bhai.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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!!!!!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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फिर कुछ फ्री होने के बाद मैंने सलोनी को फोन करने की सोची मगर तभी नलिनी भाभी की कॉल आ गई।

मैं सोच ही रहा था कि वो जरूर मुझसे नाराज होंगी कि मैंने दोबारा उनको कॉल क्यों नहीं किया पर उधर से कोई वैसी आवाज तो नहीं आई, उन्होंने कुछ नहीं कहा।

मैं अभी हेलो कहने ही वाला था कि मुझे लगा जैसे वहाँ कोई बात कर रहा हो, यह तो सरप्राइज़ था मेरे लिए!

अरे, यह नलिनी भाभी तो मेरे ही फ्लैट में थी और सलोनी भी कॉलेज से वापस आ गई थी, वो दोनों आपस में बात कर रही थी, नलिनी भाभी ने शायद यह सोचा होगा कि ये बातें मुझे भी सुना दें, ग्रेट नलिनी भाभी!

नलिनी भाभी के इस कमाल का मैं कायल हो गया थाम उन्होंने सच में कमाल ही कर दिया था जो मजा मुझे इस समय मिल रहा था। इसका सारा श्रेय केवल और केवल नलिनी भाभी को जाता है।

अब बस इतना देखना था कि क्या नलिनी भाभी अपने कमाल से सलोनी से उसके सेक्सी राज निकाल पाएँगी या नहीं। वो दोनों आपस में बात कर रही थी, मैं ध्यान से दोनों की बात सुनने लगा।

नलिनी भाभी- “अरे कुछ तो शर्म कर लिया कर, जब देखो बेशर्मो की तरह नंगी खड़ी हो जाती है?”

सलोनी- “हा हा हा क्या भाभी, आप भी ना… अब आप से क्या शर्माना? मेरे पास ऐसा क्या है जो आपके पास नहीं है”

नलिनी भाभी- “हा हा… वो तो सही है… फिर भी… एक तो तेरे अंकल भी ना… जब देखो तब… एकदम से आ धमकते हैं, उनसे तो शर्म कर लिया कर”

मैं उनकी बात सुन ही रहा था कि रोजी फिर से मेरे केबिन में आ गई। वो कुछ बोलने वाली ही थी कि मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया और फोन स्पीकर पर कर लिया।

थैंक्स गॉड! उसको समझ आ गया, उसने कोई अन्य प्रश्न नहीं किया।

अब वो भी ध्यान से उन बातों को सुनने लगी, उसके माथे पर हल्की शिकन जरूर थी पर अभी उसने कोई प्रश्न पूछना व्यर्थ समझा, यह उसकी समझदारी थी।

सलोनी- “अरे तो उनसे क्या शर्माना भाभी… बेचारे कितनी मदद करते हैं मेरी… हा हा हा… फिर थोड़ा बहुत इनाम तो उनको भी मिलना चाहिए ना”

नलिनी भाभी- “हाँ, तुझे ऐसे नंगी देखने के बाद, पता है मुझे कितना परेशान करते हैं?”

सलोनी- “हाय… सच भाभी… फिर तो आपको मेरा अहसान मानना चाहिए… हा हा हा हा… मेरे कारण आपको कितना मजा आता होगा…”

नलिनी भाभी- हाँ हाँ, मुझे सब पता है… मेरे मजे के चक्कर में तू कितना मजा ले रही है।

सलोनी- ह्हह्हाआ बिल्कुल नहीं भाभी… अंकल को तो मैंने छुआ तक नहीं… हाँ बस उन्होंने ही थोड़ा बहुत… पर मेरे दिल में तो उनके लिए बहुत इज़्ज़त है… मेरे लिए तो वो बिल्कुल पिता समान हैं।

नलिनी भाभी- अरे उनकी छोड़… वो तो तू चाहे कुछ भी कर… वो जो तू कल रात कैसे… बिल्कुल नंगी… उस लड़के के साथ… पूरी कॉलोनी में घूम रही थी… और क्या पूरे शहर में भी ऐसे ही नंगी घूम रही थी? बता ना… क्या क्या किया उस लड़के के साथ… और अंकुर कहाँ था?? तुम रात भर अकेले उस लड़के के साथ… बता न.. क्या क्या हुआ??

सलोनी- हा हा… ओह अरे… थोड़ा रुको तो भाभी… आप तो एकदम से… सवाल पर सवाल… सवाल पर सवाल… हा हा हा… अरे अभी-अभी थककर कॉलेज से आई हूँ… जरा रुको तो !

नलिनी भाभी- हाँ वो तो लग ही रहा है… लगता है बहुत मेहनत की है कॉलेज में तेरी इस डिबिया ने, बड़ी लाल हो रही है.. जैसे खूब पिटाई हुई हो इसकी किसी तातकवर डंडे से… हा हा !

सलोनी- अरे वाह… भाभी ..कह तो आप बिल्कुल ठीक रही हो… हा हा…
मैंने सोचा कि लगता है दोनों खूब मस्ती कर रहे हैं।

नलिनी भाभी- और यह क्या… तू कॉलेज भी कच्छी पहनकर नहीं जाती?

सलोनी- अरे वो मैं कहाँ पहनती हूँ वैसे भी… मुझे आदत ही नहीं है। और हाँ भाभी, अगर कच्छी पहनकर जाउंगी तो फिर मजा कैसे करुँगी?

नलिनी भाभी- तू तो पूरी बेशर्म होती जा रही है।

सलोनी- झूठ भाभी.. मैं तो पहले से ही हूँ… वो तो अब आप बेशर्म होती जा रही हो… हा हा.. बोलो मैं सही कह रही हूँ ना… अच्छा आप बताओ.. आपने मेरे पति का सही से ध्यान रखा था ना… और मधु को क्यों वापस भेज दिया? कहीं कुछ ऐसा वैसा तो नहीं किया ना आपने मेरे भोले भाले पति के साथ… हा हा हा…

नलिनी भाभी- हाँ बस एक तू भोली है और वो तेरा पति भोला है… और बाकी सब ही टेढ़े हैं? मैं ऐसी वैसी बिल्कुल नहीं हूँ… पूछ लेना अपने उस भोले से… हाआंन्नणणन…

सलोनी- अर्रर… आप नाराज क्यों होती हो मेरी प्यारी भाभी… मैं तो ऐसे ही कह रही थी… और अगर दिल हो तो कर भी लेना.. सच, मैं कुछ नहीं कहूँगी… मुझे अच्छा ही लगेगा।

नलिनी भाभी- कितनी बेशर्म होती जा रही है तू?

सलोनी- अरे इसमें बेशर्मी की क्या बात है… अगर मेरे प्यारे पति को और मेरी प्यारी भाभी… दोनों को अच्छा लगे तो मैं तो खुद उनका डंडा आपकी इस मुनिया में डाल दूँ… हा हा…

नलिनी भाभी- चल दूर हट मेरे से… मुझे ये सब पसंद नहीं… तू ही डलवा… अलग अलग डंडे… चल ये सब बातें छोड़.. मुझे वो बता ना?

सलोनी- आए ओये ओये… ये क्या बात हुई… वैसे तो आपको ये सब पसंद नहीं… और ये बता ..वो बता… जब पसंद नहीं तो ये सब क्यों पूछ रही हो… जाओ मैं कुछ नहीं बताती !

मेरा तो दिल धक रह गया, अरे यह क्या कह रही है? ऐसे तो कुछ भी पता नहीं चलेगा।

नलिनी भाभी- अरे मेरी बन्नो… नाराज क्यों होती है?? पसंद नहीं होता तो वैसी ही तेरे पास बैठी रहती… वो तो तू जैसे बात कर रही है, तो मैंने कहा। चल अब ज्यादा नखरे मत कर और जल्दी से बता कि कल रात क्या गुल खिलाये तूने?

सलोनी- अरे वो तो भाभी कल आपके चहेते की ही मर्जी थी… उन्ही के कारण कल मुझे कितने लोगों के सामने नंगी रहना पड़ा…

नलिनी भाभी- क्या मतलब??

सलोनी- अरे बता रही हूँ ना…

और उसने पहले बिल्कुल वही कहानी सुनाई जैसे होटल में क्या-क्या हुआ… और फिर सिक्युरिटी वाले की भी… हाँ उसने एक नई बात बताई… जिसे सुन मैं चोंक गया… अमित ने बताया था कि इंस्पेक्टर ने ज्यादा कुछ नहीं किया था… मगर साले अमित ने झूठ बताया..

सलोनी के अनुसार उस इंस्पेक्टर ने बहुत मजे लिए…

मैं आश्चर्यचकित था कि 15 मिनट में ही उसने सलोनी को इस कदर भोग लिया था।

मेरी समझ में यह भी आ गया था कि केवल मेरे सामने ही वो चुदवाना पसंद नहीं करती है बल्कि मेरे पीछे उसको चुदवाने से कोई परहेज़ नहीं है, उसको लण्ड अपनी चूत या गांड में डलवाने में मजा ही आता है।

उसके अनुसार इंस्पेक्टर ने कुछ देर तक तो उससे अपना लण्ड चुसवाया… फिर उसकी चूचियों को मसला और लण्ड भी चूचियों के बीच रखकर रगड़ा… फिर सलोनी उसके लण्ड को चूत में लेना चाहती थी मगर उसने चूत को उंगली से चोदते हुए मना कर दिया कि उसको और यह भी कहा- …तुम जैसी रंडियों की ढीली ढाली चूत मारने में नहीं बल्कि गांड मारने में मजा आता है।

और इंस्पेक्टर ने सलोनी को जीप में ही घोड़ी बनाकर पीछे उसके गांड में अपना लण्ड डाल दिया।

सलोनी ने यह भी बताया कि उसको बहुत दर्द हुआ… जिस समय अमित उसको बचाने आया उस समय उस इंस्पेक्टर का लण्ड सलोनी की गांड में था… अमित ने खुद इंस्पेक्टर को धक्का देकर उसका लण्ड बाहर निकाला था… फिर अपने रुमाल से सलोनी की गांड को साफ़ करके अपना कोट उसको पहनाया था।

मुझे अमित पर बहुत गुस्सा आया कि साले ने मुझे बताया क्यों नहीं और उस इंस्पेक्टर को क्यों छोड़ दिया… और फिर सलोनी पर भी गुस्सा आया कि उसने मुझे क्यों नहीं बताया?

फिलहाल तो मैं उसकी बातें सुन रहा था…

नलिनी भाभी- चल अच्छा हुआ कि फिर भी बच गई तू… वरना अभी तो वो दूसरा भी था… पता नहीं बीच सड़क पर और क्या-क्या होता…

सलोनी- हाँ भाभी सच… मैं अमित भैया का अहसान कभी नहीं भूल सकती… मुझे बहुत दर्द सहने से बचा लिया था उन्होंने…

नलिनी भाभी- तो उनका अहसान तूने कैसे उतारा… उस बेचारे अंकुर को तो तुमने रात भर सिक्युरिटी स्टेशन भेज दिया… और अकेले यहाँ दोनों… हम्म्म?

सलोनी- अरे नहीं भाभी… उनको तो मैंने ही जल्दी बुलवा लिया था… अगर उस इंस्पेक्टर को केस के चककर में पड़ते तो पता नहीं आज भी हम वहीं होते… और हमारी बदनामी वो अलग।

नलिनी भाभी- फिर भ कुछ तो हुआ होगा बता ना?

TO BE CONTINUED....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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