Thread Rating:
  • 4 Vote(s) - 3.75 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery जिस्म की भूख
Heart 
फरहान ने मुझे किसिंग करते देखा तो उसने भी हनी के होंठों पर होंठ रख दिए और उसको किस करने लगा। मैंने किस करते-करते आपी को बिस्तर पर लेटाया और एक मिनट के लिए होंठ अलग किया और आपी की सलवार को खींच कर उतार दी और अपने लण्ड को आपी की चूत के ऊपर रख कर आपी के ऊपर लेट गया।

अब मैंने दोबारा चूमना चाटना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड आपी की चूत पर दबाव डाल रहा था और आपी पूरे मज़े से मेरे बाल खींच रही थीं। मैं आपी को पूरे दस मिनट तक किस करता रहा।

दस मिनट बाद हमने फरहान और हनी को देखा तो वो दोनों आँखें बंद किए किस कर रहे थे।

मैंने फरहान को आवाज़ दी और साथ ही आपी के बूब्स पर आ गया। फरहान भी मुझे देख कर हनी के बूब्स पर आ गया और उसके निप्पल को मुँह में डाल कर चूसने लगा।

हनी के मुँह से सीत्कार फूट पड़ी- “ओह... अम्मीईईईं... उईई...”

हनी की चूत का खेल शुरू हो गया था। कमरे में हम चारों चुदाई का खेल खेल रहे थे। हनी की मादक आवाजें आने लगीं और उसने अपने दोनों हाथ फरहान के सर पर रखे और अपने बूब्स पर दबाने लगी।

मैंने उनसे नज़रें हटाईं और आपी को देखा तो आपी ने अपने बूब्स की तरफ इशारा किया और चूसने को कहा। मैंने आपी का इशारा समझा और आपी के बूब्स को हाथ में पकड़ कर मुँह में कभी एक निप्पल को चूसता तो कभी दूसरे को चूसता। आपी पूरे मज़े में आ रही थीं और मादक आवाज़ें निकाल रही थीं।

मैं कुछ मिनट आपी के बूब्स चूसता रहा फिर मैंने अपने मुँह उठाया और आपी की चूत पर चला गया। अब मैंने अपना मुँह आपी की टाँगों के अन्दर रख कर आपी की चूत को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।

मेरी ज़ुबान चूत के अन्दर गई तो आपी ने ‘आआहह… आआअहह...’ की तेज आवाज़ निकाली जिससे फरहान और हनी हमारी तरफ देखने लगे।

फरहान ने मुझे देखा तो वो भी उठ कर चूत पर आ गया और हनी को कहने लगा- “अब तुझे मज़ा आएगा”

यह कह कर उसने अपना मुँह हनी की चूत पर रख दिया और ज़ुबान फेरने लगा।

हनी ने अपनी चूत पर ज़ुबान का एहसास महसूस करते ही अपने जिस्म को अकड़ाना शुरू कर दिया और टाँगें सिकोड़ लीं पर फरहान नहीं हटा और वो चूत को चूसता रहा। कुछ देर हनी की चूत को चूसने के बाद फरहान ने अपनी ज़ुबान हनी की चूत के अन्दर की जिससे हनी की चीख निकली- “आआहह…”

तो आपी ने फरहान से कहा- “आराम से करो यार…”

पर फरहान नहीं हटा और ऐसे ही हनी की चूत को चूसता रहा और हनी आहें भरती रही- “आहह आआहह... आअहह…”

इसी के साथ-साथ वो अपने हाथ बिस्तर पर मारती जाती थी। मैंने भी आपी की चूत को दोबारा चूसने शुरू कर दिया और ज़ुबान अन्दर करके आपी की चूत को चोदने लगा।

आपी मज़े से मेरा सर दबाने लगीं- “हमम्म्म... आआहह... सगीर... मेरे सरताज मजा आ गया... आह्ह…”

वो मेरे सर को अपने हाथों से चूत पर दबाने लगीं। मैंने कोई 5 मिनट ऐसे ही चूत को चूसा और फिर अपना मुँह उठा कर आपी से कहा- “आपी मेरे लण्ड को चूसो फिर आपकी चुदाई शुरू करनी है”

आपी उठीं और उन्होंने हनी को भी आवाज़ दी और उससे कहा- “उठ कर जैसे मैं करती हूँ… वैसे करो”

मेरा लण्ड आपी ने हाथ में पकड़ा और अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर मेरे लण्ड पर फेरने लगीं।

आपी ने जैसे ही अपनी ज़ुबान मेरे लण्ड पर लगाई तो मेरे जिस्म में जैसे करेंट दौड़ गया हो। मैंने एक लंबी सांस ली और सर को पीछे को करके लण्ड चुसवाने लगा। तभी हनी ने भी फरहान का लण्ड हाथ में पकड़ा और अपनी ज़ुबान उस पर फेरने लगी। फरहान ने भी ‘आहह...’ की आवाज़ के साथ अपने हाथ हनी के सर पर रख दिए और उसके बालों में हाथ फेरने लगा।

मैं देख कर हैरान था कि हनी ये सब कैसे आसानी से करती जा रही है। शायद ये सब आजकल की लण्ड चूसने वाली ब्लू-फिल्मों का असर था।

आपी ने दो मिनट मेरा लण्ड चूसा और फिर लण्ड को मुँह से बाहर निकाल कर बोलीं- “सगीर अब रहा नहीं जा रहा, अब इसे मेरी चूत के अन्दर पेल दो पूरा”

मैंने कहा- “ठीक है… मेरी जान”

मैंने आपी को बेड पर लेटा दिया, लण्ड को हाथ में पकड़ा।
तो आपी बोलीं- “सगीर पहले फरहान का लण्ड हनी के अन्दर डलवा दो वरना ये खुद उसे बहुत दर्द देगा”

तो मैंने फरहान से कहा- “अपना लण्ड आराम से अन्दर डालो, ज़रा सा भी ज़ोर मत लगाना”

तो उसने कहा- “ओके”

उसने हनी को पीछे की तरफ सीधा लेटाकर अपना लण्ड हाथ में पकड़ा और हनी की टाँगें खोल कर उसकी चूत के सुराख पर रख दिया पर लण्ड को हाथ से नहीं छोड़ा और हाथ से ही अन्दर हल्का सा दबाया।

अभी लण्ड की टोपी भी अन्दर नहीं गई थी कि हनी घबरा गई और कहने लगी- “आपी मुझे दर्द होगा प्लीज़ ना डलवाओ…”

तो मैंने उससे कहा- “कुछ नहीं होगा तुम डरो मत…”

मैंने फरहान से कहा- “थोड़ा और अन्दर करो”

इस दफ़ा फरहान ने हाथ लण्ड पकड़ कर थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो लण्ड की टोपी हनी की चूत में चली गई।

अभी टोपी ही अन्दर गई ही थी कि हनी की चीख निकली- "आ...आ...ह...ह...अम्मी... मर गई... बाहर निकाल दो... प्लीज़.... फट गई... मेरी चूत... हाअ... य... अम्मी..."

"चुप कर, इतना कौन चिल्लाता है, ऐसा लग रहा है कि तेरी चुदाई न होकर तुझे हलाल किया जा रहा है"

पर उसने ना तो अपनी टाँगें हिलाईं और ना ही हाथों से फरहान को पीछे किया। उसने बस रोना चालू कर दिया था तो आपी ने फरहान से कहा- “तुम और अन्दर मत करना, बस यहीं पर रुक कर आगे-पीछे करो”

फरहान ने वहीं आहिस्ता-आहिस्ता लण्ड को आगे-पीछे करना चालू कर दिया पर हनी के मुँह से ‘आहह... आआहह...’ की आवाज़ आ रही थी।

फरहान वहीं आगे-पीछे हो रहा था तभी आपी ने फरहान से कहा- “फरहान अगर आधा करीब अन्दर चला गया हो तो आज के दिन लण्ड इससे ज्यादा अन्दर ना करना। हनी को टाइम दो, आज उसका पहला दिन है। वो घबराई हुई है”

तो फरहान ने कहा- “ठीक है आपी... नहीं करता”

अब आपी ने मुझे हिलाया और बोलीं- “सगीर डालो ना अन्दर”

मैंने अपना लण्ड जो कि मैंने पहले ही हाथ में पकड़ा हुआ था, आपी की चूत के सुराख पर रखा और एक ही तेज़ झटके से आपी की चूत के अन्दर कर दिया। लण्ड आपी की चूत के अन्दर गया तो आपी ने आँखें बंद कर लीं और मेरी कमर को पकड़ कर रोक दिया। मैं भी वहीं रुक गया।

आपी बोलीं- “सगीर! दर्द हो रहा है... शायद लण्ड सूख गया था”

तो मैंने कहा- “आपी, अभी ठीक हो जाएगा”

यह कहते हुए मैंने अपनी कमर को आहिस्ता-आहिस्ता हिलना चालू कर दिया और आराम से आपी की चूत को चोदने लगा।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 1 user Likes KHANSAGEER's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
Ok cool
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
Heart 
आपी के मुँह से ‘आआहह आआअहह… आआहह आअहह...’ की आवाज़ आ रही थी। कुछ मिनट बाद ही आपी ने नीचे से अपनी गाण्ड को हिलाना चालू कर दिया तो मैं समझ गया कि आपी का दर्द कम हो गया है।

अब मैंने तेज़ी से अपने लण्ड को आपी की चूत के अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया।

आपी भी मेरा साथ दे रही थीं और मज़े से ‘ऊऊओह... ऊऊहह...’ की आवाज़ें निकाल रही थीं।

मैं ऐसे ही धक्के मारते हुए आपी के ऊपर झुक कर आपी को किस करने लगा। मैंने आपी को 5 मिनट तक इसी पोज़ में चोदा और 5 मिनट बाद लण्ड बाहर निकाल कर खड़ा हो गया।

मैंने आपी को भी बिस्तर से उठा कर खड़ा कर दिया।

आपी बोलीं- “क्या हुआ है?”

तो मैंने कहा- “आपी आज एक न्यू पोज़ ट्राई करते हैं”

मैंने आपी का मुँह अपने मुँह के सामने किया। आपी की सीधी टांग को ऊपर उठाया और अपनी कमर के साथ रख कर अपने दूसरे हाथ से अपने लण्ड को पकड़ कर आपी की चूत में पेल दिया। आपी की हाइट मेरे जितनी थी इसलिए लण्ड सीधा आपी की चूत में चला गया।

अब मैंने आपी की चूत में धक्के मारने चालू कर दिए। मैंने ऐसे खड़े-खड़े ही आपी को कुछ मिनट तक चोदा तभी आपी ने मुझसे कहा- “सगीर मैं छूटने वाली हूँ रुकना मत”

अब आपी की आवाज़ में तेज़ी आ गई- “उफफ्फ़ सगीर... मैं गई... ऊऊहह...”

इसी के साथ ही आपी ने पानी छोड़ दिया।

मैं भी अपनी मंज़िल के नज़दीक था। मैंने दो झटके और मारे और आपी की चूत में धारें मारने लगा।

हम दोनों ऐसे ही खड़े थे तभी अचानक फरहान की आवाज़ आई ‘आआअहह...’
उसके लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया था। सारा पानी हनी की चूत में छोड़ दिया था जो कि थोड़ा-थोड़ा करके बाहर आ गया और बिस्तर पर गिर गया।

हम चारों बिस्तर पर लेट गए और बातें करने लगे।

आपी ने हनी से पूछा तो उसने कहा- “बहुत दर्द हो रहा है… इस फरहान के बच्चे ने मेरी चूत पूरी फाड़ कर रख दी आपी... बू...हू...हू..." -और यह कह कर उसने रोना शुरू कर दिया।

किसी तरह आपी ने उसे समझा बुझा कर शांत किया। इसी तरह बातें करते करते हम सो गए।

जब सुबह आँख खुली तो टाइम साढ़े 6 के करीब हो रहा था। हम सब ऐसे ही कपड़ों के बिना लेटे हुए थे। मैंने सब को उठाया और कपड़े पहनने को कहा। मैंने खुद भी मुँह हाथ धोकर कपड़े पहने और आपी को नीचे आने का कह कर मैं भी नीचे चला गया।

मैं टीवी लाउन्ज में पहुँचा तो अम्मी नाश्ता बना रही थीं और अब्बू टीवी देख रहे थे। वो दोनों नाश्ते के फ़ौरन बाद निकलने के लिए तैयार थे। मुझे बैठे हुए अभी 5 मिनट ही हुए थे कि आपी भी नीचे आ गईं और सीधा किचन में चली गईं।

अब्बू ने मुझसे कहा- “जाओ उन दोनों को भी उठा कर लाओ, उनके स्कूल का टाइम हो रहा है”

मैंने फरहान को आवाज़ दी कि उठ जाओ तो उसने कहा- “हम तैयार हो कर आ रहे हैं”

मैं दोबारा वहीं सोफे पर बैठ गया। आपी ने नाश्ता लगाना चालू किया।

अब्बू ने आपी से कहा- “तुम आज यूनिवर्सिटी मत जाना, घर को खाली नहीं छोड़ना और सगीर तुम याद से कॉलेज से दुकान पर चले जाना”

तो मैंने कहा- “जी अब्बू…”

मैं नाश्ता करने लगा। सबने नाश्ता किया और फरहान और हनी तैयार हो कर बाहर निकल गए। मैंने सोचा कि पीछे से आपी अकेली होंगी तो कॉलेज जा कर क्या करना है।

मैं नाश्ता करके उठा और आपी के पीछे किचन में गया और आपी के पास खड़े हो कर कहा- “आपी अम्मी-अब्बू के जाते ही मैं वापिस आ जाऊँगा”

आपी ने कहा- “सगीर ध्यान से, अब्बू को शक न हो”

मैंने कहा- “आप फ़िक्र मत करो, मैं बाइक साथ ले जा रहा हूँ”

यह कह कर मैं घर से निकल गया और सीधा पास ही एक मेडिकल स्टोर पर चला गया। वहाँ से आई-पिल और टाइमिंग वाली गोलियाँ लीं और उस आदमी के साथ ही खड़े होकर बातें करने लगा। कोई 15 मिनट गुज़रने के बाद मैंने सोचा कि अब घर चलना चाहिए क्योंकि अम्मी-अब्बू निकलने के लिए बस रेडी ही थे। अब तक चले गए होंगे।

मैं वहाँ से निकला और सीधा घर चला गया। मैंने दरवाज़ा खोला और अन्दर दाखिल हो कर देखा और चैन की सांस ली कि गाड़ी नहीं थी मतलब अब्बू चले गए हुए थे।

मैं सीधा टीवी लाउन्ज में गया तो वहाँ कोई नहीं था। आपी किचन में काम कर रही थीं। मैंने आपी को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया जिससे आपी एकदम चौंक गईं और मुझे डाँटने लगीं- “शर्म करो तुमने तो मुझे डरा ही दिया है”

मैंने कहा- “आपी छोड़ो ना ये काम बाद में करना, चलो ना पहले कुछ और करते हैं। आज तो घर भी कोई नहीं है। आज सारा दिन मेरे साथ गुजारो ना!”

तो आपी बोलीं- “सगीर बस दस मिनट और तुम बाहर बैठो मैं ये काम ख़त्म करके आती हूँ वरना सारा दिन पड़ा रहेगा”

मैंने कहा- “ओके, पर मैं बाहर नहीं जा रहा हूँ यहीं आपके पास खड़ा रहता हूँ”

आपी ने कहा- “तुम खड़े ना रहो, रात को दूध नहीं पिया था हमने खुद भी पियो और मुझे भी पिलाओ”

मैंने कहा- “ओके” और दूध फ्रिज से निकाला और आपी से पूछा- “आपी आप कितना पियोगी?”

आपी बोलीं- “जितना तुम चाहो उतना”

तो मैंने कहा- “और जैसे मैं चाहूँ वैसे ही पीना पड़ेगा”

आपी बोलीं- “ठीक है मैं वैसे ही पियूंगी जैसे तुम चाहोगे”

मैंने दूध जग में डाला और आधा जग भर लिया चीनी डाल कर मिक्स करने लगा।

मैंने मिक्स करते हुए आपी से कहा- “आपी अभी तो मुझे आपका दूध भी पीना है, आज बहुत दिल कर रहा है”

तो आपी बोलीं- “शरम करो, बहन हूँ मैं तुम्हारी”

और ये कह कर वे हँसने लगीं।

मैंने कहा- “आपी आप बहन के बाद मेरा प्यार भी तो हो ना और मेरी सेक्स पार्ट्नर भी हो तो इसलिए मुझे हक है”

हम दोनों हँसने लगे।

दूध में मैंने चीनी घोली और आपी से कहा- “आपी आप रेडी हो?”

तो आपी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

मैंने कहा- “ओके, फिर लो अपने होंठ लाओ इधर”

जग से मैंने एक घूँट अपने मुँह में भरा और आपी की तरफ अपना मुँह किया तो आपी ने भी अपना मुँह मेरी तरफ किया। मैंने अपने होंठ आपी के होंठों से ज़ोड़ कर खोल दिए और दूध आपी के मुँह में डालने लगा।

पूरा घूँट मैंने आपी के मुँह में डाल दिया और आपी के होंठों को चूसने लगा। आपी ने भी मेरे होंठों को चूसना चालू कर दिया जिससे आपी के मुँह में बचे हुए दूध की धार बाहर आपी के होंठों से होती हुई आपी के बूब्स के अन्दर जाने लगी। आपी के गर्दन गीली हो गई।

कुछ सेकेंड किस करके आपी बोलीं- “सगीर तुम पागल कर दोगे मुझे”

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 2 users Like KHANSAGEER's post
Like Reply
Heart 
तो मैंने कहा- “यही तो मैं चाहता हूँ कि आप मेरे लिए पागल हो जाओ और फिर मेरे साथ हर वक्त सेक्स करो”

यह कह कर मैं दोबारा घूँट भरने लगा तो आपी ने कहा- “रूको…”

अब आपी क्या करने वाली थीं मुझे देखना था। उन्होंने मेरे हाथ से जग पकड़ कर एक घूँट भरा और जग साइड पर रख के अपनी बांहें मेरी गर्दन के गिर्द लपेट कर अपने होंठ मेरे होंठों से ज़ोड़ दिए और सारा दूध मेरे मुँह में डाल दिया।

अब वो मुझे किस करने और मेरे होंठों को चाटने लगीं। कुछ देर किस करने के बाद आपी ने अपने होंठ अलग किए और दोबारा काम में लग गईं और मुझसे कहा- “अब खुद पियो, मैं जल्दी से काम खत्म कर लूँ”

जग को उठाया और मैंने मुँह से लगा कर आधा दूध पी गया और बाकी का बचा के आपी को कहा- “ये आपका”

मैंने जग आपी के आगे किया।

तो आपी ने कहा- “मेरा दिल नहीं कर रहा, बस इतना ही पीना था”

मैंने आपी से कहा- “कुछ नहीं होता... पियो”

मैंने जग आपी के मुँह से लगा दिया और सारा दूध आपी को पिला कर जग नीचे किया तो आपी ने लंबी सांस ली और मुझे गुस्से से देखने लगीं।

आपी से मैंने कहा- “आपी आप दूध नहीं पियोगी तो कमज़ोर हो जाओगी”

आपी के मुँह में अभी भी एक घूँट दूध बाकी था आपी ने बिना कुछ बोले ही अपने होंठ मेरे होंठ पर रख कर दूध मेरे मुँह में डाल दिया और अपने होंठ अलग करके बोलीं- “अच्छा बाबा, ठीक है लो पी लिया ना। अब बस मुझे दस मिनट दो, मैं काम खत्म कर लूँ”

मैंने कहा- “ओके…”

मैं वहीं आपी के पास रुक गया।

आपी ने किचन की चीजें संभालीं और कुछ बर्तन धो कर मुझसे बोलीं- “चलो बाहर चल कर बैठते हैं”

मेरा हाथ पकड़ कर वे मुझे बाहर टीवी लाउन्ज में ले आईं और हम दोनों सोफे पर बैठ गए।

आपी ने मुझसे कहा- “सगीर, तुम कॉलेज भी जाया करो, ऐसे तुम्हारी स्टडी खराब होगी”

तो मैंने कहा- “आपी आप छोड़ो ना स्टडी को, कोई और बात करो। चलो ना, कुछ करते हैं”

मैंने आपी को सर से पकड़ा और आपी को किस करने लगा। आपी भी मुझे किस का रेस्पॉन्स देने लगीं। किस करते-करते मैंने आपी का सर से अपना हाथ से उठाया और आपी की कमर को पकड़ कर आपी को पीछे की तरफ लेटाता हुआ आपी के ऊपर लेट गया पर किस करना नहीं छोड़ा।

आपी भी पूरे मज़े से मुझे किस कर रही थीं और अपने हाथों से मेरे सर पर दबाव डाल रही थीं। वे मेरे होंठों को अपने होंठों पर इस तरह दबाव डाल रही थीं जैसे मेरे होंठ ही खा जाएंगी। मैं भी आपी के ऊपर लेट कर आपी को किस करता रहा। हम ऐसे ही करीब दस मिनट तक मगन हो कर किस करते रहे।

इसके बाद आपी ने अपने होंठ मेरे होंठों से अलग किए तो आपी के होंठों से हल्का-हल्का खून निकलने लगा।

मैंने अपना हाथ आपी के होंठ पर लगाया तो मेरी उंगली पर खून लग गया।

मैं जल्दी से आपी के ऊपर से उठा और आपी को उठाया और पूछा- “आपी आपके होंठों से ब्लड निकल रहा है, लगता है आपको मेरे दांत लग गए हैं”

आपी ने मुझे कुछ कहे बिना ही दोबारा किस चालू कर दी और मेरे होंठों को चूसने लगीं। मैंने आपी के सर को पकड़ कर पीछे किया और बोला- “आपी पागल मत बनो, ब्लड निकल रहा है। रूको मैं पानी ले कर आता हूँ”

मैं उठने लगा तो आपी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोक कर बोलीं- “सगीर तुमने खुद तो कहा था कि मैं आपको अपने प्यार में पागल कर देना चाहता हूँ, लो मैं हो गई हूँ तुम्हारे लिए सगीर… तुमने कुछ और माँगा होता तो मैं आज तुम्हारे लिए वो भी कर जाती”

मैं आपी की बात सुन कर मैं वहीं बैठ गया और आपी के माथे पर किस की।

आपी से बोला- “आपी प्लीज़, ऐसे अपने आपको तकलीफ़ ना दिया करो प्लीज़, ये ठीक नहीं है। आप रूको एक मिनट!”

और मैं किचन से ग्लास में पानी लेकर आया और साथ एक खाली बर्तन लेकर आया। मैं आपी के पास बैठ गया और आपी से कहा- “लो कुल्ली करो और मुझे ज़ख़्म दिखाओ”

आपी बोलीं- “पहले किस करो मुझे”

तो मैंने कहा- “आपी ज़िद ना करो आप, पहले ज़ख़्म दिखाओ मुझे फिर मैं किस करूँगा”

मैंने ग्लास आपी के होंठों के आगे किया तो आपी ने घूँट भरा और कुल्ली की और पानी खाली बर्तन में फेंका।

मैंने आपी से कहा- “अब मुँह खोलो”

मैं ग्लास और बर्तन नीचे रख कर आपी का मुँह देखने लगा। आपी के ऊपर वाले होंठ पर किस करते वक्त एक कट लग गया था और उसमें से खून निकल रहा था।

मैंने आपी से कहा- “आपी आपके होंठ को कट लग गया है आप लेटो मैं कमरे में से जैल लेकर आता हूँ”

मैंने आपी को सोफे पर लेटा कर कमरे में से जैल लेकर आया और आपी के होंठ के अन्दर वाली साइड पर लगाई। मैं आपी के पास बैठ गया और आपी से कहा- “आपी प्लीज़ आप आगे से ऐसे ना करना, ये ठीक नहीं है। देखो मुँह में ज़ख़्म बन गया है”

आपी बोलीं- “सगीर बस चुप करो अब और तुम टाइम क्यों ज़ाया कर रहे हो, चलो ना काम शुरू करते हैं”

मैंने आपी से कहा- “नहीं आपकी तबियत ठीक हो जाए, फिर करेंगे”

तो आपी ने कहा- “तुम मेरी बात नहीं मान रहे हो, मैं रोऊँगी फिर”

मैंने कहा- “अच्छा ओके बाबा पर अब नो किस ओके”

आपी ने कहा- “अच्छा किस न करो पर चुदाई तो करो ना और सुनो अभी तुम एक टेबलेट खा लो। देर तक करने का मूड है”

तो मैंने जो टेबलेट साथ लाया था वो निकाली और एक टाइमिंग वाली गोली खुद खा ली और आई-पिल आपी को खिला दी। मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैं अंडरवियर पहने हुए ही आपी के ऊपर आ गया और आपी की सलवार खींच कर नीचे को उतार कर सोफे पर फेंक दी। फिर आपी को हल्का सा ऊपर उठा कर उनकी कमीज़ भी उतार दी।

आपी बस ब्रा में थीं। आपी ने नीचे पैन्टी भी नहीं पहनी हुई थी। मैंने आपी की टाँगों को खोला और अपने मुँह को चूत पर रख कर ज़ुबान फेरने लगा। मेरी ज़ुबान आपी की चूत के साथ लगी ही थी कि आपी ने सिसकारी भरी।

‘ऊऊऊहह ऊओह...’ और अपनी चूत को हल्का सा ऊपर उठा दिया जो कि मेरे मुँह में चली गई।

मैंने आपी की चूत को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। आपी नीचे से अपनी गाण्ड को उठा-उठा कर चूत चुसवा रही थीं और साथ ही ‘आआहह... आआहह…सगीर...ज़ुबान और अन्दर करो...ऊऊ ऊओह...’ की आवाज़ निकाल रही थीं और चूत को मेरी जीभ से चुदवाए जा रही थीं।

मैंने आपी की चूत को चूसते हुए अपने हाथ से आपी की ब्रा नीचे की और अपने हाथ से आपी के चूचों को मसलने लगा। मैं अपनी ज़ुबान को आपी की चूत में तेज रफ्तार से अन्दर-बाहर करने लगा, अब आपी पूरी मस्ती से गाण्ड को हिला रही थीं।

कुछ ही देर में मैंने आपी की चूत को चोदा होगा कि आपी ने मेरे सर को अपने हाथ से दबाना चालू कर दिया और कहने लगीं- “सगीर, मैं छूटने वाली हूँ आहह…”

मैंने आपी की बात सुन कर और तेज़ी से ज़ुबान को हिलाना चालू कर दिया और कोई दो मिनट ही और किया होगा कि आपी का जिस्म अकड़ने लगा और आपी ने एक लंबी आह भरी ‘ऊऊऊऊऊहह... मैं गईईई...’

इसी के साथ आपी ने अपनी कमर को ऊपर उठा दिया। उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

आहिस्ता-आहिस्ता आपी का जिस्म ढीला हो गया और आपी ने वापिस अपनी कमर को नीचे सोफे पर गिरा दिया।

मैंने आपी की चूत से मुँह उठाया और आपी से कहा- “आपी कैसा रहा?”

आपी कुछ ना बोलीं और बस आँखों से इशारा कर दिया।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 1 user Likes KHANSAGEER's post
Like Reply























!!!!!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Heart 
मैंने आपी से कहा कि आप लण्ड नहीं चूसोगी। मैं तेल लेकर आता हूँ और तेल लगा कर अन्दर डालूंगा तो मजा आएगा।

आपी ने कहा- “नहीं, ऐसे ही अन्दर डाल दो। कुछ नहीं होगा”

मैंने आपी को उठाया और आपी को पास ही रखी डाइनिंग टेबल पर लेटा दिया और खुद खड़ा हो गया। अब आपी की चूत बिल्कुल मेरे लण्ड के सामने थी।

मैंने आपी की तरफ देखा और लण्ड आपी की चूत के करीब लाकर आपी की चूत के ऊपर रगड़ने लगा। अब मैं अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा।

ऐसे करने से आपी गरम होती जा रही थीं और वो मुझसे कहने लगीं- “सगीर डालो ना अन्दर”

तो मैंने अपने लण्ड को पकड़ कर सुराख पर रखा और हल्का सा अन्दर को पुश किया तो लण्ड की टोपी आपी की चूत में चली गई और आपी एकदम झटके से ऊपर को उठीं और फिर नीचे लेट गईं।

उन्होंने मुझे रुकने का इशारा किया तो मैं वहीं रुक गया। आपी को दर्द हो रहा था, मेरा लण्ड बिल्कुल खुश्क था इसलिए में कोई दो मिनट ऐसे ही रुका रहा।
आपी ने मुझसे कहा- “आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर करो, एकदम मत करो”

मैंने लण्ड पीछे को खींचा और फिर अन्दर किया और वहीं आहिस्ता-आहिस्ता धक्के लगाने लगा।

आपी को दर्द हो रहा था पर आपी बर्दाश्त कर रही थीं। आपी ने अपने दोनों हाथों से टेबल को साइड्स से पकड़ा हुआ था। मैं दस मिनट तक ऐसे ही आपी को चोदता रहा और आपी अपनी आवाज़ दबाए चुदवाती रहीं।

दस मिनट बाद आपी ने मुझसे कहा- “सगीर अब काम ठीक है अब तेज़-तेज़ करो”

मैंने आपी की एक टांग को अपने हाथ से ऊपर उठाया और तेज़-तेज़ धक्के लगाने लगा। आपी को भी मज़ा आ रहा था और आपी मज़े से ‘ऊऊऊहह... उफफफ्फ़... सगीर... आआहह...’ कर रही थीं।

आपी की आवाज़ें मुझे मस्त कर रही थीं और मैं फुल जोश से आपी को चोद रहा था। साथ ही मैं अपने लण्ड की लज्जत को फील कर रहा था। कुछ मिनट ऐसे ही आपी को चोदने के बाद मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और आपी को उठने का इशारा किया।

मैंने आपी से कहा- “अब आप घोड़ी बन जाओ”

आपी नीचे कालीन पर घुटनों के बल बैठ गईं और घोड़ी बन गईं, मैंने आपी के पीछे बैठ कर अपना लण्ड आपी की चूत में डाल दिया और ज़ोर-जोर से धक्के लगाने लगा। आपी पूरे मज़े में थीं और अपनी गाण्ड को आगे-पीछे हिला-हिला कर चुदवा रही थीं और साथ ही ‘ऊऊओह... सगीर... आह्ह...’ की आवाज़ें निकाल रही थीं।

मैंने आपी की चूत को चोदते हुए अपनी उंगली आपी की गांड के ऊपर फेरी तो आपी ने मुड़ कर मुस्करा के मेरी तरफ देखा और अपनी गाण्ड को हिला-हिला कर चुदवाने लगीं। मैंने अपनी उंगली आपी की गांड के सुराख पर आराम-आराम से फेरनी चालू कर दी। 

आपी के दोनों चूतड़ फैला कर मैं उनकी गाँड़ के छेद को सहलाता हुआ भकाभक चोद रहा था। उनके इस कुंवारे छेद को देख कर मेरा लॅंड और जोश में आ गया था। गोरे गोरे चूतड़ की दरार के बीच छोटा सा गुलाबी झुर्रियों वाला छेद इतना खूबसूरत लग रहा था कि मैने उस छेद में अपना लॅंड पेलने की मन ही मन गाँठ बाँध ली। मैने ठान लिया कि इस छेद की सील तो अब मैं ही खोलूँगा।

अचानक आपी तेज़ सिसकारी के साथ चिल्लाई, "आह... सग़ीर... बहनचोद... और ज़ोर से चोद... मेरा... होने... वाला है"

मैं पूरी ताक़त से चोदते हुए चिल्लाया, "ले... बहन की लौंडी ले... ले जा पूरा जड़ तक लॅंड अपनी चूत में..."

आपी हैरत से मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगीं.

मैं थोड़ा झेंपते हुए बोला, "सॉरी आपी! पर चुदाई के वक़्त कोई इबादत तो नहीं करता, ऐसे में जितनी गंदी बातें और ग़ाली-गलौच की जाए उतना ही मज़ा आता है"

आपी उसी तरह बदस्तूर मुस्कुराते हुए बोलीं, "अच्छा मादरचोद... तो... फिर... कस के ठोकर मार ना बहन के लॅंड..."

तो मैंने कहा- “आपी बस मेरा काम भी होने वाला है”

आपी बोलीं- “फिर एक दफ़ा ज़रा फुल ज़ोर से धक्के मारो”

मैंने आपी की बात सुनी और पूरे ज़ोर से धक्के मारने लगा। कोई चार-पांच धक्कों के बाद ही आपी का जिस्म अकड़ा और आपी की सिसकारी निकली- “उफफ्फ़ सगीर… मैं गई...”

इसी के साथ ही आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया।

अभी आपी की चूत से पानी निकल ही रहा था कि मैंने आपी से कहा- “आपी बहुत दिन हो गए हैं। आप ने मेरा पानी नहीं पिया, एक दफ़ा आज हो जाए”

आपी बोलीं- “हाँ सगीर… आज पिला दो”

मैंने दो धक्के और मारे और लण्ड निकाल कर आपी को सीधा बैठा कर उनके मुँह के सामने कर दिया। तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी मारी जो सीधी आपी के मुँह में गई और आपी ने मुँह बंद कर लिया और मेरा माल पी गईं।

दूसरी धार आपी के मुँह पर गिरी और इसी तरह मेरा सारा पानी आपी के मुँह पर और मुँह के अन्दर गिरा और कुछ आपी के मम्मों पर भी गिरा जो कि आपी ने सारा इकठ्ठा करके पी लिया।

आपी और मैं सेक्स करने के बाद नंगे ही टीवी लाउंज में बैठ कर बात करने लगे और एक दूसरे के बदन को हाथ सहलाने लगे.

आपी ने कहा- “यार सगीर, अब ये तीन दिन हमारी जिंदगी के सबसे हसीन पल बनने जा रहे हैं। इन तीन दिनों में तुम मुझे खूब चोदना, सुबह शाम चुदाई ही होनी चाहिए बस चुदाई!”

मैंने आपी से कहा- “आपी, जैसा आप चाहोगी वैसा ही होगा। अब तो हनी भी हमारे साथ हो गई है”

आपी ने कहा- “लेकिन सगीर, तुम हनी की चुदाई आराम से करना। अभी उसे इस सबकी आदत नहीं है। वैसे कल हनी और फरहान ने एक दूसरे के साथ खूब मजे किए”

मैंने कहा- “आपी, कल रात में तो हमने भी खूब मजे किए और आज सुबह भी, कहो तो अभी पेल दूँ!”

हम दोनों अभी यही सब बात कर ही रहे थे कि इतने में फरहान और हनी स्कूल से वापस आ गए। जैसे ही उन दोनों हमको नंगा देखा तो वे दोनों चौंक गए। हनी तो एकदम से घबरा कर अपने कमरे में चली गई लेकिन फरहान वहीं खड़ा रहा और आपी को नंगी देख कर अपने आपको रोक नहीं सका। वह जल्दी से अपने कपड़े उतार कर आपी के पास आ गया और उनके मम्मों पर टूट पड़ा.

उसने आपी के एक दूध को मुँह में भर लिया और निप्पल को होंठों से दबा कर चूसने लगा। उसने दूध चूसने के साथ ही अपने एक हाथ से मेरे लंड को भी पकड़ लिया। मैं अभी कुछ समझ पाता कि वह मेरे लंड की मुठ मारने लगा।

कुछ ही पलों में वह बहुत जोर जोर से आपी के मम्मों को चूसने लगा। आपी भी बड़े प्यार से अपने मम्मे चुसवा रही थीं और वे फरहान के बालों को प्यार से सहलाने भी लगी थीं।

तभी आपी ने मेरा चेहरा अपनी तरफ करके मुझसे कहा- “चल भाई, हम दोनों भी किस करते हैं”

यह कह कर आपी ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे होंठों को चूसना चालू कर दिया। आपी ने कुछ पांच मिनट तक होंठ चूसे और अपनी जीभ मेरे मुँह डाल दी। मैंने भी आपी की जीभ को चूसना चालू कर दिया।

तभी फरहान आपी के एक मम्मे को अपने दांतों से काटने लगा। फरहान के काटने से आपी को दर्द हुआ और वे मुझे किस करने से रोक कर फरहान से अपना दूध छुड़वाने लगीं।

आपी ने अपने मम्मे को फरहान की पकड़ से मुक्त करवाया और उस पर चिल्लाती हुई बोलीं- “तुझसे आराम से नहीं होता क्या? मुझे तेरे काटने से कितना दर्द हो रहा है, तू समझता ही नहीं है। इसी लिए मैं तेरे साथ ज्यादा सेक्स नहीं करती हूं। सेक्स करते टाइम तू पूरा जंगली हो जाता है”

आपी के डांटने से फरहान उदास हो गया और उसने आपी के मम्मों को चूसना छोड़ दिया। फरहान का उदास चेहरा देखकर मैंने आपी को समझाया कि यह अब आराम से करेगा।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 1 user Likes KHANSAGEER's post
Like Reply
Heart 
फिर मैंने फरहान से कहा- “आपी के प्यारे प्यारे मम्मों को आराम से चूसना। आपी के इन दोनों मम्मों पर हम दोनों भाई का ही तो हक है!”

आपी ने मुझे रोकते हुए कहा- “मेरे बूब्स क्या! मेरी चूत, मेरी गांड, मेरे पूरे बदन पर मेरे दोनों प्यारे प्यारे छोटे भाइयों का ही हक है। तुम दोनों को मेरे साथ जो भी करना हो, वह करो लेकिन आराम से!”

आपी ने फरहान को गले लगा कर कहा- “चल, अब आराम से चूस मेरी चूचियों को और मेरी चूत में खुजली भी होने लगी है इसमें में भी उंगली कर!”

आपी के इतने कहते ही फरहान के चेहरे पर मुस्कान आ गई और फरहान मेरे लंड को छोड़ कर आपी की चूत में उंगली करने लगा। अब आपी ने मेरा लंड को अपने हाथों से पकड़ा और मेरी मुट्ठी मारने लगीं।

उन्होंने जोर जोर से सिसकारियां ले हुए मुझसे कहा- “सगीर … मेरे सोहने भाई मुझे किस कर!”

मैं आपी को किस करने लगा। दस मिनट तक हम तीनों भाई बहन ऐसे ही लगे रहे। अचानक से मुझे हनी का ख्याल आया। मैंने आपी को किस करना रोक दिया और आपी का हाथ अपने लंड से हटा लिया।

मैं सोफे से उठकर वहां से जाने लगा तो आपी ने मेरा हाथ पकड़ते हुए पूछा- “क्या हुआ सगीर … कहां जा रहा है?”

मैंने आपी से कहा- “आपी जान, मैं हनी को लेने उसके कमरे में जा रहा हूं”

आपी ने मुझसे कहा- “ठीक है सगीर लेकिन हनी की मर्जी हो, तभी उसे यहां लेकर आना”

मैंने कहा- “ठीक है आपी”

मैं हनी को बुलाने चला गया।

आपी ने फरहान से कहा- “चल फरहान, अब खड़ा हो जा… और मेरी चूत में अपना लंड डाल दे”

फरहान उठा और उसने पोजीशन बना कर आपी की चूत में अपना लंड डाल दिया।

वह पूरे दम से आपी की चूत मारने लगा और आपी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां निकालने लगीं- “ओह आह हहहा आआह ईई … और जोर से फरहानन … आह और जोर से”

इधर मैंने हनी के कमरे में जाकर देखा कि हनी अपनी आंखें बंद करके आपी की चुदाई की सिसकारियां सुन कर अपनी चूत में उंगली कर रही थी।

मैं उसके पास गया और उसकी चूत पर हाथ रख कर मैंने उससे कहा- “हनी … चल मेरी प्यारी छोटी बहना… बड़ी बहन के साथ तेरी भी चूत की खुजली मिटा देते हैं। तू यह सब बाहर ही कर लेना और देखना कि फरहान के लंड से आपी कितने मजे ले रही हैं, चल बाहर!”

हनी ना नुकरर करने लगी।

मेरे थोड़ा समझाने के बाद वह मान गई और मुझसे कहने लगी- “मेरी एक शर्त है कि भाईजान आप मुझे अपनी बांहों में उठा कर ही बाहर ले चलें”

मैं सोचने लगा कि हनी तो बड़ी जल्दी खुल गई जबकि आपी को मेरे साथ खुलने में बहुत समय लगा था।

मुझे सोचते देख कर हनी ने कहा- “क्या हुआ भाईजान?”

मैंने सोचना छोड़ा और हनी को गोदी में उठा कर बाहर ले आया। बाहर पड़े दीवान पर उसे लिटा दिया। हनी अपनी चड्डी और लेगिंग पहले से ही घुटनों तक किए अपनी चूत सहला रही थी, जिन्हें मैने टाँगों से खींचकर अलग कर दिया फिर उसे हाथ पकड़ कर उसकी कुर्ती भी निकाल दी. कुर्ती उतरते ही उसने अपनी ब्रा खुद ही उतार कर फेंक दी और पूरी नंगी होकर मस्त अंगड़ाई लेकर मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी।

वो कमरे में बहुत देर से अपनी चूत सहला रही थी जिससे उसकी फुद्दी पहले से फड़फड़ा रही थी ऊपर से मुझे आपी का भी डर था कि पता नहीं वो कब फरहान को इधर भेज कर मुझे अपनी चूत चोदने को बुला लें इसलिए मैं बिना वक़्त बर्बाद किए फटाफट अपने कपड़े उतार कर हनी को चोदने के लिए नंगा हो गया.

फरहान आपी की चूत मार रहा था और वह काफी तेज गति से झटका दे रहा था। उसके नीचे आपी अपनी आंख बंद करके जोर जोर से कराह रही थीं और चीख रही थीं- “आहहहह उउ ईई फरहान … रगड़ दे मुझे आह!”

मैं आपी और फरहान को चुदाई करते देख हनी की चूत में उंगली करने लगा। मुझे मालूम था कि मेरा लॅंड फरहान से लंबाई और मोटाई में सवाया था जिससे हनी को चुदने में तक़लीफ़ होने वाली थी जिसका उसे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था। मैं धीरे धीरे हनी की चूत में उंगली को आगे पीछे करने लगा। उसकी चुत पहले से ही गीली थी पर अभी बहुत कसी हुई थी.

थोड़ी देर बाद मैं जोर जोर से उंगली करने लगा उससे हनी जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी। हनी की कामुक सिसकारियां सुनकर आपी ने अपनी आंख खोलकर हनी की तरफ देखा।

आपी ने कहा- “आ गई तू?”

फिर उन्होंने फरहान से कहा- “फरहान, मुझे छोड़ और हनी की चूत में अपना लंड घुसा दे”

आपी ने मेरी तरफ इशारा करके कहा- “सगीर, तुम मेरे पास आ जाओ और मेरी चूत रगड़ो”

मैंने आपी से कहा- “लेकिन आपी, मैं तो हनी की चूत मारना चाहता हूं, मैंने अब तक हनी की चूत नहीं मारी है। आपकी तो सुबह ही मारी थी!”

आपी ने मेरी इच्छा समझते हुए कहा- “चल ठीक है… फरहान तुम मेरी चूत मारते रहो”

मैंने हनी की चूत में से अपनी उंगली निकाल ली और लंड को हनी की चूत पर लगाने लगा.

इतने में आपी बोल उठीं- “सगीर हनी की चुत थोड़े आराम से मारना। तुम्हारे लंड से तो मेरी चूत को ही बहुत दर्द होता है। हनी की चूत तो अभी नाजुक है … आराम से करना”

मैंने कहा- “ठीक है आपी”

मैने अपने सुपाड़े को हनी की चूत की दोनो फांकों के बीच में रगड़ना शुरू कर दिया, अब तो हनी ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेकर बड़बड़ाने लगी, "जी भाईजान... ऐसे ही... बहुत मज़ा आ रहा है... हाय अल्ला... भाईजान अब पेल दो अपने लॅंड को मेरी चूत में... अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा... पेलो ना भाईजान... प्लीज़्ज़्ज़्ज़्ज़..."

मैं धीरे धीरे हनी की चूत में अपना लंड फंसाने लगा। पहले मैंने हनी की चुत में हल्के से जोर लगाया और मेरा तीन इंच लंड हनी की चूत में घुस गया। हनी दर्द से कराह उठी।

मैंने ऐसे ही अपना लंड हनी की चूत में रोक दिया और उसके होंठों को चूमने लगा साथ ही उसकी चूचियों को हाथ से मसलने लगा। थोड़ी देर में उसकी चूचियों को मसलने और उसके होंठों को चूसने के साथ, मैं फिर धीरे धीरे अपना लंड हनी की चुत में हिलाने लगा।

वह फिर से सिसकारियां लेने लगी लेकिन मेरा मुँह उसके मुँह को चूस रहा था तो उसकी सिसकारियां बाहर सुनाई नहीं दे रही थीं। अचानक मैने जोश में आकर एक झटके में पूरा लॅंड हनी की चूत में ठोंक दिया.

हनी की मुँह से चीख निकलने वाली थी कि मैने अपने लॅंड को उसकी बच्चे दानी पर महसूस करते हुए वहीं रोक कर उसके होठों से अपने होंठ चिपका दिए। वो 'गून्न...गुन्न...उम्म्म्म...' करती हुई मेरे नीचे छटपटाने लगी पर इतना आगे बढ़ने के बाद वापस लौटना मेरी फ़ितरत में नहीं था। मैं उसे अपने नीचे दबाए उसके होंठ चूसते हुए चूचियाँ मसलता रहा। उसकी गोरी गोरी चूचियाँ मेरे मसलने से लाल पड़ गई थीं।

थोड़ी देर बाद उसने मचलना बंद कर दिया और नीचे से धीरे धीरे अपने चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए। मैने हल्के से लॅंड को बाहर खींच कर फिर पेल दिया। इस बार हनी बिल्कुल भी नहीं कसमसाई. मैं बेखौफ़ होकर उसे चोदने लगा। उसी दौरान आपी जोर से कराह उठीं और उनका पूरा शरीर स्खलन के कारण अकड़ने लगा। जल्दी ही आपी झड़ गई और निढाल होकर लेटी रहीं.

थोड़ी देर बाद ही फरहान भी झड़ने लगा और उसने अपने लंड का सारा माल आपी की चूत में छोड़ दिया। वह भी निढाल होकर आपी के ऊपर ही गिर कर लेट गया और आपी के मम्मों को चूमने लगा। आपी और फरहान को झड़ता देख, मैंने हनी की चूत में लंड के झटके तेज कर दिए और जोर जोर से हनी को चोदने लगा।

हनी जोर से सिसकारियां निकलने लगी- “आआह… आआह… उईई ईई… आपीईई… मैं मर गईई…!”

आपी ने आंख खोल कर हनी को देखा और फिर आंखें मूँद लीं। मुझे पता नहीं क्या हो गया था, मैं बिना हनी की चीखों की परवाह किए उसे भकाभक चोदे जा रहा था जबकि वो अब गिड़गिडाना शुरू कर दी थी। मैं सुपाड़े तक लॅंड बाहर खींच कर उसकी चूत में एक झटके में पेलता हुआ चोद रहा था। हर ठोकर के साथ मेरा लॅंड सीधा उसकी बच्चे दानी पर चोट कर रहा था। मुझे पता नहीं क्या हो गया था कि मैं बिना रहम खाए उसकी चूत फाड़ने में लगा था।

"ओ... भाईजान... अब... छोड़... दो..., बहुत... दर्द... हो... रहा... है, प्लीज़... फाड़ दी मेरी चूत आपने... भाईजान... बू...हू...हू..."

मैं दस मिनट तक हनी को चोदता रहा और हनी चीखती रही।

इस दौरान हनी तीन बार झड़ चुकी थी लेकिन मैं हनी को चोदने में लगा रहा। आपी ने दो चार बार मेरी तरफ आँख खोल कर देखा भी पर वो कुछ बोलीं नहीं, फरहान भी हैरत से मुँह फाड़ कर मेरी इस चुदाई को देख रहा था.

शायद आपी सोच रहीं थीं कि हनी को एक न एक दिन ये दर्द झेलना ही था, मेरे लॅंड से जिस दिन भी वो चुदती इतनी ही तक़लीफ़ होनी थी।

अचानक मेरे लॅंड की नसें तनने लगीं, ऐसा लगा पूरे बदन का लहू मेरे लॅंड में इकठ्ठा हो रहा है।

थोड़ी देर बाद ही मेरे लॅंड ने हनी की चूत में पिचकारी छोड़ना शुरू कर दी, मैं अपना लॅंड उसकी बच्चे दानी पर टिका कर झड़ता चला गया और निढाल होकर उससे लिपट गया।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 1 user Likes KHANSAGEER's post
Like Reply
(22-04-2024, 12:53 PM)KHANSAGEER Wrote:
फिर मैंने फरहान से कहा- “आपी के प्यारे प्यारे मम्मों को आराम से चूसना। आपी के इन दोनों मम्मों पर हम दोनों भाई का ही तो हक है!”

आपी ने मुझे रोकते हुए कहा- “मेरे बूब्स क्या! मेरी चूत, मेरी गांड, मेरे पूरे बदन पर मेरे दोनों प्यारे प्यारे छोटे भाइयों का ही हक है। तुम दोनों को मेरे साथ जो भी करना हो, वह करो लेकिन आराम से!”

आपी ने फरहान को गले लगा कर कहा- “चल, अब आराम से चूस मेरी चूचियों को और मेरी चूत में खुजली भी होने लगी है इसमें में भी उंगली कर!”[Image: 57603495_009_960e.jpg]

आपी के इतने कहते ही फरहान के चेहरे पर मुस्कान आ गई और फरहान मेरे लंड को छोड़ कर आपी की चूत में उंगली करने लगा। अब आपी ने मेरा लंड को अपने हाथों से पकड़ा और मेरी मुट्ठी मारने लगीं।

उन्होंने जोर जोर से सिसकारियां ले हुए मुझसे कहा- “सगीर … मेरे सोहने भाई मुझे किस कर!”

मैं आपी को किस करने लगा। दस मिनट तक हम तीनों भाई बहन ऐसे ही लगे रहे। अचानक से मुझे हनी का ख्याल आया। मैंने आपी को किस करना रोक दिया और आपी का हाथ अपने लंड से हटा लिया।

मैं सोफे से उठकर वहां से जाने लगा तो आपी ने मेरा हाथ पकड़ते हुए पूछा- “क्या हुआ सगीर … कहां जा रहा है?”

मैंने आपी से कहा- “आपी जान, मैं हनी को लेने उसके कमरे में जा रहा हूं”

आपी ने मुझसे कहा- “ठीक है सगीर लेकिन हनी की मर्जी हो, तभी उसे यहां लेकर आना”

मैंने कहा- “ठीक है आपी”

मैं हनी को बुलाने चला गया।

आपी ने फरहान से कहा- “चल फरहान, अब खड़ा हो जा… और मेरी चूत में अपना लंड डाल दे”

फरहान उठा और उसने पोजीशन बना कर आपी की चूत में अपना लंड डाल दिया।

वह पूरे दम से आपी की चूत मारने लगा और आपी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां निकालने लगीं- “ओह आह हहहा आआह ईई … और जोर से फरहानन … आह और जोर से”

इधर मैंने हनी के कमरे में जाकर देखा कि हनी अपनी आंखें बंद करके आपी की चुदाई की सिसकारियां सुन कर अपनी चूत में उंगली कर रही थी।

मैं उसके पास गया और उसकी चूत पर हाथ रख कर मैंने उससे कहा- “हनी … चल मेरी प्यारी छोटी बहना… बड़ी बहन के साथ तेरी भी चूत की खुजली मिटा देते हैं। तू यह सब बाहर ही कर लेना और देखना कि फरहान के लंड से आपी कितने मजे ले रही हैं, चल बाहर!”

हनी ना नुकरर करने लगी।

मेरे थोड़ा समझाने के बाद वह मान गई और मुझसे कहने लगी- “मेरी एक शर्त है कि भाईजान आप मुझे अपनी बांहों में उठा कर ही बाहर ले चलें”

मैं सोचने लगा कि हनी तो बड़ी जल्दी खुल गई जबकि आपी को मेरे साथ खुलने में बहुत समय लगा था।

मुझे सोचते देख कर हनी ने कहा- “क्या हुआ भाईजान?”[Image: 17836920_024_1ffd.jpg]

मैंने सोचना छोड़ा और हनी को गोदी में उठा कर बाहर ले आया। बाहर पड़े दीवान पर उसे लिटा दिया। हनी अपनी चड्डी और लेगिंग पहले से ही घुटनों तक किए अपनी चूत सहला रही थी, जिन्हें मैने टाँगों से खींचकर अलग कर दिया फिर उसे हाथ पकड़ कर उसकी कुर्ती भी निकाल दी. कुर्ती उतरते ही उसने अपनी ब्रा खुद ही उतार कर फेंक दी और पूरी नंगी होकर मस्त अंगड़ाई लेकर मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा दी।
[Image: 17836920_026_9a2c.jpg]
वो कमरे में बहुत देर से अपनी चूत सहला रही थी जिससे उसकी फुद्दी पहले से फड़फड़ा रही थी ऊपर से मुझे आपी का भी डर था कि पता नहीं वो कब फरहान को इधर भेज कर मुझे अपनी चूत चोदने को बुला लें इसलिए मैं बिना वक़्त बर्बाद किए फटाफट अपने कपड़े उतार कर हनी को चोदने के लिए नंगा हो गया.

फरहान आपी की चूत मार रहा था और वह काफी तेज गति से झटका दे रहा था। उसके नीचे आपी अपनी आंख बंद करके जोर जोर से कराह रही थीं और चीख रही थीं- “आहहहह उउ ईई फरहान … रगड़ दे मुझे आह!”

मैं आपी और फरहान को चुदाई करते देख हनी की चूत में उंगली करने लगा। मुझे मालूम था कि मेरा लॅंड फरहान से लंबाई और मोटाई में सवाया था जिससे हनी को चुदने में तक़लीफ़ होने वाली थी जिसका उसे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था। मैं धीरे धीरे हनी की चूत में उंगली को आगे पीछे करने लगा। उसकी चुत पहले से ही गीली थी पर अभी बहुत कसी हुई थी.

थोड़ी देर बाद मैं जोर जोर से उंगली करने लगा उससे हनी जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी। हनी की कामुक सिसकारियां सुनकर आपी ने अपनी आंख खोलकर हनी की तरफ देखा।

आपी ने कहा- “आ गई तू?”

फिर उन्होंने फरहान से कहा- “फरहान, मुझे छोड़ और हनी की चूत में अपना लंड घुसा दे”

आपी ने मेरी तरफ इशारा करके कहा- “सगीर, तुम मेरे पास आ जाओ और मेरी चूत रगड़ो”

मैंने आपी से कहा- “लेकिन आपी, मैं तो हनी की चूत मारना चाहता हूं, मैंने अब तक हनी की चूत नहीं मारी है। आपकी तो सुबह ही मारी थी!”[Image: 24295610_040_1bf5.jpg]

आपी ने मेरी इच्छा समझते हुए कहा- “चल ठीक है… फरहान तुम मेरी चूत मारते रहो”

मैंने हनी की चूत में से अपनी उंगली निकाल ली और लंड को हनी की चूत पर लगाने लगा.

इतने में आपी बोल उठीं- “सगीर हनी की चुत थोड़े आराम से मारना। तुम्हारे लंड से तो मेरी चूत को ही बहुत दर्द होता है। हनी की चूत तो अभी नाजुक है … आराम से करना”[Image: 24295610_041_fdf2.jpg]

मैंने कहा- “ठीक है आपी”[Image: 61136393_028_704d.jpg]

मैने अपने सुपाड़े को हनी की चूत की दोनो फांकों के बीच में रगड़ना शुरू कर दिया, अब तो हनी ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेकर बड़बड़ाने लगी, [Image: 24295610_065_19c8.jpg]"जी भाईजान... ऐसे ही... बहुत मज़ा आ रहा है... हाय अल्ला... भाईजान अब पेल दो अपने लॅंड को मेरी चूत में... अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा... पेलो ना भाईजान... प्लीज़्ज़्ज़्ज़्ज़..."

मैं धीरे धीरे हनी की चूत में अपना लंड फंसाने लगा। पहले मैंने हनी की चुत में हल्के से जोर लगाया और मेरा तीन इंच लंड हनी की चूत में घुस गया। हनी दर्द से कराह उठी।

मैंने ऐसे ही अपना लंड हनी की चूत में रोक दिया और उसके होंठों को चूमने लगा साथ ही उसकी चूचियों को हाथ से मसलने लगा। थोड़ी देर में उसकी चूचियों को मसलने और उसके होंठों को चूसने के साथ, मैं फिर धीरे धीरे अपना लंड हनी की चुत में हिलाने लगा।

वह फिर से सिसकारियां लेने लगी लेकिन मेरा मुँह उसके मुँह को चूस रहा था तो उसकी सिसकारियां बाहर सुनाई नहीं दे रही थीं। अचानक मैने जोश में आकर एक झटके में पूरा लॅंड हनी की चूत में ठोंक दिया.

हनी की मुँह से चीख निकलने वाली थी कि मैने अपने लॅंड को उसकी बच्चे दानी पर महसूस करते हुए वहीं रोक कर उसके होठों से अपने होंठ चिपका दिए। वो 'गून्न...गुन्न...उम्म्म्म..[Image: 63753607_095_9bd1.jpg].' करती हुई मेरे नीचे छटपटाने लगी पर इतना आगे बढ़ने के बाद वापस लौटना मेरी फ़ितरत में नहीं था। मैं उसे अपने नीचे दबाए उसके होंठ चूसते हुए चूचियाँ मसलता रहा। उसकी गोरी गोरी चूचियाँ मेरे मसलने से लाल पड़ गई थीं।

थोड़ी देर बाद उसने मचलना बंद कर दिया और नीचे से धीरे धीरे अपने चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए। मैने हल्के से लॅंड को बाहर खींच कर फिर पेल दिया। इस बार हनी बिल्कुल भी नहीं कसमसाई. मैं बेखौफ़ होकर उसे चोदने लगा। उसी दौरान आपी जोर से कराह उठीं और उनका पूरा शरीर स्खलन के कारण अकड़ने लगा। जल्दी ही आपी झड़ गई और निढाल होकर लेटी रहीं.[Image: 55841090_059_8fb6.jpg]

थोड़ी देर बाद ही फरहान भी झड़ने लगा और उसने अपने लंड का सारा माल आपी की चूत में छोड़ दिया। वह भी निढाल होकर आपी के ऊपर ही गिर कर लेट गया और आपी के मम्मों को चूमने लगा। आपी और फरहान को झड़ता देख, मैंने हनी की चूत में लंड के झटके तेज कर दिए और जोर जोर से हनी को चोदने लगा।

हनी जोर से सिसकारियां निकलने लगी- “आआह… आआह… उईई ईई… आपीईई… मैं मर गईई…!”

आपी ने आंख खोल कर हनी को देखा और फिर आंखें मूँद लीं। मुझे पता नहीं क्या हो गया था, मैं बिना हनी की चीखों की परवाह किए उसे भकाभक चोदे जा रहा था जबकि वो अब गिड़गिडाना शुरू कर दी थी। मैं सुपाड़े तक लॅंड बाहर खींच कर उसकी चूत में एक झटके में पेलता हुआ चोद रहा था। हर ठोकर के साथ मेरा लॅंड सीधा उसकी बच्चे दानी पर चोट कर रहा था। मुझे पता नहीं क्या हो गया था कि मैं बिना रहम खाए उसकी चूत फाड़ने में लगा था।

"ओ... भाईजान... अब... छोड़... दो..., बहुत... दर्द... हो... रहा... है, प्लीज़... फाड़ दी मेरी चूत आपने... भाईजान... बू...हू...हू..."

मैं दस मिनट तक हनी को चोदता रहा और हनी चीखती रही।

इस दौरान हनी तीन बार झड़ चुकी थी लेकिन मैं हनी को चोदने में लगा रहा। आपी ने दो चार बार मेरी तरफ आँख खोल कर देखा भी पर वो कुछ बोलीं नहीं, फरहान भी हैरत से मुँह फाड़ कर मेरी इस चुदाई को देख रहा था.[Image: 61921500_013_d66b.jpg]

शायद आपी सोच रहीं थीं कि हनी को एक न एक दिन ये दर्द झेलना ही था, मेरे लॅंड से जिस दिन भी वो चुदती इतनी ही तक़लीफ़ होनी थी।

अचानक मेरे लॅंड की नसें तनने लगीं, ऐसा लगा पूरे बदन का लहू मेरे लॅंड में इकठ्ठा हो रहा है।

थोड़ी देर बाद ही मेरे लॅंड ने हनी की चूत में पिचकारी छोड़ना शुरू कर दी, मैं अपना लॅंड उसकी बच्चे दानी पर टिका कर झड़ता चला गया और निढाल होकर उससे लिपट गया।

TO BE CONTINUED .....
Like Reply
(05-02-2024, 06:40 PM)KHANSAGEER Wrote: सभी चुदक्कड़ भाई बहनों को आदाब.........
मेरा नाम सगीर है और मेरी उम्र इस वक़्त 35 साल है। कहानी है इस बारे में कि कैसे मैं और मेरी परिवार में चुदाई से आशनाई हुई। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती जाएगी.. मैं आप लोगों से अपनी फैमिली का तवारूफ करवाता जाऊँगा। ये सब जब शुरू हुआ.. उस वक़्त मेरी उम्र 19 साल थी। मैं सेक्स के मामले में बिल्कुल पागल था। चौबीस घंटे मेरे जेहन में सिर्फ़ सेक्स ही भरा रहता था। मैं हर वक़्त सेक्स मैगजीन्स की तलाश में रहता था।
हालांकि मुठ मारने के लिए सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी पहने हुई लड़की की तस्वीर भी मेरे लिए बहुत थी।
एक दिन मुझे मेरे दोस्त ने एक सीडी दी। मैं सीडी लेकर घर आया और हमेशा की तरह कंप्यूटर इस्तेमाल में था और मैंने शदीद झुंझलाहट में अपनी ज़िंदगी को कोसा कि मेरे इतने भाई बहन ना ही होते तो अच्छा था कि यहाँ किसी को कभी कोई प्राइवेसी ही नहीं मिलती।
मैंने सीडी अपने कॉलेज बैग में छुपा दी और रात के इन्तजार में दिन काटने लगा।
रात को जब सब सोने चले गए तो मैंने सीडी निकाली और स्टडी रूम की तरफ चल दिया। स्टडी रूम में किसी को ना पकड़ मुझे कुछ इत्मीनान हुआ और मैंने मूवी देखना शुरू की।
यह एक आम ट्रिपल एक्स मूवी थी.. जिसमें एक जोड़े को चुदाई करते दिखाया गया था।
मैंने अपने 6.5 इंच लण्ड को अपने शॉर्ट से बाहर निकाला और मूवी देखते-देखते अपने लण्ड को सहलाने लगा।
अचानक ही मेरा छोटा भाई फरहान… रूम में दाखिल हुआ।

मैं मूवी देखने और लण्ड को सहलाने में इतना खो सा गया था कि मैं फरहान की आमद को महसूस ही नहीं कर सका जब तक कि उसने चिल्ला कर हैरतजदा आवाज़ में पुकारा- "भाईजान.. ये क्या हो रहा है?"
मेरी खौफ से तकरीबन मरने वाली हालत हो गई और मैंने फ़ौरन अपने लण्ड को छुपाने की कोशिश की..
फरहान कुछ देर खामोश खड़ा कुछ सोचता रहा और फिर मुस्कुराते हुए कहने लगा- 

"तो आप भी ये सब करते हैं.. मैं तो समझता था कि सिर्फ़ मैं ही ऐसा हूँ।"
मैं उस वक़्त कुछ कन्फ्यूज़्ड सा था.. लेकिन मैंने देखा कि फरहान ने इस बात को इतनी अहमियत नहीं दी है.. तो मैंने झेंपते हुए मुस्कुराहट से फरहान को देखा और कहा- 
"यार सभी करते हैं.. ये तो नेचुरल है।"
फरहान ने सवालिया अंदाज़ में पूछा- भाई.. आपने ये मूवी कहाँ से ली है?
क्योंकि उस वक़्त ऐसी मूवीज का मिलना बहुत मुश्किल होता था.. ख़ास तौर से हमारे एरिया में..
मैंने कहा- यार मोईन से ली है।
मोईन मेरा दोस्त था।

फरहान ने हिचकिचाते हुए कहा- भाईजान मैं भी देखूंगा..
फिर मुझे कुछ सोचता देख कर फ़ौरन ही बोला- भाईजान प्लीज़ देखने दो ना..
मैंने मुस्कुरा कर फरहान को देखा और कहा- चल जा.. कुर्सी ले आ और यहाँ पर बैठ जा।

वो खुश होता हुआ कुर्सी लाकर मेरे साथ ही बैठ गया।
हमने पूरी मूवी साथ में देखी.. लेकिन मैं मुठ नहीं मार सका.. क्योंकि मेरा छोटा भाई मेरे साथ था। मूवी के बाद हम अपने-अपने बिस्तर पर चले गए.. जो हमारे अलग-अलग बेडरूम में थे। हमने यह तय किया कि हम में से जिसको भी ऐसी कोई मूवी मिली.. तो हम साथ ही देखा करेंगे।
इस एग्रीमेंट से हम दोनों को ही फ़ायदा हुआ कि हम कभी भी मूवी देख सकते थे। कंप्यूटर ज्यादातर हम दोनों के ही इस्तेमाल में रहता था। हमारी बहनें कंप्यूटर में इतनी रूचि नहीं लेती थीं।
साथ फिल्म देखने में हममें एक ही मसला था कि.. हम एक-दूसरे के सामने मुठ नहीं मार सकते थे। कुछ हफ्तों के बाद हमने एक मूवी देखी.. जिसमें कुछ सीन होमोसेक्सुअल भी थे। जैसे एक सीन में एक 18-20 साल का लड़का एक आदमी का लण्ड चूस रहा था। मुझे वो सीन कुछ अजीब सा लगा और सच ये था कि मुझे एक अलग सा अनोखा मज़ा भी आने लगा।
फरहान ने स्क्रीन पर ही नज़र जमाए हुए पूछा- भाई इसमें क्या मज़ा आता है इन लोगों को? जब लड़कियाँ मौजूद हैं.. तो ये लड़के एक-दूसरे को क्यूँ चोद रहे हैं?
मैंने कहा- पता नहीं यार..
फिर मैंने फरहान को बताया- मुझे अपने एरिया के कुछ लड़कों का पता है कि वो एक-दूसरे को चोदते हैं।

जैसे-जैसे मूवी आगे बढ़ती जा रही थी.. हमें भी मज़ा आने लगा था।
मैंने फरहान को देखा.. तो फरहान अपने शॉर्ट के ऊपर से ही अपने लण्ड को मसल रहा था। मुझे भी बहुत अधिक ख्वाहिश हुई कि मैं भी अपने लण्ड को सहलाऊँ। तो मैंने हिम्मत की और फरहान की परवाह किए बगैर शॉर्ट के ऊपर से ही अपने लण्ड को पूरा अपनी गिरफ्त में लेकर हाथ आगे-पीछे करने लगा।
फरहान ने मेरी तरफ एक नज़र डाली और कुछ बोले बिना.. फिर से मूवी देखने लगा.. तो मैंने अपनी मुठ जारी रखी।
फरहान ने भी हिम्मत की और मेरी तरह शॉर्ट के ऊपर से अपने पूरे लण्ड को गिरफ्त में ले लिया और मुठ मारने लगा।
जल्द ही हम दोनों के हाथों के आगे-पीछे होने की स्पीड बढ़ने लगी।

मेरी साँसें फूल गई थीं.. मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं, मेरा जिस्म अकड़ रहा था और जल्द ही मेरे मुँह से हल्की सी ‘आह..’ खारिज हुई.. और मैंने अपने लण्ड के पानी को अपने लण्ड से निकलता महसूस किया, मेरे जिस्म ने 3-4 झटके लिए और मैं ठंडा हो गया।
मेरी आँख खुली और मैंने फरहान की तरफ देखा तो वो मुझे ही देख रहा था।
हम दोनों के शॉर्ट्स गीले हो चुके थे। हमने एक-दूसरे से कोई बात नहीं की। फरहान ने कंप्यूटर ऑफ किया और हम दोनों चुपचाप अपने-अपने बिस्तर पर सोने चल दिए।

इसी तरह गाहे-बगाहे हम दोनों मूवी देखते और शॉर्ट के ऊपर से ही अपने-अपने लण्ड को ग्रिप में लेकर मुठ्ठ मारते। ये सब रुटीन वर्क की तरह चल रहा था, हम दोनों में से कोई भी अब इससे अजीब नहीं समझता था।
मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि मैं गान्डू सेक्स को भी पसन्द करने लगा था। ‘गे’ सेक्स की मूवीज देख कर मुझे मज़ा आता था.. लेकिन ऐसी मूवीज आम नहीं थीं। कभी-कभार कोई सीडी मिल जाती थी.. जिसमें ‘गे’ सेक्स मूवीज होती थी।
एक दिन मुझे एक सीडी ऐसी मिली.. जो प्योरली ‘गे’ पॉर्न की थी। उसमें सिर्फ़ आदमी थे.. कोई औरत नहीं थी।
हम दोनों वो मूवी देख रहे थे कि एक सीन आया.. जिसमें दो बहुत क्यूट से यंग लड़के एक-दूसरे की गाण्ड में डिल्डो (रबर का लण्ड) अन्दर-बाहर कर रहे थे।
मुझे वो सीन देखते-देखते बहुत ज्यादा मज़ा आने लगा और शॉर्ट के ऊपर से लण्ड सहलाते-सहलाते मैंने अंजाने में अपने शॉर्ट को घुटनों तक उतार दिया और अपने लण्ड को अपने हाथ में लेकर तेजी से मुठ मारने लगा।
फरहान ने मुझे इस हालत में देखा तो उससे शॉक लगा और उसने चिल्ला कर कहा- भाईईइ.. ये क्या कर रहे हो आप?
मैंने कहा- छोड़ो यार.. मैं रोज़-रोज़ अपने आपको रोक-रोक कर और रोज़ रात अपने शॉर्ट को धोकर तंग आ गया हूँ। हम दोनों ही जानते हैं कि हम ये करते हैं.. तो यार खुल कर ही क्यूँ ना करें.. तुम भी उतारो अपना शॉर्ट.. और मूवी देखो यार.. हम खुल कर मज़े लेते हैं।[Image: 67405412_102_4a83.jpg]
फरहान से ये कह कर मैंने अपना रुख़ दोबारा कंप्यूटर की तरफ मोड़ लिया और मुठ मारने का सिलसिला दोबारा से जोड़ने लगा। कुछ देर झिझकने के बाद फरहान ने भी हिम्मत की और अपने लण्ड को शॉर्ट से बाहर निकाल लिया।
मैंने फरहान को इस हाल में देखा तो मुस्कुरा दिया। अब अचानक ही हमारा फोकस कंप्यूटर स्क्रीन से हट कर एक-दूसरे के लण्ड पर मुन्तकिल हो गया था। फरहान का लण्ड उस वक़्त भी तकरीबन 6 इंच का था.. जबकि मेरा तकरीबन साढ़े 7 इंच का था। फरहान के लण्ड की टोपी थोड़ी गुलाबी सी थी.. जबकि मेरा लण्ड कुछ लाल-काला मिक्स से रंग का था।
फरहान ने कहा- भाई हमारे लण्ड छोटे क्यूँ हैं.. जबकि मूवीज में तो सबके बहुत बड़े-बड़े लण्ड होते हैं?
मैंने कहा- हमारा साइज़ बिल्कुल नॉर्मल है.. जबकि मूवीज में सिर्फ़ उनको लिया जाता है.. जिन के लण्ड बड़े और मोटे हों.. जैसे आम नॉर्मल फिल्म्स में देखो सब हीरो वगैरह खासे पहलवान और आकर्षक.. सख्त जिस्म के होते हैं.. कोई आम सा लड़का कहाँ किसी फिल्म में हीरो होता है।[Image: 67405412_132_1861.jpg]

कुछ बातों के बाद हम फिर मूवी पर ध्यान करने और मुठ मारने लगे।
अब हम दोनों को ही मुठ मारने में ज्यादा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि हमारी नजरों की गिरफ्त में अब रियल लण्ड भी थे।

जब मैं डिसचार्ज होने के क़रीब हुआ.. तो मैंने अपने शॉर्ट को पूरा अपने जिस्म से अलग कर दिया और अपने लण्ड पर बहुत तेज-तेज हाथ चलाने लगा।
फिर एकदम से मेरे लण्ड ने झटकों से पिचकारी मारना शुरू की और सारा पानी मेरे छाती और पेट पर गिरने लगा। ये देखते ही फरहान भी डिसचार्ज होने लगा। डिसचार्ज होने के बाद हम दोनों ने अपने-अपने जिस्म को टिश्यू से साफ किया और बारी-बारी से बाथरूम में धोने चले गए।
उस दिन के बाद से हमने कंप्यूटर को अपने रूम में शिफ्ट कर लिया और रोज़ रात सोने से पहले हम बिल्कुल नंगे होकर मूवी देखते और मूवी देखते-देखते ही मुठ मारते।
एक रात हम इसी तरह मूवी देखते हुए मुठ मार रहे थे.. कि अचानक लाइट चली गई.. हम दोनों बहुत निराश हो गए और मैंने झुँझलाहट में बिजली वालों को गालियाँ देनी शुरू कर दीं। फरहान ने अपनी कुर्सी से उठने की कोशिश की तो अंधेरे की वजह से अचानक फरहान का हाथ मेरे लण्ड से टच हुआ और मेरे मुँह से एक ‘आह’ खारिज हो गई।
फरहान ने फ़ौरन कहा- सॉरी भाई..

मैंने कहा- कोई बात नहीं यार..
लेकिन कसम से अपने हाथ के अलावा किसी का हाथ टच होने से मज़ा बहुत आया.. चाहे एक लम्हें का ही मज़ा था।

फरहान ने ये बात सुनी और तवज्जो दिए बगैर बिस्तर की तरफ चल पड़ा।
मैं भी अपनी कुर्सी से उठा और धीमी-धीमी सी रोशनी में संभाल कर अपना शॉर्ट लेने चल पड़ा।


फरहान पहले ही झुक कर बिस्तर से अपना शॉर्ट उठा रहा था.. अचानक ही मेरा लण्ड फरहान की नरम-गरम गाण्ड की दरार से टच हुआ.. तो मज़े की एक हसीन सी ल़हर मेरे जिस्म में फैल गई।
वो लहर एक ‘आअहह..’ बन कर मेरे मुँह से खारिज हुई।


उसी वक्त मुझे फरहान की मज़े में डूबी हुई सिसकारी सुनाई दी। फरहान ना ही कुछ बोला.. और ना ही उसने अपनी पोजीशन चेंज की और उसी हालत में रुका रहा।

मुझे अंदाज़ा हुआ कि जो इतनी ‘गे’ मूवीज हमने देखी हैं.. उनका जादू फरहान पर भी चल चुका है।
मैंने हिम्मत की और अपने जिस्म को फरहान की तरफ दबा दिया।
मैंने अपना लेफ्ट हैण्ड फरहान के एक कूल्हे पर रखा और अपने लण्ड को फरहान की गाण्ड की दरार में सैट किया, थोड़ा झुका और अपने राईट हैण्ड से फरहान के लण्ड को पकड़ा और उसकी गाण्ड की दरार में अपने लण्ड को रगड़ने लगा।


इसी के साथ-साथ फरहान के लण्ड को अपने हाथ में मज़बूती से पकड़ कर अपना हाथ आगे-पीछे करने लगा।

फरहान की साँसें तेज हो गईं और उसने कमज़ोर से लहजे में कहा- नहीं भाई.. प्लीज़ ये नहीं करें।
लेकिन मैंने अनसुनी करते हुए कहा- इसस्शहस्शह.. कुछ नहीं होता यार.. तुम बस ज्यादा कुछ मत सोचो.. और मज़ा लो..


यह कहते हुए मैंने फरहान के लण्ड पर अपने हाथ की हरकत को मज़ीद तेज कर दिया।
अब फरहान भी मज़े में डूब गया और मेरे लण्ड के साथ आहिस्ता-आहिस्ता अपनी गाण्ड को भी हरकत देने लगा।
हम दोनों ही डिसचार्ज होने के क़रीब आ गए।


हम दोनों ही डिसचार्ज होने के क़रीब थे.. 

मैंने फरहान से कहा- जब पानी निकलने लगे.. तो घूम जाना ताकि बेडशीट खराब ना हो..

इसी के साथ-साथ ही मैं फरहान की गाण्ड की दरार में अपने लण्ड को रगड़ रहा था और लम्हा-बा-लम्हा छूटने के क़रीब हो रहा था। कुछ ही मिनट बाद फरहान अचानक घूम गया और उसके लण्ड से पानी की तेज धाराएँ निकलने लगीं और मेरे सीने पर चिपकती गईं।
जैसे ही फरहान के लण्ड के जूस ने मेरे सीने को टच किया.. तो मेरे जिस्म में मज़े की एक अजीब सी लहर उठी और फ़ौरन ही वो लहर मेरे लण्ड से पानी बन कर बहने लगी, मेरा धार भी फरहान के सीने और पेट को तर करती चली गई।


कुछ लम्हें हम वैसे ही खड़े रहे अंधेरे में और अपनी साँसों के दुरुस्त होने का इन्तजार करने लगे। हम दोनों को शर्मिंदगी और लज्जत ने उस वक़्त घेर रखा था। अचानक लाइट आ गई.. मुझे फरहान के जिस्म को अपने लण्ड के जूस से भरा और अपने जिस्म को फरहान के लण्ड के पानी से तर देखना अजीब सी लज़्ज़त दे रहा था। जबकि फरहान नर्वस सा खड़ा था।

मैंने अपना हाथ बढ़ाया और फरहान के लण्ड को सहला कर मुस्कुराते हुए कहा- बहुत लज़्ज़तअंगेज़ लम्हात थे ना.. मज़ा तो तुम्हें भी बहुत आया है.. क्या ख़याल है मेरे छोटे भाई साहब??

मेरी बात सुन कर फरहान थोड़ा पुरसुकून हुआ और उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट फैल गई। हमने इस बारे में मज़ीद कोई बात नहीं की..

मैंने अपने आपको साफ किया और ड्रेस पहन कर कमरे से बाहर निकला और अपनी छत पर चला गया। मैं अपनी दोनों कोहनियों को दीवार पर टिकाते हुए दीवार के पास खड़ा हुआ.. अपनी आज की इस हरकत के बारे में सोचने लगा।

मैंने अपने आपको कभी भी ‘गे’ नहीं माना.. लेकिन सच ये था कि आज जो कुछ भी हुआ.. उसने मुझे बहुत मज़ा दिया था। मैं सोचता रहा कि क्या मैं सचमुच ‘गे’ हूँ?

फिर मैंने सोचा कि क्या होगा अगर मेरे पास एक लड़का और एक लड़की हो.. तो मैं चोदने के लिए किसे तरजीह दूँगा। फ़ौरन ही मेरे जेहन ने मुझे बता दिया कि मैं ‘गे’ नहीं हूँ। मैं हमेशा लड़की को चुदाई के लिए तरजीह दूँगा.. किसी भी लड़की के साथ किसी भी वक़्त मैं चुदाई के लिए तैयार रहूँगा।

जो मैंने अपने सगे भाई के साथ किया उसकी वजह सिर्फ़ ये थी कि हम दोनों एक ही वक़्त में एक ही जगह पर बगैर कपड़ों के नंगी हालत में थे और बहुत गरम थे.. तो ये सब होना फितरती अमल था।

उस रात हम दोनों चुपचाप सोने के लिए लेट गए और आपस में कोई बात नहीं की।

अगली रात हमने अपना वो ही हिडन फोल्डर ओपन किया.. जहाँ हमने अपनी सेक्स मूवीज छुपा रखी थीं और एक पुरानी देखी हुई मूवी दोबारा देखना शुरू कर दी क्योंकि हमारे पास कोई नई मूवी नहीं थी।

यह भी एक बाईसेक्सुअल मूवी ही थी। दस मिनट बाद ही हम दोनों अपने जिस्मों से कपड़ों को अलहदा कर चुके थे और अपने-अपने लण्ड को हाथ में लिए हाथों को आगे-पीछे हरकत दे रहे थे।
कल जो कुछ हुआ उसकी वजह से हम दोनों ही की हरकत में कुछ झिझक सी थी.. जिसको दूर करना बहुत जरूरी था।


मैं अपने छोटे भाई के सीधे हाथ की तरफ बैठा था और मैंने अपने राईट हैण्ड में अपने लण्ड को थाम रखा था। मैंने अपना लेफ्ट हैण्ड उठाया और आहिस्तगी से फरहान की रान पर रख दिया और फरहान की रान को अपने हाथ से सहलाने लगा। फरहान ने मेरी तरफ एक नज़र डाली।

मैं मूवी देखने में मग्न था। फरहान ने भी अपना रुख़ कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ मोड़ दिया और मुझे कुछ नहीं कहा। मैंने कुछ और हिम्मत की और फरहान की रान को सहलाते हुए अपने हाथ को उसके लण्ड की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया और आहिस्तगी से फरहान की बॉल्स को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगा।
फरहान के मुँह से धीमी-धीमी सिसकारियाँ निकलने लगीं और उसके लण्ड पर उसके हाथ की हरकत तेज हो गई।


मैंने फरहान का हाथ उसके लण्ड से हटाया और उसके लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगा। फरहान का मज़ा बढ़ा तो मैंने फरहान का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और हम दोनों एक-दूसरे के लण्ड पर अपने हाथ आगे-पीछे करने लगे।

इससे हम दोनों को ही इतना मज़ा आया कि जल्द ही हम दोनों के लण्ड ने एक-दूसरे के हाथ पर पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

डिसचार्ज होने के बाद भी हमने एक-दूसरे के लण्ड को थामे रखा और बेदिली से मूवी देखते रहे। बेदिली इसलिए कि अब मूवी से ज्यादा हम दोनों का ध्यान हमारे हाथों में थामे एक-दूसरे के लण्ड पर था। कुछ लम्हों के बाद ही हम दोनों के लण्ड दोबारा सख्ती से अकड़ गए।

फरहान ने मुझसे कहा- भाई मैं भी आपके साथ वो करना चाहता हूँ.. जो कल आपने मेरे साथ किया था।
मैंने मुस्कुरा कर अपने छोटे भाई को देखा और कहा- ओके चल..


मैं अपनी कुर्सी से उठा और उसी कुर्सी पर उल्टा होकर घुटनों के बल बैठ कर अपनी कमर को आगे की तरफ झुका लिया।

फरहान उठ कर मेरी तरफ आया और उसने अपने लण्ड को थाम कर मेरे दोनों कूल्हों के दरमियान दरार में फँसाया और मेरे ऊपर झुकते हुए नीचे से मेरे लण्ड को अपने हाथ में थाम कर आहिस्ता-आहिस्ता मेरी गाण्ड पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा और अपने हाथ से मेरे लण्ड को सहलाने लगा।[Image: 37158295_291_c57c.jpg]



सच यह है कि फरहान का लण्ड जब मेरी गाण्ड के सुराख पर टच होता.. तो गाण्ड में अजीब लज्जत सी लहर पैदा होती थी और पूरे जिस्म में सनसनी सी फैल जाती। मेरी गाण्ड के अन्दर अजीब मीठी-मीठी सी गुदगुदी हो रही थी।

मैंने भी अपने आपको पीछे की तरफ फरहान के जिस्म के साथ दबाना शुरू कर दिया।

मेरी नज़र अपने राईट साइड पर दीवार पर लगे आदमक़द आईने पर पड़ी तो भरपूर मज़े ने मुझे अपनी गिरफ्त में ले लिया और मैंने फरहान की तवज्जो भी आईने की तरफ दिलवाई.. तो फरहान की आँखें भी चमक उठीं। आईने में हम दोनों की हालत मूवी के किसी बेहतरीन सीन से ज्यादा हॉट लग रही थी। हम दोनों फ़ौरन ही मज़े की इंतेहा तक पहुँच गए और तकरीबन साथ-साथ ही डिसचार्ज हो गए।

हमारे पूरे जिस्म पसीने में सराबोर थे और नहाने की हाजत हो रही थी। हम दोनों साथ-साथ ही बाथरूम में दाखिल हुए और नहाना शुरू कर दिया।

फरहान ने मेरे पूरे जिस्म पर साबुन लगाया और मुझे अपने जिस्म पर साबुन लगाने का कहा। मैंने फरहान के जिस्म पर साबुन लगाया और अपने एक हाथ से फरहान के लण्ड पर साबुन लगाते हुए दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड के सुराख को मसलता रहा।

इस हरकत ने फरहान को इतना मज़ा दिया कि 5 मिनट के अन्दर अन्दर ही फरहान के लण्ड ने फिर पानी छोड़ दिया।
आज रात में फरहान तीसरी बार डिसचार्ज हुआ था.. जिससे उसे कमज़ोरी भी महसूस होने लगी थी।[Image: 37158295_375_c8fb.jpg]


नहाने के बाद हम दोनों कमरे में वापस आए और बिस्तर पर लेटते ही नींद की शह ने हमें अपनी आगोश में भर लिया।

अगले दिन सारे वक्त मैं अपने और फरहान के दरमियान हुए सेक्स के बारे में ही सोचता रहा। अब मैं कुछ और करना चाहता था.. कुछ नया करना चाहता था।

मैंने अपने एक क्लोज़ दोस्त मोईन से ये डिस्कस किया। मोईन का इस बारे में काफ़ी अनुभव था शायद उसको मर्दाना सेक्स में भी अनुभव था।
मैंने उसे यह नहीं बताया कि मेरा पार्ट्नर मेरा सगा छोटा भाई है, बल्कि मैंने उससे कहा- मेरे पड़ोस में एक लड़का है.. जिससे थोड़ा बहुत फन हो जाता है।

उसने एक शैतानी मुस्कुराहट से मेरी तरफ देखा तो मैंने झेंपकर अपनी नजरें नीचे कर लीं।
TO BE CONTINUED........
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
Big Grin Namaskar Tongue
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
Namaskar cool2 Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
(23-04-2024, 04:14 PM)neerathemall Wrote: Big Grin Namaskar Tongue yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
(23-04-2024, 04:14 PM)neerathemall Wrote: Big Grin Namaskar Tongue
Sleepy
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
hot updates...
Like Reply
Heart 
उसे चूमने के बाद उसके ऊपर से उठकर सोफे पर बैठ गया.

मैं हनी से कहने लगा- "कैसा लगा मेरी छोटी बहना को?"

हनी ने मेरे वीर्य का एक कतरा उठा कर चूसते हुए कहा- "मज़ा तो आया पर भाईजान आपने मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया, अब आज रात तो मुझमें चुदने की बिल्कुल भी ताक़त नहीं बची"

कुछ समय तक हम चारों भाई बहन ऐसे ही पड़े रहे.

थोड़ी देर बाद आपी उठ कर अपने कपड़े पहनने लगीं और बोलीं, "इस सग़ीर पर भी कभी कभी फरहान का असर आ जाता है, बहनचोद"

"अब इसमें गाली देने की क्या बात थी" -मैने हंसते हुए आपी से पूछा

"वो ये कि मैं अपनी उंगली से और सहला कर काम चला रही थी, ये तू था जिसने हम तीनों को चुदाई का चस्का लगा दिया बहनचोद!" -आपी ने बनावटी गुस्से से कहा, "तू इतना बड़ा कमीना है कि अगर तुझे मौका मिल जाए तो तू अम्मी को भी चोद देगा, मादरचोद!!! मैं तेरी रग़ रग़ से वाक़िफ़ हूँ"

तभी फरहान बोल पड़ा, "आपी! कितना अच्छा हो कि अम्मी भी हमारे ग्रुप में शामिल हो जाएँ, फिर तो हमें घर में कोई टेंशन ही नहीं रहेगी"

आपी ने चप्पल उठा कर उसे फेंक कर मारते हुए कहा,"मैं तो सग़ीर को ही कमीना समझती थी, तू तो सग़ीर का भी बाप है"

"मैं भाईजान का बाप कैसे हो सकता हूँ जबकि मैने अभी तक अम्मी का लहंगा तक नहीं उठाया है" -फरहान आपी की चप्पल को बचाते हुए बोला.

"फरहान... अब चुप ... एक शब्द भी मुँह से न निकले... आया समझ में" -मैं फरहान को डाँटता हुआ बोला

"हाय अल्ला, क्या होगा इस घर का, चलो उठ कर सब लोग अब कपड़े पहन लो, इंसान बन जाओ" -आपी भुनभुनाते हुए बोलीं

वे टीवी लांउज की सफाई करने लगीं क्योंकि हमारे चूत और लंड का पानी उधर टपका हुआ था.

हनी और फरहान कपड़े पहन कर वहीं सो गए.

आपी ने उन्हें सोते हुए देख मुझसे कहा- "देखो सगीर, यह दोनों सोते हुए कितने प्यारे लग रहे हैं"

मैंने कहा- "हां आपी, यही तो है भाई बहन का सेक्सी प्यार!"

तब मैंने आपी को अपनी तरफ खींचकर अपनी गोद में बैठा लिया और कहा- "आपी आप भी बहुत प्यारी लग रही हो"

यह कह कर मैं आपी को चूमने लगा.

आपी मेरी गोद उठती हुई बोलीं- "मुझे छोड़ो सगीर … अब खाना की तैयारी भी करनी है, शाम हो गई है. तुम भी थोड़ी देर के लिए अपने शोरूम पर चले जाओ"

मैंने कहा- "ठीक है आपी"

मैं घर से चला गया और फरहान और हनी वहीं सो रहे थे.

मैं दुकान पर आकर काम देखने लगा.

न जाने क्यों मैं बार बार घड़ी की ओर देख रहा था.

तो मेरे एक खादिम ने कहा- "क्या हुआ सर, आज आप बार बार घड़ी क्यों देख रहे हैं?"

मैंने कहा- "कुछ नहीं, बस आज घर जल्दी जाना है. अब्बू और अम्मी घर पर नहीं हैं"

अब उससे क्या बताता कि मैं अपनी बहनों की चूत चोदने के लिए तड़प रहा हूं.
वह बोला- "तो मालिक, आप घर पर चले जाएं, यहां का काम में देख लूंगा और शोरूम को आठ बजे बंद करके चला जाऊंगा"

मैंने कहा- "ठीक है"

मैं अपनी बाईक स्टार्ट करके घर की तरफ चल दिया.

घर पर आकर मैंने दरवाजा खटखटाया तो दरवाजा आपी ने ही खोला.

आपी को देखते ही मैं आपी की तरफ बढ़ा और उन के मुलायम होंठों को चूसने लगा.

अचानक से किस करने से आपी चौंक गईं और मुझे अपने आपसे दूर करने लगीं.

लेकिन मैंने आपी को और कस कर पकड़ लिया.

अब आपी भी मेरा साथ देने लगीं और वे भी मेरे होंठों को चूसने लगीं.

कभी वे मेरे नीचे के होंठ को चूसतीं तो कभी ऊपर के होंठ को चूसने लगतीं.
मैं भी आपी को ऐसे ही पूरी मस्ती से किस कर रहा था.

तभी उन्होंने मुझे अपने आप से धक्का देकर अलग किया और गुस्से में कहने लगीं- "क्या करते हो सगीर, कहीं भी शुरू हो जाते हो. कोई बाहर का बंदा देख लेता, तो कितनी मुसीबत हो जाती! चलो अब जल्दी से अन्दर आ जाओ"

मैं चुपचाप घर के अन्दर आ गया और आपी ने दरवाजा बंद करते हुए कुंडी लगा दी.

वे किचन की तरफ जाने लगीं.

मैंने आपी के पीछे जाकर उनको पीछे से ही पकड़ा और उनकी गर्दन पर अपनी जीभ से चाटने लगा.

आपी भी मेरे चाटने से उत्तेजित होने लगीं.

लेकिन आपी ने मुझे रोकते हुए कहा- "जाकर टीवी देखो, अभी यह सब नहीं होने वाला!"

मैंने उदास सा चेहरा बनाकर कहा- "आपी, मैं आपके लिए तो दुकान से जल्दी आया हूं … और आप मुझे कुछ भी नहीं करने दे रही हो?"

आपी ने कहा- "अरे मेरे सोहने भाई, उदास क्यों हो रहा है. हम यह सब करेंगे, लेकिन रात को. अभी मुझे खाना बनाना है और सुबह से हम सेक्स ही तो कर रहे हैं. तुमसे रात तक का सब्र नहीं हो रहा है … तुम भी फरहान बनते जा रहे हो!"

मैंने कहा- "ठीक है रूही आपी लेकिन मैं आपको मैं रात बिल्कुल नहीं छोड़ने वाला!"

आपी ने मुस्कुराते हुए कहा- "तुमसे छूटना भी कौन चाहता है!"

इतना कह कर आपी किचन में घुस गईं और मैं जाकर टीवी लांउज में बैठकर टीवी देखने लगा.

इतने फरहान और हनी भी उठ गए जो दोपहर की चुदाई के बाद यहीं सो गए थे.
दोनों उठकर मुस्कुराते हुए मुझे देखने लगे और दोनों ने साथ में कहा- "आप दुनिया के सबसे अच्छे भाई हो भाईजान!"

मैं उन दोनों को देखकर बस मुस्कुरा दिया.

अब हम तीनों एक दूसरे से चिपककर टीवी देखने लगे.

बीच बीच में कभी फरहान मेरे लंड पर अपना हाथ फेर देता, तो कभी हनी.

मैं बीच-बीच में हनी की चूचियों को भी मसलता जा रहा था. फिर मैने हनी की चड्डी में जैसे ही हाथ घुसाया वैसे ही हनी बिदक गई, और बोली, "चूत के बारे में तो सोचना भी मत, बुरी तरह से सूज़ गई है. इतनी बुरी तरह से चोदा है कि बता नहीं सकती… अब तो एक दो दिन ऐसे ही चूमा चाटी करके मुझे तो काम चलाना पड़ेगा"

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 1 user Likes KHANSAGEER's post
Like Reply
Heart 
यह सुनकर फरहान का मुँह सूख गया, वो लगभग चिल्लाते हुए बोला, "बहन की लौंडी, पहले नहीं बोल सकती थी... भाईजान आप कुछ करो ना वरना मेरा क्या होगा, आपके लिए चोदने को तो आपी हैं, मैं क्या फिर से मुठ मारूँगा"

"घबराओ नहीं, मैं हनी को दवा दे दूँगा जिससे ये भी चुदने लायक हो जाएगी" -मैने फरहान को तसल्ली देते हुए कहा.

यह सुनकर फरहान के चेहरे पर थोड़ा सुकून दिखाई दिया.

आधा घंटा बाद आपी ने आवाज लगाई- "चलो खाना बन चुका है, सभी हाथ मुँह धोकर डाइनिंग टेबल पर बैठ जाओ"

हम तीनों उठे और हाथ मुँह धोकर खाना खाने बैठ गए.

आपी ने खाना लगा दिया और हम सभी ने मस्ती मजाक करते हुए खाना खाया.

खाने के बाद मैंने आपी से कहा- "अब बताओ रात का क्या प्लान है मेरी हॉट और सेक्सी आपी जान!"

आपी को मेरे मुँह से अपने लिए हॉट और सेक्सी सुनकर अच्छा लगा.

उन्होंने शर्माते हुए कहा- "तुम और फरहान अपने कमरे में जाओ, फिर पता चलेगा कि क्या प्लान है"

फरहान ने कहा- "क्या प्लान है आपी … प्लीज बताओ ना!"

हनी ने फरहान से कहा- "आपी ने कहा ना … कमरे जाकर पता चल जाएगा तो चुपचाप कमरे में चले जाओ"

फरहान कुछ कहने वाला ही था कि मैंने उसे रोकते हुए इशारा किया और खुद कमरे की तरफ चलने लगा.

तो फरहान भी मेरे पीछे आ गया और कहने लगा- "भाईजान आपने कुछ कहने क्यों नहीं दिया?"

मैंने कहा- "पागल, आपी हमको सरप्राइज देना चाहती हैं, इसी लिए तो मैंने भी कुछ नहीं कहा और तुम्हें भी रोक दिया"

मैं और फरहान बिस्तर पर लेट गए.

इतने में आपी और हनी कमरे के अन्दर आईं.

हनी और आपी को देखकर फरहान और मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.

आपी ने सफेद और गोल्डन मिक्स कलर का लहंगा पहना था और उनका ब्लाउज बड़े गले का था.

उसमें से आपी की आधी चूचियों दिखाई दे रही थीं और उनका ब्लाउज पीठ पर केवल दो डोरियों से बंधा हुआ था.

ऐसे ही हनी ने भी लंहगा चोली पहना था लेकिन उसके लहंगे का रंग लाल था.

आपी और हनी घूम घूम कर अपने लहंगे दिखाने लगीं.

तब आपी और हनी के हुस्न को देखकर फरहान और मुझसे रहा नहीं गया.

मैंने आपी को पकड़ कर अपनी बांहों में भर लिया और हनी को फरहान ने अपनी बांहों में भर लिया.

आपी को अपनी बांहों में भर कर मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और आपी भी मेरे होंठों को चूसने लगीं.

फरहान हनी का ब्लाउज खोलने लगा पर उससे हनी का ब्लाउज नहीं खुल पा रहा था.

वह गुस्से में कहने लगा- “बहन का लौड़ा! ब्लाउज खुल ही नहीं रहा है”

आपी ने किस छोड़कर फरहान और हनी की तरफ देखा.

तब आपी फरहान को डांटती हुई बोलीं- "थोड़ी सी देर का सब्र नहीं होता है, हमेशा जल्दी में रहेगा … सेक्स भी आराम से नहीं होता क्या!"

आपी ने हनी का ब्लाउज खोला और कहा- "ले चूस ले हवशी अपनी बहन के मम्मों को!"

फरहान आपी की डांट से जरा खिसिया गया और वह हनी की तरफ आराम से बढ़कर बड़े प्यार से उसके रसीले मम्मों को चूसने लगा.

आपी मेरी तरफ आईं.

आपी के करीब आते ही मैं फिर से आपी पर टूट पड़ा और उनको बेड पर गिरा लिया.

मैं भी आपी का ब्लाउज खोलने लगा.

मुझे जल्दी बाजी करते देख आपी ने कहा- "तुमको क्या हुआ सगीर … रोज तो तुम भी आराम से करते थे, आज क्या तुम भी फरहान बने रहे हो?"

मैंने कहा- "आपी, आपको इससे लहंगे में देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा"

आपी का ब्लाउज खोलकर में उनके एक दूध को चूसने लगा और दूसरे को मसलने लगा.

तो वे भी मेरे लंड को मेरी पैंट के ऊपर से सहलाने लगीं.

आपी ने मेरे लंड को पैंट से बाहर निकाल लिया और मुझे सीधा लिटा कर मेरे लंड को मुँह में लेने लगीं.

जैसे ही आपी ने मेरा लंड अपने मुँह में घुसाया, मुझे बहुत मजा आने लगा और मैं उनके मुँह को ही चूत समझ कर पूरे वेग से चोदने लगा.

मेरा लंड आपी के गले तक जा रहा था.

हालांकि आपी मेरे लौड़े को काफी अन्दर तक ले लेती थीं लेकिन आज मेरी हवश के आगे उनको तकलीफ़ भी होने लगी थी.

यही एक बात मेरी आपी के अन्दर खुश कर देने वाली थी कि वे मेरी खुशी के लिए मेरा लंड चुपचाप चूसे जा रही थीं.

उनकी आंखों से आंसू तक निकलने लगे थे लेकिन उन्होंने एक बार भी नहीं रोका.

आपी के आंसू को देखकर मैंने लंड के झटके रोकते हुए आपी से कहा- "रूही आपी, अब आप रहने दो … कितना प्यार करती हैं आप मुझे … चलिए अब मैं आपकी चूत चाटूंगा"

मैंने आपी को चित लेटाया और उनके लहंगे को उतार दिया.

आपी ने आज पैंटी पहनी ही नहीं थी.

उनकी रसीली चूत पानी पानी हुई पड़ी थी.

मैंने उनकी टांगों में अपना मुँह घुसेड़ा और आपी की चूत के दाने को अपनी जीभ से कुरेदने लगा.

वे सिहरने लगीं और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगीं- "आह चाट ले न … क्या गुदगुदी कर रहा है!"

यह सुनते ही मैंने आपी की चूत के दाने को अपने दांतों से पकड़ा और हल्के से काटने लगा; दाने को दांतों से पकड़ कर खींचने लगा.

आपी की जान हलक में आ गई; वे जोर जोर से सिसकारियां निकालने लगीं.

मैं उनकी चूत की फांकों को भर भर कर चाटने लगा.

थोड़ी देर तक ऐसे ही चलता रहा.

इस बीच आपी दो बार झड़ चुकी थीं लेकिन वे अभी भी मेरे मुँह पर अपनी चूत रगड़ रही थीं.

आज शायद आपी कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थीं, ऐसा न जाने आपी ने क्या खा लिया था.

मैंने आपी की चूत में अपना लंड डाला और आपी को पूरी ताकत से चोदने लगा.

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 2 users Like KHANSAGEER's post
Like Reply
समझदार हो गए हैं ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Heart 
आपी ने मुझको रोकते हुए कहा- "सगीर तुम नीचे आ जाओ, मैं तुम्हारे ऊपर बैठ कर चुदवाना चाहती हूं" 

मैं आपी की बात मानकर उनके ऊपर से हटकर बेड पर लेट गया और आपी मेरे लंड के ऊपर चढ़ गईं।

आपी ने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत की फांकों में रगड़ा और फंसा लिया था। उसी वक्त मैंने अपने कूल्हे उठाकर एक करारा धक्का चूत में दे दिया और लंड अन्दर तक घुसता चला गया।

मैं कूल्हे उठा उठाकर आपी को चोदने लगा। थोड़ी देर बाद आपी भी उछल उछलकर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं।

वे जोर जोर से सिसकारियां निकालती हुई कहने लगीं- “आह … और जोर से चोद मेरे भाई … चूत में बड़ा मज़ा आ रहा है और जोर से चोद बहनचोद … पेल बहन के लौड़े!”

मैंने आपी को टोकते हुए कहा- “आपी आप तो गाली बकने लगीं!”

आपी शर्माती हुई बोलीं- “मैंने कब बकी गाली … तुम झूठ बोल रहे हो!”

इतने में फरहान भी बोल उठा- “हां आपी, आपने अभी गाली बकी थी. आप भाईजान से बहनचोद कह रही थीं”

हनी भी फरहान की हां में हां मिलाती हुई बोली- “आपी आपने गाली बकी है, तो मान लो न!”

आपी झुंझलाती हुई बोली- “हां मैंने बकी है गाली … कौन मेरा क्या करेगा!”

मैंने कहा- “आपी आपका कोई क्या बिगाड़ सकता है. पर आपके गाली बकने से मुझमें और जोश आ रहा है. चलो आप गाली बकती रहो”

आपी ने कहा- “ठीक है, तुम कह रहे हो तो बक रही हूं … तू रुक क्यों गया भोसड़ी के … जोर से चोद न मां के लौड़े … चोद डाल अपनी बहन को … आह और जोर से मादरचोद… बहनचोद…”

यही सब गालियां बकती हुई आपी और जोर जोर से उछल कर चुदने लगीं।

आपी के मुँह से गाली सुनना मुझे अच्छा लगा। मैं और ताकत से चूत में धक्के लगाने लगा. मेरी तरह ही फरहान हनी को चोद रहा था और हनी भी फरहान को गाली बक रही थी।

पूरे कमरे में बस फच फच और आपी और हनी की सिसकारियां और गालियों की आवाज गूंज रही थी। हम चारों बीस मिनट तक ऐसे ही चुदाई करते रहे।

फिर फरहान हनी की चूत में झड़ गया और उसके थोड़ी देर बाद मैं भी आपी की चूत में झड़ गया। आपी और हनी की चूत मेरे और फरहान के वीर्य से भर गई।

जोरदार चुदाई के बाद आपी निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेट गईं और हनी फरहान के ऊपर गिर गई। हम चारों बहन भाई कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे।

फिर आपी उठीं…

उन्होंने पहले मेरे झुके हुए लंड का सुपारा नीचे किया और मेरा लंड चूसने लगीं।
वे कहने लगीं- “सगीर, तुम्हारे लंड का स्वाद बहुत अच्छा है”

उधर हनी भी फरहान के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी थी। दोनों लड़कियों ने हमारे मुरझाए हुए लौड़े खड़े कर दिए।

मैं आपी की चूत पर अपना लंड लगाने लगा।

पर आपी ने मुझे रोक कर कहा- “मैं अब फरहान से चुदना चाहूँगी. तुम हनी को चोद लो”

फिर आपी ने हनी को मेरी तरफ कर दिया और खुद फरहान की तरफ जाकर उसका लंड अपनी चूत में लगा कर चुदने लगीं। मैंने हनी को लेटाकर उसकी चूत में अपना लंड सैट कर दिया और उसे चोदने लगा। हम चारों ने एक एक राउंड चुदाई और की उसके बाद हम चारों भाई बहन ऐसे ही नंगे सो गए।

सुबह मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि हनी मेरे लंड पर अपना थूक लगा कर उससे चिकना करके अपने मुँह में ले रही थी। मैंने आपी की तरफ देखा तो फरहान आपी की चूत चाट रहा था। आपी नींद में ही सिसकारियां निकालने लगी थीं।

मैंने आपी को जगाया, तो आपी ने कहा- “क्या हुआ सगीर?”

मैंने कहा- “देखो रूही आपी, हमारे दोनों छोटे भाई बहन कैसे हमारे लंड और चूत को चाट और चूस रही हैं”

आपी ने फरहान की तरफ देख कर कहा- “हां फरहान ऐसे ही करो, मजा आ रहा है”

वे मेरा मुँह अपनी तरफ़ करके मुझे किस करने लगीं, तो मैं भी आपी को किस करने लगा।

मैने आपी की चूत सहलाते हुए बात आगे बढ़ाई, “आपी एक दिन गुज़र गया, परसों अम्मी अब्बू वापस आ जाएँगे. आप और हनी एक वादा करो कि मैं और फरहान जो कुछ भी जैसे भी करना चाहें आप दोनों मना नहीं करोगे, चुदाई में किंतु परंतु बॅट लेकिन नहीं चलता, बस जैसा करने से दिल और दिमाग़ को सुकून मिले वही करना चाहिए”

"आख़िर तुम कहना क्या चाहते हो सग़ीर?" -आपी ने मेरी तरफ चेहरा घुमा कर पूछा.

"आपका बार बार फरहान को उसकी मन की करने से रोक देना, मुझे अपने हिसाब से डाइरेक्सन देते हुए चुदाई करवाना... आपी अब इसमें मज़ा नहीं आ रहा"

"तो क्या चाहते हो तुम?" -आपी ने फिर से पूछा।

"मैं चाहता हूँ कि आज तक जैसा आपने कहा ठीक उसी तरह मैं और फरहान करते आए, अब इसी वक़्त से आप वादा करो कि हम दोनों को अपने मन की करने से नहीं रोकोगी" -मैं अपने शैतानी दिमाग़ में जाल बुनता हुआ बोला।

"ठीक है, अब से दो दिन तक तुम दोनों पूरी तरह अपनी मनमानी करने को फ्री हो, पर थोड़ा हनी का ख्याल रखना, बेचारी अभी तुम दोनों का वहशीपन झेलने के लायक नहीं है" -आपी ने अपनी रज़ामंदी देते हुए कहा।

तभी फरहान बीच में टपक पड़ा, "ये हनी जो भाईजान के लॅंड से कल हचक के चुदी है, इसे आप नाज़ुक कह रहे हो? ये तो माशाअल्लाह अब गधे के लॅंड से भी चुद जाएगी"

यह सुनकर हनी ने उसकी पीठ में एक धौल जमा दी परंतु मेरे शैतानी दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था।

मैने आपी को किस करते हुए कुतिया बनने को बोला, वो बिना मेरे मंसूबों को समझे पलट कर अपने चूतड़ उचका दीं. मैं उनके पीछे आया और चूत पर लॅंड टिका कर पेल दिया। थोड़ी देर तक चोदने के बाद मैने अपने दोनो हाथ से उनके चूतड़ चीर दिए। वैसे ही उनकी गाँड़ का छेद उभर कर ऊपर आ गया। मैने बिना देर किए उनकी गाँड़ में थूक दिया जिसे वो चुदाई की मस्ती में महसूस नहीं कर पाईं।

अपने अंगूठे से थूक को उनके गुलाबी छेद पर मलते हुए मैने धीरे से गाँ ड़ में घुसा दिया। आपी ने चिहुँक कर पीछे देखा, "ये क्या कर रहा है?"

"आपी! आपने वादा किया है कि आप मुझे और फरहान को किसी भी तरह रोकेंगीं नहीं" मैने अपना अंगूठा उनकी गाँ ड़ में अंदर बाहर करते हुए कहा।

"हाँ... आं...पर...?"

"नही आपी! अब आप वादा ख़िलाफी कर रहीं हैं"

"वो सब ठीक है... पर सग़ीर, मैने गाँड़ मरवाने का वादा तो नहीं किया था"

अंगूठा करते करते आपी की गाँड़ कुछ मुलायम होकर खुलने लगी थी, मैने फिर से ढ़ेर सा थूक उनकी गाँड़ में थूक कर अब अंगूठा निकाल कर दो उंगली घुसेड दीं।

"मान जाओ सग़ीर... मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ... मेरी गाँड़ तुम्हारा ये लॅंड बर्दाश्त नहीं कर पाएगी"

"कुछ नहीं होगा आपी, याद करो, चूत मरवाने से पहले आप कितना मना करतीं थीं फिर चुदने में मज़ा आया या नहीं?"

हनी और फरहान आपी की गाँड़ मारने की बात सुनकर उठ कर गौर से देख रहे थे। मैने फरहान से कहा, "जैसा मैं आपी के साथ कर रहा हूँ वैसे वैसे ही तू हनी के साथ कर लेकिन खबरदार जो हनी को कोई तक़लीफ़ हुई तो?"

फरहान ने हामी भरते हुए फुर्ती से हनी की कमर को पकड़ कर अपनी तरफ घुमा लिया। हनी ने आपी की तरफ पूछने वाली निगाह से देखा।

"अब कुछ नहीं हो सकता हनी और फिर ये दोनो कमीने एक न एक दिन हमारी गाँड़ मारेंगे ज़रूर तो आज इन्हें अपने मन की कर लेने दो" -आपी ने हथियार डालते हुए कहा।

"आपी! दर्द तो नहीं होगा ना?" -हनी ने फरहान के आगे अपनी गाँड़ उठाते हुए कहा।

"क्या तू भी, बायो की स्टूडेंट होकर ऐसी बात करती है... चूत में तो झिल्ली फटती है तो दर्द होता है, गाँड़ में कौन सी झिल्ली फटनी है... और तू सुबह सुबह जब पॉटी करती है तो वो कम मोटे होते हैं क्या? -फरहान उसकी गाँड़ में थूक लगा कर उंगली से रवाँ करता हुआ ज्ञान पेलता बोला।

आपी की गाँड़ में अब मेरी दो उंगलियाँ सटासॅट अंदर बाहर हो रहीं थीं, अब मैने उनकी गाँड़ मे फिर थूक कर आपी की चूत से उनके रस से भीगा लॅंड उनकी गाँड़ पर टिका दिया।

अपनी गाँड़ पर लॅंड को महसूस करके आपी का शरीर काँप गया पर वो कुछ भी बोल नहीं रहीं थीं।

"सग़ीर! मेरी जान, बहुत आराम से करना मेरे भाई..." -आपी ने काँपती आवाज़ में कहा।

"आप बिल्कुल परेशान न हो मेरी जान, आख़िर आप मेरी आपी हो, मैं आपको तक़लीफ़ कैसे दे सकता हूँ" -मैने उनकी गाँड़ पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
Like Reply
Exclamation 
"उई... अम्मी... कमीने... थप्पड़ क्यूँ मारा"

"हा...हा...हा... लो आपी अब मैं अपना लॅंड तुम्हारी गाँड़ में पेल रहा हूँ, पहली बार में हो सकता है थोड़ी तक़लीफ़ हो पर एक बार जगह बन जाने पर चूत मरवाने से कम मज़ा नहीं आएगा" -मैने आपी की गाँड़ में अपने लॅंड का दबाव बनाते हुए कहा।

उधर फरहान ने भी हनी की गाँड़ में ढेर सारा थूक लगा कर अपना लॅंड पेलना शुरू कर दिया। मैने धीरे धीरे अपना पूरा सुपाड़ा आपी की गाँड़ में उतार दिया। आपी तकिये को अपने मुँह में भींचे बिल्कुल आवाज़ नहीं निकलने दे रहीं थीं।

तभी फरहान मुझसे बोला, "भाईजान, अगर वैसलीन लगा लें तो आराम से पूरा लॅंड अंदर चला जाएगा, आपने जब पहली बार मेरी गाँड़ वैसलीन लगा कर मारी थी तो मुझे हल्का सा ही दर्द हुआ था"

"तो इतनी देर से अपनी बहन क्यूँ चुदवा रहा है कमीने? पहले से नहीं बोल पा रहा था?" -आपी तक़लीफ़ से चिल्लाती हुईं बोलीं।

फरहान दौड़ कर टेबल से वैसलीन की डिब्बी उठा लाया जिसे हम दोनों ने अपने लॅंड के साथ साथ आपी और हनी की गाँड़ में भी ढंग से लगा दी। मेरा आपी की कसी हुई गाँड़ मारने के ख़याल से ही बुरा हाल था।

मैने आपी की गाँड़ की एक चुम्मी लेकर अपने लॅंड का सुपाड़ा उनके झुर्रीदार छेद पर टिका दिया। अब मैने उनके दोनों चूतड़ कस कर पकड़ते हुए पूछा, "आपी! क्या तुम तैयार हो?"

"अगर मैं ना कहूँगी तो तू मान जाएगा क्या?" -आपी ने भुनभुनाते हुए गुस्से में कहा।

"अरे आपी मेरी जान! एक बार गाँड़ मरवा कर तो देखो, कल से चूत मरवाने से पहले अगर गाँड़ में लॅंड खुद ही पकड़ के न डालो तो मेरा नाम बदल देना" -मैने अपने लॅंड का सुपाड़ा उनकी गाँड़ में अंदर करते हुए कहा।

"आहह... तभी... तू... और फरहान... एक दूसरे की गाँड़ मारते थे... उई अम्मी... सग़ीर... आराम से पेल भाई..." -आपी ने कसमसाते हुए कहा।

उधर फरहान ने भी आराम से पूरा लॅंड हनी की गाँड़ में पेल दिया था। अब वह ठोकर मारने के लिए मेरी तरफ देखा।

मैने कहा, "थोड़ी देर पूरा लॅंड गाँड़ में ही रोक कर फिर धीरे धीरे आगे पीछे करना, फिर जब गाँड़ रवाँ हो जाए तब धक्के लगाना शुरू करना"

यह कह कर मैने आपी की गाँड़ से लॅंड बाहर खींच कर फिर से जड़ तक अंदर कर दिया। चार छः बार ऐसे ही करने के बाद लॅंड आराम से चलने लगा। अब मैने थोड़ा सा स्पीड बढ़ाते हुए आपी की गाँड़ मारना शुरू कर दिया।

उधर फरहान हनी की सटासॅट गाँड़ मार रहा था। हनी और आपी दोनों के मुँह से सिसकारियाँ निकल रहीं थीं।

'आ...ह... उहह... एस... थोड़ा... स्पीड... बढ़ाओ अब... एस... और... ज़ोर... से...'

मैं आपी की गाँड़ में भकाभक अपना लण्ड अंदर बाहर कर रहा था।

"आपी! सच सच बताना, मज़ा आ रहा है या नहीं, झूठ मत बोलना" -मैं आपी के चूतड़ कस कर थामे ठोकरे मारता बोला।

"हाँ, सही कह रहे थे तुम पर अगर वैसलीन न लगाते तो गांड फट कर हाथ में आ गई होती" -आपी अपनी फुद्दी कस कर रगड़ते हुए बोलीं, इस बीच वो दो बार झड़ चुकीं थीं ।

"आह... सगीर... बस्स... मेरा तो ... फिर...से हो गया..., अब बस कर भाई ... गांड दुखने लगी है..." -आपी फाइनली फिर से पानी छोड़ दीं थीं, मेरा भी अब होने ही वाला था। मैं पूरी ताक़त से आपी की गांड मार रहा था। अचानक मैंने अपना लण्ड जड़ तक आपी की गांड में ठांस दिया और वहीं रोक कर एक-दो-तीन लगातार पिचकारी मारना शुरू कर दिया।

मैं हांफते हुए आपी की चूचियों को पकड़ कर उनकी पीठ पर ही ढेर हो गया। आपी भी अपनी टाँगे सीधी करते हुए बेड पर पेट के बल लेट कर अपनी साँसे दुरुस्त करने लगीं।

मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो हनी और फरहान दोनों ही झड़ने के बाद आराम कर रहे थे। हनी अभी भी अपनी फुद्दी सहला रही थी। अचानक हनी उठ कर बाथरूम में घुस गई।

थोड़ी देर बाद निकल कर आई और बोली, "आह... पूरा पेट साफ़ हो गया"

"गांड मरवाने से यही तो फायदा है" -फरहान ज्ञान पेलता बोला, "गांड मरवाने से दो नफ़ा। गर्दन मोटी पेट सफ़ा॥"

"तुम दोनों हम लोगों का कोई छेद ऐसा नहीं छोड़े जिसमें अपना लण्ड न पेला हो, एक गांड बची थी वो भी मार ली" -आपी बिस्तर से उठतीं हुई बोलीं, "हाय अल्ला, सगीर... मेरी गांड तो बहुत कसक रही है, हाय… मुझ से तो ज़मीन पर चला भी नहीं जा रहा" आपी अपनी गांड सहलाते हुए बोलीं।

"कुछ नहीं आपी, अभी नसें तुरंत ढीली हुईं हैं इसलिए कसक रहीं हैं। थोड़ी देर बाद खुद ब खुद नार्मल हो जायेंगीं" मैं उन्हें तसल्ली देते बोला।

"वैसे कुछ भी कहो भाईजान, हनी की गांड मारने में मज़ा बहुत आया" -फरहान अपना लण्ड सहलाते हुए बोला

"कुछ तो शर्म कर ले बहनचोद, तेरी दो दो बहनें वो भी सगी बहने तेरे सामने हैं और तू लण्ड सहलाता हुआ उनकी गांड की तारीफ कर रहा है" -आपी फरहान से बोलीं और फिर वो भी बाथरूम में चलीं गईं।

मैं हनी के शफ़्फ़ाक़ गोरे गोरे चूतड़ सहलाने लगा।

"भाईजान, गांड नहीं, आप मेरी चूत मारना, मुझे चूत में आपका लण्ड बड़ा मज़ा देता है" -हनी मेरे चेहरे के भावों को समझते हुए बोली।

"मैंने कल ही तुम्हारी चूत मारी है, अभी एक दो दिन तुम फरहान से ही मरवाओ, फिर जब रवां हो जाएगी तब तुम्हें चोदूगा" -मैंने उसकी चूत में उंगली करते हुए कहा

आपी भी पाखाने से फारिग होकर आ गईं। आते ही वो बेड पर गिर गईं।

"सब ख़ैरिय्यत तो है आपी जान... क्या हुआ?" -मैंने उनके गालों को सहलाते हुए पूछा

"कुछ नहीं सगीर, तेरा लण्ड बहुत मोटा है। मैं तो यही सोच कर ख़ौफ़ज़दा हूँ कि अगर वैसलीन न लगाई होती तो मेरी गांड का क्या होता? बहुत चिरचिरा रही है" -आपी ने दर्द में डूबी आवाज़ में कहा

"रुको आपी, मेरे पास एक मलहम है, मैं वो तुम्हारी गांड में लगा देता हूँ। जल्दी ही तुम्हें आराम मिल जायेगा" -मैंने उनके होठों पर प्यार से एक चुम्मी लेते हुए कहा

"ठीक है पर अब एक दो दिन गांड मत मारना मेरी प्लीज़ सगीर"

"ओ के आपी डन" -मैंने फिर से उनकी एक चुम्मी ली और मलहम लाने उठ गया।

हम चारों न्यूड सिस्टर ब्रदर चुदाई का मजा ऐसे ही तीन दिन तक सुबह-शाम लेते रहे। आपी और हनी गर्भ निरोधक गोलियां लेती रहीं।

फरहान और मैं उन दोनों को दिन रात चोदते रहे।

खवातीन और हज़रात, आपको मेरी यह चुदाई की कहानी ज़रूर अच्छी लगी होगी. अब हम चारो भाई बहन रात में खुल कर चुदाई का मज़ा लेते थे. इसके आगे के मेरी ज़िंदगी के असली वाक़ियत आपको मेरी अगली थ्रेड "यादों के झरोखे से" में पढ़ने को मिलेंगे।

अपने लाइक व कॉमेंट ज़रूर दीजिएगा।

सग़ीर ख़ान
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 1 user Likes KHANSAGEER's post
Like Reply







V
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 9 Guest(s)