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Adultery जिस्म की भूख
#1
सभी चुदक्कड़ भाई बहनों को आदाब.........
मेरा नाम सगीर है और मेरी उम्र इस वक़्त 35 साल है। कहानी है इस बारे में कि कैसे मैं और मेरी परिवार में चुदाई से आशनाई हुई। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती जाएगी.. मैं आप लोगों से अपनी फैमिली का तवारूफ करवाता जाऊँगा। ये सब जब शुरू हुआ.. उस वक़्त मेरी उम्र 19 साल थी। मैं सेक्स के मामले में बिल्कुल पागल था। चौबीस घंटे मेरे जेहन में सिर्फ़ सेक्स ही भरा रहता था। मैं हर वक़्त सेक्स मैगजीन्स की तलाश में रहता था।
हालांकि मुठ मारने के लिए सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी पहने हुई लड़की की तस्वीर भी मेरे लिए बहुत थी।
एक दिन मुझे मेरे दोस्त ने एक सीडी दी। मैं सीडी लेकर घर आया और हमेशा की तरह कंप्यूटर इस्तेमाल में था और मैंने शदीद झुंझलाहट में अपनी ज़िंदगी को कोसा कि मेरे इतने भाई बहन ना ही होते तो अच्छा था कि यहाँ किसी को कभी कोई प्राइवेसी ही नहीं मिलती।
मैंने सीडी अपने कॉलेज बैग में छुपा दी और रात के इन्तजार में दिन काटने लगा।
रात को जब सब सोने चले गए तो मैंने सीडी निकाली और स्टडी रूम की तरफ चल दिया। स्टडी रूम में किसी को ना पकड़ मुझे कुछ इत्मीनान हुआ और मैंने मूवी देखना शुरू की।
यह एक आम ट्रिपल एक्स मूवी थी.. जिसमें एक जोड़े को चुदाई करते दिखाया गया था।
मैंने अपने 6.5 इंच लण्ड को अपने शॉर्ट से बाहर निकाला और मूवी देखते-देखते अपने लण्ड को सहलाने लगा।
अचानक ही मेरा छोटा भाई फरहान… रूम में दाखिल हुआ।

मैं मूवी देखने और लण्ड को सहलाने में इतना खो सा गया था कि मैं फरहान की आमद को महसूस ही नहीं कर सका जब तक कि उसने चिल्ला कर हैरतजदा आवाज़ में पुकारा- "भाईजान.. ये क्या हो रहा है?"
मेरी खौफ से तकरीबन मरने वाली हालत हो गई और मैंने फ़ौरन अपने लण्ड को छुपाने की कोशिश की..
फरहान कुछ देर खामोश खड़ा कुछ सोचता रहा और फिर मुस्कुराते हुए कहने लगा- 

"तो आप भी ये सब करते हैं.. मैं तो समझता था कि सिर्फ़ मैं ही ऐसा हूँ।"
मैं उस वक़्त कुछ कन्फ्यूज़्ड सा था.. लेकिन मैंने देखा कि फरहान ने इस बात को इतनी अहमियत नहीं दी है.. तो मैंने झेंपते हुए मुस्कुराहट से फरहान को देखा और कहा- 
"यार सभी करते हैं.. ये तो नेचुरल है।"
फरहान ने सवालिया अंदाज़ में पूछा- भाई.. आपने ये मूवी कहाँ से ली है?
क्योंकि उस वक़्त ऐसी मूवीज का मिलना बहुत मुश्किल होता था.. ख़ास तौर से हमारे एरिया में..
मैंने कहा- यार मोईन से ली है।
मोईन मेरा दोस्त था।

फरहान ने हिचकिचाते हुए कहा- भाईजान मैं भी देखूंगा..
फिर मुझे कुछ सोचता देख कर फ़ौरन ही बोला- भाईजान प्लीज़ देखने दो ना..
मैंने मुस्कुरा कर फरहान को देखा और कहा- चल जा.. कुर्सी ले आ और यहाँ पर बैठ जा।

वो खुश होता हुआ कुर्सी लाकर मेरे साथ ही बैठ गया।
हमने पूरी मूवी साथ में देखी.. लेकिन मैं मुठ नहीं मार सका.. क्योंकि मेरा छोटा भाई मेरे साथ था। मूवी के बाद हम अपने-अपने बिस्तर पर चले गए.. जो हमारे अलग-अलग बेडरूम में थे। हमने यह तय किया कि हम में से जिसको भी ऐसी कोई मूवी मिली.. तो हम साथ ही देखा करेंगे।
इस एग्रीमेंट से हम दोनों को ही फ़ायदा हुआ कि हम कभी भी मूवी देख सकते थे। कंप्यूटर ज्यादातर हम दोनों के ही इस्तेमाल में रहता था। हमारी बहनें कंप्यूटर में इतनी रूचि नहीं लेती थीं।
साथ फिल्म देखने में हममें एक ही मसला था कि.. हम एक-दूसरे के सामने मुठ नहीं मार सकते थे। कुछ हफ्तों के बाद हमने एक मूवी देखी.. जिसमें कुछ सीन होमोसेक्सुअल भी थे। जैसे एक सीन में एक 18-20 साल का लड़का एक आदमी का लण्ड चूस रहा था। मुझे वो सीन कुछ अजीब सा लगा और सच ये था कि मुझे एक अलग सा अनोखा मज़ा भी आने लगा।
फरहान ने स्क्रीन पर ही नज़र जमाए हुए पूछा- भाई इसमें क्या मज़ा आता है इन लोगों को? जब लड़कियाँ मौजूद हैं.. तो ये लड़के एक-दूसरे को क्यूँ चोद रहे हैं?
मैंने कहा- पता नहीं यार..
फिर मैंने फरहान को बताया- मुझे अपने एरिया के कुछ लड़कों का पता है कि वो एक-दूसरे को चोदते हैं।

जैसे-जैसे मूवी आगे बढ़ती जा रही थी.. हमें भी मज़ा आने लगा था।
मैंने फरहान को देखा.. तो फरहान अपने शॉर्ट के ऊपर से ही अपने लण्ड को मसल रहा था। मुझे भी बहुत अधिक ख्वाहिश हुई कि मैं भी अपने लण्ड को सहलाऊँ। तो मैंने हिम्मत की और फरहान की परवाह किए बगैर शॉर्ट के ऊपर से ही अपने लण्ड को पूरा अपनी गिरफ्त में लेकर हाथ आगे-पीछे करने लगा।
फरहान ने मेरी तरफ एक नज़र डाली और कुछ बोले बिना.. फिर से मूवी देखने लगा.. तो मैंने अपनी मुठ जारी रखी।
फरहान ने भी हिम्मत की और मेरी तरह शॉर्ट के ऊपर से अपने पूरे लण्ड को गिरफ्त में ले लिया और मुठ मारने लगा।
जल्द ही हम दोनों के हाथों के आगे-पीछे होने की स्पीड बढ़ने लगी।

मेरी साँसें फूल गई थीं.. मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं, मेरा जिस्म अकड़ रहा था और जल्द ही मेरे मुँह से हल्की सी ‘आह..’ खारिज हुई.. और मैंने अपने लण्ड के पानी को अपने लण्ड से निकलता महसूस किया, मेरे जिस्म ने 3-4 झटके लिए और मैं ठंडा हो गया।
मेरी आँख खुली और मैंने फरहान की तरफ देखा तो वो मुझे ही देख रहा था।
हम दोनों के शॉर्ट्स गीले हो चुके थे। हमने एक-दूसरे से कोई बात नहीं की। फरहान ने कंप्यूटर ऑफ किया और हम दोनों चुपचाप अपने-अपने बिस्तर पर सोने चल दिए।

इसी तरह गाहे-बगाहे हम दोनों मूवी देखते और शॉर्ट के ऊपर से ही अपने-अपने लण्ड को ग्रिप में लेकर मुठ्ठ मारते। ये सब रुटीन वर्क की तरह चल रहा था, हम दोनों में से कोई भी अब इससे अजीब नहीं समझता था।
मुझे यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि मैं गान्डू सेक्स को भी पसन्द करने लगा था। ‘गे’ सेक्स की मूवीज देख कर मुझे मज़ा आता था.. लेकिन ऐसी मूवीज आम नहीं थीं। कभी-कभार कोई सीडी मिल जाती थी.. जिसमें ‘गे’ सेक्स मूवीज होती थी।
एक दिन मुझे एक सीडी ऐसी मिली.. जो प्योरली ‘गे’ पॉर्न की थी। उसमें सिर्फ़ आदमी थे.. कोई औरत नहीं थी।
हम दोनों वो मूवी देख रहे थे कि एक सीन आया.. जिसमें दो बहुत क्यूट से यंग लड़के एक-दूसरे की गाण्ड में डिल्डो (रबर का लण्ड) अन्दर-बाहर कर रहे थे।
मुझे वो सीन देखते-देखते बहुत ज्यादा मज़ा आने लगा और शॉर्ट के ऊपर से लण्ड सहलाते-सहलाते मैंने अंजाने में अपने शॉर्ट को घुटनों तक उतार दिया और अपने लण्ड को अपने हाथ में लेकर तेजी से मुठ मारने लगा।
फरहान ने मुझे इस हालत में देखा तो उससे शॉक लगा और उसने चिल्ला कर कहा- भाईईइ.. ये क्या कर रहे हो आप?
मैंने कहा- छोड़ो यार.. मैं रोज़-रोज़ अपने आपको रोक-रोक कर और रोज़ रात अपने शॉर्ट को धोकर तंग आ गया हूँ। हम दोनों ही जानते हैं कि हम ये करते हैं.. तो यार खुल कर ही क्यूँ ना करें.. तुम भी उतारो अपना शॉर्ट.. और मूवी देखो यार.. हम खुल कर मज़े लेते हैं।
फरहान से ये कह कर मैंने अपना रुख़ दोबारा कंप्यूटर की तरफ मोड़ लिया और मुठ मारने का सिलसिला दोबारा से जोड़ने लगा। कुछ देर झिझकने के बाद फरहान ने भी हिम्मत की और अपने लण्ड को शॉर्ट से बाहर निकाल लिया।
मैंने फरहान को इस हाल में देखा तो मुस्कुरा दिया। अब अचानक ही हमारा फोकस कंप्यूटर स्क्रीन से हट कर एक-दूसरे के लण्ड पर मुन्तकिल हो गया था। फरहान का लण्ड उस वक़्त भी तकरीबन 6 इंच का था.. जबकि मेरा तकरीबन साढ़े 7 इंच का था। फरहान के लण्ड की टोपी थोड़ी गुलाबी सी थी.. जबकि मेरा लण्ड कुछ लाल-काला मिक्स से रंग का था।
फरहान ने कहा- भाई हमारे लण्ड छोटे क्यूँ हैं.. जबकि मूवीज में तो सबके बहुत बड़े-बड़े लण्ड होते हैं?
मैंने कहा- हमारा साइज़ बिल्कुल नॉर्मल है.. जबकि मूवीज में सिर्फ़ उनको लिया जाता है.. जिन के लण्ड बड़े और मोटे हों.. जैसे आम नॉर्मल फिल्म्स में देखो सब हीरो वगैरह खासे पहलवान और आकर्षक.. सख्त जिस्म के होते हैं.. कोई आम सा लड़का कहाँ किसी फिल्म में हीरो होता है।

कुछ बातों के बाद हम फिर मूवी पर ध्यान करने और मुठ मारने लगे।
अब हम दोनों को ही मुठ मारने में ज्यादा मज़ा आ रहा था.. क्योंकि हमारी नजरों की गिरफ्त में अब रियल लण्ड भी थे।

जब मैं डिसचार्ज होने के क़रीब हुआ.. तो मैंने अपने शॉर्ट को पूरा अपने जिस्म से अलग कर दिया और अपने लण्ड पर बहुत तेज-तेज हाथ चलाने लगा।
फिर एकदम से मेरे लण्ड ने झटकों से पिचकारी मारना शुरू की और सारा पानी मेरे छाती और पेट पर गिरने लगा। ये देखते ही फरहान भी डिसचार्ज होने लगा। डिसचार्ज होने के बाद हम दोनों ने अपने-अपने जिस्म को टिश्यू से साफ किया और बारी-बारी से बाथरूम में धोने चले गए।
उस दिन के बाद से हमने कंप्यूटर को अपने रूम में शिफ्ट कर लिया और रोज़ रात सोने से पहले हम बिल्कुल नंगे होकर मूवी देखते और मूवी देखते-देखते ही मुठ मारते।
एक रात हम इसी तरह मूवी देखते हुए मुठ मार रहे थे.. कि अचानक लाइट चली गई.. हम दोनों बहुत निराश हो गए और मैंने झुँझलाहट में बिजली वालों को गालियाँ देनी शुरू कर दीं। फरहान ने अपनी कुर्सी से उठने की कोशिश की तो अंधेरे की वजह से अचानक फरहान का हाथ मेरे लण्ड से टच हुआ और मेरे मुँह से एक ‘आह’ खारिज हो गई।
फरहान ने फ़ौरन कहा- सॉरी भाई..

मैंने कहा- कोई बात नहीं यार..
लेकिन कसम से अपने हाथ के अलावा किसी का हाथ टच होने से मज़ा बहुत आया.. चाहे एक लम्हें का ही मज़ा था।

फरहान ने ये बात सुनी और तवज्जो दिए बगैर बिस्तर की तरफ चल पड़ा।
मैं भी अपनी कुर्सी से उठा और धीमी-धीमी सी रोशनी में संभाल कर अपना शॉर्ट लेने चल पड़ा।


फरहान पहले ही झुक कर बिस्तर से अपना शॉर्ट उठा रहा था.. अचानक ही मेरा लण्ड फरहान की नरम-गरम गाण्ड की दरार से टच हुआ.. तो मज़े की एक हसीन सी ल़हर मेरे जिस्म में फैल गई।
वो लहर एक ‘आअहह..’ बन कर मेरे मुँह से खारिज हुई।


उसी वक्त मुझे फरहान की मज़े में डूबी हुई सिसकारी सुनाई दी। फरहान ना ही कुछ बोला.. और ना ही उसने अपनी पोजीशन चेंज की और उसी हालत में रुका रहा।

मुझे अंदाज़ा हुआ कि जो इतनी ‘गे’ मूवीज हमने देखी हैं.. उनका जादू फरहान पर भी चल चुका है।
मैंने हिम्मत की और अपने जिस्म को फरहान की तरफ दबा दिया।
मैंने अपना लेफ्ट हैण्ड फरहान के एक कूल्हे पर रखा और अपने लण्ड को फरहान की गाण्ड की दरार में सैट किया, थोड़ा झुका और अपने राईट हैण्ड से फरहान के लण्ड को पकड़ा और उसकी गाण्ड की दरार में अपने लण्ड को रगड़ने लगा।


इसी के साथ-साथ फरहान के लण्ड को अपने हाथ में मज़बूती से पकड़ कर अपना हाथ आगे-पीछे करने लगा।

फरहान की साँसें तेज हो गईं और उसने कमज़ोर से लहजे में कहा- नहीं भाई.. प्लीज़ ये नहीं करें।
लेकिन मैंने अनसुनी करते हुए कहा- इसस्शहस्शह.. कुछ नहीं होता यार.. तुम बस ज्यादा कुछ मत सोचो.. और मज़ा लो..


यह कहते हुए मैंने फरहान के लण्ड पर अपने हाथ की हरकत को मज़ीद तेज कर दिया।
अब फरहान भी मज़े में डूब गया और मेरे लण्ड के साथ आहिस्ता-आहिस्ता अपनी गाण्ड को भी हरकत देने लगा।
हम दोनों ही डिसचार्ज होने के क़रीब आ गए।


हम दोनों ही डिसचार्ज होने के क़रीब थे.. 

मैंने फरहान से कहा- जब पानी निकलने लगे.. तो घूम जाना ताकि बेडशीट खराब ना हो..

इसी के साथ-साथ ही मैं फरहान की गाण्ड की दरार में अपने लण्ड को रगड़ रहा था और लम्हा-बा-लम्हा छूटने के क़रीब हो रहा था। कुछ ही मिनट बाद फरहान अचानक घूम गया और उसके लण्ड से पानी की तेज धाराएँ निकलने लगीं और मेरे सीने पर चिपकती गईं।
जैसे ही फरहान के लण्ड के जूस ने मेरे सीने को टच किया.. तो मेरे जिस्म में मज़े की एक अजीब सी लहर उठी और फ़ौरन ही वो लहर मेरे लण्ड से पानी बन कर बहने लगी, मेरा धार भी फरहान के सीने और पेट को तर करती चली गई।


कुछ लम्हें हम वैसे ही खड़े रहे अंधेरे में और अपनी साँसों के दुरुस्त होने का इन्तजार करने लगे। हम दोनों को शर्मिंदगी और लज्जत ने उस वक़्त घेर रखा था। अचानक लाइट आ गई.. मुझे फरहान के जिस्म को अपने लण्ड के जूस से भरा और अपने जिस्म को फरहान के लण्ड के पानी से तर देखना अजीब सी लज़्ज़त दे रहा था। जबकि फरहान नर्वस सा खड़ा था।

मैंने अपना हाथ बढ़ाया और फरहान के लण्ड को सहला कर मुस्कुराते हुए कहा- बहुत लज़्ज़तअंगेज़ लम्हात थे ना.. मज़ा तो तुम्हें भी बहुत आया है.. क्या ख़याल है मेरे छोटे भाई साहब??

मेरी बात सुन कर फरहान थोड़ा पुरसुकून हुआ और उसके चेहरे पर भी मुस्कुराहट फैल गई। हमने इस बारे में मज़ीद कोई बात नहीं की..

मैंने अपने आपको साफ किया और ड्रेस पहन कर कमरे से बाहर निकला और अपनी छत पर चला गया। मैं अपनी दोनों कोहनियों को दीवार पर टिकाते हुए दीवार के पास खड़ा हुआ.. अपनी आज की इस हरकत के बारे में सोचने लगा।

मैंने अपने आपको कभी भी ‘गे’ नहीं माना.. लेकिन सच ये था कि आज जो कुछ भी हुआ.. उसने मुझे बहुत मज़ा दिया था। मैं सोचता रहा कि क्या मैं सचमुच ‘गे’ हूँ?

फिर मैंने सोचा कि क्या होगा अगर मेरे पास एक लड़का और एक लड़की हो.. तो मैं चोदने के लिए किसे तरजीह दूँगा। फ़ौरन ही मेरे जेहन ने मुझे बता दिया कि मैं ‘गे’ नहीं हूँ। मैं हमेशा लड़की को चुदाई के लिए तरजीह दूँगा.. किसी भी लड़की के साथ किसी भी वक़्त मैं चुदाई के लिए तैयार रहूँगा।

जो मैंने अपने सगे भाई के साथ किया उसकी वजह सिर्फ़ ये थी कि हम दोनों एक ही वक़्त में एक ही जगह पर बगैर कपड़ों के नंगी हालत में थे और बहुत गरम थे.. तो ये सब होना फितरती अमल था।

उस रात हम दोनों चुपचाप सोने के लिए लेट गए और आपस में कोई बात नहीं की।

अगली रात हमने अपना वो ही हिडन फोल्डर ओपन किया.. जहाँ हमने अपनी सेक्स मूवीज छुपा रखी थीं और एक पुरानी देखी हुई मूवी दोबारा देखना शुरू कर दी क्योंकि हमारे पास कोई नई मूवी नहीं थी।

यह भी एक बाईसेक्सुअल मूवी ही थी। दस मिनट बाद ही हम दोनों अपने जिस्मों से कपड़ों को अलहदा कर चुके थे और अपने-अपने लण्ड को हाथ में लिए हाथों को आगे-पीछे हरकत दे रहे थे।
कल जो कुछ हुआ उसकी वजह से हम दोनों ही की हरकत में कुछ झिझक सी थी.. जिसको दूर करना बहुत जरूरी था।


मैं अपने छोटे भाई के सीधे हाथ की तरफ बैठा था और मैंने अपने राईट हैण्ड में अपने लण्ड को थाम रखा था। मैंने अपना लेफ्ट हैण्ड उठाया और आहिस्तगी से फरहान की रान पर रख दिया और फरहान की रान को अपने हाथ से सहलाने लगा। फरहान ने मेरी तरफ एक नज़र डाली।

मैं मूवी देखने में मग्न था। फरहान ने भी अपना रुख़ कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ मोड़ दिया और मुझे कुछ नहीं कहा। मैंने कुछ और हिम्मत की और फरहान की रान को सहलाते हुए अपने हाथ को उसके लण्ड की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया और आहिस्तगी से फरहान की बॉल्स को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगा।
फरहान के मुँह से धीमी-धीमी सिसकारियाँ निकलने लगीं और उसके लण्ड पर उसके हाथ की हरकत तेज हो गई।


मैंने फरहान का हाथ उसके लण्ड से हटाया और उसके लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगा। फरहान का मज़ा बढ़ा तो मैंने फरहान का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया और हम दोनों एक-दूसरे के लण्ड पर अपने हाथ आगे-पीछे करने लगे।

इससे हम दोनों को ही इतना मज़ा आया कि जल्द ही हम दोनों के लण्ड ने एक-दूसरे के हाथ पर पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

डिसचार्ज होने के बाद भी हमने एक-दूसरे के लण्ड को थामे रखा और बेदिली से मूवी देखते रहे। बेदिली इसलिए कि अब मूवी से ज्यादा हम दोनों का ध्यान हमारे हाथों में थामे एक-दूसरे के लण्ड पर था। कुछ लम्हों के बाद ही हम दोनों के लण्ड दोबारा सख्ती से अकड़ गए।

फरहान ने मुझसे कहा- भाई मैं भी आपके साथ वो करना चाहता हूँ.. जो कल आपने मेरे साथ किया था।
मैंने मुस्कुरा कर अपने छोटे भाई को देखा और कहा- ओके चल..


मैं अपनी कुर्सी से उठा और उसी कुर्सी पर उल्टा होकर घुटनों के बल बैठ कर अपनी कमर को आगे की तरफ झुका लिया।
फरहान उठ कर मेरी तरफ आया और उसने अपने लण्ड को थाम कर मेरे दोनों कूल्हों के दरमियान दरार में फँसाया और मेरे ऊपर झुकते हुए नीचे से मेरे लण्ड को अपने हाथ में थाम कर आहिस्ता-आहिस्ता मेरी गाण्ड पर अपने लण्ड को रगड़ने लगा और अपने हाथ से मेरे लण्ड को सहलाने लगा।


सच यह है कि फरहान का लण्ड जब मेरी गाण्ड के सुराख पर टच होता.. तो गाण्ड में अजीब लज्जत सी लहर पैदा होती थी और पूरे जिस्म में सनसनी सी फैल जाती। मेरी गाण्ड के अन्दर अजीब मीठी-मीठी सी गुदगुदी हो रही थी।

मैंने भी अपने आपको पीछे की तरफ फरहान के जिस्म के साथ दबाना शुरू कर दिया।

मेरी नज़र अपने राईट साइड पर दीवार पर लगे आदमक़द आईने पर पड़ी तो भरपूर मज़े ने मुझे अपनी गिरफ्त में ले लिया और मैंने फरहान की तवज्जो भी आईने की तरफ दिलवाई.. तो फरहान की आँखें भी चमक उठीं। आईने में हम दोनों की हालत मूवी के किसी बेहतरीन सीन से ज्यादा हॉट लग रही थी। हम दोनों फ़ौरन ही मज़े की इंतेहा तक पहुँच गए और तकरीबन साथ-साथ ही डिसचार्ज हो गए।

हमारे पूरे जिस्म पसीने में सराबोर थे और नहाने की हाजत हो रही थी। हम दोनों साथ-साथ ही बाथरूम में दाखिल हुए और नहाना शुरू कर दिया।

फरहान ने मेरे पूरे जिस्म पर साबुन लगाया और मुझे अपने जिस्म पर साबुन लगाने का कहा। मैंने फरहान के जिस्म पर साबुन लगाया और अपने एक हाथ से फरहान के लण्ड पर साबुन लगाते हुए दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड के सुराख को मसलता रहा।

इस हरकत ने फरहान को इतना मज़ा दिया कि 5 मिनट के अन्दर अन्दर ही फरहान के लण्ड ने फिर पानी छोड़ दिया।
आज रात में फरहान तीसरी बार डिसचार्ज हुआ था.. जिससे उसे कमज़ोरी भी महसूस होने लगी थी।


नहाने के बाद हम दोनों कमरे में वापस आए और बिस्तर पर लेटते ही नींद की शह ने हमें अपनी आगोश में भर लिया।

अगले दिन सारे वक्त मैं अपने और फरहान के दरमियान हुए सेक्स के बारे में ही सोचता रहा। अब मैं कुछ और करना चाहता था.. कुछ नया करना चाहता था।

मैंने अपने एक क्लोज़ दोस्त मोईन से ये डिस्कस किया। मोईन का इस बारे में काफ़ी अनुभव था शायद उसको मर्दाना सेक्स में भी अनुभव था।
मैंने उसे यह नहीं बताया कि मेरा पार्ट्नर मेरा सगा छोटा भाई है, बल्कि मैंने उससे कहा- मेरे पड़ोस में एक लड़का है.. जिससे थोड़ा बहुत फन हो जाता है।

उसने एक शैतानी मुस्कुराहट से मेरी तरफ देखा तो मैंने झेंपकर अपनी नजरें नीचे कर लीं।
TO BE CONTINUED........
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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#2
HELLO GUYS, IF YOU LIKE THIS STARTING PLEASE COMMENT AND LIKE IT.
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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#3
मोईन ने हँसते हुए मेरे कंधे पर हाथ मारा और मुझे छेड़ता हुआ बोला- बच्चा जवान हो गया है, हाँ..
मैंने अपनी झेंप मिटाते हुए उससे कहा- कुत्ते बताना है तो बता.. नहीं बताता.. तो मैं जाता हूँ।
उसने कहा- अच्छा अच्छा.. रुक बताता हूँ..
बहुत कुछ तो मैंने मूवीज से ही सीख लिया था.. लेकिन काफ़ी चीजें सीखने के लिए बाक़ी थीं। जैसे मुझे यह पता नहीं था कि फर्स्ट टाइम चुदाई कैसे करनी चाहिए.. जिससे पार्ट्नर को तक़लीफ़ भी कम से कम हो और दोनों को मज़ा भी मिले।
फिर उसने मुझे कुछ टिप्स दिए ‘फ्रेंच किस’ के बारे में मुझे डिटेल से समझाया। उसने मुझे बताया कि उस लड़के के होंठों को किस करो.. उसके निचले होंठ और ऊपरी होंठ को बारी-बाबरी चूसो.. उसके लण्ड को चाटो और मुँह में भर के चूसो और उससे कहो कि वो तुम्हारे लण्ड को चूसे।
लण्ड चूसने के बारे में सोच के मुझे अजीब सा लगा और मैंने फ़ौरन कहा- ये अजीब है यार.. लेकिन ‘फ्रेंच किस’ के बारे में मैंने उससे बताया कि मैंने कभी किसी लड़के या लड़की को किस नहीं किया है और ना कभी सोचा है कि लड़के को किस करने में भी मज़ा मिल सकता है।
तो मोईन बोला- मैं तुम्हें दिखाता हूँ कि फ्रेंच किस कैसे होती है.. और इसमें कितना मज़ा आता है।
ये सुनते ही मैं फ़ौरन बोला- नहीं.. मैं नहीं चाहता कि हमारी इतनी मज़बूत दोस्ती किसी और रिश्ते में बदले.. इसे दोस्ती ही रहने देना चाहिए।
मेरी बात सुन कर वो बोला- अबे चूतिया मैं तुझे किस नहीं करने लगा हूँ.. मेरा एक मेट है.. उसकी उम्र अभी कम है.. हम दोनों आपस में खूब चुदाई करते हैं मैं उससे कहूँगा कि वो तुम्हें सिखा दे।
मैं थोड़ी देर तो झिझका.. लेकिन फिर इस ऑफर को तसलीम कर लिया। मोईन ने मुझे शाम 5 बजे उसके घर आने के लिए बोला।
शाम 5-6 बजे के क़रीब मैं उसके घर पहुँचा वो और उसका दोस्त वहीं थे। वो लड़का बहुत क्यूट था बिल्कुल लड़कियों जैसी जिल्द थी उसकी.. चेहरे पर कोई बाल नहीं और जिस्म ज़रा भरा-भरा था उसका।
मोईन ने मुझे उसका नाम कामरान बताया और हम दोनों का एक-दूसरे से तवारूफ करवाया।
कामरान को मोईन पहले ही से सब समझा चुका था और मुझे उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि बस ये मुझ पर जंप करने को तैयार खड़ा है। कामरान ने अपने कपड़े उतारना शुरू किए और मुझे भी कपड़े उतारने के लिए कहा।
मुझे थोड़ी झिझक हो रही थी.. तो मैंने मोईन से साफ-साफ कहा- यार तू कमरे से बाहर चला जा.. मैं तेरे सामने ऐसा कुछ नहीं कर पाऊँगा..
मोईन ने मेरी बात सुन कर एक क़हक़हा लगाया और कमरे से बाहर निकल गया।
जाते-जाते मोईन ने हम दोनों को ये फरमान सुना दिया- जो करना है जल्दी-जल्दी कर लेना.. क्योंकि मेरी फैमिली जल्द ही वापस आ जाएगी।
जब मोईन कमरे से बाहर निकल गया.. तो मैंने आगे बढ़ कर दरवाज़ा लॉक किया और अपने तमाम कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा खड़ा हो गया। मेरा लण्ड फुल खड़ा हो चुका था और मेरी नज़र कामरान के लण्ड पर पड़ी.. तो वो भी अपने पूरे यौवन पर था।
मुझे हमेशा मूवीज देख कर ये अहसास रहता था कि मेरा लण्ड छोटा (6. 5 इंच) है.. लेकिन जब मैंने कामरान का लण्ड देखा.. तो वो मेरे लण्ड से भी तकरीबन 1.5 इंच छोटा ही था। उसका जिस्म बहुत गोरा था.. उसके जिस्म पर एक भी बाल नहीं था।
वो आहिस्ता-आहिस्ता चलता हुआ मेरे पास आया और मुझसे लिपट गया। अब वो मुझे अपने जिस्म के साथ मजबूती से भींचने लगा।
वो अपने लेफ्ट हैण्ड से मेरे राईट कूल्हे को दबाने लगा और राईट हैण्ड को मेरी गाण्ड की लकीर में दबा कर फेरने लगा।
मैंने भी उसके साथ ये ही करना शुरू किया.. तो वो अपना चेहरा मेरे क़रीब लाया और उसने मेरे होंठों पर आहिस्तगी से अपने लब रख दिए।
उसने मुझसे कहा- अपना मुँह खोलो..
मैंने मुँह खोला.. तो उसने अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में दाखिल कर दी और मुझसे कहा- चूसो मेरी ज़ुबान..
मुझे थोड़ा कन्फ्यूज़्ड और झिझकते देख कर कामरान से मुझसे कहा- अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में डालो..
और यह कहते हुए उसने अपना मुँह खोल दिया।
मैंने अपनी ज़ुबान उसके मुँह में डाली.. तो उसने मेरी ज़ुबान और मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया।
यह मेरी ज़िंदगी की पहली फ्रेंच किस थी और मैं अपने आपको किसी और ही दुनिया में महसूस कर रहा था।
तकरीबन 5-6 मिनट तक हम किस करते रहे.।
वो आगे बढ़ना चाहता था लेकिन मैंने कामरान से कहा- प्लीज़ यार, मुझे कुछ देर मज़ीद ऐसे ही किस करते रहो।
हमने तकरीबन 7-8 मिनट और किस किया.. फिर कामरान बोला- यार हमारे पास टाइम बहुत कम है.. बोलो अब क्या करें?
मैंने कहा- जो तुम्हारी मर्ज़ी है.. वो करो।
मैं अभी तक अपनी ज़िंदगी की पहली फ्रेंच किस के नशे से ही बाहर नहीं निकल सका था.. तो मज़ीद क्या कहता।
कामरान ने मेरे सीने पर किस करना और मेरे निपल्स को काटना शुरू कर दिया। लेकिन मुझे इसमें इतना मज़ा नहीं मिला। इस बात को महसूस करते हुए कामरान मेरे पीछे आ गया और मेरी कमर को चिपटाए हुए ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया और अब वो मेरे कूल्हों को छूने और अपने दाँतों से काटने लगा।
कामरान की यह हरकत मुझे फिर होश से बेगाना करने लगी। कामरान की गरम गरम साँसें मुझे अपनी गाण्ड के सुराख पर महसूस हो रही थीं.. जो मेरे जिस्म में अजीब सी लज्जत भर रही थीं। उसने मज़ीद कुछ ना किया और पीछे से उठ कर मेरे सामने आ बैठा और मेरी रान को चूमने लगा।
कामरान की ज़ुबान को अपनी रान पर महसूस करते ही मेरा पूरा जिस्म झनझना उठा और मुझे अपनी देखी हुई मूवीज याद आने लगीं। मुझे पहले ही अंदाज़ा हो गया कि अब क्या होने वाला है।
ये सोचते ही मेरा लण्ड झटके से खाने लगा। कामरान ने मेरे लण्ड को अपने हाथ में लिया और हाथ को आगे-पीछे हरकत देने लगा।
तभी कामरान ने अपनी ज़ुबान की नोक को मेरे लण्ड की नोक पर.. लण्ड के सुराख पर टच किया.. तो बहुत ज्यादा लज्जत महसूस हुई।
कामरान ने मेरे लण्ड को चूमना शुरू कर दिया.. लेकिन लण्ड अपने मुँह में नहीं लिया। मैं लज़्ज़त के मारे पागल सा हो रहा था।
कुछ ही देर बाद मैंने चिल्लाकर कहा- करो ना यार.. प्लीज़ क्या ड्रामा कर रहे हो..
उसने मुस्कुरा कर मेरे लण्ड को अपने मुँह में भरा और उससे चूसने लगा।
मैं मुक्कमल तौर पर अपने होश खो चुका था। मैं सोच भी नहीं सकता था कि ये चीज़ इतनी ज्यादा लज़्ज़त देगी। ऐसा सुरूर मैंने पहले कभी नहीं महसूस किया था।
मैंने अपने हाथों से उसके सिर को थामा और कामरान के मुँह को चोदने लगा। कामरान के मुँह से घुटी-घुटी सी आवाजें निकल रही थीं।
उसने मुझे इशारे से समझाया कि पानी निकलने लगे.. तो पहले से बता देना।
कुछ ही सेकेंड्स बाद मैं डिसचार्ज होने वाला था.. तो मैंने कामरान को बता दिया।
उसने मेरा लण्ड अपने मुँह से निकाला और हाथ से मेरी मुठ मारने लगा। उसने अपने लेफ्ट हैण्ड की इंडेक्स फिंगर को अपने मुँह में लेकर गीला किया और हाथ पीछे ले जाकर मेरी गाण्ड के सुराख पर दबाई और अन्दर डाल दी।
मुझे हल्का सा दर्द हुआ.. उसने पूरी फिंगर अन्दर नहीं डाली.. बल्कि हाफ फिंगर को अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी इस हरकत ने मुझे फ़ौरन ही आखिरी मंज़िल पर पहुँचा दिया और मैं ऐसे डिसचार्ज हुआ कि ज़िंदगी में पहले कभी ऐसा डिसचार्ज नहीं हुआ था।
मैं बिल्कुल बेहाल हो चुका था। कामरान मेरी हालत देख कर मुस्कुरा दिया।
मैं इन सब चीजों में बिल्कुल नया था और ये सब ज़ाहिर हो रहा था।
मैंने अपने कपड़े पहनना शुरू ही किए थे कि कामरान बोला- इतनी जल्दी.. अभी तो सही मज़ा आना शुरू हुआ है यार!
मैंने पूछा- क्या मतलब है तुम्हारा?
वो एकदम से डोगी पोजीशन में बन गया और अपनी गाण्ड के सुराख पर अपनी फिंगर रख के बोला- मैं चाहता हूँ तुम मेरे इस होल को अपना बना लो..
फिर वो सीधा बैठते हुए बोला- लेकिन इससे पहले तुम्हें मेरे लण्ड को चूसना होगा।
यह बात मुझे इतनी अच्छी नहीं लगी.. लेकिन सच यह है कि मैं उसकी गाण्ड का मज़ा भी लेना चाहता था।
मैं बेदिली से उसकी टाँगों के दरमियान बैठ गया और उसके लण्ड को हाथ में लेकर आगे-पीछे हिलाने लगा।
फिर मैंने झिझकते हुए अपनी ज़ुबान की नोक को उसके लण्ड से टच किया, मुझे नमकीन-नमकीन सा ज़ायक़ा महसूस हुआ।
मेरे बिगड़ते चेहरे को देख कर कामरान बोला- चलो भी यार.. अगर तुम लण्ड चुसवाना चाहते हो.. तो तुम्हें चूसना भी पड़ेगा.. ये 2 तरफ़ा ट्रैफिक है भाई..
यह सुन कर मैंने अपना मुँह खोला और कामरान के लण्ड को अपने मुँह में भर लिया। मुझे कुछ ज्यादा अच्छा नहीं लग रहा था.. लेकिन मैं जितना समझ रहा था.. उतना बुरा भी नहीं लग रहा था।
मैं उसके लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। कामरान ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे मुँह को चोदने लगा। कामरान की बॉल्स मेरी ठोड़ी को छू रही थीं।
कुछ देर बाद ही कामरान ने फूली हुई साँसों से कहा- आह्ह.. मैं डिस्चार्ज होने वाला हूँ।
मैंने उसका लण्ड चूसना बंद कर दिया। उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला ही था कि उसका लण्ड ज़मीन पर पिचकारियाँ मारने लगा।
अब मेरी बारी थी उसकी गाण्ड मारने की। मैंने उससे साफ़ कर दिया- मैं तुम से गाण्ड नहीं मरवाऊँगा।
TO BE CONTINUED......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#4
उसने कहा- कोई बात नहीं..
और ये कहते हो कामरान डॉगी पोजीशन में आ गया और मेरे लण्ड को दोबारा चूसने लगा। सही तरह से गीला होने के बाद मैंने लण्ड उसके मुँह से निकाला और उसके पीछे जाकर घुटनों पर बैठ गया।
उसने हाथ पीछे लाकर मेरे लण्ड को थमा और अपने सुराख पर सही जगह रखते हुए मुझसे कहा- अब ज़ोर लगा कर अपना लण्ड मेरे अन्दर करो..
मेरे पहले झटके से ही तकरीबन 4 इंच लण्ड उसकी गाण्ड में दाखिल हो चुका था। उसकी गाण्ड का सुराख काफ़ी लूज था.. शायद काफ़ी बार गाण्ड मरवा चुका था इसलिए ऐसा था।
मेरे अगले झटके ने मेरे पूरे लण्ड को जड़ तक उसकी गाण्ड में उतार दिया। यह आज के दिन में तीसरी बार था कि मैंने अपने आपको किसी और ही दुनिया में महसूस किया था।
पहली बार किसिंग करते हुए.. सेकेण्ड टाइम लण्ड चुसवाते हुए और तीसरी बार ये था।

आज का दिन मेरे लिए बहुत हसीन दिन था। मैंने बहुत पॉर्न मूवीज देखी थीं इसलिए मुझे मज़ीद हिदायतों की जरूरत तो थी नहीं।
मैं तकरीबन 5-6 मिनट तक झटके मारता रहा। फिर मुझे डोर का लॉक ओपन होने की आवाज़ आई तो मैं डर गया.. लेकिन अगले ही लम्हे दरवाजा खुला और मैंने मोईन को बिल्कुल नंगा लण्ड हाथ में पकड़े हुए वहाँ खड़ा देखा।

मैं शरम से भर गया और मैंने अपनी नज़रें मोईन से हटा लीं।
मोईन बोला- शर्मा मत गांडू.. मैंने पूरा सीन रूम की खिड़की में खड़े होकर देखा है.. वो मैंने पहले ही ओपन कर रखी थी।
मोईन का लण्ड वाकयी बहुत इंप्रेसिव था करीब 7.5 इंच लम्बा था।
वो बोला- घबरा मत.. मैं तेरे पर नहीं चढूँगा।

वो अन्दर आया और कामरान के सामने बैठ कर कामरान के मुँह में लण्ड डालने लगा। अब मोईन कामरान के मुँह को चोद रहा था और मैं कामरान की गाण्ड मार रहा था।
कुछ ही देर बाद हम दोनों ही डिसचार्ज हो गए। कामरान ने मोईन की सारी मलाई मुँह में लेकर ज़मीन पर थूक दी और मेरी मलाई क़तरा-क़तरा कामरान की गाण्ड के सुराख से बाहर बहने लगी।
हम तीनों ही कुछ देर तक वहीं ज़मीन पर लेटे रहे।
फिर मोईन ने मुझसे पूछा- हाँ सगीर.. मज़ा आया?
मैंने मुस्कुरा कर उसे देखा और कहा- हाँ यार.. बहुत बहुत मज़ा आया..
फिर मोईन ने कहा- अब जल्दी-जल्दी उठो और कपड़े पहनो.. 6 बज गए हैं और मेरी फैमिली वापस आने ही वाली होगी।

हम सबने अपने कपड़े पहने और जाने को तैयार हो गए। मैं कामरान को गुडबाइ किस करना चाहता था.. लेकिन मुझे फ़ौरन ही याद आया कि अभी-अभी मेरे सामने कामरान ने मोईन की मलाई अपने मुँह में निकलवाई है और ज़मीन पर थूकी है.. तो मैंने अपने ख़याल को खुद ही रद्द कर दिया।
जब मैं अपने घर वापस आने लगा.. तो मोईन ने मुझे एक नई सीडी थमा दी और बताया- ये भी गे मूवी है.. और सब क्यूट क्यूट से लड़के हैं.. कुछ ऐसे लड़कों की स्टोरीज हैं.. जो फर्स्ट टाइम सेक्स कर रहे हैं।
फिर उसने मुझे आँख मारते हुए कहा- उस लड़के को भी दिखाना.. जिसको तुम चोदना चाहते हो।
मोईन नहीं जानता था कि वो मेरा सगा भाई है.. मेरा छोटा भाई..

मैं घर वापस आया और मैंने फरहान को बताया- मैं आज एक नई सीडी लाया हूँ।
वो बहुत एग्ज़ाइटेड हुआ.. मैंने उसके ट्राउज़र के ऊपर से ही उसके लण्ड को सहलाया और उसे आँख मार कर मुस्कुरा दिया। अब हम दोनों रात होने का इन्तजार कर रहे थे।
रात को खाना खाने के बाद जब सब अपने-अपने कमरों में सोने चले गए.. तो हम भी अपने कमरे में वापस आए।
मैंने दरवाज़ा लॉक किया और अपने कपड़े उतारना शुरू कर दिए। कुछ लम्हों में ही हम दोनों बिल्कुल नंगे हो चुके थे। कुर्सी पर बैठते हुए मैंने फरहान के लण्ड को पकड़ कर दबाया और फिर हम मूवी देखने लगे।

स्टार्टिंग में ही दो लड़के एक-दूसरे के होंठ से होंठ मिला कर किसिंग कर रहे थे। फरहान ने मेरी तरफ और मैंने फरहान की तरफ देखा।
मैंने फरहान से पूछा- तुमने कभी किसी को किस किया है??
उसने जवाब दिया- नहीं..
मैंने पूछा- सीखना चाहते हो?
फ़ौरन ही फरहान ने जवाब दिया- हाँ.. भाई..

वो कुर्सी पर बैठा था.. मैं उठा और फरहान के पास जाकर उसके लण्ड को पकड़ा और उसकी गोद में बैठते हुए मैंने फरहान के लण्ड को अपनी गाण्ड के नीचे अपनी दरार में सैट कर लिया। मैंने अपने होंठों को फरहान के होंठों पर रखा और उसके होंठों और ज़ुबान को चूसना शुरू कर दिया।
उसने भी फ़ौरन रिस्पोन्स दिया और जल्द ही हम लोग लिप्स लॉक हो चुके थे।
हम किसिंग करते हुए ही कुर्सी से उठे और बिस्तर की तरफ चल दिए किसिंग करते-करते ही फरहान बिस्तर पर पीठ के बल लेटा और मैं उसके ऊपर लेट गया।
हम कुछ मिनट तक ऐसे ही एक-दूसरे के होंठों को चूसते और काटते रहे।

मैं चाहता था कि फरहान मेरा लण्ड चूसे लेकिन मुझे पता था कि फरहान से चुसवाने के लिए पहले मुझे ही फरहान का लण्ड चूसना पड़ेगा। तो मैंने नीचे की तरफ जाते हुए फरहान के सीने को चूमना शुरू किया और कभी उसके निप्पल को चाटने ओर काटने लगता।
फरहान के मुँह से सिसकियाँ खारिज होने लगी थीं। मैंने नीचे फरहान के लण्ड की तरफ जाना शुरू किया। मैंने फरहान के चेहरे की तरफ देखा.. तो वो शॉक की कैफियत में था। फरहान की आँखों में देखते हुए ही मैंने अपने मुँह को खोला और फरहान के लण्ड को अपने मुँह में भर लिया।

वो तकरीबन उछल ही पड़ा बिस्तर से.. और बेसाख्ता ही उसके मुँह से एक तेज सिसकारी निकली।
मैंने फरहान को आँखों से इशारा किया कि आवाज़ हल्की रखो और.. फिर से आहिस्ता-आहिस्ता फरहान के लण्ड को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और अपनी स्पीड बढ़ाने लगा।

फरहान का पूरा जिस्म झटके खा रहा था और वो डिसचार्ज होने के बहुत क़रीब पहुँच चुका था तो मैंने उसका लण्ड अपने मुँह से निकाल दिया और हाथ से सहलाने लगा।
मैंने उससे टाँगें फैलाने को कहा और अपने लेफ्ट हैण्ड की इंडेक्स फिंगर को अपने मुँह से गीला करते हुए फरहान के प्यारी सी गाण्ड के होल में डालने लगा।
जैसे ही मेरी उंगली थोड़ी सी अन्दर गई.. फरहान की एक कराह निकली और दर्द का अहसास उसके चेहरे से ज़ाहिर होने लगा।

लेकिन मैंने अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करना जारी रखा और जल्द ही उसका होल लूज हो गया।
कुछ देर बाद मैं उठा और दोबारा फरहान के ऊपर आकर उसके होंठों को चूमने लगा।

मेरे कुछ कहे बगैर ही फरहान उठा और मेरी टाँगों के दरमियान आकर मेरे लण्ड के नीचे वाली बॉल्स को थामा और फ़ौरन ही उन्हें चाटने लगा।
मैं फरहान की इस हरकत पर बहुत हैरान सा था। वो मेरी बॉल्स को चाटते-चाटते मेरे लण्ड तक आया और उसे अपने मुँह में ले लिया। मूवीज ने मेरे साथ-साथ फरहान को भी बहुत कुछ सिखा दिया था।
मेरे लण्ड को थोड़ी देर चूसने के बाद फरहान ज़रा नीचे को हुआ और मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगा।
मैं फरहान की इस हरकत पर बिस्तर से एकदम उछल पड़ा।

कुछ देर चाटने के बाद वो फिर से मेरे लण्ड की तरफ आया और मेरे लण्ड को मुँह में लेते वक़्त ही उसने अपनी एक उंगली भी मेरी गाण्ड में डाल दी।
मुझे मामूली सा दर्द भी हुआ.. लेकिन मज़ा दर्द पर ग़ालिब था। अब फरहान मेरे लण्ड को भी चूस रहा था और मेरी गाण्ड में अपनी उंगली को भी अन्दर-बाहर कर रहा था।

जैसे ही मैं मंज़िल के क़रीब हुआ.. तो मैंने फरहान को कहा- मेरा पानी निकलने वाला है..
लेकिन फरहान ने हाथ के इशारे से कहा- परवाह नहीं..

और मैं उसके मुँह में ही डिसचार्ज हो गया। मेरे लण्ड का जूस उसके मुँह से बह रहा था। उसने सारा पानी मेरे पेट पर थूका और फिर से मेरे लण्ड को चूसने और चाटने लगा।
वो ऊपर आया और उसने अपने होंठ मेरे होंठों से चिपका दिया.. मुझे बहुत अजीब सा लगा क्योंकि मेरे लण्ड का पानी अभी भी उसके चेहरे और होंठों पर लगा हुआ था। मैं फरहान को हर्ट नहीं करना चाहता था.. इसलिए मैंने किसिंग जारी रखी। लेकिन ये अजीब और मज़े का अहसास था.. अपने लण्ड के पानी को खुद ही चखना..
कुछ देर किसिंग करने के बाद मैंने फरहान से पूछा- क्या तुम अगले काम के लिए रेडी हो?
फरहान ने पूछा- वो क्या?
मैंने कंप्यूटर स्क्रीन की तरफ इशारा करते हुए कहा- जैसा इस मूवी में एक लड़का दूसरे लड़के की गाण्ड में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा है।

उसने जवाब दिया- भाई इससे बहुत दर्द होगा। मेरा ख़याल नहीं है कि हमारे छोटे-छोटे सुराख हमारे लण्ड को बर्दाश्त कर सकेंगे।
मैंने कहा- यार हम कोई चिकनाई इस्तेमाल कर लेंगे ना..
वो थोड़ा कन्फ्यूज़ नज़र आ रहा था।

मैंने कहा- चलो यार.. कुछ नहीं होता.. ट्राइ करते हैं.. ये लण्ड की चुसाई से ज्यादा मज़ा देगा।
वो बोला- भाई तुम्हें कैसे पता?

मैंने फरहान को वो सब बताया.. जो आज दिन में मैंने किया था और मैं अब फिर बहुत ज्यादा गरम हो गया था।
मैंने फरहान से पूछा- क्या तुम पहले करोगे?
वो शरारती अंदाज़ में बोला- पहले आप कर लो.. आख़िर आप मेरे बड़े भाई हो।
मैं इस बात पर मुस्कुरा दिया और मैंने फरहान से कहा- चलो बिस्तर पर आ जाओ और अपनी गाण्ड पीछे से उठा कर डॉगी पोजीशन बना लो।



यह कहते हुए मैं बाथरूम गया और वहाँ से हेयर आयल की बोतल उठा लाया। फिर मैंने कुछ तेल उसकी गाण्ड के छेद पर डाला और कुछ अपनी उंगलियों पर लगा कर उसके छेद पर फेरने लगा। फिर मैंने अपनी एक उंगली उसके छेद में अन्दर कर दी।
उसने दर्द की वजह से सीधा होने की कोशिश की और कराह कर बोला- भाई आहिस्ता डालो.. दर्द होता है।

मैं जानता था कि लण्ड के दर्द के आगे यह दर्द कुछ भी नहीं.. इसलिए लण्ड डालने से पहले उसकी गाण्ड के सुराख को इतना ढीला और लचीला करना पड़ेगा कि लण्ड डालने का दर्द बर्दाश्त के क़ाबिल हो जाए।

अब मैंने उससे कहा- सीधा लेट जाओ।
फिर मैं उसके सामने आकर बैठा उसकी टाँगों के दरमियान उसका लण्ड मेरे चेहरे के बिल्कुल क़रीब था।


मैंने उससे टाँगें फैलाने को कहा और फिर मैंने उसकी गाण्ड में अपनी एक उंगली डाली और अन्दर-बाहर करने लगा.. जिससे उसे तक़लीफ़ होने लगी।

इसी के साथ ही मैंने फरहान के लण्ड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा.. जो उसे मज़ा देने लगा। मैंने लण्ड पर अपना मुँह आगे-पीछे करने की स्पीड मज़ीद बढ़ा दी.. जिससे फरहान को बहुत मज़ा आने लगा और इस मज़े की आड़ में ही मैंने अपनी दूसरी फिंगर भी फरहान की गाण्ड में दाखिल कर दी।

मैंने फरहान को अपनी दो उंगलियों से चोदना शुरू किया, वो एकदम चिल्ला उठा।
‘नहीं.. भाई दर्द हो रहा है..!’
मैंने कहा- बस थोड़ा दर्द होगा बर्दाश्त करो.. फिर मज़ा ही मज़ा है..


मैंने फरहान का पूरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया.. ताकि दर्द और लज़्ज़त दोनों बैलेन्स हो जाएं। मैंने अपना ये अमल जारी रखा.. जिससे फरहान को काफ़ी हद तक सुकून हो गया। मुझे ऐसा अंदाज़ा हुआ कि अब फरहान सिसकारियाँ भरते हुए मेरा लण्ड अपने हाथ में लेने के लिए अपना हाथ मेरे लण्ड की तरफ बढ़ा रहा था।

अब मैं अपनी तीसरी उंगली भी फरहान की गाण्ड में दाखिल करना चाह रहा था। मैं जानता था कि इसकी तक़लीफ़ बहुत ज्यादा होगी। मैं डर रहा था कि कहीं वो चिल्लाना ना शुरू कर दे।

तो मैंने अपनी पोजीशन को चेंज किया और 69 पोजीशन में आ गया। अब मेरा लण्ड उसके चेहरे के सामने था। फरहान ने अपना मुँह खोला और जल्दी से मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और पागलों की तरह चूसने लगा।

अब हम दोनों एक-दूसरे का लण्ड चूस रहे थे और मेरी 2 उंगलियाँ फरहान की गाण्ड में अन्दर-बाहर हो रही थीं। मैंने अचानक ही अपनी तीसरी फिंगर भी उसकी गाण्ड में दाखिल कर दी। फरहान ने चीखना चाहा.. लेकिन मेरा लण्ड उसके मुँह में होने की वजह से उसकी आवाज़ ना निकाल सकी।
मैंने अपनी उंगलियों की हरकत को रोका और उसके लण्ड पर तेज-तेज अपना मुँह चलाने लगा।


कुछ देर बाद फरहान ने मेरा लण्ड दोबारा चूसना शुरू किया.. तो मैंने भी अपनी उंगलियों को हरकत देना शुरू कर दी।
जल्द ही उसकी गाण्ड मेरी 3 उंगलियों की आदी हो गई और हम दोनों एक-दूसरे का लण्ड चूसने लगे।


मेरे लण्ड से जूस निकलने ही वाला था जब मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में फूलता हुआ महसूस किया.. मैं समझ गया कि वो भी डिसचार्ज होने वाला है।

मैं उसका लण्ड अपने मुँह से निकालना चाहता था.. लेकिन तभी मैंने सोचा कि पहले ही अपनी मलाई टेस्ट करा चुका हूँ तो अब फरहान की मलाई मुँह में लेने से क्या फ़र्क़ पड़ता है और अगले ही लम्हें हम दोनों ही के लण्ड ने एक-दूसरे के मुँह में पानी छोड़ दिया।

डिसचार्ज होने के बाद हम दोनों उठे और किसिंग करने लगे.. जबकि एक-दूसरे के लण्ड का जूस हम दोनों के मुँह में मौजूद था। ये एक जबरदस्त किस थी..
हम दोनों के लण्ड के जूस से भरी हुई।


इसके बाद हम दोनों नहाने गए.. नहाने के बाद मैंने फरहान से पूछा- क्या तुम चुदाई के लिए तैयार हो?
तो फरहान ने ‘हाँ’ में जवाब दिया और हम दोनों बिस्तर के तरफ चल दिए।


बिस्तर पर पहुँच कर मैंने फरहान को कहा- अपने घुटनों और हाथों पर हो जाओ और अपनी गाण्ड को ऊपर की तरफ उठा कर डॉगी पोजीशन बना लो।

मैंने अपने लण्ड और उसकी गाण्ड के सुराख पर तेल लगाया और फरहान पर झुकते हुए उससे कहा- अब मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ो और अपने सुराख पर सही जगह रखो.. जहाँ से मैं अन्दर डाल सकूँ।
उसने मेरे लण्ड की नोक को अपनी गाण्ड के सुराख पर टिकाया और मुझसे कहा- हाँ भाई.. अब आप ज़ोर लगाओ।


मैंने ज़ोर लगाया और मेरे लण्ड की टोपी अन्दर दाखिल हो गई।
वो दर्द की शिद्दत से बिलबिला कर बोला- ओईए.. मर गया.. भाईई.. बहुत दर्द हो रहा है.. उफ़फ्फ़..


मैं अपने हाथ को उसके सामने लाया और उसके लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगा.. ताकि उससे तक़लीफ़ का अहसास कम से कम हो। उसके लण्ड को अपने हाथ से आगे-पीछे करते हुए मैंने एक झटका और मारा और मेरा लण्ड तकरीबन 4 इंच तक उसकी गाण्ड में दाखिल हो गया।
वो दर्द से घुटी-घुटी आवाज़ में चिल्ला रहा था और मुझसे कह रहा था- भाई बाहर निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है..!


मैंने उससे रिलैक्स करने के कोशिश की.. लेकिन वो लण्ड को बाहर निकालने के लिए मचल रहा था।
मैं जानता था कि अगर अभी मैंने बाहर निकाल लिया तो शायद वो फिर कभी नहीं डालने देगा।


मैंने उसके लण्ड पर अपने हाथ की हरकत को तेज कर दिया और आहिस्ता-आहिस्ता अपना लण्ड अन्दर करता रहा.. जब तक कि मेरा लण्ड उसकी गाण्ड की जड़ तक नहीं उतर गया। वो जिस्मानी तौर पर मुझसे कमज़ोर था.. इसलिए मैंने उसको जकड़ रखा था.. जबकि वो मेरी गिरफ्त से निकलने के लिए मुसलसल कोशिश कर रहा था।

कुछ देर बाद वो पुरसुकून होता गया क्योंकि मेरे हाथ की हरकत उसके लण्ड के जूस को उबाल दे रही थी और वो अपनी मंज़िल के क़रीब हो रहा था।

जब मैंने देखा कि अब वो पुरसुकून हो गया है.. तो मैंने अपने हाथ के साथ-साथ अपने लण्ड को भी हरकत देनी शुरू की और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी गाण्ड में अन्दर-बाहर करने लगा।

अब मुझे इतना मज़ा आने लगा था कि मुझे फरहान के दर्द की परवाह ही नहीं रही थी। वो भी अब रिलैक्स हो चुका था और दर्द अब मज़े में तब्दील हो गया था।

कुछ ही देर बाद मैंने अपने लण्ड का पानी उसकी गाण्ड के अन्दर ही निकाल दिया और मेरे हाथ ने भी अपना काम करते-करते फरहान को भी मंज़िल पर पहुँचा दिया।

हम कुछ देर वहीं लेट कर अपनी साँसों को बहाल करते रहे।
फिर मैंने खामोशी को तोड़ते हुए कहा- तुम ठीक हो ना फरहान.. ज्यादा दर्द तो नहीं हुआ?


उसने कहा- भाईजान शुरू में तो मेरी जान ही निकल गई थी.. लेकिन फिर थोड़ी देर बाद आहिस्ता-आहिस्ता सब सही हो गया और मज़ा भी आने लगा..
मैंने कहा- चल.. बहुत देर हो चुकी है.. अब सोने की तैयारी करो।


वो मुझे अभी चोदना चाहता था.. लेकिन मैंने कहा- कल सारी रात तुम मुझे चोद लेना.. पर अभी नहीं.. अभी मैं बहुत थक गया हूँ।
थकान तो उसे भी थी.. तो इसलिए वो जल्द ही मान गया और हम जल्द ही नींद की वादियों में खो गए।


सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैं बहुत मीठा-मीठा सा मज़ा महसूस कर रहा था और अपने लण्ड पर गीलापन महसूस करके मैंने अंदाज़ा लगाया कि मेरे छोटे भाई को कुछ ज्यादा ही अच्छा लगा है.. जो कुछ हमने रात को किया था। इसलिए वो ‘खास तरीक़े’ से सुबह मुझसे कह रहा है।

मैंने कहा- फरहान सोने दे ना यार.. आज इतवार है.. छुट्टी है..
तो फरहान ने जवाब दिया- चलो ना भाई 2-3 घन्टे में सब उठ जाएंगे.. थोड़े मज़े ले लेते हैं.. फिर आप सारा दिन सोते रहना.. मैं तंग नहीं करूँगा।
मैंने अपने हाथ से फरहान के लण्ड की तरफ इशारा किया और कहा- ये मुझे दो..


वो मुस्कुराते हो उठा और 69 पोजीशन में आ गया. हमने एक-दूसरे के लण्ड को फिर से बहुत चूसा.. एक-दूसरे के मुँह में ही अपना पानी निकाला और फिर किस की.. जैसे कल रात को की थी।

कुछ देर बाद उसने कहा- भाई अब मेरी बारी है.. आपको चोदने की।
मैंने कहा- ओके..


मैं बिस्तर पर ही उल्टा हो कर डॉगी पोजीशन में आ गया और फरहान ने मेरी गाण्ड के सुराख और अपने लण्ड पर तेल लगाना शुरू कर दिया।
मैंने फरहान के लण्ड को अपने हाथ में लिया जो तेल से तर था और उसके लण्ड की नोक को अपनी गाण्ड के सुराख के बिल्कुल सेंटर में एंट्रेन्स पर टिका कर उससे कहा- हाँ.. अब धक्का मारो..


उसने एक ही झटके में अपने पूरे लण्ड को मेरी गाण्ड में उतार दिया.. मैं बुरी तरह से उछला.. मुझे पूरे बदन में दर्द के एक शदीद लहर उठी थी। ऐसा महसूस हुआ था जैसे किसी ने मेरी गाण्ड में लोहे का गरम जलता हुआ खंजर उतारा हो.. जो चीरता हुआ अन्दर गया हो।

मैंने चिल्ला कर कहा- भैनचोद.. किस बात की जल्दी है तुझे.. आराम से नहीं डाल सकता था?

TO BE CONTINUED .........
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#5
वैसे तो यह कहानी लम्बी लिखने की सोच रहा हूं परन्तु उसके लिए आप लोगों की राय बहुत जरूरी है। शुरुआत कैसी है व इसमें क्या क्या बदलाव होने चाहिए, इस बारे में अपनी राय अवश्य बताते रहें। 
शुक्रिया
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#6
Heart 
वो डरी सहमी हुई सी आवाज़ में बोला- भाई सॉरी.. मुझे नहीं पता चला.. मैं इतना एग्ज़ाइटेड था कि कुछ समझ में ही नहीं आया..
मैंने अपनी गाण्ड में से उसके लण्ड को बाहर निकालना चाहा.. लेकिन ज़रा सी भी हरकत तक़लीफ़ में नक़ाबल-ए-बर्दाश्त इज़ाफ़ा कर रही थी.. तो मैंने फरहान से कहा- अभी इसी तरह रहना.. बिल्कुल भी मत हिलना..
वो कुछ देर रुका रहा.. फिर शायद उसे मेरी टेक्निक याद आ गई.. जो मैंने कल रात उस पर आज़माई थी.. वो अपना हाथ मेरे सामने की तरफ लाया और मेरे लण्ड को थाम कर अपने हाथ को आगे-पीछे करने लगा..
बस 2-3 मिनट बाद ही मुझे हल्का-हल्का सुरूर आने लगा और मैंने फरहान से कहा- अब लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू करो.. लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता..
उसने आहिस्ता-आहिस्ता अपने लण्ड को मेरी गाण्ड में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया। जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड की अंदरूनी दीवारों से रगड़ ख़ाता.. तो जलन तो होती थी.. लेकिन जलन के साथ ही मीठा-मीठा सा मज़ा भी आ रहा था।
कुछ देर बाद मैंने अपनी गाण्ड को उसके लण्ड के साथ ही हरकत देना शुरू कर दी। जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड की दीवारों से रगड़ खा के बाहर निकल रहा होता.. तो मैं भी आगे की तरफ हो जाता। जब उसका लण्ड मेरी गाण्ड की दीवार को चीरता हुआ अन्दर दाखिल होता.. तो मैं भी अपनी गाण्ड को पीछे की तरफ दबा देता। यह एक अनोखा मज़ा था.. जो मैंने कभी नहीं सोचा था.. बल्कि मेरे ख़याल से इस मज़े को कोई सोच ही नहीं सकता.. जब तक कि उसकी गाण्ड की अंदरूनी दीवार से कोई चीज़ रगड़ ना खाए.. कोई नहीं जान सकता उस मज़े का अहसास।
मेरी हरकत के साथ-साथ ही फरहान ने भी अपनी स्पीड तेज कर दी थी और अब उसका लण्ड एक झटके की सूरत मेरे अन्दर दाखिल होता था और जड़ तक उतर जाता था। मेरे कूल्हों और उसकी जाँघों के टकराने से ‘थप्प्प-थप्प्प’ की आवाज़ पैदा होती थी.. जो मधुर मोसिक़ी महसूस हो रही थी। इसी साथ-साथ वो मेरे लण्ड पर अपने हाथ की हरकत को भी भी तेज करता जा रहा था।
कुछ ही देर बाद हम दोनों के लण्ड ने पानी छोड़ दिया और हम वहाँ ही सीधे हो कर लेट गए।
सांस बहाल होने के बाद मैंने फरहान से कहा- अब खुश हो तुम.. अब तो तुमने मुझे चोद लिया।
वो हँस कर कहने लगा- जी भाईजान.. सगा भाई और वो भी बड़ा भाई हो.. तो उसको चोदने में मज़ा तो आएगा ही ना..
मैंने यह सुन कर उसे मारने के लिए हाथ उठाया तो वो हँसता हुआ बाथरूम में भाग गया। उसके निकलने से पहले ही मैंने फिर अपने आपको नींद की परी के सुपुर्द कर दिया।
उस दिन के बाद यह हमारा रुटीन बन गया, हम रोज़ रात सोने से पहले एक-दूसरे के लण्ड चूसते व चुदाई करते। फैमिली में सब हैरान थे कि हम दोनों में बहुत अंडरस्टैंडिंग हो गई है।
आज कल ना ही हम लड़ते हैं.. ना ही एक-दूसरे की कोई शिकायत अम्मी-अब्बू से लगाते हैं.. हमारी अम्मी अक्सर मेरी बहनों को नसीहत करते हुए कहने लगीं- शरम करो.. बजाए लड़ने झगड़ने के.. आपस में अपने भाईयों की तरह सुकून और अमन से रहो.. और हम अपनी अम्मी की इन बातों को सुन कर मुस्कुरा दिया करते थे।
अगले हफ़्ते.. फरहान अपने स्कूल एनुअल ड्रामा क्लब फंक्शन में था। वो सिर्फ़ लड़कों का स्कूल है.. और फरहान को ड्रामे में लड़की का रोल करना था.. तो उसने अपने चेहरे को लड़कियों की ड्रेसिंग के साथ मेकअप किया और साथ ही एक बड़े बालों की विग भी लगाई.. उसके सब क्लास फैलो उस पर जुमले कस रहे थे और सीटियाँ बजा रहे थे.. क्योंकि वो वाक़यी एक बहुत सेक्सी सी लड़की लग रहा था। उसने नॉर्मल से हट कर ऐसा स्टफ यूज किया था।
उसके नक़ली मम्मे ऐसे लग रहे थे.. जैसे किसी ट्रिपल एक्स मूवी की हिरोइन यानि किसी पॉर्न स्टार के मम्मे हों। बाहर हॉल में ड्रामा खत्म होने के बाद मैंने फरहान से कहा- अपना ये गर्ल वाला स्टफ अपने साथ घर ले आना।
उसने कहा- भाई, यह बहुत मुश्क़िल है..
मैंने उससे ज़िद करके कहा- यार कम से कम विग तो छुपा ले.. बाक़ी चीजें तो हमें घर से ही मिल जाएंगी।
फिर जब वो घर आया.. तो वो बहुत खुश था कि विग छुपा लाने में कामयाब हो गया था।
कुछ दिन बाद ही हमें ऐसा मौका मिला कि घर में सिर्फ़ हम दोनों ही थे। मैंने फरहान से कहा- आज ज़रा लड़की बनो यार..
‘ओके..’
हम दोनों अपनी बहनों के कमरे में गए और उनके ड्रेस देखना स्टार्ट कर दिए। तमाम कॅबिनेट लॉक थे.. लेकिन कुछ देर की मेहनत से हमें एक क़मीज़ सलवार का सूट टेबल के पीछे पड़ा मिल गया.. जो शायद बेध्यानी में वहाँ पड़ा रह गया था.. जो यक़ीनन फरहान पर फिट आता। ओलिव कलर की कॉटन की क़मीज़ पर रेड फूल प्रिंट थे.. और सलवार भी कॉटन प्लेन ब्लैक कलर की थी। फिर फरहान वॉशिंग मशीन में पड़े गंदे कपड़ों के ढेर से एक स्किन कलर की ब्रा भी निकाल लाया.. जो हमें नहीं पता किसकी थी। उस पर 38डी का टैग लगा था.. लेकिन सूट हमें पता था कि आपी का है।
ये चीजें लेकर हम कमरे में वापस आए।
मैंने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट कर अपने लण्ड पर हाथ चलाने लगा।
जब फरहान कपड़े उतारने लगा.. तो मैंने कहा- यहाँ नहीं यार.. बाहर से तैयार हो कर आ..
वो बाहर चला गया।
आज मैं बहुत उत्तेजित होकर अपने लण्ड को हिला रहा था और लड़के को चोदने से बोर हो चुका था।
अब मेरा मन चुदाई के लिए एक लड़की की तलब कर रहा था और फरहान लड़की के रूप में मेरी कुछ ना कुछ संतुष्टि का सबब तो बन ही सकता था।
काफ़ी देर बाद जब फरहान कमरे में आया तो मैं उससे देख कर दंग रह गया। उसने ड्रेस चेंज करने के साथ-साथ हल्का सा मेकअप भी कर लिया था, वो बिल्कुल लड़की लग रहा था और एक खूबसूरत लड़की दिख रहा था। उसे देखते ही मेरे जेहन में कुछ गड़बड़ सी हुई.. वो चेहरा मुझे कुछ जाना पहचाना सा लगा.. लेकिन ना मुझे याद आया और ना मैंने ज्यादा सोचा कि वो किस लड़की के चेहरे की तरह लग रहा है। वो सेक्सी लड़की के तरह कैटवॉक करता हुआ अन्दर आ रहा था। मैं अपने आपको रोक ना सका और मैंने जाकर उससे अपनी बाँहों में भींच लिया। मैं किसी पागल आदमी के तरह उसके होंठों को चूमने और चूसने लगा।
करीब 5 मिनट किसिंग करने के बाद मैंने उसके नक़ली मम्मों को दबाना शुरू किया। लेकिन सच ये है.. कि मुझे उन्हें दबाने में बिल्कुल भी मज़ा नहीं आया।
अब हम दोनों आईने के सामने आ गए फरहान मेरी टाँगों के दरमियान बैठा और उसने मेरा लण्ड चूसना शुरू कर दिया। मैं नहीं जानता क्यों.. लेकिन रियली आईने में खुद को और फरहान को देख कर मुझे बहुत लज़्ज़त महसूस हुई, देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई लड़की मेरा लण्ड चूस रही है।
मैंने फरहान का चेहरा दोनों हाथों में थामा और उसके मुँह में तेजी से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। फरहान रुका और लण्ड को मुँह से निकाल कर बोला- भाई पानी निकालते वक़्त ध्यान रखना रूही आपी की क़मीज़ पर कोई दाग धब्बा ना लग जाए।
मैंने उसकी बात को अनसुनी करते हुए दोबारा उसके चेहरे को लण्ड के सामने किया और उसके मुँह में फिर से अपना लण्ड डाल दिया। कुछ देर बाद ही मेरे लण्ड ने अपना सारा पानी फरहान के मुँह में उड़ेल दिया। कुछ देर आराम करने के बाद मैंने फरहान को पुकारा- चल फरहान.. अब मेरे ऊपर आ जा.. और अपना चेहरा मेरी तरफ करके मेरे लण्ड के ऊपर बैठो और अपनी टाँगें मेरी कमर के इर्द-गिर्द कर लो..
कहते हुए मैं आईने को अपने राईट साइड पर करते हुए सीधा लेट गया।
फरहान सलवार उतारने लगा.. तो मैंने कहा- सलवार मत उतारो बस नीचे से बीच में से सलवार की सिलाई उधेड़ लो.. ताकि वहाँ सुराख बन जाए और ड्रेस उतारना ना पड़े।
फरहान ने एक लम्हा कुछ सोचा और फिर वो ही किया.. जो मैंने कहा था।
फिर फरहान मेरे ऊपर आया.. मैंने लण्ड को अपने हाथ में पकड़ रखा था और सीधा कर रखा था।
फरहान ने एक हाथ से सलवार के होल को अपनी गाण्ड के सुराख से मैच किया और मेरे लण्ड की नोक पर अपने सुराख को टिका दिया और गाण्ड को मेरे लण्ड पर दबाने लगा।
मेरे लण्ड पर बैठते-बैठते उसने क़मीज़ के गले को सामने से खींच कर ज़रा नीचे कर दिया.. जिस से ब्रा का ऊपरी हिसा नज़र आने लगा।
मैंने ‘ये देखो तो…’ दिल ही दिल में अपने छोटे भाई की ज़हानत की दाद दी।
मेरा लण्ड जड़ तक फरहान की गाण्ड में दाखिल हो चुका था।
मैंने उससे कहा- अपनी विग के बाल भी अपने चेहरे पर गिरा लो..
उसने ऐसे ही किया और मेरे सीने पर अपने हाथ टिका कर अपनी गाण्ड को ऊपर-नीचे करते हुए मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड में अन्दर-बाहर करने लगा।
मैं भी इन्तेहाई मज़े के कारण नीचे से झटके लगाने लगा और मैंने अपना चेहरा मोड़ कर आईने में देखा.. तो अपना सीन आईने में इतना ज़बरदस्त और वंडरफुल लगा कि मैं फ़ौरन ही अपना कंट्रोल खो बैठा और मेरे लण्ड ने फरहान की गाण्ड में ही फुहार बरसाना शुरू कर दी।
वो भी थक चुका था.. लेकिन डिसचार्ज होने के बावजूद भी मेरे लण्ड की सख्ती अभी काफ़ी हद तक कायम थी।
मैंने फरहान को ऐसे ही अपने सीने पर सिर रखने को बोला और 5-6 मिनट बाद मेरा लण्ड फिर से अपने पूरे जोबन पर आ चुका था। इसके बाद मैंने एक बार फिर उसकी चुदाई की और ये हमारी चुदाई में से अब तक की सबसे बेहतरीन चुदाई थी।

फरहान बिल्कुल लड़की लग रहा था और अब मैं जान चुका था कि मुझे चुदाई के लिए लड़की मिल गई है.. क्योंकि अब मैं लड़के को चोदने से बेजार हो चुका था और कुछ नया चाहता था।
अब यहाँ कहानी के इस मोड़ पर आकर इस बात की जरूरत है कि मैं अपनी आपी के बारे में चंद बातें खुलासा कर दूँ। मेरी आपी जिनका नाम रूही है.. वो मुझसे 4 साल बड़ी हैं। वो बहुत ही पाकीज़ा सी हस्ती हैं।
आपी पर्दे की बहुत सख़्त पाबंद हैं.. घर से बाहर निकलती हों.. तो मुक्कमल तौर नक़ाब लगा के.. हाथों पर ब्लैक दस्ताने.. पाँवों में ब्लैक मोज़े.. और आँखों पर काला चश्मा लगाती हैं.. यानि कि उनके जिस्म का कोई हिस्सा तो बहुत दूर की बात एक बाल भी नहीं नज़र आता है।
घर में भी उनके सिर पर हर वक़्त स्कार्फ बँधा होता है.. जैसे नमाज़ पढ़ते वक़्त.. औरतें बाँधा करती हैं। उनका सिर्फ़ चेहरा ही नज़र आता है.. बाल.. माथा और कान भी स्कार्फ में छुपे होते हैं।
मेरी यह बहन हर किसी का ख़याल रखने वाली.. सबके लिए दिल में दर्द रखने वाली.. नरम मिज़ाज की हैं। उनकी शख्सियत में नफ़ासत बहुत ज्यादा है.. उनसे कहीं हल्की सी गंदगी भी बर्दाश्त नहीं होती। बेहद साफ़ चेहरा और उनका गुलाबी रंग उनको बहुत पुरनूर और उनका लिबास उनकी शख्सियत को मज़ीद नफीस बना देता है।
हमारी छोटी बहन का नाम नूर-उल-आई है.. जो फरहान की हम उम्र और जुड़वां है। हम सब प्यार से उसे हनी कहते हैं..
बाक़ी तफ़सील उस वक़्त बताऊँगा.. जब हमारी कहानी में हनी की एंट्री होगी।

मुझे और फरहान को चुदाई का खेल खेलते लगभग 3 महीने हो गए थे। हम लण्ड चूसते थे.. गाण्ड चाटा करते थे.. चुदाई की तकरीबन सभी पोज़िशन्स को हम लोग आज़मा चुके थे।
एक रात मैं बहुत ज्यादा गरम हो रहा था.. तो मैंने फरहान से कहा- तू आज फिर से लड़की बन जा।
उसने कहा- भाई ये नहीं हो सकता.. सबके सब घर में हैं.. हम बहनों के कमरे में से उनके ड्रेस नहीं ला सकते..
मैंने उससे कहा- जब सब खाना खा रहे हों.. तो तुम उस वक़्त बहनों के कमरे में चले जाना और कपड़े छुपा लाना..

उसने ऐसा ही किया और खाना खाने के बाद जब हम अपने कमरे में दाखिल हुए तो बहुत एग्ज़ाइटेड हो रहे थे।
मैं अपने कपड़े उतारने लगा और फरहान चेंज करने के लिए बाथरूम में चला गया। फरहान बाथरूम से बाहर आया.. तो उसने सिर्फ़ एक क़मीज़ पहन रखी थी, यह पिंक क़मीज़ पर्पल लाइनिंग के साथ थी.. और वो क़मीज़ हनी की थी।
मैंने उसे किस करना शुरू किया और कुछ ही लम्हों बाद वो मेरी टाँगों के दरमियान बैठा था और मेरा लण्ड जड़ तक उसके मुँह में था।
वो पागलों की तरह मेरे लण्ड को चूसे जा रहा था।

आज बहुत दिन बाद मुझे इतना मज़ा आ रहा था। मैं उठा और अपने हाथों को पीछे की तरफ बिस्तर पर टिका कर बैठ गया, मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं।
फरहान बहुत स्पीड से मेरे लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर कर रहा था और मैं मज़े की आखिरी हदों को छू रहा था। मेरा सिर पीछे की तरफ ढुलक चुका था, मुझे महसूस हो रहा था कि कुछ ही सेकेंड्स में मेरा लण्ड पानी छोड़ देगा।

मेरे लण्ड का जूस निकलने ही वाला था कि एक आवाज़ बम बन कर मेरी शामत से टकराई ‘या मेरे खुदा.. ये तुम दोनों क्या कर रहे हो..?’
मेरी तो तकरीबन हवा निकलने वाली हो गई जब मैंने दरवाज़े में रूही आपी को खड़ा देखा।
उनकी आँखें फटी हुई थीं और मुँह खुला हुआ था। 
वो शॉक की हालत में खड़ी थीं.. और उनका चेहरा काले स्कार्फ में लाल सुर्ख हो रहा था। मुझे नहीं पता ये उस माहौल की टेन्शन थी.. या कुछ और..

तभी फरहान ने मेरे लण्ड को अपने मुँह से निकाला ही था और उसका चेहरा मेरे लण्ड के पास ही था.. इसलिए अचानक मेरे लण्ड ने पिचकारी मारनी शुरू कर दी और मेरे लण्ड का वाइट पानी फरहान के पूरे चेहरे पर चिपकता चला गया।
मेरे मुँह से घुटी-घुटी सी सिसकारियाँ भी निकली थीं.. जो तक़लीफ़, मज़े और डर की मिली-जुली कैफियत की नुमायश कर रही थीं।
मेरी सग़ी बहन.. मेरी रूही आपी की नजरें मेरे लण्ड की नोक से निकलते वाइट लावे पर जमी थीं। इसके बाद मैं फ़ौरन सीधा हो कर बैठा और मैंने बिस्तर की चादर को अपने जिस्म के साथ लपेट लिया।
फरहान भी फ़ौरन बेडशीट में छुपने के कोशिश कर रहा था.. उसकी पोजीशन ज्यादा ऑक्वर्ड थी.. क्योंकि रूही आपी ने जब देखा था.. तो वो मेरी टाँगों के दरमियान बैठा था और मेरा लण्ड उसके मुँह में था और सोने पर सुहागा उसने कपड़े भी लड़कियों वाले पहन रखे थे।
‘ये क्या गन्दगी है.. और तुमने कपड़े… ये हनी की क़मीज़ पहन रखी है ना तुमने..??’
रूही आपी अपनी कमर पर दरवाज़ा बंद करते हुए इन्तेहाई गुस्से से बोलीं।

हमारी हालत ऐसी थी कि काटो तो बदन में लहू नहीं.. हमारा खून खुश्क हो चुका था।

‘सगीर तुम्हें शरम आनी चाहिए.. बड़ा भाई होने के नाते तुम इस तरह रोल मॉडल बन रहे हो… छोटे भाई के साथ ऐसी गंदी हरकतें करके… छी:.. मैं सोच भी नहीं सकती थी कि तुम ऐसा करोगे।’

वो इसी तरह थोड़ी देर हम दोनों पर चिल्लाती रहीं, उनका चेहरा गुस्से की शिद्दत से लाल हो रहा था। मैंने थोड़ा सा उठ कर अपने कपड़ों के तरफ हाथ बढ़ाया तो रूही आपी ने चिल्ला कर कहा- वहीं बैठे रहो.. मज़ीद कमीनगी मत दिखाओ.. मेरी बातों को इग्नोर करके..

उनके हाथ-पाँव गुस्से की वजह से काँपने लगे। कुछ देर वो अपनी हालत पर क़ाबू पाने के लिए वहीं खड़ी रहीं। 
शायद वो हमें मज़ीद लेक्चर देना चाहती थीं.. इसलिए उन्होंने सोफे की तरफ क़दम बढ़ाए ही थे कि उनकी नज़र कंप्यूटर स्क्रीन पर पड़ी जहाँ पहले से ही ट्रिपल एक्स मूवी चल रही थी और एक ब्लैक लड़का एक अंग्रेज गोरी लड़की को डॉगी स्टाइल में चोद रहा था और उसका स्याह काला लण्ड उस लड़की की पिंक चूत में अन्दर-बाहर होता साफ दिख रहा था।

रूही आपी ने चेहरा हमारी तरफ मोड़ा और कहा- तो ऐसी नीच और घटिया फिल्म देख-देख कर तुम लोगों का दिमाग खराब हुआ है हाँ..!”

आपी ने हमें ये बोला और अपना रुख़ मोड़ कर कंप्यूटर के तरफ चल दीं।
रूही आपी अभी कंप्यूटर से चंद क़दम के फ़ासले पर ही थीं कि मूवी में लड़के ने अपना लण्ड लड़की की चूत से निकाला।
उसका लण्ड तकरीबन 10 इंच लंबा होगा और लड़की फ़ौरन मुड़ कर लड़के की टाँगों के दरमियान बैठ गई और खड़े लण्ड को पकड़ के अपने खुले हुए मुँह के पास लाई और फ़ौरन ही उसके डार्क ब्लैक लण्ड से वाइट जूस निकलने लगा.. जो कि लड़की अपने मुँह में भरने लगी।
पता नहीं यह हक़ीक़त थी या मुझे ऐसा लगा जैसे रूही आपी के बढ़ते क़दम इस सीन को देख कर एक लम्हें के लिए रुक से गए थे। उनकी नजरें स्क्रीन पर ही जमी थीं।
जब उन्होंने आगे बढ़ कर कंप्यूटर को ऑफ किया.. तो उस वक़्त तक मूवी वाली लड़की ब्लैक आदमी के लण्ड के जूस को पी चुकी थी और अब अपना खाली मुँह खोल के कैमरा में दिखा रही थी।

आपी कंप्यूटर ऑफ कर के मुड़ी.. तो मैं अपना शॉर्ट पहन रहा था और फरहान भाग कर बाथरूम में घुस चुका था।
मैं 2 क़दम आपी की तरफ बढ़ा और ज़मीन पर बैठ गया और मैंने कहा- सॉरी आपी.. हमारे जेहन हमारे क़ाबू में नहीं रहे थे.. हम बहुत एग्ज़ाइटेड हो गए थे।


‘क्या मतलब है तुम्हारा एग्ज़ाइटेड.. हो गए थे..?? तुम इतने पागल हो गए थे कि अपना सगा और छोटा भाई भी तुम्हें नहीं नज़र आया..। किसी लड़की के साथ मुँह नहीं काला कर सकते थे.. तो कम से कम कहीं बाहर ही कोई अपने जैसी खबीस रूह वाला लड़का देख लेते.. जो तुम्हारा सगा भाई तो ना होता..”

मेरे पास उनकी इस बात का कोई जवाब नहीं था.. लेकिन मैंने यह महसूस किया था कि कंप्यूटर स्क्रीन पर नज़र पड़ने के बाद से आपी के लहजे में बहुत फ़र्क़ आ गया था और उनका गुस्सा तकरीबन गायब ही हो चुका था।
कुछ देर खामोशी रही.. आपी किसी सोच में डूबी हुई सी लग रही थीं।

मैंने झिझकते-झिझकते खौफज़दा सी आवाज़ में उनसे पूछा- क्या आप अम्मी-अब्बू को भी बता दोगी?

वो ऐसे चौंकी.. जैसे यहाँ से बिल्कुल ही गाफिल थीं और फिर वे बोलीं- मैं नहीं जानती कि मैं क्या करूँगी.. लेकिन ये ही कहूँगी कि तुम दोनों को शरम आनी चाहिए.. ये सब करना ही है.. तो घर से बाहर किसी और के साथ जाकर करो।

फिर कुछ देर और खामोशी में ही गुज़र गई, मैंने आपी के चेहरे की तरफ देखा.. तो वो छत की तरफ देख रही थीं और उनका जेहन कहीं और मशरूफ था।
अब उनका गुस्सा मुकम्मल तौर पर खत्म हो चुका था.. चेहरा भी नॉर्मल हो गया था.. लेकिन वो कुछ खोई-खोई सी थीं। मेरी नजरों को अपने चेहरे पर महसूस करके उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा- उठो और जाकर फरहान को देखो।

मैं उठा तो आपी ने भी कुर्सी छोड़ दी और मेरे साथ ही बाथरूम की तरफ चल दीं। दरवाज़ा बन्द था.. आपी ने दरवाज़ा बजाया.. अन्दर से कोई आवाज़ नहीं आई।

तो वो बोलीं- फरहान मुझे तुमसे बिल्कुल भी ये उम्मीद नहीं थी.. तुम दोनों ही गंदगी में धंसे हुए नापाक इंसान हो।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#7
Nice......aapi ko bhi involve karo khel apne mein
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#8
(06-02-2024, 11:28 PM)Pentagon Wrote: Nice......aapi ko bhi involve karo khel apne mein

थोड़ा सा सब्र रखिए, आगे आगे देखिए होता है क्या  Tongue Tongue
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#9
Heart 
अन्दर से फरहान की रोती हुई आवाज़ आई- आपी प्लीज़ मुझे माफ़ कर दें.. आपी प्लीज़ अम्मी-अब्बू को नहीं बताना..

कह कर उसने बाकायदा रोना शुरू कर दिया। रूही आपी ने मेरी तरफ देखा और कहा- इसे चुप करवाओ और शरम करो कुछ..

यह कह कर वो दोबारा कंप्यूटर टेबल के तरफ चली गईं और वहाँ कुछ करने के बाद कमरे से बाहर चली गईं। मैंने भाग कर दरवाज़ा बन्द किया और बाथरूम के पास आकर फरहान से कहा- आपी चली गई हैं.. दरवाज़ा खोल और बाहर आ जा।
यह कह कर मैं बेड पर जाकर लेट गया और आपी के बदलते रवैये के बारे में सोचने लगा। कुछ देर बाद फरहान बाहर आया और मेरे पास आकर लेट गया और डरे सहमे लहजे में बोला- भाईजान अगर आपी ने अम्मी-अब्बू को बता दिया तो??
मेरे पास इस बात का कोई जवाब नहीं था.. लेकिन मैंने फरहान से कह दिया- यार तुम परेशान नहीं होओ.. कुछ नहीं होगा.. आपी किसी को नहीं बताएँगी!

मैंने फरहान को तो समझा-बुझाकर चुप करवा दिया.. लेकिन हक़ीक़त ये ही थी कि मैं खुद भी डरा हुआ था। डर के साथ-साथ ही मुझे तश्वीश थी।
आपी के बदलते रवैए के बारे में ये सब सोचते-सोचते ही मुझे ख़याल आया कि मैं कंप्यूटर में से अपना पॉर्न मूवीज का फोल्डर तो डिलीट कर दूँ ताकि आपी अब्बू को बता भी दें.. तो कोई ऐसा सबूत तो ना हो। मैंने फरहान की तरफ देखा तो वो सो चुका था। मैं उठा और कंप्यूटर टेबल पर आकर कंप्यूटर ऑन करने लगा.. तो मैंने देखा कि उसकी पावर कॉर्ड गायब थी। कुछ देर तो मुझे समझ नहीं आया लेकिन फिर याद आया कि आपी कमरे से जाने से पहले कंप्यूटर के पास गई थीं, यक़ीनन वो ही पावर कॉर्ड निकाल कर ले गई होंगी।
लेकिन उन्होंने ऐसा क्यूँ किया?
यह ही सोचते हुए मैं अपने बिस्तर पर आकर लेट गया और मेरे जेहन में यही बात आई कि आपी यक़ीनन अम्मी या अब्बू को बता देंगी और इसी लिए वो पावर कॉर्ड निकाल कर ले गई हैं ताकि हम सबूत ना मिटा सकें। यह सोच जेहन में आते ही मुझे ख़ौफ़ की एक लहर ने घेर लिया और कुछ देर बाद ही जब नींद भी अपना रंग जमाने लगी.. तो मैंने अपनी फ़ितरत की मुताबिक़ अपने जेहन को समझा दिया कि जो भी होगा.. देखा जाएगा। ज्यादा से ज्यादा अम्मी-अब्बू घर से निकाल देंगे ना.. तो मैं कुछ भी कर लूँगा.. अब मैं खुद भी कमा सकता हूँ.. ऐसी बागी सोच वैसे भी उस उम्र का ख़ास ख्याल होता है.. जिसे उम्र में मैं उस वक़्त था। बस ऐसी ही सोच में उलझा-उलझा मैं नींद के आगोश में चला गया।
अगली सुबह जब हमारी आँख खुली.. तो आँख खुलते ही जेहन में पहला सवाल ये ही था कि अब क्या होगा??
मैं कॉलेज के लिए तैयार होकर बाहर निकला तो अम्मी टेबल पर नाश्ता लगा रही थीं.. जबकि डेली हमें नाश्ता रूही आपी बना के देती थीं और हमारे निकलने के बाद वो नाश्ता करके यूनिवर्सिटी जाती थीं। मैं टेबल पर बैठा ही था कि फरहान भी सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आता दिखाई दिया। उसी वक़्त रूही आपी और हनी के कमरे का भी दरवाजा खुला और हनी स्कूल यूनिफॉर्म पहने बाहर आती दिखाई दी। इसी पल में मैंने दरवाज़े में से अन्दर देख लिया था कि रूही आपी अभी तक बिस्तर पर ही थीं।
फरहान टेबल पर आकर बैठा तो उसका चेहरा ऐसा हो रहा था.. जैसे बिल्ली को सामने देख कर चूहे का हो जाता है। मैंने उससे कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि किचन से अम्मी और हनी नाश्ता लेकर बाहर आती नज़र आ गईं।

अम्मी हनी से कह रही थीं- सच-सच बताओ मुझे.. कल तुम लोगों ने बाहर से कोई उल्टी-सीधी चीज़ मंगा कर खाई थी ना.. इसी लिए रूही का पेट खराब है और वो यूनिवर्सिटी भी नहीं जा रही है।
हनी मुसलसल इनकार कर रही थी.. खैर उनकी इस बहस से मुझे रूही आपी के ना उठने की वजह तो मालूम हो ही गई थी और फरहान के चेहरे पर भी ये सुन कर सकून छा गया था कि आपी अभी अपने कमरे में ही सो रही हैं। मैंने भी शुक्रिया अदा किया कि अच्छा ही हुआ कि आपी से सामना नहीं हुआ। मैं बा ज़ाहिर तो पुरसुकून था.. लेकिन हक़ीक़तन खौफजदा तो मैं भी था ही।
हम घर से स्टॉप तक साथ ही जाते थे और फिर अपनी-अपनी बस में बैठ जाते थे.. आज भी हम तीनों एक साथ निकले। फरहान और हनी को उनके स्कूलों की बसों में बैठाने के बाद मैं भी अपने कॉलेज की तरफ चल दिया। लेकिन मेरा जेहन बहुत उलझा हुआ था, अजीब ना समझ आने वाली कैफियत थी, ऐसा लग रहा था जैसे कोई बात है.. जो जेहन में कहीं अटक गई है.. लेकिन क्लियर नहीं हो रही है। इसी उलझन में मैं कॉलेज से भी जल्दी ही निकल आया। घर में दाखिल होते हुए भी मैंने ये एहतियात रखी कि आपी सामने ना हों क्योंकि मैं रूही आपी का सामना नहीं करना चाहता था। अन्दर दाखिल होने पर मैंने चारों तरफ नज़र दौड़ाई तो मुझे कोई भी नज़र नहीं आया.. जबकि मेरे हिसाब से अम्मी के साथ-साथ रूही आपी को भी घर में ही मौजूद होना चाहिए था।

जब मुझे कोई नज़र ना आया.. तो मैंने भी सिर को झटका और पैर अपने कमरे में जाने के लिए सीढ़ियों की तरफ बढ़ा दिए। मैं सीढ़ियों से ज़रा दूर ही था कि मैंने अम्मी को उनके कमरे से निकल कर सीढ़ियों की तरफ जाते देखा।
उसी वक़्त उनकी नज़र भी मुझ पर पड़ी.. तो वो फ़ौरन मेरी तरफ आईं और परेशान हो कर पूछने लगीं- क्या हुआ सगीर खैरियत तो है ना बेटा.. इतनी जल्दी वापस आ गए कॉलेज से?

तो मैंने सिर दर्द या पेट दर्द जैसे बहाने बनाने से ऐतराज़ किया कि उस पर अम्मी का लेक्चर सुनना पड़ जाता, मैंने कह दिया कि आज टीचर्स ने किसी बात पर हड़ताल कर रखी है। 
अम्मी ने अपनी बगल में दबाए अपने बुर्क़े को खोला और बुर्क़ा पहनते-पहनते टीचर्स को कोसने लगी, फिर नक़ाब बाँधते हुए उन्होंने मुझे कहा- मैं तुम्हारी सलमा खाला के घर जा रही हूँ.. उसने बुलाया है.. कोई काम है उसे.. मैं ये ही रूही को बताने ऊपर जा रही थी कि दरवाज़ा बंद कर ले। कब से ऊपर जाकर बैठी है.. उसे पता भी है कि मुझसे सीढ़ियाँ नहीं चढ़ी जाती हैं.. लेकिन तुम लोगों को मेरी परवाह कब है.. सब ऐसे ही हो।’

उन्होंने ये कहा और मुझे दरवाज़ा बंद करने का इशारा करते हुए बाहर निकल गईं। मैंने डोर लॉक किया और आपी के बारे में सोचते हुए ऊपर अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। ऊपर या तो हमारा रूम है.. या स्टडीरूम है।

मैं पहले स्टडीरूम की तरफ गया कि आपी को देख लूँ.. लेकिन स्टडी में आपी को ना पाकर मुझे बहुत हैरत हुई। स्टडी रूम में ना होने का मतलब ये ही था कि वो हमारे कमरे में हैं। मेरी सिक्स सेंस्थ ने मुझे आगाह कर दिया कि कुछ गड़बड़ है.. मैं दबे पाँव चलता हुआ अपने कमरे के दरवाज़े पर आया और हल्का सा दबाव देकर देखा। लेकिन दरवाज़ा अन्दर से लॉक था। मैं वापस स्टडीरूम में आया और खिड़की के बाहर बने शेड पर उतर गया। शेड पर चलते-चलते मैं अपने कमरे की खिड़की तक पहुँचा और कमरे की तीसरी खिड़की पर हल्का सा दबाव दिया तो वो खुलती चली गई।
हम इस एक खिड़की का लॉक हमेशा खुला रखते थे कि कभी इसकी कोई जरूरत पड़ ही सकती है और आज इस बात ने फ़ायदा पहुँचा ही दिया था। वैसे भी हमारा ये कमरा ऊपर वाली मंजिल पर था.. तो कोई ऐसा ख़तरा भी नहीं था कि कोई चोर डाकू आ जाएं। हमारे घर के चारों तरफ लॉन था उसके बाद दीवारें बनी हुई थीं.. वो भी 10 फीट ऊँची थीं और उन पर काँच लगे थे।

बरहराल.. मैंने आहिस्तगी से सिर उठा कर खिड़की से अन्दर झाँका। इस खिड़की से कंप्यूटर टेबल इस एंगल पर थी कि यहाँ से कंप्यूटर स्क्रीन भी नज़र आती थी और कुर्सी पर बैठे हो बंदे का लेफ्ट साइड पोज़ भी उसकी कमर के कुछ हिस्से के साथ-साथ देखा जा सकता था, ज़रा तिरछा सा एंगल बनता था।उम्मीद है कि मैंने इस पोजीशन का आपके जेहन में मुकम्मल खाका बना दिया होगा।
यहाँ जरूरी है कि मैं अपनी आपी के जिस्म के बारे कुछ डीटेल्स बयान कर दूँ ताकि कहानी पढ़ते वक़्त आप लोगों के ज़हन में मेरी सग़ी बहन की तस्वीर बनी हुई हो।
मेरी आपी मुझसे 4 साल बड़ी हैं.. उनका रंग गोरा नहीं.. बल्कि गुलाबी है.. जिल्द बिल्कुल शफ़फ़ है। उनकी लम्बाई तकरीबन 5 फीट 4 इंच है.. उनका जिस्म भरा हुआ था.. पेट बिल्कुल नहीं था। उनकी टाँगें काफ़ी लंबी-लंबी और भारी-भारी कदली सी जाँघें हैं और उनके सीने के दोनों उभार काफ़ी बड़े और वैलशेप्ड हैं.. जो शायद खानदानी जींस की वजह से हैं। मेरे पूरे खानदान में ही सब औरतों के मम्मे बड़े-बड़े ही हैं।
जब मेरी नज़र अन्दर पड़ी.. तो मेरा मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया और मेरा लण्ड झटके लेकर तन गया। सामने मेरी आपी कुर्सी पर बैठी थीं।

TO BE CONTINUED ........
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#10
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MY RUHI AAPI  Heart Heart
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#11
(07-02-2024, 12:46 PM)KHANSAGEER Wrote:
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MY RUHI AAPI  Heart Heart
















जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#12
यह कहानी वाकयी बहुत ही रूमानियत से भरी हुई है.. आपसे गुजारिश है कि अपने ख्यालात कहानी के अंत में अवश्य लिखें।

Heart Heart
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#13
(07-02-2024, 01:08 PM)neerathemall Wrote:
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 कैसी है?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#14
कंप्यूटर स्क्रीन उनके सामने थी और की-बोर्ड उनकी गोद में पड़ा था। उन्होंने स्काइ-ब्लू क़मीज़, जिस पर ब्लैक फूल प्रिंटेड थे, पहन रखी थी। सिर पर डार्क-ब्लू स्कार्फ ऐसे ही बाँध रखा था, जैसे वो बाँधा करती हैं, इसको मैं पहले बयान कर चुका हूँ। नीचे आपा ने वाइट कॉटन की ही सलवार पहनी हुई थी जिसके पायेंचों ने उनके पैरों को आधे से ज्यादा ढक रखा था।
स्क्रीन पर वो रात वाली ही मूवी चल रही थी जिसमें सब ब्लैक आदमी और गोरी लड़कियाँ ही थीं। यह सीन थ्रीसम का था जिसमें एक गोरी लड़की डॉगी पोजीशन में थी और एक डार्क ब्लैक लण्ड उसकी खूबसूरत पिंक-पिंक चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था। उसी वक़्त में ही एक और काले लण्ड को उसके होंठों ने अपनी गिरफ्त में ले रखा था।
सामने बैठी मेरी सग़ी बहन, मेरी बड़ी बहन, मेरी आपी, अपने राईट हैण्ड से की बोर्ड को कंट्रोल कर रही थीं और लेफ्ट हैण्ड की 2 उंगलियों से उन्होंने अपने लेफ्ट मम्मे के निप्पल को पकड़ रखा था और उसे चुटकी में मसल रही थीं। उन्होंने अपनी दाईं टांग पर अपनी बाईं टांग को क्रॉस करके रखा हुआ था.. जिसकी वजह से मुझे अपनी बहन की हसीन रान और बाएँ कूल्हे के निचले हिस्से का भी दीदार हो रहा था।
अपनी सग़ी बहन को इस हालत में देख कर मेरी क्या हालत थी इसका अंदाज़ा आप बाखूबी लगा सकते हैं।
मैंने अपनी पैंट की ज़िप खोल के अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया था लेकिन मैं उसे हाथ भी नहीं लगा रहा था क्योंकि मुझे पता था कि मेरे हाथ टच करते ही मेरा लण्ड अपना पानी बहा देगा बगैर हाथ लगाए ही मेरे लण्ड से क़तरा-क़तरा सफ़ेद माल निकल रहा था। चंद सेकेंड्स के वक्फे से मेरा लण्ड एक झटका ख़ाता था और एक क़तरा बाहर फेंक देता था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पूरे जिस्म में आग लगी हुई है, मुझे अपने कानों से धुंआ निकलता महसूस हो रहा था।
आपी कुर्सी पर बिना हिले-जुले ऐसे बैठी थीं जैसे कि वो बुत हों। उधर मूवी में अब दोनों लड़के अपने-अपने लण्ड चूत और मुँह से निकाल कर साथ-साथ खड़े हो गए थे और वो लड़की उन दोनों के सामने घुटनों के बल बैठ कर बारी-बारी से दोनों का लण्ड चूस रही थी और हाथ में उनके हैवी लौड़े पकड़ कर अपने हाथ को आगे-पीछे हरकत दे रही थी।
फिर उस लड़की ने लण्ड को अपने मुँह से निकाला और अपने सीने के उभारों पर रगड़ने लगी। फिर उसने लण्ड की नोक को अपने निप्पल पर दबाया ही था कि लण्ड से गाढ़ा सफ़ेद जूस निकल-निकल कर उसके मम्मों पर गिरने लगा। वो अपने हाथ से अपने दोनों मम्मों पर लण्ड के पानी की मालिश करने लगी।
उसी वक़्त दूसरे ब्लैक आदमी ने लड़की के सिर को पकड़ कर अपने लण्ड की तरफ घुमाया और उस लड़की ने उसके लण्ड को पकड़ कर एक बार में पूरे लण्ड को जड़ तक अपने मुँह में भरा और फिर लण्ड को मुँह से निकाल कर सिर्फ़ उसकी नोक को अपने निचले होंठ पर टिका दिया और अपना मुँह जितना खोल सकती थी.. खोल लिया और लण्ड को अपनी मुठी में पकड़ कर हाथ को आगे-पीछे करने लगी। फ़ौरन ही उसके लण्ड से भी गाढ़ा-गाढ़ा सफ़ेद पानी निकलने लगा जो लड़की के मुँह में जमा होता रहा।

उसी वक़्त आपी के जिस्म को भी झटका सा लगा उन्होंने की बोर्ड अपनी गोद से उठा कर सामने टेबल पर रख दिया। उन्होंने मीडिया प्लेयर के कर्सर को हरकत दी और मूवी वहीं से शुरू हो गई जहाँ से लड़की ने जड़ तक लण्ड को चूस कर अपने निचले होंठ पर टिका दिया था। शायद वो ये सीन फिर से देखना चाहती थीं।
आपी ने भी अपने दोनों हाथों को सामने टेबल पर रखा और टेबल का किनारा बहुत मज़बूती से पकड़ लिया। उन्होंने अपनी टाँगों को आपस में भींच लिया। आपी की गर्दन अकड़ गई थी उनकी गिरफ्त टेबल पर मज़बूत होती जा रही थी और पूरा जिस्म अकड़ गया था। सिर गर्दन की अकड़ की वजह से पीछे को झुक सा गया था।
अचानक उनके जिस्म ने 2-3 झटके लिए और उनको हिचकियाँ भी आने लगीं, शायद अपनी सिसकारियों को रोक रही थीं। इस वजह से सिसकारियाँ हिचकी में तब्दील हो गई थीं।
उसी वक़्त मेरे लण्ड ने भी झटके लिए और दीवार पर पिचकारी मारने लगा। मेरी जिन्दगी में पहली बार ऐसा हुआ था कि बगैर हाथ टच हुए मैं डिसचार्ज हुआ था।
झटके खाने के बाद भी आपी का जिस्म तकरीबन 30 सेकेंड तक अकड़ा रहा और फिर उनका बदन ढीला पड़ गया और वो निढाल सी हो गई। शायद मेरी आपी भी मेरी तरह बगैर टचिंग के ही अपनी मंज़िल पा गई थीं।
मैं नहीं चाहता था कि आपी को मेरी मौजूदगी का पता चले। मैं जिस रास्ते से यहाँ तक आया था उसी रास्ते पर चलता नीचे चला गया। मुझे उम्मीद थी कि आपी भी अब फ़ौरन ही नीचे आ जाएंगी।
इसलिए मैं बाहर वाले मेन गेट पर आकर खड़ा हो गया कि आपी को सीढ़ियाँ उतारते देख कर घर में ऐसे दाखिल होऊँगा कि उन्हें ऐसा ही ज़ाहिर हो कि मैं अभी-अभी ही घर आया हूँ। लेकिन 10-15 मिनट वहाँ खड़े होने के बावजूद भी आपी नीचे नहीं उतरीं.. तो मैं बाहरी दरवाजे को बन्द करते हुए घर से बाहर निकल गया।
कुछ देर टाइम पास करने के लिए स्नूकर क्लब की तरफ चल दिया। मेरा जेहन बहुत कन्फ्यूज़ था। मेरा जेहन अपनी सग़ी बहन जो बहुत पाकीज़ा, लायक और शरीफ थी, का ये रूप क़बूल नहीं कर रहा था। अपनी बहन जिसके मम्मों को मैंने कभी दुपट्टे के बगैर नहीं देखा था, अभी उन मम्मों पर सजे खूबसूरत निपल्स को चुटकी में मसलता हुआ देख कर आ रहा था। हाँ वो थे तो क़मीज़ में छुपे लेकिन शायद ब्रा से बेनियाज़ थे। मेरी बहन जो कभी हमारे सामने ज्यादा देर बैठती नहीं थी उसकी वाइट सलवार में छुपी रान और कूल्हे का निचला हिस्सा मेरी नज़रों में घूम रहा था।

‘भाई साहब चना चाट खाओगे, बिल्कुल ताज़ा है’
इस आवाज़ पर मेरी सोचों का सिलसिला टूटा तो मुझे पता चला कि मैं जा तो स्नूकर क्लब रहा था.. लेकिन पहुँच गया था अपने एरिया में बने एक पार्क में शायद मैं सोचने के लिए तन्हाई चाहता था और मेरा जेहन मुझे यहाँ ले आया था।
सारा दिन घर से बाहर गुजारने के बाद जब मैं घर पहुँचा तो रात के 9 बज रहे थे। 
घर में घुसते ही अब्बू की आवाज़ ने मेरा इस्तक़बाल किया- अमां यार कहाँ थे बेटा! सारा दिन तुम्हारा सेल फोन भी ऑफ मिल रहा है।
मैंने उनके सामने वाली कुर्सी पर डाइनिंग टेबल पर बैठते हुए यूँ ही कुछ बहाना बनाया और बात को टाल दिया।
अम्मी ने कहा- खाना खा कर जल्दी सो जाना, सुबह 5 बजे तुम्हें सलमा खाला के साथ गाँव जाना है। फरहान शाम 4 बजे ही इजाज़ (सलमा खाला के शौहर) के साथ गाँव चला गया है।
मैंने अब्बू की तरफ सवालिया नजरों से देखा तो उन्होंने तफ़सील से बताया कि वहां हमारी कुछ ज़मीने हैं जो तुम्हारे और फरहान के नाम पर हैं। उनके साथ ही हमारी खाला की भी ज़मीन है। बस उन्ही का कुछ मसला था जिसकी तफ़सील बयान करके मैं आप लोगों को बोर नहीं करना चाहता।

तभी अम्मी ने कहा- “तुम्हारा बैग रूही ने तैयार कर दिया होगा। अपना जरूरी सामान जो साथ ले जाना चाहो वो भी रूही को दे देना वो रख देगी”

रूही आपी का नाम सुनते ही मुझे आज सुबह का देखा हुआ सीन याद आ गया और फ़ौरन ही मेरे लण्ड ने रिस्पोन्स में मुझे सैल्यूट दे दिया।
मैं खाना खा चुका था, मैंने अम्मी-अब्बू को खुदा हाफ़िज़ कहा और उन्हें कह दिया कि मैं सुबह सलमा खाला को उनके घर से ले लूँगा और सीढ़ियों की तरफ चल दिया।
मैंने पहली सीढ़ी पर क़दम रखा ही था कि ऊपर से रूही आपी आती दिखाई दीं। उन्हें देख कर मेरा दिल ज़ोर से धड़का और फिर जैसे मेरी धड़कन रुक सी गई। उन्होंने सुबह वाला ही सूट पहन रखा था और वो ही स्कार्फ बाँधा हुआ था.. डार्क ब्लू कलर का और एक बड़ी सी ग्रे रंग की चादर उन्होंने अपने पूरे जिस्म के गिर्द लपेट रखी थी।
लेकिन वो बड़ी सी चादर भी आपी के सीने के बड़े-बड़े उभारों को मुकम्मल तौर पर छुपा लेने में नाकाम थी। जब वो मेरे सामने पहुँचीं और मेरी नजरों से उनकी नज़र मिलीं तो मेरी नज़रें फ़ौरन झुक गईं..
लेकिन इस एक नज़र ने मुझे ये बता दिया था कि आपी की नजरों में भी अब वो दम नहीं था कि वो मुझसे आँख मिला सकतीं। उनकी नज़र भी फ़ौरन ही झुकी थी। आख़िर उनके दिल में भी चोर बस ही गया था।
मैं गाँव में 5 दिन गुजार कर आज ही वापस पहुँचा था और सलमा खाला को उनके घर छोड़ कर बस अपने घर में दाखिल हुआ ही था कि सामने डाइनिंग हॉल में ही अम्मी बैठी हुई मिल गईं। उन्होंने सलाम का जवाब दिया और मेरा माथा चूमने के बाद पहला सवाल फरहान के बारे में किया कि वो कहाँ है?
तो मैंने बताया कि वो भी कल आ जाएगा।
मेरा जवाब खत्म होते ही अम्मी ने दूसरा सवाल दाग दिया- गाँव के जिस काम के लिए गए थे.. उसमें क्या हुआ?
मैंने सिर्फ़ इतना ही जवाब दिया- सब काम खैरियत से निपट गया है। तफ़सील आप सलमा खाला से ही पूछ लेना।

मुझे पता था कि अगर मैंने यह बात शुरू कर दी… तो अम्मी सारा दिन ही गुजार देंगी। हरेक बंदे के बारे में मालूम करके ही सुकून से बैठेंगी। इसलिए ये बात सलमा खाला के सिर डाल कर मैंने बात ही खत्म कर दी।
दोनों बहनों को बातें करने का भी बहुत शौक है.. आपस में सब मालूमत का तबादला भी कर लेंगी।

मैं उठा ही था कि अम्मी ने हुकुम दिया- मेरे कमरे से बुर्क़ा ला दे.. मैं अभी जाती हूँ सलमा के पास..

मैंने बुर्क़ा ला कर दिया और पूछा- अब्बू कहाँ हैं..??

अम्मी बताने लगीं- तुम्हारे अब्बू को तो ऑफिस के अलावा कुछ सूझता ही नहीं.. आज इतवार था.. छुट्टी आराम करने के लिए होती है.. लेकिन उनके ऑफिस वालों ने कोई पार्टी अरेंज की हुई है.. जिसमें फैमिली लंच और कोई मैजिक शो का इंतज़ाम भी है.. जो रात तक चलेगा।

मैंने अम्मी से सिर्फ़ अब्बू के बारे में ही पूछा था लेकिन उन्होंने हस्बे-आदत सब का बताना शुरू कर दिया।

साथ ही यह भी बता दिया कि वो निकम्मी हनी भी मैजिक शो का नाम सुन कर उनके साथ जाने को तैयार हो गई, उसे भी साथ ले गए हैं.. और रूही की तो ये मुई पढ़ाई ही जान नहीं छोड़ती। कोई थीसिस लिख रही है.. सुबह 9 बजे ऊपर जाती है स्टडी रूम में.. तो रात तक वहाँ ही होती है।

आगे बोली- अभी तुम्हारे आने से एक मिनट पहले ही ऊपर गई है। मैं अपने घुटनों के दर्द की वजह से ऊपर जा नहीं सकती। बस नीचे से आवाजें मारती रहती हूँ। कभी सुन ले तो जवाब दे देती है.. नहीं तो खुद ही खामोश हो जाती हूँ और अब तो उसने घर में भी अबया पहनना शुरू कर दिया है.. 24 घंटे अबया पहने रहती है।

अम्मी ने रूही आपी के बारे में जो बात कही.. उसने मेरे दिमाग में लाल बत्ती जला दी थी।
ये बात खत्म करने तक वो बुर्क़ा और नक़ाब पहन चुकी थीं। मुझे हाथ से दरवाज़ा बन्द करने का इशारा करते हुए बाहर की तरफ चल पड़ी।

मैंने उनके पीछे चलते हुए कहा- आप ऑटो लॉक क्यूँ नहीं लगा कर जाती हैं, कुल 6 नंबर का तो कोड है.. 6 बटन ही दबाने होते हैं ना।

तो वो बाहर निकलते हुए चलते-चलते बोलीं- जब तुम लोगों में से कोई पास नहीं होता.. तो खुद ही लॉक करती हूँ। अब बंद कर लो दरवाजा और घर का ख़याल रखना, मैं खाना सलमा के पास ही खाकर आऊँगी।

अम्मी के जाने के बाद मैंने दरवाज़ा लॉक किया और ऊपर अपने कमरे की तरफ चल पड़ा।


TO BE CONTINUED …….
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#15
(08-02-2024, 10:41 AM)neerathemall Wrote:  कैसी है?

lovely ...... muaaaaaah
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#16
मैं ऊपर आखिरी सीढ़ी पर था जब मैंने आपी को स्टडी रूम से निकलते देखा, वो निकल कर स्टडी रूम का दरवाज़ा बंद कर रही थीं। पहली ही नज़र में मैंने जो चीज़ नोटिस की.. वो आपी का गहरे काले रंग का सिल्क का अबया था.. जिसकी लंबाई इतनी थी कि आपी के पाँव भी उसी अबाए में ही छुपे हुए थे और स्लेटी रंग का स्कार्फ उन्होंने अपने मख़सूस अंदाज़ में बाँध रखा था।
मैं बगैर कुछ सोचे-समझे दबे पाँव नीचे की तरफ चल पड़ा।
मैं आपी का सामना नहीं करना चाह रहा था। नीचे पहुँच कर मैं डाइनिंग हाल में ही खड़ा हो गया और आपी के नीचे आने का इन्तजार करते हुए अपनी सोच में अपने आपको सिरज़निश करने लगा कि आपी वाक़यी स्टडी रूम में होती हैं और मैं अपनी सग़ी बहन.. अपनी पाकीज़ा और लायक बहन के बारे में कैसी बातें सोच रहा हूँ।
दो मिनट बाद मैंने सोचा कि आपी को अब तक नीचे आ जाना चाहिए था और इसी सोच के साथ ही मैंने ऊपर की तरफ अपने क़दम बढ़ा दिए। ऊपर पहुँच कर मैंने पहले स्टडी रूम के दरवाज़े को देखा.. लेकिन वो बाहर से लॉक था। फिर मैंने अपने कमरे के दरवाज़े पर दबाव डाल कर देखा लेकिन वो अन्दर से लॉक था।
मैं स्टडी रूम की तरफ गया और खिड़की के रास्ते शेड से होता हुआ अपने कमरे की खिड़की तक पहुँच गया और मैंने नीचे झुके-झुके ही खिड़की पर दबाव डाला। वो हमेशा की तरह आज भी अनलॉक ही थी। मैंने अन्दर नज़र डाली तो रूम खाली था। लेकिन उसी वक़्त बाथरूम का दरवाज़ा खुला और रूही आपी बाहर आईं और सीधी कंप्यूटर की तरफ बढ़ गईं।
उनकी बेताबी.. उनके हर अंदाज़ से ज़ाहिर थी। वो कुर्सी पर बैठीं और कंप्यूटर ऑन करने के बाद डाइरेक्ट हमारे पॉर्न मूवीज वाले फोल्डर तक पहुँची और उन्होंने एक मूवी ओपन कर ली। जब मूवी ओपन हुई तो मैंने देखा ये मूवी नंबर 109 थी और हमारे कम्प्यूटर में टोटल 111 मूवीज थीं।
जिसका मतलब ये था कि आपी ने पिछले 5 दिनों में तकरीबन सारी ही मूवीज देख डाली थीं।
अब मूवी स्टार्ट हो चुकी थी और एक जोड़ा किसिंग कर रहा था!
जैसे-जैसे मूवी आगे बढ़ती जा रही थी.. आपी की साँसें तेज होती जा रही थीं। मैंने भी अपने लण्ड को पैंट की क़ैद से आज़ाद कर दिया था और बिल्कुल हल्के हाथ से सहला रहा था।
आपी ने भी अपने एक हाथ से अपने सीने की उभरी चट्टानों को नर्मी से सहलाना शुरू कर दिया था और कभी-कभी आपी अपने एक मम्मे को अपने हाथ में भर कर ज़ोर से दबा भी देती थीं।
आपी के सीने के उभार बगैर दुपट्टे के देख कर मेरी बुरी हालत हो गई थी। आपी ने अब दोनों हाथों से अपने दोनों मम्मों को बहुत ज़ोर से मसलना और दबोचना शुरू कर दिया था। अज़ीयत और मुकम्मल संतुष्टि ना मिलने का भाव आपी के चेहरे से ज़ाहिर हो रहा था। उनकी अजीब सी हालत थे.. उन्होंने अपने निचले होंठ को बहुत मजबूती से दाँतों में दबा रखा था।
अचानक आपी ने अपने दोनों हाथ सिर से सीधे ऊपर उठाए और एक अंगड़ाई ली और अपने हाथों को सिर पर रख के अपने स्कार्फ को लगभग नोंच कर उतारा और अपनी राईट साइड में उछाल दिया.. साथ ही अपने बाल खोल दिए।
मुझे नहीं याद था कि होश संभालने के बाद मैंने कभी अपनी आपी के बाल देखे हों। आपी के बाल खुल गए थे और कुर्सी पर बैठे होने के बावजूद ज़मीन तक पहुँच रहे थे। मूवी में अब एक लड़की सीधी लेटी हुई थी और उसने अपनी चूत को अपने राईट हैण्ड से छुपा रखा था और लेफ्ट हैण्ड की बड़ी उंगली से इशारा करते हुए लड़के को अपनी तरफ बुला रही थी।
लड़का अपने लण्ड को हाथ में पकड़े उसकी तरफ बढ़ रहा था और फिर अगले ही लम्हें वो लड़का.. उस नंगी लड़की के टाँगों के दरमियान बैठ गया। अब उसने अपना हाथ लड़की के उस हाथ पर रखा.. जिस हाथ से चूत छुपी हुई थी और उसके हाथ को हटाते ही फ़ौरन अपना मुँह उस लड़की की चूत से लगा दिया।
उसी लम्हें आपी ने एक ‘आह..’ भरी और अपने लेफ्ट हैण्ड को कपड़ों के ऊपर से ही अपनी टाँगों के दरमियान वाली जगह पर रखा और उस जगह को ज़ोर से दबोच लिया। साथ ही वे दूसरे हाथ से अपने लेफ्ट दूध को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगीं।
मैं अपनी सग़ी बड़ी बहन का यह रूप देख कर बिल्कुल दंग रह गया।
आपी कुछ देर तक यूँ ही अपने लेफ्ट दूध को दबाती रहीं और टाँगों के बीच वाली जगह को दबोचती और ढीला छोड़ती रहीं। अब स्क्रीन पर सीन चेंज हो गया था.. वो लड़की सीधी लेटी थी.. उसने अपनी टाँगें फैला रखी थीं और लड़का उसकी टाँगों के दरमियान उस पर पूरा झुका हुआ लड़की के होंठों को चूस रहा था और लड़की की चूत में अपने लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा था।
कैमरे का व्यू पीछे का था इसलिए लण्ड का अन्दर-बाहर होना क्लोज़-अप में दिखाया जा रहा था। साथ ही लड़के की गाण्ड का सुराख भी वज़या नज़र आ रहा था.. तभी स्क्रीन पर इसी आसन में एक और लड़के की एंट्री हुई और उसने अपने लण्ड की नोक को लड़के की गाण्ड के सुराख पर टिकाया और एक ही झटके में तकरीबन आधा लण्ड अन्दर उतार दिया।
इस सीन को देखते ही आपी के मुँह से एक तेज ‘अहह..’ निकली और उन्होंने अपनी टाँगों के बीच वाले हाथ को उठाया और ज़ोर-ज़ोर से 2-3 दफ़ा उसी जगह पर ऐसे मारा.. जैसे थप्पड़ मार रही हों और फिर ज़ोर से उस जगह को दबोच लिया। ऐसा लग रहा था कि इस सीन ने उन पर जादू सा कर दिया था.. उनका हर अमल इस सीन की पसंदीदगी की गवाही दे रहा था।
आपी ने अपनी टाँगों के दरमियान से हाथ उठाया और थोड़ा झुक कर अपने अबाए को बिल्कुल नीचे से पकड़ा और ऊपर उठाने लगीं.. आपी का अबया उनके घुटनों तक उठा.. तो मुझे हैरत का एक शदीद झटका लगा। आपी ने अबाए के अन्दर कुछ नहीं पहना हुआ था.. मतलब आपी अबाए के अन्दर बिल्कुल नंगी थीं।
मेरी बड़ी बहन.. मेरी आपी जो पूरे खानदान में सबसे ज्यादा बा-हया समझी जाती थीं.. और सब लोग अपनी बहनों बेटियों को मेरी इस बहन की मिसालें दिया करते थे। मेरी वो बहन सारा दिन घर में अबाए के अन्दर नंगी रहती है.. उफफफफ्फ़.. इस सोच ने मेरे जिस्म को गरमा के रख दिया था।
मैं पहली बार अपनी सग़ी बहन की टाँगों का दीदार कर रहा था। आपी की पिंडलियाँ बहुत खूबसूरत और सुडौल थीं। उनके घुटने इतने मुतनसीब और प्यारे थे कि आप किसी भी फिल्म की हीरोइन से कंपेयर करें तो मेरी बहन के पैर ही खूबसूरत लगेंगे।
आपी का अबया अब इतना ऊपर उठ चुका था कि उनके घुटने से ऊपरी रान आधी नज़र आ रही थी।
आपी ने अपनी दाईं टांग पूरी नंगी करके अपने घुटने को थोड़ा सा खम देते हुए अपने पाँव कंप्यूटर टेबल के ऊपर टिका दिए। अब इसे मेरी बदक़िस्मती कहें कि जहाँ मैं मौजूद था वहाँ से आपी का सिर्फ़ दायाँ पाँव ही नज़र आ रहा था।
आपी ने अपना बायां हाथ अपनी नंगी टाँगों के दरमियान रखा और उनका हाथ तेजी से हरकत करने लगा.. जो मैं यहाँ से नहीं देख सकता था कि उनके हाथ की हरकत क्या है.. मुझे तो बस उनका हाथ हिलता हुआ नज़र आ रहा था।
आपी ने अपने सिर को पीछे की जानिब ढलका दिया था और तेज-तेज अपने हाथ को हरकत दे रही थीं।
ये सब देखते मेरी अपनी हालत खराब हो चुकी थी, मैंने अपनी पैंट वहाँ खड़े-खड़े ही उतार दी थी.. मेरे जहन से खौफ.. डर या शर्मिंदगी जैसे तमाम अहसासात मिट चुके थे। किसी के बाहर से देखे जाने का ख़तरा तो था नहीं और घर में मेरे और आपी के अलावा कोई नहीं था।
आपी को देखते हुए मैंने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा और तेजी-तेजी से हाथ को आगे-पीछे करने लगा और 30 सेकेंड में ही मेरे लण्ड ने सफ़ेद गाढ़ा मवाद खारिज कर दिया और मेरे मुँह से मज़े के कारण तेज आवाज़ में एक ‘अहहहा..’ खारिज हुई।
मेरी इस ‘आआहहाअ..’ आपी के कानों तक भी पहुँच गई थी। आपी एकदम अपनी कुर्सी से उछल पड़ीं.. उन्होंने फ़ौरन मॉनिटर को ऑफ किया और अपना गाउन ठीक करते-करते इधर-उधर देखने लगीं।
जैसे ही उन्होंने मुझे देखा वो तीर की तरह मेरी तरफ आईं, उस वक़्त उन्हें ये भी ख़याल नहीं रहा कि उनके सिर पर स्कार्फ नहीं है और जिस्म को छुपाने के लिए बड़ी सी चादर भी नहीं है।
उन्हें सिर्फ़ मेरा सीने का ऊपरी हिस्सा.. कंधे और मेरा चेहरा ही नज़र आ रहा था। 
उन्होंने क़रीब आकर खिड़की पूरी खोल दी और चिल्ला कर कहने लगीं- खबीस शख्स.. तुमने साबित कर दिया है कि तुम इन्तेहाई घटिया और कमीने इंसान हो.. पहले अपने सगे छोटे भाई के साथ गंदी हरकतें करते रहे हो और अब अपनी सग़ी बहन और वो भी बड़ी बहन को..!

यह कहते-कहते ही आपी ने अचानक देखा कि मेरा लण्ड मेरी मुठी में पूरा खड़ा है और मेरे लण्ड का जूस मेरे पूरे हाथ पर और लण्ड की नोक पर फैला हुआ है।

‘सगीर.. तुम कितने बेहया हो.. तुम में शर्म नाम की चीज ही नहीं है.. ऐसे खड़े हो.. ऐसी जगह पर? क्या होगा अगर किसी ने तुम्हें इस हालत में देख लिया तो?’
आपी की बात खत्म होते ही मैं कूद करके कमरे के अन्दर दाखिल हो गया।
आपी एकदम कन्फ्यूज़ हो गईं और दो क़दम पीछे हटती हुई बोलीं- ये क्या..?? क्या बेहूदगी है ये.. तुम करना क्या चाह रहे हो?’

‘जैसा कि आपने एहतियात करने का कहा तो एहतियात कर रहा हूँ.. कहीं कोई देख ना ले..’ मैंने बेपरवाह से अंदाज़ में मुस्कुराते हुए कहा।

मुझ पर अब वो ही बागी मिज़ाज ग़ालिब आ गया था.. जो इस उम्र और मेरी तबियत का ख़ासा था कि ‘सोचना क्या.. जो भी होगा देखा जाएगा..’
शायद आपी की जहांदीदा नज़र ने भी इसे महसूस कर लिया था। 
इसलिए वो नरम से लहजे में मेरे लण्ड की तरफ हाथ का इशारा करते हुए बोलीं- सगीर प्लीज़ कम से कम अपने जिस्म को तो कवर करो.. और गंदगी साफ करो वहाँ से.. और अपने हाथों से..’

‘छोड़ो आपी.. आप मुझे एक से ज्यादा बार इस हालत में देख चुकी हो और अभी भी मैं इतनी देर से आपके सामने इस हालत में खड़ा हूँ.. अब इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है कि मैं अपने लण्ड को आप से छुपाऊँ या नहीं..’ मैंने आपी के सामने बिस्तर पर बैठते हुए कहा।

आपी को मेरे मुँह से लफ्ज़ ‘लण्ड’ इतने बेबाक़ अंदाज़ में सुन कर शॉक सा लगा और उन्होंने एक भरपूर नज़र मेरे लण्ड पर डाली और फिर अपना रुख़ फेर कर खड़ी हो गईं।

मुझसे कहा- सगीर प्लीज़ कुछ पहन लो.. ये मेरी इल्तिजा है.. मुझे मेरी ही नजरों में मत गिराओ..

मैंने कहा- ओके आपी.. लेकिन मेरी एक शर्त है.. आप मान लो.. फिर मैं कुछ पहन लूँगा।

मैं अब बिस्तर पर आधा लेटा हुआ था और मेरी टाँगें बिस्तर से नीचे लटक रही थीं। मेरा लण्ड फुल तना हुआ छत की तरफ मुँह किए खड़ा था।

‘शर्त..!’ उन्होंने हैरतजदा सी आवाज़ में दोहराया और मेरी तरफ घूम गईं।
मैंने अपनी पोजीशन चेंज करने की कोशिश नहीं की और उसी तरह पड़ा रहा। फिर कुछ देर खामोश खड़ी.. वो मेरी आँखों में देखती रहीं और मैंने भी अपनी आँखें नहीं झुकाईं और उनकी आँखों में ही देखता रहा। शायद वो मेरी आँखों में देख कर.. कुछ अंदाज़ा लगाना चाह रही थीं।

कुछ लम्हें मज़ीद खामोशी से गुज़रे और फिर वो बोलीं- बको क्या शर्त है?

मैं बिस्तर से उठा और उनकी आँखों में देखते-देखते ही कहा- आपको मैंने पहली दफ़ा बगैर स्कार्फ और बगैर बड़ी सी चादर के देखा है.. मैं कसम खा कर कहता हूँ कि आप से ज्यादा हसीन और पुरकशिश लड़की मैंने कभी नहीं देखी। आपके बाल बहुत खूबसूरत हैं.. क्या आप अपने बालों को चेहरे के एक तरफ से गुजार कर सामने नहीं ला सकती हैं?

मैं ये बोल कर सांस लेने को रुका.. तो आपी बोलीं- ये शर्त है तुम्हारी?

‘नहीं.. ये शर्त नहीं इल्तिजा है..’ मैंने मासूम से लहजे में जवाब दिया।

आपी ने फ़ौरन ही अपना राईट हैण्ड पीछे किया और बालों को समेट कर सामने अपनी लेफ्ट साइड पर ले आईं।
आप यक़ीन करें.. आपी के बाल उनके घुटनों को छू रहे थे। मेरा मुँह ‘वाउ..’ के अंदाज़ में खुला का खुला रह गया।

आपी फिर बोलीं- सगीर अब बक भी दो जो शर्त है.. या उठ कर कुछ पहनो..

मैं अपनी हवस में वापस आया और मैंने अपने हाथ से अपने लण्ड को पकड़ा और आहिस्तगी से सहलाते हुए उठ बैठा और आपी को कहा- मैं आपके दूध बगैर कपड़ों के नंगे देखना चाहता हूँ..

‘शटअप.. तुम होश में तो हो.. जो मुँह में आ रहा है बकवास करते चले जा रहे हो..!!’ वो मज़ीद कुछ कहना चाहती थीं.. लेकिन मैंने उनकी बात काट दी और लण्ड को हाथ में पकड़े खड़ा हुआ। आपी की नजरें मेरे लण्ड पर जैसे चिपक सी गई थीं।

मैं उनके चारों तरफ घूमते हुए अपने हाथ को लण्ड पर आगे-पीछे करते-करते कहने लगा- मेरी प्यारी सी आपी मेरी बहना जी.. मैंने वैरी फर्स्ट डे भी देखा था आपको.. इसी खिड़की से.. जब आप मूवी देख कर अपने दूध को सहला रही थीं और टाँगों के बीच में हाथ फेर रही थीं। मुझे इसका भी अंदाज़ा बहुत अच्छी तरह है कि आप 5 दिन तक सुबह से रात तक हमारे कमरे में क्या देखती और क्या करती रही हैं.. और मेरी सोहनी आपी जी.. आज भी मैं उस वक़्त खिड़की में आया था.. जब आप बाथरूम में थीं। मतलब ये कि आज भी मैंने देखा.. जब आप अपने दूध को दबोच-दबोच कर मसल रही थीं.. जब आप अपना अबया उठा रही थीं और जब आप अपनी खूबसूरत लंबी टांग को नंगा करके टेबल पर टिका रही थीं।’

वे सनाका खा कर मुझे हैरत से देख रही थीं।

‘और हाँ..’ मैंने हँसते-हँसते हुए कहा- जब आप अपने जज़्बात से तंग आकर अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को थप्पड़ों से नवाज रही थीं.. उस वक़्त भी मैं यहाँ ही था.. मेरी सोहनी बहन जी.. और अब आप लेडी मौलाना बनना छोड़ें.. और जो मैं कह रहा हूँ.. मेरी बात मान जाएं। मैं जानता हूँ कि आपको भी ये सब कुछ बहुत मज़ा देता है।

‘नहीं सगीर.. कभी नहीं.. मूवीज देखना या अपने हाथों से अपने आपको तसल्ली पहुँचाना एक अलग बात है और ये बिल्कुल अलहदा चीज़ है कि आप किसी और के साथ सेक्स करो और वो भी सगे भाई के साथ.. नो नो.. ये कभी नहीं हो सकता और अब तुम्हें खुदा का वास्ता है कुछ पहन लो.. मुझे इस तरह तो ज़लील मत करो..’
यह कहते ही आपी को शायद बहुत शदीद किसम की जिल्लत का अहसास या फिर एहसासे बेबसी ने घेर लिया.. या फिर सेक्स की शदीद तलब और कुछ ना कर सकने का अहसास था.. पता नहीं क्या था कि आपी ज़मीन पर बैठीं.. अपना सिर अपने घुटनों पर रख कर फूट-फूट कर रोने लगीं।
आपी को रोता देखते ही मेरा दिल पसीज गया। जो भी हो वो थीं तो मेरी सग़ी बहन और मैं उनसे शदीद मुहब्बत करता हूँ।
मैंने फ़ौरन अपनी अलमारी से अपना ट्राउज़र निकाला और पहन लिया, फिर भागते हुए ही मैंने आपी की बड़ी सी चादर उठाई और लाकर उनके जिस्म के गिर्द लपेटी.. हाथ बढ़ा कर क़रीब पड़ा उनका स्कार्फ उठा कर आपी के हाथ में पकड़ाया और उनके पाँव को पकड़ता हुआ भर्राई हुई आवाज़ में बोला- आपी.. प्लीज़ चुप हो जाओ.. मुझे माफ़ कर दो.. चुप हो जाओ.. नहीं तो मैं भी रो दूँगा।
और वाकयी मेरी कैफियत ऐसी ही थी कि चंद लम्हें और गुज़रते.. तो मैं भी रो देता।
मेरी आपी ने अपना सिर घुटनों से उठाया उनकी बड़ी-बड़ी आँखें आँसुओं में भीग कर मज़ीद रोशन हो गई थीं। उनके पलकों पर रुके आँसू देख कर मेरी आँखें भी टपक पड़ीं। आपी ने मेरी आँख में आँसू देखा तो तड़फ कर मेरे चेहरे को दोनों हाथों में थाम लिया और मेरे माथे को चूमते हुए भर्राई हुई आवाज़ में कहने लगीं, ‘नाअ.. मेरे भाई.. नहीं मेरे सोहने भाई.. कभी तेरी आँख में आँसू ना आएं.. मेरा सोहना भाई.. मेरा सोहना भाई..’
आपी ये बोलती जा रही थीं और मेरा माथा चूमती जा रही थीं।

TO BE CONTINUED ……..
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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#17
Ye story Sagar ki likhi huyi lagti hai? Writer se request hai ki atleast credit dijye original writer ko. Sagar ne ye story adhuri chori huyi thi to agar ho sake to ise complete kijye. Good luck
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#18
Good update
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#19
Heart 
मेरा दिल भी भर आया था और मेरे आँसू भी नहीं थम रहे थे। जब मेरी बर्दाश्त जवाब देने लगी तो मैंने अपने आपको आपी से छुड़वाया और रोते हुए अपने आँसू साफ करते हुए भाग कर बाथरूम में घुस गया।

मैं जब सवा घंटे बाद नहा कर बाथरूम से निकला तो अपने आपको बहुत फ्रेश महसूस कर रहा था। आपी पता नहीं कब कमरे से चली गई थीं। मैं भी नीचे आया तो आपी से सामना नहीं हुआ और मैं घर से बाहर निकलता चला गया।
शाम हो चुकी थी, मैं रात तक स्नूकर क्लब में रहा और रात 9 बजे घर लौटा तो अब्बू, हनी और अम्मी डाइनिंग टेबल पर ही मौजूद थे। हनी और अब्बू से मिलने के बाद मैं भी खाना खाने लगा।

अब्बू ने हनी से पूछा- "रूही कहाँ है? भाई से मिली भी है या नहीं?"

हनी ने कहा- "अब्बू आपी कोई बुक पढ़ रही हैं, भाई तो दिन में ही आ गए थे, आपी तो घर में ही थीं, मिल ली होंगी"

जब सब खाना खा चुके तो अब्बू ने हनी को कहा- "जाओ बेटा जाकर सो जाओ, सुबह स्कूल भी जाना है"

वे मुझसे गाँव के बारे में बातें पूछने लगे। उसके बाद वो भी सोने के लिए चले गए और मैं भी अपने कमरे में आ गया। मैं बिस्तर पर लेटा तो सुबह आपी के साथ गुज़ारा टाइम याद आने लगा। फिर मुझे पता ही नहीं चला कि कब आँख लगी।
सुबह आँख खुली तो कॉलेज के लिए देर हो गई थी, मैं जल्दी-जल्दी तैयार हुआ, तो कमरे से निकलते हुए मेरी नज़र कंप्यूटर पर पड़ी, तो बगैर कुछ सोचे-समझे ही मैंने पॉवर कॉर्ड निकाली और अपनी अलमारी में लॉक कर दी।
नीचे आया तो मेरा नाश्ता टेबल पर तैयार पड़ा था लेकिन वहाँ ना आपी थीं और ना अम्मी खैर मुझे वैसे ही देर हो रही थी, मैंने नाश्ता किया और कॉलेज चला गया।
दिन का खाना में अमूमन कॉलेज के दोस्तों के साथ ही कहीं बाहर खा लेता था। शाम में 2-3 घन्टों के लिए घर में होता था फिर स्नूकर क्लब चला जाता था। जहाँ आजकल वैसे भी एक टूर्नामेंट चल रहा था और मेरा शुमार भी अच्छे प्लेयर्स में होता था इस वजह से रात घर भी देर से जाता तो अब्बू-अम्मी के साथ कुछ देर बातें करने के बाद सोने चला जाता।
आज ही अब्बू ने मुझे बताया कि फरहान एक महीने के लिए टूर पर जा रहा है गाँव के कज़न्स के साथ, उनकी बात मैंने सुनी और सोने चला गया।
अजीब सी तबीयत हो गई थी इन दिनों, सेक्स की तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं जाता था। इसी तरह दिन गुज़र रहे थे, सुबह नाश्ता टेबल पर तैयार मिलता था लेकिन वहाँ कोई नहीं होता था। अक्सर नाश्ता ठंडा हो जाता था जिसकी वजह से मैं आधा कप चाय आधा परांठा या ऑमलेट वैसे ही छोड़ कर निकल जाया करता था। इस बात को शायद आपी ने भी महसूस कर लिया था।
आपी के साथ उस दिन वाले वाकये का आज सातवाँ दिन था। जब सुबह मैं डाइनिंग टेबल पर पहुँचा तो नाश्ता मौजूद नहीं था लेकिन किचन से बर्तनों की आवाज़ आ रही थी जो वहाँ किसी की मौजूदगी का पता दे रही थीं। कुछ ही देर बाद आपी आईं और मेरे सामने सारा नाश्ता सज़ा कर बगैर कुछ बोले वापस चली गईं।
मैंने पीछे मुड़ कर आपी को देखा तो वो अपने कमरे की तरफ जा रही थीं और अपने यूजुअल ड्रेस यानि बड़ी सी चादर और स्कार्फ में थीं। उस दिन के बाद आज पहली बार मेरा और आपी का आमना-सामना हुआ था।
फिर रोज़ ही ऐसा होने लगा कि जब मैं आकर बैठ जाता तो आपी गरम-गरम नाश्ता लाकर मेरे सामने रखतीं और अपने कमरे में चली जातीं।
उस वाक़ये को आज ग्यारहवां रोज़ था।
सुबह जब आपी नाश्ता लेकर आईं तो उन्होंने मुझे एक पेपर दिया जिस पर कुछ बुक्स के नाम लिखे थे और मुझसे कहा- "कॉलेज से आते हो याद से ये बुक्स खरीद लाना"

मैंने कहा- "ठीक है आपी"

नाश्ता करने के बाद मैं कॉलेज चला गया।
अब अक्सर ऐसा होता कि आपी सुबह कोई ना कोई काम की बात कर लेती थीं और जो सन्नाटा हमारे दरमियान कायम हो गया था अब वो टूट रहा था लेकिन वो अब भी बहुत रिज़र्व रहती थीं। अक्सर मेरे साथ ही बैठ कर नाश्ता भी करने लगी थीं लेकिन फालतू बातें या मज़ाक़ नहीं करती थीं।
उस वाक़ये का आज 17वां दिन था आपी नाश्ता लेकर आईं तो उनके जिस्म पर बड़ी सी चादर नहीं थी, सिर्फ़ स्कार्फ बाँधा हुआ था और सीने पर दुपट्टा फैला रखा था। उन्होंने मेरे साथ ही बैठ कर नाश्ता किया और मैं कॉलेज के लिए निकल गया।
उस वाकये का 20 वां दिन था, आपी ने मेरे सामने नाश्ता रखा तो ना ही उनके सिर पर स्कार्फ था और ना ही दुपट्टा लेकिन सिर पर बालों का बड़ा सा जूड़ा बाँध रखा था। मेरे होश संभालने के बाद से यह पहली बार था कि मैंने आपी को सिर्फ़ क़मीज़ सलवार में देखा था ना दुपट्टा ना चादर ना स्कार्फ..
आपी नाश्ता रख कर अपने कमरे की तरफ जा रही थीं तो मैंने पहली मर्तबा उनकी कमर देखी जो उनके शानों और कूल्हों के दरमियान काफ़ी गहराई में थी और कमान सी बनी हुई थी। आज 20 दिन बाद मेरे लण्ड ने जुंबिश ली और मुझे अपने हरामी होने का अहसास दिलाया वरना मैं तो अपने लण्ड को भूल ही चुका था।
अगले दिन से आपी अपनी यूजुअल ड्रेसिंग पर वापस आ चुकी थीं।
उस वाक़ये का आज 24वां दिन था जब आपी ने मुझे नाश्ता दिया। वो उस दिन बड़ी सी चादर और स्कार्फ में मलबोस थीं और उनका चेहरा बहुत पाकीज़ा लग रहा था। मैं नाश्ता करके उठा और दरवाज़े तक पहुँचा ही था कि आपी ने मुझे आवाज़ दी ‘सगीर..’
मैं रुका और मुड़ कर कहा- "जी आपी?"

उस वक़्त तक वो मेरे क़रीब आ चुकी थीं। आपी ने बिना किसी झिझक या शर्मिंदगी के आम से लहजे में मुझसे पूछा- "सगीर, पॉवर कॉर्ड कहाँ है?"

आपी का अंदाज़ ऐसा था जैसे वो किसी आम सी किताब का या किसी सब्ज़ी का पूछ रही हैं। मैंने भी आपी के ही अंदाज़ में अपने बैग से चाभी निकाली और आपी के हाथ में पकड़ाते हुए कहा ऐसे-जैसे मैं भी उन्हें सब्ज़ी ही का बता रहा हूँ। ‘मेरी अलमारी में रखी है..’

और मैं बाहर निकल गया।
अगले दिन भी नाश्ते के बाद जब मैं बाहर निकलने ही वाला था तो आपी अपनी चादर को संभालती हुई मेरे पास आईं और उसी नॉर्मल से अंदाज़ में कहा- "सगीर तुम कितने बजे तक घर आओगे?"

‘दो बजे तक आ जाऊँगा, क्यूँ?’ मैंने कुछ ना समझने वाले अंदाज़ में जवाब दिया।

‘नहीं कुछ नहीं, बस मैं ये कहना चाह रही थी कि तुम 5 बजे तक घर नहीं आना, मैं आज ज्यादा टाइम चाहती हूँ’

‘ओके ठीक है मैं 5 बजे से पहले नहीं आऊँगा।’

हमारा बात करने का अंदाज़ बिल्कुल नॉर्मल और सरसरी सा था लेकिन आपी भी जानती थीं कि वो क्या कह रही हैं और मुझे भी अच्छी तरह पता था कि आपी किस बात के लिए आज ज्यादा टाइम चाहती हैं। आप लोग भी समझ ही गए होंगे कि मेरी सग़ी बहन मेरी हसीन और बा-हया बहन हार गई थी और उनके टाँगों के बीच वाली जगह जीत गई थी।
मैं 5:20 पर अपने घर में दाखिल हुआ तो आपी इत्तिफ़ाक़ से उसी वक़्त ऊपर से नीचे आ रही थीं और उन्होंने अपना वो ही काला सिल्क का अबया पहना हुआ था, उनके पाँव में चप्पल भी नहीं थीं और बाल खुले हुए उनके कूल्हों से भी नीचे तक हवा में लहरा रहे थे। आपी के खड़े हुए निप्पल उनके अबाए में साफ ज़ाहिर हो रहे थे जो इस बात का पता दे रहे थे कि अबाए के अन्दर आपी बिल्कुल नंगी हैं।
मैंने आपी को सलाम किया तो उन्होंने अपने अबाए के बाजुओं को कोहनियों तक फोल्ड करते हुए मेरे सलाम का जवाब दिया और पूछा- "खाना खाओगे?"

‘नहीं! मैं खाना खा कर आया हूँ बस एक कप चाय बना दें’ मैंने आपी के खूबसूरत सुडौल और बालों से बिल्कुल पाक बाजुओं पर नज़र जमाए हुए कहा।

‘ओके, तुम बैठो मैं अभी बना देती हूँ’ यह कह कर वो किचन की तरफ चल दीं।

मैंने आपी को इतने इत्मीनान से इस हुलिए में घूमते देख कर कहा- "आपी क्या घर में कोई नहीं है?"

‘नहीं, हनी तो वैसे भी छुट्टियाँ नानी के घर गुजार रही है और अम्मी और अब्बू किसी ऑफिस के मिलने वाले की बेटी की शादी में गए हैं।’ उन्होंने चाय बनाते बनाते किचन से ही जवाब दिया।

मुझे चाय दे कर आपी अपने कमरे में चली गईं और मैं आपी के इस नए अंदाज़ को सोचने लगा।
फ़ौरन ही घंटी की आवाज़ ने मेरी सोच की परवाज़ को वहीं रोक दिया, बाहर मेरे कुछ दोस्त थे जो कहीं पिकनिक पर मुझे भी साथ ले जाना चाह रहे थे। मैं आपी को बता कर उनके साथ चला गया।
फिर अगली सुबह नाश्ते के वक़्त ही आपी से सामना हुआ, वो आज भी सिर्फ़ गाउन में थीं और हालात कल शाम वाले ही थे। आपी मेरे साथ ही नाश्ता करने लगीं और हम इधर-उधर की बातें करते रहे।
मैंने आपी के हुलिया के पेशे नज़र कहा- "आपी अम्मी-अब्बू घर में ही हैं ना?"

‘हाँ लेकिन सो रहे हैं अभी’ उन्होंने चाय का घूँट भरते हुए लापरवाह अंदाज़ में जवाब दिया।
मैंने भी चाय का आखिरी घूँट भरते हुए आपी के मम्मों पर एक भरपूर नज़र डाली और ठंडी आह भरते हुए टेबल से उठ खड़ा हुआ।
दरवाज़े की तरफ रुख़ मोड़ते हुए मैंने आपी से कहा- "आप चेंज कर लो, अम्मी-अब्बू के उठने से पहले पहले। मैं नहीं चाहता कि वो आपको इस हुलिये में देखें , आपकी इज़्ज़त मुझे अपनी जान से भी ज्यादा अज़ीज़ है"

उन्होंने एक मुहब्बत भरी नज़र मुझ पर डाली और शैतानी सी मुस्कुराहट के साथ कहा - "मैं तुम्हारी रग-रग से वाक़िफ़ हूँ सगीर, तुम्हें ये टेन्शन नहीं कि वो मुझे इस हुलिया में देखें बल्कि तुम्हें ये फिकर है कि अगर अम्मी-अब्बू को पता चला कि मैं तुम्हारे सामने इस हालत में थी तो शायद आइन्दा के लिए तुम्हारी नजरें मेरे इस हुलिया से महरूम हो जाएँगी"

शायद यह सच ही था इसलिए मेरे मुँह से जवाब में कुछ नहीं निकल सका और बोझिल से कदमों से मैं बाहर की तरफ चल पड़ा। आज कॉलेज जाने का बिल्कुल मन नहीं था। आज बहुत दिन बाद मेरे लण्ड में सनसनाहट हो रही थी और जी चाह रहा था कि आज पानी निकालूँ।

मैं गेट तक पहुँचा ही था कि आपी की आवाज़ आई- ‘सगीर’

मैं दरवाज़ा खोल चुका था इसलिए घर से बाहर निकल कर मैंने पूछा- "जी आपी?"

वो दरवाज़े के पास आकर बोलीं- “111 पूरी हो चुकी हैं अब न्यू का इंतज़ाम कर दो” कह कर उन्होंने दरवाज़ा बंद कर दिया।

मैं सनाका खाए हुए की कैफियत में दरवाज़े के बाहर खड़ा था। अभी मेरी बेहद हया वाली बहन ने मुझसे न्यू ट्रिपल एक्स फिल्म के लिए कहा था। मेरा लण्ड पैंट में तन गया था।
मैं उसी वक़्त अपने दोस्त के पास गया और उससे 3 न्यू सीडीज़ लीं और इतना टाइम बाहर ही गुज़ारा कि अब्बू अपने ऑफिस चले जाएँ और फिर कॉलेज के बजाए घर वापस आ गया।
अब्बू ऑफिस जा चुके थे और अम्मी के पास खाला बैठी थीं, मैंने उन्हें सलाम किया और अपने कमरे की तरफ चल दिया। मैंने अपने कमरे का दरवाज़ा खोलना चाहा तो वो अन्दर से लॉक था। मुझे उम्मीद नहीं थी कि आपी अन्दर हैं इसलिए ज़रा ज़ोर से हैण्डल घुमाया था जिससे आवाज़ भी पैदा हुई और आपी को भी पता चल गया था कि बाहर कोई है।
कुछ ही देर बाद आपी ने दरवाज़ा खोला, स्कार्फ उसी तरह बाँध रखा था, गुलाबी क़मीज़ पहनी थी और काली सलवार और काला ही दुपट्टा था जो कंधे पर इस तरह डाला हुआ था कि उनका एक दूध बिल्कुल छुप गया था और दूसरा दूध खुला था। गुलाबी क़मीज़ में निप्पल की जगह बिल्कुल काली नज़र आ रही थी और निप्पल तना होने की वजह से साफ महसूस हो रहा था।
उनके गुलाबी गाल जो उत्तेजना की शिद्दत से मज़ीद गुलाबी हो रहे थे वे पिंक क़मीज़ के साथ बहुत मैच कर रहे थे। उनकी बड़ी सी काली आँखों में लाली उतरी हुई थी।
अपनी बहन को ऐसे देख कर फ़ौरन ही मेरे लण्ड में जान पैदा हो गई और वो बाहर आने के लिए फनफनाने लगा।
आपी ने बाहर आते हुए कहा- “आज तुम जल्दी आ गए हो” और सीढ़ियों की तरफ चल दीं।
‘जी आज मन नहीं कर रहा था कॉलेज जाने को इसलिए वापस आ गया।’ मैंने आपी की बैक को देखते हुए अपने लण्ड को टाँगों के दरमियान दबाया और जवाब दिया।
आपी ने पहली सीढ़ी पर क़दम रखा ही था कि मैंने आवाज़ दी- "आपी!"
उन्होंने वहीं खड़े-खड़े ही चेहरा मेरी तरफ घुमा कर कहा- "हम्म?"
मैंने 3 सीडीज उनको शो करते हुए कहा- “114”
आपी के चेहरे पर खुशी और एक्साइटमेंट साफ नज़र आ रहा था। उनकी आँखों में अजीब सी चमक पैदा हुई उन्होंने मुस्कुरा कर मेरी आँखों में देखा और नीचे उतर गईं।
मैं फ़ौरन ही कमरे में दाखिल हुआ और अपनी पैन्ट उतार कर एक तरफ फैंकी और लण्ड को हाथ में थाम कर कंप्यूटर के सामने बैठ गया। सीडी ऑन करने से पहले मुझे ख़याल आया कि ज़रा देखूं आपी क्या देख रही थीं। मैंने मीडिया प्लेयर में से रीसेंट्ली प्लेड मूवीज क्लिक किया तो उससे देखते ही मेरे चेहरे पर बेसाख्ता मुस्कुराहट फैल गई। वो एक ‘गे’ मूवी थी जो आपी देख रही थीं।
मैंने न्यू सीडी लगाई और अपने लण्ड को मुट्ठी में लेकर हाथ आगे-पीछे करने लगा। आज बहुत दिन बाद ये अमल कर रहा था इसलिए बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था और बार-बार मूवी की हीरोइन की जगह मेरी सग़ी बहन मेरी आपी का चेहरा मेरे सामने आ जाता। जब मूवी में लड़की के मम्मों का क्लोज़ लिया जाता तो मुझे मेरी पाकीज़ा बहन के दूध याद आ जाते।
ऐसे ही मूवी चल रही थी और मैं अपने लण्ड को हिला-हिला कर अपने आपको मंज़िल तक पहुँचाने की कोशिश कर रहा था अचानक मैंने देखा कि एक गुलाबी ब्रा कंप्यूटर टेबल के नीचे पड़ी हुई थी। शायद मेरी आपी ने मूवी देखते हुए इसे उतार फैंका था और फिर जाते हुए जल्दी में उन्हें उठाना याद ही नहीं रहा।
बरहराल मैंने स्क्रीन पर ही नज़र जमाए-जमाए हाथ बढ़ा कर ब्रा को उठाया, पहली चीज़ जो मैंने नोटिस की वो एक छोटा सा वाइट टैग था जिस पर 36डी लिखा हुआ था। जब मैं उस टैग पर लिखे डिजिट पढ़ने के लिए ब्रा को अपनी आँखों के क़रीब लाया तो एक माशूर कन खुशबू के झोंके ने मेरा इस्तकबाल किया।
TO BE CONTINUED ………
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#20
Heart 
अजीब सी बात थी उस खुशबू में जो शायद अल्फ़ाज़ में बयान नहीं की जा सकती सिर्फ़ महसूस की जा सकती है। महसूस भी आप उसी वक़्त कर सकते हैं जब ब्रा हाथ में हो और ब्रा भी ऐसी जो चंद लम्हों पहले ही जिस्म से अलग हुई हो और ब्रा भी अपनी सग़ी बहन की हो उफफ्फ़ क्या अहसास था।
मैंने ब्रा में से अपनी सग़ी बहन के जिस्म की खुश्बू को एक तेज सांस के साथ अपने अन्दर उतारी तो मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं और मेरा हाथ मेरे लण्ड पर बहुत तेज-तेज चलने लगा था। मैंने आपी की ब्रा के कप को अपने मुँह और नाक पर मास्क की तरह रखते हुए आँखें बंद कर लीं और चंद गहरी-गहरी साँसों के साथ उस कामुक महक को अपने अन्दर उतारने लगा।
फिर मैंने अपनी ज़ुबान को बाहर निकाला और आपी की ब्रा के कप में पूरी तरह ज़ुबान फेरने के बाद ब्रा के अन्दर के उस हिस्से को चूसने लगा जहाँ मेरी सग़ी बहन के निपल्स टच रहते हैं। मेरा मुँह नमकीन हो चुका था शायद वो आपी के उभारों का खुश्क (ड्राइ) पसीना था जो अब मेरे मुँह में नमक घोल रहा था।
मैं पागलों की तरह आपी की ब्रा को अपने चेहरे पर रगड़ रहा था। कभी चूसने लगता कभी चाटने लगता और तेज-तेज अपने हाथ को अपने लण्ड पर आगे-पीछे कर रहा था।
अजीब सी हालत थी मेरी, मेरी हालत का अंदाज़ा आपको उसी वक़्त हो सकता है जब आपके हाथ में आपकी अपनी सग़ी बहन का इस्तेमाल शुदा ब्रा हो और आप उसे चूम और चाट रहे हों और अपनी सग़ी बहन के जिस्म की खुशबू आपको उसकी याद दिला रही हो।
अचानक आपी ने दरवाज़ा खोला और अन्दर का मंज़र देख कर उनका मुँह खुल गया और वो जैसे जम सी गईं। वो अपनी ब्रा लेने ही वापस आई थीं लेकिन उन्हें जो देखने को मिला वो उनके वहमो-गुमान में भी नहीं था।
जब आपी ने देखा तो उनकी ब्रा मेरे बायें हाथ में थी और मैं कप के अन्दर ज़ुबान फेर रहा था। मैंने आपी को देखा लेकिन अब मैं अपनी मंज़िल के बहुत क़रीब था इसलिए अपने हाथ को रोक नहीं सकता था। वैसे भी आपी मुझे काफ़ी बार इस हालत में देख ही चुकी थीं तो अब छुपाने को था ही क्या। आपी को देख कर मैंने ब्रा वाला हाथ नीचे किया और ब्रा समेत अपने लेफ्ट घुटने पर रख लिया और सीधे हाथ से लण्ड को हिलाना जारी रखा।

‘उफ़फ्फ़ मेरे खुदा! तुम जानते हो कि तुम बेमर इंसान हो, लाओ मुझे वापस करो मेरी ब्रा’ उन्होंने अपने माथे पर हाथ मारते हुए चिल्ला कर कहा।

‘यहाँ आकर ले लें आप देख रही हो कि मैं बिजी हूँ’ मैंने अपने लण्ड पर तेज-तेज हाथ चलाते हुए उन पर एक नज़र डालने के बाद वापस स्क्रीन पर नजरें जमाए हुए कहा।
उनका चेहरा लाल हो चुका था लेकिन मैंने महसूस किया था कि गुस्से के साथ ही उनकी आँखों में वैसी ही चमक पैदा हो गई थी जैसी उस वक़्त न्यू सीडीज़ की खबर सुन कर हुई थी। आपी मेरे राईट साइड पर आईं और मेरे हाथ से अपना ब्रा खींचने की कोशिश की और एक भरपूर नज़र मेरे लण्ड पर भी डाली। मेरे लण्ड से जूस निकलने ही वाला था और मैं चाहता था कि वो इसे निकलते हुए देखें।
इसलिए मैंने उनकी ब्रा पकड़े हुए हाथ को 2-3 बार झटका दिया और जैसे ही मेरा लण्ड पिचकारी मारने वाला था मैंने ब्रा वाला हाथ लण्ड के क़रीब एक लम्हें को रोका और फ़ौरन आपी ने ब्रा को पकड़ लिया
और इसी वक़्त मेरे मुँह से एक ‘अहह’ निकली और मेरे लण्ड ने गर्म गर्म लावा फेंकना शुरू कर दिया।
काफ़ी सारे क़तरे आपी के नर्मो नाज़ुक हाथ और खूबसूरत बाज़ू पर भी गिरे।

‘एवववव! तुमम! खबीस शख्स.. ये क्या किया तुमने, गंदे’ उन्होंने अपना हाथ मेरी शर्ट से रगड़ कर साफ किया और भागती हुई कमरे से बाहर निकल गईं।

एक-डेढ़ घंटा आराम करने के बाद मैं दोबारा उठा और कंप्यूटर कुर्सी संभालते हुए मूवी स्टार्ट की।
अभी लण्ड को हाथ में पकड़ा ही था कि आपी दोबारा अन्दर दाखिल हुईं।
‘या खुदा! तुम क्या सारा दिन ये ही करते रहोगे?’

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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