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Adultery जिस्म की भूख
Heart 
मैंने एक नज़र कार्पेट को देखा, गहरे रंग का होने की वजह से बहुत गौर से देखने पर मुझे वहाँ खून के चंद धब्बे नज़र आए। मैंने किसी कपड़े की तलाश में आस-पास नज़र दौड़ाई तो कोई कपड़ा ऐसा ना नज़र आया कि जिससे मैं ये साफ कर सकूँ। मैं बाहर निकला तो आपी अपनी सलवार पहन चुकी थीं और अब क़मीज़ पहन रही थीं।

मैंने आपी को देख कर कहा- “आपी वो कार्पेट पर खून के धब्बे हैं यार वो…”

मैंने अभी इतना ही कहा था तो आपी मेरी बात काट कर बोलीं- “हाँ वो मैं पहले ही देख चुकी हूँ। तुम जाओ अपने कमरे में, वो मैं साफ कर दूँगी”

मैंने आपी की बात सुन कर सोचा यार बहन हो तो ऐसी कि हर बात का ख़याल रहता है आपी को।

मैंने कहा- “चलो ठीक है आपी, मैं जाता हूँ, ज़रा फ्रेश हो लूँ”

ये कह कर मैं अपने दरवाज़े पर पहुँचा तो आपी ने आवाज़ दी- “सगीर बात सुनो”

मैं रुक कर आपी की तरफ घूमा तो वो अपने कपड़े पहन चुकी थीं।

आपी मेरे पास आईं और मेरे कंधे के ज़ख़्म पर फिर से हाथ फेरा और फिर मेरे होंठों को चूम कर शरारत से कहा- “सगीर याद है, जब तुमने मेरी टाँगों के बीच में थप्पड़ मार कर बदला लिया था। जब मुझे मेनसिस चल रहे थे और पैड होने की वजह से मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा था तुम्हारे थप्पड़ का याद है वो दिन?”

मैंने कुछ ना समझ आने वाले लहजे में जवाब दिया- “हाँ याद है मुझे, क्यों? वो बात क्यों याद करवा रही हो?”

आपी ने अपने निचले होंठ को दाँतों में दबा कर काटा और बोलीं- “उस दिन मैंने तुमसे कहा था कि मैंने भी तुमसे एक बात का बदला लेना है। मैं सही टाइम पर ही बदला लूँगी अभी नहीं। देखो शायद वो टाइम आ जाए और हो सकता है कि ऐसा टाइम कभी ना आए। याद है मेरा ये जुमला?”

मैंने कहा- “हाँ याद है मुझे कि आपने ऐसा कहा था”

आपी ने शरारत से भरी एक गहरी नज़र मेरे चेहरे पर डाली और कहा- “जब मैंने तुम्हारी टाँगों के बीच में मारा था ना तो उस वक़्त तुमने गुस्से में मुझे गाली दी थी। तुमने थप्पड़ खाते ही चिल्ला कर कहा था ‘बहन चोद आपीयईईई…’ बस मुझे उस गाली का बदला लेना रहता था और वो बदला में अब लूँगी क्यों कि अब टाइम आ गया” -आपी हँसते हुए बोलीं- “मैं नहीं तुम खुद हो बहनचोद… समझे…”

यह बोल कर आपी सीढ़ियों की तरफ चल दीं और मैं वहीं दरवाज़े पर खड़ा बेचारा सा मुँह ले कर अपना कान खुजाने लगा। आपी सीढ़ियों से नीचे उतर गईं और मैं आपी की बात को सोचता हुआ अपने कमरे की तरफ चल पड़ा। कमरे में जाते ही मैंने अपना लण्ड साफ किया और बहुत थका हुआ होने की वजह से लेटते ही सो गया।

सुबह आँख काफ़ी लेट खुली तो देखा तो टाइम साढ़े ग्यारह का हो रहा था, मुझे बहुत थकान महसूस हो रही थी इसलिए थोड़ी देर रुक कर मैं उठा और नहा कर फ्रेश हुआ। फरहान मेरे उठने से पहले ही स्कूल जा चुका था। मैं कपड़े पहन कर नीचे गया तो अम्मी ने नाश्ता दिया।

मैंने नाश्ता करते हुए अम्मी से पूछा- “आपी कहाँ हैं?”

तो अम्मी ने बताया कि वो यूनिवर्सिटी गई हुई हैं। कॉलेज तो मैं जा नहीं सका तो नाश्ता करने के बाद मैंने सोचा कि दुकान पर ही चला जाता हूँ। शाम तक दुकान का काम देख लूँगा। यह सोचते हुए मैंने अम्मी को बताया कि मैं दुकान पर जा रहा हूँ और घर से निकल गया।

दुकान पर पहुँच कर दुकान के काम में लग गया पर आपी के साथ जो रात को सेक्स किया और जिस तरह आपी को प्यार किया वो मेरे जेहन में सारा दिन एक वीडियो की तरह चलता रहा। दुकान का काम निपटाते हुए मुझे काफी टाइम हो गया। करीब साढ़े सात हो रहे थे।

मैंने मुलाज़िमात को कहा- “दुकान टाइम से बंद करके जाएं, मैं घर जा रहा हूँ”

मैं खुद वहाँ से निकल आया। रास्ते में मुझे याद आया कि मैंने तो अपने लण्ड का पानी आपी की चूत में ही निकाल दिया था तो कहीं आपी उससे प्रेगनेंट ना हो जाएं इसलिए बेहतर है कि मैं आई-पिल ले चलूँ। मैंने मेडिकल स्टोर पर रुक कर उससे टेब्लेट्स लीं और साथ अपनी टाइमिंग बढ़ाने वाली कुछ टेब्लेट्स भी ले लीं। दोनो किस्म की टेब्लेट्स ले कर मैं वहाँ से घर की तरफ निकला और वहाँ से सीधा घर आ गया।

घर आकर मैं आपी को ढूँढने लगा, आपी बावर्चीखाने में काम कर रही थीं।

मैं आपी के पास गया पर मेरे कुछ बोलने से पहले ही आपी ने धीमी सी आवाज़ में मुझसे कहा- “तुम ऊपर चलो, मैं ऊपर ही आती हूँ। यहाँ कोई बात नहीं”

मैं आपी की बात सुन कर उनको ‘ओके’ बोल कर वहाँ से चला गया। मैंने अपने कमरे में जाकर में फौरन कपड़े उतारे और वॉशरूम में घुस गया। कुछ लम्हे बाद मैं फ्रेश होकर बिस्तर पर लेट गया और आपी का इन्तजार करने लगा। करीब दस मिनट बाद आपी कमरे में आईं तो मैं खुशी से आपी की तरफ बढ़ा और उनको गले से लगा लिया। मैंने उनके होंठों पर एक किस की तो आपी ने भी किस शुरु कर दी।

कुछ चुम्मियों के बाद उन्होंने रुक कर कहा- “सगीर, मैं आज नहीं आ पाऊँगी”

मैंने आपी की गिरफ्त ढीली करते हुए कहा- “क्यों आपी? क्या हुआ है? आप नाराज़ हो क्या?”

आपी ने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए कहा- “भला अब मैं अपने भाई से कैसे नाराज़ हो सकती हूँ”

मैंने पूछा- “फिर आप क्यों नहीं आओगी?”

तो आपी ने बताया कि गाँव वाली खाला बस अभी हमारे घर पहुँचती ही होंगी और वो रात को भी यहाँ ही रहेंगी।

यह सुन कर मैं पीछे होने लगा।

तो आपी ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और कहा- “सगीर मेरे राजा! क्यों नाराज़ होते हो? आज नहीं तो कल सही, कल वो लोग चले जाएंगे और एक मज़े की खबर ये है कि अम्मी, फरहान और हनी भी उनके साथ जाएंगे। वो लोग मुझे साथ चलने का कह रहे थे पर मैंने मना कर दिया है। मैं तो अपने भाई को छोड़ कर कैसे जाऊँ। उसे प्यार कौन करेगा। और वो लोग वहाँ 4 से 5 दिन तक रहेंगे शायद खाला का कोई जानने वाला बीमार है, इस वजह फरहान और हनी को खाला के बच्चों के पास छोड़ कर उनकी तबीयत का पता करने उनके घर जाएंगे”

मैंने आपी की बात सुन कर आपी से कहा- “फिर कल सारी रात आपको मेरे साथ रहना पड़ेगा क्योंकि पापा तो जल्द ही सो जाते हैं और वो सुबह ही उठेंगे”

आपी ने कहा- “मेरा सोहना भाई! क्या मेरे भाई का बहुत दिल करता है मुझे चोदने को, जो सारी रात रहने का प्रोग्राम बना रहा है”

मैंने आपी से कहा- “मेरा बस चले तो मैं आपको अपनी बीवी बना कर रखूँ। हर रात को आपके साथ सेक्स किया करूँ और आपको सारी रात प्यार करता रहूँ”

आपी ने मुझे बांहों में भर कर कहा- “अच्छा मेरे राजा, कल सारी रात तुम्हारे साथ रहूँगी, अपने सोहने भाई के साथ, तुम जितना मर्ज़ी चाहो सेक्स कर लेना और मेरे साथ जितना मर्ज़ी प्यार करना पर अभी मुझे जाने दो। खाने का इंतज़ाम करना है, खाला भी आती होंगी”

मुझे होंठों पर आपी ने किस की और ज़ोर से अपनी चूत को मेरे लण्ड के साथ लगा दी। मैं भी पूरे जोश से उनको चुम्मी करने लगा। आपी मेरे होंठ ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं और मेरी कमर पर ज़ोर-ज़ोर से हाथ चलाने लगीं क्योंकि मैंने पूरे ज़ोर से अपना लण्ड आपी की चूत से लगाया हुआ था और हल्का-हल्का रगड़ रहा था तो आपी भी पूरे जोश से मुझे रिस्पॉन्स दे रही थीं।

कुछ मिनट इसी तरह किस करने के बाद आपी ने कहा- “सगीर अब मैं चलती हूँ। बहुत टाइम हो गया है”

मेरी गिरफ्त से निकल कर आपी जाने लगीं तो मैंने भी गिरफ्त ढीली कर दी और आपी को छोड़ दिया। आपी दरवाज़े की तरफ जाने लगीं तो अचानक मुझे याद आया कि आपी को वो दवा दे दूँ।

मैंने आपी को आवाज़ दी- “आपी एक मिनट रूको”

मैं जो टेबलेट ले कर आया था वो दराज से निकाल कर आपी को दे दी।

आपी ने पूछा- “यह क्या है सगीर?”

तो मैंने कहा- “कल रात को मैंने अपना पानी आपकी चूत में ही निकाल दिया था। ये प्रेगनेंसी रिमूवल टेब्लेट्स हैं। आप आज याद से एक टेबलेट ले लेना ताकि आप प्रेगनेंट ना हों”

आपी ने कहा- “थैंक्स सगीर, मैं तो भूल ही गई थी। तुमने इतनी खुशी दी है मुझे मेरे राजा कि बता नहीं सकती”

तभी मैंने आगे बढ़ कर आपी के माथे पर चुम्मी की और कहा- "आपी आई लव यू, आप तो मेरी जान हो फिर अपनी जान का ध्यान तो रखना है ना”

आपी ने कहा- “आई लव यू टू सगीर”

TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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Heart 
और वो मुझे आँख मार कर नीचे जाने लगीं।

मैंने उन्हें फिर पुकारा- “आपी…”

“अब क्या है?”

“आपी कल रात हम दोनों के लिए ख़ास होने वाली हो सकती है क्या?”

“कैसी ख़ास?”

“क्या आप कल मेरे लिए दुल्हन का लिबास पहन सकती हो?”

आपी ने मेरी सोच को समझते हुए कहा- “मेरे राजा मैं तो तुम्हारी हूँ इसलिए जो कहोगे वैसा करूँगी। तैयार भी हो जाऊँगी और तुम्हारी मर्जी के कपड़े भी अच्छे से पहन लूँगी और कुछ?”

"बस और कुछ नहीं"

अगले दिन शाम को दूकान से निकल कर सीधा फूलों वाली दुकान पर पहुँच गया और वहाँ से फूलों की पत्तियां लीं और आपी के लिए मैंने ‘रेड रोज़’ लिया और वहाँ से सीधा में ज्वेलरी की शॉप पर गया और वहाँ से आपी के लिए मैंने इयर-रिंग्स लिए और साथ गारमेंट्स की शॉप से दो ब्रा के सैट खरीद लिए और सीधा घर आ गया।

घर आया तो आपी अपने रूम में थीं और रूम अन्दर से लॉक था। मैंने नॉक किया तो आपी ने थोड़ा सा दरवाज़ा खोला।

मैंने आपी से कहा- “आप तैयार हो गईं कि नहीं…”

तो आपी ने कहा- “अभी नहीं बाबा, बस 20 मिनट में हो जाऊँगी”

मैं आपी को वो जो चीज़ें लेकर आया था वो दे दीं और कहा- “आप इनको पहन लो। ये मैं आपके लिए ही लाया हूँ”

आपी ने वो चीजें ले लीं और मुझे ‘थैंक्स’ कह कर दरवाज़ा बंद कर लिया।

मैं भी अपने रूम में चला गया और बेडशीट ठीक करके पूरे बिस्तर पर फूलों की पत्तियां बिखेर दीं। बल्ब की रोशनी भी बंद कर दी। मैंने धीमी वाली लाईट ऑन कर दी और आपी का इन्तजार करने लगा।

तभी आपी की आवाज़ आई- “सगीर…”

तो मैं भाग कर नीचे गया तो आपी दरवाज़े से मुँह निकाले खड़ी थीं। मैंने पूछा- “क्या हुआ आपी?”

तो आपी ने कहा- “मुझे वॉशरूम से हेयर ब्रश पकड़ा दो। मेरा वाला तो मिल ही नहीं रहा है”

मैंने कहा- “ओके…”

मैं वॉशरूम की तरफ चला गया। वहाँ से ब्रश ले कर मैं वापिस आया तो देखा कि आपी के कमरे का दरवाज़ा खुला है। मैं अन्दर गया तो हैरान हुआ कि आपी रूम में नहीं थीं। मैंने टीवी लाउन्ज में भी देखा। आपी वहाँ भी नहीं थीं। तब अचानक मेरे जेहन में आया कि कहीं ये सोच कर मेरे रूम में ना चली गईं हों कि मैं वहाँ ही आ जाऊँगा।

मैं सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर गया तो कमरे में वो ही मद्धिम लाईट ऑन थी। मैं अन्दर चला गया। अन्दर जाते ही मैंने देखा तो मेरी खुशी की इंतिहा ही नहीं थी। आपी घूँघट में बिस्तर पर बैठी हुई थीं। एकदम दुल्हन की तरह का ब्लैक कलर का लहंगा पहने हुए वो बेहद खूबसूरत लग रही थीं।

मैं समझ गया कि आपी ने मुझसे छिप कर रूम में आने के लिए मुझे नीचे बुलाया था। मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और बिस्तर की तरफ बढ़ने लगा। बिस्तर के पास पहुँच कर मैं आपी के पास बिस्तर पर बैठ गया और आपी का घूँघट उठाने लगा।

मैंने आहिस्ता-आहिस्ता आपी का घूँघट उठाया और मेरे मुँह से खुद बा खुद ही निकल गया- “आपी! आपको मेरी नज़र ना लग जाए। आप इंतिहा खूबसूरत लग रही हो। आप मेरी जान निकाल लोगी आपी, कसम से”

मेरे पास एक गोल्ड का छल्ला था जो कि मैं कभी-कभार पहना करता था। मैं उठा वो छल्ला अपनी दराज से निकाला और आपी के पास जा कर मैं बैठ गया।
मैंने कहा- “इस वक्त मेरे पास मेरी बीवी को देने के लिए इस छल्ले से कीमती और कोई चीज़ नहीं है”

और यह कहते ही मैंने छल्ला आपी का हाथ को पकड़ कर आपी की उंगली में पहना दिया।

उस छल्ले को आपी ने किस किया और कहा- “ये मेरी ज़िंदगी का सब से अनमोल तोहफा है और आज का दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे बेहतर दिन है। मैं ये सब कभी नहीं भूल पाऊँगी और मैं अब शादी नहीं करूँगी मेरी शादी आज तुमसे हो गई है बस”

आपी की आँखों से आंसू निकलने लगे जो मैंने गिरने से पहले ही थाम लिए और कहा- “मेरी जान रो ना आपी, आप प्लीज़, आपके आंसू मुझसे नहीं देखे जाते”

मैंने आपी के आंसू साफ कर दिए, मैंने आपी से कहा- “अब इजाजत दें तो आपको आज मैं फिर से अपनी बीवी बना लूँ?”

आपी ने कहा- “हाँ सगीर प्लीज़ मुझे अपनी बीवी बना लो”

दुल्हन के लिबास में आपी आज मेरे साथ पूरी रात के लिए थीं।

और आपी की ‘हाँ’ मिलते ही मैंने आपी माथे पर किस की और आपी का दुपट्टा उतार दिया। मैंने आपी के गाल पर किस की और इसी के साथ आपी के इयर रिंग्स उतार दिए। ये वही इयर रिंग्स थे जो कि मैं आपी के लिए लेकर आया था।

अब मैंने आपी के कान के नज़दीक जाकर कहा- “थैंक्स आपी! आपने मेरे लिए मेरी दी हुई चीजें पहनी हैं”

मैं आपी के कान को चूसने लगा और कान को चूसते हुए मैं आपी की गर्दन पर आ गया और आपी को प्यार करने लगा।

चूमने के साथ ही मैंने पीछे से आपी की कमीज की ज़िप खोल दी और आपी को कहा- “बाजू उठाओ”

आपी ने बाजू उठा दिए और मैंने आपी की कमीज को ऊपर उठा कर उतार दी। कमीज के अन्दर का नजारा देखा तो पाया कि आपी ने मेरी दी हुई ब्रा पहनी हुई थी जिसे देख कर एक बार फिर मुझे बहुत खुशी हुई। अब मैंने आपी के निचले कपड़े को खोला और खींच कर आपी की टाँगों से अलग कर दिया। अब आपी मेरे सामने बस ब्रा और पैन्टी में थीं।

मैंने आपी को एक नज़र ऊपर से नीचे तक देखा और कहा- “आपी आप बेहद खूबसूरत हो। आपका जिस्म बहुत ही प्यारा है। आज एक अजीब सी कशिश है आप में जो मुझे आपका दीवाना बना रही है। आज मैं आपके जिस्म में समा जाना चाहता हूँ आपी आपको आज मैं जी भर के चोदूँगा और जी भर के प्यार करूँगा। आपी आप किसी और की मत होना बस मेरी ही रहना”

तो आपी ने कहा- “मैं बस तुम्हारी हूँ सगीर, सिर्फ़ तुम्हारी…”

फिर मैंने आपी के होंठों पर किस की और पीछे हो गया तो आपी ने मुझे नजदीक खींच कर मेरे सर से पकड़ा और कहा- “सगीर क्यों तड़फा रहे हो मुझे”

उन्होंने इतना कह कर मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया, मेरे होंठों पर अपने होंठ धर दिए और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं। वो अपने हाथों को मेरे सर में फेरने लगीं और ज़ोर से मेरे मुँह को अपने मुँह में घुसाने की कोशिश करने लगीं। इस अचानक हुए हमले से मेरे होश भी गुम हो गए और मैंने आपी को बांहों में भर लिया, मैं पूरे जोश से उन्हें किस करने लगा।

आपी ने आज लिपस्टिक लगाई हुई थी जिससे किस करने का और भी ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैंने इतने ज़ोर से किस की कि आपी से सम्भला नहीं गया और वो ऐसे ही तकिए के ऊपर जा गिरीं। उनके साथ ही मैं भी आपी के ऊपर गिर गया पर हमने किसिंग नहीं रोकी और पूरे जोश से हम दोनों कुछ मिनट तक किस करते रहे।

कुछ मिनट बाद आपी ने मेरे सर को बालों से पकड़ कर उठाया और कहा- “सगीर अपने कपड़े जल्दी उतारो। मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है”

यह कहते हुए वे खुद ही जल्दी से मेरे कपड़े उतारने लगीं पर जल्दी में आपी ने बटन खोलने की बजाए ज़ोर लगा के खींचा तो सारे बटन टूट गए। उन्होंने इससे बेपरवाह होते हुए मेरी शर्ट उतार कर दूर फेंक दी और जल्दी से मेरी बेल्ट खोल कर मेरी पैन्ट भी उतार दी। अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था और आपी ब्रा और पैन्टी में थीं।

मैंने जल्दी से आपी की ब्रा का हुक खोला तो आपी के वो मम्मे जो मैं रोज चूसा करता था, उछल कर मेरे सामने आ गए। मैंने बिना देर किए ही आपी को फिर से लिटा दिया और आपी के मम्मों को चूसने लगा। मैं बेसब्री से आपी के निपल्स को चूसने लगा।

आपी मादक सिसकारियाँ भरने लगीं- “आह्ह... जोऊररर... से चूसो... सगीर और ज़ूओररर सेई...आह्ह... सगीर आज अपनी बहन को अपनी बीवी का दरजा दे दो सगीर... और ज़ूर... से चूसो… आह्ह... यस… दूसरे को भी चूसोऊ…”

यह कहते हुए आपी ने मेरा सर उठा कर दूसरे चूचे पर रख दिया और मैं आपी के दूसरे निप्पल को सक करने लगा। आपी मादक आहें भरती जा रही थीं।

“आआअहह... सगीर तुम मेरी जान हो... सगीर... आह्ह... अपनी बहन को आज सब खुशियाँ दे दो... और जोर्रर.. से सक करो… आआअहह... उफ्फ़…”

मैं उनके मम्मों को चूसता हुआ नीचे आने लगा और आपी की बेली को चूसने लगा और पेट पर चूसते-चूसते मैंने आपी की पैन्टी उतार दी। अब मैं उनकी चूत को देखने लगा और एकदम से मैंने आपी की चूत पर अपना मुँह रख दिया और जोर-जोर से चूत चूसने लगा।

मेरे एकदम से चूत पर मुँह रख कर चूसने से आपी के मुँह से बेइख्तियार सिसकारी निकली- “ऊऊऊहह... कमीने... चूस...ले...”

आपी ने अपने हाथ मेरे सर पर रख कर दबाने लगीं, उन्होंने मस्ती में अपनी आँखें बंद करके सर को पीछे तकिए पर रख दिया। अब वे अपनी चुदास को अपने ‘आहों’ के जरिए खारिज कर रही थीं।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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“आह्ह… सगीर… जोओररर्र से... आहह... ऊओह... शिट आआह...ह… सगीर ज़ुबान अन्दर तक डालो प्लीज़... आआअहह और ज़ोरर्र से चूसो...”

मैंने चूसते हुए ही अपनी ज़ुबान आपी की चूत में दाखिल कर दी और चूत के अन्दर ही हिलने लगा।

आपी और जोर से मेरे सर के बालों को खींचने लगीं और कहने लगीं- “सगीर अन्दर तक करो... और अन्दर... आआहह... अम्मीई... आअहह... ऊओह सगीर… शिट... मैं गई सगीर...”

आपी का जिस्म अकड़ने लगा और साथ ही आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया जो कि सीधा मेरे मुँह में आने लगा।

मैं भी आपी का सारा पानी पी गया और आपी की चूत चाट कर साफ कर दी। चूत चूसने और चाटने के बाद मैंने सर ऊपर उठाया तो आपी ने कहा- “सगीर आज का दिन मुझे सारी ज़िंदगी याद रहेगा”

आपी ने मेरे होंठों पर चूमना शुरू कर दिया और एक मिनट बाद कहा- “अपने लण्ड का नज़ारा नहीं करवाओगे, देखो कैसे तम्बू बना हुआ है”

मैंने कहा- “इसे खुद ही बाहर निकाल लो”

आपी ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरा अंडरवियर उतारा और लण्ड को हाथ में लेकर सहलाने लगीं, आपी के हाथ बहुत तेज़ी से चल रहे थे। मैं बिस्तर पर वहीं पीछे की तरफ लेट गया और आँखें बंद करके आपी के हाथों का स्पर्श अपने लण्ड पर महसूस करने लगा।

तभी अचानक मुझे याद आया कि मैं तो टाइमिंग बढ़ाने वाली टेबलेट भी लाया हुआ हूँ और क्यों ना कैमरा भी ऑन कर लिया जाए तो मैंने आपी को कहा- “आपी एक मिनट रूको”

आपी ने लण्ड पकड़े हुए कहा- “नहीं सगीर प्लीज़ मत उठो। मैं इसे नहीं छोड़ना चाहती हूँ”

पर मैंने आपी से कहा- “बस एक मिनट आपी”

मैं बिना उनकी ‘हाँ’ के जल्दी से उठ गया और मैंने भाग कर टेबलेट निकाली और पानी से खा गया। आपी ने मुझे टेबलेट खाते हुए देख लिया था। तभी मैंने कैमरा भी साइड टेबल की दराज से निकाला और उसको भी सैट करके लगा दिया।

आपी ने कहा- “सगीर किन कामों में लगे हो और तुमने खाया क्या है?”

मैंने आपी को किस करते हुए कहा- “आपी, टाइमिंग बढ़ाने वाली टेबलेट खाई है इससे मैं आपको ज्यादा देर तक चोद सकूँगा और आपको भी पूरी संतुष्टि होगी”

आपी ने मुझे पीछे को धक्का दिया और कहा- “तुम बस लेट जाओ”

वो एकदम दीवानों की तरह मेरा लण्ड चूसने लगीं, आपी बहुत तेजी से मेरा लण्ड चूस रही थीं।

मैं भी मज़े में आपी के सर को अपने हाथों से ऊपर-नीचे कर रहा था और कभी-कभी उनके मुँह के अन्दर अपने लौड़े को पूरा घुसेड़ते हुए आपी के सर को भी नीचे को दबा देता था जिससे मेरा लण्ड आपी के हलक तक चला जाता था और फिर मैं एकदम से आपी के सर को छोड़ देता। ऐसा करने से आपी की साँसें तेज हो जाती थीं और आपी फिर से लण्ड को चूसने लग जातीं।

इस तरह आपी ने मेरे लण्ड को एक दफ़ा अपने मुँह में सांस के साथ खींचा जिससे मुझे इतना मज़ा आया कि मैंने अपने चूतड़ों को ऊपर उठाया और आपी के मुँह में ही झड़ने लगा।

झड़ते समय मैंने ऊपर से आपी के सर को दबा दिया जिससे सारा पानी आपी के गले में उतरने लगा और आपी ने वो सारा अपनी पी लिया।

जब मैंने आपी का सर छोड़ा तो आपी एकदम पीछे को गिर गईं और बिस्तर पर लेट गईं।

वो कहने लगीं- “ऊऊहह उउफफ्फ़ सगीर... क्या लण्ड है तुम्हारा... मुझे लगता है ये मेरी जान ले कर छोड़ेगा”

अब मैं सीधा होकर आपी के ऊपर लेट गया और आपी को किस करने लगा।
आपी ने कहा- “सगीर, मेरी चूत में आग लगी है”

मैंने किसिंग छोड़ कर आपी की चूत को को चूसना शुरू कर दिया जिससे आपी ने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगीं और साथ ही वे तेज़ी से सिसकारी भरने लगीं।

“ऊऊहह सगीर… आआहह ऊऊहह... चूसो और तेज़ी से चूसो... बहनचोद हो ना तुम... अपनी बहन की चूत को खा जाओ सगीर... आआहह उफफ्फ़… अम्मीई…”

इतना कहने के साथ ही आपी ने अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया और मैंने वो सारा पानी अपनी ज़ुबान से चाट लिया और एक साइड में होकर लेट गया।

आपी ने मुझे उठाया और कहा- “ऐसे मेरी आग नहीं बुझने वाली। अब तुमने चिंगारी लगा दी है अब आग भी पूरी ठंडी भी करो ना। डालो ना अपना लण्ड मेरी चूत में, मुझे जल्दी से चोद दो”

मैंने कहा- “जरूर आपी पर पहले अपने इसको तो खड़ा करो”

मैंने अपने लण्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा।

तो आपी ने कहा- “तुमने तो टेबलेट खाई थी उसका असर तो हुआ नहीं, ये क्यों छूट गया?”

मैंने कहा- “आपी टेबलेट का असर खाने के आधे घन्टे बाद होता है। अभी इसको उठाओ फिर मैं आपकी चूत की आग को ठंडा करूँगा”

झट से आपी ने मेरे लण्ड पर मुँह रखा और तेज़ी से लण्ड को चूसने लगीं। आपी के लण्ड चूसने में इतना जोश था कि एक मिनट बाद ही मेरा लण्ड तन कर अकड़ गया।

खड़ा लौड़ा देख कर आपी ने कहा- “चलो उठो... अब डालो ना मेरी चूत में... क्यों तड़फा रहे हो”

आपी का यही जुनून था जो उस दिन भी आपी पर चढ़ा था और आपी ने खुद ही मेरे लण्ड को चूत में ले लिया था।

मैंने कहा- “अच्छा बाबा, लो डाल देता हूँ”

मैंने उठ कर आपी को सीधा लेटाया। आपी की कमर के नीचे तकिया रखा और आपी की एक टांग मैंने अपने कंधे पर रख कर अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा और आपी की चूत पर रगड़ने लगा।

आपी ने बेसब्र होते हुए कहा- “सगीर एक ही झटके में पेल दो। इस निगोड़ी चूत में बहुत आग लगी है”

मैंने कहा- “ये लो मेरी जान, झेलो”

और ये कहने के साथ ही मैंने आपी की चूत पर निशाना साधा और पीछे होकर एक ज़ोरदार धक्का मारा।

मेरा लण्ड जड़ तक आपी की चूत में उतर गया। इस तरह अन्दर जाने की वजह से आपी की एकदम से चीख निकली- “आअहह... मररर्र... गई... आआअहह फट गई मेरी चूत... आअहह... उफफ्फ़...”

आज आपी की चूत को खुल कर चोदने का मौका मिला था। मैंने आपी को चूमना चालू कर दिया और नीचे से हल्के हल्के धक्के लगाने लगा। आपी की चूत इतनी टाइट थी कि मेरे लंड को चारों तरफ से खिंचाव सा महसूस हो रहा था पर मैंने धक्के लगाने जारी रखे।

कुछ ही देर बाद आपी ने कहा- “सगीर, थोड़ा ज़ोर से लगाओ ना”

तो मैं उठा और अपने बाजुओं को आपी की दोनों साइडों में रख कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा।

आपी की मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं- “आहह ऊऊऊऊओह... मेरे बहनचोद भाई... ज़ोर से चोद मुझे हरामी... ऊऊऊओह... आअहह... ऑश... मैं गई सगीर…”

अब आपी की फुद्दी ने खूब पानी छोड़ना शुरू कर दिया। जिससे मेरा लण्ड बड़े आराम से आपी की फुद्दी में अन्दर-बाहर होने लगा। आपी की फुद्दी ने इस दफ़ा जो पानी छोड़ा था उसने मुझे हैरान कर दिया था, उनका पानी इतना ज्यादा निकला था कि नीचे से चादर भी काफ़ी गीली हो गई थी।

मैंने अपने झटके जारी रखे और साथ बिस्तर से फूलों की पत्तियाँ उठा कर आपी के नंगे बदन पर फेंकने लगा और आपी के मम्मों को चूसने लगा। इस तरह मैंने आपी को बहुत देर तक चोदा।

फिर लण्ड बाहर निकाले बिना ही आपी को अपनी बांहों में उठाया और खुद लेट गया, अब आपी मेरे ऊपर आ गईं।

मैंने आपी से कहा- “आपी अब आपकी बारी है, आप मुझे कितना चोदती हो?”

तो आपी ने मेरे सीने में नाख़ून गड़ा दिए और जोर-जोर से ऊपर-नीचे होने लगीं।
आपी चुदाई के साथ गर्म आहें भी भरने लगीं- “आआअहह... ऊओह सगीर… तुमने पहले क्यों नहीं चोदा मुझे... इतने दिनों से... इस खेल में इतना मज़ा आता है... मुझे पता होता तो कब से तुम से चुदवा चुकी होती”

तब मैंने कहा- “आपी, आज जम कर आपको चोद रहा हूँ। अब हर रोज़ ऐसे ही चोदूँगा और फरहान के आ जाने के बाद हम दोनों मिल कर आपकी चुदाई किया करेंगें”

तो आपी ने कहा- “हाँ दोनों चोदोगे तो ही मेरी आग बुझेगी वरना मुझे ठंडा नहीं कर पाओगे तुम लोग”

धकापेल चुदाई के बाद मैंने आपी को अपने ऊपर से उतारा और घोड़ी बना कर आपी की चूत मारने लगा। मैं ज़ोर से स्ट्रोक लगा रहा था और आपी मजे से मादक आहों की झड़ी लगा रही थीं।

काफी देर तक इस तरह स्ट्रोक लगाने के बाद मैंने आपी से कहा- “आपी अब मैं झड़ने वाला हूँ”

आपी ने कहा- “मेरी चूत में ही अपना पानी छोड़ दो”

कुछ तगड़े झटकों के साथ ही मैंने ज़ोर से सिसकारी भरी- “आआआअहह मैं गया आपी…” और मैं आपी की चूत में ही पानी छोड़ने लगा। 

मेरे लण्ड की पहली धार ही आपी की चूत में गिरी थी कि आपी की भी मादक सिसकारी निकली- “आहह उफफ्फ़... मैं भी गई सगीर…”

आपी की चूत ने मेरे लण्ड को झकड़ लिया और ढेर सारा पानी छोड़ दिया। मैंने भी आपी के अन्दर ही पानी छोड़ दिया और निढाल होकर आपी के ऊपर गिर गया।

आपी ने हाँफते हुए कहा- “दवा का वाकयी बहुत असर था। इससे तो काफ़ी लंबी चुदाई हो जाती है”

मैंने कहा- “आपी अभी तो इसका फुल असर नहीं हुआ था वरना ये तो एक-एक घन्टे तक चूत को ठुकवा देती और उसके बाद भी लण्ड को खड़ा रखती है”

आपी ने कहा- “अभी देख लेते हैं”

यह कहते हुए आपी ने मेरे लण्ड पर हाथ रखा और सहलाने लग गईं।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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वो कहने लगीं- “सगीर, फरहान का क्या करना है?”

तो मैंने कहा- “आपी आप बताओ, जैसे आप कहोगी वैसे कर लेंगें”

आपी कहने लगीं- “है तो वो भी मेरा भाई, पर पता नहीं क्यों मेरा दिल उसके साथ नहीं लगता है। हालांकि वो तुम से ज्यादा घर पर हुआ करता है पर मैं उसके साथ ऊपर नहीं जाती थी। तुम्हारे आने के बाद ही ऊपर आती थी”

दूर ना हो कभी इतने करीब कर लूंगी तुम्हें,
जो करीब आया तो बाहों में भर लूंगी तुम्हें…
तुम्ही चाहत तुम्ही आरजू तुम्ही तमन्ना मेरी,
अपनी चूत दिखा कर वश में कर लूंगी तुम्हें…

मैंने कहा- “आपी फिर आप फ़ैसला कर लो कि क्या करना है। उससे चुदवाना है कि नहीं क्योंकि मैंने अभी तक उसे नहीं बताया कि मैंने आपको चोद लिया है बल्कि उससे यही कहा है कि आपी अभी तक नाराज़ हैं”

आपी ने कहा- “सगीर तुम ही बताओ मैं क्या करूँ? दिल तो करता है कि उससे भी चुदवा लूँ क्योंकि अगर उससे ना चुदवाया तो मैं रात को तुम्हारे पास भी नहीं आ सका करूँगी”

मैंने कहा- “हाँ आपी आप उससे भी चुदवा लो ताकि रास्ता तो खुला रहे”

आपी ने कहा- “चलो आता है तो उसकी मौज भी लगा देते हैं”

बात करने के साथ-साथ आपी मेरा लण्ड भी सहला रही थीं।

ख्वाब के कोरे पन्ने कुतर आया है,
चांद छुप के जमी पर उतर आया है…
आज होठों से मुस्कान जाती नहीं,
उसके होठों को मेरा लण्ड छू कर आया है…

आपी ने मुझे कहा- “सगीर तुमने मुझे यहाँ तक पहुँचाया है अब अगर तुमने मुझे कहीं रास्ते में मेरा साथ छोड़ दिया तो?”

मैंने कहा- “आपी कैसी बातें करती हो आप यार, आज तो इतनी खुशी का दिन है और मैं ये घर छोड़ कर थोड़ी कहीं चला जाऊँगा। जब भी आपको लगे कि मैंने कुछ ग़लत किया है तो मेरे कान खींच देना। आपकी कसम मैं ठीक हो जाऊँगा पर उस दिन की नौबत नहीं आएगी”

आपी ने कहा- “अच्छा जी, पता चले कोई नई चूत मिले और तुम मुझे भूल जाओ, हाँ यदि बहुत दिल करे तो उसे भी चोद लेना पर तुम ये मत भूलना कि तुम पर पहला अधिकार मेरा ही रहेगा”

मैने आपी की चूचियों को मसलते हुए ज़वाब दिया- "कैसी बात करती हो आपी, आप तो मेरी जान हो, आपको कैसे भूल सकता हूँ"

आपी ने मेरे लॅंड पर अपना दवाब बढ़ाते हुए कहा- "मुझे तुम पर पूरा यकीन है जानूं, फिलहाल तो मेरी इस चूत का कुछ करो, इसमे तो फिर से आग लग गई... इसकी आग बुझती क्यूँ नहीं है सग़ीर?" -यह कहते हुए आपी उठीं और मेरे लण्ड को पकड़ कर मेरे पेट पर लेटते हुए मेरे ऊपर आ गईं और अपनी चूत को मेरे लण्ड के ऊपर फिट करके ऊपर से ही रगड़ने लगीं। 

वे मुझे किस करने लगीं मैं भी हल्का-हल्का जोश में आ रहा था। मैंने आपी के सर को पकड़ा और आपी के होंठों को चूसने लगा, काटने लगा। आपी की सारी लिपस्टिक चुस चुकी थी।

अचानक आपी ने मुझसे अपना सर छुड़वाया और खुद मेरे सर को पकड़ कर मेरे होंठों को अपने मुँह में भरके ज़ोर-ज़ोर से मुँह में खींचने लगीं। मेरी ज़ुबान को भी अपने मुँह में खींच के चूसने लगीं। मेरे सर को आपी ने इतनी ज़ोर से पकड़ा था कि मैं हिल भी नहीं पा रहा था और बस आपी के चूसने का मज़ा ले रहा था।

आपी नीचे से अपनी चूत को रगड़ रही थीं जिससे मेरा लण्ड फिर से फुल टाइट हो गया था। आपी लण्ड के खड़े हो जाने के बाद भी चूत को रगड़े जा रही थीं। मैं आपी की कमर पर हाथ रख कर उनके दूधों को अपने सीने पर दबाने लगा। 

आपी जब अपनी चूत रगड़ कर ऊपर होतीं तो मेरा लण्ड भी ऊपर को उठता था पर मुझे नहीं पता था कि आपी ऐसे भी कर सकतीं हैं। मेरी वो बहन जो अबाए के बिना नहीं रहती थी वो चूत मरवाने में इतनी तेज होगी।

आपी ने अचानक से अपनी चूत को रगड़ना बंद कर दिया और थोड़ा सा ऊपर उठ कर आगे को हो कर मुझे और तेज़ी से किस करने लगीं। आपी के ऊपर होने की वजह से मेरा लण्ड भी हल्का सा जोश में था।

मुझे आपी की किसिंग में इतना मज़ा आया कि मैं भूल गया कि मेरा लण्ड भी तैयार खड़ा है। पर आपी मेरे लण्ड पर पूरी नज़र लगाए हुए थीं और अपनी चूत का निशाना सैट कर चुकी थीं।

फिर अचानक आपी ने नीचे को अपने जिस्म को धकेला और लण्ड चूत से रगड़ता हुआ सीधा चूत में जड़ तक उतर गया।

मेरे मुँह से खुद ही ‘आआअहह..’ निकल गई और आपी भी ‘आह..’ भरते हुए हँसने लगीं।

वो कहने लगीं- “देखा, मैंने भी तुम्हारी सिसकारी निकाल दी ना इसलिए मुझ से बच के रहना”

और आपी हँसने लगीं।

मैंने कहा- “अच्छा बच्चू, लो फिर मज़े”

यह कहते हुए मैंने आपी को बांहों में लिया और तेज़ी से आपी को धक्के लगाने लगा तो आपी सिसकारियाँ लेने लगीं- “आहह... रुक तो… आआहह... सगीर रूको... मुझे तुमको चोदना है”

मैंने आपी के मुँह से यह बात सुनी तो रुक गया।

आपी ने कहा- “अपने शौहर को मैं खुद चोदूँगी”

मेरी सब अदाएं अंदाज हो तुम,
तुम मेरे देवता सरताज हो तुम…
तुम हो तभी यह तबीयत चंगी,
मेरी चूत की आग का इलाज हो तुम…

आपी ने ज़ोर-ज़ोर से ऊपर-नीचे होना शुरु कर दिया और तेज़ी से मुझे चोदने लगीं। मैंने आपी को अपनी बांहों में भरा और धक्के मारना बंद कर दिए।

आपी ने अपना काम जारी रखा और आहें भरते हुए चुदवाती रहीं- “आह्ह… उफ़... सगीर मेरी जान… आआहह… दूध चूसो प्लीज़... आआअहह!”

आपी की बात सुन कर मैंने आपी के मम्मों को चूसना शुरू कर दिया और खुद भी नीचे से धक्के लगाने लगा।

तभी आपी ने कहा- “सगीर ज़ोर से धक्के मारो... मैं झड़ने वाली हूँ... आअहह... आआहह…”

मैंने कुछ तगड़े जर्क मारे तो आपी की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैं अभी दवा के असर में था तो मैं झड़ा नहीं था, मैंने कुछ पल रुकने के बाद धक्के लगाना फिर से शुरू कर दिए।

इस तरह काफ़ी देर तक ऊपर से चुदने के बाद आपी ने कहा- “अब तुम्हारी बारी है, मुझे नीचे करो”

मैंने आपी को बिस्तर पर लेटाया और एक साइड से पीछे खुद लेट कर मैंने एक ही झटके में अपना फौलादी लण्ड आपी की चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा। इस तरह से आपी काफ़ी मज़े से चुदवा रही थीं।

आपी ने मुझसे कहा- “सगीर इस स्टाइल में ही चोदते रहो, इस तरह बहुत मज़ा आ रहा है”

तो मैंने उसी तरह आपी को तेज़ी से चोदना जारी रखा।

आपी मस्ती में आहें भर रही थीं- “अहह... सगीर अब तेज़ करो... स्पीड को बढ़ा दो... प्लीज़ और तेज़ करो… आआहह ऊहह... सगीर मैं फिर गई...”

तो मैंने कहा- “आपी अब मैं भी झड़ने लगा हूँ”

हम दोनों एक साथ ही झड़ने लगे। इस दफ़ा आपी की चूत ने फिर से बहुत सारा पानी छोड़ा और मेरा लण्ड भी आपी की चूत में ही फारिग हो गया। हम दोनों वहीं वैसे ही पड़े रहे।

कुछ देर बाद आपी ने मुझसे कहा- “सगीर अभी हमारे पास बहुत दिन हैं तो अब सो जाते हैं ताकि कल फिर जम कर चुदाई कर सकें”

मैंने कहा- “ठीक है आपी, सो जाते हैं”

आपी ने कपड़े पहने और मुझे एक लंबी किस करके नीचे चली गईं।

आपी के नीचे जाने के बाद मैंने कैमरा की रिकॉर्डिंग बंद की और मैं भी ऐसे ही सो गया। जब सुबह उठा तो हिम्मत जवाब दे रही थी। किसी तरह मैं नहा-धो कर नीचे गया तो अब्बू सामने बैठे थे।

उन्होंने कहा- “मैं तुम्हारा ही वेट कर रहा था। ये लो चाभियाँ और तेरी आपी यूनिवर्सिटी चली गई है वो भी साथ में चाभियाँ ले गई है, तुम भी ले जाओ”

मैंने नाश्ता किया और कॉलेज चला गया। कॉलेज से वापसी में मैं दुकान पर नहीं गया सीधा ही घर आ गया और जब मैं घर पहुँचा तो देख कर परेशान हो गया कि अम्मी वगैरह सब वापिस आ गए हुए हैं। मैंने दुआ-सलाम की और सीधा अपने कमरे में आ गया।

मैं फरहान को डांटने लगा- “तुमसे एक काम नहीं ठीक से होता”

वो कुछ बोलता इससे पहले आपी कमरे में आ गईं और मजे लेकर कहने लगीं- “इसका कोई कसूर नहीं है वो जिसका पता करने अम्मी ने जाना था वो किसी डॉक्टर को दिखाने दूसरे सिटी चला गया है इसलिए अम्मी आ गई हैं। अब जब वो आएगा तब वे दोबारा जाएंगी”

आपी ने मुझे होंठों पर किस की और कान में कहा- "आज रात को मुझे दो लण्ड चाहिए। मेरी चूत बहुत आग से मचल रही है”

मैंने कहा- “मेरी जान! मिल जाएंगे”

चंचल चितवन से कर्म न बिगड़ जाए,
खूबसूरत यौवन से शर्म न बिगड़ जाए…
अदाओं पर ज़रा काबू रखिये हुजूर,
कहीं फिर से मेरा लण्ड न खड़ा हो जाए…

आज आपी को फरहान का लण्ड भी खाना था। आपी ने मुझे किस की और नीचे चली गईं।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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ab aayega duguna mazA
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happy fight fight
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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clps   clps
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Heart 
मैं नहा-धो कर कपड़े बदले और बिस्तर पर बैठा ही था कि फरहान ने मुझसे पूछा- “आपी मान गईं क्या?”

तो मैंने कहा- “अब मुझसे क्या पूछते हो, एक काम तो तुमसे ठीक से होता नहीं है और आपी के मानने की पड़ी है”

फरहान कहने लगा- “भाई, इसमें मेरा कोई कसूर नहीं। अब वो लोग ही डॉक्टर के पास चले गए हैं तो मैं क्या करता, इसी वजह से सारा काम खराब हो गया है। आप गुस्सा क्यों करते हो? मैं जानबूझ कर थोड़ी अम्मी को वापिस लाया हूँ”

यह कह कर फरहान मुझे मनाने लगा तो मैंने कहा- “अच्छा ठीक है, अब आराम से बैठ जाओ”

उसने फिर कुछ देर रुक कर दोबारा पूछा- “भाई! आपी मान गई हैं ना?”

तो मैंने कहा- “तुमने देख ही लिया है तो फिर पूछ क्यों रहे हो?”

वो बोला- “फिर बताओ ना! कैसे मनाया आपी को आपने? और आपी इतनी खुश क्यों हैं और वो बदली-बदली सी लग रही हैं। अब तो वो हँसती और खुश रहतीं हैं। मैं जब से आया हूँ तब से देख रहा हूँ”

तो मैंने कहा- “लगता है तुमको सब बताना ही पड़ेगा, बिना बताए तुम्हारे पल्ले कुछ भी पड़ने वाला नहीं है”

फरहान मेरी तरफ देखने लगा।

“अच्छा, अब ध्यान से सुनो”

मैंने फरहान को सब कुछ बताया जो उस पहली रात को हमारे सोने के बाद हुआ था और कैसे आपी ने मुझे नीचे जा कर चोदा था और उसके बाद जो हमने किया था।

मैंने उसे ये भी बताया कि मुझे आपी ने अपनो शौहर बना लिया है और अब वो मेरी ही रहेंगी और हमेशा मुझसे चुदवाएंगी, मेरे साथ रहेंगी। हम दोनों ने कल ही सुहागरात मनाई है। मैंने कल रात को आपी को दुल्हन बना कर दो बार चोदा है।

फरहान मेरी बातें सुन कर चौंक कर बोला- “ऐसा नहीं हो सकता, आपी तो आपको अपनी चूत में लण्ड नहीं डालने देती थीं तो चुदवा कैसे लिया। मुझे यकीन नहीं आ रहा है”

मैंने कहा- “मेरे पास सबूत भी है”

उठ कर मैंने दराज़ से कैमरा निकाला और जो मैंने आपी की वीडियो बनाई थी वो चला कर उसे दिखाई। फरहान आँखें फाड़-फाड़ कर उसे देखे जा रहा था।

मैंने कहा- “क्यों जनाब अब यकीन आया कि नहीं?”

तो उसने कहा- “भाई ये तो सच में आप आपी को चोद रहे हो और आपी कितने जोश और मज़े से चुदवा रही हैं”

मैंने कहा- “बस मैंने कहा था ना कि देखते जाओ मैं क्या-क्या करता हूँ और तुमको कहाँ-कहाँ की सैर करवाता हूँ”

फरहान ने कहा- “हाँ भाई! आपने तो वाकयी आपी को चोद दिया है। आपको तो बहुत मज़ा आया होगा”

मैंने कहा- “यार आपी को खुदा ने बहुत गरम बनाया है, आपी में बहुत आग है और वो अब हमें ही निकालनी है पर आराम-आराम से एकदम नहीं”

तो फरहान ने कहा- “भाई फिर आपी को चोदने की मेरी बारी कब है या आपी आपकी बीवी बन गई हैं तो मेरा नम्बर खत्म कर दिया आपी ने?”

तो मैंने कहा- “नहीं यार, तुम्हारी बारी भी है और अभी हमारे साथ तुम भी शामिल हो और आज रात को आपी आएंगी और हम तीनों जम कर चुदाई करेंगे। अब आपी अब खुद आया करेंगी कि मेरी चूत मारो”

फरहान ने खुश होकर कहा- “वाह ये ठीक हुआ है भाई, अब मज़ा आएगा। फिर तो आज रात को आपी की चूत में मैं भी अपना लण्ड डालूंगा”

फरहान अपने लण्ड को सहलाने लगा। मैं उठा और नीचे चला गया। अम्मी अपने कमरे में आराम कर रही थीं और हनी भी अपने रूम में थी, आपी किचन में खाना बना रही थीं। मैं आपी के पास गया और आपी को पीछे से अपनी बांहों में भर लिया और प्यार करने लगा। आपी ने आह भरी ‘आअहह..’ और मुझे पीछे को धक्का दे दिया।

वे मुड़ कर मुझे देखने लगीं, आपी ने कहा- “सगीर तुम बहुत बेशरम हो कोई आ गया तो?”

मैंने कहा- “आपी कोई नहीं आएगा और बीवी को तो किसी भी वक्त प्यार कर सकते हैं”

आपी ने कहा- “वो तो ठीक है पर मैं रिस्क नहीं लेना चाहती। अगर अम्मी को शक भी हो गया तो हमारा रात का सिलसिला सब खराब हो जाएगा” -ये कह कर आपी ने मुझसे कहा- “इधर आओ मेरे पास”

मैं आगे बढ़ा तो आपी ने ज़ोर से मेरे गाल खींचे कहा- “एक मिनट यहीं रूको”

आपी ने फ्रिज से एक जग निकाला जिसमें दूध था, उन्होंने मुझे जग दिया और कहा- “सगीर ये लो, इस सारे दूध को पी जाओ”

तो मैंने कहा- “आपी इतना दूध में कैसे पिऊँगा?”

आपी ने कहा- “मुझे तुम्हें कमज़ोर नहीं करना है इसलिए तुम्हें ये पीना ही पड़ेगा। मेरी खुशी के लिए तुम इतना भी नहीं कर सकते?”

मैंने कहा- “आपी! आपके लिए जान भी हाज़िर है, माँग कर तो देखो”

आपी ने कहा- “जान तुम्हारे अन्दर ही रहे, मुझे जो चाहिए होगा मैं वो माँग लूँगी। अभी तुम ये दूध पियो”

मैंने जग को मुँह से लगाया और एक घूँट भरा, फिर आपी से कहा- “आपी कमजोर तो आप भी हो जाओगी तो आपने दूध पीया कि नहीं?”

आपी ने कहा- “नहीं, मुझे नहीं पीना बस तुम इसे पूरा पियोगे”

तो मैंने कहा- “मुझसे प्यार करती हो?”

आपी ने कहा- “हाँ! कोई शक है क्या?”

“फिर आओ, साबित करो”

और मैंने अपने मुँह में एक घूँट भरा और आपी को आने का इशारा किया कि आओ ये पियो।

आपी ने कहा- “बस इत्ती सी बात”

उन्होंने आगे बढ़ा कर मेरे सर को पकड़ा और अपने होंठ मेरे मुँह से लगा कर खोल दिए। मैंने सारा दूध आपी के मुँह में निकाल दिया। जिसे आपी मज़े से पी गईं और मुझे किस करके बोलीं- “सगीर मेरे साथ ऐसे मत किया करो कि मैं इन चीज़ों की आदी हो जाऊँ और बाद में ये मुझे ना मिल सकें”

तो मैंने कहा- “आपी मैं थोड़ी मरने जा रहा हूँ जो आपको छोड़ कर चला जाऊँगा”

आपी ने फ़ौरन अपने होंठ मेरे होंठों में मिला दिए और किसिंग करने लगीं।
आपी ने मुझसे कहा- “सगीर आइन्दा ऐसे मत कहना वरना मैं तुम्हारा मुँह नोंच लूँगी। चलो अब पूरा दूध पियो”

मैंने एक घूँट लगा कर आपी से कहा- “आपी में आइन्दा ऐसे नहीं कहूँगा पर तब अगर आप भी मेरे साथ पियोगी, तो एक घूँट में लगाऊँगा और एक आप लगाओगी”

आपी ने कहा- “अच्छा चलो लगाओ घूँट फिर मैं लगाती हूँ”

मैंने घूँट लगा कर आपी को जग दिया तो आपी ने एक घूँट लगा कर मुझे दे दिया। इस तरह सारा दूध मैंने और आपी ने पिया। आखिरी घूँट आपी के हिस्से में आया आपी ने घूँट भर के जग को साइड में रखा और मेरे होंठों को अपने मुँह में खींच कर दूध मेरे मुँह में दे दिया और हम दोनों की दूध वाली किसिंग स्टार्ट हो गई।

आपी ने चूमने के बाद कहा- “सगीर ये हमारे प्यार के नाम”

तो मैंने भी आपी को चूमा और आपी ने कहा- “अब तुम बाहर बैठो, मैं दस मिनट में आती हूँ फिर बातें करते हैं”

मैं टीवी लाउन्ज में जा कर बैठ गया और टीवी देखने लगा। आपी अपने काम खत्म करके आईं और उन्होंने आते हुए अपना एक हाथ अपनी कमर के पीछे छुपाया हुआ था।

आपी ने आ कर अम्मी के रूम की तरफ देखा और मेरी गोद में बैठ गईं और मुझसे कहा- “अपनी आँखें बंद करो”

मैंने कहा- “क्या हुआ?”

आपी गुस्से से कहने लगीं- “बंद करो ना सगीर प्लीज़”

मैंने कहा- “अच्छा बाबा लो कर लीं बंद”

मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं तो आपी ने मेरा हाथ पकड़ा और एक छल्ला मेरी रिंग में डाल दिया। अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और किस करने लगीं। आपी जो सालन अन्दर बना कर आईं थीं उसमें से चिकन का पीस खा रही थीं और किसिंग के दौरान आपी ने वो पीस मेरे मुँह में डाल दिया और कहा- “अब अपनी आँखें खोलो”

मैंने आँखें खोल कर देखा तो आपी की आँखें लाल हो रही थीं।

मैंने आपी से पूछा- “आपी आँखों को क्या हुआ है?”

आपी ने मेरी गोद से उठते हुए मेरे लण्ड पर हाथ रख कर कहा- “मेरी आँखों के लाल होने में सारा इसका कसूर है। यही नीचे से उठ कर मुझे तंग कर रहा था”

इतना कह कर वो फिर से मेरी गोद में बैठ गईं। मुझे याद आया कि आपी ने मेरी उंगली में कुछ डाला था वो मैंने देखा तो वो एक चाँदी का छल्ला था जिस पर ‘S’ लिखा हुआ था और बहुत प्यारा बना हुआ था।

मैंने आपी से कहा- “आपी आप क्या खुद बनवा के लाई हो ये?”

आपी ने बताया- “मैं आज सुबह यूनिवर्सिटी नहीं गई थी ये अर्जेंट में बनवा कर लाई हूँ। मुझे ये तुम्हें रात को देना था पर अम्मी ने काम खराब कर दिया इसलिए अभी दे दिया है वरना फरहान देख कर तंग करेगा”

मैंने आपी को ‘थैंक्स’ कहा और आपी को किस किया।

आपी ने कहा- “प्यार में थैंक्स नहीं और अब मुझे छोड़ मुझे काम करना है। हम दोनों मज़े से लगे हुए हैं यदि अम्मी एकदम से आ गईं तो पता नहीं क्या होगा”

यह कहते हुए आपी मेरी गोद से उठ गईं और खाना लगाने में लग गईं। बाद में सबने खाना खाया और मैंने आपी को बताया कि मैं बाहर जा रहा हूँ, रात को आऊँगा।

आपी ने कहा- “टाइम से आ जाना। अब मुझे टाइम दिया करो, मुझे तुम्हारे साथ रहना अच्छा लगता है या फिर मुझे भी साथ ले जाया करो”

तो मैंने आपी से कहा- “ठीक है आपी, इसका भी कुछ करते हैं”

TO BE CONTINUED .....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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मैं किचन से बाहर निकल कर नीचे चला गया। आज पता नहीं क्या चक्कर था कि मेरा भी बाहर मन नहीं लग रहा था। मैं थोड़ी देर बाद ही वापिस आ गया और आपी से कहा- “लो आपी, मैं आ गया हूँ”

आपी अकेले ही टीवी देख रही थीं तो मुझसे कहा- “वहाँ मेरे सामने बैठ जाओ”

उन्होंने मुझे अपने सामने बैठा दिया और मुझे देखने लगीं। आपी बस देखे जा रही थीं, बोलीं कुछ नहीं।

तो मैंने कहा- “आपी क्या हुआ? चुप क्यों हो?”

आपी ने कहा- “कुछ नहीं तुम्हारे बारे में ही सोच रही थी”

आपी अभी बोल ही रही थीं कि तभी अचानक अम्मी के कमरे का दरवाजा खुला। आपी आवाज़ सुन कर चुप हो गईं और टीवी देखने लगीं।

अम्मी कमरे से बाहर आईं और मुझे देख कर कहा- “तुम तो बाहर गए थे?”

तो मैंने कहा- “अभी-अभी वापिस आया हूँ”

अम्मी ने कहा- “मैं ज़रा बाज़ार जा रही हूँ थोड़ा काम है, कुछ चीजें लानी हैं। तुम चलोगे मेरे साथ?”

तो मैंने अम्मी की बात सुन कर आपी पर नज़र डाली, आपी ने आहिस्ता से अपने सर को ‘ना’ में हिलाया।

मैंने कहा- “अम्मी मेरा अभी फोन आना है और मुझे अपने दोस्त के साथ काम से जाना है। आप खुद ही हो आओ”

अम्मी ने कहा- “एक तो ये दोस्त लेकर बैठ गए हैं…”

वो बड़बड़ाती हुई चल दीं। मुझे आपी के साथ अकेला रहना ज्यादा पसंद था। अम्मी मुझे और आपी को अकेला छोड़ कर चली गईं।

आपी सोफे से उठीं और छुप कर अम्मी के पीछे गईं। जब अम्मी ने दरवाज़ा बंद कर दिया तो आपी वापिस आ गईं और तेज़-तेज़ कदमों से चल कर मेरे पास आने लगीं, आते ही वो मुझे पूरे मुँह पर ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगीं।

मैंने आपी को संभाला और कहा- “आपी फरहान और हनी दोनों घर हैं। क्या हो गया है? वो आ जाएंगे तो?”

आपी ने कहा- “मुझे नहीं पता, चुप रहो बस…”

मैंने कहा- “अच्छा एक मिनट रूको, मैं हनी को देख कर आता हूँ”

मैं वहाँ से उठा और आपी वाले कमरे में हनी को देखा तो वो सो रही थी। मैंने धीरे से कमरे का दरवाज़ा बंद किया और बाहर से लॉक कर दिया।

आपी को वापस आकर मैंने कहा- “हनी सो रही है और फरहान की कोई बात नहीं, उसको तो सब पता है"

आपी ने कुछ कहे बिना ही मेरे मुँह पर अपने होंठ रखे और चूसने लगीं। मैं भी आपी का साथ देने लगा तो आपी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और ज़ोर-ज़ोर से मेरे होंठ चूसने लगीं। आपी इतनी ज़ोर से चूस रही थीं कि मुझे दर्द होने लग गया।

मैंने आपी को रोक कर कहा- “आपी यार क्या हो गया है। आराम से करो ना, मैं यहाँ ही हूँ आपके पास”

तो आपी ने कहा- “सगीर, अब कैसे बर्दाश्त करूँ मैं? पहले तुमसे कहती थी कि मुझे अभी नहीं चुदवाना, मुझे पता था कि ये सब बाद में होगा पर तब मुझे तुम्हारे प्यार के लिए चुदवाना पड़ा और अब जब तुमने मेरे अन्दर आग लगा दी है तो कहते हो कि आराम से करो। पर मैं क्या करूँ?”

मैं भी आपी को भींचने लगा।

“ये है ना, ये इस जगह” -आपी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूत पर रखा और कहा- “यहाँ आराम नहीं मिल रहा मुझे, मैं क्या करूँ? मुझे भी कुछ बताओ पिछले दो दिन से मैं यूनिवर्सिटी नहीं जा रही हूँ, मेरा वहाँ दिल नहीं लगता है”

आपी की आँखों में आंसू आने लग गए- “तुम तो आराम से बाहर चले जाते हो, अपना टाइम गुजार आते हो। कभी मेरा सोचा है कि आपी घर में क्या कर रही होगीं। मेरे दिमाग से तुम नहीं जाते हो, मैं क्या करूँ?”

सोफे पर बैठ कर आपी रोने लग गईं तो मैंने कहा- “आपी प्लीज़ यार, रो ना प्लीज़! आपको पता है ना, मुझसे आपके आँसू नहीं देखे जाते, प्लीज़ रो मत”

आपी ने गुस्से से कहा- “फिर क्या करूँ? मर जाऊँ क्या?”

तो मैंने आपी को पकड़ के ज़ोर से उठाया और झिझोड़ कर कहा- “आपी होश में आओ, क्या बोले जा रही हो? क्या हो गया है आपको?”

मैंने आपी को अपने गले से लगा लिया। तो आपी ने अपनी बांहें मेरी गर्दन के इर्द-गिर्द लपेट लीं। मैंने भी आपी को अपनी बांहों में भर लिया।

मैंने कहा- “आपी प्लीज़ चुप हो जाओ ना, नहीं तो अब मेरे आँसू निकल आएँगे”

आपी हिचकियाँ लेते हुए चुप होने लगीं। उनके बाल खुले हुए थे और चेहरे के आगे आ गए थे। मैंने आपी को गले से अलग किया और आपी के बाल पीछे कर के आपी के आंसू साफ करने लगा। तो आपी ने अपने हाथ से मेरे हाथ को ज़ोर से पीछे कर दिया।

मैंने कहा- “आपी मेरी बात तो सुनो”

आपी का चेहरा मैंने पकड़ कर ऊपर किया और आंसू साफ किए पर आपी मुझसे नज़रें नहीं मिला रही थीं। तो मैंने आपी का मुँह ज़ोर से ऊपर किया और कहा- “आपी देखो ना…”

आपी ने अपनी आँखें बंद कर लीं तो मैंने कहा- “अच्छा आपी वादा, आज के बाद मैं आपके अलावा कुछ नहीं सोचूंगा। प्रॉमिस, आप मेरी फर्स्ट प्रेफ़रेंसे होगी। प्लीज़ अब तो आँखें खोलो ना आपी”

तो आपी ने आँखें खोलीं और गुस्से से कहा- “क्या है?”

मैंने कहा- “आपी वादा, आप मेरी फर्स्ट प्रेफरेन्स होगी। जब भी मैं काम से फारिग होऊँगा वो टाइम आपके साथ गुज़ारूँगा”

आपी ने कहा- “सोच लो ठीक से”

मैंने कहा- “आपके लिए मुझे कोई फ़ैसला करने के लिए सोचने की जरूरत नहीं है”

आपी ने कहा- “मैं जो भी करूँ तुम मुझे मना करते हो। क्या बदला लेते हो मुझसे?”

तो मैंने कहा- “आपी आप से कैसा बदला?? आपका तो एहसान है मुझ पर, जो मैं कभी नहीं भुला सकूंगा”

मैंने अपने होंठों से आपी के आंसू चूस कर साफ किए और आपी के गालों को चूसने लगा।

आपी से मैंने कहा- “आपी अब ये भूल जाना कि आप ज़मीन पर खड़ी हो”

मैं आपी के होंठों को किस करने लगा। मैंने आपी के बाजुओं को अपने गले में डाला और झुक कर आपी को टाँगों से उठाया और आपी की टाँगों को अपनी कमर के गिर्द लपेट लिया। अब मैं आपी को किस करने लगा। आपी ने भी मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया। आपी ने अपने आपको मुझे अपने साथ ज़ोर से चिपका लिया और टाँगों को भी ज़ोर लगा के अपनी चूत को मेरे लण्ड पर दबाने लगीं।

मैंने आपी से कहा- “अब खुश हो ना आप?”

आपी ने कहा- “सगीर कुछ ऐसा करो कि मुझे तुमसे अलग ना होना पड़े। मैं हर वक्त तुम्हारे साथ ही रहूँ। दिन भी और रात भी। सगीर एक दफ़ा लड़की जब किसी की हो जाती है तो फिर वो किसी और के बारे में नहीं सोचती इसलिए मैं भी तुम से जुदा नहीं होना चाहती हूँ”

मैंने आपी से कहा- “आपी आप परेशान ना हों, मैं आपको अपने आपसे जुदा नहीं होने दूँगा और मैं आपके दिन रात मेरे साथ रहने का भी कुछ करता हूँ”

आपी ने कहा- “फिर ठीक है”

मैंने कहा- “आपी और कुछ चाहिए तो बताओ पर आप रोया ना करो। मुझसे आपको ऐसे नहीं देखा जाता”

आपी ने कहा- “अपनी बीवी को खर्चा भी देते हैं तुम तो नहीं देते मुझे फिर मेरे इतने काम होते हैं जो पैसों की वजह से रह जाते हैं”

तो मैंने कहा- “बस इतना सा काम? अभी आपको खर्चा दूँगा पर आपको मेरी कुछ बातें माननी पड़ेंगी”

आपी ने कहा- “तुम बस मुझे बताओ, सब मंजूर हैं”

मैंने कहा- “एक तो यह कि मैं आपको जीन्स में देखना चाहता हूँ और जब मेरे पास हुआ करोगी बस तब थोड़ी देर पहन लिया करो”

आपी ने कहा- “मान ली”

मैंने कहा- “मेरे साथ घूमने चला करो”

आपी ने कहा- “मंज़ूर”

मैंने कहा- “आपी हनी को भी ग्रुप में अन्दर ले लो और इस डर को खत्म करो। फरहान भी जो हर वक्त आपके पीछे रहता है वो भी थोड़ा कम होगा और मुझे भी एक नई चूत मिल जाएगी”

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Mmm
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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Heart 
मेरी इस बात को सुन कर आपी चुप हो गईं और थोड़ी देर बाद बोलीं- “उसे शामिल तो मैं कर लूँ पर तुमको ये एक बात छोड़नी पड़ेगी कि मुझे भी नई चूत मिल जाएगी क्योंकि इस लण्ड पर सिर्फ मेरा हक है तो किसी और का क्यों हिस्सा बनने दूँ? परंतु मैं यह भी जानती हूँ कि किसी और लड़की की चूत मारने से मैं तुम्हें नहीं रोक सकती, इंसान कितने दिन तक सिर्फ़ रस मलाई खा सकता है, एक न एक दिन उसका कुछ और भी खाने का मन करेगा”

तो मैंने कहा- “अच्छा मेरी जान, ये जिद खत्म कर दी। अब तो मान जाओ ना”

आपी ने कहा- “ठीक है, कर लेंगे उसको भी शामिल और तुम्हारा जब भी मान करे हनी को चोद लिया करना परंतु इसका मतलब यह नहीं कि मैं अपनी चूत की आग खीरा बैंगन से शांत करूँ और तुम मज़े से चुदाई करते फ़िरो। ये लंड मेरा था, मेरा है और मेरा ही रहेगा”

अब आपी ने अपने एक हाथ से मेरी बेल्ट खोल कर पैन्ट नीचे उतार दी और अपनी टाँगें ढीली करके कहा- “मेरा पजामा नीचे करो”

मैंने आपी का पजामा नीचे कर दिया और आपी ने फिर टाँगें ऊपर की। अब उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत के सुराख पर रखा और लण्ड के ऊपर बैठने लगीं।

मेरा लण्ड आपी की चूत में जाने लगा तो आपी के मुँह से आवाज निकली- “आअहह... आहह... ऊऊओह... सगीर... ये गीला नहीं है… रगड़ कर अन्दर जा रहा है… एयेए … मैं मर गई … आह धीरे धीरे डालो … आआह … आहिस्ता आहिस्ता …”

फिर कुछ देर बाद वह भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी। उसकी चूत में मेरा लंड अन्दर बाहर हो रहा था।

वह मस्ती में कह रही थी- “आह … उह … आह मजा आ रहा है”

यह कह कर आपी ने ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया। मैंने आपी को गाण्ड से पकड़ा और आपी को ऊपर-नीचे करने लगा। आपी सिसकारियाँ भरने लगीं- “आहह... आअहह सगीर... तेज़-तेज़ ऊपर-नीचे करो उफफ्फ़… आहह...”

इसी बीच आपी ने एक बार अपनी चूत का पानी छोड़ा लेकिन मेरा लंड पूरे जोर से अन्दर बाहर हो रहा था। अब तक आपी दो बार अपना पानी छोड़ चुकी थी।

आपी कहने लगी- “और कितनी देर तक चोदोगे मेरे राजा… मैं मर जाऊंगी, तुमने तो मुझे थका ही दिया”

अब आपी ढीली पड़ने लगी थी लेकिन मैंने अपना काम चालू रखा और धक्के देते गया।

मैंने अपनी पूरी ताक़त से आपी को स्ट्रोक लगाने शुरु कर दिए और कोई 5 मिनट बाद ही आपी ने चीख मारी- “आअहह आआहह... सगीर मैं गई...”

आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरा लण्ड भी आपी की चूत में पानी छोड़ने लगा।

आपी ने कहा- “सगीर क्या मस्त लण्ड है तुम्हारा… इसको और बड़ा करो तो मज़ा आ जाएगा, इसको मेरी चूत का पानी सुबह दोपहर शाम तीनों वक़्त पिलाया करो, सारे प्रोटीन और विटमिन्स उसमें होते हैं”

मैंने आपी से कहा- “आपी इसका भी कुछ करते हैं। अभी आप मेरी पॉकेट से अपने लिए खर्चा लो”

आपी ने मेरी पॉकेट में हाथ डाला और उसमें से 200 निकाल लिए और मुझे कहा- “इतने बहुत हैं, थैंक्स सगीर”

यह कहते ही आपी ने पीछे हो कर लण्ड को चूत से निकाला तो आपी की चूत से हम दोनों की चुदाई का पानी नीचे फर्श पर गिरने लगा।

मैंने आपी से कहा- “यह तो काम खराब हो गया है”

आपी ने कहा- “तुम मुझे नीचे उतारो और जाओ ऊपर, अपना जिस्म साफ करो। इसको मैं देखती हूँ”

मैंने आपी को नीचे उतारा और ऊपर जा कर वॉशरूम में घुस गया। नहा-धो कर बाहर आया तो फरहान उठ गया हुआ था। वो मुझसे पूछने लगा- “खैरियत तो है? आज इस टाइम नहा रहे हो?”

तो मैंने कहा- “हाँ यार, थक गया था इसलिए नहाया हूँ”

उसने कहा- “रात का क्या प्रोग्राम है?”

मैंने कहा- “रात को तैयार रहना, आज आपी आएंगी”

उसने कहा- “ठीक है”

वो खुश होता हुआ वॉशरूम में चला गया। मैं बिस्तर पर लेटा और सो गया।

रात को 9 बजे आँख खुली तो आपी उठा रही थीं कि खाना खा लो, मैं ऊपर ही ले आई हूँ और ये दूध भी पी लेना। आपी ग्लास में दूध भी मेरे पास रख गईं और मुझसे कह गईं कि मैं रात को लेट आऊँगी ताकि अम्मी को शक ना हो और हनी भी सो जाए।

तो मैंने कहा- “आपी हनी का भी कुछ करो न!”

आपी ने कहा- “हो जाएगा, क्यों? जल्दी पड़ी है क्या? मेरी चूत में अब मज़ा नहीं आ रहा जो हनी की चूत के लिए मरे जा रहे हो?”

गुस्से से लाल पीली होती आपी नीचे चली गईं।

मैंने खाना खाया और फरहान से कहा- “यार कोई गर्म मूवी तो लगा”

उसने एक ट्रिपल एक्स मूवी लगा दी जो मैंने नहीं देखी थी। उसमें एक आदमी हॉस्पिटल में नर्स को चोद रहा था।

मैंने कहा- “ये मूवी कहाँ से आई है?”

उसने कहा- “मैं बाज़ार से लाया हूँ”

मैं मूवी देखने लगा। कुछ देर दोनों ने मूवी देखी तो टाइम करीब साढ़े दस हो गया हुआ था। मैं उठा और टाइमिंग वाली टेबलेट निकाली और एक मैंने खुद खाई और एक फरहान को खिला दी। मैंने उससे कहा- “आज आपी को जम कर चोदना है”

तो उसने कहा- “ठीक है भाई”

अभी हम ये बातें कर ही रहे थे कि दरवाज़ा खुला और आपी अन्दर आ गईं। रूम लॉक किया और आते ही मेरे साथ चूमा चाटी करनी शुरू कर दी। मैंने आपी को रोका नहीं क्योंकि आपी ने फिर रोना शुरू कर देना था इसलिए मैंने आपी को किस करते हुए ही अपनी बांहों में भरा और उठा कर बिस्तर पर ले गया।

बिस्तर पर बैठा कर मैंने आपी के कपड़े उतारे और अपने कपड़े उतार के फरहान को इशारा किया कि कपड़े उतार के आ जाओ। मैंने आपी को लेटा दिया और खुद आपी के ऊपर लेट गया।

अब मैं आपी को किस करने लगा। किस करते-करते मैं आपी के मम्मों पर आ गया और आपी के मम्मों को चूसने लगा, उनके निप्पलों पर दांतों से काटने लगा।
तो आपी ने मेरी कमर में नाख़ून मारे और कहा- “दर्द देते हो मुझे? ये लो…”

उन्होंने मेरी कमर में नाख़ून मार दिए। तो मैंने अपने मुँह उठा कर आपी को देखा और नीचे को होता हुआ आपी की चूत पर आ गया। फरहान खड़े हुए लण्ड को हाथ में लिए ये सब देख रहा था। तभी आपी ने उसे इशारा किया कि फरहान आओ। वो आ कर आपी के मुँह पर बैठ गया तो आपी उसका लण्ड मुँह में लेकर चूसने लगीं।

फरहान ने एक दफ़ा बड़े मज़े से ‘आहहह… आअहह…’ किया और आँखें बंद करके आपी के लण्ड चूसने का मज़ा लेने लगा। मैंने नीचे पहुँच कर आपी की चूत पर मुँह रखा और ज़ुबान अन्दर डाल दी।

तभी आपी ने आह भरी ‘आआहहह... सगीर और अन्दर करो... आआहह...’

अब आपी अपनी चूत को चुसवाते हुए फरहान के लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगीं, साथ-साथ उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं जो मुँह में लण्ड होने के कारण दब जाती थीं। मैंने कुछ मिनट आपी की चूत को चूसा और फरहान को कहा- “ओए! अब उस चीज़ का मज़ा लो जो सबसे ज्यादा हसीन है। अपनी इस बहन की चूत”

फरहान समझ गया और उठ कर आपी की टांगों के दरमियान आया और अपना लण्ड हाथ में पकड़ लिया। उसने मेरी तरफ देखा।

मैंने उससे कहा- “डालो”

तो उसने आपी के ऊपर झुक कर लण्ड को एक हाथ से आपी की चूत में पुश किया तो लण्ड की टोपी आपी की चूत में चली गई। तभी आपी की मादक सिसकारी निकली ‘आहाहह..’ और आपी ने मुझे अपने ऊपर आने को कहा।

उन्होंने किसिंग स्टार्ट कर दी तो मैं भी आपी को किस करने लगा।

तभी फरहान ने ज़ोर का धक्का मारा तो आपी की चीख निकल गई।

“आआअहह… कमीने इंसान... धीरे कर...” -वो मुझसे कहने लगीं- “मैं इसी लिए इसके करीब नहीं आती हूँ। ये बस मज़ा लेता है देता नहीं है। इसको ज़रा भी नहीं लगता कि मेरी बहन को दर्द होगा। बस जोर लगाने में लगा हुआ है”

मैंने आपी से कहा- “चलो कोई बात नहीं, अब वो आराम से करेगा”

मैंने उससे कहा- “अब धीरे से अन्दर-बाहर करो”

उसने कमर को हिला-हिला कर लण्ड को आगे-पीछे करना स्टार्ट कर दिया तो आपी ने मादक सिसकारियाँ लेना चालू कर दीं। कोई 5 मिनट के धक्कों के बाद ही फरहान आपी की चूत में झड़ गया तो आपी ने उससे कहा- “निकालना मत, मैं झड़ने वाली हूँ”

पर फरहान पानी छोड़ चुका था। उसने आपी की चूत से लण्ड निकाल लिया और साइड में लेट गया।

तो आपी ने कहा- “सगीर कुछ करो, मेरी आग इस वक्त जोबन पर है”

मैंने उठ कर आपी की चूत में लण्ड डाला और कमर को आगे-पीछे करके चोदने लगा।

मैंने आपी से कहा- “आपी कितनी स्पीड से चोदूँ?”

तो आपी ने कहा- “सगीर थोड़ा सा तेज़ करो, मैं बस झड़ने वाली हूँ”

मैंने कमर की स्पीड तेज़ की और मेरे 5 या 6 धक्कों के बाद ही आपी ने मुझे धक्का दे कर रोका और तेज़ी से कहा- “आआहह… सगीर मैं गई…”

आपी की चूत से एक धार की तरह पानी निकला और बेड पर गिरने लगा। मैंने देखा तो उठ कर आपी की चूत के सामने आ गया और अपना मुँह खोल लिया। तभी आपी ने एक और धार छोड़ी जो सीधे मेरे मुँह में गई और मैं आपी के नमकीन पानी को पीता चला गया।

TO BE CONTINUED .....
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कुछ पल बाद मैं आपी के ऊपर लेट गया तो आपी ने कहा- “सगीर तुमने क्यों पिया? वो इतना सारा था, थोड़े की तो चलो खैर होती है ना”

मैंने कहा- “आपी ये आपके अन्दर से निकला था ना तो मैं आपके साथ कैसे दगा करूँ। जब मैं आपको प्यार करता हूँ तो मैं आपकी हर चीज़ खा-पी जाऊँगा”

इसी के साथ ही मैं आपी को किस करने लगा और एक हाथ से लण्ड आपी की चूत में फिर से पेल दिया और आपी के ऊपर ही लेट कर धक्के लगाने लगा। मैंने आपी को भरपूर चोदा और हम दोनों एक साथ ही झड़े, फिर एक-दूसरे को किस करने लगे। कोई बीस मिनट बाद मैंने फरहान को देखा जो कि अब लण्ड खड़ा कर चुका था।

मैंने उससे कहा- “अब डालो आपी की चूत में और ठीक से चोदना उनको दर्द ना हो”

उसने कहा- “ठीक है अब आराम से करूँगा”

अब और वो आपी की चूत में लण्ड डाल कर आपी को बड़े आराम से चोदने लगा।

आपी ने कहा- “हाँ फरहान ऐसे ही”

वो आपी को चोदने लगा तो मैंने अपना लण्ड आपी के मुँह में डाल दिया और आपी से कहा- “चूसो…”

आपी लण्ड चूसने लगीं और साथ ही मजे में कराहने लगीं ‘आआहह... आआहह… उफ्फ़...’

आपी ये सब इतने जोश में कर रही थीं कि कुछ ही मिनट बाद ही आपी की चूत ने फिर से पानी छोड़ दिया और फरहान ने भी आपी की चूत में ही अपनी छोड़ दिया।

वो आपी की टांगों में ही गिर गया तो आपी ने कहा- “सगीर अब बस करें, टाइम काफ़ी हो गया है”

तो मैंने कहा- “आपी यार एक दफ़ा बस वो काम कर लें जहाँ शीशे के आगे जा कर कभी हम लण्ड चूत में डाले बिना ही करते थे और ऐसे लगता था कि लण्ड अन्दर है। पर आज अन्दर डाल कर करेंगे फिर उसके बाद आप चली जाना”

आपी ने कहा- “ठीक है चलो”

मैंने शीशे के आगे जा कर आपी को घोड़ी बना कर आपी की चूत में लण्ड डाला और आपी को धक्के लगाने लगा और शीशे में देखने लगा। बिल्कुल फिल्म की तरह लगता था पूरा लण्ड अन्दर-बाहर हो रहा था।

मैंने आपी से कहा- “आपी देखो तो सही, क्या मस्त सीन लग रहा है”

आपी ने अपना मुँह शीशे की तरफ करके देखा तो कहने लगीं- “आह्ह... हाँ सगीर बिल्कुल फिल्म लग रही है… तुम एक मिनट धक्के लगाना रोको…”

मैं रुक गया तो आपी ने खुद अपनी गांड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया।

कोई 5 मिनट ऐसे करने के बाद मैंने आपी से कहा- “चलो आपी अब आप चली जाओ...”

आपी ने कहा- “अब गरम करके ऐसे ही भेजोगे क्या?”

आपी से मैंने कहा- “लो अभी ठंडा कर देता हूँ”

मैंने आपी की कमर को पकड़ा और धक्के लगाने लगा।

आपी की सिसकारियाँ निकलीं- “आहह… आआहह... सगीर थोड़ा सा ज़ोर से लगाना... आआहह... मैं झड़ने वाली हूँ आआहह...”

तब मैंने कहा- “आपी बस समझो मैं भी गया”

मैंने अपने पूरे ज़ोर से आपी को तीन-चार धक्के मारे और आपी की चूत में झड़ने लगा। मेरे मुँह से तेज आवाज़ निकली ‘आआअहह...’ और मेरा पानी आपी की चूत में गिरने लगा।

पानी के गिरते ही आपी ने भी मादक आवाज खारिज की- “आह्ह... सगीर मैं भी गई...”

आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया और हम ज़मीन पर गिर गए। मैं इसी तरह 5 मिनट आपी के ऊपर पड़ा रहा।

फिर आपी ने मुझसे कहा- “उठो अब... मैं जाऊँ”

उन्होंने उठ कर अपने कपड़े पहने, मुझे भी पहनाए और नीचे चली गईं। मैंने भी कमरे को बंद किया और बिस्तर पर देखा तो फरहान वहीं पड़ा हुआ सो चुका था। मैं भी बिस्तर पर गिरते ही सो गया।

सुबह आँख खुली तो कॉलेज जाने का टाइम हो रहा था। मैं फ्रेश होकर नीचे गया तो फरहान और आपी नाश्ता कर रहे थे। मैंने भी उनके साथ बैठ के नाश्ता किया और अपने कॉलेज के लिए निकल गया।

जल्दी में होने की वजह से आपी से कोई बात नहीं हो सकी। आपी भी यूनिवर्सिटी चली गईं। वापसी पर मुझे दुकान पर भी जाना था इसलिए दिल को तसल्ली दे कर आराम से बैठा दिया कि जो भी होगा अब रात को ही होगा।

सारा दिन कॉलेज की पढ़ाई और दुकान के काम में निकाला और रात को 8 बजे घर पहुँचा तो सब अपने-अपने कामों में मगन थे। मैं कमरे में गया और नहा कर नीचे आ कर टीवी देखने लगा।

कुछ देर बाद ही अब्बू भी आ गए और सीधा अपने कमरे में चले गए। फरहान और हनी भी मेरे पास आकर टीवी देखने लग गए।

मैं आपी का वेट कर रहा था पर वो अभी भी किचन के काम में ही लगी हुईं थीं। इसी के साथ मैं यह सोच रहा था कि ऐसा कौन सा बहाना बनाऊँ कि आपी को रात को ऊपर रहने की इजाज़त मिल जाए।

मैं अभी सोच ही रहा था कि पापा अपने कमरे से निकले और सीधा मेरे पास आकर बैठ गए।

मैंने सलाम किया और कुछ देर दुकान की बातें करता रहा फिर मैंने फरहान की पढ़ाई की बात छेड़ी कि इसे एक्स्ट्रा टाइम की ज़रूरत है। पहले तो अब्बू चुप रहे फिर वही बोले जो मैं चाहता था।

अब्बू ने फरहान से पूछा कि क्या ऐसी बात है? तो उसने एक नज़र गुस्से से मुझे देखा और फिर ‘हाँ’ में सर हिला दिया।

उसके बाद पापा ने सेम वैसे ही किया जो मैंने सोचा था।

अब्बू ने आपी को आवाज़ दी और बाहर बुला कर कहा- “अब से तुम रात को फरहान को पढ़ाया करोगी, जितनी देर इसका काम कवर नहीं हो जाता और ये रात को तुम्हारे पास ही सोएगा”

अब्बू के मुँह से यह सुनते ही मैंने सोचा कि यह तो काम खराब हो गया है पर मैंने अब्बू से कहा- “ऐसे तो ये हनी को तंग करेगा, मैं भी तो रात को पढ़ता हूँ। आप आपी को इजाज़त दे दो कि ऊपर जा कर पढ़ा दिया करेंगी और वहीं सो जाया करेंगी। इससे मेरी भी पढ़ाई में हेल्प हो जाया करेगी”

तो अब्बू बोले- “हाँ ये भी ठीक है, आज से तुम ऊपर एक कमरे में सोया करना और इसका काम ध्यान से कवर करवाओ”

यह सुनते ही मैं खुशी से दिल ही दिल में उछल पड़ा और आपी को आँख मारी तो आपी ने मुझे गुस्से से आँखें निकाल कर देखा और किचन में चली गईं।

अब मुझे दूसरा काम जो करना था कि हनी को भी अपने साथ मिलाना था। मैं इस तरकीब में लग गया कि हनी को किस तरह गर्म करूँ। एक बार वो गर्म हो जाए तो उसको शीशे में उतारना आसान हो सकता है।

अभी मैं यही सोच रहा था कि हनी ने मुझसे पूछा- “भाईजान मुझे आपके कंप्यूटर पर शाम को दस मिनट का काम करना है। क्या मैं कर सकती हूँ?”

मैंने जवाब दिया- “हाँ कर लेना, मुझे कोई दिक्कत नहीं है”

उसके इस सवाल ने मेरे दिमाग की बत्ती जला दी। मैं अपने कमरे में गया और कम्प्यूटर पर एक ट्रिपल एक्स मूवी लगा आया और एक बुक ले कर नीचे आ गया। मुझे हनी की चूत बेसब्र किए थी।

नीचे सोफे पर बैठ कर मैंने हनी को कहा- “मैं ऊपर टेबल पर अपना एक पैकेट भूल आया हूँ जब तुम अपना काम करने जाओ तो लेती आना”

“जी... भाई जान...”

यह मैं रिस्की काम करने जा रहा था पर मुझे शक था कि हनी भी सेक्स के बारे में अब ये सब जानती है और उसकी भी इन सब में रूचि है। मैंने हनी को ऊपर भेजा था, उसको कम्प्यूटर पर अपना काम करना था।

वही हुआ, हनी मेरा सामान ले कर जल्दी नीचे नहीं आई। अपना काम वहीं बैठ कर मूवी देखने लग गई।

मैंने दस मिनट निकाले और किचन में गया और आपी को कहा- “आपी 5 मिनट बाद ऊपर आना आपसे जरूरी काम है”

मैं सीधा सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर चला गया। कमरे का दरवाज़ा खुला था। मैं दबे पाँव अन्दर कदम रखा और आराम से अन्दर दाखिल हुआ। हनी चेयर पर बैठी मूवी देख रही थी और उसका एक हाथ उसकी चूत पर था। वो एकदम हैरान हो कर ये सब देख रही थी।

मैं ऐसे ही उसके करीब जाने लगा। मैं उससे चंद कदम पीछे ही था कि उसने मुझे देखा और चेयर से उठ गई।

मैंने एक्टिंग करते हुए गुस्से से उसकी तरफ देखा और कहा- “ये तुम क्या कर रही थी? मैंने तुम्हें कुछ लेने भेजा था”

घबराहट की वजह से हनी के मुँह से चाहते हुए भी कुछ नहीं निकल सका।

मैंने उसे डांटा- “तुम्हें शर्म नहीं आती?”

तो वो बोली- “भाई ये पहले से चल रही थी। आप प्लीज़ किसी को मत बताना”

मैंने उससे कहा- “तुम्हारी शिकायत तो करनी ही पड़ेगी अब्बू से...”

वो घिघियाते हुए बोली- “भाई प्लीज़ कसम से… ये पहले से चल रही थी... आप प्लीज़ किसी को मत बताना”

मैंने उससे कहा- “एक शर्त पर नहीं बताऊँगा”

तो बोली- “कैसी शर्त?”

मैंने उससे कहा- “तुम अभी बैठ कर ये मूवी मेरे सामने देखो”

वो बोली- “नहीं भाई यह गलत है… मुझे ये सब नहीं करना”

तो मैंने कहा- “ओके... तो मैं अब्बू को बता देता हूँ”

वो रोने लग गई- “प्लीज़ मत बताना भाई… मुझे मार पड़ेगी प्लीज़ भाई”

मैंने कहा- “फिर मेरे सामने बैठ कर मूवी देखो”

तो वो रोते हुए बोली- “ओके देखती हूँ”

अब वो वापिस चेयर पर बैठ के मूवी देखने लगी।

मैं भी उसके पास ही चेयर पर बैठ गया और उससे पूछा- “पहले कभी देखी है?”

तो उसने कहा- “नहीं बस दोस्तों से सुना है कि ऐसे लड़का और लड़की करते हैं”

दो मिनट बाद ही उसका हाथ उसकी चूत पर चला गया। मैंने उसका हाथ उसकी चूत पर देखा तो मैंने अपना हाथ उसके हाथ वाले हाथ पर रखा। उसने हाथ उठाने की कोशिश की पर मैंने अपने हाथ से उसका हाथ वहीं चूत पर दबा दिया।

TO BE CONTINUED .....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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कौन तोड़ेगा हनी की सील ????????

horseride horseride happy happy
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वो बोली- “भाई ये क्या कर रहे हो…? ये ग़लत है... कोई आ जाएगा”

तो मैंने कहा- “कोई नहीं आएगा… तुम चुप रहो”

बस मैंने उसका हाथ ढीला किया तो उसने अपना हाथ खींच लिया पर मैंने अपना हाथ उसकी चूत से नहीं उठाया और ऐसे उसकी चूत को सलवार के ऊपर से ही सहलाने लगा।

हनी घबराई हुई बैठी थी और उसके होंठों से एक सेक्स से लबरेज सिसकारी ‘यसस्स... सीईस्स...’ की हल्की-हल्की आवाज़ में आ रही थी।

अभी ये सब चल ही रहा था कि तभी आपी ने मुझे आवाज दी- “सगीर क्या बात है... क्यों बुलाया है?”

यह कहते हुए आपी कमरे में दाखिल हुईं और फिर खामोश हो गईं। हनी ने आपी को देखा तो खड़ी हो गई और रोने लगी।

तो आपी ने मुझसे पूछा- “ये क्या है सगीर?”

मैंने बताया- “मैंने अपना काम कर दिया है अब बाकी आपको संभालना है”

यह कह कर मैं कमरे से बाहर निकल गया। मैं जाते-जाते कमरे का दरवाज़ा बंद करके नीचे चला गया और अब्बू के पास बैठ गया।

अब्बू ने बताया- “मैं और तुम्हारी अम्मी कल आउट ऑफ सिटी जा रहे हैं। रिश्तेदारी में शादी है और उन्होंने बुलाया है हालांकि उन्होंने बच्चों को भी बुलाया है तो क्या तुम लोग भी चलोगे?"

“नहीं...” -मैंने अब्बू से कहा- “मेरे और आपी के कॉलेज और यूनिवर्सिटी का मसला है और आप फरहान और हनी से पूछ लो उनका क्या प्रोग्राम है”

अब्बू ने कहा- “ठीक है, उनको बुलाओ ज़रा”

मैंने हनी और फरहान को आवाज़ दी। फरहान से अब्बू ने पूछा तो उसने कहा कि वो फ्री है उसे बस बकाया काम कवर करना रह गया है।

तो अब्बू ने कहा- “ठीक है तुम हमारे साथ चलो बकाया काम बाद में आके कर लेना, बस 3 दिन ही लगेंगे”

तो फरहान ने कोई जवाब नहीं दिया और मुँह बना कर बैठ गया। तभी आपी और हनी ऊपर से आईं। अब्बू ने हनी से पूछा तो वो कुछ नहीं बोली।

आपी ने कहा- “अब्बू आप दोनों अकेले ही चले जाओ। इन दोनों को रहने दो, इनकी स्टडी का नुकसान होगा। घर रहेंगे तो इनका काम भी ठीक हो जाएगा”

अब्बू ने कहा- “ये बात भी ठीक है फिर ऐसे करो तुम लोग घर रहो और हम दोनों ही हो आएंगे”

आपी बोलीं- “हाँ अब्बू, हनी का काम भी काफ़ी पीछे चल रहा है तो हम दोनों ही ऊपर भाई के कमरे में शिफ्ट हो जाते हैं इकट्ठे पढ़ लिया करेंगे”

अब्बू ने कहा- “ठीक है, सुबह तुम दोनों भी अपना सामान ऊपर शिफ्ट कर लेना”

अब्बू के साथ बात खत्म करके आपी ने मुझे आँख मारी और किचन में चली गईं। मैं आपी का इशारा समझ गया कि आपी ने हनी को मना लिया है इसी लिए उन्होंने फरहान और हनी को जाने नहीं दिया। उसके बाद सबने रात का खाना खाया और अब्बू और अम्मी अपने रूम में चले गए।

मैंने आपी को कहा- “आप इन सबको कमरे में लेकर जाओ मैं अब्बू को बता कर आता हूँ कि हम पढ़ने जा रहे हैं”

मैंने अब्बू का रूम नॉक करके आवाज़ दी कि अब्बू हम सब ऊपर जा रहे हैं पढ़ कर वहीं सो जाएंगे।

अब्बू ने कहा- “ठीक है लाइट्स ऑफ कर दो”

मैंने लाइट्स बंद की और ऊपर कमरे में चला गया। मैंने कमरे में दाखिल होते ही दरवाजा बंद किया और देखा तो आपी हनी को चेयर पर बैठा कर कुछ समझा रही थीं और फरहान बिस्तर पर बैठा लण्ड को सहला रहा था।

मैंने आपी को आवाज़ दी तो आपी ने मुझे बैठने का इशारा किया और दो मिनट बाद मेरे पास आ कर बैठ गईं।

आपी ने मुझे बताया- “मैंने हनी को सब समझा दिया है और वो तैयार है उसने मुझे बताया है कि वो अपनी सहेलियों से ये सब सुन चुकी है”

तो मैंने आपी से कहा- “फिर आप बताओ हनी की सील मैं तोडूं या फरहान?”

आपी ने कहा- “सगीर तुम हनी के ग्रुप में अन्दर आ जाने की वजह से मुझे अधूरा तो नहीं छोड़ दोगे?”

मैं बोला- “आपी मैं आपके साथ ऐसा क्यों करूँगा? असल मज़ा तो मुझे बस आपने दिया है”

तो आपी बोलीं- “फिर तुम इसकी सील फरहान को तोड़ने दो, उसके बाद बेशक तुम इसे जितना मर्ज़ी चाहो चोद लेना”

मैंने कहा- “ठीक है, जैसे आप कहो”

आपी ने हनी को इशारा किया कि बिस्तर पर आ जाओ और फरहान को कहा- “जैसे सगीर मुझे शुरू से लेकर एंड तक चोदता है, वैसे ही तुम हनी के साथ करो पर ये जेहन में रखना कि अभी इसका परदा नहीं फटा है। थोड़ा आराम से करना”

फरहान ने ‘ओके’ कहा और हनी को पकड़ कर अपनी तरफ किया। वो बिल्कुल खामोश बैठी थी। फरहान ने हनी को अपने पास बैठा कर उसकी कमीज़ उतार कर साइड में रख दी। मैंने देखा कि हनी का जिस्म बहुत पतला था उसके चूचे बिल्कुल छोटे थे, तकरीबन 28 साइज़ के होंगे।

उसका जिस्म आपी की तरह ही गोरा था और बिल्कुल साफ कमीज़ के नीचे हनी ने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी। उसके छोटे-छोटे चीकू जैसे दूध के उभार कमाल का नज़ारा दे रहे थे। उसके बूब्स देख कर मेरे लण्ड ने भी हरकत की। आपी भी बिस्तर पर बैठ कर उन दोनों को देख रही थीं।

अचानक आपी ने मुड़ के मेरी तरफ देखा तो मेरे लण्ड को उठता हुआ देख कर मुस्करा कर बोलीं- “उठ गया है तुम्हारा भी…”

तो मैंने कहा- “क्या करूँ? दोनों इतनी गर्म बहनें जो हैं”

आपी वहाँ से उठ कर मेरे पास मेरी गोद में बैठ गईं।

मैंने आपी से कहा- “आपी हनी भी सेम आपकी तरह ही है, उसका जिस्म भी आपके जैसा है”

आपी बोलीं- “हाँ ये तो है”

फिर हम दोनों खामोश हो गए और फरहान और हनी को देखने लगे। फरहान ने हनी की सलवार भी उतार दी हनी का जिस्म अभी बिल्कुल नाज़ुक था। फरहान ने हनी को लेटाया और उसकी टाँगें खोलीं तो हनी की चूत नज़र आई जो बिल्कुल साफ थी। ऐसे लग रहा था जैसे आज ही साफ की हो।

फरहान अभी चूत को चूसने ही लगा था कि आपी ने आवाज़ दी- “क्या हो गया है तुम्हें? ऐसे करते हैं सेक्स? अकल से काम लो थोड़ा किस से शुरु करो?

तो फरहान ने अपना मुँह उठाया और उठ कर ऊपर हो गया तभी मेरे लण्ड ने एक और झटका मारा जो कि आपी को फील हुआ। आपी ने मेरी तरफ देखा और अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया। मेरा लण्ड फुल तना हुआ था। आपी ने मेरी तरफ देखा और लण्ड को छोड़ कर खड़ी हो गईं।

उन्होंने मुझसे कहा- “उठो…”

मैं उठ गया तो आपी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे भी बिस्तर पर ले गईं।

वे फरहान से कहने लगीं- “ध्यान से देखो अब सगीर जैसे-जैसे मेरे साथ करता है। तुम भी हनी के साथ वैसे ही करो”

आपी ने अब मुझसे कहा- “भाई चालू करो”

मैंने आपी की कमीज़ पकड़ी और ऊपर को खींचते हुए उतार के साइड पर फेंक दी। आपी ने नीचे सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी, आपी का जिस्म देख कर मेरा वही पहले वाला हाल होने लगा। मैंने आपी को बाजू से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और आपी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमा चाटी करने लगा।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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(16-04-2024, 02:19 PM)KHANSAGEER Wrote:
वो बोली- “भाई ये क्या कर रहे हो…? ये ग़लत है... कोई आ जाएगा”

तो .........
जो एक्साइटमेंट रुही के फर्स्ट टाइम था, वो हनी वाली बात में नही दिख रहा, अगले एपिसोड में थोड़ा धीरे से कामुक वर्णन करना
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(17-04-2024, 11:34 AM)Vnice Wrote: जो एक्साइटमेंट रुही के फर्स्ट टाइम था, वो हनी वाली बात में नही दिख रहा, अगले एपिसोड में थोड़ा धीरे से कामुक वर्णन करना

भाई! दूसरी कहानी "यादों के झरोखे से" के लिए भी लोग प्रेशर बना रहे हैं, इसलिए इस कहानी को जल्दी ही समाप्त कर रहा हूँ. वैसे मुझे कोई आपत्ति नहीं है, यदि आप लोग कहें तो अभी इसी कहानी को ही चलने दूँ.
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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(17-04-2024, 12:20 PM)KHANSAGEER Wrote:
भाई! दूसरी कहानी "यादों के झरोखे से" के लिए भी लोग प्रेशर बना रहे हैं, इसलिए इस कहानी को जल्दी ही समाप्त कर रहा हूँ. वैसे मुझे कोई आपत्ति नहीं है, यदि आप लोग कहें तो अभी इसी कहानी को ही चलने दूँ.
As U like, 
...
लेकिन जल्दबाजी में अंत बिगड़ जाए ऐसा तो ना करो.
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(17-04-2024, 02:06 PM)Vnice Wrote: As U like, 
...
लेकिन जल्दबाजी में अंत बिगड़ जाए ऐसा तो ना करो.

OK I WILL REMEMBER YOUR SUGGESTION.
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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