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Adultery रंगीली बीबी
#81
Heart 
क्या हसीन रात थी, यह वही समझ सकता है जिसने इसको जिया है। वो लोग मेरी नजर में बहुत दकियानूसी होते हैं जो मैं, मेरा और हमेशा शक और चिंता में ज़िंदगी गुजार देते हैं।

शायद बहुत लोगों को मैं पागल और सनकी लग रहा हूँ कि कैसे अपनी बीवी को दूसरों के बाँहों में डालकर मजे ले रहा है मगर सोचना इस पर कि कोई चीज अपना हक़ ज़माने से अपनी नहीं हो जाती उसको हर तरह से प्यार करने और उसको अपनी मर्जी से सुख देने से वो आपको और भी ज्यादा प्यार करती है।

यही हाल अब सलोनी का भी था। उसकी आँखों में मेरे लिए एक अजीब सा प्यार नजर आने लगा था। फिलहाल मैं उसके डांस और दूसरे लोगों द्वारा सलोनी को घूरने का मजा ले रहा था।

सलोनी एक लड़के के साथ नाच रही थी। वो मेरे से कुछ दूर थी, मैंने देखा वो बार बार मेरे को घूम घूम कर देख रही है। मैंने उसको फ्री करने के इरादे से उसको बाय जैसे इशारा किया कि तुम एन्जॉय करो, मैं अभी आता हूँ और मैं उसको दिखाने के लिए बाहर की ओर आने लगा।

तभी मुझको वही वेटर मिल गया, क्या नाम था साले का? हाँ याद आया श्याम। मैंने उससे पूछा कि क्या कोई शर्ट मिल सकती है? उसने अन्दर से लाकर मुझे एक सफ़ेद टी-शर्ट दे दी। मैंने अपनी शर्ट उतार कर उसे दी और सफ़ेद वाली टी-शर्ट पहन ली।

वो बहुत से सवाल कर रहा था पर मैंने उसको चुप करा दिया कि बाद में बताऊँगा फिर मैं घूम कर पीछे से सलोनी के काफी निकट चला गया और उसकी तरफ पीठ कर ली।

वो काफी बिंदास होकर डांस कर रही थी, हल्का सा नशा उसको उन्मुक्त बनाये हुए था और ऊपर से मेरी बातों ने उसको काफी बिन्दास कर दिया था। शायद हर लड़की का मन आजादी से अपनी मर्जी से मजे करने का होता है मगर समाज की बंदिशें और दकियानूसी विचार उनको अपने मन की नहीं करने देते।

सलोनी वाकयी में बहुत निश्चिन्त होकर खुले मन से मस्ती कर रही थी, मज़े ले रही थी। उसको अब मेरी भी चिंता नहीं थी। वो समझ रही थी कि या तो मैं कहीं बाहर चला गया हूँ और अगर हूँ भी तो उसको कुछ करने से मना करने वाला नहीं हूँ।

और वो काफी हद तक सही भी थी इसीलिए उसके बदन के हर अंग से एक अलग ही मस्ती झलक रही थी। सलोनी के नाचने से उसका स्कर्ट बहुत तेजी से दोनों और घूम रहा था।

और उसकी टाँगें पूरी नग्न दिख रही थीं। पास वालों को तो नहीं मगर हाँ, दूर वाले जरूर उनको अंदर तक देख रहे होंगे, वो तो उनको आईडिया नहीं हुआ होगा पर अगर उनको पता चल जाये कि इस हसीना ने अंदर कच्छी नहीं पहनी है तो शायद सबके लण्ड पानी छोड़ दें।

तभी लाइट काफी हल्की हो गई…

मैं जानता था कि ऐसे होटल में धीरे धीरे लाइट हल्की करते जातें हैं जिससे जोड़े अपनी मस्ती में डूबते जाते हैं। मैंने देखा कि मेरे आगे एक जोड़ा डांस कर रहा था। लेडी कोई 35 साल की हल्की मोटी और कुछ सांवली सी थी। उसने लाल टाइट स्लैक्स और सफ़ेद टी-शर्ट पहनी थी। उसके साथ वाला आदमी भी काला और बहुत मोटा चश्मे लगाये बहुत गन्दा लग रहा था।

पता नहीं वो उसका पति था या कोई आशिक या बॉस पर दोनों बहुत रोमांटिक हो डांस कर रहे थे। दोनों एक दूसरे की बाँहों में जकड़े थे और मोटा, काला आदमी लगातार उसके होंठों को चूसे जा रहा था। पहले तो वो उस लेडी के चूतड़ों को स्लैक्स के ऊपर से ही सहला रहा था मगर लाइट हल्की हो जाने के बाद उसने अपने मोटे, गंदे हाथ स्लैक्स के अंदर डाल दिए थे।

मैंने साफ़ देखा कि उसके हाथ इतनी कसी हुई स्लैक्स को भी उठा, उठाकर काफी अंदर तक जा रहे थे। स्लैक्स के ऊपर से ही उसके हाथ लेडी के चूतड़ों पर चारों ओर घूमते हुए दिख रहे थे।

तभी मुझे पीछे से आवाज आई- “वाओ मैम! आपने पैंटी नहीं पहनी?”

सलोनी- “ओह क्या कर रहे हो? अपना हाथ हटाओ वहाँ से”

मैंने अब सलोनी की ओर ध्यान दिया। ओह! वो भी अब उस लड़के की बाहों में थी। मैंने देखा कि वो लड़का भी सलोनी की स्कर्ट में अपना हाथ घुसाये था। दोनों बहुत धीमे डांस कर रहे थे मगर लड़के का हाथ मुझे साफ़ दिख रहा था। उसने सलोनी के चूतड़ों के बीच अपनी उँगलियाँ डाली हुई थी…

लड़का- “अह्हा… कितनी गीली हो रही है मैम आपकी”

सलोनी- “क्याआआ? ओह्ह्ह्ह्ह”

लड़का- “चूऊऊत”

सलोनी- “हटो बेशरम! बस्स्स्स्स निकालो न हाथ”

तभी मेरे पीछे से भी आवाज आई…

मोटा आदमी- “अरे देख जानेमन, वो साली नंगी ही आई है”

मैंने एक साइड में हो दोनों को देखा वो जोड़ा जो मेरे पीछे डांस कर रहा था। दोनों सलोनी को ही देख रहे थे।

लेडी- “अरे हाँ, देखो कैसे उंगली करा रही है?”

मोटा आदमी- “हा हा… हाँ जैसे तेरे पति के सामने मैंने की थी तेरे”

लेडी- “हा हा…हाँ बिलकुल… देखो कैसे मस्ती ले रही है”

इसका मतलब वो लेडी किसी और की पत्नी थी और यहाँ किसी और के साथ मस्ती करने आई थी। मैंने देखा उस मोटे आदमी ने लेडी की स्लैक्स उसके चूतड़ों के काफी नीचे कर दी थी और उसके मोटे मोटे चूतड़ नंगे से दिखने लगे थे।

लेडी- “क्या कर रहे हो आप? मुझे भी इसकी तरह ही नंगी करोगे क्या?”

मोटा आदमी- “तुझसे तो कितना कहता रहता हूँ पर तुझे ही शर्म आती रहती है”

लेडी- “अरे मन तो मेरा भी बहुत करता है मगर साल वो हरामी, देखते नहीं हो मेरी हर चीज पर कितनी नजर रखता है। हर समय बंदिश और बंदिश, नरक बना दिया है कमीने ने मेरी ज़िंदगी को। बस जब वो बाहर होता है तभी कुछ जी पाती हूँ”

मेरे देखते देखते ही उस आदमी ने उसकी स्लैक्स चूतड़ से लगभग नीचे ही कर दी। तभी वो आदमी घूमकर सलोनी की ओर आ गया।

मोटा आदमी- “एक मिनट इधर आ जा, जरा इसके चिकने चूतड़ भी तो छूकर देखूँ यार”

लेडी- “अरे पिटोगे क्या? इधर उधर हाथ मत मारो”

मगर साला मोटा बहुत बड़ा कमीना था वह नाचते नाचते ही सलोनी के बिल्कुल पास चला गया और फिर मैंने ध्यान से देखा, उसने आपने हाथ सलोनी के चूतड़ों से सटा दिए। सलोनी ने एक बार पीछे देखा और वो मुस्कुरा दी उसने एक बार भी विरोध नहीं किया। बस मोटे को छूट मिल गई। अब वह अपनी वाली लेडी को मेरी ओर करके खुद सलोनी के पास हो गया और सलोनी की पीठ पर सटकर उसके चूतड़ों से चिपक गया।

मेरे सामने उस लेडी के नंगे चूतड़ दिख रहे थे। मैंने भी उसके चूतड़ अपनी दोनों मुट्ठियों में पकड़ कर दबा दिए और वो लेडी अचानक मेरी और घूमी, उसकी आँखें पूरी लाल थी और मस्ती भरी रात का पूरा मजा आ रहा था। सलोनी तो मस्ती कर ही रही थी, उसके चेहरे से लग रहा था कि वो हल्के नशे में है और वहाँ का माहौल उसको कुछ ज्यादा ही नशीला बना रहा था।

इस तरह खुले में इतने लोगों के बीच सेक्स का मजा करने का यह मेरा तो पहला ही अनुभव था। जहाँ न जाने कितनी आँखें देख रही थी और कई हाथ छू रहे थे पर सलोनी तो पहले भी ऐसे खुले सेक्स का मजा ले चुकी है। यह मैंने अपने पेन रेकॉर्डर से सुना ही था और उसके हाव भाव से लग भी रहा था कि वो पूरी तरह मस्ती में डूबी थी।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#82
Heart 
आगे वाला लड़का बड़े मजे से उसको अपने से चिपकाये उसकी गर्दन और जहाँ जगह मिल रही थी चूम रहा था और वो मोटा आदमी भी सलोनी के पीछे से चिपक गया था। मैंने देखा उसने सलोनी का स्कर्ट पूरा ऊपर को करके उसका निचला सिरा स्कर्ट की बेल्ट में फंसा दिया तो उसको अब स्कर्ट पकड़ने या ऊपर करने की जरुरत नहीं हो रही थी।

सलोनी पीछे से पूरी नंगी ही दिख रही थी, जरा सा स्कर्ट का कपड़ा ही अब उसके विशाल चूतड़ों पर दिख रहा था। मोटे आदमी के दोनों हाथ सलोनी के चूतड़ों के समस्त भाग में घूम रहे थे और कभी कभी वो अपनी मोटी मोटी उँगलियों का भी प्रयोग कर रहा था। इधर उस मोटे के साथ वाली लेडी पूरी मस्ता गई थी, वो मुझसे चिपकी जा रही थी।

वैसे भी वो केवल मजे लेने आई थी, उसको उस मोटे की बिलकुल चिंता नहीं थी। मेरे हाथों ने उसकी टाइट स्लैक्स चूतड़ों को सहलाते हुए उसके मोटे चूतड़ों से पूरी ही उतार दी थी। स्लैक्स उसकी जाँघों तक पहुंच गई थी। तभी उस लेडी ने कमाल कर दिया, उसने मेरी पैंट की चेन खोलकर मेरा लण्ड बाहर निकल लिया। उसकी इस हरकत से मुझे बहुत आराम मिल गया क्योंकि बहुत देर से मेरा लण्ड पूरा खड़ा था और पेंट के अंदर उसमे दर्द होने लगा था।

वो मेरे लण्ड को ऊपर से नीचे सहलाने लगी। मैं अपना एक हाथ उसके चूतड़ों से हटा उस लेडी के आगे लाया और सीधा उसकी टांगों के बीच चूत पर रख दिया। उसकी स्लैक्स कच्छी के साथ ही उतर गई थी इसलिए चूत पूरी तरह नंगी थी। क्या मस्त चूत थी यार!! बिल्कुल फूली हुई, चूत पर बहुत मुलायम रेशमी बाल थे। मेरे हाथों की उँगलियों ने उसके बालों को सहलाते हुए चूत के होंठों को सहलाया।

उसके मुँह से सिसकारी निकल गई- “अह्हा… आआआ… आआआ… अहा…”

मैंने उँगलियों से ही उसके चूत के छेद को ढूंढ अपनी एक उंगली से छेद को कुरेदा, उसके चूतड़ों पर रखा हाथ भी पीछे से उसकी चूत को कुरेदने लगा। उसने कसकर मेरे लण्ड को पकड़ दबा दिया।

उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी और लगातार पानी छोड़ रही थी।

तभी उसने मेरे कान में कहा- “चलो कहीं साइड में चलते हैं”

क्या बात है!! मतलब वो चुदवाने के मूड में आ गई थी।

मैंने सलोनी की ओर देखा तो वो उन दोनों से मस्ती कर रही थी। उस मोटे आदमी ने सलोनी को पीछे से दबोच लिया था और उसके हाथ आगे से सलोनी की स्कर्ट के अंदर थे। आगे से सलोनी की स्कर्ट अभी भी उसकी बेशकीमती चूत को ढके थी पर इस समय शायद उसकी चूत पर उस मोटे के हाथ थे जो पता नहीं कैसे उसको छेड़ रहे होंगे।

अब या तो मैं यहाँ रूककर सलोनी की मस्ती देखता या फिर इस नई बालों वाली चूत का मजे लेता। यह तो पक्का था कि वो चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार थी और मेर लण्ड को बिना किसी शर्म के कभी सहला रही थी तो कभी कसके पकड़ लेती तो कभी मरोड़ देती।

कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ?? लण्ड उसकी हरकतों के आगे झुकने को तैयार ही नहीं था।

मैंने बड़े प्यार से उससे उसका नाम पूछा- “जानेमन! तुम्हारा नाम क्या है?”

लेडी- “ऋज़ू, बहुत धीरे से ही उसने बोला”

मैं- क्या मूड है?

ऋज़ू- “तुम्हारे लण्ड को खा जाने का”

एकदम खुली शब्दों का प्रयोग! मतलब पूरी तरह रण्डी बन गई थी वो, कहते हैं एक रण्डी हर स्त्री में छुपी होती है, बस उसको बाहर निकालना पड़ता है।

ऋज़ू काफी हाई सोसाइटी की दिख रहे थी मगर इस समय बिलकुल एक रण्डी की तरह ही बात कर रही थी और उसकी हर हरकत एक उच्च श्रेणी की रण्डी जैसी ही लग रही थी। मेरा दिल उसको छोड़ने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था बस सलोनी को मस्ती करते देखने का थोड़ा सा मन था।

मगर ऋज़ू जैसे माल ने उसमें भी संदेह पैदा कर दिया था कि क्या करूँ? मेरा लण्ड अब ऋज़ू की चूत में घुसने के लिए व्याकुल था- “मेरी जान यहाँ कहाँ चोदूँ तुम्हें? मेरा लण्ड तो तुम्हारी इस चुनिया के लिए पागल है”

मैंने कस कर उसकी चूत को मसल दिया तो ऋज़ू- “अह्ह्हा…आआआ… मेरी चूत भी तेरे लौड़े को पूरा खा जाएगी”

उसकी भाषा हर तरह की लगाम छोड़ती दिख रही थी। मैंने सोच लिया कि इस कमीनी के साथ पूरा मजा लेना है पर अब मेरा दिमाग केवल यह सोच रहा था कि मैं ऋज़ू को भी चोद लूँ और सलोनी को भी देखता रहूँ!

अब ये दोनों काम एक साथ कैसे होंगे!?!

मेरा दिल चाह रहा था कि यह रात कभी ख़त्म ना हो! मेरी सभी इच्छायें यहाँ पूरी होने की कगार पर थीं बल्कि अगर ऐसा कहूँ तब भी गलत नहीं होगा कि मेरी सभी सोच से ऊपर अब यहाँ का माहौल हो गया था। नशे ने हम दोनों को हर वो हरकत करने पर मजबूर कर दिया था जो शायद होश रहते हम कभी भी नहीं कर सकते थे।

ऋज़ू भले ही 34-35 साल की थी मगर अविरल सेक्स ने उसको 25-26 साल का बना रखा था। वह बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी। जरूरत से ज्यादा उसका खुलापन मुझे मेरे लक्ष्य से भटका रहा था। मेरा ध्यान सलोनी की ओर से हट रहा था।

ऋज़ू ने मेरे लण्ड को सहला सहला कर पूरा लाल कर दिया था। वो अपने नाखून मेरे लण्ड के टॉप पर रगड़ रही थी।

मैंने ऋज़ू की मस्त चूचियाँ दबानी शुरू कर दी।

ऋज़ू- “अगर प्यास लगी हो तो पी ले, बहुत रस है रे मेरे मम्मो में”

मैं भी अब ऋज़ू के नंगपने में रंगने लगा था- “हाँ जानेमन, कामरस से भरे पड़े हैं तेरे ये गोले”

मैं उसकी कुर्ती के ऊपर से ही उनको मसलने लगा। और फिर ऋज़ू ने कमाल कर दिया उसने अपनी स्लैक्स अपने पैरों से पूरी निकाल दी। भरी स्टेज पर ऐसा शायद कोई रण्डी भी नहीं करती मगर ऋज़ू ने तो खुलेपन की हद ही कर दी थी। वो कमर से नीचे पूरी नंगी मेरे साथ मजे कर रही थी।

ऋज़ू- “चल न किसी कोने में, मैं तेरे लण्ड को पूरा खाना चाहती हूँ। तेरे लण्ड की खुशबू ने मुझे पागल कर दिया है”

वो मेरे लण्ड को पकड़ अपनी चूत को आगे कर उस पर लगा कर घिसे जा रही थी। वो इस कदर पागल हो रही थी कि अगर मैंने कुछ नहीं किया तो वहाँ खुद ही सबके सामने चुद लेगी। उसके गदराये शरीर को छोड़ने का मेरा भी बिल्कुल मन नहीं था। 

मैंने सलोनी को देखने के लिए उधर नजर घुमाई मगर अह…होह… वो वहाँ नहीं थी… अरे यह कहाँ चली गई? मैंने चारों ओर देखा मगर वो मुझे कहीं दिखाई नहीं दी। जरा सी देर में ही वो गायब हो गई थी। मुझे वो दोनों भी नहीं दिखाई दिए, न तो मोटा आदमी और न ही उसके साथ वाला लड़का।

अरे साले मेरी नजर बचा सलोनी को कहाँ उठा ले गए? जब यहाँ मेरे सामने ही उन्होंने उसकी स्कर्ट उठा उसको नंगा कर दिया था और उसके चूतड़ और चूत सब छू रहे थे। अब पता नहीं अकेले में क्या कर रहे होंगे?? मुझे डर लगने लगा कि सलोनी की मदमस्त जवानी देख कोई उससे जबरदस्ती ना कर दे। मैं सलोनी को ढूंढने जाने लगा मगर ऋज़ू ने कसकर मुझे पकड़ लिया। 

मैंने भी उसका हाथ पकड़ा और स्टेज से नीचे आकर सोचने लगा कि सलोनी किस ओर गई होगी। इतनी देर में 2-3 आदमियों ने ऋज़ू के चूतड़ों पर चांटा मारा और बड़े गंदे कमेंट्स भी दिए मगर ऋज़ू ने बड़ी छिनाल अदा से सबको मुस्कुराकर ही जवाब दिया।

मैं समझ गया कि यह यहाँ की बहुत पुरानी चुद्दक्कड़ है, मैंने ऋज़ू के कान में पूछा- “अरे वो तेरे साथ वाला मोटा कहाँ है?”

ऋज़ू- “पता नहीं, चोद रहा होगा कमीना कहीं किसी चूत को”

मैं- “अरे वो मेरे साथ वाली लड़की थी न, वो कहीं नहीं दिख रही, वो मेरे साथ आई थी”

ऋज़ू- “अरे वो नंगी रण्डी, जिसने कच्छी नहीं पहनी थी, तेरे साथ थी? उसी के साथ तो था वो कमीना, चल छोड़ उसको, उसकी चूत से कहीं मजेदार है मेरी चूत। चल आज मुझे अपना मूत पिला, उसको चुदने दे किसी और से”

उसकी इतनी गन्दी बातों ने तो हद कर दी थी। मैं ज़िंदगी में पहली बार ही किसी स्त्री के मुख से इतनी गन्दी भाषा सुन रहा था।

मुझे बहुत परेशान देख उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- “चल उसके सामने ही मुझे चोदना, मुझे पता है कहाँ ले गया होगा वो कमीना उसको”

और मैं उसके साथ आगे को बढ़ गया…

TO BE CONTINUED .....
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#83
अभी हम एक गैलरी की ओर गए ही थे कि मुझे श्याम दिख गया।

मैं जल्दी से उसकी ओर लपका- “अरे श्याम, तूने उसको देखा जो मेरे साथ थी?”

पर उसने पहले ऋज़ू को देखा और उसके चूतड़ों पर हाथ मारते हुए बोला- “और सुना छम्मकछल्लो, आज कितनों से चुदवा ली? चल मेरा मूत पियेगी क्या?”

मैं उसकी बात सुन आश्चर्यचकित था मगर मुझे सलोनी की चिंता हो रही थी, मैंने कसकर श्याम को झकझोर दिया- “अरे उसको छोड़, पहले यह बता कि तूने सलोनी को देखा कहीं?”

अब उसने मेरे को देखा- “अरे आप साहब? हाँ वो मेमसाहब, वो तो वहाँ उसको 2-3 जने मिलकर… हा… हो… हो… हो…”

और मुँह दबाकर हंसने लगा। मैं उसकी ओर ध्यान ना देकर सीधे उस ओर बढ़ गया जिधर उसने इशारा किया था। मुझे भागता देख ऋज़ू अपने नंगेपन की परवाह ना करते हुए मेरी ओर लपकी और मुझे पकड़ लिया।

ऋज़ू- “अरे छोड़ न उस छिनाल को, वो तो अब चुद ही रही होगी। तू तो मेरी इस चूत को शांत कर और मुझे अपना गर्म मूत पिला”

नशे में ना जने क्या-क्या बक रही थी। अगर मेरे दिमाग में कुछ और नहीं होता तो शायद उसकी इस तरह गन्दी बातों को सुन मैं बहुत मस्त होता मगर मैं सलोनी को इतना प्यार करता था कि मुझे उसकी बहुत चिंता हो रही थी। मैंने ऋज़ू को भी साथ ले लिया कि चलो आज इसको वहीँ सलोनी के सामने ही चोदूँगा। यह दिमाग में आते ही मेरे शरीर में एक झुरझुरी सी आ गई- “वाओ, कितना मजा आएगा?”

तभी मुझे एक ओर से बहुत तेज सिसकारियों की आवाज आई, मैं उस ओर बढ़ा और तभी ऋज़ू की आवाज आई- “अरे, कैसे जमकर चुदवा रही है यह तो!”

ओह!!! मैं सन्न रह गया…

मैंने सलोनी के साथ हर तरह की मस्ती करने की सोच तो लिया था पर इस मस्ती में अभी और क्या क्या देखना पड़ सकता था, यह अभी तक मैंने नहीं सोचा था और अब हर नई बात के लिए मुझे एक अजीब सी घबराहट हो रही थी। ऋज़ू जैसी बोल्ड लड़की मैं खुद चुदाई करने के लिए तो सोच सकता था क्योंकि वो किसी और की बीवी थी मगर इतना बोल्ड मैं सलोनी के लिए तो नहीं सोच सकता था।

मैं भी एक भारतीय पुरुष ही था, मैं बड़ी बैचेनी से सलोनी को ढूंढ रहा था।

जैसे ही ऋज़ू ने एक ओर देखते हुए कहा- “अरे, यह तो यहाँ चुद रही है मस्ती से”

मेरे दिल को एक हल्का सा धक्का ही लगा। मैंने उस ओर देखा, वहां एक कमरा था और तीन अजीब से आदमी आधे नंगे दिखे, उनके नीचे के शरीर पुरे नंगे थे। वहां केवल एक ही सिंगल बिस्तर था। मैंने देखा एक आदमी उस लड़की की दोनों टाँगे अपने हाथ में पकड़े था और उसको तेजी से चोद रहा था।

मुझे दरवाजे से वो लड़की बिल्कुल नहीं दिख रही थी क्योंकि उस आदमी के शरीर ने उसको लगभग पूरा ही ढक दिया था। मैंने चारों ओर नजर घुमाई ओर मुझे एक तरफ एक कपड़ा दिखा। मैंने ध्यान से देखा अरे, यह तो सलोनी की स्कर्ट है।

इसका मतलब सलोनी??????

दो आदमी आगे सलोनी के दोनों तरफ बैठे थे जो अपने हाथों से उसके बदन को मसल रहे थे, उसने दोनों के लण्ड अपने हाथ से पकड़ रखे थे और उनको एक एक करके चूस रही थी क्योंकि जब मैंने देखा तब वो बायीं ओर वाले का चूस रही थी फिर देखते ही देखते उसने अपना मुँह दायीं ओर कर लिया और उसका लण्ड चूसने लगी।

मेरा दिल बैठा जा रहा था क्योंकि मेरी सलोनी इतनी चुदक्कड़ हो गई थी किएक साथ तीन लण्डों से खेल रही थी। मेरे कदम जैसे दरवाजे पर ही जम गए थे। उन्होंने एक कदम भी आगे बढ़ने से मना कर दिया था। मेरी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ???

अब रोकने से भी क्या फ़ायदा था? जो उसको चोद रहा था, वो काफी तगड़ा आदमी था, अगर मैंने उनको जरा भी रोकने की सोची तो पता नहीं साला मेरे साथ क्या करेगा।

तभी मैंने ध्यान दिया कि कोई मेरे लण्ड को भी चूस रही है, मैंने नीचे देखा तो वो ऋज़ू थी। ना जाने उसने अपनी कुर्ती कब उतार दी थी। वो पूरी नंगी नीचे बैठी बड़ी लगन से मेरे लण्ड को चूस रही थी जो इतने गर्म माहौल में भी, ऐसे घटनाक्रम की वजह से बैठ गया था। मैंने ध्यान किया कि सलोनी को ढूंढने में मैं इतना मशगूल था कि अपने लण्ड को भी अंदर नहीं किया था। मैं ऐसे ही सब जगह भाग दौड़ कर रहा था।

ऋज़ू के जरा से प्रयास से ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया। तभी मैंने सलोनी की ओर देखा, वो आदमी बहुत तेज धक्के लगाने लगा। इसका मतलब वो चरम पर था। कमरे में तेज आहें ओर धक्कों की आवाजें गूंजने लगीं। ज़िंदगी में पहली बार मैं किसी और का वीर्य अपनी जान के चूत में जाते देखने वाला था।

मगर थैंक गॉड! उसने आखरी समय में अपना लण्ड सलोनी की चूत से बाहर निकाल लिया। भक की तेज आवाज आई और उसने शायद हमको देख लिया था वो उठकर हमारी ओर को आया।

मैंने उसके लण्ड को देखा पूरा तना हुआ, काला ओर लण्ड का अगला भाग लाल सुर्ख हो रहा था। वो जल्दी से हमारे पास आया, और उसने ऋज़ू के चेहरे के पास अपना लण्ड कर दिया। ऋज़ू ने भी बिना सोचे उसके लण्ड को अपने मुख में भर लिया। अब मैंने हिम्मत करके सलोनी की ओर देखा। वो दोनों आदमी अभी भी सलोनी से मस्ती में लगे थे।

मैंने ऋज़ू के हाथ से अपना लण्ड छुड़वाया और सलोनी की ओर गया। वाओ! जैसे ही मैंने देखा, अरे यह तो कोई और है। वो कोई और ही लड़की थी। गोरी चिट्टी मगर उसकी चूत ओर चूची काफी मसली हुई लग रही थी। मैंने एक ठंडी सांस ली, जैसे किसी गुफा से बाहर आया हूँ और खुशी के मारे मैंने उस लड़की के पैरों को फैलाकर उसकी चूत को अपने हाथ से सहला दिया।

उसने मुस्कुराकर मुझे देखा जैसे उसको कोई ऐतराज नहीं हो और मेरे लण्ड को अपने हाथ में पकड़ लिया। मेरा दिल तो कर रहा था कि डाल दे इसकी चुदी हुई चूत में मगर मैंने फिर खुद को कंट्रोल किया और कुछ पीछे को हट गया क्योंकि आगे वाला एक आदमी अब उसकी चूत को चोदने के लिए मेरी ओर आ गया था।

मैंने भी उसको चोदने की या वहाँ कोई पंगा करने की कोई चेष्टा नहीं की। मुझे अब फिर सलोनी याद आ गई अगर वो यहाँ नहीं है तो फिर कहाँ है? मैंने सलोनी की स्कर्ट उठाकर देखी, अरे यह तो वाकयी उसी की स्कर्ट थी। अपनी स्कर्ट यहाँ उतार कहाँ चली गई वो नंगी और उसने तो कच्छी भी नहीं पहनी थी। मैंने देखा उस काले हब्शी ने अपना सारा वीर्य ऋज़ू के ऊपर गिरा दिया था और ऋज़ू अभी भी उसके लण्ड को पकड़े थी।

तभी कमरे के अंदर एक दरवाजा खुला जो शायद बाथरूम था, उसमें से एक लड़का पूरा नंगा बाहर निकला। अरे यह तो वही था जो सलोनी के साथ डांस कर रहा था। उसने मुझे देखा और बड़ी गन्दी हंसी हंसा। वो पूरा नंगा था मगर उसका लण्ड पूरा मुरझाया हुआ था। वो चारों ओर शायद अपने कपड़े देख रहा था क्योंकि उसने बिस्तर के कोने पर पड़ी एक जींस उठाकर पहन ली थी।

मैंने उससे सलोनी के बारे में पूछा उसने बिना कुछ कहे मुस्कुराते हुए बाथरूम की ओर इशारा कर दिया। मैं जल्दी से उधर लपका और बाथरूम का दरवाजा खोल दिया और मुझे सलोनी मिल गई वो सामने कमोड पर बैठी थी, पूरी नंगी...

उसने एकदम से मुझे देखा। हम दोनों की नजरें आपस में मिली। क्या बात थी! हर पल मस्ती भरा गुजर रहा था। 

जिधर देखो मस्ती, चुदाई और आहें।

TO BE CONTINUED .....
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#84
कमरे में वो लड़की अभी भी दो आदमियों के साथ मस्ती भरी चुदाई कर रही थी। ऋज़ू उस हब्शी का लण्ड चूस रही थी और अब बाथरूम में मेरी बीवी, मेरी प्यारी जान सलोनी, पूरी तरह नंगी!! जी हाँ, उसके कातिल बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था। उसकी स्कर्ट तो मेरे हाथ में ही थी और टॉप भी बाथरूम में एक तरफ पड़ी नजर आ गई। ब्रा भी कहीं न कहीं होगी। पर सलोनी के बदन पर कपड़े के नाम पर एक रेशा तक नहीं था। वो बाथरूम की तेज लाइट में मेरे ठीक सामने कमोड पर बैठी थी।

और वो मोटा, काला आदमी पूरा नंगा उसके आगे जमीन पर बैठा था। अपने मोटे शरीर की वजह से वो बड़े अजीब तरीके से ही वहाँ बैठा था। उसके दोनों पैर फैले थे और चूतड़ जमीन पर टिके थे। उसने अपना मुँह मेरी बीवी के दोनों टांगों के बीच डाल रखा था। मतलब वो उसकी रसीली छोटी से चूत का रस पी रहा था।

मैंने जैसे ही दरवाजा खोला, तो यही दृश्य मेरे सामने था। सलोनी और मेरी नजरें आपस में मिलीं और उस मोटे ने भी चूत से मुँह हटा कर पीछे घूमकर मुझे देखा। तभी मुझे सलोनी का हर अंग नंगा नजर आ गया। मोटे के चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं आई पर हाँ, सलोनी के चेहरे पर कुछ परेशानी नजर आई।

मतलब नशे के बाबजूद उसने मुझे पहचान लिया था और उसको यह भी समझ आ रहा था कि शायद वो कुछ गलत कर रही है। उसने वहाँ से उठने की कोशिश की पर मोटे ने उसकी दोनों जांघों को अपने हाथों से जकड़ लिया तो उसको मजबूरन फिर कमोड पर बैठना पड़ा। यह गनीमत थी कि उसने कुछ बोला नहीं वरना सबको वहाँ पता चल जाता कि हम दोनों पति पत्नी हैं।

मैंने मुस्कुराकर आँखों ही आँखों में उसको इशारा किया कि मजे लो। उसकी आँखें एक पल के लिए कुछ सिकुड़ी पर फिर सामान्य हो गईं मगर उसका चेहरा बता रहा था कि वो जैसे मजबूरी में ये सब कर रही हो, उसको बहला फ़ुसला कर यहाँ लाया गया हो। तभी मोटे ने सलोनी की दोनों टांगें उठा ली और अपने कन्धों पर रख ली, इस अवस्था में सलोनी की चूत की दोनों फ़ांकें खुलकर सामने आ गई।

और वो मोटा बहुत मदमस्त तरीके से उसको चाट रहा था। मुझे देखते देखते ही धीरे धीरे सलोनी की आँखें बंद होने लगी। मतलब उसको बहुत मजा आ रहा था और उसके मुँह से निकली आवाज ने भी यह सच साबित कर दिया- “अह्ह्ह्ह्हाआआआ अह्हाआआआ मईइइइइ अह्ह्ह्हाआआ”

मेरे होंठों की मुस्कराहट गहरी हो गई। यह पहला मौका था जब मैं सलोनी के ठीक सामने था, उसने मुझे देख लिया था और वो पूरी नंगी एक अजनबी के सामने बैठी थी और वो अजनबी बड़े मजे से उसकी चूत चाट रहा था और सलोनी भी पूरा मजा ले रही थी।

ऐसी थी सलोनी की चूत की गर्मी, जिसने उसकी सारी घबराहट को दूर कर दिया था और उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।

तभी ऋज़ू मेरे पास आ गई। मैंने एक नजर कमरे में देखा, पलंग पर अभी भी वो लड़की उन दो आदमी से मजे ले रही थी। एक उसको चोद रहा था और दूसरे का लण्ड उसके मुँह में था, तीसरा शायद बाहर चला गया था तभी ऋज़ू फ्री हो गई थी और वो लड़का भी नहीं था जो सलोनी के पास से गया था।

उसका मुझे अंदेशा था कि क्या वो सलोनी को चोदकर गया था या ऐसे ही चला गया था? क्योंकि उसका चेहरा बता रहा था कि गया तो वो लण्ड का पानी निकाल कर ही था। अब यह तो सलोनी जाने या फिर ये दोनों, पता नहीं?

ऋज़ू ने मेरी जींस खोलनी शुरू कर दी मेरा लण्ड भी अब आजादी चाह रहा था और कुछ ही देर में ऋज़ू नीचे बैठ मेरे लण्ड को चूस रही थी। मैंने सलोनी को देखा वो आँखें खोल मुझे देख रही थी, अब उसके होंठों पर भी एक आकर्षक मुस्कुराहट थी। जो थोड़ी बहुत ग्लानि थी वो इस दृश्य ने खत्म कर दी थी। अब हम दोनों पति पत्नी अपने लण्ड और चूत किसी अजनबी से चुसवा रहे थे।

मैं अब सलोनी को कुछ और भी करते देखना चाह रहा था इसीलिए मैंने ऋज़ू को खड़ा किया और उसकी कुर्ती निकाल उसको भी पूरी नंगी कर दिया क्योंकि उसने कुर्ती के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। मैंने ऋज़ू वहीं वाश वेसिन से लगाकर उल्टा खड़ा कर दिया।

वो खुद झुक गई, उसको चुदाई का अच्छा अनुभव था, ऋज़ू ने झुककर अपनी गांड को ऊपर को उठाकर अपने दोनों छेद खोल दिए कि चाहे किसी में भी डाल दो। मैंने सलोनी की ओर देखा वो अभी भी मुझे मुस्कराकर देख रही थी और उसकी लाल आँखें बता रही थी कि डाल दो इसकी चूत में।

मैंने भी ऋज़ू की चूत को अपने बाएं हाथ से सहलाया और दायें हाथ से लण्ड को पकड़ उसके चूत के छेद से चिपका एक ही झटके में लण्ड चूत की गहराई में उतार दिया। मोटे को मेरी चालू बीवी की चूत चाटने में इतना मजा आ रहा था कि वो एक पल को भी अपना मुँह नहीं हटा रहा था।

अब उस बाथरूम में कई आवाजें एक साथ शोर करने लगी। सलोनी और ऋज़ू की आहें और सिसकारियाँ, चूत चाटने की चपर शपर और मेरी जांघें जब ऋज़ू के मोटे चूतड़ से टकराती तो पट-पट साथ ही लण्ड के चूत में जाने की भी आवाज।

मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि आज ही इतना मजेदार सीन हो जायेगा। सलोनी हमारी चुदाई को देखते हुए अपनी चूत की चुसाई का पूरा मजा ले रही थी पर मैं तो उसकी भी चुदाई का इन्तजार कर रहा था।

क्या मुझे उसकी चुदाई देखने को मिलेगी? 
तभी वो मोटा सलोनी की चूत के मुख से अपना मुँह हटा हाँफ़ने लगा… 
और सलोनी…?

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#85
wah maza aa ja aaj..............
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#86
Hot....!!
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#87
Heart 
एक तो बहुत मस्त रात थी और किस्मत भी इतनी शानदार थी कि रात ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी।

मेरे लण्ड ने तो आज पूरे मजे लेने थे, वो बड़े ही रिदम के साथ ऋज़ू की चूत में आ जा रहा था, उसके हर कोने में घूम रहा था। ऋज़ू भी किसी नृत्यांगना की तरह अपने चूतड़ों को घुमा घुमा कर चुदवा रही थी।

मेरा मजा तो कई गुना बढ़ गया था क्योंकि मेरे सामने मेरी जान सलोनी पूरी मस्त थी और पूरी नंगी होकर एक अजनबी से मजे कर रही थी। इस मजे के लिए तो मैं अपनी पूरी सम्पत्ति दांव पर लगा सकता था पर किस्मत से यह मजा मुझे आज मुफ़्त में ही बिना किसी मेहनत के ही मिल गया था।

मैं यह सोच सोच कर ऋज़ू की चूत में जोरदार धक्के मार रहा था कि आज के बाद तो हम दोनों और भी मजे करेंगे क्योंकि जिस बात के लिए मैं सारी योजना बना रहा था कि हम दोनों आपस में खुलकर अनजान लोगों से सेक्स करें। वो हम दोनों ही रोज कर तो रहे थे पर आपस में नहीं खुल पा रहे थे। वो सब आज अचानक ही हो गया था। अब देखते हैं यह रात हमारे जीवन में कैसा नया मोड़ लेकर आती है।

मैं लगातार देख केवल सलोनी को ही रहा था कि वो कैसे मजे ले रही है और मजे की बात यह थी कि वो भी मुझे ही देख रही थी। शायद उसके मन में भी वही सब था जो मेरे मन में था। उसको भी मेरी चुदाई देखने में मजा आ रहा था।

मैंने ऋज़ू के चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से थाम रखा था और उसको चोदे जा रहा था। वो मोटा किसी धौकनी की तरह हाँफ़े जा रहा था, फिर वो सलोनी की ओर मुँह करके बैठ गया। मुझे उसकी पीठ ही नजर आ रही थी पर सलोनी जैसे सब समझ गई थी कि मैं अब सब कुछ देखना चाह रहा हूँ।

उसने कमोड से खड़ी होकर बहुत ही मुश्किल से उस मोटे को खड़ा किया। मैंने देखा उठते समय मोटे के हाथ सलोनी के चूतड़ों पर थे। सलोनी ने मोटे को कमोड पर बैठा दिया। मैंने मोटे के लण्ड को देखने की कोशिश की मगर मुझे कहीं दिखाई नहीं दिया। सलोनी भी उसके टांगों के बीच हाथ चला रही थी।

तभी वो मोटा खड़ा हो गया। अरे यह क्या है...???? बिल्कुल छोटा सा मुरझाया हुआ… बच्चों की नुन्नी भी उससे बड़ी होती है। इतने बड़े पेट और मोटी मोटी जाँघों के बीच उसका लण्ड तो नहीं हाँ लुल्ली दिख ही नहीं रही थी।

सलोनी उसको भी अपनी सेक्सी उँगलियों से हिला कर देख रही थी मगर उसमें बिल्कुल भी जान नहीं थी। कैसा मर्द था साला? इतनी सेक्सी लड़की उसके लण्ड को सहला रही है और वो मुदों की तरह बैठा है। तभी ऋज़ू ने भी उस ओर देखा और ‘हा हा हा हा हा हा हा’ जोर से हंसने लगी।

मैं- “क्या हुआ? क्यों हंस रही है?”

ऋज़ू- “अरे कहाँ राख में चिंगारी ढून्ढ रही है! यह तो ऐसा ही है साला, एक बार पानी निकलने के बाद अब कल ही जागेगा। वो तो मेरे पति का बॉस है, तभी झेल रही हूँ वरना…!!”

मोटा आदमी- “कमीनी चुपचाप क्यों नहीं चुदवा लेती, हर समय अपनी चूत घुसाती रहती है। इसी से चोदा है तुझे कितनी बार… फिर भी?”

ऋज़ू- “हाँ हाँ मुझे पता है, कैसे चोदा है...!! हा हा हा हा…”

मोटा आदमी- “चल साली, मुझे मूत आ रहा है… चल पी इसको... तुझे तो बहुत शौक है न मूत पीने का…”

उसकी बात सुनते ही सलोनी उसके लण्ड को छोड़ दूर हट गई। अभी तक हम दोनों ही सेक्स में इतने आगे नहीं बढ़े थे कि सब कुछ अच्छा लगे। शायद मूत जैसी बात सुनकर ही सलोनी को घिन्न आ गई होगी और सच बताऊँ तो मुझे भी अच्छा नहीं लगा।

वो मोटा किसी तरह चलकर हमारी ओर आ गया। मैंने ऋज़ू को उधर घुमाया और लण्ड की स्पीड बढ़ा दी और तभी ऋज़ू बहुत तेजी से चूतड़ हिलाने लगी।

फिर एकाएक उसने अपने चूतड़ कसकर जकड़ लिए और- “अह्ह्हाआआ अह्ह्हा… आआआ… ओह आऐइइइ… इइइइ… मैईईई… गईइइइइइइइ…”

लगता था वो पानी छोड़ रही थी। मेरे लण्ड ने उसके पानी को महसूस किया। उधर मोटे ने अपनी छोटी सी लुल्ली ऋज़ू के मुख में डाल दी।

मैं तेजी से उसको चोद रहा था पर न जाने यह कैसी मस्ती थी कि मेरा लण्ड पानी छोड़ने को तैयार ही नहीं था, वो पूरा तना हुआ तेजी से चूत के पानी के साथ अंदर बाहर हो रहा था। तभी उस मोटे ने ऋज़ू के चेहरे पर ही मूतना शुरू कर दिया और मैंने तेजी से लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया। मेरा काम होने ही वाला था मगर एकदम से मन खिन्न सा हो गया।

तभी एक और आदमी अंदर आया, वो जो बाहर उस लड़की को चोद रहा था, उसका लण्ड बता रहा था कि वो पूरा चोदने के बाद सीधा यहीं आ रहा था। उसका लण्ड अजीब सा पानी से सना हुआ और लिथड़ा हुआ सा दिख रहा था।

सलोनी वहीं दरवाजे पर अपने कपड़े हाथ में लिए खड़ी थी, उसने अभी कुछ पहना नहीं था। उसने अंदर आते ही सलोनी के नंगे चूतड़ों को सहलाया और बोला- “क्या बात है जानेमन चुदवा लिया क्या?? अभी कहाँ जा रही है?? रुक ना, अभी एक बार तुझको भी चोदूंगा”

उसने एक हाथ चूतड़ों पर रखे हुए ही सलोनी के होंठों को चूम लिया और दूसरे हाथ से उसकी चूत को मसलने लगा। मैंने देखा कि सलोनी ने भी उसके लण्ड को सहलाया और मुस्कुराकर बाहर चली गई। मैं भी सलोनी के पीछे अपनी पैंट को सही करते हुए बाहर आ गया।

बाहर दूसरा आदमी भी नंगा बैठा सिगरेट पी रहा था और वो लड़की पूरी टाँगें फैलाये अधलेटी अवस्था में थी। मेरा दिल किया कि इसी साली को चोदकर अपना लण्ड शांत कर लूँ। सलोनी एक ओर खड़ी होकर अपने कपड़े पहन रही थी और वो आदमी सिगरेट पीते हुए उसको घूर रहा था। वो सिगरेट पीते पीते उठकर सलोनी की ओर बढ़ा, मैं उसको देखते हुए ही उस लड़की की ओर गया।

जैसा कि हम दोनों यह सोच कर आज घर से निकले थे कि आज केवल होगी तो मस्ती- मस्ती और बस मस्ती तो आज की रात ऐसी ही गुजर रही थी। मस्ती भी ऐसी कि कोई सपने में भी नहीं सोच सकता। मगर मेरे लण्ड को भी ना जाने कैसी जवानी आ गई थी। ना तो एक पल को बैठ रहा था और न ही अभी तक उसने पानी ही निकाला था। मुझे याद नहीं पड़ता कि कभी इससे पहले यह कभी इतना रुका हो। कभी कभी तो केवल जरा सा देखकर ही कच्छा ख़राब कर देता था।

मगर आज इतना मस्त नजारा चारों ओर था, सब तरफ चुदाई चल रही थी, ऋज़ू की खूब चुदाई भी की थी। उस जैसी चुदक्कड़ रंडी को भी संतुष्ट कर दिया था। उसका तक पानी निकल गया था मगर खुद अभी भी तना खड़ा था। अब साला ना जाने किसको चोदने वाला था।

मैंने लण्ड को पैंट के अंदर डालने की कोशिश की मगर यह कहाँ अंदर जाने वाला था।

सलोनी जब बिस्तर पर उस लड़की के पास गई तो मैंने सोचा शायद वो अभी भी और मस्ती के मूड में है, उसने अभी भी अपना कोई कपड़ा नहीं पहना था, उसकी स्कर्ट और टॉप दोनों उसके हाथ में ही दिख रहे थे, मगर वो बिस्तर पर जाकर कुछ ढूंढने लगी। ढूंढते हुए ही जब वो उस आदमी के पास गई जो उस लड़की को चोदने के बाद बिस्तर पर एक ओर बैठा था तो उस आदमी ने भी सलोनी को छेड़ना शुरू कर दिया।

TO BE CONTINUED .....
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#88
Heart 
सलोनी बिस्तर पर घुटने पर बैठ चादर हटा देख रही थी, वो अंग्रेजी में बोल रहा था, वो कोई विदेशी ही था, ज्यादा गोरा तो नहीं पर अलग सा लुक था उसका।

आदमी- “अरे मेरी जान क्या ढूंढ रही है?”

और साले ने एक कस कर चपत सलोनी के चूतड़ पर लगा दी। उसके दोनों चूतड़ के हिस्से जोर से हिले और एकदम से लाल हो गए।

सलोनी- “उउउन्न… ओह… दर्द होता है…”

और उसने बड़े ही सेक्सी अंदाज़ में अपनी कमर को हिलाया।

आदमी- “ओह सॉरी…”

और उसने उस हिस्से को सहलाया- “पर क्या खो गया?”

सलोनी- “व्ववओ… मेरी ब्रा नहीं मिल रही, यही तो थी”

आदमी ने उसकी चूची को पकड़ लिया- “अरे मेरी जान! इनको कैद नहीं कर न, कितने सुन्दर हैं तेरे ये फूल, इनको आजाद रहने दे”

और उसने सलोनी को अपने ओर खींच उसकी एक चूची को अपने मुँह में डाल लिया। मैंने देखा कि वो लड़की भी उनकी मस्ती देख मस्त हो रही थी, उसने अपना हाथ सलोनी की पीठ पर रख दिया और सहलाने लगी।

मैंने भी अपनी पैंट को फिर से नीचे कर दिया और उस लड़की के पास पहुँच गया। उसने मुस्कुराते हुए मेरे लण्ड को अपने बाएं हाथ से पकड़ लिया मगर मैं अब कुछ और करने के मूड में नहीं था, मैं कैसे भी अपना पानी चूत में निकालना चाह रहा था।

मैंने उसकी चूत को अपने हाथ से सहलाया और उसको घुमाने के लिए पलटने लगा तो वो एकदम घूमकर घोड़ी बन गई। उसको शायद ऐसे चुदवाना अच्छा लगता होगा।

मैं एक हाथ से उसकी चूत को टटोलते हुए बिस्तर पर चढ़कर उसके पीछे घुटनों पर बैठ गया और अपने लण्ड को सेट करके उसकी चूत में अंदर तक घुसेड़ दिया। अब बिस्तर पर ही बड़ा अच्छा नजारा हो गया था।

एक साइड में वो आदमी बैठा था, सलोनी अपने घुटनों पर खड़े हो अपनी चूची चुसवा रही थी, उसके पीछे वो लड़की घोड़ी बनी थी और उस लड़की का मुँह ठीक सलोनी के चूतड़ों पर था और मैं उस लड़की की चूत में लण्ड डाले उसको चोद रहा था।

तभी उस लड़की ने सलोनी के चतड़ों को अपने दोनों हाथ से पकड़ खोला तो मेरे सामने सलोनी के दोनों छेद चमक उठे। दोनों पूरे लाल हो रहे थे और चूत तो इतनी गीली हो रही थी जैसे लगातार पानी छोड रही हो।

मैंने उस लड़की के कसकर एक धक्का मारा और उसका मुँह सलोनी के चूतड़ों से सट गया। उसने भी पूरा नीचे होकर सलोनी की चूत पर अपनी जीभ लगा दी। सलोनी ने एक बार पीछे घूमकर देखा। उसकी आँखे थोड़ी सी फैली और फिर वो भी मजा लेने लगी। वो लड़की बड़े मजे से सलोनी की चूत चाट रही थी और मैं कस कस कर धक्के मार रहा था।

इस बार कुछ धक्कों में ही मेरे लण्ड ने पिचकारी निकालनी शुरू कर दी, मैंने जल्दी से लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाला, और उसकी पीठ पर सारा पानी छोड़ दिया। लड़की तेजी से उठी और मेरे लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। वो पूरी प्रोफेशनल थी उसको सब पता था कि मर्द को कैसे अच्छा लगता है।

ओह थैंक्स गॉड! मेरे लण्ड को आखिरकार ठंडक मिल ही गई थी। उस लड़की ने एक एक बूँद चाट चाट कर साफ़ कर दी थी। मेरा लण्ड शीशे की तरह चमक रहा था। लड़की वाकयी बहुत सेक्सी थी। अब मैंने उसको ध्यान से देखा। बड़ी बड़ी आँखें, सांवला रंग और बहुत सेक्सी होंठ, नीचे का होंठ कुछ ज्यादा ही चौड़ा था जो शायद लण्ड चूस चूस कर हुआ होगा। मगर उसकी फिगर बहुत सेक्सी था, मस्त उठी हुई चूचियाँ और उभरे हुए चूतड़। यह पक्का था कि कपड़ों में भी वो हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेती होगी। फिलहाल तो पूरी नंगी मेरे लण्ड की सेवा में लगी थी।

मेरा ध्यान अब सलोनी की ओर था और मैं इंतजार में था कि यह भी चुदवा ले।

क्याआआ ये अर…रे…रे…र…

मैंने देखा उस आदमी ने सलोनी को गोद में खींच लिया है। मैंने हल्का सा नीचे झुककर देखा, अरे! इसका लण्ड तो ठीक सलोनी की चूत से चिपका था। एक मजेदार लम्बा और मजबूत लण्ड उसकी चूत से चिपका था। वो आदमी अपने हाथों से निचोड़ निचोड़ कर उसकी चूची चूस रहा था।

सलोनी लगातार अपनी कमर हिला रही थी जिससे उसकी चूत उसके लण्ड का हाल बेहाल किये थी। तभी उसने सलोनी को जरा सा ऊपर को किया या सलोनी खुद हल्का से ऊँची हुई।

अररर रे रे ये क्या??? उसका लण्ड अब पूरा खड़ा था। करीब 8 इंच और बहुत मोटा, लण्ड का अगला भाग लाल भभूका हो रहा था। सलोनी के दोनों पैर काफी खुले थे। वो उसकी गोद में पूरी चिपकी थी। पीछे से ही उसकी मस्त चूत खिली हुई साफ़ दिख रही थी। उसके उचकने से लण्ड का टोपा सलोनी की चूत के मुख पर आ गया था। मुझे साफ़ साफ़ दिख रहा था कि लण्ड के टोपे ने चूत के मुख को खोलना शुरू कर दिया था।

बहुत ही गर्म नजारा था…

मुझे लग रहा था कि किसी भी पल यह भयंकर लण्ड मेरी जान की चूत में प्रवेश करने ही वाला है। शायद सलोनी को भी इसका अहसास होने लगा था। वो जैसे ही थोड़ा सा और ऊपर हुई, मैंने देखा लण्ड अब उसकी चूत से हट गया था। पता नहीं सलोनी क्यों अभी भी लण्ड से दूर हो रही थी। शायद उसको मेरे सामने चूत में गैर लण्ड लेते शर्म आ रही होगी।

फिलहाल तो मेरे दिल को यही लग रहा था…

तभी मैंने देखा उस आदमी ने सलोनी को कसकर बाँहों में जकड़ लिया और उसको फिर से अपनी गोद में बिठाने को नीचे कर रहा है। उसने अपने बाएं हाथ से सलोनी को कस कर चिपका लिया और दायाँ हाथ नीचे ला सलोनी के कसे हुए चूतड़ को दबाते हुए उसको अपने लण्ड पर सेट करने लगा।

मैं साला भी ना जाने क्यों इसका इन्तजार कर रहा था कि ‘कब यह लण्ड सलोनी की चूत को भेदता हुआ अंदर जाता है’

मैं बिना पलक झपकाये उसको देखे जा रहा था और वो लड़की बेचारी मेरे मुरझा चुके लण्ड को अभी भी चूसे जा रही थी शायद उसको फिर से चुदवाना था। मैंने देखा लण्ड कि पोजीशन ठीक सलोनी की चूत के मुँह पर थी और सलोनी पूरा प्रयास ऊपर उठने का कर रही थी। उसको लण्ड अपनी चूत तक नहीं जाने देना था।

और वो आदमी उसको किसी छोटी से गुड़िया की तरह अपनी गोद में चिपकाये बड़े प्यार से ही उसको लण्ड के पास ला रहा था। बहुत ताकतवर था वो आदमी, उसने एक बार फिर सलोनी को नीचे खींचते हुए और अपनी कमर को भी थोड़ा सा ऊपर उठाते हुए एक बार फिर लण्ड को चूत से भिड़ा दिया।

मैंने देखा इस छीना झपटी में एक दो बार लण्ड का अगला हिस्सा जरूर थोड़ा बहुत चूत को भेद चुका था। यह नजारा मेरे इतने पास चल रहा था कि उसका हर प्रयास और हरकत मुझे साफ़ साफ़ दिख रही थी। जैसे ही लण्ड चूत के मुख को छूता था सलोनी अपनी पूरी ताकत लगा फिर ऊपर हो जाती थी।

उन दोनों का यह खेल देख मेरे लण्ड में फिर से जान आने लगी। साथ ही वो सेक्सी लड़की अपनी पूरी कोशिश कर ही रही थी। मेरे लण्ड को बहुत अच्छी तरह से चारों ओर से चूस रही थी। मगर मुझे यकीन था कि इतनी जल्दी लण्ड में ताकत उसके चूसने से नहीं, बल्कि सामने चल रहे नजारे ओर सलोनी की मस्ती देख ही आ रही थी।

मेरे लण्ड को ना जाने क्यों?? ये सब बहुत भा रहा था। अब इन्तजार लण्ड के सम्पूर्ण रूप से सलोनी की चूत में समाने का था।

10-12 बार यही सब चलता रहा, वो सलोनी को नीचे करता और सलोनी ऊपर उठ जाती और एक बार भक्क की आवाज आई… अरे हाँ इस बार टोपा अंदर तक चला गया।

सलोनी- “अह्ह्ह्हाआआआ ऊइइइइइइ…”

सलोनी के मुँह से भी एक चीख और सिसकारी एक साथ निकली…

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#89
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मगर यह सब एक पल के लिए ही हुआ। 

सलोनी ने पूरी ताकत लगा फिर से ऊपर उठ गई और एक बार फिर लण्ड की दूरी बढ़ गई, चूत उसकी पहुँच से बच कर निकल गई। ये सब एक चूहे बिल्ली वाला खेल बहुत रोचक और मजेदार हो रहा था, कभी पकड़ में आ रही थी और कभी बच कर निकल जा रहे थी।

मुझे तो जन्नत का मजा आ रहा था। एक हसीना से अपना लण्ड चुसवाते हुए ये सब देखना असीम सुख दे रहा था। एक दो बार और ऐसा हुआ मगर सलोनी उसके काबू में बिल्कुल नहीं आ रही थी।

मुझे भी अहसास होने लगा था कि अगर औरत ना चाहे तो शायद कोई भी लण्ड चूत में प्रवेश न कर पाये क्योंकि कहाँ तो वो इतना तगड़ा आदमी और कहाँ मेरी मासूम कमसिन सी सलोनी, उसकी चूत में जाने को भी इतना ताकतवर लण्ड बेचारा कितनी देर से तरस रहा था।

तभी उस आदमी को शायद गुस्सा आ गया, उसने वैसे ही सलोनी को बिस्तर पर गिरा दिया और उसकी दोनों टाँगे किसी जालिम की तरह से जकड़ ली, उसने टांगों को बड़ी ही बेदर्दी से 180 डिग्री में फैला दिया। वो सलोनी के ऊपर चढ़ आया और उसने सलोनी की चूत को देखा जो मुझे भी दिख रही थी, चूत बुरी तरह से फ़ैल गई थी।

सलोनी उसकी पकड़ से निकलने के लिए बुरी तरह मचल रही थी और जब लण्ड चूत के ऊपर आ गया तब वो जोर से चिल्ला पड़ी- “बचाआआ…ओओओओ…”

बस्स… यही मेरी मरदानगी जाग गई, आखिर वो मेरी प्यारी जान थी। वो आदमी अपना लण्ड सलोनी की चूत पर रख झटका मारने वाला ही था कि सलोनी ने पूरी ताकत लगा दी उसको हटाने में और इधर मैंने भी उस लड़की के मुंह से अपना लण्ड निकाला और कसकर उस आदमी को धक्का दे दिया। मेरा धक्का इतना ज़ोरदार था कि वो पीछे को गिर गया।

बस इतनी देर काफी थी सलोनी के लिए, वो जल्दी से वहाँ से उठी ओर कपड़े पकड़ कमरे के दरवाजे पर पहुँच गई। मैं भी जल्दी से उठकर सलोनी के पीछे पहुँच गया। वो आदमी गुस्से से भिनभिना रहा था। मैंने दरवाजे पर आकर अपनी पैंट ठीक करके उसको गुस्से से देखा।

वो मेरे पास आने को लपका ही था कि उस लड़की ने उसको पकड़ लिया, शायद वो वहाँ मारधाड़ नहीं चाहती थी और वो आदमी भी नंगा होने के कारण बाहर नहीं आया। सलोनी तो नंगी ही कॉरिडोर से बाहर निकल आई थी, उसने अभी भी अपने कपड़े नहीं पहने थे, उसको डर था कि कहीं वो फिर आकर उसको ना पकड़ ले।

मैं भी जल्दी जल्दी उसके पीछे को भागा कि फिर कोई उसको नंगी देख ना पकड़ ले। मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह मेरी सलोनी क्या चाहती है? अच्छा खासा मजा आ रहा था और भाग कर आ गई। जब तुझको चुदवाना ही नहीं था तो ये सब क्यों कर रही है?

मैं भागता हुआ उसके पीछे आया, वो दूसरी गैलरी में एक साइड में खड़ी हो हाँफ़ रही थी। बड़ी प्यारी लग रही थी सलोनी। उसने अपने कपड़े अभी भी नहीं पहने थे, कपड़े उसने अपने दाएं हाथ में ले रखे थे जो उसने अपने धोंकनी की तरह ऊपर नीचे होते सीने से लगा रखे थे। मेरी ओर उसकी पीठ थी इसीलिए पीछे से उसकी नंगी पीठ और उसके नीचे सफ़ेद उठे हुए नंगे चूतड़ क़यामत लग रहे थे।

एक सार्वजनिक स्थान में वो भी एक नाइट क्लब में सलोनी को ऐसे नंगी खड़ी देख मेरा रोमांच से बुरा हाल था। 

मैं अभी आगे बढ़ने ही वाला था कि तभी सलोनी शायद किसी कमरे के दरवाजे के पास खड़ी थी, मैंने देखा वहां से कोई आवाज आ रही है- “अरे बेटा क्या हुआ?”

सलोनी ने तुरंत पीछे मुड़कर देखा, मैं जल्दी से पीछे वाली गैलरी के अंदर हो गया, मैं उसको नहीं दिखा। मैंने आड़ लेते हुए ही उनकी बातें सुनने की कोशिश की।

सलोनी- “व्व…वो वो अंकल…”

ओह इसका मतलब कोई बुजुर्ग थे, कहीं कोई जानने वाला तो नहीं? अब मेरा बुरा हाल था कि कहीं कोई जानने वाला ना मिल जाए।

मैंने फिर आगे हो झाँका तो सलोनी कमरे के दरवाजे पर खड़ी थी, उसने अपने आप को समेट रखा था पर थी तो वो पूरी नंगी ही। 

तभी उस आदमी की आवाज हल्की सी सुनाई दी- “अरे ऐसे बाहर क्यों खड़ी हो, आओ अंदर आ जाओ”

सलोनी- “अरे नहीं अंकल, वो मेरे साथ वाले आने वाले हैं। वो तो उन सबने बड़ी मुश्किल से बचकर आई हूँ, पता नहीं कहाँ चले गए”

उसने एक बार फिर पीछे की ओर चारों तरफ देखा, मैं फिर से पीछे को हो गया, उसको मेरी कोई झलक तक नहीं मिली।
मुझे फिर आवाज आई उस आदमी की- “अरे अंदर तो आओ, क्या यहाँ ऐसे नंगी बाहर खड़ी रहोगी? अंदर आकर कपड़े तो पहन लो”

मैंने हिम्मत करके झांक कर देखा। सलोनी दरवाजे पर ही सिमटी हुई खड़ी थी। अब उस आदमी का हाथ मुझे सलोनी की पीठ पर रेंगता हुआ दिखा और अब उसका हाथ सलोनी के चूतड़ों तक सरक गया था। फिर उसने वहाँ दवाब बनाया, कुछ ही पलों में सलोनी उसके कमरे के अंदर थी।

मैंने सोचा कि क्या उसको यहाँ मजा करने दूँ? पर समय बहुत हो गया था मैंने खुद को व्यवस्थित किया और उस कमरे की ओर बढ़ गया। मैंने देखा कि उसने दरवाजा बंद नहीं किया था या फिर सलोनी ने बंद नहीं करने दिया था? मैंने भागते हुए से ही कमरे में प्रवेश किया और ऐसे प्रदर्शित किया जैसे अभी अभी आया हूँ।

एक बार तसल्ली कर ली कि वो कोई जानने वाला तो नहीं है। वो कोई और ही था, पके हुए बाल, रेशमी गाउन, चेहरे पर चमक, कोई अमीर बुड्ढा था। वो सलोनी को समझाने के बहाने से उसके नंगे चूतड़ों का पूरा लुत्फ़ उठा रहा था, उसका हाथ लगातार सलोनी के चूतड़ों पर ही घूम रहा था।

मैं- “अरे सलोनी तुम यहाँ? मैं तो घबरा गया था। आगे तक निकल गया था”

सलोनी ने मुझे देखा और बिल्कुल ऐसे व्यवहार किया जैसे उसका देह शोषण होते होते रह गया हो। वो भागकर मेरे सीने से लग गई। अब उन अंकल की कोई हिम्मत नहीं हुई, वो अपने बेड पर जाकर बैठ गए मगर उनकी आँखें सलोनी के बदन पर ही थी।

मैंने सलोनी को थोड़ा सा पीछे किया और उसको कपड़े पहनने को बोला- “जान… कपड़े तो पहन लो”

सलोनी अब कुछ नार्मल थी, उसने अपने कपड़ों को अलट-पलट कर देखा।

ओह… यह क्या? उसके हाथ में केवल टॉप ही था। ना तो ब्रा थी और ना स्कर्ट!

जाने कहाँ गिरा दी थी उसने या फिर वहीं छोड़ आई थी। उसने मेरी ओर देखा, कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसी अवस्था में क्या करें?

वो बार बार अपने उस छोटे से टयूब टॉप को घुमा घुमा कर देख रही थी। वो टॉप तो ब्रा रहते भी सलोनी की भारी चूचियों को पूरा नहीं छुपा पाता था तो अब उस बेचारे की क्या मजाल। पता नहीं इस सारी स्थिति में सलोनी को अच्छा लग रहा था या बुरा पर उसके चेहरे से परेशानी और मायूसी साफ़ झलक रही थी।

मेरा तो नशे और थकान के कारण दिमाग ही काम नहीं कर रहा था। तभी सलोनी अंकल की तरफ गई।

सलोनी- “प्लीज अंकल! कोई कपड़े हैं क्या आपके पास पहनने को? मेरे कपड़े तो उन लोगों ने फाड़ दिए। ओह गॉड! अब मैं घर कैसे जाऊँगी?”

और यह क्या अंकल तो पूरे सलोनी के दीवाने हो गए थे- “हाँ हाँ क्यों नहीं बेटा! तू ऐसा कर मेरी शर्ट और पैं पहन जा, मैं दूसरे मंगवा लूंगा”

कमाल कर दिया था अंकल ने, मेरे दिमाग में तो यह आया ही नहीं कि अपनी ही शर्ट निकाल कर दे दूँ। अंकल वाकयी बहुत ज़िंदादिल निकले।

सलोनी ने बेड पर रखी उनकी शर्ट जो सफ़ेद रंग की बहुत चमकदार थी, शायद रेशम के कपड़े की थी और बहुत ही कीमती होगी, फिर सलोनी ने उनकी पैंट देखी, मगर वो तो बहुत चौड़ी थी, यह तो उसकी पतली कमर में रुक ही नहीं सकती थी।

उसने हंसकर उसको बिस्तर पर डाल दिया- “ओह अंकल, यह तो मेरे आएगी ही नहीं. यह तो बहुत बड़ी है”

अंकल- “अरे कोशिश तो कर बेटी, इसमें कमर बेल्ट है, टाइट हो सकती है”

और मेरे सामने ही अंकल पेंट लेकर सलोनी को पहनाने के लिए चले। सलोनी ने मेरी ओर देखा, मैंने तुरंत अपनी गर्दन वहाँ मेज पर रखी महंगी व्हिस्की की ओर कर ली और अंकल से पूछा- “अंकल, क्या दो घूंट पी लूँ, गला सूख रहा है?”

अंकल- “अरे हाँ बेटा, कैसी बात करते हो और इसको भी थोड़ी सी पिला दो, सारी घबराहट दूर हो जाएगी”

मैं मेज के पास जा वहाँ रखी कुर्सी पर बैठ गया और गिलास में व्हिस्की डाल अपना पेग बनाने लगा।

उधर अंकल खुद ही पैंट लेकर सलोनी को पहनाने लगे और सलोनी भी अपने पैर उठा पैंट को पहनने लगी। 

ना जाने इन बूढ़ों को सुन्दर लड़की को कपड़े पहनाने में क्या मजा आता था। मुझे तो सच, केवल उतारने में ही आता था। 

देखते हैं अंकल की पैंट सलोनी को फिट आती है या नहीं? या वो कैसे करके इसको फिट करेंगे?

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#90
Heart 
महंगी शराब देख मेरे को थोड़ा सा लालच तो आ गया था मगर यह लालच केवल शराब का नहीं था। मेरे दिल में फिर एक इच्छा बलवती हो रही थी कि शायद सलोनी को यहाँ इस बड़ी उम्र के आदमी के साथ ही ज्यादा मस्ती मिलती हो और वो शायद अब कुछ ज्यादा करने के मूड में हो?

मैं एक ओर बैठा उसको देख रहा था और धीरे धीरे शराब का पेग भी सिप कर रहा था। अंकल सलोनी के पैर के पास नीचे बैठ उसको अपनी पैंट पहना रहे थे, सलोनी ने अपना पैर उठा पैंट के पाहुंचे में डाला। कमीज उसके चूत रूपी खजाने को पूरी तरह ढके थे परन्तु पैर उठाने से लगा कि जैसे बदली से चाँद झांक रहा हो।

बहुत ही मनोरम दृश्य था…

नीचे पैंट पहनाते हुए भी अंकल का सर ऊपर की ओर ही था, वो शर्ट के उठते गिरते देख रहे थे। जरूर सलोनी के चूत के होंठों को खुलते बंद होते देखना उनको भा रहा होगा। इस उम्र में भी जवान खूबसूरत चूत और ऐसा रोमांटिक माहौल कहाँ हर किसी को नसीब होता है। अंकल को अपने नसीब पर गर्व महसूस हो रहा होगा।

अंकल लगातार ऊपर देखते हुए पैंट को सलोनी के चिकने पैरों पर चढ़ाते हुए कमर तक ले गए। सलोनी ने एक बार उनसे पैंट लेने की कोशिश की- “लाइए अंकल, मैं पहन लेती हूँ”

अंकल- “अरे रुक ना, चल शर्ट पकड़”

उन्होंने कुछ ज़ोर से ही कहा, सलोनी ने तुरंत शर्ट पकड़ कर ऊपर कर लिया। अंकल बड़े प्यार से पैंट को उसके चूतड़ों पए चढ़ाने लगे।

पैंट की बेल्ट चौड़ी थी पर निचला भाग शायद छोटा था जिससे सलोनी के विशालकाय चूतड़ों पर चढ़ाने के लिए अंकल को थोड़ी मेहनत करनी पड़ी। इसके लिए उन्होंने अपने हाथों का सहारा लिया और उसके चूतड़ को अपने हाथ से दबा कर पैंट को ऊपर खींचा।

पैंट को ऊपर चढ़ाने के बाद उन्होंने पैंट के दोनों सिरे क्रॉस करके दोनों साइड में ले गए और उनको बेल्ट से कसने लगे। परन्तु बेल्ट का अंतिम छेद पर कसने के बाद भी पैंट इतनी ढीली रही कि अंकल के पीछे हटते ही पैंट खुलकर सलोनी के पैरों पर गिर गई।

सलोनी बड़ी मासूमियत से अपनी शर्ट को पकड़े खड़ी थी। उसके चेहरे पर नंगे खड़े होने वाली शर्म जैसी तो कोई भावनाएँ नहीं थीं बल्कि कुछ मासूमी और हंसी वाले भाव दिखाई दे रहे थे, जैसे अंकल की कोशिश फ़ेल हो जाने पर उनका मजाक सा उड़ा रही हो कि मैं तो पहले से जानती थी कि नहीं आएगी।

अंकल- “ओह! यह तो वाकयी नहीं रुक रही तेरी कमर पर, तू है भी बहुत पतली, कुछ खाया पिया कर”

यह बोलते हुए अंकल ने उसकी कमर पकड़ ली और नापने का बहाना करते हुए उसके चिकने बदन का मजा लेने लगे।

सलोनी- “चलिए छोड़िये न अंकल, मैं ऐसे ही चली जाऊँगी, सुनो… चलो न”

मैं उसकी आवाज सुनते ही उठ खड़ा हुआ, जल्दी से पेग निबटाया और बोला- “अच्छा अंकल, थैंक यू, चलते हैं। आपकी शर्ट बाद में दे देंगे”

अंकल- “अरे कोई बात नहीं बेटा, इसी को पहनने देना”

और सलोनी के शर्ट के नीचे के भाग को खींचते हुए बोले- “जरा इसका ध्यान रखना, इसने कच्छी भी नहीं पहनी है, कहीं नंगी न हो जाये”

मैंने नशे में बंद होती आँखों से देखा तो उनकी उंगलियाँ सलोनी की शर्ट के नीचे उसकी चूत के ऊपर थी।

अंकल- “बेटा ध्यान रखना अपनी इतनी चिकनी सड़क का, कहीं कोई एक्सिडेंट न कर दे”

मैंने सलोनी का हाथ पकड़ा और उसको कमरे से बाहर ले गया। बाहर आते हुए श्याम भी मिला पर मैं उससे मिले बिना ही सलोनी को ले पार्किंग में पहुँच गया। बाहर की ठंडी हवा ने मेरी आँखों को थोड़ा सा खोला। वहाँ मैंने लड़के को चाबी दी गाड़ी बाहर निकालने के लिए।

लड़का चाबी लेते हुए भी सलोनी की टांगों की ओर ही देख रहा था। सलोनी अभी भी काफी नशे में लग रही थी वो मेरे कंधे पर झूल रही थी, उसके बार बार गिरने से शर्ट ऊँची हो जा रही थी।

लड़का पीछे देखता हुआ अंदर चला गया। मैंने सलोनी को वहाँ रखे एक स्टूल पर बैठा दिया क्योंकि मुझे गाड़ी भी सम्भालनी थी। तभी वहाँ दो लोग और आये वे होटल के बाहर जाते जाते रुक गए, वे सलोनी की ओर देख रहे थे।

मैंने पीछे घूमकर सलोनी को देखा, वो नशे के कारण स्टूल पर बैठे बैठे ही एक और को गिर गई थी और उसकी शर्ट उसके चूतड़ों से हटी हुई थी। दोनों सलोनी के नंगे चूतड़ ही देख रहे थे।मैंने दोनों को डांटा तो दोनों हंसते हुए बाहर गेट से निकल गए।

मैंने सलोनी को स्टूल पर सीधा किया, तभी वो लड़का बाहर आया और बोला- “साहब, मुझसे आपकी गाड़ी का दरवाजा नहीं खुल रहा, आप खुद निकाल लीजिये, अब तो रास्ता साफ़ ही है”

अब मैं कुछ कर भी नहीं सकता था, वैसे भी मेरी गाड़ी का लॉक कुछ ख़राब हो गया था, वो आसानी से हर किसी से नहीं खुलता था।

मैंने उसके हाथ से चाबी ले ली- “चल इधर आ, मैडम को ऐसे ही कन्धों से पकड़े रहना, गिरे नहीं”

लड़के की तो जैसे बांछें खिल गई, उसने सलोनी के दोनों कंधे अपने दोनों हाथ से पकड़ लिए और मैं जल्दी से गाड़ी लेने अंदर चला गया पर सोचा कि एक बार देखूँ साला क्या कर रहा है।

जरा सा बाहर आकर झांक कर देखा तो वो पीछे ही खड़ा था। हाँ कुछ चिपका हुआ सा जरूर लगा, हो सकता है साला अपना लण्ड सलोनी की पीठ से लगाकर मजा ले रहा हो।

मैं दिमाग न लगाकर जल्दी से गाड़ी के पास पंहुचा। मेरी गाड़ी भी उसने बहुत अंदर ही खड़ी कर रखी थी।

ओह, मुझे भी दरवाजा खोलने में 5 मिनट लग गए। होता ही है, जब जल्दी हो तो सही काम भी गलत हो जाता है। किसी तरह मैं दरवाजा खोलकर गाड़ी ले बाहर आया। मैंने देखा, सलोनी स्टूल के नीचे गिरी थी। मैंने लड़के की ओर देखा तो वो सकपकाया- “अरे साहब, खुद ही नीचे गिर गई, इनको तो बिलकुल होश ही नहीं है”

मैं- “चल जल्दी कर इसको उठाकर अंदर बैठा”

मैंने सलोनी वाली साइड का गेट खोल दिया। बाहर की हवा से सलोनी का नशा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था शायद, उस लड़के ने सलोनी को उठाया, सलोनी के कदम लड़खड़ा रहे थे। मैंने देखा कि मेरे देखते हुए भी उसने सलोनी को गाड़ी के अंदर करने और उसको बैठाने में उसके चूतड़ों को अच्छी तरह सहलाया था। उसके हाथ सलोनी की शर्ट के अंदर ही थे।

मैंने उसको सौ का नोट भी दिया जैसे उसने मेरी बहुत मदद की हो और साला मना भी कर रहा था जैसे उसने पैसे वसूल कर लिए हों। मैं गाड़ी लेकर आगे बढ़ गया, अब मेरी मंजिल घर ही था।

पर शायद किस्मत में अभी और भी बहुत कुछ देखना लिखा था। सामने सिक्युरिटी की पेट्रोल कार रुकी खड़ी थी। मैंने सोचा की निकाल लूंगा।

सलोनी दरवाजे की ओर पैर किये मेरी गोद में सर रख लेटी थी। मैंने उसकी शर्ट किसी तरह नीचे की पर फिर भी उधर खिड़की से देखने वाले को सलोनी के चूतड़ नंगे ही दिखते।

मैं जैसे ही गाड़ी के पास पहुँचा। ओह माय गॉड! वे बाहर ही खड़े थे। दो सिक्युरिटी वालों ने हाथ देकर हमको रोक लिया। मैंने बहुत कोशिश की फिर भी मुझे गाड़ी रोकनी ही पड़ी और उनमें से एक सिक्युरिटी वाला सलोनी की खिड़की की ओर ही आ रहा था।

मैं सन्न रह गया कि अब मैं क्या करूँ????

एक तो रात की खुमारी ऊपर से नशा और फिर आज एक ही रात में की गई इतनी सारी मस्ती इस सबमें मैं वाकयी बहुत ज्यादा थक गया था और शायद सलोनी भी।

अब तो दिल जल्दी से जल्दी घर पहुँचने का कर रहा था। मगर इससे क्या होता है, किस्मत में तो शयद कुछ और ही लिखा था। मेरे साथ आज तक ऐसा नहीं हुआ था, मेरा कभी ऐसा कुछ सिक्युरिटी से पाला भी नहीं पड़ा था। अगर सब कुछ सामान्य होता तो मुझे ज्यादा कुछ नहीं लगता, मैं कह सकता था कि हम पति पत्नी हैं।

मगर यहाँ तो मामला बिलकुल ही उल्टा था। हम दोनों ही नशे की हालत में थे। रात के दो या ढाई बज रहे थे, इस वक्त में पति पत्नी तो ऐसी हालत में नहीं निकलते।

ऊपर से आसमान से गिरे खजूर में अटके, सलोनी लगभग वस्त्रहीन थी। उसके बदन पर एक मर्दाना कमीज थी जो उसको एक रंडी की तरह ही दिखा रही थी।
मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस स्थिति से कैसे निकलूँ। मेरे दिमाग ने बिल्कुल ही काम करना बंद कर दिया था।

सिक्युरिटी कॉन्स्टेबल को अपनी ओर आते देख मैंने और तो कुछ नहीं बस सलोनी को धक्का देकर नीचे गिरा दिया, वो अपनी सीट से खिसक नीचे को बैठ गई… 

अब कम से कम पहली नजर में तो वो नहीं दिखने वाली थी। अब यह देखने वाली बात थी कि वो कॉन्स्टेबल किस खिड़की पर आता है।

अगर सलोनी की तरफ ही आता है तो उसको आसानी से सलोनी नहीं दिखती क्योंकि सलोनी का सर दरवाजे से टिक गया था। सलोनी ने थोड़ा बहुत उउन उउउह किया बस, फिर वो दरवाजे पर सर रख सो गई।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
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#91
shandar ab aage kya..............
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#92
update karo bhai.
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#93
update pls...........
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#94
Heart 
थैंक्स गॉड, कॉन्स्टेबल उसी की खिड़की की ओर आया। मैंने केवल थोड़ी से ही खिड़की खोली और बिना कुछ कहे अपना लाइसेंस उसको पकड़ा दिया। मैं उसको अंदर देखने या बात करने का मौका नहीं देना चाहता था।

मैं- “क्या हुआ सर? एयरपोर्ट से आ रहा हूँ, दोस्त को छोड़ने गया था”

साला कॉन्स्टेबल बहुत ही खुश्क टाइप का था, बिना कुछ बोले लाइसेंस लेकर अपने साहब के पास चला गया। मेरी ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे ही थी, मैं उनकी गतिविधि देख रहा था। मैंने सोचा अगर यहाँ बैठा रहा तो साला इनमें से कोई आकर सलोनी को देख सकता है, मैं जल्दी से नीचे उतरा और उनके पास पहुँच गया।

उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं पूछा, केवल फ्लाइट के बारे में पूछा जो मुझे पता था, कई बार बाहर जाने के कारण मुझे एयरपोर्ट और फ्लाइट के बारे में पता था। तो उनको कोई शक नहीं हुआ।

मेरे और काम के बारे में जान कर उन्होंने मेरा लाइसेंस मुझे दे दिया, मैंने चैन की सांस ली और अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया। मैं अपनी सीट पर बैठ अभी गाड़ी आगे बढ़ाने वाला ही था कि वो हो गया जो मैं नहीं चाहता था, सलोनी को नींद खुल गई और वो उठकर अपनी सीट पर बैठ गई।

बदकिस्मती से उसकी तरफ वाली खिड़की भी खुली थी और सिक्युरिटी वालों की नजर सीधे उसी पर पड़ी। मैं गाड़ी आगे बढ़ाता, उससे पहले ही कॉन्स्टेबल मेरी गाड़ी के आगे आकर खड़ा हो गया। अब मुझे सब कुछ धुन्धला सा नजर आने लगा। उसको देखकर मेरी गाड़ी खुद बा खुद बंद हो गई।

अबकी बार कॉन्स्टेबल मेरी ओर आया और मेरा दरवाजा खोल कर बोला- “तो झूट बोल रहा था बे, साले मस्ती करता घूम रहा है। खुलेआम…”

मैं- “नहीं सर व्ववओ वववो…”

कॉन्स्टेबल- “कुछ मत बोल साले… चल उतर नीचे…”

और जोर से अपने साब को बोला- “साहब यहाँ तो नंगी छोकरी है… साला गाड़ी में ही काम निबटा रहा था…”

उसकी बात सुनकर मैंने सलोनी की ओर देखा वो आँखे फाड़े केवल उस कॉन्स्टेबल को देख रही थी, उसकी शर्ट पूरी अस्त-व्यस्त थी, चूची भी आधी बाहर थी और टांगें भी ऊपर तक नंगी ही दिख रही थी। अगर कॉन्स्टेबल ने उसको नंगी कहा था तो बिल्कुल गलत नहीं कहा था। सलोनी वहां से पूरी नंगी ही दिख रही थी।

तभी वो इंस्पेक्टर बोला- “धर ले दोनों को”

कॉन्स्टेबल- “जी साब, चल वे उतार इसको भी, कहीं धंधे से ला रहा है या खुद ही बजाने ले जा रहा है?”

मैं अब बिल्कुल सच बोलने वाला था और यह भी जानता था कि यहाँ साला कोई विश्वास नहीं करेगा मगर अब कुछ तो करना ही था।

मैंने किसी तरह खुद को संयत किया- “सर विश्वास करो, यह मेरी बीवी है, हम एक पार्टी में गए थे और वहाँ इसको किसी ने पिला दी”

कॉन्स्टेबल- “और इसकी हालत तो यह बता रही है कि साली खूब चुदवाकर आ रही है”

मुझे उसकी बात पर कुछ गुस्सा आ गया- “तमीज से बात करो, हम पति पत्नी हैं”
मेरी आवाज शायद उस इंस्पेक्टर तक भी पहुँच गई, वो इंस्पेक्टर बोला- “क्या बकवास हो रही है वहाँ? यहाँ लेकर आ दोनों को”

मैं दौड़कर उस इंस्पेक्टर के पास गया- “सर हम दोनों पति पत्नी हैं और एक पार्टी से आ रहे हैं”

और ना जाने मैंने उससे क्या क्या बोल दिया। तभी मुझे सलोनी कि आवाज सुनाई दी, वो कॉन्स्टेबल जबरदस्ती उसको गाड़ी से उतार रहा था।

मैं- “अरे सर उसको रोको, वो मेरी बीवी के साथ बदतमीजी कर रहा है”

इंस्पेक्टर ने जैसे मेरे कोई बात सुनी ही नहीं और अपने कॉन्स्टेबल से ही बोला- “हाँ लेकर आ उसको भी यहाँ, पूछ कहाँ धंधा करती है साली”

मेरी हालत अब पतली होने लगी। जरूर सलोनी के साथ कुछ गलत होने वाला था।

उस कॉन्स्टेबल ने सलोनी को गाड़ी के नीचे उतार लिया। गनीमत यह थी कि सलोनी अब कुछ होश में नजर आ रही थी। वो खुद चल रही थी मगर फिर भी वो कॉन्स्टेबल उसको कोहनी के ऊपर बांह से पकड़े था। उसकी उंगलियाँ जरूर सलोनी की चूची से रगड़ खा रही होंगी। वो जल्दी ही हमारे पास आ गया।

खुली सड़क पर स्ट्रीट लाइट की रोसनी में सलोनी केवल एक शर्ट में एक इंस्पेक्टर और कॉन्स्टेबल के सामने खड़ी थी और कॉन्स्टेबल उसका हाथ पकड़े उसके मम्मों का मजा भी ले रहा था।

इंस्पेक्टर- “अबे यह तो कोई नया ही माल लग रहा है। पहले तो नहीं देखा अपने एरिया में इसको?”

कॉन्स्टेबल- “हाँ साब, कोई प्राइवेट धंधे वाली लगती है और देखो साब खुले में करने की शौकीन है। लगता है गाड़ी में ही मरवाती आ रही थी”
और कॉन्स्टेबल ने सलोनी का हाथ छोड़ उसकी शर्ट नीचे से पकड़ ऊपर पेट तक उठा दी।

सत्यानाश!!!!

खुली सड़क पर सलोनी की चूत और चूतड़ दोनों नंगे हो गए। सलोनी कितनी भी ओपन हो पर ऐसा उसने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि दो अजनबी और अपने पति के सामने उसको ऐसा कुछ सामना करना होगा। उसका सारा नशा अब काफ़ूर हो गया था।

वो शर्म के मरे चीख पड़ी- “नहीईइइइइइइ इइइइइइ…”

उसने अपने हाथ अपनी आँखों पर रख लिए थे, मैं भी असहाय सा उसको देख रहा था।

इंस्पेक्टर- “हाँ यार, यह तो मस्त माल है”

और वो अपना हाथ सलोनी की ओर बढ़ाने लगा। मैं कितना भी मस्ती के मूड में था और चाहे बहुत अधिक खुल चुका था। शायद हर तरह की आवारागर्दी करना चाहता था मगर इस समय खुद को ठगा सा महसूस कर रहा था, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि इस परिस्थति से कैसे निकला जाये।

मैं बिल्कुल नहीं चाहता था कि कोई भी इंसान हमारी मजबूरी का फ़ायदा उठाये, अपनी मर्जी से हम कुछ भी करें वो हर हाल में अच्छा लगता है मगर इस तरह डरा धमका कर ऐसे सिक्युरिटी वालों के सामने मैं किसी भी हाल में अपनी बीवी की बेइज्जती नहीं चाहता था।

सलोनी भी पूरी तरह से इन लोगों का विरोध कर रही थी, उसको भी ये सब बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था कि एक गंदा सा हवलदार उसको छुए और उसके साथ ऐसे बदसुलूकी करे, वो हर तरह से विरोध कर रही थी। इंस्पेक्टर भी साला कमीना टाईप का ही था, तभी वो कुछ नहीं सुन रहा था या हो सकता है कि उसका रात की ड्यूटी में ऐसे ही लोगों का सामना होता हो इसीलिए वो हम पर जरा भी भरोसा नहीं कर रहा था।

सलोनी मचलती हुई और उनकी हरकतों का विरोध करती हुई उनके बीच खड़ी थी, हवलदार उसके पीछे खड़ा हुआ उसको पकड़े था और इंस्पेक्टर उसके सामने खड़ा उसको देख रहा था। मैं एक तरफ साइड में खड़ा ये सब देख रहा था और उनसे बचने की तरकीब सोच रहा था।

हवलदार ने सलोनी की शर्ट उसके पेट तक ऊँची कर पकड़ ली और खी खी कर हंसने लगा।

हवलदार- “यह देखो साब, पूरी नंगी है सुसरी, गाड़ी में ही करा रही थी”

सलोनी ने पूरी ताकत लगा दी हवलदार के हाथ से शर्ट छुड़वाने में।

इंस्पेक्टर- “सीधी खड़ी रह”

और उसने अपना हाथ सलोनी के पेट पर रख सहलाया- “ये बिना कपड़ों के क्या कर रही थी?”

सलोनी की चूत का उभार इतना ज्यादा उभरा हुआ है कि उसके खड़े होने पर भी उसकी चूत के होंठ दिख रहे थे। ऊपर से वो हमेशा उनको चिकना रखती थी इसीलिए वो कुछ ज्यादा ही हर किसी को आकर्षित करते हैं। सच सलोनी किसी सेक्स की मूरत की तरह खड़ी थी। उसकी शर्ट का ऊपर का बटन खुला था और गला भी काफी बड़ा था जिससे उसकी गदराई मुलायम चूची का काफी भाग बाहर झाँक रहा था।

इंस्पेक्टर ने सलोनी के पेट को सहलाते हुए ही अपना हाथ सीधा किया, उसकी उँगलियाँ सलोनी की चूत के ऊपरी हिस्से तक पहुँच गई। सलोनी ने पैरों को झटका जिससे उसका हाथ वहाँ से हटा तो नहीं पर हाँ थोड़ा सा नीचे को और हो गया।

इंस्पेक्टर- “अरे क्यों मचल रही है। अपने इस मुँह से फ़ूट ना, यह अपनी इस चिड़िया को खोलकर कहाँ जा रही थी। लग तो ऐसा ही लग रहा है जैसे खूब खिला पिला रही है इसको?”

सलोनी- “नहीईइइइइइ इइइइइ प्लीज सर मत करिए”

अरे यह क्या…????

इंस्पेक्टर की पूरी हथेली सलोनी की चूत पर थी, उसने सलोनी की चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया।

सलोनी- “अह्ह्हाआआआ मत करो…”

इंस्पेक्टर- “सच वे, बहुत चिकनी है…”

हवलदार- “साब अंदर से भी चेक करो ना, कहीं कुछ छुपा कर तो नहीं ले जा रही”

इंस्पेक्टर- “वो तू अपने डंडे से चेक कर लेना। हा हा हा…”

हवलदार- “हा हा हा साब आप आगे से चेक कर लो। मेरा डंडा तो इसको पीछे से चेक कर रहा है। साली खूब मालदार है”

मैं चौंक गया। इसका तो मैंने ध्यान ही नहीं दिया। हवलदार सलोनी को पकड़ने के बहाने से उसके नंगे चूतड़ों से बुरी तरह चिपका था। 

मुझे बहुत तेज गुस्सा आ गया- “यह आप लोग कर क्या रहे हो? आप शायद जानते नहीं हो, मैं इसकी शिकायत ऊपर तक करूँगा”

इंस्पेक्टर- “जा भाग यहाँ से, तू शिकायत कर तब तक हम इसकी शिकायत पर मोहर लगा देते हैं”

ओह! ये तो खुलेआम गुंडागर्दी पर आ गए थे।

मैं- “आप लोग ऐसा नहीं कर सकते। हम पति पत्नी हैं”

इंस्पेक्टर- “तो जा पहले सबूत लेकर आ साले, हमको बेवक़ूफ़ समझता है। पति पत्नी रात को इस समय नंगे घूमते हैं”

और एक झटके में उसने सलोनी की शर्ट के सारे बटन खोल दिए।

TO BE CONTINUED ......
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#95
keep going. pls update
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#96
Heart 
(06-04-2024, 08:31 AM)vishuhrny97 Wrote: keep going. pls update

OK TRYING TO LOAD SOON
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#97
(06-04-2024, 05:11 PM)KHANSAGEER Wrote: OK TRYING TO LOAD SOON

ok bro, waiting
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#98
Heart 
सलोनी सामने से पूरी नंगी दिखने लगी। उसकी सफ़ेद तनी हुई चूचियाँ और उन पर सफ़ेद धब्बे के निशान लाइट में चमक रहे थे जो शायद क्लब में किसी के वीर्य के थे। उधर हवलदार ने पीछे से शर्ट पकड़ पूरी निकाल वहीं डाल दी। सलोनी ने इसका पूरा विरोध किया मगर उनके सामने उसकी एक ना चली। अब उनके सामने खुली सड़क पर सलोनी पूरी नंगी खड़ी थी।

इंस्पैक्टर उसके चूची को हाथ में ले मसलते हुए बोला- “देख साले, बोल रहा है बीवी है, हर जगह से तो गंदे पानी से लितड़ी पड़ी है”

हवलदार- “हाँ साब, पीछे भी सब जगह लगा है। लगता है कईयों से चुदवा कर आ रही है”

मैं असहाय सा उनको यह सब करता देख रहा था।

तभी इंस्पेक्टर ने सलोनी को घुमाया- “दिखा तो साले, इसकी गांड कैसी है। चूत तो बिल्कुल मक्खन की टिक्की जैसी है”

अरे यह क्या???

हवलदार ने अपने नेकर की साइड से लण्ड बाहर निकाला हुआ था, उसके काले लण्ड का अगला भाग बाहर दिख रहा था, कमीना अपने नंगे लण्ड को सलोनी के चूतड़ों से चिपकाये था।

इंस्पेक्टर- “हा हा… तूने डंडा बाहर भी निकाल लिया?”

हवलदार- “हाँ साब पीछे चेक कर रहा था”

इंस्पेक्टर- “हा हा हा बाहर ही चेक किया या अंदर भी देख आया?”

हवलदार- “अरे साब अभी तो बाहर ही, अंदर चेक करने के लिए तो हैलमेट पहना पड़ेगा। हा हा हा… हो हो हो…”

दोनों पागलों की तरह हँसते हुए सलोनी को रगड़ रहे थे इंस्पेक्टर ने सलोनी की गर्दन पकड़ उसको झुका दिया और पीछे से उसके चूतड़ों पर चपत लगा लगा कर देखने लगा।

इंस्पेक्टर- “अरे हाँ यार! कितना यह तो लपलपा रही है। आज तो इसकी गांड मारने में मजा आ जाएगा”

अब मेरा सब्र की इंतेहा हो गई थी- “अगर आप लोगों ने इसको नहीं छोड़ा तो मैं अभी फोन करता हूँ”

इंस्पेक्टर ने हवलदार को बोला- “अबे तू देख इसको क्या बक रहा है यह, तब तक मैं इसके नट बोल्ट खोलता हूँ”

हवलदार- “अरे छोड़ो साब, इसको गाड़ी पर लेकर चलते हैं। मेरे से तो बिल्कुल नहीं रुका जा रहा, क्या मक्खन मलाई चूत है इसकी”

वो पीछे से ही सलोनी की चूत को उँगलियों से रगड़ रहा था। मुझमें ना जाने कहाँ से जोश आ गया, मैंने दोनों को एक साथ जोर से धक्का दिया, वो दोनों वहीं सड़क पर गिर पड़े। मैंने सलोनी को पकड़ा और वहाँ से भागने लगा मगर तभी हवलदार ने अपना डंडा मेरे पैरों में मार दिया, मैं वहीं गिर पड़ा।

इंस्पेक्टर- “साले तू तो अब गया, देखना कितना लम्बा तुझको अंदर करूँगा अब मैं”

मेरी हालत ख़राब थी।

सलोनी- “नहीं सर प्लीज इनको छोड़ दीजिये। आप चाहे कुछ भी कर लीजिये पर हमको छोड़ दीजिये”

मैं अवाक सा उसको देख रहा था। सलोनी रोये जा रही थी और मेरे से चिपकी थी वो मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार थी।

इंस्पेक्टर- “नहीं, इसको तो मैं आज यही ठीक करूँगा”

उसने हवलदार के हाथ से डंडा ले लिया। वो जैसे ही मुझे मारने को आया, सलोनी तुरंत खड़ी हो उसने इंस्पेक्टर के हाथ का डंडा पकड़ लिया।

सलोनी- “आपको तो विश्वास नहीं है ना पर ये मेरे पति ही हैं। मैं इनको हाथ भी नहीं लगाने दूंगी। चलो आओ, कर लो मेरे साथ अपने मन की”

इंस्पेक्टर मुँह खोले उसको देख रहा था।

हवलदार- “वाह साब, अब तो यह अपनी मर्जी से चुदवायेगी। चलो साब, गाड़ी के अंदर आज इसकी जमकर ठुकाई करते हैं, बहुत टाइट माल हाथ लगा है आज तो”

सलोनी बिना उनके कुछ कहे उनकी गाड़ी की ओर बढ़ गई। मैं पूरी नंगी सलोनी को जाता देख रह था। हवलदार भी उसकी ओर पीछे पीछे जाने लगा।

इंस्पेक्टर- “सुन साले, तेरा लौड़ा बहुत अकड़ रहा है? रोक इसको, तू इस पर नजर रख, मैं उसको देखता हूँ”

और हवलदार नाक मुँह सिकोड़ता हुआ इंस्पेक्टर के हाथ से डंडा ले मेरे पास आ गया और इन्स्पेटर गाड़ी की ओर चला गया। सलोनी पहले ही वहाँ पहुँच गई थी।

हाय… यह अब क्या होने जा रहा था…?????????

सोचा था पूरी रात खूब मस्ती करेंगे। आज वो सब कुछ करेंगे जो केवल कल्पना ही किया करते थे मगर अब मुझे अपने निर्णय पर बहुत ज्यादा पछतावा हो रहा था। मैं सपने में भी नहीं चाहता था कि सलोनी, मेरी प्यारी जान को जरा भी कष्ट हो, उसकी मर्जी के बिना कोई उसे छू भी सके। मगर इस समय वो मेरे लिए कुर्बानी देने को तैयार थी।

उसने अपना संगमरमरी बदन एक दुष्ट सिक्युरिटी वाले के हाथों से नुचवाने का सोच लिया। अगर वो अपनी मर्जी से कर रही होती तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होता मगर यहाँ तो सब कुछ अलग था जिसे मैं कभी पसंद नहीं कर सकता था।

मेरी सलोनी बिना वस्त्रों के नंगी सिक्युरिटी वालों की जीप के अंदर थी और वो इंस्पेक्टर भी उसके साथ था, ना जाने कमीना कैसे कैसे उसको परेशान कर रहा होगा। मैंने हवलदार को देखा, उसका ध्यान मेरी ओर नहीं था, वो साला लगातार जीप की ओर ही देख रहा था जैसे उसको अपनी बारी का इन्तजार हो।

मैं चुपचाप पीछे से निकल अपनी कार तक आया और फ़ोन निकाल सोचने लगा किसको फ़ोन करूँ?

100 नंबर पर तो करना बेकार था, वो इसी को कॉल करते। तभी मुझे एक ओर से गाड़ी की लाइट नजर आई, जैसे ही गाड़ी निकट आई, मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।

यह अमित की गाड़ी थी…!

मुझे इसका ध्यान पहले क्यों नहीं आया। अमित के तो कई दोस्त सिक्युरिटी में उच्च पद पर हैं। मेरे रोकने से पहले ही उसने गाड़ी रोक दी, शायद उसने भी मुझे देख लिया था। मैं जल्दी से उसके पास गया।

अमित- “अरे तू, इस समय? यहाँ??”

मैं- “यह सब छोड़, तू जल्दी नीचे आ, ये साले सिक्युरिटी वाले उस जीप में सलोनी को…”

मेरे इतना कहते ही अमित सब कुछ समझ गया, वो बड़ी फुर्ती से नीचे उतरा।

अमित- “कौन है साला कुत्ता?”

वो कुछ ज्यादा ही गुस्से में आ गया था। मैंने घड़ी देखी इस सबमें करीब 15 मिनट बीत चुके थे यानि सलोनी पिछले 15 मिनट से उस इंस्पेक्टर के साथ थी, ना जाने कमीने ने कितना परेशान किया होगा उसको।

हम दोनों तेजी से जीप की ओर बढ़े। हवलदार भी शायद मुझे ना पाकर जीप के पास चला गया था। उसको मेरे से ज्यादा दिलचस्पी सलोनी को देखने की थी। हम जैसे ही वहाँ पहुँचे, हवलदार ने हमको देख लिया।

हवलदार- “ऐ कहाँ जा रहे हो? रुको यहीं”

वो बहुत कड़क आवाज में चिल्लाया। मैं तो रुक गया पर अमित सीधे जीप तक पहुँच गया।

अमित- “कौन है बे? बाहर निकल”

तभी इंस्पेक्टर गुस्से से बाहर निकला। अरे बाप रे! उसके काले और मोटे से शरीर पर केवल एक बनियान था, आस्तीन वाले बनियान में उसका थुलथुला शरीर बहुत ही भद्दा लग रहा था। मैंने नीचे देखा उसका काला सा लण्ड दिखा जो ऊपर को खड़ा था।

पता नहीं साला क्या कर रहा था??

इंस्पेक्टर- “कौन हो वे तुम??? निकलो यहाँ से, नहीं तो यहीं एनकाउंटर कर दूंगा”

इंस्पेक्टर बहुत गुस्से में था। अमित बिना कुछ बोले किसी को फ़ोन कर रहा था।

अमित- “ले साले, अपने बाप से बात कर, तेरी तो मैं ऐसी-कम-तैसी करता हूँ”

इंस्पेक्टर- “कौन है फ़ोन पर??? मैं तो अपनी ड्यूटी कर रहा हूँ”

इंस्पेक्टर की आवाज एकदम से नरम हो गई थी, शायद उसको लग गया था कि जरूर किसी बड़े अफसर का फ़ोन होगा।

उसने फ़ोन लेकर बात करनी शुरू कर दी। मुझे नहीं पता कि क्या बात कर रहा था। मैं चुपचाप जीप की ओर चला गया। हवलदार भी अब शायद डर गया था, उसने मुझे नहीं रोका। मैंने जीप के अंदर झांक कर देखा, पिछली सीट पर सलोनी पूरी नंगी लेटी थी।

मैंने तुरंत उसको अपनी बाँहों में लिया। ओ माय गॉड! वो रो रही थी। मैंने किसी तरह उसको जीप से बाहर निकाला। मेरे बराबर में अमित भी था वो भी मेरे पीछे आ गया था।

अमित- “ओह! यह क्या किया इसने साले हरामी ने! अभी इसकी खबर लेता हूँ”

अमित ने अपना कोट निकाल कर सलोनी को दे दिया। सलोनी बहुत डर गई थी, लगता है उसने बहुत कुछ झेला है, जिसकी आदत शायद उसको बिल्कुल नहीं थी। उसने कोट लेकर पहन लिया और उसको कस कर आगे से पकड़ लिया। उधर इंस्पेक्टर ने भी अपनी पैंट पहन ली थी, दोनों बहुत डरे हुए थे। अमित ने बताया कि उसने एस पी से बात कराई थी इसीलिए दोनों बहुत डरे हुए थे।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#99
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दोनों एक स्वर में- “सर जी हमको माफ़ कर दो। ववव वो… अब नहीं होगा…”

कमाल है, मैंने पहले बार सिक्युरिटी वालों को ऐसे रिरियाते देखा था। कमाल कर दिया था अमित ने…

अमित- “नहीं कमीनो, तुमने मेरी भाभी के साथ यह नीच कर्म किया है, तुमको तो सजा मिलेगी ही मिलेगी”

फिर मेरे से कहा- “सुन, तू इनके ही सिक्युरिटी स्टेशन में जा और इनके खिलाफ रिपोर्ट दाखिल करके आ”

मैं- “पर इस समय? और सलोनी?”

अमित- “अरे तू भाभी की चिंता ना कर, मैं इनको घर छोड़ता हूँ फिर वहीं तेरे पास आ जाऊँगा पर इन सालों को मत छोड़ना”

मुझे भी बहुत गुस्सा तो आ रहा था पर सलोनी को इस समय ऐसी हालत में नहीं छोड़ना चाह रहा था, पर जब अमित ने बोल दिया तो फिर मुझे कोई डर नहीं था।

अमित- “सारे केस लगाना इन सालों पर, जोर जबरदस्ती, छेड़खानी, बिना वजह परेशान करना, मारपीट और…”

इंस्पेक्टर- “नहीं सर ऐसा कुछ नहीं किया हमने। वो सब गलतफहमी हो गई थी। हमको नहीं पता था कि ये वाकई इनकी पत्नी हैं। तो…”

अमित- “तो साले देह शोषण कर देगा? पत्नी नहीं है तो तेरी जागीर हो गई?”

अमित बहुत गुस्से में था, वो तो इंस्पेक्टर पर हाथ भी उठा देता मगर सलोनी ने पकड़ लिया।

सलोनी- “अब छोड़ो न अमित, मुझे बहुत डर लग रहा है। अब चलो यहाँ से और हाँ तुम भी घर ही चलो, मुझे नहीं करना कोई केस”

पर अब मैं कैसे छोड़ सकता था, मैंने भी कमर कस ली।

मैं- “नहीं जान, इसने तुम्हारे साथ गलत हरकत की है, मैं अब इसको नहीं छोड़ूंगा”

अमित सलोनी को पकड़ अपनी गाड़ी की ओर ले गया। मैंने भी उसको ठीक से पकड़ गाड़ी में बैठा दिया।

अमित- “देख, तू वहाँ पहुँच, मैं भाभी को घर छोड़ फिर वहीं आता हूँ। छोड़ूंगा नहीं इनको”

फिर उसने सलोनी से पूछा- “भाभी इसने क्या क्या किया?”

सलोनी ने अपना सर झुका लिया। उसकी आँखों में फिर से आँसू आ गए थे।

अमित- “चलो रहने दो भाभी, मैं समझ गया, मैं इनको बिल्कुल नहीं छोड़ने वाला। चल तू पहुँच, मैं आता हूँ”

और उसने अपनी गाड़ी आगे बढ़ा दी। अब इंस्पेक्टर और हवलदार वहीं मेरे से माफ़ी मांगने लगे पर मैं कैसे उनकी बात मानता। काफी देर बाद हम उनके सिक्युरिटी स्टेशन पहुँचे। वहाँ भी वो दोनों मेरी खातिरदारी और माफ़ी में ही लगे रहे। जब वो लिखने को राजी ही नहीं हो रहे थे, तब मैंने अमित को फ़ोन किया।

अमित- “हाँ बोल?”

मैंने ध्यान दिया वहाँ से खिलखिलाने की आवाजें आ रही हैं।

मैं- “यार ये तो लिख ही नहीं रहे, तू क्यों नहीं आ रहा??”

अमित- “अरे यार छोड़ उनको, ये सलोनी भाभी मुझे आने ही नहीं दे रही, मना कर रही हैं और सुन वो इंस्पेक्टर कुछ नहीं कर पाया था। सलोनी भाभी ने मुझे सब कुछ बता दिया है। मुझे लगता है उसकी भी ज्यादा गलती नहीं है। ऐसा कर तू आ जा यहाँ छोड़ उन्हें”

मैंने घड़ी देखी सुबह के 4 बजने वाले थे। हुआ कुछ नहीं और मैं डेढ़ घंटे से परेशान हो रहा था। मैंने उन दोनों को वहीं छोड़ा और थके कदमों से अपनी गाड़ी की ओर बढ़ा। मैंने सोचा सलोनी पहले भी वो सब बता सकती थी, फ़ालतू में मेरे दो घण्टे खराब हो गए।

अब गाड़ी चलाते हुए फिर से मेरा दिमाग घूमने लगा- ‘अबे साले पिछले दो घंटे से अमित तो सलोनी के साथ ही है और आज तो उसने उसको पूरी नंगी भी देख लिया है। ना जाने वो क्या कर रहे होंगे? और अमित कह भी रहा था कि वो उसकी सेवा कर रही है’

मेरा पैर एक्सीलेटर पर अपने आप दब गया, घर जाने की जल्दी जो थी। देखूँ तो सलोनी कैसी सेवा कर रही है उसकी? सुबह की हल्की रोशनी चारों और फैलनी शुरू हो गई थी, मुझे काफ़ी थकान महसूस होने लगी थी। सब कुछ बहुत अच्छा हुआ था मगर बस मुझे यह सिक्युरिटी वाला मामला बिल्कुल पसंद नहीं आया था।

गाड़ी चलाते हुए मैं किसी तरह अपने कॉलोनी तक पहुंचा। थैंक गॉड, अब कुछ नया नहीं हुआ था, वहाँ भी कोई नहीं था।

बाहर की ओर अमित की गाड़ी भी खड़ी थी, इसका मतलब अभी तक जनाब मेरे फ्लैट में ही थे। ना जाने क्यों मेरे होंठों पर एक मुस्कराहट सी आ गई। मैंने पार्किंग में गाड़ी खड़ी की।

मैने घड़ी देखी 4:35 हो चुके थे। पूरी रात खूब धमाचौकड़ी मचाई थी हमने, अब तो फ्लैट में जाने की जल्दी थी। मुझे इस बात की चिंता नहीं थी, बिल्कुल नहीं थी कि सलोनी अमित के साथ अकेली है या वो वहाँ कुछ हरमन झोली कर रही होगी।

मैं तो चाह रहा था कि वो चाहे किसी से भी चुदाई करे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था, मैं उसकी हर मस्ती में साथ था पर मेरी इच्छा उसको चुदाई करवाते देखने की थी और इतना सब होने के बाद भी मुझे दुःख इसी बात का था कि सलोनी ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया।

मैं तो उसके हर बात में साथ हूँ फिर उसने मुझे सिक्युरिटी वालों के साथ क्यों जाने दिया जब उसने कुछ करना ही नहीं था। अगर उसको अमित के साथ ही कुछ करना था तो मैं कौन सा उसको रोक रहा था और मेरा इतना समय भी ख़राब हुआ, साथ ही कितनी थकान भी हो गई।

पूरे कम्पार्टमेंट में कोई नहीं था, मैं आसानी से अपने फ्लैट तक पहुँच गया। मैंने घण्टी नहीं बजाई, यह मैंने पहले ही सोच लिया था कि आज सलोनी को बिना बताये ही फ्लैट में प्रवेश करूँगा। अगर उसने पूछा तो मेरे पास बहाना भी था कि तुमको डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था इसीलिए खुद अंदर आ गया।

मैंने अपने पर्स से चाबी निकाल बहुत चुपके से फ्लैट का दरवाजा खोला और बहुत शांति से ही अंदर प्रवेश कर गया। पहली नजर में मुझे वहाँ कोई नजर नहीं आया, मैंने चुपके से दरवाजा बंद किया पर जैसे ही घूमा।

अरे बाप रे…

मेरे सभी विचारों को लकवा मार गया। अमित सोफे पर बैठा ड्रिंक कर रहा था। उसने मुझे देख लिया था।

अमित बहुत धीमी आवाज में ही बोला- “चल अच्छा हुआ, तू आ गया। मैं तेरा ही इन्तजार कर रहा था, बहुत मुश्किल से भाभी को सुलाया है। लगता है बहुत ज्यादा ही डर गई हैं बेचारी”

मैं- “अरे तो तू यहाँ अकेला ही बैठा है, तेरे को ऐसे छोड़ कैसे सो गई यार?”

अमित- “अरे तू फ़ोर्मल्टी मत कर, वो बहुत ज्यादा थकी और परेशान थीं इसीलिए मैंने उनको सुला दिया था फिर सोचा कि तू आ जाये तभी निकलूँगा। चल अब मैं भी चलता हूँ, तू भी आराम कर ले”

मैं- “तू पागल हो गया है क्या? अब इस समय कहाँ जायेगा। 3-4 घंटे यहीं आराम कर ले, सुबह चले जाना”

मैंने अब देखा अमित ने कपड़े पहले ही बदल लिए हैं, मतलब उसका भी दिल अभी जाने का नहीं है। उसने मेरा ही एक लोअर पहना हुआ था और ऊपर उसका अपना सेंडो बनियान मगर मुझे उसके कपड़े वहाँ कहीं नजर नहीं आये, मतलब उसने मेरे बैडरूम में ही कपड़े बदले होंगे। पता नहीं क्या क्या हुआ होगा???

अमित- “पर यार तुम लोग डिस्टर्ब होंगे, मुझे जाने दे”

मैं- “तूने रुचिका को तो बोल दिया होगा ना?”

अमित- “वो उसकी तो कोई फ़िक्र नहीं, उसको तो रात ही फोन कर दिया था”

मैं- “तो तू अब कुछ मत सोच, चल अंदर तू आराम कर, मैं भी फ्रेश होकर आता हूँ”

अमित ने एक दो बार और थोड़ा सा ही विरोध किया फिर वो रुकने को राजी हो गया, मैं उसको अंदर ले गया। बिस्तर पर एक ओर चादर ओढ़े सलोनी सो रही थी। मुझे नहीं पता उसके बदन पर क्या था? या उसने कुछ पहना भी था या नहीं?
मुझे उसका चेहरा तक नहीं दिख रहा था वो अपनी तरफ मुँह किये सो रही थी, बहुत थक गई थी बेचारी। अमित ने मेरी ओर देखा, मैंने उसको बिस्तर की ओर इशारा किया। उसकी आँखें जरा सी सिकुड़ी।

मैं फुसफुसाते हुए ही- “तू इधर को सो जा, मैं बीच में लेट जाऊँगा”

वो बिना कुछ कहे दूसरे कोने में सिकुड़ कर लेट गया।

ना जाने क्यों? मुझे उस पर कुछ ज्यादा ही शक हुआ कि यह जो सब जगह कितना मजाकिया है, हर समय महिलाओं में घुसा रहता है। हर समय बस फ़्लर्ट ही करता रहता है, आज इतना सीधा क्यों है? क्यों इतना ज्यादा शरीफ बन रहा है? और सलोनी भी चाहे कितना भी थकी हो, वो अमित को अकेला छोड़ कैसे सो गई?

सब कुछ अजीब सा लग रहा था मगर वो सब मैं केवल अनुमान ही लगा सकता था। फिलहाल दोनों को छोड़ मैं बाथरूम में चला गया, जल्दी से फ्रेश हो कपड़े बदल कर मैं भी कमरे में आ गया।

यह क्या? सलोनी ने करवट बदल ली थी, उसका मुँह अब अमित की ओर था और सबसे बड़ी बात, वो बिस्तर के बीच आ गई थी। मैं चाहता तो उसको एक ओर कर बीच में लेट सकता था मगर अभी भी मेरे दिल में शरारत ही थी, सलोनी को बीच में लिटाने में भी मुझको कोई ऐतराज नहीं था।

मैंने अमित को देखा, वो दूसरी ओर करवट लिए सो रहा था या सोने की एक्टिंग कर रहा था।

मैं चुपचाप दूसरी ओर लेट गया, मुझे बहुत तेज नींद आ रही थी मगर दिल में एक उत्सुकता थी जो मुझे सोने नहीं दे रही थी कि सलोनी ना जाने कैसे कपड़ों में या हो सकता है नंगी ही हम दोनों के बीच लेटी है?

अमित इतना सीधा तो नहीं है कि एक नंगी खूबसूरत नारी को अपनी गाड़ी में लेकर आया जो हल्के नशे में भी थी, उसको बिना चोदे छोड़ा हो। और अब दोनों मेरे सामने ऐसे एक्टिंग कर रहे हैं अगर कुछ हुआ होगा तो जरूर कुछ न कुछ तो बात करेंगे ही।

जहाँ इतना अपनी नींद की कुर्बानी दी है, वहाँ कुछ और भी कर सकता हूँ। हालाँकि नींद मेरे ऊपर हावी होती जा रही थी।

पता नहीं क्या हुआ? और होगा????

TO BE CONTINUED .....
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कुछ देर तक मैं दोनों को देखता रहा, दोनों ही गहरी नींद सो रहे थे, उनको देखकर कोई नहीं कह सकता था कि उनके बीच कुछ हुआ होगा। मगर मेरा दिमाग तो शैतान का दिमाग बन गया था, इसकी वजह पिछले कुछ दिनों से सलोनी का व्यवहार ही था जो कुछ मैंने देखा और सुना था उसको जानकर कोई धर्मात्मा भी विश्वास नहीं करता कि यहाँ बंद कमरे में सलोनी और अमित अकेले हों वो भी ऐसी स्थिति के बाद जिसमे सलोनी को पूरी नंगी देख लिया हो, ना केवल नंगी देखा बल्कि उसको लगभग नंगी ही अपनी गाड़ी में बिठाकर लाया हो फिर भी कुछ ना हुआ हो। सब कुछ सोचकर असंभव सा ही लगता था।

ना जाने कितने विचार मेरे दिमाग में घूम रहे थे और सोचते सोचते ना जाने कब मैं सो गया। वैसे भी सुबह के 5 तो बज ही गए थे और थकान भी काफी हो गई थी, शारीरिक भी और मानसिक भी।

कोई तीन घंटे मैं सोता रहा। मुझे कुछ नहीं पता कि इस बीच क्या हुआ??? काफी गहरी नींद आई थी और अच्छी भी। मेरी उठने की वजह स्वयं नहीं थी बल्कि वो आवाज थी जो मैंने सुनी, मुझे लगा जैसे कुछ बहुत तेज गिरा हो।

मेरी नींद तो खुल गई थी परन्तु मैंने आँख नहीं खोली थी। मैं लेटे लेटे ही आवाज की दिशा और स्थान का अवलोकन करता रहा। कुछ समय बाद फिर हल्की आवाज आई, यह मेरे बैडरूम से तो नहीं आई थी। अरे यह आवाज तो बाथरूम से आई थी।

अब मैंने अपनी पूरी आँखें खोल देखा, कमरे में अभी भी अँधेरा ही था, शायद सलोनी ने इसलिए लाइट नहीं जलाई और परदे नहीं हटाये थे ताकि मुझे कष्ट ना हो और आराम से सोता रहूँ। मेरी आँखें अभी भी खुलने को मना कर रही थी क्योंकि नींद पूरी नहीं हुई थी।

मैंने पास से मोबाइल उठाकर टाइम देखा, सवा आठ हो चुके थे। मैं उठकर बाथरूम के दरवाजे तक गया और कान लगाकर आवाज सुनने लगा। अरे…! सलोनी अंदर अकेली नहीं थी, उसके साथ अमित भी था।

और रात वाले सभी विचार तुरंत मेरे दिमाग में आ गए, इसका मतलब ये आपस में पूरी तरह खुल गए हैं और अभी भी मस्ती कर रहे हैं। साफ लग रहा था कि दोनों एक साथ स्नान कर रहे हैं। अमित को तो सलोनी पहले से ही पसंद करती थी, फिर कल जो उसने हमारी मदद की थी, उससे तो वो मेरा भी चहेता हो गया था। फिर सलोनी तो वैसे भी, जो उसकी जरा भी परवाह करता है, उस पर जान न्यौछावर कर देती है।

अब यह जानना था कि क्या अमित उसकी वो पसंद बन गया था कि उससे चुदवा भी ले या अभी तक उसको भी उसने केवल ऊपरी मस्ती के लिए ही रखा था। अब इतने समय में मैं यह तो जान गया था कि सलोनी हर किसी से तो नहीं चुदवाती। उसको ऊपरी मस्ती करने और लेने का शौक ही था। और बहुत कम मर्द ही उसकी पसंद थे जिनसे वो चुदवाती थी, मेरे सामने उसको केवल मस्ती करने में मजा आता था, वो मेरे सामने चुदवाना भी नहीं चाहती थी। शायद उसको डर था कि ऐसा देखने के बाद मेरा प्यार उसके लिए कम हो जायेगा। ये केवल मेरे विचार थे जो कुछ मैंने अभी तक उसको जाना था।

मेरा दिल बाथरूम के अंदर देखने का कर रहा था मगर अंदर देखने का कोई साधन मेरे पास नहीं था। हाँ बाथरूम से बाहर देखने के लिए तो मैंने जुगाड़ कर लिया था मगर बाहर से अन्दर का नज़ारा नहीं देखा जा सकता था।

मैं पूरे मनोयोग से आवाजें सुनने लगा। बाहर पूरी शांति थी तो हर आवाज मुझे स्पष्ट सुनाई दे रही थी।

अमित- “हम्म्म्म पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च पुचच च च…”

सलोनी- “ओह बस्स्स्स ना… कल से हजार से ज्यादा बार चूम चुके हो…”

अमित- “पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च… कहाँ मेरी जान… अभी एक ही बार तो…”

सलोनी- “देखो अमित, मैंने तुम्हारी सारी इच्छाएँ पूरी कर दी हैं। अब तुम घर जाओ, रुचिका भी तुम्हारा इंतजार कर रही होगी। कल से कितनी बार उसने फोन किया है”

अमित- “पुचच च च पुचच च च पुच च च… तुम बहुत सेक्सी हो सलोनी सच… पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च… आई लव यू जानेमन… पुचच च च पुचच च च पुचच च च…”

सलोनी- “ओह… फिर से… अह्ह्हाआआआ नहीईइइइइ क्या करते हो? फिर से गीला कर दिया … अह्ह्हाआआआ…”

अमित- “अह्हा पुचच च च क्या चूत है यार तुम्हारी… हजारों में एक… पुचच च च… वाह क्या टेस्ट है… पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च…”

सलोनी- “अह्ह्हाआआ अब क्या खा जाओगे...? अह्ह्हाआआ ओह्ह नहीईइइइ अह्ह्हाआआआ बस्स्स्स्स्स्स अमित बस ना…”

अमित- “सुनो जानेमन, अभी मेरी एक इच्छा रह गई है… उसको अब तुम्हारे ऊपर है… कैसे पूरा करती हो”

सलोनी- “पागल हो गए तुम… कल से कितनी सारी तुम्हारी इच्छाएँ पूरी की है… तुमको याद भी हैं या नहीं… और फिर से एक और इच्छा... अब तुम रुचिका की इच्छाए पूरी करवाओ… तुम्हारी सभी हो गई हैं”

अमित- “पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च पुचच च च… जानेमन इच्छाओं का अंत कभी नहीं होता… और मेरी तो केवल 3-4 ही हैं”

सलोनी- “अह्हहाआआआ 3-4… अहा… कितनी सारी तो मैंने ही पूरी की… बस्स्स्स्स्स्स ना… ओह क्यों काटते हो?”

अमित- “पुचच च च पुचच च च अच्छा इतनी सारी बताओ फिर…”

सलोनी- “अह्ह्हाआआ अब गिनानी भी होंगी… तो सुनो… पहली- चलती गाड़ी में चुसवाया तुमने अपना…”

अमित- “पुचच च च हा हा क्या?? देखो नाम बोलने की शर्त थी… हैं… पुचच च च पुचच च च च पुचच च च…”

सलोनी- “हाँ और दूसरी इन सबके गंदे नाम भी बुलवाये… जो मैं केवल इनके सामने ही बोल पाती थी… पर तुम्हारे सामने भी बोलने पड़े…”

अमित- “तो मजा तो उसी में ही है जानेमन… पुचच च च पुचच च च पुचच च च… पर अभी भी गच्चा दे देती हो…”

सलोनी- “जी नहीं… तुमने अपना लण्ड नहीं चुसवाया था चलती गाड़ी में… और फिर मेरी चूत भी चाटी थी… अह्ह्हाआआ बस ना…”

अमित- “और क्या किया था? बस चाटी ही थी ना… चोदा तो नहीं था… अभी तो चलती गाड़ी में चोदने का भी मन है…”

सलोनी- “हाँ फिर कहीं भिड़ा देना… अह्ह्हाआआ... गाड़ी को…”

अमित- “पुचच च च पुचच च च पुचच च च… अरे नहीं जानेमन बहुत एक्सपर्ट हूँ... मैं इसमें... रुचिका तो अक्सर ऐसे ही चुदवाती है… अह्हाआआ… अछआ… तो ये भी… अरे इतने कसकर नहीं यार… दर्द होता है… आखिर ये लण्ड भी अब तुम्हारा ही है…”

सलोनी- “हाँ बहुत शैतान है यह तुम्हारा लण्ड… पुचच च च पुचच च च…”

अमित- “अह्ह्हाआआ फिर…?”

सलोनी- “फिर मुझे नंगी ही पार्किंग से यहाँ तक लाये। वो तो गनीमत थी कि किसी ने नहीं देखा, कितना डर गई थी मैं? पागल… अह्हाआआ पुचच च च पुचच च च…”

अमित- “यही तो मजा है जानेमन… मजा भी तो कितना आया था… अह्ह्हाआ ओह…”

सलोनी- “और फिर तुम्हारी वो सारी इच्छाएँ… पुचच च च पुचच च च पुचच च च अह्ह्हाआआ हो गया…”

अमित- “अह्ह्हाआआ अह्हाआआ अह्ह्ह अउउउ हह्ह्ह्ह्ह कम्माल कर दिया तुमने जाने मन… इतनी जल्दी …अह्ह्हाआआआ…”

सलोनी- “बस्सस्स्स्स न हो गया ना… चलो अब… जल्दी करो… मुझे कॉलेज भी जाना है… अंकल भी आने वाले होंगे… चलो जल्दी करो…”

अमित- “अंकल क्यों?”

सलोनी- “वो कॉलेज में साड़ी पहनकर जाना होता है… और मुझे पहननी नहीं आती… इसीलिए वो मदद करते हैं”

उनकी इतनी बात सुनकर ही मुझे काफी कुछ पता चल गया था कि दोनों में बहुत अच्छी दोस्ती हो गई है।

अब आगे आगे देखना था कि क्या होता है?

मैं अपनी जगह आकर सो गया। आधे घंटे तक दोनों बाहर वाले कमरे में ही थे। हाँ 1-2 बार कुछ काम करने या कपड़े लेने सलोनी आई थी, उसने मुझे चूमा भी था। पर मैं वैसे ही सोने का बहाना करता रहा। फिर शायद अंकल जी आ गए थे और अमित भी चला गया था, अब मुझे भी तैयार होकर काम पर जाना था, 9 से भी ऊपर हो गए थे।

तभी सोचा कि एक बार अंकल को साड़ी पहनाते देखकर बाथरूम में चला जाऊँगा, और मैं उठकर बाहर कमरे में देखने लगा।

मैंने देखा सलोनी ने पेटीकोट और ब्लाउज पहले ही पहना हुआ है, फिर भी अंकल ने कुछ मजा लेते हुए उसको साड़ी पहनाई। आज इतना जरूर हुआ कि सलोनी ने खुद ही पहनी और अंकल ने केवल उसको गाइड किया। पर मैंने इतना जरूर सुना कि अंकल को पता था हम रात देर से आये और सलोनी अमित के साथ आई थी। मगर उनकी बातें मुझे ज्यादा साफ़ साफ़ नहीं सुनाई दी। हाँ इतना भी पता चला कि विकास उसको लेने आने वाला है क्योंकि कॉलेज बहुत दूर है।

तभी मुझे याद आया और मैंने अपना पेन रिकॉर्डर जो पहले ही फुल चार्ज कर लिया था, ओन करके सलोनी के पर्स में डाल दिया। फिर मैं बाथरूम में फ्रेश होने चला गया।

बाथरूम में नहाते हुए मैं सोचने लगा कि कल का पूरा दिन बहुत ही खूबसूरत था और रात तो उससे भी ज्यादा सेक्सी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैंने अपनी ज़िंदगी का सबसे खूबसूरत दिन जी लिया हो।

सबसे बड़ी बात, मेरी जान सलोनी वो तो इतनी खुश दिख रही थी जितना मैंने आज तक नहीं देखा था, उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि वो बहुत खुश है !
और मुझे क्या चाहिए?!!?

अगर यह सब मेरे संज्ञान के बिना होता तो शायद गलत होता मगर हम दोनों को ही ऐसा मजेदार जीवन पसंद था। हम इस सबका भरपूर मजा ले रहे थे।

सुबह अमित चला गया, वो मुझसे बिना मिले ही गया, पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था मगर अब ये सब मुझे कोई बुरा नहीं लगा, उसको अगर सलोनी पसंद है और सलोनी भी उसको पसंद करती है तो दोनों को रोमांस करने दो। मुझे भी दूसरी लड़कियों का मजा मिल रहा है और सलोनी को इस तरह फ़्लर्ट करते देखने में भी मजा आ रहा है।

कोई दस मिनट बाद मुझे बस सलोनी की आवाज सुनाई दी- “सुनो, मैं जा रही हूँ, नाश्ता आपको भाभी दे देंगी”

मैं सोच ही रहा था कि कौन भाभी और यह मधु क्यों नहीं आई? उसने तो सुबह-शाम आने को कहा था।

मधु की मीठी मीठी यादों में नहाकर में बाहर निकला, हमेशा की तरह नंगा। मधु की कोमल चूत को याद करने से मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया था, जो इस समय बहुत प्यारा लग रहा था।

बाहर आते ही एक और सरप्राइज तैयार था…

TO BE CONTINUED .....
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