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15-03-2024, 06:12 PM
“आह्ह्ह्हाआ… आआआ… आआ उउउउउ…”
सलोनी- “ओह, तुमने मेरा पूरा हाथ ख़राब कर दिया… वैसे, वाह कितना सारा… यार आराम से… बस्स्स्स्स ना हो गया अब तो…”
तभी…
ठक ठक…ठक ठक…
सलोनी- “अर्र रे कौन आया?”
मनोज- “अरे सोहन होगा… कॉफ़ी लाया होगा… जल्दी से सही कर लो… … आओ कौन है?”
“हम हैं सर…कॉफ़ी…”
मनोज- “अरे इधर स्टूल पर क्यों बैठ रही हो, सामने कुर्सी पर बैठो न”
सलोनी- “अरे नहीं, मैं ठीक हूँ”
मनोज- “हाँ लाओ सोहन, यहाँ रख दो”
सोहन – “जी सर…
…..
…ओह ओह सॉरी सर…”
मनोज- “देखकर नहीं रख सकते… सब गिरा दी…”
हर अगला पल एक नए रोमांच को लेकर आ रहा था मेरे जीवन में! मैं फोन हाथ से पकड़े कान पर लगाये हर हल्की से हल्की आवाज भी सुनने की कोशिश कर रहा था।
अभी-अभी मेरी बीवी ने अपने पुराने दोस्त के लण्ड को अपने हाथ से पकड़कर उसका पानी निकाला था। हो सकता है कि उसने लण्ड को चूमा भी हो। ना केवल मेरी बीवी सलोनी अपने दोस्त के लण्ड से खेली बल्कि अपने कपड़े हटा कर अपने कीमती खजाने, वो अंग जो हमेशा छुपे रहते हैं उनको भी नंगा करके उसने अपने दोस्त को दिखाया।
जहाँ तक मुझे समझ आया उसने अपनी चूचियाँ नंगी करके उससे चुसवाई, मसलवाई, अपनी चूत को ना केवल नंगी करके दिखाया बल्कि चूत को दोस्त के हाथ से सहलवाया भी। हो सकता है उसने ऊँगली भी अंदर डाली हो। कुल मिलाकर दोनों अपना पूरा मनोरंजन किया था और साथ में मेरा, मधु और आपका भी…
उस आवाज से मुझे यह तो लग गया था कि वहाँ कुछ गिरा था। पर क्या और कहाँ? और अभी वहाँ क्या चल रहा था? पता नहीं चल रहा था…
तभी मुझे मधु की आवाज सुनाई दी- “हेलो भैया…”
बहुत समझदार थी मधु, उसने मेरे दिल की बात सुन ली थी।
मैं- “हाँ मधु, अभी क्या हो रहा है?”
मधु- “हे हे भैया, भाभी तो ना जाने क्या क्या कर रही थी अंदर, आपने सुना न… हे हे हे हे…”
मैं- “अरे तू पागलों की तरह हंसना बंद कर और बता मुझे”
मधु- “क्या भैया??”
मैं- “अरे तूने जो देखा और अभी ये सब क्या हुआ”
मधु- “अरे भाभी स्टूल पर बैठी हैं ना, तो वो चाय जो लेकर आया था उसने भाभी को देखते हुए चाय गिरा दी”
मैं- “अरे कहाँ गिरा दी और क्या देखा उसने?”
मधु- “वो भाभी के बैठने से उनकी जीन्स नीचे हो गई थी, और उनके चूतड़ देख रहे थे। बस उनको देखते ही उसने चाय मेज पर गिरा दी। हे हे हे हे… बहुत मजा आ रहा है”
मैं- “ओह फिर ठीक है, किसी पर गिरी तो नहीं ना?”
मधु- “नहीं, पर वो आदमी चाय साफ़ करते हुए अभी भी भाभी के चूतड़ ही निहारे जा रहा है”
मैं- “क्यों? सलोनी कुछ नहीं कर रही?”
मधु- “अरे वो तो उसकी और पीठ करके बैठी हैं ना और उसकी नजर वहीं है, घूर घूर कर देख रहा है”
मैं- “चल ठीक है तू अपनी जगह बैठ, शाम को मिलकर बात करते हैं”
तभी मेरा केबिन में रोज़ी ने प्रवेश किया। मैं सोच रहा था कि नीलू को बुलाकर थोड़ा ठंडा हो जाता क्योंकि इस सब घटनाक्रम से मेरा लण्ड बहुत गर्म हो गया था मगर रोज़ी को भी देख दिल खुश हो गया आखिर आज सुबह ही उसकी चूत और गांड के दर्शन किये थे।
रोज़ी- “मे आई कम इन सर?”
मैं- “हाँ बोलो रोज़ी क्या हुआ? क्या फिर टॉयलेट यूज़ करना है?”
वो बुरी तरह शरमा रही थी, उसकी नजर ऊपर ही नहीं उठ रही थी, वो जमीन पर नजर लगाये अपने पैर से जमीन को रगड़ भी रही थी।
रोज़ी- “ओह…ववव वो नहीं सर”
मैं- “अरे यार, तुम इतना क्यों शरमा रही हो? ये सब तो नार्मल चीजें हैं। हम लोगों को आपस में बिल्कुल खुला होना चाहिए। तभी जॉब करने में मजा आता है वरना रोज एक सा काम करने में तो बोरियत हो जाती है”
रोज़ी- “जी सर, वो आज आपने मुझे देख लिया न तो इसीलिए”
मैं – “हा हा… अरे! मैं तो तुमको रोज ही देखता हूँ, इसमें नया क्या?”
मैं उसका इशारा समझ गया था पर उसको सामान्य करने के लिए बात को फॉर्मल बना रहा था। मैं चाह रहा था कि जल्द से जल्द रोज़ी खुल जाये और फिर से चहकने लगे।
रोज़ी- “अरे नहीं सर… आप भी ना”
लग रहा था कि वो अब कुछ नार्मल हो रही थी, वो आकर मेरे सामने खड़ी हो गई थी। मैंने उसको बैठने के लिए बोला, वो मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गई।
रोज़ी- “वो सर, आपने मुझे उस हालत में देख लिया था”
मैं- “ओह क्या यार? क्या सीधा नहीं बोल सकती कि नंगी देख लिया था”
रोज़ी- “हम्म्म्म… वही सर”
मैं- “अरे तो क्या हुआ? वो तो नीलू ने भी देखा था और तुम्हारे बदन पर केवल तुम्हारे पति का कॉपीराइट थोड़े ही है कि उसके अलावा कोई और नहीं देखेगा?”
रोज़ी- “क्या सर? आप कैसी बात करते हो? एक तो आपने मुझे वैसे देख लिया और अब ऐसी बातें, मुझे बहुत शर्म आ रही है”
मैं- “यह गलत बात है रोज़ी जी, कल से अपनी यह शर्म घर छोड़कर आना, समझी! वरना मत आना”
रोज़ी- “नहीं सर, ऐसा मत कहिये प्लीज, यहाँ आकर तो मेरा कुछ मन बहल जाता है वरना…”
मैं- “अरे कोई परेशानी है क्या? रोज़ी, तुम्हारी शादी को कितना समय हो गया?”
रोज़ी- “यही कोई साढ़े चार साल…”
मैं- “फिर कोई बेबी?”
रोज़ी- “हुआ था सर, पर रहा नहीं…”
मैं- “ओह आई एम सॉरी…”
रोज़ी- “कोई बात नहीं सर…”
मैं- “फिर दुबारा कोशिश नहीं की?”
रोज़ी- “डॉक्टर ने अभी मना कर रखा है सर”
मैं- “ओह! तुम्हारी सेक्स लाइफ तो सही चल रही है ना?”
रोज़ी- “ह्म्म्म्म… ठीक ही है सर”
वो अब काफी नार्मल हो गई थी। मेरी हर बात को सहज ले रही थी।
मैं- “अरे ऐसे क्यों बोल रही हो? कुछ गड़बड़ है क्या?”
रोज़ी- “नहीं सर, ठीक ही है…”
वो अभी भी आपने बारे में सब कुछ बताने में झिझक रही थी।
TO BE CONTINUED....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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15-03-2024, 06:15 PM
मैं माहोल को थोड़ा हल्का करने के लिए- “वैसे रोज़ी, सच तुम अंदर से भी बहुत सुन्दर हो। तुम्हारा एक एक अंग साँचे में ढला है। बहुत खूबसूरत! सच…”
रोज़ी बुरी तरह से लजा गई।
रोज़ी- “सर…”
मैं- “अरे यार, इतना भी क्या शर्माना”
मैंने अपनी पेंट की ज़िप खोल अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था क्योंकि वो बहुत देर से तने तने अंदर दर्द करने लगा था। मेरा लण्ड कुछ देर पहले सलोनी और अब रोज़ी की बातों से पूरी तरह खड़ा हो गया था और लाल हो रहा था। मैं अपनी कुर्सी से उठकर रोज़ी के पास जाकर खड़ा हुआ।
मैं- “लो यार, अब शरमाना बंद करो। मैंने तो तुमको दूर से नंगी देखा पर तुम बिल्कुल पास से देख लो। हा हा… और चाहो तो छूकर भी देख सकती हो”
रोज़ी की आँखें फटी पड़ी थी वो भौंचक्की सी कभी मुझे और कभी मेरे लण्ड को निहार रही थी। मैं डर गया कि पता नहीं क्या करेगी। रोज़ी मेरे केबिन में कुर्सी पर बैठी कसमसा रही थी। 28-29 साल की एक शादीशुदा मगर बेहद खूबसूरत लड़की जिसको मेरे यहाँ ज्वाइन किये अभी एक महीना ही हुआ था। उसकी आज सुबह ही मैंने नंगी चूत और चूतड़ के दर्शन कर लिए थे और इस समय वो कुर्सी पर बैठी थी।
मैं उसके ठीक सामने खड़ा था। मेरा लण्ड पेंट से बाहर था पूरी कड़ी अवस्था में और वो रोज़ी से चेहरे के इतना निकट था कि उसके बाल उड़ते हुए मेरे लण्ड से टकरा रहे थे।
निश्चित ही उसको मेरे लण्ड की खुशबू आ रही होगी जो आज सुबह से ही मस्त था। नलिनी भाभी और नीलू के थूक और चूत की खुशबू से लण्ड महक रहा था क्योंकि आज सुबह से तो मैंने एक बार भी लण्ड नहीं धोया था।
रोज़ी बहुत तेज साँस ले रही थी, उसकी घबराहट बता रही थी कि उसको इस तरह सेक्स करने की बिल्कुल आदत नहीं थी।
वो एक शर्मीली और शायद अब तक अपने पति से ही एक बंद कमरे में चुदी थी और शायद अपने पति के अलावा उसने किसी का लण्ड नहीं देखा था। ज़माने भर की घबराहट उसके चेहरे से नजर आ रही थी।
“स्स्सर ये क्या कर रहे हैं आप? प्लीज इसको बंद कर लीजिये। कोई आ जाएगा”
मैं अपने लण्ड को और भी ज्यादा आगे आकर ठीक उसके गाल से पास लहराते हुए- “अरे क्या यार, मैंने कहा ना यहाँ हम सब दोस्तों की तरह रहते हैं। जब मैंने तुम्हारे अंग देखे हैं तो तुम मेरे अच्छी तरह से देख लो। मैं नहीं चाहता कि फिर मेरे सामने आते हुए तुमको जरा भी शर्म आये”
रोज़ी- “ओह... न…नही ऐसी कोई बा…त नहीं है… मुझे बहुत डर ल…लग रहा है… प्लीज…”
रोज़ी ने अपने दोनों हाथ अपनी आँखों पर रख लिए।
अब मैंने अपना लण्ड अपने हाथ से पकड़ कर लण्ड का टॉप रोज़ी के हाथों के पिछले हिस्सों पर रगड़ा। रोज़ी के हाथ कांपने लगे।
मैं- “यह गलत बात है यार रोज़ी, हम बाहर निकाले खड़े हैं और तुम देख भी नहीं रही?”
रोज़ी के मुख से जरा भी आवाज नहीं निकल रही थी। उसके लाल कांपते होंठों को देख, जो बस जरा से खुले थे, मेरा दिल बेईमान होने लगा। मैंने लण्ड को हिलाते हुए ही रोज़ी की नाक के बिल्कुल पास से लाते हुए उसके कांपते होंठों से हल्का सा छुआ।
बस यही वो पल था जब रोज़ी को अपने होंठ सूखे होने का एहसास हुआ और उसने अपनी जीभ निकाल अपने होंठों को गीला करने का सोची और उसकी जीभ सीधे मेरे लण्ड के सुपारे को चाट गई। लण्ड इस छुअन को बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसमें से एक दो बून्द पानी की बाहर चमकने लगी।
रोज़ी को भी शायद नमकीन सा स्वाद आया होगा। उसने एक चटकारा सा लिया कि यह कैसा स्वाद है और अबकी बार उसने अपने हाथ अपनी आँखों से हटा लिए। रोज़ी ने आँखे खोलकर जैसे ही लण्ड को अपने होंठों के इतने पास देखा, वो बुरी तरह शर्मा गई और उसको एहसास हो गया कि यह जो उसने अभी लिया वो किस चीज का स्वाद था।
उसकी तड़प देख मुझे एहसास हो रहा था कि यह इतनी जल्दी सब कुछ के लिए तैयार नहीं होगी और मैं जबरदस्ती को बिल्कुल भी पसंद नहीं करता था। मैं चाहता था कि रोज़ी खुद पूरे खेल में साथ दे, तभी मजा आएगा।
मैंने रोज़ी के दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर कहा- “ओह, इतना क्यों शरमा रही हो यार, हम केवल थोड़ा सा एन्जॉय ही तो कर रहे हैं जिससे हम दोनों को ही कुछ ख़ुशी मिल रही है। अगर तुमको अच्छा नहीं लग रहा तो कसम से मैं कभी तुम्हें बिल्कुल परेशान नहीं करूँगा। वो तो तुम खुद को नंगा देखे जाने से इतना शरमा रही थी तभी मैंने तुम्हारी शरम दूर करने के लिए ही ये सब किया”
रोज़ी- “व्व्व वो बात नहीं… स्सर… प्पर”
मतलब उसका भी मन था मगर पहली बार होने से शायद घबरा रही थी। इसका मतलब अभी उसको समय देना होगा। धीरे धीरे सब सामान्य हो जायेगा।
मैं- “अच्छा बाबा ठीक है। अब एक किस तो कर दो, मैंने अंदर कर लिया”
रोज़ी जैसे ही आँखे खोलकर आगे को हुई, एक बार फिर मेरा लण्ड उसके होंठों पर टिक गया, अबकी बार तो कमाल हो गया।
रोज़ी ने अपने हाथ से मेरा लण्ड पीछे करते हुए कहा- “ओह सर! आप भी ना, इसको अंदर कर लो। मैं अभी इस सबके लिए तैयार नहीं हूँ”
मेरे दिल ने एक जैकारा लगाया, वाओ इसका मतलब बाद में तैयार हो जाएगी। मैंने उसको ज्यादा परेशान करना ठीक नहीं समझा। मैंने अपना लण्ड किसी तरह पेंट में अंदर किया और नार्मल हो अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया।
रोज़ी अपनी जगह से उठकर- “सॉरी सर, मैंने आपका दिल दुखाया” -फिर कमबख्त कातिल मुस्कुराहट के साथ पूछा- “क्या मैं आपका बाथरूम यूज़ कर सकती हूँ?”
मेरे कोई जवाब न देने पर भी वो मुस्कुराती हुई बाथरूम में घुस गई।
मैं कुछ देर तक उसकी हरकतों के बारे में सोचता रहा फिर अचानक से मुझे जोश आया कि देखूँ तो सही कि कैसे शूशू कर रही है? और अपनी जगह से उठकर मैं बाथरूम के दरवाजे तक गया। मैं कई तरह से सोचता हुआ कि ना जाने बाथरूम में रोज़ी क्या कर रही होगी?? अभी सूसू कर रही होगी…? या कर चुकी होगी…? कमोड पर साड़ी उठाये बैठी होगी…? या वैसे ही खड़ी होगी जैसा मैंने सुबह देखा था...!! अपने ख्यालों में उसकी शूशू करती हुई तस्वीर लिए मैंने बाथरूम का दरवाजा पूरा खोल दिया और…
TO BE CONTINUED ....
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आपकी पसंदीदा और इंटरनेट की सबसे खूबसूरत cuckold based interfaith स्टोरी अपडेट हो चुकी है अगर आपने इसे पहले नहीं पढ़ा तो कृपया पहले पेज से पटना ढेर सारी कमेंट वगैरह करके लेखक की हौसला अफजाई करना
•
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17-03-2024, 03:24 PM
कहते हैं कि यह मन बावला होता है। यह प्रत्यक्ष प्रमाण मेरे सामने था। एक मिनट में ही मेरे मन ने रोज़ी के ना जाने कितने पोज़ बना दिए थे और दरवाजा खोलते ही ये सब के सब धूमिल हो गए।
रोज़ी दर्पण के सामने खड़े हो अपने बाल ठीक कर रही थी। उसने बड़े साधारण ढंग से मुझे देखा जैसे उसको पता था कि मैं जरूर आऊँगा। मेरे ख्याल से उसको चौंक जाना चहिए था मगर ऐसा नहीं हुआ।
वो मुझे देख मुस्कुराई- “क्या हुआ?”
मैं- “कुछ नहीं यार, मेरा भी प्रेशर बन गया”
और उसको नजरअंदाज कर मैं अपना लण्ड बाहर निकाल उसके उसकी ओर पीठ कर मूतने लगा। यह बहाना भी नहीं था, इस सबके बाद मुझे वाकयी बहुत तेज प्रेशर बन गया था मूतने का। मैंने गौर किया कि रोज़ी पर कोई फर्क नहीं पड़ा, वो वैसे ही अपने बाल बनाती रही और शायद मुस्कुरा भी रही थी।
बहुत मुश्किल है इस दुनिया में नारी को समझ पाना और उनके मन में क्या है। यह तो उतना ही मुश्किल है जैसे यह बताना कि अंडे में मुर्गा है या मुर्गी?
मूतने के बाद मैंने जोर जोर से पाने लण्ड को हिलाया। यह भी आज आराम के मूड में बिल्कुल नहीं था। अभी भी धरती के समानान्तर खड़ा था। मैं लण्ड को हिलाते हुए ही रोज़ी के पास चला गया। वो वाशबेसिन के दर्पण के सामने ही अपने बाल संवार रही थी।
मैं लण्ड को पेंट से बाहर ही छोड़ अपने हाथ धोने लगा। रोज़ी ने उड़ती नज़र से मुझे देखा, बोली- “अरे, इसको अंदर क्यों नहीं करते?”
मैं हँसते हुए- “हा…हा… तुमको शर्म नहीं आती जहाँ देखो वहीं अंदर करने की बात करने लगती हो हा हा…”
वो एकदम मेरी द्विअर्थी बात समझ गई और समझती भी क्यों नहीं आखिर शादीशुदा और कई साल से चुदवाने वाली अनुभवी नारी है।
रोज़ी- “जी वहाँ नहीं, मैं पैंट के अंदर करने की बात कर रही हूँ”
मैं- “ओह मैं समझा कि साड़ी के अंदर हा हा…”
रोज़ी- “हो हो… बस हर समय आपको यही बातें सूझती हैं?”
मैं- “अरे यार, अब जब तुमने बीवी वाला काम नहीं किया तो उसकी तरह व्यवहार भी मत करो। ये करो, वो मत करो। अरे यार जो दिल में आये, जो अच्छा लगे, वो करना चाहिए”
रोज़ी- “इसका मतलब पराई स्त्री के सामने अपना बाहर निकाल कर घूमो?”
मैं- “पहले तो आप हमारे लिए पराई नहीं हो और यही ऐसी जगह है जहाँ इस बेचारे को आज़ादी मिलती है और रोज़ी डियर, मुझको कहने से पहले अपना नहीं सोचती हो”
रोज़ी- “मेरा क्या? मैं तो ठीक ही खड़ी हूँ ना”
मैं- “मैं अब की नहीं, सुबह की बात कर रहा हूँ। कैसे अपनी साड़ी पूरी कमर से ऊपर तक पकड़े और वो सेक्सी गुलाबी कच्छी नीचे तक उतारे, अपने सभी अंगों को हवा लगा रही थीं। तब मैंने तो कुछ नहीं कहा”
रोज़ी- “ओह! आप फिर शुरू हो गए। अब बस भी करो ना”
मैं- “क्यों? तुम अपना बाहर रखो कोई बात नहीं, पर मेरा बाहर है तो तुमको परेशानी हो रही है?”
रोज़ी- “अरे आप हमेशा बाहर रखो और सब जगह ऐसे ही घूमो। मुझे क्या”
रोज़ी मेरे से अब काफी खुलने लगी थी। मेरा प्लान उसको खोलने का कामयाब होने लगा था।
रोज़ी- “अच्छा मैं चलती हूँ”
उसने एक पैकेट सा वाशबेसिन की साइड से उठाया।
मेरी जिज्ञासा बढ़ी- “अरे इसमें क्या है?”
वो शायद टॉयलेट पेपर में कुछ लिपटा था। मैंने तुरंत उसके हाथ से झपट लिया।
मैं- “यह क्या लेकर जा रही हो यहाँ से?”
और छीनते ही वो खुल गया, तुरंत एक कपड़ा सा नीचे गिरा। अरे! यह तो रोज़ी की कच्छी थी। वही सुबह वाली, सेक्सी, हल्के नेट वाली, गुलाबी। रोज़ी के उठाने से पहले ही मैंने उसको उठा लिया। मेरा हाथ में कच्छी का चूत वाले हिस्से का कपड़ा आया जो काफी गीला और चिपचिपा सा था।
ओह तो रोज़ी ने बाथरूम में आकर अपनी कच्छी निकाली थी ना कि मूत किया था। इसका मतलब उस समय यह भी पूरी गीली हो गई थी। रोज़ी ने मेरे लण्ड को पूरा एन्जॉय किया था, बस ऊपर से नखरे दिखा रही थी।
रोज़ी- “उफ्फ! क्या करते हो?? दो मेरा कपड़ा”
मैं- “अरे कौन सा कपड़ा भई?”
मैंने उसके सामने ही उसकी कच्छी का चूत वाला हिस्सा अपनी नाक पर रख सूंघा- “अरे, लगता है तुमने कच्छी में ही शूशू कर दिया”
रोज़ी- “जी नहीं, वो सूसू नहीं है, प्लीज मुझे और परेशान मत करो। दे दो ना इसे”
मैं- “अरे बताओ तो यार क्या है यह?”
रोज़ी- “मेरी पैंटी, बस हो गई ख़ुशी। अब तो दो ना”
मैं- “जी नहीं, यह तो अब मेरा गिफ्ट है। इसको मैं अपने पास ही रखूँगा”
रोज़ी चुपचाप पैर पटकते हुए बाथरूम और फिर केबिन से भी बाहर चली गई। पता नहीं नाराज होकर या…
फिर मैं कुछ काम में व्यस्त हो गया।
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शाम को फोन चेक किया तो तीन मिस कॉल सलोनी की थीं। मैंने सलोनी को कॉल बैक किया।
सलोनी- “अरे कहाँ थे आप? मैं कितना कॉल कर रही थी आपको”
मैं- “क्या हुआ?”
सलोनी- “सुनो, मेरी जॉब लग गई है। वो जो कॉलेज है न उसमें”
मैं- “चलो, मैं घर आकर बात करता हूँ”
सलोनी- “ठीक है, हम भी बस पहुँचने ही वाले हैं”
मैं- “अरे, अभी तक कहाँ हो?”
सलोनी- “अरे! वो वहाँ साड़ी में जाना होगा ना, तो वही शॉपिंग और फिर टेलर के यहाँ टाइम लग गया”
मैं- “ओह! चलो तुम घर पहुँचो, मुझे भी एक डेढ़ घण्टा लग जाएगा”
सलोनी- “ठीक है कॉल कर देना जब आओ तो”
मैं- “ओके डार्लिंग, बाय”
सलोनी- “बाय जानू”
मैं अब यह सोचने लगा कि यार यह सलोनी, मेरी चालू बीवी शाम के छः बजे तक बाजार में कर क्या रही थी? और टेलर से क्या सिलवाने गई थी? है कौन यह टेलर?
पहले मैं घर जाने कि सोच रहा था पर इतनी जल्दी घर पहुँचकर करता भी क्या? अभी तो सलोनी भी घर नहीं पहुँची होगी।
मैं अपनी कॉलोनी से मात्र दस मिनट की दूरी पर ही था, सोच रहा था कि फ्लैट की दूसरी चाबी होती तो चुपचाप फ्लैट में जाकर छुप जाता और देखता वापस आने के बाद सलोनी क्या क्या करती है। पर चाबी मेरे पास नहीं थी। अब आगे से यह भी ध्यान रखूँगा।
तभी मधु का ध्यान आया। उसका घर पास ही तो था। एक बार मैं गया था सलोनी के साथ। सोचा, चलो उसके घर वालों से मिलकर बता देता हूँ और उन लोगों को कुछ पैसे भी दे देता हूँ। अब तो मधु को हमेशा अपने पास रखने का दिल कर रहा था।
गाड़ी को गली के बाहर ही खड़ा करके किसी तरह उस गंदी सी गली को पार करके मैं एक पुराने से छोटे से घर में घर के सामने रुका। उसका दरवाजा ही टूटफूट के टट्टों और टीन से जोड़कर बनाया था।
मैंने हल्के से दरवाजे को खटखटाया। दरवाजा खुलते ही मैं चौंक गया, खोलने वाली मधु थी। उसने अपना कल वाला फ्रॉक पहना था। मुझे देखते ही खुश हो गई।
मधु- “अरे भैया आप?”
मैं- “अरे तू यहाँ! मैं तो समझ रहा था कि तू अपनी भाभी के साथ होगी”
मधु- “अरे हाँ, मैं कुछ देर पहले ही तो आई हूँ। वो भाभी ने बोला कि अब शाम हो गई है तू अब घर जा और कल सुबह जल्दी बुलाया है”
मैं मधु के घर के अंदर गया, मुझे कोई नजर नहीं आया।
मैं- “अरे कहाँ है तेरे माँ, पापा?”
मधु- “पता नहीं, सब बाहर ही गए हैं। मैंने ही आकर दरवाजा खोला है”
बस उसको अकेला जानते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैंने वहीं पड़ी एक टूटी सी चारपाई पर बैठते हुए मधु को अपनी गोद में खींच लिया।
मधु दूर होते हुए- “ओह! यहाँ कुछ नहीं भैया, कोई भी अंदर देख सकता है और सब आने वाले ही होंगे। मैं कल आऊँगी ना, तब कर लेना”
वाह रे मधु, वो कुछ मना नहीं कर रही थी। उसको तो बस किसी के देख लेने का डर था क्योंकि अभी वो अपने घर पर थी। कितनी जल्दी यह लड़की तैयार हो गई थी जो सब कुछ खुलकर बोल रही थी।
मैं मधु और रोज़ी की तुलना करने लगा। यह जिसने ज्यादा कुछ नहीं किया। कितनी जल्दी सब कुछ करने का सहयोग कर रही थी और उधर वो अनुभवी, सब कुछ कर चुकी रोज़ी, कितने नखरे दिखा रही थी।
शायद भूखा इंसान हमेशा खाने के लिए तैयार रहता है। यही बात थी या मधु की गरीबी ने उसको ऐसा बना दिया था?
मैंने मधु के मासूम चूतड़ों पर हाथ रख उस अपने पास किया और पूछा- “अरे मेरी गुड़िया! मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा। यह तो बता सलोनी खुद कहाँ है?”
मधु- “वो तो अब्दुल अंकल के यहाँ होंगी। वो उन्होंने तीन साड़ियाँ ली हैं ना तो उसके ब्लाउज और पेटीकोट सिलने देने थे”
मैं- “अरे कुछ देर पहले फोन आया था कि वो तो उसने दे दिए थे”
मधु- “नहीं, वो बाजार वाले दर्जी ने मना कर दिया था। वो बहुत दिनों बाद सिल कर देने को कह रहा था तो भाभी ने उसको नहीं दिए और फिर मुझको छोड़कर अब्दुल अंकल के यहाँ चली गई”
मैं सोचने लगा कि ‘अरे वो अब्दुल… वो तो बहुत कमीना है…’
और सलोनी ने ही उससे कपड़े सिलाने को खुद ही मना किया था।
तभी…
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18-03-2024, 12:51 PM
मधु के चूतड़ों पर फ्रॉक के ऊपर से ही हाथ रखने पर मुझे उसकी कच्छी का एहसास हुआ। मैंने तुरंत अचानक ही उसके फ्रॉक को अपने दोनों हाथ से ऊपर कर दिया। उसकी पतली पतली जाँघों में हरे रंग की बहुत सुन्दर कच्छी फंसी हुई थी।
मधु जरा सा कसमसाई, उसने तुरंत दरवाजे की ओर देखा और मैं उसकी कच्छी और कच्छी से उभरे हुए उसके चूत वाले हिस्से को देख रहा था। उसके चूत वाली जगह पर ही मिक्की माउस बना था।
मैंने कच्छी के बहाने उसकी चूत को सहलाते हुए कहा- “यह तो बहुत सुन्दर है यार”
अब वो खुश हो गई- “हाँ भैया! भाभी ने दो दिलाई”
और वो मुझसे छूटकर तुरंत दूसरी कच्छी लेकर आई।
वो भी वैसी ही थी पर लाल सुर्ख रंग की।
मैं- “अरे वाह, चल इसे भी पहन कर दिखा”
मधु- “नहीं अभी नहीं, कल…”
मैं भी अभी जल्दी में ही था और कोई भी आ सकता था। फिर मैंने सोचा कि क्या अब्दुल के पास जाकर देखूँ, वो क्या कर रहा होगा?? पर दिमाग ने मना कर दिया मैं नहीं चाहता था कि सलोनी को शक हो कि मैं उसका पीछा कर रहा हूँ।
फिर मधु को वहीं छोड़ मैं अपने फ्लैट की ओर ही चल दिया। सोचा अगर सलोनी नहीं आई होगी तो कुछ देर नलिनी भाभी के यहाँ ही बैठ जाऊँगा। और अच्छा ही हुआ जो मैं वहाँ से निकल आया। बाहर निकलते ही मुझे मधु की माँ दिख गई। अच्छा हुआ उसने मुझे नहीं देखा। मैं चुपचाप वहाँ से निकल गाड़ी लेकर अपने घर पहुँच गया।
मैं आराम से ही टहलता हुआ अरविन्द अंकल के फ्लैट के सामने से गुजरा। दरवाजा हल्का सा भिड़ा हुआ था बस और अंदर से आवाजें आ रही थीं। मैं दरवाजे के पास कान लगाकर सुनने लगा कि कहीं सलोनी यहीं तो नहीं है?
नलिनी भाभी- “अरे, अब कहाँ जा रहे हो, कल सुबह ही बता देना ना”
अंकल- “तू भी न, जब बो बोल रही है तो उसको बताने में क्या हर्ज है। उसकी जॉब लगी है, उसके लिए कितनी ख़ुशी का दिन है”
नलिनी भाभी- “अच्छा ठीक है, जल्दी जाओ और हाँ वैसे साड़ी बांधना मत सिखाना जैसे मेरे बांधते थे”
अंकल- “हे हे… तू भी ना, तुझे भी तो नहीं आती थी साड़ी बांधना। तुझे याद है अभी तक कैसे मैं ही बांधता था?”
नलिनी भाभी- “हाँ हाँ! मुझे याद है कि कैसे बांधते थे पर वैसे सलोनी की मत बाँधने लग जाना”
अंकल- “और अगर उसने खुद कहा तो?”
नलिनी- “हाँ वो तुम्हारी तरह नहीं है। तुम ही उस बिचारी को बहकाओगे”
अंकल- “अरे नहीं मेरी जान! बहुत प्यारी बच्ची है। मैं तो बस उसकी हेल्प करता हूँ”
नलिनी- “अच्छा अब जल्दी से जाओ और तुरंत वापस आना”
मैं भी तुरंत वहाँ से हट कर एक कोने में को सरक गया, वहाँ कुछ अँधेरा था। इसका मतलब अरविन्द जी मेरे घर ही जा रहे हैं। सलोनी यहाँ पहुँच चुकी है और अंकल उसको साड़ी पहनना सिखाएंगे।
वाह! मुझे याद है कि सलोनी ने शादी के बाद बस 5-6 बार ही साड़ी पहनी है। वो भी तब, जब कोई पारिवारिक उत्सव हो तभी और उस समय भी उसको कोई ना कोई हेल्प ही करता था। मेरे घर की महिलायें ना कि पुरुष, पर अब तो अंकल उसको साड़ी पहनाने में हेल्प करने वाले थे। मैं सोचकर ही रोमांच का अनुभव करने लगा था कि अंकल सलोनी को कैसे साड़ी पहनाएंगे?
पहले तो मैंने सोचा कि चलो जब तक अंकल नहीं आते नलिनी भाभी से ही थोड़ा मजे ले लिए जाएँ पर मेरा मन सलोनी और अंकल को देखने का कर रहा था। रसोई की ओर गया खिड़की तो खुली थी पर उस पर चढ़कर जाना संभव नहीं था। इसका भी कुछ जुगाड़ करना पड़ेगा। फिर अपने मुख्य गेट की ओर आया और दिल बाग़ बाग़ हो गया। सलोनी ने अंकल को बुलाकर गेट लॉक नहीं किया था।
क्या किस्मत थी यार…??
और मैं बहुत हल्के से दरवाजा खोलकर अंदर झांकने लगा और मेरी बांछें खिल गई। अंदर इस कमरे में कोई नहीं था शायद दोनों बैडरूम में ही चले गए थे। बस मैंने चुपके से अंदर घुस दरवाजा फिर से वैसे ही भिड़ा दिया और चुपके चुपके बैडरूम की ओर बढ़ा। मन में एक उत्सुकता लिए कि जाने क्या देखने को मिले???
कमरे में प्रवेश करते हुए एक डर सा भी था। लो कर लो बात, अपने ही घर में घुसते हुए डर लग रहा था मुझे। जबकि पड़ोसी मेरी बीवी के साथ बेधड़क मेरे बेडरूम में घुसा हुआ था और ना जाने क्या-क्या कर रहा था।
मैं बहुत धीमे क़दमों से इधर उधर देखते हुए आगे बढ़ रहा था कि कहीं कोई देख ना ले!
सच खुद को इस समय बहुत बेचारा समझ रहा था।
मुझे अच्छी तरह याद है करीब एक साल पहले एक पारिवारिक शादी के कार्यक्रम में भी सलोनी को साड़ी नहीं बंध रही थी तब उसके ताऊ जी ने उसकी मदद की थी। पर उस समय मैं नहीं देख पाया था कि कैसे उन्होंने सलोनी को साड़ी पहनाई क्योंकि ताऊजी ने सबको बाहर भेज दिया था और मैंने या किसी ने कुछ नहीं सोचा था क्योंकि ताऊजी बहुत आदरणीय थे।
मगर अब अरविन्द अंकल को देखने के बाद तो किसी भी आदरणीय पर भी भरोसा नहीं रहा था। फ़िलहाल किसी तरह मैं बेडरूम के दरवाजे तक पहुंचा, दरवाजे पर पड़ा परदा मेरे लिए किसी वरदान से कम नहीं था। इसके लिए मैंने मन ही मन अपनी जान सलोनी को धन्यवाद दिया क्योंकि ये मोटे परदे उसी की पसंद थे जो आज मुझे छिपाकर उसके रोमांच को दिखा रहे थे।
अंदर से दोनों की आवाज आ रही थी, मैंने अपने को पूरी तरह छिपाकर परदे को साइड से हल्का सा हटा अंदर झाँका। देखने से पहले ही मेरा लण्ड पैंट में पूरी तरह से अपना सर उठकर खड़ा हो गया था, उसको शायद मेरे से ज्यादा देखने की जल्दी थी।
अंदर पहली नजर मेरी सलोनी पर ही पड़ी, माय गॉड! यह ऐसे गई थी आज? पूरी क़यामत लग रही थी मेरी जान।
उसने अभी भी जीन्स और टॉप ही पहना था। पर्पल रंग की लोवेस्ट जींस और सफ़ेद शर्ट नुमा टॉप जो उसकी कमर तक ही था। टॉप और जींस के बीच करीब 6-7 इंच का गैप था जहाँ से सलोनी की गोरी त्वचा दिख रही थी।
सलोनी की पीठ मेरी ओर थी इसलिए उसके मस्त चूतड़ जो जींस के काफी बाहर थे वो दिख रहे थे।
अब मैंने उनकी बातें सुनने का प्रयास किया।
TO BE CONTINUED ....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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19-03-2024, 12:09 PM
अंकल- “अरे बेटा तू चिंता ना कर। मैं सब सेट कर दूंगा”
सलोनी- “हाँ अंकल, आप कितने अच्छे हो मगर भाभी की यह साड़ी मैं कैसे पहनूँगी?”
अंकल- “अरे मैं हूँ ना, तू ऐसा कर, तेरे पास जो भी पेटीकोट और ब्लाउज हों वो लेकर आ, मैं अभी मैच कर देता हूँ। देखना तू कल कॉलेज में सबसे अलग लगेगी”
सलोनी- “हाँ अंकल! मैं भी चाहती हूँ कि मेरी जॉब का पहला दिन सबसे अच्छा हो! मगर इस साड़ी ने सब गड़बड़झाला कर दिया”
अंकल- “तू जो साड़ियाँ लाई है, हैं तो सब बढ़िया”
सलोनी- “हाँ अंकल, मगर इनके ब्लाउज, पेटीकोट तो कल शाम तक ही मिलेंगे ना। बस कल की चिंता है”
सलोनी बेडरूम में ही अपनी कपड़ों के रैक में खोजबीन सी करने लगी। मुझे याद है कि उसके पास कोई 3-4 ही साड़ियाँ थीं जो उसने शुरू में ही ली थी और सभी फंक्शन में पहनने वाली हैवी साड़ियां थीं जो रोज रोज नहीं पहन सकते। शायद इसीलिए वो परेशान थी।
तभी सलोनी अपनी रेक के सबसे नीचे वाले भाग को देखने के लिए उकड़ू बैठ गई। मैंने साफ़ देखा कि उसकी जींस और भी नीचे खिसक गई और उसके चूतड़ लगभग नंगे देख रहे थे।
अब मैंने अंकल को देखा, वो ठीक सलोनी के पीछे ही खड़े थे और उनकी नजर सलोनी के नंगे चूतड़ों की दरार पर ही थी। फिर अचानक अंकल सलोनी के पीछे ही बैठ गए। मुझे नजर नहीं आया मगर शायद उन्होंने अपना हाथ सलोनी के उस नंगे भाग पर ही रखा था।
अंकल- “क्यों, आज तू ऐसे ही पूरा बजार घूम कर आ गई बिना कच्छी के? देख सब नंगे दिख रहे हैं”
सलोनी- “हाँ हाँ… लगा लो फिर से हाथ बहाने से, आप भी ना अंकल, तो क्या हुआ?? सब आपकी तरह थोड़े ना होते हैं”
अंकल भी किसी से कम नहीं थे, उन्होंने हाथ फेरते हुए ही कहा- “अरे मैं भी यही कह रहा हूँ बेटा, सब मेरे तरह शरीफ नहीं होते। मैं तो केवल हाथ ही लगा रहा हूँ बाकी रास्ते में तो सबने क्या क्या लगाया होगा”
सलोनी हाथ में कुछ कपड़े ले जल्दी से उठी।
सलोनी- “अच्छा अंकल जी, छोड़ो इन बातों को, आप तो जल्दी से मेरी साड़ी का सेट करो, मुझे बहुत टेंशन हो रही है”
तभी कुछ देर तक अंकल और सलोनी ने कपड़ों को उलट पुलट करके कोई एक सेट निकाला।
अंकल- “बेटा, मेरे हिसाब से तू इनमें बहुत ठीक लगेगी”
सलोनी- “मगर अंकल इस साड़ी के साथ, आपको यह पेटीकोट कुछ गहरा नहीं लग रहा?”
अंकल- “अरे नहीं बेटा, तू कहे तो मैं तुझको बिना पेटीकोट के ही साड़ी बांधना सिखा दूँ पर आजकल साड़ी इतनी पारदर्शी हो गई हैं कि सब कुछ दिखेगा”
सलोनी- “हाँ हाँ आप तो रहने ही दो, चलो मैं ये दोनों कपड़े पहन कर आती हूँ फिर आप साड़ी बांधकर दिखा देना”
उसने पेटीकोट और ब्लाउज हाथ में लिये।
अंकल- “अरे रुक ना, कहाँ जा रही है बदलने?”
सलोनी- “अरे बाथरूम में, और कहाँ? आप साड़ी ही तो बांधोगे ना। ये पेटीकोट और ब्लाउज तो मुझे पहनने आते हैं”
अंकल- “जी हाँ, पर साड़ी के साथ पेटीकोट और ब्लाउज मैं फ्री पहनाता हूँ। अब तुम सोच लो पेटीकोट और ब्लाउज भी मुझ ही से पहनोगी, तभी साड़ी भी पहनाऊँगा। हा हा हा…”
सलोनी- “ओह ब्लैकमेल! मतलब साड़ी पहनाने की फीस आपको एडवांस में चाहिए”
अंकल- “अब तुम जो चाहे समझ लो। मेरी यही शर्त है”
सलोनी- “हाँ हाँ! उठा लो मज़बूरी का फ़ायदा, अच्छा जल्दी करो अब मेरे पतिदेव कभी भी आ सकते हैं” -उसने अपना मोबाइल को चेक करते हुए कहा।
एक बार तो मुझे लगा कि कहीं वो मुझे कॉल तो नहीं कर रही। मैंने तुरंत अपना मोबाइल साइलेंट कर लिया।
अंकल सलोनी के हाथ से ब्लाउज ले खोलकर देखने लगे।
सलोनी ने अपने टॉप के बटन खोलते हुए बोली- “अब ये कपड़े तो मैं खुद उतार लूँ या ये भी आप ही उतारोगे?”
अंकल- “हाँ, रुक रुक… आज सब मैं ही करूँगा”
और सलोनी बटन खोलते खोलते रुक गई।
अब अंकल ने ब्लाउज को अपने कंधे पर डाला और बड़े अंदाज़ से सलोनी के टॉप के बाकी बचे बटन खोलने लगे और सलोनी ने भी बिना किसी विरोध के अपना टॉप उतरवा लिया।
शुक्र है भगवान का कि उसने अंदर ब्रा पहनी थी जो बहुत सेक्सी रूप से उसके खूबसूरत गोलाइयों को छुपाये थी मगर ‘लो वेस्ट जींस’ में उसका नंगा सुतवाँ पेट और ऊपर केवल ब्रा में कुल मिलकर सलोनी सेक्स की देवी जैसी दिख रही थी।
सलोनी होंठों पर मुस्कुराहट लिए लगातार अंकल की आँखों और उनके कांपते हाथों को देख रही थी और अंकल की पतली हालत को देखकर मुस्कुराते हुए वो पूरी शैतान की नानी लग रही थी।
अंकल ने जैसे ही ब्रा को उतारने का उपक्रम किया कि तभी सलोनी जैसे जागी- “अरर… अई! इसे क्यों उतार रहे हैं? ब्लाउज तो इसके ऊपर ही पहनओगे ना?”
अंकल- “व्व…वो… ह…हाँ... पर क्या तुम ब्रा नहीं बदलोगी?”
सलोनी- “वो तो सुबह भी देख लूंगी, अभी तो ऐसे ही पहना दो”
मैं केवल यह सोच रहा था कि चलो ऊपर का तो ठीक ही है पर नीचे का क्या होगा?? नीचे तो उसने कुछ नहीं पहना है, जींस उतरते ही उसकी चूत, चूतड़ सब दिखाई दे जायेंगे। क्या यह मेरी सलोनी ऐसे ही खड़ी रहेगी?”
मैं अभी सोच ही रहा था कि अंकल ने सलोनी की जींस का बटन खोल दिया।
तब भी सलोनी ने फिर थोड़ा सा विरोध किया- “अरे अंकल पहले ब्लाउज तो पहना ही देते, फिर नीचे का”
अंकल ने जैसे कुछ सुना ही नहीं, चाहते तो जींस की चेन दोनों भाग को खींच कर खुल जाती। मैंने भी कई बार खोली है पर अंकल जींस की चेन को अपने अंगूठे और उँगलियों से पकड़ बड़े रुक रुक कर खोल रहे थे। चेन ठीक सलोनी की फूली हुई चूत के ऊपर थी और शत प्रतिशत उनकी उंगलियाँ सलोनी की नंगी चूत को स्पर्श हो रही होंगी।
इसका पता सलोनी के चेहरे को देखकर ही लग रहा था। उसने मदहोशी से अपनी आँखें बंद कर ली थी और उसके लाल रक्तिम होंठ काँप रहे थे।
चेन खोलने के बाद अंकल ने उसकी जींस दोनों हाथ से पकड़ पहले सलोनी के चूतड़ से उतारी और फिर सलोनी के जांघों और पाँव से। सलोनी ने भी बड़े सेक्सी अंदाज़ से अपना एक एक पैर उठा उसे दोनों पैरों से निकलवा लिया।
इस दौरान अंकल की नजर ऊपर सलोनी की चूत और उसकी खुलती बंद होती कलियों पर ही थी। मेरे बेडरूम में अंकल की सांसें इतनी तेज चल रही थी जैसे कई मील दौड़ लगाकर आये हों।
और अब सलोनी अंकल के सामने कमरे की सफेद रोशनी में केवल छोटी मिनी ब्रा में पूरी नंगी खड़ी थी। अब शायद उसको कुछ शर्म आ रही थी। उसने अपनी टांगों को कैची की तरह बंद कर लिया था। अंकल ने मुस्कुराते हुए ही पेटीकोट उठाया और उसको पहनाने लगे।
अब मुझे अंकल बहुत ही शरीफ लगने लगे…
TO BE CONTINUED .....
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19-03-2024, 12:56 PM
एक इतने खूबसूरत लगभग नग्न हुस्न को देखकर भी अंकल उसको बिना छुए, बिना कुछ किये, कपड़े पहनाने लगे। वाकयी बहुत सयंम था उनमें। अंकल ने ऊपर से पेटीकोट ना डालकर सलोनी के पैरों को उठवा कर नीचे से पहनाया और बहुत ही सेक्सी अंदाज़ से सलोनी के साथ चुहल करते हुए उसके पेटीकोट का नाड़ा बाँधा फिर उन्होंने सलोनी को ब्लाउज पहनाते हुए कई बार उसकी चूची को छुआ और बटन लगाते हुए दबाया भी।
मैं बुरी तरह बैचेन हो रहा था और सोच रहा था कि क्या ताऊजी ने भी सलोनी को ऐसे ही छुआ होगा? या इससे भी ज्यादा? क्योंकि उस शादी से पहले एक बार भी हमारे घर ना आने वाले ताऊजी उस शादी के बाद 3-4 बार चक्कर लगा चुके हैं।
अब यह राज तो सलोनी या फिर ताऊजी ही जाने…
इस समय तो अरविन्द अंकल बहुत प्यार से बताते हुए सलोनी के एक एक अंग को छूते हुए उसको साड़ी का हर एक घूम सिखा रहे थे। केवल पेटीकोट और ब्लाउज में अपने सफ़ेद बदन को समेटे शरमाती, सकुचाती, सलोनी बहुत क़यामत लग रही थी। अरविन्द अंकल ने करीब 15 मिनट तक उसको साड़ी पकड़ना, उसको लपेटना, प्लेट्स और पल्लू ना जाने क्या-क्या, सलोनी के हर एक अंग को छूते हुए, सहलाते हुए, दबाते हुए और चूमते हुए उन्होंने आखिरकार साड़ी को बाँध ही दिया।
वैसे दिल से मैं भी अरविन्द अंकल की तारीफ करने से नहीं चूका, क्या साड़ी बाँधी थी उन्होंने! सलोनी साड़ी में कभी इतनी सेक्सी नहीं लगी मुझे पहले, लग रहा था कि केवल साड़ी बाँधने नहीं बल्कि सलोनी से मस्ती करने के लिए उन्होंने झूठ बोला होगा मगर अंकल में हुनर है, वाकयी ऐसी साड़ी कोई तजुर्बेकार ही बाँध सकता है।
साड़ी पहने होने के बाद भी सलोनी के हर एक अंग का उतार चड़ाव साफ़ नजर आ रहा था। ब्लाउज और साड़ी के बीच उन्होंने काफी जगह खुली छोड़ी थी।
ब्लाउज तो सलोनी का पुराना वाला ही था जो शायद कुछ छोटा हो गया था। उसमें से उसकी दोनों चूचियाँ गजब तरीके से उठी हुई, अपनी पूरी गोलाई दिखा रही थी। और ब्लाउज इतना पतला, झीना था कि उसकी ब्रा की एक एक पट्टी और आकार साफ़ नजर आ रहा था, साड़ी उन्होंने नाभि से काफी नीचे बांधी थी इसीलिए उसकी लुभावनी नाभि, सुतवाँ पेट और कमर की गोलाई तो दिल पर छुरियाँ चला रहा थी।
अंकल ने सलोनी के हर खूबसूरत अंग को बहुत खूबसूरती से साड़ी से बाहर नंगा छोड़ दिया था। कुल मिलाकर एक आकर्षक सेक्स अपील दे दी थी उन्होंने, मैंने मन ही मन खुद उनको धन्यवाद दिया।
सलोनी बहुत खुश दिख रही थी। वो बार बार खुद को ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो कर हर ओर से घूम घूम कर चारों ओर से देख रही थी, अंकल भी मुस्कुरा रहे थे।
सलोनी- “ओह… थेंक्यू अंकल! आप वाकयी बहुत अच्छे हो। मजा आ गया”
अंकल ठीक सलोनी के पीछे पहुंच गए। उन्होंने अपना हाथ सलोनी के नंगे पेट पर रख उसको अपने से चिपका लिया- “देखा मेरी हीरोइन कितनी खूबसूरत है”
सलोनी- “हाँ अंकल, आपने तो बिल्कुल हीरोइन ही बना दिया”
अंकल अपना हाथ सलोनी के पेट के निचले हिस्से तक ले गए- “बेटा, जब बाहर जाओ तो कच्छी जरूर पहनकर जाना”
सलोनी- “अच्छा! मैं तो पहनकर जाऊं और आप बिना अंडरवियर के ही आ जाओ?”
अंकल- “हे हे हे… अरे मेरा क्या है तो तूने देख लिया?”
सलोनी- “इतनी देर से आपसे ज्यादा तो आपका पप्पू ही लुंगी के बाहर आकर मुझे देख रहा था”
मैंने ध्यान दिया कि अंकल ने केवल लुंगी और सैंडो बनियान ही पहनी थी। वैसे वो इन्हीं कपड़ों में सब जगह घूम लेते थे। कभी कभी तो कॉलोनी के बाहर भी। हाँ उन्होंने अंदर अंडरवियर भी नहीं पहना था यह नहीं पता था मुझे।
अंकल- “तुम्हें तो पता है बेटा, मुझे पसीना बहुत आता है और फिर अंदर खारिश हो जाती है इसीलिए अंडरवियर नहीं पहनता”
तभी बिंदास सलोनी ने एक अनोखी हरकत कर दी, उसने अपना सीधा हाथ पीछे कर कुछ पकड़ा, मुझे तो नहीं दिखा पर वो अंकल का लण्ड ही था।
सलोनी- “लगता तो ऐसा है जैसे आपके पप्पू को ही कैद में रहने की बिल्कुल आदत नहीं है। जब देखो लुंगी से भी बाहर आ जाता है?”
अंकल- “अह्ह्ह्ह्हा आआहा… ये भी है…”
सलोनी- “अच्छा तो इसको यहाँ से तो दूर करो ना, कहीं मेरी साड़ी में ऐसी वैसी जगह धब्बा लगा दिया तो? हो गया फिर कल मैं क्या पहनकर जाऊँगी”
अंकल- “अरे आअह्ह्ह्हा आआआ ओह्ह्ह्ह हेएए आः आआ…”
सलोनी- “ओह अंकल…यह क्या?? उफ़्फ़्फ़्फ़् मेरा हाथ…”
हा हा हा… लगता है अंकल संभाल नहीं पाये थे। सलोनी का हाथ लगते ही उनका बह गया था। सलोनी ने ड्रेसिंग टेबल से रुमाल उठाकर अपना हाथ और अंकल का लण्ड भी साफ़ कर दिया।
अंकल- “सॉरी बेटा… ह्ह्ह्ह ह्ह्ह वो मैं क्या??”
सलोनी- “अरे कोई बात नहीं अंकल, हा हा… हो जाता है। चलिए आपको साड़ी पहनने का इनाम तो मैंने दे दिया। ठीक है?”
अंकल- “नहीं, यह कोई इनाम नहीं हुआ, वो तो मैं तेरी प्यारी मुनिया पर चुम्मी करके लूंगा”
उनका इशारा सलोनी की चूत की ओर ही था।
सलोनी- “नहीं जी, मैं अभी यह साड़ी नहीं उतारने वाली, आज मैं अपने जानू का स्वागत ऐसे ही करुँगी”
अंकल- “कौन जानू? मैं तो यहाँ ही हूँ?”
सलोनी- “हे हे… मैं आपकी बात नहीं कर रही हूँ अंकल, मैं अपने पति की बात कर रही हूँ। वो बस आते ही होंगे, अब आप जाओ प्लीज”
अंकल- “क्या यार? बस एक चुम्मी, अच्छा मैं साड़ी नहीं उतरूंगा बस ऊपर करके ले लूंगा”
अंकल सलोनी की साड़ी फिर से ऊपर करने लगे। मुझे लगा कि अगर जोश में आ उन्होंने कहीं साड़ी खोल दी तो मैं अपनी जान को ऐसे कपड़ों में प्यार नहीं कर पाऊँगा। बस मैं दरवाजे तक गया और ज़ोर से खोलते हुए बोला- “अरे तुम आ गई जान, जाआआआन कहाँ हो????”
अरविन्द अंकल 62-64 साल की आयु में वो मजे ले रहे थे जो शायद उन्होंने कभी अपनी जवानी में भी नहीं लिए होंगे। एक जवान 28 साल की शादीशुदा, सुन्दर नारी के साथ वो सेक्स का हर वो खेल बहुत अच्छी तरह से खेल रहे थे जो अब तक उन्होंने सपनो में सोचा और देखा होगा।
सलोनी जैसी सुंदरता की मूरत नारी को साधारतया देखते ही पुरुषों की हालत पतली हो जाती है वो दिन रात बस एक नजर उसको देखने की कामना रखते हैं। वो सलोनी बेहद किस्मतशाली अरविन्द अंकल के हर सपने को पूरा कर रही थी।
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20-03-2024, 04:05 PM
अरविन्द अंकल की किस्मत उन पर पूरी मेहरबान थी। वो सलोनी को पूर्णतया नग्न अवस्था में देख चुके थे, उसके सभी अंगों को भरपूर प्यार कर चुके थे। सबसे बड़ी बात वो जब दिल चाहे उनसे मजे लेने आ जाते थे।
अभी कुछ देर पहले ही मेरे सामने उन्होंने सलोनी के हर अंग मतलब उसकी रसीली चूचियों को सहलाते हुए ब्लाउज पहनाया था। उसकी सफ़ेद, गोरी केले जैसी चिकनी जाँघों, चूत और चूतड़ सभी को अच्छी तरह छूकर, सहलाकर और रगड़कर पेटीकोट पहनाया, फिर उसका नाड़ा बाँधा और अंत में पूरे शरीर को ही रगड़ते हुए उसके एक एक कटाव का मजे लेकर साड़ी बाँधी।
वो सब तो फिर भी ठीक पर उस सपनों की रानी के गरमागरम कोमल हाथों में अपना लण्ड दे दिया और फिर उन्ही हाथों में वीर्य विसर्जन। इतना सब देखने के बाद जब मैंने फिर से उनकी इच्छा सलोनी की नंगी चूत के चुम्मे की सुनी और वो उसकी साड़ी को ऊपर करने लगे। जहाँ मुझे पता था कि सलोनी ने कच्छी भी नहीं पहनी है।
मैं तुरंत अपनी उपस्थिति बताने के लिए पहले मेन गेट तक गया और तेजी से दरवाजे को खोलते हुए ही अंदर आया। मैं बिल्कुल नहीं चाहता था कि उनको जरा भी पता चले कि मुझे उनके किसी भी रोमांस की जरा सी भी भनक है। मैं सीधे बेडरूम के परदे तक ही आ गया।
मैं देखना चाहता था, दोनों मेरे बेडरूम में अकेले हैं। वो दोनों मुझे अचानक देखकर कैसा रियेक्ट करते हैं।
मगर परदा हटाते ही मैंने तो देख लिया किन्तु उन्होंने मुझे देखा या नहीं पता नहीं।
मेरे दरवाजे तक जाने तक ही अंकल ने सलोनी को बिस्तर के किनारे पर लिटा दिया था। मैंने देखा अंकल भौचक्के से उठकर सलोनी को बोल रहे थे- “जल्दी सही हो जाओ, लगता है आ गया, ओ बाबा”
और सलोनी बिस्तर के किनारे पीछे को लेटी थी उसके दोनों पैर मुड़े हुए किनारे पर रखे थे और पूरे चौड़ाई में खुले थे। उसकी साड़ी, पेटीकोट के साथ ही कमर से भी ऊपर होगी क्योंकि एक नजर में मुझे केवल सलोनी की नंगी टाँगें और हल्की सी चूत की भी झलक मिल गई थी।
मुझे बिल्कुल पता नहीं था कि वो चुम्मा ले चुके थे या केवल साड़ी ही ऊपर कर पाये थे। मैं एकदम से पीछे को हो गया।
तभी मुझे सलोनी के बिस्तर से उठने की झलक भी दिखाई दी, दो सेकंड रूककर जब मुझे लगा कि अब दोनों सही हो गए होंगे, मैंने कमरे में प्रवेश किया।
अंकल का चेहरा तो फ़क सफ़ेद था, मगर सलोनी सामान्य तरीके से अपनी साड़ी सही कर रही थी।
सलोनी- “ओह जानू आप आ गए, बिल्कुल ठीक समय पर आये हो देखो मैं कैसी लग रही हूँ?”
मेरे दिल ने कहा- “हाँ जान सलोनी! तुम्हारे लिए तो सही समय पर आया हूँ पर अंकल को देखकर बिल्कुल नहीं लग रहा कि मैं ठीक समय पर आया हूँ। बहुत मायूस दिख रहे हैं बेचारे, उनके चेहरे को देखकर ऐसा ही लग रहा था जैसे बच्चे के हाथ से उसकी चॉकलेट छीन ली हो”
वैसे गर्मी इतनी है कि आइसक्रीम का उदाहरण ज्यादा सटीक रहेगा।
मैं- “वाओ जान! आज तो बिल्कुल क़यामत लग रही हो। मैं तो हमेशा कहता था कि साड़ी में तो मेरी जान कत्लेआम करती है”
सलोनी- “हाँ हाँ रहने दो, आपको तो हर ड्रेस देखकर यही कहते हो। आपको पता है न मेरी जॉब लग गई है”
मैंने तुरंत आगे बढ़कर सलोनी को सीने से लगा एक चुम्मा उसके होंठों पर किया। यह मैंने इसलिए किया कि अंकल थोड़ा नार्मल हो जाएँ वरना इस समय अगर मैं जरा ज़ोर से बोल देता तो कसम से वो बेहोश हो जाते क्योंकि दिल से वाकयी अरविन्द अंकल बहुत अच्छे इंसान हैं और हाँ मेरी नलिनी भाभी भी।
मैं- “हाँ जान, तुमको बहुत बहुत बधाई! चलो अब तुम बिल्कुल बोर नहीं होगी। यह बहुत अच्छा हुआ”
सलोनी- “लव यू जान और हाँ वहाँ साड़ी पहनकर ही जाना है और अंकल ने मेरी बहुत हेल्प की है”
अंकल- “अरे कहाँ बेटा, बस जरा सा तो बताया है बाकी तो तुमको आती ही है। अच्छा अब तुम दोनों एन्जॉय करो, मैं चलता हूँ”
मैं- “अरे अंकल रुको ना, खाना खाकर जाना”
सलोनी- “पर मैंने अभी तो कुछ भी नहीं बनाया”
मैं- “तो बना लो ना या ऐसा करते हैं कहीं बाहर चलते हैं”
अंकल- “अरे बेटा! मैं तो चलता हूँ, मैं तो सादा खाना ही खाता हूँ और नलिनी भी इन्तजार कर रही होगी”
सलोनी- “ठीक है अंकल, थैंक्यू! और हाँ सुबह भी आपको हेल्प करनी होगी। अभी तो एकदम से मेरे से नहीं बंधेगी यह इतनी लम्बी साड़ी”
अंकल- “अरे हाँ बेटा, जब चाहे बुला लेना”
अंकल चले गये…
सलोनी- “हाँ जानू, चलो कहीं बाहर चलते हैं खाने पर, पर कहाँ?”
मैं- “चलो, आज अमित के यहाँ ही चलते हैं। वो तो आया नहीं हम ही धमक जाते हैं साले के यहाँ”
सलोनी- “नहीं जानू कहीं और, बस हम दोनों मिलकर सेलिब्रेट करते हैं। किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में चलते हैं”
मैं- “ओके, मैं बस दो मिनट में फ्रेश होकर आया और हाँ तुम यह साड़ी पहनकर ही चलना”
सलोनी- “नहीं जान! यह तो कल कॉलेज पहनकर जाऊँगी। कुछ और पहनती हूँ (मुझे आँख मारते हुए) सेक्सी सा”
मैं- “यार, एक काम करो तुम, ड्रेस रख लो, गाड़ी में ही बदल लेना आज”
और बिना कुछ सुने मैं बाथरूम में चला गया, अब देखना था कि सलोनी ड्रेस बदल लेती है या फिर मेरी बात मानती है। बाथरूम में 5 मिनट तक तो मैं यह आहट लेता रहा कि कहीं अंकल फिर से आकर अपना अधूरा कार्य पूरा तो नहीं करेंगे? मगर मुझे कोई आहट नहीं मिली। दोनों ही डर गए थे।
अंकल तो शायद कुछ ज्यादा ही कि मैंने कहीं कुछ देख तो नहीं लिया या मुझे कोई शक तो नहीं हो गया। हो सकता है कि अंकल तो शायद डर के मारे 1-2 दिन तक मुझे दिखाई भी ना दें।
करीब 15 मिनट बाद मैं बाथरूम से बाहर निकल कर आया तो सलोनी सामने ही अपनी साड़ी की तह बनाते नजर आई। मैं थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया कि मेरे कहने के बावज़ूद भी उसने कपड़े क्यों बदले?? क्या वो खुद मस्ती के मूड में नहीं थी? या मुझे अभी भी अपनी शराफत दिखा रही थी? मैं तो यह सोच रहा था कि वो खुद रोमांच से मरी जा रही होगी कि कैसे अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट खुद चलती गाड़ी में निकालेगी और दूसरी ड्रेस पहनेगी।
मैं खुद बहुत ही ज्यादा रोमांच महसूस कर रहा था कि आसपास से गुज़रने वाली गाड़ियाँ और पैदल चलने वाले लोग उसके नंगे बदन या नंगे अंगों को देख कैसे रियेक्ट करेंगे। मगर सलोनी ने तो सब कुछ एक ही पल में ख़त्म कर दिया था। उसने अपनी ड्रेस घर पर ही बदल ली थी और ड्रेस भी उसने कितनी साफ़ सुथरी पहनी थी। फुल जीन्स और लगभग सब कुछ ढका हुआ है ऐसा टॉप।
ऐसा नहीं था कि इन कपड़ों में कोई सेक्स अपील न हो। उसकी चूचियों के उभार और टाइट जीन्स में चूतड़ों का आकार साफ़ दिख रहा था मगर एक मॉडर्न परिवार की संस्कारी बहू जैसा ही, जैसा अमूमन सभी लड़कियाँ पहनती हैं। जबकि सलोनी तो बहुत सेक्सी है। वो तो काफी खुले कपड़ों में भी बाजार जा चुकी है।
जब वो दिन में मिनी स्कर्ट पहनकर बाजार जा सकती है। अब तो रात है और वो भी अपने पति के साथ ही जा रही है।
मेरा चेहरा कुछ उतर सा गया…
TO BE CONTINUED .....
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सलोनी- “आप कपड़े यहीं पहनकर जाओगे या कुछ और निकालूँ?”
मैं- “बस बस रहने दो, तुमसे वही पहनकर चलने को कहा था, वो तो सुना नहीं और मेरे साथ चल रही हो एक रोमांटिक डिनर पर। ऐसा करो बुर्का और पहन लो”
सलोनी- “ओह मेरा सोना, मेरा बाबू! कितना नाराज होता है”
सलोनी को शायद कुछ समय पहले हुई हरकत का थोड़ा सा अफ़सोस सा था, वो अपना पहले वाला पूरा प्यार दिखा रही थी। उसने मुझे अपने गले से लगा लिया। मुझे चिपकाकर उसने मेरे चेहरे पर कई चुम्बन ले दिए।
मैं- “बस बस! रहने दो यार, जब हम रोमांटिक होते हैं तो तुम जरुरत से ज्यादा बोर हो जाती हो”
सलोनी- “क्या कहा, मैं और बोर? नहीं मेरे जानू, तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाजिर है। तुम जैसा चाहो, मैं तो बिल्कुल वैसे ही रहना चाहती हूँ”
मैं- “तो ये सब क्या पहन लिया?? तुम्हारे पास कितने सेक्सी ड्रेसेज़ हैं कुछ बढ़िया सा नहीं पहन सकती थीं?”
सलोनी- “मेरे जानू, तुम बोलो तो फिर से साड़ी पहन लेती हूँ”
मैं- “हा हा… फिर तो कल का लंच ही मिल पायेगा। मुझे पता है तुम कितनी परफेक्ट हो साड़ी पहनने में”
सलोनी- “हाँ यह तो है, अब आप बताओ, जो कहोगे वो ही पहन लूँगी”
बिस्तर पर सलोनी की 2-3 ड्रेसेज़ और भी पड़ी थी। मैंने उसकी एक सफ़ेद मिनी स्कर्ट जिसमे आगे और पीछे बहुत सेक्सी पिक्चर भी थी और एक लाल ट्यूब टॉप लिया जो केवल चूचियों को ही ढकता है।
सलोनी ने मेरे हाथ से दोनों कपड़े झपटने लेने की कोशिश की- “लाओ ना, मैं अभी फटाफट बदल लेती हूँ”
मैं- “अरे छोड़ो यार ये तो अब, मैंने कहा था ना चलो गाड़ी में ही बदल लेना”
सलोनी- “अरे गाड़ी में कैसे? क्या हो गया है आपको जानू?? सब देखेंगे नहीं क्या??”
मैं- “अरे कोई नहीं देखेगा यार, चलती गाड़ी में ही कह रहा हूँ ना कि खुली सड़क पर”
सलोनी- “मग्गरर…”
मैं- “कोई अगर मगर नहीं यार, अगर थोड़ा बहुत कोई देखता भी है तो हमारा क्या जायेगा। उसका ही नुक्सान होगा। हा हा हा हा…”
मैंने आँख मारते हुए उसको छेड़ा। अबकी बार सलोनी ने कुछ नहीं कहा, बल्कि हल्के से मुस्कुरा दी बस। हम दोनों जल्दी से फ्लैट लॉक करके गाड़ी में आकर बैठ गये और थैंक्स गॉड कि कोई रोकने टोकने वाला नहीं मिला।
सलोनी- “तो कहाँ चलना है?”
मैं- “बस देखती रहो…”
मैंने सोच लिया था आज फुल मस्ती करने का, मैं सलोनी को अब अपने से पूरी तरह खोलना चाह रहा था इसलिए मैंने नाइटबार-कम-रेस्टोरैंट में जाने की सोची।
वो शहर के बाहरी छोर पर था और करीब 4 किलोमीटर दूर। वहाँ बार-डांसर भी थीं जो काफी कम कपड़ों में सेक्सी डांस करती हैं। खाना और ड्रिंक सब कुछ मिल जाता है और कपल्स भी आते थे इसलिए कोई डर नहीं है।
मैंने पहले भी सलोनी के साथ कई बार ड्रिंक किया था मुझे पता था वो हल्का ड्रिंक पसंद करती है मगर उसको पीने की ज्यादा आदत नहीं है।
शहर के भीड़ वाले एरिया से बाहर आ मैंने सलोनी को बोला- “जान, अब कपड़े बदल लो”
सलोनी आसपास आती जाती गाड़ियों को देख रही थी।
सलोनी- “ठीक है पर हम जा कहाँ रहे हैं?”
मैं- “अरे यार, देख लेना खुद जब पहुँच जायेंगे”
सलोनी बिना कुछ बोले अपने टॉप के बटन खोलने लगी। मैंने जानबूझकर गाड़ी की स्पीड कुछ कम कर दी जिसका सलोनी को कुछ पता नहीं चला। मैं सलोनी पर हल्की सी नजर मार रहा था पर आस पास के लोगो को ज्यादा देख रहा था कि कौन-कौन मेरी बीवी को देख रहा है। मगर आती जाती गाड़ियों की लाइट से कुछ पता नहीं चल रहा था। हाँ फ़ुटपाथ पर जाते हुए 1-2 लड़कों ने जरूर हल्की सी झलक देखी होगी।
मैंने सलोनी की ओर देखा। उसने टॉप निकाल दिया था, अंदर उसने सेक्सी लेस वाली क्रीम कलर की ब्रा पहनी थी। जो उसके 36 इंच के मम्मों का आधा भाग ही ढक रही थी। केवल ब्रा में सलोनी का ऊपरी शरीर गजब ढा रहा था। सलोनी लाल वाले ट्यूब टॉप को सीधा करके पहनने लगी मगर मैंने उसके हाथ से टॉप ले लिया।
सलोनी- “क्या कर रहे हो? जल्दी दो ना, अब मुझे पहनने तो दो”
मैं- “अरे पहले स्कर्ट पहनो यार, तुम भी ना… तुम भी रूल तोड़ती हो”
असल में हम दोनों ने एक नियम बनाया था। पहनते समय पहले बॉटम, फिर टॉप। उतारते समय पहले टॉप, फिर बॉटम।
सलोनी को हंसी आ गई- “आज तो लगता है आप पहले से ही पीकर आये हैं। बिल्कुल नशे वाली हरकतें कर रहें हैं”
मैं- अरे नहीं जानू! अभी पिएंगे तो बार में जाकर, तुमको तो पता है कि पीते भी हम तुम्हारे साथ ही हैं”
सलोनी- “लगता है आज आप पूरे मूड में हैं”
सलोनी बात करते हुए ही अपनी जीन्स का बटन और चेन खोल जीन को बैठे बैठे ही निकालने की कोशिश की मगर जीन्स बहुत टाइट थी, सलोनी के चूतड़ों से उतरी ही नहीं, उसको सीट के ऊपर होना पड़ा। एक पैर सीट के ऊपर रख जब उसने जीन्स चूतड़ों से उतार दी और उसको पैरों से निकालने लगी, तभी मेरी नजर उसके नंगे साफ़ सफ्फाक चूतड़ों पर पड़ी।
ओह यह क्या…?? उसने अभी भी कच्छी नहीं पहनी थी।
और अचानक मेरा पैर ब्रेक पर दब गया।
एक तेज आवाज के साथ गाड़ी चिन्नंइइइइइइइइ इइइइइइइइइ.....
जरा देर के लिए रुकी और तभी एक बुजुर्ग जोड़ा जो पैदल ही जा रहा था, उनके पास ही गाड़ी रुकी और मुझे बुजुर्ग का चेहरा सलोनी की ओर के शीशे से झांकता दिखा।
निश्चित ही उसने सलोनी का निचला शरीर नंगा देख लिया होगा मगर और क्या देखा, यह तो वही जनाव बता सकते थे।
मैंने तुरंत गाड़ी आगे बढ़ा दी। अब तक सलोनी ने जीन्स पूरी निकाल पीछे सीट पर डाल दी।
सलोनी के पूरे बदन पर अब केवल एक वो क्रीम रंग की छोटी सी ब्रा ही बची थी और पूरा शरीर नंगा किसी अजंता एलोरा की देवी जैसी ही नजर आ रही थी मेरी सलोनी इस समय।
मैं- “क्या जान? कच्छी कहाँ है तुम्हारी?”
सलोनी- “ओह य्य्य्य्ये क्या हुआ? मैंने तो आज पहनी ही नहीं थी। अब क्या करेंगे?”
मैं- “क्या यार तुम भी ना? पर आज तो तुमको वहाँ मैं स्कर्ट में ही लेकर जाऊंगा”
सलोनी सोच विचार में कपड़े पहनना ही भूल गई थी। मैं अभी सोच ही रहा था कि…
ओह रेड लाइट… और मुझे वहाँ रुकना पड़ा…
अब सलोनी को भी अहसास हो गया कि गलती हो गई।
अगर एक भी गाड़ी हमारे आस पास रूकती तो उसको एकदम पता चल जाता कि कोई नंगी लड़की गाड़ी में है। मेरी भी हालत ख़राब थी। मैं अभी सोच ही रहा था कि तभी मेरी विंडो पर एक भिखारी और उसके साथ एक लड़की दोनों आकर खड़े हो गए।
मैं अभी उस भिखारी को देख ही रहा था कि मेरी नजर जैसे ही उसकी नजरों पर पड़ी। मैंने देखा वो सीधा सलोनी की ओर ही देख रहा था।
और सलोनी…..
TO BE CONTINUED ....
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भिखारी साला बड़ी कमीनी नजर से सलोनी को घूर रहा था। उसको देखकर ऐसा तो नहीं लग रहा था जैसे उसने ये सब पहली बार देखा हो। इसका मतलब हमारे शहर में ये सब होता रहता होगा या हो सकता है उसको देखने में मजा आ रहा था।
मैंने सलोनी की ओर देखान उसने शरमाकर दूसरी तरफ अपना चेहरा कर लिया था और अपने हाथ में पकड़ा टॉप को अपने सीने पर रख लिया था। मगर उसका क़यामत ढाने वाला बदन तो अभी नंगा ही था जो उसने अपनी बेबखूफी में उसके सामने और भी ज्यादा उजागर कर दिया था।
उसने उससे छुपने के लिए अपना दायां पैर बाएं के ऊपर चढ़ाकर पूरा अपनी विंडो की ओर झुक कर बैठ गई।
इस पोजीशन में उसके नंगे चूतड़ पूरे ऊपर को उठकर मेरी ओर हो गए थे और उस भिखारी एवं लड़की को साफ़ साफ दिख रहे थे।
भिखारी- “वाह साब! क्या माल फंसाया है, जमकर गांड मारना इसकी”
उसकी बात सुनकर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। साला कितना कमीना था, एकदम खुली सड़क पर कैसी बात बोल रहा था और वो भी मेरी बीवी के बारे में।
अभी मैं उसकी बात से बाहर भी नहीं आया था कि उसके साथ वाली लड़की बोल पड़ी- “क्या साब?? हमारी भी देख लो। 50 ही दे देना”
यह लड़की तो कमाल थी, मैं भौचक्का सा उसको देखता रह गया। कुछ समझ नहीं आया कि क्या करूँ? तभी बत्ती हरी हो गई। हम लगभग शहर के बाहर ही थे। केवल 2-3 ही गाड़ियां थी जो हरी बत्ती होते ही चली गईं। अब सिग्नल पर केवल हमारी गाड़ी और वो दोनों भिखारी ही खड़े थे।
तभी सलोनी उस लड़की को बोलते सुन चुप नहीं रह पाई- “अच्छा चल-चल आगे बढ़, क्या दिखाएगी तू अपनी?”
सलोनी को बोलता देख वो समझ रहे थे कि वो शायद कोई सड़क छाप रंडी है।
लड़की- “तू चुप कर छिनाल, तेरी तरह बेशरम थोड़ी हूँ जो सबको अपनी गांड दिखाती फिर रही है”
लड़की की बात सुनते ही सलोनी शर्म से पानी पानी हो गई। वो गाड़ी में एकदम से सिकुड़ कर बैठ गई।
भिखारी- “अरे साब! मेरी बेटी की भी देख लो, इस कुतिया से तो बहुत अच्छी है। वैसे तो सब सौ देकर जाते हैं। आप 50 ही दे देना, चाहे आगे से मार लो या पीछे से, कुछ नहीं कहेगी”
मैं तो वाकयी आश्चर्य चकित था कि एक बाप अपनी बेटी के बारे में कैसे ऐसा सब बोल सकता है। मैंने तुरंत गाड़ी स्टार्ट की। मुझे जाता देख वो तुरंत लड़की को लेकर गाड़ी के आगे आ गया और बेशर्मी से खुली सड़क पर अपनी बेटी का गन्दा सा लहंगा पूरा उठा दिया और लड़की को आगे को झुकाकर उसके चूतड़ दिखाने लगा।
लड़की ने लहंगे के अंदर कुछ नहीं पहना था, वो पूरी नंगी थी। उसके काले काले चूतड़ मेरी गाड़ी की हेडलाइट में चमक रहे थे और वो भिखारी जो खुद को उस लड़की का बाप कह रहा था, उस लड़की के नंगे चूतड़ पर हाथ मारकर मेरी और बहुत गन्दा सा इशारा करते हुए बोला- “मार लो साब, बहुत टाइट है इसकी, सिर्फ़ 50 में”
मुझे बहुत हंसी भी आ रही थी और अब गुस्सा भी, फिर भी मैंने गाड़ी की डेशबोर्ड से 50 का नोट निकाला। जैसे ही मेरी नजर सलोनी से मिली वो बहुत ही बड़ी बड़ी आँखें निकाल कर प्रशन भरी नजरों से देख रही थी कि क्या अब इस भिखारी लड़की की मारोगे?
अब मैं उससे क्या कहता। मैंने आँख बंद कर उसको इशारा सा किया और मैंने चुपचाप अपनी ओर वाला शीशा नीचे किया और हाथ बाहर निकाल उसे 50 का नोट दिखाया। वो तुरंत अपनी बेटी का लहंगा वैसे ही पकड़े पकड़े उसके चूतड़ों को सहलाता हुआ मेरी विंडो के पास आया- “देखो साब, मैं झूठ नहीं बोलता बहुत टाइट है इसका छेद। वैसे चाहो तो यहीं रोड के किनारे ही चोद दो साब, कोई नहीं आता यहाँ”
जैसे ही उसने मेरे हाथ से नोट लिया। मैंने ध्यान से उसकी बेटी के चूतड़ों की ओर देखा और जोर से हंसी आ गई। काले चूतड़ों के बीच उसका लाल खुला हुआ छेद साफ़ दिख रहा था जैसे खूब चुदवाती हो।
मैंने अपना हाथ उसके चूतड़ों पर रखकर उसको थोड़ा सा गाड़ी से दूर को किया। सच चूतड़ तो उसके बहुत चिकने थे, ऐसा लगा जैसे मक्खन में हाथ लगाया हो।
जैसे ही वो आगे को हुए, मैंने बाएं हाथ से गीयर डाल तुरंत एक्सीलेटर पर पैर रख दिया।
और यह भी बोल दिया- “मेरी तरफ़ से तू ही इसकी मार लेना”
गाड़ी आगे बढ़ गई, मैंने साइड मिरर में देखा, वो पीछे चिल्लाते रह गए। हम दोनों ही जोर जोर से हंस रहे थे।
सलोनी ने अब अपनी स्कर्ट और वो लाल ट्यूब टॉप पहन लिया था। उसको शायद डर था कि कहीं और कोई उसको नंगी न देख ले।
सलोनी- “क्यों? उसको देख बड़ी लार टपका रहे थे, क्या करने का इरादा था?”
मैं उससे मजे लेने के मूड में था- “बस जान सोच तो रहा था कि एक दो शॉट मार लूँ”
सलोनी- “बहुत बेशरम हो गए हो तुम सच”
और वो दबे होंठों से मुस्कुरा भी रही थी।
मैं- “अच्छा, मैं बेशरम? नंगी तुम बैठी थीं उनके सामने, और मैं?”
सलोनी- “क्या तुम भी? कैसे घूर रहा था कमीना, मेरी तो समझ ही नहीं आया कि क्या करूँ? मगर तुम भी ना, इसीलिए मैं घर से ही बदल कर आ रही थी”
मैं- “ओह रिलैक्स यार, कुछ नहीं हुआ, क्या हो गया जो उसने देख लिया तो? सब चलता है यार”
सलोनी खूब मस्ती से मेरे साथ बैठी थी। वो शायद भूल गई थी कि उसकी स्कर्ट बहुत छोटी है और उसने कच्छी तक नहीं पहनी है, जरा भी हिलने डुलने से बाकी लोगों को बहुत कुछ दिख जाने वाला था।
हम नाइट क्लब में पहुंचे। पार्किंग गेट पर ही एक लड़के ने सलोनी की ओर वाला दरवाजा खोल अदब से उसको उतरने के लिए कहा और सलोनी अपना बायां पैर बाहर रख उतरने लगी। मेरी नजर उस लड़के पर ही थी, उसकी फैलती आँखे बता रही थीं कि उसने वो देख लिया जिसकी उसने कल्पना नहीं की थी। उस लड़के की नजर सलोनी की स्कर्ट में ही थी। उसने सोचा होगा कि कच्छी देख लूंगा मगर यहाँ तो कच्छी ही गायब थी तो क्या दिखा होगा?
मैं गाड़ी पार्क करके सलोनी के पास आया, वो लड़का अभी भी सलोनी को भूखी नजरों से घूर रहा था। सलोनी इसे अपनी खूबसूरती मान रही थी, वो शायद भूल गई थी कि उसने कच्छी नहीं पहनी क्योंकि वो बहुत बिंदास होकर चल रही थी।
मैंने भी उसको याद दिलाना उचित नहीं समझा। मैं भी उसके मस्ताने रूप और अंदाज का मजा लेना चाहता था। उसके चलने से हल्की हल्की उड़ती स्कर्ट माहौल को बहुत गर्म बना रही थी। वो लड़का हमारे गेट के अंदर जाने तक सलोनी की टांगों को ही देखता रहा। सबसे पहले हम बार में ही गए और कोने वाली डबल सीट पर बैठ गए, कुछ देर बाद वेटर आया, वो भी सलोनी को भूखी नजरों से ही घूर रहा था।
वैसे तो वहाँ और भी जोड़े बैठे थे मगर सलोनी जैसी सेक्सी कोई नहीं थी इसीलिए ज्यादातर वहाँ बैठे हमें ही देख रहे थे। मैंने वोडका आर्डर की, मुझे पता था कि सलोनी वोडका ही पसंद करती है। सलोनी ने कोई विरोध नहीं किया।
वैसे तो वो 1-2 पेग ही पीती है मगर मैंने आज उसको अपने साथ 4-5 पेग पिला दिए तो वो कुछ ज्यादा ही नशे में हो गई थी। बार बार उठकर बड़बड़ाने लगती थी। अब मुझे खुद पर गुस्सा भी आ रहा था कि मैंने क्यों उसको ज्यादा पिला दी।
तभी उसको उलटी जैसी फीलिंग होने लगी…
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22-03-2024, 01:13 PM
अब मैं घबरा गया, मैंने वेटर को बुलाया।
उसने मुस्कुराकर कहा- “घबराओ मत साहब, मैं मेमसाब को वाशरूम तक ले जाता हूँ”
और वो सलोनी को पकड़कर बड़े अदब के साथ वाशरूम की ओर ले गया। मैं अपना बचा हुआ पेग ख़त्म करने लगा। करीब दस मिनट में भी जब सलोनी नहीं आई तो मैं उसको देखने के लिए चल पड़ा।
मुझे घबराहट होने लगी कि यार यह कहाँ गई। कभी-कभी शराब पीने का लालच भी कितना बुरा होता है केवल एक पेग पीने के लिए मैं कितना बावला सा हो गया था। मैंने अपनी स्वप्न सुंदरी, अति खूबसूरत कामुक बीवी को जो इस समय अर्धनग्न अवस्था और नशे में थी, उसको एक अजनबी के साथ भेज दिया था।
जरा सी असावधानी ही दूसरे को बता सकती थी कि उसकी चूत बिना किसी आवरण के है और इस नशे की हालत में तो उसको अपनी स्कर्ट क्या टॉप का भी ध्यान नहीं होगा। अगर उसको पकड़ने के लिए ही उस वेटर ने उसके चूतड़ों पर हाथ रखा होगा तो उसको सलोनी के नग्न चूतड़ों का आभास हो गया होगा।
और अगर उसने उसके चूतड़ों को जरा भी सहलाया तो मुझे तो सलोनी पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था जो हर समय गरम और हर काम के लिए तैयार रहती हो। जिसे सेक्स में हर कार्य केवल आनन्द मात्र लगता हो, चाहे आदमी कोई हो। बस ज़िंदगी का मजा आना चाहिए, वो क्या वेटर को मना करेगी? हो सकता है खुद ही उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में ले ले।
और मैंने ऐसी हालत में अपनी पत्नी को उस हवशी वेटर के हवाले कर दिया था। ना जाने पिछले 10-15 मिनटों में उसने सलोनी के साथ क्या क्या किया होगा।
मैं साइड में बनी गैलरी में दोनों और देखता हुआ जा रहा था कि मुझे वहीं एक तरफ काफी गंदगी दिखी जो फैली हुई थी। वो जरूर किसी की वोमिट (उलटी) ही थी लगता था जैसे सलोनी ने वहीँ उलटी कर दी हो। तभी एक तरफ बने कमरे से कुछ आवाज सी सुनाई दी।
मैंने देखा कमरा जरा सा खुला था। डर तो बहुत लग रहा था मगर फिर भी मैं बिना नोक किये ही अंदर चला गया। अंदर कोई नहीं था हाँ उस कमरे के अंदर भी एक बाथरूम था। वहाँ से बड़ी भयानक आवाजें आ रही थी। मैंने थोड़ा निकट जाकर सुनने की कोशिश की।
लड़का- “साली फाड़ दूंगा, थोड़ा और झुक”
लड़की- “अह्ह्ह्ह्ह्हीई ईईईईईई… ईईई नहीईइइइइइ इइइइइ… निकाल लो मर जाऊँगी”
लड़का- “अह्हा हा हा हा ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बस चला गया पूरा अंदर… कोई नहीं मरता चुदाई से”
बस इतना सुनना था, मैं हड़बड़ा गया और मुझे सलोनी का ख्याल आ गया और मैंने फटाक से दरवाजा खोल दिया।
ओह थैंक्स गॉड! सामने एक लड़की जिसने बहुत ज्यादा मेकअप किया था, कोई बार डांसर जैसी ही लग रही थी। बिल्कुल नंगी, कपड़े की एक चिन्दी तक नहीं थी उसके बदन पर। कमोड पर झुकी थी और एक मोटा, काला सा आदमी नीचे से नंगा, पीछे उसकी कोमल सी गांड में अपना लण्ड घुसाये आगे पीछे हो रहा था।
बड़ा ही सेक्सी नज़ारा था मगर लड़की के चेहरे से दर्द महसूस हो रहा था। दोनों ने ही एक साथ मेरे को देखा।
लड़की- “ओहह्ह्ह्ह्ह… बचा लो साहब… बहुत दर्द हो रहा है”
आदमी- “कौन है बे तू?” और लड़की से- “चुप कर साली! हजार रुपये लेते हुए दर्द नहीं हो रहा था?”
लड़की- “अरे तो चूत मारते ना, इतना मोटा खूटाँ गाण्ड में ठूंस दिया। आह्ह्ह्हाआआआ माआआआ मर गई, ओह्ह्ह्ह बहुत दर्द कर रहा है”
मैं- “अर्र्… ऐ ऐ ऐ ये आप लोग हो, व्ववओ एक लड़की कोई यहाँ, वो छोटी सी स्कर्ट और…”
आदमी बहुत बेशर्म था वो अब भी उस लड़की के चूतड़ों पर हाथ से मारते हुए लगातार उसको चोदने में लगा था, बोला- “अरे वो गोरी सी छमिया, जो स्कर्ट के नीचे नंगी थी। अरे बहुत कसा हुआ माल है यार, उसको तो वो साला श्याम बराबर वाले कमरे में ले गया है। चोद रहा होगा साला, क्या चिकनी और कसी हुई चूत थी उसकी यार। उंगली तक अंदर नहीं जा रही थी”
उसने अपनी पहली उंगली को ऐसे सूंघा जैसे उसने खुद अपनी उंगली अंदर डाली हो।
लड़की- “साहब बचा लो उसको, बिल्कुल नई ही लग रही थी। अह्हा हाँ आहा, ववो श्याम बहुत ही कमीना है। अह्हा अह्हा…”
लगता था अब उस लड़की को भी चुदाई में मजा आ रहा था पर मुझे उनकी चुदाई देखने का कोई शौक नहीं था। मुझे सलोनी की चिंता हो रही थी। मैं जल्दी से वहाँ से निकला और बराबर वाले कमरे में देखा।
ओह यह कमरा तो अंदर से बंद था। मैंने जल्दी से कमरे को ज़ोर ज़ोर से खटखटाया… खट… खट… खट… खट… खट… खट… खट…
कई बार जोर से थपथपाने के बाद आवाज आई- “कौन है????”
मैं- “अरे श्याम खोल जल्दी से”
मैंने जान बूझकर उसका नाम लिया और मेरी ट्रिक काम कर गई। तुरंत दरवाजा खुला, मैंने एक झटके में दरवाजा पूरा धकेला और अंदर घुस गया।
श्याम- “अर्रर रे रे रे क्या है????”
मैं- “साले कमीने, इसे यहाँ क्यों ले आया तू? तुझे क्या कहा था?”
अब उसने मुझे पहचान लिया…
श्याम- “वो साहब, मेमसाहब को बाहर ही उलटी हो गई थी। सब होटल गन्दा कर दिया फिर बेहोश हो गई तो मैंने यहीं लिटा दिया था”
मैंने बिस्तर पर देखा। सलोनी वहाँ बेसुध लेटी थी। उसकी दोनों टाँगें खुली थीं, स्कर्ट ऊपर थी, टॉप चूची से नीचे थी। उसकी चूत और चूची दोनों पूरी तरह नंगी सामने से दिख रही थी !
मैंने एक जोर का थप्पड़ श्याम के गाल पर लगाया- “साले दरवाजा बंद करके तू कर क्या रहा था यहाँ?”
श्याम- “अरे नहीं साहब, मैंने कुछ नहीं किया, बस इनका सीना मसलकर इनको होश में ला रहा था”
मैंने एक और थप्पड़ उसको जड़ दिया- “वो तो दिख रहा है, साले इसको नंगी करके तू यहाँ दरवाजा बंद करके क्या कर रहा था? रुक साले, अभी मैनेजर को बुलाता हूँ”
श्याम- “क्यों बात बढ़ाते हो साहब? आप भी तो इस माल को चोदने के लिए ही लाये हो। चलो आप चोद लो आराम से, मैं कमरे और आपका खर्च कोई नहीं लूँगा”
साला सच बहुत कमीना था। मैंने जानबूझकर ही उसको नहीं बताया था कि यह मेरी बीवी है।
मैं- “अच्छा तो तूने सब कर लिया?”
श्याम- “अरे नहीं साहब, मैंने कुछ नहीं किया, बस ऊपर ही ऊपर से मजे लिए हैं। मैं वैसे भी इन बाहर की लड़कियों के साथ कभी चुदाई नहीं करता। बीमारी का डर रहता है साहब, आप करो, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा”
वो जैसे मेरे ही मुँह पर वो बिना आवाज का झापड़ लगा गया था। मैं अपना सा मुँह लिए उसको जाता देखता रहा।
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23-03-2024, 03:26 PM
अब मैंने सलोनी की ओर ध्यान दिया, मैंने जाकर उसको देखा तो उसकी दोनों चूची पूरी लाल हो रही थी और निप्पल बिल्कुल खड़े थे। मैंने जैसे ही हाथ लगाया तो सलोनी के दोनों निप्पल थूक से लसलसे से दिखे, मैंने तुरंत सलोनी की चूत को हाथ लगाया तो ओह???
वोडका के 4 पेग लगाने के बाद मुझे अच्छा खासा नशा हो गया था अभी कुछ देर पहले तक मैं बहुत मस्ती में था क्योंकि काफी दिनों के बाद मैंने इतने पेग एक साथ लिए थे।
मगर अभी कुछ देर की घटनाओ ने मेरे सारे नशे की ऐसी-तैसी कर दी थी। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि जो मस्ती मैं करने आया था, वो ऐसी तो नहीं थी कि एक वेटर मेरी जान को ऐसे छोड़कर चला गया था।
सलोनी अभी भी बिस्तर पर लेटी थी, उसकी नंगी चूचियाँ अपने साथ हुए हर जुल्म की दास्ताँ सुना रही थी। उसकी चूत पूरी तरह से खुली पड़ी थी। उसकी स्कर्ट जो वैसे ही बहुत छोटी थी और इस समय उसकी कमर के नीचे दबी थी। मेरा हाथ उसकी नंगी चूत पर चला गया। जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ, वो बहुत गीली थी, चूत के आस पास के क्षेत्र से साफ़ पता चल रहा था कि उसके साथ छेड़छाड़ की गई है और चाटा भी गया है।
मगर मैंने जब अपनी गीली उँगलियों को सूँघा तो वो तो मेरी जान के चूत का ही पानी था। मैं इस सुगन्ध को कैसे भूल सकता हूँ। जब भी सलोनी बहुत ज्यादा गर्म हो जाती थी तो उसकी चूत का पानी खुद व खुद निकलने लगता है जिसकी खुशबू पूरे कमरे में फैल जाती है।
इसका मतलब सलोनी पूरी तरह गर्म हो गई थी, वो पूरा बेहोश नहीं थी, वो भी यहाँ जो भी हुआ था, उसका पूरा मजा ले रही थी। मैंने एक बार फिर सलोनी की चूत पर उँगलियाँ घुमाई।
सलोनी- “अह्ह्हाआआआ ओह!”
उसने एक जोर से सिसकारी भरी, इसका मतलब यह मजे ले रही है। हाँ, इसकी आँखें पूरी तरह बंद हैं उसको नहीं पता कि उसके साथ कौन है। मैंने उसको करीब 5 मिनट तक खूब गर्म कर दिया। मेरा लण्ड भी पूरा तनतना रहा था मगर मैं अभी से सलोनी को चोद कर पूरा रात का मजा ख़राब नहीं करना चाहता था। तभी वो वेटर फिर से कमरे में आ गया, उसके हाथ में एक गिलास भी था।
वेटर श्याम- “क्या साहब। चोद दिया क्या?? ऐसे कैसे मजा आया होगा आपको? लो, मैं यह नीम्बू पानी लाया हूँ। पहले इसको पिलाकर होश में लाओ, फिर आराम से इसकी चूत और गाण्ड दोनों मारना”
मैंने बिना कुछ बोले उससे गिलास ले लिया। सलोनी को उठाकर अपने कंधे पर अधलेटा किया और उसको वो नीम्बू पानी पिलाने की कोशिश करने लगा।
तभी वो वेटर साला मेरे सामने ही बैठ सलोनी की जांघें सहलाता हुआ बोला- “साहब कुछ भी कहो, पर माल बहुत मस्त है। लगता है अभी नई ही धंधे में आई है। मैंने भी आज तक नहीं देखा”
मैं बेबस सा उसको देख रहा था, अब कुछ कह भी नहीं सकता था, अगर जरा भी उसको बोलता कि मेरी बीवी है तो साला सभी को बोल देता और सभी मेरी बहुत मजाक उड़ाते।
उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी, उसने मेरे सामने ही सलोनी की चूत को अपने दोनों अंगूठों से खोलते हुए कहा- “देखा साहब कितनी टाइट और पूरी लाल चूत है और खुशबू भी ऐसी जैसी कुंवारी लड़की की चूत से आती है। सच साहब बहुत जानदार चूत है। मैं तो यहाँ रोज कई देखता हूँ पर ऐसी नहीं देखी”
लग रहा था कि इस साले ने कसम खाई है वरना इसकी तो मार ही लेता। बोलते बोलते कमीने ने अपना मुँह सलोनी की चूत पर लगा दिया। मैं सलोनी के ऊपर वाले मुँह को किसी तरह खोलकर उसको नीम्बू पानी पिलाने में ही व्यस्त था और वो कमीना मेरी सलोनी के नीचे वाले होंठ पूरी तरह खोलकर मेरे ही सामने चूसने लगा।
सलोनी को भी अब हल्का हल्का होश आने लगा था। मुझे डर सा लगने लगा कि यह सब देखकर ना जाने वो क्या सोचने लगे कि क्या ये सब मैं ही करा रहा हूँ?
मैंने कसकर एक लात उस वेटर को मारी। वो दूर हट गया।
मैं- “तू अपने कमीनेपन से बाज नहीं आएगा साले”
श्याम बड़े गंदे ढंग से अपने होंटों को चाटने लगा और बोला- “क्या साहब? कितना मजा आ रहा था, सच बहुत मजेदार है तिकोनी इसकी। पहले भी आपने नहीं चूसने दी। जैसे ही चूसने लगा तभी आ धमके और अब भी नहीं”
मैं- “साले ये कोई धंधे वाली नहीं है। घरेलू है, मेरे साथ केवल घूमने आई है”
श्याम- “ओह तो यह बात है। किसी और की घरवाली के साथ मजे, कोई बात नहीं साहब, करो मजे”
सलोनी अब हल्के हल्के कुनमुनाने लगी तो मैंने उसको जाने का इशारा किया और वो शराफत से चला भी गया।
सलोनी- “ओह क्या हुआ? मेरा सर, ओह यह सब?”
मैं- “कुछ नहीं जान, तुमको जरा ज्यादा हो गई थी, चलो बाहर चलकर बैठते हैं”
सलोनी ने खुद को व्यवस्थित किया, उसने मुझसे कोई बात नहीं की।
मैं- “जान कैसा लग रहा है? अब सब सही है ना?”
सलोनी- “सॉरी जानू, पता नहीं मुझे क्या हो गया था? वो मैं टॉयलेट गई थी फिर पता नहीं क्या हुआ एकदम से”
मैं- “कुछ नहीं जान, चलो बाहर चलकर बैठते हैं”
और हम रेस्टोरेंट में आकर बैठ गए वहाँ दो बार गर्ल काफी छोटे कपड़ों में डांस कर रही थीं।
सलोनी- “क्या खाना यहीं खायेंगे?”
मैं- “हाँ जान, क्यों क्या हुआ?”
सलोनी- “नहीं कुछ नहीं, वो सब हमको ही देख रहे हैं”
मैं- “हाँ जान लगता है तुम भूल गई हो कि तुमने स्कर्ट के नीचे कच्छी नहीं पहनी है और तुम्हारे लेटने से स्कर्ट भी सिकुड़ गई है”
सलोनी को जैसे सब कुछ याद आया। मैंने भी जानबूझकर ही उसको याद दिलाया कि कहीं बेख्याली में वो कुछ ज्यादा ना कर दे।
सलोनी- “ओह मैं तो बिल्कुल भूल ही गई थी। सुनो, घर चलो ना, सब मुझे ही कैसी भूखी नजरों से देख रहे हैं”
मैं- “अरे, तो क्या हुआ जान? मज़े लो ना, डरती क्यों हो, कोई कुछ करेगा थोड़े ना। मैं हूँ ना”
सलोनी ने कोई जवाब नहीं दिया। हम सेंटर में एक मेज पर जाकर बैठ गए, मैंने कुछ स्नैक्स और सूप आर्डर किया। अब डांस काफी सेक्सी हो गया था और लड़की भी बदल गई थी।
लड़कियाँ केवल ब्रा और छोटी सी कच्छी में बड़े ही उत्तेजक ढंग से डांस कर रही थीं। उनकी चूचियों का काफी हिस्सा उनके हिलने से बाहर निकले जा रहा था और दोनों चूचियाँ बहुत तेजी से हिल रही थी या ऐसे कहो कि वो हिला रही थीं। उनके चूतड़ तो लगभग उनकी कच्छी से बाहर ही थे, बहुत पतली पट्टी ही उनके पीछे चूतड़ों को ढके थी।
तभी एक लड़की नाचते नाचते हमारे मेज के पास आई, उसने जैसे ही मुझे आँख मारी। मुझे याद आया- ‘ओह यह तो वही लड़की है जो अभी कुछ देर पहले उस कमरे में एक मोटे से चुद रही थी। अरे इसी की तो वो मोटा आदमी गांड मार रहा था और अब यह वही गांड नचा नचा कर सबको दिखा रही है’
तभी वो मेरी गोद में आकर बैठ गई। उसने अपने चूतड़ बड़े सेक्सी अंदाज़ में मेरे आधे खड़े लण्ड पर रगड़े और मेरे गालों को चूम लिया। मेर हाथ भी उसकी चूचियों तक पहुँच गए थे पर 20 सेकंड में ही वो उठकर फिर स्टेज पर चली गई।
सलोनी- “क्या बात जानू, लगता है यहाँ बहुत आते हो?”
वो लगातार मुस्कुरा रही थी।
मैं- “अरे नहीं, वो तो मैंने अभी इसको अंदर देखा था”
ओह! मेरे मुँह से निकल गया।
सलोनी- “कहाँ अंदर? बताओ ना”
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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24-03-2024, 12:26 PM
नाइट क्लब के रेस्टोरेंट में हम दोनों ऐसी जगह बैठे थे जहाँ हमें हर कोई आसानी से देख सकता था।
मैंने चारों ओर नजर मारी तो ज्यादातर लोग हमें ही देख रहे थे। ऐसा नहीं कि वहाँ और कोई लड़की ना हो बल्कि हर मेज पर ही कोई लड़की या महिला बैठी थी और ऐसा भी नहीं था कि सेक्सी कपड़ों (मिनी स्कर्ट और ट्यूब टॉप) में केवल सलोनी ही हो।
ज्यादातर वहाँ सेक्सी कपड़ों में ही थीं, और तो और जो लड़कियाँ नाच रही थीं, वो तो पूरी नंगी ही लग रही थीं फिर भी सलोनी की सुंदरता और सेक्स अपील हर किसी को उसी की ओर आकर्षित कर रही थी। सलोनी का नशा अब काफी हद तक काबू में आ गया था, हाँ, झूम वो अब भी रही थी और उसकी जुबान भी लड़खड़ा रही थी मगर अब वो काफी सही लग रही थी।
हाँ, कुर्सी पर दोनों पैरों के बीच उसने काफी गैप कर रखा था, वो तो शुक्र था कि उसके पैर मेज के अंदर ही थे वरना देखने वालों की पैंट की चेन ख़राब हो जाती।
सलोनी मेरी और झुकते हुए अब मेरे पर दबाव डालने लगी, पूछ्न लगी- “बताओ ना जानू, तुमने क्या क्या देखा? सच मुझे कुछ भी याद नहीं”
मैं- “अरे यार जब तुम नहीं आई ना, तो मैं अंदर गया था। तब यह एक मोटे से आदमी के साथ ता-ता-धिन्ना कर रही थी। वो मैंने तो केवल आवाज सुनी, मैं समझा कहीं कोई तुमको तो परेशान नहीं कर रहा पर जब दरवाजा खोलकर देखा, तो यह पूरी नंगी लगी हुई थी और चिल्ला भी रही थी”
सलोनी- “हाय राम! आपने इसको पूरी नंगी देखा वो भी सब करते हुए”
मैं- “हाँ यार! मेरी जान, हम यहाँ अकेले ही तो हैं क्या सब करते हुए, बोलो चुदवाते हुए”
सलोनी- “धत्त, आप तो पूरे बेशर्म ही हो गए हो और चिल्ला क्यों रही थी?”
मैंने आँख मारते हुए कहा- “अरे इतना बड़ा लौड़ा उस मोटे ने इसकी गांड में घुसा रखा था तो चिल्लाएगी ही ना। हा हा हा…”
मैंने नशे में ही खुद को सलोनी के सामने पूरा खोल देने का सोच रखा था इसीलिए अब पूरे खुले और नंगे शब्दों का प्रयोग कर रहा था।
सलोनी- “ओह क्या हो गया आपको, कितना गन्दा बोल रहे हो”
पर उसके होंटों पर भी मुस्कराहट बता रही थी कि उसको भी मेरी बातें अच्छी लग रही थी।
तभी मुझे एक कोने में मोटा बैठा दिखाई दिया तो मैंने कहा- “हाँ देखो जानू! वो है, वो जो शनील के काली शर्ट में है। उस कोने में…”
सलोनी ने उसको देखते ही मेरे हाथ को कस कर दबाया और बोली- “अरे जानू, मुझे याद आ रहा है। जब मैं अभी अंदर गई थी ना तो यही था, वहाँ इसने मेरे साथ बदतमीजी भी की थी”
मैं- “अच्छा? क्या किया था?”
सलोनी- “बस मेरे को तो नशा बहुत हो गया था और उलटी सी होने लगी थी। इसने ही मुझे पकड़ा था और मेरी स्कर्ट में हाथ डाला था”
मैं- “अरे जान तुमको वहम हुआ होगा तुमको पकड़ने में लग गया होगा”
सलोनी- “नहीं जान, मेरा विश्वास करो, यह बहुत कमीना है। इसने जानबूझकर मेरी स्कर्ट उठाई थी और हाथ फ़ेर कर अंदर सहलाया था”
मैं- “क्या? और तुमने मना नहीं किया?”
सलोनी- “अरे मैं तो उलटी से परेशान थी। तभी इसने मेरी मजबूरी का फ़ायदा उठाया था। यह और वो कमीना वेटर दोनों मुझे नंगा करने में ही लगे थे”
मुझे गुस्सा सा आ गया, मैं जैसे ही उठने लगा, सलोनी ने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया- “रुको ना, अब क्या यहाँ मेरा तमाशा बनाओगे? मेरे इन कपड़ों में कोई इनको गलत नहीं कहेगा। मेरा ही तमाशा बन जायेगा”
मैं- “हम्म! पर अब अगर कुछ भी करता हूँ तो साला बखेड़ा खड़ा कर देगा”
फिर सोचता हूँ कि यार जब मस्ती करने आये हैं तो ये सब तो होगा ही।
सलोनी- “छोड़ो अब जो हुआ, अब आप मूड अच्छा करो और अपनी मस्ती ख़राब मत करो। शुक्र है इन्होंने बस छेड़छाड़ ही की ना कि ज्यादा कुछ वरना कुछ भी कर सकते थे”
मैं- “अरे जान वो वेटर तो पिट ही गया था मुझसे, पता है तुमको कमरे में ले गया था और तुमको पूरी नंगी कर दिया था। वो तो मैं समय पर पहुँच गया वरना जाने क्या कर देता”
सलोनी- “क्याआआआ सच, मैं तो समझी आप मुझे वहाँ ले गए थे”
मैं- “अरे जानू, उसने तो तुम्हारे सब, मतलब स्कर्ट और टॉप हटा दिए थे और मजे से चूस रहा था। हा हा हा…”
सलोनी- “ऐसे क्यों कह रहे हो? मुझे शरम आ रही है, जब मैं होश में ही नहीं थी तो”
मैं अब उसको छेड़ने लगा- “तब ही तो बोलता हूँ जानू, इतनी मत लिया करो वरना कोई भी नशे में पेल जायेगा”
सलोनी- “हाँ रहने दो, अभी किसी में हिम्मत नहीं है”
वो भी शायद मेरा मजाक समझ गई थी इसलिए ज्यादा नाराज नहीं हो रही थी।
सलोनी- “तो तुमने उस वेटर को बहुत मारा?”
मैं- “ज्यादा तो नहीं पर हाँ 2-4 तो धर ही दिए थे। वैसे वो तुमको धंधे वाली समझ रहा था”
सलोनी- “क्याआ?? बस आप मुझे यही और दिखाओगे, अच्छा खासा सही कपड़े पहन कर आ रही थी”
मैं- “अरे, यहाँ हमको कौन जानता है! मजे लो, उनको समझने दो कुछ भी, इसका भी एक अलग ही मजा है”
सलोनी- “इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं धंधे वाली बन जाऊँ”
मैं- “अरे यार, कैसी बात कर रही हो, कपड़े बदलने से कोई इंसान नहीं बदल जाता बल्कि एक दिन वैसी ज़िंदगी भी जी लेता है। मैं यही तो देखता हूँ कि दुनिया में पहचान इंसान से नहीं बल्कि चेहरे और कपड़ों से होती है”
सलोनी- “हाँ, यह तो आपने ठीक ही कहा, सुनो आपकी बात सुनकर तो मुझे बड़ी अजीब सी फीलिंग हो रही है कि इन लोगों ने मेरे नंगे अंगों को देखा और छुआ होगा”
मैं- “अरे यार खुलकर बोलो, मैं तुम्हारा पति जो तुमको बहुत प्यार करता है, जब तुम्हारे साथ है तो तुमको किस बात की चिंता और जरा सी मस्ती करने में चूत या लण्ड घिस नहीं जाते। अच्छा तुम बताओ? अभी जब वो लड़की मेरी गोद में बैठी तो मेरा लण्ड उसकी गांड के स्पर्श से खड़ा हो गया। इसका मतलब मैं गलत हूँ या मेरे लण्ड या उसकी चूत का कुछ घिस गया। अरे यार जरा सा मजा आ गया बस”
सलोनी लगातार मुझे देखे जा रहे थी, वो मुझे समझने की कोशिश कर रही थी। तभी वहाँ तेज लाइट ओन हो गई और तेज म्यूजिक के साथ कॉमन डांस का अनाउंसमेंट हो गया। सभी स्टेज के नीचे डांस फ्लोर पर डांस करने लगे, सलोनी भी मुझे डांस के लिए बोलने लगी पर मेरा बिलकुल मन नहीं था क्योंकि नशा बहुत हो गया था और मैं सबको डांस करते हुए उनकी हरकतें देखना चाह रहा था।
कुछ ही देर में एक वैल सूटेड बूटेड आदमी वहाँ आया और सलोनी को डांस के लिए बोलने लगा। उसने मना किया पर मैंने अपनी आँखों से उसको हाँ में इशारा किया और सलोनी ने उसके बड़े हुए हाथ पर अपना हाथ रख दिया। दोनों डांस फ्लोर की ओर बढ़ने लगे। मैं उसको बताना चाह ही रहा था कि अपनी स्कर्ट का ध्यान रखना कि अंदर कच्छी नहीं है पर तब तक तो वो तेजी से आगे चली गई।
अब पता नहीं क्या होगा…???
TO BE CONTINUED .....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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