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Adultery रंगीली बीबी
#41
Heart 
सलोनी- “नहींहाँअरे वो तो हैपर एक और बात भी है…”

मैं- “तो बोलो जानूमैंने कभी तुमको किसी भी बात के लिए मना किया है क्या?”

सलोनी- “वो विनोद को तो जानते हो ना आप? मेरे साथ जो पढ़ते थे…”

मैंने दिमाग पर जोर डाला पर कुछ याद नहीं आया हाँ उसने एक बार बताया तो थावैसे सलोनी ने एम० ए० किया है और एम० एड० भी उस समय उसके साथ कुछ लड़के भी पढ़ते थे पर मुझे उनके नाम याद नहीं रहे थेएक बार उसने मुझे मिलवाया भी था हो सकता है उन्ही में कोई हो

मैं- “हाँ यारपर कुछ याद नहीं रहा…”

सलोनी- “विनोद भाईजी ने यहाँ एक कॉलेज में जगह बताई हैउसका कॉल लेटर भी आया हैमैं पूरे दिन बोर हो जाती हूँ.. क्या मैं यह जॉब कर लूँ?”

मैं उसकी किसी बात को मना नहीं कर सकता था फिर भी- “यार, तुम घर के काम में ही इतना थक जाती हो, फिर ये सब कैसे कर पाओगी?”

सलोनी- “आपको तो पता ही हैमुझे जॉब करना कितना पसंद हैप्लीज हाँ कर दो नामैं मधु को यहाँ ही काम पर रख लूँगी, यह मेरी बहुत सहायता कर देती है, मैंने इसके मां से भी बात कर ली है…” सलोनी पूरी तरह मेरे ऊपर मुझे चूमकर मनाने में लगी थी


मैं कौन सा उसको मना कर रहा था- “अरे जानमैं कोई मना थोड़े ही कर रहा हूँपर कैसे कर पाओगी इतना सब? बस इसीलिएमुझे तुम्हारा बहुत ख्याल है जान…”

सलोनी- “हाँ मुझे पता हैपर मुझे करनी है ये जॉबजब नहीं हो पायेगी तो खुद छोड़ दूंगी…”

मैं- “कहाँ है जानू ये कॉलेज…”

सलोनी- “वोउस जगहयेनाम है कॉलेज का!”

मैं- “ओह, फिर यह तो बहुत दूर हैरोज कैसे जा पाओगी?”

सलोनी- “बहुत दूर है क्या…?”

मैं- “हाँ जान…”

सलोनी- “चलो फिर ठीक है मैं जाकर देखती हूँअगर ठीक लगा तो ही हाँ करुँगी…”

मैं- “जैसा तुम ठीक समझोऔर ये लो पैसेमैं चलता हूँजो खरीदना हो खरीद लेनाऔर इस पागल को भी कुछ कपड़े दिला देना…”

मधु- “उउन्न्न्नक्या कह रहो भैया?”


मैं यह सोचकर ही खुश था कि मधु अब ज्यादा से ज्यादा मेरे पास रहेगी और मैं उससे जब चाहे मजे ले सकता हूँ मैं अपना बेग लेकर बाहर को आने लगा पर दरवाजा खोलते ही अरविन्द अंकल सामने दिख गए

अंकल- “अरे बेटा.. आज अभी तक यहीं हो, क्या देर हो गई?”

मैं मन ही मन हंसा, यह सोचकर आया होगा कि मैं चला गया हूँगा

मैं- “बस जा ही रहा हूँ अंकल…”

मैं बिना उनकी और देखे बाहर निकल गयाबुड्ढा बहुत बेशर्म था, मेरे निकलते ही घर में घुस गया अब मुझे याद आया किओहआज तो मैंने वो वीडियो रिकॉर्डर भी ओन कर सलोनी के पर्स में नहीं रखा…’ अब आज के सारे किस्से के बारे में कैसे पता लगेगा

सोचते हुए कि अंकल ना जाने मेरी दोनों बुलबुलों के साथजो लगभग नंगी ही हैं…’ क्या कर रहा होगा?


मैं जैसे ही अरविन्द अंकल के घर के सामने से निकला, उनका दरवाजा खुला थामुझे भाभी कि याद गई और मैं दरवाजे के अंदर घुस गयामैंने दिमाग से सलोनी, मधु और अरविन्द अंकल को बिल्कुल निकाल दिया थामुझे अब कोई चिंता नहीं थी सलोनी चाहे जिससे कैसा भी मजा ले और अब मैं अब केवल जीवन को रंगीन बनाने पर विश्वास करने लगा थामुझे पूरा विश्वास था की सलोनी कितनी भी बिंदास हो मगर ऐसा कुछ नहीं करेगी जिससे बदनामी होवो बहुत समझदार है जो भी करेगी बहुत सोच समझ कर

मैं अरविन्द अंकल का घर का दरवाजा खुला देखकर उसमें घुस गयापहले मुझे ऑफिस के अलावा कुछ नहीं दिखता था, चाहे कुछ हो जाये मैं समय पर ऑफिस पहुँच ही जाता था पर अब मेरा मन काम से पूरी तरह हट गया थाहर समय बस मस्ती का बहाना ढूंढ़ता था

मुझे याद है पिछले दिनों ऐसे ही एक बार सलोनी ने नलिनी भाभी (अरविन्द अंकल की बीवी) को कुछ सामान देने को कहा था एक बात याद दिला दूँ कि अरविन्द अंकल भले ही 60 साल के हों पर नलिनी भाभी उनकी दूसरी बीवी हैं वो 36-38 साल जी भरपूर जवान और सेक्सी महिला हैं उनका एक एक अंग गदराया और साँचे में ढला है38-28-37 की उनकी काया उनको सेक्स की देवी जैसी खूबसूरत बना देता हैपहले वो साड़ी या सलवार सूट ही पहनती थी क्योंकि वो किसी गाँव परिवेश से ही आई थीं और उनका परिवार गरीब भी था मगर अब सलोनी के साथ रहकर वो मॉडर्न कपड़े पहनने लगी थीं और सेक्सी मेकअप भी करने लगीं थींकुल मिलाकर वो जबरदस्त थीं


उनके साथ हुआ वो पिछला किस्सा मुझे हमेशा याद रहने वाला था जब मैं सलोनी का दिया सामान देने उनके घर पहुचा तो दरवाजा ऐसे ही खुला थाअरविन्द अंकल की हमेशा से आदत थी कि जब वो आस पास कहीं जाते थे तब दरवाजा हल्का सा उरेक कर छोड़ देते थेवैसे भी यहाँ कोई वाहर का तो आता नहीं था और इस बिल्डिंग पर हमारे आखिरी फ्लैट थे इसीलिए वो थोड़े लापरवाह थेउस दिन जैसे ही मैं नलिनी भाभी को आवाज लगाने वाला था तो मैंने देखा कि नलिनी भाभी अंदर वाले कमरे में बालकनी वाला दरवाजा खोले, जिससे हलकी धूप कमरे में रही थी, केवल एक पेटकोट अपने सीने पर छातियों के ऊपर बांधे अपने बालों को तौलिये से झटक रहीं हैं। 

उनके बाल पूरे आगे उनके चेहरे को ढके थे उनका पेटीकोट उनके विशाल चूतड़ों से बस कुछ ही नीचे होगा जो उनके झुके होने से थोड़ा थोड़ा वो दृश्य दिखा रहा था, पर ऐसा दृश्य देखकर भी मेरे मन में कोई ज्यादा रोमांच नहीं आया बल्कि डर लगा कि यार ये मैंने क्या देख लिया अगर भाभी या अंकल किसी ने भी मुझे ऐसे देख लिया तो क्या होगा???

मैं वहां से जाने ही वाला था कि तभी भाभी ने एक तौलिये को एक झटका दिया और उनका पेटीकोट शायद ढीला हो गया, मैंने साफ़ देखा कि भाभी कि दोनों चूचियाँ उछल कर बाहर निकल आईउनका पेटीकोट ढीला होकर उनके पेट तक गया थाअब इस दृश्य ने मेरी जाने की इच्छा को विराम लगा दियाउनके बार-बार तौलिया झटकने से उनके दोनों उरोज ऐसे उछल रहे थे कि बस दिल कर रहा था को जाकर उनको पकड़ लूँ

भाभी चाहे कितनी भी सेक्सी थी पर अंकल की बीवी यानी आंटी होने के नाते मैंने कभी उनको इस नजर से नहीं देखा था पर आज उनके नंगे अंग देख मेरी सरीफों वाली नजर भी बदल गई थीशायद इसीलिए कहा जाता होगा कि आजकल लड़कियों के इतने खुले वस्त्रों के कारण ही इतने ज्यादा देह शोषण हो रहे हैं

भाभी के उछलते मम्मे मेरे को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे मगर मेरा ईमान मुझे रोके था मेरे इच्छा और भी देखने की होने लगीमैं सोचने लगा कि काश उनके गद्देदार चूतड़ भी दिख जायें और यहाँ भी भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि अंकल अभी वापस ना आएं

और शायद भगवान ने मेरी सुन ली

TO BE CONTINUED .......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#42
भाभी तौलिये को वहीं स्टूल पर रख, एक कोने पर रखे ड्रेसिंग टेबल की ओर जाने लगीं और जाते हुए ही उन्होंने अपना पेटीकोट चूतड़ों से नीचे सरकाते हुए पूरा निकाल दिया। उनकी पीठ मेरी ओर थी, पीछे से पूरी नंगी नलिनी भाभी मुझे जानमारू लग रही थी। उनकी नंगी गोरी पीठ और विशाल गोल उठे हुए चूतड़, गजब का नज़ारा पेश कर रहे थे। उनके दोनों चूतड़ आपस में इस कदर चिपके थे कि जरा सा भी गैप नहीं दिख रहा था। 

फिर भाभी दर्पण के सामने खड़ी हो अपने बाल कंघे से सही करने लगी। मुझे दर्पण का जरा भी हिस्सा नहीं दिख रहा था। मैं दर्पण से ही उनके आगे का भाग या यूँ कहो कि उनकी चूत को देखना चाह रहा था।

मगर मेरी किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी। भाभी ने वहीं टेबल से उठा अपनी कच्छी पहन ली और फिर ब्रा भी, फिर वो घूम कर जैसे ही आगे बढ़ी, उनकी नजर मुझ पर पड़ी। भाभी ने ‘हाय राम !’ कहते हुए तौलिये को उठा कर खुद को आगे से ढक लिया। मैं ‘सॉरी’ बोल कर उनको सामान देकर वापस आ गया। उस दिन के इस वाकिये का कभी कोई जिक्र नहीं हुआ था। बस सलोनी ने ही एक बार कुछ कहा था जिसका मेरे से कोई मतलब नहीं था। 

हाँ तो आज फिर दरवाजा खुला देख मैं अंदर चला गया। आज मेरे पास कोई बहाना नहीं था, ना ही मैं उनको कुछ देने आया था मगर मेरी हिम्मत इतनी हो गई थी कि आज अगर भाभी वैसे मिली तो चाहे जो हो, आज तो पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से उनके चूतड़ों में डाल ही दूंगा। यही सोचते हुए मैं अंदर घुसा, बाहर कोई नहीं था। इसका मतलब भाभी अंदर वाले कमरे में ही थी और मैंने चुपके से अंदर वाले कमरे में झाँका, अह्हा…

भाभी ना दोनों कमरों में थी और ना बाथरूम में। मैंने सब जगह देख लिया था, मैं बाहर वाले कमरे के साइड में देखा वहाँ उनकी रसोई है। हो सकता है वो वहाँ हों और मुझे भाभी जी दिख गई सफ़ेद टाइट पजामी और शार्ट ब्लैक कुर्ती पहने वो रसोई में काम कर रही थीं। कुर्ती उनके चूतड़ों के आधे भाग पर टिकी थी। भाभी के चूतड़ इतने विशाल और ऊपर को उठे हुए थे कि कुर्ती के बावजूद पूरे दिख रहे थे।

भाभी की सफ़ेद पजामी उनके जाँघों और चूतड़ पर पूरी तरह से कसी हुई थी। कुल मिलाकर भाभी बम लग रही थी। मैंने अपना बैग वहीं कमरे में रखा और पीछे से भाभी के पास पहुँच गया। मैं अभी कुछ करने की सोच ही रहा था मैंने देखा कि नलिनी भाभी आटा गूंध रही थी, उन्होंने शायद मुझे नहीं देखा था और ना ही पहचाना था पर शायद उनको एहसास हो गया था कि कोई है और वो उनके पति अरविन्द अंकल ही हो सकते हैं।

वो बिना पीछे घूमे बोली- “अरे सुनो… जरा मेरी पीठ में खुजली हो रही है…जरा खुजा दो…”

वो एक हाथ से बालों को सही करते हुए सीधे हाथ से आटा गूंधने में मग्न थीं। मैंने भी कुछ और ना सोचते हुए उनके मस्त बदन को छूने का मौका जाया नहीं किया। रात मधु के साथ मस्ती करने के बाद मेरा अब सारा डर पहले ही ख़त्म हो गया था। भाभी को अगर बुरा लगा भी तो क्या होगा? ज्यादा से ज्यादा वो सलोनी से ही कहेंगी और मुझे पक्का यकीन था कि वो सब कुछ आराम से संभाल लेगी।

मैंने भाभी की टाइट कुर्ती को उठाकर अपना हाथ अंदर को सरका दिया। वो सीधी हो खड़ी हो गई तो कुर्ती आराम से उनके पेट तक ऊपर हो गई मगर और ज्यादा ऊपर नहीं हुई, वो उनके वक्ष-उभारों पर अटक गई। नलिनी भाभी की सफ़ेद, बाल रहित चिकनी पीठ आधी नंगी मेरे सामने थी। मैं हाथ से सहलाने लगा।

नलिनी भाभी- “अरे नाखून से खुजाओ न… पसीने से पूरी पीठ में खुजली हो रही है…”

मन में सोचा कि बोल दूँ कि कुर्ती उतार दो, आराम से खुजा देता हूँ पर मेरी आवाज वो पहचान जाती इसलिए चुप रहा। मैंने हाथ कुर्ती के अंदर तक घुसा कर ऊपर उनकी गर्दन और कंधों तक ले गया। अंदर कोई वस्त्र नहीं था। वाह…
नलिनी भाभी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी। उनके मम्मे नंगे ही होंगे, मन ने कहा कि अगर जरा से जोर लगाकर कुर्ती ऊपर को सरकाऊ तो आज फ़िर मम्मे नंगें दिख जायेंगे। तभी मेरी नजर खुजाते हुए ही नीचे की ओर गई। सफेद टाइट पजामी इलास्टिक वाली थी, पजामी उनके चूतड़ के ऊपरी भाग तक ही थी। 

उनके चूतड़ के दोनों भाग का ऊपरी गड्डा जहाँ से चूतड़ों की दरार शुरू होती है, पजामी से बाहर नंगा था और बहुत सेक्सी लग रहा था। मैं जरा पीछे खिसका और पूरे चूतड़ों का अवलोकन किया। टाइट पजामी में कहीं भी मुझे पैंटी लाइन या कच्छी का कोई निशान नहीं दिखा। इसका मतलब नलिनी भाभी ने कच्छी भी नहीं पहनी थी। बस मेरा लण्ड उनके चूतड़ के आकार को देखते ही खड़ा हो गया और मेरी हिम्मत इतनी बढ़ गई कि मैंने पीठ के निचले भाग को सहलाते हुए अपनी उँगलियाँ उनकी पजामी में घुसा दी।

नलिनी भाभी के नर्म गोश्त का एहसास होते ही लण्ड बगावत करने को तैयार हो गया। यह मेरे लिए अच्छा ही था कि भाभी ने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और भाभी भी लगता था कि हमेशा मूड में ही रहती थी। उन्होंने एक बार भी नहीं रोका बल्कि बात भी ऐसी करी जो हमेशा से मैं चाहता था।

नलिनी भाभी- “ओह, आपसे तो एक काम बोलो, आप अपना मौका ढूंढ लेते हो, क्या हुआ?? बड़ी जल्दी आ गए आज सलोनी के यहाँ से…? हा… हा… क्या आज कुछ देखने को नहीं मिला या अंकुर अभी घर पर ही था?”

ओह इसका मतलब नलिनी भाभी सब जानती हैं कि अरविन्द अंकल मेरे यहाँ क्यों जाते हैं और वो वहाँ क्या करते हैं। मैंने कुछ ना बोलते हुए अपना हाथ कसकर पूरा पजामी के अंदर घुसा दिया और भाभी के एक चूतड़ को अपनी मुट्ठी में लेकर कसके दबा दिया।

नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्ह्हाआआआआ…”

मेरे सीधे हाथ की छोटी उंगली चूतड़ के गैप में अंदर को घुस गई और मुझे उनकी चूत के गीलेपन का भी पता चल गया। मैंने छोटी उंगली को उनकी चूत के ऊपर कुरेदते हुए हिलाया तो भाभी ने कसकर अपने चूतड़ों को हिलाया।

नलिनी भाभी- “ओह क्या करने लगे सुबह सुबह, फिर पूरा दिन बेकार हो जायेगा। क्या फिर सलोनी को नंगा देख आये जो हरकतें शुरू कर दी…?”

बस मैंने जोश में आकर अपने बाएं हाथ से उनकी पजामी की इलास्टिक को नीचे सरकाया और पजामी दोनों हाथ से पकड़ उनके चूतड़ों से नीचे सरका दिया। उन्होंने अपनी कमर को हिला बहुत हल्का सा विरोध किया पर उनके हाथ आटे से सने थे इसलिए अपने हाथ नहीं लगाये पर कमर हिलाने से आसानी से उनकी पजामी चूतड़ से नीचे उतर गई। 

अब उनके सबसे सेक्सी चूतड़ मेरे सामने नंगे थे। दोनों चूतड़ एक तो सफ़ेद-गुलाबी रंगत लिए, गोल आकार लिए हुए एक दूजे से चिपके मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। मैंने एक हल्की से चपत लगा दोनों को हिलाया और दोनों हाथों से दोनों चूतड़ों को अपनी मुट्ठी में भर लिया।

तभी…

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
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#43
Superb story. Thanks for a hot story
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#44
Shandar aur जानदार स्टोरी
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#45
Heart 
नलिनी भाभी- “अरईए… आररर्र… ए… अंकुर… आअप पप इइइइइइइ…”

जिसका सपना काफी समय से देख रहा था। आज वो पूरा होता नजर आ रहा थाये सब गदराये अंग मैंने कुछ समय पहले भी नंगे देखे थे मगर कुछ दूरी से देखा वो भी कुछ पल के लिए तो कुछ ठीक से दिखाई नहीं दिया था पर इस समय सभी मेरी आँखों के सामने नंगे थे बल्कि मेरे हाथो के नीचे थे। मैं इन सबको छू रहा था मसल रहा था। मैं अपनी किस्मत पर नाज कर रहा था कि कल रात एक कुंवारी कली पूरी नंगी मेरे बाहों में थी और आज एक अनुभवी सेक्सी हुस्न से मैं खेल रहा था। एक मुझसे बहुत छोटी थी, सेक्स से बिल्कुल अनजान, केवल खेल समझने वाली और ये मुझसे बड़ी सेक्स की देवी, सेक्स को पढ़ाने और सिखाने वाली।

नलिनी भाभी की कुर्ती उनके छाती तक उठी थी और उनकी पजामी मैंने चूतड़ों से खिसका कर काफी नीचे कर दी थी। उन्होंने ब्रा, कच्छी कुछ भी नहीं पहनी थी। उनका लगभग नंगा जिस्म मचल रहा था और जवानी को जितना तड़पाओ, उतना मजा आता है।

मैं भाभी के दोनों चूतड़ अच्छी तरह मसल रहा था।

नलिनी भाभी- “ओह अंकुर, तुम कब आ गए, आहहाआ और ये क्या कर रहे हो?
अह्हा… देखो अभी छोड़ दो, ये कभी भी आ सकते हैं”

उन्होंने खुद को छुड़ाने का जरा भी प्रयास नहीं किया बल्कि और भी सेक्सी तरीके से चूतड़ हिला हिला कर मुझे रोमांचित कर रही थीं। मैंने एक हाथ उनकी पीठ पर रख उनको झुकने का इशारा किया। वो वाकयी बहुत अनुभवी थी, मेरे उनकी नंगी कमर पर हाथ रखते ही वो समझ गई। नलिनी भाभी अपने आप रसोई की स्लैप पर हाथ रख अपने चूतड़ों को ऊपर को उठा कर झुक गई। उन्होंने बहुत सेक्सी पोज़ बना लिया था।

मैंने नीचे उकड़ू बैठ उनके चूतड़ों के दोनों भाग अपने हाथों से फैला लिये और अब उनके दोनों स्वर्ग के द्वार मेरे सामने थे। वाह भाभी ने भी अपने को कितना साफ़ रखा था। कोई नहीं कह सकता था कि उनकी उम्र चालीस को छूने वाली है।

उनके दोनों छेद बता रहे थे कि वो चुदी तो बहुत हैं, उनकी चूत अंदर तक की लाली दिखा रही थी और गांड का छेद भी कुछ फैला सा था।

मगर उन्होंने अपना पूरा क्षेत्र बहुत चिकना और साफ़ सुथरा किया हुआ था। मेरी जीभ इतने प्यारे दृश्य को केवल दूर से देखकर ही संतुष्ट नहीं हो सकती थी। मैंने अपने थूक को गटका और अपनी जीभ नलिनी भाभी की चूत पर रख दी। मैंने कई गरम गरम चुम्मे उनकी चूत और गांड के छेद पर किये फिर अपनी जीभ निकाल कर दोनों छेदों को बारी बारी चाटने लगा और कभी कभी अपनी जीभ उनकी चूत के छेद में भी घुसा देता था। 

भाभी मस्ती में आहें और सिसकारियाँ ले रही थी- अह्ह्ह्ह्हा…आआआ… आए… ओओ… ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… आहा… आउच… अह्हा… अह्ह… आअह ओह…ह्ह… माआअ… आआइइइइ… उउउ…”

ना जाने कितनी तरह की आवाजें उनके मुख से निकल रही थीं। उनके घर का दरवाजा, मेन गेट से लेकर यहाँ रसोई तक सब पूरे खुले थे। मुझे भी कुछ याद नहीं था। मैं तो उनके नंगे हुस्न में ही पागल हो गया था। अब मैंने उनकी पजामी को नीचे उतारते हुए भाभी के गोरे पैरों के पंजों तक ले आया। उन्होंने मुस्कुराते हुए पैर उठाकर पजामी को पूरा अलग कर दिया। अब वो मेरी और घूमकर रसोई की स्लैब पर बैठ गई। भाभी ने अपना बायाँ पैर उठाकर स्लैब पर रख लिया। इस अवस्था में उनकी चूत पूरी तरह खिलकर सामने आ गई।

मैं उकड़ू बैठा बैठा आगे को खिसक उनकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा। चूत उनके पानी और मेरे थूक से पूरी गीली थी। मैंने उनके चूत के दाने को छेड़ा।

नलिनी भाभी- “आह्ह्ह्हाआआ खा जा इसे, ओह…!”

वो मेरे बाल पकड़ मेरे सर को फिर से चूत पर दबाने लगी। मैं एक बार फिर उनकी चूत चाटने लगा पर मुझे मौके का आभास था और मैं आज ही सब कुछ कर मौका अपने हाथ में रखना चाह रहा था। मेरा लण्ड भी कल से प्यासा था, उसमें एक अलग ही तड़फ थी, कल उसे चूत तो मिली थी पर वो उसमें जा नहीं पाया था और आज एक परिपक्व चूत अपना मुख खोले निमन्त्रण दे रही है। मैं आज कोई मौका खोना नहीं चाहता था। 

मैं खड़ा हुआ और मैंने पेंट की चैन खोल अपने लण्ड को आज़ाद किया। लण्ड सुपाड़ा बाहर निकाले चूत को देख रहा था। भाभी भी आँखे में लाली लिए लण्ड को घूर रही थीं, उन्होंने हाथ बढ़ाकर खुद ही लण्ड को पकड़ लिया। नलिनी भाभी अब किसी भी बात को मना करने की स्थिति में नहीं थीं। मैं आगे को हुआ, लण्ड ठीक चूत के मुख पर टिक गया।

कितनी प्यारी पोजीशन बनी, मुझे जरा सा भी ऊपर या नीचे नहीं होना पड़ा। भाभी ने खुद लण्ड अपने चूत पर सही जगह टिका दिया। मैं भी देर करने के मूड में नहीं था, मैंने कसकर एक जोर सा धक्का मारा और  धाआआआ प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्क्क्क्क्क्क्क्क की आवाज के साथ लण्ड अंदर। मैंने कमर पर जोर लगाते हुए ही पूरा लण्ड अंदर तक सरका दिया। चूत की गर्मी और चिकनाहट ने मेरा काम बहुत आसान कर दिया था। अब मेरा पूरा लण्ड चूत के अंदर था। मैं बहुत आराम से खड़ी पोजीशन में था। मैंने तेजी से धक्के देने शुरू कर दिए थे।

नलिनी भाभी बहुत बेकरार थी। उन्होंने खुद अपनी कुर्ती अपनी चूचियों से ऊपर कर अपनी मदमस्त चूची नंगी कर दी थीं और उनको अपने हाथ से मसल रही थी। मैं उनकी मनसा समझ गया, मैंने अपने हाथ उनकी मुलायम चूची पर रख उनका काम खुद करने लगा। मेरे कठोर हाथों में मुलायम चूची का अकार पल प्रतिपल बदलने लगा।

नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्हाआ… जल्दी करो अंकुर, तुम्हारे अंकल आ गये तो मुझे मार ही डालेंगे”

मैं- “अऊ ओह ह्ह्ह्ह्ह्ह… अरे कुछ नहीं होगा, वो वहाँ सलोनी के साथ हैं”
नलिनी भाभी- “अह्ह्हाआ… हाँ! पर वो कभी भी आ सकते हैं”

मैं- “अरे आने दो… वो भी तो सलोनी से मजे ले रहे हैं”

नलिनी भाभी- “अरे नहींईईईई वो तो केवल देखते हैं मगर मुझे बहुत चाहते हैं। इस तरह चुदते देख मार ही डालेंगे”

मैं- “क्या कह रही हो भाभी? क्या वो सलोनी को नहीं चोदते?”

नलिनी भाभी- “नहीं पागल, उन्होंने केवल उसको नंगी देखा है, जैसा तूने मुझे देखा था। मैंने उनको बता दिया था तो उन्होंने भी मुझे बता दिया। बस्स्स्स्स्स्स्स्स्स…”

मैं- “अरे नहीं भाभी! आप को कुछ नहीं पता, उन दोनों में और भी बहुत कुछ हो चुका है”

नलिनी भाभी- “तू पागल है, अह्ह्हाआ अहा… कुछ नहीं हुआ और वो अब किसी लायक भी नहीं हैं उनका तो ठीक से खड़ा भी नहीं होता, ओह उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ और तेज अहा… मजा आ गया। कुछ मत बोल अह्ह्ह… आज बहुत दिनों बाद अह्ह्ह ह्ह्ह्ह मेरे को करार आया है”

मैं- “चिंता मत करो भाभी, अब जब आप चाहो, यह लण्ड तुम्हारा ही है। ओह ह्ह्हह्ह्…”

नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्हाआआआ ह्ह्ह… वैसे शक तो मुझे भी है कि ये सलोनी के यहाँ कुछ ज्यादा ही रहने लगे हैं। तू अह्ह्ह्हाआ ह्ह्ह अह्हा… अब मैं ध्यान रखूंगी और करने दे उनको, तेरे लिए मैं हूँ ना अब, इसको तो तू ही ठंडा कर सकता है”

मैं- “अह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह… हाँ भाभी मैंने दोनों को चिपके और चूमते सब देखा था। सलोनी अंकल का लण्ड भी सहला रही थी। अह्ह्ह्ह्हा…आआआआ…”

नलिनी भाभी- “हाँ एक बार मैंने भी देखा था। हाआआअह्हह्हह…”

मैं – “क्याआआआआआ… बताओ न”

नलिनी भाभी – “हाँ अह्ह्ह्हाआ हाँ! अह्ह… उफ़्फ़… मजा आ रहा है”

मेरा लण्ड एक लयबद्ध तरीके से नलिनी भाभी की मस्त चूत में अठखेलियाँ कर रहा था, मैं अपने हाथों से उनकी चूचियों को मसल रहा था, कभी हल्के से तो कभी पूरी कसकर, कभी कभी मैं उनके चुचूक भी अपनी अंगुली और अंगूठे की साहयता से मसल देता।

नलिनी भाभी लगातार सिसकारियां भर रही थीं- “अह्ह्ह्ह्हाआआआ… ओह… ह्ह्ह… उफ़्फ़्फ़्फ़… अह्ह्हाआआ…”

मेरे होंठ सूखने लगे। मैं उनके लाल होंठों को चूसना चाह रहा था। बस यही करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी, मैं आगे बढ़कर उनके होंठो को अपने मुँह में नहीं ले पा रहा था शायद इसलिए क्योंकि भाभी मुझसे उम्र में बड़ी थी। तभी भाभी ने आगे को बढ़कर अपना सर आगे किया, मुझे अपनी और झुकाया और मेरे होंठो को चूम लिया। शायद इसीलिए सेक्स करने के बाद हम लोग इतना करीब आ जाते हैं। एक दूसरे की भावनाओं को कितना जल्दी समझ जाते हैं।

मैं भाभी के होंटों को चूसने लगा। तभी भाभी ने कसकर मुझे पकड़ लिया और मुझे अपने लण्ड पर गर्म गर्म अहसास हुआ…

नलिनी भाभी ने अपना पानी छोड़ दिया था।

नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्ह्हाआआ… अह्ह्ह्ह… ह्ह्ह… ओह… नहीईइइइइइइइइइइइ… अह्ह्ह्ह… अह्ह्हह्ह्ह… आआआअ”

वो कसकर मुझे चिपकाये थीं। मेरा लण्ड उनकी चूत में पूरी तरह कसा था। मैंने भी उनकी चूचियों को पकड़ा, फिर से खड़ा हुआ और तेज तेज धक्के दिए। अब मेरा भी निकलने वाला था। मैंने अपना लण्ड बाहर निकालने के लिए पीछे हट ही रहा था कि…

नलिनी भाभी- “ओह नहींईईईईई अंदर ही डाल दो, बहुत दिन से इसको पानी नहीं लगा है। जल्दी करो ओ ओ ओ आआअ”

मैं- “ओह अह्ह्ह्ह्ह्ह… अगर कुछ रुक गया तो क्या होगा???”

नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्ह्ह्ह ह्ह्ह कुछ नहीं होगा, मैं अब इस मजे को नहीं जाने दूंगी, अह्ह्ह्ह्ह”

और मैंने उनको कसकर पकड़ लिया। मेरे लण्ड से पिचकारी निकलने लगी जो एक के बाद एक उनके चूत में जा रही थीं। भाभी मस्ती से आँखें बंद किये मेरी हर पिचकारी का आनन्द ले रही थी।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#46
Excellent Update 
Keep it up 
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#47
नलिनी भाभी- “अह्ह्ह्हह… आज तूने अपनी भाभी को तृप्त कर दिया अंकुर, आज से ये अब तेरी है। तू इसका ध्यान रखना, नियम से इसमें पानी डालते रहना”

मैं- “हाँ हाँ भाभी, अब तो मेरा लण्ड भी आपको नहीं छोड़ेगा। कितनी प्यारी हो आप और आपकी यह चूत, आई लव यू भाभी”

नलिनी भाभी- “आई लव यू टू, पुच पुच”

उन्होंने मेरे सब जगह चूम लिया। सच बहुत हॉट है नलिनी भाभी। अब लण्ड से पानी निकलने के बाद मुझे सलोनी की याद आई। भाभी नंगी अपने चूतड़ों की ओर से कपड़ा डाल अपनी चूत साफ़ कर रही थी

“भाभी और क्या देखा था आपने? अंकल ने भी सलोनी को चोद दिया है ना? मुझे तो ऐसा ही लगता है…!”

नलिनी भाभी- “अरे नहीं रे, ऐसा तो मुझे नहीं लगता पर हाँ दोनों एक दूसरे को नंगा देख चुके हैं। चुम्मा चाटी भी होती रहती है”

मैं- “अरे आपने क्या देखा वो बताओ ना??”

नलिनी भाभी- “अब तू फिर जाकर लड़ेगा ना सलोनी से”

मैं- “अरे अब मैं क्यों लड़ूंगा…?? मुझे तो इतनी प्यारी भाभी मिल गई ना अब चोदने के लिए”

नलिनी भाभी- “ओ हाँ, सुन मैंने 2-3 बार उनको चूमते हुए देखा है”

मैं- बस स्स्स्स्स्स्स? वो तो मैंने कितनी बार देखा है। वो तो जब भी आते हैं मेरे सामने ही सलोनी के गालों को चूमते हैं। ये तो अलग बात हुई ना”

नलिनी भाभी- “अरे वैसे नहीं पागल, एक बार जब मैं गैलरी में थी तो तुम्हारे अंकल सलोनी के पास ही गए थे। मैंने वैसे ही रसोई में झांक लिया तो तुम्हारे अंकल सलोनी को चिपकाये उसके होंठों को चूस रहे थे"

मैं- “बस इतना ही ना”

नलिनी भाभी- “और उनके हाथ सलोनी के नंगे चूतड़ों पर थे जिनको वो मसल रहे थे। तुमको तो पता ही है कि वो कितनी छोटी गाउन पहनती है और कच्छी पहनती नहीं है या हो सकता है कि इन्होंने उतार दी हो”

मैं- “तो फिर तो आगे भी कुछ किया होगा उन्होंने”

नलिनी भाभी- “मुझे भी यही लगा था पर फिर कुछ देर बाद ही ये वापस आ गए थे”

मैं- “और क्या क्या देखा आपने??”

नलिनी भाभी- “बस ऐसा ही कुछ और भी देखा था फिर बाद में बता दूंगी”

उन्होंने अपनी पजामी सीधी कर पहनते हुए कहा। मुझे भी अब सलोनी को देखने की इच्छा होने लगी थी। मैंने मोबाइल निकाल समय देखा, करीब आधा घंटा मुझे घर से निकले हो गया था। मधु भी वहाँ थी तो अरविन्द अंकल सलोनी से ज्यादा मजा तो नहीं ले पाये होंगे और मैंने तो यहाँ पूरा काम ही कर दिया था। पर कहीं ना कहीं दिल सलोनी के बारे में जानने को कर रहा था। तभी नलिनी भाभी ने मेरे लण्ड को भी कपड़े से साफ़ किया फिर उसको चूमकर मेरी पैंट में कर दिया। मैंने उनको चूमा और वहाँ से निकल आया।

मैंने अपने फ्लैट की ओर देखा, दरवाजा बंद था। मतलब अंकल अभी भी अंदर ही थे।

मैं अभी प्लान कर ही रहा था कि मुझे सीढ़ियों से मधु आती नजर आई…

मैं चोंक गया, मधु यहाँ है तो क्या बंद फ्लैट के अंदर अंकल और सलोनी अकेले हैं। ओह क्या वो दोनों भी चुदाई कर रहे हैं…???

मधु मुझे आश्चर्य से देख रही थी।

मैंने उसको आँखों में देखते हुए ही पूछा- “कहाँ गई थी तू??”

मधु जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं- “अरे भैया आप यहाँ, इस समय?”

मैं- “मैंने तुझसे कुछ पूछा?”

मधु अपने हाथ में सिगरेट की डब्बी दिखाते हुए- “अंकल ने मंगाई थी”

मैं- “क्या कर रहे हैं वो दोनों अंदर????”

मधु ने कंधे उचकाए- “मुझे क्या पता??”

मैं- “कितनी देर हो गई तुझे निकले हुए?”

मधु- “अभी तो गई थी, हाँ दुकान पर कुछ भीड़ थी”

मुझे पता था कि बाहर कॉलोनी तक जाने इतनी सीढ़ियां, इस सबमें करीब 15 मिनट तो लगते ही हैं इसका मतलब पिछले 15-20 मिनट से दोनों अंदर हैं और दरवाजा भी लॉक कर लिया। साला अरविन्द मेरी बीवी से पूरा मजा ले रहा होगा। अब देखा कैसे जाये…

तभी मुझे रसोई वाली खिड़की नजर आई और मैं चुपचाप मधु को वहाँ ले गया। मेरी किस्मत कि खिड़की खुली थी। हाँ उसके दरवाजे भिड़ा कर बंद कर दिया था।

मैंने हल्की से आहत लेते हुए दरवाजे को खोल दिया। रसोई में कोई नहीं था।

मैंने उसके जंगले की चिटकनी खोल उसको भी खोला और देखा, अब अंदर जाया जा सकता था पर खिड़की काफी ऊँची थी, ऊपर चढ़ने के लिए कोई ऊँची कुर्सी या स्टूल चाहिए था।

मैंने मधु की ओर देखा, उसने अपना कल वाला फ्रॉक पहन लिया था शायद बाहर आने के लिए या अंकल के कारण। मैंने मुँह पर ऊँगली रख उसको चुप रहने के लिए इशारा किया और उसको अंदर जाने के लिए बोला। वो एकदम तैयार हो गई…

मैंने उसको उचकाया और जैसे ही उसके चूतड़ों पर हाथ लगाया, एकदम से ठंडा सा लगा। मधु ने अभी भी कच्छी नहीं पहनी थी, उसके चूतड़ नंगे थे। मैंने मधु को गोद में उठाकर खिड़की पर टिकाया और अपना हाथ सहारे के लिए ही उसके चूतड़ों पर रखा। उसका छोटा फ्रॉक हट गया था और मेरा हाथ उसके नंगे चूतड़ों पर था। एक बार फिर मेरे हाथों ने मधु के मांसल, छोटे छोटे चूतड़ों का स्पर्श किया और रोमांच से भर गए।

इससे पहले मेरे मन में उत्तेजना के साथ साथ शायद कुछ गुस्सा भी था कि एक 62 साल का बूढ़ा मेरी जवान सुन्दर बीवी जो लगभग नंगी थी, अंदर मेरे घर पर और शायद मेरे ही बैडरूम में, मेरे बिस्तर पर, ना जाने क्या कर रहा होगा???

मगर मधु के नंगे चूतड़ों के स्पर्श और जब वो खिड़की पर उकड़ू बैठी तब उसके नंगे चूतड़ और उसकी प्यारी, कोमल, छोटी सी चूत देख जिससे मैंने कल बहुत मजे किये थे और वो सब मेरी जान सलोनी के कारण ही हो सका था। मेरा सारा अंदर का द्वेष गायब हो गया और मैं अब केवल सलोनी के मजे के बारे में सोचने लगा लेकिन मन उसको ये सब करते देखना चाहता था कि मेरी जान सलोनी को पूरा मजा आ रहा है या नहीं। वो पूरी तरह आनन्द ले रही है या नहीं।

मधु के उकड़ू बैठने से उसके नंगे चूतड़ और खिली चूत ठीक मेरे चेहरे पर थे। उसकी फ्रॉक सिमटकर मेरे हाथो से दबी थी। मैंने मधु को दोनों हाथों से थाम रखा था। मेरी गर्म साँसे जब मधु को अपनी चूत पर महसूस हुई होंगी तभी उसने अपनी आँखों में एक अलग ही तरह की बैचेनी लिए मेरी ओर देखा। मैंने आँखों ही आँखों में उसको आई लव यू कहा और अपने होंठ उसकी चूत पर रख एक गर्म चुम्मा लिया।

मधु की आँखे अपने आप बंद हो गई मगर मैंने खुद पर नियंत्रण रखा। मैंने उसको रसोई में उतरने और दरवाजा खोलने को बोला। वो जैसे सब समझ गई वो जल्दी से नीचे उतर रसोई से होते हुए ऐसे आगे बड़ी कि कोई उसे ना देखे। वो बहुत सावधानी और चारों ओर देखकर आगे बढ़ रही थी।

फिर वो मुख्य द्वार की ओर बढ़ी, मैं भी घूमकर आगे बढ़ गया और अपने दरवाजे की तरफ आया। बहुत हल्के से लॉक खुलने की आवाज आई। मधु काफी समय से हमारे घर आ रही है इसलिए उसे ये सब करना आता था। उसने वाकयी बहुत सावधानी से काम किया। अंकल या सलोनी किसी को कोई भनक तक नहीं मिली।

मैं चुपचाप अंदर आया और उससे इशारे से पूछा- “कहाँ हैं दोनों??”

मधु ने बैडरूम की ओर इशारा किया। मेरे दिल की धड़कने बढ़ने लगी।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#48
Heart 
मैंने मधु को एक तरफ से देखने भेज पहले रसोई में जाकर सबसे पहले खिड़की का जंगला लॉक किया कि सलोनी को बिल्कुल शक ना हो। मैं जैसे ही मुड़ा, मुझे रसोई में एक कोने में सलोनी की नाइटी दिखी जो उसने सुबह पहनी थी। मुझे अच्छी तरह याद है कि सलोनी केवल यही नाइटी पहने थी और इसके अंदर कुछ नहीं। इसका मतलब अंकल ने सलोनी को यहीं नंगी कर दिया था और अब बैडरूम में तो निश्चित चुदाई के लिए ही ले गए होगे।

मैं केवल यही सोच रहा था कि आदमी कितना बदकार होता है। वहाँ नलिनी भाभी सोचती है कि अरविन्द अंकल कुछ कर ही नहीं सकते क्योंकि उनका अब खड़ा ही नहीं होता और यहाँ दूसरी औरत को देख वो सब करने को तैयार हो जाते हैं। उनका मरा हुआ लण्ड भी ज़िंदा हो जाता है। वाह रे चुदाई की माया…

मैं जल्दी से रसोई से निकला और फिर मधु के पास जा खड़ा हो गया। बैडरूम का दरबाजा पूरा खुला ही था, बस उस पर परदा पड़ा था। बैडरूम का दरवाजा उन्होंने इसलिए बंद नहीं किया होगा कि वो दोनों घर पर अकेले ही थे और परदा तो उस पर हमेशा पड़ा ही रहता है। मधु परदे का एक सिरा हटाकर अंदर झांक रही थी और अंदर का दृश्य देखते ही मेरा लण्ड तनतना गया। अंदर पूरी सफ़ेद रोशनी में सलोनी और अंकल पूरी तरह नंगे खड़े थे।

मैंने दोनों की बातें सुनने की कोशिश की….

सलोनी- “अंकल जल्दी करो, कपड़े पहनो, मधु आती होगी”

अंकल- “अरे कुछ नहीं होगा, तू मत डर, उसको भी देख लेने दे। कितनी सेक्सी हो गई है ना”

सलोनी- “अरे वो तुम्हारी पोती के बराबर है। उस पर तो गन्दी नजर मत डालो”

अंकल- “अरे तो क्या हुआ? तू भी तो बेटी के बराबर है। जब बेटी चोद सकते हैं तो उसको भी हे हे हे”

सच अंकल बहुत बेशर्मों जैसे हंस रहे थे। तभी सलोनी थोड़ा पीछे को हटी, अंकल का लण्ड उसके हाथ में था।

माय गॉड! ये तो बहुत बड़ा था। सलोनी उसको अपने हाथ से ऊपर से नीचे तक सहला रही थी। उसका हाथ बहुत तेज चल रहा था और तभी अंकल ने सलोनी को नीचे की ओर धकेला। सलोनी ने तुरंत उनके लण्ड को जितना हो सकता था उतना ही अपने मुँह में भर लिया।

अंकल ने सलोनी के मुख को लण्ड से चोदते हुए ही अपनी आँखें बंद कर ली। मैंने देखा कि अंकल झड़ रहे हैं और उनका सारा पानी सलोनी के मुह के अंदर जा रहा है। सलोनी ने मेरा भी कई बार चूसा है मगर किसी और मर्द के साथ इस तरह सेक्सी पोजीशन में मैंने पहले बार देखा था।

सलोनी ने उनका सारा पानी गटक लिया और कुछ ही पलों में उनका लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। मैं आश्चर्यचकित था कि अंकल ने यहाँ केवल इतना ही किया या पहले उन्होंने सलोनी को चोदा भी होगा। सलोनी जिस तरह नंगी उनसे मजे कर रही है और करीब आधे घंटे से वो इनके साथ है तो केवल हाथ से करने तो नहीं आये होंगे।

मेरे दिमाग केवल यही सोच रहा था कि पिछले आधे घंटे उन्होंने क्या किया होगा? अपनी प्यारी सलोनी को मैं बहुत प्यार करता था। उसके बारे में, उसकी मस्ती के के बारे में, बहुत कुछ जानता था मैं। पिछले दिनों में उसको अपने भाई पारस के साथ फिर दुकानदार लड़के के साथ सलोनी को कई सेक्सी हरकतें करते देख चुका था। मगर इस समय ये सबसे अलग था। अपने से लगभग तीन गुना बड़े एक बूढ़े आदमी के साथ जो सलोनी के पिताजी से भी उम्र में बड़े होंगे और सलोनी उनके साथ कितने मजे कर रही थी।

सलोनी ने अंकल का लण्ड चाट चाट कर पूरा साफ़ कर दिया। अंकल ने सलोनी को ऊपर उठाया और उसके होंठों को चूमने लगे। सलोनी के मुंह पर अंकल के वीर्य के निशान दिख रहे थे। दोनों बहुत ही हॉट किस कर रहे थे। अंकल सलोनी का लगभग पूरा मुँह ही चाट रहे थे।

फिर उन्होंने सलोनी को घुमाया और उसकी पीठ से चिपक गए। अब सलोनी का मुंह हमारी ओर था। पूरी नंगी सलोनी की दोनों तनी हुई चूचियाँ और उनके गुलाबी निप्पल लगभग लाल सूर्ख हो गए थे। ऐसा लग रहा था जैसे बुरी तरह मसले जाने के कारण दोनों अपना लाल चेहरा लिए मेरे से खुद को बचाने को कह रहीं हों। तभी अंकल ने सलोनी के कानों के पिछले भाग को चूमते हुए अपनी दोनों हथेलियों में फिर से उन मासूम चूचियों को भर लिया। वो दोनों को बड़ी बुरी तरह मसल रहे थे। उनका अभी भी आधा खड़ा लण्ड सलोनी के चूतड़ों में गड़ा हुआ था।

मैं नलिनी भाभी के शब्दों को याद कर रहा था कि अरविन्द अंकल का अब खड़ा ही नहीं होता मगर यहाँ तो उल्टा था पानी निकलने के बाद भी बैठने का नाम नहीं ले रहा था। तभी अंकल ने अपना हाथ सलोनी की जाँघों के बीच उसकी कोमल चूतपर ले गए। उनकी उँगलियाँ उसकी चूत पर पियानो की तरह चल रही थीं।

सलोनी आँखे बंद किये सिसकारियाँ ले रही थी- “अह्ह्ह्हाआआआ… आए… अब छोड़ दीजिये ना… अह्हाआआ आ बस्स्स्स…स्स्स अब नहींईइइइइइ… ओह”

अंकल- “पुच पुच…”

बस उसको चूमे जा रहे थे। कानो से लेकर गर्दन तक। मैंने देखा मधु भी काफी गर्म हो गई है। वो अपने चूतड़ों को मेरे से घिस रही थी मगर अभी इस सबका समय नहीं था। मैं इस सब में भूल गया कि मैं और मधु चुपके से घर में घुसे हैं अगर सलोनी को यह पता लग गया तो उसको बहुत बुरा लगेगा।

मैं अभी बाहर निकलने कि सोच ही रहा था कि तभी अंदर से आवाज आई- “चलिए अंकल जी, अब आप जल्दी से फ्रेश होकर कपड़े पहन लो, मैं नहीं चाहती कि मधु या किसी को कुछ पता चले” और सलोनी तेजी से बाहर को आने लगी।

मेरे पास इतना समय नहीं था कि मैं बाहर निकल सकूँ। मधु को पीछे खींचते हुए मैं खुद अलमारी के साइड में हो गया। हाँ मधु वहीं रह गई…

सलोनी पूरी नंगी ही बाहर निकली…

सलोनी- “अर्रए… ईईईए…”

उसके मुख से हल्की सी चीख निकली फिर सलोनी बोली- “तू कब आई और दरवाजा”

मधु मेरी समझ से भी ज्यादा समझदार निकली, वो बोली- “दरवाजा तो खुला था भाभी”

उसने अपने हाथ में पकड़ा सिगरेट का पैकेट उसको देते हुए कहा।

सलोनी वहाँ पड़े एक कपड़े से अपने शरीर को पोंछते हुए बोली- “कितनी देर हो गई तुझे?”

मधु- “बस अभी आई भाभी, आप नहा ली क्या???”

सलोनी- बस नहाने ही जा रही थी, तू रुक…”

और वो रसोई में चली गई…

बस इतना ही समय काफी था मेरे लिए। मैं जल्दी से बाहर निकला और एक बार अंदर कमरे में देखा। वहाँ कोई नहीं था। अंकल शायद बाथरूम में थे। मैं जल्दी से मुख्य द्वार से बाहर आ गया। पीछे मधु ने दरवाजा बंद कर दिया। मैंने चैन की सांस ली…

मैं एक बार फिर चुपके से रसोई की खिड़की से झाँका। सलोनी अपना गाउन सीधा कर पहन रही थी। उसके मस्त चूतड़ों को नजर भर देखकर मैं जल्दी जल्दी सीढ़ियाँ उतरने लगा।

कितना कुछ हो रहा था, हर पल कुछ नया। पता नहीं सही या गलत पर मजा बहुत आ रहा था।

करीब बारह बजे सलोनी का फोन आया कि वो कॉलेज और शॉपिंग के लिए जा रही थी। मुझे अफ़सोस इस बात का था कि मैंने आज उसके पर्स में रिकॉर्डर नहीं रखा था पर मधु उसके साथ थी। अब यह मेरे ऊपर निर्भर था कि मैं मधु से सब कुछ उगलवा सकता था। पता नहीं आज क्या होने वाला था…??

to be continued ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#49
shandar ................story hai...........
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#50
Please continue
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#51
Heart 
सब कुछ छोड़कर मैं ऑफिस पहुँचा पर ऑफिस पहुँचते ही दिल को सुकून मिल गया। मेरी सेक्रेटरी नीलू जो तीन दिनों से नहीं आ रही थी, आज मेरे कैबिन में उत्तेजक लिबास में बैठी मुस्कुरा रही थी। उसको देखते ही मेरा सारा ध्यान अब ऑफिस की ओर ही हो गया।

हाँ सलोनी सही कहती थी, मेरे नीलू के साथ बहुत गहरे ताल्लुकात हैं। वो पिछले एक साल से मेरे साथ है और मेरा पूरा ध्यान रखती है। हम कई बार ऑफिस टूर पर बाहर भी जा चुके हैं और एक ही कमरे में एक साथ रुकते हैं।

नीलू एक गरीब परिवार की बहुत सुन्दर लड़की है, 20-21 साल की, 5 फुट 5 इंच लम्बी, 34-25-34 की उसका बहुत आकर्षक, साँचे में ढला शरीर किसी को भी उसकी ओर देखने पर मजबूर कर देता है, उसके नैन-नक्श काफी तीखे हैं और उसके लाल होठों के नीचे की ओर एक तिल उसको कुछ ज्यादा ही सेक्सी दिखाता है।

ऑफिस के काम के बारे में तो वो कुछ ज्यादा नहीं जानती मगर मर्द को खुश रखने की सभी कला उसके अंदर है। बहुत मॉडर्न और नये फैशन के कपड़े पहनना और अपने बदन के कुछ हिस्सों को दिखा कर रिझाना उसको बहुत अच्छी तरह आता है। उसकी आवाज बहुत सेक्सी है, फोन पर बात करके ही वो काफी आर्डर बुक करवा देती है।

उसकी इसी अदा का मैं दीवाना हूँ, उसमे एक बहुत ख़ास बात है कि सेक्स में किसी भी बात के लिए वो कभी मना नहीं करती। मैं जो चाहता हूँ, वो मेरी हर चाहत का पूरा ख्याल रखती है। अपने ऑफिस में ही उसको मैं कई बार पूरी नंगी करके चोद चुका हूँ। उसको कभी ऐतराज नहीं हुआ।

मैं कहीं भी उसके साथ मस्ती करने के लिए उसके कपड़ों के अंदर हाथ डाल देता हूँ या उसके कपड़े उतारता तो वो तुरंत तैयार हो जाती है। मेरे कैबिन में एक तरफ़ा दिखने वाले शीशे लगे हैं जिनसे मैं स्टाफ पर नजर रखता हूँ… वैसे तो उन पर परदे पड़े रहते हैं पर नीलू को चोदते समय मैं ये परदे हटा देता हूँ। मुझे और नीलू दोनों को ही सारे स्टाफ को काम करते हुए देखते हुए चुदाई करने में बहुत मजा आता है।

कई बार तो कोई न कोई लड़की या लड़का हमारे सामने ही दूसरी तरफ से शीशे में देखते हुए खुद के कपड़े सही करने लगता है तो हमें ऐसा लगता कि वो हमको चुदाई करते हुए घूर रहा है। और चुदाई में और भी ज्यादा मजा आ जाता है, हम दोनों और मजे लेकर चुदाई करने लगते हैं।

हाँ हम दोनों चुदाई के समय बातें करने की भी आदत थी। नीलू और मैं दोनों अपनी चुदाई की बातें एक दूसरे से खुलकर करते हैं, इससे हम दोनों को बहुत उत्तेजना मिलती है।

नीलू वैसे भी चुदाई की आदी थी क्योंकि उसको बहुत कम आयु से ही चुदवाने की आदत लग गई थी इसलिए वो इतनी कम आयु में ही इतनी सेक्सी हो गई थी। आज नीलू कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही है, उसने काले रंग की स्किन टाइट लेग्गिंग और नारंगी कढ़ाई वाली टाइट कुर्ती पहनी हुई है। उसके गोरे रंग पर गहरे रंग के कपड़े उसको बहुत सेक्सी दिखा रहे हैं। कपड़े इतने टाइट हैं कि उसका हर अंग अपना आकार बाहर को निकला दिखा रहा है।

उसने सेक्सी मुस्कराहट के साथ मेरा स्वागत किया। मैंने भी उसको मुस्कुराकर ही साथ दिया।

नीलू- “क्या हुआ जनाब, आज इतनी देर से? किसके साथ बिजी थे?”

उसकी बात सुनते ही मुझे नलिनी भाभी याद आ गई जिनको अभी अभी चोदकर आ रहा था और मेरा एक बहुत पुराना सपना साकार हुआ था।

मैं- “मेरी जान! है कोई, अब तू तो गायब ही हो गई थी, क्या हुआ था?”

नीलू- “अरे आपको बताया तो था, कोई आया था घर पर”

मैं- “अच्छा तो अपने किसी पुराने आशिक के साथ थी जनाबे-आली”

नीलू- “अरे नहीं, कोई रिश्तेदार थे बस और कोई नहीं पर आपको क्या हुआ, आज कुछ बदले से नजर आ रहे हो?”

उसका ऐसा सोचना सही भी था आज सुबह की चुदाई और रात मधु के साथ की गई मस्ती के कारण खुद को कुछ थका सा महसूस कर रहा था।

वरना पहले जब भी वो छुट्टी से आती थी, मैं तुरंत उसको नंगी करके चोदने लगता था पर आज मैं अपने काम में लग गया था इसीलिए वो मुझे आश्चर्य से देख रही थी।

मैं- “अरे नहीं जानेमन, आज जरा कुछ थकान सी लग रही है”

मैंने उसको पकड़ कर उसके होंठों का एक चुम्मा लिया, वो भी मेरा साथ देने लगी और उसने मुझे सही से बैठाकर मेरे सिर को अपने हाथों से दबाते हुए कहा- “अहा मेरा जानू, क्या हुआ? लाओ मैं अब पूरी सेवा करके आपको बिल्कुल सही कर दूंगी”

बस यही उसकी अदा मुझको भाती थी। वो हर समय बस मेरा ख्याल रखती थी। वो मेरी कुर्सी के बराबर खड़ी हो, मेरा सिर अपनी मुलायम चूचियों पर रख कर दबा रही थी। मैंने अपना हाथ उसकी कमर में डाल कर उसके गदराये चूतड़ों पर रखा और उनको मसलने लगा।

मुझे नीलू के चूतड़ दबाने ओर मसलने में बहुत आनन्द आता है। उसके चूतड़ हैं भी पूरे गोल और मुलायम। मुझे अहसास हो गया कि उसने कच्छी नहीं पहनी है। वैसे साधारणतया वो हमेशा कच्छी पहनती थी।

मैं- “क्या बात जानेमन? आज अंदर खुला क्यों है? किस ख़ुशी में अपनी मुन्नी को आज़ाद छोड़ रखा है?”

नीलू- “हा… हा… वेरी फनी, आपको तो और भी मजा आ गया होगा!”

मैं- “अरे वो तो है, ऐसा लग रहा है जैसे नंगे चूतड़ों पर हाथ रख रहा हूँ। आज तो रास्ते में लोगों को मजे आ गए होंगे”

नीलू- “हाँ, मैं तो रास्ते में सबसे दबवाती हुई आ रही हूँ। आपने तो मुझे ना जाने क्या समझ रखा है??”

मैं- “अरे नहीं जानेमन, मेरा वो मतलब नहीं था। अरे आते जाते जो शैतान दिमागी होते हैं, उनकी बात कर रहा हूँ”

नीलू- “मुझे तो सबसे ज्यादा शैतान आप ही लगते हो बस”

मैं- “हा हा हा, फिर भी हुआ क्या, यह तो बता? अगर सभी कच्छियाँ फट गई हैं तो चल बाजार, अभी दिला देता हूँ”

नीलू- “अरे नहीं यार! वो कल ही मेंसिस बंद हुई थी ना तो कुछ रेशेज़ पड़ गए हैं इसीलिए नहीं पहनी”

मैं- “अरे कहाँ??? दिखाओ तो जरा”

नीलू- “तो देख लो ना, मैंने कभी मना किया? मेरी मुन्नी के आस पास ही और काफी खुजली भी हो रही है”

मैं- “अच्छा तो वो खुजली सही करनी होगी, है ना!”

नीलू- “हाँ आप तो डॉक्टर हो ना, सब कुछ सही कर दोगे”

मैंने उसको अपनी ओर किया। उसने आज्ञाकारी की तरह अपनी कुर्ती पेट तक ऊपर कर दी और मैं नीलू की लेग्गिंग की इलास्टिक में अपनी उँगलियाँ डालकर उसको नीचे करने लगा।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#52
ek aur bulbul.................
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#53
Awesome story 
Keep it up 
Waiting for update
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#54
Heart 
नीलू का मस्ताना हुस्न नंगा होने को तैयार मेरे सामने खड़ा था, उसने अपनी कुर्ती पेट से ऊपर कर ली थी। उसकी पतली कमर और सुतवाँ पेट बहुत धीरे धीरे मेरे सामने फूलता पिचकता अपनी बैचेनी बता रहा था। उसकी नाभि पर एक चुम्मा लेते हुए मैंने हलकी सी गुदगुदी की।

नीलू- “अह्ह्ह्हाआआ…”

मैं उसकी लेग्गिंग को उसके चूतड़ों से नीचे करते हुए आगे से जैसे ही नीचे कर उसकी जाँघों तक लेकर गया, नीलू की चिकनी चूत अपने दोनों होंठों को कंपकंपाते हुए मेरे सामने आ गई। उसने अपनी चूत को बिल्कुल चिकना किया हुआ था। इसका कारण यह था कि मुझे इस जगह एक भी बाल पसंद नहीं।

तो नीलू भी नियमित हेयर रिमूवर का उपयोग करती है। मैंने कभी उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं देखा था। मैं ध्यान से उसकी चूत को देखने लगा। नीलू ने भी अपने चूतड़ों को आगे को कर अपनी चूत को उभार दिया। उसकी चूत पर हल्के हल्के निशान दिख रहे थे जो खुजाने से सफ़ेद भी हो रहे थे।

मैंने अपनी उँगलियों को उसकी चूत पर फेरते हुए ही कहा- “क्या जानेमन? कुछ चिकना तो लगा लेती, लगता है तुमने कुछ नहीं लगाया”

नीलू की आँखें बंद होने लगी थी। वो मेरे स्पर्श का पूरा आनंद ले रही थी।

नीलू- “ओह्ह्ह्ह हाँ सर, पर मैंने सुना है कि आदमी के थूक से अच्छा कुछ नहीं होता”

तो ऐसी है मेरी नीलू! वो मुझे अपनी चूत चाटने का साफ़ साफ़ इशारा कर रही थी। उसकी चूत देखकर मेरा भी दिल फिर से चुदाई का करने लगा था। मेरे लण्ड ने अंडरवियर के अंदर अपना सिर उठाना शुरू कर दिया था।

मैंने नीचे झुककर उसकी चूत की गन्ध ली। एक अलग ही मीठी मीठी सी खुशबू वहाँ फैली हुई थी। मैंने अपनी जीभ निकाली और नीलू की चूत को चारों ओर से चाटा।

नीलू- “आआह्ह्ह्ह्ह… हाआआ… ओह्ह्ह… इइइइइ…”

वो खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाई, उसके मुख से तेज सिसकारियों की आवाज निकलने लगी। मैं अपनी पूरी कला का प्रदर्शन करते हुए अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को पकड़ अपनी ओर कर मस्त हो उसकी चूत का स्वाद ले रहा था। मेरी जीभ नीलू की चूत के हर कोने को अपनी नोक से छेड़ रही थी।

करीब दस मिनट में ही वो इतनी गर्म हो गई कि वो मेरी कुर्सी को पीछे को खिसका एक ओर को आ गई फिर अपने सैंडल एक तरफ को उतार वो अपनी लेग्गिंग पूरी तरह से निकाल मेरी मेज पर रख दी।

नीलू जब लेग्गिंग को अपने पंजों से निकालने में पूरी झुकी थी।

तब उसके चूतड़ मुझे इतने प्यारे लगते हैं कि मैंने एक तेज चपत उसके चूतड़ों पर लगा दी। उसके चूतड़ पर एक लाल निशान तुरंत पड़ गया और वो मस्त हिलने लगे।

नीलू- “ओह्ह्ह्ह्ह…”

उसने बस अपनी कमर हिला कर हल्का सा दर्द का अहसास कराया मगर कुछ मना नहीं किया। मैंने उस जगह को सहला उसके दर्द को कम करने की कोशिश की।फिर नीलू अपनी कुर्ती भी निकाल मेरी मेज पर रख पूरी नंगी हो गई, उसकी तनी हुई चूचियाँ और हल्क्र भूरे निप्पल तेज तेज सांसों के साथ मस्त तरीके से हिल रहे थे।

मैंने दोनों कबूतरों को प्यार से सहलाया- “अहा अब सांस आई बेचारों को”

नीलू जोर से हंस पड़ी- “ठीक है सांस लेने के लिए इनको खुला ही रहने देती हूँ। फिर जो होगा, आप देख लेना”

मैं अपने होंठों से उसके निप्पल पकड़ चूसने लगा।

एक बार फिर वो सेक्सी सिसकारियाँ भरने लगी- “आःह्हाआआ… बस अब छोड़ भी दो ना सर, क्या आप भी, कॉफ़ी के समय दूध पीने में लगे हो”

उसको पता था कि मैं साधारणतया इस समय कॉफ़ी पीता हूँ।

मैं- “यह तो तुम्हारी गलती है ना, कॉफ़ी की जगह मेरे सामने दूध क्यों रखा?”

नीलू तुरंत गम्भीर हो गई, उसने मेज पर रखे इण्टरकॉम पर दो कॉफ़ी का आर्डर भी दे दिया।

मैं- “अच्छा! अब क्या मदन लाल के सामने नंगी रहोगी?”

मदन लाल हमारा चपरासी है।

नीलू- “मेरे को कोई फर्क नहीं पड़ता, आप ही सोचो कि क्या बोलोगे”

मैं- “हा हा हा, अच्छा खिलाओगी क्या? यह तो बताओ”

नीलू नीचे को बैठ मेरी पेंट खोलते हुए- “मेरे पास तो मजेदार स्नैक्स है। अब अपनी बताओ क्या खाओगे?”

वो अंडरवियर से मेरे आधे खड़े लण्ड को बाहर निकाल सहलाने लगी।

मैंने भी उससे मस्ती करने की सोची। मैंने पास की डोरी खींच शीशे के ऊपर से परदे को हटा दिया। अब बाहर 15 लोगों का पूरा स्टाफ दिख रहा था। जिनमें 11 मर्द और 4 लड़कियाँ थीं।

मैं- “तो बता कौन सा लूँ?”

नीलू मुस्कुराते हुए- “जो आपकी मर्जी हो” फिर थोड़ा सा चिढ़कर- “जो अंदर है वो तो अब आपको दिख ही नहीं रहा होगा”

नीलू मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। तभी बाहर ठक ठक हुई…

मदन लाल – “कॉफ़ी साहब”

दिन के 11 बजे थे। मैं अपने ऑफिस में, अपने केबिन में था, मेरा पूरा स्टाफ अपने काम में लगा था। केबिन के परदे हटे हुए थे और सीशे से सारा स्टाफ दिख रहा था।

और ऐसी स्थिति में भी मैं अपनी रिवॉल्विंग चेयर पर बैठा था, मेरा लण्ड मेरी पैंट से बाहर था जिसे मेरी पर्सनल सेक्रेटरी अपने पतले हाथों में लिए चूस रही थी और वो इस समय पूरी नंगी थी, उसके कपड़े मेरी ऑफिस की मेज पर रखे थे।

TO BE CONTINUED ....
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#55
Heart 
यहाँ तक तो सब ठीक था क्योंकि मेरे ऑफिस में कोई ऐसे नहीं आ सकता था और ना ही किसी को कुछ दिखाई दे सकता था परन्तु इस समय हमारे ऑफिस में काम करने वाला चपरासी मदन लाल जो 52 साल का ठरकी बुड्ढा है, मेरे केबिन के दरवाजे के बाहर खड़ा था और अंदर आने के लिए खटखटा रहा था।
खट खट… खट खट…

मैं- “कम इन”

और कुछ हो भी नहीं सकता था पर हाँ मैंने अपनी कुर्सी को खिसकाकर मेज के बिल्कुल पास कर ली जिससे नीलू मेज के अंदर को हो गई। अब सामने वाले को कुछ नहीं दिख सकता था। तभी दरवाजा खुला और मदन लाल कॉफ़ी लेकर अंदर आ गया। साधारण सी पैंट शर्ट पहने, अधपके बाल और शेव बढ़ी हुई। दिखने में बहुत साधारण मगर हर समय उसका मुँह और आँखें चलती रहती हैं। अपने काम में माहिर है।

मदन लाल- “साहब कॉफ़ी”

मैंने वहीं सामने रखी एक फाइल को देखने का बहाना किया- “हाँ रख दो”

और नीलू को तो न जाने क्यों कोई शर्म ही नहीं थी, वो अभी भी मेरे लण्ड को पकडे चाटने और चूसने में लगी थी। उसको यह भी चिंता नहीं थी कि उसकी कोई हल्की सी आवाज भी अगर मदन लाल ने सुन ली तो वो रोज उसे चिड़ाने लगेगा और अगर मदन लाल थोड़ा सा भी मेरे दाईं ओर आया, जो अक्सर कुछ न कुछ करने वो आ ही जाता है, तो मेज के नीचे घुसी पूरी नंगी नीलू उसको दिख जाएगी।

मगर अभी तक ऐसी कोई स्थिति नहीं बनी थी।

मैं अपने चेहरे पर कोई भी भाव नहीं आने दे रहा था जबकि जिस तरह नीलू मेरे लण्ड से खेल रही थी, ऐसे तो मेरा दिल जोर जोर से चीखने का कर रहा था। नीलू मेरे लण्ड को ऊपर नीचे खींचती, उसके टॉप को लोलीपोप की तरह चूसती, लण्ड को ऊपर उठाकर गोलियों को मुँह में ले लेती, पूरे लण्ड को चाटती। उसकी आवाजें कमरे में सुनाई न दें, इसलिए मैंने लेपटोप पर एक कंपनी का वीडियो ओन कर दिया। इसीलिए मदन लाल को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था, वरना उस जैसा पारखी इंसान एकदम समझ जाता कि ये तो लण्ड चूसने की आवाजें हैं।

मदन लाल कॉफ़ी रखकर बोला- “और कुछ साब? वो रोज़ी मेमसाब मिलने को बोल रही थी, कह रही थी कि जो आपने काम दिया था उसमें कुछ पूछना है”

रोज़ी 26-27 साल की एक शादीशुदा महिला है, उसने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा है। 36-28-34 की कुछ सांवली मगर अच्छी सूरत वाली रोज़ी कुल मिलाकर बहुत खूबसूरत दिखती है। उसने अभी एक महीने पहले ही ज्वाइन किया था इसलिए उसको यहाँ के बारे में ज्यादा नहीं पता था।

मैंने मदन लाल को जल्दी भेजने के चक्कर में बोल दिया- “ठीक है, भेज देना उसको”

मगर मदन लाल पूरा घाघ आदमी था- “अरे नीलू मेमसाब कहाँ हैं साब, कॉफ़ी ठंडी हो जायेगी”

ओ बाप रे…

साले ने मेज पर रखे कपड़े देख लिए थे। उसके होंठों पर एक कुटिल मुस्कान थी।

मैं जरा आवाज में कठोरता लाते हुए- “तुझे मतलब? अपना काम कर, वो बाथरूम में है”

मदन लाल- “व्व… व…व…वो साब यहाँ उनके कपड़े??”

मैं- “हाँ वो अपनी ड्रेस ही बदलने गई है और तू अपना काम से मतलब रखा कर, समझा?”

मेरी हालत ख़राब थी, मैं इधर मदन लाल को समझाने में लगा था और नीचे नीलू हंस भी रही थी और मेरे लण्ड को नोच या काट भी रही थी।

मैं कुछ भी रियेक्ट नहीं कर पा रहा था। समझ नहीं आ रहा था कि कैसे खुद को रोकूँ। मगर थैंक्स गॉड! मदन लाल बाहर चला गया।

मुझे नीलू पर इतना गुस्सा आ रहा था कि मैंने तुरंत उसको मेज के नीचे से निकाला और मेज पर लिटा दिया। उसकी दोनों टांगों को फैलाकर सीधे उसकी पूरी चूत अपने मुँह में भर ली और दांतों से काटने लगा।

अब मचलने की बारी नीलू की थी। वह बुरी तरह सिसकार रही थी और अपनी कमर हिलाये जा रही थी। मैं अपने दोनों हाथों की मुट्ठियों में उसके चूतड़ों को पकड़ कस कस कर दबाने लगा तो जरा सी देर में नीलू की हालत बुरी हो गई, वो छोड़ने के लिए मिन्नतें करने लगी।

नीलू- “नहींईइइइइ… छोड़ दीजिये ना.. आह्ह्ह्ह्ह्हाआआ… नहींईइइ… आआअ… अब्बब्बब नहींई अह्ह्ह”

मैंने उसको उसी अवस्था में रखा और अपनी पैंट खोल दी, मेरी पैंट नीचे मेरे जूतों पर जाकर ठहर गई। मैंने अंडरवियर भी नीचे घुटनों तक उतार अपने मस्ताने लण्ड को आज़ाद किया और नीलू की मेरे थूक से गीली चूत के छेद पर टिका एक ही बार में अंदर ठोक दिया। ठक की आवाज से लण्ड पूरा चूत की जड़ तक चला गया।

पिछले 24 घंटे में यह चौथी चूत थी जिसमें मेरा लण्ड प्रवेश कर रहा था।

मगर शायद आज किस्मत उतनी अच्छी नहीं थी, अभी लण्ड ने जगह बनाई ही थी कि एक बार फिर…

ठक ठक… ठक ठक…

दरवाजे पर फिर दस्तक हुई।

और इस बार कोई महीन आवाज थी। ओह रोज़ी, मर गए, मैं तो भूल ही गया था। अब क्या होगा..??

नीलू को पहले भी ऑफिस में मैंने कई बार चोदा था मगर हमेशा दोपहर के बाद या फिर शाम को। मैं हमेशा यह ध्यान रखता था कि अब कोई नहीं आने वाला है, और सभी कार्य निबटने के बाद ही उसको चोदता था मगर आज तो सुबह आते ही यह कार्यक्रम सेट हो गया था इसीलिए हद हो गई यार…

पहले मदन लाल नीलू के कपड़े देख गया। ना जाने क्या क्या सोच रहा होगा और अब बिल्कुल नई स्टाफ, वो भी शादीशुदा, दरवाजे के बाहर खड़ी थी। नीलू पूरी नंगी अपनी टाँगें फैलाये मेरी मेज पर लेटी थी। और मैं लगभग नंगा, पैंट और अंडरवियर दोनों मेरे जूतों पर पड़े रो रहे थे। मेरा लण्ड जड़ तक नीलू की चूत में घुसा था। मैं उसकी चूचियों को मसलता हुआ उसकी चूत में धक्के लगा रहा था और दरवाजे के बाहर खड़ी रोज़ी की दरवाजे पर की जा रही खट-खट..

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#56
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#57
Heart 
ऐसा लग रहा था जैसे चुदाई का बैकग्राउंड म्यूजिक चल रहा है। और मुझे अचानक होश आया, नीलू पर जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा। वो मुझे अपनी लाल आँखों से देख रही थी कि क्यों निकाल लिया, फिर से पूरी ताकत से डाल दो ना।
मैंने जल्दी से उसको उठाकर फिर से मेज के नीचे घुसा दिया और इस बार उसके कपड़े भी नीचे गिरा दिए।

मैं- “कम इन”

और तुरंत दरवाजा खुला, रोज़ी का सुन्दर चेहरा नजर आया। उसने नीली पारदर्शी साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था। ब्लाउज से उसकी ब्रा भी नजर आ रही थी। एक टाइट बन्धी साड़ी में उसके शरीर के अंग अच्छी तरह उभर कर प्रदर्शित हो रहे थे।

उसने मुझे मुस्कुराकर देखा- “गुड मॉर्निंग सर”

मैं- “हाँ क्या हुआ?”

मैंने फिर से खुद को काम में खोया दिखाया।

रोज़ी- “सर वो दामोदर दास जी वाला काम हो गया है। आप एक बार देख लेते”

मैं- “ठीक है तुम फाइल छोड़ दो, मैं देख लूंगा और तुम्हारा दिल लग रहा है ना, काम सही लग रहा है?”

रोज़ी- “हाँ सर, यहाँ का माहौल बहुत अच्छा है और सभी लोग भी बहुत मिलनसार हैं”

मैं- “ठीक है, मन लगाकर काम करो। जल्दी ही तुम्हारी तरक्की हो जाएगी”

रोज़ी- “थैंक यू सर, क्या मैं आपका बाथरूम यूज़ कर सकती हूँ सर? बाहर का बहुत गन्दा हो रहा है”

वैसे भी ज्यादातर लेडीज स्टाफ ये अंदर का ही बाथरूम यूज़ करती थीं तो उसमे कोई प्रॉब्लम नहीं थी और मैं उसको मना भी कैसे कर सकता था।

मैं- “हाँ हाँ क्यों नहीं, जरा ध्यान से लॉक ख़राब है”

रोज़ी- “हा हा, मुझे पता है सर पर अभी तो आप हैं ना, किसी को अंदर नहीं आने देंगे”

और वो बड़ी सेक्सी मुस्कान छोड़कर बाथरूम में चली गई।

थैंक्स गॉड कि उसने एक बार भी पीछे घूमकर नहीं देखा वरना बाथरूम मेरी कुर्सी के सीधी तरफ पीछे की ओर था, उसको सब कुछ दिखाई दे सकता था।

इतनी देर में चुदाई का मूड सब ख़त्म हो गया था, मैंने जल्दी से अपना अंडरवियर और पेंट सही करके पहन ली और नीलू को भी कपड़े पहनने को बोला क्योंकि जब वो वापस आएगी तो पक्का उसको सब दिख जाने वाला था।

नीलू ने भी तुरंत अपनी कुर्ती पहनी और लेग्गिंग भी चढ़ा ली। पर तभी नीलू को शरारत सूझी, मुझे आँख मारते हुए वो बाथरूम की ओर चली गई। मैं उत्सुकता से उसे देखने लगा पता नहीं अब क्या करने वाली थी।

मगर उसकी हर शरारत से मुझे फ़ायदा ही पहुँचता था इसलिए मैं कभी कुछ नहीं कहता था और उसने एकदम से बाथरूम का दरवाजा खोल दिया।

ओह माय गॉड !!!

क्या नजारा था !!!!!!!!

दरवाजा अंदर की ओर खुलता था। अंदर सफ़ेद लाइट झमाझम चमक रही थी। उसमे एक तरफ ही वेस्टर्न सीट लगी थी। मैं जहाँ खड़ा था, वहाँ से वो जगह साफ़ दिख रही थी। कहते हैं ना कि कोई-कोई दिन आपके लिए बहुत भाग्यशाली होता है तो आज यह भी देखना था। मैंने सबसे पहले शानदार पूरे नंगे चूतड़ देखे।
क्या लुभावना दृश्य था...!!! 

मेरी आँखें तो पलक झपकना ही भूल गई। मैं एकटक उसको निहार रहा था। दरअसल रोज़ी अभी अभी ही शू शू करके उठी होगी।उसने अपनी नीली साड़ी पूरी ऊपर कर अपने बाएं हाथ से पकड़ी हुई थी और उसकी कच्छी जो शायद गुलाबी ही थी जैसी वहाँ से दिख रही थी, उसने अपने घुटनों तक उतार रखी थी और वो हल्के से झुक कर फ्लश कर रही थी। वो इतनी मग्न थी कि उसको पता ही नहीं चला कि बाथरूम का दरवाजा खुल गया है।

मेरी आँखों ने भरपूर उसके मतवाले चूतड़ों के दर्शन किये। अभी मैं कुछ सोच ही रहा था कि नीलू ने एक और हरकत कर दी। उसने ऐसे जाहिर किया जैसे उसको कुछ पता ही नहीं है।

वो तेज आवाज में बोली- “अररररर ऐ एई… तू यहाँ रोज़ी?”

और स्वभाविक ही रोज़ी ने घूमकर उसको देखा। उसने वो कर दिया जिसकी उम्मीद न तो मुझे थी और ना शायद नीलू को ही।

रोज़ी- “हाय राम”

और उसने अपनी साड़ी दोनों हाथों से पकड़ी और शरमा कर अपने चेहरे तक ले जाकर ढक ली। इस दृश्य की तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी। रोज़ी के घूमने से उसकी गुलाबी कच्छी ढीली हो उसके घुटनों से सरक कर नीचे गिर गई। उसकी साड़ी और उसका पेटीकोट दोनों वो खुद पूरा उठाकर अपने चेहरे तक ले गई थी। उसका कमर के नीचे का भाग पूरा नंगी अवस्था में बाथरूम की सफ़ेद चमकती लाइट से भी ज्यादा चमक रहा था। 

पतली कमर, पिचका हुआ पेट, लम्बी टाँगें, गोल सफ़ेद चिकनी जांघें और जांघों के बीच फूली हुई चूत का उभार खिला खिला साफ दिख रहा था।

यह तो नहीं पता चला कि उस पर बाल थे या नहीं और अगर थे तो कितने बड़े। वैसे जितनी साफ़ वो दिख रही थी उस हिसाब से तो चिकनी ही होगी या होंगे तो थोड़े थोड़े ही होंगे। दिल चाह रहा था कि अंदर जाऊं और उसके इन प्यारे होंठों पर अपने होंठ रख दूँ।

रोज़ी की तो जैसे आवाज ही नहीं निकल रही थी मगर नीलू पूरे होश में थी। वो चाहती तो दरवाजा बंद कर देती और सब कुछ सही हो जाता मगर वो तो किसी और ही मूड में थी।

वो अंदर जाकर रोज़ी के कंधे पर हाथ रख कर बोली- “अरे सॉरी यार, मुझे नहीं पता था कि तू अंदर है। चल अब तेरा तो हो गया ना”

रोज़ी- “तू बहुत गन्दी है रे! तू बाहर जा ना”

नीलू- “हा हा क्या बात करती हो दीदी? आपका तो हो गया ना, अब आप बाहर जाओ ना, मुझे भी तो करनी है”

और अस्वभाविक रूप से नीलू नीचे बैठ गई और रोज़ी की कच्छी को पकड़ ऊपर करने लगी। इतनी देर में मैंने रोज़ी की चूत के भरपूर दर्शन कर लिए थे।

नीलू- “अब कपड़े तो सही कर लो दीदी, कब तक अपनी मुनिया को हवा लगाओगी?”

अब जैसे रोज़ी को होश आया कि चेहरा छुपाने के लिए उसने क्या कर दिया था और नीलू तो पिछले एक साल में मेरे साथ रहकर पूरी बेशर्म हो ही गई थी। उसने कच्छी को रोज़ी के चूतड़ों पर चढ़ाते हुए अपने एक हाथ से रोज़ी की गुलाबी चूत को सहलाया और कच्छी के अंदर करते हुए बोली- “बहुत प्यारी है दीदी अपनी मुनिया, इसको धो तो लिया था ना?”

और रोज़ी ने अब अपनी साड़ी छोड़कर नीचे कर दिया और नीलू के धप्प लगाते हुए बोली- “पूरी पागल ही है तू, चल हट”

अभी तक शायद उसको पता नहीं था या वो मेरे बारे में बिलकुल भूल ही गई थी कि मैं बाहर कमरे में से दोनों की हर हरकत को देख रहा हूँ। रोज़ी बाहर आ दरवाजा अभी बंद ही कर रही थी, इतनी देर में नीलू अपनी कुर्ती ऊपर उठा अपनी लेग्गिंग चूतड़ों से नीचे खिसका सीट पर बैठने की तैयारी कर रही थी।

रोज़ी- “अरे दरवाजा तो बंद करने देती, तू सच पूरी पागल है… हे… हे”

और जैसे ही रोज़ी दरवाजा बंद कर घूमी, मुझे देख उसे सब कुछ अहसास हो गया। वो बुरी तरह झेंप गई और अब शरमा रही थी।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#58
रोज़ी- “अरे सर, आपने नीलू को रोका नहीं। वो अंदर... मैं… ये…”

मैं- “अरे, मैं काम में बिजी था और वो पता नहीं कैसे? मुझे पता ही नहीं चला”

रोज़ी- “वो… ओह… मैं तो…”

मैं- “अरे इतना घबरा क्यों रही हो? शादीशुदा हो, समझदार हो, हो जाता है ऐसा। कोई बड़ी बात नहीं है”

रोज़ी- “वो सब अचानक, मेरे को तो पता ही नहीं था। और आप भी?”

मैं- “अरे यार, कुछ नहीं हुआ, इतनी सुन्दर तो हो तुम, जरा सा देख लिया तो क्या हो गया? वैसे एक बात बोलूँ?”

रोज़ी ने अपनी नजर बिल्कुल नीचे कर रखी थी। वो बहुत शरमा रही थी। लेकिन इतना शुक्र था कि वो कमरे से बाहर नहीं गई थी वो मुझसे बात कर रही थी।

रोज़ी- “क्या सर?”

मैं- “तुम अपने नाम से लेकर अंदर तक गुलाब ही हो, मतलब गुलाबी”

रोज़ी- “धत्त… क्या कह रहे हो सर आप?”

मैं- “सच यार… मजा आ गया। कच्छी से लेकर अंदर तक सब गुलाबी था”

रोज़ी- “आप भी ना सर, अपने सब देख लिया?”

मैं- “अरे यार इतना सुन्दर दृश्य कौन छोड़ता है और वाकयी बहुत प्यारी लग रही थी”

रोज़ी के चेहरे से लग रहा था कि उसको मेरी बात अच्छी लग रही है।

रोज़ी- “यह नीलू भी बहुत गन्दी है। ये सब उसकी वजह से हुआ”

मैं- “हा हा... मेरे लिए तो बहुत लकी रही यार और तुमको उससे बदला लेना हो तो ले लो जाओ दरवाजा खोल दो। हा… हा…”

रोज़ी- “धत्त... मैं ऐसी नहीं हूँ। आपका मन कर रहा हो तो आप खुद खोलकर देख लीजिये”

मैं- “अरे इतनी खूबसूरत देखने के बाद तो अब किसी और की देखने का दिल ही नहीं करेगा। सच बहुत सुन्दर है तुम्हारी”

और अब रोज़ी तुरंत केबिन से बाहर निकल गई। मगर हाँ केबिन का दरवाजा बंद करते हुए उसके चेहरे की मुस्कुराहट उसकी ख़ुशी को दर्शा रही थी। कुछ देर बाद नीलू भी अपने काम में लग गई। अब ऑफिस का कुछ काम भी करना था।

दोपहर को लंच करने के बाद मैंने सलोनी को फोन लगाया, उधर से मधु की आवाज आई- “कौन..??”

मैं- “अरे मधु तू… क्या हुआ? सलोनी कहाँ है??”

मधु- “अरे भैया! हम कॉलेज में हैं… भाभी की जॉब लग गई है… वो अंदर हैं”

मैं- “क्यों? तू बाहर क्यों है?”

मधु- “अरे अंदर उनका इंटरव्यू चल रहा है, वो कुछ समझा रहे थे”

मैं- “ओह… मगर तू उसका ध्यान रख देख वो क्या कर रही है?”

मधु- “हाँ भइया… पर क्यों?”

मैं- “तुझसे जो कहा, वो कर ना”

मधु- “पर वो अपने कोई पुराने दोस्त के साथ हैं, वो क्या नाम बोला था? हाँ याद आया मनोज… वो उनके कोई पुराने दोस्त हैं वो ही हैं यहाँ बड़े वाले टीचर”

मेरे दिमाग में एक झनका सा हुआ अरे मनोज वो तो कहीं वही तो नहीं। मुझे याद आया सलोनी ने एक दो बार बताया था। उसका फोन भी आया था शायद। मनोज उसके कॉलेज के समय से दोस्त था पर हो सकता है कि कोई और हो।

तभी मधु की आवाज आई- “भैया… ये तो… अंदर…”

मैं- “क्या अंदर? क्या हो रहा है?”

मधु- “व्व्व्व्व्व्वो भाभी अंदर… और व्व्व्वो…”

मधु ने के ऐसी बात बताई कि मेरे कान खड़े हो गए। झूठ नहीं बोलूंगा कान के साथ लण्ड भी खड़ा हो गया था।

मधु- “भैया… भाभी अंदर कमरे में हैं, यहाँ उनका कोई दोस्त ही बड़ा सर है वो क्या बताया था हाँ मनोज नाम है उनका”

मैंने दिमाग पर ज़ोर डाला उसने बताया था कि कॉलेज में उसके विनोद और मनोज बहुत अच्छे दोस्त थे, दोनों हमारी शादी में भी आये थे। मैंने मधु को कमरे में देखने को बोला।

मधु- “व्वव… व्वव… वो भाभी तो मनोज सर की गोद में बैठी हैं”

मैं सारा किस्सा एकदम से समझ गया। दिल चाह रहा था कि भागकर वहाँ पहुँच जाऊँ।

मैंने मधु को निर्देश दिया- “सुन मधु फोन ऐसे ही वहीं खिड़की पर रख दे, स्पीकर उनकी तरफ रखना और तू वहीं खड़े होकर देखती रह”

मधु ने तुरंत ही यह काम कर दिया और मुझे आवाज आने लगी।

मनोज- “सच सलोनी, कसम से तुम तो बहुत सेक्सी हो गई हो। मुझे पहले पता होता तो चाहे कुछ हो जाता, मैं तो तुमसे ही शादी करता”

सलोनी- “हाँ… और जैसे मैं कर ही लेती? मैंने तो पहले ही सोच रखा था कि शादी माँ डैड की मर्जी से ही करूँगी और यकीन मानना, मैं बहुत खुश हूँ”

“पुच्छ पुच च च च च च पुच…”

सलोनी- “ओह क्या करते हो मनोज… अपना मुँह पीछे रखो ना, जब से आई हूँ, चूमे ही जा रहे हो”

मनोज- “अरे यार, कंट्रोल ही नहीं हो रहा”

सलोनी- “हाँ, वो तो मुझे नीचे पता चल रहा है, कितना चुभ रहा है”

मनोज- “हा हा हा… यार, यह तुमको देखकर हमेशा ही खड़ा होकर सलाम करता था मगर तुमने कभी इस बेचारे का ख्याल ही नहीं किया”

सलोनी- “अच्छा… तो तुम्हारे दोस्त के साथ दगा करती?”

मनोज- “इसमें दगा की क्या बात थी यार? तुम तो हमेशा से खुले माइंड की रही हो। ऐसे तो अब भी तुम अपने पति से दगा कर रही हो”

सलोनी- “क्यों ऐसा क्या किया मैंने, ऐसी मस्ती तो तुम पहले भी किया करते थे। हे… हे… क्यों याद है बुद्धू या याद दिलाऊँ?”

मनोज- “अरे उस मस्ती के बाद ही तो मैं पागल हो जाता था फिर पता नहीं क्या क्या करता था। तुम तो हाथ लगाने ही नहीं देती थी। तुम्हारे लिए तो बस विनोद ही सब कुछ था”

सलोनी- “अरे नहीं यार… तुम ही कुछ डरपोक किस्म के थे”

मनोज- “अच्छा मैं डरपोक था?? वो तो विनोद की समझ कुछ नहीं कहता था वरना न जाने कबका सब कुछ कर देता”

सलोनी- “अच्छा जी क्या कर देते??? बोल तो पाते नहीं थे और करने की बात करते हो”

मनोज- “बड़ी बेशरम हो गई है तू”

सलोनी- “मैं हो गई हूँ बेशरम, यह तेरा हाथ कहाँ जा रहा है। चल हटा इसको”

मनोज- “अरे यार, बहुत दिनों से तेरी ये चीजें नहीं देखी। शादी के बाद तो कितना मस्ता गई है। जरा टटोलकर ही देखने दे”

सलोनी- “जी बिल्कुल नहीं, ये सब अब उनकी अमानत है। तुमने गोद में बैठने को बोला तो प्यार में मैं बैठ गई। बस इससे ज्यादा कुछ नहीं, समझे बुद्धू वरना मैं तुम्हारे यहाँ जॉब नहीं करुँगी”

TO BE CONTINUED ....
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#59
मनोज- “क्या यार?? तुम भी न ऐसे ही हमेशा के एल पी डी कर देती हो”

सलोनी- “हा हा हा हा… मुझे पता है तुम्हारे के एल पी डी का मतलब और ज्यादा हिलाओ मत कहीं यन मेरी जींस में छेद ना कर दे”

मनोज- “हा हा… तो दे दो ना इस बेचारे का छेद इसको फिर अपने आप ढूंढ़ना बंद कर देगा”

सलोनी- “जी नहीं, यहाँ नहीं है इसका छेद, इसको कहीं और घुसाओ”

मनोज- “अरे यार, कम से कम इसको छेद दिखा तो दो, बेचारा कब से परेशान है”

सलोनी- “अच्छा जैसे पहले कभी देखा ही नहीं हो। अब तो रहने ही दो”

मनोज- “अरे यार तब की बात अलग थी। तब तो मैं दोस्त का माल समझ कुछ ध्यान से नहीं देखता था”

सलोनी- “हाँ हाँ मुझे सब पता है। कितना घूरते थे और मौका लगते ही छूते और सहलाते थे वो तो मैंने कभी विनोद से कुछ नहीं कहा वरना तुम्हारी दोस्ती तो ही गई थी। हे हे…”

मनोज- “अच्छा तो यह तुम्हारा अहसान था?”

सलोनी- “और नहीं तो क्या…”

मनोज- “तो थोड़ा सा अहसान और नहीं कर सकती थीं। पता नहीं था क्या कि मैं कितना परेशान रहता था”

सलोनी- “वैसे सच बोलूं! तुमने कभी हिम्मत नहीं की तुम्हारे पास तो कई बार मौके थे और शायद मैं मना भी नहीं करती”

मनोज- “अच्छा इसका मतलब मैं बेबकूफ था। ऐं ऐं ऐं ऐं…”

सलोनी- “हा हा… हा हा… हा हा… ओह… रहने दो न, बहुत गुदगुदी हो रही है। अहा… ये क्या कर रहे हो?? अरे छोड़ो न इन्हें”

मनोज- “यार सच बहुत जानदार हो गए हैं तुम्हारे बूब, कितना मजा आ रहा है इनको पकड़ने में”

सलोनी- “देखो मैं अब जा रही हूँ ओके... तुम बहुत परेशान कर रहे हो…”

मनोज- “अरे यार तुमने ही तो कहा था अब कोशिश कर रहा हूँ तो मना कर रही हो”

सलोनी- “ये सब उस समय के लिए बोला था अब मैं किसी और की अमानत हूँ”

मनोज- “अरे यार, मैं कौन का अमानत में ख़यानत कर रहा हूँ। जैसी है वैसी ही पैक करके पहुँचा दूंगा”

सलोनी- “हाँ मुझे पता है, कैसे पैक करोगे, मेरे मियां को दाग पसंद नहीं है समझे बुद्धू”

मनोज- “कह तो ऐसे रही हो जैसे अब तक बिल्कुल साफ़ और चिकनी हो? न जाने कितने दाग लग गए होंगे?”

सलोनी- “जी नहीं, मेरी उस पर एक भी दाग नहीं है, जैसे तुमने पहले देखी थी अब तो उससे भी ज्यादा अच्छी हो गई है”

ओह माय गॉड! इसका मतलब विनोद तो उसका बॉय फ्रेंड था ही… फिर यह मनोज भी क्या उसको नंगी देख चुका है। मैं और भी ध्यान से उनकी बातें सुनने लगा। मैं एक लाइव ऑडियो सुनते हुए अपनी ही सेक्सी बीवी के रोमांस की कल्पना कर रहा था कि कैसे मेरी प्यारी सलोनी अपने पुराने दोस्त कि गोदी में बैठी होगी। उसने क्या-क्या पहना होगा…

वैसे उनकी बातों से लग रहा था कि उसने जीन्स और टॉप या शर्ट पहनी होगी। मनोज ना जाने कहाँ कहाँ और किन किन अंगों को छू रहा होगा और मसल रहा होगा। मनोज का लण्ड ना जाने कितना बड़ा होगा और सलोनी के मखमल जैसे चूतड़ों में कहाँ रगड़ रहा होगा या हो सकता है कि गड़ा होगा। ये विचार आते ही मेरा कई बार का झड़ा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा।

मैं अपने हाथों से अपने लण्ड को मसलते हुए उनकी बातें सुनते हुए मस्त होने लगा। मुझे मधु से जलन सी होने लगी कि वो तो लाइव मजे ले रही होगी और मैं यहाँ केवल सुन पा रहा हूँ। तभी उनकी आवाजें आने लगी…

सलोनी- ओह मनोज! तुम क्या कर रहे हो?? समझा लो अब अपने इस पप्पू को। ठीक से बैठने भी नहीं दे रहा”

मनोज- “कहाँ यार! कितना तो शांत है वरना इतने पास घर का द्वार देख अब तक तो दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाता”

सलोनी- “हाँ हाँ रहने दो, यह दरवाजा इसके लिए नहीं खुलेगा और खिला क्या रहे हो आजकल इसको जो इतना मोटा होता जा रहा है पहले तो काफी कमजोर था ना हा हा हा…”

मनोज- “हाँ हाँ… उड़ा लो मजाक, तुमको तो उस समय केवल विनोद का ही पसंद आता था। मेरा कभी तुमने ध्यान दिया? हाथ तक तो नहीं लगाती थी। हर समय विनोद का ही पकड़े रहती थीं। पता है उस समय मेरे इस पर क्या गुजरती थी??”

सलोनी- “अच्छा तुम ही हर समय वहीं घुसे रहते थे। तुमको तो देखने में ना जाने क्या मजा आता था?? छुप-छुप कर हमको ही देखते रहते थे और झूट मत बोलो मुझे याद है अच्छी तरह से 2-3 बार मैंने तुम्हारे लल्लू को पकड़ा तो था तभी तो उसकी सेहत के बारे में याद है”

मनोज- “हाँ सब पता है, मुझे देखने को भी मना करते थे। हर समय कहीं ना कहीं भेजने का सोचते रहते थे और उसको पकड़ना कहते हैं क्या?? कभी मेरे इस बेचारे को पकड़कर किस किया? प्यार से चूमा क्या तुमने? बस पकड़कर पीछे को धकेल दिया। तुमको पता है कितना गुस्सा आता था मुझे?”

सलोनी- “हाँ, उस समय तुमको बचा लेती थी बच्चू, अगर विनोद को मालूम हो जाता कि तुम भी अपना लिए फिर रहे हो न तो सोचो वो क्या कर देता। उसको तुमसे बहुत प्यार था इसलिए देखने या छूने में कुछ नहीं कहता था मगर इसका मतलब यह थोड़े ही था कि सब कुछ कर लेते”

मनोज- “अरे यार, मुझे पता होता कि तुम किसी और से शादी करने वाली हो तो कसम से मैं नहीं छोड़ता। वो तो विनोद कि वजह से मैं शांत रहता था”

सलोनी- “अच्छा जी, तो क्या करते???”

मनोज- “अच्छा तो बताऊँ, यह देख, जैसे पूरी नंगी लेटी रहती थी ना और मेरे पूरे घर में घूमती रहती थी ना जाने कितनी बार”

सलोनी- “अह्ह्हाआ ओह धीरे से… क्या कितनी बार??? हे हे…”

मनोज- “अरे यार, तुम्हारे इस प्यारे से छेद को अपने पप्पू से पूरा भर देता”

सलोनी- “ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ ऐ… वहाँ से अपना हाथ हटाओ, ऊपर रखने दिया बस उतना ही बहुत है”

मनोज- “अरे यार, ऊपर से ही रख रहा हूँ, कौन सा चेन खोलकर अंदर डाल दिया”

सलोनी- “सोचना भी मत”

मनोज- “अरे इतना नखरा क्यों कर रही हो?? दिखा दो ना एक बार, देखूँ तो सही, पहले में और अब में कितना अंतर आ गया”

सलोनी- “नहीं जी, कोई अंतर नहीं आया, अभी भी पहले जैसी ही है और अब यह किसी की अमानत है! समझे? जब मौका था तब तो तुमने चखा नहीं तो अब तो तुमको देखने को भी नहीं मिलेगी”

मनोज- “और अगर जब विनोद आएगा तो उसको भी मना करोगी?”

सलोनी- “और नहीं तो क्या?? उसकी भी शादी हो गई मेरी भी, अब उसको क्या मतलब?? वो तो तुमने अभी तक शादी नहीं की इसलिए तुमको थोड़े मजे करा दिए पर इससे ज्यादा कुछ नहीं, समझे बुद्दू?”

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#60
Heart 
मनोज- “वाह यह तो वही बात हुई ना कि भूखे के आगे खाना तो रखा पर खिलाया नहीं”

सलोनी- “हाँ तुम जैसे भूखे ही होगे ना, ना जाने कहाँ कहाँ क्या क्या करते रहते होगे”

मनोज- “अरे चलो ठीक है, पर थोड़ा सा दूध तो पिला दो यार, कितने प्यारे हो गए हैं तुम्हारे ये मम्मे”

सलोनी- “अच्छा बस अब छोड़ भी दो ना, पूरा टॉप खराब कर दोगे तुम। मुझे अभी घर भी वापस जाना है”

मनोज- “अरे यार पिला दो ना, क्यों इतना नखरे कर रही हो। पहले भी तो पीता था। इस पर तो तुमको ऐतराज नहीं होता था। चलो उतार दो अब टॉप वरना फाड़ दूंगा हाँ”

सलोनी- “ओह रुको ना यार, एक मिनट! अह्हाआआ… नहींईइइइयय यार, बस ऊपर कर लेती हूँ। इतना ही… अर्रर्र रे… कोई आ जाएगा बाबा… बस्स्स्स्स… अब नहीईईईई…”

मनोज- “वाओ यार क्या मस्त गोले हैं, तुम क़यामत हो यार…पुचह्ह्ह्ह्ह… पुच पुच चचच मु ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…पुच पुच…”

सलोनी- “ओह धीरे यार… अह्ह्ह्ह्ह… अह… दांत नहीईइइ इइइइ… लाल कर दिया… तुझे सब्र नहीं है… कबाड़ा करेगा क्या?”

मनोज- “मजा आ गया, क्या टेस्ट है यार, ऐसा लग रहा है जैसे हर सिप के साथ मुँह मीठे दूध से भर जा रहा हो। बिल्कुल मक्खन जैसे हैं तेरे मम्मे”

सलोनी- “ओह अब ये क्या कर रहे हो?”

मनोज- “एक मिनट यार, सच तू तो बिलकुल मॉडल लगती है यार, पूरे गोल और तने हुए मम्मे… कितनी पतली कमर… और बिल्कुल चिकना पेट… और मन मोहने वाली नाभि... वाओ यार… और तेरी ये लो वेस्ट जीन्स… कितनी नीची है यार…गजब्ब्ब यार! तूने तो कच्छी भी नहीं पहनी… क्या बात है यार? सच में सेक्स की देवी लग रही है…”

सलोनी- “ओह क्या कर रहे हो… नहीं ना बटन मत खोलो ओह… अह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्हाआआ आआ…”

यह रब भी कितनी जल्दी अपना बदला पूरा कर लेता है। अभी कुछ देर पहले ही मैं अपने केबिन में नीलू को नंगी करके उसके रसीले मम्मे चूस रहा था और अब मनोज अपने ही केबिन में मेरी बीवी के टॉप को ऊपर कर उसके मम्मे चूस रहा था।

मैं उसके गोरे जिस्म की कल्पना कर रहा था। मैंने उसकी लो वेस्ट जीन्स देखी थी। पहले भी वो कई बार पहन चुकी थी मगर कच्छी के साथ ही पहनती थी। जीन्स उसके मोटे गदराये चूतड़ से 3 इंच नीचे तक ही आती है। उसकी कच्छी का काफी हिस्सा दिखता रहता है और अब तो उसने बिना कच्छी के पहनी है।उसकी जीन्स का बटन उसकी चूत की लकीर से एक इंच ऊपर ही था और फिर २ इंच की चेन है जिसको खोलते ही उसकी चूत भी साफ़ दिख जाती है। 

जीन्स इतनी टाइट है कि बटन खुलते ही चेन अपने आप खुल जाएगी। मैं यही सोच रहा था कि मनोज पूरा मजा ले रहा होगा। 100% उसकी उँगलियाँ मेरी बीवी की चूत पर होंगी। उधर उनकी आवाजें आनी कम तो हो गई थीं। मतलब अब उनके हाथ ज्यादा काम कर रहे थे।

सलोनी- “ओह मनोज प्लीज मत करो… अह्हाआ… देखो मान जाओ... कोई आ जायेगा अभी… और बखेड़ा हो जायेगा…”

मनोज- “पुच च च च च शस्स्… चपरर्र… पुच…क्या लग रही हो तुम यार! सच पूरा बम का गोला हो… यार तुम्हारी मुनिया तो और भी प्यारी हो गई… लगता है जैसे कॉलेज में पड़ने वाली लड़की की हो…”

सलोनी- “हाँ मुझे पता है… मेरी बहुत छोटी हो गई है… और तुम्हारा बहुत बड़ा… हा हा… अब अपना यह मुँह बंद करो… ओके ज्यादा लार मत टपकाओ… अपना हाथ मेरी जीन्स से बहार निकालो… चलो... मुझे जाना भी है यार… बाहर मधु वेट कर रही होगी…अह्हाआ आआ ओह बस्स्स्स्स… न यार …ओह ह्ह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह्ह्ह”

मनोज- “वाओ यार सच यहाँ से तो नजर ही नहीं हटती... क्या मजेदार और चिकनी है… और क्या खुशबू है यार…”

सलोनी- “अच्छा हो गया बस बहुत याराना… चलो अब पीछे हो…”

मनोज- “नहीं यार… ऐसा जुल्म मत करो… ओह नहीं यार… अभी रुको तो… बस एक मिनट… यार अभी कर लेना बंद…”

सलोनी- “क्यों… अब क्या अंदर घुसोगे”

मनोज- “अरे नहीं यार… इतनी जगह कहाँ है इसमें… बस जरा अपने पप्पू को भी दिखा दूँ… बहुत दिनों से उसने कोई अच्छी मुनिया नहीं देखी”

सलोनी- “जी नहीं… रहने दो… यहाँ कोई प्रदर्शनी नहीं लगी है... जो कोई भी आये और देख ले…उउउउइइइइ री रे रे बाप रे याआआआअरर्र… ये तो बहुत बड़ा और कितना गरम है… अह्ह्ह्ह्हाआआ… आआ”

ओह! लगता है मनोज ने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था।

मनोज- “अह्ह्ह… ऐसे ही जान... कितना सुकून मिल रहा है इसको… यह तो तुम्हारे हाथ की गर्मी से ही पिघलने लगा…”

मुझे पता था यह सलोनी की सबसे बड़ी कमजोरी है। लण्ड देखते ही उसे अपने हाथ से पकड़ लेती है। इस समय वो जरूर मनोज का लण्ड पकड़ ऊपर से नीचे नाप रही होगी।

मनोज- “अह्ह्ह्हाआ…आआ…”

सलोनी- “सच यार …कितना मोटा और बड़ा हो गया है यार ये तो…”

मनोज- “आअह्ह्ह्ह्हाआ… अरे हाँ यार… मुझे भी आज यह पहली बार इतना मोटा नजर आ रहा है... लगता है तुम्हारी मुनिया देख फूल रहा है साला… हा हा…”

सलोनी- “ओह सीधे रहो ना… मेरी जीन्स क्यों खींच रहे हो…”

मनोज- “अरे अह्ह्हाआआ… ओह यार ये इतनी टाइट क्यों है… नीचे क्यों नहीं हो रही… प्लीज जरा देर के लिए उतार दो ना…”

सलोनी- “बिलकुल नहीं… देखो मेरी जीन्स भी मना कर रही है… हमको और आगे नहीं बढ़ना है, समझे…”

मनोज- “यार, मैं तो मर जाऊँगा… अह्ह्हाआ…”

सलोनी- “हाँ जैसे अब तक कुछ नहीं किया तो जैसे मर ही गए…”

मनोज- “यार, जरा सी तो नीचे कर दो... मेरे पप्पू को मत तरसाओ… एक चुम्मा तो करा दो ना अपनी मुनिया का…”

सलोनी- “तो यार पूरी तो बाहर है… लो अह्ह्ह्हाआआआ… कितना गरम है यार… हो गया ना चुम्मा…”

ओह! लगता है सलोनी ने मनोज का लण्ड अपनी चूत से चिपका लिया था।

मनोज- “आआआ आह्ह ह्ह्हाआ नहीईईई और करो याआअरर्र…”

सलोनी- “क्या मोटा सुपारा है यार... बिल्कुल लाल मोटे आलू जैसा”

मनोज- “हाइईन्न्न हैं…कक्क क्या बोला तुमने…”

सलोनी- “अरे यार इसको आगे वाले को सुपारा ही कहते हो ना…”

मनोज- “हे हे व्व्वो हाँ बिलकुल... लेकिन तुम्हारे मुँह से सुनकर मजा आ गया… एक बात पूछूं... क्या तुम सेक्स के समय इनके देशी नाम भी बोलती हो?”

सलोनी- “आरए हाँ यार… वो सब तो अच्छा ही लगता है ना…”

मनोज- “वाओ यार… मैं तो वैसे ही शर्मा रहा था… यार प्लीज मेरा लण्ड को कुछ तो करो यार…”

सलोनी- “अरे, तो कर तो रही हूँ… पर प्लीज उसके लिए मत कहना… मैं अभी तुम्हारे साथ कुछ भी करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हूँ…”

मनोज- “प्लीज यार अह्ह्ह्हाआआआ… ऐसे ही अह्ह्ह्ह… तुम्हारे हाथ में तो जादू है यार… अह्ह्हा… आआ… ओह्ह्ह आअह्ह्ह्हा… आआआ…”

पता नही चल रहा था कि सलोनी मनोज के लण्ड से हाथ से ही कर रही थी या मुँह से? वैसे उसको तो चूसने की बहुत आदत है।

TO BE CONTINUED ....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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