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Adultery जिस्म की भूख
#81
Heart 
मैंने अपना लण्ड उनके कूल्हों से ज़रा पीछे किया और आपी का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। आपी को जब अहसास हुआ कि उनके हाथ में मेरा लण्ड है तो फ़ौरन ही उन्होंने अपना हाथ पीछे खींच लिया। मैंने दोबारा इसकी कोशिश नहीं की और आपी के कन्धों का पिछला हिस्सा अपनी ज़ुबान से चाटने लगा।

कंधों के बाद पूरी कमर को चाटता हुआ मैं नीचे बैठ गया और आपी के कूल्हों की गोलाइयाँ चूमते और चूसते हुए अपनी ज़ुबान से भी मसाज सी करता रहा। पूरी तरह कूल्हों को चाटने के बाद मैंने अपने दोनों हाथ आपी के कूल्हों पर रखे और उनके कूल्हों को खोल कर आपी की गाण्ड के सुराख को गौर से देखना शुरू कर दिया।

आपी की गाण्ड का सुराख बाक़ी जिस्म की तरह गुलाबी नहीं था बल्कि भूरे रंग का था और बहुत सी उभरी-उभरी सी गोश्त की लकीरें अन्दर सुराख में जाती दिख रही थीं जो ऐसे थीं जैसे किसी कुँए पर चुन्नटों का जाल सा बुन दिया गया हो।

मैंने आपी की गांड के सुराख को कुछ देर बा गौर देखा और फिर आगे होते हुए आहिस्तगी से अपनी ज़ुबान की नोक को सुराख के बिल्कुल सेंटर में टच कर दिया।

आपी ने मेरी ज़ुबान को अपनी गाण्ड के सुराख पर महसूस करते ही एक झुरजुरी सी ली और मज़े की एक शदीद लहर आपी के बदन में सिहरन कर गई।

वो बेसाख्ता ही अपने ऊपरी जिस्म को आगे की तरफ झुकाते हुए बोलीं- “आआहह सगीर! ये क्या कर रहे हो?”

‘म्म्म्म म्मम..’ मैंने गाण्ड के सुराख को चाटने के साथ-साथ अपनी ज़ुबान ऊपर से नीचे और फिर नीचे से ऊपर पूरी दरार में फेरना शुरू कर दी।

आपी के बेसाख्ता अंदाज़ ने मुझे समझा दिया था कि उन्हें गाण्ड का सुराख चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा है।

आपी के आगे झुकने की वजह से मेरा काम ज्यादा आसान हो गया था और मेरी ज़ुबान आपी की पूरी दरार में आसानी से घूम रही थी।

फरहान आपी की चूत को चूसने में लगा था और मैं आपी की गाण्ड के सुराख को चाट रहा था। आपी की हालत अब बहुत खराब हो रही थी और वो अपने सिर को राईट-लेफ्ट झटके देते हुए दबी-दबी आवाज़ में ‘आहें...’ भर रही थीं।

मेरे जेहन में ये आया कि यही टाइम है कि अब मैं दोबारा ट्राई करूँ। इस सोच के आते ही मैं उठा और आपी के सामने आकर उनको सीधा करते हुए आपी के होंठों को अपने होंठों में दबाया और एक हाथ में आपी का हाथ पकड़ते हुए दूसरे हाथ से उनके सीने के उभार दबाने लगा।

मैंने चंद लम्हें ऐसे ही आपी का हाथ थामे रखा और फिर आहिस्तगी से उनका हाथ दोबारा अपने लण्ड पर रख दिया। आपी ने फिर हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन मैंने उनके हाथ को मजबूती से अपने लण्ड पर ही दबाए रखा। कुछ देर तक आपी ने कोई रिस्पोन्स नहीं दिया और फिर आहिस्ता-आहिस्ता मेरे लण्ड को अपनी मुठ में दबाने लगीं। वो कभी लण्ड को भींच रही थीं तो कभी अपना हाथ लूज कर देतीं।

मैंने ये महसूस किया तो आपी के हाथ से अपना हाथ हटा लिया और उनकी गर्दन को पुश्त से पकड़ कर किस करने लगा। मेरे हाथ हटाने के बावजूद भी आपी ने मेरे लण्ड को नहीं छोड़ा था और नर्मी से लंबाई नापने के अंदाज़ में उस पर अपना हाथ फेरने लगीं। मैंने दोबारा अपना हाथ आपी के हाथ पर रखा और उनके हाथ की मुठी बना कर अपने लण्ड पर ऊपर-नीचे की और 3-4 मूव्स के बाद अपना हाथ हटा लिया और अब आपी खुद ही अपना हाथ मेरे आगे-पीछे करने लगीं।

मैंने एक नज़र फरहान को देखा तो वो अभी भी आपी की चूत ही चूस रहा था और थोड़ी-थोड़ी देर बाद ऐसे ज़ोर लगाता था जैसे खुद ही आपी की चूत में घुसना चाह रहा हो। उसका हाथ अपने लण्ड पर तेजी से आगे-पीछे हो रहा था।
आपी का जिस्म अकड़ना शुरू हुआ तो फ़ौरन मुझे याद आ गया कि कैसे डिसचार्ज होते वक़्त आपी की चूत मेरी ज़ुबान को भींचने लगी थी। अब फरहान की ज़ुबान भी इस मज़े को महसूस करने वाली है।

आपी को डिस्चार्ज होने के क़रीब देखा तो मैंने ज़ोर से उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और आपी के निप्पल्स को चुटकियों में मसलने लगा। मेरे लण्ड पर आपी का हाथ बहुत तेज-तेज चलने लगा था और उनकी साँसें बहुत तेज हो गई थीं। मेरी बर्दाश्त जवाब दे रही थी और एकदम ही मेरे लण्ड ने झटका मारा और मेरे लण्ड से जूस निकल-निकल कर आपी के पेट पर चिपकने लगा। आपी ने भी मेरे लण्ड के पानी को महसूस कर लिया था और फ़ौरन ही उनके जिस्म ने भी झटके खाए और वे अपनी चूत का पानी फरहान के मुँह में भरने लगीं।

हम तीनों ही अपनी मंज़िल तक पहुँच चुके थे।

जब हम एक-दूसरे से अलग हुए और आपी की नज़र अपने पेट पर पड़ी जहाँ मेरे लण्ड का गाढ़ा सफ़ेद पानी चिपका हुआ था। आपी की पूरी नफ़ मेरे लण्ड के जूस से भरी हुई थी।

“ओह्ह... अएवव... ये क्या गंदगी की है तुमने… गंदे” -आपी ने ये कहा और अपनी ऊँगली अपनी नफ़ में डाल कर घूमते हुए मेरे लण्ड का पानी अपनी ऊँगली की नोक पर निकाल लिया।

वो चंद लम्हें रुकीं और फिर अपनी ऊँगली को चेहरे के क़रीब ले जाकर गौर से देखने लगीं। मैंने आपी को इस तरह मेरे लण्ड के जूस को देखते देखा तो मुस्कुराते हुए आपी को आँख मारी और कहा- “शर्मा क्यों रही हो आपी, आगे बढ़ो, बहुत मज़े का ज़ायक़ा है इसका”

आपी ने मेरी बात सुनी तो झेंपती हँसी के साथ कहा- “शट अप्प्प सगीर! मैं सिर्फ़ क़रीब से देखना चाहती थी। तुम्हारी तरह गंदी नहीं हूँ”

मैंने कहा- “उस वक़्त तो आपको बुरा नहीं लग रहा था जब मैं आप की चूत का रस पी रहा था” यह कहते हुए मैंने आगे बढ़ कर आपी की चूत पर हाथ रखा और कहा- “वो भी डायरेक्ट यहाँ मुँह लगा के”

आपी ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और नर्मी से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी टाँगों के बीच से हटाते हुए कहा- “अच्छा बस सगीर! अब बहुत देर हो गई है। फरहान मुझे कोई कपड़ा दो ताकि मैं अपने पेट से ये गंदगी साफ करूँ”

फरहान कपड़ा लेने के लिए उठ रहा था कि मैंने और आपी ने एक साथ ही देखा कि मेरे लण्ड के जूस के बहुत से क़तरे फरहान के सिर पर गिरे हुए थे और मुझसे पहले ही आपी बोल पड़ीं- “और अपना सिर भी साफ कर लेना, वहाँ भी सारी गंदगी लगी है”

फरहान ने बेसाख्ता अपने सिर पर हाथ फेरा तो उसके हाथ पर भी मेरे लण्ड का जूस लग गया। फरहान ने अपने हाथ को देखा और फिर आपी की आँखों में देखते हुए ज़ुबान निकाल कर चाटते हुए बोला- “उम्म्म.. आपी आप भी चख कर तो देखतीं, इतना बुरा नहीं है”

“आहह…. डिज़्गस्टिंग फरहान, तुम तो इसको अपने सिर पर ही सज़ा रहने दो, ताज समझ कर। अच्छा अब जाओ, कोई कपड़ा ला कर दो” -आपी ने फरहान से कहा और अपनी क़मीज़-सलवार, ब्रा वगैरह इकठ्ठे करने लगीं, जो इधर-उधर बिखड़े पड़े थे।

फरहान अपनी ही एक शर्ट लेकर आया और खुद ही आपी के बदन को साफ करने लगा। अच्छी तरह साफ करने के बाद फरहान ने आपी के पेट को चूमा ही था कि आपी ने उसे पीछे करते हुए कहा- “नहीं फरहान! अब बस, मैंने जाना है बहुत देर हो गई है”

आपी ने क़मीज़ पहनने के लिए अपने हाथ फैलाए ही थे कि मैंने आगे बढ़ कर आपी को अपने बाजुओं में जकड़ा और एक जोरदार किस करने के बाद कहा- “आपी आज का दिन हमारी ज़िंदगी का हसीन-तरीन दिन था और मुझे खुशी इस बात की है कि मैंने आपके जिस्म के एक-एक मिलीमीटर को चूमा है और अपनी ज़ुबान से चखा है। आई रियली लव यू”

आपी ने मुस्कुरा का मुहब्बतपाश नजरों से मुझे देखा और अब उन्होंने आगे बढ़ कर मेरे होंठों को चूमा और कहा- “लव यू टू सगीर” और फिर मेरे गाल को चुटकी में पकड़ के खींचते हुए बोलीं- “मेरा राजा भाई... उम्म्म्ममाअहह”

“आअप्प्प्पीईईईईई फिर वो हीई”

आपी मुझे देख कर खिलखिला कर हँसी और अपने कपड़े पहनने लगीं। मैं और फरहान आपी को ड्रेसअप होते देखते रहे। इसके बाद आपी ने हमें शब-आ-खैर कहा और कमरे से चली गईं।

आपी के बाद मैंने मुस्कुराते हुए फरहान को देखा और कहा- “मज़ा आया आज मेरे छोटू को?”

फरहान खुशी से खिलखिला कर बोला- “बहुत ज्यादा भाई, मैं तो बस ख्वाब ही देखता था। मुझे यक़ीन नहीं था कि मैं कभी किसी लड़की के मम्मे और चूत देख भी सकूँगा लेकिन आप की वजह से देखना तो दूर की बात मैंने मम्मों को चूस भी लिया और चूत को भी चाट लिया वो भी अपनी हसीन आपी को”

मैंने मुस्कुरा कर शैतानी अंदाज़ में कहा- “मेरे भाई बस तुम सबर करो और देखते जाओ कि आगे क्या-क्या दिखाता हूँ तुम्हें”

मैं अपने तमाम दोस्तों, जो इस स्टोरी को पढ़ रहे हैं, को भी कहता हूँ कि बस थोड़ा सबर करो कि मैं लिख लिया करूँ फिर आगे आगे देखो मैं क्या क्या पढ़ाता हूँ।

मेरी बात सुन कर फरहान बहुत खुश हुआ और कुछ याद आने पर एकदम चौंकता हुआ बोला- “भाई कुछ करें ना ताकि हनी भी हमारे साथ शामिल हो जाए। जब मैं हनी के साथ नानी के घर गया था ना तो भाई… तो भाई… मैंने उस वक़्त गौर किया था। हनी के सीने के उभार भी अब बहुत प्यारे हो गए हैं”

मैंने मुस्कुरा कर फरहान को देखा और कहा- “तुम फ़िक्र ना करो, बस अपना दिमाग मत लगाना। जो मैं कहूँ वो ही करना बाक़ी सब मुझ पर छोड़ दो और चलो अब सो जाओ सुबह तुम्हें स्कूल भी जाना है”

हम दोनों ही बिस्तर पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगे।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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#82
Heart 
सुबह मैं देर से ही उठा था। फ्रेश होकर नीचे नाश्ते के लिए पहुँचा तो सब नाश्ता करके जा चुके थे। मैंने भी नाश्ता किया और कॉलेज को चल दिया। वापसी पर भी आम सी ही रुटीन रही कोई ऐसी खास बात नहीं हुई जो मैं यहाँ आपको बता सकूँ।

रात के 11 बजे थे मैं और फरहान दोनों आपी का इन्तजार करते हुए इधर-उधर की बातें करते अपना टाइम काट रहे थे। उसी वक्त दरवाज़ा खुला और आपी अन्दर दाखिल हुईं।

आपी को देखते ही फरहान और मैंने बेड से जंप की और उनकी तरफ बढ़े। आपी ने अपने दोनों हाथों को सामने लाकर हमें रोकते हुए कहा- “आराम से… आराम से… जंगली ही हो दोनों”

मैंने आपी की बात जैसे सुनी ही नहीं और उन्हें अपने बाजुओं में जकड़ कर होंठों पर होंठ रख दिए। आपी ने भी किस का मुकम्मल रिस्पोन्स दिया और भरपूर अंदाज़ में मेरी ज़ुबान और होंठों को चूसने के बाद पीछे हट गईं और अपनी क़मीज़ उतारने लगीं। क़मीज़ के नीचे आपी ने कुछ नहीं पहना था और क़मीज़ के उतरते ही उनके खूबसूरत गुलाबी निप्पल मेरी नजरों के सामने आ गए। आपी क़मीज़ उतार कर सीधी खड़ी हुई ही थीं कि मैंने फिर उनकी तरफ क़दम बढ़ाया तो उन्होंने मुझे रोक दिया।

“नहीं सगीर... तुम पीछे रहो” -और फरहान की तरफ अपने बाजुओं को खोला जैसे उससे गले लगाने के लिए बुला रही हों और फरहान को देखते हुए मुस्कुरा कर बोलीं- “आज मेरे छोटे भाई की बारी है। आ जाओ फरहान!”

फरहान यह सुन कर खुशी से झूम उठा और भागते हुए आकर आपी से लिपट गया। मैंने मुस्कुरा कर उन दोनों को देखा और पीछे हट कर वहाँ सोफे पर बैठ गया जहाँ बैठ कर आपी हमारा शो देखा करती थीं। फरहान ने आपी के बदन को अपने बाजुओं में भरा और उनके होंठों को जंगली अंदाज़ में चूसने लगा।

यह पहली बार था कि फरहान आपी के साथ अकले में कुछ कर रहा था इसलिए उसके अंदाज़ में बहुत दीवानगी थी। आपी भी उसी के अंदाज़ में उसका मुकम्मल साथ दे रही थीं। फरहान और आपी कुछ देर एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। होंठों को एक-दूसरे से चिपकाए हुए ही आपी ने अपने हाथ नीचे किए और फरहान की शर्ट को अपने हाथों से ऊपर उठाने लगीं।

फरहान थोड़ा पीछे हुआ और आपी ने उसकी शर्ट को सिर से और हाथों से निकाल कर दूर फेंक दी। फरहान ने आगे बढ़ कर फिर अपने होंठ आपी की गर्दन पर रख दिए और आपी की गर्दन को चूमने और चाटने लगा। आपी ने अपने सिर को पीछे की जानिब ढुलका दिया और फरहान की नंगी कमर पर अपने हाथ फेरने लगीं। फरहान ने अपने हाथों को नीचे किया और आपी की सलवार में हाथ फँसा कर नीचे को झटका दिया और मुझे ये देख कर हैरत का झटका लगा कि आपी ने बजाए उसे रोकने के खुद ही अपने हाथों से अपनी सलवार को नीचे किया और अपनी टाँगों से निकाल दी।

आपी की नंगी गुलाबी रानें और उनके खूबसूरत बिल्कुल गोल कूल्हे मेरी नजरों के सामने आए तो मैंने बे इख्तियार ही अपने लण्ड को पकड़ कर झंझोड़ा और अपने कपड़े उतार फैंके। फरहान ने आपी की नंगी कमर को सहलाते हुए अपने हाथ थोड़े नीचे किए और आपी के दोनों कूल्हों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर पूरी ताक़त से एक-दूसरे से अलहदा कर दिया। जैसे कि वो दोनों कूल्हों को बीच से चीर देना चाहता हो और इसके साथ-साथ ही उसने गर्दन से नीचे आकर आपी के एक उभार को अपने मुँह में भरा और अपने दाँत आपी के उभार में गड़ा दिए।

आपी के चेहरे पर शदीद तक़लीफ़ के आसार नज़र आए और उनके मुँह से एक कराह निकली- “आऐईयईई… ईईईईई... उफ… फफ्फ़… फरहान थोड़ा आराम से... जंगली ही हो जाते हो... मैं कहीं भागी... तो नहीं जा... रही नाआअ...”

आपी की बात सुन कर फरहान ऐसे चौंका जैसे उसे पता ही नहीं हो कि वो क्या कर रहा था और अभी ही होश में आया हो। फरहान ने आपी का उभार मुँह से निकाला तो आपी ने फरहान को थोड़ा पीछे हटाया और कहा- “बिस्तर पर चलो, मैं इतनी देर खड़ी नहीं रह सकती”

यह कह कर आपी बिस्तर की तरफ बढ़ीं और अपनी टाँगें नीचे लटका कर बिस्तर पर अधलेटी सी हो गईं। फरहान ने अपना ट्राउज़र उतारा और आपी के ऊपर लेट कर उनके सीने के उभारों को चूसने लगा। आपी फिर से फरहान की कमर को सहलाने लगीं।

कुछ देर आपी के मम्मे चूसने के बाद फरहान ने आपी के पेट को चाटा और अपनी ज़ुबान से आपी की नफ़ का मसाज करने लगा। फरहान थोड़ा और नीचे हुआ और ज़मीन पर बैठ कर अपनी ज़ुबान आपी के टाँगों के दरमियान वाली जगह पर रख दी।

आपी ने फरहान की ज़ुबान को अपनी चूत पर महसूस किया तो उनके मुँह से एक ‘आआहह..’ खारिज हुई और बेसाख्ता ही आपी ने अपनी टाँगों को थोड़ा और खोल कर घुटनों को मोड़ते हुए अपने पाँव बिस्तर पर रख लिए।

अपनी आँखें बंद करके आपी अपने दोनों हाथ फरहान के सिर पर रख कर अपनी चूत फरहान के मुँह पर दबाने लगीं। फरहान ने आपी की चूत को चूसते हुए अपने दोनों हाथ आपी के कूल्हों के नीचे रखे और कूल्हों को थोड़ा सा उठा कर आपी की गाण्ड के सुराख को चूमा।

जैसे ही फरहान के होंठ आपी के पिछले सुराख से टच हुए आपी के मुँह से एक ज़ोरदार सिसकी निकली और उन्होंने अपनी आँखें खोल कर सिर थोड़ा उठाया और फरहान को देखते हुए कहा- “हन्ंन ननणणन् फरहान… हन्णन्न्... यहाँ ही... आहह… चाटो उसे… अपनी ज़ुबान टच करो यहाँ... उफ़फ्फ़”

आपी ने अपनी गाण्ड को मज़ीद ऊपर की तरफ झटका दिया और फरहान के सिर को ज़ोर से नीचे की तरफ अपनी गाण्ड के सुराख पर दबाया।

दो-तीन ज़ोरदार झटके मारने के बाद आपी ने अपना सिर पीछे बिस्तर पर पटका और गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा। फरहान ने आपी की चूत को चूसते हुए आपी की गाण्ड के सुराख को चूमा।

मैं उन दोनों को देखते हुए अपना लण्ड आहिस्ता आहिस्ता सहला रहा था। आपी को अपनी तरफ देखता पाकर मैंने उनकी आँखों में देखा। आपी की आँखें नशीली हो रही थीं और लाल डोरे आँखों को मज़ीद खूबसूरत बना रहे थे। आपी कुछ देर मेरी आँखों में आँखें डाले देखती रहीं और मीठी-मीठी सिसकारियाँ भरती रहीं फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों को उठाया और हाथ फैला कर अपनी गर्दन और हाथों को ऐसे हिलाया जैसे मुझे गले लगाने के लिए बुला रही हों।

मैं कुछ देर ऐसे ही बैठा रहा और आपी भी अपने हाथ फैलाए मुझे मुहब्बत और हवस भरी नजरों से देखती रहीं। कुछ देर बाद उन्होंने फिर इशारा किया और अपने होंठों को किस करने के अंदाज़ में सिकोड़ कर मुस्कुरा दीं। मैंने भी आपी को मुस्कुरा कर देखा और सिर झटकते हुए खड़ा होकर आपी की जानिब बढ़ा। आपी के सिर के पास बैठ कर मैंने उनके होंठों पर एक भरपूर चुम्मी की और फिर उनके सीने के उभारों को चाटने और निप्पलों को चूसने लगा।

मैं आपी के निप्पल को चूस ही रहा था कि मुझे हैरत और लज़्ज़त का एक और झटका लगा, आपी ने आज पहली बार खुद से मेरे बिना कहे हुए मेरे लण्ड को पकड़ा था। मैंने आपी के निप्पल को छोड़ा और हैरानी की कैफियत में आपी के चेहरे को देखा तो आपी ने शर्मा के मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं और अपना चेहरा साइड पर कर लिया। मैं कुछ देर ऐसे ही आपी के शर्म से लाल हुए चेहरे पर नज़र जमाए रहा।

आपी की आँखें बंद थीं लेकिन वो मेरी नजरों की हिद्दत को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थीं।

उन्होंने एक लम्हें को आँख खोल कर मेरी आँखों में देखा और फिर से अपनी आँखों को भींचते हुए शर्मा कर बोलीं- “सगीर क्या है? ऐसे मत देखो ना…आआ... वरना मैं छोड़ दूँगी... इसको... इसको”

यह कहते वक़्त आपी ने मेरे लण्ड को ज़ोर से अपनी मुट्ठी में दबाया। मैंने मुस्कुरा कर आपी को देखा और फिर फरहान पर नज़र डाली।

फरहान आपी की गाण्ड के सुराख को चाटने और चूसने में लगा था तो मैंने आगे होकर आपी की चूत पर अपना मुँह रख दिया और आपी की चूत के दाने को मुँह में भर कर अपनी पूरी ताक़त से चूसने लगा। आपी मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर कभी दबाती थीं तो कभी अपनी गिरफ्त लूज कर देती थीं। अब हमारी पोजीशन कुछ 69 जैसी ही थी, मेरा लण्ड आपी के मुँह से चंद इंच ही दूर था और मैं अपनी बहन की गर्म-गर्म साँसों को अपने लण्ड और अपने टट्टों पर महसूस कर रहा था।

मेरा बहुत शिद्दत से दिल चाहा था कि आपी मेरे लण्ड को अपने मुँह में लें लेकिन मैं जानता था कि वो अभी इसके लिए राज़ी नहीं होंगी। मैंने अपना चेहरा नीचे किया और अपनी ज़ुबान निकाल कर आपी की चूत को चाटने के लिए क़रीब हुआ ही था कि आपी की चूत से उठती मधुर, मदहोश कर देने वाली खुश्बू का झोंका मेरी नाक से टकराया।

अपनी बहन की चूत से उठती यह महक मुझ पर जादू सा कर देती थी और मेरा दिल चाहता था कि ये लम्हात ऐसे ही रुक जाएँ और मैं बस अपनी बहन की टाँगों में सिर दिए, अपनी आँखें बंद किए बस उनकी चूत की खुश्बू में ही खोया रहूँ। आप में से बहुत से लोगों को यह बात शायद अच्छी ना लगे और वो सोचेंगे कि मैं क्या गंदी बातें लिखता हूँ लेकिन मैं वाकयी ही आप लोगों को सच बता रहा हूँ।

अजीब सा जादू था मेरी बहन की चूत की खुश्बू में जो मैं लफ्जों में कभी भी बयान नहीं कर सकता। मैंने कुछ देर लंबी-लंबी साँसें नाक से अन्दर खींची और आपी की चूत की खुश्बू को अपने अन्दर बसा कर मैंने अपनी ज़ुबान से आपी की चूत को पूरा चाट लिया। 

उनकी चूत पर एक किस करने के बाद आपी की चूत की पूरी लंबाई को, आपी की चूत के दोनों लबों को समेट कर अपने होंठों में दबा लिया और अपनी पूरी ताक़त से चूत को चूसने लगा।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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#83
आपी की चूत की दीवारों से रिसता उनका जूस मेरे मुँह में आने लगा और मैंने उसे क़तरा-क़तरा ही अपने हलक़ में उड़ेल लिया। कुछ देर इसी तरह आपी की चूत को चूसने के बाद मैंने उनकी चूत के दाने को चूसते हुए अपनी ऊँगलियों से आपी की चूत के दोनों पर्दों को खोला और एक ऊँगली चूत की लकीर में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर फेरना शुरू कर दी।

आपी की हालत अब बहुत खराब हो चुकी थी। उन्हें दीन-दुनिया की कोई खबर नहीं रही थी, उनकी चूत और गाण्ड का सुराख उनके दोनों सगे भाईयों के मुँह में थे।

आप अंदाज़ा कर ही सकते हैं। ज़रा सोचें कि आपकी सग़ी बहन ऐसे लेटी हो और उसकी गाण्ड और चूत का सुराख उसके सगे भाइयों के मुँह में हो तो क्या हालत होगी आपकी बहन की। बस कुछ ऐसी ही हालत आपी की भी थी।

आपी की चूत बहुत गीली हो चुकी थी। मैंने आपी की चूत के दाने को अपने मुँह से निकाला और अपनी ऊँगली पर लगा हुआ आपी का जूस चाट कर अपनी ऊँगली चूस ली। फिर अपनी उंगली को आपी की चूत के सुराख पर रखा और हल्का सा दबाव दिया तो मेरी उंगली क़रीब एक इंच तक अन्दर दाखिल हो गई।
उसी वक़्त आपी ने तड़फ कर आँखें खोलीं जैसे कि होश में आई हों।

वे बोलीं- “नहीं सगीर प्लीज़... अन्दर नहीं डालो… जो भी करना है... बस बाहर-बाहर से ही करो ना”

“कुछ नहीं होता आपी... मैं ज्यादा अन्दर नहीं डालूंगा... अगर ज्यादा अन्दर डालूं... तो आप उठ जाना... प्रॉमिस कुछ नहीं होगा”

मैंने यह कह कर फिर से आपी की चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया और अपनी फिंगर को आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर-बाहर करने लगा।

लेकिन मैं इस बात का ख्याल रख रहा था कि उंगली ज्यादा अन्दर ना जाए। आपी ने कुछ देर तक आँखें खुली रखीं और अलर्ट रहीं कि अगर उंगली ज्यादा अन्दर जाने लगे तो वो उठ जाएँ। लेकिन आपी ने यह देखा कि मैं ज्यादा अन्दर नहीं कर रहा हूँ तो फिर से अपना सिर बेड पर टिका दिया और फिर खुद बा खुद ही उनकी आँखें भी बंद हो गईं।

मैं आपी की चूत का दाना चूसते हुए अपनी ऊँगली को चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था। आपी की चूत किसी तंदूर की तरह गरम थी।

मैंने काफ़ी सुना और पढ़ा था कि चूत बहुत गरम होती है लेकिन मैं यह ही समझता था कि गरम से मुराद सेक्स की तलब से है लेकिन आज अपनी बहन की चूत को अन्दर से महसूस करके मुझे पहली बार पता चला था कि चूत हक़ीक़त में ही ऐसी गर्म होती है कि बाकायदा उंगली पर जलन होने लगी थी।

आपी की चूत अन्दर से बहुत ज्यादा नरम भी थी जैसे कोई मखमली चीज़ हो। मैं अपनी बहन की चूत में उंगली अन्दर-बाहर करता हुआ सोचने लगा कि जब मेरा लण्ड यहाँ जाएगा तो कैसा महसूस होगा। पता नहीं मेरा लण्ड ये गर्मी बर्दाश्त कर पाएगा या नहीं।

आपी भी अब बहुत एग्ज़ाइटेड हो चुकी थीं और उनका हाथ मेरे लण्ड पर बहुत तेजी से हरकत करने लगा था, कभी वो अपनी मुट्ठी मेरे लण्ड पर आगे-पीछे करने लगती थीं तो कभी लण्ड को भींच-भींच कर दबाने लगतीं। कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि अब मैं डिसचार्ज होने लगा हूँ तो मैंने एक झटके से आपी का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड से हटा दिया क्योंकि मैं अभी डिसचार्ज नहीं होना चाहता था।

फरहान अभी भी आपी की गाण्ड के सुराख पर ही बिजी था। मैंने उसके सिर पर एक चपत लगाई और उससे ऊपर आने का इशारा किया और खुद उठ कर बैठ गया। फरहान मेरी जगह पर आ कर बैठा तो मैंने साइड पर होते हो आपी का हाथ पकड़ कर फरहान के लण्ड पर रखा और खुद उठ कर आपी की टाँगों के बीच में आ बैठा।

फरहान ने आपी के हाथ को अपने लण्ड पर महसूस करते ही एक ‘आहह..’ भरी और बोला- “आअहह… आपी जी... आप का हाथ बहुत नर्म है”

यह कह कर आपी के होंठों को चूसने लगा मैंने फिर से अपनी उंगली को आपी की चूत में डाला और उनकी गाण्ड के सुराख को चाटते चूसते हुए अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करने लगा।

कुछ देर बाद मैंने गैर महसूस तरीक़े से अपनी दूसरी उंगली भी पहली उंगली के साथ रखी और आहिस्ता-आहिस्ता उससे भी अन्दर दबाने लगा।

लेकिन मैं इस बात का ख़याल रख रहा था कि आपी को पता ना चले। आपी की चूत बहुत गीली और चिकनी हो रही थी। मैंने कुछ देर बाद थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो मेरी दूसरी ऊँगली भी आपी की चूत में दाखिल हो गई।

उसी वक़्त आपी के मुँह से एक सिसकारी निकली और वो बोलीं- “उफ्फ़... सगीर… नहीं प्लीज़... बहुत दर्द हो रहा है... दूसरी उंगली निकाल लो… एक ही ऊँगली से करो न!”

मैंने चंद लम्हों के लिए अपनी ऊँगलियों को हरकत देना बंद कर दी और आपी से कहा- “बस आपी... अब तो अन्दर चली गई है... कुछ सेकेंड में दर्द खत्म हो जाएगा... अगर दर्द नहीं खत्म हुआ तो मैं बाहर निकाल लूँगा”

मेरी बात के जवाब में आपी ने कुछ नहीं कहा और बस सिसकारियाँ लेने लगीं।

आपी ने दर्द की वजह से फरहान के लंड से भी हाथ हटा लिया था मैंने अपनी उंगलियों को सख्त रखते हुए फरहान को इशारा किया कि वो आपी का हाथ अपने लण्ड पर रखवाए और उनके सीने के उभार चूसे।

और मैंने खुद आपी की चूत के दाने को मुँह में ले लिया ताकि उनके दर्द का अहसास खत्म हो जाए।

चंद ही लम्हों बाद आपी ने अपना हाथ फरहान के लण्ड पर चलाना शुरू कर दिया और अपनी गाण्ड को थोड़ा सा उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाने लगीं..

जिससे मैं समझ गया कि अब आपी के दर्द का अहसास कम हो गया है।

फिर मैंने भी अपनी उंगलियों को हरकत देना शुरू कर दी। कुछ ही देर में मेरी दोनों उंगलियाँ बहुत आराम से अन्दर-बाहर होने लगीं।

कुछ देर बाद मैंने अपनी उंगलियों को तेजी से अन्दर-बाहर करना शुरू किया जिसकी वजह से मैं ये कंट्रोल नहीं कर पा रहा था कि उंगली एक इंच से ज्यादा अन्दर ना जाए और हर 3-4 स्ट्रोक में उंगलियाँ थोड़ा सा और गहराई में चली जातीं। जिससे आपी के मुँह से तक़लीफ़ भरी ‘आह..’ खारिज हो जाती।

इसी तेजी-तेजी में मैंने एक बार ज़रा ताक़त से उंगलियों को थोड़ा और गहराई में दबाया तो आपी के मुँह से एक चीखनुमा सिसकी निकली- “आआईयई... ईईईईई... सगीर... कहा है ना... आराम-आराम से करो... लेकिन तुम लोग जंगली ही हो जाते हो... हम ये सब मज़ा लेने के लिए कर रहे हैं... लेकिन इससे मज़ा नहीं... तक़लीफ़ होती है नाआ”

“अच्छा अच्छा... अब आराम से करूँगा... कसम से बस... मैं अपनी बहन को तक़लीफ़ नहीं दे सकता… बस गलती से हो गया था... प्लीज़ सॉरी आपी”

मैंने फिर से उंगलियों की हरकत को कुछ देर रोकने के बाद आहिस्ता आहिस्ता हरकत देनी शुरू कर दी।

चूत भी अजीब ही चीज़ है। इसमें इतनी लचक होती है कि आज तक इस दुनिया के साइन्सदान इस दर्जे की लचक किसी चीज़ में नहीं पैदा कर सके हैं।

कुछ ही देर में आपी का जिस्म अकड़ना शुरू हो गया और आपी के हाथ की हरकत फरहान के लण्ड पर बहुत तेज हो गई। मुझे अंदाज़ा हो गया था कि आपी की चूत अपना रस बहाने को तैयार है। मैंने आपी की चूत के दाने को अपने दाँतों में पकड़ा और उंगलियों को तेज-तेज अन्दर-बाहर करने लगा.. लेकिन इस बात का ख़याल रखा कि उंगलियाँ ज्यादा गहराई में ना जाने पाएं।

आपी का जिस्म अकड़ गया था और उन्होंने अपने कूल्हे बेड से उठा लिए और फरहान के लण्ड को पूरी ताक़त से अपनी तरफ खींच लिया।

उसी वक़्त फरहान के मुँह से ‘आहह..’ निकली और उसके लण्ड का जूस आपी के पेट पर गिरने लगा। बस 4-5 सेकेंड बाद ही आपी भी अपनी मंज़िल पर पहुँच गईं और उनकी चूत मेरी उंगलियों को भींचने लगीं।

अजीब ही हरकत थी चूत की, कभी मेरी उंगलियों को मज़बूती से भींच लेती थी तो अचानक ही चूत की ग्रिप लूज हो जाती और अगले ही लम्हें फिर भींचने लगती।

इस तरह 4-5 झटके खाने के बाद आपी भी पुरसुकून हो गईं और मैंने अपनी उंगलियाँ आपी की चूत से बाहर निकालीं और उनकी चूत को चाटने और चूसने के बाद खड़ा हो गया। मैंने आपी पर नज़र डाली तो उनका चेहरा बहुत पुरसुकून नज़र आया। जैसे कि वो पता नहीं कितनी लंबी मुसाफत तय करके मंज़िल तक पहुँची हों।

आपी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर उठ बैठीं और कहा- “ऊओ... मेरा शहज़ादे भाई का ‘वो’ तो अभी तक फुल जोश में ही है”

आपी ने एक नज़र मेरे सीधे खड़े लण्ड पर डाली और फिर फरहान की तरफ देख कर बोलीं- “फरहान उठो… सगीर का ‘वो’ चूसो... आज बहुत दिन हो गए हैं मैंने तुम लोगों को ये करते नहीं देखा”

मैंने आपी की बात सुनी तो वहीं खड़ा हो गया और मुस्कुरा कर आपी को देखते हुए कहा- “‘वो’ क्या आपी… नाम लेकर बोलो ना?”

आपी ने शर्मा कर मुझसे नज़र चुराईं और बोलीं- “ज्यादा बकवास नहीं करो... कह दिया मैंने... जो कहना था”

फिर उन्होंने फरहान को देख कर कहा- “उठो ना जाओ सगीर के पास”

फरहान आ कर मेरी टाँगों में बैठा तो मैंने उससे रोकते हुए आपी को देखा और बोला- “आपी प्लीज़ यार... बोलो ना... मज़ा आएगा ना सुन कर... अब बोलने में भी क्या शर्मा रही हो”

आपी कुछ देर रुकीं और फिर मुस्कुरा कर बोलीं- “अच्छा बाबा... फरहान चलो सगीर का लण्ड चूसो… अपने बड़े भाई का लण्ड चूसो”

और यह कह कर वे हँसने लगीं। यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं थी लेकिन पता नहीं क्यूँ आपी के मुँह से ‘लण्ड’ लफ्ज़ सुन कर बहुत मज़ा आया और लण्ड को एक झटका सा लगा। फरहान ने मेरे लण्ड को अपने दोनों हाथों में पकड़ा और एक बार ज़ुबान पूरे लण्ड पर फेरने के बाद उसे अपने मुँह में भर लिया लेकिन सच यह है कि अब फरहान के चूसने से इतना मज़ा भी नहीं आ रहा था कि जितना अपनी बहन के हाथ में पकड़ने से ही आ जाता था।

मैंने आपी की तरफ देखा वो बिस्तर पर बैठी थीं उन्होंने अपने दोनों घुटने मोड़ करके अपने सीने से लगाए हुए थे और अपने घुटनों से बाज़ू लपेट कर अपना चेहरा घुटनों पर टिका दिया था। आपी की दोनों टाँगों के दरमियान से उनकी क्यूट सी गुलाबी चूत नज़र आ रही थी।

आपी की नज़र मुझसे मिली तो मैंने आपी को आँख मारी और कहा- “आपी अगर फरहान की जगह आप का मुँह होता तो क्या ही बात थी”

आपी ने बुरा सा मुँह बनाया और हाथ से मक्खी उड़ाने के अंदाज़ में कहा- “हट.. चल गंदे.. मैं ऐसा कभी नहीं करने वाली”

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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#84
(06-03-2024, 09:40 AM)KHANSAGEER Wrote:
मैंने अपना लण्ड उनके कूल्हों से ज़रा पीछे किया और आपी का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। आपी को जब अहसास हुआ कि उनके हाथ में मेरा लण्ड है तो फ़ौरन ही उन्होंने अपना हाथ पीछे खींच लिया। मैंने दोबारा इसकी कोशिश नहीं की और आपी के कन्धों का पिछला हिस्सा अपनी ज़ुबान से चाटने लगा।

कंधों के बाद पूरी कमर को चाटता हुआ मैं नीचे बैठ गया और आपी के कूल्हों की गोलाइयाँ चूमते और चूसते हुए अपनी ज़ुबान से भी मसाज सी करता रहा। पूरी तरह कूल्हों को चाटने के बाद मैंने अपने दोनों हाथ आपी के कूल्हों पर रखे और उनके कूल्हों को खोल कर आपी की गाण्ड के सुराख को गौर से देखना शुरू कर दिया।

आपी की गाण्ड का सुराख बाक़ी जिस्म की तरह गुलाबी नहीं था बल्कि भूरे रंग का था और बहुत सी उभरी-उभरी सी गोश्त की लकीरें अन्दर सुराख में जाती दिख रही थीं जो ऐसे थीं जैसे किसी कुँए पर चुन्नटों का जाल सा बुन दिया गया हो।

मैंने आपी की गांड के सुराख को कुछ देर बा गौर देखा और फिर आगे होते हुए आहिस्तगी से अपनी ज़ुबान की नोक को सुराख के बिल्कुल सेंटर में टच कर दिया।

आपी ने मेरी ज़ुबान को अपनी गाण्ड के सुराख पर महसूस करते ही एक झुरजुरी सी ली और मज़े की एक शदीद लहर आपी के बदन में सिहरन कर गई।

वो बेसाख्ता ही अपने ऊपरी जिस्म को आगे की तरफ झुकाते हुए बोलीं- “आआहह सगीर! ये क्या कर रहे हो?”

‘म्म्म्म म्मम..’ मैंने गाण्ड के सुराख को चाटने के साथ-साथ अपनी ज़ुबान ऊपर से नीचे और फिर नीचे से ऊपर पूरी दरार में फेरना शुरू कर दी।

आपी के बेसाख्ता अंदाज़ ने मुझे समझा दिया था कि उन्हें गाण्ड का सुराख चटवाने में बहुत मज़ा आ रहा है।

आपी के आगे झुकने की वजह से मेरा काम ज्यादा आसान हो गया था और मेरी ज़ुबान आपी की पूरी दरार में आसानी से घूम रही थी।

फरहान आपी की चूत को चूसने में लगा था और मैं आपी की गाण्ड के सुराख को चाट रहा था। आपी की हालत अब बहुत खराब हो रही थी और वो अपने सिर को राईट-लेफ्ट झटके देते हुए दबी-दबी आवाज़ में ‘आहें...’ भर रही थीं।

मेरे जेहन में ये आया कि यही टाइम है कि अब मैं दोबारा ट्राई करूँ। इस सोच के आते ही मैं उठा और आपी के सामने आकर उनको सीधा करते हुए आपी के होंठों को अपने होंठों में दबाया और एक हाथ में आपी का हाथ पकड़ते हुए दूसरे हाथ से उनके सीने के उभार दबाने लगा।

मैंने चंद लम्हें ऐसे ही आपी का हाथ थामे रखा और फिर आहिस्तगी से उनका हाथ दोबारा अपने लण्ड पर रख दिया। आपी ने फिर हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन मैंने उनके हाथ को मजबूती से अपने लण्ड पर ही दबाए रखा। कुछ देर तक आपी ने कोई रिस्पोन्स नहीं दिया और फिर आहिस्ता-आहिस्ता मेरे लण्ड को अपनी मुठ में दबाने लगीं। वो कभी लण्ड को भींच रही थीं तो कभी अपना हाथ लूज कर देतीं।

मैंने ये महसूस किया तो आपी के हाथ से अपना हाथ हटा लिया और उनकी गर्दन को पुश्त से पकड़ कर किस करने लगा। मेरे हाथ हटाने के बावजूद भी आपी ने मेरे लण्ड को नहीं छोड़ा था और नर्मी से लंबाई नापने के अंदाज़ में उस पर अपना हाथ फेरने लगीं। मैंने दोबारा अपना हाथ आपी के हाथ पर रखा और उनके हाथ की मुठी बना कर अपने लण्ड पर ऊपर-नीचे की और 3-4 मूव्स के बाद अपना हाथ हटा लिया और अब आपी खुद ही अपना हाथ मेरे आगे-पीछे करने लगीं।

मैंने एक नज़र फरहान को देखा तो वो अभी भी आपी की चूत ही चूस रहा था और थोड़ी-थोड़ी देर बाद ऐसे ज़ोर लगाता था जैसे खुद ही आपी की चूत में घुसना चाह रहा हो। उसका हाथ अपने लण्ड पर तेजी से आगे-पीछे हो रहा था।
आपी का जिस्म अकड़ना शुरू हुआ तो फ़ौरन मुझे याद आ गया कि कैसे डिसचार्ज होते वक़्त आपी की चूत मेरी ज़ुबान को भींचने लगी थी। अब फरहान की ज़ुबान भी इस मज़े को महसूस करने वाली है।

आपी को डिस्चार्ज होने के क़रीब देखा तो मैंने ज़ोर से उनके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और आपी के निप्पल्स को चुटकियों में मसलने लगा। मेरे लण्ड पर आपी का हाथ बहुत तेज-तेज चलने लगा था और उनकी साँसें बहुत तेज हो गई थीं। मेरी बर्दाश्त जवाब दे रही थी और एकदम ही मेरे लण्ड ने झटका मारा और मेरे लण्ड से जूस निकल-निकल कर आपी के पेट पर चिपकने लगा। आपी ने भी मेरे लण्ड के पानी को महसूस कर लिया था और फ़ौरन ही उनके जिस्म ने भी झटके खाए और वे अपनी चूत का पानी फरहान के मुँह में भरने लगीं।

हम तीनों ही अपनी मंज़िल तक पहुँच चुके थे।

जब हम एक-दूसरे से अलग हुए और आपी की नज़र अपने पेट पर पड़ी जहाँ मेरे लण्ड का गाढ़ा सफ़ेद पानी चिपका हुआ था। आपी की पूरी नफ़ मेरे लण्ड के जूस से भरी हुई थी।

“ओह्ह... अएवव... ये क्या गंदगी की है तुमने… गंदे” -आपी ने ये कहा और अपनी ऊँगली अपनी नफ़ में डाल कर घूमते हुए मेरे लण्ड का पानी अपनी ऊँगली की नोक पर निकाल लिया।

वो चंद लम्हें रुकीं और फिर अपनी ऊँगली को चेहरे के क़रीब ले जाकर गौर से देखने लगीं। मैंने आपी को इस तरह मेरे लण्ड के जूस को देखते देखा तो मुस्कुराते हुए आपी को आँख मारी और कहा- “शर्मा क्यों रही हो आपी, आगे बढ़ो, बहुत मज़े का ज़ायक़ा है इसका”

आपी ने मेरी बात सुनी तो झेंपती हँसी के साथ कहा- “शट अप्प्प सगीर! मैं सिर्फ़ क़रीब से देखना चाहती थी। तुम्हारी तरह गंदी नहीं हूँ”

मैंने कहा- “उस वक़्त तो आपको बुरा नहीं लग रहा था जब मैं आप की चूत का रस पी रहा था” यह कहते हुए मैंने आगे बढ़ कर आपी की चूत पर हाथ रखा और कहा- “वो भी डायरेक्ट यहाँ मुँह लगा के”

आपी ने मुस्कुरा कर मुझे देखा और नर्मी से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी टाँगों के बीच से हटाते हुए कहा- “अच्छा बस सगीर! अब बहुत देर हो गई है। फरहान मुझे कोई कपड़ा दो ताकि मैं अपने पेट से ये गंदगी साफ करूँ”

फरहान कपड़ा लेने के लिए उठ रहा था कि मैंने और आपी ने एक साथ ही देखा कि मेरे लण्ड के जूस के बहुत से क़तरे फरहान के सिर पर गिरे हुए थे और मुझसे पहले ही आपी बोल पड़ीं- “और अपना सिर भी साफ कर लेना, वहाँ भी सारी गंदगी लगी है”

फरहान ने बेसाख्ता अपने सिर पर हाथ फेरा तो उसके हाथ पर भी मेरे लण्ड का जूस लग गया। फरहान ने अपने हाथ को देखा और फिर आपी की आँखों में देखते हुए ज़ुबान निकाल कर चाटते हुए बोला- “उम्म्म.. आपी आप भी चख कर तो देखतीं, इतना बुरा नहीं है”

“आहह…. डिज़्गस्टिंग फरहान, तुम तो इसको अपने सिर पर ही सज़ा रहने दो, ताज समझ कर। अच्छा अब जाओ, कोई कपड़ा ला कर दो” -आपी ने फरहान से कहा और अपनी क़मीज़-सलवार, ब्रा वगैरह इकठ्ठे करने लगीं, जो इधर-उधर बिखड़े पड़े थे।

फरहान अपनी ही एक शर्ट लेकर आया और खुद ही आपी के बदन को साफ करने लगा। अच्छी तरह साफ करने के बाद फरहान ने आपी के पेट को चूमा ही था कि आपी ने उसे पीछे करते हुए कहा- “नहीं फरहान! अब बस, मैंने जाना है बहुत देर हो गई है”

आपी ने क़मीज़ पहनने के लिए अपने हाथ फैलाए ही थे कि मैंने आगे बढ़ कर आपी को अपने बाजुओं में जकड़ा और एक जोरदार किस करने के बाद कहा- “आपी आज का दिन हमारी ज़िंदगी का हसीन-तरीन दिन था और मुझे खुशी इस बात की है कि मैंने आपके जिस्म के एक-एक मिलीमीटर को चूमा है और अपनी ज़ुबान से चखा है। आई रियली लव यू”

आपी ने मुस्कुरा का मुहब्बतपाश नजरों से मुझे देखा और अब उन्होंने आगे बढ़ कर मेरे होंठों को चूमा और कहा- “लव यू टू सगीर” और फिर मेरे गाल को चुटकी में पकड़ के खींचते हुए बोलीं- “मेरा राजा भाई... उम्म्म्ममाअहह”

“आअप्प्प्पीईईईईई फिर वो हीई”

आपी मुझे देख कर खिलखिला कर हँसी और अपने कपड़े पहनने लगीं। मैं और फरहान आपी को ड्रेसअप होते देखते रहे। इसके बाद आपी ने हमें शब-आ-खैर कहा और कमरे से चली गईं।

आपी के बाद मैंने मुस्कुराते हुए फरहान को देखा और कहा- “मज़ा आया आज मेरे छोटू को?”

फरहान खुशी से खिलखिला कर बोला- “बहुत ज्यादा भाई, मैं तो बस ख्वाब ही देखता था। मुझे यक़ीन नहीं था कि मैं कभी किसी लड़की के मम्मे और चूत देख भी सकूँगा लेकिन आप की वजह से देखना तो दूर की बात मैंने मम्मों को चूस भी लिया और चूत को भी चाट लिया वो भी अपनी हसीन आपी को”

मैंने मुस्कुरा कर शैतानी अंदाज़ में कहा- “मेरे भाई बस तुम सबर करो और देखते जाओ कि आगे क्या-क्या दिखाता हूँ तुम्हें”

मैं अपने तमाम दोस्तों, जो इस स्टोरी को पढ़ रहे हैं, को भी कहता हूँ कि बस थोड़ा सबर करो कि मैं लिख लिया करूँ फिर आगे आगे देखो मैं क्या क्या पढ़ाता हूँ।

मेरी बात सुन कर फरहान बहुत खुश हुआ और कुछ याद आने पर एकदम चौंकता हुआ बोला- “भाई कुछ करें ना ताकि हनी भी हमारे साथ शामिल हो जाए। जब मैं हनी के साथ नानी के घर गया था ना तो भाई… तो भाई… मैंने उस वक़्त गौर किया था। हनी के सीने के उभार भी अब बहुत प्यारे हो गए हैं”

मैंने मुस्कुरा कर फरहान को देखा और कहा- “तुम फ़िक्र ना करो, बस अपना दिमाग मत लगाना। जो मैं कहूँ वो ही करना बाक़ी सब मुझ पर छोड़ दो और चलो अब सो जाओ सुबह तुम्हें स्कूल भी जाना है”

हम दोनों ही बिस्तर पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगे।

TO BE CONTINUED ....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#85
(07-03-2024, 09:13 AM)KHANSAGEER Wrote:
सुबह मैं देर से ही उठा था। फ्रेश होकर नीचे नाश्ते के लिए पहुँचा तो सब नाश्ता करके जा चुके थे। मैंने भी नाश्ता किया और कॉलेज को चल दिया। वापसी पर भी आम सी ही रुटीन रही कोई ऐसी खास बात नहीं हुई जो मैं यहाँ आपको बता सकूँ।

रात के 11 बजे थे मैं और फरहान दोनों आपी का इन्तजार करते हुए इधर-उधर की बातें करते अपना टाइम काट रहे थे। उसी वक्त दरवाज़ा खुला और आपी अन्दर दाखिल हुईं।

आपी को देखते ही फरहान और मैंने बेड से जंप की और उनकी तरफ बढ़े। आपी ने अपने दोनों हाथों को सामने लाकर हमें रोकते हुए कहा- “आराम से… आराम से… जंगली ही हो दोनों”

मैंने आपी की बात जैसे सुनी ही नहीं और उन्हें अपने बाजुओं में जकड़ कर होंठों पर होंठ रख दिए। आपी ने भी किस का मुकम्मल रिस्पोन्स दिया और भरपूर अंदाज़ में मेरी ज़ुबान और होंठों को चूसने के बाद पीछे हट गईं और अपनी क़मीज़ उतारने लगीं। क़मीज़ के नीचे आपी ने कुछ नहीं पहना था और क़मीज़ के उतरते ही उनके खूबसूरत गुलाबी निप्पल मेरी नजरों के सामने आ गए। आपी क़मीज़ उतार कर सीधी खड़ी हुई ही थीं कि मैंने फिर उनकी तरफ क़दम बढ़ाया तो उन्होंने मुझे रोक दिया।

“नहीं सगीर... तुम पीछे रहो” -और फरहान की तरफ अपने बाजुओं को खोला जैसे उससे गले लगाने के लिए बुला रही हों और फरहान को देखते हुए मुस्कुरा कर बोलीं- “आज मेरे छोटे भाई की बारी है। आ जाओ फरहान!”

फरहान यह सुन कर खुशी से झूम उठा और भागते हुए आकर आपी से लिपट गया। मैंने मुस्कुरा कर उन दोनों को देखा और पीछे हट कर वहाँ सोफे पर बैठ गया जहाँ बैठ कर आपी हमारा शो देखा करती थीं। फरहान ने आपी के बदन को अपने बाजुओं में भरा और उनके होंठों को जंगली अंदाज़ में चूसने लगा।

यह पहली बार था कि फरहान आपी के साथ अकले में कुछ कर रहा था इसलिए उसके अंदाज़ में बहुत दीवानगी थी। आपी भी उसी के अंदाज़ में उसका मुकम्मल साथ दे रही थीं। फरहान और आपी कुछ देर एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। होंठों को एक-दूसरे से चिपकाए हुए ही आपी ने अपने हाथ नीचे किए और फरहान की शर्ट को अपने हाथों से ऊपर उठाने लगीं।

फरहान थोड़ा पीछे हुआ और आपी ने उसकी शर्ट को सिर से और हाथों से निकाल कर दूर फेंक दी। फरहान ने आगे बढ़ कर फिर अपने होंठ आपी की गर्दन पर रख दिए और आपी की गर्दन को चूमने और चाटने लगा। आपी ने अपने सिर को पीछे की जानिब ढुलका दिया और फरहान की नंगी कमर पर अपने हाथ फेरने लगीं। फरहान ने अपने हाथों को नीचे किया और आपी की सलवार में हाथ फँसा कर नीचे को झटका दिया और मुझे ये देख कर हैरत का झटका लगा कि आपी ने बजाए उसे रोकने के खुद ही अपने हाथों से अपनी सलवार को नीचे किया और अपनी टाँगों से निकाल दी।

आपी की नंगी गुलाबी रानें और उनके खूबसूरत बिल्कुल गोल कूल्हे मेरी नजरों के सामने आए तो मैंने बे इख्तियार ही अपने लण्ड को पकड़ कर झंझोड़ा और अपने कपड़े उतार फैंके। फरहान ने आपी की नंगी कमर को सहलाते हुए अपने हाथ थोड़े नीचे किए और आपी के दोनों कूल्हों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर पूरी ताक़त से एक-दूसरे से अलहदा कर दिया। जैसे कि वो दोनों कूल्हों को बीच से चीर देना चाहता हो और इसके साथ-साथ ही उसने गर्दन से नीचे आकर आपी के एक उभार को अपने मुँह में भरा और अपने दाँत आपी के उभार में गड़ा दिए।

आपी के चेहरे पर शदीद तक़लीफ़ के आसार नज़र आए और उनके मुँह से एक कराह निकली- “आऐईयईई… ईईईईई... उफ… फफ्फ़… फरहान थोड़ा आराम से... जंगली ही हो जाते हो... मैं कहीं भागी... तो नहीं जा... रही नाआअ...”

आपी की बात सुन कर फरहान ऐसे चौंका जैसे उसे पता ही नहीं हो कि वो क्या कर रहा था और अभी ही होश में आया हो। फरहान ने आपी का उभार मुँह से निकाला तो आपी ने फरहान को थोड़ा पीछे हटाया और कहा- “बिस्तर पर चलो, मैं इतनी देर खड़ी नहीं रह सकती”

यह कह कर आपी बिस्तर की तरफ बढ़ीं और अपनी टाँगें नीचे लटका कर बिस्तर पर अधलेटी सी हो गईं। फरहान ने अपना ट्राउज़र उतारा और आपी के ऊपर लेट कर उनके सीने के उभारों को चूसने लगा। आपी फिर से फरहान की कमर को सहलाने लगीं।

कुछ देर आपी के मम्मे चूसने के बाद फरहान ने आपी के पेट को चाटा और अपनी ज़ुबान से आपी की नफ़ का मसाज करने लगा। फरहान थोड़ा और नीचे हुआ और ज़मीन पर बैठ कर अपनी ज़ुबान आपी के टाँगों के दरमियान वाली जगह पर रख दी।

आपी ने फरहान की ज़ुबान को अपनी चूत पर महसूस किया तो उनके मुँह से एक ‘आआहह..’ खारिज हुई और बेसाख्ता ही आपी ने अपनी टाँगों को थोड़ा और खोल कर घुटनों को मोड़ते हुए अपने पाँव बिस्तर पर रख लिए।

अपनी आँखें बंद करके आपी अपने दोनों हाथ फरहान के सिर पर रख कर अपनी चूत फरहान के मुँह पर दबाने लगीं। फरहान ने आपी की चूत को चूसते हुए अपने दोनों हाथ आपी के कूल्हों के नीचे रखे और कूल्हों को थोड़ा सा उठा कर आपी की गाण्ड के सुराख को चूमा।

जैसे ही फरहान के होंठ आपी के पिछले सुराख से टच हुए आपी के मुँह से एक ज़ोरदार सिसकी निकली और उन्होंने अपनी आँखें खोल कर सिर थोड़ा उठाया और फरहान को देखते हुए कहा- “हन्ंन ननणणन् फरहान… हन्णन्न्... यहाँ ही... आहह… चाटो उसे… अपनी ज़ुबान टच करो यहाँ... उफ़फ्फ़”

आपी ने अपनी गाण्ड को मज़ीद ऊपर की तरफ झटका दिया और फरहान के सिर को ज़ोर से नीचे की तरफ अपनी गाण्ड के सुराख पर दबाया।

दो-तीन ज़ोरदार झटके मारने के बाद आपी ने अपना सिर पीछे बिस्तर पर पटका और गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा। फरहान ने आपी की चूत को चूसते हुए आपी की गाण्ड के सुराख को चूमा।

मैं उन दोनों को देखते हुए अपना लण्ड आहिस्ता आहिस्ता सहला रहा था। आपी को अपनी तरफ देखता पाकर मैंने उनकी आँखों में देखा। आपी की आँखें नशीली हो रही थीं और लाल डोरे आँखों को मज़ीद खूबसूरत बना रहे थे। आपी कुछ देर मेरी आँखों में आँखें डाले देखती रहीं और मीठी-मीठी सिसकारियाँ भरती रहीं फिर उन्होंने अपने दोनों हाथों को उठाया और हाथ फैला कर अपनी गर्दन और हाथों को ऐसे हिलाया जैसे मुझे गले लगाने के लिए बुला रही हों।

मैं कुछ देर ऐसे ही बैठा रहा और आपी भी अपने हाथ फैलाए मुझे मुहब्बत और हवस भरी नजरों से देखती रहीं। कुछ देर बाद उन्होंने फिर इशारा किया और अपने होंठों को किस करने के अंदाज़ में सिकोड़ कर मुस्कुरा दीं। मैंने भी आपी को मुस्कुरा कर देखा और सिर झटकते हुए खड़ा होकर आपी की जानिब बढ़ा। आपी के सिर के पास बैठ कर मैंने उनके होंठों पर एक भरपूर चुम्मी की और फिर उनके सीने के उभारों को चाटने और निप्पलों को चूसने लगा।

मैं आपी के निप्पल को चूस ही रहा था कि मुझे हैरत और लज़्ज़त का एक और झटका लगा, आपी ने आज पहली बार खुद से मेरे बिना कहे हुए मेरे लण्ड को पकड़ा था। मैंने आपी के निप्पल को छोड़ा और हैरानी की कैफियत में आपी के चेहरे को देखा तो आपी ने शर्मा के मुस्कुराते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं और अपना चेहरा साइड पर कर लिया। मैं कुछ देर ऐसे ही आपी के शर्म से लाल हुए चेहरे पर नज़र जमाए रहा।

आपी की आँखें बंद थीं लेकिन वो मेरी नजरों की हिद्दत को अपने चेहरे पर महसूस कर रही थीं।

उन्होंने एक लम्हें को आँख खोल कर मेरी आँखों में देखा और फिर से अपनी आँखों को भींचते हुए शर्मा कर बोलीं- “सगीर क्या है? ऐसे मत देखो ना…आआ... वरना मैं छोड़ दूँगी... इसको... इसको”

यह कहते वक़्त आपी ने मेरे लण्ड को ज़ोर से अपनी मुट्ठी में दबाया। मैंने मुस्कुरा कर आपी को देखा और फिर फरहान पर नज़र डाली।

फरहान आपी की गाण्ड के सुराख को चाटने और चूसने में लगा था तो मैंने आगे होकर आपी की चूत पर अपना मुँह रख दिया और आपी की चूत के दाने को मुँह में भर कर अपनी पूरी ताक़त से चूसने लगा। आपी मेरे लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर कभी दबाती थीं तो कभी अपनी गिरफ्त लूज कर देती थीं। अब हमारी पोजीशन कुछ 69 जैसी ही थी, मेरा लण्ड आपी के मुँह से चंद इंच ही दूर था और मैं अपनी बहन की गर्म-गर्म साँसों को अपने लण्ड और अपने टट्टों पर महसूस कर रहा था।

मेरा बहुत शिद्दत से दिल चाहा था कि आपी मेरे लण्ड को अपने मुँह में लें लेकिन मैं जानता था कि वो अभी इसके लिए राज़ी नहीं होंगी। मैंने अपना चेहरा नीचे किया और अपनी ज़ुबान निकाल कर आपी की चूत को चाटने के लिए क़रीब हुआ ही था कि आपी की चूत से उठती मधुर, मदहोश कर देने वाली खुश्बू का झोंका मेरी नाक से टकराया।

अपनी बहन की चूत से उठती यह महक मुझ पर जादू सा कर देती थी और मेरा दिल चाहता था कि ये लम्हात ऐसे ही रुक जाएँ और मैं बस अपनी बहन की टाँगों में सिर दिए, अपनी आँखें बंद किए बस उनकी चूत की खुश्बू में ही खोया रहूँ। आप में से बहुत से लोगों को यह बात शायद अच्छी ना लगे और वो सोचेंगे कि मैं क्या गंदी बातें लिखता हूँ लेकिन मैं वाकयी ही आप लोगों को सच बता रहा हूँ।

अजीब सा जादू था मेरी बहन की चूत की खुश्बू में जो मैं लफ्जों में कभी भी बयान नहीं कर सकता। मैंने कुछ देर लंबी-लंबी साँसें नाक से अन्दर खींची और आपी की चूत की खुश्बू को अपने अन्दर बसा कर मैंने अपनी ज़ुबान से आपी की चूत को पूरा चाट लिया। 

उनकी चूत पर एक किस करने के बाद आपी की चूत की पूरी लंबाई को, आपी की चूत के दोनों लबों को समेट कर अपने होंठों में दबा लिया और अपनी पूरी ताक़त से चूत को चूसने लगा।
TO BE CONTINUED .....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#86
(07-03-2024, 09:51 AM)KHANSAGEER Wrote: [Image: 21269105_061_cdd1.jpg]
आपी की चूत की दीवारों से रिसता उनका जूस मेरे मुँह में आने लगा और मैंने उसे क़तरा-क़तरा ही अपने हलक़ में उड़ेल लिया। कुछ देर इसी तरह आपी की चूत को चूसने के बाद मैंने उनकी चूत के दाने को चूसते हुए अपनी ऊँगलियों से आपी की चूत के दोनों पर्दों को खोला और एक ऊँगली चूत की लकीर में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर फेरना शुरू कर दी।
[Image: 83808154_033_a31c.jpg]
आपी की हालत अब बहुत खराब हो चुकी थी। उन्हें दीन-दुनिया की कोई खबर नहीं रही थी, उनकी चूत और गाण्ड का सुराख उनके दोनों सगे भाईयों के मुँह में थे।

आप अंदाज़ा कर ही सकते हैं। ज़रा सोचें कि आपकी सग़ी बहन ऐसे लेटी हो और उसकी गाण्ड और चूत का सुराख उसके सगे भाइयों के मुँह में हो तो क्या हालत होगी आपकी बहन की। बस कुछ ऐसी ही हालत आपी की भी थी।

आपी की चूत बहुत गीली हो चुकी थी। मैंने आपी की चूत के दाने को अपने मुँह से निकाला और अपनी ऊँगली पर लगा हुआ आपी का जूस चाट कर अपनी ऊँगली चूस ली। फिर अपनी उंगली को आपी की चूत के सुराख पर रखा और हल्का सा दबाव दिया तो मेरी उंगली क़रीब एक इंच तक अन्दर दाखिल हो गई।
उसी वक़्त आपी ने तड़फ कर आँखें खोलीं जैसे कि होश में आई हों।

वे बोलीं- “नहीं सगीर प्लीज़... अन्दर नहीं डालो… जो भी करना है... बस बाहर-बाहर से ही करो ना”

“कुछ नहीं होता आपी... मैं ज्यादा अन्दर नहीं डालूंगा... अगर ज्यादा अन्दर डालूं... तो आप उठ जाना... प्रॉमिस कुछ नहीं होगा”

मैंने यह कह कर फिर से आपी की चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया और अपनी फिंगर को आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर-बाहर करने लगा।

लेकिन मैं इस बात का ख्याल रख रहा था कि उंगली ज्यादा अन्दर ना जाए। आपी ने कुछ देर तक आँखें खुली रखीं और अलर्ट रहीं कि अगर उंगली ज्यादा अन्दर जाने लगे तो वो उठ जाएँ। लेकिन आपी ने यह देखा कि मैं ज्यादा अन्दर नहीं कर रहा हूँ तो फिर से अपना सिर बेड पर टिका दिया और फिर खुद बा खुद ही उनकी आँखें भी बंद हो गईं।

मैं आपी की चूत का दाना चूसते हुए अपनी ऊँगली को चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था। आपी की चूत किसी तंदूर की तरह गरम थी।

मैंने काफ़ी सुना और पढ़ा था कि चूत बहुत गरम होती है लेकिन मैं यह ही समझता था कि गरम से मुराद सेक्स की तलब से है लेकिन आज अपनी बहन की चूत को अन्दर से महसूस करके मुझे पहली बार पता चला था कि चूत हक़ीक़त में ही ऐसी गर्म होती है कि बाकायदा उंगली पर जलन होने लगी थी।

आपी की चूत अन्दर से बहुत ज्यादा नरम भी थी जैसे कोई मखमली चीज़ हो। मैं अपनी बहन की चूत में उंगली अन्दर-बाहर करता हुआ सोचने लगा कि जब मेरा लण्ड यहाँ जाएगा तो कैसा महसूस होगा। पता नहीं मेरा लण्ड ये गर्मी बर्दाश्त कर पाएगा या नहीं।

आपी भी अब बहुत एग्ज़ाइटेड हो चुकी थीं और उनका हाथ मेरे लण्ड पर बहुत तेजी से हरकत करने लगा था, कभी वो अपनी मुट्ठी मेरे लण्ड पर आगे-पीछे करने लगती थीं तो कभी लण्ड को भींच-भींच कर दबाने लगतीं। कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि अब मैं डिसचार्ज होने लगा हूँ तो मैंने एक झटके से आपी का हाथ पकड़ कर अपने लण्ड से हटा दिया क्योंकि मैं अभी डिसचार्ज नहीं होना चाहता था।

फरहान अभी भी आपी की गाण्ड के सुराख पर ही बिजी था। मैंने उसके सिर पर एक चपत लगाई और उससे ऊपर आने का इशारा किया और खुद उठ कर बैठ गया। फरहान मेरी जगह पर आ कर बैठा तो मैंने साइड पर होते हो आपी का हाथ पकड़ कर फरहान के लण्ड पर रखा और खुद उठ कर आपी की टाँगों के बीच में आ बैठा।

फरहान ने आपी के हाथ को अपने लण्ड पर महसूस करते ही एक ‘आहह..’ भरी और बोला- “आअहह… आपी जी... आप का हाथ बहुत नर्म है”

यह कह कर आपी के होंठों को चूसने लगा मैंने फिर से अपनी उंगली को आपी की चूत में डाला और उनकी गाण्ड के सुराख को चाटते चूसते हुए अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करने लगा।

कुछ देर बाद मैंने गैर महसूस तरीक़े से अपनी दूसरी उंगली भी पहली उंगली के साथ रखी और आहिस्ता-आहिस्ता उससे भी अन्दर दबाने लगा।

लेकिन मैं इस बात का ख़याल रख रहा था कि आपी को पता ना चले। आपी की चूत बहुत गीली और चिकनी हो रही थी। मैंने कुछ देर बाद थोड़ा सा ज़ोर लगाया तो मेरी दूसरी ऊँगली भी आपी की चूत में दाखिल हो गई।

उसी वक़्त आपी के मुँह से एक सिसकारी निकली और वो बोलीं- “उफ्फ़... सगीर… नहीं प्लीज़... बहुत दर्द हो रहा है... दूसरी उंगली निकाल लो… एक ही ऊँगली से करो न!”

मैंने चंद लम्हों के लिए अपनी ऊँगलियों को हरकत देना बंद कर दी और आपी से कहा- “बस आपी... अब तो अन्दर चली गई है... कुछ सेकेंड में दर्द खत्म हो जाएगा... अगर दर्द नहीं खत्म हुआ तो मैं बाहर निकाल लूँगा”

मेरी बात के जवाब में आपी ने कुछ नहीं कहा और बस सिसकारियाँ लेने लगीं।

आपी ने दर्द की वजह से फरहान के लंड से भी हाथ हटा लिया था मैंने अपनी उंगलियों को सख्त रखते हुए फरहान को इशारा किया कि वो आपी का हाथ अपने लण्ड पर रखवाए और उनके सीने के उभार चूसे।

और मैंने खुद आपी की चूत के दाने को मुँह में ले लिया ताकि उनके दर्द का अहसास खत्म हो जाए।

चंद ही लम्हों बाद आपी ने अपना हाथ फरहान के लण्ड पर चलाना शुरू कर दिया और अपनी गाण्ड को थोड़ा सा उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाने लगीं..

जिससे मैं समझ गया कि अब आपी के दर्द का अहसास कम हो गया है।

फिर मैंने भी अपनी उंगलियों को हरकत देना शुरू कर दी। कुछ ही देर में मेरी दोनों उंगलियाँ बहुत आराम से अन्दर-बाहर होने लगीं।

कुछ देर बाद मैंने अपनी उंगलियों को तेजी से अन्दर-बाहर करना शुरू किया जिसकी वजह से मैं ये कंट्रोल नहीं कर पा रहा था कि उंगली एक इंच से ज्यादा अन्दर ना जाए और हर 3-4 स्ट्रोक में उंगलियाँ थोड़ा सा और गहराई में चली जातीं। जिससे आपी के मुँह से तक़लीफ़ भरी ‘आह..’ खारिज हो जाती।

इसी तेजी-तेजी में मैंने एक बार ज़रा ताक़त से उंगलियों को थोड़ा और गहराई में दबाया तो आपी के मुँह से एक चीखनुमा सिसकी निकली- “आआईयई... ईईईईई... सगीर... कहा है ना... आराम-आराम से करो... लेकिन तुम लोग जंगली ही हो जाते हो... हम ये सब मज़ा लेने के लिए कर रहे हैं... लेकिन इससे मज़ा नहीं... तक़लीफ़ होती है नाआ”

“अच्छा अच्छा... अब आराम से करूँगा... कसम से बस... मैं अपनी बहन को तक़लीफ़ नहीं दे सकता… बस गलती से हो गया था... प्लीज़ सॉरी आपी”

मैंने फिर से उंगलियों की हरकत को कुछ देर रोकने के बाद आहिस्ता आहिस्ता हरकत देनी शुरू कर दी।

चूत भी अजीब ही चीज़ है। इसमें इतनी लचक होती है कि आज तक इस दुनिया के साइन्सदान इस दर्जे की लचक किसी चीज़ में नहीं पैदा कर सके हैं।

कुछ ही देर में आपी का जिस्म अकड़ना शुरू हो गया और आपी के हाथ की हरकत फरहान के लण्ड पर बहुत तेज हो गई। मुझे अंदाज़ा हो गया था कि आपी की चूत अपना रस बहाने को तैयार है। मैंने आपी की चूत के दाने को अपने दाँतों में पकड़ा और उंगलियों को तेज-तेज अन्दर-बाहर करने लगा.. लेकिन इस बात का ख़याल रखा कि उंगलियाँ ज्यादा गहराई में ना जाने पाएं।

आपी का जिस्म अकड़ गया था और उन्होंने अपने कूल्हे बेड से उठा लिए और फरहान के लण्ड को पूरी ताक़त से अपनी तरफ खींच लिया।

उसी वक़्त फरहान के मुँह से ‘आहह..’ निकली और उसके लण्ड का जूस आपी के पेट पर गिरने लगा। बस 4-5 सेकेंड बाद ही आपी भी अपनी मंज़िल पर पहुँच गईं और उनकी चूत मेरी उंगलियों को भींचने लगीं।

अजीब ही हरकत थी चूत की, कभी मेरी उंगलियों को मज़बूती से भींच लेती थी तो अचानक ही चूत की ग्रिप लूज हो जाती और अगले ही लम्हें फिर भींचने लगती।

इस तरह 4-5 झटके खाने के बाद आपी भी पुरसुकून हो गईं और मैंने अपनी उंगलियाँ आपी की चूत से बाहर निकालीं और उनकी चूत को चाटने और चूसने के बाद खड़ा हो गया। मैंने आपी पर नज़र डाली तो उनका चेहरा बहुत पुरसुकून नज़र आया। जैसे कि वो पता नहीं कितनी लंबी मुसाफत तय करके मंज़िल तक पहुँची हों।

आपी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर उठ बैठीं और कहा- “ऊओ... मेरा शहज़ादे भाई का ‘वो’ तो अभी तक फुल जोश में ही है”

आपी ने एक नज़र मेरे सीधे खड़े लण्ड पर डाली और फिर फरहान की तरफ देख कर बोलीं- “फरहान उठो… सगीर का ‘वो’ चूसो... आज बहुत दिन हो गए हैं मैंने तुम लोगों को ये करते नहीं देखा”

मैंने आपी की बात सुनी तो वहीं खड़ा हो गया और मुस्कुरा कर आपी को देखते हुए कहा- “‘वो’ क्या आपी… नाम लेकर बोलो ना?”

आपी ने शर्मा कर मुझसे नज़र चुराईं और बोलीं- “ज्यादा बकवास नहीं करो... कह दिया मैंने... जो कहना था”

फिर उन्होंने फरहान को देख कर कहा- “उठो ना जाओ सगीर के पास”

फरहान आ कर मेरी टाँगों में बैठा तो मैंने उससे रोकते हुए आपी को देखा और बोला- “आपी प्लीज़ यार... बोलो ना... मज़ा आएगा ना सुन कर... अब बोलने में भी क्या शर्मा रही हो”

आपी कुछ देर रुकीं और फिर मुस्कुरा कर बोलीं- “अच्छा बाबा... फरहान चलो सगीर का लण्ड चूसो… अपने बड़े भाई का लण्ड चूसो”

और यह कह कर वे हँसने लगीं। यह कोई इतनी बड़ी बात नहीं थी लेकिन पता नहीं क्यूँ आपी के मुँह से ‘लण्ड’ लफ्ज़ सुन कर बहुत मज़ा आया और लण्ड को एक झटका सा लगा। फरहान ने मेरे लण्ड को अपने दोनों हाथों में पकड़ा और एक बार ज़ुबान पूरे लण्ड पर फेरने के बाद उसे अपने मुँह में भर लिया लेकिन सच यह है कि अब फरहान के चूसने से इतना मज़ा भी नहीं आ रहा था कि जितना अपनी बहन के हाथ में पकड़ने से ही आ जाता था।

मैंने आपी की तरफ देखा वो बिस्तर पर बैठी थीं उन्होंने अपने दोनों घुटने मोड़ करके अपने सीने से लगाए हुए थे और अपने घुटनों से बाज़ू लपेट कर अपना चेहरा घुटनों पर टिका दिया था। आपी की दोनों टाँगों के दरमियान से उनकी क्यूट सी गुलाबी चूत नज़र आ रही थी।

आपी की नज़र मुझसे मिली तो मैंने आपी को आँख मारी और कहा- “आपी अगर फरहान की जगह आप का मुँह होता तो क्या ही बात थी”

आपी ने बुरा सा मुँह बनाया और हाथ से मक्खी उड़ाने के अंदाज़ में कहा- “हट.. चल गंदे.. मैं ऐसा कभी नहीं करने वाली”

TO BE CONTINUED ....
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#87
Sexelent story
So erotic and sexy 
Keep it up
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#88
आपकी कहानी पढ़कर दिल खुश हो गया। प्यार और परिवार के रिश्तों की गहराई को आपने बहुत ही अच्छे से बयान किया है। आपकी कहानी से मुझे एक अलग प्रकार का सुकून मिला है।
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#89
(08-03-2024, 02:41 PM)kittan_16 Wrote: आपकी कहानी पढ़कर दिल खुश हो गया। प्यार और परिवार के रिश्तों की गहराई को आपने बहुत ही अच्छे से बयान किया है। आपकी कहानी से मुझे एक अलग प्रकार का सुकून मिला है।

yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#90
कुछ देर आपी हमें देखती रहीं और फिर उठ कर मेरे पीछे आ कर चिपक गईं। आपी के सख़्त निप्पल मेरी पीठ पर टच हुए तो मज़े की एक नई लहर मेरे जिस्म में फैल गई। आपी ने अपने सीने के उभारों को मेरी कमर से दबाया और अपने निप्पल्स को मेरी कमर पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर रगड़ने लगीं।

आपी के निप्पल्स मेरी कमर पर रगड़ खा कर मेरे अन्दर बिजली सी भर रहे थे और एक बहुत हसीन अहसास था, नर्मी का और शहवात का। मैंने मज़े के असर में अपने सिर को एक साइड पर ढलका दिया और आँखें बंद करके अपनी बहन के निप्पल्स का लांस महसूस करने लगा।

आपी ने अपने उभारों को मेरी कमर पर रगड़ना बंद किया और ज़रा ताक़त से मेरी कमर से दबा कर अपने दोनों हाथ मेरे कंधों पर रखे और मेरे बाजुओं पर हाथ फेरते हुए मेरे हाथों पर आ कर मेरे हाथों को अपने हाथों से दबाया और अपने दोनों हाथ मेरे पेट पर रख कर मसाज करने लगीं। पेट पर हाथ फेरने के बाद आपी अपने हाथ नीचे ले गईं और मेरे बॉल्स को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगीं।

फरहान मेरा लण्ड चूस रहा था और आपी मेरे बॉल्स को अपने हाथों से सहलाते हुए अपनी सख़्त निप्पल मेरी कमर पर चुभा रही थीं। अचानक आपी ने मेरी गर्दन पर अपने होंठ रखे और गर्दन को चूमते और चाटते हो मेरे कान की लौ को अपने मुँह में ले लिया और कुछ देर कान को चूसने के बाद आपी ने सरगोशी और मज़े से डूबी आवाज़ में कहा- “कैसा लग रहा है मेरे प्यारे भाई को?? मज़ा आ रहा है ना?”

मैंने अपनी पोजीशन चेंज नहीं की और नशे में डूबी आवाज़ में ही जवाब दिया- “बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है आपी, बहुत ज्यादा!”

आपी ने मेरे चेहरे को अपने हाथ से पकड़ कर पीछे की तरफ किया और मेरे होंठों को चूसने लगीं। आपी ने मेरे मुँह से मेरी ज़ुबान को अपने मुँह में खींचा ही था कि मेरे जिस्म को भी झटका लगा और मेरे लण्ड का पानी फरहान के मुँह में स्प्रे करने लगा।

कुछ देर बाद मैंने अपनी आँखें खोलीं तो आपी मेरी आँखों में ही देख रही थीं और मेरी ज़ुबान को चूस रही थीं। मैंने नज़र नीचे करके फरहान को देखा तो फरहान बस आखिरी बार मेरे लण्ड को चाट कर पीछे हट ही रहा था। मैंने अपने हाथ से फरहान को रोका और उसके होंठों के साइड से बहते अपनी लण्ड के जूस को अपनी उंगली पर उठा लिया।

आपी मेरी पीठ पर थीं जिसकी वजह से उन्होंने भी यह देख लिया था कि मैंने अपनी उंगली पर अपने लण्ड का जूस उठाया है।

मैंने अपनी उंगली आपी के मुँह के क़रीब करते हुए शरारती अंदाज़ में कहा- “आपी एक बार चख कर तो देखो, मज़ा ना आए तो कहना”

आपी जल्दी से पीछे हटते हुए बोलीं- “नहीं भाई, मुझे माफ़ ही रखो, मैंने नहीं चखनी”

यह कह कर आपी पीछे हटते हुए बाथरूम में चली गईं और मैं और फरहान भी अपने जिस्म को साफ करने लगे। कुछ देर बाद आपी बाथरूम से बाहर आईं तो फ़ौरन ही फरहान बाथरूम में घुस गया। मैं बिस्तर पर ही लेटा था। आपी ज़मीन से अपने कपड़े उठा कर पहनने लगीं।

अपने कपड़े पहन कर आपी ने मेरा ट्राउज़र और शर्ट उठा कर मेरे पास बिस्तर पर रख दिया और फरहान की शर्ट और ट्राउज़र ले जाकर अल्मारी के साथ रखे हैंगर पर टांग दिए और बाथरूम के दरवाज़े के पास जा कर बोलीं- “फरहान मैंने तुम्हारे कपड़े स्टैंड पर टांग दिए हैं। वही निकाल कर पहन लेना और दूध टेबल पर रखा है वो लाज़मी पी लेना”

फिर आपी ने जग से दूध का गिलास भरा और मेरे पास आकर मेरे होंठों को चूमा और मेरे सिर पर हाथ फेर कर बोलीं- “उठो मेरी जान, शाबाश दूध पियो और फिर कपड़े पहन कर सही तरह लेटो, शाबाश उठो”

मुझे अपने हाथ से दूध पिलाने के बाद आपी ने एक बार फिर मेरे होंठों को चूमा और खड़ी हो गईं।

“फरहान निकले तो उसे भी लाज़मी दूध पिला देना अच्छा, याद से भूलना नहीं ओके, मैं अब चलती हूँ। तुम भी सो जाओ” -यह कह कर आपी कमरे से बाहर निकल गईं।

आजकल कुछ ऐसी रुटीन बन गई थी कि रात को सोते वक़्त मेरे जेहन में आपी के खूबसूरत जिस्म का ही ख़याल होता, साँसों में आपी की ही खुश्बू बसी होती थी और सुबह उठते ही पहली सोच भी आपी ही होती थीं।

मैं सुबह उठा तो हमेशा की तरह फरहान मुझसे पहले ही बाथरूम में था और मैं अपने स्पेशल नाश्ते के लिए नीचे चल दिया। मैंने नीचे पहुँच कर देखा तो अम्मी अब्बू का दरवाजा अभी भी बंद ही था लेकिन आपी के कमरे का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला था। मैंने अपने क़दम आपी के कमरे की तरफ बढ़ाए ही थे कि उन्होंने अन्दर से ही मुझे देख लिया।

मैंने आपी के सीने के उभारों की तरफ इशारा करते हुए उनको आँख मारी और मुँह ऐसे चलाया जैसे दूध पीने को कह रहा हूँ। आपी ने गुस्से से मुझे देखा और आँखों के इशारे से कहा कि हनी यहीं है।

मैंने अपने हाथ के इशारे से कहा- “कोई बात नहीं”

मैंने उनके कमरे की तरफ क़दम बढ़ा दिए। आपी ने एक बार गर्दन पीछे घुमा कर हनी को देखा और फिर मुझे गुस्से से आँखें दिखाते हुए वहीं रुकने का इशारा किया। मैंने आपी के इशारे को कोई अहमियत नहीं दी और आगे बढ़ना जारी रखा। आपी ने एक बार फिर मुझे देखा और फ़ौरन कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया।

मैं कुछ सेकेंड वहीं रुका और फिर सिर को झटकते हुए मुस्कुरा कर वापस अपने कमरे की तरफ चल दिया।

जब मैं नहा कर तैयार हो कर नाश्ते के लिए पहुँचा तो सब मुझसे पहले ही टेबल पर बैठे थे। मैंने सलाम करने के बाद अपनी सीट संभाली ही थी कि आपी ने आखिरी प्लेट टेबल पर रखी और मेरे लेफ्ट साइड पर साथ वाली सीट पर ही बैठ गईं।

सदर सीट पर अब्बू बैठे जो अब्बू के लिए मख़सूस थी। वे एक हाथ में अख़बार पकड़े चाय के आखिरी आखिरी घूँट पी रहे थे। हमारे सामने टेबल की दूसरी तरफ अम्मी, फरहान और हनी बैठे थे और अम्मी रोज़ के तरह उनको नसीहतें करते-करते नाश्ता भी करती जा रही थीं।

मैंने सबको एक नज़र देख कर आपी को देखा तो वो परांठे का लुक़मा बना रही थीं। आपी ने लुक़मा बनाया और अपने मुँह की तरफ हाथ ले जा ही रही थीं कि मैंने आहिस्तगी से अपना हाथ उठाया और आपी की रान पर रख दिया।

मेरे हाथ रखते ही आपी को एक झटका सा लगा। एकदम ही खौफ से उनका चेहरा लाल हो गया, आपी का लुक़मा मुँह के क़रीब ही रुक गया और मुँह खुला ही रखे आपी ने नज़र उठा कर अब्बू को देखा वो अपनी नजर अख़बार में ही डुबाए हुए थे। फिर आपी ने अम्मी लोगों को देखते हुए अपना हाथ नीचे करके मेरे हाथ को पकड़ा और अपनी रान से हटा दिया।

आपी की हालत मेरे पहले हमले की वजह से ही अभी नहीं संभली थी कि मैंने चंद लम्हों बाद ही फिर अपना हाथ आपी के रान पर रखा और इस बार रान के अंदरूनी हिस्से को अपने पंजे में जकड़ लिया।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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#91
Heart 
आपी ने इस बार फ़ौरन कोई हरकत नहीं की और खौफजदा से अंदाज़ में नाश्ता करते-करते फिर मेरा हाथ हटाने की कोशिश करने लगीं लेकिन मैंने अपनी गिरफ्त को मज़बूत कर लिया।
आपी ने कुछ देर मेरा हाथ हटाने की कोशिश की और नाकाम हो कर फिर से नाश्ते की तरफ ध्यान लगाने लगीं।
मैंने यह देखा कि अब आपी ने इन हालात को क़बूल कर लिया है तो मैंने भी अपनी गिरफ्त ढीली कर दी और आपी की रान के अंदरूनी हिस्से को नर्मी से सहलाने लगा।
आपी की रान को सहलाते-सहलाते ही गैर महसूस तरीक़े से मैंने अपने हाथ को अन्दर की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया। जैसे ही मेरा हाथ आपी की चूत पर टच हुआ तो वो एकदम उछल पड़ीं।
जिससे अम्मी भी आपी की तरफ मुतवज्जो हो गईं और पूछा- “क्या हुआ रूही, तुम्हारा चेहरा कैसा लाल हो गया है?”

अम्मी की बात पर अब्बू समेत सभी ने आपी की तरफ देखा तो आपी ने खाँसते हुए कहा- “अकककखहून! कुछ नहीं अम्मी वो... अखों...न... आमलेट में हरी मिर्च थी ना... डायरेक्ट गले में लग गई है... पानी... अखखांकखहूंन... जरा पानी दे दें…”

मैंने इस सबके दौरान भी अपना हाथ आपी की चूत से नहीं हटाया था बल्कि इस सिचुयेशन से फ़ायदा उठा कर अपने अंगूठे और इंडेक्स फिंगर की चुटकी में आपी की सलवार के ऊपर से ही उनकी चूत के दाने को पकड़ लिया था।

“इतनी जल्दी क्या होती है। ज़रा सुकून से नाश्ता कर ले। तुम्हारी वो मुई यूनिवरसिटी कहीं भागी तो नहीं जा रही ना” -अम्मी ने गिलास में पानी डालते हुए कहा और पानी का गिलास आपी की तरफ बढ़ा दिया।

मैंने अम्मी के हाथ से गिलास लिया और आपी के होंठों से गिलास लगा कर शरारत से कहा- “ऐसा लगता है सारी पढ़ाई बस हमारी बहन ने ही करनी है, बाक़ी सब तो वहाँ झक ही मारते हैं”

मेरी बात पर अब्बू अम्मी भी मुस्कुरा दिए और अब्बू ने फिर से अख़बार अपने चेहरे के सामने कर लिया और उसमें गुम हो गए।

अम्मी भी फिर से हनी और फरहान से बातें करने लगीं। मैं आपी को अपने हाथ से पानी भी पिला रहा था और दूसरे हाथ से आपी की चूत के दाने को मसलता भी जा रहा था।

मेरी इस हरकत से आपी की चूत ने भी रिस्पोन्स देना शुरू कर दिया था और आपी की सलवार वहाँ से गीली होने लगी थी। मैं समझ गया था कि आपी खौफजदा होने के बावजूद भी मेरे हाथ के लांस से मज़ा महसूस कर रही हैं।

आपी ने सब पर नज़र डालने के बाद अपनी खूबसूरत आँखें मेरी तरफ उठाईं और इल्तिजा और गुस्से के मिले-जुले भाव से मुझे देखा जैसे कह रही हों कि ‘सगीर ये मत करो प्लीज़।’

लेकिन मैंने आपी के चेहरे से नज़र हटाते हुए मुस्कुरा कर अपना कप उठाया और चाय की चुस्कियाँ लेते-लेते अपने हाथ को भी हरकत देने लगा। कुछ देर आपी की चूत के दाने को अपनी चुटकी में मसलने के बाद मैंने अपनी उंगली आपी की चूत की लकीर में ऊपर से नीचे फेरना शुरू कर दी।

आपी ने भी परांठा खत्म कर लिया था और अब चाय पी रही थीं। मैंने अपनी ऊँगली को ऊपर से नीचे फेरते हुए चूत के निचले हिस्से पर ला कर रोका और अपनी ऊँगली को अन्दर की तरफ दबाने लगा।

आपी के चेहरे पर तक़लीफ़ के आसार पैदा हुए और उन्होंने एक गुस्से से भरपूर नज़र मुझ पर डाली और अपनी कुर्सी को पीछे धकेलते हुए खड़ी हुईं और गुस्से से मुझे देखते हुए अपने कमरे में चली गईं।

आपी के साथ ही अब्बू भी खड़े हो गए थे। हनी और फरहान भी नाश्ता खत्म कर चुके थे वो भी खड़े हो गए कि स्कूल बस तक उन्हें अब्बू ही छोड़ते थे।

मैंने चाय का घूँट भरते हुए हनी को आवाज़ दे कर कहा- “हनी देखो ज़रा, आपी ने कल मुझसे हाइलाइटर लिए थे वो कमरे में ही पड़े होंगे, मुझे ला दो"

हनी ने सोफे से अपना स्कूल बैग उठाया और बाहर की जानिब जाते हुए कहा- “भाई आप खुद जा कर ले लें ना, अब्बू बाहर निकल गए हैं। हमें देर हो रही है प्लीज़”

यह कह कर वो बाहर निकल गई, उसके पीछे ही फरहान भी चला गया। उनके जाने के बाद अम्मी भी अपने कमरे की तरफ जाने लगीं और मुझे कहा- “सगीर चाय खत्म करके रूही को कह देना बर्तन उठा ले। मैं ज़रा वॉशरूम से हो आऊँ”

मैंने भी अपनी चाय का आखिरी घूँट भरा तो अम्मी अपने कमरे में जा चुकी थीं। मैंने एक नज़र उनके दरवाज़े को देखा और फिर भागता हुआ आपी के कमरे में दाखिल हो गया।

आपी बाथरूम में थीं मैंने दरवाज़े के पास जा कर आहिस्ता आवाज़ में आपी को पुकारा- “आपी अन्दर ही हो ना..?? क्या कर रही हो?”

आपी ने अन्दर से ही गुस्से में जवाब दिया- “तुम्हें पता है सगीर, तुम... खबीस... तुम कभी-कभी बिल्कुल पागल हो जाते हो”

मैंने आपी की बात सुन कर शरारत से हँसते हुए कहा- “हहेहहे हीए… छोड़ो ना यार आपी... अब ये झूठ मत बोलना कि तुम को मज़ा नहीं आया… तुम्हारे मज़े का सबूत अभी भी मेरी उंगलियों को चिपचिपा बनाए हुए है और मुझे पता है अभी भी मेरी बहना जी अपने हाथ से मज़ा ले रही है। प्लीज़ आपी मुझे भी देखने दो ना यार”

आपी ने उसी अंदाज़ में जवाब दिया- “हाँ... हाँ... हाँ... मैं कर रही हूँ… अभी भी अपने हाथ से और तुम्हारी ये सज़ा है कि मैं तुम्हें ना देखने दूँ”

मैं 2-3 मिनट वहीं खड़ा रहा आपी को दरवाज़ा खोलने का कहता रहा लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया बस अन्दर से हल्की हल्की सिसकारियों की आवाजें आती रहीं।
मज़ीद 3-4 मिनट के बाद आपी बाहर निकलीं तो उनके बाल बिखरे हुए थे। चेहरा चमकता हुआ सा लाल हो रहा था और पसीने के नन्हे-नन्हे क़तरे उनकी पेशानी पर साफ नज़र आ रहे थे। आपी ने अपने दोनों हाथ अपनी क़मर पर टिकाए और नशीली आँखों से गुस्सैल अंदाज़ में मुझे देखा।

मैंने आगे बढ़ कर आपी के चेहरे को थामा और उनके होंठों को चूम कर कहा- "तो मेरी बहना ने ये सब बहुत एंजाय किया है और मुझे खामख्वाह गुस्सा दिखा रही थीं"
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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shandar .........................
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?nice
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#94
Heart 
आपी ने अपनी कमर से हाथ उठा कर मेरे सीने पर एक मुक्का मारा और फिर मेरे गले लगते हुए अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा कर बोलीं- “जी नहीं, मुझे शदीद गुस्सा आ रहा था तुम पर, सगीर! प्लीज़ कुछ तो ख़याल किया करो। ज़रा सोचो अम्मी-अब्बू को ज़रा सा भी शक़ हो जाता तो हमारा क्या होता?”

मैंने आपी के कंधों को पकड़ कर उन्हें पीछे किया और उनके चेहरे को फिर से अपने हाथों में भरते हुए कहा- “लेकिन आपी इस सबमें मज़ा भी तो बहुत आता है ना। अकले में ये सब करने में मज़ा तो है लेकिन इतनी एग्ज़ाइट्मेंट नहीं है जितनी कि ऐसे टाइम पर आती है कि हम सबके सामने भी हैं और हमारी हरकतें सबसे छुपी हुई भी हैं। आप भी कितनी एग्ज़ाइटेड हो गई थीं ना”

“हाँ तुम सही कह रहे हो लेकिन फिर भी सगीर, प्लीज़ दोबारा ऐसा मत करना”

“ओके, मेरी सोहनी बहना जी, आइन्दा ख़याल रखूँगा बस?”

यह कह कर मैंने मुस्कुरा कर आपी की आँखों में देखा और फिर एक बार आपी के होंठों को चूम कर बाहर निकल आया और आपी को सोचता हुआ ही कॉलेज को चल दिया। दिन में कॉलेज से आ कर खाना खाया और आराम करने के बाद कमरे में ही अपना एक प्रॉजेक्ट खोल बैठा जो 2 दिन बाद लाज़मी कॉलेज में सबमिट करना था।

जब मैं अपना प्रॉजेक्ट पूरा करके उठा तो रात के 8 बज चुके थे। मैं थोड़ी देर जेहन को फ्रेश करने के लिए बाहर निकल गया और दोस्तों के साथ कुछ टाइम गुजार कर घर वापस आया और खाना खा कर उठा तो आपी ने भी आज रात फिर आने का सिग्नल दे दिया।

मैं रूम में पहुँचा तो फरहान बाथरूम में था। मैंने अपने कपड़े उतार कर ज़मीन पर फैंके और बिस्तर पर नंगा ही बैठ कर आपी के आने का इन्तजार करने लगा।

कुछ देर बाद फरहान बाथरूम से निकला तो मेरी हालत देख के खुश होता हुआ बोला- “भाई! मतलब आपी आएँगी आज भी?”

मेरा जवाब ‘हाँ’ में सुनते ही उसने भी अपने कपड़े उतार कर वहीं ज़मीन पर फैंके और बिस्तर पर आकर बैठा ही था कि दरवाज़ा खुला। आपी कमरे में दाखिल हुईं और अपनी क़मीज़ और सलवार उतार कर सोफे पर रख दी।

मैं और फरहान तो पहले से ही अपने कपड़े उतारे बैठे थे। आपी ज़मीन पर पड़े मेरे और फरहान के कपड़े उठाने लगीं और कपड़े उठाते हुए ही बोलीं- “तुम लोग कुछ तो तमीज़ सीखो, कितना टाइम लगता है इन्हें स्टैंड पर लटकाने में”

यह कह कर आपी ने हमारी तरफ पीठ की और अल्मारी की तरफ चल दीं।

आपी की पीठ हमारी तरफ हुई तो मेरी नजरें आपी के खूबसूरत कूल्हों पर जम कर रह गईं। जब आपी अपना राईट पाँव आगे रखती थीं तो उनका लेफ्ट कूल्हा भी ऊपर की तरफ चढ़ जाता और जब लेफ्ट पाँव आगे रखतीं तो उसी रिदम में लेफ्ट कूल्हा नीचे आता और साथ ही राईट कूल्हा ऊपर की तरफ उठ जाता। क़दम उठाने के साथ ही आपी की कमर का खम मज़ीद बढ़ जाता और कूल्हे बाहर की तरफ निकल आते।

आपी हमारे कपड़े स्टैंड पर लटका कर मुड़ीं तो हमारी शक्ल देख कर हँसते हुए बोलीं- “अपने मुँह तो बंद कर लो ज़लीलो ऐसे मुँह और आँखें फाड़-फाड़ कर अपनी सग़ी बहन का नंगा जिस्म देख रहे हो। कुछ तो शर्म करो”

फरहान ने तो जैसे आपी की बात सुनी ही नहीं, उसकी पोजीशन में कोई फ़र्क़ नहीं आया लेकिन मैंने एक़दम ही अपना खुला मुँह बंद किया और अपने सिर को खुजाते झेंपी सी मुस्कुराहट के साथ बोला- “आपी कसम से अगर आप खुद अपने आपको ऐसे देख लो तो आपकी टाँगों के बीच वाली जगह भी गीली हो जाएगी। हम तो फिर भी लड़के हैं”

आपी ने मुझे आँख मारी और बोलीं- “अच्छा ऐसा है क्या?”

और यह कह कर वे आईने की तरफ चल दीं। आईने के सामने जा कर आपी ने पहले सीधी खड़ी हो कर अपने जिस्म को देखा और फिर एक हाथ कमर पर रखा और दूसरे हाथ से अपने बालों को जूड़े की शक्ल में पकड़ते हुए साइड पोज़ पर हो गईं और खुद ही अपने जिस्म को आईने में निहारने लगीं।

फिर इसी तरह अपने हाथों को चेंज किया और दूसरे रुख़ पर हो कर फिर अपना साइड पोज़ देखा और आईने में ही से फरहान को देखा जो अभी भी मुँह खोले आपी के जिस्म को घूर रहा था। फिर आपी ने मुझे देखा और नज़र मिलने पर आँख मार के एक किस कर दी।

मैंने भी अपने लण्ड पर अपना हाथ आगे-पीछे करते हुए आपी को जवाबी किस की और हम दोनों ही मुस्कुरा दिए। फिर आपी अपनी पीठ आईने की तरफ करके अपनी गर्दन घुमा कर अपनी गाण्ड को देखने लगीं इसी पोजीशन में अपनी गाण्ड को देखते-देखते आपी अपने दोनों हाथों को पीछे ले गईं और अपने दोनों कूल्हों को पकड़ के चीरते हुए अलहदा किया और अपनी गाण्ड का सुराख देखने की कोशिश करने लगीं।

इसमें उन्हें नाकामी ही हुई। कुछ देर और कोशिश करने के बाद आपी ने दोबारा अपना रुख़ घुमाया और अपने सीने के दोनों उभारों को हाथों में पकड़ कर आईने में देखने लगीं। आपी ने अपने दोनों उभारों को बारी-बारी दोनों साइड्स से देखा फिर अपने दोनों उभारों को आपस में दबाते हुए आईने में से ही मेरी तरफ नज़र उठाई और मेरी आँखों में देखते हुए अपनी ज़ुबान निकाली और सिर झुका कर अपने खूबसूरत गुलाबी खड़े निप्पल्स पर अपनी ज़ुबान फेरने लगीं। मेरी बर्दाश्त अब जवाब दे गई थी। मैं अपनी जगह से उठा और आपी के पीछे जाकर उनके नंगे जिस्म से चिपक गया।

मैंने आपी के हसीन और नर्म ओ नाज़ुक बदन को अपने बाजुओं के आगोश में ले लिया और एक तेज सांस के साथ अपनी बहन के जिस्म की महक को अपने अन्दर उतार कर बोला- “आपी ये मक्खन नहीं है, मैं कसम खा कर कहता हूँ कि मैंने आज तक आप से ज्यादा हसीन जिस्म किसी लड़की का नहीं देखा। आप बहुत खूबसूरत हो”

फिर मैंने आपी की गर्दन को चूमा और कहा- “आपका चेहरा, आपके सीने के उभार, आपके बाज़ू, पेट, खूबसूरत गोल गोल कूल्हे, खम खाई हुई कमर, आपकी खूबसूरत जाँघें, हर चीज़ इतनी हसीन और मुकम्मल है कि हर हिस्से पर शायरी की जा सकती है”

आपी ने मुस्कुरा कर अपने दाहिने हाथ को मेरे और अपने जिस्म के दरमियान लाकर मेरे खड़े लण्ड को पकड़ा और अपने दूसरे बाजू को उठाया और मेरे सिर के पीछे से गुजार कर मेरे सिर की पुश्त पर रख कर मेरे गाल को चूम कर कहा- “मेरा भाई भी किसी से कम नहीं है और मेरा जिस्म जितना भी हसीन है इस पर पहला हक़ मेरे प्यारे भाई का ही है”

आपी ने यह कह कर मुहब्बत भरी नज़र से मेरी आँखों में देखा और फिर मेरे गाल पर चुटकी काट ली।

“सस्स्स्स्स्सीईईईई… आअप्प्पीईईईई कुत्ती” -मैंने तक़लीफ़ से झुंझला कर कहा।

तो आपी ने मेरे कान की लौ को अपने दाँतों में पकड़ का काटा और शरारत और मुहब्बत भरे लहजे में सरगोशी करते हुए मेरे कान में बोलीं- “हाँ हूँ कुत्ती... अपने कुत्ते भाई की कुत्ती”

और इसी के साथ ही उन्होंने मेरे लण्ड को भी अपनी मुठी में ताक़त से भींच दिया।
TO BE CONTINUED ....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#95
Heart 
मैंने थोड़ा सा पीछे हट कर अपने हाथ से आपी की टाँगों को खोला और अपना खड़ा लण्ड आपी के हाथ से छुड़ा कर अपने हाथ में पकड़ लिया और आपी की रानों के दरमियान में रख कर अपने लण्ड की टोपी को आपी की चूत की लकीर पर रगड़ा तो आपी के मुँह से बेसाख्ता ही एक सिसकी खारिज हुई और वो बोलीं- “अहह सगीर... नहीं”

फिर उसी पोजीशन में रहते हुए मेरे गाल पर अपना हाथ रख कर मेरी आँखों में देख कर संजीदा लहजे में कहा- “इसका सोचो भी नहीं सगीर… प्लीज़…”

मैंने अपने हाथ से पकड़ कर आपी का हाथ अपने गाल से हटाया और उनके हाथ की पुश्त को चूम कर कहा- “आपी मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा जो आपको तक़लीफ़ दे। आप क्यों परेशान होती हो, मैं बस ऊपर ही रगडूंगा प्लीज़”

यह कहकर मैंने फिर से अपने फुल खड़े लण्ड को अपनी बहन की रानों के बीच में फँसाया और आपी से कहा- “अपनी टाँगों को बंद कर लो”

आपी ने मेरे कहने के मुताबिक़ मेरे लण्ड को अपनी रानों में सख्ती से दबा लिया और मेरा लण्ड आपी की नर्म हसीन रानों के दरमियान दब गया। मैंने अपने लण्ड को आपी की रानों में ही आगे-पीछे करना शुरू किया लेकिन 2-3 बार ही आगे-पीछे करने से मेरा लण्ड बाहर निकल आया।

मैं दोबारा अपना लण्ड को आपी की रानों में फँसा ही रहा था कि आपी ने कहा- "सगीर एक मिनट रूको यहीं, मैं ये सब देखना चाहती हूँ”

आपी इधर-उधर देख कर कुछ तलाश करने लगीं फिर आपी कंप्यूटर टेबल के पास गईं और कुर्सी को उठा कर यहाँ ले आईं और आईने में अपना साइड पोज़ देखते हुए कुर्सी को ज़मीन पर रख दिया और कुर्सी के दोनों बाजुओं पर अपने हाथ रख कर थोड़ा आगे को झुक कर खड़ी हो गईं।

फिर आईने में मेरी तरफ देखते हुए उन्होंने अपनी टाँगों को खोला और कहा- “आओ सगीर अब फंसाओ अपना लण्ड”

अब आपी लण्ड शब्द का इस्तेमाल बेझिझक कर रही थीं। मैंने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ कर आपी की रानों के बीच में फँसाया तो मुझे अपने लण्ड में करेंट सा लगता महसूस हुआ। आपी के इस तरह झुक कर खड़े होने की वजह से उनकी चूत का रुख़ ज़मीन की तरफ हो गया था और मेरे लण्ड का ऊपरी हिस्सा अपनी बहन की चूत की लकीर में समा गया।

मैंने अपने लण्ड को थोड़ा ऊपर की तरफ दबाया तो आपी ने अपना एक हाथ नीचे से मेरे लण्ड पर रखा और उससे हिला-जुला कर अपनी चूत में सही तरह से फिट करने लगीं। आपी ने मेरे लण्ड को अपनी चूत पर राईट लेफ्ट हिलाते हुए दबाया तो आपी की चूत के दोनों होंठ खुल से गए और मेरा लण्ड आपी की चूत के अंदरूनी नर्म हिस्से पर छू गया।

आपी के मुँह से एक और ‘अहह…’ खारिज हुई और वो अपनी टाँगों को मज़बूती से भींचते हुए सिसकती आवाज़ में बोलीं- “हाँ... सगीर... उफ़फ्फ़… हान्ं... अब आगे-पीछे करो”

मैंने अपने हाथ अपनी बहन की कमर के इर्द-गिर्द से गुजारे और आपी के खूबसूरत खड़े उभारों को अपने हाथों में थाम लिया और उन्हें दबाते हुए अपना लण्ड आपी की रानों के दरमियान में आगे-पीछे करने लगा।

मैं जब अपना लण्ड पीछे को खींचता तो मेरा लण्ड आपी की चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर रगड़ ख़ाता हुआ पीछे आता और जब मेरे लण्ड का रिंग, जो रिंग टोपी के एंड पर होता है, आपी की चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर टच होता तो आपी के बदन में झुरझुरी सी फैल जाती और वो मज़े के शदीद असर से सिसकारी भरतीं।

इसी के साथ मैं उनके मज़े को दोगुना करने के लिए आपी के मम्मों को दबा कर उनकी प्यारे से खड़े हुए और सख़्त निप्पलों को अपनी चुटकी में भर कर मसल देता। अपने लण्ड को ऐसे ही रगड़ते हुए और आपी के निप्पलों से खेलते हुए मैंने अपने होंठ आपी की कमर पर रखे और उनकी कमर को चूमने और चाटने लगा।

आपी ने मज़े से एक ‘आहह...’ भरते हुए अपनी गर्दन को दायें बायें झटका सा दिया और उनकी नज़र अपनी बाईं तरफ़ आईने में पड़ी तो वो सिसकारते हुए बोलीं- “आह सगीर! आईने में देखो”

मैंने आपी की कमर पर अपना गाल रगड़ते हुए आईने में देखा तो इस नज़ारे ने मेरे बदन में मज़े की एक अनोखी लहर दौड़ा दी।

आईने में मेरा और आपी का साइड पोज़ नज़र आ रहा था। आपी कुर्सी के बाजुओं पर हाथ रखे झुक कर खड़ी थीं। उनका चेहरा आईने की ही तरफ था और मैं आपी पर झुका हुआ उनकी रानों में अपना लण्ड फँसाए अपना लण्ड आगे-पीछे कर रहा था।

लेकिन आईने में ऐसा ही लग रहा था जैसे मैं अपना लण्ड अपनी बहन की चूत में डाले हुए अन्दर-बाहर कर रहा होऊँ।

मैंने पूरे मंज़र पर नज़र डाल कर आपी के चेहरे की तरफ नज़र डाली तो मुझसे नज़र मिलने पर आपी मुस्कुरा कर जोशीले अंदाज़ में बोलीं- “देखो सगीर! बिल्कुल ऐसा लग रहा है ना, जैसे तुम मुझे कर रहे हो… है ना?”

मैंने शरारत से आपी को देखा और कहा- “आपी मैं क्या ‘कर’ रहा हूँ आपको, सही लफ्ज़ बोलो ना?”

आपी के चेहरे पर हल्की सी शर्म की लहर पैदा हुई और वो बोलीं- “वो ही कर रहे हो जो एक मर्द औरत के साथ इन हालत में करता है”

मैंने ज़रा जिद्दी से अंदाज़ में कहा- “यार साफ-साफ बोलो ना आपी, अब क्यों शरमाती हो, प्लीज़ बोलो ना”

आपी थोड़ी देर चुप रहीं और अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लण्ड को अपनी चूत पर ऊपर की तरफ दबाया जो कि अब ज़रा नीचे हो गया था और बोलीं- “अच्छा सुनो साफ-साफ, बिल्कुल ऐसा लग रहा है जैसे मेरा सगा भाई मुझे यानि कि अपनी सग़ी बहन, अपनी बड़ी बहन को चोद रहा है”

मैं आपी के अल्फ़ाज़ सुन कर एकदम दंग रह गया और मेरा मुँह खुला का खुला रह गया क्योंकि मुझे उम्मीद नहीं थी कि आपी इतने खुले अल्फ़ाज़ में ऐसे कह देंगी। आपी ने एक गहरी नज़र से मेरी आँखों में देखा और वॉर्निंग देने के अंदाज़ में कहा- “सगीर मेरे भाई, तुम अभी औरत को जानते नहीं हो। मुझे छुपा ही रहने दो मेरी झिझक कायम ही रहने दो। मेरा कमीनापन बाहर मत लाओ वरना मैं तुम से संभाली नहीं जाउंगी। पहले ही बता रही हूँ”

TO BE CONTINUED ....
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Iii........ ssssssss
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#97
Heart 
यह बात कहते हो आपी की आँखें उस टाइम बिल्कुल बिल्ली से मुशबाह हो गई थीं और उन आँखों में बगावत का तूफान था, जिन्सी जुनून था, इंतेहा को पहुँची हुई बेशर्मी थी और अजीब चमक थी।

पता नहीं क्या था उनकी आँखों में कि मैं एक लम्हें को दहल सा गया और खौफ की एक लहर पूरे जिस्म में फैल गई। मुझसे आपी की आँखों में देखा ही नहीं गया। मैंने नजरें झुका लीं।

आपी ने एक क़हक़हा लगाया और शरारती अंदाज़ में बोलीं- “हीई हीएहीई, तुम्हारी ही बहन हूँ मैं भी, एक ही खून है दोनों का। अब सोच लो कि मेरी आखिरी हद कहाँ तक हो सकती है। मैं बिगड़ी तो कहाँ तक जा सकती हूँ”

फिर मुझे आँख मार कर मेरा दायाँ हाथ पकड़ा और अपने सीने के उभार से उठा कर नीचे की तरफ़ ले गईं और अपनी चूत के दाने पर रखती हुई बोलीं- “खैर छोड़ो बातें, यहाँ से रगड़ो लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता”

मैंने भी आपी की कही पहले की बात का कोई जवाब नहीं दिया और उनकी चूत के दाने को अपनी उंगली से सहलाता हुआ अपना लण्ड उनकी रानों में रगड़ने लगा। आपी की रानें बहुत चिकनी थीं।

मेरे लण्ड का ऊपरी हिस्सा जो कि आपी की चूत की लकीर में फँसा उनकी चूत के अंदरूनी हिस्से से रगड़ खा रहा था। आपी की चूत से क़तरा-क़तरा निकलते लसदार जूस से तर हो गया था लेकिन मेरे लण्ड की दोनों साइड आपी की रानों में रगड़ लगने से लाल हो गई थीं और मुझे मामूली सी जलन भी महसूस होने लगी थी।

मैंने अपने लण्ड को आपी की रानों से बाहर निकाला और पीछे हटा तो फ़ौरन ही आपी ने कहा- “क्या हुआ? निकाल क्यों लिया?”

मैंने अपने क़दम टेबल पर रखी तेल की बोतल की तरफ बढ़ाते हुए कहा- “रगड़ से जलन हो रही है”

और इसके साथ ही मैंने तेल की बोतल को उठाया और फिर से आपी के पीछे आकर खड़ा हो गया। मैंने थोड़ा सा तेल अपने हाथ पर लिया और झुकते हुए अपने हाथ से आपी की टाँगों को थोड़ा खोलते हुए आपी की दोनों रानों पर लगाया और रानों के साथ ही मैंने हाथ थोड़ा ऊपर किया और आपी की चूत पर अपने हाथ की दो उंगलियों से तेल लगाने लगा।

मैंने अपनी दो उंगलियों से आपी की चूत के पर्दों को अलहदा किया और एक उंगली चूत की लकीर में रख कर अंदरूनी नरम हिस्से को रगड़ कर चूत के सुराख पर अपनी उंगली को रखते हुए हल्का सा दबाव दिया। मेरी उंगली तेल और आपी की कुंवारी चूत से निकलते रस की वजह से पूरी चिकनी थी जो थोड़े से दबाव ही से फिसलती हुई तकरीबन एक इंच तक चूत के अन्दर दाखिल हो गई।

उसी वक़्त आपी ने एक तेज सिसकी भरी और अपनी टाँगों को आपस में बंद करते हुए सीधी खड़ी हो गईं- “सगीर! निकालो बाहर, जल्दी निकालो, मैंने कहा था ना… अन्दर मत डालना”

“कुछ नहीं होता ना आपी, बोलो! क्या मज़ा नहीं आ रहा आपको?”

मैंने आपी को जवाब दिया और 6-7 बार उंगली को अन्दर-बाहर करने के बाद दोबारा सीधा खड़ा हो गया और अपना लण्ड फिर से आपी की रानों के बीच में फँसाते हुए आपी के हाथ को पकड़ा और अपने होंठ आपी की कमर पर रख कर आगे की तरफ ज़ोर दे कर झुका दिया और उनके हाथ कुर्सी के आर्म्स पर रख दिए।

फिर आईने में अपने आपको देखते हुए आपी से कहा- “अब देखो आपी! बिल्कुल मूवी के सीन की तरह लग रहे हैं हम दोनों और ऐसा ही लग रहा है कि जैसे मैं आपको चोद रहा हूँ”

आपी ने भी आईने में देखा और मैंने आपी को देखते हुए ही अपने झटके मारने की स्पीड भी बढ़ा दी। वैसे भी अब मेरा लण्ड बहुत आराम से आपी की रानों में फँसा हुआ आगे-पीछे हो रहा था और तेल की वजह से जलन भी नहीं हो रही थी।
फरहान अभी भी बिस्तर पर बैठा था। थोड़ा सा मुँह खोले मुझे और आपी को देखते हुए अपने लण्ड को मुठी में पकड़े ज़ोर-ज़ोर से मसल रहा था। जब तक मैं या आपी उससे खुद से नहीं बुलाते थे वो हमारे पास नहीं आता था।

मैंने उससे सख्ती से नसीहत की हुई थी कि वो अपना दिमाग बिल्कुल मत लगाए और जैसा मैं कहूँ वैसा ही करे।

इसी लिए मेरे कहने के मुताबिक़ उसने तमाम हालत मुझ पर छोड़ दिए थे। वो अपनी मर्ज़ी से कोई क़दम नहीं उठाता था।

आपी ने आईने से नज़र हटा कर फरहान की तरफ देखा और उससे हाथ के इशारे से अपनी तरफ बुलाते हुए हँस कर बोलीं- “आओ छोटे शहज़ादे, गंगा बह ही रही है तो तुम भी हाथ धो ही लो”

फरहान एकदम कूद कर बिस्तर से उठा जैसे कि वो बस हमारे बुलाने का ही इन्तजार कर रहा था। वो भागता हुआ आपी के पास आ गया और आते ही अपने हाथ आपी के सीने के उभारों की तरफ बढ़ाए ही थे कि आपी ने उसके हाथ को झटका दिया और बोलीं- “जब तक वहाँ बैठे रहते हो तो सब्र में रहते हो लेकिन मेरे पास आते ही जंगली हो जाते हो। रुको और सीधे खड़े हो जाओ”

फरहान सीधा खड़ा हुआ तो आपी ने अपना हाथ कुर्सी से उठाया और फरहान के लण्ड को अपने हाथ में पकड़ कर आगे-पीछे करते हुए बोलीं- “अब पकड़ लो लेकिन आहिस्ता-आहिस्ता दबाना, अच्छा!”

फरहान ने अपने हाथ नर्मी से आपी के उभारों पर रखे और उन्हें आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगा। आपी ने सुरूर में आकर अपनी आँखें बंद कर लीं और फरहान के लण्ड पर हाथ चलाते-चलाते ही मुझसे बोलीं- “उम्म्म… सगीर! अपना हाथ आगे ले आओ न”

मैंने आपी की बात सुन कर अपना हाथ आगे से आपी की चूत के दाने पर रख दिया। अब पोजीशन यह थी कि आपी अपनी आँखें बंद किए सिसकारियाँ भरते हुए कुर्सी के बाजुओं पर एक हाथ रखे थोड़ा झुक कर खड़ी थीं और दूसरे हाथ से फरहान के खड़े लण्ड को मुठी में थामे हाथ आगे-पीछे कर रही थीं।

फरहान आपी के कंधों को चूमते और चाटते हुए आपी के खूबसूरत सीने के उभारों को अपने हाथ से मसल रहा था। मैंने अपने एक हाथ से आपी की चूत के दाने को चुटकी में पकड़ रखा था और अपना लण्ड आपी की रानों के बीच में रगड़ते हुए उनकी कमर को भी चाटता जा रहा था।

थोड़ी देर बाद आपी ने अपनी आँखें खोलीं और फरहान के लण्ड को छोड़ते हुए अपना हाथ कुर्सी के आर्म पर रखा और कहा- “फरहान! सगीर के पीछे जाओ और पीछे से सगीर को चोदो”

मुझे आपी की बात से शदीद हैरत हुई और आपी के इस ऑर्डर ने मेरे अन्दर एग्ज़ाइट्मेंट की एक नई लहर भर दी।

TO BE CONTINUED ....
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फरहान मेरे पीछे आकर खड़ा हुआ और जैसे ही उसका खड़ा लण्ड मेरी गाण्ड के सुराख से छुआ तो मैंने चिल्ला कर उससे कहा- “बहनचोद! किसी उतावले के चोदे हो! कम से कम तेल तो लगा ले मेरे भाईईईईईई…”

आपी मेरी बात सुन कर और मेरा चिड़चिड़ा अंदाज़ देख कर खिलखिला कर हँसी और फरहान झेंपी सी हँसी हँसते हुए पीछे हट गया और अपने लण्ड पर और मेरी गाण्ड के सुराख पर तेल लगाने के बाद दोबारा अपना लण्ड मेरी गाण्ड के सुराख पर रखा।

तो मैंने उससे धमकाते हुए कहा- “आहिस्ता-आहिस्ता डालना, जंगली नहीं हो जाना”

फरहान ने कोई जवाब नहीं दिया और धीरे-धीरे मेरी गाण्ड में उसका लण्ड अन्दर जाने लगा और पूरा जड़ तक उतारने के बाद फरहान ने आहिस्ता-आहिस्ता झटके मारने शुरू किए। उसका लण्ड मेरी गाण्ड के अंदरूनी हिस्से से रगड़ ख़ाता हुआ अन्दर-बाहर होने लगा।

मैं कुछ देर चुप खड़ा रहा और उसके बाद फरहान के रिदम के साथ ही खुद भी झटके लेने शुरू कर दिए। जब फरहान अपने लण्ड को मेरी गाण्ड के अन्दर दबाता तो में भी अपना लण्ड आपी की रानों के दरमियान अन्दर तक ले जाता और फरहान लण्ड बाहर निकालता तो मैं भी उसी रिदम में अपने लण्ड को आपी की रानों से बाहर की तरफ खींच लेता।

“फरहान, सगीर! देखो ज़रा आईने में कैसा नज़ारा है?”

आपी की आवाज़ हमारे कानों में पड़ी तो मैंने और फरहान ने एक साथ ही आईने में देखा और बेसाख्ता ही मेरे मुँह से निकाला- “ववऊओ…”

हमारा साइड पोज़ आईने में नज़र आ रहा था और बिल्कुल ऐसा ही लग रहा था जैसे मैं आपी को चोद रहा होऊँ और फरहान मुझे चोद रहा है। आपी ने आईने में ही नज़र जमाए मुझे देखा और आँख मार कर बोलीं- “कैसा सीन है। बोलो कभी ऐसा सीन देखा है किसी फिल्म में? अरे थैंक यू बोलो अपनी बड़ी बहन को जो ऐसा मज़ेदार आइडिया दिया है मैंने!”

इस नज़ारे ने हम तीनों के जिस्मों में ही बिजली सी भर दी थी और हमारे झटकों की रफ़्तार काफ़ी तेज हो गई थी। मैंने अपना हाथ आपी की चूत से हटाया और उनके दोनों सीने के उभारों को अपने हाथों से दबाने और मसलने लगा। आपी ने मेरा हाथ उनकी चूत से हटता महसूस किया तो अपना एक हाथ कुर्सी से उठा कर अपनी चूत पर रख लिया और तेजी से अपनी चूत को मसलने लगीं।

अचानक ही फरहान के झटके बहुत तेज हो गए और मैंने आपी की रानों में अपने लण्ड को रोक लिया और फरहान के लण्ड को अपनी गाण्ड में तेजी से अन्दर-बाहर होता महसूस करने लगा। चंद ही तेज-तेज झटकों के बाद फरहान का जिस्म अकड़ गया और उसने एक ज़ोरदार झटका मार कर अपने लण्ड को मेरी गाण्ड में जड़ तक उतार दिया और इसके साथ ही मैंने फरहान के लण्ड से निकलते गरम-गरम जूस को अपनी गाण्ड के अन्दर महसूस किया।

इस अहसास ने मुझे भी एकदम ही मंज़िल पर पहुँचा दिया और मेरे लण्ड से भी गरम गाढ़ा सफ़ेद पानी निकल कर आपी की रानों पर चिपकने लगा।

मैंने डिसचार्ज होते वक़्त आपी के सीने के उभारों को बहुत ताक़त से अपने हाथों में दबोचा था और मेरा जिस्म अकड़ गया था जिससे आपी ने भी मुझे डिसचार्ज होता महसूस कर लिया था और उनका हाथ उनकी चूत पर बहुत तेजी से चलने लगा था।

मैंने आपी को छोड़ा और उनसे पीछे हुआ ही था कि उनके जिस्म ने भी झटके लेने शुरू किए और आपी की चूत की दहकती आग उनके अपने ही जूस से ठंडी होने लगी।

मुझे नहीं पता मेरे दिल में पता नहीं क्या आया कि मैंने झुक के आपी की रानों पर लगे अपने ही लण्ड के जूस को काफ़ी मिक़दर में चाटा और अपने मुँह में अपना जूस भर कर आपी के सामने आया और उनके चेहरे को दोनों हाथों से थाम कर अपने होंठ अपनी आपी के होंठों से चिपका दिए।

आपी ने भी रिस्पोन्स दिया और मेरे होंठों को चूसने लगीं। मैंने ऐसे ही किस करते-करते अपने मुँह में भरे अपने लण्ड के जूस को अपनी ज़ुबान से ढकेलते हुए आपी के मुँह में दाखिल कर दिया और उनके चेहरे को मज़ीद मज़बूती से थामते हुए उसी तरह किस करता रहा।

जब मुझे यक़ीन हो गया कि मेरे लण्ड का सारा जूस मेरे मुँह से आपी के मुँह में मुन्तकिल हो गया है तो मैंने आपी का चेहरा छोड़ा और पीछे हट गया।

आपी ने कुछ सोचने के से अंदाज़ में अपनी ज़ुबान से अपने होंठों को चाटा और सवालिया से अंदाज़ में मुझे देखा।  मैं समझ गया था कि आपी ने अजीब सा ज़ायक़ा अपने मुँह में महसूस कर लिया है। मैं वहाँ ही खड़ा आपी को देखता रहा।

“क्या है?” -आपी ने अभी भी ना समझने के अंदाज़ में पूछा।

मैंने आपी से नज़र मिलने पर उन्हें आँख मारी और मुस्कुरा कर कहा- “देखा आपने, ये इतना बुरा तो नहीं है ना, जितना आप समझ रही थीं?”

आपी ने गुस्सैल अंदाज़ में थूकते हुए कहा- “ऑहह कमीने, गंदे! मैं भी कहूँ कि किस करने से मुँह का ज़ायक़ा अजीब सा क्यों लग रहा है”

मैंने आगे बढ़ कर आपी को अपने बाजुओं में जकड़ लिया और उनके होंठों पर एक ज़ोरदार किस करके कहा- “कुछ नहीं होता आपी, मैंने भी तो आप की चूत से निकलता हुआ जूस पिया है और कसम से बस मुझे इतनी ज्यादा मज़ेदार चीज़ कभी कोई नहीं लगी। आप का जूस बहुत मज़ेदार है तो क्या हुआ अगर आपने भी मेरे लण्ड का पानी चख लिया है”

आपी कुछ देर तो बुरा सा मुँह बनाए चुपचाप अपना मुँह चलाते खड़ी रहीं फिर मेरे गाल को चूम कर अपना मुँह मेरे कान के पास लाईं और शरारती अंदाज़ में बोलीं- “वैसे सगीर इतना बुरा भी नहीं था ये”

यह बोल कर मेरे कान को अपने दाँतों से काटा और मुझसे अलग होकर अपने कपड़ों की तरफ चल दीं।

मेरा दिल चाह रहा था कि अभी हम कुछ देर और ऐसे ही खेलें इसी लिए मैंने आपी को कहा- “आपी थोड़ी देर और रुक जाओ ना प्लीज़ आज दिल और कुछ देर खेलने को चाह रहा है”

आपी ने अपनी सलवार हाथ में पकड़ी हुई थीं और उसे फैला कर अपनी टांग उठा कर सलवार में डालते हुए ही जवाब दिया- “तुम्हारे साथ तो मैं सारी रात भी गुजार लूँ तो तुम्हारा दिल नहीं भरेगा। कल कर लेंगे अभी मुझे जाने दो”

आपी ने सलवार पहन ली थी और अब अपनी क़मीज़ में अपने दोनों हाथ डाले और उसे अपने सिर से गुजार कर गर्दन पर लाते हुए बोलीं- “उस दिन रात को भी जब मैं कमरे में गई तो हनी जाग ही रही थी और मुझसे पूछ भी रही थी कि मैं इतनी देर तक स्टडी-रूम में क्या करती रहती हूँ?”

“तो बता देना था ना कि अपने भाईयों के साथ मज़े कर रही थी” -मैंने मुस्कुरा कर शरारत से जवाब में कहा।

आपी ने अपने कपड़े पहन लिए थे उन्होंने पहले फरहान के माथे को चूमा और फिर मेरे माथे को चूम कर मेरे बालों में हाथ फेरते हुए बोलीं- “चलो बस अब तुम लोग भी सो जाओ मैं भी जाती हूँ”

यह कह कर हमारे कमरे से बाहर चली गईं।

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#99
Hi.... update
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आपी ने कपड़े पहन लिए, फरहान और मेरे माथे को चूम मेरे बालों में हाथ फेरते हुए बोलीं- “तुम दोनों के साथ तो मैं पूरी रात भी गुज़ार लूँ तो तुम्हारा दिल ना भरे। अब तुम सो जाओ, मैं भी जा रही हूँ”

अगली सुबह भी रूटीन की ही सुबह थी। मैंने सब के साथ ही नाश्ता किया लेकिन आपी नाश्ते के टेबल पर मौजूद नहीं थीं शायद उन्हें आज यूनिवर्सिटी नहीं जाना था इसलिए उठी भी नहीं थीं। नाश्ता करके हनी और फरहान अब्बू के साथ ही निकले थे और उनके कुछ ही देर बाद मैं भी अपने कॉलेज चला गया।

दोपहर में जब मैं कॉलेज से घर वापस आया और अपने कमरे में दाखिल हुआ तो मुझे हैरत से एक झटका लगा। फरहान और आपी कंप्यूटर टेबल के सामने बैठे थे और कंप्यूटर पर एक ट्रिपल-एक्स मूवी चल रही थी। फरहान ने टी-शर्ट और ट्राउज़र पहना हुआ था और उसका लण्ड ट्राउज़र से बाहर था। रूही आपी, फरहान का लण्ड अपनी मुठी में पकड़े हाथ ऊपर-नीचे कर रही थीं।

आपी ने भी कॉटन की एक क़मीज़-सलवार का सूट पहन रखा था। उनका दुपट्टा नीचे ज़मीन पर पड़ा था लेकिन काला स्कार्फ उनके सिर पर ही उनके मख़सूस अंदाज़ में बंधा हुआ था और उन दोनों की नजरें स्क्रीन पर जमी थीं।

दरवाज़े की आहट सुन कर फरहान और आपी दोनों ने उसी वक़्त मेरी तरफ़ देखा तो मैंने पूछा- “खैर तो है ना? आज दिन दिहाड़े वारदात हो रही है?”

आपी ने फरहान के लण्ड को ज़ोर से दबा कर और अपने दाँतों को भींच कर कहा- “अम्मी और हनी सलमा खाला के घर गई हैं। शाम में ही वापस आएँगी और हमारे छोटे भाई साहब को जिन्न चढ़ गया है इनका जिन्न उतार रही हूँ”

मैंने आपी की बात सुनी और हँस कर बाथरूम की तरफ जाते हुए कहा- “यार मैं ज़रा नहा लूँ, गर्मी इतनी ज्यादा है कि पूरा जिस्म पसीने से चिप-चिप कर रहा है”

मैं नहाने के बाद तौलिए से अपना जिस्म साफ करते हुए बाथरूम से बाहर निकला। मैंने पहली नज़र कंप्यूटर टेबल पर ही डाली लेकिन आपी और फरहान को वहाँ ना पा कर मैंने दूसरी तरफ देखा तो आपी आईने के सामने कल रात वाले सेम अंदाज़ में खड़ी थीं और फरहान उनकी रानों के बीच में अपना लण्ड फंसाए आगे-पीछे हो रहा था।

आपी ने भी उसी वक़्त मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दीं। मैंने भी आपी की मुस्कुराहट का जबाव मुस्कुरा कर ही दिया। मैंने उनके सामने आकर अपने होंठ आपी के खूबसूरत और नर्म-ओ-नाज़ुक होंठों से चिपका दिए। एक सादे चुम्बन के बाद मैंने अपना ऊपर वाला होंठ आपी के ऊपर वाले होंठ से ऊपर रखा और अपना नीचे वाला होंठ आपी के नीचे वाले होंठ से नीचे रख कर आपी के दोनों होंठों को अपने होंठों में पकड़ लिया और चूसने लगा।

आपी के होंठ चूसने में इतना मज़ा आता था कि मैं घन्टों तक सिर्फ़ उनके होंठ ही चूसता रहूं तो भी मेरे लिए यही बहुत था। भरपूर अंदाज़ में आपी के होंठ चूसने के बाद मैंने अपने होंठ आपी के होंठों से हटाए और चेहरा उनके चेहरे के सामने रखे मुहब्बत भरी नजरों से आपी की आँखों में देखा।

मैं और आपी एक-दूसरे की आँखों में डूबने के क़रीब ही थे कि अचानक आपी का सिर मेरे नाक से टकराया जैसे कि उन्होंने टक्कर मारी हो।

उसी वक़्त फरहान की मज़े से भरी ‘आआहह..’ मुझे सुनाई दी और मैं तक़लीफ़ से अपनी नाक को अपने हाथ में पकड़े ‘उफ्फ़ ऑश..’ करते हुए पीछे हट गया।

आपी भी फ़ौरन मेरी तरफ बढ़ीं और कहा- “ज्यादा तो नहीं लगी?”

मैंने नहीं के अंदाज़ में अपना सिर हिलाया और आपी को देखते हुए झुंझलाहट में कहा- “हुआ क्या था आपको?”

उन्होंने हँसते हुए फरहान की तरफ इशारा कर दिया। मैंने फरहान को देखा तो वो हाँफता हुआ ज़मीन पर बैठा था और उसने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा हुआ था। उसका हाथ उसके अपने ही लण्ड के जूस से भरा था।

तब मुझे समझ में आई कि असल में हुआ ये था कि मैं और आपी तो अपने में मगन थे और फरहान आपी की रानों में अपना लण्ड डाल कर झटके लगा रहा था और अचानक ही वो अपना कंट्रोल खो बैठा और उसने एक जोरदार झटका मारा।

उस झटके की ही वजह से आपी का सिर मेरी नाक से टकराया था और आपी भी फ़ौरन आगे बढ़ी थीं जिससे फरहान का लण्ड उनकी रानों से बाहर आ गया था लेकिन फरहान बिल्कुल आखिरी स्टेज पर था और आपी के आगे होते ही फरहान के लण्ड ने अपना पानी छोड़ दिया और उसने अपने ही हाथ से आखिरी 2-3 झटके दिए जिससे फरहान का हाथ और उसकी टाँगें भी उसके पानी से तर हो गईं।

आपी ने मेरी बगलों में हाथ डाल कर सहारा देकर मुझे उठाया और कहा- “चलो बेड पर बैठो”

मैं बेड की तरफ चल दिया। आपी ने अपना दुपट्टा उठाया और उसके कोने की छोटी सी गठरी बना कर मेरे पास आ गईं। मैं बेड पर बैठा तो आपी अपने दुपट्टे की गठरी पर फूँकें मार-मार कर मेरी नाक को सेंकने लगीं। मैं आपी के खूबसूरत जिस्म को देखने लगा आपी की हरकत के साथ ही उनके बड़े-बड़े मम्मे भी हरकत कर रहे थे। आपी के निप्पल अभी भी मुकम्मल खड़े थे उनका पेट, उनकी रानें, हर चीज़ इतनी मुतनसीब थीं कि देख कर दिल ही नहीं भरता था। आपी कुछ देर मेरे नाक को सहलाती रहीं। नाक की तक़लीफ़ की वजह से ही मेरा लण्ड भी बैठ गया था।

आपी ने दुपट्टा साइड पर फेंका और मेरे साथ बैठ कर मेरे बैठे हुए लण्ड को अपने हाथ में लिया और कुछ देर तक उससे गौर से देखने के बाद बिल्कुल बच्चों के अंदाज़ में खुश होते हुए कहा- “ये अभी कितना छोटा सा मासूम सा लग रहा है ना? नरम-नरम सा और बाद में कितना बड़ा और सख़्त हो जाता है”

वे मेरे नर्म लण्ड को दबाने लगीं।

मैंने कहा- “आपी आपने थोड़ी देर ऐसे ही पकड़े रखा तो यह नर्म नहीं रहेगा, अपने जलाल में आ ही जाएगा”

यह कह कर मैंने आपी के कंधों को थामा और आपी को अपने साथ ही नीचे लिटाता हुआ पीछे की तरफ लेट गया।

आपी के लेटने से मेरी नज़र फरहान पर पड़ी वो अब भी बेसुध सा ज़मीन पर लेटा हुआ था और उसकी आँखें भी बंद थीं शायद सो ही गया था। मैंने लेटे-लेटे ही करवट बदली और थोड़ा सा आपी के ऊपर होकर उनके एक गुलाबी खड़े निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे उभार को अपने हाथ से मसलने लगा।

आपी के हाथ में मेरा लण्ड अब फिर से फूलने लगा था। कुछ देर में ऐसे ही बारी-बारी से आपी के सीने के उभारों को चूसता रहा और मेरा लण्ड अपने जोबन पर आ गया। मैं उठा और टेबल से तेल की बोतल उठा लाया। मैंने अपने लण्ड पर ढेर सारा तेल लगाया और फिर अपने हाथ में तेल लेकर आपी के खूबसूरत मम्मों के दरमियान भी लगा दिया।

आपी ने हैरानी की कैफियत में मुझे देखा और पूछा- “सगीर! ये क्या कर रहे हो तुम?”

मैं आपी के ऊपर ऐसे बैठ गया कि मेरे घुटने उनकी बगलों के दरमियान आ गए लेकिन मैंने अपना वज़न अपने घुटनों पर ही रखा और अपने खड़े लण्ड को अपनी बहन के सीने के उभारों के दरमियान रख कर उनसे कहा- “आपी अब अपने हाथों से अपने दोनों उभारों को दबाओ”

आपी अब समझ गईं कि मैं क्या करना चाह रहा हूँ। हमने साथ में और अकेले-अकेले में ही बहुत ट्रिपल-एक्स मूवीज देखी थीं और ये सब चीजें मेरे लिए और आपी के लिए नई नहीं थीं।

आपी ने खुश होते हो कहा- “गुड शहज़ादे! अच्छी पोजीशन है ये”

उन्होंने अपने दोनों उभारों को दबा कर मेरे लण्ड को उनके दरमियान भींच लिया।

मैंने दिखावे का गुस्सा दिखाते हुए कहा- “आप सही जगह तो डालने देती नहीं हो, अब ऐसी ही जगहें ढूँढ़नी पड़ेंगी ना आपी!”

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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