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Adultery रंगीली बीबी
#21
Heart 
सलोनी- “ओह ज़मील, आज मुझे जल्दी जाना है। फिर कभी तुम घर आकर आराम से चेक कर लेना” और सलोनी ने झुककर उस लड़के के मुँह पर चूम लिया।
बस अब तो ज़मील की प्रसन्नता का गुब्बारा फट पड़ा। उसने सलोनी को कसकर अपनी बाँहों में भर लिया। उसने अपनी कमर सलोनी के चूत वाले भाग पर घिसते हुए ही बोला,
लड़का- “मैडम जी कल से आपकी याद में मेरा लण्ड खड़ा ही है। यह साला बैठने का नाम ही नहीं ले रहा”
साफ़ लग रहा था कि वो अपना लण्ड सलोनी कि चूत पर रगड़ रहा था। चाहे कैप्री के ऊपर से ही।
लड़का- “मैडम जी, जब से आपकी इतनी प्यारी चूत देखी है, मेरा लण्ड ने तो जिद पकड़ ली है कि एक बार तो वहाँ जरूर जाऊँगा”
सलोनी- “ओह छोड़ो ना”
लड़का उसको और कसकर चिपकते हुए- “सच मेमसाब मैंने पूरी जिंदगी में इतनी प्यारी और चिकनी चूत नहीं देखी। यहाँ बाहर मेरे यहाँ 6-7 लड़कियां काम करती हैं, मैं सबको यहीं कई बार चोद चुका हूँ मगर सबकी चूत आपकी चूत के सामने बिल्कुल बेकार है। सच कहूँ कल एक बार आपकी चूत छूने से ही मेरा पानी निकल गया था और आपके पति भी कितने अच्छे हैं, उन्होंने खुद अपने हाथों से मेरे को मजा करवाया”
सलोनी- “ओह नहीं…!!!”
लड़का- “अहा हा… ह्ह्ह, सही मैडम जी, मैंने 3-4 शादीशुदा को भी चोदा है और मेरी दिली इच्छा थी कि काश मैं उनको उनके पति के सामने चोदूँ पर वो सभी ना जाने क्यों डरती हैं। सुसरी चुदवाते हुए तो खूब आवाज करेंगी पर पति से कहने से भी डरती हैं पर आप एकदम अलग हो, आप तो अपने पति के सामने ही मजा करती हो। आपको तो भाई शाब के सामने ही चोदूंगा”
तभी अचानक सलोनी ने उसको कसकर धक्का दिया। वो पीछे को हो गया।
सलोनी- “बस बहुत हो गया, अब मुझे जाने दो और हाँ वो मेरे पति नहीं थे समझे, तुम अपना काम करो, मैं ऐसी वैसी नहीं हूँ”
लड़का- “ओह सॉरी मैडम जी, वो मैं समझा इसीलिए इसका मतलब…”
सलोनी ने जल्दी से अपनी शर्ट पहनी और जल्दी जल्दी वहाँ से बाहर निकल गई। मैं और वो लड़का भौंचक्के से उसको जाते देखते रह गए कि अचानक यह हुआ क्या?
मैं वहाँ खड़ा अभी सलोनी के बारे में सोच ही रहा था कि यह अचानक उसको क्या हुआ? वो चुदवाने को मना तो कर सकती थी मगर इस तरह अपनी नई वाली कच्छी-ब्रा भी छोड़कर यूँ भाग जाना? जरूर कोई बात तो है…
मैं वहाँ से निकल सलोनी के पीछे जाने की सोच ही रहा था और उस लड़के ज़मील के हटने का इन्तजार कर रहा था कि लगता था कुछ ज्यादा ही गर्म हो गया था। उसने अपना लोअर नीचे कर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। उसका लण्ड कुछ बहुत ही अजीब सा था। 6-7 इंच लम्बा और शायद 2.5 से 3 इंच मोटा पर उसका सुपाड़ा बहुत खतरनाक था, बिल्कुल खुला और बहुत मोटा।
मुझे लगा कि इसके लण्ड का यह अगला भाग अच्छी अच्छी चूतों की चीखें निकाल देता होगा और खास बात यह थी कि लण्ड बहुत अजीब तरीके से मुड़ा हुआ था, एकदम सीधा नहीं था तो इस समय वो अपने लण्ड को सहलाते हुए ही बात भी कर रहा था जैसे उसको समझा रहा हो,
लड़का- “ओह मेरे यार, मैं क्या करूँ, साली, अच्छी खासी पट गई थी मगर ना जाने क्या हुआ पुच…पुच… मान जा, फिर किसी दिन दिलाऊँगा”
मैं अभी यह सोच ही रहा था कि क्या सलोनी को उसके इस भयंकर लण्ड का आभास हो गया था जो वो ऐसे भाग गई? कि तभी उस लड़के और मेरी नजर एक साथ ही सामने एक परदे पर पड़ी। वहाँ एक लड़की जो शायद उसी दुकान पर काम करती थी, दिखी जो छुपकर जाने का प्रयास कर रही थी।
लड़का- “ऐ एएए नाज़नीन, इधर आ तू, क्या कर रही है यहाँ”
मैं स्थिति को समझने का प्रयास कर ही रहा था कि उस लड़के के पास आ गई थी मगर वो अभी भी लण्ड को अपने हाथ से पकड़े उससे बात कर रहा था। उसने अपना लण्ड अभी तक लोअर के अंदर नहीं किया था।
नाज़नीन- “वो सर, मैं तो आपको ही ढूंढ रही थी। ये सामान दिखाना था”
उसके हाथ में दो ब्रा थीं। नाज़नीन कोई 5 फुट की छोटे कद की, पतली दुबली, सांवले रंग की थी। उसके पहनावे और मेकअप से लग रहा था कि वो एक गरीब परिवार की होगी। उसने एक सस्ती सी झीनी काले रंग की कुर्ती और सफ़ेद टाइट पजामी पहनी थी। कुर्ती से उसकी ब्रा साफ़ दिख रही थी। उसने अपने कंधे तक के बालों को खुला छोड़ रखा था जो कुछ बिखरे हुए भी थे। उसकी चूचियाँ तो कुछ खास नहीं थीं। कुर्ती से हलकी सी ही उभरी हुई दिख रही थीं मगर हाँ उसकी गांड काफी उभरी हुई दिख रही थी जो उसके पूरे शरीर का सबसे आकर्षक भाग था।
तभीवहाँ एक मोबाइल बजने लगा।
लड़का- “रुक तू अभी, यह तो उसी का फोन है। हाँ मैडम जी, क्या हुआ आप इतना नाराज क्यों हो गई। अगर मुझसे कोई गलती हो गई हो तो माफ़ कर दो। अपना सामान तो ले जाती”
ओह ये तो सलोनी का ही फोन था। मैंने रात को अपने वॉयस रिकॉर्डर से जान लिया था कि सलोनी ने उससे क्या बात की थी। जो यहाँ बता रहा हूँ…
सलोनी- “अरे मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ, वो वहा कोई खड़ा था ना इसलिए मैं आ गई। मुझे बहुत शर्म आ रही थी वहाँ”
लड़का- “अरे मैडम जी ये कोई नहीं, नाज़नीन ही थी। आप ही के कपड़े लेकर आई थी। यह यहाँ सिलाई का काम करती है इससे न डरो, आप आ जाओ”
सलोनी- “अरे नहीं, अब नहीं, और वहाँ मुझे अच्छा नहीं लगा। तुम्हारे यहाँ एक चेंज रूम भी होना चाहिए ना”
लड़का- “अब क्या करूँ मैडम जी, वो हो ही नहीं पाया मगर आप डरो नहीं यहाँ कोई नहीं आता केवल यही सब ही आती हैं बस…”
सलोनी- “छोड़ो ये सब, तुम ऐसा करना, मैं बता दूंगी। मेरे घर ही भिजवा देना या खुद ही ले आना, मैं वहीं चेक करके बता दूँगी”
लड़का- “ठीक है मैडम जी, बताओ कहाँ?? मैं अभी आ जाता हूँ”
सलोनी- “अरे अभी तो नहीं, मुझे अभी बाजार में ही काम है और फिर इनके ऑफिस जाना है फिर 1-2 दिन में बता दूंगी”
लड़का- “ओह मैडम जी, यह तो बहुत बुरा हुआ इस साली की वजह से”
वो नाज़नीन को बालों से पकड़ अपने लण्ड पर झुका देता है जो फिर से तन गया था और इस समय कहीं ज्यादा भयंकर हो गया था। यह शायद सलोनी की सेक्सी आवाज के कारण हुआ था। नाज़नीन भी उसके लण्ड को अपने हाथ से पकड़ झुक कर उसको पुचकारने लगती है। मैं उस लड़के की किस्मत पर रस्क करने लगता हूँ कि क्या किस्मत है साले की, अभी कुछ देर पहले मेरी बीवी के मम्मो को मसल रहा था और अब इस लड़की से अपना लण्ड चुसवा रहा है।
नाज़नीन की पीठ मेरी ओर थी जब वो झुकी तो उसकी कुर्ती उसके मोटे चूतड़ों से ऊपर सरक गई। ओह माय गॉड उसके विशाल चूतड़ केवल सफ़ेद टाइट पजामी में मेरे सामने थे। उसके चूतड़ उसकी उस इलास्टिक वाली पजामी में नहीं समां रहे थे।
उसके झुकने से उसकी पजामी उसके चूतड़ों से काफी नीचे को फिसल रही थी जिससे उसके चूतड़ों का ऊपरी हिस्सा और चूतड़ों की दरार तक साफ़-साफ़ दिख रही थी। उसने एक काली कच्छी भी पहनी थी जो पूरी साफ़ उसकी पजामी से दिख रही थी। लेकिन उसकी कच्छी बहुत पुरानी थी जिसकी इलास्टिक तक ढीली हो गई थी। जो उसकी पजामी के साथ ही नीचे को सिमट गई थी। इस सेक्सी नज़ारे को देख मैं सलोनी को भूल गया सोचा उसको तो बाद में भी देख लेंगे पहले इसको ही देखा जाये।
लड़का अपना लण्ड चुसवाते हुए सलोनी से अभी भी बात कर रहा था।
लड़का- “क्या मैडम जी, आप तो मेरा खड़ा करके भाग गई, अब मैं क्या करूँ?”
सलोनी- “तुम पागल हो क्या? इसमें मैं क्या कर सकती हूँ। वो तुम समझो, मुझे मेरे कपड़े चाहिए बस बाकी अपना जो भी है वो तुम जानो। हे हे हे हे हा हा”
लड़का- “मैडम जी ऐसा ना करो…”
सलोनी- “अच्छा ठीक है फिर बात करती हूँ अभी तुम अपना काम करो। बाय…”
लड़का- “ओह नहींईई मैडम जी, ये क्या…” और वो गुस्से में ही उस बेचारी नाज़नीन पर टूट पड़ता है।
लड़का- “चल सुसरी, तेरी वजह से आज एक प्यारी चूत निकल गई। चल अब तू ही इसे शांत कर”
वो उसको उसी मेज पर झुकाकर उसकी पजामी एकदम से नीचे खींच देता है। मैं बिना पलक झपकाये उधर देख रहा था। वो लड़का कैसे नाज़नीन के साथ मस्ती कर रहा था। कुछ लड़कियाँ कपड़ों में बेइंतहा खूबसूरत लगती हैं मगर वो अपने अंदर के अंगों का ध्यान नहीं रखती इसलिए कपड़ों के बिना उनमें वो रस नहीं आता मगर कुछ देखने में तो साधारण ही होती हैं, पर कच्छी निकालते ही उनकी गाण्ड और चूत देखते ही लण्ड पानी छोड़ देता है, नाज़नीन कुछ वैसी ही थी। उसकी गाण्ड और चूत में एक अलग ही कशिश थी जो उसको खास बना रही थी। ज़मील ने लण्ड चूसती नाज़नीन का हाथ पकड़ ऊपर उठाया और उसको घुमाकर मेज की ओर झुका दिया। उसने अपने दोनों हाथ से मेज को पकड़ लिया और खुद को तैयार करने लगी। उसको पता था कि आगे क्या होने वाला है।
ज़मील मेरी बीवी के साथ तो बहुत प्यार से पेश आ रहा था मगर नाज़नीन के साथ जालिम की तरह व्यव्हार कर रहा था।
वो उन मर्दों में था कि जब तक चूत नहीं मिलती तब तक उसको प्यार से सहलाते हैं और जब एक बार उस चूत में लण्ड चला जाये तो फिर बेदर्दी पर उतर आते हैं। वो नाज़नीन को पहले कई बार चोद चुका था जो कि साफ़ पता चल रहा था इसलिए उस बेचारी के साथ जालिमो जैसा व्यव्हार कर रहा था। नाज़नीन मेज पर झुककर खड़ी थी, उसकी कुर्ती तो पहले ही बहुत ऊपर खिसक गई थी और पजामी भी चूतड़ से काफी नीचे आ गई थी। ज़मील ने अपने बाएं हाथ की सभी उँगलियाँ एक साथ पजामी में फंसाई और एक झटके से उसको नाज़नीन की जांघों से खींच टखनों तक ला दिया।
नाज़नीन- “उफ़्फ़्फ़…”
नाज़नीन के विशाल चूतड़ पूरी गोलाई लिए मेरे सामने थे। नाज़नीन की कच्छी क्या साथ देती वो तो पहले ही अपनी अंतिम साँसे गिन रही थी वो भी पजामी के साथ ही नीचे आ गई। मैं नाज़नीन के विशाल चूतड़ों का दृश्य ज्यादा देर नहीं देख पाया
क्योंकि उस कमीन ने अपना लण्ड पीछे से नाज़नीन के चूतड़ों से चिपका उसको ढक दिया।
नाज़नीन- “अहा ह्ह्ह्ह… नहीं सर, अव्वह… नहीं करो”
लड़का - “क्यों तुझे अब क्या हुआ साली, उसको भी भगा दिया और खुद भी नखरे कर रही है”
नाज़नीन लगातार अपनी कमर हिला लड़का के खतरनाक लण्ड को अपने चूतड़ों से हटा रही थी।
नाज़नीन- “नहीं सर बहुत दर्द हो रहा है, आज सुबह ही अंकल ने मेरी गाण्ड को सुजा दिया है। बहुत चीस उठ रही है, आप आगे से कर लो, नहीं तो मैं मर जाऊँगी”
लड़का अब थोड़ा रहम दिल भी दिखा, वो नीचे बैठकर उसके चूतड़ों को दोनों हाथ से पकड़ खोलकर देखता है। वाओ मेरा दिल कब से ये देखने का कर रहा था। नाज़नीन के विशाल चूतड़ इस कदर गोलाई लिए और आपस में चिपके थे कि उसके झुककर खड़े होने पर भी गाण्ड या चूत का छेद नहीं दिख रहा था मगर ज़मील के द्वारा दोनों भाग चीरने से अब उसके दोनों छेद दिखने लगे। गाण्ड का छेद तो पूरा लाल और काफी कटा कटा सा दिख रहा था मगर पीछे से झांकती चूत बहुत खूबसूरत दिख रही थी। ज़मील ने वहाँ रखी क्रीम अपने हाथ में ली और उसके गाण्ड के छेद पर बड़े प्यार से लगाई।
लड़का - ये साला अब्बू भी न, तुझे मना किया है ना कि मत जाया कर सुबह सुबह उसके पास, उसके लिए तो जाकिरा और सलीमा ही सही हैं, झेल तो लेती हैं उसका आराम से, फड़वा लेगी तू किसी दिन उससे अपनी”
और उसने कुछ क्रीम उसकी चूत के छेद पर भी लगाई, मैंने सोचा कि ये साले दोनों बाप बेटे कितनी चूतों के साथ मजे ले रहे हैं। फिर लड़का ने खड़े हो पीछे से ही अपना लण्ड नाज़नीन की चूत में फंसा दिया।
नाज़नीन- “आआह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह्ह्हाआआ… इइइइ”
वो तो दुकान में चल रहे तेज म्यूजिक की वजह से उसकी चीख किसी ने नहीं सुनी। वाकयी लड़का के लण्ड का सुपारा था ही ऐसा जो मैंने सोचा था वही हुआ उस बेचारी नाज़नीन की नाजुक चूत की चीख निकल गई लेकिन एक खास बात यह भी थी कि अब लण्ड आराम से अंदर जा रहा था। मतलब केवल पहली चोट के बाद वो चूत को फिर मजे ही देता था। मैं ना जाने क्यों ऐसा सोच रहा था कि यह लण्ड सलोनी की चूत में जा रहा है और वो चिल्ला रही है। अब ज़मील वहाँ  अपनी कमर हिला हिला कर नाज़नीन को चोद रहा था और वहाँ दोनों की आहें गूंज रही थीं। मेरा लण्ड भी बेकाबू हो गया था और अब मुझे वहाँ रुकना भारी लगने लगा।
मैं चुपचाप वहाँ से बाहर निकला और बिना किसी से मिले दुकान से बाहर आ गया। दुकान से बाहर आते समय मुझे वो लड़की फिर मिली जो मुझे ब्रा चड्डी खरीदने के लिए कह रही थी। ना जाने क्यों वो एक तिरछी मुस्कान लिए मुझे देख रही थी। मैंने भी उसको एक स्माइल दी और दुकान से बाहर निकल आया। पहले चारों ओर देखा फिर सावधानी से अपनी कार तक पहुँचा और ऑफिस आ गया।
मन बहुत रोमांचित था मगर काम में नहीं लगा …..
TO BE CONTINUED …..
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#22
फिर अमित को फोन किया, उसको आज रात मेरे यहाँ डिनर पर आना था। उसने कहा कि वो नौ बजे तक पहुँचेगा साथ में रुचिका भी होगी। यह सोचकर मेरे दिल में गुदगुदी हुई, पता नहीं आज सेक्सी क्या पहनकर आएगी। फिर सलोनी के बारे में सोचने लगा कि ना जाने आज क्या पहनेगी और कैसे पेश आएगी। जल्दी जल्दी कुछ काम निपटाकर 6 बजे तक ही घर पहुँच गया।
सलोनी ने दरवाजा खोला…
लगता है वो शाम के लिए तैयारी में ही लगी थी और तैयार होने जा रही थी। उसके गोरे बदन पर केवल एक नीला तौलिया था जो उसने अपनी चूचियों से बांध रखा था। जैसे अमूमन लड़कियाँ नहाने के बाद बांधती हैं पर सलोनी अभी बिना नहाये लग रही थी। उसके बाल बिखरे थे और चेहरे पर भी पसीने के निशान थे। लगता था कि वो बाथरूम में नहाने गई थी और मेरी घंटी की आवाज सुन ऐसे ही दरवाजा खोलने आ गई। उसका तौलिया कुछ लम्बा-चौड़ा था तो घुटनो से करीब 6 इंच ऊपर तक तो आता ही था इसलिए सलोनी की गदराई जांघों का कुछ भाग ही दिखता था।
मैंने सलोनी को अपनी बाँहों में भर लिया…
उसने प्यार से मेरे गाल पर चूमा और कहा- “अंदर नलिनी है। वो रात वाले अरविन्द अंकल याद हैं ना, उनकी बीवी”
हम दोनों ही उनको भाभी ही कहते थे। अंकल तो 60-62 के करीब थे मगर यह उनकी दूसरी शादी थी तो भाभी केवल 40 के आसपास ही थी। उन्होंने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा है। कुछ मोटी तो हैं पर 5 फुट 4 इंच लम्बी, रंग साफ़, 37-28-35 की फिगर उनको पूरी कॉलोनी में एक सेक्सी महिला की लाइन में रखती थी।
मैंने सलोनी से इशारे से ही पूछा- “कहाँ…??”
उसने हमरे बैडरूम की ओर इशारा किया।
मैं- “और तुम क्या तैयार हो रही हो, सिर्फ़ यह तौलिया लपेटे ही क्यों घूम रही हो?”
सलोनी- “अरे मैं काम निपटाकर नहाने गई थी कि तभी ये आ गई इसीलिए!”
मैं- “और अभी, मेरी जगह कोई और होता तो”
सलोनी- “तो क्या… यहाँ कौन आता है?”
तभी अंदर से ही नलिनी भाभी की आवाज आई- “अरे कौन है सलोनी! क्या ये हैं?”
वो अरविन्द अंकल को समझ रही थी। तभी वो बैडरूम के दरवाजे से दिखीं, माय गॉड! क़यामत लग रही थी। उन्होंने सलोनी का जोगिंग वाला नेकर और एक पीली कुर्ती पहनी थी जो उनके पेट तक ही थी। नेकर इतनी कसी थी कि उनकी फूली हुई चूत का उभार ही नहीं बल्कि चूत की पूरी शेप ही साफ़ दिख रही थी। मेरी नजर तो वहाँ से हटी ही नहीं, ऐसा लग रहा था जैसे डबल रोटी को चूत का आकार दे वहाँ लगा दिया हो। भाभी की नजर जैसे ही मुझ पर पड़ी- “हाय राम” कह पीछे को हो गई।
सलोनी बैडरूम में जाते हुए- “अरे भाभी! ये हैं, आज थोड़ा जल्दी आ गए, मैंने बताया था न कि आज इनके दोस्त डिनर पर आने वाले हैं”
मैं भी बिना शरमाये बैडरूम में चला आया जहाँ भाभी सिकुड़ी-सिमटी खड़ी थीं।
मैं- “अरे भाभी, शरमा क्यों रही हो, इतनी मस्त तो लग रही हो, आपको तो ऐसे कपड़े पहनकर ही रहना चाहिए”
भाभी- “हाँ हाँ ठीक है, पर इस समय तुम बाहर जाओ ना, मैं जरा अपने कपड़े बदल लूँ”
सलोनी- “हा हा हा क्या भाभी, आप इनसे क्यों शरमा रही हो”
फ़िए सलोनी ने मेरे से कहा- “जानू, आज भाभी का मूड भी सेक्सी कपड़े पहनने का कर रहा था”
भाभी- “चल पागल, मेरा कहाँ वो तो ये एए…”
सलोनी- “हाँ हाँ, अंकल ने ही कहा पर है तो आपका भी मन ना”
भाभी कुछ ज्यादा ही शरमा रही थीं और अपनी दोनों टांगों की कैंची बना अपनी चूत के उभार को छुपाने की नाकामयाब कोशिश में लगीं थीं।
सलोनी- “जानू, आज भाभी मेरे कपड़े पहन पहनकर देख रही है। कह रही थीं कि कल से अंकल ज़िद कर रहे हैं कि ये क्या बुड्ढों वाले कपड़े पहनती हो। सलोनी जैसे फैशन वाले कपड़े पहना करो। हा हा हा…”
मैं- “तो सही ही तो कहते हैं, हमारी भाभी है ही इतनी सेक्सी और देखो इन कपड़ों में तो तुमसे भी ज्यादा सेक्सी लग रही हैं”
सलोनी- “हा ह हा ह… कहीं तुम्हारा दिल तो खराब नहीं हो रहा”
भाभी- “तुम दोनों पागल हो गए हो क्या? चलो अब जाओ, मुझे चेंज करने दो”
मैं- “ओह भाभी कितना शरमाती हो आप, ऐसा करो, आज इन्ही कपड़ों में अंकल के सामने जाओ, देखना वो कितने खुश हो जायेंगे”
सलोनी- “हाँ भाभी! अंकल की भी मर्जी यही तो है तो आज यही सही”
पता नहीं उन्होंने क्या सोचा और एक कातिल मुस्कुराहट के साथ कहा- “तुम दोनों ऐसी हरकतें कर मेरा हाल बुरा करवाओगे, अच्छा ठीक है, मैं चलती हूँ तुम दोनों मजे करो और हाँ, खिड़की बंद कर लेना, ही… ही…”
मैं चौंक गया। सलोनी दरवाजा बंद करके आ गई।
मैं- “यह भाभी क्या कह रही थीं। खिड़की मतलब, क्या कल ये भी थीं? इन्होंने भी कुछ देखा क्या”
सलोनी- “अरे नहीं जानू! हा हा हा, आज तो बहुत खुश थी। कल अंकल ने जमकर इनको…”
मैं- “क्या?? यह सच है? इन्होंने खुद तुमको बताया?”
सलोनी- “और नहीं तो क्या, पहले तो शिकायत कर रही थी फिर तो बहुत खुश होकर बता रही थी कि कल कई महीने के बाद इन्होंने मजे किये। जानू तुम्हारी शैतानी से इनके जीवन में भी रंग भर गया। अच्छा आप चेंज करो, मैं बस जरा देर में नहाकर आती हूँ। अभी बहुत काम करने हैं”
मैंने देखा बेड पर सलोनी के काफी कपड़े फैले पड़े थे। एक कोने में एक सूट (सलवार, कुरता) भी रखा था। वो सलोनी का तो नहीं था वो जरूर भाभी का ही था। मैंने उस सूट को उठा देखने लगा तभी कुछ नीचे गिरा, अरे ये तो एक जोड़ी ब्रा, चड्डी थे। सफ़ेद ब्रा और सफ़ेद ही चड्डी, दोनों साधारण बनावट के थे। चड्डी तो उन्होंने पहनी ही नहीं थी, यह तो उनकी चूत के उभार से ही पता चल गया था पर अब इसका मतलब भाभी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैंने दोनों को उठा एक बार अपने हाथ से सहलाया और वैसे ही रख दिया और भाभी की चूत और चूची के बारे में सोचने लगा।
तभी मुझे अपने रिकॉर्डर का ध्यान आया, सलोनी तो बाथरूम में थी। मैंने जल्दी से उसके पर्स से रिकॉर्डर निकाल उसको अपने फोन से जोड़ लिया और सुनते हुए अपना काम करने लगा। मैंने रिकॉर्डिंग सुनते हुए ही अपने सभी कपड़े निकाल दिए। कच्छा भी
और तौलिया ले इन्तजार करने लगा। गर्मी बहुत थी, सोचा नहाकर ही तैयार होता हूँ। आज की रिकॉर्डिंग बहुत बोर थी। ज्यादातर खाली ही थी क्योंकि सलोनी अकेली थी तो बहुत जगह आवाज थी ही नहीं। मैंने सोचा कि नहाने के बाद सलोनी के साथ ही मस्ती की जाये कि तभी रिकॉर्डर मे आवाज आई- ट्रीन्न्न्न्न… टिन्न्न्न्न…
यह तो मेरे घर की घण्टी थी। कौन होगा…???
सलोनी- “कौन है?”
“खोलो बेटा…”
दरवाजा खुलने की आवाज …
सलोनी- “ओह आप, आइये अंकल, गुड मॉरनिंग”
ये अरविन्द अंकल थे। वो रात वाले जिन्होंने पूरा लाइव शो देखा था।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#23
अंकल- “हाँ बेटा! गॉड ब्लेस यू, पुछ्ह्ह”
अंकल जब भी मिलते थे तो माथे पर किस करते थे। जो शायद उन्होंने की होगी।
सलोनी- “अरे अंकल क्या करते हो, मेरे हाथ गंदे हैं। वो क्या है कि मैं कपड़े धो रही थी”
अंकल- “अरे तो क्या हुआ बच्चे, तभी तू पूरी गीली है”
सलोनी- “हाँ अंकल, बताइये क्या काम है?”
मैं सोच रहा था कि पता नहीं सलोनी ने क्या पहना होगा और अंकल को अब क्या दिखा रही होगी???
अंकल- “बेटा वो तेरी आंटी को भी अब तेरी तरह मॉडर्न कपड़े पहनने का शौक हो गया है। क्या तू उसको बाजार से शॉपिंग करवा देगी? अब उसको शौक तो हो गया पर पता नहीं है कि कहाँ और कैसे। तो तू उसकी हेल्प कर देना”
सलोनी- “हा हा अंकल, उनको या आपको?”
अंकल- “अरे मैं तो कबसे उसको बोलता था कि तेरी तरह सेक्सी कपड़े पहना करे। पर मानती ही नहीं थी अब खुद कह रही है”
सलोनी- “क्यों ऐसा क्या हुआ?”
अंकल- “यह तू उसी से पूछना”
सलोनी- “ठीक है अंकल”
अंकल- “और 2-4 ऐसी नाइटी भी दिला देना जिसमें सब दिखे”
सलोनी- “हा हा अंकल! आप भी ना, अब आंटी ऐसे कपड़े पहन किसको दिखाएंगी”
अंकल- “अरे बेटी कितनी सेक्सी लगती है ना, मैं चाहता हूँ वो तुम जैसी हो जाये और जीवन के मजे ले”
सलोनी- “ओह छोड़ो ना अंकल, क्या करते हो???????”
अंकल- “और उसको अपने जैसा बोल्ड भी बना देना कि किसी क़े सामने ऐसे कपड़े पहन आराम से खड़े हो सके”
सलोनी- “अच्छा तो क्या आप भी मुझे गन्दी नजर से देख रहे हो”
अंकल- “अरे नहीं बेटा, मैं तो तेरी तारीफ कर रहा हूँ। अगर तेरी आंटी भी तेरे जैसी हो जाये तो मैं तो फिर से जवान हो जाऊँगा”
सलोनी- “अरे अंकल आप तो अभी भी जवान हो किसने कह दिया कि आप बूढ़े हो”
अंकल- “ओह थैक्स बेटा, कल तो तेरी आंटी भी मान गई तभी तो ऐसे कपड़ों की ज़िद कर रही है!”
सलोनी- “ओके अंकल, मैं उनको खूब सेक्सी बना दूँगी। आप चिंता ना करो। अच्छा अब मुझे देखना बंद करो, आप आंटी को ही देखना हे हे…”
अंकल- “अरे नहीं बेटा, तू तो है ही इतनी सेक्सी कि हरदम देखने का दिल करता है”
सलोनी- “ठीक है अब बहुत देख लिया अब मुझे काम करने दो। बाय बाय”
अंकल- “ओह बाय बेटा”
बस फिर ज्यादा कुछ नहीं था रिकॉर्डिंग में।
तभी सलोनी पूरी नंगी बाथरूम से बाहर आई हमेशा की तरह। मुझे देख मुस्कुराई, मैं भी उसको चूमकर- “अच्छा जान मैं भी फ्रेश हो लेता हूँ”
सलोनी- “ओ के जानू”
मैं बाथरूम में चला गया। मैं बाथरूम में जाकर नहाने की तैयारी कर ही रहा था कि मुझे दरवाजे की घण्टी की आवाज सुनाई दी।
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…
मैं सोचने लगा कि अभी कौन आ गया। अमित तो रात को आने वाला था…
तभी मेरे दिमाग में आया कि सलोनी तो सिर्फ तौलिया में ही थी वो कैसे दरवाजा खोलेगी।
ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न… एक बार फिर से घंटी बजी…
इसका मतलब सलोनी कपड़े पहन रही होगी इसीलिए कोई बेचारा इन्तजार कर रहा होगा। मगर अचानक मुझे दरवाजा खुलने की आवाज भी आ गई। इतनी जल्दी तो सलोनी कपड़े नहीं पहन सकती, उसने शायद गाउन डालकर ही दरवाजा खोल दिया होगा। मैं खुद को रोक नहीं पाया फिर से रोशनदान पर चढ़कर देखने लगा कि आखिर क्या पहनकर उसने दरवाजा खोला और है कौन आने वाला…??
और मैं चौंक गया सलोनी अभी भी तौलिये में ही थी। उसने वैसे ही दरवाजा खोला था और आने वाले अरविन्द अंकल थे उनके हाथ में सलोनी के कपड़े थे जो भाभी पहनकर गई थी।
सलोनी- “ओह आप अंकल, क्या हुआ??”
अंकल- “बेटा लो ये तेरे कपड़े”
सलोनी- “अरे इतनी क्या जल्दी थी, आ जाते”
फिर थोड़ा शरमा कर मुस्कुराते हुए- “क्यों, आपको भाभी अच्छी नहीं लगी इन कपड़ों में?”
अंकल- “अरे नहीं, सही ही थी, उसमें इतना दम कहाँ, ये कपड़े तो तेरे ऊपर ही गजब ढाते हैं”
सलोनी- “अरे नहीं अंकल, भाभी भी गजब ढा रही थीं। अंकुर तो बस उनको ही देख रहे थे”
अंकल- “क्या अंकुर आ गया? उसने बताया नहीं”
सलोनी- “अरे भूल गई होंगी पर अंकुर उनको देख मस्त हो गए थे”
अंकल- “अच्छा तो उसने भी उसको इन कपड़ों में देख लिया?”
सलोनी- “वैसे सच बताओ अंकल, आंटी मस्त लग रही थी या नहीं?”
अंकल- “हाँ बेटा, लग तो जानमारु रही थी अब तू कल उसको बढ़िया बढ़िया सेट दिलवा देना”
सलोनी- “ठीक है अंकल, आप चिंता ना करो। मैं उनको पूरा सेक्सी बना दूंगी”
अंकल- “अच्छा अब उसके कपड़े तो दे दे, कह रही है वही पहनेगी। अपनी कच्छी ब्रा भी यहीं छोड़कर चली गई”
सलोनी- “हाय, तो क्या भाभी अभी नंगी ही बैठी हैं?”
दोनों अंदर बैडरूम में ही आ गये।
अंकल- “हाँ बेटा, जब मैं आया तब तो नंगी ही थी। जल्दी दे, कहीं और कोई आ गया तो? हे हे हे…”
सलोनी- “क्या अंकल आप भी, ये रखे हैं भाभी के कपड़े”
अंकल कपड़ों को एक हाथ से पकड़ बेड पर सलोनी के बाकी कपड़े और कच्छी ब्रा देख रहे थे।
अंकल- “बेटा तू अपनी भाभी को कुछ बढ़िया ऐसे छोटे छोटे कच्छी-ब्रा भी दिला देना”
सलोनी थोड़ी शरमाते हुए- “ओह क्या अंकल आप भी ना, मेरे ना देखो, भाभी की कच्छी ब्रा लो और जाइये, वो वहाँ नंगी बैठी इन्तजार कर रही होंगी हा हा हा…”
तभी मेरे देखते-देखते अंकल ने तुरंत वो कर दिया जिसकी कल्पना भी नहीं की थी।
अंकल सलोनी के तौलिए को पकड़ कर- “दिखा, तूने कौन से पहने हैं इस समय”
तौलिया शायद बहुत ढीला सा ही बंधा था जो तुरंत खुल गया और मेरी आँखे खुली की खुली रह गईं।
बैडरूम की सफेद चमकती रोशनी में सलोनी पूरी नंगी एक 60 साल के आदमी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी और वो भी तब जब उसका पति यानि कि मैं घर पर बाथरूम में था।
सलोनी बुरी तरह हड़बड़ाते हुए- “नहींईईईईईईई अंकल, क्या कर रहे हो, मैंने अभी कुछ नहीं पहना” और उनके हाथ से एकदम तौलिया खींच अपने को आगे से ढकने की कोशिश करने लगी।
अंकल- “ओह सॉरी बेटा, हा हा हा… मुझे नहीं पता था पर कमाल लग रही हो”
सलोनी- “अच्छा अब जल्दी जाओ, अंकुर अंदर ही हैं”
उसने बाथरूम की ओर चुपके से इशारा किया और ना जाने क्यों बहुत फुसफुसाते हुए बात कर रही थी। वो मजे भी लेना चाहती थी और अभी भी मुझसे डरती थी और ये सब छुपाना भी चाहती थी। अंकल भी जो थोड़ा खुल गए थे उनको भी शायद याद आ गया था कि मैं अभी घर पर ही हूँ।
वो भी थोड़ा सा डरकर बाहर को निकल गए।
अंकल- “अरे सॉरी बेटा”
सलोनी- “अब क्या हुआ??”
अंकल- “अरे उसी के लिए, मैंने तुमको नंगा देख लिया। वो वाकयी मुझे नहीं पता था कि तुमने …”
सलोनी- “अरे छोड़ो भी ना अंकल, ऐसे कह रहे हो जैसे पहली बार देखा हो…”
सलोनी की बातें सुन साफ़ लग रहा था कि वो बहुत बोल्ड लड़की है।
अंकल- “हे हे हे… वो क्या बेटा वो तो हे हे… अलग बात थी मगर इस टाइम तो गजब। सही में बेटा! तू बहुत सेक्सी है।
अंकुर बहुत लकी है”
सलोनी फिर शरमाते हुए- “ओह अंकल थैंक्स, अब आप जाओ अंकुर आते होंगे”
सलोनी ने अभी भी तौलिया बाँधा नहीं था। केवल अपने हाथ से अगला हिस्सा ढक कर अपनी बगल से पकड़ा हुआ था।
अंकल फुसफुसाते हुए- “बेटा एक बात कहूँ, बुरा मत मानना प्लीज़”
सलोनी- “अब क्या है????”
अंकल- “बेटा एक बार और हल्का सा दिखा दे, दिल कि इच्छा पूरी हो जाएगी !!!”

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#24
rangili bibi aur pati dono hi hai..............
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#25
सलोनी- “पागल हो क्या?? जाओ यहाँ से, जाकर भाभी को देखो वो भी नंगी बैठी आपका इन्तजार कर रही हैं। हे हे हे हा हा हा…”
सलोनी के कहने से कहीं भी नहीं लग रहा था कि उसको कोई ऐतराज हुआ हो।
अंकल – “ओह प्लीज़ बेटा…”
सलोनी उनको धकेलते हुए- “नहीं जाओ अब…”
अंकल मायूस सा चेहरा लिए दरवाजे के बाहर चले गये। अब वो मुझे नहीं दिख रहे थे। हाँ सलोनी जरूर दरवाजा पकड़े खड़ी थी जो पीछे से पूरी नंगी थी। उसके उभरे हुए मस्त चूतड़ गजब ढा रहे थे ! पर अभी सलोनी कि शैतानी ख़त्म नहीं हुई थी। उसने दरवाजा बंद करने से पहले जैसे ही हाथ उठाया तो उसका तौलिया फिर निचे गिर गया।
सलोनी थोड़ा ज़ोर से,- “बाई बाई अंकल…”
माय गॉड… एक बार फिर उस शैतान की नानी ने अंकल को अपने नंगी काया की झलक दिखा कर हँसते हुए दरवाजा बंद कर लिया। मैं बस यही सोच रहा था कि यह सलोनी अब रात को अमित को कितना परेशान करने वाली है। मैं नहाकर बाहर आया, हमेशा की तरह नंगा। सलोनी की मस्ती को देख मुझे गुस्सा बिल्कुल नहीं आ रहा था बल्कि एक अलग ही किस्म का रोमांच महसूस कर रहा था। इसका असर मेरे लण्ड पर साफ़ दिख रहा था। ठन्डे पानी से नहाने के बाद भी लण्ड 90 डिग्री पर खड़ा था।
सलोनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी अपने बाल सही कर रही थी। उसने नारंगी रंग का सिल्की गाउन पहना था जो फुल गाउन था मगर उसका गला बहुत गहरा था। इसमें सलोनी जरा भी झुकती थी तो उसकी जानलेवा चूचियों का नजारा हो जाता था और अगर सलोनी ने अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी, जो अक्सर वो करती थी बल्कि यूँ कहो कि घर पर तो वो ब्रा कच्छी पहनती ही नहीं थी तो बिल्कुल गलत नहीं होगा जब इस गाउन में वो ब्रा नहीं पहनती थी तो उसकी गोल मटोल एवं सख्त चूचियाँ उसके गाउन के कपड़े को नीचे कर पूरी तरह से बाहर निकलने की कोशिश करती थी।
उसकी चूचियाँ भी सलोनी की तरह ही शैतान थीं। मुझे अब ज्ञात हो गया था कि मेरी जान सलोनी के इन प्यारे अंगों का मेरे घर में आने वाले ही नहीं बल्कि बाजार में बाहर के लोग भी देख-देख आनन्द लेते हैं। हाँ मैंने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया था वो तो आज पारस के कारण मैं भी इस सबका भाग बन गया था। अब मैं सलोनी को यह अहसास करना चाहता था कि मैं भी एक आम इंसान ही हूँ और तरह तरह के सेक्स में मजा लेता हूँ। मैं कोई दकियानूसी मर्द नहीं हूँ, मुझे भी सलोनी की हरकतें अच्छी लगती हैं और उनका आनन्द लेता हूँ
जिससे वो मुझसे डरे नहीं और मुझे सब कुछ बताये। मुझे यूँ सब कुछ छुपकर न देखना पड़े और मेरा समय भी बचे जिससे मेरे काम पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
मैंने सर को पोंछने के बाद तौलिया वहीं रखा और नंगा ही सलोनी के पीछे जाकर खड़ा हो गया। मैं जैसे ही थोड़ा सा आगे हुआ, मेरा लण्ड सलोनी के गर्दन के निचले हिस्से को छूने लगा। उसने बड़े प्यार से पीछे घूमकर मेरे लण्ड को अपने बाएं हाथ में पकड़ लिया। उसके सीधे हाथ में हेयर ड्रायर था उसने फिर शैतानी करते हुए, अपने बाएं हाथ से पूरे लण्ड को सहलाते हुए ड्रायर का मुँह मेरे लण्ड पर कर दिया और गर्म हवा से लण्ड को और भी ज्यादा गर्म करते हुए सलोनी- “क्या बात, कल से पप्पू का आराम का मन नहीं कर रहा क्या??? जब देखो खड़ा ही रहता है। हा हा हा…”
सलोनी में यही एक ख़ास बात थी कि वो हर स्थिति में बहुत शांत रहती थी और बहुत प्यार से पेश आती थी। तभी अपनी जान की कोई भी बात मुझे जरा भी बुरी नहीं लगती थी। मैंने चौंकने की एक्टिंग करते हुए कहा- “अरे यह क्या जान? तुम्हारे कपड़े वापस आ गए, क्या हुआ…?? भाभी को पसंद नहीं आये क्या या अंकल ने पहनने को मना कर दिया?”
सलोनी ने मेरे लण्ड पर बहुत गर्म चुम्बन करते हुए कहा- “हा हा… अरे नहीं जानू, ये तो अंकल ही आये थे। वो भाभीजी के कपड़े यहीं रह गए थे न उनको ही लेने और हाँ उनको तो ये कपड़े बहुत अच्छे लगे और मेरे से ज़िद कर रहे थे कि भाभी को कई जोड़ी ऐसे ही कपड़े दिल देना हा हा…”
मैं- “अरे वाह! यह तो बहुत अच्छी बात है आखिर अंकल भी नए ज़माने के हो गए…”
अब मैंने सलोनी को छेड़ते हुए पूछा- “अरे वैसे कब आये अरविन्द अंकल?”
सलोनी- “जैसे ही आप बाथरूम में गए थे ना, तभी आ गए थे”
उसको लगा मैं अब चुप हो जाऊँगा पर मेरे मन में तो पूरी शैतानी आ गई थी।
मैं- “ओह क्या बात तो क्या तुमने तौलिया में ही दरवाजा खोल दिया था। फिर तो अंकल को रात वाला सीन याद आ गया होगा। हा हा हा…”
सलोनी- “अररर्र… रे… वो ओऊ, तो आप ये सब सोच रहे हो, अरे मैं तो सब भूल गई थी। हाँ शायद मैं वैसे ही थी पर उनको देख लगा नहीं कि वो… हाय राम वो क्या सोच रहे होंगे”
मैं- “ओह क्या यार! तुम भी ना इस सबसे मजा लो। मैं तो चाहता हूँ कि उनकी लाइफ भी मजेदार हो जाए। तुम तो भाभी को भी अपनी तरह सेक्सी बना देना”
अब लगता था कि सलोनी भी मुझसे थोड़ा मजा लेना चाहती थी।
सलोनी- “हाँ, फिर मेरी एक चिंता और बढ़ जाएगी”
मैं- “वो क्या??”
सलोनी हँसते हुए- “हा हा… कि मेरा जानू कहीं भाभी से भी तो रोमांस नहीं कर रहा”
मैं- “हा हा तो क्या हुआ जान, कुछ मजा हम भी ले लेंगे। तुमको कोई ऐतराज?”
सलोनी- “अरे नहीं मुझे क्या ऐतराज होगा। जिसमे मेरे जानू को खुशी मिले उसी में मेरी ख़ुशी है”
उसने बहुत ही गर्म तरीके से मेरे लण्ड को चूमा। मुझे लगा कि अगर मैंने इसको नहीं रोका तो अभी मेरा लण्ड बगावत कर देगा और सलोनी को अभी ही चोदना पड़ेगा।
मैंने उससे कहा- “चलो फिर आज अमित के सामने इतना सेक्सी दिखना कि वो अपनी रुचिका को भूल जाये। साला हर वक्त उसकी तारीफ़ ही करता रहता है। चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ”
सलोनी भी मेरी बातों से अब मस्त हो गई थी। उसका डर धीरे धीरे निकल रहा था।
वो भी तैयार होते ही बात कर रही थी- “जानू बताओ ना, फिर आज मैं क्या पहनू???”
मैं- “जान तुम बिना कपड़ों के ही रहो। देखना साला अमित जलभुन मरेगा”
सलोनी मुस्कुराते हुए- “हाँ और अगर उसने कुछ कर दिया तो”
मैं- अच्छा तो तुम क्या ऐसे भी रह लोगी? हा हा हा… फिर रुचिका होगी तो बदला लेने के लिए”
सलोनी- “हाँ मैं आपके मुँह से यही तो सुनना चाहती थी। आप तो बस अपना ही फ़ायदा देख रहे हैं ना। आप तो बस रुचिका के ही बारे में ही सोच रहे होंगे ना?”
उसने अब अपना मुँह फुला लिया।
मैं- “अरे नहीं मेरी जान वो सब तो बस थोड़ा मजा लेने के लिए वरना मेरी जान जैसी तो इस पूरे जहान में नहीं है”
सलोनी- “हाँ हाँ मुझे सब पता है। याद है जब हमारी पहली पार्टी में अमित भाई ने मेरे साथ वो सब हरकतें करी थीं, तब आपने कौन सा उससे कुछ कहा था”
मैं- अरे जान, वो उस दिन नशे में था। वैसे वो तुम्हारी बहुत इज़्ज़त करता है”
सलोनी- हाँ हाँ मुझे पता है। सभी मर्द एक जैसे ही होते हैं। जरा सा छूट मिली नहीं कि…”
मैं- “हा हा हा हा… अच्छा तो क्या मैं भी ऐसा ही हूँ?”
सलोनी- “और नहीं तो क्या, यह तो आपकी सेक्रैटरी भी जानती है”
मैं- “हाँ, तुम तो बात कहाँ से कहाँ ले जाती हो। अच्छा आज इसे पहन लो”
मैंने उसको एक मिडी की ओर इशारा किया। वो रॉयल ब्लू कलर की बहुत सेक्सी ड्रेस थी।
सलोनी- “हाँ, मैं भी यही सोच रही थी पर आज मैं इसके मैचिंग की कच्छी नहीं ला पाई और यह दूसरे रंग की बहुत खराब दिखेगी”
मैं- अरे, तो यार, बिना कच्छी के पहनो ना, मजा आ जायेगा”
सलोनी- “हाँ… तुम लोगों को ही ना और यहाँ मैं कोई काम ही नहीं कर पाऊँगी। बस कपड़े ही सही करती रहूँगी”
दरअसल उसकी यह मिडी उसके उसके विशाल चूतड़ों को ही ढक पाती थी बस, शायद चूतड़ों से 3-4 इंच नीचे तक ही पहुँच पाती होगी और सलोनी जरा भी हिलती डुलती थी तो अंदर की झलक मिल जाती थी। अगर झुककर कोई काम करती थी तब तो पूरा प्रदेश ही दिखता था। हम अभी कपड़े ही चुन ही रहे थे कि एक बार फिर…
ट्रिन्न्न्न… ट्रिनन्न्न्न्न…
कोई आ गया था, जो घंटी बजा रहा था…

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
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#26
मैं- “अरे यह अमित इतनी जल्दी कैसे आ गया?”
सलोनी- “अरे नहीं जानू, मधु होगी, मैंने उसको आज काम करने के लिए बुला लिया था”
मधु हमारी कॉलोनी में ही पीछे की तरफ बनी एक गरीब बस्ती में रहती थी। बहुत गरीबी में उसका परिवार जी रहा था उसका, बाप शराबी, छोटे छोटे 5 भाई बहन, माँ घरों के साफ़ सफाई और छोटे मोटे काम करती थी, सलोनी कभी कभी उसको कुछ काम करने के लिए बुला लेती थी। मैं पिछले काफी समय से उससे नहीं मिला था क्योंकि अपने काम में ही व्यस्त रहता था। सलोनी ने दरवाजा खोला, मधु ही थी वो अंदर आ गई।
मधु- “सॉरी भाभी! देर हो गई वो घर का काम भी करना था न”
सलोनी- “कोई बात नहीं, अभी बहुत समय है। तू आराम से कर ले”
मैं उसको देखता रह गया। उसकी उम्र तो पता नहीं पर वो लम्बी पतली और काफी खूबसूरत थी। उसको देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वो एक इतने गरीब परिवार में रहती थी। आज उसका रंग भी काफी साफ़ लग रहा था। उसने घुटनों तक की एक फ्रॉक पहन रखी थी जो शायद आज ही धोकर, साफ़ सुथरी होकर आई थी। उसके बाल भी सही से बने हुए थे। सलोनी ने बता दिया होगा कि कोई आने वाला है तो वह खुद तैयार होकर आई थी। फ्रॉक से उसकी पतली टांगें घुटनों तक नंगी दिख रहीं थी जो बहुत सुन्दर लग रही थी। आज पहली बार मैंने उसके सीने की ओर ध्यान दिया तो कसे हुए फ्रॉक से साफ़ महसूस हुआ कि उसके उभार आने शुरू हो गए हैं। उभारों ने गोलाई में आना शुरू कर दिया था।
सलोनी उसको लेकर रसोई में चली गई। जाते जाते मधु ने मुझे ‘नमस्ते भैया’ कहा जिसका मैंने सर हिलाकर जवाब दिया।
अब मैं मधु के बारे में सोचते हुए ही तैयार होने लगा। गर्मी ज्यादा होने के कारण मैंने हल्का कुरता पजामा डाल लिया फिर ना जाने क्यों मन में मधु को देखने का ख्याल आया और मैं अनायास रसोई की ओर बढ़ गया। मधु नीचे उकड़ू बैठी आटा गूंध रही थी। उसकी फ्रॉक कमर तक उठी थी और अंदर से उसकी काले रंग कच्छी साफ़ दिख रही थी। कच्छी बहुत पुरानी थी और उसकी किनारी ढीली हो गई थीं। उसके बार बार हिलने से किनारी उठ जाती थी और कच्छी के अंदर का साफ रंग भी दिख जाता था। तभी उसकी नजर मुझ पर पड़ी, वो शरमा गई और उसने तुरंत अपनी टांगें भींच ली।
मधु- “अरे भैया आप! क्या हुआ? कुछ लाऊँ क्या?”
सलोनी काम करते हुए ही घूम कर देखती है।
सलोनी मधु से- “अरे पगली तुझे क्या हुआ? तू अपना काम कर ना” उसको संकुचाता देखकर, “इनसे क्या शरमाना, तेरे भैया ही तो हैं”
मधु फिर से बैठकर आटा गूंधने लगी मगर उसके पैर अब बंद थे।
मैं- “जान, इसके कपड़े भी नए बनवा देना, काफी पुराने हो गए हैं”
सलोनी- “अरे मैं तो कब से कह रही हूँ, यही पगली ही तैयार नहीं होती, यह जो कच्छी पहनी है, वो भी मैंने दी थी। इसके तो बड़ी थी पर यह बोली कि यही दे दो वरना पहले तो उस फटी कच्छी में ही घूमती थी”
मधु- “क्या भाभी आप भी ना? ये सब भैया से क्यों बोल रही हो?”
सलोनी- “तो क्या हुआ, अब तुझे शर्म आ रही है और जब वो फटी कच्छी पहन सबको दिखाती घूमती थी तब नहीं आती थी?”
मधु- “व्व… वो… वो…!!!”
मैं- “ओह क्या जान, क्यों इस बेचारी को परेशान कर रही हो?”
सलोनी- “अरे मैं कहाँ, अच्छा आप जरा उस अचार के डिब्बे को उतार दो”
आचार का डिब्बा बहुत ऊपर स्लैब पर रखा था। मैं भी किसी चीज पर चढ़ कर ही उतार सकता था।
मैं- “जान इसके लिए तो अंदर से कोई मेज या कुर्सी लेकर आओ”
सलोनी- “अब वो सब नहीं, ऐसा करो आप इस मधु को ऊपर उठा दो, यही उतार देगी”
मैं अभी इसके बारे में सोच ही रहा था कि…
सलोनी- “चल यहाँ आ मधु, अब बस कर गुंध तो गया। अब क्या इसकी जान निकालेगी, चल अपने हाथ धो ले”
मधु हाथ धो मेरे पास आ खड़ी हो ऊपर देख रही थी।
सलोनी- “चलो इसको ऊपर उठाओ”
मैंने मधु की कमर को दोनों हाथ से पकड़ ऊपर उठा दिया।
मधु- “ओह नहीं पहुँच रहा भाभी”
मैंने उसको और ऊपर उठाया। मेरे सीधा हाथ फिसलने लगा और उसको नियंत्रित करने के लिए मैंने उसके चूतड़ों के नीचे टिका दिया। उसका बैलेंस तो बन गया और वो कुछ ऊपर भी हो गई मगर मेरा सीधा हाथ ठीक उसके मखमल जैसे चूतड़ों के बीचों बीच था मुझे अच्छी तरह पता था कि सलोनी हर तरह से दूसरे मर्दों से सेक्स का मजा ले रही है परन्तु फिर भी ना जाने अपनी इस हरकत से मेरे दिल में एक डर सा होने लगा।
मैंने घबराकर सलोनी की ओर देखा पर उसका ध्यान आचार के डिब्बे की ओर ही था। बस मुझे मौका मिल गया, मैंने अच्छी तरह से मधु के छोटे छोटे मुलायम चूतड़ों को बैलेंस बनाने के बहाने टटोला। उसकी फ्रॉक भी ऊपर को खिसक गई और मेरी उंगलियाँ उसके चूतड़ों के नग्न मांस में भी धंस सी गई। मधु ने डिब्बा उतारकर सलोनी को पकड़ा दिया जो उसको बराबर निर्देश दे रही थी। अब सलोनी ने हमको देखा, मैंने हाथ हटाने की कोशिश की पर इससे उसका बैलैंस बिगड़ा। मैंने उसको आगे से संभाला। इत्तेफ़ाक़ से मेरा हाथ उसके पेट के निचले हिस्से पर पड़ा। मैंने जैसे ही उसको संभाला, मेरे हाथ ने उसके फ्रॉक को ऊपर को समेटते हुए उसके नाभि के नीचे से पकड़ लिया। मेरी उँगलियाँ उसकी कोमल चूत को छू रही थीं।
ये सब कुछ बस एक पल के लिए हुआ और मधु मेरी गोद से कूद गई। मैंने घबराकर सलोनी की ओर देखा मगर वो बेशरम केवल मुस्कुरा रही थी।
मैं- “बस हो गया तुम्हारा काम? अब ठीक है मैं जाता हूँ”
मैं तुरंत रसोई से बाहर आ गया। अपने बैडरूम में आने के बाद भी एक मस्त अहसास मेरे को हो रहा था। यह अहसास केवल इसी बात का नहीं था कि मैंने मधु के मक्खन जैसे चूतड़ों को छुआ था या उसकी कोरी चूत को कच्छी से झांकते देखा था बल्कि इस बात का था कि सलोनी को भी इस सबमे मजा आ रहा था और वो भी सहयोग कर रही थी। मैं यह भी सोच रहा था कि जैसे जब कोई दूसरा मर्द मेरी सलोनी के साथ मस्ती करता है और मुझे मजा आ रहा है, क्या इसी अहसास को सलोनी भी महसूस कर रही है? और वो भी इसी तरह मेरी सहायता कर रही है?
अब यह देखने वाली बात होगी कि क्या सलोनी मेरे सामने ही किसी गैर मर्द से चुदवाती है या उससे पहले मैं सलोनी के सामने मधु या किसी और कमसिन लड़की को चोदता हूँ। इस सब बातों को सोचते हुए मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया था और ख़ुशी में उसने पानी कि कुछ बूंदें भी टपका दी थीं।

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#27
If the story is interfaith adultery then it will be a blockbuster story.
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#28
Heart 
तभी सलोनी कमरे में आती है। उसके चेहरे से कोई अन्य प्रतिक्रिया नहीं दिखती, उसने बड़ी बेबाकी से अपना गाउन उतार दिया। एक बार फिर मैं उसके सुन्दर शरीर को देखने लगा। उसने कुछ नहीं पहना था। अब वो बड़ी मादकता के साथ अपने पूरे नंगे बदन पर कोई लोशन का लेप लगा रही थी फिर मुझे देखते हुए ही कहने लगी- “जान तो तुमने क्या सोचा?? क्या पहनूँ फिर मैं आज?”
मैं एक बार फिर उसकी पोशाकों को देखने-परखने लगता हूँ फिर वो एक जोड़ी अपनी कच्छी-ब्रा को पहन लेती है।
मैं- “क्यों क्या यही सेट पहनना है?”
सलोनी- “हाँ… ये तो मुझे यही पहनना है बाकी रुको मैं बताती हूँ”
वो एक वहुत सेक्सी ड्रेस निकाल कर लाती है। ये उसने अपने भाई के रिसेप्शन पर पहना था। ये वाला ड्रेस सब उसको वहाँ देखते रह गए थे। हाँ रिसेप्शन पार्टी के समय तो उसने इसके नीचे पतली हाफ केप्री पहनी थी परन्तु जब रात को उसने केप्री निकाल दी थी, तब तो घर के ही लोग थे मगर सभी उसी को भूखी नजरों से ताक रहे थे, चाहे वो सलोनी के जीजा हों या उसके भाई और पापा। उस समय बिस्तर आदि लगते समय,  सलोनी के जरा से झुकने से ही उसकी सफ़ेद कच्छी सभी को रोमांचित कर रही थी।
मैंने तुरंत हाँ कर दी और यह भी कहा- “यार इसके नीचे बस वो वाली सफ़ेद कच्छी ही पहनना”
सलोनी- “कौन सी… वो वाली… वो तो कब की फट गई ये वाली बुरी है क्या??”
उसने अभी एक सिल्की, स्किन टाइट, वी शेप स्काई ब्लू पहनी थी।
मैं- “नहीं जान! इसमें तो और भी ज्यादा सेक्सी लग रही हो मगर बस इसी के ऊपर यह पहनना, वो उस दिन वाली कैप्री नहीं पहनना”
सलोनी- “अरे जानू फिर तो बहुत संभलकर रहना होगा। तुम ही देखो फिर”
मैं- “हाँ हाँ… मुझे पता है पर अमित ही तो है वो तो अपना ही है ना और फिर रुचिका से क्या शरमाना”
सलोनी- “ठीक है जानू, जैसा आप कहो”
मैंने कसकर सलोनी को अपने से चिपका लिया और कच्छी के ऊपर से उसके गोल मटोल चूतड़ों को सहलाने लगा। तभी मधु अंदर आती है।
मधु- “भाभीईइ… इइइइइइइ ओह”
हम दोनों अलग हो गए।
सलोनी- “क्या हुआ??”
मधु- “वो तो हो गया भाभी, अब क्या करूँ?”
सलोनी- “ले जरा यह लोशन, मेरी पीठ, टांगों और कूल्हों पर लगा दे। जहाँ जहाँ दिख रहा है”
मधु- “यह क्या है भाभी”
सलोनी- “यह शाइनिंग लोशन है और फिर तू भी तैयार हो जाना, ये फ्रॉक उतार कर। मैंने ये कपड़े रखे हैं, ये पहन लेना”
मैंने देखा उसने एक सफ़ेद नेकर और टॉप था जो थोड़ा पुराना था मगर सूती था
सलोनी- “और हाँ यह कच्छी मत पहनना, मैं कल तुझको बढ़िया वाली दिलाऊँगी। मुझे भी जाना है कल तो तू भी वहीं से अपने साइज की ले लेना”
मधु- “जी भाभी”
इस बार मधु ने कुछ नहीं कहा वो लोशन लगाते हुए बार बार मुझे ही देख रही थी। शायद रसोई वाला किस्सा उसको भी अच्छा लगा था।
कुछ देर बाद सलोनी ने मधु की ड्रेस को उठा कर कहा- “बस अब हो गया, अब तू ये कपड़े ले और तैयार हो जा। चाहे तो नहा लेना”
मधु- “जी भाभी”
मधु ड्रेस लेकर मुझे तिरछी नजर से देखते हुए बाथरूम में चली गई। इधर सलोनी तैयार होने लगी, उधर बाथरूम से शॉवर की आवाज से पता लग जाता है कि मधु नहा रही है। कुछ देर बाद…
मधु- “भाभी यहाँ तौलिया नहीं है”
सलोनी- “ओह! जरा सुनो जानू, मधु को तौलिया दे दो ना। वो बालकोनी में होगा”
मेरी तो बांछें खिल जाती हैं। ना जाने मधु कैसी हालत में होगी। कच्छी पहन कर नहाई है या पूरी नंगी होगी। उसकी पूरी नंगी तस्वीर मन में लिए मैं तौलिया लेकर बाथरूम के दरवाजे पर पहुँच गया। मैं दरवाजे से बाहर खड़ा मधु को आवाज देने की सोच ही रहा था कि…
सलोनी- “मधु ले तौलिया”
जाने अनजाने सलोनी हर तरह से सहायता कर रही थी अगर मैं आवाज देता तो हो सकता था कि वो शर्म के कारण दरवाजा नहीं खोलती या अपने को ढकने के बाद ही खोलती मगर सलोनी की आवाज ने उसको रिलैक्स कर दिया था। जैसे ही दरवाजा की चटकनी खुलने की आवाज आई,
मैंने भी दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया और दरवाजा पूरा खुल गया।
ओह माय गॉड…
मेरे जीवन का एक और मधुरम दृश्य मेरा इन्तजार कर रहा था। वो पूरी नंगी थी, उसने अभी अभी स्नान किया था और उसका सेक्सी गीला बदन गजब ढा रहा था। वो मुझे देखते ही हल्का सा झुकी। मैं आँखे फाड़े उसके सामने के अंगों को नग्न अवस्था में देख ही रहा था कि पहले तो उसने अपनी कोमल चूत को अपने हाथ से ढकने का प्रयास किया फिर मधु ने मेरी ओर पीठ कर ली। यह दूसरा मनोरम दृश्य मेरे सामने था। वो वहुत ज्यादा शरमा रही थी, मगर कोई चीख चिल्लाहट नहीं थी। मैं आँखें भर उसके नंगे मांसल चूतड़ एवं मखमली पीठ को देख रहा था फिर मैंने ही उसको तौलिया पकड़ाते हुए कहा- “ले जल्दी से पोंछ कर बाहर आ जा”
पहली बार उसके मुख से आवाज निकली। उसने तौलिया से खुद को ढकते हुए ही कहा,
मधु- “भैया आप, मैं भाभी को समझी थी”
तभी सलोनी की आवाज आई- “ओह तू कितना शरमाती है मधु, तेरे भैया ही तो हैं” तभी  मुझसे कहा- “सुनो जी, मेरे बॉडी क्लीनर से इसकी पीठ और कंधे साफ़ करवा देना और घुटने भी वरना इस वाली ड्रेस से वो गंदे ना दिखें”
हे खुदा! कितनी प्यारी बीवी तूने दी है। वो मेरी हर इच्छा को समझ जाती है। उसने शायद मेरी आँखे और लण्ड की आवाज को सुन लिया था जो वो मुझे इस नग्न सुंदरता की मूरत को छूने का मौका भी दे रही थी।
तभी मधु- “नहीईइइ… भाभी, मैंने साफ़ कर ली है”
सलोनी खुद आकर देखती है- “पागल है क्या?? कितने धब्बे दिख रहे हैं, क्या तू खुद सुन्दर नहीं दिखना चाहती”
मधु- “हाँ वव वो वव भाभी! पर ये सब भैया नहींईईईईई”
सलोनी- “एक लगाऊँगी तुझको, क्या हुआ तो, भैया ही तो हैं तेरे और वो सब जो तेरे पापा ने किया था”
मधु- “ओह नहीं ना भाभी, प्लीज…”
सलोनी- “हाँ… तो ठीक है चुपचाप साफ़ करा कर जल्दी बाहर आ, देर हो रही है”
मैं सब कुछ सुनकर भी कुछ भी नहीं बोल पाया। पता नहीं इसके पापा वाली बात क्या थी। सलोनी बाहर निकल जाती है। मधु वहीं रखे स्टूल पर बैठ जाती है उसने तौलिया खुद हटा दिया। मैं सलोनी का क्लीनर उठा उसकी पीठ के धब्बों पर लगाने लगा। मैंने पूरी शराफत का परिचय देता हुआ उसके किसी अंग को नहीं छुआ बस अपनी आँखों से उनका रसपान करते हुए उसकी पीठ, कंधे, उसकी नाजुक चूची का ऊपरी भाग और उसके घुटने को साफ़ कर दिया। मधु के सभी अंग अब पहले से कई गुना ज्यादा चमक रहे थे। उसके अंगों पर अब शर्म की लाली भी आ गई थी। कुछ देर बाद मधु तैयार होने लगी। लगता था उसकी शर्म भी अब बहुत कम हो रही थी। कहते हैं ना कि जब कोई लड़की या औरत जब किसी मर्द के सामने नंगी हो जाती है या जब उसको अपना नंगापन किसी मर्द के सामने अच्छा लगने लगता है तो उसकी शर्म अपनेआप ख़त्म हो जाती है। तो इस समय मधु भी बिना शर्माए मेरे सामने कपड़े बदल रही थी। सलोनी की सूती सफ़ेद फैंसी ड्रेस पहन वो गजब ढा रही थी। मैं एक टक उसको देख रहा था और अब साथ साथ यह भी सोच रहा थाकि सलोनी मेरी कितनी सहायता कर रही है। क्या इसलिए कि वो भी चाहती है कि आगे से मैं भी उसकी ऐसे ही सहायता करूँ या फिर कुछ और??
एक और प्रश्न भी मेरे दिमाग में चल रहा था कि आखिर मधु के साथ उसके पिता ने क्या किया था??
कहते हैं चाहे कितनी भी मस्ती कर लो पर नई चूत देखते ही दिमाग उसको पाने के लिए पागल हो जाता है। यही हाल मेरा था।
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#29
हम तीनों ही तैयार हो गए थे सलोनी ने मधु का भी हल्का मेकअप कर दिया था। वो बला की खूबसूरत दिख रही थी। मेरे दिमाग में उसकी ही चूत घूम रही थी। वैसे सलोनी की चूत मधु से कहीं ज्यादा सुन्दर और चिकनी थी पर मधु की चूत का नयापन मेरे दिमाग को पागल कर रहा था। इंतजार करते हुए 9:30 हो गए। सलोनी ने मधु के घर भी फ़ोन कर दिया था कि वो आज रात हमारे यहाँ ही रुकेगी।
पहले भी वो 2-3 बार हमारे यहाँ रुक चुकी है तो कई बड़ी बात नहीं थी। परन्तु आज की बात अलग थी, मेरे दिल में कुछ अलग ही धक धक हो रही थी। तभी अमित का फ़ोन आया….

मैं- “क्या हुआ यार इतनी देर कहाँ लगा दी”

अमित – “ओह सॉरी यार, आज का कार्यक्रम रद्द हो गया है, हम नहीं आ पाएंगे”

मैं- “क्या…?”

अमित- “एक मिनट… तू नीचे आ”

मैं- “तू पागल हो गया है… क्या बोल रहा है ?? कहाँ है तू???”

अमित – “अच्छा रुक मैं आता हूँ…”

सलोनी- “क्या हुआ??”

मैं- “पता नहीं क्या कह रहा है???”

दो मिनट के बाद ट्रीन्न्न्न्न… ट्रीन्न्न्न्न…

सलोनी ने दरवाजा खोला- “ओह आप आ तो गए, क्या हुआ अमित भैया???”

उसने सलोनी को देख एकदम से गले लगाया और उसके गाल को चूमा। अमित हमेशा ऐसे ही मिलता था। विदेशी कल्चर और उसकी पत्नी रुचिका भी, उसने नजर भरकर सलोनी को देखा।

अमित - “वाह सलोनी! आज तो मस्त सेक्सी लग रही हो”

सलोनी- “अरे रुचिका कहाँ है भैया”

अमित - “अरे क्या कहूँ हम दोनों यहीं आ रहे थे। कि रुचिका के मॉम-डैड का फ़ोन आ गया। वो कहीं जा रहे थे मगर कुछ इमर्जेन्सी हो गई तो अभी आधे घंटे बाद उनका प्लेन यहीं आ रहा है। हम दोनों उनको ही लेने जा रहे हैं। सॉरी यार फिर कभी जरूर आएंगे”

मैं- “अरे यार एकदम ये सब कैसे?”

अमित - “यार फिर बताऊंगा, मुझे तो इस पार्टी को मिस करने का बहुत दुःख है। अच्छा यार ज़रा जल्दी में हूँ। माफ़ कर दो तुम दोनों मुझको” 

उसने एक बार फिर सलोनी को अपने गले लगाया। इस बार मैं पीछे ही था, मैंने साफ़ देखा उसके बायाँ हाथ सलोनी के चूतड़ों पर था फिर वो तेजी से बाहर को निकल गया। मैं भी जल्दी से बाहर को आया उसको सी ऑफ करने के लिए। मैं उसके साथ ही नीचे आ गया। रुचिका को भी एक नजर देखने के लिए। रुचिका उसकी महंगी कार में ही बैठी थी। मैं उसकी ओर गया। उसने तुरंत दरवाजा खोला। रुचिका ने पिंक मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था। जैसे ही वो नीचे उतरने लगी, उसके बायाँ पैर जमीन पर रखते ही उसकी स्कर्ट ऊपर हो गई और दोनों पैर के बीच बहुत ज्यादा गैप हो गया मुझे उसकी नेट वाली लाल कच्छी दिखी। मेरी नजर वहीं थी कि….

रुचिका- “ओह अंकुर एक मिनट”

मैं सॉरी बोल पीछे हटा, रुचिका ने बाहर आ मेरे सीने से लग गाल को हल्का सा चुम्बन किया। मुझे अमित की हरकत याद आ गई। मैंने भी अपना बायाँ हाथ रुचिका के चूतड़ों पर रखा। ओह गॉड मेरी किस्मत, मेरी उँगलियों को पूरी तरह से नंगे, मक्खन जैसे चूतड़ों का स्पर्श मिला। बैठने से रुचिका की स्कर्ट पीछे से सिमट कर ऊपर हो गई थी और उसने शायद लाल टोंग पहना था जिससे उसके चूतड़ के दोनों उभार नंगे थे। मेरी उँगलियाँ खुद ब खुद उसके चूतड़ों के मुलायम गोश्त में गड़ गई। मैंने भी रुचिका के गाल पर चुम्मा लिया और जब गाड़ी में देखा तो अमित ड्राइविंग सीट पर बैठ गया था और वो मेरे हाथ को देख कर मुस्कुरा रहा था। मैंने जल्दी से रुचिका को छोड़ा और पीछे हट गया।

रुचिका- “सॉरी, फिर बनाएँगे यार प्रोग्राम, अब तुम दोनों आना हमारे घर”

मैं- “कोई बात नहीं, ये सब भी देखना ही था। ठीक है”

रुचिका घूमकर गाड़ी में बैठने लगी। उसने अभी भी अपनी स्कर्ट ठीक नहीं की थी। उसके चूतड़ों की एक झलक मुझे मिल गई। ना जाने मुझमे कहाँ से हिम्मत आ गई, मैंने रुचिका को रोका और उसकी स्कर्ट सही कर दी।

रुचिका- “क्या हुआ अंकुर??”

मैं- “अरे स्कर्ट ऊपर हो गई थी”

रुचिका- “ओह… थैंक्स”

अमित - “हा हा हा रुचिका! आज सलोनी तुमसे कहीं ज्यादा सेक्सी लग रही थी”

रुचिका (चिढ़कर) - “तो नीचे क्यों आ गए, वहीं रुक जाते ना, मैं अंकुर के साथ चली जाती हूँ”

अमित - “ओह यार! मैं तो तैयार हूँ, क्यों अंकुर??”

मैं- “हाँ हाँ ठीक है, सोच ले”

मुझे भी उनके सामने कुछ बोल्ड होना पड़ा,

अमित ने गाड़ी स्टार्ट की- “चल अच्छा फिर कभी सोचेंगे वरना इसके पापा सोचेंगे कि यार मेरी बेटी का पति कैसे बदल गया”

और मैं उन दोनों को विदा कर ऊपर आ गया।

TO BE CONTINUED .......
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#30
Heart 
दरवाजा खुला था…..

मैं अंदर गया मधु हमारे बैडरूम के दरवाजे पर खड़े हो चुपचाप अन्दर झाँक रही थी। मैं चुपके से वहाँ गया, मुझे देखते ही वो डरकर पीछे हो गई। मैंने भी अंदर देखा, एक और सरप्राइज तैयार था, अंदर अरविन्द अंकल और सलोनी थे। मैं थोड़ा आश्चर्यचकित हो जाता हूँ।

अंदर बैडरूम के अंदर अरविन्द अंकल केवल एक सिल्की लुंगी में थे। वैसे वो पहले भी कई बार ऐसे ही आ जाते थे पर आज उनकी बाँहों में मेरी सेक्सी बीवी मचल रही थी। मैंने पीछे हटती मधु को रोक लिया। उसको मुँह पर उंगली रख श्ह्ह्ह्ह का इशारा कर चुप रहने को कहा। वो भी बिल्कुल भी आवाज न कर मेरे साथ ही लगकर खड़ी हो गई।

सलोनी ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थी अंकल ने उसको पीछे से अपनी बाँहों में जकड़ा था। मैंने अपनी साँसों को कुछ नियंत्रित करते हुए उन दोनों की हरकतों पर ध्यान दिया। अंकल की हाइट ज्यादा थी तो कुछ अपनी टांगों को मोड़कर नीचे हो गए थे, ऐसा उन्होंने अपने लण्ड को सलोनी की गाण्ड पर सेट करने के लिए किया था। अंकल का लण्ड सलोनी की मखमली, गद्देदार गाण्ड से चिपका था और वो अपनी कमर को लगातार हिलाकर लण्ड को रगड़ रहे थे। 

दोनों इस मजेदार रगड़ का मजा ले रहे थे। मुझे नहीं पता कि बीच में उनकी क्या स्थिति थी। सलोनी की झुकी होने से यह साफ़ था कि उसकी ड्रेस उसके चूतड़ से खिसक ऊपर को हो गई होगी। इसका मतलब अंकल के लण्ड का अहसास उसको कच्छी के ऊपर से हो रहा होगा पर मुझे यह नहीं पता था कि अंकल का लण्ड लुंगी से बाहर था या अंदर। अंकल ने अंडरवियर पहना था या नहीं। इन सभी बात से मैं अनजान था।

तभी मेरी नजर ड्रेसिंग टेबल के दर्पण पर पड़ी। अंकल के बाँहों में चिपकी सलोनी की चूचियों पर उनका सीधा हाथ पूरी तरह लिपटा था और वो अपने पंजे से सलोनी की बायीं मस्त चूची को मसल रहे थे। यहाँ तक होता तब भी ठीक था पर अंकल का दायाँ हाथ आगे से उसकी ड्रेस के अंदर सलोनी की टांगों के बीच था। उनके हाथ के हिलने से सलोनी की ड्रेस ऊपर नीचे हो रही थी…

और यह महसूस हो रहा था कि अंकल बड़े कलात्मक तरीके से मेरी इस बेकरार बीवी सलोनी की प्यारी चूत से छेड़छाड़ कर रहे हैं। अब मैंने उनकी बातों को सुनने का प्रयास किया…

सलोनी- “ओह अंकल मत करो ना, सब यहीं हैं,अंकल प्लीज छोड़ दो ना, अंकुर आ गए तो क्या सोचेंगे”

अंकल- “अरे वो नीचे है, मैंने खुद देखा था, तभी तो आया”

सलोनी- “ओह्ह्ह… मधु भी तो है”

अंकल- “अह्ह्ह… हाआआआ… व…वो रसोई में है, आह्ह्हा… अह्ह्ह… यार… ये बता कि कैसा लग रहा है???

सलोनी- “आपका अच्छा ख़ासा तो है”

अंकल- “केवल तेरे गरम बदन से ही इतना बड़ा हुआ है वरना तेरी आंटी के पास इतना बड़ा नहीं होता”

तभी सलोनी ने अपना बायाँ हाथ पीछे कर…

सलोनी- “ओह अंकल कितना बड़ा है”

ओह उसने अंकल का लण्ड पकड़ा था। वो थोड़ा साइड में हुए तो मैंने देखा कि अंकल का लण्ड लुंगी से बाहर था। सलोनी ने उनके लण्ड पर अपना हाथ फिराया और उसको लुंगी के अंदर कर दिया।

सलोनी- “सच अंकल आप बिल्कुल निराश मत हो, आपका अंकुर से भी बड़ा और मजबूत है”

अंकल- “पर तुम्हारी आंटी के सामने यह धोखा दे देता है, सच बेटा! कल तुमको नंगी देख कई महीने बाद मैं उसको संतुष्ट कर पाया पर यकीन मानो मैं तेरे को सोच कर ही उसको चोद रहा था”

सलोनी- “धत्त अंकल कैसी बात करते हो? अब आप जाओ, अंकुर आते ही होंगे”

अंकल बाहर को आने लगे। मैंने मधु को तुरंत रसोई में किया और खुद दरवाजे से ऐसे अंदर को आया कि अभी आ ही रहा हूँ।

मैं- “ओह अंकलजी, नमस्ते”

अंकल हड़बड़ाते हुए- “हा ह ह हाँ बेटा, कैसे हो?”

मैं- “ठीक… हूँ और आप?”

अंकल- “मैं भी बेटा, बस तुम्हारी आंटी के सर में दर्द था तो गोली लेने आ गया था”

मैं- “अरे तो क्या हुआ??? आप ही का घर है”

अंकल- “अच्छा सलोनी बेटा, मैं चलता हूँ फिर, बाय!”

सलोनी- “बाय…”

वो दरवाजा बंद करके मुझसे बोली- “गए वो लोग, अब फिर क्या कह रहे थे”

मैं बैडरूम में जाते हुए- “कुछ नहीं, अब फिर कभी आएंगे”

सलोनी रसोई में जाते हुए…

सलोनी- “ठीक है, आप चेंज कर लो, मैं खाना लगवाती हूँ”

मैं- “ह्म्म्म्म्म”

बैडरूम में जाते ही मुझे एक और झटका लगता है। मुझे याद था सलोनी ने जो कच्छी पहनी थी वो ड्रेसिंग टेबल पर रखी थी। इसका मतलब वो इतनी छोटी ड्रेस में बिना कच्छी के ही है। मैं उसकी कच्छी को अपने हाथ में लेकर अभी कुछ देर पहले हुए दृश्य के बारे में सोचने लगा.... 

सलोनी झुकी हुई है…. उसकी ड्रेस कमर तक सिमटी है… उसके नंगे चूतड़ से अंकल का लण्ड चिपका है… जो उन्होंने लुंगी से बाहर निकाल लिया है… । कितनी हिम्मत आ गई है दोनों में, दरवाजा खुला छोड़, मधु घर पर ही है, मैं भी दूर नहीं हूँ और दोनों कैसे अपने नंगे अंगों को मिलाकर मजे ले रहे थे.....

TO BE CONTINUED .....
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ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#31
अभी एक सवाल और मेरे दिमाग में आ रहा था। सलोनी ने कच्छी खुद उतारी थी या अंकल में इतनी हिम्मत आ गई थी। ये दोनों कितना आगे बढ़ गए हैं ये सब अभी सस्पेंस ही था। मैंने अपना कुरता पजामा निकाल बरमूडा पहन लिया, गर्मी बहुत थी इसलिए अंडरवियर भी उतार दिया। मैं फिर से रसोई में चला गया। मधु खाना लगा रही थी और सलोनी झुकी हुई कुछ कर रही थी।
मेरी नजर सीधे उसके नंगे चूतड़ पर ही जाती है। उसके गोल मटोल दूध जैसे चूतड़ खिले हुए मेरे सामने थे। केवल चूतड़ ही नहीं उसके इस अवस्था में झुके होने से उसके चूतड़ों के दोनों भाग से सलोनी की छोटी सी कोमल चूत भी झाँक रही थी।
मैं अपने हाथ से उसके चूतड़ों को सहलाते हुए सीधे अपनी दो उंगलियाँ उसकी सुरमई चूत के छेद पर रख देता हूँ। मेरी उंगली को एक अलग सा अहसास होता है। उँगलियों पर कुछ गीलापन जो शायद उसके चूत का रस था, पर कुछ चिपचिपा और सूखा सा रस भी लगता है। मेरे दिमाग में फितूर तो जाग ही गया था। क्या यह सूखा रस अंकल का था? क्या पता अंकल ने अपना लण्ड सलोनी की चूत के ऊपर भी घिसा हो और उनका कुछ प्रीकम यहाँ लग गया हो। सलोनी उस समय ऐसे ही तो झुकी थी और जहाँ तक मैं समझता हूँ इस अवस्था में तो जरूर अंकल का लण्ड… सलोनी के चूत के छेद पर ही दस्तक दे रहा होगा। पता नहीं मैं क्या-क्या सोच रहा था और ये सब सोचते हुए ये सुसरा मेरा लण्ड भी खड़ा हो रहा था। क्या पता अंकल का लण्ड ने सलोनी की चूत के ऊपर ही ऊपर घिसा था या कही कुछ अंदर भी किया हो। तभी सलोनी एकदम से खड़ी हो जाती है और मधु की ओर देखते हुए- “क्या करते हो??”

मैं बिना शरमाये और ना सुनते हुए- “क्या हुआ जान?? यह कच्छी कब निकाल दी?”

सलोनी पहले तो कुछ चुप रहती है फिर खुद ही- “अरे नहीं, मैं तो कपड़े बदलने ही गई थी कि तभी अंकल आ गए”

मैं हँसते हुए- “हा हा… तो क्या जान, कहीं अंकल ने तो नहीं देख लिया कुछ हा हा…”

मेरी बात पर एकदम से मधु भी हंस पड़ती है। सलोनी उसको गुस्से से देखती है- “तू क्यों हंस रही है और हटो अब आप, मैं आती हूँ, आप बैठो पहले खाना खा लेते हैं”

और बिना कुछ कहे वो बैडरूम में चली जाती है। हम दोनों को ही उसकी इस नखरीली अदा पर हंसी आ रही थी। मैंने देखा मधु मेरे बरमुडे को ध्यान से देख रही है। बरमूडा लण्ड वाले भाग से काफी उठ गया था क्योंकि मेरा लण्ड कुछ सख्त हो गया था। मैं मधु के पास वाली कुर्सी पर बैठ गया और अपने हाथ को उसके छोटे मुलायम चूतड़ों पर रख उसको छेड़ा- “तू क्यों मजे ले रही है, क्यों इतनी जोर से हंस रही थी?”

मधु कसमसाते हुए- “नहीं भैया, वो तो… क्या कर रहे हो?”

उसन मेरे आगे से निकलने की कोशिश की तो मैंने उसको कसकर पकड़ झटका दिया। वो गड़बड़ाकर मेरी गोद में बैठ सी गई और उसके चूतड़ ठीक मेरे लण्ड पर थे। उसके कसमसाने से उसके चूतड़ मेरे खड़े हो चुके लण्ड को बहुत मजा दे रहे थे।

मधु- “क्या कर रहे हो भैया, छोड़ो ना…”

मैं उसको गुदगुदी के बहाने उसके पेट और छोटी छोटी चूचियों को नापते हुए।
मैं- “पहले यह बता कि जब अंकल आये तो सलोनी क्या कर रही थी?”

मधु कसमसा तो रही थी मगर मेरी गोदी से हटने का कोई ज्यादा प्रयास नहीं कर रही थी लगता था उसको भी मजा आ रहा था।

मधु- “ओह… ह्ह्ह्ह्ह्ह वववव व्व्वो भैया… मुझे… नहीईईईई… हाँ वो अपने कपड़े ही बदल रही थी”

मैं- “अरे यह बता कि क्या कर रही थी। कपड़े तो अभी भी पहने ही हैं ना”

मधु- “आआररर रे… वो अपनी कच्छी ही निकाल रही थी”

मैं – “अच्छा उसने खुद ही निकाली ना कहीं अंकल ने तो नहीं??”

मधु- “ह्ह्ह्ह्ह्ह नहीईइइइइ ना भाभी ने ही, हाँ अंकल ने उनको पीछे से नंगी देख लिया था”

मैं- “ओह अच्छा… तभी वो”

मधु- “हाँ! अंकल ने उनको पीछे से पकड़ लिया था”

उसकी बातें सुन कर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैंने गुदगुदी करते करते अपना हाथ उसकी सफ़ेद नेकर के अंदर घुसा दिया। मधु मेरी गोद में बैठी बुरी तरह से मचल रही थी, वो पूरी तरह से मेरे से चिपकी थी। उसके छोटे-छोटे चूतड़ मेरे तने हुए लण्ड को बेहाल किये थे।

मधु एक परफेक्ट डांसर की तरह अपनी कमर को हिला रही थी और अपने चूतड़ के हर भाग को मेरे लण्ड से रगड़ रही थी। इधर मेरे हाथ उसको पकड़ने एवं गुदगुदी के बहाने उसके पूरे चिकने शरीर को टटोल रहे थे। उसने केवल एक सफ़ेद कॉटन का टॉप और नेकर ही पहना था जिसके अंदर न तो कोई समीज या अन्य कपड़ा था और ना ही नीचे कच्छी थी। मेरे हाथों को उसका चिकना शरीर लगभग नंगा ही प्रतीत हो रहा था। मेरे हाथ उसके टॉप के अंदर नंगे पेट एवं कभी कभी उसकी छोटी सी बिल्कुल टाइट चूची तक भी पहुँच जाते थे।

तो कभी उसकी नंगी टांगों, जांघों को रगड़ते हुए उसकी छोटी मुनिया सी चूत को भी रगड़ देते थे। मधु पूरी मस्त हो गई थी और बेहद गरम आवाजें निकाल रही थी- “आह्ह्ह्ह्हाआ इइइइइइ ऊ उउउउउउउउउ क्या कर रहे हो भैयाआहाए”

मैं बिना कुछ बोले केवल उसको बुरी तरह से छेड़ते हुए खुद भी मजे ले रहा था।
मैं- “अच्छा तो तेरी भाभी के नंगे चूतड़ों से पीछे से चिपक कर अंकल ने क्या किया, बता नहीं तो”

मधु- “ओह भैया! आपने भी तो देखा था ना, छोड़ दो ना आह्ह्ह्ह्हाआआआ इइइइइइ”

मैं- “अच्छा छोड़ दू, क्यों छोड़ू????? ले अभी तू बता ना, क्या तूने अंकल का देखा था???”

मधु- “क्या देखा था ओह्ह्ह्ह नहीईईईईईईई”

मैं- “अच्छा नहीं देखा, झूट”

मधु- “अरे हाँ… पर क्याआआआ??”

मैं- “उनका खड़ा हुआ लण्ड”

मैं उससे जल्द से जल्द खुलना चाह रहा था।

TO BE CONTINUED .....
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#32
Heart 
मधु- “धत्त्त्त् भैया, चलो अब छोड़ो, नहीं तो चिल्ला कर भाभी को बुला लुंगी”

मैं- “अच्छा तो बुला ना”

मैंने उसके नेकर पर हाथ रख अपनी उंगलियाँ नेकर के अंदर डालने की कोशिश की। नेकर सलोनी का था इसलिए शायद उसकी कमर में बहुत ढीला होगा। मैंने देखा उसने एक तरफ पिन लगाकर उसको अपनी कमर पर टाइट किया था। वो इतना टाइट हो गया था कि मेरी उँगलियाँ भी अंदर नहीं गई।

मधु ने मेरा हाथ पकड़ लिया- “नहींईईईई भैया! मैं भाभी को बुलाती हूँ, आप उन्ही से पूछ लेना। उन्होंने तो देखा था उन अंकल का”

मधु अब वाकयी खुल रही थी। उसकी बात सुन मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने उसके हाथ को छुड़ाकर एक झटका दिया। उसके नेकर की पिन खुल गई और नेकर आगे से पूरा ढीला हो गया और मेरी सभी उँगलियों ने मधु के शरीर के सबसे कोमल भाग पर अपना कब्ज़ा कर लिया।

मधु ने एक जोर से हिचकी ली- “आआउउच नहीईईईईईईईई”

मैं बयां नहीं कर सकता कि उसकी चूत कितनी मुलायम थी। मुझे लगा जैसे मैं मक्खन की टिक्की में उँगलियाँ घुमा रहा हूँ। मैं यह देख और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि इतनी कम उम्र में भी उसकी चूत से रस निकल रहा था। इसका मतलब मधु अब जवान हो चुकी थी और मेरा लण्ड उस मक्खन में जाने को फुफकार रहा था। तभी सलोनी की आवाज आई, वो रसोई में प्रवेश कर रही थी।
मधु मेरी गोद में थी। मेरा बायां हाथ उसके छाती से लिपटा था और दायाँ उसके नेकर के अंदर उसकी चूत पर था।

कुछ देर तक तो हम दोनों भौंचक्के थे। मैंने तुरंत मधु को गोद से हटा दिया मगर सलोनी के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वो सामान्य रूप से आई और सामान देखने लगी।

मधु- “वो भाभी! भैया परेशान कर रहे हैं”

सलोनी- “अच्छा और तूने ही कुछ किया होगा”

मधु- “मैं क्या करूँ भाभी??”

सलोनी- “अच्छा परेशान मत हो, मैंने तेरे घर फोन कर दिया है। आज यही रुक जाना, ओके”

मधु- “ठीक है भाभी”

सलोनी- “चल पहले खाना खा ले फिर कपड़े बदल लेना”

मधु जैसे ही उठकर आगे बड़ी उसका नेकर उसके पैरों पर गिर गया। लगता है नेकर बहुत ढीला था।

मैं तो थोड़ा सा डर गया पर सलोनी जोर से हँसते हुए- “हा हा हा हा हा हा, तुझसे जब नेकर नहीं संभलती तो मत पहन”

मधु ने शरमाते हुए नेकर ऊपर कर अपने हाथों से पकड़ लिया। इतनी देर में मेरी नजरों ने एक बार फिर उसके चिकने चूतड़ और छेद का मनोरम दर्शन किया।

सलोनी- “चल जा मैंने अपनी एक समीज अंदर रखी है इसको निकाल और वो पहन ले”

मधु जल्दी से अंदर चली गई। अब मैंने सलोनी को ध्यान से देखा। उसने भी अपनी शॉर्ट वाली पिंक झीनी नाइटी पहनी थी। उसका पूरा नग्न शरीर दिख रहा था उसने अंदर कुछ नहीं पहना था। तभी मधु रसोई में एक पतली सफ़ेद समीज पहने आई जो उसकी जांघों तक ही थी।

मधु- “भाभी बस यही?”

सलोनी- “और क्या रात को सोना ही तो है, क्या बीस कपड़े पहनेगी”

मधु केवल मुस्कुरा देती है। मधु के साथ इतनी छेड़खानी होने के बाद वो अब काफी खुल चुकी थी उसका चेहरा बिल्कुल लाल था और अब वो शरमाने की बजाए मजे ही ले रही थी। उसने सलोनी की जो सफ़ेद रंग की समीज पहनी थी उसमे कंधों पर पतली रेशमी लैस थी जो उसकी छाती पर बहुत नीचे थी। उसका सीना काफी हद तक नंगा था। मधु के जरा से झुकने से उसकी पूरी नंगी चूचियाँ साफ़ साफ़ दिख रही थी। वो बार-बार उठकर काम कर रही थी। तभी उसके समीज के दोनों साइड के कट से, जो उसके कमर तक थे, समीज के हटने से उसकी नंगी जांघें तो कभी उसके चूतड़ तक झलक दिखा जाते थे।

मेरा लण्ड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था, मधु की मस्ती देख वो कुछ ज्यादा ही मस्ता रहा था। इधर सलोनी ने भी कमाल कर रखा था वो कोई मौका रोमांटिक होने या बनाने का नहीं छोड़ रही थी। देखा जाए तो इस समय सलोनी अपनी इस छोटी सी पारदर्शी नाइटी में लगभग नंगी ही दिख रही थी मगर मेरे लण्ड को उससे कोई मतलब नहीं था और ना वो सलोनी की नग्नता देख इतना फ़ुफ़कारता था।

इस समय मधु के नंगे अंग देख लण्ड ने बवाल मचा रखा था। मेरी समझ में अच्छी तरह आ गया था कि यह लण्ड भी उस तेज तर्रार शिकारी कुत्ते की तरह है जो अपने जानकार लोगों को देख शांत रहता है पर जहाँ कोई अजनबी देखा नहीं कि बुरी तरह उग्र हो जाता है। मधु को देख मेरे लण्ड का भी वही हाल था और यह भी समझ आ गया था कि सलोनी के नंगे अंगों को देख अरविन्द अंकल, पारस या दूसरे लोगों का क्या हाल होता होगा। तभी मेरे दिमाग में शाम वाली बात आ जाती है।

मैं- “अरे जान, शाम क्या कह रही थी??”

सलोनी- “किस बारे में?”

मैं- “वो जब मैं मधु को नहला रहा था तब कि तो मत शरमा अब क्यों ऐसा कर रही है? क्या कोई पहले भी इसको नहला चुका है या नंगी देख चुका है?”

अपनी बात सुनते ही तुरंत मधु ने प्रतिरोध किया- “क्या भैया! आप फिर?”

सलोनी- “तू चुप कर खाना खा, तुझसे किसी ने कुछ पूछा क्या???”

सलोनी की डाँट से वो कुछ डर गई और ‘जी भाभी’ बोल नजरें नीचे कर खाने लगी।

सलोनी- “जानू और कोई नहीं इसका बाप ही, वो शराबी! जब देखो इसको परेशान करता रहता है”

मैं- “क्याआआ??? क्या कह रही है तू, क्या ये सच है? इसके पापा ही??? क्या करते हैं वो?”

मधु एक बार फिर- “रहने दो ना भाभी”

TO BE CONTINUED ....
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#33
सलोनी- “अरे इसकी कुछ समय पहले तक बिस्तर पर सूसू निकल जाती थी ना फिर…”
मधु- “छीइइइइइइ भाभी नहीं ना…”
सलोनी- “अच्छा वो तो एक बीमारी ही है ना, इसमें शरमा क्यों रही है”
मधु- “पर वो तो बहुत पहले की बात है ना, अब क्यों…”
मैं दोनों की बातें रस लेकर सुन रहा था।
मैं- “हाँ तो फिर क्या हुआ???”
सलोनी- “तो इसके पापा ही रोज इसके कपड़े बदल, इसको साफ़ करते थे”
मैं- “और इसकी माँ, वो नहीं”
सलोनी- “वही तो, वो सोती रहती थी और इसके पापा को ही बोलती थी। ये बेचारी डर के मारे कुछ नहीं बोलती थी”
मैं- “वो तो है, तो इसमें गलत क्या है। हर बाप यही करेगा”
सलोनी- “अरे आगे तो सुनो, वो इसकी बिस्तर के साथ साथ इसके कपड़े, कच्छी सब निकाल पूरा नंगा कर देते थे और इसका पूरा शरीर साफ़ करते थे”
मैं- “हाँ तो क्या हुआ, गीले हो जाते होंगे ना”
सलोनी- “अरे नहीं, इसका कोई पूरा थोड़ी निकलता था। केवल डर की बीमारी थी। केवल जरा सा निकल जाता था”
मैं- “ओह! फिर वो क्या करते थे??
सलोनी- “वही तो, इसके पूरे शरीर को बहाने से छूते, रगड़ते थे”
मधु- “बस भाभी ना…”
सलोनी- “उस समय बस नहीं बोलती थी”
मैं- “और क्या करते थे वो”
सलोनी- “इसके नंगे बदन से चिपक कर लेट जाते थे। इसको सोए हुआ जानकर इसके निप्पल को चूसते हैं, इसके होंटों को भी चूमते हैं और अभी उस दिन तो बता रही थी कि इसकी मुनिया को भी चाटा था। क्यों मधु…???
मैं सलोनी की बात सुन आश्चर्यचकित था। क्या एक बाप आप ही बेटी के साथ????
मधु सर झुकाये बैठी थी। उसने कोई जवाब नहीं दिया।
मैं- “तो क्या अब भी इसको सूसू निकल जाती है”
मधु तुरंत ना में सर हिलाती है- “नहीं भैया…”
सलोनी- “अरे नहीं, अब तो यह बिल्कुल ठीक है मगर इसका बाप अब भी…”
मैं- “क्याआआआ?”
सलोनी- “हाँ! जब पीकर आता है तो इसी के बिस्तर पर आकर इसको डराता है कि दिखा आज तो नहीं मूता तूने और इसको नंगा कर परेशान करता है”
मैं- “साला… शराबी… हरामी…”
सलोनी- “अरे आप क्यों गाली दे रहे हो…”
मधु- “भाभी आप बहुत गन्दी हो, मैं भी भैया को आपकी बात बता दूंगी हाँ”
मधु कुछ ज्यादा ही बुरा मान रही थी मगर इसमें मेरा फ़ायदा ही था। लगता है उसके पास कोई सलोनी के राज हैं जो मैं उससे जान सकता हूँ।
मैं- “वो क्या मधु???”
सलोनी- “अच्छा मेरी कौन सी बात है? हा हा… मैं कोई तेरी तरह बिस्तर पर सूसू नहीं करती”
मधु- “धत्त्त भाभी, अब तो मैं बता दूंगी”
सलोनी- “तो बता दे ना, मैं कुछ नहीं छुपाती अपने जानू से हाँ”
मधु- “अच्छा, वो जो डॉक्टर अंकल???
अचानक मेरी ज़िंदगी ने एक रोमांचक मोड़ ले लिया था। जो अब तक मैं जी रहा था वो केवल सूखी नदी की तरह था, अब ऐसा लग रहा था जैसे ज़िंदगी में रस ही रस आ गया हो। अब तक किताबों या लोगों से सुने सभी सामाजिक विचार मुझे बेकार लगने लगे थे। इज्जत, सम्मान, मर्यादा सब आपके दिल में ही अच्छे लगते हैं। दिखावट करने से ये आपको जंजीरों में जकड़ लेते हैं, मैं अगर इन सब में पड़ता तो अब तक सलोनी से लड़ झगड़ कर हम दोनों की जिंदगी नरक बना लेता मगर मेरी सोच अलग है।
लण्ड किसी की भी चूत में जाए इससे ना तो लण्ड को फर्क पड़ता है और ना ही चूत का ही कुछ नुकसान होता है परन्तु बदलाव आने से एक अलग मजा आता है और जवानी बरकरार रहती है।
मैं देख रहा था कि सलोनी के चेहरे पर एक अनोखी चमक बरकरार रहती है। यह सब उसके चंचल जीवन के कारण ही था। हम तीनों को ही खाना खाते हुए मस्ती करने में बहुत मजा आ रहा था।
मैंने सलोनी को चुप कराते हुए कहा- “तू चुप कर जान, मुझे भी तो पता चले कि मेरे पीछे उस साले डॉक्टर ने क्या किया?? हा हा हा हा..”
मैं जोर से हंसा भी जिससे माहौल हल्का ही बना रहे।
मधु- “हाँ भैया, मेरे को चिड़ा रही हैं भाभी, जब आप यहाँ नहीं थे। तब ना…”
मैंने मधु को अपने पास करके उसके गाल को चूमते हुए पूछा- “पुच च च च…  बता बेटा, क्या किया डॉक्टर ने”
सलोनी अपने चेहरे को नीचे कर खाते हुए ही आँखें ऊपर को चढ़ा हम दोनों को घूर रही थी। उसके चेहरे पर कई भाव आ जा रहे थे। उसके चेहरे के भाव देख मुझे लग रहा था कि जरूर कुछ अलग राज़ खुलने वाला है। क्या डॉक्टर ने मेरे पीछे सलोनी की चुदाई की थी? वो भी मधु के सामने??? क्या इसीलिए सलोनी मधु को मेरे इतना पास ला रही है। मैंने अपने सीधे हाथ से मधु की नंगी चिकनी जांघें सहलाते हुए उसको बढ़ावा दिया।
मधु- “वो भैया, भाभी की तबियत खराब नहीं हो गई थी जब, तब आपने ही तो भेजा था ना डॉक्टर को, भाभी बिल्कुल चल ही नहीं पा रही थी। तब ना उन डॉक्टर ने भाभी को नंगा करके सुई लगाईं थी।
मैं- “क्याआआआआ…”
सलोनी- “एएएएए मारूंगी, क्या बकवास कर रही है?”
मैं- “क्यों मारेगी, कौन सी सुई लगाई थी। हा हा हा हा” -मैंने बिल्कुल ऐसे जाहिर किया जैसे कुछ हुआ ही नहीं, मेरे इस बर्ताव से माहौल सामान्य बना रहा।
सलोनी जो कुछ बेचैन हो गई थी, अब मजे ले रही थी- “अरे नहीं जानू, मैं तो बिल्कुल बेजान ही हो गई थी उस दिन, मेरा ब्लड प्रेशर बहुत कम हो गया था”
मैं- “हाँ मुझे पता है जान, सॉरी यार उस समय मैं तुम्हारे पास नहीं था”
सलोनी- “ओह थैंक्स माय लव”
मैं- “फिर डॉक्टर ने कहाँ इंजेक्शन लगाया?”
सलोनी- “अरे उस दिन मैंने पीला वाला लॉन्ग गाउन पहना था ना, बस उसी कारण”
मैं- “अरे तो क्या हुआ जान, डॉक्टर जब चूतड़ों पर इंजेक्शन ठोंकता है तो उसके सामने तो सभी को नंगा होना ही पड़ता है”
मधु- “हाँ भैया, मगर भाभी ने तो उस दिन कच्छी भी नहीं पहनी थी। डॉक्टर ने तो भाभी के चूतड़ और सुसू पूरी नंगी देखी थी। हे हे..”
मधु को कुछ ज्यादा ही मस्ती चढ़ गई थी मगर अब हम दोनों ही उसकी बातों से मजा ले रहे थे।

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#34
Awesome story 
Keep it up 
Waiting for update
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#35
Heart 
सलोनी- “इसे देखो जरा, कितनी चुगली कर रही है? अरे जानू वो गाउन केवल नीचे से ऊपर ही हो सकता है ना, मुझे तो पता ही नहीं था कि वो इंजेक्शन लगाएंगे वरना मैं कोई पजामा जैसा कपड़ा पहन लेती”

मैं- “अरे तो क्या हुआ जान, क्या फरक पड़ता है”

सलोनी- “मुझे तो बाद में समझ आया फिर बहुत शर्म भी आई। पहली बार मुझे लगा कि कच्छी पहननी चाहिए थी पर तब तो उन्होंने इंजेक्शन लगा गाउन ठीक भी कर दिया था”

मधु- “नहीं भाभी, बहुत देर तक उन्होंने आपके चूतड़ सहलाये थे मैंने देखा था”

मधु ने तो जैसे पूरा मोर्चा संभाल लिया था। उसको लगा आज सलोनी कि डांट पड़वा कर ही रहेगी।

सलोनी- “ओह… नहीं जान, मुझे कोई होश नहीं था। मुझे नहीं पता यह क्या बक रही है”

मैं- “हा हा हा हा… मुझे पता है जान”

मैंने मधु को और भी अपने से चिपका कर उसकी जांघों की जड़ तक अपना हाथ पहुँचा दिया। आश्चर्य जनक रूप से उसने अपने दोनों पैरों को खोल एक गैप बना दिया। मेरी उँगलियों ने एक बार फिर उसकी कोरी छोटी सी चिकनी फ़ुद्दी को सहलाना शुरू कर दिया।

मैं- “मेरी प्यारी बच्ची, वो जो डॉक्टर है ना सुई लगाने से पहले उस जगह को मुलायम करने के लिए मलते हैं”

मधु- “अहा ह्ह्ह्ह्ह… जज्जी… भैया!!!!!!!!!”

सलोनी- “समझी पागल…”

मधु- “मुझे लगा कि वो भाभी के साथ कोई गन्दी हरकत कर रहे हों”

मैं- “नहीं बेटा…”

ऐसी बातें करते हुए और मजे लेते हुए हम तीनों ने खाना खत्म किया। अब बारी थी सोने की…

मेरे मन में ना जाने कितने विचार चल रहे थे कि आज रात मधु के साथ कुछ न कुछ तो करता हूँ।

मगर मधु जब भी आती है वो बाहर के कमरे में ही सोती है। अब उसको अपने बैडरूम में तो सुला नहीं सकता था और अगर रात को सोते हुए उठकर कुछ करता हूँ तो कैसे? यही सब प्लान मेरे दिमाग में चल रहे थे। मगर यह पक्का था कि आज यार कुछ करूँगा जरूर, जब सलोनी भी लगभग साथ दे रही है और मधु भी मजे ले रही है, कोई विरोध नहीं कर रही तो यह मौका नहीं छोड़ना चाहिए।

मेरा लण्ड भी बैठने का नाम नहीं ले रहे था उसको भी एक टाइट माल की ख़ुशबू आ रही थी।

रसोई के सब काम निबटने और बिस्तर लगाने तक कई बार मैंने मधु को छेड़ा, उसके नंगे चूतड़ों को मसला, उसकी चूची को सहलाया।

मधु ने हर बार मेरा साथ दिया दो बार तो उसने खुद बहाने से मेरे लण्ड को पकड़ दबाया। मैंने सोच लिया कि आज रात को इसे उसके किसी न किसी छेद में तो डालूँगा ही। मधु की चिकनी फ़ुद्दी और मनमोहक चूतड़ों ने मेरी सोचने समझने की शक्ति को बिल्कुल ख़त्म ही कर दिया था। मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे इसकी ठुकाई करूँ।

साफ़ नजर आ रहा था कि सलोनी कुछ नहीं कह रही है बल्कि हर बार सहयता ही कर रही है। फिर भी मुझमें खुलकर कुछ करने की हिम्मत नहीं हो रही थी। शायद यह हम दोनों का एक दूसरे के प्रति असीम प्यार था जो एक दूसरे की इच्छा का सम्मान भी कर रहे थे मगर एक दूसरे के सामने खुलकर किसी दूसरे से रोमांस नहीं कर पा रहे थे।

मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि अगर मैं मधु को चोद रहा हूँ और सलोनी देख ले तो क्या वो कोई प्रतिक्रिया देगी या मेरी तरह ही चुप रहेगी। अब सोने का इन्तजार था। मधु ने अपना बिस्तर बाहर के कमरे में ही लगाया था। मैं यही सोच रहा था कि रात को एक बार कोशिश तो जरूर करूँगा। 

यह अच्छा ही था कि सलोनी बैडरूम में रहेगी और मैं आसानी से मधु की बन्द चूत खोल पाऊँगा। मगर फिर एक डर भी सता रहा था कि अगर वो ज़ोर से चिल्ला दी तो क्या होगा? बहुत से विचार मेरे दिल में आ जा रहे थे। मैं बहुत सारी बातें सोच रहा था कि मधु को ऐसे करके चोदूंगा, वैसे चोदूंगा। यहाँ तक कि मैंने दो तीन चिकनी क्रीम भी ढूंढ कर पास रख ली थीं। मेरे शैतानी लण्ड ने आज एक क़त्ल का पूरा इंतजाम कर लिया था और वो हर हाल में इस काण्ड को करने के लिए तैयार था।

फिर काम निपटाकर सलोनी अंदर आई और उसने मेरे पुराने सभी विचारों पर बिंदु लगा दिया। अहा! सलोनी ने यह क्या कर दिया, पता नहीं मेरे फायदे के लिए किया या सब कुछ रोकने के लिए मगर मुझे बहुत बुरा लगा। दरअसल हमारे घर में ऐ सी केवल बैडरूम में ही लगा है, बाहर के कमरे में केवल छत का पंखा है जो सोफे वाली तरफ है, जहाँ मधु ने बिस्तर लगाया था वहाँ हवा बिल्कुल नहीं पहुँचती।

सलोनी ने वहाँ आते ही उसको कहा- “अरे मधु, यहाँ तू कैसे सोयेगी? रात को गर्मी में मर जाएगी, चल अंदर ही सो जाना”

लगता है जैसे मधु मेरे से उल्टा सोच रही थी। जहाँ मैं उसको अलग आराम से चोदना चाह रहा था वहीं वो शायद मेरे पास लेटने की सोच रही थी क्योंकि वो एकदम से तैयार हो गई, उसने फटाफट अपना बिस्तर उठाया और बैडरूम में आ देखने लगी कि किस तरफ लगाना है।

मैं कुछ कहना ही चाह रहा था मगर तभी सलोनी ने एक और बम छोड़ दिया- “यह कहाँ ले आई बेवकूफ, इसको बाहर ही रख दे। यहीं बेड पर ही सो जाना”

अब मुझसे नहीं रुक गया, मैं बोला- “अरे जान यहाँ कैसे?”

सलोनी- “अरे सो जाएगी एक तरफ को जानू, वहाँ गर्मी में तो मर जायेगी सुबह तक”

मैं चुप करके अब इस स्थिति के बारे में विचार करने लगता हूँ। पता नहीं यह अच्छा हुआ या गलत पर जब मधु सलोनी के पास ही सोयेगी तब तो मैं हाथ भी नहीं लगा पाऊँगा। मेरा दिल कहीं न कहीं डूबने लगा था और सलोनी को बुरा-भला भी कह रहा था। हम तीनों बिस्तर पर आ गए, एक ओर मैं था, बीच में सलोनी एवं दूसरी तरफ मधु लेट गई। ऐ सी मधु वाली साइड में लगा था।

मैंने कमर में एक पतला कपड़ा बाँध लिया था और पूरा नंगा था। वैसे मैं नंगा ही सोता था पर आज मधु के कारण मैंने वो कपड़ा बाँध लिया था। सलोनी अपनी उसी शार्ट नाइटी में थी जो उसके पैर मोड़ने से उसके कमर से भी ऊपर चली गई थी। उसके मस्त नंगे चूतड़ मेरे से चिपके थे।

उधर मधु केवल एक समीज में लेटी थी। हाँ उसमे अभी भी शर्म थी या वाकयी ठण्ड के कारण वहाँ रखी पतली चादर ओढ़ ली थी। उसका केवल सीने तक का ही बदन मुझे दिख रहा था। करीब आधे घंटे तक मैं सोचता रहा कि यार क्या करूँ। एक तो सलोनी के मस्त नंगे चूतड़ मेरे लण्ड को आमंत्रण दे रहे थे मगर उसे तो आज नई डिश दिख रही थी। 

मेरा कपड़ा खुल कर एक ओर हो गया था और अब नंगा लण्ड छत की ओर तना खड़ा था, मेरे बस करवट लेते ही वो सलोनी के नंगे चूतड़ से चिपक जाता मगर ना जाने क्यों मैं सीधा लेटा मधु के बारे में सोच रहा था कि क्या रिस्क लूँ, उस तरफ जा मधु को दबोच लूँ मगर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।

फिर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया मैंने सलोनी की ओर करवट ले ली और सलोनी से पीछे से चिपक गया। मेरे लण्ड ने सलोनी के चूतड़ के बीचों बीच अपनी जगह बना ली। सलोनी ने भी थोड़ा सा खिसक कर अपने चूतड़ों को हिलाकर लण्ड को सही जगह सेट कर लिया। अब मैंने अपना हाथ बढ़ा कर सीधे मधु की चादर में डाल दिया। मुझे पता था कि सलोनी आँखे खोले मेरे हाथ को ही देख रही है मगर मैंने सब कुछ जान कर भी अपने हाथ को मधु की चादर में डाल दिया और हाथ मधु के नंगे पेट पर रखा। 

मधु की समीज उसके पेट से भी ऊपर चली गई थी। मैं सलोनी की परवाह ना करते हुए अपना हाथ सीधे पेट से सरकाते हुए मधु की मासूम फ़ुद्दी तक ले गया उसका यह प्रदेश किसी मखमल से भी ज्यादा कोमल था। मेरी उँगलियों ने उसकी फ़ुद्दी को सहलाते हुए जल्दी ही उसके बेमिसाल छेद को टटोल लिया।

मधु कसमसाई, उसने आँखे खोली और सर घुमाकर सलोनी की ओर देखा। सलोनी की भी आँखें खुलीं थी, बस मधु बिदक गई और उसने तुरंत मेरा हाथ झटक दिया।

मधु- “क्या करते हो भैया, सोने दो ना”

TO BE CONTINUED .....
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#36
मैं पहले तो घबरा गया मगर फिर मेरे दिमाग ने काम किया, मैं बोला- “अरे, मैं देख रहा हूँ कि तूने कहीं सूसू तो नहीं कर दिया, गद्दा खराब हो जायेगा…”

सलोनी- “हा हा.. और एक दम ऐसी के सामने लेटी है, जरा संभलकर…”

मधु- “क्या भाभी आप भी? मैं नहीं बोल रही आपसे”

तभी सलोनी ने वो कर दिया जिसकी मुझे सपने में भी उम्मीद नहीं थी। मधु की मक्खन जैसी फ़ुद्दी के छूने से मेरे लण्ड में जबरदस्त तनाव आ गया था। जिसको सलोनी ने भी महसूस कर लिया था। मेरी समझ से बिल्कुल परे था कि एक बीवी होकर भी वो अपने पति के सेक्सी रोमांस का मजा ले रही है। ना केवल मजे ले रही है बल्कि मेरे इस काम में सहयोग भी कर रही है।

अब ना जाने उसके मन में क्या था। इन सब बातों को सोचने के बारे में मेरे दिल और दिमाग दोनों ने ही मना कर दिया था।

मधु की नाजुक जवानी को चखने के लिए उसमें इतना तनाव आ गया था कि दिल और दिमाग दोनों ही सो गए थे, उनको तो बस अब एक ही मंजिल दिख रही थी, चाहे उस तक कैसे भी जाया जाये।

मधु- “ओह भाभी! भैया भी पापा की तरह परेशान कर रहे हैं…”

सलोनी ने मधु का हाथ पकड़ कर खींच कर सीधे मेरे तने हुए लण्ड पर रख दिया और बोली- “तू भी तो पागल है बदला क्यों नहीं लेती? तू भी देख कि कहीं तेरे भैया ने तो सूसू नहीं की हे हे हे हे…”

सलोनी के इस करतब से मैं भौंचक्का रह गया और शायद मधु भी, हाथ के खिंचने से वो सलोनी के ऊपर को आ गई थी। सलोनी ने ना केवल मधु का हाथ मेरे लण्ड पर रखा बल्कि उसको वहाँ पकड़े भी रही कि कहीं मधु जल्दी से हटा न ले।

मधु का कोमल हाथ मेरे लण्ड को मजे दे ही रहा था कि अब मधु ने भी मेरी समझ पर परदा डालने वाली हरकत की, उसने कसकर हाथ से बनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को जकड़ लिया।

मधु- “हाँ भाभी, आप ठीक कहती हो, क्या अब भी भैया सूसू कर देते हैं बिस्तर पर?”

सलोनी- “हा हा… हाँ बेटा, तुझे क्या पता कि ये अब भी बहुत नालायक हैं, ना जाने कहाँ कहाँ मुत्ती करते हैं। मेरे कपड़े तक गीले कर देते हैं…”

मैंने मधु के हाथ को लण्ड से हटाने की कोई जल्दी नहीं की लेकिन कुछ प्रतिवाद का दिखावा तो करना ही था इसलिए…

मैं- “तुम दोनों पागल हो गई हो क्या?? यह क्या बकवास लगा रखी है?”

तभी मधु मेरे लण्ड को सहलाते हुए अपना हाथ लण्ड के सुपाड़े के टॉप पर ले जाती है। उसको कुछ चिपचिपा महसूस हुआ, मेरे लण्ड से लगातार प्रीकम निकल रहा था।

मधु- “हाँ भाभी, आप ठीक कह रही हो, भैया ने आज भी सूसू की है। देखो कितना गीला है…”

सलोनी- “हा हा हा…”

मैं- “हा हा… चल पागल, फिर तो तूने भी की है। अपनी देख वहाँ भी कितनी गीली है”

शायद सलोनी जैसी समझदार पत्नी बहुत कम लोगों को मिलती है। मेरा दिल कर रहा था कि जमाने भर की खुशियाँ लाकर उसके कदमों में डाल दूँ। मेरे लण्ड और मधु की चूत के गीलेपन की बात से ही वो समझ गई कि हम दोनों अब क्या चाहते हैं। उसने बिना कुछ जाहिर करे मधु को एक झटके से अपने ऊपर से पलटकर मेरी ओर कर दिया और खुद मधु की जगह पर खिसक गई।

फिर बड़े ही रहस्यमयी आवाज में बोली- “ओह तुम दोनों ने मेरी नींद का सत्यानाश कर दिया। तू इधर आ और अब तुम दोनों एक दूसरे की सूसू को देखते रहो कि किसने की और किसने नहीं की सूसू”

मधु एकबारगी तो बौखला सी गई पर बाद में सीधी होकर लेट गई। मैं समझ नहीं पा रहा था कि कुछ बोलूं या नहीं। मैंने घूमकर देखा कि सलोनी वाकयी दूसरी और करवट लेकर लेट गई थी। अब मैंने मधु के चेहरे की ओर देखा, उसके चेहरे पर कई भाव थे। उसकी आँखों में वासना और डर दोनों नजर आ रहे थे। जबकि होंटो पर हल्की मुस्कुराहट भी थी। मेरे दिल में एक डर भी था कि कहीं सलोनी कुछ फंसा तो नहीं रही मगर पिछले दिनों मैंने जो कुछ भी देखा और सुना था, सलोनी का वो खुला रूप याद कर मेरा सारा डर निकल गया।

मैंने झुककर मधु के पतले कांपते होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मधु तो जैसे सब कुछ करने को तैयार थी, लगता है उसकी वासना अब उसके वश से बाहर हो चुकी थी। वो लालायित होकर अपने मुँह को खोलकर मेरा साथ देने लगी। मैं उसके ऊपर तिरछा होकर झुका था उसका बायां हाथ मेरे लण्ड को छू रहा था। अचानक मैंने महसूस किया कि उसने फिर से अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को पकड़ लिया है। उसकी बेचैनी को समझते हुए मैं उसके होंठों को छोड़कर ऊपर उठा, मैंने उसकी समीज की ढीली आस्तीन को उसके कंधो से नीचे सरका दिया। मधु इतनी समझदार थी कि वो तुरंत समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ। उसने अपने दोनों हाथों से अपनी आस्तीन को निकाल दिया।

मैंने उसके सीने से समीज को नीचे कर उसकी नाजुक चूचियों को एक ही बार में अपनी हथेली से सहलाया, मधु बहुत धीरे से- “अहा… आआ…”

उसकी समीज उसके पेट पर इकट्ठी हो गई थी। मैंने एक बार फिर समीज नीचे को की, मधु ने सलोनी की ओर देखते हुए अपने चूतड़ को उठाकर अपने हाथ और पैर से समीज को पूरा निकाल दिया। सलोनी अपने नंगे चूतड़ को उठा हमारी ओर करवट लिए वैसे ही लेटी थी। उसकी साँसें बता रही थी कि वो सो गई है या सोने का नाटक कर रही है। मेरा कमर से लिपटा कपड़ा तो कब का खुलकर बिस्तर से नीचे गिर गया था।

अब मधु भी पूरी नंगी हो गई थी। नाईट बल्ब की नीली रोशनी में उसका नंगा बदन गजब लग रहा था। मैंने नीचे झुककर उसकी एक चूची को पूरा अपने मुँह में ले लिया। मैं उसको हल्के हल्के चूसते हुए अपनी जीभ की नोक से उसके नन्हे से निप्पल को कुरेदने लगा।

मधु पागल सी हो गई, उसने अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को पकड़ उमेठ सा दिया। मैंने अपना बायां हाथ उसकी जांघों के बीच ले जाकर सीधे उसकी फ़ुद्दी पर रखा और अपनी उंगली से उसके छेद को कुरेदते हुए ही एक उंगली अंदर डालने का प्रयास करने लगा। मधु कुनमुनाने लगी, लगता है उसको दर्द का अहसास हो रहा था।

मुझे संशय होने लगा कि इतने टाइट छेद में मेरा लण्ड कैसे जायेगा। वाकयी उसका छेद बहुत टाइट था। मेरी उंगली जरा भी उसमें नहीं जा पा रही थी। मैंने अपनी उंगली मधु के मुँह में डाली, उसके थूक से गीली कर फिर से उसके चूत में डालने का प्रयास किया। मेरा बैडरूम मुझे कभी इतना प्यारा नहीं लगा। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि ज़िंदगी इतनी रंगीन हो सकती है।

मेरे सामने ही बेड के दूसरे छोर पर मेरी सेक्सी बीवी लगभग नंगी करवट लिए लेटी है। उसकी अति पारदर्शी नाइटी जो खड़े होने पर उसके घुटनो से 6 इंच ऊपर तक आती थी, इस समय सिमट कर उसके पेट से भी ऊपर थी और मेरी जान अपने गोरे बदन पर कच्छी तो पहनती ही नहीं थी उसके मस्त चूतड़ पीछे को उठे हुए मेरे सेक्स को कहीं अधिक भड़का रहे थे।

अब तक मजेदार भोजन खिलाने वाली मेरी बीवी ने आज एक ऐसी मीठी डिश मेरे सामने रख दी थी कि जिसकी कल्पना शायद हर पति करता होगा मगर उसे मायूसी ही मिलती होगी, और खुद सोने का नाटक कर रही थी।

मधु के रसीले बदन से खेलते हुए मैं अपनी किस्मत पर रश्क कर रहा था। इस लोंडिया को देख मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह इतनी गर्म होगी और चुदाई के बारे में इतना जानती होगी। मेरा लण्ड उसके हाथों में मस्ती से अंगड़ाई ले रहा था और बार-बार मुँह उठाकर उसकी कोमल फ़ुद्दी को देख रहा था, जैसे बोल रहा हो कि आज तुझे जन्नत की सैर कराऊँगा। 

उसकी फ़ुद्दी भी मेरी उँगलियों के नीचे बुरी तरह मचल रही थी। वो सब कुछ कर गुजरने को आतुर थी। शायद उसकी फ़ुद्दी होने वाले कत्लेआम से अनभिज्ञ थी। मेरे और मधु के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, मधु बार-बार मेरे गठीले एवं संतुलित बदन से कसकर चिपकी जा रही थी। मेरा मुँह उसकी दोनों रसीली अम्बियों को निचोड़ने में ही लगा था। मैं कभी दाईं तो कभी बायीं चूची को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था। 

मधु कुछ ज्यादा ही मचल रही थी…

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#37
Heart 
उसने मेरी तरफ घूम कर अपना सीधा पैर मेरी कमर पर रख दिया। मैंने भी अपना हाथ आगे उसकी फ़ुद्दी से हटा कर उसके मांसल चूतड़ों पर रख उसको अपने से चिपका लिया। इस अवस्था में उसकी रसीली चूत मेरे लण्ड से चिपक गई। शाम से हो रहे घटनाक्रम से मधु सच में सेक्स लिए पागल हो रही थी। 
वो अपनी चूत को मेरे लण्ड से सटा खुद ही अपनी कमर हिला रही थी। उसकी रस छोड़ रही चूत मेरे लण्ड को और भी ज्यादा भड़का रही थी।
मैंने एक बात और भी गौर की कि मधु शुरू शुरू में बार बार सलोनी की ओर घूमकर देख रही थी, उसको भी कुछ डर सलोनी का था मगर अब बहुत देर से वो मेरे से हर प्रकार से खेल रही थी, उसने एक बार भी सलोनी की ओर ध्यान नहीं दिया था। या तो वासना उस पर इस कदर हावी हो चुकी थी कि वो सब कुछ भूल चुकी थी या अब वो सलोनी के प्रति निश्चिंत हो चुकी थी। 
हाँ, मैं उसी की ओर करवट से लेटा था तो मेरी नजर बार बार सलोनी पर जा रही थी। कमाल है, उसने एक बार भी ना तो गर्दन घुमाई थी और ना उसका बदन जरा भी हिला था। सलोनी पूरी तरह से मधु का उद्घाटन करवाने को तैयार थी। 
मेरा लण्ड इस तरह की मस्ती से और भी लम्बा, मोटा हो गया था। मैं अपने हाथ से उसके चूतड़ों को मसलते हुए अपनी ओर दबा रहा था और मधु अपने कमर को हिलाते हुए मखमली चूत को मेरे लण्ड पर मसल रही थी।
मेरे मुँह में उसकी चूची थी। हम दोनों बिल्कुल नहीं बोल रहे थे मगर फिर भी मेरे द्वारा चूची चूसने की ‘पुच पिच’ जैसी आवाजे हो ही रही थीं। मधु की बेकरारी मुझे उसके साथ और भी ज्यादा खेलने को मजबूर कर रही थी। मैंने उसको सीधा करके बिस्तर पर लिटा दिया मगर इस बार अब मैं उसके ऊपर आ गया, एक बार उसके कंपकंपाते होठो को चूमा, फिर उसकी गर्दन को चूमते हुए जरा सा उठकर नजर भर मधु की मस्त उठानों को देखा। 
दोनों चूचियाँ आम की तरह उठी हुई जबरदस्त टाइट और उन पर पूरे गुलाबी छोटे से निप्पल,जानलेवा नजारा था। मैंने दोनों निप्पल को बारी बारी से अपने होंटों से सहलाया फिर नीचे सरकते हुए उसके पतले पेट तक पहुँचा, अब मैंने उसके पेट को चूमते हुए अपनी जीभ उसकी प्यारी सी नाभि पर रख दी। मैं जीभ को नाभि के चारों ओर घुमाने लगा। 
मधु मचल रही थी, उसके मुख से अब हल्की हल्की आहें निकलने लगी- “अह्ह्हाआ… ह्ह्ह्ह… आ…”
मैं थोड़ा और नीचे हुआ, मैंने मधु के पैरों को फैलाया और उसकी कोमल कच्ची कली फ़ुद्दी को पहली बार इतनी नजदीक से देखा। उसकी दोनों पत्तियाँ कस कर एक दूसरे से चिपकी थी।
सलोनी की चूत भी गजब की है बिल्कुल छोटी बच्ची जैसी, मगर उस पर बाल तो आ चुके ही थी भले ही वो कीमती हेयर रेमूवर से उनको साफ़ कर अपनी चूत को चिकना बनाये रखती थी और फिर लण्ड खाने से उसकी चूत कुछ तो अलग हो गई थी। 
मगर मधु की चूत बिलकुल अनछुई थी, जिस चूत में अंगुली भी अंदर नहीं जा रही थी उसका तो कहना ही क्या, इतनी प्यारी कोमल मधु की चूत इस समय मेरी नाक के नीचे थी। उसकी चूत से निकल रहे कामरस की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी। मैंने अपनी नाक उसकी चूत के ऊपर रख दी।
मधु- “अह्ह्हा… आआआ… स्श…”
वो जोर से तड़फी उसने अपनी कमर उठा बेकरारी का सबूत दिया। मैं उस खुशबू से बैचेन हो गया और मैंने अपनी जीभ उसके चूत के मुँह पर रख दी। बहुत मजेदार स्वाद था। मैं पूरी जीभ निकाल चाटने लगा, मुझे चूत चाटने में वैसे भी बहुत मजा आता था और मधु जैसी कमसिन चूत तो मक्खन से भी ज्यादा मजेदार थी। मैं उसकी दोनों टाँगें पकड़ पूरी तरह से खोलकर उसकी चूत को चाट रहा था। मेरी जीभ मधु के चूत के छेद को कुरेदती हुई अब अंदर भी जा रही थी।
उसकी चूत के पानी का नमकीन स्वाद मुझे मदहोश किये जा रहा था। मैं इतना मदहोश हो गया कि मैंने मधु की टाँगें ऊपर को उठाकर उसके चूतड़ तक चाटने लगा। कई बार मेरी जीभ ने उसके चूतड़ के छेद को भी चाटा। मधु बार बार सिसकारियाँ लिए जा रही थी। हम दोनों को ही अब सलोनी की कोई परवाह नहीं थी। मैंने चाट चाट कर उसका निचला हिस्सा पूरा गीला कर दिया था। मधु की चूत और गांड दोनों ही मेरे थूक से सने थे। मेरा लण्ड बुरी तरह फुफकार रहा था।
मैंने एक कोशिश करने की सोची,  मैंने मधु को ठीक पोजीशन में कर उसके पैरों को फैला लिया और अपना लण्ड का अग्रमुण्ड उसकी लपलपाती चूत के मुख पर टिका दिया। यह मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीं पल था। एक अनछुई कली, पूरी नग्न मेरे नीचे दबी थी। उसके चिकने कोमल बदन पर एक चिंदी वस्त्र नहीं था। मैंने उसके दोनों पैरों को मोड़कर फैलाकर चौड़ा कर दिया। 
उसकी चूत एकदम से खिलकर सामने आ गई। मैंने अपनी कमर को आगे कर अपना तनतनाते लण्ड को उन कलियों से चिपका दिया। मेरे गर्म सुपारे का स्पर्श अपने चूत के महाने पर होते ही मधु सिसकार उठी। मैं धीरे धीरे उसी अवस्था में लण्ड को घिसने लगा।
दिल कर रहा था कि एक ही झटके में पूरा लण्ड अंदर डाल दूँ। मगर यही एक शादीशुदा मर्द का अनुभव होता है कि वो जल्दबाजी नहीं करता। मैंने बाएं हाथ को नीचे ले जाकर लण्ड को पकड़ लिया, फिर कुछ पीछे को होकर लण्ड को चूत के मुख को खोलते हुए अंदर सरकाने की कोशिश करने लगा। 
मधु बार-बार कमर उचकाकर अपनी बेचैनी जाहिर कर रही थी। शायद दस मिनट तक मैं लण्ड को चोदने वाले स्टाइल में ही चूत के ऊपर घिसता रहा। 1-2 बार सुपारा जरा जरा सा ही चूत को खोल अंदर जाने का प्रयास भी कर रहा था मगर मधु का जिस्म अभी बिल्कुल दर्द सहने का आदि नहीं था वो खुद उसे हटा देती थी। शायद उसको हल्के सी भी दर्द का अंदाजा नहीं था। उसको केवल आनन्द चाहिए था इसलिए हल्का सा भी दर्द होते ही वो पीछे हट जाती थी।
इससे पहले भी मैंने 4-5 लड़कियों की कुंवारी झिल्ली को भंग किया था और उस हर अवस्था का अच्छा अनुभव रखता था। जिन 4-5 लड़कियों की मैंने झिल्ली तोड़ी थी उनमें एक तो बहुत चिल्लाई थी, उसने पूरा घर सर पर उठा लिया था। मुझे यकीन था कि मधु अभी तक कुंवारी है। उस सबको याद करके एवं सलोनी के इतना निकट होने से मैं यह काम आसानी से नहीं कर पा रहा था। मुझे पता था कि मधु आसानी से मेरे लण्ड को नहीं ले पायेगी और अगर ज़ोर से झटके से अंदर घुसाता हूँ तो बहुत बवाल हो सकता है।
खून-खराबा, चीख चिल्लाहट और ना जाने कितनी परेशानी आ सकती है। हो सकता है सलोनी भी इसी सबका इन्तजार कर रही हो,
फिर वो मेरे ऊपर हावी होकर अपनी रंगरलियों के साथ-साथ दबाव भी बना सकती है। मेरा ज़मीर खुद उसके सामने कभी नीचे दिखने को राजी नहीं था। वो भी एक चुदाई के लिए, क्या मुझे अपने लण्ड पर काबू नहीं है..?? 
मुझे खुद पर पूरा भरोसा है, मैं अपने लण्ड को अपने हिसाब से ही चुदाई के लिए इस्तेमाल करता हूँ ज़बरदस्ती कभी करता नहीं मैं और जो तैयार हो उसको छोड़ता नहीं।
मधु के साथ भी मैं वैसे ही मजे ले रहा था। मुझे पता था कि लौंडिया घर की ही है और बहुत से मौके आएँगे। जब कभी अकेला मिला तब ठोक दूँगा और अगर प्यार से ले गई तो ठीक वरना खून खराबा तो होगा ही।
मधु की नाचती कमर बता रही थी कि उसको इस सब में भी चुदाई का मजा आ रहा है।खुद को मजा देने के लिए मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत के पूरा लेटी अवस्था में चिपका दिया और मैं ऊपर-नीचे होकर मजा लेने लगा। लण्ड पूरा मधु की चूत से चिपककर उसके पेट तक जा रहा था। उसकी चूत की गर्मी से मेरा लण्ड लावा छोड़ने को तैयार था पर लगता है कि मधु की चूत के छेद पर अब लण्ड छू नहीं पा रहा था या उसको पहले टॉप के धक्कों से ज्यादा आनन्द आ रहा था। 
उसने कसमसाकर मुझे ऊपर को कर दिया, फिर खुद अपने पैरों को मेरी कमर से बांधकर अपना हाथ नीचे कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया। उसके पसीने से भीगे नरम हाथों में आकर लण्ड और मेरी हालत ख़राब होने लगी। उसने लण्ड के सुपारे को फिर अपनी चूत के छेद से चिपकाया और कमर हिलाने लगी। 
अब मैं भी कमर को थोड़ा कसकर आगे पीछे करने लगा। उसके कसे हुए हाथों में मुझे ऐसा ही लग रहा था कि मेरा लण्ड चूत के अंदर ही है। मैं जोर जोर से कमर हिलाने लगा जैसे चुदाई ही कर रहा हूँ। 
मधु लण्ड को छोड़ ही नहीं रही थी कि कहीं मैं फिर से लण्ड को वहाँ से हटा न लूँ।

TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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#38
Good one
Ghostprotical flamethrower
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#39
YAH STORY BHI APKI LAJABAB HAI .................
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#40
Heart 
अब लण्ड का सुपारा आधा से लेकर एक इंच तक भी चूत के अंदर चला जा रहा था। मधु ने इतनी कसकर लण्ड पकड़ा था कि वो वहाँ से इधर उधर न हो इसीलिए चूत में भी ज्यादा नहीं घुस पा रहा था वरना कुछ झटके तो इतने जोरदार थे कि लण्ड अब तक आधा तो घुस ही जाता और तभी मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी।

मैं- “अहाआआ… ह्ह्ह्ह्ह…ह्ह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह… आआअ… ह्ह्ह्ह्ह्…ह ह्ह्ह… ऊऊ ओह ह्ह्ह्ह्ह्ह…”

कई पिचकारियाँ मधु की चूत को पूरा गीली करती हुई उसके पेट और छाती तक को भिगो गई। सच में बहुत ज्यादा वीर्य निकला था। मधु ने अब भी कसकर लण्ड को पकड़ा था। मुझे जन्नत का मजा आ रहा था पर अब मुझमें अब जरा सी भी हिम्मत नहीं बची थी, मैं एक ओर गिर कर लेट गया। मुझे बस इतना ध्यान है कि मधु उठकर बाथरूम में गई।

कुछ देर बाद मैंने देखा मधु बाथरूम से बाहर निकली वो अभी भी पूरी नंगी थी। उसने बाथरूम का दरवाजा, लाइट कुछ बंद नहीं की और मधु बाथरूम से अपने शरीर को साफ़ करके फिर मेरे पास आ चिपक कर लेट गई। उसने अपनी समीज भी नहीं पहनी और ना उसको सलोनी का डर था। इतने मजे करने के बाद उसका सारा डर निकल गया था। वो पूरी नंगी उसी अवस्था में मुझसे चिपक लेट गई।

इतनी कम उम्र में भी वो सेक्स की देवी थी। उसने अपना एक हाथ मेरे सीने पर और एक पैर मेरे लण्ड पर रख दिया था। सिर मेरे कंधे पर रख सो गई थी। मेरे अन्दर इतनी ताकत भी नहीं बची थी कि अपना हाथ भी उस पर रख सकूं। मैंने भी उसको दूर नहीं किया। उसकी चूचियों का अहसास मेरे हाथ पर एवं उसकी गर्म चूत का कोमल अहसास मेरी जांघ पर हो रहा था। मेरे में बिल्कुल हिलने तक की ताकत नहीं बची थी।

नींद ने मेरे ऊपर पूरा कब्ज़ा कर लिया था। जबकि दिमाग में यह आ रहा था कि उठकर सब कुछ सही कर देना चाहिये। खुद  को और मधु को कपड़े पहना देने चाहियें वरना सुबह दोनों को ऐसे देख सलोनी क्या सोचेगी और ना जाने क्या करेगी? मुझे नहीं पता कि मैं कब बेहोशी की नींद सो गया।

सुबह सलोनी ने ही मुझे आवाज दी- “सुनो, अब उठ भी जाओ, चाय पी लो”

रात की सारी घटना मेरे दिमाग में आई और मैं एकदम से उठ गया। कमरे में सलोनी नहीं थी, मैंने राहत की सांस ली फिर चारों और देखकर सारी स्थिति का अवलोकन किया। मेरी कमर तक चादर थी जो पता नहीं मैंने खुद ली या किसी और ने, कुछ पता नहीं। मैंने चादर हटा कर देखा, मेरी कमर पर रात को बंधा कपड़ा भी अंदर ही था। बंधा तो नहीं था पर हाँ लिपटा जरूर था। फिर मैंने बिस्तर पर देखा, दूसरे कोने पर मुँह तक चादर ढके शायद मधु ही सो रही थी। क्या मधु अभी तक नहीं जगी? उसने कपड़े पहने या नहीं? मैंने चारों और नजर घुमाकर उसकी उतरी हुई समीज को खोजा पर कहीं नजर नहीं आई। मधु कब रात को उधर चली गई? क्या सलोनी ने ये सब किया? या फिर मधु ही सब कुछ ठीक करके फिर सोई? मेरा दिमाग बिलकुल सुन्न हो गया था।

मैंने चाय पीकर अपने कमर का कपड़ा कस कर बांधा फिर एक बार बाहर कमरे में देखा। सलोनी शायद रसोई में थी। उसकी आवाज भी आ रही थी और शायद कोई और भी था जिससे वो बात कर रही थी। मगर मेरे दिमाग में अब वो नहीं थी मैं तो रात के काण्ड से डरा हुआ था कि ना जाने सलोनी का क्या रुख होगा…??

उसे कुछ पता चला या नहीं? मैं जल्दी से मधु की ओर गया और उसको उठाने के लिए उसकी चादर हटाई। क्या नजारा था, सुबह की चमकती रोशनी में मधु का मादक जिस्म चमक रहा था। उसके बदन पर समीज तो थी मगर वो उसके पेट पर थी। शायद उसने खुद या फिर सलोनी ने उसको समीज पहनाने की कोशिश की होगी जो केवल कमर तक ही पहना पाई।

उसका पूरा जिस्म ही पूरा नंगा मेरे सामने था। उसने अपनी दोनों टांगें घुटनों से मोड़ कर फैला रखी थी। उसकी खुली हुई कोमल चूत मेरे सामने थी। वैसे तो इसको मैं पहले भी देख चुका था पर इस समय उसमे बहुत अंतर था। उसकी चूत बिल्कुल लाल सुर्ख हो रही थी और एक दो खून के लाल निशान भी दिख रहे थे।

ओह… क्या रात मेरे लण्ड ने इस बेचारी को इतना दर्द दिया था मगर लण्ड तो बहुत जरा सा ही अंदर गया था फिर इसकी चूत इतना कैसे सूज गई? फिर मैंने प्यार से मधु की चूत पर अपना हाथ रखा और धीरे से उसको सहलाया। मुझे लगा कि रात को जोश में मुझे पता नहीं चला पर शायद मधु को बहुत कष्ट हुआ होगा। हो सकता है मेरा लण्ड कुछ ज्यादा ही अंदर तक चला गया हो फिर मुझे उसकी चूत पर कुछ अलग ही गन्ध आई। अरे यह तो बोरोप्लस की खुशबू थी। इसका मतलब मधु ने रात को बोरोप्लस भी लगाया। इसने एक बार भी मुझे अपने दर्द के बारे में नहीं बताया। मुझे उसके इस दर्द को छुपाने पर बहुत प्यार आया। मैंने उसके होंठों को चूम लिया।

तभी मुझे सलोनी के कमरे में आने की आवाज आई। उसके पैरों की आवाज आ रही थी। मैंने जल्दी से मधु को चादर से ढका और बाथरूम में घुस गया…

सलोनी कमरे में आकर- “अरे आप कहाँ हो जानू…”

मैं- “बोलो जान, बाथरूम में हूँ…”

सलोनी- “ओह ठीक है, मैं आपको उठाने ही आई थी…”

उसकी आवाज में कहीं कोई नाराजगी या कुछ अलग नजर नहीं आया वो हर रोज की तरह ही व्यवहार कर रही थी। मुझे बहुत सुकून सा महसूस हुआ। फिर मुझे लगा कि शायद वो मधु को उठा रही है। अब ये सब मैं नहीं देख सकता था क्योंकि बाथरूम से केवल बाहर का कमरा या रसोई ही देखी जा सकती है बैडरूम में नहीं। हाँ मैं दरवाजा खोल देख सकता था मगर मैंने इसमें कोई रूचि नहीं ली। मेरे दिल को सुकून था कि इतने बड़े कांड के बाद भी सब कुछ ठीक था।

मैं नहाकर बाहर आया तो बेडरूम पूरी तरह से व्यवस्थित था, कमरे में कोई नहीं था, मधु और सलोनी दोनों ही रसोई में थी। मैं तैयार हुआ, दस से भी ऊपर हो गए थे। मैं रसोई में ही चला गया, दोनों काम में लगी थीं, दोनों ने रात वाले कपड़े ही पहन रखे थे। मधु ने मुझे देखकर सलोनी से बचकर एक बहुत सेक्सी मुस्कान दी। मैंने भी उसको आँख मार दी तो उसने शरमाकर अपनी गर्दन नीचे कर ली।

मैं सलोनी के पास जाकर उसके गोलों मटोल चूतड़ों को सहलाकर बोला- “क्या बात जान, आज अभी तक तैयार नहीं हुई?”

सलोनी- “नहीं जानू, मैं भी देर से ही उठी, वो तो भला हो दूध वाले का जिसने उठा दिया सुबह आकर वरना इतनी थकी थी कि सोती ही रहती”

मेरे जरा से सहलाने से ही उसकी पतली नाइटी खिसकी और सलोनी के नंगे चूतड़ मेरे हाथों में थे। मैं सोचने लगा कि सुबह से सलोनी ऐसे ही सब काम कर रही है? वो लगभग नंगी ही दिख रही है उस पतली सी आधी नाइटी में, जिसके नीचे उसने ब्रा या कच्छी कुछ भी नहीं पहना था। क्या सबके सामने वो ऐसे ही आ-जा रही है? सभी के खूब मजे होंगे। पहले तो मैं उसको कुछ नहीं कहता था मगर अब उसको छेड़ने के लिए मैं बात करने लगा था…

मैंने उसके चूतड़ सहलाते हुए ही कहा- “क्या बात जानू, कुछ पहन कर दूध लिया या ऐसे ही दूधवाले को जलवा दिखा दिया? वो तो मर गया होगा बेचारा”

मधु हमको देखकर मुस्कुरा रही थी। सलोनी भी मस्ती के मूड में ही लग रही थी, अपने चूतड़ों को हिलाये जा रही थी, वो कोई विरोध नहीं कर रही थी- “नहीं जी, दूध लेने के बाद ही यह नाइटी पहनी मैंने!”

मैं- “हा हा हा… फिर तो ठीक है…”

सलोनी- “हे हे… आपको तो बस हर समय मजाक ही सूझता है”

मैंने उसके नाइटी के गले की ओर देखा। उसके जरा से झुकने से ही उसके दोनों मस्त गोलाइयाँ पूरी नंगी दिख रही थी। उनके निप्पल तक बाहर आ-जा रहे थे। मैं समझ सकता था कि सलोनी के दर्शन कर कॉलोनी वालों के मजे आ जाते होंगे। ना जाने दूधवाले, अंडे वाले और भी किसी ने क्या क्या देखा होगा। अब जब सलोनी को दिखाने में मजा आता है तो मैं उसके इस आनन्द को नहीं छीन सकता था, उसको भी मजे लेने का पूरा हक़ है।

नाश्ता करते हुए रात की किसी बात का कोई जिक्र ना तो सलोनी ने किया और ना ही मधु ने। मेरे दिल में जो थोड़ा बहुत डर था वो भी निकल गया। हाँ सलोनी ने एक बात की जिसके लिए मुझे कोई ऐतराज नहीं था- “जानू एक बात कहनी है”

मैं- “बोलो…??? आज बाजार जाना है, पैसे चाहिएँ?”

TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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