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Incest मां बेटा ने लिया चुदाई का मजा
#21
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बीच में


??
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#22
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#23
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
मैं मां से बात कर रहा था लेकिन मां मुझे जवाब नहीं दे रही थीं.
हालांकि वो मेरा कहना मानती जा रही थीं. 
दोस्तो ये उस वक्त इतना जल्दी जल्दी हुआ कि मैं आपको बता नहीं सकता.
मैं- पैर खोल दो मां.

मां ने अपने दोनों पैर चौड़ा दिए. [Image: 75003203_014_9516.jpg]

मैं अपना बुल्ला हाथ में लेकर मां की चूत का छेद खोजने लगा लेकिन मुझे चुत का छेद नहीं मिल रहा था.
मैंने एक दो बार चुत में लौड़ा डालने की कोशिश की, लेकिन लंड अन्दर नहीं गया.

मेरा बुल्ला एक नार्मल इंसान जितना ही है.







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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#25
के



















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!!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#26
thanks


















thanks thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#27
मैंने मां से कहा- फ़्लैश दिखाओ मां, मुझे छेद नहीं दिख रहा है. 
लेकिन मां ने फ़्लैश की रोशनी नहीं डाली. इसकी जगह उन्होंने मेरा बुल्ला अपने हाथ में लिया और उसे अपनी चूत के छेद पर रख कर रगड़ने लगीं.
तो मैं समझ गया कि सही छेद यही है.

मैं थोड़ा सा मां पर झुका और एक झटका लगा दिया.
मेरा बुल्ले का सुपारा मां की चूत में घुस गया.


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#28
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#29
जैसे ही मेरा लौड़ा चुत में घुसा, मैंने उसी पल एक बार पूरी ताकत से एक और शॉट मार दिया.
इससे मेरा आधा बुल्ला मां की चूत में घुसता चला गया.

आधा लंड चुत में घुसा, तो मां ने थोड़ी से जोर से सिसकारी भरी- आआह … मर गई.
मैं खुशी के मारे हंस पड़ा और लंड चुत की रगड़ को महसूस करने लगा.
मां अब भी ‘हम्म … आआह …’ करके आवाज निकाल रही थीं. मैं दमादम लंड अन्दर बाहर करने लगा था.

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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#30
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#31

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#32
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माँ चुद गई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#33
फिर मां ने अपना हाथ हटा दिया और मेरे कंधे पर हाथ रख लिया.
मैंने उसी पल एक और तेज शॉट दे मारा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#34
अब मेरा पूरा लंड मां की चूत में चला गया.
मां आह आह करके सिसक पड़ीं. 

मैंने मां से कहा- पूरा गया?
लेकिन मां ने कुछ नहीं कहा.

मैंने मां को धक्के देते हुए चुत चोदने लगा.
इस समय मुझे मां का मुलायम नर्म पेट अपने पेट पर टच होते हुए महसूस हो रहा था.

मैंने उनकी मैक्सी पेट से ऊपर उठा दी. अब मां का और मेरा पेट आपस में टच होने लगा.
मुझे मां की चूत के बाल भी महसूस हो रहे थे. इससे मैं और उत्तेजित हो गया और मां को झटके मारकर चोदने लगा. 

दस मिनट में ही मेरी मां की चूत से पानी निकलने लगा. जिसकी वजह से हॉल में हमारी चुदाई की ‘पच पच …’ की आवाज आने लगी थी.
मैं चोदना रोक कर मां के ऊपर लेट गया और उनको किस करने की कोशिश करने लगा. 
लेकिन मां ने अपना मुँह फिरा लिया.
मैं उनके गालों को चूसने और चाटने लगा.

मां ने अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर रख कर मुझे जकड़ लिया.
उन्होंने अपने दोनों पैरों को अड़ा कर मेरे चुदाई के काम में रोक लगा दी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#35
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#36

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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#37
Angelमगर मैं अपनी ताकत से उनके पैरों के बंधन को तोड़ कर उन्हें फिर से चोदने लगा.
मां अपनी कामुक सिसकारियों से भरी गर्म सांसें मेरे चेहरे पर छोड़ने लगीं.
मैं उनके मम्मों को अपने हाथों से मरोड़ता हुआ धकापेल में लगा रहा. 

वो लगातार सिसकारियां लिए जा रही थीं- हम्म्म अह उम्म हहह सीईई!
मैं लंड पेलते हुए उनसे बात कर रहा था लेकिन वो मुझे जवाब नहीं दे रही थीं. 
उनके गालों को काटते हुए मैं ये महसूस कर रहा था कि मां की चुत से निकली चिकनाहट से मेरा लंड काफी भीग चुका था.
लगातार शॉट मारते रहने से फच फच की आवाज तेज आने लगी थी. 

मैंने उनके गालों को चूसना बंद कर दिया और मां से बोलने लगा- उमंह मांम्म्म्म किस दो ना. 
उन्होंने अपनी गांड उठाते हुए अपना मुँह सामने कर दिया. इस समय उनकी आंखें बंद थीं. 
मैंने मां से कहा- किस करूं!
मां कुछ नहीं बोलीं.

मेरे सामने उनके लरजते हुए होंठ थे.
मैंने उनके होंठों की एक पप्पी ली और निचला होंठ दबा कर चूसने लगा.
मां ने जरा भी विरोध नहीं किया.

मैं अपनी कमर को तेजी से आगे पीछे करते हुए लगातार अपनी मां की चुत को चोदे जा रहा था.
मेरा पूरा बुल्ला उनकी चुत में गहराई तक जाता और मैं लंड को सुपारे तक बाहर निकाल लेता.
अगले ही पल मेरा पूरा लंड फिर से चुत से जा भिड़ता. 

मां की चूत और झांटों में मलाई लग गई थी और उसी के साथ मेरे लंड की झांटों में भी चुत का रस लगने से चिकनाई हो गई थी.
मैं पसीने में लथपथ हो गया था, इस कारण उनके पेट पर मेरा पसीना लग गया था. पेट की रगड़ से जोर से आवाज आने लगी थी.
मां की मदभरी आवाजें बड़ी ही मस्त लग रही थीं.
मैं मां के चेहरे को देख रहा था. मां के माथे पर फ़्लैश लाइट पड़ रही थी तो मैं उनका चेहरा देख रहा था.
उनके बाल खुले हुए थे, सिर पर कहीं कहीं सफेद बाल थे. चेहरे पर अलग ही आकर्षण था और खुलता गेहुंआ रंग था.[Image: 63385913_092_a975.jpg]
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#38
[Image: 20321152_005_d3a2.jpg]
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#39
[Image: 20321152_005_d3a2.jpg]

मैंने उनकी नाक पर अपनी नाक लगाई और मैंने नीचे से झटके मारने के लगा.
उनकी मैक्सी में से हल्की हल्की हवा आ रही थी जिसमें से उनके जिस्म पर आए हुए पसीने की महक आ रही थी. 

मेरी मां चुदते हुए सिसकारियां भर रही थीं. क्यों न भरतीं, उनकी मस्त चुदाई जो हो रही थी … वो भी अपने सगे बेटे के मजबूत लंड से. 
मेरी मां अपने बेटे के बड़े वाले लौड़े से चुदाई का मजा गांड उठा कर लेने लगी थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#40
(22-02-2024, 10:50 AM)neerathemall Wrote:
के





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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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