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Incest मां बेटा ने लिया चुदाई का मजा
#1
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मां बेटा ने लिया चुदाई का मजा

























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Namaskar



मेरी मम्मी का नाम रेखा है.
उनकी हाइट लगभग सवा पांच फीट की है.
उनके चूचे 34 इंच के हैं, गांड 36 इंच के आसपास है.
वे बहुत हॉट हैं.
मेरी मम्मी ज्यादातर साड़ी पहनती हैं. वे रात को सोते समय नाइटी पहन लेती हैं. 


एक दिन मम्मी की मां यानि मेरी नानी का फोन आया.
नानी ने मुझे बताया कि मेरे नाना जी की तबियत ठीक नहीं है. मम्मी को गांव आना होगा.


मैंने उनकी बात मम्मी से करवाई.
मम्मी ने नानी से बोला कि हम दोनों कल सुबह गांव आ जाएंगे.


रात को मम्मी ने पापा से कहा.
मम्मी- अजी सुनते हो, मेरी पिताजी की तबीयत खराब हो गई है, हमें गांव जाना होगा.
पापा- यार रेखा, दुकान में बहुत काम है, मैं तो जा नहीं सकता. एक काम करो … तुम संजीव के साथ चली जाओ.


यह कह कर पापा ने मुझे बुलाया, तो मैं आ गया.

पापा- बेटा, तेरे नाना जी की तबीयत खराब है, तुम और तुम्हारी मां दोनों वहां चले जाओ. उनके ठीक होने के बाद आ जाना.

हमारे घर में दो गाड़ी हैं. एक स्विफ्ट और एक बोलेरो.

अगली सुबह मैं और मम्मी गांव के लिए स्विफ्ट में निकल गए.
मम्मी ने एक ग्रीन साड़ी पहनी थी, उसमें वे बहुत ही हॉट दिख रही थीं. 


लगभग 4 घंटे का रास्ता था.
लगभग दो घंटे बाद मम्मी ने गाड़ी रोकने को कहा.


मम्मी- बेटा, गाड़ी रोक जरा!
मैं- क्यों मम्मी, कुछ काम है?
मम्मी- हां बेटा मुझे जोर से सुसु लगी है.


मैंने गाड़ी एक पेड़ के पास रोक दी.
मुझे मम्मी को देखना था तो मैंने मम्मी से बोला- मम्मी मुझे भी लगी है.


मम्मी- ठीक ही तुम भी उतर कर सुसू कर लो. 

फिर मैं पेड़ के पास और मम्मी मेरे से थोड़ी दूर झाड़ी में सुसु करने चली गईं.
मैं जहां खड़ा था, वहां से सब दिख रहा था.


मम्मी ने वहां जाकर अपनी साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठा कर अपनी पैंटी नीचे घुटनों तक कर दी.
मुझे उनकी गांड दिख रही थी. 


उनकी गांड बिल्कुल सफेद, गोल थी. मोटे मोटे चूतड़ देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.

फिर जब मम्मी सुसु करके पीछे मुड़ीं, तो मैंने उनको अनदेखा कर दिया.
पर मेरा लंड खड़ा था और बाहर ही निकला हुआ था. शायद मम्मी ने भी मेरा लंड देख लिया था.


मम्मी गाड़ी के पास आकर बोलीं- बेटा कितनी देर तक करोगे!
मैं- बस हो गया मम्मी, अभी आया.


मैं जल्दी से आया और हम दोनों आगे चल पड़े.

कोई 2 घंटे बाद हम लोग गांव पहुंच गए.
नाना नानी हमारे आने की राह देख रहे थे. 


नाना जी का घर बहुत बड़ा है, पर उसमें सिर्फ वे दोनों ही रहते हैं. 

मम्मी ने नाना जी के डॉक्टर से बात की और उनके कहे अनुसार कुछ और दवाइयां मंगवाईं. 

रात को हम सभी ने एक साथ खाना खाया.
खाना खाने के बाद मैं अपने लिए बताए गए रूम में चला गया और सो गया. 


सुबह उठा और बाथरूम जाने लगा तो बाथरूम अन्दर से लॉक था. 

मैं- कौन है अन्दर?
मैंने आवाज लगाई, तो अन्दर से मम्मी बोलीं- बेटा मैं हूँ, रुको जरा … बस 2 मिनट में आई.


कुछ टाइम बाद मम्मी एक तौलिया बांधे हुई निकलीं.
वह तौलिया उनकी गांड के नीचे तक ही आ रही थी. ऊपर से मम्मी के आधे बूब्स दिख रहे थे.


जब वे बाहर निकल रही थीं तो जल्दबाजी में मुझसे टकरा गईं और उनकी तौलिया थोड़ी सी नीचे सरक गई.
मम्मी ने अपने एक हाथ से तौलिया पकड़ा और दूसरे हाथ से अपने मम्मों को छुपाने लगीं.


मैं- ओह सॉरी मम्मी.
मम्मी अपना तौलिया ठीक करके बोलीं- कोई बात नहीं बेटा.


यह कह कर मम्मी ने मुझे एक मुस्कान दी और वे कमरे में चली गईं.

इधर मैं बाथरूम में घुस गया.
अन्दर जाकर मैंने देखा कि मम्मी की ब्रा और चड्डी वहीं पड़ी थी. 


मेरे अन्दर कुछ ठरक चढ़ गई थी तो मैंने उनकी चड्डी को अपने लंड पर लपेटा और उसी से लंड को रगड़ कर हिलाने लगा. 

मैंने मम्मी की चूचियां देख ली थीं तो उनके ही नाम की मुठ मार ली और सारा वीर्य मम्मी की चड्डी में गिरा दिया.

फिर मैं नहा कर बाहर आ गया और ब्रेकफास्ट करके घर के बाहर बैठ गया था. 

कुछ देर बाद मम्मी भी आ गईं और वे मेरे साथ बैठ कर बातें करने लगीं.
मम्मी- बेटा, कैसा लगा नानी के घर आकर?


मैं- मम्मी, नाना जी का घर तो बड़ा मस्त है. मैंने पहली बार इतनी ध्यान से देखा. पहले छोटा था तब कुछ ज्यादा समझ में ही नहीं आता था.
मम्मी- बेटा हमारा एक फॉर्महाउस भी है. वह बस 200 मीटर दूर है, घर के पीछे से ही उसी रास्ता है.


नाना जी का घर गांव से थोड़ा दूर खुले में था.
आस-पास कुछ घर बने थे, पर वे भी थोड़े दूर दूर थे.


मैं- मम्मी उधर घूमने चलें क्या? मुझे भी देखना है.
मम्मी- ठीक है बेटा, मैं तेरी नानी को बता कर आती हूँ. 


फिर कुछ मिनट में मम्मी के साथ मैं नाना जी के फॉर्म हाउस पर पहुंच गए.

मम्मी ने एक ब्लैक कलर की साड़ी पहनी हुई थी.
मैं- फार्म पर कोई नहीं है क्या? कोई दिखाई नहीं दे रहा है!


मम्मी- हां बेटा, अभी गर्मियों के कारण फार्म बंद है. कोई फसल भी नहीं लगी है, तो कोई मजदूर भी नहीं है.
हम दोनों फार्महाउस के अन्दर गए.


उधर एक छोटा सा घर बना हुआ था, वह काफी अच्छा था.
हम दोनों घर की छत पर आ गए.


तो मैंने देखा कि पास ही मैं एक छोटा सा तालाब बना था. उसका पानी बिल्कुल साफ था.
मैंने मम्मी को भी दिखाया.


मैं- मम्मी वह तालाब कितना मस्त है ना … मेरा तो नहाने का मन हो रहा है. मम्मी उधर जाएं क्या?
मम्मी- बेटा मन तो मेरा भी हो रहा है, पर हम लोग पहनने के लिए तो कुछ नहीं लाए!


मैं- मम्मी नीचे रूम में शायद कुछ तौलिया थे, मैं ले आता हूँ.
मम्मी- पर बेटा तौलिया में?


मैं- अरे यार मम्मी, बस हम दोनों ही तो हैं और कोई नहीं है. आप शर्माओ मत मम्मी प्लीज … और मम्मी मैंने तो आप को कई बार तौलिया में देखा है.
मम्मी- ठीक है चलते हैं.


फिर हम दोनों तालाब के किनारे पहुंच गए.
मैंने अपने सारे कपड़े उतार कर तौलिया लपेटी और मैं तालाब में घुस गया.
अन्दर जाकर मैंने मम्मी से कहा.


मैं- मम्मी आप भी आ जाओ, बहुत मजा आ रहा है.
फिर मम्मी ने मेरे सामने ही अपनी साड़ी उतार दी और वे सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में आ गईं. 


उनको देख कर मेरा लंड पानी में खड़ा हो गया.
उसके बाद मम्मी ने मेरी तरफ पीठ करके अपना ब्लाउज उतार कर नीचे फेंक दिया. 


मम्मी ने काली ब्रा पहनी थी. अभी भी वे मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थीं.
फिर उन्होंने अपनी ब्रा भी खोल कर फेंक दी.
उनकी नंगी पीठ मेरी तरफ थी. 


उसके बाद मम्मी ने अपनी पेटीकोट का नाड़ा खोला और अपने ऊपर तौलिया लपेट कर पेटीकोट नीचे कर दिया.
मेरा बुरा हाल हो रहा था. 


फिर मम्मी मेरी तरफ मुड़ीं तब मैंने देखा कि मम्मी की तौलिया उनकी चूत से सिर्फ 4 इंच नीचे थी. 

उसके बाद मम्मी ने मेरी तरफ देख कर कहा- क्या देख रहे हो बेटा?
मैं- मम्मी, आप बहुत सुंदर लग रही हैं.
मम्मी- थैंक्स बेटा.


फिर मम्मी ने अपनी पैंटी निकालनी शुरू कर दी.
उन्होंने लाल रंग की पैंटी निकाली और नीचे गिरा दी.


उसके बाद मम्मी भी मेरे साथ पानी में आ गईं.
हम दोनों ने लगभग एक घंटा तक साथ में मजे किए. 


उस दौरान मैंने कई बार मम्मी की चूचियों और गांड को भी दबा कर मजा लिया था.
एक बार तो मम्मी की तौलिया खुल भी गई थी और उनकी चुत व चूचियां मेरे सामने नंगी हो गई थीं.


पर मम्मी ने हँसते हुए खुद को मोड़ लिया था और चुत व चूचियों की एक झलक दिख कर रह गई थी. 



काफी देर तक मस्ती करने के बाद हम दोनों ने बाहर आकर देखा, तो हमारे सारे कपड़े गीले हो गए थे.

हमारे कपड़े पानी के बिल्कुल करीब रखे थे और शायद जब हम पानी को उछालते हुए एक दूसरे के साथ खेल रहे थे, तभी पानी कपड़ों के ऊपर गिर गया होगा.

मैं- मम्मी हमारे सारे कपड़े तो गीले हो गए, अब क्या करेंगे?
मम्मी- बेटा अभी तो फॉर्महाउस में चलते हैं, फिर सोचेंगे.


हम दोनों घर के अन्दर आ गए. 

मम्मी- बेटा एक काम करते हैं, सारे कपड़ों को ऊपर छत पर सुखाने डाल देते हैं. फिर मैं तेरी नानी को कॉल करके बोल देती हूँ कि हम शाम को घर वापस आएंगे.
मैं- ठीक है मम्मी.


फिर मम्मी ने नानी को फोन करके बोला कि हम दोनों फार्म पर हैं और शाम को घर आएंगे. 

उसके बाद मैंने मम्मी के साथ मिल कर सारे कपड़े ऊपर छत पर सुखाने डाल दिए. हम दोनों सिर्फ तौलिया में थे. 

नीचे आकर हम लोग एक एक कुर्सी लेकर बैठ गए और बातें करने लगे.
मैं- मम्मी हमें सर्दी हो जाएगी क्योंकि हम दोनों ने ही गीले तौलिया पहने हैं.


मम्मी को भी यही लग रहा था.
मम्मी- हां बेटा, पर क्या करें?


मैं- मम्मी मेरे पास एक आइडिया है.
मम्मी- क्या?


मैं- क्यों ना हम दोनों बिना तौलिया के कुछ टाइम रहें और जब तौलिया सूख जाएंगे तो वापस पहन लेंगे.
मम्मी- आइडिया तो अच्छा है, पर बेटा नंगा? 


मैं- मम्मी मैं आपका बेटा हूँ. मुझसे कैसी शर्म? बचपन में भी तो आपने मुझे नंगा देखा है.
मम्मी- ठीक है बेटा, अगर तुझे कोई परेशानी नहीं है, तो मैं भी राजी हूँ.


फिर मम्मी ने घर का दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया और हम दोनों नंगे होकर बैठ गए.
मम्मी अपने चूचियों को हाथों से छुपा रही थीं, पर उनके बड़े बड़े बूब्स सब दिख रहे थे.


मेरा लंड भी तन कर बड़ा हो गया था.[Image: 14936680_001_1e7e.jpg]
मम्मी ने मेरे खड़े लंड को देख लिया था.


कुछ देर हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे.
फिर मुझे थोड़ी प्यास लगने लगी. [Image: 14936680_002_da7e.jpg]


मैंने मम्मी से बोला कि मम्मी मुझे प्यास लगी है … बहुत जोर से.
मम्मी- पर बेटा घर पर तो पानी नहीं है … शायद बाहर पानी का टब रखा है. पर बेटा हम तो नग्न हैं. हम बाहर निकल ही नहीं सकते.


मैं- पर मम्मी मुझे तो बहुत प्यास लग रही है.
मम्मी- बेटा, तू एक काम करेगा? पर बेटा किसी को बताना मत!


मैं- हां मम्मी.
मम्मी- बेटा एक काम कर, तू मेरे बूब्स से दूध पी ले.[Image: 83677703_051_0c79.jpg]


मैं- मम्मी आपके बूब्स में अभी भी दूध आता है क्या?
मम्मी- हां बेटा, तेरे पापा को दूध पीना बहुत पसंद है, तो मैंने दवाई लेकर अपने बूब्स में दूध निकलने का इंतजाम करवा लिया है.


मैं अपनी कुर्सी मम्मी के पास लेकर आया और उनके करीब बैठ कर उनकी एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा. 

उनकी चूची से दूध नहीं आ रहा था पर मजा भरपूर आ रहा था.
मैंने उनकी चूची को चूसते हुए उनकी आंखों में देखा तो मम्मी की आंखों से वासना का सैलाब घुमड़ते हुए दिखा. 


मैं समझ गया कि मेरी मम्मी प्यासी हैं और उन्हें मेरे साथ चुदने में कोई गुरेज नहीं है.

अब मेरा एक हाथ मम्मी की नंगी जांघ पर था और एक हाथ उनके कंधे पर था.
कुछ टाइम तक दूध चूसने के बाद मम्मी के मुँह से आह निकलनी शुरू हो गई. 


मम्मी ने मेरे एक हाथ को उनके दूसरे दूध पर रखते हुए कहा- बेटा इसको भी दबाओ न!
मैं- हां मम्मी. मम्मी आपका दूध बहुत मीठा है.


मेरा लंड खड़ा था.
मैंने अपना दूसरा हाथ कुर्सी और मम्मी के बीच में लिया और मम्मी की नंगी कमर और पीठ को सहलाने लगा. 


अब मम्मी के मुँह से धीमी आवाज में सिसकारियां निकलने लगी थीं.
मम्मी- उम्म्म उम्मम आह … मैं बहुत प्यासी हूँ संजू.


उन्होंने अपने होंठों को दबाना शुरू कर दिया था.
कुछ ही मिनट बाद उन्होंने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे हिलाने लगीं.


मैंने मम्मी के दूध छोड़ कर उनके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा.
आह क्या मजा आ रहा था दोस्तो. मेरा मन उन्हें खा जाने का कर रहा था. 


हम दोनों पूरे जोश में एक दूसरे को किस कर रहे थे.
हम दोनों ने अपनी जीभों को चूसना शुरू कर दिया था.


मम्मी मेरे लंड को मस्ती से सहला रही थीं.
कुछ देर बाद मैंने मम्मी को अपनी गोदी में उठा लिया और अन्दर बने बेडरूम में ले गया. 


उधर मैंने उन्हें बेड पर गिरा दिया.
क्या माल लग रही थीं … बिल्कुल गोरी पॉर्न एक्ट्रेस … एकदम साफ चूत, बड़ी बड़ी चूचियां.


मम्मी ने कहा- बेटा, इसके बारे में किसी को बताना मत, ये बात सिर्फ हम दोनों के बीच रहनी चाहिए.
मैं- हां मम्मी.


फिर मैंने मम्मी को बेड पर चित लिटा कर उनके दोनों पैरों को फैला दिए और अपना लंड चूत पर रगड़ने लगा.

मम्मी मस्ती भरी आवाज में बोलीं- बेटा तू कंडोम लाया है ना!
मैं- मम्मी, वह तो नहीं है.


मम्मी- ठीक है, तुम एक काम करना … लास्ट टाइम में जब तेरा गिरने वाला होगा तो मेरी चूत के अन्दर मत छोड़ना. रस बाहर गिरा देना. वरना बेटा में प्रेगग्रेंट हो जाऊंगी.
मैं- हां मम्मी, मैं वीर्य बाहर निकाल दूंगा. 


फिर मैंने अपना लंड मम्मी की चूत के थोड़ा अन्दर डाला.
तो मम्मी चीख पड़ीं- अहह मैं मर गई … आह बाहर निकाल इसको.


मैंने लंड बाहर निकाल कर मम्मी से पूछा- मम्मी क्या हुआ?
मम्मी- मैंने कभी इतना बड़ा लंड नहीं लिया अन्दर … तू एक काम कर थोड़ा सा तेल लाकर अपने लंड और मेरी चूत पर लगा ले … फिर चोदना. [Image: 14936680_008_755e.jpg]


मैंने थोड़ा सा तेल लाकर मम्मी की चूत में लगाया और अपनी दो उंगली अन्दर डाल कर चुत को ढीला किया.
मम्मी- आह बेटा, उंगली मत डाल, तेरा लंड खड़ा है न उसी को डाल!


यह सुनते ही मैंने अपना लंड मम्मी की चूत में पेल दिया और एक ही धक्के के में पूरा अन्दर तक ठांस दिया.
मम्मी बहुत जोर से चिल्ला पड़ीं- आआह आआह मर गई … मादरचोद साले निकल इसको मां के लौड़े … आह फाड़ दी मेरी चुत. 


मैं मम्मी के मुँह से यह सुन कर और जोश में आ गया. पर मैंने अब धक्का नहीं मारा, बस लंड को पूरा अन्दर डाल कर चुत का मजा लेता रहा.

थोड़ी देर बाद मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए.[Image: 14936680_014_3d99.jpg]
मम्मी- अह उम्म ओह्ह … चोद धीरे धीरे चोद बेटा अह … क्या बड़ा लंड है तेरा ओह्ह्ह उम्म्म.


मैं मम्मी को चोदते हुए उन्हें किस करने लगा और बूब्स को जोर जोर से दबाने लगा.
मैंने अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी. 


मम्मी जोर जोर से चिल्लाने लगीं.[Image: 14936680_006_2791.jpg]
मम्मी- अह्ह्ह्ह्ह बेटा चोद दे बेटा … अपनी मां को चोद साले.


मैं मम्मी के एक दूध को मुँह में लेकर चूस रहा था और लौड़े को काम पर लगाए हुए था.
मैं- आह मम्मी सच में आपको चोद कर बहुत मजा आ रहा है … क्या मस्त चूत है आपकी.


लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद मेरा निकलने वाला था.
मम्मी भी डिस्चार्ज हो गई थीं.


मैं- ओह मम्मी, मेरा निकलने वाला है.
मम्मी- अह्ह्ह् … बेटा अन्दर मत निकालना बेटा! 


मैं बहुत स्पीड में मम्मी को चोद रहा था; पूरा बेड हिल रहा था.
जब मेरा निकलने को हुआ तो मैंने गलती से अन्दर ही निकाल दिया.


मैं- ओह्ह्ह् मम्मी सॉरी … गलती से अन्दर निकल गया.
मम्मी- बेटा ये क्या किया तूने!


मेरा लंड अभी भी अन्दर था.

मम्मी- बेटा एक काम करना, शाम को किसी मेडिकल की दुकान से कुछ प्रेग्रनेंसी रोकने की दवाई और कुछ कंडोम ले लेना.
मैं- हां मम्मी गुड आईडिया.


उसके बाद हम दोनों ने 3 बार फार्म हाउस में सेक्स किया, फिर हम घर आ गए. 

शाम को मैंने कुछ पिल्स और कंडोम लाकर मम्मी को दे दिए.
रात को मम्मी ने नानी से कहा- मैं संजीव के साथ रूम में सो जाऊंगी.


उन्हें भला क्या आपत्ति हो सकती थी.
इस तरह से हम दोनों कई दिन तक नाना के घर रहे. 


रोज दोपहर में और रात को एक बजे तक हम Xxx सन मॅाम सेक्स का मजा करते थे.
मैंने मम्मी की गांड भी बहुत बार मारी.


मैंने मम्मी के चूचे दबा कर और गांड मार मार कर दोनों का आकार बढ़ा कर दिया था. 

उसके बाद हम अपने घर चले आए.
घर पर भी हम दोनों चुदाई का मजा लेने लगे थे.


पापा अक्सर दुकान में होते थे तो दिन में खुल कर सेक्स का मजा लेते थे.
रात के 12 बजे जब पापा सो जाते थे तो मम्मी मेरे कमरे में आ जाती थीं और हम दोनों सेक्स कर लेते थे.

कुछ दिनों बाद मम्मी को पता चला कि वह प्रेगनेंट हैं … तो उन्होंने मुझे बताया.
मैंने एक डॉक्टर से मम्मी का अबॉर्शन करवा लिया, किसी को कुछ पता भी नहीं चला.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2

[Image: chitra-aur-main-7] thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#3
मां और बेटे की पवित्र वासना
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#4
(22-02-2024, 09:54 AM)neerathemall Wrote:
मां और बेटे की पवित्र वासना
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
(22-02-2024, 09:54 AM)neerathemall Wrote:
मां और बेटे की पवित्र वासना











६७५
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
५४७२जीएचजी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
congrats congrats congrats
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
(22-02-2024, 09:54 AM)neerathemall Wrote:
मां और बेटे की पवित्र वासना

मेरे परिवार में मेरे मम्मी पापा, दो बहनें और हम दो भाई हैं.

मेरी दोनों बहनों की शादी हो चुकी है और मैं अभी कुंवारा हूँ. अपने छोटे भाई के साथ कॉलेज में पढ़ता हूँ. मेरे पापा सरकारी कर्मचारी हैं. मेरी …है, वो मेरी  माँ है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
मेरी मां का नाम रज्जी है, उनकी उम्र 44 साल है. वो दिखने में एक नार्मल शादीशुदा आम औरत की तरह हैं. गदराया हुआ शरीर है. मम्मे सामन्य हैं. रंग गोरा है.
मैं कॉलेज के टाइम  पर चुदाई की कहानियां पढ़ता था, उसमें मां बेटे की चुदाई की कहानियां मुझे ज्यादा पसंद आती थीं.
मैं वो सब, कुछ ज्यादा पढ़ने लगा था. 





इससे पहले मैंने अपनी मां को सेक्स की नजर से कभी नहीं देखा था.
लेकिन मां बेटे की चुदाई की कहानियों को पढ़ने के बाद मैं मां के साथ सेक्स करने की सोचने लगा और अपनी सौतेली मां को एक मस्त चोदने लायक माल की नजर से देखने लगा.

अपनी पढ़ाई खत्म करके मैं घर में ही रहने लगा था और जॉब करने लगा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
जॉब लग जाने के बाद मैं अपनी मां को चोदने के बारे में कुछ ज्यादा ही सोचने लगा था.
एक दिन काम से आकर मैं फ्रेश होकर हॉल में बैठा था.
तभी मां ने चाय लाकर दी. 

मां ने मुझसे कहा- चाय पीकर मेरे साथ बाजार चल … कुछ सामान लेना है.
मैंने कहा- ठीक है. 

मैं हॉल में बैठा था, मां सामने के रूम में अपने कपड़े बदलने चली गईं. उन्होंने पर्दा लगाकर कमरे की लाइट ऑन कर ली. 
मां घर में ज्यादातर मैक्सी ही पहने रहती थीं.
मां ने पर्दा लगाया लेकिन वो पूरी तरह लगा नहीं था. मैं सामने बैठ कर उनको देख रहा था. ये बात उनको पता नहीं थी. 
मां ने मैक्सी उतारी और अलमारी में से पहनने के लिए कपड़े देखने लगीं. 
मैंने मां को पहली बार ब्रा पैंटी में देखा था.
मेरी मां ने सफेद रंग की ब्रा और पीले रंग की पैंटी पहनी हुई थी. 

मां का पेट थोड़ा बाहर आया हुआ था. मैं मां के इस सेक्सी रूप को को देखे जा रहा था.
चूंकि मेरी मां के बूब्स नार्मल साइज के थे और लटके हुए थे. उनके शरीर पर फैट था. 
मेरी मां का जो अंग मुझे सबसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था, वो मां की बगलें थीं.
उनकी बगलों में हल्के हल्के काले बाल थे. वो मैंने मां को मैक्सी निकालते समय देखे थे.

मां ने एक चॉकलेटी ड्रेस निकाली और पहनने लगीं.
अचानक वो घूम गईं और उन्होंने देखा कि मैं उन्हें पर्दे में से देख रहा हूँ. 

उन्होंने कुछ रियेक्ट नहीं किया और पर्दा अच्छे से फैला दिया.
पर्दा सरकाते टाइम उन्होंने हाथ ऊपर करके पर्दा बंद किया था … इस कारण मुझे उनकी एक बगल फिर से दिखाई दे गई थी. 

मैं बेहद उत्तेजित हो गया था. मेरा लंड जींस में खड़ा हो गया था. 
कुछ देर बाद मां कपड़े पहन कर बाहर आ गईं और मुझे देख कर बोलीं- हो गया तेरा?
मैंने कहा- हां.

मां उस ड्रेस में बढ़िया माल लग रही थीं. उनका भरा हुआ बदन और उनकी गांड एकदम चौड़ी थी. 
मैं उन्हें बाइक पर बिठाकर बाजार ले गया.
कुछ देर बाद मैं मां को घर वापिस ले आया.
उस समय घर पर भाई और पापा सब आ चुके थे.
मां फिर से अपने काम में लग गईं और में अपने कमरे में चला गया. 
अब मैं मां को पटाने के बारे में सोचने लगा.
दूसरे दिन रिश्तेदार का कॉल आया कि उनकी बेटी की अगले हफ्ते शादी है, सभी को आना है.
पापा कुछ नहीं बोले.
फिर पापा ने सबसे पूछा कि शादी में कौन कौन चल रहा है.
चूंकि मेरा अभी नया नया काम लगा था, तो मैंने कह दिया कि मुझे छुट्टी नहीं मिलेगी. 

पापा ने मां से पूछा कि तुम चलोगी?
मां ने कहा कि मुझे ट्रेवलिंग से प्रॉब्लम होती है. मैं विशाल के साथ रुक जाती हूँ.

बात फाइनल हो गई कि मैं और मां घर रुकेंगे और बाकी सब लोग मौसी के घर शादी में जाएंगे.
फिर उन सभी के जाने का दिन आ गया.
दोस्तो, यही वो हफ्ता था, जिसने मेरी जिंदगी बदल दी थी.
अब एक हफ्ते के लिए मेरे पापा और मेरे दोनों भाई  रिश्तेदार के यहां शादी अटेंड करने जाने वाले थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
उनकी गाड़ी सुबह की थी. मैं और मां उन सभी को स्टेशन छोड़कर घर पर वापस आ गए.
हमारी रोज की तरह दिनचर्या चली. फिर रात को खाना खाने के बाद मां ने मेरा और खुद का बिस्तर हॉल में ही लगा लिया.
हम दोनों रात को सो गए. 
उन दिनों बारिश का मौसम था. रात को करीब डेढ़ बजे बारिश चालू हुई.
हॉल में मेरे बिस्तर पर पानी गिरने लगा.

बिस्तर पूरा भीग गया था तो मेरी आंख खुल गई. मैंने बिस्तर साइड में किया और इस आहट से मेरी मां भी उठ गईं.
मां ने बोला कि अभी उस पर मत सो. तुम मेरे पास लेट जाओ.
मैंने कहा- ठीक है. 

मैं रात में बिना कपड़े के ही सोता हूँ, सिर्फ हाफ पैंट पहने रहता हूँ.
मैं मां के पास लेट गया. मां मेरी तरफ पीठ करके लेट गईं. मैं मां के साथ के उनकी चादर में ही घुस गया और उनसे सट कर सोने लगा.
मुझे नींद नहीं आ रही थी. हॉल में लाइट बंद थी.
मां ने मैक्सी पहनी हुई थी. मां बिस्तर छोटा होने की वजह से मेरे साथ चिपकी हुई थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
मां की गांड को अपने लौड़े पर सैट करके सोने लगा.
थोड़ी देर के बाद मेरी आंख लग गई. 

फिर कुछ देर बाद मेरी आंख खुली और मैंने देखा कि मेरा बुल्ला टाइट हो गया था.
मैं लंड से बुल्ला कहता हूँ. आप भ्रमित न हों.

मेरा लंड नाईट पैंट में से उभरा हुआ था और मां की गांड पर सैट था. 
मैंने थोड़ा साइड में सरक कर देखा, तो मां सोई हुई थीं और मुझे गर्मी लग रही थी क्योंकि थोड़ी बारिश के कारण लाइट चली गई थी.
मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो 2:30 बजे हुए थे और मां गहरी नींद में सो रही थीं. 

मैं चादर में ही मोबाइल खोलकर आवाज म्यूट करके पोर्न देखने लगा.
उसके कारण मेरा बुल्ला और बड़ा हो गया.

मैं मोबाइल रख कर पहले जैसे मां से सटकर सोने लगा.
मैंने लंड मां की गांड के बीच में सैट किया और डरते डरते मां के पेट पर हाथ रख दिया.
हाथ रखते ही मुझे मां का पेट नर्म लगा और मैं उसे भींच कर सोने लगा.
पर स्टेप मदर सेक्स के विचारों के कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी. 

फिर मैंने अपना मुँह मां की पीठ के पीछे की तरफ से उनकी मैक्सी के खुले हिस्से पर रखा और एक गहरी सांस ली.
जिसके कारण मुझे मां के पसीने की महक आई.
इससे मैं और भी उत्तेजित हो गया और मेरा बुल्ला अब और ज्यादा फड़ फड़ करने लगा. 

मैंने लंड बाहर निकाला और मां की गांड पर सैट कर दिया.
इस बार मैं बिना डरे झटके मारने लगा.
मेरा एक हाथ मां के पेट पर था और मेरे झटके अचानक से इतने तेज हो गए कि मेरे मुँह से सिसकारियां और गर्म सांसें मां की पीठ पर लगने लगीं. 
मेरे झटकों से मेरी मां हिलने तक लगी थीं.
इसी वजह से अचानक से मां की आंख खुली और वो एकदम से मुझसे अलग हो गईं.

फिर उठ कर खड़ी हो गईं. 
मैंने जल्दी से मोबाइल का फ़्लैश ऑन किया, तो मां मुझे घूर रही थीं,
मुझे जागा हुआ देख कर मां कहने लगीं- ये तू क्या कर रहा था. पागल हो गया है क्या … मैं तेरी मां हूँ और तू मुझसे ही ये सब कर रहा है. कितना नीच है तू![Image: 36982123_003_6dcf.jpg]
मैं- सॉरी मां, गलती से हो गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#14

[Image: 36982123_002_fe7b.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#15
उठ कर खड़ा हो गया और मां से बोला- मुझे माफ कर दो मां, मुझसे गलती हो गई.
मां के सामने मैं हाथ जोड़ने लगा.

फिर किसी तरह मैंने मां को मना लिया.
वो लेट गईं और थोड़ी देर में गहरी नींद में सो गईं.
मैं दीवार के पास एक कोने में बैठ कर सो गया. 

करीब 4:30 बजे मां ने मुझे आवाज दी.
इससे मेरी आंख खुल गई. 

उन्होंने मुझसे मोबाईल का फ़्लैश चालू करके मांगा.
मैंने उन्हें दे दिया. 

अभी भी लाइट नहीं आई थी, इसलिए अंधेरा था.
मां उठ कर जाने लगीं.
मैंने कहा- आप कहां जा रही हो मां?
मां- टॉयलेट.

[Image: 84428236_009_33a7.jpg]


मैं फिर से सो गया. 
थोड़ी देर बाद मां ने मुझे आवाज दी- विशाल. 
मेरी आंख खुल गई और मैंने उनकी तरफ देखा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#16
मां मुझसे बोलीं- ये ले अपना मोबाइल. 
मैंने मोबाइल ले लिया और टाइम देखा, उसमें 5 बज रहे थे.
मां ने मुझसे पूछा.
मां- तू रात में क्या कर रहा था?
मैं- कुछ नहीं मां, मुझसे गलती हो गई.

मां- तू एकदम ठरकी हो गया है.
वो बिस्तर पर बैठ गईं और मुझसे बोलीं- इधर आ मेरे पास. 

मैं उनके पास गया तो मुझे मेरी मां फ़्लैश लाइट की रोशनी में साफ़ दिख रही थीं. उनके पूरे बाल खुले थे.
मैं पास जाकर उन्हें देखने लगा, मगर कुछ नहीं बोला.
मां- मैं एक बात बोलूं, तुम किसी से कहना मत!
मैं- बोलो मां.
मां- कुछ नहीं, सो जा.
मैं- बोलो ना मां.

वो कुछ नहीं बोलीं, वो बस मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर उंगलियों में उंगलियां फंसा कर मेरा हाथ मसलने लगीं.
मां थोड़ी तेजी से सांस लेने लगी थीं.

[Image: 90433438_007_0b93.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#17
मां थोड़ी तेजी से सांस लेने लगी थीं.
मैं बस फ़्लैश लाइट में उनको देखता रहा.[Image: 90433438_007_0b93.jpg]

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है. 
थोड़ी देर बाद मैं समझ गया कि मां को क्या कहना था.
मैंने मोबाईल का फ़्लैश चालू रख कर उसे दीवार से टिका दिया ताकि रूम में थोड़ा उजाला हो जाए.
मां मेरा हाथ छोड़कर लेट गईं और उन्होंने अपने दोनों पैर थोड़े से खोल दिए.
वो मेरी तरफ देखने लगीं और जोर जोर से सांसें लेने लगीं. 

मैं समझ गया कि मां क्या चाहती हैं. मैं ये सोचते ही गर्म होने लगा और कुछ ही पल बाद मेरा बुल्ला फिर से टाइट हो गया.




[Image: 90433438_008_bde5.jpg]
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#18
[Image: 63385913_001_21bb.jpg]
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#19
[Image: 63385913_011_4d79.jpg][Image: 63385913_011_4d79.jpg]


Big Grin


मैं मां को देखते हुए बोला कि करूं!
मां ने जोरों से सांस लेते हुए हां का इशारा कर दिया.

मैं मां के दोनों पैरों के बीच में जाकर बैठ गया और मां की मैक्सी और पेटीकोट ऊपर कर दिया.
मां अपने दोनों हाथ ऊपर करके पड़ी रहीं.
उन्होंने कुछ विरोध नहीं किया.
वो मेरी आंखों में देख रही थीं.

मैं उनकी पैंटी निकालने लगा तो वो थोड़ी सी कमर उठा कर मुझे सहयोग करने लगीं. 
ये सब फ़्लैश लाइट में हो रहा था.
मैंने कुछ ही पलों में अपनी मां की पैंटी निकाल दी और उनके सिरहाने रख दी. 
अब मैं उनकी टांगों के बीच में आ गया और अपनी नाइट पैंट निकाल कर उनके दोनों पैरों के बीच में बैठ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#20
[Image: 63385913_103_0cd6.jpg]

टाँगो के बीच



!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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