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चचेरी बहन की रजाई
लेकिन वो उठने की कोशिश कर रही थी. उसने मुझे पीछे धकेल दिया और फिर वो उठ गई. 
हम दोनों उठ कर कमरे में चले गये. कमरे में जाते ही वो बेड पर लेट गयी. उसने अपनी पजामी निकाल दी. वो मेरे सामने अब पूरी नंगी हो चुकी थी. उसने अपनी टांगें खोल दी थी और मैं समझ गया कि वो भी लंड को अंदर लेने के लिए तैयार है.
मैंने अपनी पैंट को निकाल दिया और फिर अपने अंडरवियर को भी निकाल कर एक तरफ डाल दिया. वो बोली कि शर्ट भी निकाल दो. वो मुझे पूरा का पूरा नंगा देखना चाहती थी. मैंने भी उसके कहने पर अपनी शर्ट निकाल दी और मैं भी पूरा नंगा हो गया. वो मेरे नंगे शरीर को ऊपर से नीचे तक देख रही थी. 
फिर मैं उसके ऊपर जाकर चढ़ गया. मैंने उसकी टांगों को फैला दिया और उसके चूचों को पीते हुए अपना लंड उसकी पानी छोड़ रही चूत पर रगड़ने लगा. उसके मुंह से सीत्कार निकलने लगे. आह्ह् … स्स्स … उम्म… मैं भी अपना लंड उसकी चूत पर लगा रहा था तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
कुछ देर तक उसके चूचों को पीने के बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर लगा दिया और एक जोर का धक्का लगा दिया.
मेरा लंड बहन की चूत में नहीं घुस पाया क्योंकि उसकी चूत बहुत टाइट थी. मेरा लंड उसकी चूत पर फिसल गया. फिर मैंने दोबारा से लंड को उसकी चूत पर लगाया और दोबारा से लंड का जोर उसकी चूत के मुंह पर देकर मारा तो लंड का सुपारा उसकी चूत में चला गया. मुझे मजा आ गया लेकिन प्रिया चिल्ला पड़ी. उसकी चूत खुल गई थी. 

मैंने उसको शांत करने की कोशिश की लेकिन वो चुप नहीं हो रही थी और दर्द से कराह रही थी. फिर मैंने अपने लंड को बाहर निकाल लिया. उसके बाद मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा तेल लगा लिया. उसकी चूत पर भी तेल लगा दिया. तेल लगाने के बाद मेरा लंड और उसकी चूत दोनों ही बिल्कुल चिकने हो गये थे.
मैंने अपने लंड से उसकी चूत की मालिश की और फिर उसका दर्द कम हो गया. मैंने दोबारा से अपने लंड के सुपारे को उसकी चूत पर लगा कर एक धक्का मारा. अबकी बार मेरा आधा लंड उसकी चूत में उतर गया.
वो फिर से दर्द से चिल्ला पड़ी ‘उम्म्ह … अहह … हय … ओह …’

लेकिन अबकी बार मैंने अपने लंड को बाहर नहीं निकाला. मेरे लंड को उसकी गर्म चूत में जाकर बहुत मजा आ रहा था इसलिए मैं उसकी चूत का मजा लेना चाहता था. मैंने उसकी आवाज को कम करने के लिए उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूत में भी मैं साथ ही साथ दबाव बनाता गया और धीरे-धीरे करके मैंने पूरा का पूरा लंड प्रिया की चूत में उतार दिया. 
फिर मैं कुछ देर तक रुका रहा. जब वो पूरी तरह से शांत हो गयी तो मैंने धीरे से प्रिया बहन की चूत में धक्के लगाने शुरू किये. उसको दर्द होने लगा. इसलिए मैं बहुत धीरे से उसकी चूत को खोल रहा था. मैंने उसकी टांगों को खोल कर देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था. उसकी चूत फट गई थी. लेकिन मैंने उसको कुछ नहीं कहा.
वापस उसके ऊपर आकर मैं उसके चूचों को पीने लगा तो वो भी फिर मजा लेने लगी. अब मेरा लंड धीरे-धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा था. मैंने उसकी चूत में लंड को पूरा घुसा दिया. अब मैंने तेजी के साथ उसकी चूत में लंड को चलाना शुरू किया और उसकी चूत की चुदाई करने लगा.
वो भी अब मजे से मेरे लंड को लेने लगी. उसने अपनी टांगें मेरी कमर पर लपेट ली और मेरे होंठों को चूसने लगी. 
मेरा जोश और ज्यादा तेज हो गया तो मैं और तेजी से उसकी चूत की चुदाई करने लगा. उसकी टाइट चूत को चोद कर मुझे बहुत ही आनंद मिल रहा था. वो भी मेरे लंड के मजे ले रही थी. पांच-सात मिनट तक उसकी चूत की चुदाई मैंने उसी तरह की और फिर मैंने उसको उठने के लिए कहा.
जब वो उठी तो उसने अपनी चूत से निकला हुआ खून देखा और डर गई.
मैंने कहा- घबराने की बात नहीं है. तुम्हारी चूत की झिल्ली फट गई है. इसलिए ये हल्का सा खून निकल आया है.

फिर मैंने उसको घोड़ी बना लिया. उसकी गांड बहुत मस्त थी. मेरा मन उसकी गांड की चुदाई करने का भी कर रहा था लेकिन अभी ये हमारा पहली बार था तो अभी मैं उसकी गांड में लंड डाल कर उसको डराना नहीं चाहता था.
वैसे तो उसने मुझे कई दिनों से परेशान कर रखा था लेकिन वो इस बात को नहीं जानती थी शायद कि चुदाई करवाने में दर्द भी झेलना पड़ता है. इसलिए मैं उसको और ज्यादा दर्द नहीं देना चाह रहा था.
मैंने फिर प्रिया को घोड़ी बना कर झुका लिया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाल दिया. अब उसकी चूत अंदर से भी पूरी की पूरी चिकनी हो चुकी थी. इसलिए जब मैंने पीछे से उसकी चूत में लंड डाला तो मेरा लंड एकदम से अंदर चला गया. 
एक तो लंड पर तेल लगा हुआ था और दूजा उसकी चूत ने अपना कामरस छोड़ना चालू कर दिया था. इधर मेरे लंड से चिकना पदार्थ निकल रहा था. मैंने उसकी चूत को में लंड को डाल कर एक धक्का लगाया और पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया.
वो आह्हह … करके रह गयी.

फिर मैंने उसके चूचों को पकड़ लिया. अब पोजीशन ठीक थी तो मैंने उसकी चूत की चुदाई शुरू कर दी.
मैं पीछे से चूत में पूरा लंड घुसा कर उसको अंदर और बाहर कर रहा था. मेरे लंड के धक्के अब तेज हो गये थे. उसकी चूत के अंदर जब लंड जा रहा था तो पच्च-पच्च की आवाज हो रही थी.

मैंने उसकी चूत में अपने लंड की स्पीड बढ़ा दी. वो फिर दर्द से चीखने लगी लेकिन अबकी बार मैं नहीं रुका. मैंने दस मिनट तक इसी पोज में उसकी चुदाई की और फिर मेरे लंड का माल मैंने प्रिया की चूत में ही गिरा दिया. 
हम दोनों नंगे थे और मैं उसके ऊपर ही लेट गया. कुछ देर तक मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा. कुछ मिनट के बाद मैं उठा. फिर वो भी उठ गयी.
सच में दोस्तो, अपनी कामुक चचेरी बहन की चूत की चुदाई करके मजा आ गया था मुझे. वैसे वो भी खुद ही मेरा लंड लेना चाहती थी. इसलिए मैंने मौके का पूरा फायदा उठाया.
मगर फिर उस दिन चाची के आने का टाइम हो गया था तो मैंने अपने कपड़े पहन लिये.

उसने भी अपने कपड़े पहन लिये. मैं कई दिनों तक चाची के घर में रहा लेकिन फिर हमको चुदाई का मौका नहीं मिल पाया.
उसके बाद फिर मेरी जॉब दिल्ली में लग गई थी तो मैं दिल्ली में आ गया था. उसके बाद मुझे कभी प्रिया की चूत को चोदने का मौका नहीं मिला. 
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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(17-01-2024, 07:14 PM)neerathemall Wrote:
दीदी की चुदाई मैंने कैसे की

दीदी 28 साल की है और सच कहूँ तो बिल्कुल माल है। 34डी साइज की चूचियां, 32″ की कमर और 36″ की गांड है दीदी की! बिल्कुल चिकना पेट! लम्बाई 5 फ़ीट 5 इंच की है।
बचपन से ही वो खुद को सबसे अलग समझती थी और अपने ऊपर कुछ ज्यादा ही ध्यान देती थी। लेकिन कभी भी किसी लड़के को उन्होंने अपने पास आने नहीं दिया। उसका एकमात्र कारण था कि उन्हें अच्छी जॉब और अच्छे पैसे कमाने का भूत सवार पढ़ाई के दिनों में ही हो गया था।
कॉलेज ख़त्म करते ही उन्होंने एक अच्छी कंपनी ज्वाइन कर ली थी और तब से वो जॉब कर रही हैं।
एक दिन ऑफिस से लौटने में मुझे देर हो गयी तो दीदी का फ़ोन मेरे पास आया।
मैंने दीदी को बताया कि मुझे थोड़ा समय लगेगा.
तो उन्होंने कहा- जल्दी आना, मम्मी पापा को चाचा के पास जाना है। वो लोग अभी एयरपोर्ट के लिए निकल रहे हैं और मुझे अकेले रहना पड़ेगा जब तक तुम नहीं आओगे।
मैंने दीदी से कहा कि आता हूँ जल्दी ही और ये कहकर मैंने फ़ोन रख दिया।

करीब 10 बजे जब मैं घर पहुंचा तो दीदी मेरा इंतज़ार ही कर रही थी।
दीदी मुझे देखते ही बोली- बोला था ना जल्दी आने को .. फिर भी देर लगा दी तुमने मनीष? अब जल्दी से चेंज कर लो, मुझे भूख लग रही है।
यह कहकर दीदी रसोई की तरफ चली गयी.

मैं कमरे में आकर कपड़े बदलने लगा।
तभी दीदी का फ़ोन बजा। मैं चेंज करके बाहर आया तो दीदी फ़ोन पर किसी से बात कर रही थी।
दीदी ने फ़ोन मुझे देते हुए कहा- लो, मम्मी का फ़ोन है, वो फ्लाइट में बैठ गयी हैं।

मैं फ़ोन लेकर मम्मी से बात करने लगा और दीदी खाना लगाने के लिए रसोई में चली गयी।
बात करने के बाद जैसे ही मेरी नज़र फ़ोन पर गयी तो उसमें एक पोर्न साइट खुली हुयी थी। शायद दीदी फ़ोन पर वो पोर्न वीडियो देख रही थी और तभी फ़ोन आ गया और दीदी साइट बंद करना भूल गयी थी।
मैंने चौंक कर दीदी की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ पीठ कर के खड़ी थी और खाना लगा रही थी।
मैं उनका फ़ोन लेकर बाथरूम में घुस गया और देखने लगा कि और क्या क्या है दीदी के फ़ोन में।
मुझे कुछ ज्यादा तो नहीं मिला लेकिन दीदी की एक बेस्ट फ्रेंड नीरा के साथ हो रही चैट मुझे दिख गयी। दीदी को उस पोर्न साइट की लिंक उन्होंने ही भेजी थी और उन दोनों की चैट पढ़कर लगा कि दीदी और उनकी दोस्त लेस्बियन हैं।
काफी सेक्सी और हॉट बातें हुई थी दोनों के बीच पिछले आधे घंटे में।

नीरा ने तो चैट में ये भी लिखा था- यार, हम दोनों के साथ कोई लड़का होता तो हम दोनों उसका एक साथ लंड चूसकर चुदाई करते।
दीदी ने नीरा से कहा- ठीक है, बना ले एक बॉयफ्रेंड हम दोनों के लिए।
तो नीरा ने कहा- मुझे तो तेरा भाई ही पसंद है. तू सेटिंग करवा दे मेरी।

दीदी ने कहा- पागल है क्या तू?
नीरा ने कहा- यार जब चुदने का मन करता है रात में तो सच में मुझे मनीष का ही चेहरा दिखता है और मैं उंगली करती हूँ उसे ही सोच कर! काश वो मेरा भाई होता तो मेरा तो घर में ही जुगाड़ हो जाता।

तब दीदी ने कहा- बना ले भाई उसे, मैंने कब रोका है।
नीरा ने कहा- मुझे तो बनाना पड़ेगा. तेरा तो वो भाई है ही, उसके साथ बात कर के देख ना? किसी बाहर वाले की जरूरत ही नहीं पड़ेगी हम दोनों को।

इस पर दीदी और नीरा दोनों हंस पड़ी और दीदी ने कहा- लगता है कि तू मेरी भाभी बन कर ही रहेगी।
नीरा ने फिर एक लिंक भेजा और लिखा- देख ये मूवी भाई बहन सेक्स वाली। फिर तुझे भी मन न हो जाये तो कहना।
इस पर दीदी ने जवाब दिया- अच्छा देखती हूँ फिर बात करती हूँ। 

यह पढ़कर मुझे अचानक से झटका भी लगा और मेरा हाथ अपने आप मेरे लंड को सहलाने लगा। वैसे तो मैंने कभी दीदी के बारे में ऐसा सोचा नहीं था लेकिन उनकी चैटिंग पढ़ कर अचानक ही दीदी के बारे में गलत ख्याल मेरे मन में आ गए।
नीरा भी मुझसे चुदने के सपने देखती है, यह जान कर सच में मेरा लंड काफी टाइट हो गया था।
तभी दीदी ने मुझे बाहर से आवाज़ दी और मैं फ़ोन बंद करके बाहर आ गया।
दीदी ने नाइटी पहन रखी थी और मेज पर मेरा इंतज़ार कर रही थी। मुझे देखते ही बोली- तुम आज मुझे भूखे ही मार दो। कब से इंतज़ार कर रही हूँ खाने के लिए। अब आओ और शुरू करो।

मैं दीदी की सामने बैठ कर चुपचाप खाने लगा। मेरे दिमाग में उनकी चैटिंग वाली बात ही घूम रही थी और मैं उनसे नज़र बचा कर उनको देख रहा था। नाइटी के अंदर उनके बड़े बूब्स पर मेरी नज़र बार बार जा रही थी।
दीदी मेरी सोच से अनजान हो कर खाना खा रही थी कि तभी उसे अपने फ़ोन की याद आयी- मनीष, मेरा फ़ोन कहाँ रखा तूने?
“ओह्ह दीदी, वो मेरे पास ही रह गया था।” मैंने पॉकेट से फ़ोन निकाल कर देते हुए कहा और फिर सर झुका कर खाना खाने लगा।

दीदी के फ़ोन में लॉक लगा हुआ था। जैसे ही दीदी ने लॉक खोला स्क्रीन पर वो पोर्न वीडियो वाला पेज आ गया। दीदी के चेहरे का रंग बदल गया और तुरंत उन्होंने मोबाइल को बंद कर दिया और चुपचाप खाना खाने लगी।
मैं कभी कभी खाते हुए उनकी तरफ देख रहा था पर अब वो चुपचाप सर नीचे कर खाना ख़तम करने लगी और प्लेट उठा कर रसोई में जाने लगी। मेरी नज़र उनकी कमर पर पड़ी जो आज मुझे अचानक ही बहुत सेक्सी लग रही थी।
दीदी प्लेट रसोई में रखकर वापस आयी और बोली- मैं जा रही हूँ सोने, तुम भी सो जाना।
मैंने उन्हें देख कर सर हिलाया और प्लेट रसोई में रख कर अपने बैडरूम में आ गया।

बेड पर लेटते ही मुझे वही सारी चैटिंग याद आने लगी और मैं अपने लंड को हाथ में लेकर मुठ मारने लगा। अपनी सगी दीदी से चुदाई के बारे में सोच कर ही मेरा लंड तुरन्त ही खड़ा हो गया।
फिर मेरी आँखों के सामने दीदी अपने कपड़े उतारते हुए मेरा लंड चूसते हुए और फिर मुझसे चुदते हुए दिखने लगी और मेरे मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया।
जब मैं अपना हाथ और लंड को साफ करने के लिए उठकर बाथरूम की तरफ जा रहा था तो मुझे दीदी के कमरे की लाइट जलती हुयी दिखी और दीदी की आवाज़ भी सुनाई पड़ी।

मैं वहीं रुक कर दरवाजे से कान लगा कर सुनने की कोशिश करने लगा कि इतनी रात में दीदी किससे बात कर रही है।
थोड़ी देर सुनने पर समझ आ गया कि दीदी अपनी सहेली नीरा से बात कर रही थी और कह रही थी- तू बहुत कमीनी है। ऐसी वीडियो भेजी है जिसे देख कर मेरा मन कर रहा है कि अभी मनीष के पास जा कर चुद लूँ।
उधर से नीरा ने कुछ कहा तो दीदी ने जवाब दिया- तू सच में पागल हो गयी है। मैंने तो ऐसे ही कह दिया लेकिन वो मेरा भाई है। मैं ऐसा कैसे कर सकती हूँ उसके साथ। तुझे बहुत मन कर रहा है तो आ जा घर पर। मम्मी पापा कोई है नहीं, तू कर लेना मनीष के साथ। बोल आएगी तो मैं भेज देती हूँ मनीष को तुझे लाने के लिए?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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दीदी शायद वीडियो कॉल कर रही थी और नीरा से कह रही थी- जो तेरे बड़े बड़े चूचे हैं ना आज मनीष से तू मसलवा ही ले।
फिर नीरा ने कुछ कहा तो दीदी ने जवाब दिया- अगर तू सच में आ रही है तो बोल? तेरे आने के बाद क्या होगा, वो तब सोंचेंगे। ठीक है, फिर मैं मनीष को बोलती हूँ, तुझे लेकर आ जायेगा वो।
यह बोल कर दीदी ने फ़ोन कट कर दिया।

मैं दरवाजे पर खड़ा ये सुनकर जल्दी से बैडरूम में वापस आ कर सोने का नाटक करने लगा। मैं सिर्फ लोअर पहन कर लेटा हुआ था और उन दोनों की बातें सुनकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था।
तभी दरवाजे पर आ कर दीदी बोली- मनीष भाई, सो गए क्या?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो दीदी अंदर आ गयी और मुझे सोये हुए देखने लगी।
मेरा लंड लोअर में तना हुआ था और मैं सोने का नाटक करते हुए मजे लेने लगा।

दीदी मेरे बिल्कुल पास आ गयी और मेरे लंड को देख रही थी और फिर वीडियो बनाने लगी मेरा।
वो मेरी तरफ देख भी रही थी कि कहीं मैं जगा हुआ तो नहीं हूँ।

फिर धीरे से दीदी ने मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही छू कर देखा और तुरंत हाथ हटा किया और मेरी तरफ देखने लगी।
मैं सोने का नाटक कर रहा था और दीदी ने दुबारा मेरा लंड धीरे से हाथ में ले लिया। मैं दीदी के हाथ अपने लंड पर महसूस कर रहा था और मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया।

तब दीदी ने हाथ हटा लिया और मुझे दुबारा देखने लगी कि कहीं मैं जग तो नहीं गया।
जब मैंने देखा कि दीदी मुझे सिर्फ देख रही है और कुछ कर नहीं रही तो मैंने जागने का नाटक करते हुए कहा- अरे दीदी … क्या हुआ? तुम यहाँ? सोई नहीं अभी तक?
दीदी ने तुरंत जवाब दिया- कब से उठा रही हूँ, उठ ही नहीं रहे हो।
मैंने कहा- उठा तो दिया अब और कितना उठाओगी?
यह कहकर मैंने दीदी के सामने ही अपने खड़े लंड को दबा दिया। 

दीदी शायद वीडियो कॉल में अपनी नाईटी के सारे बटन खोल कर बात कर रही थी क्योंकि जब मेरी नजर उधर पड़ी तो ऊपर के 4 बटन खुले थे और चूचियों के बीच की गहराई साफ दिख रही थी। दीदी ने ब्रा नहीं पहन रखी थी।
मैं दीदी की चूचियों को देखते हुए बोला- क्या हुआ दीदी क्यों उठाया मुझे?
दीदी संभलते हुए बोली- भाई मनीष, नीरा का फ़ोन आया था। वो भी घर में अकेली है और उसे अकेले डर लग रहा है। तुम जाकर उसे यहाँ लेते आओ। मैंने उससे कह दिया है कि तुम आ रहे हो उसे लेने।

दीदी की तरफ देख कर मैंने कहा- अभी ही जाना है क्या लाने के लिए नीरा को या थोड़ी देर बाद?
“थोड़ी देर बाद क्यों? अभी कुछ काम करना है क्या तुझे?”
मैंने दीदी की तरफ देख कर कहा- हाँ … और वो तुम भी जानती हो क्या काम करना है।
दीदी मेरी बात सुनकर घबरा गयी जैसे उसकी चोरी पकड़ी गयी हो।


“मतलब क्या है तुम्हारा?” उसने कहा।
मैंने दीदी का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच कर बोला- मेरा मतलब वही है दीदी … जो तुम समझ रही हो.
और उनका हाथ अपने लोअर के ऊपर से लंड पर रख दिया।

दीदी ने झटके से हाथ हटाते हुए कहा- ये क्या कर रहे हो मनीष?
मैंने कहा- दीदी अब शरमाओ मत … मुझे सब पता चल गया है। तुम अभी इसे छू कर देख रही थी ना? और नीरा से तुम्हारी फ़ोन पर क्या बात हुई है और चैट में क्या बात हुयी है, सब जानता हूँ मैं। अब नीरा तो बाद में भी आ जाएगी लेकिन अभी हम दोनों तो हैं ना एक साथ।

यह कहते हुए मैंने अपना लोअर खींच कर नीचे कर दिया और दीदी का हाथ अपने लंड पर रख दिया।
दीदी अचानक से ये सब सुनकर शायद हड़बड़ा गयी थी और उनके मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था।
मैंने दीदी के हाथ में अपना लंड देकर उसकी चूचियों को नाईटी के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया।
दीदी ने मेरी तरफ देखा और मैंने दीदी की तरफ और अगले ही पल दीदी के हाथ मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगे और मैं दीदी की चूचियों को दबाने लगा।

फिर मैंने दीदी को अपनी बेड पर लिटाया और उसके बगल में लेटकर उसकी चूचियों को दबाते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
दीदी मेरे लंड को मसलते हुए मुझे चूमने लगी और मैं भी उसके होंठ चूमते हुए उसकी नाईटी का अंदर हाथ डालकर उनकी नर्म और मुलायम चूचियां दबाने लगा। दीदी और मैं एक दूसरे के होंठ चूसते हुए जीभ से चाटने भी लगे।
मैं दीदी की जीभ चूसने लगा और दीदी मेरी।

करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद हम दोनों अलग होकर एक दूसरे को देखने लगे।
अब हमारी आँखों में एक दूसरे के लिए वासना साफ़ दिख रही थी और बिना कुछ बोले हम फिर एक दूसरे से लिपट कर चूमने लगे।

मेरा हाथ दीदी की नाईटी के अंदर उनकी चूचियों को मसल रहा था और दीदी मेरे पूरे चेहरे को चूमती जा रही थी बिना कुछ बोले।
मैंने दीदी से फुसफुसा कर कहा- दीदी, अपनी नाईटी उतारो ना!

“कभी पहले देखा है किसी नंगी लड़की को बिना कपड़ों के?” दीदी ने मुझसे पूछा और अपनी नाईटी खुद ही उतारने लगी।
मैंने कहा- नहीं!
तो दीदी ने नाईटी उतार कर मेरे चेहरे को पकड़ कर अपनी चूचियों में दबा दिया और बोली- देख अच्छे से अपनी दीदी को ही नंगी पहली बार।

मैं दीदी की चूचियां चूसने और दबाने लगा। दीदी मजे लेकर अपनी चूचियां चुसवाने लगी और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी। मैंने अपना लोअर उतार दिया और दीदी की चूचियों को मसलने लगा और चूसने लगा।
तभी दीदी के फ़ोन की घंटी बजी। उधर से नीरा का कॉल था।
दीदी ने मुझे रुकने का इशारा किया और फ़ोन उठा कर बोली- सॉरी नीरा, मनीष सो गया है। अभी उसको उठाना ठीक नहीं है। कल बात करते हैं। मैं भी सोने जा रही हूँ अब।
यह कहकर दीदी ने फ़ोन काट दिया और मेरे लंड को हाथो में ले कर ऊपर नीचे करने लगी।

“ओह्ह मनीष … तुम्हारा लौड़ा कितना बड़ा है!” यह कहते हुए दीदी नीचे सरक कर मेरे लंड को चूसने लगी। पहली बार किसी ने मेरे लंड को मुंह में लिया था और मुझे स्वर्ग जैसा महसूस हो रहा था।
मैं मजे ले कर अपना लंड चुसवाने लगा और दीदी के चेहरे को पकड़ कर अपनी कमर हिलाने लगा।

मेरा लंड पूरा तन गया था और दीदी किसी पोर्न स्टार की तरह उसे चूसे जा रही थी।
फिर दीदी ने अचानक ही अपने भाई का लंड चूसना बंद कर दिया और बोली- अब तेरी बारी।
दीदी बेड पर लेट गयी और अपनी पेंटी उतरने को मुझसे कहा।

मैंने एक ही झटके में दीदी की पेंटी उतर कर उसे पूरी नंगी कर दिया और उसकी चूत को चाटने लगा। दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैं जोर जोर से दीदी की चूत को चूस रहा था और चूत की लिप्स को दांतों से बीच बीच में काटने भी लगा।
“उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मनीष … उम्म्म उम्म्म!” करती हुई दीदी मुझसे अपनी चूत को चटवा रही थी और बिस्तर पर अपना सर इधर उधर कर रही थी।
अचानक ही दीदी ने जोर से उम्म्म आह करना शुरू कर दिया और मेरा चेहरा उसके चूत के रस से भर गया। यह मेरे लिए पहली बार था जब किसी लड़की की चूत का रस का स्वाद मुझे मिला था। मैंने पूरी चूत को चाट कर दीदी का रस अपने मुंह में ले लिया।
दीदी की सांसें तेज़ चल रही थी। वो पूछने लगी- कैसा लगा मनीष मेरा पानी?
“दीदी, पहली बार टेस्ट किया है, कुछ अजीब सा स्वाद है!” मैंने जवाब दिया।

दीदी मुझे अपने ऊपर खींचते हुए बोली- तूने तो मुझे अपना पानी टेस्ट करवाया ही नहीं? अब मेरी चूत को करवा दे। चोदेगा मेरी चूत? डाल अपना लंड मेरी चूत में।
मैंने दीदी की चूत पर लंड का सुपारा रखा और धक्का दिया लेकिन वो फिसल गया।

फिर दीदी ने अपनी गांड के नीचे तकिया लगा कर कहा- अब डाल।
इस बार मैंने चूत की छेद पर सुपारा रख कर जोर से धक्का मारा और मेरा लंड आधा घुस गया।

“ओह्ह इतनी जोर से नहीं … आराम से कर ना … चुदाई करनी है, जान नहीं लेनी है मेरी!”
“ओह्ह सॉरी दीदी!” बोलकर मैंने अपने लंड को दुबारा धक्का दिया और इस पर मेरा सात इंच का लंड पूरी चूत में समा गया।

दीदी की मानो आँखें बाहर आ गयी। मैं कुछ देर के लिए रुका और फिर अपनी कमर को आगे पीछे करने लगा।
“उम्म मनीष … उम्म्म हाँ ऐसे ही … करते रहो … ओह्ह उम् उम्!” करती हुयी दीदी मुझसे चुदवाने लगी।

“ओह्ह … आज पहली बार लंड का मजा मिला है … उम्म्म उम्म्म ओह्ह … चोद मनीष मुझे … और चोद!” बोलती हुयी दीदी मुझे अपने ऊपर खींचने लगी।
मेरी स्पीड बढ़ गयी थी और मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा और मेरे हर धक्के से दीदी की चूचियां हिल रही थी। मैंने चूचियों को मसलते हुए चुदाई जारी रखी।
दीदी मुझे ‘और चोदो … और चोदो …’ बोलकर उकसाती जा रही थी।

मेरे लंड की गोटियां दीदी की चूत से टकरा रही थी।
“ओह्ह दीदी … उम्म … उम्म … कितनी कसी हुई है तुम्हारी चूत! मेरा लंड चूस रही है!”
“उम्म्म … हाँ मनीष पहली बार किसी का लंड घुसा है न इसलिए मजे ले कर चूस रही है।”

करीब 7-8 मिनट तक चोदने के बाद मुझे लगा कि मेरा पानी आने वाला है, मैं बोला- दीदी मेरा पानी आने वाला है … ओह्ह!
“अंदर मत गिराना!” यह बोल कर दीदी ने मेरा लंड अपनी चूत से निकाल दिया और अपने हाथों से मुठ मारने लगी।
मेरे लंड ने पिचकारी छोड़ दी जो उनके गले और चूचियों पर जा कर गिरी।
“ओह्ह दीदी … उम्म्म्म उम्म्म!” करते हुए मैंने पूरा पानी अपने लंड से निकाल दिया। कुछ दीदी के हाथ में भी लगा जिसे दीदी ने चाट लिया और मुझे आँख मारते हुए बोली- उम्म्म … बहुत नमकीन हो तुम मनीष।

तो इस तरह मैंने पहली बार अपनी दीदी की चुदाई की.
फिर दीदी बोली- चलो अब इसे साफ भी तो करना है.
और वो बाथरूम की तरफ जाने लगी।

मैं भी उनके साथ बाथरूम में गया और दीदी ने मेरे लण्ड की सफाई की और मैंने दीदी की चूत और चूचियों की। 
वापस बेड पर आकर हम दोनों एक दूसरे के गले लग गए और दुबारा चूमने लगे।
मैंने दीदी से पूछा- कि तुमने पहले किसी के साथ किया है क्या?
तो दीदी ने कहा- नहीं।
“फिर तुम्हारी चूत में मेरा लंड इतनी आसानी से कैसे घुस गया और तुम्हारा खून भी नहीं आया?”
“वो इसलिए क्योंकि मैं उंगली से करती हूँ … और नीरा भी करती है मेरे साथ!”

“तो फिर नीरा को तुमने ये क्यों कहा कि मैं सो गया हूँ अभी?”
“मनीष जब तेरे साथ मुझे करना ही था तो नीरा के साथ क्यों करती? हम दोनों अकेले भी तो मजा ले सकते हैं। क्यों?” यह बोलकर दीदी मेरे लंड को फिर से ऊपर नीचे करने लगी।

“चल ना फिर से करते हैं!” यह बोलकर दीदी ने अपनी नंगी टाँगें मेरी टांगों पर चढ़ा दी।
तभी दीदी के मोबाइल पर मैसेज आया। दीदी ने मैसेज पढ़ा और फिर मुझे दिया पढ़ने को!
नीरा का था- साली कमीनी … मुझसे झूठ मत बोल! तूने मनीष के साथ चुदवाया ना अभी? नहीं चुदवा रही होती तो बिना मेरे साथ किये तुझे नींद आती ही नहीं। कल तेरे घर आ कर मैंने तेरे सामने मनीष से नहीं चुदवाया तो मेरा नाम नीरा नहीं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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