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चचेरी बहन की रजाई
#1
चचेरी बहन की रजाई 

















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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
यह घटना आज से करीब चार साल पहले की है जब मेरी बहन की सगाई थी, तब वहां पर हमारे सभी रिश्तेदार आए हुए थे और उनमे मेरी चचेरी बहन सरिता भी थी, वो एकदम पतली दुबली सी और दिखने में बहुत सुंदर, सेक्सी लड़की थी, लेकिन उसके बूब्स की साईज़ 32 उभरे हुए बिल्कुल सुडोल थे और उसकी कमर बहुत पतली थी, उसकी कमर का साईज 26 था। दोस्तों वो मुझे बहुत ही अच्छी लगती थी और उसे देखकर मेरा मन करता था कि में उसे अभी पकड़कर चोद दूँ। हम पहले भी एक बार किस कर चुके थे जब वो गर्मियों की छुट्टियों में मेरे गाँव आई हुई थी। हम पहली बार मिलकर एक दूसरे से इतना करीब हुए थे। दोस्तों वो दिखने में बहुत ही सुंदर और हमेशा खुलकर बात करने वाली एक लड़की थी।

दोस्तों में उसे पहली बार देखते ही उसकी तरफ पूरी तरह से आकर्षित हो गया और फिर लगातार उसके सुंदर बदन को देखता रहा। उसके शरीर का हर एक हिस्सा उस एकदम टाईट कपड़ो में मेरे सामने उभरकर बाहर आ रहा था, जिसको देखकर में उसका बिल्कुल दीवाना हो चुका था। फिर वो मेरे इस तरह घूरकर देखने का मतलब समझकर मेरी तरफ थोड़ा सा मुस्कुराई और मुझसे पूछने लगी कि क्या हुआ मुझसे पहले कभी कोई लड़की नहीं देखी क्या? तब मुझे थोड़ा सा होश आया और फिर में उससे बोला कि मैंने लड़कियाँ तो बहुत देखी है, लेकिन आज तक मैंने तुम्हारी जितनी सुंदर लड़की कोई भी नहीं देखी, दोस्तों वो मेरी यह बात सुनकर शरमा गई और फिर मुस्कुराकर वहां से चली गई और में उसे जाते समय पीछे से घूरकर देख रहा था। फिर उसी शाम को जब हम छत पर बैठे हुए इधर उधर की बातें कर रहे थे कि तभी अचानक से उसने कुछ देर बाद मुझसे पूछा कि क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है? दोस्तों पहले तो में उसके मुहं से यह बात सुनकर बहुत चकित हुआ और फिर मैंने कुछ देर सोचकर तुरंत उससे कहा कि नहीं, तो वो झट से बोली कि यह तुम्हारी बात सच है या तुम मुझे ही पागल बना रहे हो? तो मैंने उससे कहा कि मुझ जैसे लड़के को कौन सी लड़की अपना बॉयफ्रेंड बनाएगी? तो वो तुरंत बोली कि क्यों ऐसी क्या कमी है तुम में, जो तुम यह सभी बातें सोचते हो? दोस्तों मुझे उसकी बातों से अब कुछ बातें समझ में आ रही थी, वो शायद अब मेरी तरफ झुकने लगी थी और फिर ऐसे ही हमारे बीच बातें चल रही थी। फिर छत पर कुछ घंटे बिताने के बाद हम नीचे आ गए। अब हमने नीचे आकर देखा तो सभी लोग सो चुके थे और उस बात का फायदा उठाते हुए हम दोनों रात को एक ही रज़ाई में बैठकर टीवी देखने लगे और कुछ देर बाद जब उसे ज्यादा सर्दी लगी तो वो अपने पैरों को मेरे पैरों से छूने लगी, लेकिन धीरे धीरे अब वो अपना एक हाथ मेरी जाँघो पर ले गई। फिर मैंने भी थोड़ी हिम्मत करके अपना एक हाथ उसके बूब्स पर रख दिया, लेकिन उसने मुझसे कुछ नहीं कहा। अब हम दोनों ही कुछ देर बाद सोने का नाटक करके रज़ाई के अंदर आ गये। वहां पर हम अब एक दूसरे के नाज़ुक अंगो से खेल रहे थे और में जैसे ही उसके गाल पर किस करने के लिए थोड़ा आगे बढ़ा तो उसने अपने होंठो को आगे कर दिया और हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे। हमें ऐसा बहुत अच्छा लग रहा था और हम दोनों यहाँ पर किस से ज़्यादा कुछ नहीं कर सकते थे, क्योंकि हमारे साथ और भी दो कज़िन सो रहे थे इसलिए हम बस एक दूसरे को प्यार कर रहे थे। फिर हम दोनों उठकर अलग अलग रूम में जाकर सो गये। फिर हमे उसके बाद एक दूसरे के इतना पास आने का समय ही नहीं मिला, क्योंकि वो दूसरे दिन अपने घर पर चली गई, लेकिन वो हमारी अधूरी कहानी को पूरी करने के लिए पूरे 6 महीने बाद मेरे बहुत करीब अपनी सगाई में आई।
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#3
इस बार मेरा प्लान उसे चोदने का था और पहले दिन ही वो मुझे देखते ही मेरे पास आ गई थी। अब उस समय घर पर बहुत सारे मेहमान आए हुए थे तो सभी लोगों को रात में सोने के लिए जगह की बहुत बड़ी समस्या थी, उस समय रात भी बहुत हो चुकी थी। कुछ लोग पहले ही इधर उधर जाकर सो चुके थे और उस समय सर्दियों का समय था तो इसलिए सभी रज़ाई ओढ़कर सो रहे थे, वो भी अपनी एक रज़ाई में बिल्कुल अकेली ही थी और उसके पास थोड़ी जगह थी उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया, तो में पहले बाहर गया और सभी लोगों को सोता हुआ देखकर चुपचाप जाकर उसकी रज़ाई में घुस गया और हम दोनों एक बार फिर से पूरे 6 महीने बाद एक दूसरे के बहुत पास थे। में अब अपना हाथ उसके नाजुक अंगो पर घुमाने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। कुछ देर बाद जब वो थोड़ा सा गरम हो गई तो में उसकी कमीज में अपना एक हाथ डालकर उसके मुलायम, बड़े बड़े बूब्स को दबाने मसलने लगा। दोस्तों मैंने कुछ देर बाद महसूस किया कि उसके निप्पल अब तक बहुत टाईट हो चुके थे और सरिता भी अपना एक हाथ मेरे लंड पर ले गई वो भी अब तक तनकर बहुत टाईट हो गया था। अब धीरे धीरे हम दोनों थोड़ा आगे बढ़े और उस समय रूम में और भी बहुत लोग थे, इसलिए हमें उनका भी ध्यान रखना था कि किसी को हम पर शक ना हो।
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#4
फिर सरिता ने अपने मुहं को रज़ाई से थोड़ा सा बाहर रखा, बस वो कभी कभी अपना मुहं अंदर करके मुझे किस कर रही थी, लेकिन उसका हाथ लगातार मेरे लंड को सहला और ज़ोर ज़ोर से हिला रहा था और हम एक दूसरे के अंगो के साथ खेल रहे थे। अब मैंने उसकी कमीज को पूरा ऊपर किया और फिर दोनों बूब्स को ब्रा से बाहर निकालकर एक बूब्स को चूसने तो दूसरे बूब्स को दबाने लगा दोस्तों ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आ रहा था और में कभी उसके निप्पल को काटता तो कभी बूब्स को पूरा अपने मुहं में लेने की कोशिश करता। दोस्तों मैंने करीब 15 मिनट तक बूब्स से खेलने के बाद उसकी सलवार में अपना एक हाथ डालकर उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को मसलने लगा था और वो भी अब तक पूरी तरह से गीली हो चुकी थी, लेकिन दोस्तों बस में उसकी चूत की गरमी और गीलेपन को महसूस कर सकता था, देख नहीं सकता था, क्योंकि उस समय रजाई के अंदर बहुत अंधेरा था। फिर मैंने उसकी पेंटी को पूरा नीचे कर दिया और मैंने अपनी एक अंगुली को उसकी चूत में डाल दिया, जिसकी वजह से वो एकदम से सीहर उठी। दोस्तों में इससे पहले भी एक लड़की की सील तोड़ चुका था इसलिए में उसकी चूत में ऊँगली डालते ही समझ गया था कि यह पहले से ही चुद चुकी हुई है, लेकिन मुझे क्या करना था मुझे तो बस पानी निकालना था और फिर मैंने अपनी एक अंगुली को एक ज़ोर से झटके के साथ पूरा अंदर डाल दिया जिसकी वजह से उसके मुहं से धीरे धीरे सिसकियाँ निकल रही थी, लेकिन उसने अपने आप पर बहुत कंट्रोल किया, क्योंकि और भी लोग हमारे पास में सो रहे थे।
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#5
अब उसने मुझे एक किस किया और मुझसे अपनी चूत को चाटने के लिए कहा, दोस्तों में अब धीरे धीरे रज़ाई में ही उसकी चूत के पास जाकर चूत को चूमने और चाटने लगा जिसकी वजह से उसे बहुत अच्छा लग रहा था और वो अपने चूतड़ को ऊपर उठा उठाकर मेरे सर को अपनी चूत के मुहं पर दबाकर मुझसे अपनी चूत को चटवा रही थी। अब मैंने कुछ देर चूत को लगातार चूसते हुए अपनी एक अंगुली को चूत में डालकर पूरा खोल दिया और फिर में अपनी जीभ से उसकी चूत के दाने को चाटने लगा। फिर करीब दस मिनट तक चूत को अपनी जीभ से चोदने के बाद मैंने उसे किस किया और उससे कहा कि अब तुम रज़ाई के अंदर आ जाओ और मेरा लंड चूसो, में रजाई से बाहर निकलकर ध्यान रखता हूँ।
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#6
अब उसने मुझे एक किस किया और मुझसे अपनी चूत को चाटने के लिए कहा, दोस्तों में अब धीरे धीरे रज़ाई में ही उसकी चूत के पास जाकर चूत को चूमने और चाटने लगा जिसकी वजह से उसे बहुत अच्छा लग रहा था और वो अपने चूतड़ को ऊपर उठा उठाकर मेरे सर को अपनी चूत के मुहं पर दबाकर मुझसे अपनी चूत को चटवा रही थी। अब मैंने कुछ देर चूत को लगातार चूसते हुए अपनी एक अंगुली को चूत में डालकर पूरा खोल दिया और फिर में अपनी जीभ से उसकी चूत के दाने को चाटने लगा। फिर करीब दस मिनट तक चूत को अपनी जीभ से चोदने के बाद मैंने उसे किस किया और उससे कहा कि अब तुम रज़ाई के अंदर आ जाओ और मेरा लंड चूसो, में रजाई से बाहर निकलकर ध्यान रखता हूँ।///////////////////////////////////
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#7
उसने एक बार तो मुझसे लंड को चूसने से साफ मना कर दिया, लेकिन फिर कुछ देर बाद मेरे बहुत समझाने के बाद वो मान गई। अब उसने रज़ाई में घुसकर सबसे पहले लंड को किस किया और उसके बाद उसने सुपाड़े को धीरे किस किया और अपनी जीभ से छुआ, जिसकी वजह से मेरी हालत अब धीरे धीरे बहुत खराब हो रही थी, मेरे मुहं से आह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह जैसी आवाज़े निकलने लगी थी। अब वो लंड का सुपड़ा अपने मुहं में लेकर चूसने लगी, वो अब इतनी ज़ोर से चूस रही थी कि जिसकी वजह से मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी मेरे लंड से पानी निकल जाएगा और उसने करीब दस मिनट तक मेरा लंड चूसा, वो लंड चूसने के काम में बहुत अच्छी थी और वो बहुत ही अच्छे से मेरा लंड चूस रही थी जैसे आज वो सब बाहर निकाल देगी और फिर से हमने किस किया, क्योंकि दोस्तों उस जगह पर हम सेक्स नहीं कर सकते थे, इसलिए हमने बस ऐसे ही चुदाई का मज़ा लिया और कुछ देर लंड चूसने के बाद में उसके मुहं में ही झड़ गया और वो मेरा गरम गरम वीर्य गटक गई।
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#8
मेरी चुदक्कड़ बहन जब ठंड में मेरे से चुद गयी
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#9
मेरी बहन का नाम रिंकी है। मेरे से बड़ी है तो मैं रिंकी दी कहता हूँ। मैं आपको अपनी उम्र नहीं बताऊंगा ना बहन की उम्र बताऊंगा पर हां दोनों चुदाई के लायक है इतना बता देता हूँ। आपको मौज लेने से मतबल है तो चुदाई का मौज आप भी लीजिये मेरी कहानी के द्वारा मैं सच सच अपनी बात आपके सामने रख रहा हूँ।

मेरे मम्मी पापा निचे फ्लोर पर सोते है। मेरे यहाँ सर्दियाँ नैनीताल में ज्यादा पड़ती है तो रजाई का काम हमेशा ही रहता है और सर्दियों में ज्यादा सर्दी पड़ती है तो डबल रजाई हो या डबल इंसान साथ में हो तभी सर्दी जाती है। पापा मम्मी तो दोनों ही गरम रहे हैं क्यों की साथ सोते हैं। उसपर से लंड और चुत का खेल तो गरम तो रहेगा ही।

पर मैं भाई बहन एक ही कमरे में पर अलग अलग बेड पर। मजा नहीं आ रहा था सर्दियाँ ज्यादा आ गयी तो ठंढ भी लगने लगी। माँ पापा तो पहले ही सो जाते हैं मैं भाई बहन सेक्स कहानी पढ़ कर ही सोते हैं। क्यों की मैं खुद देखा की मेरी बहन नॉनवेज स्टोरी डॉट कॉम पर रोजाना सेक्स कहानी पढ़ती है। तो मुझे भी आदत हो गयी जब तक कहानी पढ़ नहीं लेता मजा ही नहीं आता तो एक आदत सी हो गयी है सेक्स कहानी पढ़ने की।

अब मैं सीधे अपनी सेक्स कहानी पर आ जाता हूँ। एक दिन की बात है हम दोनों ने सोचा की मम्मी पापा तो निचे मजे लेते हैं एक साथ सोकर। क्यों ना हम बहन भाई भी एक साथ ही सो जाएँ ऐसे भी दरवाजा बंद रहता है उनको पता भी नहीं चलेगा। क्यों की वो लोग हम दोनों को साथ सोने से मना करते हैं। पर हम दोनों भाई बहन को ऐसा नहीं लगा की साथ नहीं सोया जाये।
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#10
एक दिन मैंने खुद रिंकी दी से बोला क्यों ना हमदोनो साथ सो जाये दरवाजा ऐसे भी बंद रहता है माँ पापा को पता भी नहीं चलेगा। तो वो बोल दी मुझे कोई दिक्कत नहीं। और फिर हम दोनों एक साथ ही सोने लगे। दो तीन दिन तो कुछ भी नहीं हुआ वो अपने मोबाइल पर बिजी मैं अपने मोबाइल पर बिजी आराम से सोये कुछ भी नहीं हुआ.सच बताता हूँ दोस्तों मेरे मन में बहन की चुदाई का ख्याल भी नहीं आया मुझे लगता था बहन भाई बहन भाई होने हैं एक आदर का प्यार का रिस्ता होता है बस इतना ही।

पर एक दिन की बात है उस दिन सब कुछ भी उलट गया और बहन भाई रिश्ते के मायने भी बदल गए और हम दोनों में सेक्स सम्बन्ध बन गया।

एक रात मैं भी कहानियां पढ़ कर सोने की कोशिश कर रहा था और वो भी सोने की कोशिश कर रही थी।पर नींद नहीं आ रहा था। मैं तो कहानी के पात्र में बारे में सोच रहा था कैसे उसने अपनी बहन को चोदा था। मेरी बहन भी इधर उधर करवट बदल रही थी शायद वो भी नॉनवेज स्टोरी डॉट की कहानी के बारे में सोच रही थी।

हम दोनों ही सोने की कोशिश कर रहे थे। मैं आँख मूंद कर सोने की कोशिश कर रहा था। तभी मेरी बहन मेरे तरफ घूम गयी। और फिर हौले हाथ से मेरे लंड को सहलाने लगी। धीरे धीरे मेरा लौड़ा बड़ा हो गया। वो सहलाते रही। मेरी साँसे तेज तेज चलने लगी। उसके बाद मेरी बना मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर यानी बूब्स पर रख दी।
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#11
चूचियां तो बड़ी बड़ी नहीं पर हां संतरे के करीब का था पर गोल गोल और टाइट था। मैं सकपकाता हुआ धीरे धीरे चूची को छूने लगा। मेरी बहन मेरी लंड सहला रही थी और मैं बूब्स। दोनों की साँसे तेज तेज चल रही थी। फिर मेरी बहन ऊपर तक सहलाते हुए आई और मेरे होठ को छूने लगी।

मेरे मुंह में अपनी ऊँगली डालने लगी। फिर एक दम से उसने मेरी पेंट में हाथ डाल दिया और मेरा लंड पकड़ ली। उसके बाद मेरे करीब आकर मेरे होठ पर अपना होठ रख दी और हौले हौले से चूसने लगी। हम दोनों ही चुपचाप होकर एक दूसरे को चुम रहे थे। किस कर रहे थे।

उसमे बाद उसने अपना नाडा खोल दी। और मेरा बात अपनी सलवार के अंदर डाल दी। अंदर पेंटी पहनी थी पर सलवार का नाडा खोल दी थी। मैं पहले पेंटी के ऊपर से भी अपनी बहन की चुत को सहलाने लगा। पर मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपना हाथ पेंटी के अंदर डाल दिया। मेरी बहन की चुत काफी गीली हो गयी थी चूत पर बाल नहीं थे। मैं चूत की छेद को मसहूस करने की कोशिश करने लगा।

मेरी बहन टाँगे अलग अलग कर दी। और फिर अपना सल्वार और पेंटी उतार दी। मुझे खींच पर अपने ऊपर चढ़ा ली। और फिर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट की और निचे से गोल गोल घुमाने लगी अपनी गांड को। मैं भी हौले हौले से अपने लंड को बहन की चूत में घुसा दिया।

अब वो अपनी चूचियां भी निकाल ली और मुझे पिलाने लगी। मैं चूचियां पीते हुए उसने चूत में लंड घुसाने लगा। वो अपनी गांड गोल गोल घुमा रही थी और निचे से धक्के दे रही थी।
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#12
उसमे बाद उसने मुझे निचे उतार दी और खुद भी मेरे ऊपर चढ़ गयी। फिर से लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट की और और चूतड़ दबा दी। पूरा लंड बहन की चुत में समा गया अब वो ऊपर से ठुकाई करने लगी गोल गोल गांड घुमा कर जब धक्के देती तो मजा आ जाता था।
इसके बाद जरूर पढ़ें मेरी कामुक दीदी : रात भर मुझसे चुदवाई और धमकी दी की माँ को नहीं बताना

फिर वो अपनी चूचियां फिर से पकड़ा दी और बोली निप्पल को दोनों ऊँगली से मसलो मैं अपनी बहन की निप्पल को दोनों हाथ की ऊँगली से मसलने लगा। तब वो और भी ज्यादा कामुक हो गयी। वो आह आह आह ओह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह करने लगी और जोर जोर से धक्के देने लगी। कमरे में मेरी बहन की आवाज आह आह आह के अलावा और कुछ नहीं था।

मेरी बहन की चूत काफी ज्यादा गीली हो गयी थी मेरे लंड पर फिसलन बढ़ गया था। अचानक ही वो सिहरन करने लगी हिलने लगी। मुझे डर लग गया की आखिर क्या हो गया। पर वो कामुक हो गयी थी इसलिए वो हिलने लगी थी वो झड़ने वाली थी। वो जोर जोर से आह आह आह आह जोर से जोर से करने लगी अब मैं निचे से जोर जोर से धक्के देने लगा।

जितनी ताकत थी उतनी ताकत से अपना लौड़ा बहन की चुत में घुसाने लगा और बाहर करने लगा। वो मजे लेने लगी और हां हाह हां हां हां करने लगी और अचानक अंगड़ाई ली और शांत हो गयी तीन चार धक्के देने के बाद मेरा भी वीर्य निकल गया और चूत में ही रह गया।

हम दोनों बहन भाई नंगे ही रात भर सोते रहे। और सुबह जब नींद खुली एक अलग ही सुबह थी। एक नई एहसास।अब दोनों चुदाई करते हैं और मस्त रहते हैं।
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#13
सर्दी में चचेरी बहन की यादगार चुदाई
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#14
(07-01-2021, 04:38 PM)neerathemall Wrote: सर्दी में चचेरी बहन की यादगार चुदाई

मेरा नाम (परिवर्तित) अविनाश है, मेरी चचेरी बहन का नाम (परिवर्तित) अनुपमा है। उसका सुडौल बदन, खुले बाल, कपड़ों को पहनने का तरीका और मस्त रहने का अंदाज किसी को भी आसानी से आकर्षित कर सकता है। उसका फिगर 32-28-34 कसम से किसी का भी ईमान डोल जाए। खास कर जब से उसने कॉलेज जाना शुरू किया था उसकी जवानी और उभर के बाहर आना शुरू हो गई थी, उसकी फोटो देख देख कर मैंने कई बार अपनी गर्मी भी मिटाई और तय किया कि इस बहना को जरूर चोदना है चाहे जो हो।
बात तब की है जब वो दिल्ली यूनिवर्सिटी से ठंडी की छुट्टियों में घर आती थी, घर में सब लोग उन छुट्टियों में जमा हुए थे. मैं भी कानपुर में पढ़ाई करता हूं तो मैं भी छुट्टियों में घर गया हुआ था। सब मजे में एक दूसरे के साथ मस्ती करते हसी मजाक करते घूमते फिरते। छुट्टियां अच्छी बीत रही थी.
उस ठंड के मौसम में अनुपमा को देख देख कर घर पर मैंने दो तीन बार मुट्ठियां पेल दी थी। बस सोचता ही रहता था कि कैसा इसकी जवानी को पाऊंगा।
पर तभी एक ऐसा दिन आया जिसने मेरी जिंदगी बदल दी।
हुआ यूं कि घर वाले रिश्तेदारी में शादी में जाने वाले थे. सभी का जाना तय हुआ लेकिन तभी हमारी दादी कि तबीयत खराब हुई और कहा गया कि अनुपमा घर पे रहे ताकि दादी को उठाना बैठना, नहलाना करा सके. दादी की उम्र काफी थी और सुनती भी कम थी।
मेरी नजर अनुपमा पे तभी से टिकी थी जब से वो दिल्ली से वापस आई थी. कुछ सोचने के बाद मैं भी दादी की सेवा के बहाने रुक गया और घर वाले चले गए।
उस दिन मैंने सोचा कि आज इस मिठाई को चख कर जरूर रहूंगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#15
दादी को दवा देकर सुलाने के बाद हम लोग लैपटॉप पर मूवी देखने बैठे, ठंड थी तो एक ही रजाई में हम दोनों मूवी देख रहे थे।
तभी मैंने बातों ही बातों में उससे उसके कॉलेज लाइफ के बारे में जानना चाहा. वो भी कुछ देर बाद मूवी से ध्यान हटा कर मुझसे अच्छे से बात करने लगी. बातों में पता चला कि उसका वहां एक बॉयफ्रेंड भी है, मुझे उस वक़्त लगा कि गई भैंस पानी में।

पर मैंने सोचा प्रयास करने में क्या हर्ज है मुझे कौन सा प्रेम के पींगें बढ़ानी हैं इसके साथ … बातों बातों में मैंने पूछ लिया- क्या तुम अपने ब्वॉयफरेंड के साथ सब कर चुकी हो?
तब वो चुप हो गई.
मुझे लगा कि मैंने जल्दबाजी कर डाली.

लेकिन उसने जवाब दिया- नहीं, अभी तक कुछ वैसा नहीं किया जैसा तुम सोच रहे हो।
मैं समझ गया कि अब लोहा गर्म हो रहा है, मैं अब माहौल बनाने में लग गया।

तकरीबन बारह बजे इधर उधर की बात करते करते मैंने कहा- चलो चाय बनाते हैं.
उसने हामी भरी और हम रसोई में चले गए.

चाय बनाते वक़्त मैंने उससे कहा- तुम जबसे दिल्ली गई हो, बहुत खूबसूरत हो गई हो.
तो वो हंसने लगी और शुक्रिया कहा.

फिर उसने कहा- तुम भी हैंडसम बन गए हो, कोई मिल गई क्या?
मैंने भी कहा- नहीं मिली तो नहीं … पर लग रहा है जल्दी मिल जाएगी.
शायद इशारों में कहीं बात उसने पकड़ ली थी।
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#16
तभी उसने कहा- जब से दिल्ली से आईं हूं, देख रही हूं तुम्हें, मेरे ऊपर से नजर हट नहीं रही तुम्हारी?
चोरी पकड़े जाने पर मैं सकपका गया और कुछ ना बोल पाया.

फिर उसने कहा- अब इतनी बातें हो गई तो बता दो क्या चल रहा है दिमाग में?
उसने मजाकिया लहजे में ही पूछा.
लेकिन मैंने बहुत ही प्यार से कहा- तुम अच्छी लग रही हो मुझे!
और सब सांस में कह डाला कि क्यों मैंने रुकने का फैसला किया।

चाय उबल के गिर गई और उसने मुझे ऐसे देखा की बस जैसे सन्न रह गई हो.
मैंने कहा- चाय उबल गयी.
मुझपे से नजर हटाते हुए उसने चाय उतारी और मंद मंद मुस्कुराने लगी.
मैं समझ गया तीर निशाने पे लगा है।

चाय लेकर हम अंदर कमरे में आए और रजाई में घुस गए. बाहर ठंड भी काफी थी. रजाई के अंदर हमारे पैर टकराने लगे.
उसने पहले कोई हरकत नहीं की पर बाद में वो भी धीरे से अपना पैर मेरे पैर के पास ले आई।

चाय पीकर मैंने उससे कहा- इस ठंड में गर्मी चाय से भला कहाँ मिलेगी?
इशारों में उसने भी कहा- हां, इसकी गर्मी तो पल भर की ही है।
फिर मैंने उसके गले में हाथ डाला और कहा- तो क्या तुम्हें लंबी गर्मी दे दूँ अगर तुम कहो?

मुस्कुराते हुए उसने कहा- अच्छी चीज किसे नहीं पसंद?
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#17
बस फिर क्या था … मैंने धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और फिर होंठों के बीच ऐसी रगड़न शुरू हुई कि बगल में रखा कप नीचे गिर पड़ा.

लेकिन लड़की का दिल्लीपना जाग गया था और मैं भी रुकने के मूड में कतई नहीं था।

ना जाने कब मैंने उसका टॉप उतार दिया और उसने मेरा … आंख खुली तो कुछ देर के लिए उसे देखता रह गया. सुडौल बदन, पतली कमर और उसके मम्मे जो ट्रक में लदे सामान की तरह बाहर झांक रहे थे.
उसने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी, कसम से कहर ढा रही थी. यह नजारा इतना हॉट था कि लंड मेरा पैंट के अंदर से ही फुंफकारने लगा.

मैंने अनुपमा से पूछा- तुम्हें कैसा सेक्स पसंद है रोमांस वाला या?
बोलते बोलते उसने कहा- भाई, मुझे रफ सेक्स पसंद है.

इतना कहते ही मैं उस पर टूट पड़ा और अगले ही पल उसकी ब्रा बाहर और मम्मे मेरे मुंह में थे. उसकी सिसकारियां मेरे होश उड़ाए जा रही थी।

तभी उसने मुझे बिस्तर पे धक्का दिया, मेरे ऊपर बैठ गई और बेल्ट खोलने लगी. इन सबके बीच मेरी नजर उसके झूलते हुए मम्मों पर ही टिकी रही.
अचानक मैंने उसे अपनी बांहों में भींच लिया और उसके मम्मे चूसने लगा.

फिर थोड़ी देर बाद मैंने भी उसकी लेगी उतारी. दूसरा झटका उसकी घाटी जैसी चूत को पैंटी के ऊपर से देख कर लगा. लाल ब्रा के साथ ही लाल पैंटी और दूध जैसा गोरा बदन अब तो बस यूं लग रहा था कि कितना तगड़ा चोद दूँ इसे।

अब तक हम दोनों भाई बहन नंगे हो चुके थे और मैं एकदम जोश में था. मैंने उसे पीछे से पकड़ा और जो मम्मे रगड़ना शुरू किए कि उसका शरीर ढीला पड़ गया। पीछे से मेरा लंड भी उसकी गान्ड की दरार में बार बार जाने के लिए मचल रहा था.
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#18
तभी अनुपमा ने एक टांग उठाई और बिस्तर के किनारे पर रखा और पीछे से लंड पकड़ कर चूत पर टिका दिया। मैं उस वक़्त पूरे जोश में था समझ नहीं आ रहा था कि जिसे सिर्फ ख्यालों में चोदा है उसके साथ अब असली में क्या करूँ?

चूत को छूते ही मैंने धक्का लगाना शुरू किया. लंड इतना कड़क हो गया था कि उसके टपकते पानी से फिसल जा रहा था।
तब अनुपमा पलटी और बिस्तर पर टांग खोल कर लेट गई. मैं समझ गया कि वो चूत चटवाना चाह रही है.

उसे ज्यादा इंतजार ना करवाते हुए मैंने भी तुरंत अपनी जीभ उसकी चिकनी चूत में घुसा दी. जीभ लगते ही अनु उछल पड़ी और मेरा सर अंदर की तरफ दबाने लगी जैसे मुझे अंदर तक भर लेगी. उसके जोश को देखकर मैं और अच्छे से चूत से खेलने लगा और एक हाथ से उसके मम्मे सहलाने लगा।

अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने भी चूत का पानी साफ कर दिया था.
उसने मुझे कहा- अविनाश भाई, प्लीज़ फक मी हार्ड!

उसकी इन बातों को सुन कर मैंने भी उससे कहा- बस जानेमन, ऐसे चोदूंगा अब कि तेरा ब्वॉयफ्रेंड भी तुझे कभी ऐसे ना चोद पाएगा।
इतना कहते ही मैंने एक झटके में चूत पर लंड टिकाया और दे मारा।

अनुपमा चीख उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
उसकी चीख दबाने के लिए मैंने उसके होंठ अपने होंठों से दबा दिए. उसने उस वक़्त काफी कोशिश की मुझे हटाने की क्योंकि उसे दर्द हो रहा था.

लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, धीरे धीरे मैंने धक्के की रफ्तार को बढ़ाया और उसे भी तब मजा आने
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
लगा। मैंने अब उसके होंठों से अपने होंठ हटा लिये. अब वो पूरे मस्ती में चुदवा रही थी, उसका जोश देखने लायक ही था, वो भी मेरा पूरा साथ देते हुए मुझे पकड़ के चूत उठा उठा कर चुदवा रही थी.
उसके उछलते हुए मम्मे आग में घी जैसे काम कर रहे थे।

कुछ देर बाद मैंने उससे मेज की तरफ इशारा करते हुए कहा- चलो उसे पकड़ के झुक जाओ!
वो समझ गई कि मैं उसकी गान्ड मारने की बात कर रहा हूं, उसने कहा- बहुत दर्द होगा … नहीं?
मैंने उसे बांहों में उठा कर चुम्मा करते हुए मेज के पास खड़ा किया और उसके मना करते करते मैंने उसे झुका दिया था। अनुपमा लगातार मना कर रही थी लेकिन मैं कुछ सुनने के मूड में नहीं था.

मैंने उसके मम्मे सहलाते हुए कहा- जानू कुछ पल का दर्द … बस फिर मजा ही मजा।
ये कहते हुए मैंने गान्ड को हाथ से फैलाया और छेद पर अपना सुपारा रख कर अंदर डालने की कोशिश करने लगा।

थोड़ा सा छेद फैलने पर वो तेज चिल्लाने लगी, उसकी आवाज दबाने के लिए पहले मैंने एक क्रीम अपने लन्ड और गान्ड के छेद पर लगाई, फिर पीछे से उसका मुंह पकड़ कर लंड गान्ड में देने की कोशिश करने लगा.

धीरे धीरे उसकी सिसकारियों के बीच आधा लंड गान्ड में जा चुका था. अब मैंने उसका मुंह खोला और बहन की गान्ड मारनी शुरू की।
वो ऐसा पल था कि बस मानो जन्नत मिल गई हो।

कुछ देर तक गान्ड मारने के बाद हम अब थक चुके थे।

उस रात तीन राउंड चोदने के बाद हम बुरी तरह थक गए थे. लगभग तीन बज रहे थे, हम नंगे ही
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#20
एक दूसरे से चिपक कर सो गए.
थोड़ी देर बाद वो उठी उसने ब्रा पैंटी पहनी. और वो कपड़े पहन ही रही थी तब मैं उठा, मैंने उससे कहा- जानेमन, तुमने मीठा तो खाया ही नहीं?
वो मुस्कुराई और चली गई.

मैं उसके पीछे पीछे साथ गया और वहां उसे दीवार से सटा कर लिप लॉक किया. कुछ देर तक करने के बाद उसने अपना हाथ लंड की तरफ बढ़ा दिया और फिर वहीं मैंने उसे अपना लंड चुसवाया. जैसे ही उसने मेरे लन्ड को अपने मुंह में रखा, मेरा शरीर ढीला पड़ने लगा. दोनों हाथ से अच्छे से पकड़ कर मेरी बहन एकदम रंडियों की तरह मेरा लंड चूसे जा रही थी। उसे उस वक़्त देख कर शायद कोई ना कहता कि इस पहले कभी लंड नहीं चूसा होगा।

उसका जोश देखकर मैंने उसका सिर पीछे से दबाया और लंड को गले तक पहुंचा दिया. कुछ देर में ही उसने लंड बाहर निकलते हुए खांसना शुरू कर दिया. फिर अगले ही पल फिर से चूसने लगी और अंदर तक ले गई. लगभग दस मिनट के बाद मेरा माल निकल गया, उसने सारा माल अपने मुंह में ही भरा और उंगलियों से बाकी चाट चाट के पी गई.

आखिरी की कुछ बूंदें उसके होंठों पर लगाते हुए मैंने लंड बाहर निकाला।

फिर वो उठी और कहा- अब से हर छुट्टी में मुझे ये मिठाई चाहिए।
मैंने भी लिप लॉक करते हुए उसे कहा- जरूर मेरी बहना।

सुबह सब वापस आ गए थे. कुछ दिन बाद अनुपमा चली गई और वो रंगीन यादें जो हमने बनाई थी, उनके भरोसे मैं भी अपने घर आ गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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