Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(22-02-2019, 12:38 AM)Raj355407 Wrote: aapki ek story or aisi hi hai jo ki mujhe bahut pasand hai vo bhi please likho.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(13-06-2022, 02:20 PM)neerathemall Wrote:
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
 [img=736x683]blob:https://xossipy.com/8bd3e556-0642-47cb-b1a6-aade6893388d[/img]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(21-02-2019, 09:19 PM)neerathemall Wrote: मेरे पति काम के सिलसिले में ६ महीने के लिये यूएसए गये थे और मुझे घर पर छोड़ गये थे। मैं अपने मम्मी, पापा और छोटे भाई के साथ रहने लगी थी। मेरी उम्र २७ साल की थी। मेरा छोटा भाई मुन्ना मुझसे ८ साल छोटा था। अभी अभी उसको जवानी की हवा लगी थी। मै और मुन्ना एक ही कमरे में रहते और सोते थे।
एक शाम को मैं छत पर बैठी थी कि मैने देखा कि मुन्ना घर में आते ही दीवार के पास खड़ा हो कर पेशाब करने लगा। उसे यह नहीं पता था कि मुझे छत पर से सब दिखाई दे रहा है। जैसे ही उसने अपना लन्ड पेशाब करने को निकाला, मेरा दिल धक से रह गया। इतना मोटा और लम्बा लन्ड........ उसे देख कर मेरे दिल में सिरहन दौड़ गयी। पेशाब करके वो तो फिर अपनी मोबाईक उठा कर चला गया....पर मेरे दिल में एक हलचल छोड़ गया। दो महीनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी सो मेरा मन भटकने लग गया। ऐसे में मुन्ना का लन्ड और दिख गया.... मेरी चूत में कुलबुलाहट होने लगी। मैं बैचेन हो कर कमरे में आ गई। मुझे बस भैया का वो मोटा सा लन्ड ही बार बार नजर आ रहा था। सोच रही थी कि अगर ये मेरी चूत में गया तो मैं तो निहाल ही जाऊंगी।
मुन्ना रात को 8 बजे घर आया। उसने अपने कपड़े बदले.... वो अभी तक मेरे सामने ही कपड़े बदलता था....पर उसे क्या पता था कि आज मेरी नजरें ही बदली हुई हैं। पैन्ट उतारते ही उसका लन्ड उसकी छोटी सी अन्डरवीयर में उभरा हुआ नजर आने लगा। मुझे लगा कि उसे पकड़ कर मसल डालूं। उसने तोलिया लपेट कर अपना अन्डरवीयर उतार कर घर का सफ़ेद पजामा पहन लिया। तो मुन्ना सोते समय अन्डरवीयर नहीं पहनता है........तो सीधा सोएगा तो उसका लन्ड साफ़ उभर कर दिखेगा........धत्त.... ये क्या....सोचने लगी....।
मेरा मन चन्चल होता जा रहा था। डिनर के बाद हम कमरे में आ गये।
![[Image: 91972989_001_2b9e.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/365/91972989/91972989_001_2b9e.jpg)
मैंने भी जानबूझ कर के मुन्ना के सामने ही कपड़े बदलना शुरु कर दिया पर उसका ध्यान मेरी तरफ़ नहीं था। मैने उसकी तरफ़ पीठ करके अपना ब्लाऊज और ब्रा उतार दिया। और एक हल्का सा टोप डाल लिया। मैने नीचे से पज़ामा आधा पहना और पेटीकोट उतारने लगी। मैंने जानबूझ कर पेटीकोट छोड़ दिया। पेटीकोट नीचे गिर पड़ा और मैं एकाएक नंगी हो गयी। आईने में मैंने देखा तो मुन्ना मुझे निहार रहा था। मैंने तुरन्त झुक कर पजामा ऊपर खींच लिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
(21-02-2019, 09:57 PM)neerathemall Wrote: मुझे लगा कि तीरनिशाने पर लग गया है। मैने ऐसा जताया कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। पर मुन्ना की नजरें बदल रही थी। मैं बाथरूम में गई उसके आईने में से भी मुन्ना नजर आ रहा था.... मैने वहाँ पर अपना टोप उतारा और अपनी चूंचियां ऐसे रखी कि मुन्ना उसे बाहर से आईने में देख ले। मैने अपने स्तनों के उभारों को मसलते हुए वापस टोप नीचे कर लिया। मुन्ना ने अपना लन्ड पकड़ कर जोर से दबा लिया। मैं मुस्करा उठी....।
![[Image: 91972989_012_f5b7.jpg]](https://cdni.pornpics.de/1280/1/365/91972989/91972989_012_f5b7.jpg)
मैं अब बाथरूम से बाहर आई तो उसकी नजरें बिल्कुल बदली हुई थी। अब हम दोनो बिस्तर पर बैठ कर टीवी देखने लगे थे.... पर मेरा ध्यान तो मुन्ना पर लगा था....और मुन्ना का ध्यान मुझ पर था। हम दोनो एक दूसरे को छूने की कोशिश कर रहे थे।
मैने शुरुआत कर दी...."क्या बात है मुन्ना.... आज तुम बैचेन से लग रहे हो....? "
"हां दीदी.... मुझे कुछ अजीब सा हो रहा है.... " उसका लन्ड खडा हुआ था.... उसने मेरी जांघो में हाथ फ़ेरा.... मुझे सिरहन सी आ गयी.... मैं उसकी हालत समझ रही थी.... दोनों के दिल में आग लग चुकी थी। मैने कुछ ऐसा हाथ चलाया कि उसके लन्ड को छूता हुआ और रगड़ता हुआ निकला। उसके लन्ड के कड़ेपन का अहसास मुझे हो गया। मुन्ना ने हिम्मत की और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खींच लिया। मैं जानकर उस पर लुढ़क गई.... पर झिझक के मारे वापस उठ गयी.... ।मुझे लगा कि यदि मैं बैठी रही तो कुछ गड़बड़ न हो जाये ............
रात के ११ बज रहे थे ....पर नीन्द कोसों दूर थी। मैं उठी और बालकनी में आ गयी। मुन्ना ने कमरे की लाईट बुझा दी....और मेरे साथ बालकनी में आ गया। सब तरफ़ अन्धेरा था.... दो मकान के आगे वाली स्ट्रीट लाईट जल रही थी। मेरे मन में वासना सुलग उठी थी।पति से चुदे हुए काफी अरसा हो चूका था चूत में चुल्ल उठ रही थी जिसे दबाने की बहुत कोशिश मैं कर चुकी थी पर अजीब सी खुजली और चुदास दबाने से और भड़क रही थी ।
मुन्ना भी उसी आग में जल रहा था। उसका खडा हुआ लन्ड अन्धेरे में भी उठा हुआ साफ़ नजर आ रहा था। कुछ देर तो वह मेरे पास खड़ा रहा ....फिर मेरे पीछे आ गया। उसने मेरे कन्धों पर हाथ रख दिया.... मैने उसे कुछ नहीं कहा.... बस झुरझुरी सी आ गयी।उसका हाथ की गर्मी मैं अपने कंधे पर महसूस कर रही थी ,अब उसने अपना दूसरा हाथ मेरे दूसरे कंधे पर रख दिया ,ऐसा लगा कि किसी ने गरम कपड़ा दूसरे कंधे पर रख दिया ,उस गर्मी ने मुझे अन्दर से हिला दिया ,खुद पर नियंत्रण खोने सा लगा था .मेरे पाँव काँप रहे थे ,मैं खुद को किसी तरह रोक कर खडी थी .तभी
उसकी हिम्मत बढ़ी और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे अपनी और खींच लिया और अपने लन्ड को मेरे चूतडों से सटा दिया साथ ही दूसरे हाथ से कंधे को भी खींच कर मेरा पूरा शरीर खुद से चिपका लिया
उसके लन्ड का चूतडों पर स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में सिरहन उठने लगी। उसका लन्ड का भारीपन और मोटा पन और साईज मेरे चूतडों पर महसूस होने लगा। मेरे पजामे में वो घुसा जा रहा था। मैं उसके लंड की गर्मी तथा उसके आकर को मैं पूरी शिद्दत से महसूस कर रही थी .लग रहा था कि इस स्थिति से वापस जानना आब मेरे बस में नहीं रह गया था मैने मुन्ना की तरफ़ देखा। मुन्ना ने मेरी आंखों में देखा .... मौन इशारों मे स्वीकृति मिल गयी।
मुन्ना ने अपने हाथ मेरे बोबे पर रख दिये.वह उनके आकर को अपने हाथो से महसूस करने का प्रयास ही नहीं कर रहा था बल्कि धीरे -धीरे उन्हें दबा रहा था उसने मेरे निपल्लो को टटोल कर जोर से दबा दिया साथ ही दोनों स्तनों को भी साथ ही हथेलियों से दबा ... दिये.... मैं हाथ हटाने की असफ़ल कोशिश करने लगी....वास्तव में मैं हाथ हटाना ही नहीं चाहती थी।और हटा भी नहीं पा रही थी ,चुचुको के दबाने से वे कड़े हो कर खड़े हो चुके थे .साथ ही चुचुको के दबाने और सहलाने से उठने वाली उत्तेजना सीधे चूत से जुड़े तारों को बुरी तरह से झंकृत कर रही थी ,वह झंकार अन्दर तक हिला रही थी .
"भैय्या.... हाय रे.... मत कर ना...." मैने उसकी तरफ़ धन्यवाद की निगाहों से देखा....और अपने स्तनों को दबवाने के लिये और उभार दिये.... नीचे चूतडों को और भी लन्ड पर दबा दिया।
"दीदीऽऽऽऽऽऽ........" कह कर अपने लन्ड का जोर मेरी गान्ड पर लगा दिया.... मेरे स्तन जोर से दबा दिये।
"भैय्या.... मर गयी .... हाऽऽऽय...." उसका लन्ड मेरे पज़ामे में से ही मेरी गान्ड में घुसा जा रहा था। मुन्ना ने मेरा ढीला सा पजामा पीछे से नीचे उतार दिया। मैं बालकनी को पकड़ कर झुक कर घोड़ी बनी जा रही थी। मुन्ना ने अपना पजामा भी नीचे कर लिया। अब हम दोनो नीचे से नंगे थे....मैं तो खुशी से मरी जा रही थी.... हाय मेरी चूत में अब मोटा सा लन्ड घुसेगा.... मैं भैया से चुद जाऊंगी.... मुन्ना ने अपना लन्ड को मेरी गान्ड पर रगड़ कर धीरे से चूत के मुहँ पर दबा दिया। उसका मोटा सुपाड़ा मेरी चूत मे घुस पडा। मैन आनन्द से कराह उठी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
•
Posts: 84,782
Threads: 940
Likes Received: 11,468 in 9,512 posts
Likes Given: 22
Joined: Dec 2018
Reputation:
118
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Posts: 12,681
Threads: 0
Likes Received: 6,988 in 5,322 posts
Likes Given: 73,154
Joined: Feb 2022
Reputation:
91
•
|