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Incest सगी बहन साथ सेक्सी बात कर गरम करके चोदा
#21
FAMILY SEX STORIESभाई-बहन की चुदाई
बरसात में भाई के साथ 

Barsaat me bhai ke saath

 मेरा नाम रवीना है और मेरी उम्र 22 है. इस साईट पर यह मेरी पहली कहानी है.. लेकिन मैंने 

 आम तौर पर सब लोग यही मानते है कि सेक्स को लेकर लड़को में बहुत जोश होता है. यह बात एकदम सही है.. लेकिन यह बात भी मान लीजिए कि लडकियों में भी सेक्स को लेकर उतना ही जोश होता है. पर हम लड़को को पता नहीं लगने देते. मेरी सभी दोस्त इस साईट की कहानियों को पढ़कर बहुत मज़े लेती है. आज मैं आप सभी से जो कहानी शेयर कर रही हूँ.. इससे बस यही साबित होता है कि एक लड़का और एक लड़की के बीच सिर्फ़ एक ही रिश्ता हो सकता है और वो आप सभी जानते होंगे..

लीजिए 










 पिछले साल बरसात के दिनों की बात है. हमारे कॉलेज की छुट्टी हुई और अचानक मौसम खराब हो गया और जोरों से बारिश होने लगी. मैं कुछ देर तो कॉलेज में रुकी और एक घंटे तक, मैं वहाँ पर खड़ी रही.. लेकिन बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी और अब धीरे धीरे रात भी होने को थी.. तो मैं बारिश में भीगते भीगते अपने घर पर आ गयी.

घर पर पहुंचते पहुंचते मुझे 7 बज गए थे और बहुत अंधेरा भी हो चुका था और उस समय घर पर लाईट भी नहीं आ रही थी. मैंने दरवाजा बजाया तो मेरा छोटा भाई वरुण दरवाजे पर आया और उसने दरवाजा खोला.. वो मुझसे दो साल छोटा था.

वरुण : आप तो बिल्कुल भींग गई हो

मैं : तो मैं क्या करती रेनकोट ले जाना भूल गई थी.. क्या तू एक काम करेगा?

वरुण : हाँ दीदी.

मैं : तू मेरे लिए चाय बना दे.. मुझे बहुत ठंड लग रही है.

वरुण : ठीक है.. मैं अभी बनाकर लाता हूँ.

फिर मैं अपने कमरे में चली गई.. बाहर मौसम अब ठीक हो चुका था.. लेकिन हवा तेज़ चल रही थी और मैं मोमबत्ती जलाकर अपने रूम तक गयी.. लेकिन रूम तक जाते जाते मोमबत्ती बुझ गई और फिर में बाथरूम में कपड़े चेंज करने गई और मैंने एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिए. तभी मुझे याद आया कि मैंने टावल तो लिया ही नहीं.. तो मैंने बाथरूम के दरवाजे को हल्का सा खोला और देखा कि ज्यादा अंधेरे में बाहर कुछ भी नहीं दिख रहा था. फिर मैं धीरे धीरे अलमारी की तरफ जाने लगी जो कि दरवाजे के बिल्कुल पास थी और मैं अलमीरा के पास पहुंच गई थी..

तभी अचानक तेज लाईट के कारण मेरी आखें बंद हो गयी.. लेकिन जब मैंने आंखे खोली तो में सहम गई.. मेरा भाई मेरे सामने खड़ा है. एक हाथ में चाय का कप और दूसरे में बुझी हुई मोमबत्ती लेकर. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं और वो मेरे 34 साईज के बूब्स को तो कभी मेरी नंगी चूत को देख रहा था.. मानो जैसे उसकी लाटरी लग गयी हो. मैंने एक हाथ से चूत और एक हाथ से बूब्स को छुपा लिया और उसे डाटते हुए बोली कि वरुण हट जा और फिर मैं दौड़ते हुए बाथरूम में चली गई.

वरुण : सॉरी दीदी.. ( वो चाय लाया था ) मुझे माफ़ करना वो मोमबत्ती हवा से बुझ गई. मैं यह चाय टेबल पर रख देता हूँ और फिर वो चला गया.. लेकिन पता नहीं क्यों मुझे गुस्सा सा आ रहा था? फिर मैंने सोचा कि इसमें उसकी क्या ग़लती थी. मैं भी तो जवान हूँ बहुत खूबसूरत हूँ भला 34 इंच के बूब्स गोरा रंग 26 इंच की कमर 34 इंच की गांड को देखकर कोई भी पागल हो सकता है. फिर ऐसे ही मैंने अपने आप को कांच में देखा.. मैं सच में क़यामत लग रही थी तो मैंने चूत के भीगे बालों पर हल्का हल्का हाथ फेरा तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा. फिर मैंने सलवार सूट पहन लिया और फिर मैं किचन में आ गयी.. लेकिन मैं अपने भाई से आंख भी नहीं मिला पा रही थी और उसे बार बार अनदेखा कर रही थी और वो भी बहुत उत्सुकता महसूस कर रहा था. फिर मैंने ही आगे होकर उससे बात शुरू की..
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मैं : क्या पापा ऑफिस गए है?

वरुण : हाँ उनका नाईट शिफ्ट है और वो कल सुबह आएँगे.. लेकिन सॉरी दीदी वो मैं आपके कमरे में.

मैं : कोई बात नहीं.. कभी कभी हो जाता है और उसमें तुम्हारी कोई ग़लती नहीं थी.. लेकिन अब तुम आगे से ध्यान रखना ठीक है और अब भूख लगी है तो चलो किचन में खाना बना लेते है.

वरुण : हाँ ठीक है दीदी.

दोस्तों मेरे परिवार में हम तीन लोग ही रहते थे. इसलिए घर का सभी काम हम लोग मिल बाँटकर करते थे.. फिर हम इधर उधर की बातें करते करते खाना बनाने लगे. तभी अचानक से मेरी गांड वरुण से टकरा गयी और मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ? तो मैंने पीछे मुड़कर देखा तो उसके पजामे में उसका लंड तंबू बनकर खड़ा हुआ है. लेकिन इस बात से वो बिल्कुल अंजान होने की कोशिश कर रहा था. तो मैंने भी अनदेखा कर दिया.. तो इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गई.

कुछ देर के बाद उसने फिर से मेरी गांड में अपना लंड सटाया. फिर मैं कुछ दूर जाकर खड़ी हो गयी.. वो भी मेरे और करीब आ गया. तभी मैंने गौर किया कि वो मेरे बूब्स को अपनी तिरछी तिरछी निगाहों से देख रहा था.. क्योंकि मैंने दुपट्टा हटा रखा था तो मेरे बूब्स का पूरा आकार साफ साफ नज़र आ रहा था. फिर कुछ देर में खाना बनकर तैयार हो गया और फिर हम करीब 9 बजे खाना खाने बैठे.. हम टीवी देखकर खाना खा रहे थे तो अचानक उसने मुझसे पूछा कि..

वरुण : दीदी क्या आपसे एक बात कहूँ?

मैं : हाँ क्यों नहीं.. बोलो ना.

वरुण :  आप बहुत सुंदर हो.

उसकी आवाज़ आज मुझे कुछ अलग सी लग रही थी.

वरुण : वो आज आपको बिना कपड़ो के देखा तो मुझे पता चला कि आप कितनी सुंदर हो?

मैं : अपनी बकवास बंद कर नहीं तो मैं एक थप्पड़ लगाऊँगी और चुपचाप खाना खा.

फिर वो कुछ नहीं बोला और हम खाना खाकर टीवी देखने लगे करीब आधे घंटे बाद मैंने उससे चेनल चेंज करने को कहा.. क्योंकि मुझे सीरियल देखना था.. लेकिन उसने साफ साफ मना कर दिया और वो टीवी देखने लगा रिमोट उसके पास में था. तो मैंने झटके से रिमोट उठा लिया और चेनल चेंज कर दिया और रिमोट सोफे पर रखकर उस पर बैठ गयी.

वरुण : रिमोट मुझे देती है या नहीं.
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मैं : नहीं दूँगी.

वरुण : प्लीज़ दो ना मुझे टीवी पर कुछ देखना है.

मैं : मैं नहीं दे रही और तुम्हें जो करना है कर लो.

कुछ देर वो चुप बैठा फिर अचानक उसने अपने दोनों हाथ मेरी गांड पर रख दिया और मुझे अपनी तरफ खींच लिया में बहुत हैरान थी और मैं एक झटके में उसकी गोद में आ गई थी. फिर उसने रिमोट ले लिया.. लेकिन मुझे नहीं छोड़ा. मैं अब भी उसकी गोद में ही थी और मैं उससे छूटने की कोशिश कर रही थी.. उसने मुझे बहुत मजबूती से पकड़ रखा था.

मैं : वरुण यह क्या कर रहे हो?

वरुण : अभी आपने ही तो कहा था ना जो करना है करो लो.

मैं : बेशरम आने दो पापा को. मैं तुम्हारी.. मैंने उसकी नाक पर ज़ोर से मारा, तो उसने मुझे छोड़ दिया. मैं जैसे तैसे सोफे से उठी और दुपट्टा लेकर वहाँ से जाने लगी. तभी उसने मुझे पीछे से मेरी कमर को पकड़ कर सोफे पर पटक दिया. मेरी तो चीख निकल गई और उसने बिना समय गवाएं मेरे मुहं पर रुमाल बाँध दिया और फिर मेरे दुपट्टे से मेरे हाथ बाँध दिए. अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं और वो पूरी तरह से पागल हो गया था. मैं उससे छुटने की पूरी कोशिश कर रही थी और मैं अपने पैर से उसे दूर कर रही थी. फिर मेरा एक पैर उसके लंड पर जाकर लगा तो वो दर्द के मारे वहीं पर बैठ गया. मुझे मौका मिला.. मैं सोफे से उठी.. लेकिन उसने मुझे पकड़ लिया और फिर सोफे पर पटक दिया.

वरुण : साली तू बहुत लात चलाती है रुक जा.

मैं वरुण के मुहं से यह सब सुनकर बहुत हैरान थी और मुझे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था. फिर उसने मेरे दोनों पैरों को पकड़कर फैला दिया और वो खुद मेरे ऊपर लेट गया एक हाथ से उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे नीचे करने लगा और दूसरे हाथ से वो मेरे बूब्स को मसलने लगा. उसने मेरी सलवार को नीचे किया और अपनी पेंट और अंडरवियर को नीचे करके अपना लंड बाहर निकाला लिया. फिर वो मेरी पेंटी में अपना एक हाथ डालकर मेरी चूत को सहलाने लगा और मैं उससे छूटने की कोशिश कर रही थी. मेरा सर सोफे से नीचे लटक रहा था और मैं पूरी ताक़त लगाने के बावजूद भी हिल नहीं पा रही थी.

उसने मेरी पेंटी को साईड से हटाकर लंड का टोपा मेरी चूत में रख दिया.. मैं लाचारी से उसकी तरफ देख रही थी. फिर उसने एक ज़ोर का झटका मारा और उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया.. मेरी तो जान ही निकल गयी. फिर दूसरा झटका दिया और पूरा का पूरा लंड अंदर. अब मैं दर्द से मरी जा रही थी और मेरी दोनों आँखों से गरम गरम आंसू निकल रहे थे. वो लंड को ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर कर रहा था और अब मैंने विरोध करना बंद कर दिया. वो भी मुझे चोदने का मज़ा लेने लगा.. मैंने अपनी दोनों आखें बंद कर ली.. लेकिन आंसू नहीं रुके.. इतना दर्द मुझे कभी नहीं हुआ.

फिर उसने मेरा कुर्ता खोलना चाहा.. लेकिन मेरे दोनों हाथ बंधे होने के कारण वो सिर्फ़ कंधे तक ही मेरा कुर्ता खोल पाया. वो मेरी गर्दन, कंधे, गाल और पीठ पर किस करता रहा. मैं लगभग बेहोश हो चुकी थी.. तभी वो बहुत घबरा गया और उसने मेरा मुहं खोल दिया.. लेकिन मैंने कोई हलचल नहीं की. फिर उसने पानी लाकर मेरे मुहं पर मारा तो मुझे थोड़ा होश आया और मैंने उससे कहा कि प्लीज़ मुझे खोल दो तुम्हें जो करना है कर लो.. लेकिन धीरे धीरे. वो बहुत खुश हो गया और मुझे किस करने लगा. फिर उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और उसका लंड 6 इंच का बिल्कुल तना हुआ था और उस पर मेरी चूत का खून लगा हुआ था. तो उसने रुमाल से खून को साफ किया और लंड को मेरे होठों पर रख दिया.
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मैंने मुहं हटा लिया.. लेकिन उसने दोनों हाथ से मेरे मुहं को पकड़ लिया और कहा कि प्लीज़ ले लो ना.. नहीं तो मुझे फिर से ज़बरदस्ती करनी पड़ेगी. अब मेरे पास कोई और रास्ता भी नहीं था.. मैंने होंठ को हल्के से खोला और उसके लंड के टोपे को मुहं में लिया और फिर मैं उसके लंड को धीरे धीरे चूसने लगी और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी.

फिर दो तीन बार ऐसा करने के बाद उसने मेरे मुहं में पूरा लंड घुसा दिया और अंदर बाहर करने लगा.. उसे तो मानो जन्नत ही मिल गयी हो और तीन मिनट के बाद उसने मुझे सोफे से उठाया और मेरे हाथ खोल दिए और मेरे कपड़े खोलने लगा और देखते ही देखते मैं बिल्कुल नंगी हो गई. और उसने मेरी चूत के खून को साफ किया. फिर वो सोफे पर बैठ गया और मुझे अपनी गोद में बैठने को बोला.. लेकिन मैं वहीं पर खड़ी रही. तो उसने मेरा हाथ खींचकर मुझे अपनी गोद में बैठा लिया और फिर उसने मुझे किस करना चाहा..

लेकिन मैंने दूसरी तरफ अपना मुहं मोड़ लिया. फिर वो मेरे बूब्स को चूसने और सहलाने लगा. मेरे मुँह से आहें निकलने लगी. वो कभी बूब्स पर किस करता.. कभी कमर को सहलाता तो कभी मेरी गांड को सहलाता और मैं कहे जा रही थी अह्ह्ह प्लीज़ वरुण आआहहा आ प्लीज़ नहीं ऐसा मत करो. फिर उसने मौका देखकर अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा.. लेकिन इस बार मुझे दर्द थोड़ा कम हुआ.

फिर करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद उसने एकदम से अपनी स्पीड बढ़ा दी और मेरी कमर को पकड़ कर धक्के देने लगा. फिर कुछ देर बाद वो बहुत थक गया था और शायद उसका वीर्य निकल चुका था और वो अपनी दोनों आंखे बंद करके बस मेरी कमर को सहला रहा था. मेरी सांसे बहुत तेज चल रही थी और मैंने उसकी तरफ देखा और फिर मैंने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और मैं खुद अपनी चूत के झटके उसके लंड पर मारने लगी. तभी वो तो बहुत चकित रह गया और उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और हम एक दूसरे को किस करने लगे. फिर पूरी रात हमने सेक्स किया ..

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#22
 लॉक डाउन में माँ को चोदा


लखनऊ का रहने वाला 25 साल का राजीव अपनी कहानी “लॉकडाउन माँ को चोदा बरसात में” बताने जा रहा है कैसे उसकी माँ और वो तेज़ बरसात में नहाते हुए एक दूसरे के गीले शरीर को देख कामुक अवस्था में पहुंच गए। राजीव का कहना है की लॉकडाउन में उनके पास करने को कुछ नही था। जब अचानक तेज बरसात होने लगी तो माँ बेटे ने कुछ मस्ती करने का मन बना लिया।
लॉकडाउन की वजह से हम सब अपने घरो में बंद है। बाहर ना घूमने जा सकते ना काम करने। घर बैठे कुछ करने को नही है। करीब 29 अप्रैल 2020  को मेने अपनी Maa Ko Choda Barsaat Mein उस वक्त हमरी सोचने समझे की शक्ति मानो खत्म हो गई थी।
उस दिन मैं टीवी देख रहा था और मेरी माँ चाय बना रही थी। मेरे परिवार में बस मैं और मेरी माँ है। पिता जी का 4 साल पहले एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई।
घर का एकलौता बीटा होने के नाते सारा बोझ मेरे सर आ गया और मुझे अपनी पढाई छोड़नी पढ़ी।
उस दिन मौसम काफी अच्छा था। मिनी मिनी हवा चल रही थी और सूरज बादलो के पीछे छिपा था। मौसम का पूरा मज़ा लेने के लिए माँ चाय और थोड़े पकोड़े बना रही थी।
मेने टीवी बंद किया और छत पर जा कर दो कुर्सी लगा दी। और एक छोटे से स्टूल पर छाए और पकोड़े रख दिए। माँ ने चाय और पकोड़े एक छोटे स्टूल पर रख दिए।
मैं चाय पिता फ़ोन पर गाने सुने लगा और माँ अखबार पर एक नजर डालने लगी। तभी अचानक बारिश होने लगी और हम तेजी से छत के कमरे की और भागे।
माँ – लग नही रहा था इतनी तेज बरसात होगी।
मेने कहा – माँ मेरा थोड़ा बरसात में नहाने का दिल है वैसे भी आज मैं नहाया नही।
माँ – मन है तो जाओ पर अगर बीमार हो गए तो इस लॉकडाउन में दवाई मिलना मुश्किल हो जाएगी।
मेने शर्ट उतारी और बारिश में नहाने लगा। ठंडी हवा और तेज बारिश देख माँ का भी मन कर गया और वो भी मेरे साथ नहाने लगी।

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मेने देखा की माँ की पूरी साड़ी गीली हो गई और उनके ब्लाउज से उनकी ब्रा दिखने लगी।
उनके गीले स्तन और गोरी कमर देख मेरे मन में गन्दी भावनाए जाग उठी।
माँ भीगते हुए मानो जवान सी दिखने लगी और मैं उन्हें देखता रहा। उनको अपनी जवानी के दिनों की याद आ गई और वो बरसात में झूमने लगी।
उन्हें उछलते स्तन देख मेरी वासना बढ़ने लगी। उनके स्तन और चूचिया गीले ब्लाउज से दिखने लगे।

अपनी कामुक और सुडौल माँ को देख मेरा लिंग उठने लगा और पजामे से दिखने लगा। जब माँ की मेरे लिंग पर नजर पढ़ही तो वो एक पल को दंग रह गई।
मेरा लिंग देख माँ शर्मा गई और वह से जाने लगी। फिर अचानक उनका पैर फिसला और वो मेरे ऊपर जा गिरी।
हम दोनों जमीन पर गिर गए। माँ मेरे ऊपर थी और मैं उनके निचे।
उनके भारी भरकम दूध से भरे स्तन मेरे चेहरे पर थे। और मेरा मोटा लिंग माँ की जांघों के बीच टकरा रहा था।
माँ शर्माते हुए मेरी आँखों में देखने लगी और मेरे लिंग को अपनी जांघों के बीच महसूस करने लगी। मेने मर्दाना तरीके से माँ की गांड अपने हाथो से दबोची और उन्हें कामुक तरीके से मसलने लगा।
शयद अन्तर्वासना मुझ में ही नही मेरी माँ में भी भरी थी तभी उन्होंने कुछ नही किया।
उन्होंने धीरे से अपने होठ आगे बढ़ाये और मेरे होठो को चूमने लगी।
तभी मुझे चुदाई का जोश आने लगा और मेने माँ की साड़ी में हाथ डाल दिया और उनकी मोटी गांड में ऊँगली करने लगा।
माँ ने अपना ब्लाउज खोला और अपने सुंदर स्तन मेरे मुँह के आगे रख दिए। मैं उन्हें चूसने लगा और माँ मेरे सर पर हाथ फेरने लगी बिलकुल वैसे जैसे वो बचपन में करती थी।
थोड़ी देर की धीमी चुसाई के बाद मेने उन्हें जोर से चूसना शुरू कर दिया। मैं इस उम्मीद में उनके स्तन चूसे जा रहा था की उनके स्तनों से दूध निकलेगा। पर ऐसा कुछ ना हुआ।

फिर मेने माँ को उठाया और उन्हें छत के कोने में लेजा कर चूमने लगा। मेरे लिंग से पानी रिसने लगा और मेरा मन चुदाई का करने लगा।
मेने माँ को जोर से खींचा और उनके कान में कहा – साड़ी उतारो।
माँ मुस्कुराने लगी और अपनी पूरी साड़ी उतारने के बाद वो निचे बैठ कर मेरा लिंग हिलाने लगी।
मेने जोशीले अंदाज में माँ को उठाया और उन्हें दीवार की तरफ मुँह करा कर हल्का सा झुका दिया।
माँ ने अपनी गांड फैलाई और अपनी चुत दिखाने लगी। उनकी गीली चुत मेरे लंड को न्योता देने लगी।
मेने अपने हाथ पर थूका और अपने लंड को मसलने लगा। माँ पीछे मूड कर मुझे देखने लगी और मेरे जोरदार धको का इंतजार करने लगी।
मेने लंड पर थूक लगाया और उनकी चुत में घुसा दिया और माँ की मुँह से हल्की अहह निकल पड़ी।
मैं बरसात में माँ की चुदाई करने लगा और 4 साल बाद माँ को यौन संतुष्टि देने लगा।
माँ की आँखे नशीली होने लगी और उनका अपने पेरो पर बस नही रहा।
चुत की जोरदार चुदाई से माँ कड़ी नही रह पाई और वो निचे बैठ गई। फिर मैं उन्हें घोड़ी बना कर चोदने लगा।
उनके मोटे स्तन मेरी धको से आगे पीछे हिलने लगे और मेरी कामवासना बढ़ाने लगे।
मैं माँ को बरसात में चोदता रहा और वो पुरे मजे लेती रही।
उनके गीले बाल उनकी कमर पर थे और वो ऐसी दिख रही थी जैसे कोई हुसन की मलिका हो।
उनकी खनकती चुडिया और पायल मुझे और तेज चुदाई करने के लिए मजबूर कर रही थी। ऊपर से उनके मुँह से अह्ह्ह उउउउ और तेज अहह सुनकर मेरा लंड और कड़क हो जाता।
माँ – अहह !! थोड़ा धीरे इतना तेज मेने बोहोत सालो बाद सहन किया है।
मेने कहा – माँ मेरी जवानी आप कर भारी ना पड़ जाये इसलिए मैं धीरे कर रहा हु वरना तो आप दर्द से चीला रही होती।
माँ – अच्छा !! जरा दिखाना तो तुम क्या कर सकते हो ?


मेने माँ को उठाया और उनके पर अपनी कमर पर लपेट लिए।  साथ ही मेने उनकी कमर पकड़ ली और उन्हें उठा कर चोदने लगा।
मैं माँ को अपने लंड पर उछाल रहा था और माँ तेजी से चिलाने लगी। कही लोग ना सुन ले इसलिए मेने उन्हें चूमना शुरू कर दिया।
मेरा लिंग सीधा उनकी चुत में अंदर बाहर जा रहा था। मैं अपना लिंग जितना अंदर डालता माँ उतना तेज चिलाती।
फिर मेने अपने लंड पर गर्म पानी महसूस किया। मेने निचे देखा तो आप की चुत से पानी की बरसात हो रही थी।
मेरे लंड की चुदाई से मेने उनकी चुत से पानी निकल दिया था।
माँ ने मुझे हफ्ते हुए कहा – बस और नही होगा मुझ से रुक जाओ।
मेने माँ को निचे बठाया और उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया। मेरी आँखों में देख कर वो उसे चूसने लगी और मेरे अंडे सहलाने लगी।
अचानक उन्होंने मेरे गोटे गलती से जोर से दब गए और मेरे लंड से सफ़ेद पिचकारी निकल पड़ी।
गोटो का दर्द मैं सहन नही कर पाया और मेने लंड ने सफ़ेद पानी छोड़ना शुरू कर दिया।
मेरा सारा माल उनके मुँह पे जा गिरा और माँ उसे उनलगी पे ले कर चाटने लगी।
ये 
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#23
[Image: FaceApp_1611328412881_copy_378x400.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#24
(09-12-2023, 05:00 PM)neerathemall Wrote:  लॉक डाउन में माँ को चोदा


लखनऊ का रहने वाला 25 साल का राजीव अपनी कहानी “लॉकडाउन माँ को चोदा बरसात में” बताने जा रहा है कैसे उसकी माँ और वो तेज़ बरसात में नहाते हुए एक दूसरे के गीले शरीर को देख कामुक अवस्था में पहुंच गए। राजीव का कहना है की लॉकडाउन में उनके पास करने को कुछ नही था। जब अचानक तेज बरसात होने लगी तो माँ बेटे ने कुछ मस्ती करने का मन बना लिया।
लॉकडाउन की वजह से हम सब अपने घरो में बंद है। बाहर ना घूमने जा सकते ना काम करने। घर बैठे कुछ करने को नही है। करीब 29 अप्रैल 2020  को मेने अपनी Maa Ko Choda Barsaat Mein उस वक्त हमरी सोचने समझे की शक्ति मानो खत्म हो गई थी।
उस दिन मैं टीवी देख रहा था और मेरी माँ चाय बना रही थी। मेरे परिवार में बस मैं और मेरी माँ है। पिता जी का 4 साल पहले एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई।
घर का एकलौता बीटा होने के नाते सारा बोझ मेरे सर आ गया और मुझे अपनी पढाई छोड़नी पढ़ी।
उस दिन मौसम काफी अच्छा था। मिनी मिनी हवा चल रही थी और सूरज बादलो के पीछे छिपा था। मौसम का पूरा मज़ा लेने के लिए माँ चाय और थोड़े पकोड़े बना रही थी।
मेने टीवी बंद किया और छत पर जा कर दो कुर्सी लगा दी। और एक छोटे से स्टूल पर छाए और पकोड़े रख दिए। माँ ने चाय और पकोड़े एक छोटे स्टूल पर रख दिए।
मैं चाय पिता फ़ोन पर गाने सुने लगा और माँ अखबार पर एक नजर डालने लगी। तभी अचानक बारिश होने लगी और हम तेजी से छत के कमरे की और भागे।
माँ – लग नही रहा था इतनी तेज बरसात होगी।
मेने कहा – माँ मेरा थोड़ा बरसात में नहाने का दिल है वैसे भी आज मैं नहाया नही।
माँ – मन है तो जाओ पर अगर बीमार हो गए तो इस लॉकडाउन में दवाई मिलना मुश्किल हो जाएगी।
मेने शर्ट उतारी और बारिश में नहाने लगा। ठंडी हवा और तेज बारिश देख माँ का भी मन कर गया और वो भी मेरे साथ नहाने लगी।

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मेने देखा की माँ की पूरी साड़ी गीली हो गई और उनके ब्लाउज से उनकी ब्रा दिखने लगी।
उनके गीले स्तन और गोरी कमर देख मेरे मन में गन्दी भावनाए जाग उठी।
माँ भीगते हुए मानो जवान सी दिखने लगी और मैं उन्हें देखता रहा। उनको अपनी जवानी के दिनों की याद आ गई और वो बरसात में झूमने लगी।
उन्हें उछलते स्तन देख मेरी वासना बढ़ने लगी। उनके स्तन और चूचिया गीले ब्लाउज से दिखने लगे।

अपनी कामुक और सुडौल 
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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