04-07-2022, 03:53 PM
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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04-07-2022, 03:53 PM
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04-07-2022, 03:54 PM
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31-05-2023, 11:51 AM
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01-06-2023, 03:30 PM
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09-12-2023, 12:24 AM
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09-12-2023, 12:25 AM
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09-12-2023, 12:29 AM
Quote:में आज आप सभी को अपनी एक सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ जिसमे मैंने अपनी छोटी बहन के मज़े लिए। वैसे कुछ समय पहले तक मैंने उसके बारे में ऐसा कुछ नहीं सोचा था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से मुझे उसकी हरकते बदली बदली सी लगने लगी थी और मुझे सेक्सी कहानियाँ पढ़कर मुठ मारना बहुत अच्छा लगता था। में ऐसा करके अपने लंड को हमेशा शांत कर लिया करता। दोस्तों यह मेरी हॉट सेक्स स्टोरी पर पहली कहानी है। दोस्तों हमारे यहाँ पर कॉलेज पढ़ने की पूरी सुविधा नहीं होने की वजह से में और मेरी छोटी बहन अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए कुछ महीनों से दिल्ली आए हुए थे और हम दोनों वहां पर एक रूम लेकर रह रहे थे। Jun जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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09-12-2023, 12:32 AM
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09-12-2023, 12:35 AM
(This post was last modified: 09-12-2023, 12:37 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
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09-12-2023, 12:46 AM
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09-12-2023, 04:12 PM
बारिश में बहन की चुदाई की कहानी
भाई बहन सेक्स की कहानी मेरे और मेरी बहन के बीच तब की है जब बारिश में हम दोनों चुदाई का आनन्द ले रहे थे … या यूं कहें कि बारिश में स्वर्ग का सुख भोग रहे थे. नमस्कार दोस्तो, मैं मन पांडे. ये भाई बहन सेक्स की कहानी मेरी और मेरी अपनी बहन आर्या की है, मैं उसे प्यार से आरू कहता हूँ … और वो मुझे प्यार से मनु भाई कहती है. हम दोनों बचपन से ही साथ रहे, एक साथ खेले और साथ ही बड़े हुए. हम दोनों काफी ओपन माइंडेड हैं, एक दूसरे से हर तरह की बात कर लेते हैं. इसीलिए शायद हमें कभी बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड की जरूरत नहीं महसूस हुई. और जरूरत पड़े भी क्यों … जिसकी बहन इतनी खूबसूरत, मस्त, गदराया हुआ माल हो … वो बाहर मुँह क्यों मारे. आइए पहले मैं आपको अपनी बहन के बारे में कुछ बता देता हूँ. मेरी बहन एक खूबसूरत बदन की मालकिन है. उसकी आंखें एकदम नशीली हैं, जिसे दखकर मैं भी नशे में आ जाता हूँ. उसके रसभरे होंठ एकदम सुर्ख लाल गुलाब के फूलों से कोमल हैं, जिन्हें देखते ही मन करता है कि अभी चूस लूं. मेरी बहन के बूब्स 36 इंच के उठे हुए मस्त लगते हैं. देख कर मन करता है कि अभी पकड़ कर दबा दूँ. उसकी कमर 29 इंच की और गांड 36 की है. उठे हुए मस्त गोल गोल चूतड़ों को देख कर मन करता है कि अभी दांत से काट लूं … पर किसी तरह कंट्रोल कर लेता हूँ. कुल मिला कर मेरी बहन पूरी कयामत है, जिसे देख बुड्ढे में जवानी के जोश भरने लगते हैं और उनके लंड खड़े हो जाते होंगे. मैं अपनी बहन आरू से काफी क्लोज और अट्रैक्ट था … और कहीं न कहीं वो भी मुझे पसन्द करती थी. पर समाज की लोकधारणाएं, मर्यादाएं हमें कहीं न कहीं मिलने से रोक देती थीं. लेकिन ये भी सच है यदि आप किसी को शिद्दत से चाहो … तो जर्रा जर्रा उसे आप से मिलाने की साजिश में लग जाता है. ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी हुआ. एक दिन हम दोनों अपनी छत पर खड़े होकर बातें कर रहे थे. तभी उसने अचानक मुझसे कहा- मनु भाई आपने गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बनाई? मैं तपाक से बोल पड़ा- तुम्हारी जैसी बहन के होते हुए किसी और के पीछे जाऊं … ये मुझसे नहीं हो सकता है. वो मेरी इस बात से थोड़ा चौंकी … पर खुश भी थी कि उसका भाई उसी पर मरता है. उसने मौके पर चौका मारते हुए कहा- ठीक है, यदि तुम मुझे इतना ही चाहते हो … तो मुझे तो बताओ कि तुम अभी मेरे साथ क्या क्या कर सकते हो! मैंने कहा- सिर्फ बता नहीं सकता हूँ … करके भी दिखा सकता हूँ. उसने कहा- अच्छा … ठीक है, करके दिखाओ. लेकिन करते वक्त कॉम्प्लीमेंट भी देना है. मैंने कहा- ठीक है. आरू ने ऊपर टॉप और नीचे लैगी पहनी हुई थी. मैं उसके नजदीक गया. उसके दोनों हाथों को पकड़ कर अपने कंधे पर किए और अपने हाथ उसके कमर पर रखते हुए सबसे पहले मैंने उसकी आंखों की तारीफ की. मैंने कहा- ये तुम्हारी नशीले आंखें, इनको देखते ही मैं इनमें डूब जाता हूँ. ऐसा कहकर मैंने उसकी दोनों आंखों को बारी बारी से किस किया. उसकी सांसें थोड़ी तेज हो गईं. फिर मैं उसके एक गाल पर अपने होंठ घुमाते हुए उसके गाल को अपनी जीभ से चाटने लगा. आरू अपनी आंखें बन्द करके मेरी हरकतों का पूरा मज़ा ले रही थी. उसके गाल चाटते हुए मैं उसके गालों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा जिससे आरू की उत्तेजना और बढ़ने लगी, उसकी पकड़ मेरे लिए और तेज हो गयी. फिर मैं उसके होंठों की तरफ बढ़ा, जो लाल सुर्ख गुलाबी ऐसे लग रहे थे, जैसे दुनिया के सारे रस आज इसी के होंठों में भरे हुए हैं. मैं बड़े प्यार से उसके दोनों होंठों को अपने होंठों के बीच में रखकर चूसने लगा. वो और भी मदमस्त होने लगी और मैं भी. मेरे दोनों हाथ उसकी गांड को मसल रहे थे और उसके हाथ मेरे गर्दन और बालों में चल रहे थे. मैं उसके होंठों को ऐसे चूस रहा था, जैसे कोई रसगुल्ले से रस चूस रहा हो. कभी मैं उसके होंठों को अपने मुँह में, तो कभी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल कर चूस रहा था. कभी वो ऐसा कर रही थी. हम दोनों एक दूसरे में सारी दुनिया को भुला बैठे थे. तभी नीचे से आवाज आयी- आरू, मनु क्या कर रहे हो … नीचे आओ. हम दोनों का जैसे सपना टूट गया हो हम एक दूसरे से न चाहते हुए भी अलग हुए और अपने को ठीक करते हुए नीचे आ गए. वहां मम्मी पापा हमारा इंतज़ार कर रहे थे. हम सभी ने रात को खाना खाया और सोने चले गए. रात भर किसी को नींद नहीं आयी, न मुझे … न आरू को. मम्मी पापा के डर से हम दोनों चुपचाप सो गए. सुबह जब मैं उठा तो आरू ने बताया कि मनु भाई आज घर में कोई नहीं है. मम्मी पापा किसी काम से बाहर गए हैं. वो शाम तक लौटेंगे. तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ … फिर दोनों दिन भर मस्ती करेंगे. देखिए न आज बादल भी लगे हुए हैं … अगर बारिश हुई तो हम दोनों बारिश का पूरा मज़ा उठाएंगे. अपनी बहन की बातें सुनकर मैं भी उत्तेजित हो गया और जल्दी ही फ़्रेश होने के बाद हम नाश्ता करने बैठ गए. आज हमारा नाश्ता कुछ अलग होने वाला था. आज मेरी बहन आरू ने मुझे अलग नाश्ता कराया. वो ब्रेड को अपने हाथ से उठाने के बजाए उसे अपने मुँह में दबा कर मेरे मुँह में डाल रही थी. जिससे उसके होंठ मेरे होंठों में लग रहे थे और हम ब्रेड के साथ एक दूसरे के होंठों का रसपान भी कर रहे थे. तब तक बारिश भी शुरू हो चुकी थी. ये देख कर मेरा और आरू की खुशी का ठिकाना न रहा … क्योंकि हम दोनों को बारिश वैसे भी बहुत पसन्द है और साथ में हम दोनों मूड में भी थे. आरू ने कहा- भाई चलो बारिश में रोमांस करते हैं … बहुत मज़ा आएगा. मैंने भी कहा- चलो. हम दोनों छत पर चले गए. मैं सिर्फ निक्कर और बनियान में था और आरू टॉप और हाफ लैगी में थी. छत पर बारिश में भीगते हुए आरू एकदम मस्त लग रही थी. उस वक्त उसे देख कर किसी का भी नियत बिगड़ सकती थी. बारिश में भीगते ही उसके जिस्म के सभी उभार दिखने लगे. उसकी तनी हुई चुचियां मानो खुला निमन्त्रण दे रही थीं कि आओ और मुझे मसलकर चूस लो. उसकी उठी हुई गांड … आह क्या मस्त लग रही थी. Pages जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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09-12-2023, 04:14 PM
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09-12-2023, 04:18 PM
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Hinglish sex stories135 Assamese sex stories-আসোমিয়া যৌন কাহিনী30 Marathi Sex Stories20 English sex stories2 Tamil sex stories-தமிழ் செக்ஸ் கதைகள்0 Type and hit Enter to search A बुआ के लड़के से मेरी चुदाई कज़िन सिस्टर चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैं अपनी बुआ के बेटे की ओर आकर्षित हुई. कैसे वो हमारे घर आया और हमें अकेले रहने का मौक़ा मिला. दोस्तो, कैसे हो आप सब! मेरा नाम अंजू है. इस पटल पर यह मेरी पहली सेक्स कहानी है. यह कज़िन सिस्टर चुदाई कहानी तब की है जब मैं कॉलेज के सेकंड ईयर में थी. उन दिनों मैं अपनी बुआ की लड़की की शादी में गई थी. वहां मेरी मुलाकात मेरे बुआ के लड़के से हुई जो विदेश रहता था मगर भारत आया हुआ था. उसका नाम नरेन्द्र था. यह हमारी पहली मुलाकात थी. पता नहीं क्यों … उसको देखते ही मुझे कुछ अजीब से फीलिंग होने लगी और जहां तक मुझे लगता है, उसको भी वैसी ही फीलिंग हो रही थी. उधर मुझे कुछ दिन रहना था, तो रोज ही नरेंद्र से मुलाक़ात होती थी. मेरी उससे बातचीत भी होने लगी थी. हमारे बीच कुछ मधुर और आत्मीय सम्बन्ध से बन गए थे. मुझे जब भी कोई बाजार का काम होता तो मैं उससे ही कहती और वो भी मेरे कहने पर हमेशा तैयार रहता. ऐसी ही नजरों से मन की बात करते हुए बुआ की लड़की की शादी कब हो गई, पता ही नहीं चला. शादी के अगले दिन जब मैं वापस घर आ रही थी तो उसने मुझे अपना फोन नम्बर दिया और बात करने को बोला. वहां से निकल कर घर आने तक सिर्फ मैं उसके बारे में ही सोचती रही. जब मैं घर आई तो आते ही उसको मैसेज कर दिया. तो उसने भी रिप्लाई कर दिया. ऐसे ही हमारी बातें होने लगीं. कुछ दिन बाद उसने मुझसे कहा- मुझे तुमसे मिलना है. मैंने उसको घर बुला लिया. जब वह मेरे घर आया तो मेरे घरवाले भी उसको देख कर बहुत खुश हुए. शाम को जब वह वापस जाने लगा तो मेरे मम्मी पापा ने कहा- तुम कुछ दिन यहीं रुक ज़ाओ. क्योंकि मम्मी पापा को किसी शादी में जाना था और मेरे प्रेक्टिकल चल रहे थे जिस कारण से मैं मम्मी पापा के साथ नहीं जा रही थी. ये सारी परिस्थियों को देख कर नरेन्द्र मेरे घर पर रुकने को मान गया. अगले दिन पापा और मम्मी शादी में चले गए और मैं कॉलेज चली गई. जब मैं कॉलेज से घर आई, तो उसने मेरे लिए चाय बनाई. उसके बाद उसने मुझे घर के कामों में हेल्प भी करवाई. रात को खाने के बाद हम दोनों जब साथ बैठ कर टीवी देख रहे थे तो वह मुझसे बोला- मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ. मैंने कहा- हां बोलो. वह बोला- मैं तुमसे प्यार करता हूँ. यह सुनते ही मेरे दिल की धड़कन तेज होने लगी. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरा चेहरा ऊपर करके मुझसे बोला- आई लव यू अंजू. मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ. ये कह कर उसने मुझे गाल पर चूम लिया. मैंने शर्म से अपना चेहरा नीचे कर लिया. इससे पहले आज तक किसी ने मुझे छुआ तक नहीं था पर मैं उसको दूर नहीं कर पाई. आखिर प्यार तो मुझे भी उससे था … पर मैं बोल नहीं पा रही थी. बस अपनी हामी में मैं अपनी आंखें बन्द करके उसके साथ बैठी रही. कुछ देर बाद वह खड़ा हुआ और टीवी बन्द करके मुझसे बोला- चलो सोते हैं. मैंने भी हामी भर दी और हम दोनों अलग अलग रूम में सोने चले गए. पर उससे अलग होकर मुझे नींद नहीं आ रही थी. लगभग 30 मिनट बाद उसका मैसेज आया- सो गई? मैंने जवाब दिया- नहीं, नींद ही नहीं आ रही है. उसने कहा कि मुझको भी नहीं आ रही है. मैंने लिखा- क्यों? वो बोला- पता नहीं … आज कुछ दिल बेचैन सा है. मैंने समझ लिया कि उसकी हालत भी मेरे जैसी ही हो रही है. तब भी मैंने लिखा- किस तरह की बेचैनी है? वो बोला- वो छोड़ो … तुम बताओ तुम्हें नींद क्यों नहीं आ रही है? मैंने लिखा- समझ ही नहीं आ रहा है. आज कुछ अलग सा लग रहा है. उसने एक स्माइली भेज कर लिखा- क्या अलग सा लग रहा है? मैंने लिखा- शायद जो बेचैनी तुम्हें हो रही है … उसी तरह से मुझे भी कुछ हो रही है. अब वो बोला- क्या तुम्हारे कमरे में आ सकता हूँ. मैंने भी हां बोल दिया. मेरे कमरे में एक सिंगल बेड ही है. जब वह मेरे कमरे में आया, तो आकर बैठ गया … पर सर्दी का सीजन था, तो मैंने उसको मेरी रजाई में आने को कह दिया. अब हम दोनों एक ही रजाई में आ गए थे. कुछ देर बाद उसने अपने एक हाथ को मेरी कमर में डाला और मुझे अपनी ओर खींच लिया. मैं उस अप्रत्याशित झट के से एकदम से उसकी बांहों पूरी समा गई. मुझे उसका ये झटके से खींचना अच्छा लगा और मैंने कोई विरोध नहीं किया. मैं तो न जाने कब से उसके इस एक्शन की प्रतीक्षा में थी. उसके सीने से लगते ही मेरी सांसें भारी होने लगीं और मेरी चूचियां उसके सीने में गड़ने लगीं. उसके चौड़े सीने से मुझे मेरे मम्मों में एक अजीब सी हलचल सी मचने लगी. तभी उसने मुझे धीरे धीरे किस करना शुरू कर दिया. उसके होंठ मेरे होंठों पर लग गए. एमएमएम जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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09-12-2023, 04:20 PM
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Hinglish sex stories135 Assamese sex stories-আসোমিয়া যৌন কাহিনী30 Marathi Sex Stories20 English बुआ के लड़के से मेरी चुदाई 0 आह … उसके गर्म होंठ जब मेरे गर्म होंठों से जुड़े तो मैं लरज कर रह गई. उसके होंठों ने मेरे होंठों को चुभलाना शुरू कर दिया था जिसमें मैं भी उसका साथ देने लगी थी. हम दोनों की चूमाचाटी जोर पकड़ने लगी और तभी उसने अपने एक हाथ से मेरे दोनों गाल पकड़ कर दबा दिए तो मेरा मुँह खुल गया. उसी पल उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और वो अहसास आह … कितना मीठा था, मैं शब्दों में बयान ही नहीं कर पा रही हूँ. उसकी जीभ ने मेरी जीभ को अपनी गर्लग्रेंड बना लिया था. हम दोनों एक दूसरे की जीभ का स्वाद लेने लगे और लार को चूसने लगे. गर्म सांसों का झंझावात हम दोनों को वासना की आग में झुलसाने लगा था. इस वक्त मेरी तो एक समाधि की सी स्थिति बन गई थी. शायद ऐसा ही नरेंद्र को भी लग रहा होगा. फिर कुछ पल बाद उसने मेरे होंठों को आजादी दे दी और मुझे हाथ का सहारा देकर बिठा लिया. मैं एक कठपुतली की तरह बैठ गई और उसके अगले एक्शन का इंतजार करने लगी. उसने मेरी आंखों में देखा और मानो एक जादू सा कर दिया. मैं बस उसकी आंखों में खो सी गई थी. तभी उसका एक हाथ आगे बढ़ा और उसने मेरी एक चूची को पकड़ कर दबा दिया. मेरी मीठी सी आह निकल गई और मैं फिर से उसकी बांहों में समा गई. उसने मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए मेरे कान में कहा- चलो कपड़े उतारते हैं. मैंने हां कह दी. उसने एक एक करके मेरे सारे कपड़े निकाल दिए, साथ में अपने कपड़े भी निकाल दिए. अब हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे. सर्दी अपनी औकात में आ गई थी, उसे दो गर्म प्रेमियों के सामने हार माननी पड़ी. हम दोनों निवस्त्र हो चुके थे … पर सर्दी के अहसास का नामोनिशान तक नहीं था. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया और मेरी चुचियों को दबाते हुए एक निप्पल को होंठों में दबा कर चूमने चूसने लगा. आह … मेरी तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई थी; मैं अपने आपको बहुत मुश्किल से संभाल पा रही थी. कुछ देर तक उसने मेरे दोनों दूध दबा दबा कर पिए और मसले. मुझे अपनी चूचियों को चुसवाने में बड़ा आनन्द आ रहा था. मैं मीठी सीत्कार करती हुई उसे अपने निप्पल पकड़ कर चुसा रही थी. फिर उसने मुझे पीठ के बल लिटा दिया और खुद नीचे को सरक गया. वो मेरी चूत को सूंघने लगा. उसकी गर्म सांसों ने जैसे ही मेरी चूत को छुआ, मेरा तो बहुत बुरा हाल हो गया था. तभी उसने अपनी जीभ से मेरी चूत की दरार को चाटा … आह मेरी सिसकारी निकल गई- आह नरेंद्र … उई मां … क्या कर रहे हो … आह मर गई मैं! मैं जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी. उसने मेरी कामुक आवाजें सुनी तो जैसे उसे जोश चढ़ गया और वो मेरी दोनों टांगों को फैला कर मेरी पूरी चूत की मां चोदने लगा. चूत के अन्दर तक जीभ को पेल कर मेरी रिसती हुई चूत का स्वाद लेने लगा. बीच बीच में नरेंद्र मेरी चूत के दाने को अपने होंठों से दबा कर खींचता तो मेरी गांड खुद ब खुद ऊपर को उठ जाती. कुछ देर यूं ही मेरी चूत चाटने के बाद उसने अलग होकर मुझे देखा. मेरे चेहरे पर एक गुस्से का सा भाव था कि चूत को चाटना क्यों छोड़ा. उसने मेरी बात को शायद समझ लिया था और जवाब में उसने अपने मोटे लम्बे लंड को हाथ से मुठिया कर मुझे आश्वस्त किया कि चूत का भोसड़ा बना कर ही रहूँगा. उसने अपने टनटनाते लौड़े पर तेल लगाना शुरू कर दिया. फिर उसने मेरी चूत पर भी तेल लगा दिया. मैं समझ गई थी कि अब चूत की सील टूटने का वक्त आ गया है. मुझे अन्दर से बड़ी उत्तेजना हो रही थी कि सहेलियों की बात आज सच होने जा रही है, जब मेरी चूत में लंड अन्दर जाने वाला है. इसी बीच नरेंद्र अपने लंड को चूत पर रगड़ने लगा. उसके गर्म सुपारे से मेरी हालत खराब हो गई और मैंने उससे कहा- अब देर न करो नरेंद्र … जल्दी से कुछ करो. बस मेरा इतना कहना था और उसने अपने लंड मेरी चूत की फांकों में फंसा कर एक जोर का धक्का लगा दिया. आह … उसका लंड चूत में क्या घुसा … मानो मेरी तो जान ही निकल गई थी. मैं तड़फ उठी थी और चीखने ही वाली थी कि नरेंद्र ने अपने होंठों का ढक्कन मेरे होंठों पर कस दिया. मेरी चीख निकलने से पहले ही दब गई. फिर उसने मेरे बोबों को दबाना शुरू कर दिया. ऐसे ही उसने कुछ मिनट तक किया. और जब मेरा दर्द कम हुआ, तो उसने धक्के मारने शुरू कर दिए. कुछ देर बाद मुझे भी लंड के प्रहार अच्छे लगने लगे और मैं उसके नीचे दब कर पिसती रही. वो करीब 20 मिनट तक मुझे ताबड़तोड़ चोदता रहा. इस बीच मैं दो बार झड़ गई थी. फिर उसने अपना पानी मेरे अन्दर ही छोड़ दिया. ऐसे ही उस रात उसने मुझे 2 बार ओर चोदा. अगली सुबह जब मैं उठी तो मुझसे उठा भी नहीं गया. उसने मुझे अपनी बांहों में उठा लिया और बाथरूम में ले जाकर मेरी चूत की गर्म पानी से सिकाई की. उसके बाद उसने ही मुझे नहलाया और फिर से कमरे में लाकर लिटा दिया. बिस्तर पर आते ही मुझे नींद आ गई. और जब उठी तो 1 बज रहा था. मैं उठी … और बाहर जाकर देखा तो उसने खाना बना लिया था और मुझे उठाने ही आ रहा था. फिर हमने साथ बैठ कर खाना खाया और टीवी देखने लगे. अगले 2 दिन तक, जब तक मेरे घरवाले वापस नहीं आ गए, उसने मुझे बहुत प्यार किया. घर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं था, जहां उसने मुझे न चोदा हो. आज हमारे रिश्ते को बने 4 साल हो गए हैं. वो विदेश से वापस अब भारत में यहीं मेरे शहर में रहने लगा है. जब हम दोनों का मिलने का मन करता है तो या तो वो मेरे घर आ जाता है या मैं उसके घर चली जाती हूँ और हम दोनों जम कर चुदाई का मजा लेते हैं. मै जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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09-12-2023, 04:22 PM
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09-12-2023, 04:26 PM
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भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 04:33 PM
sex ममेरे भाई के लंड से मैं चुद गयी पोर्न सिस्टर ब्रदर सेक्स कहानी मेरे ममेरे भाई के साथ चुदाई की है. वो मामा मामी के साथ मेरे घर कुछ दिन रुका था. ये सब कैसे हो गया, ना ना मुझे मेरा पति ही मस्त चोदता है। अरे वो एक आर्मी वाला है। उसका नाम कर्ण है। जब भी वो आता है, मेरी मस्त चुदाई करता है; मेरी चूत और गांड की एक एक रग ढीली कर देता है। मैं तो बस आप लोगों के साथ अपने साथ हुई एक घटना को शेयर करना चाहती हूँ इसलिये मैं इस कहानी को लिखने बैठ गयी। ओह सॉरी, मैं तो अपना परिचय देना ही भूल गयी। तो दोस्तो, मेरा नाम अंजलि है। मेरा फिगर 34सी-30-34 है। मेरा पति मुझे टाईट स्लेक्स और टॉप में देखना पसंद करता है। जब तक वो टाईट स्लेक्स में मेरी चूत और गांड की फांको के दरार को नहीं देख लेता, मानता ही नहीं। और मैं अपने पति से इतना प्यार करती हूं कि वो मुझे जैसे देखना चाहे मैं वैसे ही रहती हूँ। हम दोनों बिस्तर पर पूरी रात नंगे ही रहते हैं। मैंने कई बार कहा कि चुदाई के बाद मैं कपड़े पहन लूं, तो यह कहते हुए मना कर देता है- पता नहीं मेरा लंड कब तुम्हारी चूत में जाना चाहे! चलिए ये तो बात रही मेरी और मेरे पति की। अब मैं बात बताती हूँ जो घटना मेरे साथ घटी। हुआ यूँ कि एक बार मेरे दूर के मामा-मामी जम्मू घूमने के लिये आये तो मेरे यहाँ ही रूक गये। उनके साथ उनका जवान होता बेटा शरद भी था। इतेफॉक से उस समय मेरे पति ड्यूटी पर थे। मेरा फ्लैट टू रूम सेट है। एक रूम में मामा-मामी को शिफ्ट कर दिया और शरद, मामी का बेटा, को मैंने ड्राइंगरूम में सोने की व्यवस्था कर दी। दिन के समय उसने कोई आपत्ति नहीं की. लेकिन जैसे ही रात को खाना खाने के बाद सोने का समय आया, तो वो जल्दी से मेरे बेड पर चढ़कर लेट गया। यहाँ देखने वाली बात यह है कि वो पूरे दिन मेरे आगे पीछे घूमता रहा। मैंने उसे मेरे कमरे से निकलने के लिये बोला, तो बहुत बहाने बाजी करते हुए मुझसे रिक्वेस्ट करने लगा- दीदी, मुझे यहीं सोने दो, बाहर सोफे पर मुझे नींद नहीं आयेगी। मैं बड़ी असंमजस में पड़ गयी। एक तो वो जवान होता लड़का और दूसरा मेरी आदत इतनी खराब हो गयी थी कि अब कपड़े पहनने के बाद नींद नहीं आती. जब पति आते हैं तो चुदाई का भरपूर मजा आता है. लेकिन जब वो नहीं होते है तो अपने हाथों को दोनों जांघों के बीच फंसाकर चूत से खेलती रहती हूँ, इसी खेला खेली में नींद आ जाती है। लेकिन शरद जिद करने लगा. तो मैं क्या करती, तो मैंने उसे अपने ही बेड पर सुला लिया। मैं भी कुर्ती पजामी में लेट गयी. पर नींद मेरी आँखों से गायब थी। इस बीच मैंने करवट बदल ली और मेरी गांड शरद की तरफ थी. मैं धीरे-धीरे अपनी चूत के साथ खेल रही थी। यही कोई आधा घण्टा बीता होगा कि मेरी कमर पर शरद ने अपने पैर को चढ़ा लिया और हाथ को मेरी पेट पर टिका दिया। मैं झुंझला गयी और झटके से उसको धकेलते हुए डाँट लगाने लगी- क्या हो रहा है? शरद सकपका गया और सॉरी बोलते हुए मुझसे दूर हो गया। एक बार फिर मैं सीधी लेट गयी और अपने विचारो में उलझ गयी। मुझे याद आया कि कर्ण भी तो इसी तरह मेरे उपर अपनी टांग को चढ़ा लेता है और लंड को गांड की दरार से रगड़ता है। इसी बीच मेरी नजर शरद पर पड़ गयी जो मेरी तरफ मुँह करके सोने का नाटक कर रहा था। मैंने पल भर उसे देखा और एक बार फिर करवट लेकर मैंने अपना पिछवाड़ा शरद की तरफ कर दिया। मेरे दिमाग में खुरापात चल रही थी; आँखों से नींद कोसों दूर थी। यौन उन्माद के आनन्द में मैं डूब जाना चाहती थी. काफी समय बीत गया तो मैं बेचैन होने लगी। मैं शरद को देखने के लिये पलटने ही वाली थी कि तभी उसका पैर मेरे ऊपर आ चुका था। एक गुदगुदी सी मेरे मन में मचने लगी। मैं सांस रोककर उसकी हरकतें समझना चाह रही थी। धीरे से वो मुझसे और सट गया और उसने एक हाथ मेरी चूची पर रख दिया और कुछ सेकंड के अंतराल पर हल्के से मेरी चूची को दबा देता. जैसे ही मेरे जिस्म में हरकत होती, वैसे ही वो हल्का सा खुद को मुझसे अलग कर लेता। ऐसा कुछ देर चलता रहा और मैंने अपने आन्न्द के लिये अपने जिस्म को स्थिर कर लिया। अब उसका हाथ मेरे चूतड़ पर चल रहा था और उंगलियाँ मेरी गांड की दरार को भेदने के लिये मचल रही थी। फिर वह अपने लंड को मेरे चूतड़ पर रगड़ने लगा। कुछ देर तक वो लंड को मेरे चूतड़ से रगड़ता ही रहा. फिर अचानक उसने अपना पैर मेरे ऊपर से हटा लिया। मुझे लगा कि उसका माल निकल गया. पर 2-3 मिनट इंतजार करने के बाद भी मुझे उसके रस का गीलापन अपनी गांड पर महसूस नहीं हुआ। लेकिन अगले ही पल मुझे लगा कि वो अपनी जीभ मेरी गांड पर चला रहा था। वाओ … बहुत बड़ा हरामी निकला ये शरद तो! कमीना अपनी बहन की गांड चाटने का मजा ले रहा है। मैंने भी मजा लेने के लिये और उसकी सुविधा के लिये अपने एक पैर को सीधा किया और दूसरे पैर के घुटने को अपनी छाती तक इस तरह मोड़ लिया कि वो अच्छे से अपनी जीभ मेरी गांड पर चला सके। मेरी हलचल की वजह से शरद थोड़ा हड़बड़ा गया होगा लेकिन थोड़ी देर बाद ही वो एक बार फिर चूतड़ों की दरार पर जीभ चलाता रहा। और हल्के हाथ से कूल्हे को सहला भी रहा था। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर बाद उसने अपने पैरों को एक बार फिर मेरी कमर के ऊपर टिका दिया और लंड को गांड के आसपास रगड़ने लगा। कोई 2-3 मिनट बीते होंगे कि मेरी सलवार चिपचिपाने लगी। अभी भी मैं उसी तरह लेटी रही क्योंकि मेरे हिलने से सारा मामला गड़बड़ हो सकता था। कोई आधे घंटे बाद मैंने करवट ली, देखा तो शरद दूसरी तरफ करवट करके सो रहा था। फिर मैं उस जगह को छूने लगी, जहाँ उस हरामी शरद ने अपने लंड का लावा छोड़ा था. मैंने उंगलियों में उसके रस को लिया और सूंघ कर उसको अपनी जीभ पर लगाया। लंड के रस को मुंह में लेना मेरे लिये आम बात थी क्योंकि कर्ण भी चोदने के बाद अपना रस पिलाता था और मेरी चूत के रस को चाट जाता था। अब मेरे दिमाग में एक खुरापात आयी, मैंने कैमरा निकाला और उसको सेट करके चालू कर दिया। मैं उसकी हरकत देखना चाह रही थी। कैमरा सेट करने के बाद मैं वापिस लेट गयी. थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गयी। सुबह उसी ने जगाया। एक अल्हड़ सी अंगड़ाई लेते हुए मैंने उसे देखा। चाय का प्याला लिये हुए वो मुझे घूरे जा रहा था। उसकी नजर मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों पर टिकी थी। मैंने चुटकी बजायी और उससे पूछा- शरद, क्या देख रहा है? “कुछ नहीं दीदी!” कहते हुए वो मुझे चाय का प्याला पकड़ा कर तेजी से कमरे से निकल गया। उसकी यह नजर मुझे अन्दर तक भेद गयी। रात की उसकी हरकत से मुझे समझ में आ गया था कि हरामी जब से आया था, मेरे आगे-पीछे क्यों घूम रहा था. साला मेरी चूचियों, चूत की कल्पना में खोया हुआ था। मैंने चाय खत्म की और बाथरूम में घुस गयी। नहा धोकर मैं जब निकली तो मैंने शरद को तेजी से मेरे कमरे के बाहर जाते हुए देखा। उस समय मैं तौलिया लपेटे हुयी थी। मैं मुस्कुराई. वो मुझे बाथरूम में नहाते हुए देख रहा था. अब मैंने जानबूझकर कमरे का दरवाजा नहीं बन्द किया। मैं उसको अपना नंगा जिस्म दिखाना चाहती थी ताकि वो और उत्तेजित हो। मैं इस तरह खड़ी थी कि मेरी नजर दरवाजे को अच्छे से देख सके। अनुमान के अनुसार मैंने शरद को पर्दे के पीछे से झांकते हुए देखा. उसकी नजर एक गिद्ध की तरह मुझ पर ही टिकी थी कि कब मैं अपने जिस्म से टॉवेल को हटाऊँ और वो मेरे गोरे-गोरे जिस्म को देख सके। मैं रिझाने के लिये टेबल पर बैठ गयी और अपने बाल को सुलझाने लगी। वो शायद अपने ख्यालो में नंगा देख रहा था तभी तो अपने कैपरी के ऊपर से ही लंड को मसले जा रहा था। मैं अपने मन में खुश हो रही थी। उसको और तड़पाने के लिये मैंने तौलिया खोल दिया। मेरे चूचियाँ तो आजाद हो गयी पर नीचे का हिस्सा अभी भी छुपा हुआ था। उसकी नजर में एक चमक सी आ गयी थी। उसे उम्मीद हो चुकी थी कि वो मुझे पूरी नंगी देख लेगा। मैंने अपना समय लेते हुए बालों को सुलझाया और फिर एक झटके से खड़ी हुयी और तौलिया मुझसे अलग हो गया। मैं इठलाती हुयी शरद को अपने नंगे जिस्म का दर्शन करा रही थी. वो बेचारा समझ रहा था कि वो मुझे चुपके से देख रहा था। उसको तड़पाते हुए मैंने बहुत ही इत्मीनान से अपने कपड़े पहनने शुरू किया। उसके बाद मैंने सबके लिये नाश्ता लगा दिया। उसके बाद मामा-मामी घूमने जाने के लिये तैयार होने लगे। मैं भी अपने कमरे में आ गयी. मैं तो तैयार थी, बस मैंने अपना लेपटॉप उठाया और बेड पर बैठकर शरद की हरकत देखने के लिये वीडियो देखने लगी। ज्यादा कुछ नहीं था। पूरी रात वो मुझसे चिपककर ही सोया, पर सुबह जब मैं नहाने गयी तो वो मुझे होल से झांककर देख रहा था। कुछ खास था नहीं … तो मैंने लेपटॉप बन्द कर दिया। तभी शरद तेजी से कमरे में घुसा और मेरे बाथरूम में घुस गया। मैं मुस्कुराई। मैंने अपनी पैन्टी और ब्रा को वहीं छोड़ दिया था। बस देखना बाकी था कि वो क्या करता है। मैंने होल से झांकना शुरू किया। ये क्या? साला मेरी पैन्टी और ब्रा को बारी-बारी से सूंघते हुए मूठ मारे जा रहा था। फिर उसने पैन्टी को अपने लंड पर लपेट लिया और फिर सरका मारने लगा. उसके बाद एक बार फिर वो पैन्टी को सूंघ रहा था और बाद उस पैन्टी से अपनी गांड साफ करने लगा और फिर सूंघने लगा। अब जाकर मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी। वो बड़ा और हैवी था। फिरमैंने देखा कि वो मेरी पैन्टी को वो किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था। छी: … क्या कर रहा है … पैन्टी चाट रहा है। एक बार फिर वो पैन्टी और ब्रा को उलट-पलट कर बड़े ध्यान से देखने लगा. उसके बाद उसने मेरे दोनों अन्डर गार्मेन्टस को बारी-बारी से पहना और फिर शीशे में अपने आपको घूम-घूम कर इस प्रकार देखने लगा जैसे कोई नई नवेली दुल्हन सजने के बाद खुद को देखती है। उसकी इस हरकत को देखकर लगा कि ये लड़का कहीं पागल तो नहीं है। इधर मामा-मामी की आवाज आने लगी थी। मैंने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया और उसको बाहर आने के लिये बोला। उसके बाद हम सब घूमने के लिये निकल गये। रात को आते-आते काफी देर हो गयी थी इसलिये डिनर बाहर ही कर आये थे। मामा-मामी सोने के लिये चल दिये और शरद फिर से मेरे कमरे में घुस गया। मैं बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली- तू बाहर जाकर सो! पर साले का लंड देखकर मैं भी पगला गयी थी; नये खून और नयी जवानी का लड़का था। वैसे भी पतिदेव को ड्यूटी पर गये हुए कई दिन बीत गये थे, मेरी चूत भी खुजला रही थी। “क्यों क्या हुआ दीदी?” “कुछ नहीं … बस ऐसे ही!” “प्लीज दीदी मुझे बाहर सोफे पर नींद नहीं आयेगी।” “और अगर तू यहां लेटा तो मुझे नींद नहीं आयेगी।” “क्यों क्या हुआ दीदी? मैंने कुछ गलती कर दी?” शायद उसको लगा कि कल रात वाली हरकत की वजह से मैं उसको मना कर रही हूँ। “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं रात को गाऊन में सोती हूँ और तेरे सामने गाऊन में सोना मुझे कुछ अच्छा नहीं लगेगा।” “बस इतनी सी बात आप गाऊन में सो जाओ, मुझे कोई दिक्कत नहीं है।” उसकी बातों से लगा कि साला मुझे चोदे बिना नहीं मानेगा। तभी वो मेरी तंद्रा भंग करते हुए बोला- दीदी, इस पैन्ट-शर्ट में कल रात मुझे भी नींद नहीं आयी। अगर तुम कहो तो, मैं भी अन्डरवियर और बनियान में लेट जाऊँ। हरामी मेरी चूत में अपना लंड डालकर ही मानेगा। इससे पहले मैं कुछ बोलती, उसने अपने कपड़े उतारे लिये अब उसके जिस्म में अंडरवियर और बनियान था. Pa एमएमएम जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 04:35 PM
फिर मेरी तरफ देखते हुए बोला- दीदी तुम भी चेंज कर लो।
मैं दो मिनट तक उसे देखती रही कि वो अब बाहर जाये लेकिन बेशर्म बोला – अरे दीदी, तुमने अभी तक चेंज नहीं किया? भो … गाली तो लगभग निकल ही गयी थी लेकिन अपने को काबू में करते हुए बोली – अरे तू पहले तो बाहर जा! “ओह हाँ!” सकपका गया और बाहर जाने के लिये कमरे से निकला ही था कि पलट कर वापिस आ गया। “क्या हुआ?” मैंने पूछा. तो बोला- मम्मी बाहर हैं। अगर मुझे इस तरह देख लिया तो बहुत डांटेंगी। कहते हुए उसने दरवाजा बन्द कर दिया। “तब ठीक है, जब तेरी मम्मी कमरे में चली जायेगी और तू बाहर जायेगा तब मैं चेंज करूंगी।” “अब आपकी मर्जी, मुझे तो नींद आ रही है, मैं तो चला सोने!” कहते हुए वो पलंग पर लेट गया और और आंख भींचते हुए बोला- लो दीदी, अब बदल लो, मैंने अपनी आंखें बन्द कर ली हैं। “धत् … चल पलटी मार!” मैं जानबूझकर बोली क्योंकि सामने की तरफ ड्रेसिंग टेबिल थी, वो मुझे अच्छे से देख सकता था। मैं उसको अपना जिस्म दिखाना चाह रही थी लेकिन ऐसे कि उसको मजा भी मिले और तड़पे भी! “ठीक है दीदी, अब जैसा तुम बोलो!” “हाँ चलो पलटो … और अपनी आंख बिल्कुल मत खोलना!” “ठीक है!” कहते हुए उसने करवट ले ली। आज की रात मैंने चुदने का मन में ठान लिया था इसलिये उसको उसकाते हुए बोली- शरद आंखें मत खोलना! “नहीं दीदी, बिल्कुल नहीं खोलूंगा।” लेकिन दर्पण में वो मुझे बहुत उत्सकुता से देख रहा था और उसका हाथ उसके लंड के ऊपर था। मैंने अपना टॉप उतारा और शीशे पर नजर गयी तो देखा कि उसकी आँखों में एक चमक थी। उसके बाद मैंने बेलबॉटम को उतार दिया और फिर पैन्टी के अन्दर उंगली डालकर पैन्टी को एडजस्ट करने लगी। वो तड़प तो गया होगा! उसकी मुट्ठी जो उसके लंड को मसल रही थी। फिर मैं घूम गयी और अलमारी से अपने गाउन को निकालने का उपक्रम कर रही थी ताकि वो मेरा पिछवाड़ा भी अच्छे से देख सके। इत्मीनान से मैंने अपना गाउन निकाला और पहननते हुए शीशे की तरफ देखने लगी। शरद अपने लंड को बहुत तेज-तेज मुठ मार रहा था। हाथ की गति इतनी तेज थी कि लग रहा था कि शरद चरम सुख पर पहुँच गया है। मेरे पलंग में जाने से पहले ही वो अपने चरम सुख को पा चुका था। शरद शिथिल हो चुका था। मैं उसके बगल में लेट गयी और बोली- शरद, तू अब आंखें खोल सकता है। साले की गांड फट रही थी। मैंने उसे तेजी से झकझोरते हुआ पूछा- सो गया है क्या तू? कहते हुए मैंने उसे पलट दिया। शरद अभी भी अपने लंड को पकड़े हुए था। “यह क्या, तुमने उसे क्यों पकड़ा हुआ है?” कहकर मैंने उसकी कलाई पकड़ी और हाथ हटाने की कोशिश करने लगी। “नहीं दीदी, नहीं दीदी!” कहकर वो और जोर से अपने लंड को पकड़ लिया। “ठीक है, अगर हाथ नहीं हटाते हो तो फिर तुम मेरे कमरे से बाहर निकलो।” इतना कहना था कि उसने अपना हाथ हटा लिया। उसके रस से उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी और उसकी हथेली में भी उसका सफेद वीर्य लगा हुआ था। “यह तुमने क्या किया है? तुम्हारी चड्डी गीली क्यों है और तुम्हारे हाथ में यह सफेद सफेद क्या है?” मैंने उसके रस को सूंघते हुए कहा। फिर अपनी नाक को हटाते हुए बोली- तुम मुठ मार रहे थे। इसका मतलब तुमने मुझे नंगी देख लिया है। “नहीं …” “झूठ मत बोलो!” मैंने उसे टोकते हुए कहा. कहते हुए मैं उसकी टांगों में बैठ गयी और इलास्टिक पकड़कर उसकी चड्डी उतारने लगी। “यह क्या कर रही हो दीदी?” “तुम्हारी सजा यही है। अब तुम नंगे ही सोओगे।” कहते हुए मैंने उसकी चड्डी उतार दी। उसका लंड सिकुड़ चुका था। लंड के आस-पास हल्की हल्की झांट उगी हुयी थी। उसके लंड को हिलाते हुए बोली- अच्छा, यह बताओ कि मुझे देखकर मुठ मार रहे थे या अपनी किसी गर्लफ्रेंड को सोच कर? वह उदास होता हुआ बोला- नहीं दीदी, मेरी कोई गर्लफ्रेंड ही नहीं है। मैं थोड़ा मुँह बनाते हुए बोली- इसका मतलब तुम जम्मू घूमने नहीं, बल्कि अपनी दीदी को चोदने आये हो। “नहीं दीदी, ऐसा कोई इरादा नहीं था … लेकिन जब आपको देखा तो …” “अरे मैंने ऐसी कौन सी हरकत कर दी कि तुझे लगे मैं तुझसे चुदने के लिये तैयार हूँ?” “न दीदी … आपकी खूबसूरती देखकर मैं दीवाना हो गया और एक चान्स लेने का मन बनाया तो आपके साथ सो गया। आप जब मेरी बगल में लेटी तो मेरे आँखों में नींद ही नहीं थी। एक तो आप इतनी खूबसूरत हो और दूसरा आपके जिस्म से आती हुयी महक मुझे मदहोश किए जा रही थी। मैं तो बस यही सोचकर अपने लंड को दबाये बैठा था कि काश एक बार आपके जिस्म से सट जाऊँ और यही सोचकर मैंने आपके ऊपर अपनी टांगे रख दी।” वो आगे बोला- जब आपने मेरी टांग को हटाते हुए मुझे डांटा. लेकिन उस डांट में वो सख्ती नहीं थी. तो एक चांस मेरा और बन रहा था और दूसरी बार मेरा चांस बन गया. बल्कि आपने तो मुझे मौका दिया कि मैं आपकी गांड का मजा ले सकूँ। “वो कैसे?” मैंने पूछा। “अरे दीदी, अब आप भी इतनी भोली तो नहीं हो। आपने अपने पैर सिकोड़ कर और गांड को मेरी तरफ उठाकर!” मैंने अपने दांत चबा लिये। साला हरामी ही नहीं, दिमाग भी लगा लेता है। “अच्छा दीदी … अब ये सब छोड़ो और अब अपने इस जिस्म के खूबसूरती के नंगे दर्शन करा दो ना!” मुझे अब कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन मैं बोली- तूने मुझे सुबह नंगी देखा तो था। “हाँ दीदी, छिपकर देखना का अपना एक अलग मजा है और सामने देखने का एक अलग मजा है। प्लीज दिखाओ ना!” मैं बिना कुछ बोले बिस्तर पर खड़ी हुयी और अपनी ब्रा और पैन्टी को उतारने लगी। अभी भी शरद ने अपने लंड को दबाया हुआ था। “तुम अपने लंड को क्यों दबाये रहते हो” “साले में खुजली ज्यादा ही हो रही है।” मेरे जिस्म को नंगा देखते ही वो घुटने के बल बैठ गया और अपने हाथों को मुँह में रखते हुए मुझे आंखें फाड़-फाड़ के देख रहा था। मैं बैठने लगी तो बोला- नहीं दीदी, ऐसे ही खड़ी रहो! कहकर वो मेरे पैर को चूमने लगा उसके बाद मेरी टांगों को बारी-बारी चूमते हुए सीधा हुआ जा रहा था. फिर मेरी चूत को चूमता हुआ मेरे पीछे की टांग को चाटते हुए मेरे कूल्हे को चूमने के बाद कूल्हे को फैलाकर गांड में जीभ चला दी। मैं तो गनगना चुकी थी, मेरी चूत से भी रस टपकने लगा था। फिर वो चूत की तरफ आया और चूत में जीभ फिराते हुए मेरी नाभि को चूमते हुए मेरी चूचियों को बारी-बारी चूसते हुए अब मेरे होंठों को चूमा। वो फिर मेरे गालों को चूमते हुए एक बार पीछे आकर मेरी पीठ को चूमते हुए एक बार फिर मेरी गांड को चाटने लगा। मैं बोली- मेरे प्यारे भाई, मेरे पास चटवाने को चूत भी है, केवल गांड के पीछे ही क्यों पड़ा है? “दीदी, तुम्हारी गांड ने मुझे जो कल रात से नशा दिया है, वो अभी उतरा ही नहीं!” “अच्छा चल आ … अब तू सीधा खड़ा हो जा, मैं भी तुझे प्यार करती हूं।” वो सीधा खड़ा हो गया और मैं उसके होंठों को चूमते हुए उसके निप्पल को बारी-बारी चूसते हुए उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. उसके वीर्य का स्वाद मुँह में आ रहा था. वैसे भी मैं कर्ण का वीर्य पीती ही हूँ इसलिये मुझे फर्क नहीं पड़ा। मैं उसके पीछे यह सोचकर गयी कि जब शरद मेरी गांड चाटकर मुझे मजा दे रहा है तो मैं भी उसको गांड चटाई का मजा दे दूं। उसके कूल्हे को बारी बारी से काटते हुए कूल्हे को फैला दिया और जीभ की टिप को गांड में लगा दिया। “शीईई ईईई … दीदी क्या मस्त हो तुम!” थोड़ी देर तक मैंने उसकी गांड में जीभ चलाते हुए उसे मजा दिया। अब शरद बोला- दीदी, अब मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है। उसके कहने पर मैं सीधी लेट गयी। मेरी बगल में बैठते हुए मेरी चूचियों पर हौले से अपनी उंगलियो को चलाते हुए बोला- दीदी, पहले मूत लो तो चूत चाटने का मजा आयेगा। “मेरे मूतने से चूत चाटने का क्या मतलब है?” मैं बोली। दीदी- मूतो ना प्लीज! “अच्छा तो तू मुझे मूतते हुए भी देखना चाहता है।” “हाँ दीदी, तुमको मूतते हुए देखना भी चाहता हूं और पेशाब लगी हुयी तुम्हारी चूत को चाटना भी चाहता हूँ।” मैं उठती हुई बोली- तू इतना गंदा सीखा कहाँ से है? “बस अन्तर्वासना की कहानी पढ़-पढ़ कर!” और बाथरूम में आकर चूत को उसके सामने करके मैं मूतने बैठ गयी। शरद बड़े ध्यान से मुझे मूतते हुए देख रहा था. फिर अचानक उसने मेरी चूत के उपर हाथ रख दिया। उसका पूरा हाथ मेरे पेशाब से गीला हो गया। मैं कर्ण के सामने भी मूतती हूँ लेकिन उसने कभी ऐसा नहीं किया। यह मेरा पहला अनुभव था। मैं खड़ी होती हुई बोली- तू सच बता … तूने इससे पहले किसी लड़की को नहीं चोदा है? अपना हाथ चाटते हुए बोला- दीदी, आप विश्वास करो … तुम ही पहली लड़की हो जिसके साथ मैं ऐसा कर रहा हूँ। मैं कहानी पढ़कर मुठ भी मारता हूँ लेकिन कभी अपने वीर्य को भी नहीं चाटा. पर पता नहीं आज मैं यह कैसे कर पा रहा हूँ और मुझे बड़ा मजा भी आ रहा है। “चल फिर मुझे अपनी गोदी में उठा और बिस्तर पर पटक … और मेरी चूत को चाटकर चोद!” अपनी बांहें उसकी तरफ फैलाते हुए मैंने कहा- उसने मुझे झट से गोदी में उठाया और बिस्तर पर पटक दिया। मैंने अपनी टांगें फैला दी वो मुँह मेरी चूत में लगाकर चाटने लगा। मेरे कहने पर वो 69 की पोजिशन में आ गया। अब वो मेरी चूत चाट रहा था और मैं आइसक्रीम का गोला समझ कर उसके लंड को चूस रही थी। कभी वो मेरे भगनासा को चूसता तो कभी अपने दाँतों से काटता! मैं उसके लंड को कभी पूरा अपने मुँह के अन्दर लेती तो कभी उसके सुपारे से निकलती लेस पर जीभ फेरती। थोड़ी देर बाद मैंने उसके कूल्हे पर चुटकी काटते हुए कहा- चल शरद … अब तूने बहुत चूत और गांड चाट लिया अब अपने लंड का कमाल दिखा! इतना सुनते ही वो मेरी टांगों के बीच आ गया और चूत से लंड को रगड़ते हुए लंड को अन्दर डालने की कोशिश करता रहा. फिर थोड़ी देर बाद मैंने ही उसके लंड को पकड़कर मेरी चूत के मुहाने पर सेट किया और उसके लंड को अपनी चूत के अन्दर ले लिया। एक बार उसका लंड अन्दर गया कि उसने घोड़े जैसी रफ्तार पकड़ लिया। शरद बहुत तेज-तेज धक्के मार रहा था और मेरे मुँह से आह-ओह के अलावा कुछ नहीं निकल रहा था। चूत ने पानी छोड़ दिया और शरद अभी भी धक्के मारता रहा। फच-फच की आवाज और मेरी आह ओह की आवाज से कमरा गूंज रहा था। फिर उसने धक्का लगा छोड़ दिया और एक बार फिर 69 की पोजिशन में आकर उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और खुद मेरी चूत से निकलता हुआ रस चाटने लगा. इधर उसके लंड ने भी अपना रस छोड़ दिया जिससे मेरा मुँह भर गया जो धीरे-धीरे मेरे गले में उतरता चला गया। उस रात शरद ने मुझे तीन राउन्ड चोदा। उसने मेरे जिस्म को चरम सुख दिया जो विगत कई दिन से पतिदेव के लंड के लिये तरस रही थी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 04:35 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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