09-12-2023, 02:48 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
बारिश हो रही थी मेरा बेटा मुझे चोद रहा था
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09-12-2023, 02:48 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 02:56 PM
बारिश और दीदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 02:57 PM
बारिश और दीदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 02:59 PM
(09-12-2023, 02:57 PM)neerathemall Wrote: मेरी एक प्यारी सी दीदी है नेहा ! वो मुझसे एक साल बड़ी है। उनकी उम्र 22 साल है। वो भी देखने में किसी मॉडल से कम नहीं लगती। वो मुझे काफी अच्छी लगती है पर उन्हें ऐसे गन्दी नजरों से नहीं देखा था। हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं पर भाई-बहन की तरह। एक दिन की बात है, मम्मी-पापा को शादी में किसी दूसरे शहर में जाना पड़ा। मैं और मेरी दीदी घर पर अकेले ही रह गए। जाते वक़्त मम्मी ने दीदी से कहा कि मेरा ख्याल रखे। मॉम और डैड के जाने के बाद मुझे तो खुली छूट मिल गई कि जो मन में आयेगा वो करूँगा। मैं अपने दोस्तों से साथ मिलकर घूमने चला गया और दीदी से कह गया कि मैं रात को देर से आऊंगा। दीदी ने कहा- जल्दी आ जाना ! मुझे पढ़ने के लिए अपनी सहेली के घर जाना है ! [url=https://go.cambaddies.com/?action=sbSignupWithModel&campaignId=68260928b57f412a654bda3f2409e8c9a61a69f506dc4ba3c073a43c2be31490&campaignType=smartpop&creativeId=0fe634b4ed7128d94852002b593185fc904d0c54974e9bbbec389730ba324b3e&domain=stripchat&iterationId=745527&landing=landingVAST&masterSmartpopId=2683&memberId=d5c5338a-8e3d-4fdd-9029-d1ed33b8e5e0&mlHash=b52de51fdba1d0f1299242281457009d&onlineModels=RollingGirls&p1=51954&p2=68073&referrer=https%3A%2F%2Fwww.antarvasna3.com%2F&ruleId=29&segment=hls-RollingGirls-1&smartpopId=3594&sourceId=13946&stripcashR=1&thumbModelId=126114747&userId=a29e4fa1023dd45be975c4ab2c3f63fc721842490735020a0d0703eb57f7300d&variationId=31904][/url] मैं जल्दी की वजह से कह गया- हाँ ! मैं आ जाऊंगा। मैं घर से निकला ही था कि मौसम ने अपना रंग दिखाना चालू कर दिया। पर इतने दिनों बाद तो मौका मिला था तो मैं उसे बेकार कैसे जाने देता। पर दोस्तों के साथ समय का पता ही नहीं चला और घर आने के लिए मुझे देर हो गई। तभी मुझे दीदी की कही बात याद आई कि उन्हें तो काम की वजह से बाहर जाना था। मैंने तभी दोस्तों को अलविदा कहा और घर के लिए निकल गया। पर मौसम ने अपना तेवर दिखाना शुरू कर दिया, बारिश का आना तो पक्का ही था। और वही हुआ जो मैं सोच रहा था, दीदी जा चुकी थी अपनी सहेली घर ! मैंने जल्दी से घर का दरवाजा खोला डुप्लीकेट चाभी से जो घर के बाहर गमले के नीचे रखी रहती है। जल्दी जल्दी मैं घर में घुसा और मैंने चैन की साँस ली कि शुक्र है घर तो पहुंचा। फिर मै फ्रेश होने लगा और फ्रेश होकर टीवी देखने के लिए बैठ गया। घर पर तो कोई था ही नहीं तो मैंने सोचा कि क्यों न आज ब्लू फिल्म देखी जाये। और मैं टीवी-डीवीडी चला कर देखने लगा और अपने लिंग को सहलाने लगा। जैसे कि मैंने पहले बताया कि मेरी माँ और मेरी दीदी दोनों ही काफी सेक्सी है तो मुझे ज्यादातर इन्सेस्ट मूवी देखना ज्यादा पसंद है। मै बैठ कर मूवी देख रहा था और धीरे धीरे अपने लिंग को सहला रहा था कि इतने में दरवाजे पर घण्टी बजी। मैं एकदम से हिल गया। तभी बाहर से आवाज़ आई- राज ! दरवाजा खोल ! मैं भीग रही हूँ ! मैंने जल्दी-जल्दी अपने आप को ठीक किया और डीवीडी बंद करके दरवाजा खोलने के लिए चला गया। पर मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला, मुझे एक जोरदार चांटा लगा। दीदी पूरी तरह भीग चुकी थी और वो कह रही थी कि जल्दी नहीं खोल सकता था? मैं कुछ नहीं कह सका पर दीदी को जल्दी ही अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने कहा- सॉरी यार ! पर तूने भी तो इतनी देर लगा दी थी, मै बाहर खड़ी भीग रही थी, तुझे थोड़ा भी ख्याल नहीं है। मैंने भी दीदी को सॉरी कहा और उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया। बारिश की वजह से उनका पूरा बदन भीग चुका था और ऊपर से उन्होंने कसे हुए कपड़े पहने हुए थे। वो देखने में काफी सेक्सी लग रही थी। मैं भी उनसे चिपक गया और और मधुर सपनों में खो गया कि तभी दीदी नहीं कहा- राज बस यार ! अब हट ! मुझे कपड़े बदलने हैं। मैंने कहा- ओह सॉरी दीदी ! वो जाने लगी, जाते समय वो पीछे से इतनी सेक्सी लग रही थी कि कोई 70 साल का बूढ़ा भी देख ले तो बिना वियाग्रा के ही उसका लंड खड़ा हो जाये। मेरे भी मन में मेरा सोया हुआ शैतान जागने लगा और सोचने लगा- काश मैं उनको चोद सकता ! पर आखिर वो मेरी दीदी थी ना ! मैं यह सोच ही रहा था कि तभी दीदी ने पलट कर मुझसे पूछा- तुझे घर आने में इतनी देर क्यों हो गई? मैं एकदम से घबरा गया क्योंकि मैं उस समय उनके मोटे मोटे चूतड़ देख रहा था। वो मुझे घूरने लगी और कहने लगी- क्या देख रहे हो राज? मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी…! मैंने अपने आप को संभाला और कह दिया- दोस्तों के साथ समय का पता नहीं नहीं चला ! दीदी सॉरी…!!! दीदी ने कहा- कम से कम एक फ़ोन ही कर देता ! मैंने कहा- मैं भूल गया ! तो उन्होंने कहा- चल, कोई नहीं ! मै फ्रेश होने के लिए जा रही हूँ ! और यह कहते हुए वो बाथरूम में घुस गई। मै बैठ कर उनके मोटे मोटे स्तन और गांड के बारे में सोचने लगा कि तभी आवाज़ आई- राज, मेरे कपड़े देना ! मैं लेना भूल गई ! मैंने पूछा- कहाँ हैं? उन्होंने कहा- मेरे कमरे में देख ! वहीं मिल जायेंगे ! मैंने कपड़े लाकर उन्हें दिए और टीवी देखने लगा। तभी दीदी बोली- राज, मेरी ब्रा तो इसमें नहीं है ! तो मैंने कहा- खुद ही ले लो ! और मैं गुस्से में ब्रा लेने चला गया और देने के लिए जाने लगा। बाथरूम के पास जाकर उन्हें ब्रा देने लगा कि तभी दीदी नै मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अन्दर खींच लिया और कहने लगी- बहुत बदमाश हो गया है तू ? क्या देख रहा था तू तब ? मैंने कहा- कुछ नहीं ! तो दीदी बोली- मै सब जानती हूँ कि तू क्या देख रहा था ! मैंने कहा- क्या ! वो बोली- तू ही बता कि क्या देख रहा था? मैंने कहा- दीदी वो मैं…वो मै … !! और मैं चुप हो गया! तो दीदी बोली- तू मेरी गांड देख रहा था ना? मैंने कहा- ना…न …ना …नहीं दीदी और एकदम से मैं उनसे चिपक गया और कहा- सॉरी दीदी, आज के बाद कभी ऐसे नहीं देखूंगा ! वो बोली- चल पगले, मै सब समझती हूँ ! चल अच्छा एक बात बता कि मैं तुझे कैसे लगती हूँ ! मैं हैरान रह गया कि दीदी आज कैसे बात कर रही है … मैंने कहा- अच्छी लगती हो ! दीदी बोली- अच्छी या बहुत अच्छी? मैंने कहा- बहुत अच्छी ! तो वो बोली- तू अपनी दीदी को चोदेगा? मैं सर नीचे कर के खड़ा हो गया ! मेरे तो मन की बात कह रही थी पर वो मेरी दीदी थी तो मै कुछ ना बोला ! वो कहने लगी- चल ठीक है ! रहने दे ! लगता है कि तू बुरा मान गया ! और मैं बाहर आ गया ! पर रह रह कर मुझे दीदी का गीला बदन याद आ रहा था …और मुझे आज मौका भी मिला और मै कुछ ना कर सका !!!! मैं अपने कमरे में आ गया और दीदी के बारे में सोचने लगा और अचानक खड़ा हो कर बाथरूम की तरफ जाने लगा। मैंने सोचा कि जब उन्हें खुद ही कोई प्रॉब्लम नहीं है तो मै क्यों पीछे हटूँ ! और मैं बाथरूम में पहुँच गया। मैं जब बाथरूम में पहुँचा तो दीदी अपने कपड़े उतारने ही जा रही थी, उनका मुँह दूसरी तरफ था। मैंने पीछे से जाकर उन्हें पकड़ लिया और चूमने लगा! मेरा लण्ड उनकी गांड की दरार में घुसने लगा। वो बोली- आ गया ना ! मैंने कहा- दीदी, प्लीज़ ! किसी से कहना मत ! …और उन्हें चूमने लगा। दीदी बोली- अरे पगले, मैँ किसी से क्यों कहूँगी … मैं भी खुश हो गया और धीरे धीरे उनके कपड़े उतारने लगा और साथ ही उनके होंठों पर चूमने लगा… क्योंकि यह मेरा पहला सेक्स था तो दीदी ने मुझे धक्का दिया और कहा- जानवर है क्या? आराम से कर ! आज तो मै तेरी हूँ … मैंने कहा- सॉरी ! और इतने में दीदी ने अपना सूट उतार दिया। मैं तो देख कर बेहोश होने वाला था कि दीदी ने मुझे संभाला और कहा- क्या हुआ? मैंने कहा- दीदी, इतने बड़े बड़े स्तन हैं आपके ! मैं उनको हाथ में लेकर चूसने लगा और दबाने लगा। दीदी भी जोश में आ चुकी थी और मुझसे चिपक गई थी। मेरा तो सपना साकार हो गया था। मैंने दीदी को धीरे धीरे पूर्ण नग्न कर दिया और खुद भी नंगा हो गया… फिर क्या आज एक भाई अपनी बहन को चोदने वाला था ! मैंने जैसा ही अपना लण्ड निकाला, दीदी बोली- हे राम ! इतना मोटा ? साले तू क्या करता है? मैंने कहा- दीदी कुछ नहीं ! यह तो ऐसा ही है ! वो बोली- साले, तूने आज तक कितनी लड़कियों को चोदा है? मैंने कहा- किसी को नहीं … वो बोली- चल आज अपनी बहन को चोद ! और खुद भी मजा ले और मुझे भी मजा दे ! मैंने कहा- दीदी, तो देर किस बात की ! मैं उन्हें चूमने लगा… उन्होंने मेरा लंड हाथ में ले लिया और आगे पीछे करने लगी। मुझे काफी मजा आ रहा था। मैं उनके बोबे दबा रहा था और होंठ चूस रहा था। वो बोली- साले केवल चूसेगा ही या खायेगा भी ? मैंने दीदी से बोला- साली, बड़ी जल्दी है तुझे ? चल घोड़ी बन जा साली रांड ! जल्दी कर ! मुझे तो तुजसे ज्यादा जल्दी है ! रंडी, कब से सोच रहा था कि कब तुझे चोदूँ ! वो बोली- अच्छा भैया ऐसे बात है तो लो… और वो घोड़ी बन गई, मैं उसे पेलने लगा। वो बोली- भैया दूध नहीं पीता? थोड़ा तेज नहीं चोद सकते ? और मैंने झटके तेज कर दिए और चोदने लगा … दीदी कहने लगी- बहन के लौड़े ! थोड़ा धीरे ! ओई माँ…मर गई साले ! थोड़ा धीरे ! मैंने कहा- अब पता चला कि मै कितना दूध पीता हूँ… साली रंडी, तेरी गांड का तो आज मैं बुरा हाल बना कर छोड़ूंगा ! वो भी कहने लगी- हाँ कुत्ते ! कर ना ! और मेरा साथ देने लगी… उसकी चूत पर बहुत सा थूक लगा कर जोर जोर से चोदने लगा। अब वो मजे से चुदने लगी …और उसे भी मजा आने लगा…जब उसे मजा आने लगा तो वो भी उचकने लगी। बीस मिनट तक मैं उसे चोदता रहा और अलग अलग ढंग से चोदा ! 20-25 मिनट बाद जब मेरी छूट होने को आई तो मैने लंड बाहर कर उसके मुँह पर पिचकारी मारी और उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और सारा वीर्य चाट गई ! और फिर मैं उससे चिपक गया ! हम दोनों एक दूसरे के साथ देर तक चिपके रहे। इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने कहा- दीदी एक बार और हो जाये ! वो बोली- …हाँ हाँ ! क्यों नहीं ! नेकी और पूछ पूछ !…अज मेरे भैया राजा फाड़ दे अपनी बहन की चूत ! बना ले अपनी… और उस रात मैंने अपनी बहन को पाँच बार चोदा …नए नए स्टाइल में… और पूरी रात उससे चोदता रहा ! रात को पता नहीं कब नींद आई और मैं सो गया। सुबह उठ कर देखा तो दीदी घर का काम कर रही थी। मैंने दीदी को पीछे जाकर फिर से पकड़ लिया और एक ट्रिप फिर से ली और कॉलेज़ चला गया जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 03:00 PM
माँ
चू जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 03:02 PM
सगी बहन अपने भाई से बारिश मैं चुदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 03:02 PM
सगी बहन अपने भाई से बारिश मैं चुदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 03:05 PM
(This post was last modified: 09-12-2023, 03:07 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(09-12-2023, 03:02 PM)neerathemall Wrote: एक प्राईवेट स्कूल में पढ़ाती हूँ। उसका एक बड़ा कारण है कि एक तो स्कूल कम समय के लिये लगता है और इसमें छुट्टियाँ खूब मिलती हैं। बी एड के बाद मैं तब से इसी टीचर की जॉब में हूँ। हाँ बड़े शहर में रहने के कारण मेरे घर पर बहुत से जान पहचान वाले आकर ठहर जाते हैं खास कर मेरे अपने गांव के लोग। इससे उनका होटल में ठहरने का खर्चा, खाने पीने का खर्चा भी बच जाता है। वो लोग यह खर्चा मेरे घर में फ़ल सब्जी लाने में व्यय करते हैं। एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में मेरे पास दो कमरो का सेट है। जैसे कि खाली घर भूतों का डेरा होता है वैसे ही खाली दिमाग भी शैतान का घर होता है। बस जब घर में मैं अकेली होती हूँ तो कम्प्यूटर में मुझे सेक्स साईट देखना अच्छा लगता है। उसमें कई सेक्सी क्लिप होते है चुदाई के, शीमेल्स के क्लिप... लेस्बियन के क्लिप... कितना समय कट जाता है मालूम ही नहीं पड़ता है। कभी कभी तो रात के बारह तक बज जाते हैं। मेरा दिल किसी ने बाहर निकाल कर रख दिया हो। इन दिनों मैं एक मोटी मोमबती ले आई थी। बड़े जतन से मैंने उसे चाकू से काट कर उसका अग्र भाग सुपारे की तरह से गोल बना दिया था। फिर उस पर कन्डोम चढ़ा कर मैं बहुत उत्तेजित होने पर अपनी चूत में पिरो लेती थी। पहले तो बहुत कठोर लगता था। पर धीरे धीरे उसने मेरी चूत के पट खोल दिये थे। मेरी चूत की झिल्ली इन्हीं सभी कारनामों की भेंट चढ़ गई थी। फिर मैं कभी कभी उसका इस्तेमाल अपनी गाण्ड के छेद पर भी कर लेती थी। मैं तेल लगा कर उससे अपनी गाण्ड भी मार लिया करती थी। फिर एक दिन मैं बहुत मोटी मोमबत्ती भी ले आई। वो भी मुझे अब तो भली लगने लगी थी। पर मुझे अधिकतर इन कामों में अधिक आनन्द नहीं आता था। बस पत्थर की तरह से मुझे चोट भी लग जाती थी। उन्हीं दिनों मेरे गांव से मेरा भाई भोंदू किसी इन्टरव्यू के सिलसिले में आया। उसकी पहले तो लिखित परीक्षा थी... फिर इन्टरव्यू था और फिर ग्रुप डिस्कशन था। फिर उसके अगले ही दिन चयनित अभ्यर्थियों की सूची लगने वाली थी। sagi bahan apne bhai se barish me chudi मुझे याद है वो वर्षा के दिन थे... क्योंकि मुझे भोंदू को कार से छोड़ने जाना पड़ता था। गाड़ी में पेट्रोल आदि वो ही भरवा देता था। उसकी लिखित परीक्षा हो गई थी। दो दिनों के बाद उसका एक इन्टरव्यू था। जैसे ही वो घर आया था वो पूरा भीगा हुआ था। जोर की बरसात चल रही थी। मैं बस स्नान करके बाहर आई ही थी कि वो भी आ गया। मैंने तो अपनी आदत के आनुसार एक बड़ा सा तौलिया शरीर पर डाल लिया था, पर आधे मम्मे छिपाने में असफ़ल थी। नीचे मेरी गोरी गोरी जांघें चमक रही थी। इन सब बातों से बेखबर मैंने भोंदू से कहा- नहा लो ! चलो... फिर कपड़े भी बदल लेना... पर वो तो आँखें फ़ाड़े मुझे घूरने में लगा था। मुझे भी अपनी हालत का एकाएक ध्यान हो आया और मैं संकुचा गई और शरमा कर जल्दी से दूसरे कमरे में चली गई। मुझे अपनी हालत पर बहुत शर्म आई और मेरे दिल में एक गुदगुदी सी उठ गई। पर वास्तव में यह एक बड़ी लापरवाही थी जिसका असर ये था कि भोंदू का मुझे देखने का नजरिया बदल गया था। मैंने जल्दी से अपना काला पाजामा और एक ढीला ढाला सा टॉप पहन लिया और गरम-गरम चाय बना लाई। वो नहा धो कर कपड़े बदल रहा था। मैंने किसी जवान मर्द को शायद पहली बार वास्तव में चड्डी में देखा था। उसके चड्डी के भीतर लण्ड का उभार... उसकी गीली चड्डी में से उसके सख्त उभरे हुये और कसे हुये चूतड़ और उसकी गहराई... मेरा दिल तेजी से धड़क उठा। मैं 24 वर्ष की कुँवारी लड़की... और भोंदू भी शायद इतनी ही उम्र का कुँवारा लड़का... जाने क्या सोच कर एक मीठी सी टीस दिल में उठ गई। दिल में गुदगुदी सी उठने लगी। भोंदू ने अपना पाजामा पहना और आकर चाय पीने के लिये सोफ़े पर बैठ गया। पता नहीं उसे देख कर मुझे अभी क्यू बहुत शर्म आ रही थी। दिल में कुछ कुछ होने लगा था। मैं हिम्मत करके वहीं उसके पास बैठी रही। वो अपने लिखित परीक्षा के बारे में बताता रहा। फिर एकाएक उसके सुर बदल गये... वो बोला- मैंने आपको जाने कितने वर्षों के बाद देखा है... जब आप छोटी थी... मैं भी... "जी हाँ ! आप भी छोटे थे... पर अब तो आप बड़े हो गये हो..." "आप भी तो इतनी लम्बी और सुन्दर सी... मेरा मतलब है... बड़ी हो गई हैं।" [url=https://www.chudaikikahaniyan.in/2022/09/papa-ne-choot-aur-gand-ko-lal-kar-diya.html][/url] मैं उसकी बातों से शरमा रही थी। तभी उसका हाथ धीरे से बढ़ा और मेरे हाथ से टकरा गया। मुझ पर तो जैसे हजारों बिजलियाँ टूट पड़ी। मैं तो जैसे पत्थर की बुत सी हो गई थी। मैं पूरी कांप उठी। उसने हिम्मत करते हुये मेरे हाथ पर अपना हाथ जमा दिया। "भोंदू भैया आप यह क्या कर रहे हैं? मेरे हाथ को तो छोड़..." "बहुत मुलायम है ... जी करता है कि..." "बस... बस... छोड़िये ना मेरा हाथ... हाय राम कोई देख लेगा..." भोंदू ने मुस्कराते हुये मेरा हाथ छोड़ दिया। अरे उसने तो हाथ छोड़ दिया- वो मेरा मतलब... वो नहीं था... मेरी हिचकी सी बंध गई थी। उसने मुझे बताया कि वो लौटते समय होटल से खाना पैक करवा कर ले आया था। बस गर्म करना है। "ओह्ह्ह ! मुझे तो बहुत आराम हो गया... खाने बनाने से आज छुट्टी मिली।" शाम गहराने लगी थी, बादल घने छाये हुये थे... लग रहा था कि रात हो गई है। बादल गरज रहे थे... बिजली भी चमक रही थी... लग रहा था कि जैसे मेरे ऊपर ही गिर जायेगी। पर समय कुछ खास नहीं हुआ था। कुछ देर बाद मैंने और भोंदू ने भोजन को गर्म करके खा लिया। मुझे लगा कि भोंदू की नजरें तो आज मेरे काले पाजामे पर ही थी।मेरे झुकने पर मेरी गाण्ड की मोहक गोलाइयों का जैसे वो आनन्द ले रहा था। मेरी उभरी हुई छातियों को भी वो आज ललचाई नजरों से घूर रहा था। मेरे मन में एक हूक सी उठ गई। मुझे लगा कि मैं जवानी के बोझ से लदी हुई झुकी जा रही हूँ... मर्दों की निगाहों के द्वारा जैसे मेरा बलात्कार हो रहा हो। मैंने अपने कमरे में चली आई। बादल गरजने और जोर से बिजली तड़कने से मुझे अन्जाने में ही एक ख्याल आया... मन मैला हो रहा था, एक जवान लड़के को देख कर मेरा मन डोलने लगा था। "भैया... यहीं आ जाओ... देखो ना कितनी बिजली कड़क रही है। कहीं गिर गई तो?" "अरे छोड़ो ना दीदी... ये तो आजकल रोज ही गरजते-बरसते हैं।" ठण्डी हवा का झोंका, पानी की हल्की फ़ुहारें... आज तो मन को डांवाडोल कर रही थी। मन में एक अजीब सी गुदगुदी लगने लगी थी। भोंदू भी मेरे पास खिड़की के पास आ गया। बाहर सूनी सड़क... स्ट्रीटलाईट अन्धेरे को भेदने में असफ़ल लग रही थी। कोई इक्का दुक्का राहगीर घर पहुँचने की जल्दी में थे। तभी जोर की बिजली कड़की फिर जोर से बादल गर्जन की धड़ाक से आवाज आई। मैं सिहर उठी और अन्जाने में ही भोंदू से लिपट गई,"आईईईईईई... उफ़्फ़ भैया..." भोंदू ने मुझे कस कर थाम लिया,"अरे बस बस भई... अकेले में क्या करती होगी...?" वो हंसा। फिर शरारत से उसने मेरे गालों पर गुदगुदी की। तभी मुहल्ले की बत्ती गुल हो गई। मैं तो और भी उससे चिपक सी गई। गुप्प अंधेरा... हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था। "भैया मत जाना... यहीं रहना।" भोंदू ने शरारत की... नहीं शायद शरारत नहीं थी... उसने जान करके कुछ गड़बड़ की। उसका हाथ मेरे से लिपट गया और मेरे चूतड़ के एक गोले पर उसने प्यार से हाथ घुमा दिया। मेरे सारे तन में एक गुलाबी सी लहर दौड़ गई। मेरा तन को अब तक किसी मर्द के हाथ ने नहीं छुआ था। ठण्डी हवाओं का झोंका मन को उद्वेलित कर रहा था। मैं उसके तन से लिपटी हुई... एक विचित्र सा आनन्द अनुभव करने लगी थी। अचानक मोटी मोटी बून्दों की बरसात शुरू हो गई। बून्दें मेरे शरीर पर अंगारे की तरह लग रही थी।भोंदू ने मुझे दो कदम पीछे ले कर अन्दर कर लिया। मैंने अन्जानी चाह से भोंदू को देखा... नजरें चार हुई... ना जाने नजरों ने क्या कहा और क्या समझा... भोंदू ने मेरी कमर को कस लिया और मेरे चेहरे पर झुक गया। मैं बेबस सी, मूढ़ सी उसे देखती रह गई। उसके होंठ मेरे होंठों से चिपकने लगे। मेरे नीचे के होंठ को उसने धीरे से अपने मुख में ले लिया। मैं तो जाने किस जहाँ में खोने सी लगी। मेरी जीभ से उसकी जीभ टकरा गई। उसने प्यार से मेरे बालों पर हाथ फ़ेरा... मेरी आँखें बन्द होने लगी... शरीर कांपता हुआ उसके बस में होता जा रहा था। मेरे उभरे हुये मम्मे उसकी छाती से दबने लगे। उसने अपनी छाती से मेरी छाती को रगड़ा मार दिया, मेरे तन में मीठी सी चिन्गारी सुलग उठी। उसका एक हाथ अब मेरे वक्ष पर आ गया था और फिर उसका एक हल्का सा दबाव ! मेरी तो जैसे जान ही निकल गई। "भोंदू... अह्ह्ह्ह...!" "दीदी, यह बरसात और ये ठण्डी हवायें... कितना सुहाना मौसम हो गया है ना..." और फिर उसके लण्ड की गुदगुदी भरी चुभन नीचे मेरी चूत के आस-पास होने लगी। उसका लण्ड सख्त हो चुका था। यह गड़ता हुआ लण्ड मोमबत्ती से बिल्कुल अलग था। नर्म सा... कड़क सा... मधुर स्पर्श देता हुआ। मैं अपनी चूत उसके लण्ड से और चिपकाने लगी। उसके लण्ड का उभार अब मुझे जोर से चुभ रहा था। तभी हवा के एक झोंके के साथ वर्षा की एक फ़ुहार हम पर पड़ीं। मैंने जल्दी से मुड़ कर दरवाजा बन्द ही कर दिया। ओह्ह ! यह क्या ? मेरे घूमते ही भोंदू मेरी पीठ से चिपक गया और अपने दोनों हाथ मेरे मम्मों पर रख दिये। मैंने नीचे मम्मों को देखा... मेरे दोनों कबूतरों को जो उसके हाथों की गिरफ़्त में थे। उसने एक झटके में मुझे अपने से चिपका लिया और अपना बलिष्ठ लण्ड मेरे चूतड़ों की दरार में घुमाने लगा। मैंने अपनी दोनों टांगों को खोल कर उसे अपना लण्ड ठीक से घुसाने में मदद की। उफ़्फ़ ! ये तो मोमबत्ती जैसा बिल्कुल भी नहीं लगा। कैसा नरम-सख्त सा मेरी गाण्ड के छेद से सटा हुआ... गुदगुदा रहा था। मैंने सारे आनन्द को अपने में समेटे हुये अपना चेहरा घुमा कर ऊपर दिया और अपने होंठ खोल दिये।भोंदू ने बहुत सम्हाल कर मेरे होंठों को फिर से पीना शुरू कर दिया। इन सारे अहसास को... चुभन को... मम्मों को दबाने से लेकर चुम्बन तक के अहसास को महसूस करते करते मेरी चूत से पानी की दो बून्दें रिस कर निकल गई। मेरी चूत में एक मीठेपन की कसक भरने लगी। मेरे घूमते ही भोंदू मेरी पीठ से चिपक गया और अपने दोनों हाथ मेरे मम्मों पर रख दिये। मैंने नीचे मम्मों को देखा... मेरे दोनों कबूतरों को जो उसके हाथों की गिरफ़्त में थे। उसने एक झटके में मुझे अपने से चिपका लिया और अपना बलिष्ठ लण्ड मेरे चूतड़ों की दरार में घुमाने लगा। मैंने अपनी दोनों टांगों को खोल कर उसे अपना लण्ड ठीक से घुसाने में मदद की। उफ़्फ़ ! ये तो मोमबत्ती जैसा बिल्कुल भी नहीं लगा। कैसा नरम-सख्त सा मेरी गाण्ड के छेद से सटा हुआ... गुदगुदा रहा था। मैंने सारे आनन्द को अपने में समेटे हुये अपना चेहरा घुमा कर ऊपर दिया और अपने होंठ खोल दिये। भोंदू ने बहुत सम्हाल कर मेरे होंठों को फिर से पीना शुरू कर दिया। इन सारे अहसास को... चुभन को... मम्मों को दबाने से लेकर चुम्बन तक के अहसास को महसूस करते करते मेरी चूत से पानी की दो बून्दें रिस कर निकल गई। मेरी चूत में एक मीठेपन की कसक भरने लगी। "दीदी... प्लीज मेरा लण्ड पकड़ लो ना... प्लीज !" मैंने अपनी आँखें जैसे सुप्तावस्था से खोली, मुझे और क्या चाहिये था। मैंने अपना हाथ नीचे बढ़ाते हुये अपने दिल की इच्छा भी पूरी की। उसका लण्ड पजामे के ऊपर से पकड़ लिया। "भैया ! बहुत अच्छा है... मोटा है... लम्बा है... ओह्ह्ह्ह्ह !" उसने अपना पजामा नीचे सरका दिया तो वो नीचे गिर पड़ा। फिर उसने अपनी छोटी सी अण्डरवियर भी नीचे खिसका दी। उसका नंगा लण्ड तो बिल्कुल मोमबत्ती जैसा नहीं था राम... !! यह तो बहुत ही गुदगुदा... कड़क... और टोपे पर गीला सा था। मेरी चूत लपलपा उठी... मोमबती लेते हुये बहुत समय हो गया था अब असली लण्ड की बारी थी। उसने मेरे पाजामे का नाड़ा खींचा और वो झम से नीचे मेरे पांवों पर गिर पड़ा। "दीदी चलो, एक बात कहूँ?" "क्या...?" "सुहागरात ऐसे ही मनाते हैं ! है ना...?" "नहीं... वो तो बिस्तर पर घूंघट डाले दुल्हन की चुदाई होती है।" तो दीदी, दुल्हन बन जाओ ना... मैं दूल्हा... फिर अपन दोनों सुहागरात मनायें?" मैंने उसे देखा... वो तो मुझे जैसे चोदने पर उतारू था। मेरे दिल में एक गुदगुदी सी हुई, दुल्हन बन कर चुदने की इच्छा... मैं बिस्तर पर जा कर बैठ गई और अपनी चुन्नी सर पर दुल्हनिया की तरह डाल ली। वो मेरे पास दूल्हे की तरह से आया और धीरे से मेरी चुन्नी वाला घूँघट ऊपर किया। मैंने नीचे देखते हुये थरथराते हुये होंठों को ऊपर कर दिया। उसने अपने अधर एक बार फ़िर मेरे अधरों से लगा दिये... मुझे तो सच में लगने लगा कि जैसे मैं दुल्हन ही हूँ। फिर उसने मेरे शरीर पर जोर डालते हुये मुझे लेटा दिया और वो मेरे ऊपर छाने लगा। मेरी कठोर चूचियाँ उसने दबा दी। मेरी दोनों टांगों के बीच वो पसरने लगा। नीचे से तो हम दोनो नंगे ही थे। उसका लण्ड मेरी कोमल चूत से भिड़ गया। "उफ़्फ़्फ़... उसका सुपारा... " मेरी चूत को खोलने की कोशिश करने लगा। मेरी चूत लपलपा उठी। पानी से चिकनी चूत ने अपना मुख खोल ही दिया और उसके सुपारे को सरलता से निगल लिया- यह तो बहुत ही लजीज है... सख्त और चमड़ी तो मुलायम है। "भैया... बहुत मस्त है... जोर से घुसा दे... आह्ह्ह्ह्ह... मेरे राजा..." मैंने कैंची बना कर उसे जैसे जकड़ लिया। उसने अपने चूतड़ उठा कर फिर से धक्का मारा... "उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़... मर गई रे... दे जरा मचका के... लण्ड तो लण्ड ही होता है राम..." उसके धक्के तो तेज होते जा रहे थे... फ़च फ़च की आवाजें तेज हो गई... यह किसी मर्द के साथ मेरी पहली चुदाई थी... जिसमें कोई झिल्ली नहीं फ़टी... कोई खून नहीं निकला... बस स्वर्ग जैसा सुख... चुदाई का पहला सुख... मैं तो जैसे खुशी के मारे लहक उठी। फिर मैं धीरे धीरे चरमसीमा को छूने लगी। आनन्द कभी ना समाप्त हो । मैं अपने आप को झड़ने से रोकती रही... फिर आखिर मैं हार ही गई... मैं जोर से झड़ने लगी। तभी भोंदू भी चूत के भीतर ही झड़ने लगा। मुझसे चिपक कर वो यों लेट गया कि मानो मैं कोई बिस्तर हूँ। "हो गई ना सुहाग रात हमारी...?" "हाँ दीदी... कितना मजा आया ना...!" "मुझे तो आज पता चला कि चुदने में कितना मजा आता है राम..." बाहर बरसात अभी भी तेजी पर थी। भोंदू मुझे मेरा टॉप उतारने को कहने लगा। उसने अपनी बनियान उतार दी और पूरा ही नंगा हो गया। उसने मेरा भी टॉप उतारने की गरज से उसे ऊपर खींचा। मैंने भी यंत्रवत हाथ ऊपर करके उसे टॉप उतारने की सहूलियत दे दी। हम दोनो जवान थे, आग फिर भड़कने लगी थी... बरसाती मौसम वासना बढ़ाने में मदद कर रहा था। भोंदू बिस्तर पर बैठे बैठे ही मेरे पास सरक आया और मुझसे पीछे से चिपकने लगा। वहाँ उसका इठलाया हुआ सख्त लण्ड लहरा रहा था। उसने मेरी गाण्ड का निशाना लिया और मेरी गाण्ड पर लण्ड को दबाने लगा। मैंने तुरन्त उसे कहा- तुम्हारे लण्ड को पहले देखने तो दो... फिर उसे चूसना भी है। वो खड़ा हो गया और उसने अपना तना हुआ लण्ड मेरे होंठों से रगड़ दिया। मेरा मुख तो जैसे आप ही खुल गया और उसका लण्ड मेरे मुख में फ़ंसता चला गया। बहुत मोटा जो था। मैंने उसे सुपारे के छल्ले को ब्ल्यू फ़िल्म की तरह नकल करते हुये जकड़ लिया और उसे घुमा घुमा कर चूसने लगी। मुझे तो होश भी नहीं रहा कि आज मैं ये सब सचमुच में कर रही हूँ। तभी उसकी कमर भी चलने लगी... जैसे मुँह को चोद रहा हो। उसके मुख से तेज सिसकारियाँ निकलने लगी। तभी भोंदू का ढेर सारा वीर्य निकल पड़ा। मुझे एकदम से खांसी उठ गई... शायद गले में वीर्य फ़ंसने के कारण। भोंदू ने जल्दी से मुझे पानी पिलाया। पानी पिलाने के बाद मुझे पूर्ण होश आ चुका था। मैं पहले चुदने और फिर मुख मैथुन के अपने इस कार्य से बेहद विचलित सी हो गई थी... मुझे बहुत ही शर्म आने लगी थी। मैं सर झुकाये पास में पड़ी कुर्सी पर बैठ गई। "भोंदू... सॉरी... सॉरी..." "दीदी, आप तो बेकार में ही ऐसी बातें कर रहीं हैं... ये तो इस उम्र में अपने आप हो जाता है... फिर आपने तो अभी किया ही क्या है?" "इतना सब तो कर लिया... बचा क्या है?" जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 03:09 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 03:09 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 03:10 PM
बारिश में बहन की बुर चुदाई की कहानी
भाई बहन सेक्स की कहानी मेरे और मेरी बहन के बीच तब की है जब बारिश में हम दोनों चुदाई का आनन्द ले रहे थे … या यूं कहें कि बारिश में स्वर्ग का सुख भोग रहे थे. मैं मन पांडे. मेरी मैं एक बार फिर से अपनी एक नई सेक्स कहानी के साथ हाजिर हूँ. ये भाई बहन सेक्स की कहानी मेरी और मेरी अपनी बहन आर्या की है, मैं उसे प्यार से आरू कहता हूँ … और वो मुझे प्यार से मनु भाई कहती है. हम दोनों बचपन से ही साथ रहे, एक साथ खेले और साथ ही बड़े हुए. हम दोनों काफी ओपन माइंडेड हैं, एक दूसरे से हर तरह की बात कर लेते हैं. इसीलिए शायद हमें कभी बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड की जरूरत नहीं महसूस हुई. और जरूरत पड़े भी क्यों … जिसकी बहन इतनी खूबसूरत, मस्त, गदराया हुआ माल हो … वो बाहर मुँह क्यों मारे. आइए पहले मैं आपको अपनी बहन के बारे में कुछ बता देता हूँ. मेरी बहन एक खूबसूरत बदन की मालकिन है. उसकी आंखें एकदम नशीली हैं, जिसे दखकर मैं भी नशे में आ जाता हूँ. उसके रसभरे होंठ एकदम सुर्ख लाल गुलाब के फूलों से कोमल हैं, जिन्हें देखते ही मन करता है कि अभी चूस लूं. मेरी बहन के बूब्स 36 इंच के उठे हुए मस्त लगते हैं. देख कर मन करता है कि अभी पकड़ कर दबा दूँ. उसकी कमर 29 इंच की और गांड 36 की है. उठे हुए मस्त गोल गोल चूतड़ों को देख कर मन करता है कि अभी दांत से काट लूं … पर किसी तरह कंट्रोल कर लेता हूँ. कुल मिला कर मेरी बहन पूरी कयामत है, जिसे देख बुड्ढे में जवानी के जोश भरने लगते हैं और उनके लंड खड़े हो जाते होंगे. मैं अपनी बहन आरू से काफी क्लोज और अट्रैक्ट था … और कहीं न कहीं वो भी मुझे पसन्द करती थी. पर समाज की लोकधारणाएं, मर्यादाएं हमें कहीं न कहीं मिलने से रोक देती थीं. लेकिन ये भी सच है यदि आप किसी को शिद्दत से चाहो … तो जर्रा जर्रा उसे आप से मिलाने की साजिश में लग जाता है. ऐसा ही कुछ हमारे साथ भी हुआ. एक दिन हम दोनों अपनी छत पर खड़े होकर बातें कर रहे थे. तभी उसने अचानक मुझसे कहा- मनु भाई आपने गर्लफ्रेंड क्यों नहीं बनाई? मैं तपाक से बोल पड़ा- तुम्हारी जैसी बहन के होते हुए किसी और के पीछे जाऊं … ये मुझसे नहीं हो सकता है. वो मेरी इस बात से थोड़ा चौंकी … पर खुश भी थी कि उसका भाई उसी पर मरता है. उसने मौके पर चौका मारते हुए कहा- ठीक है, यदि तुम मुझे इतना ही चाहते हो … तो मुझे तो बताओ कि तुम अभी मेरे साथ क्या क्या कर सकते हो! मैंने कहा- सिर्फ बता नहीं सकता हूँ … करके भी दिखा सकता हूँ. उसने कहा- अच्छा … ठीक है, करके दिखाओ. लेकिन करते वक्त कॉम्प्लीमेंट भी देना है. मैंने कहा- ठीक है. आरू ने ऊपर टॉप और नीचे लैगी पहनी हुई थी. मैं उसके नजदीक गया. उसके दोनों हाथों को पकड़ कर अपने कंधे पर किए और अपने हाथ उसके कमर पर रखते हुए सबसे पहले मैंने उसकी आंखों की तारीफ की. मैंने कहा- ये तुम्हारी नशीले आंखें, इनको देखते ही मैं इनमें डूब जाता हूँ. ऐसा कहकर मैंने उसकी दोनों आंखों को बारी बारी से किस किया. उसकी सांसें थोड़ी तेज हो गईं. फिर मैं उसके एक गाल पर अपने होंठ घुमाते हुए उसके गाल को अपनी जीभ से चाटने लगा. आरू अपनी आंखें बन्द करके मेरी हरकतों का पूरा मज़ा ले रही थी. उसके गाल चाटते हुए मैं उसके गालों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा जिससे आरू की उत्तेजना और बढ़ने लगी, उसकी पकड़ मेरे लिए और तेज हो गयी. फिर मैं उसके होंठों की तरफ बढ़ा, जो लाल सुर्ख गुलाबी ऐसे लग रहे थे, जैसे दुनिया के सारे रस आज इसी के होंठों में भरे हुए हैं. मैं बड़े प्यार से उसके दोनों होंठों को अपने होंठों के बीच में रखकर चूसने लगा. वो और भी मदमस्त होने लगी और मैं भी. मेरे दोनों हाथ उसकी गांड को मसल रहे थे और उसके हाथ मेरे गर्दन और बालों में चल रहे थे. मैं उसके होंठों को ऐसे चूस रहा था, जैसे कोई रसगुल्ले से रस चूस रहा हो. कभी मैं उसके होंठों को अपने मुँह में, तो कभी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल कर चूस रहा था. कभी वो ऐसा कर रही थी. हम दोनों एक दूसरे में सारी दुनिया को भुला बैठे थे. तभी नीचे से आवाज आयी- आरू, मनु क्या कर रहे हो … नीचे आओ. हम दोनों का जैसे सपना टूट गया हो हम एक दूसरे से न चाहते हुए भी अलग हुए और अपने को ठीक करते हुए नीचे आ गए. वहां मम्मी पापा हमारा इंतज़ार कर रहे थे. हम सभी ने रात को खाना खाया और सोने चले गए. रात भर किसी को नींद नहीं आयी, न मुझे … न आरू को. मम्मी पापा के डर से हम दोनों चुपचाप सो गए. सुबह जब मैं उठा तो आरू ने बताया कि मनु भाई आज घर में कोई नहीं है. मम्मी पापा किसी काम से बाहर गए हैं. वो शाम तक लौटेंगे. तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ … फिर दोनों दिन भर मस्ती करेंगे. देखिए न आज बादल भी लगे हुए हैं … अगर बारिश हुई तो हम दोनों बारिश का पूरा मज़ा उठाएंगे. अपनी बहन की बातें सुनकर मैं भी उत्तेजित हो गया और जल्दी ही फ़्रेश होने के बाद हम नाश्ता करने बैठ गए. आज हमारा नाश्ता कुछ अलग होने वाला था. आज मेरी बहन आरू ने मुझे अलग नाश्ता कराया. वो ब्रेड को अपने हाथ से उठाने के बजाए उसे अपने मुँह में दबा कर मेरे मुँह में डाल रही थी. जिससे उसके होंठ मेरे होंठों में लग रहे थे और हम ब्रेड के साथ एक दूसरे के होंठों का रसपान भी कर रहे थे. तब तक बारिश भी शुरू हो चुकी थी. ये देख कर मेरा और आरू की खुशी का ठिकाना न रहा … क्योंकि हम दोनों को बारिश वैसे भी बहुत पसन्द है और साथ में हम दोनों मूड में भी थे. आरू ने कहा- भाई चलो बारिश में रोमांस करते हैं … बहुत मज़ा आएगा. मैंने भी कहा- चलो. हम दोनों छत पर चले गए. मैं सिर्फ निक्कर और बनियान में था और आरू टॉप और हाफ लैगी में थी. छत पर बारिश में भीगते हुए आरू एकदम मस्त लग रही थी. उस वक्त उसे देख कर किसी का भी नियत बिगड़ सकती थी. बारिश में भीगते ही उसके जिस्म के सभी उभार दिखने लगे. उसकी तनी हुई चुचियां मानो खुला निमन्त्रण दे रही थीं कि आओ और मुझे मसलकर चूस लो. उसकी उठी हुई गांड … आह क्या मस्त लग रही थी. आरू को देख कर लग रहा था कि जैसे उसने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी. मैंने उसे अपनी ओर खींचते हुए बांहों में भरकर उसके होंठों को चूसते हुए उससे कहा- तुमने अन्दर कुछ पहना नहीं है! उसने इठला कर कहा- नहीं … कोई जरूरत नहीं थी. उसके बाद बारिश में भीगती हुई मैंने अपनी बहन आरू को गोद में उठा लिया और उसने भी मुझे जोर से पकड़ लिया. गोद में उठाकर मैं अपनी बहन के भीगे हुए चेहरे को चाटने लगा. मैं कभी उसके गाल काटता, तो कभी उसके होंठ. उसके बाद मैं धीरे धीरे उसकी गर्दन को चाटने लगा और साथ में उसके टॉप में हाथ डाल कर उसके एक चूचे को भी मसल रहा था. मेरी बहन आरू भी अपनी पूरी वासना में आ गई थी. उसके बाद मैंने उसे भी छत पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर एक हाथ से उसके कपड़े के ऊपर से ही उसके एक चुचे को मसलने लगा और उसके दूसरे मम्मे को मुँह से काटने लगा. अपने दूसरे हाथ से लैगी के ऊपर से ही उसकी बुर को मसलने लगा. मेरी ये तीनों हरकतें मेरी बहन आरू के लिए आग में घी का काम कर रही थीं. वो एक जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी. अब मैं अपना बनियान और निक्कर निकाल कर पूरा नंगा हो गया और अपनी बहन का भी टॉप और लैगी निकाल कर उसे भी पूरी नंगी कर दिया. अब हम दोनों के बीच कुछ नहीं बचा. मैं आरू का मदमस्त गोरा बदन पागल होने लगा और मैं तुरन्त उसके ऊपर चढ़ गया; उसके मम्मों को बुरी तरह मसलने और चूसने लगा. उसके मम्मों को अपने हाथों में पकड़े हुए मैं नीचे मुँह लाकर उसके नाभि से खेलने लगा, उसमें अपनी जीभ फिराने लगा. इससे वो और मस्त हो गयी और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी. फिर मैं उसकी कमर को अपने हाथ में पकड़ कर उसकी बुर तक आया. बारिश में भीग रही बुर को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैंने तपाक से उसकी बुर के दोनों फांकों को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा. मेरे इस अचानक हमले से आरू पूरी तरह हिल गयी. वो मेरे सर को अपनी बुर पर दबाने लगी और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगी. ‘आह … उम्मह … कम ऑन फ़क मी मनु भाई और जोर से .. आई.’ उसकी ये आवाजें मुझे और उत्तेजित कर रही थीं. तभी आरू बोली- भाई आप अपना लंड मेरे मुँह में दे दो … मैं आपका लंड चूसती हूँ … और आप मेरी बुर चूसो. हम दोनों फट से 69 की स्थिति में आ गए. अब मेरा लंड मेरी बहन में मुँह में था. वह उसे एक दम लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी और मैं उसकी बुर को रसगुल्ले की तरह चचोर रहा था. थोड़ी देर बाद आरू बोली- भाई अब रहा नहीं जा रहा है … पेल दो अपना लंड … अपनी बहन की बुर में. मैं सीधा हुआ और अपनी आरू की टांगों के बीच में बैठ कर उसकी टांगें अपने कमर पर रख दीं. फिर अपना लंड उसकी बुर पर रखकर एक ही झटके में पिला दिया. मैंने एक ही शॉट में अपना पूरा लंड उसकी बुर में घुसा दिया था. वो जोर से चिल्लाई- आह मर गई मम्मी रे … बुर फाड़ दोगे क्या साले बहनचोद. मैं उसके मुँह से गाली सुन थोड़ा शॉक था, पर वो सही बोली थी कि किसी की बुर में ऐसे ही लंड पेल दोगे, तो वो गाली तो देगा ही. लेकिन धीरे धीरे मैं उसकी बुर में लंड अन्दर बाहर कर उसे चोदने लगा. वो भी गांड उठा उठा कर बुर चुदवाने लगी. थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद मैंने उससे कहा- आरू, अब तुम कुतिया बन जाओ … मैं तुम्हें पीछे से चोदूँगा. वो तो मानो इसके लिए तैयार बैठी थी, वो फटाक से कुतिया बन गयी. और मैं पीछे से लंड डालकर पूरी स्पीड में उसकी बुर चोदने लगा. वो भी कामुक सिसकारियों के साथ चुदने लगी. थोड़ी देर धकापेल चुदाई के बाद मैंने कहा- आरू मेरा निकलने वाला है. उसने कहा- भाई मेरा भी … थोड़ा और तेज़ करो. मैंने स्पीड और बढ़ा दी. जोर जोर से ठप ठप की आवाज आ रही थी. थोड़ी देर में हम एक दूसरे में पूरी तरह समा गए. मेरी स्पीड भी रुक गयी, मैं आरू की चूचियां पकड़ कर उसके ऊपर वैसे ही लेट गया. थोड़ी देर बाद वो उठी और मेरे ऊपर आकर मुझे अपनी बांहों में कस लिया. वो मुझे किस करती हुई बोली- थैंक्यू भाई … बहुत मज़ा आया. हम एक दूसरे को पकड़े हुए वहीं बारिश में लेटे रहे. फिर थोड़ी देर बाद हम नीचे गए … कपड़े बदले, खाना खाया और एक ही रूम में एक दूसरे को पकड़ कर किस करते हुए सोने लगे. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
09-12-2023, 04:06 PM
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
10-12-2023, 10:48 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-12-2023, 04:02 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-12-2023, 04:03 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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