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बारिश हो रही थी मेरा बेटा मुझे चोद रहा था
#1
बारिश हो रही थी मेरा बेटा मुझे चोद रहा था




































[Image: 10851957_007_010b.jpg]


















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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
[Image: 12117627_070_dbd6.jpg]मेरा नाम सुरेखा है और मैं 37 साल की हूँ। मेरा एक बेटा है जो की 21 साल का है। मेरी शादी 16 साल में ही हो गयी थी इसलिए जल्दी ही माँ भी बन गयी थी। मेरा पति की पोस्टिंग कश्मीर में है वो मैं अपने बेटे के साथ बिजनौर में रहती हूँ। बिजनौर के पास ही एक गाँव है वही। 
दोस्तों शादी तो पहले हो गयी और बेटा भी हो गया। पर जिस्म का क्या करें अभी 37 की हूँ। जवान से कम नहीं लगती हूँ हॉट और सेक्सी हूँ। सच तो ये है मेरा पति भले ही मेरे से बहुत बड़ा है। कोई नहीं कहता की मेरा पति इतना बूढ़ा होगा। क्यों की म मेरा शरीर हॉट और सेक्सी है। पढ़ी लिखी हूँ बीए पास हूँ।
अब मैं सीधे कहानी पर आती हूँ। कल रात की बात है मैं निचे सो रही थी। और मेरा बेटा छत पर सो रहा था। मैं कभी भी छत पर नहीं सोती। पर मेरा बेटा छत पर ही सोता है। उसको भी छत पर मुठ मारने में दिक्कत नहीं होती है और मैं भी चूत सहलाते सहलाते हुए सोती हूँ।[Image: 70872089_023_a243.jpg]
क्यों की पति तो पास है नहीं और रहती हूँ गाँव में तो चुदाई का जुगाड़ भी नहीं हो पाता है। तो दोस्तों कल रात को मैं कहानियां पढ़ रही थी और मैं चूत सहला रही थी। बहुत ही हॉट कहानी थी। तो रहा नहीं गया और मैं अपना पेंटी खोलकर और नाईटी को ऊपर कर के चूत सहला रही थी और ऊँगली कर रही थी।[Image: 70872089_061_fe54.jpg]





जब जोश में आ गयी तो चूत से पानी निकला और मैं सो गयी। नाईटी वैसे ही ऊपर ही रह गया पेंटी चारपाई के निचे थी। और दोनों टाँगे फैला रखी थी। और नींद में थी। तभी रात में वारिश होने लगी और छत पर से मेरा बेटा निचे आ गया सोने। तो लाइट भी जली हुई थी।
उसने मुझे देखा और शायद वो अपने आप पर काबू नहीं रख पाया। ऐसा कौन काबू रख पायेगा दोस्तों जब चूत सामने हो दोनों पैर फैला कर कोई औरत सो रही हो। तो सामने वाले क्या करेगा। जानवर भी चोद दे ऐसे में तो इंसान की भला क्या बात।
[Image: 70872089_054_df14.jpg]

जब मेरी नींद खुली तो देखी उसने मेरी नाईटी और ऊपर कर दिया और मेरी बड़ी बड़ी हॉट और सेक्सी चूचियां निहार रहा था अपना लंड हाथ में लेकर हिला रहा था और दोनों टांगो के बिच में घुटनो पर बैठा था। जैसे मेरी नींद खुली तो हैरान रह गयी पर गलती तो मेरी थी। मैं भी चूत खोल कर सो रही थी।
मैं उठना चाही उसने कहा मुझे चोदना है। [Image: 12117627_040_9b18.jpg]मैं बोली माँ हु तेरी, ये गलत है ऐसा तुम नहीं कर सकते तब तक वो पैम्पर हो चुका था। और उसने मेरी चूत पर लंड लगा कर मेरे दोनों हाथ पकड़ लिया और जोर से धक्का दे दिया। वो मजबूत है जिम जाता है।
चुदाई [Image: 12117627_079_bb15.jpg]





मैं रोक नहीं पाई और उसने जोर से घुसा दिया और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। उसके बाद अंदर बाहर अपने लंड को करने लगा। लंड मोटा था तो चुत की दीवारों से सट कर जा रहा था घर्षण हो रहा था। मैं मोटे लैंड को चूत में ले ली और और कामुक होने लगी।[Image: 12117627_074_61d6.jpg]
मेरे दांत खुद ही मेरे होठ को काटने लगे. मैं अपने बेटे को बहकी निगाहों से देखने लगी। मैंने और भी ज्यादा पैर फैला दी। और गांड हौले हौले उठाने लगी और मदद करने लगी उसको चोदने में। दोस्तों थोड़े देर में ही मैं पागल हो गयी।
उसको इशारा की मेरा दूध पि मेरी चूचियां चाट, उसने तुरंत भी मेरी चूचियों को मसलने लगा और जोर जोर दबाने लगा फिर वो मेरी चूचियों को मुँह में ले लिया। ऊपर से झटके दे रहा था ऊपर से मेरी चूचियां मसल रहा था। मैं कह रही थी और जोर जोर से और जोर से।
वो भी तेज हो गया और जोर जोर से धक्के देने लगा. मैं ह्या ह्या ह्या उफ़ उफ़ उफ़ ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह ओह्ह करने लगी। वो खुद भी पागल होने लगा। अपना दांत पीसकर पीसकर कर मुझे चोद रहा था। उसके बाद मैं खुद ही उसको निचे सुला दी।






और मैं खुद चढ़ गयी और जैसे की घोड़े पर बैठता है इंसान वैसे ही मैं अपने बेटे के लंड पर बैठ गयी और वैसे ही हिलने लगी जैसे की कोई घोड़े पर चढ़ कर जाता है। ओह्ह्ह्हह्हह क्या बताऊँ दोस्तों मजा आ गया। बाहर बारिश हो रही थी और अंदर घर में माँ अपने बेटे से चुदवा रही थी।
मैं चाह रही थी अपने बेटे को फिर से समेट कर अपने छूट में घुसा लूँ ऐसी मैं पागल हो गयी थी। उसने मुझे निचे से जोर जोर से धक्के दे रहा था और दोनों हाथों से मेरी चूचियों को थामे हुए था मैं उसके सीने को सहला रही थी और जोर जोर बैठ रही थी। पूरा लौड़ा मेरी चूत में समा रहा था।
और मैं पागल हो रही थी। फिर मैं घोड़ी बन गयी और वो मेरे गांड के तरफ आ गया। पहले तो मेरी गांड को चाटा फिर लौड़ा लगा कर फिर से चुत में पेल दिया। [Image: 12117627_070_dbd6.jpg]और गांड पर थप्पड़ मार मार कर धक्के देने लगा। मैं हिल रही थी मेरी चूचियां आगे पीछे हो रही थी। एक हाथ से अपनी चूचियां भी दबा रही थी और एक हाथ से अपने शरीर की वजह को भी थाम रही थी।
उसके बाद वो आआ आआ आए आए आए ऊऊओ करने लगा और पूरा का पूरा माल मेरी चुत में डाल दिया और निचे गिर पड़ा। मैं भी ठंडी हो रही थी पर अपने बेटे के लैंड को चाटना चाहती थी तो तुरंत भी पकड़ ली और चाटने लगी।






वो अपने लौड़े से सारे वीर्य को जो बाकी रह गया था वो दबा दबा कर निकाल रहा था और मुझे चटा रहा था। खूब चुदी रात में। आज दिन में एक बार फिर से वो मुझे चोद चूका है।[Image: 12117627_038_47b2.jpg] पर हां मैंने कहा दिया अब चोदेगा तो कंडोम लाना पडेगा। वो शाम को कंडोम ही लाने लगा पर दोस्तों के साथ वो मस्ती कर रहा होगा।
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#3
[Image: 10031928_033_dfc8.jpg]मेरे गांव का नाम ******खोल दिया अब केवल एक बटन था जैसे ही मैन छूने की कोशिश की माँ काशमशै तो मैंने छोड़ दिया कि कही जग ना जाये ।[Image: 10031928_016_7521.jpg]

अब उनके चुचिया बाहर निकलना चाहती थी  का तभी ब्लाउज का [Image: 10031928_026_59d4.jpg]आखिरी बटन भी टूट गया और मेरी माँ क
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#4
लॉकडाउन में माँ को चोदा
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#5
लखनऊ का रहने वाला 25 साल का राजीव अपनी कहानी “लॉकडाउन माँ को चोदा बरसात में” बताने जा रहा है कैसे उसकी माँ और वो तेज़ बरसात में नहाते हुए एक दूसरे के गीले शरीर को देख कामुक अवस्था में पहुंच गए। राजीव का कहना है की लॉकडाउन में उनके पास करने को कुछ नही था। जब अचानक तेज बरसात होने लगी तो माँ बेटे ने कुछ मस्ती करने का मन बना लिया। 

लॉकडाउन की वजह से हम सब अपने घरो में बंद है। बाहर ना घूमने जा सकते ना काम करने। घर बैठे कुछ करने को नही है। करीब 29 अप्रैल 2020  को मेने अपनी Maa Ko Choda Barsaat Mein उस वक्त हमरी सोचने समझे की शक्ति मानो खत्म हो गई थी।
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#6
उस दिन मैं टीवी देख रहा था और मेरी माँ चाय बना रही थी। मेरे परिवार में बस मैं और मेरी माँ है। पिता जी का 4 साल पहले एक कार एक्सीडेंट में मौत हो गई। 

घर का एकलौता बीटा होने के नाते सारा बोझ मेरे सर आ गया और मुझे अपनी पढाई छोड़नी पढ़ी। 

उस दिन मौसम काफी अच्छा था। मिनी मिनी हवा चल रही थी और सूरज बादलो के पीछे छिपा था। मौसम का पूरा मज़ा लेने के लिए माँ चाय और थोड़े पकोड़े बना रही थी। 

मेने टीवी बंद किया और छत पर जा कर दो कुर्सी लगा दी। और एक छोटे से स्टूल पर छाए और पकोड़े रख दिए। माँ ने चाय और पकोड़े एक छोटे स्टूल पर रख दिए। 

मैं चाय पिता फ़ोन पर गाने सुने लगा और माँ अखबार पर एक नजर डालने लगी। तभी अचानक बारिश होने लगी और हम तेजी से छत के कमरे की और भागे। 

माँ – लग नही रहा था इतनी तेज बरसात होगी। 

मेने कहा – माँ मेरा थोड़ा बरसात में नहाने का दिल है वैसे भी आज मैं नहाया नही।  

माँ – मन है तो जाओ पर अगर बीमार हो गए तो इस लॉकडाउन में दवाई मिलना मुश्किल हो जाएगी। 

मेने शर्ट उतारी और बारिश में नहाने लगा। ठंडी हवा और तेज बारिश देख माँ का भी मन कर गया और वो भी मेरे साथ नहाने लगी। 

मेने देखा की माँ की पूरी साड़ी गीली हो गई और उनके ब्लाउज से उनकी ब्रा दिखने लगी। 

उनके गीले स्तन और गोरी कमर देख मेरे मन में गन्दी भावनाए जाग उठी। 

माँ भीगते हुए मानो जवान सी दिखने लगी और मैं उन्हें देखता रहा। उनको अपनी जवानी के दिनों की याद आ गई और वो बरसात में झूमने लगी।

उन्हें उछलते स्तन देख मेरी वासना बढ़ने लगी। उनके स्तन और चूचिया गीले ब्लाउज से दिखने लगे। 

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अपनी कामुक और सुडौल माँ को देख मेरा लिंग उठने लगा और पजामे से दिखने लगा। जब माँ की मेरे लिंग पर नजर पढ़ही तो वो एक पल को दंग रह गई। 

मेरा लिंग देख माँ शर्मा गई और वह से जाने लगी। फिर अचानक उनका पैर फिसला और वो मेरे ऊपर जा गिरी। 

हम दोनों जमीन पर गिर गए। माँ मेरे ऊपर थी और मैं उनके निचे। 

उनके भारी भरकम दूध से भरे स्तन मेरे चेहरे पर थे। और मेरा मोटा लिंग माँ की जांघों के बीच टकरा रहा था। 

माँ शर्माते हुए मेरी आँखों में देखने लगी और मेरे लिंग को अपनी जांघों के बीच महसूस करने लगी। मेने मर्दाना तरीके से माँ की गांड अपने हाथो से दबोची और उन्हें कामुक तरीके से मसलने लगा। 

शयद अन्तर्वासना मुझ में ही नही मेरी माँ में भी भरी थी तभी उन्होंने कुछ नही किया। 

उन्होंने धीरे से अपने होठ आगे बढ़ाये और मेरे होठो को चूमने लगी। 

तभी मुझे चुदाई का जोश आने लगा और मेने माँ की साड़ी में हाथ डाल दिया और उनकी मोटी गांड में ऊँगली करने लगा। 

माँ ने अपना ब्लाउज खोला और अपने सुंदर स्तन मेरे मुँह के आगे रख दिए। मैं उन्हें चूसने लगा और माँ मेरे सर पर हाथ फेरने लगी बिलकुल वैसे जैसे वो बचपन में करती थी। 

थोड़ी देर की धीमी चुसाई के बाद मेने उन्हें जोर से चूसना शुरू कर दिया। मैं इस उम्मीद में उनके स्तन चूसे जा रहा था की उनके स्तनों से दूध निकलेगा। पर ऐसा कुछ ना हुआ। 

फिर मेने माँ को उठाया और उन्हें छत के कोने में लेजा कर चूमने लगा। मेरे लिंग से पानी रिसने लगा और मेरा मन चुदाई का करने लगा। 

मेने माँ को जोर से खींचा और उनके कान में कहा – साड़ी उतारो।

माँ मुस्कुराने लगी और अपनी पूरी साड़ी उतारने के बाद वो निचे बैठ कर मेरा लिंग हिलाने लगी। 

मेने जोशीले अंदाज में माँ को उठाया और उन्हें दीवार की तरफ मुँह करा कर हल्का सा झुका दिया।  

माँ ने अपनी गांड फैलाई और अपनी चुत दिखाने लगी। उनकी गीली चुत मेरे लंड को न्योता देने लगी।

मेने अपने हाथ पर थूका और अपने लंड को मसलने लगा।[Image: 41182123_176_adf9.jpg] माँ पीछे मूड कर मुझे देखने लगी और मेरे जोरदार धको का इंतजार करने लगी।  

मेने लंड पर थूक लगाया और उनकी चुत में घुसा दिया और माँ की मुँह से हल्की अहह निकल पड़ी। 

मैं बरसात में माँ की चुदाई करने लगा और 4 साल बाद माँ को यौन संतुष्टि देने लगा। 

माँ की आँखे नशीली होने लगी और उनका अपने पेरो पर बस नही रहा। [Image: 41182123_182_f0d9.jpg]

चुत की जोरदार चुदाई से माँ कड़ी नही रह पाई और वो निचे बैठ गई। फिर मैं उन्हें घोड़ी बना कर चोदने लगा। 

उनके मोटे स्तन मेरी धको से आगे पीछे हिलने लगे और मेरी कामवासना बढ़ाने लगे। 

मैं माँ को बरसात में चोदता रहा और वो पुरे मजे लेती रही। 

उनके गीले बाल उनकी कमर पर थे और वो ऐसी दिख रही थी जैसे कोई हुसन की मलिका हो। 

उनकी खनकती चुडिया और पायल मुझे और तेज चुदाई करने के लिए मजबूर कर रही थी। ऊपर से उनके मुँह से अह्ह्ह उउउउ और तेज अहह सुनकर मेरा लंड और कड़क हो जाता। 

माँ – अहह !! थोड़ा धीरे इतना तेज मेने बोहोत सालो बाद सहन किया है। 

मेने कहा – माँ मेरी जवानी आप कर भारी ना पड़ जाये इसलिए मैं धीरे कर रहा हु वरना तो आप दर्द से चीला रही होती। 

माँ – अच्छा !! जरा दिखाना तो तुम क्या कर सकते हो ?[Image: 94167183_136_0a9f.jpg]

मेने माँ को उठाया और उनके पर अपनी कमर पर लपेट लिए।  साथ ही मेने उनकी कमर पकड़ ली और उन्हें उठा कर चोदने लगा। 

मैं माँ को अपने लंड पर उछाल रहा था और माँ तेजी से चिलाने लगी। कही लोग ना सुन ले इसलिए मेने उन्हें चूमना शुरू कर दिया। 

मेरा लिंग सीधा उनकी चुत में अंदर बाहर जा रहा था। [Image: 94167183_139_8cd7.jpg]मैं अपना लिंग जितना अंदर डालता माँ उतना तेज चिलाती। 

फिर मेने अपने लंड पर गर्म पानी महसूस किया। मेने निचे देखा तो आप की चुत से पानी की बरसात हो रही थी। 

मेरे लंड की चुदाई से मेने उनकी चुत से पानी निकल दिया था। 

माँ ने मुझे हफ्ते हुए कहा – बस और नही होगा मुझ से रुक जाओ। 

मेने माँ को निचे बठाया और उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया। [Image: 94167183_097_7a9d.jpg]मेरी आँखों में देख कर वो उसे चूसने लगी और मेरे अंडे सहलाने लगी। 

अचानक उन्होंने मेरे गोटे गलती से जोर से दब गए और मेरे लंड से सफ़ेद पिचकारी निकल पड़ी। 

गोटो का दर्द मैं सहन नही कर पाया और मेने लंड ने सफ़ेद पानी छोड़ना शुरू कर दिया। 

मेरा सारा माल उनके मुँह पे जा गिरा और माँ उसे उनलगी पे ले कर चाटने लगी। 



उस दिन के बाद माँ के चेहरे पर अलग से रौनक आ गई। मैं उन्हें शायद किसी जीवन साथी होने का सुख दे रहा था। उस दिन के बाद से मेने और मेरी माँ ने लॉक डाउन में खूब चुदाई की और साथ में अच्छा वक्त गुजरा
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#7
रसोई में अपनी माँ को चोदा
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#8
दिल्ली का जवान लड़का विजय करता है अपनी सगी माँ के साथ अपमान जनक हरकत। पर माँ उम्र में बड़ी है तो क्या हुआ दिमाग से तो जवान है। विजय ने बताया की उसकी माँ को सेक्स का काफी शोक था जिसकी वजह से वो दोनों यौन-क्रिया कर बैठे। विजय ने apni maa ko choda और हमें ये सीख दी की हमेशा आदमी की ही नहीं औरतों की भी नियत खराब होती है।

मैं ऑफिस में काम करता था। मेरी शादी भी नहीं हो रही थी क्यों की मैं मोटा था और मेरा रंग भी काला। पर जब मेने रसोई में अपनी माँ को चोदा तो उस दिन मेरी हवस मिट गई। अपनी सगी माँ के साथ सेक्स करके मुझे काफी अच्छा लगा और मेने शादी के बारे में सोचना छोड़ दिया। 

उस दिन मैं ऑफिस में था और छुप छुप कर अपने फ़ोन में गन्दी फिल्मे देख रहा था। उस वक्त मेरी कामवासना जाग उठी थी और मैं काम छोड़ कर चुदाई वाली फिल्मे देख कर अपना लिंग टेबल के नीचे से सहला रहा था।
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#9
मेरे साथ सिर्फ माँ ही रहती थी और पिता कब की चल बेस थे। एक बड़ा भाई था जो अलग रहता था। 

माँ ने मेरा स्वागत किया और रत के करीब 9 बजे वो मेरे लिए खाना बनाने लगी। उस वक्त मैं अभी भी कामुक था और मेरे लिंग से रास की बूंदे टपक रही थी।

तभी मैं अपनी वासना से भरी आँखों से अपनी माँ को देखने लगा। माँ ने रात की क़मीज़(nighty) पहनी थी और उनके कंधे से मुझे उनकी ब्रा दिख रही थी। बस वही से एक माँ और बेटे की सेक्स कहानी शुरू हो गई। 

मैं उनके बस गया और पूछे से उनकी गर्दन देखने लगा। माँ जब भी रोटी बेलती उनके स्तन हिलते और मेरे लिंग को और मोटा करते। माँ की गोरी गर्दन और स्तनों के बीच की लाइन देख मेरी कामुकता सर चढ़ कर नाचने लगी। 

मेने कहा – माँ तुम खाना बनाओ मैं तुम्हारे कंधे दबाता हूँ। तुम भी काफी थकी लग रही हो। 

माँ – अरे वह क्या बात है आज इतना प्यार क्यों ?

मेने उसके सवाल का जवाब एक मुस्कान से दे दिया और उनके कंधे दबाने लगा। दबाते दबाते मैं उन्हें गंदे तरीके से छूने की कोशिश करने लगा। मेने अपना हाथ उनकी कमर पर रखा और उन्हें चुदाई के इरादे से देखता रहा। देखते देखते मैं यहाँ वह की बाते भी करता रहा तभी उनका ध्यान मेरे हाथो पर ना जाये। 

पर उन्हें सब पता था वो भी मेरी हिमत जांच रही थी। उन्होंने मुझे तिरछी आँखों से देखा और मेरे दोनों हाथ ले कर अपने स्तनों पर धर दिए और कहा अब करो अच्छे से। 

मेने कहा (गहरी साँस लेते हुए) – माँ ?? 

माँ (मुस्कुराते हुए) – मैं भी तुम्हे वैसे देखती हूँ कभी कभी जैसे तुम। 

मन कहा (अनजान बनते हुए) – मैं कुछ समझा नहीं।  



माँ ने मेरे हाथो से अपने स्तन मसलना शुरू कर दिया और मेरी अन्तर्वासना की वजह से मैं उन्हें रोक न सका।

माँ ने गैस बंद किया और पीछे मूड कर मुझे चूमा शुरू कर दिया और मेने भी उस वक्त का आनंद लेना शुरू कर दिया। माँ के नरम होठ महसूस करके मेरा लिंग पूरा तन गया। 

जब माँ को मेरा लिंग दिखा तो उन्होंने मेरी पैंट में हाथ डाला और उसे प्यार से सहलाने लगी। अपनी माँ की चुदाई करने के लिए मैं पूरा उत्साहित था। [Image: 41182123_182_f0d9.jpg]

मेने रसोई में माँ को उल्टा करके झुकाया और उनकी nighty ऊपर करके उनकी गांड में मुँह देने लगा। उनकी गांड चुत का छेद गिला करने के बाद मेने अपना लिंग निकाला और माँ को उसपर थूकने को कहा। 

माँ ने तीन से चार बार थूका और मेरा लिंग उनके अंदर जाने को तैयार हो गया। मेने माँ की कमर हाथ से झुकाई और उनकी गांड ऊपर कर के चोदने लगा। 

माँ – अहह ! काफी बड़ा है तुम्हारा बेटा अभी थोड़ा आराम से करो। 

मेने चुदाई करते हुए उनकी nighty में हाथ डाला और उनकी दोनों चूचियां दबाते हुए नीचे की ओर खींचता रहा।

माँ – अह्ह्ह बेटा! मेरे दूध न दबाओ इस तरह दर्द होता है काफी।    [Image: 11462685_170_fc23.jpg]

माँ के साथ ये सब करते मुझे शर्म आने लगी थी पर उनकी काली चुत ने मेरे लिंग पर जादू सा कर रखा था। 

मैं उन्हें उनकी चुदाई करता रहा और उनकी चुत से रसीले पानी की छींटे निकलती रही। मेरे हाथ उनकी बड़े बड़े दूधो से हट नहीं रहे थे। 

और मेरा लिंग उनकी चुत से निकलना नही चाहता था। [Image: 11462685_143_2f98.jpg]माँ को भी ऊपर आनंद आने लगा तो उन्होंने अपने सारे कपडे उतार दिए। 

और मैं उन्हें रसोई में चोदने लगा। माँ के दोनों स्तन मेरे धको से हिले जा रहे थे और जब वो आपस में टकराते तो जोर से झापड़ की आवाज अति। 

चुदाई करते करते हम दोनों पसीने पसीने हो गए। [Image: 11462685_135_e52b.jpg]मेने माँ के बाल खींचे और उन्हें ऊपर उठा लिया। 

मेने एक हाथ आगे किया और उनके स्तनों के बीच से लेजा कर उनकी गर्दन पकड़ ली और उन्हें तेज धके मारता रहा। 

माँ की रास दार गांड पर जोर जोर से मेरी कमर की मर ने उनकी गांड लाल कर दी। माँ की गांड पिटाई में मुझे अंतहीन आनंद आने लगा और मैं उन्हें किसी रंडी की तरह मारते मारते चोदता रहा।

माँ को दर्द से भरी चुदाई का मजा आने लगा और हम सेक्स करते रहे।

कभी मैं उनकी चूत में आगे से लंड देता तो कभी चुत छेद में पीछे से दल
जिसका अपना ही मजा था।

मैं उनकी गहराइयों में कही खो गया और वो मेरे लंड की चोटी के मजे लेती रही। उनके और तेज चिलाने से मेरा शरीर कापने लगा और मेने अपना चरम सुख हासिल कर लिया। 

माँ की चुत में अपना माल डालने के बाद में रुक गया और अपना लिंग नही निकला। माँ के गंदे छेदो से मेरा मन नही भरा पर लिंग तना न होने की वजह से मैं कुछ नही कर सका। 

माँ – बस हो गया बेटा ? आज कल कल के लड़को में दम नहीं है थोड़ा घी खाया खरो ताकत आती है। 

मेने अपनी माँ को चोदा और नहाने चला गया [Image: 23501599_012_ae6d.jpg]उसके बाद माँ ने खाना बनाया और हम खाने लगे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
मस्त मस्त 
















धन्यवाद आप का जवाब नहीं है 
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#11
(29-01-2023, 11:36 PM)neerathemall Wrote: मस्त मस्त 
















धन्यवाद आप का जवाब नहीं है 
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#12
(29-01-2023, 09:37 PM)neerathemall Wrote:
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
(29-01-2023, 09:37 PM)neerathemall Wrote: nospam
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
बारिश में पापा ने छत में अपनी बेटी को चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#15
(09-12-2023, 02:10 PM).neerathemall Wrote:
बारिश में पापा ने छत में अपनी बेटी को चोदा



























nospam Tongue
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#16
(09-12-2023, 02:10 PM)neerathemall Wrote: [Image: 59270265_091_dd36.jpg][Image: 59270265_080_d9d1.jpg]
बारिश में पापा ने छत में अपनी बेटी को चोदा

मेरा नाम रंजीता है और मेरी उम्र 19 साल है. मैं भावनगर गुजरात से हूँ. हमारे परिवार में 6 सदस्य हैं. मम्मी-पापा, मैं, दीदी, भाई और दादी. परिवार में सबसे ज्यादा सेक्सी मेरी दीदी हैं.
पर दीदी मेरे लिए कहती हैं कि मैं भी किसी से कम नहीं हूँ. मेरे छोटे छोटे नुकीले चूचे और टाइट चूत वास्तव में मुझे बड़ी मजबूती देती है. मेरी चूत पर अभी हल्के हल्के बाल आना शुरू हुए हैं पर मेरी चुत है बहुत गोरी.

मेरे चूचे भी एकदम बब्बूगोशा जैसे गोल मटोल और आगे से नुकीले हैं. बब्बूगोशा से तो आप समझ गए होंगे. ये एक नाशपाती की फैमिली का फल होता है और बहुत मीठा होता है. मैंने इसीलिए बब्बूगोशा कहा है, वैसे लोग इसे बग्गूगोशा भी कहते हैं, लेकिन बब्बू कहने में बुब्बू का अहसास अन्दर तक सनसनी कर देता है न … इसलिए बब्बूगोशा लिखा है. दूध के बाद मेरी नाभि सबसे अधिक सेक्सी है.
दोस्तो, अपने पापा के साथ मेरी ये तीसरी चुदाई की कहानी है. पापा के साथ मेरी पहली और दूसरी चुदाई की कहानी भी मैं आपके साथ जरूर शेयर करूंगी, पर मेरे लिए ज्यादा यादगार यही है … इसीलिए मैं इस कहानी को पहले लिख रही हूँ.

वो जुलाई का महीना था. उस महीने की 18 तारीख को मेरा जन्मदिन होता है. उस दिन शाम को पहले हम सबने जन्म दिन मनाया … खूब इंजॉय किया. फिर 11 बजे खाना खाने के बाद हम सब सोने की तैयारी करने लग गए. इतने में लाइट चली गयी.
मैंने मम्मी पापा से कहा कि मैं छत पर सोने जा रही हूँ, मुझे नीचे गर्मी में नींद नहीं आएगी.
मम्मी ने कहा- बेटा, अकेले कैसे सोएगी … जा अपनी दीदी को भी बोल दे उसे भी साथ ले जा.
मैंने दीदी से कहा, पर दीदी ने मना कर दिया.

इतने में पापा बोले- चल मैं तेरे साथ चलता हूँ.
मैं अपने पापा के साथ दो बार चुदाई कर चुकी थी, पर ये बात मम्मी को मालूम नहीं थी. पापा होने के नाते माँ ने कोई शक नहीं किया. अब मैं और पापा छत पर चले गए. हमने छत पर ही बिस्तर लगाया और लेट गए.

कुछ देर बाद पापा ने धीरे से एक पैर मेरे ऊपर रखा और कहा- बेटी, क्या ख्याल है?
मैंने कहा- पापा क्या ख्याल होगा … मैं मना करूंगी, तो कौन सा आप कुछ नहीं करोगे. कुछ करने के लिए ही तो आप छत पर आए हो.
ा- मेरी बिटिया तो समझदार हो गयी.

[Image: 20200315_095730-1428781961.jpg?w=1060]

अब मैंने पापा से कहा- पापा अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है, आप जल्दी से मेरी चूत में अपना लंड डाल दो.
पापा ने मेरी चूचे मसलते हुए कहा- क्या हुआ मेरी रंडी … चुत में चींटियां काट रही हैं क्या?
मैं- हां पापा, आपकी रांड बिटिया की चूत अपने पापा का लंड लेने के लिए मचल रही है.
पापा ने मुझसे पूछा- तू ऊपर से आ कर लंड लेना चाह रही है या नीचे से मैं ही लंड पेलूँ?

मैंने कहा- पापा मुझे नीचे से मजा आता है … आप ही मेरे ऊपर चढ़ जाओ … आप ऊपर से जमकर चोदते हो.
पापा ने कहा- ठीक है … तू अपनी टांगें खड़ी कर दे और अपने हाथ से लंड को चूत में लगा दे.

मैंने ऐसे ही किया. पापा का लंड हाथ में लेकर अपनी चूत के मुँह पर लगा दिया … और पापा ने एक झटके में लंड अन्दर ठेल दिया. तीसरी बार लंड लेने पर अभी मेरी चुत पूरी तरह से लंड लेने की अभ्यस्त नहीं हुई थी. इसलिए मुझे पापा का लंड लेते ही चुत में दर्द होने लगा. हालांकि इस बार दर्द कम हुआ था. जितना पहली और दूसरी चुदाई में हुआ था … इस बार उतना दर्द नहीं था.
जल्द ही पापा ने अपना पूरा लंड मेरी चुत की जड़ तक पेल दिया और अब वो धीरे धीरे धक्के मारने लगे थे.
आज मैं खुली छत पर अपने पापा से चुद रही थी. मुझे बड़ा मजा आ रहा था. हम दोनों के बदन गर्मी के चलते पसीने में लथपथ होने लगे थे.
इतने में बारिश होने लगी.
बारिश की बूंदों ने मेरी गर्मी को मस्ती देना शुरू कर दिया था. मैंने अपनी दोनों टांगें हवा में उठा रखी थीं और पापा मेरी चुत को भोसड़ा बनाने की जुगत में जोरदार धक्के मार रहे थे. उनका लंड मेरी चुत में इंजिन का पिस्टन जैसा चल रहा था.

मैंने पापा से कहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… पापा बड़ा मजा आ रहा है … आप रुकना मत … आज ऐसे ही बारिश में अपनी रंजीता की चूत बजाते रहो. आपकी रंजू बारिश में भीगते हुए ही चुदना चाहती है.
पापा को पानी बूंदों से मजा आ रहा था. वो बारिश की ठंडी बूंदों में अपने लंड और मेरी चुत की आग को बुझाने में लग गए और उनकी रफ्तार पहले से तेज हो गई. पापा का लंड मेरी चुत में पूरे अन्दर जाकर मेरी बच्चेदानी पर चोट मार तरह था.[Image: 43139343_104_77a6.jpg]
पापा मेरी ताबड़तोड़ चुदाई करने में लगे हुए थे. जैसे जैसे पापा की रफ्तार बढ़ रही थी, वैसे वैसे बारिश और तेज होती जा रही थी. ऐसा लग रहा था मानो बारिश की बूंदों और पापा के धक्कों में कम्पटीशन हो रहा हो.
पापा ने मुझे चोदते हुए कहा- आह … मेरे साथ बारिश में नंगी होकर डांस करेगी?
मैंने हामी भर दी.

हम दोनों खड़े हुए और बारिश में डांस करने लग गए. हम दोनों बाप बेटी बिल्कुल नंगे थे. डांस करते करते मैं बीच बीच में पापा का लंड चूस लेती. अब पापा ने मुझे गोद में उठाकर डांस करने लगे. वो डांस करते करते मुझे एक कोने में ले गए और मेरी एक टांग दीवार पर टिका कर वहीं खड़े खड़े मेरी चूत में लंड डाल दिया. लंड अन्दर पेलते ही पापा मेरी चुत में जोर जोर से धक्के मारने लगे. अब मेरा आनन्द आसमान पर था. मुझे पापा से खड़े खड़े चुदने में बहुत मजा आ रहा था. मैं भी इस चुदाई की मस्ती में अपने पापा से ना जाने क्या क्या बोल रही थी.
मैं कहने लगी- वोह्ह मेरे पापा … चोदो ना अपनी रांड बिटिया को … आज से मैं आपकी रखैल हूँ.
पापा ने कहा- ये तुम और आप बोलना छोड़ … और मुझे तू अबे बोल … गाली दे भैन की लौड़ी छिनाल साली लंडखोर!
मैंने भी उनकी बात मान ली और बोलने लगी- आज से ये रंजीता तेरी रांड बेटीचोद … जब मर्जी चोदना मुझे भोसड़ी वाले … आह्ह ऊह्ह्ह कुत्ते … आज रगड़ दे अपनी नाजुक छिनाल बिटिया को … मसल दो अपने लंड से आज मुझे … आह्ह्ह.[Image: 27556778_095_6b58.jpg]

पापा वहीं खड़े खड़े बारिश में मेरी चूत बजाए जा रहे थे. मेरी चुत को दुनिया का हर सुख दे रहे थे.
मैंने पापा से कहा- आज मैं तेरी पत्नी बन गई हूँ … चोदो मेरे राजा … फाड़ दो आज अपनी पत्नी रंजीता की चूत … आज से मैं तेरी सब कुछ हूँ … रांड भी, रखैल भी, बिटिया भी, गर्लफ्रेंड भी और पत्नी भी … आज पूरा निचोड़ दो अपनी जान को. आहह पापा. मेरे पापा … आह्ह्ह पापा … बना दो आज अपनी बिटिया को माँ … चोद चोद कर फाड़ दो आज मेरी चूत …[Image: 70872089_100_1e86.jpg]
इस पर पापा भी बोलने लग गए- ले कुतिया. … साली … मेरी रंजीता रांड … हां आज से मैं तेरा खसम हूँ … अब हर रात तेरे साथ तेरी चूत बजाऊंगा … भैन की लवड़ी खा अपने बाप का लौड़ा!
ये कहते हुए पापा के लंड के धक्कों की स्पीड तेज हो गयी … और मेरी आवाज भी.

मैं बोलने- माँ के लौड़े हरामी साले … आज तू पूरा बेटीचोद बन गया … तू मेरा राजा और मैं तेरी रानी … चोद मेरे राजा … आह्ह्ह.[Image: 59270265_045_cba9.jpg]
पापा अब मुझे पूरी ताकत और जोर से चोदने लगे थे. मैं भी चरम सीमा पर आ गई थी. मैं झड़ने वाली थी.
इतने में पापा ने अपने लंड का गर्म गर्म वीर्य में मेरी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया. उसके बाद पापा ने लंड बाहर निकाला और मैंने मुँह से पापा का लंड चूसकर साफ़ कर दिया.
अब बारिश भी कम हो गयी थी. ये रात मेरे लिए बहुत यादगार थी.

अपने
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#17
मेरी सलहज की बारिश में चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#18
(09-12-2023, 02:43 PM)neerathemall Wrote: nospam
मेरी सलहज की बारिश में चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
(09-12-2023, 02:43 PM)माँ Wrote: neerathemall
मेरी सलहज की बारिश में चुदाई





































fight
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#20
मेरा साला मुझसे 3 साल छोटा है. उसकी बीवी रेखा मुझे उसकी शादी के वक़्त से ही बहुत पसंद है.
मैं शुरू से रेखा की चूत मारने की तमन्ना रखता था।
लेकिन रिश्ते की वजह से डरता था कि कहीं कुछ उल्टा सीधा हो गया तो बहुत बड़ा बवाल हो जाएगा।

पर जब मैंने देखा कि रेखा भी बार बार मुझे लाइन देती है और अपने पल्लू को गिराकर बार बार अपने बोबों को दिखाते हुए बड़े लटके झटके से मुझे पटाने के प्रयास करती रहती है तो मैंने उससे अच्छे से बातचीत करना शुरू कर दी.
तभी पता लगा मेरा साला बस पैसे कमाने में लगा रहता है, सुबह 5 बजे से लेकर देर रात तक बस पैसा पैसा!.
जबकि घर में जवान बीवी को पैसे के साथ कड़क मोटा लन्ड भी चाहिए होता है.
अब वह नहीं देगा तो वो किसी और से तो लेगी ही!

बस ये सब बातें साफ होते ही मैं अपने लन्ड को यही कहता कि बस अब मंज़िल दूर नहीं।
एक दिन मैं अपने ससुराल के शहर में किसी काम से गया तो ससुराल के घर भी चला गया कि इसी बहाने मेरी जान रेखा को देख आऊंगा तो रात को मुठ मारने का जुगाड़ हो जाएगा।
ससुराल जाने पर पता लगा कि मेरा साला दुकान के काम से बाहर गया है, 2 दिन बाद वापस आएगा.
और मेरे सास ससुर सासुजी के मायके में किसी की मौत हो जाने की वजह से गए हुए हैं.
वे देर रात को वापस आने वाले थे.

मतलब रेखा और मैं बस और कोई नहीं, चुदाई के लिए सब माहौल बना हुआ ही था।
रेखा मेरे लिए चाय लेकर आयी और मुझे चाय देकर वहीं खड़ी होकर बातें करने लग गयी.
मैंने उससे कहा- आप भी लो चाय!
तो वह आनाकानी करने लगी- मैंने अभी पी है, बस आपके लिए ही बनाई है।

मैंने ज़िद करते हए कहा- मैं कोई काम अकेले नहीं करता. आप नहीं पीओगी तो मैं भी नहीं पिऊँगा.
तो उसने कहा- ठीक है, आधा आधा पी लेते हैं।

मैंने उसको कहा- पहले आप पीयो. लेडिज़ फर्स्ट!
तो उसने बड़ी अदा से हंसते हुए एक सिप ली.
फिर मैंने भी उसी कप से एक सिप ली.

और इस तरह दोनों ने एक दूसरे की झूठी चाय पी। 
मुझे लगा आज मौका अच्छा है, चौका मार ही देना चाहिए.
मैं एक झूठी प्रमोशन की कहानी सुनाकर उसका मुंह मीठा कराने की बात कह कर बाहर मिठाई लेने चला गया और मिठाई लेकर उसमें कामोत्तेजक दवाई मिला दी।
फिर ससुराल में आकर उसी कामोत्तेजक मिली हुई मिठाई को रेखा को खिलाया.
दवाई असर करने में थोड़ा देर लगाएगी, यह सोच कर मैं रेखा से बात करने लग गया.

रेखा भी मुझसे बात करते करते ऐसे देख रही थी जैसे बिल्ली दूध की भरी हुई हांडी को देखती है।
लेकिन उसने ऐसी कोई बात नहीं जिससे मुझे आगे बढ़ने का हौसला मिले.

अंत में थक हार कर मैंने कहा- ठीक है, अब मैं चलता हूँ.
तो वह कुछ कहते कहते रुक गई और मन मसोस कर बोली- ठीक है, अगली बार दीदी को भी लेकर आना।
मैंने कहा- ठीक है!

और वापस आने के लिए निकला ही था कि बारिश शुरू हो गई, मेरे कपड़े थोड़े से गीले हो गए.
मुझे उम्मीद की नई किरण दिखाई दी.
मैं वापस लौटा और मुझे देख कर रेखा के चेहरे की रौनक लौट आई।[Image: 83684022_055_7c09.jpg]

उसने मुझे कहा- आप कपड़े बदल लो, नहीं तो तबियत खराब हो जाएगी.
मैं बाथरूम में गया और कपड़े खोल कर एक तौलिया लपेट कर बाहर आ गया.
रेखा मेरे चौड़े रोमदार सीने को देख कर होंठों पर जीभ फेरती हुई मदहोशी भरी नजरों से देखने लगी.
तभी मुझे छींक आ गई तो रेखा ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बोली- चलो, मैं बाम लगा दूँ. नहीं तो बीमार हो जाओगे!
रेखा ने मुझे उसके बिस्तर पर लिटाया और बाम लेकर आई.

वह मेरा सिर अपनी गोद में रख कर बाम लगाने लगी.
उसकी गोद में सर होने से उसके बोबे मेरे सर को छू रहे थे.

साथ ही रेखा के बदन से आ रही मदहोश कर देने वाली खुशबू मेरे तन बदन में सनसनी पैदा कर रही थी.
धीरे धीरे तौलिया के अंदर मेरा लन्ड कड़क होने लग गया, तौलिया भी थोड़ा ऊंचा ऊंचा से दिखने लगे गया.
रेखा की नजर उस पर पड़ी तो वह शर्माती हुई मुस्कुराई, थोड़ा रुक कर बोली- अब कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- अब तो सनसनी उठ रही है दिलो दिमाग में!
रेखा ने पूछा- क्यों?
मैं बोला- बाहर बरसात हो रही है और अंदर मैं बिना कपड़ों के एक दहकते हुए हुस्न की मल्लिका की गोद में सर रख कर लेटा हूँ तो सनसनी तो उठनी ही है.

यह कहकर मैंने रेखा का हाथ पकड़ कर चूम लिया और सर को थोड़ा सा उठाते हुए रेखा के गालों पर किस कर दिया.
रेखा की गर्म गर्म सांसें निकलने लगी, उसकी आँखों में अलग ही खुमारी दिख रही थी।

अब मुझे लग रहा था कि रेखा भी कामोत्तेजना में डूब रही है, कामोत्तेजक दवाई उस पर सब असर दिखा रही है।
रेखा ने अपने सर को थोड़ा सा झुकाया और मेरे होठों को अपने होठों की कैद में ले लिया।
अब हम दोनों होंठों की घमासान लड़ाई में कूद पड़े थे, कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहा था.
रेखा अपनी जीभ मेरे होठों में डाल कर चुसवाने लगी और हाथों को मेरे सीने और नीचे तक फिराने लगी।
मेरा लन्ड पूरी तरह कड़क हो चुका था और लन्ड के ऊपरी हिस्से में हल्का गीलापन भी आ चुका था।
अचानक रेखा का हाथ थोड़ा ज्यादा नीचे तक पहुंच गया और मेरे बदन से तौलिया अलग हो गया.
तौलिया रूपी दीवार हटते ही मेरा लन्ड अपने पूरे विराट स्वरूप में बाहर उछल कूद मचाने लग गया।

मैंने हल्के से उठ कर रेखा को भी अपने साथ लिटा लिया और अपने होठों की कारीगरी दिखाते हुए रेखा के बोबों को सहलाने लगा।
हम दोनों की आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे.[Image: 83684022_085_8fbf.jpg]

तभी मेरे मन में ख्याल आया कि पहली बार को थोड़ा अलग बनाया जाए.
मैंने उठ कर तौलिया लपेटा और रेखा को अपनी गोद में उठाकर बरसती बारिश में छत पर ले गया.
छत पर लेजाकर रेखा को लिटा दिया और खुद उसको बाहों में भर कर उसके पास लेट गया।

ऊपर से घटाएं बरस रही थी और नीचे की घटाएं बरसने को तैयार हो रही थी।
रेखा से अब सहन करना मुश्किल हो रहा था, वह मुझे बार बार ‘जान आओ न … मेरी प्यास बुझा दो प्लीज! आज बादल बन कर छा जाओ और मेरी प्यासी धरती की प्यास बुझा दो प्लीज!’ ऐसे बोल रही थी.
देसी चूत हिंदी में चुदाई के लिए गिड़गिड़ा रही थी.[Image: 83684022_143_94c6.jpg]

मैं भी बोल रहा था- हां जान, आज तुम्हारी और मेरी दोनों की प्यास पूरी बुझाऊँगा!
चुम्माचाटी करते करते मैंने एक हाथ से रेखा की साड़ी अलग कर दी और रेखा के पहाड़ की चोटियों जैसे तने हुए स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से ही चूमने लग गया.
एक हाथ से दूसरे स्तन को भींच रहा था तो दूसरे हाथ को रेखा के पेटीकोट के ऊपर से रेखा की चूत और जांघों पर फेर रहा था।

जैसे ही मेरा हाथ रेखा की चूत के ऊपर जाता, रेखा उत्तेजनावश अपनी टांगें रगड़ने लग जाती.
रेखा को सहलाते सहलाते मैंने रेखा का ब्लाउज उतार दिया और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.

बाकी काम रेखा ने आसान कर दिया और खुद ही पैर चलाकर पेटीकोट को नीचे खिसका कर अलग कर दिया.
अब मेरी जान रेखा सिर्फ पेंटी और ब्रा में थी और अजंता एलोरा की किसी जीवित मूर्ति के समान मेरे सामने बरसती बूंदों के बीच लेती थी।

मैंने उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही मुंह में भर लिया और अपने हाथों से रेखा के पूरे बदन को रगड़ने लग गया.
रेखा के होठों से गर्म गर्म सांसें निकल रही थी और कांपते हुए लहजे में कह रही थी- बस अब और मत तड़पाओ, मुझमें समा जाओ, अपना बना लो जान![Image: 83684022_232_46a9.jpg]
मैंने एक हाथ रेखा की कमर के पीछे डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.
रेखा के उन्नत बोबे आज़ाद हो गए और मैंने लपक कर उसके बोबे की निप्पल को अपने होठों की कैद में ले लिया.

रेखा के होठों से सिसकारी निकल गई.,
और मैं जैसे कोई दूध पीता हुआ बच्चा बन गया.

ऐसा बेसब्र बच्चा जो एक ही बार में सारा दूध पी लेना चाहता हो!
उसके निप्पल को कभी चूसता हुआ कभी हल्के से काटता हुआ, मैं अपना हाथ रेखा की पेंटी के अंदर डाल कर रेखा की चूत को रगड़ने लग गया.
रेखा तो जैसे पागल ही हो गई, उसकी आंखें ऐसी दिख रही थी जैसे कई पैग शराब पी रखी हो।
उसकी चूत की चिकनाई इस बात का सबूत थी कि रेखा पूरे जोश के साथ आनन्द ले रही है।

रेखा जोर जोर से मेरी पीठ को सहला रही थी और मुझे जगह जगह से काट काट कर लव बाईट के निशान छोड़ रही थी।
फिर अचानक मैंने रेखा की चूत में उंगली डाल दी.
रेखा भाभी तो जैसे मारे उत्तेजना के चीख ही पड़ी.

मैंने तुरन्त उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया।
5 मिनट तक अच्छे से चूसने के बाद मैं रेखा को चूमने लग गया, उसके स्तनों और नाभि को चूमते हुए जब मैं थोड़ा और नीचे खिसका और उसकी पेंटी के ऊपर से ही रेखा की चूत को चूमा तो रेखा पैर पटकने लग गई.
मैंने धीरे से 2 उंगलियां रेखा की पेंटी में डाली तो रेखा ने हल्की सी कमर ऊपर उठाई और पेंटी को निकल जाने दिया.
मेरी नजर रेखा की चूत पर पड़ी!
वाह … क्या शानदार चूत थी … छोटी सी चूत जिसके 2 छोटे छोटे से होंठ बने हुए थे.
एकदम रोम रहित और हल्का सा भूरापन लिए हुए एक शानदार चूत थी.

उसको देखते ही मेरा मन रेखा की देसी चूत को चाटने के लिए लालायित हो उठा और मैंने तुरन्त ही रेखा के पैर फैलाते हुए उसकी चूत पर अपने होंठ रख कर सबसे पहले रेखा की भगनासा को चूमा उसके बाद चूत के होठों को अपने होठों में भर के उनके साथ खेलने लग गया।[Image: 83684022_143_94c6.jpg]
रेखा की चूत से गर्म गर्म पानी बह के निकल रहा था और मैं अपनी जीभ से चाट चाट कर उस सारे पानी को पीता जा रहा था।
अब रेखा की टाँगें और अधिक चौड़ी होती जा रही थी.
उसकी सिसकारियां बेतहाशा बढ़ती जा रही थी और वो अपने निचले होंठ को ऊपर वाले होंठ से काटती जा रही थी.

अचानक रेखा ने झटका दिया और पलट कर मुझे नीचे करके मेरे मुंह पर अपनी चूत को रख कर बैठ गयी.
मैं अपनी जीभ चलाता रहा.
रेखा ऊपर से ही मेरी जीभ को चोदने लग गई
वह बोलती जा रही थी- ओह जान … बड़ा मजा आ रहा है. तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले!
साथ ही सिसकारियां भरती हुई गर्म गर्म सांसें छोड़ती जा रही थी.

ऊपर से गिरती बारिश की बूंदें रेखा और मुझे शीतल करने की जगह और अधिक गर्म करते हुए हमारे तन बदन में आग सी लगा रही थी.
मैंने फिर से रेखा को नीचे किया और उसकी टांगों को फैला कर फिर से अपने होंठ उसकी सुलगती हुई चूत पर रख दिये और अपने हाथ की 2 उंगलियां उसकी चूत में डाल कर उंगलियों से चूत को चोदने लग गया.
रेखा बार बार अपनी कमर को उचका उचका कर नीचे करने लग गई.
अचानक रेखा ने मुझसे कहा- जान, मैं आ रही हूं, मेरा निकलने वाला है!
मैंने कहा- आ जाओ जान![Image: 47541318_220_9256.jpg]

और इतना सुनते ही रेखा कमान की भांति तन गई और उसकी चूत से भल्ल भल्ल करके सफेद काम रस बहने लगा.
मैंने एक भी बूंद व्यर्थ नहीं जाने दी और रेखा की चूत से बहता हुआ सारा रज पी लिया और जीभ से चाट चाट कर रेखा की चूत को साफ भी कर दिया.[Image: 47541318_274_73b8.jpg]
रेखा आंखें बंद किये लेटी हुई थी, उसकी सांसों की रफ्तार भी अब सामान्य हो चुकी थी.
उसने मेरी आँखों में देखा और प्यार और शर्म से देखने लगी.[Image: 47541318_230_3f99.jpg]
मैंने उठकर रेखा के होठों पर किस किया और रेखा को गोद में उठाकर वापस नीचे उसके बेडरूम में ले आया।
रेखा बोली- मुझे पेशाब लगी है!
मैंने कहा- इसको बेकार मत करो, मुझे पीना है इसको!
यह कहकर मैं नीचे लेट गया, रेखा ऊपर आकर मेरे मुंह के पास अपनी चूत लगा कर बैठ गई.

मैंने उसकी चूत को अपने होंठों में भर लिया और रेखा ने मूतना शुरू कर दिया, मैंने उसकी चूत के मूत की एक एक बूंद पी ली.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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