Thread Rating:
  • 6 Vote(s) - 1.67 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest शादीशुदा बहन को मस्ती से चोदा
मगर बड़ी दीदी की चुदाई का ये खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चला. चाचा ने जल्दी ही दीदी की शादी फिक्स कर दी. पांच महीने के अंदर अंदर दीदी की शादी भी हो गयी. वो अपने ससुराल चली गयी थी.

उसकी शादी के बाद अपने ससुराल में वो अपने पति के लंड का मजा लेने लगी और मैंने यहां गांव में एक कमसिन कली पटा ली थी. मैं उस कुंवारी चूत को चोदने का आनंद ले रहा था.

मगर किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था. आगे की पढ़ाई के लिए मैं लखनऊ चला गया. वहां पर मैं किराये के रूम में रह रहा था.

अचानक काफी समय बाद दीदी का कॉल आया. उन्होंने बताया कि जीजा का ट्रांस्फर लखनऊ में हो गया है. लखनऊ में ही उन्होंने फ्लैट भी ले लिया है. मगर कुछ दिनों तक वो पुरानी जगह पर ही रह कर काम करेंगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
दीदी बोली- तू यहां मेरे पास आ जाया कर!
मैंने बिना सोचे हां कर दिया.
वो बोली- ठीक है, कल तेरे जीजा सुबह ड्यूटी पर निकल जायेंगे. उसके बाद तू आ जाना.
मैंने कहा- ठीक है दीदी. मैं पहुंच जाऊंगा.

अगले दिन दोपहर में मैं दीदी के रूम पर जा पहुँचा. दीदी ने रूम का दरवाजा खोला तो मैं उनको देख कर हतप्रभ रह गया।
मैंने सरिता दीदी को जब साड़ी में देखा तो देखता रह गया. दीदी पहले से भी ज्यादा खूबसूरत दिखाई दे रही थी. शादी के बाद उनका बदन और भी खिल चुका था।

दीदी लाल रंग की साड़ी और ब्लाउज में थी. पैर रंगे हुए थे और पैरों में पायल थी. हाथों में मेहँदी लगी हुई थी और लाल रंग की चूड़ियां खूब जंच रही थी. गले में लम्बा सा मंगलसूत्र और होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक थी. मेकअप किया हुआ चेहरा, कानों में झुमके, मांग में सिंदूर के साथ दीदी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।

मन तो कर था कि दीदी को तुरन्त बांहों में भर लूं और दीदी को चोद डालूं।
वो बोली- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- देख रहा हूँ कि तुम कितना बदल गई हो.
दीदी ने कहा- क्यों अच्छी नहीं दिख रही हूं क्या?

मैंने कहा- नहीं आप तो पहले से भी मस्त माल दिख रही हो. जीजा ने आपके रंग और अंग को और ज्यादा निखार दिया है. मन तो कर रहा है कि अभी बिस्तर पर ले जाकर निचोड़ दूं और आपकी खिली हुई जवानी का पूरा रस पी जाऊं।

दीदी ने हँसते हुए दरवाजा बंद करते हुए कहा- अब मैं किसी और की अमानत हूँ. किसी और के माल पर बुरी नजर नहीं डालते।
मैंने दीदी का हाथ पकड़कर अपनी ओर खींचते हुए बोला- और शादी के पहले ये माल मेरा था. अब उसी माल को जीजा चोद रहे हैं.

उसने मेरे गालों पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहा- नहीं, तुमने अपने जीजा के माल को उनसे भी पहले ही चोद लिया.
ऐसा कह कर वो जोर जोर से खिलखिलाकर हंसने लगी.

मैंने सरिता दीदी को अपनी बांहों में लेते हुए कहा- कहीं जाने के लिए तैयार हो क्या?
वो बोली- नहीं, कहीं नहीं जाना. पहले तुम ये बताओ कि क्या पीओगे?
मैंने दीदी को अपनी बांहों में कसते हुए बोला- अपनी प्यारी बहना के गदराए बदन पर चढ़ी हुई जवानी का रस।

ये कहते हुए मैंने दीदी के चेहरे को अपने हाथों में लिया और उनकी नज़र से अपनी नज़र मिला दी.
दीदी मेरी आँखों में देखती हुई बोली- तो फिर पी लो ना … रोका किसने है?

मैंने उनके दोनों होंठों को अपने होंठों के अंदर लिया और उनके होंठों से लिपस्टिक को अपनी जीभ से चाट गया। उसके बाद पता नहीं कितनी देर तक मैं दीदी को वहीं खड़े खड़े चूसता रहा. कभी मैं दीदी के होंठों को तो कभी दीदी मेरे होंठों को. कभी मैं दीदी की जीभ को तो कभी वो मेरी जीभ को चूस रही थी.

कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे को चूमने के बाद मैंने साड़ी का पल्लू पकड़ा और दीदी के कंधे से पिन निकाल कर पल्लू को गिरा दिया. मैंने अपने हाथ नीचे ले जाकर दीदी की साड़ी को उनकी कमर में से निकाल दिया.

साथ ही मैंने दीदी की साड़ी को और पेटीकोट की डोरी को एक साथ खोल दिया. इसके साथ ही दीदी की साड़ी और पेटीकोट दोनों एक साथ जमीन पर गिर गए। अब दीदी ब्लाउज और पैंटी में मेरे सामने थी.

दीदी अब तक बिल्कुल गर्म हो चुकी थी. मैंने दीदी के ब्लाउज का हुक खोल कर ब्लाउज को निकाल दिया. अब दीदी लाल कलर की ब्रा और पैंटी में मेरे सामने थी। तभी दीदी ने मुझे धक्का देकर दीवार से सटा दिया.

फिर उसने मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरी शर्ट निकाल दी और फिर उसने मेरी बनियान को भी निकाल फेंका। अब उसने मेरे जिस्म पर चुम्बन करना शुरू किया. मैं पागल होने लगा.

उसने पहले मेरे होंठों को चूसना शुरू किया. बहुत देर तक चूसने के बाद उसने मेरे सीने को चूमना शुरू किया. वो मेरे निप्पल्स को बारी बारी से मुंह में लेकर चूस रही थी जिससे मेरे अंदर एक मादकता भरती जा रही थी.

उसके बाद दीदी ने मेरी चड्डी में हाथ दिया और मेरे लंड को सहलाने लगी। अब दीदी मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गयी और मेरी लोवर के ऊपर से मेरे तने हुए लंड पर हाथ फिराने लगी. उसको मेरा लंड बहुत पसंद था.

अब दीदी ने मेरी लोअर को खींच कर नीचे कर दिया. मेरा लौड़ा मेरे अंडरवियर में तड़प रहा था. उसने अंडरवियर को आगे से गीला कर दिया था. दीदी ने मेरे अंडरवियर को उतार दिया और मेरा मोटा लंड बाहर निकल कर झूलते हुए दीदी के सामने फनफनाने लगा.

दीदी मेरे लंड को प्यास भरी नजर से देख रही थी. उसने मेरे लंड पर एक किस कर दी और फिर प्यार से मुंह खोल कर मेरे लंड को अपने होंठों के अंदर समा लिया. दीदी ने मेरे लंड को अपने मुंह में पूरा भर लिया और चूसने लगी.

क्या बताऊं दोस्तो, दीदी ऐसा लंड चूसती थी कि मैं शब्दों में उस आनंद का वर्णन नहीं कर सकता. मेरे लंड को ऊपर से नीचे तक दीदी ने अपने थूक में गीला कर दिया था. अब वो मेरे लंड के साथ साथ मेरे आण्डों को भी चूसने लगी थी.

मुझे इतना मजा आ रहा था कि मेरे मुंह से बहुत कामुक सिसकारियां निकल रही थीं- अह्हह … इशस्स् … आ्हह दीदी … उम्म … दीदी … ओह्ह.. क्या मस्त चूस रही हो। आह्ह् … बहुत मजा आ रहा है दीदी.

पांच मिनट में ही दीदी ने मुझे मेरी उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुंचा दिया. मैंने दीदी के सिर को पकड़ लिया और एक दो धक्के उसके मुंह में दिये कि तभी मेरे लंड से वीर्य निकल पड़ा जिसको दीदी ने अपने मुंह में अंदर ही पी लिया.

फिर दीदी ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकाला और बोली- अब तुम्हारी बारी है.
मैंने दीदी के कंधों को पकड़ कर दीदी को खड़ा कर दिया और अपने सीने से दीदी को लगा लिया. पीछे हाथ ले जाकर मैंने उनकी ब्रा का हुक खोल कर ब्रा को निकाल दिया. दीदी की चूची नंगी हो गयी. मैंने देखा कि दीदी की चूचियों का साइज अब पहले से काफी बड़ा हो गया था.

शायद जीजा जी दीदी की चूची खूब दबाते थे. दीदी को भी अपनी चूची दबवाना और पिलाना बहुत पसंद था. मैंने बड़ी दीदी को दीवार से सटा दिया और उसके गले में पड़े मंगलसूत्र को निकाल दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
ब मैंने दीदी की बाईं चूची का निप्पल मुंह में लेकर चूसना शुरू किया और दायीं निप्पल को अंगूठे और उंगलियों की सहायता से मसलने लगा. दीदी के मुंह से मादक आहें निकलने लगीं.

उन्होंने मेरे सिर को पकड़ लिया और मेरे बालों को सहलाने लगी. कुछ देर के बाद दीदी की दायीं चूची को मुंह में लेकर मैं बाईं को मसलने लगा. उनकी चूचियाँ जी भरकर चूसने के बाद मैंने दीदी के कंधों, गर्दन, उनकी कमर और पेट को चूमना शुरू कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
दीदी हल्की हल्की आहें भर रही थी और उनकी आँखें बंद थी। उसके बाद मैंने दीदी को घुमाकर दीवार से सटा दिया और उनकी पीठ पर चुम्बनों की बरसात कर दी. अब मैं उनकी पीठ को चूमते हुए नीचे की तरफ आने लगा.

अब मैं दीदी के पीछे घुटनों के बल बैठ गया और दीदी की पैंटी को निकाल दिया. अब दीदी के चूतड़ों पर मैं किस करने लगा. चूतड़ों को चूमने के बाद मैंने उनकी जांघों को भी चूमना शुरू कर दिया।

फिर मैंने दीदी को घूमने को कहा तो वो घूम गयी. अब मैं दीदी के बाएं पैर को हाथों में लेकर उनकी एड़ियों और पंजों को चूमते हुए उनके घुटनों तक गया. इसके बाद मैं दीदी के दायें पैर के पंजों एड़ी को चूमते हुए घुटनों तक गया।

अब मैं थोड़ा और दीवार की तरफ सटा और दीदी के दाहिने पैर को उठा कर अपने कंधों पर रख लिया. दीदी दीवार का सहारा लेकर मेरे सर को पकड़ कर खड़ी हो गयी. दीदी की चूत अब ठीक मेरे मुंह के सामने थी.

देर ना करते हुए मैंने दीदी की चूत पर अपनी जीभ लगा दी. उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी. मैं बड़ी दीदी की चूत को चाटने लगा. कभी जीभ अंदर देता तो कभी बाहर चाटता. कभी जीभ से उसकी चूत की गहराई नापता.

इतनी ही देर में दीदी लंड से चुदने के लिए तड़प उठी. उसके मुंह से कामुक चुदास भरी सिसकारियां निकल रही थीं- आह्ह आईई … आह्हह क्या कर रहा है … आह्हह क्यूं तड़पा रहा है हरामी … आह्हह … डाल दे अब।

मगर दीदी की चूत को चूसता ही रहा और वो अकड़ने लगी.
वो अपने हाथों से मेरे सिर पर दबाव बनाने लगी और मेरे सिर को अपनी बुर पर दबाने लगी।

थोड़ी ही देर में दीदी की चूत से रस की धारा निकल पड़ी. मैंने उसका सारा पानी पी लिया।

दीदी ने मदहोश होकर कहा- अनुज, आज यहां सिर्फ मैं और तुम हैं. आज मुझे ऐसे प्यार करो कि मैं कभी भूल नहीं पाऊं.

मैंने दीदी से कहा- आज अपनी प्यारी बड़ी दीदी की चुदाई ऐसी ही करूँगा, फिक्र मत करो।

अब मैंने खड़ा होकर दीदी को गोद में उठा लिया और उनको उनके बेडरूम में लेकर आ गया. आहिस्ता से मैंने नंगी दीदी को उनके बिस्तर पर लिटा दिया।

दीदी का गदराया बदन और दीदी की मस्त जवानी मेरे सामने नंगी थी. मैं खुद पर काबू नहीं रख पा रहा था. मैंने उसके पांव की उंगलियों को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा. फिर उसके तलवे और एड़ियों को चूमने लगा।

उसके बाद दीदी के घुटनों को चूमते हुए उसकी बुर के पास आकर एक किस किया। अब दीदी के पैरों को फैलाकर मैं घुटनों के बल बैठ गया और मैंने ऐसे बैठ कर अपने लन्ड को दीदी की बुर पर सेट किया.

लंड को दीदी की बुर पर सेट करने के बाद मैंने हल्का सा धक्का दिया और मेरा लंड दीदी की चिकनी चूत में आराम से चला गया. दीदी की चूत उनके चूत के रस और मेरे थूक से एकदम लसालस चिकनी हो चुकी थी. इसलिए एक ही धक्के में लौड़ा दीदी की चूत में समा गया.

मेरे लंड को अपनी चूत में ठुकवा कर दीदी ने अपने पैरों को मेरी कमर पर लपेट लिया.
मुझे अपनी बांहों में कस कर भींचते हुए दीदी बोली- चोदो … चोद अब मुझे।

दीदी की चूत में मैंने अपने लंड से धक्के लगाने शुरू कर दिये. दोनों आनंद के सागर में गोते लगाने लगे. दीदी और मेरे मुंह से सिसकारियां निकल रही थीं.

गचागच दीदी की चूत चुदाई हो रही थी और दोनों को ही पूरा मजा मिल रहा था. दस मिनट तक मैं दीदी को उसी तरह उसी पोज में चोदता रहा. उसके बाद मैंने दीदी को घोड़ी बनने के लिए कहा.

दीदी घोड़ी बन गयी और मैंने पीछे से अपना लंड दीदी की चूत में डाल दिया. फिर उसकी कमर को पकड़ कर एक बार फिर से बड़ी दीदी की चूत की चुदाई शुरू कर दी. दीदी के चूचे हवा में लटके हुए आगे पीछे झूलने लगे.

कुछ देर तक धक्के लगाने के बाद जब मुझे लगा कि मेरी उत्तेजना ज्यादा हो गयी है तो मैं अपना लन्ड निकाल कर बिस्तर पर लेट गया और दीदी को मेरे ऊपर आने का इशारा किया।

दीदी तुरन्त मेरे ऊपर आ गयी. उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के मुंह पर लगा कर मेरे लंड पर बैठती चली गयी. बैठते हुए दीदी ने मेरे लंड को अपनी चूत में पूरा अंदर ले लिया और फिर झुकते हुए मेरे होंठों पर अपने होंठ सटा दिये.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
मैं स्वर्ग में पहुंच गया. नीचे से दीदी की चूत में मेरा लंड धंसा हुआ था और ऊपर से वो मेरे होंठों को अपने होंठों का रस पिलाने लगी. फिर कमर हिला हिला कर दीदी मुझसे चुदने लगी.

कुछ देर इसी तरह चुदने के बाद दीदी बोली कि अब मेरा होने वाला है, तुम मेरे ऊपर आ जाओ.
दीदी ने चूत से लंड निकाल लिया और मैं उठ कर दीदी के ऊपर आ गया.

मैंने दीदी को झुका कर चूत में लंड पेल दिया और जोर जोर से बड़ी दीदी की चुदाई करने लगा. दीदी जोर जोर से चीखने लगी. उसकी चीखों में आनंद ही आनंद भरा था जो उसे मेरे लंड से अपनी चूत में मिल रहा था.

कुछ ही देर में दीदी की चूत ने पानी फेंक दिया. अब मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड पूरी बढ़ा दी. कुछ देर धक्के लगाने के बाद मैं भी दीदी की चूत में ही झड़ गया.

दीदी पहले से ही निढाल थी और फिर थक कर मैं भी दीदी की बगल में ही लेट गया.
दीदी को बांहों में भर कर मैंने कहा- आपको चोदने में जो मजा आता है ना वो किसी और को चोदने में नहीं आता है.

वो बोली- मुझे भी जो मजा तेरे लंड से चुदने में आता है वो दुनिया के किसी और मर्द के लंड से चुदने में नहीं आ सकता है. यहां तक कि तेरे जीजा के लंड से भी नहीं. मगर ये बता कि मेरे जाने के बाद तूने किसी और को तो नहीं चोदा ना?

मैं बोला- दीदी, आपकी चूत की सील पंकज ने तोड़ी थी. इसलिए पंकज की बहन की चूत की सील मैंने तोड़ दी.
दीदी मेरी ओर हैरानी से देखने लगी और मैं मुस्करा दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
(11-04-2019, 10:58 PM)neerathemall Wrote:




Heart banana Heart


Big Grin


जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Shy
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
मस्त मस्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
1234567
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
w ithout and
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
(11-04-2019, 10:58 PM)neerathemall Wrote:
शादीशुदा बहन को मस्ती से चोदा





Heart banana Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Nice story
Like Reply
मौसेरी बहन की चूचियों का दूध और चूत का पानी








वो एकदम से चौंकी- क्या कह रहे हो भैया?
और मेरी गिरफ्त से आज़ाद होना चाहा, मगर मैंने और ज़ोर से उसको अपने सीने से लगा लिया, उसको विशाल बोबे मेरे सीने से लग गए और उसके कमीज़ के गले से उसके दूधिया चूचे जैसे बाहर को निकल आए, एक बड़ा सा क्लीवेज मेरी आँखों के सामने आ गया।
मैंने अपना चेहरा नीचे किया और उसके क्लीवेज को चूम लिया और उसके दोनों चूचों की दरार में अपनी जीभ फिरा कर बोला- ओह मेरी प्यारी मीनू, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है, अभी, प्लीज़ न मत कहो।


वो ‘नहीं भैया, नहीं भैया, छोड़ो मुझे’ कहती रही, मगर मैं अपनी ही धुन में उसकी गले और चेहरे को चूमता रहा।
‘प्लीज़ मीनू, मान जाओ मेरी बात, एक बार सिर्फ एक बार मुझे सेक्स कर लेने दो, मेरी बरसों की तमन्ना पूरी हो जाएगी, मान जा यार, पहले भी अपने चूचे चुसवाती थी, अब भी चुसवा ले, आज मुझे मेरे मन की कर लेने दे!’
मैं बोलता गया और उसको यहाँ वहाँ चूमता चाटता रहा।[Image: IMG-4692.png]

[Image: IMG-4694.png]

[Image: IMG-4682.png]

[Image: IMG-4683.png]
image uploader


[Image: IMG-4676.png]

[Image: IMG-4679.png]
[Image: IMG-4678.png]

[Image: IMG-4682.png]

मैंने एक चीज़ नोटिस की कि उसका विरोध जो था, वो कम होता जा रहा था।




,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 2 Guest(s)