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MY FAMILY LOVE AFFAIRS
#41
वहां अपने रूम में पायल बिस्तर पर लेटी हुई है. कान के अन्दर हेडफोन्स घुसाए वो गाने सुन रही है.

उर्मिला : पायल... अरी ओ पायल रानी..!! सो रही है क्या? (पायल का कोई जवाब ना पा कर उर्मिला उसके पास जाती है और उसके कंधे हो हिलाते हुए कहती है) पायल...!!!

पायल : (हडबडा के आँखे खोलते हुए) अरे भाभी आप? सॉरी... मैं हेडफोन्स लगा के थी तो मुझे पता ही नहीं चला.

उर्मिला : (बिस्तर पर पायल के पास बैठते हुए) कोई बात नहीं. ननद भाभी के बीच नो सॉरी नो थैंक्यू. वैसे तेरा दिल तो लग रहा है ना घर में?

पायल : हाँ भाभी... लग रहा है. और छुट्टियाँ किसे नहीं अच्छी लगती?

उर्मिला : (हँसते हुए) वो बात तो है. लेकिन कॉलेज कॉलेज की बात ही कुछ और होती है. आज पहला दिन है इसलिए तू खुश है. २-३ दिन के बाद तुझे बोर होने लगेगा घर में.

पायल : (मुहँ बना के) हाँ भाभी. ये बात तो है. कॉलेज में फ्रेंड्स के साथ कैसे समय बीत जाता है पता ही नहीं चलता.

उर्मिला : हाँ एकदम सही कहा... वैसे पायल, तू इतनी सुन्दर है, दूध जैसी गोरी. तेरी फिगर भी एकदम बॉलीवुड की हीरोइन की तरह है. कॉलेज में तो बहुत से लड़के तेरे पीछे होंगे ना?

भाभी के इस सवाल पर पायल थोडा शर्मा जाती है.

पायल : (थोडा शर्माते हुए) हाँ..!! पीछे तो पड़ते है...लेकिन भाभी मैं किसी को भी भाव नहीं देती... गॉड प्रॉमिस....

उर्मिला : अरे मैं ये सब एक सहेली के नाते पूछ रहीं हूँ. ऐसा नहीं है की मैं ये सब घरवालों को बता दूंगी. और एक राज़ की बात बताऊँ? मैं जब कॉलेज में थी तो मैंने एक साथ ३ लड़कों को फंसा रखा था....

उर्मिला की बात सुन के पायल फ़ोन लॉक कर के बिस्तर पर उठ के बैठ जाती है और बड़ी बड़ी आँखों से भाभी को देखते हुए कहती हैं.

पायल : क्या बोल रहे हो आप भाभी? एक साथ ३ लड़के?

उर्मिला : हाँ और क्या? कोई मेरा फ़ोन रिचार्ज करा देता था, कोई मुझे शौपिंग करा देता था तो कोई रोज मुझे कॉलेज से लेने और छोड़ने आता था.

पायल : (हँसते हुए) भाभी आप भी ना...!! सच में..!! ये सोच के ही मेरा दिल घबरा रहा है.

उर्मिला : क्यूँ ? वो लड़के मुझे गर्लफ्रेंड बना के अपने दोस्तों के सामने इतरा सकते है तो उसका थोडा भुगतान तो करना ही पड़ेगा ना?

पायल : लेकिन भाभी .... फिर तो वो लड़के भी आपके साथ 'वो' सब करते होंगे ना....

उर्मिला : वो सब? जरा खुल के बोलो पायल रानी. ये भाषा मेरी समझ में नहीं आती.

पायल : (मुस्कुराते हुए ) आई मीन भाभी...किस्सिंग, यहाँ वहां हाथ लगाना.....

उर्मिला : हाँss..!! थोडा बहुत तो करने देती थी. लेकिन इस से कभी कुछ ज्यादा नहीं.

पायल (मुस्कुराते हुए) हम्म...! मतलब आपने अपने आप को भैया के लिए बचा के रखा था, हैं ना?

उर्मिला : मैंने ऐसा तो नहीं कहा ....

भाभी का जवाब सुन के पायल के चेहरे का रंग उड़ जाता है.

पायल : मतलब भाभी आपने.... शादी से पहले ही वो सब.....

उर्मिला : शादी से पहले? पगली उस वक़्त तो मैं कॉलेज में थीं, १२ वीं कक्षा में.

पायल : (बड़ी बड़ी आँखे कर के) बापरे भाभी..!! कॉलेज में ही? वो क्या आपकी क्लास में था?

उर्मिला : अब वो कौन था ये मत पूछ. तू यकीन नहीं करेगी.

पायल : (हाथो से भाभी की जांघो को झिंझोड़ते हुए) भाभी प्लीज... बताइए ना...कौन था वो...प्लीज भाभी....

उर्मिला : रहने दे पायल. मेरी सारी बातें जान लेगी और जब तेरी बारी आएगी तो मुझे कुछ नहीं बताएगी तू.

पायल : सच भाभी...मैं भी आपसे कुछ नहीं छूपाउंगी....गॉड प्रॉमिस...(पायल अपने गले को छु कर कहती है)

उर्मिला : वादा करती है? मुझसे सब शेयर करेगी? कभी कुछ नहीं छुपाएगी?

पायल : हाँ भाभी ... आई प्रॉमिस...

उर्मिला : (दोनों पैरों को उठा के बिस्तर पर रख लेती है और एक गहरी सांस लेकर) वो मेरे सगे चाचा का लड़का था, मेरा चचेरा भाई...

उर्मिला की बात सुन के पायल की आँखे बड़ी बड़ी हो जाती है, मुहँ खुल जाता है और उसका हाथ अपने आप ही मुहँ पर आ जाता है.

पायल : माई गॉड भाभी....आपने अपने भाई के साथ ही......

उर्मिला : तो इसमें क्या है पायल? देख ... जब लड़की की जवानी में आग लगती है ना, तो उसे सिर्फ लंड दिखाई देता है. अब वो लंड किसका है इस बात से उसे कोई फरक नहीं पड़ता. उस लंड से बूर की प्यास बुझनी चाहिए बस.

पायल : (उर्मिला की बात से पायल कुछ हद तक सहमत है) बात तो आपकी ठीक है भाभी. लेकिन.....(पायल कुछ सोच में पड़ जाती है)

उर्मिला : लेकिन? बोल ना? क्या पूछना चाह रही थी तू?

पायल : (थोड़ी हिचकिचाते हुए एक बार उर्मिला की और देखती है फिर नज़रे झुका के ऊँगली से दुसरे हाथ की ऊँगली के नाख़ून को कुरादने लगती है. उर्मिला भी उसे समय देती है. कुछ समय की ख़ामोशी के बाद) भाभी... मैं ये बोल रही थी की आपकी बात से मैं सहमत हूँ की जब लड़की को कुछ कुछ होता है...(उर्मिला एक बार फिर पायल की बात काट देती है)

उर्मिला : ये क्या शाहरुख़ खान और काजोल की फिल्म चल रही है? मैडम .... फिल्म में जो 'कुछ कुछ होता है' वो दिल में होता है, यहाँ जो 'कुछ कुछ होता है' वो बूर में होता है. और मैंने तुझसे कहा ना की मेरी समझ में ये भाषा नहीं आती. खुल के बोल....

पायल : (उर्मिला की बात सुन के पायल को जोरो की हँसी आ जाती है. वो हँसते हुए कहती है) हाहाहाहाहा भाभी...आप भी ना..!! (फिर अपनी हंसी को काबू करते हुए) अच्छा भाभी आई एम सॉरी ... अब मैं उसी भाषा का इस्तेमाल करुँगी जो आपको समझ आती है, अब ठीक है?

उर्मिला : ये हुई ना बात...!! अब बोल, क्या पूछ रही थी तू ?

पायल : भाभी मैं बोल रही थी की आपकी बात से मैं कुछ हद तक सहमत हूँ की जब किसी लड़की को कु...मेरा मतलब है की उसकी बूर में आग लगती है तो उसे सिर्फ लंड ही दीखता है. लेकिन भाभी इसका ये मतलब तो नहीं की वो किसी का भी लंड ले ले... चचेरा भाई भी तो आखिर भाई ही होता है ना?

उर्मिला : पगली तू चचेरे भाई की बात कर रही है ? यहाँ को लड़कियां अपने सगे भाई का लंड भी ले लेती है....

उर्मिला की बात सुन के पायल की आँखे बड़ी हो जाती है, मुहँ खुल जाता है. कुछ ही क्षण में पायल हाथों से अपने कान बंद कर लेती है.

पायल : छीssss भाभी...!!! कुछ भी बोल रही हैं आप.

उर्मिला : अरे सच बोल रही हूँ. भाई तो छोड़, लडकियाँ तो अपने बाप का लंड भी ले लेती है....

ये सुन के पायल फिर से हाथों से अपने कान बंद कर लेती है और आँखे भी.

पायल : छीssssss भाभी...आप कितनी गन्दी हो...

उर्मिला : वाह री मेरी ननद रानी..!! बाहर कोई लड़की अपने बाप भाई से चुदवाये और गन्दी बनू मैं?

पायल : भाभी मेरे कहने का मतलब है की कहीं भी ऐसा कुछ नहीं होता. ये सब आप मुझे परेशान करने के लिए बोल रहीं है...हैं ना?

उर्मिला : हाँ हाँ ... तू मेरी सबसे बड़ी दुश्मन जो है. मैं तुझे वही बता रही हूँ पायल जो सच में घरों में होता है. तुझे परेशान कर के मुझे क्या मिलेगा ?

पायल : लेकिन भाभी मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा की ऐसा भी कुछ होता है.

उर्मिला : और अगर मैंने साबित कर दिया की ऐसा होता ही नहीं बल्कि बहुत ज्यादा भी होता है तो ?

पायल : (भाभी का आत्मविश्वास देख के थोड़ा हिचकिचा जाती है) तो...तो...तो मैं आपकी बात मान लुंगी..

उर्मिला : फिर ठीक है. तू यहीं रुक, मैं ५ मिनट में आती हूँ.

उर्मिला कमरे से बाहर चली जाती है. उसके जाते ही पायल एक हाथ अपने सर पर रखती है और 'धम्म' से बिस्तर पर गिर जाती है. "ओह माई गॉड...!!! भाभी ये सब क्या बोल रही थी?", उसके मन में उथल पुथल होने लगती है. कई सवाल एक साथ उसके मन में उठने लगते हैं. "कोई लड़की अपने ही पापा और भाई के साथ....?? नो नेवर...ऐसा हो ही नहीं सकता...". पायल अपने मन को यकीन दिलाने की कोशिश करती है की ये सब मात्र एक झूठ था. लेकिन उसके अन्दर एक उत्सुकता भी थी जो उसे कहीं ना कहीं उर्मिला की बातों पर यकीन करने के लिए उकसा रहा थी. "अगर भाभी की बात सच हुई तो?....क्या सच में कोई लड़की अपने पापा और भाई का लंड ले सकती है?". ऐसे ही कई सवालों में घिरी पायल बिस्तर पर लेट के उर्मिला का इंतज़ार करने लगती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
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#42
५ मिनट के बाद उर्मिला पायल के कमरे में आती है. उसके हाथ में एक किताब है. वो आ कर पायल के पास बैठ जाती है.

पायल : ये क्या है भाभी?

उर्मिला : (किताब पायल के हाथ में देते हुए) "मेरी सहेली"... इसके बारें में सुना तो होगा ना तुने?

पायल : (किताब हाथ में लेती है) हाँ भाभी...ये तो बहुत से लडकियाँ और औरतें पढ़ती है. मेरी बहुत सी फ्रेंड्स के घरों में ये किताब है. लेकिन इस किताब का आपकी बात से क्या लेना देना?

उर्मिला : लेना देना नहीं होता तो मैं ले कर ही क्यूँ आती? अच्छा... अब तू ये तो मानती है ना की ये किताब बहुत प्रचलित है और सभी इसे पसंद करते है?

पायल : हाँ....मानती हूँ..

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए किताब के पन्नों को पलटने लगती है. एक पन्ने पर आ कर वो रुक जाती है और उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान छा जाती है) जरा पढ़ तो क्या लिखा है? ऊपर से पढ़.

पायल : (पायल पढ़ती है) "आपके सवाल, डॉ. अंजलि गुप्ता के जवाब" (वो उर्मिला की तरफ देखने लगती है)

उर्मिला : ऐसे क्या देख रही है? (उर्मिला उस पन्ने में एक जगह पर ऊँगली रखती है और कहती है) अब ये पढ़. और जरा जोर से पढ़ना.

पायल : (उरिला के दिखाए गए स्थान से पढ़ना शुरू करती है) "मेरा नाम रश्मि है, उम्र २३ साल. मैं कानपुर की रहने वाली हूँ. जब मैं २० साल की थी तब से मेरे शारीरिक संबंध पापा......"

इतना कहते ही पायल रुक जाती है. उसकी आँखे बड़ी और साँसे तेज़ हो जाती है. वो मुड़ के उर्मिला की और बड़ी बड़ी आँखों से देखने लगती है.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए) क्या हुआ पायल रानी? आगे तो पढ़िये.....

पायल कुछ पल भाभी को वैसे हे देखती रहती है फिर धीरे धीरे अपनी नज़रें फिर से उस पन्ने पर ले जाती है.

पायल : (आगे पढ़ने लगती है) ... "मेरे शारीरिक संबंध पापा के साथ है. मेरी मम्मी एक हॉस्पिटल में नर्स है और वो नाईट शिफ्ट में काम करती है. मम्मी रोज रात ९ बजे हॉस्पिटल चली जाती है. उसके बाद मैं और पापा घर में अकेले ही.....

पायल फिर से रुक जाती है. वो अपने गले के थूक को किसी तरह से गुटकती है और उर्मिला को देखने लगती है. उर्मिला नज़रों के इशारे से उसे आगे पढ़ने कहती है. वो एक बार फिर नज़रे पन्ने में डाले पढ़ने लगती है.

पायल : (आगे पढ़ते हुए) "मैं और पापा घर में अकेले ही रह जाते है. रात भर मैं और पापा दिल खोल के संभोग करते है. कई बार तो संभोग करते हुए सुबह हो जाती है". (पायल एक गहरी सांस ले कर छोड़ती है फिर आगे पढ़ने लगती है). "यूँ तो पहले भी मेरा संबंध कुछ लड़कों के साथ रहा है लेकिन पापा के साथ जो आनंद और संतुष्टी मिलती है वो किसी और के साथ कभी नहीं मिली. अब तो लगता है की मैं पापा के बिना नहीं रह पाऊँगी. मेरा सवाल आपसे ये है की मेरे पापा के साथ इस नए रिश्ते का भविष्य क्या होगा?"

इतना पढ़ कर पायल उर्मिला को बड़ी बड़ी आँखों से देखने लगती है. भाभी ने जो कहा था वो उसे सच होता साफ़ दिख रहा था.

उर्मिला : पढ़ लिया?

पायल : जी...जी भाभी...

उर्मिला : अब जरा निचे डॉ. अंजलि गुप्ता का जवाब भी पढ़ ले. ये दिल्ली की बहुत बड़ी डॉक्टर है. तू भले ही उस लड़की का विश्वास ना करें, लेकिन डॉ अंजलि गुप्ता की बात तो मानेगी ना?

पायल : (झट से पन्ने पर फिर से नज़र डालती है और अंजलि गुप्ता का जवाब पढ़ने लगती है) "प्रिय रश्मि, इस उम्र में एक लड़की का उसके पिता, भाई या घर के अन्य पुरष की ओर आकर्षित होना आम बात है"....

उर्मिला बीच में कह देती है....

उर्मिला : देखा ....?? ये आम बात है. अब आगे पढ़...

पायल एक बार भाभी की ओर देखती है फिर आगे पढ़ने लगती है.

पायल : (आगे पढ़ते हुए) "बहुत सी लड़कियां घर में ही अपने पिता या भाई के साथ शारीरिक संबंध बना के उसका लुफ्त उठाती है और इसमें किसी भी प्रकार की शर्म या हया की कोई बात नहीं है. इसे मनुष्य के शरीर की आवश्यकता समझ कर इसका भरपूर आनंद उठाना चाहिए.

उर्मिला : (बीच में फिर से कह देती है) "इसे मनुष्य के शरीर की आवश्यकता समझ कर इसका भरपूर आनंद उठाना चाहिए...."...अब आगे पढ़...

पायल : (आगे पढ़ते हुए) "जहाँ तक बात इस संबंध के भविष्य की है, तो लड़कियों को ये समझना जरुरी है की कानूनी तौर पर इसका कोई भविष्य नहीं है. अगर आप अपने पिता के साथ शादी कर के घर बसाने का सोच रहीं है तो ये विचार आप त्याग दें. मैं आपको येही सलाह दूंगी की जब तक हो सके इसका आनंद लेती रहें. शादी के बाद भी आपका ये संबंध जारी रह सकता है. अगर आप अपने पिता से संतान चाहती....."

ये पढ़कर पायल रुक जाती है और तेज़ साँसों से भाभी की ओर देखने लगती है. उर्मिला अपनी भौहें ऊपर निचे करती है और इशारे से आगे पढ़ने कहती है.

पायल : (आगे पढ़ते हुए) "पिता से संतान चाहती है तो शादी के बाद ही इस बारें में सोचें. आशा करती हूँ की मेरी सलाह से आपको कोई दिशा जरुर मिली होगी. मेरी ओर से आपको और आपके पिता को ढेर सारी शुभकामनायें. डॉ अंजलि गुप्ता"...

पायल तेज़ साँसों से एक टक किताब में आँखे डाले देखे जा रही है. वो कुछ भी बोल नहीं पा रही, मानो उसकी जबान कट गई हो. उर्मिला मुस्कुराते हुए उसे देख रही है. कमरें में २ मिनट तक ख़ामोशी छाई रहती है. फिर उर्मिला पायल से कहती है.

उर्मिला : कहाँ खो गई मेरी लाड़ली ननद रानी? अब तो तुझे मेरी बात का यकीन हो गया ना?

पायल : (धीरे से नज़रें उठा के भाभी को देखती है) हाँ..हाँ भाभी...हो गया.

उर्मिला : लेकिन मैं तुझसे एक बात पर गुस्सा हूँ...

पायल : (भाभी की जांघो पर हाथ रखते हुए) किस बात पर भाभी ? मेरी कोई बात आपको बुरी लगी क्या?

उर्मिला : हाँ..लगी..तुमने मेरी बात पर विश्वास जो नहीं किया था. मुझे झूठी समझ रही थी ना? मैं क्या तुझसे कभी कोई झूठी बात कहूँगी?

पायल : (भाभी के गले लग जाती है और मानाने लगती है) आई एम रियली सॉरी भाभी...गलती हो गई. प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिये. अब से मैं प्रॉमिस करती हूँ की आप जो भी कहेंगी मैं सच मान लुंगी, कोई सवाल जवाब नहीं करुँगी...मान जाइये ना भाभी...प्लीज..

उर्मिला : (चेहरे पर मुस्कान लाते हुए) अच्छा अच्छा ठीक है. नहीं हूँ मैं अब गुस्सा.

पायल भाभी के गाल पे एक किस कर देती है.

पायल : मेरी अच्छी भाभी...

उर्मिला : अच्छा पायल अब मैं चलती हूँ. थोड़ा अराम कर लूँ.

उर्मिला वो किताब ले कर जाने लगती है. पायल की नज़रे उस किताब पर ही है. उसका दिल कर रहा था की वो "आपके सवाल, डॉ . अंजलि गुप्ता के जवाब" के वो सारे सवाल और जवाब पढ़े लेकिन वो अन्दर ही अन्दर डर रही थी की अगर वो भाभी से किताब मांगती है तो वो क्या सोचेंगी. कुछ क्षण वो सोचती है और अचानक से चिल्ला देती है....

पायल : भाभी....!!!!

उर्मिला : (पायल की आवाज़ सुन के पीछे घुमती है) हाँ पायल. क्या हुआ?

पायल : भाभी वो...वो ..अगर आपको इस किताब का काम ना हो तो यहीं रहने दीजिये. वैसे भी मैं बोर हो रही हूँ.

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए पायल के पास आती है) थोड़ी देर पहले तो खुश थी, अब बोर होने लगी? अच्छा चल कोई बात नहीं. (उर्मिला किताब पायल के पास रख देती है) अभी तू पढ़ ले, मुझे जरुरत होगी तो मैं ले जाउंगी...

पायल : जी भाभी... थैंक्यू...

उर्मिला : कोई बात नहीं पायल ... (भाभी मुड़ के कमरे से बाहर चली जाती है)

उर्मिला के जाते ही पायल झट से उठ के दरवाज़े को अन्दर से लॉक करती है और किताब ले कर बिस्तर पर लेट जाती है. उसके हाथ तेज़ी से उस पन्ने को तलाशने लगते है जहाँ डॉ. अंजलि के साथ सवाल जवाब है. कुछ पन्नो को पलटने के बाद उसके हाथ रुक जाते है और नज़रे एक पन्ने पर जम जाती है. पन्ने का शीर्षक था, "आपके सवाल, डॉ . अंजलि गुप्ता के जवाब". पायल की नज़रें धीरे धीरे निचे होने लगती है और एक सवाल पर आ कर रुक जाती है. सवाल फिर से एक लड़की और उसके पिता के संभोग की कहानी बयां कर रहा था. पायल पहले बड़े ध्यान से उस सवाल को पढ़ती है और फिर जवाब को. एक के बाद एक पायल वो सारे सवाल और जवाबो को पढ़ती है जिसमे लड़कियों के पिता या भाई के साथ शारीरिक संबंध थे. कुछ ही मिनटों में उन ४ पन्नो को खत्म करने के बाद पायल किताब अपने सिरहान रखती है और सीधी हो कर बिस्तर पर लेट जाती है. उसकी साँसे तेज़ हैं और नज़रे ऊपर पंखे को देख रहीं है. तेज़ साँसों से पायल की बड़ी बड़ी चूचियां तेज़ी से ऊपर निचे हो रहीं है. उसके मन में जो सवाल पहले आये थे, 'कोई लड़की अपने ही पापा और भाई के साथ....?' , 'क्या सच में कोई लड़की अपने पापा और भाई का लंड ले सकती है', वो अब हवा हो चुके थे. नए सवालों ने उसके मन में जगह बना ली थी.

"जब रश्मि ने पहली बार अपने पापा का लंड बूर में लिया होगा तो उसे कैसा लगा होगा?", "क्या सच में लड़कियों को अपने पापा और भाई का लंड इतना अच्छा लगता है की वो किसी और के लंड के बारें में सोचती भी नहीं?". ऐसे कई नए सवालों के भवंडर में फंसी पायल की कब आँख लग जाती है उससे पता ही नहीं चलता.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
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#43
story kaisi lagi btaiye
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#44
agla part uma par based krne ki soch rha hu koi idea h kisi ke paas to pakka bhejna
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#45
uma ka character build up in sb se bdiya krna chahta hu isliye aap sb ki rai lagegi
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#46
plz give suggestions about story
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#47
10 suggestions and next update turant dunga i promised
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#48
bhai koi interest le hi ni rha koi to band kr du kya story
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#49
(28-08-2023, 09:53 PM)choduyaarakash Wrote: bhai koi interest le hi ni rha koi to band kr du kya story

Are bhai kyu nhi le rhe hai ham to hai ap update to do
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#50
(28-08-2023, 09:53 PM)choduyaarakash Wrote: bhai koi interest le hi ni rha koi to band kr du kya story

Bhai
Bahuth shandaar kahaanee hai.
Jaaree rakho

Bhaabhee khud, devar naanad ko Milan karanaa

Saas ko ye baat pata calaake vo bahut khush hona....

Vo khushee ke kaaran ek flesh bek (saas kaa bachpan kaa) varnan karo

Apple kahaanee padne ke baad ham lavadaa hilaane mei bijee hote. Comments PE sochna nahee. Duniyaa haraameer hai. Paathak log bhee ....
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#51
Update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update update
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#52
superb update bro  Smile
[Image: Polish-20231010-103001576.jpg]
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#53
UPDATE SOON
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#54
//////
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#55
शाम के ४:३० बज रहे हैं. उर्मिला सो कर उठती है. अंगडाई ले कर वो बाथरूम में जाती है और मुहँ धो कर फ्रेश हो जाती है.
"कुछ घंटो पहले मैंने जो तीर चलाया था, देखते है की सही निशाने पर लगा या नहीं". ये सोच कर वो पायल के कमरे की रताफ चल देती है.

उर्मिला : (पायल के कमरे का दरवाज़ा खटखटाते हुए ) पायल...पायल..!! सो रही है क्या?

पायल : (आँखे खोलती है तो दरवाज़े पर कोई है. वो उठ कर दरवाज़ा खोलती है) अरे भाभी आप?

उर्मिला : हाँ... सो कर उठी तो सोचा की कुछ देर तेरे साथ बातें कर लूँ. मैंने तेरी नींद तो ख़राब नहीं कर दी ना?

पायल : अरे नहीं भाभी. मैं भी उठ हे गई थी. अन्दर आईये ना....

दोनों अंदर आ कर बिस्तर पर बैठ जाती है.

उर्मिला : कहाँ तक पढ़ ली किताब?

पायल : मेरा तो हो गया भाभी. आपको चाहिए तो आप ले जा सकती है.

उर्मिला : इतनी जल्दी पूरी किताब पढ़ ली तुने पायल? मैं तो एक हफ्ते से पढ़ रही हूँ लेकिन अब तक पूरी नहीं हुई.

पायल : (थोड़ी हिचकिचाते हुए) वो..वो..भाभी...ऐसे ही जो अच्छा लगा वो ऊपर ऊपर से पढ़ लिया ...पूरी किताब इतनी जल्दी कौन पढ़ सकता है?

उर्मिला : अच्छा चल छोड़ इस बात को. तू ये बता की अब ६ दिन गुजारेगी कैसे? तू तो अभी से ही बोर होने लगी है....

पायल : हाँ भाभी...मैं भी येही सोच रही हूँ. (कुछ देर चुप रहने के बाद). भाभी...आपके पास "मेरी सहेली" के और भी अंक होगें ना?

उर्मिला : (अपनी मुस्कान पर काबू पाते हुए) अरे कहाँ पायल. पिछली बार जब तेरे भईया आये थे तो उनके साथ बाज़ार से ले कर आई थी. उनके जाने के बाद कभी जाना नहीं हुआ. और तू तो जानती है की मैं अकेले उनके बिना कहीं जाती भी नहीं. अब तो वो एक हफ्ते बाद जब आयेंगे तब ही जाना होगा.

पायल : मेरा कॉलेज भी बंद है भाभी, नहीं तो मैं हीले आती.

दोनों कुछ देर वैसे ही खामोश रहते है. फिर उर्मिला कहती है.

उर्मिला : वैसे पायल मेरे पास वक़्त बिताने के लिए एक और किताब भी है.

पायल : (चेहरे पे उत्सुकता आते हुए) कौनसी किताब भाभी?

उर्मिला : है एक किताब. रात में जब भी तेरे भईया की याद आती है तो वो किताब पढ़ लेती हूँ.

पायल : (पायल आँखे बड़ी करते हुए) ऐसा क्या है उस किताब में भाभी?

उर्मिला : (दोनों हाथों से पायल के गाल खींचते हुए) मेरी डार्लिंग ननद जी....उस किताब में वो है जिसे पढ़ के .... वो क्या कहती है तू? हाँ....'कुछ कुछ होता है'.

पायल : (हँसते हुए) समझ गई भाभी...आपके दिल में 'कुछ कुछ होता है'. लगता है बहुत ही रोमांटिक किताब है....

उर्मिला : धत्त पगली...!! जिसकी नयी नयी शादी हुई हो और पति ज्यादातर घर से बाहर ही रहता हो उसके क्या दिल में कुछ कुछ होगा ? (मुस्कुराते हुए) वो किताब पढ़ के 'कुछ कुछ होता है' लेकिन दिल में नहीं, यहाँ ... बिल में...(उर्मिला अपनी ऊँगली से पायल की बूर तरफ इशारा करते हुए कहती है).

पायल : (भाभी का इशारा समझते ही शर्मा जाती है) धत्त भाभी... आप भी ना..!!

उर्मिला : क्या करूँ पायल? अब इसकी प्यास भी तो बुझाना जरुरी है ना? तेरे भैया नहीं तो ये किताब हे सही...

उर्मिला की बात सुन के पायल सर निचे झुका लेती है और धीरे धीरे मुस्कुराते हुए चादर पर ऊँगली घुमाने लगती है. कुछ क्षण की ख़ामोशी के बाद उर्मिला कहती है.

उर्मिला : तुझे वो किताब मैं दे सकती हूँ, लेकिन दूंगी नहीं...

पायल : (झट से भाभी की तरफ देखती है) क्यूँ भाभी?

उर्मिला : कहीं तुने मम्मी जी को बता दिया तो?

पायल छलांग लगा के उर्मिला के सामने आ जाती है...

पायल : नहीं बताउंगी भाभी...किसी को भी नहीं बताउंगी ...गॉड प्रॉमिस...!!

उर्मिला : (चेहरे पे मुस्कान आ जाती है) जानती हूँ मेरे लाडों ...तू किसी से नहीं कहेगी. मैं तो बस यूँ ही मज़ाक कर रही थी. ठीक है, रात में तुझे दे दूंगी वो किताब.

पायल : (झट से कहती है) अभी दीजिये ना भाभी.....

पायल की इस बात पर उर्मिला उसे मुस्कुराते हुए देखने लगती है. पायल समझ जाती है की भाभी ने उसकी उत्सुकता भांप ली है. वो बात को संभालने के लिए कहती है.

पायल : भाभी मेरा मतलब था ...की..वो.. मेरे पास अभी कुछ करने को नहीं हैं ना, तो मैं सोच रही थी की अभी पढ़ लेती हूँ. वैसे भी रात में मुझे कॉलेज का काम करना है.

उर्मिला : हाँ ...तेरी बात भी सही है. चल मेरे साथ. तुझे वो किताब दे दूँ.

दोनों उर्मिला के कमरे में आते हैं. उर्मिला अलमारी खोल के कपड़ों के निचे से एक किताब निकाल के पायल को देती है.

उर्मिला : जल्दी ले इसे और अपनी टॉप में छुपा ले. और याद रहे, किसी को पता ना चले...

पायल : (किताब झट से अपनी टॉप में छुपा लेती है) डोंट वरी भाभी...किसी को पता नहीं चलेगा...अब मैं चलूँ?

उर्मिला : हाँ ठीक है...

पायल किताब को अपनी टॉप में छुपाये दौड़ती हुई कमरे से बाहर जाने लगती है. पीछे से उर्मिला कहती है, "ध्यान से पायल". पायल दौड़ते हुए जवाब देती है, "जी भाभी" और कमरे से निकल जाती है. उसके जाने के बाद उर्मिला के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान छा जाती है. "पायल रानी...जब तू ये किताब पढ़ेगी तो तेरी बूर में वो आग लगेगी जो सिर्फ कोई लंड ही बुझा सकेगा और घर में अभी दो ही लंड है. एक सोनू का और एक बाबूजी का. मैं भी देखती हूँ की तेरी बूर में पहले किसका लंड जाता है, सोनू या बाबूजी का". उर्मिला मुस्कुराते हुए रसोई की ओर चल देती है.


वहां पायल अपने कमरे में घुसते ही दरवाज़ा बंद करती है और लॉक करके सीधा बिस्तर पर छलांग लगा देती है. अपनी टॉप के अन्दर से किताब निकाल कर वो बड़े ध्यान से देखती है. कवर पर एक अधनंगी लड़की की तस्वीर है. ऊपर बड़े बड़े अक्षरों में "मचलती जवानी" लिखा हुआ है और निचे लेखक का नाम है - "मस्तराम".

[क्रमशः]

[ मस्तराम जी मेरे प्रेरणा सोत्र हैं. ये कहानी मैं उन्हें समर्पित करती हूँ. उस महान लेखक को मेरा शत शत प्रणाम ]

[जारी]

पायल किताब का पहला पन्ना उलटती है. सामने कहानियों के शीर्षिक लिखे हुए हैं. "१. गर्मी की एक रात, पापा के साथ", "२. पापा के लंड की सवारी", "३. भैया के लंड की प्यासी", "४. छोटे भाई का मोटा लंड". कहानियों के शीर्षक पढ़ के पायल को पसीना आने लगता है. उसने सोचा भी नहीं था की इस किताब में इस तरह की कहानियां होगी. पायल उन शीर्षकों को फिर से एक बार पढ़ती है. फिर कांपती हुई उँगलियों से वो पन्ना पलटती है. दुसरे पन्ने में बड़े अक्षरों में, "गर्मी की एक रात, पापा के साथ" लिखा हुआ है. वो धीरे धीरे नज़रों को निचे ले जा कर कहानी पढ़ने लगती है. कहानी एक १९ साल की एक लड़की की है जो गर्मी के मौसम में अलग अलग घटनाओं द्वारा धीरे धीरे अपने पापा के करीब आती है और गर्मी की एक रात पापा की हमबिस्तर हो कर चुद जाती है. पायल की नज़रें गौर से पन्ने पर छपे हर एक अक्षर को पढ़ने लगती है. हर एक पलटते पन्ने के साथ पायल का बुरा हाल होता जा रहा था. कहानी पढ़ते हुए कभी वो अपने ओठों को दांतों से दबा देती तो कभी अपनी बड़ी बड़ी चुचियों की घुंडीयों (nipples) को मसल देती. एक बार कहानी में ऐसा मोड़ आया की पायल ने सिसकारी भरते हुए पैन्टी के ऊपर से अपनी बूर को ही दबोच लिया. धीरे धीरे पायल अपने बदन से खेलते हुए कहानी पढ़ती जा रही थी. ३० मिनट के बाद पायल ने जैसे ही वो कहानी खत्म की, वो किताब को एक तरफ फेंक कर बिस्तर पर सीधा लेट गई. उसके एक हाथ ने टॉप के निचे से होते हुए एक चूची को अपनी गिरफ्त में ले लिया और दुसरे हाथ ने पैन्टी के अन्दर घुस के बूर के ओठों से खेलना शुरू कर दिया. पायल आँखे बंद किये हुए अपने ओठों को दांतों से काट रही थी. उसके हाथ चूची को कभी दबोच के दबा देते तो कभी मसल देते. पैन्टी के अन्दर हाथ की एक ऊँगली बूर के सुराक को तलाशने लगी. पायल की बूर बुरी तरह से रिसने लगी थी. उसके दिमाग में उस कहानी के कुछ मादक अंश घुमने लगे थे. उन्हें याद करके पायल और भी ज्यादा मचल जाती. तभी पायल के दिमाग में कहानी का एक अंश आया जिसने उसका बुरा हाल कर दिया. पायल ध्यान लगा के उस अंश को याद करती है. उसकी बंद आँखों के सामने कहानी का वो एक हिस्सा आ जाता है.....

"बिना कपड़ों के नंगे बदन कुसुम, अपने पापा के मोटे लंड पर ऐसे उच्छल रहीं थीं मानो किसी घोड़े की सवारी कर रही हो. घर की बिजली कटी थी और गर्मी की रात. इमरजेंसी लाइट की रौशनी में कुसुम का पसीने से भरा बदन चमक रहा था. दोनों हाथों को उठायें वो अपने बालों को चेहरे से हटा के पीछे कर रही थी. तभी निचे लेटे बूर में सटा सट लंड पलते हुए पापा की नज़र कुसुम के उठे हाथों की बगलों पर पड़ी. दोनों बगल में रेशमी बाल और बहता पसीना देख के पापा ने अपने हाथों को उसकी पीठ पर ले जा कर उसे अपने ऊपर खींच लिया. कुसुम की भारी चूचियां पापा के सीने से पूरी तरह से चिपक गई और पापा ने सर उठा के उसकी बगल से निकलती पसीने की खुशबू को एक लम्बी सांस लेते हुए सूंघ लिया. पसीने की गंध सूंघते ही पापा ने निचे से जोर की ठाप लगायी तो कुसुम की चीख निकल गई - 'हाय...!! मर गई पापा...!!'...".

इस अंश को याद करते ही पायल के मुहँ से हलकी सी आवाज़ निकल जाती है, "उफ़ पापा". तभी उसके दोनों हाथ थम जाते है और आँखे झट से खुल जाती है. बड़ी बड़ी आँखों से वो ऊपर पंखे को देखने लगती है. दिल ऐसे धड़क रहा है मानो कोई ढोल बजा रहा हो. "ये मैंने क्या कह दिया? अपने ही पापा के बारें में....". इतना कहते ही पायल की ऊँगली हरकत में आ जाती है और बूर के दाने को रगड़ने लगती है. दूसरा हाथ चूची को मसलने लगता है. उसकी आँखे एक बार फिर से बंद हो जाती है और उसके मुहँ से फिर एक आवाज़ निकलती है, "हाय पापा....सीssss....उफ़ पापाssss". उसकी कमर ऊपर उठ जाती है और ऊँगली बूर के दाने को तेज़ी से रगड़ने लगती है. "बहुत गर्मी है पापा....ठंडा कर दीजिये ना....". पायल के मुहँ से अब अपने पापा के लिए वो शब्द निकलने लगते है जो उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. पापा के प्रति उसका प्यार अब धीरे धीरे हवस का रूप लेने लगा था. तभी पायल के कानो में दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ सुनाई पड़ती है. वो होश में आती है. किताब को तकिये के निचे झट से छुपा के पायल कड़ी हो जाती है और अपने कपड़े ठीक करते हुए दरवाज़े के पास जाती है.

पायल : (दरवाज़ा खोलती है) भाभी आप?

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए खड़ी है) मैडम ... आपकी आज की पढाई हो गई हो तो चाय पीने आ जाइये. सब आपका इंतज़ार कर रहे है.

पायल : (मुस्कुराते हुए) जी भाभी. ५ मिनट में आती हूँ.

उर्मिला : (जाते हुए) जल्दी आना, देर मत लगा देना.

पायल : जी भाभी ...

दरवाज़ा बंद करके पायल अन्दर आती है. उसके चेहरे पर मुस्कान है. सामने आईने में अपने आप को देखती है. अपनी सुन्दरता और गदराये बदन को देख के पायल की मुस्कान और ज्यादा खिल जाती है. तभी पायल को उस कहानी का एक छोटा सा अंश याद आता है. जिसे याद कर के वो हँस देती है. आईने के थोडा करीब जा कर वो झुक जाती है. टॉप के बड़े गले से चुचियों के बीच की गहराई को वो आईने में देखते हुए वो एक हाथ आगे बढ़ाते हुए कहती है, "पापा आपकी चाय...". फिर वो एक हाथ से अपना चेहरा छुपा के मुस्कुराते हुए बाथरूम में भाग जाती है.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )

[समय की कमी के कारण हो सकता है की कुछ शब्द सही ना हो. इसके लिए मैं पहले ही क्षमा मांगती हूँ. जल्दी ही उन्हें ठीक कर दिया जायेगा]
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