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MY FAMILY LOVE AFFAIRS
#1
चेतावनी : ये कहानी पारिवारिक रिश्तों की कामुकता पर आधारित है जो समाज के नियमों के खिलाफ है | अगर आप ये पसंद नहीं करते तो ये आपके लिए बिलकुल भी नहीं है |


संसार में बूर और लंड का रिश्ता सबसे प्यारा होता है | लंड हमेशा से ही अपनी पत्नी और गर्लफ्रेंड की बूरों से अपनी प्यास बुझाते आये हैं, ठीक वैसे ही बूरें भी अपने पति और बॉयफ्रेंड से अपनी प्यास बुझती आईं हैं | लेकिन बुर या लंड पत्नी, गर्लफ्रेंड, पति, बॉयफ्रेंड के अलावा किसी और का हो तो मजा दुगना हो जाता है| जैसे पड़ोसन, पड़ोसी, शिक्षक, शिक्षिका इत्यादि... |

लेकिन एक बूर और लंड को सबसे ज्यादा मज़ा उनके अपने ही परिवार के लंड और बूरें ही दे सकती हैं | किसी भी मर्द का लंड सबसे विकराल रूप तभी लेता है जब उसके सामने जो बूर है वो उसकी अपनी सगी बेटी, बहन या माँ की हो | ठीक वैसे ही किसी भी लड़की या औरत की बूर अपने आप खुल के सबसे ज्यादा तभी रिसती है जब उसके सामने जो लंड है वो उसके अपने सगे बाप, भाई या बेटे का हो |

ये कहानी भी एक परिवार के ऐसे ही कुछ बुरों और लंडों की है जो समाज के नियमो को तार तार करते हुए चुदाई का अनोखा आनंद लेते हैं |

कहानी रामपुर के एक उच्च मध्यम परिवार की है | कहानी के किरदार कुछ इस प्रकार हैं |

पिता रमेश सिंह ; उम्र 50 साल. एक किराने की दूकान चलाते हैं. १० साल पहले तक वो अपने खेतों में काम भी करते थे और कसरत भी इसलिए बदन 50 साल की उम्र में भी उनका बदन कसा हुआ है.
https://st3.depositphotos.com/3746523/19...a-kushti.j
[Image: kolkata-india-july-17-2019-600w-1473895949.jpg]
देखने में कुछ ऐसा लगता है, थोड़े मोटे होंगे, उमर के हिसाब से पीआर तंदरुश्त, रोजाना दंड के शौकीन


माँ उमा देवी ; उम्र 46 साल. घर को संभालने के अलावा वो हिसाब किताब का भी ध्यान रखती है. ज्यादा पढ़ी लिखी ना होने पर भी उसे दुनियादारी की समझ है .
[Image: 45e6d19e80e880b29ee527c7e3d46b10.jpg]
देखने में ऐसा कुछ है सामान्य भारतीय महिला की तरह दिखती है पर जब इन्हें चड्ढी ब्रा में कोई देखले तो लंड खड़ा होकर बैठने का नाम ना ले ये जब भी बाहर निकलती है घर के मंदिर या कहीं बाजार जाने के लिए तो बुद्धो बच्चों के लिए लंड के टोपे बहार आजाते ह


बेटा (बड़ा) : रौनक सिंह ; उम्र 27 साल. एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है. सेल्स में होने के कारण वो ज्यादातर टूर पे ही रहता है. वो एक जिम्मेदार बेटा है.
https://c8.alamy.com/comp/W13F64/handsom...W13F64.jpg[Image: handsome-young-indian-man-posing-at-street-W13F64.jpg]

बहु उर्मिला सिंह ; उम्र 28 साल. अपनी सास के साथ घर संभालती है. १ साल पहले ही शादी कर के इस घर घर में आई थी और जल्द हे सबकी चहेती बन गई है. गोरा रंग, सुड़ौल बदन और अदाएं ऐसी की किसी भी मर्द के होश उड़ा दे.
[Image: indian-young-women-stock-photo.jpg?s=612...uSAOsvv38=]

बेटी/बहन पायल सिंह ; उम्र 25 साल. m.a 2nd इयर की क्षात्रा. इसी साल कॉलेज में एडमिशन लिया है. पायल इस कहानी की मुख्य पात्र भी है. गोरा रंग, भरी हुई चुचियां, पतली कमर और उभरी हुई चुतड देख के उसके कॉलेज के लड़को को अपने बैग सामने टांगने पड़ते हैं.
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बेटा (छोटा)सोनू सिंह ; उम्र 18 ; १२ वीं कक्षा का क्षात्र. अव्वल दर्जे का कमीना. स्कूल में लडकियों की स्कर्ट में हमेशा झांकता रहता है. उसके बैग में हमेशा गन्दी कहानियों की ३-४ किताबें रहती है.
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सुबह के ६ बजे रहे है. सूरज की पहली किरण खिड़की से होते हुए उर्मिला की आँखों पर पड़ती है. उर्मिला टीम-टीमाती हुई आँखों से एक बार खिड़की से सूरज की और देखती है और फिर एक अंगडाई लेते हुए बिस्तर पर बैठ जाती है. हांफी लेते हुए उर्मिला की नज़र पास के टेबल पर रखी रौनक की तस्वीर पर जाती है तो उसके चेहरे पे हलकी सी मुस्कान आ जाती है. अपनी हथेली को ओठो के निचे रख के वो रौनक की तस्वीर को एक फ्लाइंग किस देती है और अपनी नाईटी ठीक करते हुए बाथरूम में घुस जाती है.

७ बज चुके है. नाश्ता लगभग बन चूका है और गैस पे चाय बन रही है. उर्मिला तेज़ कदमो के साथ अपनी ननद पायल के कमरे की तरफ बढती है. दरवाज़ा खोल के वो अन्दर दाखिल होती है. सामने बिस्तर पे पायल एक टॉप और पजामे में सो रही है. करवट हो कर सोने से पायल की चौड़ी चुतड उभर के दिख रही है. उर्मिला पायल की उभरी हुई चूतड़ों को ध्यान से देखती है. उसके चेहरे पे मुस्कान आ जाती है. वो मन ही मन सोचती है, "देखो तो कैसे अपनी चौड़ी चूतड़ को उठा के सो रही है. किसी मर्द की नज़र पड़ जाये तो उसका लंड अभी सलामी देने लगे". उर्मिला उसके करीब जाती है और एक चपत उसकी उठी हुई चुतड पे लगा देती है.

उर्मिला : ओ महारानी ... ७ बज गए है. (पायल की चुतड को थपथपाते हुए) और इसे क्यूँ उठा रखा है? कॉलेज नहीं जाना?

पायल: (दोनों हाथो को उठा के अंगडाई लेते हुए उर्मिला भाभी की तरफ देखती है. टॉप के ऊपर से उसकी बड़ी बड़ी चुचियां ऐसे उभर के दिख रही है जैसे टॉप में किसी ने दो बड़े गोल गोल खरबूजे रख दिए हो) उंssss
भाभी...बस ५ मिनट और सोने दीजिये ना प्लीज..!! कल रात देर तक पढाई की थी. बस भाभी ..और ५ मिनट....(पायल गिडगिडाते हुए कहती है).

उर्मिला : अच्छा बाबा ठीक है.. लेकिन सिर्फ ५ मिनट. अगर ५ मिनट में तू अपने कमरे से बाहर नहीं आई तो मई मम्मीजी को भेज दूंगी. फिर तो तुझे सुबह सुबह भजन सुनाएगी तो तेरी नींद अपने आप ही खुल जाएगी (उर्मिला हँसते हुए कहती है)

पायल : नहीं भाभी प्लीज. मैं पक्का ५ मिनट में उठ जाउंगी. आप मम्मी से मत बोलियेगा.

उर्मिला : हाँ हाँ नहीं कहूँगी. पर तू ५ मिनट में उठ जाना.

पायल : हाँ भाभी... (फिर पायल तकिये के निचे सर छुपा के सो जाती है और पायल कमरे से बाहर चली जाती है)

उर्मिला रसोई में आती है तो उसकी सास उमा देवी चाय को कप में डाल रही है.

उर्मिला: अरे मम्मी जी ... मैं तो बस पायल को उठा के आ ही रही थी. आप जाईये और टीवी देखिये. आपके प्रवचन का टाइम हो गया है.

उमा : कोई बात नहीं बेटी. थोडा काम मुझे भी तो कर लेने दिया कर. सारा काम तो तू ही करती है घर का (उमा देवी बड़े हे प्यार से उर्मिला से कहती है)

उर्मिला : कप मुझे दीजिये मम्मी जी... मैं सोनू को भी उठा देती हूँ. ये दोनों भाई बहन बिना उठाये उठते ही नहीं है.

उमा : सोनू को मैं उठा दूंगी. तू ये कप ले और पहले अपने बाबूजी को चाय दे दे. बूढ़े हो चले हैं लेकिन अब भी इनकी जवानी नहीं गई. इस उम्र में लोग सुबह सैर सपाटे के लिए जाते है और एक ये हैं की कसरत करेंगे (उमा देवी मुह बनाते हुए कहती है)

उर्मिला : (हँसते हुए) मम्मी जी आप भी ना..बस...!! ५२ साल की उम्र में भी बाबूजी कितने हट्टे-कट्ठे लगते है. उनके सामने तो आजकल के जवान लड़के भी मात खा जाए. आप तो बस यूँ ही बाबूजी को भला-बुर कहती रहती हैं (उर्मिला के चेहरे पर हलकी सी मायूसी आ जाती है)

उमा : (उर्मिला की ठोड़ी को पकड़ के उसका चेहरा प्यार से उठा के कहती है) अरे मेरी बहुरानी को बुरा लग गया? अच्छा बाबा अब नहीं कहूँगी तेरे बाबूजी के बारें में कुछ भी. अब ठीक है? (उमा देवी की बात सुनके उर्मिला के चेहरे पे मुस्कान वापस आ जाती है. उसकी मुस्कान देख के उमा कहती है) इतनी सुन्दर और प्यारी बहु मिली है मुझे. सबका कितना ख्याल रखती है. नहीं तो आज कल कौनसी बहु अपने सास ससुर का इतना ख्याल रखती है?

उर्मिला : क्यूँ ना रखूँ मम्मी जी? आप दोनों ने हमेशा से ही मुझे अपनी बहु नहीं बेटी माना है तो मेरा भी तो फ़र्ज़ है की मैं आप दोनों को अपने माता पिता का दर्ज़ा दू. कप दीजिये.. मैं बाबूजी को है दे कर आती हूँ. वैसे बाबूजी हैं कहाँ?

उमा : छत पर होंगे और कहाँ ? कर रहे होंगे अपने कसरत की तैयारी.

उमा देवी की बात सुनके उर्मिला हँस देती है और छत की सीढीयों की ओर बढ़ जाती है.

छत पर रमेश अपने कसे हुए बदन पर सरसों का तेल लगा रहा है. खुला बदन, निचे एक सफ़ेद धोती जो घुटनों तक उठा राखी है. सूरज की रौशनी में उसका तेल से भरा बदन जैसे चमक रहा है. उर्मिला चाय का कप ले कर छत पर आती है और उसकी नज़र बाबूजी के नंगे सक्त बदन पर पड़ती है. वैसे उर्मिला ने बाबूजी को कई बार इस हाल में देखा है, उनके बदन को कई बार दूर से निहारा भी है. रौनक का घर से दूर रहना उर्मिला के इस बर्ताव के कई कारणों में से एक था. उर्मिला कुछ पल बाबूजी के बदन को दूर से ही निहारती है फिर चाय ले कर उनके पास जाती है.

उर्मिला : ये लीजिये बाबूजी आपकी चाय (चाय पास के टेबल पर रखते हुए कहती है)

रमेश : सही टाइम पे चाय लायी हो बहु. मैं अभी कसरत शुरू करने हे वाला था. ५ मिनट बाद आती तो शायद नहीं पी पाता.

उर्मिला : (बाबूजी की बात सुनके उर्मिला का मुह छोटा हो जाता है. वो जानती है की बाबूजी कसरत सिर्फ लंगोट पहन के करते है. अगर वो ५ मिनट के बाद आती तो बाबूजी को लंगोट में देखने का आनंद ले पाती) आपकी बहु हूँ बाबूजी. आपकी सुबह की चाय कैसे मिस होने देती?

रमेश : (हँसते हुए) हहाहाहा... बहु..सही कहा तुमने. इसलिए तो मैं हमेशा कहता हूँ की मेरी एक नहीं दो बेटियां है.

उर्मिला : ये तो आप हो बाबूजी जो अपनी बहु को बेटी का दर्ज़ा दे रहे हो, नहीं तो लोग तो अपनी बहु को नौकरानी बना के रखते है.

रमेश : ना ना बहु...तू है ही इतनी सुन्दर...और प्यारी. कोई ऐसी बहु को नौकरानी बना के रखता है क्या भला?

बाबूजी की बात सुनके उर्मिला उनके पैर पढने के लये निचे झुकती है. नहाने के बाद उर्मिला ने जो ब्लाउज पहना है उसका गला थोडा गहरा है. झुकने से साड़ी का पल्लू निचे गिर जाता है जिसे उर्मिला सँभालने की जरा भी कोशिश नहीं करती. गहरे गले के ब्लाउज से उर्मिला के तरबूज जैसी चुचियों के बीच की गहराई साफ़ दिखने लगती है. बाबूजी की नज़र जैसे ही उर्मिला की बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की घाटी पे पड़ती है उनकी आँखे बड़ी और थूक गले में अटक जाता है. रमेश ने वैसे बहुत सी लडकियों और औरतों को अपने लंड का पानी पिलाया है लेकिन अपनी बहु की जवानी के सामने वो सब पानी भारती है. किसी तरह से रमेश थूक को गले से निचे उतारते हुए कहता है.

रमेश : अरे बस बस बहु. मेरा आशीर्वाद तो हमेशा तेरे साथ है. (बहु के सर पे हाथ रख के आशीर्वाद देने के बाद रमेश उर्मिला के दोनों कंधो को पकड़ के उसे उठाता है) जुग जुग जियो बहु..सदा सुहागन रहो...

उर्मिला : (मुस्कुराते हुए नज़रे झुका के अपना पल्लू ठीक करती है) अच्छा बाबूजी... मैं अब चलती हु. मम्मी जी की रसोई में मदद कर दूँ.

रमेश : हाँ बहु..तुम जाओ. मैं भी अपनी कसरत कर लेता हूँ.

उर्मिला धीरे धीरे सीढीयों की तरफ बढ़ने लगती है. "उफ़ ..!! बाबूजी कैसे मेरी बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की गहराई में झाँक रहे थे. उनका लंड तो पक्का धोती में करवटें ले रहा होगा". उर्मिला के दिल में ये ख्याल आता है. उसके कदम सीढीयों से उतरते हुए अपने आप ही थम जाते है. कुछ सोच कर वो दबे पावँ छत के दरवाज़े के पास जाती है और वहीं दिवार की आड़ में बैठ जाती है. थोड़ी दूरी पर बाबूजी खड़े है. चाय की ३-४ चुस्कियां ले कर वो कप टेबल पर रख देते है और अपनी धोती की गाँठ खोलने लगते हैं. उनकी पीठ उर्मिला की तरफ है. धोती खोल कर पास पड़ी खाट पर डालने के बाद बाबूजी अपने दोनों हाथों को कन्धों की सीध में लाते हैं और फिर अपने शारीर के उपरी हिस्से को दायें बाएं करने लगते है. जैसे से बाबूजी दाई तरफ मुड़ते हैं, उर्मिला की नज़र उनके लंगोट के आगे वाले हिस्से पर पड़ती है. उर्मिला के मुह से हलकी आवाज़ निकल जाती है, "हाय दैया ...!!". लंगोट का अगला हिस्सा फूल के उभरा हुआ है, करीब ३-४ इंच. लंगोट के उभार के दोनों तरफ से कुछ काले सफ़ेद बाल दिखाई पड़ रहे है. "उफ़..!! लंगोट का उभार ही ३-४ इंच का है तो बाबूजी का ल ....हे भगवान्....पता नहीं मम्मी जी ने कैसे झेला होगा इसे...". उर्मिला अपने आप में ही बडबडाने लगती है. उसकी नज़र लंगोट के उस उभरे हुए हिस्से पे मानो फंस सी जाती है.

वहां छत पर उर्मिला अपनी दुनिया में खोई हुई है और यहाँ उमा देवी चाय का कप ले कर अपने बेटे सोनू के कमरे तक पहुँच गई है. वो कमरे में घुसती है. सामने सोनू बिस्तर पे चादर ओढ़ के पड़ा हुआ है.

उमा : लल्ला...!! सोनू बेटा..!! उठ जा..आज स्कूल नहीं जाना है क्या?

सोनू : (आँखे खोल के एक बार मम्मी को देखता है और फिर आँखे बंद कर लेता है) मम्मी अभी सोने दीजिये ना...

उमा : (कप टेबल पे रख के) चुप कर..बड़ा आया अभी सोने दीजिये ना वाला..चल उठ जल्दी से...७:३० हो गए है. अभी सोता रहेगा फिर पायल से लडेगा नहाने के लिए....और ये टेबल कितना गन्दा कर रखा है. किताबें तो ठीक से रखा कर बेटा..

उमा टेबल पे रखी किताबें ठीक करने लगती है. जैसे हे वो निचे गिरी किताब उठाने के लिए झुकती है, उसके लो कट ब्लाउज के गले से उसकी फुटबॉल जैसी चुचियों के बीच की गहराई दिखने लगती है. कमीना सोनू रोज इसी मौके का इंतज़ार करता है. अपनी माँ के ब्लाउज में झांकते हुए वो दोनों चुचियों का साइज़ मापने लगता है. चादर के अन्दर उसका एक हाथ चड्डी के ऊपर से लंड को मसल रहा है. उमा किताब उठा के टेबल पे रखती है और दूसरी तरफ घूम के कुर्सी पे रखे कपडे झुक के उठाने लगती है. सोनू की नज़रों के सामने उसके माँ की चौड़ी चुतड उठ के दिखने लगती है जो साड़ी के अन्दर कैद है. सोनू माँ की चुतड को घूरता हुआ अपना हाथ चड्डी में दाल देता है और लंड की चमड़ी निचे खींच के लंड के मोटे टोपे को बिस्तर पे दबा देता है. माँ की चुतड को देखते हुए सोनू लंड के टोपे को एक बार जोर से बिस्तर पे दबाता है और वैसे ही अपनी कमर का जोर लगा के रखता है मानो वो असल में ही अपनी मम्मी की गांड के छेद में अपना लंड घुसाने की कोशिश कर रहा हो. उमा जसी हे कपडे ठीक करके सोनू की तरफ घुमती है, सोनू झट से हाथ चड्डी से बाहर निकाल लेता है और आँखे बंद कर लेता है.

उमा : नहीं सुनेगा तू सोनू? (उमा कड़क आवाज़ में कहती है)

सोनू : अच्छा मम्मी आप जाइये. मैं २ मिनट में आता हूँ.

उमा : अगर तू २ मिनट में नहीं आया तो तुझे आज नाश्ता नहीं मिलेगा. मेरे ही लाड़ प्यार से इसे बिगाड़ दिया है. ना मैं इसे सर पे चढ़ाती, ना ये बिगड़ता..(उमा बडबडाते हुए कमरे से बाहर चली जाती है)

वहां छत पर उर्मिला बाबूजी की लंगोट पर नज़रे गड़ाए हुए है. वो लंगोट के उभरे हुए हिस्से को देख कर लंड के साइज़ का अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही है. "९ इंच ... ना ना ...१० से ११ इंच का तो होगा ही. जिस लड़की पर भी बाबूजी चड़ेंगे, पसीना छुडवा देंगे". तभी बाबूजी ज़मीन पर सीधा हो कर लेट जाते हैं और दंड पेलने लगते है. बाबूजी की कमर ज़मीन से बार बार ऊपर उठ कर फिर से ज़मीन पर पटकन ले रही हैं. उर्मिला ये नज़ारा गौर से देख रही है. एक बार तो उसका दिल किया की दौड़ के बाबूजी के निचे लेट जाए और साड़ी उठा के अपनी टाँगे खोल दें. लेकिन वो बेचारी करती भी क्या? समाज के नियम उसे ऐसा करने से रोक रहे थे. एक बार को वो उन नियमो को तोड़ भी देती पर क्या बाबूजी उसे ऐसा करने देंगे? उसके दिमाग में ये सारी बातें और सवाल घूम रहे थे. निचे उसकी बूर चिपचिपा पानी छोड़ने लगी थी. बैठे हुए उर्मिला ने साड़ी निचे से जांघो तक उठाई और झुक के अपनी बूर को देखने लगी. उसकी बूर के ऊपर घने और दोनों तरफ हलके काले घुंगराले बाल थे. उसकी बूर डबल रोटी की तरह फूल गई थी और बूर की दरार से चिपचिपा पानी रिस रहा था. उर्मिला ने अपनी बूर को देखते हुए धीरे से कहा, "लेगी बाबूजी का लंड? बहुत लम्बा और मोटा है, गधे के लंड जैसा. लेगी तो पूरी फ़ैल जाएगी. बोल...फैलवाना है बाबूजी का लंड खा के?". अपने ही मुहँ से ये बात सुन के उर्मिला मुस्कुरा देती है फिर वो बाबूजी के लंगोट को देखते हुए २ उँगलियाँ अपनी बूर में ठूँस देती है. बाबूजी के हर दण्ड पेलने पर उर्मिला अपनी कमर को आगे की और झटका देती है और साथ ही साथ दोनों उंगलियों को बूर की गहराई में पेल देती है. उर्मिला बाबूजी के दंड पेलने के साथ ताल में ताल मिलाते हुए अपनी कमर को झटके दे रही है और उंगलियों को बूर में ठूंस रही है. उर्मिला ने ऐसा ताल मिलाया था की अगर उसे बाबूजी के निचे ज़मीन पर लेटा दिया जाए तो बाबूजी के हर दंड पर उसकी कमर उठे और उनका लंड जड़ तक उर्मिला की बूर में घुस जाये.

बाबूजी के १०-१५ दंड पलते ही उर्मिला की उंगलियों ने राजधानी की रफ़्तार पकड़ ली. वो इतनी मदहोश हो चुकी थी की उससे पता ही नहीं चला की कब वो ज़मीन पर दोनों टाँगे खोले लेट गई और उसी अवस्था में अपनी बूर में दोनों उँगलियाँ पेले जा रही है. "ओह बाबूजी...!! एक दो दंड मुझ पर भी पेल दीजिये ना...!! आहsss..!!". उर्मिला अपने होश खो कर बडबडाने लगी थी. कुछ ही पल में उसका बदन अकड़ने लगा और कमर अपने आप ही झटके खाने लगी. एक बार उसके मुहँ से "ओह बाबूजी... आहssssss" निकला और उसकी बूर गाढ़ा सफ़ेद पानी फेकने लगी. पानी इतनी जोर से निकला की कुछ छींटे सामने वाली दिवार पर भी पड़ गए. कुछ ही पल में उर्मिला को होश आया और उसने ज़मीन पर पड़े हुए ही बाबूजी को देखा तो वो अब भी दंड पेल रहे थे. उर्मिला झट से उठी और अपनी साड़ी से बूर और फिर दिवार को साफ़ किया. साड़ी को ठीक करते हुए वो तेज़ कदमो से सीढीयों से निचे उतरने लगी.

(कहानी जारी है. शुरुआत कैसी है कृपया कर के बतायें )
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#2
अपडेट १:

उधर सोनू अंगडाई लेता हुआ अपने कमरे से जैसे ही बाहर निकला उसकी नज़र अपनी दीदी पायल पर पड़ी. पायल गले में तोवेल लिए हुए बाथरूम की तरफ जा रही थी. पायल ने टाइट पजामा पहना हुआ था जो पीछे से उसकी चौड़ी चूतडों पर अच्छी तरह से कसा हुआ था. पायल की बलखाती हुई चाल से उसके चुतड किसी घड़ी के पेंडुलम की तरह दायें - बाएँ हो रहे थे. सोनू ने एक नज़र रसोई में डाली तो मम्मी खाना बनाने में वैस्थ थी. सोनू ने अपनी गन्दी नज़र फिर से एक बार पायल दीदी के चूतड़ों पे गड़ा दी और एक हाथ चड्डी में दाल के अपने लंड को मसलने लगा. तभी पायल के हाथ से उसकी ब्रा छुट के निचे गिर गई और वो उसे उठाने के लिए झुकी. पायल के झुकते ही उसकी चौड़ी चुतड पजामे में उभर के दिखने लगी. ये नज़ारा सोनू के लंड की नसों में खून भरने के लये काफी था. अपनी बहन की उभरी हुई चुतड देख उसके लंड ने विराट रूप ले लिया और एक एक नस उभर के दिखने लगी. सोनू ने बिना वक़्त गवाएँ दोनों हाथो को आगे कर के इस अंदाज़ में रखा जैसे पायल दीदी की कमर पकड़ रखी हो. फिर अपनी कमर को पीछे ले जा कर जोर से झटका दे कर ऐसे आगे लाया मानो पायल के चूतड़ों के बीच के छोटे से छेद में अपना विशाल लंड एक ही बार में पूरा ठूँस दिया हो. फिर वैसे ही अपनी कमर को आगे किये सोनू १-२ कदम आगे की ओर गया जैसे वो पायल की गांड के छेद में अपना लंड जड़ तक घुसा देना चाहता हो. तब तक पायल अपनी ब्रा उठा चुकी थी और बाथरूम में घुसने लगी. सोनू झट से अपने कमरे में घुस गया.


कमरे का दरवाज़ा बंद कर सोनू ने बिस्तर पर छलांग लगा दी और तकिये के निचे से एक कहानी की किताब निकाल के पन्ने पलटने लगा. एक पन्ने पर आते हे उसकी नज़रे टिक गई. एक हाथ किताब को संभाले हुए था और दूसरा हाथ चड्डी उतारने लगा था. चड्डी घुटनों से उतरते ही सोनू के हाथ ने लंड को अपनी हिरासत में ले लिया और लंड को अपने अंजाम तक पहुँचाने में लग गया. उसकी आँखे उस पन्ने में लिखे हर शब्द को ध्यान से पढ़ रही थी और हाथ लंड पे तेज़ रफ़्तार में चल रहा था. कुछ ही पलो में सोनू की कमर अपने आप ही बिस्तर से ऊपर उठने लगी और उसके शरीर ने किसी कमान (bow) का रूप ले लिया. सोनू का शरीर ऐसी अवस्था में था की अगर उसकी कमर बिस्तर से उठने के पहले किसी लड़की को उसके लंड पे बिठा दिया जाता तो सोनू का लंड ना केवल उस लड़की की बूर में जड़ तक घुस जाता बल्कि वो लड़की भी २ फीट हवा में उठ जाती. सोनू तेज़ी से अपना हाथ लंड पे चलाये जा रहा था. अचानक उसका बदन अकड़ने लगा और उसके मुहँ से कुछ शब्द फूट पड़े, "आह..!! पायल दीदी...!!". उसके लंड से सफ़ेद गाढ़े पानी के फ़ौवारे छुटने लगे. हर एक फ़ौवारे पर सोनू की कमर झटके खाती और उसके मुहँ से "आह.. पायल दीदी" निकल जाता. ७-८ फ़ौवारे और हर फ़ौवारे पर पायल का नाम लेने के बाद सोनू बिस्तर पर जंग में हारे हुए सिपाही की तरह निढ़ाल हो कर लेट गया. उसकी आँखे कब लग गई पता ही नहीं चला.


इस घटना से पहले एक और घटना हो चुकी थी जिसका अंदाज़ा सोनू को नहीं था. जब सोनू पायल दीदी की चुतड को देख के वो सारी हरकतें कर रहा था तब उर्मिला सीढीयों के पास खड़ी हो के वो सब देख रही थी. लेकिन वहां से उर्मिला सिर्फ सोनू को देख पा रही थीं, पायल को नहीं. सोनू के जाने के बाद उर्मिला वहां आई और बाथरूम के पास वाली खिड़की से बहार देखने लगी. उसे लगा की सोनू खिड़की से बाहर किसी लड़की को देख के वो सब कर रहा था. लेकिन खिड़की से बाहर कोई भी नहीं था. उर्मिला का माथा ठनका. वो रसोई में उमा देवी के पास आती है.


उर्मिला : मम्मी जी...बाथरूम के साथ वाली खिड़की पर अभी कोई था क्या ?

उमा : पगली ... कौन आएगा ? गेट तो बंद है और ना ही मैंने गेट खुलने की आवाज़ सुनी थी. पर तू ये क्यूँ पूछ रही है ?

उर्मिला : कुछ नहीं मम्मी जी.. बस ऐसे ही... मुझे लगा की शायद कोई आया हो. लगता है मेरा वहम था... अच्छा मम्मी जी पायल कहाँ है ?

उमा : पायल नहाने गई है. बस अभी अभी गई है तो थोडा वक़्त लगेगा उसे निकलने में. क्यूँ तुझे कोई काम था क्या पायल से ?

उर्मिला : अरे नहीं मम्मी जी. बस वो कुछ कपडे लेने थे बाथरूम से... कोई बात नहीं. मैं उसके निकलने के बाद ले लुंगी.


उर्मिला वहां से सीधा अपने कमरे में आती है. बिस्तर पर लेटते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. "तो मेरा नन्हा देवर अपनी ही दीदी के पीछे लगा हुआ हैं. "दीदी तेरा देवर दीवाना तो सुना था पर यहाँ तो देवर अपनी ही दीदी का दीवाना है". पायल के चहरे पर फिर से मुस्कान आ जाती है. "जो हरकत सोनू कर रहा था जरुर पायल की पीठ उसकी तरफ होगी. ऐसा उसके सामने थोड़ी ना करेगा. वो जरुर पायल की चुतड देख रहा होगा, और क्यूँ ना देखे. पायल की चुतड है ही ऐसी की किसी का भी लंड खड़ा कर दे. भाई-बहन का मिलन तो अब करवाना ही पड़ेगा. पायल और सोनू को बिस्तर पर एक साथ नंगा सोचते ही बदन में आग लग गई. सच में देखूंगी तो ना जाने क्या होगा ?". उर्मिला पायल और सोनू के बारें में सोचते हुए मुस्कुराये जा रही थी. उसका दिमाग वो सारे उपाए खोजने में लग गया जिस से सोनू और पायल के भाई बहन वाले पवित्र रिश्ते को लंड और बूर के गंदे रिश्ते में बदल दिया जाए.
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#3
नाश्ते की मेज़ पर सोनू और पायल आमने सामने बैठे हैं. सोनू अपने स्कूल ड्रेस में है और पायल ने एक नीले रंग की टॉप और लम्बी स्कर्ट, जो उसके घुटनों से थोड़ी निचे तक है, पहन रखी हैं. पायल नाश्ता करने में व्यस्थ है. लेकिन सोनू की नज़र रोज की तरह अपनी पायल दीदी पे गड़ी हुई है. नाश्ता करते हुए सोनू बार बार कनखियों से पायल की टॉप में उठी हुई गोल गोल चूचियां देख रहा है. पायल नाश्ता करते हुए अपने फ़ोन में देख रही है और वो कभी अपनी लटो को ऊँगली से कान के पीछे कर रही है तो कभी बालों को झटक के कंधो के पीछे. उसकी हर अदा पे सोनू कभी मुहँ के अन्दर ही अपनी जीभ दाँतों से दबा देता है तो कभी अपनी जांघो को आपस में चिपका के लंड को दबा देता है. पायल मुहँ बंद करके खाना चबा रही है और उसके गुलाबी रसीले ओंठ सोनू का बुरा हाल कर रहे हैं. पायल के रसीले ओंठ देख कर सोनू मेज़ के निचे अपनी कमर उठा के २-३ झटके भी दे चूका था.

रसोई में खड़ी उर्मिला दोनों को गौर से देख रही थी, ख़ास कर सोनू को. सोनू की हर हरकत का वो पूरा मज़ा ले रही थी. कुछ देर बाद उर्मिला रसोई से आवाज़ लगाती है.

उर्मिला : और कुछ लोगे तुम दोनों ?

पायल : भाभी मेरे लिए आधा पराठा ला दीजिये प्लीज..!

उर्मिला : अभी लायी.. (उर्मिला आधा पराठा ले कर पायल के पास जाती है) ये लीजिये पायल जी, आपका आधा पराठा...

पायल: थैंक्यू भाभी.. यू आर दी बेस्ट...

उर्मिला : सोनू.. तू क्या लेगा ? (ये कहते हुए उर्मिला अपना एक हाथ पायल के कंधे पर रख देती है)

सोनू : (नज़रे पायल की टॉप में उभरी हुई चुचियों पर है. उर्मिला की आवाज़ सुन के वो हडबडा जाता है) अ..अ... कुछ नहीं भाभी... और कुछ नहीं... मेरा हो गया बस...

उर्मिला : (उर्मिला सोनू को देखते हुए मुस्कुरा देती है और पायल के पीछे खड़ी हो के दोनों हाथों को उसके कन्धों पे रख देती है) अभी तो शरुवात हुई है देवरजी .... ऐसे ही छोटे मोटे खाने से पेट भर जायेगा तो जब असल में खाने का वक़्त आएगा तो क्या करोगे ? (सोनू से कहते हुए उर्मिला अपने हाथों से पायल के कन्धों को हलके से दबा देती है. उर्मिला के शब्दों के इस जाल को ना सोनू समझ पाता है और ना ही पायल)

सोनू : नहीं भाभी... सच में पेट भर गया मेरा. और नहीं खा पाउँगा...

उर्मिला : (अपनी आँखे गोल घुमाके ऊपर देखती है और लम्बी सांस छोड़ती है. "चूतिया है साला.... जहाँ दिमाग लगाना है वहां नहीं लगाएगा", उर्मिला मन में सोचती है. फिर वो पायल की नीली टॉप को देखते हुए कहती है) अरे वाह पायल ...!! ये टॉप तो तुझ पे जच रही है. कब ली ?

पायल : २ दिन पहले ही ली है भाभी. सॉरी मैं आपको दिखाना भूल गई...

उर्मिला : कोई बात नहीं पायल. जरा देखू तो कैसी टॉप है तेरी. (उर्मिला पायल के बगल में खड़ी हो जाती है और एक हाथ से उसकी नाभि के उपरी हिस्से की टॉप को पकड़ के कहती है) अरे वाह...!! ये तो बहुत अच्छी है पायल. और ये क्या लिखा है तेरी टॉप पे ?... (टॉप पर गुदी हुई प्रिंटिंग देखने के बहाने उर्मिला टॉप को धीरे से निचे की ओर खींचती है जिस से पायल की बड़ी बड़ी चुचियों पर पहले से ही कसी हुई टॉप और भी ज्यादा कस जाती है. पायल की बड़ी बड़ी चुचियों के अनारदाने टॉप के ऊपर उभर के दिखने लगते है)..."घर की लाड़ली"... एक दम सही लिखा है तेरी टॉप पर पायल. मेरी प्यारी ननद घर की लाड़ली ही तो है....(उर्मिला प्यार से पायल के गाल खींचते हुए कहती है)

पायल : (प्यार से ) थैंक्यू भाभी...!!

सामने बैठे सोनू को ना भाभी की बात सुनाई दे रही थी और ना ही पायल की. उसकी आँखे तो पायल की टॉप में उभरे उन दो अनारदानों पर टिकी हुई थी. उसकी आँखे बड़ी हो गई थी और मुहँ खुला का खुला. हाथ में पराठे का वो टुकड़ा उसके मुहँ में जाते जाते रुक गया था. उर्मिला तिरछी नज़रों से सोनू को देख रही थी. तभी उर्मिला के गंदे दिमाग में एक ख़याल आया.

उर्मिला : फिटिंग तो अच्छी है पायल और टॉप के गले का शेप भी अच्छा है. बस इस टॉप को ना तू थोड़ा सा आगे कर के पहना कर. पीछे खींच कर पहनेगी तो उतनी फिट नहीं आएगी. रुक मैं ठीक कर देती हूँ (उर्मिला टॉप को पीछे से थोड़ा ऊपर की और खींचती है और फिर आगे से थोडा निचे. टॉप का गला पहले से ही हल्का सा गहरा था जो अब टॉप के निचे होने से और गहरा हो गया था. अब पायल की बड़ी बड़ी चुचियों के बीच की गहराई दिखने लगी थी) हाँ... परफेक्ट ..!! अब एक दम सही है ...

पायल : भाभी मानना पड़ेगा. आपकी ड्रेसिंग सेंस सच में बहुत अच्छी है.

उर्मिला : जानती हूँ पायल रानी ... तेरे भैयाँ क्या ऐसे ही मेरे दीवाने है ? (उर्मिला की बात सुन के पायल की हंसी छूठ जाती है. उर्मिला चुपके से सोनू को देखती है तो उसकी नज़रे पायल की टॉप के गहरे गले से दिख रही चुचियों के बीच की गली पर टिकी है. उर्मिला झट से पायल के पीछे जाती है और उसके कन्धों से थोड़ा निचे, बाँहों की ओर, दोनों तरफ हाथ रख देती है. इस बार उर्मिला अपने हाथों को हल्का सा घुमाव देते हुए आगे की ओर दबाती है जिस से टॉप का गला आगे से ढीला हो कर और भी ज्यादा गहरा हो जाता है साथ ही साथ दबाव से पायल की बड़ी बड़ी चूचियां आपस में चिपक जाती है. अब पायल की टॉप के गहरे गले से चुचियों की हलकी सी गोलाई और बीच में एक लम्बी सी गली साफ़ साफ़ दिखाई पड़ने लगती है. उर्मिला अब सोनू से कहती है) क्यों देवर जी ? जरा देख कर बताइए... कैसी लग रही है मेरी प्यारी ननद रानी ?

सोनू अपनी नज़र पहले पायल के चेहरे पर डालता है. पायल फ़ोन में कुछ देख रही है. फिर उसकी नज़र उर्मिला भाभी पर पड़ती है. भाभी के चेहरे पे कुटिल मुस्कान है. भाभी सोनू को देखते हुए एक बार अपनी आँखे छोटी करती है और हल्का सा आगे झुक के सोनू की आँखों में देखती है. उर्मिला के दोनों हाथ एक बार फिर घुमाव के साथ पायल की बाहों को दबातें है और उसकी नज़रे जो सोनू की आँखों में देख रही थी वो अब पायल की टॉप के गहरे गले की और इशारा कर रही है. भाभी की इस हरकत से सोनू डर जाता है. लेकिन था तो वो अव्वल दर्जे का कमीना. उसका कमीनापन उसके डर पे भारी पड़ता है और नज़रे धीरे धीरे पायल की टॉप से दिख रही चुचियों की गहराई पर पड़ती है. वो नज़ारा देख के सोनू की जीभ अपने आप की ओठों पर घूम जाती है. बहन की चुचियों के बीच की उस गहराई को सोनू पहली बार इतने करीब से देख रहा था. पैंट में उसका लंड अंगड़ाईयाँ लेने लगा था. तभी उर्मिला की आवाज़ उसके कानों में पड़ती है.

उर्मिला : कहाँ खो गए देवरजी? बताया नहीं, कैसी लग रही है मेरी प्यारी ननद?

सोनू : (झेंपते हुए) वो..वो.. अच्छी लग रही है भाभी....

उर्मिला : और ये गहराई कैसी लगी?

सोनू : (भाभी का सवाल सुन के उसके होश उड़ जाते है) क...को.. कौनसी गहराई भाभी...??

उर्मिला : अरे बाबा... इस नीले टॉप के रंग के गहराई की बात कर रही हूँ. बहुत गहरा है ना ? (उर्मिला सोनू को देख के झट से आँख मार देती है)

सोनू : (सोनू समझ जाता है की भाभी क्या पूछ रही है. भाभी के आँख मारने से सोनू का डर थोडा कम हो गया है) हाँ भाभी.... बहुत गहरा है.

तभी पायल अपनी प्लेट ले कर खड़ी होती है और रसोई की और चल देती है. पायल के जाते हे उर्मिला धीमी आवाज़ में सोनू से बात करने लगती है.

उर्मिला : तो सोनू जी... बोलिए, मज़ा आया ?

सोनू : किस बात में भाभी ?

उर्मिला : देख सोनू... ज्यादा बन मत. सुबह से देख रही हूँ तुझे. पायल की चुचियों को ऐसे घुर रहा है जैसे अभी उसकी टॉप फाड़ के दोनों चूचियां दबोच लेगा.

सोनू : ये आप क्या बोल रहे हो भाभी ? वो मेरी दीदी है. मैं तो ऐसा सोच भी नहीं सकता.

उर्मिला : अच्छा ? सोच भी नहीं सकता ? तो सुबह जो पायल की चुतड को देख के अपनी कमर को झटके दे रहा था वो क्या था ? अपनी दीदी के लिए प्यार ?

उर्मिला की ये बात सुन के सोनू के होश उड़ जाते हैं. उसका बदन सफ़ेद पड़ जाता है जैसे काटो तो खून नहीं. लड़खड़ाती आवाज़ में सोनू उर्मिला से कहता है.

सोनू : भा..भा.. भाभी प्लीज.... मुझे माफ़ कर दीजिये. अब मैं ऐसा कभी नहीं करूँगा... आप पापा से कुछ मत कहियेगा प्लीज भाभी....

सोनू की हालत देख के उर्मिला को हंसी आ जाती है.

उर्मिला : (हँसते हुए) तू एकदम पागल है सोनू. अगर मुझे पापा जी को बताना होता तो मैं सुबह हे बता देती. और मैं क्या तुझे पायल का वो नज़ारा देखने में हेल्प करती ?

सोनू : तो क्या भाभी आप मुझसे गुस्सा नहीं है?

उर्मिला : (सोनू के बालों में हाथ फेरते हुए) नहीं रे पागल.. मैं बिलकुल भी गुस्सा नहीं हूँ. सच कहूँ तो मुझे अच्छा लगा की तू पायल के साथ ये सब कर रहा है.

उर्मिला की बात सुन के सोनू का सर घूम जाता है. वो समझ नहीं पा रहा था की भाभी को अच्छा क्यूँ लग रहा है.

सोनू : लेकिन भाभी... आपको ये सब अच्छा क्यूँ लग रहा है ?

उर्मिला : वो इसलिए मेरे छोटे देवरजी क्यूंकि तू ये सब कर के एक तरह से पायल की मदद कर रहा है. एक सच्चे भाई होने का फ़र्ज़ निभा रहा है.

सोनू : मैं कुछ समझा नहीं भाभी.

उर्मिला : अभी तेरे स्कूल का समय हो रहा है. तू स्कूल जा. शाम को जब घर आएगा तो मैं तुझे सब समझा दूंगी. हाँ एक और बात. तू पायल या किसी और से इस बारें में बात मत करना. ये भाभी और देवर के बीच की बात हैं (उर्मिला आँख मारते हुए कहती है)

भाभी का इशारा सोनू समझ जाता है. वो भाभी को अपने उस दोस्त की तरह देखता है जिस से वो अपने दिल की हर एक बात बता सके. चाहे वो बात पायल दीदी की हे क्यूँ ना हो.

सोनू : (मुस्कुरा के खुश होते हुए) थैंक्यू भाभी... आप बहुत अच्छी हो. मैं शाम को आऊंगा तो हम ढेर सारी बातें करेंगे.

उर्मिला : हाँ बाबा... करेंगे . लेकिन तू प्रॉमिस कर की तू मुझसे कुछ नहीं छुपायेगा, कुछ भी नहीं...

सोनू : हाँ भाभी ... प्रॉमिस... गॉड प्रॉमिस...

तभी पायल वहां आ जाती है.

पायल : और कितना पकाएगा सोनू भाभी को ? (फिर भाभी की ओर देख कर) भाभी आप भी इस गधे की बातों में आ जाती है. पता नहीं क्या क्या बकवास कर के सबको पकाता रहता है. गधा है ये गधा...

उर्मिला : अरे नहीं पायल ऐसा मत बोल मेरे देवर को. हाँ पर तेरी एक बात से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ. (उर्मिला सोनू को देखते हुए आँखों से उसकी पैंट की तरफ इशारा करते हुए कहती है) गधा तो ये है. और जब तू सामने आती है तो ये और भी बड़ा वाला गधा बन जाता है (ये कहते हुए उर्मिला सोनू को देख के आँख मार देती है. भाभी की बात पर कमीने सोनू को भी शर्म आ जाती है )

पायल : हाँ भाभी सही कहा आपने. और आप मिस्टर गधे .... चलिए नहीं तो स्कूल में लेट हो जाओगे....

सोनू सर झुका के बस्ता टाँगे पायल के पीछे पीछे चल देता है. जाते हुए वो एक बार मुड़ के भाभी को देखता है. उर्मिला के चेहरे पर अब भी वही मुस्कान है. वो सोनू को देख कर नजरो से पायल की हिलती हुई चुतड को देखने कहती है. सोनू पायल की मटकती हुई चूतड़ों को एक बार गौर से देखता है फिर भाभी की तरफ देखने लगता है. उर्मिला अपना एक हाथ उठा के अपनी तर्जनी (index finger) और अंगूठे को मिला कर गोला बना के पायल की चुतड 'एक दम मस्त' ? होने का इशारा करती है. भाभी के इस इशारे से सोनू एक बार फिर शर्मा जाता है और पायल के चुतड को निहारता हुआ उसके पीछे पीछे बाहर चला जाता है. अपना काम बनता देख उर्मिला बहुत खुश है और वो गाना गुनगुनाते हुए अपने कमरें में चली जाती हैं.

(कहानी जारी है. अब तक कैसी लगी कृपया कर के बतायें )
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#4
PLZ REPLY FOR MORE UPDATE
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#5
good one bhai...pls continue..look forward to the next hot and sexy update...
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#6
Love from Karachi princess
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#7
Update bro awsome story
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#8
achhi suru, please continue
[Image: Polish-20231010-103001576.jpg]
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#9
Kya ho gaya bhai update do
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#10
NEXT UPDATE NEXT PAGE PR PHOCHNE PR HI MILEGA
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#11
APNI RAI DO UMA KA SEX PHLE KRWAU YA PAYAL KA YA URMILA KA YAA MTLB JISKE PAAS STORY KO LEKAR SUGGESTION H DE SKTA H
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#12
Good start But mera manna he ki sirf family ki story rhegi to 8-10 update me log ubne lagege mera suzav he 2 family rkho ek to jo aapne likha he vo malik aur ek un ke ghrme kam karne wali family. jis me pati patni un ke ghr me kam karte he (abhigav gye he.) aur ek beta ek beti padhte he. maja aayega.
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#13
BHAI MAI SOCH RHA INTERFAITH MASALA BHI DAL DU KYA YA KISI ***** KO AUR USKI FAMILY KO ADD KR DU YA FAMILY ME HI RHNE DU
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#14
bhaiyo suggest kro aur koi update ready h pr suggestion doge tbhi aaj rat 10 se phle update kr dunga wrna wait krna pdega suggestion do sb apni rai do
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#15
uma ka character aage bdau to usme kya add kru kisi ke paas suggestion h iska agla update uma pr dunga ye update urmila payal aur uske baap pr rhega
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#16
Family me hi rhne do Jo maza family members me hai Bo maza dusre family me nhi hai?
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#17
UMA KE CHARACTER KE SATH KYA KARU WO BTAO SB LIKE KAISE KYA KIYA JAYE
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#18
शाम के ५ बज रहे है. उमा देवी रसोई में चाय बना रही है. तभी उसे गेट खुलने की आवाज़ आती है. २ मिनट के बाद सोनू घर में दाखिल होता है. अपना बस्ता सोफे पर फेक के वो सीधा रसोई में घुसता है.

सोनू : मम्मी... कल से हमारी स्कूल १ हफ्ते के लिए बंद रहेगी. अभी से बता दे रहा हूँ की मेरे पीछे आप लोग पढ़ाई करने के लिए नहीं पड़ोगे.

उमा : (सोनू की तरफ घूम के आश्चर्य से उसका चेहरा देखते हुए) १ हफ्ते के लिए स्कूल बंद रहेगी ? झूठ मत बोल सोनू. कहीं ये तेरा स्कूल न जाने का कोई नया बहाना तो नहीं है ?

सोनू : मम्मी आप भी ना हमेशा ही मेरी किसी भी बात का विश्वास नहीं करती. कोई सरकारी परीक्षा होने वाली है. हमारे स्कूल में आज ही नोटिस आया था. किसी वजह से इमरजेंसी में हमारे स्कूल को एग्जामिनेशन सेण्टर बना दिया गया है. १ हफ्ते परीक्षा चलेगी तो हमारा स्कूल भी बंद रहेगा.

उमा : लल्ला... मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है. लेकिन तेरे जो दोस्त है वो मुझे पसंद नहीं. इसलिए कभी कभी लगता है की तू उनके बहकावे में आ कर झूठ तो नहीं बोल रहा है.

सोनू : (मुहँ बना के) मेरे दोस्त सब अच्छे है मम्मी. आप ही गलत सोचती हो उनके बारें में.

उमा : अच्छा बाबा... सब अच्छे है, मैं ही बुरी हूँ...अब ठीक? चल अब जल्दी से हाथ मुहँ धो ले. मैं तेरे लिए खाना निकालती हूँ.
सोनू धीमे क़दमों से उर्मिला भाभी को ढूंडता हुआ बढ़ जाता है. तभी उमा को फिर से गेट खुलने की आवाज़ आती है और २ मिनट के बाद पायल घर के अन्दर आती है. वो अपना बैग टेबल पे रखती है और रसोई में आती है.

पायल : मम्मी... कल से... (पायल की बात बीच में ही काटते हुए उमा कहती है)

उमा : .... तू १ हफ्ते कॉलेज नहीं जाएगी.... यही ना?

पायल : (चेहरे पर आश्चर्य के भाव लाते हुए) ...हाँ मम्मी...लेकिन आपको कैसे पता?

उमा : अभी सोनू भी येही बता के गया है. बोल रहा था कोई सरकारी परीक्षा है तो वो कुछ सेण्टर वेंटर पड़ा है...

पायल : उसके स्कूल को भी एग्जामिनेशन सेण्टर बना दिया? (पायल अपने सर पे हाथ रख देती है) मैं सोच रही थी की १ हफ्ते घर में अराम से रहूंगी, अब ये सोनू का बच्चा दिन भर मेरा सर खायेगा. इस से अच्छा तो मेरा कॉलेज ही बंद ना होता.

उमा : चुप कर पायल..!! तुम दोनों एक साथ घर में दिन भर रहोगे ये सोच के मेरा दिमाग ख़राब हो रहा है. कम से कम दिन में ४-५ घंटे की शांति तो रहती थी. अब तो वो भी नसीब नहीं होगी.

उमा की बात सुन के पायल मम्मी को पीछे से जीभ दिखा के अपने रूम की तरफ चली जाती है. वहां सोनू उर्मिला भाभी को ढूंडता हुआ उनके कमरे तक पहुँच जाता है. अन्दर उर्मिला तकिये में कवर चढ़ा रही है.
AB THODA SA UPDATE ENGLISH FONT ME
YAHA RAMESH GHR KI CHAT PR SOCH RHA THA WO KYA SE KYA BAN GAYA EK SAMAY THA SHAADI SE PHLE RAMESH AWARA KISM KA LDKA HUA KRTA THA JISNE BHOT SI LDKIYAN AUR AURTE PTAYI THI PR AB WO SIRF UMA KO HI LUND KA PANI PILATA THA AUR UMA KO DHOKHA DENE KI SOCH BHI NI SKTA THA AUR SOCHTA BHI KU UMA BHI 46 SAL KI UMR ME BHI BHOT HHI TAGDA MAAL THI JISE DEKH JAWAAN LAUNDO KA BHI LUND KHDA HOJATA HAI AAJ BHI KHAIR UMA WAHI SHURUWAT SE HI BHOT CHARITRAWAN AURAT THI AUR RAMESH KO CHOD KISI KI AUR DEKHTI TK NI THI RAMESH KI CHUDAI THI HI AISI KI KOI AURAT KU DUSRE KI TRF DEKHE PR AB IS PARIWAR ME BHOT KUCH HONE WALA THA





AAGE KA NEXT UPDATE ME
MAAF KRNA DOSTO UPDATE CHOTA THA PR AGLA UPDATE MAHA UPDATE HOGA PLSS APNI RAY DIJIYE STORY KAISE BUILD UP KRU THANKS
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#19
Bhai Hindi me hi likho maja aata he.
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#20
bhai hindi me hi Likho ye English ke chhkar me mat pado
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