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Adultery पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ नौजवान के कारनामे
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात


CHAPTER-2

PART 07

 यह बहुत अजीब था


राजमाता ने धोती का कपड़ा पापा के शरीर पर फेंक दिया। -यह बहुत अजीब था; पल की ललक में जो खूबसूरत और आनंदमय लग रहा था वह अब शर्मनाक था।

मेरी नजर राजमाता के शरीर पर घूम गई। ब्लाउज के गीले रेशम के माध्यम से निप्पल दिखाई दे रहा था। अब अर्ध-सूखी वीर्य की लकीर, उनके के गले से दरार तक एक रेखा खींच रही थी, हालाँकि जहाँ वीर्य ने उसकी सोने की चेन जो राजमाता के गले में थी उसे छुआ था वहाँ अभी भी नमी थी। पापा का हाथ, जो अब  राजमाता के स्तन को दबा नहीं रहा था, उनके स्तन की गोलाई और वजन को महसूस कर रहा था।

रौशनी में राजमाता दीप्तिमान-गुलाबी लग रही थीं। "ओह राजमाता बिस्तर में कमाल की होनी चाहिए," मैंने सोचा। 


[Image: BRIDE0.webp]

पापा ने धीरे से अपना हाथ राजमाता के स्तन से हटा लिया और राज माता ने छाती को अपने दुपट्टे के पर्दे से ढक दिया। वह शरमा गई; कामवासना का यह तूफान एक पुरानी आग थी जो कुछ देर के लिए सुप्त पड़ी हुई थी। वह पापा के और मेरे लंड और नग्न रूप को देखती रही। वह उसकी ताकत को देखने में सक्षम थी; और जब से पिछले कुछ दिनों से यह नई योजना उन्होंने बनायी थी तब से उनके मन में कामवासना का तूफ़ान फिर से उठने लगा था।

वे एक-दूसरे के बारे में सोचते हुए कुछ देर वहीं बैठे रहे। राजमाता को एहसास हुआ कि अब उन्हें आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने पापा की आँखों में देखा और विचारों में समानता देखा। पापा की आँखे उनके शरीर पर थिए और राजमाता की आँखे के उनके नीचले भाग पर घूम रही थीं, फिर उन्होंने ने देखा कि नीचे फिर से एक उभार विकसित हो रहा है और एक तम्बू बन रहा है।

उन्हें लगा अब यहाँ इस अध्याय को समाप्त कर देना चाहिए, शायद इस के बाद वह खुद पर नियंत्रण खो दे और अपनी कामवासना को नियंत्रित न कर पाए और इस बात का कोई आश्वासन नहीं था कि पापा भी अब खुद को नियंत्रित कर पाएंगे।

दोनों ने अपने कपड़े व्यवस्थित कर लिए। उन्होंने अपने दुपट्टे के सिरे का इस्तेमाल अपने गले, गर्दन और छाती पर लगे दागों को पोंछने के लिए किया। पापा ने और, मैंने अपना पायजामा बाँध कर अपने कड़े लंड को पायजामे में कैद कर दिया।


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बड़ा अजीब सा मामला था  और अजीब  और असाधारण परिस्तिथिया थी जिसमे  राजमाता जो मेरी ताई जी  थी हमारे (महाराज  जो उनके पुत्र थे और मैं जो की उनके देवर का पुत्र था)  के सामने  मेरे पिता जी  के लंड का हस्तमैथुन करके मुझे सम्भोग करना सीखा  चुकी  थी और  उसके बाद उनकी तरफ देखे बिना हमने उन्हें और पिताजी को प्रणाम किया और भाई  महाराज और मैं अपने कक्ष में लौट आये ।  फिर भाई महाराज की सुहागरात का समय हो गया । अब नाम भाई महाराज का था दरअसल गुप्त रूप से मुझे ये सुहागरात नयी रानी के साथ मनानी थी ।

सुहागरात के लिए एक बड़े से भव्य शयनकक्ष को मुख्य रूप से सजाया गया था। महाराज ने विशेष दासियो को भेज कर मुझे स्नान करवाया और मेरे शरीर पर विशेष तेल से मालिश की और इत्र लगया और मुझे सबसे श्रेष्ठ वस्त्र और आभूषण पहनाये ।

इसी प्रकार महाराज को भी त्यार किया गया । फिर रात्रि के भोजन के उपरांत नयी रानी की कुछ खास दासीयाँ, मौसियो के पुत्रवधुएँ मीना और स्मिता भाभियाँ और भाई महाराज की वरिष्ठ महारानी ऐश्वर्या, भाई महाराज हरमोहिंदर को सुहागकक्ष तक ले आई. द्वार पर पहुँच कर दासीयाँ महाराज से हँसी ठिठोली करने लगीं। नयी रानी के साथ उसकी कुछ सखिया और दासिया भी विवाह के उपरान्त रानी के साथ ही आ गयी थी और सभी दासीयाँ और सखिया अत्यंत प्रसन्न थीं। परन्तु विवाह के वास्तविक प्रयोजन और नियम और शर्त वहाँ उस वक़्त उपस्थित लोगों में से केवल मात्र महराज हरमोहिंदर, नयी रानी और वरिष्ठ रानी को ही ज्ञात था!

"हमारी राजकुमारी बहुत कोमल हैं... अपने कठोर हाथ उनसे दूर ही रखियेगा महाराज!" । एक दासी ने कहा।

"और नहीं तो क्या, नहाते हुए यदि जल में इत्र और पुष्पों के रस की मात्रा तनिक भी अधिक हो जाये, तो राजकुमारी के अंग विहल हो जाते हैं!" । तो दूसरी दासी बोली।


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"मुझे नहीं लगता की महराज पूरी रात राजकुमारी से सिर्फ मीठी-मीठी बातें करके ही कटायेंगे!" और एक दासी बोली।

"अब तो प्रातकाल राजकुमारी के स्नान के समय ही पता चलेगा की उनके किस-किस अंग में क्या-क्या और कितनी क्षति हुई है!" । चौथी दासी ने कहा।

सभी दासीयाँ खिलखिला कर हँसने लगीं।

"निर्लज्ज लड़कियों... अब भागो यहाँ से। महाराज और रानी साहिबा के विश्राम का समय हो गया है!" । नयी रानी की प्रमुख सखी और सेविका ने दासीयों को डांट डपट लगाई।

"हमें तो नहीं लगता की महाराज और राजकुमारी जी आज पूरी रात सिर्फ विश्राम करेंगे!" । फिर से किसी दासी ने कहा तो सभी दासीयाँ हँस पड़ी।

"महराज ... इन उदंड लड़कियों को कुछ उपहार दे दीजिये, वर्ना ये यहाँ से जायेंगी नहीं और आपको ऐसे ही तंग करती रहेंगी!" । महरानी ऐश्वर्या ने महाराज हरमोहिंदर से कहा।


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महाराज हरमोहिंदरने अपने शरीर से कुछ आभूषण और मोतीयों की मालायें उतार कर दासीयों को भेंट दी, तो उन्हें लेकर रानी की प्रमुख सखी सभी हँसती खिलखिलाती दासियो को बोली अब चलो अब हमे कबाब में हड्डी नहीं बना चाहिए और सभी हँसती खिलखिलाती हुई वहाँ से लेकर चली गई।

महराज हरमोहिंदर और अब जब अंदर प्रवेश करने को आगे बढे तो अब उनकी फूफेरी बहने जेन, अलका, लूसी और सिंडी, और उनकी मौसेरी बहने श्रीजा, बीना और भतीजियाँ नीता और रीता सुहागरात कक्ष के द्वार पर मोर्चे बना कर डटी हुई थी और उन्हें रोका।

" अरे अरे... ये क्या? भाई महाराज अपनी बहनो का नेग तो देते जाईये । नववधु के सुहागकक्ष में प्रवेश अपनी बहनो को नेग देने के बाद ही मिलेगा । तो महाराज ने माणिक जड़ी हुई अँगूठिया और आभूषण अपनी बहनो और भतीजियों को नेग में दिए ।

"और भी कोई सेवा हो तो बता दीजिये भाभी जी... " । भाई महाराज ने अपनी भाभी से मज़ाक में कहा।

मीना भाभी बोली आपने हमारी बाते मानी इस के लिए आपके आभारी हैं बस अब जल्दी से भतीजे का मुँह दिखला दीजिये । तो अब ऐश्वर्या महारानी बोल उठी बस उसी दिन की तो पूरे राज्य को प्रतीक्षा है ।

"स्मिता भाभी ने हँसते हुए कहा, फिर बिस्तर पर बैठी रानी के कान में अपने होंठ सटाकर एकदम धीमे स्वर में बुदबुदाते हुए बोली।" मुझे पता है कि आप इस घड़ी का बरसों से प्रतीक्षा कर रही होंगी ।

तो उसके बाद भाभियो ने भाई महाराज को अंदर धकेल कर द्वार बंद कर दिया । भाई महाराज ने अंदर से द्वार बंद किया और नयी रानी को देखा तो वह लजा गई।

महराज कक्ष में चाओ तरफ घूमे और सुनिश्चित किया की कमरे में कोई और तो नहीं है और फिर एक तरफ जा कर एक गुप्त रास्ता खोला और मैंने उस सुहागरात कक्ष में प्रवेश किया और भाई महाराज वहाँ से चले गए ।


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piping down the valleys wild

सुहागसेज को गुलाब, मोगरा और अन्य कई सारे फूलों से इस कदर सजाया गया था कि बिस्तर की चादर तनिक भी नज़र नहीं आ रही थी और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो पूरी सेज फूलों से ही निर्मित हो। पूरा कक्ष मोगरे के इत्र की खुशबु से सुगंधित था।

सोलह शृंगार किए घूँघट ओढ़े लाल जोड़े में फूलों से सजी सुहाग-सेज पर लाज से सिमटी बैठी नयी दुल्हन भाभी मेरी प्रतीक्षा कर रही थी। सबसे मजे और आश्चर्य की बात ये थी की अब तक न तो मैंने दुल्हन बनी हुई भाई महाराज की नयी रानी जो मेरी भाभी लगती थी का चेहरा देखा था न मुझे उनका नाम ही मालूम था ।

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात


CHAPTER-2

PART 08

नयी रानी की सुहागसेज



भाई महाराज कक्ष में घूमे और सुनिश्चित किया की कमरे में कोई और तो नहीं है और फिर एक तरफ जा कर एक गुप्त रास्ता खोला और मैंने उस सुहागरात कक्ष में प्रवेश किया और भाई महाराज वहाँ से चले गए। भाई महाराज जाते हुए मेरे हाथ में एक डिब्बा पकड़ा गए और बोले रानी को उपहार दे देना ।

सुहागसेज को गुलाब, मोगरा और अन्य कई सारे फूलों से इस कदर सजाया गया था कि बिस्तर की चादर तनिक भी नज़र नहीं आ रही थी और ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो पूरी सेज फूलों से ही निर्मित हो। पूरा कक्ष मोगरे के इत्र की खुशबु से सुगंधित था।



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सोलह शृंगार किए घूँघट ओढ़े लाल जोड़े में फूलों से सजी सुहाग-सेज पर लाज से सिमटी बैठी नयी दुल्हन भाभी मेरी प्रतीक्षा कर रही थी। सबसे मजे और आश्चर्य की बात ये थी की अब तक न तो मैंने दुल्हन बनी हुई भाई महाराज की नयी रानी जो मेरी भाभी लगती थी का चेहरा देखा था न मुझे उनका नाम ही मालूम था।

मैंने नयी रानी को निहारा तो देखा नयी रानी किसी सांचे में ढले मदमस्त कोमल जिस्म की मल्लिका थी। उस टाइम उसके स्तनों की साइज 36 इंच लग रहा था और बलखाती और लहराती नागिन-सी उसकी कमर 28 इंच की थी। उसके कूल्हे ... उफ्फ ... क्या बताऊँ एकदम तोप से उठे हुए 36 इंच के थे। लाल सुर्ख जोड़े में अपने संगमरमरी बदन को लपेटे हुए फूलों से सजे बेड पर बैठी थी।

गहनों गजरे और फूलों से शृंगार किये हुए स्वर्ग से आयी हुई अप्सरा लग रही थी। मेरा तो लंड उसे देख कर कड़ा होने लगा । वह बिस्तर के पास शर्मायी हुई अपने पैरो की तरफ देख रही थी। उसने हल्का-सा घूंघट किया हुआ था। उसका चेहरा शर्म और आगे जो होने वाला था वह सोच कर लाल हो रहा था। वह थोड़ी-सी घबराई हुई थी...

मैंने कहा मुझे बताया गया है की आपको मालूम है मैं आपके पति महाराज का छोटा भाई हूँ और मुझे ही आपके साथ सुहागरात मनानी है तो वह कुछ बोली ।

मैं थोड़ा-सा आगे हुआ और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। उसका नरम गर्म हाथ पकड़ते ही मेरी कामुकता भड़क गयी और मेरा लंड सनसनाता हुआ पूरा बड़ा और कड़ा हो गया और सलामी देने लगा।

मेरे बहुत कहने की मेरे लिए उनकी सहमति जानना बहुत जरूरी है वह बहुत मीठी आवाज़ में बोली मुझे मालूम है । मुझे आवाज थोड़ी पहचानी-सी लगी । मैंने वह डिब्बा खोला तो उसमे चूड़ामणि थी वह मैंने रानी को दिया और कहाः ये भाई महाराज ने आपको उपहार देने को कहाः है और साथ ही अपनी जेब से निकाल अंगूठी उनको उपहार दी तो वह बोली आप ही पहना दीजिये और उसके गहने खड़कने लगे।

मैंने उसे उस अंगूठी को पहनाया फिर धीरे से उसका घूंघट उठा दिया दूध जैसी गोरी चिट्टी लाल गुलाबी होंठ! नाक पर बड़ी नथ, मांग में टिका बालो में गजरा उसका चेहरा नीचे को झुका हुआ था उसे देख मेरे मुँह से निकला अरे जूही तुम! तो तुम्हारे साथ महाराज का विवाह हुआ है । तुम उनकी नयी रानी हो । तो तुम हिमालय राज की पुत्री हो? मैं जब से महर्षि के आश्रम पहली बार गया था उसके बाद से तुम गायब हो गयी थी मैं चिंतित था कि तुम कहाँ चली गयी? तुम्हारा फ़ोन भी बंद था ।

मैं बहुत हैरान और चकित था । मेरी बात सुन जूही मुस्कुरा दी अब संशय का कोई सवाल ही नहीं था । जूही ने ही मुझे सूरत के पांच तारा होटल के स्विमिंग पूल का सअदस्य बनवाया था और हम दोस्त बन गए थे, फिर उसी की मित्र रुसी सुंदरी ऐना से मैं मिला था और फिर हम महर्षि से मिलने गए और मेरा मिलना भाई महाराज से हुआ था । मुझे ये भी अब समझ आ गया था कि पहली चुदाई के बाद ऐना ने क्यों कहाः था कि जूही बहुत किस्मत वाली है और जूही तुम्हे बहुत पसंद और प्यार करती है और मुझे पता है कि तुम उसे बहुत खुश कर दोगो।

अब सब कुछ साफ़ हो गया था और समझ आ गया था। फिर जो कुछ हुआ उसके बारे में हम दोनों बाते करते रहे । जूही ने बताया की उसने मुझे होटल में एक मीटिंग के दौरान देखा था और फिर जब उसके रिश्ते की बात महाराज से चली तो उसने भाई महाराज को मेरे बारे में बताया था कि मेरी शक्ल और कद काठी उनसे बहुत मिलती है और फिर मेरे बारे में जब पता किया गया तो मालूम चला मैं भाई महाराज का चचेरा भाई हूँ।


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बातचीत से जूही भाभी और मैं थोड़ा सहज हो गए और फिर मैंने जूही भाभी की तारीफ करना शुरू कर दिया। मैंने कहा जूही भाभी आप बहुत सुन्दर हो। तो वह बोली आप मुझे केवल जूही बोलो जब मुझे पता चला की आप महाराज के भाई हो और मुझे आपके साथ मिल कर उनके राज्य को उत्तराधिकारी देना है तो मैं आपके ही कारण इस विवाह के लिए त्यार हुई हूँ ।

जूही ने कहा की अपनी भाभी (भाई की पत्नी) के साथ यदि आपसी रज़ामन्दी द्वारा किसी खास परिस्थिति में स्वेच्छापूर्वक यौन सम्बन्ध स्थापित हो जाए, और सम्भोग सुख का उपभोग किया जाए तो इसमें कोई बुराई नहीं, क्योंकि यह ईश्वरीय संवेदना है कि हमसे जो कोई भी प्यार करे, उसे हम ज़्यादा से ज़्यादा प्यार, खुशी और सन्तुष्टि दें, चाहे हमें दुनिया से छुप के ही क्यूँ न एक-दूसरे को समर्पित करना पड़े। इसलिए संतान प्राप्त करने के उदेश्य के लिए अब आप उचित उपकर्म करिये ।

मैं मुस्कुरा दिया । मेरे भाई की नव-विवाहिता युवा धर्म-पत्नी जो एक अति सुन्दर, उन्मुक्त काम-भावना का स्वत: संचार करने वाली, निहायत-गोरी और कसे बदन की मालकिन, असाधारण यौनाकर्षण से परिपूर्ण, बिल्कुल ताज़ा, जवान, चुस्त-दुरूस्त और तन्दुरुस्त सुहासिनी अक्षतयौवना राजकुमारी मुझे संतान प्राप्ति के लिए यौन सम्बन्ध स्थापित करने के लिए स्वैच्छिक समर्पण कर आमंत्रित कर रही थी

मैंने कहा जैसी आपकी आज्ञा रानी साहिबा। कुदरत कैसे-कैसे गजब खेल रचाती है! मैंने जब से आप को पहली बार ट्रेनी के तौर पर देखा था तब से आपको पसंद करता हूँ और संयोग ऐसा बना है कि आपका विवाह मेरे भाई से हुआ है परन्तु आपकी सुहागरात मेरे साथ मन रही है । मैंने धीरे से उसके चेहरे को ऊपर किया तो जूही की आँखे लज्जा से बंद थी ... मैं बोला रानी साहिबा अपनी आँखे खोलो और मेरी और देखो उसने आँखे खोली और हलकी से मुस्करायी मैंने उसका ओंठो पर एक नरम-सा चुम्बन ले लिया ... ये उसका पहला चुम्बन था वह फिर शर्मा कर सिमट कर मुझ से लिपट गयी।


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इसमें कोई भी अतिशयोक्ति नहीं है कि जूही का अनमोल खूबसूरत नारीत्व तथा बेहद कटारी यौवन । उभारों वाले बेदाग और चमकदार भरे-पूरे सन्गेमरमरी बदन के दर्शन मात्र से ही मेरी नसों में स्वत: कामोत्तेजना की बाढ़, लिंग-उत्थान और रोंगटे खड़े करने वाली असीम गुदगुदी पैदा हो गयी थी और स्पर्श ने तो लिंग को अति कठोर कर दिया और अपने-अपने जिस्म से चिपकी आइटम-गर्ल जैसी अति हसीन भरपूर जवान भाभो को लिपटा पाकर मैं किंकर्तव्यविमूढ़ और विस्मित-सा हो गया।

मैंने उसे अपने गले से लगा लिया। जैसे ही उसे मैंने अपने गले से लगाया, मेरे नथुनों में उसके गर्म और मांसल बदन की खुशबू भरने लगी और लंड ने एक अंगड़ाई ले ली।

थोड़ी देर तक मैं उसे अपनी बांहों में भरकर उसकी पीठ को अपने हाथों से सहलाता रहा। वह मेरी बांहों में मुझसे और चिपक गयी । उसके पूर्ण परिपक्व कुँवारे नारी शरीर और अनभोगे, सुडौल, बेहद कड़े और भरपूर उभरे आसमान छूती गर्म चूचियों के सान्निध्य से मेरा दिल विषय-वासना के ज़्वार-भाटे में डगमगा उठा, मेरा लिंग बेहद कड़ा होकर विशाल रूप लेते हुए मेरे पायजामे को चीर कर छुटे स्प्रिंग की तरह कूद कर बाहर आने को व्यग्र हो गया । फिर मैंने उसके चेहरे को अपने हाथ से ऊपर उठाया।

उसके लाल-लाल होंठों को देखकर मैं अपने होश खोने लगा मैं धीरे से अपने होंठों को उसके तपते होंठों के पास लाया और उसके कांपते और लरजते होंठों से हल्का-सा छुआ। मेरा दूसरा हाथ उसकी पीठ पर था उसने बैकलेस चोली पहनी हुई थी जो सिर्फ डोरियों से बंधी हुई थी और ब्रा नहीं पहनी हुई थी और उसकी पीठ कम्पन कर रही थी और पीछे से पीठ का हिस्सा, जो खुला हुआ था, उसकी थिरकन को मैं आराम से महसूस कर सकता था। फिर मेरे फिसल हाथ की कमर तक पहुँच गए थे... क्या चिकनी नरम और नज्जुक कमर थी। मेरे हाथ फिसल कर उसकी गांड पर पहुँच गए थे उसने लेहंगा अपनी नाभि की नीचे और चूत के ऊपर पहना हुआ था उसकी गांड की दरार को मैंने मह्सूस किया।आअह्ह्ह उसकी सिसकी निकल गयी ।

मैंने फिर उसको अपने से हल्का-सा दूर किया हाथो से उसका चेहरा ऊपर किया और होंठो पर एक लम्बी किस की उसकी आँखे बंद थी। जूही ने अपने होंठों को मेरे होंठों से छुड़ाने की कोशिश की ।

मैंने उसके होंठो को छोड कर चेहरा ऊपर किया तो जूही ने आँखे खोली और मुस्करायी।

मैंने जूही की पींठ, कमर पर अपनी उंगलियाँ फेरनी शुरू कर दी थीं। उसके हाथ मेरे कन्धों पर थे और वह मुझको अपनी और खींच रही थी।

मैंने महसूस किया उसके अनछुए स्तन बहुत नरम मुलायम गोल और सुडोल थे... मैंने चोली के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाया फिर निचोड़ा तो-तो वह थोड़ा कसमसायी और घूम गयी जिससे उसकी पीठ मेरे सामने हो गयी मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों कंधों को पकड़ कर थाम लिया। करीब 2 मिनट तक मैंने उसके दोनों कंधों को थामे रखा। मुझे पीछे से उसकी नंगी पीठ ने बेचैन कर रखा था,

जब उसे यह अहसास हो गया कि मैं कुछ नहीं कर रहा हूँ, तो उसने अपने शरीर को भी ढीला छोड़ दिया था। कुंवारी जूही को अंदाजा नहीं था कि मैं अब उसकी पीठ पर हमला बोलूंगा।

फिर अचानक ही मैंने अपने प्यासे होंठों को उसकी नंगी पीठ पर जोर से चिपका दिया और उसके कंधों को मजबूती से पकड़ लिया ताकि इस बार वह मेरी गिरफ्त से बच न सके।

जूही का नरम शरीर बल खाकर मचलने लगा और मैं उसकी चिकनी और गोरी पीठ पर जोर-जोर से अपने होंठ रगड़ने लगा। जूही की सांसें तेज हो चुकी थीं और मैं अपने प्यासे होंठों की प्यास उसकी पीठ से बुझाने में लगा हुआ था। उसके तपते और गर्म होंठों से मादक सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।

करीब 5 मिनट तक मैं अपने होंठों को उसकी चिकनी पीठ से रगड़ता रहा। उसके बाद मैंने उसके स्तनों को फिर से पकड़ लिया और उसको अपने सीने से चिपका लिया।

अब जूही फिर कसमसाई और घूम कर पलटी और मेरी बांहों में सिमट गई. उसकी मांसल छातियाँ मेरे सीने से चिपक गयी थीं। इससे मुझे एक नर्म और बहुत ही कामुक अहसास हो रहा था।


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मैंने जोर से उसको अपनी बांहों में भींच लिया था, जिससे उसके स्तन दब कर मेरे सीने से पिसने लगे थे। इधर मेरा लंड पायजामे में ठुमके मार रहा था।

कुछ देर बाद मैंने उसे अलग किया और उसे देखा तो नयी नवेली दुल्हन की नाक में सोने की बड़ी-सी नथ चमक रही थी। इस समय जूही साक्षात काम की देवी लग रही थी।

अब हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे। जूही ने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर लीं।

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मैंने इसी का फायदा उठाया और अपने दोनों हाथों से उसके चेहरे को पकड़ा और अपने प्यासे होंठों को उसके गुलाब जैसे होंठों से चिपका दिया।

जूही ने इस बार भी अपने होंठों को मेरे होंठों से छुड़ाने की कोशिश की, परन्तु इस बार मैंने उसके होंठों को नहीं छोड़ा। थोड़ी देर कसमसाने के बाद उसने अपने आपको मेरे हवाले कर दिया।

अब मैं आराम से उसके गुलाब से सुर्ख होंठों को आराम से चूस रहा था। बीच-बीच में जूही ने भी अब अपने होंठों से मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया था। धीरे-धीरे अब जूही के होंठ भी खुलने लगे थे और हम दोनों एक दूसरे से और ज्यादा चिपक गए थे।

दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। मैंने अपनी जीभ जूही के मुँह में डाल दी।

थोड़ी देर तो जूही ने कोई रिस्पांस नहीं दिया, लेकिन जब मैंने उसे और जोर से अपनी बांहों में भींचा, तो उसने मेरी जीभ को चूसना शुरू कर दिया।

अब तो कभी मैं उसकी जीभ को अपने होंठों से चूसता ... तो कभी जूही मेरी जुबान का स्वाद लेती।


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हम दोनों ही आंखें बंद करके एक दूसरे के होंठों को खा-सा रहे थे और जोर-जोर से चूस रहे थे। पसीने से शरीर गीले होने लगे थे। मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी । फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा। मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा। फिर मैंने अपने होंठ उसके होंठो से अलग किये हम दोनों मुस्कराये और फिर बेकरारी से लिप्प किस करने लगे और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट तक उसका लिप्स किस लेता रहा वह मेरा लिप किस में भरपूर साथ दे रही थी।

मैंने महसूस किया की जूही की जीभ मेरे होंठों में से मेरे मुह में अन्दर जाना चाह रही थी। मेरे होंठों को खोलती हुयी जीभ मेरे मुह में चली गयी और उसी बीच मेरे हाथ उसकी पीठ कमर पर होते हुए स्तनों पर पहुँच गया। मेरा हाथ चोली के ऊपर से स्तनों को दबा रहा था।जूही की आँखें पूरी तरह से बंद थी। वह मेरे हर प्रयास को अनुभव कर रही थी और उसका पूरा मजा ले रही थी।

जूही के जिस्म से एक आग निकल रही थी। उसका पूरा बदन गर्मी में जैसे धधक रहा था।

जब जूही ने सांस लेने के लिए अपने होंठ को मेरे होंठों से अलग किया, तो वह बुरी तरीके से हांफ रही थी। उसकी तेज सांसों के साथ उसके ब्लाउज में बंद मस्त चुचियाँ भी ऊपर नीचे हो रही थीं।

मैं एकटक होकर उसकी छातियों को ऊपर नीचे होते देख रहा था। जैसे ही उसकी नजर मुझ पर पड़ी, तो उसने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर लीं।

मैंने उसकी आंखों पर भी अपने होंठों से एक चुंबन ले लीया ।

मैं-इजाजत है, आगे बढ़ने की।

जूही - आप जैसा चाहें करें।

जूही के ऐसा बोलने पर मैंने फिर से उसे अपनी बांहों में कस लिया।

इसके बाद मैंने जूही के गालो को किस किया छाता और फिर उसकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया। उसकी सुराही जैसी गर्दन को मैं अपने होंठों से चूसता रहा और गीला करता रहा; साथ ही साथ मैं अपने एक हाथ से उसकी पीठ को भी सहलाता जा रहा था।

जूही गर्म होने लगी थी। अब उसने भी अपने बदन को मेरे जिस्म से चिपकाना शुरू कर दिया। मैं अपने होंठों को उसके कंधो पर ले आया और उसे चाटना शुरू कर दिया।

जूही की गर्म सांसों को मैं आराम से महसूस कर सकता था; उसकी सांसें तेज हो रही थीं।

अब रानी जूही की मदमस्त कुंवारी जवानी मेरे नाम होने वाली थी।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 09

नयी रानी की सुहागरात




जूही ने चंदन मिश्रित फूले के इत्र वाले जल से स्नान करने के बाद बड़ी सज-धज के साथ बहुत सारे राजसी गहने पहने हुए थे। जिनमे शामिल थे हाथों में माणिक जड़ी चूड़ियाँ, भुजाओं में बाजूबंद और कंठ में सुवर्ण का हार, मंगल सूत्र, मोतियों और मणियों से झडा हुआ गले का हार, चूड़ियाँ, कान के झुमके नाक में बड़ी नथ और अंगूठी, पायल और पैर की अंगुली के छल्ले। चमेली के ताजे फूलों की एक अच्छी मात्रा उसके सिर पर एक बड़े बंडल में चली गई। मुझे इसकी महक बहुत पसंद थी मेकअप के बाद उसके माथे पर लाल सिंदूर लगाया हुआ था। उसके मालाएँ एवं आभूषण बहुमूल्य थे जिनसे उसकी अंगकांति बहुत सुंदर हो गयी थी।

इसके अतिरिक्त मोतियों और रत्नो से जड़ी हुई स्वर्ण की रत्नावली, उसके सिर के बालों पर आगे से पीछे तथा ललाट पर सामने से बालों को कसे हुई थी। ऐसी रत्नावली को अजंता के भित्तिचित्रों में-में ही देखा जा सकता है। सोने की लड़ी मांग के बीच में तथा दूसरी ललाट के बीच से दोनों तरफ थी। इसी से मांग-टीका लटक रहा था। बालों के मध्य में कमलपुष्प की तरह चूड़ामणि सजी हुई थी और वेणी के छोर से शंक्वाकार सेलड़ी आभूषण लटका हुआ था जिसमें छोटी घंटियाँ लटक रही थी।


[Image: bride1.jpg]

स्तनों पर सुशोभित थी मुक्ताकलाप एक लड़ी की मोतियों की माला और फिर उसने कमर में नाभि के नीचे बहुत ही सुंदर कमरबंद, करधनी की चेन भी पहनी हुई थी। मैंने उसके माथे पर पसीने की माला देखी जिससे स्पष्ट था कि वह आगे क्या होने वाला है ये सोच कर थोड़ी घबराई हुई थी।

मैंने सफेद रेशमी धोती और सफेद शर्ट पहन रखी थी। मैं उसे देख कर मुस्कुराया तो वह वापस मुस्कुराई उसने दूध का गिलास मुझे पीने के लिए सौंप दिया और जैसे कि परम्परा है, मैंने आधा पी लिया और दूसरा आधा दिया जो उसने जल्द ही समाप्त कर दिया। मुझे पीने के लिए कुछ चाहिए था क्योंकि तब तक मेरा गला सूख चुका था।

मेरे होठों ने धीरे-धीरे उसके गालों पर गीले चुंबन करते हुए उसकी ठुड्डी तक और फिर उसकी गर्दन को कुछ समय के लिए चाटा, इस आयोजन के लिए की गई विशेष तैयारी के कारण उसमे सेआ रही मीठी सुगंध का आनंद लिया।

मेरे हाथ अब रानी जूही के मोमो पर जा चुके थे। मैंने उसके गोल-गोल बूब्स को पहले सहलाया फिर चोली के ऊपर से ही दबाया। मैंने महसूस किया उसके अनछुए बूब्स बहुत नरम मुलायम गोल और सुडोल थे। मेरे हाथ को उसके निप्पल कड़क मह्सूस हुए और लगा कबूतर आज़ाद होना चाहते हैं। मेरे हाथ उसके कपड़ों को हटाए बिना, उसकी चोली के ऊपर से उसके स्तनों की मालिश करने में व्यस्त थे। वह बस आँखें कसकर बंद करके बस मेरे स्पर्श और दबाव का आनंद ले रही थीं। मैंने चोली के ऊपर से ही उसके बूब्स को चूमा और निप्पल्स को चूसा।

जब मैंने उसे कपड़े उतारना शुरू किया, तो वह उत्तेजना से कांप रही थी और उत्सुक थी क्योंकि यह पहली बार था जब वह अपने शरीर को किसी पुरुष के सामने उजागर करने जा रही थी। यहाँ तक कि उसकी माँ और उसकी अनुचर सहायिका ने भी उसे केवल कपड़ों में ही देखा था, जब भी उसने नहाते समय बाल शैम्पू करने के लिए मदद के लिए अनुरोध किया था तो वह अपने शरीर को तौलिये में छिपा लेती थी, या कम से कम उसने ब्रा और पैंटी पहनी होती थी और अब वह पुरुष के सामने नग्न होने वाली थी!

मैं फिर जूही की लाल साडी को उतारने लगा मैंने उसके कंधों से साड़ी का पल्लू उतार दिया और उसे नीचे गिरने दिया उसकी साडी का पल्लू नीचे गिरा हुआ था और साथ ही साडी का दूसरा हिस्सा जो घाघरे में घुसा हुआ था होता है, मैंने उसे भी खींच कर साडी को पूरा उतार दिया । अब वह मेरे सामने घाघरे और चोली में थी और क्या क़यामत का नज़ारा था। लंड संसानने लगा।



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जूही अब घाघरे और चोली में मेरे सामने थी। उसकी चोली जिसमे उनके स्तन पूरी तरह फिट थे और बाहर आने को आतुर थे। उसकी चोली स्लीव लेस थी मैंने उसकी चोली के ऊपर की डोरी खोल दी और उसके कंधो और बाँहों पर किस करने लगा। मैंने धीरे से सीटी बजाई और उसे एक बार फिर गले से लगा लिया और फिर मैं उसका ब्लाउज खोलने लगा। उसने देखा कि कैसे मेरी आंखों ने ब्लाउज को खोलने के लिए कंधों से कमर पर फिसलते हाथों का पीछा किया। उसके स्तनों ने मुक्त होने की कोशिश करते हुए उसकी चोली के खिलाफ धक्का दिया।

हम वापस बिस्तर पर लेट गए। मैंने चोली को डोरियों को खींचा और चोली को ढीला किया और चोली बिस्तर पर गिर गई और उसकी चूचियों को कैद से आजाद कर दिया। उसके छोटे निप्पल फूले हुए थे और उठे हुए थे। मेरे हाथ उसके-उसके स्तनों को सहलाने के लिए सरक गए। मैंने उन्हें धीरे से दबाया। जूही धीमे से कराहते हुए तेज सांस लेने लगी। उसकी साँसे अनियमित होकर तेज़ चलने लगीं तो उसकी गोल चूचियाँ उसकी छाती पर ऊपर-नीचे ऊपर-नीचे होने लगीं।

जूही शर्मा कर स्तनों को बाहों से छुपाने लगी और मुझसे लिपट गयी। मैंने धीरे से पहले उसको अलग किया। फिर उसके हाथो को लग किया और स्तनों को हथेलियों में भरा और उन्हें किस करने लगा। मैंने स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया। हम दोनों की साँसे तेज-तेज चलने लगी।

मैं उसके निप्पल के साथ खेला। मैंने उसके स्तनों को देखा और मैंने जो देखा वह मुझे अच्छा लगा। मैंने अपने मुँह में एक निप्पल लिया और चूसने लगा। वह अच्छा महसूस कर रही थी और कराह रही थी! मैं आगे झुक गया और उसे होठों पर चूमा और फिर से उसके स्तनों पर वापस चूमने लगा। मैंने उसके बाएँ निप्पल को धीरे से चूमा और उसके ऊपर अपने होंठ फैला दिए। मैंने धीरे से उसे चूसा, जबकि मेरे बाएँ अंगूठे ने उसके दाहिने निप्पल को घेर लिया और मैंने दोनों को मजबूती से दबाया। उसने अपना सिर पीछे फेंक दिया और कराह उठी। उसकी उँगलियाँ मेरे बालों में और मेरे कंधों पर चली गईं।



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मैंने उसकी गले के आभूषण उतारकर एक तरफ रख दिए। बाकी चीजें मुझे यकीन था कि कोई बाधा नहीं बनने वाली थी। जहाँ-जहाँ के गहने उतरे मैंने वहाँ किस किया। बिच-बिच में मैं उसकी मदहोश आँखों में देखता था तो वह मुस्करा देती थी उसका हाथ मेरी पीठ पर था।

मैंने अपना कुत्ता उतार दिया और जूही को अपनी छाती से लगा लिया और अपनी बाँहों में जकड लिया। उसके नरम मुलायम बूब्स का मेरी छाती से दबने लगे मैं अपने आनंद को बयाँ नहीं कर सकता, मैंने जूही का मुँह चूमा और लिप किस करि। फिर मैं उनके निप्पल के साथ खेलने लगा। मैं उसके स्तनों को देखे जा रहे था और उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैंने एक निप्पल अपने मुह में रखा और उसे चूसने लगा। बता नहीं सकता की उस पल क्या अनुभूति हुयी। फिर मैंने उसके दुसरे निप्पल को किस किया और उसे भी चूसना शुरू कर दिया। उसने अपना सर उत्तेजना और आनंद के मारे पीछे की और कर लिया थी। मैंने चूचियों को दांतो से कुतरा तो जूही कराह उठी।


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मै उनकी चुचियों को मसलने लगा और वह मादक आवाजें निकालने लगी, आह! उह! आह! की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थी, फिर मैंने उनके मोमो को चूसना शुरू कर दिया उनके मोमो कड़क हो गए थे।

मैं बार-बार बाएँ और दायें निप्पल को चूसना जारी करे रहा चूसने और जोर से दबाने से दोनों बूब्स एक दम लाल हो गए. फिर मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और मसलने लगा दोनों बूब्स एक दम नरम मुलायम गोल सुडोल थे। जूही के पिंक गुलाबी चुचुक (निप्पल) उत्तेजना से खड़े हो चुके थे। मेरे हाथों ने उनके स्तनों को अपनी हथेलियों में भरा और उन्हें किस करने लगा। मैंने स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया। हम दोनों की साँसे तेज-तेज चलने लगी।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 10

नयी रानी भाभी का कौमार्य भंग 



फिर मेरे हाथ स्तनों पर से अपने हाथ नीचे की और बदाये और घाघरे पर पहुँच गए. मैंने घाघरे का नाडा ढीला कर दिया और हाथ अंदर सरका दिया। मेरी उँगलियों का उसकी पैंटी पर स्पर्श हुआ। वह गीली थी और मेरे बदन में सिरहन दौड़ गयी। मैंने धीरे से अपनी उंगलियाँ पैंटी के इलास्टिक में डाली और धीरे-धीरे उसे नीचे करना शुरू कर दिया। मैं उसकी कमर पर किस करने लगा और फिर मैंने उनकी नाभि को चूमा अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी। जूही मस्त हो गयी और मेरे सर अपने पेट पर दबाने लगी। जूही का पेट एकदम सपाट था कमर पतली और नाजुक। मैंने उनके एक-एक अंग को चाट डाला और उनकी चूत पर हाथ फेरा तो उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था।

मैंने उसे खड़ा कर दिया फिर दुसरे हाथ से घाघरे के नाडा खोल कर उसे नितम्बो से नीचे सरका दिया तो उनका घाघरा फिसल कर रानी जूही की पतली कमर से नीचे सरकते हुए उनके पैरों पर गिर पड़ा। मेरी नज़र सीधे जूही कि नाभी के नीचे दोनों जाँघों के बीच गई, जूही ने अपनी कमर में सोने कि एक करधनी पहन रखी थी, जिससे झूलते हुए सफ़ेद चमकीले झालरदार मोतीयों और घंटिया चूत की पहरेदारी कर रही थी। फिर मैंने उसके नितम्बो को पकडा और उन्हें सहलाया और उसके घुटनो पर अटकी हुई पैंटी उतार डाली। उसकी चुत पर कोई बाल नहीं था अच्छी तरह से उसने अपने चूत साफ़ करि थी। वह थोड़े गुलाबी रंग की थी और गीलेपन की कुछ बूंदे साफ़ दिख रही थी जूही की कमसिन कमर बल खा रही थी। मेरी हालात भी ख़राब हो चली थी। मैं अब जूही को देखने लगा।

मेरी नजरे रानी जूही के वस्त्रहीन शरीर पर उनकी नज़रों का अवलोकन करने लगी और उसने लज्जा से अपनी नज़रें झुका ली। उसके बालो में मोतियों और रत्नो से जड़ी हुई स्वर्ण की रत्नावली थी जो उसके सिर के बालों पर आगे से पीछे तथा ललाट पर सामने से बालों को कसे हुई थी। सोने की लड़ी मांग के बीच में तथा दूसरी ललाट के बीच से दोनों तरफ थी। इसी से मांग-टीका लटक रहा था। बालों के मध्य में कमलपुष्प की तरह चूड़ामणि सजी हुई थी और बालो में गजरा और वेणी के छोर से शंक्वाकार सेलड़ी आभूषण लटका हुआ था जिसमें छोटी घंटियाँ लटक रही थी। फिर नाक में बड़ी नथ थी जो उसके ओंठो को चूम रही थी। कान के झुमके उसकी सुराहीदार गर्दन के पास लटके हुए थे।



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मेरी नजरे उनकी लम्बी सुराहीदार गर्दन पर गयी जिसमे उसने मोतियों और मणियों से जड़ा हुआ गले का हार पहना हुआ था जो उसकी चौड़े कंधो से होते हुए हुई उनकी उभरी हुई छाती तक था। हाथों में रत्नो और माणिक जड़ी स्वर्ण और कांच की चूड़ियाँ, भुजाओं में बाजूबंद थी और उनके कसे हुए वक्ष ऊपर कि ओर ही उठे हुए थे जिनपे सुशोभित थी मुक्ताकलाप की एक लड़ी की मोतियों की माला। ऊँचे वक्षस्थल नीचे की ओर पतली लचकदार कमर में परिवर्तित हो गई। उनकी नाभी गोल नहीं, बल्कि एक लम्बी संकरी छोटी-सी लकीर थी और कमर में नाभि के नीचे बहुत ही सुंदर कमरबंद, करधनी की चेन भी पहनी हुई थी जिससे झूलते हुए सफ़ेद चमकीले झालरदार मोतीयों और घंटिया उनकी नाभी के नीचे पेट की नीची ढलान से मुड़ कर उनकी योनि की पहरेदारी कर रही थी। पीछे की ओर जूही के गोल और सुडॉल नितंब बाहर की ओर निक्ले हुए थे। उनकी कोमल मांसल जांघे सटी हुई थी और पाओ में पायल और पैर की अंगुली के छल्ले पहने हुई थी।

उनका एक-एक बहुत सुन्दर वस्त्रहीन अंग देख कर मेरा लंड फटने को हो गया। उन्होंने अपने घाघरे और पैंटी से अपने पैर निकाल कर उसे वहीँ ज़मीन पर छोड़ दिया और धीरे-धीरे से वापस बिस्तर पर आ गयी। मैंने जूही का हाथ चूम लिया इस बीच मैंने मेरा उत्तेजित लंड रेशमी धोती से बाहर निकाल लिया और जूही का हाथ लंड पर रख दिया।

मेरे लण्ड को इस तरह से अनायास ही एकदम सामने देखकर जूही ने, शर्म के मारे झट से अपने अपनी आँखे ब्नद कर ली। लेकिन जूही ने मेरा कठोर लिंग पकडे रखा। अब मेरा 10 इंची लम्बा 3 इंची मोटा लंड तनकर पूरा 90 डिग्री का हो गया था और मेरे लंड पकड़कर सहलाने लगी और अपनी उँगलियों में लपेट लिया। उस समय जूही मेरी शक्तिशाली कमर पर अपनी नजर गड़ाए हुए थी। फिर उसने फैसला किया कि मेरा लंड काफी बड़ा था। जूही बोली कुमार ये तो बहुत बड़ा है क्या ये मेरे अंदर जा पायेगा। ये मेरी चूत फाड् तो नहीं देगा मैं बोला नहीं रानी साहिबा ये तो आशिक मिजाज हमारे प्यार और आनंद का औज़ार है इसी से तो हम दोनों के प्यार के मजे मिलिंगे। वह सोच रही थी कि ऐसे लंड से चुदना काफी मजेदार होगा। मैंने उन्हें उसे प्यार करने को कहा पहले तो वह घबराई फिर मेरे कहने पर लंड पर एक मीठी किस करि। फिर मेरे हिप्स भी हरकत करने लगे थे। मैं खड़ा हुआ और अपनी धोती को निकाल दिया। जूही की साँसे अनियमित होकर तेज़ चलने लगीं तो उसकी गोल चूचियाँ उसकी छाती पर ऊपर-नीचे ऊपर-नीचे होने लगीं।



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उसके बाद मैंने जूही को लेटा दिया और उनसे चिपट गया मेरा लंड उनकी चुत ढूंढ़ने लगा और उनकी छाती मेरी छाती से दबने लगी और मैं उन्हें लिप किस करने लगा । मेरे हाथ उनके पीठ और चूतड़ दबाने लगे। जूही का हाथ मेरे लंड को सहला रहा था। हम दोनों पूरी तरह से वस्त्रहीन थे और एक दुसरे के शरीर कि महसूस कर रहे थे।

उनकी चूत पर हाथ फेरने लगा उन्हें जैसे करंट-सा लगा और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी। उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था। उनकी चूत गीली होने लगी थी और मानो मुझे आवाज दे रही हो जल्दी चोदो मुझे। मैंने उनकी चुत को चूमा उनकी खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया। मैं उनकी चूत को चाटने लगा। उनके चूत के रस में क्या गज़ब का स्वाद था। जूही बोली बहुत अच्छा लग रहा है। फिर उसकी चूत पर अपना मुँह रखते ही वह जोर से चिल्ला उठी आआहह, ओमम्म्मममम, चाटो ना जोर से, सस्स्सस्स हहा और मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी। अब वह सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वह अहाह, आहहह, आहहह कर रही थी। अब उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी।

मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली की पंखुरियों को अलग करने की कोशिश की पर वह बहुत टाइट थी। मैंने दो उंगलियों की मदद से चूत की पंखुड़ियों को अलग किया। मैंने धीरे-धीरे चुत में ऊँगली घुसानी शुरू की डाल दी, तो वह ज़ोर से चिल्लाई आहह अब डाल दो, अब और इंतज़ार नहीं होता। प्लीज जल्दी करो ना, प्लीज आहहह। अब में उन्हें ऊँगली से लगातार चोद रहा था और वह ज़ोर से मौन कर रही थी, ये क्या कर दिया? अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है। अब वह ज़ोर-जोर से हाँफ रही थी और जैसे कोई कई मीलों से दौड़कर आई हो और आहह, एम्म, ओह, आआआआआआअ, डालो ना अंदर जैसी आवाजे निकल रही थी।

फिर मैंने जूही के स्तनों को मसलना शुरू कर दिया। कभी मैं निप्पल को उमेठता तो कभी स्तनों को दबा देता मैंने चूत को सहलाना शुरू कर दिया। फिर मैंने क्लिटोरिस को भी रगड़ दिया। जूही का बुरा हाल था। उनकी मुह से आहे निकल रही थी। वह मेरी उँगलियों द्वारा चूत पर किये जा रहे घर्षण को मजे से महसूस कर रही थी।


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अब मैं उसको चोदना चाहता था। मैंने अपना लैंड उसकी चूत पर रखा और चूत खोलने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत टाइट थी। मैंने अपने उँगलियों से चूत को खोला और लैंड का गुलाबी सूपड़ा बिच में रख दिया।

फिर जूही से बोला रानी साहिबा क्या आप तैयार हो।

" हूँ।

मैं बोला रानी साहिबा आप मेरी आँखों में देखो। मैंने उनकी छाती पर अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया।

कमरे में तेल की रोशनी वाले दीयों से धीमी रोशनी थी और कक्ष के बाहर चांदनी रात के कारण दूधिया सफेद चांदनी छिटकी हुई थी।, जिसके ऊपर आकाश में तारो की सामूहिक चमक थी। इस शानदार सेटिंग में, मुझे रानी जूही को सहमति से चोदने का काम सौंपा गया था।

जिस तरह से राजमाता ने मुझे सब समझाया था वैसे ही राजमाता ने अपनी बहू को भी समझाया था और सम्भोग का आनंद लेने का निर्देश दिया था। हालाँकि इसमें मेरे लंड के आकार का विवरण शामिल नहीं था। परन्तु मुझे नहीं बताया गया था कि पूरे नियोग और गर्भादान की प्रक्रिया को सफलता पूर्वक सम्पूर्ण करने के लिए और साथ में ये सुनिश्चित करने के कि सब कुछ स्क्रिप्ट के अनुसार हो, राजमाता एक शीशे के पीछे से सब देख रही थी।

मेरी छाती उसकी छाती को दबा रही थी। अब समय था लंड के योनी में प्रवेश करने का। अब उसे अपने पैरों को चौड़ा करना था ताकि उसकी जांघों के अंदर का नरम हिस्सा खुल जाए और मैं खुरदुरे, बालों वाले अपनी टांगो को उसमें धकेल दू।


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जब उसका हाथ मेरे लंड को पकड़ने के लये मेरे लंड पर आया तो यह वास्तव में सहज प्रवृत्ति थी। लंड को अब प्रवेश के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता थी। जब उसने लंड की पकड़ा तो आगे क्या होने वाला है ये सोच कर वह घबराने और हाफने लगी। उसका हांफना अनैच्छिक था और मेरे लंड के विशाल आयाम इसका मुख्य कारण थे। यह बहुत हद तक उसकी कल्पना से बहुत बड़ा, गर्म और कड़ा था और वह तुरंत मेरे लिंग को अपने धड़कती हुई, खुली, गीली और प्रतीक्षारत योनी के में उसे लेना चाहती थी।

सतर्क राजमाता ने हांफने की आवाज सुनी और अपनी बहू का हाथ हमारे शरीरों के बीच गायब देखा।

"जूही, कुमार!" राजमाता ने जोर से कहा "क्या इस समय पर्याप्त स्तम्भन है कि आप प्रवेश कर सको" ?

रानी जूही ने स्पष्ट रूप से धड़कते हुए मेरे विशाल लिंग पर अपनी पकड़ ढीली की, लेकिन उसे छोड़ा नहीं। उसकी हथेली ने लिंग को पकड़कर महसूस किया उसका अंगूठा लंडमुंड पर घूम रहा है और वह मेरे लंग की बनावट और आकृति को महसूस कर रही थी।

मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि राजमाता इन अंतरंग पलो में हमें देख रही थी और मैंने चारो तरफ देखा की आवाज कहाँ से आयी, "रानी साहिबा" राजमाता को सुनाने के लिए मैं बड़बड़ाया।

जूही पुत्री तुम अपनी टांगो को फैलाओ और लिंग को योनि द्वार पर स्थापित करो और कुमार आपको स्मरण होगा जब लिंग योनि के द्वार पर स्थित हो तो आपको क्या करना है?

रानी जूही पर उनके शाही उपाधि के उपयोग का आवश्यक प्रभाव पड़ा और उन्होंने राजमाता के निर्देशानुसार अपने दोनों हाथों को अपने सिर के बगल में तकिए पर रख दिया और अपनी जांघों को फैलाकर मुझे अपनी योनि में प्रवेश की अनुमति दी। मैंने लंड को पकड़ लिया और कुछ बार उसकी चूत के होठों और भगशेफ पर रगड़ा। ये देख कर की हम ठीक रास्ते पर हैं राजमाता ने धीरे-धीरे अपनी सांसें छोड़ दीं।


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उन्हें थोड़ी राहत महसूस हुईऔर अब वह आराम से बैठ गयी और अब उन्होंने पहली बार ये महसूस किया कि वह क्या देखने जा रही थी, उतेजक दृश्य देखने के प्रभाव से उन्होंने अपने भीतर तरल पदार्थ का स्राव महसूस किया। वह मेरे लंड के आकार को देख चुकी थी और अच्छी तरह से जानती थी साथ में गुप्त रूप से चिंतित भी थी कि क्या जूही को बहुत अधिक दर्द महसूस होगा और कहीं वह दर्द के कारण मुझे दूर तो नहीं धकेल देगी। वह यह भी जानती थी कि लिंग की मोटाई और लम्बाई सुखद भावनाओं प्रदान करेगी, लेकिन दर्द नहीं होगा इसका कोई आश्वासन नहीं था। इन परिदृश्यों को दोहराते हुए और अपने गुप्त कक्ष जो की उस विशेष रूप से निर्मित किया गया था जिसमे ये तो स्पष्ट दिख रहा था कि हम दोनों क्या कर रहे है लेकिन उस कक्ष में ऐसे शीशे लगे हुए थे की उनकी दूसरी और कौन बैठ हमे देख रहा है ये हमे बिलकुल नहीं मालूम था। उस अष्टकोणीय कक्ष में एक और शौचालय था और अन्य सात कोने में से तीन कोनो में कामुक पेंटिंग लगी हुई थी। राजमाता भारी सांस लेते हुए अपनी सीट पर बैठ गयी।

जूही ने मेरी आँखों में देखा। उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं और उसका सुहावना शरीर लहर में मेरे सामने था। ऐसा लगता था कि उसका शरीर मुझे निरोधक अनुबंधों के उल्लंघन के लिए आमंत्रित कर रहा था। मुझे यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि उसने अपनी मुट्ठी बंद कर ली थी और वह मेरे कठोर लंड से सम्भोग सुख प्राप्त करने और अपनी प्रतिक्रियाओं को दबाने के लिए खुद को तैयार कर रही थी।

मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी रुई से भी मुलायम योनि के ओंठो को दोनों तरफ हटाया और उनके बीच का पतला नन्हा-सा लकीरनुमा छिद्र उदघाटित हो उठा। फिर मैंने लंड को उस छेद पर लगाया और फिर ऊपर उठ कर जूही के होंठों से अपने होंठ सटा दियें, मानो इतनी मनमोहक चूत भेंट करने हेतु उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ज़ाहिर कर रहा हूँ। अपने शरीर पर मेरे शरीर का भार महसूस करते ही जूही चुम्बन में लिप्त धीरे-धीरे पीछे गिरते हुए अपने पीठ के बल लेट गई, तो मैं उसके शरीर के ऊपर आ गया। उन्होंने अपने होंठ जूही के होठों से अलग कियें और उनकी जाँघों के मध्य अपनी कमर धीरे-धीरे हिलाते हुए अपने लण्ड के नुकिले सुपाड़े से उनकी चूत का छेद को दबाने लगा! परन्तु जूही की योनि इतने कसी हुई थी की मेरा सुपाड़ा बस योनि के ऊपर-ऊपर ही रगड़ खाता रह गया!

उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने पूरे शरीर को जकड़ लिया क्योंकि उसने महसूस किया कि मेरे लंडमुंड उसकी चूत के होंठों से स्पर्श कर रहा है है। मैंने रानी की योनि के नरम रेशमी मुलायम होंठों को अपने लिंग के सिर महसूस किया और मैंने खुद को योनि में प्रवेश के लिए तैयार किया। मुझे आंशिक रूप से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि उसके अक्षत योनि की पंखुड़ियाँ चिपकी हुई थी और मेरे लिंग का सर उसकी योनि के द्वार से थोड़ा चौड़ा था।

एक कर्तव्यबद्ध सिपाही के रूप में, मैंने दर्द या चोट की परवाह किए बिना, जो कि हो सकता है वह किया और अब ये आमने-सामने की लड़ाई थी और यह मेरे लिंग और-और रानी की योनि के बीच थी।

राजमाता की अनुभवी आँखे माजरा भांप गयी और बोली पुत्री आप सुनिश्चित करि की लिंग उचित स्थान पर हो। "। जूही ने तुरंत ने अपनी नंगी टांगें पूरी तरह से खोलकर फैला लिया और अपना हाथ नीचे अपने और मेरे चिपके हुए पेट के बीच से डाल कर अपनी चूत के छेद पर मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपनी उंगलीयों से टटोल कर पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर टिका लिया और बोली अब!

इशारा मिलते ही और नरम छेद का सुपाड़े पर स्पर्श पाते ही मैंने अब तनिक भी देर और प्रतीक्षा किये बिना ही एक धीमा, परन्तु सख़्त झटका लगाया और सुपाड़े को राजकुमारी जूही कि चूत में प्रवेश करा दिया!


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"हाय कुमार मैं मर गयी!" जूही दर्द से बिलबिला उठी।

मैं घबरा कर रुक गया।

"मेरी पीड़ा कि चिंता ना कीजिये कुमार।" अनियमित रूप से साँस लेते हुए जूही बोली।

फिर मैंने धीरे-धीरे अन्दर डालना शुरू किया। फिर धीरे से थोडा पीछे और फिर अन्दर की ओर बढे लेकिन चूत बहुत टाइट थी और आराम से अंदर जा नहीं रहा था। मेरे लिए भी रुकना मुश्किल हो रहा था। फिर मैंने एक कस कर जोर लगाया और अब लंड दो इंच अंदर चला गया। जूही चीखने चिलाने लगी। हा, राआआजा, आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आज मेरी चूत को फाड़ दो, आज कुछ भी हो जाए लेकिन मेरी चूत फाड़े बगैर मत झड़ना, आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहहहाँ,

जूही अपने अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित थी।

यहाँ तक की वोह मेरे लिंग को अपनी योनी के दीवारों पर महसूस कर रही थी। लिंग उसकी चिपकी हुई योनि की मांसपेशियों को बलात लाग कर आगे बढ़ रहा था। एक बार फिर मैं पीछे हटा और फिर अन्दर की ओर दवाब दिया। मैंने थोड़ा-सा लंड पीछे किया उठा और फिर से धक्का दिया, ज्यादा गहरायी तक नहीं पर एक इंच और अंदर चला गया था। अगली बार के धक्के में मैंने थोडा दवाब बढ़ा दिया। मेरी साँसे जल्दी-जल्दी आ रही थीं। अन्दर अवरोध महसूस होने लगा था। लंड झिल्ली तक पहुँच चूका था मेरा लंड रानी साहिबा के कौमार्य की झिल्ली से टकरा रहा था।

इस बार मैंने थोड़ी ज़्यादा सख़्ती के साथ आगे कमर उचका कर धक्का लगाया, तो लण्ड का सुपाड़ा जूही रानी कि चूत कि नरम पतली झिल्ली को फाड़ कर सट से अंदर दाखिल हो गया। झिल्ली के फटते ही चूत से रक्त निकल पड़ा। असहनीय दर्द के मारे बेचारी चिंहुक उठी, परन्तु अपने दांतो से अपने होंठ दबाकर अपनी चीख रोके रखी, अपने लण्ड, अंडकोष और जाँघों पर कुछ गरम-गरम और गीला गीला-सा महसूस करते ही मैं समझ गया कि जूही भाभी का कौमार्य भंग हो गया है और उनकी क्षतिग्रस्त चूत से उनका कौमार्य भंग होने से खून गिरना शुरू हो चुका है।


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प्रतिरोध केवल बाहरी और भौतिक था। जैसे ही बाहरी पहुँच बाधा बनी हुई कौमार्य की झिल्ली को भंग किया गया, पूरे मार्ग ने रास्ता दे दिया। आक्रमणकारी का स्वागत करने के लिए योनि में से स्नेहन की लहर आयी। रानी जूही के गर्म, गीले और स्वागत योग्य मार्ग ने उस रस को स्पंज की तरह चूस लिया, जिससे मेरी एक जोर से कराह निकली, जिससे मेरा पूरा लंड पूरा अंदर चला गया। राजकुमारी जूही कि चूत इतनी टाइट और चुस्त थी कि पूरे दस मिनट लग गए मुझे अपना पूरा लण्ड उनकी चूत कि गहराईयों में उतारने में!

फिर मैंने लंड थोड़ा पीछे किया और मैंने पूरी ताकत के एक धका लगा दिया "ओह माँ" जूही के मुह से निकला। जूही के स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया जैसे ही मेरा गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनी में घुस गया। अन्दर और अन्दर वह चलता गया, चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वह पूरा 10 इंच अन्दर तक चला गया था। जूही की योनी मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी। उधर मेरे हिप्स भी कड़े होकर दवाब दे रहे थे और लिंग अन्दर जा चूका था। अब दर्द बर्दाश्त के बाहर हो गया तो जूही दर्द के मारे चिलाने लगी आहहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ ओह्ह्ह्हह बहुत दर्द हो रहा है और आँखों से आंसू निकल आये। जूही की चूत बहुत टाइट थी ।


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उसने आखिरकार अपना कौमार्य खो दिया था। चुलबुली गर्माहट ने मुझे सम्मोहित कर लिया। फिर लंड और योनी के बीच की केमिस्ट्री हावी हो गई और योनि की मांसपेशिया लिंग के लिए समायोजित होने लगी। मासपेशियो के संयोजित होने की संवेदनाओं की विशालता को जूही ने मह्सूस किया।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 11

नयी रानी के साथ सम्भोग



जब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया और उसकी चीख निकल गयी। रानी जूही की चीख इतनी बुलंद थी कि एक बार को तो मैं भी डर गया कि पता नहीं क्या हुआ लेकिन ये डॉ नहीं था कि कोई आ जाएगा क्योंकि ये तो आज सभी को पता था कि आज महाराज की नई रानी के साथ सुहागरात है। मुझे जूही की टाइट छूट को छोड़ने और उसकी सील तोड़ने में बहुत मज़ा आया।

जूही की आँखों से आंसू की धारा बह निकली। मैं उन आंसुओं को पी गया। मैं बोला-रानी साहिबा, बस थोड़ी देर बर्दाश्त कर लो, आगे मजा ही मजा है।

हमने राजमाता को फिर से फुसफुसाते हुए सुना, "कुमार अब जैसे मैंने तुम्हें सिखाया था, वैसे ही अंदर और बाहर स्लाइड करो!"




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मैं जो कुछ कर रहा था, उसकी कामुकता पर जूही  चकित थी।

 उसका मन नियंत्रण से बाहर हो रहा था और उसका शरीर पहले से ही खुशी की लहर पर सवार था, जिसकी तीव्रता धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिखा रहा था। मेरे होठ उसके कान से उसकी गर्दन पर फिर से चले गए और फिर मैंने उसकी गर्दन पर कामुक नरम चुम्बन किये और उसकी गर्दन को चाटा। उसकी आँखे बंद थी। जैसे मैं उसे किस कर रहा था उससे उसने अनुमान लगाया के अब मैं उसेने कंधो पर किस करूंगा।

फिर मैंने उसे कंधो को किस किया और उन्हें चाटा फिर ऐसे ही उसकी पीठ में रीढ़ की हड्डी को किस किया और पूरी पीठ को चाट डाला। और फिर वापिस उसकी गर्दन पर ऊपर की तरफ चाटने लगा । मैंने उसके नंगे कंधे को चूम लिया। मैं धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी-उसकी गर्दन और फिर कान पर-पर चुंबन रोपण किये जिससे जूही  कराहने लगी।


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फिर मैंने उसे पलट दिया और अब अपने ओंठ उसके माथे पर ले गया मेरे होठ उसके माथे पर चले गए और फिर मैंने उसकी आँखों में से प्रत्येक पर एक कामुक नरम चुम्बन किया। उसके गाल उसके नाक और फिर उसकी आँखे बंद थी। जैसे मैं उसे किस कर रहा था उससे उसने अनुमान लगाया के अब मैं उसे ओंठो को किस करूंगा।

जूही जिसकी योनि मेरे लंड के लिए समायोजित हो रही थी और स्वयं मेरे लंड के कारण उसकी योनी के खिंचाव में खोई हुई थी अपनी सास के इस बयान के निहितार्थ पर चौंक गई।




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बेसब्री से मेरे होठों का अपने होठों का अनुमान लगाते हुए,  अपना सिर ऊपर कर लिया ताकि हमारे ओंठ मिल जाए लेकिन मैंने उसके ओंठो पर अपनी कुछ गर्म साँसे छोड़ी जिससे उसे मालूम हो गया मेरे ओंठ उसके ओंठो के ऊपर ही मंडरा रहे हैं, इतना पास के उसे मेरे ओंठो का अनुमान लगता रहे पर किस न हो। हमारी साँसे तेज चल रही थी मेरी गर्म सांसे वह मह्सूस कर रही थी और मैं उसकी गर्म साँसे महसूस कर रहा था।


उसने अपने होंठ अलग किए और मुँह खोला और फिर से अपना सर उठा कर मुझे चुंबन करने की कोशिश की, लेकिन मैंने अपना सर उतना ही पीछा कर लिया जितना उसने उठाया था ताकि ओंठो का चुम्बन उसकी पहुँच से बाहर रहे। वह व्यग्र हो उठी और आँखे बंद रखते हुए बोली"मेरे ओंठो पर चुम्बन कीजिये प्लीज, मेरे ओंठो को क्यों तरसा रहे हो आप, प्लीज, मुझे अपने ओंठ दीजियेl" और उसने अपने ओंठ खोलते हुए जीभ को लहराते हुए अपना सर और ज्यादा ऊपर उठा दिया। वह तड़प उठी थी।

मैं उसकी तड़प को और नहीं देख सका और अपने खुले मुंह को उस के मुँह पर लगाया। अब इस के बाद व्यग्रता के कारणे ऐसा तीव्र चुंबन किया जिसकी तीव्रता बहुत अधिक थी। यह किस काफी लम्बा चला ये क्षण सिर्फ मेरा और जूही  का था, इस क्षण और कुछ महत्त्व नहीं रखता था, कुछ नहीं और कुछ भी अस्तित्व में नहीं रहा। वह मेरी थी और मैं उसका था। शरीर, मन और आत्मा दोनों एक हो गए।




शाश्वत प्रेम में डूबे हुए प्रेमी, पता नहीं कितनी देर तक एक दुसरे को चूमते रहे, ऐसे जैसे कोई जन्मे के बिछड़े प्रेमी मिल गए हो। हम प्रेमियों ने एक दूसरे को, अपने हाथ और पैर, शरीर के चारों ओर लपेटकर चूमा। कभी मैं ऊपर कभी वह ऊपर बस पागलो की तरह चूमते रहे। जूही ने कब मेरी शर्ट और पतलून और अंडरवियर को उतार डाला और अपनी उंगलियों को मेरी नंगी पीठ के ऊपर और नीचे दौड़ाया, धीरे से उसने अपने नाखूनों को नेरी पीठ की त्वचा पर रगड़ दिया। मेरी उंगलियों ने उसकी ड्रेस और पेंटी को पता नहीं कब उतार डाला मेरा स्पर्श उसकी निर्दोष चिकनी रेशमी त्वचा जो काफी गर्म थी उसे महसूस कर रहा था।

मैंने हाथ नीचे खिसकाया और धीरे से उसकी गांड को सहलाया। जैसे-जैसे हमारे होंठ और जीभ अपने हमले जारी रखते थे, मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ और उनके कामुक नितम्बो के गालो को ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैंने धीरे से अपने हाथों से उसकी गांड को दबाया तो जूही  ने मुझे और भी अधिक आक्रामक तरीके से चुंबन करते हुए जवाब दिया। मैंने उसकी गांड की दरार में अपनी उंगलियाँ फँसा दी और उसकी गीली चूत तक पहुँच धीरे से अपनी उंगली उसके ऊपर चलाई। अपनी उंगली पर गीलेपन का आनंद लेते हुए, उसने उसकी चूत को रगड़ा और अपनी उंगली से उसकी चूत के दाने को दबाया। मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा उसे जैसे करंट-सा लगा और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उसका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया थाl


"ऊह यस।"  और उसने चुंबन तोड़ दिया। उसने वासना भरी आँखों से मुझे देखा और उसे फिर मुझे उतनी ही उत्तेजना से दुबारा चूमा, मैंने अपने जीभ उसके मुँह में सरका दी तो वह मेरी जीभ चूसने लगी। मेरा हथियार अपने पूरे जोश पर था वह भी उसके बदन पर अपने चुम्मे दे रहा था उसकी प्रेम की गुफा में प्रवेश के लिए मचल रहा था। मैं अभी भी अपने हाथों को उसकी पीठ और नितंब पर चला रहा था।


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वह मेरा लिप किस में भरपूर साथ दे रही थी फिर मैंने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगीl मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगाl 

जूही सोचने लगी क्या राजमाता ने इस अद्भुत लगने वाले लिंग का स्वाद चखा हुआ है? क्या उन्होंने कुमार के पौरुष का आनंद लिया है अगर हाँ इसीलिए वह चाहती हैं जी जूही भी उसी आनद का अनुभव ले। जूही सोचने लगी ये उसका सम्ब्नध कैसे परिवार से हो गया है। वह सोचने लगी इससे आगे और क्या। एक त्रिकोणीय सेक्स। फिर उसने अपने अंदर उत्तेजना का अनुभव किया और उसे अपनी योनि फिर से गीली होती हुई महसूस हुई। मैंने भी अपने लंड को गिला होते हुए महसूस किया।





मेरा दूसरा हाथ थ अब उसके स्तनों पर पहुँच गया मैंने चुम्बन करते-करते उसके गोल-गोल बूब्स को पहले सहलाया फिर ब्रा के ऊपर से ही दबायाl मैंने महसूस किया उसके बूब्स बहुत नरम मुलायम गोल और सुडोल थेl मेरे हाथ को उसके निप्पल जो उत्तेजना के अतिरेक से कड़क मह्सूस हुए और लगा अब समय आ गया है कि हम कामुक सुख भरी डुबकी का आनंद ले सके l


मैंजूही   के गुलाबी रसीले होंठों को बड़े प्यार से धीरे-धीरे हल्के-हल्के चूमने लगा।जूही  भी मेरा पूरा साथ दे रही थी । चुंबन। थोड़ी देर में जूही  और मेरा चुंबन, फ्रेंच किस में बदल गया । दोनों की जीभ आपस में टकराने लगी थी। दोनों एक दूसरे को बुरी तरह चाटने लग रहे थे। एक दूसरे के होंठों को। एक दूसरे की जीभ को।चाट और चूस रहे थे ।


मैंने उसके बूब्स को सहलाया मैंने उन्हें गौर से देखा और उसके स्तनों की मालिश करना शुरू कर दिया। उसकी ओंठो पर किस किया फिर उसकी ठोड़ी पर गर्दन पर किस करते हुए धीरे-धीरे उसके स्तनों की और बढ़ा उसके दाए स्तन को किस किया और फिर स्तनों के बीच की घाटी को किस करके चाटा और फिर उसके दाए स्तन को किस किया और चाटा क्योंकि मैं उसके दायी और ही था l फिर उसके स्तनों के नीचे मुँह लेजाकर स्तनों के निचले हिस्सेको भी चूमा और चाटा l जहाँ उसके स्तन उसकी छाती से मिलते थे वहाँ चूमा तो वह कराह उठी l फिर धीरे-धीरे चूमते हुए उसके निप्पल की और बढ़ने लगा उसके निप्पल उत्तेजने से एकदम खड़े हो कर मुझे आमंत्रित कर रहे थे प्लीज हमे चूसो l


मैंने जोर-जोर से उसको चुंबन करते हुए उसकी सांसें चूस लीं और जूही की योनि में आयी बाढ़ की लहर को महसूस किया। राजमाता ने मुझे इसकी चेतावनी दी थी की यह गीलापन खुशी और आनद को बढ़ाएगा और इससे सम्भोग का समय बढ़ जाएगा।


कुछ ही देर के बाद योनि की मांसपेशिया समायोजित हो गयी और लंड चूत के अंदर अपनी जगह बनाए में कामयाब हो गया और दर्द भी काफूर-सा होने लगा था।

मैं उसके ऊपर लेट कर उसे किस भी कर रहा था और एक हाथ से उसके मम्मों को सहला भी रहा था।

एक बार फिर आवाज आयी कुमार अब करिये।

मुझे रानी के अंदर और बाहर स्लाइड करने का आदेश दिया गया था। इस समय यही मेरा कर्तव्य था।

मुझे अब उस शैतान पर नियंत्रण पाना था जो मेरे मन और शरीर में था।




आगे जो हुआ वह मेरे लिए बहुत मुश्किल था पर मैंने पता नहीं कैसे कर लिया मैंने उसके निप्पल को न तो चूमा न चूसा l एक दो फूक मारी और उनके आस पास चूमते हुए सारे स्तन को चूमने लगा और मेरा लंड नीचे जूही  की योनि के द्वार पर ठोकर मार रहा था फुफकार रहा था वह जानती थी कि मेरा मोटा मुसल लंड उसके गुलाबी छेद का रास्ता तलाश रहा है।


मैंने मन ही मन फैसला कर लिया था कि अब मैं अपना लिंग  चूत में गहराई तक पेल कर ही दम लूँगा।


मैंने एक स्तन पर अपना मुंह रख दिया और उसके निप्पल औअर स्तन को मुंह में लेकर चूसना लगा। आओर एक हाथ से उसके दुसरे स्तन को मसलने लगा और दुसरे हाथ से ऊके नितम्ब मसलने लगा  इस तिहरी मार से  वह ऐसे सिसकारने लगी जैसे एक औरत अपने पति के साथ बिस्तर में आनद भरी सिसकारियाँ निकालती है। वह मुझे अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी छाती अपनी चूची पिलाती हुई मदमस्त होने लगी थी।


पियो मेरे राजा चूसो जोर से चूसो: आआह्हीईईईईईईईईईइह्ही।अह्ह्ह।

मैं अपना लौड़ा  त्रिकोण पर रगड़ने लगा जूही  के गुलाबी छेद पर मेरा डंडा खड़ा दस्तक दे रहा था।हम दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे।


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मैं स्तनों, ओंठो को जंगली अंदाज में चूमने चाटने में लगा हुआ था। बेशक मैंने बहुत सारी लड़कियों और औरतों के साथ संभोग किया था।


मुझे, "मैंने खुद से कहा और लिंग को बाहर खींचते हुए," आदेश दिया गया है, "अंदर धकेलो;" उसे, अंदर, बाहर खींचो और अंदर और बाहर पाउंड करो और अंदर और बाहर और अंदर और..."
यंत्रवत् मैंने लंड को अंदर और बाहर बढ़ा दिया। में अपने आप को भूल गया कि मैं कहाँ था और किस परिवेश में था। बस लिंग को बाहर निकाला और अंदर बढ़ा दिया। यांत्रिकी में वह भूल गया कि जैसे ही उसके रस ने मेरा लंड भीग दिया, मुझे उसे सूखा लेना चाहिए ताकि उत्तेजना अधिकतम हो और कामोन्माद जल्दी हो जिसके कारण उत्कर्ष और स्खलन हो। मैंने लंड को जूही की योनि से बाहर निकाला तो लंड कौमार्य के रक्त और योनि रस से भीगा हुआ था इसलिए धोती के कपड़े में लंड पकड़ लिया। जैसे ही माने उसे साफ़ किया और इसे सूखने के लिए रखा, मैंने महसूस किया कि मेरा लंड आज भर ज्यादा बड़ा हो गया था और उस अनुपात में सूज गया है जिसे मैंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था। निश्चित तौर पर ये जूही की टाइट कुंवारी योनि और अंगूठी का प्रभाव था।


मैंने उसको उठाकर उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी, तो वह ज़ोर से चिल्लाई प्लीज जल्दी करो ना, प्लीज आहहह। फिर जब मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली की तो वह मेरे कमर को ज़ोर से आगे पीछे करने लगी और ज़ोर से मौन करने लगी। उसकी चूत पूरी डबल रोटी की तरह फूली हुई थी। अब में उन्हें ऊँगली से लगातार चोद रहा था और वह ज़ोर से मौन कर रही थी।
मैंने ऊँगली निकाली उसे कपडे से साफ़ किया फिर मैंने उस कपडे से योनि को भी जितना साफ़ कर सकता था साफ़ किया और फिर एक तेज झटके में लंड को फिर से अंदर घुसा दिया और बाहर निकला। एक बार फिर लंड और योनि को कपडे से साफ़ किया।

सूखे हुए लंड को योनि के अंदर प्रवेश और बाहर निकालने की प्रक्रिया में दोनों को बहुत मजा आ रहा था। फिर मैंने उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके दोनों पैरों को फैलाया और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब जब मेरे लंड का सुपड़ा ही उसकी चूत में गया था तो उन्ह! " वह घुरघुराई, उसकी उँगलियाँ उसके तकिए के सिरों को पकडे हुई थी। मैंने उसे अनसुना करते हुए एक ज़ोर का धक्का लगाया तो वह और ज़ोर से चिल्लाई। डालो। जोर से डालो। अब वह ज़ोर-जोर से हाँफ रही थी और जैसे कोई कई मीलों से दौड़कर आई हो और आहह, एम्म, ओह, आआआआआआअ, डालो ना अंदर जैसी आवाजे निकल रही थी।
फिर तो झटकों का सिलसिला शुरू हो गया। फिर मैंने उसके लिप्स पर किस करते हुए उसके मुँह को बंद किया और अपने धक्के लगाता गया। अब वह झटपटा रही थी और अपने बदन को इधर से उधर करने लगी, लेकिन में नहीं माना। अब में धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था।

कभी कभी 2 उंगलियों में उसकी निप्पल को भी ले कर मसलता और कभी बहुत ज़ोर से खींचता, उसके निप्पल तने हुए थे। मैं भी मज़े से लंड को तेजी से चूत के अन्दर बाहर कर रहा था।
मैं क्षण भर के लिए यह भी भूल गया कि उस तेज़ गति के अंत में एक महिला थी। सुखी हुई योनि और लंड के घर्षण से जो कामाग्नि उत्पन्न हुई उससे ये सम्भोग उतना ही जोरदार होता गया। मैंने महसूस किया कि उसकी चूत की दीवारें जल रही हैं, जिसकी आग बुझाने के लिए योनि रस बह रहा है। मैंने साथ ही ये भी महसूस किया की स्नेहन (चुतरस) उसकी योनी की दीवार की धड़कन को ट्रिगर करता है। वह चाहती थी, मैं तेज़ी से लंड को अंदर बाहर करता रहूँ। उसने अपने पैरों को चौड़ा कर उन्हें मेरे कंधों पर टिका दे, जिससे उसकी योनि अंदर की ओर खुल गयी और लंड और अंदर जा रहा था और गर्भाशय से टकरा रहा था। मैं अपने हाथो से उसके स्तन मसल रहा था उसकी सांसें बहुत तेज थीं।

जूही अब तक इन शारीरिक संवेदनाओ से अपरिचित थी और इस अज्ञात भावनाओ के बीच उसके शरीर ने चुदाई में मेरा साथ देना शुरू कर दिया और उसके नितम्ब मेरे धक्को की गति और ताल के साथ ले मिला कर हिलने लगे। उत्तेजना में उसका सीना काँपने लगा।

मैं उसकी चिल्लपों से कतई नहीं डर रहा था और न ही उसके बोलने की आवाज़ आ रही थी। बस वह केवल आह-आह कर रही थी।




चेहरे पर मुस्कान के साथ, मैंने उसके नग्न शरीर को अपनी छाती से चिपका लिया। उसके स्तन मेरी छाती पर दब गए और मेरा लंड उसकी चूत को चुम्बन करने लगा। 


मैंने धीरे से अपनी उँगलियाँ की और जूही  की नंगी पीठ पर ऊपर नीचे की मेरी उंगलियाँ उसकी रीढ़ की हड्डी के एक एक मनके को महसूस करते हुए धीरे से उसके नितम्बो की दरार में से होते हुए उसके नितम्बो पर दबाव डाला ।  उंगली उसके गोल नरम पर सुदृढ़ नितम्बो पर गोल घूमी फिर नितम्बो को सहलाया।

ऐसा करने से मेरा लंड उत्तेजना की ताजा स्थिति के रूप में उठा और उसकी योनि का दरवाजा खटखटाने लगा।। मेरी उंगलियों ने उसकी योनि की दरार को महसूस किया फिर धीरे से एक फिर दूसरी अंदर सरका दी मेरी ऊँगली का अग्रभाग उसके रस से डूब गया।

फिर मैंने उंगलिया ऊपर नीचे की और उंगलियों की मदद से दरार की थोड़ा फैलाया और लंड मुंड का अगर भाग दुसरे हाथ से लंड की पकड़ कर दरार पर रगड़ कर  चूत की छेद की द्वार पर लगा दिया। अब वो सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वो अहाह! आहहह! आहहह! कर रही थी। अब उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी।

उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया उसका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया।  उसे पहली चुदाई में ही मेरे लिंग की मोटाई और लंबाई का एहसास हो गया था उसे अच्छी तरह पता था कि मेरे पास क्या चीज है। और फिर वो अपने छोटे छेद के बारे में सोचने लगी । उसकी योनि पहली चुदाई के बाद बुरी तरह से सूज गयी थी । 




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जूही  की सांसे भारी होने लगी थी। मैं जूही  के ऊपर दबाव बनाने लगा और सब कुछ बड़े प्यार से हो रहा था।मैे फिर जूही  के ऊपर सवार हो गया मेरा तगड़ा हथियार अभी भी जूही  की जांघों के बीच के त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था। और जूही  की योनि गीली हुई जा रही थी। चूचियां छोड़कर मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसकी गांड को अपने हाथों में दबोच लिया। अब मेरा चेहरा जूही  की छाती पर था। वो तड़प रही थी। मचल रही थी ।सिसक रही थी।मुझे हाथो में उसके बाह रहे योनिरस से गीलापन महसूस हुआ जूही  अब पूरी तरह से गीली होने लगी थी। मुझे जूही  की उत्तेजना की स्थिति का एहसास हो चुका था।

जूही के शरीर में आग लगी हुई थी। मैं उसे जैसे चोद रहा था उससे जूही को ये उम्मीद बिलकुल नहीं थी की ये बहुत लम्बा चलेगा। लेकिन वह चाहती थी ये लम्बा चले। उसने एक हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया ज। उसका दूसरा हाथ मेरे गले तक चला गया और मैंने उसके स्तनों को छूने के लिए बेताबी में अपनी गर्दन को उसके गर्दन से रगड़ा।

अब तक मेरे और रानी जूही के बीच जो कुछ हुआ वह सब राजमाता को मंजूर था। वह जानती थी कि मुझे कामोन्माद की शुरुआत महसूस होने से पहले कुछ स्ट्रोक की जरूरत होगी। यह विशेष रूप से ऐसा था जब हम दोनों काम उत्तेजना में डूब रहे थे। राजमाता को मेरे स्ट्रोक प्ले के समय का आभास था, उसने सोचा कि अभी कुछ मिनट बाकी हैं उसके बाद उसे फिर से हस्तक्षेप करने की आवश्यकता महसूस होगी।
राजमाता को पता ही नहीं चला कि मैं क्या महसूस कर रहा था। मैंने महसूस किया था कि रानी अब नितम्ब हिला कर चुदाई करव रही है। जब मैंने लिंग को वापस खींच लिया था और अपने लिंगमुण्ड की संवेदनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा था तो जूही नितम्बो को अति संवेदनशील सिर पर वापस ले आयी थी। राजमाता ने इसे देखा और लंड और योनी को परस्पर क्रिया की अनुमति दी क्योंकि मेरे बीज को उगलने के लिए कुछ आनंद की आवश्यकता होने वाली थी। मैंने जिस चीज की आशा नहीं की थी, वह थी जूही का मेरे हाथ को पकड़ना।

मैंने जूही की तरफ को देखा। हमारी नजरें मिलीं और वह मुस्कुरा दी। मैं देख सकता था कि वह कामवासना से पीड़ित थी। उसकी त्वचा गर्म लाल हो गई थी। उसने अपना सिर घुमाया और अपने होठों से मेरे हाथ को चूमा।

मैं पिछले कुछ दिनों से रानी की सुंदरता की बेशर्मी से निहार रहा था। गुरुदेव की आज्ञा अनुसार मैं ब्रहंचर्य का पालन कर रहा था। आस पास मेरी प्रेमिकाओ और सुंदर महिलाओ का मेला था परन्तु मैं किसी को भी छू तक नहीं सकता था।

कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार


आगे क्या हुआ -- ये कहानी जारी रहेगीl
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 12

नयी रानी का गर्भादान 



मुझे  याद आया की जब से मेरा चुदाई और सेक्स के मजो से परिचय हुआ है तब से बहुत कम ऐसे अवसर आये हैं  जब  मैंने किसी दिन चुदाई न की हो  क्योंकि मेरी चारो  सहायिकाएं  और प्रेमिकाओ  रोजी,  रूबी , टीना और मोना  में से  एक न एक हमेशा  मेरे पास रही है . फिर मुझे याद आया की जब मैं लंदन गया था तो कुछ दिन के लिए वहां अकेला रहा था  तो उन कुछ दिनों मैंने चुदाई नहीं की थी .  और तब मैं बहुत अधिक कामुक हो गया था .  अब भी मेरी हालत वैसी ही थी . 

मैं रानी जूही को निहारने लगा . उसके सुडौल कूल्हे, टाँगे मुझे लपेटे हुई थी   और उन सभी से बढ़कर उसके भरे हुए स्तन। मेरे हाथ को छूने वाले उसके होंठों ने मुझे जंगली बना दिया  और मैं उसे और तेजी से चोदने लगा  और जल्द ही मुझे लगा कि मेरा स्खलन होने वाला है। नहीं! मैं यहीं समाप्त नहीं हो सकता ; मैंने  पिछले कई दिन से  संयम का पालन किया है , मेरे सामने  मेरे फूफेरे भाइयो ने  चुदाई पार्टी की , और  यहाँ तक की राजमाता ने स्वयं  पिताजी  के लिंग पर हाथमैथुन करके मुझे  समझाया था तब भी मैंने अपना  संयम नहीं खोया था   और इस नयी रानी को  भोगने का सौभाग्य मैंने   बमुश्किल महसूस किया था।  उसकी आंखें, उसके होंठ और उसकी बॉडी लैंग्वेज मेरे लिए चिल्ला रही थी।  उसका  सौंदर्य रूप और रंग सब  मुझे आकर्षित और उत्तेजित कर रहा था  तो मैं कैसे प्रतिक्रिया नहीं दे सकता था? मैंने उस और देखा जहाँ से राजमाता   के आदेश आते थे मैं उन्हें देख तो नहीं सकता था  परन्तु  जानता था की वो हमे  गौर से देख रही थी। मैंने  चुदाई करना  जारी रखा ।

 फिर मैं पीछे झुक गया, बिस्तर  पर घुटने टेक दिए और शरीर का भार अपने हाथों से हटा लिया। जैसे ही मैं पीछे की ओर झुका , मेरा बढ़ा हुआ लिंग बाहर खिसक आया और रानी जूही  की योनि को पूरी तरह   से निकल कर योनि के द्वार पर टिक गया । 


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  मैंने अंगूठी की शक्तियों को इस्तेमाल  किया और उसका मन पढ़ने लगा।  राजमाता समझ नहीं पायी थी  कि स्खलन हुआ या नहीं  वह सोच रहजी थी  थी कि क्या चुदाई के दौरान  पिघलने के क्षण में मैंने उसमें अपना बीज स्खलित कर  दिया था, या यह कुछ और था?  उसने बेतहाशा  इशारा किया पर फिर उसे याद आया की मैं उसे नहीं देख सकता । 

राजमाता चिल्लाई  कुमार  रुक क्यों गए ?

 मैंने  केवल जहाँ से आवाज आयी उस  दिशा में  देखा । जैसे ही मेरा लिंग पीछे की ओर खिसका, वह बाहर निकलने  की कगार पर था। जूही इस विचार से पागल हो गई थी की मैं बाहर निकालने वाला  हूँ । उसने मुझे रोकने की कोशिश करने के लिए मेरी बाँहों तक पहुँचने की कोशिश की लेकिन मैं बहुत दूर था  तो उसे अपने नितम्बो को मेरे लंड की दिशा में आगे बढ़ा कर फिर ले लंड को अंदर समाहित कर लिया  और धीरे धीरे आगे पीछे होने लगी ।
 

मैं    राजमाता की दिशा में दृढ़ता से देखता रहा और  मेरा हाथ रानी जूही के नीचे फिसल गया  और उसके नितम्बो को   उसकी  कारघानी   के पास से पकड़ लिया। मेरे मजबूत मस्कुलर फ्रेम ने मुझे उसके कूल्हों से उसे आसानी से उठाने की अनुमति दी। मैं  उसे  ऊपर  अपने लिंग के पास ले आया और उसकी योनि  को  वापस अपने लंड पर खींच लिया ताकि वह उसे फिर से एक संतोषजनक खिंचाव के साथ योनि को भर दे. मेरे हाथों ने उसके कूल्हों की नंगी त्वचा को छुआ और सहलाया और फिर दबा दिया ।


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जूही का धड़ अभी भी बिस्तर पर था  लेकिन अब वह मेरे  कूल्हे पर अपने कूल्हे के स्तर तक  उठ  गई थी। उसकी जाँघों का भीतरी भाग मेरे कूल्हों के संपर्क में था और उसकी जाँघों का पिछला भाग मेरी जाँघों पर   था। ये  मेरे और रानी जूही  के बीच सेक्स पोजीशन का पहला बदलाव था। इस कोण ने मेरे लंड को उसकी योनि की छत को  दबाने दिया ।  इसी स्थान पर योनि का जी   स्पॉट  होता है. जब जी  स्पॉट दबा तो  उसने एक धीमी कराह दी और उसे लगा  कि वह पेशाब कर सकती है।  वह सनसनी मेरे लंड से उसकी योनि के जी  क्षेत्र में कुछ कोमल स्थानों को सहलाने से आई थी। मैं स्थिर था, लेकिन मेरा लंड अपने आप धड़क रहा था। और वह धड़कन एक ड्रम बीट  तो तरह तेज थी.. वह चाहती थी कि मैं उसे और छू लूं।

"ये क्या कर रहे हैं!" राजमाता उठ खड़ी हुई और फिर से चिल्लाई।   रुक क्यों गए . 

मैं वहीँ जम गया, मेरी निगाह बारी-बारी से मेरी गोद में बैठी महिला और पर्दो  से परे उत्तेजित महिला के बीच घूम गई। मेरा दिमाग मेरे लंड पर  चढ़ी हुई सुंदर रानी की उत्तेजित इच्छा,  यौन क्रिया के उद्देश्य और राजमाता के निर्देशों के साथ आ रही इन नाटकीय बाधाओं पर था । मैं उम्मीद कर रहा था कि विधवा राजमाता, जिसे मैं अपने स्वयं के  अनुभव से जानता था कि वह  यौन क्रियाओ  से अनभिज्ञ नहीं थी,  बल्कि  उसने मुझे कहा  था की गर्भधान के दौरान रानी के यौन सुख का ध्यान रखना होगा.  लेकिन  सम्भवता  वो अपनी ही बात को  भूल गयी थी  या फिर इतनी उत्तेजित थी की वो अपने सामने चल रहे लाइव सेक्स शो में आये इस अल्पविराम को देखकर  विचलित हो गयी थी  या फिर वो चिंतित थी की अगर  उसकी बहु  को सम्भोग सुलह की लत लग गयी तो वो पुनः मेरे साथ या किसी अन्य  पुरुष के  साथ  यौन सुख के लिए सम्बन्ध स्थापित कर लेगी   । क्या वह अपनी बहू की हालत नहीं देख सकती थी? क्या वह मेरी बेबसी, मेरी कामोत्तेजना की स्थिति और रानी  के  यौन सुख  की आवश्यकता   नहीं समझ पायी थी ?  क्या  उन्हें ये भी भूल गया था  की क्या श्राप था और उसका निदान क्या था , क्या संसार  के यौन सम्बंधित  नियम इतने पवित्र थे? 

क्या सम्पूर्ण सम्भोग आनद की प्राप्ति के लिए अधूरे प्रयास पर्याप्त  रहेंगे  क्योंकि इस पूरी प्रक्रिया और मेरे और रानी के सम्भोग का एक मात्र लक्ष्य  था गर्भादान के द्वारा स्वस्थ  उत्तराधिकारी    की प्राप्ति ?


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राजमाता उस कक्ष में प्रवेश  करने की सोच रही थी, लेकिन हिचक रही थी;  क्योंकि  अभी मिशन पूरा नहीं हुआ था।

जूही  मूत्र निकलने के  के डर से  रुकी हुई थी । वह चाहती थी कि मैं उसे पूरे जोश के साथ चोदूं। वो एक दो  बार हिली और जी  स्पॉट  को स्पंदित करने से  बांध फट गया और उसे  संभोग सुख का पहला अनुभव हुआ । वह कांपने लगी और उसका शरीर ऐंठा  और उसने  बिस्तर  पर अपने हाथो को पिइतना शुरू कर दिया क्योंकि संभोग ने उसके शरीर को तोड़ दिया। उसके स्तनों से बिजली के बोल्ट उसके निपल्स को विद्युतीकृत झटके लग रहे थे । वे उठ खड़े हुए । 
 
उसके स्तनों में दर्द असहनीय था और जब वह आनंद से कराह  रही थी .  उसे पता था कि उसकी सास देख रही  हैलेकिन इसकी परवाह न करते हुए उसने मुझे छुआ और  उसके नाखून मेरी कलाई में  गढ़ गए और लाल पंजों के निशान बन गए। दूसरा हाथ मेरे पास पहुंचा, फिर वह रुक गई। उसने पीछे खींच लिया और अपने ही स्तन को छुआ, पहले तो अपने हाथ को  रोका। फिर जब स्तन में ऐठन और दर्द और बढ़ गया और उसने अपने   स्तन के किनारे से दबा  लिया।

उसकी टाइट योनि  ने संकुचन शुरू कर दिया था .  मेरे लंड ने स्खलन करने की धमकी दी। मैं इसके लिए तैयार नहीं था। मैंने अपनी अंगूठी की शक्ति का प्रयोग करते हुए  स्खलन को रोक दिया  और योनि के द्वारा लंड को संकुचन करवाने का  आंनद लेने लगा. ऐसा लग रहा था की योनि मुझ की तरह मेरे लंड को चूस रही हो   । साथ ही, आवेग में मैं आगे झुक गया और उसकी छाती को पकड़ लिया। उसने मुझे प्रोत्साहित करते हुए सिर हिलाया। उसके  स्तन अब सूज गए थे। मैंने उसके होठों के बारे में सोचा और उन्हें चूस लिया। और मैंने सोचा कि उसके निपल्स  को चूस कर  क्या मैं वात्स्यायन ने कामसूत्र के अनुसार   क्या मैं  उसे एक  और संभोग सुख प्रदान  कर सकता हूं?

फिर  मैंने उसके दो फलों के आकार के स्तनों को अपनी छाती से सहलाते हुए उसे पकड़ लिया उसे ऊपर लेट गया और उसके ओंठो को चूसने लगा . 

उसने तार्किक रूप से मेरी हरकतों  का इंतजार किया  और मुझे उत्साहित किया और अपने स्तनों को पकड़ लिया। मैंने उसके स्तनों के मनोरम टीले को देखा। हताशा में उसने अपने आप सतनो को  पकड़ लिया, अपने स्तनों को  धीरे-धीरे बाहर की ओर निचोड़ने लगी  जैसे कि उनसे दूध दुह रही हो। निपल्स अब दर्द कर रहे थे और विडंबना यह है कि अब उसे राहत तभी मिल सकती है अगर वह खुद अपने निप्पल दबाती  है तो   उसने  निप्पल पर चुटकी ली, निप्पलों को मोड़ा  और उनहे खींचा । चूचियों को मेरी ओर खींचते हुए, मुझे उन्हें चूसने के लिए पेश किया और , वह लम्बी  'आआआआह!' कराह  ले रही थी।

"जूही! रुक जाओ!" राजमाता  फिर बोली ।  


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जूही  ने अपने स्तनों को फिर से   बाहर की ओर निचोड़ने के लिए अपने स्तनों को छोड़ दिया, और निपल्स को फिर से खींच लिया,  और बार-बार, उसकी सास की आज्ञा की अवहेलना में   मेरे  लिए एक चुनौती पेश की   जिसे मैंने स्वीकार किया  और अपने ओंठो के बीच उसके निप्पल ले लिए  और उन्हें चूमने  लगा । 

फिर मैंने रानी जूही के  मोमो को चूसना शुरू कर दिया  निप्पल और स्तन  कड़क हो गए थे और चुच्चिया कह रही थी हमे जोर से चूसो .. मैंने निप्पल  को जीभ से  छेड़ा और  दांतो से  कुत्रा  तो रानी कराह उठी  आह यह आह    कह रही थी धीरे मेरे राजा धीरे प्यार से चूसो सब तुम्हारा ही है उसके बूब्स अब लाल हो चुके थे. 

मै साथ साथ उनकी चुचियों को मसलने लगा, और वो मादक आवाजें निकालने लगी, आह उह आह की आवाजें पुरे कमरे में गूंज रही थी.

चूसने से  जूही रानी को राहत  मिली  और  वो एक बार फिर जयसा की कामसूत्र में वात्सायन के बताया है उसे एक और  सम्भोग हुआ  वो उत्तेजना के चरम पर पहुंची  उसका बदन  कांप रहा था। उसके नीचे  उसकी योनि  में  नथुने तक बहने वाली सुगंध के साथ  योनि के द्रव में भीग गई। उसने ऊपर देखा और  मुझे देखकर मुस्कुराई। उसने अपने ही स्तनों को  दबा कर,निचोड़ कर सहला कर  और चुसवा कर  एक और संभोग सुख  प्राप्त किया था और अपनी खुशी के बेशर्म पीछा करके संयम की बेड़ियों को तोड़ा था। यह उसके लिए एक जीत थी। वह अब मुझे उन प्रतिबंधों को हटाने में मदद करने लगी। वह जानती थी कि  शायद  रिश्तो के लिहाज के कारण  मैं  वह नहीं कर सकता जो उसने करने की हिम्मत की थी। अब  मुझे उसकी मदद की जरूरत थी।

जूही के हाथ मेरे  हाथों तक पहुंच गये । उसकी कोमल उँगलियों ने रगड़ खाने से कड़ी पड़ गई मेरे  हाथ की त्वचा और हथेलियों की खुरदरी सतह को महसूस किया।  उससे एहसास था  की उसके स्तन मेरे हाथो की  खुरदरी त्वचा से  बहुत अच्छा महसूस करेंगे। उसने मेरे  हाथों को अपने स्तनों की ओर खींचा, लेकिन  मैंने उन्हें रोक लिया ।

"क्या बात है दीपक  जी?"  जूही ने पूछा।  आदरपूर्ण प्रत्यय 'जी' का प्रयोग मेरे को अपने  सामने पड़ी एक  नग्न  सुंदर रानी स्के मुँह से असंगत लग रहा था।मैंने उसके स्तनों को देखने लगा .   हमारे प्रयासों से राहत मिलने के कारण जूही के निप्पल ने अपनी कठोरता खो दी थी। स्तन दैवीय रूप से शानदार लग रहे थे, आनंद के टीले के ऊपर मनोरम अंगूर जैसे  फैलाव मुझे लुभा रहे थे ।  वैसे भी स्तन मेरी कमजोरी थे  पर मं आश्चर्यजनक रूप से रुका हुआ था 


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"राजमाता," मैं कराह उठा, स्तनों को चूसने और सहलाने की  काम इच्छा   से  मेरा  गला सूख गया, और  भौंह पसीने से भीग गई। 

माते ! जब तक ये दोनो एक दो एक दूसरे को  सम्भोग  में  संतुष्ट  नहीं करते, तब तक कुमार जूही को अच्छी तरह भर नहीं पाएंगे," यह भाई महाराज थे जिन्होंने बात की थी।   ये सुनते ही  तुरंत जूही के हाथ उसके स्तनों  और चूत पर चले गए और वो खुद को ढकने का प्रयास करने लगी  और वो  मेरे साथ चिपक गयी . 

माते!  जब हमने है इस प्रस्ताव  पर चर्चा की थी तब आपके पूरी प्रक्रिया   को अपनी निगरानी में करवाने की इच्छा प्रकट  की थी और फिर आपने  मुझसे कहा था की आप  केवल  दृष्टा की  तरह से देखेंगी और  सम्भोग के दौरान बीच में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी . इसीलिए इस विशेष कक्ष का निर्माण करवाया गया था । महाराज आगे बोले .  मैं  और जूही दोनों ने सर झुका लिया 

माते अब आप इन्हे बीच में टोकिये मत और अपनी इच्छा से आन्नद   लेने दीजिये . इस बीच  रानी जूही  ने मेरी उंगलियों को अपनी उंगलियों  से सहलाते हुए अपनी उंगलियों में फसा  लिया   और  मैं इस विचार के कांप गया  की हमारे सम्भोग के गवाह महाराज भी हैं . 

 फिर मैं सोचने लगा  और कौन हमारे प्रथम मिलन को देख रहा है  क्योकी  महाराज की आवाज राजमाता से ठीक  उलटी दिशा से आयी थी . 

मैंने कहा भाई महाराज   . 

"ये तुम क्या कह रहे  हो  पुत्र !" राजमाता  ने  विरोध किया।  

"महाराज  सही कह रहे है  सासु  माँ। आप  कुमार  पर भरोसा रखिए, आपको अपना पोता मिल जाएगा,"  ये आवाज  बड़ी महारानी  ऐश्वर्या की थी .  

मैं और जूही सन्न हो गए थे .. मैं बोला महाराज   क्या आप सब यहाँ पर हैं ?

"लेकिन.  मैं. मैं आप  सब के सामने अब ये नहीं कर पाऊँगा"  मैंने  झूठा विरोध शुरू कर दिया, लेकिन  मेरा खड़ा हुआ कठोर  धड़कता हुआ  लंड  वास्तविकता जाहिर कर रहा था . 


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"लेकिन कुछ नहीं। ये  राजाज्ञा है  पुत्र ये महाराज का आदेश है। पुत्र  दीपक, तुम भाई महाराज को ना नहीं कह सकते!" मेरे पिता ने मुझे आज्ञा दी। आवाज तीसरे कोने से आयी .

पिताजी भी! . 

पुत्र तुम ठीक कह रहे हो अब हमे यहाँ से प्रस्थान करना चाहिए  अब सब लोग यहां से प्रस्थान कीजिये  ये उचित नहीं  हैं अब मेरी मां बोली। ये कुमार और जूही के बीच के निजी क्षण है।

हे भगवान माँ भी।

महाराज बोले अब सब लोग यहां से प्रस्थान  किजिये और कुमार और जूही को एकांत दिजिये. 

अब मुझे समझ आ गया था  की राजमाता , पिताजी और माँ  और भाई महाराज अपनी रानियों के साथ  हमे सम्भोग करते हुए देख रहे थे . 

हलांकि मैंने कोई लोगो के सामने  सम्भोग पहले भी किये थे लेकिन ये बिलकुल  अलग  था  अपने माता पिता, ताई और भाई महाराज और भाभियो के सामने  नग्न होना  और नयी  भाभी के साथ  सम्भोग  . मेरा सर शर्म से जमीन  में गढ़ने को हो  गया .

महाराज बोले कुमार अब आप को कोई  तंग या बीच में परेशान नहीं  करेगा और  अब कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा .  आप  अपना कार्यक्रम अपनी इच्छा अनुसार जारी रख सकते हैं . माते!  कुमार ने मुझ से वादा किया है  की वो  इस लक्ष को प्राप्त करने  के लिए अपना पूरा प्रयास करेगा . 

आप जारी रखो  बच्चो  ,  राजमाता ने  आग्रह किया,   मुझे क्षमा करना  मैं अपनी अधीरता के कारण  रुक नहीं पाई .  राजमाता बहुत नरम स्वर में बोली . मुझे खुशी थी  कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए आसपास थीं  ताकि  हम मुख्य लक्ष्य से भटक न जाए ।  

फिर शान्ति   छा   गयी . 


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शायद यही वह  अवसर था   जिसकी हमे प्रतीक्षा थी।  हम दोनों एक दुसरे को देख  मुस्कुरा  दिए . जूही धीरे से बोली लगता है अब सब चले गए हैं  मैं  धीरे-धीरे आगे बढ़ा, उसके हाथ दोनों स्तनों को समेटे हुए थे। मेरे मर्दाना,  खुरदरे और बड़े हाथों में उसके सतनो को  देख कर  ऐसा लग रहा था जैसे वे अपने गंतव्य पर पहुंच गए हों। जूही  ने आह भरी  और चिपक गए । 

 मैं  जूही को बेकरारी से चूमने लगा। और चूमते चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट तक उसका लिप्स किस लेता रहा साथ साथ मैं  उनके बूब्स दबा रहा  था , 

निप्पल का चक्कर लगाते हुए उसने उन्हें मुक्त छोड़ दिया, और उन्हें वापस ऊपर की ओर इशारा करते हुए घुंडी बना दिया। मैंने  मांस के टीले को बड़े घेरे में घुमाते हुए, उसे जोश के साथ गूंथ लिया।

 जूही ने स्वीकृति और प्रोत्साहन में उत्सुकता से सिर हिलाया और अब वो कुछ मुक्त लग रही थी और नेरे से खुल गयी । "हां,  कुमार  प्यार करिये  मुझे। जो कर्म  आपने ठाना  है उसे करिए।  जब तक हम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं करलेते तब तक  हम किसी के होने. देखने  या न होने  पर ध्यान नहीं दे सकते  हमें मालूम है हमे क्या करना है,  अब मैं नहीं, आप नहीं . अन्य कोई  नहीं . केवल हम  और  उन पर   ध्यान मत दो, वह नहीं कर  समझेंगी . न तो राजमाता  आपकी स्तिथि और ना ही मेरी स्तिथि  हमे ही उन्हें  समझना होगा . और उनकी आकांक्षा  को पूरा करना  होगा . आप ही स्थिति को समझें  । सोच कर देखिये  कुमार  ". जूही  ने कहा. "  नियति ने ये अदभुत खेल खेला.   हमें   मौका मिला है संग रहने का और हमारा  प्रेम जिसे  अन्यथा  अपवित्र या व्यभिचार मानेा  जाता  उसे पवित्र माना जाएगा  और हमारे प्रेम का जो भी प्रतिफल मिलेगा  वो इस राज्य  का   वारिस होगा .  मैं  भी आपसे मिलन के लिए उतनी ही आतुर हूँ जितनी की आप, या फिर कहीं उससे अधिक ! ". कहते हुए जूही  ने  मेरा  अर्ध कठोर लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया.

इस बीच जूही की पतली उँगलियों वाले नर्म छोटे हाथ मेरे  चिपचिपे नम लंड के लिए पहुँची , तो उस समय तक मेरा भी   मन बन चुका था। जूही ने प्रेम से यंत्र को धारण किया। जूही के छूने  से प्रेमयंत्र पुनः  कठोर हो गया  और  हमेशा की तरह भरा हुआ और सूजा हुआ महसूस हुआ। लिंग का  अगला भाग    सूख गया था और शेष आधा उसके  रस से सना हुआ था। जैसे-जैसे उसका हाथ ऊपर-नीचे होता गया,   चिपचिपाहट एक नए गीलेपन में बदल गई। यही गीलापन उसके योनी में भी आ गया  था। स्नेहन के साथ वह खुद को  मुझे समर्पित करने के लिए   विचार कर  रही थी। जूही की आँखों ने मेरी तरफ भीख माँगते हुए देखा।   


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उसकी साँसे अनियमित होकर तेज़ चलने लगीं तो उसकी गोल चूचियाँ उसकी छाती पर ऊपर - नीचे ऊपर - नीचे होने लगीं. खुद को मेरे हाथों समर्पण कर देने के सिवाय अब जूही  के पास और कोई   मार्ग नहीं बचा था. 

मै जूही की  चुचियों को सहलाने लगा और फिर धीरे धीरे दबाब बढ़ा दिया और उन्हें मसलने लगा, और अब  वो मादक आवाजें निकालने लगी, आह उह आह की आवाजें पुरे कमरे में गूंज रही थी. 

 " तनिक स्तनपान कर लीजिये  कुमार , सहवास के लिए शक्ति  ऊर्जा और उत्तेजना मिलेगी  .  "

जूही मुस्कुराते  हुए बोली  फिर मैंने उनके स्तनों  को चूसना शुरू कर दिया उनके मोमो कड़क हो गए थे और चुच्चिया कह रही थी हमे जोर से चूसो .. मैंने चूचियों को दांतो से काटा  जूही  कराह उठी  आह यह आह    धीरे मेरे  राजकुमार धीरे प्यार से चूसो सब तुम्हारा ही है उसके बूब्स अब लाल हो चुके थे  फिर मैंने उनकी नाभि को चूमा अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी  जूही  मस्त हो गयी और मेरे सर अपने पेट पर दबाने लगी जूही का पेट एकदम सपाट था कमर पतली और नाजुक  मैंने उनके एक एक अंग  को चाट डाला और   जूही  ने अपने एक हाथ से मेरे  सिर के लंबे केश प्यार से सहलाये, अपनी नंगी टांगें खोल कर फैला ली, और दूसरे हाथ में पकड़ा मेरा  लण्ड छोड़कर अपनी कमर से बंधी सोने की करधनी से झूलते हुए सफ़ेद चमकीले झालरदार मोतीयों को अपनी चूत पर से हटा दिया ! उनकी चूत पर हाथ फेरने लगा उन्हें जैसे करंट सा लगा और उन्होंने मुझे कस  कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था. उनकी  चूत गीली होने लगी . 

मैंने उनकी चुत को चूमा उनकी खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया  मैं उनकी चूत को चाटने लगा, उनके चूत के रस में क्या गज़ब का स्वाद था,  जूही   बोली बहुत अच्छा लग रहा है बहुत आराम मिल रहा है .फिर उसकी चूत पर अपना मुँह रखते ही वो जोर से चिल्ला उठी आआहह, ओमम्म्मममम, चाटो ना जोर से, सस्स्सस्स हहा और मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी। अब वो सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वो अहाह, आहहह, आहहह कर रही थी। 

मेरे  शक्तिशाली हाथ जूही के नितम्बो के  नीचे चले गए और उसकी गांड को थपथपाया और मैंने  उसे वापस अपनी जाँघों पर उठा लिया।  मैं  उसके ऊपर चढ़  गया . जूही  अभी ठीक से अपनी टांगें खोल भी नहीं पाई थी, कि मं उसकी  जाँघों के बीच घुस गया   और बिना किसी चेतावनी के सरसरा कर धड़ल्ले से अपना लण्ड  उसकी चूत में  घुसेड़ दिया !!!

दर्द से तिलमिलाई जूही  ने अपनी आँखे भींच कर बंद कर ली, . जैसे तैसे जूही ने  अपने चूतड़ इधर उधर खिसका कर मेरे  लण्ड के लिए अपनी  ताज़ी कसी हुई चूत जो कौमार्य भंग होने के कारण थोड़ा सूज गयी थी उसमे  जगह बनाई, और उसकी मांसल टांगें मेरी  कमर से लपेटकर   पैर टखनों को पार करते हुए मेरी  पीठ के पीछे बंद हो गए, । जूही  ने अपना सिर पीछे फेंका और अपनी योनी को नीचे बिस्तर  के समानांतर एक समतल पर, आगे-पीछे खिसकते हुए और लंड  पर घुमाया।

उसकी पायल लय में टिमटिमा रही थी और धीरे-धीरे गति  बढ़ गई क्योंकि वह  अब जोश के  साथ  चुदाई कर रही थी।

मैंने भी आव देखा ना ताव, और लगा जूही  को ताबड़तोड़  चोदने ! मेरे हाथ उसके सतनो पर थे  कर स्तनों  को दबाने  कर उन्हें मसलने के  दौरान  उसकी स्तनों   सुशोभित  मुक्ताकलाप एक लड़ी की मोतियों की माला  टूट कर बिखर गयी . 

" रानी  साहिबा  आह! " मैं कराह उठा  और  अब अपने जुनून की पूरी ताकत से उसे चोदना शुरू कर दिया ।   मेरी  कमर से लिपटे जूही  के पैरों ने इतने झटके खाएं कि उसके  पैरों के दोनों पायल खुल कर गिर गयी . 

" अअअअअहहहहहह... मममम... राजकुमार  . तनिक धीरे... आअह्ह्ह... सम्भोग के लिए इतनी अधीरता  ये उचित नहीं... हाय... आआहहहहहहह...  मेरे पर कुछ तो तरस खाइये... आपका लिंग इतना विशाल और कठोर है की   ऐसा लगा है ये मुझे चीर  रहा है  मुझ पर   दया कीजिये... मेरी योनि को यूँ   क्षतविक्षत ना कीजिए  ... हाय !!! ".

चूत में लण्ड के लगातार घर्षण से जूही  का योनिद्वार और मार्ग  खुल कर अब पूर्णत: मेरे लंड की लिए संयोजित  हो  गया जीसे  लण्ड बिना किसी प्रयास के भीतर बाहर होने लगा.  हर बार लंड पूरे वेग से बच्चेदानी और  गर्भाशय को  ठोकर मार रहा था  जिससे जूही आनद में कराह  रही थी   अब मैंने धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ा दी, लंड को पूरा निकाल कर फिर धीरे से अंदर डालने का क्रम शुरू कर दिया। लंड पूरा निकाल कर धीरे धीरे से पूरा डालना भी एक कला होती है जो चूत के शहसवार अच्छी तरह से जानते हैं क्योंकि लंड को पूरा निकालने का मतलब है कि लंड की टिप कभी भी चूत के बाहर नहीं आनी चाहिए।

इस तरीके से पूरे लंड का घर्षण और गर्जन कायम रहता है और औरतों को लंड का पूरा मज़ा मिलता रहता है।और जल्द ही  उसका  चुतरस  बह गया .  कामरस के प्रवाहित होते ही जूही  सहवास के चरम आनंद में गोते लगाने लगी, उसकी हर दर्द, हर पीड़ा अब जाती रही. जूही  कि कमर कि सोने कि मोटी करधनी टूट गई, और करधनी के झालर और मोती टूट टूट कर पूरे बिस्तर पर बिखर गएँ.   

तो उसने बोला- अन्दर ही डालो ... मुझे तुमसे एक बच्चा चाहिए.

मैंने कहा- जो हुकम  रानी साहिबा !

मैं अब पूरा का पूरा लंड एक साथ अंदर डाल कर उसको जूही भाभी  की चूत में थोड़ा थोड़ा घुमाने लगा, यह स्टाइल जूही  को बहुत पसंद आया और वो जल्दी जल्दी अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी। और  मैं अपने लौड़े का घोड़ा सरपट दौड़ाने लगा। अनवरत चुदाई से आनंदविभोर हुई जूही अब अपने नितंब उछाल उछाल कर मेरा  लण्ड अपनी चूत में लीलने  लगी

इस रेस में भाभी एक बार फिर एकदम से अकड़ी और फिर चूतड़ हिलाती हुई झड़ गई और उनकी चूत से बहुत सा पानी नीचे गिरा।  खैर झटकों के एक लम्बे सिलसिले के बाद मैंने उससे बोला कि मैं झड़ने वाला हूँ.

तो उसने बोला- अन्दर ही स्खलन करना  याद रखो  ... मुझे तुमसे एक बच्चा चाहिए.

मैंने कहा- जो हुकम  रानी साहिबा !

  मैंने लंड से भाभी की चूत के अंदर उसके गर्भाशय के मुंह को तलाश लिया और जब मेरा लंड उनके ठीक गर्भाशय के मुंह पर था तो मैं ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा. अब जूही  भी भरपूर साथ दे रही थी.  जूही  ने   अपनी चूचियाँ ऊपर उठा ली, ताकि उनके स्तन देखकर  उत्तेजित हो  मुझे अपना वीर्य गिराने में सुविधा हो. जल्दी ही मेरा  के लण्ड का सुपाड़ा फूल कर लाल हो गया, अपने दूसरे हाथ से जूही  के कंधे को पकड़ कर सहारा लिया, ताकि चरमोत्कर्ष कि इस घड़ी में  गिर ना जायें, और उनके लण्ड ने ढेर सारा गाढ़ा लस्सेदार वीर्य उगल दिया. फिर एक दर्दनाक झटके के साथ मेरा लंड उसकी बच्चेदानी से जा टकराया  मैंने अपना वीर्य का बाँध खोल दिया और भाभी की चूत को अपने वीर्य से पूरा भर दिया।

जैसे ही गर्म वीर्य भाभी की चूत और गर्भाशय पर गिरा, भाभी एक बार फिर झड़ गई .
 
"पीछे लेट जाओ!  बहु वापस लेट जाओ!" राजमाता  की फिर आवाज आयी  लेकिन अब हम खुश थे    कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए आसपास थीं कि मुख्य लक्ष्य  प्राप्त करने में हम कोई भूल न कर दे   ।  गर्भ को  बीज चाहिए,  और अगर ऐसे में अगर  जूही  खड़ी होगी या बैठेगी तो  वीर्य का अधिकतम बहिर्वाह होगा और ये हम दोनों में से कोई नहीं चाहता था ।

जूही  पलंग पर लेटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उनके चूतड़ अपने हाथों में पकड़ रखे थे।

तकिये ! कुमार जल्दी से   भाभी के पेट के नीचे 2 मोटे तकिये रख  दो  ताकि उनके चूतड़ ऊपर रहें और वीर्य नीचे न बह जाए। राजमाता  की फिर आवाज आयी 

मैंने जल्दी से तकिये रखे और वहीं लंड आगे पीछे करता हुआ जैसे राजमाता ने  समझाया था वैसे ही  वीर्य योनि के अंदर  छोड़ने लगा. मैंने महसूस किया कि वो भी फारिग हो गयी थी.  जूही की चूत से   मेरा स्पर्म और उसका काम रस   रिस  रहा था. जूही ने  ने पूरी कोशिश कि की उनकी छोटी छोटी हथेलीयों में रिस्ता हुआ पूरा  वीर्य इकठ्ठा हो जाये, और पूरे प्रयास से  उन्होंने वीर्य की एक बूंद मात्र को भी  एकत्रित कर लिया . जब मैंने  लण्ड का सारा का सारा रस झटक झटक कर झाड़ दिया, तो जूही  ने ऊपर नज़रें उठाकर मुझे  देखा, मुस्कुराई, अपनी हथेलीयों में जमा वीर्य को अपने माथे चढ़ाया, फिर अपने होंठों से लगाया, और एक ही घूंट में पूरा वीर्य पी गई !!!

  राजमाता बोली  पुत्री  वीर्य को अपने अंदर समाहित  करो  और कुछ देर ऐसे ही लेटी रहो .  

लेकिन ... अभी तो बहुत मज़े लेने थे.

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 13

नयी रानी के साथ  पिक्चर अभी बाकी है 



जब नीचे से मेरे और जूही के रस का आपस में मिलाप हुआ तो ऊपर से भी हम दोनों के जवान पसीने से भीगे हुए शरीर भी एक दूसरे लिपट गये। और फिर जूही चूतड़ ऊपर उठा कर ही लेटी रही। मेरे लंड से चुदवा कर जूही का प्यासा बदन बहुत ही संतुष्ट हो चुका था। इसीलिए अपनी चूत का पानी छोड़ने के बाद जूही अभी तक अपनी बिखरी सांसो को संभालने में लगी हुई थी।

जूही के खूबसूरत चेहरे पर उसके खुले हुए बालों की लटे पड़ी हुई थी और उस के रस भरे होंठ और बड़े-बड़े स्तन मेरे थूक से चमक रहे थे । बिस्तर पर सजे हुए फूल अब फूल बुरी तरह से मसले जा चुके थे और कमर से पास करघनी टूट कर बिखरी पड़ी हुई थी और मितियो के कमर के आस पास फैले हुए थे और कुछ मूर्ति टूट कर उसकी नाभि में चले गए थे । पैरो के पास पायल टूट कर गिरी हुई थी। बालो का गजरा क्षत विक्षत हो चूका था परन्तु बालो में ही लटका हुआ था । हाथो के पास कुछ कांच की चुडियो के टुकड़े थे और कलाईयों पर निशाँ थे एक भुजा का बाजूबंद गायब था कंठ में पहना हुआ सुवर्ण का हार और मंगल सूत्र एक साइड में पड़े हुए थे मोतियों और मणियों से झडा हुआ गले का हार टूट कर पता नहीं कब बिखर गया था, कान के झुमके गिर गए थे नाक में बड़ी नथ उतर गयी थी और बालो के साथ लटकी हुई थी, माथे पर लाल सिंदूर फैला हुआ-हुआ था। ।

उसके सिर के बालों पर सजी हुई स्वर्ण रत्नावली खुल गयी थी सोने की लड़ी मांग के बीच से हट कर बायीं तरफ को लटकी हुई थी बालों के मध्य में कमलपुष्प की तरह चूड़ामणि भी अपना स्थान छोड़ चुकी थी और वेणी खुल गयी थी और शंक्वाकार सेलड़ी आभूषण नीचे गिरा हुआ था।

चुदाई की मस्ती के दौरान कौन-सा आभूषण कब खुला और कब गिरा अब कुछ ध्यान नहीं था ।



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जब कि जूही की योनि मेरे मोटे और बड़े लंड की जबर्जस्त चुदाई की वजह से सुर्ख हो कर पहले से ज़्यादा फूल गई थी।

योनि को देख मेरी आँखे बड़ी हो गईं, मानो बाहर ही निकल आने को हो और मेरे दोनों होंठों का साथ छूटते ही मेरा मुँह अपने आप ही खुल गया! जूही के शरीर पर जहाँ तहँ कुछ पुष्पों की पंखुडिया चिपकी हुई थी और कुछ मेरे बाद से भी चिपकी हुई थी ।

सामने लेटी हुई अब रानी जूही की चौड़ी खुली जाँघों के मध्य अवस्थित उनकी चूत के होंठ दिखाई पड़ रहें थें हुए उनके बीच उसका छेद जो की अब चूडा हो चुकता और वह मेरे वीर्य और रानी जूही के चूतरस से लबालब भरा हुआ था! नवविवाहिता जूही की चुद चुकी के अनमोल चूत के दर्शन करने का सौभाग्य मिल गया था!

सुहाग की सेज पर पड़ी फूलों की पत्तियाँ इधर उधर बिखरी पड़ी थी और जब कि बिस्तर की चादर चुदाई के पानी से जगह-जगह से भीग कर तर हो चुकी थी।

मैंने बिस्तर पर बिखरी हुए गुलाब के फूल उठा कर कुछ फूल और फूलो की पत्तिया जूही के शरीर और कुछ जूही की योनि के ऊपर बिखेर दी।

जूही अभी तक अपनी टाँगें खोले बिस्तर पर कमर के बल बे सुध पड़ी हुई थी। मेरे लंड ने जूही की फूल जैसे कोमल और टाइट योनि की वाकई में हालत खराब करके रख दी थी और वहाँ का नजारा देख कर स्पष्ट हो रहा था कि यहाँ सुहागरात में जबरदस्त चुदाई का खेल खेला गया है ।

अपनी इस गरम चुदाई से दोनों थक गए थे मगर इस के बावजूद मैं जानता था कि "पिक्चर अभी बाकी है।"

थोड़ी देर बाद अपनी सांसो को काबू करते हुए जूही ने अपनी गान्ड के नीचे रखा हुआ पिल्लो को निकाल कर अपनी गर्दन के नीचे रखा और जूही ने अब मेरी तरफ देखा।


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ज्यों ही दोनों की अपनी पहली चुदाई के बाद नज़रें मिलीं। तो मैंने बड़े प्यार भरे अंदाज़ में जूही को हल्की से आँख मारी और मेरे प्यार से इस अंदाज़ को देख कर जूही ने शरमाते हुए अपनी आँखे तुरंत बंद कर लीं।

जूही का सारा शृंगार बिगड़ गया था लेकिन अब उसका रूप अलग ही मोहकता लिए हुए था। जूही की आँखे बंद थी और मैंने उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव देखे । तो मैं आगे बढ़ा और उसे चूमने लगा।

मैं फुसफुसाया "अब तो हम दोनों एक जिस्म और एक जान हो चुके हैं, तो फिर ये शरमाना कैसा, आँखें खोल कर मेरी तरफ देखो मेरी जान।" जूही ने धीमे से आखे खोली और मेरी तरफ देखा और मुस्कुरायी और उसकी दृष्टि मेरे लंड पर पड़ी। लंड उस वक्त पूरी तरह से जूही की योनि के रस से भीगा हुआ था और स्खलन के बाद भी बिलकुल ढीला नहीं पड़ा था। बल्कि मेरा विशाल और मोटा लंड वीर्य स्खलन के निकालने के बावजूद पहले से ज़्यादा सख्ती के साथ अकड़ कर आकाश की तरफ देखते हुए तन कर इधर उधर उछल कूद कर रहा था। जूही मेरे लंड को लालची नजरो से देखने लगी क्योंकि उसे तुरंत ये ख्याल आया की उसे इस लंड का संयोग केवल नियोग के द्वारा गर्भधान के लिए प्राप्त हुआ है और इसलिए उसे इस अवसर का पूरा प्रयोग कर लेना चाहिए । मुझे जूही का इस तरह अपने लंड की तरफ लालची नज़र से देखना अच्छा लगा।

मैं धीरे-धीरे जूही के करीब हुआ और-और बड़े प्यार से जूही के बालों में हाथ डाल के उस का चेहरा अपने करीब किया और जूही के होंठो को बहुत ही कस के चूमा।

साथ ही मैंने अपना हाथ जूही की टाँगों के मध्य ले जा कर उसकी गरम योनि पर अपना हाथ कर चूत को ज़ोर से मसला।

"हाई! ऐसे ना दबाइये कुमार पीड़ा! हो रही है हाईई ईईई!" जूही की योनि में लंड से ताज़ा-ताज़ा चुदाई की बाद थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था। इसीलिए मेरे हाथ की सख्ती को महसूस कर के जूही चिल्ला उठी। और फिर बोली मेरी आदत मत बिगाड़ो कुमार, हमारा ये संगम केवल राज्य को उत्तराधिकारी देने के लिए था। अगर मुझे इसकी आदत लग गयी तो बहुत मुश्किल हो जायेगी ।

फिर मैं उसे चूमते हुए बोला । जूही भाभीआप इसकी चिंता न कीजिये, आप बेहद सुन्दर, गोरी और मस्त माल हो । आपको योनि ने मुझे अद्भुत आनंद प्रदान किया है और आपको मालूम नहीं है मेरी क्या हालत है ।

" आपके मोटे और बड़े लंड ने मेरी कुंवारी चूत की बुरी हालत कर दी है देखिये कैसे सूज गयी है । जूही ने जवाब दिया।

मैंने पुछा रानी साहिबा! क्या आपको आंनद नहीं आया?

जूही बोली कुमार पहले तो जब आपने शुरू किया तो मजा आया। फिर जब आपने प्रवेश किया तो लगा मुझे बीच से चीर दिया गया है और बहुत दर्द हुआ । फिर आनंद आया । आप बहुत बेदर्द हो आपने मुझे बाहर बेदर्दी से चौदा । मुझे आपके साथ बहुत आनद आया और इसे मैं कभी भी नहीं भूल सकती । मैं इसकी याद में शेष जीवन बिता सकती हूँ ।

मैंने जूही को थोड़ा-सा पुचकारा और बोला पहली बार थोड़ी तकलीफ तो होती ही है फिर तुम इतनी प्यारी हो और तुम्हारी योनि भी तो इतनी कसी हुई थी । आपकी गोल-गोल रस भरी चूचियों, भरे-भरे गालों के साथ नशीली आंखें, आपके होंठों की बनावट तो ऐसी है, अगर कोई एक बार इनका रस चूसना शुरू करे, तो रूकने का नाम ही न ले। लेकिन इस सब से बड़ा सत्य तो ये है रानी साहिबा मुझे इतना मजा आया की अब मैं आप से दूर रह ही नहीं पा रहा हूँl

चुत एकदम सूजी हुई थी मैंने प्यार से चुत को सहलाया फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी।

फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा। मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा मैंने उनकी चुत को ऊपर से हो चूमा उसके बाद मैं उसके स्तन दबाने लगा और उसका निप्पल मुझे कड़ा-सा महसूस हुआ तो मैंने अपनी उंगलियों से निप्पल को खींचा को जूही कराह उठी आआह मेरे राजा धीरे बहुत दुख रहे हैं। मैंने निप्पल को किस की और फिर उनके ओंठो को चूमा।

अब जो जूही ने ये कहा कुमार हम फिर से करेंगे ना । ये सुन कर मुझ से रुका नहीं गया और मैं उसे पागलो की तरह चूमने लगा । सेक्स में सबसे महत्त्वपूर्ण यही है कि आप इसे दुबारा करना चाहते है बार-बार करना चाहते हैं और ये इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है कि आपको सेक्स पसंद आया और आपने इसका आंनद लिया ।

मैंने फिर उनको अपने से हल्का-सा दूर किया, हाथों से उनका चेहरा ऊपर किया और होंठों पर एक लम्बी किस की। उनकी आँखें बंद थी, मैंने उनके होंठों को छोड़ कर चेहरा ऊपर किया तो जूही ने आँखें खोली और मुस्करायी।

मैं फिर मैं उनके ओंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उनकी जीभ को चूसा। मेरी जीभ जब उनकी जीभ से मिली तो उनका शरीर सिहरने लगा।

फिर मैंने अपने होंठ उनके ओंठों से अलग किये हम दोनों मुस्कराये और फिर बेकरारी से लिप किस करने लगे और चूमते-चूमते हमारे मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था।



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कम से कम 15 मिनट तक लिप किस करता रहा, वह मेरा लिप किस में भरपूर साथ दे रही थी।

हम लोग एक दूसरे को किस करने लगे थे। मैंने जूही की पीठ, कमर पर अपनी उंगलियाँ फेरनी शुरू कर दी थीं। मेरे हाथ उनके कन्धों पर थे और वह मुझको अपनी ओर खींच रही थी और उसी बीच मेरे हाथ भाभी के स्तनों पर पहुँच गये। मेरा हाथ उनके स्तनों को दबा रहा था। जूही की आँखें पूरी तरह से बंद थी। वह मेरे हर प्रयास को अनुभव कर रही थी और उसका पूरा मजा ले रही थी।

फिर मैंने धीरे से उन्हें अपनी बांहों में लिया और उनके ओंठों पर चूमना जारी रखा। अब जूही भाभी सिहरकर मुझसे लिपट गयी थी और उनकी चूचियाँ मेरे सीने से दब गयी थी।

मेरा एक हाथ उनकी होनी पर चला गया तो योनि ने काफी वीर्य अपने अंदर सोख लिया था और बाहर जो भी चिपका हुआ था वह रस और वीर्य भी अब सुख चूका था ।

उसका चेहरा शर्म और शर्मिंदगी के साथ चुकंदर की तरह लाल हो गया था। उसका हाथ मेरे लंड पर था और फिर हांफते हुए उसने महसूस किया कि लिंग बढ़ रहा है;। वह मुस्कुराई क्योंकि उसने पूर्णता महसूस की, वह मुस्कुरायी। उसे मालूम था की राजमाता, महाराज, मेरे पिताजी मेरी माताजी और अन्य रानिया उसे सहवास करते हुए देख रही थी लेकिन अब उसे दर्शकों को कोई परवाह नहीं थी। उसकी अपनी काम इच्छा की पूर्ती ही अब एकमात्र ऐसी चीज थी जो उसके लिए मायने रखती थी।

"कुमार मुझे फिर से चोदो! मेरे साथ पुनः सम्भोग करो । मुझे अपने आलिंगन में ले लो, हाँ! आप इसके और अधिक के लायक हैं। आपको किसी के प्रति अपनी वफादारी साबित करने की ज़रूरत नहीं है। बस मुझे प्यार करो लो, नाह!" वह चिल्लाई।

मै उनकी चुचियों को मसलने लगा और वह मादक आवाजें निकालने लगी, आह उह आह की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थी, फिर मैंने उनके मोमो को चूसना शुरू कर दिया उनके मोमो कड़क हो गए थे और चुच्चिया कह रही थी हमे जोर से चूसो ... मैंने चूचियों को दांतो से काटा तो भाभी कराह उठी आह यह आह भाभी कह रही थी धीरे कुमार धीरे प्यार से चूसो सब तुम्हारा और तुम्हारे आने वाले भतीजे का ही है उसके बूब्स अब लाल हो चुके थे फिर मैंने उनकी नाभि को चूमा अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी जूही मस्त हो गयी और मेरे सर अपने पेट पर दबाने लगी जूही का पेट एकदम सपाट था कमर पतली और नाजुक मैंने उनके एक-एक अंग को चाट डाला और उनकी चूत पर हाथ फेरने लगा उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था। उनकी चूत एक बार फिर गीली होने लगी मैंने पुछा अब चूत कैसी है उन्हों ने कहा तुम खुद देख लो तुम्हारे लिए तड़प रही है मैंने उनकी चुत को चूमा उनकी खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया ।

मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी, चुत सूजी हुई थी और ऊँगली भी बड़ी कठिनता से अंदर गयी तो वह ज़ोर से चिल्लाई आहह अब लंड डाल दो, अब और इंतज़ार नहीं होता, प्लीज जल्दी करो, प्लीज आहहह। फिर जब मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली की तो वह मेरे लंड को पकड़ कर ज़ोर से हाथ आगे पीछे करने लगी और ज़ोर से मौन करने लगी। उसकी चूत पूरी डबल रोटी की तरह फूली हुई थी। अब में उन्हें ऊँगली से लगातार चोद रहा था और वह ज़ोर से मौन कर रही थी।

फिर मैंने उनकी गांड के नीचे का तकिया ठीक किया और उसके दोनों पैरों को फैलाया और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब जब मेरे लंड का सुपड़ा ही उसकी चूत में गया था तो वह ज़ोर से चिल्लाने लगी कि ओह बहुत दर्द हो रहा है, में मर जाउंगी, अपना लंड बाहर निकाल लो, लेकिन मैंने उसे अनसुना करते हुए एक ज़ोर का धक्का लगाया तो वह और ज़ोर से चिल्लाई। फिर मैंने उसके लिप्स पर किस करते हुए उसके मुँह को बंद किया और अपने धक्के लगाता गया। अब वह झटपटा रही थी और अपने बदन को इधर से उधर करने लगी। में धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था और अब उसकी आँखों से आसूँ निकल रहे थे। एक जोर का झटका लगाया, एक ही झटके में पूरा लंड उनकी चूत के अंदर चला गया, उनकी आह निकल गयी।



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फिर में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया। फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया तो पहले तो वह चिल्लाई, लेकिन फिर कुछ देर के बाद मैंने पूछा कि मज़ा आ रहा है। फिर वह बोली कि हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है, ...हाईईईईई, म्‍म्म्मम और फिर वह जोर-जोर से चिल्लाने लगी। फिर कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वह पूरी मस्ती में थी और मस्ती में मौन कर रही थी अआह्ह्ह आाइईई और करो, बहुत मजा आ रहा है। अब वह इतनी मस्ती में थी कि पूरा का पूरा शब्द भी नहीं बोल पा रही थी। अब में अपनी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ाता जा रहा था हाअ, राआआआजा, आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहह हाँ, अब ऐसे ही वह मौन कर रही थी।

फिर कुछ देर के बाद वह नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर चिल्ला रही थी और बडबड़ा रही थी आहहहहहह और चोदो मेरी चूत को, और फिर कुछ देर के बाद वह बोली हाए मेरे राजा में झड़ने वाली हूँ और फिर मैंने उसकी गांड पकड़कर अपनी स्पीड बढ़ा दी, तो वह भी कुछ देर के बाद झड़ गई।

उसका मुँह मेरे मुँह में था और में उसको ज़ोर-ज़ोर से किस करता गया और धक्के लगाते गया। में उसे लगातार धक्के लगा रहा था और फिर में ऐसे ही 15-20 मिनट तक उसको उसी पोज़िशन में चोदता गया। फिर अब उसे भी मज़ा आने लग रहा था, अब वह भी अपने कूल्हे उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। अब मैंने उसे और ज़ोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया था। फिर थोड़ी देर के बाद वह फिर झड़ गयी और शांत पड़ गयी और निढाल हो कर लेट गयी मैं उनको प्यार से सहलाने लगा और किस करने लगा और बोला भाभी क्या आपको मजा आया दर्द तो नहीं हुआ।

जूही भाभी बोली बहुत मजा आया।

फिर मैंने उसको घोड़ी बना दिया। और अब मैंने उसकी चूत में पीछे से लंड को डालकर चोदना शुरू किया मुझे लगा पीछे से लंड ज्यादा अन्दर तक गया और पहले से ज्यादा मजा आया। जूही भाभी भी मस्ती में गांड आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगी उनका चिल्लाना बंद हो गया और फिर में उसे लगातार धक्के देकर चोदता रहा। बीच-बीच में पीछे से उनके स्तनों को पकड़ कर दबाता रहा जब मैं उनके स्तनों को दबाता था तो वह मुँह पीछे कर मुझे किस करने को कहती थी और मैं उनके लिप्स चूसने लगता करीब 25 मिनट तक लगातार उसको उस पोज़िशन में चोदा उनकी हालत बुरी थी वह एक बार फिर झड़ चुकी थी।


मैं उनको चूमता रहा और उनके बूब्स को सहलाता रहा फिर मैंने कहा इस बार भाभी आप ऊपर आ जाओ । फिर मैं चौकड़ी मार कर बैठ गया, वह उठी और मेरे सामने आ गयी और फिर आगे बढ़ी। मेरा सिर उसके योनि के स्तर पर था। उसने अब अपनी आँखें बंद कर लीं। उसकी टखनों ने मेरे घुटनों को छुआ क्योंकि मैं टाँगे मोड़ कर क्रॉस लेग्ड बैठा था और मेरे घुटने बाहर की ओर थे। वह मेरे माथे को पकड़ कर करते हुए मेरे ऊपर खड़ी हो गई।

वह अब कांप रही थी। उसे पता था कि उससे क्या उम्मीद की जा रही थी। उसने महसूस किया कि रात की ठंडी हवा उसके सबसे निजी अंगों को सहला रही है। उसका चेहरा लाल था। उसने धीरे से मेरे अपने हाथो को मेरे कंधों पर दबाया, मैं उसका बैठने के लिए इंतजार कर रहा था ।

उसने अपने घुटनों को नीचे झुका दिया और जहाँ तक मैं बैठा था उसके स्तर तक नीचे आ गई। मैं अभी भी अडिग बैठा हुआ था। उसने जल्दी से अपनी पलकों हो थोड़ा-सा खोल दिया यह देखने के लिए कि मैं क्या कर रहा हूँ लेकिन उसने पाया की मैं कुछ नहीं कर रहा था।



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रानी ने अपने पैरों को मोड़ा और अपने शरीर को नीचे किया। राजमाता अपने गुप्त अवलोकन स्थल से रानी के पैरों को नाटकीय रूप से फैला हुआ देख सकती थीं। मेरी आंखें बंद थीं। जूही को मालूम था कि अगर मैंने आँखें खोल दी होती, तो मैं उसकी योनी की स्पष्ट सामने देख पाता। "

उसने अपने शरीर को नीचे करना जारी रखा। उसने मुझे संतुलन बनाए रखने के लिए पकड़ रखा था। इस बीच मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर और दूसरा उसके कंधे पर चला गया था। मेरा हाथ जो निष्क्रिय रूप से कंधे पर था, उससे रानी को धीरे से नीचे को दबाया और फिर धीरे से स्तन की बढ़ा। "

"वह जोर से हांफने लगी क्योंकि उसका योनि क्षेत्र ने मेरे लिंग के सुपांडे की रूपरेखा को सहलाया और उसकी योनि के द्वार को खोल दिया। मेरा लिंग मेरे पैरों के बीच से उठकर एक ऊपर की ओर इशारा करते हुए खड़ा फुफकार रहा था। सहज रूप से, उसने अपने घुटनों को ऊपर उठाया और नितम्बो को नीचे जाने दिया जिससे उसके नितम्बो का तल मेरी गोद में उतर गया। उसे ऐसा लगा था कि वह तलवार पर गिर गई थी और तलवार ने उसके अस्तित्व को चीर दिया था।"

" तेज गति में, उसकी गांड पूरी तरह से मेरी गोद में फिट हो गई थी। उसकी योनि खुली हुई थी और उसका लिंग उसके गर्भ तक घुसा हुआ था। मेरी और उसकी जांघों के कारण कोई रुकावट नहीं आई, जबकि मैं अभी भी क्रॉस लेग्ड बैठा था। उसके पैर उठे और मेरी कमर को पार कर गए थे। उसके हाथ अब मेरे कंधों पर टिके हुए थे।


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उसे ऐसा लगा जैसे प्रवेश करने के बाद लिंग का आकार बढ़ गया हो। उसने लंड को सुपाड़ी को फूलते हुए महसूस किया, जो कंपन जो उसके अंदर समाया हुआ था। ऐसा लगता था कि मांस का वह खंभा उस म्यान से बात कर रहा था जिसने उसे घेर लिया था। वह कांप उठी, वह उत्तेजना से संभोग सुख की कगार पर कांप रही थी!

" जैसे ही उसके अंदर कंपन पैदा हुआ, उसने अपने कूल्हों को हिलाया। वह घुड़सवारी करना चाहती थी।

फिर में उनके नीचे और भाभी मेरे ऊपर थी। मेरे तनकर खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अंदर घुसा रही थी। में उसकी चूत की चमड़ी को अपने लंड की चमड़ी पर रगड़ते हुए देख रहा था और मुझे उस समय बहुत मज़ा आ रहा था। वह मेरे लंड पर धीरे से उठती और फिर नीचे बैठ जाती जिसकी वजह से लंड अंदर बाहर हो रहा था और वह खुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थी और बहुत मज़े कर रही थी। भाभी बहुत मादक लग रही थे उनके रेशमी सुनहरी बाल चारो तरफ फ़ैल गए थे जूही उन्हें पीछे करते हुए मेरी छाती पर अपने हाथ रख देती थी।

" वह शक्तिशाली कंधों को पकड़ कर एक जोर की प्रतीक्षा कर रही थी जिसे वह लगातार ऊपर और नीचे ले जाकर मुझे प्रेरित करती थी। मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर उनका साथ दिया... जब मेरा लंड उनकी चूत के अंदर पूरा समां जाता था तो दोनों की आह निकलती थी ।

उसके गीले होंठ एक चुंबन के लिए अलग हो गए थे और उसने अपने होंठो को मेरे होंठों पर लगाया और हमारी जीभ आपस में गुथम गुथा हो गयी। उसके बाद जूही मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए. उसके स्तन मेरी छाती को दबा रहे थे। उसका योनि की दीवारें, इस प्रकार खुली हुई, मेरे बड़े लिंग से अलग फैल गईं।

।फिर मेरे हाथ उनके बूब्स को मसलने लगे फिर मैं उनकी चूचियों को खींचने लगता था तो जूही सिहर जाती थी और सिसकने लगती थी ... मैं जूही को बेकरारी से चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी फिर मैंने जूही भाभी की जम कर चुदाई की। फिर थोड़ी देर के बाद वह फिर झड़ गयी और उसने लिंग को अपना पानी पिलाया,। उसने एक अप्रत्याशित लेकिन अपरिहार्य यौन उत्कर्ष महसूस किया।

उसने अपने पैरों को मेरी पीठ के चारों ओर बंद कर दिया। उसकी बाहें मेरे कंधो के चारों ओर चली गईं और उसके हाथ मेरी गर्दन के चारों ओर लपेटे गए। उसने मेरे लिंग पर नियंत्रण के लिए अपने गहराई को छोड़कर खुद को ऊपर उठाया। वह जानती थी कि कैसे चुदाई करवानी है वह योनि और लिंग के बीच बातचीत नहीं बल्कि द्वंद्व चाहती थी। वह चोदना चाहती थी। वह चाहती थी की मैं एक बार फिर स्खलित होकर अपने वीर्य से उसकी योनि भर दू।

जूही ने आनद की तालाश में अपनी योनि को लंड पर घुमाया और आनंद की तलाश की ।

वह बहुत खुश हो गयी जब मेरे हाथों ने उसके नितम्बो को पकड़ लिया, और मेरी उंगलियों ने उसकी गांड के मांस को सहलाया। उसने विजय को अपनी पहुँच के भीतर महसूस कीया। लेकिन उसकी खुशी अल्पकालीन थी क्योंकि मैंने उसे मजबूती से पकड़ रखा था, जिससे वह हिलने-डुलने में असमर्थ हो गई। ' महसूस करो। अनुभव करो और देखो, "मैंने उसे आज्ञा दी, अब मैंने अपनी का उपयोग किया और जो उसे अनुभव हुई और साथ में दिखाई दे रही थी, मेरी शक्ति स्पष्ट थी और वह अवज्ञा करने में असमर्थ महसूस कर रही थी।"

वह खुश थी कि लिंग बड़ा हो रहा है। उसके अंदर दबाव बढ़ रहा था। वह इसलिए भी खुश थी कि यह उसमे प्रवेश करने के बाद ही बढ़ रहा था। उसे मेरा लिंग जितना बड़ा लग रहा था उसे अंदर लेने का विचार डरावना था। वह मेरे साथ चिपकी हुई यह सुनिश्चित कर रही थी कि अगर वह हिल नहीं सकती, तो कम से कम वह मेरे साथ चिपक तो सकती है।

एक बार फिर लिंग ने अपने मांस की परिपूर्णता में स्पंदन और-और कंपन करना शुरू कर दिया। लुंड अपने शीर्ष पर एक गुब्बारे की तरह फूला हुआ था, ऐसा लगा जैसे लंड के हर बिंदु पर हर कोशिका योनि की दीवार पर हर कोशिका को सहला रही हो। मैंने रोजी के साथ अपने पहले सम्भोग के दौरान मानसिक सम्भोग का अनुभव किया था । किन्तु ये उससे भी आगे का अनुभव था और ये उसी अंगूठी की शक्तियों का कमाल था ।

जूही बोली कि वह मेरे लिंग को अपने गर्भ में महसूस कर सकती थी। ऐसा लगता था जैसे लाखों हाथ उसकी योनि की दीवारों पर एक लाख ड्रम की ताल से धड़क रहे थे। ड्रम की सतह, खाल फैली हुई, कंपन कर रही थी और हाथों से गूंज रही थी कि उन पर पिटाई कर रहे थे। योनि की धड़कती सुरंग की मामंसपेशिया दृढ़ता से लिंग को पकड़ रही थी। वह मुस्कुराई क्योंकि उसने महसूस किया कि उसकी योनि लिंग के साथ संकुचन करते हुए कंपन कर रही है।

अब लिंग और योनि एक हो एक गति से स्पंदन कर रहे थे ।

"मैं," उसने हांफते हुए कहा, "मैं कगार पर हूँ। ओह! आह! कुमार! मैं नहीं चाहती कि यह खत्म हो! नहीं! नहीं! नहीं! नहीं!" उसने भीख मांगी। दोनों एक-दूसरे से लिपट कर ऊपर नीचे हुए जिसमे प्रत्येक ढ़ाके के साथ दोनों 'नहीं' बोले। प्रत्येक 'नहीं' एक आक्षेप था।

अब यह अपरिहार्य था। रानी जूही ने अपने प्रेमी को सांत्वना दी। उसने मेरे बालों में अपनी उँगलियाँ दौड़ाईं और कहा, "श! श! इट्स ओके," उसने अपनी एड़ियों को एक साथ पकड़े हुए मुझे शांत किया। मैंने उसके स्तनों के बीच हाथ फेर दिया और उसकी छाती को पकड़ लिया।



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"पीछे लेट जाओ! वापस लेट जाओ!" राजमाता से आग्रह किया। "कुमार उसे भर दो," सास ने प्रसन्नता व्यक्त की।

मैंनेउसके स्तनों को उसकी निर्दयता से पकड़ लिया और उसके शरीर को सहारा देकर लिटा दिया।

"लो सम्भालो!" मैं चिल्लाया, "मैं आ गया! मेरे प्रिय! मेरी जूही! मेरी रानी! याआआआह!"

"हाँ, हाँ, हाँ, मुझे भर दो, मुझे अपना प्यार दो" जूही ने कहा, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। उसके हाथ मेरी पीठ सहलाते हुए मेरे बालों में दौड़े।

मैंने एक बार फिर पूरी ताकत लगा कर नितम्ब उठा कर लैंड को बाहर खींचने की कोशिश की और एक धका और लगाया लुंड फिर पूरा अंदर समां गया और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गये।

तभी भाई महाराज ने राजमाता को सम्बोधन करते हुए बधाई दी और फिर भाई महाराज के पीछे-पीछे पिताजी माँ, महारानी और अन्य रानियों ने राजमाता और भाई महाराज को बधाई दी की गर्भधान का प्रथम प्रयास संपन्न हो गया है और फिर राजमाता ने बोलै इस बधाई की सबसे पहली पात्र तो रानी जूही और कुमार हैं ।

अब ये सुन कर एक बार फिर जूही ने शर्मा कर खुद को मेरे बदन में छुपा लिया । कुछ देर बाद मैं जूही से अलग हुआ और मैंने जूही की तरफ देखा तो सम्भोग से मिले आनंद और योनि की प्यास बुझाने की वजह से जूही का चेहरा एक अलग ही मस्ती के कारण से चमक रहा था और फिर मैं उसके साथ चिपक कर लेट गया और दोनों चुंबन करने लगे और फिर पता नहीं दोनों कब सो गए ।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 14

भोर में आँख खुली




भोर में सुबह पांच बजे मेरी आँख खुली तो जूही भाभी मुझसे से चिपट कर सो रही थीं। वे मेरे सीने से लिपटी हुई सोते हुए बड़ी प्यारी और मासूम लग रही थीं, उनको देखते ही मेरा संयम टूट गया। सोते देख मुझे उन पर प्यार आ गया और धीरे से मैंने उनको चूम लीया। मेरे स्पर्श से वह जग गईं और बड़े प्यार से बोलीं-मेरी आँख लग गयी थी।

मैं उनके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगीं। मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगीं। मैंने भी उनकी जीभ को चूसा। मेरी जीभ जब उनकी जीभ से मिली, तो उनका शरीर सिहरने लगा और वे रिसने लगीं क्योंकि मेरे हाथों को उनकी चुत गीली-गीली लगने लगी थी। मैंने उनकी चुत को ऊपर से हो चूमा और उसके बाद मैं अपने हाथों से उनके मस्त मोमे दबाने लगा। एक पल बाद ही मुझे उनका निप्पल कड़ा होता-सा महसूस हुआ।

अपनी उंगलियों से मैंने निप्पल को खींचा तो जूही भाभी कराह उठीं-आआह मेरे राजा धीरे ... बहुत दुख रहे हैं।


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मैंने निप्पल को किस किया और फिर उनके होंठों को चूमा। मैंने पूछा-भाभी आपकी तबीयत कैसी है?

"जी खुद देख लो और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चुत पर रख दिया। वह नग्न ही थी उनकी चुत एकदम सूजी हुई थी। मैंने प्यार से चुत को ऊपर से ही को सहलाया ..."

उसके नग्न पेट के निचले हिस्से पर अपना हाथ चलाते हुए अपने हाथ योनि पर ले गया मेरे हाथों को उनकी चुत गीली-गीली लगने लगी थी मैंने कांपते हुए मांस को अलग कर दिया; फिर, मैंने धीरे से उसके निचले होंठों को विभाजित किया और एक तेजतर्रार तर्जनी के भीतर डाला।

मेरे स्पर्श पर रानी जूही कराह उठी, लेकिन मुझे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। जैसे ही मेरी चुभती हुई उंगली उसके फांक में ऊपर की ओर उठी, अंतत: जब ऊँगली ने उसकी योनि के फटे हुए हिस्से की छुआ, उसने दर्द भरी एक छोटी-सी चीख दी और खुद को दूर खींचने का प्रयास किया। मैंने उसकी दर्द और विस्मय भरी प्रतिक्रिया देखते हुए अपनी उंगली वापस निकाल ली और उसके स्तनों और पेट के साथ खिलवाड़ किया, अपनी उंगलियों के बीच स्तनों के नरम सफेद मांस को सहलाने के बाद और उसके प्रहरी जैसे निपल्स को तब तक सहलाया जब तक कि कठोर नहीं हो गए।

तो रानी जूही बोली मेरे राजा, पहले मुझे चोदो ... फिर जैसा चाहे वैसा कर लेना ... लेकिन धीरे से चोदना ... ताकि दर्द न हो।



[Image: SR12.jpg]
मेरे ढीले लण्ड में आहिस्ते-आहिस्ते आ रहा तनाव जूही की आँखों से छुप ना पाया। देखते ही देखते उनकी आँखों के सामने मेरा लण्ड अपने आप ही ठनक कर खड़ा हो गया। लण्ड के अर्ध उत्तेजित हो गया और लंडमुंड कि चमड़ी खुद ब खुद मुड़ कर पीछे खिसक गई और बड़ा-सा गुलाबी सुपाड़ा एकदम से बाहर निकल आया। मेरे लण्ड के मोटे सुपाड़े को यूँ एकदम नज़दीक से देखकर जूही के गाल शर्म से सुर्ख लाल हो गएँ और शर्मा कर उसने अपनी पलकें एक क्षण के लिए नीचे झुका ली, फिर मुस्कुराते हुए नज़रें वापस से उठाई!

मेरे स्पर्शों और दुलार ने मुझ पर उत्तेजक प्रभाव किया; मेरे अंदर के जोशीले आदमी ने अब महसूस किया कि मेरी भावनाएँ तेजी से उत्तेजित हो कर उभरती हुई अवस्था में उठ रही है। मेरा औजार पूरी तरह से सूज गया और नीली नसें गुलाबी सफेद सतह पर मजबूती से उभर गयी थीं, मैं अत्यधिक उत्तेजित ही गया और मेरा लंड पूरा कठोर हो गया। रानी जूही को अपने पास खींचते हुए मैंने अपने बोल्ड हाथों को सुंदर रानी की फिगर के ऊपर बेतरतीब ढंग से फिरा दिया।

"नीचे, रानी और नीचे उस वस्तु को महसूस करो जो इस आनद का कारण है," मैंने उससे कहा। मेरी नब्ज आपकी प्रेम की गुफा में धड़क रही है। "इसे मेरे लिए निचोड़ो और इसे वैसे ही उछलो जैसे तुमने कल किया था। अब आओ, सुंदरी।"

अपने प्रेमी की इच्छाओं के अनुपालन में, उसका हाथ मेरे लंड पर पहुँच गया और उसने मेरे खड़े हुए अंग की विशाल चौड़ाई को हाथ में पकड़ने की कोशिश की और मेरे अंडकोषों को निचोड़ा और मालिश की जिससे मुझे कामुक संवेदनाओं का अनुभव हुआ।

"अद्भुत, शानदार" मैंने फुसफुसाते हुए अपने चेहरे को उसके निप्पलो और-कठोर स्तन में दबा दिया और अपने होठों के भीतर स्तन के एक कट्टर प्रहरी को घेर लिया। "

जूही ने अपनी नंगी टांगें फैला दी, अपना हाथ नीचे डाल कर मेरा लंड पकड़ा सुपडे पर हाथ फिर्या और दबाया और फिर लण्ड का सुपाड़ा अपनी उंगलीयों से टटोल कर पकड़ लिया और अपनी चूत के छेद पर टिका लिया।



[Image: DOLL12.jpg]
नरम छेद का सुपाड़े पर स्पर्श पाते ही मैंने तनिक देर भी और प्रतीक्षा किये बिना ही एक तेज धक्का लगाया और सूजा हुआ लंड मुंड तेजी से रानी जूही की जांघो के बीच उसकी योनि में गायब हो गया और फिर मेरी गेंदे और नंगी जाँघे उसकी नंगी जाँघों से ऐंठने वाले झटके में टकरा रहे थी।

मैंने धक्का मारा तो वह ज़ोर से चिल्लाई। फिर मैंने उसके लिप्स पर किस करते हुए उसके मुँह को बंद किया और अपने धक्के लगाता गया।

वह मुझे और अधिक देना चाहती थी, अधिक प्राप्त करना चाहती थी, अधिक लेना चाहती थी और वास्तव मेंखुद को मेरे प्रति समर्पण करना चाहती थी। मैं उसे बिना रुके चोदता रहा अनवरत चुदाई से आनंदविभोर हुई जूही अब अपने नितंब उछाल-उछाल कर मेरा लण्ड अपनी चूत में लेने लगी। मेरा अंडकोष फिर से वीर्य के गरम बुलबुलों से भर गया। चरमोत्कर्ष के अंतिम क्षणो में मैंने जूही को पूरी गति बढ़ा कर तेजी और पूरी शक्ति से चोदा और फिर जल्द ही जब पहला शॉट लंड से निकला और जूही जोर से चिल्ला पड़ी, "माँ! कुमार ने मुझे भर दिया है।"

मैं अब राजमाता के निर्देशों को लगभग भूल गया था। पहले शॉट के बाद, जिसके दौरान मेरा लिंग उसमें गहराई से समा गया था, मैं उस पर गिर पड़ा। ये जूही और मेरी पहली चुदाई की सुबह थी और फिर जूही की सुंदरता और योनि का कसाव पूरी तरह से अभिभूत कर देने वाला था। मैं उस पर लेट गया, उसके स्तन हमारे बीच दब गए और मेरा शरीर कांपने और ऐंठने लगा। मेरे वीर्य कई शॉट्स में निकला, कुछ कठोर, कुछ कमजोर, कुछ लम्बे और बहते हुए, अन्य मामूली ड्रिब्ल्स थे।

जूही ने मुझे सहलाया। वह मुस्कुराई और उसने महसूस किया कि मेरा प्रचुर वीर्य एक बार फिर उसके अंदर फैल गया है। काम तो हो गया, लेकिन उसे लगा अभी बहुत कुछ पूरा करना बाकी था।

उसने कुतरते हुए मेरे कान को चूमा। वह मेरे कान में फुसफुसाते हुए 'आयी लव यू' बोली और अपने कूल्हों और टांगो और बाजुओं को हिला कर मेरे शरीर को अपने आप में समेट लिया और दोनों चिपक कर लेट गए और मेरा लिंग उसकी योनि के अंदर ही था।

फिर कुछ देर बाद जैसे झटका लगा, हम दोनों के कंधे पर थपथपाया गया; मैंने आँखे खोल कर देखा तो सामने राजमाता थी। यह हमारे लिए अलग होने का संकेत था। हम दोनों और कस कर चिपक गए तो राजमाता ने पुनः थपथपाया और बोली कुमार उठो!



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और देखो तो... इतनी निर्दयता से कोई किसी स्त्री को भोगता है क्या? "। राजमाता ने जूही कि कमर के नीचे नज़र दौड़ाते हुये कहा तो जूही को अपनी नग्नता का एहसास हुआ और लज्जावश अपनी टांगों को एक दूसरे से चिपका कर अपनी फटी हुई चूत को उनके मध्य दबा लिया। राजमाता आगे बोली।" ये पुरुष भी ना। परस्त्री के साथ संसर्ग कि ऐसी भी क्या अधीरता कि इतनी सुंदर योनि को क्षतविक्षत ही कर डाला? " 

जूही ने एक हाथ से किसी प्रकार अपनी नंगी चूचियों को ढंका तो दूसरे हाथ से अपनी खुली हुई चूत को ढकने का प्रयास करने लगी। "मैं आऊँगी," रानी जूही मेरे कान में फुसफुसायी। और मुझे चूमने लगी ।  मैंने खुद को रानी से अलग किया जो अब कुंवारी नहीं है। हम दोनों नग्न थे, मेरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था, रानी का शरीर भी मेरे पसीने से भीगा हुआ था। या यह उसका था? शायद दोनों का था।

जैसे ही उसने खुद को ऊपर उठाया, राजमाता ने  अपने हाथ से मेरे लिंग को पकड़ लिया जी उसकी योनि के अंदर ही था और उसे देखकर मुस्कुरायी। मेरा हथियार ने कोई कठोरता नहीं खोई थी, वास्तव में यह फिर से कठोर हो गया था।

"हे भगवान!" रानी जूही फुसफुसाई मेरे स्तम्भन को राजमाता ने सहलाया। "उम्मम्म!" स्पर्श से रोमांच महसूस करते हुए रानी जूही कराह उठी।

तभी महाराजा और राजमाता के पीछे से दौड़ती हुई रानी जूही की प्रमुख अनुचर और सखी नैना ने कक्ष में प्रवेश किया। उसके के हाथों में एक ओढने के लिए उपयोग कि जाने वाली बड़ी-सी चादर थी। दौड़ कर बिस्तर तक पहुँची और अपने हाथों में लिए चादर को नंगी जूही के ऊपर और-और एक धोती को मेरे ऊपर फेंक दिया। जूही और मैंने तुरंत उस चादर अपने शरीर पर खींच कर समेट लिया और खुद को पूरी तरह से ढंकते हुए अपना सिर नीचे झुका लिया।



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राजमाता ने अपनी बहू के नाजुक स्तनों को ढंग से ढँक दिया और महाराज ने मुझे धोती पकड़ा दी।

मैं इशारा समझ गया और उठ खड़ा हुआ।

रानी जूही ने बेशर्मी से अपना हाथ मेरी टांगो के बीच में नीचे खिसका दिया और तर्जनी और मध्यमा उंगली से मेरे कड़े औजार की मोटाई को मापा।

"वास्तव में," जूही फुसफुसायी। "देखो माँ! वह हमेशा की तरह सख्त और मोटा है," उसने कहा, उसकी आवाज प्रशंसा से भरी हुई थी।

"कुमार अब आप जाओ!" राजमाता ने तेजी से आदेश दिया इस बीच उनकी निगाहें अपनी बहू की योनी से फिसलते हुए सह-लेपित लिंग पर टिकी हुई थीं। "भाग्यशाली कुतिया," उसने अपने बेटे की पत्नी के बारे में सोचा। जब मैंने "जी राजमाता!" बोल कर आदेश का जवाब दिया, तब तक दोनों महिलाओं ने अपने विवेक को त्याग दिया था और उनकी निगाहें मेरे कठोर लंड पर टिकी रहीं, क्योंकि उस समय मैं कमरे में इधर-उधर घूम का अपने वस्त्र एकत्रित कर रहा था।

रानी जूही ने अपनी उँगलियों को ढीला कर दिया और लंड धीरे से उनके हाथ से फिसल गया। राजमाता ने उस रात में मेरी 'उपलब्धता' के बारे में सोचते हुए मेरे लंड को एकटक देखती रही। जैसे ही उन्होंने अचंभित देखा मैंने लंड को धोती में ढक लिया और झटपट कमर में धोती लपेटकर रीति के अनुसार, पीछे हटाता हुआ कक्ष से बाहर चला गया और इस बीच कभी भी उनकी ओर पीठ नहीं की।

सास-बहू ने अंतिम क्षण तक मेरी टांगों के बीच मेरे अकड़े हुए लिंग का धोती बाँधे जाने के दृश्य का पूरा आनंद लिया।


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अगर संसेचन सफल रहा तो ये अब रानी माँ का काम था कि वह राज्य के वारिस के वाहक की संरक्षक हो और देखभाल को व्यवस्था करे। उन दोनों के द्वारा देखे गए पौरुष और ऊर्जावान प्रदर्शन के अनुसार यह प्रयोग सफल रहा था और उन्हें महाराज ने बधाई दी।

महाराज ने उसके बाद डॉक्टर को और रोजी को बुलवाया और जूही की जांच करने की आज्ञा दी ।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 15

रानी गर्भवती हुई है या नहीं?



महाराज ने डॉक्टर और रोजी को बुलवाया ताकि वह जांच करे की रानी गर्भवती हुई है या नहीं?

सबसे पहले रोजी राजमाता के कक्ष में उपस्थित हुई और फिर पूरी बात सुनकर रानी जूही की जांच की और बताया की सहवास के दौरान कौमार्य की झिल्ली क्षत विक्षत हो गयी है और योनि मार्ग खुल गया है, लिंग के प्रहारों से गर्भशय के द्वार पर और योनि में वीर्य के बहुत सारे अंश मौजूद है । लेकिन अभी ये पुष्टि नहीं की जा सकती की रानी जूही गर्भवती हो गयी हैं व नहीं । ये बात चीत अभी हो ही रही थी की लेडी डॉक्टर भी आ गयी?

डॉक्टर साहिबा ने भी जूही रानी की जांच की और फिर यही सब दोहराया की अभी इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती की रानी गर्भवती हो गयी है ।

तो राजमाता ने पुछा की इसकी पुष्टि कब होगी तो डॉक्टर बोली इसके लिए थोड़ा इन्तजार करना होगा और कुछ टेस्ट और करवाने होंगे

अधिकांश गर्भावस्था परीक्षण आपके मासिक धर्म के समय पर न होने पर पहले दिन ही किए जा सकते हैं। यदि ये सुनिश्चित नहीं हैं कि रानी साहिबा का मासिक धर्म कब हो रही है-या यदि उनकी अवधि अनियमित है-तो असुरक्षित यौन सम्बंध स्थापित होने के कम से कम 10 दिन बाद परीक्षण कर कुछ निश्चित तौर पर कहा जा सकता हैं।


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कुछ अतिरिक्त संवेदनशील गर्भावस्था परीक्षण हैं जो रानी साहिबा के पीरियड्स ना होने से पहले किए जा सकते हैं। इनमें से कुछ गर्भधारण के आठ दिन बाद ही पूरे किए जा सकते हैं। जिसके लिए योनि क्षेत्र और खून के टेस्ट करने होंगे और फिर उन्होंने रोजी की कुछ नमूने एकत्रित कर टेस्ट करवाने का निर्देश दिया

फिर डॉक्टर बोली राजमाता लेकिन यह एक अल्पज्ञात तथ्य है कि सेक्स करने के तुरंत बाद गर्भाधान हो जाए ये जरूरी नहीं है।

वास्तव में, शुक्राणु को एक अंडे को निषेचित करने में पांच दिन तक का समय लग सकता है। उसके बाद भी, अंडे को गर्भाशय तक जाने में कई दिन लगते हैं, जहाँ वह खुद को गर्भाशय में स्थापित कर लेता है। इस कारण अधिकतर मामलो में सेक्स से लेकर प्रेग्नेंसी तक में दो से तीन हफ्ते का समय लग सकता है।

फिर गंभीरता के साथ बोली राजमाता अभी आप अति उत्सुक हैं । महराज का विवाह कुछ दिन पहले ही संपन्न हुआ है । अभी इन्हे थोड़ा समय और अवसर दीजिये ताकि रानी साहिबा आपको खुश खबरि सुना सके । राजमाता वैसे तो मैंने नमूने लेने का निर्देश दे दिया है और कौन से टेस्ट करवाने हैं ये भी लिख दिया है । परन्तु अभी राजमाता आपको थोड़ा इन्तजार और करना होगा, तथा इस बीच महाराज और महारानी को प्रयास जारी रखना होगा क्योंकि महारानी अभी अपने उर्वर काल में हैं । (लेडी डॉक्टर को नहीं मालूम था कि महाराज संतानोत्पाती करने में अक्षम हैं।) 

जब डॉक्टर ने ये बात कही तो रानी जूही ने भी यही बात सुन ली थी और फिर डॉक्टर चली गयी। राजमाता और महाराज चुप चाप गंभीर मुद्रा में बैठे हुए सोच रहे थे की अब आगे क्या किया जाये तो जूही रानी उनके पास आयी और बोली राजमाता आप मुझे आज्ञा दे ।

राजमाता अब सोच में थी फिर भी उनहोने जुही को बुला कर अपने पास बिठाया सर पर हाथ फेरा माथा चूमा और बोली पुत्री तुम प्रस्थान करो । स्नान इत्यादि नित्य कर्म कर के शृंगार कर लो।

तो जूही रानी बोली महाराज आप और रानी माँ मुझे आज्ञा दे और अपने कक्ष में चली गयी ।

राजमाता ने फिर महाराज को बोला आप, जूही और कुमार दो दिन के लिए गुरु देव से आशीर्वाद लेने के लिए उनके आश्रम चले जाओ ।

मैं अपने कमरे में आ गया और स्नान किया थोड़ा बहुत नाश्ता किया और फिर विश्राम करने चला गया ।

मैं अद्भुत असौंदर्य की मलिका रानी जूही के सुंदर स्तनों, उसकी चूसने योग्य योनी, कोमल अंगो वक्रों के बारे में सोचकर अपने बिस्तर पर उछल पड़ा। रानी के बारे में सोच कर मेरा लिंग बिलकुल कठोर था और अब मैं हस्तमैथुन नहीं करना चाहता था। उसका क्या मतलब था जब उसने कहा कि वह मेरे पास आएगी? क्या वह आज रात? अगर हाँ, तो मैं हस्तमैथुन करके मौका गंवाना नहीं चाहता था। यह सब सोचते-सोचते मैं सो गया।

फिर जूही रानी ने एक लबादा ओढ़ा और चुपके से गुप्त मार्ग से मेरे कक्ष में आ गयी उसने लबादा उतारा और मेरे साथ लिपट गयी,

अपनी संपत्ति को महामहिम के छोटे हाथ में बंदी बनने पर मैं जाग गया। वह मेरे कान में फुसफुसायी। "अगर हम इस पर ध्यान देने जा रहे हैं," जूही ने विशाल लंड को प्यार करते हुए कहा, "यह मेरे कक्ष में होना चाहिए। मैं नहीं चाहती कि राजमाता मुझे गायब पाकर चिंतित हो और शोर मचा दे।"

विरोध करने में असमर्थ और विरोध करने के लिए अनिच्छुक मैंने उठने के लिए उनका हाथ दूर हटाने का प्रयास किया लेकिन रानी जूही ने मेरी धोती को एक तरफ खींच लिया और मेरे लंड को अपने मुंह से ढक लिया।

"रानी साहिबा! मैंने विरोध किया," यह क्या है? आप यह कैसे कर सकती हैं? "

"जूही," उसने उत्तर दिया, "रानी नहीं। जूही कहिये आप को जो चाहिए वह आपको केवल और केवल जूही ही प्रदान कर सकती है।"

उसका मुँह वापस काम करने के लिए लंड को फिर अंदर ले गया। उसने लंड को लार से ढँक दिया और मेरे लंड को अपने होठों से चोद दिया। मैंने रानी जूही को बेलगाम वासना में देखा क्योंकि रानी के बाल गिर गए थे और मैंने उसके फूले हुए गालों को अपने लंड में चूसते हुए देखा।

उसने धीरे-धीरे खुद को ऊपर खींच लिया और मेरे स्खलन पूर्व दर्व्य (प्रिकम) की लंबी धारियाँ उसके होठों से मेरे लंड तक थी। उसने जोर-जोर से सुपड सुपद की आवाजें निकालीं और मेरा लंड अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया। फिर वह चल पड़ी और मुझे अपने पीछे-पीछे चलने के लिए मजबूर कर दिया थी।

रानी इस समय एक कामुक वैश्या की तरह व्यवहार कर रही थी।

लेकिन तभी रोजी मेरे कक्ष में आ गयी और उसने रानी जूही के मेरे साथ नग्न हालत में देखा रोजी के सामने थोड़ा जूही रानी थोड़ा झिझक रही है, रोजी ने उसकी झिझक दूर करने के लिए मेरे होटों पर एक चुम्मी कर दी, फिर उसने मेरी शर्ट उतार दी और मेरी धोती खोलने लगी और फिर उसने धोती को भी उतार कर एक साइड में रख दिया और अंडरवियर को भी उतार दिया।


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मेरे खड़े लंड को जूही हैरानी से देख रही थी।

फिर रोजी ने मेरे लंड के साथ खेलना शुरू कर दिया और मैं भी उसके स्तनों को ब्लाउज के बाहर से चूमने लगा।

रोजी मेरे लंड के साथ खेल रही थी और वह मुझको धीरे से जूही के पास ले गई और जूही का हाथ उसने मेरे लिंग पर रख दिया।

जूही पहले तो शरमाई और फिर उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया और उसकी सख्ती से काफी खुश लगी।

तभी रोजी ने जूही का ब्लाउज उतारना शुरू कर दिया और उसकी ब्रा के हुक खोल दिए।

जूही के उन्नत उरोज उछाल कर मेरे हाथ में आ गए और मैं उन सफ़ेद-सफ़ेद स्तनों को चूसने लगा।

रोजी जूही की साड़ी उतारने में लगी हुई थी और फिर उसने उसका पेटीकोट भी उतार दिया। उसकी चूत सफाचट थी।

मेरा एक हाथ अब जूही के चूतड़ों को हल्के-हल्के मसल रहा था और उन रेशमी गोल-गोल गुब्बारों को बड़े ही प्रेम से सहला रहा था।

जूही भी अपनी शर्म के ऊपर उठ चुकी थी और मेरे सख्त लंड के साथ खेल रही थी।

मैंने भी अब उसके रस भरे होटों पर अपने होटों को रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा और अपनी जीभ को भी उसके मुंह में डाल कर गोल-गोल घुमाने लगा।

रोजी ने भी अपनी साड़ी उतार दी और पूरी नंगी होकर हमको मदद कर रही थी।

मैंने अब जूही की चूत में हाथ डाला तो वह बेहद गीली हो चुकी थी।

रोजी जूही को धीरे से बेड पर ले गई और मुझको भी इशारा किया और मैं भी झट वहाँ पहुँच गया और उसकी संगमरमर जैसी जांघों के बीच में बैठ गया और अपने लौड़े को उसकी चूत के मुंह पर रख दिया।

फिर मैंने झुक कर उसके लबों पर एक गरम चुम्मी की और फिर लंड को हल्का धक्का दिया और लंड काफी सारा अंदर चला गया। एक और धक्का और लंड पूरा का पूरा अंदर था।

रोजी जूही    के साथ पूरा न्याय कर रही थी और उनको खूब चूस रही थी, जूही की आँखें बंद थी और वह चुदाई का पूरा आनन्द ले रही थी।

हल्के धक्कों के बाद मैंने अब तेज़ी दिखानी शुरू कर दी और थोड़े ही तेज़ धक्कों के बाद जूही छूटने लगी और वह ज़ोर-ज़ोर से हाय-हाय करने लगी और उसने मुझको कस कर अपनी बाहों में बाँध लिया।


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मैंने अपने लंड के हमले जारी रखे, कभी तेज़ और कभी आहिस्ता, कभी लंड को पूरा निकाल कर फिर पूरा डालना जारी रखा।

कुछ मिनटों में जूही फिर झड़ने की कगार पर पहुँच चुकी थी और इस बार उसने बहुत ही ज़ोर का स्खलन किया और चूत में से बहुत-सा रस भी बहा।

रोजी ने इशारा किया और मैं उसकी चूत के ऊपर से उतर गया, मेरा लंड से जूही का रस टपक रहा था।

मैं जूही के साथ लेट गया और उसके सिल्की स्तनों के साथ खेलने लगा, उसका भी एक हाथ मेरे खड़े लौड़े के साथ खेल रहा था।

मेरे दूसरी तरफ तो रोजी लेटी थी और वह मेरे अंडकोष के साथ खेल रही थी।

तभी जूही उठी और मेरे ऊपर आकर बैठ गई और मेरे लंड को अपनी चूत में खुद ही डाल दिया और ज़ोर-ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगी।

मैं उसके मम्मों के चूचुकों को अपने मुंह में डाल कर चूसने लगा।

थोड़ी देर में ही जूही फिर झड़ गई।

मैंने अब अपनी चुदाई का स्टाइल और स्पीड सिर्फ अपना छुटाने के लिए शुरू की, उस घोड़ी बनी हुई संगमरमर की मूर्ति जूही को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा।

अब मुझको जूही के छुटाने की फ़िक्र नहीं थी बस अपना वीर्य उस की चूत की आखिरी गहराई तक पहुँचाने की कोशिश थी।

कोई 10 मिन्ट तेज़ धक्के मारने के बाद मुझको लगा कि मेरा वीर्य के छूटने के कगार पर पहुँच रहा है तो मैंने जूही के मोटे चूतड़ों को अपने हाथों में उठा लिया और फिर ज़ोर-ज़ोर से 4-5 धक्के मारे और अपने फव्वारे को छोड़ दिया।

ऐसा करते वक्त मेरा लौड़ा चूत की आखिरी गहराई में मैंने गाड़ दिया और जूही की फुदकती गांड को कस कर अपने हाथ में पकड़ कर रखा जब तक मेरा पूरा वीर्य नहीं छूट गया।

रोजी के इशारे से मैंने जूही की गांड को ऊपर ही उठाये रखा जब तक रोजी ने इशारा नहीं किया और मेरा लंड भी उसकी चूत में पड़ा रहने दिया और उसके ऊपर ही गिर गया ।

उधर राजमाता भी रात भर सो नहीं पायी थी इस लिए आराम करने चली गयी । बिस्तर पर लेती हुई राजमाता सोच रही थी की कल की रात एक अजीब-सा पागलपण लिए हुई रात थी। उन्होंने अपने दिवंगत पति के युवा भतीजे राजकुमार द्वारा अपने बेटे की पत्नी के संसेचन की देखरेख में रात बिताई थी। यह योजना के अनुसार यथोचित रूप से चला गया था लेकिन युवा बालक और रानी दोनों वासना में बह गए थे और ये कोई आश्चर्य की बात नहि थी क्योंकि दोनों युवा है, रानी बहुत सुंदर है और भतीजा भी स्मार्ट है और लम्बे और विशाल लंड का मालिक है।

राजमाता हम दोनों की भावनाओं की कद्र करती थीं, लेकिन उन्होंने हमे सख्त हिदायत दी थी की पूरी प्रक्रिया कैसे करनी है। एक मायने में, हम दोनों ने आंशिक रूप से उनकी अवज्ञा की थी, भले ही वह क्षण की गर्मी ही क्यों न हुआ हो लेकिन अवज्ञा तो हुई थी। वह मुझे रानी के शाही स्तनों से छेड़छाड़ करने से रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकती थी। वह रानी को मेरे नितम्बो पर अपनी एड़ी कसने और रगड़ने से रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि उस समय हम दोनों सहवास कर रहे थे और वह खुद भी ये उत्तेजक दृश्य देख बेहद उत्तेजित हो गयी थी।

"ठीक है अभी तक तो सब कुछ ठीक ही हुआ है लेकिन क्या मुझे उसकी योनी को बहने से रोक रोकना चाहिए था या मझे रानी के साथ चुदाई करते हुए अतिरिक्त कठोर होने से रोकना चाहिए था!" उसने मन ही मन सोचा। ऐसी स्थितियों में हस्तक्षेप की सीमाएँ हैं। फिर भी, चीजें काफी अच्छी तरह से हो गईं थी। भतीजे और उनकी पुत्रवधु ने अपने लिए निर्धारित कर्म कर दिया था और जब उसने हमें रुकने और अलग होने का आदेश दिया था, तब हमने खुद को वापस खींच अलग कर लिया था।



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वासना कम होने के बाद, मैंने और रानी दोनों ने विवेक के साथ व्यव्हार किया था और उनके देशों का पालन किया था। और फिर उन्होंने मुझे रानी के साथ अधिक देर तक रहने का समय नहीं दिया था ताकि बाद में कोई अन्य समस्या उतपन्न न हो।

लेकिन मेरे पसीने से तर शरीर और चुदाई के बाद भी विशाल और कठोर लिंग की छवियाँ उनके दिमाग में बस गईं थी। सम्भोग के दौरान रानी जूही की जंगली प्रतिक्रिया ने उन्हें ईर्ष्यालु बना दिया था; रानी माँ ने कल्पना की कि उसकी बहू को अपने अंदर हमले का वह व्यापक हथियार कैसा लगा होगा कि वह आनंद के इतने प्रचंड प्रदर्शन के साथ व्यवहार करे। उनके दिमाग में ये सभी चित्र चल रहे थे और वह उनकी विवेचना कर रही थी और राजमाता का हाथ को नीचे गया और अपनी योनि की सिलवटों को उन्होंने निश्चित रूप से स्वता संभोग के लिए सहलाया और वासना उनके थके हुए शरीर पर हावी हो गयी थी।

जूही की चुदाई के दृश्य का समरण करते हुए राजमाता ने अपना दाहिना हाथ अपने स्तन पर रखकर स्तन को धीरे-धीरे दबाने लगी और अपनी एक उँगली से चुचक को हल्के-हल्के कुरेदने और सहलाने लगी । चुचक सहलाने से वह उत्तेजित हो गयी और अपना एक हाथ घाघरे के अंदर डाल कर अपनी योनि को सहलाने लगी । कई दिनों बाद आज वह अपने बदन से खेल रही थी। राजकुमार किस तरह से रानी जूही की धुआँधार चुदाई कर रहा था यही सोचते-सोचते रानी माँ का हाथ अपनी योनि पर चला जाता है और वह अपनी योनि को रगड़ते हुए हस्तमैथुन करने लगती है।

एक हाथ से वह अपने स्तन का मर्दन कर रही थी और दूसरे हाथ से योनि को तेजी से रगड़ रही थी। योनि रगड़ते-रगड़ते रानी माँ को मेरे लिंग की याद आयी और वह बड़बड़ाई है कितना बड़ा और विशाल लिंग है कुमार का ऐस लंड तो महाराज का भी नहीं था और जब ऐसा लिंग योनि के अंदर हलचल मचा देता है तो कितना आन्नद आएगा वह ये कल्पना करने लगी और इन खयालों से उसकी बुर एकदम गीली हो गई और योनि रस छोड़ने लगी। अब उसका योनि मार्ग एकदम चिकना हो गया और उसकी एक उँगली अंदर चली गई जिससे उसकी आह निकल गई. अब वह अपनी उँगली अंदर बाहर करने लगती है और साथ ही अपने चुचुको को भी मसलते हुए मदहोस होने लगी । अपनी बुर रगड़ते-रगड़ते वह मन में बुद्बुदाने लगती है कि हाँ मुझे भी ऐसे ही लंड का आनद लेना है उसे अपने हाथ में लेकर प्यार करना है। यह सोचते हुए राजमाता अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच जाती है और उसकी योनि पानी छोड़ गयी और रानी माँ निढाल हो कर बिस्तर पर गिर गयी

रानी माँ अभी जाग रही थी और उनकी प्रमुख दासी नीला आयी और उनकी टाँगें दबाने लगी । तो रानी माँ बोली नीला वहाँ से तेल की बोतल उठा ला और मेरे पैरो पर लगा के मालिश कर दे

नीला तेल उठा कर ले आयो और जब तेल लगा के मालिश कर रही थी तो उन्हो ने बोला के थोड़ा और ऊपेर तक कर और फिर इसी तरह से थोड़ा और ऊपेर थोड़ा औरऊपेर करते-करते मुझे महसूस हुआ के नीला के हाथ उनकी चूत तक चले गये है और फिर नीला के हाथ उनकी चूत तक चले गए और उसने रानी माँ की छूट को गीली पाया और फिर एक दम से रानी माँ ने नीला के हाथो को अपनी चूत से लगाए-लगाए ज़ोर से अपनी जाँघो से नीला के हाथो को दबा लिया और उनके मूह से बोहोत ज़ोर सेसस्स्स्स्स् स्सकी आवाज़ आईई और नीला को उनकी चूत में से रस्स की स्मेल आई और उनकी चूत का रस्स नीला की उंगलिओ पर लग गया

नीला ने कपडा उठा कर अच्छे से राजा माता की योनि को पोछने लगती है जिससे योनि की मादक गंध उसके नाक तक पहुँच जाती है। नीला राजमाता की अनुचर दासी और बाल सखी थी सो उसने पुछा कि रानी आपकी योनि से जबरदस्त गंध आ रही है। किसकी याद में सुबह-सुबह योनि रगड़ा है ।

बदमाश। तू बहुत शैतान है सब मेरे मुँह से सुन्ना चाहती है तुझे मालूम तो है कि कल रात जूही की सुहाग रात थी कुमार के साथ बस उन्ही को सम्भोग करते हुए देखकर और सोचकर अपनी बुर रगड़ी है और अपनी चुचियों को मसला है। आज उनकी चुदाई और नंगे बदन को देखकर महाराज की याद आ गई की कैसे मुझे वह रगड़-रगड़ के रोज चोदा करते थे और फिर मैं गरम हो गई और बुर मतलब योनि में उँगली करना पड़ा।

चल अब जा और मुझे आराम करने दे और फिर नीला चली गयी और रानी माँ लेट गयी ।


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a poem about life that rhymes


वहाँ आ आकर रानी जूही ने पहले स्नान किया और फिर शृंगार किया । और थोड़ा हल्का नाश्ता किया और अब बोली अब हम कुछ देर विश्राम करेंगे । और अपना कक्ष बंद कर लिया ।


कक्ष बंद करते ही जूही की बालसखी और अनुचर नैना जूही के पास आयी और उसके चेहरे के चाओ और देखा जूही की तरफ देखा तो सम्भोग से मिले आनंद और योनि की प्यास बुझाने की वजह से जूही का चेहरा एक अलग ही मस्ती के कारण से चमक रहा था । नैना ने जूही की चोली को उतार दिया जिससे उसके बड़े स्तन कैद से बाहर निकल आये । और नैना बोली कुमार ने तोआपके स्तनों पर कई जगह बहुत बेदर्दी से काटा है और चूसा है जिससे निशान और नील पड़ गए है । राजकुमारी आपको कितना दर्द हुआ होगा, तनिक देखिये तो सही और फिर जूही आदमकद आईने के सामने खड़ी होकर खुद अपने को ही निहारने लगी । उसके कंधो, स्तनों और गर्दन पर नील पड़ गए थे । और उनके गुलाबी चूचक भी फूल कर लाल फिर भूरे हो गए थे, । नैना ने अपना दाहिना हाथ उठाकर जूही के स्तन पर रखकर हौले से दबाया और जूही की दर्द भरी आह निकल गयी । फिर नैना ने घाघरे का नाडा खोल दिया। नाडा खोलते ही घाघरा सरसराते हुए उसके पैरों में गिर गया जिससे जूही पुरी नंगी हो गयी । अपने आप को शीशे में पुरी नंगी देखकर जूही फिर शर्मा गयी । उसकी योनि पर झांटे साफ़ की हुई थी और योनि सूज कर डबल रोटी बन गयी थी और जैसे ही नैना ने जूही की योनि को छुआ वह तड़प कर कराहने लगी ।

और देखो तो... कितनी निर्दयता से कोमल और कुंवारी राजकुमारी को भोगा है । कोई ऐसे भी चुदाई करता है क्या? "। नैना ने जूही कि कमर के नीचे नज़र दौड़ाते हुये कहा, हाय राजकुमारी के कोमल शरीर पर कैसे नील पड़ गए हैं फिर प्यार से चुत को ऊपर से ही को सहलाया और आगे बोली।" ये पुरुष भी ना।

निचले हिस्से पर अपना हाथ चलाते हुए अपने हाथ योनि पर ले गया मेरे हाथों को उनकी चुत गीली-गीली लगने लगी थी मैंने कांपते हुए मांस को अलग कर दिया; फिर, मैंने धीरे से उसके निचले होंठों को विभाजित किया और एक तेजतर्रार तर्जनी के भीतर डाला।

योनि पर स्पर्श पर रानी जूही अकुला गयी और कराह उठी,। फिर नैना ने जूही को बिठा दिया और उसकी टांगो खोल दी और फिर जैसे ही उसकी उंगली उसके फांक में ऊपर की ओर उठी, अंतत: जब ऊँगली ने उसकी योनि के फटे हुए हिस्से की छुआ, जूही ने दर्द भरी एक छोटी-सी चीख दी और उसने दोनों उंगलियों का प्रयोग कर योनि के द्वार को खोला और बोली जो योनि बड़ी मुश्किल से खुलती थी उसे चौद छोड़ कर अब इतनी चौड़ी कर दी है कि अब छेद दिखाई दे रहा है । संसर्ग कि में ऐसी भी क्या अधीरता कि इतनी सुंदर योनि को क्षतविक्षत ही कर डाला? देखो राजकुमारी आपकी योनि कैसे सूज गयी है ।

फिर नैना बोली सच बताओ रानी राजकुमार ने आपको कितनी बार भोगा । सोने दिया या नहीं और आपकी कैसा लगा?

जूही शर्माते हुए गिनने लगी और बोली पांच बार नहीं छे बार । और फिर दो घंटे सोये और जूही बोली कुमार पहले ने जब शुरू किया तो मजा आया। फिर जब उसने अपना लंड प्रवेश किया तो लगा मुझे बीच से चीर दिया गया है और बहुत दर्द हुआ। फिर आनंद आया। कुमार ने मुझे बहुत बेदर्दी से बार-बार चौदा। मुझे बहुत आनद आया और इसे मैं कभी भी नहीं भूल सकती। मैं इसकी याद में शेष जीवन बिता सकती हूँ।

फिर नैना बोली हम्म्म इतनी सुंदर योनि को सिर्फ पांच छे बार ही चौदा, मैं पुरुष होती तो रात भर चोदती रहती  ।अच्छा बाताओ लिंग कैसा था?

जूही बोली उनका लिंग बहुत विशाल, बड़ा और कड़ा है और स्पंदन करता है और मैं लिंग को अपने गर्भ में महसूस करती थी। जब लिंग स्पंदन करता है तो ऐसा लगता था जैसे लाखों हाथ उसकी योनि की दीवारों पर एक लाख ड्रम की ताल से धड़क रहे थे। ड्रम की सतह, खाल फैली हुई, कंपन कर रही थी और हाथों से गूंज रही थी कि उन पर पिटाई कर रहे थे। ये अध्भुत था ।

नैना जूही की चूत पर हाथ फेरने लगी उन्हें जैसे करंट-सा लगा और उन्होंने नैना को कस कर पकड़ लिया और उस से लिपट गयी, उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था। चुदाई के पालो के आननद को समरण करने से जूही की चूत गीली होने लगी, नैना ने उनकी चुत को चूमा उनकी खुशबू ने नैना को मदहोश कर दिया और वह जूही की चूत को चाटने लगी, उसकी चूत के रस में क्या गज़ब का स्वाद था।

नैना बोली क्या आपको अच्छा लग रहा है ?आराम मिल रहा है? तो जूही बोली हम्म्म!


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फिर उसकी चूत पर मुँह रखते ही जूही जोर से चिल्ला उठी आआहह, ओमम्म्मममम, चाटो ना जोर से, सस्स्सस्स हहा और मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी। वह सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वह अहाह, आहहह, आहहह कर रही थी और फिर वह झड़ गयी।

अब नैना बोली मैं थोड़ी सिकाई कर देती हूँ आप अब आराम कर लो ।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 16

एक बार फिर 


राजमाता चिंतित थी की अब क्या किया जाए की उनकी बहु गर्भवती हो जाए । राजमाता सोचने लगी कल रात तो पहला प्रयास था, एक बार पुनः प्रयास उचित रहेगा । क्या इसके लिए बहुरानी फिर से त्यार होगी? फिर सोचने लगी कल रत और आज सुबह बहु ने जैसी जंगली प्रतिक्रिया दी थी उससे तो ये ही आभास होता है बहु तो तड़प रही होगी पुनः मिलन के लिए और फिर सुबह के बहु के साथ मेरी चुदाई के दृश्य उनकी आँखों के सामने आ गया और फिर एक तूफ़ान आया और उनकी योनि गीली हो गयी उन्हें लगा जंगली और तेज हवाओं के कारण खिड़कियाँ हिल रही थीं। और राजमाता जाग गयी और उनकी आँखे खुल गयी । थोड़ी देर वहाँ लेटे रहने और फिर से हस्तमैथुन करने के बारे में सोचने के बाद उन्होने महसूस किया कि यह कंपन एक गर्जनापूर्ण हवा के साथ थी। आवाजें थीं, झुनझुनी, लेकिन सबसे बढ़कर, एक लय में कंपन अपने आप में स्थिर था। अपने कक्ष में सो रही राजमाता अचानक उठ गई। उसे नहीं पता था कि उसे किसने जगाया, लेकिन राजमाता की नींद में इन दृश्यों और घटनाचक्र ने उन्हें परेशान कर दिया था।

उनका ध्यान दुसरे तरफ से आ रही रौशनी की तरफ गया वह कक्ष के अपने हिस्से से बगल के खुले हुए हिस्से में चली गई ।

राजमाता ने देखा कि युवती के नितंबों के नीचे पुरुष के हाथ महिला को पकड़े हुए हैं, लेकिन कम रोशनी के कारण जोड़ा स्पष्ट नहीं था। फिर राजमाता ने देखा की युवक राजमाता से दूर चला गया, राजमाता की और उसकी पीठ थी । अपनी प्रेमिका के साथ वह उस कक्ष में के एक अलग कोने में की तलाश में थे। युवती को आनंद के लिए इस यातनापूर्ण इंतजार के बाद जबर्दस्त चुदाई की जरूरत थी। युवती अपने आप उछली और युवक के कंधो पर चढ़ उसके साथ लिपट गयी और कठोर लंड वाले युवक के कठोर लंड पर उछल कर ऊपर चढ़ी और फिर नीचे हो गयी और लिंग उसकी योनि में गायब हो गया और उत्तेजना उस पर सवार हुई। लंग की घुंडी की अनियमित आकृति ने उसकी योनि की हर जगह को छुआ। उसने कोण बदले और ऊपर नीचे होने लगी।



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william shakespeare sonnet 129

जैसे ही वह युवती ऊपर सवार हुई तो उसे अंदर आनंद की लहर आयी, वह हँस पड़ी। युवती ने अपने स्तन-स्तन युवक की-की नंगी छाती पर ऊपर-नीचे रगड़े। दोनों प्रेमियों ने एक दूसरे के नग्न शरीर को चुम और सहला रहे थे। त्वचा पर त्वचा चिपक गयी और हाथ किसी भी चीज के लिए कहीं भी पहुँचने के लिए स्वतंत्र थे।

रानी माँ आगे हुए तो दोनों गायब हो गए रानी को एहसास हुआ या तो उनका स्वप्न था या फिर कोई सेवक और सेविका का जोड़ा था जो एकांत पाकर नियंत्रण खो बैठा था । उन्होंने तत्काल निर्णय ले लिया और यह देखने के लिए की उनकी पुत्रवधु क्या कर रही है क्या वह सो रही है या नहीं और सब कुछ ठीक है या नहीं। रानी माँ जूही के कमरे में चली गयी जूही अपने बिस्तर पर अधलेटी हो बैठी हुई आँखे बंद किये हुए थी और उसका एक हाथ उसकी योनि पर था और दूसरा उसके स्तनों पर था । राजमाता के कदमो और गहनों की ध्वनि से जूही ने आँखे खोली और उन्हें देख, उनके सम्मान में खड़ी हुई तो राजमाता ने जूही का हाथ पकड़ा और उसे लेकर तेजी से मेरे कक्ष में प्रवेश किया ।

मैंने राजमाता को देख कर उठ कर रानी माँ को प्रणाम किया । आयुष्मान भवः  बोल कर राजमाता बोली कुमार हमे बस जल्दी से खुशखबरि सुननी है आप क्या करेंगे और कैसे करेंगे? ये अब आप निश्चय कीजिये । मैं यही रहूंगी । परन्तु आप मेरी उपस्थिति की परवाह मत कीजिये । पहले भी आप ने मेरी उपस्थिति में सहवास किया है । रानी जूही भी रानी माँ के साथ मेरे कक्ष में घुस आयी थी और मेरे साथ बिस्तर पर बैठ गई। उसका हाथ सीधे मेरी कमर तक पहुँच गया था और उसने मेरे लिंग को पकड़ लिया। ऐसा लग रहा था कि जो भी घंटे बीत चुके थे, उनमें लंग कभी भी मुरझाया नहीं था।

जूही सब शर्म हया त्याग कर मेरे साथ लिपट गयी। मैंने खड़े हो होकर जूही को गले लगा लिया और एक गर्म चुंबन उसके रसीले होंठो पर किया और फिर अपने हाथ उसके मोटे चूतड़ों पर रख कर धीरे-धीरे से मसलने लगा। जूही ने भी मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और उसको झुक कर चूमने लगी पैंट के बाहर से!

मैंने भी टाइम खोये बगैर अपने पैंट और कमीज़ उतार दी और जूही के ब्लाउज को उतारने लगा, ब्रा के हुक्स भी खोल दिए और उसके संगमरमर जैसे मम्मों को हाथ में लेकर मैं अपने को बड़ा भाग्यशाली समझ रहा था। और मैंने उसके लेहंगे का नाडा खेंच दिया और लेहंगा सररर से नीचे गिर गया.

जब जूही बिल्कुल नग्न हो गई तो मैं थोड़ा पीछे हट कर उसकी सुन्दरता का अवलोकन करने लगा।

मैं पीछे हटा तो जूही नीचे गिरे हुए लहंगे से पैर निकाल कर मेरे पास आ गई और मेरे होटों और मुंह पर ताबड़तोड़ चुंबन की बौछार कर दी। आखिर दोनों प्रेमियों ने एक दूसरे को न्यूड पाया था । तो मैं भी उसे स्तन दबाते हुए उसे चूमने लगा ।

जूही आननद से कराह उठी और मेरे से लिपट गयी, वह मुस्कुरा रही थी। उसके स्तन उसने मेरी नंगी छाती पर ऊपर-नीचे रगड़े। । त्वचा पर त्वचा चिपक गयी और हाथ किसी भी चीज के लिए कहीं भी पहुँचने के लिए स्वतंत्र थे।

मेरे हाथ उसकी चूत पर घूम रहे थे और उसके गीलेपन का अंदाजा लगा रहे थे, जूही की चूत एकदम गीली हो चुकी और उसने मेरे हाथ अपनी जांघों में जकड़ लिए थे।

रोजी जो वहाँ उपस्थित थी आगे हुए और अपने कपड़े उतार कर जूही के मम्मों को चूस रही थी और उसके हाथ जूही के चूतड़ों के ऊपर घूम रहे थे। रोजी को वहाँ देख कर वह थोड़ा चकित हुई और फिर प्रसन्न भी हो गयी की रोजी का होना उन्हें अच्छा शगुन लगा ।


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मेरा हाथ जूही के नितम्बो पर नीचे चला गया, उसने खुद को ऊपर उठाया और जल्द ही मेरा लिंग उसके कूल्हों के बीच में था और वह खड़े-खड़े ही मेरी गॉड में चढ़ गयी और लिंग पर बैठ गई। उसने खुद योनि के ओंठो को खोला और मेरे लंडमुंड को अपने योनि के होठों के बीच फँसा लिया। उसने अपने कूल्हों को हिलाया और लंड पर नीचे हो गई। मेरा लंड बहुत सख्त था और वह हंस पड़ी। "तुम्हारा लिंग बहुत बड़ा, तुम जानवर हो।" उसने केवल मजाक में कहा।

रानी जूही ने एक बाजारू औरत की तरह सुख का साधन खोज लिया था। जल्दी से उसकी योनी ने आक्रमण को समायोजित करने के लिए पर्याप्त रस छोड़ दिया था, वह लंड पर ऊपर और नीचे उछलने लगी थी और फिर वह बिना रुके एक जंगली जानवर की तरह तेजी से उछल रही थी।

उसे ये संकेत देने के लिए कि वह मेरी सहमति के बिना नहीं चल सकती। मेरे मजबूत शक्तिशाली हाथों ने उसे उठा लिया और मैंने उसे ऊपर खींच लिया जब तक कि अब केवल लंड का सूपड़ा ही उसकी टपकती सुरंग के अंदर था। मैं वहीं रुक गया, वह झूम उठी और ठिठक गई। "छोड़ो, क्या कर रहे है आप," उसने चिल्लाया।

"जूही! अब आप कुछ नहीं करेंगई। जो कुछ करना है वह मेरे द्वारा किया जाएगा।" मैं पूरी मजबूत आवाज में पहली बार उसके नाम का इस्तेमाल करते हुए आधिकारिक रूप से बोला।

उसे मजबूती से पकड़े हुए, मैंने उसे अपने लंड पर गिराते हुए उसे नीचे किया।

"उह हह, हाय!" वह चिल्ला उठी।

खुशी के उस संकेत से उत्साहित होकर, मैंने जूही के साथ छेड़छाड़ की और उसे लंड के ऊपर नीचे किया और एक तेज झटका लगा दिया। कुछ मिनटों के लिए, वह मेरे लंड के लिए केवल एक योनि थी। वहाँ केवल उसकी योनी और मेरा लंड था। उसकी योनी अब कम फिसलन वाली थी और योनि के द्रव प्रवाह पहले की तुलना में कम चिपचिपा हो गया था। और कामुक संवेदनाएँ उसकी योनि मांस से उसके शरीर में संचारित हुईं।

" है! हाँ। ऐसे। यूं। बिलकुल। मुझे चोदे जाओ। चोदो। जोर से चोदो। वह बड़बड़ायी।

रोजी जूही के मम्मों को बारी बारी   चूस रही थी और उसका एक  हाथ जूही के चूतड़ों  और  पीठ के ऊपर घूम रहे था और दूसरा हाथ मेरी पीठ और चूतड़ों पर घूम रहा था ।

मैने महसूस किया कि उसके निप्पल मेरी छाती पर दौड़ रहे हैं और अब मैं उन्हें चूसना चाहता था। उसके स्तन मेरी नीपल्लो को सहला रहे थे, वे मुझे दूध पीने, कुतरने और चाटने के लिए आमंत्रित कर रहे थे। मैंने अपना सिर झुका लिया, अपने हाथों को उसकी पीठ के ऊपर और आगे बढ़ा दिया। इस तरह, वह गिरने की चिंता किये बिना पीछे झुक सकती थी और वह अपना चेहरा उसके सीने में दबा सकता था और मैं उसके स्तन चूसने लगा।

जूही ने अपनी बाजुए मेरे गले में डाल कर एक हाथ में कमरे का खंभा पकड़ा और उसने अपने आप को ऊपर की ओर उठा लिया। जूही ने अब खुद को आगे बढ़ाया ताकि वह उस पर जवाबी हमला कर सके। उसने अपने नए सहारे का उपयोग करके खुद को ऊपर उठाते हुए नीचे की ओर चुदाई की। उसे इस बात का अहसास नहीं था कि कक्ष का खंभा हमारी चुदाई की लय को पूरे कक्ष तक पहुँचा देगा। राजमाता अब कक्ष के एक कोने से हमारा सम्भोग देख रही थी।


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मेरे होठों ने स्तनों में अपना लक्ष्य पाया और मैंने उसके संवेदनशील मांस को अंदर और बाहर खिसकाते हुए चूसा। मेरी चुदाई धीमी होने पर जूही ने अपने कूल्हों को हिलाया। लार में लिपटे हुए स्तन मेरे मुंह से अंदर और बाहर खिसक गए।

"चोदो, रुको मत, तेज करो मुझे चोदो!" वह यह सुनिश्चित करने के लिए चिल्लायी कि वह जानती है कि मैं धीमा हो गया हूँ।

इससे राजमाता भी सदमे में थी हस्तमैथुन करने के बारे में उसका संदेह वाष्पित हो गया क्योंकि ईर्ष्यालु वासना ने रानी माँ के अपने शरीर को जकड़ लिया था। मुझे अपनी बहू के स्तनों को चोदते हुए और उसके स्तनों को चूसते हुए देखकर उसने महसूस किया कि उनके स्तनों में सूजन आ गई है और अब जब उसने उसे चोदने के लिए भीख माँगते हुए सुना तो उसे बहुत जलन हुई। उसकी चूत जो उसके पति की मृत्यु के बाद से वर्षों से सुप्त थी, अब एक बार फिर गीली हो गयी थी।

उसके स्तनों को झुकाकर और दोनों का स्वाद चखते हुए, मैं एक साथ अपने कूल्हों से प्रभावी ढंग से चुदाई नहीं कर सकता था। हताश रानी जूही ने खंभे और रस्सियों का इस्तेमाल करते हुए खुद को और ऊपर उठा लिया। "उन्ह्ह्ह्ह। हाहा। चोदो!" उसने याचना की और उसने अपने अंदर उनपर नीचे होते हुए मेरे लंड के कठोर स्तम्भन से आनंद लिया।

फिर जैसे ही जूही ने अपने शरीर को नीचे की ओर ले जाने के लिए खुद को आगे बढ़ाया, रानी और मैंने एक-दूसरे को पूरी तरह से गले लगा लिया। उसके कंधे पर मेरी आँखे रानी माँ की आँखों पर टिकी हुई थीं। उनकी आँखे देख कर ऐसा लग रहा था कि उनको एहसास है उनकी योजना बहुत गलत हो गई थी। वह अब अपनी बहू की यौन उत्तेजना को देख कर भी उत्तेजित हो गयी थी और उनके मुँह से आह निकली।

अब हस्तक्षेप और शारीरिक रूप से चीजों को रोकने का समय भी नहीं बचा था क्योंकि राजमाता का आत्मविश्वास कम था। उनकी वासना और तीव्र उत्तेजना अब प्रकट हो गयी थी। उनका विरोध सतही स्तर पर था। उनकी अपनी योनी रस से फिसलन भरी थी। इस हालत में मेरे पास जाने की उनमें हिम्मत नहीं थी। शायद इसी अकेले सबसे बड़ा कारण से वह रुकी हुई थी।

राजमाता पर नजरें गड़ाए मेरा हाथ रानी की नंगी सेक्सी पीठ पर घूम गया। मैंने अपने प्रेमीका के शरीर की हर कोशिका को सहलाया और शरीर को पूरी तरह से पिघलने की संभावनाओं के लिए जागृत किया। जूही ने अब मेरा सिर पकड़ लिया। पूरी तरह से मेरे ऊपर और नीचे की ओर उछलते हुए वह नीचे की ओर जोर से मेरे साथ चिपक गई। मेरे मजबूत, शक्तिशाली हाथों ने उसे पकड़ लिया और उसके योनि के गालो को अलग कर दिया और उसकी योनी को लंड जितना चौड़ा कर सकता था उतना फैला दिया। इसने मुझे अपने बुलंद लंड पर जूही को और नीचे करने में भी मदद की।

"आआआआआआह!" रानी जूही इस लूटपाट से काँप उठी।

राजमाता ने मेरे मोटे विशाल लंड की कल्पना की जिसे जूही ने अपनी योनि में पकड़ रखा था और उनकी लाचार बहू को लूटवाने का शौक लग गया था। "पुत्र देख के, सावधानी से!" वह अनायास ही बोल गई।


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जूही की नजर अपनी सास से मिली। उसने अपनी एड़ी को ऐसे गिरा दिया जैसे अब उसे मेरी गोद से उतरना हो। लेकिन उसकी योनी के अलग विचार थे क्योंकि यह उसके भीतर आयी हुई तलवार पर फिसल योनि की मांसपेशिया लंड पर कस रही थी । उसके पैरों के कोण में परिवर्तन ने उसके भगशेफ को नीचे की ओर झुकाने का काम किया। और उसकी संवेदना बढ़ गयी और जूही फूट-फूट कर कराहने लगी।

वह अपनी सास की आरोपित निगाहों और अपने गर्भ में बेकाबू लंड के फड़फड़ाने के बीच फंसी हुई महसूस कर रही थी।

मैं जूही को ऊर्जा से चोदता रहा। मैं जूही के कान में फुसफुसाया राजमाता ने हमे केवल सावधान रहने को कहा था; उन्होंने चेतावनी नहीं दी थी। लेकिन जैसे ही मुझे रानी के नीचे खिसकने का एहसास हुआ मैंने जूही को मेज के कोने पर बिठा दिया। जूही रानी अब बैठी हुई थी, उसकी योनी खुली हुई थी और उनका एकमात्र वफादार बंधुआ मजदूर उसकी टांगो के बीच काम कर रहा था। कक्ष में बिस्तर के सामने रखे आईने में मैंने राजमाता को देखा। सदमे या अस्वीकृति की कोई अभिव्यक्ति नहीं थी। मुझे उनकी आँखों में केवल ईर्ष्या और ईर्ष्या ही दिखाई दे रही थी।

जूही रानी को मेज पर बैठने पर खुशी हुई। मैं उसके और रानी माँ की दृष्टि के बीच में था । इससे वह अपनी सास की नजरो से छिप गयी थी। उसने कृतज्ञतापूर्वक अपने पैर फिर से खोल दिए और मेरी गांड के चारों ओर ले आई। जैसे ही मैंने उसे फिर चोदा, उसके हाथों ने मेरे कंधे को पकड़ लिया। अब सेवक को इनाम देने का जूही का यह विचार था; कोई आधा उपाय काम नहीं करेगा। उसने राजमाता जो मेरे पीछे खड़ी थी को मेरे कंधे के ऊपर से नहीं देखा और मुझे आगे हो कर चूमा।

राज माता ने अनुमान लगाया कि उसके पुत्र और पति महाराज की चुदाई मेरे आगे गौण थी। मेरी चुदाई उनसे बहुत बेहतर थी महाराजा का लंड भी मेरे-मेरे लंड से बहुत छोटा था, और मेरे लंड उन सबसे जो उन्होंने अब तक देखा है उन सबसे बड़ा था। उन्होंने खुद अपनी बहू को गर्भवती कराने के लिए असली स्टड से मिलवाया है। राजमाता ने कल स्वयं मेरे समानुपाती लंड का अंदाजा लगाया था। उन्होंने ये भी कल्पना की थी कि उस आनंददायक मोटाई और लम्बाई का लंड उनकी योनी में कितनी और उत्तेजना पैदा करेगा। वह उस युवा महिला को कैसे दोष दे सकती है, जिसकी योनि के अंदर वास्तव में वह वाला लंड था? क्या ऐसे लंड से चुदवाने के दौरान संयम रखा जा सकता है? क्या ऐसे लंड के साथ संयमित चुदाई की उम्मीद करना उचित था? कुछ भी हो, पहली चुदाई को नैदानिक बनाने का उनका प्रयास ही वासना के इस विस्फोट जो फिर दूसरी से लेकर सातवीं चुदाई का कारण बना जिसे वह अब देख रही थी।

हम दोनों चुदाई के आनद में कराह रहे थे और राजमाता हमारे करीब चली आयी। वह अपने अपराध बोध को शांत करना चाहती थी। क्योंकि उन्होंने ने यह भी सोचा कि आधिकारिक तौर पर इस चुदाई को स्वीकृत करना वासना भरी चुदाई के रहस्य और उत्तेजना को खत्म करने में मदद करेगा उन्हें लग रहा था कि बबर-बबर टोकने और आज्ञा से बढ़ कर सम्भोग करने के जनून के कारण ही यह विस्फोटक वासना हुई थी।

वह जोड़े के पास उस तरफ चली आयी जिस तरफ रोजी खड़ी थी। रानी जूही ने साथ ने आयी इस नयी महिला की उपस्थिति को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और उसी गति से उछलती रही और वह अपने प्रेमी के रूप में मेरे साथ बहुत मजे कर रही थी और अपने प्रेमी के रूप में मेरे को खुश कर रही थी, उसके नाखून मेरे पसीने से तर, कठोर छाती को सहला रहे थे। मैंने राजमाता की ओर देखा और वापस जूही रानी की ओर देखा, जूही एक बीट मिस नहीं कर रही थी बल्कि अब और कड़ी मेहनत कर रही थी और एक फिनिश की तलाश कर रही थी।

राजमाता ने हम दोनों कंधों पर हाथ रखा। उन्होंने मेरे मांसल बदन को महसूस किया। मेरी मांसपेशियों ने चोदना जारी रखा क्योंकि अभी मैं चोदना जारी रखना चाहता था। जूही नरम, कामुक और लूटी हुई महसूस हुई क्योंकि मेरे हाथों में मेरे धक्को की ले में जूही फड़फड़ा रही थी और मेरा कठोर लिंग अब उसके अंदर मौजूद था। राजमाता ने कारोब से लंड को अंदर और बाहर आते और जाते हुए देखा ।

"करो। जोर से करो । खतम करो। इसे खत्म करो और आगे बढ़ो," वह फुसफुसाई, दोनों को प्यार से हाथ से सहलाते हुए राजमाता बोली । जूही ने मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और मुझे चूमा उसकी जीभ मेरे होठों को अलग कर रही थी। मैं कांप गया क्योंकि मुझे लगा कि गीला सांप मेरे मुंह को सहला रहा है। यह आलीशान लगा। उसकी जीभ ने मेरी मुँह, जीभ और दांतो की जांच की, मानो वह मुझे अपनी जीभ से वैसे ही चोदना चाहती थी जैसे मैं उसे अपने लंड से चोद रहा था और-और फिर वह मेरे मुंह में चिल्लाई।



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राजमाता स्वयं अब कंपकंपाती मांस का पिंड बन चुकी थी। उसे अपने हेयरब्रश के उस गोल हैंडल का इस्तेमाल जोश के साथ अब और करना होगा साथ ही अपनी बाल सखी अनुचर नीला की सेवाएँ पुनः लेनी होगी। उसकी आँखें चुदाई कर रही जूही के प्यारे स्तनों को फड़फड़ाते हुए देख रही थीं। जूही के स्तनों को मेरी छाती से कुचला जा रहा है जब उसके स्तनों के जोड़े मेरे स्तनों पर गिर रहे थे। उसने खुद को पिघलने के कगार पर महसूस किया और उसने हमसे दूर जाने का फैसला किया।

अब फिर-फिर चौंकी क्योंकि उसने महसूस किया कि उसकी कलाई पर दो चिपचिपे हाथ हैं जो उसे जाने से रोक रहे हैं। उसने मुड़कर देखा कि मेरा एक हाथ उसे थामे हुए था, जबकि मेरा दूसरा हाथ रानी को चोदने में व्यस्त था और जूही भी उनका हाथ पकडे हुई थी उसने मेरे दुसरे लापता हाथ की तलाशी ली और जब उसने पाया कि वह दूर जा रहा है, तो उसने अपनी आँखें खोलीं कि मैं क्या करने की कोशिश कर रही था।


महारानी  ने देखा कि मैं और वह दोनों ही रानी माता को थामे हुए हैं।

उसने अपना हाथ पीछे खींचा और साथ ही उसने खुद को पीछे धकेला, पूरी मेज हिल गयी। जूही ने नीचे देखा, उन दोनों के बीच में रस से ढका मेरा औजार था। उसने हम दोनों के बीच अपना हाथ रखा और अपनी तर्जनी के अंगूठे को मेरे लंड के चारों ओर घुमाया। जैसे ही मैंने महसूस किया रानी जूही ने लंड के ऊपर से उसकी चमड़ी वापस खींच दी है मैंने गर्म साँसे भरी और आह करता हुआ कराह उठा। इससे पहले कि वह मेरे लंड के क्रूर हेरफेर से लंड को कोई चोट पहुँचाए मेरा हाथ राजमाता की कलाई से हट गया और महारानी  के हाथ को नियंत्रित करने के लिए उसके हाथ पर चला गया।

जैसे ही लंड की चमड़ी वापस हुई, मेरा उभरा हुआ लंडमुंड जूही की योनि में प्रवेश कर गया और अपने गर्भ में लंडमुंड की गांठ महसूस करते ही वह हांफने लगी। मेरा ध्यान जूही पर वापस आ गया था। दृढ़ निश्चय के साथ मैं आगे-पीछे होने लगा जूही का हाथ अभी भी मेरे लंड के चारों था ओर उसने इस प्रकार पकड़ा हुआ था की वह मेरे लंड को कभी नहीं छोड़ेगी। हम दोनों ने फिर तेजी के साथ नितम्बो को आगे पीछे किया।

राजमाता अब रोजी के पास जा कर फुसफुसाई की ध्यान रखना जब वीर्य स्खलन हो तो लिंग योनि के अंदर ही हो ।

जूही ज्यादा देर तक झेल नहीं पायी और वह कांपने लगी उसका शरीर ऐंठा और फिर स्खलित हो कर निढाल हो गयी । फिर मैं अलग हुआ और जल्दी से जूही के चूतड़ों के पीछे खड़ा हो गया और उन संगमरमर के नायाब नमूने को जी भर के देखता रहा और फिर मैंनेउसके चुकने नितम्बो को चूमना शुरू किया।

जूही हिलने लगी क्योंकि उसको हल्की-सी गुदगुदी होने लगी थी।

फिर मैंने अपने तने हुए लंड को हाथ में लेकर उसकी चूत का पीछे से निशाना लगाया और एक ही धक्के में पूरा लंड अंदर घुसेड़ दिया।

रोजी जूही के मम्मे अपने मुँह में डाल रही थी और वह बड़े ही आनन्द से उनको चूस रही थी।


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हर धक्के के बाद रोजी का मुँह जूही के मम्मों में घुस जाता था, उसने उनको चूसते हुए अपना मुंह को बाहर निकाला तो मैंने फिर एक ज़ोरदार धक्का मारा और जूही का स्तन फिर से रोजी के मुँह में चला गया।

रोजी के हाथ साथ में जूही के मम्मों के साथ खेल रहे थे, वह उसकी चुचियों को मसलने लगी और वह गुलाबी निपल लंड की तरह सख्त खड़ी हो गई।

अब मैंने धक्के तेज़ कर दिए और जूही के चूत का खुलना और बंद होना शुरू हो गया और थोड़ी देर में ही जूही धराशायी हो गई।

मैंने उसको सीधा किया और उसके आधे शरीर को बेड पर लिटा कर बाकी शरीर को अपने हाथों में ले लिया और लंड को अंदर डाल दिया।

जूही ने भी अपनी टांगें मेरी कमर के चारों और फैला दी और मुझको अपनी टांगों में कैद कर लिया। मैं अब बहुत ही धीरे-धीरे चोद रहा था क्योंकि मेरे लंड को आगे पीछे होने के लिए जगह नहीं मिल रही थी तो मैंने जूही की टांगों को अपनी कमर से हटा कर अपने कंधे पर रख दिया और फ़ुल स्पीड से चुदाई शुरू कर दी। अब रोजी भी बिस्तर पर आ गयी और जूही को चूमने लगी और उसके स्तनों से खेलने लगी ।

चुदाई की स्पीड को वह महसूस ही कर पा रही थी लेकिन देख नहीं पा रही थी पर उसकी चूत तो पूरा लंड का हमला सहन कर रही थी। बहुत जल्दी ही उसके गांड और नितम्ब मेरे लंड का जवाब देने लगे उसके नितम्ब और गांड भी उठ-उठ कर मेरे लंड का स्वागत कर रहे थे।

अब मैंने धक्के चूत के अंदर दूर तक देने शुरू कर दिए और चूत रानी यह जुल्म सहन नहीं कर पाई और जल्दी ही हथियार डाल दिए, उसमें उठ रही कम्पकंपाहट को मेरे सारे शरीर ने महसूस किया, यहाँ तक रोजी ने भी महसूस किया और उसने जूही की चूत से टपकते रस को सूंघा और मुझको जूही से अलग होने के लिए कहने लगी।

अब रोजी ने जूही को सीधा लेट जाने के लिए कहा और मुझको उसके ऊपर चढ़ जाने के लिए उकसाने लगी।


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मैं समझ गया कि यह पोजीशन आखिरी है और इसके बाद मेरा स्खलन और जूही का गर्भवती होना आवश्यक है।

मैंने जूही की टांगों को चौड़ा किया और उनके बीच बैठ कर पहली उसकी गीली छूट को कपडे से साफ किया और अपना लंड उसकी सूखी हुई चूत में डाल दिया, पहले धीरे और फिर तेज़ी से धक्के मारने लगा। जूही आँखें बंद किये हुए चुदाई का आनन्द ले रही थी और मैं सारी मेहनत कर रहा था।

मैंने भी चुदाई के दौरान कभी उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा तो कभी उसको अपनी बगल में लेकर धक्के मार रहा था।

जूही को बहुत ही आनन्द आ रहा था जो इस बात से साबित होता था कि उसके मुंह से अपने आप निकल रहे शब्द जैसे 'मार डाला मार डाला । मैं मर गई ओह माँ!'

अब मैंने बड़ी तेज़ स्पीड से उसको चोदना जारी रखा और कुछ ही मिनटों में वह फिर झड़ गई और मैं भी आँखें बंद करके उसको ऐसे गहरे और छोटे धक्केमारने लगा कि दो मिन्ट में ही मेरा फव्वारा पूरी ताकत से छूट गया। मैंने महसूस किया कि गर्म पानी के अंदर जाते ही जूही फिर काम्पने लगी। मैंने यह भी महसूस किया कि मेरा लंड उसके गर्भ में ही फव्वारा छोड़ रहा है। मैं स्खलन के बाद उसके मोटे स्तनों पर सर रख कर लेट गया और उसका हाथ मेरे बालों में उँगलियों से कंघी कर रहा था। जूही को भी जैसे मुझको छाती पर लिटा कर बड़ा सकूँ मिल रहा था।

रोजी ने मेरे कान में कहा-कुमार लंड को धीरे-धीरे निकालना! फिर मैंने जूही के ऊपर से उठने से पहले उस को एक बड़ी मीठी 'थैंक यू' वाली किस दी उसके होटों पर और मैं धीरे से उठा और धीरे-धीरे लंड बाहर निकाल लिया । मेरे उठते ही रोजी ने जूही की टांगों को ऊपर कर दिया और उसकी कमर के नीचे एक मोटा तकिया रख दिया और उसके ऐसे ही लेटे रहने के लिए कहा।


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perth lyrics


तब तक रोजी ने मेरा पसीना पौंछ दिया और जूही का भी पसीना पौंछ दिया और उसने मुझको मसालेदार दूध का गिलास पकड़ा दिया।

मैं दूध पीकर काफी तरो ताजा महसूस करने लगा । अब मैं उठा और सीधा बाथरूम में चला गया और अपने को खुद ही साफ़ किया, तौलिया लपेट कर जब बाहर आया तो जूही भी उठ गयी थी। रोजी ने उसे भी ख़ास दूध का गिलास दिया जिसे पीकर जूही भी बेहतर महसूस करने लगी

जूही बोली-थैंक यू रोजी जी, आपने मेरी बड़ी सहायता की है,  राजमाता बोली  मैं आप और कुमार के व्यवहार से बहुत खुश हूँ। और अपना एक  गले का आभूषण ( हार ) उतार कर रोजी को इनाम के तौर पर  दिया और बोली रोजी  आप इसे स्वीकार कीजिये ।

रोजी ने मेरी और देखा तो मैंने पलके झुका कर उसे आभूषण स्वीकार करने का इशारा किया ।

राजमाता जाने लगी तो जूही खुद ही मेरे पास आ गई और मुझको कस के एक जफ़्फ़ी डाली और जाते हुए मेरे लंड को  छूते हुए उनके साथ जाने लगी।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 17

रानी माँ ने एकांत प्रदान किया 

 


जूही रानी ने अपने कपड़े साडी इत्यादि पहनी ली और राजमाता के साथ जाने लगी तो जूही खुद ही मेरे पास आ गई और मुझको कस के एक जफ़्फ़ी डाली और जाते हुए मेरे लंड को छूते हुए उनके साथ जाने लगी।

मैंने झट से जूही रानी का हाथ पकड़ा और उसको उठा कर अपने गले से लगा लिया और फिर उसके लबों पर एक गर्म चुम्बन दे डाला।

जूही रानी भी मुझ से अँधाधुंध लिपट गई और बड़ी ही मस्ती से उसने मुझको चूमना शुरू कर दिया।

रानी माँ यह सब देख रही थी। वास्तव में राजमाता ने ये उपाय सोचा था ताकि मैं और जूही एक साथ एकांत में कुछ दिन रह कर लगातार और बार बार 
सम्भोग कर सके । परन्तु इसमें दो समस्याए थी । पहली गुरुदेव का आश्रम की राजकुमारी के पिताजी ने निवास और महल के समीप था और ऐसे में उनके पास न जाकर अन्यत्र जाना , उनके दर्शनों  के लिए न जाना और अन्यत्र ठहरना उचित नहीं रहेगा। जूही के पिता महाराज के यहाँ ठहरने पर मुझे और जूही के एकांत नहीं मिलेगा । दूसरी की कुछ दिनों में ही मेरा भी विवाह होना था और विवाह की रस्मे शुरू हो गयी थी तो ऐसे में मेरा दूर जाना उचित नहीं रहेगा और फिर इसके लिए मेरे माता पिता की अनुमति भी आवश्यक थी । और फिर अन्य रिश्तेदार भी आये हुए थे यदि किसी और ने गुरुदेव के दर्शन करने की इच्छा जाहिर की तो पूरा प्रयास बेकार हो सकता है ।



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उसके बाद जूही अलग हुई और फिर चलने लगी तो अब राज माता ने जूही का हाथ पकड़ लिया और बोली बहुरानी मैं सोच रही हूँ की आप को, महाराज और कुमार तीनो को गुरुदेव महर्षि के पास आशीर्वाद और दर्शन के लिए भेज दू ।

राजमाता इसी सोच विचार में थी की क्या किया जाए और इसीलिए उन्होंने मेरी माता जी से विमर्श करने का विचार किया और बोली पुत्री तुम थोड़ी देर यही रुको । उसके बाद राजमाता मुस्कुराती हुई जूही को मेरे पास छोड़ कर माता जी के कक्ष की और चली गयी ।

फिर मैंने जूही को एक बार फिर अपनी तरफ खींचा और उसे चूमते हुए जूही रानी की साड़ी पर हाथ डाला और धीरे से उसको उतारने लगा।

मैंने जल्दी से जूही रानी की साड़ी और ब्लाउज उतार दिया उसके मम्मे एक रेशमी ब्रा में कैद थे, ब्रा के उतारते ही वह बड़े अनारो के जैसे गोल और ठोस मेरे हाथ में आ गए और फिर उसके पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया।

मैंने झट से एक को अपने मुंह में ले लिया और निप्पल चूस रहा था, दूसरे हाथ से उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच रहा था।

एक ही झटके में ही जूही भाभी का पेटीकोट उतर गया और उसकी सुंदर चूत जो चुदाई से सूजी हुई थी मेरे सामने आ गई।

मैं नीचे बैठ गया और अपना मुंह जूही भाभी की चूत में डाल दिया और उसकी खुशबू से भरी चूत का आनन्द लेने लगा।

जूही की आँखें बंद थी और वह इस मेरे उपक्रम का बहुत ही आनन्द ले रही थी।

मैंने उठ कर जूही को छाती से लगा लिया जहाँ उसके मम्मे एकदम मेरी सख्त छाती में दब गए।

रानी के होटों को चूमते हुए मैं उसको बेड की तरफ ले आया, वहाँ मैं थोड़ा रुक गया और उसको खड़ा करके मैं रोजी को भी अपनी तरफ ले आया और दोनों को एक साथ खड़ा करके उनका शारीरिक मिलान करने लगा।

दोनों ही बेहद खूबसूरत थीं, उनके शरीर संगेमरमर के बने हुए लग रहे थे और दोनों का कद और शरीर की गठन एक समान लग रही थी, यहाँ तक मम्मों और चूतड़ों का साइज भी एक समान लग रहा था।


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मैंने रानी जूही की चूत में ऊँगली डाली तो वह बेहद गीली और रसीली हो चुकी थी। मैंने उसके लबों को चूमते हुए उसको लिटा दिया और खुद उसकी बिलोरी टांगों के बीच बैठ गया।

मेरा मस्त खड़ा लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया और उसकी खुली आँखों में देखता रहा कि वह इशारा करे तो मैं लंड को धक्का मारूं। उसने भी मेरी आँखों में आँखें डाल कर आँख-आँख से ही हामी भर दी और मैंने अपना लौड़ा पूरा ही उसकी चूत में डाल दिया।

वो एकदम से गर्म लोहे की छड़ी की तरह मेरे लंड के अंदर जाते ही जूही रानी बिदक गई, उसने अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए और तभी मैंने पूरा लौड़ा निकाल कर ज़ोर से फिर डाला उसकी चूत में!

उसके मुंह से हल्की-सी हाय निकल गई।

अभी तक मैं बहुत ही धीरे चोद रहा था, अब मैंने चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी।

उधर देखा तो जूही रानी को रोजी ने पूरा संभाल रखा था, वह उसकी मुँह में मुंह डाल कर उसके ओंठ को चूस रही थी और जूही रानी एकदम आनन्द से उछल रही थी।

इधर जूही रानी की चूत में कुछ-कुछ होने लगा और मेरा लंड एकदम समझ गया और उसने धक्के फिर तेज़ शुरू कर दिए और तभी झूइ रानी की चूत से कंपकपाहट उठी और रानी की दोनों संगेमरमर जैसी जांघें मेरे चारों और लिपट गई और उसने मुझको जकड़ लिया।

मैं रुक गया और उसके गोल गुदाज़ मम्मों में सर डाल कर उनकी रेशमी जैसी चमड़ी से मुंह रगड़ने लगा, जूही रानी ने अपनी टांगें खोली तो मैंने एकदम उसको पलट दिया और घोड़ी बना दिया और फिर लंड को उसकी चूत में तेज़ और धीरे अंदर बाहर करने लगा, उसके गोल नितम्बों को दोनों हाथों में पकड़ कर ताबड़तोड़ लंड परेड चालू कर दी।

और जैसे कि मुझको उम्मीद थी वह बहुत जल्दी स्खलित हो गई, बिस्तर पर ढेर हो गई।

रोजी यह सब खेल देख रही थी, वह उठ कर आई और जूही रानी को सीधे लिटा दिया और मैं उसकी टांगों में बैठ कर हल्के-हल्के धक्के मारने लगा।

रानी जो छूटने के बाद ढीली पड़ गई थी, अब फिर फड़क उठी और चूत को उठा-उठा कर मेरे लंड का स्वागत करने लगी।



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दस मिन्ट तेज़ और धीरे चुदाई को मिक्स करते हुए मैंने आखिर में फुल स्पीड से चोदना शुरू कर दिया।

रोजी इस चुदाई का आखिरी राउंड देख रही थी, रोजी जूही रानी के मम्मों को चूस रही थी और साथ-साथ हाथ से उसकी भगनासा को ऊँगली से शाला रही थी।

फिर जूही रानी एकदम से अपने चूतड़ ऊपर उठा कर मेरे पेट के साथ चिपक गई और फिर एक हल्की चीख मार कर छूट गई। उसकी चूत अपने आप खुल और बंद हो रही थी और मेरे लंड को निचोड़ने की कोशिश कर रही थी। मैंने फिर ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी और कुछ ही देर में मेरी पिचकारी पूरी गति से छूट गयी।

मैं थोड़ी देर लंड को अंदर डाले हुए ही जूही रानी के ऊपर लेटा रहा और फिर धीरे से लंड को निकाल लिया चूत से!

रोजी ने फ़ौरन ही रानी की टांगों को हवा में लहरा दिया और कमर के नीचे एक मोटा तकिया रख दिया।

फिर रानी एकदम से अपने चूतड़ ऊपर उठा कर मेरे पेट के साथ चिपक गई और फिर एक हल्की चीख मार कर छूट गई। उसकी चूत अपने आप खुल और बंद हो रही थी और मेरे लंड को निचोड़ने की कोशिश कर रही थी। मैंने फिर ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी और कुछ ही देर में मेरा फव्वारा पूरी फ़ोर्स से छूट गया।

मैं थोड़ी देर लंड को अंदर डाले हुए ही रानी के ऊपर लेटा रहा और फिर धीरे से लंड को निकाल लिया चूत से!

वहाँ से उठ कर मैंने जूही रानी को आलिंगन में ले लिया और उसके लबों पर एक जोशीली चुम्मी कर दी, होटों को होटों पर रख कर मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और उसको गोल-गोल घुमाने लगा। जूही रानी जी की जीभ मेरे मुंह के अंदर जा कर चूस रही थी और मेरा सारा रस चूस रही थी, मैं भी डबल जोश से जूही रानी के ओंठ चूसने लगा ।



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जूही रानी बोली- उफ्फ, क्या गरम लावा है तुम्हारा, मैं तो निहाल हो गई।

हम सब थक गए थे तो रोजी कपडे पहन कर गई और  एक दूसरे को बड़ी ही गर्म नज़रों से देखते रहे।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 18

लग रहा था कि  मेरा इरेक्शन कभी कम नहीं होगा।



हमारी चुदाई के बाद जूही भाभी के चेहरे पर अलग ही रौनक आ गयी थी। भाभी की ख़ुशी को देखकर ऐसा एकदम साफ लग रहा था कि वह अपनी प्यासी नजरों से बार-बार मेरे लंड को ही देख रही थी । मेरा लंड भी मान ही नहीं रहा, जब-जब मैं जूही रानी को देखता था लंड ठुमका लगा रहा था।

इतने में रोजी बोली आप दोनों कपडे पहन लो । दोपहर के भोजन का समय हो रहा है । भाई महाराज और अन्य लोग आ रहे हैं । हमने कपड़े पहने और फिर रानी माँ, भाई महाराज और सभी लोग खाने की मेज पर आ गए । भोजन के बाद सब लोग आराम करने चले गए और फिर रानी माँ मेरे पास ऐना और राजपुरोहित को ले कर आयी और बोली कुमार गुरुदेव अमर ब्रह्मऋषि जी ने ऐना के हाथो प्रसाद भेजा है और आज साय काल में संगीत इत्यादि होगा जिसका मतलब था कि अब हमे गुरुदेव के आश्रम नहीं जाना है ।

मेरा लंड मान ही नहीं रहा था, ऐना को देख खड़ा हो गया और 2–3 बार ऐना और रानी माँ ने भी देख लिया। रानी माँ ऐना  को मेरे पास छोड़ कर चली गयी तो ऐना ने कहा "क्यों अपने आप को तकलीफ दे रहे हो, ज़्यादा खड़ा करकर रखोगे, दर्द होने लग जायेगा" मैंने कहा "तुम बैठा दो फिर, इतनी चिंता कर रही हो" ऐना ने हस्ते हुए कहा " आप इतने दिनों बाद मिले हो मैं इतनी जल्दी नहीं मानूंगी, गुरुदेव का भेजा हुआ ख़ास जड़ी बूटियों वाला रसाद खा लीजिये ताक़त आएगी।

तभी वहाँ जूही रानी भाभी भी गुप्त रास्ते से आ गयी और ऐना हुए जूही दोनों सखिया गले मिली और मैंने जूही के मोटे-मोटे मम्मो को अपने दोनों हाथों की हथेलियों में लेकर मसलना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से भाभी के मुहं से आईईई स्सीईईईइ की आवाज निकलने लगी। फिर जूही रानी भाभी ने मुझे इशारा दिया   उसके बैडरूम में आने का और ऐना को लेकर गुप्त रास्ते से अपने बैडरूम की और चल दी, मैं उसके पीछे-पीछे अपना लंड खुजाता हुआ चल दिया, जैसे ही मैं उनके बैडरूम में घुसा तो मैं जूही रानी भाभी की दो मस्त-मस्त चूचियों को पीछे से पकड़कर मसलने लगा। जूही रानी ने चुदासी-सी होते हुए मुझसे कहा "मुझे लंड की भूख लगी है और अब मुझसे और रुका नहीं जा रहा, जल्दी कपडे उतारो और मुझे चोद कर मेरी चुदाई की प्यास भुजा दो" हम दोनों ने अपनी हवस शांत करने के लिये काफी जल्दी कपडे उतार लिए और नंगे हो गए। मैंने सोचा आराम से करेंगे, लेकिन जूही से रुका नहीं जा रहा था वह तो मेरे लंड से चुदवाने के लिये बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी।


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उधर ऐना  भी नंगी हो गयी और वह मेरा  लंड चूसने के लिये नीचे बैठ गयी और   लंड अपने मुह में रख कर चूसने लगी। मुझे ऐना से अपना लंड चुस्वाने में इतना मजा आ रहा था कि मैं अपने मुह से आह-आह आह आह-आह आह आहा अह आहा-आहा अह आहा अह आहा उन्ह-उन्ह उन्ह उन्ह-उन्ह उन्ह उन्ह-उन्ह ओह्ह ओह्ह-ओह्ह की सिस्कारियाँ निकाल रहा था। थोड़ी देर तक ऐना ने मेरा लंड चूसा। 

 जूही  बेड पर अपनी दोनों टांगे चौड़ी करके लेट गयी . जूही भाभी की टांगो को चाटने के बाद अपना मुह जूही की चूत में डाल कर चाटने लगा और अब जूही भी आह-आह आह अह आहा-आहा अह आहा हा आहा हा हह आहा हाहिह्ह इह्ह-इह्ह इह्ह इह्ह-इह्ह उन्ह उन उन्ह-उन्ह उन्ह उन्ह-उन्ह इह्ह इह्ह-इह्ह इह्ह इह्घ इह्ह-इह्ह इह्ह आह-आह आहा अह आहा की सिस्कारिया निकाल रही थी। ऐना मेरा लंड चूसने के बाद अंदर लेनेके लिए मेरे नीचे लेट गयी और बोली अब दाल दो अंदर कुमार।

सेक्सी जूही रानी भाभी ने कहा "कुमार एक शर्त पर ऐना को चोदने दूंगी, जैसे मैं कहु, वैसे करो" जूही रानी भाभी ने पहले इशारा किया उनकी चुत चाटते रहने के लिए और बोली आप अपना वीर्य मेरे अंदर ही गिराना। मैंने कहा जैसी आपकी आज्ञा भाभी जी। मैं पीठ के बल लेटा और बोला ऐना तुम लंड के ऊपर आ जाओ और भाभी आप मेरे मुँह पर आ जाओ । फिर ऐना मेरे अपर बैठ कर लंडअंदर ले गयी और उछलने लगी और भाभी मेरे मुँह पर आ गयी।

मैंने धीरे से धक्का लगाया और पूरा लंड ऐना की योनि में डाल दिया। उसका मुँह खुल गया और आँख से पानी आ गया।

ऐना तड़फ कर बोली "आज क्या हो गया है आपको?"

मैंने धीरे-धीरे शॉट लगाने शुरू किए।

हम दोनों पहले भी चुदाई कर चुके थे, परन्तु आज जैसी चुदाई का आनन्द पहले कभी नहीं आया था।



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मैंने खूब बढ़िया तरीके से जीभ घुमा-घुमा कर जूही की-की चुत चाटी। साथ में उन दोनों की चूचियों को भी मसलता रहा। जूही रानी भाभी मुझसे अपनी चुत चटवाते-चटवाते बिलकुल पागल हो गयी। जूही रानी भाभी अपनी बाहों में भरकर ऐना के नंगे बदन को चुम रही थी और ऐना भी उसको चुम रही थी और मैं एक तरफ जूही भाभी की चुत को अपनी जीभ से चोद रहा था और दूसरी तरफ ऐना को उछाल कर चोद रहा था।

चूत चुसाई के बाद जूही रानी बिलकुल मदहोश और गरम हो चुकी थी और दोनों लगभग एक साथ झड़ गयी। अब वक़्त आ गया था जहा मुझे जूही की चुदाई करनी थी। काफ़ी देर तक उन दोनों को सहलाने के बाद मैंने दोनों को जगह बदलने का इशारा किया और दोनों ने जब जगह बदल ली तो बिना जूही रानी के कहे, मैंने जूही रानी की चुत पर लंड रगड़ना शुरू कर दिया। तो जूही भाभी बोली अब घुसा दो अपना लंड मेरी योनि में । मैंने उससे कहा "सब कुछ मैं ही करूँगा, तो आप क्या करोगी?"

ये कहते हुए मैंने लंड योनि से हटा लिया।

जूही भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और वह मेरे ऊपर बैठ कर अपनी बुर में मेरा लंड लेने लगी। ऐना अपने हाथ से अपनी बुर को मींजे जा रही थी तथा मुँह से अजीब-अजीब आवाजें निकाले जा रही थी। तो मैंने कहा आप ही इसे अंदर लो । जैसे ही जूही ने अंदर लिया मैंने भी एक जोर का धक्का ऊपर को लगा दिया और मेरे लंड का प्रहार जूही रानी भाभी सहन नहीं कर पाई और काफी ज़ोर से चिलायी आई! भाभी दर्द के मारे इतना ज़ोर से चीखी की पूरे घर को सुनाई दे जाये पर ऐना ने शायद जो होने वाला है उसे भांप लिया था और अपना मुँह जूही के मुँह से लगा दिया जिससे चीख वही दब गयी और दोनों लिप किश करने लगी। उनकी प्यासी योनि में खंजर के जैसे लगे जोर के झटके की वजह से भाभी तेज दर्द होने पर बिन पानी मछली के जैसे छटपटाने लगी और अब भाभी की चूत में मेरा लंबा मोटा लंड पूरा चला गया था ।

मेरा लंड जूही भाबी की योनि में पूरा अंदर प्रवेश करते ही ऐना ने उसके बदन को अपनी बाहों में भरा और मैं काफी ज़ोर-ज़ोर से लंड को ऊपर नीचे करने लग गया और जोर-जोर से अपने लंड से उसकी चुत में झटके मारने लगा। मैंने भाभी को चोदने में मैंने अपना पूरा ज़ोर लगा दिया और उसकी चुत पर अपने लंड से तबाड तोड़ वार करने लगा। भाभी का पूरा गदराया हुआ बदन भी हर झटके के साथ हिल रहा था, जिसकी वजह से उनके पैरों की पायल की छन-छन आवाज़ से मेरा जोश अब पहले से भी ज्यादा बढ़ रहा था ।

जूही भाभी ने मेरा लंड अपनी चूत में डाल कर पूरे लंड को सुपारे से टट्टों तक को दबा-दबा कर चुदवा रही थी और चूत को जोर-जोर से उछाल-उछाल कर चुदाई करने लगी । मैं भी अपने नितम्ब ऊपर को उठा कर धक्के देना लगा और ऐना की छूट चाटने लगा । हम तीनो को बहुत मजा आ रहा था और तीनो ही अपने मुह से आह हाह आहा उन्ह उन्हिह्ह इह्घ की सिस्कारिया निकाल रहे थे।


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भाभी की योनि में मेरा लंड हर एक बड़े ही तेज दमदार धक्के के साथ पूरा अंदर जा रहा था जो भाभी के दर्द और मजे दोनों को पहले से भी ज्यादा बढ़ा रहा था। भाभी को इस तरह से मस्ती में आकर करहाते हुए देखकर मैंने जूही भाभी के तने हुए बूब्स को धीरे-धीरे दबाना शुरू किया ।

जल्द ही मेरी और जूही की रफ़्तार में बेतहाशा तेजी आ गई, चुदाई के मारे जूही का बुरा हाल था। अब उससे रुका नहीं जा रहा था, वह बोली "मेरा तो बस होने वाला है, मैं गई, मैं गई... फ़ाड़ दो... पूरा डाल-डाल कर पेलो, आज तो बहुत खुजली हो रही है इस बुर में सारी खुजली मिटा दो इस बुर की।"

करीब 30 मिनट की जोरदार ठुकाई के दौरान जूही भाभी और ऐना दोनों दो बार झड़ी, जूही रानी भाभी ने कहा "आज आपको क्या हो गया है कुमार मुझसे अब सहन नहीं हो रहा, मैं थक गयी हूँ और बहुत दर्द हो रहा है, दूर हटो" मेरे तगड़े लंड से अपनी कसी हुई चुत की ठुकाई करवाते वक्त जूही की चुत में बहुत तेज दर्द हो रहा था जिसके कारण वह भाभी लेट गयी। उन्हें कुछ होश नहीं था। पर मेरा अभी पानी निकलना बाकि था ।

उसी समय आधी बेहोशी में भाभी ने अपने दोनों पैरों को मोड़ लिया और अपनी दोनों गोरी भरी हुई जांघो को फैला दिया, जिसकी वजह से मैं भाभी के दोनों पैरों के एकदम बीच में आ गया । मैंने लंड योनि में घुसाया और अपनी तरफ से तेज-तेज धक्के देकर भाभी की जवानी का भरपूर आनंद लेने लगा और उसे बेदर्दी से चोदता रहा... इस बीच जूही भाभी लेटी रही और मैं उन्हें बैठ कर चोद रहा था और तो ऐना मुझे मेरे ओंठो पर चूमने लगी और फिर ओर्गास्म की एक शृंखला थी और मुझे तुरंत पता चल गया की भाभी क्या महसूस कर रही हिअ क्योंकि उसका बदन उत्तेजना से कांप रहा था। मैंने खुद को गर्मागर्म महसूस किया, और मैं उसमें पिघल गया। मैं कांप गया क्योंकि ऐंठन ने मुझे हिला दिया था। मैं बस उसके अंदर फैल गया। जवाब में उसका गर्भ भी कांप उठा। आठ-दस धक्कों के बाद लंड की पिचकारी छूट पड़ी और मैं सारा का सारा माल जूही की योनि में भरता चला गया। हम तीनो नंगे ही एक दुसरे से चिपक कर लेटे रहे मेरा लंड भाभी की योनि में ही था।

जूही भाभी लगभग बेहोश थी तो मैंने सेक्सी कामसूत्र की देवी को होश में लाने के लिए भाभी के शरीर से लिपट गया उनके स्तन सहलाने लगा और ऐना भाभी की पीठ अपने दोनों हाथों से सहलाने लगी। हमने भाभी के नंगे शरीर को थोड़ा मसला और जब वह थोड़ा होश में आयी और उस समय सेक्सी भाभी ने हल्की-सी आईईईई माँ मर गई की आवाज अपने मुहं से बाहर निकालकर उन्होंने अपनी दोनों आखों को बंद कर लिया और वह अब ज़ोर-ज़ोर से सांसे लेने लगी और मैं उन्हें चूमने लगा । तो जूही भाभी ने अपनी दोनों आखें खोली और मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी। उन्होंने मुझे और जूही दोनों को इस जोरदार मजेदार चुदाई के लिए धन्यवाद कहा।



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हम दोनों हंस पड़े। मैंने नीचे देखा, मेरा लंड और योनी अभी भी स्पंदित है। मैंने उसे खींच कर एक बार फिर हमने गले लगा लिया। मेरा लंड अभी तक कठोर था और जब तक मेरा लंड खड़ा हुआ था, वह मेरे स्ट्रोक प्राप्त करना जारी रखना चाहती थी। जब तक मैं कठिन था मैं भी चुदाई के आनंद को लम्बा करना चाहता था। मैंने अपनी कठोरता को खोने का अनुभव नहीं किया। मैंने उसे कूल्हों पर पकड़कर साथ में चिपका लिया। जूही भाभी आश्चर्य और खुशी में हांफ रही थी क्योंकि लंड और योनी को नए कोण मिले थे।

मैंने उसे वहीं पकड़ कर रखा और धीरे से घुटने टेक दिए। मैंने ये सुनिश्चित करते हुए कि मेरा लंड कभी भी योनि से बाहर न निकले मैंने उसे वापस लिटाया और उसके ऊपर चला गया। एक बार जब हम बिस्तर पर लेट गए, तो मैं अपनी बाईं करवट शिफ्ट हो गया और हम एक-दूसरे के साथ चिपके रहे और मैंने बायाँ पैर ऊपर उठा लिया ताकि मेरा लंड कभी योनि से बाहर न निकले।

ऐसा लग रहा था कि जूही के लिए मेरा इरेक्शन कभी कम नहीं होगा। मैं और रानी दोनों अपने धारावाहिक मुठभेड़ों की तीव्रता से थक चुके थे। मेरे इरेक्शन को जाने ना देने के लिए उसने मुझे अपनी खुली योनी के ऊपर खींच लिया। वह बड़ी खुश खिली हुई नजर आ रही है जैसे आज भाभी को सारी ख़ुशी मिल गई है । उसकी टांग मेरे साथ चिपक गयी और दोनों सो गए, मेरा धड़कता हुया लंड धड़कते हुए, अभी भी उसके अंदर ही था।

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दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

नयी भाभी की सुहागरात

CHAPTER-2

PART 19

 मालिश से आराम और चुदाई


जब मालिश की मेज पर लेट कर जब आँखें खोलीं तो अपने ऊपर लटके हुए जार से तेल टपकता हुआ देखा। रानी जूही जन्नत में थी। एना की देखरेख में महर्षि द्वारा प्रदान किये गए जड़ी बूटियों का हर्बल उपचार और देखभाल प्राणपोषक थी। वह अपने महल में भी अच्छी तरह से मालिश इत्यादि का अनुभव कर चुकी थी लेकिन पूरे माहौल और सेटिंग में बदलाव ने उसके लिए पूरी तरह से नए स्तर का अनुभव था।

उसने महसूस किया कि उसके साथ मेरे सेक्स के कारण इस मालिश से उसे बहुत आराम मिला था और ये हर्बल तेल से मालिश का अनुभव काफी अच्छा था। हमारी यौन मुठभेड़ बहुत जोरदार थी और मैंने उसे बहुत ही शारीरिक रूप से ऊर्जावान फैशन में कई बार चोद दिया था। उसके अंगों में आनंद भरा दर्द हो रहा था और उसकी योनी नए आयामों तक खिंची हुई महसूस हो रही थी। उसने अपने शरीर के कुछ हिस्सों में दर्द और कुछ जगहों पर रोमांच महसूस किया था जिनके बारे में वह नहीं जानती थी।

और मालिश करनेवाली, जो उसके शरीर पर मालिश कर रही थी, उसकी विशेषज्ञ उंगलियाँ जादू भरी थी। महिला के हाथों ने तनाव और थकान मिटा दी और जूही को राहत मिली। जूही ने अपने शरीर को पुनः ऊर्जावान महसूस किया और एक बार फिर वह मुझे आकर्षित करने के बारे में सोचने लगी। मालिश करनेवाली उसके शरीर को एक बांसुरी की तरह बजा रही थी और वह उसके साथ कुछ यौन राहत में लिप्त हो सकती थी। लेकिन वह जानती थी कि मैं लंबे समय तक उपलब्ध नहीं रहूँगा और रानी माँ इसकी अनुमति भी नहीं देगी और जल्दी ही मैं अपने विवाह के लिए चला जाऊँगा और फिर मुझे अन्य रानियों को भी चौद कर गर्भवती करना है। ्मेरे साथ चुदाई के लिए यह उसका आखिरी मौका हो सकता है, जबकि मालिश करने वाली की सेवाएँ वह कभी भी ले सकती है।


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राजमाता ने अपनी नयी बहू और मुझे पूरे जोश के साथ चोदते हुए देखा था। उसे अब कोई संदेह नहीं था कि संसेचन हो गया होगा। मैंने उसे एक से अधिक बार भीग लिया था और वीर्य दान कर उसकी योनि को हर बार भर दिया था। राजमाता के अपने सारे पूर्वाग्रह समाप्त हो गए थे और राजमाता ने खुद को भी तृप्त करने के बारे में कई बार सोचा था और वह मेरे लिंग की लम्बाई और आकार से आकर्षित थी और चुदाई को देख कर हर बार प्रभावित हुई थी। लेकिन दिन की रोशनी में, उसने अपने आप का समझा लिया था की रानी जूही के गर्भधान के लिए अब मेरी ज़रूरत नहीं थी।

मुझे पता था क्यों। पूरी रात मैं और जूही बिस्तर पर चुदाई करते रहे थे और फिर कुछ देर के लिए चिपक कर सोए थे। रानी जूही जब तड़के उठी थी तो मैं उन्हें धीरे से मैंने चूम रहा था। मेरे स्पर्श से वह जग गईं थी। और मुझे अपने साथ चिपका हुआ देखा था । और फिर जूही रानी ने अपनी नंगी टांगें फैला दी थी, अपना हाथ नीचे डाल कर मेरा लंड पकड़ा सुपडे पर हाथ फिरा कर लण्ड का सुपाड़ा अपनी उंगलीयों से टटोल कर पकड़ लिया था और अपनी चूत के छेद पर टिका लिया था।

नरम छेद का सुपाड़े पर स्पर्श पाते ही मैंने तनिक देर भी और प्रतीक्षा किये बिना ही एक तेज धक्का लगा कर अपना सूजा हुआ लंड मुंड तेजी से रानी जूही की जांघो के बीच उसकी योनि में गायब कर दिया था और फिर मेरी गेंदे और नंगी जाँघे उसकी नंगी जाँघों से ऐंठने वाले झटके में टकरा रहे थी।



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फिर जब हमने समाप्त किया तो उसकी योनी में दर्द हो रहा था। हम शोरगुल कर रहे थे और जंगली थे और इसके कारण एक बार फिर राजमाता की नींद हमने खराब कर दी थी।

मैं भी मालिश करवाने के बाद अब अपनी शादी के लिए चीजें पैक करवाने में व्यस्त था, जब महारानी की सबसे करीबी नौकरानी, विश्वासपात्र नैना मेरे पास आई।



"रानी साहिबा आपसे मिलना चाहती हैं," उसने मुझे सूचित किया।

"वौ कहा हॆ?" मैंने पूछ लिया। मैंने उसकी तलाश की थी लेकिन वह नहीं मिली।

"वह दूसरे छोर पर झोपड़ी में है, जहाँ उनका हर्बल उपचार किया जा रहा है," नौकरानी ने शरमाते हुए कहा। उसे मालूम था राजकुमारी आग से खेल रही थी, वह जानती थी। रानी खुद जल रही थी और वह भी जानती थी। "राजकुमारी को इतनी दूर तक ले जाने वाला जरूर चुदाई में सांड ही होगा और फिर उसने मेरा खड़ा हुआ लम्बा और विशाल लंड भी सुबह ही देखा था," उसने मन ही मन सोचा।

जब मैं वहाँ पहुँचा तो जूही वहीं लेटी हुई थी, उसका बदन नग्न था। मालिश करने वाली के विशेषज्ञ हाथों ने उसे सभी शारीरिक तनावों से मुक्त कर दिया था लेकिन उसके शरीर में यौन तनाव से आग लगा दी थी। मैंने रानी जूही के व्यक्तित्व को एक नया आयाम दिया था। वह दुखी थी कि मैं जा रहा था लेकिन फिलहाल हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते थे। उसका शरीर मेरे मर्दाना हाथों से उसकी मालिश के लिए तड़प रहा था।

मैं झोपड़ी में घुसा तो जूही को नग्न अवस्था में लेटी हुई देख दंग रह गया। उसका शरीर तेल से चमक रहा था। उसके स्तन उसकी छाती पर सीधे थे और दोनों निप्पल खड़े थे और आकाश की ओर इशारा कर रहे थे ।। जूही रानी कामोद्दीपक थीं। मेरा लंड सलाम में झटक गया। जूही के साथ सम्भोग करने के बाद से मेरा इरेक्शन शायद ही कभी पूरी तरह से कम हुआ हो। लंड के लिए एकमात्र राहत उसकी योनी का गर्म घोंसला था। लंड की कठोरता ने मुझे पहली बार पीड़ा दी।

उसने महसूस किया कि मेरे प्रवेश करते ही वह मुड़े हुए घुटने से एक पैर ऊपर उठाते हुए मेरी तरफ मुड़ी। वह अपने पैरों के बीच गैप और इस तथ्य से बेखबर थी कि उसकी चूत मुझे दिखाई दे रही थी। वह ऐसा ही चाहती थी। "कुमार मालिश करने वाली ने एक काम अधूरा छोड़ दिया है," वह फुसफुसायी, उसकी आवाज़ उत्साह के साथ कांप रही थी।


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जूही ने अपने निप्पल को सहलाते हुए एक स्तन अपने हाथ में तौला। वह काँप उठी और उसने मुझे पास आने का इशारा किया।

"रानी साहिबा," मैं फुसफुसाया।

"मुझे पता है कि आप मुझे जुहिइइइइइ कैसे बुलाते हैं," उसने जवाब दिया, उसका हाथ मेरी धोती के नीचे कुछ खोज रहा था।

एकदम स्पंजी कमर मांसल यौवन देख कर मैंने उसे चोदने का मन बना लिया और कमरे को बंद कर उसको चूमने चाटने लगा । वह उठी और मुझे अपने लिप्स और जीभ से चाटने लगी । उसके ऐसा करने से मैं जोश में भर कर मैंने उसे अपने पास खींचा और अपने लंड को उसकी चुत में घुसेड़ दिया और जैसे माखन की टिकिआ में चाकू जाता है उसी सरलता से लंड अंदर चला गया ।फिर मैंने उसे बेरहमी से चौदा और मज़ा लूटा और उसने भी चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई का मज़ा लिया फिर पलट कर उसे ऊपर ले लिया और मेने उसकी बेरहमी से उछाल-उछाल कर चुदाई की और फिर हम दोनों ने एक दूसरे की बांहो में जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिया और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा ।।

जैसे ही मेरा बीज उसमें डाला गया, वह बाहर बह गया, और नीचे की मेज पर टपक रहा था। जूही ने मेरे हाथों को अपने स्तनों, को बाते हुए महसूस किया। उसके निप्पल मेरे चंगुल में नरम महसूस हुए वह लूटने के लिए मेरी थी और वह चाहती थी कि मैं उस के शरीर पर अपने प्यार के निशान छोड़ दूं। शायद उसके स्तनों पर मेरे रात के प्यार के घाव थे। उसने मेरी जांघों को कांपते हुए देखा।

उसने नीचे देखा और देखा कि मेरा वीर्य उसकी योनी से अभी भी टपक रहा था। यह निश्चित रूप से वह स्थिति नहीं थी जिससे रानी माँ संसेचन की गारंटी चाहती थी।


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राजमाता चुपके से हमारी चुदाई देख रही थी उसने रानी को जाने के लिए निर्देश देने के लिए इशारा दिया। हम दोनों वासना में जानवर बन गए थे और स्पष्ट रूप से राजमाता हमें रोकने के लिए और कुछ नहीं कर सकती थी। रानी माँ खुश थी कि उसने मुझे इस काम के लिए चुना था। पिछले 36 घंटों में काफी चुदाई हुई थी और राजमाता जानती थी कि मैंने पर्याप्त वीर्य उत्सर्जन किया है। निश्चय ही समय पर रानी गर्भवती पाई जाएगी। अब जूही की और चुदाई, इंतजार करने और चुदाई देखने की कोई जरूरत नहीं थी।

जाहिर है, जूही रानी अब खुद को लंड से ज्यादा दूर नहीं रख सकेगी इसलिए रानी मा ने अब इसे रोकने का निर्णय लिया और इशारा पाते ही उनकी बहू ने अपने खुले हुए वस्त्रों को इकट्ठा किया,  पहना और अपने कक्ष में चली गई।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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VOLUME  II

बैचलर पार्टी

CHAPTER-3

PART 1

पार्टी की तयारी


इस बीच मेरे फूफेरे भाई । टॉम और उनके अतिरिक्त मेरे दोस्त ब्रैडी, आमिर । मोंटू, रजनीकान्त भी आ चुके थे और भाई महाराज ने लड़को के लिए एक सरप्राईज बैचलर पार्टी आयोजित करने का जिम्मा बॉब को सौंपा था और वह सब आयोजन उसे गुप्त रूप से लंदन और यूरोप से शुरू कर दिया था । सबसे पहले वह एमस्टर्डम गया था।

एम्सटर्डम में दूसरी मंजिल "बुल्स क्लब" में प्रवेश करते समय बॉब रुसी सुंदरी कैसा के पीछे चलते हुए उसके बड़े गोल और सुदृढ़ नितम्बो को हिलते हुए देख कर मंत्रमुग्ध हो गया था। बॉब कैसा को तब से जानता था जब कैसा ने उनके पारिवारिक व्यापार में प्रबंधक मार्टिन के साथ शादी की थी और जब बॉब पहली बार उससे मिला था तो वह एक सीधी सादी गृहिणी के तौर पर उसने मार्टिन के साथ अपना जीवन शुरू किया था और बॉब कैसा में आये इस सुखद परिवर्तन को देख कर आश्चर्यचकित था।

उसके नितम्ब बड़े हो गए थे और वह अब सुंदर आकार में आ गई थी और उसके ऊँची एड़ी वाले काउगर्ल जूते और त्वचा-तंग जींस उसकी टांगो और उसके नितम्बो के वक्र को दिखा रही थी।


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बॉब ने उसकी जींस के सिलाई का वहाँ तक अध्ययन किया जहाँ वह उसकी जांघों के बीच गायब हो गई। बॉब उसके अंगो से निकलने वाली गर्मी को महसूस कर रहा था। बॉब ने अपनी उँगलियों को अपने आगे चल रही कैसा की जाँघ के अंदर सरका दिया और वहाँ उसे छुआ। वह उछल गयी और उसने बॉब का हाथ हटा दिया। "अपने व्यवहार को नियंत्रित कीजिये बॉब-कैसा मुस्कुराते हुए बोली!"

जैसे ही हम पहली मजिल पर पहुँचे, संगीत की गूँज-थप-थं की ध्वनि एक क्रेस्केंडो बन गई और एक टक्सीडो-पहने विशालकाय गेटकीपर ने हमारे लिए दरवाजा खोल दिया। दरवाजे के ठीक अंदर, हम रिसेप्शन डेस्क पर रुक गए, जहाँ एक कम कपडे पहने हुई और अच्छी तरह से टैटू वाली युवती ने बॉब से 50 यूरो का कवर चार्ज और प्रवेश शुल्क लिया साथ में कैसा को नि: शुल्क प्रवेश मिला।

भले ही बहरे, धड़कते संगीत ने उन्हें पहले ही घेर लिया हो, फिर से सीढ़िया उन्हें क्लब के अंदरूनी भाग की तरफ ले गयी जो दूसरी मंजिल पर था। जब वह फिर से सीढिया चढ़ रहे थे तो बॉब सोच रहा था कि क्या कैसा को यहाँ ला कर उसने गलती की है। यह सब तब शुरू हुआ जब बॉब को भाई महाराज ने फोन कर के सरप्राईज बैचलर पार्टी आयोजित करने का जिम्मा बॉब को सौंपा था, उस समय बॉब मार्टिन और कैसा के साथ था और इसी सिलसिले में बॉब ने लापरवाही से मार्टिन और उल्लेख किया कि उसे आगामी बैचलर पार्टी में मनोरंजन के लिए कुछ स्ट्रिपर्स खोजने का काम सौंपा गया है।

कैसा यह जान कर उत्साहित हो गयी थी कि बॉब भर्ती करने के लिए कुछ स्ट्रिप क्लबों का दौरा करने जा रहा था। उसने कहा कि वह हमेशा उन जगहों को देखने के लिए उत्सुक थी, लेकिन उसका पति उसे कभी इस जगहों पर नहीं ले जाएगा। फिर जैसे ही हुआ, मार्टिन उस समय ऑफिस के काम से दौरे पर था और उसने व्यावहारिक रूप से बॉब से उसे साथ ले जाने के लिए भीख माँगी। बॉब ने इस प्रस्ताव को बहुत प्रेरक पाया था क्योंकि उसे कैसा का साथ अच्छा लगता था। और दोनों के बीच सेक्स के गुप्त सम्बन्ध भी थे और अगर सच कहा जाए, तो कैसा ने बॉब की गेंदों पर काफी मजबूत पकड़ बना ली थी, और फिर बॉब ने कैसा को नर्तकी और स्ट्रिपर-भर्ती के प्रयास में साथ ले जाने का वादा किया था।

बॉब इस बात को लेकर थोड़ा चिंतित था कि कुछ स्थानों पर कैसा की क्या प्रतिक्रिया होगी। उनमें से कुछ शायद उसे बहुत ही जंगली प्रतीत होंगे, इसलिए बॉब ने एक फैंसी एम्सटर्डम क्लब से शुरू करने का फैसला किया था जहाँ केवल "आर" रेट का मनोरंजन किया जाता था और संरक्षकों के बीच अन्य जोड़ों के उपस्थित होने की भी संभावना थी।

एम्सटर्डम के इस बुल्स क्लब में सभी जगह पर काले और बैंगनी क्रोम के दर्पण और फैंसी प्रकाश की व्यवस्था थी। यह क्लब एक शृंखला का हिस्सा था और यहाँ मुख्य रूप से यूरोपियन नर्तकियों द्वारा नृत्य किया गया था जो अलग-अलग समय पर विभिन्न प्रमुख शहरों में स्तिथ क्लब की अन्य शाखाओ में आती जाती रहती थी। बॉब को लगा कि वह यहाँ जिस तरह के एंटरटेनर की तलाश कर रहा है, वह उसे नहीं मिलेगी, लेकिन बॉब यहाँ मुख्यता इसलिए आया था कि यह कैसा के पहले स्ट्रिप-क्लब अनुभव के लिए एक अच्छा विकल्प रहेगा।


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क्लब के मूल रूप से तीन मुख्य स्तर थे। जब उन्होंने प्रवेश सीढ़ियों के शीर्ष से प्रवेश किया, तो वह दोनों मध्य में थे, जिसमें बार और मिश्रित टेबल कई छोटे चरणों के आसपास थी। उस स्तर से, उन्होंने मुख्य मंच को देखा जो सबसे निचले स्तर पर था। मुख्य मंच चारो तरफ से टेबलों से घिरा हुआ था, आंतरिक सीढ़ियों के द्वारा तलो और मंच तक पहुँचा जा सकता था। उनके ऊपर वीआईपी कमरा था, जिससे मुख्य मंच भी दिखाई देता था।

कैसा की आँखे बड़ी-बड़ी हो कर पूरे दृष्ट का अवलोकन कर रही थी। बिकिनी पहने वेट्रेस पेय से भरी ट्रे के साथ टेबल के बीच अपना काम कर रही थीं। मुख्य मंच से बाहर निकलने से पहले एक नग्न नर्तकी ने जल्दी से फर्श से बिखरे हुए यूरो एकत्र किए। कुछ सेकंड बाद, उसकी जगह एक अन्य नर्तकी ने ले ली जो कपडे पहने हुई थी और वह अपना पहला गाना शुरू कर रही थी।



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वो दोनों  काफी जल्दी आ गए थे, इसलिए कुछ टेबल खाली थे। उनके स्तर पर किसी भी छोटे मंच पर कोई भी नर्तकी नृत्य नहीं कर रही थी, इसलिए बॉब ने कैसा को दो के लिए एक मेज की और निर्देशित किया, जिसमें मुख्य मंच का अच्छा दृश्य नजर आ रहा था। कुछ सेकंड बाद, एक गुलाबी बिकनी में एक खूबसूरत गोरी वेट्रेस ने मेज पर दो कॉकटेल नैपकिन रखे और पूछा कि हम क्या पीना चाहते हैं?

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दीपक कुमार
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VOLUME II

बैचलर पार्टी

CHAPTER-3

PART 2

पार्टी की तयारी


कुछ सेकंड बाद, एक गुलाबी बिकनी में एक खूबसूरत गोरी वेट्रेस ने मेज पर दो कॉकटेल नैपकिन रखे और पूछा कि हम क्या पीना चाहते हैं?

बॉब ने कैसा को देखा। "बीयर?" उसने हाँ में सर हिलाया। "दो बीयर, ," बॉब ने कहा। वेट्रेस ने पलक झपकते ही बार की ओर रुख किया। वेट्रेस के गांड बहुत सुंदर थी कैसा उस नर्तकी को देख रही थी जो मुख्य मंच पर नाच कर रही थी।

"वे लोग मंच पर यूरो के नोट क्यों फेक रहे हैं?" कैसा ने पूछा।

"प्रशंसा और प्रोत्साहन के लिए। ये बिलकुल सीटी बजाने या ताली बजाने की तरह है। इस तरह नर्तकिया पैसा कमाती हैं और जब प्रश्नासक अधिक पैसा देते है तो नर्तकियाँ जितना अधिक पैसा कमाने के लिए और बढ़िया नृत्य पेश करती है और दर्शक उतनी ही अधिक...उम...प्रशंसा दिखाते हैं।"

"समझी।"

कुछ देर बाद उसने पूछा, "ये लैप डांस क्या होता है? मैंने इसके बारे में सुना है।"


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"इसमें नर्तकिया मूल रूप से पुरुषो की गोद में बैठती है और ये निर्त्य कमोबेश सेक्स के लिए उत्तेजित करने के लिए किया जाता है। आम तौर पर पुरुष अपने कपड़े पहने रहता है। लड़की या महिला नर्तकी भी लेकिन आमतौर पर केवल अपना टॉप उतार देती है और पुरुष के चेहरे को अपने स्तनों और इस तरह की चीजों से रगड़ती है। वह उसे छू सकती है, लेकिन आमतौर पर पुरुष को उसे छूने की अनुमति नहीं होती है।"

"आमतौर पर?"

बॉब ने कमर कस ली। "अच्छे ग्राहकों को कभी-कभी विशेष सुविधाएँ दो जाती है।"

कैसा ने क्लब के चारों ओर देखा। "क्या वे यहाँ लैप डांस करते हैं?"


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लैप डांस नृत्य वेश्यावृत्ति का एक रूप माना जाता है और नीदरलैंड में वेश्यावृत्ति कानूनी और विनियमित है। वेश्यालय चलाना भी कानूनी है... "हाँ वे करते थे, अब वे यहाँ इसे पेश करते हैं या नहीं मुझे नहीं पता। बहुत दिनों से यहाँ नहीं आया हूँ।"

मुख्य मंच पर नर्तकी दूसरे गीत पर नाच पेश कर रही थी और कपड़े उतारने वाली थी कि वेट्रेस ने हमे हमारा पेय पेश किया। "पंद्रह यूरो।" जैसे ही बॉब ने वेट्रेस को बीस यूरो थमाते हुए कैसा की आँखें चौड़ी हो गयी और बॉब ने वेट्रेस को बाकी यूरो रखने के लिए कहा। वेट्रेस ने उसे एक बड़ी मुस्कान के साथ धन्यवाद कहा।

"बहुत महंगा है," कैसा ने कहा। बॉब ने मेरे कंधे उचकाए और मुस्कुराया।

बॉब फिर बीयर पीटा हुआ मंच की ओर देख रहा था कि एक अन्य नर्तकी ने उनकी मेज के सबसे निकट के छोटे मंच पर कदम रखा। बिकनी पहने डांसर की आंखें बॉब को देख कर चमक उठीं। फिर उसने एक पल के लिए कैसा को देखा और फिर उनकी ओर पीठ करके अपने पिछवाड़े को हिलाया।

नयी नर्तकी पोल नृत्य पेश कर रही थी और पोल पर लटकी हुई थी और संगीत के साथ झूम रही थी। कैसा ने कुछ क्षण उसका अध्ययन किया। "वह सुंदर है।"

कयास का आकलन सही था। कैसा की तरह, गोरी नर्तकी बीस वर्ष के आसपास की लग रही थी। उसके पास एक मिश्रित नस्ल की स्थानीय लड़की की विशेषताएँ थीं, जिसके कमर तक लंबे सुनहरे बाल थे और बड़ी आँखें कॉन्टैक्ट लेंस के प्रयोग के कारण नीली थीं। वह लगभग पाँच फीट लंबी थी, सबसे अच्छी तरह से, एक संपूर्ण आकृति के साथ, जिसमें से अधिकांश प्राकृतिक थी। उसके बड़े स्तन अभी भी उसके बिकनी टॉप से ढके हुए थे।

बॉब ने अपनी जेब से पैसे निकाले और बीस यूरो का नोट केसा को दिया। । "यह उसे दे दो।"

"कैसे?"


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"इसे लंबाई में आधा मोड़ो। वह आपको दिखाएगी कि इसे कहाँ रखा जाए।"

"क्या?"

" वह आपको दिखाएगी कि वह इसे कहाँ लेना चाहती है।

फिर भी किस जगह?

उसकी जांघ पर गार्टर (टांगो के चारों ओर पहना जाने वाला बैंड।) देखा आपने? "

कैसा ने सिर हिलाया।

"ठीक है, वह शायद इसे अपने टांग से थोड़ा दूर खींच लेगी ताकि आप इसके नीचे नोट को फसा सकें। या, हो सकता है कि वह इसे अपनी बिकनी में लेना चाहे।"

कैसा उठी और मंच पर चली गई। नर्तकी की निगाहें पहले बॉब पर टिकी और फिर नर्तकी ने कैसा को देखा तो उसने पाया कि कैसा ने मुड़ा हुआ 20 यूरो का नोट पकड़ा हुआ है और उसने अपने गार्टर को खींच लिया। और कैसा ने बीस के नॉट को-को नर्तकी के गार्टर और उसके टांग के बीच खिसका दिया, नर्तकी मुस्कुरायी और उसे धन्यवाद दिया।

कैसा टेबल पर वापस आगयी और बॉब की बगल में बैठ गयी "वह बहुत खूबसूरत है।"

बॉब ने सिर हिलाया और मुस्कुराया। जब उसका नृत्य समाप्त हुआ, तो नर्तकी छोटे से मंच से नीचे उतर गयी और उनके पास आयी।

"हाय सिमी," बॉब ने कहा। "यह कैसा है। कैसा, यह सिमी है।"


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"सीसीमि?" कासा ने पूछा।

"हाँ, मैं बॉब को जानती हूँ," सिमी ने कहा। "

कैसा ने उसकी ओर देखा "तो तुम दोनों एक दूसरे को जानते हो?"

बॉब बोला। "मैं यहाँ पहले भी आया हूँ।"

सिमी ने कैसा को ऊपर-नीचे देखा। उसकी आँखें उसके बटन वाले रेशमी ब्लाउज के पीछे कैसा के स्तनों के उभार पर रुक गईं। फिर उसने कैसा की टांगो की ओर देखा। "सुंदर।"

फिर सिमी की निगाह फिर से कैसा के स्तनों की दरार पर रुक गयी। "क्या आप यहाँ नौकरी की तलाश में आयी हो?"

कासा ने हँस कर सिर हिलाया। "ओह्ह! नहीं।"

"वास्तव में," बॉब ने कहा, "मैं एक बेचलर पार्टी के लिए नर्तकियों की तलाश कर रहा हूँ और कैसा मेरे साथ रहना चाहती थी क्योंकि वह पहले कभी भी ऐसे क्लब में नहीं गयी है।"

"ओह," सिमी ने कहा। "मैं ये नहीं कर सकती। हमें क्लब के बाहर काम करने की अनुमति नहीं है। हम अनुबंध में है और अगर हम अनुबंध तोड़ते है और पकदे जाते हैं, तो वे हमें नौकरी से निकाल देते हैं हमें अपने घर वापस जाना पड़ता है और हर्जाने का भुगतान करना पड़ता है।"

बॉब सिमी की बात सुन कर बिलकुल हैरान नहीं था। उस रात इस क्लब में होने का एकमात्र कारण यह था कि पहले इस तरह की बॉब जगह पर कैसा की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन करना चाहता था जहाँ बॉब को पार्टी के लिए उपयुक्त नर्तकियों की तलाश करने की संभावना थी। "आह, यह बहुत बुरा है," बॉब ने निराशा का बहाना करते हुए कहा। क्या मैं मैनेजर से इस बारे में बात करू?


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नहीं उसका कोई फायदा नहीं होगा और नीदरलैंड में ऐसे अनुबंध कानूनी और विनियमित है। मैं इसे नहीं तोड़ सकती ।

"ओह, ठीक है," बॉब ने सिमी से ज्यादा कैसा को देखते हुए कहा, " हम थोड़ी देर रुक कर नृत्य देख सकते हैं।"

"मैं अब मुख्य मंच पर आने वाली हूँ।"

"ओह, अच्छा," कैसा ने कहा। "मैं आपको स्ट्रिप डांस करते हुए देखना चाहती हूँ ... उम ..."


ये बोलती हुई कैसा शरमा गयी। सिमी ने कैसा के कंधे पर हाथ रखा और उसके कान में फुसफुसायी। कैसा ने सिर हिलाया। सिमी ने उसके गाल पर किस किया और फिर बॉब के गाल पर  किस कर दिया।

फिर सिमी  दरवाजे की तरफ बढ़ गयी जो मंच के पीछे की तरफ था।

"उसने आपसे क्या कहा?" बॉब ने पूछा।

"उसने कहा कि मैं भाग्यशाली हूँ और बॉब को आपकी सराहना करनी चाहिए। उसने कहा कि तुम एक सज्जन व्यक्ति हो।"

क्या तुमने कभी सिमी के साथ सहवास किया है बॉब? कैसा ने अचानक पूछ लिया ।

"मैं उसे कई सालों से जानता हूँ। लेकिन इससे ज्यादा कुछ नहीं?"


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"क्यों नहीं? वह सुंदर है और वह स्पष्ट रूप से आपको पसंद करती है।" कैसा की आंखों में चमक थी। बॉब को लगता है कि कैसा इस मौके का आनंद ले रही थी।

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VOLUME II

बैचलर पार्टी

CHAPTER-3

PART 3

नर्तकियों की तलाश


मुख्य मंच पर नग्न नर्तकी ने अपना नृत्य समाप्त किया और अपने कपड़े और पैसे इकट्ठा किए। 


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उसके जाने के बाद डीजे ने सिमी का परिचय दिया और अगला गाना शुरू किया। कुछ सेकंड बाद, वह मंच पर आयी। उसने ऊँची एड़ी के जूते और एक सफेद रंग की पोषक पहनी हुई थी जो उसके शरीर के आकृति को प्रदर्शित कर रही थी।

सिमी ने अपने पहले गाने को पूरी तरह से कपडे पहने हुए नृत्य किया, और यूरो के नोट पकडे हुए पुरुषों का एक समूह मंच के पास इकट्ठा हो गया था। उनमें से कुछ ने मंच पर कुछ नोट फेंके। गाना खत्म होने पर सिमी ने उन्हें इकट्ठा किया।

जैसे ही दूसरा गाना शुरू हुआ, उसने अपनी ऊपरी पोशाक को उतार फेंका। वह एक शुद्ध सफेद बिकिनी में शानदार और बहुत आकर्षक लग रही थी। वह मंच की परिधि के चारों ओर नृत्य करती रही वह कभी-कभी बैठती थी ताकि दर्शको में से एक को उसके गार्टर के नीचे कुछ नोट लगा सके।

"बॉब! उनमें से कुछ लोग सिर्फ अपने पैसे पकड़ खड़े क्यों हैं?" कैसा ने पूछा।

"वे अगले गीत की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जब वह गार्टर के अलावा सब कुछ उतार देगी।"

तीसरा गाना चला तो सिमी मंच के किनारे पर नाचती हुई एक लड़के से दूसरे लड़के की ओर बढ़ रही थी, और उनके सामने अपने घुटनों के बल बैठी ताकि वे अपने डॉलर के बिल को उसके गार्टर में रख सकें।

कैसा सिमी को और उसकी मुद्राओं और अदाओ को ध्यान से देख रही थी।

बॉब बारटेंडर के पास गया और उसे 100 यूरो का बिल दिया। "कृपया छोटे नोट दे।"

बार टेंडर मुस्कुराया और सिर हिलाया क्योंकि उसने उसे  सौ यूरो के एक-एक यूरो के नोटों का पहले से गिना हुआ बंडल दे दिया। बॉब अपनी मेज पर लौट आया और बंडल को कैसा को सौंप दिया।

"जाओ?" बॉब ने मुख्य मंच के ऊपर एक छोटे से मंच की ओर इशारा किया। "वहाँ सीढ़ी चढ़ो और उसे पर नोटों की बौछार करो।"

कैसा अपनी स्टूल से उत्तर कर मेजों के बीच से होते हुए सीढ़ी चढ़ने लगी । अन्य बहुत सारे दर्शक चढ़ते समय कैसा की प्रशंसा कर रहे थे, कुछ सीटिया बजा रहे-रहे थे और कुछ तालिया बजाने लगे। केसा छोटे मंच पर चढ़ कर रुक गई और रेलिंग पर झुक गई, सिमी के अपने पास आने की प्रतीक्षा करने लगी।

सिमी ने कैसा को देखा और उसने एक डॉलर के टिप्स देने वाले लड़कों को छोड़ कैसा के समीप आकर उसके मंच के नीचे नृत्य किया। बॉब ने अपने हाथ से नोट फेंकने और उछालने का इशारा किया तो कैसा ने सिर हिलाया और 100 एक-यूरो के नोटो को हवा में उछाल दिया। सिमी ने अपनी बाहों को अपने सिर के ऊपर उठाया और अपने स्तनों को हिलाया क्योंकि नोट उसके चारों ओर फड़फड़ा रहे थे। सभी ने तालियाँ और सीटिया बजाईं। सिमी ने कैसा पर एक किस फेंका और फिर मंच पर नोटों के ढेर के बीच नृत्य करना शुरू कर दिया।


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कैसा जल्दी से वापस नीचे आ गयी और बॉब से बोली इसमें कुछ अलग ही मजा आया।

फिर जब सिमी ने अपना नृत्य खत्म किया और मंच पर फैले से सारे यूरो के नॉट एकत्रित करने लगीं। अन्य नर्तकियों में से एक उसकी मदद करने लगी। सिमी कूल्हे से झुकी और अपने कपड़े उठाते हुए उसने बॉब और कैसा को अपनी चूत दिखाई। फिर उसने मंच से बाहर निकलते हुए एक उत्तेजक ठुमका लगाया।

"सिमी ओह सिमी बॉब देखो वह कितनी सुंदर है, क्या शानदर शरीर है," कैसा ने कहा। "मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि आप उसके साथ यौन सम्बंध नहीं बनाना चाहते।"

"मैंने ऐसा बिल्कुल नहीं कहा। ।"

"ओह, तो वह सेक्स नहीं करना चाहती?"

"शायद।"

"शायद वह नहीं जानती थी कि आप उसे पसंद करते हैं।"

"हुह?"

हम वहाँ बैठे नाच देखते रहे, जबकि अगली नर्तकी ने मंच संभाला। ऐसा लग रहा था कि केसा कुछ सोच रही थी। अंत में, उसने कहा, "क्या आपने कभी उसे अपने साथ यौन सम्बंध बनाने के लिए भुगतान करने की पेशकश नहीं की?"

बॉब ने सिर हिलाया।

"क्यों नहीं?"

बॉब ने अपने कंधे उचका दिए। कैसा उसकी ओर झुक गयी और स्तनो को उसकी बांह से सटा दिया। "बॉब। क्या आज रात आप अच्छा समय बिताना चाहते हो?"

"ज़रूर। कीमत क्या होगी?"


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"ओह ... तीन सौ?"

बॉब ने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और उसे गले लगा लिया। "ओह! कैसा। आप इससे बहुत अधिक मूल्यवान हैं, उससे कहीं अधिक।"

कैसा ने अपनी छाती को बॉब की छाती से दबाया और अपनी उँगलियों को उसकी पैंट के उभार पर ले गयी। उसने अपनी जीभ से बॉब के कान को छेड़ा और फुसफुसायी, "मुझे खुशी है कि आप ऐसा सोचते हैं।"

कैसा कुछ देर के लिए मुझे वही छोड़ कर शौचालय की तरफ गयी और जल्द ही वापिस लौट आयी।

चूंकि कैसा ने अपने पहले स्ट्रिप-क्लब अनुभव में खुद को बखूबी संभाला था और उसका आनद लिया था, बॉब ने फैसला किया कि वह उसे वहाँ ले जाने का जोखिम उठाएगा जहाँ असली नर्तकियाँ थी। बॉब ने फैंसी क्लब छोड़ दिया और एम्स्टर्डम रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट की ओर चल पड़े, जहाँ बनाना क्लब स्ट्रीट थी जहाँ कई परिचारिकाएँ थीं जिनमें विदेशी नर्तकियाँ शामिल थीं। और वहाँ आप अपने आप को आकर्षक परिचारिकाओं से घिरे हुए पाएंगे जो अतिरिक्त भुगतान के लिए लग अलग कृत्य करने के लिए प्रस्तुत रहती हैं। बनाना क्लब के आस-पास, मौलिन रूज और कासा रोसो दो सबसे लोकप्रिय लाइव सेक्स शो भी हैं, जिनमें अद्भुत थिएटर है।


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बॉब विशेष रूप से एक नर्तकी से मिलने की उम्मीद कर रहा था। उसे लगता था कि वह बैचलर पार्टी के लिए बिलकुल उपयुक्त रहेगी और उसे उम्मीद थी कि वह कुछ अन्य नर्तकियों जो पार्टी में जाने के लिए इच्छुक होंगी उसने मिलवाने में मदद करेगी। बॉब ने उसे काफी समय से नहीं देखा था, इसलिए उसे ये भी नहीं पता था कि वह इन दिनों कहाँ काम कर रही है या नहीं, लेकिन फिर भी उसे लगा कि उस बार से देखना शुरू करना उचित रहेगा जहाँ उसने उसे आखिरी बार देखा था।

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VOLUME II

बैचलर पार्टी

CHAPTER-3

PART 4

नर्तकियों की तलाश 



बॉब को सड़क पर ही पार्किंग की जगह मिल गयी। केसा ने उसका हाथ थाम लिया क्योंकि वे बार के लिए कुछ दूर चले। इस बार, दरवाजा खोलने के लिए न सीढ़ियाँ थीं और न ही टक्सीडो-पहने बाउंसर नहीं थे, दरवाजा पहले से ही खुला हुआ था। एक काले पर्दे ने बार के इंटीरियर को सड़क के दृश्य से परिरक्षित कर दिया था। बॉब ने परदे को एक तरफ खींच लिया और द्वार के बीच से अंदर प्रवेश किया और कैसा ने बॉब का पीछा किया।

ये जगह पिछले फैंसी क्लब से बिलकुल अलग थी और मनोरंजन का स्तर भी ऊँचा था। फैंसी क्लब के विपरीत, जो बड़े पैमाने पर पर्यटकों से भरा हुआ था, इस परिचारिका बार में ज्यादातर स्थानीय लोग संरक्षण देते थे अर्थात इसमें ज्यादातर ग्राहक नियमित आते थे । बार गर्ल के अलावा, महिलाएँ शायद ही कभी अंदर जाती थीं। एक महिला को एक होस्टेस बार में लाना समुद्र तट पर रेत ले जाने जैसा था। यानी ऐसी जगह पर आने वाली महिलाओ का पूरा मकसद मनोरंजन करना हो होता था।

इस विशेष बार के मालिक फ्रांसीसी थे और यहाँ काम करने वाली ज्यादातर महिलाएँ यूरोपीय थीं, इसलिए कैसा की सुंदरता, और आश्चर्यजनक आकृति को देखते हुए, बार गर्ल्स ने शायद मान लिया था कि वह एक स्ट्रिपर थी जो नौकरी की तलाश में आयी थी।

बार का आंतरिक भाग गोलाकार था। बहुत कुछ जो दर्पणों से ढका नहीं था, वह काले रंग में रंगा हुआ था। अधिकांश परिवेश प्रकाश छत से रोशनी द्वारा प्रदान किया गया था। चारों कोनों में संगीत बज रहा था।

बार में एक अकेली बारटेंडर बीयर की बोतलों को खोल रही थी और उन्हें बर्फ से भरे छोटे गिलास वाली ट्रे पर रख रही थी। एक बुज़ुर्ग आदमी बारस्टूल में से एक पर बैठ स्टेज पर नृत्य देख रहा था। परिचारिकाओं की एक जोड़ी बार के खिलाफ झुकी हुई थी। उन्होंने कुछ पल के लिए कैसा  को देखा ।


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बार के बीच में विनाइल बूथ भरे हुए थे जैसे आप एक कॉफी शॉप में पाते हैं। आमतौर पर, एक या दो पुरुष और समान संख्या में परिचारिकाएँ प्रत्येक बूथ पर थीं। पुरुष गलियारों से दूर बैठे थे। परिचारिकाएँ उनके लिए पेय और भोजन लाने में सुविधा रहे इसलिए बाहर की तरफ बैठी हुई थीं।

कमरे के सबसे दूर के छोर पर एक मंच था जिसके दोनों ओर दरवाजे थे। मंच टेबल-ऊंचाई से थोड़ा ऊँचा था। पुरुष मंच की परिधि के चारों ओर कुर्सियों पर बैठे थे, उनके पेय मंच के स्तर के ठीक नीचे एक शेल्फ पर रखे हुए थे। मंच के पीछे की दीवार पर शीशों लगे हुए थे जिसमे पूरे बार का दृश्य परिलक्षित था जिससे यह जगह वास्तव में जितनी थी उससे कहीं अधिक बड़ी महसूस होती थी। मंच के ऊपर छत पर लगे एक एकल स्पॉटलाइट बार में एकमात्र चमकदार रोशनी थी और वह स्ट्रिपर जिसको बॉब ढूँढ रहा था, मंच पर अपनी बिकनी बॉटम और ऊँची एड़ी के जूते को छोड़कर पहले से ही सब कुछ पहले ही त्याग चुकी थी।

बॉब ने कैसा को एक खाली बूथ की ओर निर्देशित किया, जहाँ से मंच का अबाधित नजारा दिखता था। वह बेंच पर बैठ कर आगे की और फिसल गई ताकि बॉब उसकी बगल में बैठ सके। परिचारिकाओं में से एक उनके पास चली गई। उसने टेबल पर नैपकिन के एक जोड़े को गिरा दिया और नशे से भरी, भारी-भरकम आँखों से हमें देखा और पूछा आज आप कई दिनों बाद आये है और क्या पीना चाहते हैं।

"दो जिन," बॉब ने कहा।

"दो जिन।" वह मुड़ी और बार की ओर बढ़ी।

"आप इस परिचालिका को जानते हो?" कासा ने पूछा।

"हाँ, यहाँ अक्सर आता रहता हूँ।"

परिचारिका हमारे पेय के साथ लौट आई। बॉब ने उसे एक बीस यूरो का नोट दिया। उसने बाकी लौटाया और उन्हें मेज पर रख दिया। बॉब ने उन्हें उठाया और परिचारिका को वापस सौंप दिया।

"आप किसी से मिलना चाहते हैं?" परिचारिका ने पूछा।

बॉब ने मंच पर नर्तकी की ओर सिर हिलाया। परिचारिका ने अपनी नाक सिकोड़ ली और चली गई।

"वह सब क्या था?" कासा ने पूछा।

"वह उम्मीद कर रही थी कि हम उसके लिए एक पेय खरीदेंगे और जब बॉब ने उसे बताया कि वे यहाँ मंच पर नर्तकी को देखने के लिए आए थे, तो वह नाराज हो गयी थी।"

"बॉब। वह हमसे यह उम्मीद क्यों करेगी कि हम उस के लिए एक पेय खरीदेंगे?"

"यह एक परिचारिका बार है और वह एक परिचारिका है। वह ग्राहकों की सेवा करके और उनके साथ खा-पीकर अपना पैसा कमाती है।"

अब तक, मनः पर नाच रही नर्तकी ने अपनी जानवर की खाल की पेंटी भी उतार दी थी। वह सीधे एक ग्राहक के सामने मंच के किनारे पर बैठी हुई थी। ऊँची एड़ी के जूते और गार्टर के अलावा, वह पूर्णतया नग्न थी। सिमी के विपरीत, यह नर्तकी अपने पैरों को चौड़ा करके बैठी थी, पूरी तरह से अपनी सफाचट चूत को उजागर कर रही थी।

ग्राहक ने उसकी नंगी छाती के खिलाफ अपनी नाक दबाई और उसने अपने गालों से ऊपर और नीचे उसके स्तनों को सहलाया। कुछ क्षणों के बाद, उसने एक मुड़ा हुआ नोट उसके गार्टर में खिसका दिया। नर्तकी ने उसका चेहरा अपनी छाती से लगा लिया और अपनी बाहों का इस्तेमाल करके उसे अपने स्तनों में दबा लिया।

फिर जैसे ही उसने उसे रिहा किया वह अगले ग्राहक के पास चली गई, उसने बॉब को देखा। वह मुस्कुराने लगी, लेकिन कैसा को देखते ही उसने खुद को रोक लिया। बॉब ने एक पल के लिए हाथ उठाया। नर्तकी ने सिर हिलाया और मंच पर अगले आदमी के पास चली गई।

"आप उसे जानते हैं?" कैसा ने पूछा।

बॉब ने सिर हिलाया। "वह एक नर्तकी जो स्नातक पार्टी के लिए उपलब्ध रहती है।"

कैसा: आपको लगता है कि वह ... उह ... वहाँ प्रदर्शन करने के लिए तैयार होगी?

बॉब: मुझे आशा है और मुझे उम्मीद है कि वह कुछ अन्य नर्तकियों को खोजने में भी मदद करेगी।

कैसा:-आपको एक से अधिक की आवश्यकता क्यों है?

बॉब: अनेक कारण हैं।

कैसा:-मसलन?

बॉब:-एक तो यह है कि नर्तकियाँ आमतौर पर अकेली निजी पार्टियों में जाना पसंद नहीं करती हैं।

कासा:-"संख्या से सुरक्षा?"

बॉब सिर हिलाया।

कासा:-"दूसरा कारण क्या है?"



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बॉब:-अलग अलग नर्तकियाँ अलग-अलग तरह के नृत्य पेश करें जैसे बैलेट, स्ट्रिप, साम्बा, मुजरा, बेली डांस इत्यादि।


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कैसा-हम्म और।

बॉब:-"ठीक है ..." बॉब सोच रहा था कि मुझे कैसा को कितना बताना चाहिए कि पार्टी में क्या होगा। "उम ... एक नर्तकी सभी लोगों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाएगी।" सम्भवता एक नर्तकी अपर्याप्त रहेगी।

मतलब-कैसा हैरान होती हुई बोली।

"पार्टी में शायद पंद्रह या बीस लोग होंगे और वे सभी उम्मीद करेंगे कि नर्तकी उनमें से प्रत्येक को कुछ व्यक्तिगत ध्यान दें।"

कैसा;-"आपका मतलब है जिस तरह से वह अभी मंच पर कर रही है?"

बॉब ने सिर हिलाया। "और शायद कुछ लैप (गोद) नृत्य ... और अन्य कृत्य।"



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कैसा "मैं सोचती थी कि लैप (गोद) नृत्य अवैध ....... ?"

बॉब ने उसके कंधे उचकाए और उसके पेय का एक घूंट लिया, इस बीच नर्तकी ने अपना नृत्य समाप्त किया। उसने अपने कपड़े और पैसे इकट्ठे किए और मंच के बगल के एक दरवाजे में घुस गई।



कहानी जारी रहेगी

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VOLUME II

बैचलर पार्टी

CHAPTER-3

PART 5

बैचलर पार्टी के लिए डांसर



कुछ मिनट बाद, वह नर्तकी बिकनी के ऊपर एक छोटी-सी स्कर्ट और टॉप पहनकर वापस आई और उसने बॉब को तलाशा और उसकी दिशा में देखा। बॉब ने उसे इशारा किया। वह मुस्कुराई और सीधे उनके पास चली गई। वह उनकी टेबल पर फिसल गई। उसकी आँखें बॉब और कैसा के बीच आगे-पीछे टिमटिमा रही थीं, उसने बहुत देर बाद मीठे स्वर में कहा, "हाय! बहुत समय से नहीं मिले ... बिजी थे।"

बॉब:-  "ब्री, यह कैसा है। कैसा, ब्री।"

ब्री मुस्कुराई और अपना सिर हिलाया। ब्री मेज के पार पहुँची और उसने कैसा से हाथ मिलाया। उसकी आँखें कैसा के शरीर के ऊपर और नीचे घूम रही थीं, उसके स्तनों पर रुकी हुई थीं। 

ब्री:- "तो, कैसा तुम नर्तकी हो? और नौकरी  ढूंढ   रही हो?"


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बॉब:- "नहीं, नहीं" । "मैं एक बैचलर पार्टी के लिए कुछ नर्तकियों की तलाश कर रहा हूँ और कैसा मेरी दोस्त है और सिर्फ मनोरंजन के लिए साथ में आयी है।"

ब्री:- "मजे के लिए, हुह!  तो कैसा!  आपको मजा आ रहा है?" ब्री ने आँखों में चमकते हुए कहा।

कैसा:- "हाँ" 

ब्री:-  "बॉब और तुम! अकेले हो?"

बॉब ने सिर हिलाया।

ब्री ने उसकी ओर देखा और पलकें झपकाईं। बॉब को अंदाजा था कि वह क्या सोच रही है। उसने शायद मान लिया था कि बॉब उसे कैसा के साथ बेवकूफ बना रहा था।


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दरअसल ब्री बॉब के साथ "डेट्स" पर बाहर गई थी। आमतौर पर, जब बॉब आता था तो वह रात को काम से छुट्टी लेती थी। बॉब उसे एक अच्छे रेस्तरां में रात के खाने के लिए ले जाता और फिर वे कुछ घंटों के लिए एक होटल में जाते थे। समापन-समय पर, बॉब ने उसे काम छोड़ने से हुई आय के लिए "टिप" देता था। वह कपड़े पहन घर चली जाती थी।

कई बारगर्लों के विपरीत, ब्री हमेशा खुशमिजाज थी। उसने कभी शिकायत नहीं की और न ही बॉब के साथ कभी कोई नाटक किया था। वह और बॉब कैजुअल दोस्त बन गए थे, लेकिनउनके रिश्ते में कोई रोमांस नहीं था। बॉब को लगता है कि ब्री बार में काम करने के बजाय उसके साथ रात का खाना और सेक्स करके पैसा कमाना पसंद करती थी और ब्री को बॉब का व्यवहार अच्छा लगता था और उसे उस रात अच्छी कमाई हो जाती थी क्योंकि बॉब उसे अच्छी टिप देता था।

और बॉब के लिए, जैसा कि बॉब अक्सर लंड की और इशारा करके कहता था, वह "इसे रखने के लिए एक गर्म जगह" थी। वह हमेशा बेदाग साफ और अच्छी तरह से तैयार रहती थी। उसके पास सिमी क की तरह बेहद खूबसूरत शरीर नहीं था, लेकिन वह एक सुंदर महिला थी। वह पतली थी और अभी भी उसके त्वचा चिकनी थी और उसके नितम्ब दृढ थे उसके स्तन बड़े और सुदृढ़ थे और जब सेक्स की बात आती है, तो बॉब जो कुछ भी करना चाहता था, उसके लिए वह प्रस्तुत रहती थी।

ब्री एकमात्र ऐसी महिला थी जिसे बॉब जानता था और जो गुदा मैथुन को पसंद करती थी। बॉब ने पहली बार उसके साथ किसी अन्य बार के एक निजी कमरे में सेक्स किया था। कमरा जो की सिर्फ एक पर्दे से बंद क्यूबिकल था जिसमें एक कुर्सी थी। बॉब कुर्सी पर बैठा तो ब्री ने लैप डांस किया। बॉब ने जब उसने अपनी पैंट खोली और उन्हें अपने जूते तक उतार लिया और ब्री ने उसका लंड अच्छी तरह से चूसा और फिर ब्री बॉ ने अपनी पैंटी उतारी, और फिर अपनी गांड उस पर थोप दी। वह उसके लंड पर सवार हो गई और उसकी गेंदों की तब तक मालिश की जब तक कि बॉब उसके अंदर नहीं झड़ गया।

यही पहला समय था जब उन्होंने बार में ऐसा किया था। उसके बाद, बॉब ने उसे जब भी मिलता तो बाहर ले जाता और फिर दोनों होटल में जा कर चुदाई करते यहाँ तक के एक दफा दोनों एक होटल में दो रात तक साथ भी रहे थे।


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जब भी वे दोनों होटल में डेट पर गए, तो उन्होंने शुरुआत साथ में नहाने से की और फिर नहाने के बाद जब बॉब सूख रहा होता था, वह अपने घुटनों के बल झुक कर उसका लंड चूसती थी। फिर वह वापस बिस्तर पर लेट जाती और उसे अपनी ताज़ी धुली हुई चूत को चाटने और चूसने देती थी। बॉब को लगता था कि उसे बहुत आनंद आ रहा है क्योंकि तब तक उसकी योनि बहुत गीली हो चुकी होती थी। जब तक और जितने बार बॉब चाहता था, तब तक वह उसे अपनी चूत चोदने देती थी, लेकिन जब बॉब झड़ने के लिए तैयार होता था, तो वह हमेशा अपने पेट पर पलट जाती थी और उसे अपनी गांड में लंड डालने को कहती थी। बॉब अक्सर सोचता था कि क्या वह वास्तव में इसे इस तरह पसंद करती है, या ऐसा इसलिए है क्योंकि वह चाहती है कि वह गर्भवती न हो। या हो सकता है कि उसने बस यह सोचा हो कि उसके पति को उसकी चूत की तुलना में उसकी गांड में वीर्य मिलने की संभावना कम लगती होगी।


ब्री:- "तो आपको बैचलर पार्टी के लिए डांसर चाहिए?" ब्री ने पूछा। "कब?"

बॉब ने उसे समय बताया।

ब्री:-  "कितने आदमी?"

 बॉब:- "शायद पंद्रह या बीस।"

ब्री:-  "आपके मित्र?"

 

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बॉब:-  मेरे ममेरे (कजिन) भाई और दोस्त।

 वे वास्तव में वे उसके दोस्त नहीं थे। पार्टी हमारे भाई महाराज दे रहे थे। जो लोग पार्टी में शामिल होंगे उनमे महाराजa, मेरे कुछ कजिन, दोस्त और साथ ही महाराजा के कुछ दोस्त और पड़ोसी राज्यों के राजकुमार और राजा थे।  यह पार्टी परिवार के दो विवाहों के लिए एक भव्य शाही बैचलर पार्टी होने वाली थी। इसमें महाराज ने बॉब से मनोरंजन की व्यवस्था करने में मदद करने के लिए कहा था। लेकिन बॉब ब्री को यह सब समझाना नहीं चाहता था। ब्री को वास्तव में इस बात की परवाह थी कि पार्टी के लोग पुलिस या मनोरोगी नहीं होने चाहिए।

 बॉब:- लेकिन   यह भव्य और शाही पार्टी होगी। 

ये सुन कर कैसा ने आश्चर्य से बॉब को देखा।

ब्री:-  "आपको कितनी नर्तकिया चाहिए?" उसने पूछा।

 बॉब:-  "आप और आपकी कुछ दोस्त?"

ब्री:-  "तुम कितना भुगतान करोगे?"

 बॉब:-  "नृत्य करने के लिए पांच हजार प्रत्येक एक रात के लिए। साथ ही आपकी यात्रा के प्रत्येक दिन के लिए 500 और आपको जो भी टिप्स मिले।"

ब्री:-  कहाँ पे:

 बॉब:-  इंडिया और टिकट, वीजा और ठहरने के खर्च के लिए भुगतान और यात्रा की पूरी हम व्यवस्था करेंगे और आपकी-आपकी यात्रा के प्रत्येक दिन के लिए भुगतान करेंगे।

ब्री:-  "अच्छा प्रस्ताव है । मुझे अपनी दोस्तों से पूछना होगा। मुझे उम्मीद है वह आपके लिए इतनी दूर चलेंगी। मेरी एक दोस्त तो निश्चित रूप से चलेगी। शायद मुझे ' कोई दूसरी भी मिल जाए। फिर वह कैसा पर लपकी। आपका क्या विचार है कैसा? आपको प्रयास करना चाहिए।"



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बॉब को हैरानी हुई, कैसा ने मना नहीं किया। उसने बस अपनी भौहें उठाईं और उन्हें थोड़ा-सा सिकोड़ा। "

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


VOLUME II

बैचलर पार्टी

CHAPTER-3

PART 6 

बैचलर पार्टी के लिए  बारगर्ल्स डांसर


बॉब:- "क्या आप कुछ पियोगी?" बॉब ने ब्री से पूछा।

ब्री:- "बेशक!"

बॉब ने मेज पर एक बीस का नोट रखा। ब्री ने उसे उठाया और बार में चली गई।

"तो," कैसा ने पुछा?

बॉब:- कैसा, आपका क्या विचार है वह आएगी ? बॉब ने पुछा । 

 कैसा:-  हाँ वह दोस्तों की बात कह रही है मतलब शायद वह तो आ रही है ।


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कैसा ने अपना कंधा मेरे ऊपर से टकराया। 

बॉब:-  "इसके बारे में चिंता मत करो।"

ब्री अपने पेय के साथ लौट आई। उसने एक घूंट लिया और कहा, 

ब्री:- "क्षमा करें।"  उसने अपना गिलास नीचे रखा और बूथ से बाहर निकल गई और कोने में गायब हो गई।

बॉब:-  "शायद उसका एक और नियमित ग्राहक आया है," बॉब ने कहा। "ब्री को उस पर कुछ ध्यान देने की जरूरत है कही वह नाराज हो गया और दूसरी लड़कियों के लिए पेय खरीदना शुरू कर देगा तो ब्री का नुक्सान हो जाएगा।"

कैसा:- "ओह!, बॉब देखें। उम, आप जानते हैं, जब आपने उसका पेय खरीदा तो उसने आपको बाकी पैसे वापिस नहीं किये।"

बॉब:-  "कोई नहीं  । ऐसा ही होता है जब आप बार में इनमें से किसी एक महिला को ड्रिंक खरीदते हैं। आप उनके लिए बीस डॉलर की चाय खरीदते है। वे बार को कुछ डॉलर का भुगतान करती हैं और बाकी को अपने पास रख लेती हैं।"

कैसा:-  "चाय? तो यह असली पेय या दारु या बेयर भी नहीं है?"

बॉब:-  "कभी-कभी ऐसा होता है, लेकिन आमतौर पर नहीं। अन्यथा, वे बहुत नशे में धुत हो जआएंगी।"

कैसा:-  " तो वे ग्राहक से शराब के लिए शुल्क लेती हैं, लेकिन वे शराब भी नहीं पीती हैं?


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बॉब:-  "आमतौर पर नहीं ... जब तक कि यह शैंपेन न हो।"

कैसा:-  "वे यहाँ शैंपेन बेचते हैं?"

"बॉब:-  यदि आप चाहती हैं तो मंगवा लेते हैं।"

कैसा:-  "क्या वह बहुत अच्छी नहीं होती है?"

बॉब:-  "शायद सबसे सस्ती जो आप सुपरमार्केट में खरीद सकते हैं। लेकिन आप यह नहीं जान पाएंगे क्योंकि वे इसकी पूरी कीमत चार्ज करते हैं। आमतौर पर लगभग ये 300 ुरो से-से शुरू होती है और ऊपर जाती है।"

कैसा:-  "ये तो लूट है। सस्ती शैंपेन के लिए इतना भुगतान कौन करेगा?"

बॉब:-  "सेक्स के लिए तड़पता हुआ आदमी।"

बॉब ने मह्सूस किया की कैसा को समझ में नहीं आया था।

बॉब:-  "कैसा दरसल ये महिलाएँ ग्राहकों को उनके लिए पेय खरीदने के लिए राजी करके अपना पैसा कमाती हैं। जैसा कि आप कल्पना कर सकती हैं।"

कैसा:-"आपका मतलब है कि वे यौन क्रिया के लिए आकर्षित करते हैं ताकि आप उनके लिए पेय खरीद सकें?"

बॉब:-" आमतौर पर लड़किया सिर्फ ग्राहक को गले लगाती, छूती और चूमती हैं। हो सकता है कभी-कभी वे अपने स्तन को ग्राहक की बांह पर रगड़ें। हो सकता है कि बे ग्राहक की गेंदों को पुचकारें या उनके लंड की दबाये या निचोड़ें। नियमित पेय के लिए इतना ही होता है। लेकिन एक बारगर्ल के लिए शैंपेन खरीदना एक खास डील है। यह काफी महंगी डील है, लेकिन यह एक उद्देश्य को पूरा करता है। बारगर्ल बार के साथ पैसे बांटती है और साथ ही बार गर्ल और मालिक ये सुनिश्चित करते हैं कि ग्राहक को मजा आये।

कैसा:-मतलब सेक्स?


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बॉब:-  "ये इस पर निर्भर करता है कि 'सेक्स' की आपकी परिभाषा क्या है!"

कैसा ने इधर-उधर देखा। "पर कहाँ?"

बॉब:-  "यहाँ निजी कमरे है। मंच के पीछे शीशे वाली दीवार देखेो?" कासा ने देखा और सिर हिलाया।

बॉब:-  "वहाँ पीछे की तरफ।"

कैसा:-  "हम्म तो ...बताओ... तुम्हें इस सब के बारे में कैसे पता?"

बॉब:-  "ओह आप जानती हो। ऐसे जगहों के बारे में कई बातें सुनने में आती है।"

बॉब ने कैसा के कान को टटोला। "आपके पास सुनने के लिए बहुत अच्छे और साफ कान होने चाहिए।" उसने अपना हाथ उसकी जांघ पर टिका दिया। वे मंच पर नर्तकी को तब तक देर तक नाचते हुए देखते रहे जब तक कि ब्री वापस नहीं आ गयी।



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ब्री बैठ गई और उसका पेय पी लिया।

ब्री:-  "तो, तुम दोनों क्या कर रहे हो?"

बॉब:-"मैं बस कैसा को शैंपेन और निजी कमरे के बारे में बता रहा था।"

ब्री:- "अरे हाँ?" ब्री ने एक बड़ी मुस्कान बिखेरी।

बॉब:-  " हाँ। वह कहती है कि वह तुम्हारे लिए शैंपेन खरीदना चाहती है। बॉब की बात सुन कर कैसा ने अपनी जाँघ को टेबल के नीचे थपथपाया।

ब्री कैसा को पलक झपकती हुई देखने लगी। "आप मेरे लिए शैंपेन खरीदना पसंद करेंगी? मैं आपको विशेष डिस्काउंट दूँगी!"

बॉब:-  "क्या आप हमें निजी कमरे में ले जाएंगी?" बॉब ने पूछा।

ब्री:- "बेशक!"

बॉब ने अपनी जेब से पैसे निकाले और सौ डॉलर के तीन नोट ब्री को दिखाए । ब्री मेज के पार पहुँचे और उन्हें अपनी उँगलियों से खींच लिया। उसने एक परिचारिका को बुलाया और उससे डच भाषा में बात की। उन्होंने टिप्पणियों का आदान-प्रदान किया और परिचारिका ने कैसा पर नज़रें गड़ा दीं।

बॉब ने अपने होठों को कैसा के कान के पास ले गया और फुसफुसाया, "वे तुम्हारे बारे में बात कर रही हैं। वे यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि आप मेरे साथ यहाँ क्यों आयी हैं।"

कैसा:-  "आपको कैसे मालूम? क्या आप उनकी भाषा जानते हैं?"


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बॉब:-  "बस उसका चेहररे के हावभाव समझने के-के लिए पर्याप्त है। लेकिन मैं काफी कुछ शब्दों को समझता हूँ।"

परिचारिका चली गई और ब्री खड़ी हुई और हमें इशारा किया।

ब्री:- चलो। हम वे निजी कमरे में चलते हैं। वह शैंपेन ला रही है। "

बारगर्ल्स और उनके ग्राहकों ने उन्हें में काफी उत्सुकता से देखा क्योंकि बार में मौजूद अधिकाँश ग्राहकों और बार बालाओ मंच के चारों और से बॉब, कैसा और ब्री का अनुसरण किया।

वह उन्हें एक खुले दरवाजे से होकर रसोई के रास्ते में ले गई। यह रास्ता गर्म और धुएँ से भरा हुआ लाल रंग का था। रसाओ में पसीने से तर बुज़ुर्ग पोलिश महिला कुछ मांस भूनने में व्यस्त थी। जब उसने हमें देखा तो वह हमे देख कर मुस्कुरायी।

ब्री ने एक दरवाजा खोला और उसने उन्हें एक संकीर्ण, बिना बल्ब लगे हुए कमरे में पहुँचा दिया, जिसमें एक लंबी दीवार के साथ एक गद्देदार बेंच लगी हुई थी। उसके उलटी तरफ की लंबी दीवार फर्श से छत तक एकतरफा कांच की दीवार थी। यह "वह दर्पण और कांच की दीवार थी" जिससे मंच के पीछे की दर्पण की दीवार को खड़ा किया गया था। उन्हें उस कक्ष से स्टेज पर स्ट्रिपर और उसके बाहर बार का स्पष्ट दृश्य दिखाई दे रहा था। कांच के माध्यम से थोड़ी-सी रोशनी से कमरे के अंदर रोशनी थी।

कैसा:-  "वाह वाह!" केसा ने बार की ओर देखते हुए कहा।

कैसा:-  "यहाँ से,   बहुत बढ़िया दिख रहा है! लेकिन यह कमरा बहुत निजी नहीं लगता।"

बॉब:-  "चिंता मत करो। यह एकतरफा शीशा है। जब तक वे यहाँ कमरे में कोई लाइट नहीं जलाते, बाहर के लोग कुछ भी नहीं देख सकते। यह उन्हें बस एक आईने जैसा लगता है।"



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कैसा:-  "ओह, टीवी और फिल्मो पर दिखने वाले उन पुलिस पूछताछ कक्षों की तरह?"

बॉब:-  "बिल्कुल।"

कहानी जारी रहेगी

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