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Adultery PADMA ( Part -1)
Zabrdst story bhai

Pinkbaby k bad mujhe kisi or writer ki story is forum pr achi lagi h to wo ap ho
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Next update next update update update update
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Bhai waiting for update
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Please please next update next update next update next update next update
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Update update please update and readers please comment Karen writer ko update dene ke liye comment Karen please please
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update please

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Yara update de bhi do please please
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Waiting....
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Waiting for the next  horseride
[Image: Polish-20231010-103001576.jpg]
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Please please give update please update update
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Update update update update update update update
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Yaar update nahin Dena hai to yahi Bata do ki agla update kab aaega at least reply to kar do
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reply to all comments......
1. (to) jyotimoy123 - Thanks for your comment . apni heroine Padma apni pahli chudai ke bohot karib hai . me agle update pr kaam kar rha hu . 
2. (to) AbhiT - As always Thank you so much brother for your comment . I can understand you are eagerly waiting for next update and I am working on next update . Thanks again ....
[Image: 216889478-e4f7jhpucaas-jw.jpg]
3. (to) hot_boy93 - Thank you for your comment bhai .. me apke suggestion ko dhyan me rakhunga aur kahani ko ek accha end dene ki koshish karunga . 
4. (to) Mahi Sharma - Thanks dear ..for comment 
5. (to) Explorer@life - Thank you so much dear for always 
6. (to) mohitkumarhot -  Thank you so much mere bhai ... Nitin ne jo karna tha kar liya usne Padma jaisi maal ke bohot mje le liye , Phle party me fir uske ghar par fir morning walk par aur uske baad hotel me ab dusro ko Padma ka mja uthana hai 
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7. (to) Princeazmi - Thanks for your appreciation bro .. keep supporting me .
8. (to) abcturbine - Thanks for comment bhai  , update will come soon 
9. (to) Chandan - Thanks for comment bro ... update will come soon ..
agar koi comment galti se chut gya ho to sorry friends......
[Image: 20230108-170205.gif]
dosto ek sawal hai ... Do you like my pictures in the story ....
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Yes we all like your pictures in the story but just give a update as soon as possible please please
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Great going..but pls add some new characters like a dwarf milkman or some random sabzeewala etc.
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13. भीगी हुई पलकों से अपने जिस्म को कपड़ों मे समेटे अपने कुछ ही देर पहले कीये हुए कुकर्मों पर पछताती हुई , मैं होटल ग्रीन-सी से बाहर आ रही थी ।
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 एक चोर को हमेशा ही ऐसा लगता है कि कही ना कही उसे कोई देख रहा है , कोई उस पर नजर रखे हुए है जो उसकी हर चोरी को पकड़ रहा है बिल्कुल ऐसा ही मेरे साथ हो रहा था मुझे भी एक अनजाना डर चढ़ा हुआ था एक ऐसा डर जो मेरे मन मे ये ख्याल पैदा कर रहा था कि मुझे किसी ने देख लिया है , किसी अनजान शख्स की निगाहे मेरा पीछा कर रही है । घबराहट मे मैंने कई बार अपने चारों ओर देखा लेकिन अन्त तक भी मुझे कोई ऐसा नहीं दिखा जिसे देखकर लगे कि वो मुझ पर नजर बनाए हुए है ।
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मैंने अपने मन मे ही ये सोच लिया कि ये सिर्फ मेरे अन्दर का डर है जो मुझे पकड़े जाने के भय से परेशान कर रहा है । मैं चुपचाप होटल से निकलने लगी ।  नितिन को मेरे जाने की खबर तक नहीं थी , अपने जिस्म की हवस की प्यास मेरे कामुक बदन से मिटाने के बाद वो बेहोश होकर आराम से अपने कमरे के मखमली बिस्तर पर सोया हुआ था , उसे अब किसी चीज का होश नहीं था और मेरे बदन का रोम-रोम अब भी धूप मे जल रहा था , मेरे जिस्म का ऐसा शायद ही कोई हिस्सा बचा हो जहाँ पर नितिन ने ना चूमा हो । उसके होंठों से निकले चुम्बनों की तपिश मुझे मेरे बदन के हर हिस्से पर महसूस हो रही थी । 
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 होटल से बाहर आकर मैंने टाइम देखा तो पाया 3:00 बज चुके थे । मेरे दिमाग मे आपने आप ही ये बात आ गई कि " मैं क्या सोचकर आई थी और क्या कर बैठी ? मैंने सोचा था नितिन से मिलकर उससे कुछ सवालों के जवाब लेकर 1:00 बजे तक अपने घर लौट आऊँगी लेकिन कभी-कभी सोची हुई बात के बिल्कुल उल्टा ही हो जाता है । "
मैंने ज्यादा देर सोचने मे नहीं लगाई और एक टैक्सी करके घर जाने के लिए उसमे बैठ गई ।  टैक्सी मे बैठी हुई मे अपने ही ख्यालों मे गुम थी , एकाक मैंने ध्यान दिया कि वो टैक्सी वाला बीच-बीच मे टैक्सी के सामने वाले शीशे मे मेरे चेहरे को अजीब तरह से घूर रहा था । उसे ऐसा करते देख मैं एक बार को घबरा गई और सोचा कहीं मेरे चेहरे पर कुछ लगा तो नहीं या कहीं नितिन के वीर्य का कोई दाग तो नहीं जिन्होंने इस टैक्सी ड्राइवर का ध्यान अपनी ओर खींचा हो । मैंने जल्दी से अपने पर्स को खोला और उसमे से एक छोटा आईना निकाल-कर अपने चेहरे को गौर से उसमे देखने लगी ।
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 मेरे मन को शांति मिली ये जानकर कि चेहरे पर कुछ नहीं लगा था बस , होंठों पर से लिपस्टिक की लाली गायब थी । मैंने तुरंत अपने पर्स से एक हल्की गुलाबी लिपस्टिक निकाली और अपने होंठों को फिर से रसीला बनाया । 
[Image: ezgif-4-cb44604e61c4.gif]
मेरे चेहरे पर नितिन के वीर्य से जो दाग लग गए थे वो तो मैंने पानी से धो लिए थे , मगर उसके लिंग का वो स्वाद और आखिर मे उसके लिंग से निकली वो बूँदे जो मेरे होंठ से लेकर मुहँ तक गई थी , मेरे मन पर ऐसी अमिट चाप छोड़ गई थी जो शायद अब कभी ना मिटे । अपना थोड़ा हल्का सा  मेक-अप करके मैं सीधी हुई
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 तो देखा वो टैक्सी ड्राइवर अभी भी सामने वाले आईने मे से मुझे घूरते हुए मुझे एक गन्दी सी स्माइल दे रहा था । उसे अपनी ओर ऐसा करते देख मुझे गुस्सा तो बोहोत आया और मन किया कि अभी उसे दो-चार बात सुना दूँ लेकिन फिर ना जाने क्या सोचकर बस मौन हो गई । 
[Image: 221410888-e3gmiohuyammp9u.jpg]
लगभग 3:45 पर मैं अपने मोहल्ले की गली के ठीक सामने ऊतर गई , और फिर अपने घर जाने के लिए वहाँ से पैदल गली मे चल दी । अपनी बलखाती चाल से मोहल्ले के लड़कों और आवारा मर्दों की दिल की धड़कने बढ़ाती हुई मे चलती गई । 
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पीछे से जो फूस-फूस की आवाजे मेरे कानों मे पड़ रही थी उनसे मुझे इतना अंदाजा तो हो गया था कि लोग मेरे बारे मे ही बात कर रहे है , ये मेरे लिए हर बार का एक प्रकरण था लेकिन आज एक आदमी ने तो हद ही कर दी । मेरी गदराई जवानी और उभरी हुई गाँड़ पर अपनी कातिल नजरे जमाते हुए उसने पीछे से भारी आवाज मे कहा - " मेरी जान कितनों से चुदकर आई है आज...... "
उसने इतने जोर से कहा कि उसके एक-एक शब्द को मैंने अच्छे से सुना । ये सुनते ही मेरे कदम अपने आप धीमे होकर ठहर गए 
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और दिल की धड़कनों ने रफ्तार पकड़ ली , घबराहट के मारे माथे पर पसीना छलक आया । मेरी 'काटों तो खून नहीं वाली हालत हो गई ' पीछे मुड़कर उस बदतमीज आदमी को जवाब देने की हिम्मत मे चाहकर भी नहीं कर पाई , शायद इसका कारण वो घटना थी जो मेरे और नितिन के बीच होटल ग्रीन-सी मे हुई थी । मैंने चुप-चाप अपना थूक गले मे गटका और वहाँ से तेजी से निकल गई आगे चलने पर भी मुझे उन लोगों की गंदे तरीके से हँसने की आवाजे आती रही । मुझे आपने आप पर बोहोत शर्म आ रही थी । मैंने तो एक बार भी पलट-कर नहीं देखा कि किसने मुझ पर इतनी भद्दी टिप्पणी कसी है । मैं दौड़कर अपने घर की तरफ तक आ गई और उस गली को छोड़कर अपने घर की तरफ मुड़ी , मैंने जल्दी से मैन गेट खोलकर अन्दर आँगन मे पहुँची जैसे ही मैं घर का दरवाजा खोलने वाली थी मेरी नजर दरवाजे के पास नीचे रक्खे एक गत्ते के बॉक्स पर गई । उस बॉक्स को ऐसे रखा गया था जैसे उसमे कोई गिफ्ट हो उसे वहाँ देखकर मुझे कुछ शंका हुई ।
[Image: 2l.jpg]
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" ये कौन रख गया यहाँ पर ... मैंने तो कुछ मँगाया भी नहीं । "
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मैंने उसे उठाया और थोड़ी देर ऐसे ही बाहर आँगन मे खड़ी होकर उसे देखती रही  , बॉक्स चारों ओर से बन्द था उसपर कुछ लिखा तो नहीं था मगर उसके अन्दर कुछ रखा हुआ जरूर था । मैंने[Image: 20170106-170542.jpg] 
सोचा यहाँ खड़े होकर इस घूरते रहने से अच्छा है , घर के अन्दर जाकर इसे खोलकर देखा जाए । 
उस बॉक्स को हाथ मे उठाए दरवाजा खोलकर मैं घर के अन्दर पहुँची । अन्दर आकर मैंने दरवाजा बन्द किया और उसे लेकर सीधे हॉल मे आकर सोफ़े पर बैठ गई । 
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 मैं सोच रही थी "आजकल मोहल्ले वालों की बाते बोहोत ज्यादा गंदी होती जा रही है और अब तो वो खुलकर सबके सामने कुछ भी बोल देते है , काश हम ये गंदा मोहल्ला ही बदल डाले । "
घर के अन्दर आकर भी मेरा चित्त शान्त नहीं हुआ था , सुकून मेरे दिमाग से कोसों दूर था । यही बात मुझे झक-झोर दे रही थी कि , " पदमा तूने अपने पति धर्म से दगा की है ..तू अपने पति को धोखा दे रही है .... क्या कसूर है अशोक का ? तू क्यूँ बार-बार नितिन की बातों मे आ जाती है .... कहीं ऐसा तो नहीं तू जान-बूझकर नितिन के पास जाती है , ताकि वो तेरे साथ फिर से वही खेल, खेल सके ...... कहीं तुझे भी तो नितिन के साथ मजा तो नहीं आ रहा .........।" 
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" नहीं... नहीं ... ऐसा नहीं है .... मैं तो बस इंसानियत की खातिर उसके पास गई थी  । " 
" झूठ बोलती है तू ... सच तो ये है तुझे भी नितिन के साथ जवानी के मजे लूटने है इसलिए तू उसके पास गई थी । "
" चुप रहो ... मैं बस अशोक की हूँ .. वो ही मेरे सब कुछ है । "
" अच्छा ... ये सब तब क्यों नहीं सोचा जब मजे से नितिन का वो विशाल लिंग अपने मुहँ मे लेके चूस रही थी .. तब तो बोहोत मजा आ रहा था ना ... । 
" वो ..... वो ... तो मैं बस बहक गई थी । "
" अच्छा ... क्या हर बार ही बहक जाती है तू ... तो तूने आज तक अशोक का क्यों नहीं चूसा .... क्या उसका तुझे पसंद नहीं ....बोल ना अब ? "
" बन्द करो अपनी ये बकवास ... मैं अब कभी नहीं मिलूँगी नितिन से .... "
" हहहह ...... फिर से झूठ ... । "
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हॉल मे बैठे हुए मेरे मन मे ये जद्दो-जहद चल रही थी , खुद मेरा  मन दो विचारों मे बँट कर रह गया था । एक मेरा साथ दे रहा था और दूसरा मुझे कमजोर बना रहा था । मैं उसी गुमसुम हालत मे सोफ़े पर बैठी रही । मैं उस बॉक्स के बारे मे बिल्कुल भूल ही गई थी जो मुझे अभी बाहर मिला था ,,मैं  फिर से उन्ही विचारों की दुनियाँ मे खो गई ........ और फिर कुछ सोचते हुए अपने सोफ़े से उठी और उस बॉक्स को लेकर  सीधा बेडरूम मे जाकर उसे अलमारी मे रख दिया । मेरा अभी उसे खोलने का मन नहीं था , मैं बोहोत थकान महसूस कर रही थी इसलिए मैंने सोचा इसे बाद मे देखूँगी पहले थोड़ी देर आराम कर लूँ । बॉक्स को अलमारी मे रखते हुए मेरा ध्यान अशोक के ऑफिस वाली अलमारी मे रखी उस फाइल पर गया जिसके लिए नितिन पागल हुआ जा रहा था । मैंने अशोक की ऑफिस की अलमारी से वो फाइल निकाली जिसके कारण से सारा बखेड़ा खड़ा हुआ था । मैं उसे लेकर वही कुर्सी पर बैठ गई
[Image: hf.jpg]
 और उसके पन्ने पलटते हुए सोचने लगी कि "ना जाने  ऐसा क्या है इस फाइल मे जिसकी वजह से अशोक कल रात इतना नाराज हो गए और नितिन इसे पाने के लिए इतना क्यूँ व्याकुल (उतावला ) है ? क्या करूँ कल रात भी ना जाने अशोक किस से छुप-छुपकर बात कर रहे थे ? वैसे तो मेरा उनके काम से कुछ लेना देना नहीं है पर बस मैं चाहती हूँ कि वो किसी गलत काम मे भागीदार ना बने । तो क्या करूँ ये फाइल नितिन को दे दूँ क्या ? नहीं कहीं इससे अशोक को कुछ नुकसान ना हो जाए ..! मगर नितिन ने वादा भी किया था कि वो अशोक का कुछ बुरा नहीं होने देगा , क्या मुझे उसपे भरोसा करना चाहिए ? पता नहीं क्या होगा ... एक काम करती हूँ अभी के लिए इसे यहीं सेफ रख देती हूँ जो भी होगा वक्त के साथ पता चल ही जाएगा " 
[Image: 20220921-005049.jpg]
ऐसा सोचकर मैंने वो फाइल वापस अलमारी मे रख दी मैंने अलमारी बन्द की ही थी की तभी मेरे मोबाईल पर एक रिंग बजी मैं उसे जाँचा तो वो नितिन की कॉल थी । नितिन की कॉल इस समय देखकर मे समझ गई कि इसे अब होश आया होगा .. मैंने कॉल नहीं उठाई .. सच कहूँ तो मेरा इस समय उसका कॉल उठाने का कोई इरादा भी नहीं था । मैंने उसकी कॉल कट कर दी और कहीं नितिन वापस से फोन करके मुझे परेशान ना करे उसका नम्बर भी ब्लॉक कर दिया , और थोड़ी देर के लिए बेड पर लेट गई । 
[Image: Shriya-saran-in-Pavitra-photos-54.jpg]
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रात के वक्त जब मैं कीचेन मे खाना बना रही थी तो उसी समय अशोक ने आकर घर की डॉर बेल बजा दी मैंने जल्दी से भागकर गेट खोला । 
[Image: 67738aa747f73685df49eb930253ac83.jpg]
अशोक कल से नितिन वाली बात को लेकर मुझसे नाराज थे और मैं उन्हे इंतज़ार नहीं करवाना चाहती थी । जैसे ही मैंने मुस्कुराते हुए गेट खोला अशोक को सामने खड़े पाया , उनके चहरे पर कोई विशेष भाव नहीं थे वो बिल्कुल शान्त खड़े थे । अशोक को ऐसे खड़े देखकर मेरा मन भी उदास सा हो गया । मैं थोड़ी रुदासी से गेट खोलकर वापस हॉल की ओर जाने लगी तो अचानक अशोक ने मुझे पीछे से अपनी बाहों मे जकड़ लिया और मेरे गाल से अपने गाल सटाकर बोले - " नाराज हो क्या .... ?" 
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अशोक के इस तरह के रोमांस की मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी , उनसे  ऐसे चिपककर मेरे मन भी खुशी से भर गया , और मैंने शर्माते हुए उनकी बाहों मे सिमटे हुए कहा - " नहीं  मैं तो आपसे गुस्सा हो ही नहीं सकती... और आप ?"
अशोक -  जिसकी इतनी खूबसूरत बीवी हो वो कैसे इतने समय तक उससे दूर रह सकता है । 
मैं और भी शर्मा गई और कहा - " अच्छा अब आप फ्रेश हो जाइए ... थक गए होंगे  मैं खाना लगाती हूँ । "  
अशोक - लव यू । 
इतना कहकर अशोक ने मुझे अपनी बाहों की पकड़ से छोड़ दिया और फ्रेश होने चले गए । मैं भी खुशी से अपने कामों मे लग गई कि चलो कम से कम , अशोक अब मुझसे गुस्सा तो नहीं है ।
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खाना खाकर अशोक सोने चले गए और मैं भी अपना पूरा काम खत्म करके बेडरूम मे जा पहुँची । अन्दर बेडरूम मे आते ही मैंने पहले चेंज किया और रोज की तरह अपनी साड़ी निकाल-कर एक नाइटी पहनकर बेड पर लेट गई ।
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 मैं अभी लेटी ही थी के मेरे ध्यान वो बॉक्स आ गया जो मुझे आज दिन मे मेरे घर के दरवाजे पर रखा हुआ मिला था मैं तो उसके बारे मे बिल्कुल भूल ही गई थी मगर अब मेरे मन मे उसके अन्दर क्या है ये जानने की इच्छा हो रही थी , मैंने अपनी बगल मे अशोक की ओर देखा तो वो बिल्कुल गहरी नींद मे सोये हुए थे । मैं चुपचाप अपने बेड से उठी और बिना आवाज किये अलमारी खोलकर उस बॉक्स को बाहर निकाला । कहीं अशोक की नींद ना खुले इसलिए मैं उस बॉक्स को लेकर दूसरे कमरे मे आ गई ।
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 मैं बैठकर उसके अन्दर क्या है ये जानने के लिए उसे खोलकर देखने लगी । मैंने उत्सुकता के कारण जल्दी-जल्दी से उसे खोला ..  
जब बॉक्स पूरा खुल गया तो जो मेरे सामने आया उसे देखकर हैरत से मेरी आँखे खुली की खुली रह गई । मैंने सोचा भी नहीं था कि इस बॉक्स मे ऐसा कुछ हो सकता है उस बॉक्स के अन्दर एक डिल्डो रखा हुआ था । मेरी समझ मे नहीं आया कि कौन ऐसा कर सकता है ? मैंने एक बार कमरे के गेट की ओर देखा और फिर बॉक्स के अन्दर हाथ डालकर उस डिल्डो को उसमे से बाहर निकाला और उसे हाथ मे लेकर बोहोत ध्यान से देखने लगी । 
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ऐसा नहीं था कि मुझे ये नहीं पता था कि ये किस काम आता है लेकिन मैंने कभी इसे यूज करना तो दूर हाथ मे लेकर भी नहीं देखा था । वो बिल्कुल असली वाले लिंग के जैसा लग रहा था बल्कि ये कहूँ कि असली वाले लिंग से काफी लंबा और मोटा था ,,, कम से कम अशोक के लिंग से तो काफी ज्यादा .... । 
मैंने उसे अपने हाथ मे लेकर अच्छे से फ़ील किया , और कुछ समय के लिए तो मैं उसमे ही खो सी गई फिर मेरा ध्यान बॉक्स मे रखी एक ओर चीज पर गया । मैंने उसे बाहर निकाला तो देखा कि वो एक रिमोट कंट्रोल था , जो उस डिल्डो का ही रहा हो शायद । मेरे मन मे उसे चलाकर देखने की इच्छा होने लगी । मेरा दिल घबरा भी रहा था और ये भी चाह रहा था कि एक बार इसे चलाकर भी देखू ,क्या होता है ?
मैं रिमोट को एक हाथ मे लिया और डिल्डो को दूसरे हाथ मे और फिर रिमोट के प्ले के बटन पर क्लिक किया ........। जैसे ही मैंने उसे चलाया वो वाइब्रेट होना शुरू हो गया और मेरी दिल की धड़कने बढ़ गई , उसे हाथ मे लेकर मैं ओर भी घबरा गई और मेरी साँसे तेज-तेज चलने लगी । 
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वो इतनी तेजी से वाइब्रेट हो रहा था कि मेरे हाथ से छूटने को बार-बार निकाल रहा था । मेरे माथे पर पसीना छलक आया और जिस्म मे एक अजीब सा रोमांच फिर से उठने लगा । मैं बोहोत डर गई क्योंकि बगल वाले कमरे मे अशोक सोये हुए थे और अगर वो मुझे ऐसे इस हालत मे पकड़ लेते तो मैं तो सारी जिंदगी के लिए शर्मशार हो जाती । डर के मारे मैंने जल्दी से उसके स्विच को ऑफ कर दिया और फिर तुरंत ही उसे उसी बॉक्स मे रखकर , कमरे मे छिपा दिया । मैंने सोचा कि इसका यहाँ घर पर होना ठीक नहीं .. अशोक को पता चल गया तो वो क्या सोचेंगे मेरे बारे मे , मैं इसे कल ही बाहर फेंक दूँगी जब अशोक घर नहीं होंगे ।
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इसके बाद मैं उस कमरे से बाहर आई और फिर जल्दी से अपने बेडरूम मे आकर लेट गई मैंने अशोक को देखा तो वो सोये हुए ही थे , मेरी साँसे अभी भी तेज चल रही थी । उस डिल्डो ने एक बार फिर मेरे सोये अरमान जगा दिए और फिर से मेरा ध्यान लिंगों की उस दुनिया की ओर खिंच लिया  जो मुझे गुप्ता जी , नितिन और एक बार तो वरुण ने भी दिखाई थी । मुझे तो ऐसा लगने लगा था जैसे कोई मेरे साथ खेल , खेल रहा है , नहीं तो ऐसे कोई क्यूँ इसे मेरे घर के सामने रखता । लेकिन ऐसा कौन कर सकता है ? जवाब मेरे पास नहीं था । लगभग 10 बजे मैं इसी उलझन के साथ सो गई ।
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अगली सुबह मैं देर तक सोती रही ,क्योंकि आज 1 मार्च थी और संडे भी था ।  अशोक के ऑफिस की छुट्टी थी और वो भी काफी देर तक सोये । 7 बजे के आसपास मैं अंडाई लेते हुए मैं बिस्तर से उठी । 
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अशोक पहले ही उठ चुके थे और वो वाशरूम मे फ्रेश हो रहे थे । मैं भी उठकर हॉल वाले वशरूम मे फ्रेश होने चली गई । फ्रेश होकर मैं कीचेन मे पहुँची और अपने अशोक के लिए चाय बनाने लगी । मैं अभी कीचेन मे ही थी तब तक अशोक भी वहाँ आ गए और पीछे से मेरे करीब आकर मुझे बाहों मे भरकर बोले - 
अशोक - क्या कर रही हो ?
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मैं (मुस्कुरा कर)  - आपके लिए चाय बना रही हूँ ?अशोक - अरे चाय मत बनाओ ?मैं - क्यूँ  ..क्या हुआ ?
अशोक ( मुझे छोड़ते हुए ) - अरे अब तो मार्च शुरू हो गया , दिन भी गरम होने लगे है । मैं तो जूस पियूँगा । 
मैं (अशोक की ओर देखते हुए )  - लेकिन ... जूस तो खत्म हो गया है !
अशोक ( कुछ सोचकर) - कोई बात नहीं मैं अभी लेकर आता हूँ । 
मैं - ठीक है जल्दी जाइये .... तब तक मे नहा लेती हूँ । 
अशोक - हाय ... तुम्हें नहाने की क्या जरूरत तुम तो हमेशा ही हसीन लगती हो ?
अशोक की बात सुनकर मैं शरमाये बिना नहीं रह सकी । 
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मैं - अब जल्दी जाइये फिर मैं आपके लिए कुछ बना दूँगी । 
अशोक -  ठीक है ठीक है .. लेकिन नहाने जाते हुए । घर का दरवाजा बन्द मत करना पता चला तुम अन्दर नहाती रही ओर मैं बाहर वेट करता रहा । 
मैं - ओके । 
उसके बाद अशोक जूस लेने चले गए । चाय तो बन ही चुकी थी तो मैंने सोचा ये बेकार ही जाएगी इसलिए मैं उसे सोफ़े पर बैठकर पीने लगी । 
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 मैंने अपनी चाय खत्म की । अशोक अभी नहीं आए थे तो चाय पीकर मैं नहाने के लिए हॉल वाले बाथरूम मे चली गई और साथ मे अपने कपड़े भी ले लिए .... 
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अन्दर आकर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नग्न होकर शावर खोल दिया और नहाने लगी । मैं शावर की ठंडी बूंदों मे खड़े हुए नहा रही थी और बाहर की दुनिया से बेखबर थी मुझे बिल्कुल भी ध्यान नहीं रहा की घर का गेट लॉक नहीं है , और यही मुझसे एक बड़ी भूल हो गई । मैं अनजान थी एक ऐसी होने वाली  घटना से जो मैंने सपने मे भी नहीं सोची थी । कोई मेरे घर के अन्दर आ गया था और वो अशोक नहीं थे । वो कौन है ? इसका मुझे भी बाद मे पता चला । उस समय तक मुझसे अनजान वो शख्स मेरे घर के अन्दर था और मुझे खोजते हुए वो बाथरूम के गेट पर आ गया । उस समय मेरी पीठ गेट की तरफ थी ।
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 उस अनजान ने धीरे से मेरे बाथरूम का गेट खोल दिया और चुपके से पीछे से मेरी गोरी पीठ पर  से नीचे भारी नितम्बों तक सब पर अपनी नजरे जमाकर , मेरे सुंदर रूप को निहारने लगा । 
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मेरे बदन पर उस वक्त एक भी कपड़ा नहीं था और ऊपर से शावर की बुँदे मेरे कोमल बदन पर फिसल रही थी जो मेरे बदन को और भी कामुक बना रही थी  , जिसे देखकर वो अनजान बेकाबू हुआ जा रहा था । उस समय घर पर मेरे सिवाय और कोई नहीं था , इसका उस अनजान ने भरपूर फायदा उठाया और जितना हो सके मेरे गदराये बदन का पीछे से मजा उठाया , उसकी नजरे मेरे गोल-गोल और मोटे नितम्बों से हट नहीं पा रही थी । शायद अब उसके अन्दर की वासना ने उसके सब्र का बाँध तोड़ दिया और मेरे कामुक जिस्म को और अच्छे से देखने के लिए  वो धीरे से दरवाजा खोलकर अन्दर बाथरूम मे घुस गया ।
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मुझे अभी कुछ पता नहीं था , मेरी पीठ अभी भी उस की ओर थी और मैं उसके आगमन से बेखबर बस नहा रही थी । मेरे पीछे खड़े हुए उसने मेरे गोरे बदन की महक का पूरा मजा उठाया और चुपके से कई बार मेरे जिस्म से उठने वाली उत्तेजना से भरी महक को सूँघा , लेकिन अब वो इस पर ही नहीं रुकने वाला था । मेरे भरे जिस्म का आकर्षण उसे मेरी ओर खींचता ही गया और जैसे कोई परवाना अपने आप को शमा के पास जाने से नहीं रोक पाता ठीक वैसे ही वो भी अपने हाथों को मेरे जिस्म को स्पर्श करने से रोक नहीं पाया । उसने शांति से आगे बढ़कर अपने हाथों को मेरी कमर के बराबर मे रख दिया और प्यार से वहाँ अपनी उँगलियों से सहलाने लगा । 
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" ऑफ .... " मन ही मन मैंने एक आह भरी । लेकिन पीछे मुड़कर नहीं देखा , मुझे लगा था कि अशोक आ गए है और वो ही ऐसे पीछे से मुझे छेड़ रहे है । हालाँकि अशोक ने मेरे साथ ऐसा कभी पहले नहीं किया था मगर मैं उस समय मे रोमांच मे सब भूलकर उस अनजान को अशोक समझकर उसका साथ दे रही थी । उसके हाथ मेरी पीठ पर अब हर जगह अपनी कला दिखा रहे थे और मेरे बदन पर चिपकी ठंडे पानी की बूंदों के साथ ,मेरी कमर और पीठ पर हर जगह को महसूस कर रहे थे । मैंने अब शावर बन्द कर दिया था और बस आँखे बन्द कीये मदहोशी की हालत मे उस अनजान के बदन से पीछे से चिपक गई । मेरा कोमल पीछे से बिल्कुल नंगा जिस्म उसके मजबूत शरीर से लगा हुआ था । 
[Image: 20230130-234122.gif]
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उसने मेरे दोनों हाथों को बगल के कंधों के पास से पकड़ा हुआ था और वो खुद मुझे पीछे से कभी मेरे गीले बालों पर , कभी कंधों पर धीरे-धीरे अपने गरम होंठों से चूम रहा था ।
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 उसके बदन से निकलती हुई गरमी मेरे नग्न ठंडे जिस्म को भी गरमाई दे रही थी । आनंद के उस पल मे एक बार भी मुझे ये ख्याल नहीं आया कि एक बार आँखे खोलकर पीछे देख लूँ , मैं तो बस खोई हुई थी उसकी बाहों मे । उसकी पेंट मे एक बड़ा सा ऊभार बन गया था और वो पीछे से मेरे नंगे नितम्बों से टकरा रहा था । ये तो मेरे और उसके जिस्म के बीच मे उसकी पेन्ट थी नहीं तो उसके लिंग की अकड़न ही ये बता रही थी की वो मेरे नितम्बों के बीच मे घुसने को बेताब है । उसने मुझे मेरी कमर से पकड़ा और अपनी ओर घूमा दिया ।
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अब मेरे तने हुए ऊभार उसकी छाती से टकरा गए और मेरे दिल की धड़कने बेकाबू हो गई उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों मे थाम लिया और अपने होंठ मेरे होंठों के बोहोत करीब ले आया , वो मेरे होंठ चूमना चाहता था और मैं भी इसमे पीछे नहीं हटना चाहती थी हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों की ओर बढ़ने लगे और उसके होंठ मेरे होंठों को चूमने ही वाले थे कि उसी समय मैंने अपनी आँखे खोल दी । 
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जैसे ही मैंने अपनी आँखे खोलकर उसका चेहरा देखा , मेरे होंठ वही के वही रुक गए और एक पल के लिए तो मुझे समझ ही नहीं आया के ये हुआ क्या है ?मेरे पीछे से अब तक जो मेरे साथ ये सब खेल कर रहा था वो कोई ओर नहीं वरुण था । वरुण को वहाँ देखकर मुझे जितनी हैरत हुई उतना ही गुस्सा भी आया । मैंने वरुण से तेजी से अलग होते हुए उसे एक जोर का धक्का दिया और आवेश मे आकर उसके गाल पर एक जोर का तमाचा रख दिया । 
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गुस्से से मेरा चेहरा लाल हो गया था  
  मैंने उसे चीखते हुए कहा - " वरुण तुम यहाँ .....???? "
                                " तुम्हें शर्म नहीं आई ...ये सब करते हुए ??"
                             " अब बोलते क्यूँ नहीं .. "
वरुण चुप खडा था लेकिन उसकी नजरे सब बयां कर रही थी वो अभी भी खड़ा हुआ मेरे नंगे जिस्म को सामने से देख रहा था । इस मौके को वो हाथ से नहीं जाने देना चाहता था । उसकी नजरे मेरे बूब्स और नीचे योनि को बार-बार घूर रही थी । जब मैंने उसे अपने आप को इस तरह घूरते हुए पाया तो , मुझे मेरी हालत का एहसास हुआ और शर्मिंदगी से मैंने तेजी से अपने आप को कवर करने के लिए पास मे टँगे हुए टावल को उठाया और उसे अपने बदन पर लपेट लिया । 
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जब मैंने अपने आप को वरुण की कमीनी निगाहों से बचा लिया तो उसका ध्यान मेरे जिस्म से टूटा और वो घबराते हुए तेजी से बाथरूम से निकल गया । मेरा थप्पड़ उसे बोहोत जोरों से पड़ा था । मुझे अभी भी बोहोत गुस्सा चढ़ा हुआ था । अपने आप को नॉर्मल करते हुए मैंने अपने आप को पोंछा और अपनी साड़ी पहनते हुए सोचने लगी - "ये वरुण को भी क्या हो गया है ?"
                         " ऐसा पहले तो नहीं था ... आज तो उसने हद ही करदी "
                       " लेकिन वो इस समय यहाँ क्या करने आया था ?"
यही सब सोचते हुए मैंने अपनी साड़ी पहन ली और बाथरूम से बाहर आ गई ।
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 मैं हॉल मे आई और मुझे मेरे सवाल का जवाब भी मिल गया । दरसल वरुण मेरी साड़ी गुप्ता जी के पास से ले आया था जो उसने हॉल मे सोफ़े पर रखी हुई थी । मुझे भी उस साड़ी को देखकर अपनी गलती का थोड़ा एहसास हुआ , जो भी हो मुझे वरुण को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था । वो तो मेरा ही काम करने आया था , लेकिन उसने भी तो गलत किया उसे ऐसे बाथरूम मे नहीं घुसना चाहिए था । मैंने फिर सोचा - " हो सकता है वो किसी को ढूंढ रहा हो और इसी चक्कर मे बाथरूम के पास आ गया , और मेरे हुस्न को देखकर खुद पर काबू नहीं रख पाया , आखिर वो भी एक मर्द है और मर्द की नियत औरत को देखकर अक्सर डोल जाती है । "
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मैं अपनी सोच मे खोई हुई थी तभी अशोक ने आकर मुझे मेरे ख्यालों से बाहर निकाला । 
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