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Adultery PADMA ( Part -1)
#1
पदमा ( part-1)
(इस कहानी के सभी पात्र और घटनाए काल्पनिक है जिसका किसी भी जीवित अथवा म्रत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है यदि किसी व्यक्ति ,वस्तु या स्थान के साथ इसका कोई संबंध मिलता है तो यह एक संयोग मात्र होगा )
जनवरी के महीने का अंत चल रहा था । पर ठंड अब भी जिस्म को कपड़ों से आजाद कराने के लिए तैयार नहीं थी । इसी ठंड को काम करने के लिए मे रोज की तरह अपनी छत पर धूप सेकने बेठी थी । ये मेरा रोज का routine बन गया था । अशोक के घर से ऑफिस जाने के बाद मे घर के सभी काम निपटा कर दोपहर मे छत पर जाकर धूप मे सर्दी को कम करने की कोशिश करती थी । उस दिन भी मे दोपहर मे छत पर घूम रही थी । मेरे घर के सामने एक प्लेग्राउन्ड है जहाँ कुछ लड़के क्रिकेट खेल रहे थे । उनमे से मे केवल एक को मैं  पर्सनली जानती थी वो था ' वरुण ' वो भी इसलिए क्योंकि उसकी मम्मी के साथ मेरे अच्छे संबंध थे । वो हमारे ही मोहल्ले मे , मेरे घर से 3 घर छोड़कर रहती थी ।  
हैलो , मेरा नाम है " पदमा " और ये मेरी कहानी है । 
 [Image: Shriya-Saran-Latest-Pics-18.jpg]
[Image: Shriya-Saran-Latest-Pics-18.jpg]
यूं तो मे रोज ही दोपहर को अपनी छत पर धूप लेने के लिए जाती थी पर उस दिन मन कुछ अजीब सा महसूस कर रहा था कुछ घबराहट । जेसे तूफान के आने से पहले एक शान्ति सी छा जाती है बिल्कुल एसा ही लग रहा था । मैं अपनी छत की रैलिंग पकड़कर गली मे देख रही थी के तभी गली मे एक बाइक पर एक आदमी आता हुआ दिखाई दिया मेने उसे ज्यादा गोर से तो नहीं देखा पर वो एक ब्लैक शर्ट उसके ऊपर एक जैकिट और ब्लू  पेंट पहने हुआ था आँखों पर ब्लैक चश्मा था । उत्सुकता मुझे तब हुई जब गली के सभी घरों को पार कर वो अंत मे मेरे घर की तरफ मुड़ा और मेरे घर के सामने अपनी बाइक रोक दी । मैं उस वक्त भी छत पर ही थी और उसे ध्यान से देखने की कोशिश कर रही थी पर उसे पहचानने मे नाकामयाब रही । वह अपनी बाइक से नीचे उतरा और डोर बेल बजाई । चाहती तो मे छत से ही पूछ सकती थी की वह कोन है और क्या काम है ? पर ना जाने क्यूं  मैं उसके लिए दरवाजा खोलने नीचे चली गई । ये शायद मेरा उसके लिए पहला आकर्षण था । मैं जल्दी जल्दी सीढ़ियों से नीचे उतरी और दरवाजा खोला । [Image: 597144.jpg]दरवाजा खोलने के बाद मेने पहली बार सपष्ट रूप से देखा वह एक हैन्ड़सम लगभग 5.8 का आदमी था जिसकी उम्र शायद 29 वर्ष होगी । वह मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था मेने उसके चेहरे से अपना ध्यान हटाया और उससे पुछा
 
मैं - जी , आप कोन ?
वह - पदमा , मेरा नाम नितिन है मैं अशोक का दोस्त हूँ उसी के ऑफिस मे काम करता हूँ । उसकी एक फाइल घर पर रह गई है और वो मीटिंग मे बिजी है इसलिए उसने मुझे भेजा है , फ़ाइल लाने के लिए । 
ये मेरे लिए काफी शॉकइंग था एक तो मैंने कभी इस आदमी को अशोक के साथ नहीं देखा था । ऊपर से ये मेरा नाम भी जानता था । मैंने फिर उससे पूछा -
मैं - पर अशोक ने तो मुझे किसी फ़ाइल के बारे मे कुछ नहीं बताया । 
नितिन - बताता केसे तुम्हारा मोबाईल भी तो स्विच ऑफ है । 
उसकी बात सुन मेने अंदर आकर अपना मोबाईल चेक किया वो सच मे स्विच ऑफ था । मैं अपने मोबाईल मे ही उलझी थी के नितिन बाहर से ही बोल पड़ा -
नितिन - अरे , अब अगर इजाजत हो तो क्या मैं अंदर आजाऊ ?
मैं ( पलटकर )- ओह , प्लीज आइ यम सॉरी । प्लीज कम इन । 
वह अंदर आया मैंने उसे बेठने को कहा ," प्लीज सीट " और उसके लिए पानी लेने कीचेन मे चली गई । पानी का ग्लास लेकर जैसे ही मैं नितिन को देने के लिए झुकी मेरी साड़ी का पल्लू जरा सा नीचे ढलक गया और नितिन के सामने मेने उन्नत उरोज आ गए । जैसे ही नितिन की नजर मेरे कसे हुए स्तनों पर पड़ी उसकी निगाहें वही थम गई वह घूर -घूर  कर उन्हे देखने लगा जैसे आँखों से ही उनका रसपान कर रहा हो । फिर जल्दी से मैंने ग्लास नीचे टेबल पर रखा और बोली - 
मैं - आप जब तक पानी पीजिए मैं फाईल देखती हूँ । 
मैं जल्दी से फाईल लेने अपने बेडरूम की तरफ भागी पर एसा लग रहा था जैसे मुझे पीछे से कोई घूर रहा है बेडरूम के दरवाजे पर जाकर मैंने पलट कर देखा तो मेरा अंदाजा बिल्कुल ठीक था नितिन मुझे पीछे से घूर रहा था । अपने आप को किसी अनजान आदमी से अपने ही घर मे एसे घूरे जाने से मेरी दिल की धड़कन बढ़ गई । मैं जल्दी से अंदर गई और अपनी साँसों को नॉर्मल करने के लिए बेड पर बेठ गई थोड़ी देर बाद साँसे नॉर्मल होने पर मैं उठी और फाइल ढूंढने लगी । मैंने अलमारी खोली पर वहाँ पर कोई एसी फाइल नजर नहीं आई जो इम्पॉर्टन्ट हो मैं फाइल ढूंढने मे लगी थी और मुझे पता भी नहीं चला कब नितिन कमरे मे आ गए और मेरे पीछे खड़े होकर बिल्कुल मेरे करीब जाकर मेरे कान के पास धीरे से बोले" मिली नहीं क्या ?"
 नितिन ने मेरे कान के इतने करीब से बोल था की उनकी गरम साँसे मुझे मेरी पीठ और कान पर महसूस हुई  मैं घबराकर पीछे मुड़ी तो मेरे स्तन नितिन के सीने से टकरा गए । घबराहट मे फिर मेरी धड़कने और साँसे तेज हो गई , मैंने कहा - न न .. नहीं वो अलमारी मे तो नहीं है । 
नितिन अब भी मुझसे सट कर खड़े थे और हमारे बीच गेप ना के बराबर था । फिर नितिन ने कहा " शायद अलमारी के ऊपर रखी होगी "
मैंने दोबारा पलटकर अलमारी की और देखा तो कुछ फाइले अलमारी के ऊपर राखी थी पर अलमारी काफी ऊँची होने की वजह से वहाँ तक नितिन का ही हाथ नहीं पहुँच सकता था तो मेरा तो क्या ही जाता ? 
मैं - पर वह तो बहुत ऊँची है मैं कोई स्टूल लेकर आती हूँ । 
मैं स्टूल लेने जाने लगी पर अचानक नितिन ने मेरी बाँह पकड़ ली और कहा - 
नितिन - रहने दो मैं लेट हो रहा हूँ । 
इतना कहकर नितिन ने बिना मुझसे पूछे मेरी कमर के उस भाग को जहां साड़ी नहीं थी को मजबूती से पकडा उसे मुझे ऊपर उठा दिया । ये सब इतनी जल्दी मे हुआ की मैं कुछ कह न सकी बस एक "आह" निकाल गई जिसे नितिन ने भी बखूबी सुना । नितिन ने मेरी कमर के दोनों नंगे भागों को मजबूती दे पकडा हुआ था और एक बार फिर उसकी गरम साँसे मुझे मेरी कमर पर महसूस हो रही थी । मेरी धड़कनों की रफ्तार बढ़ती जा रही थी ।  मैं ज्यादा देर एसे नहीं रह सकती थी इसलिए मेने जल्दी से फाइल ढूंढना शुरू कर दिया पर इधर नितिन ने मेरी मुशकील ओर बढा दी थी उसने अपनी नाक पूरी मेरी नंगी कमर पर लगा दी ओर अब उसके होंठों का स्पर्श मेरी कमर पर होने लगा पर इससे पहले की स्थिति मेरे काबू से बाहर हो  मुझे वो फाइल मिल गई । मैंने कहा - मिल गई फाइल 
पर नितिन ने तो जैसे सुना ही ना हो वो तो मेरे जिस्म से आने वाली मादक खुशबू  मे व्यस्त था । मैंने एक बार फिर थोड़ा तेज आवाज मे कहा - नितिन फाइल मिल गई । 
इतना सुन नितिन जैसे नींद से बाहर आया और कहा - ओह अच्छा । 
इतना कह उसने मुझे नीचे उतारा और नीचे उतरते हुए एक बार फिर मेरी पीछे से नंगी पीठ उसके कठोर सीने से रगड़ कहा गई पर इस बार मुझे अपने नितम्बों (गांड) पर एक चीज और चुभती महसूस हुई मुझे समझते देर ना लगी की ये क्या है वो नितिन का लिंग था पर मेरे लिए  चोकाने वाली बात ये थी की उसके लिंग की लंबाई मुझे कुछ ज्यादा ही महसूस हुई मेने उत्सुकतावश नीचे उतारकर उसे फाइल दी और अपनी आँखों से उसकी पेंट पर बने ऊभार की लंबाई को मापने की कोशिश करने लगी ये सिर्फ मेरा भ्रम नहीं था वाकई मे उसका लिंग पेंट मे भी बोहोत लंबा और मोटा महसूस हो रहा था मैं तो जैसे अपने होश ही खोने लगी थी कुछ तो नितिन की वो कामुक हरकते और कुछ उसके उस लिंग का आकार मुझे और उत्तेजित कीये जा रहा था   
[Image: shriya-saran-shriya.gif]
 
 नितिन फाइल चेक कर रहा था उनसे फाइल चेक की , कि सही है या नहीं फिर कुछ देखकर मेरी ओर देखकर बोला "सब ठीक है यही है वो फाइल " इतना कह वो मुझे थैंक्स कह कर जाने लगा मैं उसे छोड़ने गेट तक गई । गेट पर जाकर अचानक नितिन पीछे मुड़ा और बोला - सॉरी पदमा । 
मैं - वो किस लिए ?
नितिन - वो .. मेने तुमसे बिना पूछे तुम्हें पीछे से उठा लिया था ना । वो मैं लेट हो रहा था इसलिए जल्दी मे कुछ सुझा ही नहीं। 
मैं - कोई बात नहीं नितिन , इट्स ओके । पर मैं तुमसे एक बात पूछना चाहती हूँ ?
नितिन - हाँ बोलो . .. 
मैं - अशोक के सभी दोस्तों को तो मैं जानती हूँ , पर तुम्हें कभी नहीं देखा । ना ही काभी आज से पहले तुम्हारा नाम ही सुना था ।  एसा क्यूं  ?
नितिन - इसका जवाब तो तुम्हें अशोक ही देगा पर मैं इतना तो समझ गया हूँ की अशोक ने मुझे तुमसे क्यूं नहीं मिलवाया ?
मैं - अच्छा , तो बताओ क्यूं नहीं मिलवाया ?
नितिन- जिसकी इतनी सुंदर पत्नी होगी उसे डर तो रहेगा ही कही मैं ना चुरा लूँ  उसकी बीवी । 
इतना कहकर वो जोर से हंसने लगा । मैं उसके इस जवाब पर बस शर्माकर रह गई और कुछ ना बोल सकी । फिर वो बोला - अच्छा , चलो बाय मैं चलता हूँ फिर मिलेंगे । अब तो मेने अशोक के चाँद को देख लिया है अब इसे देखने तो मैं आता रहूँगा । 
उसकी ये बाते फिर से मेरे दिल की धड़कनों को बढ़ा रही थी । मैंने उसके कमेन्ट का जवाब दिए बिना उसे बाय बोला और दरवाजा बंद करके अंदर आ गई ।
 अंदर आकर सबसे पहले मैं कीचेन मे गई ओर 2 ग्लास पानी पिया फिर सोफ़े पर बेठकर थोड़ी नॉर्मल होने की कोशिश करने लगी । बाहर काफी सर्दी थी पर मेरे माथे पर पसीना आया हुआ था वजह आप सब जानते है।  मैं सोचने लगी की ये अशोक का एसा कोन सा दोस्त है जिसका अशोक ने कभी नाम भी नहीं लिया । मेरी और अशोक की शादी को 4 साल हो चुके थे पर कभी उसके एसे किसी दोस्त से नहीं मिली जो मुझे भाभी ना कहकर नाम से बुलाता हो । इन सब सवालों के जवाब तो अशोक के ऑफिस से आने के बाद ही मिलेंगे 
[Image: _Gali_Gali_Mein3566.jpg]
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#2
शानदार शरुआत है
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#3
Nice starting, padma to ekdum ready hai chudne ko, phli mulakat me hi ek anjan aadmi bedroom me aa gya usko pichhe se utha liya, usko uske lund ka size bhi mahsus ho gya, randi bnne ke sbhi gun hai isme,
Mobile switch off tha to khol kr puchh sakti husband se , bas usne btaya aur file dudne lagi,
Achanak bedroom me aa gya aur pichhe aakr khada ho gya, lekin datna jruri nhi samjha aisa reaction to jankar ya dost ke liye bhi nhi hota, agle update ka wait rhega kya gul khilati hain
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#4
(17-08-2022, 09:29 AM)rekha6625 Wrote: Nice starting, padma to ekdum ready hai chudne ko, phli mulakat me hi ek anjan aadmi bedroom me aa gya usko pichhe se utha liya, usko uske lund ka size bhi mahsus ho gya, randi bnne ke sbhi gun hai isme,
Mobile switch off tha to khol kr puchh sakti husband se , bas usne btaya aur file dudne lagi,
Achanak bedroom me aa gya aur pichhe aakr khada ho gya, lekin datna jruri nhi samjha aisa reaction to jankar ya dost ke liye bhi nhi hota, agle update ka wait rhega kya gul khilati hain

dekhti jao
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#5
2. नितिन चला तो गया पर उसके आने से जो मेरे मन जो हलचल मच गई थी वह नही गई । पता नहीं कब 4 बज गए जब मैंने घड़ी देखी तो याद आया की मुझे तो गुप्ता जी के पास साड़ी के ब्लाउस और पेटीकोट को सिलवाने के लिए भी जाना है । रमेश गुप्ता जी एक 50 साल के आदमी  हमारे मोहल्ले के दर्जी थे , मोहल्ले की ज्यादातर औरते उन्ही से कपड़े सिलवाया करती थी । सभी उन्हे गुप्ता जी कहकर बुलाते थे मैं भी उन्ही मे से एक थी गुप्ता जी एक किराये के कमरे मे अकेले रहते थे उनका परिवार गाँव मे था । मैंने जल्दी से अपना फोन जो चार्जिंग पर लगा हुआ था को हटाया ओर उसे ऑन करके देखा तो पाया की उसमे अशोक की 3 मिस्सड  कॉल थी मैं समझ गई की ये उसने फाइल के लिए ही की होंगी मैंने उसे कॉल बैक किया तो वो बिजी बता रहा था मैंने सोचा की वो मीटिंग मे होंगे फिर मैं उठकर अपना समान समेटने लगी और सिलाई का कपड़ा लेकर घर से बाहर निकली ।
 बाहर आकर घर का दरवाजा लॉक किया और गली मे चल पड़ी । घर के बाहर ज्यादा ठंड थी कुछ लोग आग तापने के लिए एक जगह इकट्ठे खड़े थे पर मुझे आता देख वो सब आग को छोड़कर मुझपर आंखे सेकने लगे । मेरे लिए ये कोई नई बात नहीं थी मैं जब भी किसी काम से घर से निकलती थी तो मोहल्ले के कई मर्द अपने होश खो बेठते थे । मैं थोड़ा आगे चली तो वो सब मेरी बलखती कमर और मेरे बड़े नितम्बों को देखने लगे जैसे खा ही जाएगे[Image: Shraddha-Das-exposing-navel-hot-photos-S...-58860.jpg]
 फिर मैं थोड़ा ओर आगे चली तो उनमे से बोल पड़ा - "हाए क्या गदराई जवानी है एक बार मिल जाए तो इसका सारा रस पी लूँ । "
ये सुनकर मुझे थोड़ा गुस्सा भी आया मैंने पलटकर पीछे देखा तो वो सब बड़ी बेशर्मी के साथ हँस रहे थे मैंने उन्हे जवाब देने की सोची भी पर वो 6-7 थे और मैं कोई बखेड़ा खडा नहीं करना चाहती थी इसलिए मुड़कर फिर आ से आगे की ओर बढ़ी इस बार उनमे से किसी ने कुछ कहा तो नहीं पर उनके हँसने की आवाज मेरे कानों तक पहुँच रही थी मैंने जल्दी जल्दी से कदम बढ़ाए और गुप्ता जी के फ्लैट के नीचे  तक पहुँच गई गुप्ता जी का फ्लैट एक मंजिल ऊपर था नीचे किराने की 1 पुरानी दुकान थी और एक सिलाई के समान जैसे सुई ,रील या सिलाई मशीन वगैरह की दुकान थी गुप्ता जी यहाँ से ही अपनी सिलाई का सारा सामान लेते थे और गली के बाकी लोग भी ।  ऊपर की मनजिल पर जाने के लिए लोहे की  सीढ़िया बाहर से ही जाती थी मैंने जल्दी से सीढ़ियाँ चढ़ी और जल्द ही गुप्ता जी की दुकान मे परवेश किया
गुप्ता जी की दुकान एक छोटा पर सिलाई के लिए पर्याप्त कमरा था जिसके फर्श पर काफी कटे हुए कपड़े पड़े थे  एक ओर रस्सी पर एक पर्दा लगा था जिसके पीछे जाकर सभी औरते चेंज करती थी । कमरे मे हीटर चल रहा था जिससे उसमे काफी गरमाई थी।  गुप्ता जी उस समय किसी का घागरा सि रहे थे मुझे देखते ही बोले -
गुप्ता जी - आओ , आओ पदमा बेठो । कहो केसे आना हुआ ? 
मैं - नमस्ते गुप्ता जी । वो दरसल एक साड़ी का ब्लाउस और पेटीकोट सिना है । 
इतना कह मैं पास मे रखे स्टूल पर बैठ गई । 
[Image: Shriya-In-Blue-Transparent-Saree.jpg]
गुप्ता जी ( आँखों से चश्मा हटाते हुए ) - हाँ बिल्कुल हो जाएगा । और सुनाओ सब ठीक है घर ? 
मैं - जी हाँ सब ठीक है । और आप केसे है ? 
गुप्ता जी - बस सब सही है । समय निकल रहा है । अच्छा तुम तैयार जो जाओ मैं फीता लेकर आता हूँ । 
गुप्ता जी को मैं अच्छी तरह से जानती थी तैयार होने से उनका मतलब था की मैं अपनी साड़ी उतार दूँ और ब्लाउस और पेटीकोट मे आ जाऊ । एसा वो हर बार करते थे  मैं अपनी जगह से उठी औरं एक छोटे से परदे के पीछे जाकर साड़ी को निकालने लगी पर्दा काफी हल्का था और उसके आर पार देखा जा सकता था मतलब परदे के दूसरी ओर से कोई भी आदमी ये देख सकता था की मैंने कितने कपड़े उतार दिए है और कितने पहने है । 
मैंने अपना पर्स वही परदे के पीछे साइड मे रखा और पर्दा लगा कर  साड़ी उतारने लगी के तभी गुप्ता जी ने कमरे मे परवेश किया और जैसे ही उनकी नजर परदे के पीछे मुझ पर पड़ी उनकी नजरे वही टिक गई परदे का होना , ना होना बराबर था और  वो परदे के पीछे भी मुझे स्पष्ट रूप से देख सकते थे ।

 जैसे ही मेरी नजर गुप्ता जी पर गई मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया और दिल धड़कने लगा । शर्म के मारे मेने अपना चेहरा दूसरी ओर घूमा लिया पर गुप्ता जी कहाँ मानने वाले थे वो पीछे से मेरी पतली कमर और नितम्बों वो निहारने लगे । मैंने अपनी साड़ी तो उतार दी पर ये समझ नहीं आ रहा था की एसी हालत मे गुप्ता जी के सामने जाऊ केसे ? आज मुझे उत्तेजना हो भी कुछ ज्यादा रही थी उसका कारण था नितिन ने जो मेरे साथ दोपहर मे हरकते की थी । 
गुप्ता जी जानते थे की मैंने साड़ी उतार दी थी और उसे नीचे पड़े कपड़ों के ढेर पर रख दिया ।
[Image: 27_8017.jpg]
 पर उनके सामने जाने मे हिचकिचा रही थी । मेरी मनोदशा समझ कर गुप्ता जी परदे के बिल्कुल पीछे आकर खड़े हो गए और बोले -
गुप्ता जी - पदमा , क्या तुमने साड़ी उतार दी ?
मैं - जी जी .. गुप्ता जी । 
गुप्ता जी - ठीक है । 
इतना कहकर गुप्ता जी ने बिना मुझसे कुछ पूछे और बिना देरी कीये परदे को एक ओर को खेन्च दिया । अब मेरी  बैक उनके सामने सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज मे थी 
[Image: anushka-hot-stills-in-vaanam-movie-3_orig.jpg]
पहले कुछ देर गुप्ता जी ने पीछे से ही मेरी जवानी के रस को आँखों से पिया फिर अचानक उन्होंने मेरे कंधे पर अपना हाथ रक दिया । मैं एक दम से सिहर उठी । 
गुप्ता जी बोले- "मेंरी ओर घूमो पदमा मुझे नाप लेना है। "
मैं बिना कुछ बोले गुप्ता जी की ओर घूम गई । गुप्ता जी ने एक बार फिर मुझे ऊपर से नीचे तक फिर नीचे से ऊपर तक निहारा और अपना फीता उठाया । शर्म के मारे मेरा चेहरा लाल और साँसे तेज हो रही थी यूं तो गुप्ता जी ने पहले भी मेरा 2 बार नाप लिया था पर कभी मुझे इतनी एक्साइटमेंट महसूस नहीं हुई थी पर आज मुझे कुछ अलग ही नशा छा रहा था  । शायद ये सब दोपहर मे हुई गतिविधियों का नतीजा था । 
फिर गुप्ता जी ने फीते को मेरे एक कंधे से दूसरे कंधे पर लगाया और नाप नोट किया इस दोरान उनकी उंगलियाँ मेरी गर्दन और पीछे पीठ को छूती रही । फिर उन्होंने कमर से अपना फीता हटाया और उसे मेरे बाजू पर लपेट कर बाजू का नाप लेने लगे एसा करने  मे उनके हाथ मेरे बूब्स से साइड से टकरा गए और मेरे पहले से टाइट बूब्स और तन गए अब साँसों की रफ्तार भी बढ़ गई थी फिर उन्होंने दाएं बाजू का नाप नोट किया और बाएं बाजू की ओर बढ़े और एक बार फिर गुप्ता जी के हाथ मेरे बाएं बूब्स पर टच हो गए साँसे अब काबू से बाहर हो रही थी और बूब्स साँसे लेने के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे ।
[Image: darthmall75-shriya-saran.gif]
 बाएं बाजू का नाप लेने के बाद गुप्ता जी अब आगे बढ़ना चाहते थे और वो मेरे पीछे जा खड़े हुए और मुझ से लगभग बिल्कुल सट गए फिर गुप्ता जी ने पीछे से मेरे कान मे  कहा -"अपने हाथ ऊपर उठाओ, पदमा  । "
गुप्ता जी ने मेरे कान के इतने नजदीक से कहा की उनकी गरम साँसे मुझे अपने कान और गर्दन पर महसूस हुई । 
मैं जानती थी के गुप्ता जी अब क्या करना चाहते है वो मेरे सीने का नाप लेना चाहते थे और फिर मैंने गुप्ता जी के लिए अपने हाथ ऊपर उठा दिए । गुप्ता जी ने बिना देरी कीये अपना फीता मेरी बाहों के नीचे से मेरे सीने के आगे किया और उसे मेरे सीने से लगाकर एक दम से अपनी ओर खींचा ,खिंचाव इतना तेज था के मुझे संभालने का मौका नहीं मिला और मैं गुप्ता जी के जिस्म से जा टकराई और मैंने पहली बार अपने नितम्बों पर गुप्ता जी का गरम  कड़ा  लिंग महसूस किया एक बार को तो मेरे होश ही उड़ गए ये क्या गुप्ता जी का लिंग इतना कठोर इसका मतलब गुप्ता जी भी उत्तेजित हो चुके है ।

[Image: shreya-shriya-saran.gif]
 है भगवान गुप्ता जी मुझसे कितने बड़े है और इस तरह मेरे पीछे अपना लिंग अड़ाए खड़े है यही सोचकर  मेरे होंठों से अचानक एक कामुक आह निकाल पड़ी । गुप्ता जी का लिंग मुझे अपने नितम्बों पर चुभता हुआ महसूस हो रहा था और मुझे अपने नीचे योनि पर एक अजीब हलचल का भाव लग रहा था मेरी योनि गीली होने लगी थी ।  मेरे हाथ अभी भी ऊपर ही थे जिसकी वजह से मेरे तने हुए बूब्स के बीच की घाटी को गुप्ता जी पीछे से घूर रहे थे गुप्ता जी कभी फ़ीते  को थोड़ा ऊपर कभी थोड़ा नीचे करके मेरे बूब्स का पूरा माप ले रहे थे । कुछ तो कमरे मे हीटर की गर्मी कुछ कामाग्नि मे जलता मेरा बदन । मेरी हालत खराब होने लगी । मेरे निप्पल तानकर बिल्कुल कड़े हो चुके थे । जिस्म मे उत्तेजना , रोमांच और डर तीनों के भाव एक साथ दोड़ रहे थे । गुप्ता जी भी अब आगे बढ़ना चाहते थे अब वो फ़ीते के साथ साथ अपने हाथ भी मेरे बूब्स पर फिराने लगे और अपने होंठ बिल्कुल मेरे कान से लगा दिए मानो किसी भी वक्त उसे अपने होंठों मे भरकर चूस लेंगे । उनका लिंग अब मुझे और भी सख्त लगने लगा था और वो जैसे धीरे से उसे मेरे पीछे रगड़ने लगे । 
हालत मेरे काबू से बाहर हो रहे थे इसलिए मेने गुप्ता जी से उत्तेजना मे कापंती आवाज से बोला - 
मैं - गुप्ताआआआ.. .. जीईईई.. .. नाप पूरा हो गया क्या ? मेरे हाथ दुखने लगे है । 
गुप्ता जी मेरी स्थिति को जानते थे वो बोले-
गुप्ता जी - बस थोड़ी देर और .. 
और फिर उन्होंने अचानक से अपने हाथ मेरे दोनों  निप्पलो पर रख दिए और उन्हे सहलाने लगे । 
मैं- आहहह.. ... . गुप्ता जी ये आप क्या कर रहे है ?  
गुप्ता जी- पदमा मैं तुम्हारे निप्पलो के कप का  साइज़ ले रहा हूँ  इसे हाथों से ही लेना पड़ता है । 
अपने लिए निप्पल जैसे शब्द सुनकर मेरी आग और भड़क उठी । 
मैं -  परर र .... गुप्ता जी .... आपने पहले तो कभी एसा नहीं किया । फिर आज क्यूं ?
गुप्ता जी - ये मेरी एक नई तकनीक है । 
गुप्ता जी के लिंग का दबाव अब मेरे नितम्बों पर और भी सख्त हो गया था उनका लिंग उनकी पेंट को फाड़कर बाहर आने को आतुर था । मेरी योनि अब चुत रस से भीग चुकी थी और पेन्टी पूरी गीली थी । मैं अपने जिस्म की आग मे सब भूल चुकी थी की मैं एक शादीशुदा औरत हूँ जिसकी कुछ मर्यादाएं भी है ।  
मैं - अच्छाआआआ.. .. तो आपने कितनी औरतो पर ये नई तकनीक इस्तेमाल की है । 
गुप्ता जी - तुम पहली हो पदमा ।
मैं - आह.... .. गुप्ता जी......  प्लीज नहीं ......
[Image: awarapan-shriya-saran.gif]
[Image: 4444b5_fff12c2a19eb41cdbeb6b39195b432e0~mv2.gif]
मैं इतना ही कह पाई क्योंकि गुप्ता जी ने मेरे कान को पूरी तरह अपने होंठों मे भर लिया और उसकी चुसाई शुरू करदी ।  उनकी पकड़ मेरे बूब्स पर भी सख्त हो गई और वो मेरे बूब्स को मसलने लगे । मेरा जिस्म अंगारे बरसाने लगा हाथ नीचे आकर गुप्ता जी के हाथों को रोकने की नाकाम कोशिश करने लगे । 

तभी अचानक से मेरे फोन की घंटी बजी जिसकी आवाज से हम दोनों घबराकर अलग हो गए । मैंने दोड़कर पर्स से फोन निकाला तो देखा यह अशोक का फोन था मेरी घबराहट और भी बढ़ गई। मैं अशोक का फोन उठाना चाहती थी पर मेरी धड़कन और साँसे इतनी तेज चल रही थी के मैं चाहकर भी उसका फोन ना उठा सकी ।  फिर मैंने गुप्ता जी की ओर देखा उनकी हालत तो और भी खराब थी वो कुछ नहीं बोल रहे थे पर उनके नीचे पेंट मे तना हुआ लिंग सब कुछ बयान कर रहा था । 
मैंने गुप्ता जी से कहा मुझे जाना होगा और परदे के पीछे जाकर अपनी साड़ी पहनने लगी । गुप्ता जी कुछ नहीं बोले । तब तक फोन भी कट चुका था । मैंने झटपट अपनी साड़ी पाहनी और जाने लगी , की तभी गुप्ता जी बोले 
गुप्ता जी - पदमा !
मैं ( पलटकर) - जी ?
गुप्ता जी - पेटीकोट का नाप अभी बाकी है । 
मैं - मैं फिर कभी दे जाऊँगी गुप्ता जी , पर अभी मुझे जाना होगा । 
गुप्ता जी - आज के लिए मुझे माफ कर देना पदमा प्लीज आइ यम सॉरी । दरसल हालत ही कुछ एसे बने की मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया । तुम तो जानती हो मेरी बीवी तो यहाँ है नहीं वो तो मुझसे कितनी दूर है । मैं प्यार के लिए तरस जाता हूँ इसलिए बस तुम्हारा हुस्न देखकर मैं अपने पर काबू नहीं रख पाया । 
गुप्ता जी ने कितनी ही बात एक साथ कह डाली पर मैं क्या कहती , मैं तो खुद अपनी हवस पर काबू नहीं रख सकी थी ।  और ऊपर से गुप्ता जी मेरी तारीफ भी कर रहे थे । मैंने सोचा कह तो बेचारे ठीक ही रहे है अब आदमी इतने दिन तक घर से बाहर अकेला रहेगा तो तन्हा तो हो ही जाएगा । 
मैं - मुझे देर हो रही है । 
बस इतना ही बोलकर मैं उनके फ्लैट से बाहर निकल गई और सीढ़ियों से नीचे जाने लगी । उनके कमरे से बाहर आकर मुझे कुछ ठंडक मिली मेरा तो सारा शरीर ही जल रहा था। फिर मैं धीरे धीरे अपने घर पहुँची दरवाजा खोला और धड़ाम से जाके अपने बिस्तर पर गिर पड़ी । मुझे बोहोत थकान हो रही थी । फिर मैंने पर्स से फोन निकाला और अशोक को फोन किया - 
[Image: 57c4da292b0a99cee83b911672a221aa.jpg]
मैं - हैलो 
अशोक - हैलो , पदमा कहाँ हो तुम आज ? कभी मोबाईल स्विच ऑफ तो कभी तुम कॉल रिसीव ही नहीं कर रही ?
मैं - जी वो मोबाईल की बैटरी डाउन हो गई थी इसलिए स्विच ऑफ था ।  और फिर मैंने आपको कॉल किया था तो आप बिजी थे । अब जब आपका कॉल आया तो मैं छत पर थी औरं मोबाईल नीचे इसलिए पता ही नहीं चला । 
अशोक - ओह अच्छा । चलो छोड़ो ये सब बात सुनो मेरी एक फाइल घर रह गई थी उसे लेने .. ..
अशोक के बात पूरा करने से पहले ही मैं बीच मे बोल पड़ी  
मैं - हाँ , आपके दोस्त आए थे उसे लेने । 
अशोक - दोस्त ? कोन दोस्त ?
मैं - हाँ , आपके दोस्त नितिन !
अशोक - नितिन मेरा दोस्त ? हा हा हा .. .. 
इतना कहकर अशोक जोर से हँसने लगे । मैंने हैरत से पुछा - 
मैं - क्यूं क्या हुआ ? क्या वो आपके दोस्त नहीं है ? 
अशोक - लगता है तुम्हें कोई गलत फहमी हुई है । नितिन मेरे दोस्त नहीं है । 
मैं ( उत्सुकता से )- तो फिर ? 
अशोक - अरे वो मेरे .. अच्छा सुनो मैं तुमसे बाद मे बात करता हूँ , अभी मुझे जाना होगा ।    
इतना बोलकर अशोक ने फोन रख दिया । पर मेरे मन मैं एक सवाल छोड़ दिया की नितिन आखिर है कोन ? 
यही सोचते-सोचते मुझे नींद आ गई ।     
[Image: shriya-saran-featured-inmarathi.png]
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#6
पदमा तो बहुत गर्म ओरत है कोई भी आसानी से शिकार करसकता है। न इसको अपनी इज्जत की परवाह न पति की। थोड़ा हाथ लगाओ गर्म हो जाती है इस बार तो गुप्ता टेलर से बच गयी लेकिन अभी पेटीकोट का नाप बाकी है। वैसे उसने हिंट दे दिया की वो प्यार का भूखा है वैसे पदमा को भी कोई ऐतराज लगता नही इससे। वो आसनी से गुप्ता से 0चुद सकती है। पदमा का रिएक्शन ऐसा था कि पहली बार नाप दे रही थी कभी सिलायी नही करवायी की कैसे नाप दिया जाता है
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#7
3. जब मेरी नींद खुली तो तो शाम के 6:30 बज रहे थे । अशोक 7 बजे घर आ जाते है मुझे उनके लिए खाना तैयार करना था इसलिए उठकर सबसे पहले मैंने अपना हुलिया ठीक किया बिखरे हुए बालों को सही किया और मुहँ धोने के लिए कीचेन मे जाने लगी।  पर चलते हुए मुझे अपनी योनि पर कुछ खुरदुरापन महसूस हुआ मैंने जानने की कोशिश की तो याद आया की ये मेरे चुत-रस का पानी था दिन मे गुप्ता जी की वजह से मेरी पेंटी पूरी कामरस से भीग गयी थी और अब वो कामरस सूख चुका था जिसकी वजह से मेरी पेंटी भी खुरदुरी हो गई थी । मैं इस तरह इस पेंटी मे काम नहीं कर सकती थी और अगर अशोक ने रात को मेरी पेंटी को ऐसे देख लिया तो वो क्या सोचेंगे की ये सब क्या है मैंने दिनभर ऐसा क्या किया की मेरी योनि ने इतना पानी छोड़ा । इन्ही सब सवालों को याद करके मैंने अपनी पेन्टी बदलने का निर्णय किया । अलमारी से एक गुलाबी रंग की पेन्टी निकाली और अपनी ब्लैक क्लर की पेन्टी को निकाल कर उसे वाशिंग मशीन मे डाल दिया फिर मैंने वो पिंक क्लर की पेन्टी पहन ली और रात के खाने की तैयारी करने लगी । कुकर को गैस पर चढ़ा कर मैं आटा गुथने लगी आटे के तैयार होने पर जैसे ही मैं हाथ धोने लगी तो डॉर बेल बजी मैं समझ गई की ये अशोक है मैंने जल्दी से अपने हाथ धोए और फिर दरवाजे की ओर दोड़कर दरवाजा खोला
[Image: Shriya_Saran_at_Jackky_Bhagnani%E2%80%99...ped%29.jpg]
 सामने अशोक खड़े मुस्कुरा रहे थे । मैं पूरे दिन की प्यासी थी और दिन मे हुई घटनाओ से और भी तड़प रही थी अशोक को देखते ही मैं उससे लिपट गई । अशोक ने भी मुझे बाहों मे भर लिया । मैंने अशोक से बोला - 

मैं - आइ मिसस्ड यू  सो मच 
अशोक - आइ मिसस्ड यू टू माइ लव । आओ अंदर चले । 
इसके बाद हम दोनों अंदर आ गए । मन मे सवाल तो बोहोत थे पर अभी ये सही समय नहीं था । 
अंदर आकर अशोक ने कहा- "जल्दी कुछ बना दो पदमा बोहोत भूख लगी है "
मैंने मन मे कहा भूख तो मुझे भी लगी है अशोक पर वो भूख खाने से नहीं बुझेगी उसके लिए तुम्हें मेरे साथ बेडरूम मे आना होगा । 
मैं - जी , आप फ्रेश होकर आइये तब तक मैं खाना लगती हूँ । 
अशोक - हम्म ठिक है । 
उसके बाद अशोक फ्रेश होने चले गए और मैं खाना लगाने लगी । जल्द ही मैंने सारा खाना ड्राइंग रूम मे लगा दिया तब तक अशोक भी आ गए और फिर हम खाना खाने लगे । 
खाने के दौरान मैंने फिर से नितिन वाली बात छेड़ी । 
मैं - आप फोन पर कह रहे थे की नितिन आपका दोस्त नहीं है पर उसने तो अपना यही परिचय दिया था , कि वो आपका दोस्त और आपके साथ ही काम करता है । 
अशोक (फिर से हंसने लगे )- हा हा हा .. 
मैं (थोड़ा गुस्से मे ) - ये क्या बात हुई मैं जब भी आप से नितिन के बारे मे पूछती हूँ आप हँस देते है बताइए भी कोन है नितिन ? 
अशोक - अरे बाबा बताता हूँ  नाराज क्यूं होती हो ?
मैं - तो बताइए ना फिर ?
अशोक - दरसल वो मेरा बॉस है । 
मैं ( हैरत से ) - क्या बॉस ? 
अशोक - हाँ मतलब कम्पनी का नहीं , वो हमारे ग्रुप को लीड करता है तो तुम उसे मेरा बॉस कह सकती हो । 
मैं - पर वो तो आपसे कितना छोटा है फिर उसे कैसे आपसे सीनियर बना दिया ?
अशोक - अरे वो कम्पनी के मालिक का भतीजा है इसलिए । 
मैं - फिर उसने झूठ क्यूं कहा की आपका दोस्त है ?
अशोक - अरे वो बोहोत मजाकिया किस्म का आदमी है । ऐसे ही किसी के भी साथ मजाक करने लग जाता है । पर आदमी है बिल्कुल जेनटल सबसे बोहोत अच्छे से पेश आता है । आज ही देख लो मेरी प्रेजेंटेशन थी और मैं वो डाटा की फाइल घर ही भूल गया पर जब उसे पता चला तो उसने खुद मुझसे जाकर कहा की अशोक तुम अपनी प्रेजेंटेशन की तैयारी करो मैं तुम्हारी फाइल लेकर आता हूँ ।   
मैं ( मन मे )- हाँ जानती हूँ कितना जेनटल है ऐसे ही किसी के बेडरूम मे घुस कर किसी पराए आदमी की बीवी को ऐसे ही उठा लेता है । 
अशोक - अरे तुम किस सोच मे डूब गई और जानती हो प्रेजेंटेशन शाम को 5 बजे थी और वो फाइल को 3 बजे ही लेकर आ गया कितनी जल्दी काम किया ।      
मैं ( मन मे )- क्या प्रेजेंटेशन 5 बजे थी तो फिर उसने मुझे ये कहकर की मैं लेट हो रहा हूँ  मुझे स्टूल लेकर आने से क्यूं  रोका ? क्या उसने जानबूझ कर मुझे अपने हाथों से उठाया था वो क्या करना चाहता था ?
अशोक - अरे बोलो ना कहा खो गई तुम ?
मैं- अअअ .. .. कुछ नहीं बस यही सोच रही थी के जब वो इतना ही अच्छा है तो फिर झूठ क्यू कहा की तुम उसके दोस्त हो ?  
अशोक - अरे मैंने कहा ना की मजाक करने की उसकी आदत है। वैसे वो तुम्हारी काफी तारीफ कर रहा था खुश लग रहा था तुमसे । 
मैं (उत्सुकता छिपाते हुए ) - अच्छा ऐसा क्या कह रहा था ? 
अशोक - यही की तुम्हारी बीवी बोहोत अच्छी है मेहमान को अच्छे से ट्रीट करती है यही सब । 
मैं - अच्छा । 
अशोक - हम्म । चलो मेरा तो खाना हो गया अब मुझे बोहोत नींद आ रही है। मैं आज काफी थक गया हूँ अब मैं चला सोने । 
मैं ( मन मे ) - सोने ! अगर तुम सो जाओगे अशोक तो ये जो मेरे बदन की आग मुझे सारे दिन से जलाए जा रही है जिसको भड़काने मे एक हाथ तुम्हारे बॉस का भी है इसको कौन बुझाएगा ?  
अशोक उठकर जाने लगे । मुझे मेरे अरमानों पर पानी फिरता नजर आया । मैंने जल्दी से सभी बर्तन डिनर टेबल से हटाए और उन्हे कीचेन मे रख दिया मैंने सोचा बर्तन तो फिर भी धुल जाएंगे लेकिन अगर अशोक मुझे बिना शांत कीये सो गए तो मैं सारी रात सो नहीं पाऊँगी । 
इसलिए जल्दी से मैं अशोक के पीछे बेडरूम मे घुसी अशोक ने तब तक चेंज कर लिया था और वो एक नाइट सूट मे बेड पर लेते थे । मैंने कपड़ों की अलमारी खोल उसमे से एक सेक्सी नाइटी निकाली और उसे लेकर बाथरूम मे चली गई मैंने जल्दी जल्दी अपनी साड़ी उतरी फिर ब्लाउज खोला और ब्लाउज खुलते ही मेरे ब्रा मे कैद बूब्स भी दिखने लगे फिर मैंने धीरे से अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया पेटीकोट सररर.. से नीचे जा गिरा । 
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 मैंने अपने आप को एक बार आईने मे देखा ओर शर्मा गई । मेरा बदन बोहोत कसा हुआ था तभी जब मैं चलती थी तो मेरी कमर बोहोत बलखाती थी और उसके नीचे मेरे नितम्ब हिलते थे तो देखने वालों का दिल मुहँ मे आ जाता था  । 
फिर मैंने अपनी नाइटी ली और उसे अपने शरीर पर डाल लिया बाहर जाने से पहले मैंने एक बार फिर अपने आप को आईने मे देखा और फिर शर्मा गई मेरा बदन वाकई बोहोत सेक्सी लग रहा था । 
मैं बाथरूम से बाहर आई 
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[Image: Shriya-Saran-Hot-Photoshoot-1.jpg]
और जैसा मैंने सोचा था वैसा ही हुआ अशोक का मुहँ  मुझे देखकर खुला का खुला रह गया वो बोले - "लगता है आज किसी का कत्ल होने वाला है "    
मैं चलते हुए बेड के थोड़ा पास पहुँची तो अशोक ने खेन्च कर मुझे आपने ऊपर गिरा दिया और मेरे बाल सहलाने लगे मैं तो बस यही चाहती थी । मैंने अपने दोनों हाथ अशोक की गर्दन पर लपेट दिये 
अशोक - पदमा , आज तुम बोहोत सुंदर लग रही हो इतना बोलकर अशोक ने अपने होंठ मेरे पूरे दिन के प्यासे लबों पर रख दिए और हम दोनों किस करने लगे ।
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 अशोक ने आगे हाथ बढ़ाकर मेरी कमर का जायजा लेना शुरू किया और अपने हाथ मेरी पूरी कमर पर फिराने लगे मैंने अपने हाथ अशोक के बालों मे उलझा दिए फिर अशोक ने मेरे होंठों को छोड़ा और मुझे पलटकर बिस्तर पर ले आए फिर मेरी नाइटी धीरे से खोली और उसे मेरे शरीर से अलग किया ।
नाइटी खुलते ही मेरे ब्रा मे कसे बूब्स अशोक के सामने आ गए । उन्हे देखकर अशोक और भी जोश मे आ गए और मेरे बूब्स को दबाने लगे और मेरे गले और कंधे पर किस करने लगे
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 मेरे जिस्म की आग और ज्यादा भड़क उठी मैंने अशोक को अपने ऊपर कस लिया और अपने नाखून उनकी पीठ पर गाढ़ दिए 
अशोक एक दम से कराह उठे - आह पदमा .. .. 
अशोक के लिंग का तनाव मुझे अपनी जांघों पर महसूस हो रहा था मन तो कर रहा था की उसे अपने हाथ मे लेकर अच्छे से फ़ील करू पर मैंने अशोक के साथ ऐसा कभी किया नहीं था तो मुझे शर्म आ रही थी 
देखते ही देखते अशोक ने अपना नाइट सूट निकाल दिया और बस अन्डरवेयर मे आ गए फिर उन्होंने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए और उसे निकाल दिया ब्रा के निकलते ही मेरे तने हुए बूब्स अशोक के सामने आ गए । अशोक ने बिना देरी कीये एक बूब्स को मुहँ मे ले लिया और चूसने लगा
[Image: images?q=tbn:ANd9GcThE0RrxtrXDh5Ql9tzx_2...c&usqp=CAU]
 उनकी इस हरकत पर मेरी एक जोर की "आह" निकली 
अब हम दोनों के लिए रुकना मुश्किल हो रहा था मेरी तड़प अब चरम बिन्दु पर थी मैं आज अपनी दिन भर की प्यास मिटा देना चाहती थी जो नितिन और गुप्ता जी की वजह से जाग गई थी । 
तभी अशोक ने हाथ नीचे ले जाकर मेरी पेन्टी को पड़कर नीचे सरकाया और अपने हाथ से वहाँ सहलाने लगे अब अशोक ने मेरा दूसरा बूब्स अपने मुहँ मे ले लिया था । 
मैं - आह .. .. अशोक  अब जल्दी करो .. .. 
अशोक समझ गए की मैं तैयार हूँ और अपना अन्डवेयर नीचे करके अपना लिंग बाहर निकाला और उसे मेरी योनि मे सटाकर एक हलका सा धक्का दिया योनि गीली होने के कारण लिंग तुरंत मेरी योनि मे पहुँच गया और मेरे मुहँ से फिर से एक बार एक हल्की आह निकल गई ।

[b][size=large]इसके बाद अशोक ने धक्के लगाना शुरू किये और मैं आनंद के सागर मे गोते लगाने लगी । पर मेरा ये आनंद ज्यादा देर नहीं चल सका अशोक ने अभी मुश्किल से 20 धक्के लगाए होंगे कि वो कराह उठा -

" आह .. पदमा .. मैं गया "
मैं - आह .. नहीं अशोक बस थोड़ी देर ओर .. 
अशोक - आह .. .. .. 
और इतना बोलते हुए अशोक ढह गये और एक तरफ गिरकर सो गए । 
पर मैं तो अभी प्यासी थी मैंने उठाकर गुस्से से अशोक की ओर देखा वो तो नींद के आगोश मे जा चुका थे । पर मेरी आँखों मे अभी भी हवस तैर रही थी मैं बिस्तर से उठी और उठकर बाथरूम मे घुस गई एक ही दिन मे तीन बार गरम होने पर भी मैं प्यासी ही रही ।  बाथरूम मे घुसकर मैं शावर के नीचे खड़ी हो गई
[Image: JiNvwIN.jpg]
 और बदन की गर्मी को शांत करने के लिए मैंने शावर खोल दिया पर उसकी ठंडी बुँदे भी मेरे जिस्म की आग को बुझाने मे नाकाम रही बल्कि शावर की ठंडी बुँदे भी मेरे बदन पर गिरकर गरम होने लगी मैंने अपने शरीर की आग को बुझाने के लिए अपना एक हाथ अपनी पहले से ही गीली योनि पर लगाया और दूसरे हाथ से अपने एक बूब्स को पकड़ कर मसलने लगी । 
[Image: k3h5gss881e2-x.jpg]
फिर धीरे धीरे मैंने अपनी एक उंगली अपनी योनि मे डाली और अंदर बाहर करने लगी दूसरा हाथ अभी भी एक बूब्स को मसल रहा था और मैं आहें भर रही थी हैरत तो इस बात की है इन आहों को भरते हुए मैं अशोक के नहीं बल्कि नितिन और गुप्ता जी के साथ दिन मे हुई घटनाओ के बारे मे सोच रही थी । 
फिर धीरे से मैंने अपनी दूसरी उंगली भी अपनी योनि मे डाल ली और तेज तेज हिलाने लगी अपने एक बूब्स को अपने मुहँ मे लेकर चूसने लगी और दूसरे को अपने हाथ से रगड़ने लगी । मैं पूरे चरमोत्कर्ष पर थी और काभी भी झडने वाली थी । तभी मुझे अपने अंदर से एक सैलाब आता हुआ प्रतीत हुआ धड़कने बढ़ गई और साँसे फूल गई और अचानक मैं कांपती हुई झडने लगी । 
मैं बोहोत थक गई थी तो थोड़ी देर वही बेठ गई झडने के बाद मुझे एक असीम सुकून मिला जैसे कोई बोझ शरीर से उतार गया हो । 
बाथरूम से बाहर आकर देखा तो अशोक पूरी गहरी नींद मे समाऍ हुए थे मैंने बेड से अपनी नाइटी उठाई और उसे पहन कर लेट गई मैं बोहोत थक गई थी तो ब्रा और पेन्टी पहनने की कोशिश नहीं की।  ऐसे ही कंबल ओढ़कर लेट गई। पहले मुझे जिस्म की गर्मी की वजह से ठंड नहीं लग रही थी पर अब जिस्म की गर्मी शांत होने के बाद मुझे ठंड लगने लगी थी यूं तो कमरे मे हीटर भी चल रहा था । 
और फिर एक बार ना चाहते हुए भी नितिन का  खयाल मुझे आ गया की क्यू उसने मुझसे झूठ कहा की वो नितिन का दोस्त है और क्यू कहा की वो लेट हो रहा है और मुझे बाहों मे उठा लिया जबकि अशोक के मुताबिक प्रेजेंटेशन तो 5 बजे थी । 
इन्ही सवालों को सोचते हुए मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला । 
( दोस्तों यदि कहानी अच्छी लगे तो लाइक और कमेन्ट करदो यार , इससे थोड़ा होसला बढ़ जाता है । प्लीज दोस्तों )
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#8
बहुत ही अच्छी चल रही है
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#9
Good story dost, keep it up
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#10
Good going bro keep it up
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#11
4. अगले दिन सुबह उठी तो बदन टूट रहा था एक अजीब सा मीठा दर्द शरीर मे मचलने लगा इसी मीठे आनंद मे मैं बिस्तर से उठी
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 और फ्रेश होकर घर के कामों मे लग गई अशोक ऑफिस के लिए सुबह 8 बजे निकलते थे इसलिए मैं जल्दी जल्दी उनके लिए नाश्ता तैयार करने मैं लग गई जब तक अशोक तैयार हुए मैंने नाश्ता रेडी कर दिया ब्रेकफास्ट करते हुए अशोक ने मुझसे कहा -

अशोक - पदमा !
मैं - जी ? 
अशोक - मैं कल रात तुम्हें एक बात बताना भूल गया । 
मैं - क्या ? 
अशोक - आज रात को हमे एक पार्टी मे जाना है । 
मैं - पार्टी  ? किसकी पार्टी ? 
अशोक - अरे हाँ वो ऑफिस की तरफ से है । 
अशोक से मेरी शादी को 4 साल हो चुके थे पर कभी भी मैं उसकी किसी ऑफिस पार्टी मे नहीं गयी । 
मैं- ये अचानक ऑफिस वाले कब से पार्टी देने लगे ? आज से पहले तो कभी नहीं बुलाया । 
अशोक - अरे वो दरसल नितिन , की मैरिज एनीवरसेरी है आज इसलिए सिर्फ हमारे ग्रुप के मेम्बर्स को इन्वाइट किया है । 
मैं ( हैरानी से ) - क्या नितिन की शादी हो चुकी है ? 
अशोक - हाँ 1 साल हुए । 
मैं - लगता तो अभी कम उम्र का ही है। 
अशोक - अरे , वो अपनी फिटनेस का बोहोत ध्यान रखता है । रोज जिम जाता है और अपनी डाइट भी रेगुलर टाइम पर लेता है । अब भई खाली आदमी है सारा दिन कुछ काम तो है नहीं , ऑफिस मे सारा काम तो हमे ही देखना पड़ता है । जनाब आते है और काम चेक करके और क्या करना है बताके चले जाते है । 
मैं - हम्म । 
अशोक - अच्छा तुम 7 बजे रेडी रहना मेरे आते ही चलेंगे । 
मैं - ओके । 
इसके बाद अशोक ऑफिस के लिए निकाल गए । मै सोचने लगी ये नितिन तो शादीशुदा होकर भी कितनी जल्दी मेरे बेडरूम मे घुस गया और केसे घूर घूर कर मुझे देख रहा था जब मेरी साडी का पल्लू नीचे गिर गया था । मुझे इससे संभल कर दूरी बनाकर रहना चाहिए कहीं एसा ना हो की  अपनी जिस्म की गर्मी की वजह मैं कोई एसा पाप कर बेठु की कहीं की ना रहूं वैसे भी जैसा की अशोक ने बताया की नितिन तो ऑफिस मे भी कोई काम नहीं करता तो ये लक्षण तो आवारा लोगों के होते है । 
इसलिए मैंने मन मे निर्णय किया की मैं पार्टी मे नितिन से दूरी बनाकर रखूंगी । बाकी मेरा ये जिस्म मेरे मन का साथ कब तक देता है ये तो पार्टी मे जाकर ही पता चलेगा । 
इन्ही खयालों मे ना जाने कब 9 बज गए मैंने टाइम देखा तो सभी बातों से ध्यान हटाकर अपने काम मे लग गई और 11:30 तक मैंने अपने घर का सारा काम खत्म भी दिया  और फिर आराम करने सोफ़े पर बेठ गई के तभी डोर बेल बजी । मैंने उठकर दरवाजा खोला तो सामने वरुण की मम्मी , सीमा जी खड़ी थी । पूरे मोहल्ले मे मेरी सबसे अच्छी दोस्त । उन्हे देखते ही मैंने उनका अभीवादन किया । 
मैं - अरे सीमा जी , नमस्ते । 
सीमा जी - नमस्ते । कैसी हो पदमा ?
मैं - मैं अच्छी हूँ । आइये अंदर आइये । 
उसके बाद मैं और सीमा जी घर के अंदर आ गए और सोफ़े पर बैठ गए । 
मैं - और कैसी है सीमा जी ? घर मे सब ठीक ? 
सीमा जी - मैं तो अच्छी हूँ और रही घर की बात तो वह तो सिर्फ वरुण है और मुझे बस उसकी पढ़ाई की फिक्र रहती है । 
दरसल , वरुण के पिता जी जब वरुण छोटा था तभी एक एक्सीडेंट मे गुजर गए थे तब से सीमा जी ने ही वरुण को पाला है । 
मैं - क्यूं क्या हुआ वरुण की पढ़ाई को ? 
सीमा जी - बस क्या बताऊँ मुझसे तो अब ये संभलता नहीं। सारा दिन खेलने और इधर उधर घूमने मे लगा देता है । ना पढ़ाई का ध्यान ना पेपर की चिंता ।  सही कहते है लोग बाप का साया बच्चे के सर होना बोहोत जरूरी होता है आज अगर इसके पिता होते तो .... 
इतना कहकर सीमा जी चुप हो गई पर उनकी खामोशी ने सब बयान कर दिया । बात तो सही है बिना पिता के बच्चे को पालना आसान नहीं होता । मैंने कुछ सोचकर उन्हे सुझाव दिया -
मैं- आप एक काम क्यूं नहीं करती वरुण का कहीं टयूशन क्यों नहीं लगवा देती ? बाहर से पढ़ेगा तो उसका मन भी पढ़ाई मे लगने लगेगा ।
सीमा जी - सोचती तो हूँ पर  कहीं कोई भरोसेमंद मास्टर भी तो नहीं मिलता जो इसे अपने पास बेठाकर सही गलत का भी कुछ ज्ञान दे ।
मैं- हम्म ये तो है अच्छे टीचर का मिलन भी बोहोत जरूरी है । 
फिर अचानक सीमा जी बोली - 
सीमा जी - पदमा !
मैं - हाँ । 
सीमा जी - तुम ही क्यों नहीं पढ़ा देती वरुण को । तुमने भी तो मास्टर्स किया है कॉमर्स मे । और उसका तो अभी सेकंड एयर ही है । 
 मैं - पर सीमा जी मुझे पढे हुए काफी टाइम हो गया है और मुझे अब सही से सील्लेबस याद भी नहीं है । 
सीमा जी - तो क्या हुआ एक बार पढ़ लोगी तो सब समझ मे आ जाएगा । और वरुण के साथ तुम्हारा भी टाइम पास हो जायगा । वैसे भी तुम सारा दिन यहाँ घर पर बेठी -2 बोर ही हो जाती हो । 
मैं  सोचने लगी कह तो सीमा जी ठीक ही रही है सारा दिन मैं घर मे खाली ही रहती हूँ वरुण को पढ़ाकर  मेरा टाइम भी कट जाएगा और मेंरी पढ़ाई भी कुछ काम आ जाएगी नहीं तो शादी के बाद से मेरा पढ़ाई से बिल्कुल नाता ही टूट गया । 
मैं- ठीक है सीमा जी आप मंडे से वरुण को मेरे पास दोपहर मे भेज देना । 
सीमा जी - थैंक यू सो मच पदमा । वरुण  तुम्हारे पास रहेगा तो मैं भी निश्चिंत रहूँगी । अच्छा अब मैं चलती हूँ । घर जाकर खाना बनाना है । ओके बाय । 
मैं - बाय सीमा जी । 
और फिर सीमा जी चली गई और उनके जाने के बाद मैं भी नहाने चली गई । 
शाम के 5 बजे मैं पार्टी मे जाने की तैयारी करने लगी । मैंने एक ब्लू क्लर की सारी और उस पर मैचींग ब्लू ब्लाउज निकाला बाथरूम मे चली गई वहाँ जाकर मैंने अपनी पाहनी हुई साड़ी निकली और ब्लाउज और पेटीकोट मे आ गई फिर वीट लेकर उसे अपने आर्म्पिट , हाथ और पैरों पर लगाया ताकि सब जगहों से अनचाहे बाल हट जाए थोड़ी देर बाद क्लीनर से सारे बालों को शरीर से निकाल दिया
[Image: Shriya-Saran-topless-without-bra-in-hot-red-dress.jpg]
 और अपने आप को गरम पानी से साफ करके अपने लाए हुए कपड़े पहनने लगी । कपड़े पहनकर मैं बाथरूम से बाहर आयी और मैक-अप करने ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ गई । टाइम तो जैसे पंख लगा कर उड रहा था पता भी ना चला और 7 बज गए । 
तभी डॉर बेल बजी मैं जानती थी ये अशोक है और जल्दी से गेट खोलने गई । गेट के खुलते ही जैसे ही अशोक ने मुझे देखा वो सन्न से रह गए और मुझे ताकते हुए बोले  हाए आज तो कयामत लग रही हो
[Image: Shriya-Saran-In-Pink-Saree.jpg]
 मैं उनकी इस बात पर शर्मा कर रह गई । और बोली -"चलिए कहीं लेट ना हो जाए " 
अशोक - बस 2 मिनट मै अभी तैयार होकर आया ।
अशोक को रेडी होने मे ज्यादा देर नहीं लगी और फिर हम अपनी कार मे पार्टी की तरफ निकाल पड़े । रास्ते मे हमने नितिन और उसकी वाइफ के लिए गिफ्ट खरीदा और लगभग 7:45 पर नितिन के फार्म हाउस पर पहुँच गए पार्टी वहीं पर थी । अशोक ने गाड़ी पार्किंग मे लगाई और हम दोनों साथ मे अंदर पार्टी मे दाखिल हुए । यूं तो जनवरी खत्म होकर फरवरी चल गया था पर रात के समय अब भी काफी ठंड हो जाती थी । पार्टी मे जाते हुए मुझे ठंड का अहसास होने लगा पार्टी मे ज्यादा भीड़ नहीं थी सिर्फ करीबी लोग और कंपनी सीनियर एमप्लॉयस को ही बुलाया गया था अशोक को भी इसलिए बुलाया गया था क्योंकि वह उस ग्रुप का हिस्सा थे जिसको नितिन लीड करता है पर मेरे मन मे एक दूसरा खयाल भी था और वो ये की नितिन ने इस पार्टी मे अशोक को मेरी वजह से बुलाया  है बाकी आगे देखते है । 
पार्टी मे एंटर होते ही लोगों की नजरे मुझे ताड़ने लगी
[Image: Shriya-Saran-In-Green-Pink-Border-Saree.jpg]
 और कई लोग अपना काम छोड़ कर सिर्फ मुझे ही देखने लगे उनके इस तरह देखने से मेरे मन का रोमांच जागने लगा ।  अभी हम पार्टी के थोड़े ही अंदर गए थे की सामने से नितिन आता हुआ दिखाई दिया वो हमारी ओर ही आ रहा था पर उसकी नजरे मुझ पर ही टिकी हुई थी जैसे ही वो हमारे पास आया अशोक ने कहा - 
अशोक - हैलो बॉस 
नितिन - क्या यार अशोक ये बॉस का सिस्टम ऑफिस तक ही रखा करो । बाहर मैं तुम्हारा दोस्त ही हूँ । सो कॉल मी 'नितिन '
अशोक - ओके , तो  हैप्पी एनीवर्सेरी नितिन । 
और अशोक ने मुझे साथ लाए गिफ्ट को नितिन को देने का इशरा किया जैसे ही मैंने गिफ्ट पैक को नितिन के हाथों मे दिया उसके हाथ मेरी उंगलियों से टच हो गए । फिर नितिन ने कहा - " आओ अंदर चले " 
नितिन का इशारा एक बड़े से चेम्बर की और था और फिर हम नितिन के साथ  उस बड़े से चेम्बर के अंदर चले गए चेम्बर के अंदर ज्यादा ठंड नहीं थी वहाँ का तापमान नॉर्मल था और वहाँ काफी लोग भी मोजूद थे । चेम्बर काफी बड़ा था वह कई सारे रूम थे एक साइड मे छोटा सा वाइन बार और उसके आगे एक डांस फ्लोर बना हुआ था चेम्बर की आउटर साइडे खुली थी और वहाँ एक स्विमिंग पूल था । चेम्बर के एक ओर काफी भीड़ थी । नितिन हमे उसी भीड़ की ओर ले गया और फिर उस भीड़ मे  एक आवाज दी "मोनिका " ।  इसके बाद भीड़ मे से एक लड़की जींस-टॉप पहने बाहर आयी , नितिन उसे हमारे पास लेकर आया और कहा ये है मेरे ग्रुप के मेम्बर अशोक और ये है इनकी वाइफ "पदमा " और इतना बोलकर वो मेरी ओर ही देखने लगा । 
मोनिका ने अशोक को हैलो बोला और मैंने गले लगकर मोनिका को  मुबारकबाद दी । हम आपस मे बात कर रहे थे पर मैंने नितिन से कोई बात नहीं की और ना ही उसकी किसी बात का जवाब दिया । मैं उसे अवॉइड कर रही थी । इतने मे ही पीछे से किसी ने आवाज दी "चलो भई केक भी काट लो कबसे इंतजार कर रहा है बेचारा ।" इस बात पर  सब हँसने लगे । और हम सब केक के पास गए । फिर नितिन और मोनिका ने केक काटा सबने खुशी मे तालियाँ बजाई फिर नितिन और मोनिका ने एक दूसरे को केक खिलाया उसके बाद सबको केक बाँटा गया । मैंने भी उसका टेस्ट किया केक बोहोत ही टेस्टी बना था । मैंने मोनिका से जो उस वक्त मेरे पास ही खड़ी थी को बोला - मोनिका इतना टेस्टी केक कहाँ से मँगवाया ? 
मोनिका -अरे ये मँगवाया नहीं है , होम मेड है । 
मैं -  क्या सच मे ? तुमने बनाया है ? प्लीज इसकी रेसेपी मुझे भी सीखना । 
मोनिका - अरे पर ये मैंने नहीं बनाया । 
मैं - फिर ?
मोनिका - ये तो नितिन ने बनाया है । 
मैं - ओह .. अच्छा 
इतने मे ही पीछे से नितिन आ गया और कहने लगा -
नितिन- क्या बातें हो रही है ?
मोनिका - कुछ नहीं वो दरसल पदमा को केक बोहोत पसंद आया इसलिए वो इसकी रेसेपी मांग रही थी मैंने कहा की ये मैंने नहीं बल्कि तुमने बनाया है इसलिए अगर रेसेपी लेनी है तो तुम से ही ले ।
नितिन ने मेरी ओर देखकर कहा - 
नितिन- हाँ हाँ  क्यों नहीं मैं बता दूंगा । 
मैंने कुछ नहीं कहा और चुप रही और फिर "ये अशोक कहाँ रह गए'" एस बोलकर वहाँ  से चली गई ।  थोड़ी देर अशोक को ढूंढा तो देखा वो एक कमरे मे अपने कुछ दोस्तों के साथ शराब पी रहे थे । मैं  बिना कुछ बोले वहाँ से चली आयी अशोक की यही एक बुरी आदत थी वो जब भी किसी पार्टी या शादी मे जाते थे ,शराब पीने मे लग जाते थे । खैर पार्टी मे खाने-पीने का दौर चल रहा था मैंने ज्यादा खाना तो नहीं खाया और एक कोल्ड ड्रिंक लेकर स्विमिंग पूल के पास घूमते हुए उसे पीने लगी । स्विमिंगपूल आउटर साइड पर होने की वजह से वहाँ  ज्यादा लोग नहीं थे । मैं वह अकेले ही घूमने लगी मुझे पता भी नहीं चला कब वहाँ  नितिन भी अपनी ड्रिंक लेकर पहुँच गया और पीछे से बोला - अशोक नहीं मिल क्या ?
इस बार मैंने बिना उसकी ओर देखे जवाब दिया । 
मैं - मिले थे वो अभी अपने दोस्तों के साथ है । 
नितिन - अच्छा ,क्या तुमने अशोक से पुछा था के मैं कोन हूँ ? 
मैंने तिरछी नज़रों से उसकी ओर देखा और जवाब दिया - " तुम धोखेबाज हो "
नितिन (हँसते हुए )- क्यूं मैंने एसा क्या किया ?
मैं - तुम जानते हो ? 
नितिन - लेकिन मैं तुमसे जानना चाहता हूँ की तुम्हें एसा क्यूं लगता है ? 
मैं - क्या फर्क पड़ता है ? 
नितिन - फर्क पड़ता है पदमा । तभी तो पूछ रहा हूँ । बताओ ना ? 
मैं- तुमने उस दिन झुठ क्यूं बोल की तुम अशोक के दोस्त हो ? सीधा सीधा बोल देते की तुम उसके बॉस हो । 
नितिन - बस इतनी सी बात । अरे अगर वो तो इसलिए क्योंकि अगर मैं तुम्हें बता देता की मैं अशोक का दोस्त नहीं उसका सीनियर हूँ तो क्या तुम यकीन करती । के इतनी काम उम्र मे कोई बॉस हो सकता है । तुम खुद सोचो और फिर - मुझे तुमसे .. .. 
नितिन मुझसे बात करते हुए मेरे पूरे बदन का अपनी आँखों से पूरा माप ले रहा था और उसकी ये अदा मेरे अंदर भी हलचल कर रही थी । 
मैं- और फिर क्या ...... बोलो ना 
नितिन - और फिर मैं तुमसे दोस्ती करने का मौका गवा देता ।  अगर तुम्हें पता चल जाता की मैं अशोक का बॉस हूँ तो तूम कभी भी ,मुझसे एसे बात नहीं करती  जैसे तुमने उस दिन की ।  बताओ क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ ?
मैं- लेकिन फिर तुमने कहा की तुम लेट हो रहे हो और .. .. 
मैं इतना ही बोली थी की चारों ओर की लाइट चली गई और अंधेरा छा गया बस डांस फ्लोर पर मद्ध्धम रोशनी फैली थी । और हल्का म्यूजिक बजने लगा ।  ये संकेत था की अब डांस शुरू हो चुका है । 
  नितिन जो कबसे मेरे हुस्न को अपनी आँखों से पी रहा था अंधेरे का फायदा उठा कर मेरे करीब आया और बोला - " हाँ बोलो , क्या कह रही थी तुम उस दिन क्या ? "
नितिन मेरे इतने करीब आ गया के मुझे उसकी गरम साँसे और उसके मुहँ से आती वाइन की हल्की स्मेल  अपने चेहरे पर महसूस हुई । उसे अपने इतने करीब पाकर मुझे थोड़ी घबराहट हुई और मैंने पीछे हटने की सोची । 
मैं - कुछ नहीं । अब मुझे जाना है । 
मैं जाने को हुई तो नितिन ने आगे बढ़कर मेरा हाथ पकड़ लिया और कहने लगा -
नितिन- क्या हुआ पदमा ? कहाँ जाना है ? देखो सब डांस कर रहे है आओ हम भी करते है । 
मैं - तुम्हें मेरे नहीं , मोनिका के साथ डान्स करना चाहिए । 
नितिन- मोनिका की तबीयत ठीक नहीं है वो ऊपर कमरे मे आराम करने गई है । 
मैं - मैं तुम्हारे साथ डान्स नहीं कर सकती नितिन ?
नितिन - क्यूँ ?
मैं - क्योंकि तुम मेरे पति के बॉस हो । 
नितिन- तो क्या हुआ हम दोस्त भी तो है ना । 
मैं - नहीं हम नहीं है । 
नितिन - तुम झूठ बोल रही हो ?
मैं- मैंने क्या झूठ बोला साबित करो ? 
नितिन - करूँ साबित ? 
इस दौरान नितिन मेरे कहीं ज्यादा ही करीब आ गया और हमारी साँसे आपस मे टकराने लगी । मेरा भी मन रोमांचित हो उठा और उसी रोमांच मे मैंने बोल दिया - 
मैं - हाँ करो साबित ?
मेरे इतना कहते ही नितिन ने मेरा हाथ जो अभी भी उसके हाथ मे था उसे खींचा और डान्स फ्लोर की ओर मुझे लेके चल दिया । डांस फ्लोर ज्यादा दूर नहीं था और इससे पहले की मैं , नितिन को कुछ कहती नितिन ने मुझे डांस फ्लोर के एक कोने मे जहां बिल्कुल अंधेरा था वहाँ खड़ा किया और खुद मुझसे सट कर खड़ा हो गया । 
मैं - नितिन ये .. 
मैं इतना ही कह पायी के नितिन ने अपनी एक उँगली मेरे सुर्ख लाल होंठों पर रख दी । और बोला - "अब मुझे साबित करने दो । "
फिर नितिन ने बिना मुझसे पूछे मेरा हाथ अपने हाथ मे लिया और मेरी कमर मे हाथ डाल के मुझे अपनी और खींचा । 
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मेरी तो एक दम से एक कामुक आह निकाल गई । नितिन मुझ से बिल्कुल सट कर डान्स करने लगा और बीच -2 मे अपना हाथ मेरी कमर पर भी फिराने लगा उसकी ये हरकते मेरे अंदर एक अजीब सी कशिश पैदा कर रही थी मैंने चारों ओर देखा तो सब जगह अंधेरा था और जिस जगह हम थे वहाँ तो कोई हमे देख ही नहीं सकता था । 
फिर नितिन मेरे और करीब आया और मुझे बिल्कुल अपने गले से लगा कर डांस करने लगा मेरे ब्लाउज मे कैद बूब्स उसके मजबूत सीने से टकराने लगे और उनमे भी तनाव आने लगा मुझे भी अब मस्ती चढ़ने लगी थी । मैंने भी अपनी बाहें नितिन के गले मे डाल दी फिर नितिन मेरे कंधे और गले के पास आया और वहाँ पर हल्के हल्के चूमने लगा । मेरे होंठों से तो आह ही फूट पड़ी - " आह .. .. .. नितिन ये मत करो प्लीज.. .. "
पर नितिन रुकना ही नहीं चाहता था । और फिर उसने मेरा हाथ खिंच उसपर पर भी kisses की झड़ी लगा दी और उसे चूमते हुए ऊपर की ओर बढ़ने लगा और मुझे जहां - तहां चूमने लगा । मस्ती मुझ पर भी चढ़ रही थी इसलिए मैंने नितिन से दूर जाने की कोशिश की पर उसने मेरी कमर का कमरबंद खिंचकर अपने से सटा लिया । कमरबंद खींचने के कारण उसकी एक कड़ी टूट गई और वह ढीला पड़ गया मैं कुछ करती इससे पहले ही नितिन ने नीचे बेठकर मेरी कमर को पकड़ा और अपने होंठों से टूटी हुई कड़ी को लगाने लगा
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 जैसे ही उसके होंठ मेरे पेट से टकराए मेरी साँसे तेज हो गई और दिल जोर जोर से धड़कने लगा । उत्तेजना मे आके मैंने अपने हाथ नितिन के सर के बालों मे उलझा लिए और उन्हे खींचने लगी । नितिन का तो इसमे दिल लग गया वो कितनी देर तक वो वहाँ मेरी नाभी के आसपास चूमता रहा ।
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 मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और मेरे लब नितिन को रोकने के लिए एक बार फिर खुल गए - 
मैं - आह नितिन .... अब रुक जो प्लीज मैं मर जाऊँगी । 
नितिन ने एक बार ऊपर की ओर देखा और मेरी आंखे जो अंगारे बरसा रही थी उनमे देखते हुए सीधा हो गया । पर उसका इरादा कुछ और था खड़े होकर उसने मुझे घुमाया और मेरे पीछे खड़े होकर मुझे अपनी ओर खींचा और अपने से सटा कर मेरे कंधों को चूमने लगा ।
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 मैं एक बार फिर पागल होने लगी और अपनी गर्दन इधर उधर घुमाने लगी । उसके हाथ मेरे बूब्स की ओर बढ़े ओर उन्हे अपनी गिरफ्त मे ले लिया। मेरी साँसे उखड़ने  लगी और मुझे अपने पीछे नितम्बों पर किसी कठोर लंबी चीज का आभास हुआ जिसके मात्र महसूस करने से मेरी पहले से भीगी योनि और पानी छोड़ने लगी नितिन की पकड़ मेरे बूब्स पर अब सख्त हो चली थी और वो उन्हे मन- मर्जी से निचोड़ने लगा ऊपर उसके होंठ मेरे कानों और गले पर अपनी मुहर लगा रहे थे एक साथ एसे 3 कामुक हमले  मेरे लिए असहनिय थे । मेरा जिस्म आग की भट्टी की तरह तप रहा था और नीचे योनि लगातार पानी छोड़े जा रही थी मेरे मुहँ से लगातार धीमी कामुक आहे निकल रही थी 
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मैं - आह ओह .... .. नितिन.. कोई .. देख .... लेगा .. .. .. नहीं .... .. प्लीज ....  आह.... नितिन ......   
 पर अब मैं अपनी हवस मे इतनी अंधी हो चुकी थी के अपनी सभी शर्मों-ह्या त्याग दी । ना ही मुझे ये खयाल रहा की मैं एक शादीशुदा औरत हूँ जिसकी अपनी कुछ सीमाएं है और ना ही ये की मेरे पति भी इसी पार्टी मे मोजूद है और अगर उन्होंने मुझे एसे देख लिया तो डूबकर मरने के अलावा मेरे पास कोई रास्ता नहीं होगा । 
पर इन सब बातों से बेपरवाह मैं बस अपनी हवस मिटावाने मे लगी थी नितिन ने अब मेरे एक बूब्स को छोड़ा  मेरा एक हाथ  पकड़ कर पीछे ले गया और अपने लिंग पर रख दिया ।  " आह .... " कितना लंबा और मोटा लिंग था नितिन का मेरी तो आह ही निकाल गई ये तो अशोक के लिंग से बोहोत लंबा है ये भाव मेरे मन मे आ गया।  नितिन ने मेरा हाथ अपने लिंग पर दबाए रखा और फिर धीरे से मेरे कान मे बोल - कैसा लगा ? 
मुझसे कोई जवाब देते ना बना बस उसके इस सवाल पर मैंने अपने लब अपने दांतों से काट लिए ।
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 स्थिति मेरे काबू से बाहर हो चुकी थी अब अगर नितिन मुझे अपने साथ अपने बेडरूम मे जाने के लिए भी कहता तो मैं इनकार नहीं कर सकती थी
 तभी डांस फ्लोर पर बज रहे म्यूजिक के धीमे होने की आवाज आई मैं सहझ गई के अब म्यूजिक बंद होने वाला है और डांस खत्म और फिर सभी लाइटस भी जल जाएगी । अगर लोगों से मुझे इस हालत मे देख लिया तो मैं तो कहीं की नहीं रहूँगी । मैंने नितिन से अपनी उत्तेजना मे काँपती आवाज मे कहा - 
मैं- नितिन .... आह .. अब मुझे..  छोड़ दो ......प्लीज । अब डाँस .... आह .. बंद होने .. वाला है .. अगर .. किसी .. .. ने मुझे .. एसे ...... देख लिया तो ........ मैं .. बर्बाद .... हो.. जाऊँगी .... अब मुझे .. जाने ...... दो , प्लीज ...... आह .. 
नितिन - ठीक है पर पहले कबूल करो की मैं तुम्हारा दोस्त हूँ  या मुझे अभी कुछ साबित करने की जरूरत है । 
मैं- नहीं .... नितिन ..  अब .... कुछ .... साबित .. नहीं  करना .... आह .... तुम मेरे दोस्त हो ...... अब अपनी .... इस दोस्त .... को .. जाने दो.... प्लीज .... नहीं .. तो तुम्हारी ...... ये दोस्त ...... बदनाम .... ओह ...... हो जाएगी ........ 
नितिन के हाथ अब भी मेरे तने हुए बूब्स को मसल रहे थे और उसकी उँगलिया मेरे पिप्पलस को रगड़ रही थी पीछे से वो धीरे -2 धक्के लगा रहा था और उसके होंठ अब भी मेरे कान पर अपनी मुहर लगा रहे थे । 
नितिन - तो क्या मैं कल अपनी दोस्त को उसके घर केक की रेसेपी सीखने आ सकता हूँ ?
मैं घबरा गई क्योंकि मेरे हाँ कहने का मतलब था मेरी बर्बादी की ओर मेरा एक और कदम । जब मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो नितिन ने मेरे निप्पलों को जोर से खींचा और मेरी गर्दन पर भी जोर से काटा । मेरी एक ओर "आह ...." निकल गई । नितिन ने फिर पुछा - 
नितिन - बोलो पदमा क्या मैं कल आ सकता हूँ ?
मैं जान गई थी के नितिन जब तक जवाब नहीं सुन लेगा वो मुझे छोड़ेगा नहीं और लाइटस कभी भी ऑन हो सकती है इसलिए उसकी गिरफ्त से आजाद होने के लिए मैंने बोल दिया - हाँ तुम .... आह .... आ सकते .. तो .. परर..... प्लीज .... अब मुझे ........ जाने दो .... नहीं ...... तो कोई देख लेगा........ 
नितिन - ओके । 
इतना बोलकर नितिन ने मुझे अजाद कर दिया । उसकी पकड़ से छूटते ही मैं दोड़कर स्विमिंग पूल के पास गई क्योंकि वहाँ लोग ज्यादा नहीं होते और मुझे अपनी साँसे नॉर्मल करने के लिए वक्त मिल जाएगा । मेरे वहाँ जाते ही सारी लाइटस भी ऑन हो गई और म्यूजिक रुक गया। मैं ठीक वक्त पर वहाँ से निकल गई । फिर मैं चुपके से वाशरूम की ओर गई क्योंकि मेरी पूरी साड़ी अस्त व्यस्त थी और शरीर भी ।वाशरूम जाते हुए मैंने इस बात का ध्यान रखा की किसी की नजर मुझ पर न पड़े क्योंकि मेरी हालत एसी थी मुझे देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता था के मेर साथ कुछ हुआ है , थैंक्स गोड़ मुझे किसी ने नहीं देखा वाशरूम मैं जाकर मैंने अपने को ठीक किया  और बाहर आई । बाहर आते ही मुझे अशोक दिख गए उन्होंने भी मुझे देख लिया और मेरी ओर ही आने लगे । मेरे पास आकर वो बोले- " कहाँ थी तुम मैं कब से तुम्हें ढूंढ रहा हूँ  "
मैं ( अपनी हिचकिचाहट छिपाते हुए )- जी बस यहीं थी पूल के पास । अँधेरा होने की वजह से दिखाई नहीं पड़ी । 
अशोक - हम्म , चलो चलते है , देर हो रही है । 
फिर मैं और अशोक एक आखिरी बार नितिन से मिलने जाने लगे ।  और नितिन हमे वही थोड़ी दूर मिल गया । अशोक ने उसे गुड बाय कहा और एक बार फिर हैप्पी एनीवर्सेरी  कहा । नितिन के सामने इस तरह मुझे असहजता महसूस हो रही थी क्योंकि वो लगातार मुझे निहार रहा था । फिर नितिन बोला - 
नितिन - थैंक्स ,अशोक आने के लिए , तुम्हारे आने से मेरी पार्टी मे रोनक आ गई । नितिन का इशारा मेरी ओर था ये मैं जानती थी । हम वहाँ जाने ही वाले थे कि अशोक बोले- " पदमा , ये तुम्हारी गर्दन पर लाल निशान केसा ?
अशोक का मतलब उस निशान से था जहाँ  नितिन ने डाँस करते हुए काट लिया था । मै घबरा गई के क्या जवाब दूँ और नितिन की ओर देखा क्योंकि ये निशान उसी का दिया था ।  मुझसे तो कोई जवाब दिए नहीं बन रहा था । तभी नितिन बोल पड़ा - 
नितिन - अरे कोई मच्छर या कीट काट गया होगा । ये खुला इलाका है ना इसलिए यहाँ मच्छर कुछ ज्यादा ही है । 
अशोक ने मेरी ओर देखा और मैंने हाँ मे सर हिलाया । उसके बाद अशोक ने नितिन को बाय बोला और चल दिए । नितिन ने अशोक के साथ मुझे भी बाय बोला , मुझे भी जवाब मैं नितिन को बाय बोलना पड़ा । 
फिर अशोक पार्किंग मे गए और गाड़ी निकाल कर  लाए मैं बाहर गते पर ही खड़ी थी । गाड़ी के आते ही मैं उसमे बैठ गई । और फिर अशोक ड्राइव करने लगे । रास्ते मे अशोक बोले -" पार्टी तो काफी अच्छी थी क्यों है ना ?"
मैं - जी ।   
फिर अशोक इधर - उधर की बाते करने लगे ,पर मेरा दिल तो कल क्या होगा ये सोच सोचकर धड़कता जा रहा था । मैंने बचने के लिए नितिन को कल आने के लिए कह तो दिया था पर कल उसके आने पर मैं क्या करूंगी । जब पार्टी मे इतने लोगों के होते मैं उसे रोक ना सकी तो घर पर मैं अकेली उससे कैसे बचूँगी । कल क्या होगा ? कल ???????

( नोट - क्या कहते हो दोस्तों पदमा को कल नितिन से चुदवा देना चहिए या उसे अभी थोड़ा और तड़पाना चाहिए या ये काम गुप्ता टेलर को करना चाहिए ? अपनी राय दे क्योंकि कहानी आपके लिए ही है । )
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#12
(17-08-2022, 06:00 PM)rekha6625 Wrote: पदमा तो बहुत गर्म ओरत है कोई भी आसानी से शिकार करसकता है। न इसको अपनी इज्जत की परवाह न पति की। थोड़ा हाथ लगाओ गर्म हो जाती है इस बार तो गुप्ता टेलर से बच गयी लेकिन अभी पेटीकोट का नाप बाकी है। वैसे उसने हिंट दे दिया की वो प्यार का भूखा है वैसे पदमा को भी कोई ऐतराज लगता नही इससे। वो आसनी से गुप्ता से 0चुद सकती है। पदमा का रिएक्शन ऐसा था कि पहली बार नाप दे रही थी कभी सिलायी नही करवायी की कैसे नाप दिया जाता है

Kya lagta hai ki padma ko nitin ya gupta ji pahle kaun chodega vaise mujhe lagta hai ki jitni kamuk padma hai iski chudai bhi jabardast honi chahiye
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#13
(18-08-2022, 09:03 AM)saya Wrote: बहुत ही अच्छी चल रही है

Saya , hansrayka, Abhi T aap sabhi ka bohot Dhanyavaad.  Main apse kahani ke agle update ke bare me bhi janna chahunga. Yadi akpo Kahin koi kami lagti hai to please jarur btayen  taki me usme sudhar kar saku . Punh aap sabka Dhanyavaad 
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#14
दोनों अपडेट बहुत बेहतरीन रहे है। पदमा गरम ओरत होने के साथ साथ एक समझदार ओरत भी है कितनी भी गर्म हो जाने पर भी उसे अपनी और अपने पति की इज्जत का खयाल रहता है और वो खुद को बचाने की कोशिस भी करती है, अगर तीसरी मुलाकात में ही वो चुद गयी तो हजम नही होगी। मुझे लगता है उसे नीरज को मौका नही देना चाहिए, या तो वो बाहर चली जाए कल या डोर हो न ओपन करे नीरज के लिए। उसकी पहली चुदायी वरुण से हो बिना सोचे समझे गर्म टेलर और नीरज ने किया और फायदा वरुण को मिले अचानक से
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#15
Mere hisab se to uski chudai tailor se hi honi chahie abhi sirf use seduce karo jitna ho sakta hai aur story bahut acchi ja rahi hai aage aapko jaisa achcha Lage
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#16
आप की कहानी है अपने हिसाब से लिखो भाई पर इतनी जल्दी सेक्स मत करवाना पदमा को और मज़े लेने दो टेलर के नितिन के वरुण के और भी हो सक्ते है
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#17
5. लगभग 11:30 पर हम घर पहुंचे । मुझे थकान तो हो रही थी पर साथ मे नितिन ने जो पार्टी मे मेरे साथ किया उसकी गर्मी भी महसूस हो रही थी
[Image: shriya-saran-beautiful-south-indian-actresses.png]
 मेरी पेन्टी पूरी मेरी योनि के चुतरस से भीगी हुई थी । एक आस से मैंने अशोक की ओर देखा वो तो मुझ से भी ज्यादा थका लग रहे थे और कुछ पार्टी मे शराब पीने की वजह से उन्हे नींद भी ज्यादा आ रही थी।  मैं समझ गई के अब अशोक से कुछ नहीं हो पाएगा । घर मे घुसते ही अशोक बोले - "पदमा "
मैं- जी ?
अशोक -मुझे बोहोत नींद आ रही है मैं सोने जा रहा हूँ । 
इतना बोलकर अशोक सीधा हॅाल से होते हुए बेडरूम मे चले गए मैंने दरवाजा लॉक किया और घर की सभी लाइटस भी ऑफ कर दी फिर मैं भी बेडरूम मे चली गई वहाँ  अशोक पहले से ही नींद मे मस्त थे पर मेरी हालत अभी भी  ठीक नहीं थी चुतरस से भीगी मेरी पेन्टी से अब मुझे खुजली होने लगी थी  मैंने जल्दी  से अलमारी खोलकर उसमे से एक नाइटी निकाली और बाथरूम मे चली गई बाथरूम मे पहुंचते ही मैंने अपनी साड़ी निकाल दी । ब्लाउज और पेटीकोट मे भी परेशानी हो रही थी तो उन्हे भी निकाल दिया और बस ब्रा और पेन्टी पहने रखी फिर शावर खोल दिया जैसे ही शावर से ठंडे पानी की बूंदे मेरे बदन पर गिरने लगी मेरे शरीर की गर्मी को कुछ शांति मिली । मैं शावर के नीचे पानी की बूंदों का आनंद लेने लगी ।
[Image: Bsh.gif]
 पर पेन्टी से मुझे अभी भी परेशानी हो रही थी इसलिए मैंने उसे निकालने लगी । पेन्टी को निकालते हुए मुझे एक बार फिर नितिन की याद आ गई पता नहीं कल क्या होकर रहेगा । मैं क्या करूंगी मेरा जिस्म तो मेरे काबू मे नहीं रहता एक बार जब मैं गरम हो जाती हूँ तो मेरी हवस मुझ पर पूरे तरीके से हावी हो जाती है फिर मुझे अच्छे-बुरे  सही-गलत किसी भी चीज का कोई ख्याल नहीं रहता ये तो मैं आज ही देख चुकी थी के नितिन से पूरी दूरी बनाने के बावजूद अपने मन मे द्रढ निश्चय करने के बावजूद भी मैं आखिर मे उसके चंगुल से बच ना सकी वो तो शुक्र है की वहाँ काफी लोग थे जिसकी वजह से मेरी लाज बच गई नहीं तो आज तो मैं लूट ही गई थी ।
 पर कल जब घर कोई नहीं होगा तो क्या होगा मैं खुद को उससे कैसे बचा पाऊँगी इन्ही बातो सो सोचते हुए कब मेरा नहाना खत्म हो गया पता भी ना चला । मैंने टावल से अपने शरीर के अंगों को साफ किया और नाइटी पहन कर बाहर आई । 
[Image: shreya-saran-hot-actress.gif]
बाहर आकर देखा तो अशोक बिस्तर मे सोये हुए खराटे ले रहे थे । 
"अशोक तुम मजे से सो रहे हो और आज तुम्हारी बीवी तुम्हारे ही बॉस के हाथों लूटते लूटते बची है , और कल बच पाएगी या नहीं इसका भी कुछ पता नहीं " - मैंने मन मे सोचा । फिर ख्याल आया की आज ये जो मेरी हालत है इसके जिम्मेदार भी अशोक खुद ही है अगर वो मेरी पूर्ण संतुष्टि दे पाते तो मैं यूँ घड़ी-घड़ी उत्तेजित ना होती ।ये सब सोचकर फिर मुझे अपने पर शर्म भी आई कि मैं कैसे एक बाजारू औरत जैसे ख्याल अपने मन मे ला सकती हूँ पर ये वक्त इन सब बातों का नहीं था इसलिए मैं इन सब बातों से ध्यान हटाकर कल नितिन के आने पर क्या करना है इस बारे मे सोचने लगी कितनी ही देर ऐसे ही सोचने के बाद भी मैं किसी तरह का कोई फैसला ना कर सकी , तो हारकर बिस्तर पर लेट गई पर नींद तो आँखों से कोसों दूर थी । लगभग 1 घंटे तक मैं एक करवट से दूसरे करवट लेटती रही पर नींद ना आई ।
[Image: shriya-saran-black-saree49t.jpg]
 नितिन के आने को लेकर मन जिस्म मे एक अलग सा रोमांच भी पैदा हो गया था जो मुझे सोने नहीं दे रहा था रात के लगभग 2 बजे मुझे नींद आई तब तक भी एक ही सवाल मन मे था कि कल क्या होगा ?
    सुबह 6 बजे रोज की तरह अलार्म बोल गया रात को देरी से सोने की वजह से सुबह उठा ही नहीं जा रहा था सारा शरीर टूट रहा था फिर भी मन मारकर मैं बिस्तर से उठी और फ्रेश होने बाथरूम चली गई उसके बाद मैंने रोज की तरह अशोक के लिए नाश्ता तैयार किया और 8 बजे तक नाश्ता करके अशोक चले भी  गए । एक बार तो मेरा मन हुआ की अशोक को जाने से रोक लु पर फिर सोचा कि कारण क्या बताऊँगी की क्यूँ  रोक रही हूँ । अशोक के जाने के बाद मैंने खुद भी नाश्ता किया और अपने बचे हुए कामों मे लग गई और 10 बजे तक अपना सारा काम निपटा लिया । पर अब मुझे नितिन के आने का डर भी सताने लगा था पता नहीं वो कब आ धमके । मैं इसी उधेड़-बुन मे थी की क्या करू । फिर मैंने एक तरकीब सोची क्यों ना घर को लॉक करके सीमा जी के यहाँ चली जाऊ नितिन आएगा तो घर को बंद देखकर अपने आप वापस चला जाएगा । मैंने इसे ही बेहतर समझा और घर से बाहर आकर  दरवाजे को लॉक करके गली की ओर निकाल पड़ी रास्ते मे मुझे फिर मोहल्ले वालों की कामुक नजरे अपने बदन पर चुभती हुई महसूस हुई ,
[Image: shriya-saran-2224.jpg]
 मेरी बलखाती कमर देखकर उनका कालेज मुह को आ गया । और फिर मैं वरुण के घर जा पहुँची ओर डोर बेल बजाई । थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला तो सामने वरुण था मुझे देखते ही वरुण बोला - "भाभी आप .... .. आइये ना अंदर आइये । "
फिर मैं वरुण के साथ उसके घर के अंदर चली गई । 
मैं- कैसे हो वरुण ?
वरुण - एकदम अच्छा । आप केसी है ?
मैं - मैं भी ठीक हूँ , तुम्हारी मम्मी कहाँ है ?
वरुण - भाभी मम्मी तो किसी काम से बाहर गई है आप बेठिए मैं आपके लिए पानी लाता हूँ । 
फिर वरुण पानी लेने कीचेन मे चला गया और मैं हॉल मे बिछे एक सोफ़े पर बैठ गई 
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 जल्दी ही वरुण एक ग्लास पानी लेकर लोटा । मैंने पानी का ग्लास वरुण के हाथ से लिया और पानी पीने लगी । ग्लास ऊपर तक भरा हुआ था जिसकी वजह से पानी पीते हुए पानी की कुछ बुँदे मेरी साड़ी और ब्लाउस पर गिर गई जिसके कारण ब्लाउज के अंदर मेरे कसे हुए बूब्स पर लगी ब्रा दिखने लगी । मैंने पानी का ग्लास नीचे  रखा और वरुण को भी बैठने को कहा । वो मेरे सामने बिछे एक सोफ़े पर बैठ गया और फिर हमने बातें करनी शुरू की। 
मैं - हाँ तो वरुण तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है ? कुछ पढ़ भी लेते हो या सारा दिन बस खेलने और घूमने मे ही गवा देते हो । 
वरुण - जी भाभी पढ़ाई भी कर रहा हूँ पर घर पर सही से तैयारी नहीं कर पाता इसलिए सोच रहा हूँ की कहीं ट्यूशन लगा लू  कुछ हेल्प भी मिल जाएगी । 
मैं - हम्म तुम्हारी मम्मी भी यही कह रही थी । 
मैंने नोटिस किया की वरुण की नजरे मेरी ओर नहीं कहीं ओर है जब मैंने उसकी नज़रों का पिछा किया तो तो पाया वो कुछ ओर नहीं , मेरे ब्लाउज पर पानी गिरने से जो ब्रा दिखाई दे रही थी उसे देख रहा था । उसकी इस हरकत से मुझे बोहोत शर्म आई और  मैंने धीरे से अपने पल्लू से अपने पूरे ब्लाउज को कवर किया । इसके बाद वरुण का ध्यान वहाँ से टूटा ।
मैं - कहाँ खो गए वरुण ? 
वरुण( हड़बडाहट मे ) - कहीं नहीं भाभी , हाँ तो क्या कह रही थी मम्मी ?
मैं - तुम्हारे टयूशन के बारे मे बात कर रही थी ? 
वरुण - क्या बात ?
मैं - यही की मैं तुम्हें टयूशन पढ़ा दिया करू ।  
वरुण - आप ? 
मैं - हाँ , अगर तुम्हें कोई ऐतराज ना हो तो । 
वरुण(खुशी से ) - नहीं ,नहीं  भाभी मुझे तो कोई ऐतराज नहीं बल्कि बोहोत खुशी  है  मजा आएगा ।  
मैं - किस चीज मे ?
वरुण - आपके साथ पढ़ने मे । 
मैं - अच्छा जी , तुम तो अभी से काफी एक्साइटेड लग रहे हो कोई खास वजह ? 
वरुण(खुश होते हुए ) - वजह तो बेहद खास है । 
मैं( उत्सुकता से ) - क्या वजह है जरा मैं भी तो सुनु ? 
वरुण - अब अगर मोहल्ले की सबसे खूबसूरत लड़की मुझे टयूशन देगी तो इसमे गर्व की तो बात है ही ना । 
लड़की , वरुण मुझे लड़की बोल रहा था जबकि मैं उससे 8 साल बड़ी थी । 
मैं (शर्माते हुए ) - अच्छा जी , लड़की........  बदमाश ...... 
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ये कहते हुए मैंने खड़ी होकर उसका एक कान पकड़कर धीरे से खींचने लगी , वरुण  अपना कान छुटाने की कोशिश करता हुआ बोला - "भाभी छोड़ो ना प्लीज "। 
 पर जब मैंने उसका कान नहीं छोड़ा तो उसने अपने एक हाथ से मेरे उस हाथ को पकड़ा जिससे मैंने उसका कान पकड़ा था और अपने दूसरे हाथ से मेरी कमर को पकड़कर मुझे पलटकर सोफ़े पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गया 
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उसका हाथ अभी भी मेरी कमर के नीचे था और दूसरा हाथ मेरे हाथ को । वरुण बिल्कुल मेरे ऊपर था मेरा अंग -2 उसके शरीर के नीचे दबा हुआ था । मैंने सोचा भी नहीं था की वरुण अचानक से एसा कर देगा । वरुण मेरे बिल्कुल ऊपर था और हमारी साँसे टकरा रही थी  मैंने वरुण से बोला -
मैं - वरुण , ये क्या किया ?
वरुण (एसे ही मुझे पकड़े हुए )- मैंने क्या किया ?
मैं - मुझे नीचे गिर दिया । 
वरुण - शरुवात आपने ही की थी । 
मैं - अच्छा चलो अब मुझे छोड़ो । 
वरुण - पहले आप मेरा कान छोड़िए । 
फिर मैंने वरुण का कान छोड़ दिया उसके बाद वरुण ने अपना हाथ मेरी कमर के नीचे से निकाला पर निकालते हुए उसने पेट पर एक जोर से चिकोटी काट दी । मैं तो एकदम से कराह उठी - "आह ...... " । 
मैं - ये क्या था वरुण ? 
वरुण ( मेरे ऊपर से उठते हुए) - ये आपकी पनीशमेंट थी मेरा कान पकड़ने की । 
मैं (सोफ़े से उठते हुए ) - अच्छा तो अब तुम मुझे पनिश भी किया करोगे । 
वरुण ( मेरे करीब आकर )- बिल्कुल जो गलती करेगा उसे सजा जरूर मिलेगी । पर इस सजा का दर्द बोहोत मीठा होगा  । 
उसकी ये बात कहने का अंदाज मुझे कुछ अजीब लगा । वरुण इतनी बेबाकी से ये सब बाते  कह रहा था जैसे वो मुझसे नहीं अपने किसी दोस्त से बात कर रहा हो । 
मैं - अच्छा , एसी कोन सी सजा है जिसका दर्द भी मीठा है । 
वरुण-  ये तो आप समय आने पर जान जाएंगी  । 
मैं ( उसकी बात को इग्नोर करते हुए ) - अच्छा अब मुझे जाना है तुम्हारी मम्मी कब तक आएंगी ? 
वरुण - मम्मी तो शाम तक ही आएंगी  । 
मैं - हम्म चलो ठीक है , बाय मैं चलती हूँ । 
इतना कह मैं वरुण के घर से जाने लगी।  मैं  गेट तक ही पहुँची थी के पीछे से वरुण ने आवाज दी । 
वरुण - टीचर ? 
मैंने पलटकर देखा फिर वो बोला ।
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वरुण - टयूशन मे किस टाइम से आऊ टीचर ? 
मैं ( मुसकुराते हुए ) - दोपहर मे । 
इसके बाद मैं वरुण के घर से बाहर आ गई। बाहर तो मैं आ गई पर ये समझ नहीं आया के अब क्या करू घर जाना खतरों से भरा था नितिन के आने का दर अभी भी था फिर सोचा के गुप्ता जी के यहाँ चली जाऊ पर फिर मुझे उस दिन उनके साथ उनकी दुकान मे हुई सभी घटनायें याद आ गई । "नहीं मैं गुप्ता जी के यहाँ नहीं जा सकती मैं कैसे उनका सामना कर पाऊँगी उस दिन भी अगर वक्त रहते अशोक का फोन ना आ गया होता तो ना जाने क्या होता" ये सब सोचकर मैंने गुप्ता जी के वहाँ जाने का विचार छोड़ दिया और फिर अपना मोबाइल निकालकर टाइम देखने लगी । 11:45 हुई थी मैंने सोचा अब तक तो शायद नितिन आकर घर को लॉक देखकर चला भी गया हो । 
फिर एक बार को मन मे आया की अगर उसने आज मुझे घर पर नहीं पाया तो कल फिर आएगा मैं कब तक उससे छिपती फिरूँगी । मुझे उसका सामना करना ही होगा नहीं तो उसकी हिम्मत और भी बढ़ जाएगी । इतना सोचकर मैंने एक बार फिर अपने घर की ओर कदम बढ़ाए ।
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 घर जाकर मैंने दरवाजा खोला अंदर प्रवेश किया । मन मे एक विश्वास भी था और बेचीनी भी विश्वास ये की मैं नितिन का सामना कर पाऊँगी और बैचेनी ये थी की अगर नहीं कर पाई तो ?
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#18
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इसी उधेड़बुन मे 12 बज गए । और तभी दरवाजे पर बेल बजी । दिल जोर से धडक उठा और शरीर जैसे कांपने सा लगा ।
 मैं समझ गई के ये नितिन ही होगा , जरूर ये वही है आखिर वो आ ही गया अब क्या करू । "दरवाजा नहीं खोलती हूँ अपने आप चला जाएगा " ऐसा मन मे विचार आया ,फिर एक बार और डोर बेल बजी । "क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा दरवाजा खोल दू क्या ? हो सकता है ये नितिन ना हो कोई ओर हो , कोई ओर इस वक्त कोन होगा नहीं ये जरूर नितिन ही हैं दरवाजा मत खोल पदमा " मन मे अनेक सवाल थे और फिर एक ओर बार डोर बेल बजी । अब तो दरवाजा खोलना ही होगा अगर किसी ने इस तरह से देख लिया तो कोई क्या सोचेगा ? फिर आखिर कर घबराते हुए मैं दरवाजे की ओर चल दी
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 और फिर डोर खोल दिया । मेरा डर बिल्कुल सच था ये नितिन ही था वो मेरी ओर देखकर मुस्कुराया उसके हाथ मे एक थैली थी जिसमे कुछ सामान था मैं जहां तक समझ प रही थी तो उसमे जरूर केक के बनाने का सामान होगा । अगर मुझे ये केक मेरे लिए इतनी बड़ी मुसीबत लेकर आएगा तो मैं कभी इसकी रेसेपी मोनिका से नही पूछती मैं अपने आप से ही बात करने मे उलझी थी के तभी नितिन ने मेरा ध्यान तोड़ा - 

नितिन - हाय पदमा । 
मैं - नितिन तुम .. 
नितिन - हाँ मैं तुम तो भूल गई शायद तुमने ही तो मुझे कल आने को बोला था मुझे तुम्हें केक बनाना सीखना है ना । 
उसके इतना कहने पर मुझे उसकी मेरे साथ कल रात की हुई सभी हरकते याद आ गई मैं उन्हे याद करते ही सिहर उठी 
मैं(थोड़ी कमजोर आवाज मे )- नितिन आज मेरी थोड़ी तबीयत खराब है तुम किसी और दिन सिखा देना । 
    नितिन - क्यों क्या हुआ ? मुझे देखने दो । 
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इतना कहकर उसने अपना एक हाथ मेरे सर पर लगाया थोड़ी देर चेक करने के बाद उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और वहाँ से मेरे नाजुक हाथ को छूते हुए मेरी कलाई को अपने हाथ मे लिया और नब्ज की चेक की । 
उसके छूने से मुझे मेरे शरीर मे गुदगुदी होने लगी । थोड़ी देर मेर नब्ज चेक करने के बाद उसने मेरी कलाई को छोड़ा और कहा - 
नितिन - बुखार तो नहीं है क्या हुआ है तुम्हें ?
मैं (अपने सर पर हाथ लगाते हुए)- वो मेरे जरा सर मे दर्द है । 
नितिन - अरे बस इतनी सी बात । तुम अंदर चलो तुम्हारा सर दर्द अभी दो मिनट मे ठीक कीये देता हूँ । 
मैं - लेकिन नितिन ...... 
नितिन - लेकिन वेकीन कुछ नहीं हम दोस्त है ना ? तो बस तुम अब मेरी बात सुनो तुम्हारा सर दर्द अभी ठीक हो जाएगा । 
इतना कहकर नितिन ने मेरा हाथ पकड़ा और अंदर ले गया । मैं उसे रोक भी ना सकी । अंदर हॉल मे आकर नितिन ने मेरा हाथ छोड़ा और अपने साथ जो थैला लाया था उसको हॉल मे रखी टेबल पर रख दिया ।  और कहा -
नितिन - पदमा !
मैंने बिना कुछ बोले नितिन की ओर देखा तो उसने आगे कहा-
 नितिन - घर मे कोई बाम है क्या ?
मैं- नहीं । वो तो नहीं है क्यूं क्या हुआ ?
नितिन- अरे अभी तो तुम कह रही थी के तुम्हारे सर मे दर्द है । 
मैं - नहीं कोई बात नहीं नितिन ।
नितिन - कैसे कोई बात नहीं आओ मैं तुम्हारे सर की मसाज कर देता हूँ । 
मैं - नहीं रहने दो नितिन ये ठीक हो जाएगा । 
नितिन - बस बिल्कुल चुप आओ बेठो यहाँ । 
इतना कहकर नितिन ने मेरा हाथ पकडा और मुझे खिंच कर सोफ़े पर बीठा दिया और खुद मेरे पीछे आकर खडा हो गया । फिर उसने अपने हाथों को मेरे कंधों पर रखा और बोला - " एक बार जोर से साँस लो पदमा और धीरे से छोड़ो "
मैंने वैसा ही किया एसा करने के दौरान मेरे दोनों बूब्स एक साथ ऊपर की और उछल गए और उनकी गहराई नितिन की आँखों के सामने आ गई फिर नितिन ने अपने दोनों हाथ मेरे सर के ऊपर रख सर को धीरे धीरे सहलना शुरू किया उसके हाथ मेरे पूरे सर पर घूम रहे थे
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 उसने अपना एक हाथ मेरे माथे पर और एक मेरे बालों मे डाल दिया और किसी पक्के मसाज वाले की तरह मेरे सर की मसाज करने लगा उसके हाथों मे जैसे जादू था मुझे बहुत ही अच्छा फ़ील होने लगा और जैसे मेरी सारी टेंशन काफ़ुर हो गई । नितिन ने मुझसे पुछा - "पदमा , कुछ आराम मिला । " 
मैंने कुछ बोला नहीं बस उत्तर दिया - "हम्म " । उसके बाद नितिन ने अपने दोनों हाथ मेरे सर के बराबर मे लगाए और वहाँ धीरे -2 सहलाने लगा मुझे बोहोत ही अच्छा महसूस हो रहा था । इस तरह से मेरी मसाज आज तक किसी ने नहीं की थी । एक नशा सा मेरे दिमाग पर छाने लगा थोड़ी देर तक नितिन एसे ही मेरे सर की मसाज करता रहा और मुझे आनंद मिलता रहा फिर अचानक वो मेरे कान के पास आया और बिल्कुल मेरे कान से सट कर बोला -"कैसा लग रहा है ? "
नितिन ने ये बात बिल्कुल मेरे कान मे बोली थी और मुझे एक बर फिर उसकी वही गरम साँसे अपने कान मे घुसती हुई महसूस हुई मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया और इसी मस्ती ने नशे मे मैंने उसके सवाल का जवाब दिया । 
मैं - बोहोत अच्छा । 
नितिन समझ रहा था की मैं अब उसकी मसाज के मजे लेने लगी हूँ फिर उसने अपने हाथ  मेरे कंधों पर रख दिए और उन्हे मसलने लगा वो अपने हाथ मेरे कंधों तक ले जाता और फिर वहाँ से उन्हे खिंचता हुआ मेरी गर्दन तक आता और वहाँ जोर से मसलता रात को सही से नींद ना आने की वजह से मेरा बदन टूट रहा था और अब नितिन की मसाज मुझे बोहोत आराम दे रही थी ऊपर से उसकी गरम साँसे मुझे उत्तेजित भी कर रही थी और मेरे बूब्स मे तनाव आने लगा था जिसे नितिन ऊपर से साफ देख सकता था कुछ ही देर मैं नितिन के हाथ मेरे कंधों से लेकर गले तक मुझे मसलने लगे मजे के कारण मेरी "आह " निकल गई।  कुछ देर एसे ही मसाज करने के बाद अचानक नितिन ने एक हिमाकत की उसने धीरे से अपने हाथ हाथ मेरे बूब्स की ओर बढ़ाने शुरू कीये अपने बूब्स पर नितिन के हाथ स्पर्श होते ही मैं तो जैसे नींद से जागी । मेरी धड़कने तेज हो गई और साँसों की रफ्तार भी बढ़ गई ।  मुझे मजा तो बोहोत आ रहा था पर इस मजे के चक्कर मे मैं अपनी इज्जत दाव पर नहीं लगा सकती थी इसलिए आपने बूब्स पर नितिन के हाथों का आभास होते ही मैंने एक झटके से नितिन के हाथ आपने बूब्स से हटाए और सोफ़े से उठ खड़ी हुई । नितिन तो एक दम से हक्का बक्का रह गया  और मुझसे बोला - " क्या हुआ पदमा ? तुम ऐसे अचानक से क्योँ उठ गई " 
मैं (अपनी साँसों को सम्हालते हुए ) - बस नितिन अब मैं बिल्कुल ठीक हूँ अब ओर मसाज करने की जरूरत नहीं । 
नितिन(मुस्कुराते हुए ) - देखा मैंने कहा था ना की तुम्हारा दर्द 2 मिनट मे ठिक कर दूंगा । 
मैं - हम्म तुम तो कमाल का मसाज करते हो । 
नितिन -  अभी तुमने मेरा असली कमाल देखा ही कहाँ है अभी तो तुम्हें असली कमाल दिखना बाकी है । 
ये कहते हुए वो मुस्कुराने लगा । मैं उसका मतलब समझ गई पर फिर भी असमंजस्ता से बचने के लिए उससे पुछा - 
मैं - कौन सा कमाल ? 

नितिन - वो तुम्हें किचन मे पता चलेगा । 
उसका इशारा उस केक से था जो वो मुझे बनाना सीखाने आया था । इसके बाद उसने बिना कुछ कहे टेबल पर रखे अपने बेग को उठाया और मेरा हाथ पकड़ कर किचन मे ले गया । कीचेन जाकर उसने अपने बेग को कीचेन की स्लेप पर रखा और बोला चलो शुरू करो । मैंने उसकी ओर देखा वो वह बोला - "हाँ ,हाँ शुरू करो जहाँ जरूरत होगी  मैं हेल्प करूंगा "। इतना कहकर नितिन मेरे पीछे खड़ा हो गया और पीछे से ही मेरी जवानी को ताड़ने लगा उसकी आँखों की तपिश मैं अपने जिस्म पर महसूस कर पा  रही थी 

[Image: Shriya-Saran-034.jpg]जो मुझे भी रोमांचित कर रही थी मैंने उसके कहे अनुसार बेग खोला तो उसमे एक चॉकलेट पाउडर का पैकेट था मैंने एक बड़े बर्तन मे उस पाउडर को डाला और फिर उसमे थोड़ा दूध डाल दिया नितिन मेरे बिल्कुल पीछे खड़ा था और मेरी हर मूवमेन्ट पर नजर बनाए हुए था जैसे ही मैंने दूध और चॉकलेट को मिलाने के लिए चम्मच ली तो नितिन मेरे बिल्कुल करीब आया और बोला - "रुको पदमा । "
ये आज दिन मे दूसरी बार था जब नितिन मेरे जिस्म के इतने पास आ गया उसकी साँसे मुझे अपनी गर्दन पर महसूस हो रही थी और इसका असर मुझ पर भी हुआ मेरे अंदर का रोमांच बढ़ने लगा । मैंने नितिन की ओर बिना पलटे ही कहा- "क्या हुआ नितिन । " 
नितिन - इसे एसे नहीं मिलाया जाता । 
मैं(थोड़ा पीछे मुड़कर )- तो फिर कैसे ?
मेरे इतना कहने पर नितिन मेरे और भी करीब आया और मुझसे बिल्कुल सट कर खड़ा  हो गया,उसने अपने हाथ मेरे कंधों पर रखे और उन्हे छूटे हुए नीचे की ओर आया , मेरे हाथों को अपने हाथों मे लिया और उन्हे दूध और चॉकलेट पाउडर के बर्तन मे डुबो दिया और दूध और चॉकलेट पाउडर को आपस मे मिलाने लगा उसका कठोर सीना मेरी पीठ से टकराने लगा साथ ही नीचे मेरे नितम्बों पर भी मुझे उसके लिंग के तनाव की छुअन महसूस हुई और इस छुअन के महसूस होते ही मैं एक दम से सिहर उठी मैंने थोड़ा आगे होने की कोशिश की पर मेरे आगे स्लेप ने रास्ता रोक लिया उसके गाल बिल्कुल मेरे गाल से टच हो रहे थे जिससे मेरे जिस्म मैं भी मस्ती की लहरे दौड़ने लगी पर मेरा जिस्म अभी मेरे काबू से बाहर नहीं हुआ था अपने को इस स्थिति से निकालने के लिए मैंने नितिन को बोला - 
मैं- नितिन !
नितिन(मुझसे चिपके हुए ही) - हम्म 
मैं- क्या इसे एसे ही मिलाया जाता है ?
नितिन - हाँ । 
मैं - अच्छा तो ठीक है फिर मैं समझ गई अब तुम हट जाओ । 
  मेरे इतना कहने पर नितिन को मुझसे दूर होना पड़ा और वो फिर से मेरे पीछे जा खड़ा हुआ और वही काम करने लगा जो वों पहले कर रहा था  ' मेरे जिस्म को पीछे से निहारना ' ।
[Image: Shriya-Saran-019.jpg]
 पर उसके मुझसे दूर होने से मेरी कुछ राहत तो मिली । थोड़ी देर तक मैं एसे ही दूध और चॉकलेट को अपने हाथों से मिलती रही जब वो अच्छे से मिल गया तो मैंने आगे क्या करना है ये जानने के लिए पीछे नितिन की ओर गर्दन घुमाई और पीछे देखकर मेरी तो साँस जैसे वही अटक गई , नितिन पीछे से लगातार मेरी कमर और नितम्बों को घूर रहा था और उसका लिंग भी अपनी तनाव की स्थिति मे था 
[Image: shock-chatrapathi.gif]
जिसे उसने अपनी पेंट के ऊपर से हाथ से पकड़ हुआ था  ये देखकर मैंने तुरंत अपनी गर्दन शर्म से आगे की ओर घूम ली पर ये बात नितिन ने नोटिस कर ली और पीछे से मुस्कुराते हुए बोला - " क्या हुआ पदमा "?
मैं(थोड़ी घबराकर) - वो .. ये दूध और चॉकलेट ...... मिक्स हो गया है । 
नितिन - अच्छा जरा मुझे देखने दो । 
इतना कहकर नितिन एक बार ओर मेरे पीछे मेरे करीब आ गया और मुझसे चिपक गया उसके लिंग की छुअन अपने नितम्बों पर पड़ते ही मेरे जिस्म मे बेचैनी होने लगी  उसने अपना हाथ आगे बढ़ाकर मिक्सचर को चेक किया और बोला - " गुड पदमा, अब इसमे मीठा डाल दो "।  मैंने चीनी का डब्बा देखा उसमे चीनी कम थी बाकी चीनी ऊपर वाली स्लेप पर रखी थी पर वहाँ मेरा हाथ नहीं जा सकता था । इसलिए मैंने नितिन से बोला उतारने को क्योंकि उसकी हाइट मुझसे लंबी थी और उसके हाथ आराम से वहाँ तक पहुँच सकते थे पर उसने जवाब मे कहा - " तुम खुद ही उतार लो "
और इतना बोलकर नितिन ने पीछे से मेरे नितम्बों को अपनी बाहों मे कस लिया और मुझे ऊपर उठा दिया  ऊपर उठते ही मेरी कमर बिल्कुल उसके चेहरे के सामने आ गई और उसके मुहँ से निकली गरम साँसों का अनुभव जैसे ही मुझे मेरी कमर पर हुआ मेरी धड़कन और साँसे दोनों तेज हो गई मैं जल्दी -2 चीनी के डब्बे को ढूंढने लगी अभी मेरे हाथ आटे के डब्बे पर थे के तभी नितिन ने अपने गरम होंठ मेरी कमर पर लगा दिए,
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 मेरा जिस्म काँप उठा और मेरी एक 'आह ' निकल गई इस मस्ती मे मेरा बैलेन्स बिगड़ गया और मैं गिरने लगी  और मेरे हाथ मे जो आटे का डब्बा था वो भी हमारे ऊपर गिर पड़ा । गिरते हुए नितिन ने मुझे तो संभाल लिया पर वो खुद गिर पड़ा और मैं उसके ऊपर सीने पर आ गिरी , मेरे बूब्स उसके सीने पर दब गए  हम दोनों के ऊपर वो आटे का डब्बा गिर पडा इतनी ऊँचाई से गिरने के कारण डब्बा खुल गया और उसमे से आटा निकल कर हमारे ऊपर गिर गया । नितिन मेरे नीचे था और उसके हाथ अभी भी मेरे नितम्बों पर थे और ना सिर्फ थे अब वो उन्हे मसल भी रहे थे हमारे शरीर आटे से सन गए थे और चेहरे पर आटा गिरने की वजह से वो आँखों मे भी चला गया जिससे उनमे जलन होने लगी ।  नितिन  मुझसे बिल्कुल लिपटा हुआ था जिसका वो पूरा फायदा उठान चाहता था इसलिए उसने कसकर मुझे अपनी बाहों मे जकड़ लिया वो अपने हाथ मेरी पूरी कमर पर फिराने लगा नीचे उसका लिंग जो अब और भी सख्त हो चला था मेरी योनि से बिल्कुल सट गया और उसके लिंग की गर्मी मेरी योनि को भी उत्साहित करने लगी एक बार तो मन मे आया के मैं भी सब कुछ भूलकर नितिन को कस कर अपनी बाहों मे जकड़ लूँ । पर फिर अपनी भावनाओ पर काबू पाते हुए मैंने नितिन से कहा - 
मैं -नितिन , मुझे छोड़ो । मेरी आँखों मे आटा चला गया है मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा मुझे आँख धोने जाना है । 
नितिन मेरे नीचे लेटा हुआ ही बोला - " पदमा , मुझे भी आँखों से कुछ दिख नहीं रहा प्लीज मुझे भी बाथरूम ले चलो "
इतना कहकर नितिन ने मुझे छोड़  दिया , और मैं धीरे से दीवार का सहारा लेते हुए सीधी हो गई उसके बाद नितिन भी खड़ा हो गया और बोला - "चलो पदमा "
आँखों से तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो मैंने सोचा के दीवार के सहारे ही अब बाथरूम तक जाना होगा पर मेरी समझ मे एक बात नहीं आ रही थी के नितिन को अपने साथ कैसे ले जाऊ उसे भी तो कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा । मैं ये सब सोच ही रही थी के नितिन ने फिर कहा - "जल्दी करो पदमा मुझे आँखों मे जलन होने लगी है "    मैंने ने सवाल के जवाब मे कहा की नितिन मैं तुम्हें साथ मे लेकर आगे नही चल  सकती मुझे आगे बढ़ने के लिए मेरे दोनों हाथों के सहारे की जरूरत पड़ेगी । फिर कुछ सोचकर नितिन ने कहा - "पदमा , तुम एक काम करो अपनी साड़ी का पल्लू मुझे थमा दो मैं उसे पकड़ कर चलता हुआ तुम्हारे पीछे आ जाऊंगा "।                                             मैंने सोचा की यही ठिक रहेगा बाथरूम मे जाते ही मैं अपने वो ठिक कर लूँगी । और यही सोचकर मैंने अपनी साड़ी का पल्लू गिराकर नितिन के हाथों मे दे दिया और कीचेन से निकलकर , बाथरूम की ओर दीवार का सहारा लेकर चलने लगी पीछे नितिन मेरी साड़ी का पल्लू पकड़े चल रहा था। अभी मैं थोड़ी आगे ही चली थी के नितिन ने पीछे से पल्लू को एकदम से खींचा और मेरी बंधी हुई साडी थोड़ी खुल गई सोचा ये गलती से नितिन से खिंच गई होगी ऐसे पकड़ कर चलने मे एसा तो होगा ही और मैं आगे की ओर चलने लगी । थोड़ी और आगे जाने पर नितिन ने फिर एक बार मेरी साड़ी खिंच दी और साड़ी थोड़ी और खुल गई । मैंने नितिन से कहा - " नितिन साड़ी को  थोड़ा हल्के से पकड़ो तुम्हारे ज्यादा टाइट पकड़ने से ये खुल रही है ।"
नितिन - मैं क्या करू पदमा ये सब अचानक से हो जाता है तुम किस ओर जा रही हो ये जानने के लिए मुझे इसे थोड़ा टाइट पकड़ना पड़ रहा है । 
उसके इस जवाब ने मुझे चुप कर दिया और मैं आगे चलने लगी पर नितिन अब भी बीच बीच मे मेरी साड़ी खिंच देता जिससे वो थोड़ी थोड़ी करके खुलने लगी और हुआ ये की बाथरूम तक पहुँचने मे , मैं सिर्फ अपने ब्लाउज और पेटीकोट मे थी मेरी पूरी साड़ी फर्श  पर बिखरी पड़ी थी । और सच पूछो तो अब मुझे उसकी परवाह भी नहीं थी क्योंकि आटे के आँख मे जाने की वजह से मेरी आँखों मे अब खुजली होने लगी थी और मुझे जल्द से जल्द अपनी आंखे पानी से साफ करनी थी । बाथरूम के बाहर आकर मैंने नितिन का हाथ पकड़ और अंदर घुस गयी । बाथरूम मे जाकर मैं पानी की बाल्टी खोजने की कोशिश करने लगी पर किसी भी बाल्टी मे पानी नहीं था तो मैंने नल खोलने की सोची  नितिन वही नल के आगे खड़ा है ये मैं जान गयी थी क्योंकि उसका हाथ अभी भी मेरे हाथ मे था । मैंने नितिन से कहा-"नितिन तुम्हारे पीछे पानी का नल है उसे खोलो "। नितिन पीछे मुड़ा और नल खोजने लगा और उसके हाथ एक वाटर ऑपनर लगा जैसे ही उसने उसे खोला पानी की ठंडी बुँदे हम दोनों के ऊपर गिरने लगी ।
[Image: Shriya-Saran-Hot-Navel-Show-9.jpg]
 नितिन ने गलती से शावर को खोल दिया था पानी की बूंदे पड़ते ही हम भीगने लगे मैंने शावर को बंद करने के लिए आगे कदम बढ़ाए पर आगे नितिन खड़ा था और मैं उससे जा टकराई उसने गलती से या जानबूझकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उन्हे कसकर दबा दिया । अपने जिस्म पर हुए इस झटके से मैं तेजी से पीछे को हटी और दीवार से जा जा टकराई मेरा पैर नीचे रखी साबुन पर पड़ा और मेरा पैर फिसल गया और मैं नीचे गिर पड़ी । नीचे गिरते मैं जोर से चिल्लाई - " आह " । 
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मेरी आवाज सुनकर नितिन एकदम से बोला - " क्या हुआ पदमा " ?
मैं ( दर्द से कराहते हुए ) - पैर फिसल गया । 
   
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#19
नितिन - कैसे ? रुको मैं देखता हूँ । 

इतना कहकर नितिन ने जल्दी जल्दी अपनी आँखे पानी से साफ की और शावर को बंद किया पर तब तक बोहोत देर हो गई थी और हम दोनों बिल्कुल भीग चुके थे
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 तब तक मैंने भी भी अपने चेहरे को शावर से निकलने वाले पानी से साफ कर लिया और उठने की कोशिश करने लगी पर पैर मे बोहोत तेज दर्द हो रहा था और उठना मेरे बस से बाहर था तभी नितिन मेरे पास आया पहले तो वो मेरे ब्लाउज और पेटीकोट मे भीगे बदन का आँखों से ही जायजा लेने लगा । ब्लाउज गीला होने की वजह से उसमे कैद मेरे कसे हुए बूब्स पर लगी ब्रा नितिन को साफ-साफ दिख रही थी नितिन का मुझे देखकर क्या हाल था ये तो उसका पेंट मे तनाव मे आने वाला लिंग साफ बता रहा था उसे ऐसे देखकर मेरी साँसे तेज हो गई और शर्म से चेहरा लाल फिर नितिन ने मुझसे कहा  - " घबराओ मत पदमा सब ठिक हो जाएगा " 
"ये सब तुम्हारी ही वजह से हो रहा है"- मैंने मन मे कहा । फिर नितिन ने  मेरे एक हाथ को अपने गले मे डाला और अपने एक हाथ से मेरी पतली काजुक कमर को पकड़ कर मुझे उठाया और पास ही नहाने के लिए रखे छोटे स्टूल पर मुझे बैठा दिया इस दौरान मुझे उसके हाथों का स्पर्श अपने बूब्स पर महसूस हुआ और मैंने अपने बूब्स मे तनाव महसूस किया  फिर वो मेरे सामने आया और  मेरे पैर पकड़कर उन्हे सीधा किया और बोला - "पदमा, कोन से पैर मे चोट लगी है ?"
मैंने अपने दायें पैर की ओर इशारा किया तो नितिन ने नीचे बैठ मेरे दाएं पैर को पकड़कर उसे उठाकर अपनी गोद मे रख लिया और फिर उसमे जो मैंने सेंडल पाहणी थी उसे अपने हाथों से खोलने लगा । सेंडल निकाल कर नितिन ने वही साइडे मे रख दी और मेरे पैर को धीरे धीरे सहलाने लगा उसके हाथों का स्पर्श मुझे रोमांचित कर रहा था मेरा दिल रह-रहकर धडक उठा । फिर नितिन ने मेरे पेटीकोट को थोड़ा ऊपर किया तो मेरी गोरी चिकनी टाँगे उसके सामने आ गयी और वो वहाँ भी उन्हे सहलाने लगा । फिर उसने एक नजर मेरी ओर देखा तो शर्म के मारे मैंने अपनी निगाहे दूसरी ओर फेर ली मैं उसका सामना नहीं कर सकती थी वो फिर से अपने काम पर लग गया और बोला - " पदमा , लगता है तुम्हारे पैर मे मोच आ गई है ये ठिक हो जाएगी घबराने की कोई बात नहीं  "।  इतना कहकर उसने मेरे पैर को नीचे रख दिया और सीधा होकर बोला - "पदमा , तुम्हारे शरीर पर तो अभी भी आटा लगा हुआ है इसे साफ करना होगा ।" इतना बोलकर उसने एक बाल्टी मे नल से पानी भरना स्टार्ट किया । मैंने जिस्म को देखा तो उसपर कई जगह आटा लगा हुआ था जो अब पानी पड़ने की वजह से गीला होकर मेरे जिस्म से चिपक गया था । इतने मे नितिन बाल्टी मे पानी भरकर लाया और एक मग से मेरे जिस्म पर पानी डालते हुए मेरे जिस्म को अपने हाथों से साफ करने लगा अपने जिस्म पर उसके हाथ पड़ते ही मेरे तन-बदन मे हलचल मच गई । मैंने उसे रोका और कहा - 
मैं - नितिन .. तुम रहने दो, मैं कर लूँगी । 
नितिन - नहीं पदमा , तुम्हारे पैर मे चोट लगी है अगर कही बाल्टी तुम्हारे पैर पर गिर गई तो चोट ज्यादा बढ़ सकती है । 
उसकी इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था तो मैं चुप ही रही । मुझे खामोश देख नितिन फिर से अपने काम पर लग गया । उसने पहले मेरे कंधों पर पानी डाला और और वहाँ उन्हे रगड़-रगड़ कर साफ करने लगा उसके हाथों की छुअन मेरे जिस्म की आग को भड़का रही थी और मे चाह कर भी उसे रोक नहीं पर रही थी , कंधे साफ करने के बाद नितिन ने मेरे गले और गर्दन पर पानी डाला और फिर वहाँ भी अपने हाथों से साफ करने लगा कुछ ही देर बाद वो मेरी कमर और पीठ पर पानी डाल रहा था और फिर उसके हाथ मेरी गोरी पीठ पर चलने लगे मेरे जिस्म की हलचल अब बढ़ने लगी थी और साँसे भी तेज हो गई थी नितिन मेरी पीठ और कमर को साफ कर रहा रहा के अचानक उसका हाथ मेरे ब्लाउज की डोर मे उलझ गया और एक झटके के साथ डोर खुल गई ।
 मैं इसके लिए तैयार नहीं थी मेरी पीठ पर बस वही एक डोर थी उसके खुलने के बाद मेरी पीठ बिल्कुल नंगी हो गई । मैंने धीरे से नितिन को कहा-"नितिन ,ये क्या किया तुमने  ?" 
नितिन - ओह , सॉरी पदमा वो गलती से मेरा हाथ उसमे उलझ गया था और हाथ निकालने के चक्कर मे डोर खुल गई । आइ यम सॉरी । 
मैं - हम्म । 
मैं बस इतना ही कह पाई के नितिन एक बार फिर मेरी कमर पर पानी डाल वहाँ साफ करने लगा इस बार मेरी कमर पर लगी ब्लाउज की महीन पट्टी उसके हाथों की बाधा बनी हुई थी उसने उसे एक बार खींचा और फिर मुझसे बोला - 
नितिन - पदमा ! 
मैं - हम्म ?
नितिन - मेरी मानो को तुम इस ब्लाउज को निकाल दो ये तो पूरा ही आटे मे सना हुआ है इसे एसे साफ नहीं किया जा सकता । 
उसकी ये बात सुन मेरी धड़कने और भी तेज हो गई मेरे लिए ये आसान नहीं था भले ही मैं गरम होने लगी थी पर किसी पराए मर्द के सामने एसे कैसे मे अपना ब्लाउज निकाल कर सिर्फ ब्रा मे आ जाऊँ । आज तक किसी ने भी अशोक के अलावा मुझे ब्रा मे नहीं देखा था । मैंने नितिन से कहा - " नहीं नितिन मैं एसा नहीं कर सकती "
नितिन - ठिक है तो मैं कर देता हूँ । 
मैं - नहीं नितिन प्लीज ........ 
पर मेरे बोलने से पहले ही नितिन ने मेरे ब्लाउज की पट्टी को खोल दिया 
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और ब्लाउज मे कसे मेरे उन्नत बूब्स को जैसे साँस आया और वो तेजी से ऊपर नीचे होने लगे । पीछे मेरी कमर पर पानी डालकर नितिन खड़ा होकर मेरे आगे आया । मैं जान गई थी के अब वो क्या करने वाला है तो मैंने उसके सामने आते ही अपने दोनों हाथ अपने बूब्स के इर्द-गिर्द लपेट लिए और अपने आप को उससे छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी । उत्तेजना के मारे मेरी साँस तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी । सामने आकर नितिन ने कहा - "हाथ हटाओ पदमा , मुझे साफ करने दो " 
उसके इतना कहने पर भी जब मैंने अपने हाथ नहीं हटाए तो उसने खुद ही मेरे हाथ अपने हाथों मे लिए और उन्हे मेरे बूब्स से हटाने लगा और उसकी ताकत के आगे मेरी एक ना चली आखिर वो कामयाब हो ही गया और उसने मेरे हाथ अलग कर दिए और मेरी ओर हवस भारी नज़रों से देखने लगा उसकी ये कातिल नजरे मुझसे बर्दाश्त ना हुई और मैंने आंखे बंद कर ली फिर नितिन ने एक मग पानी मेरे ऊपर डाला और अपने हाथ मेरे कंधों पर रख मेरे ब्लाउज को पकड़ लिया और उसे नीचे की ओर खींचने लगा ।  मैंने एक बार और अपनी काँपती हुई आवाज मे उससे कहा - "प्लीज नितिन ये मत करो तुम ऊपर से ही साफ कर दो "। 
पर नितिन ने मेरी एक ना मानी और ब्लाउज को खिंच कर मेरे जिस्म से अलग कर दिया और उसे वही बाथरूम के फर्श पर रेख दिया  एक बार फिर ब्लाउज निकाल जाने पर मैंने अपने हाथ अपने बूब्स के चारों ओर लपेट दिए । 

[Image: shriya%20saran.jpg]फिर नितिन ने एक मग पानी और मेरे जिस्म पर डाला और मेरे बूब्स के आस पास मेरे पेट पर अपने हाथों से साफ करने लगा  जब भी उसके हाथ मेरे बूब्स पर टच होते मे सिहर जाती और मेरे होंठों से एक धीमी आह निकल जाती वहाँ पर साफ करने के बाद वो सीधा मेरे पैरों के पास आया और मेरे पेटीकोट को मेरी जांघों तक ऊपर उठा दिया फिर उसने मेरे बायँ पैर को पकड़ा और उसकी सेंडल निकाल दी और मेरे पैरों पर पानी डाल उनपर अपने हाथ फिराने लगा नितिन मेरे पैर की उंगलियों से लेकर मेरी जांघों तक अपने हाथ चला रहा था मेरी तो उत्तेजना मे जान ही निकली जा रही थी ओर योनि मे भी जबरदस्त हलचल मची थी । अब मेरा रुकना बोहोत जरूरी हो गया क्यूंकी मेरा मेरे ऊपर से पूरा नियंत्रण खोने लगा था  । फिर मैंने हिम्मत करके अपनी कामुक आवाज मे नितिन से कहा - 
मैं - नितिन .... अब बस मैं बिल्कुल नहा चुकी हूँ  तुम हट जाओ । 
मेरे इतना बोलने पर नितिन ने एक बार मेरी ओर देखा और फिर सीधा हो गया । खड़े होकर उसने मुझे एक टावल दिया और मेरी ओर से मुहँ फेरकर खड़ा हो गया उसका इशारा था के मैं अपने शरीर को पोंछ लूँ  । मैंने अपने बूब्स से अपने हाथ हटाए और अपने आप को टावल से पोंछने लगी । पर अपने गीले अंडरगार्मेंट्स उसके वहाँ खड़े रहते निकालना मेरे लिए मुमकिन नहीं था । मैंने नितिन से कहा - "नितिन तुम प्लीज ..  बाहर चले जाओ मुझे चेंज करना है । वो बिना कुछ बोले बाहर चला गया उसके जाने के बाद बैठे -2 ही मैंने अपनी ब्रा और पेटीकोट निकाल दिया और बस पेंटी ही पहने रखी और अपने बदन पर वो टावल लपेटा लिया
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 मैंने अभी  टावल लपेट ही था के दरवाजा खोलकर नितिन अंदर बाथरूम मे आ गया पर इस बार वो सिर्फ अपने अंडरवेयर मे था उसने अपने सभी कपड़े निकाल दिए थे और उन्हे हाथ मे लिए हुए था मैंने एक नजर उसकी ओर देखा तो पाया एक जवान, फिट , सिक्स पेक्स वाला मर्द जिसकी छाती पर एक भी बाल नहीं बिल्कुल साफ । मेरी एक नजर उसके अंडरवेयर पर गई तो वही अटक गई उसका लंबा लिंग पूरे तनाव मे था । नितिन इस तरह से बोहोत ही सेक्सी लग रहा था कोई भी औरत उसे ऐसे देखकर पागल हो सकती थी वही हालत मेरी थी । फिर मैंने उसके लिंग से आंखे हटाकर उससे पुछा - " नितिन तुमने अपने कपड़े क्यों निकाल दिए ? " 
नितिन - वो गीले हो गए थे और मुझे ठंड भी लग रही थी इसलिए निकाल दिए । 
इतना कहकर वो अपने गीले कपड़े बाथरूम मे ही टाँगने लगा । मैंने उठकर चलने की कोशिश की तो पैर मे फिर से दर्द हो उठा ओर मैं फिर से कराह उठी । मेरी आवाज सुनकर नितिन मेरे पास आया और बोला - " तुम्हारे पैर मे अभी दर्द है तुम्हें चलना नहीं चाहिए आओ मैं तुम्हें तुम्हारे बेडरूम तक ले चलूँ " 
इतना कहकर नितिन ने बिना मुझसे कुछ पूछे बिना अपना एक हाथ मेरी कमर के पीछे ले जाकर उसे पकड़ लिया और दूसरे हाथ को मेरी चिकनी गोरी नंगी टांगों के नीचे ले जाकर  मुझे अपनी गोद मे उठा लिया और मुझे लेके बेडरूम की ओर चलने लगा । मुझसे तो कुछ कहा भी ना गया । मेरे बूब्स उसकी नंगी कठोर छाती से दाब गए और मेरी बाहें उसके गले मे गिर गई । एक पराया मर्द जिसे मैं कुछ समय पहले से ही जानती हूँ मुझे मेरे ही घर मे इस तरह बिना किसी झिजक के उठा के ले जा रहा था ये सोच सोच के ही मेरी धड़कने तेज हो रही थी नितिन मुझे लेकर मेरे बेडरूम मे घुस गया और फिर मुझे बेड पर बोहोत ही आराम से लिटाया । मैंने एक बार और उसकी ओर देखा 'उफ्फ़ क्या गठीला जिस्म था उसका , और ऊपर से उसका वो अंडरवेयर मे तना हुआ लिंग ' अगर आज मैं एक शादीशुदा औरत ना होती तो खुद ही उससे लिपट जाती । फिर नितिन खुद भी मेरे पास बेड के किनारे बैठ गया और अपना एक हाथ मेरी गोरी चिकनी नंगी टाँग पर रख दिया । मैं तो उत्तेजना मे पागल हुए जा रही थी । फिर नितिन ने पुछा - " पदमा "!
मैं - हम्म ?
नितिन - क्या पैर मे अभी भी दर्द है । 
मैं - हाँ , थोड़ा-थोड़ा ।
नितिन - रुको मे अभी आता हूँ । 
उसके बाद नितिन बेडरूम से बाहर गया और थोड़ी देर बाद लौटा पर इस बार उसके हाथ मे एक छोटी सी कटोरी भी थी । उसे देखकर मैंने पुछा - "ये क्या है नितिन "?
नितिन - तुम्हारे पैर की मालिश के लिए तेल । इससे तुम्हारे पैर का दर्द ठिक हो जाएगा  तुम उल्टी लेट जाओ । 
उसके इतना कहने पर मैं मदहोश होकर उसके लिए उल्टी होकर लेट गई  इतने मे नितिन बेड पर चढ़ गया और मेरे दोनों पैरों को उठा कर अपनी गोद मे रख लिया फिर उसने   तेल की कटोरी मे से थोड़ा तेल अपने हाथों पर लगाया और मेरे पैरों पर उससे मालिश करने लगा उसकी गोद मे पैर रखे होने की वजह से मेरे पैर उसके अंडरवेयर मे तने हुए लिंग से टकरा रहे थे जिससे मेरे जिस्म मे आग लगने लगी मालिश करते हुए उसके हाथ आसानी से मेरे पैरों पर फिसल रहे थे और मुझे आराम भी दे रहे थे फिर उसने अपने हाथों मे थोड़ा ओर तेल लिया और ऊपर मेरी टांगों की भी मालिश करने लगा । मैं तो आनंद मे चूर हो चुकी थी तो उसे कुछ नहीं कहा फिर उसने अपने हाथों को ठड़ और आगे तक बढ़ाने की सोची ओर मेरी जांघों तक पहुँच गया वो मेरे पैर की उंगलियों से शुरू करता और फिर मेरी जांघों तक जाता इस गरमा-गरम मालिश से मेरी योनि मे भी आग लग गई और उसमे भी गीलापन आने लगा फिर नितिन ने अपने हाथ आगे ले जाने की सोची और उसके हाथ मेरी पेंटी तक जा पहुंचे तो मैं काँपती आवाज मे बोल पड़ी - " आह .... नहीं नितिन वहाँ नहीं "। 
और नितिन ने अपने हाथ वही रोक लिए फिर उसने मेरे पैरों को अपनी गोद से उतारा और मेरे सर के पास आया और वहाँ बेठकर फिर से अपने हाथों मे तेल लिया और मेरी पीठ पर डालकर वहाँ मालिश करने लगा ।
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 जैसे-जैसे उसके हाथ मेरे जिस्म पर चल रहे थे मेरी कामवासना बढ़ रही थी मैंने उससे पुछा - " नितिन......  पैरों की मालिश तो हो गई ना "
नितिन - हाँ , पर थोड़ा तेल अभी भी बचा हुआ है इससे ओर भी आराम मिलेगा । 
नितिन बिल्कुल प्रोफेशनल मसाज वाले की तरह बात कर रहा था और उसका मसाज करने का तरीका भी बिल्कुल प्रोफेशनल था । फिर नितिन बिल्कुल मेरी बराबर मे लेट सा गया और मेरी गर्दन ,कान कंधे हर जगह अपने तेल से सने हाथ घुमाने लगा अब मेरी जिस्म की आग बोहोत भड़क गई थी और मेरे नीचे दबे हुए बूब्स भी बिल्कुल तन गए थे साँसों की रफ्तार तो पहले ही काबू से बाहर हो गई थी और नीचे मेरी योनि मेरी पेंटी को चुतरस से भिगो रही थी अब आगे नितिन क्या करेगा यही सोच -सोचकर मैं और भी उत्तेजित हुए जा रही थी मदहोशी मे मेरी आंखे बंद हो गयी तभी नितिन ने अपने हाथ मेरी पीठ पर चलाने बंद कर दिए , और मेरे ऊपर आ एक दम से मेरे कान को अपने होंठों मे भर लिया और बेताहाशा चूसने लगा । 
"अंहह........ नितिन .... " मेरे मुहँ से निकल पड़ा और उत्तेजना मे , मैंने अपने बेड की चादर को अपने हाथों से पकड़ लिया और अपने होंठ दाँतों तले दबा लिए । उसके बाद तो नितिन मेरे ऊपर छा गया और मेरे ऊपर लेटकर मेरी पीठ, गर्दन कँधे हर जगह अपने होंठों से लगातार चूमने लगा ।
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 फिर उसने अपने हाथ नीचे के जाकर टावल के ऊपर से मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उन्हे जोर जोर से मसलने लगा । मैं फिर से आहें भरने लगी ।
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मैं - नितिन  अहं ...... नहीं ........ प्लीज ........ छोड़ दो ........ इन्हे ........ । 
पर नितिन पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा बल्कि वो और भी जोर जोर से मेरे बूब्स को दबाने लगा । नीचे से उसका अंडरवेयर मे कैद लिंग पूरे उफान पर था और मुझे मैरे नितम्बों पर चुभ रहा था । फिर नितिन अचानक से मेरे ऊपर से हटा और मुझे पलटकर सीधा कर दिया । मैंने उससे एक बार और कहा - "नितिन , अब रुक जाओ प्लीज ........ " पर  आज नितिन रुकने के मूड मे नहीं था और उसने अपना एक हाथ पीछे ले जाकर  मेरे बालों को पकड़ा और और मेरे होंठ खुल गए , नितिन ने बिना देरी किये अपने होंठ मेरे गरम और प्यासे होंठों पर रख दिए और उन्हे पूरे जोश मे चूसने लगा मैं भी अब बर्दाश्त नहीं कर सकती थी तो उसके होंठों को चूसने लगी 
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और उसकी कीस का जवाब देने लगी।  ऊपर से अब उसका लिंग मेरी योनि पर वार कर रहा था और मेरी योनि भर-भर कर चुतरस छोड़ रही थी । टावल भी अब ढीला पड़ गया था और नीचे सरकने लगा था जिससे मेरे बूब्स बाहर आने लगे और नितिन के सीने से टकराने लगे । एक जबरदस्त होंठों की चुसाई के बाद नितिन ने मेरे होंठों को छोड़ा तो उनकी सारी लाली उड़ चुकी थी और वो नितिन के होंठों पर लग गयी थी मैंने नितिन की आँखों मे देखा तो उसकी मुझे पाने की हवस साफ नजर आ रही थी फिर नितिन ने अपने होंठ मेरे गले पर रख दिए 
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और वहाँ पर जोर से चूमने लगा उसने अपने हाथ नीचे ले जाकर मेरे बूब्स को पकड़ लिया और उन्हे मनमर्जी से मसलने लगा ये पहली बार था की मेरे नंगे बूब्स नितिन के हाथों मे थे और वो इनका भरपूर फायदा उठा रह था । उधर उसका लिंग अंडरवेयर मे से ही मेरी योनि पर चोट कर रहा था पर उसका अंडरवेयर मे ही कैद लिंग अशोक के आजाद लिंग से ज्यादा मजा दे रहा था । मेरे लिए अब रुकना मुश्किल हो गया और जिस्म मे एक सैलाब आने लगा और मैंने अपने हाथ नितिन की पीठ पर जकड़ लिए और अपने नाखून उसकी पीठ पर गाड़ दिए पर उसके धक्के मेरी योनि पर काम नहीं हुए बल्कि और तेज हो गए मुझे उस वक्त जो मजा आ रहा था मैं अपने लफ्जों मे बयां नहीं कर सकती इतना मजा तो अशोक के साथ भी काभी नहीं आया अपने जिस्म को मिल रहे इस आनंद को मैं सहन ना कर सकी और एक लंबी कराह के साथ झडने लगी । " आह ........ नितिन ........ आह ........ प्लीज रुकना मत ........ हाँ वही पर ........ वही पर वार करो ......।। आह ........ बार बार ........ " ऐसे शब्दों को बड़बड़ाते हुए मैं अपने चरम सुख पर पहुँच गई । 
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  चरमसुख मिलने के बाद मुझे एक असीम शांति मिली पर नितिन जानता था की मैं झड चुकी हूँ पर वो अब भी नहीं रुका और लगातार मुझे यहाँ वहाँ चूमता रहा और मेरे बूब्स को भी मसलता रहा पर अब वो ऊपर से धक्के  नहीं मार रहा था । मैंने नितिन से से कहा - "नितिन अब ओर नहीं प्लीज .... अब तुम चले जाओ ...... "। 
पर वो अपने काम मे लगा रहा मुझे लगने लगा की ये नितिन आज मुझे पूरा लूट कर ही जाएगा पर तभी दरवाजे पर एक बेल बजी और मैं और नितिन घबराकर अलग हुए । इस वक्त कौन हो सकता है मेरी तो डर के मारे हालत खराब होने लगी अब क्या होगा कहीं किसी ने देख लिया तो । यही हाल नितिन का था मैंने डरते हुए नितिन से कहा - " नितिन जल्दी जाओ और अपने कपड़े पहनो " । नितिन जल्दी से बाथरूम की ओर भागा और अपने कपड़े पहनने लगा । इतने मे मैंने भी जल्दी से एक सूट ओर लेगईन्ग पहन ली ब्रा पहनने का वक्त नहीं था तो एसे ही पहन लिया तब तक नितिन भी अपने कपड़े पहन कर आ गया । तभी डॉर बेल एक बार फिर बजी मेरा डर अब बढ़ता ही जा रहा था फिर मैंने अपने को थोड़ा संभाला और नितिन से कहा - " मेरे पीछे आओ" ओर उसे लेके घर के पिछले गेट पर पहुँची वहाँ का दरवाजा खोल उसे जल्दी से जाने को बोला और वो बिना किसी सवाल से चला भी गया शायद उसे भी पकड़े जाने का डर था । उसके जाने के बाद मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और मैन गेट खोलने के लिए भागी तब तक घंटी 3 बार बज चुकी थी रास्ते मे मुझे मेरी साड़ी पड़ी मिली जो नितिन ने उतार फेकी थी । मैंने जल्दी -जल्दी उसे नीचे से उठाया और समेट कर सोफ़े की पीछे फेक दिया फिर जल्दी से दरवाजा खोलने आगे बढ़ी दरवाजा खोला तो सामने ' वरुण ' खड़ा था । 
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#20
(19-08-2022, 04:49 PM)rekha6625 Wrote: दोनों अपडेट बहुत बेहतरीन रहे है। पदमा गरम ओरत होने के साथ साथ एक समझदार ओरत भी है कितनी भी गर्म हो जाने पर भी उसे अपनी और अपने पति की इज्जत का खयाल रहता है और वो खुद को बचाने की कोशिस भी करती है, अगर तीसरी मुलाकात में ही वो चुद गयी तो हजम नही होगी। मुझे लगता है उसे नीरज को मौका नही देना चाहिए, या तो वो बाहर चली जाए कल या डोर हो न ओपन करे नीरज के लिए। उसकी पहली चुदायी वरुण से हो बिना सोचे समझे गर्म टेलर और नीरज ने किया और फायदा वरुण को मिले अचानक से
aap ki advise ke liye bahut bahut dhanyawad . nai update aa gai hai uspe bhi apne vichar jarur de . aur yadi kahi koi galti nazar aye to use bhi btaye me use dur karne ka pryas karunga . dhanyawad.
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