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अंतरंग हमसफ़र
मेरे अंतरंग हमसफ़र


सातवा अध्याय

लंदन का प्यार का मंदिर

भाग 69

अनुष्ठान  का अंत


मैने नज़रें उठा कर उसकी तरफ देखा और बोला जानेमन तुम्हारा नाम क्या है?

वो बोली क्सान्द्रा-सैंडी!




[Image: butt.gif]


मैं बोला सैंडी-क्सान्द्रा आज मैं तुमको इतना और ऐसा मज़ा दूँगा के तुमने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा।

उसने अपनी कमर मटका कर गांड को फड़फड़ाया। मेरा लंड अभी भी पूरी तरह से खड़ा था और उसकी चुत के अंदर था और लंड का सिर उसकी चूत में पूरा अंदर गया हुआ था।


[Image: before-entry.gif]
तभी उसकी मोटी-मोटी जांघो पर दो हथेलियाँ महसूस हुई जो कि उसकी जांघों को फैला रही थी, मेरा हाथ उसकी कमर पर था और वह पीछे झुक रही थी इसलिए मुझे अपने ऊपर झुकती हुई महसूस हुई और वह कुछ समझ पाती इससे पहले ही उसे अपनी बुरके अंदर मेरे लंड के कड़ेपन का अहसास हुआ, जैसे ही उसने आँख खोली उसके मुंह से दर्द भरी कराहने की आवाज निकल गई.

आहह! (उसके कराहने की आवाज के साथ ही उसकी बुर में मेरा पूरा लंड जड़ तक घुस गया) ।

आहहहहह, प्लीज रुक जाइए प्लीज मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज मुझे बहुत दर्द हो रहा है।

आहहहहहहह, अहहहहह, औहहहहह, मा्ंआ, उसके दर्द कि और पीड़ा की परवाह किए बिना ही वह उसकी बुर में बेरहमी से लंड पेलता रहा और बोलै पहली बार थोड़ा दर्द होता है इतना कहते हुए वह फिर से जोर-जोर से दो-चार धक्के और लगा दिए।




[Image: entr.gif]

आहहहहहहह, आहहह, आहहहहहहह, ओहहहहह, डेल्फी।

प्लीज आराम से करो न मैंने कब मना किया है कितना दर्द होता है मालूम है आपको और फिर आपका इतना बड़ा और लम्बा है। बिलकुल ऐसा लग रहा था कि नाभि तक धक्के लग रहे हैं।

मैंने उसकी मटकती हुई कमर और थिरकती हुई गांड को देखा। मेरा लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था, उसका सिर उसकी चूत में बहुत ऊपर तक खिंच रहा था।


[Image: boobpress.gif]
robby dawkins

मैंने लंड जोर-जोर से अंदर-बाहर किया, मेरा बड़ा मजबूत हाथ उसके एक दृढ़ गोल स्तनों को सहलाने और दबाने लगा और उसके स्तनों की मालिश कर उन्हें तौलने लगा और फिर एक दृढ़ दुलार में निप्पल पर हथेली रख कर उनने दबा दिया तो वह कराहने लगी।


[Image: dog7.gif]

आहह, (उसके कराहने की आवाज के साथ ही मैंने अपना लंड पूरा जड़ तक घुस दिया था) ।

मैं बहुत रोमांचित था और अपनी किस्मत पर गर्वान्वित भी की इतनी सुन्दर, कड़क जवान लड़की जो कि कमसिन और प्यारी थी मेरी बाहों में थी और में उसकी कौमार्य भंग कर चूका था। मैने अपने अंगूठों और उंगलियों से दोनों मम्मों पर हल्का-सा दबाव बढ़ाया तो उसके दोनों निपल्स तेज़ी से उभर कर बाहर को आ गये और मैने बड़े प्यार से उनको सहलाना शुरू किया। क्सान्द्रा के मुँह से अयाया, ऊउउउउह की आवाज़ें आनी शुरू हो गयीं। मैने पूछा, क्यों सैंडी मज़ा आ रहा है ना। तो वह लंबी साँस लेकर बोली के बहुत ज़्यादा, इतना के बता नहीं सकती, बहुत ज़्यादा।

मैने अपनी दाईं टांग उठाकर उसकी दाईं जाँघ को प्यार से रगड़ना शुरू कर दिया। उसकी साँस अटकने लगी। बीच-बीच में वह एक लंबी साँस खींच लेती और फिर से उसकी साँस तेज़ हो जाती। मैने अपना हाथ उसके दोनों मम्मों के बीच में रखा तो महसूस किया के उसका दिल इतनी ज़ोर से धड़क रहा है जैसे अभी छाती फाड़ कर बाहर आ जाएगा। मैने उसे घूमाकर सीधा किया और अपने सीने से लगा लिया और उसे लिए हुए ही पलट गया। अब वह बेड पर मेरे नीचे लेटी थी और मैं पूरी तरह से उसके ऊपेर चढ़ा हुआ था। मैंने कुछ देर उसका बदन सहलाया और पीठ पर हाथ फेरे और नितम्बो के महसूस किया।


[Image: wot.gif]

मैंने फिर उसे घुमाया और उसे अपने ऊपर ले लिया, जल्दी लेकिन धीरे से उसे सीट पर वापस लिटा दिया, उसकी रसीली बुर उसने एकदम जतन से संभाल कर रखी हुई थी तभी तो उसकी बुर की गुलाबी पंखुड़ियाँ मेरी चुदाई के बाद भी बाहर को नहीं निकली थी, बुर क्या मात्र एक हल्की-सी लकीर ही नजर आती थी और उसके इर्द-गिर्द बाल के रेशे का नाम भी नहीं था बस कुछ सुनहरे रोये थे। यह देखते हुए मेरा भी लंड तन गया। मैंने उसकी टांगो को देखा क्या सुंदर और चिकनी टाँगें थी उसकी!

जिससे बचने के लिए क्सान्द्रा के पास कोई रास्ता भी नहीं था। मैंने उसके करीब कदम रखा, मेरे लंड की मांसल उपस्थिति उसकी जांघों में से एक के अंदर से रगड़ रही थी, मेरी मर्दाना शक्ति एक निर्विवाद शक्ति थी जो उसके योनी होठों के बीच से एक बहती नदी को ले आई थी। मैंने क्सान्द्रा को दबोच लिया, मैने आगे बढ़ कर क्सान्द्रा को गले से लगाया और उसका मुँह ऊपेर करके उसे चूमने लगा उसके कुछ देर बाद मैं उसे। ताबड़ तोड़ चूमने लगा और झट से अपना तना हुआ लंड उसकी चूत में डाल दिया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। क्सान्द्रा की चूत पहले से ही पूरी गीली हो रही थी तो 'फच फिच' की आवाज़ आने लगी और थोड़े ही समय में ही उसके मुंह से 'आह आह ओह ओह...' की आवाज़ें निकल रही थी और उसने मुझको कस कर भींच लिया और अपनी गोल बाहों में जकड़ लिया और फिर ज़ोर से उस के चूतड़ ऊपर को उठे और मेरे लंड को पूरा अंदर लेकर अपनी जांघों में बाँध लिया।


[Image: mot1.gif]

जैसे ही मैं झुका, समय रुक गया, मेरी सांसें तेज हो गईं, मेरी खूबसूरत मांसपेशियाँ चुंबन की प्रत्याशा में तनी और तनी हुई थीं। उसके होठों ने मेरे होंठों को छुआ, मेरी जीभ मेरे मुंह से उसकी चाल को देखने के लिए झुकी हुई थी, इसे देखने का मात्र एक ऐसा उपहार जैसा मुझे कभी मिला था, मेरा लंड लगातार आगे पीछे होता रहा और योनि के अंदर धड़कता रहा।

उसका हाथ नीचे की ओर झुक गया जैसे वह एक गिरती हुई वस्तु को छीन रही हो और उसका हाथ मेरे लंड के बीच से पकड़ लिया। उसकी उँगलियाँ वास्तव में मुश्किल से मेरे लंड के आस-पास मिल पाती थीं,। उसने मेरे लंड को धीरे से सहलाया, उसकी उंगली और हथेली की मांसपेशियों को लंड की लम्बाई पर इस तरह से लहराया जिससे मुझे अतिरिक्त आनंद मिला और ऐसा उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था कि मोईन उसके ऊपर झुक गया और हमारे ओंठ एक तीव्र चुंबन में चिपक गए।

उसकी जीभ झाडू की तरह इतनी निश्चित और भावुक थी कि पहली बार वह पूरी तरह से मेरे मुँह में डूब गई कि लगा उसकी बातें सच थीं वह वास्तव में स्पेशल थी। यह विचार उतना ही विनम्र था जितना कि यह उत्तेजित करने वाला था।

उसने चुंबन जारी रखा और फिर मैंने क्सान्द्रा के गाल को चूम लिया। क्सान्द्रा ने फिर से मुझे अपनी भोली मुस्कान दिखाई। उसके ऐसा करते ही मैंने उसके जिस्म को अपनी बाँहों में भरा और उसके सुन्दर कोमल होंठों को चूम लिया। मैं उसको विशुद्ध प्रेम और अभिलाषा के साथ चूम रहा था। क्सान्द्रा मेरे लिए पूरी तरह से "परफेक्ट" थी। हाँलाकि वह अभी नव-तरुणी ही थी और अभी उसके शरीर के विकास की बहुत संभावनाएँ थी। क्सान्द्रा चुम्बन से पहले तो एकदम से पिघल गयी-उसका शरीर ढीला पड़ गया। उसकी इस निष्क्रियता ने असाधारण रूप से मेरे अन्दर की लालसा को जगा दिया।


Quote:[Image: kistong.gif]

मैंने उसके होंठो को चूमना जारी रखा-मेरे मन में उम्मीद थी की वह भी मेरे चुम्बन पर कोई प्रतिक्रिया दिखाएगी। मुझे बहुत इंतज़ार नहीं करना पड़ा। उसने बहुत नरमी से मेरे होंठो को चूमना शुरू कर दिया और मुझे अपनी बांहों में बाँध लिया। मैंने उसको अपनी बांहों में वैसे ही पकड़े रखा हुआ था, बस उसको अपनी तरफ और समेट लिया। हम दोनों के अन्दर से अपने इस चुम्बन के आनंद की कराहें निकलने लगीं। ।

वो मेरे साथ कामतिरेक में बहे जा रही थी और उसने मेरी जीभ को अपने मुंह का स्वाद लेने का मौका भी दिया क्योंकि मैंने उसकी योनि में स्ट्रोक करना जारी रखा उसके स्तन मेरी छाती भारी वजन के साथ थोड़ा गुरुत्वाकर्षण के कारण घस रहे थे ओर वह आराम से मेरे ऊपर थी। वह अचंभित थी और वास्तव में प्रभावित थी कि मैं इतनी देर से उसे बिना थके प्यार कर रहा था।

मैंने अपना लंड क्सान्द्रा की योनि से बाहर निकाला लेकिन पूरा नहीं निकाला ... इसके बाद पुनः थोडा-सा और अन्दर डाला और हर बार पहले से थोड़ा नादर डाला और ऐसे तीन बार करने के बाद पूरा जड़ तक अंदर दाल दिया और फिर पुनः निकाल लिया। क्सान्द्रा कराह रही थी ओह्ह। हाय आह आहहह-आहहह आह हहहहह!

ऐसे ही मैंने कम से कम चार पांच बार किया। ओह्ह। हाय आह आहहह-आहहह आह हहहहह! क्सान्द्रा मेरी हर हरकत पर मजे लेते हुए कराह रही थी। ओह्ह। हाय आह आहहह-आहहह आह हहहहह!


क्सान्द्रा का मुंह पूरा खुला हुआ था और सांस लेने, करहै भरने और सिसकियाँ निकालने का इकलौता रास्ता। मेरे हर धक्के से उसके स्तन हिल जाते और नीचे का हिस्सा, जहाँ पेट और योनि मिलते हैं, मेरे पुष्ट मांसल लंड के प्रहारों से लाल होता जा रहा था।


[Image: mission1.gif]

मैंने चुदाई की गति तेज़ कर दी। क्सान्द्रा अपनी उत्तेजना के चरम पर थी, उसने मेरे कन्धों को जोर से जकड रखा था। हमारे सम्भोग की गति और तेज़ हो गई-क्सान्द्रा की रस से भीगी चुत में मेरेलंड के अन्दर बाहर जाने से 'पच-पच' की आवाज़ आने लग गई थी। उसी के साथ हमारी कामुकता भरी आहें भी निकल रही थीं। उसने आवाज न करने की कोशिश की लेकिन मेरे-मेरे लंड के धक्को की वजह से जो खुशी की सुनामी आयी उसे वह रोक नहीं सकी। उसकी तेज मीठी कराह सुनकर मेरा बाँध भी टूट गया। मेरे लिंग से एक विस्फोटक स्खलन हुआ और उसके बाद तीन चार और बार वीर्य निकला। हर स्खलन में मैंने अपना लंड क्सान्द्रा की योनि के और अन्दर पेल रहा था। मेरे चरमोत्कर्ष पाने के साथ ही क्सान्द्रा एक और चरम आनंद प्राप्त कर चुकी थी। मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा और वह झड़ने लगी। इस उन्माद में उसकी पीठ एक चाप में मुड़ गयी, जिससे उसके स्तन और ऊपर उठ गए। मैंने उसका एक स्तनाग्र सहर्ष अपने मुह में ले लिया।


[Image: flow.jpg]

मेरा गर्म सह उसके कौमार्य के रक्त और उसके सह के साथ मिश्रित हो कर उसके गुलाबी फूल से बहने लगा। मैंने उसे वह सब दे दिया था जो मेरे पास था। मैंने धीरे से खुशी से झूमते हुए उसके गर्म शरीर पर अपने आप को गिरा दिया। मैंने उसके होठों पर एक लंबा स्नेही चुंबन किया। उसने गहरी संतुष्टि के साथ मेरी आँखों में देखा और जवाब में मुस्कुराई और मुझे चूमने लगी।

पुजारीन पाईथिया ने क्सान्द्रा की युवा स्पंदित योनि की नोक पर सुनहरा कलश रख कर रस को बाहर निकाला और एकत्रित कर लिया और अनुष्ठान के अंत को चिह्नित किया।

कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


आठवा अध्याय

हवेली  नवनिर्माण  

भाग  1

नवनिर्माण  

उसके बाद सभी पुजारिने मंदिर वापिस चली गया और मैं क्सान्द्रा को अपने कमरे में ले गया। वह वहाँ आईने के सामने खड़ी होकर अपने कपड़े उतारने को हुई ही थी कि वह अपने चेहरे को आईने में देखने लगी, चेहरा क्या था ऐसा लगता था मानो कोई गुलाब का फूल खिल गया हो, एकदम गोल चेहरा, बड़ी-बड़ी कजरारी आंखें, गहरी आंखों में इतना नशा कि ऊनमें डूबने को जी करें। नाक और होंठ लाल-लाल के लिपस्टिक लगाएँ बिना ही ऐसा लगता है कि मानो लिपिस्टिक लगाई हो। उसके ओंठ मेरे द्वारा चूसे जाने के कर्ण सूज गए थे और गालो पर जाह्न-जाह्न मैंने देर तक चूमा था वहाँ कई जगह लाल निशाँ थे ।



[Image: mir1.jpg]

रेशमी सुनहरे बालों की बिखरी हुई लटे हमेशा उसके गोरे गालों से अठखेलियाँ करती थी। बला की खूबसूरत और चेहरे पर संतुष्टि का भाव था, प्यार मिलने के बाद की संतुष्टि का भाव । वह शॉवर के नीचे आई और अपने गाऊन को दोनों हाथों से ऊपर की तरफ ऊठाते हुए अपनी बाहों से होते हुए बाहर निकाल दी, गाऊन निकालते ही उसका गोरा बदन और भी ज्यादा दमकने लगा जिस की चमक से पूरा बाथरूम रोशन हो गया। गोरे बदन और लंबे कद काठी की क्सान्द्रा बिना कपड़ों के और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी।



[Image: mir2.jpg]
गाउन उतारने से उसके बड़े स्तन कैद से बाहर निकल आये और उसने देखा की मैंने सम्भोग के दौरान उसके स्तनों पर कई जगह बहुत बेदर्दी से काटा और चूसा था जिससे निशान और नील पड़ गए थे । क्सान्द्रा आदमकद आईने के सामने खड़ी होकर खुद अपने को ही निहारने लगी। उसके कंधो, स्तनों और गर्दन पर नील पड़ गए थे और उनके गुलाबी चूचक भी फूल कर लाल फिर भूरे हो गए थे,। बदन के पोर-पोर से ऐसा लग रहा था कि मानो मदन रस टपक रहा हो। भरी हुई बड़ी-बड़ी चूचियाँ बड़ी ही मादक लग रही थी, चुचियों का आकार एकदम गोल-गोल ऐसा लग रहा था कि जैसे रस से भरा हुआ खरबूजा हो और चुचियों के बीच की गहरी लंबी लकीर किसी भी मर्द को गर्म आहें भरने के लिए मजबूर कर दे और उन पर गुलाबी निप्पल जो चूसने के लिए आमंत्रित कर रहे थे। उसके निप्पल और स्तनों पर मेरे रात के प्यार के घाव के निशाँ थे। उसने मेरी जांघों को कांपते हुए देखा।

क्सान्द्रा की नंगी चूचियाँ एक बड़े ही मादक तरीके की गोलाई लिए हुए तनकर खड़ी हुई थी । उसने अपना दाहिना हाथ उठाकर ऊसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसकी हथेली में सिर्फ आधी ही आ रही थी। कुछ सेकंड तक वह अपनी हथेलियों को चूचियों पर रखी रही और अपने स्तन पर रखकर हौले से दबाया और उसकी दर्द भरी आह निकल गयी। फिर उसने खुद को नीचे देखा और अपने आप को शीशे में पुरी नंगी देखकर क्सान्द्रा शर्मा गयी।


[Image: lkeer.jpg]
योनि की एक लकीर


गुदाज बदन का हर एक अंग अलग आभा और कटाव लिए हुए था। बलखाती कमर पूरे बदन को एक अजीब ओर मादक तरीके से ठहराव दिए हुए था। पूरे बदन पर अत्यधिक चर्बी का कहीं भी नामोनिशान नहीं था पूरा शरीर सुगठित तरीके से ऐसा लग रहा था मानो कि भगवान ने अपने हाथों से बनाया हो। गुदाज बांहैं, जिनमें समाने के लिएहर एक मर्द तरसता रहता था। गुदाज बदन जिसे पाने का सपना हर एक मर्द अपने दिल के कोने में बसाए रखता था। सुडोल मांसल जांघें ईतनी गोल और चिकनी की ऊंगली रखते ही उंगली फिसल जाए। उसकी योनि पर रोये वीर्य से सने हुए थे और-और योनि क्षेत्र मेरे लंड और अंडकोषो के धक्को के प्रहार के कारण लाल हो कर भूरे हो गए थे ।



 योनि जो की एक लकीर जैसी दिखती थी अब सूज गयी थी और जैसे ही उसने अपनी योनि को छुआ वह तड़प कर कराहने लगी। जो योनि बड़ी मुश्किल से खुलती थी उसे चौद छोड़ कर अब इतनी चौड़ी कर दी है कि अब छेद दिखाई दे रहा है। सम्भोग के दौरान लंड के धक्को ने उसकी योनि को खोल दिया था?




[Image: after.jpg]
गोरा रंग तो इतना जैसे कि भगवान ने सुंदरता के सारे बीज को एक साथ पत्थर पर पीसकर उसका सारा रस क्सान्द्रा के बदन में डाल दिया हो और जहाँ भी मैंने सम्भोग के दौरान उसे छुआ था या चूमा काटा और चूसा था वहाँ का रंग एकदम लाल हुआ था और अब वहाँ नील पड़ गए थे। क्सान्द्रा को-को खूबसूरती की मिसाल कहना सर्वथा उचित था।

इस समय बाथरुम की चारदीवारी के अंदर वह पूरी तरह से नंगी थी उसके बदन पर कपड़े का एक धागा भी नहीं था। बाथरूम के अंदर नग्नावस्था मैं वह स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा लग रही थी।

उसने शॉवर चालू कर दिया और पानी के फवारे के नीचे खड़ी होकर नहाना शुरू कर दीया। क्सान्द्रा  आहिस्ते-आहिस्ते खुशबूदार साबुन को अपने पूरे बदन पर रगड़-रगड़ कर लगा रही थी और उसके बदन पर पानी का फव्वारा गिरता जा रहा था। थोड़ी देर में वह नहा चुकी थी और अपने नंगे बदन पर से पानी की बूंदों को साफ करके अपने बदन पर टॉवल लपेट लीया। अपने नंगे बदन पर टावल लपेटने के बाद वह बाथरुम से निकल कर सीधे कमरे में चलीआयी।

क्सान्द्रा  के हाथ उसके बाले में चल रहे थे और जैसे-जैसे उसके हाथ चलते थे तो उसके नितंबों पर गहरा असर डालती थी और उसकी कमर के नीचे उसके भरावदार नितंबों में अजीब-सी मादक थिरकन होने लगी थी । क्सान्द्रा के रूप और इस थिरकन को देख कर मेरे लंड की कठोरता जो झड़ने के बाद कम हो गई थी, औअर लंड अर्ध कड़ा था फिर से प्रबलता के साथ वापस कड़ा हो गया l मैंने फिर से उसे गले लगा लिया और निर्वस्त्र हो कर अपना लिंग क्सान्द्र की योनि में फिर से अंदर घुसा दिया और मैंने उसकी योनी के गहरे और संकीर्ण मार्ग में अपना जो लंड घुसा कर रास्ता बनाया था, उसे मेरे वीर्य ने चिकना कर दिया था और मैंने उसकी योनि में लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया l


[Image: entr.gif]

तो क्सान्द्रा मुझ से लिपट गयी और मुझे मेरे सारे बदन पर बेतहाशा चूमने लगी और हमारे ओंठ जुड़ गएl क्सान्द्रा मेरे ऊपर आ गई थींl मेरे खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अन्दर घुसा रही थींl मुझे उस समय मुझे बेहद मज़ा आ रहा थाl वह मेरे लंड पर धीरे से उठतीं और फिर नीचे बैठ जातीं, जिसकी वज़ह से लंड अन्दर बाहर हो रहा थाlवह ख़ुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थीं और बहुत मज़े कर रही थीं। सच कहो तो मेरे लंड पर उछलते हुए मुझे बहुत सेक्सी लग रही थl मैंने अपने चूतड़ उठा कर उसका साथ दियाl जब मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर पूरा समा जाता था, तो हम दोनों की आह निकल जाती थीl फिर मेरे हाथ उसके हिलते हुए मम्मों को मसलने लग गएl


[Image: WOT01.gif]

उसके बाद क्सान्द्रा मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए. मैं उसको चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारे मुँह खुले गए और मैं उसकी झीभ चूसने लग गयाl

[Image: mis3.gif]

फिर हम दोनों झड़ गए, इसी तरह बार-बार चोदते हुए, मैंने क्सान्द्रा के साथ पूरी रात बिताई, हम पहले सम्भोग के बाद सेक्स का पूरा आनंद उठाते रहेl हम दोनों ने    क्सान्द्रा केे  कुंवारेपन के भंग होने का जश्न, पूरी रात एक साथ पूरे मजे लेते हुए बार-बार लगातार हम चुदाई करते रहेl

कभी मैंने उसे चोदा, कभी उसने मुझेअपनी और खींच कर अलग-अलग आसान में चुदाई की, मानो अपनी कामाग्नि को शांत करना चाहते होl पर हर बार हमारी कोशिश नाकाम ही हुई और उसके बाद बहुत जल्द ही हम दोनों एक दुसरे को चूमते चाटते दुबारा शुरू हो जाते थेl थोड़ा-सा आराम करते, फिर से गले लगाते हुए, एक ख़ुशी के समुद्र में तैरते हुए एक दुसरे में खोये रहे। पता ही नहीं चला इस तरह प्यार करते-करते कब सुबह हो गयीl

सुबह जब उजाला हुआ, तो क्सान्द्रा बिस्तर पर, मुझ से चिपक कर लेटी हुई थीl लगातार बार-बार चुदाई के कारण दोनों बुरी तरह से थक चुके थेl एक दुसरे के लिए आकर्षण और लगाव काम होने की जगह बढ़ गया थाl मुझे लग रहा था, मैं क्सान्द्रा के बिना अब नहीं रह पाऊँगा और चाहता था क्सान्द्रा हमेशा मेरे पास रहे और मैं उसे जब चाहू प्यार कर सकू। क्सान्द्रा की आँखों में भी मुझे वही प्यार नज़र आया और मैंने क्सान्द्रा को अपनी और खींचा तो वह मेरी बाहो में समा गयी और अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा दिया।

"पिछली रात बहुत ख़ास थी। मैंने आपके साथ विशेष जुड़ाव महसूस किया हैl आपके साथ अपनी पहली चुदाई की रात से ही आपके के बारे में इतना मज़बूत लगाव महसूस किया है।" मैंने कुछ कहना शुरू किया, लेकिन क्सान्द्रा ने मुझे रोकने के लिए अपना हाथ मेरी छाती पर रखाl



"कल रात आपने मुझसे ऐसा प्यार किया और मुझे लगा कि हम दो बदन एक जान हैंl उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थेl कल रात, जब तुम मेरे पास आए, तो तुमने मेरे भीतर कुछ जागृत कियाl मुझे ऐसा लगा कि मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ" l


[Image: kiss1a.gif]

मैंने कहा 'मेरा भी यही हाल हैl अब मैं भी तुमसे दूर नहीं रहना चाहता' l ये कहते हुए  क्सान्द्रा    के ओंठो पर किश किया, तो उसने भी वापिस किश किया। 


[Image: AB.gif]
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सुबह, मैं हवेली के नवीनीकरण के दौरान अस्थायी रूप से स्थानांतरित होने के लिए पैकिंग कर रहा था। मैं घर के बाहर आया और एक घोड़ा गाड़ी को इंतज़ार करते देखा। मैं यह देखने के लिए कि कौन  मिलने का इरादा रखता है उसके पास गया। दरवाजा खुला। उसमे क्सान्द्रा थी। आज उसने जो गुलाबी गाउन पहना हुआ है उसमें वह और भी खूबसूरत लग रही थी।



[Image: pink1.jpg]

"नमस्ते," मैंने कहा, "क्या आप मुझे आखिरी बार मिलने आयी हैं?"

"क्या आपको याद नहीं कि मैंने कल रात आपसे क्या कहा था?" उसने पूछा।

"मुझे क्षमा करें, यह क्या था?" मैंने थोड़ा शर्म से जवाब दिया।

"मैं तुम्हारी हूँ।"

उसकी सबसे चौड़ी मुस्कान उसके चेहरे पर दिखाई दी। मैंने पीछे मुड़कर मंदिर की ओर देखा और आँखें बंद कर लीं।

"धन्यवाद," मैंने मन में कहा।


कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

आठवा अध्याय

हवेली नवनिर्माण

भाग 2

इंस्तांबुल ( टर्की ) की यात्रा 

मैं तुम्हारी हूँ।"  क्सान्द्रा की  सबसे सुंदर मुस्कान उसके चेहरे पर दिखाई दी। मैंने पीछे मुड़कर मंदिर की ओर देखा और आँखें बंद कर लीं।

"धन्यवाद," मैंने मन में प्रेम की देवी को  कहा  की उन्हेने  मेरे प्राथना स्वीकार कर मुझे एक  साथिन दे दी थी। फिर मैं उस गाडी में चढ़ गया और घोड़ो के लगाम अपने हाथो में ले ली और क्सान्द्रा  को अपनी  गोदी में बिठाया और उसे चूमता हुआ पूरी हवेली और उसके कंपाउंड का एक  चक्र लगाया फिर उसे लेकर हवेली में अपने  कमरे में चला गया।

वो नग्न होकर मेरे पास धीरे धीरे आ गई  क्सान्द्रा उस दिन एक छरहरी और कुंवारी दिखने वाली लड़की लग रही थी, उसके मम्मे भी सॉलिड लग रहे थे, उसका पेट भी अन्दर को था लेकिन चूतड़ गोल और  चिकने लग रहे थे।  और मैं भी पूरा नग्न होकर उसके सामने खड़ा हो गया। मेरा लंड अकड़ा हुआ खड़ा था और उसकी चूत को सलामी दे रहा था।

मैंने आगे बढ़ कर उस को अपनी बाहों में भर लिया और फिर उसको उठा कर चूमते हुए सारा कमरा घूमने लगा ।


[Image: LAP2.gif]
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फिर मैंने उसको लिटा दिया और उसकी टांगों में बैठ कर धीरे से लंड उसकी टाइट चूत में डाल दिया। उसकी चूत एकदम गीली और पूरी तरह से तप रही थी।

मैं उसके मम्मों को चूसने लगा और हल्के हल्के धक्के भी मारता रहा, वो भी नीचे से धक्के मार रही थी।

थोड़ी देर बाद ऐसा लगा कि क्सान्द्रा  की चूत से बहुत पानी बह रहा है। चुदाई रोक कर देखा तो हैरान हो गया कि उसकी चूत में से   चुतरस  सा फव्वारा सा निकल रहा है, उसको सूंघ कर देखा तो वो पेशाब नहीं था लेकिन चूत का ही  रस था।


[Image: MISSON1.gif]

यह देख कर मैं फिर पूरे जोश के साथ उसको चोदने लगा और थोड़ी देर में क्सान्द्रा फिर से  झड़ गई, बुरी तरह कांपती हुई वो मेरे से सांप के तरह लिपट गई।

क्सान्द्रा  में यौन आकर्षण बहुत था !और हम दोनों एक दुसरे को बहुत प्यार करते रहे और फिर मैंने जरूरी सामान  उस गाडी में रखा और फिर जब हम  कुछ देर ऐसे ही प्यार करते और घुमते हुए हवेली से मंदिर पहुंचे तो मंदिर में हमारे सब मुख्य पुजारिणो ने स्वागत किया और फिर दो दिन तक मैंने सब पुजारिणो . और वहां मौजूद  कसान , अलेना समीना और अस्त्रा  की बार बार चुदाई की .  उन दो रातो में  मैंने और क्सान्द्रा ने  भी  कई बार चुदाई की और क्सान्द्रा  ने जब तौबा की तभी उसको छोड़ा। फिर हम एक दूसरे के आलिंगन में ही सो गये।


[Image: 48-1.jpg]

फिर दो दिन बाद कॉलेज खुला और  वहां मेरा परिचय  अपने सब सहपाठियों से हुआ और कई नए दोस्त बन गए।

शुक्रवार की शाम को मुख्य पुजारिने पाईथिया , दिवा, ग्लोरिया और पर्पल मेरे पास आयी और बोली  मास्टर  आपको अब  तुर्की में देवी के मंदिर में जाना  है  और जो धन और आभूषण हमे प्राप्त हुए हैं उनका उपयोग तुर्की के मंदिर के नवनिर्माण में होगा . धन हमने बैंक में जमा करा दिया है और कुछ आभूषण वहां आपके साथ भेजने हैं।

मैंने अपने साथ  वहां जाने  के लिए उस मंदिर की मुख्य पुजारिन फ्लाविआ को चुना तो क्सान्द्रा ने भी मेरे साथ चलने का आग्रह किया .   पाईथिया  ने अपने साथ  जीवा और पर्पल को भी ले जाने का आदेश दिया। शुक्रवार  की रात एक बार फिर मैंने सभी मुख्य पुजारिणो के साथ सम्भोग किया और  आभूषणों के साथ  हम पांचो  शनिवार सुबह  टर्की के लिए निकल गए । इस्तांबुल के पास प्रेम की देवी के मदिर में  पहुँच कर हमने वहां  की पुजारिणो के साथ मुलाकात की और उन्होंने हमारे टर्की इंस्तांबुल  के कुछ मुख्य स्थान घूमने की व्यवस्था की हुई थी।


[Image: Istanbul-asv2020-02-img23-Topkap-Palace.jpg]

हम उन दर्शनीय स्थलों पर घूमने गए इन स्थलों में हमने तुर्की के सुल्तानों का सुलतान  का  टोपकापी पैलेस भी देखा  जो तुर्की में इस्तांबुल के फातिह जिले के पूर्व में एक बड़ा संग्रहालय है। यह 1460 से 1856 तक तुर्क साम्राज्य के प्रशासनिक केंद्र  था  और  तुर्क सुल्तानों का मुख्य निवास था।  इसे वहां हरम भी कहते हैं।

जब हम वापिस आये तो हम आपस में दर्शनीय स्थलों के बारे में चर्चा कर रहे थे जिसमे अनेक हाल और कमरे थे . वहां हमारे लिए एक गाइड नियुक्त किया गया था औरउसने हमे  हरम या रानिवास की मुख्य विशेषताएं  दिखाई और  गिनाई ।


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इम्पीरियल हरेम  का मुख्य भाग सुल्तान के निजी अपार्टमेंट   हैं   इसमें 400 से अधिक कमरे थे। हरम  में सुल्तान की मां, वालिद -ऐ- सुल्तान का घर था; सुल्तान की बेगमे  पत्निया और रखैलें और उसका परिवार, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं रहते थे  और उनकी सेवा के लिए उनकी दासिया रहती थी  और  हरम में मुख्य रूप से हिजड़ों द्वारा पहरा दिया  जाता था । हरम में इमारतों और संरचनाओं की एक श्रृंखला होती है, जो हॉलवे और आंगनों से जुड़ी होती हैं। हरम में रहने वाले प्रत्येक सेवा दल और पदानुक्रमित समूह के पास एक आंगन के चारों ओर रहने की जगह थी। कमरों की संख्या निर्धारित नहीं है, सभी कमरों में से  केवल कुछ ही जनता के लिए खुले थे। इन अपार्टमेंट्स  में क्रमशः हरम नपुंसक, मुख्य हरेम नपुंसक (दारुस्सादे असासी), रखैलें, रानी मां, सुल्तान की  बेगम , राजकुमारों और  सुल्तान के पसंदीदा  रखेलों और दासियो का  कब्जा था। सुल्तान, रानी माँ, सुल्तान की पत्नियों और पसंदीदा, राजकुमारों और रखैलियों के साथ-साथ हरम की रखवाली करने वाले किन्नरों को छोड़कर, हरम के फाटकों से परे  सुल्तान को छोड़कर किसी पुरुष को आने की अनुमति नहीं थी।


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हरम के कुछ हिस्सों को सुल्तान महमूद I और उस्मान III के तहत इतालवी-प्रेरित ओटोमन बारोक शैली में फिर से सजाया गया था। इसके इलावा  सबसे सुंदर और  शानदार थे सुल्तान और रानीये के स्नानागार । यह डबल बाथ 16वीं सदी के अंत  में बनाया गया था और इसमें कई कमरे हैं। इसे 18वीं सदी के मध्य में रोकोको शैली में फिर से सजाया गया था। 


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दोनों स्नानागार एक ही डिजाइन में थे , जिसमें एक कैल्डेरियम, एक टेपिडेरियम और एक फ्रिजिडेरियम होता है। कैल्डेरियम, गर्म स्नान करने के लिए कमरा, टेपिडेरियम- प्राचीन स्नानागार का गर्म कमरा और फ्रिजिडेरियम  प्राचीन स्नानागार का ठंडा कमरा .. प्रत्येक कमरे में या तो एक गुंबद है, या छत पर किसी बिंदु पर छत्ते की संरचना में कांच लगे हैं ताकि प्राकृतिक धूप अंदर आ सके। फर्श सफेद और भूरे रंग के संगमरमर का था। कैल्डेरियम में एक सजावटी फव्वारे के साथ संगमरमर का टब और सोने का पानी चढ़ा लोहे की ग्रिल विशिष्ट विशेषताएं हैं। सोने की जाली स्नान करने वाले सुल्तान या उसकी रानी  को हत्या के प्रयासों से बचाना था। सुल्तान के स्नानागार को  उच्च गुणवत्ता वाले ओज़्निक पॉलीक्रोम टाइलों से सजाया था। 


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सुल्तान मूरत III का बैडरूम र ( मुराद हैस ओडासी-3) हरम में सबसे पुराना और बेहतरीन और सुसज्जित  कमरा है, जोइसमे उसके ने मूल इंटीरियर को बरकरार रखा गया है। इसके हॉल में महल के बेहतरीन दरवाजों में से एक दरवाजा  है । कमरे को नीले और सफेद और मूंगा-लाल znik टाइलों से सजाया गया है।सोने का पानी चढ़े हुए हुड (ओकाक) के साथ बड़ी चिमनी दो-स्तरीय फव्वारे  के सामने खड़ी है, जिसे कुशलता से रंगीन संगमरमर से सजाया गया है।  पानी का प्रवाह कमरे में आराम का माहौल प्रदान करते हुए, किसी भी प्रकार की गूँज को रोकने के लिए था। कमरे में सोने का पानी चढ़े हुए  दो बिस्तर  सजे हुए थे ।


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सुलतान की पसंदीदा  रानी का आंगन हरम के अंतिम खंड में था  और इसके प्रांगण में  एक बड़ा  पूल और बगीचा था और उस्मि में  जिसमें सुल्तान की पसंदीदा  का निवास था । गोल्डन रोड (Altın Yol) और भूतल पर सुलतान की  पसंदीदा  रानी के  निवास के साथ शीश महल भी  था ।

 जब सुल्तान की पसंदीदा गर्भवती हो जाती थी तो उन्हें सुल्तान की आधिकारिक पत्नी  की उपाधि और शक्तियां प्रदान की जाती थी।



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सभी भवन बेहद शानदार थे और उन्ही खूब अच्छे से देखभाल की जाती थी जिससे प्रतिवर्ष लाखो की संख्या में टूरिस्ट इन्हे देखने आते हैं।

कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


आठवा अध्याय

हवेली नवनिर्माण

भाग 3

हरम या रानिवास


हमे  जो  गाइड मिला था वो काफी ज्ञानवान था उसने मुझसे  पुछा मैं  कहाँ का  हूँ जब मैंने उसे बताया की मैं  भारत से  हूँ  तो उसने बताया की हरम या रानिवास  शब्द ही साम्राज्यों के धन और वैभव की सबसे पुरानी कल्पनाओं को समेटे हुए है।  इसी तरह भारतीय * राजाओं के पास रानीवास  थे  और ,., इन्हे हरम कहते थे।


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Topkopi Palace -Istanbul


गाइड ने मुझे नक्शा  दिखा कर काफी कुछ हरम के बारे में विस्तार में  बताया।
1) गेट
2) कोठरी के साथ गुंबद
3) टावर डोम में परिचारकों का स्थान
4) सुल्तान के लिए स्टोन माउंटिंग ब्लॉक
5) काउंसिल हॉल के पीछे टॉवर
6) शॉल गेट का रास्ता
7) शाल गेट
8) पोर्च
9) कंज़र्वेटरी
10) काले किन्नरों की मस्जिद
11) काले किन्नरों का आंगन
12) काले किन्नर कोषाध्यक्ष का अपार्टमेंट
13) हरम में सुल्तान का इंतजार करने वाले काले किन्नरों का अपार्टमेंट
14) चालीस का स्थान
15) काले किन्नरों का प्रतीक्षालय
16) गलियारा
17) गाडि़यों का द्वार तीसरे आंगन तक
18) गाड़ी का गेट
19) काले किन्नरों के शयनगृह का बरामदा
20) काले किन्नरों का छात्रावास
21) हाउस ऑफ फेलिसिटी के आगा के छत के नीचे का क्षेत्र, परिचारकों के क्वार्टर
22) प्रिंसेस कॉलेज के हिस्से
23) हाउस ऑफ फेलिसिटी के आगा का अपार्टमेंट
24) मुख्य हरम द्वार
25) पहरेदार का स्थान
26) भोजन द्वार
27) दासियों का भोजन गलियारा
28) स्वर्ण मार्ग का द्वार
29) गोल्डन वे
30) खंभों के साथ गलियारे का दरवाजा
31) सेवरी कलफा की सीढ़ी
32) हरेम मस्जिद
33) वालिद सुल्तान का खुला प्रांगण
34) सुल्तान के लिए बढ़ते ब्लॉक
35) सिंहासन द्वार
36) चूल्हा के साथ हॉल
37) कंसोर्ट्स का कॉरिडोर
38) मुख्य पत्नी का अपार्टमेंट
39) दूसरी पत्नी का अपार्टमेंट
40) स्टोररूम
41) जिन्न का परामर्श स्थान
42) भंडार कक्ष
43) हरेम कोषागार
44) डबल कियोस्क
44ए) प्रतिबिंबित कक्ष
44बी) फ्लैट छत वाला कमरा
45) पसंदीदा के आंगन (गोजदेस)
46) माबेन (वह कमरा जहाँ सुल्तान को राजदूत और वज़ीर आदि मिलते थे)
46ए) मिरर वाला कमरा
46बी) गुप्त सीढ़ी
47) खुला पूल
48) डूब इनलाइन, एक बार सुल्तानों द्वारा इनर पैलेस से बाहर निकलने के रूप में उपयोग किया जाता था
49) बगीचा
50) हाथी घर, एक पुराने खोखे का भूतल
51) मूरत III के बेडरूम का वेस्टिबुल
52) मूरत III का शयन कक्ष
53) उस कमरे का हिस्सा जो ग्राउंड पूल को देखता है
54) अहमत I का कियॉस्क
55) अहमत III का कमरा या फल कक्ष
56) सुल्तान का हाल
57) फाउंटेन के साथ हॉल
58) सुल्तान अब्दुलअज़ीज़ की माँ का शयन कक्ष
59) बाथ कॉरिडोर
60) सुल्तान का स्नान
61) वैलिड सुल्तान बाथ
62) अब्दुल हमीत I . का शयन कक्ष
63) शायद एक बार का खजाना
64) सेलिम III की ऊपरी मंजिल के सुइट की सीढ़ी
65) सेलिम III का कमरा
66) उस्मान III का गलियारा
67) उस्मान III का कियॉस्क
68) पोंडो के साथ कोर्ट
69) वालिद सुल्तान का प्रार्थना कक्ष
70) वालिद सुल्तान का शयन कक्ष
71) वालिद सुल्तान का बैठक कक्ष
71ए) खाने के लिए उठाया क्षेत्र
72) गलियारा
73) वालिद सुल्तान की ऊपरी मंजिल के सुइट की सीढ़ी
74) वालिद सुल्तान का गलियारा
75) स्टोररूम
76) वैलिड सुल्तान का सैलून
77) मान्य सुल्तान का स्वागत कक्ष
78) महिला दासों के आवास के लिए गलियारा
79) दासियों का खुला प्रांगण
80) दासियों का स्नान
81) महिला दासों की पेंट्री
82) महिला दासियों के ऊपरी मंजिल के कमरों की सीढ़ी
83) भंडार कक्ष
84) रसोई
85) दासियों की धुलाई
86) महिला दासों का छात्रावास: इसकी दूसरी दुकान सीढ़ियों के आसपास जारी है (संख्या 82)
87) हरम अस्पताल के लिए चालीस कदम
88) मुख्य धोबी का अपार्टमेंट
89) कहा कदिनी का अपार्टमेंट
90) मुख्य नर्स का अपार्टमेंट
91) हरेम अस्पताल
92) हरम अस्पताल का खुला प्रांगण
93) हरेम मौत का द्वार

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टोपकापी पैलेस के हरम की योजना।


राजाओं, महाराजाओं, सुल्तानों और पाशों के हरम थे, लेकिन पुराने समय ने "मध्यम वर्ग" के  भी  हरम होते थे, ऐसे घर जिनमें एकविवाह के नियम आने से पहले सामान्य पुरुष और महिलाएं साधारण-यद्यपि बहुविवाह-जीवन जीते थे।  इसमें उनके वैवाहिक रीति-रिवाजों, बच्चों के पालन-पोषण की प्रथाओं और अंधविश्वासों का पता चलता है। इस पूर्वी संस्था पर यूरोपीय कल्पना ने  आक्रमण किया - सजावट, पोशाक और कला के रूप में इससे कला  को बढ़ावा मिलता था  - और कैसे पश्चिमी विचारों ने, अंततः एक ऐसी प्रणाली को नष्ट कर दिया जो शाश्वत लग रही थी।  चित्रों की एक समृद्ध श्रृंखला-पश्चिमी पेंटिंग, तुर्की और फारसी लघुचित्र, पारिवारिक तस्वीरें, और यहां तक कि फिल्म चित्र भी- "घूंघट के पीछे की दुनिया" की पश्चिमी कामुक कल्पना के कारण  नष्ट कर दी गयी है ।

राजाओ, महाराजाओ और सुल्तानों के ऊपर जो भी फिल्मे बनी हैं उन में दिखया गया है हरम में हर जगह तकिये हैं, झिलमिलाते पर्दे, टिमटिमाती मोमबत्तियों के पीछे धूप की हवाएं, शराब डाली जाती है और अंगूर छीले जाते हैं,  महिलाये नहा रही हैं और निश्चित रूप से, मोहक युवा महिलाएं एक शक्तिशाली व्यक्ति  या राजा . या सम्राट या सुलतान की दाढ़ी को सहला रही हैं जो उनके पिता बनने के लिए पर्याप्त है।


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लेकिन इसमें से कितना सच है, और अज्ञानी बाहरी लोगों द्वारा केवल एक आकर्षक और कामुक सपना कितना है?

राजो , महाराजो और सुल्तानों के हरम में आलीशान निजी कक्ष, भव्य राजकीय कमरे, मस्जिद, आंगन, रसोई, एक पुस्तकालय, एक खजाना और बहुत कुछ का एक विशाल परिसर था।

सुल्तान या किंग्स या पुरुषो  के अपने कमरों के केंद्र में हरम था। हरम अरबी शब्द हराम से आया है, जिसका अर्थ है एक पवित्र या संरक्षित स्थान - हराम के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए जिसका उच्चारण "हराम" लंबी 'ए' ध्वनि के साथ होता है, जिसका अर्थ है वर्जित।

हरम  घर के उस क्षेत्र को संदर्भित करता है जो महिलाओं से संबंधित था। यह पूरी तरह से सीलबंद अभयारण्य था, जिसमें बाहर का कोई दृश्य या सीधा मार्ग नहीं था, केवल उन लोगों के लिए सुलभ था जो मार्ग जानते थे। इसमें सुल्तान की माँ, उसकी पत्नियों, उसकी बहनों, उसकी बेटियों और दासियों और दासों के रहने के लिए रहने के स्थान थे। और  घर के मालिक के अतिरिक्त अन्य पुरुषो का उसमे प्रवेश वर्जित होता था .  सामान्य  लोगो के घरो में ये भाग  जिसमे हलीलाये रहती थी घर के अंत में होता था।

हाँ, इस महिला सेवकों और दासों की श्रेणी में रखैलें शामिल थीं, । ,., साम्राज्यों में अधिकांश ,., घरों में एक हरम होता, भले ही वह सिर्फ एक कमरा हो, जो की परिवार की महिलाओं का अपना स्थान था। साम्राज्यों में कुछ ईसाई और यहूदी परिवारों ने भी इस अलग शैली का रिवाज का भी  पालन किया गया है ।



अधिकां हरम को धार्मिक शरिया कानून के अनुसार डिजाइन किया जाता  था, जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक रूप से महिलाओं को पराये पुरुषों से र्दा रखा जाना चाहिए। हरम में, हालांकि, वे ऐसा  ना करने के लिए स्वतंत्र थी  और वो वैसे रह सकती थी जैसा कि वे केवल अन्य महिलाओं की संगति में रहना पसंद करती थी ।

 कुलीन महिलाओं की सेवा  उनकी नौकरानी करती थी ।

घर का  मुखिया सुल्तान या राजा या उनकी माता  होती थी, ,., राजा की माँ वालिद-ऐ- सुल्तान या आयशा की उपाधि धारण करती थी।

हरम के भीतर महिलाओं को सुल्तान या राजा के दरबार में कुंवारे लोगों के लिए उपयुक्त रूप से परिष्कृत दुल्हन और मां बनने के लिए शिक्षित किया जाता  था, और सुल्तान या राजा की बेटियां राजनीतिक सहयोगियों को लुभाने में उपयोगी शतरंज के टुकड़े थीं।

कई सुल्तानों ने रखैलियों के बड़े समूहों को हरम में रखा हुआ था । वास्तव में उन्हें अपनी किसी भी महिला नौकर और दास के साथ सोने की इजाजत थी, और सेक्स  की इजाजत होती थी ।

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,., देशो में कॉकस, सीरिया, भारत, अफ्रीका से  खरीद कर लायी गयी लड़कियों को हरम में उपपत्नी  कहा जाता था  और उन्हें एक सम्राट के ध्यान के योग्य बनाने के लिए विदेशी फ़ारसी नाम दिए गए थे।



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बच्चों को उनकी माताओं के साथ हरम में पाला जाता  था, बाचो को माँ को  इस्लामी कानून के तहत अनुमत सुल्तान की चार पत्नियों में से एक बनकर उनकी सेवा के लिए पुरस्कृत किया जाता था।

हरम में  औरतो को किन्नरों की चौकस निगाहों में रखा जाता था । उन्हें पुरुषों से  छुपा कर रखा जाता था और इसलिए राजा  या मालिक के  अतिरिक्त पुरुषो का हरम में प्रवेश  वर्जित था । रखैलों से अपेक्षा की जाती थी कि वे सुल्तान के सभी सुखों को पूरा करें, जिसमें कविता पढ़ना और संगीत बजाना शामिल है, लेकिन उनकी मुख्य भूमिका बिस्तर पर थी और उनकी जिम्मेदारी होती थी  सुल्तान को एक पुरुष उत्तराधिकारी देना ।


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आधुनिक समय की महिलाये जिन्हे आज  व्यवसाय और बाहर घूमने के आजादी है उन्हें हरम एक बुराई लगता है लेकिन  पुरुषों के लिए, हरम प्रणाली का प्राथमिक लाभ अपनी महिलाओं के समूह तक विशेष पहुंच प्राप्त करना है। महिलाओं को एक स्थिर सामाजिक समूह में होने और संवारने, बचाव और रक्षा का लाभ होता है।पुरुष के हरम एक लाभकारी सामाजिक संरचना है, क्योंकि यह उसे एक समय में कई प्रजनन रूप से उपलब्ध मादाओं तक पहुंचने की अनुमति देता है।  हरम  महिलाओं  को  सुरक्षा  प्रदान  करने का साधन है, क्योंकि हरम  में  पराये पुरुष को  प्रवेश करने को नौमती नहीं होती है हरम महिला सदस्यों के बीच संबंध और समाजीकरण की अनुमति देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं की प्राथमिकताओं के अनुसार महिलाओं तक पहुंच पर अधिक नियंत्रण हो सकता है। हरम सामाजिक व्यवहार की सुविधा  भी प्रदान करते हैं जैसे की ट्रेनिंग ,  रक्षा और  संवारने में सहायता और सीखने  की सुविधा ।



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कई पत्नियों और रखैलियों के साथ सिंहासन के संभावित दावे के साथ बड़ी संख्या में बच्चे पैदा करने के साथ , एक पुराने सुल्तान का निधन आम तौर पर इस विस्तारित परिवार में उत्तराधिकार के लिए  खून  खराबे का भी कारण बनता था ।

फिर मेरे साथ चार  महिलाओ कोदेख कर वो  गाइड हस्ते हुए  बोला हर पुरुष  जिसके पास साधन हो और एक से अधिक पत्निया हो उसे अपनी पत्नियों के लिए बढ़िया हरम जरूर बनाना चाहिए क्योंकि इससे परिवार की महिलाओ को सुविधा और सुरक्षा मिलती है और पुरुष को आराम और अपने मनोरंजन के सभी साधन आसानी से  उपलब्ध रहते हैं ।


कहानी जारी रहेगी
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आठवा अध्याय

हवेली नवनिर्माण

भाग 4

 वासना का एक उत्कृष्ट  नमूना

उसके बाद हम घूम फिर कर वापिस  इस्तांबुल के मंदिर लौटे और उस रात मैंने  फ्लाविआ क्सान्द्रा   जीवा और और पर्पल  के साथ  सम्भोग किया  और  सुबह के  समय हमने वापिस लंदन लौटने का फैसला किया  तो  फ्लाविआ जो की इस्तांबुल के मंदिर की मुख्य पुजारिन थी वो मुझसे बिछड़ने के  विचार से थोड़ा दुखी थी .  और अब लंदन से शेष सभी मुख्य पुजारिने भी अपने अपने शहर के मंदिरो की और लौट गयी थी और अब वहांके मंदिर में जीवा और पर्पल रहने वाली थी . और वो अब मेरे साथ खूब मस्ती कर सकती थी और मेरे साथ स्नान करते करते इस  विचार पर पर्पल  ने अपना पूरा निचला होंठ काटा और धीरे से सिर हिलाया,।" वह पानी में पहुंच गई और अपने बदन को कोमलता से तब तक ऊपर  उठा लिया, जब तक कि ऐसा नहीं लग रहा था कि वह पानी की सतह पर तैर रही है। फ्लाविआ अपने दूसरे हाथ से मेरे लंड  को आधार से सिर तक सहलाया, उसकी उँगलियाँ लंड की नसों के मार्ग को सहला रही थीं क्योंकि वह उसके स्पर्श के जवाब में मोटा होने लगा था।


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"क्या आप कम से कम मुझे आपको याद करने के लिए कुछ छूट देंगे? मैं इसे अपने हाथ से कर सकती हूं," फ्लाविआ ने थोड़ा और जोर से कहा, " मैं इसे अपने मुंह से कर सकती हूं," उसने अपने होंठ चाटे, "आप  मेरी दरार  के बीच में  इसे आगे पीछे करो," उसने अपनी बाहों को मेरे आलिंगन में दाल कर मुझे निचोड़ा और अपने  विशाल स्तन एक साथ मोहक रूप से दबाए, " आप  जो चाहे वो कर सकते हैं   चुदाई भी कर सकते हैं ।"

मैंने आनंद और प्रलोभन में आह भरी, मेरी  विशाल गेंदें इच्छा में धड़क रही थीं। मैं लंड उसकी योनि में डालने  के लिए बेताब था ।

"तुम बहुत  प्यारी  हो, लेकिन मैं तुम्हें इंतज़ार करवा रहा हूँ।" इस बार जब मैं  आगे झुका और हमारे  होंठ एक भावुक चुंबन में मिले, जिसने  फ्लाविआ के शरीर में  एक  कंपकंपी भेज दी, ये चुंबन  भी वासना का एक उत्कृष्ट  नमूना  था। जब तक मैं उसे चूमता रहा तक वह उसमें पिघलती रही।

"मैं तुम्हें हमेशा  याद करने वाली हूँ  लेकिन मैं  तुम्हारे साथ एक या उससे अधिक  बार मिलने  के लिए उत्सुक हूँ।" उसने कहा। मुझे आपके साथ बहुत मजा आया !

"मैं भी आपको   याद करूँगा ," मैंने  कहा, उसने मेरे  लंड को एक हार्दिक निचोड़ देते हुए, "लेकिन आप भी जबरदस्त  सम्भोग करते हो ।"

वह मुड़ी और पानी छोड़ते हुए  बाहर आ गयी और पानी के मोती उस पर से  फिसल रहे थे जिससे उसका दिमाग उनके साथ-साथ नीचे की ओर खिसक गया और वो बाहर चली गयी । मेरा  लंड  अब पूरी तरह से खड़ा था,   क्सान्द्रा  के हाथ में  मेरे लंड का  सिर जीवा की  टांगो के  बीच की खाई को दूर तक फैला रहा था लेकिन  जीवा  कल रात की पॉवरफकिंग के बाद को सावधानी से मुझे   साफ कर रही थी ।

जैसे ही मैं   अंत के करीब पहुंच गया,  जीवा अपने हाथों को मेरे से दूर नहीं रख सकी , मोटे मांसल स्तंभ को सहलाते हुए, अपने हाथों और पानी के गर्म-ठंडे कंट्रास्ट का आनंद लेते हुए, मेरी भारी गेंदों को सहारा देने के लिए एक हथेली को नीचे कर दिया।  क्सान्द्रा अधिक से अधिक तात्कालिकता में स्ट्रोक कर रही थी मैंने  अपनी आँखें बंद कर ली थी था क्योंकि  मैं चरमोत्कर्ष के करीब और करीब आ  गया था।

तभी  स्नानागार में रखे गमलो  में पत्तों की सरसराहट ने उसे बाधित कर दिया, और मैं  सोच रहा था कि क्या फ्लाविआ  मेरे लंड से वीर्य उत्सर्जन देखने के लिए वापस आई थी।

हालांकि, जब मैंने अपनी आंखें खोलीं, तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया । यह  हरी आंखों वाली  फ्लाविणा नहीं थी जो उस स्नानागार की जलधारा के किनारे घास में आराम से बैठी थी, बल्कि एक ऐसी महिला थी जिसे मैंने पहले कभी नहीं देखा था। वह  लम्बे कद वाली थी, आसानी से छह फीट  के आस पास लम्बी थी  और सुंदर दिखने वाली बाहों और लम्बी  पिंडलियों वाली थी  जो उसकी  उस पोशाक से मैं देख सकता था। उसके बाल घने, चमकदार गोरे थे जो धूप में सुनहरे-पीले चमकते थे और नीलम की आँखों से एक निर्दोष चेहरे को ढँकते थे। 

उसकी हर चीज़ नायाब थी... लंबी , छरहरे बदन की मालकीन...5'१०-11" की लंबाई , बदन में सही जह सही गोलाई और उभार ...लम्बी नाक सुडौल रंग गोरा... पतली और झीनी सी ड्रेस पहने , हाथ में जाम लिए  बैठी थी।

शायद उसके स्तन की जोड़ी  ने मेरा सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित किया था  जिसके आगे  जीवा  या क्सान्द्रा  की छाती  बिलकुल स्पॉट लगती थी । विशाल ग्लोब उसकी छाती पर ऊँचे  थे और इतनी स्पष्ट दृढ़ता के साथ उसके अंगरखा में दब गए थे कि  लगता था अभी  अंगरखा  फाड़ कर बाहर निकल आएंगे और उनके केंद्र में दिखाई देने वाले निपल्स  मानो उस झीने कपड़े को फाड़ डालने पर आमादा थे । क्सान्द्रा ने  झटके से  मेरे लंड पर हस्तमैथुन बंद कर दिया  लेकिन इस महिला की दृष्टि ही मुझे  एक पल में लगभग  चरम पर पहुंचाने के लिए पर्याप्त थी।

हम चारो  मैं फिर क्सान्द्र  पर्पल और जीवा  सभी पूल से एक एक कर बाहर निकल आये और हम  सभी नंगे थे .. एक दूसरे को सहलाते , चिपकते  , नोचते , चूमते और कमर हिलाते एक दूसरे में समा जाने को बेताब ... सिसकारियाँ .. थपथपाहट , चूमने की चटखारों , अया ...उईईईई.. हाई ... की धीमी पर मदहोश आवाज़ें निकाल रहे थे. मेरे हाथों की उंगलियाँ  उन तीनो की चूचियों की गोलाई ...चूत की गहराई , बदन के भरपूर गोश्त का जायज़ा ले रही थी ..होंठ एक दूसरे के होंठों से चिपक  कर  एक दूसरे को पूरी तरेह खा जाने को बेताब थे. फ्लाविआ भी वहां आ गयी  और उससे अब और रहा नही गया. , उसके सब्र का बाँध फूट पड़ा था...उसने अपनी टाँगें फैला दी ..अपने हाथों से अपने गीली , रसीली चूत की फाँकें अलग कर दी , और सनागार के गीले फर्श पर झूमती हुई जीवा के पास लेट गयीं .. क्सान्द्रा  मेरे तने हुए , फन्फनाते  लौड़े  को सहलाते हुए  जीवा  का  आमंत्रण  क़बूल  करते हुए  मेरे लंड को जीवा की  टाँगों के बीच  ले गयी ....और फिर मैंने लंड एक झटके में जीवा की चुत में घुसा दिया फ्लोर पर चुदाई का आलम शूरू हो गया।

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अब तक हम स्नानागार  के  पानी  के पूल में मस्ती कर रहे थे और  ..अब जोड़े फर्श पर पड़े थे ...कमरऔर टाँगे  पानी में भी हिल रही थी और कमर और टाँगे  अब पड़े पड़े भी हिल रही थी ..पर अब साथ में लौदे और  चूत का खेल  भी बराबर चल रहा था..पूरा स्नानगार जीवा  की आआआः.. ...उूुउऊहह ...हाईईईईईईई....हाआँ ... उईईईई की धीमी सिसकारियों और चीखों से गूँज रहा था ...हवस का नंगा नाच अपनी बुलंदियों पर था।

जीवा फ्लाविआ की मुलायम , गीली , रसीली चूत का मज़ा चाट चाट कर ले रही थी .दूसरी तरफ  पर्पल  फ्लाविआ के होंठों की मस्ती , उसकी जीभ की मीठे और गीले स्वाद का मज़ा उन्हें चूस चूस कर ले रही थी  ....क्सान्द्र  की हथेलिया जीवा की 34D साइज़ वाली चूचियों से खेल रही थीं ...उन्हें दबा रही थी....उनकी घुंडीयों को सहला रही थी जितना ज़्यादा फ्लाविआ की चूचियाँ और होंठ चूसे जाते ..उतना ही मस्ती से उसकी चूत फदक उठ ती और उसकी चूत भी उतनी ही गीली होती जाती ...और चूत चाटने वाली  जीवा का मुँह भर उठता था फ्लाविआ  की चूत रस से ।

चारो  लड़कियों ने मस्ती की सीढ़ियों पर आगे और आगे बढ़ते जा रही थी ..फ्लाविणा कराह रही थी , सिसकारियाँ ले रही थी..उसकी आँखें बंद थी ।

 क्सान्द्रा  और पर्पल ने उसे उठाया और सामने पड़े बड़े से सोफे पर लीटा दिया और अपनी अपनी पोज़िशन बदल ली.....चूत चाटनेवाली  अब उसकी चूचियों से खेलने लगी  और चूचियों से खेलनेवाली  उसके ओंठो पको चूमने लगी और  ओंठ चूमने वाली  अब उसकी चूत पर टूट पड़ी ।

फ्लाविआ अपनी टाँगे फैलाए ..घूटने उपर किए लेटी लेटी मज़े ले रही थी ..उसकी चूत से रस की बारिश हो रही थी...चूचियों की घुंडी कड़ी , तनी हुई और ऐसे उपर उठी थी मानो किसी बच्चे की लुल्ली कड़ी होती है .... उन्हें छूते ही फ्लाविआ  के बदन में करेंट सा दौड़ जाता ।



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 उफफफफ्फ़....मास्टर अब आ भी जाओ अरे  मुझे चोद  मास्टर ...अब चोद भी दो ना ...कम ऑन .. मास्टर .जीवा तो तुम्हार्रे पास ही रहने वाली है उसे जब मर्जी चोद लेना। "

मैंने अपना लंड जीवा की योनि से निकाला और फ्लाविआ की योनि के ओंठो पर रगड़ा तो वो बोली 
" हां मास्टर बस आ जाऔ  .....भर  दो री चूत अपने लंड से ...अया देर मत करो  .. आ जाऔ . अरे तड़पाओ मत  .." फ्लाविआ ने अपनी टाँगें और भी फैला दीं ।

फ्लाविआ की बातों से मैं  और भी जोश में आ गया , और उसकी टाँगें उठाता हुआ अपने कंधों पर ले लिया और अपना लंड उसकी चूत पे रखा और एक जोरदार धक्का मारा..फच से पुर का पूरा लंड साना की चूत के अंदर था।


[Image: ksan.jpg]

फ्लाविआ का पूरा बदन सीहर उठा , कांप उठा " है हाँ ओह्ह्ह हान हाअन्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...बस ऐसे ही लगाओ धक्के , रूकना मत ..आआअह्ह्ह्ह् हां और ज़ोर ..और ज़ोर से करो आह ओह्ह  लगा ....अयाया अयाया ...और ज़ोर ..."  फ्लाविआ की अपनी उत्तेजना के चरम पर थी, उसने मेरे कन्धों को जोर से जकड रखा था। हमारे सम्भोग की गति और तेज़ हो गई-फ्लाविआ की रस से भीगी चुत में मेरे लंड के अन्दर बाहर जाने से 'पच-पच' की आवाज़ आने लग गई थी। उसी के साथ हमारी कामुकता भरी आहें भी निकल रही थीं। उसने आवाज न करने की कोशिश की लेकिन मेरे-मेरे लंड के धक्को की वजह से जो खुशी की सुनामी आयी उसे वह रोक नहीं सकी। 



[Image: ksan3.jpg]


उसकी बातें सुन कर मैं जोश में पॉवरफकिंग धक्के लगाता रहा और फ्लाविआ बुरी तरह से कांपती  हुई  झड़ गयी  लेकिन मैं  अभी भी  फारिग नहीं हुआ था  ..आग बूझने का नाम नहीं था।

कहानी जारी रहेगी
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आठवा अध्याय

हवेली नवनिर्माण

भाग 5

हाहाकारी चुदाई का एक उत्कृष्ट नमूना



फ्लाविआ ने अपने चुतरस की फुहार के फव्वारे में पुरस्कृत किया था और इस अमृत को देखकर  जीवा  का हृदय द्रवित हो उठा। ऐसी चुदाई देख कर पर्पल भी अपने स्तन दबा रही थी और अपनी योनि में ऊँगली चला रही थी जिससे वो भी स्खलित हो गयी थी । फ्लाविआ स्खलित होने के बाद आँखे बंद कर  कराह रही थी आह हाय ओह्ह्ह! मैं रुका और  जीवा मेरी तरफ लपकी और वह पहले ही पूरी नग्न थी और मेरे साथ चिपक गयी और  जीवा ने मुझे चूमा और मैंने अपना बड़ा सख्त लंड जीवा की योनि में घुसा दिया और उसे जोर से चोदना शुरू कर दिया जल्द ही वह खुशी और मजे में चिल्ला रही थी जब मैं जोर-जोर से उसे चोद रहा था ।

महायाजक जीवा ने अपने नितम्ब  ऊपर उठा   और अपनी टांगो को मेरी मजबूत पीठ के चारों ओर लपेट लिया और उसके पैरर मेरे नितम्बो पर आ कर उन पर दबा दे कर कर चुदाई करवाई, उसके स्तन मेरे छतियो में चिपक गए और उसकी बाहें मेरे कंधो के चारों ओर पहुँच गईं। मैंने अपना सर नीचे किया और जीवा के गर्म , नर्म और रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे ..मानो खा जाएँगे ..और इसी हालत में होंठ चूस्ते , जीभ चूस्ते  मैंने  लंड को उसकी योनि में आगे पीछे करना जारी रखा  ....

मैंने अपने कूल्हों को जोर से और जोर से धक्के मारे अपने लंड की पूरी लंबाई को उस सेक्स से भरी योनी के अंदर और बाहर  करता रहा लंड पूरी ताकत से जा कर उसके गर्भशय के मुँह से टकरा रहा  t था। मेरे बड़े-बड़े अंडकोष उसकी गांड पर टकरा रहे थे और ठप्प ठप्प के आवाज आ रही थी , मेरे अंडकोष  का जोड़ा मेरे  वीर्य से भरे होने के कारण भारी हो रहे थे । हम एक दूसरे पर भूखे शेर और शेरनी की तरेह .पागलपन की हद तक एक दूसरे को प्यार कर रहे थे  ... और साथ साथ जीवा  कराह  रही थी उफफफ्फ़ जल्दी करो ना .. तेज करो ..आआआआआआआआआः



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 जीवा की सूजी हुई योनि ने मेरे लंड को कस कर पकड़ लिया था, विशेष रूप से इस चुदाई सत्र में चुदाई के धक्के झेल रही थी और वह कराह रही थी।  चूचियाँ सीने पर साँसों के साथ उपर नीचे हो रही थी ....मैं बहुत उत्तेजित हो  गया था ...जीवा से बूरी तरेह चिपक  गया उसकी चूचियाँ  मेरे सीने पर चिपकी थीं और उसके होंठ मेरे होंठो से चिपके थे ... .....दोनों बिल्कुल एक दूसरे में समाए हुए  थे ....एक दूसरे को सहला रहे थे ....चूम रहे थे , चाट रहे थे ....


"हां ..हां ..मुझे खा जाओ ना..मुझे..चूस लो ना मुझे ..उफफफफफ्फ़ .....उईईई..."

जीवा सिसकारियाँ ले रही थी.....चीख रही थी ...और हमैं भी  पागलों की तरह उसे कभी चूमता..कभी चूची मुँह में भर लेता ..कभी उसकी घुंडीयों पर जीब फिराता ..और जीवा अपनी चूची मेरे मुँह में हथेलियों से जकड़ते हुए और भी अंदर कर देती ....दोनों बूरी तरेह मचल रहे थे ..एक दूसरे को अपने में समा लेने को बेताब थे ... 

फिर मैंने लंड बाहर निकाला और वो मुझे ऐसे देखने लगी की लंड बाहर क्यों निकाला ? ! मैं  अपना बड़ा  मोटा हाथ नीचे ले गया और चूत और गांड पर पूरा हाथ फेरा। और फिर उसकी चुत मसल दी .
उसकी फूली -फूली , गीली और फड़कती  हुई चूत  को अपनी मुट्ठी में भर लिया  और निचोड़ने लगा है..मानो उसका रस पूरे का पूरा निचोड़ लूँगा  ..जीवा उछल पड़ी " आआआआआआआआह .....उउउउउउउउ"  मुट्ठी में लेने से मेरी हथेली पूरी तरेह गीली हो गयी मैंने अपनी हथेलीउसके मुँह पर लगा दी और जीवा ने अपनी जीभ निकाली और मेरी हथेली को चाट लिया .  फिर मैंने अपने  एक उंगली USKI भीगी चूत में डाली और वो  अगले ही पल मैं कबूतर की तरह फड़फड़ाने लगी और मेरे साथ  चिपट गयी। मैंने उसने अपनी उंगली का अगला हिस्सा चूत में घुसा दिया। और अपने  भीगी ऊँगली फिर  जीवा को चटा दी . ऐसा ही दो तीन बार करने के साथ उसकी चुत का रस पूरा  जीवा की चटा दिया ।फिर एक बार लंड पर हाथ फेर कर लंड पर लगा सारा रस निचोड़ा और वो भी जीवा को चटा  दिया . 




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और फिर मैंने अपना मुँह उसके ओंठो पर  लगाया , और उसके  ओंठो को अपने  होंठों से जकड़ लिया और चूसने लगा ...मानो उसके अंदर का सारा रस , उसके लार सब कुछ अपने अंदर लेना चाह रहा हूँ . उसके मुँह में मुंह डाल कर अब मैं  किस नहीं कर रहा था बल्कि उसे  उसकी लार और चुत रस जो उसके मुँह में था घूंटें भर के पी रहा था।

अब उसकी योनि और मेरा लंड बिलकुल  सूखा  हुआ लग रहे थे मैंने उसकी तड़पती  बिलबिलाती चूत पर अपना महालंड रख और बड़े सलीके और तेज़ी से एक झटका मारा, लंड का टोपा अंदर घुस गया था, चूत अपनी पूरी हदों तक फैल गयी। जीवा ने मुट्ठियों को भींच लिया था, और मैंने  जब अपने लंड  को योनि के  अंदर सरका दिया तो योनि और लंड के रूखेपन ने  जीवा की मानो  जान ही निकल दी। मज़ा एक बार तेज़ दर्द की एक लहर में बदल गया। ओह, दर्द के तेज चिंगारी योनि से लेकर जीवा के पूरे जिस्म में फैल गयी। मैंने  एक पल भी मेरे मुँह को अलग नहीं होने दिया और जीवा के ओंठो  होठों पर कब्ज़ा कर लिया। जीवा के  मुंह से  तेज़ ‘ऊंहऔर फिर आह …’ निकली क्योंकि मैंने  अपने होठों के शिकंजे से उसके  ओंठो  को भींचा हुआ था।

अब इसी तरह वो मेरी सकी मज़बूत बांहों में लेटी रही  जीवा ने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया और मैं लंड उसकी चूत में आगे पीछे कर रहा था। एक बार फिर दर्द एक असीम आनंद में बदल गया था। कुछ पलों बाद जीवा बड़ी तेज़ी से झड़ने की कगार पर पहुंची लंड नाभि तक  धमाल करता हुआ  महसूस हो रहा था ।

मैंने उसके होंठों पर मुँह रख कर ज़ल इंजन के पिस्टन के तरह धक्के मारने लगा। तेज़ आवाज़ कमरे में गूंज रही थी- ठप्प फड़च, ठप्प  फड़च, ठप्प  फड़च, फड़च, फड़च… ठप्प ठप्प ठप्प  और उसकी  मेरी टांगें और ऊपर उठ गई। वो मेरे साथ  लिपट गयी और मेरी पीठ में अपने नाखून गड़ा दिए और मेरे के कान के पास मुँह लेजाकर बोलती चली गयी- हां, मास्टर , हाँ … हां मास्टर  हां हां, मास्टर हाँ, हां हां हां हां … हां हां हां और  लंड तेजी से  अंदर बाहर हो रहा था  बच्चेदानी तक और फिर चूत के मुहाने तक और फिर बच्चेदानी तक। फिर उसके टाँगे अकड़ी  उसका बदन कांपने लगा . टाँगे अकड़ी और वो कांपती हुई  स्खलित हो गयी  ! 

वो खड़ा हुआ तो लंड बाहर निकल आया  और मेरा पौने फुट से भी लम्बा  बड़ा और मोटा महालण्ड  अब जीवा के कामरस से जड़ तक गीला था और  चमक रहा था। जीवा ने  अपनी चूत पर हाथ लगा कर देखा तो पाया की  मैंने उसकी चूत को पूरी तरह चौड़ा कर दिया था, और अब चूत एक गड्ढा लग रही थी।

जीवा और मेरी सांसें बहुत तेज़ … बहुत तेज़ … रेल के इंजिन की तरह चल रही थी। मेरा ये रूप देख और जीवा की हहाहाकारी  चुदाई देख कर  पर्पल और क्सान्द्रा  पीछे हो गयी .   


"हैलो दीपक , " रेशमी शहद में लथपथ आवाज आयी जो उस लड़की  की थी जो हमारी चुदाई देख रही थीऔर वो अपने  गले की गहराई से एक सेक्सी  टोन में बोली थी ।


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"हाय  -तुम मेरा नाम  कैसे जानती हो... मिस ...? "

"केप्री ।" उसने सपाट, गतिहीन गंभीरता से कहा।

कहानी जारी रहेगी
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नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 6

परिचय

केपरी हमारे पीछे-पीछे हवेली में आयी भूतल घुमते हुए जिसमे एक बड़ा हॉल था जिसमें एक भव्य सीढ़ी थी जो ऊपर तीसरी मंजिल और छत तक जाती दिख रही थी। एक क्रिस्टल झूमर बिजली की मोमबत्तियों के साथ ओवरहेड लटका हुआ था जिससे रोशनी टुकड़ों के माध्यम से इंद्रधनुषी नृत्य कर रही थी। दरवाजे कमरे के दोनों ओर से निकलते थे, दीवारें गहरे रंग की लकडियॉ की पैनलिंग से ढकी हुई थीं। एक कोने में दो बड़ी-बड़ी आँखों वाली एक महिला की एक अजीब-सी मूर्ति थी, मूर्ति हमारे पैतृक पंजाब के गाँव में लगी हुई मूर्तियों से मिलती-जुलती थी, जहाँ से मेरा यौन जीवन शुरू हुआ था जिसके बारे में मेरे अन्तरंगमफर के पहले और दुसरे अध्याय में विस्तृत कहानी है और हमारे घर में भी वैसी ही कुछ मूर्तिया थी उनकी वह बड़ी-बड़ी सुंदर आंखें। मैंने पहली बार सोचा ये मुर्तिया जिस भी महिला को सोच कर बनाई गयी होगी वह कितनी खूबसूरत रही होगी और मुझे ये भी पता था कि यह गुप्त मार्ग की कुंजी थी जिसकी खोज मैंने और रोजी ने मिल कर की थी।

नौकरानी ने मुड़कर मेरा बैग नीचे रख दिया। फिर उसने मेरे साथ आयी हुई महिलाओं का स्वागत किया, "आप सबका कुमार साहब की हवेली में स्वागत है आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई, देवियों। मैं मोनिका हूँ, कुमार साहब की हवेली की देखभाल करने वाली और आपकी परिचारिका।"

" शुक्रिया, ठीक है, डेल्फी पाइथिया ने उल्लेख किया कि हवेली में एक परिचारिका है जो हवेली की देखभाल करती है। केपरी ने कहा उसकी आवाज में उसका घमंड झलक रहा था और क्यों न हो वह थी ही बहुत सुंदर!


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"मैं हवेली के साथ उनकी मिली हूँ, मेरी जिम्मेदारी है इस हवेली का ख्याल रखना" उसने कहा और मेरे करीब चली गई। "कुमार इस हवेली के मालिक हैं, इसलिए मेरे भी मालिक हैं।" मोनिका ने मेरे चेहरे पर हाथ फेरा और मुझे चूमा।

मैं उसके गर्म होंठों को अपने ऊपर महसूस करने लगा और उसे किश करने लगा। केप्री जो मेरे पीछे थी वह चौंक गयी और हांफने लगी। मेरा लिंग खड़ा हो गया और मेरे अंडकोषों में उबाल आने लगा। केप्री को विश्वास नहीं हो रहा था कि यह हो रहा है। उन सब के सामने मोंका बिंदास हो कर अपनी जीभ मेरे मुंह में ठूंस रही थी। मैं कराह उठा, उम्म्म्म! चुंबन में आराम मिल रहा था मजा आ रहा था।

उसके होंठ अद्भुत थे रस भरी अरे नरम। उसकी उंगलियाँ मेरे चेहरे पर कितनी कोमल थीं। पर्पल, क्सान्द्रा, जीवा और केप्री की चकित आंखें हमे घूर रही थीं। उसके चुंबन ने मुझे उसके समर्पण का एहसास दिया। मैं सिहर उठा, मैं उससे जुड़ा हुआ महसूस कर रहा था जैसे मैंने कभी किसी के साथ नहीं था। रोजी के साथ भी नहीं!

मेरा दिल तेजी से और तेजी से धड़क रहा था जैसे मुझे लगा कि यह उसकी धड़कन के साथ तालमेल बिठा रहा है।


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"डेल्फी जीवा," केपरी ने हांफते हुए कहा।

"वह उसकी सेविका है," जीवा ने कहा, उसकी आवाज लगभग स्वप्निल थी। "अगर वे चुंबन करते हैं, तो ये ठीक है।"

फिर मेरे दिल की धड़कन मोनिका की धड़कन से मेल खाने लगी। हम एकजुट हो गए थे थे। उस बिंदु पर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और चूमते हुए साँस ली। मैंने महसूस किया कि वह मेरे फेफड़ों से सांस खींच रही है। चूसने से मोनिका के पूरे शरीर में एक करंट-सा दौड़ गया। आखिर वह अपनी जवानी में मेरा इन्तजार कर रही थी। मेरा स्पर्श पाते ही उसके अन्दर वासना का ज्वार बढ़ने लगा था। उसके अन्दर कामवासना की लहरे जोरो से हिलोरे मार रही थी अब उसे और ज्यादा चाहिए था। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रख दिए। उसने मैंने उसकी कमर के आकार को महसूस किया। यह किसी मूर्तिकार द्वारा गढ़ी गई किसी भी मूर्ति से बेहतर थी। मैंने ने धीरे से अपनी हथेलियों को उसके पसली के पिंजरे के किनारों पर सरका दिया। खुशी की शुरुआती लहरों को महसूस करते ही उसने अपने मुंह से सांस छोड़ीऔर जब मैंने चुंबन तोड़ा तो वह कांप उठी।

"लार और सांस का उपहार," वह फुसफुसायी। "जीवन की लय का उपहार, जुनून की गर्मी। अब बीज का उपहार। वह बीज जो पृथ्वी में जीवन शक्ति का संचार करता है।"

मैंने कहा मोनिका ठहरो! मैं पहले तुम्हारा परिचय करवा देता हूँ! । वह मुस्कुरा दी! मैंने जीवा और पर्पल को पाने पास दोनी तरफ खींचा और पहले जीवा को उसने मुझे अपने पास खींचा, उसे किस किया और बोला ये हैं प्रेम के मंदिर की प्रमुख पुजारिने जीवा और फिर राजकुमारी पर्पल को किस कर बोलै ये है पुजारिन राजकुमारी पर्पल और मैंने उसे जब जीवा को दुबारा चूमा तो वह भी मेरे ओंठ चूमने लगी इससे मुझे आत्मविश्वास मिला। फिर मैंने पुनः पर्पल को किस किया।

मोनिका बोली आपका हवेली में पुनः स्वागत करती हूँ ाको कुछ भी चाहिए हो तो आप मुझे बेझिझक बोल सकती हैं।

फिर मैंने क्सान्द्रा की अपनी तरफ आने का इशारा किया सूए गले लगाया, किस किया और बोला ये है क्सान्द्रा जो की पुजारीन पाईथिया की बहन है और इन्हे मित्र ब्रैडी ने मेरी परिचारिका नियुक्त किया है । ये अब हमारे साथ ही रहेंगी।


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तो मोनिका बोली बहन क्सान्द्रा का स्वागत है और मैं बहन क्सान्द्र से पहले भी मिल चुकी हूँ और फिर मैंने केप्री को पास बुलाया और उसका हाथ पकड़ा, ये हैं केप्री जिन्हे इस्तांबुल के प्रेम के मंदिर की प्रमुख परिचारिका और उन्हें विशेष प्रशिक्षण के लिए यहाँ मेरे पास भेजा गया है और ये हमारे पास रहेंगी और इन्हे आपको और हमे मिल कर प्रशिक्षित करना है।


जारी रहेगी।
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नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 7

हवेली से परिचय


मोनिका मेरे सामने अपने घुटनों पर गिर गई, उसके मसालेदार इत्र की गंध मेरी नाक में भर गयी। उसके हाथों ने मेरी जींस के माध्यम से मेरे लंड को सहलाया फिर वह वो मेरे अंग, मेरे लिंग और मेरे अनदोषो को टटोल कर सहला रही थी क्सान्द्रा ने गहरी सांस ली। "मम्म, कितना प्यारा इत्र है।" और इस बीच मोनिका मुंझे फिर से चूमने लगी।

मैं चौंका और पुछा ये क्या हो रहा है?


[Image: MANSION-OLD-VICT.jpg]

"मैं आपकी संपत्ति में आपका स्वागत कर रही हूँ, मास्टर और इसका स्वामित्व आपको सौंप रहा हूँ और इस सम्पत्ति में मैं भी निहित हूँ।" मम्म, मुझे आपकी अधीनता साबित करनी होगी, मास्टर और आपको मेरे मालिक के रूप में अपना कर्तव्य निभाना होगा। "

"डेल्फी जीवा! आप उसे रोको हम उसे ऐसा नहीं करने दे सकते।" केप्री एकदम से बोली।

"वह उसकी नौकरानी है ये उसकी संपत्ति है," जीवा ने कहा। "अगर वह चाहता है तो वह अपनी मर्जी का काम करवा सकता है।"

"ओह्ह! , बहुत अच्छा लग रहा है," मैं कराह उठा और उसे चूमने लगा मैं खुद को रोक नहीं पाया।

"रंडी! वेश्या!" केप्री ने फुफकार मारी, उसके कंधे तन गए। वह इसे... बुरी तरह से ले रही थी। खैर, मुझे नहीं पता था कि इसे कैसे लेना है। मैं भी बहुत हतप्रभ था! हमारे होंठ आपस में सिल गए। उसकी जीभ मेरे मुँह में चारों ओर नाच रही थी।

जब मैंने इस आनंद का आनंद लिया और फिर वह मेरा लिंग सहलाने लगी और मेरी गेंदें फड़कने लगीं मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक चुंबन इतना अद्भुत महसूस करा सकता है। वह लिंग बाहर निकालने लगी! तो मैंने उसे रोका ।

"बस," मैंने धीरे से कहा। "

उसने सर उठाया और पुछा क्यों मास्टर क्या आपको पसंद नहीं आया?

मैंने कहा बहुत पसंद आया पर अभी इतना प्रयाप्त है?

वह मुस्कुराई और उठ खड़ी हुई, उसके बड़े स्तन उसकी चोली में झूल रहे थे। वे इतने मोहक थे।

"मैंने जो अभी देखा उस पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा! कोई परिचारिका इतनी बेशर्म कैसे हो सकती हैं" केपरी ने कहा।

मोनिका ने कहा। "अब, हम आपके नए घर का दौरा शुरू करेंगे, मास्टर दीपक?"

मेरा फोन बीप हो गया। मैंने उसे बाहर निकाला और सैम का एक टेक्स्ट था। "तो, तुमने आज वही रुकने का फैसला किया है और जिस हवेली के जिस हिस्से में तुम रहने वाले हो वह तुम्हे कैसा लगा? क्या तुम्हे कुछ और चाहिए वहाँ?"




[Image: FM-PINK1.jpg]

"यहाँ एक परिचारिका है, मोनिका!" मैंने तुरंत वापिस टेक्स्ट किया। "वह अदभुत है।"

"एक नौकरानी, मोनिका?" मैंने सैम की नाराजगई को महसूस किया। "मोनिका सुंदर है?"

"हाँ," मैंने जवाब भेजा, यह जानते हुए कि  सैम इस बात से बहुत नाराज़ होगी। लेकिन मुझे बस अद्भुत लगा। मेरे पास मोनिका, पर्पल, क्सान्द्रा, जीवा और केपरी मौजूद थी, और मैं उनके साथ अद्भुत महसूस कर रहा था।

हाल में विक्टोरियन कपड़ों में लोगों को पिकनिक मनाते या घोड़ों की सवारी करते या हवेली में भोजन करते हुए दिखाया गया था। मोनिका ने रास्ता दिखाया, वह हाल के मध्य के दरवाजे से आगे गयी। यह दरवाजा हमे चित्रों से अटे एक गलियारे की ओर ले गया। जो विभिन्न संगमरमर के स्तंभों की पंक्तियों द्वारा सुसज्जित था। प्रत्येक स्तंभ के बीच बेहतरीन इटालियन संगमरमर में मूर्तिकला की कई उत्कृष्ट कृतियाँ खड़ी थीं, जो नग्न महिलाओं को हर संभव स्थिति में चित्रण कर रही थी और कामुकता से भरपूर थी। एक कोने में दो बड़ी-बड़ी आँखों वाली एक महिला की वैसी ही अजीब-सी मूर्ति थी, मूर्ति फिर हमारे पैतृक पंजाब के गाँव में लगी हुई मूर्तियों से मिलती-जुलती थी, अजीब आँखो वाली उन सब से अलग। ऐसा लग रहा था कि हाल में जो लोग थे वह इस मूर्ति वाली महिला से अलग थलग थे और वह जो हंसते-मुस्कुराते जीवन का आनंद ले रहे थे।

"बढ़िया और इतिहासिक," केपरी ने कहा। " कुछ चीजे बहुत बेकार और पुरानी और महत्वहीन हैं और उन्हें बदलना  होगा  . आपको उन्हें  फिर से बनवाना होगा और उनकी मरम्मत करवानी होगी।"

"क्या पूरी हवेली ऐसी ... कला .... से भरी हुई है?" जीवा ने पूछा।

"ओह, हाँ," नौकरानी मोनिका  ने दरवाज़ा खोलते हुए कहा और कमरों की ओर इशारा किया। हमने एंटीक फर्नीचर और फायरप्लेस देखे। सभी के पास कामुक कला कृतियाँ लगी हुई थी, कुछ काफी अधिक अश्लील और कामुक थे। कुछ में विकृत सेक्स करते हुए चित्रण वाली मूर्तियाँ भी थीं।

शाम की रोशनी खिड़कियों से छलकने के बावजूद, कमरों के कोनों में अँधेरा हो रहा था या। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये स्थान रहने लायक था।

मोनिका ने एक दरवाजा खोला और वहाँ एक शेर की मूर्ति थी जो लगभग सजीव थी और दरवाजा खुलने के साथ ही उस मूर्ति में से शेर के दहाड़ निकली और जल्द ही, केपरी मेरी बाँह से लिपट गयी वह डरसे काँप रही थी।

मोनिका बोली इस आदमखोर शेर का शिकार बरसो पहले कुमार के दादा जी ने भारत में किया था और बाकी कमाल अभियांत्रिकी का है!

मैंने उसे सहलाया और प्यार से केप्री से बोला, "घबराओ मत! यहाँ सिर्फ पेंटिंग और मूर्तियाँ हैं," मैंने बॉलरूम में प्रवेश करते हुए कहा। यह एक बड़ी और खाली जगह थी जिसमें ऊंची छत से झूमर लटक रहे थे। "ठीक है? इसके अलावा, मैं यहाँ तुम्हारी रक्षा के लिए हूँ।"

उसने मुझे घूर कर देखा। "तुम हो, है ना?"

मैंने उसे आँख मारी और बोला चाहे तो अपनी बहन जीवा और पाईथिया से पूछ लो ।

जीवा बोली बिलकुल कुमार हमे आपके साथ पूर्ण सुरक्षा महसूस हो रही है! हमे मालूम है हम आपके साथ पूर्णतया सुरक्षित हैं ।


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प्रवेश हॉल से हम दक्षिणी भाग में गए वहाँ मुख्य रसोई थी। यह एक रेस्तरां के लिए काफी बड़ी  रसोई थी। चारो लड़कियों ने और मैंने इसे चौड़ी आँखों से देखा।

"यह ..." केप्री ने अपना सिर हिलाया। "ये कुछ ज्यादा ही बड़ी है।"

"जहाँ आपके काश है वहाँ एक छोटी रसोई है जिसे आप इस्तेमाल करेंगे," मोनिका ने कहा। "यह उस समय के लिए है जब यहाँ पूरा स्टाफ हो या फिर कोई पार्टी हो।"

"स्टाफ?" मैंने पूछ लिया।

"जी आपकी नौकरानियों के साथ सफाई कर्मी, रसोइये, सहायिकाएँ इत्यादि," उसने अपने कंधे पर मुझे देखते हुए कहा, उसकी आँखें चमक रही थीं। "कुमार आपके परिवार की नौकरानीया और परिचारिकायें रखने की परंपरा है। हमारी वर्दी समय के साथ विकसित हुई है, लेकिन हमने हमेशा गर्व के साथ आपके परिवार की सेवा की है। मुझे यह काफी सम्मान की बात लगती है।"

"उह, हाँ, अच्छा," मैंने कहा, मैं निश्चित नहीं था कि इसका जवाब कैसे दूं। मैं कभी ऐसे किसी भी व्यक्ति से कभी नहीं मिला था जो इस तरह से बात करता हो। वह अजीब था।

पहली मंजिल पर जाने के लिए हमने सीढ़ियों का इस्तेमाल किया। "यहा ज्यादातर अतिथि कमरे हैं," उसने कहा। "और बैठके और धूम्रपान कक्ष भी है। एक बिलियर्ड कमरा और एक शृंगार कक्ष है।"




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"कमाल है," मैंने कहा। "क्या कोई गुप्त मार्ग हैं?"

"बेशक," मोनिका ने कहा। "वे नौकरो और तब के लिए हैं जब आप कर्मचारियों को नहीं देखना चाहते हैं तब या फिर तब जब आप किसी को नहीं दिखना चाहते तो उन संकीर्ण मार्गो का उपयोग किया जाता है। हालांकि, मुझे संदेह है कि यह आपके लिए एक समस्या होगी। अब यहाँ पुराने दिनों की तरह नहीं है जब पार्टियों की मेजबानी की जाती थी और हमारे पास बहुत सारे मेहमान होते थे। समय बदल गया है।"

"सच," क्सान्द्रा ने कहा। "ऐसा लगता है... यह सारी जगह होना वास्तव में बेकार है।" और यहाँ लिफ्ट नहीं है?

"ओह, यह महत्त्वपूर्ण है," उसने कहा जरूर है उसे हम वापसी में देखेंगे । "इस घर में सब कुछ बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसमें हमेशा एक मालिक और उसकी नौकरानियाँ होनी चाहिए। हमेशा।"

"मोनिका सही कह रही है," जीवा ने कहा, कुमार आपकी रगों में अपने पूर्वजो का वही नेक खून है। तुम इस जगह को अपने लिए फुसफुसाते हुए महसूस कर सकते हो, है ना? "

कुमार परिवार की परम्परा आपके माध्यम से जारी रहेगी। मुझे आशा है कि आपका बीज आपके पिता और दादा की तुलना में अधिक उर्वर है। "

मेरे गाल गर्म हो गए।

"भगवान, वह चाहती है कि आप बच्चे पैदा करें," केपरी ने कहा। "कुमार आपकी तो पत्नी भी नहीं है।"

"नहीं पत्नी होना आवश्यक नहीं है," मोनिका ने कहा, "लेकिन इस तरह के मामलों की व्यवस्था की जा सकती है। आपके पिता जब यहाँ पढ़ते थे तो उनकी लगभग 7-8 सखिया थीं और अभी भी हैं लेकिन आपकी माँ और आपकी सौतेली माँ के अतिरिक्त उनमें से किसी का कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ। यह सबके लिए एक बड़ी निराशा का कारण था।"

"तो कुमार आपके पिता ने उन्हें अभी भी अपने पास रखा हुआ है," केपरी ने अपना सिर हिलाते हुए कहा।

"मुझे नहीं पता था कि उनकी 2 से अधिक पत्नियाँ रही या आज भी हैं," मैंने कहा।

 "जी" मोनिका ने कहा। "बस वह पाँच सखिया जो उनके साथ पढ़ती थी और तीन नौकरानियाँ जो तब उनके साथ थी जब वह इस हवेली में अपनी पढ़ाई के लिए कुछ दिन रहे थे फिर वह आपके फूफा (जो की उनके मित्र थे) या सौतेली माँ के परिवार के साथ रहने चले गए थे।" वह एक तस्वीर देखकर रुकी। "यह आपके पिता की उन महिला साथियो की तस्वीर है। लेकिन आपकी महिला साथी ये कहती हैं यह महत्त्वपूर्ण नहीं है।"

"उनमें से हर एक," महत्पूर्ण है!  मैंने कहा फिर मोनिका से पुछा आप ये सब कैसे जानती हो? आप इतनी उम्र दराज तो नहीं हो?

मोनिका ने हमें दालान में ले जाते हुए कहा। आप धीरे-धीरे सब जान जाएंगे । अभी इतना जान लीजिये मेरी नानी, मेरी दादी, मेरी माँ, सब इस हवेली में काम कर चुकी हैं। सीढ़ियों में पुराने जमाने के लालटेन के रूप में लाइट उपकरण लगे हुए थे जिनमे विभिन्न रंग के एलईडी बल्ब थे। इतनी पुरानी जगह में इतना आधुनिक लिहत उपकरण। केप्री चौंक कर बोली!

हम दूसरी मंजिल पर पहुँचे। " यह मंजिल हमेशा परिवार के लिए रही है। यदि आप और आपका परिवार कभी यहाँ पहले आये होते, तो आप यहाँ के किसी एक सुइट में रुके होते।

"नौकर उनके पास सोते थे?" मैंने पूछ लिया। "मैंने सोचा था कि अंग्रेजों का एक अलग स्तर था।"

नौकर अलग रहते हैं "लेकिन कुमार आपकी हवेली में आपके पिता और दादा का सेवारत लड़कियों और नौकरानियों के साथ हमेशा घनिष्ठ सम्बंध रहा है।" मोनिका ने मेरे कंधे पर हाथ फेरा।

"क्या वह यह कह रही है कि आपके पूर्वज सभी नौकरानियों से छेड़छाड़ करते थे," केपरी फुसफुसाई।

मोनिका ने कहा, "अगर लड़किया इच्छुक और उत्सुक हैं तो यह छेड़खानी नहीं है।" "क्या तुम्हारे पिता ने तुम्हें तुम्हारे दादाजी ने उनके हरम के बारे में कुछ नहीं बताया? उनके पास नौकरानियों का काफी जीवंत झुंड था।"

"मास्टर! आपके दादाजी का हरम था?" हांफते हुए केपरी बोली। "जब मैं छोटा था तो पढ़ाई में लगा रहा और जब तक दादा जी थी मैंने उनसे इस बारे में कभी कुछ नहीं सुना! माँ पिताजी और दादी को अपने परिवार के बारे में ज्यादा बात करना कभी पसंद नहीं आया। अब मुझे समझ में आ रहा है। यह एक गलती थी।"

"हम अब आपके विशेष कक्ष के सामने हैं," मैंने कहा। "शायद हमारे क्वार्टर ऐसे नहीं हैं ...आपका कक्ष विशेष रूप से सजाया गया है।"

मोनिका दालान के अंत में ऐसे दरवाज़े पर पहुँची जो सबसे अलंकृत था उस पर सुंदर युवतियों की कामुक आकृतिया उकेरी गयी थी। "ये मास्टर सुइट है। यह अपने आप में एक अपार्टमेंट है और इसकी अपनी रसोई, दो बाथरूम, छह बेडरूम, एक बैठने का कमरा और एक बैठक है।" उसने एक छोटे से संलग्न कमरे का दरवाजा खोला जिसमें दीवार के पास एक छोटा-सा बिस्तर था। "ड्यूटी पर मौजूद नौकरानी जो की रात में आने वाले किसी भी आगंतुक का अभिवादन करने के लिए सेवारत रहे।"

इस कमरे से होते हुए हम एक बैठक कक्ष में पहुँचे। जो फायरप्लेस के साथविक्टोरियन लग रहा था। हालांकि इसमें कोई डरावनी तस्वीर नहीं थी । दो चंबणरत सुंदर लड़कियों की एक मूर्ती थी। खिड़कियाँ मैदान की ओर खुल रही थीं। दूसरे दरवाजे से हमें एक कमरा मिला जो नब्बे डिग्री का था और घर का पूर्वी छोर लगता था। एक लिविंग रूम जिसमे अधिक आधुनिक फर्नीचर। काउच, दो रिक्लाइनर, एक लव सीट और एक बड़े स्क्रीन वाला टीवी।

"बहुत सुंदर," मैं बुदबुदाया।




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नौकरानी मुस्कुराई। "रसोई अंत में है।" उसने दूसरे दरवाजे की ओर इशारा किया। "वह छह बेडरूम और दो बाथरूम का दालान है। बेशक, वे मास्टर की साथिनों के लिए हैं और मैं । लेकिन जब तक आप उन अपनी साथिनों को नहीं चुनते हैं और प्रत्येक उन कमरों में रह सकती है या वह मेहमान कक्षों में रह सकती हैं ।"

"और तुम कहाँ सोती हो?" मैंने पूछ लिया।

"बिलकुल मास्टर के साथ," मोनिका ने कहा।

केपरी ने आँखें मूँद लीं। "बिल्कुल। यह बहुत भ्रष्ट हो रहा है। आपको एक हवेली के साथ अपनी खुद की नौकरानी मिल गई है और मुझे यहाँ प्रशिक्षण प्राप्त करना है। बहुत बढ़िया।"

यह बहुत बढ़िया था। लेकिन मैंने ऐसा नहीं कहा। मेरा मतलब है मास्टर के शयन कक्ष के साथ वाली कमरे में ।

"अब, मेरे पास रसोई में मूलभूत आवश्यकताओं का पूरा भंडार है। पेय, नाश्ता और कुछ दिनों के भोजन के लिए पर्याप्त भोजन।" नौकरानी मुस्कुराई।

मैं आप सबके लिए कुछ जलपान लाती हूँ और " सुश्री क्सान्द्रा और केपरी, क्या आप मेरी कुछ सहायता करेंगी जलपान लाने में। मुझे खेद है कि आपने खुद अपना सूटकेस उठाया, लेकिन अभी हमारे पास सेवको की कमी हैं। चलिए मैं आपको आपके कमरे दिखा दूँ और उसने मेरा बैग जो की पर्पल अपने साथ मंदिर से लायी थी नीचे रख दिया ।

"नहीं, नहीं, यह ठीक है," क्सान्द्रा ने कहा।

"हाँ, हाँ, चलो," केप्री बुदबुदायी।


जारी रहेगी।
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नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 8

गैरेज


"मास्टर," मोनिका ने कहा, " गैरेज  घर के पीछे की तरफ है । उधर लिफ्ट  जाती है आप ड्राइववे का पालन करें और अपने नए वाहनों के अलावा वहां आप इनकी गाड़ी  पार्क करवा  दे ।"
"नए वाहन?" मैंने पूछ लिया।

उसने हाँ में सर हिलाया। "एक सिल्वर लिमोज़ीन और एक गोल्डन रूल्स रॉयस। यहाँ आपके पिताजी के जाने के बाद से  वर्षो से किसी ने गाड़ी नहीं चलाई  है और आप जानते हैं  प्रदुषण के नियम और फिर उस  कई पुराने वाहनों से छुटकारा पा लिया गया ।"

"ओह," मैंने कहा। "एक रोल्स रॉयस ।"

"और आप अपनी पसंद के हिसाब से अपने लिए एक लेम्बोर्गिनी या अन्य कोई भी कार जो आपको पसंद हो उसे आप  खरीद सकते हैं "  उसके साथ ही  मोनिका ने मुझे मेरे पिताजी और साथ में राजकुमार  ब्रॉडी के पिताजी का इस आशय का सन्देश पत्र पकड़ा दिया ।

"ज़रूर," मैंने कहा और मैं और पर्पल  मोनिका के पीछे चले गए  वो हमे  कोने से घुमा  कर लिफ्ट के पास ले गयी और उसने कहा आप  भूतल पर चले जाए  और  फिर हम गाडी को गैरेज  पर ले गए और उसने मुझे गैरेज का दरवाजा खोलने का पासकोड  बताया . 





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हमने  गैरेज के दरवाजे का पासकोड डाला और दरवाजा स्वता खुल गया  गैरेज  एक दर्जन वाहनों के लिए जगह थी। और, हाँ, वहाँ एक लिमोज़ीन और एक रूल्स रॉयस  थी जो की बिलकुल नई लग रही थी और  बिखेरी रही  थी। मैं, जीवा और पर्पल  हैरत में थे ।

मैंने गैरेज के  पिछले दरवाजे से घर में प्रवेश किया और लिफ्ट तक  रास्ता ढूंढ लिया जहां हम तीनों सामान लादकर लिफ्ट से वापिस आये । जल्द ही, हमने सभी का सामान कमरों में पहुंचा  दिया। मुझे आखिरी बेडरूम, मास्टर बेडरूम दिया गया था। केपरी मेरे बगल वाले कमरे  में थी  और क्सान्द्रा का सामान  उससे अगले कक्ष में ले गया। सभी कमरे  बड़े अच्छे और सुसज्जित थे । प्रत्येक कमरे में मैदान के पीछे की ओर देखने वाली खिड़कियाँ थीं। जीवा और  पर्पल सम्मान नहीं लायी थी क्योंकि वो ववपिस मंदिर लौट जाना चाहती थी .

 अब  पर्पल और जीवा मेरे साथ आ कर बैठक  में बैठ गयी और  पर्पल की  ड्रेस के अंदर उनके गोरे गोरे स्तनों के हाहाकारी उभार देखकर मुझ से  रहा नहीं गया.. मैंने अपना एक हाथ  पर्पल और दूसरा हाथ जीवा को  एक चूची पर रख दिया और उनकी  चोली के ऊपर से और फिर हल्के से दबा दिया... और उनका हालचाल पुछा ?

अपनी बाहों का हार पर्पल ने मेरे गले में डाल दिया था..  उसका  चेहरा मेरे सामने और  कुछ ही इंच की दूरी पर था  उसके गुलाबी रसीले होंठ देखकर मैं कामुक हो रहा था मैंने फट से पर्पल  के होठों पर अपने होंठ चिपका दिय.और मेरे गरम होंठ पर्पल  के लाल सुर्ख होंठ से चिपक गए थे.. और हम एक दुसरे में पिघलने लगे थे ..


मैंने वह सोडा पिया जो मोनिका मेरे लिए लाई थी। बीच-बीच में मोनिका वह हमारे आसपास मंडराती रही, यह सुनिश्चित करते हुए कि हम सबका ख्याल रखा जाए। एक ड्रिंक कम हो जाती थी, वह दूसरी ले आती थी। जैसे ही हमने नवीनतम फिल्म देखी, उसने हमें खाने के लिए पॉपकॉर्न दिया।

तभी जीवा  मेरे को दूसरी तरफ से चूमने  लगी  और मैंने पर्पल के साथ चुंबन तोड़ कर  जीवा के ओंठो और गालो को को चूमा और  इससे पहले की हम आगे बढ़ पाते  मोनिका  क्सान्द्रा और केप्री जलपान और नाश्ता ले आयी . हमने सबने नाश्ता किया और  फिर मोनिका  क्सान्द्रा पर्पल और केप्री को साथ ले कर भोजन बनने चली गयी .

मै जीवा को गौर से देखने लगा  और पाया की उसके शरीर के प्रत्येक अंग प्रत्यंग को चतुराई से तैयार किए गए थे और हमारे पहले मिलन के बाद उसके बदन में कुछ और निखार आ गया था उसकी शरीर  के वक्रो का उद्देश्य केवल मुझे प्यार और विस्मय को प्रेरित करना था। उसके नर्म दिखने वाली चिकनी जांघें, पेट की स्मूथ सतहें, मोटे गोल और सुडोल अनार के अकार के स्तन, पतली गर्दन, लम्बी सुंदर नाक और गालों के साथ जटिल रूप से विस्तृत चेहरा और सुनहरे लम्बे लहराते बाल। ऐसा लग रहा थी की मानो प्रेम की देवी स्वयं यहाँ प्रत्यक्ष मेरे सामने आ  गयी  थी। जैसे ही मैंने जीना की दिदीप्तिवान बड़ी और सुंदर आँखों में देखा, उसे लगा कि तेज रौशनी देवी की आँखों से मेरी आत्मा प्रकाशवान हो रही है। वह भी मुझे देख रही थी और उसका ध्यान मेरी पेण्ट में बने तम्बू पर गया और वह अचंभित हो गयी,और फिर  मुझे अपने गले लगा लिया ।

उनके जाने के बाद मैने खींचकर जीवा  को ठीक अपने खड़े लंड के ऊपर  अपनी गोद में बिठा लिया  .. मैंने अपनी दोनों टांगे फैलाकर जीवा को अपनी गोद में बैठने की जगह दी.. अब  जीवा  की दोनों बाहें मेरे  गले में थी...और हम चुंबन करने लगे और अब पुजारिन जीवा को कोई होश नहीं था...



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 जीवा  के  होठों को अपने होंठों के बीच लेकर मैं उन्हें  बुरी तरह से चूसने लगा ... वो भी मेरा भरपूर साथ दे रही थी. हम इस तरह से उलझे हुए थे  मानो दो यौद्धा आपस में जंगली तरीके से युद्ध कर रहे हो . जीवा के होंठों को चूमते हुए मैंने  एक हाथ से जीवा की  एक चूची को दबाना जारी रखा...नीचे मेरा लंड उसकी योनि पर प्रहार कर रहा था और मेरे लंड के, मेरे हाथ का चूचियों पर औअर मेरे ओंठो का उसके ओंठो पर प्रहार से जीवा तड़पने  लगी थी.. मचलने लगी थी.. उसकी कामवासना की अग्नि भड़क गई थी  और मैं उसे  चुम कर सहला कर , उसकी चूचियों को दबा कर मसल कर उसकी कामवासना  की आग को हवा दे रहा था ..

मैंने उसे लिप किस कियाl मैं उसे लिप किस करता रहाl मैंने उसके लिप्स पर काटा, तो उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दियाl तो मैंने अपने ओंठ उसके ओंठो से जोड़ कर उसे लिप किश करने लगा और मेरे हाथ उसके बूब्स के साथ खेलने लगेl एक हाथ उसके निप्पल मसलने लगाl फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दीl वह सिसकारियाँ ले मजे लेने लगीl

मैंने फिर जीवा  की चूची के ऊपर से अपना हाथ हटा लिया उसकी दूसरी चूची को मसलने लगा और दुसरे हाथ को उसके पेट पर रख कर सहलाने लगा .. मैंने जीवा की ड्रेस के नादर हाथ दाल कर उसकी  नाभि के अंदर अपनी एक उंगली घुसा कर जीवा के  होठों को अपने होठों की कैद से आजाद कर दिया और उनकी गर्दन को चूमने लगा .. साथ ही साथ उसकी नाभि के अंदर उंगली से हमला बोल दिया. .

मैंने उसे सोफे के  ऊपर पटक दिया और उसके  ऊपर सवार हो गया और जीवा को  फिर से चूमने लगा .. चूमते चूमते हुए मैं  नीचे आने लगे.. मैं अब जीवा के स्तन चूसना चाहता  था और फिर उसकी  नाभि परतु उसके कपड़ो के कारण ऐसा नहीं कर सकता था  ..

मेरी आँखे के सामने गोल सुदृढ़ सुडौल स्तन, गोरा मख़मली बदन, पतली बल खाती कमर, सपाट पेट, सुन्दर नैन नक्श,  बड़ी-बड़ी हिरणी जैसी चंचल आँखे, गुलाबी होंठ, सुनहरे लम्बे बाल, नरम चूतड़  तीखी नुकीली नाक, बड़े गोल चिकने नितम्ब, लंबी सुगढ़ टाँगे और सुन्दर हाथ, सब कुछ बेहद सुन्दरl पूरा शरीर सांचे में ढला हुआ, गोल बड़े-बड़े स्तनl मैं उन्हें एक बार फिर से दबाने लगा, तो कभी  उसके कपड़ो के ऊपर से ही चूमने लगा, फिर कपड़ो के ऊपर से उसके निप्पल तलाश कर उन्हें मुँह में ले कर चूसने लगाl तो वह ओह! आह! करने लगीl

जीवा के   के उठे हुए सुडौल स्तनों को देखकर अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था... एक बार फिर मैंने अपनी दोनों मजबूत हाथों में जीवा की दोनों चूचियां दबोच ...और  मसलने लगा जिवा की सिसकारियां निकलने लगी.. दबाने के साथ-साथ मैंने जीवा की पोषक के ऊपरी डोरिया बटन खोलने के बाद जीवा के  कांधे पर से  ड्रेस के दोनों भागों को अलग किया और फिर मैंने जीव के कंधो को नग्न किया औअर उसके  नग्न कधो  को चूमा और ड्रेस और नीचे सरका कर जेवा के स्तनों के बीच की  क्लीवेज पर चुंबन की बरसात कर दी..

जीवा : अहाहहह्हह्ह्ह्ह...  मास्टर ..

मैं अब उसके स्तनों को नग्न किया हाथ से सहलाया और उसके गोल बड़े-बड़े स्तन को  मैं दबाने लगा, तो कभी चूमने लगा, फिर उसके निपल्स को मुँह में ले कर चूसने लगाl उसे इस हालात में देख कर मैं सब भूल कर उसे जोर से काटने लगा तो वह ओह! आह! करने लगीलफर मैंने जीवा की नाभि के अंदर अपनी  जीभ डाल कर  जीभ से उसकी नाभि में घमासान युद्ध करने लगा ..

मैंने  एक हाथ से जीवा की पोशाक का निचला भाग  जो की एक शर्ट की तरह था  उसके  घुटने के ऊपर तक उठा दिया और अपना हाथ अंदर डाल कर उसकी पेंटी को छूने लगा .. हाथ लगाते ही मैंने महसूस किया जीवा  तो पहले से ही गर्म और गीली हो चुकी थी..

मैंने  जीवा के दोनों पर्वतों के ऊपरी हिस्से को चूमना जारी रखा..

जारी रहेगी।
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नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 9

गर्म और गीली 

मैंने एक हाथ से जीवा की ड्रेस का निचला भाग जो की एक शर्ट की तरह था उसके घुटने के ऊपर तक उठा दिया और अपना हाथ अंदर डाल कर उसकी पेंटी को छूने लगा। हाथ लगाते ही मैंने महसूस किया जीवा तो पहले से ही गर्म और गीली हो चुकी थी।

मैंने जीवा के दोनों पर्वतों के ऊपरी हिस्से को चूमना जारी रखा। और फिर मैं उसके ओंठो को चूमने लगा । जब मैंने उसकी पेंटी पर हाथ लगा कर गिला-गिला मह्सूस किया तो वह रे सीने से लिपट गई और मुझे चूमने लगी। । फिर वह उठी और मेरे ऊपर सवार हो गई और अपनी दोनों बड़ी-बड़ी छातियों का भार मेरे मुंह के ऊपर रख दिया और अपनी छातियों को मेरे मुंह पर घिसने लगी। वह चाहती थी मैं जीवा की बड़ी-बड़ी छातियों को अपने मुंह में लेकर चूसु मैंने पहले उनका चुम्मा लिया और फिर उसने बेदर्दी से चूसने लगा । एक बार फिर वह मेरे से दूर हुई और मेरे होठों को चूमने लगी । मेरे आँखों में अब जीवा के लिए सिर्फ हवस थी। मेरा लंड खड़ा और कड़ा होने लगा था ।

कमरा चांदनी रौशनी में नहाया हुआ था और उस रौशनी में जीवा बेहद खूबसूरत लग रही थी।मैं थोड़ा जीवा की पीछे गया और उसकी पीठ को उसकी चोली के ऊपर से चूमने लगे मेरा हाथ जीवा के नंगे पेट और नाभि को मसल रहा था। ।और उसकी गांड पर अपना लंड दबा रहा था ।

धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी गर्दन पर मैंने चुंबन किये जिससे जीवा कराहने लगी। इस तरह मैंने जीवा के नंगे कंधे को चूम लिया। मैंने उसे पट्ट लिटा दिया। मैंने धीरे से उसकी गर्दन को चूसा जिससे जीवा फिर से कराहने लगी। अपने होठों को अलग करते हुए, मैंने उसे उस प्यार से एक छोटे से निशान से लेकर उसके कान के निचले हिस्से तक चूमते हुए उसकी कामुक गर्दन को अपनी जीभ की नोक से गीला कर दिया। उसने धीरे से उसके कानों को चूसा, उस पर अपने होठों से किस किया। फिर अपनी जीभ उसके पूरे कान के बाहरी हिस्से पर घुमाई, फिर जीभ की नोक उसके कान के अंदर गुसाई तो वह फिर इसससस करती हुई कराह उठी और फिर धीरे से उसके कान के नीचे की लटकन को चूसने लग गया।


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मैं जो कुछ कर रहा था, उसकी कामुकता पर जीवा चकित थी।

 उसका मन नियंत्रण से बाहर हो रहा था और उसका शरीर पहले से ही खुशी की लहर पर सवार था, जिसकी तीव्रता धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिखा रहा था। मेरे होठ उसके कान से उसकी गर्दन पर फिर से चले गए और फिर मैंने उसकी गर्दन पर कामुक नरम चुम्बन किये और उसकी गर्दन को चाटा। उसकी आँखे बंद थी। जैसे मैं उसे किस कर रहा था उससे उसने अनुमान लगाया के अब मैं उसेने कंधो पर किस करूंगा।

फिर मैंने उसे कंधो को किस किया और उन्हें चाटा फिर ऐसे ही उसकी पीठ में रीढ़ की हड्डी को किस किया और पूरी पीठ को चाट डाला। और फिर वापिस उसकी गर्दन पर ऊपर की तरफ चाटने लगा । मैंने उसके नंगे कंधे को चूम लिया। मैं धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी-उसकी गर्दन और फिर कान पर-पर चुंबन रोपण किये जिससे जीवा कराहने लगी।


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फिर मैंने उसे पलट दिया और अब अपने ओंठ उसके माथे पर ले गया मेरे होठ उसके माथे पर चले गए और फिर मैंने उसकी आँखों में से प्रत्येक पर एक कामुक नरम चुम्बन किया। उसके गाल उसके नाक और फिर उसकी ठोड़ी। जीवा की आँखे बंद थी। जैसे मैं उसे किस कर रहा था उससे उसने अनुमान लगाया के अब मैं उसे ओंठो को किस करूंगा।


बेसब्री से मेरे होठों का अपने होठों का अनुमान लगाते हुए, जीवा ने अपना सिर ऊपर कर लिया ताकि हमारे ओंठ मिल जाए लेकिन मैंने उसके ओंठो पर अपनी कुछ गर्म साँसे छोड़ी जिससे उसे मालूम हो गया मेरे ओंठ उसके ओंठो के ऊपर ही मंडरा रहे हैं, इतना पास के उसे मेरे ओंठो का अनुमान लगता रहे पर किस न हो। हमारी साँसे तेज चल रही थी मेरी गर्म सांसे वह मह्सूस कर रही थी और मैं उसकी गर्म साँसे महसूस कर रहा था।


उसने अपने होंठ अलग किए और मुँह खोला और फिर से अपना सर उठा कर मुझे चुंबन करने की कोशिश की, लेकिन मैंने अपना सर उतना ही पीछा कर लिया जितना उसने उठाया था ताकि ओंठो का चुम्बन उसकी पहुँच से बाहर रहे। वह व्यग्र हो उठी और आँखे बंद रखते हुए बोली"मेरे ओंठो पर चुम्बन कीजिये प्लीज, मेरे ओंठो को क्यों तरसा रहे हो आप, प्लीज, मुझे अपने ओंठ दीजियेl" जीवा ने

मुझसे गुहार लगायी और उसने अपने ओंठ खोलते हुए जीभ को लहराते हुए अपना सर और ज्यादा ऊपर उठा दिया। वह तड़प उठी थी।


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मैं उसकी तड़प को और नहीं देख सका और अपने खुले मुंह को उस के मुँह पर लगाया। अब इस के बाद व्यग्रता के कारण जीवा ने ऐसा तीव्र चुंबन किया जिसकी तीव्रता बहुत अधिक थी। यह किस काफी लम्बा चला ये क्षण सिर्फ मेरा और जीवा का था, इस क्षण और कुछ महत्त्व नहीं रखता था, कुछ नहीं और कुछ भी अस्तित्व में नहीं रहा। वह मेरी थी और मैं उसका था। शरीर, मन और आत्मा दोनों एक हो गए।

शाश्वत प्रेम में डूबे हुए प्रेमी, पता नहीं कितनी देर तक एक दुसरे को चूमते रहे, ऐसे जैसे कोई जन्मे के बिछड़े प्रेमी मिल गए हो। हम प्रेमियों ने एक दूसरे को, अपने हाथ और पैर, शरीर के चारों ओर लपेटकर चूमा। कभी मैं ऊपर कभी वह ऊपर बस पागलो की तरह चूमते रहे। जीवा ने कब मेरी शर्ट और पतलून और अंडरवियर को उतार डाला और अपनी उंगलियों को मेरी नंगी पीठ के ऊपर और नीचे दौड़ाया, धीरे से उसने अपने नाखूनों को नेरी पीठ की त्वचा पर रगड़ दिया। मेरी उंगलियों ने उसकी ड्रेस और पेंटी को पता नहीं कब उतार डाला मेरा स्पर्श उसकी निर्दोष चिकनी रेशमी त्वचा जो काफी गर्म थी उसे महसूस कर रहा था।

मैंने हाथ नीचे खिसकाया और धीरे से उसकी गांड को सहलाया। जैसे-जैसे हमारे होंठ और जीभ अपने हमले जारी रखते थे, मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ और उनके कामुक नितम्बो के गालो को ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैंने धीरे से अपने हाथों से उसकी गांड को दबाया तो जीवा ने मुझे और भी अधिक आक्रामक तरीके से चुंबन करते हुए जवाब दिया। मैंने उसकी गांड की दरार में अपनी उंगलियाँ फँसा दी और उसकी गीली चूत तक पहुँच धीरे से अपनी उंगली उसके ऊपर चलाई। अपनी उंगली पर गीलेपन का आनंद लेते हुए, उसने उसकी चूत को रगड़ा और अपनी उंगली से उसकी चूत के दाने को दबाया। मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा उसे जैसे करंट-सा लगा और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उसका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया थाl


"ऊह यस।" जीवा कराही और उसने चुंबन तोड़ दिया। उसने वासना भरी आँखों से मुझे देखा और उसे फिर मुझे उतनी ही उत्तेजना से दुबारा चूमा, मैंने अपने जीभ उसके मुँह में सरका दी तो वह मेरी जीभ चूसने लगी। मेरा हथियार अपने पूरे जोश पर था वह भी उसके बदन पर अपने चुम्मे दे रहा था उसकी प्रेम की गुफा में प्रवेश के लिए मचल रहा था। मैं अभी भी अपने हाथों को उसकी पीठ और नितंब पर चला रहा था।


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वह मेरा लिप किस में भरपूर साथ दे रही थी फिर मैंने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगीl मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगाl जीवा का मुझसे कस कर लिपट गयी और अपने एक हाथ से एक उंगली जीवा की नाभि में अंदर बाहर करने लगे। जीवा कामुक हो तड़पने लगी।


मेरा दूसरा हाथ थ अब उसके स्तनों पर पहुँच गया मैंने चुम्बन करते-करते उसके गोल-गोल बूब्स को पहले सहलाया फिर ब्रा के ऊपर से ही दबायाl मैंने महसूस किया उसके बूब्स बहुत नरम मुलायम गोल और सुडोल थेl मेरे हाथ को उसके निप्पल जो उत्तेजना के अतिरेक से कड़क मह्सूस हुए और लगा अब समय आ गया है कि हम कामुक सुख भरी डुबकी का आनंद ले सके l


मैं जीवा के गुलाबी रसीले होंठों को बड़े प्यार से धीरे-धीरे हल्के-हल्के चूमने लगा।जीवा भी मेरा पूरा साथ दे रही थी । चुंबन। थोड़ी देर में जीवा और मेरा चुंबन, फ्रेंच किस में बदल गया । दोनों की जीभ आपस में टकराने लगी थी। दोनों एक दूसरे को बुरी तरह चाटने लग रहे थे। एक दूसरे के होंठों को। एक दूसरे की जीभ को।चाट और चूस रहे थे ।


मैंने उसके बूब्स को सहलाया मैंने उन्हें गौर से देखा और उसके स्तनों की मालिश करना शुरू कर दिया। उसकी ओंठो पर किस किया फिर उसकी ठोड़ी पर गर्दन पर किस करते हुए धीरे-धीरे उसके स्तनों की और बढ़ा उसके दाए स्तन को किस किया और फिर स्तनों के बीच की घाटी को किस करके चाटा और फिर उसके दाए स्तन को किस किया और चाटा क्योंकि मैं उसके दायी और ही था l फिर उसके स्तनों के नीचे मुँह लेजाकर स्तनों के निचले हिस्सेको भी चूमा और चाटा l जहाँ उसके स्तन उसकी छाती से मिलते थे वहाँ चूमा तो वह कराह उठी l फिर धीरे-धीरे चूमते हुए उसके निप्पल की और बढ़ने लगा उसके निप्पल उत्तेजने से एकदम खड़े हो कर मुझे आमंत्रित कर रहे थे प्लीज हमे चूसो उधर जीवा आँखे बंद कर लेटी हुई थीl


आगे जो हुआ वह मेरे लिए बहुत मुश्किल था पर मैंने पता नहीं कैसे कर लिया मैंने उसके निप्पल को न तो चूमा न चूसा l एक दो फूक मारी और उनके आस पास चूमते हुए सारे स्तन को चूमने लगा और मेरा लंड नीचे जीवा की योनि के द्वार पर ठोकर मार रहा था फुफकार रहा था वह जानती थी कि मेरा मोटा मुसल लंड उसके गुलाबी छेद का रास्ता तलाश रहा है।


मैंने मन ही मन फैसला कर लिया था कि अब मैं अपना लिंग जीवा की चूत में गहराई तक पेल कर ही दम लूँगा।


मैंने जीवा के एक स्तन पर अपना मुंह रख दिया और उसके निप्पल औअर स्तन को मुंह में लेकर चूसना लगा। आओर एक हाथ से उसके दुसरे स्तन को मसलने लगा और दुसरे हाथ से ऊके नितम्ब मसलने लगा जीवा की इस तिहरी मार से कराह निकलने लगी। वह ऐसे सिसकारने लगी जैसे एक औरत अपने पति के साथ बिस्तर में आनद भरी सिसकारियाँ निकालती है। जीवा मुझे अपनी बाहों में जकड़ कर अपनी छाती अपनी चूची पिलाती हुई मदमस्त होने लगी थी।


पियो मेरे राजा चूसो जोर से चूसो: आआह्हीईईईईईईईईईइह्ही।अह्ह्ह।

मैं अपना लौड़ा जीवा के त्रिकोण पर रगड़ने लगा जीवा के गुलाबी छेद पर मेरा डंडा खड़ा दस्तक दे रहा था। जीवा अपना संयम खोने लगी थी। हम दोनों एक दूसरे के अंदर समा जाना चाहते थे।


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मैं जीवा के स्तनों, ओंठो को जंगली अंदाज में चूमने चाटने में लगा हुआ था और मुझे जीवा का बेहद नरम गरम और मुलायम बदन बहुत अच्छा लग रहा था। बेशक मैंने बहुत सारी लड़कियों और औरतों के साथ संभोग किया था पर जीवा का आकर्षण कुछ अलग ही नशीला था। जीवा का बदन मांसल और नरम था इसलिए मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

मैंने जीवा के योनि क्षेत्र के त्रिकोण पर अपने मुसल का दबाव बढ़ा दिया था। । मैं ऊपर की ओर आकर एक बार फिर जीवा के रसभरे होठों को चूमते हुए लंड उसकी योनि क्षेत्र पर दबा रहा था ।

मैंने फिर अपना खूंखार लंड जीवा के छेद पर टिका दिया। जीवा को एहसास हो गया था। तकरीबन 10 इंच लंबा 3 इंच मोटा लौड़ा उनके त्रिकोण के ऊपर रगड़ खा रहा था। जीवा मेरे लंड के मजे ले चुकी थी और उसे एहसास था कि मेरा लंड कितना बड़ा मोटा और खूंखार है। उसने डरते डरते नीचे देखा तो मेरे मोटे काले रंग के लंड पर मोटी मोटी नस दिख रही थी।लंड उसकी योनि के त्रिकोण को रगड़ रहेा था । जीवा कांप उठी और मेरे साथ चिपक गयी तो उसे गर्मी का एहसास होने लगा।


चेहरे पर मुस्कान के साथ, मैंने उसके नग्न शरीर को अपनी छाती से चिपका लिया। उसके स्तन मेरी छाती पर दब गए और मेरा लंड उसकी चूत को चुम्बन करने लगा। 


मैंने धीरे से अपनी उँगलियाँ की और जीवा की नंगी पीठ पर ऊपर नीचे की मेरी उंगलियाँ उसकी रीढ़ की हड्डी के एक एक मनके को महसूस करते हुए धीरे से उसके नितम्बो की दरार में से होते हुए उसके नितम्बो पर दबाव डाला तो जीवा ने आहें भरी। उसकी उंगली उसके गोल नरम पर सुदृढ़ नितम्बो पर गोल घूमी फिर नितम्बो को सहलाया।

ऐसा करने से मेरा लंड उत्तेजना की ताजा स्थिति के रूप में उठा और उसकी योनि का दरवाजा खटखटाने लगा।। मेरी उंगलियों ने उसकी योनि की दरार को महसूस किया फिर धीरे से एक फिर दूसरी अंदर सरका दी मेरी ऊँगली का अग्रभाग उसके रस से डूब गया।

फिर मैंने उंगलिया ऊपर नीचे की और उंगलियों की मदद से दरार की थोड़ा फैलाया और लंड मुंड का अगर भाग दुसरे हाथ से लंड की पकड़ कर दरार पर रगड़ कर जीवा की चूत की छेद की द्वार पर लगा दिया। अब वो सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वो अहाह! आहहह! आहहह! कर रही थी। अब उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी।

उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया उसका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया। जीवा को पहली चुदाई में ही मेरे लिंग की मोटाई और लंबाई का एहसास हो गया था उसे अच्छी तरह पता था कि मेरे पास क्या चीज है। और फिर वो अपने छोटे छेद के बारे में सोचने लगी । उसकी योनि पहली चुदाई के बाद बुरी तरह से सूज गयी थी और वो कुछ दिन दर्द के मारे ठीक से चल भी नहीं पायी थी। 


मैंने जीवा को अपनी बाहों में भर लिया और उसकी योनि क्षेत्र में अपना हथियार घिस रहा था मेरा एक हाथ जीवा के पेट पर था। उंगलिया । नाभि में थी और दूसरा हतः उसके स्तनों पर था और उसके निप्पल को मैं मसल रहा था ।और अपनी टांग से जीवा की टांग रगड़ रहा था । जीवा की योनि के पास दोनों जांघों के बीच अपने मुसल लंड को सटाए हुए मैनजीवा से प्यार कर रहा था मैं जीवा के गाल और गर्दन को चूमने के बाद उसके बीच बीच में ओंठ चूम रहा था । अब जीवा मेरी पीठ पर हाथ रख कर मुझे अपने पास धकेल रही थी जिससे मुझे एहसास हुआ कि अब जीवा भी शारीरिक संबंध के लिए तैयार हो चुकी है। मैंने जीवा का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और फिर अपने दोनों मजबूत हाथों में उसकी दोनों चूचियां थाम के दबाने लगा और मसल के बुरी तरह से निचोड़ डाला जीवा कराह उठी।



[Image: RGD3.webp]

जीवा की सांसे भारी होने लगी थी। मैं जीवा के ऊपर दबाव बनाने लगा और सब कुछ बड़े प्यार से हो रहा था।मैंने फिर जीवा के ऊपर सवार हो गया मेरा तगड़ा हथियार अभी भी जीवा की जांघों के बीच के त्रिकोण पर रगड़ खा रहा था। और जीवा की योनि गीली हुई जा रही थी। चूचियां छोड़कर मैंने अपना हाथ नीचे किया और उसकी गांड को अपने हाथों में दबोच लिया। अब मेरा चेहरा जीवा की छाती पर था। वो तड़प रही थी। मचल रही थी ।सिसक रही थी।मुझे हाथो में उसके बाह रहे योनिरस से गीलापन महसूस हुआ जीवा अब पूरी तरह से गीली होने लगी थी। मुझे जीवा की उत्तेजना की स्थिति का एहसास हो चुका था।


आगे क्या हुआ -- ये कहानी जारी रहेगीl
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नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 10

गर्म और गीली कामवासना की दुनिया 


दोनों प्रेमी कामवासना की दुनिया में खोए हुए थे... मैं  जीवा की गांड पकड़कर दबाने लगा ... सब कुछ काबू से बाहर होता जा रहा था... वह बेसाख्ता कराह रही थी ।

जीवा: आआई मम्माममआ ईईईईऊ आया ऊ ईईई. ये चीख सुन कर पर्पल ये जाने के लिए हमारी तरफ आयी की जीवा क्यों चिल्लाई और सोफे पर हमे चुदाई की और बढ़ते देख मुँह बंद कर वहीँ रुक गयी । । उसने पलट कर तीनो लड़कियों को ओंठो पर ऊँगली रख चुप रहने का इशारा किया और उन्हें इशारे से पास बुला कर हमारी चुदाई देखने के लिए आमंत्रित किया ।

मैं नीचे झुककर जीवा के स्तन को चूमा । जीवा भी उत्तेजित होकर अपनी गांड उठा रही थी ... मैं लंड को बार-बार जीवा की योनि के ऊपर घीसे जा रहे थे... जीवा तड़प रही थी ...


[Image: RGD3.webp]

उसकी गांड आगे पीछे हिल रही थी... मैंने अपना एक हाथ नीचे किया और जीवा की बहुत ही गर्म गीली रसीली छेद का एहसास करते हुए अपनी एक उंगली को उस रसीले छेद में डाल दिया... जीवा तड़प तड़पकर कसमसआने लगी... मेरी मोटी लंबी उंगली का एहसास अपने छेद में पाकर जीवा चीखने लगी। ओह्ह्ह्ह आआई ईईईई

।मैं बड़ी तेज रफ्तार से मैं उस उंगली से ही जीवा की मदमस्त गुलाबी रसीली चूत चोदने लगा ... जीवा दर्द और उत्तेजना के मारे उछलने लगी... मैंने अपनी उंगली की रफ्तार तेज कर दीफिर । मैंने जीवा के होठों को चुम्मा लिया और फिर अपनी जीभ उसके मुंह में डाल उसके ओंठ चूसने लगा ...

हालाँकि जीवा मुझ से चुद चुकी थी पर फिर भी ताज़ी-ताज़ी चुदाई के बाद जीवा की चूत की कसावट कुवारी चूत वाली ही थी। फिरमैंने प्रेम की देवी से प्राथना की और उनसे थोड़ा-सी और शक्ति और सब्र माँगा और दोनों उंगलिया को अन्दर डालने के लिए जोर लगाया। चूत की कसी हुई मखमली दीवारे मेरी उंगलियों को अंदर नहीं जाने दे रही थी। लेकिन मैंने हाथ से दाने को रगड़ना जारी रखा। इससे मिलने वाले चरम सुख की कोई सीमा नहीं थी। जीवा के मुहँ से सिसकारियो का सिलसिला लगातार चल रहा था, उसका शरीर भी उसी अनुसार लय में कांप रहा था और आगे पीछे हो रहा था। अचानक उसका पूरा शरीर अकड़ गया, सिसकारियो का न रुकने वाला सिलसिला शुरू हो गया, जांघे अपने आप खुलने बंद होने लगी, दाना फूलकर दोगुने साइज़ का हो गया लेकिन मैंने उसे रगड़ना अभी भी बंद नहीं किया था। दाने के रगड़ने से चूत के कोने-कोने तक में उत्तेजना की सिहरन थी। चूत की दीवारों में एक नया प्रकार का सेंसेशन होने लगा, कमर और जांघे अपने आप कापने लगी, जीवा को पता चल गया अब अंत निकट है, ये वासना के तूफ़ान की अंतिम लहर है। चूत रस तेजी से बाहर की तरफ बहने लगा। सारा शरीर कापने लगा, उत्तेजना के चरम का अहसास ने उसके शरीर पर से बचा खुचा नियंत्रण भी ख़त्म कर दिया।

साथ में मैं नीचे अपनी उंगली से जीवा की चूत चोदने में लगा रहा उत्तेजना के इस चर्म पर जीवा की कमर अपने आप ही हिल रही थी, पैर काँप रहे थे, मुहँ से चरम की आहे निकल रही थी और फिर अंतिम झटके के साथ पूरे शरीर में कंपकपी दौड़ गयी और पूरा शरीर सोफे पर धडाम से ढेर हो गया और फिर वह झटके खाती हुई स्खलित हुई और धीरे-धीरे वह सोफे पर पूरी तरह लेट गयी।

फिर मैंने जीवा की दोनों टांगों को चौड़ा किया... जीवा पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी मैंने जीवा की गुलाबी गीले त्रिकोण के ऊपर अपना हथियार रख घिसना शुरू कर दिया।और फिर ... मैंने अपने औजार को जीवा के छेद के मुहाने पर टिका दिया...


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जीवा अच्छी तरह जानती थी कि आज यह मोटा लम्बा लंड उसकी चूत को चीर के रख देगा, फाड़ कर रख देगा ... मखमली गुलाबी सुरंग में अन्दर तक जाकर धंस जायेगा ...

अब वह खुलकर चुदना चाहती थी और उसकी चूत भी उसके वासना में जलते जिस्म की आग बुझाने को तैयार थी। वह जानती थी यही मोटा भयानक लंड उसकी योनि की अंतिम गहराई तक जायेगा और वह अपने शरीर में जब तक दम रहेगा तब तक चुदवाना चाहती थी। उसे अपनी चूत की वर्षो की प्यास जो पहली छुड़ई के बाद धड़क चुकी थी मिटानी थी । उसे अपनी चूत की दीवारों में उमड़ रही चुदास की आग को बुझाना था, वह चाहती थी की जैसे सावन में बार-बार बरसते बादल धरती की प्यास बुझाते है ऐसे ही ये मोटा लम्बा लंड बार-बार मेरी चूत में जाकर मुझे चोदेगा और मैं बार-बार झड़-झड़ कर चूत के अन्दर लगी आग को बुझवाऊँगी और अपनी तृप्ति हासिल करू असली तृप्ति भरपूर तृप्ति, परम सुख संतुष्टि, ऐसी संतुष्टि जिसको मेरे नंगे जिस्म का एक-एक रोम महसूस करे। जीवा ने मुझे चूम कर अपनी टूटी हुई हिम्मत और पस्त हौसलों को एक नयी जान दी।

जीवा वासना की आग में पागल हुई जा रही थी...जैसे ही मेरा सख्त हाथ उसकी कमर के नीचे से वासना से दहकती उसकी जांघो के बीच में नरम चिकनी त्रिकोण चूत घाटी के पूरी तरह से साफ़ सुथरा गुलाबी चिकने मैदान पर से फिसलता हुआ नीचे बढ़ा, जीवा ने पैर फैलाकर खुद ही पूरी तरह से हथियार डाल कर टाँगे खोल दी और उसकी दुधिया गुलाबी गीली चिकनी चूत दिखने लगी।

जीवा की मोटी चिकनी मुलायम और गुदाज जाँघे अपनी पूरी आबो ताब के साथ मेरी भूखी प्यासी आँखों के सामने नुमाया हो रही थी।

मेरा लिंग उस की चूत से टच होते ही जीवा पर एक मस्ती-सी छाने लगी। सच्ची बात यह थी कि जीवा खुद भी मेरे मोटे लंड को देख कर मेरे लंड की दीवानी हो गई थी। इस लिए उस ने भी मेरे लंड को अपने हाथ में ले कर उसे सहलाना शुरू कर दिया।

जीवा बहुत मज़े ले-ले कर अपनी चूत मसलवा रही थी और साथ में ऊँगली के योनि में घर्षण के मजे ले रही थी। " ऊऊऊऊओह! आआआआआआआआआ! उफफफफ्फ़! जमशेद प्लेसीईईईईईई! और चोदो मुझे उफफफफफफफफफ्फ़। ओह्ह क्यों तड़पा रहे हो मास्टर अब पूरा डाल दो ना मैरी चूत में अपना लंड! उूउफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़!

बस मुझे इसी का इन्तजार था । मैंने तुरंत अपनी उंगली से चूत का चोदना रोक दिया और फिर अपने पैर फंसा कर जीवा के पैरो को और फैला दिया, जीवा की चूत पर एक भी बाल नहीं था इसलिए अब कोई भी दूर से जीवा की चिकनी गोरी गुलाबी चूत के खुले ओठो और गुलाबी छेद को देख सकता था। जिसे चूत की दीवारे कसकर बंद किये हुई थी। मैं जीवा के ऊपर आ गया और अपने पैरो को हिलाकर थोडा एडजस्ट किया। अब मेरा खून से लबालब भरा मोटा लंड, मेरा फूला हुआ लाल सूपाड़ा जिसकी नसे दूर से ही देख रही थी, जीवा की जांघो के बीच बिलकुल चूत के मुहाने पर झूल रहा था।


[Image: entr1.gif]

"उफफफफफफफफफ्फ़ मास्टर मेरी चूत को इतना गरम हो गई है। कि अब तुम्हारे लंड लिए बैगर इस की प्यास नहीं बुझ पाएगी" गीवा ने अब बेशर्म होकर कहा।

इन्ही मादक कराहो के बीच मैंने लंड को जीवा की चूत के छेद पर रखा और रगड़ने लगा। जीवा की कराहे और सिसकारियाँ बढती जा रही-रही थी। मैंने कमर को और झुकाते हुए लंड को जीवा की चूत से सटा दिया और उसकी चूत रगड़ने लगा। जीवा भी उसकी चूत को सहलाते मेरे लंड पको अंदर को दबाने लगी।

मैंने जीवा की चिकनी गुलाबी गीली चूत को सहलाते-सहलाते लंड थोड़ा दबाया और दबाब डाल कर जीवा की चूत के ओठ खोल दिए-और अपने खड़े लंड का फूला सुपाडा उसकी मखमली गुलाबी चूत पर सटा दिया। जीवा को लगा अब बस मैं अपना मुसल लंड उसकी चूत में पेल देगा। मैं जीवा की जांघो को अपने और करीब ले आया और अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर लगा दिया।

अब दोनों इंतजार नहीं कर पाए तो मैं वागे हुआ और अपने लिंग को अपने दाहिने हाथ में पकड़ लिया। यह पूर्व सह टपक रहा था। योनि भी भीगी हुई थी। मैंने अब प्रवेश द्वार की तलाश में अपनी नोक को एक दो बार ऊपर और नीचे खिसकाया। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और लंड के प्रवेश के लिए तैयार थी।

मैंने कमर पर जोर लगाया और अपने मोटे लंड का फूला हुआ सुपाडा जीवा की चूत में पेलने की कोशिश करने लगा। उसने आइस्ते से जीवा के कसे संकरे चूत छेद पर दबाव बढ़ाया और अपने सुपाडे को जीवा की गीली चूतरस से भरी चूत के हवाले करने लगा। जीवा की चूत के गुलाबी ओंठ उसके फूले सुपाडे के इर्द गिर्द फ़ैल गए।

जीवा की चूत पर लंड सटाने के बाद उसने दो बार लंड को चूत में पेलने की कोशिश की और दोनों बार चिकनी चूत की कसी दीवारों और उसके चारों तरफ फैले चिकने चूत रस के कारन लंड फिसल गया। मैंने इस बार लंड को जड़ से पकड़कर चूत के मुहाने पर लगाया और जोर का धक्का दे मारा। जीवा की चूत की मखमली गुलाबी गीली दीवारों को चीरता हुआ लंड का सुपाडा चूत में घुस गया।

जीवा का पूरा शरीर काम उत्तेजना के कारन गरम था, चूत भी गीली थी, लगातार उसकी दीवारों से पानी रिस रहा था और जीवा भी मेरा मोटा फूला हुआ मुसल लंड चूत में अन्दर तक लेने के लिये मानसिक रूप से तैयार थी । फिर भी मेरे लंड का मोटा सुपाडा अन्दर जाते ही जीवा दर्द से कराह उठी।


[Image: mis10.gif]

जीवा-आआअह्ह्ह आआआआआह्हह्हह्हह्हहईईईईईईईईई स्सस्सस्स मैं आह्ह्हह्ह स्सस्सस्सस, हाय मैं मर गयी, दर्द ओह्ह हाय, आआआआऐईईईईईईईऊऊऊऊऊऊऊऊ।

चूत की दीवारों में हाहाकार मच गया, दर्द के मारे चूत का बुरा हाल हो गया, जीवा ने मुट्ठिया भीच ली, उसके जबड़े सख्त हो गए और अपने निचले ओठो को दांतों के बीच में कसकर दबा लिया। पूरे शरीर को कड़ा करके दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश करने लगी।

आज जीवा की योनि पर मैंने ऊपर से दबाव बनाया और फिर एक झटका दिया जीवा की प्यासी गीली चूत के अंदर, मेरे लोड़े का सुपड़ा मेरी बहन की टाइट चूत को चीरता अंदर समा गया।

जीवा की आंखें बड़ी हो गई। मेरा बहुत बड़ा औजार था।  जीवा दर्द में थी। मैंने कोई परवाह नहीं की और उन्होंने एक और झटका मारा अब मेरा आधा हथियार जीवा के छेद में जाकर फस गया था।

जीवा: आआअह्हह्हह्ह... मास्टर ।आआअह्हह्हह्ह ।आआअह्हह्हह्ह।

मैंने जीवा की आह से जोश में भर कर एक जोरदार झटका दिया और पूरा का पूरा लिंग मैंने जीवा के संकरे छेद में उतार दिया... फिर मैंने धीरे-धीरे अपना लंड बाहर निकाला, लंडमुंड अंदर ही रहने दिया और फिर से जीवा के अंदर पेल दिया।

मैं लिंग को धीरे अंदर बाहर करने लगा और चारो लड़किया पर्पल, मोनिका, क्सान्द्रा और केप्री  रसोई के पास के दरवाजे पर खड़ी हमारी चुदाई चुपचाप देख रही थी। उन्हें अच्छी तरह से पता था कि मैं और जीवा क्या कर रहे हैं। प्रत्यक्ष चुदाई देख कर उत्तेजित हो रही थी फिर कुछ देर बाद पर्पल एक हाथ से अपने स्तन और दुसरे हाथ से अपनी योनि को मसल रही थी । क्सान्द्रा  अपने स्तन दबा रही थी । मोनिका केप्री के ओंठो को चूम रही थी । केप्री अपनी बहन जीवा की चुदाई अब प्रत्यक्ष देख रही थी और उसे उसका बदन उत्तेजित हो रहा था ।

कुछ धक्को के बाद योनि की मासपेशिया मेरे लिंग के आकार और लम्बाई के हिसाब से समायोजित हो गयी और मैं जल्दी ही अपनी पूरी रफ्तार से जीवा की चूत का बाजा बजा रहा था ।  जीवा की गीली चूत से मुझे आसानी हो रही थी।

दोनों के मुंह से कामुक आवाज साफ-साफ सुनाई दे रही थी।

मैं जीवा की एक चूची को मुंह में लेकर दूध पीते हुए अपनी कमर चला रहा था । जीवा ने अपनी दोनों टांगे मेरी कमर में लपेट दी थी... लंड जब पूरा नादर जाय और हमारे बदन टकराते तो थप-थप की आवाज आ रही थी ।


[Image: MISSION3.gif]

लगातार ठोकरे ...दे दनादन ठोकरे ... सटासट मुसल लंड उसकी मखमली चूत की संकरी सुरंग को चीरता हुआ उसके अनगिनत फेरे लगा रहा था । साथ में चुदाई की थप-थप की आवाज पूरे माहौल को और भी कामुक बना रही थी ।जैसे ढोल बज रहा हो। हर धक्के के साथ उनकी रफ्तार बढ़ती जा रही थी। अगले कुछ मिनट तक जीवा इसी प्रकार से लेटी हुई मेरे धक्के बर्दाश्त करती रही।

हर बार लंड योनि को चीर-चीर कर फैलाता और अंदर पूरा का पूरा उसके अन्दर तक धंस जाता और फिर बाहर । फिर शुरू हुआ सरपट अन्धी सुरंग में रेस लगाने का सिलसिला और ये चुदाई और ठुकाई अब रुकने वाली नहीं थी ।

मैं उसे मंदिर में समारोह में चोद चूका था और आज फिर उसे चोद रहा था। अब वह पाईथिया की ही तरह मंदिर में सभी पुजारिणो और मंदिर के श्रद्धालुओ के लिए बड़ी बहन "एडेल्फी" थी। सब उसे "एडेल्फी" कह कर ही सम्बोधित करते थे। यहाँ तक की वह सब भी जो उम्र में उससे बड़े थे वह भी उसे  एडेल्फी कह कर ही सम्भोधित करते थे। पर्पल और जीवा की छोटी बहन केप्री के लिए तो वह बड़ी बहन एडेल्फी थी ही । चारो लड़किया अब उसकी ऐसी चुदाई देख कर विस्मित थी और सभी साँसे रोक कर हमारे सम्भोग को देख रही थी ।

मैंने इन खास पलों का ख़ास लुत्फ उठाने का फैसला किया । यह जानते हुए कि मुझे ये विशेषाधिकार प्राप्त था और मैं बिस्तर पर ही जीवा और अन्य सभी पुजारिणो पर मैं बिना किसी डर के हावी हो सकता था। मैंने इस सम्भोग को लम्बा करने का फैसला किया और मैंने धक्के मारना धीमा कर दिया, जिससे वह हताशा में कराह उठी। मैं मुस्कुराया और धीरे-धीरे लंड उसके मांस से अंदर और बाहर स्ट्रोक किया, फिर मैं तब तक और भी धीमा होता गया जब तक कि मैं लगभग गतिहीन नहीं हो गया। वह हांफने लगी, मेरे नीचे दब गई और जोर-जोर से अपने कूल्हे ऊपर उछालने लगी।

मैंने अपने धक्के बहुत धीमे कर दिए और वह कराहती हुई जोर-जोर से अपने कूल्हे ऊपर उछालने लगी। फिर अचानक, मैंने जोर से इस तरह धक्के मारने शुरू कर दिए जैसी की मैं मेरा लंड कोई हिंसक हथोड़े में बदल गया हो-अपने कूल्हों को आगे-पीछे और ऊपर-नीचे करते हुए उसकी योनि में लंड को हथोड़े की तरह अंदर धकेल कर इसकी योनि के गर्भशय पर चोट करने लगा, मेरे नितंब तेजी से उठ रहे हैं और नीचे हो रहे थे मेरा लंड अंदर जा कर घुम रहा है और योनि ने गहरा घुस रहा था और फिर से घूम रहा है और उसके मांस को अंदर जाकर दबा रहा था।

जीवा भी पागलों की तरह अपने टांगो से मेरी गांड के ऊपर मारने लगी थी. जीवा स्खलित हो रही थी  ।


[Image: cum1.gif]

फिर अचानक मेरा चेहरा लाल हो गया. मेरी गेंदों में उबाल आया और मैंने अनियंत्रित सम्भोग का अनुभव किया और मुझे लगा मैं स्खलित हो जाऊँगा और जीवा की मखमली गुलाबी सुरंग में अपना वीर्य गिरा कर जीवा की मखमली छेद को मैंने अपनी मलाई से भर दूंगा पर मैं भी झड़ना नहीं चाहता था । मैं रुक गया मैंने धक्के मारने बंद कर दिए ।

जीवा की गांड के नीचे का सोफे के कपड़े का हिस्सा उसकी योनि से रिस रहे रस से पूरी तरह गीला हो चुका था.  जीवा की योनि से टपकता हुआ रस सोफे को गीला कर रहा था. जीवा की आंखें बंद थी और गहरी-गहरी सांसे ले रही थी.  बहुत ही कामुक और उत्तेजक दृश्य था ।

जीवा पर मुझे प्यार आ रहा था। और मैं जीवा के बदन को चूम और निहार रहा था जीवा के उतार चढ़ाव, कटीले बदन का जायजा ले रहा था प्रेम और सेक्स की देवी की पूरी कृपा है इसके रूप रंग, इसके हुस्न और जवानी पर ये साक्षात दिख रहा था  ।  मैं जीवा के बदन को निहारते हुए अपने ख्यालों में गुम था ।

आगे क्या हुआ—ये कहानी जारी रहेगी
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भाग 11

गर्म और गीली  पर्पल 


जीवा मजे और आनंद से कराह रही थी आह हाय ओह्ह्ह! पर्पल हमारी चुदाई देख कर उत्तेजित हो अपने स्तन दबा रही थी और योनि में ऊँगली कर रही थी और पर्पल ने भी अपने नीचे के कपड़े निकाल दिए थे । लेकिन मेरे ध्यान अभी जीवा पर ही था । जीवा पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था और मैं जीवा के बदन को चूम और निहार रहा था जीवा के उतार चढ़ाव, कटीले बदन का जायजा ले रहा था प्रेम और सेक्स की देवी की पूरी कृपा है इसके रूप रंग, इसके हुस्न और जवानी पर ये साक्षात दिख रहा था। मैं जीवा के बदन को निहारते हुए अपने ख्यालों में गुम था।

धीरे-धीरे मैंने मेरे लिंग की घुंडी की संवेदनशील त्वचा को सहलाना और छेड़ना शुरू कर दिया। जल्द ही, मेरे हाथों ने मेरे लिंग को जकड़ लिया। फिर मेरे विचारो में जीवा, पर्पल, कसंद्रा, केप्री और मोनिका की छवियाँ घूम रही थी जिनमे कुछ जो मैंने देखा था उसकी यादें थीं, अन्य जो मैं देखना और करना चाहता हूँ उसकी कल्पनाएँ थीं। मेरी आंखें बंद-बंद हो गयी थीं और मैं बाकी दुनिया से पूरी तरह बेखबर था, इसलिए जब मुझे अपनी गेंदों पर एक गर्म हाथ कप महसूस हुआ तो यह पूरी तरह से झटका था।

"आपको खुद ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है," उसने अपने चेहरे पर एक तीखी मुस्कान के साथ कहा, "अगर आप कुछ चाहते थे तो मुझे बुला लेते" और इसके साथ ही, वह नीचे झुकी और उसकी जीभ ने मेरे लंड की नोक में गुदगुदी की। जैसे ही वासना का विद्युत प्रवाह प्रवाहित हुआ मैं उछल पड़ा।



[Image: BJ1.gif]


उसने अपने हाथों से मुझे सहलाना शुरू कर दिया।

मेरी आँखें झटके से खुली और चौड़ी हो गईं क्योंकि मैंने देखा कि पर्पल फर्श पर बैठी हुई मेरे अंडकोष को सहला रही थी। फिर पर्पल आगे हुई और मेरे साथ चिपक गयी और मैंने जीवा को देखा और पर्पल ने मुझे चूमा और मैंने पर्पल की योनि को सहलाया और उसे गर्म और गीली और त्यार पा कर अपना बड़ा सख्त लंड पर्पल की योनि में एक ही झटके में पूरा घुसा दिया और मैंने उसे जोर से चोदना शुरू कर दिया जल्द ही वह खुशी और मजे में चिल्ला रही थी ओह मेरी! ओह मर गयी!

मैं उसे जोर-जोर से उसे चोद रहा था। पर्पल ने अपने चुतरस से मेरे लंड को पूरा गिला कर दिया था। मैंने अपने कूल्हों को जोर से और जोर से धक्के मारे मेरे लिंग की पूरी लंबाई उस सेक्स से भरी योनी के अंदर और बाहर जा कर उसके गर्भशय के मुँह से टकरा रहा था। मेरे वीर्य से भरे हुए बड़े-बड़े अंडकोष ठप्प-ठप्प की आवाज करते हुए से उसकी गांड पर टकरा रहे थे।

राजकुमारी पर्पल जो की अब महायाजक बन चुकी थी उसने अपनी गांड हिला-हिला कर मेरा साथ दिया, मैंने अपनी टांगो को उसके टांगो पार और जांघो पर मसला और उसने अपनी टांगो को मेरी मजबूत पीठ के चारों ओर लपेट लिया, उसके स्तनों का विशाल वजन मेरी लचीली मांसपेशियों के खिलाफ नरम हो गया, उसकी बाहें मेरे कंधो के चारों ओर पहुँच गईं। पर्पल की योनि ने मेरे लंड को कस कर पकड़ लिया था, उसकी योनी अब चुदाई के तेज धक्के झेल रही थी और वह आह ओह्ह करती हुई बार-बार हर धक्के के साथ कराह रही थी। मैंने और तेज गति से पर्पल को चोदना जारी रखा।


[Image: prpl0.jpg]

जल्द ही मैं होने वाले विस्फोट की आहट महसूस करने लगा। मैंने थोड़ा पीछे हो कर उसे चूमा और अपना लिंग बाहर निकाल लिया अगले ही पल पर्पल की जीभ लिंग की घुंडी पर नाच रही थी। लिंगमुण्ड फूल गया था और धड़क रहा था । उसने भी होने वाले विस्फोट की आहट को महसूस किया और मेरे लिंग को पकड़ लिया और उसे अपने मुंह में ठूंस लिया, फिर वह लिंग को लयबद्ध तरीके से जोर से चूस रही थी। मेरे हाथ उसके स्तनों पर गए, अपनी महायाजक की पोशाक के नीचे एक कड़े अंगवस्त्र में लिपटी सामग्री के बीच से उसके स्तनों की धीरे से मालिश करने लगा। मैं उसके कराह को सुन सकता था जब मैंने उसके एक निप्पल को मरोड़ दिया था और अपनी उंगलियों से उसे मसल दिया।

मेरे एक हाथ ने प्रतिरोधी कपड़े में एक रास्ता खोज लिया था और अब चिकने मांस पर अपना रास्ता तब तक बनाया था जब तक कि उसे उसके निप्पल तक नहीं पहुँच गया और उस नग्न स्तन और चूचक को सहलाना और मरोड़ना शुरू कर दिया। मेरा दूसरा हाथ उसकी योनि में गया और उसके दाने को छेड़ने लगा ।


[Image: M1.gif]

जैसे-जैसे उसकी कामोत्तेजना बढ़ती गयी उसका स्खलन नजदीक आता गया उसका कराहना बढ़ता गया। पर्पल की पीठ अकड़ कर ऊपर उठ धनुषाकार हो गई और फिर उसका बदन काम्पा और वह स्खलित हो गयी। जब उसके स्खलन कुछ कम हुआ तो उसने अपने विशाल, रसीले होंठों को मेरे लंड मुंड पर घुमाया। पर्पल ने अपना हाथ मेरे लंड के आधार के चारों ओर लपेटा, अपने होठों से वह मेरे लंड को चूमती हुए चूस रही थी । उसका दूसरा हाथ मेरी बड़ी गेंदों को प्यार करने के लिए नीचे गया, हालांकि उसे मेरे लंड और अंडकोषों के ने विशाल आकार के कारण एक-एक करके उन पर ध्यान देना पड़ा।

वो साथ-साथ मेरा लिंग जोर से चूस रही थी और मैं हांफने लगा और उसे पता चल गया कि क्या होने वाला है। उसने मेरे लिंग को अपने मुँह में बंद कर लिया क्योंकि मैंने सफेद गाढ़े तरल की चार या पाँच तेज़ धारियाँ मारीं जिन्हे उसने लालच से निगल लिया, कुछ वीर्य बारे निकला जिसे तब तक थोड़ा सम्मान्य हो गयी जीवा ने चाट कर साफ कर दिया और पर्पल ाइर जीवा ने तब तक चूसना और चाटना जारी रखा जब तक कि मेरा लिंग किसी भी स्खलन से साफ नहीं हो गया। हालांकि यह अभी भी सीधा था, लेकिन हम दोनों जानते थे कि रात के भोजन का समय पास आ गया था।


[Image: 1.gif]

"वह अद्भुत था!" मैंने कहा, वास्तव में नहीं जानता कि मुझे और क्या कहना चाहिए।

"मुझे आपकी सेवा कर खुशी हुई," उसने जवाब दिया, "आप जानते है मुझे आपका लिंग बहुत पसंद है और उसे चूसना उस से भी ज्यादा पसंद है" और इसके साथ ही, उसने मुझे मेरे होठों पर चूमा और जाते ही अपनी ड्रेस ठीक करते हुए खड़ी हो कमरे से बाहर रसओ घर की तरफ चली गई। मैं विश्वास नहीं कर सकता था कि अभी क्या हुआ था और थोड़ा उलझन में था कि ऐसी परिस्थितियों में क्या करना चाहिए। तभी मैंने मोनिका की आवाज़ सुनी जो मुझे रात के खाने के लिए बुला रही थी और मैंने जल्दी से अपना लिंग वापस अपनी पैंट में डाला और नीचे डाइनिंग हॉल की ओर बढ़ गया।

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भाग 12

रात का भोजन  



मुझे मोनिका द्वारा डाइनिंग टेबल की मास्टर चेयर की और निर्देशित किया गया मुझे देख मेरी अगल बगम में बैठने वाली कुर्सियों पर बैठी हुई जीवा और पर्पल और मेरे ठीक सामने केप्री थी और वह तीनो मुझे बधाई देने के लिए उठी।

मैंने तीनों देवियों का हाथ चुम कर उनका अभिवादन किया। "आपकी सराहना के लिए धन्यवाद हम आपका धन्यवाद करते हैं" जीवा बोली और सभी ने अपना आसन ग्रहण किया।


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"और आपने जो हमारे लिए किया है उसके लिए मैं आपका धन्यवाद करती हूं" पर्पल फुसफुसाई और मेरे पतलून के ऊपर से मेरे कठोर लिंग को उसने सहलाया, "लगता है आपको काफी भूख लगी है" उसने बातचीत में शामिल होने के लिए जोड़ा।

इसे यहाँ देखें, "मोनिका ने मुझे एक कार्ड देते हुए कहा। उस कार्ड के बाहर" मेनू" लिखा था और अंदर उन चीजों की एक सूची थी जो मोनिका ने उन्हें रात के खाने के लिए प्रस्तुत की जाने वाली थी। मैं वह सूचि पढ़ कर मुस्कुराया । सभी व्यंजन, मेरी पसंद के थे ।

रात के खाने के पहले हमे स्वागत ड्रिंक दिया गया और अगले दो व्यंजन यथोचित असमान थे, मोनिका कर क्सान्द्रा भोजन परोस रही थी।

"आपको केपरी आकर्षक लगती है और आपको कैसा लग रहा है?" जीवा ने सीधे पूछा,

 " सुंदर महिलाओं के बीच होना निश्चित तौर पर आन्नदकारक है " मैंने जवाब दिया और केप्री अब और अधिक शरमा रही थी। जीवा ने उसकी बेचैनी को भांप लिया और जोर से हंस पड़ी और केप्री के चेहरे के सामने उसके और बाल गिर गए। केप्री अब आश्चर्यजनक तौर पर और अधिक आकर्षक लग रही थी। मेरा इरेक्शन जो पहले से कम हो गया था, लेकिन एक बार फिर मेरे लिंग में हलचल शुरू हो गई थी। पर्पल चौकस थी और उसने मेरी पतलून की ज़िप खोल कर मेरी कुछ बेचैनी को दूर करने का प्रयास किया।


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"मुझे लगता है कि वह आपको बहुत आकर्षक लगती है" उसने कहा तो पर्पल का हाथ मेरे उभार पर टिका हुआ था।

"ओह हाँ?" केपरी को व्यंजन परोस रही कसंद्रा ने उत्सुकता से पूछा, "और डेल्फी आप यह कैसे जानती हैं?"

"मेरे पास इसे साबित करने के लिए पुख्ता सबूत हैं" उसने ऐसा करते हुए मेरे  लिंग को सहलाते हुए सीधे चेहरे से कहा।

"मैं वह सबूत देखना चाहूंगी" कसंद्रा ने जवाब दिया, वह भी सीधे चेहरे के साथ बोली, हालांकि उसे इसे बनाए रखना कठिन लग रहा था।

"अगर मास्टर सहमत हैं, तो मुझे यकीन है कि उस सबूत की जांच की व्यवस्था की जा सकती है" पर्पल ने कहा और हंसना शुरू कर दिया। जीवा इसमें शामिल हो गयी और इसने टेबल के दूसरी तरफ केप्री का ध्यान आकर्षित किया। केप्री मुझे देखकर मुस्कुरायी।

"मैं अपनी बहनों को आपको इसके लिए परेशान नहीं करने दूंगी," जीवा ने कहा, " और वह पहले पर्पल और फिर क्सान्द्र और केपरी को देखते हुए मुस्कुराने लगी।

"लेकिन डेल्फी यह बहुत रोमांचक होगा। मास्टर के साथ रहना कितना रोमांचक है!" पर्पल  मुस्कुरायी।

"हाँ," मोनिका ने पहली बार बोलते हुए कहा, " मालिक, आपका यहाँ होना बहुत अच्छा है। मेरे लिए हवेली में एकाकी जीवन बहुत उबाऊ हो गया था और जैसे ही आप आए और आपके बाद महायाजक और बाकी लड़किया आपके साथ आ गईं और यह अच्छा है। अब यहाँ बात करने के लिए लोग हैं।

"मुझे भी आपके साथ अच्छा लग रहा है" मैंने जवाब दिया, "मेरे घर में ऐसी सुंदर, प्यारी, देखभाल करने वाली, आकर्षक और सेक्सी महिलाओं का साथ होना खुशी की बात है और मुझे ख़ुशी है कि मुझे इस हवेली में रहने का सौभाग्य मिला है। मैं भी आपके अनुभव साझा करना चाहता हूँ।"

मैं अभी भी अपने आप को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहा था क्योंकि पर्पल के हाथ मेरे इरेक्शन को सहला रहे थे और लड़कियों के लिए हमारी बातचीत के दोहरे अर्थों पर हँसना बंद करना मुश्किल हो रहा था। "मुझे यकीन है कि आप हम सभी को एक दुसरे से अधिक मिलनसार पाएंगे!" एक बार फिर खिलखिलाने से पहले क्संद्रा ने कहा।

"क्या आप 'मेरे अनुभव साझा करना चाहेंगे' मास्टर?" जीवा हँसी। केपरी ने खुद को एक विस्तृत मुस्कराहट में शांत किया:

"लेकिन आप तो पहले से ही पर्पल के साथ कुछ साझा कर रहे हैं!" क्सान्द्रा ने कहा और इस बीच पर्पल की पतली उंगलियाँ मेरे पतलून में घुसी और उसने मेरे लंड को बाहर निकाला। उसकी उंगलियाँ लिंग के चारों ओर लिपटीं और लिंग के ऊपर और नीचे जाने लगीं, वह नमी से चमक उठा।


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क्सान्द्रा मेरी दूसरी तरफ आयी और मेरी बगल में झुक गई। उसने मेरे लिंग को पर्पल के हाथ में देखा और धीरे से उसे छुआ, धीरे से मेरी गेंदों पर हाथ फेरते हुए बोली "यह उस सबूत का एक अच्छा नमूना है!" उसने टिप्पणी की और मेरे अंडकोष को चाटने के लिए अपना सिर झुका लिया।

मैं जवाब में कुछ नहीं कह सका और दोनों लड़कियों ने मेरे गुप्तांगों को सहलाना और चाटना जारी रखा। मैं ऊपर की ओर उठा और उन्हें मुझे और अधिक आनंद देने के लिए प्रोत्साहित किया और मैं अपने अंदर अपने कामोन्माद के निर्माण को महसूस कर सकता था।

किसी तरह मैंने उन्हें रोका और रात के खाने के बाद, हम टीवी  देखने के लिए सोफे पर चले गए। हमने टीवी पर अमेज़ॅन, हूलू, डिज़नी प्लस और नेटफ्लिक्स पर वेब सेरिस देखते हुए मैंने वह सोडा पिया जो मोनिका हमारे लिए लायी थी।

मोनिका हमारे चारों ओर मंडराती रही और हम सभी का ख्याल रखा । जब एक ड्रिंक कम हो जाती थी, वह दूसरी ले आती थी। फिर कुछ देर बाद हमसे जीवा और पर्पल ने बिदा ली और केप्री को मेरे पास छोड़ कर मंदिर वापिस लौट गयी ।

कुछ देर बाद जब मैंने जम्हाई ली तो "क्या आप आराम करना चाहेंगे, मास्टर?" मोनिका ने पूछा, उसकी आँखों में गर्म चमक थी।


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जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि उसका क्या मतलब है मेरा लंड सख्त हो गया। "हाँ।" मेरा लिंग खड़ा हो गया था और मुझे लगा आज वह अपना कौमार्य खोने के लिए तैयार थी। "हाँ मैं।"

मेरी परिचारिका मोनिका ने मुझे अपना हाथ दिया। मुझे उसका ऐसा सोचना अच्छा लगा। मेरी नौकरानी के साथ यह रोमांचक संभावना थी। मेरा लंड बहुत सख्त था। अपनी ताकत से धड़क रहा है। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था ।

"क्या वे जा रहे हैं...?" केप्री ने पूछा।

"हाँ," क्सान्द्रा ने स्वप्निल आवाज़ में कहा। "मम्म, ओह यह कितना खूबसूरत होगा जब एक नौकरानी और उसका मालिक प्यार करेंगे, केप्री।"

"और मुझे मास्टर दीपक की बगल में बेडरूम मिला है,"। अठारह साल की केप्री बड़बड़ायी "मुझे आशा है कि दीवारें पतली नहीं हैं।" "हॉट एंड किंकी सेक्स? ओह! प्रेमऔर सेक्स की देवी।"

केप्री धीरे-धीरे ये वह स्वीकार कर रही थी की मैं, मोनिका, क्सान्द्रा और वह और मेरी अन्य सेविकाएँ और साथीने, यहाँ गर्म सेक्स करेंगे। "

मेरा लंड लचक गया।

मोनिका ने मुड़कर मोनिका की ओर देखा। "इस हवेली के मालिको की ये परम्परा रही है। जल्द ही ये हॉल मास्टर की नौकरानियों, सेविकाएँ, प्रेमिकाओ से भर जाएंगे। वे आपसे प्यार करेंगे और आप उनसे प्यार करेंगे, क्योंकि मालिक एक अच्छे इंसान हैं और हम मालिक का ख्याल रखेंगे और उन लोगों का ख्याल रखेंगे जो मालिक के प्रिय हैं।"

 "मालिक" मोनिका ने मेरे शयनकक्ष का दरवाजा खोला तो दरवाजा खोलते ही केप्री कराह उठी।

"आप मालिक हैं, मास्टर," मोनिका ने कहा जैसे ही हम अंधेरे कमरे में दाखिल हुए। भारी, मखमली पर्दे से बनी खुली खिड़कियों से प्रकाश फैल गया। कमरे के बीचों-बीच पलंग बिछा था, एक चौपाया पलंग जो किसी राजा के शयन कक्ष के पलंग से भी बड़ा लग रहा था। एक व्यक्ति या दो या तीन या चार लोगों के लिए बहुत बड़ा लग रहा था।

कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 13

परिचारिका के साथ  प्रथम सम्भोग 



"आप मालिक हैं, मास्टर," मोनिका ने कहा जैसे ही हम अंधेरे कमरे में दाखिल हुए। भारी, मखमली पर्दे से बनी खुली खिड़कियों से प्रकाश फैल गया। कमरे के बीचों-बीच पलंग बिछा था, एक चौपाया पलंग जो किसी राजा के शयन कक्ष के पलंग से भी बड़ा लग रहा था। एक व्यक्ति या दो या तीन या चार लोगों के लिए बहुत बड़ा लग रहा था।


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"मास्टर याद रखिये आप मालिक हो" उसने कहा और स्विच फ़्लिप किया। लालटेन की रोशनी में एलईडी बल्बों की चमक के बावजूद रोशनी नरम थी। "मम्म, आपकी लार, आपकी सांस, आपके दिल की धड़कन और आपका बीज। मैं आपकी हूँ, मास्टर। मुझे आज्ञा दो।"

क्सान्द्रा और केप्री दोनों पीछे खड़ी हुई सब देख रही थी और क्सान्द्रा केप्री से बोली आप भी याद रखना की मोनिका में मास्टर से क्या कहा है और आप मास्टर की सेविका हो ।

 "निर्वस्त्र" मैंने आज्ञा दी, मेरा लंड इतना कठोर हो गया था। यह बहुत अविश्वसनीय था। मेरी सभी प्रेमिकाए या आंटी सैम या मेरे कजिन भाई बॉब और टॉम, मेरे दोस्त सब मुझसे ईर्ष्या करेंगे अगर मैंने कभी कहा कि मेरे पास एक इतनी हॉट नौकरानी है। मेरे सबसे अच्छे दोस्तो को मुझसे बहुत जलन होगी। "मैं तुम्हें नग्न देखना चाहता हूँ।"

वह हंसी और उसके हाथ उसके पीछे पहुँचे और उसने अपनी वर्दी की ज़िप खोल दी। उसने फिर उसे नीचे गिरा दिया। उसके स्तन बाहर निकल आए। मैं उस सबसे शानदार गोल सुडोल और नग्न स्तनों की जोड़ी को देखकर कराह उठा। वे बड़े और कोमल लग रहे थे। वे उसके सामने हिले लेकिन वे दृढ़ गोल और भरे हुए थे। मेरा लंड उत्साह से झूम उठा।

"शानदार," मैं उसके कठोर, गुलाबी निपल्स को उसके बड़े स्तन पर देखकर हांफने लगा। जैसे ही उसने अपने कूल्हों से वर्दी को धक्का दिया, वे उसकी गति से हिल गए। "ओह, प्रेम और सेक्स की देवी। मैं इस पर विश्वास नहीं कर सकता। मैं ... मैं ..."

"मैं तुम्हारी हूँ," उसने कहा। "आपकी दासी।"


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उसने पेंटी नहीं पहनी थी, और अब वह पूरी तरह से नग्न थी। उसका स्लिट टाइट लग रही थी। तंग और कुंवारी। लग रहा था वह कल ही 18 साल की हुई थी। उसने अभी भी थाई-हाई स्टॉकिंग्स और अपनी कमर के चारों ओर एक गुलाबी कमरघनी पहनी हुई थी और उसकी नाक में एक छोटी नथ थी जो ये इशारा कर रही थी कोी वह अक्षतयौवबा कुंवारी थी।

वह मेरे पास आ गई, उसके कूल्हे हिल रहे थे और उसके स्तन... भगवान, जिस तरह से उसके स्तन हिल रहे थे वह सम्मोहक था। मैं काहुबिसो घंटे उन्हें बस देखता रह सकता था। वे देखने में बहुत ही शानदार थे। जैसे ही वह मेरे पास पहुँची मेरा लंड मेरी जींस में थिरकने लगा।

मैंने उसके स्तनों को चुने के लिए अपने हाथ बढ़ाए फिर रुक गया। मैंने उसका हाथ पकड़ा उसे अपने पास खींचा और मेरे होठों को उसके होंठ मिल गए और हमने चूमा-पहला उचित चुंबन जो हमने किया था लेकिन हमें एक दूसरे को किनारे पर धकेलने की जरूरत थी। मैंने अपनी जीभ उसके मुंह के अंदर घुसेड़ दी और उसका मुंह एक 'ओ' के लिए खुल गया। उसकी जीभ वापस मेरी जीभ पर आ गई और हमने चूमा चूसा और चूमा।

जब हम साँस लेने के लिए अलग हुए तो मैंने उसकी तरफ देखा और वह मुस्कुराईं और मेरे हाथों को धीरे से पकड़ कर अपने स्तनों तक खींच लिया। "आप मेरे मालिक हैं, मास्टर दीपक, आप मुझे अपना लीजिये।"

मेरे हाथ उसके स्तनों को सहला रहे थे। वे कोमल और भारी थे। वे बहुत गर्म थे। मैंने उन्हें सहलाया और फिर दबाया। मेरे अंदर एक सिहरन दौड़ गई। मेरे हाथ में जो कुछ था, उसे देखकर मैं दंग रह गया। विस्मय। यह कितना अद्भुत आनंद था।

प्रश्न गायब हो गए क्योंकि मैंने उसके स्तनों की जोड़ी को दबाया। मैंने उनकी मालिश की। वह कराह उठी, उसका चेहरा खुशी से झूम उठा। जब मैंने उनकी मालिश की तो वह कांप उठी। मुझे उनका वजन बहुत पसंद आया। मैंने अपने अंगूठे से उसके निप्पलों को सहलाया।

"मास्टर," जब मैंने निप्पलों की मालिश की तो वह कराह उठी। "हाँ, हाँ, मैं तुम्हारी हूँ। मेरा आनंद लो। मेरा वैसे ही आनद लो जैसे आदम ने बगीचे में हव्वा के साथ किया था।"

" मैं कराह उठा और अपना सिर नीचे कर लिया। मैंने उसके निप्पल चूमे और एक निप्पल निगल लिया। मैंने उसे जोश के साथ चूसा। वह हांफने लगी, उसका निप्पल मेरे मुंह में बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने अपनी जीभ उसके चारों ओर घुमाई। मैंने निप्पल को चूसा चबाया, उसके निप्पल को अपने मुँह में महसूस करते हुए मैंने जीभ निप्पल पर फिरा दी।


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जैसे ही मैंने उसे चूसा, वह कराह उठी, वह बार-बार कराह रही थी। मैंने उसके स्तनों को सहलाया। मैंने उसके दोनों स्तनों को मसला क्योंकि मुझे उसकी यह खुशी बहुत पसंद आयी थी। मुझे उसके स्तन चूसने में मजा आ रहा था मैंने इस जुनून का लुत्फ उठाया। मेरा लंड बहुत सख्त था। उसका इस तरह आनंद लेना एक रोमांच था।

मैंने उसके स्तनों को निचोड़ा, उन्हें मसला। मुझे अपने हाथ में उनका अहसास अच्छा लगा। मेरी उँगलियाँ उसके निप्पलों को सहलाने लगीं। मैं उन पर बरस पड़ा। मेरे हाथो ने उसके स्तनों को पूरा भर लिया और अंगूठे उसके स्तन में खोदे गए। मैंने उसकी मालिश की। जब मैंने ऐसा किया तो वह हांफने लगी।

 "मास्टर" उसने विलाप किया। "ओह, तुम मेरी योनि को इतना गीला कर रहे हो। हाँ, हाँ।"

उसकी चूत... भगवान, उसकी चूत मैं उसकी योनि को चाटना चाहता था। मैं बस अपने घुटनों पर गिर और उसकेयोनि क्षेत्र को चाट कर उसे अपने आगोश में ले कर उसे प्यार करना चाहता था। उसके साथ सम्भोग करना चाहता था । मैं उसके साथ वह सब कुछ करना चाहता था तो एक पुरुष अपने प्रेयसी के साथ करता है या कर सकता है । या कुछ ऐसा t जो मैं कर सकता था वह सब करना चाहता था। वह कितना पागलपन भरा था, लेकिन यह हकीकत थी जो मेरे सामने थी।

मेरा लिंग धड़क रहा था, मैंने अपना मुँह उसके निप्पल को चूसते हुए अपने घुटनों पर गिर गया। मैं उसकी बाल रहित योनी को देखता रहा। मैंने उस मसालेदार इत्र में सांस ली और महसूस किया कि यह उसकी गर्म योनी थी जिसे मैं सूंघ रहा था। वह मेरे लिए बहुत गीली थी। उसका रस उसकी जाँघों से नीचे बह रहा था।


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 "मास्टर" वह कराह उठी। "। कृपया, कृपया, मुझे प्यार करो। मुझे आपकी आवश्यकता है, मास्टर!"

मैं हैरानी से मोनिका की टाइट स्लिट को देखता रहा। उसकी इतनी खूबसूरत चूत थी। देखने के लिए बस भव्य और चमत्कारिक। मैंने फिर से सांस लेते हुए अपने होंठ चाटे। उस अद्भुत कस्तूरी ने मेरी नाक भर दी। स्त्री की कामोत्तेजना की वह मादक सुगंध मुझे उत्तेजित मदहोश और कामुक कर रही थी।

मैंने अपना चेहरा उसकी योनि क्षेत्र में दबा दिया।


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मैं अपने मुंह पर उसकी रसीली चूत के चुम्बन से सिहर उठा। मैंने अपने होठों पर उस अद्भुत एहसास का आनंद लिया। मैंने उसकी योनि को चाट लिया। मेरी जीभ उसके सिलवटों से टकरा गई। जब मैंने ऐसा किया तो वह हांफने लगी। वह कांप रही थी, उसका पूरा शरीर कांप रहा था जैसे मैंने उसे चाटा और उसकी योनी पर हाथ फेरा।

मेरी जीभ ने उसका अद्भुत स्वाद चखा। मैंने उसकी मसालेदार क्रीम के स्वाद का आनंद लिया। वह कराह उठी, उसके बड़े स्तन मेरे ऊपर झूल रहे थे। जैसे ही उसने मुझे देखा तो उसकी बैंगनी आँखें खुशी से चमक उठीं। जैसे ही मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा और वह मुझे देख कर मुस्कुराई।

मेरी जीभ उसके सिलवटों से टकरा गई। मैंने इतनी भूख से उसे चाटा और बार-बार चाटा जैसे मैं कई दिनों का भूखा हूँ। मैंने दावत उड़ाई। जब मैंने मेरी जीभ को उसकी चूत के बीच में सरकाया और उसके होठों से छलकती कराह सुनी तो ये अविश्वसनीय था।

"मास्टर," वह इतने शुद्ध जुनून के साथ कराह उठी। "हाँ, हाँ, बस ऐसे ही, मास्टर।"

वह कांप उठी। मैंने उसे भूख से चाटा। मैंने उसकी जांघो और फिर उसके गोल नितम्बो पर पेट पर और फिर स्तनों और पीठ मैंने हाथ फेरा। मैंने उसके मसालेदार रस का स्वाद चखा। उनका स्वाद बहुत लाजवाब था। मैंने उनमें आनंद लिया। वह सिहर उठी, उसका रस मेरी ठुड्डी पर छलक रहा था।

वह कैसे कांप रही थी और इसका आंनद ले रही थी ये मुझे अच्छा लगा। वह फुसफुसाई। यह सुनने में कितनी आनंददायक बात थी। जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाई उसके स्तन मेरे ऊपर झूल गए। मेरा लंड मेरी जीन्स और अंडरवेअर में धड़क रहा था।

"मास्टर," वह कराह उठी क्योंकि मेरी जीभ उसकी योनि क्षेत्र में और उसकी भगनासा और जांघो के त्रिकोण के इधर-उधर घूम गई। "ओह, हाँ, हाँ, मास्टर! यह कितना अद्भुत है!"

मैंने उसकी चूत का मसालेदार स्वाद चखा। उसने अपनी योनी मेरे ोंथी के ऊपर चारों ओर दबा दी। उसके कूल्हे झुक गए, मेरे ओंठो पर उसकी गर्म सिलवटों को सहलाते हुए। मैंने अपनी जीभ उसकी योनी में घुसेड़ दी और जीभ उसमें घुमाने और नचाने लगा। मुझे उसका स्वाद बहुत अच्छा लगा।

उसकी योनि की कसावट, बनावट उसकी योनि की अनुभूति। मैं उसके अंदर अपना लिंग डालने तक इंतजार नहीं कर सकता था। मैंने निश्चय किया मैं उसे बहुत कस-कस कर चोदूंगा। मुझे उसकी तंग चूत में लिंग डालने और घुसाने और बार-बार आगेपीछे होने में मज़ा आएगा। जैसे ही मैं अपनी जीभ से उसकी योनि में पंप करता, वह खुशी से हांफने लगती हैं तो जब मेरा बड़ा लिंग घर्षण करेगा तो उसे कितना मजा आएगा। वह इतने उत्साह के साथ बस रोएगी। ओह्ह! यह अद्भुत होगा।

"मास्टर! मास्टर!" जैसे ही मैंने उसकी क्लिट को झटका, वह कराह उठी। उस लड़की को यह पसंद आया, है? "ओह, हाँ, हाँ, वहीं, मास्टर!"

मेरी जीभ उसके भगनासा को सहलाने लगी छेड़ने लगी और चूसने लगी और वह उत्तेहजना से सहम गई। मुझे अपनी जीभ के खिलाफ उसकी नब्ज का अहसास अच्छा लगा। मैंने उसे चूसा। मैंने उसे कुतर दिया। वह परमानंद में हांफने लगी। उसकी पीठ झुकी, उसके बड़े स्तन आगे बढ़ गए। उसके हाथ ने मेरे सिर के पिछले हिस्से को पकड़ लिया।

"हाँ!" वह चिल्लाई।


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उसकी चूत से चटपटे रसों का सैलाब उमड़ पड़ा। जैसे ही वह चरमोत्कर्ष पर पहुँची, वह बेतहाशा कांपने लगी और उसका बदन अकड़ गया और उसने अपने जुनून का पानी मुझे पिला दिया। मैं इस अद्भुत उपहार को पीकर कराह उठा। म्रेरे मुँह, जीभ, ओंठ उनके रस से नहा गए उसके योनी के रस में स्नान करना कितना आनंददायक था। उसका रस मेरी ठुड्डी और गालों पर फ़ैल गया और फिर मेरे चेहरे के किनारों पर फैल गया। मैं इसके हर पल से प्यार करता था। मैंने उसके जुनून के हर सेकंड का स्वाद चखा।

मैंने उससे निकलने वाले रस को पी लिया। जब वह विलाप कर रही थी तो मैंने उनमें आनंद लिया। उसके जुनून ने कमरा भर दिया। ये सुनने में इतनी हॉट बात थी। मैंने उसे यह आनंद दिया मैंने उसे प्रसन्नता से चहचहाया।

उसके ऐसे स्खलन और चरमोत्कर्ष को देख कर केप्री और क्सान्द्रा की योनि गीली हो गयी और दोनों बहुत कामुक हो गयी । केप्री को कामुक देख क्सान्द्रा ने उसे चूमा और बोली बस थोड़ा और सब्र करो जल्द हो तुम्हारा प्रशिक्षण आरम्भ होगा ।

"ओह, मास्टर!" मोनिका कराह उठी, उसका हाथ मेरे सिर के पीछे आराम कर रहा था। "ओह, वह अद्भुत था!"

"अब हम शुरू करे ..." मैंने कहा, मेरा लिंग धड़क रहा है।

"मम्म, चलो आपको नग्न करते हैं ताकि आप मुझसे प्यार कर सको," उसने कराहते हुए कहा। "मैं आपके बड़े लिंग दवरा अपना कौमार्य भंग करवाने के लिए बहुत उत्सुक हूँ।" उसने मुझ पर एक आँख मारी।

"हाँ!" मैं अपने पैरों पर खड़ा हो गया। उसने मेरी जीन की ज़िप पर हमला किया, उसने मेरी कमीज़ फाड़ दी। जैसे ही मैंने अपनी फटी हुई शर्ट फर्श पर फेंकी, वह अपने घुटनों पर गिर गई।

उसने मेरी-मेरी जीन्स और अंडरवेअर को फाड़ डाला। उसने मेरे लंड को ओंठो से चूमा और जीभ से चाटा तो लंड जोर से उछला, उसकी जीभ लंडमुंड को खींच रही थी। उसने मेरी जीन मेरे पैरों के नीचे खींच दी और उनमें से बाहर निकल गया।

मैंने अपनी बाहें उसके चारों ओर फेंक दीं, उसे अपने खिलाफ खींच लिया। उसके चटपटे रस में लिपटे मेरे होंठ उसके होठों से पिघल गए। वह कराह उठी, मुझे इतने जोश से चूम रही थी। हमारी जीभ ने एक साथ नृत्य किया। यह अनुभव करने में मुझे काफी खुशी हुई। मैंने उसे इतनी भूख से चूमा और उसे बिस्तर की ओर धकेल दिया।

वो अपनी पहली बार के लिए बहुत उत्सुक थी। मैं अपना लंड उसकी चूत में दबा देना चाहता था। बस उसकी गहराइयों में उतार देना चाहता था। मैं इसके लिए बहुत उत्सुक था। तो मैं उसे जोर से चोदने को तैयार था और मैं उसे इतने कठोर स्ट्रोक से चोदना चाहता था। उसकी योनि में अपना लिंग घुसा देना चाहता था । उसके कौमार्य की झिल्ली फाड् कर पूरा लंड अंदर घुसा देना चाहता था ।

वह बिस्तर से टकराई और हमारे चुंबन को तोड़ते हुए उस पर गिर गई।

उसके बड़े स्तन उछल गए और कांपने लगे जैसे ही वह उसकी पीठ पर लेटी। उसने इन गर्म आँखों से मुझे देखा। उसकी आँखे वासना से पिघल गयी थी। मैं उस पर मुस्कुराया क्योंकि उसने अपनी जांघों को खुले आमन्त्रण में फैला दिया था। उसकी योनि भूख से छटपटाते हुए, चादर पर थरथराने लगी।

"मुझे ले लो, मास्टर" मुझे चोदो! वह विलाप कर रही थी, "मैं तुम्हारा हूँ! तुम्हारी दासी!"

मैंने खुद को उस पर फेंक दिया। फिर मैंने धीरे से उसे अपनी बाहों में लिया और उनके होंठो पर चूमना और अपनी जीभ से चेतना शुरू कर दीया। वह सिहरकर मुझसे लिपट गयी थी और उसकी 38 साईज की चूचीयाँ मेरे सीने से दब गयी थी। मैंने उसके गालों पर अपनी जीभ फैरनी चालू कर दी और फिर उनके ऊपर के होठों को चूमता हुआ, उनके नाक पर अपनी जीभ से चाट लिया। वह सिसकारियाँ भरती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी। अब में उनके चेहरे के मीठे स्वाद को चूसते हुए उसकी गर्दन को चूमने, चाटने लगा था और मेरे ऐसा करते ही वह सिसकारी भर रही थी। में उसके स्तन दबाने लगा। अब उसके मांसल बूब्स दबाने से वह सिहरने, सिकुड़ने और छटपटाने लगी थी, अब मेरा लंड तनकर पूरा खड़ा हो गया था और उनका सुडोल, चिकना, गोरा बदन, मेरी बाहों में था।

उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के पास खींच लिया। उसने मेरे लिंगमुण्ड को अपने गर्म मांस में रगड़ा। उसने मेरे लिंग को योनि के ऊपर और नीचे किया। यह अविश्वसनीय लगा। मैं चौंक गया कि यह कितना अद्भुत था। मैंने उसको चुंबन कर इसका स्वाद चखा।



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फिर उसने मेरे लिंग को अपनी चूत के ऊपर दबा लिया। और साथ में चिल्लायी। लेकिन उनकी टाईट चूत बहुत सख्त और तंग थी औरलिंग दबाए पर कराहने लगती थी बड़ी मुश्किल से उसकी योनि की तंग दरार खुली और मेरा लुंडमंड चूत के द्वार पर पहुँचा।

चोदो! "आगे बढ़ो" मम्म, तुम रुक क्यों गए, "उसने विलाप किया।"। "वह दर्द में थी पर मुझे देखकर मुस्कुराई।" अब बस आगे अपनी सहजता से जो तुम्हे अच्छा लगे वह करो। "

मुझे उसके ऐसा करने का अहसास अच्छा लगा। अपने लंड के सामने एक औरत के योनी को महसूस करना एक बेतहाशा खुशी की बात थी। यही था वह एहसास। वह अपना कौमार्य मुझे समर्पित कर रही थी। मुझे उसके बारे में थोड़ा बुरा लगा, क्योंकि मुझे मालूम था उसे बहुत दर्द होने वाला है।

मैंने कहा कि एक बार दर्द होगा, लेकिन आप अगर बर्दाश्त करोगी तो सारी जिंदगी मेरे मस्त लिंग के साथ मजे ले पाओगी।

मैंने कहा दर्द होगा तो वह बोली ' मैं सब सह लुंगी, तुम अब आ जाओ, मुझ में समा जाओ मैं सब सह लुंगी।

फिर मैंने उनको चूमते हुए और बूब्स दबाते हुए अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर सेट किया और उसको चूमता चाटता रहा। अब उसकी सुगंधऔर उसके चिकने बदन के एहसास से-से मेरा लंड अब पूरा 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा हो गया था, अपनी उंगलियों के अग्र भाग की मदद से साथ, मैंने उसकी टाइट चूत के होठों को बहुत मुश्किल से अलग किया और अत्यंत परेशानी के साथ अपने लुंडमुंड को उसके कुंवारी योनी के प्रवेश द्वार में डाला ।

मैंने मोनिका की चूत में जोर लगाया। उसके योनि ओंठ दबे फिर खुले । थोड़ा चौड़े हुए और उसे दर्द का एहसास हुआ और वह दर्द और मजे से कराह उठी ।


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जैसे ही मैंने महसूस किया कि लंड ठीक जगह रखा गया है मैंने थोड़ा जोर लगा कर लंड को चूत पर दबाया, लेकिन रोज़ी की चूत इतनी टाइट थी के लंड अंदर नहीं गया मैंने कहा मोनिका मुझे ज्यादा ताकत लगानी पड़ेगी, तुम तैयार हो, तो उसने आँखे झपक कर अपनी स्वीकृति दे दीl

फिर से चूत को हाथो से सहलाया चूत के दाने को लंड से मसला, फिर उंगलियों की मदद से ओंठो को फिर अलग किया, तो मोनिका ने भी लंड पकड़कर उसे अपनी चूत के छोटे से छेद पर लगा कर, अपने दुसरे हाथ से मेरे नितम्ब दबा कर इशारा किया, तो मैंने भी पूरे ज़ोर से एक धक्का दियाl

इस बार लंड चूत के अंदर जाने में कामयाब हुआl आधा लंडमुंड अंदर चला गया और साथ ही साथ मोनिका की एक तेज आह भी निकलीl उसने लंड को छोड़ा नहीं और पकडे रखाl उसने आँखे झपक कर मुझे इशारा कियाl इस बार मैंने लंड पर फिर लम्बे समय तक दबाब दियाl मेरे भयंकर दबाब देने से लंड को चूत के अंदर का रास्ता मिल गया और लंडमुंड अंदर चला गया,

फंनफना कर मोनिका की चूत में घुसने की कोशिश करने लगा था। फिर बड़ी मुश्किल से लंड का मुँह ही अंदर घुसा ही था कि मोनिका की तेज चीख निकल पड़ी, मास्टर अहह दर्द आईईईईईईईई दर्द उउउउइईईईईई हो रहा है और उनकी चीख से में और मदहोश हो गया और उनकी हथेलियों को अपनी हथेली से दबाते हुए उनकी चूत पर एक ज़ोर का शॉट मारा और मेरा लंड 2 इंच अंदर घुस गया।

अब दर्द से दोहरी मोनिका ओह्ह्ह मास्टर ओह्ह्ह मास्टर कहकर चीखने लगी और छटपटाने लगी थी। फिर मैंने उसकी चीखों की परवाह किए बिना एक ज़ोर का धक्का और मारा तो मेरा फनफनाता हुआ लंडमुंड उसकी चूत के अंदर घुस गया।

मैंने एक बार फिर ज़ोर से धक्का दिया और इस बार मेरा लगभग आधा लंड चूत के झिली को चीरता हुआ मोनिका का कुंवारापण भंग करता हुआ अंदर चला गया। उसकी चीख निकली, लेकिन न मैंने और न ही मोनिका ने उसे रोकने की कोई कोशिश करि l


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रोजी की चूत बहुत टाइट थीl मुझे लगा कि मेरा लंड उस तंग गुफा में फंस गया हो और चूत ने लंड को कस कर जकड लिया थाl मोनिका ने, अपने कौमार्य भंग में होने वाले दर्द को पूरी हिम्मत के साथ सहा था, इस तरह की मोनिका की तंग चूत की चिकनाई भरी गुफा में मेरे लंड के लिए रास्ता बन गया थाl अब वह मर गयी आह्हः हाय मास्टर मार डाला दर्र्द ओह्ह हये ज़ोर से चिल्लाने लगी थी और चीखने लगी थी, मार डाला मुझे मार डाला आआईईईईई मास्टर, प्लीज़, में मर जाउंगी, आआई रे आईईईई। ... फिर मैं धीरे से उसे सहलाने लगा और चूमने लगा और अपना लंड 2 इंच बाहर निकालकर फिर से एक ज़ोर का शॉट मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ चूत की जड़ में समा गया। फिर जो वह चीखी,। मैंने थोड़ा-सा लंड पीछे किया और फिर एक ज़ोर दार शॉट लगा कर पूरा लंड जड़ तक घुसा दिया।

उसके चेहरे से ही लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा हैl मैंने धीरे-धीरे उसे चूमना और सहलाना शुरू कर दिया, तो रोज़ी के आँखों में आंसू आ गएl तो मैंने कहा "धीरे करने से अंदर ही नहीं जा रहा था इसलिए ज़्यादा ज़ोर लगाना पड़ा" l

मैं बोला-थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगाl और उसे मैंने लिप किस कियाl मैं उसे लिप किस करता रहाl

उसकी गर्म देह और उसकी योनि के ओंठो ने मेरे लिंग को घेर लिया। इस अद्भुत, रसदार, अद्भुत योनि ने मेरे लंडमुंड को निगल लिया। मैं आन्नद से कराह उठा कि योनी ने मेरे लंड को निगलते हुए कितना आश्चर्यजनक महसूस किया। इंच दर इंच मेरा लंड उसकी योनी में घुस गया। मैं इसके जुनून से कांप उठा।

उसकी तंग योनी में लंडमुंड होने का अद्भुत एहसास और आन्नद में मुझे घेर लिया। यह दुनिया की सबसे अविश्वसनीय अनुभूति थी। "हाँ!" जैसे ही लिंग अंदर गया, वह कराह उठी।

" ओह, यह बहुत अच्छा है। मैं बोला और अपने कूल्हों को पीछे खींच लिया।

वह सिहर उठी, मेरे लंड के चारों ओर अपनी योनी को निचोड़ रही थी। मैं अपने लंड को सहलाते हुए उस रेशमी योनि की मालिश से हांफने लगा। यह एक अद्भुत प्रसन्नता थी। मैने इसके हर क्षण का आनंद लिया।

मैं बार-बार उसकी चूत में दब गया। मैंने उसकी ओर जोर से धक्का मारा। मैंने उसे इतने जुनून से चोदा।

मैं इतनी ताकत से उसकी योनी में घुस गया। मेरे पास जो भी आनंद था, वह उसकी योनि का मेरे लिंग को जकड़ना एक अद्भुत अनुभव है। उसकी तंग मांसपेशिया मेरे लिंग की मालिश कर रही थी। मैंने शक्तिशाली स्ट्रोक के साथ उसकी चुदाई की।

उसके हाथ और पैर मेरे शरीर से लिपटे हुए थे। मैं उसके आलिंगन में आनंदित था, उसकी चूत मेरे लंड से चिपकी हुई थी, उसके कोमल स्तन और सख्त निप्पल मेरी छाती में रगड़ रहे थे। मैंने उसकी आँखों में देखा।

"मास्टर!" वह कराह उठी, उसकी चूत मेरे लंड से दब गई। "ओह, मास्टर यह अविश्वसनीय है। ओह, मुझे यह बहुत पसंद है! मुझे लग रहा है मैं विस्फोट करने जा रही हूँ। बस आप भी उस जुनून में मेरे साथ फट जाएँ।"

"हाँ, हाँ, हाँ," मैं कराह उठा। "यह कमाल है!"


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वह मुझे देख कर मुस्कुराई। फिर मैंने पूरी ताकत से उसकी चुदाई की। इतने शक्तिशाली झटके मारे। मैंने उसमें पूरी तरह से अपना हल चलाया। वह कराह उठी, उसकी योनी मेरे लंड को पकड़ रही थी। उसने मुझे कस कर पकड़ रखा था। उसने उस अद्भुत मांस से मेरे लिंग की मालिश की।

मुझे उसकी चुदाई का हर पल अच्छा लगा। मैंने इसका आनंद लिया। मैंने उसकी योनी में गहरी और कड़ी मेहनत की। मैंने उसे इतने जुनून से चोदा। वह कराह उठी, उसने अपनी योनी से मेरे लिंग को चारों ओर से पकड़ लीया। जैसे ही मैंने उसमें हल चलाया, उसकी योनि की मांसपेशियों ने मुझे कस कर पकड़ रखा था, दबाव बढ़ रहा था और मेरे अंडकोषों में उबाल बढ़ रहा था।

उसकी गर्म चूत ने मेरे लिंग की मालिश जारी रखी।

मेरे लंड की नोक पर दबाब बढ़ गया।

"चोदो जोर से चोदो । तेज करो करो!" वह कराह उठी।

 "मास्टर" वह कराह उठी, उसकी चूत मेरे लंड से दब गई। जैसे ही मैंने उसकी रसदार चूत में डुबकी लगाई, मेरे अंडकोषों में दबाव उनके फटने के बिंदु के करीब पहुँच गया। ओह! बहुत अच्छा लग रहा है । तेज करो और करो । "

"मैं तुम्हारी योनि से प्यार करता हूँ!"

मेरा लिंग उसके अंदर दब गया और हांफने लगा क्योंकि उसकी चूत मेरे लंड के चारों ओर जंगली हो गई थी। वह चिल्लायी, "कम इन मी, मास्टर! प्लीज, प्लीज, कम इन मी!"

उन शब्दों को सुनकर मेरे अंदर कामाग्नि भड़क उठी। मैं कराह उठा और लंड उसकी चूत में मूठ तक दब गया। मैंने उसे गहरा और जोर से धक्का दिया और वह कराह उठी। । मैंने अपने सह के विस्फोट के बाद उसके बीज में विस्फोट किया।

मैं उस पर थरथर कांपने लगा, जैसे ही खुशी मेरे शरीर से टकराई। ऐसा परमानंद जो मैंने कभी महसूस नहीं किया था। उसकी तंग चूत मेरे लंड के इर्द-गिर्द लिपटी हुई थी, उस सह को चूस रही थी जिसे मैंने उसकी उर्वर गहराइयों में स्खलित कर दिया था।

"हाँ, हाँ, हाँ, मोनिका!" मैं कराह उठा और अपनी दासी को अपने जोश से भर दिया।

"ओह, मास्टर," वह कराह उठी। उसकी चूत ने मेरे लंड को अपना रस पिलाया। उसने मेरे अंडकोषों से भरे हुए वीर्य को बाहर निकाला। मैंने उसे अपने बीज से भर दिया। "ओह, मास्टर! यह बहुत अच्छा है।"

मेरा सह और उसका योनि रस और कुंवारेपन भंग होने पर हुआ लहू योनि से बाहर बह गया। मैं उसे चूमता रहा फिर जैसे ही मेरे शरीर में और अधिक उत्साह उमड़ने लगा, मैं सिहर उठा। यह एक अद्भुत अनुभव था। मैंने इसके हर मिनट का लुत्फ उठाया। उसने मुझे कस कर पकड़ रखा था, उसके हाथ मेरी पीठ के ऊपर और नीचे फिसल रहे थे। उसने मेरे कान में सांस ली

"मम्म, क्या यह अद्भुत नहीं था, मास्टर," उसने विलाप किया। "आप कल्पना करे एक पूरा हरम होने की जिसका आप इस तरह आनंद ले सकें।"

"यह अच्छा होगा," मैं कराह उठा और उसके ऊपर गिर गया।


कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 14

रैगिंग  इंट्रोडक्शन 


मैंने वह पूरी रात मोनिका के साथ बिताई, हम पहले सम्भोग के बाद सेक्स का पूरा आनंद उठाते रहेl एक साथ पूरे मजे लेते हुए हम बार-बार चुदाई करते रहेl हमने अलग-अलग आसान में चुदाई करते हुए एक दुसरे में खोये रहे। पता ही नहीं चला इस तरह प्यार करते-करते कब सुबह हो गयीl

सुबह जब उजाला हुआ, तो मेरे दायी और मोनिका बिस्तर पर, मुझ से चिपक कर सोई हुई थीl और दूसरी तरफ क्सान्द्र और उसके साथ केप्री चिपक कर सोई हुई थी। मैंने  मोनिक्रा को अपनी और खींचा तो वह मेरी बाहो में समा गयी और अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा दिया और उसे फिर उसके होठों पर एक नरम चुंबन कर दिया और वह मेरे कान में फुसफुसायी। उठ जाओ मेरे राजा। मैंने अपनी आँखे खोली और मुस्करायी और अपने बाहे मेरी गर्दन पर लपेट कर मुझे एक चुंबन के लिए नीचे खींचा और हम दोनों के ओंठ जुड़ गए।

उसके हिलने से उसके ऊपर पड़ी हुई कम्बल सरक गयी और मेरी निगाहें उसके गोल सुडोल स्तनों पर टिक गईं। उसको बदन पर हमारे रात के कारनामे के गवाह कई निशान थे। मैंने कहा मोनिका तुम्हे कल रात मैंने चूमा है चाटा है, चूसा है और शरीर के लगभग हर हिस्से को भोगा है। शायद ही कोई ऐसा हिस्सा है तुम्हारे बदन का जिसे मैंने नहीं देखा है फिर भी तुम्हे ऐसे देख और चूम कर देखो मेरा लिंग तुम्हे प्यार करना चाहता है ।

मैंने उसे चूमा और मेरा लिंग एकदम कड़ा हो चूका था । मैंने उसकी चुदाई करने के इरादे से अपना लिंग उसकी योनि के पास ले गया। मेरे लिंग का स्पर्श उससे हुआ तो मोनिका ने मेरे लिंग को मेरे दाहिने हाथ में पकड़ लिया। वह पीछे हुई और अपनी टाँगे फैला कर योनि के ओंठो को पूरी तरह से खोल लिया। मेरा लंड किसी रोड की तरह कड़ा और चिकना था। वह ध्यान से लंड अपनी योनी के पास ले गयी तो मैंने महसूस किया वह खुद भीगी हुई थी। उसने प्रवेश द्वार पर मेरे लंडमुंड को कई बार ऊपर और नीचे किया। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और मैंने कुछ देर के लिए अपने लंड के सिर को उसकी ज्वलंत लाल योनि के तंग उद्घाटन में दबा दिया और आगे की ओर धकेल दिया। मैंने बस आगे की ओर धक्का मारा और गेंदों को गहरा किया। उसकी योनि अविश्वसनीय रूप से तंग थी और उसकी योनि रस से भीगी हुई थी। उसने इसे एक झटके में भोलेपन से अपने अंदर लेने के लिए अपने नितम्बो को आगे धकेल दिया और मैंने उसी समय लंड आगे धकेल दिया। हम दोनों पूरी तरह से उत्तेजित थे। मैं जोर-जोर से लंड अंदर-बाहर करता रहा वह हर बार थोड़ा-थोड़ा कराह रही थी। मेरे तेज झटको ने जोर ने उसे स्खलन के लिए प्रेरित किया। उसने अपनी कमर मटका कर गांड को फड़फड़ाया। मेरा लंड उसकी चुत के अंदर था और लंड का सिर उसकी चूत में पूरा अंदर गया हुआ था।



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आहह! (उसके कराहने की आवाज के साथ ही उसकी चूत में मेरा पूरा लंड जड़ तक घुस गया) ।

मैंने लंड जोर-जोर से अंदर-बाहर किया, मेरा हाथ उसके एक दृढ़ गोल स्तनों को सहलाने और दबाने लगा और उसके स्तनों की मालिश करने लगा तो वह कराहने लगी।

आहह, (उसके कराहने की आवाज के साथ ही मैंने अपना लंड पूरा जड़ तक घुस दिया था) । मैने उसे घूमाकर सीधा किया और अपने सीने से चिपका लिया और उसे लिए हुए ही पलट गया। अब वह बेड पर मेरे नीचे लेटी थी और मैं पूरी तरह से उसके ऊपेर चढ़ा हुआ था। मैंने कुछ देर उसका बदन सहलाया और पीठ पर हाथ फेरे और नितम्बो के महसूस किया और धक्के मारता रहा । मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। मोनिका  की चूत पहले से ही पूरी गीली हो रही थी तो 'फच फिच' की आवाज़ आने लगी और थोड़े ही समय में ही उसके मुंह से 'आह आह ओह ओह...' की आवाज़ें निकल रही थी और उसने मुझको कस कर भींच लिया और अपनी गोल बाहों में जकड़ लिया।

मैंने अपना लंड  मोनिका  की योनि से बाहर निकाला लेकिन पूरा नहीं निकाला ... इसके बाद पुनः थोडा-सा और अन्दर डाला और हर बार पहले से थोड़ा अन्दर डाला और ऐसे तीन बार करने के बाद पूरा जड़ तक अंदर डाल दिया और फिर पुनः निकाल लिया।

मोनिका कराह रही थी ओह्ह। हाय आह आहहह-आहहह आह हहहहह!

ऐसे ही मैंने कम से कम चार पांच बार किया। ओह्ह। हाय आह आहहह-आहहह आह हहहहह! मोनिका मेरी हर हरकत पर मजे लेते हुए कराह रही थी। ओह्ह। हाय आह आहहह-आहहह आह हहहहह!

मोनिका  का मुंह पूरा खुला हुआ था और सांस लेने, करहै भरने और सिसकियाँ निकालने का इकलौता रास्ता। मेरे हर धक्के से उसके स्तन हिल जाते और नीचे का हिस्सा, जहाँ पेट और योनि मिलते हैं, मेरे पुष्ट मांसल लंड के प्रहारों से लाल होता जा रहा था।

मैंने चुदाई की गति तेज़ कर दी।   मोनिकाा अपनी उत्तेजना के चरम पर थी, उसने मेरे कन्धों को जोर से जकड रखा था। हमारे सम्भोग की गति और तेज़ हो गई-  मोनिका  की रस से भीगी चुत में मेरे लंड के अन्दर बाहर जाने से 'पच-पच' की आवाज़ आने लग गई थी। उसी के साथ हमारी कामुकता भरी आहें भी निकल रही थीं। जल्द ही उसे एक अविश्वसनीय रूप से तेज संभोग सुख प्राप्त हुआ। 



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उसका बदन कांपने लगाऔर फिर अकड़ गया और वह कराहने लगे उसकी तेज मीठी कराह सुनकर मेरा बाँध भी टूट गया। मेरे लिंग से एक विस्फोटक स्खलन हुआ और उसके बाद तीन चार और बार वीर्य निकला। हर स्खलन में मैंने अपना लंड    और  मोनिका  की योनि के और अन्दर पेल रहा था। मेरे चरमोत्कर्ष पाने के साथ ही मोनिक्रा एक और चरम आनंद प्राप्त कर चुकी थी। मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा और वह झड़ने लगी। इस उन्माद में उसकी पीठ एक चाप में मुड़ गयी, जिससे उसके स्तन और ऊपर उठ गए। मैंने उसका एक चूचक अपने मुह में ले लिया उसे चूमा तो वह बोली मास्टर अब आप उठिये । तब तक क्सान्द्रा, और केप्री भी उठ चुकी थी ।

मैं जल्दी से बाथरूम जा कर नहाया और फिर नाश्ता कर कॉलेज चला गया ।

कॉलेज के गेट पर ही मुझे आमिर और वारेन मिल गए और वह बोले भाई क्लब में तुम्हारा क्लब में बहुत चर्चा हो रही है और तुम इस शनि इतवार नहीं आये तो तुम्हारे लिए आज रात क्लब में विशेष सत्र रखा गया है और तुम्हे जरूर आना है । हम ये बाते कर ही रहे थे की आमिर ने मुझे बताया आज से कॉलेज में अन्य पाठ्यक्रम जैसे इंजीनियरिंग, विज्ञान, आर्ट्स और कॉमर्स अन्य स्नातक कार्यक्रमो के छात्र और छात्राये भी आ रहे हैं और हमे नए छात्रों और छात्राओं से मिलने का मौका मिलेगा ।

फिर   वारेन अपने अन्य मित्रो के साथ दूसरी तरफ चला गया और मैं और आमिर एक दूसरी तरफ चले गए. उस दिन हमारे पहला पीरियड फ्री था ।

तभी वहाँ कुछ नयी लड़किया नजर आयी जो बहुत सुंदर थी। सब लड़के उन लड़कियों के वासना भरी नज़रों से देखने लगे। वैसे तो रैगिंग बैन हैं परन्तु इंट्रोडक्शन के नाम पर थोड़ी बहुत रैगिंग होती हैं और सुन्दर लड़की की सब से ज्यादा-हर कोई सुंदर लड़कियों के साथ इंट्रोडक्शन करना चाहता है । यूरोप में वैसे भी मौहौल काफी खुला हुआ होता है । कॉलेज में सीनियर लड़कियाँ भी बड़ी सुंदर और कमीनी थी-और रैगिंग लेने मैं पीछे नहीं थी । नए लड़के और लड़किया सब खुश लग रहे थे आखिर उन्हें सबसे अच्छे कॉलेज और यूनिवर्सिटी में से एक में अड्मिशन मिला था।

मेरे दोस्तों में लंदन जाते समय मुझ से कहा था, कुमार कॉलेज में सिर्फ पढाई नहीं, मस्ती भी करना, कॉलेज के यह पल बहुत हसीन होते हैं, जिंदगी मैं दुबारा नहीं आएंगे और खूब सारे दोस्त बनाना और रैगिंग से डरना मत । इसी से सीनियर्स के साथ परिचय होता है और सीनियर बहुत मदद करते हैं और कॉलेज ज्वाइन करके मुझे 8-10 दिन हो गए थे, अब रोज रैगिंग और इंट्रो से लगभग सभी MBBS के सीनियर्स लड़कों को जान गया था, एक दिन कॉलेज के सीढ़ियों पर कुछ  सीनियर्स लड़कियों ने मुझे रोक लिया । उनमे कुछ MBBS की थी और कुछ अन्य कोर्सो की ।


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सीनियर: ऐ फ्टचा (फ्रेशर) इधर आ ...मैं उनके पास चला गया और विश किया-


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मैं: गुड मॉर्निंग  मैडमस!

यही रैगिंग मैं फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स को बताया गया था अपने सीनियर्स को हमेशा मैडम बोल कर विश करो । उस दिन मेरी रैगिंग कुछ इस तरह हुई ...


सीनियर: कौन-सा कोर्स

मैं: MBBS

सीनियर: क्या नाम है तुम्हारा

मैं: दीपक कुमार

सीनियर: यहाँ इतना लम्बा नाम नहीं चलता हम  कुमार कहेंगे

मैं: गुडमॉर्निंग सर! जी सर । सब हसने लगे ।

सीनियर: कुमार ! तेरी कोई गर्लफ्रेंड है

मैं: नहीं मैडम

एक सीनियर लड़का : क्यों नहीं हैं? सेक्स की इच्छा नहीं होती?

मैं: जी सर! होती हैं।

सीनियर: फिर क्या करते हो? हिलाते हो? ...वगैरे वगैरे... फिर।

सीनियर: जा यह गुलाब का फूल ले और वहा जो लड़किया हैं, उनमे से किसी एक लड़की जो भी पसंद हो उसको प्रोपोज़ कर, हम देख रहे हैं, भाग न जाना। यह रैगिंग मैं कॉमन था... बहुत सारे लड़को और लड़कियों के साथ होता आया है,

मैं वहाँ से निकला तो आमिर जो वही था बोला यह कमीनी सीनियर लड़किया छोड़ेंगी नहीं। सबको देखना था कि मैं किस सुंदर लड़की को प्रोपोज़ करता हूँ, उनके ग्रुप के कुछ सीनियर लड़के भी आ गए और गौर से देखने लगे ।

कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 15-A

रैगिंग  और सीनियर्स के साथ  इंट्रोडक्शन 



मेरे सीनियर ने मुझे एक बिल्डिंग की तरफ जाने का इशारा किया और बोलै पहल्वे वहाँ जाओ और पहले वहाँ से एडमिशन फॉर्म ले कर आना । मैं बॉयज और गर्ल्स कॉमन रूम की तरफ चला गया कॉमन रूम से पहले प्लेग्राउण्ड की तरफ की बैठने की सीढ़ियाँ थी।  वहा बहुत सारी लड़किया बैठी हुई थी।  सब मेरी तरफ देख रही थी थे, मेरे हाथ मैं गुलाब का फूल देख कर समझ गए की मैं वहा क्यों आ रहा था । मैं चलते हुए सोच रहा था किसको फूल दिया जाये, मैंने तय कर लिया की जिसको देखकर मेरा लंड अकड़ने लगे उसी को प्रोपोज़ करुँगा और अब इस खेल मैं उतरना ही हैं फिर से तो पूरी शिद्दत के साथ मैदान मैं उतरना चाहिए ।



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वह कही सीनियर लड़के सिर्फ वेस्ट और शॉर्ट्स मैं थे, खेल की प्रैक्टिस कर रहे थे, कुछ बहुत हट्टे कट्टे बॉडीबिल्डर, खिलाडी और सेक्सी थे । कुछ बेशरम सीनियर लड़के लड़कियों को देखकर अपनी शॉर्ट्स पर से अपने लण्ड को सहला भी रहे थे ... ओर उन्हें गन्दी नज़रों से देखकर नंगी कर रहे थे ।

मुझे नहीं मालूम था वह गर्ल्स हॉस्टल है लेकिन उस समय हॉस्टल में कोई लड़कियाँ नहीं थीं। सभी छात्राये कॉलेज में थी जैसे ही मैंने पहले ब्लॉक में प्रवेश किया, मैंने देखा कि एक महिला दरवाजे के पास अपने फोन पर बात कर रही थी। वह लगभग 24-25 साल की लग रही थी और उसने पीले रंग की ड्रेस पहन रखी थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उस हॉस्टल की वार्डन हो।

वह पहले से ही अपने फोन पर व्यस्त थी और उसका दूसरा हाथ कुर्सी पर था और इस हाथ फोन पर था। मैं उसके कूल्हे के चारों ओर उसकी पोशाक की तह और उसके शीर्ष के माध्यम से स्तन के कुछ हिस्से को देख सकता था। बगल के पास उसका टॉप पसीने से भीगा हुआ था। एक पल के लिए मैं उसे देखता रहा। जैसे ही वह मेरी ओर मुड़ी, मैंने उसे बस दूर से देखा और धीरे-धीरे उसकी ओर आँख मिलाने के लिए ऐसे मुड़ा जैसे कि मैं अभी उसे देख रहा हूँ। उसने मुझे संकेत से पुछा कि मुझे क्या चाहिए? मैं उसके पास गया।

उसने कॉल काट दी और वह इतनी गुस्से में थी कि मैंने उसे फोन से डिस्टर्ब किया। मुझसे पूछा, 'तुम यहाँ क्या कर रहे हो?'

' मैडम, मुझे एडमिशन फॉर्म चाहिए लेकिन मैं उस समय उसके स्तनों के बारे में सोचना बंद नहीं कर सका। मैं अब भी लगातार उसके बूब्स को घूर रहा था और हाथ में गुलाब लिए उस के सामने खड़ा था। मेरा लिंग धीरे-धीरे उभर रहा था और मेरी पैंट के माध्यम से दिखाई दे रहा था।


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'तो, तुम इस ब्लॉक में एडमिशन लेने आये हो?'

'हाँ मैम'

वह उठ खड़ी हुई और चेहरे पर एक मुस्कान के साथ मेरे करीब आ गई। इससे पहले कि मैं प्रतिक्रिया दे पाता, वह मेरे बहुत करीब आ गयी और अचानक उसने मेरे अंडकोषों को पकड़ लिया। मैं पूरी तरह से चौंक गया था और अब पूरी तरह से भ्रमित दिख रहा था।

'यदि आप इस छात्रावास में शामिल होना चाहते हैं, तो आपको इस चीज़ को काटना होगा। इडियट! यह गर्ल्स हॉस्टल है'।

वह अभी भी मेरे खड़े लंड को छू रही थी, मेरा लिंग पूरी तरह से खड़ा हो गया था।

'मुझे माफ करें! दरसल मुझे किसी लड़की से मिलना है।'

उसने अभी भी मेरी गेंदों को नहीं छोड़ा। 'रुको? क्या तुम मुझे देखकर उत्तेजित हो गए थे?' उसने मेरी गेंदों को निचोड़ना शुरू कर दिया।

'ओह सॉरी सॉरी... मुझे छोड़ दो' , मैं चिल्ला रहा था क्योंकि मुझे नहीं पता था कि मुझे क्या कहना है। उसने मेरी गेंदों को धीरे-धीरे छोड़ा तो मैंने दर्द में अपनी गेंदों को रगड़ना शुरू कर दिया।

अचानक एक लड़की उस छात्रावास परिसर से बाहर निकली और वार्डन ने उसे रोक लिया। वह अपने जिम आउटफिट में थी। उसकी टाइट स्लीवलेस टॉप और लेगिंग्स उसके सुंदर बदन का पूरा आकार दिखा रही हैं। वार्डन ने लड़की से कहा कि मुझे बाहर जाने में मदद करे।

'यव तुम्हारी सीनियर है। वह आपका मार्गदर्शन करेगी। दोबारा यहाँ घूमने मत आना। नहीं तो पता है क्या होगा'।


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'हाँ मैम'

लड़की ने सिर्फ सिर हिलाया और मेरी तरफ देखे बिना ही तेजी से चली गई। मैं उसके पीछे दौड़ा। जैसे ही वह मेरी ओर मुड़ी, जैसे ही वह मेरी ओर मुड़ी, मैंने अपने हाथ बढ़ा दिए

'हाय, मैं कुमार हूँ।'

'मैं शर्ली हूं' , उसने सिर्फ इतना कहा और मुझसे हाथ भी नहीं मिलाया।

' हाय शर्ली,

उसने मुझे गुस्से से देखा, 'मुझे मैडम कहो। मैं आपकी सीनियर हूँ। हम दोस्त नहीं है और आज आपको कॉलेज और सीनियर्स के बारे में पता चलेगा।'

'सॉरी, मैडम' कॉलेज में आज सभी को इस तरह बर्ताव करते देख मैं चौंक गया।

उसकी गांड को देखते हुए उसके पीछे-पीछे चला वह फिर एक अकेली इमारत के कोने पर पहुँची, वहाँ नशे में धुत 3 लड़कियों को टाइट टी शर्ट और शॉर्ट्स में डांस करते देख मैं दंग रह गया। इससे पहले कि मैं मुड़ता, शिर्ले बोली

'हे लड़कियों, आज न्य मुर्गा आया है । यह मज़ेदार होने वाला है'

'यहाँ क्या हो रहा है?'

'तुम कॉलेज के बारे में जानना चाहते थे। अब आपको पता चल जाएगा। बस हम जो कहते हैं उसका पालन करें'

'क्या?' मैं उन्हें देखकर खड़ा रह गया। वह चारो एक बेंच खींच कर दरवाजे के सामने बैठ गयी और मेरे बारे में कुछ सवाल पूछने लगे। मैं डर गया था और उन्होंने जो कुछ भी पूछा, बस उसका जवाब दिया।

'अरे, यह उबाऊ हो रही है। कुछ दिलचस्प करो।' एक लड़की चिल्लाई।

'ठीक है। हम अब एक गाना बजाएंगे और तुम एक सेक्सी डांस करोगे।' शिर्ले ने मुझसे पूछा।

'मैडम, मुझे डांस करना नहीं आता। कृपया, कुछ और।'


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'क्या सच मे। तो चलिए एक काम करते हैं। हम गाना बजाएंगे। तुम नाचो मत। बस स्ट्रिपर की तरह एक-एक करके कपड़े निकालना शुरू करें'

सॉरी ' मैडम, प्लीज। मैं नाचूंगा।

ठीक है ये पहली गलती है इसलिए दूसरा मौका दे रहे हैं । आगे से अब एक ही मौका मिलेगा । न कहोगे तो उसका मौका कैंसिल ठीक है अब नाचो

मैं नाचा और फिर कुछ देर बाद उन में एक लड़की बोली एक और फ्रेशर मुर्गा इधर आ रहा है ... ठीक है कुमार अब तुम जाओ!

मैं थैंक यू मैडम बोल कर वहाँ न से भाग निकला ।

अब मैं उदास था मैंने कभी जिंदगी में ऐसा नुभव पहले नहीं किया था । तभी मेरे नजरे लड़को के एक झुण्ड पर पड़ी और मेरी आँखें उन आँखों से टकरा गयी जिहोने मुझे चीर कर रख दीया ... क्या नशीली खूबसूरत ऑंखें थी ... मैंने देखा कि एक लड़की मेरी तरफ आ रही थी। उसने गुलाबी रंग की लो पारदर्शी ड्रेस पहनी हुई थी और वह 18-19 साल की लग रही थी।

वह ऐसी दिखती थी जैसे वह साक्षात सुंदरता और प्रेम की देवी हो। एक भी खामी देखने को नहीं मिली। उसके पास वह हर एक विशेषता थी जो कोई भी लड़का पानी प्रेमिका में चाहता होगा। वह मंद-मंद चमक रही थी। मेरा मुंह कुछ कहने के लिए खुल गया लेकिन उसमें से अनियमित सांसों की आवाज के अलावा कुछ नहीं निकला। मैं अवाक था। मेरे मन ने कहा "हाँ, प्रेम और सुंदरता की देवी भी ऐसी ही दिखती है।"

उसके सीधे सुनहरे बाल उसके नितंबों के ऊपर तक थे। उसके सुनहरे बालों में एक चिकना सुनहरा रंग था, यह लगभग असली सोने की तरह चमक रहा था। उसके पूरी तरह से प्यारे चेहरे में मुलायम किनारों के साथ अंडे जैसी आकृति थी। उसकी आँखें परी जैसी नीली और चमकीली थीं। उसकी भौहें और पलकें उसी रंग की थीं जैसे उसके बाल थे और एकदम सही थे। उसकी चिकनी, सीधी नाक थी और उसके होंठ चित्र बनाने के लिए एक गाइड से सीधे थे। उसका ऊपरी होंठ उसके निचले होंठ की तुलना में थोड़ा पतला था और उनका प्राकृतिक रंग और चमक एक महंगे ब्रांड और लिप ग्लॉस के रंग जैसा था। उसके कान लगभग एक योगिनी की तरह नुकीले थे। उसका चेहरा किसी भी जिंदा आदमी को मंत्रमुग्ध करने के लिए काफी होगा।


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उसकी पतली गर्दन थी जो उसके सिर और धड़ को पूरी तरह से जोड़ती थी। उसके कंधों में भी चिकने किनारे थे और उसकी मांसपेशियाँ पूरी तरह से समानुपातिक थीं। उसकी बाहें बहुत मोटी नहीं थीं, बहुत पतली नहीं थीं, लेकिन बिल्कुल बीच में थीं। किसी भी फोटो मॉडल की कल्पना से भी ज्यादा उसकी कांख चिकनी थी। इतनी चिकनी कि वह उसके शरीर की किसी भी अन्य त्वचा की तरह दिखती थी। उसके स्तन एफ़्रोडाइट के किसी भी चित्र से बेहतर थे। वे पूरी तरह से गोल थे और निप्पल ठीक बीच में, थोड़ा-सा बगल की ओर और नीचे की ओर। उसके निप्पल गुलाबी रंग के और सख्त थे, जैसे कोई ठंडी चीज उन्हें छू गई हो, लेकिन वह उसके स्तनों की तरह ही मुलायम दिख रहे थे। स्तनों में कोई शिथिलता नहीं थी। यह ऐसा था जैसे उसके स्तन गुरुत्वाकर्षण से प्रतिरक्षित थे। उसके स्तनों से उसके पेट तक का संक्रमण उसके बदन से बेहतर नहीं हो सकता था। उसका पेट पूरी तरह से सपाट था, उसकी नाभि बिल्कुल बीच में और गहरी थी। उसके एब्स नहीं दिख रहे थे और यह एकदम सही लग रहा था। मुझे लड़कियों के एब्स दिखाना पसंद नहीं है। उसकी ड्रेस काफी पारदर्शी थी जिसमे से उसकी कल्पना की जा सकने वाली श्रोणि दिख रही थी।

उसके नितम्ब चिकने और गोल थे। उसके नितम लैटिना लड़कियों की तरह उछालभरी नहीं थीं, लेकिन उनके कंधों और चेहरे की तरह, उनके किनारे चिकने और गोल थे। उसकी जाँघे टाँगे और पैर बहुत मोटे नहीं थे और उसके बाकी शरीर की तरह पूरी तरह से अनुपातिक फिट थे। उसके नाखून उसके पैरों के बाकी हिस्सों की तुलना में थोड़े कुदरती गुलाबी रंग के थे।

उसकी त्वचा गोरी थी। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। कुल मिलाकर, वह अप्रतिरोध्य थी। अगर उसकी एक झलक भी मिल जाए तो उसे कोई नहीं भूल सकता।

लेकिन फिर भी मेरा मन उदास  था और मैं उसके पास जाने से थोड़ा घबरा  रहा था  अगर ये भी खरदीमाग  सीनियर हुई तो बेकार  में बुरा लगेगा . 

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नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 15 B

इंट्रोडक्शन -क्या आप मेरे बॉय फ्रेंड बनेंगे?




मैं उसकी नशीली खूबसूरत ऑंखो में झाँक रहा था और वह मुझे देख रही थी ऊपर से नीचे तक ...और मेरी घुंगराले बाल, मोटे ओंठ, 6 फ़ीट का ऊँचा कद, अच्छी बॉडी और मसल्स और हेयरी बॉडी । भारतीय पंजाबी जमींदार घराने से प्रभावित हाथो में मुझे फूल लिए देख वह भी मेरी ही तरफ चली आयी ।

मेरा ध्यान उस सुंदर लड़की की तरफ खींचता चला गया और उसकी नशीली खूबसूरत नीली और चमकीली ऑंखें, उसके सीधे सुनहरे बाल, उसके उन्नत स्तन, प्यारे गोल चेहरे, उसकी चिकनी, सीधी नाक। उसके होंठ मंत्रमुग्ध हो देखता रहा और तभी वह मेरे पास आयी और मेरी आँखे उसकी आँखों से लड़ गयी मेरी आँखों ने उसकी आँखों को चिर के रख दीया । मैं वही खड़ा उसे देखता रह गया ।



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मेरी आँखों मैं आँख मिला के मेरे एकदम पास गयी और उसने मुझे फूल देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया ।

मैदान में खड़े सभी लड़के हक्का बक्का रह गए-उन्हें लगा इतनी सुंदर लड़की किसी गोरे को प्रोपोज़ करेगी । मैं अभी भी सीनियर लड़की से खायी डांट और उसके दुर्व्यवहार के कारण थोड़ा उदास था । रैगिंग के रूल के हिसाब से चुकी वह मेरे पास आयी थी सो प्रोपोज़ उसे ही करना था ।

शर्म से उसके गौरे गाल गुलाबी हो गए और उसने अपना नाम वेरोनिका बताया और बोली सर मैं आर्ट्स की प्रथम वर्ष की छात्रा हूँ। फिर उसने मुझसे कहा-सर आप मुझे पहुत पसंद हैं, यह गुलाब का फूल आपको देती हूँ और क्या आप मेरे बॉय फ्रेंड बनेंगे? कुछ सीनियर लड़के हंस दिए ...उन्हें मजा आ रहा था, अब वहा कमीनी सीनियर लड़किया भी मजा देखने आ गयी थी और हमारे आस पास सीनियरस की भीड़ जमा हो गयी थी। मुझे भी मजा आ रहा था, पर यह भी सच था कि मेरे मन में उस लड़की के लिए कुछ था हवस पैदा हो गयी थी और उसको देखकर मेरा लिंग बड़ा और खड़ा हो गया था । जिसे उसने भी ताड़ लिया था और शायद उसकी भी चुत गीली हो रही थी।

मैं बहुत सुन्दर या मॉडल नहीं था, बस एक आम मर्द की तरह आर्डिनरी से थोड़ा अधिक स्मार्ट और लम्बा दिखता था । उसे मेरे लिए कुछ एक अलग ही आकर्षण उसके लिए फील हो रहा था।


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एक सीनियर बोली ये तो फर्स्ट ईयर का छात्र है । इसे सर नहीं दीपक बोलो हाँ ये डॉक्टरी कर रहा है ।

कमीने सीनियरस ने और लड़कियों को मौका ही चाहिए था ओर उन्होंने उससे कई सवाल दाग दिए यह क्यों पसंद हैं? इसमें तुझे क्या दिखा? इसको किस करेगी? एक लड़की बोली जब तक हम तुम्हारे उत्तर से संतुष्ट नहीं होते तब तक मैं उसका प्रपोजल एक्सेप्ट नहीं कर सकता ओर ना ही उसका गुलाब का फूल ले सकता हूँ । लेकिन वीनस ने भी बिना डरे बड़ी बेशर्मी से सब के जवाब दिए ओर मेरा गुणगान करने लगी ।

मैं चुप था ।बेशक मेरी मर्दानगी का अभिमान अब आसमान छू रहा था, कॉलेज की सबसे सुन्दर लड़की ने मुझे पूरी कॉलेज के सामने प्रोपोज़ किया था। भले सब जानते थे की यह रैगिंग चल रही हैं । तब तक वारेन भी वहाँ आ गया था। वह बोला, रुको दोस्तों, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की कुमार कौन से ईयर में हैं। ये वेरोनिका की मर्जी थी वह किसे गुलाब का फूल दे । अब यहाँ वेरोनिका ने प्रोपोज़ कुमार को किया हैं, सवाल भी अब कुमार ही करेगा ।



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वारेन बोला । कुमार उदासी छोड़ और बिंदास पूछ । तुझे उससे जो पूछना है?

अब मेरी मर्दानगी जोश मैं थी ।मैं वेरोनिका के बहुत करीब आया ... मुझे उसके शरीर की महक आ रही थी ओर मेरा लंड फिर अकड़ने लगा । मैंने अपने अंदाज से पूछा-मेरे लिए क्या-क्या करोगी? सीधा सवाल था पर बहुत कुछ था उसमे ...।

उसने कहा-सर आप के लिए सब करुँगी-जो भी आपको पसंद हैं।

मैंने मुस्कुरा कर कहा-मैं-मुझे सेक्स पसंद है और हाँ मुझे सर नहीं कुमार बोलो।

मेरी इस बात से वेरोनिका शर्मा गयी-तभी दूसरा सीनियर डॉ बोला-हाय बेबी-क्या शर्माती है! ... अबे साले ऐसी लड़की से सवाल कौन [पूछता है । फटाफट कबूल कर । मैं होता तो कब का कबूल कर लेता । डॉक्टरी कॉलेज के लड़के ऐसे ही बिंदास होते हैं और कमीने भी।

उसने कहा-कुमार सर आपको कोई चीज के लिए मना नहीं करुँगी ।

एक और बोला । यार कसम से इसकी इस अदा पर तो मेरा लंड खड़ा हो गया । सब सीनियर्स उसके जवाब से खुश हुए मैंने उसे गुलाब का फूल ले कर अपना गुलाब ओर सब तालिया बजाने लगे । मैं थोड़ा और भी बोल्ड और कॉंफिडेंट हो गया ।

मैं-मुझे सिर्फ कुमार बोलो! एक किस देगी? अब सारा माहौल सन्नाटे मैं बदल गया ... सब देखने लगे की अब वेरोनिका क्या रिस्पांस देगी ।


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वो एकदम से मेरे करीब गयी, नजरें मिला कर, हलके से मेरे गाल पर पप्पी दे दी और वहा से भाग गयी और हॉस्टल की तरफ भाग कर चली गयी ... पप्पी देने के बाद वहा बहुत शोर मचा ।

तभी हॉस्टल में से मैंने डॉ एड़ी को निकलते हुए देखा । वह मुझे देख कर मुस्कुरायी और उसके बाद मैंने वेरोनिका जब कॉलेज में कैंटीन जा रही थी तो वह आकर मेरे पास कड़ी हो गयी और, सब लड़के हमे देखा कर मुस्कुरा कर रहे थे। इस किस की घटना पूरे कॉलेज मैं आग की तरह फ़ैल गयी थी ।

मैंने कहा चलो वेरोनिका चाय पीते हैं... वह मेरे साथ कैंटीन चली गयी, वहा पर हम बातें करते रहे-एक दूसरे के बारे में जानकारी लेते रहे । वेरोनिका  भी  रोमानिया से थी, बहुत सुंदर थी और गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी ।

मैंने कहा-वेरोनिका तुम बहुत सुन्दर हो, मुझे लगा नहीं था कि तुम मुझे प्रोपोज़ करोगी ओर पप्पी भी लोगी। रैगिंग मैं मजाक ही सही पर मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ ।

वेरोनिका शर्मा गयी और उसने कहा-कुमार तुम सच मैं मुझे अच्छे लगे, इसलिए आपकी पप्पी ली। तुम अब दोस्त से बढ़कर हो मेरे लिए । आप ये बताओ आप उसदिन इतने उदास क्यों थे?

मैंने कहा वह मेरे कोई ख़ास दोस्त नहीं हैं यहाँ पर । तुम जानती हो मैं भारत में पंजाब से आया हूँ ।



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वेरोनिका बोली । आप इतने स्मार्ट हो खुश रहा करो और नए दोस्त अब बन जाएंगे । हम भी तो दोस्त हैं।

मैंने कहा तो तुम मुझे सीखा दो खुश रहना । और जैसा मैंने तुम से कहा था मुझे असली किस चाहिए जान, गाल पर किस करने से अब कुछ नहीं होगा ।

वेरोनिका ने कहा-कुमार तुम लड़के हो, पहल भी तुम ही करोगे, मैंने तुम्हे किसी चीज से मना नहीं किया । मुझे बोल्ड ओर कॉंफिडेंट बिंदास लड़के पसंद हैं ।

मैंने उसे कहा शनिवार को वह मेरे घर पर आ कर मुझे खुश रहना सीखा दे मेरा घर पास ही है वही आ जाओ- शनिवार सुबह 10 बजे ।वो मान गयी और खुश हो गयी ओर हम दोनों अपनी क्लॉसेस अटेंड करने चले गए ।

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नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 16

क्या आप मुझसे दोस्ती करेंगे ?


अपने कमरे में बैठी डॉ. मिला एडी ने अपने मॉनिटर की स्क्रीन को मेरे सेक्शन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समायोजित किया, जिसमें मैं डॉ. मार्क रुबिन  एक सुस्त कक्षा में अपना आख्यान दे रहे थे । मेरे बगल में एलेक्सा नाम की एक खूबसूरत गोरी लड़की बैठी हुई  थी। हालाँकि, उसका दिल एक पागल की तरह तेज़ हो रहा था। मुझे लगा कि जब से मैंने अपनी कक्षाओं में जाना शुरू किया है, शायद तब से वो मेरी   और आकर्षित थी  शायद उसे मुझसे  प्यार हो गया है। मैंने वास्तव में उसे पहले कभी गौर से नहीं देखा था। लेकिन आज, उसने अपने स्तनों को दिखाने के लिए एक तंग स्वेटर पहना हुआ  था (मुझे पता था कि उसके स्तन  औसत कॉलेज की लड़कियों के स्तनों से बड़े थे)। वह उस बेंच पर बैठी थी जहाँ मैं कक्षा में आमतौर पर  बैठा करता था।

जैसे ही मैं उसके पास आया और अन्य किसी  सीट पर अबितने के  बारे में सोच रहा था । वह  सरकी और मुझे अपने साथ बैठने के लिए आमंत्रित किया। 

क्या आप मुझसे दोस्ती करेंगे? 



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मैंने कहा  जरूर हम दोस्त हैं और उसके साथ हाथ मिला कर उसके साथ बैठ गया। 


उस पूरी क्लास में मेरे बगल में बैठी वह प्रोफेसर की जगह मुझे ही देख रही थी। , वह अपनी कुर्सी पर पीछे झुकी हुई थी, जाहिर तौर पर डॉ। मार्क रुबिन का व्याख्यान कोई बहुत जयादा  रुचिकर नहीं था । ओह, वह मेरे क्रॉच की तरफ देख रही थी।  मुझे अंदाजा हो गया  था कि वह मेरी गोद में नग्न होकर बैठना पसंद करेगी! वह मेरे लिंग की सवारी करेगी और मुझे पागल कर देगी!

डॉ. हेलेन के साथ व्यावहारिक सेक्स के विषय  की कक्षा के बाद लड़कियों को  पता चल चूका था  कि मेरा लिंग कैसा दिखता है,  यह निश्चित रूप से  अलेक्सा की सेक्स कल्पनाओं में था  और न केवल उसकी कल्पना बल्कि मेरी कक्षा की कई लड़कियों की कल्पनाओं में भी था । सौभाग्य से ये कॉलेज में पहले कुछ दिन थे और आश्चर्यजनक रूप से मेरे लिंग के आकार के बारे में बात पहले सेमेस्टर की लड़कियों के मुंह से नहीं निकली क्योंकि सबने उस गोपनीयता के शपथ  पत्र पर हस्ताक्षर किये थे ।

मैंने अपनी कुर्सी पर अपनी पीठ को बहुत दूर झुका लिया, और कुसी से चरमराने की आवाजे  निकलने  लगी। इससे जो आवाज हुई, वह बहुत ऊंची थी। डॉ. मार्क रुबिन ने मेरी ओर देखा।


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'माफ कीजिए डॉ. रुबिन, 'मैंने मेरी युवा मर्दाना आवाज के साथ उनसे माफी मांगी और आगे हुआ ।

डॉ. रूबिन ने मुझे उन्हें चूमने के लिए मजबूर किया,  मुझे  डंडे  के साथ दंडित किया।  हम्म, डॉ मिल रएड़ी  ने  सोचा   और फिर डॉ एड़ी बड़बड़ई  उसे  अब हैरी पॉटर का इतना अश्लील वीडियो नहीं देखना चाहिए।

उसे अपने मिशन पर ध्यान देना चाहिए। उसने फैसला किया कि यह मेरा ध्यान आकर्षित करने का समय था, और डॉ सुश्री एडी ने देखा कि एलेक्सा ने भी  ऐसा ही  काम किया और  ऐसे अभिनय किया जैसे कि उसके पेन  ने काम करना बंद कर दिया है। मैं  उस समय वेरोनिका के बारे में सोच रहा था और आज कॉलेज में रैगिंग के दौरान जो हुआ उस बारे में सोच रहा था .

'क्षमा करें, क्या आपके पास मेरे लिए एक पेन  है?'

यह ऐसा था जैसे उसकी बात सुन मैं  अपने किसी सपने या किसी चीज से जाग गया हूँ । मैं पता नहीं उस समय  वेरोनिका के  बारे में सोच रहा था  और अपने  विचारों में उसके साथ कहाँ था?

मैंने अपनी जेबों की तलाशी ली। डॉ सुश्री मिली एडी ने सोचा कि वह इससे अधिक उत्तेजित नहीं हो सकती। मेरे हाथों के बारे में सोचा वास्तव में मेरे लिंग के पास गए थे , उसने भी  अपनी सूजी हुई चूत का एहसास हुआ। यहाँ तक कि कॉलेज के कार्यालय की कुर्सी पर बैठकर भी उनका  हस्तमैथुन करने का मन कर रहा  था।

'नहीं, सॉरी,' मैंने एलेक्सा से कहा। हमारी आँखें मिलीं। यौन तनाव लगभग असहनीय था।

यह दिखावा करने के लिए कि मुझे उसके लिए वास्तव में एक पेन  प्राप्त करने की परवाह है, मैंने अपनी दूसरी तरफ की लड़की से पूछा।

'क्या आप...?'




मुस्कुराते हुए वह फुसफुसाई: 'क्या मैं क्या?' डार्लिंग ।

'क्या आपके पास उसके लिए एक पेन  है?'

'हाँ यकीनन। हेयर यू गो।' जैसे ही उसने मुझे पेन दिया, हमारी उंगलियां छू गईं।..? ओह, निश्चित रूप से वह भी मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी, मैं सोचता था  शायद मेरे और एलेक्सा सहित  मेरी क्लास में मौजूद  छात्र  सीदे  सादे थे ।


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हाँ यकीनन। ये लो,' मैंने कहा, और जैसे ही मैंने अलेक्सा को वो  पेंसिल सौंपी,उसने मेरे  हाथ को छूना सुनिश्चित किया।  उसने मेरी  आँखों में जितना हो सके उतनी गहराई से देखा, और उस आँख के संपर्क ने मुझे पहले से कहीं अधिक कामुक बना दिया। मुझे एहसास हुआ कि जब वह हस्तमैथुन करेगी, जो मुझे यकीन था कि जैसे ही वह अपने कमरे में वापस आएगी, वह ऐसा  जरूर करेगी। मेरे  हाथ को छूने वाले हाथ की  उँगलियाँ वो चूमेगी और फिर उन उंगलियों को  अपनी चूत  में डालेगी । कुछ ही पल के बाद उसने कुछ नॉट किया और उसने पेंसिल और कॉपी  बंद कर रख दी .  मम्म, अब वह वास्तव में चाहती थी कि यह कक्षा समाप्त हो जाए।

जब अंत में घंटी बजी, उसने मुझे पेंसिल लौटा दी और हमारे हाथ फिर से छू गए। इस बार उसने मेरा हाथ थोड़ी देर और पकड़ रखा था। उसकी कल्पनाएँ और भी अधिक प्रेरित थीं। जब हम कमरा छोड़ने के लिए कतार में थे,   वह लड़की, जिसने मुझे पेंसिल दी थी  मुझसे आगे चल रही थी जैसे ही वह धीरे-धीरे आगे बढ़ी, हम गलती से एक-दूसरे से टकरा गए।,मेरा लिंग उसके नितम्बो से टकरा गया . गाड़ी दार नितम्ब थे उसके .  वह मुस्कुराई। मैं उसे देखकर मुस्कराया, और हमारी आँखों का फिर से संपर्क हो गया।  पीछे से अलेक्सा ने  अपने स्तन मेरी पीठ पर दबाए! मेरे शरीर के खिलाफ वे बड़े, उत्कृष्ट, निर्विवाद रूप से बड़े स्तन! फिर मैंने उसकी हसी  भी सुनी। उस दोपहर अपनी कल्पनाओं में, वह उस हसी का उपयोग करेगी ।  जब मैं कॉलेज के कमरे से बाहर निकला, तो मुझे पता था कि दोपहर में  एलेक्सा मेरे बारे में सोच कर कम से कम दो बार खुद को उंगली करेगी ।  मुझे अच्छा लगा कि सेक्स सिर्फ एक-दूसरे को जोर से चोदना और शरीर को एक साथ दबाना और चोदना और उग्र चुंबन के बारे में नहीं था, बल्कि जब यह एक-दूसरे को महसूस करने के बारे में भी था।

फिर जो लड़की मेरे आगे थी उसका नाम मिया था  वो अचानक वह मेरी ओर मुड़ी। और उसके स्तन अब मेरी छाती में दब गए थे क्योंकि पीछे से दबाब  आया था।

'क्या आप...?'


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मैं क्या करूं? क्या मैं क्लास के बाद उसे  हुक अप करना चाहता हूँ? क्या मैं उसे अपने कमरे में ले जाना चाहता हूँ? क्या मैं उसके 'होमवर्क' में उसकी 'मदद' करूँ  ?

मैं मुश्किल से यह कह सका: 'क्या मैं क्या?'

' पेंसिल ?'

ओह, ज़ाहिर है, वह इसे सूक्ष्मता से करना चाहती थी, पहले हम हाथ छुएं, चीजों को थोड़ा गर्म करें।

'हाँ यकीनन। ये लो,' मैंने कहा, और जैसे ही मैंने उसकी पेंसिल वापस सौंपी, मैंने उसके हाथ को छूना सुनिश्चित किया। मैंने उसकी आँखों में जितना हो सके उतनी गहराई से देखा, और उस आँख के संपर्क ने मुझे पहले से कहीं अधिक कामुक बना दिया। फिर हम मुस्कुराये और हमारी लास्ट क्लास खत्म हो गई थी  जैसे ही मैंने रूम नंबर 5  डॉ एडी के रूम के पास से गुजरा। मैंने सुना उसने मुझे पुकारा  था । मिस्टर कुमार क्या आप कुछ मिनट के लिए रुक सकते हैं ।

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नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 17

कामुक उत्तेजना 


मैंने उसके कमरे में प्रवेश किया और मैंने डॉ एड्डी को उसकी मेज के सामने बैठी हुई देखा। वह सामान्य रूप से एक स्कर्ट पहनती थी जो उसके घुटनों या जनघो के ऊपर तक होती थी और एक सफेद ब्लाउज जिसमें ऊपर के कुछ बटन खुले होते थे और उसके क्लीवेज और उसकी ब्रा के शीर्ष को दिखाने के लिए पर्याप्त बटन खुले होते थे, डॉ ेड्डी की ब्रा अक्सर लाल या काली होती थी और उसके टॉप के अंदर दिखायी देती थी। लेकिन आज वह लाल या काली ब्रा नदारद थी और बटन भी एक ज्यादा खुला हुआ था जिससे उसके स्तनों की पूरा दरार स्पष्ट नजर आ रही थी।

मैंने उन्हें शुभ दोपहर विश किया और उसने मुझे बैठने के लिए कहा। मैं उसके ठीक सामने बैठ गया, मेरे आने से पहले वह उत्साहित थी, लेकिन जब उसने मुझे देखा और जानती थी कि उसकी योजना शुरू होने वाली है, तो वह बेहद उत्साहित हो गई और उसके निप्पल उत्तेजना के साथ सख्त हो गए और उसके पारदर्शी सफेद टॉप की तंग सीमा के भीतर धड़कते हुए उभर गए। वह इसे अपनी मेज के पीछे मुझसे छिपाना नहीं चाहती थी। उसने मुझे डॉक्टर हेलेन क्रूज़ की असवसथता के बारे में बताया और कहा कि वह उसके साथ मेरे यौन कारनामों के बारे में जान चुकी थी और बोली डॉ हेलेन इस बात से निराशा थी कि वह अगले कुछ दिनों तक हमारी क्लास नहीं ले पाएगी क्योंकि उसकी चूत सूज गयी है और उसके बाकी बदन में भी दर्द हो रहा था।

फिर उसने मुझे बताया कि वह चाहती है कि पहले सेमेस्टर के छात्र बेहतर प्रदर्शन करें और उनके पाठ्यक्रम की कोई भी कक्षा छूटे नहीं और अब वह इसमें डॉ. जेनी की मदद करेगी। अब लाइव डेमोस्ट्रेशन के बजाय वह शिक्षा में कुछ वीडियो का उपयोग करना चाहेगी और मुझे इस मामले में एक प्रतिभागी और सहायक के रूप में लेना चाहती है।

"ठीक है," उसने कहा, " डॉक्टर हेलन ने मुझे बताया है कि आप कॉलेज के बाद विभिन्न चीजों के साथ उसकी मदद करने में रुचि रखते हैं और आप आम तौर पर अपनी टीचर्स के साथ समय बिताना पसंद करते हैं।



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अब क्या आप मेरे साथ कुछ पाठ्येतर गतिविधि करना चाहेंगे। इसके लिए आपको अतिरिक्त क्रेडिट मिलेगा ए। यह आप को 'ए' की गारंटी देगा। आप चाहे तो बेझिझक 'नहीं' कहें और मैं इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करूंगी और यदि आप को लगता है और आप सहमत हैं तो मैं आपके लिए कुछ ट्यूशन की व्यवस्था भी करूंगी ताकि आपको अपना ग्रेड ऊपर लाने और रखने में मदद मिल सके। मैं अब भी आपके ग्रेड बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करूंगी, लेकिन इसके लिए आपको भी मेहनत करनी होगी। "

मैंने उसकी तरफ देखा, मुस्कुराया और कहा, "ज़रूर।"

"बेशक।"

"डॉ मैडम! आपके मन में क्या है?" हम कैसे आगे बढ़ें?

"क्या आप आज शाम को छात्रावास से बाहर रुक पाएंगे?" उसने पूछा। मैं छात्रावास वार्डन को आवश्यक निर्देश जारी करूंगी।

मैंने सिर हिलाया और कहा, "ज़रूर!" लेकिन मुझे किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है क्योंकि मैं अपने ही घर में अकेला रहता हूँ।


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तुम छात्रावास में नहीं रह रहे हो? आप एक मेडिकल छात्र हैं। मेडिकल छात्रों का छात्रावास में रहना अनिवार्य है।

डॉ मैडम यहाँ पास ही मेरा घर है और मुझे घर का खाना बहुत पसंद है इसलिए मैं अपने घर में नौकरों और के साथ रहता हूँ। मेरे पास डीन की विशेष अनुमति है।

ओह! तब तो मुझे इस मामले में हॉस्टल वार्डन को कोई निर्देश जारी करने की जरूरत नहीं है। वास्तव में यह हमारे इस प्रोजेक्ट के लिए बेहतर है।

"क्या आप आज दोपहर के भोजन के लिए मेरे घर आने में सहज महसूस करेंगे? याद रखिये यदि आप ऐसा करेंगे तो आप किसी को नहीं बताएंगे। याद रखें, आपको ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।" मैंने फिर कहा, मैं करूंगा। मैं टिफिन में घर का बना लंच ले कर कॉलेज आता हूँ।

"बढ़िया!" उसने कहा। फिर इस मामले में आप अपना दोपहर का भोजन मेरे साथ कर सकते हैं मैं अच्छी रसोइया हूँ और अच्छा खाना बनती हूँ "यहाँ मेरे घर के लिए निर्देश दिए गए हैं। दोपहर 1.30 बजे आएँ और आप पीछे का रास्ता इस्तेमाल करे ताकि आपके देखे जाने की संभावना कम हो जाए। एक शिक्षक के लिए छात्रों को उनके छात्रों का उनके घर आना उचित नहीं लगेगा। मैं पिछले दरवाजे को खुला छोड़ दूँगी ताकि आप सीधे अंदर आ सकें और याद रखें, ये बात आप किसी को नहीं बतायेंगे।"

उसके साथ ही उसने मुझे समय पर आने के लिए बोली।

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मैं वहाँ से निकल कर टॉयलेट की ओर भागा और वहाँ लगभग 15 मिनट तक अपने दर्द भरे लंड को सहलाया और मैंने उस यौन उत्तेजना को दूर करने की कोशिश की जो इसमीटिंग के बारे में सोचकर निर्मित हुई थी क्योंकि मुझे पता था कि इस विशेष पाठ का विषय सेक्स था और मैंने डॉ हेलेन के साथ इस विषय पर पहले प्रैक्टिकल में बहुत मज़ा किया था और अब डॉ एडी मुझसे गुप्त रूप से मिलना चाहती हैं। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह वास्तव में हो रहा है।


मैं समय पर वहाँ पहुँच गया और दोपहर के भोजन में उसने स्कॉच की एक बोतल खोली और कुछ सादा शाकाहारी भोजन बनाया। जब हम पी रहे थे और खा रहे थे, मैंने कहा, "मैम, आपके मन में वास्तव में क्या है?"

"मैं आप को लेकर एक शैक्षिक वीडियो बनाने के बारे में सोच रही हूँ।" उसने उत्तर दिया।

लेकिन तब मुझे एक पोर्न स्टार के रूप में लेबल किया जा सकता है! मैं चिंतित हो गया था!

"लेकिन हम इसे इस तरह से बनाएंगे कि कोई आपको पहचान न सके। हमने पिछले कुछ वर्षों में अपने छात्रों और शिक्षकों को लेकर कुछ फिल्में बनाई हैं। हम छद्म नामों का उपयोग करेंगे।"


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"शायद मैंने आपकी कुछ फिल्में देखी हो। मुझे उनके शीर्षक बताओ," मैंने पूछा।

तब उसने मुझे कुछ छोटी-छोटी फिल्में दिखाईं। लेकिन मैं किसी अभिनेता या अपने सीनियर या शिक्षकों को नहीं पहचान सका।

"क्षमा करें मैं किसी को भी नहीं पहचान सका" ! मैं हैरान था।

"नहीं, आप नहीं पहचान सकते," वह हँसी, " हमारे पास एक पूरी तरह से विकसित इलेक्ट्रॉनिक्स और मीडिया प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग विभाग है। हमारे विश्वविद्यालय में एक विशेषज्ञ मीडिया प्रौद्योगिकी प्रोफेसर हैं जो मेरे मित्र हैं। हमारे छात्रों ने हॉलीवुड और मीडिया और फिल्म प्रोडक्शन हाउस में काम किया है।

ओह्ह! मुझे मेरी अज्ञानता के लिए माफ़ कीजिये!

"मैंने तुमसे कहा था," डॉ एडी ने कहा, "कुमार, मुझे पता है कि हमारी टीम अच्छी है। हो सकता है कि सिर्फ एक फिल्म हो और फिर कुमार क्षितिज पर नए सितारे होंगे।" हाँ हाँ!

"लेकिन मैं पोर्नस्टार नहीं बनना चाहता।" मैं चिंतित हो गया था।

: लेकिन मैंने सुना है कि आपने कहा था कि आपको सेक्स पसंद है" उसने गहरी और गंभीर आवाज़ में कहा और फिर भविष्य के गर्भ में क्या है ये कौन जानता है?

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ओह! लेकिन मैं एक पोर्नस्टार नहीं बन सकता!

"कुमार, उसे छोड़ो। हम उसका इलाज ढूँढ लेंगे और मैंने पढ़ा था कि" किस्मत हर किसी के दरवाजे पर दस्तक देती है। मैं अब भी उसके मेरे दस्तक देने का इंतज़ार कर रही हूँ, " वह हँसी।

उसी क्षण दरवाजे पर दस्तक हुई और जब मैंने दरवाजा खोला तो कार्यालय से एक महिला उसके लिए एक संदेश लेकर आई थी।

मैंने कहा "आपकी किस्मत ने आपके दरवाजे पर दस्तक दी है।" और हम दोनों हँसे!

एडी ने कुछ मिनटों के लिए मुझसे छुट्टी ली और मुझे वहाँ प्रतीक्षा करने के लिए कहा और मुझे कुछ वीडियो देखने के लिए दे दी। मैं कुछ देर तक वहीं वीडियो देखता हुआ उसका इंतजार करता रहा। डॉ एडी का कोई नामेमिशन या सन्देश नहीं था और फिर मैं अपनी प्रैक्टिकल क्लास में चला गया।

 प्रैक्टिकल क्लास में  डॉ सुश्री टिम ने यौन उत्तेजना पर व्याख्यान दिया।

कामोन्माद संभोग यौन प्रतिक्रिया चक्र के दौरान संचित यौन उत्तेजना का अचानक निर्वहन होता है, जिसके परिणामस्वरूप यौन आनंद की विशेषता श्रोणि क्षेत्र में लयबद्ध पेशी संकुचन होता है। पुरुषों और महिलाओं द्वारा अनुभव किया गया, कामोन्माद अनैच्छिक या स्वायत्त तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित किया जाता है। वे आम तौर पर अनैच्छिक क्रियाओं से जुड़े होते हैं, जिसमें शरीर के कई क्षेत्रों में मांसपेशियों में ऐंठन, एक सामान्य उत्साहपूर्ण सनसनी और अक्सर शरीर की गति और स्वर शामिल होते हैं। संभोग के बाद की अवधि आमतौर पर आराम का अनुभव होता है, जो न्यूरोहोर्मोन ऑक्सीटोसिन और प्रोलैक्टिन के साथ-साथ एंडोर्फिन की रिहाई के लिए जिम्मेदार होता है।

मानव कामोन्माद आमतौर पर पुरुषों में लिंग की शारीरिक यौन उत्तेजना (आमतौर पर स्खलन के साथ) और महिलाओं में भगशेफ के परिणामस्वरूप होता है। यौन उत्तेजना स्व-अभ्यास हस्तमैथुन या एक यौन साथी के साथ हो सकती है।

मानव संभोग के आसपास के स्वास्थ्य प्रभाव विविध हैं। यौन गतिविधि के दौरान कई शारीरिक प्रतिक्रियाएँ होती हैं, जिसमें प्रोलैक्टिन द्वारा निर्मित एक आराम की स्थिति, साथ ही केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में परिवर्तन जैसे कि सेरेब्रल कॉर्टेक्स के बड़े हिस्से की गतिविधि में अस्थायी कमी, जबकि मस्तिष्क के लिम्बिक क्षेत्रों में कोई परिवर्तन या चयापचय गतिविधि में वृद्धि नहीं होती है।


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स्थिति के आधार पर, एक व्यक्ति शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के कारकों से यौन उत्तेजित हो सकता है। एक व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति द्वारा या उस व्यक्ति के विशेष पहलुओं से, या किसी गैर-मानवीय वस्तु द्वारा यौन उत्तेजित हो सकता है। इरोजेनस ज़ोन की शारीरिक उत्तेजना या फोरप्ले की क्रियाओं के परिणामस्वरूप उत्तेजना हो सकती है, खासकर अगर यह आसन्न यौन गतिविधि की प्रत्याशा के साथ हो। कामोत्तेजना को रोमांटिक सेटिंग, संगीत या अन्य सुखदायक स्थिति से मदद मिल सकती है। कामोत्तेजना के लिए संभावित उत्तेजना एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है और एक समय से दूसरे समय तक, जैसा कि उत्तेजना का स्तर होता है।

उत्तेजनाओं को शामिल अर्थ के अनुसार वर्गीकृत किया जा सकता है: सोमाटोसेंसरी (स्पर्श) , दृश्य और घ्राण (गंध) । श्रवण उत्तेजना भी संभव है, हालांकि उन्हें आम तौर पर अन्य तीन की भूमिका में माध्यमिक माना जाता है। कामुक उत्तेजना जिसके परिणामस्वरूप यौन उत्तेजना हो सकती है, इसमें वार्तालाप, पढ़ना, फिल्म या छवियाँ, या गंध या सेटिंग शामिल हो सकती है, इनमें से कोई भी किसी व्यक्ति में कामुक विचार और यादें उत्पन्न कर सकता है। सही संदर्भ को देखते हुए, ये शारीरिक संपर्क की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को जन्म दे सकते हैं, जिसमें चुंबन, कडलिंग और इरोजेनस ज़ोन का स्पर्श और सहलाना शामिल है। यह बदले में व्यक्ति को स्तनों, निपल्स, नितंबों और / या जननांगों की प्रत्यक्ष यौन उत्तेजना और आगे की यौन गतिविधि की इच्छा कर सकता है।

कामुक उत्तेजना बाद के यौन रुचि के उद्देश्य से असम्बंधित स्रोत से उत्पन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, बहुत से लोगों को नग्नता, प्रेमकाव्य या पोर्नोग्राफ़ी कामोद्दीपक लग सकती है। यह एक सामान्य यौन रुचि उत्पन्न कर सकता है जो यौन गतिविधि से संतुष्ट होती है। जब कामोत्तेजना वस्तुओं के उपयोग से या उस पर निर्भर होकर हासिल की जाती है, तो इसे यौन पैराफिलिया कहा जाता है।

एक आम धारणा है कि महिलाओं को कामोत्तेजना हासिल करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता होती है। हालांकि, हाल के वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि पुरुषों और महिलाओं को पूरी तरह उत्तेजित होने के लिए आवश्यक समय में कोई खास अंतर नहीं है। मॉन्ट्रियल (कनाडा में) में मैकगिल यूनिवर्सिटी हेल्थ सेंटर के वैज्ञानिकों ने यौन उत्तेजना के लिए आवश्यक समय को परिभाषित करने के लिए जननांग क्षेत्र में बेसलाइन तापमान परिवर्तन को रिकॉर्ड करने के लिए थर्मल इमेजिंग की विधि का उपयोग किया। शोधकर्ताओं ने यौन रूप से स्पष्ट फिल्में या तस्वीरें देखते हुए किसी व्यक्ति को यौन उत्तेजना के चरम तक पहुँचने में लगने वाले समय का अध्ययन किया और इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि औसतन महिलाओं और पुरुषों को यौन उत्तेजना के लिए लगभग एक ही समय लगता है-लगभग 10 मिनट।  फोरप्ले के लिए आवश्यक समय पूरी तरह से व्यक्तिगत होता है और परिस्थितियों के आधार पर एक अवसर से दूसरे अवसर पर भिन्न होता है।

कई जानवरों के विपरीत, मनुष्यों के पास संभोग का मौसम नहीं होता है और दोनों लिंग संभावित रूप से पूरे वर्ष यौन उत्तेजना के लिए सक्षम होते हैं॥

व्याख्यान समाप्त होने के बाद मैं डॉ  एडी  के घर चला गया, उनके घर की चाबी वो मुझे दे गयी थी और वह वहाँ नहीं थी कुछ देर बाद उसने फोन पर एक संदेश भेजा:

प्रिय कुमार,

" क्षमा करें, कुछ जरूरी काम आ गया है और मैं देर शाम तक वापस आ जाउंगी। शाम की चाय के लिए मेरा इंतजार न करें। फ्रिज में बहुत सारी खाद्य सामग्री है। कृपया अपनी मदद करें । जल्द से जल्द फिर मिलते हैं। मैं चाहती हूँ हम इस मसले पर चर्चा पूरी कर आगे का काम शुरू करे।

डॉ एडी। "

मैंने अपने लिए एक कप चाय बनाई और फ्रिज में झाँका। यह वास्तव में भरा हुआ था। मैंने वीडियो देखते हुए इत्मीनान से शाम की चाय पी। फिर मैंने नहाने का फैसला किया। मैंने काफी देर तक मस्ती से शॉवर लिया।

कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 18

एक भिखारिन


मैंने मस्ती से शावर लिया और रसोई में टॉवल पहन कर नाश्ता बनने लगा ।

मैंने दरवाजे की घंटी बजने की आवाज सुनी। पहले तो मैंने इसे नजरअंदाज किया लेकिन घंटी बजती रही "हो सकता है कि यह डॉ एडी के लिए कोई जरूरी संदेसा हो" मैंने खुद से कहा और अपने टॉवल को लपेट कर दरवाजा खोल दिया।

दरवाजे पर एक जवान लड़की खड़ी हुई थी।

"आप क्या चाहतेी हैं, इतनी जोर से घंटी क्यों बजा रही थी?" मैंने बेरहमी से उसे लगभग डांटते हुए पूछा।


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"प्लीज़ सर, मुझे कुछ पैसे दे दो, मुझे बहुत भूख लगी है। मैंने कल से खाना नहीं खाया," उसने विनती की।

मैंने उसे और ध्यान से देखा। वह जाहिर तौर पर एक भिखारी थी। उसका चेहरा गंदा था और उसने फटे-पुराने गंदे कपड़े पहने हुए थे। मैं मूल रूप से भिखारियों को पैसे देने के खिलाफ था। मेरा अनुभव यह रहा है कि वे निरपवाद रूप से इसका गलत उद्देश्यों के लिए उपयोग करते हैं। अगर वह भूखी होती तो मैं उसे कुछ खाने को दे सकता था।

"मैं कुछ भोजन बनाने वाला हूँ," मैंने कहा, "यदि आप चाहें तो आप मेरे साथ खाना खा सकती हैं।"

"जल्द ही पता चल जाएगा कि क्या वह वास्तव में उतनी ही भूखी है जितनी वह कहती है," मैंने सोचा।

उसने टॉवल पहने हुए मुझे देखा और झिझकी। "यदि आप भोजन चाहती हैं तो मैं आपको कुछ दे सकता हूँ, लेकिन पैसे नहीं," मैंने अपना निमंत्रण दोहराते हुए कहा, "जल्दी तय करो। मैं यहाँ आधा नंगा ज्यादा देर नहीं खड़ा हो सकता।"

"ठीक है," उसने कहा और अंदर आ गई।

"क्या आप कुछ अंडे और टोस्ट लेना चाहेंगी?" मैंने पूछ लिया।

"कुछ भी चलेगा। भिखारी चयन नहीं कर सकते," उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

"उसकी एक सुंदर मुस्कान है और अगर वह अपना चेहरा धोती है तो वह काफी सुंदर होगी। अच्छा होगा अगर मैं उसे चोद सकूं," मैंने सोचा और मेरा लंड अकड़ने लगा । 

"तुम यहाँ बैठो जब तक मैं कुछ अंडे पकाता हूँ," मैंने उसे खाने की मेज की ओर ले जाते हुए कहा।

"अगर आप चाहें तो मैं आपकी मदद कर सकती हूँ," उसने कहा, "मैं एक अच्छी रसोइया हूँ।"

"ठीक है, तुम अंडे पका लो," मैंने उसके आठ अंडे देते हुए कहा, "जब तक मैं कुछ चाय बनाता हूँ।"

जब वह अंडे बना रही थी तब मैंने टेबल बिछा दी और जब नाश्ता तैयार हो गया तो मैंने अंडों का थोड़ा-सा हिस्सा लेकर शेष बैलेंस उसे दे दिया। मैंने उसके सामने एक पूरी ब्रेड रख दी और उसे खाते हुए देखा।

जिस तरह से वह टेबल पर बैठी और कटलरी का इस्तेमाल करती थी, मैंने सोचा कि यह लड़की भिखारी पैदा नहीं हुई थी और मैंने उसकी पृष्ठभूमि के बारे में और जानने का फैसला किया।


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"तुम्हारा नाम क्या हे?" मैंने पूछ लिया।

"एलिसिया," उसने अंडे और रोटी से भरे मुंह से जवाब दिया।

"एलिसिया, तुम कहाँ रहती हो?" मैंने पूछ लिया।

"सड़कों पर भिखारी कहाँ रहते हैं, साहब। हमारे पास कोई स्थायी स्थान नहीं है। वर्तमान में मैं यहाँ से लगभग दो मील की दूरी पर ई झुग्गियों में रहती हूँ," उसने उत्तर दिया।

उसे चोदने की इच्छा और प्रबल हो गई। मेरे लंड में खून दौड़ गया जिससे मेरा लंड आधा सख्त हो गया। उसकी प्रतिक्रिया जानने के लिए मैंने सेक्स के बारे में बात करने का फैसला किया।

तुम्हें डर नहीं लगता कि एक रात कोई आपको चो... ...) , " मैंने वाक्य को अधूरा छोड़ते हुए कहा।

"आप स्पष्ट कसह सकते हो कि कोई मुझे चोदेगा," उसने बिना शरमाए जवाब दिया।

"इतनी छोटी उम्र में भी वह काफी अनुभवी है," मैंने सोचा, "लेकिन वास्तव में इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।"

"किसी के साथ आपने पहले सेक्स किया है ..." मैंने पूछ लिया।

अभी तक किसी ने मुझे चोदा नहीं है, लेकिन पूरी संभावना है कि मैं जल्द ही चुद जाऊंगी, " उसने झुकी हुई आंखों से कहा।

"आप यह कैसे जानते हैं?" मैंने आश्चर्य से पूछा।

"मुझे पता है," उसने जवाब दिया।

"तुम अपना कौमार्य बचा सकती हो," मैंने सुझाव दिया।

" कब तक बचा लूंगी? एक दिन कोई मेरी योनी को चोदने वाला है।

क्या आप मुझे बताना चाहेंगे, आप इसे कैसे जानते हैं? " मैंने अनुरोध किया।

"सर, यह एक लंबी कहानी है," उसने उदास होकर कहा।

"मेरे पास समय है और आपको भी शांति से अपना भोजन पचाने के लिए समय चाहिए," मैं मुस्कुराया।

"ठीक है, सर, उसने कहा," मैं अच्छे माता-पिता के यहाँ पैदा हुई थी। हमारे पास एक घर, एक कार और जीवन की अन्य सभी अच्छी चीजें थीं। सात साल पहले जब मैं बीस साल की थी एक दिन मेरे माता-पिता एक कार दुर्घटना में मारे गए। मिनटों में मैं और मेरी बहन अनाथ हो गए। घर कार बैंक वाले ले गए! "


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"बस एक सेकंड, आपने कहा था कि पाँच साल पहले आप बीस साल की थी। अब आप कितने साल के हैं?" मैंने पूछ लिया।

"मैं लगभग सत्ताईस की हूँ," उसने जवाब दिया।

"हे भगवान, तुम सत्ताईस वर्ष की हो! तुम अठारह से एक दिन भी बड़ी नहीं लगती," मैंने आश्चर्य से कहा।

"हमारे परिवार में हमारी सबकी शक्ल बचकानी है। मेरी माँ, दो बड़ी बेटियों के होते हुए भी, पच्चीस से ज्यादा नहीं दिखती थी। सर, मेरी बहन ग्रेस पक्कीस की है, लेकिन अठारह से भी कम की दिखती है। शायद यह हमारी बचकानी शक्ल है जिसने हमें इतने लंबे समय तक कुंवारी रहने के लिए मदद की है," वह मुस्कुराई।

"तुम्हारी बहन कहाँ है? क्या वह भी तुम्हारी तरह भिखारी है?" मैंने पूछ लिया। "मुझे उससे एक बार मिलना है।:

एलिसिया ने जवाब दिया, "हाँ सर, हम साथ हैं। वह अगली गली में भीख मांग रही है। "

मैंने उससे कहा कि वह उसे बुला ले क्योंकि वह भी हमारे साथ खाना खा सकती है।

 एलिसिया चली गई और कुछ देर बाद वह दूसरी लड़की के साथ दरवाजे पर आई वह भी एक भिखारी ही लग रही थी। उसका चेहरा गंदा था और उसने फटे-पुराने कपड़े पहने हुए थे। वह भी था जिसका 18 साल का प्यारा-सा चेहरा था। मुझे याद आया एलिसिया अपनी बहन ग्रे को लाने गयी थी तो उसके साथ की ये लड़की जरूर ग्रेस होगी ।

ग्रेस पच्चीस के आसपास थी, बहुत सुंदर, दुबली-पतली और अच्छे बड़े स्तन वाली लंबी। एक नई चुत देखकर मेरे लंड कड़ा हो गया। मेरा लंड मेरे तौलिये से बाहर निकल आया, पूरी तरह से सीधा था । एलिसिया उस लड़की के साथ कमरे में दाखिल हुई । मैं उठा और जल्दी से अपने टॉवल को ठीक किया लेकिन टॉवल के अंदर खड़े हुए लंड के कारण बना तम्बू दिखाई दे रहा था। उसने मेरा लंड देखा और बोली कुमार "तुम क्या कर रहे हो। चुदाई के रोल की तैयारी हो रही है," उसने हंसते हुए कहा, "यह ग्रेस है। वह हमारी मेकअप विशेषज्ञ है।"

और आप? मैंने चकित हो कर पुछा?

एलिसिया हसते हुए बोली । अभी भी नहीं पहचाना मैं डॉ एड़ी?

मैं:-ओह सॉरी मिस मैं आपको बिलकुल नहीं पहचान पाया

डॉ एड़ी:-कुमार! अब तो मानोगे की मेकअप और स्पेशल इफ़ेक्ट से आपको फिल्म में पहचानना मुश्किल होगा ।

अब मेरे पास कहने को कुछ नहीं था ।

डॉ एड़ी  ने मुझे फिल्म में मेरे काम के बारे में समझाया और फिर मैं  रात के भोजन के बाद अपने घर वापिस लौट गया ।

कहानी जारी रहेगी
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