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Adultery PADMA ( Part -1)
पदमा अब आखरी छोर पर आ चुकी है
ओर इस कहानी का सबसे अच्छी बात ,सब पदमा के पीछे लग है और अभी तक किसी को नही पता की कोन पदमा के साथ संभोग करने वाला है

भले ही , नितिन,रफीक,ओर गुप्ता की दौड़ में गुप्ता आगे नजर आ रहा है ,लेकिन अभी भी कुछ कहा नहीं जा सकता की जीतेगा कोन,क्या पता नितिन जीतने वाला हो या फिर सबसे आखरी में है रफीक वो बाजी मार जाए


खेर जीते कोई भी,चुदाई दमदार होनी चाहिए ,ओर चूड़ा का वर्णन लंबा होना चाहिए

जैसा तुमने सुझाव मांगा था

में सहमत हु पदमा की चुदाई किसी स्पेशल दिन होनी चाहिए जैसे की शादी की सालगिराह, करवा चौथ के दिन या फिर पदमा के जन्मदिन के दिन
ओर चुदाई जल्दीबाजी में नही फुल टाइम के साथ होनी चाहिए

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12. मैंने नितिन से वादा किया था कि मैं 11 बजे तक होटल ग्रीन-सी आ जाऊँगी मगर ट्रैफिक के चलते मैं थोड़ी लेट हो गई और मुझे होटल पहुँचने मे 11:30 बज गए ।
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   ग्रीन-सी होटल शहर के सबसे माने हुए होटलों मे शुमार था यहाँ केवल अपर-लेवल (elite class) के लोग आते थे इसीलिए मैंने नितिन से मिलने के लिए इस होटल को चुना । जब मैं होटल पहुंची तो वहाँ का माहौल देखकर मेरा मन खुश हो गया चारों तरफ बहुत साफ सफाई , और देख-रेख के लिए नौकर लगे हुए थे ।
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 मेरे खुश होने का एक कारण ये भी था कि मैं इस होटल मे रोज-रोज तो आती नहीं थी सिर्फ एक बार अशोक के साथ आई थी तभी से मुझे इसमे जाने की इच्छा थी लेकिन इतने बड़े और महंगे होटल मे जाना मैं अफोर्ड नहीं कर सकती थी मगर आज मुझे कोई चिंता नहीं थी मैं सोचकर आई थी कि मैं तो अपना एक भी पैसा खर्च नहीं करूंगी , मिलने की जिद नितिन की थी तो वोही खर्चा भी करेगा पर होटल के अन्दर जाकर मैंने देखा तो मुझे नितिन कहीं दिखाई नहीं दिया ।
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 मैंने हर तरफ नजर दौड़ाई मगर वो नहीं दिखा एक बार को तो मुझे लगा कही नितिन इंतज़ार करके चला तो नहीं गया , और ठीक उसी वक्त किसी ने पीछे से मुझे आवाज लगाई मैंने पलट-कर देखा तो पाया नितिन के होटल के हॉल की सबसे आखिरी टेबल पर बैठा हुआ था और मुझे अपनी ओर बुलाने का इशारा कर रहा था । मैं समझ गई थी कि नितिन इतनी देर से मुझे यहाँ से वहाँ भागता देखकर मेरी गोरी पीठ और भारी गाँड़ का दीदार करते हुए मजे ले रहा है, 
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 नितिन को देखकर मुझे अच्छा भी लगा चलो इसने मेरा इंतज़ार तो किया मगर साथ मे ये ख्याल भी आया कि इसने इतने आखिर मे टेबल क्यूँ बुक की है । खैर मे नितिन की टेबल के पास पहुंची तो उसका चेहरा खिल गया और वो एक नजर मुझे देखता ही रह गया ,
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 उसकी इस हरकत पर मुझे शर्म आ गई उसने मुस्कुराते हुए कहा - " वेलकम पदमा , आओ बेठो । "
नितिन ने आगे बढ़कर मेरी कुर्सी खींची और मे भी आराम से बैठ गई ।
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 उसके बाद नितिन फिर से अपनी कुर्सी पर बैठा और मेरी ओर मुसकाते हुए कहने लगा - " कैसी हो पदमा , आज बोहोत दिनों बाद तुम्हें देखा । "
मैं - मैं ठीक हूँ  , तुम अपनी कहो । 
नितिन ( मेरी चुचियों की दरार मे झाँकते हुए  )- अब मैं भी ठीक हूँ , तुम्हें जो देख लिया । 
मैं - मुझे तो लगा कि तुम चले गए होंगे , मुझे आने मे देर हो गई ना । 
नितिन - तुम्हारे लिए तो मैं पूरा दिन इंतज़ार कर सकता हूँ फिर ये तो कुछ भी नहीं । 
नितिन की यही बात मुझे हमेशा लुभाती थी वो अपनी बात को इस ढंग से कहता था कि कोई भी लड़की उसकी दीवानी हो जाए , मुझे उसकी बातों पर हँसी ओर शर्म दोनों आ रही थी लेकिन मैं फिर भी खुद को संभाले रखा । 
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मैं - तुमने इतनी आखिर मे टेबल क्यूँ बुक की है , आगे भी तो जगह है । 
नितिन - पदमा , आज हम कितने दिनों बाद मिले है मुझे तुमसे बोहोत सी बाते करनी है अगर मे आगे टेबल बुक करता तो कोई हमारी बातें सुन सकता था । 
मैंने सोचा कह तो नितिन ठीक ही रहा है , किसी को अपनी बात की खबर नहीं देनी चाहिए ।  
मैं - हम्म । 
नितिन - और बताओ क्या लोगी ?
मैं - कुछ नहीं । 
नितिन - अरे ऐसे कैसे , कुछ तो लेना ही पड़ेगा । वेटर ..........। 
नितिन ने वेटर को आवाज दी और तुरंत के वेटर वही हमारी टेबल के पास आ गया ।
वेटर - यस सर ... 
नितिन - दो चाय लाओ । 
वेटर ने ऑर्डर लिया और चला गया ।
नितिन - कब से तड़प रहा था तुमसे मिलने को पर अशोक की वजह से सब खराब हो गया । 
मैं ( हैरानी से )- अशोक की वजह से कैसे ?
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नितिन - उसी की वजह से मुझे शहर के बाहर रहकर काम करना पड़ रहा है नहीं तो मैं तुम्हारे पास रहता यही । 
मैं - नितिन पहेलियाँ मत बुझाओ , उस दिन मॉर्निंग वॉक पर भी तुमने मुझे अपनी बातों से उलझा दिया था, आज मुझे सब सही से बताओ मजरा क्या है ?
नितिन - सच सुनना है तो सुनो सच ये है कि , अशोक अब कंपनी मे ग्रुप हेड बना हुआ , जो कभी मैं था । 
मैं - हाँ , मैं जानती हूँ । 
नितिन - क्या ये भी जानती हो कि कैसे बना वो ग्रुप हेड ?
मैं - हाँ जानती हूँ तुम्हारी लापरवाही की वजह से , जिस दिन तुम्हें कम्पनी की प्रेजेंटेशन देनी थी उस दिन तुम मेरे घर आए थे मुझे केक सिखाने के बहाने और तुमने अपना सारा टाइम यहाँ लगा दिया इस वजह से अशोक को वो प्रेजेंटेशन देनी पड़ी । तुम्हें तुम्हारी लापरवाही की सजा मिली है और अब इल्जाम अशोक पर डालना चाहते हो ।
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नितिन ( हैरानी से )- ये सब तुम्हें अशोक ने बताया होगा ना ?

मैं - हाँ । 

नितिन ( मुस्कुराते हुए ) - और तुमने आसानी से उसकी बात मान ली । 

मैं - क्या मतलब ?

नितिन - मतलब ये कि उसने तुम्हें सब कुछ झूट ही बताया है । 
मैं(गम्भीरता से ) - अच्छा तो तुम मुझे सच और झूठ का फ़र्क बताओगे जिसने खुद अपना पहला परिचय ही मुझे झूठा दिया था । 
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नितिन(उदासी से) - ओह ....पदमा अब मैं तुम्हें कैसे समझाऊँ वो तो एक मजाक था लेकिन अशोक जो तुम्हारे साथ कर रहा है वो तो एक धोखा है सरासर धोखा । 

मैं - कैसा धोखा ? क्या बोल रहे हो तुम ?
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नितिन - सच्चाई ये है कि , अशोक ने मेरी प्रेजेंटेशन चुरा ली थी और मुझे कम्पनी के शेयर हॉल्डर्स के सामने शर्मिंदा होना पड़ा जिसकी वजह से मुझे कम्पनी की ब्रांच से निकाल दिया गया और मेरे ना होने का फायदा उठाकर अशोक खुद ग्रुप हेड बन गया । 
इतना बताते-बताते नितिन बोहोत उदास हो गया और अपनी नजरे जो उसने अब तक मेरे बदन से चिपका रखी थी , नीची कर ली । मुझे उस पर थोड़ा तरस सा आ गया और ना चाहते हुए भी उसके लिए मैं थोड़ी भावुक हो गई । 
मैं - नितिन तुम उदास मत हो ....... तुम्हें कैसे पता की प्रेजेंटेशन चुराने वाला अशोक ही था ।
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नितिन - मैंने वो प्रेजेंटेशन अशोक के सामने ही अपने केबिन मे रखी थी उसका पता केवल अशोक को था और किसी को नहीं , और बाद मे अशोक ने वही सबके सामने प्रदर्शित की । 
मुझे नितिन की बात पर पूरा भरोसा भी नहीं हो रहा था लेकिन उसकी बातों से सच्चाई झलक रही थी , यूँ भी अशोक का कल वाला रूप देखकर मुझे ये तो लगने लगा था कि अशोक मुझसे कुछ ना कुछ छिपा रहे है जो शायद नितिन से ही संबंधित है । 
मैं सोच ही रही थी इतने मे ही वेटर चाय लेकर आ गया और हमारे सामने रखकर चला गया । मैंने नितिन की ओर देखा तो वो अभी भी उदास मुहँ लटकाए बैठा हुआ था । 
मैंने उससे कहा - " नितिन तुम ऐसे मत बैठे रहो ...  चाय पी लो । "
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नितिन ने मेरी ओर देखा और थोड़ा मुस्कुराता हुआ बोला - " हम्म ..तुम भी लो पदमा । "
फिर हम दोनों ने चाय पीने लगे .... 
नितिन - पदमा तुमने फाइल के बारे मे अशोक से कुछ बात की ?
मैं - हम्म की थी । 
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नितिन - क्या कहा उसने , नहीं बताया होगा ना कुछ भी । 
मैं - नहीं ।  
नितिन - देखा मैंने कहा था ना वो नहीं बताएगा कुछ भी , क्योंकि वो जानता है इससे उसके सारे राज खुल जाएंगे । 
मैं(हैरत से) - कैसे राज ?
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नितिन - उस फाइल मे सबूत है कि प्रेजेंटशन गायब करने मे मेरा कोई हाथ नहीं था , अगर वो फाइल मेरे हाथ लग जाए तो मैं शहर मे वापस आ जाऊँगा । प्लीज पदमा उसे मेरे लिए ला दो ।  
मैं -  मैं कैसे लाऊं मुझे तो पता भी नहीं वो कहाँ रखी है अशोक ने । 
नितिन ने सीधे बैठते हुए अपना हाथ मेरे हाथ पर रखकर कहा - "प्लीज पदमा कुछ करो ... मैं ये इसलिए नहीं कह रहा ताकि मैं दोबारा ग्रुप हेड बनना चाहता हूँ बल्कि इसलिए कह रहा हूँ ताकि मैं यहाँ तुम्हारे पास रह सकूँ, तुमसे दूर मन नहीं लगता अब । 
मैं( थोड़े असमंजस मे ) - नितिन .......... । 
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नितिन(उसी तरह ) - प्लीज पदमा अब तुम ही कुछ कर सकती हो मेरे लिए , जानती हो जबसे मैं कम्पनी से निकाल गया हूँ मोनिका भी बात नहीं करती मुझसे .... बोहोत तन्हा हूँ मैं । 
इतना कहकर नितिन बोहोत ही ज्यादा टूट गया और उसकी पलके भीग गई । उसकी ऐसी हालत देखकर मेरा दिल पसीज गया और मैंने उसका हाथ पकड़े हुए ही कहा - " नितिन तुम दुःखी मत हो , मैं कोशिश करूंगी पर तुम ये बताओ इससे अशोक को तो कुछ नुकसान नहीं होगा ना । "
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नितिन - नहीं नहीं पदमा मैं क्या पागल हूँ , मुझे तुम्हारा पूरा ख्याल है । अशोक को मैं कुछ नहीं होने दूँगा , वादा करता हूँ ।
नितिन की बातों पर मुझे पूरा नहीं पर थोड़ा सा विश्वाश सा बन गया , मेरी चाय भी खत्म हो गई थी तो मैंने नितिन से कहा -
मैं - अच्छा तो चलो अब मैं चलती हूँ , नहीं तो घर जाने मे लेट हो जाएगा । 
इतना बोलकर नितिन मैं अपनी जगह से उठ गई और जाने की लिए मुड़ी ही थी के तभी नितिन ने मुझे पीछे से आवाज दी - 
नितिन - सुनो पदमा । 

मैं पीछे घूमी तो देखा नितिन मेरी पीठ और नितम्बों को निहार रहा था , 

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मैंने उससे पूछा - " क्या हुआ नितिन ?"

नितिन अपनी कुर्सी से खड़ा हुआ और मेरे पास आते हुए बोला -"आज तुमने अपना कमर-बन्द नहीं पहना ? "

मैं समझ गई कि नितिन ने नोटिस कर लिया है , करता भी क्यूँ ना जब से मैं आई थी वो मुझे ही घूरे जा रहा था , मेरे बदन के एक-एक उतार चढ़ाव का नाप अपनी आँखों से  अपने तरीके से ले रहा था ।
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 मैंने नितिन के प्रश्न का उत्तर देते हुआ कहा - " वो..... नितिन वो खो गया कहीं पर , बोहोत ढूंढा पर नहीं मिला । "

नितिन - ओह ... अब तुम क्या पहनोगी ?

मैं - बस अब ऐसे ही ठीक है । 

नितिन - नहीं ऐसे नहीं ,,,, मेरे साथ चलो एक बार । 

मैं( हैरत से )- तुम्हारे साथ ......  कहाँ ?

नितिन - ऊपर होटल मे मेरे रूम मे , मेरे पास है एक । 

मैं - क्या तुमने रूम लिया है यहाँ ?

नितिन - हाँ , वैसे तो मैं फार्म हाउस जाने वाला था मगर जब तुमने यहाँ आने को बोला तो मैंने रूम ही ले लिया । 
मैं - हम्म अच्छा । 
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नितिन - चलो ना ऊपर । 

मैं - नहीं नितिन मुझे नहीं चाहिए ।
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मेरी बात सुनकर नितिन मेरे ओर भी करीब आ गया और अपने हाथ की एक उँगली मेरे पेट के ऊपर से नाभी के ईद्र-गिर्द घुमाते हुए बोला - "ओहो पदमा .... आओ भी ... तुम नहीं जानती तुम पर वो कमर-बन्द कितना जचता है , उसके बिना तुम्हारा श्रंगार अधूरा है । "
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नितिन की उँगली का स्पर्श अपने जिस्म के उस नाजूक हिस्से पर लगते ही मैं सिहर गई और एक रोमांच की छाया के मुझे अपने तले ले लिया । मुझे कमर-बन्द की जरूरत भी थी , पिछली बार तो मैं झूठ बोलकर अशोक के सवाल से बच गई थी मगर अब आगे के लिए मेरे पास कोई विकल्प नहीं था । 
मैं - तुम नीचे ही ले आओ ना । 
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नितिन - पदमा तुम जानती हो ना हम कितने दिनों के बाद मिले है , मैं चाहता हूँ कि हम जब तक यहाँ है साथ रहे , वैसे भी मैं आज शाम को चला जाऊँगा फिर ना जाने कब तुम्हारे साथ मुलाकात हो । 
मैं थोड़े से असमंजस मे फँसी हुई थी एक तरफ मैं नितिन के साथ अकेले एक कमरे मे होने की बात सोचकर ही रोमांचित थी और दूसरी ओर नितिन की बात सुनकर , मैं फिर से भावुक हो गई थी , मैंने सोचा बेचारा कितना परेशान है थोड़ी देर के लिए ही तो मेरा साथ माँग रहा है । और कहीं ना कहीं मैं खुद भी उस विशाल होटल को देखना चाहती थी इसलिए मैं नितिन की बात पर सहमति देदी ।
मैं - चलो । 
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नितिन ने जैसे ही ये सुन उसका चेहरा खुशी के मारे खिल गया और वो बिना देरी कीये तुरंत बोल पड़ा - " तुम चलो , मैं बिल पे करके बस आया । "
मैं - कौन से फ्लोर पर है ?
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नितिन - बस ये नीचे से पहले वाला , रूम नम्बर 321 . 
नितिन की बात पर मैंने हामी मे सर हिलाया और एक बार फिर उसे अपनी गोरी चिकनी पीठ और मोटी भारी-भरकम गाँड़ की झलक दिखते हुए उसके आगे-आगे चल दी ।
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 मेरी दिल धड़कने बढ़ी हुई थी और मैं खुद को समझा रही थी कि "बस कमर-बन्द लेकर चल दूँगी । " इसी रोमांचक उत्तेजना मे मैंने सीढ़ियाँ चढ़नी शुरू की वैसे तो मैं लिफ्ट से भी जा सकती थी लेकिन मैंने आराम से घूमते हुए जाने का फैसला किया ।
मैं आखिर के फ्लोर पर जा पहुंची और उस लम्बी विशाल गैलरी मे घूमती लगी , वहाँ घूमते हुए मुझे नितिन के रूम का भी ख्याल नहीं रहा , पल-पल कदम रखते हुए उस अंधेरी गैलरी मे मेरे दिल की धड़कने अपने आप तेज होने लगी । मैं अपने ही रोमांच मे जी रही थी तभी मुझे पीछे से नितिन ने आवाज दी - " पदमा .." 
मैं पीछे मुड़ी .. 
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पीछे नितिन एक चाभी लिए मेरी जवानी का रस अपनी आँखों से पी रहा था , मुझे देखकर वैसे ही खड़े हुए उसने कहा - " तुम वहाँ आगे कहाँ चली गई ? रूम तो ये है ?"
मैं वापस उसके रूम की तरफ आई तब तक नितिन ने दरवाजा भी खोल दिया और कहा - " लेडीज फर्स्ट "
मैं अन्दर रूम मे चली आई और मेरे पीछे-पीछे नितिन भी आ गया , अन्दर आते ही नितिन ने धीरे से दरवाजा भिड़ा दिया जिसकी मुझे कोई आवाज नहीं सुनी । मैं नितिन के रूम मे आकर खड़ी हो गई 
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और कहा - " नितिन कहाँ है कमर-बन्द ?, जल्दी ला दो फिर मुझे जाना है । "
नितिन - बस अभी लाया । 
कहकर नितिन अपने ड्रावर मे कुछ ढूंढने चला गया और मैं उसके रूम को देखने लगी , काफी बड़ा रूम था नितिन का । मेरे मन मे थोड़ी-थोड़ी घबराहट भी थी , लेकिन मैं अपने आप को नॉर्मल दिखाने की पूरी कोशिश कर रही थी , कुछ ही देर बाद नितिन वापस मेरे पास आ गया उसके हाथ मे वाकई एक कमर-बन्द था । मैं खुश थी कि कम-से-कम अब अशोक से झूठ तो नहीं बोलना पड़ेगा । मैंने नितिन के हाथ से कमर-बन्द लेने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए तो नितिन ने कमर-बन्द खींचते हुए कहा - " नहीं ऐसे नहीं । "
मैंने थोड़ी हैरानी से नितिन की आँखों मे देखा उसकी आँखों मे शरारत साफ नजर आ रही थी । मैंने पूछा - " फिर कैसे ?"
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नितिन ( शरारती मुस्कान से )- मैं पहनाऊँगा , अपने हाथों से । 
और इतना कहकर , मेरे बोहोत ही करीब आ गया और अपने हाथों मे कमर-बन्द को पकड़कर मेरी पतली , नाजुक कमर के चारों ओर छूते हुए उसे लपेट दिया । मेरी साँसे और धड़कने तेज हो गई और अपनी शर्म बचाने के लिए मैंने आँखे बन्द करली ।
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नितिन कमर-बन्द लगाने के बहाने मेरे पतली कमरिया से खेलते हुए अपनी गरम साँसों से मुझ पर जादू चलाने लगा , फिर अचानक से नितिन नीचे मेरी नाभी के पास बैठ गया और कमर-बन्द लगाते हुए मेरी नाभी और उसके आस-पास अपनी उंगलियाँ फिराने लगा 
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, नितिन की उँगलिया मेरे सपाट चिकने पेट पर ऐसे विचरण कर रही थी जैसे कोई हिरण खुले मैदान मे करता है । नीचे बैठने की वजह से उसकी साँसों की गरमाहट मेरी नाभी और पेट को मिल रही थी । मैं जैसे-तैसे करके सीधी खड़ी रही और नितिन को टोकते हुए कहा - " नितिन ... और कितनी देर लगाओगे ?"

नितिन ने वैसे ही बैठे-बैठे जवाब दिया - " पदमा लगता है , ये अटक गया है कुछ करता हूँ । " कहकर नितिन ने कमर-बन्द के दोनों सिरों को अपने हाथों से पकड़ा और उन्हे मिलाकर आपने मुहँ से उसे जोड़ने की कोशिश करने लगा जैसे ही नितिन के होंठ मेरे पेट से टकराए मेरी साँसों मे गजब का उफान आ गया और एक हल्की सी आह मेरे मुहँ से निकल गई । 
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नितिन ने कमर-बन्द लगाने के बहाने मेरी नाभी और उसके आस पास गरमा-गरम तरीके से चूमा , मैंने अपनी आँखे बन्द कीये हुए अपने होंठ अपने दाँतों के बीच मे भिच लिए । 
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कमर-बन्द अब लग चुका था और अब नितिन ने अपने हाथ वहाँ से हटा कर पीछे मेरे भारी नितम्बों को पकड़ लिया , उसके होंठ अभी भी मेरे पेट पर अपनी छाप छोड़ रहे थे और बेबाकी से मेरे पेट को चूम रहे थे । मेरी हालत खराब होने लगी और बदन मे गुदगुदी के साथ एक रोमांचक उत्तेजना जिस्म मे ऊबाल खाने लगी । मैंने नितिन के सर को आपने हाथों से पकड़कर उसे रोकते हुए कहा - "ओह ... नितिन ये तुम क्या कर रहे हो ....। "
नितिन ने अपना जवाब अपनी हरकतों से दे डाला और मेरी गाँड़ को मजबूती से पकड़कर दबाते हुए मेरी कमर पर अपने होंठों से चूमने लगा । 
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मैं - " आह नितिन ...... रुक जाओ ना ..... प्लीज ..... अब मुझे जाने दो ... । 
मगर नितिन नहीं माना ओर तेजी से मेरी नाभी पर एक के बाद एक कई चुम्बन जड़ दिए ,
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 फिर मुझे चूमते हुए तेजी से ऊपर आया और मुझे अपनी बाहों मे कसकर मेरे होंठों पर भी तेजी से 3-4 चुम्बन दिए । 
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मैंने नितिन को अपने से दूर करने के लिए उसे धक्का देना चाहा , लेकिन उसकी बाहों की मजबूत पकड़ से निकल पाना मेरे लिए नामुमकिन साबित हुआ । 
मैं - प्लीज ... ऑफ .. छोड़ दो ना ..। क्या इसीलिए तुम मुझे अपने रूम मे लाए थे ?
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नितिन - पदमा ... मैं बोहोत तन्हा हूँ, मुझे तुम्हारा सहारा चाहिए  ... आइ लव यू  .... मुझसे दूर मत जाना । बोलते हुए नितिन फिर से एक बार मेरे होंठों की तरफ बढ़ा , मैं जान गई की नितिन मेरे होंठों को चूमने वाला है , मैंने नितिन को धक्का देते हुए उसके होंठों को अपने लबों से दूर रखना चाहा मगर नितिन ने तेजी से लपककर मेरे निचले होंठ को पकड़ लिया और अपने दाँतों मे भिच कर खिंच दिया ।
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" आह ......। " मेरे मुहँ से दर्द भरी एक चीत्कार निकली जिसका फायदा उठाते हुए नितिन ने मेरे सर को पीछे से पकड़कर अपनी ओर धकेला और मेरे होंठों को अपने होंठों मे फँसा ही लिया और जोर-जोर से उन्हे चूसने लगा ।
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 नितिन ने मुझे अपनी बाहों मे इस कदर जकड़ा हुआ था की मेरे बड़े-बड़े गद्देदार बूब्स नितिन की छाती के नीचे दबे हुए थे और मेरी साड़ी मे बन्धी गाँड़ नितिन के निर्दयी हाथों मे थी जिसे वो बड़ी बेहरहमी से कुचल रहा था ,
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 नीचे से उसकी पेन्ट मे कैद लण्ड ने मेरी प्यासी चुत पर वार करके कोहराम मचा रखा था । कुल मिलाकर ऐसी स्थिति मे किसी भी औरत के अरमान बहक जाए , लेकिन मैं फिर भी अपने आप को रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी । 
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मेरे होंठों का शबाब पी जाने के बाद नितिन ने उन्हे छोड़ा और मेरे कान और उसके पास  चूमते हुए बोला - " पदमा .... मैंने बोहोत दिनों से कोई चुदाई नहीं की , प्लीज आज मेरा साथ दो , मैं अपना लण्ड तुम्हारी चुत मे डालकर शांत करना चाहता हूँ । "
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मैं नितिन की ये बाते सुन-सुनकर पागल हुए जा रही थी । 
"  आह .... नहीं .....नितिन ..... मैं अशोक .... से क्या कहूँगी .... ओह ... प्लीज नितिन जाने दो मुझे .... । 
" हरगिज नहीं । "
"प्लीज ....आह ..."
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" आज नहीं ... जाने दूँगा ... किसी कीमत पर नहीं ... "
" ऑफ ... नहीं नितिन ... मैं लूट जाऊँगी ...।"
" एक बार मेरा लण्ड लेकर देखो , रोज इसके लिए तड़पोगी । " 
नितिन मेरे पीछे आ गया और मेरे बूब्स को अपने हाथों मे लेकर मसलते हुए मेरी गर्दन और कंधों पर चूमने लगा ,,,
मैं - " आह नितिन .... उफ़ ... भगवान के लिए मुझे छोड़ दो ... नहीं ... ओह .....मत लूटो मुझे ... ।"
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 बोले जा रही थी लेकिन नितिन पर इसका कोई असर नहीं था वो तो मजे से मुझे लूट रहा था । नितिन ने मेरी साड़ी के पल्लू को भी अपने हाथों से पकड़कर नीचे गिरा दिया और मेरी चुचियों को सख्ती से मसलते हुए बेहयाई से अपनी हवस मिटाने लगा । 
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चुचियों के रगड़े जाने से मेरे चुचे बिल्कुल कडक हो गए और मेरी चुचियाँ तनाव मे आ गई , ना चाहते हुए भी मेरे मुहँ से कामुक आहे निकलने लगी जिन्हे मैं बोहोत देर से दबाए हुए थी । 
" आह .... ऑफ ..... नितिन .... धीरे ... मसलों .. इन्हे ... । "
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मेरी बातों को तो नितिन कब का अनसुना कर चुका था और वो उसी बेदर्दी के साथ मेरी चुचियों का मान मर्दन करता रहा । चुचियों को साड़ी के ऊपर से मान मर्दन करने से अब उसका जी ऊबने लगा था तो उसने पीछे से मेरे ब्लाउज जी डोर को खोल दिया और आपने हाथ आगे ला कर मेरी ब्रा और ब्लाउज के पीछे छिपी हुई चुचियों को बाहर निकाल लिया और आपने हाथों से उन्हे बड़ी ही कठोरता से दबाने लगा ।
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 आहों के मारे मेरा बुरा हाल था मेरी योनि भर आई थी ओर चुतरस की बुँदे मेरी पेंटी को भी गीला करने लगी । पीछे से उसका पेंट मे कडक लिंग मेरी गाँड़ की दरार मे फँसा हुआ था । 
मैं -" आह .... आह .... छोड़ ... दो ... इन्हे....... नहीं .... आह .... । "
मेरी आहों को ज्यादा बढ़ता देख नितिन ने अपने होंठ फिर से मेरे होंठ से मिल दिए और अपने दूसरे हाथ से मेरी चुचियों को गुथने लगा , ठीक वैसे ही जैसे कोई हलवाई आटा गुथता है ।
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नितिन ने एक बार फिर मेरे होंठों को छोड़ा और मेरी चुचियों को मसलता हुआ मुझे मेरे कंधों पर चूमते हुए मुझे अपने बेड पर गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरे गले पर चूमने लगा और ऊपर से अपने लण्ड का दबाव मेरी गीली योनि पर देते हुए धक्के देने लगा , हर पल के साथ नितिन की हवस की आग बढ़ती जा रही थी और मेरी मर्यादा की सीमाएं टूटती जा रही थी । 
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फिर नितिन ने बेड के ड्रावर को खोलकर उसमे से एक लाल मुलायम पट्टी निकाली और उससे मेरे हाथों को बांध दिया और खुद नीचे आकर मेरे पेट और नाभी पर चूमने लगाआज नितिन ने मुझे इतना चूमा और चाटा था जितना पहले शायद ही किसी ने किया हो .... मैं कुछ बोल ना सकूँ इसके लिए नितिन ने अपनी एक उँगली मेरे मुहँ मे होंठों के बीच मे फँसा दी । 
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मेरे पेट पर चूमते हुए नितिन फिर नीचे आया और मेरी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठाकर मेरे गोरी जांघों और पैरों पर भी चूमने लगा और अपनी एक उँगली मेरी नाभी मे डालकर हिलाने लगा ।,
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 नितिन की गरम साँसे और उसके होंठों की छुअन अपनी योनि के आस-पास पड़ते ही मेरी साँसों मे गजब का उछाल आ गया और मेरा पूरा जिस्म , उत्तेजना मे तपने लगा मेरी योनि मे खुजली मचने लगी और नितिन के बिस्तर पर मचलते हुए मैं आहें भरने लगी । 
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Very hot update
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मैं -आह ......  नितिन ..... अब .... बस .... करो ..... आह .... ऑफ .... नहीं ....वहाँ .. पर मत चूमो ... । 

नितिन ने नीचे मेरे पैरों पर चूमते हुए मेरी साड़ी को ओर भी ऊपर उठाकर अपनी जेब से एक ओर लाल पट्टी निकाली मेरे पैरों को भी उस लाल मुलायम पट्टी से बांध दिया ।
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मैं - ऑफ ... नितिन ... ये ... क्या कर रहे हो ... आह... मत करो .. ।    
नितिन कब का मेरी बातों को सुन रहा था वो तो वासना के नशे मे डूबा हुआ था और अब वही नशा मुझ पर छाने लगा और मेरे सोचने समझने की शक्ति जाती रही , हवस की गर्मी ने मुझे अपना गुलाम बना लिया .. । वहाँ ऑफिस मे मेरा पति , मेरे लिए काम मे लगा है और यहाँ उसका बॉस मुझे अपने ही बिस्तर पर लूट रहा है , इस बात से ही मेरी कामअग्नि चरम पर पहुँच गई । नितिन अब और आगे बढ़ा और मेरी टांगों से हाथ ले जाते हुए मेरी पेन्टी तक ले गया और एकदम से उसे पकड़कर नीचे खिंच दिया ,
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 मैं उसे ऐसा करने से रोकना भी चाहती थी मगर मेरे हाथों को उसने पहले ही बांध दिया था , मैं कुछ भी ना कर सकी केवल उसकी मिन्नते करने से .. 
मैं - नितिन मत निकलो इसे ... प्लीज जो करना है ऊपर-ऊपर से कर लो..... आह ...  ।
मेरी पेन्टी गीली थी नितिन के हाथों मे आते ही नितिन जान गया कि वो क्यूँ गीली है , नितिन ने मेरी ओर देखकर कहा - " वाह पदमा ... तुम्हारे चुतरस की खुशबू तो इत्र को भी मात देती है , .. आज मे इसे फिर से पियूँगा । "  
इतना कहकर नितिन ने मेरी पेन्टी को नीचे फेंक दिया, नितिन फिर से मेरे ऊपर आया , मेरी मोटी चुचियों को मसलते हुए मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसके दोनों भागों को अलग कर दिया ।
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 ब्लाउज के खुलते ही मेरी लाल ब्रा मे कैद गद्देदार चुचियाँ बाहर आ गई जिन्हे चूमते हुए नितिन ने जबरदस्त तरीके से मसला और दबाया । मुझे तो ऐसा लगने लगा जैसे आज नितिन मेरे बूब्स से दूध निकाल कर ही मानेगा । मेरी चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूमते हुए नितिन मेरे पेट और जहाँ तक उसका हाथ पहुँच सकता था वहाँ तक जाते हुए , मेरे पूरे बदन को अपने सख्त हाथों से मसला और दबाया ।
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नितिन - कैसा लग रहा है पदमा , मजा आ रहा है ना  .... 
मैं -आह ....  .. नितिन ... अगर अशोक ने मुझे ... ऐसे देख लिया तो तो वो तो हार्ट-अटैक से ही मर जाएगा .... ओह .. । 
नितिन - अशोक तो चूतिया है , उसे ये भी नहीं पता , तुम जैसे माल को कैसे चोदा जाता है ।
मैं - आह ... उन्हे गाली मत दो नितिन .... उफ्फ़ ... । 
नितिन ने फिर नीचे आकर मेरे पेट पर चूमा और इस बार भी उसने अपने हाथ की उँगलियाँ मेरे मुहँ मे फँसा दी , मैं भी जिस्मानी आग के दरिया मे गोते लगा रही थी , मैंने नितिन की दोनों उँगलियों को अपने मुहँ मे भरकर चूसना शुरू कर दिया । 
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नितिन अब रूकने के मूड मे नहीं था और ना ही मैं , उसने नीचे हाथ लेजाकर मेरी साड़ी मे हाथ डाला और मेरी योनि को मसलते हुए मेरे पेटीकोट के नाड़े को पकड़कर खिंच दिया , पेन्टी तो वो पहले ही उतार चुका था , नाड़ा खुलते ही पेटीकोट अपने आप नीचे सरकने लगा और नितिन को मेरी चुत मसलने मे आसानी हो गई । आज कोई बोहोत टाइम के बाद मेरी योनि को मसल रहा था , जिस्मानी आग ने मुझे पागल कर दिया और मैं बिस्तर से उछल पड़ी ।
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 नितिन मेरे जिस्म की तपिश को समझ गया था और वो जान गया था की मैं अब आपने बदन की गर्मी की गुलाम बन गई हूँ , और उसने बाजी मार ली है । नितिन ने मुझे मेरे कंधों से पकड़कर पलट दिया और अपनी पेन्ट मे कैद लम्बे लिंग से ही मेरे नितम्बों पर धक्के लगाने लगा । 
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हालाँकि उसका लिंग अभी भी उसकी पेन्ट मे था लेकिन मेरी गाँड़ बिल्कुल नंगी थी , सिर्फ साड़ी थी जोकि कमर तक ऊपर उठी हुई थी , नितिन के लिंग का वार सीधे मेरे नंगे नितम्बों पर हो रहा था ।
मेरे नितम्बों पर पड़ने वाले ये धक्के मुझे अच्छे लग रहे थे , इसी बीच नितिन अचानक रुक गया , जिज्ञासावश मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वो अपने कपड़े निकाल रहा था , पल भर की भी देर ना हुई और नितिन ने अपने कपड़े निकाल-कर बिल्कुल नंगा हो गया ,,, मेरी आँखे अभी भी उसके गठीले बदन पर टिकी हुई थी जब मेरी नजरे उसके लिंग पर गई तो हैरत और रोमांचक डर से मेरा मुहँ खुला रह गया ।
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 नितिन का लण्ड बोहोत ही लंबा था ,
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 इससे पहले मैंने उसे महसूस जरूर किया था लेकिन देखा आज पहली बार था .. नितिन का लिंग मेरी आँखों के सामने झूल रहा था और मेरी निगाहे उस पर ही टिकी हुई थी । नितिन मुझे उसके लिंग की ओर घूरता हुआ पाकर मुस्कुराते हुए बोला - " कैसा है मेरा लण्ड , पदमा । "
नितिन की आवाज से मेरा ध्यान भंग हुआ और शर्मा-कर मैंने अपनी नजरे फेर ली । नितिन दोबारा से मेरे पास आया और उसका लोहे के सरिया के जैसा गरम लण्ड मेरे पेट से टकरा गया , मेरा दिल इतनी रफ्तार से धड़का जैसे मैं अभी बेहोश हो जाऊँगी ।

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मौका देखकर नितिन ने मेरे हाथ और पैरों पर बंधी पट्टी खोल दी , जब वो समझ गया की अब मैं आपने जिस्म के हाथों मजबूर हो चुकी हूँ और अब कहीं नहीं जा सकती । नितिन ने मेरे ब्लाउज को पीछे से पकड़कर ऊपर की ओर उठा दिया और मस्ती मे चूर मेरे हाथ अपने आप ऊपर होते चले गए ,मैं नितिन के सामने सिर्फ ब्रा मे रह गई ।
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 मैंने शर्मा कर अपने बदन को अपने हाथों से ढक लिया तो नितिन ने अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरी ब्रा भी खोल दी और मेरे कंधों पर चूमते हुए उसे भी निकाल दिया । 
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मैं एक बार फिर नितिन के सामने नग्न हो गई और अपनी लुटती हुई इज्जत बचाने के लिए अपने हाथों से आपनी चुचियाँ छिपा ली लेकिन ये भी नितिन को ना-ग्वार था उसने मुझे मेरे कंधों से पकड़कर वापस बिस्तर पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरे होंठों से अपने होंठ मिला दिए और उन्हे पीने लगा ,
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 उसने मेरे हाथ मेरे बूब्स से हटाकर बिस्तर के दोनों तरफ दबा दिए और मेरे होंठों को छोड़कर मेरी चुचियों का दूध निचोड़ने लगा , मेरे बड़े-बड़े बूब्स नितिन के मुहँ मे पूरे आ भी नहीं रहे थे फिर भी नितिन उन्हे जितना हो सके अपने मुहँ मे भरकर चूस रहा था , उसने ना सिर्फ मेरे चुचियों को चूसा बल्कि उनपर काटा भी और अपने प्यार की निशानी दी । 
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मैं - आह....  आह.... उफ्फ़ ... नहीं .... मत .. काटो .. ओह ..। 
नीचे नितिन के लण्ड ने मेरी योनि मे ऐसी आग लगा दी थी कि अपने आप ही उसमे से पानी की धारा निकलने लगी , मेरी योनि और नितिन ने लिंग मे बस मेरी साड़ी का एक महीन परदा था जो हमारे बीच फँसा हुआ था जिसका होना ना होने के बराबर ही था क्योंकि उसके रहते भी नितिन का लण्ड मेरी चुत पर बराबर चोट कर रहा था ।
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 अब नितिन का मन आगे बढ़ने का था उसने मेरे हाथों और चुचियों को छोड़ा , और मेरी कमर मे फँसी साड़ी को एक झटके मे पकड़कर निकाल दिया अब मेरे जिस्म पर नाम-मात्र भी कपड़े का नहीं था । मेरे जिस्म का एक एक अंग नितिन की आँखों के सामने था ,
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 पर नितिन की नजरें जहाँ उलझी हुई थी वो थी मेरी योनि और उससे टपकता मेरा चुतरस । नितिन ने एक बार अपनी जीब अपने होंठों पर फिराई तो मैं समझ गई कि नितिन क्या करने वाला है ? नितिन यहाँ इस कमरे मे मेरी चुत का रस पिएगा ये सोच-सोचकर ही मेरी साँसे बावली हो रही थी । पहले भी नितिन ने जब मॉर्निंग वॉक पर मेरी योनि को चाटा था तो मेरी हालत खराब हो गई थी ,आज फिर वही होने वाला था । आखिर नितिन ने मेरे दोनों पैरों को पकड़कर अलग किया और मेरी योनि को अपने हाथों से छूते हुए बोला - " आह .. क्या चीज हो तुम पदमा ..। तुम्हारी चुत को तो दिन रात चोदा जाना चाहिए । "
ऐसा बोलकर नितिन मेरी योनि पर झुक गया और उसके बेहद करीब जाकर उसे सूंघा । फिर मेरी ओर देखकर बोला - " इतनी सेक्सी चुत ... क्या बात है ? पदमा क्या मैं तुम्हारी चुत का ये रस पी लूँ ? "
मैंने शर्म से अपनी आँखे बन्द करली और कोई जवाब नहीं दिया इसके बाद नितिन ने मेरे जवाब का इंतज़ार भी नहीं किया और अपने होंठ खोलकर मेरी गुलाबी रसीली चुत पर लगाकर चूसने लगा ।
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मैं - आह .. आह ... ऑफ ... नितिन .... करते हुए बिस्तर पर उछल पड़ी और मेरे हाथ खुद-ब-खुद नितिन के सर के बालों मे उलझ गए और मैंने उसके सर को अपनी योनि पर दबा दिया । 
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नितिन की जीभ मेरी चुत की हर गहराई को नाप रही थी  मेरा जिस्म बुरी तरह से मचलने लगा , मेरी योनि चुतरस के रूप मे अंगारे बरसाने लगी , जिन्हे नितिन मुहँ लगाए पीता चला गया । उसने अपना एक हाथ ऊपर करके मेरी चुची को पकड़ लिया और मेरी चुत को चाटते हुए मेरी चुची को दबाने लगा । मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं शब्दों मे बयां नहीं कर सकती । पूरे बदन मे अंगारों की झुरझुरी लगी हुई थी । इस तरह से तो मेरी चुत को कभी अशोक या गुप्ता जी ने भी नहीं चाटा था । मैं मस्ती के सागर मे झूमते हुए लगातार आहें भर रही थी .... 
" आह ... आह .. आह ..... ऑफ .... मम्म्म् ..... यस .... यस ... "
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मेरी कामुक आहों को सुनकर नितिन ने अपना सर एक बार ऊपर उठाया ओर मैं बैचेन हो गई , मैं अब नहीं चाहती थी कि नितिन किसी भी हालत मे रुके , मैंने सवालिया नज़रों से नितिन की आँखों मे देखा , जैसे पूछ रही हूँ " क्योँ रुक गए ?"
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नितिन के मेरी लाल आँखों मे देखते हुए पूछा - " कैसा लग रहा है पदमा ? " और अपनी एक उँगली मेरी योनि मे धीरे से घुसा दी । 

" आह ....... बोहोत अच्छा ..... करते रहो ..... । " - मैंने कराहते हुए जवाब दिया ।
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नितिन यहाँ नहीं रुका बल्कि ओर जोर से मेरी चुत मे उँगली करते हुए बोला - " क्या अशोक भी ऐसे ही करता है तुम्हारे साथ .... "
" आह .... नितिन .... चुप ... हो जाओ ... उन्हे .. बीच मे मत लाओ .... आह .. ऑफ ...। "
नितिन ने फिर पूछा - " बोलो ना पदमा .. क्या वो भी तुम्हारी चुत चाटता है ?"
नितिन के सवाल मुश्किल होते जा रहे थे और साथ ही मेरी आँखे भी पथराने लगी थी , मैं चरम-सुख पर पहुँचने की कगार पर थी और मैंने नितिन के सवाल का जवाब दिया 
मैं - नहीं ...... वो .. नहीं ..... करते ऐसा .... आह ... । 
नितिन ने जब ये सुना तो उसने मुस्कुराकर एक ओर उँगली मेरी चुत मे डाल दी ओर जोर-जोर से उसे अन्दर बाहर करने लगा 
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नितिन  - ये क्या पदमा तुम तो खुद ही मजे ले रही हो , और मेरा क्या ?
मैं ( आहे भरती हुई )- आह ... बोलो क्या चाहिए .... तुम्हें नितिन ...ऑफ  ?
नितिन - जैसे मैंने तुम्हारी चुत चुसी है   , तुम मेरा लण्ड चूसो । 
जब नितिन ने ये बोला मेरे दिमाग मे वही छाया-चित्र बन गए जब मैंने बस मे गुप्ता जी का लिंग चूसा था , और यहाँ नितिन मुझे फिर से वही करने को बोल रहा था । 
मैं - नितिन ..... उफ़ ... आह .. 
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नितिन समझ गया था कि मेरा बदन अकड़ने लगा है और मैं किसी भी समय झड़ सकती हूँ और इस समय मेरी कामवासना पूरे चरम पर है , नितिन ये इस मौके का पूरा फायदा उठाया और तेज-तेज मेरी चुत मे अपनी उँगलियाँ अन्दर बाहर करते हुए बोला - " जल्दी बोलो पदमा .. लोगी ना मेरा लोड़ा अपने इस प्यारे नरम होंठों मे "
नितिन की उँगलियों के वार से मेरी चुत , भर-भर के पानी छोड़ने लगी और मेरा पूरा जिस्म ऐंठ गया .. मैंने अपने बदन की कमान नितिन के हाथों मे सोपते हुए कह ही दिया - " हाँ ... लूँगी ... डाल दो .. इसे मेरे नरम होंठों के बीच ... आह....  आह.. "
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नितिन ने ये सुनने के बाद एक पल की भी देरी करनी गलत समझी और मेरी योनि से अपने हाथ की उँगलियाँ निकालकर , बेड पर खड़ा हो गया और मेरे सर बाल पकड़कर मुझे घुटनों के बल बैठा दिया .. मेरे सामने नितिन का मोटा काला लण्ड झूल रहा था ... और उस समय मुझे किसी चीज का ध्यान नहीं था सिवाय इसके कि मुझे ये मोटा लण्ड अपने मुहँ मे चाहिए । मैंने उसके लण्ड को अपने मुहँ मे लेने के लिए अपना मुहँ खोल दिया लेकिन नितिन ने मेरे बालों को पकड़कर मुझे लण्ड से दूर किया हुआ था , जब मैंने खुद ही उसके लण्ड को मुहँ मे लेना चाहा तो उसने उसे मेरे मुहँ से दूर कर दिया और मेरे मुहँ मे नहीं घुसने दिया,बल्कि उसका लण्ड मेरे गालों से जरूर छू गया । 
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नितिन को मुझे तड़पाने मे बोहोत मजा आ रहा था वो मुझे ऐसे इस्तेमाल कर रहा था जैसे मैं उसकी कोई गुलाम हूँ  लेकिन अब मैं भी रुकने वाली नहीं थी , मैंने एक बार फिर से कोशिश की और इस बार नितिन के लण्ड को लपक ले आपने होंठों के बीच अपने मुहँ मे ले लिया और तरीके से उसे चूसने लगी । 
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लण्ड के मुहँ मे जाते ही , नितिन की भी आहें फूट गई और वो भी .. " आह ..पदमा ... मेरी ... रांड ... । " बड़बड़ाते हुए हुए अपना लण्ड मेरे मुहँ मे तेजी से अन्दर - बाहर करने लगा । 
गुप्ता जी का लण्ड चूसने के बाद मैंने सोचा था कि अब कभी  किसी का नहीं चूसूँगी, लेकिन पता नहीं था मेरी ये खुद से किया वादा बस दो दिन मे टूट जाएगा । मुझे सच मे नितिन का लण्ड चूसने मे मजा आने लगा , और मैं उसे मजे से चूसने लगी जैसे कोई आइसक्रीम हो .... 
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नितिन मेरे सर को उसके लण्ड पर दबाए आहें भरने लगा - " आह पदमा ... तुम तो बड़ा अच्छा लण्ड चुसती हो कहाँ से सीखा ..? 
अब मैं नितिन को क्या बताती कि मैंने उससे पहले अपने एक 50 साल के टेलर का भी चूसा हुआ है , लेकिन सच बताऊँ तो मुझे नितिन के लण्ड को चूसने मे ज्यादा मजा आ रहा था गुप्ता जी से भी ज्यादा । नितिन का लिंग मेरे मुहँ मे पूरा घुसने को तैयार था और जब नितिन ने उसे पूरा मेरे मुहँ मे घुसाया तो मेरा साँस लेना दुर्भर हो गया .. वो जड़ तक मेरे हलक मे उतर गया और मेरे गले की गहराई को मापने लगा  मैंने नितिन से आँखों ही आँखों मे मदद की गुहार लगाई , तब जाकर नितिन ने उसे मेरे मुहँ मे से निकाला और मेरे जान मे जान आई , मैं जोर जोर से साँसे लेने लगी .. 
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नितिन ने मुझे फिर से खड़ा किया मेरी चुत मे अपनी ऊँगली डाल कर जोर-जोर से अन्दर बाहर करते हुए .. मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया  मेरी चुत से पानी की बोछार होने लगी 
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 .. मेरी आँखे पथरा गई और मेरा बदन काँपते हुए मैं जोर जोर से चीखने लगी ... 

" आह ..... आह ..... आआआआआआ............. ह ,,,,,,,,"
मुझे निढाल होता देख नितिन ने मेरी आहों को शांत करने के लिए फिर से मुझे नीचे बीठा के मेरे मुहँ मे अपना लण्ड दे दिया और उसे तेजी से मेरे मुहँ मे आगे पीछे करने लगा .. मेरे मुहँ से " घू घू .. "की आवाज पूरे कमरे मे गूंज गई अगर कोई ओर वहाँ होता तो यही सोचता कोई रंडी अन्दर चुद रही है । 
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मुझे भी इसमे मजा आ रहा था , नितिन का जिस्म भी अब अकड़ने लगा और तभी नितिन तड़पते हुए बोला - " जल्दी अपना मुहँ खोलो पदमा ... आह .. मेरा छूटने ... वाला है ... आह ... । " 

मुझे कुछ नहीं सूझा , हड़बड़ाहट मे मैंने भी कामुकता वश अपना मुहँ नितिन के लण्ड के सामने खोल दिया और जबतक मैं कुछ समझ पाती नितिन ने अपने लण्ड के वीर्य से मेरा सारा मुहँ भर दिया और मेरे गालों पर भी उसे गिराते हुए उन्हे सना दिया ।
[Image: 20230209-132405.gif]
नितिन निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ा और मैं भी उसी तरह बेड पर लेट गई । वासना और हवस का दौर अब थम चुका था और अब सिवाय लज्जित होने के अपनी हालत पर रोने के मेरे पास कोई रास्ता नहीं था ।  मेरे लिए एक-एक सेकंड नितिन के कमरे मे रुकना नरक मे रुकने ने समान था, मैं जल्दी से भागकर बाथरूम मे गई और झटपट शावर खोलकर उसके नीचे खड़ी होकर अपनी हालत और कीये हुए कुकर्मों पर रोने लगी , रोते-रोते ही मैंने नितिन के वीर्य से सना हुआ अपना चेहरा साफ किया
[Image: 28192088a554f2ee46a49c0ac6e731b961a27b3c.gif]
 और बाहर आकर जल्दी से अपने कपड़े पहनकर नितिन के कमरे से निकल गई , जाने से पहले मैंने एक बार पीछे मुड़कर नितिन को देखा तो वो आराम से अपने बेड पर सोया हुआ था जैसे उसका तो कुछ नहीं गया, और सच भी यही था कि उसका तो कुछ गया ही नहीं था ।
[Image: 011.jpg]
 नितिन के कमरे से बाहर आकर मुझे एहसास हुआ कि मैंने हवस की एक ऐसी दुनिया मे कदम रख दिए है जिसका कोई अंत नहीं । मेरे कदम आगे ही नहीं बढ़ रहे थे , इस होटल मे मैंने आज अपना बोहोत कुछ गंवा दिया था , चलते चलते मैं उस होटल की एक-एक इमारत को देख रही थी । 
[Image: vn.gif]
जब मैं होटल से बाहर आई तो देखा मेरे पास नितिन का दिया हुआ कमर-बंद था , जिसके बदले मैं नितिन को अपनी इज्जत दे आई थी ।
[Image: 211708501-exouxb-u4aagbkf.jpg]      
[+] 4 users Like Ravi Patel's post
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bohot mehnat se update di hai dosto ,
bus itna hi chahunga ki like kr do ..
aur comment me suggestions dena mt bhulna 
[Image: vb.gif]

special thanks to - Jyotimoy123, Abhi T, hot_boy93 , mohiykumarhot ....
[Image: 211715472-192532763-208067887815746-6477...6009-n.jpg]
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Aab jaldi se chodwa do padma ko barun se ya fir rafiq se .
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Dhamakedar blockbuster update sexy sexy update
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(11-02-2023, 01:08 AM)Ravi Patel Wrote: मुझे भी इसमे मजा आ रहा था , नितिन का जिस्म भी अब अकड़ने लगा और तभी नितिन तड़पते हुए बोला - " जल्दी अपना मुहँ खोलो पदमा ... आह .. मेरा छूटने ... वाला है ... आह ... । " 

मुझे कुछ नहीं सूझा , हड़बड़ाहट मे मैंने भी कामुकता वश अपना मुहँ नितिन के लण्ड के सामने खोल दिया और जबतक मैं कुछ समझ पाती नितिन ने अपने लण्ड के वीर्य से मेरा सारा मुहँ भर दिया और मेरे गालों पर भी उसे गिराते हुए उन्हे सना दिया ।
[Image: 20230209-132405.gif]
नितिन निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ा और मैं भी उसी तरह बेड पर लेट गई । वासना और हवस का दौर अब थम चुका था और अब सिवाय लज्जित होने के अपनी हालत पर रोने के मेरे पास कोई रास्ता नहीं था ।  मेरे लिए एक-एक सेकंड नितिन के कमरे मे रुकना नरक मे रुकने ने समान था, मैं जल्दी से भागकर बाथरूम मे गई और झटपट शावर खोलकर उसके नीचे खड़ी होकर अपनी हालत और कीये हुए कुकर्मों पर रोने लगी , रोते-रोते ही मैंने नितिन के वीर्य से सना हुआ अपना चेहरा साफ किया
[Image: 28192088a554f2ee46a49c0ac6e731b961a27b3c.gif]
 और बाहर आकर जल्दी से अपने कपड़े पहनकर नितिन के कमरे से निकल गई , जाने से पहले मैंने एक बार पीछे मुड़कर नितिन को देखा तो वो आराम से अपने बेड पर सोया हुआ था जैसे उसका तो कुछ नहीं गया, और सच भी यही था कि उसका तो कुछ गया ही नहीं था ।
[Image: 011.jpg]
 नितिन के कमरे से बाहर आकर मुझे एहसास हुआ कि मैंने हवस की एक ऐसी दुनिया मे कदम रख दिए है जिसका कोई अंत नहीं । मेरे कदम आगे ही नहीं बढ़ रहे थे , इस होटल मे मैंने आज अपना बोहोत कुछ गंवा दिया था , चलते चलते मैं उस होटल की एक-एक इमारत को देख रही थी । 
[Image: vn.gif]
जब मैं होटल से बाहर आई तो देखा मेरे पास नितिन का दिया हुआ कमर-बंद था , जिसके बदले मैं नितिन को अपनी इज्जत दे आई थी ।
[Image: 211708501-exouxb-u4aagbkf.jpg]     mast updated
Bhai story me husband ko chutiya ma dikhanajaisa sbhi. story me hota hi.......baaki cchudi ka special day rkhna


Air story ko jb bhi ho ek end dena jaise divorce type ka jisse koi aur na start kr ske
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Welcome hot update
Mahi ❤️ Sharma (Pooja)❤️
Thanks all my ❤️
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Tremendous lovely... waiting for more..

Amazing..
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Waiting
Mahi ❤️ Sharma (Pooja)❤️
Thanks all my ❤️
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बहुत अच्छा ओर लंबा अपडेट था,मजा आ गया

गुप्ता और नितिन ने मजे ले लिए ,अब शायद रफीक की बारी है

आज वेनेटाइन है ,सिंगल लोगो के लिए एक अपडेट मिल सकता है क्या आज

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Bhai update
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